कोई सागर दिल को बहलाता नहीं बे ख़ुदी में भी करार आता नहीं कोई सागर दिल को बहलाता नहीं मैं कोई पत्थर नहीं इन्सान हँ ू मैं कोई पत्थर नहीं इन्सान हँ ू कैसे कह दं ू गम से घबराता नहीं कोई सागर दिल को बहलाता नहीं बे ख़ुदी में भी करार आता नहीं
कल तो सब थे कारवाँ के साथ-साथ कल तो सब थे कारवाँ के साथ-साथ आज कोई राह दिखलाता नहीं कोई सागर दिल को बहलाता नहीं बे ख़ुदी में भी करार आता नहीं
ज़िन्दगी के आईने को तोड़ दो
ज़िन्दगी के आईने को तोड़ दो इसमें अब कुछ भी नज़र आता नहीं कोई सागर दिल को बहलाता नहीं बे ख़ुदी में भी करार आता नहीं कोई सागर दिल को बहलाता नहीं