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योग, साधना में चौदह प्रकार के विघ्न ऋषि पतंजलि जी ने अपने योगसूत्र…
योग, साधना में चौदह प्रकार के विघ्न ऋषि पतंजलि जी ने अपने योगसूत्र…
योग, साधना में चौदह प्रकार के विघ्न ऋषि पतंजलि जी ने अपने योगसूत्र…
२. स्त्यान :- सत्कम/साधना
र् के प्रित
होने वाली िढलाई, अप्रीित, जी
चुराना।
७. भ्रािन्त दशन
र् :- योग साधना को
ठीक से नहीं समझना, िवपरीत अथर्
समझना. सत्य को असत्य और
असत्य को सत्य समझ लेना
११. दौमनस्य
र् :- इच्छा पूरी नहीं होने
पर मन का उदास हो जाना या मन में
क्षोभ उत्पन्न होना
१. तत्प्रितषेधाथमे
र् कतत्त्वाSभ्यासः ||
32||
२. मैत्रीकरुणामुिदतोपेक्षाणां
सुखदुःखपुण्यापुण्यिवषयाणां
भावनातिश्चत्तप्रसादनम् ||33||
३. प्रच्छदन
र् िवधारणाभ्यां वा प्राणस्य ||
34||
७. स्वप्निनद्राज्ञानालम्बनं वा ||38||
८.यथािभमतध्यानाद्वा ||39||
ओउम
3. Doubts :- to generate
doubt in your power or yoga.
5. Laziness :- If there is a
kind of feelings in the body
and mind, do not practice
yoga.
8. Albdhbhumimagnetism :-
the goal of yoga is not to
achieve. In spite of yoga,
there is no development in
practice. This reduces the
enthusiasm.
१. तत्प्रितषेधाथमे
र् कतत्त्वाSभ्यासः ||
32||
२. मैत्रीकरुणामुिदतोपेक्षाणां
सुखदुःखपुण्यापुण्यिवषयाणां
भावनातिश्चत्तप्रसादनम् ||33||
३. प्रच्छदन
र् िवधारणाभ्यां वा प्राणस्य ||
34||
5. Viśōkā or astrology || 36 ||
७. स्वप्निनद्राज्ञानालम्बनं वा ||38||
By disparating the
knowledge of dream and
sleep, that is, the spoilers
above the practice of yoga
sleep.
Let's go.
8. Yathābhimatadhyānādvā
|| 39 ||
Uhm