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पंचक विचार - Mvf
पंचक विचार - Mvf
पंचक विचार - Mvf
॥ पंचक ववचार ॥
भारतीय ज्योततष में पच ं क को अशभु माना गया है । दरअसल नक्षत्र चक्र में कुल 27 नक्षत्र होते हैं । इनमें
अतं तम के पाच ं नक्षत्र दतू षत माने गए हैं, ये नक्षत्र धतनष्ठा, शततभषा, पर्ू ाा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेर्ती
होते हैं । प्रत्येक नक्षत्र चार चरणों में तर्भातित रहता है । पचं क धतनष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से प्रारंभ होकर
रेर्ती नक्षत्र के अंततम चरण तक रहता है । पचं क के दौरान कुछ तर्शेष काम र्तिात तकये गए है ।
• पंचक के प्रकार
1. रोग पंचक रतर्र्ार को शुरू होने र्ाला पंचक रोग पचं क कहलाता है । इसके प्रभार् से ये
पांच तदन शारीररक और मानतसक परेशातनयों र्ाले होते हैं । इस पचं क में तकसी
भी तरह के शुभ काम नहीं करने चातहए । हर तरह के मांगतलक कायों में ये पचं क
अशुभ माना गया है।
2. राि पचं क सोमर्ार को शरूु होने र्ाला पचं क राि पचं क कहलाता है । ये पचं क शभु माना
िाता है । इसके प्रभार् से इन पाचं तदनों में सरकारी कामों में सफलता तमलती है ।
राि पच
ं क में सपं तत्त से िडु े काम करना भी शभु रहता है ।
3. अतनन पच
ं क मगं लर्ार को शुरू होने र्ाला पचं क अतनन पचं क कहलाता है । इन पाचं तदनों में
कोर्ा कचहरी और तर्र्ाद आतद के फै सले, अपना हक प्राप्त करने र्ाले काम तकए
िा सकते हैं । इस पंचक में अतनन का भय होता है । इस पचं क में तकसी भी तरह
का तनमााण काया, औिार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना
गया है । इनसे नुकसान हो सकता है।
4. मृत्यु पंचक शतनर्ार को शुरू होने र्ाला पचं क मृत्यु पंचक कहलाता है। नाम से ही पता
चलता है तक अशुभ तदन से शुरू होने र्ाला ये पंचक मृत्यु के बराबर परेशानी देने
र्ाला होता है । इन पांच तदनों में तकसी भी तरह के िोतिम भरे काम नहीं करना
चातहए । इसके प्रभार् से तर्र्ाद, चोर्, दर्ु ार्ना आतद होने का ितरा रहता है।
5. चोर पच
ं क शक्र
ु र्ार को शरूु होने र्ाला पचं क चोर पचं क कहलाता है । तर्द्वानों के अनसु ार,
इस पचं क में यात्रा करने की मनाही है । इस पचं क में लेन-देन, व्यापार और तकसी
भी तरह के सौदे भी नहीं करने चातहए । मना तकए गए काया करने से धन हातन हो
सकती है ।
6. बधु र्ार और गुरुर्ार को शुरू होने र्ाले पचं क में ऊपर दी गई बातों
का पालन करना िरूरी नहीं माना गया है। इन दो तदनों में शुरू होने र्ाले तदनों में
पंचक के पांच कामों के अलार्ा तकसी भी तरह के शुभ काम तकए िा सकते हैं।
• मृत्यु पच
ं क से सम्बवन्धत शास्त्र कथन
धवनष्ठ-पच ं कं ग्रामे शविषा-कुलपच ं कम् ।
पूवायभाद्रपदा-रथयािः चोत्तरा गृहपंचकम् ।
रेवती ग्रामबाह्यं च एतत् पंचक-लिणम् ॥
आचायों के अनुसार धतनष्ठा से रेर्ती पयंत इन पांचों नक्षत्रों की क्रमशः पांच श्रेतणयां हैं ।
• ग्राम पचं क धतनष्ठा में िन्म-मरण होतो उस गार्ं या नगर में पाचं िन्म-मरण होता है ।
• कुल पचं क शततभषा में होतो उसी कुल में पाचं िन्म-मरण होता है ।
• रथ्या पंचक पूर्ाा भाद्रपद में होतो उसी मुहल्ले या र्ोले में पाचं िन्म-मरण होता है ।
• गृह पचं क उत्तरा भाद्रपद में होतो उसी र्र में पाचं िन्म-मरण होता है ।
• ग्रामबाह्य पंचक रेर्ती में होतो दसू रे गांर् या नगर में पांच िन्म-मरण होता है ।
ऐसी मान्यता है