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गन्ने की मिठास

संकलन और हिन्दी फान्ट- jaunpur

लेखक- RAJ_2012

***** *****पात्र (किरदार) पररचय-


01॰ राम-ू िहानी िा हीरो, उम्र 24 साल, हट्टा-िट्टा जवान लड़िा,
02॰ ननममला (ननम्मो)- रामू िी बड़ी बहन, उम्र 26 साल, िुँ वारी, मस्त औरत लगती थी,
03॰ रममया- रामू िी छोटी बहन, उम्र 20 साल, जवान भरा-परू ा शरीर लेकिन अिल बच्चों जैसी,
04॰ सधिया- रामू िी माुँ, उम्र 46 साल, सख्त ममजाज, अच्छे -अच्छों िे लण्ड खड़े िरने वाली,

05॰ हररया- उम्र 45 साल, गाुँव िा सबसे चदक्िड़ आदमी, उसिा 9” इंच िा लण्ड हमेशा खड़ा,
06॰ िाममनी- हररया िी बीवी,
07॰ मीना- हररया िी बड़ी बेटी, शादीशदा।
08॰ चन्दा- हररया िी छोटी बेटी, उम्र 16 साल,

09॰ राज- उम्र 25 साल, मसववल इंजीननयर,


10॰ पायल- राज िी माुँ, उम्र 45 साल, गोरी, मोटी गाण्ड, भारी चत
ू ड़ किसी िा लण्ड खड़ा िर दें ।
11॰ संगीता- राज िी बहन, उम्र 23 साल,

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***** *****िररया ने अपनी 16 साल की बेटी चन्दा को चोदा
रामू अपनी मस्ती में चला जा रहा था तभी अपने खेत िी खटटया पर बैठे हए हररया िािा ने उसे आवाज दी।

हररया- अरे रामू बेटवा िहां चले जा रहे हो? आजिल तो तमने मेरे पास आना ही बंद िर टदया।

राम-ू अरे िािा, ठहरो अभी आ रहा हूुँ।

दोपहर िे दो बज रहे थे रामू अपने गन्नों िे खेतों िी ओर चला जा रहा था। लेकिन उसिे खेत से थोड़ा पहले
ही हररया िािा िा खेत आ जाता था, जहाुँ हररया िािा ने बहत सारी हरी सब्जजयां लगा रखी थी और टदन
रात वह उन सब्जजयों िी रखवाली िे मलए वहीं पड़ा रहता था। हररया िािा िे खेत से थोड़ा आगे ही रामू िा
गन्नों िा खेत था। वहीं रामू ने अपने सोने िे मलए एि झोपड़ी बना रखी थी। उसी झोपड़ी िे भीतर उसने
बोररंग िरवा रखी थी।

हररया उस गाुँव िा सबसे चदक्िड़ आदमी था और ना जाने कितनी औरतों िो चोद चिा था। आज वह 45
साल िा था, लेकिन आज भी उसिा लण्ड चोदने िे मलए खड़ा ही रहता था। लेकिन हररया िी एि बात यह भी
थी कि वह गाुँव में किसी से ज्यादा बातचीत नहीं िरता था। पर ना जाने क्यों हररया िो रामू से िछ ज्यादा ही
लगाव था।

रामू एि 24 साल िा हट्टा-िट्टा जवान लड़िा था और उसिी ब्जंदगी अपने खेतों से लेिर अपने घर ति ही
मसममत रहती थी। इसिा िारण यह था कि रामू िे बाप िो मरे 8 साल हो चिे थे और रामू िे घर में उसिी
माुँ सधिया और उसिी दो बहनें रममया और ननममला थीं। रममया रामू से िरीब 4 साल छोटी लगभग 20 बरस
िी जवान लौंडडया हो चिी थी, लेकिन रममया िो दे खिर यही िहें गे कि उसिा शरीर तो परू ा भर चिा था
लेकिन उसमें अिल बच्चों जैसी ही थी। इसमलए उसिे घर िे लोग, खासिर रामू उसे बहत प्यार िरता था।

ननममला िरीब 26 साल िी एि मस्त औरत िी तरह नजर आने लगी थी, लेकिन अभी ति शादी नहीं हो पाई
थी। रामू िी माुँ सधिया 46 साल िी बहत ही सख़्त औरत थी। उसिे सामने गाुँव िा िोई भी ज्यादा बोलने
िी टहम्मत नहीं िरता था, लेकिन सधिया िो दे खिर अच्छे -अच्छों िे लण्ड खड़े हो जाया िरते थे।

जब रामू हररया िािा िे पास जािर बैठ जाता है तो हररया िािा ने अपनी खाट िे नीचे से धचलम ननिालिर
पीते हए िहा- “तो रामू आजिल िा चल रहा है? तम तो िछ टदनों से यहाुँ फटिते भी नहीं हो, िा टदन भर
घरे में घसे रहते हो?”

राम-ू अरे नहीं िािा घर में रुिने िी फसमत िहाुँ है? बस यह इत्तेफाि है कि मैं इिर से जब भी गजरता हूुँ तम
नजर नहीं आते।

हररया- “चलो िोई बात नहीं बेटवा…” और कफर धचलम िा गहरा िस खींचिर रामू िो दे ते हए- “ले बेटा तू भी
आज तो लगा ही ले…”

राम-ू अरे नहीं िािा, हम इसे पी लेते हैं तो कफर िाम में मन नहीं लगता है ।
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हररया मश्िराते हए- “पर बेटा इसिो पीिर एि िाम में बड़ा मन लगता है…”

राम-ू वो िौन से िाम में?

हररया मश्िराते हए- “अरे वहीं चदाई िे िाम में…”

राम-ू िािा अब अपनी उमर िा भी मलहाज िरो, 45 साल िे हो गये हो कफर भी मन नहीं भरा है ?

हररया- अरे बेटवा इन चीजों से किसी िा िभी मन भरा है भला? अब तमिा दे खो, इस उमर में तमिा एि
मस्त चत
ू ममल जाना चाटहए, तो तम्हारे चेहरे पर िछ ननखार आए, पर तम हो िी बस िाम िे बोझ िे तले
दबे जा रहे हो।

राम-ू तो िािा चोदने िे मलए एि औरत भी तो होनी चाटहए। अब तम ही बताओ हम किसे चोदें ?

हररया मश्िराते हए- “तम्हारे आस-पास बहत माल है बेटा, जरा अपनी नजरों से पहले उन माल िो दे खो तो
सही, तम्हारा मन अपने आप उन्हें चोदने िा होने लगेगा…”

राम-ू अच्छा िािा तम्हारी नजर में ऐसी िौन सी औरत है ब्जसिी चूत मैं मार सिता हूुँ?

हररया मश्िराते हए- “दे खो रामू हम तमिो बहत मस्त उपाय बता सिते हैं, पर पहले तमिो हमारे साथ दो-
चार धचलम मारनी पड़ेगी तभी तमिो हमारी बात सनने में मजा आएगा। अगर तम्हारा मन हो तो शाम िो आ
जाना, हम तमिो मस्त िर दें ग…
े ”

दोनों िी बातें चल रही थीं, तभी हररया िी बेटी जो खेतों में िछ िाम िर रही थी, हररया ने उसे आवाज दे िर
िहा- “अरे चन्दा बबटटया, जरा धगलास में पानी तो भरिर ले आ, बड़ी दे र से गला सख
ू रहा है…”

चन्दा जो कि हररया िी 16 साल िी लड़िी थी वह एि छोटा सा घाघरा और सफेद शटम पहने उठिर आई और
पानी भरिर जैसे ही उसने िहा- “लो बाबा पानी…”

हररया ने जैसे ही उसिे हाथ से धगलास मलया चन्दा एिदम से चीखते हए अपनी चूत िो घाघरे िे ऊपर से
पिड़िर धचल्लाने लगी, हररया और रामू एिदम से खड़े हो गये।

हररया- अरी क्या हआ, क्यों धचल्ला रही है ?

चन्दा- “आह्ह… बाबा लगता है िछ िाट रहा है…”

तभी हररया उसिा घाघरा ऊपर िरिे नीचे बैठिर दे खने लगा, उसिे साथ ही रामू भी बैठिर दे खने लगा। चन्दा
िी बबना बालों वाली गोरी धचट्टी धचिनी चूत दे खिर तो रामू िे मुँह में पानी आ गया। वहां हररया अपनी बेटी

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िी चूत िो अपने मोटे -मोटे हाथों से खब
ू उसिी फांिें फैला-फैलािर दे खने लगा। हररया जैसे ही उसिी फांिें
फैलाता, रामू िा मोटा लण्ड तनिर झटिे मारने लगता था।

हररया उसिी चूत िे पास से एि चींटे िो पिड़ लेता है , जो मसलने िी वजह से मर चिा था। उसिे बाद
अपनी बेटी िो टदखाते हए- “दे ख यह िाट रहा था तझे, अब जा आराम से िाम िर। मैं बाद में दवा लगा
दुँ ग
ू ा…”

चन्दा िो जाते हए हररया और रामू दे ख रहे थे जो कि अपनी मोटी िसी हई गाण्ड मटिािर जा रही थी। तभी
रामू ने हररया िी ओर दे खा जो अपनी िोती िे ऊपर से अपने मोटे लण्ड िो मसलता हआ िाफी दे र ति
अपनी बेटी िो जाते हए दे खता रहा। कफर उसिी नजर जब रामू पर पड़ी तो वो मश्िराते हए अपने लण्ड से
हाथ हटािर िहने लगा- “मादरचोद ने लण्ड खड़ा िर टदया, दे ख ले रामू जब यह धचलम िसिर पी लो ना तब
आस-पास बस चूत ही चूत नजर आने लगती है …”

राम-ू पर िािा तम्हारा लण्ड तो अपनी बबटटया िो दे खिर ही खड़ा हो गया।

हररया- अरे राम,ू तन


ू े उसिी चत
ू नहीं दे खी कितनी धचिनी है , और उसिा गलाबी छे द… मेरे मुँह में तो पानी आ
गया, और तू िहता है आपिा लण्ड खड़ा हो गया। अरे चूत में िा किसी िा नाम मलखा होता है कि यह बेटी
िी है कि यह माुँ िी? हम तो जब ऐसी गलाबी और धचिनी चूत दे ख लेते हैं, तो कफर बबना चोदे नहीं रह पाते
हैं। अब दे खो हमारे इस मस
ू ल िो जब ति यह िोई चूत पा ना जाएगा, तब ति चैन से बैठेगा नहीं। आज
शाम िो तम आओ कफर मैं तम्हें ऐसी धचलम वपलाऊुँगा कि तम ब्जसिो भी दे खोगे उसे चोदने िा मन िरे गा
समझे…”

रामू िा मोटा लण्ड परू ी तरह तन चिा था चन्दा िी चूत िा वह गलाबी छे द उसे पागल िर गया था और वह
भी अब चत
ू चोदने िे मलए पागल हो उठा था। रामू यह िहिर चल टदया िी वह शाम िो उनिे पास आएगा
और कफर वह वहाुँ से चल दे ता है । आस-पास गन्ने िे खेत होने िी वजह से हररया िा खेत जहाुँ लगा था, वहाुँ
से मसफम उसिी झोपड़ी ही नजर आती थी। बािी सारे खेत खड़े होने पर ही नजर आते थे।

रामू चलते-चलते सोचने लगा- “िहीं ऐसा तो नहीं कि हररया िािा उसिे आने िे बाद उसिी बेटी िे साथ िछ
िर रहा हो?” और यह सोचते ही रामू िा लण्ड कफर से खड़ा होने लगा था। वह चपचाप दबे पाुँव गन्ने िे पीछे
से छपता हआ वहाुँ ति आ गया, जहाुँ से उसे हररया िी खाट नजर आने लगी थी, और उसने जब वहाुँ दे खा तो
वह दे खता ही रह गया।

हररया िािा खाट पर पैर फैलाए लेटा हआ था और अपने हाथों में अपना मोटा लण्ड लेिर उसे मसल रहा था
और उसिी नजरें खेत में िाम िर रही अपनी बेटी चन्दा िी ओर थी। चन्दा बार-बार झि-झििर घास उठा-
उठािर इिट्ठा िर रही थी और हररया िािा अपनी 16 साल िी धचिनी लौंडडया िी उठती जवानी दे ख-दे खिर
अपना िाला मोटा लण्ड अपने हाथ से खूब मांसल रहे थे। उसिे बाद हररया िािा ने अपनी धचलम मुँह में
लगािर जब एि तगड़ा िस मारा तो हररया िािा िी आुँखें एिदम लाल हो चिी थीं, और कफर हररया िािा
बैठिर अपने दोनों पैरों िो फैलािर अपने मोटे लण्ड िो खूब टहलाते हए अपनी बेटी चन्दा िी मोटी गदाज
गाण्ड िो दे खने लगा।

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रामू गन्नों िे बीच छपा हआ हररया िािा िो लण्ड मसलते हए दे ख रहा था। वैसे चन्दा िी मटिती गाण्ड और
िसी जवानी ने उसिा भी लण्ड खड़ा िर टदया था।

तभी हररया िािा ने चन्दा िो आवाज दी- “अरे बबटटया यहाुँ आओ…”

चन्दा दौड़िर अपने बाबा िे पास आिर- क्या है बाबा?

हररया- जरा टदखा तो बेटी चींटा जहाुँ िाटा था?

चन्दा- पर बाबा चींटा तो ननिल गया ना?

हररया अपने लण्ड िो मसलते हए- “अरे बबटटया, हमें टदखा तो िहीं सज
ू न तो नहीं आ गई?”

चन्दा- “अच्छा बाबा टदखाती हूुँ…”

कफर चन्दा ने अपने बाबा िे सामने अपना घाघरा जैसे ही ऊुँचा किया। हररया ने अपनी बेटी िी नंगी गाण्ड िो
पीछे से हाथ में भरिर उसिी मोटी गाण्ड िो दबोचते हए जब अपनी बेटी िी िुँ वारी चूत पर हाथ फेरा तो जहाुँ
हररया िा लण्ड झटिे मारने लगा, वहीं रामू िा मोटा और िाला लण्ड भी उसिी िोती से बाहर आ गया था।
रामू गन्ने िे बीच चपचाप बैठा था और हररया िी िोती िे साइड से उसिा मोटा और िाला लण्ड जो कि 9”
इंच लंबा था बाहर ननिल आया था और रामू अपने लण्ड िो सहलािर उन दोनों िो दे ख रहा था।

हररया अपनी बेटी िी चूत िो अपनी मोटी-मोटी उं गमलयों से सहलाते हए- “अरे बबटटया, इसमें तो बहत सज
ू न
आ गई है…”

चन्दा अपना मसर झिािर अपनी चूत िो दे खने िी िोमशश िरती हई- “हाुँ बाबा मझे भी सज
ू न लग रही है…”

हररया- “अच्छा मैं खाट पर लेट जाता हूुँ तू मेरी छाती पर अपने चूतड़ रखिर मझे जरा पास से अपनी चूत
टदखा, दे खूुँ तो सही। सज
ू न ही है या ददम भी है?”

चन्दा- बाबा ददम तो नहीं लग रहा है , बस थोड़ी खजली हो रही है ।

हररया- “बेटी खजली िे बाद ददम भी होगा। इसमलए पहले ही दे खना पड़ेगा कि िहीं चींटे िा जहर तो नहीं चला
गया इसिे अंदर?”

चन्दा अपने बाबा िी छाती िे दोनों ओर पैर िर लेती है , और हररया अपने घटनों िो मोड़िर अपनी बेटी िे
मसर िो तकिया जैसे सहारा दे िर उसिी दोनों मोटी जाुँघों िो खब
ू फैलािर उसिी चत
ू िो बबल्िल िरीब से
अपने मुँह िे पास लािर दे खने लगता है ।

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रामू चन्दा िी गलाबी रसीली चूत दे खिर पागल हो जाता है । हररया अपनी बबटटया िी गलाबी चूत िी फांिों िो
अपनी मोटी-मोटी उं गमलयों से अलग िरिे उसिी चूत िे छे द में अपनी एि मोटी उं गली पेल दे ता है ।

तब चन्दा- “आह्ह… बाबा बहत ददम हो रहा है…”

हररया- “मैं ना िहता था ददम होगा, पर तू सन िहाुँ रही थी। अब इसिा जहर जो अंदर घस गया है उसिो बबना
चूसे नहीं ननिाला जा सिता है । तू अपनी चूत िो थोड़ा और फैलािर मेरे मुँह में रख, मझे इसिा सारा जहर
अभी चस
ू -चस
ू िर ननिालना पड़ेगा…”

चन्दा अपने बाबा िी बात सनिर अपनी गलाबी चूत िो उठािर अपने बाबा िे मुँह िे पास लाती है और हररया
अपनी बेटी िी गलाबी िुँ वारी चत
ू िो सघ
ंू िर मस्त हो जाता है । उसिा लण्ड परू ी तरह तना रहता है । अपनी
बेटी िी िच्ची गलाबी चूत दे खिर उसिी आुँखें लाल सखम हो जाती हैं, और वह अपनी लपलपाती जीभ अपनी
बेटी िी चूत में रखिर उसिी गलाबी चूत िो पागलों िी तरह चूसने लगता है ।

और चन्दा अपने बाबा िे सीने पर अपनी गाण्ड इिर-उिर मसिते हए- “आह्ह… बाबा, आह्ह… बाबा बहत
गदगदी हो रही है…”

हररया- “बेटी तू बबल्िल चपचाप ऐसे ही बैठी रहना। मैं 10 ममनट में सारा जहर चूस-चूसिर ननिाल दुँ ग
ू ा…”
िहिर हररया अपनी बेटी िी रसीली बर िो खूब जोर-जोर से फैला-फैलािर चूसने लगता है ।

चन्दा िी िुँ वारी बर अपने बाबा िे मुँह में पानी छोड़ने लगती है । हररया खब
ू जोर-जोर से अपनी बेटी िी चत

चूस-चूसिर लाल िरने लगता है । िछ दे र बाद चन्दा- “हे बाबा मैं मर जाऊुँगी आह्ह… आह्ह… ओह्ह… बाबा
बहत अच्छा लग रहा है बाबा आह्ह… आह्ह… बाबा छोड़ दो बाबा मझे पेशाब लगी है ओह्ह… आऽऽ आऽऽ…” और
चन्दा बाबा िा मुँह पिड़िर हटाती हई- “बाबा छोड़ दो मझे, बहत जोर से पेशाब लगी है …”

हररया- “बेटी यह तझे पेशाब नहीं लगी है , उस जहर िे ननिलने िे िारण तझे ऐसा लग रहा है जैसे तेरा मत

ननिलने वाला है । अब अगर ऐसा लगे कि तझे खूब जोर से पेशाब लगी है तो तू जोर लगािर यहीं मेरे मह
ुँ पर
िर दे ना…”

चन्दा हाुँफते हए- “पर बाबा आपिे मुँह पर मैं िैसे मत


ू ुँग
ू ी?”

हररया- “पगली मैं िह तो रहा हूुँ तझे मत


ू नहीं आएगा, बस तेरे जहर ननिलने िे िारण ऐसा लगेगा कि तझे
पेशाब आ रही है । तब अपनी आुँखें बंद िरिे मेरे मुँह में ही िर दे ना बािी सब मैं सम्हाल लुँ ग
ू ा…”

चन्दा मस्ती से भरपरू लाल चेहरा किए हए थोड़ा मश्िरािर- “बाबा अच्छा तो बहत लग रहा है , पर मैं तम्हारे
मुँह में पेशाब िर दुँ ग
ू ी तो बाद में मझे डांटना मत…”

हररया- “अरे मेरी प्यारी बबटटया, मैं भला तझे क्यों डाटूुँगा? चल अब अपनी चूत अपने दोनों हाथों से फैलािर
मेरे मुँह में रख दे , तो मैं बचा हआ जहर भी चूस लुँ …
ू ”

6
उसिा इतना िहना था कि चन्दा ने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत िी फांिों िो खूब फैलािर अपनी रस से
भीगी गलाबी चत
ू िो अपने बाबा िे मुँह पर रख टदया और हररया पागलों िी तरह अपनी बेटी िी गलाबी चत

िो खूब दबोच-दबोचिर चस
ू ने लगा।

हररया अपनी बेटी िी चूत चूसे जा रहा था और चन्दा- “ओह्ह… ओह्ह… आह्ह… बाबा मैं मर जाऊुँगी, आह्ह…
आह्ह…” िरने लगती है ।

हररया जब अपनी जीभ िो उसिी गदा से चाटता हआ उसिी चत


ू िे उठे हए दाने ति लाता है तो चन्दा बरी
तरह अपनी परू ी चूत खोलिर अपने बाबा िे मुँह में रगड़ने लगती है । हररया लपालप अपनी बेटी िी रसीली बर
िो खब
ू जोर-जोर से पीने लगता है ।

चन्दा ‘आह्ह… आह्ह’ िरती हई- “ओह्ह… बाबा ओह्ह… बाबा मैं गई। मैं आपिे मह
ुँ में मत
ू दुँ ग
ू ी बाबा आह्ह…
आह्ह…” और कफर चन्दा एिदम से अपने पापा िे मुँह में अपनी चूत िा सारा वजन रखिर बैठ जाती है और
गहरी-गहरी सांसें लेने लगती है ।

िछ दे र ति हररया और उसिी बेटी सांसें लेती रहती हैं और उिर रामू अपने लण्ड िो मटठया-मटठयािर लाल
िर लेता है ।

िछ दे र बाद चन्दा अपने बाबा से मश्िरािर- “बाबा जहर ननिल गया कि और भी चाटोगे मेरी चूत िो?”

हररया- “दे ख बेटी जहर तो ननिल गया है, पर तेरे अंदर जो ददम है उसे ममटाना पड़ेगा, नहीं तो यह बाद में बहत
तिलीफ दे गा…”

चन्दा अपने हाथ से अपनी चूत िो मसलती हई- “पर बाबा अब तो ददम नहीं हो रहा है …”

हररया- “बेटी ददम ऐसे मालम


ू नहीं पड़ेगा। दे ख मैं बताता हूुँ कि तेरे अंदर ददम भरा है या नहीं?” और कफर हररया
अपनी बेटी िी चूत िो खोलिर उसिे अंदर अपनी बीच िी सबसे मोटी उं गली डालिर जैसे ही िच्च से दबाता
है , तो चन्दा िे परू े बदन में एि ददम िी लहर दौड़ जाती है ।

और चन्दा अपनी चूत िो िसते हए- “आह्ह… बाबा बड़ा ददम है अंदर तो…”

हररया अपनी उं गली ननिालिर चाटता हआ- “तभी ना िह रहा हूुँ बेटी, इसिे अंदर िा ददम अच्छे से साफ िरना
पड़ेगा और उसिे मलए इसिे अंदर िछ डालना पड़ेगा…”

चन्दा अपने बाबा िो दे खती हई- क्या डालोगे बाबा?

हररया- “बेटी इसमें िछ डंडे जैसा डालना पड़ेगा, तभी इसिा ददम खतम होता है…”

7
चन्दा- “बाबा गन्ने जैसा डंडा डालना पड़ेगा क्या?”

हररया मश्िराता हआ- “बेटी गन्ने जैसा ही लेकिन धचिना होना चाटहए, नहीं तो तझे खरोंच आ जाएगी…”

चन्दा- तो कफर क्या डालोगे बाबा?

हररया- जा पहले झोपड़ी में से तेल िी िटोरी उठािर ला, कफर बताता हूुँ क्या डालना पड़ेगा?

चन्दा तेल लेने िे मलए झोपड़ी में जाती है और हररया अपनी धचलम जलािर एि तगड़ा िस खींचता है , तो
उसिी आुँखें परू ी लाल हो जाती हैं। चन्दा अंदर से तेल िी िटोरी उठा लाती है और हररया अपने दोनों पैर खाट
से नीचे लटिािर बैठ जाता है ।

हररया अपनी बेटी िो अपनी जाुँघ पर बैठािर- “बेटी मेरे पास जो डंडा है उसे डालने पर बहत जल्दी तेरा ददम
खतम हो जाएगा…”

चन्दा- तो बाबा टदखाओ ना आपिा डंडा िहाुँ है?

हररया ने अपनी बेटी िी तरफ अपनी लाल आुँखों से दे खा और कफर अपनी िोती हटािर अपना मोटा िाला
लण्ड जैसे ही अपनी बेटी िो टदखाया, तो अपने बाबा िा वविराल लण्ड दे खिर चन्दा िे चेहरे िा रं ग उड़ गया।
तभी हररया ने चन्दा िी चत
ू िो सहलाना शरू िर टदया और चन्दा िे हाथों में अपना लण्ड थमा टदया।

हररया- “बेटी ऐसे क्या दे ख रही है पहले िभी किसी िा डंडा नहीं दे खा क्या?”

चन्दा अपना थि
ू गटिते हए- “बाबा दे खा तो है, पर यह तो बहत मोटा और लंबा है …”

हररया- “बेटी इस डंडे िो ब्जतना जोर से हो सिे दबा, तभी यह तेरी चूत िे अंदर घसिर तेरा सारा ददम खतम
िर दे गा…”

चन्दा अपने बाबा िा लण्ड सहलाने लगती है और हररया अपनी बेटी िी िुँ वारी गलाबी चत
ू िो सहलाने लगता
है । चन्दा िी चूत में खूब चदास पैदा हो जाती है और वह अब अपने मनमाने तरीिे से अपने बाबा िा लण्ड
िभी मसलने लगती, िभी उसिी चमड़ी िो ऊपर-नीचे िरिे उसिे टोपे िो अंदर-बाहर िरती, और िभी अपने
बाबा िी बड़ी-बड़ी गोटटयों िो अपनी हथेमलयों में भरिर खब
ू सहलाने लगती। इिर चन्दा िो इतना मजा आ
रहा था कि उसे पता भी नहीं चला िी िब उसिे बाबा ने अपनी उं गली थूि में मभगोिर उसिी चूत में गहराई
ति पेलना शरू िर टदया था।

हररया- बेटी िभी गन्ना चस


ू ा है कि नहीं?

चन्दा- हाुँ बाबा खूब चूसा है ।

8
हररया- “बेटी अपने बाबा िा डंडा चूसिर दे ख, गन्ना चूसने से भी ज्यादा मजा आता है…”

चन्दा हुँसते हए- “क्या इसिो भी चस


ू ा जाता है?”

हररया- एि बार चूसिर दे ख कफर बता िैसा लगता है?

चन्दा अपने बाबा िी बात सनिर उसिे मोटे लण्ड िो अपने मुँह में भरिर चूसने लगती है । उसिे मुँह में
अपने बाबा िा मोटा लण्ड मब्श्िल से समा रहा था। वह पहले िीरे -िीरे अपने बाबा िा लण्ड चस
ू ती है और कफर
जब उसे बहत अच्छा लगने लगता है , तब वह- “आह्ह… बाबा आपिा डंडा तो बहत अच्छा लग रहा है…” और
कफर चन्दा उसे खूब िस-िसिर चूसने लगती है ।

जब चन्दा चूस-चूसिर थि जाती है तब हररया उसे तेल िी िटोरी दे िर- “ले बेटी, इसमें से तेल लेिर मेरे
लण्ड पर अच्छे से लगा दे । अब यह तेरी चूत िे अंदर जािर उसिा सारा ददम दरू िरे गा…”

चन्दा अपनी मस्ती में आ चिी थी और अपने बाबा िे मोटे लण्ड पर खूब रगड़-रगड़िर तेल लगाने लगती है ।

जब हररया िा लण्ड तेल से परू ा गीला हो जाता है तब हररया अपनी बेटी िो खाट पर लेटािर उसिी दोनों
जाुँघों िो उठा लेता है और अपने लण्ड िो अपनी बेटी िी गलाबी चूत में लगािर अपने लण्ड िे टोपे िो उसिी
चूत िे गलाबी रस से भीगे हए छे द में कफट िरिे- “दे ख बेटी, अब यह जब अंदर घसेगा तो थोड़ा ज्यादा ददम
होगा और कफर तझे एिदम से िीरे -िीरे आराम होने लगेगा, इसमलए ज्यादा आवाज मत िरना…”

चन्दा- “आप कफिर ना िरो बाबा मैं सब सह लुँ ग


ू ी…”

चन्दा िे मुँह से यह बात सनते ही हररया ने तबीयत से एि ऐसा झटिा मारा कि अपनी बेटी िी िुँ वारी चूत
िो फाड़ता हआ सीिा उसिा मोटा लण्ड आिे से ज्यादा उसिी चूत में फुँस गया, और चन्दा िे मुँह से ‘हाय
मर गई रे बाबा…’ िी जोर से आवाज ननिल पड़ी।

हररया ने जल्दी से उसिा मुँह दबािर एि दस


ू रा झटिा इतनी जोर से मारा कि उसिा परू ा लण्ड जड़ ति
उसिी बेटी िी चत
ू िो फाड़िर परू ा अंदर समा गया और चन्दा ‘आह्ह’ िरिे चीखती है, और उसिी आुँखों से
आुँसू आ जाते हैं, उसिी चत
ू से खून िी िार लग जाती है , और वह अपनी टाुँगें इिर-उिर फेंिने लगती है।
तभी हररया उसिी गाण्ड िे नीचे एि हाथ डालिर उसे उठािर अपने सीने से धचपिा लेता है और िीरे -िीरे
अपनी िमर िो टहलाते हए चन्दा िे दि
ू िो दबा-दबािर उसिी चत
ू में झटिे मारने लगता है ।

चन्दा- “आह्ह… छोड़ दे बाबा बहत दख रहा है आह्ह… आह्ह… ओह्ह… बाबा…”

हररया- “बेटी अपने बाबा से खूब िसिर धचपि जा, अब बबल्िल ददम नहीं होगा। अब दे खना तझे कितना मजा
आएगा…”

9
चन्दा अपने बाबा से परू ी तरह धचपि जाती है और हररया अब िछ तेज-तेज अपनी बेटी िी चूत में अपने लण्ड
से िक्िे मारने लगता है । हररया िा लण्ड अब चन्दा िी चूत में िछ धचिनाहट िे साथ जाने लगता है, पर
उसिे लण्ड िो उसिी बेटी िी चत
ू ने बहत बरी तरह जिड़ रखा था। इसमलए हररया िो अपनी बबटटया रानी
िो चोदने में बड़ा मजा आ रहा था। उसने चन्दा िी दोनों मोटी जाुँघों िो थामिर अब सटासट अपने लण्ड से
पेलाई शरू िर दी।

चन्दा- “आह्ह… आह्ह… ओह्ह… बाबा आह्ह… अब ठीि है बाबा बहत अच्छा लग रहा है । और तेज मारो बाबा।
तम बहत अच्छा मार रहे हो थोड़ा तेज मारो बाबा…”

हररया अपनी बेटी िी बात सनिर उसे खूब हमच-हमच िर चोदने लगता है । अब हररया खड़ा होिर अपनी बेटी
िो अपने लण्ड िे ऊपर टाुँगें हए उसे अपने खड़े लण्ड पर ऊपर-नीचे िरते हए उसिी चत
ू मारने लग जाता है ।
चन्दा परू े आनंद में अपने बाबा से बंदररया िी तरह धचपिी हई अपनी चूत में अपनी औिात से बड़ा और मोटा
लण्ड फुँसाए हए मस्त झूला झूल रही थी।

िरीब आिे घंटे ति हररया अपनी बेटी िो अपने लण्ड पर बैठाए रहता है । हररया अपनी बेटी िे छोटे -छोटे दि

िो भी पिड़िर मसलता है। तब चन्दा उससे खब
ू िसिर धचपि जाती है और उसिा पानी ननिल जाता है ।
हररया अपने लण्ड पर उसे बबठाए हए खाट पर बैठ जाता है और चन्दा अपने बाबा िे लण्ड पर आराम से अपनी
चूत िो फुँसाए हए बैठी रहती है । हररया अपनी धचलम ननिालिर एि बार जलािर कफर से एि तगड़ा िश
खींचता है और कफर चन्दा िे मोटे -मोटे चूतड़ों िो सहलाते हए उसे अपने लण्ड पर लेिर कफर से खड़ा होिर
खूब हमच-हमच िर चोदने लगता है ।

िरीब 10 ममनट बाद हररया अपनी बेटी िो खाट पर मलटा दे ता है और कफर उसिे ऊपर लेटिर ताबड़तोड़ तरीिे
से अपनी बेटी िी चूत मारने लग जाता है । और कफर िछ तगड़े िक्िे ऐसे मारता है िी चन्दा िा पानी अपने
बाबा िे लण्ड िे पानी िे साथ ही छूट जाता है, और दोनों एि दस
ू रे से परू ी तरह धचपि जाते हैं। िछ दे र बाद
हररया उठिर पानी पीता है ।

थोड़ी दे र बाद चन्दा जब उठती है तो बोलती है - “आह्ह… बाबा ददम तो अभी भी लग रहा है …”

हररया अपनी बेटी िे गालों िो चम


ू ते हए- “बबटटया जहरीला चींटा था, उसिा जहर तो ननिल गया, पर इस ददम
िो परू ी तरह ममटाने िे मलए मेरे डंडे से तझे रोज ऐसे ही अपना ददम ममटवाना पड़ेगा, तब ही िछ टदनों बाद
बबल्िल ददम ममट जाएगा…”

चन्दा अपने बाबा िे मोटे लण्ड िो अपने हाथों में भरिर दबाते हए- “बाबा तम्हारा डंडा बहत मस्त है । मझे तो
बड़ा मजा आया है । अब तो मैं खद ही इस डंडे से अपना ददम रोज ममटवाऊुँगी…”

हररया अपनी बेटी िी बात सनिर खश होता हआ- “हाुँ बेटी ठीि है । पर एि बात ध्यान रखना िी यह बात
किसी िो नहीं बताना, अपनी माुँ िो भी नहीं समझी, नहीं तो तेरी शादी नहीं हो पाएगी…”

चन्दा- नहीं बाबा मैं किसी िो नहीं बताउं गली।

10
हाररया- अच्छा अब जा, जािर झोपड़ी में थोड़ा आराम िर ले।

***** ***** रािू और उसकी बिन रमिया


रामू वहाुँ से दबे पाुँव उठिर अपने खेतों िी ओर चल दे ता है और उसिा लण्ड उसे पागल किए जा रहा था।
उसिे मन में भी चोदने िी एि बहत ही बड़ी इच्छा ने जनम ले मलया था और वह यह सोच रहा था कि इस
हररया िािा िी धचलम में कितना दम है? अपनी बेटी िो कितनी दे र ति कितनी मजबत
ू ी से चोदता रहा?
कितना मजा आया होगा उसे अपनी बेटी िो चोदने में? बस यही सोचता हआ रामू अपने खेतों िी ओर चल
दे ता है ।

खेत पर पहुँचने िे बाद रामू अपनी खाट बाहर ननिालिर गन्नों िे बीच एि चौिोर जगह पर खाट डालिर लेट
जाता है । पर उसिी आुँखों में तो बस चन्दा िी गलाबी चूत ही नजर आ रही थी। थोड़ी दे र लेटे रहने िे बाद
रामू िो िछ दरू ी पर रममया आती हई नजर आ रही थी। रममया 20 साल िी हो चिी थी और उसिा शरीर
वक़्त से पहले ही इतना भर चिा था कि उसे अगर अपने चूतड़ टहलािर चलते हए िोई भी दे खे तो उसिा लण्ड
खड़ा हो जाए, और वह इतनी भोली थी िी जैसे िोई बच्ची हो।

रममया जैसे ही रामू िे पास आती है रामू उसे दे खिर सोचने लगता है िी उसिी बहन रममया तो चन्दा से भी
गोरी और भरे बदन िी है , रममया िी चूत कितनी बड़ी और गलाबी होगी। अगर रममया िी चूत मझे उसी तरह
चाटने और चोदने िो ममल जाए जैसे हररया ने अपनी बेटी िी चूत चाट-चाटिर चोदी थी, तो वािई मजा आ
जाएगा। पर इसिे मलए उसे हररया िािा िी धचलम पीनी पड़ेगी, तभी वह अपनी प्यारी बहन िो तबीयत से
चोद पाएगा।

रममया- “अरे भैया आम खाओगे? खूब पिे हैं, पास िे पेड़ से धगरे थे तो मैं उठा लाई…”

रामू रममया िे मोटे -मोटे पिे आमों जैसी चूधचयों िो घरू िर दे खते हए- “अरे रममया आम खाते थोड़े हैं आम िो
तो चूसा जाता है …”

रममया अपने भैया से सटिर बैठते हए- “तो भैया चूसो ना…” और रममया उसिी ओर एि पिा हआ आम बढ़ा
दे ती है ।

रममया ने एि स्िटम और ऊपर एि सफेद रं ग िी शटम पहन रखी थी शटम िे अंदर ब्रा नहीं थी और उसिे बटनों
िे बीच िी गैप से रममया िे मोटे -मोटे चच
ू े ऐसे िसे हए नजर आ रहे थे कि आम िी साइज भी उसिे तने हए
मस्त ठोस चूधचयों से छोटी नजर आ रही थी। वहीं उसिी परानी सी स्िटम उसिे घटनों िे भी ऊपर ति थी,
ब्जसिी वजह से उसिी भरी हई गोरी वपंडमलयां और मोटी-मोटी गदराई जांघें बहत मादि नजर आ रही थीं। रामू
िा लण्ड अपनी बहन िो दे खिर अपनी िोती में परू ा तन चिा था।

11
रामू ने रममया िा हाथ पिड़िर उसे अपने पास खींचते हए पछ
ू ा- “क्यों री माुँ क्या िर रही है घर में?”

रममया- अभी जब मैं आई तो नहा रही थी।

राम-ू वहीं घर िे आुँगन में नहा रही थी क्या?

रममया- हाुँ और दीदी भी उनिे साथ नहा रही थी।

राम-ू दीदी ने क्या घाघरा चोली पहना था?

रममया- नहीं पेटीिोट पहनिर माुँ से अपनी टाुँगें रगड़वा रही थी।

राम-ू अरे दीदी से िह दे िी िभी रामू से भी टाुँगें रगड़वा ले, मैं बहत अच्छी तरह टाुँगें रगड़ता हूुँ।

रममया इठलाते हए- “हटो भैया मझे आम चूसने दो…”

राम-ू “आ मेरी गोद में बैठािर आराम से मैं तझे चसाता हूुँ…”

रममया झट से रामू िी गोद में जैसे ही बैठने जाती है, रामू अपना हाथ उसिी स्िटम में डालिर उसिे भारी-भारी
चूतड़ों से ऊपर उठा दे ता है और कफर उसिे नंगे चूतड़ों िो अपनी जाुँघ पर रखिर उसे प्यार से सहलाता हआ
हल्िे से उसिी तनी हई चधू चयों पर अपने हाथ रखिर उसे दे खने लगता है । रममया आम िो दबा-दबािर उसिा
रस चूस रही थी और रामू रममया िे रसीले होंठों िो दे ख रहा था।

रामू उसिा गाल चम


ू ते हए उसिी चधू चयों िो थोड़ा सा अपने हाथों में भरिर- “अपने भैया िो नहीं चसाएगी?”

रममया अपने भैया िी ओर दे खती हई उसिे मुँह िी ओर आम िर दे ती है । तब रामू आम िो एिदम से


हटािर रममया िे रसीले गलाबी होंठों िो अपने मुँह में भरिर चूसने लगता है , और उसिा हाथ अचानि ही
रममया िी मोटी-मोटी चधू चयों िो शटम िे ऊपर से खूब जोर से मसलने लगता है ।

रममया- “आह्ह… भैया यह क्या िर रहे हो? मझे ददम हो रहा है , छोड़ो ना…”

रामू उसिा मुँह छोड़िर उसिे गाल िो चम


ू ता है । अब रामू से रहा नहीं जा रहा था। उसिा लण्ड परू ी तरह तन
चिा था, लेकिन वह जानता था कि रममया इतनी भोली है कि बहत सोच समझिर उसे चोदना होगा।

रममया आम खाने िे बाद खड़ी होिर एि अंगड़ाई लेती है और बोलती है- “भैया िोई मोटा सा गन्ना दो ना
मझे चूसने िे मलए…”

रामू उसिी बात सनिर अपने लण्ड िो मसलते हए- “रानी बहन गन्ना तो बहत मोटा है पर क्या तू इतना
मोटा गन्ना चूस लेगी?”

12
रममया वहीं गन्ने िे बीच अपने भारी-भारी चूतड़ों िो मटिाते हए टहलने लगती है , और अपनी बहन िी िानतल
िुँ वारी जवानी दे खिर रामू िा मोटा लण्ड पागल होने लगता है । रामू अपनी बहन िी एि छोटी सी स्िटम में
मटिती मोटी गाण्ड दे खिर उसिे पीछे -पीछे बबल्िल उससे सटते हए चलने लगा।

रामू ने रममया िे मोटे -म ोोटे चूतड़ों िो थामते हए उससे पछ


ू ा- “ये इिर-उिर क्या दे ख रही है रममया?”

तब रममया ने िहा- “मैं तो िोई अच्छा सा गन्ना चाहती हूुँ, ब्जसमें खब


ू रस भरा हो, आज मेरा एि मोटा सा
गन्ना चूसने िा मन है …”

रामू िा मोटा लण्ड परू ी तरह तन चिा था। आज वह अपनी बहन रममया िो चोदने िे मलए पागल हआ जा रहा
था। एि तो हररया िािा ने ब्जस तरह से अपनी 16 साल िी धचिनी लौंडडया िो चोदा था, बस उस नजारे िो
याद िरिे रामू िा लण्ड और भी झटिे मार रहा था।

रामू अपनी बहन िी मोटी गाण्ड िी दरार में अपनी एि उं गली हल्िे से दबािर- “मेरी बहन तू इिर-उिर क्या
दे ख रही है, जबिी एि मस्त गन्ना तो मेरे पास है । अगर तू मेरा गन्ना चस
ू ना चाहती है तो बोल?”

रममया- “आपिा गन्ना अच्छा लंबा और मोटा है ?”

राम-ू “एि बार जब तू अपने इन गलाबी होंठों से उसे चूसेगी तो तझे ऐसा मजा ममलेगा कि तू कफर रोज मझसे
िहे गी कि भैया अपना गन्ना अपनी बहन िो चसा दो ना…”

रममया- तो भैया चसाओ ना अपना गन्ना।

राम-ू “अच्छा तो चल मेरे साथ। लेकिन वहाुँ खेत िा िछ चारा दोनों ममलिर िाट लेते हैं…” और कफर रामू
रममया िो लेिर खेत में चारा िाटने लगता है । रामू जानबझ
ू िर अपनी िोती िे साइड से अपने मोटे लण्ड िो
बाहर ननिाल दे ता है ।

रममया उसिे सामने बैठी-बैठी चारा िाटती रहती है िी तभी अचानि रममया िी नजर रामू िे मोटे िाले लण्ड
पर पड़ जाती है, और रममया िा चेहरा एिदम से लाल होने लगता है । रममया अपना थूि गटिते हए बार-बार
उसिे मोटे लण्ड िो दे खती जा रही थी, और रामू नतरछी नजरों से उसिी प्रनतकिया दे ख रहा था।

रामू बड़ा चतर था। जैस-े जैसे रममया उसिे लण्ड िो दे ख रही थी, रामू रममया िी चूत िी िल्पना िरिे अपने
लण्ड िो और खड़ा िर रहा था। रामू िा लण्ड जैस-े जैसे बढ़ने लगा, रममया िी सांसें तेज होने लगी थी। अब
रममया िा यह हाल था कि वह एिटि रामू िे लण्ड िो दे खे जा रही थी।

यही मोिा था कि रामू ने रममया िो आवाज दे िर िहा- “रममया क्या दे ख रही है ?”

रामू िी आवाज सनिर रममया एिदम से घबरा गई और िछ नहीं भैया िरने लगी।

13
रामू ने अपने लण्ड िी ओर दे खा और कफर रममया िो दे खते हए- “तू मेरे लण्ड िो दे ख रही है ?”

रममया- नहीं भैया, मैं िहाुँ दे ख रही हूुँ?

राम-ू सच-सच बता दे तू मेरे लण्ड िो दे ख रही थी ना? अगर सच नहीं बताएगी तो मैं माुँ से तेरी मशिायत
िरूुँगा।

रममया- वो भैया गलती से नजर चली गई।

रामू उसिे पास सरििर- “अब तन


ू े मेरा दे खा है तो अपना भी टदखा, नहीं तो मैं माुँ से बता दुँ ग
ू ा कि तू मेरा
लण्ड दे ख रही थी…”

रममया- नहीं भैया, माुँ से ना िहना नहीं तो वह मारे गी।

राम-ू “तो कफर चल अपनी स्िटम हटािर मझे भी अपनी चत


ू टदखा…” और कफर रामू ने उसे उसिे चत
ू ड़ों िे बल
वहीं बैठा टदया और झट से उसिी स्िटम पिड़िर ऊपर िर दी।

अपनी बहन िी फूली हई गलाबी फांिों वाली चूत दे खिर रामू िा लण्ड लोहे जैसा तन गया। थोड़ा अपने चेहरे
पर गस्से िे भाव लाता हआ बोला- “थोड़ा अपनी जाुँघों िो और फैला…”

रममया ने रामू िी बात सनिर अपनी जाुँघों िो और चौड़ा िर मलया तो उसिी चूत िा गलाबी लपलपाता छे द
दे खिर रामू िा लण्ड झटिे मारने लगा।

रामू ने िीरे से अपने हाथ िो रममया िी रसीली फूली हई चूत पर फेरते हए िहा- “रममया तेरी चूत तो बहत
फूली हई है …”

रममया रामू िे खड़े वविराल लण्ड िो बड़ी हसरत भरी ननगाहों से दे ख रही थी और रामू अपनी बहन िी चूत िी
फांिों िो अपने हाथों से फैला-फैलािर दे ख रहा था। रममया िी चत
ू में बहत मस्ती चढ़ने लगी थी और उसे
अपने भैया िे हाथों से िीरे -िीरे अपनी चूत िरे दवाना बहत अच्छा लग रहा था।

तभी रामू ने अपने हाथ से अपने लण्ड िो पिड़िर टदखाते हए िहा- “अरे रममया मेरा लण्ड तो तेरी चत
ू िो
दे खिर बहत गरम हो रहा है , जरा पिड़िर दे ख…” और कफर रामू ने रममया िा हाथ पिड़िर अपने लण्ड पर
रख टदया।

रममया डरते हए िीरे -िीरे रामू िे लण्ड िो सहलाने लगी और रामू ने रममया िी फूली हई चूत िो दलारना शरू
िर टदया। िछ दे र ति रामू अपनी बहन से अपने लण्ड िो सहलवाता रहा।

14
कफर रामू ने उससे िहा- “चल खाट पर आराम से बैठिर बातें िरते हैं…” और उसिा हाथ पिड़िर खाट पर
लािर बैठा दे ता है । रामू उससे धचपििर लेटिर िहता है - “रममया तझे अच्छा लग रहा है ?”

रममया- हाुँ भैया।

राम-ू तेरी चूत सहलाऊुँ?

रममया उसिी बात िा िोई जवाब नहीं दे ती है और रामू उसिी चत


ू िो िीरे -िीरे सहलाने लगता है और उसिा
हाथ पिड़िर अपने लण्ड पर जैसे ही रखता है िी रममया िसिर अपने भैया िा मोटा लण्ड अपने हाथों में
पिड़ लेती है ।

रामू रममया िे होंठों िो चम


ू ता हआ- “अच्छा यह बता रममया कि अभी तू जब घर से आई थी तब माुँ और दीदी
दोनों परू ी नंगी होिर नहा रही थी क्या?”

रममया- नहीं भैया, दोनों ने पेटीिोट पहन रखा था।

राम-ू अच्छा तो माुँ और दीदी िे दि


ू तो परू े नंगे रहे होंगे ना?

रममया- हाुँ भैया, दोनों िे दि


ू परू े नंगे थे।

राम-ू अच्छा माुँ िे दि


ू ज्यादा बड़े हैं कि दीदी िे?

रममया- बड़े तो दोनों िे हैं, पर माुँ िे िछ ज्यादा मोटे -मोटे हैं।

राम-ू अच्छा क्या तेरे दि


ू भी माुँ और दीदी िे दि
ू िे बराबर हैं?

रममया अपने दि
ू िो दे खिर- “नहीं भैया मेरे तो छोटे हैं…”

रामू अपनी ललचाई नजरों से रममया िी िसी हई चधू चयों िो दे खिर- “पर मझे तो तेरे दि
ू माुँ और दीदी से भी
बड़े नजर आ रहे हैं…”

रममया- नहीं भैया छोटे हैं, चाहो तो खोलिर दे ख लो।

राम-ू “अच्छा टदखा…” और कफर रामू रममया िी शटम िे बटन जल्दी-जल्दी खोल दे ता है और जब वह अपनी
बहन िे मोटे -मोटे बबल्िल ठोस िसे हए दि
ू िो अपने हाथों में भरिर िसिर मसलता है तो उसे मजा आ
जाता है और रममया एि मीठे से ददम िे मारे मसहर जाती है ।

15
तभी अचानि उन्हें गन्ने िी सरसराहट िी आवाज आती है तो दोनों अलग हो जाते हैं, और रममया उठिर खड़ी
होिर दे खने लगती है । तभी सामने से हररया िािा चला आ रहा था। रममया मटिती हई झोपड़ी िी ओर चल
दे ती है ।

रामू खड़ा होिर- “अरे आओ हररया िािा…”

हररया- और बेटा क्या हो रहा है ? अरे बैठा-बैठा बोर हो रहा था, सोचा चलो रामू िे पास ही चलिर बैठेंगे।

राम-ू अच्छा किया िािा जो आ गये और बताओ आज धचलम नहीं लगाए हो िा?

हररया- अरे बेटा धचलम लगाए होते तो अब ति तो हमारा हधथयार लग


ं ी में ही खड़ा होता।

रामू मश्िराते हए- “तो िािा अगर धचलम लगा लो तो हधथयार ज्यादा खड़ा होता है िा?”

हररया- “बेटा ये तो हम नहीं जानते। पर हाुँ इतना जरूर है कि जब हम धचलम लगा लेते हैं तो हमें चोदने िा
बड़ा मन िरने लगता है…”

राम-ू अभी मलए हो िा िािा?

हररया- िा धचलम?

राम-ू हाुँ।

हररया- अरे वो तो हमेशा हमारे साथ ही रहती है, पर लगता है आज तम्हारा मन भी इसे पीने िा िर रहा है ।

राम-ू हाुँ िािा आज हमें भी वपला दो।

हररया- “ठीि है बेटवा, अभी वपला दे ते हैं…” और कफर हररया िािा धचलम तैयार िरिे रामू िो दे ता है और रामू
िस मारना शरू िर दे ता है।

दोनों धचलम पीिर मस्त हो जाते हैं और कफर तभी उिर से रममया पानी लेिर आती है । जब वह पानी वपलािर
जाने लगती है तो उसिे मटिते मोटे -मोटे चत
ू ड़ों िो अपनी लाल आुँखों से घरू ते हए हररया िहता है- “रामू बेटा
अब तम्हारी बहन भी बड़ी लौंडडया नजर आने लगी है । तम तो बेिार ही यहाुँ वहाुँ परे शान हो रहे हो। जरा आस-
पास नजर डालो तो तम्हें बड़ी मस्त-मस्त लौंडडया ममल जाए चोदने िे मलए…”

रामू अपनी बहन िी गदराई जवानी िो दे खिर हररया िो दे खता हआ- “पर िािा हम किसे चोदें ?”

16
हररया- अरे तम्हारी यह रममया है ना बड़ी मस्त लौंडडया लग रही है । मेरा िहा मानो, तम टदन भर इसे लेिर
यही गन्नों िे बीच रहते हो, बड़ा अच्छा मौिा है तम्हारे पास। यहीं लौंडडया िो खूब िस-िसिर पेलो, तम्हारे
तो मजे हो जाएंगे।

राम-ू पर िािा वो तो हमारी बहन है ?

हररया- अरे तम बहन िी बात िरते हो हमने तो अपनी 16 साल िी लौंडडया िी मस्त पेलाई िी है ।

राम-ू क्या बात िर रहे हो िािा?

हररया अपने लण्ड िो मसलते हए- “अरे हम सच िह रहे हैं और ऐसी िुँ वारी लौंडडया िी गलाबी चत
ू में जब
अपना लण्ड पेलते हैं ना तो बड़ा मजा आता है । जब तम अपनी रममया िी गलाबी चूत दे खोगे ना तो उसिी चूत
िो चूसे बबना नहीं रह पाओगे। और कफर तम्हारे घर में तो बहत माल हैं। तम्हारी बड़ी बहन भी मस्त चोदने
लायि हो गई हैं। मौिा अच्छा है दोनों लौंडडया अभी िुँ वारी हैं, किसी भी तरह दोनों लौंडडयों िो चोद डाल…”

राम-ू िािा तम्हें अपनी बेटी चन्दा िो चोदने में बहत मजा आया था?

हररया- अब क्या बताऊुँ राम,ू बहत धचिनी और गलाबी चूत है उसिी। जब उसिी जांघें फैलािर उसिी रस से
भरी फूली चूत दे खता हूुँ तो पागल हो जाता हूुँ। जी भरिर अपनी लौंडडया िी चत
ू चूसता हूुँ और कफर खूब िस-
िसिर उसिी चूत िो अपने मोटे लण्ड से चोदता हूुँ। सच में उसिी िसी चूत में इतना िसा-िसा जाता है मेरा
लण्ड कि क्या बताऊुँ।

राम-ू चन्दा भी खूब िसिे मलपटती होगी आपसे?

हररया- अरे उसे तो हमने अपनी गोद में उठािर उसे अपने लण्ड पर बैठा मलया था और वह हमारी छाती से
धचपिी हई अपने चूतड़ हमारे लण्ड िी ओर ििेल रही थी।

राम-ू पर िािा हम रममया िो चोदने िे मलए िहें िैसे?

हररया- “अरे रममया िो प्यार से अपनी गोद में बैठा ले और कफर उसिी दोनों चूधचयों िो िीरे -िीरे सहलाते हए,
िभी उसिे गालों िो चूम, िभी उसिे होंठों िो चूम ले, और बीच-बीच में उसिी मोटी िसी हई छानतयों िो
िसिर दबा दे और कफर उससे पछ
ू िैसा लग रहा है रममया? और कफर जहाुँ तू उसे थोड़ा गरम िर दे गा वह
खद ही अपनी चूत तेरे सामने खोलने लगेगी। चल बेटवा अब हम चलते हैं, हमारी लौंडडया हमारा इंतजार िर
रही होगी…” और कफर हररया वहाुँ से चला जाता है ।

उसिे जाने िे बाद रामू वहाुँ से खड़ा होिर रममया िे पास जािर खड़ा हो जाता है , और रममया िा हाथ
पिड़िर सहलाते हए- “तू यहाुँ क्यों खड़ी है? चल वहाुँ बैठेंगे…” और कफर रममया िा हाथ पिड़िर खाट िे पास
ले जाता है और उसे अपनी गोद में बैठा लेता है ।

17
रामू उसिे गालों िो चूमता हआ- “मेरी गडड़या रानी इतनी गमी में तू यह शटम अपने सीने पर िैसे िसे रहती
है ? मझे दे ख मैं िेवल अपनी िोती पहने िैसे खली हवा लेता हूुँ। ला तेरी यह शटम िे बटन खोल दे ता हूुँ िछ
हवा लग जाए…” और कफर रामू ने रममया िे बटन खोलने शरू किए।

रममया िसमसाते हए- “भैया िहाुँ गमी लग रही है?”

राम-ू अरे इन्हें हवा लगाना बहत जरूरी है । तन


ू े दे खा नहीं माुँ और दीदी िैसे खोलिर नहा रही थी। तू तो पागल
है मेरी गडड़या, िछ भी नहीं समझती। इनिी तो मामलश भी िरना पड़ती है, नहीं तो इनमें ददम रहता है…” और
कफर रामू उसिी शटम िे बटन खोलने िे बाद उसिे मोटे पिे हए बड़े-बड़े िलमी आमों िी तरह तने हए चच
ू ों
िो अपने हाथों में भरिर जब िसिर मसलता है तो रममया िराह उठती है ।

रममया- “आह्ह… भैया बड़ा ददम हो रहा है…”

राम-ू मैं ना िहता था इनमें ददम रहे गा, इसीमलए तो िह रहा हूुँ िी इनिो हवा लगने दो और मैं इनिी आज
अच्छे से मामलश िर दे ता हूुँ, तो तेरा ददम बबल्िल खतम हो जाएगा। तू एि िाम िर मेरी तरफ मुँह िरिे
अपने पैर मेरे आस-पास िरिे आराम से बैठ जा, मैं तेरी अच्छे से मामलश िर दे ता हूुँ।

रममया अपने भैया िी गोद में जैसे ही बैठती है, उसिी गाण्ड में अपने भैया िा मोटा लण्ड चभने लगता है । पर
वह एिदम से बैठ जाती है , और रामू उसिे भारी चूतड़ों िो पिड़िर अपनी ओर दबा लेता है । अब रामू अपने
हाथों से अपनी बहन िे मोटे -मोटे दि
ू ों िो िस-िसिर मसलने लगता है । और रममया आह्ह… आह्ह… िरती हई
अपने भैया से धचपिने िी िोमशश िरने लगती है । रामू रममया िे रसीले होंठों िो चम
ू ता हआ उसिे दि
ू िो
पागलों िी तरह मसलने लगता है और रममया उसिी बाुँहो में तड़पने लगती है ।

रममया- आह्ह… भैया िीरे दबाओ ना… तम तो ददम ममटाने िी बजाय ददम दे रहे हो।

रामू रममया िे होंठों िो चम


ू िर- “मेरी गडड़या रानी, आज मैं तझे बहत मीठा-मीठा ददम दुँ ग
ू ा…”

रममया उसिी गोद से अपनी गाण्ड उठाते हए अपने हाथों से रामू िा मोटा लण्ड उसिी िोती से बाहर
ननिालिर- “भैया ये मझे चभ रहा है …”

राम-ू “मेरी बहन यह तेरे भैया िा गन्ना है इसे चूसा भी जाता है…”

रममया मश्िरािर- इसे िैसे चूसा जाता होगा भैया?

राम-ू “अरे तू नहीं जानती। सब औरतें सभी आदममयों िा गन्ना बड़े प्यार से चाट-चाटिर चूसती हैं, ले तू भी
इसे अपनी जीभ से चूसिर दे ख…”

रममया- नहीं भैया मैं नहीं चूसुँग


ू ी, मझे अच्छा नहीं लगता है ।

18
राम-ू मेरी प्यारी बहन एि बार चूसिर दे ख, कफर मैं तेरे मलए सद
ं र सी पायल लािर दुँ ग
ू ा।

रममया खश होते हए- “सच िह रहे हो?”

रामू िीरे से उसिी फूली हई चूत पर अपना हाथ रखिर- “मेरी रानी अब चूस भी ले…” और कफर रामू अपने
लण्ड िो रममया िे मुँह में दे िर उसिी चूत िे गलाबी रस से भरे हए छे द में िीरे से एि उं गली डालिर अपनी
बहन िी िुँ वारी चूत िो सहलाने लगता है ।

रममया िो अपने भाई िे लण्ड िो चाटने और चूसने में मजा आने लगता है और वह अपने भाई िे लण्ड िो
अपने हाथों में भरिर खूब दबोच-दबोचिर चूसने लगती है ।

रामू से रहा नहीं जाता है और वह खटटया में लेटिर रममया िी मोटी गाण्ड िो पिड़िर अपने मुँह िी ओर
खींच लेता है और उसे अपनी छाती पर चढ़ािर उसिे चूतड़ों और चूत िी फांिों िो खूब जोर से फैलािर अपनी
बहन िी रसीली चूत िो खब
ू जोर-जोर से चूसने लगता है ।

वहीं रममया अपने भाई िे पेट पर लेटते हए उसिे मोटे लण्ड िो कफर से अपने मुँह में भर लेती है ।

रामू अपनी बहन रममया िी िच्ची िुँ वारी चूत और गाण्ड िो अपने मुँह से चाटने लगता है और उसिी चूत िे
रस िो पीने लगता है ।

रममया- “हे भैया ये क्या िर रहे हो? बहत अच्छा लग रहा है सी… आह्ह… सी… ओह्ह… माुँ मैं मर गई…”

िछ दे र ति रामू अपनी बहन िी चूत िो चाटते हए परू ी लाल िर दे ता है । उसिी चूत में बहत मीठी-मीठी
उठती चदास उसे पागल बना रही थी। रामू ने जैसे ही उसिी चत
ू िे लपलपाते छे द में अपनी जीभ डालिर
िसिर चूसा तो रममया तड़प उठी और अपनी गाण्ड मटिाते हए अपने भैया िा लण्ड अपने हाथों से खूब िस-
िसिर मसलने लगी। रामू ने रममया िी जाुँघों िो बड़े प्यार से सहलाते हए उसे अपनी जाुँघों पर चढ़ा मलया
और कफर अपने लण्ड पर खूब सारा तेल लगािर उसने रममया िी िुँ वारी चूत िे लाल हो चिे छे द में अपना
लण्ड रखिर एि जोर िा झटिा मार टदया और रममया िे मुँह से एि दबी हई चीख ननिल गई। रामू िा परू ा
लण्ड डंडे िी तरह तना हआ आिे से ज्यादा रममया िे चत
ू में फुँस चिा था।

रममया अपनी आुँखें बंद किए िराहती रहती है- “आह्ह… भैया बहत ददम िर रहा है …”

राम-ू “थोड़ा सा ददम होगा कफर दे खना तू खद िहे गी कि भैया और चोदो मझे…” और कफर रामू एि दस
ू रा िक्िा
जोर से मारिर अपने बचे हए परू े लण्ड िो अपनी बहन िी चूत में उतार दे ता है और कफर खूब िस-िसिर
रममया िे िसे हए आमों िो दबा-दबािर उसिे होंठों िा रसीला रस पीने लगता है ।

रममया आह्ह-आह्ह िरती हई अपने चत


ू ड़ों िो िीरे -िीरे अपने भाई िे लण्ड पर मारने लगती है ।

19
रामू अब खूब िस-िसिर रममया िो चोद रहा था। िछ दे र बाद रामू ने रममया िो अपनी गोद में बैठािर उसे
अपने लण्ड पर खड़ा होिर उठा मलया और जब वह रममया िे गोरे -गोरे चूतड़ों िो थामे अपने लण्ड िो उसिी
चत
ू िी जड़ में पेल रहा था तो रममया उसे पागलों िी तरह चम
ू ने लगी थी।

रममया- “हाुँ भैया बहत मजा आ रहा है और चोदो खूब िसिर चोदो अपनी बहन िो… ओह्ह… भैया मैं मर
जाऊुँगी… और मारो खूब मारो भैया…”

रामू ने रममया िो अपने लण्ड पर बैठाए-बैठाए खब


ू िस-िसिर उसिी चत
ू मार-मारिर लाल िर टदया और
कफर रममया िा बदन एिदम से अिड़ गया और उसिी चूत िा परू ा पानी अपने भैया िी गोद में चढ़े -चढ़े ही
ननिल गया। रामू ने रममया िो अपने लण्ड पर खूब जोर से िस मलया और अपने लण्ड िे पानी िी एि
जोरदार वपचिारी रममया िी चत
ू में मार दी। रामू ने रममया िो अपनी गोद में उठाए हए खेत िे ट्यजू वेल िे
पानी से उसिे हाथ, पैर और चूत िो अच्छी तरह िोिर साफ किया।

जब रममया िी चूत िोने िे बाद िछ लाल रं ग िी लाली मलए चमिने लगी तो रामू ने रममया िो दे खिर पछ
ू ा-
“रममया तेरी चूत और चूस,ुँू तझे अच्छा लगा ना?”

रममया- “हाुँ भैया मझे बहत अच्छा लगा…” और मश्िराते हए िहा- “अगर तम्हारा मन िर रहा है तो चाट लो…”

कफर क्या था रामू ने वहीं उसिी टाुँगों िो खूब चौड़ा िरिे उसिी चूत िो पागलों िी तरह चाटना शरू िर
टदया, और िहा- “रममया अब तू जब भी खाना लेिर खेत में आएगी, मैं रोज तझे यहीं अच्छे से चोदुँ ग
ू ा…”

रममया मश्िराते हए- “भैया तम मेरी चूत बहत अच्छी चूसते हो…”

राम-ू “अब मैं रोज तेरी चत


ू इसी तरह चाटूुँगा…” उसिे बाद शाम िो रामू रममया िो अपनी बाुँहो में समेटिर
अपने घर िी ओर चल दे ता है । जब रामू हररया िािा िे खेत िे पास से गजर रहा था तब रामू ने रममया िो
वहीं रोििर िहा- “तू जरा यहीं ठहर, मैं चपिे से दे खता हूुँ िी हररया िािा क्या िर रहा है ?”

रममया वहीं खड़ी रही और रामू ने जब गन्नों िे पीछे छपिर झाुँिा तो हररया िािा अपनी बेटी िी िुँ वारी चूत
िो उसिी जांघें फैला-फैलािर चस
ू रहा था। रामू जल्दी से रममया िा हाथ पिड़िर उिर ले गया और छपिर
उसे टदखाने लगा।

राम-ू “दे ख रममया, हररया िािा िैसे अपनी बेटी िी चत


ू चाट रहे हैं। बस िल इसी तरह मैं खेत में तझे
टदनभर नंगी रखिर तेरी गलाबी बर चाटूुँगा और तझे खूब िस-िसिर चोदुँ ग
ू ा। बोल बहन अपने भैया िा मोटा
गन्ना लेगी?”

रममया- “भैया क्या अपनी बेटी िी भी चूत चाट सिते हैं?”

राम-ू बहन रानी, बेटी क्या अपनी माुँ िी चूत भी चाट सिते हैं।

20
रममया मश्िराते हए- “अरे भैया तम माुँ िी चाटोगे तो माुँ तमसे खश हो जाएगी…”

रामू रममया िे मोटे -मोटे दि


ू िो दबाता हआ- “मेरी रानी पहले तो मैं तम्हारी चत
ू ही चाटूुँगा…” और कफर रममया
िे दि
ू मसलता हआ अपने घर िी ओर चल दे ता है ।

रामू घर पहुँचता है तो सामने उसिी माुँ अपनी साड़ी िो अपनी जाुँघों ति चढ़ाए हए दोनों जाुँघों िो फैलािर
सब्जजयां िाट रही थी और वहीं पास में घर िे अंदर बुँिे झूले में उसिी बड़ी बहन ननम्मो झूला झूल रही थी।

ननम्मो- “क्यों री रममया, आज ज्यादा िाम िर मलया क्या खेत में जो ऐसे मरी-मरी सी चल रही है? क्यों रे
रामू िहीं तन
ू े इसे मारा-वारा तो नहीं?”

राम-ू अरे नहीं दीदी, मैं इसे मारूुँगा तो क्या यह मेरी मार सह पाएगी?

रममया- अरे दीदी, भैया िभी मझे मार सिते हैं क्या?

तभी रामू िी नजर अपनी सजजी िाट रही माुँ पर जाती है जो इनिी बात सनते-सनते अचानि अपने हाथों से
पेटीिोट िे ऊपर से अपनी चूत खजलाने लगती है और रामू बस यह सोचिर मस्त हो जाता है कि जब रममया
िी चूत इतनी पावरोटी जैसी फूली है तो माुँ िी चूत कितनी फूली होगी।

सधिया- “रामू बेटा, चल तू िहाुँ इन लौंडडयों िी बातों में उलझ रहा है । जा हाथ मुँह िो ले और जरा ये प्याज
िाट दे , मैं तेरी पसंद िे पिोड़े बनाती हूुँ…”

राम-ू “अच्छा माुँ…” और कफर रामू घर िे आगन में आ जाता है । रामू आगन में हाथ पैर िोने लगता है ।

तभी झले से उतरिर ननम्मो उसिे पीछे आती है- “क्यों रे राम,ू उिर हररया िािा िे खेत िे आगे वाले आम
िे पेड़ में अममयां लग आई है क्या? बड़ा मनिर रहा है िच्ची-िच्ची अममयां खाने िा…”

राम-ू हाुँ दीदी मन तो मेरा भी िर रहा है पर मैं उस ओर गया नहीं। वपछले हफ्ते दे खा था तब वहाुँ छोटी-छोटी
अममयां लगी हई थी।

ननम्मो- मैं िल तेरे साथ खेत चलती हूुँ कफर सारा टदन आराम से खेत में अममयां खाएंगे।

राम-ू क्या बात है दीदी, बड़ा मन चल रहा है तम्हारा िच्चे आम खाने िा?

ननम्मो उसिे िंिे पर मश्िरािर िक्िा मारते हए- “गन्डे िहीं िे, तू हमेशा अपनी गंदी हरितों से बाज नहीं
आएगा…”

रामू मश्िरािर- “बताओ ना दीदी? मेरा तो खूब मन िर रहा है खट्टे आम खाने िा…”

21
ननम्मो मश्िरािर- “तू तो ऐसे पछ
ू रहा है जैसे मेरा मरद हो, अब हाथ मुँह िो चिा हो तो जल्दी से जा यहाुँ
से, हट मझे बहत जोर से पेशाब लगी है…”

रामू मश्िरािर वहाुँ से हट जाता है और वहाुँ से जाने लगता है ।

तब ननम्मो अपनी सलवार िा नाड़ा खोलिर वहीं मत


ू ने लगती है ।

रामू बड़ा चालाि था, वह िमरे कि एि छोटी सी खखड़िी खोलिर अपनी बड़ी बहन िो मत
ू ते हए दे खने लगता
है । उसे अपनी बहन िे भारी-भारी, गोरे -गोरे मस्त चूतड़ नजर आने लगते हैं और वह अपनी दीदी िी मोटी
गाण्ड दे खिर मस्त हो जाता है और सोचने लगता है िी दीदी िी मोटी गाण्ड तो रममया िे चूतड़ों से भी भारी
और सद
ं र नजर आ रही है, बड़ी मस्त गाण्ड मटिाती है , दीदी जब चलती है तो। जब ननम्मो मत
ू चिी तब रामू
अपनी माुँ सधिया िे सामने पहुँच गया और उसिे सामने बैठिर प्याज िाटने लगा।

सधिया मश्िराते हए- “अरे बेटा खेत में सब िाम बराबर चल रहा है कि िोई परे शानी तो नहीं है ? िोई टदक्ित
हो तो बता। तेरा मन लगा रहता है कि नहीं?”

राम-ू “माुँ मन लगाने िे मलए यह रममया है ना और कफर हररया िािा िे पास भी िभी िभार बैठ जाता हूुँ…”

सधिया- बेटा उस िलमह


ं े से दरू ही रहा िर, नहीं तो अपनी संगनत में ना जाने क्या-क्या मसखा दे गा, बड़ा
बदमाश है । हर औरत पर गंदी नजर मारता है ।

रामू अपनी माुँ िी गदराई जवानी िो दे खता हआ, भोला बनते हए- “गंदी नजर मतलब माुँ?”

सधिया- अरे हर औरत पर चढ़ने िा मन िरता है िमीने िा।

राम-ू नहीं माुँ, मैं तो एि दो बार ही गया हूुँ उनिे पास।

सधिया- अरे बेटा तू नहीं समझेगा उसिी बीबी और उसिी दोनों बेटी उसिे साथ ही सोती हैं।

राम-ू तो क्या हआ माुँ? मैं भी तो अपनी दोनों बहनों और तम्हारे साथ ही सोता हूुँ।

सधिया अपने पल्लू से अपने दि


ू िी गहराइयों में पोंछती हई- “बेटा अभी तू छोटा है तू ये सब बातें नहीं
समझेगा…”

ननम्मो मश्िराते हए- “अरे िाहे िा छोटा है माुँ, इसने तो अिेले ही बड़े-बड़े गन्ने खड़े िर टदए हैं खेतों में…”

सधिया मश्िराते हए- “अरी िलमह


ं ी, तेरा भी खब
ू मनिर रहा होगा अब गन्ना चस
ू ने िा…”

रामू भोला बनते हए- “क्यों दीदी क्या तम्हें गन्ना चूसना है ? मेरे पास बहत बड़ा गन्ना है …”

22
रामू िी बात सनिर रममया एिदम से रामू िो दे खने लगती है ।

सधिया मश्िराते हए- “तू भी बेटा, हररया िािा से िम नहीं है । अब अपनी बड़ी बहन िो तू अपना गन्ना
चूसाएगा?” िहिर सधिया और ननम्मो दोनों मंद-मंद मश्िरा रही थी।

राम-ू “क्यों माुँ, क्या मैं अपना गन्ना नहीं चूसा सिता दीदी िो?”

सधिया- “बेटा अगर तू अपनी बहन िो अपना गन्ना चूसा दे गा तो िल िो तो मझे भी अपना गन्ना चूसने िो
िहे गा…”

राम-ू माुँ तम्हें चस


ू ना हो तो तम्हें भी चसा सिता हूुँ।

उसिी बात सनिर ननम्मो जोर-जोर से हुँसती हई बाहर चली जाती है ।

राम-ू माुँ यह दीदी क्यों हुँस रही है ? मैंने क्या गलत िह टदया?

सधिया- अरे तू छोड़ उसिी बात िो वह तो बदमाश है उससे तो खद ही अब सब्र नहीं हो रहा होगा।

राम-ू “माुँ मझे तो तम्हारी बातें समझ में ही नहीं आती। ये लो प्याज िट चिे हैं, मैं जरा घम
ू िर आता हूुँ…”
और रामू घर िे बाहर चल दे ता है ।

ननम्मो- माुँ, िहां गया राम?


सधिया- “रामू िे सामने ज्यादा ही बेशमी पर उतर आती है, थोड़ा तो ख्याल किया िर…”

ननम्मो- उसे इतना भी भोला ना समझो माुँ, मझे तो उसिी नजरों में बड़ा िमीनापन नजर आने लगा है , दे ख
नहीं रही थी िी िैसे बार-बार अपनी िोती में हाथ लगाने लगा है ।

सधिया हुँसते हए- “तू िभी नहीं सिरे गी। जा जािर आटा लगा मेरी सब्जजयां बन गई हैं…”

***** *****
राम-ू अरे हररया िािा कििर चले जा रहे हो?

हररया- अच्छा हआ रामू तू ममल गया। चल एि-एि िस धचलम िे हो जाएं। वहाुँ उस मंटदर िे पीछे अच्छी
जगह है , वहीं चलिर बैठते हैं।

राम-ू “अरे हररया िािा, इस तालाब में तो अपने गाुँव िी औरतें भी नहाती है ना…”

23
हररया िस मारते हए- “अरे रामू वो जो घाट है ना उसमें हमने िल ही बड़ा मस्त माल नहाते हए दे खा है ,
एिदम परू ा नंगा, अगर तम दे ख लेते तो तम्हारा पानी ननिल गया होता…”

राम-ू ऐसा िौन सा माल था हररया िािा?

हररया- “अरे रामू हम तम्हें नहीं बता सिते, तम्हें बताएंगे तो तम्हें बरा ना लग जाए…”

राम-ू अरे नहीं िािा बताओ हमें क्यों बरा लगेगा?

हररया- इसमलए िी वह माल तम्हारे ही घर िा था।

रामू धचलम िा जोरदार िस मारते हए अपने लण्ड िो मसलिर- “अरे िािा, अब बता भी दो कि आपने हमारी
बहन िो दे खा था या हमारी माुँ िो?

हररया- अब तम िहते हो तो बता दे ता हूुँ, हमने तम्हारी माुँ िो दे खा था।

राम-ू क्या माुँ परू ी नंगी हो गई थी?

हररया- वो जो पेड़ है उसिे पीछे हम छपे थे और तम्हारी माुँ ने पहले अपना जलाउज़ उतारिर मसफम पेटीिोट
पहनिर अपनी गदराई जवानी िो िम से िम आिा घंटा ति रगड़ा, कफर एिदम से इिर-उिर दे खिर परू ी
नंगी हो गई। क्या बताऊुँ राम,ू तम्हारी माुँ िे भारी भरिम चत
ू ड़ों ने मेरा लौड़ा तानिर रख टदया, लेकिन हम
मसफम तम्हारी वजह से मयामदा में रह गये।

रामू अपने मन में- “िािा ब्जस टदन तम्हारी औरत या बेटी हमें चोदने िो ममल गई उस टदन हम उनिी चत

फाड़ ही दें ग…
े ”

हररया- क्या सोचने लगे राम?


राम-ू िािा यही सोच रहे हैं कि आपिी यह धचलम पीने िे बाद हमारा चोदने िा बड़ा मन िरने लगता है ।

हररया- “अरे राम,ू तेरे घर में तो माल ही माल है । तू चाहे तो अपने घर में ही सारा मजा पा सिता है, बस
थोड़ी िोमशश िरिे चोद डाल अपनी बहनों िो, और हम तो िहते हैं िी अगर मौिा लगे तो अपनी माुँ सधिया
िो चोदने िा जगाड़ बना ले, बड़ा ही िसा हआ बदन है तेरी माुँ िा। इतनी उमर में भी दे खना किस तबीयत से
तेरा लण्ड लेगी अपनी चूत में , और सबसे ज्यादा मजा तो तझे उसिी गाण्ड मारने में आएगा। सच तेरी माुँ िी
गाण्ड बहत मस्त है, िल हमने तम्हारी माुँ िी गाण्ड िो सोच-सोचिर अपनी औरत और अपनी बेटटयों िो खूब
हमच-हमच िर चोदा है । बड़ी मस्त है तेरी माुँ, तझे यिीन ना हो तो एि बार उसिे गदराए बदन से धचपििर
दे खना तेरा लण्ड िैसे भनभना जाता है…”

रामू अपने लण्ड िो मसलते हए- “हाुँ िािा वो तो है …”

24
हररया मश्िरािर- “दे ख तेरा लण्ड अभी से अपनी माुँ िी नंगी जवानी िा नाम सनते ही खड़ा होने लगा है ।
सोच जब तू अपनी माुँ िो परू ी नंगी िरिे उसिी गाण्ड और चत
ू मारे गा तब तझे िैसा मजा आएगा?”

राम-ू िािा वह सब तो ठीि है । पर सबसे पहले यह बताओ कि मैं अपनी बहन ननम्मो िो िैसे चोदुँ ?
ू आज
मैंने जब से उसिे गोरे -गोरे मोटे चूतड़ दे खे हैं, मेरा लण्ड बहत खड़ा हो रहा है ।

हररया- अरे इसमें क्या बड़ी बात है ? एि बार तू ननम्मो िो अपना मोटा लण्ड टदखा दे । अब तो वह इतनी गदरा
गई है कि तेरा लण्ड खड़े-खड़े ले लेगी।

रामू हररया िे साथ दम लगाने िे बाद वापस घर आ जाता है और खाना खािर लेट जाता है । उसिे बगल में
एि तरफ रममया और एि तरफ उसिी माुँ सोई हई थी। रामू लेटे-लेटे अपनी माुँ िे भारी चूतड़ों िो दे खता है
और उसे हररया िािा िी बात याद आ जाती है िी तेरी माुँ िे चूतड़ बहत मोटे -मोटे और गदराए हए हैं, टदल
िरता है ऐसे चूतड़ों िो खब
ू िस-िसिर चोदे । रामू िा लण्ड तन चिा था और वह िीरे से अपनी माुँ िे चूतड़ों
से धचपि जाता है और पता नहीं िब उसिी नींद लग जाती है ।

सबह-सबह रामू खेतों में जाने िो तैयार होता है, तभी ननम्मो ने िहा- “माुँ, मैं भी रामू िे साथ खेतों में जा रही
हूुँ, तू दोपहर िो रममया िे हाथ मेरा भी खाना भेज दे ना…” और कफर रामू और ननम्मो खेतों िी ओर चल दे ते
हैं।

ननम्मो अपने गदराए चत


ू ड़ों िो मटिाते हए एि पतले से पीले घाघरे में चली जा रही थी और रामू अपनी बहन
िे चूतड़ों िो दे ख-दे खिर अपनी िोती में अंगड़ाई लेते लण्ड िो मांसल रहा था।

ननम्मो पलटिर रामू से िहती है - “रामू तू इतना िीरे क्यों चल रहा है ?”

राम-ू “िछ नहीं दीदी, बस चलती रहो…” और कफर रामू और ननम्मो अपने खेतों में आ जाते हैं।

ननम्मो- रामू बड़े मोटे -मोटे गन्ने उगा मलए हैं तन


ू े।

राम-ू दीदी तम हाुँ तो िहो, तम्हें ऐसा मोटा गन्ना चसाऊुँगा कि तम भी याद िरोगी।

ननम्मो- “रामू चल पहले िच्ची अममयां तो चखा दे , कफर मैं तेरा गन्ना भी चस
ू लुँ ग
ू ी…”

राम-ू “अच्छा ठीि है चलो…” और कफर रामू खेतों से आगे बढ़ जाता है ।

ननम्मो िछ आगे जािर- “रामू यह रास्ता तो बड़ा सनसान हो गया रे , जब से यहाुँ से बबरजू ने अपनी झोपड़ी
हटाई है िोई इिर फटिता ही नहीं…”

राम-ू वो सामने ही तो पेड़ है दीदी, दे खो तम्हें उसमें आम भी नजर आ रहे होंगे।

25
ननम्मो- रामू तझे आम पसंद हैं?

राम-ू हाुँ दीदी। मैं तो पिे हए आमों िो चूसने िे मलए तड़प रहा हूुँ।

आम िे नीचे पहुँचिर ननम्मो और रामू पत्थर मारिर आम तोड़ने िी िोमशश िरते हैं।

ननम्मो- “अरे रामू ऐसे आम नहीं ममलने वाले हैं। तू एि िाम िर, तू नीचे िछ बबछा ले, मैं अभी चढ़िर
फटाफट तोड़ दे ती हूुँ…” और कफर ननम्मो आम िी एि डाली िो पिड़िर उसमें झूल जाती है ।

ननम्मो अपने दोनों हाथों से डाली िो पिड़िर उसपर अपने पैर लटिा लेती है, ब्जसिे िारण उसिी परू ी िमर
से लेिर पैर ति रामू िे सामने एिदम से नंगे हो जाते हैं। और रामू अपने लण्ड िो अपनी बहन िी मोटी
जाुँघों और भारी चूतड़ों िो दे खिर मसलने लगता है ।

ननम्मो- रामू जरा मझे सहारा दे िर ऊपर चढ़ा दे ।

रामू तो जैसे तैयार ही खड़ा था। वह झट से अपनी दीदी िी गदराई जवानी िो अपने हाथों में थाम लेता है।
उसिा हाथ सीिे उसिी बहन िी मोटी गाण्ड िी गहरी दरार में चला जाता है और रामू िा लण्ड अपनी बहन िे
गठीले बदन िो छूिर गदगद हो जाता है ।

ननम्मो- हाुँ रामू थोड़ा और ऊपर उठा।

रामू ननम्मो िी मोटी गाण्ड िो परू ी तरह अपने हाथ में भरिर दबोचते हए ऊपर िी ओर उसिी गाण्ड िो अपने
हाथों से सहारा दे िर ऊपर उठाने लगता है , और कफर ननम्मो उसिे ऊपर वाली डाली पिड़िर उस डाली पर खड़ी
हो जाती है । वह जैसे ही खड़ी होती है उसिी फूली हई चूत और उसिी दरार रामू िो नजर आने लगती है और
वह अपने हाथ से अपने लण्ड िो मसलने लगता है । ब्जस डाल पर ननम्मो खड़ी थी वह ज्यादा ऊंची नहीं थी
और ननम्मो ने जब अगली डाल पर चढ़ने िी िोमशश िी तो उसिी चूत परू ी तरह से धचर गई और रामू ने जब
अपनी बड़ी बहन िी चूत िा गलाबी छे द दे खा तो उसिे मुँह में पानी आ गया और उसिा टदल िरने लगा िी
अभी अपनी बहन िे घाघरे में अपना मुँह डालिर उसिी चत
ू िो चस
ू डाले।

ननम्मो जल्दी-जल्दी अममयां तोड़िर फेंिने लगी, और रामू ने उन्हें जमािर मलया।

उसिे बाद ननम्मो उतरने िे मलए नीचे वाली डाल पर आ गई और कफर रामू से िहा- “ला अपने हाथ िा सहारा
दे , मैं उतर जाती हूुँ…”

रामू ने झट से ननम्मो िी ओर अपनी बाुँहे बढ़ा दी और उसे अपनी गोद में लेिर उतारने लगा।

ननम्मो उसिी गोद में आ गई और मश्िराते हए िहा- “क्या बात है राम,ू तू तो अपनी बहन िो अपनी गोद में
लेने लायि हो गया है…”

26
राम-ू दीदी तम अपने भाई िो क्या समझती हो? जरूरत पड़े तो मैं अपनी माुँ िो भी अपनी गोद में उठा लुँ ग
ू ा।

ननम्मो- “अच्छा इतना बड़ा मदम हो गया है त?


ू पहले अपनी बड़ी बहन से ही ननपट ले, कफर माुँ ति जाना। चल
अब खेत पर बैठिर आराम से अममयां खाएगे…”

और खेत पर पहुँचते ही ननम्मो खाट िो उठािर एि किनारे रखिर िम्म से उसपर अपनी टाुँगें फैलािर बैठ
जाती है और बोलती है- “भैया जरा पानी वपला दे बहत थि गई हूुँ…”

रामू उसिे मलए पानी भर िे लाता है और वह जल्दी से पानी पीने लगती है । उसिे पानी िी धगरती िार से
उसिे बड़े-बड़े लाल चोली में िसे उसिे मोटे -मोटे आम परू े चमिने लगते हैं। ननम्मो पानी पीिर िच्चे आम
खाने लग जाती है ।

उिर रामू वहीं खेत िे किनारे िी घास िाटने लगता है । रामू ननम्मो िे ठीि सामने बैठिर घास िाट रहा था,
उसिे बदन पर िोई िपड़ा नहीं था और उसिा बमलष्ट शरीर िूप में चमि रहा था। उसने नीचे चड्डी िी लंबाई
िी एि िोती पहनी हई थी और वह बड़ी हसरत भरी नजरों से अपनी बहन िो दे ख रहा था। ननम्मो अपने
गलाबी होंठों िो बार-बार गीला िरिे जब िच्चे आम खािर मुँह बनाती तो रामू िा टदल िरता िी उसे वहीं
मलटािर खूब तबीयत से अपनी दीदी िो चोद दे ।

रामू चपचाप घास िाटता रहा। कफर उसे एिदम से हररया िािा िी बात याद आ गई कि अपनी दीदी िो अगर
अपना मोटा लण्ड टदखा टदया जाए तो शायद उसिी चत
ू में भी िछ िलबलाहट होने लगे। रामू ने िीरे से
अपनी िोती िो एि तरफ से िछ ढीला िर टदया। उसिा लण्ड पहले से ही िछ उठा हआ था और िोती ढीली
होने पर लण्ड ने अपनी जगह से सरििर नीचे झूलना शरू िर टदया, साथ में रामू िे बड़े-बड़े अंडे भी उसिे
लण्ड िे साथ नजर आने लगे और रामू अंजान बना हआ अपना िाम िरने लगा।

ननम्मो- “रामू बहत मस्त अममयां हैं, खाएगा?” और कफर ननम्मो ने जो नजारा दे खा उसिा मुँह खला िा खला
ही रह गया और वह अपने भाई िा वविराल लण्ड दे खिर है रान रह गई। एि बार उसने रामू िे चेहरे िी ओर
दे खा और कफर अपने सख
ू े होंठों पर जीभ फेरते हए अपने मुँह िा थूि गटि िर रामू िे मोटे लण्ड िो दे खने
लगी।

दो ममनट में ही रामू िे लण्ड ने अपना असर टदखाना शरू िर टदया और ननम्मो अपनी दोनों जाुँघों िो तो पहले
ही फैला िर बैठी थी और कफर वो अपने घाघरे िे ऊपर से ही अपनी िुँ वारी चत
ू िो मसलते हए अपने भाई िे
लण्ड िो दे खने लगी। रामू िे लण्ड िा सपाड़ा बबल्िल सख़्त आलू िी तरह नजर आ रहा था ब्जसे दे खिर
ननम्मो िी िुँ वारी बर पननयाने लगी थी।

रामू चारा िाटते हए- “दीदी अममयां ही खाती रहोगी या गन्ना भी चूसना है ?”

ननम्मो- “रामू तेरा गन्ना तो बहत मस्त है…” और रामू जैसे ही उसिी ओर दे खता है वह दस
ू री ओर दे खने
लगती है ।

27
राम-ू अरे दीदी एि बार चस
ू िर दे खो इतने रसीले गन्ने हैं, बहत ममठास है इनमें।

ननम्मो- हाुँ वो तो दे ख ही रही हूुँ। पर थोड़ी और अममयां खा लुँ ू कफर आज तेरा गन्ना चूसने िा मन है ।

रामू िा मोटा लण्ड और उसिा सख़्त टोपा दे खिर ननम्मो िी चूत में बहत खजली होने लगी थी और वह
अपनी ललचाई नजरों से अपने भाई िे लण्ड िो दे खती हई िेररयों िा मजा ले रही थी, साथ ही बीच-बीच में
अपनी चत
ू िो भी मांसल दे ती थी।

रामू जैसे ही चारा िाटिर उठता है, ननम्मो खाट पर दोनों जाुँघों िो फैलािर बैठी-बैठी- “अरे भैया, जरा मेरे पैर
िे तलवों में दे ख तो क्या िोई िाुँटा चभा है? यहाुँ ददम सा लग रहा है…”

रामू झट से उसिे पास आिर- “िौन से पैर में दीदी?”

ननम्मो खाट पर बैठे हए अपने एि पैर िो ऊपर उठािर रामू िो टदखाती है । रामू वहीं खाट िे पास नीचे उिड़ू
बैठिर ननम्मो िे पैर िो पिड़िर दे खने लगता है ।

ननम्मो- नजर आया?

राम-ू अरे दीदी जरा पैर थोड़ा और उठाओ ना।

ननम्मो अपने पैर िो और ऊपर उठा दे ती है और रामू िी नजर जैसे ही अपनी बहन िे घाघरे िे अंदर जाती है ,
वह अपनी दीदी िी फूली हई िुँ वारी चूत दे खिर मस्त हो जाता है । रामू अपने मन में - “वाह… कितनी फूली हई
और मस्त चत
ू है दीदी िी। इसिी चत
ू तो रममया िी चत
ू से भी ज्यादा गदराई और बड़ी लग रही है…”

ननम्मो वहीं लेटिर- “भैया आराम से दे ख िहाुँ लगा है िाुँटा? तब ति मैं थोड़ा आराम िर लेती हूुँ…”

रामू खश होता हआ- “हाुँ हाुँ दीदी, तम आराम से लेट जाओ मैं अभी तम्हारा िाुँटा ढूुँढ़ लेता हूुँ…” और कफर रामू
ने िीरे से अपनी दीदी िे पैरों िी उं गमलयों िो सहलाते हए िभी अपनी बहन िी परू ी टांग उठािर उसिी मस्त
गलाबी चूत िो दे खता है, िभी उसिी टाुँगें मोड़िर, और िभी एिदम से घाघरे िे अंदर ति झाुँििर अपनी
बहन िी रसीली चूत िी खश्बू िो सघ
ूं ने िी िोमशश िरता है ।

ननम्मो जानती थी कि उसिा भाई उसिी िुँ वारी चूत िो दे ख रहा होगा। यह सोचिर उसिी चूत से खूब पानी
बहने लगा था, और वह अपने हाथों िो िीरे -िीरे अपने सीने पर फेरने लगी थी। रामू ब्जतने प्यार से अपनी
बहन िे पाुँव सहला रहा था, ननम्मो िी िुँ वारी बर उतना ही पानी छोड़ रही थी। उसिी नजर िे सामने उसिे
भैया िा मोटा लण्ड और उसिा सख़्त आलू जैसा टोपा नजर आ रहा था।

ननम्मो- “क्यों रे राम,ू तन


ू े सना है हररया िािा िे बारे में माुँ जो िह रही थी?”

28
राम-ू क्या दीदी?

ननम्मो- अरे वही कि वह अपनी बीबी और अपने बेटटयों िे साथ ही रात िो सोता है ।

राम-ू तो क्या हआ दीदी, इसमें िौन सी बड़ी बात है?

ननम्मो- “अरे पागल, उसिी बड़ी बेटी तो अपने मरद िो छोड़िर दो साल से हररया िािा िे साथ ही सोती है ,
मझे तो लगता है िी हररया िािा अपनी बेटी िे ऊपर भी चढ़ जाता होगा…”

रामू नादान बनते हए- “मझे क्या पता दीदी, मैंने तो उसिी बड़ी बेटी िो इिर खेतों िी तरफ दे खा ही नहीं, हाुँ
मैंने उसिी 16 साल िी छोटी बेटी चन्दा िो जरूर एि टदन हररया िािा िी गोद में बैठे दे खा था…”

ननम्मो रामू िी बात सनिर चौंिते हए- “क्या हररया िािा ने चन्दा िो अपनी गोद में चढ़ा रखा था?”

राम-ू हाुँ दीदी।

ननम्मो- और क्या िर रहा था वह?

रामू नादान बनते हए- “क्या पता दीदी, हररया िािा िे पास तेल िी िटोरी रखी थी और चन्दा उनिी गोद में
चढ़ी बैठी थी।

ननम्मो- “तो तझे दे खिर हररया िािा ने उसे अपनी गोद से नहीं उतारा?”

राम-ू दीदी मैं तो उन्हें गन्ने िे पीछे से छपिर दे ख रहा था।

ननम्मो- अच्छा, चल रामू हम भी छपिर दे खें कि हररया िािा अभी क्या िर रहा है ?

राम-ू नहीं दीदी, हमिो वह दे ख लेगा तो टदक्ित हो जाएगी।

ननम्मो- अरे तू तो बेिार घबरा रहा है । हम दोनों गन्ने िे पीछे बबल्िल छपिर दे खेंगे।

रामू िछ सोचिर- “अच्छा तम िहती हो तो चलो, लेकिन तम बबल्िल मेरे िरीब धचपििर रहना नहीं तो
उनिी नजर हम पर पड़ जाएगी…”

ननम्मो- “बबल्िल ठीि अब चल जल्दी…” और कफर ननम्मो और रामू हररया िे खेत िी ओर चल दे ते हैं।

जब वह दोनों खेत िे पास पहुँच जाते हैं तो रामू ननम्मो िो िीरे -िीरे आगे बढ़ने िो िहता है और ननम्मो िे
भारी चूतड़ों िो रामू सहलाते हए मजा ले रहा था। उसिा लण्ड ननम्मो िी गदराई चूत दे खने और अब उसिे
मोटे -मोटे चूतड़ों िो सहलाने से परू ी तरह तन चिा था। ननम्मो जैसे ही रुिने िो होती, तो उसिी गाण्ड िी

29
मोटी दरार में रामू िा मोटा लण्ड एिदम से िंसने लगता था। जब वह दोनों िीरे -िीरे आगे बढ़ते तो रामू िा
लण्ड अपनी बहन िे घाघरे से सीिे उसिी गदा िो छू रहा था और ननम्मो समझ गई थी कि रामू िा लण्ड
उसिी चत
ू दे खिर खड़ा हो चिा है और वह उसिी गाण्ड में घसने िो तड़प रहा है ।

तभी ननम्मो िो हररया िािा िी खाट नजर आती है और थोड़ा आगे दे खने पर हररया िािा चन्दा िो अपनी
झोपड़ी िे एि िोने में लेिर बैठा था और उसिे छोटे -छोटे दि
ू िो परू ा नंगा किए हए उनपर तेल मामलश िर-
िरिे उन्हें दबोच रहा था।

रामू ननम्मो िो िमर से एिदम से पिड़िर अपने मोटे लण्ड िो उसिी गाण्ड में एिदम से िसिर दबाते हए
बोले- “दीदी यहीं रुि जाओ नहीं तो उनिी नजर हम पर पड़ जाएगी…”

ननम्मो- आह्ह… रामू यह हररया िािा क्या िर रहा है?

रामू अपनी बहन िी गाण्ड में अपना लण्ड उसिे घाघरे िे ऊपर से दबाते हए- “पता नहीं दीदी, ऐसा तो वह रोज
ही िरता है …”

ननम्मो- “दे ख राम,ू चन्दा कितनी खश हो रही है लगता है उसे बहत मजा आ रहा है …”

राम-ू दीदी यह तो िछ भी नहीं, हररया िािा तो िभी-िभी उसे परू ी नंगी िरिे भी तेल लगाता है ।

ननम्मो- “दे ख तू चन्दा िो दे ख िैसे अपने बाप िी गोद में बैठी-बैठी मस्ता रही है …”

राम-ू दीदी अब चलें?

ननम्मो- अरे थोड़ी दे र तो दे खने दे , और क्या िरता है?

रामू अपने लण्ड िो ननम्मो िी मोटी गाण्ड थामे हए उसिी मोटी गाण्ड में गड़ाए जा रहा था।

ननम्मो- आह्ह… रामू ये मेरे पीछे क्या चभ रहा है?

राम-ू “िछ नहीं दीदी, यह गन्ना चभ रहा है । तम ऐसे ही थोड़ा सा झि जाओ मैं दे खता हूुँ…”

ननम्मो वहीं खड़ी-खड़ी थोड़ा झि जाती है और रामू अपने लण्ड िो हटािर बड़े प्यार से अपनी बड़ी बहन िी
गदराई मोटी गाण्ड और उसिी गदा में अपनी उं गमलयां फेरते हए- “दीदी अब तो नहीं चभ रहा है ना गन्ना?”

ननम्मो- हाुँ, अब नहीं चभ रहा है ।

30
राम-ू “पर तम जब ति झिी रहोगी यह नहीं चभेगा। पर जब सीिी हो जाओगी तो कफर से तम्हारे पीछे चभेगा,
क्योंिी यह एि मोटा गन्ना है जो परू ी तरह तना हआ है , और तम जैसे ही सीिी होगी यह कफर से तम्हें चभने
लगेगा…”

ननम्मो- “िोई बात नहीं चभने दे , मझे सीिी होने दे । मैं िब ति झिी खड़ी रहूुँगी?” और जैसे ही ननम्मो सीिी
होने िो होती है रामू अपने लण्ड िो कफर से ननम्मो िी मस्त मांसल गाण्ड में फुँसािर िसिर दबा लेता है
और ननम्मो- “आह्ह… भैया चभ तो रहा है पर मैं सह लुँ ग
ू ी। तू चपचाप मझे पीछे से अच्छे से पिड़ ले। िहीं
मेरा पैर आगे िी ओर कफसल ना जाए…”

रामू िसिर अपनी बहन िी गाण्ड िो थामिर अपने मोटे लण्ड िो खूब तबीयत से उसिी गदा में फुँसाए खड़ा
हो जाता है ।

जैस-े जैसे तेल लगा-लगािर हररया िािा चन्दा िे दि


ू मसलता जाता है, ननम्मो िी चूत से पानी बहने लगता
है । ननम्मो मजे से वह नजारा दे ख रही थी।

उिर रामू िा टदल िर रहा था कि अभी अपनी बहन िा घाघरा उठािर अपना मोटा लण्ड उसिी गलाबी फूली
हई चूत में पेल दे । वह अपनी बहन िी मस्त गाण्ड िो थामे िीरे -िीरे इस तरह से टहलने लगा, जैसे वह अपनी
बहन िी गाण्ड मार रहा हो। ननम्मो थोड़ा सा झि गई थी और रामू िे लण्ड िो रगड़ने से उसिा लण्ड थोड़ा
नीचे सरििर एिदम से ननम्मो िी चूत िे छे द में घसने लगता है । बस रामू िी पतली सी िोती और ननम्मो
िा पतला सा घाघरा बीच में फुँसा था, नहीं तो रामू िा मोटा लण्ड अपनी बहन िी िुँ वारी गलाबी चूत िो
फाड़िर अब ति अंदर घस चिा होता।

ननम्मो िी चूत िे लपलपाते रस छोड़ते छे द पर जैसे ही रामू िा लण्ड फुँसता है , ननम्मो िी चूत से पानी िी
िार बह ननिलती है और उसिी चत
ू िा पानी िीरे -िीरे ररस-ररसिर उसिी मोटी जाुँघ से होता हआ उसिी गोरी
वपंडमलयों ति पहुँचने लगता है ।

राम-ू दीदी अब चलें?

ननम्मो- रुि जा राम,ू इतनी हाय-तोबा क्यों मचा रहा है ? दे ख कितना मजा आ रहा है ?

रामू अपनी बहन िी गाण्ड में अपना लण्ड दबाते हए, उसिे िान िे पीछे से उसिी सरहीदार गदम न िो चम
ू िर
बोला- “ओह्ह… दीदी यह तम क्या दे ख रही हो? अब चलो यहाुँ से क्योंिी हररया िािा अभी ना जाने िब ति
अपनी बेटी िा दि
ू इसी तरह दबाता रहे गा…”

ननम्मो रस से परू ी गीली हो चिी थी। उसने रामू से पछ


ू ा- “अच्छा यह बता चन्दा िे दि
ू ज्यादा बड़े हैं या मेरे?”

राम-ू अब दीदी मैंने िहाुँ आपिे दि


ू दे खे हैं कि मैं बता दुँ ?

ननम्मो मश्िरािर- “तो क्या तेरा अपनी बहन िा दि


ू दे खने िा मन िर रहा है?”

31
राम-ू नहीं दीदी वो… ऐसी बात नहीं है ।

ननम्मो- अच्छा मझे यह बता कि हररया िािा और क्या िरता है चन्दा िे साथ?

रामू जब अपने लण्ड िो अपनी दीदी िे पीछे से हटािर दे खता है तो ननम्मो िा लहुँगा जहाुँ रामू लण्ड दबाए था
वहाुँ से परू ा गीला हो चिा था। रामू उसी गीली जगह पर अपने लण्ड िो रखिर िसिर अपनी बहन िी चत
ू से
अपने मोटे लण्ड िो मभड़ा दे ता है ।

ननम्मो- “आह्ह… रामू क्या िर रहा है ? मैं धगर जाऊुँगी। थोड़ा िसिर मेरे चूतड़ों िो थाम ले भैया…” और कफर
ननम्मो वापस सामने िी ओर दे खने लगती है ।

अब रामू ननम्मो िी मोटी-मोटी जाुँघों और गाण्ड पर अपना हाथ फेर-फेर िर अपनी बहन िी गदराई जवानी िा
मजा लेने लगता है ।

तभी हररया िािा चन्दा िो अपनी गोद में उठािर उसे झोपड़ी िे अंदर लेिर चला जाता है ।

ननम्मो- रामू यह चन्दा िो उठािर अंदर क्यों ले गया?

राम-ू दीदी अब वह चन्दा िो अंदर लेजािर परू ी नंगी िरे गा, अब तम चलो यहाुँ से िोई हमें दे ख लेगा तो ना
जाने क्या सोचेगा?

ननम्मो मश्िराती हई- “क्या सोचेगा राम?


ू यही ना कि रामू अपनी दीदी से धचपििर खड़ा हआ था…"

राम-ू “अरे दीदी तम नहीं समझती हो। लोग यह नहीं िहें गे, लोग िछ और ही िहें गे…” और रामू उसिा हाथ
पिड़िर अपने खेतों िी ओर चल दे ता है ।

ननम्मो िी परू ी चूत भीग चिी थी और वह बहत चदासी हो चिी थी, वह चलते-चलते रामू िे ऊपर झूमती हई
बोली- “बता ना रामू लोग हमें दे खिर क्या िहें ग?
े ”

राम-ू “ओफ्फहो दीदी, अब मैं तमसे िैसे िहूं?”

ननम्मो मश्िरािर उसिा गाल चूमते हए- “क्यों मझसे तझे शमम आती है क्या? तू जानता है कि तझे तो अभी
िछ सालों पहले ति मैंने अपनी गोद में नंगा ही घमाया है , और तू अब थोड़ा बड़ा क्या हो गया िी मझसे शमाम
रहा है । चल बता ना लोग क्या िहें ग?
े ”

रामू उसिी ओर दे खिर- “दीदी लोग समझेंगे कि मैं तम्हें … …”

ननम्मो मश्िराते हए- “क्या मैं तम्हें ? आगे बोल…”

32
राम-ू “यही कि मैं तम्हें चोद रहा हूुँ, जैसे हररया िािा अभी चन्दा िो झोपड़ी िे अंदर परू ी नंगी िरिे चोद रहे
होंगे…”

ननम्मो रामू िो मश्िरािर दे खते हए- “रामू तू कितना बेशमम है , अपनी बहन िे साथ ये सब िरना चाहता है ?”

रामू एिदम से सिपिा िर- “मैंने ऐसा िब िहा दीदी? मैं तो यह बता रहा था कि गाुँव िे लोगों िो बात िा
बतंगड़ बनाते दे र नहीं लगती है …”

ननम्मो खाट में टांग फैलािर बैठी थी और अपनी चोली िे ऊपर िे दो बटनों िो खोलिर- “हे रामू कितनी गमी
होने लगी है , मन िर रहा है िी ठं डे पानी से नहा लुँ …
ू ”

रामू अपनी बहन िे मोटे -मोटे तने हए पपीतों िी तरह चूधचयों िो दे खिर अपनी िोती िे ऊपर से अपने लण्ड
िो मसलने लगता है ।

ननम्मो रामू से िहती है- “मझे बहत गमी लग रही है , थोड़ा पानी बाल्टी में भरिर ले आ, मैं जरा हाथ पैर ही
िो लुँ ू बड़े जल रहे हैं…”

रामू एि बाल्टी में पानी भरिर एि बड़े से पत्थर िे पास लािर रख दे ता है और ननम्मो कफर अपने भारी-भारी
चूतड़ों िो मटिाती हई उस पत्थर पर जािर बैठ जाती है और कफर िीरे -िीरे अपने घाघरे िो ऊुँचा िरती हई
उसे जाुँघों ति चढ़ा लेती है।

रामू िा लण्ड यह दे खिर और भी तन जाता है िी उसिी बड़ी बहन िी गोरी वपंडमलयां और मोटी जांघें बबल्िल
उसिी माुँ िे पैरों िी तरह नजर आ रही थी। रामू समझ गया था कि अगर ननम्मो दीदी िो चोदने िो ममल
जाए तो मजा आ जाएगा, वह परू ी भरी परू ी औरत बन चिी है और उसिी चूत भी कितनी फूली हई है ।

ननम्मो अपने पैर रगड़ते हए- “ये राम,ू वहाुँ क्या बैठा है जरा मेरे पास आ…”

रामू अपनी जवान रसीली बहन िी गदराई जवानी िा रस अपनी आुँखों से पीता हआ उसिी ओर चल दे ता है
और उसिे पास पहुँचिर- “हाुँ दीदी क्या है?”

ननम्मो- “भैया मैंने पैर िो मलए हैं…” और कफर ननम्मो ने अपनी एि टांग वहीं पत्थर पर बैठे-बैठे उठािर रामू
िो टदखाती हई- “जरा दे ख ना अब क्या िहीं िाुँटा नजर आ रहा है ?”

रामू अपनी बहन िे सामने उिड़ू बैठ जाता है और ननम्मो एि ऊंचे पत्थर पर चढ़ािर अपनी टांग उठािर अपने
भाई िे हाथ में थमा दे ती है । रामू जैसे ही उसिी गोरी टांग िो पिड़िर दे खता है तो उसिी नजर सीिे ननम्मो
दीदी िी गलाबी फूली हई रसीली चत
ू पर पहुँच जाती है , और वह अपनी दीदी िी मस्त चत
ू िो इतने िरीब से
दे खिर पागल हो जाता है ।

33
ननम्मो मंद-मंद अपने भाई िो दे खिर मश्िराते हए- “भैया ममला क्या िाुँटा?”

रामू एि नजर अपनी बहन िे गदराए ब्जश्म िो दे खिर- “नहीं दीदी अभी नहीं ममला, दे खता हूुँ…” और रामू कफर
से अपनी बहन िी गलाबी चूत िो दे खने लगता है ।

ननम्मो- “क्या हआ भैया जल्दी िर ना…”

राम-ू अरे दीदी चपचाप बैठी रहो, अब िाुँटा ढूुँढ़ने में िैसी जल्दी?

ननम्मो- रामू तू समझता नहीं है , थोड़ा जल्दी ढूुँढ़ ले।

राम-ू “अच्छा… दे ख रहा हूुँ…” और रामू उसिी गोरी टाुँगों िो उठािर और अच्छे से जब फैलािर दे खता है तो
अपनी बहन िी चूत िा गलाबी छे द, जो चूत रस से परू ा गीला हो गया था, उसे साफ नजर आने लगता है और
यहाुँ ति िी उसे अपनी दीदी िी मोटी गाण्ड िा छे द भी नजर आ जाता है । और रामू ऐसी मोटी-मोटी फांिों
िो दे खिर पागल हआ जा रहा था।

ननम्मो एिदम से उससे टांग छड़ािर- “रामू िब से िह रही हूुँ जल्दी ढूुँढ़, मझे बहत जोरों िी पेशाब लगी है…”
और कफर ननम्मो उसिो दे खिर- “चल अब थोड़ा पीछे सरि, कि तेरे ऊपर ही मत ू दुँ ?

उसिी बात सनिर रामू वहीं बैठा-बैठा थोड़ा पीछे सरि जाता है और तभी वह होता है ब्जसिी उसने िल्पना भी
नहीं िी थी। ननम्मो वहीं पत्थर पर उिड़ू बैठिर अपने घाघरे िो थोड़ा ऊपर िरिे एि जोरदार िार सीिे रामू
िी ओर मारने लगती है, और रामू अपनी बहन िी खली चूत से ननिलती मोटी िार िो दे खिर जैसे पागल हो
जाता है । ऊंचे पत्थर पर उिड़ू बैठने िी वजह से ननम्मो िी चूत िी फूली हई फांिें बबल्िल खलिर चौड़ी हो
जाती हैं, और उसिी चत ू िे गलाबी छे द िे थोड़ा ऊपर से एि मोटी मतू िी िार धगरने लगती है ।

रामू अपनी बहन िी ऐसी चदासी हरित और इतनी गदाज और रसीली चूत दे खिर एिदम से सन्न रह जाता है
और उसिा ध्यान उस समय भंग होता है जब ननम्मो िी चूत से पेशाब रुि-रुि िर ननिलते हए बद
ुँू ों में
तजदील हो जाती है । वह अपने मुँह िो उठािर ननम्मो िी ओर दे खता है ।

ननम्मो उसिो दे खिर िहती है - “दे ख मलया राम,ू अगर तू जरा भी दे र िरता तो मैं सीिे तेरे मुँह में मत
ू चिी
होती…” और कफर ननम्मो ने रामू िे सामने ही अपनी जांघें फैलाए हए अपनी चूत में पानी िे छींटे मारिर उसे
एि बार अच्छे से सहलाती है और कफर अपने घाघरे से चत
ू में लगे पानी िो अच्छे से पोंछ लेती है ।

अपनी बहन िी इस हरित से रामू तड़प उठता है ।

ोूिर ननम्मो उस पत्थर से उठिर अपने भारी-भरिम चूतड़ों िो मटिाते हए खाट पर जािर बैठ जाती है और
मंद-मंद मश्िराते हए- “अब वहीं बैठा रहे गा या यहाुँ भी आएगा। ला अब एि अच्छा मोटा सा गन्ना मझे दे दे ,
मेरा मन गन्ना चूसने िा बहत िर रहा है …”

34
***** *****
सधिया रममया पर बबगड़ते हए- “घोड़ी एि घंटे से बैठी-बैठी एंडड़यां रगड़ रही है , और घर िा सारा िाम जैसा िा
तैसा पड़ा है । और एि वह घोड़ी है जो टहनटहनाती हई खेत घम
ू ने गई है, ये नहीं कि घर िे िाम ननपटाए…”

रममया- माुँ तम भी क्या सबह-सबह शरू हो जाती हो, ठीि से नहाने भी नहीं दे ती।

सधिया- “खूब नघस-नघस िर नहा ले िमीनी, तेरा यार खड़ा है तझे ले जाने िे मलए। सरू ज मसर पर चढ़ गया है
और यह िहती है अभी तो सवेरा है । जल्दी से िपड़े पहन और जा, जािर रामू िो खाना दे िर आ। टदन दोगनी
रात चौगनी बढ़ रही है , लगता है तेरा जयाह ननम्मो से भी पहले िरना पड़ेगा…”

रममया इिर खाना लेिर जब हररया िे खेत िे पास से गजरती है तो उसे चन्दा और उसिी माुँ िाममनी नजर
आ जाती हैं।

िाममनी- क्यों रे रममया, क्या लेिर चली जा रही है?

रममया- अरे िछ नहीं चाची, रामू भैया िे मलए खाना लेिर जा रही हूुँ।

िाममनी- और तेरी माुँ िैसी है ? आजिल तो घर में ही घसी रहती है । िई टदनों से खेतों िी तरफ नहीं आई।

रममया- अरे चाची, उसे जब घर िे िामों से फसमत ममलेगी तभी तो इिर आएगी।

िाममनी- अच्छा आज तो ननम्मो आई है ना?

रममया- हाुँ। वह तो सबह ही भैया िे साथ आ गई थी।

िाममनी- अच्छा जरा ननम्मो िो भेज दे ना, िहना चाची िो िछ िाम है ।

रममया वहाुँ से जब जाने लगती है तो िाममनी उसिी बदली हई चाल दे खिर िछ सोचने लगती है और कफर
मश्िराते हए- “चन्दा दे खा तन
ू े रममया िो? आजिल तो इसिी चाल ही बदल गई है । दे ख िैसे अपनी मस्तानी
गाण्ड टहला-टहलािर चल रही है …”

चन्दा भोली बनते हए- “पर माुँ रममया ऐसे क्यों चल रही है ? क्या उसिे पैर में चोट आई है ?”

िाममनी उसिे गालों िो मश्िरािर मसलते हए- “बेटी ऐसा लगता है चोट उसिे पैरों में नहीं उसिी जाुँघ िी
जोड़ों में आई है…”

चन्दा अपनी माुँ िी बात अपने बाबा िा लण्ड लेने िे बाद भली भाुँनत समझ रही थी और बनते हए िहा- “पर
माुँ, उसिो जाुँघों िी जोड़ों में चोट िैसे लगी होगी?”

35
िाममनी- अरे गन्ना चूसने िे चक्िर में किसी मोटे गन्ने पर चढ़ गई होगी।

चन्दा- माुँ मझे भी गन्ना चस


ू ने िा मन िर रहा है ।

िाममनी उसिो घरू िर गस्से से दे खती हई- “अरे रं डी, अभी 16 साल िी हई नहीं कि तझे भी गन्ना चाटहए?
एि दो साल तो और िम से िम ननिाल ले, कफर तझे खूब मोटे -मोटे गन्ने वैसे ही ममलने लगें ग…
े ”

तभी वहाुँ पर ननम्मो आ जाती है ।

ननम्मो- िहो चाची िैसे याद किया तमने?

िाममनी मश्िराते हए- “अरे घोड़ी अब तो अपनी माुँ िो िहिर अपना जयाह िरवा ले, अगर समय से तेरा जयाह
हआ होता तो अब ति तो 4 बच्चों िी अम्मा हो चिी होती…”

ननम्मो मश्िरािर अपना लहं गा अपनी जाुँघों ति समेटे हए बैठिर- “अरे चाची मैं तो िब से मरी जा रही हूुँ,
पर मेरी माुँ है कि उसिे मारे सारा गाुँव मेरी ओर नजर उठािर भी नहीं दे खता…”

िाममनी चन्दा िी ओर दे खिर- “तू जा यहाुँ से िछ िाम िाम िर, यहाुँ बैठी-बैठी हमारी बातें सन रही है ?”

ननम्मो- अरे चाची सनने दो बेचारी िो, अब तो तम्हारी बेटी भी जवान होने लगी है ।

िाममनी- “अच्छा जा ननम्मो दीदी िे मलए पानी लेिर आ…”

और कफर चन्दा वहाुँ से चली जाती है ।

िाममनी- अरे तेरी माुँ भी िोई िमजोर नहीं है । गाुँव िा िोई भी मदम तेरी माुँ िो नंगी दे ख ले तो उसे अपने
खड़े लण्ड से चोदे बबना ना रह पाए।

ननम्मो मश्िराते हए- “क्या बात है चाची? लगता है चाचा ने दो-चार टदन से तम्हें चोदा नहीं है, तभी लण्ड ही
लण्ड याद आ रहा है…”

िाममनी- “हाुँ रे यह तू सच िह रही है , 4 टदन हो गये आज। पता नहीं यह जब रात िो आते हैं तो चपचाप सो
जाते हैं। लगता है उनिी तबीयत इस समय ठीि नहीं रहती है …”

ननम्मो- “अरे नहीं चाची, मझे तो लगता है हररया िािा िहीं और डबिी लगा रहे हैं। जरा ध्यान रखा िरो इन
मदों िी नीयत िा िोई भरोसा नहीं रहता है , जहाुँ इन्हें चूत मारने िो नजर आती है बबना चोदे रह नहीं पाते
हैं…”

36
िाममनी- “तू िहती तो सही है । पर अब मैं अपने आदमी िे पीछे -पीछे तो नहीं घम
ू सिती ना, ना जाने िहां
मुँह िाला िरता होगा?”

ननम्मो- वैसे चाची, चन्दा भी अब बड़ी होने लगी है । इसिे जयाह िे बारे में सोचना शरू िर दो।

िाममनी- अरे उस गीता िा जयाह किया था और वह िनतया तब से यही पड़ी है । इसिा जयाह िर टदया तो क्या
पता यह भी हमारे मसर ही ना आ जाए? मैं तो िहती हूुँ इन िनतयों िो िुँ वारी ही पड़ी रहने दे , िम से िम
िोई िहने वाला तो नहीं होगा।

ननम्मो हुँसते हए- “क्या पता चाची यह िुँ वारी है या नहीं?”

चन्दा- लो दीदी पानी वपयो।

ननम्मो- “क्यों री चन्दा, िभी हमारे खेतों िी तरफ भी आ जाया िर मस्त गन्ने चसवाऊुँगी…”

चन्दा- “दीदी, मझे तो बाबा बड़े मस्त गन्ने लािर दे ते हैं…”

ननम्मो- “अरे तो क्या हआ, िभी हमारे खेत िे गन्ने भी चखिर दे ख। चाची तमने चूसे हैं हमारे खेत िे गन्ने?”

िाममनी- “अरे िहाुँ? मझे तो अपने ही गन्ने चूसने िो नहीं ममल रहे हैं, तेरे खेत िे िहां से चूसुँग
ू ी?”

ननम्मो िाममनी िी मोटी जाुँघों िो सहलाते हए- “िहो तो मैं अपने खेत िे गन्ने चूसने िा इंतजाम िरूुँ?”

िाममनी मश्िरािर- “पहले यह बता तन


ू े चस
ू े हैं अपने खेत िे गन्ने?”

ननम्मो- “अभी ति तो नहीं…”

िाममनी- “पहले तू तो चूसिर दे ख ले, कफर मझे चसवाना…”

ननम्मो- “तो ठीि है । मैं जल्दी ही तम्हें अपने खेत िा सबसे मोटा गन्ना चसवाऊुँगी। अच्छा चाची मैं जा रही हूुँ,
कफर आऊुँगी…” और कफर ननम्मो वापस अपने खेत िी ओर चल दे ती है ।

रममया- “आह्ह… रामू भैया अब छोड़ दो िहीं दीदी ना आ जाएं…”

राम-ू “पहले एि बार तू मेरे मुँह पर बैठ जा, उसिे बाद चली जाना…” िहिर रामू जल्दी से खाट पर लेट जाता
है , और रममया उसिे मसर िी तरफ अपनी गाण्ड िरिे अपनी स्िटम ऊंची िरिे बैठ जाती है और खद रामू िे
लण्ड िो पिड़िर चाटने लगती है । रामू उसिे मोटे -मोटे चत
ू ड़ों िो खब
ू िस-िसिर फैलाते हए उसिी गाण्ड िे
सराख और उसिी चूत िे रस से भीगे छे द िो चाटने लगता है ।

37
लेकिन जैसे ही ननम्मो वहाुँ पहुँचती है दोनों िो उस पोजीशन में दे खिर उसिे पैर वहीं िे वहीं रुि जाते हैं और
उसिा मुँह खला िा खला रह जाता है । वह जल्दी से गन्ने िे पास िी झाडड़यों में छप जाती है और दोनों िो
दे खने लगती है । उसिी चत
ू से पानी बहने लगता है । रामू िा परू ी तरह तना हआ मोटा लण्ड दे खिर ननम्मो िी
आुँखें फटी िी फटी रह जाती हैं।

ननम्मो मन में- “हाय रजबा… रामू िा लौड़ा कितना बड़ा है , कितना मस्त लग रहा है और इस िनतया रममया िो
दे खो कितने प्यार से चाट रही है । इसिी तो आज मैं माुँ से िहिर खाल उिेड़वा दुँ ग
ू ी। िमीनी मझसे कितनी
छोटी है, और इतने बड़े लण्ड पर िैसे झम
ू रही है । हे राम मैं क्या िरूं?” और कफर ननम्मो अपनी एि उं गली
अपने घाघरे में लेजािर अपनी चूत िी फांिों िो सहलाती हई चूत िे छे द में डाल दे ती है ।

रममया- “भैया जीभ अंदर घसाओ ना…”

उसिा िहना था कि रामू अपनी जीभ िो उसिी चूत िे छे द में िसिर पेल दे ता है ।

जैसे ही रममया िा पानी ननिलने िो होता है वह रामू िा लण्ड जोर-जोर से चूसना चालू िर दे ती है और कफर
रामू एिदम से उसिे मुँह में अपने पानी िी वपचिारी तेजी से मारने लगता है और रममया अपनी चत
ू िो रामू
िे मुँह में जोर-जोर से रगड़ते हए उसिे लण्ड िा पानी चूसने लगती है । िरीब दो ममनट बाद दोनों अलग होते
हैं, और जल्दी से िपड़े ठीि िर लेते हैं।

रममया जैसे ही जाने िो होती है सामने से ननम्मो आ जाती है ।

***** ***** रािू और ननम्िो (ननिमला) की चुदाई


रममया- दीदी मैं जा रही हूुँ, तम भी चलोगी क्या?

ननम्मो- नहीं तू जा, मैं रामू िे साथ शाम ति आऊुँगी।

रममया िे जाने िे बाद, ननम्मो- “क्यों रे रामू इतना पशीने-पशीने क्यों हो रहा है ? ज्यादा िाम िर मलया क्या?”

राम-ू अरे नहीं दीदी, बस आज गमी िछ ज्यादा ही लग रही है ।

ननम्मो- “अरे गमी लग रही है तो नहा ले िछ ठं डि हो जाएगी, चल आज मैं अपने भैया िो नहला दे ती हूुँ…”

राम-ू अरे नहीं दीदी इतनी भी गमी नहीं है और अभी बहत िाम बािी भी है , तम्हारा खाना रखा है खा लो।

ननम्मो खाना खाने लगती है और रामू अपने िाम में जट जाता है । ननम्मो अपनी जाुँघों िो फैलाए रामू िे
मजबत
ू बदन िो घरू रही थी और रामू अपने िाम में लगा हआ बीच-बीच में ननम्मो िी तरफ भी दे ख लेता था।

ननम्मो- अच्छा रामू एि बात पछ


ू ूं?

38
राम-ू हाुँ पछ
ू ो।

ननम्मो- तझे मैं ज्यादा अच्छी लगती हूुँ या रममया?

रामू ननम्मो िो मश्िरािर दे खते हए- “अरे दीदी, यह भी िोई पछ


ू ने िी बात है, मझे तो आप ही ज्यादा अच्छी
लगती हो…”

ननम्मो- मुँह बनाते हए,- “तो कफर तू मेरी ओर ध्यान क्यों नहीं दे ता?”

राम-ू दे ता तो हूुँ दीदी।

ननम्मो- “क्या खाि ध्यान दे ता है ? टदन भर रममया िे साथ खेतों में रहता है, और रात िो घर आिर खा पीिर
सो जाता है…”

राम-ू नहीं दीदी ऐसा नहीं है।

ननम्मो- अच्छा राम,ू आज हम खेत से अंिेरा होने िे बाद चलेंगे।

रामू मंद-मंद मश्िराते हए- “जैसी तम्हारी मज़ी, लेकिन सोच लो रात िो िहीं तम्हें डर तो नहीं लगेगा?”

ननम्मो- मझे भला िाहे िा डर लगेगा?

राम-ू नहीं वो क्या है ना खेतों िे आस-पास रात िो िाले-िाले साुँप जो ननिलते हैं।

ननम्मो- अरे बाप रे … कफर तो हमें अभी चल दे ना चाटहए।

रामू हुँसते हए- “अरे घबराओ नहीं दीदी, मैं जो हूुँ तम्हारे साथ…” और कफर रामू खेत से ननिलिर ननम्मो िे
पास आिर खड़ा हो जाता है - “और कफर अगर तम्हें डर लगेगा तो तम्हें मैं अपनी गोद में उठािर ले चलुँ ग
ू ा…”

ननम्मो मश्िराते हए- “अच्छा… तू क्या इतना बड़ा हो गया है कि अपनी बड़ी बहन िो अपनी गोद में उठा
सिता है ?”

राम-ू “क्यों नहीं दीदी… अभी तमने अपने भाई िी ताित दे खी ही िहाुँ है? मैं तो तम जैसी दो औरतों िो अपनी
गोद में उठा सिता हूुँ…”

ननम्मो- “अच्छा तो कफर उठािर टदखा… मैं भी तो दे खूुँ कि तू मझे अपनी गोद में उठा पाता है या नहीं?”

39
उसिा इतना िहना था कि रामू अपने एि हाथ िो अपनी दीदी िे पीछे लेजािर उसिे भारी चूतड़ों िो थामते
हए उसे एि हाथ में िसे हए अपने िंिे पर लाद लेता है ओए दस
ू रे हाथ से अपनी बहन िे मोटी गाण्ड िो
सहलाते हए- “अब बोलो दीदी उठा मलया कि नहीं?”

ननम्मो- “अरे वाह राम…


ू तन
ू े तो मझे एि हाथ से ही उठा मलया, अब मझे टाुँगें ही रहे गा या उतारे गा भी?”

राम-ू दीदी तम्हारा तो िोई वजन ही नहीं है , टदल िर रहा है तम्हें ऐसे ही उठाए रहूुँ।

दोनों एि दस
ू रे से बातें िरते हए मस्त हो रहे थे। रामू से बदामस्त िरना मब्श्िल हो रहा था और उसिा लण्ड
िोती िे अंदर झटिे मार रहा था।

राम-ू दीदी एि बात िहूं?

ननम्मो- क्या?

राम-ू “हररया िािा िह रहे थे कि… …”

ननम्मो- बोल ना क्या िह रहे थे?

राम-ू रहने दो, तम्हें अच्छा नहीं लगेगा।

ननम्मो- अरे नहीं तू बता मैं बरा नहीं मानुँग


ू ी।

राम-ू नहीं दीदी िछ नहीं।

ननम्मो- तू बताता है कि नहीं?

राम-ू नहीं, मैं िछ नहीं िह रहा था।

ननम्मो- रामू तू बता दे नहीं तो मैं तेरी हरित माुँ से िहूुँगी।

राम-ू िौन सी हरित?

ननम्मो- वहीं जो तू अभी िछ दे र पहले रममया िे साथ िर रहा था।

ननम्मो िी बात सनिर रामू िा मुँह खला िा खला ही रह गया, और उसने अपना मसर झिा मलया।

40
ननम्मो- “अब ज्यादा भोला ना बन, मैं सब जानती हूुँ तेरी हरितो िे बारे में । अब जल्दी से बता दे मझे हररया
िािा क्या िह रहे थे मेरे बारे में , नहीं तो आज माुँ िे हाथ से मार जरूर खाएगा त…
ू ”

राम-ू “वो दीदी… …”

ननम्मो- “पहले इिर मेरे पास आिर बैठ और कफर बता…”

रामू िीरे से ननम्मो से सटिर बैठ जाता है और ननम्मो उसिी जाुँघों िे ऊपर हाथ रखिर िीरे -िीरे सहलाते हए
बोली- “अब बता?”

राम-ू “दीदी, हररया िािा िह रहे थे कि तेरी बहन ननम्मो िी… …”

ननम्मो- “अरे आगे भी तो बोल?”

राम-ू वह िह रहे थे िी तेरी बहन ननम्मो िी गाण्ड बहत मोटी हो गई है, और जब वह चलती है तो उसिी
गाण्ड बहत मटिती है ।

ननम्मो- तो तू हररया िािा से मेरे बारे में ऐसी बातें िरता है ?

राम-ू नहीं दीदी ऐसा वो िह रहे थे।

ननम्मो- “और क्या िह रहा था?”

राम-ू “बस इतना ही…”

ननम्मो- तो कफर तन
ू े क्या िहा?

राम-ू मैंने िछ नहीं बोला।

ननम्मो- सच बता तन
ू े भी उसिी हाुँ में हाुँ ममलाई थी ना?

राम-ू नहीं-नहीं दीदी, बबल्िल नहीं।

ननम्मो उसिी जाुँघ सहलाते हए- “मतलब तझे मेरी गाण्ड अच्छी नहीं लगती है?”

राम-ू नहीं दीदी।

41
ननम्मो एिदम से रामू िा मोटा लण्ड उसिी िोती िे ऊपर से पिड़िर- “तो कफर तेरा यह मोटा गन्ना क्यों
खड़ा है ? िमीने अपनी बहन िी जवानी चोदने िा मन िर रहा है और िहता है कि तझे मेरी गाण्ड अच्छी नहीं
लगती है , आज घर चल मैं माुँ िो सब बात बता दे ती हूुँ…”

रामू उसिे पाुँव पिड़ता हआ- “अरे नहीं दीदी ऐसा मत िरना, नहीं तो माुँ मझे घर से ननिाल दे गी…”

ननम्मो मंद-मंद मश्िराते हए- “एि शतम पर मैं तझे छोड़ सिती हूुँ…”

राम-ू मझे तम्हारी सब शतम मंजूर है ।

ननम्मो- “ठीि है । तो कफर तझे, मझे अपना गन्ना चसाना पड़ेगा…” िहिर ननम्मो झट से रामू िी िोती िे
साइड से हाथ डालिर उसिा खड़ा हआ लण्ड एि झटिे में बाहर ननिाल लेती है । ननम्मो जब रामू िे मोटे खड़े
लण्ड िो दे खती है तो उसिी आुँखों में चमि और मह
ुँ में पानी आ जाता है और उसिी चूत िा दाना तनिर
खड़ा हो जाता है । ननम्मो बबना दे र किए झििर रामू िे लण्ड िो अपने मुँह में भरिर चूसना शरू िर दे ती है ।

रामू िा लण्ड जैसे ही अपनी बहन िे मुँह में जाता है रामू से सहन नहीं होता है और वह जैसे ही अपनी बहन
िे भरे हए मोटे -मोटे थनों िो अपने हाथ में भरिर दबोचता है, तो उसे ऐसा लगता है िी जैसे उसिा पानी
अभी ननिल जाएगा। क्योंिी आज से पहले इतनी िसी हई जवान लौंडडया िे मस्त चूचे उसने िभी नहीं दबाए
थे। वह पागलों िी तरह अपनी दीदी िे मोटे -मोटे खरबज
ू ों िो खूब िस-िसिर दबाने और मसलने लगता है ।

उिर ननम्मो िी हालत तो रामू से भी खराब हो चिी थी उसिी चत


ू पानी छोड़-छोड़िर लुँ हगे िो गीला िर चिी
थी, और जब उसने अपने भाई िे मस्त भारी-भारी टट्टे पिड़िर सहलाते हए उसिे लण्ड िो चूसना शरू किया
तो, उसे इतना मजा आया िी वह पागलों िी तरह रामू िे परू े लण्ड िो अपने मुँह में भर-भरिर चूसने लगी।
रामू अपने हाथों िा सारा जोर ननम्मो िी मस्त चधू चयों िो मसलने में लगा रहा था और ननम्मो अपने भैया िे
मस्त लण्ड िो मस्ती िे साथ चूसे जा रही थी।

ननम्मो- “रामू तेरा लण्ड तो बहत मस्त है रे , ये रममया ने िैसे ले मलया होगा?”

राम-ू “दीदी रममया तो कफर भी बड़ी है … तम तो यह सोचो कि हररया िािा िा लण्ड 16 साल िी चन्दा ने िैसे
ले मलया होगा? और कफर मेरा लण्ड तो तम्हारी चूत में बहत मजे से जाएगा…”

ननम्मो- अपनी दीदी िी चत


ू चाटे गा?

राम-ू हाुँ दीदी। मैं तो िब से मरा जा रहा हूुँ, तम्हारी चूत और गाण्ड दोनों िो जी भरिर चाटना और चोदना
चाहता हूुँ।

ननम्मो- “तो कफर ठीि है मैं खड़ी हो जाती हूुँ, तू नीचे बैठिर मेरी चत
ू िो चाट ले…”

42
कफर ननम्मो खड़ी होिर रामू िो अपना लहुँगा उठािर जैसे ही अपनी फूली हई धचिनी चूत टदखाती है, रामू
अपनी बहन िी मस्तानी बर पर अपना मुँह एिदम से दबािर पागल ित्ते िी तरह उसिी चूत िी फांिों िो
फैला-फैलािर चाटने लगता है ।

ननम्मो अपने हाथों से रामू िा मसर अपनी फूली बर में दबाने लगती है- “आह्ह… रामू आऽऽ ओह्ह… और जोर
से, ऐसे ही थोड़ा सा और फैलािर चाट भैया बहत मजा आ रहा है …” और कफर ननम्मो अपनी एि टांग उठािर
रामू िे िंिे पर रख दे ती है ब्जससे उसिी चूत परू ी तरह से रामू िे सामने आ जाती है ।

राम-ू “वाह… दीदी कितनी गलाबी और फूली हई चूत है तम्हारी…” और कफर रामू अपनी दीदी िी चूत िो अपनी
जीभ से िरे दने लगता है ।

ननम्मो- “हाय राम…


ू मैं पागल हो जाऊुँगी और चाट जोर से चाट अपना मुँह डाल दे मेरी चूत में…”

रामू िछ दे र ति ननम्मो िी चूत िो चाटने िे बाद उसे पीछे िी ओर घमािर उसे अपनी झोपड़ी िे एि डंडे िे
सहारे खड़ा िरिे उसे अपनी गाण्ड िो बाहर िी ओर ननिालने िो िहता है और कफर रामू घटनों िे बल अपनी
दीदी िी गाण्ड िे पीछे आिर उसिा लहुँगा ऊपर उठािर ननम्मो िो पिड़ा दे ता है और ननम्मो अपने भारी
चूतड़ों िो और ज्यादा उभारिर अपने लहुँगे िो अपने हाथों से थामिर िमर ति चढ़ा लेती है । अब रामू जब
अपनी बहन िी गाण्ड पर थपिी मारते हए उसिी गाण्ड िे पाटों िो चीरिर उसिी भरू े रं ग िी गदा दे खता है
और उसिी गदा से नीचे उसिी फूली फांिों वाली रसीली चूत दे खता है तो वह सीिे अपनी जीभ से उसिी गदा
से लेिर चूत िे तने हए दाने ति चाटना शरू िर दे ता है , और ननम्मो अपने भारी भरिम चूतड़ों िो अपने
भैया िे मुँह पर रगड़ने लगती है ।

रामू पागल ित्ते िी तरह अपनी दीदी िे भारी चूतड़ों िो खूब चीर-चीर िर चाटने लगता है । जब रामू अपनी
बहन िी गाण्ड और चत
ू चाट-चाटिर लाल िर दे ता है , तब ननम्मो सीिी खड़ी होिर अपनी एि टांग रामू िी
ओर बढ़ा दे ती है और रामू उसिी टांग िो अपने हाथों में थामिर अपने खड़े लण्ड िो अपनी बहन िी चूत से
मभड़ािर रगड़ने लगता है ।

ननम्मो उसिे लण्ड िा घर्मण अपनी चूत में पाते ही पागल हो जाती है और वह रामू िे खड़े लण्ड पर चढ़ने िी
िोमशश िरने लगती है । तभी रामू उसिी गाण्ड में हाथ डालिर उसे अपने लण्ड पर चढ़ा लेता है और उसिे
लण्ड िा टोपा जैसे ही ननम्मो िी खली चूत िे छे द से मभड़ता है , रामू एि तगड़ा झटिा मार दे ता है और उसिे
लण्ड िा टोपा उसिी बहन िी चूत में फुँस जाता है और ननम्मो उसिे लण्ड पर चढ़ी िराहने लगती है ।

ननम्मो- “आह्ह… रामू मझे ददम हो रहा है, मझे उतार दे …”

राम-ू “अरे नहीं दीदी यह तो थोड़ा सा ददम है । अभी दे खना कितना मजा आएगा तम्हें । बस िीरे -िीरे मेरे लण्ड पर
बैठने िी िोमशश िरो…” और कफर रामू अपनी बहन िी मोटी गाण्ड िो पिड़िर अपने लण्ड पर दबाने लगता है
और अपने घटनों िो थोड़ा नीचे िरिे अपनी िमर िा एि जोरदार िक्िा ननम्मो िी उठी हई चत
ू में मार दे ता
है , और उसिा आिे से ज्यादा लण्ड एिदम से उसिी बहन िी चूत में फुँस जाता है ।

43
ननम्मो- “आह्ह… रामू बहत मोटा है तेरा। ऊपर से खड़े-खड़े मझे अपने लण्ड पर बैठा रहा है, बहत ददम हो रहा
है …”

राम-ू “दीदी मैंने जब से तम्हारी फूली हई चूत िो मत


ू ते दे खा है, तब से ही मेरा टदलिर रहा था कि तम्हें अपने
लण्ड पर बैठािर तम्हारी चत
ू फाड़ने िा अलग ही मजा आएगा। खड़े-खड़े मेरा लण्ड तम्हारी चूत में बहत िसा
हआ घस रहा है चाहो तो दे ख लो। अब तो मेरा लण्ड िीरे -िीरे तम्हारी धचिनी चत
ू में सरि-सरि िर परू ा अंदर
कफट हो गया है…”

ननम्मो रामू िे लण्ड पर अपनी टाुँगें फैलाए टुँ गी हई थी और रामू नीचे से िीरे -िीरे अपने मोटे लण्ड िो अपनी
बहन रानी िी चूत में पेल रहा था। जब रामू उसे अपनी गोद में उठाए-उठाए थि गया तब उसने ननम्मो िो
खाट पर लािर लेटा टदया और उसिी दोनों जाुँघों िो फैलािर एि झटिे में अपना लण्ड अंदर पेल टदया और
कफर खूब िस-िसिर ननम्मो िो चोदने लगा।

अब ननम्मो िो भी मजा आने लगा था और वह रामू िे लण्ड िी ओर अपने चत


ू ड़ उठाने लगी थी- “आह्ह…
आह्ह… रामू तू कितना अच्छा चोदता है… ऐसे ही मझे चोदते रहना, आह्ह… और जोर से खब
ू िसिर चोद
आह्ह… आह्ह…”

रामू सटासट अपने लण्ड िो अपनी दीदी िी चूत में मारने लगता है और उसिा लण्ड बड़ी धचिनाहट िे साथ
आगे पीछे होने लगता है । रामू अपनी बहन पर परू ी तरह लेटिर उसिे रसीले होंठों िो चूमने लगता है और एि
हाथ से उसिी चधू चयों िो मसलने लगता है । िरीब 10 ममनट ति रामू अपनी बहन िो चोदने िे बाद उसिी
चत
ू में अपना पानी छोड़ दे ता है और ननम्मो आह्ह-आह्ह िरती हई रामू से परू ी तरह धचपि जाती है और
उसिी चत
ू से भी पानी बहने लगता है ।

ननम्मो अपनी जाुँघों िो फैलािर रामू िो टदखाती हई- “दे ख रामू तन


ू े मेरी चत
ू फाड़िर रख दी…”

राम-ू “दीदी अब तो मैं इस चूत िो रोज फाड़ूुँगा…”

ननम्मो मश्िराती हई- “तू बहत बदमाश है । तन


ू े रममया िो िैसे पटा मलया? अब तो तू उसे रोज चोदता है ना?”

राम-ू अरे दीदी अभी उसे चोदे दो तीन टदन ही हए हैं, पर जब मैं उसे चोदता हूुँ तो ऐसा लगता है किसी छोटी
सी लौंडडया िो चोद रहा हूुँ, और जब तम्हें चोदता हूुँ तो ऐसा लगता है जैसे किसी जवान औरत िो चोद रहा हूुँ।

ननम्मो- तो तझे ज्यादा मजा किसे चोदने में आया है ?

राम-ू दीदी मजा तो दोदो िो चोदने में आता है । पर तम्हारी चूत मारने में एि अलग ही मजा ममला है , सच तो
यह है िी दीदी मेरा लण्ड शरू से ही औरतों िो दे खिर जल्दी खड़ा हो जाता है, क्योंिी उनिा परू ा बदन भरा
हआ रहता है और खास िर उनिे भारी चत
ू ड़ मझे पागल िर दे ते हैं।

ननम्मो- “अच्छा यह बता तझे िाममनी चाची िैसी लगती हैं? उसिे चूतड़ तो मझसे भी भारी हैं…”

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राम-ू अच्छी हैं, पर उसिा चेहरा तम्हारे जैसा सद
ं र नहीं है ।

ननम्मो- “अरे तझे िौन सा उसिा चेहरा चूमना है, तू तो यह बता उसिी मोटी गाण्ड तझे िैसी लगती है, अगर
चाची तझसे चदवाये तो चोदे गा?”

रामू मश्िराते हए- “दीदी तम िहोगी तो चोद दुँ ग


ू ा…”

ननम्मो मश्िरािर- “अच्छा ठीि है । तेरी यह इच्छा जल्दी ही परू ी हो जाएगी…”

राम-ू वो िैसे?

ननम्मो- बस तू मझ पर छोड़ दे और अगर तझे चन्दा िो चोदना हो तो उसिे मलए भी मेरे पास एि उपाय है ।

राम-ू वह क्या दीदी?

ननम्मो- “चल पहले मैं मुँह हाथ िो लेती हूुँ और अब शाम भी हो चिी है । हम रास्ते में चलते-चलते बात
िरें ग…
े " िहिर ननम्मो अपने हाथ पाुँव िोिर आ जाती है और रामू बचा हआ िाम खतम िरिे ननम्मो िे साथ
घर िी ओर चल दे ता है ।

ननम्मो िे भारी चत
ू ड़ों िो थामे हए रामू उसिे साथ चलने लगा। उसिी आुँखों िे सामने उसिी बहन िी गदराई
जवानी नाच रही थी। वह ननम्मो से परू ी तरह सटा हआ चल रहा था। अंिेरा लगभग हो ही चिा था, हल्िी-
हल्िी ठं डी हवाए चलना शरू हो चिी थी।

राम-ू दीदी डर लग रहा है क्या?

ननम्मो- नहीं रे मझे तो थोड़ी-थोड़ी ठं ड लग रही है ।

राम-ू ठीि है । थोड़ी दरू और चलना है और क्या?

ननम्मो- रामू मझे पेशाब लगी है ।

रामू उसे दे खिर- “िहीं भी िर लो दीदी…”

ननम्मो अपना घाघरा उठािर बैठ जाती है और मत


ू ने िी िोमशश िरने लगती है ।

रामू उसिे पीछे जािर खड़ा हो जाता है । अपनी बहन िी मोटी गाण्ड दे खिर उसिा लण्ड तन जाता है और वह
अपनी बहन िे पीछे बैठिर- “क्या हआ दीदी नहीं आ रहा क्या?”

45
ननम्मो- हाुँ रे , लेकिन आ जाएगा।

उसिी बात सनते ही रामू अपने हाथ िो उसिी मोटी गाण्ड िे नीचे से डालिर सीिे उसिी िटीली चत
ू िो
अपने हाथों में जिड़ लेता है । उसिी इस हरित से ननम्मो मसहर जाती है और तभी रामू अपनी दीदी िी चूत िे
दाने िो िीरे -िीरे मसलने लगता है । तभी ननम्मो िी चूत से फहार ननिलने लगती है और रामू एिदम से हाथ
हटा लेता है । कफर रामू अपना हाथ वापस चूत पर रख दे ता है और ननम्मो िा पेशाब रुि जाता है, रामू कफर से
ननम्मो िी चूत िे फदिते दाने िो छोड़ दे ता है और ननम्मो कफर से मत
ू ने लगती है ।

जब ननम्मो मत
ू िर खड़ी होती है , तभी रामू उसे अपनी बाुँहो में भरिर उसिे गालों िो चूमता हआ बोला- “दीदी
एि बार यही गन्नों िे बीच में तम्हें चोदना चाहता हूुँ, घर जाने िे बाद मौिा ममलना मब्श्िल है…” और कफर
रामू ननम्मो िो अपनी बाुँहो में भरिर उसे चम
ू ते हए अपने हाथों से उसिी नंगी गाण्ड िो मसलते हए उसे
उठािर गन्नों िे बीच लेजािर थोड़ा झिािर खड़ा िर दे ता है । ननम्मो दो गन्नों िे डंडे िो पिड़े हए अपनी
मोटी गाण्ड उभारिर खड़ी हो जाती है और रामू अपने मस्त लण्ड िो मसलता हआ उसे अपनी बहन िी फूली
हई फांिों से भरी गलाबी चत
ू में फुँसािर एि मोटे चत
ू ड़ िो अपने हाथों में अच्छी तरह थामिर एि तगड़ा
िक्िा मारता है और उसिा मोटा लण्ड आिे से ज्यादा उसिी दीदी िी चूत में िंस जाता है ।

रामू िीरे -िीरे अपनी दीदी िे पिे आमों िी तरह िसी चूधचयों िो दबाना शरू िर दे ता है और अपनी िमर िे
तगड़े िक्िे नीचे िी तरफ अपनी दीदी िी मस्तानी गाण्ड में मारने लगता है ।

िछ दे र ति रामू अपने लण्ड िे िक्िे एि रफ़्तार से अपनी दीदी िी फूली हई चूत में मारता रहता है । लेकिन
िछ दे र बाद वह अपनी बहन िे उठे हए पेड़ू िो अपने हाथों में थामिर िस-िसिर अपनी दीदी िी चत ू में
अपना मस ू ल जैसा लण्ड ठोंिने लगता है । ननम्मो इस तरह िी जोरदार चूत ठिाई से मजा पाते हए अपनी मोटी
गाण्ड िो परू ी ताित से अपने भाई िे लण्ड पर मार रही थी। रामू अपनी दीदी िे मोटे -मोटे िसे दि
ू िो िस-
िसिर दबाते हए उसिी चत
ू में अपने लण्ड िो पेलता रहा। िछ दे र बाद रामू ने अपनी दीदी िो सामने िरिे
उसे अपनी गोद में चढ़ािर अपने लण्ड पर बैठा मलया, और अपने लण्ड िो अपनी दीदी िी चूत में तबीयत से
मारते हए उसिे भारी चूतड़ों िो सहलाता रहा।

ननम्मो परू ी मस्ती में आ चिी थी। अपने छोटे भाई िे लण्ड पर चढ़िर इस तरह से चूत मरवाने िे िारण
उसिी चत
ू में एि मीठी खजली शरू हो गई, और उसने अपनी फूली चत
ू िो अपने भाई िे लण्ड पर खब
ू िस-
िसिर मारना शरू िर टदया और नीचे से रामू ने भी अपनी दीदी िी चूत में अपने लण्ड िो पेलना शरू िर
टदया। कफर ननम्मो एिदम से अपने भाई िे सीने से िसिर धचपि जाती है और उसिी चूत से ढे र सारा पानी
बहिर रामू िे लण्ड पर आ जाता है, और रामू भी एि लंबी वपचिारी अपनी दीदी िी चत
ू में मारिर उसिी
चूत िो अपने लण्ड पर िसिर धचपिा लेता है ।

ननम्मो- “रामू आज बहत मस्त मजा आया है । तू बड़ा मस्त चदक्िड़ बन गया है , तझसे जो भी औरत अपनी
चूत मरवाएगी वह एिदम मस्त हो जाएगी…”

राम-ू “दीदी तम्हारा ब्जश्म इतना भरा हआ है कि मैं रात भर तम्हें नंगी िरिे चोद सिता हूुँ। तम्हें दे खते ही
मेरा लण्ड खड़ा हो जाता है…”

46
ननम्मो हुँसते हए- “अच्छा और किसे दे खिर तेरा लण्ड खड़ा होता है ?”

राम-ू दीदी अब तमसे क्या छपाना, मेरा लण्ड तो िाममनी चाची िी मोटी गाण्ड दे खिर भी खड़ा हो जाता है ।

ननम्मो- और इसिे अलावा?

राम-ू इसिे अलावा कफर चन्दा और रममया िो अगर नंगी दे खता हूुँ तो मेरा लण्ड खड़ा हो जाता है ।

ननम्मो- “अच्छा… और यह बता िभी माुँ िो दे खिर भी तेरा लण्ड खड़ा होता है ? माुँ िी मोटी गाण्ड तो सबसे
ज्यादा चोदने लायि नजर आती है । माुँ िो दे खिर तो तेरा लण्ड जरूर खड़ा होता होगा…”

राम-ू “हाुँ। माुँ िो जब नहाते दे खता हूुँ तो जरूर लण्ड खड़ा हो जाता है…”

ननम्मो- “माुँ िो िभी परू ी नंगी दे खा है तन


ू ?
े अगर तू माुँ िो परू ी नंगी दे ख ले तो आज रात ही तू उसे इस
िदर चोदने िे मलए पागल हो जाए कि क्या बताऊुँ?”

राम-ू “नहीं दीदी। माुँ िो परू ी नंगी तो मैंने िभी नहीं दे खा, लेकिन उनिी मोटी-मोटी गोरी जाुँघों िी भरी हई
जवानी दे खिर जब मैं परू े ब्जश्म िी िल्पना िरता हूुँ तो मेरा लण्ड झटिे मारने लगता है …”

ननम्मो- “रामू तू रात िो माुँ िी तरफ ही सोता है ना… िहीं ऐसा तो नहीं कि रात िो जब माुँ सो जाती होगी
तो तू उनिी मोटी गाण्ड से अपने लण्ड िो सटािर उनिी गाण्ड िो रगड़ता और दबाता होगा…”

राम-ू नहीं दीदी। मैंने अभी ति तो ऐसा नहीं किया है ।

ननम्मो हुँसते हए- “रामू िहीं रात िो माुँ तझसे अपनी गाण्ड तो नहीं मरवाती है ना… पता चले हमें िछ पता ही
नहीं है और आिी रात िो तू चपचाप पड़े-पड़े ही अपना लण्ड माुँ िी मोटी गाण्ड में तेल लगािर डाल दे ता हो…”

रामू हुँसते हए- “तम भी ना दीदी, िहाुँ िी बात िहाुँ ले गई? मेरी भला टहम्मत है माुँ िो हाथ लगाने िी…”

ननम्मो- “अरे बेटा जब भारी चूतड़ दे खिर लण्ड खड़ा हो जाता है तब वह नहीं सोचता कि यह मोटे -मोटे चोदने
लायि चत
ू ड़ किसिे हैं? तेरा मन अगर माुँ िी गाण्ड और उसिी फूली हई पावरोटी जैसी चत
ू मारने िा मन हो
तो बता… हो सिता है मैं िछ मदद िर सिुँू ?”

रामू अपने मोटे लण्ड िो मसलते हए- “दीदी तम आज माुँ िे नंगे ब्जश्म िे बारे में मझसे इतनी बात िह गई
कि मेरा लण्ड परू ी तरह तनिर कफर से चूत मारने िा इरादा बना रहा है…”

ननम्मो- “अरे तू कफिर ना िर… अगर तेरा इतना ही मन माुँ िी गाण्ड मारने िा िर रहा है तो बता मैं िछ ना
िछ िरती हूुँ…”

47
राम-ू “दीदी माुँ िो परू ी नंगी िरिे अपने बदन से धचपिाने िे मलए तो मैं मरा जा रहा हूुँ। मझे तो माुँ जब भी
िह दे , मैं उसे चोदने िे मलए तैयार हूुँ…”

ननम्मो- “अच्छा चल अब चप हो जा घर पहुँच रहे हैं, और सन रममया से यह सब बात मत िरना, उसे अभी
अिल नहीं है …”

राम-ू “तम कफिर ना िरो दीदी…” और कफर रामू अपनी दीदी िे मोटे -मोटे दि
ू ों िो अपने हाथ से दबािर उसिे
होंठों िो एि बार िसिर चूमता है और कफर दोनों घर िे अंदर पहुँच जाते है ।

और जब अंदर िा नजारा दे खते हैं तो दोनों िी ननगाहें एि दस


ू रे से ममलती हैं और दोनों िे होंठों पर मश्िान
फैल जाती है और जब दोनों दबारा सामने दे खते हैं तो सधिया दीवार से टटिी हई थी और उसिा घाघरा उसिी
जाुँघों ति चढ़ा हआ था, और रममया अपनी माुँ िी मोटी मलायम जाुँघों िो तेल लगािर मामलश िर रही थी।
सधिया ने जब दोनों िो दे खा- “आ गये तम दोनों…”

ननम्मो- क्या हआ माुँ पैर ददम िर रहे हैं क्या?

सधिया- “हाुँ रे थोड़ी अिड़न महसस


ू हो रही थी तो मैंने रममया से िहा चल थोड़ा तेल ही मामलश िर दे , शायद
आराम ममल जाए…”

ननम्मो- “अरे माुँ, रममया िे नाजि हाथों से क्या आराम ममलेगा? तम्हारी जाुँघों िी मामलश तो सख़्त हाथों से
होगी तो ही तम्हें मजा आएगा। मैं तो िहती हूुँ तम रामू से मामलश िरवा मलया िरो, वह जब अपने मदामना
हाथों से िसिर तम्हारी जाुँघों िी मामलश िरे गा तो दे खना तम्हारा बदन मस्त हो जाएगा…”

सधिया- “चल अभी थिा हारा आया है बेचारा, मैं कफर िभी उससे मामलश िरवा लुँ ग
ू ी…”

ननम्मो- “रममया तू जा, रामू और मेरे मलए पानी ले आ। माुँ िी मामलश मैं िर दे ती हूुँ…” और कफर ननम्मो
अपनी माुँ िी गोरी वपंडमलयों िो सहलाने लगती है ।

रामू हाथ मुँह िोने चला जाता है ।

ननम्मो- “माुँ तझे िभी बापू िी याद भी सताती होगी ना?”

सधिया- “अरे बेटी सताती भी है तो उससे क्या होगा? तेरा बापू ऊपर से आ तो नहीं जाएगा मेरी खैररयत पछ
ू ने,
तेरा बापू होता तो अब ति तेरा जयाह हो चिा होता और दो तीन बच्चे भी हो गये होते…”

ननम्मो- “माुँ, जयाह लायि तो रामू भी हो गया है…”

सधिया- “हाुँ। हो तो गया है , पर पहले तेरा जयाह िरना जरूरी है । उसिे बाद ही रामू िा होगा…”

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ननम्मो- “माुँ आज तो िाममनी चाची भी अपने खेतों में आई थी और तेरे बारे में भी पछ
ू रही थी।

सधिया- “अरे उसिे घर जाना ही बेिार है । वह िमीना हररया जब भी मझे दे खता है , तो ित्ता ऐसे घरू ता है जैसे
खा जाएगा। वह बड़ा ही िमीना है । इस उमर में भी वह औरतों िे चूतड़ों िो टदन भर घरू ता रहता है …”

ननम्मो- तो क्या माुँ वह तम्हें भी घरू ते हैं?

सधिया- क्यों तझे भी दे ख रहा था क्या?

ननम्मो- हाुँ माुँ। मझे जब भी ममलते हैं बस िभी मेरी छानतयों िो और िभी मेरे पीछे दे खने लगते हैं।

सधिया- “तू उस हरामी से बचिर रहािर। उसिी नीयत िा िोई भरोसा नहीं है । उसिी खद िी बेटी मीना जब
से ससराल छोड़िर आई है टदन रात घर में ही घसी रहती है …”

रात िो ननम्मो लेटी थी लेकिन उसिी चत


ू उसे सोने नहीं दे रही थी और रामू और उसिे बीच में उसिी माुँ
लेटी हई थी। ननम्मो िो बड़ी मब्श्िल से नींद आई और सबह जब वह सोिर उठी तब ति रामू और रममया
खेतों िी ओर जा चिे थे।

सधिया- “उठ जा घोड़ी, सरू ज मसर पर चढ़ चिा है और तू ऐसे सो रही है जैसे रात भर ठीि से तझे नींद ना
आई हो…”

ननम्मो- माुँ रामू चला गया क्या?

सधिया- हाुँ और शायद रात िो भी ना आए। उसे खेतों िी मेड़ में खदाई िरिे वहाुँ थोड़ी-थोड़ी दरू पर पौिे
लगाने हैं, और उस टूटी हई झोपड़ी िी मरम्मत भी िरना है ।

ननम्मो िछ सोचिर- “माुँ रममया तो शाम िो आ जाएगी ना?”

सधिया- हाुँ, वह तो आ जाएगी।

ननम्मो- तो माुँ शाम िो मैं भी खेतों में चली जाऊुँ क्या?

सधिया- तू वहाुँ क्या िरे गी? और कफर तझे जल्दी ही नींद आने लगती है वहाुँ िहाुँ सोएगी?

ननम्मो- अरे माुँ खाट है ना… रामू िाम िरे गा और मैं उससे बातें िरते हए उसिी बोररयत दरू िर दुँ ग
ू ी।

सधिया- तेरी जैसी मज़ी हो िर, मैं चली नहाने।

49
ननम्मो- माुँ तम नंगी होिर नहाती हो या नहीं?

सधिया हुँसते हए- “मेरी िोई उमर है नंगी होिर नहाने िी…”

ननम्मो- तो माुँ किस उमर में नंगी होिर नहाना चाटहए?

सधिया मश्िराते हए- “मैं तो जब तेरी उमर िी थी तब जरूर नंगी होिर नहाती थी…”

ननम्मो अपनी माुँ से ज्यादा से ज्यादा रं गीन बातें िरने िा प्रयास िर रही थी, लेकिन वह ज्यादा िछ नहीं िह
पा रही थी। उसने मन में सोचा क्यों ना िाममनी चाची िे माध्यम से माुँ िे जज्बात जाना जाय।

उिर रामू जब हररया िािा िे खेत िे पास से ननिला तब…

िाममनी- “िा है राम,ू आज ननम्मो िो साथ नहीं लाए?”

राम-ू नहीं चाची। वह तो सो रही थी और मैं इिर आ गया। पर दो टदन से हररया िािा नजर नहीं आ रहे हैं,
िहीं बाहर गये है क्या?”

िाममनी- “बाहर गये थे बेटा, लेकिन शाम ति आ जाएंगे…”

रामू िी नजर बार-बार िाममनी िी नंगी िमर और उसिे गदाज मांसल पेट िी ओर जा रही थी, क्योंिी
िाममनी ने नामभ िे िाफी नीचे से साड़ी पहनी हई थी और उसिा उठा हआ गोरा धचट्ठा पेट इस तरह नजर आ
रहा था कि किसी िा भी लण्ड खड़ा हो जाए।

उिर िाममनी भी िई टदनों से ठीि से चदी नहीं थी और उसिा मन भी तबीयत से लण्ड लेने िा िर रहा था,
और वह रामू से बात िरते हए िीरे -िीरे अपने मांसल पेट पर हाथ फेर रही थी।

रामू िा लण्ड झटिे मारने लगा था। रामू ने िहा- “चाची एि बात पछ
ू नी थी?”

िाममनी- हाुँ बोल क्या पछ


ू ना है ?

रामू रममया िी ओर दे खिर- “रममया तू चल, मैं अभी थोड़ी दे र में आता हूुँ…”

रममया रामू िी बात सनिर जाने लगती है ।

तभी दस
ू री ओर से चन्दा आ जाती है और िहती है- “माुँ, मैं भी रममया दीदी िे खेत पर जाऊुँ?”

िाममनी- “ठीि है जा…”

50
और कफर रममया और चन्दा खेत िी ओर जाने लगती हैं।

***** ***** कामिनी और रािू की चद


ु ाई
िाममनी मन में सोच रही थी कि रामू शायद उससे िोई मीठी-मीठी बातें िरने वाला है । इसमलये पछ
ू ा- “हाुँ राम,ू
अब िहो क्या िह रहे थे?”

राम-ू चाची वो हररया िािा िी धचलम यहाुँ रखी है क्या?

िाममनी उसे दे खिर- “िा तू भी धचलम पीने लगा है?”

राम-ू अरे चाची एि टदन िािा ने वपला दी तब से बड़ा टदल िर रहा है ।

िाममनी- “अच्छा… तू खाट पर बैठ मैं दे खती हूुँ…” और कफर िाममनी झोपड़ी में जािर हररया िी धचलम उठा
लाती है और रामू िो दे ते हए- “ले ममल गई…”

राम-ू लगता है िािा लेिर नहीं गये?

िाममनी- “अरे उसिे पास इसिे मसवा िाम ही क्या है ? जहाुँ खड़ा हो जाता है वहीं उसिे हक्िे पानी िा
इंतजाम हो जाता है…”

राम-ू “चाची मैं पी लुँ ,ू पर आप माुँ से नहीं िहना…”

िाममनी- “अरे नहीं रे , तू कफिर िाहे िो िरता है पी ले…” और कफर िाममनी उसिे बगल में बैठ जाती है ।

रामू धचलम पीने लगता है और नशे में उसिा लण्ड और भी तगड़े तरीिे से तन जाता है ।

िाममनी- “क्यों रे राम,ू ननम्मो िह रही थी कि तेरे गन्ने बहत मोटे और बड़े-बड़े हैं…”

राम-ू हाुँ चाची वो तो हैं।

िाममनी मश्िराते हए- “िहीं तन


ू े ननम्मो िो अपना गन्ना चसा तो नहीं टदया?”

राम-ू “अरे चाची, ननम्मो दीदी तो रोज गन्ना चूसती है , िल भी तो इसीमलए आई थी…”

िाममनी- तो मझे िब चसाएगा?

राम-ू जब तम िहो।

51
िाममनी- “मेरा मन तो अभी चूसने िा िर रहा है । पर मेरे पेट में ना जाने क्यों सबह से थोड़ा ददम बना हआ है ,
जरा हाथ लगािर दे ख िहीं पेट उखड़ तो नहीं गया है…” और कफर िाममनी रामू िा हाथ पिड़िर अपने पेट पर
रख लेती है ।

रामू नशे में मस्त होिर जब िाममनी चाची िे गदाज पेट िो अपने हाथों में भरिर मसलता है तो उसिा लण्ड
परू ी तरह िोती फाड़ने िो तैयार हो जाता है । रामू मंद-मंद मश्िराते हए उसिे पेट िो हल्िे-हल्िे मसलिर-
“चाची यह तो सचमच उखड़ा हआ लग रहा है, इसीमलए तो ददम है इसमें…”

िाममनी- “तो रामू थोड़ी सी मसाज िर दे ना…”

राम-ू “अच्छा ठीि है । तो आप इस खाट पर लेट जाओ…”

िाममनी- “यहाुँ नहीं। खाट पर अच्छे से ताित नहीं लग पाएगी। इसमलए झोपड़ी िे अंदर जमीन पर बबछािर
मसाज िर तो ठीि रहे गा…”

राम-ू “अच्छा ठीि है । आप चलो झोपड़ी िे अंदर, मैं पेशाब िरिे आता हूुँ…”

िाममनी झोपड़ी िे अंदर चली जाती है और रामू झोपड़ी िे दस


ू री तरफ जािर जब अपनी िोती सरिा िर
अपना खड़ा लण्ड बाहर ननिालता है तो िाममनी छपिर उसिे मोटे लण्ड िा नजारा िरिे पागल हो जाती है
और उसिी चूत रामू िे लण्ड िे मलए तड़प उठती है , और मन में िहतरी है- “हाय रजबा… कितना मोटा और
लंबा लण्ड है रामू िा? इसिा लण्ड तो हररया िे लण्ड से भी मोटा टदख रहा है । अगर यह एि बार मझे
तबीयत से चोद दे तो मेरा तो रोम-रोम मस्त हो जाएगा। आज बहत टदन बाद किसी िा लण्ड दे खिर बड़ी
चदास सी उठने लगी है…”

िाममनी तरं त अपनी चूत िो अपनी साड़ी िे ऊपर से दबोचते हए दे ख रही थी। जब रामू वापस आने लगा तो
िाममनी ने जल्दी से एि चटाई बबछािर अपने पेटीिोट िा नाड़ा खोल टदया और साड़ी से अपने पेटीिोट िो
छपािर लेट गई।

िाममनी- कितनी दे र लगा दी रामू पेशाब िरने में?

राम-ू हाुँ चाची, बहत जोरों िी लगी थी।

िाममनी- “चल बेटा अब जल्दी से मेरे पेट िा ददम भी ठीि िर दे । दे ख कितना िड़ा हो रहा है मेरा पेट…” और
कफर िाममनी रामू िा हाथ पिड़िर उसे अपने गदाज नंगे पेट पर रख लेती है ।

रामू अपनी चाची िे मलायम उठे हए पेट िो अपने हाथों से सहलाते हए अपनी उं गमलयों िो नामभ िे ऊपर से
दबाते हए नीचे चाची िी चत
ू िी ओर ले जाता है , और उसिी नामभ से चार अंगल नीचे लेजािर वापस ऊपर
िी ओर लाता है । उसिी इस हरित से िाममनी िी चूत से पानी आ जाता है और उसिे दोनों पैर िभी ऊपर,
िभी नीचे होने लगते हैं। और जैस-े जैसे रामू िा हाथ चलता है वैस-े वैसे चाची िे पैर ऊपर-नीचे होने लगते हैं।

52
रामू िा लण्ड िोती में परू ी तरह तना हआ था और वह चाची िी गदराई जवानी िो दे खते हए उसिे मांसल नंगे
पेट िो सहला रहा था।

राम-ू “चाची पेट िे बल लेट जाओ। मैं जरा िमर िी मामलश िर दुँ ू तो पेट में ज्यादा आराम ममलेगा…”

िाममनी- “ठीि है बेटा…” िहिर िाममनी पलटिर पेट िे बल लेट जाती है ।

रामू उसिी मस्त िमर िो सहलाता हआ अपने हाथ से एि बार तो चाची िी मोटी गाण्ड िो छू लेता है । चाची
िी साड़ी पैरों से उठिर उसिे घटनों िे ऊपर ति चढ़ चिी थी, और रामू चाची िी गोरी नंगी टाुँगों िो दे ख-
दे खिर खूब तबीयत से चाची िी िमर और िमर िे ऊपर गाण्ड ति िा टहस्सा दबोचने लगा था। जब रामू
चाची िी िमर और गाण्ड िे बीच िे टहस्से िो नीचे िी ओर दबाता तो चाची िी चत
ू में एि अलग ही ममठास
पैदा होती थी, जैसे उसे किसी मोटे गन्ने िो चूसने पर पैदा होती है ।

िाममनी- “रामू तू जब िमर िे थोड़ा नीचे िी तरफ दबाता है ना तो मझे बड़ा आराम ममलता है…”

रामू ने िाममनी िी बात िो सनिर उसिी दोनों गाण्ड िे बीच ति दबाना शरू िर टदया। उसिी नंगी उं गमलयां
जब चाची िी नंगी गाण्ड िे छे द ति सरि िर जाती, तो चाची िा परू ा बदन मसहर उठता था और रामू िा
टदल िरता कि अपनी परू ी उं गली चाची िी मोटी गाण्ड में घसा दे ।

िाममनी- “रामू तेरी उं गमलयों में बड़ी जान है, बड़ा अच्छा लग रहा है बेटे…”

राम-ू “चाची अभी परू ी ताित दे खी ही िहाुँ है आपने? आप िहो तो थोड़ी ताित लगािर मामलश िर दुँ ू आपिे
बदन िा, रोम-रोम खखल उठे गा…”

िाममनी- “िर दे बेटा, आज मैं तझसे अच्छी मामलश िरवा लेती हूुँ…”

कफर क्या था रामू ने अपने दोनों हाथों से चाची िे भारी भरिम चूतड़ों िो अपने हाथों में भरिर दबोचने लगा,
और चाची किसी िनतया िी भाुँनत अपनी गाण्ड मटिाने लगी थी। रामू ने जैसे ही चाची िे पेटीिोट िे अंदर
हाथ डाला, रामू िी उं गमलयों सीिे चाची िी गहरी गाण्ड िी खाईं में घस गई और जब रामू िा हाथ चाची िी
िसी हई गदा पर पड़ा तो चाची ने अपनी गदा एिदम ढीली िर दी। और जैसे ही रामू िी एि उं गली गदा िो
सहलाने लगी, चाची ने अपनी गदा िो कफर से मसिोड़ मलया और रामू िी उं गली चाची िी गदा में फुँस गई।

रामू ने थोड़ी ताित लगािर अपनी उं गली चाची िी गाण्ड में उतार दी और चाची एिदम से मस्त हो गई। रामू
ने चाची िी साड़ी और पेटीिोट िो उसिी गदराई गाण्ड से नीचे सरिा टदया और जब चाची िी गोरी मस्त
गाण्ड परू ी नंगी नजर आने लगी, तब रामू ने उसिी गाण्ड िो फैलािर सीिे अपनी जीभ उसिी गाण्ड में
डालिर उसे चाटने लगा।

िाममनी से बदामस्त नहीं हआ और उसने रामू िी िोती िे ऊपर से ही उसिे मोटे लण्ड िो पिड़ मलया और
पागलों िी तरह मसलने लगी।

53
रामू ने चाची िी नंगी गाण्ड िो थोड़ा ऊपर उठािर उसिी चूत िी फांिों में अपना मुँह लगािर चाटने लगा
और चाची आह्ह… आह्ह… िरती हई मसमसयाने लगी। लगभग दो ममनट ति रामू ने उसिी बर िो फैला-फैला
िर खूब चाटा। उसिे बाद रामू ने चाची िो सीिा लेटािर दे र ना िरते हए अपने लण्ड िो चाची िी चूत में
एि झटिे में परू ा अंदर पेल टदया और चाची ने अपनी दोनों टाुँगों िो उठािर परू ी तरह फैला मलया। रामू चाची
िी चूत में सटासट िक्िे मारने लगा और चाची नीचे से अपने चूतड़ उठा-उठािर रामू िे लण्ड पर मारने लगी।

रामू उिड़ू बैठिर चाची िी चत


ू में खब ू िस-िसिर िक्िे मार रहा था और चाची बड़बड़ा रही थी- “हाय राम…ू
तेरा लण्ड बहत मोटा और लंबा है रे … बहत मजा आ रहा है , ऐसे ही चोद मझे… तझे औरतों िो चोदने िी
अच्छी िला मालम
ू है । िहाुँ से सीखा है यह सब? िहीं तू किसी मस्त औरत िो चोदता तो नहीं है? हाय ऐसे
ही मार और तेज मार आह्ह… मेरी चत
ू आज तन
ू े परू ी तरह फाड़ दी है…”

राम-ू “चाची नंगी औरत िो दे खिर तो मेरा हधथयार परू ी तरह तन जाता है । मैं तो िब से तम जैसी भरे बदन
िी औरत िो िसिर चोदना चाहता था, वह मौिा आज लगा है …” और कफर रामू ने चाची िी गाण्ड िे नीचे
हाथ डालिर उसिे भारी चत
ू ड़ों िो अपने हाथों में थामिर तबीयत से उसिी चत
ू मारना शरू िर दी। उसिा
लण्ड पानी छोड़ने िा नाम ही नहीं ले रहा था और उसे चोदने में बड़ा मजा आ रहा था।

राम-ू “चाची ब्जतनी भारी औरत िो चोदो उतना ही ज्यादा मजा ममलता है…”

चाची- “आह्ह… अरे िमीने सबसे भारी चूतड़ और भोसड़ा तो तेरी खद िी माुँ िा है , एि बार अपनी माुँ िो क्यों
नहीं चोद लेता? तझे इतना मजा आएगा कि तू टदन रात उसी िी गाण्ड में अपना मुँह डाले रहे गा…”

राम-ू “अरे चाची, माुँ तम्हारी तरह मझसे चदवाती ही िहाुँ है ? एि बार चदवा ले तो उसे भी पता चल जाएगा
कि उसिे बेटे िा लण्ड कितना मस्त है?”

िाममनी- “तो क्या तू अपनी माुँ पर चढ़ना चाहता है?”

रामू िक्िे िी स्पीड तेज िरते हए- “हाुँ चाची। मैं तो िब से चोदने िे मलए मरा जा रहा हूुँ। जब से उसिे भारी
चत
ू ड़ों िो दे खा है तब से बस यही टदल िरता है कि उसिी गाण्ड िो परू ी नंगी िरिे खब
ू िस-िसिर चोदं …
ू ”
रामू ताबड़तोड़ िक्िे मारने लगा और चाची उससे धचपि िर उसे पागलों िी तरह चूमने लगी और कफर रामू ने
उसिी गाण्ड िो िसिर थामते हए दस बड़े िक्िे ऐसे मारे कि चाची िा पानी छूट गया। पर रामू अभी भी
प्यासा ही रहा।

चाची- “बेटा जरा सा रुि जा, मेरा तो हो गया, तेरा िब होगा?”

राम-ू “चाची तम्हारे मरद िी धचलम इतनी जोरदार है कि एि बार लण्ड खड़ा हो जाता है तो बैठने िा नाम ही
नहीं लेता है । लो इसे थोड़ा चस
ू िर ही आराम दो…”

54
और कफर िाममनी रामू िे लण्ड िो मुँह में भरिर चस
ू ने लगी और रामू अपनी उं गमलयों से िीरे -िीरे चाची िी
गाण्ड िो दबाने लगा।

राम-ू चाची मेरा मन तो अब तम्हारी गाण्ड मारने िा िर रहा है ।

चाची- “नहीं बेटा। मेरी गाण्ड मत मारना, मझे बड़ी तिलीफ होती है । एि बार हररया ने जबरन मेरी गाण्ड में
लण्ड डालने िी िोमशश िी थी और मझे बड़ा ददम हआ था और मैंने तब से उसे अपनी गाण्ड छूने भी नहीं दी
है । तझे अगर गाण्ड ही मारना है तो अपनी माुँ िी चोदना, उसिी गाण्ड तो बहत मोटी और मस्त है …”

राम-ू “चाची माुँ िी गाण्ड तो जब ममलेगी तब ममलेगी, लेकिन आज तो मेरा पानी ननिालना है…”

चाची- मैं तेरा पानी चूस-चस


ू िर ननिाल दे ती हूुँ।

राम-ू “अरे नहीं चाची। तम कितना ही चूसो यह पानी बबना िस-िसिर ठोंिे नहीं ननिलने वाला है, मझे अपनी
गाण्ड में ही अपना पानी ननिालने दो…”

चाची- “नहीं राम।ू मैं तेरे घोड़े जैसे लण्ड िो अपनी गाण्ड में नहीं ले सिती हूुँ…”

राम-ू “अच्छा तो कफर एि िाम िरो, अपनी बेटी चन्दा िो बलािर उसिी चूत मारने दो…”

चाची- “अरे नहीं राम,ू अभी तो वह बहत छोटी है, 16 साल िी तो है वह, तेरा लण्ड िैसे बदम स्त िरे गी?”

राम-ू “चाची जब वह हररया िािा िा लण्ड बड़े मजे से ले लेती है, तो कफर मेरा लण्ड क्यों नहीं ले पाएगी? तम
उसे छोटी समझ रही हो और वह तमसे भी ज्यादा मस्त होिर अपनी चत
ू अपने बाप से मरवाती है…”

चाची- यह क्या िह रहा है , रामू ऐसा नहीं हो सिता है ?

राम-ू “तम्हारी िसम चाची, मैंने अपनी आुँखों से हररया िािा िो उसिी चूत मारते हए दे खा था…”

चाची- “कितना हरामी है हररया, तभी तो मैं सोचूं िी िछ टदनों से मेरी तरफ दे ख भी नहीं रहा है…”

राम-ू अब जाओ और चन्दा िो बलािर यहाुँ ले आओ।

चाची- बेटा पहले एि बात सच-सच बता, क्या तन


ू े रममया िो चोदा है?

राम-ू हाुँ चोदा है, लेकिन तम यह बात किसी से िहना नहीं।

55
चाची- “तो कफर एि िाम िर, अपने खेत में जािर रममया और चन्दा दोनों िो नंगी िरिे खूब चोद, और मझे
थोड़ी दे र यहीं पड़े रहने दे । मैं थोड़ा आराम िर लुँ ।ू वैसे भी तन
ू े मेरी चूत इतनी जोर से चोदी है कि मझसे उठा
नहीं जा रहा है …”

रामू मश्िराते हए- “यह तो तम ठीि िह रही हो चाची। रममया और चन्दा िो एि साथ नंगी िरिे जब मैं
अपने सीने से धचपिाउुँ गा तो अलग ही मजा आएगा…” और कफर रामू अपने खेतों िी ओर चल दे ता है । रामू जब
वहाुँ पहुँचता है तो रममया और चन्दा दोनों खाट पर बैठी-बैठी गन्ना चूस रही थी।

रामू दोनों िे बीच जािर बैठ जाता है और बोलता है- “तझे पता है रममया, चन्दा िो एि टदन चींटे ने िाट
मलया था, तब इसे बहत सज
ू न हो गया था, क्यों चन्दा है ना?”

चन्दा- हाुँ।

राम-ू “अच्छा चन्दा अब टदखा तो…” और रामू उसिी छोटी सी स्िटम उठािर उसिी गलाबी चूत िो छूिर दे खने
लगता है ।

चन्दा अपने हाथ से अपनी चूत ढिने लगती है ।

तब रामू उसे खाट पर लेटािर- “अरे चन्दा रुि तो, रममया िो भी तो दे खने दे …” और कफर रामू चन्दा िी दोनों
फांिों िो फैलािर उसिी चूत िा गलाबी छे द अपनी उं गमलयों से सहलाते हए- “दे ख रममया यहाुँ िाटा था चन्दा
िो चींटे ने…”

रममया- कफर क्या हआ था भैया?

राम-ू “कफर क्या? हररया िािा ने चन्दा िा सारा जहर चूस-चूसिर ननिाल टदया था। क्यों चन्दा?”

चन्दा- हाुँ भैया, और बाबा इतना अच्छे से चूस-चूसिर जहर ननिाल रहे थे कि मझे तो बड़ा मजा आया था।

राम-ू चन्दा अब भी यहाुँ ददम रहता है क्या?

चन्दा- हाुँ भैया ददम तो रहता है । पर बाबा इसमें अपना मोटा लण्ड डालिर दरू िर दे ते हैं, कफर तो बस मजा ही
मजा आता है…”

उसिी बात सनते ही रामू उसिी चत


ू में अपनी जीभ डालिर उसिे पानी िो चाट लेता है ।

रममया- भैया मेरी चूत भी चाट ना।

चन्दा- नहीं भैया, पहले मेरी चूत िो अच्छे से चाट लो कफर रममया दीदी िी चाट लेना।

56
राम-ू “तम दोनों कफिर ना िरो, मैं दोनों िी चाट लेता हूुँ। एि िाम िरो चलो झोपड़ी में चलिर आराम से
चाटूुँगा पर यह बताओ िी मेरा लण्ड पहले िौन चूसेगा?”

उसिी बात सनते ही दोनों उठिर खड़ी हो जाती हैं, और कफर रामू जब अपने लण्ड िो िोती से बाहर ननिालता
है तो रममया और चन्दा दोनों उसिे लण्ड िे गलाबी टोपे िो अपनी जीभ से सहलाने लगती हैं, और रामू मस्ती
में आिर दोनों िो चूम लेता है । रममया और चन्दा दोनों खाट िे नीचे घटनों िे बल बैठिर रामू िो खाट पर
बैठािर उसिे लण्ड िो िभी रममया अपने मुँह में भर लेती है और जब वह बाहर ननिालती है तो चन्दा उसे
अपने मुँह में भर लेती हैं। दोनों पागल िनतया िी तरह रामू िे मोटे लण्ड िो झपट-झपट िर चस
ू ने लगती हैं।

रामू अपने दोनों हाथों में उन दोनों िे िसे हए दि


ू िो दबोचने लगता है । दोनों लौंडडयों िे दि
ू खूब िसे हए
और सख़्त थे, ब्जन्हें मसलने में रामू िो बड़ा मजा आ रहा था। रामू िभी रममया िी चच
ू ी और िभी चन्दा िी
चूची िो अपने मुँह में भरिर चूसने लगा था। िछ दे र बाद रामू दोनों िो झोपड़ी िे अंदर लेजािर पहले रममया
िो जमीन पर पीठ िे बल लेटा दे ता है और कफर चन्दा िो भी रममया िे ऊपर उल्टा सला दे ता है । अब रामू िे
सामने नीचे उसिी बहन रममया िी खली हई गलाबी चूत और उसिे ऊपर चन्दा िी मस्तानी गाण्ड और चत

नजर आ जाती है और रामू अपनी लंबी जीभ ननिालिर दोनों िी चूत और गाण्ड िो पागलों िी तरह खूब जोर-
जोर से चाटने और चस
ू ने लगता है ।

दोनों लौंडडया एि दस
ू रे से धचपि िर एि दस
ू रे िे होंठों िो चूसने लगती हैं।

चन्दा- “हाय भैया ऐसे ही चाट…”

रममया- “चन्दा तेरी जीभ िा स्वाद तो बड़ा रसीला है…”

चन्दा- “तो दीदी, मेरी जीभ िो अपने मुँह में भरिर चस


ू ो ना… जब नीचे से रामू भैया मेरी चत
ू चस
ू ते हैं, और
ऊपर से तम मेरी जीभ चूसती हो तो बड़ा मजा आता है । आह्ह… आह्ह… ओह्ह… माुँ मर गई रे …”

रामू लगातार दोनों िी चूत और गाण्ड िा छे द फैला-फैलािर अपनी जीभ से खब


ू िस-िसिर चूस रहा था।

उिर दोनों लौंडडया एि दस


ू रे से परू ी तरह धचपिी हई एि दस
ू रे िी जीभ चस
ू रही थी। तभी रामू ने पास में
रखा तेल अपने लण्ड पर लगािर अपने लण्ड िे सपाड़े िो चन्दा िी चूत में लगािर िसिर एि िक्िा मार
टदया, और रामू िा लण्ड िच्च िी आवाज िे साथ चन्दा िी चूत िो फाड़ता हआ अंदर समा गया।

और चन्दा िे मुँह से- “ओह्ह माुँ… मर गई रे …” जैसे शजद ननिलने लगे।

रामू ने दे र ना िरते हए दोनों लौंडडयों िो िसिर थामते हए दस


ू रा झटिा इस िदर मारा कि उसिा मोटा लण्ड
चन्दा िी चूत में परू ा कफट हो गया और चन्दा ने िसिर रममया िो जिड़ मलया। रममया सबसे नीचे लेटी थी
और चन्दा उसिे ऊपर पेट िे बल लेटी थी और उसिी मोटी गाण्ड िे ऊपर चढ़िर रामू अपने लण्ड िो उसिी
गलाबी चूत में पेल रहा था।

57
जब चन्दा िी चूत में िछ धचिनाहट हो गई तब रामू ने अपने लण्ड िो ननिालिर सीिे अपनी छोटी बहन
रममया िी गलाबी चूत में पेल टदया, और रममया िी चूत में जैसे ही उसिे भैया िा लण्ड घसा रममया ने
िसिर चन्दा िो अपनी बाुँहो में जिड़ मलया और उसे चम
ू ने लगी। रामू अब िस-िसिर रममया िी चत
ू मारने
लगा। जब रममया िी चूत में भी पानी िी धचिनाहट आ गई तब रामू ने अपने लण्ड िो ननिालिर कफर से
चन्दा िी चूत में पेल टदया, और चन्दा िो खूब िस-िसिर ठोंिने लगा। अब िभी रामू अपने लण्ड िो चन्दा
िी चूत में, और िभी रममया िी चूत में पेलने लगा। वह बीच-बीच में दोनों िी िसी हई चूधचयों िो भी दबोचते
हए उन्हें चोद रहा था।

रामू ने दोनों लौंडडयों िी चत


ू मार-मारिर लाल िर दी और उसिी रफ़्तार बहत तेज हो चिी थी। वह जब
रममया िी चूत में लण्ड डालता तो खूब िस-िसिर चोदना शरू िर दे ता और कफर जब चन्दा िी चूत में लण्ड
डालता तब वह चन्दा िी गाण्ड िे ऊपर परू ी तरह लेटिर उसिी चत
ू चोदने लगता था। लगभग आिे घंटे ति
रामू िभी इसिी, िभी उसिी चूत मार-मारिर दोनों लौंडडयों िो मस्त िर चिा था। चन्दा और रममया दोनों
िा पानी लगभग दो-दो बार छूट चिा था और अब उनिी टहम्मत जवाब दे चिी थी।

चन्दा- रामू भैया अब उठ जाओ, बहत ददम हो रहा है ।

रममया- भैया अब कफर से चोद लेना। आज तमने बहत जोरदार चदाई िी है , परू ा बदन ददम िर रहा है ।

राम-ू पर मेरा पानी तो अभी ति ननिला ही नहीं।

रममया- भैया तम्हारा पानी हम दोनों तम्हारे लण्ड िो एि साथ चाट-चाटिर ननिाल दे ते हैं।

राम-ू “अच्छा ठीि है । मैं भी चोद-चोद िे थि गया हूुँ। तम दोनों मेरे लण्ड िो खब
ू जोर-जोर से चूसिर इसिा
सारा पानी चाट लो…”

और कफर चन्दा और रममया दोनों ने रामू िे मोटे लण्ड िो चाटना शरू िर टदया। उन दोनों िी रसीली जीभ िे
स्पशम से रामू िा लण्ड और मोटा होिर तन गया और उसिे लण्ड िी नसें उभरिर नजर आने लगीं। दोनों
लौंडडयों ने रामू िे लण्ड िो खूब दबा-दबािर चूसना शरू िर टदया और कफर एिदम से रामू ने पानी छोड़ टदया
और चन्दा और रममया पागल िनतया िी तरह उसिे लण्ड िा पानी चाटने लगी।

रामू िे लण्ड ने ब्जतना पानी छोड़ा, रममया और चन्दा परू ा चाट गई और कफर तीनों मस्त होिर वहीं लेट गये।
िछ दे र बाद रामू अपने खेतों में िाम िरने लगा और चन्दा अपनी माुँ िे पास चली गई।

रममया- “भैया जबसे तमने मझे चोदना चालू किया है, तबसे रात िो रोज मेरा टदल तमसे चदवाने िा िरता है ,
तम रात िो मझे क्यों नहीं चोदते हो? मेरा मन तो रोज रात िो तम्हारे साथ नंगी होिर सोने िा िरता है…”

रामू रममया िो अपनी गोद में बैठािर उसिे मोटे -मोटे िसे हए दि
ू िो दबाते हए- “मेरी गडड़या रानी, अगर मैं
तझे रात िो चोदुँ ग
ू ा तो माुँ और ननम्मो िो पता चल जाएगा…”

58
रममया- तो भैया क्या हम रात िो िभी भी चदाई नहीं िर सिते हैं?

राम-ू “अरे तू कफिर क्यों िरती है , मैं तझे रात टदन चोदुँ ग
ू ा बस एि बार माुँ मझसे परू ी नंगी होिर अपनी चत

और गाण्ड मरवा ले। कफर वह हमें भी चदाई िरने से मना नहीं िरे गी…”

रममया- तो क्या भैया माुँ िा मन भी चदवाने िा िरता होगा?

रामू रममया िी चत
ू िो सहलाते हए- “अरे क्यों नहीं िरता होगा? माुँ तो खब
ू िस-िसिर अपनी चत
ू में लण्ड
लेना चाहती होगी, पर बेचारी िो लण्ड नहीं ममल रहा है …”

रममया- “भैया माुँ िी चत


ू तो बहत बड़ी और फूली हई है । हमारी चत
ू से तो चार गना फूली और बड़ी लगती है …”

रामू रममया िे दि
ू िो िसिर दबाते हए- “क्या तन
ू े माुँ िी चूत दे खी है ?”

रममया- “हाुँ। मैंने तो िई बार माुँ िो परू ी नंगी भी दे खा है । माुँ िो जब पेशाब लगती है तो मेरे सामने ही
अपनी चत
ू िो परू ा खोलिर मत
ू ने लगती है । जब वह मत
ू ती है तो उसिी चत
ू से बहत मोटी िार ननिलती है ,
पर उसिा छे द बहत बड़ा है। तम्हारा परू ा लण्ड उसिी चूत िे छे द में समा जाएगा…”

रामू रममया िा हाथ पिड़िर अपने लण्ड पर रखते हए उसिे मोटे -मोटे दि
ू िो मसलिर- “गडड़या रानी मेरा
लण्ड सहलाते हए माुँ िे बारे में बता ना…”

रममया- “भैया माुँ िी जांघें कितनी मोटी हैं ना, और तमने माुँ िी मोटी गाण्ड अगर दे खी होती तो तम उसे चोदे
बबना नहीं रह पाते, बहत मोटे -मोटे चूतड़ हैं माुँ िे…”

रामू रममया िी चूत में एि उं गली डालिर दबाते हए- “रममया जब माुँ िी चूत में मेरा लण्ड घसेगा तो माुँ िो
िैसा लगेगा?

रममया- “भैया माुँ िो चोदने िे मलए तो तम्हें खूब जोर लगाना पड़ेगा। एि बार भैया माुँ िो चोद दो तो कफर
हम घर में भी चदाई िर सिते है ना…”

राम-ू “तू कफिर ना िर िछ ना िछ रास्ता तो ननिलना ही पड़ेगा।

***** ***** िररया और िीना (बड़ी बेटी) कक चुदाई


उिर हररया िई टदनों िे बाद जब अपने गाुँव में पहुँचा तो, गाुँव िे तालाब में िछ औरतों िो नहाते दे खिर
उसिा लण्ड खड़ा हो गया और उसने वहीं एि आम िे पेड़ िे नीचे बैठिर सस्ताते हए अपनी धचलम ननिालिर
िस लेना शरू िर टदया। जब एि औरत ने अपना जलाउज़ परू ा उतार टदया तो हररया िा लण्ड उसिे बड़े-बड़े
दि
ू दे खिर खड़ा हो गया और वह अपने लण्ड िो मसलते हए दम लगाता रहा। हररया जल्दी से उठा और अपने

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घर िी ओर चल टदया। जब हररया ने घर िा दरवाजा खटखटाया तो उसिी बड़ी बेटी मीना ने दरवाजा खोल
टदया। मीना घर में अिेली थी।

यह बात जानिार हररया मन ही मन खश हो गया और बोला- “बेटी मीना बड़ी थिान लग रही है जरा आुँगन में
पानी रख दे मैं नहा लुँ …
ू ”

मीना लाल साड़ी पहने अपने भारी चूतड़ मटिाते हए पानी रखने चली जाती है और हररया अपनी जवान बेटी िे
मांसल ननतंबों िो दे खिर अपने लण्ड िो मसलने लगता है ।

तभी मीना पलटिर अपने बाबा िी ओर दे खती है और मश्िरािर िहा- “लगता है बाबा अभी-अभी चढ़ािर आए
हो, तभी तम्हारी आुँखों से खन
ू उतर रहा है…”

हररया- “ज्यादा बातें ना बना और चल थोड़ा मेरी पीठ भी रगड़ दे …” िहिर हररया ने अपने बदन पर पानी डाला
और अपनी बेटी से पीठ रगड़वाने लगा। जब उसने साबन लगाना शरू किया तो उसे अपने लण्ड पर साबन
लगाते दे खिर मीना िी चत
ू में खजली मचने लग गई थी।

िई टदनों से मीना िी चूत प्यासी थी और कफर अपने बाबा िा तगड़ा लण्ड दे खिर उसिी चूत फूलने लगी।
उसने िहा- “लाओ बाबा मैं साबन लगा दे ती हूुँ…” और कफर मीना ने अपने हाथों में साबन लेिर हररया िे मोटे
लण्ड पर लगाना शरू िर टदया।

हररया िा लण्ड परू े ताव में आिर झटिे दे ने लगा ब्जसे मीना ने अपने हाथों में िसिर दबोच रखा था। कफर
जब मीना ने अपने बाबा िे लण्ड पर पानी डाला तो हररया िा लण्ड एिदम से चमिने लगा। हररया ने जल्दी
से नहािर जमीन पर एि चटाई बबछा दी और उसपर लेट गया। मीना उसिो दे खिर मश्िराती हई तेल िी
शीशी लेिर आई और कफर अपने बाबा िे मोटे लण्ड पर खब
ू सारा तेल लगािर उसे मसलने लगी। हररया ने
िीरे से मीना िी चोली खोल दी और उसिे मोटे -मोटे दि
ू ों िो िस-िसिर मसलते हए उसिे दि
ू में तेल
लगािर मामलश िरने लगा।

मीना- “आह्ह… बाबा क्या िर रहे हो? परू ा ननचोड़ दोगे क्या? जरा िीरे दबाओ…”

हररया ब्जतने जोर से मीना िे दि


ू दबाता, मीना भी उतनी ही ताित से अपने बाबा िा लण्ड मसल दे ती थी।
दोनों एि दस
ू रे िो पागलों िी तरह मसल रहे थे। तभी हररया ने मीना िी साड़ी उतारिर अलग फेंि दी और
उसिे पेटीिोट िा नाड़ा खींच टदया और मीना अगले पल परू ी नंगी होिर अपने बाबा िी गोद में जैसे ही बैठी,
हररया ने अपना लण्ड अपनी जवान बेटी िी चूत में सटा टदया और मीना किसी मजे हए खखलाड़ी िी तरह अपने
बाबा िे लण्ड पर गच्च से बैठ गई और उसिे बाबा िा लण्ड उसिी चूत में जड़ ति घस गया।

हररया अपनी बेटी िी चूत मारते हए- “तेरी माुँ और चन्दा खेत में हैं क्या?”

मीना- “हाुँ। वह दोनों शाम ति ही लौटें गी। तम खूब िस-िसिर चोदो बाबा, बहत मीठी-मीठी खजली चल रही
है तम्हारी बेटी िी चूत में…”

60
हररया- “इतना मोटा लण्ड अपनी चूत में डालेगी तो खजली तो चलेगी ना… चल घोड़ी बन जा तब तेरी मोटी
गाण्ड सहलाते हए तेरी चत
ू मारने में अलग ही मजा आएगा…”

कफर क्या था मीना जल्दी से झििर घोड़ी बन गई और हररया ने अपनी बेटी िी मोटी गाण्ड और उसिी गदा
िो सहलाते हए अपने लण्ड िो उसिी चूत िी फांिों िे बीच सट से पेल टदया, और मीना- “आ बाबा मर गई
रे … जरा िीरे डाल, लगता है तू तो मेरी चूत फाड़ दे गा… जब भी तू धचलम पीिर मझे चोदता है तो तेरा लण्ड
परू ा डंडे जैसा हो जाता है…”

हररया अपनी बेटी िी गाण्ड सहलाते हए उसिी चूत में सटासट लण्ड मारते हए- “तो क्या तझे अपने बाबा िा
मोटा डंडा अच्छा नहीं लगता है ?”

मीना- “अच्छा क्यों नहीं लगेगा? ऐसे िड़े डंडे से अपनी चूत मरवाने िे मलए तो मैं िब से तड़प रही हूुँ, थोड़ा
तेज ठोंि ना अपनी बेटी िी चूत। आह्ह… आह्ह… और जोर से… हाुँ बाबा ऐसे ही और मार… खूब चोद बाबा,
आज फाड़ दे अपनी बेटी िी चूत िो…”

हररया पागलों िी तरह मीना िी चूत मारने में लग जाता है और मीना िराहते हए अपनी गाण्ड िो अपने बाबा
िे लण्ड पर खूब िस-िसिर मारने लगती है । अब हररया अपनी बेटी िो खड़ी िरिे खद भी खड़ा हो जाता है
और कफर मीना िी टाुँगों िो अपनी िमर िे इदम-दम लपेटिर उसे अपने लण्ड पर चढ़ािर खड़े-खड़े अपनी बेटी िी
चूत मारने लगता है । मीना अपने बाबा से मलपटी हई नीचे से उसिा मोटा लण्ड अपनी चूत में घसाए मसमसयाने
लगती है । हररया उसे दीवार से टटिािर उसिी चत
ू में खब
ू तेज-तेज लण्ड पेलने लगता है ।

मीना- “आह्ह… आह्ह… बाबा मैं गई। मेरा पानी आह्ह… आह्ह…” और कफर मीना एिदम से अपने बाबा से धचपि
जाती है और उसिी चत
ू से ढे र सारा पानी बहने लगता है ।

हररया उसे जमीन पर लेटािर उसिे ऊपर चढ़िर खूब तगड़े िक्िे मारते हए अपना पानी अपनी बेटी िी चूत में
छोड़ दे ता है । हररया मीना िो चोदने िे बाद उसिे ऊपर से उठिर अलग बैठ जाता है । कफर जब मीना खड़ी
होती है तो हररया उसिी मोटी गाण्ड में थप्पड़ मारते हए- “अरे मेरी रानी अपनी गाण्ड िब चोदने िो दे गी, तेरी
गाण्ड मारे भी तो बहत टदन हो गये हैं…”

मीना- बाबा तम गाण्ड बहत तेज चोदते हो मझे बहत ददम होता है ।

हररया उसिी मोटी गाण्ड िो सहलाते हए- “मेरी रानी बेटी, तेरी गाण्ड है भी तो इतनी जबरदस्त कि तेरी माुँ िी
गाण्ड से भी फैली है, इसीमलए तो तेरा बाबा तेरी मोटी गाण्ड खूब हमच-हमच िर चोदता है…”

मीना मश्िराते हए- “तो क्या तम्हारा मन अभी मेरी गाण्ड चोदने िा िर रहा है?”{

61
हररया- “अरे बेटी, पहले तो तेरी गाण्ड िो जी भरिर चाटूुँगा उसिे बाद तेरी गाण्ड िे छे द िो फैलािर उसमें
अपने लण्ड िो पेलग
ूं ा, आ यहाुँ पर पेट िे बल लेट जा। मैं थोड़ा तेल लगािर तेरी गदा िो मलायम िर दे ता
हूुँ…”

मीना हुँसते हए- “बाबा तम भी ना बहत बड़े चदक्िड़ हो। अगर मैं ना होती तो तम भला कफर किसिी गाण्ड
मारते? माुँ तो तम्हें अपनी गाण्ड छूने भी नहीं दे ती है …”

हररया- “अरे तेरी माुँ िी गाण्ड में उतना दम भी तो नहीं है , ब्जतनी गोरी और चौड़ी गाण्ड तेरी है । सच बेटी जब
मैं तेरी गाण्ड चोदता हूुँ तो मझे बड़ा मजा आता है …”

मीना- “ये क्यों नहीं िहते कि जब तम धचलम चढ़ा लेते हो तो तम्हें मेरी गाण्ड ही गाण्ड नजर आती है । भल

गये जब पहली बार तमने खेत में सबसे पहले मेरी गाण्ड ही मारी थी और मैं बहत धचल्लाई थी। तब तमने
सरसों िा तेल मेरी गाण्ड िा छे द खोलिर अंदर ति डाला था और कफर सारा तेल अपने लण्ड पर लगािर िैसे
िीरे -िीरे मझे बातों में लगािर मेरी गाण्ड में अपना लण्ड उतार टदया था…”

हररया- “हाुँ बेटी, वो टदन मैं िैसे भल


ू सिता हूुँ? तू 16-17 साल िी रही होगी और तन
ू े एि छोटी सी स्िटम
और सफेद शटम पहन रखी थी, तेरा बदन िम उमर में ही औरतों जैसा भर गया था और तेरे चच ू े इतने िड़े हो
गये थे जैसे कि तेरी शटम िे बटन तोड़िर बाहर आ जाएंगे। जब तेरी छाती िे बीच िी खली जगह से तेरे िसे
हए मोटे -मोटे दि
ू नजर आते थे तो मेरा लण्ड तझे दे खते ही खड़ा हो जाता था। लेकिन उस टदन जब तझे पेशाब
लगी और तू दस
ू री ओर मह
ुँ िरिे मत
ू रही थी, तब मैंने जब तेरे भारी और सडोल चूतड़ दे खे तो मझे यिीन
नहीं हआ कि मेरी िुँ वारी बेटी िी मोटी गाण्ड इतनी जबरदस्त है । सच िहूुँ तो उस समय तेरी गाण्ड तेरी माुँ िी
मोटी गाण्ड से भी भारी लग रही थी। मेरा तो टदल िरने लगा था कि मैं पीछे से अपना मुँह अपनी बबटटया िी
भारी गाण्ड में डाल दुँ …
ू ” िहिर हररया मीना िो उल्टी मलटािर उसिी गाण्ड िे लपलपाते छे द में िीरे -िीरे तेल
भरने लगता है ।

मीना अपने बाबा िा लण्ड अपने हाथों में पिड़े हए उसी पराने पल िे बारे में अपने बाबा से बात िर रही थी।
मीना बोली- “पता है, और कफर तमने मझे प्यार से अपने पास आने िो िहा और मझे अपने सामने खड़ा िरिे
मझे डराते हए मेरा एि हाथ पिड़ मलया और मझे दस
ू री ओर मुँह िरिे उठि बैठि लगाने िे मलए िहने लगे,
तािी जब मैं उठूुँ और बैठूुँ तो मेरे भारी चत
ू ड़ों िा गदराया उभार तम्हें नजर आए, और जब मैं उठि बैठि
लगाने लगी तो तम बड़े प्यार से अपने इस मोटे लण्ड िो मसलते हए मेरी मोटी गाण्ड िो अपनी नशीली आुँखों
से दे खने लगे थे।

हररया ने अपनी दो उं गमलयों िो मीना िी मोटी गाण्ड िे सराख में दबाते हए- “कफर मैंने क्या किया था बेटी?”

मीना अपनी नंगी गाण्ड िो थोड़ा ऊपर उठािर- “बाबा कफर तमने मेरी मोटी गाण्ड िो िसिर मसलते हए मेरी
ओर घरू िर दे खा और बोले- क्यों री मीना, तू अभी वहाुँ बैठिर अपनी चूत क्यों खजला रही थी?”

तब मैंने िहा- “नहीं बाबा, मैं तो पेशाब िर रही थी…”

62
तब तमने मेरे चूतड़ों पर िसिर एि थप्पड़ मारते हए िहा- “चल मैं अभी तेरी खबर लेता हूुँ…” और कफर तमने
मझे उठािर खाट िे ऊपर खड़ा िर टदया और मझे मगाम बनने िो िहा। और जब मैं मगाम बन गई तो तमने
िीरे से मेरी स्िटम िे अंदर झाुँिते हए मेरी गाण्ड िी फैली हई दरार िो किसी पागल ित्ते िी भाुँनत सघ
ंू ते हए
एिदम से चाट मलया और मैं अपने मोटे चूतड़ टहलाने िे मसवाय िछ ना िर सिी।

हररया- “ले बेटी मेरे लण्ड पर भी तेल लगा दे , तेरी तो परू ी गाण्ड मैंने धचिनी िर दी है अब आराम से मेरा
लण्ड तेरी गाण्ड में घस जाएगा…”

मीना अपने बाबा िे लण्ड पर तेल मलने लगी।

और हररया अपनी बेटी िी मोटी गाण्ड िे भरू े छे द िो फैलािर दे खते हए- “बेटी चप क्यों हो गई? आगे बता
कफर मैंने क्या किया?”

मीना- “बाबा कफर तमने मझसे मेरी मोटी गाण्ड िो ऊपर उठाने िे मलए िहा, और जैसे ही मैंने अपनी गाण्ड
ऊपर उठाई, तमने मेरी स्िटम मेरी िमर पर टाुँग िर अपनी लपलपाती जीभ से मेरी गाण्ड और चूत िो चाटने
लगे। क्या बताऊुँ बाबा उस समय मझे डर भी लग रहा था और मजा भी इतना आ रहा था कि मैं बता नहीं
सिती। कफर तमने मेरी गाण्ड और चूत िो लगभग 10 ममनट ति खूब जी भरिर चाटा था। मेरे पैर दखने लगे
थे, तब तमने मझे अपनी गोद में उल्टी मलटािर मेरे चूतड़ों िो फैलािर मेरी गदा िो अपनी उं गली से दबा-दबा
िर उसिे अंदर थूि लगाने लगे और जब मेरी गदा थोड़ी खलने लगी तब तमने ढे र सारा थि
ू मेरी गदा और
अपने मोटे लण्ड पर लगा मलया। जब मैंने तम्हारा थि
ू से सना लण्ड पहली बार दे खा तो मैं दे खती ही रह गई…”

हररया- “तेरा मन जरूर मेरे लण्ड िो पिड़ने िा हआ होगा?”

मीना- “हाुँ हआ तो था। पर जब तमने अपने थि


ू में भीगे लण्ड िो मेरी गदा में लगािर दबाया तो मझे इतना
ददम हआ कि मेरा मन िरने लगा कि मैं तम्हारे लण्ड िो पिड़िर खा जाऊुँ। पर तमने बबना परवाह किए
एिदम से मेरी गाण्ड में अपने मोटे लण्ड िो िक्िा टदया, और तम्हारा आिे से ज्यादा लण्ड मेरी मोटी गाण्ड में
फुँस गया और मेरी गाण्ड से खून ननिलने लगा। मैं ददम िे मारे धचल्लाने लगी तो तमने मेरा मुँह दबािर एि
ऐसा झटिा टदया कि तम्हारा परू ा लण्ड मेरी गाण्ड में घस गया और मैं बेहोश होते-होते रह गई…”

हररया अपनी बेटी िी गाण्ड िी तरफ लण्ड िरिे लेट गया, उसने िीरे से अपने लण्ड िो मीना िी गाण्ड में
लगािर िीरे से दबाया और उसिे लण्ड िा टोपा सट से मीना िी तेल से भरी मोटी गाण्ड िे छे द में िुँस गया।

तब मीना बोली- “आह्ह… बाबा अब तो तम जब भी मेरी गाण्ड में लण्ड डालते हो मझे इतनी मीठी-मीठी खजली
होती है कि क्या बताऊुँ… एि हाथ से मेरे दि
ू दबािर गाण्ड मारो तभी तो मेरी चूत से भी पानी छूटे गा…”

हररया ने एि तगड़ा शाट मारते हए अपने परू े लण्ड िो मीना िी मोटी गाण्ड में उतार टदया और कफर हररया
अपनी बेटी िी गाण्ड िे ऊपर लेट गया, ब्जससे उसिा बचा हआ मोटा लण्ड भी उसिी बेटी िी गदा िो फैलाता
हआ अंदर जड़ ति समा गया।

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मीना बोली- “ओह्ह… बाबा मजा आ गया, कितना मस्त तरीिे से फुँसा हआ है तम्हारा लण्ड… अब जरा तेज-तेज
चोदो…”

उसिी बात सनते ही हररया अपनी बेटी िी गोरी गदराई गाण्ड िो खूब मस्त तरीिे से ठोंिने लगा और मीना
नीचे पड़ी-पड़ी िराहने लगी। उसिी िराहने िी आवाज से ऐसा लग रहा था जैसे उसे कितना मजा आ रहा हो।
हररया अपनी बेटी िे मोटे -मोटे चच
ू े दबाते हए उसिी गाण्ड िो खूब हमच-हमच िर चोद रहा था। हररया िा
लण्ड अपनी बेटी िी गदा में खूब धचिनाहट िे साथ िसा हआ अंदर-बाहर हो रहा था और हररया उसे अपनी
बाुँहो में दबोचे हए उसिी गाण्ड िो खब
ू तबीयत से ठोंि रहा था। हररया िो अपनी बेटी िी गाण्ड मारते-मारते
िाफी समय हो गया और मीना िी गाण्ड िा छे द परू ी तरह लाल हो चिा था।

मीना अपनी दोनों मट्टठयां बाुँिे अपनी गाण्ड िो ऊपर-नीचे िर रही थी।

तभी हररया ने उसिे नीचे हाथ लेजािर उसिी चूत िो अपनी मट्ठी में भर मलया और इस तरह जब वह अपनी
बेटी िी चूत िो दबोच-दबोचिर उसिी गाण्ड में अपना मोटा लण्ड पेलने लगा तो उसे मस्त मजा आने लगा
और उसे लगने लगा िी जैसे उसिी बेटी िी गदा खूब िस-िसिर उसिे लण्ड िो दबाते हए उसिा सारा पानी
ननचोड़ लेना चाहती हो। वह अपनी बेटी िी पीठ पर लेटिर एि हाथ से उसिे दि
ू और दस
ू रे हाथ से उसिी
चूत िो दबाते हए उसिी गाण्ड िो चोद रहा था। जब मीना िी चूत से भी पानी बहने लगा, तब हररया ने
अपनी दो उं गमलयां मीना िी चूत में डालिर उसिी मोटी गाण्ड मारना शरू िर दी।

मीना मससिी- “आह्ह… बाबा आह्ह… बाबा…” िरती हई मसमसयाने लगी।

हररया से अब रहा नहीं जा रहा था और उसने मीना िी गाण्ड िो खूब िसिर जोर-जोर से ठोंिना शरू िर
टदया और ताबड़तोड़ दस बीस िक्िे मारते हए अपनी बेटी िी मस्तानी गाण्ड िे छे द में अपना सारा पानी
छोड़िर उसिी गाण्ड में अपना परू ा लण्ड जड़ ति दबािर हाुँफने लगा। िछ दे र हररया ऐसे ही लेटा रहा कफर
जब मीना थोड़ा िसमसाई तो हररया उसिे ऊपर से अलग होिर लेट गया।

मीना हुँसते हए अपने बाबा िा लण्ड दबोचिर- “क्यों बाबा, अब इसिी मस्ती िछ िम हई कि अभी और
चोदना चाहता है अपनी बेटी िो?”

हररया- “आज तो तन
ू े सचमच मस्त िर टदया है बेटी अपने बाप िो। जैसा मजा तेरी गाण्ड और चूत मारने में
आता है वैसा मजा मझे तेरी माुँ भी नहीं दे पाई है । चल अब जरा अपने बाबा िो चाय बनािर भी दे गी या बस
मजा ही लेती रहे गी? घर आया नहीं कि तन
ू े परू ी तरह थिा टदया…”

मीना हुँसते हए- “बड़े भोले ना बनो बाबा… खद तो ना जाने िहां से लण्ड खड़ा िरिे आते हो और कफर अपनी
बेटी पर सारी िसर ननिाल लेते हो। मैं तो खद अपनी गाण्ड मरवािर थि गई हूुँ, अब थोड़ा मझे अपने साथ
सला लो कफर मैं चाय बनािर लाऊुँगी।

हररया उसे अपने बगल में लेटा लेता है और कफर उसिी नंगी चूत और गाण्ड िो सहलाता हआ सो जाता है।

64
***** *****
शाम िो जब िाममनी अपने घर िी ओर जाती है तब उसे सधिया िी याद आ जाती है और वह सोचती है क्यों
ना सधिया बहन िे यहाुँ थोड़ी दे र बैठा जाए और वह चन्दा िो िहती है- “तू घर चल मैं अभी आती हूुँ…”

चन्दा अपने घर िी ओर आ जाती है ।

उिर िाममनी सधिया िे घर पहुँच जाती है । सधिया घर िे आुँगन में झाड़ू लगा रही थी और ननम्मो दस
ू रे िमरे
में लेटी हई थी। दरवाजे से आती शाम िी िपू से सधिया िा पारदशी घाघरा उसिे झिने िी वजह से ऐसा लग
रहा था जैसे िोई औरत परू ी नंगी होिर झाड़ू मार रही है । िाममनी दरवाजे पर खड़ी सधिया िी मांसल जांघें
और उसिी भारी गाण्ड िो दे खिर िछ जलन महसस ू िर रही थी, और मन में सोच रही थी कि इस घोड़ी िी
गाण्ड और जांघें कितनी मोटी और सडौल हैं।

तभी तो हररया जब भी उसे चोदता है तो अपने मन में सधिया िी गाण्ड िी िल्पना िरते हए चोदता है, और
िभी-िभी तो उसिे मुँह से भी ननिल जाता है- “हाय सधिया भाभी कितनी गदराई जवानी है तम्हारी… अगर मैं
रामू िी जगह तम्हारा बेटा होता तो रोज तम्हें रात भर नंगी िरिे चोदता…”

सधिया- अरे िाममनी तू िब आई?

िाममनी- बस दीदी, अभी आिर खड़ी हई हूुँ, और बताओ िैसी तबीयत है तम्हारी? ननम्मो बता रही थी कि
तम्हारे पैरों में बड़ा ददम रहता है ।

सधिया- अरे क्या बताऊुँ िाममनी, अब उमर भी ढलने लगी है ददम तो रहे गा ही।

िाममनी हुँसते हए- “अरे अभी तो तम्हारी जवानी में असली ननखार आया है और तम िहती हो कि उमर ढलने
लगी है …”

सधिया- “तझे ना जाने िहाुँ मेरे शरीर में ननखार टदख रहा है , जबिी मझे तो बढ़ापे ने आिर जिड़ना शरू िर
टदया है…”

िाममनी- “अब छोड़ो भी सधिया दीदी, मझसे सच ना उगलवाओ, क्या मैं नहीं जानती कि जब तम घर से बाहर
ननिलती हो तो ब्जतने मदम और आजिल िे लोंडे तम्हारी गदराई जवानी दे खते हैं तो बस उनिा हाथ सीिे
अपने लण्ड पर चला जाता है , और वह सब तम्हारी मोटी गाण्ड िो दे ख-दे खिर अपने लण्ड मसलने लगते हैं…”

सधिया मश्िरािर- “चप िर बेशमम… िहीं िोई सन लेगा तो क्या सोचेगा? लगता है तेरे मरद ने तझे भी
रणडीबाजी िे सारे हनर मसखा टदए हैं। तेरा मरद तो जब दे खो अपने लण्ड िो ही मसलता रहता है । सच में
उसिे जैसा चदक्िड़ और चूतखोर आदमी इस परू े गाुँव में िोई नहीं होगा…”

िाममनी- “एि मदम है, जो मेरे मरद से भी चार गना आगे है…”

65
सधिया- “ऐसा िौन मरद है जो तेरे हररया से भी ज्यादा चदासा हो, और औरतों िी गाण्ड और चूत मारने और
चाटने िे मलए टदन रात पागल रहता हो?”

िाममनी- “है एि मरद पर तम यिीन नहीं िरोगी…”

सधिया- अरे बताएगी तब तो यिीन होगा कि बबना जाने ही यिीन िर लुँ ?


िाममनी- “अरे और िोई नहीं बब्ल्ि तम्हारा बेटा राम…


ू ”

सधिया उसिी पीठ में मारते हए- “चप िर िनतया। जो मुँह में आया बि दे ती है । मेरा बेटा इतना सीिा है और
तू उसिे बारे में इतनी बिवास िर रही है…”

िाममनी- “अगर मैं झठ


ू बोलुँ ू तो मेरा मसर और तम्हारी चप्पल…”

दोनों िी बातें सनिर ननम्मो उठिर बैठ जाती है और अपने िान वापस उन दोनों िी बातों में लगा दे ती है ।

सधिया- “ऐसा क्या दे ख मलया तन


ू े मेरे बेटे िे बारे में?”

िाममनी मुँह बनाते हए- “रहने दो दीदी। तम एि तो सच्चाई सन नहीं पाती हो, और अगर सनती हो तो मझ
पर बबगड़ती हो, जैसे मैं अपने मन से सब िह रही हूुँ। तम्हें यिीन ना हो तो मेरे पास और भी िई लोग हैं,
जो मेरी बात िो सच ही िहें गे…”

सधिया- “अच्छा अब बता भी ऐसा क्या दे खा तन


ू े?”

िाममनी- “आज जब मैं तालाब िे पास से गजर रही थी तब मैंने दे खा कि रामू एि पेड़ िे पीछे छपा हआ था,
और तालाब में नहाती हई गाुँव िी नंगी औरतों िो घरू -घरू िर दे ख रहा था, और साथ ही उसिा हाथ तेजी से
टहल रहा था। मैंने जब चपिे से थोड़ा पास जािर दे खा तो मेरी सांस एिदम से रुि गई। तम्हारे बेटे रामू िा
मोटा घोड़े जैसा लण्ड दे खिर… तो सच मानो मेरी चूत से भी पानी बह ननिला। सच दीदी रामू िा लण्ड बहत
लंबा और मोटा है, बबल्िल किसी मोटे से गन्ने जैसा तना हआ था और वह उन औरतों िो दे ख-दे खिर अपने
लण्ड िो खूब टहला रहा था। सच दीदी मैं तो रामू िे मोटे लण्ड िो दे खिर पागल हई जा रही थी। मेरा टदल
िर रहा था कि उसे अभी अपने मुँह में भरिर खूब िसिे चूसुँू और कफर उसे अपनी चूत में जड़ ति घसा लुँ …
ू "

सधिया- “बेशमम िहीं िी… बड़ी आई मेरे बेटे िा लण्ड चूसने वाली। अरे अब वह भी जवान हो गया है तो उसिा
भी मन औरतों िो नंगी दे खने िा तो िरे गा ही… इसमें िौन सी बड़ी बात है जो तू मेरे बेटे िी तलना अपने
पनत से िरने लगी है । तेरे हररया िो िौन नहीं जानता है कि एि बार खेत में वह मीना िी चूत सहला रहा था
और गाुँव िे किसी आदमी ने उसे दे ख मलया था…”

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िाममनी- “अरे तो रामू िौन सा शरीफ है । वह भी तो जब धचलम पी लेता है तो उसे ऐसा नशा चढ़ता है कि उसे
बस चूत और गाण्ड ही नजर आती है, कफर चाहे ब्जसिी हो। तम नहीं जानती िल जब ननम्मो झाडड़यों िे पीछे
बैठिर पेशाब िर रही थी, तब रामू छपिर अपनी बड़ी दीदी िी चत
ू , गाण्ड िो बड़े प्यार से ननहार रहा था…"

सधिया- “अरे गलती से मेरे बेटे िी नजर पड़ गई होगी नहीं तो वह अपनी बहन िो िभी ऐसी नजरों से नहीं
दे ख सिता है …”

िाममनी- “अरे क्या नहीं दे ख सिता है? तम्हें उसपर इतना यिीन है , जबिी मैं तो िहती हूुँ िी एि बार िभी
उसिे सामने अपना घाघरा उठािर टदखा दे ना, कफर दे खना वह तम्हारे पीछे भी पागलों िी तरह पड़ जाएगा…”

सधिया- “रहने दे , वह तो रोज ही मेरे साथ सोता है पर उसमें तेरे आदमी जैसे गण नहीं हैं…”

िाममनी- “अच्छा तो कफर रात िो थोड़ा ध्यान दे िर सोना और कफर दे खना रामू तम्हारी मोटी गाण्ड में बबना
हाथ फेरे नहीं रह पाता होगा। िहीं ऐसा ना हो कि उसिा लण्ड तम्हारी चूत में घस जाए और तम सोती ही रह
जाओ…”

सधिया हुँसते हए- “िाममनी तू बहत िमीनी है, आज क्या रामू िी ही मशिायत लेिर आई है?”

िाममनी मश्िरािर- “अरे दीदी मैं मशिायत लेिर िहाुँ आई हूुँ? मैं तो तम्हारे बेटे िी तारीफ िर रही हूुँ िी एि
बार तम अपने बेटे िा लण्ड दे ख लो तो तम्हारी जवानी कफर से चढ़ने लगेगी। अब अपनी बेटी ननम्मो िो ही
दे ख लो, जब से उसने रामू िा लण्ड दे खा है तब से कितनी खोई-खोई रहती है…”

ननम्मो मन में- “िनतया चाची कितना अनाप शनाप माुँ िे सामने बिे जा रही है । पता नहीं और क्या-क्या बातें
बना-बनािर बताएगी, िहीं यह ना िह दे कि ननम्मो तो रामू से अपनी चत
ू भी मरवा चिी है…”

सधिया अपने मुँह पे हाथ रखिर- “िीरे बोल िाममनी, ननम्मो अंदर ही सो रही है, पर यह तो बता ननम्मो ने
िैसे रामू िा लण्ड दे ख मलया?”

िाममनी- अब यह तम ननम्मो से ही पछ
ू लेना, मैं चलती हूुँ।

सधिया- “अरे बैठ ना मैं चाय बनाती हूुँ। पहले तू यह बता कि क्या रामू िा लण्ड तेरे मरद से भी बड़ा है ?”

िाममनी- “अरे मेरे मरद से बड़ा तो है ही, पर मोटा इतना है कि तम्हारी खली हई चूत में भी अगर घसेगा तो
परू ी तरह चूत िो िस लेगा…” िाममनी बहत चालू चीज थी और वह सधिया िे चेहरे िो लाल होता दे खिर
समझ गई कि अब इसे भी खूब मजा आ रहा है ।

सधिया- “बता ना ननम्मो ने िैसे दे खा था अपने भाई िा लण्ड?”

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िाममनी- “अरे रामू जब अपनी िोती से अपने लण्ड िो ननिालिर मत
ू रहा था, तब ननम्मो तम्हारे खेतों िी
झोपड़ी िे पीछे खड़ी होिर अपने भाई िा मोटा लण्ड बड़े प्यार से दे ख रही थी और अपने दि
ू िो अपने हाथों
से मसल रही थी…”

अंदर पड़ी हई ननम्मो ने सोचा िहीं चाची और िछ ना बि दे इसमलए वह जल्दी से उठिर बाहर आ जाती है
और बोलती है- “अरे चाची तम िब आई?”

िाममनी- “बस अभी आई हूुँ बेटी, अब जाऊुँगी बहत दे र हो गई है और तेरे िािा भी शायद आ गये होंगे…”

ननम्मो- “बैठो ना चाची चाय बनाती हूुँ…” और कफर ननम्मो चाय बनाने चली जाती है ।

तभी रामू और रममया भी घर िे अंदर आ जाते हैं। रामू िे आते ही सधिया िी नजर रामू िी िोती में उठे हए
उसिे लण्ड िी ओर जाती है और सधिया द्वारा इस तरह अपने बेटे िे लण्ड िी ओर दे खने से िाममनी िे चेहरे
पर एि मश्िान फैल जाती है । िछ दे र बाद िाममनी अपने घर चली जाती है ।

रामू हाथ मुँह िोिर गाुँव में ननिल जाता है , और गाुँव िी चोपाल पर रात िो 8:00 बजे हररया िािा और
उनिा एि और जोड़ीदार किसान बबरजू बैठे रहते हैं और बबरजू धचलम भरने िी तैयारी में रहता है, तभी वहाुँ
रामू आ जाता है ।

हररया- आओ राम,ू कितने टदन हो गये बेटवा तमसे ममले िो?

राम-ू हाुँ िािा बहत टदनों से हमने साथ में दम भी तो नहीं लगाया है ।

बबरज-ू अरे रामू िा तम भी धचलम पीने लगे हो?

हररया- “अरे बबरजू िा पगला गये हो? रामू तो हमारे गाुँव िा शेर है कफर वह भला िाहे ना वपएगा? िा तम
दे खे नहीं हो िी गाुँव िी लौंडडया रामू िे िसरती बदन िो िैसे दे खती हैं?”

बबरज-ू हाुँ ये बात तो तम ठीि िह रहे हो हररया भाई।

हररया- “अरे रामू तो इतना जबरदस्त मदम बन चिा है कि अब इसिी चौड़ी छाती िो 40-50 साल िी औरतें भी
दे खने लगी हैं। लगता है िी रामू िा बदन दे खिर अब बड़ी-बड़ी घोडड़यों िी चत
ू में भी खजलाहट होने लगी है …”

बबरज-ू एि बात िहें हररया भाई। रामू िो हम जब भी दे खत है हमें तम्हारी जवानी िे टदन याद आ जाते हैं।

हररया- अब साले तो िा हम अभी बढ़ा गये हैं? अभी भी हम किसी िुँ वारी लौंडडया िो िसिर चोद दें तो दो
घंटे ति ससरी पानी नहीं माुँगेगी।

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राम-ू “अरे बबरजू िािा, यह बात तो हररया िािा बबल्िल ठीि िह रहे हैं। उनिा शरीर आज भी पहलवानों िी
तरह सिा हआ है । लौंडडया क्या औरतों िो भी पशीने छड़वा दे ते होंगे हररया िािा…”

और कफर तीनों हुँसने लगते हैं। िछ दे र बाद उनिी धचलम शरू हो जाती है और लगभग आिे घंटे बाद बबरजू
अपने घर चला जाता है और हररया और रामू नशे में मस्त होिर बातें िरने लगते हैं।

रामू आज परू ा मस्त हो रहा था और ना जाने उसिे मन में क्या था कि हररया िािा िे नजर आते ही उसिे
लण्ड में ताव आना शरू हो गया था।

राम-ू “हाुँ तो िािा, इतने टदन कििर गायब रहे? िहीं किसी िे चक्िर में तो नहीं गये थे?”

हररया- अरे नहीं रे … बेटा वो क्या था कि मझे किसी से अपना पैसा लेना था, इसमलए शहर ति गया था और
वहाुँ मेरी बहन और बहनोई रहते है , बस उन्हीं िे यहाुँ रुि गया था।

राम-ू आपिी बहन आपसे छोटी है या बड़ी?

हररया- अरे बेटा, बस यूुँ समझ ले तेरी माुँ िी उमर िी है और टदखती भी बबल्िल तेरी माुँ िी तरह ही है , वहीं
गोल भरा हआ चेहरा, वहीं रस से भरे हए होंठ, उसिे बदन िा एि-एि टहस्सा तेरी माुँ सधिया िी तरह है ।

रामू मश्िराते हए- “लगता है िािा तम अपनी बहन से बहत प्यार िरते हो…”

हररया- अरे बेटा हम नहीं बब्ल्ि हमारी बहन रानी हमसे बहत प्यार िरती है ।

राम-ू “तो क्या स्वागत किया आपिी बहन ने आपिे वहाुँ जाने पर? और आपिा जीजा क्या िरता है और िैसा
लगता है ?”

हररया- “अरे बेटा, मेरा जीजा नाइट मशफ्ट िरता है इसमलए शाम िो चला जाता है और कफर सबह ही आता है
और रात भर ना सोने िे िारण टदन भर सोता है । और रही बात मेरी बहन िे स्वागत िी तो वह तो मेरे जाते
ही मझसे मलपट गई और अपने उभरे हए पेट िो मेरे हाथों िे नरम स्पशम से सहलाने लगी। उसिे बाद दीदी
मझसे अलग हो गई और मेरे मलए शरबत लेिर आई और मझे दे िर मझसे सटिर बैठ गई। जब मैंने शरबत
पी मलया तब दीदी वह धगलास उठािर अंदर रखने जाने लगी। तब मैंने जब दीदी िी साड़ी में उठे हए उनिे
मस्त िूल्हे दे खे तो मेरा लण्ड बबना खड़ा हए ना रह सिा। दीदी िे चौड़े-चौड़े बल खािर मटिते चत
ू ड़ दे खिर
मैं तो अपना मुँह अपनी दीदी िी मोटी गाण्ड में लगा दे ने िे मलए तड़प उठा। सच रामू अपनी बहन िे चौड़े
और उठे हए चूतड़ दे खिर मझे तम्हारी माुँ सधिया िी याद आ गई…”

राम-ू क्या तम्हारी बहन िी गाण्ड मेरी माुँ िी गाण्ड िी तरह लगती है?

हररया- “अरे रामू बेटा, अगर तम अपनी माुँ िो परू ी नंगी िर दो और मैं अपनी बहन िो परू ी नंगी िरिे साथ
में खड़ा िर दुँ ू तो दोनों में िोई अंतर नजर नहीं आएगा, दोनों नंगी भी एिदम एि जैसी लगें गी…”

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राम-ू कफर क्या हआ आपिी बहन िे यहाुँ?

हररया- “कफर रामू जब मेरी बहन वापस आई तो मैं दे खिर मस्त हो गया। उसने एि पतली िपड़े िी मैक्सी
पहनी हई थी और उसमें उसिा परू ा बदन साफ उभरिर टदखाई दे रहा था। मेरा लण्ड परू ी तरह से अपनी िोती
में तना हआ था…”

तभी उसने मेरे पास आिर मझसे िहा- चलो भैया नहा लो।

मैंने िहा- “नहीं मैं िपड़े नहीं लाया हूुँ, जबिी मैं िोती िे अंदर परू ा नंगा था…”

दीदी ने एि झटिे में मझे उठािर मेरी िोती खोल दी और कफर मेरे लण्ड िो ननिालिर चूसने लगी।

उसिी चसाई ने मझे मस्त िर टदया। कफर सबसे पहले मैंने उसे घोड़ी बना टदया और अपनी दीदी िी मोटी
गाण्ड पर जब अपना हाथ फेरा तो मेरा लण्ड झटिे मारने लगा। मैंने झि िर उसिी चूत िी मोटी उभरी हई
फांिों िो अपने दोनों हाथों से फैलािर अपनी जीभ डाल दी। जैसे ही मझे उसिी फूली हई चत
ू िो चाटने िा
मौिा ममला मैंने अपना परू ा मुँह उसिी फूली हई चूत में लगा टदया और चाटने लगा। दीदी ने मस्त होिर
मझसे अपनी चूत चटवाई। उसिे बाद मैंने दीदी िी चत
ू में पीछे से ही अपना लण्ड पेल टदया और िस-िसिर
दीदी िो चोदने लगा। इस तरह रामू मैं ब्जतने टदन रहा मैंने दीदी िी खूब जमिर चदाई िी है । अभी भी उसिी
फूली हई चूत से मेरे लण्ड िा ददम परू ी तरह से ममटा नहीं होगा। सोचो रामू जब हमारी बहन परू ी नंगी होने पर
इतनी मस्त जवान नजर आती है तो तम्हारी माुँ सधिया िी गदराई जवानी नंगी होने पर िैसी नजर आती
होगी?

राम-ू यह तो आप बबल्िल सही िह रहे हैं िािा। मेरा लण्ड भी मोटे -मोटे चत
ू ड़ों िो दे खिर तन जाता है ।

हररया- पर रामू ऐसे मस्त चूतड़ जब ति चोदने िो ना ममलें, मजा नहीं आएगा।

रामू अपने लण्ड िो मसलता हआ मस्त हो रहा था। उसे चूत और मोटी गाण्ड िे मसवा िछ टदखाई नहीं दे रहा
था।

हररया ने एि नई धचलम बनािर रामू िी ओर बढ़ाते हए िहा- “ले बेटा इस धचलम िो पीिर जब तू घर
जाएगा तो तझे तेरी माुँ सधिया परू ी नंगी नजर आने लगेगी, और बस तेरा टदल यही िरे गा कि उसिा घाघरा
उठािर उसिी मोटी गाण्ड में लण्ड डाल दे …”

रामू ने दम लगाना शरू िर टदया और हररया िािा उसिे लण्ड िो अपनी बातों से झटिे मारने पर मजबरू िर
रहा था। रामू बोला- “िािा तम्हारी दीदी िी चूत िैसी है ? क्या वह अपनी चूत हमेशा धचिनी रखती है ?”

हररया- “अरे मेरी बहन िी चूत एिदम धचिनी रहती है , और मैं जब उसिी फूली हई चूत िो दे खता हूुँ तो मैंने
ब्जतनी भी चूत चोदी है उन सबसे सद
ं र नजर आती है । सच रामू तेरी माुँ सधिया िी चूत भी वैसी ही फूली हई

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होगी। जब तू अपनी माुँ िी चूत में हाथ फेरे गा तो मस्त हो जाएगा। तेरा टदल िरे गा कि उस पावरोटी िी तरह
फूली चूत िो खूब चाटे और खूब िस-िसिर अपने मोटे लण्ड से चोदे । रामू अगर तेरी माुँ ने तेरा लण्ड दे खा
होगा तो वह भी तझसे अपनी चत
ू ठिवाने िे मलए तड़पती तो जरूर होगी…”

राम-ू “नहीं िािा, माुँ ने मेरा लण्ड अभी ति नहीं दे खा है …”

हररया- “अरे तो कफर दे र किस बात िी है । आज रात िो ही जब तम सो जाओ तब अपनी िोती से अपने लण्ड
िो ननिालिर सोना। तम्हारी माुँ जब भी उठे गी उसे तम्हारा मोटा लण्ड नजर आ जाएगा, और वैसे भी तेरी माुँ
ने बहत समय से लण्ड मलया नहीं है , इसमलए दे खना वह तेरा लण्ड दे खते ही उसे पिड़ने िो तरसने लगेगी।
तेरी माुँ िी उमर में औरतों िी चूत िी खजली िछ ज्यादा ही बढ़ जाती है । तेरी माुँ िी उमर में औरतों िो
खब
ू चत
ू मरवाने िा मन िरता है । तन
ू े िभी गौर नहीं किया होगा, तेरी माुँ रात िो जरूर अपनी चत
ू सहलाती
होगी…”

राम-ू “पर िािा उसने भी मझे िभी अपनी चूत नहीं टदखाई…”

हररया- “अरे ऐसा हो ही नहीं सिता, तन


ू े ध्यान नहीं टदया होगा। औरतें तो िाम िरते-िरते भी बीच-बीच में
अपनी चूत िो मसल लेती हैं। तू दे खना जब तेरी माुँ अपने पैर फैलािर खाना बनाती होगी तब तू उसिे सामने
बैठिर दे खना, जरूर वह बीच-बीच में अपनी चूत िो भी सहला लेती होगी…”

रात िो 11:00 बजने िो थे और रामू और हररया िी बातें खतम होने िा नाम नहीं ले रही थीं।

कफर हररया ने िहा- “दे ख भाई, मझे तो अब चोदने िा मन िर रहा है और मैं घर जािर चूत मारूुँगा। रामू तम
अपना जगाड़ जमाओ नहीं तो बस रोज लण्ड पिड़िर ही सोना पड़ेगा। चलो अब चला जाय…” और कफर दोनों
अपने-अपने घर िी ओर चल दे ते हैं।

रामू नशे में ित होिर अपने घर पहुँचता है और दरवाजा बजाता है ।

सधिया- क्यों रे , इतनी रात ति िहाुँ घम


ू रहा था?

राम-ू वो माुँ बस चौपाल पर बैठा था।

सधिया दरवाजा लगाते हए- “मझे सब मालम


ू है उस िमीने हररया िी संगनत जो पिड़ी है तन
ू े तो अब तो रात
िो ऐसे ही दे र से लोटे गा। क्या िह रहा था वह िमीना, तझे िछ उल्टा सीिा तो नहीं मसखा रहा है?”

राम-ू “नहीं माुँ। वो भला मझे क्या उल्टा सीिा मसखाएगा?” और कफर रामू ननम्मो िे बगल में लेट जाता है ।

ननम्मो िे दस
ू री तरफ रममया सो रही थी और उसिी स्िटम ऊंची उठ जाने से उसिी गाण्ड लगभग साफ नजर
आ रही थी। सधिया आिर रामू िे बगल में लेट जाती है । ननम्मो भी लग रहा था कि गहरी नींद में है । रामू
अपनी माुँ और बड़ी बहन िे बीच लेटा हआ हररया िािा िे बारे में सोचने लगा था।

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सधिया रामू िी ओर मुँह िरिे िीरे से तािी ज्यादा आवाज से ननम्मो ना जाग जाए- “क्यों रे राम,ू क्या बातें
िरता रहता है तू हररया से?”

राम-ू िछ नहीं माुँ, बस ऐसी ही गाुँव घर िी बातें और क्या?

सधिया- उसिे साथ ना उठा बैठािर, नहीं तो तू भी उसी िी तरह हो जाएगा।

राम-ू माुँ तम्हें हररया िािा में क्या बराई नजर आती है ?

सधिया- अभी तू बच्चा है नहीं समझेगा। वह इतना बड़ा िमीना है कि अब तझे क्या बताऊुँ, चल अब सो जा
सबह खेतों में भी जाना है कि नहीं?

और कफर रामू अपना मुँह ननम्मो िी ओर िरिे जैसे ही आुँख बंद िरता है, ननम्मो रामू िा लण्ड िीरे से पिड़
लेती है । रामू अपनी आुँख खोलिर ननम्मो िी ओर दे खता है और ननम्मो िीरे से उसिी ओर मश्िरा दे ती है ।
रामू चपचाप लेटा रहता है, क्योंिी उसे सधिया िा डर रहता है और ननम्मो अपने हाथ िो नीचे से रामू िी
िोती में डालिर उसिा लण्ड बाहर ननिाल लेती है । रामू नशे िी मस्ती में मस्त था लेकिन अभी चोदने िा
िोई इंतजाम था नहीं। इसमलये वह चपचाप आुँखें बंद किए हआ लेटा रहता है और ना जाने िब उसिी नींद
लग जाती है । उिर ननम्मो रामू िे लण्ड िो बाहर ननिालिर िछ दे र ति उससे खेलती है और कफर उसिी भी
नींद लग जाती है ।

सबह-सबह जब सधिया एिदम से उठिर बैठती है तो उसिी आुँखें फटी िी फटी रह जाती हैं, और उसिा हलि
सख
ू ने लगता है । रामू आसमान िी ओर मुँह किए सीिा लेटा था और उसिा मस
ू ल जैसा मोटा तगड़ा लण्ड परू ी
तरह तना हआ आसमान िी ओर मसर उठाए खड़ा था। सधिया िे तो होश उड़ गये थे। उसने िभी सपने में भी
नहीं सोचा था कि उसिे बेटे िा लण्ड इतना मस्त है, और वह यह सोचिर मसहर गई कि रोज रात िो वह
इतने मोटे लण्ड िे पास सोती है । रामू िे लण्ड िी उभरी हई नशें दे खिर और उसिा किसी आलू िी तरह फूला
हआ सपाड़ा दे खिर सधिया िो एि बार अपने दि
ू िो अपने हाथों से मसलना पड़ा। उसिा टदमाग िाम नहीं
िर रहा था कि क्या िरे ? िछ दे र ति वह रामू िे लण्ड िो घरू -घरू िर दे खती रही। उसिे बाद उसने िीरे से
एि चादर उठािर रामू िे लण्ड िे ऊपर डाल दी।

रामू सबह उठिर रोज िी तरह खेत िी ओर चल दे ता है । आज वह अिेला ही अपनी मस्ती में चला जा रहा
था। जब वह हररया िे खेत िे सामने से गजरा तब हररया उसे टदखाई टदया, जो खाट पर बैठा धचलम पीने िी
तैयारी में था।

राम-ू “क्या हररया िािा सबह-सबह शरू हो गये? मैं तो अगर सबह से पी लेता हूुँ तो मझसे परू ा टदन िाम ही
नहीं होता है , तम पता नहीं िैसे दम लगािर भी िाम िर लेते हो…”

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हररया- “बचआ यही अंतर है तममें और मझमें । मैं जब भी सबह दम लगाता हूुँ तो बस यही सोचिर कि आज
फलानी िी चूत मारना है । बस ब्जसिो चोदने िा सबसे ज्यादा मन िरता है उसिी चूत और गाण्ड िो टदन भर
सोचता रहता हूुँ, तभी तो िाम में भी मन लगा रहता है , मेरा लण्ड भी बार-बार खड़ा होिर मजे दे ता रहता है …”

राम-ू “तम्हारा मतलब है ब्जसिी चूत मारने िा सबसे ज्यादा मन िरे , उसी िे ख्यालों में खोए हए दम लगािर
िाम िरना चाटहए…”

हररया- अब समझा तू मेरी बात।

राम-ू अरे ये झोपड़ी में से चूडड़यों िी आवाज क्यों आ रही है , अंदर िोई है क्या?

हररया- “अरे तेरी चाची पड़ी है । अंदर मत जाना अभी परू ी नंगी ही पड़ी होगी। आज सबह-सबह ही उसे चोदने िा
मन है , इसमलए उससे मैंने िहा िी तू अंदर जािर परू ी नंगी होिर अपनी चूत और गाण्ड में तेल मल, मैं अभी
दम मारिर आता हूुँ…”

रामू हररया िे पास बैठते हए- “लाओ कफर मैं भी लगा लेता हूुँ…” और अपने लण्ड िो मसलने लगता है ।

हररया मश्िराते हए- “क्या हआ अपनी चाची िो नंगी पड़ी सोचिर तेरा लण्ड खड़ा हो गया क्या?”

रामू झेंपते हए- “नहीं ऐसी बात नहीं है …”

हररया- “अब हमें ना मसखाओ बेटा। जब तम पैदा भी नहीं हए थे तब से हम तम्हारी माुँ िो तालाब में नंगी
नहाते दे खते आए हैं, सच बताओ अपनी चाची िो नंगी जानिर ही तम्हारे लण्ड में िड़ापन आया है ना?”

रामू मश्िराते हए- “जब जानते हो तो पछ


ू ते क्यों हो?”

हररया मश्िराते हए- “बेटा जानते तो हम यह भी हैं कि तम अपनी माुँ सधिया िी मोटी गाण्ड मारने िे मलए
मरे जा रहे हो, पर हमें भी तो तम्हारे मुँह से ही सनने में अच्छा लगता है…”

राम-ू अरे िािा वह तो एि सपने जैसा है भला हमसे हमारी माुँ क्यों अपनी गाण्ड मरवाएगी?

हररया- “बेटा जब तम्हारी माुँ तम्हारा मोटा लण्ड दे ख लेगी तो वह उस गन्ने िी याद में जरूर प्यासी हो
जाएगी। अरे बेटा यही तो इस गन्ने िी ममठास है कि जब िोई औरत एि बार इस गन्ने िो दे ख लेती है तो
तन्हाई में बबना इस गन्ने िो याद किए नहीं रह पाती है …”

राम-ू “अरे िािा वो िौन लोग हमारी तरफ चले आ रहे हैं?”

हररया ने जब मुँह घमािर दस


ू री ओर दे खा तो- “अरे यह तो हमारे समिी आ रहे हैं। आज बहनचोद इिर िा
रास्ता िैसे भटि गये? अरे ओ चन्दा िी माुँ अब नंगी ही पड़ी रहोगी या िपड़ा पहनिर बाहर भी आओगी?”

73
िाममनी ने जब अपने पनत हररया िी आवाज सनी तो िहा- “क्या हआ क्यों अपना गला फाड़ रहे हो?”

हररया- अरे बाहर आिर दे ख तो सही िौन आया है?

िाममनी- िौन है ?

हररया- “लगता है साले तेरी बेटी िो वापस लेने आ गये हैं?” िहिर हररया िाममनी िो बाहर बला लेता है और
सामने से उसिा दामाद और समिी आिर खड़े हो जाते हैं।

हररया उन्हें बैठने िो िहता है - “िटहए किशनलाल जी आज िैसे इिर िा रास्ता भल


ू गये?”

किशनलाल- “अरे हररया भाई, हम तमसे और अपनी बहू से माफी माुँगने आए हैं, और हमारा बेटा चाहता है कि
हम बहू िो अपने साथ वापस ले जाएं। अब जो हआ सो हआ, इन बच्चो िा जीवन क्यों खराब हो?”

हररया- “अरे हमें तो पहले ही पता था कि एि टदन आप लोग जरूर हमारी बेटी िो वापस लेिर जाओगे…”

कफर हररया ने िाममनी से िहा- “अरे चन्दा िी माुँ, जा जािर मीना िो तैयार िर दे । जमाई साहब उसे लेने
आए हैं, और रामू बेटवा तम जरा अपनी चाची िे साथ घर ति चले जाओ। मैं मेहमानों िो लेिर पीछे से आता
हूुँ…”

रामू िाममनी िे साथ चल दे ता है । िाममनी अपने भारी चूतड़ों िो मटिा-मटिािर आगे चल रही थी और रामू
उसिी मोटी गाण्ड िो दे खता हआ पीछे -पीछे चल रहा था। रामू बोला- “चाची तम्हारे चूतड़ कितने मस्त हैं, मेरा
तो लण्ड दे खते ही खड़ा हो गया है …”

िाममनी हुँसते हए- “बेटा जब मेरे चूतड़ दे खिर तेरे यह हाल हैं तो अपनी माुँ सधिया िे भारी चूतड़ों िो दे खिर
तेरा क्या होता होगा? सच-सच बता जब भी तेरी माुँ तेरे सामने रहती होगी, तेरा लण्ड खड़ा ही रहता होगा ना?”

राम-ू हाुँ चाची वो तो है , अब क्या िरूं? माुँ िे चत


ू ड़ हैं ही इतने भरे हए कि लण्ड दे खने से ही तन जाता है।

िाममनी- “बेचारी सधिया दीदी िो क्या पता कि उसिा अपना बेटा ही उसिी गाण्ड िा कितना बड़ा दीवाना है ?
तू िहे रामू तो मैं तेरे मलए तेरी माुँ से बात िरूं?”

राम-ू “अरे नहीं… नहीं चाची क्यों मझे जूते खखलवाना चाहती हो जबिी तम जानती हो मेरी माुँ िैसी है ?”

िाममनी- “डरता क्यों है बेटा? एि बार उसिी चूत िस िे मार दे गा तो कफर दे खना वह टदन भर तेरे लण्ड िो
अपने से दरू नहीं होने दे गी…” दोनों बात िरते हए घर िी ओर आ जाते हैं।

74
उनिे पीछे से हररया अपने मेहमानों िे साथ आता रहता है तभी सामने से ननम्मो पानी िा घड़ा मलए हए अपने
घर िी ओर चली जा रही थी।

किशनलाल- अरे हररया यह लड़िी िौन है? दे खने में बड़ी सद


ं र लग रही है ।

हररया- अरे ये समझ लो हमारी बेटी ही है, आप बताओ आप क्यों पछ


ू रहे हो?

किशनलाल- “इसिे लायि एि लड़िा है हमारी नजर में तम िहो तो बात चलाऊुँ?”

हररया- “अरे नेिी और पछ


ू -पछ
ू । अरे इसिी माुँ तो िब से इसिी शादी िरने िे मलए तैयार बैठी है । आप तो
बस बात बढ़ा दो, बािी बात मैं इसिी माुँ से िर लुँ ग
ू ा…”

इिर हररया िी बेटी अपने ससराल चली जाती है और उिर हररया ननम्मो िा ररश्ता एि अच्छे घर में िरवा
दे ता है , ब्जससे सधिया भी हररया िा एहसान मानने लगती है । ननम्मो िी शादी िे बाद हररया और रामू िे
पररवार में दरू ी िम हो जाती है , और अब सधिया भी हररया िे घर आने जाने लगती है ।

एि टदन सधिया िाममनी िे घर िी ओर चली जा रही थी िी तभी एि सांड़ दस


ू री ओर से एि गाय िे पीछे
आया और गाय िे वपछवाड़े में मुँह लगािर चाटने लगा। वह जैसे-जैसे गाय िे पीछे चाट रहा था, उसिा लाल
और निीला लण्ड बाहर आता जा रहा था। कफर तभी सांड अपने दोनों पैर उठािर गाय िे वपछवाड़े में अपना
लण्ड डालिर चोदने लगा। उस सीन िो दे खिर सधिया िी चूत में एिदम से खजली सी होने लगी, वह चपचाप
िाममनी िे घर पहुँच गई।

िाममनी- आओ दीदी आज सबह-सबह इिर िा रास्ता िैसे भल


ू गई?

सधिया- “अरे घर में भी तो बोर हो जाती हूुँ, इसमलए सोचा तेरे पास ही िछ टाइम पास िरती हूुँ…”

िाममनी- अच्छा किया मैं भी फसमत में ही थी, हररया और चन्दा तो सबह ही खेत पर चले गये।

सधिया- रामू भी रममया िो लेिर सबेरे ही ननिल गया है ।

िाममनी- तम सनाओ? अब तो ननम्मो िे जाने िे बाद और भी सन


ू ा-सन
ू ा लगता होगा?

सधिया- हाुँ पहले ननम्मो थी तो उसिे साथ ही टाइम पास हो जाता था, अब तो घर खाने िो दौड़ता है ।

िाममनी- “रामू िा जयाह क्यों नहीं िर दे ती? घर में बहू आएगी तो तम्हारा मन भी लगा रहे गा और रामू िे भी
मजे हो जाएंगे। तम दे खना रामू टदन भर घर में ही घसा रहे गा। पर एि बात िहूुँ लड़िी थोड़ी बड़ी उमर िी
लेिर आना, क्योंिी रामू िा मोटा तगड़ा लण्ड िोई छोटी लड़िी नहीं सह पाएगी…”

सधिया हुँसते हए- “तू तो मेरे बेटे िे पीछे पड़ गई है…”

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िाममनी- “अरे अब तम उसिी माुँ हो तो तम क्या जानो अपने बेटे िी चाहत िो। मझसे पछ
ू ो हररया मझे एि-
एि बात बता दे ता है, और रामू अपने टदल िी बात हररया से जरूर िरता है…”

सधिया- क्या बताया हररया ने?

िाममनी- यही कि तम्हारे बेटे िो औरतों िी मोटी गाण्ड बहत अच्छी लगती है, आजिल तो वह चोदने िे मलए
मरा जा रहा है ।

सधिया- तो क्या रामू हररया से यह सब बातें िर लेता है ?

िाममनी- अरे यह तो िछ भी नहीं, उसिा लण्ड तो सबसे ज्यादा तम्हारे मोटे -मोटे चूतड़ों िो दे खिर खड़ा होता
है ।

सधिया िाममनी िी पीठ में मारती हई- “झूठी िहीं िी… भला रामू ऐसा िभी िह सिता है?”

सधिया िी चूत तो पहले से ही फूली थी, और िाममनी ने ऐसी बातें शरू िर दी थी कि उसिी खजली और बढ़
गई थी। उसने जब से रामू िा तना हआ लण्ड दे खा था उसिी चूत रह-रहिर गीली हो जाती थी। शायद इतना
मोटा लण्ड उसने पहले िभी मलया भी नहीं था।

सधिया- िभी उसने तझसे भी मेरे बारे में िछ िहा है?

िाममनी- “िहा तो नहीं है , पर मैंने अक्सर उसिो तम्हारे मोटे चूतड़ों िी ओर बड़े प्यार से घरू ते दे खा है । मझे
तो लगता है िी उसे अपनी माुँ ही पसंद आ गई है, और वह जरूर तम्हें अपनी िल्पनाओं में चोदता होगा…”

सधिया- “चप िर बेशमम िछ भी बिे जा रही है । चल अब मैं चलती हूुँ, रामू िा खाना लेिर खेतों में जाना है …”
और कफर सधिया वहाुँ से घर आ जाती है और रामू िा खाना लेिर खेतों िी ओर चल दे ती है ।

सधिया अपने मन में सोचती रहती है कि क्या रामू हररया से उसिे बारे में बातें िरता होगा, आखखर क्या
बोलता होगा? उसिा टदल रामू िी बातें सनने िो िरने लगता है । जब वह हररया िे खेत से होिर गजरती है
तो हररया और उसिी बेटी िो दे खिर सन्न रह जाती है ।

हररया चन्दा िो अपनी गोद में बैठािर अपनी बेटी िी मस्त िसी हई चूधचयों िो बेददी से मसल रहा था, और
चन्दा अपने हाथ में अपने बाबा िा मोटा लण्ड पिड़िर सहला रही थी। सधिया यह दे खिर सन्न रह गई और
छपिर दे खने लगी। हररया लगातार अपनी बेटी िे दोनों दि
ू ों िो िभी अपने मुँह में लेिर पीता और िभी अपने
हाथों में भरिर मसलने लगता था। चन्दा िे हाथ में हररया िा मस्त लण्ड था और वह बड़े प्यार से उसे सहला
रही थी।

76
***** ***** रािू ने अपनी िााँ सुधिया को चोदा
सधिया ने इिर-उिर दे खा और एि बार अपनी चत
ू िो दबोचते हए चपचाप आगे ननिल गई और जैसे ही अपने
खेत िे गन्नों िे बीच पहुँची, उसिे िान िछ आवाज सनिर उसे वहीं रोि दे ते हैं, और वह चपिे से आवाज
िी ओर बढ़ती है ।

रममया- “भैया ऐसे नहीं, आप खाट पर पैर झलािर बैठ जाओ और मैं नीचे बैठिर आपिा लण्ड चूसुँग
ू ी…”

अपनी बेटी रममया िे मुँह से ऐसी बात सनिर सधिया िी चूत से पानी आ गया और उसने जब सामने दे खा तो
उसिी सांसें अपने िाबू में नहीं रहीं। रममया अपने भैया रामू िा लण्ड अपने हाथों में खूब दबोच-दबोचिर चस

रही थी, और दस
ू रे हाथ िो उसिे गोटू िे नीचे लेजािर उन्हें मसल रही थी। रामू अपनी आुँखें बंद किए हए
रममया िे दि
ू , जो कि उसिी शटम से परू े बाहर ननिले हए थे, िो खब
ू िस-िसिर मसल रहा था। सधिया
चपिे से झाडड़यों िे पीछे बैठ गई और उन दोनों िो दे खने लगी।

रममया- भैया अब अच्छा लग रहा है ना?

राम-ू “हाुँ मेरी रानी, बहत अच्छा लग रहा है । पर अब जरा मझे अपनी गोरी और मोटी गाण्ड और उसिे नीचे
फूली हई चूत भी टदखा दे …”

रममया- नहीं भैया, पहले मझे अपनी गोद में बैठािर प्यार िरो।

रामू ने रममया िो उठािर अपनी गोद में बैठा मलया और उसिे रसीले होंठों िो वह उसिे दि
ू दबाते हए चस

रहा था।

उसे दे खिर सधिया पागल हई जा रही थी। रममया अपने भाई िी गोद में बैठी उससे अपने दि
ू दबवा रही थी
और अपने भैया िा लण्ड अपने हाथों में मलए सहला रही थी। अचानि रामू िो ऐसा लगा िी िोई छपिर दे ख
रहा है , और रामू ने नतरछी नजरों से यह जान मलया कि उसिी माुँ झाडड़यों िे पीछे छप िर बैठी है ।

रामू ने एि पल िे मलए िछ सोचा और कफर उसने रममया िो घोड़ी बनािर उसिी गदराई गाण्ड में अपना हाथ
फेरते हए िहा- “रममया तेरी मोटी गाण्ड बहत अच्छी है , पर मैं तझे चोद-चोदिर तेरी गाण्ड और भी मोटी और
मजबत
ू िरना चाहता हूुँ…” और कफर रामू ने अपना मह
ुँ अपनी बहन िी मोटी गाण्ड में भरते हए िहा- “तू नहीं
जानती रममया कि मोटी-मोटी गाण्ड दे खिर तेरे भैया िा लण्ड कितनी जल्दी खड़ा होता है । तेरी गाण्ड मैं
बबल्िल माुँ िी मोटी गाण्ड िी तरह िर दुँ ग
ू ा…”

रममया- भैया तम्हें माुँ िी मोटी गाण्ड बहत पसंद है ना?

राम-ू हाुँ रममया, अपनी माुँ िी गाण्ड सबसे ज्यादा मोटी और मस्त है ।

रममया- तो क्या तम माुँ िो भी चोदना चाहते हो?

77
राम-ू “हाुँ रममया, मैं माुँ िो परू ी नंगी िरिे खूब िसिर उसिी गाण्ड मारना चाहता हूुँ। पर माुँ िो मेरा ख्याल
ही िहाुँ है ? मैं तो उसिे गदराए ब्जश्म से धचपिने िे मलए िब से मरा जा रहा हूुँ। पहले तो माुँ मझे थोड़ा
बहत अपने सीने से लगा भी लेती थी, लेकिन अब जब उसिे खद िे बेटे िा लण्ड उसिी मस्त चूत मारने
लायि हो गया है तो वह मझे अपने िरीब भी नहीं आने दे ती है …”

सधिया ने जब रामू िे मुँह से ऐसी बातें सनी तो उसिा हाथ खद ही उसिी चूत ति पहुँच गया और वह अपनी
चत
ू िो सहलाते हए सामने दे खने लगी।

रममया- पर भैया तम तो माुँ िो परू ी नंगी िरिे उससे धचपिना चाहते होगे ना?

राम-ू “अरे वो तो ठीि है, पर मैंने अभी ति माुँ िी मस्त चूत भी नहीं दे खी है । मेरा बड़ा मन िरता है माुँ िो
नंगी दे खने िा…”

रममया- “भैया तम माुँ िो नंगी दे ख सिते हो। लेकिन तम यहाुँ खेतों में आ जाते हो और माुँ तम्हारे आने िे
बाद आुँगन में बैठिर िई बार परू ी नंगी ही नहाती है…”

रामू रममया िो अपनी गोद में अपने लण्ड पर बैठाता है और रममया अपनी चूत में अपने भैया िा मोटा लण्ड
एि झटिे में फुँसािर बैठ जाती है । कफर रामू बोला- “रममया क्या तन
ू े माुँ िो परू ी नंगी दे खा है ?”

रममया- “हाुँ। मैंने तो िई बार माुँ िो नंगी नहाते हए दे खा है । माुँ बहत मोटी और गोरी लगती है । भैया तम एि
िाम िरो, िल खेत पर ना आना और बहाना बना दे ना कि तम्हारी तबीयत ठीि नहीं है , कफर आुँगन िे पास
वाले िमरे में जहाुँ अंिेरा रहता है वहाुँ से आुँगन में जहाुँ माुँ बैठिर नहाती है वह बबल्िल सामने और बहत
पास में है । तम जब वहाुँ से माुँ िो नहाते दे खोगे तो तम्हें सब िछ बहत साफ टदखाई दे गा, ऐसा लगेगा जैसे
माुँ तम्हारे सामने ही परू ी नंगी होिर नहा रही है , और तम माुँ िो नंगी दे खिर मस्त हो जाओगे…”

रामू ने रममया िी बात सनते ही उसिी चूत में िसिर लण्ड पेलते हए िहा- “हाय मेरी प्यारी बहन, कितना
अच्छा रास्ता बताया है तन
ू ।े अब तो माुँ िे नंगे बदन िी एि झलि तो मझे ममल ही जाएगी…”

रममया- “आह्ह… भैया आज िछ ज्यादा ही मोटा और बड़ा लग रहा है तम्हारा लण्ड। लगता है यह माुँ िो नंगी
सोचिर और बढ़ने लगा है । माुँ जब नंगी होती है तो बहत मस्त नजर आती है । तम िल जी भरिर अपनी माुँ
िो परू ी नंगी दे खना। तम नहीं जानते माुँ िो नहाने में बहत दे र लगती है, वह खब
ू रगड़-रगड़िर नहाती है ,
तम्हारा पानी तो वह नहाते-नहाते ही ननिाल दे गी…”

सधिया अपने मन में- “बेशमम िहीं िी… मझे क्या पता था यह रममया इतनी बड़ी चदासी रांड़ ननिलेगी, िैसे
अपनी छोटी सी गलाबी चूत में अपने भैया िा इतना मोटा लण्ड फुँसािर उसिी गोद में चढ़ी हई है ?”

रममया अपने भैया िे मोटे डंडे पर िूदते हए- “भैया, तम्हें माुँ िो सबसे ज्यादा िहाुँ चूमने िा मन होता है?”

78
राम-ू “मेरा टदल िरता है कि माुँ िा खूब शग
ं ार िरिे सबसे पहले उसिे रसीले होंठों िो चूमता हआ उसिी
फूली चूत अपने हाथों में भरिर खूब दबाऊुँ और कफर उसे घोड़ी बनािर खूब िसिर उसिी चूत और गाण्ड
चाटूुँ…”

रममया- “भैया अब मेरे ऊपर चढ़िर चोदो ना…”

उसिी बात सनते ही रामू ने उसे खाट पर लेटा टदया और उसिी चूत में अपना लण्ड डालिर उसे चोदने लगा,
और बोला- “रममया क्या माुँ भी मझसे चदवाने िे मलए ऐसे ही तड़पती होगी?”

रममया- “पता नहीं, पर अगर माुँ तमसे िछ ज्यादा ही धचपिने िी िोमशश िरे तो समझ लेना कि उसे तम्हारा
लण्ड चाटहए। वैसे एि टदन रात िो मैंने उसे अपनी चत
ू में उं गली डालते हए दे खा था, कफर मैं नींद में थी तो
जल्दी ही सो गई…”

राम-ू मैं तो माुँ िो छूने िे मलए भी तरसता रहता हूुँ और उसिे डर िे मारे रात िो भी उससे दरू ही सोता हूुँ।

रममया- “अरे भैया तम तो बेिार ही डरते हो। माुँ तो बहत पक्िी नींद में सोती है । रात िो तम उसिी मोटी
गाण्ड िो खूब िस-िसिर भी सहलाओगे तो भी वह उठने वाली नहीं है । तम तो उसिे पास ही सोते हो, जब
मन िरे माुँ िी चूत और गाण्ड अपने हाथों में भरिर सहला टदया िरो। माुँ िे तो दि
ू भी कितने मोटे -मोटे हैं,
तम्हारा जब टदल िरे माुँ िी छानतयों िो मसल टदया िरो, उसिी कफिर ना िरो वह बड़ी मब्श्िल से उठती
है …"

राम-ू तू सच िह रही है?

रममया- “हाुँ… तम्हें यिीन ना हो तो आज ही पहले पीछे से माुँ िी भारी गाण्ड िो सहलाना। माुँ एि घाघरा भर
तो पहनिर सोती है । तम्हें तो ऐसा लगेगा जैसे तम माुँ िे भारी चूतड़ों िो परू ा नंगा िरिे ही सहला रहे हो…”

अपने दोनों बच्चो िे मुँह से अपने बारे में इस तरह िी बातें सनिर सधिया अपनी चूत िो खूब जोर-जोर से
मसल रही थी और उसे रामू िा मोटा तगड़ा लण्ड रममया िी चूत में जाता-आता हआ साफ टदखाई दे रहा था।

जब रामू रममया िो चोद चिा तब रममया िी चूत िो पानी से अच्छी तरह िोिर अपने गमछे से साफ किया।
कफर उसिी चूत िो जीभ से चाटते हए िहा- “रममया तझे पता है चूत चाटने में कितना मजा आता है ?”

रममया- “मझे मालम


ू है , और तम्हें भी पता है कि मझे तम्हारा लण्ड चूसने में कितना मजा आता है । तम्हारा
मोटा लण्ड जो औरत एि बार अपनी चूत में ले ले वह मस्त हो जाएगी। रामू चल अब जल्दी से हाथ मुँह िो ले
िछ दे र में माुँ आती ही होगी…” उसिे बाद रामू अपने िाम में जट जाता है ।

और कफर सधिया थोड़ा रुििर अपने चेहरे पर बनावटी हुँसी लािर खाट पर बैठते हए- “बेटे चल आ जा और
खाना खा ले…”

79
रममया- माुँ आज क्या खाना लाई हो?

सधिया अपने मन में खद से बातें िरती हई- “िनतया अभी इतना मोटा लण्ड खा रही थी तो भी तेरा पेट नहीं
भरा?”

रामू और रममया जब ति खाना खाते रहे , सधिया वहीं खाट पर आराम से लेटी रही। उसिे बाद वह िछ दे र
रुिी और कफर घर आ गई। उसिा मन बबल्िल नहीं लग रहा था और उसिी आुँखों िे सामने रामू िा मोटा
लण्ड रममया िी चत
ू में आता-जाता नजर आ रहा था। बड़ी मब्श्िल से टदन गजरा, रात िो सब खा पीिर सो
रहे थे।

तब रामू ने िीरे से अपने हाथ िो अपनी माुँ िी घाघरे िे अंदर िसी हई मोटी जाुँघों पर रख टदया। अपनी माुँ
िी मोटी गदाज जाुँघों िो छूते ही रामू िा लण्ड तनिर खड़ा हो गया। रामू िछ दे र अपना हाथ रखे रहा और
कफर िछ दे र बाद रामू ने अपनी माुँ िी मोटी जाुँघों िे गोश्त िो अपनी हथेली में भरिर दबोचा, तो सधिया ने
अपनी आुँखें खोलिर दबारा बंद िर ली। उसिी उठी हई गाण्ड रामू िी तरफ थी और वह रममया िी ओर मुँह
िरिे लेटी हई थी।

जब रामू ने अपनी माुँ िी मोटी जाुँघों िो दबोचा तो उसिी टहम्मत और बढ़ गई और उसने िीरे से अपने हाथों
िो ऊपर किया, और बढ़ािर अपनी माुँ िी मोटी और गदराई गाण्ड पर रखा तो वह मस्त हो गया। उसिी माुँ
िी गाण्ड बहत भरी हई और मस्त थी।

रामू से रहा नहीं गया और वह अपनी माुँ िे और िरीब सरि गया और अब अपने हाथों से अपनी माुँ िी परू ी
गाण्ड िो सहलाने लगा। अभी ति वह गाण्ड िे उभार पर ही अपना हाथ फेर रहा था। कफर उसने टहम्मत िरिे
अपने हाथ िी उं गमलयों िो थोड़ा सा अपनी माुँ िी गाण्ड िे छे द पर दबाया तो उसिी उं गली थोड़ा अंदर िी
ओर दब गई। अब वह बड़े आराम से अपनी माुँ िी गाण्ड िा छे द और चत
ू िो भी छूने लगा।

सधिया िी चूत से पानी आने लगा और उसिी सांसें तेज होने लगी थीं।

रामू ने िीरे से अपनी माुँ िे िान में आवाज दे िर उसे पिारा, लेकिन सधिया चपचाप लेटी रही। रामू अब
सधिया िी गाण्ड और पीठ से परू ी तरह धचपि गया था और उसने अपना हाथ बढ़ािर अपनी माुँ िे मोटे -मोटे
चोली में िसे हए चूचों िो थाम मलया और उसिी गदाज चूधचयों िा मजा लेने लगा। रामू िाफी दे र ति अपनी
माुँ िे दि
ू िो दबाता रहा और िभी उसिी गाण्ड और िभी उसिे गोरे नंगे पेट पर अपना हाथ चलाता रहा।
उसिा लण्ड अपनी माुँ िी मोटी गाण्ड में परू ी तरह िुँसा हआ था और अपने बेटे िे लण्ड िी चभन अपनी
गाण्ड में महसस
ू िरिे सधिया मस्त हो रही थी और उसिा टदल अपनी चूत िो मसलने िा िर रहा था। रामू
सधिया से धचपिा हआ ना जाने िब सो गया और इसी तारह सधिया िो भी नींद आ गई।

सबह सधिया ने रामू िो जगाते हए उठाया- “चल बेटा उठ जा, सरू ज मसर पर चढ़ गया है…”

80
रामू उठिर बैठ गया और सधिया चाय बनाने लगी। उसने अपने बाल खोल रखे थे और उसिी चोली िे ऊपर िे
दो बटन खले हए थे। उसिी छलिती जवानी ने सबह से ही रामू िा लण्ड खड़ा िर टदया। उसे अपनी माुँ िो
दे खिर लगा कि वह नहाने िी तैयारी में है ।

सधिया चाय लेिर रामू िे पास आई- “ले चाय पी और इतना आलस क्यों िर रहा है ? खेत पर नहीं जाना
क्या?”

राम-ू माुँ आज िछ तबीयत ठीि नहीं लग रही है ।

सधिया उसिे चेहरे िो अपने हाथों से छूिर दे खते हए- “क्या हआ बखार तो नहीं है ?”

राम-ू बस माुँ थोड़ी िमजोरी सी लग रही है, बस आराम िरने िा टदल िर रहा है ।

सधिया उसे अपने सीने से लगाते हए- “अच्छा ठीि है तू जािर उस िमरे में सो जा मैं यहाुँ झाड़ू लगा दुँ …
ू ”

रामू अंदर वाले िमरे में आ जाता है और वहाुँ से आुँगन िी ओर खलने वाली खखड़िी जो बबल्िल नीचे िी
तरफ थी और आुँगन में जहाुँ उसिी माुँ नहाती थी, वह जगह बस खखड़िी िे दस
ू री ओर थी। वहाुँ से झाुँिने पर
दस
ू री ओर अगर बैठ भी जाया जाय तो आसानी से नजर आ जाए। रामू ने दरवाजे िे पास आिर दे खा तो
सधिया झाड़ू मार रही थी और उसिी मोटी गाण्ड रामू िी ओर थी। रामू ने अपने लण्ड िो सहलाते हए अपनी
माुँ िी मटिती गाण्ड िा मजा लेना शरू िर टदया।

सधिया- “रममया ले यह िचड़ा बाहर फेंि िर आ, मैं नहाने जा रही हूुँ…”

रममया- “माुँ तम नहा लो मैं तब ति पड़ोस िी चाची िे यहाुँ से आती हूुँ…”

सधिया रामू िे िमरे िी ओर आती है और रामू जल्दी से बबस्तर पर लेट जाता है । सधिया उसिे पास आिर
बैठते हए उसिे मसर पर हाथ फेरिर- “नींद आ रही है क्या?”

राम-ू हाुँ माुँ परू ा बदन टूट रहा है ।

सधिया- “अच्छा तू आराम िर, मैं जरा नहा लेती हूुँ…” और कफर सधिया ने बाहर िा दरवाजा लगा टदया और
नहाने चली गई। सधिया जानती थी कि रामू आज उसिो परू ी नंगी दे खना चाहता है , इसमलए उसिी चत
ू पहले
से ही खूब फूल चिी थी और इसमलए उसिो भी खब
ू मस्ती सझ
ू रही थी।

रामू ने अपनी आुँखें खखड़िी िे नीचे िे छे द से लगा दी और दस


ू री ओर िा साफ नजारा दे खने लगा। दस
ू री
तरफ उसिी माुँ उसिे इतने िरीब लग रही थी कि उसिा परू ा भरा हआ शरीर उसे पागल बना रहा था।

सधिया ने िीरे से अपनी चोली खोलिर अलग िर दी। रामू ने अपनी माुँ िे बड़े-बड़े गठीले दि
ू दे खे तो वह
मस्त हो गया। सधिया िा भरा हआ ब्जश्म दे खिर रामू ने अपने लण्ड िो अपने हाथ में लेिर सहलाना शरू

81
िर टदया। सधिया ने अब अपने घाघरे िा नाड़ा खोला और मन ही मन खश होते हए एिदम से अपना घाघरा
छोड़ टदया।

रामू िे सामने उसिी गदराई माुँ परू ी नंगी खड़ी थी। रामू ने जब अपनी माुँ िी फूली हई गदाज चूत और उसिा
उठा हआ पेड़ू दे खा तो उसे ऐसा लगा जैसे उसिा पानी अभी ननिल जाएगा। सधिया अब अपने िपड़े उठाने िे
मलए झिी तो उसने एिदम से अपनी भारी गाण्ड रामू िे मुँह िी ओर िर दी, और रामू अपनी माुँ िी मस्त
मोटी गाण्ड और उसिे नीचे से उसिी खूब उभरी हई बड़ी-बड़ी फांिों वाली धचिनी चूत दे खिर मस्त हो गया।

सधिया अपनी नंगी मोटी गाण्ड टहलाती हई झििर बाल्टी में िपड़े मभगो रही थी और रामू िा टदल िर रहा था
कि अपनी माुँ सधिया िे पीछे बैठिर उसिी मस्त गाण्ड और चूत में अपना मुँह भरिर खूब दबोचे। सधिया वहीं
पर उिड़ू बैठिर िपड़े पर साबन लगा-लगािर नघसने लगी और उसिा मस्त फूला हआ भोसड़ा और मोटे -मोटे
दि
ू परू े उसिे बेटे िे सामने खले हए थे।

सधिया िपड़े िोने िे बाद उन्हें ननचोड़ने िे मलए कफर से अपने भारी चूतड़ों िो रामू िी ओर िरिे झििर
िपड़े ननचोड़ने लगी। उसिे बाद वह आुँगन में नंगी घम
ू -घम
ू िर िपड़े रस्सी में डालने लगी। जब वह पलटिर
जाती तो उसिे भारी भरिम चत
ू ड़ दे खिर रामू िा टदल िरता कि अभी जािर अपनी माुँ िी गाण्ड में परू ा खड़ा
लण्ड पेल दे , और जब सधिया वापस उस ओर आती तो अपनी माुँ िा उभरा हआ पेट और पेड़ू दे खिर रामू
उसिे बदन िो चूमने िे मलए तड़प उठता था।

सधिया िपड़े िोने िे बाद आराम से एि ऊंचे से पत्थर पर बैठ गई और अपनी एंडड़यां रगड़ने लगी, जब वह
अपनी जाुँघों िो बार-बार फैलािर अपनी एंडड़यां रगड़ती, तब उसिी चत
ू िी फांिें बार-बार िभी खलती और
िभी बंद हो जातीं।

रामू बराबर अपने लण्ड िो टहला रहा था।

सधिया ने अब साबन अपनी जाुँघों पर लगाना शरू किया। उसिी चूत खूब पानी छोड़ रही थी और वह अपनी
जाुँघों िो अपनी गाण्ड और चूत ति खूब नघस-नघसिर नहा रही थी। उसने अपने बदन पर पानी डाला और कफर
अपने मोटे दि
ू पर साबन लगािर नघसने लगी। वह हर तरह से रामू िो अपना नंगा बदन टदखा रही थी। वह
ब्जतना अपने बदन िो साबन से मल रही थी उसिी चत
ू से उतना ही पानी बह-बह िर बाहर आ रहा था।

रामू अपने लण्ड िो मसलते हए अपनी माुँ िी नंगी जवानी िा रस पी रहा था।

तभी सधिया ने अपनी जाुँघों िो परू ा फैला मलया और अपनी रसीली फूली हई चूत पर पानी डालिर उस पर
साबन लगाने लगी। उसिी चूत परू ी धचिनी थी। रामू सोच रहा था कि माुँ िी चत
ू पर एि भी बाल नहीं है और
कितनी फूली और गोरी नजर आ रही है । तभी सधिया ने अपनी चूत िी फांिों िो िछ इस तरह फैलाया कि
रामू िो अपनी माुँ िी चूत िा लाल धचरा हआ टहस्सा और उसिी चूत िा रस से भीगा लाल-लाल छे द नजर
आने लगा।

82
रामू िे मुँह में पानी भर आया, अपनी माुँ िी रसीली चूत दे खिर। उससे बदामस्त नहीं हआ और उसने वहीं
अपनी माुँ िी नंगी चूत िो दे खते हए मठ
ू मारना शरू िर टदया।

सधिया ने जब अपनी चूत पर साबन लगािर उसे िोया तो वह एिदम से चमि उठी। सधिया ने दो उं गमलयां
चूत में डालिर थोड़ा रगड़ा और कफर अपनी चूत पर ठं डा पानी डालिर उसिी गमी िो िछ शांत किया। उसिे
बाद सधिया ने अपने भारी चूतड़ों पर साबन लगा-लगािर मसलना शरू िर टदया।

रामू लगातार अपने लण्ड िो आगे पीछे िर रहा था।

तभी सधिया ने साबन में भीगी अपनी एि उं गली िो िीरे से अपनी गदा में डालिर रगड़ा और कफर अपनी
गाण्ड में पानी डालिर उसे रगड़-रगड़िर िोने लगी। अपनी माुँ िी मस्त गाण्ड िा गहरा छे द दे खिर रामू िो
लगा कि अभी वह अपना लण्ड अपनी माुँ िी मोटी गाण्ड में भरिर उसे खूब िसिर चोद दे और उसिा एिदम
से पानी ननिल गया। रामू ने अपने लण्ड िो दबा-दबािर अपना माल ननिाल टदया और सधिया ने भी उिर
अपने बदन िो सख
ू े िपड़े से पोंछिर पेटीिोट और जलाउज़ पहन मलया।

तभी किसी ने दरवाजा बजाया और रामू जल्दी से अपने बबस्तर पर आिर लेट गया। बाहर रममया खड़ी थी और
माुँ ने जब दरवाजा खोला तो वह अंदर आते हए- “माुँ नहा ली क्या?”

सधिया- “हाुँ मैं तो नहा चिी हूुँ। तू रामू से जािर पछ


ू ले कि वह अभी नहाएगा या दे र से?” और कफर सधिया
अपने िाम में लग जाती है।

रममया िीरे से अंदर जािर सीिे रामू िा लण्ड पिड़िर- “तमने सना माुँ क्या पछ
ू रही है , कि रामू से पछ
ू ले
कि वह अपना लण्ड अभी टदखाएगा या बाद में?”

रामू रममया िी चोटी पिड़िर खींचते हए- “बहत बोलने लगी है । िल तू मेरे साथ खेत में चल, तझे बताता हूुँ…”

रममया हुँसते हए- “आह्ह… भैया छोड़ो ददम हो रहा है …”

रामू बबस्तर से उठिर नहाने चला जाता है और रममया जािर सब्जजयां िाटने लगती है ।

सधिया दरू से रामू िे िसरती बदन िो दे ख रही थी, कफर सधिया चपिे से िमरे िे अंदर चली गई। तब
रममया ने रामू िी ओर िीरे से इशारा िर टदया और रामू ने अपने लण्ड िो िोती से बाहर ननिालिर जब
उसपर साबन लगािर मसलना शरू किया तो सधिया िी सांसें तेज होने लगी। जब उसिे बेटे िा लण्ड अपनी
परू ी औिात पर आ गया तो सधिया िी आुँखें खली िी खली रह गई। आज भरपरू रोशनी में वह अपने बेटे िा
तना हआ लण्ड दे ख रही थी। उसिा लाल सपाड़ा बहत फूला हआ था और उसिे बड़े-बड़े गोटे लण्ड से परू ी तरह
धचपिे हए थे। उसिे लण्ड िी मोटी-मोटी नशें परू ी तरह उभरिर टदखाई दे रही थी, सधिया अपने बेटे िे लण्ड
िो दे खिर मस्त हो गई।

तभी रममया ने रामू िी ओर मश्िराते हए दे खिर आवाज लगाई- “माुँ ओ माुँ…”

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सधिया जल्दी से िमरे से बाहर आिर- “क्या है रे क्यों धचल्ला रही है ?”

रममया- “माुँ परू ी सजजी िाट ल,ूं या बचाऊुँ?”

सधिया- “परू ी िाट ले…” िहिर सधिया ने इस बार रामू िो इस तरफ से दे खा। तब ति रामू अपने बदन पर
पानी डालिर नहा चिा था। उस टदन रामू टदन भर बैचेन रहा और आखीर में शाम िो वह कफर से हररया िािा
िे पास पहुँच गया।

हररया- आओ रामू आज खेत नहीं आए थे िा बात है ?

राम-ू पहले अपनी धचलम वपलाओ, कफर आगे िा हाल बताता हूुँ।

हररया ने धचलम बनािर रामू िो दी और रामू ने िश लगाना शरू िर टदया। रामू िी आुँखें िीरे -िीरे लाल सखम
हो गई और हररया ने उसिी नशीली आुँखों िो दे खिर िहा- “वाह बेटा… अब तम हमारे बगल में बैठने लायि
हो गये हो, बस एि ही िमी है …”

राम-ू वह क्या?

हररया- “यही कि तम अपनी माुँ िो चोदने िा सपना दे ख रहे हो, और मैं िई सालों पहले अपनी माुँ िो चोद
चिा हूुँ…”

राम-ू क्या बात िर रहे हो हररया िािा?

हररया- “हाुँ बेटा यह सच है…”

कफर हररया धचलम िा एि गहरा िश खींचिर रामू िो दे ते हए- “बेटा हमारी िहानी तो बहत लंबी है , हम तम्हें
कफर िभी सनाएंगे। तम अपनी िहो रामू तम्हारे क्या हाल हैं? िोई लौंडडया चोदने िो ममलती है या बस हाथ
से ही िाम चला रहे हो?”

राम-ू “अरे िहां िािा, िोई चोदने िो ममल जाती तो कफर क्या था? ऊपर से यह धचलम पीिर तो और भी
चोदने िा मन िरने लगता है …”

हररया- “दे खो राम,ू तम हमारी बात समझते नहीं हो, इसमलए तिलीफ में रहते हो। हम तमिो इतना बटढ़या
आइडडया टदए थे कि अपनी बहन ननम्मो िी िसी मस्त जवानी िा रस तम खद ही पी लो। वह लौंडडया भी
मस्त होिर ससराल जाती और जब िभी वापस आती तो रात टदन तेरे वारे न्यारे रहते, लेकिन तन
ू े िोई प्रयास
नहीं किया। अब अगर असली माल चोदना चाहता है तो तेरी माुँ सधिया से मस्त माल चोदने िो नहीं ममलेगा।
अभी तेरी माुँ िी चूत में बहत उठाव है, उसे एि तगड़े लण्ड िी जरूरत है । उसिे चूतड़ नहीं दे ख,े लण्ड खाने

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िो िैसे तड़प रहे हैं। सच में रामू तम्हारी माुँ सधिया तम्हारे जैसे मोटे लण्ड से चदने िे मलए भीतर ही भीतर
तड़प रही होगी…”

रामू िा लण्ड अपने परू े ताव पर था और हररया उसिे बदन में और भी आग लगा रहा था।

हररया- “रामू मैं सच िहता हूुँ, तेरी माुँ सधिया से मस्त माल नहीं है । बस ये है कि तझे चोदने में थोड़ी मेहनत
िरनी पड़ेगी, िाफी भारी शरीर िी है, जब तू उसे परू ी नंगी िरिे उसिे बदन से धचपिेगा ना तो ध्यान रखना
तेरा लण्ड िहीं पानी ना छोड़ दे …”

राम-ू “पर िािा अब मझे आगे क्या िरना चाटहए?”

हररया- “दे ख बेटा दननयां िे सारे िाम रात िो ही होते हैं। तू अब बस रात िो अपनी माुँ िे बदन से धचपि
िर सोया िर, और िीरे -िीरे उसिी मोटी गाण्ड और गदाज जाुँघों पर हाथ फेरिर मजा ले। उसिे जाग जाने से
डरना नहीं। अगर वह जाग भी गई तो पहले िछ समय ति तेरे सहलाने िा आनंद जरूर लेगी, तू बस उसे रोज
रात िो हाथ फेर-फेरिर गरम िर, िोमशश िर िी उसिी चूत िो सहला सिे। अगर एि बार तन
ू े उसिी चूत
िो अपने हाथों में भरिर सहला टदया, कफर तो वह खद अपनी चत
ू तेरे मलए खोल दे गी…”

राम-ू “िािा िहते तो तम ठीि हो, मैं िरिे दे खता हूुँ। रामू हररया िे पास से उठिर घर आ गया।

रात िो जब सब आिे घंटे से लेटे हए थे तब रामू ने एि िरवट लेते हए अपनी टाुँगें अपनी माुँ सधिया िी
मोटी जाुँघों िे ऊपर चढ़ािर रख दी, और हाथ िो सधिया िी मोटी छानतयों िे ठीि ऊपर रख टदया। रामू दो
ममनट ति ऐसे ही पड़ा रहा, उसिा लण्ड परू ी तरह तन चिा था। उसे यिीन हो गया कि माुँ गहरी नींद में सो
रही है । रामू ने अपने मुँह िो उसिे गालों िे पास लािर उसे चूमते हए अपने हाथ िो उसिी मोटी जाुँघों िे
ऊपर रखिर हल्िे से दबा टदया।

रामू ने जब िोई फिम नहीं दे खा तो वह नीचे सरि िर लेट गया और अपने मुँह िो अपनी माुँ िी मोटी गाण्ड
िे पीछे दोनों पाटों िे बीच लगा टदया। कफर रामू िीरे से ऊपर सरि िर आया और उसिा िोती में तना हआ
लण्ड सीिे सधिया िी मोटी गाण्ड िी दरार में उसिे घाघरे सटहत फुँस गया।

सधिया थोड़ी िसमसाई लेकिन कफर शांत हो गई।

रामू टहम्मत िरिे अपनी माुँ िी मोटी गाण्ड में अपने लण्ड िो गड़ाए हए धचपिा रहा। एि हाथ से रामू अपनी
माुँ सधिया िे उठे हए पेट और उसिी गहरी नामभ पर चला रहा था।

इिर सधिया िी चूत से पानी बह आया और वह चपचाप आुँखें बंद किए हए लेटी रही। उसे उसिे बेटे िे लण्ड
िी चभन अपनी गाण्ड में बहत अच्छी लग रही थी। उसिी चत
ू से पानी टपिना तो सबह से ही शरू था लेकिन
अब तो उसिे अंदर िी धचिनाहट इतनी बढ़ गई थी कि सधिया से रहा नहीं जा रहा था।

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रामू ने थोड़ी टहम्मत िरिे सधिया िे मोटे दि
ू पर हाथ रखिर अपनी माुँ िे दि
ू िो अपने हाथों में परू ी तरह
जैसे ही भरा तो ना जाने उसिी िमर ने क्यों ऐसा झटिा मलया कि सधिया उस झटिे से एिदम मस्त हो गई।
रामू िे लण्ड ने जब एिदम से अपनी माुँ िी चत
ू िे छे द िे ऊपर ठोिर मारी तो सधिया िी चत
ू िा दाना
फड़फड़ाने लगा।

इिर रामू ने सधिया िो परू ी तरह अपनी बाुँहो में भर रखा था और नीचे से अपनी माुँ िी मोटी गाण्ड में अपने
लण्ड िो परू ी ताित से दबाए हए था। सधिया एि बत िी तरह चपचाप िरवट मलए लेटी थी, लेकिन उसिी
चत
ू ने उसिी जाुँघों ति पानी पहुँचा टदया था। रामू अपनी माुँ िे गले और गालों िो चम
ू ते हए िीरे -िीरे उसिे
दि
ू दबाने लगा, बीच-बीच में वह दि
ू िी मोटाई िो महसस
ू िरिे दि
ू िो िछ तेज दबा दे ता था और उसी
समय उसिी िमर िा दबाव भी अपनी माुँ िी मोटी गाण्ड िी गहराई में पड़ जाता था।

सधिया मस्ती में चपचाप मजा ले रही थी। लेकिन अब वह एि ही तरीिे से लेटे हए थि गई थी पर रामू था
कि उसे छोड़ने िा नाम ही नहीं ले रहा था।

रामू उसे अपनी बाुँहो में परू ी तरह लेने िे बाद उसे बड़े प्यार से सहला रहा था। तभी दस
ू री और लेटी हई रममया
ने खाुँसते हए अचानि िरवट ली, तो रामू एिदम से अपनी माुँ िो छोड़िर अलग हो गया।

सधिया एि ही तरह से लेटे हए थि गई थी इसमलए वो भी िरवट लेते हए एिदम सीिे लेट गई और दोनों पैर
लंबे िर मलए। अब सधिया िा पतला सा घाघरा उसिे घटनों ति चढ़ा हआ था और उसिे घाघरे िे ऊपर से
उसिी फूली हई चूत िा उभार साफ नजर आ रहा था।

रामू िरवट लेिर लेटे हए अपनी माुँ िे घाघरे िे उस स्थान िो दे ख रहा था जहाुँ उसिी माुँ िी चूत िा बड़ा
सा उभार साफ नजर आ रहा था। रामू ने िीरे से अपने हाथ िो लेजािर अपनी माुँ िी फूली हई चूत िे उभार
पर रख टदया।

अपनी चूत पर सीिे-सीिे अपने बेटे िा हाथ पड़ते ही सधिया मस्त हो गई और अपने मन में िहने लगी- “हाय
बेटा राम,ू लगता है तू आज अपनी माुँ िी जान लेने िे इरादे से यहाुँ लेटा है …”

रामू ने िीरे से अपनी माुँ िी चत


ू िो अपने हाथों में भरिर दबोच मलया और अपने मुँह िो अपनी माुँ िे मोटे -
मोटे दि
ू िे ऊपर रखिर उन्हें हल्िे-हल्िे दबाने लगा, रामू अब बड़े प्यार से अपनी माुँ सधिया िी चूत िो
उसिे घाघरे िे ऊपर से सहला रहा था, और सधिया मस्ती में मस्त हो रही थी। अब रामू िा मन अपनी माुँ िी
फूली हई चत
ू दे खने िा िरने लगा, तो वह िीरे से उठा और अपने हाथों से अपनी माुँ िे घाघरे िो ऊपर िी
ओर सरिाने लगा। वह बहत आटहस्ते से अपनी माुँ िे घाघरे िो ऊपर िी ओर खींच रहा था।

सधिया रामू िी इस हरित से अंदर ही अंदर शमम से लाल हई जा रही थी। लेकिन आज उसिा भी टदल िर
रहा था कि उसिा अपना बेटा उसिी गदराई चूत िो अच्छे से दे ख ले।

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रामू ने अपनी माुँ िे घाघरे िो उसिी मोटी गदाज जाुँघों ति सरिा टदया और कफर रामू ने जब अपनी माुँ िी
चूत िे ऊपर से उसिा घाघरा हटािर अपनी माुँ िी मस्त गदाज पावरोटी सी फूली चूत िो दे खा तो उसिे लण्ड
से पानी ननिलते-ननिलते रह गया। रामू परू ी तरह अपनी माुँ िी चत
ू िो खा जाने िी नजर से दे ख रहा था।

उिर सधिया उस वक़्त मस्त हो गई जब उसने िीरे से अपनी आुँखें खोलिर अपने बेटे िी ओर दे खा, जो कि
उसिी फूली चूत िो बड़े प्यार से दे खे जा रहा था।

रामू से सहन नहीं हआ और उसने िीरे से अपनी माुँ िी चत


ू िे ऊपर अपना मुँह लेजािर उसिी चूत िो पहले
अपनी नाि से सघ
ूं ने िी िोमशश िरने लगा, और जब उसिी नाि में उसिी माुँ िी मादि नशीली गंि पहुँची
तो उससे रहा नहीं गया और उसने अपनी माुँ िी फूली हई चूत पर अपना मुँह रखिर उसे अपने होंठों से दबा
टदया। रामू एिदम मस्त हो गया और वह बार-बार अपने मुँह से अपनी माुँ सधिया िी फूली हई चत
ू िो दबा
रहा था।

सधिया से भी रहा नहीं जा रहा था और अचानि उसने थोड़ी सी टाुँगें खोल दी। जब सधिया ने थोड़ी सी टाुँगें
खोली तो रामू ने एिदम से अपना मुँह अपनी माुँ िी चूत से हटा मलया और िछ दे र अपनी माुँ िो दे खता रहा।
जब उसे िोई परे शानी नजर नहीं आई तब उसने अपनी माुँ िी मस्त मोटी जाुँघों िो सहलाते हए उसिी दस
ू रे
टांग िी मोटी जाुँघों िो थोड़ा और फैला टदया, तब उसिे सामने उसिी माुँ िी पानी छोड़ती चूत नजर आने
लगी। रामू अपनी माुँ िी मस्त फटी हई चूत दे खिर मस्त हो गया। वह िीरे से अपनी माुँ िी चूत िो सहलािर
दे ख रहा था। उसिा टदल उसे चूमने और चाटने िा िर रहा था।

लेकिन वह जानता था कि अगर उसने चत


ू चाटने िी िोमशश िी तो उसिी माुँ जाग जाएगी। इसमलये रामू मन
मारिर चपचाप लेटिर अपनी माुँ िी चूत और मोटी गाण्ड िो अपने हाथों से सहलाता रहा और कफर ना जाने
िब उसिी नींद लग गई।

उसिे सोने िे बाद सधिया ने रामू िे मसर पर प्यार से हाथ फेरते हए उसिे चेहरे िो चूम मलया और उसे अपने
मोटे -मोटे दि
ू में भरिर दबा मलया। सधिया िी परू ी चत
ू गीली हो रही थी, वह समझ चिी थी कि रामू उसे
चोदना चाहता है । लेकिन वह डर िे मारे आगे नहीं बढ़ सिा। वह रामू से अपनी चूत मराने िे मलए तड़पने
लगती है , और उसिा हाथ अनायास ही रामू िे लण्ड िी ओर चला जाता है । वह िोती िे ऊपर से ही रामू िे
ढीले हो गए लण्ड िो एि बार पिड़िर महसस
ू िरती है । लेकिन कफर यह सोचती हई सो जाती है कि िहीं रामू
जाग ना जाए।

सबह-सबह रामू खेतों में जाने िे मलए तैयार हो जाता है ।

तभी सधिया उससे िहती है - “बेटा मैं भी आज तेरे साथ खेतों में चलग
ूं ी, आज िा खाना बनािर रममया लेिर
आएगी…” और कफर सधिया भी रामू िे साथ चल दे ती है ।

हररया- क्या बात है सधिया बहन, आज तो तम भी रामू िे साथ यहाुँ आ गई हो?

सधिया- अरे क्या िरूुँ? घर भी तो सन


ू ा लगता है इन बच्चो िे बबना, और िाममनी नहीं आई क्या?

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हररया- अरे भाभी, वह तो दोपहर िा खाना लेिर आएगी। अच्छा बेटा राम,ू थोड़ी दे र बाद जरा आना हमारा ये
हल िाम नहीं िर रहा है थोड़ा आिर बनवा दे ना।

राम-ू ठीि है िािा। यह सामान रखिर आता हूुँ।

रामू और सधिया अपने खेतों में आ जाते हैं। सधिया िो खेत में छोड़िर रामू हररया िे पास से होिर आने िा
िहिर चला जाता है और सधिया खेत पर गमसम सी बैठ जाती है ।

हररया रामू िो दे खिर मश्िराते हए- “क्या बात है राजा बाब,ू आज तो तम लगता है अपनी माुँ िो खेतों में ही
चोदने िे मड
ू से लेिर आए हो, नहीं तो तम्हारी माुँ िभी खेतों में आती नहीं है…”

राम-ू “अरे क्या िािा, िौन सा माुँ अपनी चूत मरवाने आई है? वह तो ऐसे ही आ गई…”

हररया- “बेटा यह बाल िूप में ही सफेद नहीं हए हैं, जरूर तन


ू े रात िो िछ किया है , तभी तो तेरी माुँ सबह से
ही इतनी चदासी टदखाई दे रही है । मैंने तो तेरी माुँ िा लाल तमतमाया हआ चेहरा दे खते ही समझ मलया था कि
उसिे मन में तेरे लण्ड से चदने िी इच्छा पैदा हो चिी है , और उसिी आुँखों िे सामने बस तेरा लण्ड ही लण्ड
नजर आ रहा है…”

राम-ू “िािा तम ठीि िह रहे हो, पर अब आगे मैं क्या िरूुँ? मैं ना तो माुँ िो रात िो सोते में चोद सिता हूुँ,
और ना उससे अभी जािर िह सिता हूुँ कि मैं उसिी चत ू मारना चाहता हूुँ…”

हररया- “और वह भी तझसे यह तो िहे गी नहीं कि बेटा मेरी चूत िो अपने मोटे लण्ड से चोद दे …”

राम-ू “वहीं तो मैं िह रहा हूुँ िािा कि अब बात आगे िैसे बढ़े ?”

हररया िछ सोचते हए- “तू एि िाम िर, एि आिे घंटे में आ। मैं तब ति अपनी धचलम बनािर तैयार िर
लेता हूुँ। कफर मैं तझे िछ उपाय बताता हूुँ…”

रामू हररया िे पास से अपनी माुँ िे पास आ जाता है। उसिी माुँ आराम से खेतों में जाते पाइप िे पानी से
अपने पैर िो रही थी और रामू उसिे पास जािर बैठते हए- “माुँ गन्ना चूसेगी?”

सधिया रामू िो िानतल नजरों से दे खते हए- “बेटा अब इस उमर में मैं क्या गन्ना चूसुँग
ू ी?”

राम-ू “क्यों तेरी उमर िो क्या हआ है? तू तो मस्त तरीिे से गन्ना चूस सिती है । तू नहीं जानती मैंने ननम्मो
दीदी िो खूब मस्त गन्ने चसवाए हैं यहाुँ…”

सधिया रामू िो मश्िराते हए दे खिर- “अपनी बहन िो गन्ना चसािर तेरा पेट नहीं भरा, जो अब अपनी माुँ िो
भी गन्ना चसाना चाहता है?”

88
राम-ू “अरे माुँ, यहाुँ िे गन्ने हैं ही इतने मीठे और रसीले कि तू एि बार चूस लेगी तो इन गन्नों िी ममठास
िभी नहीं भल
ू ेगी, और तेरा टदल तो मोटे -मोटे गन्ने चस
ू ने िा िरे गा…”

सधिया हुँसते हए- “अच्छा ला चसा दे , िहाुँ है तेरा गन्ना?”

रामू िा टदल किया कि वह अपनी िोती में से अपने लण्ड िो ननिालिर अपनी माुँ िे मुँह में दे दे , लेकिन कफर
िछ सोचिर खेतों िे बीच से एि मस्त गन्ना तोड़िर ले आया और अपनी माुँ िो दे ते हए बोला- “ले तू गन्ना
चूस, मैं अभी आता हूुँ…” और कफर रामू हररया िािा िे पास चला जाता है ।

रामू जब हररया िािा िे खेत में जाता है तो उसे वह बाहर नजर नहीं आते हैं, तब वह आवाज लगाता हआ
झोपड़ी िी ओर बढ़ जाता है ।

तभी झोपड़ी िे अंदर से हररया बाहर आिर- “िा बात है रामू िछ िाम है िा?”

राम-ू “हाुँ िािा िाम तो है। पर तम िा टदन भर चन्दा िे संग लगे रहते हो?”

हररया- “आओ खटटया पर चलते हैं…” और रामू िे गले में हाथ डालिर खटटया पर आिर बैठ जाता है । हररया
अपनी धचलम ननिालिर उसे जलाने िी तैयारी िरने लगता है - “दे खो राम,ू जब अपनी मस्त लौंडडया िे साथ
हम यहाुँ िाम िरते हैं तो हमारा लण्ड तो उसिी गलाबी जवानी दे ख-दे खिर वैसे ही खड़ा रहता है तो अब तम
ही बताओ, जब लण्ड खड़ा रहे गा तो बार-बार टदल अपनी लौंडडया िो दबोचने िा नहीं िरे गा?”

राम-ू “िािा आपिी बात तो एिदम ठीि है, पर हमारा भी िछ भला िर दो ना…”

हररया- बोलो क्या िरना है?

राम-ू “आज माुँ भी मेरे साथ आई है । तम जरा खटटया पर चन्दा िो लािर थोड़ा मजे िरो और मैं जािर माुँ
िो किसी बहाने इिर से लेिर ननिलुँ ग
ू ा, और कफर तम समझ गये कि नहीं िािा?”

हररया धचलम जलाते हए- “बेटा बात तो तू एिदम ठीि िह रहा है । पर िहीं चन्दा िे साथ मझे दे खिर तेरी
माुँ ने हल्ला मचा टदया िी बाप बेटी पर चढ़ा है तो?”

रामू हुँसते हए- “क्या िािा अब तम डरने लगे?”

हररया- “अरे डर िौन रहा है ? ठीि है जैसी तेरी मज़ी हो, हमें इशारा िर दे ना हम तैयार हो जाएंग…
े ”

रामू वहाुँ से वापस आता है तो अचानि अपनी माुँ िो खाट से खड़ा होते दे खिर एिदम से गन्ने िे पीछे नछप
जाता है , और दे खने लगता है ।

89
सधिया किसी मस्तानी घोड़ी िी तरह चलती हई अपने घाघरे िे ऊपर से अपनी गाण्ड मसलते हए आगे बढ़ती
हई उस ओर जाती है, जहाुँ नहाने िे मलए पत्थर रखे हए थे और वहाुँ जािर वह एिदम से अपना घाघरा ऊपर
उठािर इिर-उिर एि नजर मारती है और कफर अपनी चत
ू िो अपने हाथों से सहलाते हए दे खती है और वहीं
बैठ जाती है ।

रामू अपनी माुँ िी मस्त मोटी नंगी गाण्ड दे खिर पागल हो जाता है और अपने लण्ड िो िोती िे ऊपर से
सहलाते हए अपनी रं डी माुँ िी जवानी िो घरू ने लगता है । उसिे सामने उसिी माुँ िे भारी चूतड़ साफ खले
नजर आते हैं, और उसिे चत
ू ड़ों िी गहराई िो दे खिर उसिा लण्ड झटिे मारने लगता है ।

तभी सधिया अपने घाघरे िो आगे से थोड़ा ऊपर िरिे अपनी फूली हई चूत िो दे खती है और कफर एि मोटी
िार मारिर मत
ू ने लगती है। उसिे मत
ू ने से रामू िे सनसान खेत में जब मस्त सीटी िी आवाज गुँज
ू ती है तो
रामू अपने होश खोने लगता है ।

सधिया वहीं िछ दे र ति मत
ू ती रहती है , और उसिी चूत से रह-रहिर पेशाब बाहर ननिलता है । रामू अपनी माुँ
िी मस्त फूली हई गलाबी चूत िो दे खिर अपने लण्ड िो बराबर सहलाए जा रहा था। सधिया िछ दे र मत
ू ने िे
बाद वहीं गड्ढे में भरे पानी से अपनी चत
ू िो सहला-सहलािर िोने लगती है ।

उिर रामू अपनी माुँ िी चत


ू िी गलाबी घाटी िो बड़े प्यार से घरू िर दे खता हआ अपना लण्ड सहला रहा था।
िछ दे र सधिया अपनी फूली चूत िो वहीं बैठी-बैठी रगड़ती है , और कफर खड़ी होिर अपनी चूत िो अपने घाघरे
से पोंछिर वापस से खाट िी तरफ चल दे ती है । थोड़ी दे र बाद रामू आिर अपनी माुँ िे पास बैठ जाता है ।

सधिया इिर-उिर िा नजारा दे खते हए- “बेटे ननम्मो ने भी खूब गन्ने चूसे होंगे ना?”

राम-ू “हाुँ माुँ। दीदी तो मस्त गन्ने चस


ू ती थी। उसे मैंने खब
ू मस्त तरीिे से गन्ने चसवाए हैं…”

सधिया- वह िैसे?

रामू खड़ा होिर- “तझे चूसना है क्या?”

सधिया- चसा दे ।

राम-ू “तो कफर हमें गन्ने िे खेत में घसिर िोई मस्त गन्ना ढूुँढ़ना पड़ेगा, बोल ढूुँढ़ेगी?”

सधिया- पर तझे भी मेरे पीछे -पीछे आना पड़ेगा।

राम-ू “मैं तो तेरे पीछे ही रहूुँगा। तू खद मस्त वाला गन्ना ढूुँढ़ लेना…” और कफर रामू ने अपनी माुँ िा हाथ
पिड़िर िहा- “चल…” और सधिया उसिे साथ चलने लगी। रामू रुि गया और उसने अपनी माुँ सधिया िो
गन्ने िे खेत में घसेड़ टदया।

90
रामू िा खेत िाफी बड़ा था और खेत िे सामने वाले टहस्से में हररया िा खेत जड़ा हआ था और बीच में गन्नों
िे िारण दोनों िी झोपडड़यां ति नजर नहीं आती थी। रामू अपनी माुँ िो हररया िी ओर जाने वाले टहस्से में
घसेड़िर उसिे पीछे चलने लगा।

राम-ू माुँ िोई गन्ना पसंद आ रहा है?

सधिया- दे ख रही हूुँ।

रामू अपनी माुँ िो एि हाथ से पिड़े हए दस


ू रे हाथ से गन्ने हटा-हटािर आगे बढ़ रहा था। रामू अपने हाथ िो
िभी अपनी माुँ िी मोटी गाण्ड पर फेर दे ता, िभी उसिी नंगी िमर पर, और जब सधिया एिदम से रुिती तो
रामू परू ा उसिे ऊपर चला आता था।

अब हररया िािा िा खेत बस थोड़ा ही बचा था। उिर हररया ने चन्दा िो अपनी गोद में बैठा मलया और उसिे
गाल चूमते हए उसिे मोटे -मोटे दि
ू दबाने लगा। चन्दा अपने बाबा द्वारा इस तरह िस-िसिर अपनी ठोस और
मोटी चधू चयां दबाए जाने से बहत चदासी हो गई थी, और उसने अपना हाथ अपने बाबा िी िोती में डालिर
उसिा मस्त तना हआ लण्ड बाहर ननिाल मलया।

अब चन्दा अपने दोनों हाथों से अपने बाबा िे लण्ड िे टोपे िो िभी ऊपर, िभी नीचे िरने लगी। जब अपने
बाबा िे लण्ड िा लाल बड़ा सा सपाड़ा एिदम से फूल गया तब चन्दा ने उस फूले सपाड़े िो एिदम से अपने
मुँह में भरिर रस से मभगो टदया। चन्दा अपने बाबा िे लण्ड िो बराबर चूस रही थी और हररया अपनी बेटी िी
मोटी गाण्ड िो फैलािर चाट रहा था।

तभी हररया ने खाट पर बैठे-बैठे चन्दा िो िमर से पिड़िर उठा मलया और उसिी दोनों जाुँघों िो अपने मह
ुँ में
भरिर उसिी चत
ू और गाण्ड िो चस
ू ने लगा। नीचे झिी हई चन्दा ने अपने बाबा िा लण्ड पिड़िर उसे अपने
मुँह में भर मलया। चन्दा अपने बाबा िे सीने से उल्टी होिर धचपिी हई अपने बाबा िो अपनी चूत और गाण्ड
चटा रही थी और नीचे अपने बाबा िा लण्ड पीते हए उसिे मोटे -मोटे गोटे सहला रही थी।

रामू ने एिदम से अपनी माुँ सधिया िी मोटी गाण्ड िो दोनों हाथों से थाम मलया और िहा- “माुँ रुिो एि
ममनट… िछ आवाज आ रही है …” और अपनी माुँ िे बबल्िल िरीब आ गया।

रामू िा लण्ड उसिी िोती में खड़ा होिर अपनी माुँ िी मोटी गाण्ड, जो कि मसफम एि पतले से घाघरे से ढिी
थी, में घसने लगा। सधिया िी सांसें एिदम तेज हो गईं और वह मड़ना चाहती थी, लेकिन रामू ने उसिी दोनों
बाजओ िो पीछे से िसिर पिड़े हए अपने लण्ड िो अपनी माुँ िी मोटी गाण्ड में थोड़ा और गड़ा टदया। सधिया
तो एिदम मस्ती में झूम उठी।

राम-ू “माुँ अब िीरे -िीरे उन तीन-चार गन्नों िो हटाओ…” रामू अपनी माुँ िे गालों से बबल्िल धचपिा हआ था।

सधिया ने िीरे से दो-तीन गन्नों िो हटाया और थोड़ा आगे बढ़ी।

91
तब रामू ने िहा- “बस रुि जाओ माुँ। अब बस आगे वाले वो दो गन्ने हटा दो…”

सामने जो टदखाई दे रहा था वह दो गन्नों िे पीछे थोड़ा-थोड़ा नजर आ रहा था। बस उसिो ही दे खिर सधिया
िी नशों में खून दौड़ पड़ा। सधिया िा हाथ जब गन्नों िो हटाने िे मलए आगे बढ़ रहा था तब उसिे हाथ लरज
रहे थे।

तभी रामू ने अपनी माुँ िी िमर में हाथ डालिर अपने मोटे लण्ड िो अपनी माुँ िी मस्तानी गाण्ड में तबीयत
से गड़ाते हए िहा- “माुँ िीरे से हटाना…”

और जैसे ही सधिया ने सामने िे गन्नों िो हटािर दे खा तो उसिी सांसें रुि सी गई। हररया और चन्दा एि
दस
ू रे िे लण्ड और चत
ू िो पागलों िी तरह चस
ू रहे थे। हररया खड़ा हआ था और चन्दा िो उल्टी टांग िर
उसिी जाुँघों िो फैलािर उसिी चूत और गाण्ड चाट रहा था और चन्दा नीचे से अपने बाबा िा लण्ड चूस रही
थी।

सधिया ने एिदम से गन्नों िो छोड़ टदया, तो रामू ने अपनी माुँ िी गाण्ड में अपने लण्ड िो िसिर गड़ाते हए
िहा- “माुँ थोड़ा आगे सरिो, मझे पीछे िछ चभ रहा है …”

सधिया थोड़ा आगे सरिती है और रामू अब थोड़ा आगे होिर अपने हाथों से दोनों गन्नों िो हटा दे ता है । रामू
और सधिया दोनों बबल्िल चप थे, मगर रामू िे हाथ अपनी माुँ िी िमर में हाथ डाले हए िीरे -िीरे उसिे
गदाज पेट पर चल रहे थे। रामू लगातार अपने लण्ड िा दबाव िीरे -िीरे अपनी माुँ िी गाण्ड में बना रहा था।
लेकिन वह यह नहीं जानता था िी उसिा लण्ड उसिी माुँ िे पतले से घाघरे िो दबाते हए सीिे उसिी रस
छोड़ती चूत िे छे द से मभड़ा हआ था और सधिया िा घाघरे िा वह टहस्सा भी चत
ू िे पानी से परू ा गीला हो
चिा था।

सधिया ने जब रामू िे लण्ड िो अपनी चूत िे छे द में गड़ते महसस


ू किया तो वह मसहर उठी उसिी चूत िा
दाना िूदने लगा। सधिया अब बड़ी बेशमी से हररया िे मोटे लण्ड िो दे ख रही थी, और सोच रही थी कि िैसे
चन्दा अपने बाप िा लण्ड बड़े प्यार से चूस रही है?

रामू भी दे ख रहा था कि हररया िैसे बड़े प्यार से अपनी बेटी चन्दा िी चत


ू िो चस
ू रहा है ।

तभी अचानि हररया ने चन्दा िो उतारिर खड़ी िरिे उसे उल्टी घमािर खटटया पे पेट िे बल लेटा टदया और
नीचे बैठिर उसिी गाण्ड िो चौड़ी िरिे अपनी जीभ से चाटने लगा।

चन्दा मससि रही थी- “हाय बाबा और जोर से चाटो आह्ह… बाबा बहत मजा आ रहा है । ओह्ह… बाबा फाड़ दो
अपनी बेटी िी गाण्ड और चूत िो, और चूसो खूब िसिर चूसो दबाओ…”

रामू ने अपनी माुँ िे भारी चत


ू ड़ों िो अपने हाथों में थाम रखा था और अपने लण्ड िा सारा दबाव अपनी माुँ िी
मोटी गाण्ड िे छे द में दे रखा था।

92
सधिया चन्दा िे मुँह से ऐसी बातें सनिर पागल हो जाती है , और रामू िी ओर अपना मुँह घमािर उसिे गालों
से अपने होंठों िो सटाए हए िहती है - “रामू बेटा मझे पेशाब लगी है…”

रामू यह सनते ही खशी से पागल हो जाता है और अपनी माुँ िी गाण्ड में अपने लण्ड िो दबािर उसिे गालों
िो चूमते हए िहता है - “माुँ िीरे से यही बैठ िे िर ले…”

सधिया- यहाुँ?

राम-ू हाुँ और िहाुँ?

सधिया- लेकिन तू तो मेरे पास खड़ा है ।

राम-ू “तो क्या हआ? तू बैठ तो सही…” और कफर रामू ने सधिया िी बाुँहें पिड़िर उसे मत
ू ने िे मलए बैठा
टदया।

सधिया ने अपना घाघरा ऊपर िर मलया, और पीछे से रामू ने जब अपनी माुँ िी गोरी-गोरी मोटी गाण्ड दे खी तो
वह मस्त हो गया। रामू तरं त अपनी माुँ िे पीछे बबल्िल उससे सटिर बैठ गया।

सधिया- तू क्यों बैठ गया?

रामू अपनी िोती िे ऊपर से अपने लण्ड िो मसलते हए- “माुँ मझे भी पेशाब लगी है …”

सधिया- तो क्या मेरे सामने िरे गा?

रामू अपनी िोती से अपने मोटे लण्ड िो बाहर ननिालते हए- “माुँ जब तू मेरे सामने िर सिती है तो मैं क्यों
नहीं?” और कफर रामू अपने मस्त लण्ड िो ननिालिर जब उसिी चमड़ी उलटता है ।

तो सधिया उस तगड़े लण्ड िी मोटाई और उसिे टोपे िी धचिनाहट दे खिर मस्त हो जाती है । उसिी खली हई
चत
ू से पेशाब िी जगह चदास रस ननिलने लगता है ।

राम-ू “क्या हआ माुँ पेशाब िरो ना…”

सधिया उसिो खा जाने वाली नजरों से दे खती हई- “मझे नहीं आ रही है…”

राम-ू अभी तो लगी थी रुि क्यों गई?

सधिया- पता नहीं।

93
राम-ू “लाओ मैं िरवा दे ता हूुँ…” और रामू ने झट से अपनी माुँ िी चूत में हाथ डालते हए उसिी चूत िे खड़े
दाने िो अपनी उं गमलयों में भर मलया। सधिया रामू िी इस हरित से एिदम से सन्न रह गई। रामू ने िीरे -िीरे
अपनी माुँ िी चत
ू िो अपनी हथेमलयों से सहलाते हए दे खना शरू िर टदया।

सधिया िी चूत से पानी बहने लगा और रामू उसे बड़े प्यार से सहलाते हए दे खने लगा। सधिया अपने बेटे द्वारा
इस तरह से अपनी चूत सहलाए जाने से मस्त हो गई और उससे रहा नहीं गया, तो उसने रामू िे लण्ड िो
एिदम से पिड़ मलया।

रामू अपनी माुँ िी इस हरित से पागल हो उठा और वह अपनी माुँ िी चूत िो अपने हाथों से सहलाता हआ
उसिे रसीले होंठों िो अपने मुँह में भर मलया, और दस
ू रे हाथ से अपनी माुँ िी मोटी-मोटी छानतयां पिड़ मलया।

सधिया परू ी मस्ती से अपने बेटे िे लण्ड िो सहलाती हई- “आह्ह… रामू तू यह क्या िर रहा है ? तझे शमम नहीं
आती अपनी माुँ िी चूत िो इस तरह सहलाते हए?”

रामू सधिया िी चूत में दो उं गली गच्च से पेलिर- “माुँ दे ख हररया िािा िैसे अपनी बेटी चन्दा िी गाण्ड और
चत
ू िो अपनी जीभ से प्यार िर रहे हैं…”

सधिया- “आह्ह… बेटा आह्ह… अरे बेटे वह तो अपनी बेटी िी चूत और गाण्ड चाट रहा है , तो क्या तू अपनी माुँ
िो नंगी िरिे उसिी चूत और गाण्ड चाटना चाहता है?”

रामू अपनी माुँ िी परू ी भोसड़ी िो अपने हाथों से दबोचते हए- “हाुँ माुँ मैं तझे परू ी नंगी िरिे खब
ू िसिर
चोदना चाहता हूुँ…”

सधिया थोड़ा सा मश्िरािर रामू िे लण्ड िो िसिर भींचते हए- “तो क्या तू अपने इस लण्ड से अपनी माुँ िो
अच्छी तरह चोद पाएगा?”

राम-ू “माुँ पहले तो इस मोटे लण्ड िो मैं तेरे मुँह में दे िर चसवाउुँ गा, उसिे बाद तेरी चूत िो खूब िसिर
फाड़ूुँगा, और कफर अंत में अपनी माुँ िी यह मस्तानी गाण्ड फाड़ूुँगा। जानती है मेरा यह लण्ड िहाुँ घसेगा?” और
कफर रामू अपने हाथ िो चत ू से हटािर अपनी माुँ िी गदा में लगा दे ता है और अपनी उं गली अपनी माुँ िी
गदा में भर दे ता है- “माुँ तेरी गाण्ड िा छे द तो बड़ा िसा हआ है, मेरा लण्ड तो बहत टाइट घसेगा इसमें…”

सधिया- “रामू बेटे, अब मझसे नहीं रहा जा रहा है …”

राम-ू “माुँ एि बार मत


ू तो ले, कफर चलते हैं अपने खेत में …”

सधिया- “नहीं बेटे, यहाुँ मझसे नहीं मत


ू ा जाएगा, तू चल हम खेत में चलते हैं कफर वहाुँ मैं मत
ू ुँग
ू ी…”

रामू अपनी माुँ िे होंठों िो चूमिर- “माुँ खेत में चलिर तझे अपने बेटे िे मुँह में मत
ू ना पड़ेगा, बोल मत
ू ग
े ी ना
अपने बेटे िे मुँह पर?”

94
सधिया मसमसयाते हए- “हाुँ बेटा हाुँ… आज तेरी माुँ तझे परू ी नंगी होिर अपनी चत
ू िा मत
ू वपलाएगी, तेरी
मम्मी खड़ी होिर मत
ू ती जाएगी और तू अपनी मम्मी िी मत
ू से भरी चत
ू चाटते जाना…”

राम-ू “माुँ तू नहीं जानती तेरी चूत से पेशाब पीने िे मलए मैं िब से तरस रहा हूुँ, सच माुँ तेरा भोसड़ा बहत
मस्त है …”

सधिया- “मेरे लाल आज तू अपनी माुँ िी चत


ू तब चाटना जब उसिी चत
ू से मस्त पेशाब िी मोटी िार
ननिलेगी…”

राम-ू “माुँ एि बार खड़ी होिर अपनी चतू मेरे मुँह िे ऊपर रख ना… मैं यहीं बैठा रहता हूुँ और तू थोड़ा खड़ी
होिर मेरे मुँह से अपनी गाण्ड और चूत ऐसे रगड़ कि मैं किसी ित्ते िी तरह तेरी चूत और गाण्ड िो सघ ंू िर
चाट सिंू …”

सधिया- बेटे ऐसे तो मेरा पेशाब तेरे मुँह में ननिल जाएगा।

राम-ू तो क्या हआ? तू थोड़ा सा मेरे मुँह में मत


ू दे ना पर परू ा नहीं, बािी िा खेत में चलिर मझे वपलाना।

सधिया वहीं थोड़ा सा खड़ी होती है और रामू अपने मुँह िो अपनी माुँ िी भारी गाण्ड और चूत िे नीचे ले आता
है और सधिया अपनी चूत और गाण्ड िो अपने बेटे िे मुँह पर रगड़ने लगती है , और रामू अपनी जीभ ननिाल
िर िभी अपनी माुँ िी गाण्ड और िभी चत
ू िो चाटने लगता है । तभी रामू अपनी माुँ िी चत
ू िे मोटे तने हए
दाने िो अपने मुँह से पिड़िर एिदम से चूसने लगता है ।

सधिया जब दे खती है कि उसिे बेटे ने उसिी चत


ू िो िसिर अपने मुँह से दबोच मलया है तो मस्ती में उसिी
चूत से पेशाब ननिल जाती है , और रामू अपनी माुँ िी गाण्ड और जाुँघों िो पिड़े हए उसिा पेशाब चाटने
लगता है । उसिे मुँह में जैसे ही उसिी माुँ िे पेशाब िा स्वाद जाता है, वह किसी पागल ित्ते िी तरह अपनी
माुँ िी चूत िो चाटने और चूसने लगता है । सधिया आज अपने ब्जंदगी िा सबसे मजेदार वक़्त गजार रही थी,
और अपने बेटे िे द्वारा अपनी चूत इतने प्यार से चाटने िे िारण उसने थोड़ा रुििर कफर से थोड़ा सा मत
ू ना
चालू िरिे कफर से रोि मलया। रामू अपनी माुँ िी चत
ू िी फांिों िो फैलािर खब
ू िस-िसिर चाटने लगा।
सधिया िे पैर िाुँपने लगे और वह एिदम से कफर से नीचे बैठ गई।

उिर चन्दा जोर-जोर से धचल्लाते हए िह रही थी- “ओह्ह… बाबा थोड़ा और तेज मारो अपनी बेटी िी चत
ू में …
ओह्ह… बाबा आज फाड़ दो अपनी बेटी िी चूत…”

जब सधिया ने उिर झाुँि िर दे खा तो उसिे होश उड़ गये। हररया चन्दा िो अपने लण्ड पर खड़ा होिर बैठाए
था और उसिी जाुँघों िो थामे उसे हवा में उठाए अपने मोटे लण्ड से अपनी बेटी िी चूत मार रहा था।

95
सधिया उनिी भयानि चदाई दे खिर मस्त हो गई और रामू िा लण्ड जोर से पिड़िर मसलते हए िहा- “रामू
अब चल बेटा, मझे बहत जोरों िी पेशाब लगी है । मैं बस तेरे मुँह में अपनी चूत िर िर मत
ू ने िे मलए मरी जा
रही हूुँ…”

राम-ू “माुँ एि बार और अपनी चूत मझे चटा दे , कफर हम चलते हैं…”

सधिया एिदम से अपने दाुँत पीसते हए मस्ती में आ गई और उसने वहीं खड़ी होिर अपने हाथ से अपने बेटे
रामू िा मुँह खोला और उसमें अपनी चत
ू िा दाना लगािर एि िार उसिे मुँह में जैसे ही मारी, रामू ने अपनी
माुँ िी चूत िो अपने मुँह में परू ा भर मलया और सधिया अपने बेटे िी इस हरित से पागल हो उठी। उसने खूब
जोर-जोर से रामू िे मुँह में अपनी चूत िो मारना शरू िर टदया। और रामू ने अपनी माुँ िी चूत िो खूब जोर-
जोर से चस
ू ते हए उसिा सारा रस ननचोड़िर चस
ू मलया।

रामू से अब रहा नहीं गया और वह सधिया िा हाथ पिड़िर उसे वापस अपने खेत िी ओर चलने िा इशारा
िरता है । सधिया वहाुँ से उठिर चल दे ती है और रामू अपनी माुँ िे भारी चूतड़ों िो सहलाता हआ उसिे पीछे -
पीछे चलने लगता है । दोनों जब खेत में आ जाते है, तो खेत में आते ही रामू सधिया िो झोपड़ी िे अंदर
लेजािर तरं त उसिा घाघरा पिड़िर उठा दे ता है और घटनों पर बैठिर अपनी माुँ िी चत
ू चाटने लगता है।

सधिया मसमसयाते हए रामू िे मसर पर हाथ फेरने लगती है ।

राम-ू माुँ तझे पेशाब लगी थी ना?

सधिया खड़ी-खड़ी अपनी चत


ू अपने बेटे िे मुँह से रगड़ती हई- “हाुँ बेटे बहत जोरों िी पेशाब लगी है …”

राम-ू “माुँ तो मत
ू ना…”

सधिया- िहाुँ?

राम-ू यही खड़े-खड़े अपने बेटे िे मुँह में अपनी चूत फैला िर मत
ू दे ।

सधिया- “अपने हाथों से अपनी चूत खोल?


ूं नहीं बेटा मझे शमम आती है…”

राम-ू “अच्छा तू नीचे बैठ…” और सधिया िो नीचे बैठािर अपना हाथ अपनी माुँ िी चत
ू में लेजािर उसे िीरे -
िीरे सहलाते हए, एि हाथ से अपनी माुँ िी गाण्ड िो सहलाना शरू िर दे ता है ।

सधिया से बदामस्त नहीं होता है और वह कफर से खड़ी हो जाती है ।

रामू सीिे अपना मुँह अपनी माुँ िी चत


ू िे तने हए दाने से लगािर चाटते हए- “ले माुँ अब मत
ू …” और अपना
हाथ पीछे लेजािर अपनी माुँ िी गाण्ड िो दबोचते हए उसिी गदा में उं गली पेल दे ता है ।

96
सधिया बबल्िल पागल हो जाती है और अपनी चूत से खड़े-खड़े एि लंबी िार मार दे ती है । रामू जब अपनी माुँ
िी चूत से मोटी पेशाब िी िार ननिलते दे खता है तो वह अपना मुँह अपनी माुँ िी चूत में लगािर पागलों िी
तरह चाटने लगता है ।

रामू अपनी माुँ िी चूत िी फांिों िो दोनों हाथों से फैलािर उसिी चूत िे दाने से ररसते पानी िो अपनी जीभ
से दबा-दबािर जैस-े जैसे चस
ू ता है , सधिया- “उह्ह… आह्ह… ओह्ह… बेटे…” िरने लगती है ।

रामू उसिी एि टांग िो उठािर अपने िंिे पर रख लेता है और कफर अपनी माुँ िी परू ी चत
ू िो सघ
ंू ते हए
अपनी जीभ चत
ू िे छे द में िालिर उसिा रस चूसने लगता है । सधिया अपने हाथों से अपनी चूत िो और फैला
दे ती है , तो रामू बड़े आराम से अपनी माुँ िी चूत िो चूसते हए अपनी माुँ िी गदाज गाण्ड िो दबाता हआ
उसिे छे द में उं गली डाल-डालिर सहलाता रहता है । रामू अपनी माुँ िी चत
ू चस
ू -चस
ू िर उसे लाल िर दे ता है ।

सधिया िी टाुँगें िाुँपने लगती हैं। वह सीिे जमीन में लेट जाती है और रामू िो अपने ऊपर खींच लेती है ।

रामू अब जरा भी दे र नहीं िरता है और अपनी माुँ िी मोटी जाुँघों िो फैलािर जब अपनी माुँ िी फूली हई
गदाज चत
ू दे खता है तो पागल हो जाता है । कफर अपनी माुँ िी चत
ू िी फांिों िो खब
ू फैला-फैलािर चाटना शरू
िर दे ता है ।

सधिया अपनी मोटी गाण्ड उचिा-उचिा िर अपने बेटे िा मुँह अपनी चूत पर दबाने लगती है ।

रामू अपने मुँह में अपनी माुँ िी चत


ू परू ी भरिर खब
ू िस-िसिर चस
ू ने लगता है, और सधिया अपनी चत

उसिे मुँह पर रगड़ते हए पानी छोड़ दे ती है । रामू सारा पानी चाटने िे बाद अपनी माुँ िी चूत िो ऊपर अच्छे
से उभारिर अपना मोटा लण्ड अपनी माुँ िी चूत िे छे द में लगािर िसिर एि िक्िा मरता है, और उसिा
लण्ड उसिी माुँ िी चत
ू में एि ही बार में परू ा समा जाता है । रामू अपनी माुँ िे ऊपर चढ़िर उसिे दि
ू दबोचते
हए उसिी चत
ू िो िस-िसिर चोदने लगता है ।

सधिया “आह्ह… बेटे आह्ह…” िरती हई नीचे से अपनी गाण्ड उठा-उठािर अपने बेटे िे मोटे लण्ड पर मारने
लगती है ।

रामू अपनी माुँ पर चढ़िर खूब िस-िसिर उसिी चत


ू िूटना शरू िर दे ता है । सधिया अपनी दोनों टाुँगों िो
उठाए अपनी चूत में अपने बेटे िा लण्ड खूब िस-िसिर लेने लगती है । थोड़ी दे र बाद रामू अपनी माुँ िो घोड़ी
बना दे ता है और जब उसिी मोटी गाण्ड िो दे खता है तो सीिे अपना मुँह अपनी माुँ िी गाण्ड से लगािर चाटने
लगता है । वह िभी अपनी माुँ िी गाण्ड िो चाटता है और िभी थोड़ा नीचे मुँह लेजािर उसिी फूली हई चत
ू िे
छे द िो पीने लगता है । सधिया अपने बेटे द्वारा इस तरह अपनी गाण्ड और चूत चाटने से मस्त हो जाती है ।
तभी रामू अपना लण्ड पिड़िर अपनी माुँ िी चूत में पीछे से िसिर पेल दे ता है ।

सधिया- “आह्ह… हाय बेटे बड़ा मस्त लण्ड है तेरा… चोद और चोद अपनी माुँ िो, खब
ू िस-िसिर चोद… आज
फाड़ दे अपनी माुँ िी मस्तानी चूत िो… खूब तेज ठोिर मार अपने लण्ड िी, फाड़ दे बेटे, फाड़ दे अपनी माुँ िी
चूत िो आह्ह… आह्ह… आह्ह…”

97
रामू अपनी माुँ िी चूत मार-मारिर मस्त लाल िर दे ता है और कफर रामू अपने लण्ड िो बाहर ननिालिर बड़े
प्यार से अपनी माुँ िी चत
ू िो चाटने लगता है । सधिया िो परू ी तरह मुँह िे बल जमीन से सटािर उसिी
गदाज मोटी गाण्ड िो ऊपर उठािर गाण्ड िे छे द में थूि लगा-लगािर पहले अपनी एि उं गली डालिर चत

चाटने लगता है ।

कफर रामू अपनी दो उं गमलयां अपनी माुँ िी गाण्ड में डालिर उसिी चूत िे गलाबी और रसीले छे द िो चूसने
लगता है । सधिया मस्ती में झिी हई अपने भारी चत
ू ड़ मटिाती रहती है और मसमसयाती रहती है । तभी रामू
पास में रखी तेल िी शीशी से तेल डालिर अपनी माुँ िी गदा में उं गली से अंदर ति ठूुँसने लगता है । वह
अपनी माुँ िी गाण्ड िे छे द िो अपनी उं गमलयों से तेल लगा-लगािर खूब धचिना िर दे ता है । कफर रामू अपने
मोटे लण्ड िो परू ा तेल में मभगोिर अपने लण्ड िे टोपे िो अपनी माुँ िी तेल में सनी हई गदा से सटािर
अपनी माुँ िे चूतड़ों िो अपने हाथों में िसिर थाम लेता है और कफर िचिचा िर एि तगड़ा िक्िा अपनी माुँ
िी गाण्ड में मार दे ता है, ब्जससे उसिा आिे से ज्यादा लण्ड कफसलता हआ उसिी माुँ िी गाण्ड में समा गया।

सधिया अपने बेटे िे द्वारा ऐसा तगड़ा िक्िा अपनी गाण्ड में खाने िे बाद एिदम से- “हाय मर गई रे …
आह्ह… रामू बहत मोटा लण्ड है बेटे तेरा आह्ह… आह्ह…”

रामू अपनी माुँ िी बात सनिर अपना लण्ड थोड़ा सा बाहर खींचिर एि जबरदस्त शाट अपनी माुँ िी गाण्ड में
मार दे ता है, और उसिा परू ा लण्ड उसिी माुँ िी गाण्ड में उतर जाता है । सधिया िा बदन ऐंठ जाता है । अब
रामू िीरे -िीरे अपने लण्ड िो अपनी माुँ िी गाण्ड में आगे पीछे िरने लगता है ।

िीरे -िीरे सधिया भी अपने चूतड़ों िो पीछे िी ओर ििेलने लगती है- “आह्ह… बेटे आह्ह… रामू बहत अच्छा लग
रहा है …”

रामू अब अपने लण्ड िी रफ़्तार िो थोड़ा बढ़ािर सटासट अपनी माुँ िी गाण्ड में अपने मोटे लण्ड िो पेलने
लगता है । रामू अपनी माुँ िी मोटी-मोटी जाुँघों िो सहलाते हए उसिी गाण्ड िो खूब िस-िसिर ठोंिने लगता
है । अब रामू अपने पैरों िे पंजों िे बल बैठिर अपनी माुँ सधिया िी गाण्ड िी मस्त ठिाई चालू िर दे ता है।

सधिया आह्ह… आह्ह… िरती हई रामू िा लण्ड अपनी गाण्ड में लेने लगती है । जब सधिया से रहा नहीं जाता है
तो वह एिदम से जमीन पर पसर जाती है ।

रामू सीिे अपनी माुँ िी गाण्ड पर लेट जाता है , और नीचे हाथ लेजािर अपनी माुँ िी फूली हई चत
ू िो अपनी
हथेली में भरिर दबोच लेता है , और कफर से अपनी माुँ िी गाण्ड में अपने लण्ड िो खूब गहराई ति डालने
लगता है । रामू लगभग आिे घंटे ति अपनी माुँ िी मोटी गाण्ड मार-मारिर लाल िर दे ता है । और कफर उसिा
पानी उसिी माुँ िी मोटी गाण्ड में छूट जाता है ।

सधिया उठिर रामू िे लण्ड िो किसी िनतया िी भाुँनत सघ


ंू ते हए चस
ू ने लगती है , और रामू अपनी माुँ िो परू ी
नंगी िरिे उसिे मोटे -मोटे दि
ू , उसिे गदाज पेट, और उसिी चूत में खूब सारा तेल लगािर उसे खूब धचिनी

98
िर दे ता है । उसिे बाद रामू सधिया िो अपने सीने से धचपिा िर उसिी चूत में अपना लण्ड कफर से पेल दे ता
है , और अपनी माुँ िे होंठों िो पीते हए उसिे दि
ू दबा-दबािर उसिी चूत िो खब
ू िस-िसिर चोदने लगता है ।

सधिया अपने पैरों िो हवा में उठािर मोड़ लेती है और रामू िे लण्ड िो अपनी चूत पर खूब दबोचने लगती है ।
रामू अपनी माुँ िी गाण्ड िे नीचे हाथ डालिर उसिे भारी चूतड़ों िो अपने हाथों में भरिर जोर से दबोचते हए
अपनी माुँ िी चूत में सटासट लण्ड डालिर ठोंिने लगता है । रामू सधिया िी चत
ू ठोंि-ठोंि िे परू ी सो
ू दे ता है
और मस्त लाल चूत िो चोदते हए अपना पानी अपनी माुँ िी चूत में भर दे ता है।

सधिया िी चूत अपने बेटे िे तगड़े लण्ड िो पािर मस्त हो जाती है । उस टदन परू ा टदन रामू अपनी माुँ सधिया
िो तरह-तरह िे आसनों में खूब िसिर चोदता है । उसिे बाद शाम िो रामू जब अपनी माुँ िे साथ अपने घर
वापस जाने लगता है, तो रास्ते में हररया िािा िे खेत में हररया बैठा-बैठा दम मार रहा था।

और रामू उसे दे खता हआ- “अच्छा िािा अब चलते है घर िो…”

हररया मश्िराते हए- “अच्छा बेटा ठीि है, क्या िल भी अपनी माुँ िो लेिर आओगे?”

रामू अपनी माुँ िो दे खता है और सधिया मश्िरा दे ती है । रामू हररया िी ओर मश्िरािर दे खता हआ अपनी माुँ
िा हाथ पिड़िर अपने घर िी ओर चल दे ता है ।

तो भाई लोगों इस तरह रामू िा सपना परू ा हआ।

***** *****मध्यांतर
तो दोस्तों यहाुँ ति आपने पढ़ा कि िैसे रामू और हररया िािा अपने िाम िंिे में ही मस्त रहते थे, और उनिे
घर िे लोग गन्नों िी ममठास से ही मस्त रहते थे। अब यहाुँ से आगे बढ़ते हैं।

रामू और हररया िे खेत और गाुँव िे बीच में एि तालाब था और उसिे गहरीिरण िे मलए सरिार ने मझे
ननयक्त िर टदया। दरअसल मेरा नाम राज है मैं एि मसववल इंब्जननयर हूुँ और मझे उस तालाब िा िाम दे
टदया गया। गाुँव से शहर िछ 25 किलोमीटर था, इसमलए मैं अपनी बाइि से ही वहाुँ पहुँच गया। मजदरू मैं
लगा चिा था और तालाब िे किनारे -किनारे आम िे मस्त पेड़ लगे थे, तो मैं एि पेड़ िे नीचे लेट गया और
ठं डी हवा िा आनंद लेने लगा।

मैं सोच रहा था कि मैं िहाुँ फुँस गया? यहां परू ा टदन िाटना मब्श्िल पड़ जाएगा। उस टदन तो मैंने जैसे तैसे
समय पास किया। लेकिन अगले टदन मैं परू ी तैयारी िे साथ आया, एि बैगपाइपर िा क्वाटर, दो पैिेट मसगरे ट
और एि राज शमाम िी किताब लेिर।

मैं अपनी मस्ती में मस्त था और मसगरे ट खींचते हए बीच-बीच में शराब िा घट
ूुँ ले रहा था। जब क्वाटर खतम
हो गया, तब मैंने अपनी माुँ पायल िे द्वारा बाुँिा गया खाना खोलिर खाया और कफर एि मसगरे ट जलािर
राज शमाम िी मस्ती भरी किताब िो पढ़ने लगा, बीच-बीच में मजदरू ों िो इंस्रक्सन भी दे दे ता था।

99
शाम िो िरीब 4:00 बजे िे बाद मैंने सोचा िी बैठे-बैठे थि गये हैं, थोड़ा टहल मलया जाय। और मैं उठिर
तालाब िी मेड़ िे किनारे होते हए गन्नों िे खेत िे उस पार गया, तो वहाुँ एि आम िे पेड़ िे नीचे हररया
और रामू बैठे थे। हररया िे हाथ में उसिी धचलम थी और वह िस लगा रहा था। दोनों बस ऐसे बैठे थे जैसे
संडास जाते वक़्त बैठा जाता है , बबल्िल आमने सामने।

दोनों िे ऊपर िे बदन पर िोई िपड़ा नहीं था। हररया ने िोती बाुँिी हई थी जो उसिी जाुँघों िे ऊपर ति होती
थी, और रामू लग
ं ी िो घटनों ति मोड़िर बैठा था। मैं जब वहाुँ से गजरा तो रामू ने मेरी ओर दे खिर मश्िराते
हए िहा- “साहे ब नमस्ते…”

मैं वहीं ठहर गया और मैंने िहा- “िौन हो भाई तम, और क्या मझे जानते हो?”

रामू ने टपि से जवाब टदया- “साहब आप ही इस तलैया िो गहरा िरवा रहे हो ना? आप शहर से आए
इंब्जननयर हो ना?”

मैंने िहा- “हाुँ भाई तमने बबल्िल ठीि पहचाना, मगर तम िौन हो?”

राम-ू “साहे ब हमारा नाम रामू है , और ये हैं हमारे चाचा हररया।

हररया- राम-राम बाबज


ू ी।

मैंने भी हररया िो नमस्ते किया। टदखने में दोनों िाफी मजाकिया लग रहे थे। मझे भी अच्छा लगा और मैं भी
उनिे पास उसी पेड़ िी छाुँव में बैठ गया। मैंने रामू िे िंिे पर हाथ रखिर िहा- “रामू तम्हारे गाुँव में कितने
लोग होंगे?”

राम-ू यह तो हमें नहीं पता साहे ब।

मैंने िहा- “चलो िोई बात नहीं, पर आप दोनों चाचा भतीजा हो कफर ये धचलम एि साथ पी लेते हो?”

हररया- “अरे साहे ब जी, ये तो ससरी धचलम है , हम तो बहत से िाम साथ में िरते हैं…” और कफर हररया
हीहीहीही… िरते हए- “साहे ब रामू और हमारे बीच िोई पदाम नहीं रहता है …”

मझे उनिी बातों से बड़ा मजा आया। मेरी रूधच उनिे प्रनत बढ़ गई और मैंने उनसे पछ
ू ा- “यार राम,ू ये धचलम
पीने में क्या मजा आता होगा? इसिे बजाय तो एि दो क्वाटर मार मलया िरो…”

हररया अपने लण्ड िो सहलाते हए िहता है - “बाबज


ू ी एि बार पीिर दे खो, आपिो हम मस्त ना िर दें तो
िहना…”

100
राज ने िहा- “अच्छा ऐसी बात है …” और मैंने उनिे हाथ से धचलम लेिर पीना शरू िर टदया। वािई में उसिा
नशा मदहोश िर दे ने वाला था, मैं अपनी मस्ती में मस्त था और वह दोनों भी नशे में मस्त हो रहे थे। मैंने
पछ
ू ा- “रामू इस गाुँव में औरतें नजर नहीं आती, यहाुँ औरतें िम हैं क्या?”

राम-ू अरे नहीं साहे ब बहत औरतें है गाुँव में तो।

हररया- अरे साहे ब दो औरतें तो रामू िे यहाुँ ही हैं।

राज ने हुँसते हए पछ
ू ा- “क्यों रामू िौन-िौन है तम्हारे घर में ?”

राम-ू साहे ब घर में तो माुँ है , दो बहनें हैं।

हररया- “बड़ी वाली अभी जयाह िर ससराल गई है, पर छोटी है यहाुँ…”

मैं उनिी बातों से अंदर ही अंदर मस्त हो रहा था, 25 साल िी उमर हो चिी थी और अभी िुँ वारा था, इसमलए
भी जोश में जल्दी ही आ जाता था। वो दोनों आपस में बातें िर रहे थे, उन्हें शायद ऐसा लगा जैसे ये साहेब
िोई अपने ही हों, और वह बेिड़ि अपने घर िे लोगों िी बातें बड़े खले तरीिे से िरने लगे थे।

राम-ू साहे ब-साहे ब ये हररया िािा िे यहाुँ भी दो औरतें हैं।

राज ने िहा- “अच्छा… हररया िािा िे यहाुँ िौन-िौन हैं?”

राम-ू अरे इनिी बीबी, और दो बेटटयां।

राज ने िहा- अच्छा आप ही लोग खेतों में िाम िरते हो या घर िी औरतें भी िरती हैं?

हररया- “अब साहे ब बबना औरतों िे तो िाम हो नहीं सिता ना…”

उस टदन हररया और रामू से ममलने िे बाद मझे बड़ा ही अच्छा लगा और अगले टदन मैं सबह ही आ गया। मैं
िाम शरू िरवाने िे बाद उसी पेड़ िी ओर चल टदया, जहां हमेशा बैठता था। तभी मझे सामने से रामू आता
हआ टदखाई टदया, तो मैं मन ही मन खश हो गया। मैंने रामू िे पास आते ही उससे िहा- “आओ रामू क्या
हाल हैं तम्हारे ?”

रामू बैठते हए- “बस साहे ब आज िोई िाम नहीं था खेत में तो सोचा आपिे पास चलिर बैठता हूुँ…”

राज ने िहा- “अच्छा किया रामू जो तम आ गये, मैं भी परू ा टदन अिेला बोर हो जाता हूुँ…”

तभी रामू ने मेरे बगल में रखी राज शमाम िी किताब उठािर दे खी और िहने लगा- “साहे ब यह तो चदाई िी
िहाननयों वाली किताब है ना?”

101
राज ने िहा- “हाुँ… लेकिन क्या तम ऐसी किताबें पहले पढ़ चिे हो?”

राम-ू “हाुँ साहे ब… मैं पहले एि दो बार पढ़ा हूुँ, बहत मजा आता है साहे ब…”

मैं समझ गया कि रामू रोमांटटि बातों से जल्दी औिात में आ जाता है । कफर मैंने िहा- “रामू यह किताब जो
भी मलखता है वह पररवाररि ररश्तों पर ही क्यों मलखता है ? जबिी यह सब तो झूठ लगता है…”

राम-ू “अरे नहीं साहे ब िछ झूठ नहीं रहता है । आप ही बताओ जब िहीं आग लगेगी तो ही िआ
ुँ उठे गा ना?”

राज- “वो तो ठीि है राम,ू पर मैंने तो ऐसे किस्से बस किताबों में ही पढ़े हैं…”

राम-ू मश्िराते हए आप कफिर ना िरो बाबज


ू ी अब आप हमारे गाुँव में आ गये हो ना… अब आप ऐसे किस्से
रोज सनोगे।

राज- क्यों क्या तम्हारे गाुँव में ऐसे किस्से सनने िो ममलते रहते हैं?

रामू मश्िराते हए- “अरे साहे ब एि दो घट


ूुँ मारने पर बात िरने िा मजा नहीं आता है, किसी टदन एि पाव
िेवल हमें ही वपलवा दो, तब हम दोनों िी महकफल जमेगी। कफर मैं आपिो ववस्तार से बताऊुँगा कि िैसे हम
लोग मजे मारते हैं…”

उस टदन मझे लगा यह रामू और हररया ब्जतना नजर आते हैं, वह बहत थोड़ा है और अगर मझे सब िछ
जानना है और मस्ती मारना है तो रामू िे संग बैठि जमानी ही पड़ेगी। अगले टदन मैं रामू िे साथ बैठिर बातें
िरने लगा और मैंने मौिा दे खते हए पछ
ू ा- “रामू अभी ति तमने किस-किस िो चोद मलया है ?”

रामू मश्िराते हए मेरे क्वाटर िो दे खिर- “साहे ब हमारे मलए नहीं है क्या?”

मैंने हुँसते हए रामू िो उठािर दे दी और कफर मैंने िहा- “हाुँ तो रामू तम क्या बता रहे थे?”

राम-ू “यही साहे ब कि हमने तो बहत चूत ठोंिी है, हम तो ठोंि-ठोंि िे मस्त हो जाते हैं…”

मैंने उसिी बातों िो सनिर अपनी बोतल उसिो थमा दी। उसने कफर एि घट
ुँू मारा और कफर खद ही िहने
लगा- “साहे ब मैंने सबसे ज्यादा तो अपनी बहन रममया िो चोदा है…”

मैं रामू िे मुँह से ये बात सनते ही मस्त हो गया और कफर दो पलों बाद ही मेरे लण्ड िो ऐसा झटिा लगा कि
क्या बताऊुँ, पानी छूटते-छूटते बचा। पहली बात तो यह जानिर है रानी हई कि रामू अपनी बहन िो चोदता है ,
और दस
ू री बात कि कफर मझे एिदम से मेरी अपनी बहन संगीता याद आ गई। संगीता मझसे दो साल छोटी है ,
वह 23 साल िी और मैं 25 साल िा हूुँ।

102
राज ने पछ
ू ा- रामू तम क्या अपनी बहन िो रोज चोदते हो?

राम-ू “हाुँ साहे ब… वह तो टदन भर हमारे साथ खेत पर ही रहती है ना… टदन भर उसिो नंगी िरिे पिड़े रहते हैं
अपनी झोपडड़या में, बहत मजा आता है साहे ब, बहत प्यार से चदवाती है हमसे…”

उसिी बात सनिर मेरा लण्ड परू ा तन चिा था। मैंने पछ


ू ा- “कितने साल िी है तम्हारी बहन?”

रामू बोला- “20 साल िी। क्या बताऊुँ साहे ब गाुँव में तो ऐसे ही मजे रहते हैं…”

राज- रामू रममया िे अलावा और किसिो चोदा है तमने?

राम-ू “साहे ब उसिे बाद तो हमने सबसे ज्यादा अपनी बहन ननम्मो िो चोदा है , बहत मस्त माल है साहे ब…”

राज- तमसे बड़ी है ना ननम्मो?

राम-ू हाुँ साहे ब। अब तो उसिी शादी हो गई, अभी ससराल में है पर आएगी िछ टदनों में ।

राज- क्या बहत मस्त टदखती है ननम्मो?

राम-ू “हाुँ साहे ब बहत जोरदार टदखती है, मस्त चदाई िी थी उसिी हमने इन्हीं खेतों िे बीच। अच्छा साहे ब
आपिे घर में िौन-िौन है ?”

राज ने उसे बताया कि मेरी एि 45 साल िी तंदरुस्त माुँ है और एि 23 साल िी गदराई हई बहन है और मैं
हूुँ। हम तीन लोग।

राम-ू तो साहे ब आपिी माुँ िी हालत भी मेरी माुँ िी तरह ही है ।

राज ने िहा- हाुँ रामू पर क्या िरें ?

राम-ू साहे ब आपने िभी किसी िो चोदा है?

राज- नहीं राम,ू मैं तो अभी ति िुँ वारा हूुँ।

रामू हुँसते हए- “क्यों साहे ब, आपिी बहन अच्छी नहीं लगती क्या आपिो?”

राज ने िहा- “अभी-अभी तम्हारी बात सनिर अच्छी लगने लगी है राम…
ू ” और कफर हम दोनों हुँसने लगे।

103
उस टदन रामू ने मझे शरू से लेिर आखखरी ति एि-एि बात बता दी और मैं हररया और रामू िी बातें सनिर
दं ग रह गया। मझे लगा जैसे रामू मझे राज शमाम िी िोई िहानी पढ़िर सना रहा हो। मेरा लण्ड उसिी बातें
सनिर परू ी तरह तन चिा था।

रामू हुँसते हए- “साहे ब ऐसे लण्ड मसलने से िछ नहीं होगा, किसी टदन अपनी बहन िो भी हमारे खेतों िे गन्ने
चसवा दो बड़े मीठे गन्ने हैं…”

राज हुँसते हए- “अच्छा जैसे तमने अपनी बहनों िो चसवाए हैं?” उस टदन रामू िी बातों से ऐसा लगा जैसे
मस्तराम िछ गलत नहीं िहता है , मेरे ख्यालो में बस मेरी बहन संगीता ही आने लगी।

मैं जैसे ही घर पहुँचा संगीता और माुँ मेरा इंतजार ही िर रही थी।

संगीता- लो मम्मी नाम मलया और शैतान… मेरा मतलब है भैया हाब्जर हो गये।

राज संगीता िी बाुँहे पिड़िर मोड़ते हए- “क्या िहा तन


ू े ?”

संगीता- “आह्ह… ओह्ह… भैया सारी-सारी अब नहीं िहूंगी, प्लीज छोड़ दो ना… मम्मी दे खो ना भैया िो मेरा हाथ
टूट जाएगा…”

राज- पहले बोल अब कफर बोलेगी?

संगीता- नहीं भैया िसम से।

राज- “अच्छा ठीि है…”

और कफर जैसे ही मैंने उसे छोड़ा वह िीरे से खड़ी हो गई और मैं जैसे ही सोफे पर बैठा वह मझे अपनी जीभ
ननिालिर धचढ़ाते हए- “शैतान िहीं िे…” िहने लगी।

मैं जैसे ही उसे पिड़ने िे मलए लपिा, वह खखलखखलािर हुँस पड़ी और बाहर िी ओर भाग गई। मैं वापस बैठ
गया और मम्मी हम दोनों िो दे खिर मश्िरा रही थी। तभी संगीता एि बार कफर से हमारे सामने से जल्दी से
ननिलिर अंदर िे रूम में चली जाती है और मैं उसे दे खिर मम्मी िी ओर दे खता हूुँ और िहता हूुँ- “मम्मी
बहत शैतान हो गई है संगीता…”

पायल- “शैतान भी हो गई है और साथ ही साथ जवान भी हो गई है , अब तू जल्दी से िोई लड़िी दे खिर शादी
िर ले, तो इसिी भी शादी िे बारे में सोचा जाए…” मेरी मम्मी ने सामने बालिनी में खड़ी संगीता िी ओर
दे खिर िहा।

मैंने जब संगीता िी ओर दे खा तो मेरा लण्ड खड़ा हो गया, क्योंिी वह जीन्स पहने हए अपनी मोटी गाण्ड
उठाए, बालिनी िा सहारा लेिर बाहर िा नजारा दे ख रही थी। मैं मम्मी िा इशारा समझ गया था, क्योंिी

104
मम्मी उसिी गदाज और भारी गाण्ड और मोटे -मोटे दि
ू िो दे खिर ही मझे उसिी जवानी िा एहसास िरा रही
थी। वािई में संगीता िी मोटी-मोटी जांघें और बड़े-बड़े उठे हए चूतड़ों िो दे खिर मझे मजबरू न अपने लण्ड िो
एि बार मम्मी िी नजरें बचािर सहलाना पड़ा।

पायल- “चल बेटे हाथ मुँह िो ले, मैं तेरे मलए चाय बनािर लाती हूुँ…” कफर िछ दे र बाद मम्मी चाय बनािर ले
आई और मेरे सामने खड़ी हो गई।

मैं रामू िे बारे में सोचता हआ खोया हआ था, तभी मेरे सामने मांसल उठा हआ गोरा पेट और खब
ू गहरी नामभ
आ गई, तब मझे ध्यान आया कि सामने मम्मी चाय लेिर खड़ी हैं। मैं एिटि मम्मी िा धचिना उठा हआ पेट
दे ख रहा था और मझे ध्यान नहीं था कि मेरा दस
ू रा हाथ अपने लण्ड पर रखा हआ था। मैंने हड़बड़ािर चाय ली
और मम्मी िो दे खिर मश्िरा टदया। मम्मी मेरे सामने ही बैठ गई और मैं ना चाहते हए भी मम्मी िे मस्ताने
ब्जश्म पर एि नजर मारिर चाय पीने लगा।

पायल यानी मेरी माुँ 42 साल िी थी लेकिन बहत मस्त माल थी। मम्मी िा परू ा बदन िसा हआ था और
उनिा भरा हआ गोरा बदन, मोटी गाण्ड और भारी चत
ू ड़ों िो दे खिर किसी िा लण्ड पहली नजर में ही खड़ा हो
जाए। मैंने चाय खतम िी और कफर छत पर जािर मसगरे ट पीने लगा।

तभी पीछे से संगीता आ गई। संगीता बहत चलबली और नटखट थी। वह हमेशा शरारत िे मड
ू में ही रहती थी।
मैंने जब िश खींचिर िआ
ुँ छोड़ा तो संगीता मेरे मुँह िे पास आ गई और बोलने लगी- “लाओ सांभा एि िश
हमें भी वपला दो…” और मश्िराते हए मेरे चेहरे िी ओर दे खने लगी।

मझे नहीं पता उस समय क्या हआ? मैं बहत बैचैन था और जब संगीता िा खूबसरू त चेहरा एिदम से मेरे
सामने आया तो मैंने बबना िछ सोचे समझे उसिा मह
ुँ पिड़िर उसिे होंठों िो एिदम से चूम मलया।

संगीता शायद मेरी इस हरित िे मलए बबल्िल भी तैयार नहीं थी और वह मेरी इस हरित से सिते में आ गई
और मझे थोड़ा सा िक्िा दे ते हए वहाुँ से भागिर नीचे चली गई।

मैं थोड़ा डर गया और सोचने लगा िी िहीं संगीता मम्मी से िह दे गी तो मम्मी पता नहीं क्या सोचेगी?
ओफ्फ… मैंने यह क्या हरित िर दी? अब मैं क्या िरूं? मैं नीचे जाने में भी घबरा रहा था। मझे खड़े-खड़े
िाफी दे र हो गई, लेकिन मैं नीचे जाने िी टहम्मत नहीं जटा पा रहा था, तभी मेरे िानों में आवाज सनाई दी।

संगीता- “भैया चलो खाना खा लो मम्मी बला रही है…” और इतना िहिर संगीता पलटिर जाने लगी।

राज- “संगीता सन तो…” लेकिन वह नहीं रुिी और सीिे नीचे चली गई। मैं िीरे से नीचे गया। और जैसे ही मैं
खाने िी टे बल िे पास गया।

अचानि मम्मी ने िहा- “राज यह क्या हरित है?”

105
मम्मी िे मुँह से इतना सनना था कि मैं पशीने से भीग गया और जैसे ही मैंने मम्मी िी ओर दे खा, तो मम्मी
ने िहा- “राज हम िब से तम्हारा वेट िर रहे हैं और तम हो कि छत पर टाइम पास िर रहे हो…”

मम्मी िी बात सनिर मझे थोड़ी राहत ममली और मैंने जब संगीता िी ओर दे खा तो वह मेरी तरफ गस्से से
दे खती हई खाना खाने लगी। उस समय संगीता बहत खूबसरू त लग रही थी और मेरा टदल िर रहा था कि
उसिा मुँह पिड़िर चूम लुँ ।ू मैं चपचाप खाना खाने लगा और बीच-बीच में नजरें उठािर संगीता और मम्मी िो
दे ख लेता था।

खाना खािर मैं वापस छत पर जािर मसगरे ट पीने लगा और यह सोचिर और भी खश हो रहा था कि मैंने
संगीता िे होंठ चूम मलए, लेकिन उसने मम्मी से िछ नहीं िहा। उस रात मैं रात भर अपनी िल्पनाओं में
अपनी बहन िी मस्त जवानी से खेलता रहा, और अपनी बहन िो परू ी नंगी दे खने िे मलए मेरा मन तड़पने
लगा।

अगले टदन मैं कफर से साइट पर पहुँच गया और िाम शरू िर टदया। उस टदन शाम िो 4:00 बज गये लेकिन
हररया या रामू िोई भी मझे नजर नहीं आया। मैंने सोचा चलो मैं ही रामू िे गन्ने िे खेतों िी ओर चलता हूुँ,
और कफर मैं जैसे ही रामू िे गन्ने िे खेत िे पास पहुँचा तब मैंने दे खा िी रामू आराम से खाट पर लेटा था
और रममया उसिे पास बैठी उसिा लण्ड सहला रही थी। अचानि रममया िी नजर मझ पर पड़ी और वह रामू
िे लण्ड पर लग
ं ी डालिर एिदम से खड़ी हो गई। उसे खड़ी होते दे खिर रामू िा ध्यान मेरी ओर गया और वह
भी एिदम से उठिर बैठ गया।

राम-ू “अरे बाबज


ू ी आप… आओ, आओ बाबज
ू ी यहाुँ इस खाट पर बैठो…”

राज- और रामू िैसे हो, आज तम टदन भर से नजर नहीं आए तो मैंने सोचा मैं ही रामू से ममल आता हूुँ।

राम-ू बहत अच्छा किया साहे ब जी, अरे रममया जा बाबज


ू ी िे मलए पानी लेिर आ।

रामू िी बात सनिर मेरे आश्चयम िा टठिाना नहीं रहा, और मैंने रामू से पछ
ू ा- “रामू क्या यही तम्हारी बहन
रममया है ?”

राम-ू हाुँ बाबज


ू ी।

राज- “पर रामू यह तो बहत छोटी है…” मेरा अनमान अपनी संगीता िे टहसाब से रामू िी बहन िे बारे में था,
लेकिन मेरी बहन तो एिदम पटाखा थी। अगर उसे साड़ी जलाउज़ पहनिर मम्मी िे साथ खड़ी िर दो तो मम्मी
िी छोटी बहन नजर आती। मैंने जब रामू से िहा िी रामू यह तो बहत छोटी है, यह तम्हारा लण्ड िैसे लेती
होगी?

रामू मश्िराते हए- “बाबज


ू ी िोई छोटी नहीं है… उसिा बस नहीं चले, नहीं तो वह आपिो भी परू ा अपनी चत
ू में
घसेड़ ले। बड़े मस्त तरीिे से अपनी चूत मरवाती है, और आपिा लण्ड तो खड़े-खड़े अपनी चूत में घसा लेगी…”

106
तभी रममया पानी लेिर आ गई। मैंने उसे कफर एि बार ऊपर से नीचे ति घरू िर दे खा। वह बड़ी मस्त नजर
आ रही थी। मझे लगा इसे तो अपने लण्ड पर बैठािर खड़े-खड़े चोदने में मजा आ जाता होगा। रममया िे जाने
िे बाद मैंने अपनी जेब से एि बोतल शराब ननिालिर रामू िो दे ते हए िहा- “लो रामू आज रात िो तम्हारी
पाटी िा इंतजाम मैंने िर टदया है…”

रामू बोतल दे खिर खश होते हए- “वाह साहे ब… आज तो रात िो मजा आ जाएगा…”

राज- रामू आज मेरा मड


ू धचलम पीने िा हो रहा है वपलाओगे नहीं?

राम-ू “क्यों नहीं साहे ब? आप यहीं बैटठए मैं हररया िािा से लेिर आता हूुँ। तब ति आप हमारी बहन रममया से
बातें िीब्जए…”

राज- तम्हारी बहन मझसे बातें िरने में घबराएगी तो नहीं?

राम-ू “साहे ब गाुँव िी लौंडडया है , दे ख लो िोमशश िरिे नहीं तो कफर मैं आ ही रहा हूुँ थोड़ी दे र में…”

मैंने इशारे से रममया िो अपने पास बलाया तो उसने मश्िराते हए मझे अपनी जीभ ननिालिर मुँह धचढ़ाया और
हररया िे खेत िी ओर भाग गई। मैं बस उसे पिारता ही रहा कि अरे रममया सन तो जरा लेकिन तब ति वह
खेत पार िर चिी थी। मैं मन ही मन मश्िरा टदया और वहीं चारपाई पर लेट गया, िछ दे र बाद मझे रामू
और हररया दोनों आते हए नजर आए और मैं उठिर बैठ गया।

हररया- िा हाल है बाबज


ू ी? आज इिर िा रास्ता िैसे भल
ू गये?

राज- अरे हररया, तम्हारी धचलम िी याद मझे यहां ति खींच लाई है ।

हररया- अरे राम,ू हम माधचस तो खाट पर ही भल


ू आए जाओ जरा दौड़िर लेते आओ।

रामू वापस हररया िे खेत िी ओर चल टदया और हररया वहीं जमीन पर बैठिर मझसे बातें िरने लगा।

राज- अरे हररया रामू तो िहता है उसने रममया िो खब


ू ठोंिा है, पर रममया तो बहत छोटी है ।

हररया- “मैं समझ गया साहे ब… आपिो बड़े-बड़े चत


ू ड़ों और चच
ू े वाली भारी माल पसंद आते हैं, अगर माल ही
दे खना है साहे ब तो सबसे तगड़ा माल तो इस गाुँव में एि ही है …”

राज- वह िौन?

हररया- अरे साहे ब और िौन अपने रामू िी माुँ सधिया ही तो है जो हमेशा मेरे लण्ड िो तरसाती रहती है ।

राज- क्या बात िर रहे हो हररया, रामू ने तो िभी बताया नहीं?

107
हररया- अरे साहे ब वह क्यों बताने लगा? उसिी तो मौज है टदन भर यहाुँ छोटी बहन रममया िो चोदता है और
रात िो अपनी माुँ सधिया पर चढ़िर उसे चोदता है ।

हररया िी बात सनिर मेरे तो होश उड़ गये- “क्या िह रहे हो हररया, रामू अपनी माुँ िो भी चोदता है ?”

हररया- “अरे साहे ब उसिी माुँ है ही इतना मस्त माल कि अगर उसिी माुँ िे जैसी गदराई जवान घोड़ी आपिी
खद िी मम्मी भी होती तो आप अपनी मम्मी िो परू ी नंगी िरिे खब
ू िस-िसिर चोदते…”

हररया िी बात सनिर मेरे ख्यालो में मेरी मम्मी पायल मझे परू ी नंगी नजर आने लगी, और मेरा लण्ड परू ी
तरह तनिर खड़ा हो गया। मैंने िहा- “क्या बहत मस्त नजर आती है रामू िी माुँ?”

हररया- “अरे साहे ब, मैं तो उसिी माुँ िी मोटी गाण्ड दे खिर मस्त हो जाता हूुँ… सच साहे ब मैं जब भी अपनी
बीबी िो चोदता हूुँ तो मझे ऐसा लगता है जैसे मैं सधिया िो ही चोद रहा हूुँ…”

राज- मतलब तम रामू िी माुँ िो चोदना चाहते हो?

हररया- चाहता तो हूुँ साहे ब, पर रामू ने िभी मेरे टदल िी हालत िो समझा ही नहीं।

राज- अगर मैं तम्हारा िाम िरवा दुँ ू तो मझे क्या ममलेगा?

हररया- “साहे ब जी, सधिया जैसी रं डी िो चोदने िे मलए हम िछ भी िर सिते हैं। आप चाहो तो हमारी औरत
िाममनी िो चोद लो, या कफर आप चाहो तो मेरी बेटी चन्दा िो चोद लो। चन्दा तो रममया से भी छोटी है खूब
मस्त मजा दे गी आपिो…”

राज- “ठीि है हररया, यह बात हम दोनों िे बीच ही रहनी चाटहए। अब मेरी बात ध्यान से सनो…” और कफर मैंने
हररया िो िछ समझाया इतने में सामने से रामू आता हआ नजर आया।

रामू िे आने िे बाद हमने धचलम खींची और कफर हररया वहाुँ से चला गया और मैं और रामू मस्ती में आिर
बातें िरने लगे।

राज- “रामू यह बताओ कि तमने िभी अपने घर िे अलावा भी किसी िो चोदा है?”

राम-ू “चोदा तो है बाबज


ू ी लेकिन िछ टदनों से हमारी एि इच्छा बड़ी प्रबल हो रही है कि हम हररया िािा िी
जोरू और बेटी चन्दा िो एि साथ खूब हमच-हमच िर चोदें । लेकिन हम जानते हैं िी यह इच्छा परू ी होने वाली
नहीं है । भला दोनों माुँ बेटटयां एि साथ हमसे अपनी चूत िैसे मरवाएंगी?”

राज मश्िराते हए- “अरे दोस्त यह तो संभव सी बात है । तम इसे असंभव क्यों मान रहे हो?”

108
राम-ू िैसे संभव होगी बाबज
ू ी?

राज- अगर मैं तम्हारी मदद िरूं तो मझे क्या ममलेगा?

राम-ू “साहे ब अगर दोनों माुँ बेटी िो एि साथ हमसे चदवा दो तो िसम से आप जो िहोगे हम वो िरें गे। आप
ब्जसिो िहोगे हम उसे आपसे चदवा सिते हैं। चाहो तो हमारी बहन रममया िो ही ठोंि लो, बहत मस्त
चदवाती है आप मस्त हो जाओगे…”

राज- तो ठीि है बात पक्िी।

रामू मेरा मुँह दे खता हआ- “क्या बात पक्िी साहे ब, बताओ तो िैसे चदवा दोगे? जबिी तमने तो िभी हररया
िी बीबी और बेटी िो दे खा ही नहीं और बात पक्िी? क्या साहे ब आप भी लगता है आपिो धचलम िा नशा हो
गया है ?”

राज- “अरे नहीं राम,ू तम्हें यिीन नहीं है तो ठीि है हम दोनों ममलिर रममया िो इसी खेत में चोदें गे लेकिन
तम्हारी ख्वाइश परू ी होने िे बाद, अब तो ठीि है ?”

राम-ू लेकिन साहे ब िब?

राज- िल।

राम-ू वो िैसे?

राज- “तो मेरी बात ध्यान से सनो…” और कफर मैंने रामू िो सारी बातें समझा दी।

कफर रामू मेरी ओर मश्िरािर दे खते हए- “साहे ब आप तो बहत टदमाग वाले लगते हैं। क्या प्लान बनाया है?
किसी िो िानों िान खबर भी नहीं होगी और िाम भी हो जाएगा, लेकिन हररया िािा िा क्या िरना है?”

राज- “तम हररया िािा से इस बारे में िोई बात नहीं िरोगे…” मैंने वहाुँ बैठे-बैठे ही हररया और रामू िा सारा
मामला समझ मलया था और एि बेहतरीन प्लाननंग िा प्लाट मेरे टदमाग में आउटलाइन बना चिा था। मझे
बस उसमें रं गों िे िंबबनेशन िे बारे में ही सोचना था िी िौन से टहस्से में िौन सा रं ग डाल?
ूं

शाम िो 5:00 बजे ही मैं शहर िी ओर चल टदया और अपने एि दोस्त राजन जो कि नाटि मंडली में िाम
िरता था िे पास गया।

राजन- अरे राज आज इिर िा रास्ता िैसे भल


ू गया, सब खेररयत तो है ?

राज- यार राजन मझे एि दो टदन िे मलए तेरे िछ नाटि वाली ड्रेस और दाढ़ी मुँछ
ू ें चाटहए।

109
राजन- क्या भाई तम्हें इन सबिी क्या जरूरत पड़ गई, िहीं िछ जालसाजी िरने िा इरादा तो नहीं है?

राज- अरे नहीं यार बस थोड़ा मजा और मस्ती िे मलए मझे एि दो टदन िे मलए जरूरत थी।

राजन- अच्छा बोल क्या-क्या दुँ ?


राज- अबे जो-जो पहनिर तू साि बाबाओं िी आब्क्टं ग िरता है, बस वहीं िपड़े दे दे ।

राजन ने मझे िपड़े टदए और मैं उन्हें लेिर सीिे घर आ गया। रात िो मैंने सब सामान एि बैग में रखिर
सबह 10:00 बजे रामू िे खेत में पहुँच गया। वहाुँ जािर मैंने अपना बैग खोला और रामू िी झोपड़ी में अपना
सामान रखिर मैंने रामू से िहा- “मैं हररया िे पास जा रहा हूुँ और वहाुँ से हररया िे घर जाऊुँगा और तम्हारा
िाम जमा दे ता हूुँ। तम यही खेत में रहना। मौिा ममलने पर हररया खद तम्हें अपने घर भेजेगा और तम सबसे
बचते हए सीिे हररया िे घर आ जाना, लेकिन ध्यान रहे साथ में चन्दा िो लेिर भी आना और रममया िो भी,
तािी तम अपना िाम जब ति िरोगे तब ति मैं रममया िो चोद लुँ ग
ू ा…”

रामू मश्िराते हए- “क्या बात है साहे ब सचमच आप इस मेिप में पहचान में नहीं आ रहे हैं…”

राज- “पर एि बात और मैं तमसे िहना भल


ू गया िी मैं टदखावे िे मलए हररया िे साथ गाुँव में जाऊुँगा और
तम्हारे घर होते हए हररया िे यहाुँ जाऊुँगा, तािी बाद में जब तम्हारी माुँ िो पता चलेगा कि गाुँव में बाबा
आया था तो सवाल खड़े हो सिते हैं, इसमलए यह सभी िो पता होना चाटहए कि िोई पहुँचा हआ साि यहाुँ
आया है…”

रामू मेरी बात सनिर- “वाह साहब क्या प्लाननंग िी है आपने… अब आप आराम से हररया िािा िे पास जाओ।
मैं यही इंतजार िरता हूुँ…”

उसिे बाद मैं (राज) वहाुँ से हररया िे खेत िी ओर चल टदया। मझे भी थोड़ी घबराहट हो रही थी लेकिन हररया
और रामू मेरे राजदार थे, इसमलए पोल खलने िा भी मझे िोई खास डर नहीं था। तभी मैं हररया िे सामने गया
और एि िड़ि आवाज में बोला- “अलख ननरं जन…”

मेरी आवाज सनते ही हररया ने पलटिर दे खा और एिदम से झििर मेरी ओर हाथ जोड़ मलए और िहने लगा-
“अरे महराज आप िौन हैं और िहाुँ से आपिा पदापमण हआ है ?”

राज- “बच्चा हम बहत दरू से आए हैं और प्यासे हैं और अपनी प्यास बझाना चाहते हैं। क्या तम इस बाबा िी
प्यास बझाने में मदद िरोगे?”

हररया हाथ जोड़िर- “क्यों नहीं महराज… आप इस खटटया पर ववराब्जए, मैं अभी जल िा बंदोबस्त िरता हूुँ…”

कफर हररया जैसे ही पीछे जाने िो मड़ा, तो मैंने िहा- “बच्चा जरा धचलम िा बंदोबस्त भी िर लेना…”

110
मेरे मुँह से यह बात सनते ही हररया िा माथा ठनिा और उसे एिदम से होश आया और वह मझे बड़े ध्यान से
घरू िर दे खता हआ जोर से धचल्लािर हुँसता हआ बोला- “अरे मेरे मामलि… गई भैंस पानी में , माुँ िसम साहेब
हम तो अभी ति यही समझ रहे थे कि सचमच िोई सन्यासी हमारी िटटया में मभक्षा माुँगने आया है । पर मान
गये साहे ब आपिो, आपने तो हमें ही चूनतया बना टदया। दस
ू रे लोग क्या खाि पहचानेंगे आपिो। वाह… साहे ब
बैटठए हम अभी धचलम बनाते हैं…” और कफर हररया ने मझे मस्त धचलम बनािर वपलाई और मैं मस्ती में मस्त
हो गया।

तभी झोपड़ी िे अंदर से चन्दा ननिलिर बाहर आ गई और मैं हररया िी 16 साल िी धचिनी लौंडडया िो
दे खिर एिदम से मस्त हो गया। उसिे बदन िो दे खिर लग रहा था िी जैसे हररया उसे रोज चोदता हो।
दोपहर िे 12:00 बजने िो आ चिे थे और मैंने हररया िो िहा- “हररया अब हमें यहां से सीिे रामू िे घर
चलना है …” और कफर मैं हररया िे साथ रामू िे घर पहुँच गया।

दोपहर िा वक़्त था गाुँव िे लोग आिे से ज्यादा खेतों में होते थे, और बचे-खचे तालाबों और यहाुँ वहाुँ िाम पर
लगे होते थे। इसमलए गाुँव भी सनसान पड़ा हआ था।

रामू िे घर िे सामने पहुँचने िे बाद मैंने हररया से िहा- “हररया तम अब 10-15 ममनट बाद मेरा उस सामने
वाले पेड़ िे नीचे इंतजार िरना। मैं तब ति रामू िी माुँ से ममलिर आता हूुँ। तम अगर साथ रहोगे तो उसे
शि भी हो सिता है …”

हररया मेरी बात सनते ही मझे बता गया कि वह 10 ममनट िे मलए इिर-उिर घम
ू िर आता है और कफर वह
वहाुँ से चला गया।

मैं रामू िे दरवाजे िे पास खड़ा हो गया और जोर से धचल्लाया- “अलख ननरं जन, अलख ननरं जन…”

तभी एिदम से दरवाजा खला और सामने रामू िी माुँ मझे दे खते ही हाथ जोड़िर िहने लगी- “प्रणाम महराज…”

सधिया शायद अंदर िपड़े िो रही थी उसिे गोरे -गोरे भरे हए गाल मोटे -मोटे दि
ू लाल िलर िे जलाउज़ िो
फाड़िर बाहर आ रहे थे, दो बटन खले होने से उसिे गोरे -गोरे मोटे दि
ू परू ी तरह छलिे जा रहे थे। जलाउज़ िे
नीचे ब्रा िा तो िोई नाम ही नहीं था। और कफर उसिा गदाज मखमली पेट और गहरी नामभ दे खिर सचमच
उसिी मोटी गाण्ड और उसिी मोटी-मोटी गदराई जाुँघों िा अंदाजा आसानी से लगाया जा सिता था।

मेरा तो उसे दे खते ही लण्ड खड़ा हो गया। बहत मस्त माल था लेकिन ना जाने क्यों मेरी मस्तानी मम्मी पायल
िे आगे थोड़ी फीिी थी। कफर भी अभी मैंने उसे परू ी नंगी दे खा िहां था? खैर, नंगी तो मैंने िभी अपनी मम्मी
िो भी नहीं दे खा था। लेकिन कफगर और उसिे िटाव िी बात िरें तो मेरी माुँ पायल िा िोई तोड़ नहीं था।
खैर…

सधिया- “बाबा आप िौन हैं, और िहाुँ से पिारे हैं?”

111
राज- “बेटी हम अपना पररचय नहीं, बब्ल्ि लोगों िे दखों िे ननवारण िा उपाय बताते हैं। पर शायद घर िी
चौखट में खड़े रखिर तम हमारा अपमान िरना चाहती हो?”

सधिया- “माफ िरो बाबाजी और भीतर पिारने िा िष्ट िरें …” और कफर सधिया ने मझे एि आसन बैठने िे
मलए दे टदया, और मैं उसपर बैठ गया।

राज- सधिया बेटी, ला जरा जल ग्रहण िरवा दे ।

सधिया मेरे मुँह िी ओर चकित होिर दे खते हए- “बाबा आप मेरा नाम िैसे जानते हैं?”

राज- “बेटी हम तो अंतरयामी हैं और हम तेरे गाुँव िे पास से गजर रहे थे तभी हमें िोई िाली छाया तेरे घर िे
ऊपर मंडराती नजर आ गई। इसमलए हम यहाुँ चले आए, तेरे घर पर संिट िे बदल मंडरा रहे हैं बेटी…”

सधिया एिदम से घबरािर मेरे पैरों िो पिड़िर बैठ गई और िहने लगी- “बाबा हम तो रोज पज
ू ा पाठ िरते
हैं, हमारे घर में संिट िैसे आ सिता है ?”

राज- “बेटी तेरे िल तीन बच्चे हैं ना… और तझे मामलि ने एि ही बेटा टदया है, बस उसी बेटे पर संिट आ
सिता है और तझे बहत िष्ट दे िर जाएगा…”

सधिया- “बाबा दया िरो, िोई उपाय तो होगा इस संिट िो टालने िे मलए। आप तो अंतरयामी है आप तो सब
जानते हैं…”

राज- हाुँ उपाय है बेटी, तभी तो मैं तेरे पास आया हूुँ। पर उपाय जरा िटठन है शायद तू ना िर पाए?

सधिया- मैं हर उपाय िरने िो तैयार हूुँ, बाबा आप बताइए तो सही।

राज- “ठीि है तो ध्यान से सन… िल सबह 5:00 बजे प्रातः उठिर तझे अपने गाुँव िे किसी भी तालाब या
नदी पर जािर परू ी नंगी होिर स्नान िरना होगा, उसिे बाद वहाुँ से 21 िदम नंगी चलिर जाना होगा, और
21 िदम चलने िे बाद तझे जो सबसे पहला आदमी अपने हाथ में जल लेिर जाता हआ नजर आएगा, तझे
उसी आदमी िे साथ संभोग िरना होगा…”

सधिया- यह आप क्या िह रहे हैं बाबा यह मैं िैसे िर सिती हूुँ?

राज- “सोच लो बेटी, इसिे अलावा िोई उपाय नहीं है और यह संिट भी इसमलए तझ पर आया है, क्योंिी तन
ू े
अपने बेटे िे साथ अपनी िामवासना परू ी िी है …” और कफर मैं जोर से धचल्लाया- “बता िी है कि नहीं अपने
बेटे िे साथ अपनी वासना िी तब्प्त?”

सधिया सीिे मेरे पैरों में धगर गई और रोने लगी- “बाबा मझे माफ िर दीब्जए मझसे गलती हो गई…”

112
राज- “नहीं बेटी, तझे पछताने िी जरूरत नहीं है । बस मैंने जो उपाय बताया है वह िर लेना। तेरा बेटा लंबी उम्र
प्राप्त िर लेगा…”

सधिया- पर बाबा अगर मझे सबह वहाुँ िोई नहीं ममला तो?

रामू िी माुँ िे सवाल ने वािई मेरी गाण्ड फाड़ दी… मैं सोचने लगा िी क्या जवाब दुँ ?
ू कफर मैंने उससे िहा-
“यह तमने बड़ा ही बद्धिमानी िा सवाल किया है । जाओ हमारे मलए जल लेिर आओ, हम अभी ध्यान लगािर
िछ सोचते हैं…”

और जैसे ही सधिया उठिर जाने लगी, उसिी घाघरे में मटिते गदाज चूतड़ों िी हरितों ने मेरे लौड़े िो तान
िर रख टदया। मैंने मन में सोचा इसिी गदाज मोटी गाण्ड मारने में तो मजा आ जाएगा। बस कफर जैसे ही
सधिया पानी लेिर लोटी, मैंने जल लेिर उसे वहीं अपने सामने बैठने िो िहा। जब वह बैठ गई तो उसिे मोटे -
मोटे दि
ू परू ी तरह मझे नजर आने लगे। मेरा तो टदल उसिे मोटे -मोटे दि
ू िो दे खिर मस्त हो गया। मैंने
उसिे ऊपर जल नछड़ि िर अपनी आुँखें बंद िर ली और अपने होंठों से बदबदाने लगा।

उसिे बाद िछ दे र में मैंने अपनी आुँखें खोली और िहा- “बेटी सच बताओ तमने िई बार अपने बेटे से संभोग
किया है ना?”

सधिया मेरी बात सनिर थोड़ा शमाम गई और ‘हाुँ’ में अपनी गदम न टहला दी।

राज- “बेटी िल तम्हें एि साथ दो आदममयों िे साथ संभोग िरना होगा…”

सधिया आश्चयम से मेरे मुँह िी ओर दे खने लगी।

मैं उसिे अंदर िी हालत समझ गया और मैंने िहा- “क्या तमने िभी एि साथ दो लोगों िे साथ संभोग नहीं
किया है ना?”

सधिया शायद मेरी बातों से गरम हो रही थी और अपने गले िा थि


ू गटिते हए िहने लगी- “नहीं बाबाजी।
मैंने दो लोगों िे साथ िभी नहीं किया…”

राज- “बेटी िल तझे जो भी पहला आदमी जल लेिर आता हआ नजर आए, उससे तझे संभोग िरना है । जब
वह तझे नंगी दे खिर तझे अपनी बाुँहो में भर ले, तब तू थोड़ा ना-निर िरिे उससे संभोग िरे गी। जब वह तझे
भोग रहा होगा तब तझे इिर-उिर ध्यान रखिर दे खना होगा और जब तझे िोई दस
ू रा आदमी नजर आये तब
पहले वाले आदमी िो भेजिर उस दस
ू रे वाले आदमी िो भी अपने पास बलवाना होगा और कफर उस आदमी से
भी तझे संभोग िरना होगा। लेकिन ध्यान रहे दोनों आदमी एि साथ तेरे दोनों अंगों में अपना मलंग प्रवेश
िराएंगे तभी तू दोर्-मक्त होगी, और यह भी ध्यान रखना िी दस
ू रे आदमी िे हाथ में भी जल िा लोटा होना
चाटहए…”

सधिया मेरी बातों िो बड़े ध्यान से सन रही थी।

113
कफर मैंने उसिे गोरे गालों पर हाथ फेरते हए िहा- “जा बेटी मेरा आशीवामद तेरे साथ है, अब मझे इजाजत दे ,
मेरा िाम परू ा हआ। अब अपने घर िो बचाने िी जवाबदारी तेरी है…”

उसिे बाद सधिया ने मेरे पैर छए और मैं उसिे घर से बाहर आ गया। जब मैं बाहर आया तो आसपास दे खने
िे बाद मैं उस ओर चल टदया जहाुँ हररया से ममलना था। उसिे बाद हररया मझे साथ लेिर अपने घर िी ओर
चल पड़ा।

हररया उत्सितावश मझसे पछ


ू ने लगा- “क्या हआ बाबज
ू ी बात बन गई क्या?”

राज- “पहले मझे एि मस्त धचलम बनािर वपलाओ, कफर मैं बताता हूुँ िी क्या हआ?”

उसिे बाद मैं और हररया पेड़ िी छाया में बैठ गये और हम दोनों दम मारने लगे।

हररया- अब बताओ भी बाबज


ू ी क्या बात हई सधिया भाभी से?

राज मश्िराते हए- “तम्हारा िाम हो गया है हररया, लेकिन मझे भी तम्हारे साथ सधिया िो चोदना होगा…”

हररया- लेकिन वह िैसे?

कफर राज ने हररया िो सारी बात बता दी और उसे समझा टदया कि सबह 5:00 बजे हम दोनों िो पास वाले
तालाब पर चलना होगा।

हररया मेरी बात सनिर खशी से पागल हो गया और बोला- “बाबज


ू ी आज से आप हमारे गरु हए, जो आप िहें गे
हम मानेंगे।

राज- अरे हमें गरु ना बनाओ, अब हमें अपने घर ले चलो और जरा अपनी बीबी िे हाथ िी चाय ही वपलवा दो।

हररया- “क्यों नहीं बाबज


ू ी, आपने तो हमें िन्य िर टदया। बस एि बार हम सधिया भौजी िो चोद लें कफर
दे खना जब मन होगा उसिी मोटी गाण्ड मार मलया िरें गे…”

हम दोनों बातें िरते हए हररया िे घर पहुँच गये। िाममनी ने दरवाजा खोला और हररया ने घर में घसते हए
मझसे िहा- “आओ बाबज
ू ी…”

हररया ने मझसे अपनी बीबी िे सामने बाबज


ू ी िहा तो मैंने हररया िो घरू िर दे खा तो हररया िहने लगा- “मेरा
मतलब है बाबाजी आइए अंदर बैटठए…”

कफर हररया अपनी बीवी से- “अरे सनती हो… जाओ बाबाजी िे मलए पानी िी व्यवस्था िरो। तम नहीं जानती
यह बहत पहुँचे हए महात्मा हैं…”

114
मैंने हररया िो इशारे से बलाया और उससे िहा- “हररया तम अब यहाुँ से सीिे खेतों में चले जाओ और वहाुँ
जािर राम,ू रममया और चन्दा तीनों िो यहाुँ भेज दो और अपनी पत्नी िो समझा दो कि आज तम खेतों में ही
सो जाओगे…”

हररया- लेकिन रामू िो यहाुँ क्यों बला रहे हो?

राज- “अरे तम समझ नहीं रहे हो, मैंने तम्हारा िाम तो िर टदया। अब मैं भी तो थोड़ा रममया िे साथ मस्ती
मार लुँ ।ू मैं किसी भी तरह रामू और तम्हारी बीबी और चन्दा िो बातों में लगािर अंदर लेजािर रममया िो चोद
लुँ ग
ू ा और उसिे बाद शाम िो रामू उसे लेिर अपने घर चला जाएगा और मैं तम्हारे घर पर रात गजार लुँ ग
ू ा…”

हररया- “लेकिन बाबज


ू ी मेरा मतलब है … बाबाजी मैं खेतों में रात भर तो बोर हो जाऊुँगा िोई और आइडडया
बताओ ना ब्जससे मैं भी रात िो मस्त रहूुँ, और आप भी मजा ले लो…”

मैं िछ सोचते हए- “अच्छा एि िाम िरो, रात िो खाने िे समय तम घर आ जाना और कफर चन्दा िो लेिर
खेतों में चले जाना। इस तरह तम रात भर चन्दा िो चोदना और कफर सबह-सबह तो तम्हें सधिया चोदने िो
ममल ही जाएगी…”

हररया- “यह बात एिदम कफट है बाबज ू ी। मैं जाता हूुँ…” और कफर हररया ने िाममनी िो समझा टदया िी बाबाजी
बहत पहुँचे हए हैं, इनिा शाम ति ख्याल रखना। मैं खाने पर आऊुँगा और रात िो बाबाजी िे मलए बटढ़या सा
खाना तैयार िर लेना…”

हररया िे जाने िे बाद िाममनी मेरे मलए पानी लेिर आई। तब मैंने उसिे बदन पर नजर डाली, िाममनी भी भरे
बदन िी औरत थी और उसिी भी गाण्ड और चधू चयां खब
ू बड़ी-बड़ी नजर आ रही थी। हालांिी रामू िी माुँ से
वह िम उमर िी लग रही थी और पहनावा भी उसिा साड़ी और जलाउज़ था, िल ममलािर मस्त चोदने लायि
माल थी।

राज- “िाममनी बेटी तम्हारे जल में ममठास है, लेकिन तम्हारे मन में एि बहत ही बड़ी शंिा है, ब्जसमें िई बातें
समाई हई हैं। तम्हारा मन बहत चंचल है, तम्हारी बड़ी िोमशशों से तम्हारी बड़ी बेटी िा घर वापस बस सिा है ,
लेकिन एि चीज है जो तम्हारे घर में परे शानी बनिर िष्ट दे ने वाली है…”

िाममनी- वह क्या बाबाजी?

राज- “तमने पराए मदों िे साथ संभोग किया है, इसमलए तम्हारी बड़ी बेटी िे जीवन में समस्या आई। लेकिन
अब तम लगातार पराए मदम से संभोग िरती रहती हो, ब्जसिे चलते तम्हारी बेटी चन्दा पर भी संिट आने िी
संभावना बढ़ गई है…”

मेरी बातें सनिर िाममनी िे माथे पर पशीना आ गया और वह अपनी नजरें नीचे िरिे मेरे सामने बैठ गई और
िहने लगी- “नहीं-नहीं बाबाजी, मैंने िभी किसी िे साथ ऐसा िछ नहीं किया है…”

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राज धचल्लाते हए- “चप रहो लड़िी वरना अभी श्राप दे दुँ ग
ू ा। मेरे सामने झूठ ितई नहीं टटि सिता। अगर
तमने तरं त सच स्वीिार नहीं किया तो हम रुष्ट हो जाएंगे और यटद हम नाराज हए तो तम जानती हो क्या हो
सिता है ?”

िाममनी मेरे पैरों िो पिड़िर- “मझे माफ िर दो बाबाजी, मैंने आपसे झठ


ू िहा। आप बबल्िल सच िह रहे हैं।
मैंने यह अपराि किया है , मझे माफ िर दीब्जए…”

राज- “बेटी माफी नहीं इस समसया िा ननवारण लेिर हम तेरे दर पे आए हैं। लेकिन उसिे मलए तझे हमारे
बताए अनसार िमम िरना पड़ेगा, तभी तेरी बेटी दोर्-मक्त हो पाएगी…”

िाममनी- मैं सब िछ िरने िो तैयार हूुँ बाबाजी। आप बताइए मझे क्या िरना होगा?

राज- “बेटी अभी तझे अपनी बेटी चन्दा िो लेिर उसी परुर् िे साथ बैठना होगा, लेकिन ध्यान रहे तम तीनों
परू ी तरह नंगे होने चाटहए और कफर वही आदमी ब्जसिे साथ तम संभोग िरती हो उसिे साथ ममलिर अपनी
बेटी चन्दा िो उत्तेब्जत िरना होगा और कफर अपने हाथों से उस पराए मदम िे मलंग िो अपनी बेटी िे अंदर
प्रवेश िरवाना होगा, और कफर तम तीनों िो सामटू हि संभोग िरना होगा…”

िाममनी- “लेकिन बाबा यह िैसे होगा? आप ब्जस मदम िी बात िर रहे हैं, वह तो िहीं दरू खेतों में िाम िर
रहा होगा और मेरी बेटी चन्दा भी यहाुँ नहीं है, कफर आप िह रहे हो कि यह सब अभी िरना होगा…”

राज- “बेटी हम हवा में बातें नहीं िरते हैं। हम अभी अपने मन्त्र िी शब्क्त से उन दोनों आत्माओं िो यहाुँ
जल्दी ही बला लेते हैं…” और कफर मैं ऐसे ही उसे टदखाने िे मलए मन्त्र पढ़ने लगा।

और िरीब 10 ममनट िे बाद राम,ू रममया, और चन्दा एिदम से घर िे अंदर घस आए। ब्जन्हें दे खते ही
िाममनी िी आुँखें फटी िी फटी ही रह गई।

रामू ने मझे दे खते ही मश्िरािर प्रणाम किया और मैंने उसे आशीवामद टदया।

राज- “क्यों िाममनी बेटी अब तो तम समझ गई होगी िी बाबा क्यों पिारे हैं? तम्हारे यहाुँ और तम्हारे घर पर
दोर् है कि नहीं?”

िाममनी मेरे पैरों में धगर िर- “आप िन्य हैं बाबाजी, वािई आप बहत पहुँचे हए महात्मा हैं…”

रामू मश्िरािर मेरी ओर दे खने लगा और मैंने प्यार से मेरे पैरों में झिी हई िाममनी िी जलाउज़ में से झाुँिती
नंगी पीठ िो सहलाते हए िहा- “बेटी आज हम तेरे सारे िष्ट दरू िर दें ग…
े ”

मेरी आब्क्टं ग दे खिर रामू मश्िरािर मझे सलाम िरने लगा।

116
राज- “अब जाओ िाममनी और भीतर िे िमरे में अपनी बेटी चन्दा िो ले जाओ और जैसी किया मैंने बताई है
उसिी तैयारी िरो। हम इस बालि िो शद्ि िरिे अंदर भेजते हैं…”

िाममनी िे अंदर जाते ही रामू ने रममया िो िहा- “तू जािर वहाुँ बैठ, मैं बाबाजी से तेरे बारे में भी िछ पछ
ू लुँ ू
िहीं तझे िोई समस्या तो नहीं है ?”

रामू िी बात सनिर रममया मश्िराते हए सामने जािर बैठ गई। मैंने जब रममया िो दे खा तो मझे लौंडडया बड़ी
चदासी नजर आ रही थी।

राम-ू हाुँ बाबज


ू ी अब बोमलए क्या िरना है?

राज- “रामू तेरा िाम हो गया है , तू जािर दोनों माुँ बेटी िो तबीयत से सारी दोपहर चोदना और थोड़ा रममया
िो समझा दे ना कि बाबाजी जैसा िहें वैसे ही िरना, शाम िो 6:00 बजे ति ब्जतना चाहे चोद लेना। पर ध्यान
रहे शरुआत चन्दा िो चोदने से िरना और दोनों ममलिर पहले चन्दा िो खूब चस
ू ना चाटना तािी िाममनी िो
िोई शि ना हो, और िाममनी से यह ना िहना कि तझे हररया ने यहाुँ भेजा है…”

राम-ू “मैं सब समझ गया साहे ब जी… लेकिन हररया िािा अब इिर आएगा तो नहीं?”

राज- “नहीं, वह रात से पहले नहीं आएगा। तू आराम से मस्ती मार अब… सन िाममनी िो मेरे पास भेज और
तू जािर िमरे में जमीन पर चोदने िे मलए बटढ़या सा बबस्तर लगा दे …”

रामू अंदर जािर िाममनी िो मेरे पास भेजता है ।

िाममनी हाथ जोड़िर- “जी बाबाजी आपने बलाया?”

राज- “दे खो बेटी, इस सबिे पहले तम सभी िो शद्ि होना पड़ेगा और रामू तम सभी िो जल से शद्ि िरिे
मेरे पास बारी-बारी से भेजग
े ा और कफर मैं जल िे बाद तेल से तम सभी िे बदन िो पववत्र िरूुँगा। लेकिन
पहले तम और चन्दा दोनों ममलिर रममया िो परू ी नंगी िरिे, उसे पानी से अच्छी तरह से नहलािर, परू ी नंगी
ही मेरे पास भेज दो…”

तब िाममनी रममया िो लेिर सामने आुँगन में जहाुँ िाममनी और चन्दा रोज खल्ले में बैठिर नहाती थी, वहाुँ
बैठािर रममया िा घाघरा और चोली उतारिर अलग िर दे ती हैं। मैं रममया िो नंगी दे खते ही उत्तेब्जत हो गया
और उसिी िममसन उठी हई जवानी और मोटे -मोटे ठोस दि
ू ों िो दे खिर मेरे मुँह में पानी आ गया।

िाममनी रममया िी मोटी-मोटी जाुँघों और चूत पर अच्छे से साबन लगािर उसे नहला रही थी और चन्दा रममया
िे मोटे -मोटे दि
ू ों िो अपने नाजि हाथों से सहला रही थी। रममया वहीं बैठी हई मेरी ओर दे ख रही थी और मैं
अपनी िोती में खड़े लण्ड िो सहला रहा था।

117
तभी सामने से रामू आ जाता है और वह आुँगन िी ओर दे खने लगता है, और मश्िराता हआ मेरे िरीब आिर
िहता है - “बाबज
ू ी आपिो तो मजा आ जाएगा। रममया िे दि
ू खूब िसे हए हैं, और उसिी चूत जब आप
चाटोगे तो आपिो मस्त िर दे गी, खब
ू अपनी जांघें फैला-फैलािर चदवाती है वह…”

राज- “रामू अब तम जािर चन्दा िो परू ी नंगी िरिे िाममनी िे साथ उसे भी खब
ू रगड़-रगड़िर नहला दो, और
रममया िो मेरे पास भेज दो…”

रामू जल्दी से आुँगन में गया और उसने िाममनी से िहा- “अब चन्दा िो भी नंगी िरिे नहलाना है और साथ
में तम भी परू ी नंगी हो जाओ और रममया तू जा बाबाजी तझे बला रहे हैं, और जो पछ
ू ें उन्हें सब सही-सही
बताना और जैसा िहें वैसा िरना, नहीं तो बहत बड़ी समस्या आ जाएगी समझी…”

रममया- “आप धचंता ना िरो भैया, मैं समझ गई…” और कफर रममया मेरी ओर नंगी ही चलिर आने लगी।

मैंने पहली बार इतने िरीब से किसी लौंडडया िो परू ी नंगी दे खा था। मेरा लण्ड बरी तरह फनफना रहा था।
रममया जैसे ही मेरे पास आिर खड़ी हई, मैंने उससे िहा- “बेटी जािर िटोरी में तेल लेिर आओ…”

और कफर रममया तेल लाने िे मलए जैसे ही पलटी तो, उसिी गदाज मोटी गाण्ड दे खिर मझे मजा आ गया।
बहत ही गोरी और उठी हई गाण्ड थी उसिी।

उिर रामू ने िाममनी िी साड़ी उतार दी और कफर जलाउज़ और पेटीिोट भी उतार टदया और िाममनी परू ी नंगी
हो गई। िाममनी ने चन्दा िो भी परू ा नंगा िर टदया। चन्दा थोड़ी रममया से छोटी थी लेकिन उसिे मोटे -मोटे
दि
ू रममया िे बराबर ही नजर आ रहे थे, और उसिी गाण्ड भी रममया िी गाण्ड िे बराबर नजर आ रही थी।
लगता था जैसे हररया ने अपनी बेटी िे चूचे खूब मसले होंगे, और उसिी गदाज गाण्ड िो खूब दबोचा होगा
तभी तो दोनों लौंडडयों िे बदन िी चबी अब बढ़ती हई नजर आ रही थी।

उिर िाममनी जब नंगी हई तो मझे कफर से मेरी मम्मी पायल िी याद आ गई। िाममनी िी गाण्ड िा फैलाव
दे खिर मैं िल्पना िरने लगा कि मेरी मम्मी पायल िी गाण्ड तो िाममनी िी गाण्ड से भी ज्यादा चौड़ी नजर
आती है । जब मम्मी नंगी होती होगी तो उसिी भारी गाण्ड कितनी खूबसरू त लगती होगी? जहाुँ मैंने अपनी
मम्मी िे नंगे बदन िे बारे में सोचा, मेरा लण्ड झटिे दे ने लगा। िाममनी िा गदाज उभरा हआ पेट और गहरी
नामभ मझे बार-बार मम्मी िी याद टदला रही थी, और मैं मन ही मन में सोच रहा था कि िैसे भी िरिे मम्मी
और संगीता िो परू ी नंगी जरूर दे खग
ूुँ ा।

तभी रममया मेरे पास तेल िी िटोरी लेिर आ गई और मैंने िहा- “तम मेरी तरफ पीठ िरिे बैठ जाओ और मैं
तम्हें तेल से पववत्र िरता हूुँ…”

और कफर क्या था… रममया मेरे सामने पीठ िरिे बैठ गई और मैंने िटोरी से तेल लेिर जब अपना हाथ आगे
लेजािर रममया िे मोटे -मोटे दि
ू ों िो अपने हाथों में दबोचा तो मेरी हालत खराब हो गई। उसिे दि
ू खब
ू िठोर
थे, तो मैं सोचने लगा जब रममया िे दि
ू जो िपड़े िे ऊपर से छोटे टदखते हैं, इतने गदाज और िठोर हैं, तो

118
मेरी बहन संगीता िे मोटे -मोटे चच
ू े तो उसिे िपड़े िे ऊपर से भी कितने मोटे -मोटे नजर आते हैं। जब संगीता
िे मोटे -मोटे दि
ू मैं अपने हाथों से मसलग
ूं ा तब कितना मजा आएगा?

उिर रामू बड़े प्यार से एि हाथ से चन्दा िे चूचे पर साबन लगा रहा था और दस
ू रे हाथ से िाममनी िी मोटी
गाण्ड िे नीचे हाथ लेजािर उसिी गाण्ड और चूत में साबन लगा रहा था, और खूब मसल रहा था। दोनों
रब्ण्डयां भी मस्ती में नजर आ रही थी और िाममनी भी चन्दा िे एि चूचे िो मसलिर दबा रही थी। चन्दा
अपनी माुँ िी चूत में साबन लगा रही थी। तीनों एि दस
ू रे िे सामने मत
ू ने वाले अंदाज में नंगे बैठे थे। रामू िा
लौड़ा ही बस िोती में िैद था।

िछ दे र बाद जब रामू उन दोनों रब्ण्डयों िो नहला चिा, तब उसने वहीं से मेरी ओर दे खा। तब मैंने उसे तेल
िी िटोरी ले जाने िो िहा और रामू से िह टदया कि तम वहीं सामने दोनों िे बदन पर खब
ू अच्छे से तेल
लगाओ। लेकिन ध्यान रहे शरीर िा िोई भी टहस्सा बचना नहीं चाटहए। रामू ने दोनों िे पीछे जािर पहले
उनिी पीठ पर तेल डालिर मसलना शरू िर टदया और मैं सामने िा मस्त नजारा दे खता हआ रममया िे मोटे -
मोटे चच
ू े खूब िस-िसिर मसल रहा था।

रममया- “आह्ह… सी… सी…”

राज- क्या हआ बेटी क्या ददम हो रहा है ?

रममया- आह्ह… नहीं बाबाजी बहत अच्छा लग रहा है ।

राज- तम्हारा भाई रामू तन्हें टदन भर खेतों में खब


ू दबाता है ना?

रममया- हाुँ बाबाजी, भैया मझे खेतों में परू ी नंगी िरिे ही रखते हैं और टदन भर मझे चोदते हैं।

राज- “तम्हारा भाई रात िो तम्हारी मम्मी िो भी चोदता है ना?”

मेरी बात सनिर रममया ने मेरा हाथ पिड़िर अपनी धचिनी चूत पर रख टदया और मैंने उसिी मस्त भोसड़ी
िो अपने हाथों में भरिर दबोच मलया।

रममया- “हाुँ बाबाजी। भैया सोचते हैं कि मैं सो जाती हूुँ, और माुँ भी मझे एि दो बार टहलािर दे ख लेती है ।
लेकिन जब मैं नहीं उठती हूुँ तब भैया उठिर मम्मी िा घाघरा और चोली उतारिर उन्हें परू ी नंगी िर दे ते हैं…"

राज- कफर क्या िरता है तम्हारा भाई तम्हारी मम्मी िे साथ?

रममया- बाबाजी रामू भैया कफर मम्मी िो नंगी िरिे उन्हें झिा दे ते हैं, और उनिी गाण्ड िे पीछे जािर अपनी
जीभ ननिालिर मम्मी िी गाण्ड और चत
ू िे छे द िो िम से िम आिे घंटे ति चस
ू ते और चाटते हैं।

राज- तमने दे खी है अपनी मम्मी िी चूत और गाण्ड, िैसी लगती है सधिया िी चूत और गाण्ड?

119
रममया- अरे बाबाजी आप तो मेरी माुँ िा नाम भी जानते हो। बाबाजी मेरी माुँ िी चूत मेरी चूत से बहत बड़ी है
और उसिी चत
ू िा छे द भी बहत बड़ा है , और गाण्ड तो बहत ही मोटी है । िाममनी चाची से डबल है मेरी माुँ
िी गाण्ड।

सामने रामू बड़े ही जोश में दोनों माुँ बेटटयों िे परू े बदन में तेल लगा चिा था और दोनों रब्ण्डयों िा बदन परू ी
तरह तेल में चमिने लगा था। आज तो मेरा टदन बहत अच्छा था तीन-तीन रब्ण्डयां एि साथ नंगी दे खने िो
ममल रही थीं। मैं बबल्िल जल्दी नहीं िरना चाहता था और िाममनी िो तो मैं अपने प्लाननंग िे टहसाब से
आज परू ी रात नंगी िरिे चोदना चाहता था।

मैंने रममया िी चत
ू में एि उं गली परू ी डालिर उसिे तेल में भीगे मोटे अमरूदों िो िसिर दबाते हए िहा-
“बेटी तम टदखने में तो बहत शांत लगती हो, लेकिन तमसे बात िरने पर लग रहा है िी जैसे तम बहत चंचल
और नटखट हो… क्या तमने रामू िे अलावा भी किसी से अपनी चूत मरवाई है ?”

रममया- “नहीं बाबाजी। हमें तो रामू भैया से चदना ही अच्छा लगता है । पर जब रामू भैया अपने मोटे लण्ड से
माुँ िे चत
ू ड़ों िो खब
ू नंगी िरिे ठोंिते हैं, तब मझे उनिी ठिाई िी ठप-ठप िी आवाज से बहत मजा आता
है , ऐसा लगता है कि रामू भैया मम्मी िी मोटी गाण्ड में खूब जोर-जोर से अपने लण्ड िो मारें । आप नहीं
जानते बाबाजी कि िभी-िभी तो माुँ नंगी खड़ी होिर रामू भैया िे मुँह में मत
ू ने लगती है और रामू भैया माुँ िी
परू ी चूत िो अपने मुँह में भरिर उनिा मत
ू चाटने लगते हैं। तब माुँ खड़ी-खड़ी ऐसे अपनी चूत रामू भैया िे
मुँह पर मारती है कि उसिी गाण्ड िो मटिती दे खिर मेरा भी पानी ननिल आता है …”

रममया िी बात सनिर मेरा लौड़ा एिदम से मेरी िोती से बाहर झाुँिने लगता है, और मैं अपने लण्ड िे टोपे
िो सहलाते हए रममया िो उठािर अपनी ओर घमा लेता हूुँ और उसिे नंगे बदन िो खूब िसिर अपने सीने से
दबा लेता हूुँ, और रममया अपनी जांघें चौड़ी िरिे किसी बंदररया िी तरह मेरी छाती से धचपि जाती है ।

जब रामू ने मेरी ओर दे खा तो मैंने उसे इशारे से दोनों िो आराम से िमरे में लािर चोदने िो िहा। तब रामू
ने दोनों रब्ण्डयों िो िमरे में चलने िो िहा। दोनों माुँ बेटी परू ी नंगी जब मेरे सामने से गजरी तो उनिा तेल से
लथफथ बदन दे खिर मेरा पानी छूटते-छूटते रह गया।

रामू और िाममनी ने चन्दा िो लेटा टदया और रामू ने अपना लण्ड ननिालिर चन्दा िे मुँह में दे टदया और
चन्दा उसे बड़े प्यार से चाटने लगी। इिर िाममनी ने चन्दा िी जाुँघों िो खूब फैला टदया और उसिी चूत िो
चस
ू ने लगी। अंदर िा दरवाजा खला था जहाुँ से सीिे रममया और मझे अंदर िा सारा नजारा टदखाई दे रहा था।

मैंने िीरे से रममया से िहा- “बेटी तम भी लण्ड चूसना चाहती हो ना?”

रममया- हाुँ बाबाजी।

राज- ठीि है, तो आज हम तम्हें अपना लण्ड चूसाएंग।े बोलो चूसोगी?

120
मेरा इतना िहना था कि रममया ने मेरा लण्ड पिड़िर बाहर ननिाल मलया और जैसे ही मेरे खड़े मोटे लण्ड िो
दे खा तो उसिी आुँखें खली िी खली रह गईं।

राज- क्या दे ख रही हो बेटी?

रममया- बाबाजी आपिा लण्ड तो बहत बड़ा और मोटा है । आपिा लण्ड तो भैया से भी दोगना नजर आ रहा है ।

राज- बेटी तम्हारे जैसी जवान लौंडडयों िो ऐसे ही मोटे लण्ड से ज्यादा मजा आता है , क्या तम नहीं चाहती कि
तम्हारी गाण्ड और चूत िा छे द तम्हारी माुँ सधिया जैसा हो जाए?

मेरा इतना िहना था कि रममया ने मेरे लण्ड िे टोपे िो अपनी जीभ ननिालिर चाटना शरू िर टदया और मैं
झििर उसिे मोटे -मोटे चच
ू े िो खूब िस-िसिर मसलने लगा। रममया िो अपना लण्ड चसा-चसा िर रामू ने
एिदम उसे एक्सपटम बना टदया था और वह बड़े ही मस्त तरीिे से मेरा लण्ड चस
ू रही थी।

उिर रामू एि हाथ से चन्दा िे चच


ू े मसल रहा था और दस
ू रे हाथ से िाममनी चाची िी मस्त धचिनी चूत िो
बड़े प्यार से सहला रहा था। िाममनी भी परू ी मस्ती में चन्दा िी रसीली चत
ू चाट रही थी। चन्दा रामू िे लण्ड
िो अपने हाथों में भर-भरिर दबोच रही थी।

िाममनी- “राम,ू चन्दा िी चूत िा छे द कितना बड़ा लग रहा है जैसे यह रोज चदवाती हो…”

राम-ू “अरे नहीं चाची, आजिल िी लौंडडयों िी चत


ू िा गलाबी छे द जल्दी ही उनिी उमर िे साथ बढ़ने लगता
है । रममया िी चूत िा छे द तो चन्दा िी चूत से भी बड़ा नजर आता है , लगभग तम्हारी चूत िे जैसा टदखने
लगा है …”

िाममनी मश्िराते हए- “और अपनी माुँ सधिया िे भोसड़े िे बारे में क्या ख्याल है तेरा?”

रामू िाममनी चाची िी चत


ू में उं गली पेलिर उसे चूमता हआ- “हाय चाची… क्यों माुँ िी मस्तानी चूत िी याद
टदलाती हो? चलो मेरा मोटा लण्ड एि बार तम चूसिर अपनी बेटी िी गलाबी चत
ू में लगाओ और तम चन्दा
िे मुँह िे पास आिर बैठ जाओ और अपनी जांघें फैला लो। तािी मैं तम्हारी बेटी िो चोदते हए उसिी माुँ िी
रसीली फूली हई बर िो चस
ू सिुँू …” और कफर रामू ने अपने लण्ड िो िाममनी िे मुँह में दे टदया और िाममनी
ने उसे अच्छे से चूसना शरू िर टदया।

रममया लगातार मेरे लण्ड िो खूब दबोचे जा रही थी और मैंने अपने दोनों हाथों से उसिे मोटे -मोटे दि
ू दबा-
दबािर लाल िर टदए थे। उसिा गलाबी ननप्पल बहत िड़ा हो गया था और उसे मैं अपने होंठों से खूब दबा-
दबािर चूस रहा था। कफर मैंने रममया िी दोनों जाुँघों िो खूब फैला टदया और सच में आज पहली बार किसी
जवान लौंडडया िी धचिनी चूत दे ख रहा था। मैं उसिी चूत िी फांिों िो फैलािर उसिे गलाबी रस से भीगे छे द
िो चाटने लगा।

तब रममया- “ओह्ह… बाबाजी सी आह्ह… बहत अच्छा लग रहा है और चाटो आह्ह… आह्ह…” िरने लगी।

121
उिर िाममनी ने रामू िे लण्ड िो परू ा गीला िर टदया और कफर उसे अपनी बेटी चन्दा िी मस्तानी चूत से
लगािर रामू िी ओर इशारा किया, और रामू ने सटाि से एि िरारा िक्िा चन्दा िी चत
ू में मार टदया और
चन्दा आसानी से रामू िे लण्ड िो परू ा अंदर गटि गई और रामू उसिी चूत में चढ़-चढ़िर उसे चोदने लगा।
चन्दा मससकियां लेती हई अपनी माुँ िे चूचे से खेलने लगी और रामू चन्दा िे ऊपर लेट गया और अपने मुँह
िो िाममनी चाची िी चूत से सटािर उसिी बर चाटते हए चन्दा िो खूब िस-िसिर ठोंिने लगा।

मझे रममया िी चत
ू िा रस पागल किए जा रहा था। मैं ब्जतनी बार रममया िी चत
ू िा रस चस
ू ता उसिी चत

और भी रस छोड़ने लगती।

रममया मेरे मसर िो अपनी चत


ू में दबाती हई िह रही थी- “ओह्ह… बाबाजी आप तो रामू भैया से भी अच्छा
चूसते हो, ओह्ह… बाबाजी खा जाओ मेरी चूत िो, फाड़ दो बाबाजी आह्ह… आह्ह… ओह्ह… माुँ मर गई…”

रामू िाममनी िी चूत िो खूब फैलािर चाट रहा था और इसिी वजह से उसिे लण्ड में बहत तनाव आ रहा था
और वह चन्दा िो खूब रगड़-रगड़िर चोद रहा था। चन्दा ठिवाने में एक्सपटम थी, इसमलए अब वह अपनी गाण्ड
उछाल-उछालिर रामू िे लण्ड पर बहत तेजी से मार रही थी। रामू भी उसिे जोरदार िक्िों िा जवाब खब

हमच-हमच िर दे रहा था। तभी रामू अपना लण्ड बाहर ननिालिर खद नीचे लेट गया और चन्दा िो अपने
लण्ड पर बैठा मलया और कफर िाममनी चाची िो अपनी चूत अपने मुँह पर रखिर बैठने िो िहा।

िाममनी अपनी दोनों जाुँघों िो रामू िे आजू बाजू िरिे उसिे मुँह पर अपनी चत
ू खोलिर बैठ गई। अब चन्दा
रामू िे लण्ड पर तबीयत से िूदने लगी और इिर िाममनी अपनी फूली चत
ू िो रामू िो चस
ू ाने लगी। दोनों माुँ
बेटटयां घोड़ी िी तरह मस्ता रही थीं, और अपनी-अपनी चूत से रामू िो रगड़ रही थीं। परू े िमरे में उन रब्ण्डयों
िी चूत िी मादि गंि फैल गई थी।

मैं रममया िी गलाबी चूत िो बड़े प्यार से अपने होंठों में दबािर खींचता और उसिे दाने िो चूसते हए सोच
रहा था कि जब रममया िी चूत इतनी खूबसरू त है , जबिी वह गाुँव िी लौंडडया है , तो कफर मेरी खद िी बहन
संगीता तो रममया से िाफी बड़ी हो गई है और उसिा बदन भी खूब भरा हआ है तो कफर उसिी चूत कितनी
मस्त होगी?

कफर तो मेरी मम्मी पायल िी चूत कितनी बड़ी और फूली होगी। पता नहीं मम्मी और संगीता अपनी चूत िे
बाल साफ िरती होगी या नहीं? वैसे मम्मी मेिप तो बहत िरती हैं, और अपने होंठों पर मलपब्स्टि लगाना
िभी नहीं भल
ू ती हैं, जरूर मम्मी िा मन भी खब
ू चदवाने िा होता होगा।

उिर चन्दा- “ओह्ह… रामू भैया बड़ा मस्त लण्ड है तम्हारा…” और रामू िे लण्ड पर िूदते हए रामू िे मुँह िे
ऊपर अपनी चूत फैलाए बैठी अपनी मम्मी िी पीठ से धचपि जाती है और उसिा पानी चूत जाता है ।

तभी रामू चाची िी चत


ू िे खड़े दाने िो खब
ू िसिर पिड़ लेता है और उसिा भी पानी चन्दा िी चत
ू में छूट
जाता है ।

122
िाममनी ‘आह्ह… आह्ह…’ िरती हई अपनी चूत िो लगातार रगड़ रही थी और चन्दा हाुँफते हए एि ओर लढ़ि
जाती है । तभी िाममनी रामू िे लण्ड िे ऊपर से उठिर उल्टी होिर घम
ू िर रामू िे मुँह पर अपनी गाण्ड झिा
िर लगा दे ती है और रामू िा रस से भीगा लण्ड अपने मुँह में भरिर उसे चस
ू ने लगती है ।

रामू िा लण्ड जैसे ही चाची िे मुँह में जाता है रामू चाची िी गाण्ड और चूत िे छे द िो खूब फैलािर चूसने
और चाटने लगता है ।

रममया से अब रहा नहीं जा रहा था और वह बार-बार अपनी चत


ू उठािर मेरे मुँह पर मार रही थी। िभी-िभी
तो वह परू ी ताित से अपनी चूत मेरे मुँह पर रगड़ने लग जाती थी। मैंने दे र िरना ठीि नहीं समझा और
रममया िो खड़ी िरिे उसे आुँगन िी तरफ ले गया। मैं आज रममया िी चूत में अपना मोटा लण्ड इतना जोर
से पेलना चाहता था कि रममया भी हमेशा मेरे मोटे तगड़े लण्ड िो याद िरे ।

मैंने रममया िो घोड़ी बनािर झिा टदया और उसिी गाण्ड िो खूब अच्छे से ऊपर िी ओर उभार टदया। कफर
मैंने अपने मोटे लण्ड पर तेल लगािर उसे खूब धचिना िर टदया और पीछे से रममया िी चूत में अपना लण्ड
लगािर उसिी मोटी-मोटी गाण्ड िो खूब िसिर दबोच मलया और ऐसा जोरदार िक्िा उसिी चूत में मारा कि
रममया जोर से धचल्ला उठी।

रममया धचललाई- “ओह्ह… बाबाजी मर गई रे आऽऽ…” और उसिे चेहरे पर ददम उभर आया, और उसिी आवाज
सनिर सभी िा ध्यान इस ओर हो गया।

हालांिी रामू अब चाची िे ऊपर चढ़िर चोद रहा था, लेकिन चन्दा वह आवाज सनिर उठिर बाहर आिर हमें
दे खने लगी। चन्दा ने जैसे ही दे खा कि मेरा आिे से ज्यादा लण्ड रममया िी चूत में फुँसा है । मैंने चन्दा िो
दे खते हए दस
ू रा जोरदार िक्िा रममया िी चूत में ऐसा मारा कि मेरा परू ा लण्ड रममया िी चूत िो खोलता हआ
जड़ ति समािर उसिी मस्तानी बर में कफट हो गया।

रममया धचल्लाई- “आह्ह… सीसी… ओह्ह… बाबाजी बहत बड़ा है आपिा, मैं मर जाऊुँगी आह्ह… आह्ह… ओह्ह…”

मैं अब रममया िी चूत िो िीरे -िीरे चोदते हए उसिी मोटी गाण्ड िो फैला-फैलािर सहला रहा था।

तभी चन्दा जो बड़े गौर से मेरे मोटे तगड़े लण्ड िो रममया िी लाल नजर आ रही चूत में आते जाते दे ख रही
थी, िहने लगी- “बाबाजी हमें भी रममया दीदी िी तरह ऐसे ही जोर से चोदें गे क्या?”

मैंने रममया िी चूत ठोंिते हए िहा- “क्यों तम्हें रामू से मजा नहीं आया क्या?”

चन्दा- “बाबाजी आया तो है, पर ब्जतना तेज आप चोदते हैं उतना तेज तो मेरे बापू भी नहीं चोदते हैं, और ना
रामू भैया। दे खो ना आपिे इतना तेज चोदने से रममया दीदी िो कितना अच्छा लग रहा है …”

रममया- आह्ह… सीसी… बाबाजी चन्दा ठीि िह रही है । आह्ह… ऐसे ही जोर से ठोंकिए, आप बहत मस्त चदाई
िरते हैं।

123
मैं रममया िी बात सनिर उसिी चत
ू िो खूब िस-िसिर ठोंिने लगा।

तब रममया खूब मसमसयाने लगी- “ओह्ह… बाबाजी बहत मोटा और डंडे जैसा तना हआ है आपिा लण्ड… सच
बाबाजी आपिा लौड़ा तो मेरी माुँ सधिया िे भोसड़े िे लायि है और माररए आज फाड़ दीब्जए मेरी चूत…”

रममया िी बर बबल्िल रसीली हो गई थी और जहाुँ मैंने एि िरारा िक्िा उसिी चूत िी जड़ में मारा, रममया
एिदम से मझसे िसिर धचपि गई और उसिी चत
ू मेरे लण्ड िो दबोचे हए पानी छोड़ने लगी। मैं अभी झड़
नहीं पाया था और रममया सस्त पड़ गई।

तभी चन्दा ने मेरे लण्ड िो रममया िी चत


ू से बाहर खींचिर अपने मुँह में भरिर चस
ू ने लगी, िहा- “बाबाजी
आपिा तो मेरे बापू से भी ज्यादा मोटा और तगड़ा है, इसे पीछे से मेरी चूत में डालिर खूब िस-िसिर चोद
दीब्जए…” और कफर चन्दा अपनी मोटी गाण्ड उठािर किसी िनतया िी तरह झििर अपनी गाण्ड टहलाने लगी।

उसिा गलाबी भोसड़ा दे खिर मैं उसिी चूत में अपना लण्ड लगािर अच्छे से रगड़ने लगा और कफर उसिी चूत
में लण्ड लगािर एि तगड़ा िक्िा मार टदया और मेरा लण्ड िच्छ से चन्दा िी चत
ू िो फाड़ता हआ आिे से
ज्यादा अंदर उतर गया।

और चन्दा ने अपनी मोटी गाण्ड और ऊपर उठािर उल्टा मेरे लण्ड पर ििेलते हए- “ओह्ह… बाबाजी बहत मस्त
लण्ड है आपिा… चोदो बाबाजी खूब िसिर चोदो…”

मैं चन्दा िी चूत ठोंिते हए सोचने लगा, जब यह जरा सी लौंडडया इतने मस्त तरीिे से अपनी चूत में मेरा
तगड़ा लण्ड लेिर मरवा रही है तो मेरी बहन संगीता कितने प्यार से अपने भैया िा लण्ड लेगी? मैं सोच रहा
था कि मेरा लण्ड वािई बहत मोटा और लंबा है ।

उिर रामू चाची िी मोटी गाण्ड िे नीचे हाथ डालिर उसे ऊपर उठाए हए उसिी चूत में सटासट लण्ड पेल रहा
था और िाममनी अपनी मोटी जाुँघों िो रामू िी िमर में लपेटे खब
ू मस्त तरीिे से चद रही थी, ऊपर से रामू
िक्िा मारता तब िाममनी नीचे से अपनी गाण्ड उठािर रामू िे लण्ड पर अपनी चूत िा िक्िा मार दे ती।

मैंने चन्दा िो लगभग गोद में उठािर अपने लण्ड पर बैठा मलया। चन्दा मेरे सीने से धचपिी हई थी और मैं
उसिी चत
ू चोद रहा था। तभी चन्दा मेरे ऊपर चढ़ी-चढ़ी ही मत
ू ने लगी और उसिी चूत ने पानी छोड़ टदया।
मेरा पानी कफर भी नहीं ननिला, तब चन्दा नीचे उतर आई और कफर रममया और चन्दा दोनों मेरे लण्ड िो
पागलों िी तरह चूमने और चाटने लगीं। दोनों मेरे लण्ड िो एि दस
ू रे िे मुँह से छड़ािर चूसने िी िोमशश िर
रही थीं। दोनों िी रसीली जीभ से मेरे लण्ड में खूब मस्ती आने लगी और कफर मैंने एिदम से पानी छोड़ना शरू
किया, तो दोनों मेरे वीयम िो चूस-चूसिर चाटने लगी और मेरे लण्ड िो परू ा चाट-चाटिर साफ िर टदया।

उिर रामू भी चाची िी चत


ू में पानी छोड़ चिा था और चाची िे नंगे बदन पर लेटा हआ सांसें ले रहा था। िछ
दे र बाद रामू अपनी िोती पहनिर बाहर आ गया और कफर चाची, चन्दा और रममया ने भी अपने-अपने िपड़े

124
पहन मलए। शाम िे 4:00 बज चिे थे और चाची ने हमारे मलए नीबू िा शरबत बनाया और शरबत पीने िे बाद
रामू और रममया मझसे ववदा लेिर अपने घर िी ओर चल टदए।

शाम िो िरीब 6:00 बजे हररया वापस आ गया और कफर घर िे आुँगन में खाट डालिर मझे बैठने िो िहा
और कफर हररया अपनी धचलम बनाने लगा।

हररया- “बाबज
ू ी आज तो आपने जबसे हमें िहा है कि िल तम्हें सधिया चोदने िो ममल जाएगी, तब से क्या
बताएं बहत लण्ड खड़ा हो रहा है । सच बाबज
ू ी बड़ा ही मस्त माल है, िाश रामू िी जगह मैं सधिया िा बेटा
होता तो टदन रात उसे नंगी ही अपने साथ रखता…”

राज- “हररया एि बात तो है ब्जन औरतों िी जांघें खब


ू मोटी होती है, पेट खब
ू उभरा हआ रहता है , और गाण्ड
िाफी फैली और मोटी होती है , वह औरतें चोदने में बड़ा मजा दे ती हैं…”

हररया- “बाबज
ू ी जब आप अपने से बड़ी उमर िी औरत िो चोदोगे तब और भी मजा आएगा, आज बाबज
ू ी हम
आपिे मलए मस्त धचलम बना रहे हैं खूब मस्त नशा दे ती है …”

हररया िे साथ मैंने उसिी धचलम िा िश इसमलए ले मलया कि आज हररया िी धचलम पीिर उसी िी बीबी िो
चोदने िा मौिा ममल रहा था, और िाममनी िा बदन भी िाफी भरा हआ था और गोरी भी बहत थी। मेरा लण्ड
उसिी मोटी गाण्ड दे खिर खड़ा हो चिा था। हम लोगों ने धचलम खतम िी।

अब िछ अंिेरा होने चला था तो हररया ने िाममनी िो बलाया और िहा- “बाबाजी िा परू ा ख्याल रखना और
उनिे मलए बटढ़या खाने िी व्यवस्था िरना। मैं चन्दा िो लेिर आज खेतों में ही सोउुँ गा…” उसिे बाद हररया
चन्दा िे साथ खेतों िी ओर चल दे ता है ।

मैं नशे में मस्त होिर घर िे िाम में लगी िाममनी िो दे खिर अपना लण्ड मसल रहा था। मझे िाममनी चाल
चलन से बहत ही चालू और बबंदास नजर आ रही थी। जबिी मैं जब सधिया से ममला था तो वह िाफी शमाम
रही थी।

िाममनी ने जब अपना िाम समाप्त िर मलया तब वह मेरे पैरों िे पास जमीन पर हाथ जोड़िर बैठ गई और
िहने लगी- “बाबाजी आप िहें तो आपिे मलए खाना ननिाल?
ूं ”

राज- बेटी हम भोजन 10:00 बजे िे बाद ही िरें गे।

िाममनी- बाबाजी अब हमारे घर में सख शांनत रहे गी ना?

राज ने िाममनी िे गोरे -गोरे भरे हए गालों िो सहलाते हए िहा- “बेटी तू धचंता मत िर। चल अब घर िे अंदर
चल और मैं तझे सभी ववधि बता दे ता हूुँ। कफर उस टहसाब से तझे पववत्र िरिे तेरी सभी समस्याओं से ननजात
टदलाता हूुँ…”

125
िाममनी अंदर आ गई और मैं भी अंदर आ गया।

िाममनी ने दरवाजा लगा मलया और मझे बैठने िो िहा और कफर मेरे सामने खड़ी होिर िहने लगी- “हाुँ
बाबाजी अब बताइए क्या िरना है मझे?”

राज- “बेटी सबसे पहले तम्हें परू ी नंगी होिर स्नान िरना होगा। लेकिन ध्यान रहे स्नान िरने िे बाद बदन
पोंछना नहीं, सीिे नंगी ही मेरे सामने आना होगा। कफर मैं तम्हारे बदन िो अपने शद्ि वस्त्र से पोंछूंगा…”

िाममनी िा चेहरा मेरी बातें सनिर लाल हो चिा था और वह एि टि मझे गौर से दे खने लगी।

राज- क्या हआ बेटी िछ टदक्ित है क्या?

िाममनी- “नहीं बाबाजी मैं अभी स्नान िरिे आती हूुँ…” और कफर िाममनी आुँगन में मेरे सामने अपनी साड़ी
उतारने लगी और कफर वह पेटीिोट और जलाउज़ में आ गई।

उसिी उठी हई गाण्ड और गोरा-गोरा मांसल पेट दे खिर मेरा लण्ड खड़ा हो गया और िाममनी बड़े मस्त तरीिे
से अपने जलाउज़ िे बटन खोलिर उतारने लगी। िाममनी ने जैसे ही जलाउज़ खोला उसिे मोटे -मोटे दि
ू खलिर
बाहर आ गये। कफर िाममनी ने अपने पेटीिोट िा नाड़ा खोलिर जैसे ही पेटीिोट िो छोड़ा िाममनी परू ी नंगी
मेरे सामने झििर अपने नंगे बदन पर पानी डालिर नहाने लगी।

मैं तो उस भरे बदन िी गोरी जवान औरत िा नंगा रूप इतने िरीब से दे खिर पागल हो गया। मेरा लण्ड
इतना जोर से खड़ा था कि लग रहा था कि लण्ड िी नशें फट जाएंगी। नहाने िे बाद िाममनी परू ी नंगी खड़ी
मेरी ओर दे खने लगी, जैसे पछ
ू रही हो कि अब क्या िरना है ?

मैंने उसे इशारे से मेरे पास बलाया और िहा- “दे खो िाममनी अब मैं तम्हारे परू े बदन पर तेल लगािर तम्हें
पववत्र िरूुँगा, क्या तम इसिे मलए तैयार हो?”

िाममनी- जी बाबाजी।

राज- “ठीि है । एि आसन लो और उसपर बैठ जाओ…”

िाममनी एि आसान लेिर अपनी दोनों मोटी जांघें फैलािर बैठ गई। िाममनी िे चेहरे िो दे खिर लग रहा था
कि वह खूब अंदर ही अंदर मस्ती से भर चिी है । मैंने जब उसिी दोनों जाुँघों पर तेल लगािर उसिी मोटी-
मोटी जाुँघों िो मसलना शरू किया तो िाममनी िे मह
ुँ से मससिी ननिल गई।

राज- क्या हआ िाममनी तम आुँखें बंद िरिे क्यों बैठी हो?

िाममनी- बाबाजी आपिे सहलाने से मझे बहत अच्छा लग रहा है ।

126
राज- “बेटी हम तो तम्हें अपनी बेटी समझिर तम्हें पववत्र िर रहे हैं…” और कफर मैंने खूब सारा तेल िाममनी िे
दोनों मोटे -मोटे दि
ू ों पर डालिर उसिे दि
ू ों िो खूब िस-िसिर दबोचते हए सहलाने लगा।

िाममनी- आह्ह… बाबाजी इस तरह तो िोई बेटा अपनी माुँ िो भी पववत्र िरे गा तो उसिी माुँ गरम हो जाएगी।

मैं िाममनी िे दि
ू , पेट और मोटी जाुँघों पर तेल लगाने िे बाद जैसे ही िाममनी िी ओर दे खा तो िाममनी ने
मेरी ओर मश्िरािर दे खते हए अपनी मोटी जाुँघों िो परू ी तरह खोल टदया और मैं िाममनी िी पावरोटी िी तरह
फूली हई धचिनी गदाज चत
ू दे खिर मस्त हो गया।

िाममनी मश्िराते हए- “क्या दे ख रहे है बाबाजी? लगाइए ना तेल…”

मैंने िाममनी िी बात सनिर जल्दी से उसिी फूली चूत िो अपने हाथों से भरिर दबोच मलया।

िाममनी- “आह्ह… बाबाजी यह क्या िर रहे हैं? आप तो मेरी चूत में तेल लगाने िे बजाय उसे दबोच-दबोचिर
मसल रहे हैं…”

राज- “बेटी तम्हारी चूत िो अंदर ति तेल लगािर पववत्र िरना होगा, क्योंिी तमने पराए मदों िा लण्ड इसमें
डलवा-डलवािर इसे अशद्ि िर टदया है । तम अपनी पीठ मेरे सीने से लगािर अपनी जाुँघों िो थोड़ा फैलािर
बैठ जाओ, तािी मैं तम्हारे सीने पर और पीठ पर भी तेल लगा दुँ …
ू ”

िाममनी मेरी बात सनिर घम


ू िर मेरे सीने से बबल्िल अपनी पीठ सटािर बैठ गई। उसिी मोटी गाण्ड से मेरा
लण्ड मभड़ गया और मैंने उसिे आगे हाथ लेजािर उसिे दि
ू ों िो खूब िस-िसिर दबाना शरू िर टदया।

राज- “िाममनी…”

िाममनी- “आह्ह… जी बाबाजी…”

राज- “तमने लगता है पराए मदों से अपने बदन िो खब


ू दबवाया है…”

िाममनी- “क्या िरूं बाबाजी, इसमें मेरी गलती नहीं है । मेरा आदमी हररया बहत चदक्िड़ है , ब्जसिी भी औरत
िो उसिा मन चोदने िा होता है वह मझे आगे िरिे उसे चोद लेता है…”

राज- मतलब बेटी?

िाममनी अपनी जाुँघों िो फैलािर मेरे हाथ िो पिड़िर अपनी चूत में रख लेती है और िहती है- “बाबाजी जरा
यहाुँ तेल लगाओ, कफर मैं आपिो मेरी बात िा मतलब बताती हूुँ…”

मैंने िाममनी िी चूत िी फांिों िो दोनों हाथों से अच्छे से फैला मलया और उसिी चूत िो खूब सहलाने लगा।

127
िाममनी- बाबाजी, एि बार मेरा बड़ा भाई अपनी बीबी िे साथ हमारे यहाुँ आया। उसिी बीबी बहत मस्त माल
थी, िोई भी मदम उसिी मोटी गाण्ड और दि
ू दे ख ले तो उसिा लण्ड खड़ा हो जाए। हररया िी तो लार टपिने
लगी थी।

हररया मझसे िहने लगा- “एि बार तेरी भाभी िी टदलवा दे , बहत मस्त माल है…”

मैंने िहा- “मैं िैसे टदलवा दुँ ?


ू ”

तब हररया मझसे िहने लगा- “अपने भैया िा लण्ड अपनी चूत में लेगी, बड़ा मोटा लण्ड है उसिा मेरे लण्ड से
डबल है । तझे रात भर नंगी िरिे चोदे गा सच मैं तू मस्त हो जाएगी…” हररया बहत चालाि है वह औरत िी
िमजोरी जानता था इसमलए ऐसी बातें वह मेरी चत
ू िा दाना सहलाते हए िह रहा था।

मैंने िहा- “मैं नहीं जानती जो तम्हारा मन िहे वह िरो…”

राज- कफर क्या हआ बेटी?

िाममनी- कफर क्या था बाबाजी, हररया ने मेरे भैया िो बाहर खाट पर बैठािर धचलम वपलाना शरू िर टदया। मैं
और मेरी भाभी वहीं घर िे अंदर थीं। मेरा टदल किया कि जािर सनूं तो सही दोनों क्या बात िर रहे हैं? और
कफर मैं चपिे से भाभी से िाम िा बहाना िरिे दीवार िे पीछे छपिर उनिी बातें सनने लगी।

हररया ने भैया िो धचलम वपलािर नशे में ित्त िर टदया था।

भैया- “और बताओ जमाई बाबू िैसा चल रहा है सब?”

हररया- “अरे क्या बताऊुँ साले साहब, जब से शादी हई है तम्हारी बहन बहत परे शान िरती है । सच साले साहे ब
बहत चदासी है तम्हारी बहन, खूब मोटा लण्ड चाटहए उसे अपनी चूत में । उसिी गाण्ड दे खी है िैसे चदवा-चदवा
िे मोटी हो गई है…”

भैया- “अरे वह तो हर औरत चदवाती है पर इसमें नया क्या है?”

हररया- “अरे तम नहीं जानते, उसे रोज लण्ड चाटहए और िभी-िभी तो चदते समय तम्हारे लण्ड िी बातें िरने
लगती है …”

भैया- क्या िहती है मेरे बारे में ?

हररया- “िहती है िी भैया िा लण्ड बहत मोटा है । एि बार तम्हें उसने मत


ू ते हए दे खा था तब से तम्हारे लण्ड
िो लेने िे मलए बहत तड़पती है …”

हररया िी बातें सनिर भैया िा लण्ड खड़ा हो गया था और वह मसलने लगे थे।

128
हररया मश्िराते हए- “क्या हआ अपनी बहन िो चोदने िा मन िर रहा है ना?”

भैया- “अब तम ऐसी बातें िरोगे तो लण्ड तो खड़ा होगा ना…”

हररया- आज चोदोगे अपनी बहन िो?

भैया- पर िाममनी क्या मान जाएगी?

हररया- पहले िहो तो चोदोगे क्या?

भैया- हाुँ चोदने िा मन तो बहत हो रहा है ।

भैया िी बात सनिर मेरी चूत से पानी आ गया। तभी हररया ने मझे आवाज दी और मैं एिदम से संभल िर
उसिे पास पहुँच गई। हररया ने मेरा हाथ पिड़िर मझे अपनी गोद में बैठा मलया और मेरे मोटे -मोटे दि
ू मेरे
भैया िे सामने मसलने लगा।

िाममनी- “अरे छोड़ो यह क्या िर रहे हो? भैया बैठे हैं तम्हें शमम नहीं आती?”

हररया- “अरे मेरी रानी, तेरा भैया भी तो तेरे मोटे -मोटे दि


ू मसलना चाहता है । आ अच्छे से खाट पर चढ़िर बैठ
जा…” कफर हररया ने मझे खाट पर बैठािर मेरी साड़ी ऊपर िर दी।

भैया िो जैसे ही मेरी मोटी जांघें नजर आई उनसे नहीं रहा गया और उन्होंने भी मेरी जाुँघों िो अपने हाथों में
भरिर दबोच मलया। भाभी तो पहले से ही चदक्िड़ थी, उसने भैया िे िहने पर हररया से अपनी चत
ू मरवाई
और भैया ने उस रात मझे परू ी नंगी िरिे खूब िस-िसिर चोदा।

िाममनी िी बातें सनिर मेरा लण्ड उसिी गाण्ड से सटने लगा और अचानि िाममनी ने अपना हाथ पीछे लािर
मेरे लोहे जैसे तने लण्ड िो अपने हाथों में भरिर दबोच मलया।

िाममनी- “वाह बाबाजी कितना मस्त हधथयार छपा रखा है आपने… अब मझसे नहीं रहा जाता बाबाजी… जबसे
मैंने आपिा मोटा लण्ड रममया िी चूत में आते-जाते हए दे खा था, तब से आपसे चदने िे मलए मरी जा रही
हूुँ…”

राज- बेटी अब मसफम तम्हारी मोटी गाण्ड में तेल लगाना बािी बचा है ।

िाममनी- “बाबाजी पहले मेरी चूत िो खूब अच्छे से ठोंि दो, कफर तो सारी रात पड़ी है आराम से मेरी गाण्ड में
तेल लगािर रात भर मेरी गाण्ड मारना…”

129
राज- “अच्छा बेटी अब तम पीठ िे बल लेट जाओ…” और कफर िाममनी जब पीठ िे बल लेट गई तब उसने
अपनी जाुँघों िो ऊपर उठािर मोड़ मलया और उसिी रसीली चूत मेरे सामने आ गई मैंने अपनी जीभ से
िाममनी िी गलाबी फूली हई चत
ू िो चाटना शरू िर टदया।

िाममनी तड़पने लगी- “ओह्ह… बाबाजी खूब चूसो, खूब चाटो मेरी चूत िो आह्ह… आह्ह… ओह्ह… बाबाजी आपिा
लण्ड बड़ा मस्त है, आज मेरी चूत फाड़ दे ना बाबाजी…”

राज ने िाममनी िी चत
ू िे छे द से बहते रस िो चस
ू -चस
ू िर चाटना शरू िर टदया और एि हाथ में तेल लेिर
उसिी गाण्ड में तेल लगाने लगा। पहले एि उं गली से उसिी गाण्ड सहलाने लगा कफर दो उं गमलयां उसिी मोटी
गाण्ड में डालिर जब उसिी चूत तबीयत से चूसना शरू किया तो िाममनी पागलों िी तरह बड़बड़ाने लगी। मैंने
दे खा िाममनी अब पानी-पानी हो चिी थी। बस कफर मैंने अपने मोटे लण्ड िो िाममनी िी चत
ू से लगािर
िसिर एि िक्िा मारा, और िाममनी ‘ओह्ह… बाबाजी’ िरिे ऐंठ गई। तभी मैंने उसिी गदाज जाुँघों िो
पिड़िर एि और िक्िा मार टदया और मेरा लण्ड जड़ ति िाममनी िी चूत में घस गया। मैं िाममनी िी चूत
िो खूब िस-िसिर चोदने लगा।

िाममनी अपनी गाण्ड उठा-उठािर िहने लगी- “ओह्ह… बाबाजी खब


ू चोदो िस-िसिर चोदो आह्ह… आह्ह…
बहत मजा आ रहा है । कितना अच्छा चोदते हो आप… आपिा लण्ड जो औरत एि बार ले लेगी वह मस्त हो
जाएगी। आपिा लण्ड तो बड़ी-बड़ी घोडड़यों िे लायि है… बाबाजी और माररए खूब िसिर माररए, फाड़ दो
आह्ह… आह्ह… सीसी…”

मैं परू ी ताित से िाममनी िो चोद रहा था और वह मसमसया रही थी। मैं िाममनी िे ऊपर लण्ड फुँसाए लेट गया
और उसिे मोटे -मोटे दि
ू ों िो खूब दबा-दबािर पीने लगा और िाममनी अपनी चूत िो खूब जोर से मेरे लण्ड पे
दबाने लगी। मैं परू ी ताित से खूब िस-िसिर उसे चोद रहा था और तभी उसिी चूत ने ढे र सारा पानी छोड़
टदया और िाममनी मेरे बदन से िसिर धचपि गई। िछ दे र हम दोनों गहरी सांसें लेते रहे उसिे बाद िाममनी
मेरी तरफ पीठ िरिे लेट गई और मैं उसिे पीछे से उसिी मोटी मलायम गाण्ड िे छे द िो तेल भर-भरिर
धचिना बनाने लगा।

िाममनी- “बाबाजी बहत मोटा लण्ड है आपिा, मेरी गाण्ड तो फाड़िर रख दे गा…”

राज- “बेटी ऐसे मोटे लण्ड से ही गाण्ड मरवाने में ज्यादा मजा आता है…”

िाममनी- बाबाजी मझे आपिा लण्ड चस


ू ना है ।

राज- “चूसो ना बेटी। तम मेरा लण्ड ब्जतना चाहे चूस लो, कफर मैं आज तम्हारी मोटी गाण्ड िी सारी खजली दरू
िर दे ता हूुँ…”

उसिे बाद िाममनी मेरे लण्ड िो खब


ू दबोच-दबोचिर चस
ू ने लगी और मैं उसिी गदा में दो उं गमलयां डाल-
डालिर उसे मलायम िरने लगा। िाममनी िी गाण्ड िो मैंने सहला-सहलािर खूब मलायम बना टदया और कफर
मैंने अपने मोटे लण्ड िो िीरे से िाममनी िी गाण्ड से सटाया।

130
तब िाममनी ने अपनी गाण्ड मेरी ओर उठािर अपने हाथों से अपनी गाण्ड िो खूब फैलािर मझे अपनी गाण्ड
िा छे द टदखाते हए बोली- “लो बाबाजी अब पेलो अपना मस
ू ल मेरी गाण्ड में…”

मैंने अपने लण्ड िा िक्िा िीरे से िाममनी िी िमर पिड़िर उसिी गाण्ड में मार टदया और िाममनी ‘ओह्ह…
बाबाजी’ िरिे मसमसया पड़ी। मेरे लण्ड िा टोपा उसिी गदा में िंस चिा था और मैं िाममनी िे चच
ू े मसलते
हए दस
ू रे हाथ से उसिी िमर और मोटी गाण्ड सहला रहा था। जब िाममनी िछ नाममल हई तब मैंने अपने
लण्ड िो उसिी गाण्ड में थोड़ा जोर से दबा टदया और मेरा आिे से ज्यादा लण्ड उसिी गदा में फुँस गया।

िाममनी- “ओह्ह… बाबाजी मर गई, आऽऽ मेरी गाण्ड फटी जा रही है बाबाजी, कितना मोटा लण्ड है आपिा, आप
तो किसी भी औरत िी गाण्ड फाड़ सिते हो आह्ह… आह्ह…”

मैं िीरे -िीरे लण्ड िो आगे पीछे िरने लगा और िाममनी मसमसयाते हए पड़ी रही। मैंने जब दे खा कि अब मेरा
लण्ड उसिी गाण्ड में िीरे -िीरे अंदर-बाहर हो रहा है तब मैंने िाममनी िी गाण्ड िो दबोचते हए िस िे एि
िक्िा मार टदया और मेरा परू ा लण्ड उसिी गदा में समा गया और िाममनी ‘ओह्ह… बाबाजी’ मर गई िहिर
खब
ू मसमसयाने लगी। मैं िाममनी िी पीठ सहला-सहलािर उसिी गाण्ड िो खब
ू गहराई ति चोदने लगा।

तब िाममनी- “सीऽऽ सीऽऽ आह्ह… आह्ह… ओह्ह… माुँ ओह्ह… बाबाजी और मारो आह्ह… अच्छा लग रहा है बहत
मजा आ रहा है …” िरने लगी।

मैं अब ताबड़तोड़ िक्िे िाममनी िी चत


ू में मारने लगा। उसिी मोटी जांघें जब मेरी जाुँघों से टिराती तो ठप-
ठप िी आवाज गज
ूं ने लगती। िाममनी िी गदा िो मैंने चोद-चोदिर लाल िर टदया था। जब िाममनी गाण्ड
मरवा-मरवा िर मस्त हो गई तब मैंने उसिी गदा में अपना वीयम ननिाल टदया। जैसे ही मैंने वीयम ननिाला
िाममनी ने मेरे लण्ड िो अपनी गाण्ड से ननिालिर अपने मुँह में डालिर चस
ू ना शरू िर टदया और मेरा सारा
पानी चाट-चाटिर साफ िर टदया।

िाममनी लेटिर मेरे लण्ड से खेल रही थी और मैं उसिे उठे हए पेट और मोटे -मोटे दि
ू िो सहला रहा था। उस
रात मैंने िाममनी िी एि बार और चूत मारी और कफर एि बार उसिी गदाज गाण्ड िो भी तबीयत से चोदा।
उसिे बाद मैं सबह सधिया िो िैसे चोदना है उसिे बारे में सोचता हआ सो गया।

सबह 4:00 बजे ही सधिया िी याद में मेरी नींद खल गई और मैं चपिे से उठिर तालाब िी ओर चल टदया।
मैं मन में सोच रहा था कि क्यों ना पहले मैं ही सधिया िी चत
ू मार लुँ ू उसिे बाद हररया िा नंबर लगाऊुँ। मैंने
अपने प्लान िो थोड़ा चें ज िरना ही ठीि समझा और एि पेड़ िे नीचे आसान जमािर बैठ गया।

लगभग आिा घंटा इंतजार िरने िे बाद मझे िोई औरत आती हई नजर आई। मैं उसिे गदाज शरीर और
मटिती चाल िो दे खिर समझ गया कि रामू िी माुँ ही चली आ रही है । सधिया िो भी िछ दरू से ही मैं
नजर आने लगा और मैंने अपनी आुँखें बंद िर ली।

सधिया ने जब िरीब आिर मझे दे खा तो मेरे पैरों िो छूिर- “परनाम बाबाजी, आप यहाुँ सबह-सबह…”

131
मैंने अपनी आुँखें खोली और सधिया िी ओर दे खा, उसने लाल िलर िा जलाउज़ और एि घाघरा पहना हआ था
और उसिे सीने पर िोई चनरी नहीं थी, उसिे मोटे -मोटे दि
ू उसिे जलाउज़ में िैसे समाते होंगे मैं यह सोच रहा
था और जब मैंने सधिया िा उठा हआ गदाज पेट और गहरी नामभ पर नजर डाली तो िसम से मेरा लण्ड तरं त
खड़ा हो गया। मैंने िहा- “बेटी सधिया, हम तो रात भर इसी पेड़ िे नीचे तपस्या िर रहे हैं, और वह भी मसफम
तेरी वजह से, क्योंिी शायद ऊपर वाला भी तझ पर मेहरबान है और उसने मझे तेरे पास भेज टदया, तािी मैं
तेरे ऊपर आने वाले संिट िो दरू िर सिुँू …”

सधिया- “पर बाबाजी आपने तो मझसे िहा था कि मैं जब तालाब में स्नान िरिे बाहर आऊुँगी और जो भी
पहला परुर् नजर आएगा उसिे साथ मझे… …” बस इतना िहिर सधिया ने अपनी नजरें नीचे िर ली।

राज- “बेटी हम जानते हैं। लेकिन तम नहीं जानती कि हम अंतयाममी है और हमने अपनी शब्क्त से यह भी दे ख
मलया है कि तमने गन्ने िे खेत में अपने बेटे िे साथ छपिर किसी और परुर् िा मलंग दे खा था और अपने बेटे
से उसी गन्ने िे खेत में संभोग किया था…”

सच मानो तो उस समय सधिया िी शिल दे खने लायि थी। वह घोर आश्चयम िे साथ मेरी ओर दे ख रही थी
और मैं बहत संभाल िर अपने चेहरे िे भाव (एक्सप्रेशन) िो छपाने िी िोमशश िर रहा था।

राज- “बोल बेटी हम ठीि िह रहे हैं या नहीं?”

सधिया अचानि मेरे पैरों में धगरिर- “बाबाजी मझे माफ िर दीब्जए, मझसे गलती हई है …”

राज- “नहीं बेटी इसमें पछताने िी जरूरत नहीं है ‘मन िे सािे सब सिे’ वाली बात है । तम भी एि इंसान हो
और गलती इंसान िरता ही रहता है , नहीं तो वह परमात्मा नहीं हो जाता। खैर, िोई बात नहीं तेरे सभी दखों
िा ननवारण िरने िे मलए ही तो मैं इसी गाुँव में रुि गया। लेकिन याद रहे अब जैसा मैं िहूुँगा वैसा िरना
होगा और यह बात किसी िो भी पता नहीं होना चाटहए। यहाुँ ति कि तू अपने बेटे रामू से भी यह ना िहना
कि िोई बाबाजी तझे ममले थे…”

सधिया मेरी ओर हाथ जोड़िर- “नहीं बाबाजी मैं किसी से नहीं िहूुँगी और जैसा आप िहें गे वैसा ही िरूुँगी…”

राज- “ठीि है तो सन अब तझे इस तालाब में परू ी नंगी होिर नहाना होगा और कफर तझे नंगी ही चलिर उसी
स्थान पर जाना होगा, जहाुँ तन
ू े अपने बेटे िे साथ ममलिर किसी और िा मलंग दे खा था, और हाुँ चलते समय
पीछे मड़िर ितई नहीं दे खना, क्योंिी तेरे पीछे हम आएंगे और अब तझे घबराने िी जरूरत नहीं है । तझे किसी
अन्य परुर् से संभोग िरवाने िी बजाय पहले मझे तेरे परू े ब्जश्म िो अच्छे से पववत्र िरना होगा। बोल अब तू
तैयार है ?”

सधिया अपना मसर नीचे झिाए हए- “लेकिन बाबाजी आप िल दो आदमी से मझे चदवाने, मेरा मतलब है…
मझसे संभोग िरें गे ऐसा िह रहे थे…”

132
राज- “बेटी तू धचंता मत िर। मझे सबसे ज्यादा तेरी इज़्जज़त िी कफिर है , इसमलए पहले वाले परुर् िे रूप में
मैं तझे पववत्र िरूुँगा और दस
ू रे परुर् िे मलए मैं अपनी शब्क्त से उसे तेरे िरीब बला लुँ ग
ू ा और वह आदमी ऐसा
होगा, जो तेरे साथ संभोग भी िरे गा और तेरी बदनामी भी नहीं िरे गा…”

सधिया हाथ जोड़ते हए- “बाबाजी आपिा यह एहसान मैं िभी नहीं भल
ू ग
ूं ी, आप बबल्िल सही िह रहे हैं किसी
अंजान से संभोग िरने पर वह मझे बदनाम भी िर सिता है । पर बाबाजी आप किसे अपनी शब्क्त से मेरे पास
बलाएंगे?”

राज- “बेटी अभी उसिी तस्वीर मेरे मन में हल्िी है, जब तू मेरे द्वारा पववत्र हो जाएगी तभी उसिा चेहरा साफ
नजर आएगा, और वह बहत भरोसे िा आदमी होगा। तझे मैं िोई समस्या नहीं आने दुँ ग
ू ा। तो बेटी अब टदन
ननिलने से पहले ही तझे यह सब िरना है । चल अब सबसे पहले तू अपने िपड़े उतारिर तालाब में डबिी
मारिर आ जा…”

सधिया मेरी बात सनिर खड़ी हो गई और तालाब िी ओर जाने लगी।

तभी मैंने िहा- “बेटी तझे िपड़े यही मेरे सामने ही उतारने होंगे और कफर अपने िपड़े उतारिर मझे दे ने होंगे,
तािी मैं उनिो भी पववत्र िर दुँ …
ू ”

सधिया मेरी बात सनिर इिर-उिर दे खने लगी और उसिा चेहरा परू ी तरह लाल हो रहा था। उसने अपने
लरजते हाथों से अपने जलाउज़ िे ऊपर िा बटन खोलना शरू िर टदया और बीच-बीच में अपनी नजरें मेरी ओर
मारिर मझे दे खने लगती।

मैं अपने मोटे लौड़े िो िोती में दबाए सधिया िी गदाज जवानी िो अपनी आुँखों से पी रहा था।

सधिया ने िीरे -िीरे अपने जलाउज़ िे बटन परू े खोल टदए और जैसे ही उसने जलाउज़ उतारा उसिे मोटे -मोटे ,
बड़े-बड़े पपीतों िे साइज िे दि
ू दे खिर मेरा लण्ड परू ी तरह तन गया। मैंने सधिया िी आुँखों में दे खा तो वह
परू ी नशीली लग रही थी। तभी सधिया ने अपना मुँह दस
ू री ओर घमािर अपने घाघरे िा नाड़ा खोलने लगी।

राज- “नहीं बेटी, हमारे सम्मख ही तम्हें सारे वस्त्र उतारने होंगे। नहीं तो हमारी सारी किया बेिार हो जाएगी…”

सधिया- “माफ िरना बाबाजी…” िहते हए वापस घम


ू गई और घाघरे िा नाड़ा खोलने लगी।

राज- “बेटी हमारे सामने शमामने िा ख्याल भी टदल में मत लाना, क्योंिी तम नहीं जानती हमने तम्हारे जैसी
कितनी ही औरतों िो हजारों बार नंगी दे खा है और िई औरतों िो हमने अपने मलंग िे प्रसाद से माुँ बनािर
उनिो संतान सख टदया है …”

सधिया मेरी बात सनते हए एिदम से अपने घाघरे िो छोड़ दे ती है और उसिा फ्रंट व्यू दे खिर मेरी आुँखें फटी
िी फटी रह गई। अद्भत… आज ब्जंदगी में पहली बार मैं इतने हे वी पसमनामलटी वाले माल िो दे ख रहा था।
इसिे पहले मैंने िभी ऐसी गदाज भरे बदन िी औरत िो परू ी नंगी नहीं दे खा था। सधिया िी चूत बबल्िल

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साफ थी, उसपर बाल िा नामोननशान नहीं था। लगता था जैसे िल ही अपनी चत
ू साफ िी हो। उसिी चूत
किसी डबल रोटी िी तरह फूली हई थी, और बीच में एि लंबा चीरा लगा हआ था।

उसिी मोटी-मोटी िेले िे तने जैसी गोरी धचिनी जाुँघों ने मझे मस्त िर टदया था उसिे मोटे -मोटे चूचे उसिे
शरीर िे टहसाब से ही थे और परू ी बाडी ऐसी लग रही थी कि अगर िोई भी लण्ड उस समय सधिया से िेवल
नग्न होिर धचपि जाए तो उसिा पानी ननिल पड़ेगा। सधिया िे परू े नंगे बदन िा मैंने बड़े आराम से दे खा
और जैसे ही मेरी नजर सधिया से ममली उसने अपनी नजरें थोड़ी झिा ली। लेकिन उसिे चेहरे पर एि दबी हई
स्माइल मैंने नोट िी। उसने दबारा मेरी ओर दे खा, शायद वह मेरे इशारे िा इंतजार िर रही थी।

राज- “बेटी अपने यह वस्त्र मझे दे दो, और तम जािर पानी में डबिी लगािर आओ और जल्दी से उसी जगह
चलो, जहां तमने और रामू ने संभोग किया था…”

मेरी बात सनिर सधिया ने झििर अपनी चोली और घाघरा उठािर मझे दे टदया और कफर जब सधिया अपने
नंगे मोटे -मोटे चूतड़ों िो मटिाते हए जाने लगी तो सच में मेरा तो टदल उसिी गदाज मोटी गाण्ड दे खिर बैठा
जा रहा था। मेरा लौड़ा इतना टाइट हो गया कि टदल िर रहा था कि अभी रामू िी माुँ िी गाण्ड में अपना लण्ड
डालिर उसे चोद दुँ ।ू

हल्िा-हल्िा उजाला होने लगा था और सधिया नंगी डबिी मारिर बाहर आने लगी। उस घोड़ी िे भारी भरिम
ब्जश्म िो पानी में परू ी तरह भीगा हआ दे खिर मैं उठिर खड़ा हो गया और अपने लौड़े िो मसलते हए सधिया
िे पास जािर िहा- “बेटी अब तम आगे आगे चलो और मैं तम्हारे पीछे चलता हूुँ, पर अब पीछे मड़िर तब
ति नहीं दे खना जब ति कि मैं ना िहूुँ…”

सधिया मेरी बात सनिर अपने गन्नों िे खेत िी ओर अपने भारी भरिम चूतड़ों िो मटिाते हए चलने लगी,
और मैं उसिी गदाज मोटी गाण्ड िो दे खते हए उसिे पीछे -पीछे चलने लगा। मैंने अपना लण्ड बाहर ननिाल
मलया और उसिी मोटी गाण्ड िी धथरिन िो घरू ते हए अपने लण्ड िो मसलते हए उसिे पीछे चलने लगा।

उजाला िछ ज्यादा होने लगा तब मैंने सधिया से िहा- “बेटी थोड़ा तेज-तेज अपने िदम बढ़ा, नहीं तो िोई भी
हमें दे ख लेगा। हमें उजाला होने िे पहले ही वहाुँ पहुँचना है …”

मेरी बात सनिर सधिया परू ी नंगी किसी घोड़ी िी तरह अपनी गाण्ड उठा-उठािर चलने लगी और मैं उसिे भरे
हए मोटे -मोटे चूतड़ों िो दे खिर अपना लण्ड सहलाते हए उसिे पीछे चलने लगा। सधिया बहत जोश में चल रही
थी और उसिी मोटी गाण्ड िभी नीचे, िभी ऊपर होती हई बहत ही मस्त नजर आ रही थी। ऐसा लग रहा था
उसिी गाण्ड दे खिर जैसे उसिी मोटी गाण्ड बार-बार खलिर मेरे लण्ड िो घसने िा इशारा िर रही हो। थोड़ी
ही दे र में रामू िा गन्नों िा खेत नजर आने लगा और कफर सधिया सीिे गन्नों िे बीच से होती हई वहीं पहुँच
गई, जहाुँ बैठिर उसने हररया और चन्दा िी चदाई दे खी थी।

मैंने जब हररया िी खटटया िो दे खा तो उसपर चन्दा अिेली सो रही थी। मैं समझ गया कि हररया किसी और
रास्ते से तालाब िी ओर सधिया िो चोदने िे चक्िर में गया होगा।

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सधिया मसर झिाए खड़ी थी और मैं उसिे बबल्िल िरीब पहुँचिर बोला- “बेटी अब तम अपने इन उतरे हए
िपड़ों िो यहां बबछािर बैठ जाओ और अपनी आुँखें बंद िर लो। मैं अब तम्हारे बदन िो जल लगा-लगािर
पववत्र िरूुँगा। ध्यान रहे जब मैं तम्हारे बदन िो हाथ लगा-लगािर जल से रगडूग
ं ा तब तम उत्तेब्जत भी हो
सिती हो, लेकिन तम्हें अपनी आुँखें बंद रखना होगा और अपने हाथों िो अपनी जाुँघों पर रखिर मट्ठी बाुँिे
रखना होगा, चाहे कितनी भी उत्तेजना लगे अपने हाथों से अपने अंगों िो छूना नहीं है …”

कफर मैंने उसे उसिे िपड़े टदए और सधिया ने उसे बबछािर उसपर बैठ गई और अपनी आुँखें बंद िर ली।

राज- बेटी क्या तम तैयार हो?

सधिया- जी बाबाजी।

राज- “ठीि है । अब मैं किया शरू िरता हूुँ…” कफर मैंने अपने लोटे से पानी लेिर सबसे पहले सधिया िे हाथों में
पानी लगाना शरू किया और उसिे हाथों िो जब मैं उसिी गोरी बाुँहों ति सहलाने लगा तो मेरा लण्ड िड़ि
होने लगा।

सधिया गहरी सांसें लेती हई आुँखें बंद िरिे बैठी थी।

राज- “बेटी अपनी दोनों टाुँगों िो खोलिर फैलािर बैठो, तािी मैं तम्हारे बदन िे हर टहस्से िो पववत्र िर
सिंू …”

मेरा इतना िहना था कि सधिया ने अपनी मोटी-मोटी टाुँगों िो खोल टदया और खूब फैलािर बैठ गई। सधिया
िा गदाज फूला हआ भोसड़ा भी परू ा खलिर मेरे सामने आ गया और मैं उसिी फूली चूत दे खिर मस्त हो
गया। उसिी चत
ू अंदर से परू ी लाल नजर आ रही थी और उसिी बर से पानी बाहर आ रहा था। मैं समझ गया
रं डी अब परू ी चदासी हो रही है ।

अब मैंने अपने हाथ में पानी लेिर सधिया िी एि टांग िो हाथों में पिड़िर उसिी गोरी वपंडमलयों िो सहलाते
हए जब उसिी मोटी-मोटी गोरी जाुँघों िो अपने हाथों में भरिर दबोचा तो मजा आ गया, इतनी गदाज और
मोटी जांघें तो िाममनी िी भी नहीं थीं। सच सधिया िाममनी से िई गना ज्यादा मस्त माल थी, ब्जसे चोदने में
वािई मजा आ जाता होगा। मैं उसिी मोटी जाुँघों िो खूब िस-िसिर मसल रहा था और अपने हाथों िो
सधिया िी जाुँघों िी जड़ों ति लेजािर सहला रहा था। जी तो ऐसा िर रहा था कि उसिी फूली हई चूत में
अपना हाथ मार दुँ ,ू लेकिन मैं उसे परू ी तरह चदासी बनाना चाहता था। बस इसीमलए उसिी गदाज मोटी जाुँघों
िो महसस
ू िरता हआ दबोच रहा था।

िछ दे र ति सधिया िी मोटी मखमली जाुँघों िी मसाज िरने िे बाद मैंने थोड़ा सा जल अपने हाथों में मलया
और एिदम से सधिया िी खली हई फूली चूत में मार टदया। अपनी चूत पर पानी िे छींटे महसस
ू िरते ही
सधिया िे मुँह से एि िराह ननिल गई।

राज- “क्या हआ बेटी? क्या तझे उत्तेजना महसस


ू हो रही है ?”

135
सधिया अपने सख
ू े गले से थूि गटिते हए अपनी जीभ अपने होंठों पर फेरिर बोली- “नहीं बाबाजी मैं ठीि हूुँ…”

मैंने अपनी हथेली में और जल लेिर कफर से उसिी चूत में जोर से पानी िा छींटा मारा और सधिया िे मह
ुँ से
सीईइ िी आवाज कफर से ननिल गई। सधिया िा चेहरा परू ी तरह िामवासना में लाल हो चिा था। मैं उिड़ू
उसिे सामने बैठा था और सधिया अपनी मोटी जाुँघों िो परू ी तरह मोड़िर फैलाए हए अपने दोनों हाथों िो पीछे
टटिािर बैठी थी। मेरे पानी मारने से सधिया ने िीरे से अपनी मोटी गाण्ड िो थोड़ा आगे सरिा िर अपनी
फूली हई चत
ू िो और ऊपर उठा टदया था। मेरा लण्ड मेरी िोती से बाहर ननिलिर परू ी तरह तना हआ था।

कफर मैंने एिदम से सधिया िी फूली हई चूत िे ऊपर अपना हाथ रखिर अपनी उं गली से उसिी चूत िी फांिों
िे बीच िी दरार िो सहलाते हए पछ
ू ा- “क्यों बेटी क्या तम्हें उत्तेजना हो रही है?”

सधिया- “सीयी… आऽऽ नहीं बाबाजी, मझे उत्तेजना नहीं हो रही है , आप आराम से िरते रटहए…”

मैं सधिया िी बात सनिर उसिी चत


ू िो खूब िसिर दबोच मलया और सधिया िे मुँह से ‘आऽऽ सीयी…
ओह्ह…’ जैसे शजद ननिलने लगे। मैंने सधिया िे मोटे दि
ू ों िो अपने हाथों में पानी लेिर सहलाते हए दस
ू रे हाथ
से उसिी चूत िे दाने िो रगड़ते हए कफर से पछ
ू ा- “बेटी अब िैसा लग रहा है?”

सधिया- “आऽऽ सीईइ… ओह्ह… बाबाजी बहत अच्छा लग रहा है …”

राज- बेटी क्या तमने रामू से अपनी चत


ू यही मरवाई थी ना?

सधिया- हाुँ बाबाजी, मैं यही चदी थी अपने बेटे से।

मैं सधिया िी चूत और चच


ू े एि साथ खूब दबोच-दबोचिर सहलाते हए अब बबल्िल गंदी जबान में बातें िरने
लगा था, और सधिया अपनी आुँखें बंद किए हए मझसे अपनी चूत और चूचे दबवा रही थी और बबना किसी
खझझि िे मेरे सभी सवालों िा बबल्िल सही जवाब दे रही थी। आज मैं उसिे जीवन िे किसी भी रहस्य िो
जान सिता था।

राज ने सधिया िे मोटे -मोटे चूचों िो िसिर दबाते हए उसिी चूत िी फांिों िो खरे दते हए पछ
ू ा- “बेटी तम्हें
यह सब अच्छा तो लग रहा है ना?”

सधिया- “सीईईई… ओह्ह… हाुँ बाबाजी बहत अच्छा लग रहा है । आपिे हाथों में तो जाद ू है, ऐसा मजा पहले िभी
नहीं ममला आआआ… सीईईई… ओह्ह… बाबाजी ऐसे ही मेरी चूत िो सहलाते रटहए आह्ह… सीईईई… ओह्ह…
बाबाजी…” सधिया परू ी तरह मस्ताने लगी थी और खूब जोर-जोर से बबना किसी डर िे मसमसयाने लगी थी।

राज भी परू ी मस्ती िे साथ उसिे मोटे -मोटे चच


ू े खब
ू दबोच-दबोचिर मसल रहा था और उसिी फूली चत
ू िी
गहराई में अपनी उं गमलयां चला रहा था। राज ने िहा- “बेटी एि बात बताओ, उस टदन तमने यहाुँ से किसी
दस
ू रे मदम िा लण्ड भी दे खा था ना?”

136
सधिया- हाुँ बाबाजी।

राज- तो उसिा लण्ड तम्हें ज्यादा मोटा लगा या अपने बेटे रामू िा?

सधिया- “बाबाजी लण्ड तो दोनों िे तगड़े थे लेकिन हररया िे लण्ड िा सपाड़ा बहत फूला हआ था, जब उसिा
लण्ड उसिी बेटी चन्दा िी चूत में घसता तो उसिी चूत परू े सपाड़े िे आिार में फैल जाती और एि बड़ा सा
छल्ला बन जाता था…”

राज- “तो बेटी क्या तम्हें उस आदमी िा लण्ड लेने िी इच्छा होने लगी थी?”

सधिया- “सीईईई… आह्ह… हाुँ बाबाजी मन तो िर रहा था कि जािर उसिे मोटे लण्ड से अपनी चूत मरवा लुँ ,ू
लेकिन मेरे पास मेरा बेटा रामू खद बैठिर मेरी चूत सहला रहा था और मैं उसिे मोटे लण्ड िो खूब िसिर
दबोच रही थी।

राज- बेटी एि बात बताओ, क्या तम्हारा मन उन दोनों िे लण्ड से भी मोटे और लंबे लण्ड से चदने िा मन
िरता है ?

सधिया- आह्ह… हाुँ बाबाजी मेरा मन खूब मोटे -मोटे लण्ड से चदने िा िरता है ।

राज- बेटी क्या तमने िभी उस आदमी और अपने बेटे िे लण्ड से भी ज्यादा मोटा लण्ड दे खा है?

सधिया- बहत पहले िभी दे खा था बाबाजी, लेकिन अब तो शिल भी याद नहीं कि मोटे -मोटे लण्ड िैसे होते हैं?

राज- अच्छा बेटी अब तम्हारे बदन िे पीछे िे टहस्से में जल लगािर उसे शद्ि िरना है । इसमलए तम यहाुँ
पीठ िे बल लेट जाओ।

सधिया ने मेरी बात सनते ही िहा- “बाबाजी क्या मैं आुँखें खोल लुँ ?
ू ”

तब मैंने िहा- “बस बेटी तम्हारे पीछे िे टहस्से में जल लगा दुँ ू उसिे बाद तम आुँखें खोल सिती हो…”

सधिया मेरी बात सनिर पेट िे बल अपने घाघरे िो बबछािर लेट गई। मैंने जैसे ही सधिया िी गदाज गाण्ड
िो दे खा, मैं तो पागल हो गया। आज पहली बार इतना भारी माल मेरे सामने परू ा नंगा लेटा हआ था। मैंने जल
लेिर सधिया िी पीठ पर नछड़ि िर हाथ फेरना शरू िर टदया और सधिया अपने दोनों हाथों िो अपने दि
ू से
सटाए चपचाप लेटी हई थी। कफर मैंने थोड़ा जल लेिर सधिया िी मोटी जाुँघों और पैरों ति हाथ फेरते हए
लगाना शरू िर टदया।

उसिे बाद मैंने थोड़ा पानी लेिर सीिे सधिया िी गाण्ड िे छे द में टपिाना शरू िर टदया और सधिया ने तरं त
अपनी जाुँघों िो थोड़ा अलग िर मलया। अब मझे सधिया िी चूत िी खली हई फांिें भी नजर आने लगी थी।

137
मैंने कफर से थोड़ा पानी मलया और इस बार उसिी चत
ू िी फांिों िे ऊपर डालने लगा और सधिया िा नंगा
बदन तड़पने लगा।

राज- “बेटी क्या उत्तेजना लग रही है ?”

सधिया- बाबाजी, जब आप हाथ से जल रगड़ते हो तब थोड़ी उत्तेजना लगती है ।

राज- “बेटी अब तम्हें जैसे ही उत्तेजना हो तम मदम िे उस अंग िा नाम लेना, जो तम्हारे यहाुँ घसता है …” बस
इतना िहिर मैंने सधिया िी मोटी गदा िो अपने हाथों में भरिर सहलाना शरू िर टदया।

और सधिया एि बार कफर जोर से मसमसयाने लगी।

राज- बेटी उत्तेजना हई ना?

सधिया- “सीईईई… आअह्ह… बाबाजी बहत उत्तेजना हो रही है , खूब चदवाने िा मन िर रहा है , हाुँ आह्ह…”

राज- तो बेटी तम क्या सोच रही हो?

सधिया- “सीईईई… आह्ह… बाबाजी मैं बहत उत्तेब्जत हो गई हूुँ और खूब मोटे लण्ड से चदवाने िे मलए तड़प
रही हूुँ…”

राज उसिी मोटी गाण्ड और चूत िो खूब मसलते हए- “बेटी तेरी गाण्ड और चूत वािई बहत सद
ं र है । तझे
दे खिर किसी िा भी मन तझे चोदने िा होने लगे। लगता है तेरा बेटा तझे बहत समय से चोद रहा है …”

सधिया- “आह्ह… सीयी… बाबाजी आप नहीं जानते कि चदने में कितना मजा आता है ? आप तो बाबाजी ठहरे
आपिो क्या पता चदाई में कितना मजा है?”

राज- बेटी अब तम उठिर कफर से उसी पोजीशन में बैठ जाओ।

सधिया उठिर कफर से मेरे सामने उसी तरह टाुँगें फैलािर बैठ गई और मैंने उसिी चूत में परू े लोटे िा पानी
डालिर उसे अच्छी तरह िोना शरू िर टदया।

सधिया मससिी- “ओह्ह… बाबाजी आह्ह… बहत मजा आ रहा है, कितना ठं डा पानी है आपिा…”

राज- “बेटी तम चाहो तो मैं तम्हें अपनी शब्क्त से लण्ड िा भी एहसास िरा सिता हूुँ। बोलो क्या तम लण्ड िे
एहसास िो अपने मन में महसस ू िरना चाहोगी?” और मैंने सधिया िी चूत में एि साथ तीन उं गमलयां डालिर
उसिी गदा िो अपने अंगठ
ू े से रगड़ने लगा।

सधिया- “आह्ह… आह्ह… सीईई… हाुँ बाबाजी, मैं लण्ड िो महसस


ू िरने िे मलए तड़प रही हूुँ…”

138
मैंने सधिया िा हाथ पिड़िर अपने तने हए लौड़े पर रख टदया और उसिी मट्ठी अपने हाथों से दबािर बंद
िर टदया। सधिया ने तरं त मेरे लण्ड िो पिड़ मलया और उसे एि बार परू ी तरह अपने हाथों में भरिर दबोचा
और एिदम से अपनी आुँखें खोलिर मेरे लण्ड िो दे खने लगी। सधिया िी आुँखें फटी िी फटी रह गई। मेरा
लण्ड परू ी तरह तना हआ था और रामू और हररया िे लण्ड िे मिाबले बहत वविराल नजर आ रहा था।

सधिया आश्चयम से मेरे लण्ड िो दे खती हई- “बाबाजी आपिा लण्ड तो बहत मोटा है …”

राज- “बेटी यह बाबाजी िा लण्ड है , इसमलए इतना मोटा और तगड़ा है । लेकिन बेटी तम्हारी चूत भी तो कितनी
बड़ी और फूली हई है …”

मेरी बात सनिर सधिया हल्िे से मश्िरािर कफर से मेरे लण्ड िो दे खने लगी।

राज- बेटी हमने अभी अपनी किया परू ी नहीं िी और तमने आुँखें खोल दी।

सधिया मश्िराते हए- “बाबाजी इतना बड़ा मस


ू ल ब्जसिे हाथ में जाएगा उसिी आुँखें तो वैसे ही डर िे मारे फट
जाएंगी…”

राज- “बेटी हम जानते हैं िी तम्हारा मन हमारे लण्ड िो अपने हाथों में लेिर सहलाने िा िर रहा है । हम जब
ति तम्हें अच्छे से पववत्र िरते हैं तम हमारे लण्ड िो सहला सिती हो, और अपनी आुँखें भी खली रख सिती
हो…” कफर मैंने सधिया िी चत
ू िो अपने हाथों में भर मलया और सधिया िा हाथ अपने लण्ड पर रख मलया।

सधिया ने मेरे मोटे लण्ड िो अपने हाथों में भरिर दबाते हए अपनी आुँखें बंद िर ली और मेरे लण्ड िी परू ी
मोटाई िो अच्छे से महसस
ू िरने लगी। मैंने जैसी ही सधिया िी चत
ू में उं गली डालिर आगे पीछे िरना शरू
किया, सधिया भी मेरे मोटे लण्ड िो टहलाने लगी। सधिया िी चूत बहत पानी छोड़ रही थी और मैं उसिी चूत
खूब िस-िसिर रगड़ रहा था।

अब िाफी उजाला हो चिा था और चन्दा जो कि िछ दरू ी पर हमें नजर आ रही थी, उठिर बैठ जाती है और
कफर इिर-उिर दे खिर वह खड़ी होती है, और अपनी स्िटम उठािर वहीं जमीन पर मत
ू ने लगती है ।

मैंने चन्दा िी ओर इशारा िरते हए िहा- “बेटी वह बामलिा िौन है, जो पेशाब िर रही है ?

सधिया मसमसयाते हए- “बाबाजी वह हररया िी बेटी चन्दा है, हररया हमारा पड़ोसी है और ररश्ते में मेरा दे वर
लगता है …”

राज- तमने और रामू ने ममलिर इन्हीं बाप बेटी िी चदाई दे खी थी ना?

सधिया- हाुँ बाबाजी। उस टदन हररया इसी चन्दा िो चोद रहा था।

139
राज- पर बेटी यह तो बहत छोटी है ।

सधिया मेरे लण्ड िो जोश से मसलते हए- “अरे बाबाजी िाहे िी छोटी… खब
ू अपनी गाण्ड उठा-उठािर अपने
बाप िा लण्ड लेती है । बड़ी चदासी है रं डी…”

तभी मैंने सधिया िी गदा में एि उं गली डालिर हल्िे से दबाया तो मेरी परू ी उं गली सधिया िी मलायम गाण्ड
में घस गई।

और सधिया ने मेरे लण्ड िो खूब िसिर दबोचते हए िहा- “बाबाजी कितना मस्त लण्ड है आपिा… अब मझसे
नहीं रहा जाता है , अब मझे चोद दीब्जए बाबाजी…”

राज मश्िराते हए- “बेटी क्या तम हमारे लण्ड से चदना चाहती हो?”

सधिया- “सीईईई… आह्ह… आह्ह… हाुँ बाबाजी मैं आपिे इस मस


ू ल िो परू ा अपनी चूत में घसाना चाहती हूुँ…”

मैंने अपनी िोती में छपे बड़े-बड़े अंडिोर् ननिालिर सधिया िो टदखाते हए िहा- “बेटी क्या तम्हें मेरा लण्ड
बहत पसंद आया है ?”

सधिया एिदम से मेरे अंडिोर्ों िो दबोचिर मेरे लण्ड िो मसलते हए िहती है- “हाुँ बाबाजी, आपिा मोटा
लण्ड और यह बड़े-बड़े गोटे बहत ही मस्त हैं। बाबाजी िोई आ जाए इससे पहले मझे खूब िस-िसिर चोद
दीब्जए…”

राज- “बेटी ठीि है । तम िहती हो तो मैं तम्हें आज अपने मोटे लण्ड से चोदुँ ग
ू ा, तम आराम से किसी घोड़ी िी
तरह अपने भारी चत
ू ड़ों िो ऊपर उठािर झि जाओ…”

मेरी बात सनते ही सधिया ने सबसे पहले मेरे मोटे लण्ड िो झििर अपने मुँह में भरिर चूस मलया और कफर
तरं त घोड़ी बनिर अपने भारी चूतड़ों िो ऊपर ति उठािर अपनी चूत िो खूब फैलािर मझे टदखाती हई िहने
लगी- “बाबाजी अब डाल भी दीब्जए, आपिे मस
ू ल िो दे खिर अब मझसे रहा नहीं जा रहा है…”

मैंने अपने लण्ड िो सधिया िी चूत िी फांिों से मभड़ािर ऊपर से नीचे ति उसिी चूत और गाण्ड में रगड़ा
और कफर जब मैंने अपने हाथों से सधिया िी मोटी गाण्ड िी दरार और फूली हई चूत िी फांिों िो फैलािर
दे खा तो मझसे रहा नहीं गया, और मैंने झििर सधिया िी गाण्ड िी दरार से लेिर चत
ू िे फूले हए भाग ति
खूब जोर से चूसना और चाटना शरू िर टदया।

सधिया- “ओह्ह… बाबाजी आह्ह… आह्ह… सीईईई… ओह्ह… बाबाजी बहत अच्छा लग रहा है आप तो बहत मस्त
चाटते हो, खूब चूसो बाबाजी खूब िसिर चोदो बाबाजी…”

मैं सधिया िी चूत और गाण्ड िो खूब दबा-दबािर चाट और चूस रहा था, और सधिया अपनी मोटी गाण्ड िभी
इिर िभी उिर मटिा रही थी। मैंने अपनी जीभ सधिया िी गाण्ड िे छे द में पेलना शरू िर टदया और सधिया

140
खूब मसमसयाते हए अपनी गाण्ड टहलाने लगी। मझे भी लगा कि अब इसिी चूत में लण्ड पेल दे ना चाटहए और
मैंने अपने लण्ड िा सपाड़ा सधिया िी चूत से लगाया और एि िरारा िक्िा मारिर अपना परू ा लण्ड उसिी
चत
ू में जड़ ति फुँसा टदया।

सधिया ‘ओह्ह बाबाजी’ िहते हए अपनी गाण्ड िो अड्जस्ट िरते हए िहने लगी- “बाबाजी सचमच खूब मस्त
लण्ड है आपिा, ब्जस औरत िी चूत में घसेगा उसे मस्त िर दे गा…”

सधिया िी बात सनिर मेरे मन में एिदम से ख्याल आया कि संगीता और अपनी मम्मी पायल िो जब मैं परू ी
नंगी िरिे चोदुँ ग
ू ा तब क्या उन्हें भी मेरा लण्ड मस्त िर दे गा? राज अब सधिया िी मोटी गाण्ड िो सहलाते
हए उसिी चूत में िीरे -िीरे लेकिन खूब गहराई ति िक्िे मारता हआ उससे पछने लगा- “बेटी क्या मेरा लण्ड
दे खिर िोई भी औरत मेरे लण्ड िो लेने िे मलए तड़पने लगेगी?”

सधिया- “हाुँ बाबाजी। आपिा लौड़ा तो इतना मस्त है कि ब्जस औरत िो अपना लौड़ा टदखा दोगे, वह आपिे
लौड़े से चदने िे मलए आपिे पीछे -पीछे घम
ू ने लगेगी…”

राज- “बेटी तम्हें मेरे लण्ड िी मार अच्छी लग रही है ना?”

सधिया- “हाुँ बाबाजी, बस ऐसे ही मझे आराम-आराम से ठोंिते रटहए, आपिा लण्ड मेरी चूत में बहत मस्त फुँस-
फुँसिर जा रहा है मझे बड़ा मजा आ रहा है…”

राज- “अच्छा बेटी यह बताओ िी अगर किसी औरत िो चोदने िा मन िरे और वह औरत ररश्ते में लगे तब
उस औरत िो िैसे चोदने िे मलए फुँसाया जाता है?”

सधिया- “बाबाजी हर औरत िो चत


ू मरवाने िी इच्छा होती है , पर जब औरत िो बातों-बातों में िभी उसिी
मोटी गाण्ड िो सहला दो, िभी उसिे दि
ू पर हाथ मार दो, िभी उसिा धचिना पेट सहला दो, िभी अगर उसे
चूमने िा मौिा ममले तो अपनी जीभ ननिालिर उसे चाटने लगो, और जब भी मौिा ममले औरत िो अपने मोटे
लौड़े िे दशमन जरूर िरवाओ, तब बाबाजी िैसी भी औरत हो उसिी चूत से पानी आना जरूर शरू हो जाएगा।
एि बार औरत आपिे मोटे लण्ड से चदने िे बारे में अगर सोच लेती है तो कफर उसे भी बार-बार आपिे मोटे
लण्ड िो अपनी फूली चत
ू में भरने िी इच्छा होने लगती है …”

राज ने सधिया िी बात सनिर उसिी चूत में अपने लण्ड िे िक्िे थोड़े तेजी से मारना शरू िर टदये और कफर
उससे पछ
ू ा- “क्या रामू से चदने से पहले िभी तमने उसिे लण्ड िो दे खा था?”

सधिया- “हाुँ बाबाजी। मैं तो उसिे लण्ड िो िई बार दे ख चिी थी, और िई बार मेरा मन उसिे लण्ड िो
सहलाने और चस
ू ने िा भी होने लगा था। आप नहीं जानते बाबाजी हम औरतों िो ऐसे मोटे लण्ड से अपनी चूत
िटवाने में कितना मजा आता है ?” यह िहिते हये सधिया बहत चदासी लगने लगी थी और अपनी गाण्ड उठा-
उठािर मेरे लण्ड पर खब
ू झटिे मार रही थी।

141
मैं उसिी नंगी गाण्ड िो दबोच-दबोचिर उसे खूब िस-िसिर चोद रहा था, उसिी चूत से फि-फि िी आवाज
आ रही थी और मेरा लण्ड उसिी धचिनाई में कफसल-कफसल जा रहा था।

िछ दे र बाद मैंने सधिया िो सीिा िरिे लेटा टदया और जब मैंने उसिी फूली चूत में लण्ड डालिर उसिे नंगे
बदन पर लेटिर उसिे गदाज मोटे दि
ू िो मसलते हए उसे चोदना शरू किया तो सधिया ने अपनी जाुँघों िो
मोड़िर मझे जिड़ मलया और मेरे मुँह िो चूमने िी िोमशश िरने लगी।

मैं अपना मुँह उससे बचाते हए उसिी बर में खब


ू िस-िसिर िक्िे मारने लगा। मझे डर था कि िहीं धचपिने
िे चक्िर में मेरी दाढ़ी मछ
ुँू ना ननिल जाए? इसमलए मैं अपना मुँह उसिे चेहरे से दरू ही रखिर उसे चोद रहा
था। मेरी रफ़्तार बहत तेज हो चिी थी और ऐसा लग रहा था िी सधिया भी चरम पर पहुँचने वाली है ।

सधिया खूब मसमसयाते हए मझसे चोदने िे मलए िह रही थी- “आह्ह… आह्ह… सीईईई… ओह्ह… बाबाजी चोटदये
खूब चोटदये… फाड़ दीब्जए मेरी चूत आह्ह… आह्ह… आह्ह…”

मैं ताबड़तोड़ उसिी बर में अपने लण्ड िे िक्िे दे रहा था, और तभी मैंने दो-तीन खूब गहरे िक्िे उसिी चत

में मार टदए, और सधिया िी चत
ू और मेरे लण्ड से पानी िी फहार छूट पड़ी, और दोनों एिदम से िसिर
धचपिते हए अपने लण्ड और चूत िो एि दस
ू रे िी ओर खूब दबा-दबािर रगड़ने लगे।

सच सधिया िी चूत चोदने में मझे सबसे ज्यादा मजा आया था, आज मैंने उसिे भारी बदन िो यह सोच-
सोचिर खूब दबोचा और मसला था कि मेरी मम्मी पायल भी जब परू ी नंगी होिर मेरे सामने आएगी तो ऐसी
ही भारी भरिम जवानी होगी उसिी।

सधिया नंगी पड़ी-पड़ी हाुँफ रही थी, और मैंने अपने लण्ड िो िोती में वापस डाल मलया था। िछ दे र बाद
सधिया िो होश आया और वह भी एिदम से उठिर बैठ गई। सधिया मझसे नजर नहीं ममला रही थी, और मैं
उसिी ओर ही दे ख रहा था।

राज ने सधिया िे गालों िो सहलाते हए िहा- “क्या हआ बेटी थि गई क्या?”

सधिया मश्िराते हए- “नहीं बाबाजी, मैं ठीि हूुँ…”

राज- “बेटी तम्हारा बेटा रामू यहां खेतों में िब ति आता है?””

सधिया- बाबाजी वह तो अभी बहत दे र से आएगा…” सधिया िी बातों में और भी चदवाने िी झलि नजर आ
रही थी।

मैंने उससे िहा- “बेटी क्या तम्हें मेरे साथ संभोग िरने में बहत मजा आया है?”

सधिया मश्िरािर अपनी नजरें नीचे िर लेती है ।

142
राज ने सधिया िी मोटी जाुँघों िो सहलाते हए पछ
ू ा- “बोलो बेटी अब तम हमसे ना शमामओ, और हमें बताओ…”

सधिया- “हाुँ बाबाजी, आपिा लण्ड बहत मोटा है मझे बहत मजा आया…”

राज- “बेटी अब तम िहो तो हम उस दस


ू रे आदमी िो अपनी शब्क्त से यहाुँ बला लेते हैं, और कफर तम्हें उससे
और मझसे एि साथ चदना होगा। क्या तम इसिे मलए तैयार हो?”

सधिया शमामते हए मश्िरािर मझे दे खती है और िहती है - “बाबाजी आप जैसा िहें गे, अब मैं वैसा ही िरूुँगी…”

राज- “ठीि है बेटी। अब तम अपनी आुँखें बंद िर लो और कफर से उसी तरह बैठ जाओ। हम अभी अपनी
शब्क्त से उस आदमी िो यहाुँ बला लेते हैं, जो तम्हारा यह राज गप्त रखेगा…”

िहिर मैंने िछ दे र अपनी आुँखें बंद िरिे ध्यान लगाया, और कफर अपनी आुँखें खोलिर सधिया िी ओर दे खा
जो कि आुँखें बंद किए हए बैठी थी।

राज- “बेटी हमने अपनी शब्क्त से यह मालम


ू िर मलया कि वह आदमी तम्हें िाफी टदनों से चोदना चाहता है …”

मेरी बात सनिर सधिया ने तरं त आुँखें खोली और िहने लगी- “वह िौन है बाबाजी?”

राज- “बेटी वह िोई और नहीं, बब्ल्ि तम्हारा दे वर हररया है …”

सधिया अपनी आुँखें फाड़े मझे दे खती हई- “क्या हररया मझे चोदना चाहता है ?”

राज- “हाुँ बेटी। हमने अपनी शब्क्त से सब दे ख मलया है और हररया ही एि ऐसा आदमी है जो इस परू े गाुँव में
सबसे ज्यादा तम्हें चोदने िे मलए तड़पता है । अब बताओ बेटी क्या तम हररया से अपनी चूत मरवाओगी?”

सधिया- “लेकिन बाबाजी यह िैसे होगा? िहीं उसने किसी िो िह टदया तो? और कफर उसिे सामने मझे शमम
भी आएगी…”

राज- “नहीं बेटी। मैं दे ख रहा हूुँ िी वह तम्हें बहत चाहता है और वह तम्हारे बारे में िभी किसी िो नहीं िहे गा,
और रही बात शमम िी तो तम अपनी आुँखें बंद िर लो। मैं उसे बस िछ ही समय में परू ा नंगा तम्हारे सामने
खड़ा िर दुँ ग
ू ा, बोलो अब तैयार हो ना?”

सधिया अपने सख
ू े होंठ गीला िरती हई- “ठीि है बाबाजी जैसी आपिी आज्ञा…” और सधिया कफर से आुँखें बंद
िरिे बैठ जाती है ।

मैं उसिा मस्त भोसड़ा दे खते हए हररया िो खड़ा होिर इिर-उिर दे खने लगता हूुँ। जब मझे हररया नजर नहीं
आता है, तब मैं सधिया िो यह िहिर खेत से बाहर आ जाता हूुँ कि मैं अभी इस लोटे में जल लेिर आता हूुँ।

143
सधिया िहती है- “बाबाजी हमारी झोपड़ी िे पास िे पाइप से पानी भर लीब्जएगा…”

मैं जब वहाुँ से बाहर आिर इिर-उिर दे खता हूुँ तब मझे दरू से हररया आता हआ नजर आता है , और मेरी जान
में जान आती है । हररया िा मुँह दे खने लायि था और वह ननराश लग रहा था।

राज- “अरे हररया िहाुँ घम


ू रहे हो?”

हररया- अरे क्या बताएं बाबाजी। हम तालाब पर गये थे लेकिन वहाुँ सधिया भाभी िा तो िोई पता ही नहीं है ।

राज- “हररया माफ िरना, हमने सोचा तालाब िा स्थान ठीि नहीं रहे गा। इसमलए थोड़ा प्लान चें ज िरिे हम
सधिया िो तमसे चदवाने िे मलए यहीं ले आए हैं। तम अपनी बेटी चन्दा िो किसी िाम में लगािर चपचाप
रामू िे गन्नों िे खेत िे बीचोबीच आ जाओ, मैं वहीं तम्हारा इंतजार िर रहा हूुँ…”

मेरे इतना िहते ही हररया िे चेहरे पर खशी िी लहर दौड़ गई और उसने जेब से धचलम ननिालिर िहा-
“बाबज
ू ी पहले थोड़ा सा इसिा मजा ले लें, तब उस घोड़ी िो चोदने में ज्यादा मजा आएगा…”

राज िो भी लगा िी हररया िी धचलम पीिर नशा तो मस्त आता है । इस बार मेरा मड
ू सधिया िी गदाज मोटी
गाण्ड मारने िा था, इसमलए मैंने भी हररया से िहा- “ठीि है जल्दी से बना लो। सधिया मेरी राह दे ख रही होगी
उसे मैं गन्नों िे बीच नंगी ही बैठािर आया हूुँ…”

हररया िहने लगा- “मान गये बाबज


ू ी आपिो। एि बार हम सधिया िी चत
ू मार लें, कफर दे खना बाबज
ू ी आप
हमसे जो िहोगे हम िरें गे। आखखरिार, आपिा इतना बड़ा एहसान जो हम पर रहे गा…”

हम दोनों ने बातें िरते हए धचलम पी और पीिर एिदम मस्त हो गये।

हररया अपनी लाल आुँखों से मेरी ओर दे खिर- “सच बाबज


ू ी इसिो पीते ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता है । आप
चमलए मैं दो ममनट में आ गया…”

मैं वापस वहीं पहुँच गया और सधिया िे सामने बैठ गया जो आुँखें बंद किए बैठी थी। कफर िहा- “बेटी अब
तैयार हो जाओ, मैं हररया िो अपनी शब्क्त से यहाुँ बला रहा हूुँ। तम बस आराम से लेट जाओ और अपनी
जाुँघों िो खूब अच्छे से फैला लो…”

कफर जब सधिया ने अपनी चूत िो खोलिर फैला मलया तो मैंने उसिे मस्त उठे हए भोसड़े में हाथ मारते हए
िहा- “बेटी आज तम्हें अपने इन दोनों छे दों में एि साथ लण्ड लेना है, क्या तम तैयार हो?”

सधिया- हाुँ बाबाजी, मैं परू ी तरह तैयार हूुँ।

सधिया िी बर मेरी बातों से कफर से वपघलने लगी थी। तभी िीरे से हररया मेरे पास आ जाता है, और जब वह
सधिया िो परू ी नंगी अपनी मस्त चूत फैलाए लेटा हआ दे खता है तो उसिे होश उड़ जाते हैं। उसिी नशीली

144
लाल आुँखों में एि चमि सी आ जाती है , वह मेरी ओर मश्िरािर दे खता है और कफर अपने खड़े लण्ड िो
िोती िे ऊपर से मसलता हआ मझसे इशारे से पछ
ू ता है - “अब मैं क्या िरूं?”

मैंने हररया िो परू ा नंगा होने िा इशारा किया और हररया ने तरं त अपनी िोती हटािर अपने मोटे लण्ड िो
बाहर ननिाल मलया। अब मैंने हररया िो सधिया िी फूली हई चूत िो चाटने िा इशारा किया और हररया ने
अपने िाुँपते हाथों से जब सधिया िी मोटी गदाज जाुँघों िो मसला तो वह खशी िे मारे मझे दे खते हए झि
िर सधिया िी बर िो पागलों िी तरह फैलािर चूसना शरू िर दे ता है ।

सधिया- “आह्ह… बाबाजी बहत अच्छा चाटते हैं आप, पर अभी ति हररया क्यों नहीं आया?”

राज- “बेटी तम अपना मुँह खोलो, हम तम्हें मस्त मीठा गन्ना चसाने वाले हैं…”

मेरा इतना िहना था कि सधिया ने अपनी आुँखें खोलिर अपना मसर उठािर नीचे दे खा तो उसिी सांसें थम
गई… हररया उसिी बर िो खूब फैला-फैलािर चाट रहा था। मैंने सधिया िो इशारे से चप रहने िो िहा और
अपने लण्ड िो ननिालिर सधिया िे मुँह िे पास उिड़ू बैठ गया और सधिया मेरे लौड़े िो अपना मुँह खोलिर
पीने लगी।

हररया सधिया िी चूत िो परू ी खोलिर उसिा रस चस


ू रहा था, और उसिी चूत िे दाने िो अपने होंठों से
दबा-दबािर िभी खींचता और िभी उसे चूसने लगता। हररया ब्जतनी जोर से सधिया िी चूत चाटता और चूसता
था सधिया भी जोश में आिर मेरे लण्ड िो उतनी ही तेजी से दबा-दबािर चूसने लगती थी। वह मेरे सपाड़े िो
खब
ू चस
ू -चस
ू िर लाल िर चिी थी और मैं उसिे पास बैठा उसिे मोटे -मोटे दि
ू खब
ू दबोचिर मसल रहा था।

िछ दे र बाद मैंने हररया िो िहा- “बेटा तम अब सीिे खड़े हो जाओ, और सधिया बेटी तम खड़ी होिर हररया
िे लण्ड िो चस
ू ो…”

सधिया ने शमामते हए हररया िी ओर दे खा, ब्जसिी नजर सधिया िी मस्त फूली हई चूत पर ही टटिी थी।

राज- “बेटा हररया… सधिया तमसे शमाम रही है । जरा तम खद अपनी सधिया भाभी िो उठािर अपने सीने से
लगा लो, वह बहत तड़प रही है तम्हारे नंगे बदन से धचपिने िे मलए…”

हररया- “बाबाजी हम तो आपिे भक्त हैं आप जो िहोगे िरें ग,े और वैसी भी हम तो अपनी सधिया भाभी िो
परू ी नंगी िरिे िब से चोदने िे मलए तड़प रहे हैं…” और कफर हररया ने सधिया िो खड़ी िरिे उसे अपने सीने
से धचपिा मलया।

मैंने मौिा दे खते ही सधिया िी मोटी गाण्ड से अपने लण्ड िो सटािर उसिे पीछे से धचपिते हए िहा- “सधिया
बेटी…”

सधिया- जी बाबाजी।

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राज- “बेटी अब क्या तम दो मदों से एि साथ चदने िे मलए तैयार हो?” और कफर मैंने अपने हाथों से सधिया
िी गदा िो फैलािर उसिी गदा िो सहलाना शरू िर टदया।

उिर हररया सधिया िे चच


ू े मसलता हआ उसिे होंठों िो चूसने िी िोमशश िरने लगा।

राज- बेटी अब तम्हें अच्छा लग रहा है कि नहीं?

सधिया- आह्ह… बाबाजी बहत अच्छा लग रहा है ।

हररया- “भौजी तम्हारी चूत भी बहत मस्त है । कितना मस्त बदन है तम्हारा परू ी नंगी िरिे धचपिाने में मजा
आ जाता है …”

राज- हररया अब तम लेट जाओ और सधिया िो अपने लण्ड पर बैठा लो।

मेरी बात सनते ही हररया लेट गया और सधिया उसिे लण्ड पर बैठ गई, तो उसिे मुँह से एि हल्िी सी
मससिारी ननिल गई। हररया िा लण्ड सधिया िी धचिनी चत
ू में परू ा घस चिा था। हररया ने नीचे से िक्िे
मारते हए सधिया िो थोड़ा आगे झिािर उसिे मोटे -मोटे पपीतों िो खूब िस-िसिर मसलना शरू िर टदया।
मैं सधिया िी मोटी गाण्ड िे पास आिर बैठ गया और उसिी मस्त गदाज मखमली गाण्ड िो अपने हाथों से
दबाते हए उसिी भरू े रं ग िी बड़ी सी गदा िो सहलाने लगा।

सधिया ने हररया िे लण्ड पर िूदते हए मेरे लण्ड िो िसिर अपने हाथों में दबोचिर मसलना शरू िर टदया।
मैंने अपनी उं गली पर थूि लगािर सधिया िी गाण्ड में दबा दी और मेरी उं गली सधिया िी मलायम िसी हई
गाण्ड में समा गई। मैं सधिया िी गदा में उं गली अंदर-बाहर िरने लगा और सधिया आह्ह… आह्ह… िरती हई
मसमसयाने लगी।

सधिया िी चूत िो हररया बराबर नीचे से चोदे जा रहा था और उसिे मोटे -मोटे दि
ू िो खूब चूसे जा रहा था।
मैं लगातार सधिया िी गदाज मोटी गाण्ड िो दबाते हए उसिी गदा में उं गली डाल रहा था। जब मैंने दे खा कि
अब सधिया खूब िूदने लगी है और खूब मसमसयाते हए हररया िो जोर-जोर से चोदने िो िहने लगी है, तब मैंने
अपने मोटे लण्ड पर खब
ू सारा थि
ू लगािर उसे सधिया िी गदाज गाण्ड में लगािर एि िसिर िक्िा उसिी
गदा में मार टदया और मेरे लण्ड िा मोटा सपाड़ा सधिया िी गदा खोलिर उसमें कफट बैठ गया।

सधिया- “ओह्ह… बाबाजी मार डाला रे आह्ह… सीईइ सीईईई… आह्ह… ओह्ह…”

हररया उसिे मोटे -मोटे दि


ू दबाते हए- “क्या हआ भौजी, बाबाजी ने तम्हारी गाण्ड में लण्ड फुँसा टदया क्या?”

सधिया- हाुँ रे हररया, बाबाजी िा बहत मोटा है परू ी गाण्ड फाड़े डाल रहा है ।

हररया- “तो क्या हआ भौजी? तम्हारी गाण्ड है भी तो िसिर मोटे लण्ड से चोदने लायि। मैं तो िब से तम्हारी
इस मोटी गाण्ड िो खूब िस-िसिर चोदना चाहता हूुँ…”

146
सधिया- “आह्ह… हरामी मैं तो पहले से जानती थी, जब तू मझे जाते हए मेरे चत
ू ड़ों िो खूब घरू ा िरता था…”

हररया- बाबाजी िैसी है हमारी रामू िी माुँ िी मोटी गाण्ड?

राज ने हररया िी बात सनी और एि दस


ू रा िक्िा िचिचा िर सधिया िी मोटी गाण्ड में मार टदया और कफर
क्या था मैं तो समझो मस्त हो गया। मेरा परू ा लण्ड सधिया िी गाण्ड ऐसे जिड़े हए थी जैसे ननचोड़ िे रख
दे गी।

सधिया- “आआआ… ओह्ह… बाबाजी मैं मर जाऊुँगी… बाबाजी ननिाल लो बहत मोटा लण्ड है तम्हारा…”

सधिया िी बात सनिर हररया समझ गया कि मैंने उसिी गाण्ड में लण्ड फुँसा टदया है और हररया उस घोड़ी िो
अपने लण्ड पर बैठाए उसिे दि
ू िे ननप्पल िो चूसता हआ दबाने लगा। इिर मैं रुिा नहीं और िीरे -िीरे अपने
लण्ड िो थोड़ा बाहर लाता और कफर गच्च से सधिया िी गदा में घसा दे ता।

सधिया िछ- “ऊह आह्ह… सीईई ओह्ह… बाबाजी आह्ह… आह्ह…” िी आवाज ननिल रही थी।

तभी मैंने थोड़ा लण्ड बाहर खींचा और िसिर सधिया िी गाण्ड में मार टदया और सधिया सीिे हररया िे सीने
पर अपनी मोटी-मोटी चूधचयां रखिर लढ़ि गई। हररया ने सधिया िी पीठ िे आसपास अपने हाथ लािर उस
गदाज औरत िो अपनी छाती से खूब िस िे जिड़ मलया और अपनी िमर उठा-उठािर सधिया िी चूत में
लण्ड पेलने लगा।

अब मझे ज्यादा मजा आ रहा था, मैं उिड़ू बैठा सधिया िी गाण्ड चोद रहा था और वह रं डी हररया िे ऊपर
लेटी हई अपनी चत
ू और गाण्ड हम दोनों से मरवा रही थी। उसिी मससिाररयों से ऐसा लग रहा था कि उसे
बहत मजा आ रहा है । तभी मैं भी सधिया िी मोटी गाण्ड में लण्ड फुँसाए उसिे ऊपर लेट गया और उसिी
धचिनी पीठ से धचपि िर खूब गहराई ति सधिया िी गाण्ड में अपने लण्ड िो घसाने लगा।

मैं ऊपर से सधिया िी गाण्ड में खूब तबीयत से लण्ड पेल रहा था। मेरे परू े बदन िा वजन सधिया िे ब्जश्म
पर था और नीचे से हररया अपनी परू ी ताित से सधिया िी चत
ू में लण्ड पेल रहा था। हररया और मैं दोनों परू ी
ताित से नीचे से और ऊपर से सधिया िी गाण्ड और चूत िो उसिे नंगे बदन िो खूब दबािर ठोंि रहे थे।

सधिया मससि रही थी- “ओह्ह… ओह्ह… आआऽऽ सीईई… आआऽऽ हररया दि
ू दबा ना, ओह्ह… बाबाजी बहत
मजा आ रहा है , और ठोकिए बाबाजी और चोटदये परू ी गाण्ड फाड़ दीब्जए मेरी…”

सधिया िी बातें मेरा और हररया िा जोश और बढ़ा रही थीं, और हम दोनों ऊपर से और नीचे से उसिी गाण्ड
और चत
ू िो खूब जोर-जोर से चोद रहे थे। हररया जहाुँ उसिी चूत में लण्ड िो दबाने िी िोमशश िर रहा था,
वहीं मैं परू ी आजादी िे साथ सधिया िी गाण्ड चोद रहा था।

147
अब मेरा लण्ड बड़ी आसानी से सधिया िी गाण्ड में जा रहा था और उसिी चूत खूब पानी छोड़ रही थी। हररया
ने सधिया िे होंठों िो चूसना शरू िर टदया, तब सधिया थोड़ा ऊपर अपने सीने िो उठाने लगी। तभी मैंने
उसिे दि
ू िो नीचे हाथ लेजािर पिड़ मलया और िस-िसिर तीन-चार िक्िे सधिया िी गाण्ड में मार टदए
और सधिया िड़ाम से हररया िी छाती से धचपि गई।

हररया ने नीचे से िस-िसिर तीन चार िक्िे मारे और उसिो खूब िसिर दबोचते हए मझसे िहने लगा-
“बाबाजी लगता है भौजी मत
ू ने वाली है …”

राज- “हररया अपनी भौजी से पछ


ू लो अगर मत
ू ने वाली हो तो हम तीनों एि साथ मत
ू न्
े गे और आज तम्हारी
भौजी िी गाण्ड और चूत िो अपने रस से भर दें ग…
े ”

हररया सधिया िे मुँह िो उठािर चूमते हए- “बोलो भौजी तम मत


ू ने वाली हो ना?”

सधिया- “सीयी आह्ह… आह्ह… हाुँ रे … हाुँ रे हररया खूब चोद… मैं अब मत
ू ने वाली हूुँ। जल्दी चोद िमीने नहीं तो
तेरे मुँह में मत
ू दुँ ग
ू ी…”

हररया- “मतू दे ना भौजी, मैं तो िब से तेरी चूत से मत


ू पीने िो तरस रहा हूुँ, एि बार मैंने तझे छपिर मत
ू ते
हए दे खा था, बस तब से तेरी मोटी िार िा मैं दीवाना हो गया हूुँ…”

राज- “हररया अब एि साथ मैं और तम सधिया बेटी िी चूत और गाण्ड िो चोदते हए अपना पानी ननिालेंगे…”
और कफर मैंने उसिी गाण्ड में सटासट िक्िे मारना शरू िर टदया और नीचे से हररया खब
ू खचाखच लण्ड
पेलने लगा।

सधिया अपनी जाुँघों िो और भी खोलिर बरी तरह गाण्ड टहलाने लगी। वह िभी अपनी गाण्ड ऊपर मारने िी
िोमशश िरती और िभी नीचे मारने िी िोमशश िरती, कफर सधिया िे मुँह से एि गहरी िराह ननिल गई और
वह बरी तरह हररया से धचपि गई।

मैंने भी सधिया िो परू ी तरह जिड़ मलया और उसिी गाण्ड में अपने लण्ड िो खब
ू गहराई ति ठोंि िर अपने
पानी िो छोड़ना शरू िर टदया। उिर हररया ने भी सधिया िी चत
ू में अपने लण्ड िो खब
ू अंदर ति पेलिर
अपना पानी ननिाल टदया और कफर मैं और हररया सधिया िो ऊपर और नीचे से नंगी अपने बीच में दबाए
हाुँफते हए पड़े रहे । िछ दे र बाद मैं उठा और जब मैंने सधिया िे भारी चूतड़ों िो दे खा तो वह परू े लाल हो चिे
थे। मेरे उठने िे बाद भी सधिया हररया िे ऊपर पड़ी हाफती रही। कफर मैंने जल्दी से अपनी िोती पहनी और
कफर सधिया भी उठिर अपने िपड़े पहनने लगी।

हररया ने अपनी िोती पहनिर िहा- “बाबाजी हम चन्दा िे पास जा रहे हैं, आप हमें भी आशीवामद दे ते हए
जाना…” िहिर हररया वहाुँ से उठिर चला जाता है ।

और कफर राज सधिया िो हाथ पिड़िर उठा लेता है - “बेटी तम ठीि तो हो ना?”

148
सधिया मश्िराते हए अपनी नजरें झिा िर- “हाुँ बाबाजी…”

राज- “बेटी हमने अपना वादा परू ा िर टदया। अब हमें भी यहां से प्रस्थान िरना होगा, क्योंिी हम मसफम तम्हारी
खानतर रुिे थे, अब हमें किसी और िा भला िरने िे मलए जाना होगा…”

सधिया- बाबाजी कफर िब पिारें गे आप?

राज- “बेटी हमने तेरे सख िे मलए ही हररया िे टदमाग िो घमािर तेरा दीवाना बना टदया है । अब रामू िे
अलावा जब भी तेरा टदल िरे तू हररया से अपनी इच्छा परू ी िरवा लेना, और शमामना मत। तू शमामती बहत है …”

सधिया- “बाबाजी मझे तो आपिी याद हमेशा आएगी, अब आप िब आओगे?”

राज- बेटी तू कफिर मत िर। हम तो इतनी शब्क्त लेिर घम


ू ते हैं कि िभी भी किसी भी रूप में आिर हम
तझे अपने मोटे लण्ड से भरपरू आनंद पहुँचाएगे। अभी तू हमें जानती नहीं है, तू िहे तो हम किसी जवान लौंडे
िे रूप में आिर भी तझे चोद सिते हैं।

सधिया- क्या आप सच िह रहे हैं बाबाजी?

राज- “तन
ू े दे खा ना हमने अपनी शब्क्त से हररया िो यहां बलाया, और उसिे टदमाग िो िैसे घमा टदया है कि
उसने एि बार भी तझसे िोई सवाल किया या और किसी िो बताने िे बारे में सोचा है?”

सधिया- “आप सच िहते हैं बाबाजी, नहीं तो हररया जैसा िमीना मझे नंगी दे खिर ना जाने क्या-क्या िहता?
आज आपने मझे िन्य िर टदया बाबाजी…” और कफर सधिया मेरे पैरों में धगर गई।

मैंने उसिी गोरी बाुँहों िो पिड़िर उसे उठाया और उसिे भरे हए गालों िो सहलाते हए िहा- “बेटी अब तम
यहाुँ से जाओ। हम भी यहाुँ से अब ननिलते हैं…”

सधिया- बाबाजी जब भी आप आओ मेरे घर जरूर आना।

सधिया िी चदाई तो बड़े मस्त तरीिे से हमने िी लेकिन वह अब भी यही समझ रही थी कि मैं बहत पहुँचा
हआ आदमी हूुँ, और वह मझसे बहत प्रभाववत थी। उसिे जाने िे बाद मैं हररया िे पास पहुँचा जहाुँ मझे हररया
ने पानी वपलाया उसिे बाद मैंने हररया िे साथ एि धचलम और लगाई।

हररया- “वाह बाबज


ू ी मान गये आपिो। लेकिन अभी भी हमारा मन सधिया िो और चोदने िा िर रहा है
बाबज
ू ी…”

राज- “हररया हमने उसिे मसर पर ऐसा हाथ फेरा है कि अब जब भी तम्हें मौिा ममले तम सधिया िो चोद
लेना। वह खद तमसे आगे रहिर चदवायेगी…”

149
हररया- सच बाबज
ू ी, यह आपने हम पर बड़ा उपिार किया है । अब दे खना बाबज
ू ी मैं िैसे टदन रात सधिया िो
खेतों में नंगी िरिे चोदता हूुँ।

राज- लेकिन रामू िा क्या िरोगे?

हररया- “िछ नहीं बाबज


ू ी। रामू िो चन्दा िे साथ अपने घर भेज टदया िरूुँगा, वह भी चन्दा और िाममनी िे
साथ मस्ती मार लेगा। आखखरिार, रामू भी मेरे पररवार िा खून ही तो है …”

राज मश्िराते हए- “वािई हररया भाई तम बहत बदमाश आदमी हो…”

हररया हुँसते हए- “लेकिन बाबज


ू ी आपसे जरा सा िम…”

मैंने हररया िी बात सनिर उसिी पीठ ठोंिते हए िहा- “ठीि है हररया, अब मैं जरा अपनी साइट पर जा रहा
हूुँ और शाम िो घर ननिलग
ूं ा, वहाुँ मम्मी और संगीता परे शान होगी…”

हररया- “बाबज
ू ी िाम िे चक्िर में इिर आना मत भमू लएगा, और िैसा भी िाम हो बस एि बार िटहएगा
हररया आपिे मलए जान भी लगा दे गा…”

राज- “अरे हररया तमने इतना िह टदया यही बहत है, कफर भी िभी जरूरत पड़ी तो तमसे ही िहूुँगा। अच्छा
अब मैं चलता हूुँ…” और कफर मैं तालाब िे पास आ गया। मजदरू आ चिे थे और मैंने उन्हें िाम पर लगा
टदया। दोपहर िो जैसे तैसे समय गजारा और शाम िे 4:00 बजते ही मैं घर िी ओर भाग गया।

जब मैं घर पहुँचा और मैंने दरवाजा अंदर ढिेला तो वह खल गया और मैं सीिे अंदर चला गया। मैं वैसे तो
जाते ही संगीता िो आवाज दे ने लगता था, लेकिन आज मैं चपचाप जब अंदर पहुँचा तो मझे हाल में िोई नहीं
टदखा और जब मैं मम्मी िे रूम िी ओर बढ़ा और मैंने जैसे ही मम्मी िे रूम िे पदे िो थोड़ा सा हटािर अंदर
दे खा तो… अंदर मम्मी ममरर िे सामने िेवल एि वपंि िलर िी ब्रा और पैंटी पहने अपने गदाज धचिने बदन
िो दे ख रही थी।

मैं तो मम्मी िो ब्रा पैंटी में दे खिर एिदम से पागल हो गया। मेरा लण्ड परू ी तरह तनिर खड़ा हो गया और
मेरी मम्मी अपने सडौल भारी भरिम चूतड़ों िो िभी इिर, िभी उिर िरिे मटिा रही थी। सधिया िो नंगी
दे खिर मझे भारी भरिम शरीर वाली औरतें अच्छी लगने लगी थीं। लेकिन मम्मी िा शरीर तो सधिया से भी
जबरदस्त था। मम्मी िी मोटी-मोटी गोरी जाुँघों ने मझे पागल िर टदया। उनिा उठा हआ पेट और मोटे -मोटे
दि
ू बहत सडौल और गोरे लग रहे थे। िछ दे र ति अपने ब्जश्म िो शीशे में ननहारने िे बाद मम्मी ने पास में
पड़े पेटीिोट िो उठािर पहन मलया और कफर जलाउज़ और उसिे बाद अपनी साड़ी लपेटने लगी।

तभी राज ने आवाज लगा दी- “मम्मी क्या िर रही हो?”

पायल- “अरे राज आ गया त,ू क्या बेटा बबना बताए गोल हो जाता है । हम माुँ बेटी िो कितनी कफिर हो रही
थी?”

150
मैं मम्मी िे पीछे से उन्हें अपनी बाुँहो में भरिर उनिे गालों िो चूमते हए सारी िहने लगा।

मम्मी ने अपनी साड़ी बाुँिते हए मेरे गालों िो जब चम


ू ा तो उनिे रसीले होंठों और उसिे बदन से उठने वाली
मादि गंि ने मेरे लण्ड िो परू ी तरह खड़ा िर टदया था। मझे बार-बार मम्मी िेवल पैंटी में अपनी मोटी गाण्ड
मटिाते हए नजर आ रही थी। टदल तो ऐसा िर रहा था कि मम्मी िी फूली हई चूत िो पैंटी िे ऊपर से
पिड़िर मसल दुँ ।ू

लेकिन मैं िंरोल किए हए मम्मी से पछ


ू ने लगा- “मम्मी संगीता िहाुँ है?”

पायल- बेटे वह अपनी सहे ली िे यहाुँ गई है । तू हाथ मुँह िो ले मैं चाय बनािर लाती हूुँ।

मैंने मम्मी िो गौर से दे खा, बड़ा मस्त माल लग रही थी। उसिे भरे हए मदमस्त ब्जश्म िे आगे सधिया िी
गदराई जवानी भी फेल थी और सबसे ज्यादा जानलेवा तो मम्मी िे मोटे -मोटे चत
ू ड़ थे ब्जन्हें अभी भी वह
इिर-उिर घम
ू ते हए मटिािर चल रही थी। मम्मी िो जब मैंने पैंटी में दे खा तो मैं उसिे चूतड़ों िो दे खिर
मस्त हो गया। उसिे गोल मटोल चत
ू ड़ों में गजब िा माुँस भरा हआ था साली िे मस्त चत
ू ड़ों िो दबोचने में
मजा आ जाता होगा।

मैंने लग
ं ी पहन ली लेकिन मेरा लण्ड परू ी लग
ं ी िो ऊपर ति ताने हए था। मैं सोफे पर बैठा हआ था और वहाुँ
से नतरछी नजर से किचेन िी ओर दे ख रहा था, जहाुँ पर मम्मी खड़ी चाय बना रही थी। मैंने दे खा िी मम्मी
बीच-बीच में अपनी चत
ू िो साड़ी िे ऊपर से िभी दबाती और िभी खजलाने लगती थी। ऐसा एि बार नहीं िई
बार वह िर रही थी और जब वह अपनी चूत िो खजलाने लगती तब मैं उनिे चेहरे िे भाव दे खिर पागल होने
लगता था। मम्मी अपनी चत
ू िो खजलाते हए ऐसा मस्ती भरा चेहरा बना लेती कि मेरा टदल िरता कि अभी
जािर अपनी मम्मी पायल िे रसीले होंठों िो खब
ू िसिर चस
ू लुँ ।ू

तभी मम्मी एिदम से किचेन से मेरे पास आई और अपना मुँह थोड़ा खोले हए िहने लगी- “राज जरा मेरे मुँह
में दे ख, मेरी जीभ पर बाल लगा हआ है क्या?” और मम्मी जैसे ही मेरे सामने झिी उसिे मोटे -मोटे खूब िसे
हए दि
ू मेरी आुँखों िे सामने झूलने लगे।

मेरा लण्ड परू ी तरह लग


ं ी में तनिर एि बड़ा सा तंबू बनाए हए था, मम्मी ने अपने खूबसरू त चेहरे िो मेरे
सामने झिािर अपनी जीभ जब बाहर ननिालिर टदखाई तो मैं मस्त हो गया। अपनी मम्मी िी रसीली गलाबी
जीभ दे खिर मेरा टदल िरने लगा कि अभी उसिी जीभ िो अपने मुँह में भरिर चस
ू लुँ ,ू । मैंने मम्मी िे गलाबी
गालों िो छूिर उसिे होंठों पर उं गमलयां फेरते हए उसिी जीभ में लगे बाल िो िीरे से पिड़िर ननिाल टदया।

बाल ननिालने िे बाद मम्मी मेरी ओर दे खिर मश्िराते हए अंदर चली गई। जब वह जाने लगी तो कफर से मेरी
नजर मम्मी िी मोटी लचिती गाण्ड पर चली गई, और मैं अपने लण्ड िो लग
ं ी िे ऊपर से सहलाते हए मम्मी
िी उफान लेती जवानी िो दे ख रहा था। मेरा लण्ड आज बहत मस्त खड़ा हआ था और मैं सोच रहा था कि मेरी
खद िी मम्मी इतनी सेक्सी और मस्तानी है, और मेरी नजर िभी उसपर पड़ी क्यों नहीं? अब मझे मम्मी िा

151
नंगा पेट जो उसिी साड़ी से िाफी बाहर था और उसिी गदाज गहरी नामभ साफ नजर आ रही थी, ब्जसिो
दे खिर मस्त हो रहा था।

तभी अचानि बाहर िा दरवाजा खला और संगीता अंदर आ गई और मझे दे खते ही दौड़िर मेरे पास आिर मेरी
जाुँघों पर अपने हाथ िो रखिर िहने लगी- “क्या भैया िहाुँ गायब हो गये थे? आपिे बबना तो अच्छा ही नहीं
लग रहा था…”

मैंने संगीता िो ऊपर से नीचे ति दे खा तो मेरा लण्ड और झटिे मारने लगा। संगीता ने रे ड िलर िी चस्त टी-
शटम पहनी हई थी और उसिे अंदर ब्रा नहीं थी। उसिे मोटे -मोटे पिे हए ठोस आम साफ नजर आ रहे थे, और
उन्हें दे खिर किसी िा भी मन उसिे रसीले आमों िो खूब दबा-दबािर चूसने िा िरने लगे। नीचे संगीता ने
एि स्िटम जो कि जलैि िलर िी थी पहन रखा था, जो कि उसिे घटनों ति आता था।

मैंने अपने हाथ िो संगीता िी पीठ पर फेरते हए उसे सहलाते हए िहा- “मेरी गडड़या रानी िो लगता है िी
अपने भैया िी बहत याद आती है…”

तभी मम्मी उिर से आ गई और मम्मी ने जो िहा उसिो सनिर किसी भी भाई िा लण्ड अपनी बहन िे मलए
खड़ा हो जाए।

पायल- “राज क्यों नहीं याद िरे गी संगीता तझे? आखखरिार, तेरी एि ही तो बहन है , उसे खूब लाड़ प्यार से
रखा िर और उसे खूब प्यार किया िर…”

मम्मी िी बात सनिर मेरा लण्ड झटिे लेने लगा और मैंने संगीता िी िमर में हाथ डालिर उसे खींचिर
अपनी गोद में चढ़ा मलया और उसिे मोटे -मोटे दि
ू ों िो अपने दोनों हाथों िो आगे लेजािर अपने हाथों िी
धगरफ़्त में लेिर संगीता िे गालों िो चम
ू ते हए मम्मी िे सामने ही मैं िहने लगा- “मम्मी तम कफिर मत
िरो। तम नहीं जानती मैं अपनी इस गडड़या रानी िो कितना प्यार िरता हूुँ?” और मैंने मम्मी िे सामने ही
संगीता िे गालों िो खूब िस-िसिर चूम मलया।

संगीता िो अपनी मोटी गाण्ड में शायद मेरे लण्ड िा एहसास हो चिा था, और उसिे चेहरे िा रं ग उड़ गया
था। वह अपनी गाण्ड िो इिर-उिर िरने िी िोमशश िर रही थी, लेकिन मैंने उसे अपनी बाुँहो में िसिर जिड़
रखा था।

तभी मम्मी किचेन में जािर हम लोगों िे मलए चाय ले आई और कफर संगीता मेरी गोद से उतरिर मेरे पास
बैठ गई। संगीता िा चेहरा जब मैंने दे खा तो एिदम लाल था और वह बार-बार िभी मझे और िभी मेरे लग
ं ी
में खड़े लण्ड िो दे खने िी िोमशश िर रही थी।

सामने मम्मी बैठिर मझसे बातें िरने लगी और मैं बीच-बीच में संगीता िे मोटे -मोटे दि
ू दे खिर अपने होंठों
पर गीली जीभ फेरने लगा था।

पायल- बेटे इस सनडे िो िहीं घम


ू ने चला जाय। बहत समय से िहीं दशमन िरने नहीं गये।

152
राज- मम्मी िहाुँ जाने िा मड
ू है आपिा?

पायल- बेटे चल इस बार मशडी िे दशमन िरिे आते हैं।

राज- मम्मी कफर तो हमें शननवार िो रात िो ननिलना होगा। सनडे टदन भर घम
ू ेंगे और सनडे रात ति घर आ
जाएंगे।

पायल- ठीि है जैसा तम्हें जमे, बस तू एि टदन पहले बोल दे ना, तािी मैं तैयारी िर लुँ ।ू

मम्मी िे जाने िे बाद संगीता भी उठिर मम्मी िे पीछे जाने लगी, तो मैंने उसिा हाथ पिड़िर उसे खींचिर
अपनी गोद में बैठा मलया, और उसिे गालों िो चूमते हए िहा- “मेरी प्यारी बहन मझे बहत याद िरती है
क्या?”

संगीता- “आह्ह… भैया छोड़ोना, आप कितना जोर से मझे दबा लेते हो…”

राज- “मेरी गडड़या रानी तू है ही इतनी सद


ं र कि मैं जब भी तझे दे खता हूुँ तो टदल िरता है िी तेरे सारे बदन
िो चूम लुँ …
ू ”

संगीता- हटटए भैया, मझे जाने दीब्जए।

राज- “संगीता अच्छा मेरी बात तो सन…” और कफर मैंने संगीता िो िीरे -िीरे सहलाते हए िहा- “संगीता तन
ू े
िभी गन्ने चूसे हैं?”

संगीता मेरी ओर दे खिर- “नहीं भैया…”

राज- “तेरा मन िभी गन्ना चूसने िा िरता है?”

तभी उिर से मम्मी आ जाती है और बोलती हैं- “बेटे राज, मझे गन्ने बहत पसंद है । सच बेटा मैंने िई सालों
से िोई गन्ना नहीं चूसा है …”

मम्मी िी बात सनिर मैंने मन में सोचा- “मेरी रानी मैं जानता हूुँ तझे खब ू मोटा गन्ना चाटहए। तू कफिर मत
िर, मैं तेरी मस्तानी चूत में ऐसा मस्त गन्ना डालुँ ग
ू ा कि तू ब्जंदगी भर मेरे गन्ने िी दीवानी रहे गी…”

कफर राज ने िहा- “मम्मी जहाुँ मेरी ड्यट


ू ी है, वहाुँ खब
ू मोटे -मोटे गन्ने िे खेत हैं…”

पायल- “बेटे किसी टदन अच्छे मोटे -मोटे गन्ने लेिर आ जा, हम दोनों माुँ बेटटयां यही बैठिर चस
ू लेंगी…”

153
राज- “नहीं मम्मी, ऐसे मजा नहीं आता है । जब ताजे-ताजे गन्ने वहीं तोड़-तोड़िर चूसो, तब ज्यादा मजा आता
है , संगीता तू िहे तो िल तझे गाुँव घमा दे ता हूुँ…”

पायल- पर बेटा वहाुँ तू िाम िरे गा कि संगीता िो मलए मलए कफरे गा?

राज- “नहीं मम्मी। गाुँव वाले मेरी खूब इज़्जज़त िरते हैं, और वहाुँ तो गाुँव िे खेतों में खूब मजा आता है । दे खना
संगीता एि बार वहां गई तो बार-बार जाने िो िहे गी…”

संगीता खशी से उछलते हए- “प्लीज भैया मझे ले चलो ना… मैंने िभी भी गन्ने िे खेत भी नहीं दे खे हैं… प्लीज
मम्मी भैया से िहो ना िल मझे भी घमा लाएं…”

पायल- “ठीि है राज, िल संगीता िो चसवा दे ना गन्ने, मैं कफर िभी चलग
ूं ी…”

राज- “ठीि है मम्मी…” और कफर मम्मी वहाुँ से चली जाती हैं और संगीता मेरी गोद में बैठी रहती है । मैंने दे खा
कि अब संगीता जानबझ
ू िर मेरे लण्ड पर इिर-उिर मचल रही थी।

संगीता- भैया क्या खूब मीठे -मीठे गन्ने है वहाुँ?

राज ने िीरे से संगीता िे गदाज पेट और उसिी िमर िो सहलाते हए िहा- “हाुँ मेरी रानी बहन, एि बार तू
चूसेगी ना तो बार-बार मझसे िहे गी कि भैया एि बार मझे और चूसा दो…”

संगीता- “कफर तो भैया मैं खूब चूसुँग


ू ी…”

राज- लेकिन मेरा मन गन्ने चस


ू ने िा नहीं िरता है ।

संगीता मेरी ओर दे खिर पछ


ू ने लगी- “तो कफर भैया आपिा क्या चूसने िा मन िरता है?”

राज ने संगीता िे मोटे -मोटे दि


ू िो दे खते हए िहा- “मेरी बहन मेरा मन तो मोटे -मोटे आम िो चूसने िा िरता
है …”

मेरी नजरों िो संगीता समझ गई और अपनी नजरें नीचे झिा िर इिर-उिर दे खने लगी। मैंने िीरे से संगीता
िे दोनों मोटे -मोटे दि
ू ों िो उसिी टी-शटम िे ऊपर से हल्िे से पिड़ मलए तो संगीता िी सांसें तेज चलने लगी।
वह मेरी गोद से उठने िी िोमशश िरने लगी, उसिा चेहरा परू ी तरह तमतमाया हआ था और उसिे रसीले होंठ
िांप रहे थे। मैं चाह रहा था कि संगीता िे दि
ू िो खब
ू िसिर मसल दं ,ू लेकिन टहम्मत इसिे आगे हो नहीं
रही थी।

राज ने िीरे से संगीता िे िानों में िहा- “संगीता अपने भैया िी गोद में बहत अच्छा लगता है ना?”

154
संगीता अपना मसर झिाए बैठी थी और मेरी बात सनिर मेरे लण्ड िे ऊपर से उठने लगी। मैंने उसिा हाथ
पिड़ मलया तब उसने पलटिर मझे अपनी िानतल ननगाहों से दे खा और मेरी ओर मश्िरािर िहने लगी- “भैया
मैं अभी आती हूुँ…”

मैंने उसे प्यार से दे खते हए छोड़ टदया और वह अपने रूम में चली गई। मैं बैठे-बैठे अपने लण्ड िो सहला रहा
था और मझे ना जाने क्यों ऐसा लग रहा था िी जैसे संगीता मझसे जल्दी ही अपनी चूत मरवा लेगी। उसिे
हाव-भाव और उसिा बार-बार मेरे पास आना, यह सब दे खिर मझे लग रहा था कि संगीता ब्जतनी नजर आ
रही है , उतनी है नहीं। मेरे ख्याल में वह मेरा लण्ड अपनी चत
ू में लेने िे मलए मचल रही थी।

ऊपर से मम्मी भी किचेन में िई बार अपनी चूत खूब सहलाते और खजलाते हए ऐसी लग रही थी, जैसे खब

चदासी हो और खब
ू तगड़ा लण्ड अपनी चत
ू में लेना चाहती हों।

िछ दे र बाद मैं अपने रूम में आ गया और सोचने लगा िी चलो थोड़ी दे र आराम िरते हैं। शाम िो 6:00 बजे
मैं घम
ू ने ननिल गया।

कफर अगले टदन वापस साइट पर पहुँच गया, आज बरसात जैसा थोड़ा मौसम हो रहा था, और बड़ी मस्त ठं डी
हवाएं चल रही थीं। मैंने सोचा चलो थोड़ी दे र हररया िे पास टाइम पास किया जाए, और मैं उसिे खेतों िी ओर
चल टदया। जब मैं गन्नों िे पीछे पहुँचा तब मझे किसी िे बात िरने िी आवाज आने लगी। मैंने गन्नों िे
पीछे से छपिर दे खा तो सामने हररया खड़ा अपनी िोती में से अपने मोटे लण्ड िो बाहर ननिाले हए सामने
खड़ी सधिया से बातें िर रहा था।

हररया- “दे ख भौजी िैसा डंडे िी तरह तेरी मस्तानी चत


ू में घसने िे मलए मरा जा रहा है …”

सधिया- “बेशमम िहीं िे, अपनी भाभी िो अपना मस


ू ल टदखा रहा है । चल जा यहाुँ से और मझे िाम िरने दे ,
आज वैसे भी सारा टदन मझे अिेले ही िाम िरना है, वहाुँ रामू अलग बीमार पड़ गया है …”

हररया- भौजी मैं तेरा सारा िाम िर दुँ ग


ू ा बस एि बार मझे अपनी रसीली चूत चटा दे ।

सधिया िा चेहरा एिदम लाल हो रहा था और वह अपने घाघरे िो समेटिर चारा िाटने में लग गई। हररया
अपना लण्ड खोले उसिे सामने बैठा हआ था और उसिे घाघरे में से उसिी चूत िो दे खने िी नािाम िोमशश
िर रहा था।

सधिया मंद-मंद मश्िराते हए- “हररया क्यों मेरे पीछे पड़ा है , चल जा यहाुँ से मझे बहत जरूरी िाम है …”

हररया- क्या िाम है पहले बताओ तभी जाऊुँगा।

सधिया थोड़ा शमामते हए अपने चेहरे िो नीचे िरिे- “तू जा यहाुँ से मझे बहत जोरों िी पेशाब लगी है…”

155
हररया एिदम से उछलिर खश होता हआ- “वाह… भौजी क्या बात िहीं है । अब तो मैं तम्हें मत
ू ते दे खे बबना
बबना यहां से िहीं नहीं जाऊुँगा…”

सधिया खड़ी होिर अपनी चूत िो घाघरे िे ऊपर से हररया िी ओर दे खिर मसलती हई- “आह्ह… हररया िमीने
जा यहाुँ से, नहीं तो मैं तेरे मुँह में ही मत
ू दुँ ग
ू ी…”

हररया खश होते हए- “हाय भौजी… मैं तो िब से तेरी बर से मत


ू चाटने िे मलए तड़प रहा हूुँ। अब दे र ना िर
और जल्दी से मेरे मुँह में अपनी मस्त फूली हई चत
ू िर िर बैठ जा…”

उन दोनों िी हरितें दे खिर मेरा लण्ड खड़ा हो चिा था। लेकिन आज मैं बाबाजी िे भेर् में नहीं था और
मसवाय उन दोनों िो दे खने िे िछ नहीं िर सिता था।

उिर मझे हररया से ज्यादा सधिया चदासी लग रही थी, और बार-बार हररया िे मोटे लण्ड िो दे खिर अपनी
चूत िो घाघरे िे ऊपर से मसलते हए हररया से िह रही थी- “दे ख हररया यहाुँ से चला जा, मझसे अब नहीं
सहा जा रहा है मझे पेशाब िर लेने दे …”

हररया- “अरे भौजी तो क्या मैंने तम्हें या तम्हारी चूत िो पिड़ रखा है, जो तम मत
ू नहीं रही हो? चलो अब
जल्दी से घाघरा उठािर अपनी बर फैलािर खूब मोटी िार ननिालिर मत
ू ना शरू िर दो…”

सधिया उसी पत्थर पर एि पैर रखिर खड़ी थी, जहां एि बार ननम्मो मत
ू ने बैठी थी।

हररया सधिया िी मोटी जाुँघों िे पास अपने मुँह िो लगािर चूमते हए- “ओह्ह… भौजी कितनी गदाज और भरी
हई जांघें है तम्हारी अब जल्दी से मत
ू भी दो…”

सधिया- “िमीने तू नहीं मानेगा। ले पी ले अपनी भौजी िा मत


ू …” और सधिया उसी पत्थर पर अपनी मोटी
जाुँघों िो फैलािर जैसे ही बैठती है हररया अपना मुँह आगे िर दे ता है, और सधिया िी फूली हई चूत िो नीचे
झि िर दे खने लगता है । सधिया अपना भोसड़ा फैलाए हररया िे सामने मंद-मंद मश्िराते हए बैठी रहती है।

तभी हररया उसिी चत


ू िो सहलािर िहता है- “भौजी मत
ू ना…”

उसिे इतना िहते ही सधिया अपनी चूत उठािर हररया िे मुँह में एि मोटी िार मारने लगती है, और हररया
एिदम से सधिया िी बर से ननिलती पेशाब िो दे खिर अपना मुँह खब
ू िसिर सधिया िी चत
ू से लगािर
उसिी चत
ू िे भगनाशे िो अपने मुँह में भर लेता है ।

सधिया िा पेशाब एिदम से रुि जाता है और हररया जैसे ही उसिी चूत िे मोटे दाने िो अपनी जीभ में
दबािर चूसता है िी सधिया िी चूत से कफर से पेशाब ननिल जाता है और हररया उसिी चूत िो किसी ित्ते िी
भाुँनत चस
ू ने लगता है । सधिया िा पेशाब कफर से रुि जाता है और हररया उसिी धचिनी मत
ू से भीगी चत
ू िो
किसी पागल ित्ते िी तरह सघ
ूं -सघ
ूं िर चाटने लगता है ।

156
सधिया- “आह्ह… ित्ते मत
ू ने तो दे , कफर बाद में चाट लेना…”

हररया- “भौजी और मत
ू ो, बहत मजा आ रहा है तेरी चत
ू से मत
ू पीने में…” और कफर हररया लंबी-लंबी जीभ
ननिालिर सधिया िी बर िो खूब िसिर दबोचते हए चाटने लगता है ।

सधिया िी चूत एिदम मस्त हो जाती है और सधिया थोड़ा और जोर लगािर छल्ल से एि िार सीिे मारती है
और हररया अपना मुँह खोलिर उसिी पेशाब िो पीते हए सधिया िी चूत िो खब
ू जोर से अपने मुँह में दबािर
चस
ू ने लगता है ।

हररया- “भौजी और मत
ू , थोड़ा जोर से मत
ू , बहत मजा आ रहा है…”

सधिया- “आ ित्ते चाट ले… खूब जोर से चाट ले अपनी भौजी िी चूत…” और सधिया अपनी जाुँघों िो और फैला
दे ती है ।

हररया उसिी चूत िो अपने होंठों में दबाए हए िहता है - “और मत


ू भौजी और मत
ू …”

सधिया- “अरे िमीने पहले मेरी चूत िा दाना तो छोड़, तब तो मैं मत


ू ुँग
ू ी…”

हररया- “नहीं पहले मत


ू , नहीं तो जब ति तेरी चूत से पेशाब नहीं वपलाएगी मैं तेरी चूत नहीं छोड़ूुँगा…”

सधिया- अच्छा वपलाती हूुँ, पहले थोड़ा सा तो मेरी चत


ू िो छोड़ दे ।

हररया उसिी बर िो मह
ुँ में दबाए हए नहीं-नहीं िहता है और सधिया से जब रहा नहीं जाता है तो वह परू ी
ताित लगािर और पेशाब िरने िी िोमशश िरती है , तो उसिी चत
ू से जैसे ही थोड़ा सा पेशाब कफर ननिलता
है , हररया खूब जोर से सधिया िी चूत िो अपने मुँह में भरिर पागलों िी तरह उसिी चत
ू िो चूसने लगता है ,
और सधिया उसिे मसर िो पिड़िर खूब जोर से अपनी चूत से दबा लेती है ।

हररया किसी पागल ित्ते िी तरह सधिया िी परू ी भोसड़ी खोलिर उसिा रस चाटने और चूसने लगता है, और
सधिया अपनी चत
ू खब
ू िस-िसिर हररया िे मुँह पर दबा-दबािर रगड़ने लगती है ।

उन दोनों िी हरितें दे खिर मैं मस्त हो गया था और उन दोनों िो दे खिर मझे भी एि नया अनभव हआ।
और ब्जस तरह हररया सधिया िी चत
ू से पेशाब पी रहा था उसी तरह मेरा टदल िरने लगा कि मैं अपनी मम्मी
पायल िो इसी तरह नंगी िरिे उसिी चूत से खूब पेशाब वपयूुँ और खूब अपनी मम्मी िी चूत चाटूुँ।

सामने सधिया बैठी अपनी चूत चटवा रही थी लेकिन मझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी मम्मी अपनी चूत खोलिर
मझे िह रही हो- “ले बेटा अपनी मम्मी िी चूत से पेशाब पी ले, और खूब जोर-जोर से अपनी मम्मी िी बर
चाट ले…”

157
सधिया- “आह्ह… सीईईई… कितना जोर से िाट रहा है ित्ते, जरा आराम से चाट आह्ह… आह्ह… आह्ह… सीईईई…
ओह्ह… हररया खा जा मेरी चूत िो, पी जा सारा मत
ू …”

हररया- “भौजी और मत
ू ना…”

सधिया- “सीईईई… आह्ह्ह… अरे ित्ते िहाुँ से मत


ू ?
ूं सारा पेशाब तो तू चूस-चूसिर चाट गया, अब मझसे नहीं
मत
ू ा जा रहा है…”

हररया- “बस भौजी एि बार और मत


ू दे । कितना मस्त भोसड़ा है तेरा बस एि बार मझे अपना मत
ू और वपला
दे …” हररया सधिया िी चूत िो इतनी बेरहमी से चाट रहा था िी उसिी चूत परू ी लाल हो गई थी, अब वह मत

नहीं बब्ल्ि चत
ू िा रस छोड़ने लगी थी, और हररया उसिी चत
ू िो अपने मुँह में भर भरिर खब
ू दबोच-दबोच
िर चाट रहा था।

जब सधिया अपने हाथ पीछे टटिािर अपनी चूत उठा-उठािर हररया िे मुँह में मारने लगी तब हररया ने लंबी
सी जीभ ननिालिर सधिया िी चूत िे दाने से लेिर उसिी गाण्ड िे भरू े िसे हए छे द ति चटाई शरू िर दी।

सधिया मससिी- “आह्ह… आह्ह… ओह्ह… हररया चाट और चाट खूब चस


ू , पी जा अपनी भौजी िा मत
ू और चाट,
खूब जोर से चूस आह्ह… अह्ह्ह्ह आह्ह… सीईईई… ओह्ह… हररया अब नहीं रहा जाता रे हाय हाय अब चोद दे
ित्ते, अब चोद दे मझे…”

हररया- “अरे मेरी रं डी भौजी, तू कफिर मत िर, आज टदन भर तझे इन खेतों और गन्नों िे बीच परू ी नंगी ही
रखग
ूुँ ा, और खूब तेरी चूत मारूुँगा…”

हररया िी बात सनिर सधिया एिदम से उठी और हररया िे मोटे लण्ड िो झििर अपने मुँह में भरिर चाटने
लगी। हररया ने भी अपने लण्ड िो उसिे मुँह में अच्छे से दे टदया और सधिया उसिे आंडों िो खूब िस-िसिर
दबोचते हए उसिे लण्ड िे सपाड़े िो चूसने लगी।

हररया उसिे मोटे -मोटे दि


ू िो खूब िस-िसिर मसल रहा था और एि हाथ से सधिया िा घाघरा उसिी गाण्ड
िे ऊपर ति उठािर सधिया िी गदा िो अपनी उं गली से िरे दने लगा।

सधिया िी गाण्ड एिदम मेरे मुँह िी तरफ थी और उसिी फैली हई गोरी गदाज गाण्ड और उसिा बड़ा सा भरू ा
छे द दे खिर मेरा लण्ड झटिे दे ने लगा। सधिया िी मोटी गाण्ड दे खिर मझे अपनी मम्मी िी पैंटी में िसी हई
गदाज मोटी गाण्ड याद आ गई और मैं अपने लण्ड िो सहलाते हए उनिा तमाशा दे खने लगा।

हररया ने सधिया िा जलाउज़ खोलिर उसिे मोटे -मोटे दि


ू िो िभी दबाते हए चस
ू ना और िभी चूसते हए
दबाना शरू िर टदया।

सधिया अपने हाथों में हररया िे गोटे पिड़ पिड़िर दबा रही थी और उनसे खेल रही थी। तभी हररया ने
सधिया िो वहीं जमीन पर लेटा टदया और उसिा घाघरा उठािर उसिी मोटी जाुँघों िो फैलािर चूम मलया।

158
उसिे बाद हररया ने जैसे ही सधिया िी चूत िो कफर से चाटना शरू किया, सधिया एिदम से तड़प उठी और
उठिर हररया िे मोटे लण्ड िो पिड़िर अपनी चूत िे छे द से मभड़ा टदया।

हररया ने बबना िछ िहे िसिर एि िक्िा मारा और उसिा लण्ड सटाि से सधिया िी परू ी चूत िो खोलिर
अंदर जड़ ति समा गया और सधिया ने हररया िो अपनी बाुँहो में दबोचिर उसिे लण्ड िी ओर अपनी चूत िो
खूब जोर से उठा टदया। सधिया िी इस हरित से हररया िा लण्ड परू ी तरह सधिया िी चूत में कफट हो गया
और हररया सधिया िे मोटे -मोटे चच
ू े दबाते हए उसिी चूत िो िस-िसिर ठोंिने लगा।

सधिया खूब गाण्ड उठा-उठािर लण्ड ले रही थी और हररया खूब हमच-हमच िर सधिया िो चोद रहा था।
सधिया िा भारी भरिम बदन परू ी मस्ती में हररया िे बदन से धचपिा हआ था और जब हररया सटासट सधिया
िी चत
ू ठोंिता तो ठप-ठप िी आवाज सधिया िी जाुँघों से आने लगती थी। हररया परू ी ताित से उसिी चत

चोद रहा था और सधिया आह्ह… आह्ह… िरती हई खूब िस-िसिर चूत मरवा रही थी। हररया ने लगभग एि
घंटे ति सधिया िी चूत िो िभी सीिा िरिे, िभी उसिी गाण्ड िी तरफ से खब
ू िस-िसिर ठोंिा और
उसिे बाद सधिया िा पानी ननिल गया।

जब सधिया और हररया अलग-अलग हए तो मैंने सोचा िी अब थोड़ी दे र रुिने िे बाद हररया िे पास जाऊुँगा।
लेकिन हररया िी दस
ू री हरित दे खिर मैं समझ गया कि अभी उसिा पेट उसिी भौजी से भरा नहीं है । हररया
ने सधिया िे खड़े हो जाने िे बाद उसिी गाण्ड िे पीछे से घाघरा उठािर उसिे मोटे -मोटे चूतड़ों िे पाटों िो
फैलािर उसिी गाण्ड िे छे द िो चाटना शरू िर टदया।

सधिया एिदम से उसिे मह


ुँ से अपनी गाण्ड िो हटाते हए- “िमीने अब क्या मेरी गाण्ड भी चाटे गा?”

हररया- भौजी तम्हारी गाण्ड दे खिर तो िोई भी इसे चाटना चाहे गा।

सधिया- “नहीं मैं गाण्ड नहीं मरवाऊुँगी, वैसे भी िल बाबाजी ने मेरी गाण्ड में इतना मोटा लण्ड डालिर मझे
चोदा है कि मेरी गाण्ड अभी भी ददम िर रही है…”

हररया- लेकिन भौजी मझसे यह सब बाबाजी ने ही िहा था।

सधिया हररया िो दे खिर- “क्या िहा था बाबाजी ने?”

हररया- “यही कि चाहे िछ भी हो सधिया िी गाण्ड तम रोज अपने लण्ड से चोदना…”

मैं हररया िी बात सनिर मंद-मंद मश्िराने लगा और सोचने लगा िी साला बड़ा बदमाश आदमी है, यह मेरे
बहत िाम आने वाला है ।

सधिया- क्या बाबाजी ने ऐसा िहा था?

हररया- “हाुँ… क्या तमसे उन्होंने िछ नहीं िहा?”

159
सधिया- “नहीं। पर यह जरूर िहा था कि तू मझे चोदने िे मलए मरा जा रहा है…”

हररया- “हम मजाि नहीं िर रहे हैं भौजी, उन्होंने यह िहा था कि सधिया बेटी िी गाण्ड िो हमने चोदा है, अब
उसपर मसफम उसिे बेटे रामू और मेरा हि रहे गा, और उन्होंने िहा था कि सधिया ब्जतना ज्यादा अपनी गाण्ड
मरवाएगी उतना ही ज्यादा उसिी जवानी और भी ननखर आएगी…”

सधिया- लेकिन हररया गाण्ड मरवाने में बड़ा ददम होता है ।

हररया- “अरे भौजी, वह तो िल जल्दीबाजी में तम्हें ददम हआ था, आज तो मैं ऐसे तरीिे से तेरी गाण्ड मारूुँगा
कि तू दे खना… कफर रोज मझसे अपनी गाण्ड मरवाए बबना नहीं रह पाएगी। तम जानती नहीं हो पहले गाण्ड में
लण्ड जब घसता है तो थोड़ा ददम होता है, उसिे बाद जब औरतों िी गाण्ड िा साइज फैलिर लण्ड िे बराबर हो
जाता है , तब औरतों िो खब
ू मजा आता है, और उनिा टदल िरता है कि उनिी गाण्ड िो खूब रगड़-रगड़िर
चोदा जाए…”

सधिया मश्िराते हए- “तो तू अब क्या िरने वाला है?”

हररया जल्दी से झोपड़ी में जािर तेल ले आया और उसने तेल सधिया िे हाथों पर डालिर उसिे हाथ में अपना
मोटा लण्ड थमा टदया और सधिया उसिे लण्ड पर तेल लगाने लगी। सधिया जैस-े जैसे हररया िे लण्ड पर तेल
लगा-लगािर मसल रही थी वैसे-वैसे हररया िा लण्ड और भी मोटा और िाला नजर आने लगा था। कफर हररया
ने सधिया िो घोड़ी िी तरह खड़ी होने िो िहा और सधिया जब अपनी मोटी गाण्ड झिा िर खड़ी हई तब
हररया ने उसिी िोमल गदा िो सहलाते हए उसमें उं गली से तेल भरने लगा। हररया सधिया िी गदा िो खब

फैला-फैलािर उसमें तेल डाल रहा था। कफर हररया ने दो उं गमलयां तेल में डबोिर सधिया िी िसी हई गाण्ड में
उतारना शरू िर टदया।

सधिया मससिी- “आह्ह… सीईईई… सीईईई… ओह्ह… हररया…”

हररया उसिी गाण्ड में दोनों उं गमलयों िो अंदर-बाहर िरता हआ िहने लगा- क्यों भौजी अच्छा लग रहा है ना?

सधिया- “आऽऽ सीईईई… आह्ह… अच्छा तो लग रहा है, लेकिन तू मेरी चूत िो भी सहलाता जा। दे ख मेरी चत

से कफर से पानी बहने लगा है । तू ब्जतना मेरी गाण्ड में उं गली गहराई ति पेलता है मेरी चूत से उतना ही पानी
आने लगता है । यह ऊपर वाला भी क्या है होंठों िा िनेक्सन चत
ू से, चच
ू ों िा िनेक्सन चत
ू से, गाण्ड िे छे द
िा िनेक्सन चूत से, आह्ह… हर चीज िा िनेक्सन ले दे िर चूत से िर टदया है…”

हररया- “अरे भौजी औरत िे हर अंग िा िनेक्सन चत


ू से होता है , तभी तो औरत िे बदन िे किसी भी टहस्से
िो सहलाओ तो औरत िी चूत से पानी आ जाता है…”

सधिया- अब कितनी दे र ति मेरी गाण्ड धचिनाएगा? अब चल जल्दी से पेल दे अपना गन्ने जैसा मोटा लण्ड।

160
उसिी बात सनिर हररया ने अच्छे से अपने लण्ड िे टोपे िो सधिया िी गदा पे सेट किया और कफर उसिी
गदाज मोटी गाण्ड िो सहलाते हए अपना एि हाथ झिी हई सधिया िे पेट िी ओर लेजािर उसिे गदाज उठे
हये पेट िो दबोचते हए सधिया िी चत
ू िो अपनी मट्ठी में भींचिर िसिर अपने लण्ड िो सधिया िी गदा में
जैसे ही दबाया, लण्ड िा सपाड़ा कफसल िर सधिया िी चूत में एिदम से उतर गया।

सधिया धचल्लाई- “आह्ह… मर गई रे ित्ते… िहाुँ डालने िा िहता है और िहां लण्ड डाल रहा है ?”

हररया िा लण्ड सट से सधिया िी चत


ू में जड़ ति समा गया और उसने अपने लण्ड िो वापस बाहर ननिाल
मलया। उसिा लण्ड सधिया िी चूत िे पानी से परू ा गीला हो गया था। उसने दस
ू री बार कफर से सधिया िी गदा
िो थोड़ा अपने हाथों से फैलािर उसिी गदा में अपने लण्ड िे सपाड़े िो लगािर इस बार पहले िीरे से दबाया
और जैसे ही उसिे सपाड़े ने सधिया िी गदा िो थोड़ा फैलाया, हररया ने अपने हाथ िो नीचे लेजािर सधिया
िी चूत िो िसिर अपने हाथों में दबोचते हए िसिर एि िक्िा उसिी गदा में मार टदया और उसिा आिे से
ज्यादा लण्ड सधिया िी गाण्ड में किसी डंडे िी भाुँनत फुँस गया।

सधिया िे मुँह से- “हाय मर गई रे … आआह्ह… ओह्ह… हररया मादरचोद फाड़ दी मेरी गाण्ड आओह्ह… सीईईई…
आह्ह… आह्ह…”

हररया बबना उसिी बातों में ध्यान टदए हए सधिया िी गाण्ड िो पिड़िर एि दस
ू रा िक्िा मार दे ता है और
उसिा मोटा लण्ड सधिया िी गाण्ड में जड़ ति समा जाता है ।

सधिया िा बदन अिड़ जाता है , और वह जोर से- “हाय माुँ मर गई रे आह्ह… आह्ह… सीईई ओह्ह… हररया मार
डाला रे तन
ू े मझे…”

हररया ने िहा- “बस भौजी अब तो परू ा घस गया। अब तो बस तम्हें अपनी गाण्ड मरवाने िा मजा ही मजा
ममलेगा…” और कफर हररया ने अपनी दो उं गली सधिया िी चूत में डालिर उसिी गाण्ड में अपने लण्ड िो
ठोंिना शरू िर टदया।

हररया खूब तबीयत से सधिया िी गाण्ड मार रहा था और सधिया खूब जोर-जोर से मसमसया रही थी और उसिे
मुँह से खब
ू मससकियां छूट रही थीं। हररया उसिी गदाज गाण्ड िो खब
ू जोर-जोर से ठोंि रहा था और उसिी
बर िी फांिों िो खूब सहला रहा था।

उनिी चदाई दे खिर मैं समझ गया कि आज हररया परू ा टदन खेत में मस्ती मारने वाला है , और उसे दे खिर
लग रहा था कि वह आज सधिया िो टदन भर चोदे गा। मैंने टाइम दे खा और कफर मैंने सोचा िी क्यों िबाब में
हड्डी बनूं? और मैं वापस तालाब िी तरफ आ गया और साइट पर मजदरू ों िो इन्स्रक्सन दे ने लगा।

उस टदन हररया से मलािात भी नहीं हई और शाम िो मैं घर चला गया। जब घर पहुँचा तो मझे याद आया िी
िल शननवार है और मैंने मम्मी िो िह टदया कि हम लोग गाड़ी िरिे मशडी चलते हैं। मम्मी और संगीता खश
हो गईं और अगले टदन मैं यह िहिर साइट पर चला गया कि मैं शाम िो 5:00 बजे ति आ जाऊुँगा और
कफर हम लोग 7:00 बजे ति यहाुँ से चल दें गे तो सबह-सबह वहाुँ पहुँच जाएगे।

161
मैं साइट पर पहुँच गया और िाम लगाना शरू िर टदया। तभी मझे सामने से हररया आता हआ नजर आया।
मैंने िहा- “आओ हररया, क्या बात है एि दो टदन से नजर नहीं आ रहे हो…”

हररया- “बाबज
ू ी हम तो टदन रात आपिो याद िरते हैं और आपिे एहसान तले दबे जा रहे हैं, बाबज
ू ी अगर
आप हमारी ब्जंदगी में ना आते तो शायद हम सधिया भौजी िो िभी चोद ही नहीं पाते और ऐसे ही मर जाते…”

राज- “अरे मरें तम्हारे दश्मन… यह िोई एहसान नहीं था, आखखरिार तम मेरे दोस्त हो और दोस्ती िे मलए यह
सब तो िरना ही पड़ता है…”

हररया- बाबज
ू ी िभी हमारी िहीं जरूरत हो तो बताओ, हम भी अपनी दोस्ती ननभायेंगे।

राज मश्िराते हए- “अरे हररया ब्जस टदन तम्हारी जरूरत हई तो तम्हें याद िरूुँगा और मझे लगता है जल्दी ही
तम्हारी जरूरत पड़ेगी…”

हररया- क्या िछ नई प्लाननंग है बाबज


ू ी?

राज- हाुँ प्लाननंग तो है । पर पहले घी सीिी उं गली से ननिालेंगे और अगर नहीं ननिला तो टे ढ़ी िरें गे।

हररया- साफ-साफ बताइए बाबज


ू ी क्या बात है?

राज- “हररया अब तमसे क्या छपाऊुँ? पर िल से मेरा मन अपनी बहन संगीता और मम्मी पायल िो चोदने िा
बहत िर रहा है …”

हररया- तो बाबज
ू ी आपने क्या सोचा है?

राज- “हररया अभी मैं एि दो टदन िे मलए बाहर जा रहा हूुँ। उसिे बाद मैं संगीता िो लेिर यहां खेतों में घमाने
लाऊुँगा, और मैं चाहता हूुँ कि मैं संगीता िो यही छोड़िर घम
ू ने िा बहाना िरिे चला जाऊुँ और तम संगीता िे
सामने ब्जसे भी चोद सिो चोदो, सधिया िो या चन्दा िो, बस इतना िरना है कि संगीता तम्हें चोदते हए दे ख
ले। उसिे बाद मैं संगीता िो यहीं गन्नों िे बीच परू ी नंगी िरिे चोदना चाहता हूुँ…”

हररया- बाबज
ू ी आप बस इशारा िर दे ना बािी मैं सब संभाल लुँ ग
ू ा।

राज- ठीि है । और सनाओ िल क्या किया तमने टदन भर?

हररया- “िल तो बाबज


ू ी हमने जी भरिर सधिया िी चूत और गाण्ड चोदी है । िल तो रं डी िो परू ी मस्त िरिे
अपने साथ ही घर ले गये थे। और तो और जब जाते वक़्त उसने हमसे िहा कि उसे कफर से पेशाब लगी है तो
आप मनोगे नहीं बाबज
ू ी हम रास्ते पर ही लेट गये और सधिया िो अपने मुँह पर बैठािर उससे खूब अपने मुँह
में मत
ू वाया है , खूब चूस-चूसिर उसिा मत
ू वपया है । हमें बड़ा मजा आया बाबज
ू ी…”

162
राज- “क्या बात है? मतलब तमने सधिया िो टदनभर चोद-चोदिर उसिा मत
ू वपया है …”

हररया- “अरे बाबज


ू ी, उसिी गाण्ड भी हमने इस िदर चोदी है कि रं डी रात भर मेरे लण्ड िे झटिे अपनी गाण्ड
और चत
ू में महसस
ू िरती रही होगी। इसमलए आज ना वह आई और ना ही रामू आया। दरअसल रामू िी
तबीयत खराब है, पर िल शायद वह भी खेतों में आए…”

मैं हररया से ववदा लेिर घर चला गया। कफर एि स्िावपमओ किराए से लेिर हम लोग मशडी िी ओर रवाना हो
गये। ड्राइवर गाड़ी चला रहा था और मैं, संगीता और मम्मी तीनों पीछे िी सीट पर बैठे थे। संगीता मेरे और
मम्मी िे बीच में बैठी थी और गाड़ी अपनी रफ़्तार से चली जा रही थी। रात िो 11:00 बजने िो आ चिे थे
और मम्मी सामने रोड पर दे ख रही थी, और संगीता िो मैं गौर से दे ख रहा था जो शायद नींद िी वजह से
झपकियां लेने लगी थी। गाड़ी में मिर संगीत बज रहा था और मैंने हमारी सीट िे ऊपर िी लाइट आफ िर दी
और मम्मी ने भी अपने मसर िो सीट से टटिािर आुँखें बंद िर ली।

अब गाड़ी में अंिेरा लगने लगा था और संगीता अपने मसर िो मेरे िंिे से टटिाए हए सोने लगी थी। संगीता िी
गरम सांसों िी खश्बू ने मेरे लण्ड िो खड़ा िर टदया था, और मैंने भी अपने मसर िो थोड़ा झिा िर संगीता िे
चेहरे िे पास िर मलया था। संगीता जब सांस छोड़ती तो उसिी सांसें सीिे मेरे चेहरे पर पड़ रही थी। मैंने िीरे
से अपना हाथ संगीता िी मोटी गदाज जाुँघों िे ऊपर रख मलया और हल्िे-हल्िे उसिी मोटी मखमली जाुँघों िो
दबाने लगा।

मम्मी जाग रही थी या सो रही थी पता नहीं, पर मझे उनिी आुँखें नजर नहीं आ रही थीं। मैं बहत गरम हो
चिा था और संगीता िे बदन से सटा हआ था। संगीता िी रे ड िलर िी टी-शटम से उसिे मोटे -मोटे िसे हए
ठोस दि
ू ों िा उभार मझे पागल किए जा रहा था। कफर मझसे रहा नहीं गया और मैंने अपने मुँह से संगीता िे
गालों िो चम
ू ते हए अपना एि हाथ संगीता िे गले में डालिर जब मैंने उसिे एि मोटे चच
ू े िो अपने हाथ में
भरिर हल्िे से दबाया तो क्या बताऊुँ मैं तो मस्त हो गया।

मेरे द्वारा संगीता िे चच


ू े दबाने से भी उसने िोई प्रनतकिया नहीं िी तो मझे लगा कि वह गहरी नींद में सो
चिी है । कफर मैंने संगीता िे परू े दि
ू ों िा जायजा लेते हए उसिी मोटाई िो महसस
ू किया। उसिे मोटे गदाज
भरे हए दि
ू िो मैंने अपने हाथों में परू ा समाते हए उसे हल्िे-हल्िे दबाना शरू िर टदया और अपने होंठों से
िभी संगीता िे गालों िो चूमता, िभी उसिे रसीले होंठों िो चूमने लगा।

दस
ू रे हाथ िो जब मैंने सनीता िी जाुँघों पर फेरा तो घटने िे जरा सा ऊपर ति उसिी जलैि िलर िी स्िटम
चढ़ी हई थी। मैंने िीरे से संगीता िी स्िटम िो थोड़ा और ऊपर िरिे उसिी मोटी मांसल जाुँघों िो अपने हाथों
में दबोच मलया और खूब गोरी-गोरी जाुँघों िो सहलाने लगा। मैं एि हाथ से संगीता िे मोटे -मोटे दि
ू उसिी
पतली सी टी-शटम िे ऊपर से मसल रहा था और दस
ू रे हाथ से उसिी गदाज जाुँघों िो सहला रहा था।

मेरा लण्ड परू ी ताित लगाए मेरे पैंट िो फाड़ने िी िोमशश िर रहा था। मैंने िीरे से संगीता िी जाुँघों िो थोड़ा
सा खोलिर फैला टदया और कफर िीरे से उसिी मोटी जाुँघों िो सहलाते हए उसिी फूली हई पैंटी में िसी चूत
ति ले जाने लगा। मैंने जैसे ही संगीता िी पैंटी िे ऊपर से उसिी फूली हई चूत िो सहलाया, तो मैं मस्त हो

163
गया। लगता है संगीता ने दो-तीन टदन पहले ही अपनी झांटें बनाई थी, ब्जसिे िारण उसिे बाल मझे पैंटी िे
ऊपर से भी हल्िे-हल्िे चभ रहे थे।

अब मैं संगीता िी फूली हई चूत िो अपनी हथेली में भरिर दबाते हए उसिे मोटे -मोटे दि
ू िो मसल रहा था।
कफर मेरी उत्तेजना िे साथ ही मेरे हाथ िा दबाव भी संगीता िे मोटे -मोटे चूचों और उसिी फूली हई चूत पर
बढ़ने लगा था, और अब मैं िाफी ताित से संगीता िे चूचे और चूत मसल रहा था। संगीता सो रही थी या नहीं
यह तो मैं नहीं जानता, लेकिन जब मैंने संगीता िी मोटी जाुँघों िो और भी फैलािर उसिी परू ी फूली हई चत

िो अपनी हथेली में भरिर दबोचा तो मझे उसिी पैंटी में गीलेपन िा एहसास हआ और मझे लगा शायद
संगीता जाग रही है ।

मैंने संगीता िे चच
ू ों िो खब
ू िस-िसिर मसलना शरू िर टदया। मैं यह सोचिर और भी ज्यादा उत्तेब्जत हो
गया कि संगीता शायद जाग रही है । अब मैं संगीता िी चूत िो पागलों िी तरह खूब दबा-दबािर सहला रहा था
और उसिे दोनों दि
ू ों िो बारी-बारी से मसल रहा था।

तभी मादरचोद ड्राइवर ने गाड़ी एि ढाबे िे पास जािर रोि दी और मझसे िहने लगा- “भैया जी चाय पीना हो
तो आ जाओ…”

मैंने मन में िहा- “मादरचोद तू पी ले…” भोसड़ी वाले ने सारा मजा किरकिरा िर टदया था।

ड्राइवर िी बात सनिर मम्मी भी उठ गई और िहने लगी- “राज बेटे मेरे मलए भी एि चाय ले आना…”

मैं उतरिर चाय लेने चला गया, पर संगीता अभी भी आुँखें बंद किए हए सो रही थी।

िरीब 10 ममनट बाद हम कफर चल टदए और मैंने जब लाइट बंद िरने िा सोचा, इससे पहले ही मम्मी ने
लाइट आफ िरने िो िहा, और मैंने लाइट आफ िर दी। अब मैंने िीरे से कफर से संगीता िे चूचों िो जैसे ही
छआ तो संगीता िे मुँह से एि गहरी सांस ननिल पड़ी। मैंने उसिे होंठों िो चूमते हए उसिी चूत पर जैसे ही
हाथ रखा तो मैंने दे खा उसिी जांघें पहले से ही खूब फैली हई थीं, और इस बार मैं परू ी तरह खलिर उसिी
गदाज फूली चूत िो उसिी पैंटी िे ऊपर से सहला रहा था।

संगीता िी परू ी पैंटी गीली हो चिी थी और अब मझसे रहा नहीं जा रहा था और मैंने उसिे मोटे -मोटे चच
ू े
दबाते हए उसिी पैंटी िो एि साइड िीरे से हटािर जब संगीता िी धचिनी फूली हई चूत िो सहलाया तो
संगीता ने अपनी जाुँघों िो और भी चौड़ा िर मलया, और एिदम से मझसे सट गई।

मैंने संगीता िे होंठों िो अपने मुँह में भरिर चूसना शरू िर टदया और उसिे मोटे -मोटे दि
ू ों िो खूब िस-
िसिर मसलने लगा। संगीता िी चूत िी फांिों िो सहलाते हए मैं िीरे -िीरे उसिी चूत िे दाने िो सहला रहा
था और उसिी चूत िे छे द िो अपनी उं गली से ऊपर ही ऊपर रगड़ रहा था। मैं जानता था कि अगर मैंने उं गली
उसिी चत
ू में घसाने िी िोमशश िी तो िहीं उसिे मह
ुँ से आवाज ना ननिल जाए। रात िो 3:00 बजे हम
औरं गाबाद पहुँच गये।

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तभी अचानि मम्मी ने मझे िीरे से आवाज दी- “बेटे राज…”

राज- हाुँ मम्मी।

पायल- “बेटा िहीं गाड़ी रुिवा ना, मझे बाथरूम जाना है …“

मैंने मम्मी िी बात सनिर ड्राइवर िो एि ढाबे िे पास गाड़ी रोिने िो िहा और उससे िह टदया िी जाओ
चाय पी लो। उसिे बाद मम्मी िो मैंने इिर-उिर दे खिर एि तरफ जािर मत
ू ने िा इशारा िर टदया। तब
मम्मी अपनी गाण्ड िी दरार में फुँसी साड़ी िो ननिालते हए मेरे सामने अपने भारी चूतड़ों िो मटिाते हए
मत
ू ने चल दी।

मैंने दे खा ड्राइवर ढाबे िे अंदर चला गया है और गाड़ी जहाुँ खड़ी थी उसिे ववपरीत टदशा में मम्मी जा रही थी।
मम्मी ब्जिर जा रही थी उिर एि दो पेड़ थे। मैंने भी मत
ू ने िे बहाने उन पेड़ों िे पीछे खड़ा होिर अपने लण्ड
िो बाहर ननिाल मलया और मम्मी िो छपिर दे खते हए अपने लण्ड िो सहलाने लगा। मेरा लण्ड बाहर आते ही
मस्ती में खड़ा हो चिा था। मझे मम्मी साफ टदखाई दे रही थी।

तभी मम्मी ने एि बार इिर-उिर दे खा और अपनी मोटी गाण्ड से साड़ी उठािर कफर इिर-उिर दे खते हए
अपनी पैंटी भी नीचे सरिा दी। मैं मम्मी िी नंगी भारी गाण्ड दे खिर मस्त हो गया। जैसे ही मम्मी नीचे बैठी
उसिी गाण्ड परू ी खलिर मेरे सामने आ गई और मैं उसिी गदराई गोरी गाण्ड दे खिर मस्त होने लगा। सच
िहूं तो मम्मी िी मोटी गाण्ड सधिया िी गदाज गाण्ड से िई गना ज्यादा भारी और चोदने लायि लग रही थी।
िछ दे र ति मत ू ने िे बाद मम्मी उठी और अपनी पैंटी चढ़ािर अपनी साड़ी नीचे िरिे वापस आने लगी।

मम्मी िो वापस आता दे खिर मैंने जल्दी से अपना लण्ड अंदर किया और गाड़ी में आिर बैठ गया।

मैंने जब गाड़ी में संगीता िो नहीं पाया तो मैं ढाबे में दे खने लगा, जहाुँ वह चाय िी चब्स्िया ले रही थी। मैं
मंद-मंद मश्िराते हए उसिे पास गया और मैंने पछ
ू ा- “खल गई मेडम आपिी नींद? आप तो बड़ी गहरी नींद
सोती हो, िोई उठािर बाहर भी फेंि दे ता तो पता नहीं चलता…”

संगीता मश्िराते हए- “भैया आप तो जानते हैं सफर में मझे कितनी नींद आती है …”

राज- “अच्छा ठीि है । जल्दी से चाय खतम िरो…”

और कफर एि चाय मम्मी िो वपलाने िे बाद मम्मी ने मझसे िहा- “राज संगीता िो भी बाथरूम लगी है, जा
जरा उसे बता दे कििर जाना है ?”

मैं मम्मी िी बात सनिर संगीता िी ओर दे खने लगा तो वह मंद-मंद मश्िराते हए इिर-उिर दे खने लगी। मैंने
उसे इशारे से अपने साथ आने िो िहा, कफर सामने वाला पेड़ टदखािर िहा- “जाओ और वहाुँ जािर िर लो…"

संगीता- भैया आप यहीं रहना, मझे डर लग रहा है ।

165
राज- अरे इतना क्यों डर रही है तू जािर िर ले, मैं तेरे पीछे ही खड़ा हूुँ…”

उसिे बाद संगीता उस पेड़ िे पीछे जािर अपनी स्िटम उठािर अपनी पैंटी नीचे सरिा िर मत
ू ने लगी और
उसिे मत
ू ने िी आवाज मझे साफ सनाई दे रही थी। िछ दे र बाद संगीता आ गई और हम गाड़ी में बैठिर चल
टदए। इस बार मम्मी बीच में बैठ गई थी और संगीता उनिी दस
ू री तरफ बैठी थी।

अब मैं मम्मी से सटिर बैठा था, और मम्मी िे बदन से उठती हई खश्बू ने मेरे लण्ड िो कफर से खड़ा होने िे
मलए मजबरू िर टदया था। मैं समझ गया था कि मम्मी िो अगर चोदने िो ममल जाए तो साली मस्त िर
दे गी। उसिी भारी भरिम गदाज जवानी ने मझे पागल िर रखा था, और मैं टहम्मत िरिे मम्मी िी मोटी
जाुँघों पर अपने हाथ िो रखिर उनिी जाुँघों िी मोटाई और गदाज मलायम एहसास िो महसस
ू िरिे मस्त हो
रहा था।

िरीब 5:00 बजे िे लगभग हम लोग मशडी पहुँच गये, और कफर उस टदन हम लोग दशमन िरने िे बाद खूब
घम
ू े कफरे , और शाम िो 4:00 बजे वापस चल टदए। इस बार ना मम्मी सोई और ना ही संगीता िो सोने िा
मौिा ममला, और हम लोग रास्ते भर बातें िरते हए घर पहुँच गये।

अगले टदन सबह से ही संगीता मेरे आस-पास मंडरा रही थी और मैं समझ गया था कि मेरी रं डी बहन िी चत

खूब पानी छोड़ रही है । मैंने दे खा िी मम्मी किों िो छू मलया और संगीता मेरे सीने से धचपिते हए गहरी सांसें
लेने लगी।

संगीता- “भैया आज मझे भी अपने साथ घमाने ले चलो ना…”

राज- अरे बेबी, मैं वहाुँ घम


ू ने थोड़े ही जाता हूुँ जो तू िह रही है , मैं वहाुँ िाम िरने जाता हूुँ।

संगीता- भैया आपने ही िहा था कि तझे गन्ने चसाने ले जाऊुँगा और अब मना िर रहे हो।

राज- अच्छा जा मम्मी से पछ


ू ले, यटद मम्मी हाुँ िह दे गी तो ले चलुँ ग
ू ा।

संगीता मेरी गोद से उठी और दौड़िर किचेन में चली गई और मम्मी से िहने लगी- “आज मझे भी भैया िे
साथ गाुँव घम
ू ने जाना है …”

पायल- अरे पागल तू क्या िरे गी, वहाुँ गाुँव में बोर हो जाएगी।

संगीता मुँह बनािर- “मैं िछ नहीं जानती। मझे तो बस भैया िे साथ जाना है…”

पायल- ठीि है जा, लेकिन अपने भैया िो परे शान मत िरना।

166
संगीता खशी से मम्मी िा मुँह चूम लेती है और कफर मेरे सीने से आिर मलपटते हए िहती है - “भैया अब तो
मम्मी ने भी हाुँ िह टदया है , अब तो मझे ले चलोगे ना?”

राज ने संगीता िे होंठों िो एिदम से गहराई से चूम मलया और संगीता राज से धचपि गई। राज ने िहा- “एि
शतम पर तझे ले जाऊुँगा…”

संगीता- वो क्या?

राज- वहाुँ मैं तझसे जो िहूुँगा, वह तझे िरना पड़ेगा।

संगीता मश्िराते हए- “भैया आप मझे नहीं भी ले जाते तो भी आप जो िहते, मैं वह जरूर िरती। आखखरिार,
अपने भैया िी बात िैसे टाल सिती हूुँ?

राज ने संगीता िी चूधचयों िो अपने दोनों हाथों से हल्िे से दबाते हए िहा- “मेरी गडड़या रानी िो बड़ा ख्याल है
अपने भैया िा। अब तो मझे अपनी बहन िो आज ले जाना ही पड़ेगा, और खूब मस्त गन्ने चसवाने पड़ेंगे।
बोल चस
ू ेगी अपने भैया िा गन्ना?”

संगीता इठलाते हए- “मैं तो िब से यही चाहती हूुँ भैया, लेकिन आपिो मेरा ख्याल ही िहाुँ रहता है ?”

मैंने संगीता िी गदाज जवानी िो सहलाते हए उससे िहा- “मेरी रानी आज मैं तेरी सारी मशिायत दरू िर दुँ ग
ू ा,
और तू एिदम मस्त हो जाएगी…”

िछ दे र बाद मैं और संगीता तैयार हो गये, और कफर अपनी बाइि पर संगीता िो बैठािर मैं हररया और रामू
िे गाुँव िी ओर चल टदया। मैं बाइि बड़े आराम से चला रहा था और संगीता मेरे पीछे मझसे सटिर बैठी थी।
संगीता ने जीन्स और टी-शटम पहना हआ था, और अपनी टाुँगें बाइि िे दोनों तरफ िरिे मेरी िमर पिड़िर
मझसे परू ी तरह सटी हई थी। जब िोई ब्रेिर आता तो संगीता मझसे और भी सट जाती, और मेरा लण्ड खड़ा
हो चिा था।

िछ ही दे र में हम साइट पर पहुँच गये और मैंने मजदरू ों िो िाम पर लगाने िे बाद पैदल संगीता िा हाथ
पिड़िर उसे तालाब िे आसपास घमाने लगा, और गाुँव िा नजारा टदखाने लगा। संगीता िाफी खश लग रही
थी, और अपनी मोटी गाण्ड मटिाते हए मेरे आगे-आगे चल रही थी।

मैं थोड़ा उसिे बराबर में पहुँचिर िीरे से उसिी मोटी गाण्ड पर हाथ मारते हए उससे पछ
ू ने लगा- “संगीता िैसा
लगा तमिो गाुँव िा माहौल?”

संगीता- “अच्छा लग रहा है। भैया यहां तो पेड़ िी छाुँव में बैठिर ठं डी हवा लेने िा मजा ही िछ और है …”

राज- चल तझे गाुँव िे गन्ने चसवाता हूुँ। बड़े मीठे गन्ने हैं यहां िे।

167
संगीता और मैं पैदल घम
ू ते हए हररया िे खेत िी ओर चल दे ते हैं िछ दे र बाद हम दोनों हररया िे खेत में
पहुँच जाते हैं, और हमें वहाुँ चन्दा ममल जाती है ।

राज- अरे चन्दा तम्हारा बाबा हररया िहाुँ है?

चन्दा- “बाबज
ू ी वह सधिया चाची िे खेत िी ओर गये हैं और हमें िह गये हैं िी जब ति हम ना आएं तम
िहीं नहीं जाना…”

राज- “अच्छा… चन्दा दे खो यह संगीता है और संगीता यह चन्दा है । तम दोनों बातें िरो, मैं हररया िे पास से
आता हूुँ…” उसिे बाद मैं वहाुँ से चला गया और संगीता चन्दा से बातें िरने लगी।

जब मैं रामू िे खेतों िी ओर पहुँचा तो सधिया बैठी-बैठी घास िाट रही थी और हररया उसिे सामने बैठा हआ
अपने लण्ड िो िोती िे ऊपर से मसल रहा था। मैंने दरू से हररया िो आवाज दी, और वह दौड़िर मेरी तरफ
आ गया।

राज- “अरे माफ िरना हररया मैंने तम्हें डडस्टबम किया। लेकिन मैं अपनी बहन संगीता िो लेिर आया हूुँ, और
िछ दे र िे मलए मैं उसे यहीं छोड़िर साइट पर जा रहा हूुँ। तब ति तम उसे थोड़ा गरम िरने िी िोमशश
िरो। उसिी चूत से पानी बहने लगना चाटहए, तािी बाद में मझे उसे चोदने में िोई टदक्ित ना हो…”

हररया- “आप कफिर ना िरो बाबज


ू ी, बस आप हम पर छोड़ दो…”

उसिे बाद मैं वहाुँ से चला गया और हररया सधिया से यह िहिर चला गया कि वह अभी आता है । हररया जब
अपने खेत में गया तो संगीता और चन्दा उसे दे खिर खड़ी हो गईं।

हररया- “अरे बैठो संगीता बैठो। हम जानते हैं िी तम हमारे बाबज


ू ी िी प्यारी सी बहन हो ना… आपिे भैया
आपिे बारे में हमसे बहत बातें िरते हैं, वह आपिो बहत प्यार िरते हैं…”

संगीता- अच्छा और क्या िहते हैं भैया मेरे बारे में ?

हररया- “वो सब हम आपिो बताएगे संगीता, लेकिन पहले िछ पानी वगैरह तो पी लो। चन्दा जा संगीता बहन
िे मलए पानी लेिर आ…”

और कफर चन्दा पानी लेिर आ जाती है । हररया झोपड़ी में जाता है और चन्दा िो इशारे से बलािर उसिे िान
में िछ समझािर बाहर आ जाता है ।

हररया- “अरे चन्दा मैं जरा रामू भैया िे खेतों में िाम से जा रहा हूुँ। तू संगीता बहन िो गन्ने िे खेतों में
घमािर उन्हें अच्छे मीठे -मीठे गन्ने चस
ू ने िो दे दे , तब ति मैं आता हूुँ…” िहिर हररया वहाुँ से चला गया।

168
चन्दा संगीता िे पास आिर- “चलो दीदी मैं आपिो मस्त गन्ने चसवाऊुँगी। आपिो दे खिर लगता नहीं है कि
िभी आपने गन्ने चूसे हैं…”

संगीता- गन्ने तो नहीं चूसे चन्दा, लेकिन हाुँ गन्ने िा रस जरूर वपया है ।

चन्दा जोर से हुँसते हए- “अरे दीदी जब ति गन्ना चस


ू ोगी नहीं, रस िहाुँ से ननिलेगा?”

सांगीता- अरे पगली, रस गन्ने िो मशीन में डालिर ननिाला जाता है ।

चन्दा मश्िराते हए- “िौन सी मशीन? ऊपर वाली या नीचे वाली या कफर पीछे वाली?”

संगीता उसे गौर से दे खिर- “मैं तम्हारा मतलब नहीं समझी…”

चन्दा- दीदी िभी तमने गन्ना दे खा है?

संगीता- अरे पागल वो सामने लगे तो हैं।

चन्दा मश्िराते हए- “अरे दीदी, मैं उस गन्ने िी बात नहीं िर रही हूुँ। मैं तो उस गन्ने िी बात िर रही हूुँ जो
मदों िे आगे झूलता रहता है …”

चन्दा िी बातें सनिर संगीता एिदम से चौि जाती है और उसे गौर से दे खती हई, मश्िरािर- “तू बहत
बदमाश है चन्दा, िैसी बातें िरती है?”

चन्दा- “दीदी हमारे गाुँव में तो गन्ना उसी हधथयार िो िहते हैं, जो मेरे बाबा और तम्हारे भैया िे पास है , और
उसी गन्ने िो हम गाुँव िी औरतें खूब िसिर चूसती हैं…”

संगीता उसे आश्चयम से दे खती हई- “क्या तमने वह गन्ना चूसा है?”

चन्दा- “हाुँ खब
ू जी भरिर, और मैं तो उसे अपने नीचे भी खब
ू लेती हूुँ…”

संगीता- क्या तेरी शादी हो गई है ?

चन्दा- अरे दीदी अभी शादी िहाुँ हई है , अभी तो मैं बहत छोटी हूुँ।

संगीता- तो क्या बबना शादी िे ही तू सब िर चिी है ?

चन्दा- हाुँ। मैं तो रोज ही चदवाती हूुँ।

संगीता अपने गले िा थूि गटिते हए- “क्या तू रोज चदवाती है, लेकिन किससे?”

169
चन्दा- अपने बाबा से और किससे?

संगीता- क्या बिती है? भला िोई अपने बाबा से भी चदवाता है?

चन्दा- लो िर लो बात। हमें तो हमारे बाबा रोज परू ी नंगी िरिे खूब िस-िसिर चोदते हैं।

संगीता उसे आश्चयम से दे खती हई- “क्या बात िह रही है चन्दा?”

चन्दा- “िसम से दीदी, मैं भला आपसे बेिार में झठ


ू क्यों बोलुँ ग
ू ी? सच दीदी चूत मरवाने में बड़ा मजा आता है ।
क्या आपिा मन नहीं िरता अच्छे मोटे -मोटे लण्ड से चदने िा?”

संगीता- िरता तो है, पर क्या िरूुँ?

चन्दा- अपने भैया िो क्यों नहीं फुँसा लेती हो, मस्त ठिाई िरें गे वह तम्हारी चत
ू िी।

संगीता- नहीं-नहीं मझसे यह सब नहीं होगा, तू अपना आइडडया अपने पास रख।

चन्दा- अच्छा दीदी िभी तमने किसी िो चदाई िरते दे खा है?

संगीता- नहीं रे … भला मैं किसे दे ख सिती हूुँ?

चन्दा- आपिा मन िरता है चदाई िरते हए दे खने िा?

संगीता- िरता तो है, लेकिन उससे क्या होगा?

चन्दा- आप िहें तो मैं आपिो मस्त चदाई िरते हए टदखा सिती हूुँ।

संगीता- वह िैसे?

चन्दा- मेरे बाबा हैं ना… वो अभी मेरी चाची सधिया िो चोदने ही तो गये हैं।

संगीता- क्या बात िह रही है ?

चन्दा- “तम चलो मैं तम्हें आज मस्त चदाई टदखाती हूुँ…” और कफर चन्दा संगीता िा हाथ पिड़िर रामू िे
गन्नों िे खेत िी ओर ले गई जहाुँ हररया सधिया िे सामने बैठा बातें िर रहा था।

हररया बार-बार सधिया िो अपने लण्ड िा टोपा खोल-खोलिर टदखा रहा था और सधिया अपने िाम में लगी
हई मंद-मंद मश्िरा रही थी। संगीता और चन्दा दोनों िी ननगाहें हररया और सधिया पर लगी हई थी।

170
हररया- “एि बार इिर दे ख तो भौजी, दे ख िैसे पहाड़ी आलू िी तरह फूला हआ है मेरा गलाबी सपाड़ा…”

सधिया एि नजर हररया िे लौड़े पर मारिर उसे िंिे पर मारती हई मश्िरािर- “चल िमीने सबह से तझे बस
एि ही चीज नजर आती है और िोई िाम नहीं है क्या तेरे पास?”

संगीता- “तू तो िह रही थी िी तेरा बाबा सधिया िो चोदने गया है, पर सधिया तो उसे भगा रही है…”

चन्दा- अरे तम चपचाप दे खती जाओ।

हररया- “भौजी थोड़ा घाघरा ऊपर िरिे बैठा िरो, हमें िछ भी नजर नहीं आ रहा है …” और हररया सधिया िे
आगे धगरे घाघरे िो उठािर उसिी जाुँघों ति चढ़ा दे ता है और सधिया उसिो मश्िरािर दे खती हई उसी िे
सामने अपनी चूत िो खोलिर खजलाते हए वापस घास िाटने लगती है ।

सधिया अपने माथे िा पशीना पोंछते हए- “हाय राम ऐसी गमी में िैसे िाम किया जाए, बड़ी प्यास लग आई
है …” और कफर सधिया उठिर पानी पीने लगती है । उसिे मुँह से पानी धगरता हआ उसिी आगे से परू ी चोली
गीला िर दे ता है और सधिया िे मोटे -मोटे दि
ू परू े भीगे नजर आने लगते हैं। थोड़ा पानी सधिया िे पेट और
नामभ से नीचे धगरने लगता है ।

हररया सधिया िे पेट और उसिी गहरी नामभ िो एिदम से चाट लेता है ।

सधिया उसिा मुँह दरू ििेलते हए- “अरे िमीने बोलता क्यों नहीं क्या चाटहए तझे? सबह से ित्ते िी तरह मेरी
गाण्ड िे पीछे लगा हआ है , ना जाने िहां से सघ
ूं ता हआ मेरे पीछे -पीछे आ जाता है …”

हररया- भौजी बस एि बार वपला दे ।

सधिया- क्या वपला दुँ ?


हररया- “अपना मत
ू वपला दे भौजी, तेरी मत
ू ती हई चत
ू चाटने िा मजा ही िछ और है…”

संगीता- “चन्दा तेरा बाबा कितना गंदा है, दे ख सधिया चाची से क्या िह रहा है ?”

चन्दा- “अरे दीदी, तम नहीं जानती इन मदों िो औरत िा मत


ू पीने में कितना मजा आता है ? एि बार अगर
तम अपने भैया से िह दो ना कि भैया मेरा पेशाब चाट लो, तो तम्हारे भैया पागल हो जाएंगे और तम्हारी परू ी
चूत चाट जाएंग,े तम िभी दे खना। जब तम भैया से िहोगी कि तम्हें पेशाब लगी है तब दे खना तम्हारे भैया िा
लण्ड जरूर खड़ा हो जाता होगा…”

हररया- “भौजी तझे बाबाजी िी िसम अगर तू मझे अभी िे अभी अपना मत
ू ना वपलाए तो…”

171
सधिया- “ित्ते िहीं िे उन महान बाबाजी िी िसम दे ता है ?” और कफर सधिया वहीं खड़ी-खड़ी अपना घाघरा
उठािर हररया िो अपनी फूली हई चूत टदखाते हए- “ले हरामी ले पी मेरा मत
ू … चाट ले जी भर िे…”

सधिया िा इतना िहना था कि हररया घटनों िे बल सधिया िी चूत िे आगे मह


ुँ लगािर बैठ गया और
सधिया ने थोड़ा सा अपनी चूत िो और ऊपर उठािर हररया िे मुँह से लगािर छल्ल से खड़े-खड़े हररया िे मुँह
में अपनी पेशाब िी मोटी िार मारनी शरू िर दी।

हररया िे मुँह में जैसे ही सधिया िा मत


ू पड़ा हररया ने अपना हाथ पीछे लेजािर सधिया िी गदाज मोटी गाण्ड
िो अपने हाथों में दबोचिर उसिी फूली हई चूत से अपना मुँह िस िे मभड़ा टदया और पागल ित्ते िी तरह
सधिया िी चूत िो चाटने लगा।

हररया ने जैसे ही सधिया िी चूत िो अपने मुँह में भर मलया, सधिया िा मत


ू एिदम से रुि गया और सधिया
अपने हाथों से अपने मोटे -मोटे दि
ू दबाती हई िहने लगी- “चाट ित्ते, पी ले अपनी भौजी िी चूत से मत
ू …”

हररया- “रुि क्यों गई और मत


ू मेरे मुँह में , अपनी चूत रगड़-रगड़िर मत
ू साली रं डी, आज मैं तेरी चत
ू िा सारा
रस पी जाऊुँगा…”

सधिया ने अपनी चूत में ताित लगािर कफर से थोड़ा सा पेशाब हररया िे मुँह में किया और हररया कफर से
सधिया िी चूत िो खूब िस-िसिर अपने होंठों से पीने लगा। उसने सधिया िे भगनाशे िो अपने होंठों िे बीच
दबािर िसिर चूसना चालू िर टदया, और सधिया खड़ी-खड़ी अपनी चूत उठा-उठािर हररया िे मुँह पर मारने
लगी। हररया अपने दोनों हाथों से सधिया िी चत
ू िो फैला-फैलािर अपनी लंबी जीभ ननिालिर सधिया िी चत

िो चाट रहा था।

उिर संगीता वह नजारा दे खिर एिदम सन्न रह गई थी और उसिी चत


ू िे पानी से पैंटी परू ी गीली हो गई
थी।

चन्दा- क्या हआ दीदी अच्छा लग रहा है ना?

संगीता- चन्दा क्या तेरे बाबा तेरे साथ भी ऐसा ही िरते हैं?

चन्दा- “हाुँ दीदी। बाबा खूब चूत चाटना पसंद िरते हैं। लेकिन तम्हारे भैया तो मेरे बाबा से भी ज्यादा चूत
चाटना पसंद िरते हैं…”

संगीता- क्या मेरे भैया ने तेरी भी चूत ऐसे ही चाटी थी?

चन्दा- “हाुँ दीदी… और वह जब मेरे मोटे -मोटे दि


ू दबा-दबािर मेरी चूत चाट रहे थे तो बड़ा मजा आ रहा था।
लाओ मैं तम्हारे दि
ू दबाती जाती हूुँ और तम सामने िा नजारा दे खो, तम्हें बहत अच्छा लगेगा…”

172
उसिे बाद चन्दा ने जैसे ही संगीता िे मोटे -मोटे दि
ू ों िो उसिी पतली सी टी-शटम िे ऊपर से दबाया संगीता
वहीं गन्नों िे बीच अपनी गाण्ड टटिािर बैठ गई और अपने ऊपर िे ब्जश्म िा वजन चन्दा िे ऊपर दे टदया।

चन्दा उसिे मोटे -मोटे दि


ू ों िो बड़े प्यार से सहलाती हई िहने लगी- “अब दे खना दीदी, बाबा िैसे रगड़-रगड़िर
अपने मोटे लण्ड से सधिया चाची िी चूत और गाण्ड मारें गे…”

हररया लगातार सधिया िी चूत उसे खड़ी िरिे चाट रहा था और सधिया उसिे मसर िो अपनी चूत में दबाती
हई आह्ह… आह्ह… िरती हई िह रही थी- “चाट और चाट हरामी, चोद अपनी भौजी िो, खब
ू िस-िसिर पी
उसिी चत
ू िा रस…” हररया ने सधिया िी फांिों िो खूब चौड़ा िरिे उसिे छे द में अपनी जीभ डालिर उसिा
रस चूसना शरू िर टदया और सधिया ने हररया िे मह
ुँ में चूत िा सारा पानी छोड़ टदया और एिदम से जमीन
पर बैठिर हररया िी िोती से उसिे लण्ड िो बाहर ननिालिर उसिे टोपे िो चाटने लगी।

संगीता ने जब हररया िा मोटा तना हआ लण्ड दे खा ब्जसे सधिया बड़े प्यार से चाट रही थी। तब संगीता ने
चन्दा से िहा- “हाय चन्दा तेरे बाबा िा लण्ड कितना बड़ा है ? इतना मोटा लण्ड तेरी चूत में िैसे घसता होगा?”

चन्दा ने तरं त अपनी छोटी सी फ्रांि ऊपर िरिे संगीता िो अपनी चत


ू िो थोड़ा फैलािर अपनी चत
ू िा छे द
िो टदखाते हए िहा- “दे खो दीदी यह छे द, जब बाबा िा लण्ड घसता है तो यह अपने आप और भी फैलिर बड़ा
हो जाता है । अब तो मैं अपने बाबा िा परू ा लण्ड इसमें भर लेती हूुँ…”

संगीता- पर चन्दा मेरी चूत तो तेरी चूत से बड़ी है पर उसिा छे द बहत छोटा है ।

चन्दा- “दीदी अभी ति आपिी चूत में िोई मस्त लण्ड घसा नहीं है ना इसमलए। एि बार आप अपने भैया िा
लण्ड इसमें डलवा लो, कफर दे खना आप अपने भैया से रोज चदे बबना नहीं रह पाओगी। दे खो दीदी जरा मेरी चूत
में अपनी तीन उं गमलयां एि साथ डालिर दे खो…”

चन्दा िे िहने पर संगीता ने उसिी चूत में अपनी तीन उं गमलयां डाली और उसिी तीनों उं गमलयां चन्दा िी चूत
में घस गईं। चन्दा ने भी संगीता िी जीन्स िे ऊपर से उसिी चूत िो िसिर दबोच मलया और संगीता आह्ह…
िरते हए चन्दा से मलपट गई। चन्दा एिदम एक्सपटम थी उसने संगीता िी टी-शटम िो ऊपर उठािर उसिे पिे
हए आमों िो बाहर खींचिर िस-िसिर उसिे मोटे -मोटे पिे आमों िो मसलना शरू िर टदया।

संगीता चन्दा िी चूत िो िरे दते हए हररया िे मोटे लण्ड िो दे ख रही थी, ब्जसे सधिया बड़े प्यार से चूस रही
थी। हररया थोड़ा झिा हआ सधिया िे मोटे -मोटे दि
ू िो खब
ू जोर-जोर से मसल रहा था। िछ दे र बाद हररया ने
सधिया िो घोड़ी बनािर उसिा घाघरा पीछे से उठािर उसिे नंगे चूतड़ों पर िसिर थप्पड़ मारते हए उसिी
गदा में उं गली डालिर उसिी गदा िो खूब फैलािर चाटने लगा और साथ ही साथ सधिया िी चूत िी फांिों िो
खोलिर उसिे छे द िो अपनी जीभ से सहलाने लगा। सधिया अपनी गाण्ड खूब मटिाने लगी।

कफर हररया सधिया िी गाण्ड में िस-िसिर तमाचे मारता हआ- “ले मादरचोद… बहत मोटी गाण्ड है तेरी, आज
तेरी गाण्ड और चूत मार-मारिर फाड़ दुँ ग
ू ा…”

173
सधिया अपनी मोटी गाण्ड टहलािर िहती है- “अरे हररया ित्ते भौंिता ही रहे गा या मेरी चूत में अपना मस
ू ल
लण्ड भी डालेगा…”

हररया- “अरे मेरी रं डी सधिया भौजी, ले संभाल मेरे मस


ू ल िो…” और कफर हररया ने एि िरारा िक्िा सधिया
िी चूत में मार टदया और उसिा परू ा लण्ड सधिया िी धचिनी चूत िो चीरता हआ अंदर ति जािर िुँस गया
और सधिया िे मुँह से एि मससिी ननिल गई। हररया अब सधिया िी गाण्ड दबा-दबािर उसिी चूत में अपना
लण्ड खूब रगड़-रगड़िर पेलने लगा और सधिया अपने मोटे -मोटे चूतड़ हररया िे लण्ड पर मारने लगी।

उिर संगीता िे मोटे -मोटे चूचे दबा-दबािर चन्दा ने उसे पागल िर टदया था और अपनी आुँखों िे सामने पहली
बार किसी गदराई औरत िी चूत किसी मोटे लण्ड से ठिते दे खिर संगीता िी चत
ू खूब धचिना गई थी। िछ
समय बाद जब हररया सधिया िो चोद चिा, तब चन्दा संगीता िो चपचाप वापस अपने झोपड़ी िे पास ले आई
और कफर खाट पर बैठिर संगीता िे मोटे -मोटे दि
ू िो दबाती हई- “क्यों दीदी मजा आया कि नहीं?”

संगीता मश्िराते हए- “बहत मजा आया चन्दा। लेकिन अब मझे बहत जोरों िी पेशाब लगी है…”

चन्दा संगीता िे चच
ू े मसलते हए- “पहले यह बताओ कि तम्हारा मन अपनी चत
ू में अपने भैया िा लण्ड लेने
िा िर रहा है कि नहीं?”

संगीता- “आह्ह… थोड़ा िीरे दबा चन्दा, मेरा मन तो बहत िर रहा है चदने िा लेकिन मेरी ऐसी किश्मत िहाुँ?”

चन्दा िसिर संगीता िे चच


ू े दबाती हई- “अरे दीदी जब भी तम्हारे भैया तम्हें अपने गले लगाते हैं ना, तब तम
अपने मोटे -मोटे दि
ू ों िो खब
ू िसिर उनिे सीने से दबाया िरो। कफर दे खना तम्हारे इन मोटे -मोटे आमों िे
मलायम और ठोस उभार से तम्हारे भैया िा मस्त लौड़ा कितनी जल्दी खड़ा होता है …”

संगीता- “पर क्या पता चन्दा मेरे भैया मझे चोदना चाहते है कि नहीं?”

चन्दा संगीता िी जाुँघों िो फैलािर उसिे जीन्स िे ऊपर से उसिी चूत िो दबािर दे खती हई- “अरे दीदी, तम
एि बार िहो तो कि तम्हें अपने भैया िे लण्ड से चदना है कफर मैं तम्हें आसान तरीिा बता दे ती हूुँ…”

संगीता- “बता दे ना… पर पहले मझे यह बता िी मैं पेशाब िहाुँ िरूं? मझे बहत जोर से मत
ू आ रहा है…”

चन्दा- “दीदी अभी अपनी चत


ू िो अपनी मोटी जाुँघों िे बीच िसिर दबािर बैठी रहो, जब ति तम्हारे भैया
नहीं आ जाते। जब वह आ जाएं तो उनसे िीरे से शमामने िा नाटि िरती हई िहना- ‘भैया मझे बहत जोर से
पेशाब लगी है’। कफर दे खना तम्हारी बात सनते ही तम्हारे भैया िो तम्हारी फूली हई चूत टदखने लगेगी और
उनिा लण्ड खड़ा हो जाएगा। कफर वह तम्हें िहीं एि तरफ मत
ू ने िे मलए ले जाएंगे, तब तम जानबझ
ू िर ऐसी
जगह मत
ू ना जहां से तम्हारे भैया आराम से तम्हारे मोटे -मोटे नंगे चूतड़ों और तम्हारी गाण्ड िी दरार दे ख सिें।
उसिे बाद तम खब
ू दे र ति मत
ू ना और जब मत
ू आना बंद हो जाए तब अपनी चत
ू िो वहीं बैठी-बैठी रगड़-
रगड़िर खूब लाल िर लेना। जब तम्हें ज्यादा दे र हो जाएगी तब भैया िहें ग-े क्या हआ संगीता हो गया क्या?

174
तब कफर तम वही िरना जो मैं तम्हें बता रही हूुँ…” और कफर संगीता िो चन्दा ने िछ और भी टटप्स टदए और
कफर उसे एि गन्ना लािर चूसने िो दे टदया।

संगीता गन्ना चूसते हए- “अरे चन्दा, भैया ना जाने िब आएंगे तब ति क्या मैं अपना पेशाब रोिे बैठे रहूंगी?”

चन्दा हुँसते हए- “दीदी अब अपने भाई िा मोटा लौड़ा जो अपनी चूत में डलवाना हो तो थोड़े समय तो अपना
पेशाब रोि िर रखना ही होगा। पर हाुँ यह जरूर ध्यान रखना कि अपनी पैंटी में ही मत मत
ू दे ना…”

संगीता हुँसते हए- “तू बहत चदक्िड़ और नछनाल है साली, टदखती कितनी भोली और शरीफ है, लेकिन अपने
बाबा िा लण्ड भी बड़े प्यार से खा जाती है…”

चन्दा- “सबसे ज्यादा चटोरा तो तम्हारा भैया है, जो गाुँव िी सारी औरतों िी चूत चाटता कफरता है और कफर भी
उसिा पेट नहीं भरा तो आज वह तम्हें भी यहाुँ ले आया…”

संगीता- क्या मतलब है तेरा?

चन्दा- “यही कि तम जानती हो तम्हारे भैया तम्हें यहाुँ क्यों लाए हैं?”

संगीता- हाुँ, गन्ने चसवाने िे मलए।

चन्दा जोर से हुँसते हए- “हाुँ वो तो है, पर तम यह नहीं जानती कि तम्हारे भैया तम्हें यहाुँ चोदने िे मलए लाए
हैं, और वो जो सामने आम िा बगीचा टदखाई दे रहा है ना उिर ज्यादातर िोई नहीं जाता है , और तम अपने
भैया िो िहना कि तम्हें वह बगीचा घम
ू ना है । कफर वहाुँ जािर तम िहना तम्हें पेशाब लगी है और कफर दे खना
तम्हारे भैया तम्हें उसी बगीचे में खब
ू रगड़-रगड़िर चोदे न्गे…”

संगीता- “मझे यिीन नहीं होता कि मेरे भैया इतने चदक्िड़ हैं। क्या वह सचमच मझे चोदने िे मलए यहाुँ लाए
हैं?”

चन्दा- “िसम से दीदी, आज बड़ा अच्छा मौिा है । उस बगीचे में जािर अपने भैया से अपनी चत
ू मरवा लो।
सच वह तम्हें इतनी तबीयत से चोदें गे कि तम मस्त हो जाओगी…”

और कफर चन्दा ने संगीता िे चच


ू े िो िसिर मसलते हए िहा- “तब ति दीदी अपना पेशाब रोि िे रखना,
जब तमसे सहा ना जाए और मत
ू िी बद
ूं ें तम्हारी चत
ू िे दाने से ररस-ररसिर बाहर आने लगें , तब अपने भैया
िो अपनी चूत खड़ी-खड़ी ऐसे चटाना जैसे सधिया चाची चटा रही थी, और िीरे -िीरे रुि-रुि िर अपने भैया िे
मुँह में मत
ू ती जाना, तािी तम्हारे भैया तम्हारा मत
ू तम्हारी चूत से चाट-चाटिर पीते जाएं…”

संगीता- “आह्ह… बस िर चन्दा नहीं तो मेरी चत


ू िी नशें फट जाएंगी, कितनी चदासी बातें िरती है त…
ू दो घंटे
में तन
ू े मेरा क्या हाल िर टदया है?”

175
चन्दा हुँसते हए- “अरे दीदी, मैंने तो मसफम िढ़ाई में पानी और शक्िर डालिर बस गरम आुँच दी है , अभी
असली चासनी तो तम्हारे भैया बनाएंगे तब दे खना तम्हें कितनी मस्ती चढ़ती है। आज जब तम रात िो घर
पहुँचोगी तो तम्हारा रोम-रोम मीठे -मीठे ददम िे मारे तम्हारे सारे बदन िो तड़पाएगा। जब मदम लोग औरतों िो
परू ी नंगी िरिे तबीयत से ठोंिते हैं तब औरत बबल्िल मस्त हो जाती है …”

चन्दा और संगीता बातें िर रही थी तब हररया भी वहाुँ आ गया और कफर चन्दा ने पछ


ू ा- “बाबा बाबज
ू ी िब ति
आएंग?
े संगीता दीदी बोर हो रही हैं…”

हररया- “अच्छा हम अभी उन्हें बलािर लाते हैं…” और कफर हररया वहाुँ से तालाब िी ओर चल टदया।

इन सबिे बीच चन्दा ने संगीता िो परू े गाुँव में िौन किससे अपनी चत
ू मरवाता है , िौन किसिी बहन चोदता
है , और िौन अपनी माुँ िो रात भर नंगी िरिे चोदता है । वह सारे किस्से संगीता िो सना-सनािर उसिी चूत
से इतना पानी बहाया कि उसिी पैंटी िे बाद उसिी जीन्स िा भी वह टहस्सा गीला हो गया, जहाुँ संगीता िी
मस्त फूली हई चूत दबी हई थी।

संगीता चदाई िी बातों से ही बहत गरम हो चिी थी, ऊपर से चन्दा ने उसे ररश्ते में होने वाली चदाई िे बारे में
जब सारी बातें बताई तो संगीता से सहन िरना मब्श्िल हो गया और वह अपने भैया िे लण्ड से खूब जोर-जोर
से चदने िे मलए तड़पने लगी।

उिर हररया मेरे पास आिर िहने लगा- “बाबज


ू ी चमलए संगीता आपिो याद िर रही है …”

राज- क्या हआ हररया िछ बात बनी कि नहीं?

हररया- “अरे बाबज


ू ी आपिी बहन तो बस अब लण्ड िे मसवाय िछ सोच ही नहीं रही है । उसिी चत
ू खब
ू पननया
गई है , और वह आपिे लण्ड िो लेने िे मलए तड़प रही है …”

राज- “अच्छा… लगता है तम बाप बेटी ने ममलिर उसे खूब गरम िर टदया है , लेकिन हररया अब उसे िहाुँ
लेजािर चोदुँ ग
ू ा?”

हररया- बाबज
ू ी सामने वाले आम िे बगीचे में उसे घमा लाओ, वहाुँ िोई आता जाता भी नहीं है । बस वहीं अपनी
बहन िो तबीयत से चोद लेना।

राज- “हाुँ यह ठीि रहे गा। चलो चलते हैं…” उसिे बाद राज हररया िे साथ वापस उसिे खेत में आ गया।

संगीता राज िो दे खिर मश्िरािर खड़ी हो गई, लेकिन उसिा चेहरा िाफी लाल नजर आ रहा था।

राज- क्या हआ गडड़या रानी बोर हो गई क्या?

संगीता- नहीं भैया, ऐसी बात नहीं है । यह चन्दा बड़ी अच्छी बातें िरती है ।

176
राज- “अच्छा चल हम लोग थोड़ा बहत और घम
ू ते हैं कफर घर चलते हैं…” उसिे बाद राज संगीता िा हाथ
पिड़िर गाुँव िी पगडंडी पर चलने लगा।

संगीता बबल्िल शांत थी और राज उसे गाुँव िे बारे में बताता हआ उसिे गले में हाथ डाले चला जा रहा था।
बीच-बीच में राज संगीता िे भारी चूतड़ों िो उसिी जीन्स िे ऊपर से सहला दे ता था। तब संगीता राज और भी
सट जाती थी। जब दोनों बगीचे में पहुँचे तब संगीता िी चल िछ िीमी गई।

राज- क्या हआ िछ परे शानी है क्या? तू िछ बोल भी नहीं रही है ?

संगीता शमामिर अपना मसर नीचे िरते हए िहने लगी- “भैया मझे बहत जोर से पेशाब लगी है…”

राज- अच्छा जा वहाुँ सामने जािर िर ले, तब ति मैं तेरे मलए पिे हए आम तोड़ता हूुँ।

संगीता िीरे से आगे बढ़ गई और एि पेड़ िे पीछे खड़ी होिर जीन्स खोलने लगी।

राज चोर नजरों से संगीता बिो दे ख रहा था और वह भी राज िो चपिे से दे खने िी िोमशश िर रही थी। वह
बड़े आराम से अपनी जीन्स िो नीचे सरिा िर िछ दे र खड़ी रही। राज िो उसिी गदाज मोटी गाण्ड जलैि पैंटी
में िसी हई नजर आ रही थी, लेकिन वो ऐसे टदखा रहा था जैसे उसे नहीं दे ख रहा हो। संगीता िी चूत खूब
फूल चिी थी। तभी वह बड़े मस्ती भरे अंदाज में अपनी पैंटी नीचे सरिा िर जैसे ही बैठी उसिी गाण्ड िी दरार
एि पल िे मलए राज िो नजर आ गई। कफर उसिे मोटे -मोटे चत
ू ड़ फैलिर खल गये और संगीता िी मोटी
गाण्ड राज िो नजर आने लगी। राज िा लण्ड परू ी तरह खड़ा हो चिा था।

उिर संगीता िा प्रेसर भी ज्यादा था और वह बैठी-बैठी मत


ू े जा रही थी। राज उसिी चत
ू से ननिलती मोटी िार
िो दे ख तो नहीं पाया, लेकिन उसिी आुँखों िे सामने उसिी बहन िी गलाबी रसीली चूत िा नजारा जरूर आ
गया और राज िल्पना में डूब गया कि संगीता िी चत
ू से िैसे पेशाब िी िार ननिल रही होगी? और उसिी
चूत िा गलाबी छे द िैसे भीगा हआ लसलसा रहा होगा?

राज- क्या हआ संगीता हो गया क्या?

संगीता एिदम से खड़ी होिर िहने लगी- “बस भैया आ गई…” उसिे बाद भी संगीता वहीं खड़ी जीन्स चढ़ािर
ना जाने क्या िरने लगी।

थोड़ी दे र बाद राज ने कफर उससे पछ


ू ा- “क्या हआ गडड़या कितना टाइम लगाती हो?”

संगीता- अरे भैया यह जीन्स िी चैन बंद नहीं हो रही है ।

राज- लाओ इिर मैं लगा दे ता हूुँ।

177
संगीता जीन्स िो िमर से पिड़े हए राज िी तरफ आने लगी। उसिी िमर से लेिर घटनों ति िा एररया
इतना भरा हआ नजर आ रहा था कि राज तो उसिी मोटी जाुँघों िो छूने िे मलए तड़पने लगा। संगीता राज
सामने आिर खड़ी हो गई उसिे चेहरे िे भाव बता रहे थे कि वह शरारती मड
ू में लग रही है , और वह मंद-मंद
मश्िरा भी रही थी।

राज- “इिर आओ मैं लगाता हूुँ…”

और कफर राज ने उसिे सामने बैठिर सबसे पहले अपने दोनों हाथों से उसिी मोटी जाुँघों िो पिड़िर सहलाते
हए अपने हाथ िो पीछे लेजािर उसिे भारी चूतड़ों िो पिड़िर अपनी ओर खींच मलया। उसिे बाद राजने
उसिी जीन्स िी चैन िो दे खा तो ऐसा लग रहा था जैसे संगीता ने जानबझ
ू िर चैन िी िैप िो तोड़ टदया हो।
राज उसिी चैन िे िैप िो पिड़ने िी िोमशश िर रहा था और जैसे ही उसने एि उं गली से चैन िे अंदर वाले
टहस्से िो पिड़ना चाहा तो राज िी उं गली संगीता िी जलैि पैंटी में फूली हई चत
ू से टच हो गई और संगीता िे
मुँह से आह्ह… िी आवाज ननिल पड़ी।

राज ने जब ऊपर दे खा तो संगीता अपनी आुँखें बंद किए हए अपना मसर ऊपर उठाए हए थी और उसिा चेहरा
ऐसा लग रहा था जैसे खड़े-खड़े लण्ड लेने िो तैयार हो। जब राज िी उं गली उसिी चत
ू से छू गई तो रा िो भी
बड़ा मजा आया।

और इस बार राज जानबझ


ू िर उसिी फूली हई चूत िो सहलाते हए उसिी चैन लगाने िा नाटि िरने लगा।
उसिी चत
ू िा फूला हआ गदाज भाग बहत मस्त लग रहा था। तभी राज उसिी पैंटी िे ऊपर से उसिी चत
ू िो
अपनी हथेली में थामते हए उसिी चैन ऊपर खींचने लगा, ब्जससे राज िे हाथ िा दबाव संगीता िी फूली हई
चूत पर पड़ा और वह आह्ह… भैया सीई िरिे एिदम से तड़प उठी।

राज- क्या हआ संगीता क्या चेन चभ गई?

संगीता- नहीं भैया मैं ठीि हूुँ, क्या नहीं बंद हो रही है?

राज- “अरे इस चैन िी िैप टूट गई है इसमलए यह ऊपर नहीं चढ़ रही है एि िाम िरता हूुँ इसे दांतों से
खींचिर ऊपर चढ़ाने िी िोमशश िरता हूुँ…”

उसिे बाद मैंने संगीता िी जीन्स िो और भी खोल टदया और मझे नहीं पता िी संगीता मेरी तरफ दे ख रही थी
या अपनी आुँखें बंद िरिे खड़ी थी। मैंने उसिी जीन्स िो फैलािर जब उसिी जलैि पैंटी में िसी हई गदाज
फूली चूत िो दे खा तो मझसे नहीं रहा गया और मैंने अपने मुँह िो उसिी मस्त फूली चूत पर पैंटी िे ऊपर से
दबा टदया और संगीता आह्ह… िरिे एिदम से मसमसयाने लगी और उसिे पैर खड़े-खड़े िाुँपने लगे। मैं चैन तो
नहीं खींच रहा था, बस अपने मुँह से संगीता िी पैंटी िे ऊपर से उसिी गदाज बर िो खूब दबा रहा था, और
संगीता परू ी मस्ती में खड़ी मजा लट
ू रही थी।

राज- “संगीता तम ठीि से खड़ी रहना, मैं चैन िो दांतों में फुँसािर ऊपर खींचता हूुँ। तम संभल िर खड़ी रहना
थोड़ा िक्िा भी लग सिता है …” उसिे बाद मैंने संगीता िी चैन िो दांतों से पिड़ने िा नाटि िरते हए अपनी

178
जीभ से संगीता िी चूत िो उसिी पैंटी िे ऊपर से चाट मलया और उसिी बर िो अपनी नाि लगािर िसिर
सुँघ
ू ा तो क्या बताऊुँ? मैं तो एिदम मस्त हो गया। मैं मनमाने तरीिे से िभी संगीता िी मोटी गाण्ड िो
दबािर उसिी चत
ू िो अपने मुँह से दबाने लगता और िभी उसिी चत
ू िो अपनी हथेली में भरिर दबोच लेता।
संगीता खड़ी-खड़ी पानी छोड़ रही थी और मैं अपनी जवान िुँ वारी बहन िी मस्त चूत और गाण्ड िा मजा
सहला-सहलािर ले रहा था।

िछ दे र मजा लेने िे बाद जब मझे लगा कि अब संगीता खूब चदासी हो चिी है, तब मैंने संगीता से िहा-
“संगीता यह तो ऐसे बंद नहीं होगी…”

संगीता- “कफर क्या िरें भैया? मैं घर िैसे जाऊुँगी? सब लोग दे खग


े े और हुँसग
ें …
े ”

राज- एि िाम हो सिता है लेकिन उसिे मलए तझे अपनी जीन्स उतारनी पड़ेगी।

संगीता- लेकिन भैया जीन्स उतार िे िैसे बनेगी?

राज- “जीन्स उतारिर तेरी चैन िो दांतों से थोड़ा ऊपर खींचना पड़ेगा, तािी वह जहाुँ फुँसी है वहाुँ से थोड़ा ऊपर
आ गई तो आसानी से लग जाएगी। अभी तू पहनिर खड़ी है इसमलए परू ी ताित लग नहीं पा रही है । चल
जल्दी से जीन्स उतारिर मझे दे दे । मैं अभी लगा दे ता हूुँ…”

संगीता िछ शमामने िा नाटि िरते हए िहने लगी- “पर भैया आपिे सामने मैं िैसे अपनी जीन्स उतारूुँ?”

राज- “अरे पागल है जो अपने भैया िे सामने शमाम रही है । अभी एि दो साल पहले ति तो मैं तझे िई बार
परू ी नंगी िरिे नहला दे ता था, याद नहीं है क्या तझे? अब थोड़ी बड़ी क्या हो गई अपने भैया से ही शमाम रही
है । चल जल्दी से जीन्स उतारिर दे दे …”

संगीता मेरी बातें सनिर एिदम लाल हो गई थी और कफर अपनी जीन्स उसने जैसे ही नीचे िी, हाय क्या
बताऊुँ… उसिी गदाज गोरी-गोरी मोटी-मोटी जांघें और उसिे ऊपर िाली पैंटी में िसी उसिी मस्त फूली हई चूत
दे खिर तो मैं पागल हो गया। मैं तो संगीता िो एि जवान लौंडडया समझ रहा था, लेकिन जब मैंने उसिी
गदाज नंगी मोटी-मोटी जांघें दे खी तो मझे एहसास हआ कि संगीता तो भरी परू ी औरत नजर आ रही थी।
िाममनी िे नंगे बदन से िम नहीं था संगीता िा बदन और धचिनी इतनी ज्यादा थी िी उसिी मांसल उठी
जवानी दे खिर ही मेरे मुँह में पानी आ गया था।

संगीता ने अपनी जीन्स उतारिर मझे दे दी और अपनी छोटी सी टी-शटम जो कि उसिी नामभ िे ऊपर से थी िो
खींचिर अपनी चत
ू ढिने िी िोमशश िरने लगी।

मैं उसिी चैन िो अपने दांतों से खींचने िी िोमशश िरता हआ संगीता िी गदाज जवानी िो अपनी आुँखों से
पी रहा था। तभी मैंने संगीता िी चोर नजरों िो पिड़ मलया, जो कि मेरे पैंट में उस जगह बड़े गौर से दे ख रही
थी जहां मेरा लण्ड परू ी तरह तना हआ तंबू बनाए था। मैं संगीता िी पैंटी में िसी मोटी गाण्ड िो मटिते हए
दे खना चाहता था।

179
इसमलये मैंने संगीता से िहा- “गडड़या जरा इिर-उिर दे ख, िोई पत्थर पड़ा हो तो लेिर आ इसे पत्थर से ठोंि
िर सीिा िरना पड़ेगा…”

संगीता इिर-उिर दे खने लगी और कफर उसे िछ दरू एि छोटा सा पत्थर नजर आया और वह अपनी गाण्ड
मटिाते हए उस ओर जाने लगी। मैं उसिे भारी चूतड़ों िी मदमस्त धथरिन दे खिर अपने लण्ड िो मसलने
लगा और कफर संगीता जैसे ही उस पत्थर िो उठाने िे मलए झिी उसिी गदाज गाण्ड िा उभार दे खिर मैं
पागल हो गया। और कफर संगीता सीिी हई तो उसिी पैंटी उसिी गाण्ड िी दरार में फुँस गई और संगीता ने
उसे ननिालने िी िोमशश नहीं िी और अपनी मोटी गाण्ड मटिाते हए मेरे पास आ गई। मैंने उसिे हाथ से
पत्थर लेिर चैन पर हल्िे से मारा और कफर उसिी चैन लगाने िी िोमशश िरने लगा।

तभी संगीता एिदम से चहि िर मझसे िहने लगी- “भैया वो दे खो कितना पिा हआ आम लगा है, दे खो
कितना नीचे है । भैया प्लीज इस आम िो तोड़ लो ना…”

मैंने भी उस आम िो दे खा जो मेरी हाइट से थोड़ा ऊपर था। मैं जीन्स छोड़िर खड़ा हो गया और उचि िर उस
आम िो तोड़ने िी िोमशश िरने लगा, लेकिन वह थोड़ा ऊपर मेरे हाथ से बस दो बबत्ते िी दरू ी पर था। मैंने
िहा- “संगीता ऐसे नहीं बनेगा तू एि िाम िर इिर आ मैं तझे गोद में उठाता हूुँ और तू आम तोड़ लेना…”

संगीता मश्िराते हए- “ठीि है भैया…”

मैं तो यही चाह रहा था। जैसे ही संगीता ने ठीि है भैया िहा, मैंने झििर उसिी मोटी गाण्ड में हाथ भरिर
उसे अपनी गोद में चढ़ा मलया। संगीता िा नंगा पेट मेरे मुँह िे सामने था और मैं उसिे पेट िो चूमते हए
उसिी मोटी गाण्ड िो िसिर अपने हाथों से दबाए हए था। संगीता भी इतनी चदासी थी कि उसने अपनी दोनों
टाुँगों िो मेरी िमर से लपेट मलया। उसिा हाथ आम ति छू जाता था लेकिन ना तो वह आम तोड़ रही थी,
और ना मैं ही आम िो दे खने में समय गवां रहा था। मेरा तो लण्ड परू े ताव में आ चिा था और मैं अपनी
जवान घोड़ी बहन िो अपनी गोद में चढ़ाए हए उसिी मोटी गाण्ड िो सहला रहा था। िीरे -िीरे संगीता नीचे
सरिने लगी, तो उसिी फूली चूत मेरे लण्ड से रगड़ खाती हई नीचे सरिने लगी।

राज- क्या हआ संगीता क्या हाथ वहाुँ ति नहीं पहुँच रहा है ?

संगीता- “भैया थोड़ा और ऊपर उठाओ ना…”

मैंने इस बार संगीता िी दोनों जाुँघों िी जड़ में अपना एि हाथ लेजािर उसिी चूत और गाण्ड िो एि साथ
दबाते हए इतना ऊपर चढ़ा मलया कि संगीता िी फूली हई चूत मेरे मुँह िे सामने आ गई, और मैं बबना िछ
सोचे संगीता िी फूली बर िो अपने मुँह से दबािर पागलों िी तरह उसिी चूत िो पैंटी िे ऊपर से अपने मुँह
से खूब दबा-दबािर सहलाने लगा। संगीता िी पैंटी से पेशाब िी गंि आ रही थी, ब्जसने मझे और भी पागल
िर टदया था। संगीता मेरे गले में हाथ डाले हए मेरे ऊपर चढ़ी हई थी और मैं उसिी गाण्ड उसिी मोटी जाुँघों
और उसिी फूली हई चूत िो खूब िस-िसिर अपने मुँह से भींच-भींचिर दबा रहा था।

180
राज- संगीता अब तेरा हाथ पहुँच रहा है क्या?

संगीता- बस भैया जरा सा और ऊपर उठा लो।

मैंने संगीता िी बात सनिर अपने हाथ िा दबाव उसिी चूत और गाण्ड िे बीच बढ़ा टदया और उसिी मोटी
जाुँघों िे बीच िे टहस्से िो अपने हाथों से दबािर ऊपर उठा टदया। मेरी इस हरित से संगीता ने पहले तो आम
तोड़ मलया और कफर एिदम से अपनी दोनों मोटी जाुँघों िे बीच फुँसे मेरे हाथ िो अपनी दोनों जाुँघों से खूब
िसिर दबा मलया।

राज- तोड़ मलया संगीता?

संगीता- हाुँ भैया तोड़ मलया।

मैंने संगीता िो िीरे से नीचे सरिाया और उसिे मोटे -मोटे दि


ू जो टी-शटम फाड़ने िो बेताब थे एिदम से मेरे
मुँह से लग गये, और मैंने अपना मुँह संगीता िे मोटे -मोटे चच
ू े से िसिर दबा टदया, तो संगीता िे मुँह से एि
हल्िी सी मससिी िछ इस तरह से ननिल गई- “उं न्ह… ओह्ह… भैया…” और संगीता ने अपने होंठों से मेरे गालों
िो चूम मलया।

मैंने जैसे ही संगीता िो थोड़ा और नीचे अपने शरीर से रगड़ते हए उतारा तो संगीता िी फूली हई चूत सीिे मेरे
खड़े लण्ड पर जािर रुि गई और मैंने उसिी िमर थामे हए अपने लण्ड िो िसिर संगीता िी चूत से दबा
टदया और संगीता- “ओह्ह… भैया…” िरिे एिदम से मझसे धचपि गई। तभी मैंने हाथ छोड़ टदया और संगीता
नीचे उतरिर खड़ी हो गई।

संगीता मश्िराते हए िहने लगी- “वाह भैया क्या आम है … मस्त पिा हआ है…”

और कफर संगीता ने आम िे ऊपर िे टहस्से िो जैसे ही दांतों से िाटना चाहा तो मैंने िहा- “अरे पगली पिे
आम िो ऐसे िाटा नहीं जाता है बब्ल्ि उसे खूब चूसा जाता है । तू लड़िी है ना इसमलए तझे आम चूसना नहीं
आता है…” और कफर मैंने संगीता िे मोटे -मोटे चूचों िो दे खते हए िहा- “पगली ऐसे पिे आम िो िैसे चस
ू ते हैं,
दे ख मैं तझे बताता हूुँ…”

संगीता चोर नजरों से मेरे लण्ड िो दे ख रही थी, और मैं उसिी फूली हई चूत और जाुँघों िो दे ख रहा था।

मैंने आम िे ऊपर िे टहस्से िो थोड़ा सा साफ िरिे संगीता से िहा- “दे ख पहले पिे हए आम िो िैसे दबा-
दबािर उसे खूब रसीला िरते है …” कफर मैं संगीता िे सामने उस आम िो दबा-दबािर उसे नरम िरने लगा
उसिे बाद मैंने आम िे मह
ुँ पर हल्िा सा छे द िरिे आम िो जैसे ही थोड़ा सा दबाया उसमें से मस्त रस बाहर
आने लगा और मैंने संगीता िी ओर बढ़ािर उससे िहा- “ले अब चाट इसे…”

संगीता ने अपनी रसीली जीभ ननिालिर आम िो चाट मलया और िहने लगी- “वाह… भैया बहत ही मीठा आम
है …”

181
राज- “पगली जब आम ताजा हो और खूब गदराया हो तब उसे चस
ू ने पर खूब रसीला और मीठा ही लगता है …”

और कफर इस बार आम िो दबािर मैंने उसिा रस चस


ू मलया और कफर दस
ू री बार संगीता िी ओर बढ़ाया और
उसने रस चूसना शरू िर टदया। िछ दे र में ही संगीता परू ा आम खा गई और कफर से पेड़ िी ओर दे खने लगी।
तभी उसे दस
ू रा आम नजर आ गया, और वह उछलिर िहने लगी- “भैया वो दे खो एि और मस्त आम लगा है
प्लीज उसे भी तोड़ दो ना…”

मैंने दे खा वह आम भी उसी हाइट पर था और संगीता िो खूब मस्ती चढ़ी हई थी, तभी तो रं डी भरे बगीचे में
पैंटी में घम
ू रही थी। मैं समझ गया था कि अब दे र िरना बेिार है, माल मस्त चोदने लायि है और अभी तो
3:00 बजा है आज शाम ति इसे यही परू ी नंगी िरिे खब
ू िस-िसिर चोदुँ ग
ू ा।

संगीता- भैया क्या सोचने लगे उठाओ ना मझे अपनी गोद में ।

मैंने इस बार संगीता िो जिड़िर उसिे होंठों िो चूमते हए िहा- “मझे पता था तू आम िे बगीचे में पिे हए
आम दे खिर ऐसे ही पागल हो जाएगी…”

संगीता अपनी बाुँहे आगे बढ़ािर मेरी ओर िानतल ननगाहों से दे खते हये मुँह बनािर िहने लगी- “भैया चढ़ाओ
ना अपनी बहन िो अपने ऊपर…”

मैंने जािर संगीता िो पहले अपने सीने से िसिर दबा मलया और उसिे गालों िो चम
ू ने लगा।

संगीता- “भैया यह सब आप बाद में िर लेना…” और कफर मश्िरािर िहने लगी- “पहले अपनी बहन िो अपने
ऊपर तो चढ़ा लो…”

मैंने संगीता िी मोटी गाण्ड िे बीच इस बार बड़े आराम से हाथ डालिर उसिी बर और गाण्ड पर दबाते हए
उसिी चत
ू िो िसिर मट्ठी में भरिर उसे अपने ऊपर उठािर अपने सीने से दबा मलया। हाय उसिी चूत और
गाण्ड िा गदाज एहसास बड़ा मस्त था।

लेकिन मैंने दे खा कि इस बार संगीता अपनी आुँखें बंद किए हए मेरे सीने से अपने मोटे दि
ू खूब जोर से रगड़ते
हए खूब िसिर अपनी दोनों जाुँघों िो लपेटिर किसी बंदररया िी तरह मेरी िमर से मलपटी हई थी और अपने
रसीले होंठों से मेरे गले िो चम
ू रही थी।

मैंने भी संगीता िी दोनों टाुँगों िो िसिर अपनी िमर से लपेट मलया और अपने दोनों हाथों से संगीता िी
मोटी गाण्ड िो दबाते हए जैसे ही मैंने उसिी पैंटी िे ऊपर से उसिी गाण्ड िे छे द िो सहलाया, संगीता पागलों
िी तरह आह्ह… भैया िरती हई मेरे होंठों िो खूब िस-िसिर चूमने लगी। मैंने अपनी जीभ ननिालिर संगीता
िे मुँह में डालने िी िोमशश िी तो संगीता अपनी जीभ ननिालिर मेरे मुँह में डालने लगी और मैंने उसिी
रसीली जीभ िो अपने मुँह में भरिर उसिी मोटी गाण्ड िी गदा िो खूब सहलाते हए उसिी रसीली जीभ िो
चूसने लगा।

182
संगीता सरि िर िछ नीचे आ गई और मैंने एि हाथ से उसिी िमर िो पिड़िर उसिी टाुँगों िो अच्छे से
अपनी िमर से लपेट मलया। मेरा खड़ा लण्ड पैंट में तना हआ ठीि संगीता िी चत
ू िे छे द िो पैंटी िे ऊपर से
दबा रहा था, और संगीता जानबझ
ू िर मेरे लण्ड पर अपनी चूत िो खूब दबाते हए मझे अपनी रसीली जीभ
वपला रही थी।

मैंने अपने एि हाथ से उसिी िमर िो थामिर दस


ू रे हाथ से जब संगीता िे मोटे -मोटे िसे हए दि
ू िो खब

जोर से उसिी टी-शटम िे ऊपर से दबाया तो संगीता एिदम से ‘आह्ह… सीईईई… ओह्ह… भैया’ िरते हए मझसे
पागलों िी तरह धचपि िर मझे खूब िस-िसिर चूमने लगी। संगीता िे दि
ू क्या बताऊुँ इतने ठोस और िसे
हए थे, जैसे किसी औरत िी गदाज गाण्ड िा भरा हआ माुँस हो और उसे दबाने में खूब मजा ममलता है । मैं
उसिे मोटे -मोटे चच
ू ों िो खब
ू िस-िसिर मसल रहा था। जब मझे टी-शटम िे ऊपर से दबाने में परू ी सन्तष्टी
नहीं ममली, तब मैंने संगीता िी टी-शटम िो उसिे पेट से ऊपर चढ़ािर उसिे दोनों मोटे -मोटे दि
ू ों िो िसिर
पिड़िर खींचिर बाहर ननिाल मलया।

हाय… उसिे मोटे दि


ू िा गलाबी तना हआ बड़ा सा ननप्पल मझे पागल िर गया और मैंने उसिे ननप्पल िो
अपने मुँह में भरिर चस
ू ते हए उसिे दस
ू रे दि
ू िो खब
ू जोर-जोर से मसलना चालू िर टदया, और संगीता मेरे
लण्ड पर अपनी चत
ू िा दबाव दे ते हए ‘आह्ह… आह्ह… ओह्ह… सीईईई… आह्ह…’ िरने लगी। जब मैं संगीता िे
दि
ू ों िो दबाता हआ उसिे ननप्पल िो चूसता तो संगीता ‘ओह्ह… भैया ओह्ह… भैया’ िहने लगती और जब मैं
उसिे दि
ू ों िो खूब जोर से दबाते हए उसिे गलाबी ननप्पल िो दांतों से हल्िे-हल्िे िाटने लगता तो संगीता िे
मुँह से ‘सीईईई… आऽऽ सीईईई… आह्ह…’ िी आवाज ननिलने लगती।

मैं संगीता िो अपने ऊपर चढ़ाए हए थि चिा था और मैं उसे उसी पोजीशन में मलए हए नीचे बैठ गया और
उसे अपनी गोद में अच्छे से बैठािर उसिे दि
ू ों िो दबाते हए उसिा चेहरा पिड़िर अपनी ओर किया तो
संगीता ने एि बार अपनी आुँखें खोलिर मझे दे खा और कफर अपनी आुँखें बंद िर ली।

मैंने अपने होंठ उसिे लरजते हए रसीले होंठों पर रखिर उसिे होंठों िा रस चस
ू ते हए उसिे मोटे -मोटे आमों
िो खूब जोर-जोर से मसलना शरू िर टदया। संगीता ने अपनी जाुँघों िो और चौड़ा िरिे अपनी चूत िा दबाव
मेरे लण्ड पर और बढ़ा टदया और मैं उसिी रसीली जवानी िो खूब दबोच-दबोचिर चूसने लगा। हम दोनों एि
दस
ू रे िो दबा-दबािर चस
ू -चस
ू िर थि चिे थे। संगीता अपनी जांघें फैलाए मेरी गोद में चढ़ी हई अपने मोटे -मोटे
दि
ू बड़े प्यार से दबवा रही थी और मेरे होंठों िो चूस रही थी।

मैंने एि बार इिर-उिर नजर दौड़ाई तो मझे चारों तरफ सनसान नजर आया। मैंने संगीता िी टी-शटम परू ी उसिे
मसर से ननिालिर अलग िर टदया और कफर से उसिे होंठों िो चूसने लगा और उसिे मोटे -मोटे दि
ू ों िो बारी-
बारी से पीने लगा। संगीता अभी भी अपनी आुँखें बंद किए हए मजा ले रही थी।

राज- “संगीता…”

संगीता- “हूुँ…”

183
राज- “आुँखें खोलिर मेरी तरफ दे ख ना…”

संगीता- “नहीं भैया…”

राज- क्यों?

संगीता- मझे शमम आती है ।

राज- “अपने भैया से भी िोई शमामता है क्या? चल आुँखें खोल और मझे बता तो जरा तझे िैसा लग रहा है
अपने भैया िी बाुँहो में नंगी होिर चढ़ने में?”

संगीता मश्िराते हए अपनी आुँखें खोलिर- “अच्छा लग रहा है …” बस इतना िहिर संगीता मेरे मुँह िो चम

लेती है और मैं उसिे मोटे -मोटे दि
ू िो िसिर दबाते हए उसिी मोटी जाुँघों िो सहलािर जैसे ही अपने हाथ
से उसिी चूत िो सहलाता हूुँ िी संगीता एिदम से मझसे जोर से धचपि जाती है ।

राज- “संगीता…”

संगीता- “हूुँ…”

राज- “संगीता चल खड़ी होिर अपनी पैंटी उतारिर बैठ जा…”

संगीता- नहीं भैया।

राज- क्यों?

संगीता- मझे शमम आती है ।

राज- अच्छा तू अपनी आुँखें बंद रखना, पैंटी मैं उतार दे ता हूुँ।

संगीता- नहीं भैया, मैं नंगी नहीं होऊुँगी।

राज संगीता िे दि
ू िो पीते हए- “दे ख संगीता एि बार नंगी हो जा, तू मझे नंगी बहत अच्छी लगती है…”

संगीता- “आह्ह… भैया िीरे दबाओ ना… आप अपनी बहन िो नंगी िरोगे?”

राज- “हाुँ संगीता। तू मझे नंगी बहत अच्छी लगती है । मैं तो गलत सोच रहा था कि तू एि छोटी सी लड़िी है ।
पर जब मैंने तझे पैंटी में दे खा तब मझे समझमें आया कि तू तो बहत बड़ी हो गई है , अब तू परू ी औरत लगने
लगी है । सच तझे साड़ी पहनािर मम्मी िे साथ खड़ा िर टदया जाए तो तू मम्मी िी बहन नजर आएगी…”

184
संगीता अपनी आुँखें खोलिर मझे दे खती हई- “क्यों झठ
ू बोलते हो भैया, िहाुँ मम्मी और िहाुँ मैं? आपने िभी
मम्मी िो परू ी नंगी दे खा है जो ऐसी बात िर रहे हो? क्या मैं मम्मी िे बराबर मोटी हूुँ?”

राज- “क्यों मम्मी जब परू ी नंगी होती है तो बहत मोटी लगती है क्या?”

संगीता- “और नहीं तो क्या? आपने िभी मम्मी िी नंगी जांघें दे खी हैं? मझसे तो तीन गना ज्यादा मोटी हैं,
और उनिा पेट दे खा है , जैसे 6 महीने िा बच्चा पेट में लेिर घम
ू रही हो, और उनिी गाण्ड कितनी मोटी और
चौड़ी है ? मैं तो मम्मी िे अगल बगल भी नजर नहीं आती हूुँ, और आप िहते हैं िी मैं मम्मी िे बराबर मोटी
हूुँ…” मेरी बातों से संगीता रं ग में आ चिी थी और अब अपनी आदत िे अनसार खूब बातें िरने लगी थी… वो
भी बबना किसी शमम या खझझि िे।

राज- “अरे मेरा मतलब तझे मोटी िहने िा नहीं था, मेरा मतलब यह है कि एि जवान मदम िो औरतों िा भरा
हआ गदाज नंगा बदन ही ज्यादा अच्छा लगता है…”

संगीता- “तो कफर आपने चन्दा िो क्यों चोदा?” संगीता िे मुँह से चोदा शजद सनिर राज एिदम से उसे दे खने
लगा और उसने मझे दे खिर मश्िराते हए मेरे सीने में अपना मुँह छपा मलया।

राज ने उसिी चूत िो सहलाते हए िहा- “संगीता तझसे किसने िहा कि मैंने चन्दा िो चोदा है?”

संगीता अपनी चूत मझसे सहलवाते हए अपने मुँह िो मेरे सीने में छपाये िहने लगी- “मझे नहीं मालम
ू …”

राज- “अरे बता ना… अब शमाम क्यों रही है? दे ख अब तो मैं तेरी भी चूत िो सहला रहा हूुँ। चल अब बता मझे
तझसे चन्दा ने िहा है ना यह सब?”

संगीता- “चन्दा ने…”

राज- और क्या िहा उसने मेरे बारे में ?

संगीता- यही कि आप बहत चदक्िड़ हो और टदन भर औरतों िो चोदने िे चक्िर में उनिे पीछे घम
ू ते हो।

राज- तो तझे बरा लगा क्या?

संगीता मेरी ओर जलन भरी नजरों से दे खिर मुँह बनाते हए- “मझे क्यों बरा लगने लगा?”

राज- “क्या िरूं संगीता, तेरे भैया िा लण्ड बहत खड़ा होता है और जहाुँ मोटी गाण्ड और बड़े-बड़े दि
ू नजर आते
हैं, मेरा लण्ड उन्हें दे खिर खड़ा हो जाता है, तू दे खेगी मेरा लण्ड?”

संगीता हल्िे से मश्िराते हए मेरे सीने से लगिर- “मझे नहीं दे खना…”

185
राज- “अच्छा मत दे ख… एि बार अपने हाथ से सहलािर तो दे ख िैसा लगता है तेरे भैया िा लण्ड?” और
उसिे बाद मैंने अपनी चैन खोलिर अपने लण्ड िो बाहर ननिालिर संगीता िे हाथों में पिड़ा टदया।

संगीता मेरे लण्ड िो दे ख नहीं रही थी, लेकिन वह अपने हाथों से मेरे लण्ड िो छोड़ भी नहीं रही थी। वह मेरे
लण्ड िो हल्िे-हल्िे टटोल िर महसस
ू िर रही थी।

मैंने उसिा चेहरा ऊपर उठाया और उसिे रसीले होंठ चूमते हए िहा- “जानती है संगीता कि अब तेरे भैया िा
मन तझ पर कफदा हो गया है और जब से मैंने तेरे ये मोटे -मोटे दि
ू और यह मस्त मोटी गाण्ड दे खी है तब से
मैं तझे चोदने िे मलए तड़प रहा हूुँ। बोल अपने भैया से चदवायेगी? बोल ना ऐसे चप रहे गी तो मैं तझसे िभी
बात नहीं िरूंगा…”

संगीता मेरे सीने से बरी तरह धचपि िर मेरे लण्ड िो दबा रही थी और मैंने मौिा दे खिर अपना हाथ उसिी
पैंटी िे अंदर डालिर उसिी चूत िी फांिों िे भीतर अपनी उं गली से जैसे ही सहलाया, तब संगीता एिदम से
मेरे हाथ िो पिड़िर अपनी चूत में दबाते हए िहने लगी- “भैया आह्ह… मत िरो, आह्ह… बहत अच्छा लग
रहा है प्लीज… भैया आह्ह… सीईईई… आह्ह…”

राज- “संगीता एि बार दे ख तो सही अपने भैया िा लण्ड… दे ख कितना मोटा और मस्त है?” और कफर मैंने
संगीता िे होंठों िो चूमते हए उसिे मुँह िो अपने लण्ड िी ओर िर टदया।

कफर संगीता ने िीरे से अपनी आुँखें खोलिर मेरे लण्ड िो दे खा और कफर से अपनी आुँखें बंद िरिे मेरे लण्ड
िो खब
ू िसिर भींच टदया जैसे वह मेरे लण्ड िो ननचोड़ दे ना चाहती हो। मझसे अब सहा नहीं जा रहा था और
मैंने संगीता िो उसिी जीन्स बबछािर उसे लेटा टदया और खड़ा होिर अपनी पैंट उतारने लगा। संगीता अपने
दोनों हाथों से अपनी आुँखें छपाए हए लेटी हई थी।

मैं जब परू ा नंगा हो गया तब मैंने संगीता िो आवाज दी और संगीता ने जैसे ही मझे परू ा नंगा खड़ा दे खा उसने
मश्िरािर अपनी आुँखें कफर से अपने हाथ से छपा ली।

मैं संगीता िे पैरों िे बीच बैठ गया और उसिी चूत िो जैसे ही अपने हाथ से सहलाया कि संगीता ने अपनी
दोनों जाुँघों िो बरी तरह िस मलया और अपना हाथ आुँखों से थोड़ा सा हटािर मझे दे खने लगी। मैंने मश्िराते
हए उसिी गदाज जाुँघों िो सहलाते हए िीरे से अलग िरने िी िोमशश िी, और संगीता ने खद ही अपनी
जाुँघों िो परू ा खोल टदया। मैंने उसिी पैंटी पिड़िर एिदम से खींचिर उसिी टाुँगों से अलग िर टदया और
संगीता िे परू े नंगे बदन िो ललचाई नजरों से दे खने लगा।

िछ दे र बाद मैंने संगीता िी जाुँघों िो ऊपर उठािर उसिे दि


ू िी ओर मोड़ टदया और कफर उसिी फूली चूत
िी फांिों िो अपनी जीभ से सहलाते हए अलग िरने िी िोमशश िरने लगा। तब संगीता ने एिदम से अपनी
चूत उठािर मेरे मुँह से लगा टदया, और मैं उसिी गलाबी रसीली बर िो खूब जोर से अपनी जीभ ननिालिर
चाटने लगा।

186
संगीता- “ओह्ह… भैया सीईसीयी… आह्ह… आह्ह… ओह्ह… भैया मैं मर जाऊुँगी प्लीज… मत िरो आह्ह… आह्ह…
ओह्ह… सीईईई… आह्ह…”

मैं संगीता िी चूत िी खश्बू और उसिी चूत िा रस दोनों िा मजा लेता हआ उसिी बर िो खूब दबोच-दबोच
िर चूसने लगा और संगीता बरी तरह तड़पने लगी। मैं अपनी टाुँगों िो संगीता िे मुँह िी ओर िरिे उसिी
चूत िो चाटने लगा, तभी संगीता ने भी मेरे लण्ड िो िसिर पिड़ मलया और मेरे लण्ड िो सहलाते हए मेरे
आंडिों िो अपने मुँह से चम
ू ते हए सहलाने लगी।

मैं उसिी चूत और गाण्ड िे छे द ति अपनी जीभ फेरिर उसिी चूत चाट रहा था, और संगीता ने मेरे लण्ड िी
टोपे िो खोलिर चाटना शरू िर टदया। िभी-िभी वह मेरे लण्ड िो मुँह में भरिर अपनी जीभ लण्ड िे चारों
ओर घमाने लगती, तब मैं भी उसिी चत
ू िे छे द िो अपनी जीभ से दबा-दबािर उसिा रस चस
ू ने लगता।
संगीता िभी लण्ड मुँह से बाहर ननिालती, िभी उसे कफर मुँह में लेिर चूसने लगती। मैं भी उसिी चूत िो
िभी दांतों से िाटने लगता, िभी उसिी चूत में जीभ डालने लगता, और िभी उसिी चत
ू िे तने हए दाने िो
अपने होंठों से पिड़िर चूसने लगता।

संगीता िी गाण्ड अब जोर-जोर से टहलने लगी थी और वह परू ी ताित लगािर अपनी चत


ू िो मेरे मुँह से
रगड़ने लगी थी। मैं उसिी चूत िे दाने िो चूसता तो संगीता अपनी चूत उठािर मझे अपनी चूत िा छे द चटाने
लगती, और जब मैं उसिी चूत िा छे द चाटने लगता तब वह अपनी चूत उठािर मझे उसिा दाना चटाने िी
िोमशश िरती। मैं पागलों िी तरह अपनी बहन िी चत
ू िो खूब चूस-चूसिर लाल िर रहा था और संगीता िी
चूत खूब नमिीन पानी छोड़ रही थी।

तभी अचानि संगीता िी बर िो जब मैंने एिदम जोर से चूस मलया तो उसिा बदन अिड़ गया और उसिी
चूत से खूब धचिनाहट बाहर आने लगी और संगीता अपनी चूत मेरे मुँह से खूब जोर-जोर से रगड़ते हए एिदम
से सस्त पड़ गई।

मैं संगीता िे मुँह िे पास जािर उसिे होंठ चूमते हए िहा- “गडड़या रानी िैसा लगा, मजा आया कि नहीं?”

संगीता ने मेरी बात सनिर मेरा मुँह पिड़िर चम


ू ते हए उसे अपने सीने से लगा मलया और मैं वैसे ही संगीता
िे नंगे बदन से धचपि िर उसिे ऊपर लेट गया। मैं जैसे ही लेटा संगीता ने खद मेरे लण्ड िो चत
ू िे छे द से
मभड़ा टदया और वह िोई हरित िरती इसिे पहले ही मेरी िमर ने एि जबरदस्त िक्िा संगीता िी चूत में
मार टदया।

संगीता िे हुँसमख चेहरे पर एिदम से दननयां भर िा ददम मसमट आया और उसिे मुँह से एि ददम नाि चीख
ननिल गई- “ओह्ह… भैया मर गई अह्ह… सीईईई… ननिाल लो भैया आह्ह… आह्ह…” िहिर संगीता अपने हाथ
पाुँव फेंिने लगी और मारे ददम िे उसिा बरा हाल हो गया।

तभी मैंने उसिे दि


ू िो अपने हाथों में पिड़िर मसलना शरू िर टदया। मेरा आिा लण्ड वैसा िा वैसा संगीता
िी चूत िो फाड़े हए फुँसा था और मैं ना उसे आगे ििेल रहा था और ना ही जरा भी टढलाई िरिे उसे पीछे ले

187
रहा था। बस एि कफक्स ताित लगाए उसिी चत
ू से लण्ड मभड़ाए हए उसिे मोटे -मोटे आमों िो खूब दबा-दबा
िर मसल रहा था।

जब मैंने दे खा िी संगीता वापस अपने पैरों िो इिर-उिर िरने लगी है और उसे दि


ू दबवाने में मजा आने लगा
है , तभी मैंने अपने होंठों िो उसिे होंठों पर रखिर चस
ू ते हए एि दस
ू रा िक्िा िच्च से उसिी चूत में ऐसा
मारा कि मेरा लण्ड परू ा तो नहीं लेकिन आिे से ज्यादा अंदर समा गया, और संगीता िे मुँह से कफर से एि
चीख ननिल गई और इस बार उसिी आुँखों से आुँसू आ गये।

मसगीता ददम से धचल्लाते हए िहने लगी- “भैया आप तो बाहर ननिाल लो, मझे नहीं चदवाना है…”

राज- “अरे गडड़या अब तो सब हो गया, अब तू िुँ वारी नहीं रही बब्ल्ि एि चदी हई औरत बन चिी है । अब
दे ख तझे कितना मजा आएगा अपने भैया िे लण्ड से। ब्जतना ददम इस लण्ड ने तझे टदया है अब तझे उतना ही
मजा भी दे गा। अब दे खना मैं िछ नहीं िरूुँगा और तू खद िहे गी कि भैया मेरी चूत में अपना परू ा लण्ड डालिर
मझे खूब िस-िसिर चोदो…”

संगीता हुँसते हए मझे अपनी जीभ टदखािर िहने लगी- “मैं ऐसा िछ भी नहीं िहने वाली हूुँ भैया…”

राज- “ठीि है दे खते हैं…” और कफर मैंने अपने लण्ड िो उसिी चूत में फुँसाए हए बबना टहले संगीता िे मोटे -
मोटे दि
ू ों िो दबाते हए उसिे ननप्पल िो चूसना शरू िर टदया।

िछ दे र ति तो संगीता ऐसे ही दि
ू दबवाती पड़ी रही लेकिन िछ दे र बाद उसिी टाुँगों में हरित शरू हो गई
और कफर जब उसिी चूत में ज्यादा धचिनाहट होने लगी तब वह खद अपनी िमर उठािर मेरे लण्ड िो आगे
पीछे िरने िी िोमशश िरने लगी।

राज- “क्या हआ संगीता चत


ू में ददम हो रहा है ना? ऐसे ही पड़ी रहो नहीं तो और ददम होगा…”

संगीता मश्िराते हए मेरे सीने पर हाथ मारने लगी।

मैंने िहा- “क्या हआ?” और उसिे दि


ू िस िे दबा टदया।

संगीता मुँह बनाते हए- “भैया अब ज्यादा नाटि मत िरो, और िक्िा मारो…”

राज हुँसते हए- मतलब?

संगीता- “मतलब कि मझे अब चोटदये…”

राज- “मैं नहीं चोदुँ ग


ू ा तझे ददम होता है…” और कफर मैं उसिे दि
ू पीने लगा।

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संगीता ने मेरा मुँह पिड़िर अपने दि
ू से हटाते हए मेरे मुँह िो अपने हाथ से एि तरफ हटािर िहा- “प्लीज
भैया अब मझसे नहीं सहा जाता है , अब मझे चोद भी दो…”

मैंने संगीता िी बातें सनिर उसे अपनी बाुँहो में िसते हए उसिी चूत में अपने लण्ड िो पहले िीरे -िीरे आगे
पीछे िरना शरू िर टदया और कफर जब उसिी चूत खूब धचिनी लगने लगी, तब मैंने संगीता िे दि
ू मसलते
हए उसिी चूत में िस-िसिर िक्िे मारना शरू िर टदया।

और संगीता- “ओह्ह… ओह्ह… आह्ह… आह्ह… सी आह्ह… सी अह्ह… अह्ह…” जैसे शजद ननिालिर अपनी चत

अपने भैया िे तगड़े लण्ड से मरवाने लगी।

मेरा लण्ड खब
ू िसा हआ संगीता िी मस्तानी चत
ू में जा रहा था और मैं उसिे दि
ू िो इतना जोर से मसल
रहा था कि वह लाल हो चिे थे। संगीता िो खूब मजा आ रहा था और वह मझसे धचपिी हई अपनी गाण्ड अब
मेरे लण्ड पर मारने लगी और मैं घचा-घच उसिी बर िो ठोंिने लगा।

राज- गडड़या रानी िैसा लग रहा है ?

संगीता- “ओह्ह… भैया आह्ह… आह्ह… बहत मजा आ रहा है ऐसे ही जोर-जोर से चोदते रहो आऽऽ आऽऽ सीईईई…
आह्ह… ओह्ह… भैया…”

संगीता िी चूत अब इतनी धचिनी हो चिी थी कि मेरा लण्ड सटासट उसिी बर िी चदाई िर रहा था। आज
मैंने ब्जतना दि
ू अपनी बहन िे दबाए थे, उतने दि
ू अपनी ब्जंदगी में िभी नहीं मसले थे। संगीता िे दि

लाजवाब थे और उन्हें ब्जतना दबाओ उतना ही और िठोर होिर हाथों से बाहर आ जाते और मैं उन्हें कफर से
अपने हाथों में भरिर िसिर दबाने लगता।

हमें यह भी होश नहीं रहा था कि शाम हो चिी है और िछ दे र में अंिेरा हो जाएगा।

मैं खूब हमच-हमच िर संगीता िो चोद रहा था और संगीता अपनी चूत मेरे लण्ड पर खूब जोर-जोर से मार रही
थी। तभी संगीता ने मेरे लण्ड िो अपनी चूत में िसिर जिड़ मलया और मझे पागलों िी तरह चूमते हए िहने
लगी- “चोदो और चोदो, खब
ू िसिर चोदो भैया…”

मैं परू ी ताित से उसिी चत


ू मारने लगा और कफर एिदम से संगीता और मैं परू ी ताित से धचपि गये। मेरा
लण्ड उसिी चत
ू िी गहराई में दबा हआ था और संगीता िी चत
ू मेरे लण्ड िो ननचोड़-ननचोड़ िर उसिा रस
ननिालते हए खद भी पानी छोड़ने लगी। हम दोनों गहरी सांसें लेते हए एि दस
ू रे िी चूत और लण्ड िो एि
दस
ू रे िी चूत और लण्ड से दबाए अपना-अपना पानी छोड़ने लगे और एि दस
ू रे िो पागलों िी तरह जिड़े हए
चूमने लगे।

िरीब 5 ममनट बाद संगीता ने मझे अपने ऊपर से ििेलते हए िहा- “भैया अब उठो भी, मैं तो बरी तरह थि
गई हूुँ…”

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राज- “अच्छा मेरी गडड़या रानी, मेहनत मैं िर रहा हूुँ और थि तम गई हो…”

संगीता अपनी जीभ ननिालिर मझे धचढ़ाने लगी।

तभी मैंने लपि िर उसिी जीभ िो अपने मुँह में भरिर चूस मलया और उसे कफर से बाुँहो में लेिर उसिे दि

दबाने लगा, और िहा- “संगीता अभी तो 6:00 बजे हैं, चल एि बार और तझे मजा दे ता हूुँ कफर हम घर चलते
हैं…”

उसिे बाद मैंने संगीता िो उठािर वहीं जीन्स िे ऊपर घोड़ी बना टदया और इस बार मैंने उसिी गदा और चूत
िो फैलािर जब चाटना शरू किया तो संगीता मस्ती में अपनी गाण्ड टहलाने लगी। जल्दी ही मैंने चूस-चूसिर
उसिी चत
ू से कफर से पानी बहाना शरू िर टदया और कफर मैंने उसिी चत
ू िो पीछे से लण्ड डालिर चोदना
शरू िर टदया।

मैं खूब िस-िसिर संगीता िी गाण्ड सहलाते हए उसे चोदने लगा, और संगीता भी आह्ह… आह्ह… िरती हई
अपनी गाण्ड उठा-उठािर मेरे लण्ड िो अपनी चूत में लेने लगी। एि बार वीयम ननिल जाने िे िारण मैं ज्यादा
जोश में था और मेरा लण्ड और भी िड़ा लग रहा था। मेरी रफ़्तार तेज हो गई और मैं संगीता िी चत
ू में खब

िस-िसिर अपनी िमर िे िक्िे लगा-लगािर उसिी बर में अपने लण्ड िो ठोंि रहा था। लगभग 20 ममनट
ति मैंने संगीता िो पीछे से घोड़ी बनािर चोदा।

उसिे बाद जब मैंने उसे उठािर खड़ी किया तो उसिे पैर एिदम से लड़खड़ा गये। मेरा मन तो उस घोड़ी िी
गाण्ड भी मारने िा था, लेकिन मैं जानता था कि अगर मैंने उसिी गाण्ड मारी तो घर पहुँचने पर मम्मी िो
जरूर पता चल जायेगा, इसमलए मैंने उसिी गाण्ड नहीं मारी। जब संगीता एिदम से लड़खड़ा गई तब मैंने उसे
सहारा दे िर उठाया और कफर उसे चूमते हए अपने हाथों से बैठािर उसे जीन्स पहनाया और एि बार में ही
उसिी जीन्स िी चैन खींचिर ऊपर चढ़ा दी।

कफर मैंने संगीता िी गाण्ड में हाथ मारते हए उससे िहा- “क्यों रानी दे खा, तम्हारा भाई तमसे कितना प्यार
िरता है ?”

संगीता िेवल मश्िरािर मझे दे खती है और कफर मझसे मलपटिर चम


ू ते हए िहती है - “अब चलो भी भैया नहीं
तो रात हो जाएगी…” और 10 ममनट में हम दोनों तालाब पर पहुँच गये और कफर वहाुँ से हम बाइि िे पास
जाने लगे।

संगीता- भैया हररया िो तो बता दे ते कि हम लोग जा रहे हैं।

राज- नहीं रे , उसे क्यों डडस्टबम िरें ? वह अभी सधिया िो चोदने में लगा होगा?

संगीता- भैया, सधिया तो उसिी भाभी है ना… कफर वह अपनी भाभी िो चोदता है।

राज- “अरे तू चन्दा से ममली है ना… चन्दा तो उसिी बेटी है और हररया उसे टदन भर नंगी िरिे चोदता है …”

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संगीता- “भैया हररया तो बड़ा चदक्िड़ है …”

राज हुँसते हए- “तेरे भैया से ज्यादा नहीं है । चल अब बैठ गाड़ी पर बािी बातें बाद में िरें गे…” और कफर मैं
अपनी प्यारी बहन िो गाड़ी में दोनों तरफ पैर िरिे बैठा लेता हूुँ और फस्टम धगयर लगािर बाइि िो अपने घर
िी ओर जाने वाले रास्ते पर दौड़ा दे ता हूुँ।

शाम िो हम घर पहुँचे तो मम्मी किचेन में िाम िर रही थी और संगीता दौड़िर सीिे मम्मी िी मोटी गाण्ड
से धचपि गई।

पायल मश्िराते हए- “आ गई, टदन भर जान खा गई होगी अपने भैया िी। राज तझे तो बहत परे शान किया
होगा इसने?”

राज हुँसते हए- “नहीं मम्मी बेचारी चपचाप मेरे साथ घम


ू ती रही…”

संगीता मझे दे खिर मश्िराते हए- “मम्मी मैं भैया िो परे शान िरने थोड़े ही गई थी, मैं तो खब
ू मोटे -मोटे गन्ने
चूसने गई थी…”

पायल- “चूस आई खूब गन्ने, बड़ा मजा आया होगा तझे?”

संगीता- “सच मम्मी खब


ू मस्त मीठे गन्ने हैं। आप एि बार चस
ू लोगी तो आपिा बार-बार चस
ू ने िा मन
िरे गा…”

पायल हुँसते हए- “चल हट… मझे नहीं चस


ू ना गन्ना वन्ना…”

संगीता- “मम्मी सीिे रस पीने में मजा नहीं आता है जब ति कि गन्ने िो खूब दबा-दबािर ना चूसो…”

पायल- “अब बातें बंद िरो और जाओ हाथ मुँह िोिर मेरी हे ल्प िरो…”

उसिे बाद संगीता वहाुँ से चली गई और मैं मम्मी िी गदाज जवानी िो दे खने लगा। मम्मी ने एि सफेद रं ग
िी पतली सी मैक्सी पहनी हई थी और उसिी मोटी गाण्ड खूब चौड़ी होिर मैक्सी िो ऊपर ति उठाए हई थी।
कफर मम्मी जैसे ही थोड़ा आगे झिी तो उसिी मैक्सी में से उसिी पैंटी िा परू ा शेप और यहाुँ ति िी उसिा
गलाबी रं ग भी नजर आने लगा। मेरा तो अपनी मम्मी िी मोटी गाण्ड में फुँसी पैंटी दे खिर लण्ड झटिे दे ने
लगा।

पायल मश्िरािर- “क्या हआ बेटे भख


ू लगी है क्या?”

राज- नहीं मम्मी ऐसी िोई बात नहीं है ।

191
पायल- अच्छा जा तू भी मह
ुँ हाथ िो ले, मैं अभी तेरे मलए चाय बनाती हूुँ।

मेरा मन तो मम्मी िी मोटी गाण्ड दे खिर जाने िा नहीं िर रहा था, लेकिन कफर मैं वहाुँ से आ गया और
अपनी पैंट शटम उतारिर जैसे ही बाथरूम में गया, वहाुँ संगीता िेवल टी-शटम और पैंटी पहनिर झिी हई साबन
से अपना मुँह िो रही थी।

मेरा लण्ड तो मम्मी िी मोटी गाण्ड दे खिर वैसे ही खड़ा था और ऊपर से संगीता िी िाली िलर िी पैंटी में
िसी उसिी गोरी-गोरी मोटी गाण्ड दे खिर मेरा लण्ड और भी ताव में आ गया और मैंने आगे बढ़िर संगीता िी
मोटी गाण्ड िो िसिर दबोचते हए उसे चूम मलया।

संगीता- “भैया क्या िर रहे हो? मम्मी दे ख लेगी…”

राज- “दे ख लेने दे , तझे अपनी गाण्ड चटवाते दे खिर मम्मी िी चूत भी फूल जाएगी…”

संगीता- “बड़े आए मम्मी िी चूत फलाने वाले, अगर दे ख मलया तो समझ लेना हम दोनों िी खैर नहीं…”

तभी मैंने संगीता िी पैंटी पिड़िर उसिी मोटी गदाज गाण्ड से नीचे सरिा दी और अपने लण्ड िो उसिी चूत
और गाण्ड िो फैलाते हए सीिे संगीता िी गलाबी चत
ू में िसिर िक्िा मारिर फुँसा टदया।

तब संगीता ने सामने िे पाइप िो पिड़िर एि हल्िी सी मससिारी मारते हए िहा- “ओह्ह… भैया आप बहत
खराब हैं। सीिे खड़ा लण्ड फुँसा टदया मेरी चत
ू में, अभी तो मझे चोद िे आए हो और कितना चोदोगे?”

राज- “क्या िरूं मेरी रानी, जब मैंने मम्मी िी उठी हई गाण्ड और उसिी पैंटी दे खी जो उसिी मैक्सी से नजर
आ रही है, उसने मझे पागल िर टदया है । दे ख तेरे भैया िा लण्ड इस समय कितना सख़्त हो गया है , लगता है
आज मैं तेरी चूत और गाण्ड फाड़िर रख दुँ …
ू ”

संगीता- “अब बातें िरना छोड़ो और जल्दी से िस-िसिर िक्िे मार दो, नहीं तो मम्मी आ जाएंगी…”

मैंने संगीता िी चत
ू में खब
ू िस-िसिर िक्िे मारना शरू िर टदया।

संगीता अपनी आवाज िो दबाए हए मेरे लण्ड िो अपनी चूत में लेने लगी- “आह्ह… भैया आप बहत जामलम
हो… थोड़ा िीरे मारो बहत ददम हो रहा है…” संगीता िी चत
ू में मेरा लण्ड खब
ू िसा हआ जा रहा था और उसिी
चूत मेरे लण्ड िो खूब जिड़े हए थी।

राज- “मेरी रानी धचंता मत िरो जब किसी औरत िी ऐसी ददम भरी चदाई होती है तब उसे खूब मजा आता है ,
तेरा भैया तेरी चूत मारते हए तझे ब्जतना अपने लण्ड से ददम पहुँचाएगा, दे खना तझे बाद में उतना ही मजा
आएगा और तू िहे गी- ‘ओह्ह… भैया खब
ू िस-िसिर चोटदये अपनी बहन िी चत
ू िो…”

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कफर मैं आगे हाथ लेजािर संगीता िे दि
ू िो खूब िसिर दबाते हए उसिी चूत में सटासट लण्ड पेलने लगा
और कफर जब संगीता िी चूत खूब धचिनी हो गई तब मैंने ताबड़तोड़ िक्िे मार-मार िे जल्दी से अपना पानी
उसिी गलाबी चत
ू में छोड़ टदया और कफर िछ दे र हाुँफने िे बाद हम दोनों ने हाथ मुँह िोया और बाहर आ
गये।

थोड़ी दे र बाद मम्मी मेरे मलए चाय लेिर आई और संगीता किचेन में जािर िाम िरने लगी। मम्मी मेरे बगल
में बैठ गई और मैं चाय िी चब्स्ियां लेते हए मम्मी िे बदन िे उतार चढ़ाव िो दे खने लगा। मेरे लण्ड में थोड़ा
सा ताव आ गया और मैंने लग
ं ी िे ऊपर से अपने लण्ड िो जैसे ही चाय पीते हए मसला िी मम्मी िी नजर
एिदम से मेरे हाथ िी ओर चली गई और उन्होंने मझे अपना लण्ड मसलते हए दे ख मलया, और जब उनिी
नजरें मझसे ममली तो उन्होंने अपनी नजरें चराते हए दस
ू री तरफ नजर घमा ली।

मम्मी आज िछ ज्यादा ही खूबसरू त लग रही थी। टदल िर रहा था कि रं डी िा मुँह पिड़िर चूम लुँ ।ू मम्मी
िा गोरा-गोरा पेट आज िछ ज्यादा ही उठा हआ लग रहा था और उसिी गहरी नामभ इतनी बड़ी लग रही थी
कि लण्ड िा टोपा उसिी नामभ में घसाना चाहो तो घस जाए। िछ दे र ऐसे ही बातें िरने िे बाद मम्मी ने हम
लोगों िो खाना टदया और कफर जब िाफी रात हो गई तो मम्मी और संगीता दोनों अपने रूम में चली गई और
मैं बैठिर टीवी दे खने लगा।

िछ दे र बाद मझे पायल िी आवाज सनाई दी और मैंने पलटिर दे खा तो मम्मी मेरी ओर चली आ रही थी-
“बेटे आज नींद नहीं आ रही है क्या?”

राज- “बस मम्मी अब सोने ही वाला था…” और कफर मैंने मम्मी से िहा- “आओ बैठो ना…”

पायल- “रुि जा, जरा मैं बाथरूम होिर आती हूुँ…” और कफर मम्मी बाथरूम में घस गई लेकिन दरवाजा थोड़ा
सा ही लगाया।

मैं जल्दी से उठिर बाथरूम िे पास जािर खड़ा हो गया। तभी मेरे िानों में मम्मी िे मत
ू ने िी मस्त आवाज
सनिर, मेरी आुँखों िे सामने मम्मी िी फूली हई चूत िैसे मोटी पेशाब िी िार मार रही होगी, यह नजारा
नाचने लगा और मेरा लण्ड अपनी मम्मी िी चूत मारने िे मलए तड़पने लगा। िछ दे र बाद मैं वापस आिर बैठ
गया और थोड़ी दे र बाद मम्मी बाहर आ गई।

जब मम्मी बाहर आई तो उन्होंने अपने हाथों से एि बार मैक्सी िे ऊपर से अपनी चूत िो दबोचा, जैसे पानी
पोंछ रही हो और कफर मेरे बबल्िल िरीब मझसे सटिर बैठ गई, और मेरे मसर पर हाथ फेरते हए िहने लगी-
“बेटा अब तू जवान हो गया है अब तेरे मलए िोई सद
ं र सी लड़िी भी दे खनी पड़ेगी… पर तेरी शादी िरने िे बाद
तू अपनी मम्मी िो ही मत भल
ू जाना…”

राज ने मम्मी िी बात सनिर सोचा कि आज मम्मी इतनी रोमांटटि क्यों हो रही है ? मैं िछ समझ नहीं पाया
और कफर मैंने भी सोचा िी मैं बेिार इतना डर रहा हूुँ आखखर है तो मेरी मम्मी, अगर मैंने थोड़ा बहत उसे छू
भी मलया तो वह िछ नहीं िहे गी और अगर उसे बरा लगा तो सारी िह दुँ ग ू ा।

193
मैंने मम्मी िे गालों िो चम
ू ते हए िहा- “भला िोई बेटा अपनी मम्मी िो भल
ू सिता है क्या?”

पायल मुँह बनाते हए- “रहने दे … अभी बीबी नहीं है तो तेरे यह हाल हैं िी िभी अपनी मम्मी िा तझे ध्यान ही
नहीं रहता है , और िहीं बीबी आ गई तो क्या याद रखेगा?”

मेरा मन मम्मी िे गदाज उठे हए पेट और उसिी गहरी नामभ छूने िा बहत मन िर रहा था और मैंने बहाने से
अपना हाथ मम्मी िी धचिनी िमर में फेरिर सहलाते हए िहा- “आप जैसी सद
ं र मम्मी िे मलए तो ऐसी 100
बबबबयां भी िबामन हैं मम्मी…” और कफर मैंने मम्मी िी मोटी जाुँघों िो उसिी मैक्सी िे ऊपर से सहलाना शरू
िर टदया।

पायल- “बहत बड़ी-बड़ी बातें िरने लगा है पर िभी यह भी सोचा है िी तेरी मम्मी िा भी मन िभी िभार
घम
ू ने कफराने िा होता है । लेकिन तेरा मेरी ओर ध्यान ही िहाुँ रहता है , अपनी बहन िो तो घमा कफरा लाता है ,
पर िभी मम्मी िा भी ख्याल आता है?”

राज- “अच्छा बाबा सारी, आइ अड्ममट माइ ममस्टे ि। अब आगे से आपिा बेटा आपिा परू ा ख्याल रखेगा और
आपिो िभी मशिायत िा मौिा नहीं दे गा। आपिी जो भी इच्छाएं हैं, वह मझे आप बता दो। मैं आपिी सभी
ख्वाटहशें परू ी िरने िी िोमशश िरूुँगा…”

पायल- “राज, संगीता गाुँव िे गन्ने िी बड़ी तारीफ िर रही थी। क्या सचमच मस्त और बड़े-बड़े गन्ने हैं वहाुँ
पर?”

राज- हाुँ मम्मी बहत मस्त गन्ने हैं। आप जब चूसोगी तो एिदम मस्त हो जाओगी।

पायल मश्िराते हए- “अच्छा मझे िब ले चलेगा अपने साथ गन्ने चसवाने, या अपनी भारी भरिम मम्मी िो
अपनी बाइि पर बैठािर ले जाने में तझे शमम आएगी?”

मैं मम्मी िी जाुँघों पर मसर रखिर उसिी मोटी जाुँघों िो अपने हाथों में भरिर उसिी जाुँघों िो चूमते हए
बोला- “मम्मी आप भी ना… आप इतनी सद
ं र हैं और आपिो लेिर जाने में मझे भला क्यों शमम आएगी? मैं
एि-दो टदन में आपिो भी लेिर चलता हूुँ…”

पायल- “मेरा मतलब था बेटे कि मैं एि तो इतनी मोटी हो गई हूुँ तो मैंने सोचा शायद तझे अच्छा ना लगे मझे
ले जाना…”

राज- “नहीं मम्मी, आप नहीं जानती मझे आपिे जैसी औरतें ही अच्छी लगती हैं। आप मेरी शादी भी िरो तो
अपने जैसे भरे बदन वाली औरत से ही िरना…”

पायल मेरे सीने पर हाथ फेरते हए, मेरे सीने िे बाल िो सहलाते हए मश्िरािर िहने लगी- “मैं अपने जैसे
बदन वाली औरत तेरे मलए ला दुँ ग
ू ी तो तू िहीं मझे अिेला छोड़िर उसिे साथ ही मत चले जाना…”

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मैं उठिर मम्मी िे बगल में बैठिर उनिी धचिनी िमर में हाथ डालिर मैंने उनिो चूमते हए िहा- “मम्मी
आपिो तो मैं ब्जंदगी भर अपने साथ ही रखग
ूुँ ा, चाहे मेरे मलए आप कितनी भी सद
ं र औरत ले आओ…”

पायल- “इतनी अच्छी लगती है क्या तेरी मम्मी तझे?”

राज- मेरी मम्मी मझे दननयां िी हर औरत से खूबसरू त लगती है ।

मम्मी मेरे मसर पर हाथ फेरते हए एिदम से टीवी में आती खबर दे खने लगी, ब्जसमें बता रहे थे कि एि
मटहला िे साथ िछ लोगों ने गैंग रप किया। मम्मी खबर सनने लगी और मैं उनसे बाथरूम होिर आने िा
िहिर बाथरूम में जाने लगा। मैं यह सोच-सोचिर बैचन हो रहा था कि मम्मी आज इतनी खलिर िैसे बात
िर रही हैं, जरूर िछ ना िछ वजह है?

जब मैं बाथरूम िे अंदर गया तो जैसे ही मत


ू ना चालू किया िी मेरी नजर मम्मी िी गलाबी पैंटी पर पड़ गई
जो बाथरूम में पड़ी थी। मैंने झट से उनिी पैंटी उठािर दे खा तो मैंने गौर किया िी अभी मम्मी मैक्सी िे अंदर
यही पैंटी पहने थी, जब वह किचेन में झिी हई थी। इसिा मतलब यह था कि मम्मी ने अभी जब वह मत
ू ने
आई थी तब अपनी पैंटी उतारी है , और अभी सोफे पर मैक्सी िे अंदर परू ी नंगी ही बैठी है । इसिा मतलब यह
था कि मम्मी आज बहत चदासी हो रही है और खूब लण्ड लेने िे मलए तरस रही है ।

लेकिन ऐसा क्या हआ कि मम्मी इतनी चदासी हो गई है ? और मझसे भी बड़ी रं गीन बातें िर रही है । मैंने
मम्मी िी पैंटी िो फैलािर दे खा तो उसिी चूत िे ऊपर िी परू ी पैंटी गीली हो रही थी। मैं समझ गया कि
मम्मी िी चत
ू से पानी छूटा होगा, और कफर मैं मम्मी िी पैंटी यह सोचिर सघ
ंू ने लगा कि मम्मी िी चत
ू िी
खश्बू उसमें से आ रही होगी।

वािई मम्मी िी पैंटी से उसिी चत


ू िी मस्त मादि गंि और उसिे पेशाब िी गंि दोनों तरह िी खश्बू से मेरा
लण्ड तनिर सलामी दे ने लगा। िछ दे र मैं मम्मी िी पैंटी िो खूब सघ
ूं -सघ
ूं िर दे खता रहा कफर मैं वापस
उनिी पैंटी वहीं रखिर बाहर आ गया, और मैं वापस मम्मी िे पास जािर बैठ गया। मम्मी सोफे पर अपनी
गाण्ड टटिाए अपने एि पैर िो मोड़िर बैठी थी, और खद ही अपनी मैक्सी उठािर अपने घटनों ति चढ़ािर
अपनी गोरी-गोरी वपंडमलयां मसल रही थी। मझे तो वह एि भरा परू ा माल नजर आ रही थी, ब्जसे परू ी नंगी
िरिे खब
ू िस-िसिर चोदना चाहता था।

मम्मी टीवी िी खबर िो बड़े ध्यान से दे खने िे बाद िहने लगी- “आजिल तो जहाुँ दे खो बस बलात्िार िी
खबरें ही रहती हैं, और ऊपर से लोग अब अपनी घर िी औरतों िो भी नहीं छोड़ते हैं। दे ख क्या टदखा रहे हैं।
बाप ने अपनी ही बेटी िो रात िो नंगी िरिे उसिे साथ रे प किया…”

राज- “मम्मी यह सब तो रोज िी खबरें हैं। आप अपने पैर ऐसे क्यों दबा रही हैं, लगता है िी आपिी वपंडमलयां
ददम िर रही हैं। आप आराम से सोफे पर लेटिर अपने पैर मेरी जाुँघों पर रखिर बैठ जाओ, आज आपिा बेटा
आपिे पैरों िा सारा ददम दरू िर दे गा…”

195
मेरी बात सनिर मम्मी वहीं पसर गई और अपनी एि टांग उठािर मेरी जाुँघों पर जैसे ही रखा, मम्मी िे पैर
िी एड़ी िा वजन सीिे मेरे लण्ड पर पड़ गया और मैं सचमच मस्त हो गया। मम्मी िी मैक्सी िो िीरे से मैंने
थोड़ा सा ऊपर िर टदया और अब मेरी रं डी मम्मी िी गोरी-गोरी गदाज वपंडमलयां और उनिे घटने ति िा
टहस्सा मेरे सामने था और मैं उनिी गोरी-गोरी वपंडमलयों िो सहलाता हआ मजे ले रहा था।

मम्मी बराबर टीवी दे खे जा रही थी। मैंने सोचा कि मम्मी तो मैक्सी िे नीचे पैंटी पहनी नहीं है , परू ी नंगी है तो
क्यों ना थोड़ा उनिा पैर उठािर उनिी फूली चूत दे खने िी िोमशश िी जाय। कफर मैंने मम्मी िे पैरों िो थोड़ा
सा मोड़िर थोड़ा फैला टदया और जैसे ही मैंने मम्मी िी मैक्सी िे अंदर दे खा तब उनिी गदाज मोटी मखमल
जैसी जांघें जो इतनी मोटी थी िी उनिा पैर चौड़ा िरने िे बाद भी उनिी भरी हई जांघें एि दस
ू रे से धचपिी
थी। तब मैंने उनिे पैरों िो थोड़ा और मोड़ टदया और जब कफर से मैंने मैक्सी िे अंदर दे खा तो मेरे होश उड़
गये। मम्मी िी पावरोटी िी तरह फूली हई चत
ू और बीच में एि बड़ी सी गहरी लिीर दे खिर मेरा लण्ड झटिे
दे ने लगा।

मम्मी िी चत
ू तो सधिया िी चूत से भी ज्यादा मांसल और गदाज लग रही थी, और फूली इतनी लग रही थी
कि परू ी हथेली खोलिर अपने पंजो में दबोचना पड़े। मैं तो अपनी मम्मी िी मस्तानी चूत दे खिर मस्त हो गया
और उनिी गोरी टाुँगों िो खब
ू िस-िसिर मसलने लगा। जब मैं उनिी टाुँगों िो दबाता तब उनिी पायल ऐसे
बजने लगती जैसे किसी औरत िी चूत मारते हए पायल बजती है । जब मैंने दे खा िी मम्मी ने अब आुँखें बंद
िर ली है, तब मैंने उनिी जाुँघों िो िीरे से अपने हाथों में भरिर दबाया तो उनिी मोटी जाुँघों िे स्पशम से एि
बार तो ऐसा लगा कि अभी मेरे लण्ड से पानी ननिल आएगा।

तभी मम्मी ने आुँखें खोली और िहा- “बेटे मझे नींद सी आ रही है, जा अब तू भी सो जा और मैं भी सोने जा
रही हूुँ…”

मैंने िहा- “आप िहो तो और पैर दबा दुँ ू आपिे?”

पायल- नहीं बेटे, अब रहने दे मझे सचमच झपिी आने लगी है ।

मैंने मायस
ू होिर िहा- “ठीि है मम्मी…” और कफर मैं वहाुँ से अपने रूम में आ गया और लेट गया। मझे नींद
नहीं आ रही थी तो मैंने सोचा िी चलो थोड़ी दे र अपनी सेक्स बि ही पढ़ा जाए। कफर मैंने जैसे ही तकिये िे
नीचे हाथ डाला तो मझे वहाुँ िछ नहीं ममला और मैं उठिर बैठ गया, और जल्दी से तकिया हटािर दे खने
लगा। लेकिन किताब वहाुँ नहीं थी।

तभी मेरे टदमाग में यह बात आई कि िहीं मम्मी िे हाथ तो नहीं लग गई और शायद मम्मी उस किताब िो
पढ़ भी चिी थी, ब्जसमें बेटे द्वारा अपनी माुँ िो चोदने िी खूब िहाननयां मलखी हई थीं। और िछ िहाननयां
ऐसी भी थी ब्जसमें माुँ खद अपने बेटे िो अपनी चूत टदखा-टदखािर उत्तेब्जत िरती है और कफर उससे अपनी
चूत खूब मरवाती है । मैं चपिे से अपने रूम से बाहर आ गया और दबे पाुँव मम्मी िे रूम िे बाहर जािर
खखड़िी से अंदर दे खा तो मेरा शि बबल्िल सही ननिला। मम्मी अंदर वहीं किताब खोलिर पढ़ रही थी और
संगीता घोड़े बेचिर उसिे बगल में लेटी हई थी। मम्मी किताब पढ़ते हए अपनी मैक्सी िे ऊपर से अपनी चूत
िीरे -िीरे सहला रही थी।

196
यह सब नजारा दे खिर मैं एिदम से खश हो गया और सोचने लगा कि मेरी मम्मी िी चूत तो खूब पानी छोड़
रही है , इसिो चोदने में तो ज्यादा परे शानी आनी नहीं चाटहए। क्या गजब िा माल है मेरी मम्मी… जब मझसे
एि बार चद जाएगी तब कफर रं डी िो टदनभर घर में नंगी ही रखग
ूुँ ा और नंगी ही घर िे सारे िाम िरवाउुँ गा,
और जब मन होगा उसिी गाण्ड में अपना लण्ड डालिर उसे खूब िस-िसिर चोदुँ ग
ू ा।

अभी मैं यही सब खड़ा-खड़ा सोच रहा था और अपने लण्ड िो मसल रहा था िी तभी मम्मी ने एि बार संगीता
िी ओर दे खा और कफर अपनी गाण्ड लेटे-लेटे उठािर अपनी मैक्सी अपनी गदाज मोटी गाण्ड िो उठािर उसने
ऊपर चढ़ा मलया और जब उसने अपनी दोनों जाुँघों िो फैलािर अपनी फूली हई चूत पर मेरे सामने हाथ फेरा तो
मेरा लण्ड इतना िड़ा हो गया कि मझे उसे अपनी लग
ं ी से बाहर ननिालना पड़ा और उसे खूब िस-िसिर
सहलाना पड़ा। मेरी मम्मी अपनी चत
ू में एि उं गली िीरे -िीरे सरिाती हई किताब पढ़ रही थी, और उसिा चेहरा
परू ा लाल नजर आ रहा था।

मैं मम्मी िी चूत और नंगी भारी गाण्ड िो दे खिर खब


ू जोर-जोर से लण्ड टहला रहा था, और अपने ख्यालो में
अपनी मम्मी िो चोद रहा था। आज ति अपनी मम्मी िी नंगी चत
ू और गाण्ड मैंने दे खा नहीं था। इसमलए
मझे उनिा ज्यादा ख्याल िभी आया ही नहीं। लेकिन अब मझे मसफम और मसफम अपनी मम्मी िो ही चोदने िा
मन हो रहा था, और मैं बस उसे चोदते हए उसिे रसीले होंठ गलाबी गालों िो चूमना चाटना चाहता था।

िछ दे र बाद मैंने दे खा कि मम्मी िी चूडड़यों िी आवाज जोर-जोर से आने लगी थी, क्योंिी मम्मी अब अपनी
चूत में जोर-जोर से अपनी उं गली पेलने लगी थी। तभी वह एिदम से बबस्तर पर मत
ू ने िी स्टाइल में बैठ गई
और जब उसिा भोसड़ा खलिर मेरी आुँखों िे सामने आया तो मम्मी िी बड़ी सी बबना बालों वाली धचिनी
गलाबी चूत दे खिर मेरे मुँह में पानी आ गया और ऐसा लगने लगा कि जािर अपनी मम्मी िी चूत में मुँह
डालिर उसिी चूत खूब चस
ू लुँ ।ू

मम्मी अब तेजी से अपनी उं गली चला रही थी और मैं भी उसिी चूत दे खिर अपना लण्ड टहला रहा था। तभी
अचानि मझे ध्यान नहीं रहा और मेरे पास में एि छोटा सा गमला रखा हआ था और मेरे हाथ िा िक्िा उस
गमले में लग गया। मैंने उसे पिड़ने िी परू ी िोमशश िी, लेकिन वह गमला िड़ाम से धगर िर टूट गया और
मेरे होश उड़ गये।

आवाज सनिर मम्मी एिदम से रुि गई और उसने आवाज लगाई- “िौन है वहाुँ?”

मेरी तो गाण्ड फट गई और मैं चपिे से वहाुँ से भागिर अपने रूम में आ गया। मैं बहत दे र ति जागता रहा
कि शायद मम्मी मझे दे खने आएंगी, लेकिन मम्मी नहीं आईं। तब मझे िछ राहत हई और मैं सो गया। जब
सबह हई तो मैंने दे खा िी संगीता चाय लेिर खड़ी थी और मश्िरा रही थी।

मैंने उससे िीरे से पछ


ू ा- “मम्मी िहाुँ हैं?”

संगीता- मम्मी बाथरूम में परू ी नंगी होिर नहा रही है।

197
राज हुँसते हए- “तझे सबह से ही मस्ती चढ़ी है क्या?”

संगीता मेरे लण्ड िो लग


ं ी िे ऊपर से पिड़िर दबाते हए- “ब्जसिी चत
ू में इतना मोटा लण्ड घसने लगेगा,
उसिो सबह से मस्ती नहीं चढ़े गी तो क्या होगा? और आप सबह-सबह मम्मी िो क्यों याद िर रहे हो? िहीं
यह मस
ू ल मम्मी िो चोदने िे ख्वाब दे खिर तो नहीं तना हआ है?”

राज हुँसते हए- “क्यों तेरे भैया िा लण्ड अगर मम्मी िी चूत में घसेगा तो तझे बरा लगेगा क्या?”

संगीता हुँसते हए- “मझे क्यों बरा लगेगा? अच्छा है बेचारी मम्मी भी जबसे पापा हमें छोड़िर गये हैं, तब से
खूब चदने िे मलए तड़पती होगी। सच भैया एि बार जो तम अपने इस मस
ू ल से मम्मी िो परू ी नंगी िरिे
चोद दो तो, सचमच मम्मी तो तम्हारे लण्ड िी दीवानी हो जाएगी और टदन रात तम्हारे लण्ड िे मलए अपनी
चूत खोले घम
ू ेगी…”

मैंने संगीता िी बात सनिर उसिे मोटे -मोटे दि


ू िो पिड़िर उसे अपनी गोद में बैठािर पिड़ मलया और उसिे
दि
ू दबाते हए िहा- “मेरी रं डी बहन, मैं अगर तझे और मम्मी िो दोनों िो टदन भर घर में नंगी रखिर दोनों
िो एि साथ चोदं ू तो?”

संगीता- “कफर तो मजा आ जाएगा भैया, मैं भी दे खना चाहती हूुँ कि तम मम्मी िो िैसे परू ी नंगी िरिे चोदते
हो? मम्मी परू ी नंगी बड़ा मस्त माल लगती है । उसिी चूत चूसिर ही तम तो मस्त हो जाओगे…”

मैंने संगीता िी चत
ू िो छूिर दे खा तो उसमें से पानी बह रहा था। मैंने उसे चम
ू ते हए िहा- “गडड़या रानी आज
मैं दोपहर में ही आ जाऊुँगा कफर तेरी चूत िा पानी चाटूुँगा। अभी मझे जल्दी से चाय बनािर दे दे , तब ति मैं
तैयार हो जाता हूुँ। उसिे बाद मैं तैयार हो गया और जब मम्मी मेरा खाना लेिर आई तो उनिा चेहरा िाफी
तनाव में लग रहा था और शायद वह िछ िहना चाहती थी।

पायल- “संगीता जा, मैंने िपड़े जो िोिर रखे हैं उन्हें जरा छत पर डालिर आ जा…”

संगीता वहाुँ से चली गई और मैं चाय पीने लगा। मैंने िहा- “क्या बात है मम्मी आप िछ परे शान लग रही हैं?”

पायल- बेटे मझे तझसे िछ पछ


ू ना था?

राज- बोलो ना मम्मी।

पायल- बेटे िल रात मेरे रूम िे बाहर तू ही था ना?

मम्मी िी बात सनिर मैं एिदम से सिपिा गया कि मेरी चोरी पिड़ी जा चिी थी। मैं अपनी नजरें नीचे
िरिे िेवल इतना ही िह सिा- “सारी मम्मी…”

198
पायल- “बेटे तझे अपनी मम्मी िो नंगी नहीं दे खना चाटहए था, तन
ू े यह गलत किया है । तझे अपनी मम्मी पर
ऐसी नजरें नहीं रखना चाटहए। तू एि समझदार लड़िा है और तझे सोचना चाटहए कि मैं तेरी मम्मी हूुँ कफर
भले ही मैं तझे कितनी ही सेक्सी और जवान लगुँ,ू लेकिन किसी बेटे िो अपनी मम्मी पर ऐसी नजरें नहीं
डालना चाटहए। अगर मैं तेरे जैसे सोचने लगती तो ना जाने कितने गलत िदम उठा चिी होती…”

राज- “मम्मी अब आगे से ऐसा नहीं होगा, आई आम ररयली सारी…”

पायल मश्िराते हए- “बेटा बरा मत मानना, यह सामान्य बात है । इसमलए मैंने तझसे खलिर डडसिस िर
मलया। चल अब अपना खाना खा ले…” और कफर मम्मी अपनी मोटी गाण्ड मटिाते हए जाने लगी। मैं उसिे
भारी चूतड़ों िा मटिना दे खिर उनिी गाण्ड में खोने लगा। तभी मम्मी ने पलटिर मेरी ओर दे खा और कफर
मश्िरािर चली गई।

मेरा परू ा मड
ू सबह से खराब हो चिा था और मैं यह सोचने लगा कि यह मझे इतनी आसानी से चूत दे ने वाली
नहीं है , और िोई भरोसा भी नहीं कि यह मझे िोमशश िरने पर भी चोदने िो दे दे गी। यह खद भी तड़पेगी
और मझे भी अपनी जवानी टदखा-टदखािर तड़पाएगी। मैंने गस्से में मोटरबाइि स्टाटम िी और गाुँव िी ओर चल
टदया और रास्ते भर यही सोचता रहा कि जो भी हआ वह गलत नहीं था। मम्मी खद तो अपनी चत
ू खब
ू उं गली
से सहला लेंगी और मैं अपना लण्ड पिड़े उसिी जवानी िो दरू से दे खता हआ जलता रहूुँगा। मैं रास्ते भर यही
सोचता रहा कि अब क्या िरूुँ? मैंने जबसे मम्मी िा मस्त भोसड़ा और मोटी चोदने लायि गाण्ड दे खी थी, तब
से बस मैं उसे चोदने िे मलए मरा जा रहा था।

जब मेरी बाइि थोड़े सनसान इलािे से ननिली तब मझे पेशाब लगी और मैं बाइि रोि िर मत
ू ने लगा और
लगातार मेरे टदमाग में बस मम्मी िी चूत िैसे मारूुँ यही चल रहा था, लेकिन िोई भी रास्ता नजर नहीं आ
रहा था। मैं जैसे ही पलटिर बाइि िे पास जाने लगा तभी पेड़ िे ऊपर से िम्म से दो आदमी मेरे सामने िूद
पड़े, और मैं िछ समझ पाता उससे पहले ही एि ने मेरे गले पर चािू अड़ा टदया और दस
ू रे ने मेरी गदम न पीछे
से िसिर पिड़ ली।

राज- अरे भाई िौन हो तम लोग, छोड़ो मझे?

तब ब्जसने चािू अड़ा रखा था वह बोला- “ऐ बाब,ू चल जल्दी से माल ननिाल नहीं तो अभी चािू अंदर पेल
दें ग…
े ”

मैंने िहा- “भाई मेरे पास तो िोई माल नहीं है…”

तभी दस
ू रे ने मेरी जेब में रखा पसम ननिाल मलया और उसमें लगभग 1000 रूपये रखे थे। वह उसने ननिाले
और खश होते हए मझे एिदम से िक्िा दे िर जंगल िी ओर भाग गये।

मैं दस
ू री धचंता में ज्यादा था, इसमलए मझे उनिे द्वारा रूपये छीनने िा िोई गम नहीं हआ और मैं वापस
बाइि पर आिर बैठा। तभी मेरे टदमाग में एि आइडडया आया और मैं उन दोनों बदमाशों िो दआ दे ते हए-

199
“वाह मेरे भाइयों क्या सही मोिे पर मझे लट
ू ा है…” यह सोचते हए मैं सीिे साइट पर पहुँच गया और वहाुँ िाम
लगाने िे बाद सीिे हररया िे खेतों िी ओर चल टदया।

हररया िे खेत में आज िाममनी, चन्दा और सधिया तीनों बैठी थी, लेकिन हररया िहीं नजर नहीं आ रहा था।

मैंने जैसे ही दरू से िाममनी और सधिया िो एि साथ दे खा तो मेरी गाण्ड फट गई। मैंने सोचा िी िहीं इन
दोनों ने मझे पहचान मलया तो बहत मारें गी िी बाबाजी िी दाढ़ी मछ
ू सब गायब हो गई और धचिना लौंडा बन
गया यह तो। मैंने सोचा अब क्या िरूं? तभी चन्दा िी नजर मझ पर पड़ गई और मैंने उसे चप रहने िा
इशारा िरते हए उसे चपिे से अपने पास बला मलया और कफर उससे मैंने पछ
ू ा- “तेरे बाबा िहाुँ है?”

चन्दा- “वह तो रामू भैया िे साथ तालाब िी ओर गये हैं, और िह रहे थे कि आपसे ममलने जा रहे हैं…”

मैंने पछ
ू ा- “क्या रामू िी तबीयत ठीि हो गई है?”

तब चन्दा ने िहा- “हाुँ रामू भैया अब बबल्िल ठीि हैं…”

मैं उल्टे पाुँव तालाब िी ओर चल टदया। तब मझे दोनों एि पेड़ िे नीचे बैठे नजर आ गये और मैं उनिे पास
पहुँच गया।

हररया- “आइए बाबज


ू ी, िल तो आप बबना ममले ही चले गये मैं कितनी दे र ति आपिी राह दे खता रहा…”

राज- “अरे हररया दोस्त, िल बगीचे में ही बहत दे र हो गई थी और मैंने सोचा िी अब तम्हें क्यों परे शान िरूुँ
इसमलए मैं सीिे घर चला गया था…”

हररया मश्िराते हए- “कफर बाबज


ू ी िल तो आपिो मजा आ गया होगा…”

राज- “हाुँ हररया, िल जैसा मजा तो भल


ू नहीं सिता हूुँ। वािई बहत मजा आया मझे संगीता िो चोदिर…”

राम-ू “बाबज
ू ी हमें भी अपनी बहन ननम्मो िो चोदने में बड़ा मजा आता था…”

हररया- हमें भी बाबज


ू ी तरह-तरह िी औरतों िो चोदने में बड़ा मजा आता है ।

राज- “हररया और रामू तम दोनों िो मेरे मलए एि िाम िरना होगा…”

हररया- आप बोमलए तो सही बाबज


ू ी हम दोनों आपिे मलए हमेशा तैयार हैं, क्यों राम?

राम-ू बबल्िल िािा, बोमलए बाबज


ू ी क्या बात है?

200
राज- “तो कफर मेरी बात बड़े ध्यान से सनना और जो मैं िह रहा हूुँ उसमें जरा भी चूि नहीं होनी चाटहए। एि
बार यह प्लान सफल हो गया, कफर तो मजा आ जाएगा…” और कफर मैंने उन दोनों िो बड़े बारीिी से अपने
प्लान िे बारे में सभी बातें समझा िर वहाुँ से वापस घर आ गया।

घर आने िे बाद मैंने िछ जरूरी िाम ननपटाने िे बाद अगले टदन मैं सबह-सबह साइट पर जाने से पहले सीिे
अपने नौटं िी वाले दोस्त राजन िे पास पहुँच गया।

राजन- “क्या बात है राज, बहत टदनों बाद दोस्त िी याद आई है, जरूर साले िछ िाम होगा मझसे…”

राज- अबे बबना िाम िे भला मैं तझे क्यों परे शान िरने लगा?

राजन- चल अब ज्यादा होमशयारी मत टदखा और मद्दे िी बात िर, ब्जसिे मलए तू यहाुँ आया है ।

राज- “यार राजन, मझे एि टदन िे मलए दो जोड़े वह ड्रेस चाटहए ब्जन्हें पहनिर तू डािू बनता है और साथ में
तेरी वह निली बंदि
ू भी चाटहए…”

राजन- “अबे तू िोई कफल्म तो नहीं बना रहा है … पहले साि िे िपड़े ले गया, अब डािू िे िपड़े लेने आया है ।
लगता है तू साि और डािू नाम िी कफल्म बना रहा है …”

राज हुँसते हए- “अरे नहीं यार बस यह समझ ले थोड़ी सी आब्क्टं ग हमें भी िरने िा मन िर रहा है । बस तू
जल्दी से सारा सामान ननिाल दे …”

उसिे बाद राजन ने मझे जो जो सामान िी जरूरत थी वह ननिालिर दे टदया। वहाुँ से मैं साइट पर पहुँच गया
और कफर सीिे हररया और रामू िे खेतों में जा पहुँचा। उसिे बाद मैं सभी सामान हररया और रामू िो दे ते हए
उन्हें सारी बातें समझाने लगा।

हररया- “एि बात समझ में नहीं आ रही बाबज


ू ी… इतना सब िरने िे बजाय आप अपने घर में ही अपनी मम्मी
िो फुँसािर चोदने िी िोमशश क्यों नहीं िर रहे हैं? क्योंिी जो आइडडया आप बता रहे है वह थोड़ा िटठन है …”

राज- “दे खो हररया, मैं अच्छी तरह जानता हूुँ िी मेरी मम्मी सीिी तरह अपनी चूत नहीं मरवाने वाली है इसमलए
हमें यह िरना ही पड़ेगा। तम लोग ठीि समय पर पहुँच जाना और अच्छी आब्क्टं ग िरना। प्लाननंग मेरी
खतरनाि जरूर थी लेकिन थी सटीि।

जैसे तैसे मैंने टदन िाटा और कफर अपने घर पहुँच गया। रात िो मैं और संगीता छत पर खड़े होिर बातें िर
रहे थे।

संगीता िो मस्ती सझ
ू रही थी और उसने लग
ं ी में हाथ डालिर मेरे लण्ड िो मसलते हए िहा- “भैया कितने
टदनों से तमने मझे परू ी नंगी िरिे चोदा नहीं है…” और कफर बच्चों जैसा मुँह बनािर िहने लगी- “आपिो जरा
भी ख्याल नहीं है अपनी बहन िा…”

201
मैंने उसिे गालों िो खींचते हए उसिे मोटे -मोटे दि
ू िो मसलते हए िहा- “मेरी रानी िल से तझे मैं घर में ही
चोदुँ ग
ू ा, िल से तू चाहे जब अपने भैया िा लण्ड ले सिती है …”

संगीता उछलिर मझे चूमती हई- “वाह भैया पर ऐसा क्या िरने वाले हो कि हमें मम्मी िा भी डर नहीं रहे गा?”

राज- “मेरी रानी, िल से हम चदाई िरें गे लेकिन बबना डर िे…” और कफर मैंने संगीता िे रसीले होंठों िो अपने
मुँह में भरिर चस
ू ते हए उसिे मोटे -मोटे दि
ू िो खब
ू िस-िसिर दबाना शरू िर टदया।

संगीता ने मझसे जानने िी िोमशश िी लेकिन मैंने उसे बाद में बताने िा िहिर टाल टदया और कफर मैं मम्मी
िे रूम में जाने लगा। मेरी तो हालत ऐसी थी कि मेरा लण्ड मसफम मम्मी िा सद
ं र चेहरा दे खिर ही खड़ा होने
लगा था, कफर अभी तो मम्मी मेरे सामने ही खड़ी थी।

पायल- “आ राज वहाुँ क्यों खड़ा है बेटे?”

मैं मोम िे पास गया और उनिे सामने बबस्तर पर बैठ गया। वह आराम से तकिये पर मसर रखिर लेटी हई
थी। मैंने मम्मी िे एि पैर िी गोरी वपंडमलयों िो पिड़िर िहा- “मम्मी िल सबह आप तैयार हो जाना, मैं
आपिो भी अपनी साइट टदखाना चाहता हूुँ। बहत अच्छी जगह है आप बहत खश होगी वहाुँ जािर…” और कफर
मैंने उनिी वपंडमलयों िो दबाते हए िहा- “क्या िहती हैं, बोमलए?”

पायल मश्िराते हए- “क्या बात है , तझे आजिल अपनी मम्मी िा बड़ा ख्याल रहता है ? मझे भी ऐसी जगहों
पर घम
ू ना खूब अच्छा लगता है जहां खेत, छोटे मोटे जंगल और बाग बगीचे हों। िल हम वहाुँ जरूर जाएंगे
बेटा। लेकिन राज यह बता िल मैं िपड़े िौन से पहन?
ूं ”

मम्मी िी यह बात सनिर मैंने मन में सोचा िी मेरी रानी चाहे जो िपड़े पहन लेना, उतारना तो है ही। और
कफर मैंने मम्मी िो िहा- “आप जो भी पहन लो मम्मी चलेगा क्योंिी गाुँव में इतने लोग आपिो नहीं टदखाई
दें ग…
े ”

पायल- कफर भी राज तझे क्या अच्छा लगता है तू बता दे , मैं वहीं पहन लेती हूुँ।

राज- ओिे मम्मी। आप साड़ी और जलाउज़ पहनिर चलो।

पायल- ओिे यह ठीि रहे गा।

चुँ ि
ू ी संगीता रात िो मम्मी िे साथ ही सोती थी इसमलए उसे रात में भी चोदना मब्श्िल रहता था। रात जैसे
तैसे िटी और सबह मैं जल्दी से तैयार हो गया और उिर मम्मी तो बबल्िल लाल साड़ी और जलाउज़ में दल्हन
िी तरह नजर आ रही थी। मम्मी ने संगीता िो घर में ही रहने िी टहदायत दे ते हए मेरी बाइि पर बैठिर मेरे
साथ चल दी। सीट पर बबल्िल जगह नहीं थी, मम्मी िे भारी चूतड़ों ने परू ी गाड़ी िी सीट िो िवर िर मलया

202
था। मम्मी जब बैठी थी तो आिी मेरे ऊपर ही टटिी हई थी और उनिे ब्जश्म से एि बड़ी चदास वाली गंि आ
रही थी और उनिे मलायम बदन िे स्पशम से मैं िाफी अच्छा महसस
ू िर रहा था।

हम मजे में चलते हए आ रहे थे। जब मेन रोड से नीचे गाुँव िा िच्चा रास्ता चालू हआ तो वह आम िे बड़े से
बगीचे जहाुँ संगीता चदी थी, उस बगीचे में िाफी सन्नाटा था और मैं अपनी बाइि बड़े िीरे -िीरे चलाते हए चला
जा रहा था। माुँ भी सामने दे ख रही थी। इतने में सामने िे पेड़ से दो आदमी हमारे सामने िूदे और मैंने बाइि
रोि दी और मम्मी एिदम से नीचे उतर गई।

सामने हररया और रामू डािू वाला भेर् बनािर बंदि


ू मलए खड़े थे। हररया तो शिल से ही डिैत नजर आ रहा
था। हररया ने मेरे गले पर बंदि
ू िी नली अड़ा दी और िहने लगा- “क्यों बे लोंडे इस मस्त लौंडडया िो लेिर
िहाुँ जंगल में चला जा रहा है ?”

राज- “इज़्जज़त से बोलो वह मेरी माुँ है …”

हररया बहत खराब मुँह बनािर- “अबे साले हमें चोदना मसखाता है? जरा सी उं गली दबा दी तो दो ममनट में
तोहरी गदम ननयां में छे द बन जाएगा…” और कफर हररया ने रामू िी ओर दे खिर- “क्यों िररया मोड़ दे अपनी
उं गली?”

राम-ू ज्यादा टें टें िरे सरदार तो मोड़ दो, साला यही ढे र हो जाएगा।

पायल- “िौन हो तम लोग और क्या चाहते हो?” मम्मी िाफी डर रही थी और मझसे बबल्िल सटिर मझे
पिड़िर खड़ी थी।

हररया ठहािा लगािर हुँसते हए रामू िी ओर दे खिर उसिी पीठ में मारते हए- “अरे िररया दे ख ये मस्तानी
लौंडडया िैसे हमसे मजाि िर रही है ? साली िे सामने डािू खड़ा है और यह पछ
ू रही है िी िौन हो तम?
हाहाहाहा…”

राज- “दे खो सरदार, हमने तम्हारा क्या बबगाड़ा है? हमारे पास तो िन दौलत भी नहीं है , हमें जाने दो…”

हररया- “दे ख लौंडे, हम डािू जरा अलग किस्म िे हैं। हमें तझे लट
ू ना होता तो अब ति िाुँय से गोली दाग िर
लट
ू िर चले जाते। लेकिन िा है ना िी हम आदमी जरा दज
ू े किस्म िे हैं। हमें तम यह बता दो कि इस गदराए
माल िो लेिर िहाुँ जा रहे हो?”

राज- “िमीने मुँह संभाल िर बोल। हम िहीं नहीं जा रहे थे, बस गाुँव ति जाना था…”

हररया बंदि
ू िी नोि राज िे गले में गड़ाता हआ- “िीमी आवाज में बोलो बाब,ू नहीं तो अभी सनसान जगह में
िाुँय िी आवाज गुँज
ू जाएगी। हमें तो लगता है िी तम इसे इसी बगीचे में चोदने िे चक्िर में लाए हो। माल
तो बड़ा जोरदार लेिर आए हो। यही बात है ना सच-सच बता दो?”

203
पायल- “अरे िमीने शमम ि… िछ तो सोच समझिर बोल…”

हररया- “अच्छा तो तम ऐसे नहीं मानोगे… अब तम जो िरने आए थे वह यहीं िरोगे नहीं तो आज यहीं तम
दोनों िा खेल खतम िरिे चला जाऊुँगा…” और कफर क्या था हररया ने बंदि
ू मम्मी िे गले में रखी और मेरी
ओर दे खिर बोलने लगा- “चल बे लोंडे उतार अपनी पैंट…”

राज- दे खो यह तम ठीि नहीं िर रहे हो।

हररया- उतारता है या उड़ा दं ू इसे?

पायल- नहीं बेटे, मार दे ने दे इसे गोली। पर तू ऐसा मत िरना।

हररया- आखखरी बार पछ


ू ता हूुँ, उतारता है कि मार दुँ ू गोली?

मैंने जल्दी से अपनी पैंट उतार दी।

हररया- वेरी गड। चल अब जल्दी से चड्ढी भी उतार दे ।

राज- यह तम क्या िह रहे हो?

हररया- “अबे चड्ढी पहने-पहने िैसे चोदे गा इस मस्तानी िो?” और कफर हररया ने मम्मी िे गोरे -गोरे गालों िो
पिड़िर खींच टदया।

मम्मी िे चेहरे पर अब शमम िे भाव उभर आए थे और वह खामोश खड़ी मझे दे ख रही थी।

हररया- अबे उतारता है कि मार दुँ ू गोली?

और कफर मैंने अपनी चड्ढी भी उतार दी। मेरा लण्ड लटिा हआ था, और मम्मी दस
ू री तरफ मुँह िरिे खड़ी
थी।

हररया ने बंदि
ू िी नोि से मम्मी िा मुँह अपनी ओर िरते हए िहा- “चलो रानी अब तम अपना जलाउज़
उतारो…”

पायल- नहीं उतारूंगी, चाहे तू मेरी जान ले ले।

हररया- “दे खो रानी, हमें खन


ू खराबा ितई पसंद नहीं है । पर अगर तम हमारी बात जल्दी से नहीं मनोगी तो
दे खो अभी मेरे 8-10 आदमी उिर दस
ू री तरफ हैं, उन्हें बला लुँ ग
ू ा तो वह खद ही तम्हारे सारे िपड़े फाड़िर
अलग िर दें ग,े अब तम ही बताओ खद उतारोगी या उतरवाना पड़ेगा?”

204
पायल- “दे खो ऐसा मत िरो… वह मेरा बेटा है उसिे सामने तम…” और कफर मम्मी ने अपना मुँह नीचे िर
मलया।

हररया मेरी ओर दे खिर- “चल भाई इिर आ…”

मैं उसिी ओर गया और उसने मझे मम्मी िो अपनी बाुँहो में भरने िो िहा, और बंदि
ू मम्मी िे गले पर लगा
दी। मैंने मम्मी िो अपनी बाुँहो में भर मलया और उनिे गले से आती भीनी-भीनी गंि ने मझे एिदम से पागल
िर टदया। मैंने मम्मी िो थोड़ा िसिर पिड़ मलया। इन दो पलों में ही मझे पता नहीं चला िब मेरा लण्ड
एिदम तनिर सीिे मम्मी िी चूत से टिराने लगा। मम्मी ने एिदम से नीचे दे खा तो मेरा मस्त खड़ा हआ
मोटा और लंबा लण्ड दे खिर उसिी आुँखें खली िी खली रह गई। उसने एि बार कफर मेरी तरफ दे खा और कफर
एिदम से ऐसी शमाम गई कि उसिे चेहरे िा रं ग लाल हो गया और उसिे चेहरे पर एि हल्िी सी मश्िान दौड़
गई।

मम्मी िी यह हालत दे खिर मैं खश हो गया और हररया िी ओर दे खिर आुँख मार दी।

हररया- “अबे पिड़िर खड़ा क्या है? चल इसिे जलाउज़ िो खोलिर इसिे दि
ू दबा…” और कफर हररया ने मम्मी
िे हाथ िो पिड़िर मेरे लण्ड पर रख टदया और मम्मी िी मट्ठी में जब मेरा लण्ड आ गया तो हररया ने
उनिे हाथ िो मेरे लण्ड पर िसिर दबा टदया।

मैं मम्मी िे गले और गोरे गालों िो चूमता हआ उसिे दि


ू िो जलाउज़ िे ऊपर से हल्िे-हल्िे दबाने लगा और
मेरा लण्ड अपनी मम्मी िे हाथ में तनिर खड़ा हआ था।

तभी हररया ने मम्मी िी साड़ी पिड़िर खींच दी, और मम्मी िी साड़ी जैसे ही अलग हई उसिा गदाज उठा
हआ पेट, गहरी नामभ और उसिे पेटीिोट िे नाड़े िे नीचे से खला हआ वह भाग जहाुँ से मम्मी िी लाल रं ग
िी पैंटी उसिी चूत पर िसी हई साफ नजर आने लगी थी। हररया और रामू िी आुँखों में चमि आ चिी थी
और उनिे लण्ड भी उनिी िोती में तन चिे थे।

हररया तो जैसे मेरी मम्मी िी भरी हई जवानी दे खिर पागल हआ जा रहा था।

मैं परू ा नंगा अपनी मम्मी िे गदराए बदन से धचपिा हआ उसिे सारे बदन पर हाथ फेर रहा था और मम्मी मेरे
लण्ड िो अपने हाथों में थामे हए थी, लेकिन मझसे बहत शमाम रही थी और अपनी नजरें नीचे किए हए थी।

तभी हररया आगे आया और उसने मम्मी िे ऊपर बंदि


ू तानिर िहा- “लौंडे बहत हो गया तेरा नाटि… अब
जल्दी से जलाउज़ उतारिर इसिे दि
ू िो खूब िसिर मसलते हए पी, नहीं तो अभी इसे गोली मार दे ता हूुँ…"

हररया िा इतना िहना था कि मैंने मम्मी िे जलाउज़ िो खोलना शरू िर टदया, और मम्मी “आह्ह… राज मत
िर बेटे, मझे शमम आ रही है …”

205
हररया- “अपना जलाउज़ उतारने में शमम आ रही है और जो दस
ू रे हाथ में मस्त लण्ड सहला रही हो तो शमम नहीं
आ रही है…”

हररया िी बात सनिर मम्मी और भी शमाम गई।

और तब ति मैंने मम्मी िे जलाउज़ िो खोल टदया। हाय क्या बताऊुँ… रं डी लाल रं ग िी ब्रा पहने बड़ी ही मस्त
चदासी लग रही थी, और क्या मोटे -मोटे दि
ू अपनी छोटी सी ब्रा में िसे हए थी। मैंने बबना दे री किए मम्मी िे
मोटे -मोटे दि
ू िो दे खते ही खब
ू दबोच-दबोचिर मसलना शरू िर टदया।

मम्मी एिदम से मझे दे खते हए मझसे धचपिने िी िोमशश िरने लगी और उसिे मुँह से- “आआ… सीईईई…
सीईईई… ओह्ह… बेटे…” जैसी आवाजें आने लगी।

लगभग 10 ममनट ति मैं उसिे दि


ू ों िो खूब दबाता रहा और उन्हें अपने होंठों से पीता रहा। अब मम्मी िाफी
गरम हो चिी थी और उसिी चूत से भी पानी आने लगा था। तभी तो मम्मी मेरे लण्ड िो खब
ू जोर-जोर से
मटठयाते हए उसे खा जाने वाली नजरों से दे ख रही थी।

अब हररया िछ िहता, इससे पहले ही मैंने अपने हाथ पीछे लेजािर मम्मी िे पेटीिोट िे ऊपर से ही उसिी
गदाज भरी हई मोटी गाण्ड िो जब मैंने अपने हाथों में भरिर दबोचा तो क्या बताऊुँ कितना मजा आया। ऐसी
मोटी गाण्ड आज ति मैंने नहीं सहलाई थी। क्या मस्त गाण्ड थी मेरी मम्मी िी… मैं तो पागलों िी तरह उसिी
परू ी गाण्ड िो अपने हाथों में भर-भरिर मसलने लगा और उसिी गाण्ड िी गहरी दरार में अपना हाथ भरिर
रं डी िी गदा िो खब
ू दबा-दबािर सहलाने लगा।

उसिे बाद जैसे ही मैंने अपने हाथ िो आगे लािर मम्मी िी चूत िो अपनी मट्ठी में भरिर दबोचा तो मम्मी
िे मुँह से एि गहरी मससिी ननिल गई और वह भी मेरे मुँह िो चम
ू ते हए मझसे खड़ी-खड़ी जोर से धचपि
गई।

हररया ने जब हम दोनों िो एि दस
ू रे से धचपिे हए दे खा तो उसने मम्मी िे साए िे नाड़े िो पिड़िर एिदम
से खींच टदया, और मम्मी िा पेटीिोट उसिे पैरों में धगर गया। पेटीिोट नीचे धगरते ही मम्मी िी मस्त चोदने
लायि गदराई जवानी एिदम से आुँखों िे सामने आ गई। मम्मी िी गदाज मोटी-मोटी गदराई जांघें और फूली
हई मस्त मांसल चूत पर चढ़ी हई उसिी लाल रं ग िी पैंटी हमारी आुँखों िे सामने थी।

तभी रामू और हररया मम्मी िे पीछे जािर उसिी गदाज मोटी गाण्ड िो दे खने लगे। लाल पैंटी में मम्मी िे
गोरे -गोरे भरे हए चूतड़ बहत प्यारे लग रहे थे। पैंटी परू ी तरह से मम्मी िी दोनों मोटे ऽमोटे चूतड़ों िी गहराई में
फुँसी हई थी। मम्मी िे मोटे -मोटे चूतड़ खूब आपस में धचपिे हए थे। मैं जब अपने हाथ िो पीछे लेजािर
मम्मी िी मोटी नंगी गाण्ड िो सहलाने लगा, तभी मझे एहसास हआ कि मम्मी िी गदाज मोटी गाण्ड िा छे द
अगर दे खना है तो उनिे चत
ू ड़ों िो खूब िसिर फैलाना होगा। उनिी गाण्ड बहत ही मस्त और भारी थी और
उनिे चत
ू ड़ खब
ू धचपिे हए थे।

206
मम्मी िी मस्ती िा अंदाजा इसी बात से लगाया जा सिता था कि मैं मम्मी कि गाण्ड और दि
ू दबा-दबािर
सहला और मसल रहा था, और मम्मी बड़े प्यार से मेरे अंडिोर्ों िो दबा-दबािर सहलाते हए मझे लगातार चूम
रही थी। तभी मैंने मम्मी िे मटिे जैसे उभरे हए गोरे और मखमली पेट और गहरी नामभ िो दे खिर मेरा लण्ड
मम्मी िी चूत में ठोिर मारने लगा। मैंने मम्मी िी पैंटी िे ऊपर से जब उसिी उभरी हई मस्त चूत िो दे खा
तो अपने हाथ से मैंने मम्मी िी चूत िो िसिर भींच मलया।

मेरी इस हरित पर मम्मी ने जब अपनी चूत िो मसले जाने से मस्ती में आिर मझसे िहा- “आह्ह… बेटे क्या
िर रहा है ?” तब मैंने दबारा उनिी मस्त फूली बर िो कफर से दबोच मलया और मम्मी सीईईई… िी आवाज
िरते हए मझसे धचपि गई।

हररया और रामू ललचाई नजरों से पायल िी गदाज भरी जवानी िा रस अपनी आुँखों से पी रहे थे। तभी हररया
ने बंदि
ू पायल िे ऊपर तानते हए िहा- “ओये लौंडे बहत नाटि हो गया, अब चल जल्दी से इस रं डी िो परू ी
नंगी िर दे , नहीं तो अभी गोली मार दुँ ग
ू ा…”

उसिी बात सनिर मैं मम्मी िी ओर दे खने लगा, जो परू ी मस्ती में आ चिी थी और मझसे दरू होने िा नाम
ही नहीं ले रही थी, और बराबर मेरे मोटे लण्ड िो दे खते हए उसे मसल रही थी।

मैंने जब मम्मी िे िानों में िीरे से मम्मी िी पैंटी में उं गली घसािर उसिे ब्क्लट िो रगड़ते हए िहा- “मम्मी
मैं आपिो परू ी नंगी िर द ू क्या?”

तब पायल ने िहा- “आह्ह… िर दे बेटे, नहीं तो डािू गोली मार दें गे। अब तो हमें वहीं िरना होगा जो वो लोग
चाहते हैं। तू जल्दी से मझे परू ी नंगी िर दे …”

मम्मी िी बात सनिर मैंने उन्हें परू ी नंगी िर टदया और वह मझसे पागलों िी तरह धचपि गई। वह किसी से
भी नजरें नहीं ममला रही थी लेकिन मेरे लण्ड िो परू ी तबीयत से मसल रही थी।

हररया- “ओय लौंडे, अब धचपिना बंद िर और इस लौंडडया िे मुँह में अपना लण्ड डालिर साली िो जी भरिर
चसा… दे ख िैसे तेरे लण्ड िो िस-िसिर मसल रही है । साले यहां इस गदाज जवानी िो जाने िहाुँ से फुँसा
िर चोदने लाया था, और हमसे नखरे िर रहा था। अब हमारे सामने ही चोद इस रं डी िो, हम भी तो दे खें यह
लण्ड िैसे चूसती है?”

मैं पायल िी ओर दे खने लगा। लेकिन तभी मम्मी एिदम से नीचे बैठ गई और मेरे लण्ड िो पिड़िर अपने
होंठों से पागलों िी तरह चम
ू ने और सहलाने लगी, साथ ही आंड्िो िो भी खूब दबा-दबािर सहला रही थी। मैं
थोड़ा झििर पायल िे मोटे -मोटे दि
ू ों िो खूब िस-िसिर दबाने लगा। मैंने जैसे ही मम्मी िे दि
ू िे गलाबी
ननप्पल िो पिड़िर मसला मम्मी ने एिदम से मेरे लण्ड िे टोपे िो मुँह में भरिर चूसना शरू िर टदया, और
मैं मस्ती से भर गया।

पायल परू े जोश में आ चिी थी, और तभी हररया ने उसिे मुँह से मेरा लण्ड पिड़िर छीन मलया, और पायल
िो पिड़िर खड़ा िर टदया। मैं खड़ा होिर हररया िी ओर दे खने लगा तो हररया ने 100 मीटर िी दरू ी पर एि

207
पेड़ िी ओर चलने िो िहा, और मम्मी िी नंगी पीठ से बंदि
ू अड़ािर उस ओर ििेला। और कफर क्या था
मम्मी उस तरफ हररया िे आगे-आगे चलने लगी।

सभी िी सांसें मम्मी िे मोटे -मोटे चूतड़ों िे उतार-चढ़ाव िो दे खिर थमी हई थीं, और उनिी गदाज गाण्ड और
मोटी-मोटी जाुँघों ने सभी िो पागल िर टदया था। हम तीनों पायल िी नंगी गाण्ड िो घरू ते हए उनिे पीछे -पीछे
चलने लगे।

तभी हररया ने मेरे िान में िीरे से िहा- “वाह बाबज


ू ी क्या गजब िा माल है आपिी मम्मी तो… सच बाबज
ू ी
बहत चदासी लग रही है । दे खा आपने िैसी मस्ती में आपिा लण्ड चूस रही थी, और इसिी गदराई गाण्ड तो
दे खो, मैं तो िहता हूुँ बाबज
ू ी जब घर जाओ तो अपनी मम्मी िो आज रात भर नंगी िरिे खूब तबीयत से
इसिी चत
ू और गाण्ड मारना। जब ति तम अपनी मम्मी िी रात भर हमच-हमच िर चत
ू और गाण्ड नहीं
मारोगे, इसिो मजा नहीं आएगा…”

मैंने हररया से िहा- “तम ठीि िह रहे हो, लेकिन अभी चप रहो नहीं तो मम्मी िो शि हो जाएगा…” और कफर
हम उस जगह पहुँच गये।

अब हररया ने मम्मी िो वहीं घोड़ी बनने िो िहा। जब मम्मी घोड़ी बन गई तब उसिी गदाज गाण्ड, उसिी
गहरी गदा और मस्त दो डेढ़ बबत्ते िा मस्त धचरा हआ भोसड़ा दे खिर तीनों िी आुँखें फटी िी फटी रह गई।

पायल िी भारी और चौड़ी गाण्ड िे आगे सधिया िी गाण्ड भी िमजोर नजर आती थी। हररया ने मझे इशारा
किया और मैंने िीरे से मम्मी िे पीछे बैठिर जब उसिी मोटी गाण्ड और उसिी मस्त गदा िो सहलाया तो
मम्मी अपनी गाण्ड मटिाने लगी। तभी मैंने दोनों हाथों से मम्मी िी दोनों पाटों िो फैलािर जब उसिी गदा
िो दे खा तो मैं मस्त हो गया और मैंने उसिी गदा िो सघ
ूं ते हए अपनी जीभ ननिालिर चाट मलया, और मम्मी
‘आह्ह… राज’ िहिर मसमसयाने लगी।

तभी मैंने अपने दोनों हाथों से पायल िी चूत िी फांिों िो थोड़ा फैलािर जब उसिी गलाबी रसीली चूत िो
अपनी नाि से सुँघ
ू ा तो क्या मदमाती खश्बू थी। मैं तो मम्मी िी चूत िी मत
ू िी गंि से एिदम से पागल हो
गया और अपनी लंबी जीभ ननिालिर मम्मी िी चूत िो अपने मुँह में भरिर उसिी चूत िे छे द िे रस िो
चस
ू -चस
ू िर पीने लगा।

मम्मी मससि रही थी- “हाुँ… आह्ह… हाय मर गई राज… यह क्या िर रहा है बेटे… आह्ह… आह्ह… सीईयी…
सीईईई… अह्ह…”

क्या धचिनी गाण्ड थी मम्मी िी, और उसिी चूत ब्जतना धचिना पानी छोड़ रही थी, मझे उतना ही मजा
अपनी मम्मी िी मस्त चूत िा रस पीने में आ रहा था। मैंने अपने दोनों हाथों से मम्मी िी गाण्ड और चूत िो
फैला रखा था और अपनी जीभ ननिालिर खूब चूस-चूसिर मम्मी िी चूत िा पानी चाट रहा था। मम्मी िी
चत
ू पीछे से भी इतनी फूली और उठी हई टदखाई दे रही थी और उसिी चत
ू िी फांिें खब
ू फूली हई थी और
जब दोनों फांिों िो अलग किया तो उसिी चूत िा रस से भरा हआ गलाबी छे द बड़ा ही नशीला रस छोड़ रहा
था, ब्जसे पी पीिर मैं मस्त हआ जा रहा था।

208
तभी हररया ने मम्मी िा हाथ पिड़िर उसे सीिे खड़ा िर टदया और अपनी बंदि
ू िी नली उसिी दोनों जाुँघों
िे बीच डालिर िहा- “चल अपनी टाुँगें थोड़ा फैला ले, अब यह लौंडा तेरी फूली हई चत
ू िो, तझे खड़ी िरिे
तेरी चूत िे सामने बैठिर चूसेगा…”

हररया िा इतना िहना था कि मम्मी ने झट से मेरे लण्ड िी ओर दे खा और कफर अपनी जाुँघों िो थोड़ा खोल
िर खड़ी हो गई। मम्मी िी फूली चूत और चूत िे बीच िी मोटी सी गहरी लिीर बड़ी मस्त नजर आ रही थी,
और मैंने अपनी जीभ ननिालिर उसिी चत
ू िी गहरी लिीर िो जीभ से खोलने िी िोमशश िरते हए उसिी
चूत िो चाटने लगा।

मम्मी ने एि हाथ से अपने मोटे -मोटे दि


ू िो दबोचते हए मेरे मसर पर हाथ फेरिर सहलाना शरू िर टदया और
साथ ही- “ओह्ह… आह्ह… सीईई… आह्ह… राज बेटे आह्ह…” िी आवाज ननिालने लगी। मम्मी वैसे तो िाफी
फ्रॅोैोंि और ननडर थी, लेकिन आज वह मसफम मजा ले रही थी और िछ नहीं िह पा रही थी। अब उनिी शमम
लगभग खतम हो चिी थी और यह इस बात से पता चलता था कि अब मम्मी अपने हाथों से अपनी चूत िी
फांिों िो फैलािर अपनी चूत मेरे मुँह पर दे रही थी, और मैं उनिी गाण्ड में हाथ भरिर उनिी मोटी-मोटी
जाुँघों िो खब
ू दबाता हआ उनिी चत
ू चाट रहा था।

तभी मैंने मम्मी िी एि टांग पिड़िर थोड़ा ऊपर उठाया तो मम्मी ने साइड िे पेड़ िो पिड़िर अपनी टांग
उठािर मेरे िंिे पर रख दी और मैं मम्मी िी टाुँगों िे बीच घसिर उसिी चूत िो खूब फैलािर पागलों िी
तरह चाटने लगा। ऐसा लग रहा था कि मम्मी मेरे मुँह पर अपनी चूत रखिर बैठ जाना चाहती है । वह ब्जतना
वजन अपनी चत
ू िा मेरे मुँह पर दे ती, मैं उतनी ही जोर से उसिी चत
ू िो अपने होंठों से दबोचिर उसिा रस
चूसने लगता।

मैं अपने दोनों हाथों से िभी उनिी गदाज गाण्ड मसलता और िभी उनिी मोटी जाुँघों िो चम
ू ता सहलाता और
उनिी चूत खूब जोर-जोर से पीने लगता।

मम्मी लगातार- “आह्ह… ओह्ह… हाय राज बेटे आह्ह… आह्ह… ओह्ह बेटे…” जैसी आवाज ननिालिर मेरे मसर
िो सहला रही थी। तभी मम्मी ने मेरे मुँह िो िसिर अपनी चूत से दबोच मलया और मैंने भी उनिी चूत िी
फांिों िो खब
ू चौड़ा िरिे अपनी जीभ िो निीली िरिे उनिी चत
ू िे छे द में घसेड़ना शरू िर टदया।

कफर मम्मी एिदम से- “आह्ह… आह्ह… अह्ह… राज मैं गई…” और कफर मम्मी िी चूत ने खूब सारा रस छोड़
टदया और उनिे चेहरे पर खब
ू चदासपन िे भाव उभर आए, और उनिी मोटी जांघें खड़ी-खड़ी िाुँपने लगीं।

हररया ने जैसे ही यह नजारा दे खा वह मेरे पास आया और मश्िराते हए िहने लगा- “लगता है इस रानी िो
पेशाब लगी है, तभी यह अपनी चूत िो इतना जोर से तेरे मुँह से रगड़ रही है …”

कफर हररया ने मम्मी िे ऊपर बंदि


ू तानिर िहा- “चलो रानी अब तम मत
ू ती जाओ और तम्हारा यह यार
तम्हारी चूत चाटता जाएगा…”

209
हररया िी बात सनिर मम्मी ने एि बार हररया िो दे खा और कफर अपनी नजरें नीचे िर ली।

राज- मैं आपिे हाथ जोड़ता हूुँ, अब हमें जाने दो।

हररया- “ला रामू जरा मेरी धचलम तो जला…”

और कफर रामू ने उसिी धचलम जलािर दी और हररया ने एि िश खींचा और उसिी आुँखों में खून उतर
आया। कफर उसने बंदि
ू मेरे सीने पर तान िर िहा- “दे ख लौंडे चपचाप इस रं डी िो बोल कि अभी िे अभी मेरे
सामने खड़ी-खड़ी मत
ू ग
े ी, नहीं तो आज तेरी जान तो जाएगी ही साथ में इसे भी मारिर फेंि दें ग…
े ” और कफर
हररया ने बंदि
ू िे टरग्गर पर उं गली रखते हए िहा- “बोल बच्चे दबाऊुँ टरग्गर?”

पायल एिदम से घबराते हए- “नहीं-नहीं अपनी बंदि


ू हटा लो, तम जैसा िह रहे हो, मैं वैसा ही िरूुँगी। पर मेरे
राज िो िछ ना िरो…”

हररया- “यह हई ना बात… लगता है तम दोनों में बड़ा प्यार है , चलो अब शरू हो जाओ…”

मैं हररया िा िमीनापन दे खिर मस्त हो रहा था और मेरा लण्ड परू ी तरह तना हआ था।

मैंने मम्मी िी दोनों मोटी जाुँघों िो पिड़िर उसिी फूली हई चूत िो दे खा, जो परू ी धचिनी नजर आ रही थी।
कफर अपनी नजरें उठािर जब मैंने मम्मी िो दे खा तो वह थोड़ा शमामते हए अपनी आुँखें बंद िरिे मत
ू ने िी
िोमशश िरने लगी, और मैं उसिी चत
ू िे बबल्िल सामने मुँह िरिे उसिे दाने िो िीरे -िीरे अपनी उं गली से
रगड़ने लगा। तभी मम्मी िी चूत से छल्ल से थोड़ा सा पेशाब ननिला और मैंने तरं त अपनी जीभ से मम्मी िी
चूत चाटना शरू िर टदया।

मैंने जैसे ही मम्मी िी चूत िो चाटा, वैसे ही मम्मी िा मत


ू रुि गया। और जब मैंने मुँह हटाया तो मम्मी ने
थोड़ा और जोर लगाया और उसिी चूत से कफर से थोड़ी सी िार ननिलते दे खिर मैंने तरं त उसिी चूत चाटना
शरू िर टदया। अब मम्मी िी चूत से बद
ुँू -बुँद
ू मत
ू ननिल रहा था और मैं उसे चाटता जा रहा था। जब मम्मी
िी चूत से मत
ू बंद हो गया तो मैंने उसिी चूत िे उस छे द िो पिड़िर चूसना शरू िर टदया, जहाुँ से मम्मी
िा मत
ू ननिल रहा था।

मम्मी- “आह्ह… आह्ह… सीईईई… आह्ह… राज आह्ह… ओह्ह…” िरने लगी।

मैं अपनी मम्मी िी चूत िो खूब िस-िसिर चूसने लगा और वह अपनी चूत िो मेरे मुँह पर खूब रगड़-रगड़िर
मारने लगी। मैं मम्मी िी गदा में अपनी उं गली फुँसािर लगभग आिी उं गली उसिी गाण्ड में फुँसाए हए उसिी
चूत चूस रहा था। पायल िी चूत फूलिर लाल हो चिी थी, और वह परू ी नंगी बहत ही मस्त नजर आ रही थी।
वािई में अगर भारी भरिम बदन और वह भी साुँचे में ढला बबल्िल िटीला हो तो औरत िो मसफम नंगी दे खिर
ही मस्ती आ जाती है । बस वही हाल पायल िो दे खिर हम सभी िा हो रहा था।

210
मम्मी मेरे मुँह से अपनी चत
ू रगड़ते हए शायद कफर से झड़ चिी थी, इसीमलए अब उससे सीिे खड़ा नहीं रहा
जा रहा था। हररया भी इस बात िो समझ चिा था और कफर हमें वहाुँ िाफी वक़्त भी हो चिा था इसमलए
हररया ने अब मझे चोदने िा इशारा किया।

कफर मैं खड़ा हो गया और मम्मी िो अपनी बाुँहो में भरिर उसिे रसीले होंठ ब्जन्हें दे ख-दे खिर मेरा रोज पीने
िा मन होता था, आज वही रसीले होंठ पीते हए मैं पायल िे मोटे -मोटे दि
ू ों िो दहना शरू िर टदया।

मम्मी मझसे बरी तरह धचपि गई, अब मैं मम्मी िे बदन िे हर टहस्से िो सहलाते हए उसिे मुँह में अपनी
जीभ डालने िी िोमशश िरने लगा। तभी मम्मी ने अपनी जीभ बाहर ननिाल ली और मैं उनिी जीभ िो अपने
मुँह में भरिर उनिा रस चस
ू ने लगा। मेरी इस हरित से तो मानो मम्मी पागल हो गई और मेरे लण्ड िो
अपने हाथों में पिड़िर खद ही उसे अपनी चत
ू िी फांिों िे बीच रगड़ने लगी। मेरे लण्ड िा सपाड़ा जब मम्मी
िे भगनाशे से रगड़ता तो हम दोनों िो खूब मजा आता, और हम दोनों पागलों िी तरह एि दस
ू रे िे होंठों और
जीभ िो चूसते हए एि दस
ू रे िे अंगों िो खूब सहला और दबोच रहे थे।

मम्मी तो अपनी चूत मेरे लण्ड से ऐसे रगड़ रही थी जैसे रं डी खड़ी-खड़ी ही मेरे लण्ड पर चढ़ जाना चाहती हो।
मेरे लण्ड िी मोटाई और लंबाई दे ख-दे खिर पायल िी चत
ू भी खब
ू फूल रही थी। तभी मैंने अपने हाथ िो
मम्मी िी िमर िे पीछे लेजािर उसिी चूत िो अपने लण्ड िी ओर दबाया तो एि पल िे मलए सचमच मेरे
लण्ड िा सपाड़ा मम्मी िी चूत िो खोलिर अंदर घसने लगा। मम्मी ने भी अपनी गाण्ड िा झटिा मेरे लण्ड
िी ओर मारा और मेरा लण्ड मम्मी िी चूत में खड़े-खड़े ही थोड़ा सा घस गया।

पायल िीरे से मेरे िान में- “बेटे अब मझसे नहीं रहा जाता है प्लीज… अपना लण्ड मेरी चत
ू में डाल दे …”

राज- “लेकिन मम्मी मैं, आपिा बेटा हूुँ और अपना लण्ड आपिी चूत में िैसे डाल सिता हूुँ?”

पायल- “आह्ह… सीईईई… मैं िछ नहीं जानती, बस मझे अब तेरे इस मोटे लण्ड से अपनी चूत खूब िस-िसिर
मरवानी है …” और कफर मम्मी एिदम से नीचे जमीन पर बैठिर लेट जाती है और अपनी जाुँघों िो खूब फैलािर
अपने पैर हवा में ऊपर उठा लेती है ।

अपनी मम्मी िा बड़ा सा फूला हआ भोसड़ा दे खिर मैं, राम,ू और हररया अपनी सि-बि खो चिे थे। पायल
अपने संगमरमर जैसे नंगे और भारी बदन िो बेखझझि हमें टदखाती हई अपनी मोटी जाुँघों िो फैलािर अपने
हाथों से अपनी चूत और दि
ू सहलाते हए मेरे लण्ड िो दे खने लगती है ।

हररया- “जा लौंडे चढ़ जा ऊपर और ठोंि दे साली िो आज िसिर। तब ति मैं एि दो िश लगा लेता हूुँ…”
और कफर हररया और रामू बैठिर धचलम पीने लगे और मैं मम्मी िी दोनों जाुँघों िे बीच बैठिर उसिी चूत िो
अपने लण्ड से रगड़िर सहलाने लगा।

मम्मी- “आह्ह… सीईईई… बस िर बेटे अब नहीं रहा जाता, खब


ू िसिर पेल दे अपना मस
ू ल अपनी मम्मी िी
चूत में, और खूब िसिर चोद बेटे अपनी मम्मी िो…”

211
मैं मम्मी िी बात सनिर बहत उत्तेब्जत हो चिा था। मैंने अपने लण्ड िो मम्मी िी चूत िे छे द में लगािर
िसिर िक्िा मार टदया।

मम्मी िे मुँह से- “ओह्ह… राज मर गई रे आह्ह… कितना मोटा लण्ड है बेटे तेरा…”

मेरा आिे से अधिि लण्ड मम्मी िी चूत में फुँसा हआ था और मम्मी अपनी जाुँघों िो हवा में मोड़िर लण्ड िो
अपनी चूत में अड्जस्ट िर रही थी। तभी मैंने उनिी धचिनी िमर िो पिड़िर एि िक्िा और िसिर दे
टदया, ब्जससे मेरा लण्ड जड़ ति मम्मी िी चत
ू में उतर गया, और मम्मी मझसे धचपि िर मेरे गालों िो
चूमने लगी।

मैंने मम्मी िे दि
ू िो दबाते हए िीरे -िीरे लेकिन गहराई ति अपने लण्ड िे िक्िे अपनी मम्मी िी फूली चत

में मारना शरू िर टदया, और मम्मी मेरे होंठों िो चम
ू ते हए मेरी पीठ सहलाने लगी। मेरा लण्ड परू ी गहराई ति
उतर रहा था, और मेरे पेड़ू में मम्मी िे पेड़ू िी रगड़ से उसिे बारीि-बारीि बाल मझे हल्िे-हल्िे चभ रहे थे
और मेरे अंडिोर् पायल िी गाण्ड िे छे द से टिरा रहे थे। िछ समय में ही पायल अपनी चूत उठा-उठािर मेरे
लण्ड से रगड़ने लगी और मेरी स्पीड भी बढ़ गई। अब मैं अपनी माुँ िो खूब िस-िसिर गहराई ति उसिी चूत
में लण्ड डालिर चोद रहा था।

पायल बबल्िल पागल हो चिी थी। वो मझे अपने सीने से परू ी तरह धचपिाते हए मेरे होंठों िो चूमने लगी। मैं
जब उसिे रसीले होंठों िो चूमने जाता तो वह अपनी जीभ बाहर ननिाल दे ती और मैं उसिे मोटे -मोटे दि
ू िो
िसिर दबाते हए उसिी रसीली जीभ िो अपने होंठों िे बीच दबािर चूसते हए उसिी चत
ू में अपने लण्ड िो
दनादन पेलने लगा।

पायल ने दोनों घटनों िो मोड़ते हए अपनी दोनों टाुँगों िो हवा में उठा टदया था, और मैं खूब िस-िसिर उसिी
चत
ू में िक्िे मारते हए उससे बरी तरह धचपिा हआ था। हम दोनों िी सांसें बहत तेज हो चिी थीं, और हम
मंब्जल िे िरीब ही जाने वाले थे कि हररया ने पायल िे ऊपर बंदि
ू तान दी और पायल एिदम से रुि गई
और मैंने भी अपना ध्यान उस ओर लगाया।

हररया- “चलो बहत हआ, िा टदन भर इसी में लगे रहोगे?” और कफर हररया ने मेरी ओर दे खते हए िहा- “चल
बे लौंडे एि बार हमें इसिी बर चाटिर तो टदखा…”

मैं पायल िी चूत में लण्ड डाले हए बैठा था और मैंने लण्ड बाहर खींचिर पायल िी चूत िो चूमते हए उसिी
रसीली चत
ू िो फैला-फैलािर चाटना शरू िर टदया।

मम्मी मससि उठी- “आह्ह… आह्ह… आह्ह… राज बेटे बहत अच्छा लग रहा है आह्ह… ओह्ह… राज्ज्ज…”

मैं उनिी जाुँघों िो भी बीच-बीच में दबा-दबािर चूम रहा था और कफर अपना मुँह पावरोटी सी फूली चूत से
लगािर उसिी फांिों िो फैलािर उसे चाटने लगा। ऐसा लग रहा था कि पायल झड़ जाएगी तभी मैंने कफर से
पायल िी चूत में अपना लण्ड पेल टदया और उसे खूब तेज-तेज चोदना शरू िर टदया, और पायल कफर से मझे
उसी तरह चूमने लगी।

212
मेरे िक्िों िी स्पीड बढ़ती ही जा रही थी और मम्मी ने नीचे से अपनी िमर उठा-उठािर मेरे लण्ड पर मारना
शरू िर टदया। उनिी चत
ू िे िक्िे इतने तगड़े थे कि जब मैं िक्िा मारता और उिर से वह िक्िा मारती तब
अगर हमारे िक्िे एि ही समय पर आमने सामने से पड़ते तब दोनों िसिर एि दस
ू रे से धचपिते हए खब

िस-िसिर एि दस
ू रे िी चूत और लण्ड िो धचपिा लेत।े

अब पायल से नहीं रहा गया और उसने मझे िसिर पिड़ मलया और उसिी बर खूब धचिनी हो गई। मेरा लण्ड
सटासट कफसल-कफसल िर उसिी चत
ू में जाने लगा और मैंने जैसे ही उसिी गाण्ड िो दबोचते हए िस-िसिर
8-10 िक्िे मारे कि पायल एिदम से मझसे िसिर धचपि गई और उसिी चूत िी गहराई में मेरे लण्ड ने
पानी छोड़ना शरू िर टदया। पायल िी चूत ने िसिर मेरे लण्ड िो पिड़ मलया और मैंने भी खूब गहराई ति
अपने लण्ड िो डाल टदया।

हम दोनों अभी थि िर आुँखें बंद िरिे सांसें ले ही रहे थे कि हररया ने बंदि


ू तानते हए िहा- “बहत बटढ़या
चदाई िरते हो तम दोनों। पर यह बताओ वहाुँ शहर में मौिा नहीं ममलता होगा तम दोनों िो, इसमलए गाुँव िी
हररयाली में और गन्नों िी ममठास िे बीच चदाई िरने चले आते हो, है ना?”

राज- “अरे ऐसा नहीं है डािू भाई साहे ब…”

हररया गस्से से राज िे गले पर बंदि


ू लगािर- “चप िर लौंडे, नहीं तो यहीं ढे र िर दुँ ग
ू ा। ब्जतना पछ
ू ें उतना ही
बोल समझे…”

कफर हररया एिदम से हुँसते हए मेरी पीठ पर हाथ मारिर- “पर यार लौंडे तझे मैं मानता हूुँ… साले क्या माल
फुँसाया है , 40-45 साल िी होगी लेकिन है बहत गबरू जवानी। साले तन
ू े आखखर ऐसे जोरदार चोदने लायि
माल िो फुँसाया िैसे?”

हररया िी बात सनिर पायल एिटि हररया िो दे खने लगी और कफर खड़ी होिर अपने िपड़े उठाने लगी।

तभी हररया ने बंदि


ू से उसिे िपड़े अपनी ओर खींचिर हुँसते हए िहा- “अरे मेडम साटहबा िहाुँ चली?”

पायल- तमने जैसा िहा हमने िर टदया, अब हमें जाने दो।

हररया- अरे वाह ऐसे िैसे जाने दें ? अभी तो हमने िछ िहा ही नहीं और तम जाने िी बात िर रही हो। अभी
एि िाम और तम्हें िरना होगा रानी, उसिे बाद ही तम यहाुँ से जा सिोगी।

पायल- िौन सा िाम?

हररया- “अभी तो तम्हें इस लौंडे से हमारे सामने अपनी गाण्ड मरवाना पड़ेगी…”

पायल- नहीं, मैं यह नहीं िरूुँगी।

213
हररया- “दे खो रानी, तम्हें नंगी दे खिर भी हम तम्हें चोद नहीं रहे हैं… जानती हो क्यों? क्योंिी तम इस लौंडे िी
मोहजबत हो और हम तम्हें इसिे सामने चोदिर इसिे प्यार िो गाली नहीं दे ना चाहते, क्योंिी हम खद एि
बहत बड़े टदलजले हैं। अब अगर तम इससे अपनी गाण्ड नहीं मरवाओगी तो कफर ठीि है मैं और मेरा चेला दोनों
और चोद लेते हैं तम्हें …”

मैं बहत दे र से मम्मी िो नंगी खड़ी दे ख रहा था और हररया से बात िरते हए उन्होंने जब अपनी गदाज गाण्ड
मेरी तरफ िी तो मेरा लण्ड खड़ा हो गया, और मैं िीरे से मम्मी िे िरीब गया और उनिी गाण्ड से अपने खड़े
लण्ड िो सटाते हए उनिे गोरे गालों िो चूमिर िहा- “मम्मी जो यह िह रहे हैं, वह िभी मत िरना…”

मम्मी िी गाण्ड में सीिे मेरा खड़ा लण्ड चभने लगा और मैंने उनिे मोटे -मोटे दि
ू ों िो पीछे से खड़े होिर पिड़
मलया, तो मम्मी एिदम से मसहर गई। मैंने िीरे से अपनी उं गली से मम्मी िी मोटी गाण्ड िी गदा िो सहलाते
हए कफर से पछ
ू ा- “मम्मी अब बताओ, क्या तम मझसे गाण्ड मरवाओगी?”

पायल- “आह्ह… आह्ह… ओह्ह… बेटे क्या िर रहा है आह्ह… सीईईई… ओह्ह… बेटे…”

राज- “मम्मी मझसे चदवाओगी क्या?”

पायल- “आह्ह… आह्ह… हाुँ बेटे हाुँ… खूब िसिर चदवाऊगी तझसे…”

तभी मैंने मम्मी िी चत


ू पर हाथ लेजािर उनिी चत
ू िो िसिर दबोच मलया।

इतने में रामू चपिे से मेरे पास आ गया और अपनी जेब से तेल िी शीशी ननिालिर बहत सारा तेल उसने मेरे
हाथ में डाल टदया, और मैंने वह तेल तरं त अपने लण्ड पर लगा मलया और कफर पीछे से मम्मी िी चत
ू िी
फांिों और गाण्ड िे छे द में खूब तेल लगा-लगािर अपनी उं गली मम्मी िी गाण्ड में दबाने लगा और मेरी उं गली
बहत िसी-िसी उनिी गदाज गदा में घसने लगी।

पायल बहत जोर-जोर से मसमसया रही थी और अपने एि हाथ िो मेरे हाथ से पिड़े अपने मोटे -मोटे चूचे दबवा
रही थी, और दस
ू रे हाथ िो मेरे हाथ पर चत
ू िे ऊपर से दबा रही थी। मैं उसिी चत
ू िो और भी िसिर पिड़े
हए था। तभी मैंने िीरे से एि हाथ से अपने मस्त मोटे लण्ड िो पिड़ा और मम्मी िी गाण्ड िे छे द से
लगािर मम्मी िी िमर िे आस-पास हाथ लेजािर उनिी िमर िो मजबत
ू ी से थाम मलया और िसिर एि
िक्िा, जब मैंने पायल िी मोटी गाण्ड में, मारा तो पायल िे मुँह से “ऊऊह्ह… मर गई रे …” जैसी आवाज
ननिल पड़ी और मेरा लौड़ा आिे से ज्यादा उनिी गाण्ड िे छे द िो फैलाए अंदर फुँसा हआ था। धचिनाई बहत
होने िी वजह से मेरा लण्ड बड़े आराम से फुँसा हआ था, और मैं उनिे दि
ू िो िस-िसिर दबा रहा था।

पायल- “ओह्ह… राज तेरा लण्ड तो बहत मोटा है…”

मैं िीरे -िीरे उनिी गाण्ड में िक्िे लगाता हआ उनिे चूचे दबाते हए उनिे गालों िो चूमिर- “तम्हारे चूतड़ भी
तो इतने भारी हैं कि इन्हें मेरे जैसे तगड़े लण्ड िी ही जरूरत थी। है ना?”

214
पायल- “हाुँ बेटे, तू सच िह रहा है । थोड़ा तेज-तेज िर ना बहत अच्छा लग रहा है । हाुँ ऐसे ही आह्ह… ओह्ह…
सीईईई… आह्ह… आह्ह…”

मेरे िक्िों िी रफ़्तार बढ़ने लगी और अब मेरा लण्ड पायल िी गाण्ड में सटासट जाने लगा था, और मैं एि
हाथ से पायल िी बर िो सहलाते हए उसे दोहरे मजे दे रहा था। उसिी मोटी गाण्ड िी िसावट से मेरे लण्ड में
बहत जोश भर गया और मैं खूब िस-िसिर उसिी गाण्ड मारने लगा। वह भी मेरे िक्िों िे जवाब में अपनी
गाण्ड िसिर मेरे लौड़े पर मारती और मेरे आंड परू ी तरह उछल जाते। कफर मैं उसिी गाण्ड में िक्िे मारता
और थपि िी आवाज गुँज
ू ने लगती।

हम दोनों परू ी मस्ती में एि दस


ू रे िो िक्िे मार रहे थे और कफर मैंने पायल िो िसिर पिड़ मलया और खब

गहरे और िस-िसिर िक्िे उसिे दि
ू दबाते हए उसिी मस्त गाण्ड में दे ना शरू िर टदया और एि हाथ से
खूब उसिी चूत िो सहलाते हए उसिी गाण्ड चोदने लगा। पायल िे चूतड़ों िो मसलते मसलते मैंने उन्हें लाल
िर टदया था और उसिी गदा मस्त तरीिे से मेरे लण्ड िो ले रही थी। अब तो यह ब्स्थनत बन चिी थी िी
िभी-िभी मेरा लण्ड सट से बाहर आ जाता और पायल िी गाण्ड एिदम से मसिड़ने लगती और मैं अपने
सपाड़े िो कफर से गदा में रखिर िच्च से पेलता और मेरा लण्ड कफर से उसिी गदा िो फैलाता हआ अंदर ति
समा जाता।

मम्मी कफर से एि जोरदार मससिारी िे साथ- “ओह्ह… बेटे…” िरते हए िराहने लगती है । और मैं उनिी मोटी
गाण्ड दबोच-दबोचिर उन्हें ठोंिने लगता हूुँ। िरीब आिे घंटे िी मस्त ठिाई िे बाद पायल िी चूत ने पानी
छोड़ टदया और वह िम्म से जमीन पर लढ़ि गई।

और उिर जब मैंने हररया और रामू िो दे खा तो उन्होंने खड़े-खड़े ही अपने लण्ड पायल िी गदाज गाण्ड और
फूली हई रसीली चत
ू िो दे खिर टहला डाला, और सारा पानी ननिालिर किसी भख
ू े प्यासे ित्तों िी तरह हाुँफने
लगे।

मैं तो परू ी तरह मस्त हो चिा था और मैंने रामू और हररया िो इशारा किया और वह दोनों वहाुँ से खखसि मलए
और कफर मैंने मम्मी िे पास जािर चूमते हए िहा- “मम्मी उठो डािू भाग गये…”

पायल एिदम से उठिर इिर-उिर दे खते हए खश होती हई एिदम से मेरे लण्ड िो दे खिर खद िी हालत िो
महसस
ू िरते हए शमाम गई, और उसिे चेहरे पर एि हल्िी मश्िान भी आ गई। उनिी मश्िान दे खिर जैसे ही
उनिी नजरें मझसे कफर से ममली मैंने उनिे रसीले होंठों िो चम
ू मलया और वह मझसे एिदम से मलपट गई।

मैंने उन्हें खूब िसिर अपने साथ दबोच मलया और चूमते हए िहा- “मम्मी, अब बािी घर पर िर लेना अब
यहाुँ से चलो…”

पायल मश्िरािर मझे मारती है और मैं उठिर उन्हें उनिे िपड़े फेंि िर दे दे ता हूुँ और वह जल्दी से उठिर
मश्िराते हए मझ दे खते हए अपने िपड़े पहनने लगती है । वहाुँ से हम अपनी बाइि िे पास आते हैं और कफर
मैं बाइि उठािर मम्मी िो पीछे बैठािर वापस घर िी ओर चल दे ता हूुँ।

215
मम्मी गाड़ी में पीछे बैठिर अपने बालों िो बाुँिती हई िाफी हुँसमख लग रही थी और बीच-बीच में मेरी िमर
में हाथ डालिर मझसे धचपि जाती थी।

जब हम घर पहुँचे तो हमने दे खा िी संगीता नहीं थी। हमने दस


ू री चाभी से ताला खोला और अंदर जािर गेट
बंद िरिे एि दस
ू रे से िसिर मलपट गये और एि दस
ू रे िो चूमते हए सोफे पर जा धगरे । और कफर वह
मसलमसला जो वहाुँ घटा, वह अपनी रफ़्तार िे साथ चल पड़ा, जो बस चलता ही रहा और ब्जंदगी गजरती रही।

िछ ही समय में हररया और रामू िे गाुँव िी साइट िा िाम खतम हो गया और कफर एि नई साइट और एि
नई मंब्जल िी ओर मैं कफर ननिल पड़ा। लेकिन रामू और हररया िे खेतों िे गन्नों िी ममठास हमेशा मेरे घर
में पायल और संगीता िे साथ बनी रही, और उन गन्नों िी ममठास ने हमारी ब्जंदगी में भी ममठास भर दी।

तो दोस्तों िहानी िैसी लगी जरूर बताना कफर ममलेंगे नई स्टोरी िे साथ तब ति िे मलए अलववदा।

पष्ठ 091… पोस्ट 903 ति


अंनिि अपडेट 18-05-2012 को पष्ृ ठ 071… पोस्ट 705 पर

💐💐💐💐💐 सिाप्ि 💐💐💐💐💐

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