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गरीबी
(Poverty)
Lecture & Notes Made by Rajveer ( Nitin Arora)

Chapter-5
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अगर आपको लग रहा है की नोट्स मिल जाने से लेक्चर नहीीं दे खने पढ़े गे तो आप गलत सोच रहे है , लेक्चर
िें हर टॉपपक को गहराई से उदाहरण के साथ सिझाया गया है जो सींभव नहीीं की हि वो उदाहरण नोट्स िें दे
...बाकी सिझदार के मलए इशारा काफी है ...

गरीबी (Poverty)
• गरीबी का अथथ है वह स्थथती जब ककसी व्यस्क्त को जीवन की ननम्नति आधार भत

जरूरत- भोजन, वथर, एवीं आवास भी उपलब्ध नहीीं हो पाते ।
• िनष्ु य जब बनु नयादी आवश्यकताओीं की पनू तथ की स्थथती िें नहीीं होता तब उसे गरीब की श्रेणी
िें गगना जाता है ।
• प्रोफेसर अिर्तयथ सेन के अनुसार, गरीबी क्षिताओीं का अभाव है ।
• सींयुक्त राष्र पवकास कायथक्रि (UNDP) * अनुसार, गरीबी बहुआयािी होती है ।
• अथाथत ् जीवन थतर और अन्य नागररक, साींथकृनतक, आगथथक, राजनीनतक एवीं सािास्जक अगधकारों
से सम्पन्न जीवन थतर के मलए आवश्यक सींसाधनों, के क्षिताओीं, सुरक्षा और शस्क्त के ननरीं तर
अभाव से ग्रथत िानव जीवन की दशा गरीबी है ।
ग़रीबी रे खा
• गरीबी रे खा भारत िें गरीबी के आकलन के मलये एक बेंचिाकथ की तरह काि करती है ।
• गरीबी रे खा आय के उस न्यूनति थतर को कहते हैं स्जससे कि आिदनी होने पे इींसान अपनी
बुननयादी ज़रूरतों को पूरा करने िें असिथथ होता है ।
• भारत िें सिय-सिय पर इस ग़रीबी रे खा को तय ककया जाता है ।
• साल 2014 िें , ग्रािीण इलाकों िें 32 रुपए प्रनतददन और कथबों/शहरों िें 47 रुपए प्रनतददन के
दहसाब से गरीबी रे खा तय की गई थी।
• ग़रीबी रे खा को लेकर अलग-अलग समिनतयों की अलग अलग राय है ।
• तें दल
ु कर फॉम्युल
थ े िें 22 फीसदी आबादी को गरीब बताया गया था
• जबकक सी. रीं गराजन फॉम्यल
ुथ े ने 29.5 फीसदी आबादी को गरीबी रे खा से नीचे िाना था।

Analysis

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गरीबी के प्रकार (Types of Poverty)

ननरपेक्ष गरीबी (Absolute Poverty)


• ननरपेक्ष गरीबी : ननरपेक्ष गरीबी का ननधाथरण करते सिय िनुष्य की पोषक आवश्यकताओीं तथा
अननवायथताओीं के आधार पर आय अथवा उपभोग व्यय के न्यन
ू ति थतर को ज्ञात ककया जाता
है ।
• इसके अन्तगथत हि एक ननस्श्चत िापदण्ड के आधार पर यह तय करते है ही ककतने लोग इस
िापदण्ड के नीचे है और उन्हें हि गरीब कहते है ।
• इस ननस्श्चत िापदण्ड को हि गरीबी रे खा या ननधथनता रे खा कहते है ।
• यानी ननधाथररत ककये न्यन
ू ति उपभोग व्यय को ननधथनता रे खा कहते है ।
• इस न्यूनति ननधाथररत थतर से कि व्यय करने वाले व्यस्क्तयों को गरीब कहा जाता है ।
• इस तरह की गरीबी िुख्यतः पवकासशील दे शों िें पायी जाती है ।
• नोट : ननधथनता की िाप के मलए ननरपेक्ष प्रनतिान का सवथप्रथि प्रयोग खाद्य एवीं कृपष सींगठन
(F.A.O.) के प्रथि िहा ननदे शक आर. वायड ने 1945ई िें ककया ।
सापेक्षक्षक गरीबी (Relative Poverty)
• सापेक्ष गरीबी यह थपष्ट करती है कक पवमभन्न आय वगों के बीच ककतनी पवषिता है । प्राय:
इसे िापने की दो पवगधयाीं है ।
• a. लॉरें ज वक्र
• b. गगनी गण
ु ाींक
• नोट : लॉरें ज वक्र स्जतनी ही पूणथ सिता रे खा के पास होगी, आय की पवषिता उतनी ही कि
होगी। लॉरें ज वक्र तथा गगनी गुणाींक आय की पवषिता की िाप से सींबींगधत है , आय की पवषिता
को प्रनतव्यस्क्त आय या कुजनेट्स पवषिता वक्र से नहीीं िापा जा सकता
• नोट : लॉरें ज वक्र को 1905ई िीं िैक्स ओलॉरें ज ने एवीं गगनी गण
ु ाींक का 1912 िें कोरे डो गगनी
(इटली) ने पवकमसत की।
• यह पवगध पवकमसत दे शों िें गरीबी िारने के मलए अगधक उपयुक्त है ।

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िानवीय गरीबी (human Poverty)


• इसके अींतगथत आवश्यकताओीं के पररिाप को पवथतत
ृ कर ददया जाता।
• और बेहतर िानवीय जीवर को सींदभथ बबींद ु के रूप िें दे खा जाता है इसके अींतगथत ऊजाथ के साथ साथ
मशक्षा, थवाथथ कौशल आदद बातो का ध्यान ददया जाता है ।
ननधथनता आींकलन के मलए अन्तराथष्रीय िापदण्ड
1. लारें ज बक्र पवगध (Lorena Curve Method)
2. गगनी गण
ु ाींक पवगध (Gini-Coefficient Method)
लॉरीं ज बक्र पवगध
• लॉरीं ज वक्र को वषथ 1905 िें िैक्स ओ. लररींज ने पवकमसत ककया था
• लॉरें ज वक्र द्वारा ककसी दे श के लोगों के बीच आय पवषिता को इस वक्र (Lorene Curve) का
प्रर्तयेक बबन्द ु उन व्यस्क्तयों को प्रदमशथत करता है जो एक ननस्श्चत आय के थतर के नीचे जीवन
व्यतीत कर रहे होते हैं।

गगनी गण
ु ाींक (Gini Coefficient)
• गगनी गण
ु ाींक को वषथ 1912 िें इटै मलयन साींस्ख्यकीपषद् कोरे डो गगनी ने पवकमसत ककया था।
गगनी गुणाींक आय िें पवतरण की पवषिता को िापने की सबसे प्रचमलत पवगध है , जो आय के
प्रर्तयेक युग्ि के वीच आय अतर को िाप करती है ।

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• गगनी गुणाींक का िान शून्य से एक के बीच होता है ।

गरीबी का दष्ु चक्र (Vicious Circle or Poverty)


• गरीबी अवसरों व पवकल्पों से वींगचत रखना है एक थवथथ, सज
ृ नकारी थवतींर गररिापूणथ सिय-
सम्िाननत जीवन जीने के मलये आवश्यक है ।
• गरीबी के दष्ु चक्र का मसद्धाींत - इनके अनुसार ,गरीबी का कारण थवयीं गरीबी ही है । अथाथत ् एक
दे श गरीब क्योकक वह गरीब है
• भारत िें गरीबी का अनि
ु ान लगाने के मलए राष्रीय निन
ू ा सवेक्षण सींगठन (National Sample
Survey organization- NSSO) द्वारा शीषथ गणना अनप
ु ात (Head Count Ratio-HCR) पवगध का
प्रयोग ककया जाता है ।
• HCR पवगध के अींतगथत, ननधथन लोगों की अनुिाननत सींख्या को कुल जनसींख्या के प्रनतशत के
रूप िें अमभव्यक्त ककया जाता है ।
• शीषथ गणना अनप
ु ात HCR = ननधन की अनि
ु ाननत सींख्या/कुल जनसींख्या X 100

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ग़रीबी रे खा ननधाथरण से जुडी समिनतयाीं


• भारत िें गरीबी रे खा को पररभापषत करना हिेशा से ही एक पववाददत िुद्दा रहा है ।
• साल 1970 के िध्य िें पहली बार इस तरह की गरीबी रे खा का ननधाथरण योजना आयोग द्वारा
ककया गया था।
• इसिें ग्रािीण और शहरी क्षेरों िें क्रिश: एक वयथक के मलए 2,400 और 2,100 कैलोरी की
न्यूनति दै ननक ज़रुरत को आधार बनाया गया था।
• नीनत आयोग भारत सरकार की आगधकाररक एजेंसी है , जो राज्यों िें और पूरे दे श के मलए सिग्र
रूप से गरीबी रे खा से नीचे के लोगों का आकलन करने का काि करती है ।
गरीबी का आकलन |Assessment of Poverty)

अरपवींद पनगड़िया कायथ समिनत


पष्ृ ठभमू ि

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• इस टाथक फ़ोसथ का गठन िाचथ 2015 िें हुआ था स्जसे जून 2015 तक अपनी ररपोटथ सौंपनी
थी.
• इसका िुख्य उद्दे श्य गरीबी उन्िूलन तथा गरीबी रे खा से नीचे जीवन-यापन करने वाले लोगों
को बेहतर जीवन प्रदान करने के मलए उपाय प्रथतुत करना है .

• नीनत आयोग के उपाध्यक्ष अरपवन्द पानगड़िया की अध्यक्षता िें गरीबी उन्िूलन हे तु बनाई
गयी टाथक फ़ोसथ ने मसतींबर 2016 को प्रधानिींरी कायाथलय (पीएिओ) िें अपनी ररपोटथ सौंपी.
• इस टाथक फ़ोसथ के सझ
ु ाव अनुसार गरीबी रे खा से नीचे रह रहे लोगों की पहचान करने के मलए
एक अलग समिनत की थथापना की जानी चादहए.
• इसिें राज्यों को गरीबी रे खा से नीचे रहने लोगों की पहचान करने के मलए भी सुझाव ददए गये
हैं.

• इस ररपोटथ िें राज्यों एवीं अन्य थटे कहोल्डरों सदहत नयी समिनत के गठन हे तु एक नये
सींपवधान के ननिाथण के मलए भी कहा गया. इसिें गरीबों की पहचान हे तु चार बबन्दओ
ु ीं को
सुझाया गया है :
पहला: इसिें तें डुलकर समिनत द्वारा ननधाथररत की गयी गरीबी रे खा को ही िाना गया है .
दस
ू रा: इसिें रीं गराजन अथवा अन्य उच्च ग्रािीण और शहरी गरीबी रे खा की ओर िु़िने के
सींकेत ददए गये हैं.
तीसरा: इसिें ननचले पायदान पर िौजद
ू जनसींख्या के 30 प्रनतशत लोगों के पवकास पर गौर
करना.
चौथा: इसिें पोषण, आवास, पेयजल, साफ-सफाई, बबजली और कनेस्क्टपवटी आदद घटकों के
आधार गरीबी की पहचान सनु नस्श्चत की जाएगी.
आींक़िे क्या कहते हैं?
• सींयुक्त राष्र पवकास कायथक्रि यानी UNDP द्वारा जारी िल्टी डायिें शनल पावटी इींडेक्स-2018
के िुताबबक, 2005-06 से लेकर 2015-16 के बीच भारत िें 27 करो़ि से ज़्यादा लोग गरीबी
से बाहर आ गए हैं।
• इसे एक अच्छे सींकेत के रूप दे खा जा रहा है ।
• साल 2011 की जनगणना के आधार पर दे श की क़रीब 22 फीसदी आबादी गरीबी रे खा के
नीचे जी रही है ।
• ये भारत सरकार का आगधकाररक आींक़िा है ।
• वल्डथ इनइक्वैमलटी लैब के िुताबबक़ भारत िें िहज़ 1 फीसदी लोगों की आय साल 1980 से
2019 के बीच छह फीसदी से बढ़कर 21 फीसदी हुई है ।
• इस आधार पर ये कहा जा सकता है कक ग़रीबी कि होने के साथ-साथ आगथथक असिानता िें
बढ़ोत्तरी हुई है ।

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• आपको बता दें कक वल्डथ इनइक्वैमलटी लैब दनु नया के अलग अलग दहथसों िें आगथथक असिानता
पर शोध करने वाली एक सींथथा है ।
• वक़्त के साथ गरीबी िें किी तो आयी है लेककन ग्रािीण क्षेरों िें गरीबी िें किी की दर अभी
भी धीिा ही है ।
• शहरी क्षेरों की 13.7% के िक़
ु ाबले ग्रािीण भारत की लगभग 26% आबादी गरीब है ।

ग़रीबी के कारण
सािान्य तौर पर बताए जाने वाले कारण
• जनसींख्या पवथफोट
• सीमित सींसाधन
• सम्बींगधत सींथथाओीं की अक्षिता
• भ्रष्टाचार
• अमशक्षा
• ग़ल
ु ािी का असर
असल कारण
• लोग ग़रीब इसमलए हैं क्योंकक उन्हें पवकल्प चुनने की पूरी आगथथक आज़ादी नहीीं है।
• हिारे यहााँ ग़रीबी की असल प्रकृनत क्या है , इसी की सिझ नहीीं है ।
• ग़रीबी राजनीनत का िुद्दा बनकर रह गई है । कोई भी राजनीनतक पाटी इस 'िुद्दे ' को पूरी
तरह ख़र्ति नहीीं करना चाहती।
• उदासीन राजनीनतक और सािास्जक ढााँचे िसलन जानत और धिथ के बींधन।
• सींसाधनों का पूरी तरह से दोहन न हो पाना।
• कृपष िें कि उर्तपादकता।

गरीबी की बहुआयािी प्रकृनत


• गरीबी पवमभन्न प्रकार के कारकों को अींमशया से उर्तपन्न एक जदटल स्थथनत होती है इसे गरीबी
का बहुआयािी थवरूप कहा जाता है ।
• इस पवचार का व्यापक प्रचार पवश्व बैंक द्वारा ककया गया जब उसके द्वारा वषथ 2010 िें Oxford
Poverty & Human Development initial-OPM के सहयोग से बहुआयािी ननधथनता सूचकाींक
(Multidimensional Poverty Index-MPI का ननिाथण ककया जाता है
बहुआयािी ननधथनता सच
ू काींक MPI

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भारत और एि. पी. आई. ( India and MPI)


• भारत िें गरीबी के उपयक्
ुथ त िानदण्डों के आधार पर वषथ 2011 के मलए 53.4% पररवार ननधथन
िाने गए हैं।
• भारत के बहुआयािी गरीबी सूचकाींक (MPI) का िूल्य 0. 283 पाया गया है ।
भारत िें गरीबी कि करने हे तु सझ
ु ाव
• जनसींख्या ननयींरण
• रोजगार सूजन को बढ़ाना
• कृपष उर्तपादकता को बढ़ाना
• आधारभूत सुपवधाओीं को ज्यादा प्रभावी बनाना
• सिावेशी सध
ु ार को बढ़ावा दे ना

वैस्श्वक बहुआयािी गरीबी सच


ू काींक 2020
• हाल ही िें वैस्श्वक बहुआयािी गरीबी सूचकाींक 2020 को सींयक्
ु त राष्र पवकास
कायथक्रि (यए
ू नडीपी) और ऑक्सफोडथ गरीबी और िानव पवकास पहल (ओपीएचआई) द्वारा एक
ररपोटथ जारी की गई है ।
• सूचकाींक का डेटा 75 दे शों िें गरीबी के रुझान के अध्ययन पर आधाररत है ।
पववरण
• बहुआयािी गरीबी सच ू काींक ककसी ददए गए आबादी के मलए गरीबी की सींख्या की गणना करने
के मलए सींकेतकों की एक श्रींख
ृ ला का उपयोग करते हैं, स्जसिें एक ब़िा आींक़िा गरीबी के उच्च
थतर को इींगगत करता है ।
• वैस्श्वक बहुआयािी गरीबी सूचकाींक (MPI) को 2010 िें ऑक्सफोडथ गरीबी और िानव पवकास
पहल (OPHI) और सींयुक्त राष्र पवकास कायथक्रि द्वारा पवकमसत ककया गया था और गरीबी की
घटनाओीं और तीव्रता का ननधाथरण करने के मलए थवाथ्य, मशक्षा और जीवन थतर के सींकेतकों
का उपयोग करता है ।

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• तब से इसका उपयोग 100 से अगधक पवकासशील दे शों िें तीव्र गरीबी को िापने के मलए ककया
जाता है ।
• ग्लोबल MPI प्रनतवषथ UNDP और OPHI द्वारा जारी ककया जाता है और पररणाि उनकी वेबसाइट
पर प्रकामशत होते हैं।
सींकेतक
• नीनत आयोग (NITI Aayog) की ररपोटथ के अनुसार, 10 सींकेतकों के तहत प्रगनत का अनुिान लगाता
है
✓ पोषण
✓ बाल िर्तृ यु दर
✓ थकूली मशक्षा
✓ पवद्यालय उपस्थतगथ
✓ खाना पकाने का ईंधन
✓ थवच्छता
✓ पीने का पानी
✓ बबजली
✓ आवास सींपपत्त
वैस्श्वक थतर पर
• MPI को पव
ू ,थ िध्य और दक्षक्षण एमशया, यरू ोप, लैदटन अिेररका और कैररबबयन, उप-सहारा अफ्रीका
और प्रशाींत के 75 दे शों से दे खा गया।
• यह ररपोटथ पाींच अरब लोगों को कवर करने वाली बहुआयािी गरीबी िें वैस्श्वक रुझानों की एक
व्यापक तथवीर प्रदान करने के मलए थी।
• ररपोटथ िें पाया गया है कक चार दे शों भारत आिेननया, ननकारागुआ और उत्तरी िैसेडोननया ने 5.5
से 10.5 वषों िें अपने MPI को आधा या अगधक घटा ददया है ।
वैस्श्वक पररदृश्य
• ररपोटथ के िुताबबक, 1 करो़ि 30 लाख लोग बहुआयािी गरीबी िें रहते हैं। वैस्श्वक MPI िें
थवाथ्य, मशक्षा और रहने की स्थथनत का आकलन करने के मलए इथतेिाल ककए जाने वाले दस
िें से कि से कि पाींच िीदरक 80 प्रनतशत से अगधक वींगचत हैं।
• बहुआयािी गरीबी का बोझ 18 वषथ से कि उम्र के बच्चों पर भारी प़िता है , जो बहुसींख्यक
वींगचतों िें से आधे का प्रनतननगधर्तव करते हैं।
• 2000 और 2019 के बीच 75 िें से 65 दे शों ने सवेक्षण िें अपनी बहुआयािी गरीबी दर को
काफी हद तक कि ककया।
टीका
• 10 दे शों िें 60 प्रनतशत बच्चे दटकारदहत है । डीटीपी 3 के मलए टीकाकरण नहीीं ककए गए
लगभग 40 प्रनतशत बच्चे चार दे शों भारत, नाइजीररया, पाककथतान और इींडोनेमशया िें रहते थे।
भारत िें गरीबी
• ररपोटथ के अनुसार, अध्ययन ककए गए 75 दे शों िें से 65 ने अपने MPI िूल्य को कि कर ददया
है और 50 दे शों ने गरीबी िें रहने वाले लोगों की सींख्या को भी कि कर ददया है।

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• भारत िें लगभग 273 मिमलयन लोग बहुआयािी गरीबी से बाहर ननकल चुके हैं। इसिें यह भी
कहा गया है कक तीन दक्षक्षण एमशयाई दे श भारत, बाींग्लादे श और नेपाल अपने MPI िूल्य को
कि करने के मलए 16 सबसे तेज दे शों िें से एक थे। जुलाई 2019 िें जारी वैस्श्वक बहुआयािी
गरीबी सूचकाींक (MPI) 2019 से तैयार ककए गए थे।
• थटडी के ित
ु ाबबक, 2005-06 िें भारत िें 55.1 प्रनतशत लोग बहुआयािी गरीबी के अधीन थे,
जो 2015-16 िें घटकर 27.9 प्रनतशत पर आ गया।
• 2015-16 तक अभाव की तीव्रता 43.9 प्रनतशत थी, जबकक गींभीर बहुआयािी गरीबी के तहत
जनसींख्या 8.8 प्रनतशत थी।
• थटडी के अनुसार, भारत िें 37.7 करो़ि लोग 2018 तक बहुआयािी गरीबी के अधीन थे।
बहुआयािी गरीबी और टीकाकरण के बीच सींबध ीं
• ररपोटथ िें बहुआयािी गरीबी और टीकाकरण के बीच सींबध ीं पर भी प्रकाश डाला गया
है । डडप्थीररया, टे टनस, और पटुथमसस (DTP3) टीकों की तीन खरु ाक प्राप्त करने वाले बच्चों के
प्रनतशत का उपयोग इस बात के सींकेत के रूप िें ककया गया था कक ककतने दे श ननयमित
टीकाकरण प्रदान कर रहे थे।
टीका
• ररपोटथ िें यह भी कहा गया है कक अगधक आबादी वाले पवकासशील दे श उच्च प्रनतरक्षण कवरे ज
प्राप्त करने के बावजूद ब़िी सींख्या िें अमशक्षक्षत बच्चों िें योगदान दे सकते हैं।
• ररपोटथ ने भारत को एक उदाहरण के रूप िें उद्धत
ृ ककया जहाीं 2.6 मिमलयन बच्चों को “कि-
टीकाकरण” ककया गया था।

बढ़ती जनसींख्या के कारण


• तेजी से बढ़ती जनसींख्या– भारत की जनसींख्या िें वषों से लगातार वद्
ृ गध हुई है । पपछले 45 वषों
के दौरान यह प्रनत वषथ 2.2% की दर से बढ़ी है , स्जसका अथथ है , औसतन लगभग 1.7 करो़ि
लोग हर साल दे श की आबादी िें जु़ि जाते हैं। इससे उपभोग के सािान की िाींग िें भी
जबरदथत वद्
ृ गध होती है ।
• कृपष िें ननम्न उर्तपादकता– कृपष क्षेर िें कि उर्तपादकता िें गरीबी का एक प्रिुख कारण है ।
िुख्य रूप से, यह खींडडत और उप-पवभास्जत भूमि जोतों, पूींजी की किी, खेती िें नई तकनीकों
के बारे िें अमशक्षा, खेती के पारीं पररक तरीकों का उपयोग और भींडारण के दौरान अपव्यय आदद
के कारण है ।
• अींडरएस्क्टज्ड ररसोसेज– दे श िें बेरोजगारी और प्रच्छन्न बेरोजगारी है , खासकर खेती के क्षेर िें ।
इससे कृपष उर्तपादन कि हुआ है और साथ ही जीवन थतर िें गगरावट आई है ।
• आगथथक पवकास की ननम्न दर- भारत िें आगथथक पवकास कि रहा है । आवश्यकता और वथतुओीं
और सेवाओीं की उपलब्धता के बीच एक अींतर है ।
• बेरोजगारी: बेरोजगारी भारत िें गरीबी पैदा करने वाला एक अन्य कारक है । लगातार बढ़ती
जनसींख्या के कारण नौकरी करने वालों की सींख्या अगधक हो गई है । हालाींकक, रोजगार की इस
िाींग से िेल खाने के अवसरों िें पयाथप्त पवथतार नहीीं हुआ है ।

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• सािास्जक कारक– आगथथक और वाणणस्ज्यक के अलावा, सािास्जक कारक भी हैं जो भारत िें
गरीबी उन्िूलन िें बाधा हैं। इस सींबध
ीं िें कुछ अ़िचनें वींशानुक्रि, जानत व्यवथथा, कुछ परीं पराओीं
आदद के ननयि हैं।
• राजनीनतक कारक– लगभग दो शतास्ब्दयों के मलए बिदटश उपननवेश और भारत पर शासन ने
भारत की अथथव्यवथथा की प्रकृनत को नक
ु सान पहुींचाया है ।

भारत िें गरीबी ननवारण की रणनीनत


भारत िें गरीबी ननवारण के मलए ननम्नमलणखत दृस्ष्टकोणों का प्रयोग ककया गया है :
दरकल डाउन दृस्ष्टकोण ( Trickle Down Theory)
• इस दृस्ष्टकोण के अनुसार यदद ककसी दे श की जीडीपी िें वद्
ृ गध होती है तो रोजगार का अवसर
बढ़े गा और आय बढ़ने से लोग िूलभूत आवश्यकताओीं को पूरा कर लेंगे। यहााँ पर गरीबी को
एक थवतींर सिथया न िानकर एक उप उर्तपाद के रूप िें दे खा इसके मलए भारत ने
औद्योगगकीकरण और सेवाक्षेर के पवकास पर जोर ददया। भारत िें यह दृस्ष्टकोण कारगर नहीीं
रहा है ।
श्रि, रोजगार का दृस्ष्टकोण (Labour, Employment Theory)
• इसके अींतगथत पवमभन्न प्रकार के कायथक्रिों के िाध्यि से गरीब लोगों को रोजगार के अवसर
उपलब्ध कराए जाते हैं।
• इसके अींतगथत भारत िें नेहरू रोजगार योजना, काि के बदले अनाज योजना, थवणथ जयींती शहरी
रोजगार योजना, सम्पण
ू थ ग्रािीण रोजगार योजना, िहार्तिा गाींधी राष्रीय रोजगार गारीं टी योजना
आदद।
थवरोजगार का दृस्ष्टकोण (Self Employment Theory)
• इसके अींतगथत गरीब लोगों को बैंकों एवीं अन्य पवटीय सींथथाओीं के िाध्यि से कि दरों पर ऋण
सुपवधाएीं उपलब्ध कराई जाती हैं।
• इसके तहत थवणथजयींती ग्राि थवरोजगार योजना, राष्रीय ग्रािीण आजीपवका मिशन, सूक्ष्ि
पवत्तीयन (िद्र
ु ा योजना) आदद योजनाएीं
ररयायती दरों पर खाद्यान उपलब्ध कराने का दृस्ष्टकोण
• सावथजननक पवतरण प्रणाली के िाध्यि से ररयायती दरों पर खाधान्न उपलब्थ कराये जाते है
• भारत िें इस दृस्ष्टकोण के अींतगथत अींर्तयोदय अन्न योजना, राष्रीय खाद्य सरु क्षा आदद आते
है ।
सािास्जक सहायता का दृस्ष्टकोण
• इसके अींतगथत सरकार आकस्थिक सिथयाओीं के िुकाबले के मलए पवत्तीय सहायता िुहैया कराती है ।
जैस-े आि आदिी बीिा योजना, राष्रीय थवाथ्य बीिा योजना आदद।

सरकार के प्रयास
• प्रधानिींरी जन धन योजना: इस योजना के तहत आगथथक रूप से वींगचत लोगों को तिाि पवत्तीय
सेवाएाँ िुहैय्या कराई जाती हैं।
• इसिें बचत खाता, बीिा, ज़रुरत के िुताबबक़ क़ज़थ और पें शन जैसी सेवाएाँ शामिल हैं।

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• ककसान पवकास पर योजना: एक तरह का प्रिाण पर होता है , स्जसे कोई भी व्यस्क्त खरीद
सकता है ।
• इसे बॉन्ड की तरह प्रिाण पर के रूप िें जारी ककया जाता है ।
• इस पर एक तय शुदा ब्याज मिलती है ।
• इसके ज़ररए ककसान 1000, 5000 तथा 10,000 रुपए िल्
ू यवगथ िें ननवेश कर सकते हैं।
• इससे जिाकत्ताथओीं का धन क़रीब 100 िहीनों िें दोगन
ु ा हो सकता है ।
• दीन दयाल उपाध्याय ग्राि ज्योनत योजना: ये योजना ग्रािीण क्षेरों को बबजली की ननरीं तर
आपूनतथ दे ने के मलए शुरू ककया गया है ।
• िहार्तिा गाींधी राष्रीय ग्रािीण रोज़गार गारीं टी अगधननयि: इस योजना के तहत दे श भर के गााँवों
िें लोगों को 100 ददनों के काि की गारीं टी दी गई है । ग्रािीण इलाक़ों िें ग़रीबी कि करने िें
ये योजना काफी िददगार साबबत हुई है ।
• प्रधानिींरी आवास योजना: इस योजना का उद्दे श्य 2022 तक सभी को घर उपलब्ध करना है ।
इस के मलए सरकार 20 लाख घरो का ननिाथण करवाएगी, स्जसिें 65% ग्रािीण क्षेरों िें हैं।
• राष्रीय िातर्तृ व लाभ योजना: इस योजना के तहत गरीबी रे खा से नीचे की स्जींदगी बसर करने
वाले पररवार की गभथवती िदहलाओीं को लाभ के रूप िें एकिुश्त रामश प्रदान की जाती है ।
• थवच्छ भारत अमभयान: इस अमभयान के तहत 2019 तक यानी िहार्तिा गाींधी की 150वीीं
जयींती तक भारत को थवच्छ बनाने का लक्ष्य ककया गया है ।
• प्रधानिींरी िद्र
ु ा योजना: इस योजना का िख्
ु य उद्दे श्य था पढ़े -मलखे नौजवानों को रोजगार प्रदान
करना।
• आयष्ु िान भारत: इस योजना के ज़ररए 10 करो़ि से ज्यादा पररवारों के लगभग 50 करो़ि लोगों
को िफ्
ु त इलाज मिल सकेगा।
• प्रधानिींरी ककसान सम्िान ननगध: पीएि ककसान योजना के तहत ककसानों को 3 ककश्त िें 6
हजार रुपए की रकि दी जाती है ।
• सभी लोगों की आधारभत ू न्यन
ू ति सेवाओीं की पहुाँच सनु नस्श्चत हो सके इसके मलये ननम्नमलणखत
योजनाओीं को प्रारीं भ ककया गया है :
• प्रधानिींरी जन-धन योजना;
• सभी के मलये आवास योजना;
• प्रधानिींरी जन आरोग्य योजना;
• आयुष्िान भारत।
आजीपवका और कौशल सींबध
ीं ी कायथक्रि:
• प्रधान िींरी फसल बीिा योजना;
• राष्रीय मशक्षुता कायथक्रि;
• राष्रीय ग्रािीण और शहरी आजीपवका मिशन।

कहााँ तक सफल हैं ये कायथक्रि?


• हालााँकक गरीबी उन्िल
ू न के प्रयासों के कारण ग़रीबों के हालत िें सध
ु ार तो हुआ है लेककन अभी
भी वास्ज़ब थतर तक सध ु ार नहीीं हो पाया है । इसके कारण हैं -
• भूमि और दस
ू री सींपपत्तयों का असिान पवतरण

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• गरीबी उन्िूलन कायथक्रिों का उनके उगचत लाभागथथयों तक न पहुाँच पाना


• गरीबी के िाफ़थत, इन कायथक्रिों के मलए आवींदटत सींसाधनों की िारा पयाथप्त न होना।
• गरीबों की सकक्रय भागीदारी के बबना ककसी भी कायथक्रि का सफल कायाथन्वयन सींभव नहीीं है ।
• कई सािास्जक कायथक्रिों का डडज़ाइन ही दोषपण
ू थ है ।

Current updates
भारत िें गरीबी की स्थथनत दशाथती VNR ररपोटथ
• हाल ही िें ‘नीनत आयोग’ ने सतत ् पवकास, 2020 को लेकर डडस्जटल िाध्यि से आयोस्जत
सींयक्
ु त राष्र उच्च थतरीय राजनीनतक िींच (United Nations High-level Political Forum-HLPF)
पर दस
ू री ‘थवैस्च्छक राष्रीय सिीक्षा’ (Voluntary National Review-VNR) जारी की है ।
प्रिख
ु बबींद:ु
• VNR सिीक्षा ररपोटथ थवैस्च्छक रूप से दे शों द्वारा थवयीं तैयार की जाती है , स्जसका उद्दे श्य
‘सतत पवकास एजेंडा’ को लागू करने िें मिली सफलताओीं और चुनौनतयों सिेत इस सींबींध िें
प्राप्त सभी अनभ
ु वों को साझा करने की सपु वधा प्रदान करना है ।
• ‘सतत ् पवकास लक्ष्य’- 1 अथाथत गरीबी की सिास्प्त (NO POVERTY) है , स्जसका लक्ष्य गरीबी को
इसके सभी रूपों िें हर जगह से सिाप्त करना है ।
• VNR ररपोटथ िें प्रथतत
ु अनि
ु ान, जल
ु ाई 2019 'बहुआयािी गरीबी सच
ू काींक' (Multidimensional
Poverty Index- MPI) के आधार पर तैयार ककये गए थे।

VNR ररपोटथ और 'बहुआयािी गरीबी':

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• भारत द्वारा प्रथतत


ु VNR ररपोटथ के अनुसार, भारत िें वषथ 2005-06 से वषथ 2016-17 के बीच
की अवगध िें कि-से-कि 271 मिमलयन लोगों को 'बहुआयािी गरीबी' (Multi-dimensional
Poverty) से बाहर ननकाला गया है ।
• वैस्श्वक MPI के अनुसार, वषथ 2005-2006 िें पूरे भारत िें 640 मिमलयन से अगधक लोग
बहुआयािी गरीबी िें थे। वषथ 2016-2017 तक गरीबी िें रहने वाले लोगों की सींख्या घटकर
369.55 मिमलयन हो गई।
• अनुिान के िुताबबक वषथ 2016-17 िें भारत की 27.9 फीसदी आबादी गरीब थी।
• शहरी क्षेरों की तुलना िें ग्रािीण क्षेरों िें तेज़ी से गरीबी िें किी आई है ।
पवश्व बैंक के अनि
ु ान:
• पवश्व बैंक की अींतराथष्रीय गरीबी रे खा जो; 'अर्तयगधक गरीबी' (Extreme Poverty) का आकलन
करती है , के अनुसार यह भारत िें वषथ 2011 के 21.2 प्रनतशत से घटकर वषथ 2015 िें 13.4
प्रनतशत हो गई।
• पवश्व बैंक गरीबी को ननरपेक्ष रूप से पररभापषत करता है । पवश्व बैंक के अनस
ु ार, प्रनत ददन
1.90 अिेररकी डॉलर से कि पर आय थतर पर जीवन को अर्तयगधक गरीबी के रूप िें पररभापषत
ककया गया है ।

भारत सरकार सािास्जक सेवाओीं पर व्यय

गरीबी सिास्प्त के सिक्ष चुनौनतयााँ:


क्षेरीय मभन्नता:
• भारत की अगधकाींश गरीब जनसींख्या ग्रािीण क्षेरों और कि आय वाले राज्यों िें ननवास करती
है । गरीबी रे खा से नीचे रहने वाले लोगों के अनुपात के िािले िें राज्यों के बीच अींतर है ।

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• छत्तीसगढ़ िें 39.9 प्रनतशत लोग गरीबी रे खा के नीचे हैं, जबकक अींडिान और ननकोबार द्वीप
सिूह िें यह िार 1 प्रनतशत है ।
गरीबी का िदहलाकरण (Feminisation of Poverty):
• गरीबी का िदहलाकरण, पवशेष रूप से ग्रािीण क्षेर की एक और चुनौती है ।
• गरीबी परु
ु षों की तल
ु ना िें िदहलाओीं को अगधक प्रभापवत करती है क्योंकक िदहलाओीं के पास
सींसाधनों तक सीमित पहुाँच होती है , चाहे वह खाद्य और पोषण सींबींधी सुरक्षा हो, या थवाथ्य
दे खभाल और सावथजननक सेवाओीं तक पहुाँच या सींपपत्त िें थवामित्त्व हो।
तीव्र शहरीकरण:
• तीव्र नगरीकरण अपने साथ अनेक आगथथक सींभावाओीं के साथ अनेक चुनौनतयााँ लेकर आया है ।
• आवास, बुननयादी ढााँचे, रोज़गार और अन्य आगथथक अवसरों तथा सेवाओीं िें िाींग-आपूनतथ अींतराल
लगातार बढ़ रहा है ।
िानव सींसाधन पवकास:
• नवीन ज्ञान और प्रौद्योगगकी कौशल, कायथ और रोज़गार की पारीं पररक सींरचनाओीं को बहुत तेज़ी
से बदल रही हैं, अत: मशक्षा और कौशल पवकास को पन ु जीपवत करने की आवश्यकता है ।

गरीबी दरू करने की नीनत आयोग की रणनीनत


• 2017 िें नीनत आयोग ने गरीबी दरू करने हे तु एक पवज़न डॉक्यूिेंट प्रथतापवत ककया था। इसिें
2032 तक गरीबी दरू करने की योजना तय की गई थी।
• इस डॉक्यूिेंट िें कहा गया था कक गरीबी दरू करने हे तु तीन चरणों िें काि करना होगा-
1. गरीबों की गणना – दे श िें गरीबों की सही सींख्या का पता लगाया जाए।

2. गरीबी उन्िूलन सींबध


ीं ी योजनाएाँ लाई जाएाँ।

3. लागू की जाने वाली योजनाओीं की िॉनीटररींग या ननरीक्षण ककया जाए।


• आज़ादी के 70 साल बाद भी गरीबों की वाथतपवक सींख्या का पता नहीीं चल पाया है ।
• दे श िें गरीबों की गणना के मलये नीनत आयोग ने अरपवींद पनगदढ़या के नेतर्तृ व िें एक टाथक
फ़ोसथ का गठन ककया था। 2016 िें इस टाथक फ़ोसथ की ररपोटथ आई स्जसिें गरीबों की वाथतपवक
सींख्या नहीीं बताई गई।
• टाथक फ़ोसथ ने इसके मलये एक नया पैनल बनाने की मसफाररश की और सरकार ने सुमिर बोस
के नेतर्तृ व िें एक समिनत गदठत की स्जसकी ररपोटथ िाचथ 2018 िें प्रथतुत की गई।
• समिनत ने अपनी ररपोटथ िें कहा कक सािास्जक-आगथथक जानतगत जनगणना को आधार बनाकर
दे श िें गरीबों की गणना की जानी चादहये। इसिें सींसाधनहीन लोगों को शामिल ककया जाए
तथा जो सींसाधन युक्त हैं, उन्हें इसिें शामिल न ककया जाए।
• नीनत आयोग ने गरीबी दरू करने के मलये दो क्षेरों पर ध्यान दे ने का सझ
ु ाव ददया-पहला योजनाएाँ
तथा दस
ू रा MSME। दे श िें वकथफ़ोसथ के लगभग 8 करो़ि लोग MSME क्षेर िें काि करते हैं
तथा कुल वकथफोसथ के 25 करो़ि लोग कृपष क्षेर िें काि करते हैं। अथाथत ् कुल वकथफोसथ का 65
प्रनतशत इन दो क्षेरों िें काि करता है ।

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• वकथफोसथ का यह दहथसा काफी गरीब है और गरीबी िें जीवन यापन कर रहा है । यदद इन्हें
सींसाधन िुहैया कराए जाएाँ, इनकी आय दोगुनी हो जाए तथा िाींग आधाररत पवकास पर ध्यान
ददया जाए तो शायद दे श से गरीबी ख़र्ति हो सकती है ।

आगे क्या ककया जाना चादहए?


• हिें आगथथक वद्
ृ गध दर को बढ़ाना होगा। आगथथक वद्
ृ गध दर स्जतनी अगधक होगी गरीबी का
थतर उतना ही नीचे चला जाएगा।
• 'ग़रीबी के राजनीनतकरण' को रोकना होगा। साथ ही, गुणवत्तापण
ू थ मशक्षा, थवाथ्य और पोषण से
ज़ि
ु े बनु नयादी ढााँचे के को काफी बेहतर बनाने की ज़रुरत है ।
• यूदटमलटी, बबजली, आवास, राींसपोटे शन सुपवधाओीं के पवकास पर ध्यान ददये जाने की ज़रुरत है ।
• सबसे अहि ् बात ये है कक कृपष उर्तपादन घाटे का सौदा साबबत हो रहा है । गााँवों िें आगथथक
गनतपवगधयों और िदहलाओीं की भागीदारी का अभाव है । इन क्षेरों की ओर ध्यान दे ने की ज़रूरत
है ।

ननष्कषथ:
• भारत को SDG लक्ष्य-1 की प्रास्प्त की ददशा िें अपने प्रयासों को अगधक तेज़ी से चलाने की
आवश्यकता है ।
• SDG लक्ष्य- 1 के तहत लक्ष्यों की प्रास्प्त िें तेज़ी लाने िें ननजी क्षेर, नागररक सिाज और
‘सहकारी सींघवाद’ प्रिुख भूमिका ननभा सकते हैं।

केस थटडी
12 मिमलयन पररवारों के गरीबी उन्िल
ू न का प्रयास
• केंद्र सरकार केंद्रीय ग्रािीण पवकास िींरालय के तहत सींचामलत कौशल आधाररत िनरे गा
(Mahatma Gandhi National Employment Guarantee Act-MGNREGA) योजना के िाध्यि से
लगभग 12 मिमलयन पररवारों के गरीबी उन्िूलन का प्रयास कर रही है ।
• इस पहल के अींतगथत प्रनतवषथ िनरे गा के तहत काि करने वाले 50 मिमलयन पररवारों िें से .4
से .5 मिमलयन पररवारों के एक सदथय को 35-40 ददन का कौशल प्रमशक्षण दे कर उन्हें उप -
कुशल श्रमिक बनाया जाएगा स्जससे वे भपवष्य िें अकुशल श्रमिक न बने रहें ।
• यह प्रमशक्षण िनरे गा के 100 कायथ ददवसों के अधीन ही ददया जाएगा, साथ ही िज़दरू ी के
नुकसान की भरपाई के मलये वज़ीफा (stipend) भी ददया जाएगा।
• यह प्रमशक्षण दीनदयाल उपाध्याय ग्रािीण कौशल योजना (DDU-GKY), राष्रीय ग्रािीण
आजीपवका मिशन (NLRM), बैंकों द्वारा चलाए जाने वाले थवरोज़गार कायथक्रिों, आदद के िाध्यि
से प्रदान ककया जाएगा।
• कािगारों को कृपष पवज्ञान केंद्रों (KVK) से सलींग्न कर फल वाली फसलों को उगाने, कलि बााँधने
(Grafting) और बागवानी करने का प्रमशक्षण ददया जाएगा स्जससे वे िनरे गा के अनतररक्त भी
जीपवकोपाजथन कर सकें।
• इस पहल का उद्दे श्य अगले 5 से 6 वषथ िें िनरे गा के तहत रोज़गार प्राप्त करने वाले 2
मिमलयन पररवारों के कि-से-कि 1 सदथय को उप-कुशल श्रमिक (semi skilled) बनाना और

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साथ ही दटकाऊ सींपनत के सज


ृ न द्वारा 25 लाख पररवारों की आजीपवका िें सुधार कर गरीबी
उन्िूलन करना है ।
• यह पहल िनरे गा पर प़िने वाले कायथ बोझ को कि करने िें सहायक साबबत होगी।
• अभी तक कौशल पवकास के मलये िनरे गा के तहत सींचामलत प्रोजेक्ट लाइफ (LIFE) द्वारा 1.5
से 1.6 मिमलयन पररवार लाभास्न्वत हो चक
ु े है ।
• इस पहल के मलये सरकार प्रनतवषथ 500-1000 करो़ि रुपए कौशल पवकास पर खचथ करने की
योजना बना रही है । यह केवल उन कािगारों तक सीमित नहीीं है जो िनरे गा के तहत 100
ददवस का कायथ पूरा कर चक
ु े हैं।
प्रोजेक्ट लाइफ-िनरे गा (Project-Livelihoods In Full Employment (LIFE)-MGNREGA)
• ग्रािीण पवकास िींरालय द्वारा इस प्रोजेक्ट को वषथ 2015-16 िें िनरे गा के तहत शुरू ककया
गया।
• इसके तहत 15 से 35 आयु वगथ के िज़दरू ों को कौशल प्रमशक्षण प्रदान ककया जाता है ।
• यह उन िनरे गा िज़दरू ों तक ही सीमित है जो 100 ददवस का काि परू ा कर चक
ु े है ।
• इस प्रोजेक्ट का उद्दे श्य आर्तिननभथरता को बढ़ावा दे ना और िनरे गा श्रमिकों के कौशल िें सुधार
करते हुए आजीपवका िें सध
ु ार करना है स्जससे वे आींमशक रोज़गार के थथान पर पूणथ रोज़गार
प्राप्त कर सकें।

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