पंचक विचार - Mvf

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वैशाख शुक्ल तृतीया - 26.4.2020

॥ पंचक ववचार ॥
भारतीय ज्योततष में पच ं क को अशभु माना गया है । दरअसल नक्षत्र चक्र में कुल 27 नक्षत्र होते हैं । इनमें
अतं तम के पाच ं नक्षत्र दतू षत माने गए हैं, ये नक्षत्र धतनष्ठा, शततभषा, पर्ू ाा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेर्ती
होते हैं । प्रत्येक नक्षत्र चार चरणों में तर्भातित रहता है । पचं क धतनष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से प्रारंभ होकर
रेर्ती नक्षत्र के अंततम चरण तक रहता है । पचं क के दौरान कुछ तर्शेष काम र्तिात तकये गए है ।

• पंचक के प्रकार
1. रोग पंचक रतर्र्ार को शुरू होने र्ाला पंचक रोग पचं क कहलाता है । इसके प्रभार् से ये
पांच तदन शारीररक और मानतसक परेशातनयों र्ाले होते हैं । इस पचं क में तकसी
भी तरह के शुभ काम नहीं करने चातहए । हर तरह के मांगतलक कायों में ये पचं क
अशुभ माना गया है।
2. राि पचं क सोमर्ार को शरूु होने र्ाला पचं क राि पचं क कहलाता है । ये पचं क शभु माना
िाता है । इसके प्रभार् से इन पाचं तदनों में सरकारी कामों में सफलता तमलती है ।
राि पच
ं क में सपं तत्त से िडु े काम करना भी शभु रहता है ।
3. अतनन पच
ं क मगं लर्ार को शुरू होने र्ाला पचं क अतनन पचं क कहलाता है । इन पाचं तदनों में
कोर्ा कचहरी और तर्र्ाद आतद के फै सले, अपना हक प्राप्त करने र्ाले काम तकए
िा सकते हैं । इस पंचक में अतनन का भय होता है । इस पचं क में तकसी भी तरह
का तनमााण काया, औिार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना
गया है । इनसे नुकसान हो सकता है।
4. मृत्यु पंचक शतनर्ार को शुरू होने र्ाला पचं क मृत्यु पंचक कहलाता है। नाम से ही पता
चलता है तक अशुभ तदन से शुरू होने र्ाला ये पंचक मृत्यु के बराबर परेशानी देने
र्ाला होता है । इन पांच तदनों में तकसी भी तरह के िोतिम भरे काम नहीं करना
चातहए । इसके प्रभार् से तर्र्ाद, चोर्, दर्ु ार्ना आतद होने का ितरा रहता है।
5. चोर पच
ं क शक्र
ु र्ार को शरूु होने र्ाला पचं क चोर पचं क कहलाता है । तर्द्वानों के अनसु ार,
इस पचं क में यात्रा करने की मनाही है । इस पचं क में लेन-देन, व्यापार और तकसी
भी तरह के सौदे भी नहीं करने चातहए । मना तकए गए काया करने से धन हातन हो
सकती है ।
6. बधु र्ार और गुरुर्ार को शुरू होने र्ाले पचं क में ऊपर दी गई बातों
का पालन करना िरूरी नहीं माना गया है। इन दो तदनों में शुरू होने र्ाले तदनों में
पंचक के पांच कामों के अलार्ा तकसी भी तरह के शुभ काम तकए िा सकते हैं।

मानव ववकास फाउन्डेशन - मम्ु बई आचायय अवखलेश विवेदी - 9820611270


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वैशाख शुक्ल तृतीया - 26.4.2020 पंचक ववचार

• पंचक में ववजयत कायय धवनष्ठा पंचकं त्याज्यं तृणकाष्ठावदसंग्रहे ।


त्याज्या दविणवदग्यात्रा गृहाणां छादनं तथा ॥
• अवग्न-चौरभयं रोगो राजपीडा धनिवतिः।
संग्रहे तृण-काष्ठानां कृते वस्वावद-पंचके ॥ (मुहूता-तचंतामतण)
• पंचक में शय्या तनमााण यानी पलंग बनर्ाना, पलगं िरीदना, तबस्तर िरीदना, तबस्तर का दान करना
इत्यातद नहीं चातहए । इससे कोई बडा सक ं र् िडा हो सकता है ।
• धतनष्ठा नक्षत्र में र्ास, लकडी आतद िलने र्ाली र्स्तुएं इकट्ठी नहीं करना चातहए, इससे आग लगने
का भय रहता हैं ।
• पंचक के दौरान दतक्षण तदशा में यात्रा नही करनी चातहए, क्योंतक दतक्षण तदशा, यम की तदशा मानी
गई है। इन नक्षत्रों में दतक्षण तदशा की यात्रा करना हातनकारक माना गया है।
• रेर्ती नक्षत्र में र्र की छत नहीं बनाना चातहए, इससे धन हातन और र्र में क्लेश होता है।
• पचं क में शर् का अतं तम सस्ं कार करने से पहले तकसी योनय पतं ित की सलाह अर्श्य लेनी चातहए।
यतद ऐसा न हो पाए तो शर् के साथ पाचं पतु ले आर्े या कुश (एक प्रकार की र्ास) से बनाकर अथी
पर रिना चातहए और इन पाच ं ों का भी शर् की तरह पूणा तर्तध-तर्धान से अंततम सस्ं कार करना
चातहए, तो पंचक दोष समाप्त हो िाता है। ऐसा गरुड पुराण में तलिा है।
• पंचक में करने योग्य शुभ कायय
• पच
ं क में आने र्ाला उत्तराभाद्रपद नक्षत्र र्ार के साथ तमलकर सर्ााथातसति योग बनाता है, धतनष्ठा,
शततभषा, पर्ू ाा भाद्रपद र् रेर्ती नक्षत्र यात्रा, व्यापार, मिुं न आतद शभु कायों में श्रेष्ठ माने गए हैं।
• पंचक के दौरान सगाई, तर्र्ाह आतद शुभ काया तकए िाते हैं।
• पंचक में आने र्ाले तीन नक्षत्र पर्ू ाा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद र् रेर्ती रतर्र्ार को होने से आनंद आतद
28 योगों में से 3 शभु योग बनाते हैं, ये शुभ योग इस प्रकार हैं- चर, तस्थर र् प्रर्धा। इन शुभ योगों से
सफलता र् धन लाभ का तर्चार तकया िाता है।
• रक्षा -बन्धन, भैय्या दि
ू आतद पर्ों में भी पंचक नक्षत्रों का तनषेध के बारे में नहीं सोचा िाता है ।
• मुहूतय वचंतामवण ग्रंथ के अनुसार पंचक के नित्रों का शुभ फल
• धतनष्ठा और शततभषा नक्षत्र चल संज्ञक माने िाते हैं । इनमें चतलत काम करना शुभ माना गया है
िैसे- यात्रा करना, र्ाहन िरीदना, मशीनरी संबंतधत काम शुरू करना शुभ माना गया है ।
• उत्तराभाद्रपद नक्षत्र तस्थर संज्ञक नक्षत्र माना गया है। इसमें तस्थरता र्ाले काम करने चातहए िैसे- बीि
बोना, गृह प्रर्ेश, शातं त पिू न और िमीन से िडु े तस्थर काया करने में सफलता तमलती है ।
• रेर्ती नक्षत्र मैत्री सज्ञं क होने से इस नक्षत्र में कपडे, व्यापार से सबं तं धत सौदे करना, तकसी तर्र्ाद का
तनपर्ारा करना, गहने िरीदना आतद काम शुभ माने गए हैं ।

मानव ववकास फाउन्डेशन - मम्ु बई आचायय अवखलेश विवेदी - 9820611270


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वैशाख शुक्ल तृतीया - 26.4.2020 पंचक ववचार

• पंचक के नित्रों का संभाववत अशुभ प्रभाव


• धतनष्ठा नक्षत्र में आग लगने का भय रहता है।
• शततभषा नक्षत्र में र्ाद-तर्र्ाद होने के योग बनते हैं।
• पूर्ााभाद्रपद रोग कारक नक्षत्र है यानी इस नक्षत्र में बीमारी होने की संभार्ना सबसे अतधक होती है।
• उत्तरा भाद्रपद में धन हातन के योग बनते हहै।
• रेर्ती नक्षत्र में नुकसान र् मानतसक तनार् होने की संभार्ना

• मृत्यु पच
ं क से सम्बवन्धत शास्त्र कथन
धवनष्ठ-पच ं कं ग्रामे शविषा-कुलपच ं कम् ।
पूवायभाद्रपदा-रथयािः चोत्तरा गृहपंचकम् ।
रेवती ग्रामबाह्यं च एतत् पंचक-लिणम् ॥
आचायों के अनुसार धतनष्ठा से रेर्ती पयंत इन पांचों नक्षत्रों की क्रमशः पांच श्रेतणयां हैं ।
• ग्राम पचं क धतनष्ठा में िन्म-मरण होतो उस गार्ं या नगर में पाचं िन्म-मरण होता है ।
• कुल पचं क शततभषा में होतो उसी कुल में पाचं िन्म-मरण होता है ।
• रथ्या पंचक पूर्ाा भाद्रपद में होतो उसी मुहल्ले या र्ोले में पाचं िन्म-मरण होता है ।
• गृह पचं क उत्तरा भाद्रपद में होतो उसी र्र में पाचं िन्म-मरण होता है ।
• ग्रामबाह्य पंचक रेर्ती में होतो दसू रे गांर् या नगर में पांच िन्म-मरण होता है ।
ऐसी मान्यता है

• मृत्यु पंचक उपाय


• प्रेतस्य दाहं यमवदग्गमं त्यजेत् शय्या-ववतानं गृह-गोपनावद च । (मुहूता-तचंतामतण)
पचं क में मरने र्ाले व्यति की शांतत के तलए गरुड पुराण के अनुसार पंचक में शर् का अंततम सस्ं कार
करने से पहले तकसी योनय तर्द्वान पंतित की सलाह अर्श्य लेनी चातहए । यतद तर्तध अनसु ार यह काया तकया
िाए तो संकर् र्ल िाता है । दरअसल, पंतित के कहे अनसु ार शर् के साथ आर्े, बेसन या कुश (सि ू ी र्ास)
से बने पाचं पुतले अथी पर रिकर इन पांचों का भी शर् की तरह पूणा तर्तध-तर्धान से अंततम सस्ं कार तकया
िाता है । ऐसा करने से पच ं क दोष समाप्त हो िाता है।
दसू रा यह तक गरुड परु ाण अनसु ार अगर पचं क में तकसी की मृत्यु हो िाए तो उसमें कुछ सार्धातनयां
बरतना चातहए । सबसे पहले तो दाह-सस्ं कार सबं तं धत नक्षत्र के मत्रं से आहुतत देकर नक्षत्र के मध्यकाल में
तकया िा सकता है । तनयमपूर्ाक दी गई आहुतत पुण्यफल प्रदान करती हैं । साथ ही अगर संभर् हो दाह
संस्कार तीथास्थल में तकया िाए तो उत्तम गतत तमलती है ।

मानव ववकास फाउन्डेशन - मम्ु बई आचायय अवखलेश विवेदी - 9820611270

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