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अध्याय 3 - ज्योतिष शास्त्र - शास्त्र ज्ञान
अध्याय 3 - ज्योतिष शास्त्र - शास्त्र ज्ञान
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शा ान
अहम ् माि म !
उ े य
यो तष शा
अ याय 1 – यो तष शा
अ याय 2 – यो तष शा
अ याय 3 – यो तष शा
अ याय 4 – यो तष शा
अ याय 5 – यो तष शा
अ याय 6 – यो तष शा
लेख सं ह
वचार वाह
कंद परु ाण
कम और भा य
ज म एवं म ृ यु
धम स मत ान ( या य एवं ा य)
भु ल ला एवं भि त ान
व भ न प रभाषा या कार
सार त व
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01/09/2018 अ याय 3 – यो तष शा | शा ान
अ याय 3 – यो तष शा
अ याय ३
अब हम थोडा और आगे बढ़गे | जैसे जैसे हम आगे बढ़ते ह, वैसे वैसे हमारा वा ता पंचांग और कैलडर से पड़ता जायेगा | अतः हम
पंचांग के भी कुछ अंग से य होना पड़ेगा | पंचांग म त थ, वार, न , योग तथा करण, ये पांच अंग होते ह इसी लए इसे पंचांग
कहा जाता है | हम इसम से कुछ को पहले बता चक
ु े ह, जैसे वार कैसे आते ह ? त थ या होती है ? अब उस से आगे बढ़ते ह |
अमाव या – अमाव या तीन कार क होती है | सनीवाल , दश और कुहू | ातःकाल से लेकर रा तक रहने वाल अमाव या को
सनीवाल , चतद
ु शी से ब को दश एवं तपदा से यु त अमाव या को कुहू कहते ह |
न दा भ ा जया र ता पण
ू ा
१ २ ३ ४ ५
६ ७ ८ ९ १०
११ १२ १३ १४ १५, ३०
न दा त थयाँ – दोन प क तपदा, ष ठ व एकादशी (१,६,११) न दा त थयाँ कहलाती ह | थम गंडात काल अथात अं तम
Le
थम घट या २४ मनट को छोड़कर सभी मंगल काय के लए शभ
ु माना जाता है |
भ ा त थयाँ – दोन प क वतीया, स तमी व वादशी (२,७,१२) भ ा त थ होती है | त, जाप, तप, दान-पु य जैसे धा मक
काय के लए शभ
ु ह|
जया त थ – दोन प क तत
ृ ीया, अ टमी व योदशी (३,८,१३) जया त थ मानी गयी है | गायन, वादन आ द जैसे कला मक काय
कये जा सकते ह |
र ता त थ – दोन प क चतथ
ु , नवमी व चतद
ु शी (४,९,१४) र त त थयाँ होती है | तीथ या ाय, मेले आ द काय के लए ठ क
होती ह |
पण
ू ा त थयाँ – दोन प क पंचमी, दशमी और पू णमा और अमावस (५,१०,१५,३०) पण
ू ा त थ कहलाती ह | त थ गंडात काल
अथात अं तम १ घट या २४ मनट पव
ू सभी कार के लए मंगल काय के लए ये त थयाँ शभ
ु मानी जाती ह |
१. यग
ु ाद त थयाँ – सतयग
ु क आरं भ त थ – का तक शु ल नवमी, त
े ा यग
ु आर भ त थ – बैसाख शु ल तत
ृ ीया, वापर यग
ु
आर भ त थ – माघ कृ ण अमाव या, क लयग
ु क आरं भ त थ – भा पद कृ ण योदशी | इन सभी त थय पर कया गया दान-
पु य-जाप अ त और अखंड होता है | इन त थय पर क द परु ाण म बहुत व तत
ृ वणन है |
२. स ा त थयाँ – इन सभी त थय को स दे ने वाल माना गया है | इसका ऐसा भी अथ कर सकते ह क इनमे कया गया काय
स दायक होता है |
मंगलवार ३ ८ १३
बध
ु वार २ ७ १२
गु वार ५ १० १५
शु वार १ ६ ११
श नवार ४ ९ १४
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01/09/2018 अ याय 3 – यो तष शा | शा ान
हुताशन १२ ६ ७ ८ ९ १० ११
उपरो त सभी वार के नीचे लखी त थयाँ द धा, वष, हुताशन त थय म आती ह | यह सभी त थयाँ अशभ
ु और हा नकारक होती ह
|
मासशू य त थयाँ – ऐसा कहा जाता है क इन त थय पर काय करने से काय म उस काय म सफलता ा त नह ं होती |
शु ल प कृ ण प
चै ८,९ ८,९
बैसाख १२ १२
ये ठ १३ १४
आषाढ़ ७ ६
ावण २,३ २,३
भा पद १,२ १,२
अि वन १०,११ १०,११
का तक १४ ५
मागशीष ७,८ ७,८
पौष ४,५ ४,५
माघ ६ ६
फा गुन ३ ३
वृ तथ – सय
ू दय के पव
ू ारं भ होकर अगले दन सय
ू दय के बाद समा त होने वाल त थ ‘व ृ त थ’ कहलाती है | इसे ‘ त थ
व ृ ’ भी कहते ह | ये सभी मह
ु ू त के लए अशभ
ु होती है |
य त थ – सय
ू दय के प चात ारं भ होकर अगले दन सय
ू दय से पव
ू समा त होने वाल त थ ‘ य त थ’ कहलाती है | इसे ‘ त थ
य’ भी कहते ह | यह त थ सभी मह
ु ू त के लए छोड़ द जाती है |
गंड त थ – सभी पण
ू त थय (५,१०,१५,३०) क अं तम २४ मनट या एक घट तथा न दा त थय (१,६,११) क थम २४ मनट या १
घट गंड त थ क ेणी म आती ह | इन त थय क उ त घट को सभी मह
ु ू त के लए छोड़ दया जाता है |
१. सय
ू भा वत त थयाँ – १, १०, १९, २८ और ४,१३, २२, ३१
४. बध
ु भा वत त थयाँ – ५,१४,२३
५. गु भा वत त थयाँ – ३,१२,२१,३०
६. शु भा वत त थयाँ – ६,१५,२४
७. श न भा वत त थयाँ – ८,१७,२६
हमने न क चचा अ याय १ म सं त म क थी | यहाँ फर से हम उसक आगे चचा करते ह पर यहाँ भी हम थोडा ह लखगे और
आगे जैसे जैसे इसका स दभ आएगा, इसे और व तार दगे |
न को ७ े णय म ट के आधार पर, ३ े णय म, शभ
ु ाशभ
ु फल के आधार पर ३ े णय म तथा चोर गयी व तु क ाि त/
अ ाि त के आधार पर ४ े णय म बांटा गया है | व श ट पहचान वाले कुल १७ न म५न प चसं क, ६ न मल
ू सं क
और ६ न क कुछ घट गंड न क ेणी म आती ह |
१. व
ु (ि थर) न – ४,१२,,२१,२६ चार न ि थर न होते ह | भवन नमाण काय, कृ ष काय, बाग़ बगीचे लगाने, गह
ृ वेश,
नौकर वाइन करने, उपनयन सं कार आ द के लए शभ
ु होता है |
३. उ ( ू र) न – २,१०,११,२०,२५ पांच न उ होते ह | भ े लगाना, गैस जलाना, सजर करना, मार पीट करना, अ -श
चलाना, यापार करना, खोज काय करना, शोध काय करना आ द हे तु शभ
ु होते ह |
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01/09/2018 अ याय 3 – यो तष शा | शा ान
४. म (साधारण) न – ३,१६ दो न म होते ह | लोहा भ ी व गैस भ ी के काय, भाप इंजन, बजल स ब धी काय, दवाइयां
बनाने आ द हे तु शभ
ु होते ह |
५. ा (लघ)ु न – १,८,१३ व अ भजीत ये चार न ा होते ह | न ृ य, गायन, प स जा, नाटक, नौटं क आ द काय करना,
दक
ू ान करना, आभष
ू ण बनाना, श ा काय, लेखन, काशन हे तु शभ
ु होते ह |
६. मद
ृ ु ( म वत) न – ५,१४,१७,२७ ये चार न मद
ृ ुन होते ह | कपडे बनाना, सलाई काय, कपडे पहनना, खेल काय, आभष
ू ण
बनाना एवं पहनना, यापार करना, सेवा काय, स संग त आ द हे तु शभ
ु होते ह |
१. अधोमख
ु ीन – नीचे क ओर ट रखने वाले २,३,९,१०,११,१६,१९,२०,२५ कुल ९ न ह | कुआँ, तालाब, मकान क नीव,
बेसमट, सरु ं ग बनवाना, खान खोदना, पानी व सीवर के पाईप डालना जैसे भू मगत काय के लए शभ
ु होते ह |
२. उ वमख
ु ीन – ऊपर क ट रखने वाले (४,६,८,१२,२१,२२,२३,२४,२६) कुल ९ न होते ह | मं दर नमाण, बहुमंिजल भवन
नमाण, मत
ू थापना, वज फहराना, रा या भषेक, मंडप बनवाना, बाग़ लगवाना, पहाड़ पर चढ़ना आ द काय हे तु शभ
ु होते ह |
३. यंगमख
ु ीन – दाय, बाएं व स मख
ु ट रखने वाले १,५,७,१३,१४,१५,१७,१८,२७ कुल ९ न ह | घड़
ु सवार करना, मोटर
गाडी चलाना, सड़क बनवाना, पशु खर दना, नाव चलाना, कृ ष करना, आवागमन आ द काय हे तु शभ
ु माने गए ह |
शभ
ु ाशभ
ु फल के आधार पर – इनम तीन ेणी होती ह | शभ
ु , म यम एवं अशभ
ु |
१. शभ
ु फलदायी – १,४,८,१२,१३,१४,१७,२१,२२,२३,२४,२६,२७ कुल १३ न शभ
ु फलदायी होते ह |
३. अशभ
ु फलदायी – २,३,६,९,११,१५,१८,१९,२०,२५ ये शेष दस न अशभ
ु फलदायी होते ह |
चोर गयी व तु क ाि त/अ ाि त के आधार पर – कुल चार ेणी होती ह | अंध लोचन, मंद लोचन, म य लोचन एवं सल
ु ोचन |
४. सल
ु ोचन – ३,८,११,१५,१९,२२,२६ इन ७ न म व तु उ तर दशा म जाती है | न तो व तु मलती है और न कोई उसक सच
ू ना
मलती है |
१. प चसं क न – अं तम ५ न (२३,२४,२५,२६,२७) पंचंक सं क न होते ह | इनम पंचक दोष माना जाता है | कसी भी
कार के शभ
ु काय नह ं करने चा हए |
२. मल
ू सं क न – ९, १०, १८, १९, २७, १ कुल ६ न मल
ू सं क ह | इन न म ज मे बालक हे तु २७ दन बाद उसी न के
आने पर शां त पाठ एवं हवन कराना शभ
ु माना गया है |
अ – दन न – त दन चं मा िजस न म रहता है वह दन न है |
ब – सय
ू न – िजस न पर सय
ू हो वह सय
ू न है |
न भाव व ृ – जो न ६० घडी पण
ू होकर दरू े दन चला जाए और दस
ु रे दन का पश हो जाए अथात घ टकाओं म जो न
पड़ता है उसे भावव ृ कहते ह |
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01/09/2018 अ याय 3 – यो तष शा | शा ान
कया जाता है क वतमान योग क कतनी कलाएं बीत गयी ह | शेष को ८०० म से घटाने पर वतमान योग क ग य कलाएं आती ह |
इन गत या ग य कलाओं को ६० से गुना कर के सय
ू और चं मा क प ट दै नक ग त के योग से भाग दे ने पर वतमान योग क गत
और ग य घ तकाएं आती ह |
योग के वामी –
ल न ता लका के १२ भाव
bhaav talika च -१
Fig2
Fig3
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01/09/2018 अ याय 3 – यो तष शा | शा ान
कंु डल बनाने से पहले हम ज म समय नकालना आना चा हए, पर उसके लए पहले समय के कांसे ट को और अ छे से समझना
चा हए | सीधे ज म समय का ग णत भी बताया जा सकता है , पर हमारा उ े य हर चीज को बार क से समझना है इस लए हम कोई
ज द नह ं करगे | हमने समय को पहले भी सं ेप म बताया ह यहाँ घडी और सय
ू के अनस
ु ार समय क चचा करगे |
भारत वष म टै डड टाइम ८० ड ी ५ मनट रे खांश (दे शांतर) नधा रत हुआ है | कसी वशेष थान का समय नह ं है बि क ८२ ड ी
५ मनट पर रे खांश पर िजतने थान पड़ते ह उन सब का यह थानक समय समझना चा हए | इसी के अनस ु ार भारतवष भर क
घ ड़याँ मलाई जाती है | जब ८२ ड ी ५ मनट रे खांश के दे शो म १२ बजते ह तो स पण
ू भारत क घ ड़य म उस समय १२ बजते ह |
इसके कारण यवहा रक र त से कारोबार करने म सु वधा हो गयी क य द एक घडी म १२ बजगे तो सरे भारतवष म १२ बजेगा |
दस
ू र सम या यह क आजकल जो घ ड़याँ बनती ह वो कसी नय मत ग त से ह चलती है अथात वह घडी एक दन म िजस ग त से
चलेगी सदा उसी ग त से वह घडी चलती रहे गी | अथात १२ घंटे म िजस कार घंटे का काँटा एक बार परू ा घम
ू कर फर १२ पर आएगा
और उसके लए िजतना समय लगेगा सदा उतना ह समय त दन उस घडी म उसी कार घंटे का कांटा एक बार परू ा घम
ू जाने म
लगेगा | ऐसा नह ं होता क कभी १२ घंटा लगा हो और कभी ११.५० घंटे म एक बार काँटा परू ा घम
ू गया हो | इस कार घडी क चाल
एक सी बनी रहती है |
अब सय
ू का वचार क िजये िजसका समय बताने के लए ये घ ड़याँ बनी ह | सय
ू क त दन क ग त एक सी नह ं होती | कभी दन
भर म ५७ कला ग त होती है , कभी वह ग त त दन मशः बढ़ते बढ़ते ६१ कला तक हो जाती है और फर घटने लगती है | इस कार
सय
ू क ग त घटती बढती रहती है | जब क घडी ऐसी नह ं बनी होती जो सय
ू क ग त के अनस
ु ार कभी घडी क ग त धीमी या तेज हो
जाये | Le
म यम सय
ू का ६ बजे ठ क उगना, १२ बजे दोपहर होना और ६ बजे सं या के समय अ त मानते ह | पर तु वा त वक सय
ू के उदय
अ त के समय म त दन अंतर पड़ता है |
बता चक
ु े ह क घडी का समय म यम समय है और इससे जो थानीय समय नकाला गया है वह भी म यम थानीय समय ह होगा |
इस कार नकाल गया थानीय समय भी शु नह ं है य क यह समय भी घडी के अनस
ु ार नकला है जब क सय
ू क ग त एक सी
नह ं रहती ले कन घ ड़य क ग त एक सी रहती है इस कारण इस म यम समय को सय
ू के अनस
ु ार करना पड़ता है | इसम ऊपर
बताये गए तर के से बेलांतर सं कार करने से ह शु समय नकलता है | इस शु समय को लेकर इ ट काल (आगे बतया जायेगा )
नकाल कर ह कंु डल बनायी जाती है |
दे शांतर सं कार – कोई दे श ीन वच से िजतने रे खांश दरू पर हो उसके घंटा मनट बना ल िजये | य द वह दे श ीन वच से पवू म है
तो ीन वच समय से जोड़ दगे और य द पि चम म हो तो घटा दगे तो वहां का समय नकल आएगा | इस कार से इ ट दे श के समय
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01/09/2018 अ याय 3 – यो तष शा | शा ान
का अंतर ात हो जायेगा इसे ह दे शांतर सं कार कहते ह |
आज कल घ ड़याँ जो समय बताती ह वह टै डड समय है और बहुधा लोग इसे ह नोट करते ह | इस कारण उस समय क शु क
आव यकता होती है |
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