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01/09/2018 अ याय 3 – यो तष शा | शा ान

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शा ान

अहम ् माि म !

उ े य
यो तष शा
अ याय 1 – यो तष शा
अ याय 2 – यो तष शा
अ याय 3 – यो तष शा
अ याय 4 – यो तष शा
अ याय 5 – यो तष शा
अ याय 6 – यो तष शा
लेख सं ह
वचार वाह
कंद परु ाण
कम और भा य
ज म एवं म ृ यु
धम स मत ान ( या य एवं ा य)
भु ल ला एवं भि त ान
व भ न प रभाषा या कार
सार त व
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अघोर बाबा क गीता – भाग ५


अघोर बाबा क गीता – भाग ४
अघोर बाबा क गीता – ३
अघोर बाबा क गीता – २
अघोर बाबा क गीता – भाग 1
भीम और बबर क का यु
ाहमण क खोज के लए
नारद जी के बारह न
दान क प रभाषा और कार
माता- पता का मह व
भगवान ् शव क पज
ू ा और
फल
मा ड और प ृ वी क
प रक पना
नव ह क ि त थ एवं
व भ न पाताल का वणन
व भ न नरक का वणन
काल का मान
कालभी त का शवजी से वाद
ववाद

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01/09/2018 अ याय 3 – यो तष शा | शा ान

अ याय 3 – यो तष शा

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अ याय ३

अब हम थोडा और आगे बढ़गे | जैसे जैसे हम आगे बढ़ते ह, वैसे वैसे हमारा वा ता पंचांग और कैलडर से पड़ता जायेगा | अतः हम
पंचांग के भी कुछ अंग से य होना पड़ेगा | पंचांग म त थ, वार, न , योग तथा करण, ये पांच अंग होते ह इसी लए इसे पंचांग
कहा जाता है | हम इसम से कुछ को पहले बता चक
ु े ह, जैसे वार कैसे आते ह ? त थ या होती है ? अब उस से आगे बढ़ते ह |

तथ – च मा क एक कला को एक त थ माना गया है | अमाव या के बाद तपदा से लेकर पू णमा तक क त थयाँ शु लप


और पू णमा से अमाव या तक क त थयाँ कृ ण प कहलाती ह |

अमाव या – अमाव या तीन कार क होती है | सनीवाल , दश और कुहू | ातःकाल से लेकर रा तक रहने वाल अमाव या को
सनीवाल , चतद
ु शी से ब को दश एवं तपदा से यु त अमाव या को कुहू कहते ह |

त थय क सं ाएँ – 1|6|11 नंदा, 2|7|12 भ ा, 3|8|13 जया, 4|9|14 र ता और  5|10|15 पण


ू ा तथा  4|6|8|9|12|14
त थयाँ प रं सं क ह |

न दा भ ा जया र ता पण
ू ा
१ २ ३ ४ ५
६ ७ ८ ९ १०
११ १२ १३ १४ १५, ३०

न दा त थयाँ – दोन प क तपदा, ष ठ व एकादशी (१,६,११) न दा त थयाँ कहलाती ह | थम गंडात काल अथात अं तम
Le
थम घट या २४ मनट को छोड़कर सभी मंगल काय के लए शभ
ु माना जाता है |

भ ा त थयाँ – दोन प क वतीया, स तमी व वादशी (२,७,१२) भ ा त थ होती है | त, जाप, तप, दान-पु य जैसे धा मक
काय के लए शभ
ु ह|

जया त थ – दोन प क तत
ृ ीया, अ टमी व योदशी (३,८,१३) जया त थ मानी गयी है | गायन, वादन आ द जैसे कला मक काय
कये जा सकते ह |

र ता त थ – दोन प क चतथ
ु , नवमी व चतद
ु शी (४,९,१४) र त त थयाँ होती है | तीथ या ाय, मेले आ द काय के लए ठ क
होती ह |

पण
ू ा त थयाँ – दोन प क पंचमी, दशमी और पू णमा और अमावस (५,१०,१५,३०) पण
ू ा त थ कहलाती ह | त थ गंडात काल
अथात अं तम १ घट या २४ मनट पव
ू सभी कार के लए मंगल काय के लए ये त थयाँ शभ
ु मानी जाती ह |

इनके अलावा भी कुछ त थयाँ होती ह |

१. यग
ु ाद त थयाँ – सतयग
ु क आरं भ त थ – का तक शु ल नवमी, त
े ा यग
ु आर भ त थ – बैसाख शु ल तत
ृ ीया, वापर यग

आर भ त थ – माघ कृ ण अमाव या, क लयग
ु क आरं भ त थ – भा पद कृ ण योदशी | इन सभी त थय पर कया गया दान-
पु य-जाप अ त और अखंड होता है | इन त थय पर क द परु ाण म बहुत व तत
ृ वणन है |

२. स ा त थयाँ – इन सभी त थय को स दे ने वाल माना गया है | इसका ऐसा भी अथ कर सकते ह क इनमे कया गया काय
स दायक होता है |

मंगलवार ३ ८ १३
बध
ु वार २ ७ १२
गु वार ५ १० १५
शु वार १ ६ ११
श नवार ४ ९ १४

पव त थयाँ – कृ ण प क तीन त थयाँ अ टमी, चतद


ु शी और अमाव या तथा शु ल प क पू णमा त थ और सं ां त त थ पव
कहलाती है | इ ह शभ
ु मह
ु ू त के लए छोड़ा दया जाता है |

दोष त थयाँ – वादशी त थ अध रा पव


ू , ष ठ त थ रा से ४ घंटा ३० मनट पव
ू एवं तत
ृ ीया त थ रा से ३ घंटा पव
ू समा त
होने क ि थ त म दोष त थयाँ कहलाती ह | इनम सभी शभ
ु काय विजत ह |

द धा, वष एवं हुताषन त थयाँ –

वार/ त थ र ववार सोमवार मंगलवार बध


ु वार गु वार शु वार श नवार
द धा १२ ११ ५ ३ ६ ८ ९
वष ४ ६ ७ २ ८ ९ ७

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01/09/2018 अ याय 3 – यो तष शा | शा ान
हुताशन १२ ६ ७ ८ ९ १० ११

उपरो त सभी वार के नीचे लखी त थयाँ द धा, वष, हुताशन त थय म आती ह | यह सभी त थयाँ अशभ
ु और हा नकारक होती ह
|

मासशू य त थयाँ – ऐसा कहा जाता है क इन त थय पर काय करने से काय म उस काय म सफलता ा त नह ं होती |

शु ल प कृ ण प
चै ८,९ ८,९
बैसाख १२ १२
ये ठ १३ १४
आषाढ़ ७ ६
ावण २,३ २,३
भा पद १,२ १,२
अि वन १०,११ १०,११
का तक १४ ५
मागशीष ७,८ ७,८
पौष ४,५ ४,५
माघ ६ ६
फा गुन ३ ३

वृ तथ – सय
ू दय के पव
ू ारं भ होकर अगले दन सय
ू दय के बाद समा त होने वाल त थ ‘व ृ त थ’ कहलाती है | इसे ‘ त थ
व ृ ’ भी कहते ह | ये सभी मह
ु ू त के लए अशभ
ु होती है |

य त थ – सय
ू दय के प चात ारं भ होकर अगले दन सय
ू दय से पव
ू समा त होने वाल त थ ‘ य त थ’ कहलाती है | इसे ‘ त थ
य’ भी कहते ह | यह त थ सभी मह
ु ू त के लए छोड़ द जाती है |

गंड त थ – सभी पण
ू त थय (५,१०,१५,३०) क अं तम २४ मनट या एक घट तथा न दा त थय (१,६,११) क थम २४ मनट या १
घट गंड त थ क ेणी म आती ह | इन त थय क उ त घट को सभी मह
ु ू त के लए छोड़ दया जाता है |

तथ े णयां – केलडर क त थयाँ य या परो प से ह से भा वत रहती ह | अतः इन ह क सं या के अनस


ु ार इन
Le
त थय को ७ े णय म बांटा जा सकता है |

१. सय
ू भा वत त थयाँ – १, १०, १९, २८ और ४,१३, २२, ३१

२. च भा वत त थयाँ – २,११,२०, २९, और ७,१६,२५

३. मंगल भा वत त थयाँ – ९, १८, २७

४. बध
ु भा वत त थयाँ – ५,१४,२३

५. गु भा वत त थयाँ – ३,१२,२१,३०

६. शु भा वत त थयाँ – ६,१५,२४

७. श न भा वत त थयाँ – ८,१७,२६

करण –  त थ या म त के अध भाग को करण कहते ह | एक त थ म २ करण आते ह | अतः मास क ३० त थय म करण क ६०


बार पन
ु राविृ त होती है | कुल ११ कार के करण होते ह  | इनम चार करण ( क सतु न, शकुन, चतु पद और नाग) ि थर होते ह |
शेष ७ करण (बालव, तै तल, व णज, बव, कौलव, गरज और वि ट) क मास म ८-८ बार पन
ु राविृ त होती है | ि थर करण म पहला
करण क सतु न सबसे पहले शु ल प क तपदा को आता है | शेष तीन ि थर करण शकुन, चतु पद और नाग मशः कृ णप
क योदशी, चतद
ु शी और अमावस को आते ह | यह चार करण अशभ
ु माने गए ह | इनम शभ
ु काय नह ं करने चा हए | आठव करण
वि ट को ह भ ा कहते ह | भ ा भी सभी शभ
ु काय के लए या य है | वशेषतः जब चं मा कक, संह, कु भ और मीन रा श म
आता है | इस समय भ ा प ृ वी पर नवास करती है |

हमने न क चचा अ याय १ म सं त म क थी | यहाँ फर से हम उसक आगे चचा करते ह पर यहाँ भी हम थोडा ह लखगे और
आगे जैसे जैसे इसका स दभ आएगा, इसे और व तार दगे |

न को ७ े णय म ट के आधार पर, ३ े णय म, शभ
ु ाशभ
ु फल के आधार पर ३ े णय म तथा चोर गयी व तु क ाि त/
अ ाि त के आधार पर ४ े णय म बांटा गया है | व श ट पहचान वाले कुल १७ न म५न प चसं क, ६ न मल
ू सं क
और ६ न क कुछ घट गंड न क ेणी म आती ह |

वभाव के आधार पर – न क वभाव के आधार पर ७ े णय होती ह | व


ु , चंचल, उ , म , ा, मद
ृ ु और ती ण |

१. व
ु (ि थर) न – ४,१२,,२१,२६ चार न ि थर न होते ह | भवन नमाण काय, कृ ष काय, बाग़ बगीचे लगाने, गह
ृ वेश,
नौकर वाइन करने, उपनयन सं कार आ द के लए शभ
ु होता है |

२. चंचल (चर) वभाव – ७,१५,२२,२३,२३ चंचल न होते ह | घड़


ु सवार करना, मोटर या कार आ द चलाना सीखना, मशीन चलाना,
या ा करना आ द ग तशील काय के लए शभ
ु होते ह |

३. उ ( ू र) न – २,१०,११,२०,२५ पांच न उ होते ह | भ े लगाना, गैस जलाना, सजर करना, मार पीट करना, अ -श
चलाना, यापार करना, खोज काय करना, शोध काय करना आ द हे तु शभ
ु होते ह |

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01/09/2018 अ याय 3 – यो तष शा | शा ान
४. म (साधारण) न – ३,१६ दो न म होते ह | लोहा भ ी व गैस भ ी के काय, भाप इंजन, बजल स ब धी काय, दवाइयां
बनाने आ द हे तु शभ
ु होते ह |

५. ा (लघ)ु न – १,८,१३ व अ भजीत ये चार न ा होते ह | न ृ य, गायन, प स जा, नाटक, नौटं क आ द काय करना,
दक
ू ान करना, आभष
ू ण बनाना, श ा काय, लेखन, काशन हे तु शभ
ु होते ह |

६. मद
ृ ु ( म वत) न – ५,१४,१७,२७ ये चार न मद
ृ ुन होते ह | कपडे बनाना, सलाई काय, कपडे पहनना, खेल काय, आभष
ू ण
बनाना एवं पहनना, यापार करना, सेवा काय, स संग त आ द हे तु शभ
ु होते ह |

७. ती ण (दा ण) न – ६,९,१८,१९ ये चार न ती ण अथात दख


ु दायी  होते ह | हा नकारक काय करना, लड़ाई झगडे करना,
जानवर को वश म करना, काला जाद ू सीखना, मै मे र म आ द काय हे तु शभ
ु माने गए ह |

ट के आधार पर – ट के आधार पर न क तीन ेणी होती ह | अधोमख


ु ी, उ वमख
ु ीव यंगमख
ु ी|

१. अधोमख
ु ीन – नीचे क ओर ट रखने वाले २,३,९,१०,११,१६,१९,२०,२५ कुल ९ न ह | कुआँ, तालाब, मकान क नीव,
बेसमट, सरु ं ग बनवाना, खान खोदना, पानी व सीवर के पाईप डालना जैसे भू मगत काय के लए शभ
ु होते ह |

२. उ वमख
ु ीन – ऊपर क ट रखने वाले (४,६,८,१२,२१,२२,२३,२४,२६) कुल ९ न होते ह | मं दर नमाण, बहुमंिजल भवन
नमाण, मत
ू थापना, वज फहराना, रा या भषेक, मंडप बनवाना, बाग़ लगवाना, पहाड़ पर चढ़ना आ द काय हे तु शभ
ु होते ह |

३. यंगमख
ु ीन – दाय, बाएं व स मख
ु ट रखने वाले १,५,७,१३,१४,१५,१७,१८,२७ कुल ९ न ह | घड़
ु सवार करना, मोटर
गाडी चलाना, सड़क बनवाना, पशु खर दना, नाव चलाना, कृ ष करना, आवागमन आ द काय हे तु शभ
ु माने गए ह |

शभ
ु ाशभ
ु फल के आधार पर – इनम तीन ेणी होती ह | शभ
ु , म यम एवं अशभ
ु |

१. शभ
ु फलदायी – १,४,८,१२,१३,१४,१७,२१,२२,२३,२४,२६,२७ कुल १३ न शभ
ु फलदायी होते ह |

२. म यम फलदायी – ५,७,१०,१६ कुल चार न थोडा फल दे ते ह |

३. अशभ
ु फलदायी – २,३,६,९,११,१५,१८,१९,२०,२५ ये शेष दस न अशभ
ु फलदायी होते ह |

चोर गयी व तु क ाि त/अ ाि त के आधार पर – कुल चार ेणी होती ह | अंध लोचन, मंद लोचन, म य लोचन एवं सल
ु ोचन |

१. अ ध लोचन – ४,७,१२,१६,२०,२३,२७ अ ध लोचन होती है | इन न म खोई व तु पव


Le
ू दशा म जाती है और शी मल जाती है |

२. म द लोचन – ७,५,९,१३,१७,२१,२४ मं लोचन न ह | खोई व त,ु पि चम दशा म जाती है | य न करने पर मल जाती है |

३. म य लोचन – २,६,१०,१४,१८,२५ इन छह न म चोर गयी व तु द ण दशा म जाती है | सच


ू ना मलने पर भी नह ं मलती |

४. सल
ु ोचन – ३,८,११,१५,१९,२२,२६ इन ७ न म व तु उ तर दशा म जाती है | न तो व तु मलती है और न कोई उसक सच
ू ना
मलती है |

व श ट े णयां – व श ट पहचान वाले १७ न क न न ल खत ३ े णयां ह |

१. प चसं क न – अं तम ५ न (२३,२४,२५,२६,२७) पंचंक सं क न होते ह | इनम पंचक दोष माना जाता है | कसी भी
कार के शभ
ु काय नह ं करने चा हए |

२. मल
ू सं क न – ९, १०, १८, १९, २७, १ कुल ६ न मल
ू सं क ह | इन न म ज मे बालक हे तु २७ दन बाद उसी न के
आने पर शां त पाठ एवं हवन कराना शभ
ु माना गया है |

३. न गंडात – कुछ न क कुछ घ टयाँ गंडात ेणी म आती ह | यह समय सभी शभ


ु काय के लए अशभ
ु माना जाता है | इनम
३न (१,१०,१९) क ारं भ क २ घट तथा ३ न क (९,१८,२७) क अंत रम २ घट होती ह |

इसके अलावा कुछ सं ाएँ और मलती ह |

१. द ध सं क न – र ववार को भरणी, सोमवार को च ा, मंगल को उ तराषाढ, बध


ु वार को ध न ठा, बह
ृ प तवार को
उ तराफा गुनी, शु को ये ठा एवं श न को रे वती द ध सं क ह | इन न म शभ
ु काय करना विजत है |

न को भी दो कार का कहा गया है |

अ – दन न – त दन चं मा िजस न म रहता है वह दन न है |

ब – सय
ू न – िजस न पर सय
ू हो वह सय
ू न है |

 इसी कार कोई ह िजस न पर हो, वह उस ह का न होता है |

न भाव व ृ – जो न ६० घडी पण
ू होकर दरू े दन चला जाए और दस
ु रे दन का पश हो जाए अथात घ टकाओं म जो न
पड़ता है उसे भावव ृ कहते ह |

योग – कुल मला कर २७ योग होते ह | जैसे क अि वनी न के आर भ से सय


ू और चं मा दोन मल कर ८०० कलाएं आगे चल
चक
ु ते ह तब एक योग बीतता है , जब १६०० कलाएं आगे चलते ह तब २, इसी कार जब दोन १२ रा शय – २१६०० कलाएं अि वनी से
आगे चल चक ू और चं मा क ग त म 3020 कला का अंतर होता है ,
ु ते ह तब २७ योग बीतते ह | इसे ऐसे भी कह सकते ह क जब सय
तब एक योग होता है | एक योग क औसत अव ध ६० घट या २४ घंटा होती है | यह कम या यादा भी हो सकती है | सय
ू और चं मा
के प ट थान को जोड़ कर तथा कलाएं बना कर ८०० का भाग दे ने पर गत योग क सं या नकल आती है | शेष से यह अवगत

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कया जाता है क वतमान योग क कतनी कलाएं बीत गयी ह | शेष को ८०० म से घटाने पर वतमान योग क ग य कलाएं आती ह |
इन गत या ग य कलाओं को ६० से गुना कर के सय
ू और चं मा क प ट दै नक ग त के योग से भाग दे ने पर वतमान योग क गत
और ग य घ तकाएं आती ह |

२७ योग के नाम इस कार ह |

`१. व क भ २. ी त ३. आयु मान ४. सौभा य


५. शोभन ६. अ तगंड ७. सक
ु मा ८. ध ृ त
९. शल
ू १०. गंड ११. व ृ १२. व

१३. याघात १४. हषण १५. व १६. स
१७. य तपात १८. वर यन १९. प रघ २०. शव
२१. स २२. सा य २३. शभ
ु २४. शु ल
२५. म २६. ए २७. वैध ृ त

योग के वामी –

योग वामी योग वामी योग वामी योग वामी


`१. व क भ यम २. ी त व णु ३. आयु मान चं मा ४. सौभा य मा
५. शोभन बह
ृ पत ६. अ तगंड चं मा ७. सक
ु मा इं ८. ध ृ त जल
९. शल
ू सप १०. गंड अि न ११. व ृ सय
ू १२. व
ु भू म
१३. याघात वायु १४. हषण भग १५. व व ण १६. स गणेश
१७. य तपात १८. वर यन कुबेर १९. प रघ व वकमा २०. शव म
२१. स का तकेय २२. सा य सा व ी २३. शभ
ु ल मी २४. शु ल पावती
२५. म अि वनीकुमार २६. ए पतर २७. वैध ृ त दत

प रध योग का आधा भाग या य है , उ तराध शभ


ु है | व क भ योग क तम पांच घ टकाएं, शल
ू योग क थम सात घ टकाएं, गंड
और याघात योग क थम छह घ टकाएं, हषण और व योग क नौ घ टकाएं एवं वैध ृ त और य तपात योग सम त प र य य है |

ल न ता लका के १२ भाव

उ तर भरत म ल न ता लका नीचे दए गए च के अनस


ु ार बनाई जाती है | इसम जो बारह खाने बने ह उनम च क तरह क के Le
थम भाव से ारं भ करके घडी क सइ
ु क उलट दशा म चलते हुए बारहव भाव तक बनाए जाते ह | उ त बारह भाव म येक भाव
मनु य के जीवन के कसी वशेष े को तथा कसी वशेष अंग क ि थ त बताता है | येक भाव का व तत
ृ अ ययन अलग से
कया जायेगा | उदाहरणाथ थम भाव मनु य के सामा य शार रक गठन व सर के स ब ध म बताता है |

bhaav talika च -१

ज म ता लका म रा शय और ह को द शत करना – कसी यि त के ज म के समय प ृ वी अपने प रपथ पर चलते हुए िजस रा श


म है , वह रा श क म सं या के प म थम भाव म लखी जाती है तथा उसके आगे क रा शयाँ घडी क सइ
ु य के उलट दशा म
मश दस
ु रे , तीसरे …..आ द भाव म लखी जाती है | इस रा श को ह ज म रा श कहते ह |

उदाहरण के लए – य द कसी यि त का ज म च २ के अनस


ु ार उस समय हुआ है , जब प ृ वी ३० ड ी एवं ६० ड ी के बीच अथात
वष
ृ रा श म थी तो ल न ता लका के थम भाव म वष
ृ रा श क म सं या अथात २ लखा जायेगा तथा उसके बाद वतीय, तत
ृ ीय
आ द भाव म लखा जायेगा | बारहव भाव म रा श म सं या १ (मेष) लखा जायेगा |

रा शय को अं कत करने के बाद अ य ह क ि थ त ज म के समय दे ख कर उसे स बं धत रा श वाले भाव म लखा जायेगा |


उदाहरणाथ च २ के अनस
ु ार, ज म के समय बह
ृ प त वष
ृ (२) रा श म व चं मा मथन
ु (३) रा श म है | अतः च ३ म थम भाव म
बह
ृ पतव वतीय भाव म चं मा लखा गया है | इसी कार च २ म ज म के समय श न व राहु संह (५) रा श म, शु मकर (१०)
रा शय म, बध
ु , सय
ू व केतु कु भ (११) रा श म तथा मंगल मीन वष
ृ (१२) रा श म है | अतः च ३ म इसी के अनस
ु ार स बं धत रा श
वाले भाव म इन ह के नाम लखे गए ह | ज म के समय प ृ वी कस रा श म, कस ड ी पर थी तथा अ य ह क या ि थ त है ,
इसको ात करने के लए गणना का सहारा लया जाता है िजसक व तत
ृ चचा आगे क जाएगी | यहाँ केवल हम कंु डल को समझ
रहे ह.. और उसका कांसे ट साफ़ कर रहे ह | इसक गणना कैसे करते ह, वो आगे बताया जायेगा |

Fig2

ल न कंु डल व च कंु डल – च ३ म वषृ रा श म ज मे यि त क ल न कंु डल द शत है | यह कंु डल च २ के अनस


ु ार प ृ वी व
अ य ह क ि थ त द शत करते हुए बनाई गयी है | कसी यि त के स ब ध म यो तषीय अ ययन के लए ज म कंु डल के
अ त र त च कंु डल भी बनाई जाती है | उ तर भारत म बहुधा ज म के समय प ृ वी िजस िजस रा श म होती है उस रा श को उस
यि त क ‘ल न रा श’ या सं ेप म केवल ‘ल न’ कहते ह तथा ज म के समय चं मा िजस रा श म होता है उसे ‘च रा श’ या सं ेप
म केवल ‘रा श’ कह दे ते ह | कसी यि त क च कंु डल बनाने के लए उसक ल न कंु डल म चं मा िजस रा श म हो उस रा श को
थम भाव म लख दे ते ह तथा उसके आगे क रा शयाँ वतीय आ द भाव म पव
ू म द गयी व ध से ह लखते ह |

इसके बाद ल न कंु डल म जो ह िजस रा श म है उसी रा श म वह ह लख दे ते ह | उदाहरणाथ च ३ म बनाई गयी ल न कंु डल क


च कंु डल च ४ के अनस
ु ार होगी | च ३ म चं मा रा श सं या ३ ( मथन
ु ) म है अतः च ४ म थम भाव म ३ लखा गया है तथा
उसके बाद क रा शयाँ वतीय, तत
ृ ीय आ द भाव म लखी गयी ह | जो ह िजस रा श म च ३ म है , वह उसी रा श म च ४ म
लखा गया है | य द कसी यि त के ज म के समय प ृ वी व चं मा एक ह रा श म हो तो उसक ल न कंु डल के थम भाव म चं मा
ह होगा | अतः उसक ल न कंु डल और च कंु डल एक समान होगी |

Fig3

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01/09/2018 अ याय 3 – यो तष शा | शा ान
कंु डल बनाने से पहले हम ज म समय नकालना आना चा हए, पर उसके लए पहले समय के कांसे ट को और अ छे से समझना
चा हए | सीधे ज म समय का ग णत भी बताया जा सकता है , पर हमारा उ े य हर चीज को बार क से समझना है इस लए हम कोई
ज द नह ं करगे | हमने समय को पहले भी सं ेप म बताया ह यहाँ घडी और सय
ू के अनस
ु ार समय क चचा करगे |

भारत वष म टै डड टाइम ८० ड ी ५ मनट रे खांश (दे शांतर) नधा रत हुआ है | कसी वशेष थान का समय नह ं है बि क ८२ ड ी
५ मनट पर रे खांश पर िजतने थान पड़ते ह उन सब का यह थानक समय समझना चा हए | इसी के अनस ु ार भारतवष भर क
घ ड़याँ मलाई जाती है | जब ८२ ड ी ५ मनट रे खांश के दे शो म १२ बजते ह तो स पण
ू भारत क घ ड़य म उस समय १२ बजते ह |
इसके कारण यवहा रक र त से कारोबार करने म सु वधा हो गयी क य द एक घडी म १२ बजगे तो सरे भारतवष म १२ बजेगा |

१.७.१९०५ म यह टै डड समय क यव था नह ं थी | इसके पहले ऐसा नह ं होता था, येक थान म पथ


ृ क पथ
ृ क समय ह च लत
था |

िजस कार भारतवष का टै डड समय नधा रत हुआ है उसी कार येक दे श का पथ


ृ क पथृ क टै डड समय नधा रत कर दया
गया है और ीन वच समय को म य जान कर उसके हसाब से यह समय नधा रत हुआ है | बमा का टै डड समय ६.३० मनट है
अथात बमा भारतवष के समय से १ घंटा बढ़ा हुआ है | दस
ू र लड़ाई के समय बमा म लड़ाई होने के कारण बमा का टै डड समय भारत
म लागू कर दया गया था या न क परु ाने समय म १ घंटा आगे बढ़ा दया गया था जो ता रख १ सत बर १९४२ से १५ ऑ टोबर १९४५
के २ बजे तक च लत रहा |

अब के समय म घ ड़य म २ सम या ह | एक तो यह क य द एक घडी बंद होती है तो दस


ू र घडी से मलान करने पर २-४ मनट का
अंतर येक घडी म आ ह जाता है | रे लवे या पो ट ऑ फस से बहुत कम घ ड़याँ मल हुई होती ह |

दस
ू र सम या यह क आजकल जो घ ड़याँ बनती ह वो कसी नय मत ग त से ह चलती है अथात वह घडी एक दन म िजस ग त से
चलेगी सदा उसी ग त से वह घडी चलती रहे गी | अथात १२ घंटे म िजस कार घंटे का काँटा एक बार परू ा घम
ू कर फर १२ पर आएगा
और उसके लए िजतना समय लगेगा सदा उतना ह समय त दन उस घडी म उसी कार घंटे का कांटा एक बार परू ा घम
ू जाने म
लगेगा | ऐसा नह ं होता क कभी १२ घंटा लगा हो और कभी ११.५० घंटे म एक बार काँटा परू ा घम
ू गया हो | इस कार घडी क चाल
एक सी बनी रहती है |

अब सय
ू का वचार क िजये िजसका समय बताने के लए ये घ ड़याँ बनी ह | सय
ू क त दन क ग त एक सी नह ं होती | कभी दन
भर म ५७ कला ग त होती है , कभी वह ग त त दन मशः बढ़ते बढ़ते ६१ कला तक हो जाती है और फर घटने लगती है | इस कार
सय
ू क ग त घटती बढती रहती है | जब क घडी ऐसी नह ं बनी होती जो सय
ू क ग त के अनस
ु ार कभी घडी क ग त धीमी या तेज हो
जाये | Le

अतः कसी थान का सह लोकल समय वह होगा जो धप


ु घडी के अनस
ु ार वहां का समय होगा | धप
ु घडी के समय को था नक समय
या लोकल टाइम कहते ह | पर तु घ ड़य म जो दोपहर का समय कट होता है वह वहां के ठ क दोपहर का समय नह ं होता |

थानीय समय २ कार का होता है |

क) य थानीय समय (Apparent Local Time)

ख) म यम थानीय समय (Local Mean Time)

य समय और म यम थानीय समय – इस कार सय


ू के और घ ड़य के समय के अंतर क क ठनाई दरू करने के लए
यो त षय ने एक नकल सय ू आकाश म घम ू ता हुआ मान लया है | इस सय
ू को म यम सय
ू कहते ह जो भम
ू य रे खा पर एक सी
ग त से घम
ु ते हुए मान लया गया है   और इस म यम सय ू (Mean Sun) के समय का मलान स चे सय
ू के समय से उस समय होता
है जब क स चा सय
ू मेघ स पात (Vernel Equinox) म होता है और उस समय दन रात बराबर होते ह |

जो समय अपने असल सय


ू से कट होता है उसे प ट समय या य समय कहते ह पर तु जो म यम सय
ू के चलने के कारण जो
समय कट होता है वह म यम समय कहलाता है | अपनी घ ड़याँ इसी म यम समय को बतलाती ह अथात घडी के समय को म यम
समय कहगे | म यम समय और प ट समय के अंतर को बेलांतर (Equation of Time) कहते ह | यह अंतर १६ मनट से अ धक
का नह होता |

म यम सय
ू का ६ बजे ठ क उगना, १२ बजे दोपहर होना और ६ बजे सं या के समय अ त मानते ह | पर तु वा त वक सय
ू के उदय
अ त के समय म त दन अंतर पड़ता है |

बता चक
ु े ह क घडी का समय म यम समय है और इससे जो थानीय समय नकाला गया है वह भी म यम थानीय समय ह होगा |
इस कार नकाल गया थानीय समय भी शु नह ं है य क यह समय भी घडी के अनस
ु ार नकला है जब क सय
ू क ग त एक सी
नह ं रहती ले कन घ ड़य क ग त एक सी रहती है इस कारण इस म यम समय को सय
ू के अनस
ु ार करना पड़ता है | इसम ऊपर
बताये गए तर के से बेलांतर सं कार करने से ह शु समय नकलता है | इस शु समय को लेकर इ ट काल (आगे बतया जायेगा )
नकाल कर ह कंु डल बनायी जाती है |

बेला तर सारणी – जैसा क पहले बताया गया, सय


ू क ग त एक सी नह ं रहती, कभी ग त अ धक होती है और कभी कम होती है | इस
कारण सय
ू क ग त कस मह ने म कतनी कम या अ धक होती है , यह जानकर म यम समय से उस समय क घट बढ़ का वचार
कर एक सारणी बना ल गयी है , िजसे बेला तर सारणी या काल समीकरण कहते ह |

था नक म यम समय म जो घडी के समय से बनता है , बेला तर सारणी के अनस


ु ार सं कार करने से उस थान इ ट समय (सय
ू के
अनस
ु ार) नकल आता है | वा तव म धप
ू घडी के अनस
ु ार जो समय व दत होता है , वह वहां का प ट था नक समय जानना चा हए
|

 दे शांतर सं कार – कोई दे श ीन वच से िजतने रे खांश दरू पर हो उसके घंटा मनट बना ल िजये | य द वह दे श ीन वच से पवू म है
तो ीन वच समय से जोड़ दगे और य द पि चम म हो तो घटा दगे तो वहां का समय नकल आएगा | इस कार से इ ट दे श के समय

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का अंतर ात हो जायेगा इसे ह दे शांतर सं कार कहते ह |

जैसे कसी थान का दे शांतर ीन वच से १० ड ी पव


ू है तो १ ड ी = ४ मनट के हसाब से १० ड ी = १० x ४ = ४० मनट का नातर
ीन वच से पड़ेगा | इसी कार भारत के ८२ ड ी ५ मनट को भी नकाला जा सकता है |

आज कल घ ड़याँ जो समय बताती ह वह टै डड समय है और बहुधा लोग इसे ह नोट करते ह | इस कारण उस समय क शु क
आव यकता होती है |

जैसे – य द भरत का दे शांतर ८२ ड ी ५ मनट = ५ घंटा – ३० मनट पव


ू है | जबलपरु ८० ड ी ० मनट पर है तो ८०x४ = ३२० मनट
= ५ घंटा २० मनट मतलब १० मनट का अंतर रहे गा | अतः घडी म जब १२ बजगे तो जबलपरु का थानीय समय ११ बजाकर ५०
मनट होगा |

ऐसे ह काशी का दे शांतर ीन वच से ८३ ड ी ० मनट पव


ू है तो ८३x४ = ५ घंटा ३२ मनट | यहाँ काशी का दे शांतर ८२ ड ी ५ मनट
से अ धक है तो २ मनट (दोन का अंतर) घडी के समय म जोड़ दगे | जब टै डड समय (घडी म) १२ बजेगा तो काशी म २ मनट
अ धक होगा अथात १२ बजाकर २ मनट होगा |

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