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Bajrang Baan
Bajrang Baan
दोहा॥
॥चौपाई॥
जय हिुमंत संत-हहतकारी ।
सुनि लीजै प्रभु बििय हमारी ॥
जाय बिसभशि को सख
ु दीन्हा ।
सीता निरखख परम-पद लीन्हा ॥
जय जय जय हिुमंत अगाधा ।
दख
ु पावत जि केहह अपराधा ॥
िि उपिि मग गगरी गह
ृ माहीं ।
तम्
ु हरे िल हौऊ डरपत िाही ॥
जिकसुता-हरर-दास कहावौ ।
ता की सपथ, बिलंि ि लावौ ॥
जय-जय-जय-धनु ि होत अकासा ।
सुसमरत होय दस
ु ह दख
ु िासा ॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता ।
ॐ हिु हिु हिु हिु हिु-हिुमंता ॥
ं दे त कपप चंचल ।
ॐ हं हं ह क
ॐ सं सं सहसम परािे खल-दल ॥
धप
ू दे य जो जपै हमेसा ।
ता के ति िहीं रहै कलेसा ॥
॥दोहा॥
Chopai
Janaksuta-hari-das kahawau
Ta ki sapath, bilamb na lawau
Doha