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चालाक खरगोश और शेर क कहानी – Short Story In Hindi

By - ​Storiesforkidsbedtime.com

दरू जंगल म एक खख ंू ार और भयानक शेर रहता था। वह रोज़ बहुत से जानवर का शकार करता और उ ह मार
दे ता था। परु े जंगल म शेर का खौफ था। सारे जानवर उससे डरते और छुपकर रहा करते थे। जंगल के जानवर का
जीना मिु कल हो चक ू ा था। वे अपने खाने के लए भी नकलने से डरते थे।

ऐसे म जानवर ने इस परे शानी का समाधान नकालने के लए एक सभा बल ु ाई। उस सभा म शेर के अलावा जंगल
के सार जानवर उपि थत थे। एक के बाद एक सबसे सझ ु ाव दे ना शु कया ले कन सबको लोमड़ी का सझ ु ाव सबसे
सह लगा। लोमड़ी ने अपने सझ ु ाव म कहा था, “हम रोज़ शेर क े पास एक जानवर भे जगे । ऐसा करने से शेर को
उसका खाना भी मल जाएगा और वह अ य जानवर को नह ं मरे गा। इसके बाद हम जंगल म आराम से घम ू
सकगे और अपने खाने क तलाश बना डरे कर सकगे।”

सबने लोमड़ी क बात सन ु ी और उसक बात पर सहमत हुए। अब यह बात बताने के लए लोमड़ी शेर के पास
पहुंची। लोमड़ी ने शेर से कहा, “हम तु हे रोज़ खाने के लए एक जानवर भेज दगे। आपको खाने के लए रोज़-रोज़
इतना क ट नह ं करना पड़ेगा।”

“ठ क है ,” शेर ने कहा, “ले कन इस बात का यान रखना क अगर एक दन भी मेरे पास कोई जानवर नह ं पंहुचा
तो म फर से शकार पर नकलग ंू ा और बहुत सार जानवर को म ं गा।”

लोमड़ी शेर क शत को मान गई और वह से चले गई। अब रोज़ शेर को एक-एक जानवर भेज दया जाता और वह
उ ह मारकर खा जाता। एक दन बार आई एक खरगोश क। वह खरगोश बहुत ह चालक था और हर व त अपने
दमाग का इ तेमाल कया करता। इस बार भी उसने सोचा क इस परे शानी से नकालने के लए या कया जाए।

नकालने से पहले उसने सभी जानवर से कहा, “आज मेर बार आ ह गई। ले कन आज या तो म बचग ंू ा या फर
शेर।” ऐसा कहकर खरगोश वहाँ से नकल पड़ा। रा ते म चलते-चलते वह यह सोचने लगा क आ खर वह कस
तरह से उस शेर से छुटकारा पाएगा। चलते- चलते उसे एक कुआँ दखा दया। वह कँु ए के पास गया ता क वह वहाँ
से पानी प सके। पानी उसक पहुंच से दरू था इस लए वह पानी नह ं प सका।

जब आज कँु ए म झाका तो उसे अपनी परछाई कँु ए म नज़र आई। अपनी परछाई को दे खकर उस खरगोश को एक
तरक ब सझ
ू ी और वह सीधे शेर के पास जाने लगा।

वह दसू र तरफ शेर क भखू बढ़ते जा रह थी। भख ू लगने क वजह से उसका गु सा भी बढ़ते जा रहा था। मन म
वह सोचने लगा क वह आज फर से शकार कर बहुत सार जानवर को मार डालेगा। ले कन उसके बाद ह खरगोश
आ पंहुचा। खरगोश ने कहा, “म आ गया मेरे मा लक।”
“तु हे आने म इतनी दे र य हुई? म तु हारा कब से इंतज़ार कर रहा हूँ। मझ
ु े ज़ोरो क भख
ू लगी है ” शेर ने
खरगोश से कहा।

शेर को गु सा दे खा खरगोश से उसे बताया, “म पहले ह आ जाता ले कन इस जंगल म एक और शेर आ गया है ।


वह शेर आपसे भी यादा शि तशाल और बलवान है । वह खद ु को इस शेर का असल राजा बताता है । उस शेर क
वजह से मझ ु े छुपकर आना पड़ा और इस वजह से मझ ु े आने म दे र हो गई। “

खरगोश क बात को सन ु कर शेर और भी यादा गु सा हो गया। शेर ने खरगोश से कहा, “मेरे अलावा इस जंगल
का राजा और कोई नह ं हो सकता। सफ और सफ म इस जंगल का राजा हूँ। मझ ु े उस शेर के पास ले चलो उसे म
सबक सखाता हूँ।”

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इसके बाद खरगोश उस शेर को उस कँु ए के पास ले गया जहाँ उसने पाने पने क को शश क थी। खरगोश और शेर
जैसे ह उस कँु ए के पास पहुंचे तब खरगोश ने ईशारे से से शेर को बताया। खरगोश ने कहा, “यह वह कुआँ है जहाँ
से वह शेर नकलता है और शकार करके वापस चला जाता है ।”

अब शेर उस कँु ए के पास गया और उसमे झाक कर दे खने लगा। कँु ए म झाँकने के बाद उस शेर को अपनी परछाई
दखी िजसे वह दस ू रा शेर समझने लगा। गु से म आकर शेर से दहाड़ लगाई। परछाई भी शेर क नक़ल करने लगा।
इससे वह शेर चड़ने लगा और गु से म आकर उस कँु ए म कूद गया। शेर उससे लड़ना कहता था ले कन कँु ए म
कूदने के बाद उसे पता चला क वहाँ कोई नई था। इस तरह से शेर को अपनी जान गवानी पड़ी।

शेर के मरने के बाद सार जानवर अब परू तरह से आज़ाद थे। सबने खरगोश क सझ
ू बझ
ू क तार फ क और उसे
ध यवाद भी कहा।

कहानी क सख – इस कहानी से हम यह सख मलती है क चाहे कतनी भी बड़ी परे शानी य न हो। हम हमेशा
दमाग से काम लेना चा हए। दमाग का इ तेमाल करके ह हम अपने परे शा नय का हल नकाल सकते है ।
खरगोश ने भी यह कया उसने परे शानी म दमाग से काम कया।

इस कहानी से हम यह भी सख मलती है क गु सा मनु य का सबसे बड़ा द ु मन होता है । शेर के अंदर बहुत सारा
अहं कार भरा था इसक वजह से बहुत ह ज द गु सा हो जाता। गु से क वजह से ह उस शेर को अपनी जान
गवानी पड़ी।

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