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Peepal Farm
Peepal Farm
“भरोसा से जीवन चलता है, लेकिन हमने ऐसा क्या किया जो जानवर हम पर भरोसा करे”
हिमालय की दिलकश बर्फ से ढ़की चोटियां, चारों ओर हरे भरे खेत, हरियाली और कु दरती सुन्दरता, और देवदार के हरे-भरे पेड़ किसी के भी मन को अपनी ओर खींचते
नजर आते हैं। रात हो या सुबह-शाम ठंडी हवा के झोंके तन बदन को बेहद सुकू न देते हैं। हिमाचल की कांगड़ा घाटी की प्रमुख तलहटी में बसे इस भव्य पहाड़ी वाला शहर
धर्मशाला को लंबे समय तक आराम, राहत और शरण के रूप में जाना जाता है (कई लोग इसे आध्यात्मिक आश्रय भी मानते है)।
और अगर धर्मशाला में कोई जगह है जो इस आध्यात्मिक आश्रय के विरासत को अपनी ओर से भी स्वीकार करती है, तो वो है पीपल फार्म
शुरुवात
सन 2012 की बात है जब रोबिन अमेरिका में रहा करते थे, एक निजी कं पनी में अच्छी खासी तनखा वाला काम भी था । उन्ही दिनों में एक पांडिचेरी के यात्रा के दौरान,
वह लोरेन से मिले,लोरेन जो अब उम्र से बूढ़ी महिला हो गयी थी, फिर भी अके ले 45 आवारा कु त्तों की देखभाल करती थी। उनके जानवरों के प्रति प्रेम से प्रेरित होकर
रोबिन अपने काम को छोड़ छाड़ अपना लम्बा समय लोरेन और उनके 45 कु त्तो के बीच बिताया।
“सब कहते है, पढो, नौकरी करो, पैसा कमाओ, शादी करो, घर बनाओ,गाडी खरीदो लेकिन आत्म सुख के लिए क्या करना है ये कोई नही बताता है”
पशु प्रेम के कारण वे अगले साल वह अपना सब कु छ छोड़ कर जब अपने वतन लौट आये और दिल्ली में रहकर लोरेन के साथ ही स्ट्रीट डॉग्स के लिए नसबंदी का कार्यक्रम
को शुरू कर दिए। लेकिन अब उन्हें एहसास हो चूका था कि - उन्हें वास्तव में करना क्या है। तब उन्होंने पशु स्वास्थ्य के लिए पीपल फार्म खोलने की सोची-
जमीन खरीद और काफी योजना के बाद, पीपल फार्म पर इमारतों का निर्माण दिसंबर 2014 में शुरू हुआ, जिसमें सभी इमारतों को पर्यावरण के अनुकू ल सामग्री जैसे कि
लकड़ी, बांस, पत्थर, मिट्टी और कचरे का उपयोग करके बनाया गया है।
प्रारंभ में, रॉबिन और उनकी टीम ने के वल कु त्तों और बिल्लियों के लिए ईलाज शुरू किया, लेकिन समय के साथ, उन्होंने धीरे-धीरे गायों, घोड़ों, सुवर और खच्चरों सहित
अन्य जानवरों का इलाज करना भी शुरू कर दिया। एक बार जानवरों को फार्म में ईलाज से स्वास्थ्य होने के बाद या तो उनके मालिक के पास या पंहुचा दिया जाता है या
उन्हें वही छोड़ दिया जाता है जहाँ वो से वो लाये जाते है। कु छ पशु जो बाहरी दुनिया में रहने में असमर्थ है वो फार्म में रोबिन के ही रहते है।
रॉबिन और उनकी टीम आम जनमानस और पशु कल्याण के बीच एक सकारात्मक जुड़ाव विकसित करने के लिए Jam कल्चरल जैमिंग ’और“ हैकटिविज्म ”जैसी
अवधारणाओं का उपयोग करना चाहते है। उदाहरण के लिए, भगवान कृ ष्ण के चित्र के साथ गुनी की बोरियां डालने जैसी एक छोटा कदम और आवारा गायों पर लाइन "यह
मेरी गाय है" उन्हें लाठी से मारने से रोका जा सकता है।
रॉबिन सामुदायिक पहल भी आयोजित करते हैं, जैसे गाँव की लड़कियों का स्वास्थ और गाँव के सभी जानवरों के लिए मुफ्त पशु चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के तरीके
सीखने। फार्म ज्यादातर दोस्तों और सामाजिक लोगो के योगदान से चलता है, इसलिए वहां अब नयी तरीके की खेती की जाती है, साथ ही कु छ नई प्राकृ तिक प्रोडक्ट को
बना उसे इन्टरनेट पर बेचा करते है।