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Vision Ias Gs 2 Value Addition Material
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2.2. भारत में शासन सांबांधी मुद्दे (Governance Issues in India) ________________________________________ 10
2.3. भारत में सुशासन की पहल (Good Governance Initiatives in India) ________________________________ 11
6.4. भारत में ई-शासन सांबांधी पहलें (E-Governance Initiatives in India) ________________________________ 24
8. UPSC मुख्य परीक्षा में ववगत वषों में पूछे गए प्रश्न ___________________________________________________ 39
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1. शासन
1.1. शासन क्या है ? (What is Governance?)
सांयक्त
ु राष्ट्र ववकास कायणक्रम (UNDP), 1997 ने शासन को “सभी स्तरों पर देश के मामलों का प्रबांधन
करने के वलए आर्थथक, राजनीवतक एवां प्रशासवनक प्रावधकार के अभ्यास” के रूप में पररभावषत ककया
है। इसमें ऐसे तांत्र, प्रकक्रयाएां एवां सांस्थान सवममवलत होते हैं वजनके माध्यम से नागररक और समूह अपने
वहतों को सहसांबांवधत करते हैं, अपने वववधक अवधकारों का उपयोग करते हैं, अपने दावयत्वों को पूणण
करते हैं और अपने मतभेदों का वनराकरण करते हैं”।
वषण 1993 में ववश्व बैंक ने शासन को ऐसी वववध के रूप में पररभावषत ककया वजसके माध्यम से ककसी
देश के प्रबांधन में राजनीवतक, आर्थथक एवां सामावजक सांसाधनों का ववकास हेतु उपयोग ककया जाता है।
सरल शब्दों में शासन ऐसी प्रकक्रया एवां सांस्थान हैं वजनके माध्यम से वनणणय ककए जाते हैं और देश में
प्रावधकार का प्रयोग ककया जाता है। शासन को कई सांदभों में उपयोग ककया जा सकता है जैसे कक
वनगवमत शासन, अांतरराष्ट्रीय शासन एवां स्थानीय शासन।
इस प्रकार शासन वनणणय करने की प्रकक्रया, एवां उन वनणणयों के कायाणन्वयन में समाववष्ट औपचाररक एवां
अनौपचाररक कताणओं एवां सांस्थानों पर ध्यान कें कित करता है।
शासन में सरकार प्रमुख वहतधारक होती है। अन्य वहतधारकों में राजनीवतक कताण और सांस्थाएँ, रूवच
रखने वाले समूह, नागररक समाज, मीवडया, गैर-सरकारी और अांतरराष्ट्रीय सांगठन सवममवलत हो सकते
हैं। शासन में सवममवलत अन्य अवभकताणओं में सरकार के स्तर के अनुसार वभन्नता हो सकती है।
आमतौर पर, राष्ट्रीय स्तर पर सरकार शासन के वहतधारकों को तीन व्यापक श्रेवणयों में वगीकृ त ककया
जा सकता है – राज्य, बाजार एवां नागररक।
राज्य में सरकार के वववभन्न अांग (ववधावयका, न्यायपावलका एवां कायणपावलका) एवां उनके साधन,
स्वतांत्र उत्तरदावयत्व तांत्र सवममवलत होते हैं। इसमें कताणओं के वववभन्न सांभाग (वनवाणवचत
प्रवतवनवध, राजनीवतक कायणकारी, कायाणलय नौकरशाही/वववभन्न स्तरों पर वसववल सेवक आकद भी
सवममवलत होते हैं)।
बाजार में वनजी क्षेत्रक- सांगरठत और साथ ही असांगरठत क्षेत्रक भी सवममवलत होता है- वजसमें बडे
कारपोरे ट घरानों से लेकर लघु स्तरीय उ्ोग एवां प्रवत्ान सवममवलत होते हैं।
नागररक समाज सबसे ववववधतापूणण होता है और इसमें आमतौर पर वे सभी समूह सवममवलत होते
हैं जो (1) or (2) में सवममवलत नहीं होते हैं। इसमें गैर सरकारी सांगठन (Non-Governmental
Organizations: NGOs), स्वैवछछक सांगठन (Voluntary Organizations: VOs), मीवडया
सांगठन/सांघ, व्यापार यूवनयन, धार्थमक समूह, दबाव समूह आकद सवममवलत होते हैं।
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मानव आवश्यकताओं में उवचत वनवेश के माध्यम से राज्य की प्राथवमकताओं का पुनः उन्मुखीकरण
करना।
वनधाणत और सीमाांत व्यवक्तयों के वलए सामावजक सुरक्षा का प्रावधान।
राज्य सांस्थाओं को सुदढ़ृ करना
सांसद के कामकाज एवां इसकी प्रभावशीलता में वृवद्ध करने में उपयुक्त सुधारों का समावेश करना।
प्रदशणन और उिरदावयत्वता से मेल खाने वाले उपयुक्त सुधार उपायों के माध्यम से लोक सेवाओं
की क्षमता बढ़ाना।
नागररक समाज के साथ नए गठजोड वनर्थमत करना।
सरकार-व्यवसाय सहयोग के वलए एक नया ढाांचा तैयार करना।
1.5. वर्लडण वाइड गवनें स इां वडके टर प्रोजे क्ट – ववश्व बैं क
ववश्व बैंक िारा - ‘वर्लडणवाइड गवनेंस इां वडके टर प्रोजेक्ट', 200 से अवधक देशों को शासन के छह प्रमुख
सांकेतकों के आधार पर श्रेणीक्रम प्रदान करती है। ये छह सांकेतक हैं:
मतावधकार और उिरदावयत्व
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प्रशासवनक सुधार एवां जन वशकायत ववभाग (DARPG) ने अपनी ररपोटण "शासन की दशा-मूर्लयाांकन
की एक रूपरे खा" में शासन को पाांच आयामों राजनीवतक, वववधक एवां न्यावयक, प्रशासवनक, आर्थथक
तथा सामावजक एवां पयाणवरणीय आयाम में ववभावजत ककया है।
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मामलों पर राज्य का प्रदशणन एवां साथ ही प्रशासन में अनुकक्रयात्मकता एवां पारदर्थशता भी सवममवलत
होती है।
इसमें वनमनवलवखत चार अवयव होते हैं:
नागररक इां टरफ़े स और सांलग्नता
मानव, वविीय और अन्य सांसाधनों को प्रबांवधत करना।
आधारभूत सेवा ववतरण
भ्रष्टाचार बोध, सतकण ता एवां प्रवतणन।
4. शासन का आर्थथक आयाम (Economic Dimension of Governance)
आर्थथक आयाम, समवष्ट-आर्थथक वस्थरता सुवनवचितत करने एवां अथणव्यवस्था के वववभन्न क्षेत्रकों में आर्थथक
गवतवववध समपन्न होने हेतु अनुकूल माहौल वनर्थमत करने के वलए राज्य की क्षमता से सांबांवधत होता है।
आर्थथक शासन, प्राथवमक क्षेत्रक को समथणन प्रदान करने में राज्य की क्षमता में भी प्रवतलवक्षत होता है।
इसके तीन मूलभूत घटक होते हैं:
वविीय शासन
कारोबारी माहौल
प्राथवमक क्षेत्रक को समथणन
5. शासन के सामावजक और पयाणवरणीय आयाम (Social and Environmental Dimension of
Governance)
सामावजक आयाम का सांबांध समाज के सुभे् वगों का ध्यान रखने की राज्य की क्षमता से होता है। यह
नागररक समाज और मीवडया की भूवमका और गुणविा का परीक्षण करके शासन का आकलन करने का
प्रयास करता है। शासन में बढ़ते महत्व के कारण भी पयाणवरण प्रबांधन को एक पृथक अवयव के रूप में
सवममवलत ककया जाता है।
इस आयाम में तीन प्रमुख अवयव होते हैं:
वनधणन और सुभे् व्यवक्तयों का कर्लयाण
नागररक समाज और मीवडया की भूवमका
पयाणवरण प्रबांधन
2.2. भारत में शासन सां बां धी मु द्दे (Governance Issues in India)
भारत राजनीवतक, आर्थथक, प्रशासवनक और कानूनी क्षेत्र में शासन से जुडे वववभन्न मुद्दों का सामना कर
रहा है। खराब शासन के कु छ प्रमुख कारक इस प्रकार हैं:
राजनीवतक मुद्दे:
o राजनीवत का अपराधीकरण
o राजनीवतक शवक्त का दुरूपयोग
o ववकें िीकरण की बातें कागजों में अवधक, कक्रयान्वयन में कम
कानूनी और न्यावयक मुद्दे
o ववलांवबत न्याय, वाद ववचाराधीनता से जुडे मुद्दे
o न्यायपावलका में जवाबदेही का अभाव
o जीवन और व्यवक्तगत सुरक्षा के वलए सांकट
प्रशासवनक मुद्दे
o राजकीय मशीनरी में सांवेदनशीलता, पारदर्थशता और जवाबदेही का अभाव।
o नौकरशाही िारा देरी
o पारदर्थशता और जवाबदेही में वृवद्ध करने वाले पररवतणनों का प्रवतरोध
o भ्रष्टाचार
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आर्थथक मुद्दे
o अथणव्यवस्था का कु प्रबन्धन
o वविीय असांतुलन
o क्षेत्रीय असमानताएां
सामावजक और पयाणवरणीय मुद्दे
o जनसांख्या के एक बडे भाग को मूल सुववधाएँ भी प्राप्त नहीं होना।
o सामावजक, धार्थमक, जावत और लैंवगक समबद्धता के कारण उनका बवहष्करण।
o वनधणन लोगों, वजन्हें प्रशासन में भागीदारी के बहत कम अवसर वमलते हैं; और
o भौवतक पयाणवरण में, ववशेषकर शहरों में वगरावट।
भारत को अपने शासन के ररकाडण में सुधार करने के वलए बहत प्रयास करने होंगे। इस कदशा में कई
कदम उठाये भी गए हैं। उदाहरण के वलए, आम आदमी को सशक्त बनाने और शासन की प्रभावी
कामकाज के वलए भारत में जो दो बडी पहलें की गई हैं, उनमें सूचना का अवधकार और ई-शासन के
उपाय सममवलत हैं।
सुशासन की सांवक्षप्त रूप में वनम्नवलवखत व्याख्या की जा सकती है:
ववकें िीकरण और जन भागीदारी– सांववधान का 73वाां और 74वाां सांशोधन (राज्यव्यवस्था खांड में
सममवलत)
वनबणल वगों और वपछडे क्षेत्रों के वलए कायणक्रम ववकवसत करना (सामावजक न्याय खांड में
सममवलत)
वविीय प्रबन्धन और बजट शुवचता
कायणपद्धवत और प्रकक्रयाओं का सरलीकरण
नागररक चाटणर
सेवोिम मॉडल
नागररकों की वशकायतों का वनवारण
ई-शासन और ICT उपकरणों का उपयोग
सावणजवनक सेवा में भ्रष्टाचार कम करने के उपाय
पारदर्थशता और जवाबदेही के उपाय
o सूचना का अवधकार
o सामावजक लेखा परीक्षा
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व्यवसाय में सुगमता में भी शासन की सुगमता पर के वन्ित है। शासन को और अवधक दक्ष और
प्रभावी बनाने के वलए, वतणमान वनयमों के सरलीकरण और तकण सांगत बनाने पर और सूचना
प्रौ्ोवगकी को प्रारमभ करने पर बल कदया जा रहा है।
mygov@nic.in और india.gITov.info दो नागररक के वन्ित मांच हैं जो लोगों को सरकार से
जुडने और सुशासन में योगदान देने के वलए सशक्त बनाते हैं।
PMO की वेबसाइट भी भारत से समबवन्धत वववभन्न ववषयों पर लोगों से ववशेषज्ञ परामशण,
ववचार आमांवत्रत करती रहती है।
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नागररक चाटणर एक दस्तावेज है जो वशकायत वनवारण तन्त्र के साथ सेवा ववतरण के मानक, गुणविा
और समय सीमा के प्रवत सावणजवनक वनकाय की प्रवतबद्धता को रे खाांककत करता है। यह नागररक और
सेवा प्रदाता के बीच सेवाओं की प्रकृ वत की समझ की अवभव्यवक्त है, वजसे उिरवती प्रदान करने के वलए
बाध्य है।
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यह शासन प्रकक्रया में लोगों की सहभावगता और सरकार की ववश्वसनीयता में वृवद्ध करता है।
कार्थमक ववभाग में प्रशासवनक सुधार और सावणजवनक वशकायत और पेंशन ववभाग (DARPG)
नागररकों के चाटणरों को तैयार करने एवां उसे सांचावलत करने के प्रयासों को समवन्वत करता है। यह
चाटणरों के वनमाणण के साथ-साथ उनके मूर्लयाांकन हेतु भी कदशा-वनदेश प्रदान करता है।
DARPG यह वनधाणररत करता है कक एक अछछे नागररक चाटणर में वनम्नवलवखत घटक होने चावहए:
सांगठन की दृवष्ट और वमशन वक्तव्य
सांगठन िारा ककए जाने वाले कायों का वववरण
‘नागररकों’ या ‘ग्राहकों’ का वववरण
मानकों, गुणविा, समय सीमा सवहत प्रत्येक नागररक/ग्राहक समूह सेवाओं को प्रदान की जाने
वाली वववभन्न सेवाएां मानकों, गुणविा, समय सीमा आकद का वववरण और उन्हें कै से/कहाँ प्राप्त
ककया जा सकता है।
वशकायत वनवारण प्रणाली का वववरण और उस तक कै से पहांचा जा सकता है।
‘नागररकों’ या ‘ग्राहकों’ से क्या अपेक्षाएां हैं।
अवतररक्त प्रवतबद्धताएँ जैसे सेवा ववतरण में ववफलता पर हजाणना।
नागररक चाटणर के सन्दभण में ‘नागररक’ कौन है?
नागररक चाटणर में शब्द ‘नागररक’ से अवभप्राय वे ग्राहक या उपभोक्ता हैं, वजनके वहतों और मूर्लयों को
नागररक चाटणर में समबोवधत ककया जाता है और इसवलए इसमें न के वल नागररक अवपतु सभी
वहतधारक अथाणत नागररक, ग्राहक, उपभोक्ता, उपयोगकताण, लाभकताण, अन्य मांत्रालय/ववभाग/सांगठन,
राज्य सरकारें , कें ि शावसत प्रशासन आकद सवममवलत है।
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सावणजवनक वशकायत अवधकाररयों का वववरण कई चाटणरों में कदया ही नहीं गया है।
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यह सेवा प्राप्तकताणओं के इां टरफे स हबदु पर सावणजवनक सेवा प्रदाता सांगठनों की गवतवववधयों पर
लागू गुणविा प्रबन्धन ढाांचा है।
यह ढाांचा कायाणन्वयन एजेंवसयों के हाथों में एक उपकरण है।
यह सेवा ववतरण में सांधारणीय सुधार के वलए एक व्यववस्थत पहलों से मागणदशणन करता है।
यह ढाांचा कायाणन्वयन एजेंवसयों को नागररक के वन्ित सेवाओं के वलए एक व्यववस्थत, ववश्वसनीय
और प्रमावणत स्व-मूर्लयाांकन (या अन्तराल ववश्लेषण) करने में सक्षम बनाता है।
इस ववश्लेषण के उपयोग से, सांगठन की दैवनक गवतवववधयों में धीरे धीरे व्यवहाररक समाधान
समाववष्ट होते रहते हैं, वजनसे सांधारणीय पररणाम सुवनवचितत होते हैं।
नागररकों के माल और सेवाओं के समयबद्ध प्रावप्त के अवधकार को सुवनवचितत करने हेतु “माल और
सेवाओं के समयबद्ध ववतरण और वशकायत वनवारण ववधेयक 2011” को लोकसभा में 2011 में प्रस्तुत
ककया गया था, परन्तु यह सदन की अववध की समावप्त के साथ ही समाप्त हो गया था।
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समय की माांग है कक सेवाओं के ववतरण को एक अवधकार के रूप में मान्यता दी जाए और उसके वलए
समयबद्ध सेवाओं के ववतरण को कानूनी प्रावधान के अांतगणत लाया जाए।
“माल और सेवाओं के समयबद्ध ववतरण और वशकायत वनवारण ववधेयक 2011” की मुख्य ववशेषताएां:
प्रत्येक सावणजवनक वनकाय को इस अवधवनयम के पाररत होने के छह महीने में अपना नागररक
चाटणर प्रकावशत करना आवश्यक होगा।
एक नागररक वनम्नवलवखत में से ककसी भी ववषय पर वशकायत दजण कर सकता है:
o नागररक चाटणर;
o सावणजवनक वनकाय के कामकाज पर; या
o कानून, नीवत और योजना का उर्ललांघन।
ववधेयक में सभी सावणजवनक प्रावधकरणों को वशकायत वनवारण अवधकाररयों की वनयुवक्त करनी है।
वशकायत वनवारण 30 कामकाजी कदनों में करना होगा।
ववधेयक में के न्िीय और राज्य सावणजवनक वशकायत वनवारण आयोगों का भी प्रावधान था।
सेवाएँ प्रदान करने में ववफल रहने पर समबवन्धत अवधकारी या वशकायत वनवारण अवधकारी पर
50,000 रूपये तक आर्थथक दांड लगाया जा सकता है।
कु छ राज्यों ने सावणजवनक सेवाओं के ववतरण के अवधकार की गाांरटी के वलए कानून बनाये हैं, परन्तु देश
भर में व्यापक ढाांचा प्रदान करने के वलए एक के न्िीय कानून की आवश्यकता है।
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सामावजक लेखापरीक्षा एक ऐसी प्रकक्रया है वजसके अांतगणत सावणजवनक पहलों के वलए उपयोग ककए गए
सांसाधनों के वववरणों को प्राय: सावणजवनक मांचों के माध्यम से जन-साधारण के साथ साझा ककया जाता
है, जो अांवतम उपयोगकताणओं को ववकास कायणक्रमों के प्रभाव की जाांच करने की अनुमवत देता है।
सामावजक लेखापरीक्षा ककसी सांगठन के सामावजक उिरदावयत्व को मापने के वलए एक साधन के रूप
में कायण करता है। इसने पांचायत राज सांस्थानों से सांबांवधत सांववधान के 73वें सांशोधन के पचितात महत्व
प्राप्त ककया।
सामावजक लेखापरीक्षा तथा अन्य लेखापरीक्षाओं के मध्य अांतर
एक पारां पररक वविीय लेखापरीक्षा, एक बाह्य लेखा परीक्षक िारा वविीय अवभलेख वसद्धाांतों का
अनुसरण करते हए वविीय अवभलेखों तथा उनकी बारीकी से की गयी जाांच पर कें कित होता है।
सामावजक लेखापरीक्षा, वहतधारकों के व्यापक वक्षवतज को समाववष्ट करता है क्योंकक इसकी ररपोटण
नैवतकता, श्रम, पयाणवरण, मानवावधकार, समुदाय, समाज व वैधावनक अनुपालनों के इदण-वगदण घूमती
है।
स्वतांत्रता के पचितात से सामावजक ववकास कायणक्रमों में, भारत सरकार तथा वववभन्न राष्ट्रीय एवां
अांतराणष्ट्रीय एजेंवसयों िारा बडी मात्रा में धन व सांसाधनों के रूप में ककए गए वनवेश को, इसके िारा
बनाए गए प्रभाव से न्यायोवचत नहीं ठहराया गया है।
अभी तक सरकार का ध्यान मुख्य रूप से, कायणक्रम ववतरण प्रणाली की आपूर्थत पर ही के वन्ित रहा है।
जबकक माांग पक्ष को सुदढ़ृ बनाते हए (जोकक एक अर्लपकालीन प्रकक्रया हो सकती है), आपूर्थत पक्ष में
सुधार करना एक दीघाणववध प्रकक्रया है, जो समग्र ववतरण प्रणाली की प्रभावशीलता में तेजी से सुधार
करे गी।
प्राथवमकता के आधार पर माांग पक्ष को वनम्नवलवखत के माध्यम से सुदढ़ृ बनाने की आवश्यकता है:
ववकास कायणक्रमों के सामावजक लेखा परीक्षा का पालन करना, तथा
ग्राम सभा को सुदढ़ृ बनाना।
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वनयवमत: सामावजक लेखों को वनयवमत आधार पर प्रस्तुत करे ताकक सभी गवतवववधयों को
समाववष्ट करते हए, यह अवधारणा तथा अभ्यास सांगठन की सांस्कृ वत में सवन्नवहत हो सके ।
तुलनात्मक: एक ऐसा माध्यम प्रदान करे वजससे सांगठन मानदांडों तथा अन्य सांगठनों के वनष्पादन
के सममुख अपने वनष्पादन की तुलना कर सके ।
सत्यापन: सांगठन में ककसी भी प्रकार की वनवहत रुवच न रखने वाले एक उपयुक्त रूप से अनुभवी
व्यवक्त या एजेंसी िारा सामावजक लेखों की लेखा परीक्षा की जानी चावहए।
प्रकरटत: लेखापरीवक्षत लेखों को उिरदावयत्व एवां पारदर्थशता के वहत में वहतधारकों तथा व्यापक
समुदाय के वलए प्रकट ककया जाना चावहए।
ये सामावजक लेखापरीक्षा के स्तांभ हैं, जहाां सामावजक-साांस्कृ वतक, प्रशासवनक, वववधक तथा
सामावजक क्षेत्र के कायणक्रमों के वलए सामावजक लेखापरीक्षा के महत्व को वनम्नवलवखत हबदुओं से समझा
जा सकता है:
प्रवत्ा में वृवद्ध: सामावजक लेखा परीक्षा, समस्या क्षेत्रों की पहचान करने में ववधावयका तथा
कायणपावलका की सहायता करती है तथा एक अग्रसकक्रय दृवष्टकोण अपनाने व समाधानों का
वनमाणण करने का अवसर प्रदान करती है।
नीवत-वनधाणरकों को वहतधारकों के रुझानों के वलए सचेत करना: सामावजक लेखा परीक्षा एक ऐसा
उपकरण है जो प्रबांधकों को वहतधारक की हचताओं को समझने तथा अनुमान लगाने में सहायता
प्रदान करता है।
सकारात्मक सांगठनात्मक पररवतणन को प्रभाववत करना: सामावजक लेखा परीक्षा वववशष्ट
सांगठनात्मक सुधार लक्ष्यों की पहचान करती है तथा उनके कायाणन्वयन एवां पूणत
ण ा की प्रगवत पर
प्रकाश डालती है।
उिरदावयत्व में वृवद्ध: सरकारी ववभागों पर स्पष्टता तथा उिरदावयत्व के वलए काफी जोर कदया
जाता है। सामावजक लेखापरीक्षा यह सत्यावपत करने के वलए कक सामावजक लेखापरीक्षा समावेशी
एवां पूणण है, एक बाह्य सत्यापन का उपयोग करती है। इससे अपव्यय तथा भ्रष्टाचार में कमी आती
है।
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प्राथवमकताओं के पुनअणनक
ु ू लन तथा पुनके न्िण में सहायक: सामावजक लेखा परीक्षा, लोगों के
अपेक्षाओं के अनुरूप अपनी प्राथवमकताओं को पुन: आकार देने में, ववभागों के सहायता करने के
सामावजक क्षेत्रों में अवधक आत्मववश्वास के साथ कायण करने में सक्षम बनाती है वजन्हें अतीत में
उपेवक्षत ककया गया था या वजन्हें कम प्राथवमकता दी गई थी।
हाल के वषों में, स्थानीय सरकार को धन तथा कायों के हस्ताांतरण में वस्थर पररवतणन के कारण,
सामावजक लेखापरीक्षा की माांग बढ़ गयी है। MGNREGA जैसी प्रमुख योजनाओं में, कें ि सरकार
इसी प्रकार, राजस्थान तथा आांध्र प्रदेश जैसी वववभन्न राज्य सरकारों ने ग्राम सभा के माध्यम से तथा
NGOs के साथ साझेदारी िारा सामावजक लेखापरीक्षा को अपनी जाांच प्रणाली के वहस्से के रूप में
होती है। उदाहरण के वलए, ग्रामीण स्वास््य कायणक्रम को जल आपूर्थत, वशक्षा, स्वछछता, पोषण
आकद के मध्य अवभसरण की आवश्यकता होती है। इसवलए सामावजक लेखापरीक्षा को और अवधक
समग्र दृवष्टकोण की आवश्यकता हो सकती है।
प्रवशवक्षत लेखा परीक्षकों का अभाव।
लेखापरीक्षा ररपोटों तथा वनष्कषों पर कारण वाई की कमी।
आवश्यकता है।
सूचना भांडारण तथा ववतरण तांत्र के सांदभण में PRI, ब्लॉक, तथा DRDA स्तर पर सांस्थागत क्षमता
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प्रवतबद्ध व सक्षम गैर-सरकारी सांगठनों को सामावजक लेखा परीक्षा के सांचालन सवहत उत्प्रेरक के
भूवमका वनभाने के वलए समथणन प्रदान ककया जा सकता है।
मीवडया को और अवधक ग्रामीण एवां ववकास उन्मुख होने की आवश्यकता है।
उन सदस्यों को पहचान करनी चावहए तथा पुरस्कृ त करना चावहए वजन्होंने तांत्र को सुदढ़ृ बनाने
की प्रकक्रया में योगदान कदया है तथा सेवा ववतरण को बेहतर बनाया है।
एक सांस्थागत फ्रेमवकण ववकवसत करना चावहए ताकक PRI लेखाांकन लेखापरीक्षा व सामावजक
लेखापरीक्षा को सुवनयोवजत ककया जा सके तथा उन्हें इां टरनेट पर डाला जा सके ।
सामावजक लेखापरीक्षा को सुववधाजनक बनाने के वलए सूचना के अग्रसकक्रय प्रकटीकरण को
बढ़ावा देना चावहए।
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6. ई-गवनें स (E-Governance)
6.1. ई-गवनें स क्या है ? (What is E-governance?)
ववश्व बैंक के अनुसार, "ई-गवनेंस, सरकारी एजेंवसयों िारा सूचना प्रौ्ोवगककयों (जैसे वाइड एररया
नेटवकण , इां टरनेट, तथा मोबाइल कां प्यूटटग) के उपयोग को सांदर्थभत करता है, वे प्रौ्ोवगककयाां वजनमें
नागररकों, व्यवसायों तथा सरकार की अन्य शाखाओं के साथ सांबध
ां ों को पररवर्थतत करने की क्षमता है।
ये प्रौ्ोवगककयाां ववववध उद्देश्यों की पूर्थत कर सकती हैं, वजनमें सवममवलत है:
तीव्र, सुववधाजनक एवां लागत प्रभावी सेवा ववतरण: ई-सेवा ववतरण के प्रारां भ होने के साथ,
सरकार कम लागत पर, कम समय में तथा अवधक सुववधा के साथ सूचना एवां सेवाएां प्रदान कर
सकती है।
पारदर्थशता, उिरदावयत्व तथा भ्रष्टाचार में कमी: ICT के माध्यम से सूचना का प्रसार पारदर्थशता
को बढ़ाता है, उिरदावयत्व को सुवनवचितत करता है तथा भ्रष्टाचार को रोकता है। कां प्यूटर व वेब
आधाररत सेवाओं का अवधक उपयोग, नागररकों को उनके अवधकारों एवां शवक्तयों के बारे में
जागरूकता के स्तर में वृवद्ध करता है। यह सरकारी अवधकाररयों के वववेकावधकारों को कम करने
में सहायता करता है तथा भ्रष्टाचार को कम करता है।
शासन का प्रसाररत ववस्तार: टेलीफोन नेटवकण का ववस्तार, मोबाइल टेलीफोनी में तीव्र प्रगवत,
इां टरनेट का प्रसार तथा अन्य सांचार अवसांरचनाओं में वृवद्ध, कई सावणजवनक सेवाओं के ववतरण को
सुगम बना देगा।
सूचना के माध्यम से लोगों को सशवक्तकरण: सूचना अवभगमयता में हई वृवद्ध ने नागररकों को समथण
बनाया है तथा उनकी भागीदारी में वृवद्ध की है। सरकारी सेवाओं तक सरल अवभगम के साथ,
सरकार के प्रवत नागररकों का ववश्वास बढ़ता है तथा वे अपने ववचार व प्रवतकक्रया को साझा करने
के वलए आगे आते हैं।
व्यापार तथा उ्ोग के साथ इां टरफे स में सुधार: अतीत में जरटल प्रकक्रयाओं तथा नौकरशाही के
कारण हए ववलांबों के कारण भारत में औ्ोवगक ववकास बावधत हआ। ई-गवनेंस का उद्देश्य
वववभन्न प्रकक्रयाओं को तीव्र करना है जो औ्ोवगक ववकास के वलए महत्वपूणण है।
ई-शासन सांबांधी सेवाओं को नागररकों, व्यावसायी वगण, सरकार तथा कमणचाररयों के बीच साझा ककया
जा सकता है। ई-शासन के ये चार मॉडल हैं:
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वववभन्न सरकारी कायाणलयों से सभी प्रकार के आांकडे (उपवस्थवत सांबांधी ररकॉडण, कमणचाररयों से
सांबांवधत ररकॉडण) जमा ककया जाना
कमणचारी वशकायत दायर कर सकते हैं तथा असांतुवष्ट व्यक्त कर सकते हैं।
कमणचाररयों के वलए वनयत वनयम तथा वववनयम तथा सूचनाएां साझा की जा सकती हैं।
कमणचारी अपने भुगतान तथा काम के ररकॉडण की जाांच कर सकते हैं।
6.4. भारत में ई-शासन सां बां धी पहलें (E-Governance Initiatives in India)
भारत को वडवजटल शवक्त सांपन्न समाज तथा ज्ञानाधाररत अथणव्यवस्था में पररवर्थतत करने के लक्ष्य के
साथ भारत सरकार ‘वडवजटल भारत’ कायणक्रम को कायाणवन्वत कर रही है। वडवजटल भारत एक अमरेला
कायणक्रम है वजसके अांतगणत बहत से सरकारी मांत्रालय तथा ववभाग सवममवलत हैं तथा इसका
कक्रयान्वयन MeitY (इलेक्रॉवनकी तथा सूचना प्रौ्ोवगकी मांत्रालय) के िारा ककया जा रहा है।
वडवजटल भारत कायणक्रम के अांतगणत भारत सरकार के िारा की जाने वाली ववववध ई-शासन सांबांधी
पहलें वनम्नवलवखत हैं:
वडवजटल भारत के अांतगणत सवममवलत ककए गए राष्ट्रीय ई-शासन कायण योजना (NeGP) के अांतगणत
वनम्न प्रकार की मुख्य अवसांरचनात्मक घटकों को कायाणवन्वत ककया जा रहा है
o राज्य आांकडा कें ि (SDCs),
o राज्य भर में वस्थत एररया नेटवकण (SWANs),
o सामान्य सेवा कें ि (CSCs),
o राज्य ई-शासन सेवा ववतरण गेटवे (SSDGs),
o ई-वजला तथा क्षमता वनमाणण
ई-क्रावन्त (सेवाओं का इलेक्रॉवनक ववतरण): ई-क्रावन्त का ज़ोर वनम्नवलवखत का प्रसार कर ई-
शासन सांबांधी सेवाओं में आमूल पररवतणन लाने पर है:
o वववभन्न सरकारी ववभागों के अांतगणत ई-शासन में वमशन मोड की पररयोजनाओं के सांववभाग,
o सरकारी प्रकक्रया को पुनः व्यावहाररक स्वरुप देना (GPR),
o कायण प्रगवत का स्वचालन,
o क्लाउड तथा मोबाइल प्लेटफॉमण जैसी नवीनतम प्रौ्ोवगकी को चलन में लाना, तथा
o सेवाओं का एकीकरण
भारत में कायाणवन्वत ककए जा रहे सफल ई-शासन सांबांधी पहल वनम्नवलवखत हैं।
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के रूप में कायण करना है। ज्ञानदूत नेटवकण के माध्यम से प्रस्ताववत सेवाओं में वनम्नवलवखत
सवममवलत हैं: दैवनक कृ वष आधाररत वस्तुओं की दरें (मांडीभाव), आय प्रमाणपत्र, लोक वशकायत
उिर प्रदेश में लोकवाणी पररयोजना: इसका उद्देश्य वशकायतों के वनपटारे , भूवम ररकॉडण के रख-
रखाव तथा आवश्यक सेवाओं के वमश्रण को प्रदान करने हेतु एक ही स्थान पर स्व-पोवषत शासन
सांबांधी समाधान प्रदान करना है।
के रल में FRIENDS पररयोजना: FRIENDS (सेवाओं के ववतरण हेतु तीव्र, भरोसेमांद,
तात्कावलक, प्रभावी नेटवकण : Fast, Reliable, Instant, Efficient Network for the
एक सांपकण सूत्र स्थावपत करना है। MyGov नागररकों तथा ववदेश में वस्थत लोगों को वववभन्न
गवतवववधयों, यथा कायणकरण, पररचचाण, वाताण, ब्लॉग इत्याकद में सवममवलत होने के वलए
प्रोत्सावहत करता है।
वडवजटल लॉकर प्रणाली: यह नागररकों को प्रत्यक्ष रूप से इलेक्रॉवनक माध्यम से उन्हें अवभगम
करने वाले सेवा प्रदाताओं के साथ अपने दस्तावेजों को साझा करने तथा उन्हें सांगृवहत करने हेतु
एक मांच प्रदान करता है।
एजेंवसयों के साथ इां टरफे स को कम करे गा, समय तथा व्यवसाय पर आने वाली लागत को वनयांवत्रत
करे गा।
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भारत में ई-शासन के कायाणन्वयन में बडी सांख्या में बाधाएां हैं। इन्हें वनम्नवलवखत में वगीकृ त ककया जा
सकता है:
(Economic Challenges)
लागत: भारत जैसे ववकासशील देश में, ई-शासन पररयोजनाओं के कायाणन्वयन के मागण में लागत
सबसे बडी बाधाओं में से एक है। कायाणन्वयन, पररचालन सांबांधी और ववकासवादी रखरखाव कायों
में बडी मात्रा में धनरावश लगती है।
एप्लीके शन एक प्लेटफॉमण से दूसरे प्लेटफॉमण तक हस्ताांतरणीय होने चावहए: ई-शासन एवप्लके शन
हाडणवेयर या सॉफ़्टवेयर प्लेटफ़ॉमण से स्वतांत्र होने चावहए।
इलेक्रॉवनक उपकरणों का रखरखाव: चूँकक सूचना प्रौ्ोवगकी बहत तेज़ी से बदल रही है और
हमारे वलए अपनी वतणमान प्रणावलयाां बहत तेजी से अ्तन करना बहत मुवश्कल होता है। तेजी से
बदलते तकनीकी वातावरण में रखरखाव लांबे जीवनकाल वाली प्रणावलयों के वलए एक महत्वपूणण
कारक है।
(Technical challenges)
अांतःकक्रयाशीलता: अांतःकक्रयाशीलता वभन्न-वभन्न गुणवत्ता वाली प्रणावलयों और सांगठनों की एक
साथ काम करने की क्षमता है। ई-शासन एप्लीके शनों में यह वववशष्ट गुण होना चावहए ताकक नए-
नए ववकवसत और वतणमान अनुप्रयोगों को एक साथ कायाणवन्वत ककया जा सके ।
बहववध अांतरकक्रया: बहववध अांतरकक्रया उपयोगकताण को प्रणाली के साथ अांतरकक्रया करने के कई
तरीके प्रदान करती है। ई-सरकार एवप्लके शन वास्तव में तभी प्रभावी हो सकता है यकद उसके
उपयोगकताण उसे वववभन्न उपकरणों पर इनका उपयोग कर सकें ।
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गोपनीयता और सुरक्षा: ई-शासन के कायाणन्वयन में एक महत्वपूणण बाधा व्यवक्त के व्यवक्तगत डेटा
की गोपनीयता और सुरक्षा है वजसे वह सरकारी सेवाएां प्राप्त करने के वलए प्रदान करता है।
वपछडे क्षेत्रों के वलए कनेवक्टववटी: भारत का एक बडा भाग जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं से
बहत दूर है। इन क्षेत्रों में ई-शासन की कनेवक्टववटी सरकार के वलए चुनौतीपूणण कायण होगा।
स्थानीय भाषा: ई-शासन एप्लीके शन लोगों की स्थानीय भाषा में वलखे होने चावहए ताकक वे इन
एप्लीके शनों का उपयोग कर और लाभ उठा सकें ।
मानव सांसाधन की कमी: भारत कदन प्रवतकदन बेहतर तकनीवशयन बनाने की कदशा में कडी मेहनत
कर रहा है। लेककन कफर भी, देश में ई-शासन पररयोजनाओं की देखभाल करने के वलए कु शल
तकनीवशयनों की कमी है।
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ई-शासन के वलए कानूनी ढाांचा: 2020 तक ई-शासन प्रणाली में सभी स्तरों पर नागररक-सरकार
अांतरकक्रया रूपाांतररत करने के अांवतम उद्देश्य के साथ भारत सरकार िारा महत्वपूणण उपलवब्ध के
समुछचय के साथ स्पष्ट रोडमैप रे खाांककत ककया जाना चावहए।
ज्ञान प्रबांधन: सांघ और राज्य सरकारों को सामान्य रूप से प्रशासवनक सुधारों और ववशेष रूप से ई-
शासन के वलए एक महत्वपूणण कदम के रूप में ज्ञान प्रबांधन प्रणाली स्थावपत करने के वलए सकक्रय उपाय
करना चावहए।
हाल ही में कार्थमक, लोक वशकायत और पेंशन मांत्री िारा शासन की सुगमता का ववचार प्रस्तुत
ककया गया था।
इस ववचार के अनुसार, ई-शासन का मुख्य उद्देश्य 'शासन की सुगमता' होना चावहए वजससे लोगों
का 'जीवन सुगम' हो। 'न्यू इां वडया' के लक्ष्यों को प्राप्त करने के वलए यह आवश्यक है।
शासन की सुगमता का अवनवायणत: अथण प्रशासन तक सुगम पहांच है जहाां सावणजवनक नीवतयाां
जमीनी स्तर पर काम के साथ सहानुभूवतपूणण और अनुकक्रयाशील सरकारी तांत्र के साथ जन कें कित
होती हैं।
ऐसे शासन का एक उदाहरण वायुयान रटकट बुककग पर उच्च वनरस्तीकरण शुर्लक समाप्त करने के
वलए ववमानन मांत्रालय िारा एयरलाइन ऑपरे टरों से कहने के वलए त्वररत कदम उठाना है।
3000 रुपये तक वनरस्तीकरण शुर्लक काफी अवधक था और यहाां तक कक कभी-कभी रटकट की
वास्तववक कीमत से भी अवधक होता था।
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2. चचाण कीवजए कक भारत में सुशासन के वलए क्या प्रावधन ककए गए हैं तथा सामावजक न्याय
के वववभन्न पहलुओं को दशाणते हए यह भी चचाण कीवजए कक सामावजक न्याय के सांरक्षण में
सुशासन ककस प्रकार सहायता करता है?
दृवष्टकोणः
सवणप्रथम सुशासन क्या है? इसकी चचाण करें । इस धारणा की व्याख्या करने की प्रयास
करें । सुशासन के अथण को वववशष्ट रूप से भारत के सन्दभण में ववमशण करे । ऐसा करते हए
उन चुनौवतयों को ध्यान में रखें वजनका हम एक राष्ट्र के रूप में सामना करते है। यह
समीक्षा करें कक सुशासन देश की वववभन्न चुनौवतयों के समाधान में ककस प्रकार सहायक
वसद्ध होगा।
कफर आगे सामावजक न्याय की धारण की व्याख्या करें । सामावजक न्याय के सन्दभण में
भारतीय तथा पाचितात्य ववचारों के अन्तर को ध्यान में रखे और यह स्थावपत करने का
प्रयास करें कक दोनों में क्या वभन्नता है।
अन्ततः इसकी व्याख्या करे -कक सामावजक न्याय के वववभन्न पक्ष तभी प्रासांवगक होगे जब
उनको सुरवक्षत ककया जा सके । यहाँ यह भी ववमशण करे कक सुशासन ककस प्रकार से न्याय
को प्राप्त करने में सहायक वसद्ध होगा एवां इस प्रकार से न्याय प्राप्त करना भी अपने आप
में सुशासन का ही अांग है।
उिरः
जवाहरलाल नेहरू ने अपने प्रवसद्ध भाषण ‘ररस्ट ववद डेवस्टनी' (भाग्य के साथ भेंट) में,
गरीबी का अांत, अज्ञानता, बीमारी और अवसरों की असमानता को मुख्य चुनौती के रूप
में सांबोवधत ककया। भारत के ववगत छः दशकों के लोकताांवत्रक अनुभवों ने यह स्पष्ट रूप
से यह स्थावपत ककया कक हमारी के न्िीय चुनौवतयाँ अभी भी समान सामावजक अवसरों
को उपलब्ध कराना एवां व्यापक गरीबी से सांबांवधत है।
सुशासन एक धारणा के रूप में प्रशासवनक सुधारों जो कक परमपरागत रूप से समझे जाते
है से ज्यादा व्यापक है एवां सुशासन अपने में और अवधक आधारों एवां तावत्वक बातों को
समावहत करता है। यह शासन के नैवतक पृ्भूवम से सांबांवधत है और इसका मूर्लयाांकन
वनवचितत रूप से ककसी ववशेष समाज के मानव एवां उद्देश्यों के सन्दभण में ककया जाना
चावहये।
इससे आगे सुशासन धारणा समाज के सभी वगो के ऊपर लागू होती है जैसे-सरकार,
ववधावयका, न्यायपावलका, मीवडया, वनजी क्षेत्र, कारपोरे ट क्षेत्र, सहकारी सोसाइटी
पांजीकरण अवधवनयम के अन्तगणत पांजीकृ त सांस्थायें यथावत पांजीकृ त रस्ट, सांस्थान जैसे
कक रेड यूवनयन और अन्ततः और सरकारी सांगठन (NGOs)
भारत के सन्दभण में सुशासन को इस तरह की शासन व्यवस्था के रूप में पररभावषत ककया
जा सकता है जो न्याय प्राप्त करने में, लोगों को सशक्त बनाने में, रोजगार उपलब्ध कराने
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एवां कु शलतापूवक ण लोक सेवाओं को प्रदान करने में मदद करे । ये सभी त्य उसी सीमा
तक प्रासांवगक है कक जहाँ तक कक हमारी के न्िीय चुनौवतयों के समाधान एवां वनराकरण में
प्रभावी रूप से सहायक हो। अतः प्रथम और सबसे महत्वपूणण पक्ष यह है कक सुशासन का
उद्देश्य सामावजक अवसरों के ववस्तार करने तथा गरीबी का उपशमन करने के वलए ही
होना चावहये।
साथ ही साथ सामावजक न्याय की धारणा मुख्य रूप से “गरीब कामगारों में गरीबी के
उपशमन” के रूप में व्याख्यावयत है। यह धारण औपचाररक एवां अनौपचाररक, रोजगार
एवां आांवशक रोजगार के क्षेत्र में समान रूप से लागू होती है।
जबकक वववशष्ट रूप से भारत के सन्दभण में सामावजक न्याय सुवनवचितत करने का अथण के वल
गरीबी, भौवतक वस्तुओं का असमान रूप से ववतरण एवां, सामावजक बवहष्कार ही नही
है जैसा कक पाचितात्य समाज में देखा जाता है बवर्लक सामावजक असमानता को दूर करना
भी इसका मुख्य उद्देश्य होना चावहये।
लेककन यह सभी सामावजक न्याय के पहलू तभी प्रासांवगक होगें जब इनका सांरक्षण हो
सके एवां वह सामान्य जन की पहँच में हो तथा साथ ही साथ कानून के वनयमों के िारा
इनकों सुवनचितत ककया जा सके ।
उपयुणक्त इन्हीं सन्दभो के िारा सुशासन महत्वपूणण हो जाता है। वस्तुतः न्याय प्राप्त करना
सुशासन का एक महत्वपूणण पक्ष है। यह के वल भारत के वलए ही नहीं वरन् समस्त सांसार
की सावणभौम आवश्यकता है। उदाहरण के वलए जीवन एवां समपवि की सुरक्षा, लोक
सामान्य के वलए महत्वपूणण वस्तु इत्याकद की सुरक्षा के वल सुशासन के माध्यम से ही की
जा सकती है। न्याय प्राप्त करने की धारणा मौवलक रूप से इस वसद्धाांत पर आधाररत है
कक लोग वनयमों के सही कक्रयान्वयन पर ववश्वास करे । न्याय तक की पहँच के वल और
के वल सुशासन के माध्यम से ही सुवनवचितत की जा सकती है। इसके अवतररक्त कानून का
शासन जो कक न्याय प्राप्त करने के वलए एक महत्वपूणण पक्ष है, भी सुशासन का वहस्सा है।
यह के वल सुशासन ही है जो कक यह सुवनवचितत कर सकता है कक कोई भी कानून से ऊपर
नहीं है।
अतः सुशासन एवां सामावजक न्याय के वल एक समान लक्ष्य को प्राप्त करने का ही प्रयास
नहीं करते बवर्लक न्याय प्राप्त करना भी सुशासन का एक महत्वपूणण पहलू है।
3. वडवजटल इां वडया कायणक्रम में न के वल नागररक सेवा-ववतरण के रूप को बदलने, बवर्लक
महत्वपूणण सामावजक और औ्ोवगक क्षेत्रों को अवतआवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करने की भी
क्षमता है। परीक्षण करें ।
दृवष्टकोणः
उिर में नागररक सेवा ववतरण, समावजक और औ्ोवगक क्षेत्र पर वडवजटल भारत
कायणक्रम के पडने वाले सांभाववत प्रभावों को रे खाांककत करते हए इसके लक्ष्यों और उद्देश्यों
के बारे में बताना चावहए।
उिर के तीन भाग होने चावहएः
o वडवजटल इां वडया कायणक्रम का लक्ष्य और उद्देश्य।
o नागररक सेवा ववतरण, मुख्य समावजक और औ्ोवगक क्षेत्रों पर पडने वाले इसके
समभाववत या उद्देवशत प्रभाव।
o ववशेष रूप से इस क्षेत्र में वपछले सरकारी पहलों के अनुभवों को ध्यान में रखते हए
सीमाओं और चुनौवतयों को रे खाांककत ककया जाना चावहए।
इन चुनौवतयों को सांबोवधत करने वाले प्रावधानों का उर्ललेख करते हए उिर समाप्त करें ।
उिरः
वडवजटल इां वडया कायणक्रम का उद्देश्य ई-शासन को बढावा देना और भारत को एक वडवजटल
रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अथणव्यवस्था में बदलना है। इस कायणक्रम की पररकर्लपना
इलेक्रॉवनक और सूचना प्रो्ौवगकी ववभाग (डी. ई. आई. टी. वाई) िारा की गयी है जो
सांचार एवां सूचना प्रौ्ोवगकी मांत्रालय, ग्रामीण ववकास मांत्रालय, मानव सांसाधन मांत्रालय,
स्वास््य मांत्रालय और अन्यों को प्रभाववत करे गा।
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यह वृवद्ध के क्षेत्र में नौ पहलुओं पर जोर देता है। यकद इस कायणक्रम का उद्देश्य सफल होता है
तो यह ववस्तृत क्षेत्रों मे युगाांतकारी बदलावों का वाहक वसद्ध होगा जैसेः
नागररक सेवा ववतरण में पररवतणन: वडवजटल इां वडया का उद्देश्य यह सुवनवचितत करना है कक
सरकारी सेवाएां नागररकों को इलेक्रॉवनक रूप से उपलब्ध हों। यह इलेक्रॉवनक रूप से
सरकारी सेवाओं के अवनवायण ववतरण; प्रमावणक और मानक आधाररत अन्तर-प्रचालनीय और
एकीकृ त सरकारी अनुप्रयोगों और आांकडों के आधार पर यूवनक आई. डी और ई-प्रमाण के
माध्यम से सावणजवनक जवाबदेही का सृजन करे गा। नागररकों का वडवजटल सशवक्तकरण
सावणभौवमक वडवजटल साक्षरता और भारतीय भाषाओं में वडवजटल सांसाधनों/सेवाओं की
उपलब्धता पर जोर देगा।
मुख्य समावजक क्षेत्रों में पररवतणनः प्रौ्ोवगकी अनुप्रयोग के माध्यम से, वडवजटल इां वडया
कायणक्रम में वशक्षा जैसे क्षेत्रों यथा-दूरस्थ वशक्षा, टेली-वशक्षा, ई-साक्षरता में बदलाव लाने की
क्षमता है। इसी प्रकार, स्वास््य क्षेत्र में यह टेली मेवडवसन, स्वास््य सेवा के ववतरण में आई.
सी. टी के प्रयोग, व जागरूकता एवां साथ ही वशकायत वनवारण को बढ़ावा देगा। ग्रामीण और
कृ वष क्षेत्र पर जोर देने से इस कायणक्रम का इन क्षेत्रों पर भी पररवतणनकारी प्रभाव पड सकता
है। इसके अवतररक्त, इस कायणक्रम से 17 वमवलयन प्रत्यक्ष और 85 वमवलयन अप्रत्यक्ष
नौकररयों का सृजन होने की सांभावना है।
मुख्य औ्ोवगक क्षेत्रों में पररवतणन
एक लाख करोड रूपए के वनयोवजत व्यय से वडवजटल इां वडया कायणक्रम वपछडेऺ और अगडेऺ के
बीच सांपकण के माध्यम से औ्ोवगक ववकास को बढ़ावा देने में उत्प्रेरक वसद्ध हो सकता है।
आई. टी./आई. टी. ई. एस, टेलीकॉम, इलेक्रॉवनक वववनमाणण क्षेत्र भी वडवजटल इां वडया
कायणक्रम से लाभावन्वत होंगे। इसके अवतररक्त, ववशेषज्ञों की राय है कक इस कायणक्रम का अन्य
उ्ोग क्षेत्रों पर भी सकारात्मक प्रभाव पडेऺगा, जैसे उजाण क्षेत्र, बैंककग और वविीय सेवाएां।
हाांलाांकक, ववगत पहलों से सबक लेते हए अवसांरचना, मानव सांसाधन एवां भारी-भरकम
वनवेश की आवश्यकता के अथों में ग्रामीण-शहरी वडवजटल अन्तराल, लास्ट माइल
कनेवक्टववटी, और क्षमता वनमाणण के मागण की बाधाओं को जीतना होगा। वडवजटल इां वडया
कायणक्रम वववभन्न वतणमान कायणक्रमों व पहलों के बीच तालमेल और जुडाव की भी पररकर्लपना
करता है। इस कदशा में पी. पी. पी. के माध्यम से वनजी क्षेत्र की भागीदारी और साथ ही
बारीककयों का स्पष्ट वचत्रण, व्यक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने में लमबा सफर तय करे गा।
4. लोकतांत्र के वलए लोक वशकायतों का वनवारण क्यों महत्वपूणण है? भारत में लोक वशकायतों के
वनवारण के वलए वववभन्न उपकरणों की कायणप्रणाली का आलोचनात्मक मूर्लयाांकन कीवजए।
दृवष्टकोण:
वशकायत की अवधारणा की व्याख्या करते हए पररचय दीवजए।
लोकतांत्र में इसके महत्व को समझाईये।
इन वशकायतों के समाधान हेतु उठाए गए कदमों को समझाते हए इनका मूर्लयाांकन
कीवजए।
और क्या ककए जाने की आवश्यकता है, दशाणइए।
उिर:
जहाँ एक ओर वशकायत, ककसी सांगठन के उत्पादों, सेवाओं और प्रकक्रया से सांबांवधत उत्पन्न
असांतोष की अवभव्यवक्त होती है, वही इसकी प्रवतकक्रया या समाधान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप
से अपेवक्षत होता है। इसके पीछे मूल धारणा यह है कक यकद सेवा ववतरण का वनधाणररत
अपेवक्षत स्तर प्राप्त नहीं होता है या ककसी नागररक के अवधकार का सममान नहीं ककया जाता
है, तो नागररक अपनी वशकायत वनवारण के वलए एक तांत्र की सहायता प्राप्त करने हेतु सक्षम
होना चावहए।
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उिर :
नागररक सरकार से वववभन्न कारणों से सांपकण करते हैं, जैसे सावणजवनक नीवत प्रभाववत करने,
व्यवक्तगत हचता, जो उनकी होती है, को सांबोवधत करने, सरकारी लेन-देन करने और उन
लाभों और सेवाओं के सांबांध में, जो सरकार प्रदान करती है, जानकारी पाने हेतु। ई-गवनेंस
सावणजवनक सेवा ववतरण का ऐसा ही एक चैनल है। ई-गवनेंस मात्र तकनीकी पहल न होकर
इससे कहीं अवधक व्यापक है, और वहतधारक की प्रवतबद्धता, सांरवचत ववकासात्मक प्रकक्रयाओं
और पयाणप्त ढाांचागत सांसाधनों के बीच सांबांधों के जरटल समूह से बना है।
ई-गवनेंस पररयोजनाओं के आशा के अनुरूप प्रदशणन न करने का कारण:
ई-गवनेंस को सुशासन के साधन की बजाय कमप्यूटरीकरण, कायाणलयी स्वचालन (office
automation) और मालसूची प्रबांधन के रूप में अवधक देखा जाता है।
ई-गवनेंस से शासन में नागररकों को वनवष्क्रय प्रवतभागी से सकक्रय प्रवतभागी में
रूपाांतररत करने की आशा की जाती थी। जहाँ नेट न्युरवलटी पर नागररकों की प्रवतकक्रया
को अांवतम नीवत में सवममवलत ककए जाने जैसे सफल प्रसांग हैं, वहीं ऐसे उदाहरण बहत
कम हैं।
नागररक मूर्लय सांवधणन में वृवद्ध को ई-गवनेंस पररयोजनाओं से जोड कर नहीं देखते हैं।
उदाहरण के वलए, ऐसे ववभागों में जो ववशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में भूवम ररकाडण का
अनुरक्षण करते हैं, भूस्वावमत्व, फसल पैटनण आकद से सांबांवधत वववरण कमप्यूटरीकृ त ककए
गए हैं लेककन कानूनों में तदनुरूप पररवतणन के अभाव में इस प्रकार की प्रणाली िारा
उत्पन्न पररणामों को कोई वववधक वैधता नहीं दी गई है।
क्षैवतज एकीकरण की कमी का होना, वजसका अथण है कक ई-गवनेंस पररयोजनाएां खांवडत
और असांतोषजनक तरीके से सेवाएां दे रही हैं वजसके पररणामस्वरूप अांवतम
उपयोगकताणओं को कई सरकारी एजेंवसयों से सांपकण करना पडता है, इस प्रकार 'वमवनमम
गवनणमेंट' का वादा वनष्फल हो जाता है।
कु छ प्रकरणों में नागररकों की व्यवक्तगत जानकारी जैसे वववरणों की गोपनीयता से
सांबांवधत मुद्दों की ओर ध्यान कदए जाने की कमी।
वडवजटल वडवाइड: ऐसा खतरा हमेशा बना रहता है कक ई-गवनेंस पररयोजनाओं का
कायाणन्वयन इस प्रकार तो नहीं हो रहा कक समाज के के वल कु छ ही वगों का लाभ
प्राथवमकता हो।
सफल ई-गवनेंस कायाणन्वयन के चार मुख्य घटक हैं: अांवतम उपयोगकताणओं की आवश्यकताओं
की पहचान, व्यापार प्रक्रम सांशोधन, आईटी का उपयोग और सरकार का अवभप्राय। इनमें से
ककसी में भी कमी के पररणामस्वरूप ई-गवनेंस पररयोजनाएँ अपना उद्देश्य प्राप्त करने में
ववफल हो जाएांगी।
ARC के अनुसार, वाांवछत पररणाम प्राप्त करने के वलए पूणण राजनीवतक समथणन, सरकार के
सभी सांगठनों और ववभागों िारा दृढ़सांकवर्लपत और अटल दृवष्टकोण के साथ-साथ जनता िारा
सकक्रय और रचनात्मक भागीदारी की आवश्यकता होगी। हमारी सारी साांस्कृ वतक और क्षेत्रीय
ववववधताओं तक ई-गवनेंस की पहलें की पहँच बनाने के वलए सांस्थागत और भौवतक
अवसांरचना उपलब्ध कराने और ऐसे वातावरण के वनमाणण की आवश्यकता होगी जो ICT का
अांगीकरण प्रोत्सावहत करे । इस प्रकार, तकनीकी आवश्यकता के अवतररक्त, ई-गवनेंस पहलों
की सफलता सरकार के भीतर और सरकार के बाहर क्षमता वनमाणण और जागरूकता पैदा
करने पर वनभणर करे गी।
7. य्वप वडवजटल साधन (Digital tools) प्रशासन में पारदर्थशता, दक्षता एवां जवाबदेवहता
लाने में सहयोग कर सकते हैं, ककन्तु इन उद्देश्यों को पूरा करने के वलए के वल ववशाल
वडवजटल अवसांरचना एवां महज़ कनेवक्टववटी (सांपकण क्षमता) सृवजत करने की तुलना में कहीं
अवधक प्रयास ककए जाने की आवश्यकता है। चचाण कीवजए।
दृवष्टकोण :
वडवजटल साधन (Digital tools) और ई-गवनेंस के पीछे वनवहत ववचार समझाएां।
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और ज्ञान के रूप में इन साधनों (tools) के उपयोग के सांबांध में प्रवशक्षण और क्षमता
वनमाणण।
स्थानीय शासन में वडवजटल साधनों (Digital tools) को प्रोत्सावहत करने की
आवश्यकता है क्योंकक ये नागररकों के वनकटतम हैं।
कायाणलयों के बीच और जनता के साथ िुत सांचार के वलए वडवजटल साधनों (Digital
tools) -ईमेल, SMS का उपयोग प्रोत्सावहत करने के वलए आईटी अवधवनयम 2002 में
उपयुक्त सांशोधन ककए जाने की आवश्यकता है।
पारदर्थशता को सुवनवचितत करने के वलए वेबसाइट सदृश वडवजटल साधनों (Digital
tools) का उपयोग कर, जैसा कक ‘सूचना का अवधकार अवधवनयम’ में अवनवायण है,
सावणजवनक कायाणलयों िारा सूचना का पहले से ही प्रकाशन कर देना चावहए।
सरकारी कायाणलयों में वमशन के रूप में गुणविा का अांगीकरण होना चावहए जैसाकक
जापान में ककया गया है।
नागररक सांतुवष्ट बढ़ाने के वलए प्रकक्रयाओं के सुदढ़ृ ीकरण में सांभाववत लाभों का प्रदशणन
करना और इस प्रकार वववभन्न हलकों से पररवतणन के ववरुद्ध होने वाले प्रवतरोधों पर
ववजय पाना।
ककस प्रकार इन साधनों (Digital tools) से पारदर्थशता, दक्षता और जवाबदेही प्राप्त
करने में सहायता वमलती है, यह प्रदर्थशत करने वाले प्रदशणन मापदण्ड ववकवसत करना।
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नागररकों का सशक्तीकरण
जवाबदेही प्राप्त करने के वलए इन साधनों (Digital tools) के प्रभावी उपयोग की पहेली हल
की जा सकती है।
8. ववश्व बैंक के अनुसार, जहाां वडवजटल प्रौ्ोवगककयों का पूरे ववश्व में िुत गवत से प्रसार हआ है,
वहीं पररणामी वडवजटल लाभाांश पीछे रह गया है। भारत के सांदभण में ववश्लेषण कीवजए।
दृवष्टकोण:
भारत में वडवजटल प्रौ्ोवगकी के बढ़ते उपयोग का उर्ललेख कीवजए।
इसके अपेवक्षत सांभाववत लाभों को रे खाांककत कीवजए।
वडवजटल लाभाांश के पयाणप्त रूप से प्राप्त न होने के कारणों को स्पष्ट कीवजये।
सुझाव दीवजये कक अवधकतम वडवजटल लाभाांश ककस प्रकार प्राप्त ककया जा सकता है?
उिर:
वववभन्न सरकारी प्रयासों एवां वनजी क्षेत्रकों की प्रौ्ोवगकी आधाररत व्यापार पहलों के
पररणामस्वरूप वडवजटल प्रौ्ोवगककयाँ भारत के दूरस्थ भागों में पहँच रही हैं। भारतीय
अथणव्यवस्था का कोई भी क्षेत्रक तथा सावणजवनक क्षेत्रक वडवजटल क्राांवत से अछू ता नहीं रहा है।
सरकार ने भारतनेट, वडवजटल इां वडया, राष्रीय ई-शासन योजना जैसी पहलों के माध्यम से
वडवजटल इकोवसस्टम को सुदढ़ृ करने के महत्वपूणण प्रयास ककए हैं।
वडवजटल लाभाांश
वडवजटल वनवेश का सवाणवधक महत्वपूणण प्रभाव रोजगार और ववकास पर पडता है तथा प्राप्त
होने वाली सेवाएँ इनका महत्वपूणण प्रवतफल हैं। सूचना सांबांधी लागतों को कम करके वडवजटल
प्रौ्ोवगकी; कां पवनयों, व्यवक्तयों एवां सावणजवनक क्षेत्रक के वलए आर्थथक एवां सामावजक लेन-
देनों की लागत को अत्यवधक कम कर देती हैं। जब लेन-देन की लागतें वास्तव में शून्य हो
जाती हैं तो वे नवोन्मेष को बढ़ावा देती हैं। महत्वपूणण कायो एवां सेवाओं के सस्ते, त्वररत एवां
अवधक सुववधाजनक होने से दक्षता में भी वृवद्ध होती है। जब लोगों को वे सुववधाएँ प्राप्त होती
हैं जो पहले उनकी पहांच से बाहर थीं तो अांततः इस प्रकक्रया में समावेशन को बढ़ावा वमलता
है।
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भारत में वडवजटल प्रौ्ोवगककयों के व्यापक स्तर पर उपयोग से समपूणण राष्ट्र में सुशासन
स्थावपत होगा तथा कारोबार करने में सरलता होगी। इसके साथ ही तकनीक का व्यापक स्तर
पर प्रयोग भारत को ज्ञान आधाररत अथणव्यवस्था में रूपाांतररत करे गा तथा भारतीयों, ववशेष
रूप से समाज के वांवचत वगण के सशवक्तकरण की प्रकक्रया सांपन्न होगी।
परन्तु ववश्व बैंक ने अपनी हाल की ररपोटण में यह त्य उजागर ककया है कक वडवजटल लाभाांश
तीव्र गवत से ववस्ताररत नहीं हो रहे हैं।
लगभग 1.063 वबवलयन भारतीयों की वडवजटल माध्यमों तक पहँच नहीं है। यही कारण
है कक वे वडवजटल अथणव्यवस्था में साथणक भागीदारी नहीं कर सकते।
हलग, भौगोवलक वस्थवत तथा आयु जैसे घटकों के आधार पर समाज में वडवजटल
ववभाजन वव्मान है।
लगभग 40% जनसांख्या वनधणनता रे खा से नीचे जीवन यापन कर रही है। वनरक्षरता दर
25-30% से अवधक है एवां भारत की लगभग 90% से अवधक जनसांख्या में वडवजटल
साक्षरता लगभग शून्य है।
वनचितय ही ककसी देश के वशवक्षत, भली भाांवत जुडे हए तथा समथण नागररक ही वडवजटल क्राांवत
से अवधकावधक लाभ प्राप्त कर पाते हैं।
वडवजटल लाभाांश का लाभ उठाने के वलए क्या ककया जा सकता है?
इां टरनेट की सावणभौवमक उपलब्धता एवां इसे सस्ता बनाना वैवश्वक प्राथवमकता होनी
चावहए।
वडवजटल अवसांरचना को तीव्र गवत से ववस्ताररत करना एवां भारत की जनता के बीच
वडवजटल प्रौ्ोवगककयों के प्रवत ववश्वास जगाने हेतु अपनी साइबर सुरक्षा को सुवनवचितत
करना।
वडवजटल लाभाांश का अवधकतम लाभ उठाने के वलए आवश्यक अन्य कारकों तथा
प्रौ्ोवगकी की अांतर्कक्रया की बेहतर समझ आवश्यक है।
एक वडवजटल अथणव्यवस्था के वनमाणण हेतु सशक्त आधारवशला की भी आवश्यकता है। इस
आधारवशला में आवश्यक वववनयमन शावमल होने चावहए वजनके माध्यम से एक ऐसे
वातावरण का वनमाणण ककया जाना चावहए जहाँ कां पवनयाँ वडवजटल तकनीक का लाभ
उठाते हए एक दूसरे से स्वस्थ प्रवतस्पधाण तथा नवाचारों को सांपन्न कर सकें ; ववववध
कौशल शावमल होने चावहए वजनके िारा कमणचारी, उ्मी एवां लोक सेवक वडवजटल
ववश्व में अवसरों का लाभ उठा सकें तथा इसके साथ ही उिरदावयत्वपूणण सांस्थाएँ शावमल
होनी चावहए जो इां टरनेट के उपयोग से नागररकों को सशक्त करने में समथण हों।
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बनाये है, पर दी जाने वाली सेवाओं के गुणविा और नागररकों की सांतुवष्ट स्तर में अनुकूल सुधार
2. “वववभन्न स्तरों पर सरकारी तांत्र की प्रभाववता तथा शासकीय तांत्र में जन-सहभावगता
अन्योन्यावश्रत होती है।” भारत के सन्दभण में इनके बीच समबन्ध पर चचाण ककवजए। (2016)
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तिषय सूची
1. सािाजतनक नीतत (Public Policy) ________________________________________________________________ 4
2.4. नीतत तनमााण तथा क्रियान्ियन में नागररक समाज की भूतमका ___________________________________________ 9
6. तिगत िषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में पूछे गए प्रश्न___________________________________________ 36
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सािाजतनक नीतत क्रकसी क्रदए गए पररिेश के भीतर सरकार द्वारा प्रस्तातित क्रियातितध है जो ऄिसर
ईपिब्ध कराती है, तथा ऄिरोधों को दूर करके नीततगत ईद्देश्यों तथा दी गयी भूतमका का क्रियान्ियन
संभि बनाती है।
ईपयुाक्त पररभाषा स्पष्टतः दशााती है क्रक सािाजतनक नीततयााँ सरकारी िक्ष्यों और कु छ ईद्देश्यों के
ऄनुसरण में पररणामी कायािातहयााँ हैं। आसके तिए महत्िपूणा सरकारी एजेंतसयों- राजनीततक
कायापातिका, तिधातयका, नौकरशाही और न्यायपातिका के मध्य पूणातः घतनष्ठ संबंध और ऄंतसंबर्द्ता
की अिश्यकता है।
सामूतहक काया: यह सरकार के सामूतहक कायों का पररणाम है। आसे क्रियातितध या 'सरकारी
ऄतधकाररयों और कतााओं को ईनके तििेकातधकार और तिखंतडत तनणायों के स्थान पर एक
सामूतहक तनणाय िेने के ऄथा में जाना जाता है।
तनणाय: सािाजतनक नीतत का संबंध सरकार द्वारा िास्ति में तिए गए तनणाय या क्रकए जाने िािे
कायों के चयन से है। यह कानून, ऄध्यादेश, न्यायाियों के तनणाय, कायाकारी अदेश और तनणायों
जैसे तितभन्न रूपों में हो सकता है।
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सकारात्मक / नकारात्मक: सािाजतनक नीतत आस ऄथा में सकारात्मक है क्रक यह सरकार की चचता
को दशााती है और आसमें एक तिशेष समस्या के तिए आसकी कारा िाइ सतममतित होती है तजसके
तिए नीतत बनाइ गइ है। आसके पीछे तितध और ऄतधकार की स्िीकृ तत होती है। नकारात्मक रूप
से, आसमें क्रकसी तिशेष मुद्दे पर कोइ कारा िाइ नहीं करने के संबध
ं में सरकारी ऄतधकाररयों द्वारा
तिए गए तनणाय सतममतित हैं।
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2.1. स्ितं त्र ता प्राति के पश्चात भारत में सािा ज तनक नीतत
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अर्तथक ऄसमानता एिं सामातजक ऄन्याय: स्ितंत्रता प्राति के 7 दशकों के बाद भी, 22% से
ऄतधक जनसंख्या गरीबी रे खा से नीचे ऄपना जीिन यापन कर रही है। गरीबी हेतु मानदंड को
न्यूनतम रखने के बाद भी यह अंकड़ा तनराशाजनक है। हािांक्रक भारत में तिि के ऄरबपततयों की
तीसरी सबसे बड़ी संख्या भी है, तथा ऄसमानता स्ततमभत कर देने िािी है।
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बेरोजगारी: भारत में ‘जॉबिेस ग्रोथ’ की ऄिधारणा को देखा गया है। कइ िषों से सबसे तीव्र
तिकतसत होती ऄथाव्िस्था होने के बािजूद के िि 2% की दर से ही रोजगार सृजन हअ है।
ईत्पादन क्षेत्र में धीमी गतत: कइ योजनाओं में कृ तष क्षेत्रक के तिकास को प्राथतमकता देने के
बािजूद आसे ऄभी तक प्राि नहीं क्रकया जा सका है। आसके ऄततररक्त ग्रामीण क्षेत्रों के िघु स्तरीय
ईद्योगों के स्थान पर शहरी क्षेत्रों के पूज
ं ी गहन ईद्योगों को प्राथतमकता दी गइ है।
ऄप्रभािी प्रशासन: संयुक्त राष्ट्र की एक ररपोटा के मुतातबक, योजना िषों की कतमयों में से एक
ऄक्षम कायाान्ियन है। गहन चचाा एिं तिचार-तिमशा के पश्चात ही योजनाओं का तनमााण क्रकया
जाता है, परं तु ऄप्रभािी प्रशासन, बेइमानी, तनतहत स्िाथा तथा िािफीताशाही के कारण आनके
द्वारा तनधााररत िक्ष्यों को प्राि नहीं क्रकया जा सका है।
प्रततक्रिया, तनगरानी एिं मूल्यांकन हेतु कोइ तंत्र नहीं: तिगत योजनाओं की प्रभािशीिता का
तिश्लेषण करने हेतु क्षेत्र ऄध्ययन क्रकए तबना सभी योजनाओं को एकि तनकाय (योजना अयोग)
द्वारा तैयार क्रकया गया था। राज्य सरकारों जैसे तितभन्न तहतधारकों के साथ ऄपयााि परामशा के
साथ ही नीतत तनमााण में कु छ हद तक मनमानी भी की गइ थी।
जीिन स्तर: प्रतत व्तक्त अय में िृतर्द् नहीं हइ है, जबक्रक महंगाइ (inflation) ने मध्यम एिं तनम्न
िगीय जीिन को प्रभातित क्रकया है। शहरों में मतिन बतस्तयों के क्षेत्रों (slums) के प्रसार के साथ-
साथ स्िच्छता, मतहिाओं और बच्चों के तिरुर्द् बढ़ते ऄपराध आत्याक्रद मुद्दों में िृतर्द् हइ है।
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राजनीततक रूप से प्रेररत नीततयां: कभी-कभी, चुनािी तिचार नीतत के ईद्देश्यों और िक्ष्यों पर
प्रभािी हो जाते हैं। भारत में तितभन्न राज्यों द्वारा िगातार ऊण माफ़ी आसका एक ईदाहरण है।
ऊण माफ़ी एक खराब अर्तथक नीतत है। यह क्रकसानों के तिए नैततक संकट ईत्पन्न करती है और
बैंककग क्षेत्र पर दबाि डािती है।
दूरदर्तशता का ऄभाि: भारत में सािाजतनक नीतत-तनमााण को पूिाानम
ु ान अिश्यकताओं, प्रभािों
या प्रततक्रियाओं की तिफिता से तचतन्हत क्रकया जाता है, जो ईतचत रूप से पूिि
ा त हो सकते थे,
आस प्रकार अर्तथक तिकास में कमी अइ है। नीततयों को बतहजाात पररितान या नइ जानकारी से
ऄनुबर्द् की तुिना में ऄतधक बार ईिटा या पररिर्ततत क्रकया गया है।
सेंस एंड सॉतिडेररटी - झोिािािा आकोनॉतमक्स फॉर एिरीिन
ज्यााँ द्रेज, ऄपनी नइ क्रकताब 'सेंस एंड सॉतिडेररटी - झोिािािा आकोनॉतमक्स फॉर एिरीिन' में
ऄनपेतक्षत पररणाम को एक मुद्दे के रूप में बताते हैं। िह MGNREGS में होने िािे सुधारों को एक
प्रत्यक्ष ईदाहरण के रूप में िेकर आसको दशााते हैं। ईन्होंने बताया है क्रक कै से मजदूरी प्रदान करने में
होने िािी बेइमानी को रोकने के तिए सरकार ने मजदूरी का बैंकों और डाकघरों के माध्यम से सीधा
भुगतान करना प्रारं भ कर क्रदया है। आसका ऄनचाहा प्रभाि यह पड़ा क्रक आसके कारण कइ स्थानीय
ऄतधकाररयों ने MGNREGS से संबंतधत क्रकसी भी काया को करने में आच्छा प्रदर्तशत नहीं की,चूाँक्रक
ऄब ईनके तिए मजदूरी तितरण में बेइमानी करना संभि नहीं रह गया।
आन नीतत सिाहकार समूहों को तिभागीय दृतष्टकोण में कमी करनी चातहए और एकीकृ त नीतत सुझाि
प्रदान करना चातहए। नीतत सिाहकार समूह के परामशा और समूह के तिचारों को मंतत्रमंडि के समक्ष
एक प्रस्ताि प्रस्तुत क्रकए जाने से पूिा सभी नीततगत मामिों पर तिचार करना ऄतनिाया होगा।
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हािांक्रक िैिीकरण तथा ईदारीकरण के पश्चात् दो प्रक्रियाएं प्रकट हइ थीं। पहिी, राज्य की
भूतमका पररिर्ततत एिं ऄतधक जरटि होना प्रारमभ हो गइ थी तथा दूसरी, सािाजतनक नीततयों की
जमीनी अधार से ऄत्यतधक जांच अरमभ हइ।
ईपयुक्त नीततयों तथा संरचनाओं, नीतत तनमााण की प्रक्रियाओं, नीतत तनमााताओं की क्षमता में
सुधार तथा नीतत पररणामों के मूल्यांकन से संबंतधत प्रश्नों की ओर ऄतधक ध्यान कें क्रद्रत हअ है।
आसने राज्य को सहयोग हेतु राज्य से बाहर देखने के तिए बाध्य क्रकया। ईन्होंने गैर-राज्य
ऄतभकतााओं हेतु नीतत तनमााण का मागा खोि क्रदया। आसके तिए सरकार के एक कें द्रीकृ त,
पदानुितमक तथा शीषा से नीचे की ओर परमपरागत प्रततमान से एक ऄतधक सहयोगात्मक, क्षैततज
संरचना तथा एक गैर-पदानुितमत व्िस्था की ओर शासन का पुन: ऄिधारण ऄपररहाया है, जो
ऄब नेटिर्ककग, िाताा तथा िॉचबग पर अधाररत होना था।
यह भागीदारी या प्रसाररत शासन के एक प्रततमान पर अधाररत था तजसमें बाजार और नागररक
समाज को शातमि करते हए सरकार और गैर-सरकारी ऄतभकतााओं के मध्य संबंध ही नीततयों के
तनमााण तथा सािाजतनक िस्तुओं की अपूर्तत में मुख्य कताा बन गया है।
सरकारी-काया नीतत नेटिर्ककग को सुतिधाजनक बनाने हेतु तिगत दशकों में नए संस्थागत प्रबंधनों
का अतधक्य व्ाि हो चुका है। जैसे क्रक प्रधानमंत्री कायाािय के ऄंतगात व्ापार और ईद्योग
पररषद तथा िातणज्य मंत्रािय में बोडा ऑफ़ ट्रेड।
तिशेषत: आन पररषदों और बोडों में से ऄतधकांश में व्ापार संघों, श्रम संघों या नागररक समाज
संगठनों का कोइ प्रतततनतधत्ि नहीं है। कु ि तमिाकर आन ईभरते नीतत नेटिका में नागररक समाज
की संतििता हेतु औपचाररक तंत्र या ऄन्तराि नगण्य हो गए हैं।
नागररक समाज िगों से नि ईदारिादी फ्रेमिका की अिोचना और भारत में राज्य-नागररक
समाज संबंधों की व्ग्र पहचान को देखते हए यह कोइ अश्चयाजनक बात नहीं है क्रक भारत में राज्य
शीषा पर है और नागररक समाज सीमांत पर बना हअ है।
यद्यतप, राष्ट्रीय सिाहकार पररषद (NAC) जैसे कु छ संस्थान सामने अए हैं, जो सरकारी-नागररक
समाज नेटिर्ककग की सुतिधा प्रदान करते हैं। NAC ने सूचना का ऄतधकार, महात्मा गांधी ग्रामीण
रोजगार गारं टी ऄतधतनयम (मनरे गा) जैसे कानूनों के क्रियान्ियन में महत्िपूणा भूतमका तनभाइ है।
तीव्रता से, नीतत तनमााण नेटिका में औपचाररक रूप से नागररक समाज ऄतभनेताओं को शातमि
करने के सरकार के दृतष्टकोण में एक प्रत्यक्ष पररितान अया है। यह प्रिृतत्त सरकार के सभी प्रमुख
कायािमों में स्पष्ट रूप से दृष्टव् होती है, चाहे िह मनरे गा हो या जैसा क्रक राष्ट्रीय स्िैतच्छक क्षेत्रक
नीतत 2011 (National Voluntary Sector Policy 2011) में प्रततचबतबत होता है, जो नीतत
तनमााण से कायाान्ियन और तनगरानी के तिए तितभन्न स्तरों पर तिकासशीि नागररक समाज को
संिग्न करने हेतु सरकार की महत्िाकांक्षी योजना की रूपरे खा तैयार करता है।
आसके ऄततररक्त, 73िें संशोधन ऄतधतनयम के कायाान्ियन और पंचायती राज संस्थानों के अगमन
ने राज्य को सक्रिय रूप से नागररक समाज कत्तााओं के साथ सहभातगता की तिाश करने के तिए
प्रेररत क्रकया है।
अर्तथक तिकास से प्रेररत सािाजतनक व्य में िृतर्द् के पररणामस्िरूप तनगरानी और मूल्यांकन
(M&E) एिं सरकार के प्रदशान प्रबंधन, कायािम कायाान्ियन करने िािों, ऄंतरााष्ट्रीय दाता
संगठनों और िृहद स्तर पर नागररक समाज की मांग में िृतर्द् हइ है।
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आन ऄतनिायाताओं के तनदेशन में, भारत सरकार ने तनगरानी और मूल्यांकन पररिेश में सुधार
करने के तिए पहि की है। ईनमें से कु छ में तनम्नतितखत शातमि हैं-
o कै तबनेट सतचिािय द्वारा तनर्तमत प्रदशान प्रबंधन और मूल्यांकन प्रणािी
o औद्योतगक नीतत और संिधान तिभाग, िातणज्य और ईद्योग मंत्रािय के ऄंतगात राष्ट्रीय ईत्पादकता
पररषद
o तित्त मंत्रािय ने पररणाम अधाररत बजट प्रारं भ क्रकया है।
o प्रबंधन सूचना प्रणािी (MIS)
o कायािम मूल्यांकन संगठन (पूिा योजना अयोग के तहत)
o नीतत अयोग
आन संस्थानों के ऄततररक्त, नागररक समाज और मीतडया ने सरकारी नीततयों का मूल्यांकन करने
में भी महत्िपूणा भूतमका तनभाइ है।
मीतडया और नागररक समाज के ऄिािा दो और संस्थान हैं जो भारत की संिैधातनक शासन
प्रणािी का तहस्सा हैं, ये ईत्तरदातयत्ि की मांग में महत्िपूणा भूतमका तनभा रहे हैं। आनमें से एक
तनयंत्रक और महािेखा परीक्षक (CAG) है और दूसरा सिोच्च न्यायािय है।
CAG बड़े भ्रष्टाचार के घोटािों (कं पतनयों को 2 जी स्पेक्ट्रम अिंटन, राष्ट्रमंडि खेिों के घोटािों
और तनजी कं पतनयों को कोयिा खनन अिंटन से संबंतधत घोटािों) को ईजागर करने िािी ऄपनी
ररपोटा के तिए ऄग्रणी रहा है।
आसी प्रकार, भारत का सिोच्च न्यायािय नागररक समाज से कइ जनतहत यातचकाओं को स्िीकार
कर रहा है और कायापातिका के कायों की तनगरानी कर रहा है।
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MGNREGA योजना प्रत्येक तित्तीय िषा में क्रकसी भी ग्रामीण पररिार के ईन ियस्क सदस्यों को
100 क्रदन का रोजगार ईपिब्ध कराती है जो सांतितधक न्यूनतम मजदूरी पर सािाजतनक काया-
समबंतधत ऄकु शि मजदूरी करने के तिए तैयार हैं।
ग्रामीण तिकास मंत्रािय (MRD), भारत सरकार राज्य सरकारों के सहयोग से आस योजना के पूणा
कायाान्ियन की तनगरानी कर रहा है।
िक्ष्य
जब ऄन्य रोजगार के तिकल्प दुिाभ या ऄपयााि होते हैं तब रोज़गार स्रोत प्रदान कर सुभेद्य समूहों
के तिए सुदढ़ृ सामातजक सुरक्षा जाि तनर्तमत करना।
कृ तष ऄथाव्िस्था के संधारणीय तिकास के तिए तिकास आं जन। सूखा, िनोन्मूिन और मृदा
ऄपरदन जैसी दीघाकातिक गरीबी (chronic poverty) के कारणों को संबोतधत करने िािे कायों
पर रोजगार प्रदान करने की प्रक्रिया के माध्यम से, यह ऄतधतनयम ग्रामीण अजीतिका के प्राकृ ततक
संसाधन अधार को सुदढ़ृ करने और ग्रामीण क्षेत्रों में रटकाउ संपतत्त सृतजत करने की मां ग करता
है।
प्रभािी रूप से कायाातन्ित, मनरे गा में गरीबी की पृष्ठभूतम को पररिर्ततत करने की क्षमता है।
ऄतधकार-अधाररत कानून की प्रक्रियाओं के माध्यम से ग्रामीण गरीबों का सशतक्तकरण,
पारदर्तशता और जमीनी स्तर के मूि िोकतंत्र के तसर्द्ांतों पर अधाररत शासन सुधार के मॉडि के
रूप में व्िसाय करने के नए तरीके । आस प्रकार, MGNREGA अधारभूत मजदूरी सुरक्षा से
िेकर समािेशी तिकास के तिए तस्थततयों को बढ़ािा देता है और ग्रामीण ऄथाव्िस्था को िोकतंत्र
की एक पररितानीय सशतक्तकरण प्रक्रिया के रूप में पररिर्ततत करता है।
तमशन का िक्ष्य ग्रामीण तिकास समूहों (क्िस्टसा) का तिकास करना है, तजनके पास सभी राज्यों
में तिकास के तिए तनतहत क्षमता तिद्यमान है। यह क्षेत्र में समग्र तिकास को त्िररत करे गा।
आन समूहों या क्िस्टसा को अर्तथक गतततितधयों, तिकास कौशि और स्थानीय ईद्यतमता के तिकास
और ऄिसंरचनात्मक सुतिधाओं को प्रदान करके तिकतसत क्रकया जाएगा। आस प्रकार रुबान तमशन
स्माटा गांिों के क्िस्टर को तिकतसत करे गा।
राज्य सरकार ग्रामीण तिकास मंत्रािय द्वारा तैयार क्रकए गए कायाान्ियन फ्रेमिका के ऄनुसार
क्िस्टर की पहचान करे गी। समूहों में भौगोतिक रूप से मैदानी और तटीय क्षेत्रों की 25000 से
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50000 जनसंख्या तथा पहाड़ी, रे तगस्तानी और जनजातत क्षेत्रों की 5000 से 15000 जनसंख्या
िािे ग्राम पंचायतों को शातमि क्रकया जाएगा।
क्िस्टर के चयन के तिए, मंत्रािय क्िस्टर चयन की िैज्ञातनक प्रक्रिया को ऄपना रहा है तजसमें
जनसांतख्यकी, ऄथाव्िस्था, पयाटन और तीथायात्रा महत्ि और पररिहन गतियारे के प्रभाि के
तजिा, ईप तजिा और ग्राम स्तर पर एक ईद्देश्य तिश्लेषण शातमि है।
समस्त क्षेत्रीय तिकास को ईत्प्रेररत करने के ईद्देश्य से रुबान तिकास समूहों के तिकास के माध्यम से
यह योजना देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को एक साथ िाभातन्ित करे गी, तजससे ग्रामीण क्षेत्रों
को सुदढ़ृ करने और शहरी क्षेत्रों के बोझ को कम करने के दोहरे ईद्देश्यों को प्राि क्रकया जा सके गा
और देश का तिकास और संतुतित क्षेत्रीय तिकास के िक्ष्य को हातसि क्रकया जाएगा।
प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना (ग्रामीण अिास) आं क्रदरा अिास योजना के पैटना पर अधाररत है और
आसे देश भर में ग्रामीण क्षेत्रों में िागू क्रकया जाएगा।
आस योजना के ऄंतगात घरों के तिए ितक्षत समूह, ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रे खा से नीचे रहने िािे
िोग, ऄनुसूतचत जातत/ऄनुसूतचत जनजाततयों, बंधुअ मजदूरी से मुक्त कराये गए व्तक्त और गैर
ऄनुसूतचत जातत/ऄनुसूतचत जनजातत श्रेतणयों से संबंतधत व्तक्त होंगे।
अिासीय आकाआयों का अिंटन िाभाथी पररिार की मतहिा सदस्य के नाम पर होगा; िैकतल्पक
रूप से, अिास आकाइ को पतत और पत्नी दोनों के नाम पर अिंरटत क्रकया जा सकता है।
आस योजना का िक्ष्य BPL पररिारों को 5 करोड़ LPG कनेक्शन प्रदान करना है। आस िक्ष्य को 3
िषों के भीतर प्राि करना था।
आस िक्ष्य को समय सीमा से पूिा ही प्राि कर तिया गया था। PMUY प्रारं भ होने से पहिे, 62%
भारतीय पररिारों के पास LPG कनेक्शन थे, ऄब LPG किरे ज को 85% पररिारों तक बढ़ा
क्रदया गया है। आसके ऄततररक्त, 60 िाख PMUY िाभार्तथयों ने LPG को खाना पकाने के
प्राथतमक ईंधन के रूप में प्रयोग करना प्रारमभ कर क्रदया है।
प्रधानमंत्री LPG पंचायत: PMUY की सफिता के बाद, सरकार ने प्रधानमंत्री एिपीजी पंचायत
योजना प्रारं भ की जो ग्रामीण LPG ईपयोगकतााओं के तिए LPG के सुरतक्षत ईपयोग, पयाािरण
के तिए आसके िाभ, मतहिा सशतक्तकरण और मतहिा स्िास््य जैसे तितभन्न तिषयों पर ग्रामीण
एिपीजी ईपयोगकतााओं के तिए एक आं टरै तक्टि संचार मंच है और ईपभोक्ताओं को तनयतमत रूप
से स्िच्छ खाना पकाने के ईंधन के रूप में LPG का ईपयोग करने हेतु प्रोत्सातहत करने के तिए आस
मंच का ईपयोग करना है।
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यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में कृ तष एिं गैर-कृ तष फीडरों का पृथक्करण और सभी स्तरों पर मीटरींग
सतहत ईप-पारे षण और तितरण (ST&D) ऄिसंरचनाओं के सुदढ़ृ ीकरण पर कें क्रद्रत है। यह योजना
ग्रामीण पररिारों को तनरं तर तिद्युत की अपूर्तत और कृ तष ईपभोक्ताओं को पयााि तिद्युत प्रदान
करने में सहायता करे गी।
ग्रामीण तिद्युतीकरण के तिए पूिा में संचातित राजीि गांधी ग्रामीण तिद्युतीकरण योजना
(RGGVY) को ग्रामीण तिद्युतीकरण के एक घटक के रूप में नइ योजना में समातहत क्रकया गया
है।
सरकार ने दािा क्रकया क्रक तिद्युतीकरण के तिए चयतनत 18,452 गांिों में से 15,183 गांिों को
दीनदयाि ऄंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण अजीतिका तमशन (DAY-NRLM) ग्रामीण तिकास
मंत्रािय (MoRD) का एक प्रमुख कायािम है तजसका ईद्देश्य गरीबों के सतत सामुदातयक संस्थानों
के तनमााण के माध्यम से ग्रामीण तनधानता का ईन्मूिन करना है। यह कें द्र प्रायोतजत कायािम राज्य
सरकारों की साझेदारी से िागू क्रकया जा रहा है।
तित्तीय िषा 2017-18 में देश भर में 82 िाख से ऄतधक पररिारों को 6.96 िाख स्ियं सहायता
समूह (SHGs) के साथ जोड़ा गया है। कु ि तमिाकर, 4.75 करोड़ से ऄतधक मतहिाओं को 40
यह तमशन ग्राम पंचायतों को अयोजना की मूिभूत आकाइ के रूप में मानते हए सरकारी हस्तक्षेप
करने का प्रयास करता है, साथ ही एक संतृति दृतष्टकोण (saturation approach) का ऄनुकरण
करते हए मानि और तित्तीय संसाधनों की पूचिग के माध्यम से संधारणीय अजीतिका सुतनतश्चत
करता है।
यह 1000 क्रदनों में 5000 ग्रामीण क्िस्टरों ऄथिा 50,000 ग्राम पंचायतों में तनिास करने िािे
1 करोड़ पररिारों के जीिन के मापनीय पररणामों के अधार पर एक िास्ततिक ऄंतर िाने हेतु
ग्रामीण पररितान के तिए राज्य के नेतृत्ि में एक पहि है।
सािाजतनक संस्थान, जैस-े कृ तष तिज्ञान कें द्र, MSME क्िस्टर, ऄन्य कौशि तिकास संस्थान अक्रद
ईत्पादक रोजगार और अर्तथक गतततितधयों को बढ़ाने के तिए आन क्िस्टरों की पूणा क्षमता
तिकतसत करने में संिग्न हैं।
आन क्िस्टरों की क्षमता जैतिक कृ तष, बागिानी, तितनमााण, सेिाएं, पयाटन अक्रद जैसे ऄन्य तिषयों
में हो सकती है।
यहां तक क्रक तनजी क्षेत्र, तिशेष रूप से युिा CEOs, स्टाटा-ऄप और कॉरपोरे ट सामातजक
ईत्तरदातयत्ि पहिों को अजीतिका तितिधीकरण और बाजार चिके ज में संिधान के माध्यम से
पंचायतों को गरीबी मुक्त बनाने हेतु अंदोिन में शातमि होने के तिए अमंतत्रत क्रकया जा रहा है।
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3.1.8. प्रधानमं त्री ग्राम सड़क योजना (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana)
संसद अदशा ग्राम योजना (SAGY) ऄक्टू बर 2014 में भारत सरकार द्वारा प्रारं भ की गइ एक
ग्राम तिकास पररयोजना है, तजसके ऄंतगात प्रत्येक सांसद 2019 तक तीन गांिों में भौततक और
संस्थागत ऄिसंरचना तिकतसत करने का ईत्तरदातयत्ि िेगा।
आसके तहत माचा 2019 तक प्रत्येक सांसद द्वारा तीन अदशा ग्राम तिकतसत करने का िक्ष्य है,
तजसमें से एक अदशा ग्राम को 2016 तक तिकतसत क्रकया जाना था। तत्पश्चात, प्रतत िषा एक गााँि
का चयन करके 2024 तक पांच अदशा ग्रामों का तिकास क्रकया जाना है।
ऄिसंरचनात्मक तिकास के ऄततररक्त, SAGY का ईद्देश्य गांिों और िहााँ के िोगों में ऐसे मूल्यों
का तिकास करना है ताक्रक िे दूसरों के तिए अदशा बन सके ।
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‘2022 तक सभी के तिए अिास’ के रूप में तनधााररत िक्ष्य के ऄनुसरण में ग्रामीण अिास योजना
आं क्रदरा अिास योजना को प्रधानमंत्री अिास योजना - ग्रामीण के रूप में पुनगारठत क्रकया गया है
और माचा, 2016 में आसे ऄनुमोक्रदत क्रकया गया।
आस योजना के तहत, सभी बेघर तथा कच्चे और जीणा-शीणा घरों िािे पररिारों को एक पक्का घर
ईपिब्ध कराने के तिए तित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। आस पररयोजना के तहत 2016-17
से 2018-19 की ऄितध के दौरान एक करोड़ पररिारों को पक्के घर के तनमााण के तिए सहायता
प्रदान करना प्रस्तातित है।
यह योजना क्रदल्िी और चंडीगढ़ को छोड़कर संपूणा भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में िागू की जाएगी।
घरों की िागत को कें द्र और राज्यों के मध्य साझा क्रकया जाएगा।
पारदर्तशता और तनष्पक्षता सुतनतश्चत करने के तिए सहायता हेतु पात्र िाभार्तथयों की पहचान और
ईनकी प्राथतमकता के तनधाारण हेतु सामातजक अर्तथक और जातत जनगणना (SECC) के अाँकड़ों
का ईपयोग क्रकया जाएगा। पहिे सहायता प्राि कर चुके ऄथिा ऄन्य कारणों से ऄयोग्य
िाभार्तथयों की पहचान करने के तिए सूची ग्राम सभा को प्रस्तुत की जाएगी।
PMAY के तहत, यूतनट सहायता की िागत कें द्र और राज्य सरकारों के मध्य मैदानी क्षेत्रों में
60:40 और पूिोत्तर और पिातीय राज्यों में 90:10 के ऄनुपात में साझा की जानी है।
यह ऄतभयान "सबका साथ, सबका गांि, सबका तिकास" के नाम से अरं भ क्रकया गया है। आसका
ईद्देश्य सामातजक सौहादा को बढ़ािा देना, सरकार की तनधानता संबंधी पहिों के तिषय में
जागरूकता का प्रसार करना, तितभन्न कल्याण कायािमों पर तनधान पररिारों की प्रततक्रिया प्राि
करने और ईन्हें आनके दायरे में िाने हेतु ईन तक पहंच स्थातपत करना है।
ग्राम स्िराज ऄतभयान पात्र पररिारों/व्तक्तयों के तिए 21,058 चयतनत गांिों में तनधान-समथाक
सात प्रमुख योजनाओं का तिशेष कें क्रद्रत हस्तक्षेप है, ये सात योजनाएं है: प्रधानमंत्री ईज्ज्ििा
योजना, प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना, ईजािा योजना, प्रधानमंत्री जन धन योजना, प्रधानमंत्री
जीिन ज्योतत बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और तमशन आंद्रधनुष।
भारत, तिि की दूसरी सबसे बड़ी शहरी जनसंख्या िािा देश है और 2050 तक भारत की िगभग
50% जनसंख्या ऄथाात् 814 तमतियन िोगों के शहरी क्षेत्रों में तनिास करने का ऄनुमान है। आस
पररदृश्य को देखते हए, शहरों और कस्बों में तिद्यमान ितामान ऄिसंरचना और बुतनयादी सुतिधाएं
तिस्तारशीि शहरीकरण प्रक्रिया का समाधान करने हेतु पयााि नहीं हैं।
देश में शहरी ऄिसंरचना को बढ़ािा देने के तिए सरकार द्वारा कइ पहिों की शुरूअत की गइ है। स्माटा
तसटी तमशन और AMRUT योजना के रूप में क्रकए गए दोहरे प्रयास आस संदभा में की गयी प्रमुख पहिें
हैं।
स्माटा तसटी तमशन देश भर में चयतनत 100 शहरों में तनिास योग्य पररतस्थततयों और ऄिसंरचना
को तिकतसत एिं ईन्नत बनाने के तिए सरकार द्वारा शुरू क्रकया गया एक प्रमुख शहरी निीनीकरण
कायािम है।
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आस कायािम को अतधकाररक रूप से 25 जून 2016 को िॉन्च क्रकया गया था और आसके प्रथम
चरण में 20 शहरों को स्माटा शहरों के रूप में पररिर्ततत करने हेतु तित्तपोषण प्रदान क्रकया गया
था। अगामी दो िषों में, शेष शहरों को भी आस पररयोजना के ऄंतगात सतममतित क्रकया जाएगा।
शहरी तिकास मंत्रािय आस पररयोजना के कायाान्ियन के तिए नोडि एजेंसी है।
आस पररयोजना का मुख्य फोकस
पुनःसंयोजन (रे ट्रोक्रफटटग) और
पुनर्तिकास के माध्यम से तिद्यमान
क्षेत्रों को रूपांतररत कर शहरों का
क्षेत्र अधाररत तिकास (ABS)
करना है।
स्माटा तसटी पररयोजना का एक
ऄन्य घटक नए क्षेत्रों या ग्रीनफील्ड
क्षेत्रों का तिकास करना है। आस
प्रकार प्रौद्योतगकी, सूचना और
अकड़ों के ईपयोग सतहत स्माटा
समाधानों को ऄपनाया जाएगा ताक्रक पररयोजना के तहत ऄिसंरचना और सेिाओं में सुधार क्रकया
जा सके ।
स्माटा तसटी तमशन का तित्तपोषण (Financing of Smart Cities)
आस तमशन का तित्तपोषण कें द्र, राज्य और स्थानीय तनकायों द्वारा सामूतहक रूप से क्रकया जाएगा।
तनजी क्षेत्र को भी तित्तपोषण के तिए अमंतत्रत क्रकया जाएगा और सािाजतनक तनजी भागीदारी
पररयोजना के तित्तपोषण में सहायता करे गी।
सिाातधक महत्िपूणा योगदान के रूप में कें द्र द्वारा पांच िषा में 48,000 करोड़ रुपये ऄथाात् प्रत्येक
शहर को औसतन 100 करोड़ रूपये प्रतत िषा प्रदान क्रकए जाएंग।े कें द्र के योगदान के ऄनुरूप ही
राज्य/शहरी स्थानीय तनकायों द्वारा भी समान रातश प्रदान की जाएगी। स्माटा तसटीज पररयोजना
के तिए सरकारी स्रोतों के माध्यम से िगभग एक िाख करोड़ रुपये ईपिब्ध होंगे। पररयोजना के
कायाान्ियन के तिए प्रत्येक शहर को एक समर्तपत स्पेशि पपाज व्हीकि (SPV) का गठन करना
चातहए।
AMRUT योजना का ईद्देश्य पांच िषों की ऄितध के दौरान 500 शहरों और कस्बों को कु शि
रहने योग्य स्थानों के रूप में रूपांतररत करना है। शहरी तिकास मंत्रािय ने राज्य सरकारों की
सहायता से पांच सौ शहरों का चयन क्रकया है।
स्माटा तसटी तमशन के क्षेत्र अधाररत दृतष्टकोण के तिपरीत आस योजना के ऄंतगात एक पररयोजना
ईन्मुख तिकास दृतष्टकोण को ऄपनाया गया है।
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मंतत्रमंडि द्वारा आस तमशन के तिए 50,000 करोड़ रुपये की स्िीकृ तत प्रदान की गयी है तजसे पांच
िषा की ऄितध में व्य क्रकया जाना है। कें द्र से 80% बजटीय सहायता के साथ यह एक कें द्रीय
प्रायोतजत योजना है।
AMRUT का तमशन है: (i) यह सुतनतश्चत करना क्रक प्रत्येक पररिार की तनतश्चत जिापूर्तत के साथ
एक नि कनेक्शन और सीिर कनेक्शन तक पहाँच हो; (ii) हररयािी और बेहतर तरीके से प्रबंतधत
खुिे स्थानों (जैसे पाका ) का तिकास करके शहरों के रमणीयता मूल्यों में िृतर्द् करना; और (iii)
सािाजतनक पररिहन प्रणािी को ऄपनाकर या गैर-मोटर चातित पररिहन (जैसे- पैदि चिना
और साआक्रकि चिाना) के तिए सुतिधाओं का तनमााण करके प्रदूषण को कम करना।
3.2.3. प्रधानमं त्री अिास योजना (शहरी) या 2022 तक सभी के तिए अिास तमशन
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आसके तहत शहरी मतिन बतस्तयों और अर्तथक रूप से कमजोर िगों पर तिशेष फोकस के साथ
सभी पात्र िगों के तिए अिासीय आकाइयों के तनमााण के तिए राज्यों और कें द्रशातसत प्रदेशों को
कें द्रीय सहायता प्रदान की जाती है। ऄतः, मतिन बस्ती पुनिाास और अर्तथक रूप से कमजोर िगों
के तिए िहनीय अिास आस पररयोजना की प्रमुख तिशेषताएं हैं।
कायािम के तनम्नतितखत घटक हैं:
o संसाधन के रूप में भूतम का ईपयोग करके तनजी डेििपसा की भागीदारी से मतिन बस्ती में
रहने िािे िोगों का पुनिाास करना।
o िे तडट चिक्ड सतब्सडी के माध्यम से कमजोर िगों के तिए िहनीय अिास को प्रोत्साहन
प्रदान करना।
o सािाजतनक और तनजी क्षेत्रों की साझेदारी द्वारा िहनीय अिास की सुतिधा प्रदान करना।
o व्तक्तगत स्तर पर अिास तनमााण या तिस्तार के तिए िाभार्तथयों को सतब्सडी प्रदान करना।
HRIDAY योजना को धरोहर शहरों के समग्र तिकास के तिए अरं भ क्रकया गया है। आसका ईद्देश्य
भारत में धरोहर शहरों की ऄतद्वतीय तिशेषताओं को संरतक्षत और पुनजीतित करना है।
कायािम के प्रथम चरण के तिए 500 करोड़ रूपये अिंरटत क्रकए गए हैं तजसका तित्तपोषण पूणा
रूप से कें द्र सरकार द्वारा क्रकया गया है। आस पररयोजना हेतु ऄजमेर, ऄमरािती, ऄमृतसर सतहत
12 शहरों की पहचान की गइ है।
पूिा तशक्षण ऄनुभि या कौशि िािे व्तक्तयों का मूल्यांकन और पूिा तशक्षा की पहचान (RPL) के
तहत प्रमाणन क्रकया जाएगा। आस योजना के तहत, प्रतशक्षण एिं मूल्यांकन का संपूणा शुल्क सरकार
द्वारा भुगतान क्रकया जाता है।
आसके ऄततररक्त, आस योजना के तहत प्रतशक्षण के तिए कें द्र/ राज्य सरकार से संबर्द् प्रतशक्षण
प्रदाताओं का भी ईपयोग क्रकया जाएगा।
प्रतशक्षण के ऄंतगात असान कौशि, व्तक्तगत तिकास, स्िच्छता हेतु व्िहार में पररितान, ऄच्छी
काया नैततकता भी शातमि है।
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ग्रामीण तिकास मंत्रािय गरीब पररिारों के ग्रामीण युिाओं की कौशि और ईत्पादक क्षमता का
तिकास करने के साथ, समािेशी तिकास के तिए राष्ट्रीय एजेंडे के रूप में DDU-GKY का
कयाान्ियन करता है।
अधुतनक बाजार में प्रततस्पधाा करने में भारत के ग्रामीण तनधानों के समक्ष चुनौततयााँ तिद्यमान हैं,
जैसे औपचाररक तशक्षा और बाजार-ऄनुकूि कौशि की कमी। तिश्िस्तरीय प्रतशक्षण, तित्तपोषण,
रोजगार ईपिब्ध कराने पर बि देने, नौकरी में बने रहने (retention), कररयर प्रगतत और
तिदेशों में प्िेसमेंट जैसे ईपायों के माध्यम से DDU-GKY आस ऄंतर को कम करने का काया करती
है।
तिशेषताएं (Features)
िाभकारी योजनाओं तक तनधानों और सीमांत िोगों की पहंच को सक्षम बनाना: ग्रामीण तनधानों
के तिए मांग अधाररत तन:शुल्क कौशि प्रतशक्षण प्रदान करना।
समािेशी कायािम तैयार करना: सामातजक रूप से िंतचत समूहों (SC/ST 50%, ऄल्पसंख्यक
15%, मतहिा 33%) को ऄतनिाया रूप से शातमि करना।
प्रतशक्षण से कररयर प्रगतत पर बि देना: नौकरी में बने रहने (Job Retention), कररयर प्रगतत
और तिदेशों में प्िेसमेंट के तिए प्रोत्साहन प्रदान करना।
तनयोतजत ईममीदिारों को ऄतधक समथान: प्िेसमेंट-पश्चात समथान, प्रव्रजन (माआग्रेशन) में समथान
और एिुतमनाइ नेटिका ।
प्िेसमेंट साझेदारी बनाने के तिए सक्रिय दृतष्टकोण: कम से कम 75% प्रतशतक्षत ईममीदिारों के
तिए प्िेसमेंट की गारं टी।
कायाान्ियन भागीदारों की क्षमता को बढ़ाना: नए प्रतशक्षण सेिा प्रदाताओं को पोतषत करना और
ईनके कौशि को तिकतसत करना।
रीजनि फोकस
o जममू-कश्मीर (HIMAYAT) तथा ईत्तर-पूिा क्षेत्र और 27 िामपंथी ईग्रिाद (LWE) प्रभातित
तजिों (ROSHINI) में गरीब ग्रामीण युिाओं के तिए पररयोजनाओं पर ऄतधक बि देना।
मानक अधाररत सेिा तितरण: कायािम से संबर्द् सभी गतततितधयााँ मानक संचािन प्रक्रियाओं के
ऄधीन होती हैं जो स्थानीय तनरीक्षकों द्वारा तनिाचन के तिए नहीं हैं। सभी प्रकार के तनरीक्षण भू-
स्थैततक प्रमाण (geo-tagged), समय के तििरण सतहत (time stamped) िीतडयो/तस्िीरों
द्वारा समर्तथत हैं।
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3.3.5. ऄल्पसं ख्यकों के तिए कौशि तिकास (Skill Development for Minorities)
कौशि तिकास का िक्ष्य रखने िािी ऄल्पसंख्यक काया मंत्रािय द्वारा कायाातन्ित कु छ योजनाएं
तनम्नतितखत हैं:
सीखो और कमाओ (Learn & Earn) : यह 2013-14 से कायाातन्ित एक प्िेसमेंट-चिक्ड कौशि
तिकास योजना है, तजसका ईद्देश्य योग्यता, ितामान अर्तथक प्रिृतत्त और बाजार क्षमता के अधार
पर ऄल्पसंख्यक युिाओं के तितभन्न अधुतनक एिं पारं पररक कौशिों का ईन्नयन करना है। जो ईन्हें
ईपयुक्त रोजगार ईपिब्ध कराने ऄथिा ईन्हें स्ि-रोजगार के तिए ईपयुक्त कौशि प्रदान करे गी।
पारं पररक किाओं/तशल्पों के तिकास हेतु कौशि तिकास एिं प्रतशक्षण योजना: ईस्ताद
(Upgrading the Skills and Training in Traditional Arts/ Crafts for Development:
USTTAD): आसका ईद्देश्य ऄल्पसंख्यकों की पारं पररक किाओं/तशल्पों की समृर्द् तिरासत का
संरक्षण करना है।
नइ मंतजि: आस योजना का ईद्देश्य ईन युिाओं को िाभातन्ित करना है तजनके पास औपचाररक
तशक्षा छोड़ने का प्रमाण पत्र नहीं है, ताक्रक ईन्हें औपचाररक तशक्षा और कौशि प्रदान क्रकया जा
सके तजससे िे संगरठत क्षेत्र में रोजगार प्राि कर ऄपने जीिन को बेहतर बना सकें ।
मौिाना अज़ाद राष्ट्रीय कौशि ऄकादमी (MANAS): MANAS, ऄल्पसंख्यक समुदायों को
ईभरते बाजार की मांग के ऄनुरूप सभी प्रकार के कौशिों में प्रतशक्षण प्रदान करने के तिए, PPP
मॉडि पर स्थानीय / राष्ट्रीय /ऄंतरााष्ट्रीय प्रतशक्षण संगठनों के साथ संबर्द्ता के अधार पर एक
संपूणा भारतीय स्तर का प्रतशक्षण ढांचा प्रदान करता है।
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तिशेष रूप से, भारतीय संतिधान के ऄनुच्छेद 41 में राज्य को बेरोजगारी, िृर्द्ािस्था, बीमारी
और तन:शक्तता तथा ऄन्य ऄनहा ऄभाि की दशाओं में ऄपनी अर्तथक क्षमता और तिकास की सीमा
के भीतर नागररकों को िोक सहायता प्रदान करने का तनदेश क्रदया गया है।
राष्ट्रीय सामातजक सहायता कायािम एक सामातजक सुरक्षा एिं कल्याणकारी कायािम है, तजसका
ईद्देश्य िृर्द् व्तक्तयों, तिधिाओं, क्रदव्ांग जनों, जीतिकोपाजान करने िािे मुख्य सदस्य की मृत्यु
िािे िंतचत पररिारों और गरीबी रे खा से नीचे रहने िािे पररिारों को सहायता प्रदान करना है।
1995 में NSAP के अरं भ के समय प्रमुख रूप से आसमें तीन घटक शातमि थे:
o राष्ट्रीय िृर्द्ािस्था पेंशन योजना (NOAPS)
o राष्ट्रीय पाररिाररक िाभ योजना (NFBS)
o राष्ट्रीय मातृत्ि िाभ योजना (NMBS)
राष्ट्रीय पेंशन प्रणािी (NPS) एक स्िैतच्छक एिं तनधााररत योगदान िािी सेिातनिृतत्त बचत
योजना है, तजसका तनमााण आसके ऄतभदाताओं को ईनके कामकाजी जीिन के दौरान व्ितस्थत
बचत के माध्यम से ऄपने भतिष्य के तिए आष्टतम तनणाय िेने में सक्षम बनाने हेतु क्रकया गया है।
NPS का ईद्देश्य नागररकों के मध्य सेिातनिृतत्त हेतु बचत की प्रिृतत्त को बढ़ािा देना है। यह भारत
के प्रत्येक नागररक को पयााि सेिातनिृतत्त अय प्रदान करने की समस्या के स्थायी समाधान की
खोज करने का एक प्रयास है।
NPS के तहत, व्तक्तगत बचत को पेंशन फं ड में जमा क्रकया जाता है तजसे पेंशन तनतध तितनयामक
और तिकास प्रातधकरण (PFRDA) द्वारा तितनयतमत पेशेिर तनतध प्रबंधकों द्वारा सरकारी बॉन्ड,
तबि, कॉपोरे ट तडबेंचर और शेयरों की तितभन्न श्रेतणयों में ऄनुमोक्रदत तनिेश संबंधी क्रदशा-तनदेशों
के ऄनुसार तनिेश क्रकया जाता है।
क्रकए गए तनिेश द्वारा ऄर्तजत िाभ के अधार पर िषा दर िषा आन योगदानों में िृतर्द् होती है और ये
संतचत होते रहते हैं।
NPS से सामान्य तनगाम के समय, भुगतानकताा कु ि संचतयत पेंशन रातश की एकमुश्त रातश
िापस िेने के ऄततररक्त PFRDA द्वारा सूचीबर्द् जीिन बीमा कं पनी से िाआफ एन्युटी (annuity)
खरीदने हेतु आस योजना के तहत संतचत पेंशन रातश का ईपयोग कर सकते हैं, यक्रद िे आसका चयन
करते हैं।
ऄटि पेंशन योजना (API) ऄसंगरठत क्षेत्र में कायाशीि गरीब व्तक्तयों की िृर्द्ािस्था में अय
सुरक्षा और कामगारों के दीघाायु तक जोतखमों से तनपटने का समाधान करती है। यह योजना
ऄसंगरठत क्षेत्र में कामगारों को स्िैतच्छक रूप से ऄपनी सेिातनिृतत्त हेतु बचत करने के तिए
प्रोत्सातहत करती है।
िाभ (Benefits):
ऄतभदाताओं को 1000 रूपये से 5000 रूपये के मध्य तनधााररत पेंशन प्रदान की जाएगी यक्रद कोइ
व्तक्त आस योजना का 18 िषा से 40 िषा की अयु के भीतर सदस्य बनता है और ऄंशदान करता
है।
ऄतभदाता की मृत्यु के पश्चात समान पेंशन रातश ईसके पतत/पत्नी को दी जाएगी।
पत्नी की मृत्यु के पश्चात नातमत व्तक्त को सूचक पेंशन रातश िापस प्रदान की जाएगी।
ऄटि पेंशन योजना (APY) में योगदान करने िािे व्तक्तयों को भी राष्ट्रीय पेंशन प्रणािी (NPS)
के समान ही कर िाभ प्रदान क्रकया जायेगा।
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TPDS के ऄंतगात सतब्सडीकृ त मूल्य तथा ईनमें संशोधन: आस ऄतधतनयम के िागू होने की तारीख
से 3 िषा की ऄितध के तिए TPDS के ऄंतगात खाद्यान्न ऄथाात् चािि, गेहं और मोटा ऄनाज
िमश: 3/2/1 रूपए प्रतत क्रकिोग्राम के सतब्सडीकृ त मूल्य पर ईपिब्ध कराया गया।
पररिारों की पहचान: प्रत्येक राज्य के तिए तनधााररत TPDS के तहत किरे ज के भीतर पात्र
पररिारों की पहचान संबंधी काया राज्यों/कें द्र शातसत क्षेत्रों द्वारा क्रकया जाएगा।
मतहिाओं और बच्चों को पोषण सहायता: गभािती मतहिाएं एिं स्तनपान कराने िािी माताएं
तथा 6 माह से िेकर 14 िषा तक की अयु समूह के बच्चे एकीकृ त बाि तिकास सेिा (ICDS) और
मध्याह्न न भोजन (MDM) योजनाओं के ऄंतगात तनधााररत पोषण संबंधी मानदण्डों के ऄनुरूप
भोजन प्राि करने के पात्र होंगे। 6 िषा तक की अयु के कु पोतषत बच्चों के तिए ईच्च स्तर के
पोषण संबंधी मानदण्ड तनधााररत क्रकए गए हैं।
मातृत्ि िाभ: गभािती मतहिाएं और स्तनपान कराने िािी माताएं मातृत्ि िाभ प्राप्त करने की
भी पात्र होंगी, जो की 6000 रूपए से कम नहीं होगा।
मतहिा सशतक्तकरण: राशन काडा जारी करने के प्रयोजनाथा पररिार में 18 िषा या ईससे ऄतधक
अयु की सबसे बुजुगा मतहिा को पररिार की मुतखया के रूप में माना जाएगा।
तशकायत तनिारण तंत्र: तजिा एिं राज्य स्तरों पर तशकायत तनिारण तंत्र की स्थापना की
जाएगी। राज्यों को मौजूदा तंत्र का ईपयोग करने ऄथिा ऄपना पृथक तंत्र स्थातपत करने की छू ट
प्राि होगी।
खाद्यान्नों का राज्यों के भीतर पररिहन तथा प्रबंधन संबध
ं ी िागत और ईतचत मूल्य की दुकानों के
डीिरों का िाभ: कें द्र सरकार राज्यों के भीतर पररिहन तथा प्रबंधन पर क्रकए गए व्य की पूर्तत
करने हेतु राज्यों को सहायता ईपिब्ध कराएगी।
पारदर्तशता और जिाबदेही: पारदर्तशता और जिाबदेही को सुतनतश्चत करने हेतु सािाजतनक
तितरण प्रणािी से संबंतधत ररकाडों को सािाजतनक करने, सामातजक िेखा परीक्षण करने तथा
सतका ता सतमततयों का गठन करने का प्रािधान क्रकया गया है।
खाद्य सुरक्षा भत्ता: पात्र व्तक्त के खाद्यान्न ऄथिा भोजन की अपूर्तत न होने की तस्थतत में पात्र
िाभार्तथयों के तिए खाद्य सुरक्षा भत्ते का प्रािधान क्रकया गया है।
दण्ड: आसके ऄंतगात तजिा तशकायत तनिारण ऄतधकारी द्वारा ऄनुशंतसत राहत प्रदान करने संबंधी
प्रािधान का ऄनुपािन न क्रकये जाने की तस्थतत में राज्य खाद्य अयोग द्वारा सरकारी कमाचारी या
प्रातधकरण पर दण्ड िगाने के प्रािधान को शातमि क्रकया गया है।
ग्रामीण पररदृश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के मध्य स्पष्ट ऄंतर के समाि होने के साथ रूपांतररत हो
रहा है। आसके पररणामस्िरूप ऄथाव्िस्था ऄतधक एकीकृ त हइ है।
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रोजगार सृजन यद्यतप कृ तष से गैर-कृ तष क्षेत्रों की ओर होने िािे स्थानांतरण के साथ समन्िय
स्थातपत नहीं कर पाया है। ग्रामीण क्षेत्रों के समक्ष ऄन्य चुनौततयों में तनम्न साक्षरता स्तर, स्िास््य,
पेयजि एिं स्िच्छता तक ऄपयााि पहंच के साथ-साथ औपचाररक तित्तीय संस्थानों के साथ
ऄपयााि संबंध सतममतित हैं।
योजनाएं और ईनके कायाान्ियन में पारदर्तशता (Schemes and Transparency in
implementation)
चूंक्रक सामातजक, अर्तथक और जाततगत जनगणना (Socio Economic and Caste Census:
SECC)- 2011 तितभन्न कायािमों के तिए िाभाथी स्तर के ऄतधकारों को तनधााररत करने का
अधार बन गया है, ऄतः तनयतमत रूप से डेटा ऄद्यतन करने के तिए संस्थागत तंत्र की अिश्यकता
है।
कमजोर पररिारों द्वारा सामना की जाने िािी बह-अयामी तनधानता की चुनौती का समाधान
करने के तिए योजनाओं के मध्य ऄतभसरण सुतनतश्चत करने हेतु पंचायत स्तर पर आस डेटा का
तिश्लेषण क्रकया जा सकता है।
राज्य तिकास संस्थान (State Institutes of Rural Development: SIRD) आस ऄतभसरण
को सुतिधाजनक बनाने में महत्िपूणा भूतमका तनभा सकते हैं क्योंक्रक ये ग्रामीण तिकास के तितभन्न
कायािमों और पंचायत स्तर पर प्रतततनतधयों के प्रतशक्षण के तिए ईत्तरदायी हैं।
MGNREGA और प्रधानमंत्री अिास योजना के तहत तनर्तमत घरों और संपतत्तयों को ट्रैक करने
के तिए GIS का प्रयोग क्रकया जाना चातहए।
कौशि तिकास और रोजगार सृजन (Skill Development and Employment Generation)
2016 में ग्रामीण तिकास मंत्रािय द्वारा गरठत साझा समीक्षा तमशन (Common Review
Mission: CRM) ने दीनदयाि ऄंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण अजीतिका तमशन (Deen
Dayal Antodaya Yojna – National Rural Livelihood Mission DAY: NRLM) से
संबंतधत कायाान्ियन चुनौततयों को स्पष्ट क्रकया। तजनमें मानि संसाधन के मुद्दे और धन की कमी
प्रमुख चुनौततयां थीं।
मानि संसाधन से संबतं धत चुनौततयां: राज्य ग्रामीण अजीतिका तमशन (State Rural
Livelihood Missions: SRLM) के CEO के तिए दीघा कायाकाि को सुतनतश्चत करने के प्रयास
क्रकए जाने चातहए। तजिा और ब्िॉक स्तर पर पररयोजना कमाचाररयों को बनाए रखने पर बि
क्रदया जाना चातहए।
CRM टीम ने पाया क्रक कायािम SHG-बैंक चिके ज को प्राि करने में सफि रहा है, ईत्पादक
समूह और ईत्पादक कं पतनयों को संधारणीय कृ तष और गैर-काष्ठ िन ईत्पादों जैसे क्षेत्रों में सृतजत
और सुदढ़ृ करने के तिए ऄतधक प्रयास क्रकए जाने की अिश्यकता है।
घरे िू बचत, अय, संपतत्त तनमााण, ऊण में कमी और ईत्पादकता सतहत SHG के तिए प्रमुख
संकेतकों को मापने के तिए एक तंत्र तिकतसत क्रकया जाना चातहए।
दीन दयाि ईपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (Deen Dayal Upadhyaya Grameen
Kaushalya Yojna: DDU-GKY) के संबंध में, प्िेसमेंट की गुणित्ता की तनगरानी और सुधार
पर ध्यान कें क्रद्रत क्रकया जाना चातहए।
मुख्यमंतत्रयों के ईप-समूह द्वारा DDY-GKY और NRLM के तिए कौशि तिकास संबध
ं ी ऄनुसश
ं ाएं :
(Sub – group of Chief Ministers on Skill Development recommendation on DDU –
GKY and NRLM)
नौकरी में प्िेसमेंट के संदभा में कृ तष और संबर्द् व्िसायों में स्ि-रोजगार को शातमि करने के तिए
पररचािन क्रदशातनदेशों को संशोतधत करना।
राष्ट्रीय कौशि योग्यता फ्रेमिका (National Skills Qualification Framework: NSQF) के
ऄंतगात पूिा तशक्षण की मान्यता (Recognition to Prior Learning: RPL) का िाभ ईठाए
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जाने की अिश्यकता है। सभी राज्य तिभागों को भारतीय कृ तष कौशि पररषद (Agriculture
Skill Council of India: ASCI) के सहयोग से कृ तष और संबर्द् क्षेत्रों में ऄर्द्ा कु शि और कु शि
कामगारों के मूल्यांकन और प्रमाणन के तिए योजनाएं तिकतसत की जानी चातहए।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (MGNREGA)
ऄगिे 3 िषों में तनगरानी को सुदढ़ृ बनाने जाने की अिश्यकता है। आसके ऄततररक्त, एक स्ितंत्र
आकाइ द्वारा ऄतनिाया रूप से सामातजक िेखांकन की सुतिधा ईपिब्ध करिाइ जानी चातहए।
ऄनुरक्षण के ऄभाि के कारण, MGNREGA के तहत सृतजत संपतत्तयां समय के साथ ऄनुपयोगी
हो जाती हैं। आस प्रकार, MGNREGA के तहत तनर्तमत सामुदातयक संपतत्तयों के तिए एक पृथक
रखरखाि तनतध स्थातपत क्रकए जाने की अिश्यकता है।
सभी ररक्त तकनीकी कमाचाररयों के पदों पर तनयुतक्त क्रकए जाने की अिश्यकता है तथा योजना के
तहत सृतजत संपतत्तयों की तनगरानी के तिए कर्तमयों के पास पयााि क्षमता होनी चातहए।
अंकड़ों से स्पष्ट है क्रक MGNREGA के िाभों को कु छ राज्यों द्वारा ऄसमान रूप से ईपयोग क्रकया
गया है। ऄतः, तनधानतम पररिारों के पक्ष में कायािम को ितक्षत करने के तिए समािेशन,
ऄपिजान और िंचन के मानदंडों की एक व्िस्था तिकतसत करने की अिश्यकता है।
अिास (Housing)
2022 तक सभी के तिए अिास के िक्ष्य को पूरा करने के तिए, कायासूची और स्पष्ट रूप से
तनधााररत िक्ष्यों के साथ राज्य तितशष्ट योजनाओं को तिकतसत करने की अिश्यकता है। आस
योजना में तितभन्न प्रकार के िहनीय और अपदा प्रततरोधी अिास मॉडि को शातमि क्रकया जाना
चातहए जो देश के तितभन्न भागों में ईपिब्ध सामतग्रयों का ईपयोग कर सकते हैं।
एक ऄन्य प्राथतमकता यह सुतनतश्चत करना है क्रक पररयोजनाओं के प्रत्येक चरण के पूणा होने के
साक्ष्य के अधार पर धन को समय पर जारी क्रकया जाना चातहए। अिास तनमााण की भू-टैग
तस्िीरों के साथ-साथ ऄतनिाया सामातजक िेखांकन को िागू करने से तनगरानी तंत्र को सुदढ़ृ
क्रकया जाना चातहए।
हाि ही में कै तबनेट द्वारा प्रत्येक घर के तिए ब्याज सतब्सडी के प्रािधानों को स्िीकृ तत प्रदान की
गइ है, जो PMAY-G के ऄंतगात सतममतित नहीं है। आन प्रािधानों को PMAY-G के साथ
समन्ितयत करने की अिश्यकता है।
पेयजि एिं स्िच्छता (Drinking Water and Sanitation)
2019 तक भारत को खुिे में शौच मुक्त करने के तिए, स्िच्छ भारत ऄतभयान - ग्रामीण के तहत
55 तमतियन घरे िू शौचािय और 115,000 समुदातयक शौचाियों का तनमााण क्रकए जाने की
अिश्यकता है। मतहिाओं, बच्चों, िररष्ठ नागररकों और क्रदव्ांगजनों हेतु स्िच्छता तक पहंच के
संबंध में ऄसमानताओं को दूर करने के तिए तिशेष ध्यान क्रदया जाना चातहए।
मुख्यमंतत्रयों के ईप-समूह ने एक पेशेिर एजेंसी को तनगरानी एिं मूल्यांकन तथा व्ापक मीतडया
ऄतभयान के साथ संिग्न करने की ऄनुशस
ं ा की है, जो िोगों को शौचाियों को बनाने एिं ईपयोग
करने के तिए प्रोत्सातहत करती है और साथ ही सािाजतनक शौचाियों के ईपयोग के तिए भुगतान
करती है।
समुदाय संचातित समपूणा स्िच्छता (Community Led Total Sanitation: CLTS) कायािम
का अकिन करने के तिए यह व्ापक तिश्लेषण करने की अिश्यकता है क्रक यह कायािम तहमाचि
प्रदेश जैसे राज्यों तथा ऄन्य देशों में सफि रहा है, परं तु भारत में आसे राष्ट्रीय स्तर पर क्यों नहीं
बढ़ाया गया है।
समुदाय अधाररत स्िच्छता कर्तमयों या स्िच्छता दूत (तजसकी पररकल्पना स्िच्छ भारत तमशन में
की गइ है) के एक कै डर को प्रतशक्षण एिं प्रोत्साहन प्रदान करना, एक ऄन्य प्राथतमकता होनी
चातहए।
उजाा (Energy)
दीनदयाि ईपाध्याय ग्राम ज्योतत योजना के ऄंतगात ग्रामीण भारत में प्रत्येक घर के तिद्युतीकरण
के िक्ष्य को प्राि करने हेतु अपूर्तत की गुणित्ता, तििसनीयता, िहनीयता और िैधता पर ध्यान
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कें क्रद्रत करने की अिश्यकता है, तजसकी ऄनुपतस्थतत में ग्रामीण पररिारों को िास्ततिक तिद्युत
प्राि करने हेतु तिद्युतीकरण पूणा रूप से पररिर्ततत नहीं हो पाएगा।
गिा (GARV) को िांच करना - िास्ततिक समय के अधार पर िोगों को डेटा ईपिब्ध करने हेतु
एक डैशबोडा और मोबाआि ऐप पारदर्तशता िाएगा।
आसके ऄततररक्त, 50 तमतियन गरीबी रे खा से नीचे रहने िािे (BPL) पररिार, तजनमें से
ऄतधकांश ग्रामीण भारत में तनिास करते हैं, ईनकी प्रधानमंत्री ईज्ज्ििा योजना के तहत LPG तक
पहंच प्राति को सुतनतश्चत क्रकया जाना चातहए।
सड़क (Road)
तीन िषों में, प्रधानमंत्री ग्राम सडक योजना के तहत तनर्तमत सभी ग्रामीण सड़कों को सभी मौसम
में पररचािन योग्य सड़कों से जोड़ने का िक्ष्य होना चातहए। आस संबंध में, भारत के तनयंत्रक और
महािेखा परीक्षक ने कु छ तसफाररशें की हैं:
o ग्रामीण सड़कों पर GIS डेटा बेस बनाने की अिश्यकता है।
o तजिा ग्रामीण सड़क योजना में तिद्यमान तिसंगततयों और कतमयों का समाधान क्रकए जाने की
अिश्यकता है।
o गुणित्ता तनयंत्रण और तनगरानी को रे खांक्रकत करने की अिश्यकता है।
o ऑनिाआन प्रबंधन, तनगरानी और िेखा प्रणािी ( Online Management, Monitoring
and Accounting System: OMMAS) से संबंतधत डेटा तनयतमत अधार पर ऄद्यतन
क्रकया जाना चातहए।
तडतजटि कनेतक्टतिटी और साक्षरता (Digital Connectivity and Literacy)
कनेतक्टतिटी में सुधार के साथ, तडतजटि साक्षरता सुतनतश्चत करना भी महत्िपूणा है। आस संबंध में,
प्रधानमंत्री तडतजटि साक्षरता ऄतभयान (PM Digital Saksharta Abhiyan: PMDISHA) के
तहत 6 करोड़ ग्रामीण पररिारों को तडतजटि साक्षर बनाने के तिए एक महत्िपूणा कदम ईठाया
है।
यह JAM (जन-धन, अधार और मोबाआि) रट्रतनटी के व्ापक ईपयोग में सहायता प्रदान करे गा।
सुदढ़ृ स्थानीय शासन के तिए पंचायत (Panchayats for Strong Local Governance)
पंचायत भिनों को कायाात्मक आं टरनेट कनेक्शन के साथ कं प्यूटर और तिद्युत् सतहत अिश्यक
सुतिधाओं से सुसतित क्रकया जाना चातहए।
राज्यों को पंचायतों में कायारत कमाचाररयों को पूणा प्रशासतनक और तित्तीय तनयंत्रण प्रदान करना
चातहए। ईन्हें कमाचाररयों की भती करने का ऄतधकार भी होना चातहए।
पंचायती राज मंत्रािय द्वारा संचातित पंचायत हस्तांतरण सूचकांक (Panchayat Devolution
Index: PDI) पर िार्तषक ऄध्ययन के ऄनुसार कु छ राज्यों के बेहतर प्रदशान के तिए ईतल्ितखत
कारणों को रे खांक्रकत क्रकया गया है।
ISO प्रमाणन प्राि करने के तिए पंचायतों को समथान प्रदान क्रकया जाना चातहए। ईदाहरण के
तिए, PDI रैं ककग में के रि प्रथम स्थान पर रहा है, क्योंक्रक िहां स्थानीय स्ि-शासन तिभाग द्वारा
पंचायतों को ISO िगा के ऄंतगात िाने के तिए समथान प्रदान करने में िृतर्द् की गइ है।
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में बायोगैस और कं पोचस्टग जैसे तिकल्प बड़े शहरों में सतत समाधान नहीं हैं क्योंक्रक िे ईच्च मात्रा
में ईपोत्पाद और ऄिशेष ईत्पन्न करते हैं।
ऄपतशष्ट तनपटान का सतत एकमात्र समाधान भस्मीकरण (incineration) है, तजसे ऄपतशष्ट से
उजाा, थमाि पायरोतितसस और प्िाज्मा गैसीकरण प्रौद्योतगकी भी कहा जाता है। भारत की
ऄत्यतधक तितिध ऄपतशष्ट ईत्पादन और प्िाज्मा प्रौद्योतगकी की ईच्च िागत को ध्यान में रखते
हए, भस्मीकरण सबसे बेहतर समाधान प्रदान करता है।
स्िच्छ भारत ऄतभयान पर गरठत मुख्यमंतत्रयों के ईप-समूह की ररपोटा में बड़ी नगरपातिकाओं एिं
नगरपातिकाओं के समूहों में ऄपतशष्ट से उजाा संयत्र तथा छोटे कस्बों एिं ग्रामीण क्षेत्रों में ऄपतशष्ट
का तनपटान कर कमपोस्ट तनमााण की तितध की ऄनुशंसा की गइ है।
नीतत अयोग द्वारा राष्ट्रीय राजमागा प्रातधकरण के समान िेस्ट टू एनजी कारपोरे शन ऑफ़ आं तडया
(WECI) नामक प्रातधकरण की स्थापना हेतु ऄनुशस ं ा की गइ है।
शहरी पररिहन (Urban Transport)
भारतीय सड़कें पैदि चिने िािों के तिए ऄनुकूि नहीं हैं तथा साथ ही ख़राब सतह, संकुतित और
सड़कों पर तनरं तर खुदाइ का होना अक्रद के रूप में तिख्यात हैं। आन चुनौततयों का समाधान करने
के तिए शहरों की सड़कों के तिए राष्ट्रीय तडजाआन मानकों और ऄनुबंध मानकों को तैयार करना
एक महत्िपूणा और तत्काि पररितानकारी सुधार होगा।
भारतीय शहरों में भी यातायात के प्रिाह पर तिशेष ध्यान देने की अिश्यकता है। पतश्चमी देशों के
शहरों के तिपरीत, भारत में मोटर िाहन बारं बार और ऄप्रत्यातशत तरीकों से ऄपने यातायात पथ
को पररिर्ततत करते रहते हैं।
नीतत अयोग द्वारा एक पायिट पररयोजना की ऄनुशस ं ा की गइ है ताक्रक यह पता िगाया जा सके
क्रक क्या ईल्िंघन करने के मामिे में जुमााना के माध्यम से यातायात के तनयमों का कठोर प्रितान
व्िहारगत पररितान को बढ़ािा दे सकता है ओर सभी तनयमों का ऄनुपािन करने से प्राि होने
िािे िाभों के संबंध में चािकों को प्रेररत कर सकता है।
मेट्रो रे ि सेिा, भारतीय शहरों में सािाजतनक पररिहन का एक प्रभािी साधन तसर्द् हइ है। यह
एक राष्ट्रीय मेट्रो रे ि नीतत की अिश्यकता को रे खांक्रकत करती है जो यह सुतनतश्चत करे गी क्रक मेट्रो
पररयोजनाएं का संचािन एकाकी रूप से नहीं क्रकया जा रहा है, बतल्क आनका संचािन समग्र
राष्ट्रीय पररिहन योजना के ऄंतगात ही क्रकया जा रहा है।
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कौशि तिकास ईपितब्ध ररपोटा - 2016 के ऄनुसार, सरकारी योजनाओं के ऄंतगात कौशि प्राि
व्तक्तयों की तनयोजन दर 50% से कम है। तजसमें अगामी तीन िषो में 80% की िृतर्द् की जानी
चातहए।
तनम्नतितखत संकेतकों का ईपयोग NSDC के समग्र प्रदशान से संबंतधत ररपोटा तैयार करने के तिए
क्रकया जाना चातहए:
o पंजीकृ त ईममीदिारों में से तनयोतजत होने िािों का प्रततशत
o प्रमातणत ईममीदिारों की स्ियं द्वारा चुने हए रोजगार क्षेत्र में काया करने की समयाितध।
o प्रमातणत और ऄकु शि ईममीदिारों के मध्य िेतन में ऄंतर।
o व्ािसातयक प्रतशक्षण तंत्र द्वारा तनर्तमत ईद्यतमयों की संख्या।
o तिदेशों में व्ािसातयक रोजगारों में तनयोतजत प्रमातणत ईममीदिारों की संख्या।
सरकार की सभी प्रचार गतततितधयों को समेक्रकत करने हेतु तिदेश मंत्रािय के ऄंतगात एक राष्ट्रीय
स्तर की ओिरसीज एमप्िॉयमेंट प्रोमोशन एजेंसी (OEPA) की स्थापना की जानी चातहए।
तिदेशों में रहने िािे भारतीयों या िापस िौटने िािे भारतीय व्तक्तयों के कौशि और
तिशेषज्ञता को स्िीकृ तत प्रदान करना तथा ईसका आष्टतम ईपयोग क्रकया जाना चातहए। आसके
ऄततररक्त, भारत में तिदेशी अप्रिातसयों द्वारा तिकतसत कौशि पर पृथक रूप से ध्यान कें क्रद्रत
क्रकया जाना चातहए, क्योंक्रक आससे िे िैतिक ऄनुभि और दृतष्टकोण प्राि क्रकया जा सकता है।
पूिा ऄनुभि को मान्यता (RPL) के ऄततररक्त, ईनके हस्तांतरणीय कौशि की पहचान करने पर
तिशेष ध्यान देना चातहए।
NSDC की भूतमका को बेहतर ढंग से पुनः पररभातषत क्रकये जाने की अिश्यकता है। ितामान में
NSDC की ऄतधकांश क्षमता PMKVY के प्रबंधन में संिग्न है, जो मुख्य रूप से कौशि के ईच्च
स्तर या बाजार प्रेररत गैर-प्रायोतजत कौशि कायािम पर ध्यान नहीं देता है। PMKVY हेतु एक
समर्तपत प्रकोष्ठ (Cell) स्थातपत करने की अिश्यकता है ताक्रक NSDC ऄपनी पररकतल्पत भूतमका
पर ध्यान कें क्रद्रत कर सके ।
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भारत में प्रक्रियात्मक िोकतंत्र का ईद्देश्य राष्ट्र के तनमााण में योगदान करना था। तितभन्न तिचारकों
के ऄनुसार सािाभौतमक ियस्क मतातधकार ि अितधक चुनाि भारत में अधुतनकीकरण की
प्रक्रिया को अगे बढ़ाएंगे। आससे सामातजक-अर्तथक अधुतनकीकरण, नगरीकरण, जनसंचार के
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आसके ऄततररक्त आस हेतु सरकार को ईद्यतमता की प्रेरणादायक भािना पर ऄिश्य ध्यान के तन्द्रत
करना चातहए।
एतशयन टाआगसा के ईदाहरण (Lessons from Asian Tigers)
एतशयन टाआगसा की सभी सफि कहातनयों में िोकतंत्र से पूिा पूज
ं ीिाद शातमि है जो भारत के
तिए एक दुःसाध्य ईन्नतत की ओर संकेत करती हैं, तजसने मामिों को “तिपरीत में” तिया है।
परन्तु टाआगसा ने तिगत 1990 के दशक के ईनके तित्तीय संकट से महत्िपूणा सबक सीखा है।
ऄनुदार िोकतंत्र एक सीमा तक ही अर्तथक तिकास हेतु सहायक हैं। परन्तु ऄत्यतधक तिकें द्रीकृ त
व्िस्था ऄंततः तिकास और समृतर्द् को बातधत करती है।
व्तक्तयों को ईनके संसाधनों को तनयंतत्रत और प्रबंतधत करने हेतु सशक्त करना हािांक्रक यह िोगों
की ऄपेक्षा एिं मांग स्तरों तक सामातजक और अर्तथक तिकास को प्रेररत कर सकता है।
तिि का सबसे बड़ा िोकतंत्र और एक ईभरती िैतिक ऄथाव्िस्था होने का त्य मात्र भारत की
महानता का दािा करने के तिए पयााि नहीं है। चुनािों के पश्चात् ही िास्ततिक काया अरं भ होते
हैं।
5. स्रोत (Sources)
1. िोक नीतत पर IGNOU मॉड्यूि
2. नीतत अयोग एक्शन एजेंडा 2017-2020
3. मंत्राियों की िार्तषक ररपोट्सा
4. द तहन्दू तथा द आं तडयन एक्सप्रेस
5. आकॉनोतमक एंड पॉतिरटकि िीकिी
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1. जैस-े जैसे िोक-कल्याणकारी राज्य की मांग बढ़ती गयी िैस-े िैसे राज्यों की सीमा में नाटकीय
प्रसार हअ। िेक्रकन ितामान मांग “न्यूनतम सरकार और ऄतधकतम ऄतभशासन” की है।
अिोचनात्मक परीक्षण कीतजये।
दृतष्टकोण:
ईत्तर ‘न्यूनतम सरकार और ऄतधकतम ऄतभशासन’ के ऄथा, ितामान पररप्रेक्ष्य आसके
महत्ि और आसे प्राि करने के तिए क्रकये जाने िािे ईपायों के संदभा पर कें क्रद्रत होना
चातहए।
ईत्तर:
21िीं शताब्दी की अिश्यकताओं को पूरा करने के तिए, सरकार 19िीं शताब्दी की
मानतसकता और 20िीं शताब्दी की सरकारी प्रक्रियाओं के साथ शासन का संचािन नहीं कर
सकती। यह ‘न्यूनतम सरकार, ऄतधकतम ऄतभशासन’ की अिश्यक मांग का स्पष्ट कारण है।
‘न्यूनतम सरकार, ऄतधकतम ऄतभशासन’ को प्राि करने के तिए तनम्नतितखत त्यों का
परीक्षण क्रकया जा सकता है:
1. ऄतभशासन को ऄतनिाया रूप से 365 क्रदन की अचार संतहता का पािन करते हए संसद
के तनिाातचत सदस्यों के साथ अरं भ क्रकया जाना चातहए। आसका ऄथा सांसदों के पद की
शपथ को पुन: तनधााररत करना है। ईनके द्वारा न के िि गोपनीयता और भारत के
संतिधान का पािन करने की शपथ बतल्क िोक सभा कोइ ‘बंद’ सभा और राज्य सभा
कोइ ‘रोष’ सभा न हो जाए यह सुतनतश्चत करने का एक महान संकल्प भी तिया जाता
हैं। आसका ऄथा यह है क्रक तनिाातचत प्रतततनतध संसद की कायािातहयों में तशष्टाचार और
मयाादा के ईतचत ईदाहरण तनधााररत करते हैं। अिश्यता पड़ने पर सदस्य तबना ऄिरोध
और तोड़-फोड़ के ; तमचा के तछड़काि के , कागज फाड़े तथा माआक खींचे या ईपद्रिी
अचरण अक्रद के तबना तिरोध कर सकते हैं। जब तक तनिाातचत राजनीततक िगा सुशासन
का ईतचत ईदाहरण प्रस्तुत नहीं करता, िे सुशासन के तिए नागररकों की सहभातगता
प्राि करने हेतु नैततक शतक्त, सममान और तििास प्राि नहीं कर सकते।
3. प्रधानमंत्री द्वारा पयााि ईपाय क्रकए तबना हस्तान्तररत बचत ऄथिा ईधार धन के ररसाि
को रोका जा सकता है। आसका संबंध तितभन्न सामातजक कल्याण योजनाओं पर व्य
क्रकये गए धन एिं िोट बैंक को ध्यान रखते हए “खचा क्रकये गए धन” से होता है।
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4. मंत्रीमंडि सतचि, मुख्य सतचिों, अरक्षी महातनदेशकों और राजस्ि अयुक्तों जैसे मुख्य
पदों पर पदस्थापन, स्थानांतरण और प्रोन्नतत के तिए ईपयुक्त पदातधकाररयों की पहचान
करने में सक्षम प्रणातियां ऄतनिाया रूप से तैयार की जानी चातहए।मुख्य सतचिों द्वारा
प्रभािशीि समन्ियन सुतनतश्चत होता है; सक्षम पुतिस प्रमुखों द्वारा बेहतर कानून एिं
व्िस्था सुतनतश्चत होती है तथा राजस्ि पदातधकाररयों द्वारा न्यायसंगत तिकास के तिए
धन की ईपिब्धता हेतु राजस्ि की पयााि ईगाही सुतनतश्चत होती है।
5. तकनीक का ईपयोग- व्िसाय और ईद्यतमता समुदाय के तिए एक समान ऄिसर
सुतनतश्चत करने हेतु एक तनतश्चत सीमा रातश से उपर के सभी ऄनुबंध, साआट पर प्रस्तुत
क्रकए जा सकते हैं। आससे सरकार में तििास पुनः स्थातपत होगा।
2. तितभन्न सरकारी योजनाओं को अपस में जोड़ने से बेहतर सेिा तितरण और िागत
प्रभािशीिता का मागा प्रशस्त हो सकता है। ईदाहरण सतहत स्पष्ट कीतजए।
दृतष्टकोणः
आस प्रश्न में कल्याणकारी योजनाओं के तिश्लेषण की अिश्यकता है। अर्तथक सिेक्षण
2013-14 में दक्षता में सुधार हेतु एक-समान तथा ऄततव्ातपत पररयोजनाओं को अपस
में जोड़ने का सुझाि क्रदया गया है। अपको ईपयुक्त ईदाहरणों द्वारा ऐसे ईपायों के िाभ
को स्पष्ट करना चातहए।
ईत्तरः
भारत में के न्द्र और राज्य सरकारें तितभन्न ईद्देश्यों के तिए बहतायत में कल्याणकारी योजनाएं
संचातित करती हैं। हािांक्रक पररयोजनाओं की ऄतधकता के कारण तनम्न समस्याएं ईत्पन्न हइ
हैं:
पररयोजनाओं के कायों और ितक्षत अबादी का परस्पर ऄततव्ापन। अर्तथक सिेक्षण 2013-
14 तितभन्न पररयोजनाओं जैसे अम अदमी बीमा योजना, जनश्री बीमा योजना और राष्ट्रीय
सुरक्षा बीमा योजना के परस्पर ऄततव्ापन का ईदाहरण प्रस्तुत करती हैं, जो ‘समान या एक
ही िगा की अबादी’ की अिश्यकताओं को पूरा करते हैं।
कायाान्ियन करने िािी एजेंतसयों के मध्य समन्िय का ऄभाि।
ऄनेक पररयोजनाओं के कायाान्ियन की ईच्च िागत सािाजतनक कोष पर तित्तीय दबाि
ईत्पन्न करती है।
िाभार्तथयों के मध्य िाभों, पररयोजनाओं के तिए पात्रता, प्रक्रिया और दस्तािेजीकरण
और ऄंततः तशकायत तनदान प्रणािी के तिषय में जागरूकता का ऄभाि।
ऐसे ऄततव्ापनों के कारण, सरकार ने के न्द्र प्रायोतजत पररयोजनाओं के व्ापक पुनमूाल्यांकन
के तिए बी. के . चतुिद
े ी सतमतत का गठन क्रकया। आस सतमतत की ऄनुशस
ं ा पर सरकार ने 147
योजनाओं को अपस में समेक्रकत कर 67 पररयोजनाओं के रूप में पुनगाठन क्रकया।
आन बातों को ध्यान में रखते हए, तितभन्न सरकारी ररपोटों ने कु छ कल्याणकारी योजनाओं
और कायािमों को अपस में समेक्रकत करने का तनणाय तिया है ताक्रक बेहतर तितरण सुतनतश्चत
क्रकया जा सके और व्य को सुगम और प्रभािी बनाया जा सके । आससे तनम्नतितखत िाभ होंगेः
कायाान्ियन एजेंतसयों के मध्य बेहतर समन्िय क्योंक्रक िे के िि कु छ ितक्षत पररयोजनाओं
के कायाान्ियन के तिए ईत्तरदायी होंगी।
सरकारी तंत्र के कायाान्ियन िागत पर बचत।
नागररकों को बेहतर सेिा तितरण। ईदाहरण के तिए, राष्ट्रीय ग्रामीण अजीतिका तमशन
के साथ संपण
ू ा स्िच्छता ऄतभयान (TSC) के समेकन से तनर्तमत शौचाियों के प्रभािी
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रख-रखाि में सहायता प्राि हइ। TSC को पाआप अधाररत जि पररयोजना (पाआप्ड
िॉटर स्कीम) से जोड़ने के कारण पेयजि तनकायों का प्रदूषण से बचाि क्रकया जाएगा।
पररयोजनाओं की ऄतधकता से नागररकों में दुतिधा ईत्पन्न होती है। क्रकन्तु कु छ ितक्षत
पररयोजनाएं ईनके ऄतधकारों और ईनकी पात्रता के तिषय में बेहतर जागरूकता ईत्पन्न
कर सकती है।
सेिा तितरण संबंधी मंचों का अपस में जोड़े जाने से िोगों तक िाभ की असान पहंच
सुतनतश्चत हो सके गी।
हाि ही में सरकार ने राष्ट्रीय स्िास््य बीमा योजना, अम अदमी बीमा योजना और आं क्रदरा
गांधी िृर्द्ािस्था पेंशन योजना के सेिा तितरण संबंधी मंचों को अपस में समेक्रकत क्रकया है।
मनरे गा के कृ तष, िन, जि संसाधन, भूतम संसाधन, ग्रामीण मागों, अंगनिाड़ी के न्द्रों, पेयजि
और स्िच्छता संबंधी पररयोजनाओं के साथ समेकन से मनरे गा के तहत ऐसे संसाधनों और
पररसंपतत्तयों की ईत्पादकता में िृतर्द् की जा सकती है, तजससे ग्रामीण पररिारों को बेहतर
अजीतिका पर्द्ततयों के साथ जीिन की गुणित्ता को सुधारने में सहायता प्राि होगी। 12िीं
पंचिषीय योजना में भी ऐसे कायािमों को अपस में समेक्रकत करने पर बि क्रदया गया है।
3. भारत के तिकास मॉडि में ईन ग्रामीण तिकास योजनाओं को सतममतित क्रकया जाना चातहए
जो “कायािम संचातित” होने की ऄपेक्षा “मांग संचातित” हों। सामातजक क्षेत्र की तितभन्न
योजनाओं की रूपरे खा के संदभा में परीक्षण कीतजए।
दृतष्टकोणः
सिाप्रथम, ईस सन्दभा को प्रस्तुत कीतजए तजस पर प्रश्न अधाररत है। तत्पश्चात ’’मांग
संचातित’’ और ’’कायािम संचातित’’ दृतष्टकोणों की तुिना कीतजए और ईनके मध्य
ऄन्तर स्पष्ट कीतजए। अगे, ईदाहरण प्रस्तुत करके िणान कीतजए क्रक क्रकस प्रकार ितामान
सरकारी योजनाएं मांग संचातित दृतष्टकोण पर अधाररत हैं। ऄपने तका के संबंध में अप
के स स्टडी दृतष्टकोण का भी ईपयोग कर सकते हैं। (जैसे, MNREGA और आसकी
सफिता की कहानी ऄथिा SAGY)
ईत्तरः
भारत में ऄत्यतधक िंबे समय तक तिकास की समझ जमीनी स्तर की मांग को पूरा करने की
बजाय टॉप टू डाईन मॉडि पर अधाररत सरकारी योजनाओं के कायाान्ियन तक सीतमत थी।
कायािम संचातित दृतष्टकोण, गगनचुंबी आमारतों में तिशेषज्ञों द्वारा तनर्तमत योजनाओं के
एकदम तभन्न पररिेश में कायाान्ियन के रूप में पररणातमत हअ तजसने बहत से िोगों के
जीिन को प्रभातित क्रकया। राज्य की िमबे समय से यह तशकायत रही है क्रक सामातजक क्षेत्र
की योजनाओं के तिए तनतधयां, JNNURM, RKVY, AIBP, RGGVY अक्रद जैसी के न्द्र
प्रायोतजत योजनाओं के ऄनुसार ऄत्यतधक सीतमत होती थीं और स्थानीय तिकास की तिशेष
अिश्यकता के तिए ईनका ईपयोग नहीं क्रकया जा सकता था। भारत के तितभन्न क्षेत्रों की
अिश्यकताएं भी तभन्न-तभन्न थीं तजसके तिए टॉप टू डाईन एकमुखी दृतष्टकोण को ईपयुक्त
नहीं पाया गया।
तिकास के पररिर्ततत प्रततमान में, तिकास के प्रतत एक दृतष्टकोण के रूप में मांग संचातित
शासन तनम्नतितखत तिशेषताओं पर बि प्रदान करता है, जो तनम्नतितखत िाभ प्रदान करते
हैं:
संसाधन अिंटन और तितरण का तिके न्द्रीकृ त घटक जो क्रकसी के न्द्रीकृ त प्रातधकरण की
ऄपेक्षा िोगों को प्राथतमकता प्रदान करता है।
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आस बात को ध्यान में रखकर सांसद अदशा ग्राम योजना (SAGY) का तनमााण क्रकया गया है।
आसका दृतष्टकोण स्थानीय स्तर पर भागीदारी के तिए समुदाय को जोड़ने और िामबंद करने
तथा तितभन्न सरकारी कायािमों, तनजी और स्िैतच्छक पहिों के ऄतभसरण और िोगों की
अकांक्षाओं के साथ समन्िय स्थातपत कर व्ापक तिकास प्राि करने पर के तन्द्रत है।
स्थानीय कायाकतााओं और नागररक समाज संगठनों की सारगर्तभत भागीदारी और सह-
संकल्प जो िाभप्रद योगदान प्रदान करता है और ईनमें स्िातमत्ि की भािना का संचार
करता है; ईदाहरण के तिए, दीनदयाि ईपाध्याय ग्राम ज्योतत योजना जैसी सामातजक
करता है, िेक्रकन ईपिब्ध ऄनुभिों के अिोक में कु छ प्रततरूपों के जाि से बचा जाना
चातहए, ऄथाातः
और स्ियं-सहायता के मेि-जोि की क्रदशा में ऄंतरण क्रकया है। आस प्रकार से, ग्रामीण तिकास
योजनाओं द्वारा न के िि स्थानीय िोगों की मांगों को पूरा क्रकया जाना चातहए तथा स्थानीय
स्िशासन संस्थानों का सशतक्तकरण क्रकया जाना चातहए बतल्क ईनमें ऄंतर्तनतहत क्षमता
तनमााण पहिें भी की जानी चातहए और साथ ही ईन्हें ऄतभसरण ईन्मुख राष्ट्रीय ईद्देश्यों के
साथ समन्िय भी स्थातपत क्रकया जाना चातहए तजससे राष्ट्र के समग्र तिकास को प्राि करने में
सहायता प्राि हो सके ।
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4. ‘सामातजक नीतत के प्रतत ऄतधकार अधाररत दृतष्टकोण’, तजसने तपछिे डेढ़ दशकों से भारत
को अंदोतित क्रकया है। शासन को संरक्षण के तिचारों से पुनः राज्य के प्रतत कताव् तथा
नागररकों के न्यायोतचत ऄतधकारों की ओर िे जाता है। दृष्टान्तों के साथ आस तिषय पर चचाा
करें । आस बात की भी व्ाख्या करें क्रक ऄतधकार अधाररत दृतष्टकोण सािाजतनक सेिाओं के
तितरण में क्रकस प्रकार सहायता करता है?
दृतष्टकोण:
ईदाहरणों के माध्यम से चचाा कीतजये क्रक सामातजक नीतत के प्रतत ऄतधकार अधाररत
दृतष्टकोण क्या है।
आस बात की भी व्ाख्या कीतजये क्रक राज्य पर िैध दातयत्ि अरोतपत कर और ईनकी
पूर्तत के तिए िोगों को ऄतधकार देकर आसने शासन के रूप को क्रकस प्रकार पररिर्ततत
क्रकया है।
सािाजतनक सेिा के तितरण में आसके िाभों पर प्रकाश डािते हए ईत्तर समाि कीतजये ।
ईत्तरः
ऄतधकार अधाररत दृतष्टकोण ऄपने ऄतधकारों को जानने और ईन पर दािा करने के तिए
िोगों को ऄतधकार संपन्न बनाता है। साथ ही यह ईन ऄतधकारों की रक्षा करने और पूर्तत
करने के तिए ईत्तरदयी िोगों और संस्थाओं की क्षमता और ईत्तरदेयता में भी िृतर्द् करता है।
सामातजक नीतत के प्रतत ऄतधकार अधाररत दृतष्टकोण का तात्पया 'सामातजक न्यूनतम' यानी
भोजन, अिास, काम अक्रद जैसी अधारभूत अिश्यतकताओं को पूरा करने तक िोगों की
ईतचत पहंच की गारं टी दे सकने िािी संस्थाएं और नीततयों का तिद्यमान होना है । जैसे -जैसे
सामातजक-अर्तथक तस्थतत में सुधार अता है, यह 'न्यूनतम' भी पररिर्ततत हो जाता है।
(मानि पूंजी का तनमााण करने िािा), भोजन के ऄतधकार (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा
ऄतधतनयम के माध्यम से) का ऄंगीकरण, राष्ट्रीय स्िास््य तमशन तैयार करना अक्रद।
िोगों को सेिाओं का समयबर्द् तितरण प्रदान करने के तिए कइ राज्यों द्वारा िोक सेिा
के ऄतधकार के ऄतधतनयमों को ऄंगीकृ त क्रकया गया है ।
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सािाजतनक सेिा तितरण में सुधार िाने में ऄतधकार अधाररत दृतष्टकोण का महत्िः
यापन के तिए न्यूनतम दशाओं की प्राति पर कें क्रद्रत है। आस प्रकार, यह दृतष्टकोण राज्य की
ईत्तरदेयता और कारा िाइ के साथ-साथ नागररकों की भागीदारी और पारदर्तशता के तिए
अधार तैयार करता है।
5. मनरे गा को ग्रामीण तिकास का ईत्कृ ष्ट ईदाहरण माना गया है। आस संदभा में आस बात पर
चचाा कीतजए क्रक मनरे गा कायािम की ऄतभकल्पना (तडजाआन) आसे ऄन्य ग्रामीण तिकास
कायािमों की तुिना में क्रकतना ऄतधक सफि बनाती है।
दृतष्टकोण :
भूतमका में ईन कारकों का संक्षप
े में ईल्िेख कीतजए जो मनरे गा को ग्रामीण तिकास का
ईत्कृ ष्ट ईदाहरण बनाते हैं।
मनरे गा की ऄतभकल्पना की स्पष्ट रूपरे खा प्रस्तुत कीतजए।
मनरे गा को तनरूतपत करने के तिए आसकी कायापतर्द्त के सफि ईदाहरण प्रदान कीतजए।
ईत्तरः
मनरे गा ने संकटकािीन तस्थततयों जैसे क्रक सूखा, फसि बबााद हो जाना एिं ग्रामीण रोजगार
प्राप्त होने की कम संभािनाओं िािे क्रदनों में, तनधानों को रोजगार प्रदान करने के स्रोत के रुप
में काया क्रकया है।
आसने समय के साथ ग्रामीण मजदूररयों में तेजी से िृतर्द् की है, और तजन स्थानों में आसे
बेहतर तरीके से कायाातन्ित क्रकया गया है, िहााँ आसने ग्रामीण पररसमपतत्तयों जैसे क्रक
चसचाइ के तिए नहरें और सड़कें तनर्तमत कर स्थानीय ऄिसंरचना का संिर्द्ान क्रकया है।
तनमााण काया की मांग के अधार पर क्रकया जाता है। आसतिए, आस योजना के िाभार्तथयों
द्वारा यह तनधाारण करना संभि हो जाता है क्रक ईन्हें काया की अिश्यकता कब है।
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तित्तीय समािेशन: िषा 2008 से, सभी मजदूरी भुगतानों को िाभार्तथयों के बैंक या
जनश्री बीमा योजना (JBY) या राष्ट्रीय स्िास््य बीमा योजना में सतममतित क्रकया
गया।
चिग समानता: पुरुषों और मतहिाओं दोनों को समान पाररश्रतमक प्राप्त करने का
ऄतधकार है। ऄनुमातनत रूप से एक ततहाइ िाभाथी मतहिाएाँ हैं। कायास्थि पर प्राप्त
होने िािी सुतिधाएं जैसे क्रक तशशुगृहों की व्यिस्था सभी कायास्थिों पर ईपिब्ध करानी
होती है।
पारदर्तशता एिं जबािदेही- मनरे गा से संबंतधत सभी खाते और ररकाडों के दस्तािेजों को
सािाजतनक जांच हेतु ईपिब्ध कराया जाएगा। ठे केदारों और मशीनरी का ईपयोग
तनतश्चत सीमा तक ही क्रकया जा सकता है।
o योजना तनमााण, तनगरानी एिं कायाान्ियन में पंचायती राज संस्थानों की प्रमुख
भूतमका।
मनरे गा की सफिता
यद्यतप तितभन्न राज्यों में आसके क्रियान्ियन के तमतश्रत पररणाम हैं िेक्रकन बैंककग/पोस्टि
नेटिका के ईपयोग के कारण आस कायािम को ऄभी भी देश में ऄन्य सामातजक तिकास
कायािमों की तुिना में सिाातधक सफि कायािमों में से एक माना जाता है।
कु छ अंकड़े यह संकेत करते हैं क्रक आस योजना ने ग्रामीण खाता धारकों की संख्या को
बढ़ाकर 8.6 करोड़ की तिशाि संख्या तक पहाँचा क्रदया है। ऐसे बैंक खातों द्वारा अरमभ
कच्चे घरों में तनिास करते हैं, िगभग 61 प्रततशत ऄतशतक्षत हैं और िगभग 72 प्रततशत
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कु छ सीमा तक ग्रामीण क्षेत्रों में मतहिाओं की सामातजक और अर्तथक तस्थतत में सुधार
करने में सफि रहा है।
हाि ही में की गइ पहिें, जैसे क्रक अधार अधाररत ऄंतरण एिं साथ ही बैंककग नेटिका में
सुधार (औपचाररक बैंककग और साथ ही साथ भारतीय डाक को कोर बैंककग समथानकारी
बनाकर) के िि कायािम की दक्षता में और ऄतधक िृतर्द् करे गा एिं ग्रामीण क्षेत्रों के
तनधानों के बीच अजीतिका में सुधार करे गा।
आस कायािम को तिश्ि बैंक द्वारा 'ग्रामीण तिकास का ईत्कृ ष्ट ईदाहरण कहा गया है। आसे
ऄथाव्िस्था को स्िचातित तस्थरता प्रदान करने िािा माना गया है और यह गरीबी के
दुष्चि (vicious circle) के तिरुर्द् एक ईपाय के रूप में काया करता है।
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भारतीय संवध
ै ाननक योजना की ऄन्य देशों के साथ तुलना
नवषय सूची
1. नवनभन्न देशों के संनवधान का तुलनात्मक ऄध्ययन ______________________________________________________ 6
1.1 भूनमका _________________________________________________________________________________ 6
3. संयक्त
ु राज्य ऄमेटरका का संनवधान_______________________________________________________________ 18
3.1. प्रमुख नवशेषताएं _________________________________________________________________________ 19
3.1.1. संनवधान की प्रकृ नत ___________________________________________________________________ 19
3.1.2. संघवाद की प्रकृ नत ____________________________________________________________________ 19
3.1.3. सरकार का ढांचा _____________________________________________________________________ 20
3.2. राष्ट्रपनत _______________________________________________________________________________ 21
3.2.1. ऄमेटरकी राष्ट्रपनत पद की ऄहयता __________________________________________________________ 21
3.2.2. राष्ट्रपनत का ननवायचन __________________________________________________________________ 21
3.2.3. संयुक्त राज्य ऄमेटरका के राष्ट्रपनत के प्रकायय ___________________________________________________ 21
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भारत के संनवधान का नवनभन्न देशों के संनवधान से तुलनात्मक ऄध्ययन के दौरान आस ऄध्याय में
ननम्ननलनखत दो मुख्य पहलुओं पर ध्यान कें क्रद्रत क्रकया गया है:
o नवनभन्न देशों के संनवधान का संनक्षप्त ज्ञान, ईनकी वतयमान नस्थनत और महत्व या आस तथ्य पर
नवचार करना क्रक भारतीय संनवधान ने ईनसे ऄव्यक्त रूप से या स्पष्टतया क्या ग्रहण क्रकया है,
तथा
o संनवधान की नवनभन्न नवशेषताओं के साथ तुलनात्मक ऄध्ययन {जैसे- मौनलक ऄनधकार, राज्य
की नीनत के ननदेशक तत्व (DPSPs), संघवाद अक्रद}।
2. निटिश सं नवधान
2.1.1. ऄनलनखत
निटिश संनवधान की सबसे महत्वपूणय नवशेषताओं में से एक आसका ऄनलनखत होना है। यह कहना
नबल्कु ल ईनचत है क्रक ऐसा कोइ नलनखत, ननयमननष्ठ और सुगटठत दस्तावेज नहीं है नजसे निटिश
संनवधान जैसा कु छ कहा जा सकता है।
आसका प्रमुख कारण यह है क्रक यह एक हजार वषों से ऄनधक ऄवनध के दौरान ननरं तर हुए नवनभन्न
समझौतों (Conventions) और राजनीनतक परं पराओं (Political traditions) पर अधाटरत है,
जो क्रकसी दस्तावेज में नलनखत रूप में नहीं है। आस प्रकार यह ईन नलनखत संनवधानों से नभन्न है, जो
अमतौर पर एक संनवधान सभा िारा ननर्ममत होते हैं।
निटिश संनवधान की तुलना में भारतीय संनवधान दुननया का सबसे लंबा नलनखत संनवधान है।
निटिश संनवधान क्रनमक नवकास का एक ईदाहरण है। आसे क्रकसी संनवधान सभा िारा कभी तैयार
नहीं क्रकया गया। यह एक हजार वषों से ऄनधक ऄवनध के दौरान ननरं तर नवकनसत हुअ है।
ऐसा कहा जाता है क्रक निटिश संनवधान समझ एवं पटरनस्थनत की ईपज है।
आस नवशेष पहलू के संदभय में भारतीय संनवधान की आससे कु छ समानताएं एवं ऄसमानताएं हैं। यह
निटिश संनवधान से ईस सीमा तक नभन्न है क्रक यह एक नलनखत दस्तावेज है और
आसमें सभी प्रावधानों को ऄच्छी तरह से पटरभानषत क्रकया गया है। परं तु, यह भी क्रनमक नवकास
के नलए खुला है। आसमें संशोधन के प्रावधान आस तरह शानमल हैं क्रक समय की मांग और बोध के
ऄनुसार आसे नवकनसत क्रकया जा सके ।
2.1.3. लचीलापन
निटिश संनवधान लचीले संनवधान का एक ईत्कृ ष्ट ईदाहरण है। चूंक्रक यहााँ संवैधाननक कानून और
साधारण कानून दोनों के साथ एकसमान व्यवहार क्रकया जाता है तथा ईनके बीच कोइ भेद नहीं
क्रकया जाता है, ऄतः आसके नवनभन्न प्रावधान संसद के साधारण बहुमत (ईपनस्थत और मतदान
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करने वाले सदस्यों का 50%) के िारा पाटरत, संशोनधत और ननरनसत क्रकए जा सकते हैं।
लचीलेपन के तत्व ने निटिश संनवधान को ऄनुकूलन एवं सामंजस्य की नवशेषता प्रदान क्रकया है।
आस नवलक्षणता ने आसे समय की मांग के ऄनुरूप नवकनसत होने में सक्षम बनाया है।
आसके नवपरीत, भारतीय संनवधान लचीला एवं कठोर दोनों है। यह भारतीय संनवधान की
अधारभूत नवचारधारा को काफी ऄच्छी तरह से प्रनतबबनबत करता है, जहााँ संप्रभुता,
पंथननरपेक्षता और गणतंत्र जैसी कु छ नवशेषताओं को ऄनुल्लंघनीय माना गया है, लेक्रकन ऄन्य
सभी मामलों में संनवधान संशोधन करने के नलए ऄनुमनत देता है।
निटिश संनवधान संघीय नवशेषता के नवपरीत एकात्मक नवशेषता धारण करता है। सरकार की
सभी शनक्तयां निटिश संसद में नननहत हैं, जो क्रक एक संप्रभु संस्था है। राज्य के काययकारी ऄंग संसद
के ऄधीनस्थ हैं, प्रत्यायोनजत शनक्तयों का ईपयोग करते हैं तथा आसके प्रनत जवाबदेह हैं। वहााँ नसफय
एक ही नवधानमंडल है। आं ग्लैंड, स्कॉिलैंड, वेल्स अक्रद प्रशासननक आकाआयां हैं और राजनीनतक रूप
से स्वायत्त आकाआयां नहीं हैं।
दूसरी तरफ, भारतीय संनवधान संघीय नवशेषताओं से युक्त है।
सभी शनक्तयां कें द्र में प्रांतीय सरकारें कइ आकाआयां एक साथ नमलकर राज्य
नननहत होती हैं। संनवधान से शनक्तयां
का ननमायण करते हैं।
प्राप्त करती हैं।
कें द्र सरकार प्रांतीय वास्तनवक शनक्त आकाआयों के पास रहती है।
सरकारों
एकात्मक के नवपरीत है।
को शनक्तयां प्रत्यायोनजत
करती है।
ईदाहरण: नििेन ईदाहरण: भारत ईदाहरण: यूरोपीय संघ, संयुक्त राज्य ऄमेटरका
से वंनचत कर क्रदया गया है। वास्तनवक पदानधकार मंनत्रयों में नननहत होती है, जो संसद में बहुमत
वाले दल से संबंनधत होते हैं और जब तक वे (संसद के प्रनत) ऄपने नवश्वास को बनाए
रखते हैं तब तक वे कायायलय में बने रहते हैं।
प्रधानमंत्री और मंत्री ऄपने कृ त्यों और नीनतयों के नलए नवधानयका के प्रनत ईत्तरदायी होते हैं। आस
प्रणाली में, सरकार की राष्ट्रपनत प्रणाली की भांनत काययपानलका और नवधानयका को पृथक नहीं
क्रकया जाता।
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2.1.6. सं स द की सं प्र भु ता
संप्रभुता का ऄथय सवोच्च शनक्त है। निटिश संनवधान की एक ऄनत महत्वपूणय नवशेषता निटिश संसद
की संप्रभुता है (एक नलनखत संनवधान के ऄनुपनस्थत होने के बावजूद)।
निटिश संसद बंधनमुक्त नवधायन शनक्त से लैस देश का एकमात्र नवधायी ननकाय है। यह क्रकसी भी
कानून का ननमायण, संशोधन या ईसे ननरनसत कर सकती है।
हालांक्रक, भारत के मामले में राज्य स्तर पर भी नवधानयका ईपनस्थत हैं, क्रफर भी भारतीय संसद
की कानून बनाने की शनक्त मोिे तौर पर निटिश संसद के समान है।
न्यायालयों को निटिश संसद िारा पाटरत कानूनों की वैधता पर सवाल करने (समीक्षा) की शनक्त
नहीं है। निटिश संसद देश के साधारण कानून की तरह ऄपने प्रानधकार का ईपयोग संनवधान में
संशोधन के नलए कर सकती है। यह जो ऄवैध है ईसे वैध बना सकती है और जो वैध है ईसे
ऄवैध बना सकती है।
यहााँ, भारतीय पटरप्रेक्ष्य में स्पष्ट ऄंतर नवद्यमान है। भारतीय न्यायपानलका की शनक्त
ननर्ममत कानून की वैधता पर नजर रखने की है। आसके ऄलावा, 'अधारभूत संरचना' का नसद्ांत,
कानून की वैधता पर प्रश्न खडा करने के नलए भारतीय न्यायपानलका को शनक्त प्रदान करता है। आस
तथ्य के प्रकाश में भारत का सवोच्च न्यायालय भारत के संनवधान का सबसे बडा व्याख्याकार है।
कन्वेंशनों को संनवधान के ऄनलनखत नसद्ांतों (ननयम) के रूप में जाना जाता है। वे लचीलापन
प्रदान कर आसे संशोनधत होने से बचाते हैं।
दुननया के ऄनधकांश संनवधान कु छ कन्वेंशनों से युक्त हैं। निटिश संनवधान के ऄनलनखत चटरत्र के
नलए एक अवश्यक ईपप्रमेय यह है क्रक कन्वेंशन निटिश राजनीनतक प्रणाली में बहुत ही महत्वपूणय
भूनमका ननभाते हैं। ईदाहरण के नलए, यद्यनप साम्राज्ञी के पास निटिश संसद िारा पाटरत
कानून को सहमनत देने से मना करने का नवशेषानधकार है लेक्रकन कन्वेंशन के ऄनुसार, वह ऐसा
नहीं करती हैं और यह ऄपने अप में ईस संनवधान का एक नसद्ांत बन गया है।
हालांक्रक, कन्वेंशन की कानूनी नस्थनत नलनखत कानून के ऄधीनस्थ है।
निटिश संनवधान की एक ऄन्य महत्वपूणय नवशेषता नवनध का शासन है। संनवधानवाद या सीनमत
सरकार नवनध के शासन का सार है। यह काययकाटरणी की ओर से मनमाने ढंग से काययवाही
को रोकता है। डायसी के मुतानबक, नििेन में नवनध के शासन के तीन नसद्ांत पाए जाते हैं:
o मनमाने ढंग से नगरफ्तारी के नवरुद् संरक्षण और स्वयं प्रनतवाद करने का ऄवसर।
o नवनध के समक्ष समता: सभी व्यनक्त, ऄपनी नस्थनत या पद से पृथक नवनध के समक्ष समान हैं।
प्रशासननक कानून की ऄवधारणा नवनध के समक्ष समता से ऄलग है, जो सरकारी कमयचाटरयों
के नलए नवनभन्न प्रकार की ईन्मुनक्त प्रदान करता है। नििेन में संनवधान और मौनलक ऄनधकारों
की ऄनुपनस्थनत में न्यायपानलका आस नवनध की रक्षा करती है। आसनलए आस प्रणाली को
“सामान्य नवनध का नसद्ांत” कहा जाता है (संयुक्त राज्य ऄमेटरका में “नैसर्मगक नवनध/कानून
का नसद्ांत”)।
o नििेन में लोगों के ऄनधकारों की गारं िी न्यायपानलका िारा दी गयी है। न्यायपानलका सामान्य
नवनध को मान्यता देती है। आस प्रकार, नििेन में लोग नबल ऑफ़ राआट्स या मौनलक ऄनधकारों
के ऄभाव में भी ऄनधकारों का अनंद प्राप्त करते हैं।
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हालांक्रक यह देखा गया है क्रक कइ बार वास्तनवक ऄथों में नवनध के शासन का प्रचलन नहीं है।
आसके नलए ननम्ननलनखत कारण ईत्तरदायी हैं:
o प्रशासननक नवनध का नवकास,
करते हैं। यहीं कारण है क्रक नौकरशाहों के नलए प्रायः ‘नवीन स्वेछाचारी’ पद का प्रयोग क्रकया
जाता है, जो लोकतांनत्रक देश में भी ऄसाधारण शनक्त का ईपभोग करते हैं।
नििेन में नवनध का शासन आस प्रावधान से संरनक्षत है क्रक न्यायाधीशों को के वल गंभीर दुव्ययवहार
के मामले में हीं ईन्हें पद से हिाया जा सकता है और आस हेतु संसद के दोनों सदनों की सहमनत की
अवश्यकता होती है। आसनलए, न्यायाधीश नबना क्रकसी भय या पक्षपात के ननणयय देने में सक्षम हैं।
भारत में भी आसे ऄपनाया गया है। यहााँ न्यायपानलका की स्वतंत्रता को संनवधान में स्थान क्रदया
गया है। (‘अधारभूत ढांचा' नसद्ांत की नवशेषताओं में से एक)
2.2. राज्य के ऄं ग
नििेन में काययपानलका को “क्राईन” कहा जाता है। आससे पहले क्राईन, राजा का प्रतीक माना जाता
था। ऄब राजा क्राईन का एक ऄंग मात्र है।
एक संस्था के रूप में, क्राईन में ननम्ननलनखत शानमल होते हैं:
o राजा,
o प्रधानमंत्री,
o मंनत्रपटरषद् (CoM)
2.2.1.1. क्राईन
राजा मृत हैं। राजा ऄमर रहें। (King is dead. Long live the King.)
“नििेन में, प्रारं भ में सभी शनक्तयां राजा में नननहत थीं। बाद में, राजा से शनक्तयों का हस्तांतरण
प्रधानमंत्री की ऄध्यक्षता वाले मंनत्रपटरषद्, स्थायी काययपानलका, नप्रवी कौंनसल अक्रद संस्थाओं को कर
क्रदया गया। वतयमान समय में, क्राईन में ये सभी संस्थान शानमल हैं। आसनलए, कथन के पहले भाग में
राजा का वणयन एक व्यनक्त के रूप में क्रकया गया है, जबक्रक दूसरे भाग में राजा या क्राईन का वणयन एक
संस्था के रूप में है।”
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शनक्त तो संसद सदस्यों के पास होती है जो सरकार का गठन करते हैं, लेक्रकन ननरपवाद रूप से
राजा ऄब कन्वेंशन का पालन करता है। ऄतः ऄब वास्तनवक काययपानलका शनक्त हाईस ऑफ
कॉमंस में बहुमत वाले राजनीनतक दल या गठबंधन के नेता के पास होता है।
वास्तनवक शनक्त की कमी के बावजूद, समकालीन नििेन में राजशाही की ऄभी भी कइ महत्वपूणय
भूनमकाएं हैं। आसमें ननम्ननलनखत सनम्मनलत हैं:
o देश और नवदेश में UK का प्रनतनननधत्व करना,
o दूसरा प्रमुख, सरकार का मुनखया होता है। ईसके पास वास्तनवक शनक्त होती है क्योंक्रक सदन
को प्रधानमंत्री में नवश्वास होता है। प्रधानमंत्री सदन का नेता होता है। वह सदन के बहुमत का
प्रनतनननधत्व करता है।
राजपद की व्यवस्था वस्तुतः मनोवैज्ञाननक संतुनष्ट का एक स्रोत है। यह कहा जाता है क्रक, "बककघम
पैलस
े में राजा के साथ, ऄंग्रेज ऄपने घरों में चैन की नींद सोते हैं"।
राजा िारा संकिपूणय समय में बहुत मदद की गयी है। ईन्हें सामान्य तौर पर बहुत लंबा ऄनुभव है
और वे देश नहत में बहुमूल्य सलाह दे सकते हैं।
बजहॉि के ऄनुसार, राजा के पास तीन ऄनधकार हैं:
नजसके पास कोइ वास्तनवक शनक्तयां नहीं हैं, स्वयं कु छ नयी समस्याएं ईत्पन्न करे गा।
आसके नवपरीत, राजशाही का कोइ प्रावधान भारतीय संनवधान में मौजूद नहीं है। वास्तव में, राजा
अक्रद जैसी पदवी को संनवधान के ऄनुच्छेद 18 (मौनलक ऄनधकार) के िारा समाप्त कर क्रदया गया
है। आस प्रकार, यहााँ सभी भारतीय नागटरकों की समानता पर बल क्रदया गया है।
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नििेन में मंनत्रमंडल (कै नबनेि) स्वरुप वाले सरकार का प्रावधान है। कै नबनेि वस्तुतः सरकार का
एक बहुल या कॉलेनजएि रूप है। आसके ऄंतगयत शनक्त क्रकसी एक व्यनक्त में नननहत न होकर संपण ू य
मंनत्रपटरषद् में नननहत होती है। आसके पीछे नसद्ांत यह है क्रक “सभी मंत्री एक साथ डू बते या तैरते
हैं” (“All Ministers sink and swim together.”)। यह ननचले सदन के प्रनत सामूनहक
ईत्तरदानयत्व पर अधाटरत है।
कै नबनेि की ईत्पनत्त राजा को सलाह देने के नलए गटठत नप्रवी काईं नसल से हुइ है। कै नबनेि की
भूनमका में ननम्ननलनखत सनम्मनलत हैं:
o नीनत को स्वीकृ नत देना (प्रमुख नीनत-ननमायण ननकाय),
o नववादों का समाधान,
o प्रधानमंत्री को नववश करना,
o एकीकृ त सरकार,
o संसदीय दल को एकीकृ त करना, अक्रद।
आसके ऄनतटरक्त कै नबनेि, संसदीय प्रणाली में कानून बनाने का ऄंनतम ननकाय है। यह पािी/समूह से
गटठत होता है, नजसे सदन में बहुमत प्राप्त है। कै नबनेि की बैठक का अयोजन गुप्त तौर पर होता है।
प्रधानमंत्री की नस्थनत
प्रधानमंत्री, राज्य रूपी जहाज का कप्तान होता है।
प्रधानमंत्री, मंनत्रमंडल का प्रमुख होता है।
प्रधानमंत्री सदन में बहुमत वाले दल से संबद् है।
वह राजा और कै नबनेि तथा राजा और संसद के बीच कडी का कायय करता है।
सदन का काययकाल प्रधानमंत्री पर ननभयर करता है। वह सदन को भंग करने का सलाह भी दे सकता
है।
ऄन्य मंत्री प्रधानमंत्री की सलाह पर ननयुक्त क्रकए जाते हैं।
मंनत्रयों का काययकाल भी प्रधानमंत्री पर ननभयर करता है।
आसे Primus Inter Pares ऄथवा Inter Stella Luna Minores भी कहा जाता है। यह ऄन्य
मंनत्रयों के संबंध में प्रधानमंत्री की नस्थनत को बताता है। कै नबनेि प्रणाली में सामूनहक ईत्तरदानयत्व
का नसद्ांत लागू होता है; आसनलए ऄन्य मंत्री भी महत्वपूणय हैं।
संसदीय प्रणाली में प्रधानमंत्री और ऄन्य मंनत्रयों की सापेनक्षक नस्थनत की तुलना राष्ट्रपनत प्रणाली
में राष्ट्रपनत और ईसके सनचव की सापेनक्षक नस्थनत से की जा सकती है।
राष्ट्रपनत प्रणाली में, मंनत्रमंडल के सदस्यों को राष्ट्रपनत िारा चुना जाता है। संयुक्त राज्य ऄमेटरका
में, स्पॉआल्स नसस्िम (spoils system) मौजूद है। सनचव कांग्रेस के सदस्य नहीं होते हैं।
संसदीय प्रणाली में मंत्री क्रकसी भी सदन के सदस्य हो सकते हैं। प्रधानमंत्री ईनके साथ ऄपने
ऄधीनस्थ के रूप में व्यवहार नहीं कर सकता है। सैद्ांनतक रूप से, प्रधानमंत्री को स्वयं को ऄपने
समकक्षों में प्रथम मानना चानहए तथा मंनत्रमंडल के ऄन्य सदस्यों को सम्मान देना चानहए और
ईनके साथ नवचार-नवमशय कर ननणयय लेने चानहए।
हालांक्रक, प्रधानमंत्री प्रथम है क्योंक्रक:
o ईसे ही सवयप्रथम ननयुक्त क्रकया जाता है तथा वह हाईस ऑफ कॉमंस का नेता होता है।
o ऄन्य मंनत्रयों को ईसकी सलाह पर ननयुक्त क्रकया जाता है।
o ऄन्य मंनत्रयों को ईसकी सलाह पर हिाया जा सकता है।
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यह कथन प्रधानमंत्री की ऄनधक वास्तनवक नस्थनत को प्रस्तुत करता है। व्यवहार में, प्रधानमंत्री को
नवनशष्टता प्राप्त होती है और वह के वल समकक्षों के बीच प्रथम नहीं होता। औपचाटरक और
ऄनौपचाटरक दोनों कारक आसके नलए नजम्मेदार हैं।
o औपचाटरक कारक: वह संसद और राजा के बीच की कडी है और ईनकी सलाह पर मंनत्रयों की
ननयुनक्त/ईन्हें हिाया जाता है।
o ऄनौपचाटरक कारक: व्यनक्तत्व कारक, ईसके दल की नस्थनत, बाह्य/अंतटरक अपातकाल जैसी
नस्थनत।
यह राजा के सलाहकारी ननकायों में से एक हुअ करता था, परं तु ऄब यह कै नबनेि के ईद्भव के
कारण ऄपनी प्रासंनगकता खो चुका है। ऄब कै नबनेि के ननणयय नप्रवी काईं नसल के ननणयय होते हैं।
आनकी ऑक्सफोडय, कै नम्िज नवश्वनवद्यालय अक्रद के संबंध में कु छ पययवेक्षी भूनमका है। यह
एडनमरल्िी मामलों में ऄपीलीय ऄदालत के तौर पर और चचय से संबंनधत नववादों के समाधान में
भी कु छ भूनमका ननभाता है।
2.2.2. नवधानयका
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संसद की शनक्तयां भी स्वयं संनवधान िारा स्पष्ट रूप से पटरभानषत और सीमांक्रकत की गयी हैं।
हालांक्रक, संसद ऄपने ही क्षेत्र के भीतर सवोच्च है। आसके ऄनतटरक्त, संसद लोगों की प्रनतनननध
संस्था है। लेक्रकन यह निटिश संसद के समान संप्रभु नहीं है जो कु छ भी कर सकता है या पूवयवत
नस्थनत ला सकता है। यहााँ ईल्लेखनीय बात यह है क्रक संवैधाननक संप्रभुता के ऄथय में निटिश संसद
की शनक्तयां क्रकसी संवैधाननक दस्तावेज के िारा ही सीनमत नहीं हैं।
जबक्रक हमारा संनवधान व्यनक्त को मौनलक ऄनधकार प्रदान करता है। आन्हें ननषेधात्मक ऄनधकार
भी कहा जाता है और ये न्यायालय िारा प्रवतयनीय (न्यायोनचत) हैं। संसद िारा पाटरत कोइ भी
कानून जो क्रकसी भी मौनलक ऄनधकार को न्यून करते हैं, ईसे न्यायालयों िारा ऄनधकारातीत
घोनषत क्रकया जा सकता है।
न्यायालय, नववादों पर ननणयय देते हैं और ऐसा करते समय, वे संनवधान और कानूनों की व्याख्या
कर सकते हैं। आसके ऄनतटरक्त, संसद को संवैधाननक ऄनधकार प्राप्त हैं और कु छ सीमाओं के भीतर
यह संनवधान में ईपयुक्त संशोधन कर सकती है।
निटिश संसद निसदनीय है, वहां दो सदन हैं - हाईस ऑफ लॉर्डसय (संख्या तय नहीं) और हाईस
ऑफ कॉमंस (650 सदस्य)। हाईस ऑफ लॉर्डसय में वंशानुगत सदस्य होते हैं। आसके ऄलावा, हाईस
ऑफ लॉर्डसय में सवायनधक संख्या में लाआफ नपयसय, चचय/धार्ममक नपयसय (चचय संबंधी नपयसय) और लॉ
लॉर्डसय हैं।
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हाईस ऑफ लॉर्डसय क्रकसी संशोधन को प्रस्तानवत कर सकते हैं या कोइ संशोधन कर सकते हैं।
हालांक्रक आसकी शनक्तयां सीनमत हैं; यक्रद यह क्रकसी कानून के भाग का ऄनुमोदन नहीं करते हैं, तों
यह के वल एक वषय तक के नलए कानून के पाटरत होने में देरी कर सकते हैं। साथ ही, यह सुनननित
करने के नलए प्रबल ननयम हैं क्रक हाईस ऑफ कॉमंस की आच्छाओं और ईस समय की सरकार के
ननणयय को माना जाए।
वास्तव में, हाईस ऑफ लॉर्डसय को नवश्व के सबसे कमजोर उपरी सदन से एक के रूप में नचनननत
क्रकया जा सकता है। 1919 और 1949 के ऄनधननयम के पाटरत होने के ईपरांत हाईस ऑफ लॉर्डसय
ने सभी वास्तनवक नवधायी शनक्तयों को खो क्रदया है। यह बस ऄब एक देरी करने वाला सदन है।
यह साधारण नवधेयक के मामले में ऄनधकतम एक वषय की ऄवनध के नलए और धन नवधेयक के
मामले में ऄनधकतम एक महीने की ऄवनध के नलए देरी कर सकते हैं।
राज्यसभा की तुलना में, हाईस ऑफ लॉर्डसय एक कमजोर सदन है। राज्यसभा के पास साधारण
नवधेयक के मामले में (हालांक्रक, संयुक्त ऄनधवेशन का प्रावधान है लेक्रकन यह एक ऄसाधारण
ईपकरण है) लोकसभा के समान ऄनधकार हैं।
जहााँ तक संनवधान संशोधन का सवाल है, राज्यसभा को लोकसभा के समान शनक्तयां प्राप्त हैं। धन
नवधेयक के संबंध में राज्यसभा भी हाईस ऑफ़ लॉर्डसय के समान देरी करने वाला सदन है।
राज्यसभा ऄनधकतम चौदह क्रदनों के नलए नबल में देरी कर सकता है। राज्यसभा के पास कु छ
नवशेष शनक्तयां हैं, जो लोकसभा के नलए ईपलब्ध नहीं हैं; ईदाहरण के नलए: ऄनुच्छेद 249 और
ऄनुच्छेद 312।
सीनेि को शनक्तशाली उपरी सदन कहा जाता है। आसे साधारण नवधेयक, संवैधाननक नवधेयक के
संदभय में और यहां तक क्रक धन नवधेयक के पाटरत होने में हाईस ऑफ़ टरप्रेजेन्िेटिव्स के साथ
बराबर की शनक्त प्राप्त है। ननचले सदन में धन नवधेयक को पेश करना प्रथागत है।
सीनेि को कु छ नवशेष शनक्तयां भी प्राप्त हैं, जो हाईस ऑफ़ टरप्रेजेन्िेटिव्स के नलए ईपलब्ध नहीं है।
o संवैधाननक सुधार ऄनधननयम, 2005 िारा ऄपील की सवोच्च ऄदालत के रूप में आसकी
भूनमका को समाप्त कर क्रदया गया।
o लॉडय चांसलर के स्थान पर ऄब यहााँ यह लाडय स्पीकर िारा ऄध्यक्षता का प्रावधान क्रकया गया
है।
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2.2.2.4. भारतीय और ऄमे टरकी स्पीकर (ऄध्यक्ष) के साथ हाईस ऑफ कॉमं स के स्पीकर की
नस्थनत की तु ल ना
यहााँ ऄध्यक्ष के पद को महान प्रनतष्ठा और गटरमा वाले पद का दजाय प्राप्त है। नििेन में एक परं परा
है क्रक एक बार का ऄध्यक्ष, हमेशा के नलए ऄध्यक्ष हो जाता है। आसका मतलब है क्रक ऄध्यक्ष का
ननवायचन क्षेत्र ननर्मवरोध होता है। एक बार जब क्रकसी व्यनक्त को ऄध्यक्ष के रूप में ननयुक्त क्रकया
जाता है तो वह ऄपने राजनीनतक दल से औपचाटरक रूप से आस्तीफा दे देता है। ईसके पास
ननणाययक मत देने और सदन के संचालन तथा सांसदों के अचरण के संबंध में ऄंनतम
ऄनुशासनात्मक काययवाही का ऄनधकार होता है।
2.2.2.4.2. ऄमे टरका में स्पीकर (हाईस ऑफ़ टरप्रे जे न्िे टिव्स का ऄध्यक्ष)
ईससे एक पािी के सेवक के रूप में ईम्मीद की जाती है तथा ईससे तिस्थ रहने की ईम्मीद नहीं की
जाती। वह ऄपने पािी के पक्ष में रहता है। ईनके पास ऄंनतम ऄनुशासनात्मक शनक्तयां नहीं होती
हैं, और यह स्वयं सदन में नननहत होता है। संयुक्त राज्य ऄमेटरका में ऄध्यक्ष अरं भ में मतदान कर
सकता है।
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हालांक्रक, हमारी नस्थनत निटिश और ऄमेटरकी मॉडल के बीच है। यह सैद्ांनतक रूप से निटिश
मॉडल के करीब है। लेक्रकन यहााँ समान परं परा मौजूद नहीं है। ईदाहरण के नलए:
o यहााँ ऄध्यक्ष के नलए यह अवश्यक नहीं होता क्रक वह ऄपनी पािी से आस्तीफा दे।
o यक्रद ईसने आस्तीफा देने का फै सला क्रकया है तो ईसे दलबदल नवरोधी कानून के तहत ननरहय
घोनषत नहीं क्रकया जाएगा।
o भारत में ऄध्यक्ष के ननर्मवरोध ननवायनचत क्रकए जाने की कोइ परं परा नहीं है।
2.2.3. न्यायपानलका
संसदीय संप्रभुता के नसद्ांत के तहत, न्यायपानलका के पास संसद के ऄनधननयम को समाप्त करने
के नलए स्वाभानवक शनक्त का ऄभाव है। हालांक्रक, सांनवनधक कानून के सामान्य कानून के
ऄधीनस्थ होने का तात्पयय यह नहीं है क्रक न्यायपानलका काययपानलका के ऄधीनस्थ है। नििेन में
न्यायालयों को कु छ शनक्तयां प्राप्त हैं, यथा:
o सांनवनधक कानून के ऄथय की सिीक व्याख्या।
o ऄनधकारातीत (शनक्तयों से परे ) के नसद्ांत को लागू कर मंनत्रयों और ऄन्य सरकारी
ऄनधकाटरयों के कायों की समीक्षा।
o मंनत्रयों और दूसरों के कायों पर प्राकृ नतक न्याय की ऄवधारणा को लागू करना।
चूंक्रक यहााँ संसद संप्रभु है, ऄतः सरकार संशोधन कानून पास करके न्यायालयों के फै सलों को
पलिने की कोनशश कर सकती हैं। न्यानयक समीक्षा की शनक्त, नीनत प्रक्रक्रया में न्यायपानलका को
संभानवत महत्वपूणय भूनमका प्रदान करती है।
हाल के दशकों में, वहााँ कइ कारणों से न्यानयक सक्रक्रयता में वृनद् देखी गइ है:
o न्यायाधीश, मंत्री के काययवाही की समीक्षा करने और ईन्हें रद्द करने के नलए ऄनधक आच्छु क
हैं।
o ECHR (European Convention on Human Rights) का घरे लू कानून में समावेश।
o स्कॉिलैंड, वेल्स और ईत्तरी अयरलैंड में ननवायनचत नवधानसभाओं के नलए शनक्तयों का
हस्तांतरण।
o 2009 में सुप्रीम कोिय का गठन।
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समानता
दोनों प्रणानलयों में काययपानलका की काययवाही को ऄनधकारातीत घोनषत क्रकया जा सकता है।
न्यायपानलका को संनवधान का सबसे बडा व्याख्याकार माना जाता है।
देर से ही सही, नििेन में न्यानयक सक्रक्रयता में वृनद् हुइ है और न्यायपानलका ऄनधक से ऄनधक
सक्रक्रय होती जा रही है। भारतीय संदभय में भी न्यानयक सक्रक्रयता में वृनद् देखने हो नमली है।
नोि: नििेन में संवैधाननक सुधार ऄनधननयम, 2005 िारा सुप्रीम कोिय (ऄपील की सवोच्च ऄदालत)
ऄनस्तत्व में अ गया है। एक राष्ट्रीय न्यानयक ननयुनक्त अयोग की शुरुअत की गइ है।
नलनखत ऄनलनखत
संघीय एकात्मक
कें द्र और राज्यों के बीच शनक्तयों का नवभाजन क्रकया गया है। शनक्त कें द्र में नननहत
राजा को पूणय ईन्मुनक्त प्राप्त है; भारत में राष्ट्रपनत पर संनवधान के ईल्लंघन के मामले में महानभयोग
यह कहा जाता है क्रक राजा चलाया जा सकता है।
कोइ गलती नहीं कर सकता।
राजा के पास कोइ नववेकाधीन भारत में भारतीय राष्ट्रपनत के संबंध में स्पष्टता की कमी थी। भ्म
शनक्तयां नहीं है। ईसे 'गोल्डन यह था क्रक क्या ईसके पास कोइ नववेकाधीन शनक्त है या महज वह
एक रबर स्िांप है।
जीरो' के रूप में जाना जाता
24वें संनवधान संशोधन ऄनधननयम िारा स्पष्ट क्रकया गया क्रक
है।
ईसके पास कोइ नववेकाधीन शनक्तयां नहीं हैं। वास्तनवक शनक्त,
प्रधानमंत्री के पास नननहत है, जबक्रक राष्ट्रपनत महज एक 'रबर
स्िांप' है।
44वें संनवधान संशोधन ऄनधननयम िारा क्रफर से नस्थनत बदल
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राजा नाम मात्र का प्रमुख। राष्ट्रपनत वास्तनवक प्रमुख और नाम मात्र का प्रमुख दोनों है।
कोइ नववेकाधीन शनक्तयां वास्तनवक काययकारी शनक्तयां, हालांक्रक ननयंत्रण एवं संतुलन के
नहीं। ऄधीन।
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नवश्व के प्रमुख देशों के संनवधान की तुलना में ऄमेटरकी संनवधान प्रथम और सवायनधक संनक्षप्त
संनवधान है, जबक्रक भारतीय संनवधान नवश्व का सबसे लंबा नलनखत संनवधान है।
संयुक्त राज्य ऄमेटरका का संनवधान ऄत्यंत कठोर (संशोधन प्रक्रक्रया कटठन) संनवधान की श्रेणी में
अता है नजसमें नसफय 7 ऄनुच्छेद हैं और ऄभी तक आसमें के वल 27 बार संशोधन हुए हैं। मूल रूप
से, भारतीय संनवधान में 8 ऄनुसूनचयां 22 भाग और 395 ऄनुच्छेद शानमल थे। वतयमान समय में
संयुक्त राज्य ऄमेटरका के संनवधान को 17 नसतम्बर 1787 को अयोनजत सम्मेलन में ऄंनतम रूप
क्रदया गया था नजसे लागू करने के नलए कम से कम 9 राज्यों के ऄनुसमथयन की जरुरत थी। जुलाइ
को लागू क्रकया गया। दूसरी तरफ भारतीय संनवधान को 26 नवंबर 1949 को संनवधान सभा िारा
संयुक्त राज्य ऄमेटरका में नागटरकता और संनवधान के मामले में दोहरी नीनत के नसद्ांत को
ऄपनाया गया है, नजसके तहत दो संनवधान हैं, पहला, संपूणय देश के नलए और दूसरा प्रत्येक राज्य
का ऄपना संनवधान है। आसके साथ ही ऄमेटरकी नागटरकों के नलए दोहरी नागटरकता का प्रावधान
क्रकया गया है। पहला, संयुक्त राज्य ऄमेटरका की नागटरकता और दूसरी, प्रत्येक संबंनधत राज्य की
नागटरकता। दूसरी तरफ, भारत में सभी नागटरकों के नलए एक संनवधान और एकल नागटरकता
की संकल्पना को ऄपनाया गया है।
ऄमेटरकी संनवधान को मूलतः संघीय संनवधान के रूप में वर्मणत क्रकया गया है, नजसे 50 स्वतंत्र
राज्यों िारा ऄनुमोक्रदत क्रकया गया था। आसके ऄलावा संघ सरकार और राज्य सरकारों का ऄपना
संनवधान हैं और ये दोनों एक दूसरे के कायो में हस्तक्षेप नहीं करते हैं।
दूसरी तरफ, भारत में एक संनवधान है, नजसमें राज्य सरकार के काययकलापों में संघ सरकार
ननम्ननलनखत रूप में हस्तक्षेप करती है:
o राज्यपालों की ननयुनक्तयां।
o राज्यपाल के पास राज्य नवधान मंडल िारा पाटरत नवधेयक को राष्ट्रपनत िारा ऄनुमोदन के
नलए अरनक्षत करने की शनक्त।
o राज्यों में राष्ट्रपनत शासन लागू करने की संघ सरकार की शनक्त।
ऄमेटरका एक िैध संघ (Dual Federation) का ईदाहरण है जबक्रक भारत एक सहकारी संघ
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ऐसे संघ में कें द्र और राज्य दोनों पूणय ऐसे संघ में कें द्र और राज्य दोनों एक दूसरे से स्वतंत्र
रूप से स्वतंत्र होते हैं और वे ऄपने नहीं होते है, बनल्क ऄपने कायय ननष्पादन के नलए
अप में पूणय सरकार होते हैं। एक दूसरे पर ननभयर रहते हैं। कें द्र के पास अमतौर
ऄपकें द्रीय संघवाद (Centrifugal पर ऄनधक ननयंत्रणकारी शनक्तयााँ होती हैं।
federalism) ऄनभकें द्रीय संघवाद (Centripetal federalism)
संयुक्त राज्य ऄमेटरका एक नवधायी भारत एक काययकारी संघ है, नजसका तात्पयय यह है
संघ है, नजसका तात्पयय यह है क्रक क्रक राज्य नसफय काययकारी स्तर पर महत्वपूणय हैं।
कानून ननमायण की प्रक्रक्रया में राज्यों
का प्रभुत्व रहता है।
संयुक्त राज्य ऄमेटरका ऄनवनाशी भारत एक नवनाशी राज्यों का ऄनवनाशी संघ है।
राज्यों का एक ऄनवनाशी संघ हैं।
संयुक्त राज्य ऄमेटरका का संनवधान भारतीय संनवधान में राज्यों के नलए ऐसा कोइ
राज्यों को सीनेि के माध्यम से प्रावधान (ऄंतरायष्ट्रीय संनधयों के ऄनुमोदन से
ऄन्तरायष्ट्रीय संनधयों को ऄनुमोक्रदत संबनधत) नहीं क्रकया गया है।
करने की शनक्त प्रदान करता है।
संयक्त
ु राज्य ऄमेटरका
संयुक्त राज्य ऄमेटरका में शासन की राष्ट्रपनत प्रणाली को ऄपनाया गया है, नजसमें जनता सीधे
काययकारी राष्ट्रपनत का चुनाव करती है।
राष्ट्रपनत शनक्तशाली होता है और वह कांग्रेस के प्रनत जवाबदेह नहीं होता है।
ऄमेटरकी राष्ट्रपनत का काययकाल 4 वषों (ननयत काल) का होता है।
कोइ भी व्यनक्त के वल दो काययकाल के नलए ही राष्ट्रपनत का पद धारण कर सकता है।
सरकार के प्रशासननक कायो में सहयोग करने हेतु राष्ट्रपनत ऄपने कमयचाटरयों की ननयुनक्त स्वयं
करता है, आसके नलए यह जरुरी नहीं है क्रक वे हाईस ऑफ़ टरप्रेजन्े िेटिव्स या सीनेि के सदस्य हों।
कमयचारी ऄमेटरकी संसद (कांग्रेस) के सदनों के प्रनत ईत्तरदायी नहीं होते हैं।
आसका ऄथय यह है क्रक सरकार के प्रशासन में ऄमेटरकी राष्ट्रपनत पूणत य : स्वतंत्र है तथा सीधे तौर पर
ऄमेटरकी जनता के प्रनत ईत्तरदायी होता है।
भारत
भारत में शासन की संसदीय प्रणाली को ऄपनाया गया है।
भारत का राष्ट्रपनत सरकार का काययकारी प्रमुख होता है। ईसका ननवायचन परोक्ष रूप से संसद
सदस्यों और राज्य नवधान मंडल के सदस्यों (नामननर्ददष्ट सदस्य नहीं) िारा क्रकया जाता है।
राष्ट्रपनत संसद के प्रनत ईत्तरदायी नहीं होता है।
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राष्ट्रपनत प्रधानमंत्री और ईसके मंनत्रमंडल की सहायता और परामशय से देश की सरकार चलाता है।
ऄमेटरकी राष्ट्रपनत के नवपरीत भारत का राष्ट्रपनत ऄपने पद पर 5 वषों तक बना रहता है।
एक व्यनक्त ऄनेक बार के नलए राष्ट्रपनत पद पर ननवायनचत हो सकता है।
राष्ट्रपनत पर महानभयोग चलाने की प्रक्रक्रया में भारत और संयुक्त राज्य ऄमेटरका के संनवधान में
समानता है।
3.2. राष्ट्रपनत
ऄमेटरका में राष्ट्रपनत की नस्थनत सरकार के प्रमुख होने के साथ-साथ राज्य प्रमुख की भी है।
ऄमेटरकी राष्ट्रपनत पद के नलए, प्राकृ नतक रूप से ऄमेटरका में जन्मे ऄमेटरकी नागटरक ही ऄहय होते
हैं, न क्रक वैसा व्यनक्त जो दूसरे देश का हो और ऄमेटरकी नागटरकता प्राप्त क्रकया हो। आसके ऄलावा,
वह 35 वषय की अयु पूरी कर चुका हो साथ ही कम से कम 14 वषों से ऄमेटरका में रह रहा हो।
दूसरी तरफ, भारत के राष्ट्रपनत पद हेतु व्यनक्त को भारत का नागटरक होना चानहए, चाहे वह
जन्मजात नागटरक हो या ऄर्मजत नागटरकता धारक।
ऄमेटरकी राष्ट्रपनत का चुनाव एक ननवायचक मंडल िारा ऄप्रत्यक्ष रूप से क्रकया जाता है।
जीतने वाले सदस्य को ननवायचक मंडल के कु ल सदस्यों का पूणय बहुमत (50%+1) प्राप्त होना
चानहए ऄथायत् 270.
नोि : हाईस ऑफ़ टरप्रेजेन्िेटिव्स में ऄलग-ऄलग राज्यों से अने वाले सदस्यों की संख्या नननित नहीं
होती है, जबक्रक सीनेि में राज्यों से अने वाले सदस्यों की संख्या समान और नननित होती है।
काययकारी प्रकायय
ननयुनक्तयां,
देश का प्रनतनननधत्व करना, तथा
बजि की प्रस्तुनत।
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नवधायी कायय
नवधानमंडल में ईपनस्थनत नहीं।
ऄमेटरकी राष्ट्रपनत नवधानमंडल को संबोनधत नहीं करता है।
राष्ट्रपनत नवधानमंडल को भंग नहीं कर सकता।
राष्ट्रपनत ऄपना सन्देश नवधानमंडल को भेज सकता है। (संयुक्त राज्य ऄमेटरका में सन्देश भेजने की
प्रथा मौजूद है क्योंक्रक वहां शनक्तयों का पृथक्करण है। आसनलए राष्ट्रपनत को ऄपनी सहभानगता दजय
कराने का यही एक रास्ता है। आस तरह का सन्देश भेजने का प्रावधान भारत में भी है, लेक्रकन आस
प्रावधान के पीछे का तकय स्पष्ट नहीं है क्योंक्रक राष्ट्रपनत के पास आस मामले में नववेकाधीन शनक्तयां
नहीं है और वह प्रधानमंत्री की सलाह पर कायय करने के नलए बाध्य होता है।)
o वीिो शनक्त: संनवधान के तहत, राष्ट्रपनत कांग्रस
े िारा पाटरत नवधेयक पर तीन तरीकों में से
एक के िारा प्रनतक्रक्रया दे सकता है। वह आसपर हस्ताक्षर कर सकता है, वीिो का प्रयोग कर
आसे कांग्रेस को वापस लौिा सकता है या क्रफर नबल्कु ल मौन (ऄथायत् कु छ नहीं करना) रह
सकता है। यक्रद राष्ट्रपनत नवधेयक पर नबल्कु ल मौन रहता है तो, आसके 10 क्रदन बाद (रनववार
को छोडकर) नवधेयक कानून बन जाता है। हालांक्रक, यक्रद 10 क्रदन की ऄवनध के भीतर कांग्रस
े
का स्थगन हो जाता तो नवधेयक, “पॉके ि वीिो” (जेबी वीिो) के प्रावधान के तहत समाप्त हो
जाता है। यक्रद राष्ट्रपनत नवधेयक पर वीिो लगाता है तो आसके बावजूद भी कांग्रस
े के दोनों
सदनों में 2/3 बहुमत िारा नवधेयक को पास कर कानून बनाया जा सकता है।
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संयक्त
ु राज्य ऄमेटरका
भारत
भारत में, यक्रद राष्ट्रपनत की मृत्यु हो जाए, ऄथवा महानभयोग के िारा या ऄपने पद से वो आस्तीफा
दे देता है, तो ईपराष्ट्रपनत, तब तक के नलए राष्ट्रपनत बन जाता है जब तक नया चुनाव न हो जाए।
नया ननवायनचत राष्ट्रपनत ऄपने पद पर पूरे 5 वषय की ऄवनध तक बना रहता है।
ऄमेटरकी समय-सीमाबद् प्रणाली के नवपरीत, भारत में चुनाव की समय प्रणाली लागू नहीं की
जाती है।
प्राआमरीज एक प्रकार का चुनाव है नजसका अयोजन ईम्मीदवारों का चुनाव करने के नलए क्रकया
जाता है।
आस चुनाव का अयोजन राजनीनतक पार्टियों िारा क्रकया जाता है।
कारण: देशद्रोह, टरश्वत, अचरण (दुष्कमय) संबंधी गंभीर ऄपराध। भारतीय संनवधान के नवपरीत,
यहााँ संनवधान के ईल्लंघन के नलए महानभयोग का कोइ प्रावधान नहीं है।
प्रक्रक्रया
o राष्ट्रपनत के नवरूद् अरोप हाईस ऑफ़ टरप्रजेंिेटिव में लगाए जाएंगे।
o आसे 2/3 बहुमत से पास होना होगा।
o जााँच करने वाला सदन सीनेि होगा।
o आस प्रक्रक्रया में, संयुक्त राज्य ऄमेटरका के ईच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश पीठासीन
ऄनधकारी होगा।
o यक्रद दोष नसद् हो जाता है, तो वह ऄपने पद से तभी हिेगा जब सीनेि आस मद का प्रस्ताव
2/3 बहुमत से पाटरत कर देता है।
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Senatorial Courtesy (नवधायी नशष्टाचार): आसके तहत राष्ट्रपनत, औपचाटरक रूप से ईच्च पदों
पर ननयुनक्त के नलए नाम भेजने से पहले, ननयुनक्त के नलए संभानवत ईम्मीदवारों के बारे में सीनेि को
सूनचत करता है ताक्रक ऐसी नस्थनत न ईत्पन्न हो क्रक राष्ट्रपनत िारा भेजे गए नामों की पुनष्ट सीनेि न
करे ।
Log Rolling (लॉग रॉबलग): एक दल के सदस्य दूसरे पक्ष के नवधेयक या दृनष्टकोण का समथयन कर
सकते हैं।
Pork Barrel (वोि प्रानप्त हेतु सरकारी धन का खचय स्थानीय कायो में करना): यह हाईस ऑफ़
टरप्रेजेन्िेटिव्स की राजनीनत को प्रदर्मशत करता है जहााँ स्थानीय नहत हावी होते हैं और प्रनतनननध
ऄपने ननवायचन क्षेत्रों के नलए ऄनधक से ऄनधक लाभ ईठाना चाहते हैं।
3.3. ईपराष्ट्रपनत
संयुक्त राज्य ऄमेटरका में राष्ट्रपनत और ईपराष्ट्रपनत पद हेतु ऄहयता एक समान ही है। चूंक्रक दोनों
पदों के नलए एक साथ चुनाव अयोनजत क्रकए जाते हैं, आसनलए चुनाव की प्रक्रक्रया भी एक समान
है।
पूवय की पद्नत: जो ईम्मीदवार चुनाव में प्रथम अता था, ईसे राष्ट्रपनत और दूसरे को ईपराष्ट्रपनत
चुना जाता था।
वतयमान पद्नत: दोनों के नलए चुनाव ऄलग-ऄलग होता है, लेक्रकन एक ही समय में और एक ही
तरीके से आसका अयोजन क्रकया जाता है।
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3.4.2. सीने ि
3.5. सं यु क्त राज्य ऄमे टरका में सनमनत प्रणाली (Committee System)
संयुक्त राज्य ऄमेटरका दुननया में सबसे मजबूत सनमनत प्रणाली वाला देश है। यह कहा जाता है क्रक
यहााँ (USA) की कांग्रस
े सनमनतयों में काम करती है।
निटिश और भारतीय प्रणाली से ऄंतर
नििेन और भारत में, सवयप्रथम सदन में नवधेयक को प्रस्तुत क्रकया जाता है, ईसके ईपरांत
प्रथम वाचन होता है और क्रफर आसके बाद सनमनत को आसे संदर्मभत क्रकया जाता है।
संयुक्त राज्य ऄमेटरका में, सदन में नवधेयक को प्रस्तुत क्रकया जाता है और आसे कइ बार नबना पढ़े
सीधे तौर पर सनमनत को संदर्मभत कर क्रदया जाता है।
नपजन होल (Pigeon Hole): संयुक्त राज्य ऄमेटरका में नवधेयक को सनमनत के स्तर पर ही समाप्त
क्रकया जा सकता है। यह नवधेयक की Pigeon Holing के नाम से जाना जाता है।
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3.6.2. भारत
भारत में अपात नस्थनत में लोकसभा का काययकाल एक वषय तक बढ़ाया जा सकता है या समय से
पहले चुनाव कराकर आसे कम क्रकया जा सकता है।
सत्तारूढ़ दल ऄगले चुनाव में ऄपनी जीत की संभावनाओं को देखते हुए राष्ट्रपनत को लोक सभा
भंग करने और ईपयुक्त समय, नजसमें पािी को लाभ हो, पर चुनाव कराने की सलाह देती है।
संयुक्त राज्य ऄमेटरका का संनवधान मॉन्िेस्क्यू और जॉन लॉक िारा प्रस्तानवत शनक्त के पृथक्करण
नसद्ांत का कठोरता से पालन करता है। संयुक्त राज्य ऄमेटरका में शनक्त के पृथक्करण का नसद्ांत
पूरी तरह से लागू है।
सरकार के सभी तीनों ऄंगों के कायय पृथक हैं।
नवधानयका और काययपानलका का काययकाल नननित होता है और ये एक-दूसरे के उपर ननभयर नहीं
है।
नवधानयका का कोइ भी सदस्य, काययपानलका का सदस्य नहीं हो सकता है।
ऄमेटरकी कांग्रेस के सदन कानून बनाते हैं, राष्ट्रपनत कानून को कायायनन्वत करता है और ईच्चतम
न्यायालय कानून की व्याख्या करता है।
ऄमेटरकी राष्ट्रपनत को कानून बनाने का नवशेषानधकार प्राप्त नहीं है क्योंक्रक वह न तो हाईस ऑफ़
टरप्रेजेन्िेटिव्स और न ही सीनेि का सदस्य होता है।
राष्ट्रपनत को वीिो की शनक्त प्राप्त है लेक्रकन कानून बनाने की शनक्त नहीं, ऄतः कांग्रेस आस मामले में
राष्ट्रपनत को ननयंनत्रत करती है और आस प्रकार ‘ननयंत्रण एवं संतल
ु न’ बनाये रखा जाता है।
3.7.2. भारत
सैद्ांनतक तौर पर, हमलोग कह सकते हैं क्रक हमारे संनवधान में भी शनक्त के पृथक्करण का नसद्ांत
पाया जाता है, लेक्रकन यह मोिे तौर पर नसफय काययपानलका और न्यायपानलका के बीच है।
राष्ट्रपनत संघीय काययपानलका का नहस्सा होता है, तथानप प्रधानमंत्री और ईनकी मंनत्रपटरषद
वास्तनवक काययपानलका हैं, क्योंक्रक राष्ट्रपनत मंनत्रमंडल की सलाह पर कायय करने के नलए बाध्य है।
आनके पास दोहरी क्षमता होती है:
o प्रथम, काययपानलका के रूप में; और
o नितीय, कानून ननमायता के रूप में।
सत्तारूढ़ दल के नेता के रूप में प्रधानमंत्री एक कानून बनवा सकता है, नजसे ईसका प्रशासन
कायायनन्वत करता है। आस प्रकार, प्रधानमंत्री और ईनकी मंनत्रपटरषद कानून बनाती है और प्रशासन
आसे कायायनन्वत करता है नजससे ऄपने अप में यहााँ शनक्त के पृथक्करण का नसद्ांत नवरोधाभासी
प्रतीत होता है।
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सरकार के क्रकसी भी ऄंग को पूणय स्वतंत्रता नहीं दी गइ है। आसनलए यहां ननयंत्रण एवं संतुलन का
होना अवश्यक है।
संयक्त
ु राज्य ऄमेटरका के संनवधान में ननयंत्रण एवं संतल
ु न कै से प्राप्त क्रकए जाते हैं?
o वीिो शनक्त का प्रयोग करके {हालांक्रक, कांग्रेस 2/3 बहुमत के साथ राष्ट्रपनत के वीिो का
ऄध्यारोहण कर नवधेयक पाटरत कर सकती है, आसनलए राष्ट्रपनत के पास अत्यंनतक वीिो
जहााँ संयुक्त राज्य ऄमेटरका के संनवधान में “नबल ऑफ़ राआट्स” (ऄनधकार पत्र) का समावेश है,
वहीं भारत के संनवधान में ‘मौनलक ऄनधकार‘ को शानमल क्रकया गया है।
हालांक्रक, ऄमेटरकी संनवधान में ऄनतटरक्त मानव ऄनधकार प्रदान क्रकए गए हैं, जो भारतीय
संनवधान में स्पष्ट रूप से नहीं पाया जाता है।
संयुक्त राज्य ऄमेटरका के संनवधान के प्रथम संशोधन के तहत प्रेस की स्वतंत्रता स्पष्ट रूप से प्रदान
की गयी है, जबक्रक भारत ऄपने संनवधान के ऄनुच्छेद 19[1](A) के तहत वाक् एवं ऄनभव्यनक्त की
स्वतंत्रता देता है।
भारत में, ईच्चतम न्यायालय में आससे संबंनधत यानचका दायर करना भी एक मौनलक ऄनधकार है,
वहीं, संयुक्त राज्य ऄमेटरका में “सरकार” के नखलाफ यानचका दायर की जाती है (संयुक्त राज्य
ऄमेटरका के मामले में “सरकार” शब्द का व्यापक ऄथय है नजसके दायरे में न नसफय काययपानलका
बनल्क ईच्च न्यायपानलका भी अती है)।
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ऄमेटरकी नागटरकों को संनवधान के दूसरे संशोधन के ईपरांत ऄपनी जान-माल की सुरक्षा करने
हेतु हनथयार और बंदक
ू रखने का ऄनधकार है। आसनलए ऄमेटरका में बंदक
ू और हनथयार नबना
क्रकसी कानूनी ऄडचन के ऄन्य वस्तु की तरह बेचे जाते हैं, जबक्रक भारत में नस्थनत एकदम नवपरीत
है, क्योंक्रक मौनलक ऄनधकार नहीं होने के ऄलावा, यह बहुत कडाइ से ननयंनत्रत कानूनी ऄनधकार
है।
संयुक्त राज्य ऄमेटरका का पााँचवां संशोधन आस बात की गारं िी देता है क्रक फौजदारी ऄपराध के
नलए ऄनभयुक्त को ‘ग्रैंड ज्यूरी‘ प्रणाली से गुजरना पडेगा। ग्रैंड ज्यूरी का मतलब है क्रक सरकार िारा
अम लोगों में से समुदाय का नेतृत्व करने वालों को यादृनच्छक ढंग से चुनना। वे ऄनभयुक्त पर
लगाये गए दोषों का ननणययन करते हैं। ग्रैंड ज्यूरी में चुने गए लोगों की संख्या 6 से 12 के बीच
तरफ, भारत में ऄपरानधक मामलों को के वल न्यायाधीशों िारा ही ननपिाया जाता है।
आसके ऄलावा, संयुक्त राज्य ऄमेटरका में क्रकसी भी व्यनक्त को ईसके जीवन एवं स्वतंत्रता से “नवनध
की सम्यक् प्रक्रक्रया (Due process of law)” के नबना वंनचत नहीं क्रकया जा सकता।
o सम्यक् प्रक्रक्रया से अशय यह है क्रक नवनध के ऄवयव एवं प्रक्रक्रया ऄवश्य हीं ईनचत, ननष्पक्ष
o एक व्यनक्त को ईसके स्वतंत्रता से वंनचत करने वाली नवधायी शनक्त को प्रनतबंनधत क्रकया गया
है, तथा न्यायपानलका िारा आसका परीक्षण और मूल्याकं न क्रकया जाता है।
भारत में एक व्यनक्त को ईसके जीवन और स्वतंत्रता से “नवनध िारा स्थानपत प्रक्रक्रया (Procedure
o “नवनध िारा स्थानपत प्रक्रक्रया” पद वस्तुतः स्वतंत्रता को सीनमत करने हेतु नवधनयका को
क्रकया हो) ईच्चतम न्यायालय ने ननणयय क्रदया क्रक नवनध िारा स्थानपत प्रक्रक्रया ऄवश्य हीं
ईनचत, ननष्पक्ष और न्यायसंगत होना चानहए।
1978 में भारतीय संसद ने संपनत्त के ऄनधकार को मौनलक ऄनधकारों की सूची से हिा क्रदया,
जबक्रक, संयुक्त राज्य ऄमेटरका में ऄभी भी संपनत्त का ऄनधकार मौनलक ऄनधकारों की सूची में है
ऄपने पक्ष में गवाह प्राप्त करने की ऄननवायय प्रक्रक्रया और ऄपने पसंद के वकील की सहायता लेना।
o यद्यनप भारत के संनवधान में आन सभी ऄनधकारों का स्पष्ट ईल्लेख नहीं है, क्रफर भी ऄनुच्छेद
21 के ऄंतगयत प्राण एवं दैनहक स्वतंत्रता के संरक्षण की व्यापक व्याख्या कर ईच्चतम न्यायालय
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आसके ऄलावा, संयुक्त राज्य ऄमेटरका के संनवधान का 8वां संशोधन कहता है क्रक एक ऄनभयुक्त को
जमानत से वंनचत नहीं क्रकया जाएगा, अरोनपत जुमायना ऄनधक नहीं होना चानहए और प्रदत्त दंड
ऄमानवीय नहीं होने चानहए। ये ऄनधकार भारतीयों को भी प्रदत्त हैं, क्योंक्रक ऄनुच्छेद 21 के तहत
संयुक्त राज्य ऄमेटरका के संनवधान का 9वां संशोधन काफी महत्वपूणय है क्योंक्रक यह बताता है क्रक
संनवधान में वार्मणत कु छ नवशेष ऄनधकारों की व्याख्या, ऄमेटरकी लोगों के दूसरे ऄनधकारों को
ऄस्वीकार नहीं करे गी। संवैधाननक ऄनधकारों के बावजूद लोगों को कु छ प्राकृ नतक ऄनधकार भी
क्रदये गए हैं। संयुक्त राज्य ऄमेटरका का संनवधान लॉक के िारा क्रदये गए मानव के ऄपटरहायय
प्राकृ नतक ऄनधकारों (Inalienable Natural Rights of Human Being) के दशयन से प्रभानवत
है। दूसरी तरफ, भारतीय संनवधान में आस तरह का कोइ ऄनुच्छेद नहीं हैं। आसनलए, भारतीय ईन्हीं
ऄनधकारों का अनंद लेते हैं जो संनवधान के िारा स्वीकृ त हैं, और जो ऑनस्िन एवं बेन्थम के
नवनधक नसद्ांतों के दशयन पर अधाटरत हैं।
3.9.1. भारत
भारतीय संनवधान की सातवीं ऄनुसूची नवधायी शनक्तयों का कें द्र और राज्य सरकारों के बीच
बंिवारा करती है। कें द्र और राज्य सरकार को संघ और राज्य सूची के ऄंतगयत सूचीबद् 97 और 66
नवषयों पर क्रमशः ऄनन्य रूप से कानून बनाने का ऄनधकार है। समवती सूची के ऄंतगयत 47
नवषयों पर कानून बनाने का ऄनधकार कें द्र और राज्य सरकार दोनों के पास हैं और क्रकसी नववाद
के मामले में कें द्र सरकार िारा बनाया गया कानून ऄनभभावी होगा।
संघ सूची की 97वीं प्रनवनष्ट में यह ईल्लेख है क्रक ऐसा कोइ भी नवषय जो क्रकसी सूची में सूनचबद्
नहीं है, ईसपर कानून बनाने का स्वतः ऄनधकार संसद को प्राप्त होगा। आस प्रकार, हमारे संनवधान
ननमायताओं ने एक मजबूत संघ और कमजोर राज्य सरकार की संकल्पना की है नजसे अर्मथक मदद
हेतु कें द्र सरकार पर ननभयर रहना पडता हैं।
संयुक्त राज्य ऄमेटरका के संनवधान में आस तरह की कोइ व्यापक व्यवस्था नहीं हैं। कु छ स्पष्ट रूप से
ईनल्लनखत नवषय संघ के पास और ऄन्य नवषय राज्य सरकारों के पास होते हैं।
भारत में युद् और सशस्त्र नवद्रोह के दौरान अपातकाल घोनषत क्रकया जा सकता हैं। ऐसी अपात
नस्थनत के दौरान जीवन के ऄनधकार को छोडकर ऄन्य सभी मौनलक ऄनधकारों को ननलंनबत क्रकया
जा सकता है।
संयुक्त राज्य ऄमेटरका के संनवधान में अपातकाल जैसे क्रकसी वाक्यांश का प्रयोग नहीं
क्रकया गया है, लेक्रकन नवद्रोह और सावयजाननक सुरक्षा के लंघन के मामले में बंदी प्रत्यक्षीकरण टरि
को ननलंनबत क्रकया जा सकता है।
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3.11. न्यायपानलका
ऄमेटरका में ईच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की ननयुनक्त हेतु क्रकसी योग्यता का ईल्लेख नहीं हैं।
ईच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की ननयुनक्त में राष्ट्रपनत का ननणयय ऄंनतम होता है। वह सीनेि को
न्यायाधीशों का नाम सुझाता है और सीनेि की सलाह और सहमनत पर न्यायाधीशों की ननयुनक्त
करता है। ईच्चतम न्यायालय के नलए प्रस्तानवत न्यायाधीशों के ऄहयताओं का मूल्यांकन करने में
सीनेि की न्यानयक सनमनत महत्वपूणय भूनमका ननभाती है। वह न्यायाधीशों की पृष्ठभूनम की जांच
करती है, न्यायाधीशों के साथ बैठक कर प्रश्नों के माध्यम से बातचीत का अयोजन कर ऄन्य बातों
की जांच करती है। पूरी प्रक्रक्रया सावयजननक और पारदशी तरीके से अयोनजत होती है। यक्रद संयक्त
ु
राज्य ऄमेटरका के क्रकसी नागटरक को न्यायाधीशों की सत्यननष्ठा के बारे में कु छ भी मालूम हो तो
वह आस संबंध में सूचना को पूरे प्रमाण के साथ अगे की जांच हेतु सीनेि की न्यानयक सनमनत के
पास भेज सकता है ताक्रक क्रकसी ऄयोग्य ईम्मीदवार को ईच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में
ननयुक्त न क्रकया जा सके । न्यायाधीशों की ननयुनक्त में ऄमेटरका के लोग भी भाग लेते हैं और आसमें
न्यायपानलका की कोइ भूनमका नहीं होती हैं। न्यायाधीशों की ननयुनक्त की पूरी प्रक्रक्रया पारदशी
और स्पष्ट तरीके से होती है।
न्यायाधीशों का कोइ नननित काययकाल नहीं होता है। क्रफर भी, यक्रद वे 70 वषय की अयु में
सेवाननवृत्त होते हैं, तो ईन्हें एक काययरत न्यायधीश के समान वेतन और भत्ता प्राप्त होगा।
दूसरी तरफ, भारत में न्यायाधीशों की ननयुनक्त की सम्पूणय प्रक्रक्रया न्यायपानलका और काययपानलका
के बीच ऄंधकार में होती है। जनता को आसकी जानकारी ननयुनक्त के बाद ही नमलती है, न तो
जनता को ऄनग्रम तौर पर सूनचत क्रकया जाता है और न ही काययपानलका न्यायाधीशों के बारे में
खुली जांच करती है। ईच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की ननयुनक्त की प्रक्रक्रया में भारत के मुख्य
न्यायाधीश और ईच्चतम न्यायालय के 4 वटरष्ठ न्यायाधीशों (कॉलेनजयम) की बहुत ही प्रभावी और
ननणाययक भूनमका होती है। न्यायाधीशों की ननयुनक्त की पूरी प्रक्रक्रया बंद कमरे में होती है नजसमें
अम जनता की कोइ भी भागीदारी नहीं होती है, नजसे कइ लोगों िारा भारतीय कानून प्रणाली
का गंभीर दोष माना जाता है। न्यायाधीश ऄपने पद पर 65 वषय की अयु तक बने रहते हैं।
o कन्वेंशन में, आसे 3/4 (तीन चौथाइ) राज्यों िारा ऄनुमोक्रदत क्रकया जाना अवश्यक है।
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संयुक्त राज्य ऄमेटरका के संनवधान की तुलना भारत के संनवधान में संशोधन प्रक्रक्रया असान और
लचीली है। भारत में, नसफय संसद ही संनवधान संशोधन का प्रस्ताव पाटरत कर सकती है और राज्य
आस सन्दभय में कोइ नवशेष भूनमका नहीं ननभाते।
कु छ ऄनुच्छेद साधारण बहुमत से संशोनधत हो सकते हैं, कु छ नवशेष बहुमत िारा, जबक्रक, कु छ
सीनमत ऄनुच्छेद नवशेष बहुमत और 50% से ऄनधक राज्यों िारा ऄनुसमथयन प्राप्त करने के बाद
ही संशोनधत हो सकते हैं।
यहााँ साधारण बहुमत का ऄथय, नजस क्रदन संशोधन क्रकये जाने हैं, ईस क्रदन संसद में ईपनस्थत
सांसदों के बहुमत से हैं, न क्रक संसद की कु ल सदस्य संख्या से।
वास्तनवकता यह है क्रक नपछले 225 वषों में संयुक्त राज्य ऄमेटरका का संनवधान नसफय 27 बार संशोनधत
हुअ है जो यह क्रदखाता है क्रक भारत की तुलना में संयुक्त राज्य ऄमेटरका के संनवधान के संशोधन की
प्रक्रक्रया क्रकतनी कठोर है।
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4. चीन का सं नवधान
चीन एक समाजवादी देश है, जहााँ समाजवादी नवचारधारा की सवोच्चता रही है। चीन का
संनवधान चीनी कम्युननस्ि पािी (Communist Party of China: CPC) के नेतृत्व को स्वीकार
करता है।
CPC नवश्व की सबसे बडी राजनीनतक पािी है, नजसमें स्थानीय स्तर पर सदस्यों की संख्या लाखों
में हैं। यह डेमोक्रेटिक सेंरनलज्म के नसद्ांत पर कायय करती है। पािी की पूणय बैठक, नजसे नेशनल
पािी कांग्रेस (NPC) कहा जाता है, पांच वषो में एक बार बुलायी जाती है। यद्यनप, सैद्ांनतक रूप
से, सभी शनक्तयां जनता में नननहत होती हैं, लेक्रकन व्यवहार में यह शीषय नेताओं के पास ही
रहती हैं।
नेशनल पािी कांग्रस
े के सदस्य के न्द्रीय सनमनत के सदस्यों का चयन करते हैं। के न्द्रीय सनमनत
पोनलत ब्यूरो का चयन करती है (नजसमें लगभग 200 सदस्य होते हैं)। पोनलत ब्यूरो, पोनलत ब्यूरो
की स्थायी सनमनत का चयन करता है (वतयमान में आसके सदस्यों की संख्या 24 है जो पािी के सबसे
शनक्तशाली सदस्य होते हैं)।
4.1.1. प्रस्तावना
यहााँ राजनैनतक प्रणाली के वैचाटरक लक्ष्यों के संबंध में माक्सयवाद, लेनननवाद और माओ की
नशक्षाओं को सवोपटर स्थान क्रदया गया है। संवैधाननक ढांचे के ऄंतगयत पारम्पटरक रूप से
डेमोक्रेटिक सेंरनलज्म के नसद्ांत को भी नवशेष स्थान क्रदया गया है। चीन की पुरानी पटरभाषा
आसकी मुनक्त को चीनी लोगों के दानयत्व के रूप में घोनषत क्रकया गया है। नवदेशी संबंधों के क्षेत्र में
पांच नबन्दुओं को ऄन्तर्मननहत नसद्ांत के रूप में ऄपनाया है। आसमें शानमल है:
o सभी राष्ट्रों की क्षेत्रीय ऄखंडता का सम्मान और संरक्षण करना;
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जनवादी चीनी गणराज्य एक एकात्मक बहुराष्ट्रीय राज्य (मल्िीनेशनल स्िेि) है नजसका ननमायण
आसकी राष्ट्रीयता धारण करने वाले सभी लोगों िारा संयुक्त रूप से क्रकया गया है।
चीन में, एक मजबूत के न्द्रीय सरकार मौजूद है जबक्रक क्षेत्रीय सरकारें , पृथक सत्ता के रूप में हैं,
नजसे संनवधान के तहत ननर्ममत नहीं क्रकया गया है। आसनलए नीनत-ननमायण में लोगों की भागीदारी
को प्रोत्सानहत करने और सावयजाननक मामलों में ईनके नहतों की रक्षा करने के नलए, सरकारी
मामलों में नवकें द्रीकरण शुरू क्रकया गया है। के न्द्रीय सरकार ने ज्यादा ऄनधकार और शनक्तयााँ
क्षेत्रीय और स्थानीय प्रशासननक आकाइयों को प्रत्यायोनजत की हैं।
भूतपूवय सोनवयत संघ की राजनैनतक प्रणाली की तरह, जनवादी चीनी गणराज्य में भी
“लोकतांनत्रक कें द्रीय ऄनधकारवाद का नसद्ांत” पूरी तरह से लागू है। लोकतांनत्रक मापदंडों को
ध्यान में रखते हुए, चुनावी प्रक्रक्रया का नसद्ांत के वल सरकारी संस्थानों के भीतर ही नहीं बनल्क
पािी संगठन के स्तर पर भी शुरू क्रकया गया है। देश के सभी नागटरकों को वयस्क मतानधकार के
अधार पर मतदान करने का ऄनधकार प्राप्त है।
कम्युननस्ि पािी देश के संवैधाननक ढांचे के भीतर लगभग एकसत्तावादी शनक्तयों का ईपयोग
करती है और आसे सभी व्यावहाटरक प्रयोजनों के नलए राजनैनतक प्रानधकार के एकमात्र स्रोत के
रूप में माना गया है।
पािी संगठन सरकारी संस्थाओं के समानांतर चलता है। सरकार में सभी ईच्च पदों पर पािी के श्रेष्ठ
लोगों की पकड है।
व्यवहार में, क्रकसी ऄन्य राजनीनतक दल को कायय करने की वास्तनवक अजादी नहीं है।
o कु छ नवशेष युवा संगठनों को, जो पािी और पािी के साथ सम्बद् कायय समूह के प्रनत वफादार
होते हैं, ननणयय-प्रक्रक्रया में भाग लेने का ऄनधकार है।
4.1.7. नवधानमं ड ल
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आसके सदस्यों का चुनाव, ऄपने-ऄपने कोिे के ऄनुसार, क्षेत्रीय कांग्रेस िारा, स्वायत्त क्षेत्रों िारा,
के न्द्रीय सरकार के ऄधीन काययरत नगरपानलकाओं िारा और पीपुल्स नलबरे शन अमी िारा क्रकया
जाता है।
चुनाव का प्रकार गुप्त मतदान पर अधाटरत है, जबक्रक संनवधान स्वतंत्र और ननष्पक्ष चुनाव की
गारं िी देता है ।
NPC का वास्तनवक कायय आसके एक छोिे से ननकाय के िारा क्रकया जाता है, जो NPC की स्थायी
सनमनत कहलाती है। यह लगभग 150 सदस्यों से नमलकर बनी है।
ऄवनध
कांग्रेस का चुनाव 5 वषों के नलए होता है लेक्रकन यह ऄपने काययकाल समाप्त होने से पहले भी
नवघटित हो सकती है या आसके काययकाल को बढ़ाया भी जा सकता है। कांग्रेस की स्थायी सनमनत,
काययकाल समाप्त होने से पूवय नया चुनाव अयोनजत करने की पूरी तैयारी करने के नलए ईत्तरदायी
है।
सत्र
कांग्रेस का सत्र वषय में एक बार बीबजग में अयोनजत होता है। कांग्रेस की स्थायी सनमनत अमतौर
पर सत्र को अहूत करती है। आसके ऄलावा, कांग्रेस के 1/5 सदस्यों के ऄनुरोध पर आसका ऄध्यक्ष
भी सत्र बुला सकता है ।
शनक्तयां
NPC कानून बनाने वाला सवोच्च ननकाय है, जो कानून बनाने, मौजूदा कानूनों के पटरवतयन या
ननरसन के नलए पूणय रूप से ऄनधकृ त है। यह राज्य के नलए प्रशासकीय नीनतयों को भी मंजरू ी
प्रदान करता है।
o कानून का ऄनधननयमन
ऄपने सत्र के दौरान कांग्रस
े नए कानूनों को बनाती है और पटरनस्थनत के ऄनुसार मौजूदा
नीनतयों में अवश्यक पटरवतयन भी करती है। संनवधान का संशोधन कांग्रेस के 2/3
सदस्यों के बहुमत से ही हो सकता है जबक्रक, ऄन्य कानून साधारण बहुमत से ही
ऄनधननयनमत हो जाते हैं। यह ध्यान देने योग्य है क्रक कांग्रेस के कायों को ईच्चतम
न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
o काययकारी शनक्तयां
NPC को संनवधान के तहत संवध
ै ाननक कानून और नवनधयों के कायायन्वयन की ननगरानी
का भी ऄनधकार प्राप्त है। यह ऄपनी पसंद के ऄनुसार सवोच्च सावयजननक ऄनधकाटरयों की
ननयुनक्त के माध्यम से प्रशासकीय नीनतयों को ननयंनत्रत और प्रभानवत कर सकती है।
ऄपने नवभागीय कायों के ननष्पादन के संदभय में सभी प्रशासननक नवभाग ऄपने मंनत्रयों के
साथ कांग्रेस के प्रनत जवाबदेह होते हैं। कांग्रेस ऄपनी शनक्तयों का प्रयोग राष्ट्रीय अर्मथक
नीनत और वार्मषक बजि के ऄनुमोदन में भी करती है। संनवधान के तहत कांग्रेस ऄपने
कायय के दायरे में अने वाली ऐसी सभी शनक्तयों का प्रयोग करने के नलए ऄनधकृ त है नजसे
वह पूरी तरह से ईनचत और अवश्यक समझती हो।
o ननवायचक शनक्तयां
NPC सरकारी प्रानधकरण के ईच्च पदों पर असीन होने वाले व्यनक्तयों के चुनाव करने
की शनक्त के अधार पर सरकारी ढांचे के भीतर एक ननणाययक स्थान रखती है। संनवधान
के तहत, यह गणराज्य के राष्ट्रपनत और ईपराष्ट्रपनत का भी चुनाव करती है तथा राष्ट्रपनत
की नसफाटरश पर राज्य पटरषद के प्रमुख/प्रधानमंत्री (Premier of the State
Council) की ननयुनक्त करती है। यह प्रधानमंत्री के सलाह पर ऄन्य मंनत्रयों की ननयुनक्त
करती है। कांग्रस
े को मंनत्रयों को हिाने की भी शनक्त है। साथ ही, आसे सुप्रीम कोिय के
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ऄनधकृ त क्रकया गया है, परं तु व्यवहार में यह एक सक्रक्रय ननकाय नहीं है। कानून बनाने वाले स्वतंत्र
ननकाय के रूप में आसकी नस्थनत के वल सैद्ांनतक स्तर तक ही सीनमत है। आसके प्रमुख कारण
ननम्ननलनखत हैं:
o आसका सत्र कभी कभार ही ननयनमत तौर पर अयोनजत होता है।
आसकी बैठक वषय में के वल एक बार ही होती है और वो भी के वल कु छ क्रदनों के नलए।
o कांग्रेस की शनक्तयों का वास्तनवक प्रयोग आसकी स्थायी सनमनत िारा ही क्रकया जाता है।
स्थायी सनमनत (Standing Committee)
कांग्रेस की स्थायी सनमनत एक प्रभावी और सक्रक्रय ननकाय है तथा यह व्यवहार में कांग्रेस की
ऄनधकानधक शनक्तयों का प्रयोग करती है। परन्तु, नसद्ांत तौर पर देखें तो यह कांग्रेस का एक
ऄधीनस्थ ननकाय है। यह ऄपने मुख्य ननकाय के प्रनत ईत्तरदायी भी है और यह ऄपने काययकलापों
के बारे में कांग्रस
े को ननयनमत रूप से सूनचत करने के नलए बाध्य है। सनमनत के सभी सदस्य कांग्रेस
िारा ननवायनचत होते हैं और आसी के नववेकानधकार पर हिाये भी जाते हैं।
शनक्तयां
यह सनमनत, कांग्रस
े के सत्र का अनवान करती है और साथ ही नए चुनाव कराने का अदेश भी
जारी करती है।
यह संनवधान के ननयमों के साथ-साथ नवनभन्न नवधानों की व्याख्या का कायय करती है। आस तरह के
न्यानयक प्रकार के कायों का ननष्पादन आसके महत्व और शनक्त के दायरे को बढ़ाता है।
यह स्िेि काईं नसल, ईच्चतम न्यायालय और प्रोक्यूरेिर की कायय-प्रणाली का ननरीक्षण करती है। ये
कायय संनवधान के िारा स्थायी सनमनत को क्रदये गए हैं।
सनमनत को सरकारी नवभागों, स्वायत्त क्षेत्रों, प्रान्तों और यहााँ तक क्रक कें द्र सरकार के ऄधीन काम
करने वाली नगर पानलकाओं के िारा नलए गये ऄनुनचत ननणययों को बदलने या ननरस्त करने
का ऄनधकार है।
कांग्रेस के सत्र में न रहने के दौरान यह वास्तव में मूल शनक्तयों का स्रोत है। आस ऄवनध के दौरान,
प्रीनमयर (प्रधानमंत्री) की सलाह पर यह नए मंनत्रयों की ननयुनक्त और पुराने मंनत्रयों को हिाने
संबंधी अदेश जारी करती है। यह ईपराष्ट्रपनत और ईप मुख्य प्रोक्यूरेिर (Deputy Chief
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ऄन्य सनमनतयां
जनवादी कांग्रस
े ऄपने काययकाल में कइ सनमनतयों का गठन करती है, जैस-े नवत्तीय और अर्मथक
मामलों की राष्ट्रीय सनमनत; नशक्षा, नवज्ञान, संस्कृ नत और स्वास्थ्य के मुद्दों पर सनमनत; नवदेशी
मामलों पर सनमनत; ऄप्रवासी चीनी लोगों से सम्बंनधत मामलों की सनमनत आत्याक्रद। ये सभी
सनमनतयां जब कांग्रेस सत्र में नहीं रहती है तो आस ऄवनध के दौरान NPC की स्थायी सनमनत के
पययवेक्षण में काम करती हैं।
स्थायी सनमनत की शनक्तयों और कायो को देखते हुए यह स्पष्ट है क्रक यह एक शनक्तशाली और
प्रभावी ऄंग है। जैसाक्रक कांग्रस
े का वार्मषक सत्र नसफय कु छ ही क्रदनों में समाप्त हो जाता है, तो शेष
ऄवनध के नलए जब कांग्रेस सत्र में नहीं रहती है तो आसकी शनक्तयों का मुख्य रूप से स्थायी सनमनत
िारा प्रयोग क्रकया जाता है। सनमनत के सदस्य, चीनी कम्युननस्ि पािी के सदस्य होने के नाते
स्िेि काईं नसल ही चीन की काययपानलका या मंनत्रमंडल है। आसका गठन एक प्रीनमयर, चार ईप
प्रीनमयर और राज्य काईन्सलरों से नमलकर हुअ है। संनवधान के ऄंतगयत, स्िेि काईं नसल सरकार
का मुख्य काययकारी ऄंग है। आसके सभी सदस्यों का चुनाव कांग्रस
े के िारा क्रकया जाता है और ये
ईसी के प्रनत जवाबदेह होते हैं। स्िेि काईं नसल का मुख्य कायय, कानून का प्रवतयन करना तथा
प्रशासननक नीनतयों का ननमायण और क्रक्रयान्वयन करना है। स्िेि काईं नसल के सदस्य नवधेयक को
प्रस्ताव के रूप में कांग्रेस के पिल पर रखते हैं नजसे बाद में संसदीय प्रक्रक्रया
के िारा कानून के रूप में पटरवर्मतत क्रकया जाता है।
प्रधानमंत्री प्रशासन के प्रमुख के रूप में ऄत्यनधक महत्वपूणय भूनमका ननभाता है। यह प्रशासननक
तंत्र के ऄन्दर एक ननणाययक नस्थनत रखता है।
4.1.8.3. राष्ट्रपनत
4.1.9. न्यायपानलका
चीन के पास एक प्रनतबद् न्यायपानलका है यानन समाजवाद के लक्ष्य के प्रनत प्रनतबद्। आसका
सबसे उपरी ननकाय सवोच्च जनवादी न्यायालय (Supreme People’s Court) है। चीन के पास
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चीनी कानून कभी भी व्यवनस्थत रूप से संनहताबद् नहीं क्रकये गए हैं। ऄनधकांश नववादों और
झगडों को ऄद्य-न्यानयक संस्थाओं में सुलझा नलया जाता है। चीनी न्यानयक प्रणाली कानून के
बजाय कन्वेंशन (परम्पराओं) िारा ऄनधक संचानलत है।
पािी और सरकार, कें द्रीय सैन्य अयोग के माध्यम से सेना पर ननयंत्रण बनाए रखती है।
सेना को कम्युननस्ि पािी के रक्षक के रूप में भी वर्मणत क्रकया गया है।
ऄनधकार
चीनी संनवधान ऄपने नागटरकों को मौनलक ऄनधकार प्रदान करता है और कु छ कतयव्यों का भी
लडने का भी ऄनधकार है। सभी तरह के पत्राचार की गोपनीयता, वाक् एवं ऄनभव्यनक्त की
स्वतंत्रता, संघ में शानमल होने या संघ बनाने की स्वतंत्रता तथा सावयजननक बैठक करना यहााँ तक
की धरना प्रदशयन करना ऄथवा ऄपने ऄनधकार की मांग के नलए हडताल करने के ऄनधकार को
संनवधान के तहत संरनक्षत क्रकया गया है।
संनवधान के ऄनुसार, सरकार पूरी तरह से एक व्यनक्त की ऄखंडता के ऄनतटरक्त ईसके पाटरवाटरक
जीवन के संरक्षण के नलए बाध्य है। सभी नागटरकों को गैर-कानूनी नगरफ्तारी के नखलाफ
व्यनक्तगत सुरक्षा का ऄनधकार प्राप्त है। सभी नागटरकों को नशक्षा का ऄनधकार और सांस्कृ नतक
अज़ादी का समान ऄनधकार संनवधान में क्रदया गया है। जीवन के सभी क्षेत्रों में पुरुषों और
मनहलाओं को समानता का दजाय प्रदान क्रकया गया है।
कतयव्य
चीनी संनवधान ऄपने नागटरकों के नलए स्पष्ट रूप से कु छ कतयव्यों का ननधायरण करता है जो
न्यायोनचत हैं। नागटरकों का यह पहला और सबसे महत्वपूणय कतयव्य है क्रक वे प्रत्येक प्रकार से
साम्यवादी नेतृत्व को सहयोग प्रदान करें तथा संनवधान और ऄन्य राज्य कानूनों का पालन करें ।
साथ ही वे सावयजननक सम्पनत की रक्षा करें और कानून व्यवस्था को बनाये रखने में ऄपना सहयोग
दें। नागटरकों का एक ऄन्य कतयव्य यह भी है क्रक वे नवदेशी अक्रमणों के नखलाफ देश की रक्षा करें ।
चीनी कम्युननस्ि पािी 1921 में ऄनस्तत्व में अयी। लेननन ने ऄपने एक प्रनतनननध को नवस्थानपत
पािी को व्यवनस्थत करने में सहायता करने के नलए चीन भेजा। चेंग तू-नहसू (Cheng Tu-hisu)
को चीनी कम्युननस्ि पािी का प्रथम महासनचव ननयुक्त क्रकया गया था। ऄत्यंत कम ऄवनध के भीतर
ही ऄनेक कस्बों और शहरों में पािी की कइ शाखाओं की स्थापना की गयी।
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गहरा संबंध नवकनसत क्रकया। चीनी लोगों के साम्यवादी संघषय में माओ ने भी ननणाययक भूनमका
ननभाइ थी।
4.1.12.2 पािी सं ग ठन
पािी लोकतांनत्रक के न्द्रवाद के नसद्ांत पर चलती है। तदनुसार पािी के सभी पदानधकारी चुने
जाते हैं। पािी की प्राथनमक आकाइ नजला कांग्रेस को चुनती है जबक्रक नजला कांग्रस
े उपरी स्तर के
कांग्रेस के प्रनतनननध को चुनती है।
पािी के सदस्यों को पािी नेतृत्व की अलोचना करने का भी ऄनधकार प्राप्त है और ये पािी की
नीनतयां तैयार करने के प्रस्ताव को अरं भ कर सकते हैं। आसी तरह, पािी की प्राथनमक शाखा
ऄपनी नशकायत ईच्च नेतृत्व के नवचार के नलए दजय कर सकती है।
दूसरी तरफ, पािी ऄनुशासन को सख्त बनाये रखा जाता है और ननणयय लेने की प्रक्रक्रया में
के न्द्रीयता के नसद्ांत का पालन क्रकया जाता है। पािी में ननचले स्तर के सदस्य, पािी के ईच्च नेतृत्व
आसे ननणयय लेने की प्रक्रक्रया में सबसे शनक्तशाली ननकाय के रूप में माना जाता है क्योंक्रक यह न
नसफय सभी महत्वपूणय ननणयय लेता है बनल्क पािी की कें द्रीय सनमनत के सत्र को भी बुलाता है। आसके
पास 7 सदस्यों की एक स्थायी सनमनत होती है। जब कें द्रीय सनमनत सत्र में नहीं रहती है तो पोनलत
ब्यूरो की स्थायी सनमनत, सरकार के भीतर ऄपने समकक्ष की भांनत, कें द्रीय सनमनत की सभी
शनक्तयों का प्रयोग करती है ।
अयोनजत होता है। कें द्रीय काययकारी सनमनत, जो सीनमत सदस्यों से नमलकर बनी होती है, कांग्रस
े
के सत्र में नहीं रहने पर ईसकी शनक्तयों का प्रयोग करती है। व्यवहार में, कें द्रीय काययकारी सनमनत
की शनक्तयों का प्रयोग आसके पोनलत ब्यूरो िारा क्रकया जाता है, क्योंक्रक कें द्रीय काययकारी सनमनत
की बैठक कभी कभार ही होती है। कें द्रीय सनमनत पोनलत ब्यूरो के सदस्यों के साथ-साथ आसके
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गयी है, बनल्क छोिी पार्टियों, जैस-े कु नमन्तांग रे वोल्यूशनरी कनमिी, डेमोक्रेटिक लीग, नेशनल
कं स्रक्शन एसोनसएशन और नवनभन्न युवा संगठनों, को कायय करने की ऄनुमनत दी गयी है। आसनलए
चीन एक बहु-राष्ट्रीय और बहु-दलीय देश है। चीन में, लोकतांनत्रक दलों से अशय चीनी साम्यवादी
दल के ऄनतटरक्त 8 ऄन्य दलों से है। नइ व्यवस्था की स्थापना के बाद से आन दलों ने नवनभन्न स्तरों
पर चीनी कम्युननस्ि पािी के साथ सहयोग नवकनसत क्रकया है।
लेक्रकन, चीन में कम्युननस्ि पािी को राजनैनतक एकानधकार प्राप्त हैं, जबक्रक ऄन्य पार्टियां के वल
कानूनी तौर पर ऄनस्तत्व में है। पािी संगठन सरकार के समानांतर चलता है। एक व्यनक्त के
सरकारी ऄनधकारी के रूप में महत्वपूणय पद पर रहते हुए ईसे पािी के भीतर भी नजम्मेदारी दी
जाती है। पािी का कें द्रीय नेतृत्व मुख्य रूप से सरकारी नीनतयों की रुपरे खा तैयार करने के नलए
नजम्मेदार है। क्रकसी भी सरकारी नवभाग का महत्व नसफय कानूनी नस्थनत के अधार पर नहीं अंका
जा सकता है क्योंक्रक पािी के ऄन्दर आसकी भूनमका भी महत्व रखती है।
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5.2. राष्ट्रपनत
फ्ांस का राष्ट्रपनत फ्ें च प्रणाली के भीतर और दुननया भर के ऄन्य सभी लोकतांनत्रक देशों की
काययकाटरणी की तुलना में सबसे शनक्तशाली है।
आसमें ऄमेटरका के राष्ट्रपनत पद का नवशेषानधकार, ऄथायत् काययकाल की सुरक्षा और सरकार के
प्रमुख के साथ राज्य प्रमुख होना तथा निटिश प्रधानमंत्री के कायायलय के नवशेषानधकार, ऄथायत्
नवधान सभा को भंग करने की शनक्त (जो ऄमेटरकी राष्ट्रपनत को प्राप्त नहीं है) सनम्मनलत हैं।
फ्ांस में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपनत दोनों के पद का प्रावधान हैं।
o फ्ांसीसी प्रधानमंत्री, भारत और नििेन के नवपरीत, राष्ट्रपनत का सहायक होता है।
o दोनों पदों में शनक्त के नवभाजन के बजाय, कायों का नवभाजन हैं।
फ्ांस का राष्ट्रपनत नवदेश नीनत और राष्ट्रीय मुद्दों को देखता है।
दूसरी ओर, प्रधानमंत्री, सरकार के प्रनतक्रदन के ननयनमत कायों और स्थानीय घरे लू मुद्दों
को देखता है।
प्रधानमंत्री, राष्ट्रपनत िारा ननयुक्त क्रकया जाता है-
o राष्ट्रपनत को प्रधानमंत्री के चुनाव में पूरी तरह से खुली छु ि प्राप्त नहीं है;
o प्रधानमंत्री के रूप में ननयुक्त व्यनक्त को सदन का नवश्वास प्राप्त होना चानहए।
'सहजीवन' (Cohabitation) की ऄवधारणा’
o एक ऐसी नस्थनत जहां राष्ट्रपनत और प्रधानमंत्री ऄलग ऄलग राजनीनतक दलों के होते हैं।
प्रधानमंत्री ऄपने कै नबनेि सहयोनगयों को चुन सकता है।
सरकार का कोइ भी सदस्य नवधानयका का नहस्सा नहीं हो सकता है।
कै नबनेि का संचालन राष्ट्रपनत िारा क्रकया जाता है।
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ननचला सदन प्रधानमंत्री और ईसके मंत्री पटरषद के नखलाफ 'बनदा प्रस्ताव' पाटरत कर सकता है,
राष्ट्रपनत एक नननित ऄवनध के नलए चुना जाता है। प्रारं भ में पदावनध 9 वषय थी, क्रफर घिाकर 7
राष्ट्रपनत चुनाव में नितीय मतदान (Second Ballot) प्रणाली का ऄनुसरण क्रकया जाता है।
(ऄथायत् मतदान में शानमल कु ल मतों के पूणय बहुमत की अवश्यकता होती है।)
o गणराज्य के राष्ट्रपनत को मतों के पूणय बहुमत से ननवायनचत क्रकया जाता है: यक्रद चुनाव के पहले
दौर में, क्रकसी भी व्यनक्त को पूणय बहुमत प्राप्त नहीं होता है तब के वल शीषय दो ईम्मीदवारों
को छोडकर बाकी सब हिा क्रदए जाते हैं। आसके ईपरांत चुनाव का दूसरा दौर संपन्न होता है,
नजसमें एक व्यनक्त पूणय बहुमत प्राप्त करने में सक्षम होता है।
राष्ट्रपनत को ऄमेटरकी राष्ट्रपनत के समान अधार पर ही महानभयोग लगाकर हिाया जा सकता है।
संनवधान के ऄनुच्छेद 67 में कहा गया है क्रक दोनों सदनों को समरूप प्रस्ताव पाटरत करना
चानहए।
आसके बाद, राष्ट्रपनत के मामले को एक नवशेष ननकाय के िारा हल क्रकया जाता है नजसे ’हाइ कोिय
संनवधान का ऄनुच्छेद 16, राष्ट्रपनत को वास्तनवक अपात शनक्तयां प्रदान करता है। आस नस्थनत में
ईसे ऄसीनमत शनक्तयां प्राप्त होती हैं और यह लोकतांनत्रक तानाशाही या लोकतांनत्रक तख्तापलि
ऄमेटरकी राष्ट्रपनत नवधानसभा को भंग नहीं कर सकता, जबक्रक फ्ांस का राष्ट्रपनत ऐसा कर सकता
है। आस पर सीमा के वल यह है क्रक वह ऐसा वषय में दो बार से ऄनधक नहीं कर सकता है।
बहुमत प्राप्त है। दूसरी तरफ, फ्ांस का राष्ट्रपनत, एक नननित ऄवनध के नलए चुना जाता है।
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5.3. नवधानमं ड ल
फ्ें च प्रणाली में नवधानमंडल स्पष्ट रूप से काययकारी के ऄधीनस्थ है। संनवधान का ऄनुच्छेद 37,
फ्ांसीसी संसद की नवधायी शनक्तयों का स्पष्ट सीमांकन करता है। आसमें यह कहा गया है क्रक संसद
के वल संनवधान में ईनल्लनखत मामलों पर कानून बना सकती है। ऄन्य सभी मामलों में सरकार
साधारण अदेश या नडक्री िारा कानून बना सकती है।
राष्ट्रपनत, प्रधानमंत्री के माध्यम से सीधे नवधानसभा के नवधायी कायों को प्रभानवत कर सकता है।
यक्रद नवधानसभा क्रकसी नवशेष नवधेयक से सहमत नहीं है तो यह राष्ट्रपनत िारा जनमत संग्रह के
नलए क्रदया जा सकता है।
फ्ांसीसी संसद, दो सदनों से नमलकर बनी है: नेशनल ऄसेंबली और सीनेि।
5.3.1. ने श नल ऄसें ब ली
जैसा क्रक ऄन्य निसदनीय संसदों के मामले में है, फ्ें च निसदनीय प्रणाली भी एक ऄसमान प्रणाली
है, परं तु यहां नेशनल ऄसेंबली को सीनेि की तुलना में ऄनधक व्यापक ऄनधकार प्राप्त हैं:
o यह ऄके ले सरकार को 'नवश्वास' देने से मना करके या ‘बनदा प्रस्ताव’ पाटरत करके जवाबदेह
बना सकती है (समान नवचार के ऄनुसरण में, गणराज्य के राष्ट्रपनत िारा के वल नेशनल
ऄसेंबली को ही भंग क्रकया जा सकता है)।
o नवधायी प्रक्रक्रया में सीनेि के साथ ऄसहमनत के मामले में, सरकार नेशनल ऄसेंबली को
“ऄंनतम ननणयय” (final say) का ऄनधकार प्रदान कर सकती है (संवैधाननक कानूनों और
सीनेि से सम्बद् संस्थागत कानूनों को छोडकर);
o संनवधान नेशनल ऄसेंबली को नवत्त नवधेयक और सामानजक सुरक्षा नवत्तपोषण नवधेयक की
जांच के मामले में और ऄनधक महत्वपूणय भूनमका प्रदान करता है। आस तरह के नवधेयक
के प्रथम वाचन के नलए पूवय आन्हें नेशनल ऄसेंबली के सामने प्रस्तुत क्रकया जाना चानहए।
आनकी जांच के नलए नेशनल ऄसेंबली के नलए ननधायटरत समय सीमा भी काफी ऄनधक होती
है।
5.3.2. सीने ि
नेशनल ऄसेंबली के नवपरीत, सीनेि को भंग नहीं क्रकया जा सकता है। सीनेि का एक स्थायी
ननकाय होना सरकार की नस्थरता के नलए तब महत्वपूणय भूनमका ननभाता है जब फ्ांस गणराज्य के
राष्ट्रपनत का पद खाली हो जाता है। ईपरोक्त कारण से, राष्ट्रपनत िारा ऄपने पद से आस्तीफा देने या
बीमारी के कारण ऄपने कतयव्यों का ननवयहन करने में नवफल होने की नस्थनत में सीनेि के ऄध्यक्ष
को फ्ांस गणराज्य के राष्ट्रपनत के रूप में ननयुक्त क्रकया जाता है। आस प्रकार, राष्ट्रपनत का पद टरक्त
होने पर, सत्ता ननवायत (power vacuum) की नस्थनत को रोका जाता है।
यह ऄंतटरम व्यवस्था राष्ट्रपनत पद का चुनाव संपन्न कराने की समयावनध तक सीनमत है (व्यवहार
में, यह लगभग 50 क्रदनों तक रहती है)।
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हाइ काईं नसल ऑफ़ जनस्िस (ईच्च न्यानयक पटरषद): यह पटरषद् न्यायाधीशों की ननयुनक्त करती है।
आसका नेतृत्व राष्ट्रपनत और न्यायपानलका के सदस्य करते हैं। राष्ट्रपनत को 'न्यायपानलका के
संरक्षक' के रूप में भी जाना जाता है।
आकॉननमक एंड सोशल काईं नसल (अर्मथक और सामानजक पटरषद): सामानजक और अर्मथक मुद्दों
पर संवैधाननक सलाहकार ननकाय।
कठोर प्रक्रक्रया;
संसद के दोनों सदनों िारा 3/5 बहुमत से प्रस्ताव पाटरत करना होता है;
राष्ट्रपनत, जनमत संग्रह के िारा संशोधन प्रस्तुत करने का नवकल्प चुन सकता है।
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6. जमय नी का सं नवधान
जमयनी एक संघीय राष्ट्र है और ऄवनशष्ट शनक्तयां राज्यों के पास होती हैं।
राज्यों को ‘Landers’ के रूप में संदर्मभत क्रकया जाता है।
यहााँ एक संसदीय प्रकार की सरकार होती है जो निटिश संसदीय प्रणाली पर अधाटरत है लेक्रकन
यह ईसकी पूणय नकल नहीं है।
जमयनी को ‘Chancellor’s Democracy’ (चांसलरवादी लोकतंत्र) की संज्ञा दी जाती है।
चांसलर प्रधानमंत्री होता है।
राष्ट्रपनत, संवैधाननक प्रमुख होता है।
यह तभी ऄनस्तत्व में अता है जब नवनभन्न नवभागों के बीच अपसी नववाद ईत्पन्न हो। ऐसी नस्थनत
में सामूनहक रूप से ननणयय नलए जाते हैं।
चांसलर के नखलाफ ऄनवश्वास प्रस्ताव लाने की ऄनुमनत तभी दी जाती है जब ऄनवश्वास प्रस्ताव
लाने वाला यह सानबत कर सके क्रक वह आस नस्थनत में है क्रक वैकनल्पक सरकार बना सके ।
हंग ऄसेंबली (नत्रशंकु नवधानसभा या गठबंधन सरकार) की समस्याओं से ननपिने के नलए ऐसी
व्यवस्था की गयी है।
6.1.4. सं स द
जमयनी की राजनैनतक व्यवस्था में ननचले सदन को बुंदस्े ताग (Baundestag) कहा जाता है। आसके
सदस्यों का चुनाव 4 वषय के काययकाल के नलए होता है। आसके ननवायचन की नवनध, नमनश्रत सदस्य
अनुपानतक प्रनतनननधत्व (Mixed Member Proportional Representation: MMPR)
कहलाती है, जो फस्िय-पास्ि-द-पोस्ि (FPTP) से ऄनधक जटिल प्रणाली है लेक्रकन यह ऄनधक
अनुपानतक पटरणाम देती है। (आस प्रणाली का एक संस्करण जो ऄनतटरक्त सदस्य प्रणाली के रूप में
जाना जाता है, का ईपयोग स्कॉटिश संसद और वेल्श नवधानसभा में क्रकया जाता है।)
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ननवायचन का तरीका
बुंदस्े ताग के अधे सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष तौर पर 299 ननवायचन क्षेत्रों से FPTP प्रणाली के
शेष अधे - ऄन्य 299 - सदस्यों का चुनाव पार्टियों की सूची से प्रत्येक लैंड (Land) के अधार पर
मतदाता ऄपने पहले मत का प्रयोग संसद के नलए ऄपने स्थानीय प्रनतनननध को ननवायनचत करने के
नलए करते हैं। यह तय करता है क्रक एक ननवायचन क्षेत्र से कौन-सा ईम्मीदवार संसद में जाएगा।
मतदाता ऄपने दूसरे मत का प्रयोग पािी नलस्ि (सूची) के नलए करते हैं और यही दूसरा वोि
बुंदस्े ताग में प्रनतनननधत्व करने वाली पार्टियों की अनुपानतक शनक्त को तय करता है।
संसद की 598 सीिों का नवतरण ईन्हीं पार्टियों के बीच में क्रकया जाता है नजन्होंने नितीय मतदान
प्रत्येक पािी को बुंदस्े ताग में सीिों का अबंिन ईनके िारा प्राप्त क्रकये गए मतों की संख्या के ऄनुपात में
यह प्रणाली छोिी, ईग्रपंथी पार्टियों को बुंदस्े ताग के सदस्य के रूप में ननवायनचत होने से रोकने के
नलए तैयार की गइ है। पटरणामस्वरुप, बुंदस्े ताग में हमेशा ऐसी पार्टियों का प्रनतनननधत्व कम
ईम्मीदवार वैसी सीिों पर चुनाव जीत जाते हैं नजन्हें ‘ओवरहैंग सीि’(overhang seat) के रूप में
जाना जाता है। यह नस्थनत तब ईत्पन्न होती है जब एक पािी एक क्षेत्र (Land) में
नितीय मतदान के पटरणाम के ऄनुसार नजतनी सीि की हकदार है ईससे ज्यादा प्रत्यक्ष जनादेश
प्रथम मत में हानसल करती है। वह आस जनादेश का ऄनधकार नहीं खोती है क्योंक्रक सभी प्रत्यक्ष
रुप से ननवायनचत ईम्मीदवारों के नलए बुंदस्े ताग में एक सीि की गारं िी है।
बुद
ं स्े ताग का तुलनात्मक नवश्लेषण
नवशेष ऄंतर यह पाया जाता है क्रक जमयनी में सदस्य ऄपने ननवायचन क्षेत्रों में कम समय दे पाते हैं।
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o बुंदस्े ताग के के वल 50% सदस्य ही एक नवनशष्ट भौगोनलक नजले का प्रत्यक्ष प्रनतनननधत्व करने
o आसका एक ऄन्य कारण, बुंदस्े ताग के सदस्यों के ननजी स्िाफ की संख्या में कमी का होना है
प्रतीत होती है, क्योंक्रक बुंदस्े ताग सभी जमयन लैंडर (या क्षेत्रीय राज्यों) का प्रनतनननधत्व करने वाला
o आसके सदस्य ननवायनचत नहीं होते हैं (न तो लोकनप्रय मत से और न ही राज्य सांसदों िारा)। वे
राज्य मंनत्रमंडल के सदस्य होते हैं, जो ईन्हें ननयुक्त करते हैं और क्रकसी भी समय हिा सकते हैं।
अमतौर पर, राज्यों के प्रनतनननधमंडल का नेतृत्व, लैंड (land) में सरकार के प्रमुख के िारा क्रकया
जाता है नजसे जमयनी में मंत्री-ऄध्यक्ष (Minister-President) के रूप में जाना जाता है।
o राज्यों का प्रनतनननधत्व एक समान संख्या में प्रनतनननधयों िारा नहीं होता है। क्योंक्रक
सम्बंनधत राज्यों की जनसंख्या ही प्रत्येक प्रमुख राज्यों में मतों के अबंिन (प्रनतनननधयों के बजाय)
में एक प्रमुख कारक होता है। मतों का अबंिन 2.01 + ऄनतटरक्त ननधायटरत 6 वोि के साथ देश की
theory) पर अधाटरत पेनरोज नवनध (Penrose method) कहा जाता है। आसका मतलब यह है
मंनत्रमंडल ईतने ही प्रनतनननधयों को ननयुनक्त करता है नजतना राज्यों का वोि होता है, लेक्रकन ऐसा
करना कोइ बाध्यकारी नहीं होता है; आस प्रकार यह राज्य प्रनतनननधमंडल को एक प्रनतनननध तक
सीनमत कर सकता है। औपचाटरक रूप से सदस्यों की संख्या या क्रकसी नवशेष लैंड से प्रनतनननधत्व
करने वाले प्रनतनननध कोइ मायने नहीं रखते हैं। ऄन्य नवधायी ननकायों के नवपरीत, यहााँ क्रकसी
राज्य से बुंदस
े रत के प्रनतनननधयों को राज्य को एक ब्लॉक मानकर (ऄथायत् ईक्त वोि सम्बंनधत
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प्रनतनननध का नहीं होता है) वोि करना होता है। आस प्रकार व्यवहाटरक तौर पर यह संभव है
(पूणत
य ः प्रथागत) क्रक के वल एक ही प्रनतनननध (Stimmfuhrer या “वोि के नेता” – अमतौर पर
मंत्री-ऄध्यक्ष) ऄपने सम्बंनधत राज्य के सभी मतों को डालता है, भले ही ऄन्य सदस्य सदन में
ईपनस्थत हों।
तुलना में एक बहुत ही छोिा ननकाय है। यह व्यवस्था (ऄसमान सीि) एक निसदनात्मक प्रणाली के
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7. जापान का सं नवधान
जापान में सरकार की संसदीय प्रणाली नवद्यमान है।
यहााँ संवैधाननक राजतंत्र है।
o हालांक्रक, राजा एक रबर स्िाम्प की तरह होता है जबक्रक प्रधानमंत्री मंनत्रमंडल का प्रमुख
होता है।
प्रधानमंत्री का चुनाव
o प्रधानमंत्री जापान की संसद (नजसे डायि कहा जाता है) के दोनों सदनों िारा चुने जाते हैं।
o डायि के दो सदन हैं:
हाईस ऑफ़ टरप्रजेंिेटिव (House of Representatives), तथा
o प्रधानमंत्री का पद प्राप्त करने के नलए एक व्यनक्त के नलए नसफय बहुमत वाले दल का नेता होना
ही पयायप्त नहीं है। ईसे संसद के दोनों सदनों िारा ननवायनचत होना चानहए।
यक्रद क्रकसी ईम्मीदवार पर संसद के दोनों सदनों में कोइ समझौता नहीं होता है तब आस
मामले को दोनों सदनों की संयक्त
ु सनमनत को सौंप क्रदया जाता है। सनमनत को फै सले पर
पहुाँचने के नलए 10 क्रदन का समय क्रदया जाता है।
10 क्रदन के ईपरांत भी यक्रद समझौता नहीं हो पाता है तो ईसके बाद ननचले सदन की
o जापान औपचाटरक रूप से ऄंतरायष्ट्रीय नववादों के ननपिारे के नलए युद् की नीनत का पटरत्याग
करता है, हालांक्रक, यह अत्म रक्षा के नलए सेना रख सकता है।
8. कनाडा का सं नवधान
कनाडा के संनवधान में नसद्ांत और मूल्यों के नवस्तृत समुच्चय को शानमल क्रकया गया है, जो कनाडा
की राजशाही (नजसे कनाडा ग्रेि नििेन और कु छ ऄन्य पूवयवती निटिश ईपननवेशों के साथ शेयर
करता है) में नननहत है। निटिश महारानी राज्य की औपचाटरक प्रमुख हैं।
o यह ऄनधननयम, कनाडा के गवनयर जनरल (संघीय स्तर पर) और लेनफ्िनेंि गवनयर (प्रांतीय
स्तर पर) के पद का प्रावधान करता है। आन्हें कनाडा में राजा के प्रनतनननध के रूप में स्वीकार
क्रकया गया है।
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यहााँ ईल्लेखनीय बात यह क्रक, यद्यनप नलनखत संनवधान स्पष्ट रूप से सम्राि और ईसके प्रनतनननधयों
को काययकारी प्रानधकार सौंपता है, क्रफर भी ऄनलनखत संवैधाननक परं पराओं के ऄनुसार वास्तनवक
तौर पर आस ऄनधकार का प्रयोग प्रधानमंत्री और ईसके मंनत्रमंडल िारा क्रकया जाता है।
यह ऄनधननयम एक संघीय संसद की स्थापना का प्रावधान करता है, नजसका गठन सम्राि और दो
नवधान मंडलों, हाईस ऑफ़ कॉमंस (ननचला सदन) तथा सीनेि (उपरी सदन) से नमलकर हुअ है।
आस ऄनधननयम में अगे ईनल्लनखत है क्रक आन नवधान मंडलों के प्रानधकार और शनक्तयों का प्रारूप
वही है जो निटिश संसद में पाया जाता है।
आसके ऄनतटरक्त, ऄनधननयम प्रांतीय स्तर पर भी नवधान मंडलों की स्थापना का प्रावधान करता
है।
आस ऄनधननयम के नलनखत प्रावधानों के ऄनतटरक्त, यहााँ कइ ऄनलनखत संवैधाननक परं पराएं
का अधार हैं। आसमें प्रधानमंत्री और मंनत्रमंडल (संघीय स्तर पर) एवं प्रीनमयर और मंनत्रमंडल (प्रांतीय
स्तर पर) के काययकारी प्रभुत्व तथा ईत्तरदायी सरकार की व्यवस्था शानमल है।
हाईस ऑफ़ कॉमंस
कनाडा की राजनैनतक प्रणाली में ननचले सदन को हाईस ऑफ़ कॉमंस कहते हैं, नजसका नाम
निटिश राजनैनतक प्रणाली से नलया गया है। हाईस ऑफ़ कॉमंस 308 सदस्यों से नमलकर बना है
भी सभी नवधेयक दोनों सदनों िारा ऄनुमोक्रदत क्रकये जाते है। हालांक्रक, व्यवहार में ननवायनचत
सदन की आच्छा सीनेि पर प्रभावी होती है। हाईस ऑफ़ कॉमंस की प्रक्रक्रयाएं एवं अयोजन बहुत
हद तक निटिश पटरपाटियों को प्रनतबबनबत करते हैं।
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सीनेि
कनाडा की राजनैनतक प्रणाली में सीनेि (उपरी सदन) का नामकरण ऄमेटरकी राजनैनतक प्रणाली
िारा ननयुक्त क्रकये जाते हैं। सीिें क्षेत्रीय अधार पर ननर्ददष्ट की जाती हैं। चार प्रमुख क्षेत्रों में से
प्रत्येक के नलए 24 सीिें और शेष 9 सीिें छोिे क्षेत्रों को ननर्ददष्ट की गयी हैं।
संनवधान, कनाडा में भी संघीय व्यवस्था प्रदान करता है नजसका ऄथय यह है क्रक सरकार के दो
मुख्य स्तर होते है: संघीय सरकार (राष्ट्रीय) और प्रांतीय सरकारें (क्षेत्रीय)। कनाडा एक मजबूत कें द्र
वाला संघ है, नजसमें ऄवनशष्ट शनक्तयां कें द्र के पास होती हैं।
संनवधान ऄनधननयम, 1867 सरकार के प्रत्येक स्तरों के नलए नवनशष्ट शनक्तयों और क्षेत्रानधकार को
रे खांक्रकत करता है, जैस-े क्रकस तरह की सावयजननक नीनत ऄलग-ऄलग क्षेत्रो में ऄच्छी तरह से लागू
हो सकती है, कै से सरकार का प्रत्येक स्तर राजस्व बढ़ा सकता है, अक्रद। हाल के वषो में आन
संवैधाननक प्रावधानों को न्यानयक ननणययों िारा (पहली बार निटिश नप्रवी कौंनसल की न्यानयक
सनमनत िारा, और बाद में कनाडा के सुप्रीम कोिय िारा) और ऄनधक स्पष्ट व नवकनसत क्रकया गया
है।
कनाडा के संघवाद की प्रकृ नत में पटरवतयन
कनाडा के संनवधान में कइ बार संशोधन क्रकये गए हैं नजनका कनाडा की संघीय प्रणाली पर
महत्वपूणय प्रभाव पडा है। नपछले कु छ वषों में राज्यों को और ऄनधक ऄनधकार देने के ईपाय क्रकये
गए हैं। ईदाहरण के नलए, संनवधान ऄनधननयम, 1930 िारा पनिम कनाडा के प्राकृ नतक संसाधनों
के स्वानमत्व को संघीय सरकार से पनिमी प्रान्तों को हस्तांतटरत क्रकया गया। एक ऄन्य महत्वपूणय
संशोधन, संनवधान ऄनधननयम,1982 था जो संघीय सरकार तथा प्रांतीय सरकारों के बीच अर्मथक
8.1.4. न्यायपानलका
कनाडा में ईच्चतम स्तर पर ननणययन के नलए एक सुप्रीम कोिय की स्थापना की गयी है। नसनवल,
कानून मंत्री के सलाह पर गवनयर जनरल के िारा आसके 9 सदस्यों की ननयुनक्त की जाती है। वे 75
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8.1.5. ऄनधकार
कनाडाइ ऄनधकारों और स्वतंत्रताओं का चाियर, कनाडा के संनवधान में समानहत नबल ऑफ़ राआट्स
(ऄनधकार-पत्र) है तथा जो संनवधान ऄनधननयम, 1982 के प्रथम भाग की रचना करता है।
यह चाियर कनाडा के नागटरकों को कु छ नवशेष राजनैनतक ऄनधकार और कनाडा में प्रत्येक व्यनक्त
के नलए नागटरक ऄनधकार की गारं िी देता है।
यह चाियर, सरकारी कानून और काययवानहयों (संघीय, प्रांतीय और नगरपानलका सरकारों के कानून
और काययवानहयां तथा पनब्लक स्कू ल बोडों की काययवानहयां) तथा कभी-कभी सामान्य कानून के
नलए लागू होता है, लेक्रकन ननजी गनतनवनध के नलए लागू नहीं होता है।
चाियर में ईनल्लनखत ऄनधकारों के ईल्लंघन की नस्थनत में, ऄदालतों ने कइ बार संघीय और प्रांतीय
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o ऑस्रेनलयाइ संघ, ऄमेटरकी संघ के मॉडल पर अधाटरत है। ईदाहरण के नलए, ऄवनशष्ट
शनक्तयां राज्यों में नननहत हैं, राज्यों के गवनयर लोगों िारा ननवायनचत तथा औपचाटरक रूप से
नवश्व में सबसे प्राचीन ऄनवनछन्न लोकतांनत्रक देशों में से एक कॉमनवेल्थ ऑफ़ ऑस्रेनलया का
1901 में सृजन क्रकया गया था, जब यहााँ के पूवयवती निटिश ईपननवेशों (वतयमान में छह राज्य) ने
एक संघ के रूप में सनम्मनलत होने का ननणयय नलया। वे लोकतांनत्रक व्यवहार एवं नसद्ांत (जैसे
'वन मैन, वन वोि' और ‘मनहलाओं को मतानधकार’) नजन्होंने वतयमान संघ के ऄनस्तत्व में अने
पूवय यहााँ के औपननवेनशक संसदों को अकार क्रदया था, ईन्हें ऑस्रेनलया की पहली संघीय सरकार
िारा भी ऄपनाया गया।
ऑस्रेनलयाइ संनवधान सरकार की शनक्तयों को तीन पृथक भागों - नवधानयका, काययपानलका
और न्यायपानलका में नवभानजत करता है, लेक्रकन आसमें स्पष्ट ईल्लेख है क्रक नवधानयका के सदस्यों
लोकनप्रय तौर पर ननवायनचत यहााँ की संसद का गठन दो सदनों से नमलकर हुअ है: हाईस ऑफ
टरप्रजेन्िेटिव्स और सीनेि। आन सदनों से ननयुक्त मंत्री काययकारी सरकार का संचालन करते हैं और
नीनतगत ननणयय मंनत्रमंडल (कै नबनेि) की बैठकों में नलए जाते हैं। ननणययों की घोषणा के ऄनतटरक्त
कै नबनेि के नवचार नवमशय को प्रकि नहीं क्रकया जाता है। मंत्री, मंनत्रमंडल की एकजुिता के नसद्ांत
से बंधे होते हैं, जो संसद के प्रनत ईत्तरदायी कै नबनेि सरकार के निटिश मॉडल
यद्यनप, ऑस्रेनलया एक स्वतंत्र राष्ट्र है, तथानप ग्रेि-नििेन की महारानी एनलजाबेथ-II ऑस्रेनलया
की भी औपचाटरक रुप से महारानी हैं। महारानी ऄपने प्रनतनननधत्व के नलए (ननवायनचत
ऑस्रेनलयाइ सरकार की सलाह पर) एक गवनयर-जनरल ननयुक्त करती हैं। गवनयर-जनरल के पास
व्यापक ऄनधकार नननहत हैं, लेक्रकन परं परा (convention) के ऄनुसार वह लगभग सभी मामलों
पर के वल मंनत्रयों की सलाह पर कायय करता है।
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ऑस्रेनलयाइ संनवधान, संघीय सरकार के ईत्तरदानयत्वों को पटरभानषत करता है, नजसमें नवदेशी
राज्य और कें द्र शानसत प्रदेशों की सरकारें , राष्ट्रमंडल को नहीं सौंपे गए सभी मामलों के नलए
ईत्तरदायी हैं और वे भी ईत्तरदायी सरकार के नसद्ांतों का पालन करती हैं। राज्यों में, गवनयर
ऑस्रेनलयाइ संनवधान में संशोधन के वल राष्ट्रीय स्तर पर जनमत संग्रह के माध्यम से ननवायचकों के
ऄनुमोदन िारा क्रकया जा सकता है, नजसमें ननवायचक सूची में सनम्मनलत सभी वयस्क ऄवश्य भाग
लेते हैं। एक संशोधन नवधेयक को सबसे पहले संसद के दोनों सदनों से पाटरत कराना अवश्यक
होता है, या क्रफर कु छ सीनमत पटरनस्थनतयों में संसद के के वल एक सदन िारा आसे
कोइ भी संवैधाननक संशोधन दोहरे बहुमत िारा ऄनुमोक्रदत क्रकया जाना चानहए - ऄथायत् राष्ट्रीय
ननवायचकों के बहुमत के साथ-साथ राज्यों के बहुमत (छह में से कम से कम चार) िारा। जहााँ कोइ
एक या ऄनधक राज्य नवशेष रूप से जनमत संग्रह के नवषय से प्रभानवत हो रहे हैं, ईन राज्यों में
मतदाताओं के बहुमत का भी अवश्यक रूप से पटरवतयन के नलए सहमत होने का प्रावधान है।
आसे प्रायः ’टरपल मेजोटरिी’ (नतहरा बहुमत) का ननयम कहा जाता है।
दोहरे बहुमत का प्रावधान संनवधान में पटरवतयन को कटठन बना देता है। संघ में 1901 से,
संनवधान संशोधन हेतु प्रस्तानवत 44 में से के वल 8 प्रस्तावों को ऄनुमोक्रदत क्रकया गया है।
सामान्यतः मतदाता संघीय सरकार की शनक्त में वृनद् को महसूस कर समथयन करने के नलए
ऄननच्छु क रहे हैं। राज्य और कें द्र शानसत प्रदेश भी जनमत संग्रह का अयोजन कर सकते हैं।
9.1.3. सं स द
हाईस ऑफ़ टरप्रजेन्िेटिव्स में बहुमत प्राप्त पािी िारा सरकार का गठन क्रकया जाता है।
ऄल्पसंख्यक दल प्रायः सीनेि में शनक्त संतुलन रखते हैं, जो सरकार के ननणययों की समीक्षा
करने वाले सदन के रूप में कायय करता है। सीनेिरों को छह वषय के काययकाल के नलए चुना जाता है
तथा साधारण अम चुनाव में के वल अधे सीनेिरों को ही मतदाताओं का सामना करना पडता है।
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ऑस्रेनलयाइ संसद में प्रश्न नबना क्रकसी सूचना के पूछे जा सकते हैं और वहााँ प्रश्नकाल के दौरान
मंनत्रयों से पूछे गए सरकारी और नवपक्ष के प्रश्नों के बीच स्पष्ट भेद होता है। नवपक्ष ऄपने प्रश्नों का
ईपयोग सरकार को लनक्षत करने के नलए करता है। हालांक्रक, सरकारी सदस्य ऄपने प्रश्नों का प्रयोग
मंनत्रयों को सरकार की नीनतयों और गनतनवनधयों को ईनचत अकार देने के नलए करते हैं।
संसद में कही गयी कोइ भी बात नबना क्रकसी मानहानन वाद के भय के ननष्पक्ष और सिीक
रूप से टरपोिय की जा सकती है। संसदीय प्रश्न काल और बहसों का प्रसारण क्रकया जा सकता है।
राष्ट्रीय अम चुनाव, नयी संघीय संसद की पहली बैठक के तीन वषय के भीतर अयोनजत क्रकया
जाना चानहए। संसद की औसत ऄवनध लगभग ढाइ वषय की होती है। व्यवहार में, अम चुनाव
तब अयोनजत क्रकया जाता है, जब गवनयर-जनरल प्रधानमंत्री के ऄनुरोध से सहमत होता है।
1901 में संघ के गठन के बाद से सत्ताधारी दल औसतन लगभग प्रत्येक पांच वषय के बाद में बदल
क्रदए जाते हैं। नलबरल पािी ने 1949 से 1972 तक 23 वषय के सबसे लंबे समय तक गठबंधन का
नेतृत्व क्रकया। नितीय नवश्व युद् से पहले, कइ सरकारें एक वषय से भी कम समय तक चलीं, लेक्रकन
1945 के बाद से वहााँ की सरकार में के वल सात बार पटरवतयन हुअ है।
9.1.5. मतदान
18 वषय से ऄनधक के ईम्र के सभी नागटरकों के नलए संघीय और राज्य सरकारों दोनों के चुनावों में
मतदान करना ऄननवायय है और ऐसा करने में ऄसफल होने का पटरणाम अर्मथक दंड या
ऄनभयोजन हो सकता है।
राज्यों के संसद राष्ट्रीय संनवधान के साथ ही राज्य संनवधानों के ऄधीन हैं। संघीय कानून क्रकसी भी
राज्य के कानून को रद्द कर सकता है जो आसके साथ संगत नहीं है।
व्यवहार में, सरकार के दोनों स्तर कइ क्षेत्रों, जैस-े नशक्षा, पटरवहन, स्वास्थ्य और कानून प्रवतयन में
सहयोग करते हैं जहां राज्य और संघ शानसत प्रदेश औपचाटरक रूप से ईत्तरदायी होते हैं। अय कर
लगाने की व्यवस्था संघात्मक है और राजस्व तक पहुाँच एवं व्यय कायों के दोहराव (डु प्लीके शन) के
बारे में सरकारों के स्तरों के मध्य बहस ऑस्रेनलयाइ राजनीनत की एक स्थायी नवशेषता है।
स्थानीय सरकारी ननकाय, राज्य और संघ शानसत प्रदेश स्तर पर कानून िारा गटठत क्रकये जाते हैं।
काईं नसल ऑफ़ ऑस्रेनलयन गवनयमेंट्स (COAG) वस्तुतः सरकार के तीनों स्तरों - राष्ट्रीय,
राज्य या संघ शानसत प्रदेश और स्थानीय स्तरों - के बीच सहकारी काययवाही की अवश्यकता वाले
राष्ट्रीय नीनतगत सुधारों की पहल करने, ईन्हें नवकनसत करने और लागू करने के नलए एक मंच
है। आसके लक्ष्यों में ऄग्रनलनखत प्रमुख मुदों से ननपिना शानमल हैं: सरकार के स्तर पर संरचनात्मक
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सुधार हेतु सहयोग तथा एक एकीकृ त, प्रभावी राष्ट्रीय ऄथयव्यवस्था और एकल राष्ट्रीय बाजार के
लक्ष्य को प्राप्त करने के नलए अवश्यक सुधार की क्रदशा में सहयोग।
COAG में प्रधानमंत्री, राज्य प्रमुख (State Premiers), प्रदेशों के मुख्यमंत्री और ऑस्रेनलयाइ
स्थानीय शासन संघ (Australian Local Government Association) के ऄध्यक्ष शानमल
होते हैं।
आसके ऄनतटरक्त, मंनत्रस्तरीय पटरषदें (राष्ट्रीय, राज्य और प्रदेश के मंत्री तथा जहां प्रासंनगक हो,
स्थानीय सरकार के एवं न्यूजीलैंड और पापुअ न्यू नगनी के सरकारों के प्रनतनननध) नवकास और
नवनशष्ट नीनतगत क्षेत्रों में ऄंतर-सरकारी काययवाही को ऄपनाने के नलए ननयनमत रूप से बैठकें
करती हैं।
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आसे गनतशील संनवधान के रूप में माना जाता है (ऄन्य नवशेषताओं के साथ-साथ व्यनक्तयों का
काययकारी शनक्तयां राष्ट्रपनत में नननहत। काययकारी शनक्तयां संघीय पटरषद में नननहत।
राष्ट्रपनत, ननवायचक मंडल िारा ननवायनचत। संघीय पटरषद, संघीय सभा िारा चुनी जाती है।
टरफ़रें डम (Referendum): आसका अशय क्रकसी नवधेयक को जनता के समक्ष ईसके ऄनुसमथयन के
नलए प्रस्तुत करने से है। यह जनमत-संग्रह (plebiscite) के समान नहीं है। प्लेनबसाआि से
वापस बुलाना (Recall): आसका अशय क्रकसी भी समय प्रनतनननध को वापस बुलाने
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नलनखत संनवधान की ऄवधारणा संयुक्त राज्य ऄमेटरका से ली गयी है, जो नवश्व का पहला नलनखत
संनवधान है। यह असान पहुंच और अवश्यकतानुसार संशोधन की ऄनुमनत प्रदान करता है। साथ
ही यह सरकार के मनमाने कानूनों से ईन्मुनक्त भी प्रदान करता है।
भारत के राष्ट्रपनत:
महारानी, राज्य की प्रमुख हैं। संवैधाननक
राज्य प्रमुख और भारत के प्रथम नागटरक हैं।
राजतंत्र के कारण, वह देश पर शासन नहीं
वह भारतीय लोकतंत्र की सभी तीन शाखाओं -
करती हैं, लेक्रकन सरकार के संबंध में
नवधानयका, काययपानलका और न्यायपानलका - के
महत्वपूणय औपचाटरक और ऄनौपचाटरक
"औपचाटरक प्रमुख" भी हैं।
भूनमकाओं को पूरा करती हैं।
वे भारतीय सशस्त्र बलों के सवोच्च कमांडर
भी हैं।
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आं ग्लैंड भारत
को नवत्तीय नवधेयकों के मामले में सीनमत ऄनधकार हैं। ही पुरःस्थानपत क्रकया जा सकता है।
हाईस ऑफ कॉमंस में बहुमत खो देने पर प्रधानमंत्री ननचले सदन में बहुमत खो देने पर
ऄपदस्थ हो जाता है। प्रधानमंत्री ऄपदस्थ हो जाता है।
ऄनवश्वास प्रस्ताव के वल लोकसभा में
प्रस्तुत क्रकया जा सकता है।
ईच्च सदन के वल ऄनधकतम दो संसदीय िमय के नलए ननचले धन नवधेयक में राज्यसभा संशोधन
सदन िारा पाटरत नवधेयकों के मामले में देरी कर सकता है, नहीं कर सकती। यह के वल ऄनधकतम
हाईस ऑफ कॉमंस का स्पीकर कॉमंस चैम्बर में लोकसभा का ऄध्यक्ष सदन के कायों का
बहस की ऄध्यक्षता करता है और आस कायायलय का संचालन करता है।
प्रानधकारी एक सांसद होता है जो संसद के ऄन्य
सदस्यों िारा ननवायनचत क्रकया जाता है।
स्पीकर, हाईस ऑफ कॉमंस का मुख्य ऄनधकारी वह फै सला करता है क्रक कोइ नवधेयक धन
होता है और सवोच्च प्रानधकार रखता है। नवधेयक या नहीं।
स्पीकर सम्राि, लॉर्डसय और ऄन्य ऄनधकाटरयों के वह सदन में ऄनुशासन और मयायदा बनाए
नलए हाईस ऑफ कॉमंस का प्रनतनननधत्व भी करता रखता है और सदस्यों को ईनके ऄननयंनत्रत
है और हाईस ऑफ कॉमंस कमीशन की ऄध्यक्षता व्यवहार के नलए ननलंनबत करके दंनडत कर
करता है। सकता है।
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11.8. न्यायपानलका
यह संयुक्त राज्य ऄमेटरका से ग्रहण की गइ है। सवयप्रथम ऄमेटरका में एक ऄपील की सवोच्च
ऄदालत की व्यवस्था की गयी, नजसे सुप्रीम कोिय कहा जाता है। जैसा क्रक हम जानते हैं, यह संघीय
व्यवस्था में सरकार के नलए एक ऄननवायय अवश्यकता है।
मुख्य न्यायाधीश राज्य प्रमुख - सम्राि - िारा मुख्य न्यायाधीश राज्य प्रमुख- राष्ट्रपनत िारा
ननयुक्त क्रकया जाता है। ननयुक्त क्रकया जाता है।
सुप्रीम कोिय देश का सवोच्च न्यानयक ईच्चतम न्यायालय देश का सवोच्च न्यानयक
प्रानधकारण है। प्रानधकारण है।
सुप्रीम कोिय के ऄन्य न्यायाधीश न्यायालय ईच्चतम न्यायालय के ऄन्य न्यायाधीश न्यायालय
या मामले की सुनवाइ के नलए छोिी बेंचों का या मामले की सुनवाइ के नलए छोिी बेंचों
गठन करते हैं।
का गठन करते हैं।
सुप्रीम कोिय मुख्य रूप से एक ऄपीलीय ईच्चतम न्यायालय मुख्य रूप से एक ऄपीलीय
ऄदालत के रूप में कायय करता है, जहााँ ऄपील ऄदालत के रूप में कायय करता है, जहााँ ऄपील की
की सुनवाइ की जाती है और ननचली सुनवाइ की जाती है और ननचली ऄदालतों के
ऄदालतों के फै सले से ऄसंतुष्ट वाक्रदयों
फै सले से ऄसंतुष्ट वाक्रदयों की यानचकाओं पर
की यानचकाओं पर सुनवाइ की जाती है।
सुनवाइ की जाती है।
शाखाओं, या व्यनक्तगत या पक्षपाती नहतों िारा ऄदालतों के मामले में हस्तक्षेप नहीं की जानी
चानहए।
न्यानयक समीक्षा एक नसद्ांत है, नजसके तहत नवधानयका और काययपानलका के कायों की समीक्षा
(और ऄसंवैधाननक होने पर ईन्हें ननरस्त करने की शनक्त) न्यायपानलका के ऄधीन होती है।
o न्यानयक समीक्षा की शनक्त से सम्पन्न नवनशष्ट न्यायालयों को राज्य के ईन कृ त्यों को ननरस्त
घोनषत करना चानहए जो संनवधान से ऄसंगत होते हैं।
आन दोनों नसद्ांतों को ऄमेटरका के संनवधान से ऄपनाया गया है। ये सरकार की ऄन्य दो शाखाओं
पर ननयंत्रण रखने के नलए ऄत्यंत महत्वपूणय हैं।
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ऄलग है, जहााँ कभी-कभी जांच राष्ट्रपनत के अदेश िारा ईच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश
11.9. मू ल ऄनधकार
मौनलक ऄनधकार की ऄवधारणा भारत के संनवधान में मौनलक ऄनधकार नवश्व में सबसे
ऄमेटरका से ऄपनाइ गइ है। लम्बे नववरण को संस्थानपत करता है।
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भारतीय संनवधान में वर्मणत मौनलक कतयव्य जापान, यूगोस्लानवया, चीन और सोनवयत संघ के
संनवधान से नलए गए प्रतीत होते हैं।
वास्तव में, जापान मौनलक कतयव्यों को कानूनी रूप से लागू करने वाला एकमात्र लोकतांनत्रक देश
है।
आन्हें भारतीय संनवधान में प्रत्येक नागटरक को यह याद क्रदलाने के नलए सनम्मनलत क्रकया गया है
क्रक वे न के वल ऄपने ऄनधकारों के प्रनत जागरूक हों, बनल्क ईन्हें ऄपने कतयव्यों के प्रनत भी
जागरूक होना चानहए।
कें द्र और राज्य दोनों से सहकारी व समनन्वत संस्थान होने की ईम्मीद की जाती है जो स्वतंत्रता
और अपसी समायोजन, सम्मान, समझ व सहयोग के साथ ऄपने से संबंनधत शनक्तयों का प्रयोग
करें ।
नववादों के रोकथाम के साथ-साथ ईन्ननत भी अवश्यक है। आस प्रकार,भारतीय संघीय व्यवस्था में
एक मजबूत कें द्र की संकल्पना की गयी है।
भारतीय संनवधान
भारतीय संघ, राज्यों के बीच समझौते का पटरणाम नहीं है।
राज्यों और संघ दोनों के नलए एकल नागटरकता की ऄवधारणा है।
प्रत्येक राज्य के नलए ईनके जनसंख्या के अधार पर संसद में सांसदों को भेजने का प्रावधान है।
आसमें राज्यों के बीच समानता का कोइ नसद्ांत नहीं है।
आसमें तीन सूनचयां हैं- संघ सूची (पहली सूची), राज्य सूची (दूसरी सूची) और समवती सूची
(तीसरी सूची)।
संसद के वल संघ सूची और समवती सूची के नवषयों पर कानून बना सकती है। राज्य संप्रभु नहीं हैं।
संघ राज्य सूची का ऄनतक्रमण कर सकता है।
कोइ राज्य भारत के राज्यक्षेत्र से पृथक नहीं हो सकता है।
ऄवनशष्ट शनक्तयां संसद, ऄथायत् कें द्र के पास हैं।
संघ और राज्यों के नलए के वल एक संनवधान है।
भारत में बुननयादी नागटरक और अपरानधक कानूनों में एकरूपता है (कु छ मामलों में ननजी
कानूनों को छोडकर)।
भारतीय संघ, नवनाशी राज्यों का एक ऄनवनाशी संघ है। संसद एक राज्य के क्षेत्र को पटरवर्मतत
कर सकती है। राज्य नवनाशी हैं। लेक्रकन संघ को बदला नहीं जा सकता है। संघ ऄनवनाशी है।
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के न्द्र सरकार के पास एक नए राज्य के गठन; क्रकसी राज्य के क्षेत्र में वृनद् करने या ईसके क्षेत्रफल
को कम करने; क्रकसी राज्य की सीमाओं को बदलने; क्रकसी राज्य के नाम में पटरवतयन करने; और
(ऄनुच्छेद 3)।
हमारे संनवधान में संघ (Federal) शब्द का प्रयोग नहीं क्रकया गया है। संनवधान ननमायताओं ने
सुप्रीम कोिय को ऄपीलीय (नसनवल और अपरानधक) क्षेत्रानधकार सनहत बहुत व्यापक शनक्तयााँ
दी गयी हैं।
कोइ जनमत संग्रह अवश्यक नहीं है। संनवधान में संशोधन के नलए, लोगों की सहमनत की
अवश्यकता नहीं है। सांसदों का बहुमत प्राप्त करना पयायप्त है और कु छ मामलों में, राज्य
ऄमेटरकी संनवधान
ऄमेटरकन फे डरे शन राज्यों के बीच एक समझौते का पटरणाम है।
दोहरी नागटरकता, एक संघीय नागटरकता और दूसरी नागटरकता राज्य की होती है।
प्रत्येक राज्य सीनेि के नलए बराबर संख्या में प्रनतनननधयों को भेजता है।
आसमें राज्यों के बीच ईनकी जनसंख्या, सीमा अक्रद पर नवचार क्रकए नबना समानता का नसद्ांत है।
वहााँ संघीय सरकार और घिक आकाआयों के बीच नवधायी शनक्तयों का स्पष्ट नवभाजन है। संघ के
साथ-साथ प्रत्येक आकाइ ऄपने क्षेत्र में संप्रभु है। संघ और आकाआयां ऄपने संबंनधत नवधायी क्षेत्रों में
संप्रभु हैं। कोइ भी दूसरे के शनक्त क्षेत्र में सख्ती से ऄनतक्रमण नहीं कर सकता है। प्रत्येक ऄपने ही
के वल एक 'समझौते' पर अधाटरत है। आसनलए, यह कहा जाता है क्रक ऄमेटरकी संघ ऄनवनाशी
"फे डरल" शब्द का संनवधान में बहुत बार प्रयोग क्रकया गया है।
ऄमेटरका के सुप्रीम कोिय को भारत के सुप्रीम कोिय के समान ऄपीलीय ऄनधकार क्षेत्र नहीं क्रदया
गया है।
संघीय संनवधान में संशोधन के नलए एक जनमत संग्रह (referendum) अयोनजत क्रकया जाना
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ऑस्रेनलया भारत
ऑस्रेनलयाइ संनवधान की धारा 92 के ऄंतगयत मुक्त भारतीय संनवधान के ऄनुच्छेद 301 में
व्यापार का ईपबंध क्रकया गया है, नजसके तहत यह व्यापार, वानणज्य और समागम की
प्रावधान है क्रक अंतटरक पटरवहन या समुद्री नेनवगशन स्वतंत्रता के प्रावधान को ऑस्रेनलया के
के माध्यम से राज्यों के बीच व्यापार, वानणज्य और संनवधान की धारा 92 से लगभग शब्दशः
समागम पर एक समान सीमा-शुल्क का ऄनधरोपण नलया गया है।
पूणत
य या मुक्त होंगे।
ये एक ऐसी सामानजक और अर्मथक नस्थनत को सृनजत करने के नलए ननधायटरत नसद्ांत हैं, नजसके
तहत नागटरक ऄच्छा जीवन जी सकते हैं।
भारत में, DPSP को अयरलैंड के संनवधान से शब्दशः ऄपनाया गया है।
भारत में उपरी सदन में 250 सदस्य होते हैं, नजसमें से 12 सदस्यों को ईनके संबंनधत क्षेत्रों में
ऄनुकरणीय कायय के नलए देश के नाममात्र प्रमुख ऄथायत् राष्ट्रपनत िारा नामननर्ददष्ट क्रकया जाता है।
नाम ननदेशन का ईद्देश्य यह है क्रक प्रनतनष्ठत लोगों को ननवायचन में भाग नलए नबना राज्य सभा में
स्थान नमले।
आस प्रणाली को अयरलैंड के संनवधान से ऄपनाया गया है।
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प्रधानमंत्री का पद
निसदनीय संसद
मौनलक ऄनधकार
सुप्रीम कोिय
राज्यों का प्रावधान
प्रस्तावना
पंचवषीय योजना
प्रस्तावना की भाषा
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गइ)
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2. नवश्व भर में संसदों के उपरी सदन को अम तौर ईनके ननचले सदन की तुलना में कम
शनक्तशाली माना जाता है। हालांक्रक, वे भी नननित कायों और शनक्तयों से नननहत हैं, जो ईन्हें
एक ननणाययक भूनमका ऄदा करने में सक्षम बनाता है। भारत पर नवशेष जोर देते हुए
अलोचनात्मक नवश्लेषण करें ।
दृनष्टकोण:
ईच्च सदन की शनक्त और नस्थनत यह नवधायी, और ऄनभयोग प्रक्रक्रयाओं अक्रद में क्रकस
प्रकार शनक्त में ऄवर है, दशायने की अवश्यकता है।
नवशेष शनक्तयााँ भारत के सन्दभय में (ऄनुच्छेद 249 और 312), काययकाटरणी अक्रद पर
ननयंत्रण।
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यह कहते हुए ईत्तर समाप्त करें क्रक ईच्च सदन एक महत्वपूणय संस्था है। क्रकन्तु आसे ननम्न
सदन की ऄपेक्षा कम शनक्तयााँ प्रदान की गइ हैं।
ईत्तरः
ईच्च सदन निसदनीय नवधानमंडल के दो सदनों में से एक है। एकल प्रणाली में, ईच्च सदन को
एक परामशयदाता सदन समझा जाता है जबक्रक संघीय प्रणानलयों में आसे ननम्न सदन के लगभग
बराबर ही शनक्तयााँ प्रदान की गइ हैं। भारत की राज्य सभा के वल कु छ नवत्तीय मामलों को
छोड सभी पहलुओं में सह-समान नस्थनत रखती है।
ईच्च सदन की ऄवर नस्थनत के कइ कारण हैं। वास्तव में, ईच्च सदन की अवश्यकता के बारे में
लगभग सभी देशों की संनवधान सभा में काफी ऄनधक बहसें हुइ हैं। थॉमस जेफरसन ने भी दो
सदनों के नवचार का नवरोध क्रकया था। यह एक ऄलोकतांनत्रक, ननवायनचत ननम्न सदन के िारा
व्यक्त जन भावना का नाश करने वाला, ऄप्रत्यक्ष रूप से ननवायनचत ननकाय होता है। एक
नविान ने यह तकय क्रदया क्रक “यक्रद दूसरा सदन पहले का नवरोध करता है तो यह ईपद्रवी है;
नस्थनतयां हैं नजनका सम्पूणय नवश्व में ईच्च सदन िारा प्रयोग क्रकया जाता है:
कु छ देशों में के वल कु छ सीनमत वैधाननक मामलों जैसे संवैधाननक संशोधन हेतु आसकी
ऄनुमनत की अवश्यकता होती है। यू. के . में, हाईस अफ लार्डसय यानी ईच्च सदन
ऄनधकतर ऄनधननयमों को पाटरत क्रकए जाने से रोक नहीं सकता। ईन देशों में जहााँ यह
नवधान को वीिो कर सकता है (जैसे नीदरलैण्ड), यह प्रस्तावों में संशोधन करने में सक्षम
नहीं हो सकता।
ननम्न सदन को जनता िारा प्रत्यक्ष रूप से ननवायनचत क्रकया जाता है और आसनलए नवत्त से
सम्बनन्धत मामलों से सम्बनन्धत शनक्त प्रदान की जाती है। राज्य सभा क्रकसी नवत्त
नवधेयक को के वल दो सप्ताह (भारत के सन्दभय में) के नलए रोक सकती है।
संसदीय प्रणाली में, ईच्च सदन सरकार के नवरोध में ऄनवश्वास प्रस्ताव पर मतदान नहीं
सदन नवश्व के सवायनधक सशक्त ईच्च सदनों में से एक है। राज्यों ने ऄपनी शनक्तयााँ के न्द्र को
समर्मपत कर दी हैं और आसनलए ईच्च सदन कु छ ऐसी शनक्तयों का प्रयोग करता है जो ननम्न
सदन के पास नहीं हैं। भारत भी अरम्भ में सशक्त संघ का समथयन करता था। क्रकन्तु ऄब भी,
यू. एस. ए. जैसे देशों के ईच्च सदन कु छ काययकारी ननणययों पर सलाह और सहमनत प्रदान
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2009 के पहले, यू. के . का ईच्च सदन ऄंनतम न्यायालय के रूप में कायय करता था।
ऄनुच्छेद 249 राज्य सभा को, राज्य के नवषय पर नवनध ननमायण के नलए संसद को सक्षम
बनाने हेतु प्रस्ताव पाटरत करने की शनक्त प्रदान करता है। आसी प्रकार, राज्य सभा
आसकी संरचना (सदस्यों के ऄप्रत्यक्ष चुनाव) के कारण ऄलोकतांनत्रक कहते हैं, जबक्रक ऄन्य
आसकी संशोधन और ऄन्य क्षमताओं के नलए आसका पक्ष लेते हैं। भारत की राज्य सभा को नवत्त
नवधानों के ऄनतटरक्त समान शनक्तयों से पटरपूटरत क्रकया गया है।
3. संयक्त
ु राज्य ऄमेटरका में नवधानयका को ऄंतरायष्ट्रीय संनधयों के ऄनुसमथयन को नवननयनमत
करने का ऄनधकार प्राप्त है, जबक्रक भारत में यह मुख्यतः काययपानलका का ऄनधकार क्षेत्र है।
ईदाहरणों सनहत आन दोनों दृनष्टकोणों के औनचत्य और लाभों का परीक्षण कीनजए।
दृनष्टकोण:
संक्षेप में भारत और संयुक्त राज्य ऄमेटरका में संनध करने की शनक्तयों का वणयन कीनजए
और ऄन्य लोकतांनत्रक देशों; जहााँ संनधयााँ करने में नवधानमंडल की भी भूनमका होती हो
से आसकी तुलना कीनजए।
संनवधान और ईच्चतम न्यायालय के नवनभन्न फै सलों के संचालन की समीक्षा करने के नलए
गटठत राष्ट्रीय अयोग िारा की गइ नसफाटरशों को दृनष्टगत रखते हुए, संबंनधत मुद्दों का
अलोचनात्मक नवश्लेषण कीनजए।
ईत्तर:
नवदेशी शनक्तयों के साथ संनधयााँ और समझौते करना राज्य की संप्रभुता की नवशेषताओं में से
एक है। कोइ भी राज्य- नवदेश संबंध, व्यापार, पयायवरण, संचार, पाटरनस्थनतकी या नवत्त-
आनमें से क्रकसी भी मामले में खुद को दुननया के ऄन्य नहस्सों से ऄलग नहीं रख सकता।
संयक्त
ु राज्य ऄमेटरका में संनध करना
USA का संनवधान यह व्यवस्था करता है क्रक राष्ट्रपनत को सीनेि की सहमनत और सलाह
से संनधयााँ करने का ऄनधकार है बशते दो-नतहाइ सीनेिरों िारा आस अशय की सहमनत
प्रदान की गयी हो।
संनध करने की शनक्त सीनेि से साझा करने के पीछे का तकय राष्ट्रपनत को सीनेि की सलाह
और सम्मनत का लाभ देना,राष्ट्रपनत की शनक्त पर ननयंत्रण रखना,और संनध करने की
प्रक्रक्रया में प्रत्येक राज्य को एक वोि का नहस्सा देकर राज्यों की संप्रभुता की रक्षा करना
है।
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भारतीय संनवधान के तहत, संघ सूची में शानमल नजन नवषयों पर संसद को कानून बनाने
का नवशेष ऄनधकार प्राप्त है (ऄनुच्छेद 246) ईनपर संनध करने की शनक्त है, जबक्रक
ऄनुच्छेद 73 ऐसे सभी मामलों पर कें द्र सरकार की काययपानलका शनक्त का नवस्तार
काययपानलका में नननहत है, जोक्रक ऄनुच्छेद 73 की व्याख्या आस प्रकार करने को प्रवृत्त है
क्रक संघ सूची में सनम्मनलत नवषयों तक आसकी ऄनधकाटरता नवस्ताटरत है।
आसके नवपरीत न्यायपानलका ने कइ घोषणाओं के माध्यम से आस बात पर जोर क्रदया है
क्रक संनध करने की शनक्त प्रकृ नत में ऄननवायय रूप से राजनीनतक है और आसनलए संनधयों
के ननष्कषों के सञ्चालन के नलए एक ऄलग नवधान लागू क्रकया जाना चानहए।
संनवधान के संचालन की समीक्षा करने के नलए गटठत राष्ट्रीय अयोग ने भी ऐसा ही कहा
है और सरकार की संनध करने की शनक्त को नवननयनमत करने के नलए संसद से कानून
पाटरत करने की नसफाटरश की है लेक्रकन संसदीय ऄनुसमथयन जैसी क्रकसी भी व्यवस्था को
नकारा है।
राष्ट्रीय संसद िारा ऄंतरराष्ट्रीय दानयत्वों के ऄनुसमथयन की कोइ भी प्रक्रक्रया परस्पर
नवरोधी नवचारों एवं नहतों और लोकतंत्र की पटरपक्वता से सम्बंनधत संस्थागत तंत्र के
नवकास के स्तर जैसे नवनभन्न ऄन्य कारकों को देखते हुए नननित रूप से लंबी हो जाएगी।
क्रफर भी, संसद िारा ऄनुसमथयन की अवश्यकता यह सुनननित करे गी क्रक दूरगामी
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नवधायी और काययकारी शनक्तयों के संघीय ढांचे को देखते हुए संनध संपन्न करने की शनक्त का
प्रयोग स्वेच्छाचारी या ऄनानधकृ त रूप से नहीं हो सकता है। ऄतः संसद को संनध करने के
नवषय पर एक कानून बनाना चानहए और शानमल प्रक्रक्रयाओं को कारगर बनाने के नलए
संसदीय कानून के माध्यम से आसे लागू करना चानहए।
नागटरकों के ऄनधकारों और दानयत्वों को प्रभानवत करने के साथ-साथ सीधे राज्य सूची के
नवषयों से िकराने वाली संनधयों की बातचीत में संसद के प्रनतनननधयों और राज्यों की ऄनधक
से ऄनधक भागीदारी होनी चानहए।
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विकास प्रक्रियाएं तथा विकास ईद्योग – गैर-सरकारी संगठनों, स्ियं सहायता समूहों,
विवभन्न समूहों ि संघों, दानकतााओं, लोकोपकारी संस्थाओं,
संस्थागत एिं ऄर्नय पक्षों/ वहतधारकों की भूवमका
विषय सूची
1. विकास प्रक्रियाएं (Development Processes) ______________________________________________________ 4
3.5. भारत में NGOS द्वारा सामना की जाने िाली चुनौवतयााँ ______________________________________________ 13
4.5. SHGS से संबद्ध सामार्नय मुद्दे (General Issues related to SHGS) __________________________________ 18
4.6. ग्रामीण क्षेत्रों में SHGS के प्रिेश में सामावजक-सांस्कृ वतक बाधाएं ________________________________________ 18
4.7. SHGS को बढ़ािा देने के वलए सरकार द्वारा ईठाये गए कदम ___________________________________________ 19
6.4. सूक्ष्मवित्त संस्थानों के कायाकरण में सुधार लाने हेतु सुझाि _____________________________________________ 27
8. विगत िषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में पूिे गए प्रश्न___________________________________________ 31
9. विगत िषों में संघ लोक सेिा अयोग (UPSC) द्वारा पूिे गए प्रश्न __________________________________________ 44
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विकास के अयाम
एक राजनीवतक प्रक्रिया के रूप में विकास: आसे क्रकसी एजेंसी (राज्य या विकास संगठन) द्वारा
दूसरों के वलए क्रकए गए काया के रूप में समझा जा सकता है। आसे राजनीवतक प्रक्रिया कहा जाता है
क्योंक्रक यह आस बात पर प्रश्न ईठाता है क्रक क्रकसी के वलए कु ि करने की शवि क्रकसके पास है।
मानि विकास: सेन आस दृविकोण के
प्रमुख ििा रहे हैं। िे अर्मथक संिृवद्ध
को विकास के मापक के रूप में समझे
जाने िाले दृविकोण को ऄर्तयंत
दोषपूणा और ऄपयााप्त मानते हैं।
ईर्नहोंने मानि ऄवधकारों को विकास के
एक मौवलक भाग के रूप में सवर्भमवलत
करते हुए आस (विकास) शर्फद को पुन:
पररभावषत क्रकया और यह भी व्याख्या
की क्रक सामावजक पररितान की सभी
ईवचत प्रक्रियाएं ऄवधकार-अधाररत
और अर्मथक रूप से एक-साथ स्थावपत
होती हैं। सेन के द्वारा प्रवतपाक्रदत
क्षमता दृविकोण (capability
approach) समाज के सबसे वनचले वहस्से में रहने िाले लोगों के कल्याण पर कें क्रित है, न क्रक
शीषा पर विद्यमान लोगों की दक्षता पर।
संधारणीय विकास: ब्रुर्न्टलैंड अयोग की ररपोटा जो बाद में "हमारा साझा भविष्य" (Our
Common Future) शीषाक से पुस्तक के रूप में प्रकावशत हुइ, आसमें संधारणीय विकास को एक
ऐसे विकास के रूप में पररभावषत क्रकया गया है जो भािी पीक्रढ़यों को ईनकी स्ियं की
अिश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता के साथ समझौता क्रकए वबना, ितामान की अिश्यकताओं
को पूरा करता है। आसे प्राप्त करने के वलए, संयुि राष्ट्र ने संधारणीय विकास लक्ष्यों (Sustainable
Development Goals: SDGs) को ऄपनाया है वजर्नहें िषा 2030 तक प्राप्त क्रकया जाना है।
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ईल्लेखनीय है क्रक SDGs के goals (लक्ष्य) और targets (प्रयोजन) सािाभौवमक हैं, वजसका ऄथा
है क्रक िे दुवनया भर के सभी देशों पर लागू होते हैं, न क्रक के िल गरीब देशों पर। लक्ष्यों (goals)
को हावसल करने के वलए सभी मोचों पर कायािाही की अिश्यकता है – सरकार, व्यिसाय,
वसविल सोसाआटी और जनता। सभी को कोइ न कोइ भूवमका वनभानी है।
अर्मथक विकास: अर्मथक विकास िह प्रक्रिया है वजसके द्वारा एक राष्ट्र ऄपनी जनता के अर्मथक,
राजनीवतक और सामावजक कल्याण में सुधार करता है। यह अर्मथक संिृवद्ध से एक प्रकार से वभन्न
है क्योंक्रक आसमें मात्रार्तमक और गुणार्तमक, दोनों पररितान सवर्भमवलत होते हैं। आसके ऄवतररि, यह
एक ऐसी प्रक्रिया है वजसके द्वारा कम अय िाली राष्ट्रीय ऄथाव्यिस्थाएं अधुवनक औद्योवगक
ऄथाव्यिस्थाओं में पररिर्मतत होती हैं।
सामावजक विकास: सामावजक विकास का ऄथा है जनता के चहुंमुखी विकास हेतु वनिेश करना।
आसके वलए विवभन्न बाधाओं को दूर करने की अिश्यकता होती है ताक्रक सभी नागररक
अर्तमविश्वास और गररमा के साथ ऄपने सपनों की ओर अगे बढ़ सकें । यह आस ऄिधारणा का
पररर्तयाग करना है क्रक गरीबी में रहने िाले लोग हमेशा गरीब ही रहेंगे। यह लोगों की सहायता
करने से संबंवधत है ताक्रक िे अर्तमवनभारता के मागा पर अगे बढ़ सकें । भारत के संदभा में, यह
ऄवधक महर्तिपूणा हो जाता है क्योंक्रक जावत व्यिस्था जैसी सामावजक बाधाएं, क्रकसी के सामर्थया को
ऄनुभि करने और सामावजक स्ितंत्रता का अनंद लेने में बड़ी रुकािटें वसद्ध होती हैं। राज्य द्वारा
की गइ कायािाही के मार्धयम से आस प्रकार की बाधाओं को दूर करना सामावजक विकास का
महर्तिपूणा वहस्सा है।
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जब वसविल सोसाआटी अपस में संगरठत होते हैं तब कभी-कभी आर्नहें "तृतीय क्षेत्रक" (सरकार और
िावणज्य के बाद) भी कहा जाता है। ऐसे में आनके पास वनिाावचत नीवत वनमााताओं और व्यिसायों
के कायों को प्रभावित करने की शवि होती है।
प्रवसद्ध वसविल सोसाआटी संगठनों के ईदाहरणों में एमनेस्टी आं टरनेशनल, आं टरनेशनल ट्रेड यूवनयन
कर्नफे डरे शन, िल्डा िाआड फं ड फॉर नेचर (WWF), ग्रीनपीस और डेवनश रे र्पयूजी काईं वसल
(DRC) सवर्भमवलत हैं।
वनम्नवलवखत वचत्र वसविल सोसाआटी के ऄवस्तर्ति और संधारणीयता हेतु विवभन्न महर्तिपूणा कारकों को
दशााता है:
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o सेिा प्रदाता: ईन क्षेत्रों और लोगों के वलए जहां तक अवधकाररक प्रयास पहुाँच नहीं पाए
हैं या सरकार के एजेंटों के रूप में।
o संघटक (Mobiliser): क्रकसी कायािम या नीवत के पक्ष में या ईसके विरुद्ध सािाजवनक
राय का संघटक।
वसविल सोसाआटी 'सामावजक पूज
ं ी' के मार्धयम से काया करता है। यहााँ सामावजक पूंजी का तार्तपया
साझे दीघाकावलक वहतों को पूरा करने हेतु लोगों के स्िेछिापूिाक एक-साथ काया करने की क्षमता से
है। क्रकसी सजातीय, समतािादी समाज में सामावजक पूज
ं ी सशि होती है।
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3. ग़ै र -सरकारी सं ग ठन
(Non-Governmental Organizations: NGOs)
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ऄिवध गवतविवधयााँ
स्ितंत्रता समाज कल्याण, स्ितंत्रता अंदोलन से संबद्ध रचनार्तमक काया (गांधीजी के दशान से
से पूिा प्रभावित)।
1950- समाज कल्याण, सरकार द्वारा वित्तपोवषत एिं प्रबंवधत NGOs (जैस-े खादी एिं
1970 ग्रामोद्योग), पंचिषीय योजनाएं ऄवस्तर्ति में अईं, ऄवधकतर विकासार्तमक काया NGOs
द्वारा वनष्पाक्रदत।
1970- 1970 के दशक में नागररक समाज का ईद्भि हुअ। आस दौरान NGOs ने यह बताना शुरू
1990 कर क्रदया क्रक सरकारी कायािम क्यों गरीबों एिं िंवचतों तक ऄपेवक्षत रूप से नहीं पहुाँच
पायीं हैं, तथा ईर्नहोंने जन-भागीदारी िाले विकासार्तमक कायों के नए मॉडल पेश क्रकए।
आस नए मॉडल के ऄंतगात NGOs को कइ विस्तृत कायािमों में शावमल क्रकया गया, जैस-े
वशक्षा, प्राथवमक स्िास्र्थय देखभाल, पेयजल, सूक्ष्म प्रसचाइ, िन पुनरुद्धार, जनजावत
विकास, मवहला विकास, बाल मजदूरी, प्रदुषण से सुरक्षा अक्रद। बाद में आनमें से ऄवधकांश
मॉडलों को सरकारी कायािमों में शावमल क्रकया गया।
1990- आस ऄिवध में सरकार एिं NGOs के मर्धय भागीदारी में ईिाल अया। NGOs ने आस
2005 दौरान SHGs, सूक्ष्म ऊण, एिं अजीविका पर ऄवधक र्धयान कें क्रित क्रकया। नीवत-वनमााण
एिं कायािम कायाार्नियन में NGOs की भागीदारी सुवनवश्चत की गयी।
1980 के दशक में, भारत में वनम्नवलवखत तीन प्रकार के NGOs/स्िैवछिक अर्नदोलन ईभरे :
परर्भपरागत विकास से संबवं धत NGOs : ये NGOs सीधे तौर पर जनता से जुड़े होते हैं, गााँिों
और जनजातीय क्षेत्रों में जाते हैं तथा वशक्षा, स्िास्र्थय, स्िछिता, ग्रामीण विकास अक्रद से संबंवधत
अधारभूत विकास काया करते हैं। ईदाहरण के वलए- मर्धय भारत में बाबा अमटे द्वारा कु ष्ठ रोवगयों
की वचक्रकर्तसा हेतु ईपचार कें ि।
सक्रियतािादी (Activist) NGOs : ऐसे NGOs सक्रियतािाद को ऄपने लक्ष्य तक पहुाँचने का
प्राथवमक साधन समझते हैं क्योंक्रक ईर्नहें विश्वास ही नहीं होता क्रक िे ऄवधकाररयों को क्रकसी ऄर्नय
ढंग से काया हेतु तर्तपर कर सकते हैं। आस िगा में अने िाले NGOs का सिाावधक प्रवसद्ध ईदाहरण
नमादा बचाओ अर्नदोलन है। यह एक ऐसा संगठन है वजसने मर्धय भारत में नमादा नदी पर बांधों
की एक श्रृंखला के वनमााण का विरोध क्रकया था।
ररसचा NGOs: ऐसे NGOs क्रकसी विषय या मुद्दे का सघन तथा गहन विश्लेषण करते हैं, और
सरकार, ईद्योग जगत या ऄर्नय एजेंवसयों के साथ वमलकर सािाजवनक नीवतयों को प्रभावित करने
के वलए जनमत तैयार करते हैं। ईदाहरण- सेंटर फॉर साआं स एंड एनिायरनमेंट, जो पयाािरण से
संबंवधत कायों में संलग्न है।
हालांक्रक, यह िगीकरण कठोर तथा ऄनर्भय नहीं है। NGOs बहुत प्रकार के कायों में संलग्न रहते हैं
वजर्नहें एक या दूसरे ऐसे िगा में रखा जा सकता है।
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एक NGO के बहुल गवतविवधयों में संलग्न होने तथा आसके बहुत प्रकार के लाभाथी होने से संबंवधत एक
व्यिवस्थत प्रस्तुवत वनम्नवलवखत है:
भारत जैसे विकासशील देशों में, विकास प्रक्रिया में सरकार द्वारा ऄनेक काया ऄधूरे िोड़ क्रदए जाते हैं,
ऄथाात् विकास प्रक्रिया में एक गैप बना रहता है। ऐसे में यह ऄंतराल NGOs द्वारा भरे जाते हैं। आसे
हम वनम्नवलवखत के मार्धयम से समझ सकते हैं:
ऐसे काया वजर्नहें पूरा करने में राज्य आछिु क नहीं होते: ईदाहरण के वलए जावत व्यिस्था एक ऐसा
मुद्दा है वजसे ख़र्तम करने के वलए सरकार समय व्यथा नहीं करना चाहती। जावत पदानुिम व्यिस्था
की वनरं तर विद्यमानता राजनेताओं के वलए िोट बैंक का काम करती है। ऄतः आस प्रक्रिया में,
जावत के अधार पर क्रकए जाने िाले भेदभाि का वनषेध करने िाले कानून प्राय: तब तक ईपेवक्षत
रह जाते हैं, जब तक क्रक ईस क्षेत्र में कोइ ऐसा NGOs काया नहीं कर रहा हो जो भेदभाि से
ग्रवसत लोगों के वहतों के वलए काया करने का आछिु क हो।
ऐसे काया वजर्नहें पूरा करने के वलए राज्य के संसाधन ऄपयााप्त हैं: आस प्रकार के दो प्रमुख क्षेत्र वशक्षा
और स्िास्र्थय देखभाल हैं। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार द्वारा संचावलत स्कू लों और
ऄस्पतालों की संख्या पयााप्त नहीं है। भले ही िह विद्यमान हो लेक्रकन ईनके पास पयााप्त सं साधन
नहीं है। NGOs आस कमी के ऄनुपूरका का काया करते हैं और आन पहओं को पूणाता तक पहुंचाते हैं।
के रल शास्त्र सावहर्तय पररषद् नामक NGO को के रल में शत प्रवतशत साक्षरता दर के वलए व्यापक
रूप से श्रेय क्रदया जाता है।
सामावजक बुराआयों से संघषा: सरकार ने NGOs के प्रयासों से ही ्ूण के प्रलग परीक्षण को
प्रवतबंवधत क्रकया है क्योंक्रक यह कर्नया ्ूण हर्तया जैसी बुराआयों को जर्नम देता है।
अश्रय (Shelter) का ऄवधकार: मुंबइ जैसे शहरों में युिा (YUVA ) और स्पाका (SPARC) जैसे
NGOs ने झुग्गी-झोपवड़यों के विर्धिंस का विरोध क्रकया है, तथा िे बढ़ते झुग्गी-झोपवड़यों में
जीिन की गुणित्ता बढ़ाने का प्रयास करते हैं।
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सूचना का ऄवधकार: NGOs के प्रयासों से भारत में सूचना का ऄवधकार िास्तविकता में पररवणत
हो पाया है।
जनजातीय ऄवधकार: जैसा क्रक िेदांता एिं पास्को मामले में देखा गया। यहााँ NGOs ने बहुराष्ट्रीय
कं पवनयों द्वारा अक्रदिासी के प्रवत क्रकए जाने िाले भेदभाि के विरुद्ध अिाज ईठाइ है। कइ
NGOs ने िन ऄवधकार ऄवधवनयम, CAMPA (क्षवतपूरक िनरोपण वनवध प्रबंधन एिं योजना
प्रावधकरण) अक्रद जैसे अवधवनयमों के ईवचत कायाार्नियन के वलए ग्राम पंचायतों के साथ
भागीदारी की है।
सामुदावयक विकास: विकास गवतविवधयों में प्रमुख कतााओं एिं भागीदारों के रूप में क्षेत्र में
स्थानीय और राष्ट्रीय NGOs का ईदय हुअ है। सामुदावयक स्तर पर, अधारभूत जरूरतों और
सुविधाओं की प्रदायगी में सहायता प्रदान करने, जागरूकता बढ़ाने और समुदायों की समस्याओं के
वलए अिाज ईठाने में िे ऄवग्रम पंवि में हैं।
पुनिाास: िषा 2004 की सुनामी के बाद NGOs ने ईल्लेखनीय काया क्रकए हैं। राहत कायों में
सहायता करने के ऄवतररि NGOs ने व्यिसावयक प्रवशक्षण कें ि भी स्थावपत क्रकए हैं।
और ऄंवतम ईपयोगकतााओं के बीच एक कड़ी के रूप में काया करते हैं। आस प्रकार NGOs सरकार
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िे नीवतगत विकास को बढ़ािा देने के वलए ऄनुसंधान अयोवजत कर, संस्थागत क्षमता का वनमााण
कर और लोगों को ऄवधक संधारणीय जीिन शैवलयों के साथ जीिन व्यतीत करने में लोगों की
सहायता करने के वलए सर्बय समाज के साथ स्ितंत्र संिाद को सुसार्धय कर आन ऄंतरालों को भरने
में सहायता कर महर्तिपूणा भूवमका वनभाते हैं।
पयाािरण संरक्षण का भविष्य, संधारणीय विकास और शूर्नय जनसंख्या िृवद्ध दर जैसे मुद्दे पयाािरण
NGOs जन जागरूकता ऄवभयान, िृक्षारोपण ऄवभयान, ऄपवशि वनिारण के वलए लैंडक्रफल्स में
ऄपवशि का वनपटान करने के स्थान पर पाररवस्थवतकीय रूप से संधारणीय प्रथाओं, जैस-े कें चुअ
पालन एिं कर्भपोप्रस्टग को बढ़ािा देन,े जीिाश्म ईंधनों के स्थान पर साआकलों और हररत
निीकरणीय ईंधनों के ईपयोग को प्रोर्तसावहत करने जैसे काया करते हैं। .
कइ NGOs जो डेटा-चावलत समथान प्रदान करने में विशेषज्ञता रखते हैं, िे सरकारी वनकायों को
सहायता प्रदान करते हैं तथा सरकार के समक्ष जैि विविधता और जल वनकायों पर ऄवतिमण की
खतरनाक वस्थवत का पररणामार्तमक प्रमाण प्रदर्मशत करते हैं। ईनकी ररपोटें मीवडया का र्धयान
अकर्मषत करती हैं, जनता को वशवक्षत करती हैं और ईनकी राय को क्रदशा प्रदान करती हैं।
िैवश्वक NGOs में िैवश्वक संवधयों को प्रस्तुत करने की क्षमता होती है, वजनमें खतरनाक ऄपवशिों
के विवनयमन को संबोवधत करने के वलए सुधार, बारूदी सुरंगों पर प्रवतबंध और ग्रीनहाईस गैसों
एिं ईनके ईर्तसजान का वनयंत्रण सवर्भमवलत है। ईदाहरण के वलए सेंटर फॉर साआं स एंड
एनिायरनमेंट नामक NGO ने प्रदूषण, खाद्य और पेय में विषाि पदाथों की विद्यमानता एिं
ऄर्नय महर्तिपूणा क्षेत्रों की ओर र्धयान अकर्मषत क्रकया है।
भारत में कु ि प्रमुख पयाािरणीय NGOs आस प्रकार हैं:
ग्रीनपीस;
WWF;
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भारत में विगत िषों में NGOs की संख्या में काफी िृवद्ध हुइ है। कें िीय ऄर्निेषण र्फयूरो (CBI) एक
एक ऄनुमान के ऄनुसार, भारत में प्रर्तयेक 600 नागररकों पर एक NGO है। लेक्रकन भारत में
NGOs में जिाबदेही का ऄभाि है। सिोच्च र्नयायालय में दायर की गइ एक जनवहत यावचका के
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प्रवत ऄनुक्रिया करते हुए CBI ने कहा क्रक ऄवधकांश NGOs ऄनुदान प्रावप्त एिं व्यय के वििरण
कर ऄवधकाररयों के समक्ष प्रस्तुत नहीं करते हैं।
सिोच्च र्नयायालय की एक जांच में अंध्र प्रदेश, वबहार, क्रदल्ली, हररयाणा, कनााटक, राजस्थान,
पवश्चम बंगाल, ओवडशा, तवमलनाडु , ित्तीसगढ़ और वहमाचल प्रदेश जैसे प्रमुख राज्य ऄपने राज्य
क्षेत्र में काया करने िाले NGOs के विषय में वििरण प्रदान नहीं कर पाए। यह व्यापक रूप से
भारत में NGOs से संबंद्ध विवनयामक तंत्र की विफलता की व्याख्या करता है। सिोच्च र्नयायालय
ने िषा 2017 में सरकार को 30 लाख NGOs एिं स्िैवछिक संगठनों, जो सािाजवनक वनवध प्राप्त
तो करते हैं लेक्रकन ऄपने व्ययों का वििरण प्रस्तुत करने में विफल रहते हैं, की लेखा परीक्षा करने
का अदेश क्रदया था।
एक जनवहत यावचका ने यह प्रदर्मशत क्रकया है क्रक NGOs में वित्तपोषण की वनगरानी करने के
वलए पारदशी तंत्र विद्यमान नहीं है। CBI की एक ररपोटा वजसने 32 लाख NGOs के राज्यिार
डाटा का संकलन क्रकया, ईसने यह दशााया है क्रक के िल 10% NGOs ने ऄपने िार्मषक अय एिं
व्यय वििरणों को दायर क्रकया।
आं टेवलजेंस र्फयूरो ने ऄपनी एक ररपोटा में विदेशों से वित्त प्राप्त करने िाले NGOs पर देश भर में
परमाणु और कोयला-चावलत विद्युत संयत्र
ं ों के विरुद्ध अंदोलनों एिं GMOs के विरुद्ध अंदोलनों
को प्रायोवजत करने और आस प्रकार पवश्चमी राष्ट्रों की विदेश नीवत के वहतों के वलए ईपकरणों के
रूप में काया करने का अरोप लगया। आन NGOs पर स्थानीय संगठनों के एक नेटिका के मार्धयम
से काया करते हुए GDP की संिवृ द्ध को 2–3% तक ऊणार्तमक रूप से प्रभावित करने का अरोप
लगाये गए हैं।
ग्रीनपीस पर यह अरोप लगाया गया क्रक आसने भारत में प्रमुख कोयला र्फलॉकों और कोयला
संचावलत विद्युत संयत्र
ं स्थलों पर 'कोल नेटिका ' ऄर्भब्रेला के ऄंतगात विरोध अंदोलन चलाने के
वलए विदेशी वित्तीयन का ईपयोग कर भारत के कोयला संचावलत विद्युत संयत्र ं ों और कोयला
खनन गवतविवधयों को बंद करिाने के वलए व्यापक स्तर पर प्रयास कर रहा था।
ऄप्रैल 2015 में भारत सरकार ने कु ि शीषा ऄंतरााष्ट्रीय दानकतााओं पर विदेशी ऄंशदान विवनयमन
ऄवधवनयम (Foreign Contribution Regulation Act: FCRA), 2010 के ईल्लंघन के वलए
की कानूनी कायािाही की तथा आसी दौरान संक्रदग्ध विदेशी विर्ततपोषण की जांच करने के वलए
फाआनेंवसयल आं टेवलजेंस यूवनट (FIU) के साथ 42,000 से ऄवधक NGOs की सूची साझा की।
पहली बार, सरकार ने स्पि रूप से आस क्षेत्रक को पररभावषत क्रकया है, वजसमें सामार्नय NGOs के
ऄवतररि, विदेशी ऄंशदान प्राप्त करने िाले इसाइ वमशनररयों, प्रहदू, वसख और मुवस्लम धार्ममक
समूहों को सूचीबद्ध क्रकया है। हालांक्रक, यह संदह
े व्यि क्रकया गया है क्रक मनी लॉप्रर्निंग करने िाले
लोग ऄिैध धन प्रेवषत करने के वलए आन िैध मागों का ईपयोग कर सकते हैं।
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स्ियं-सहायता समूह (SHGs) िस्तुतः वनधान और िंवचत लोगों को संगरठत करने तथा ईनकी
व्यविगत समस्याओं के समाधान के वलए ईर्नहें एक साथ लाने का एक ईपाय है। विश्व भर में
सरकारों, NGOs और ऄर्नय लोगों द्वारा SHGs की गवतविवधयों का ईपयोग क्रकया जाता है।
वनधान लोग ऄपनी संग्रवहत बचत को बैंकों में जमा करते हैं। ईसके बदले में ईर्नहें सूक्ष्म ईद्यम
प्रारर्भभ करने के वलए कम र्फयाज दर पर ऊण तक पहुंच सुगम हो जाती है।
एक स्ियं-सहायता समूह को “एक समान अर्मथक पृष्ठभूवम िाले और साझे ईद्देश्य के वलए सामूवहक
रूप से काया करने के आछिु क लोगों के स्ियं-शावसत और समकक्ष द्वारा वनयंवत्रत सूचना समूह” के
रूप में पररभावषत क्रकया गया है।
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समूह के सदस्य ऄपनी समस्याओं के समाधान के वलए एक-दूसरे की सहायता करते हैं। एक
सामार्नय रूप से वशवक्षत और स्थानीय सहायक व्यवि आन लोगों को एक साथ लाने और समूह के
गठन में ऄग्रणी भूवमका वनभाता है।
िह व्यवि, वजसे एवनमेटर या समर्नियक कहा जाता है, समूह के सदस्यों के बीच वमतव्यवयता और
िोटी बचत की अदतों को विकवसत करने में सहायता करता है। समूह की बचत को साझे बैंक
खाते में रखा जाता है, वजसमें से सदस्यों को सूक्ष्म/लघु ऊण क्रदए जाते हैं।
िह महीने के पश्चात् SHG ऄपने सदस्यों के वलए ईपयुि ईद्यम के संचालन हेतु बैंक के पास ऊण
सुविधा के वलए जा सकता है। आस सामूवहक ऊण को लघु व्यिसाय चलाने के वलए सदस्यों के बीच
विभावजत क्रकया जाता है। व्यिसाय से ऄर्मजत लाभ से ऊण चुकता क्रकया जाता है।
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हालााँक्रक, वनधानता की समस्या से वनपटने के वलए एक ईपकरण के रूप SHG को महर्ति 1992 में
तब वमला, जब भारतीय ररजिा बैक (RBI) ने 500 SHGs को NABARD-SHG बैंक प्रलके ज
पायलट प्रोग्राम से जोड़ने हेतु एक पररपत्र जारी क्रकया था।
आस सफलता ने SHGs को वित्तीय पररदृश्य और विशेष रूप से भारतीय बैंककग व्यिस्था की
मुख्यधारा से जोड़ क्रदया है, वजसके कारण 7.5 वमवलयन SHGs के द्वारा 94 वमवलयन वनधान
लोग बैंककग प्रणाली से जुड़ गये हैं और िे वबना ऄवग्रम जमानत के ऊण का लाभ ईठा रहे हैं।
आन SHGs से संबद्ध वनधान मवहलाएं सामूवहक रूप से लगभग 1,00,000 करोड़ रुपये (17
वबवलयन डॉलर) के िार्मषक कारोबार का वनयर्नत्रण कर रही हैं। यह रावश भारत की कइ बहुराष्ट्रीय
कं पवनयों से कहीं ऄवधक है।
आसके साथ ही, कु ि बड़ी भारतीय NGOs ने यह प्रदर्मशत क्रकया है क्रक स्िास्र्थय क्षेत्रक के साथ-
साथ जावतगत और लैंवगक ऄसमानताओं की खाआयों को पाटने में सामूवहकता सामावजक और
अर्मथक सशविकरण का साधन बन सकती है।
वनधानता ईर्नमूलन के ईपायों के एक भाग के रूप में, भारत सरकार ने ऄप्रैल 1999 में स्िणा जयंती
ग्राम स्िरोजगार योजना (SGSY) का शुभारर्भभ क्रकया, जहााँ माआिो-िे वडट फाआनेंस के मार्धयम से
SHG के गठन, सामावजक लामबंदी और अर्मथक सक्रियता पर प्रमुखता से बल क्रदया गया।
आस सफलता के पश्चात् 2011 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण अजीविका वमशन
(National Rural Livelihoods Mission: NRLM) के मार्धयम से विशाल समुदावयक लामबंदी
की पहल अरं भ की गइ।
कु ि ऄनुमानों के ऄनुसार, लगभग 46 वमवलयन ग्रामीण वनधान मवहलाएं SHGs के द्वारा लामबंद
हैं। ये संगठन विशेष रूप से बैंको से ऄसर्भबद्ध मवहलाओं को वित्तीय मर्धयस्थता समाधान प्रदान
करने के प्रभािी साधन वसद्ध हुए हैं।
आसके सामावजक-अर्मथक लाभों में अर्मथक अर्तमवनभारता, ग्रामीण मामलों में सहभावगता और
शैवक्षक जागरूकता सर्भमवलत हैं।
राष्ट्रीय ग्रामीण अजीविका वमशन के ऄंतगात, BPL मवहलाओं पर विशेष र्धयान क्रदया जाता है। आस
योजना में SHGs के क्षमता वनमााण और ईर्नहें संस्थागत बनाने पर भी र्धयान क्रदया जाता है। आससे
सामावजक लामबंदी, संस्था वनमााण, समुदायीकरण और मानि संसाधन को बेहतर बनाने में
सहायता प्राप्त हुइ है।
SHGs की बैठकों की वनयवमत प्रक्रिया से मवहलाओं को सामावजक पूाँजी जुटाने में सहायता वमली
है। आससे पररिार और समाज में ईनकी हैवसयत बढ़ी है।
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अर्मथक सशविकरण ने ईर्नहें पररिार में वनणाायक भूवमका प्रदान करने में सहायता की है। आस
प्रकार से वपतृसत्ता की बेवड़यााँ काटने में सहायता वमली है।
एक शोध से पता चला है क्रक ‘सहभागी वशक्षा और कायािाही’ (participatory learning and
action) को ऄपनाने से मातृ मृर्तयु दर में 49% और बाल मृर्तयु दर में 33% की कमी अइ है।
कृ वष गवतविवधयााँ: ऄवधकांश SHGs स्थानीय स्तर पर कृ वष से संबद्ध गवतविवधयों में ही संलग्न हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में SHGs को गैर-कृ वष व्यिसाय से भी जोड़ना चावहए और ईर्नहें ऄर्तयाधुवनक
मशीनरी प्रदान की जानी चावहए।
प्रौद्योवगकी का ऄभाि: ऄवधकांश SHGs ऄल्पविकवसत हैं या वबना क्रकसी तकनीक के काया करते
हैं।
बाजार तक पहुंच: SHGs द्वारा ईर्तपाक्रदत िस्तुओं की बड़े बाजारों तक पहुंच नहीं है।
खराब ऄिसंरचना: ऄवधकांश SHGs ग्रामीण और सुदरू क्षेत्रों में वस्थत हैं जहााँ सडक या रे ल संपका
नहीं है। विद्युत् की पहुंच भी एक मुद्दा है।
प्रवशक्षण और क्षमता वनमााण का ऄभाि: ऄवधकांश SHGs कौशल विकास और क्षमता वनमााण के
वलए राज्य से वबना क्रकसी सहायता के ऄपने ही स्तर पर काया करते रहते हैं।
राजनीवतकरण: राजनीवतक सर्भबद्धता और हस्तक्षेप SHGs के वलए एक गर्भभीर समस्या बन गया
है। राजनीवतक सर्भबद्धता सामूवहक संघषों का कारण बनती है।
ऊण संग्रहण: एक ऄर्धययन से पता चला है क्रक 48% सदस्यों को स्थानीय महाजनों, ररश्तेदारों
और पड़ोवसयों से ईधार लेना पड़ता है, क्योंक्रक समूहों से ईर्नहें ऄपयााप्त ऊण वमल रहा था। आसके
ऄवतररि धन की जमाखोरी भी देखने में अइ है।
वनगरानी प्रणाली: SHGs की प्रगवत पर कु ि ररपोटों में यह बात सामने अयी है क्रक SHG की
कायाप्रणाली और प्रक्रियाओं पर प्रश्न ईठाये वबना ही ईनके विकास और प्रसार के अंकड़े प्रस्तुत
क्रकये जाते हैं।
अजीविका प्रोर्तसाहन: SHGs के सदस्यों के बीच सूक्ष्म ईद्यमों को प्रोर्तसावहत करने हेतु एक पद्धवत
विकवसत करने की अिश्यकता है, वजसे बड़े स्तर पर लागू क्रकया जा सकता है।
4.6. ग्रामीण क्षे त्रों में SHGs के प्रिे श में सामावजक-सां स्कृ वतक बाधाएं
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कइ वििावहत मवहलाएं ऄपने वनिास स्थान में पररितान होने से समूह से जुड़े रहने की वस्थवत में
नहीं रह जाती हैं।
कइ SHGs में सशि सदस्य ऄज्ञानी और ऄवशवक्षत सदस्यों का शोषण करके ऄवधक लाभ ऄर्मजत
करने का प्रयास करते हैं।
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प्रौद्योवगकी के साथ बैकिडा प्रलक और प्रसंस्करण ि बाजार संगठनों के साथ फॉिाडा प्रलके ज के
सर्नदभा में एक वनधान पररिार की समग्र ऊण अिश्यकताओं को पूरा करने के वलए एक समेक्रकत
दृविकोण की अिश्यकता है।
विविधतापूणा गवतविवधयों के वलए ऊण क्रदया जाना चावहए वजनमें अय िृवद्ध िाली अजीविका
गवतविवधयां, घरे लू ईपभोग के वलए ऊण और कु ि अकवस्मक अपदाएं सर्भमवलत हैं।
वितरण प्रणाली को ऄग्रसक्रिय बनाना होगा, जो क्रकसानों की वित्तीय अिश्कताओं के प्रवत
ऄनुक्रिया कर सके ।
वित्तीय प्रबर्नधन, खातों की देखरे ख, ईर्तपादन और विपणन गवतविवधयों से सर्भबवर्नधत प्रवशक्षण
कायािम अयोवजत क्रकये जाने चावहए।
ऊण देने की प्रक्रिया को सरलीकृ त करना चावहए।
बैंक कमाचाररयों को लैंवगक संिदेनशीलता का प्रवशक्षण देना, ताक्रक िे ऄपने ग्रामीण ग्राहकों,
विशेष रूप से मवहलाओं की अिश्यकताओं के प्रवत संिद
े नशील बन सकें ।
ईद्यवमयों के वहतों की रक्षा के वलए SHGs द्वारा प्रिर्मतत व्यिसावयक आकाआयों को वित्तीय क्षवत से
सुरवक्षत रखने के वलए पयााप्त बीमा किर प्रदान क्रकया जाना चावहए।
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विकासशील देशों में सरकारों और ऄर्नय एजेंवसयों द्वारा अर्मथक, पयाािरणीय, सामावजक और
राजनीवतक विकास के वलए प्रदान की जाने िाली वित्तीय सहायता को विकास सहायता कहा जाता है।
आसमें वनधानता ईर्नमूलन के वलए दीघाकावलक रणनीवत सर्भमवलत होती है।
विदेशी विशेषज्ञ भारत को ‘विकासार्तमक विरोधाभास’ (development paradox) की संज्ञा देते
हैं। भारत विश्व की बड़ी ऄथाव्यस्थाओं में से एक है और आसकी संिृवद्ध दर काफी ईच्च है। यह भारी
मात्रा में सुरक्षा पर व्यय करता है। क्रफर भी यह विकास सहायता चाहता है। ऄंतरााष्ट्रीय स्तर पर
यह बहस का एक मुद्दा है।
्िाचार: विदेशी ऄनुदान (प्रायः ऄफ्रीका के तानाशाही राष्ट्रों में) को सरकारी ऄवधकाररयों द्वारा
ऄपने वनजी वहतों के वलए हड़प वलया जाता है। आससे कइ सारे गैर -वनष्पाक्रदत NGOs की ईर्तपवत्त
हुइ है।
पररयोजनाओं की पहचान: ऄतीत में बहुत-सी धनरावश बबााद हो गयी, क्योंक्रक ऄनुदान के जारी
होने से पहले न तो प्रस्तािों की पयााप्त जांच नहीं की गयी और न ही प्राथवमकताओं की सही ढंग से
पहचान की गयी।
प्राप्तकताा देशों को प्रभावित करना: सहायता प्रदान करने िालों पर प्रायः प्राप्तकताा सरकारों और
ईनके द्वारा बनाइ जाने िाली नीवतयों को ऄनािश्यक रूप से प्रभावित करने के अरोप लगते रहे
हैं।
ऊण सहायता: िैवश्वक अर्मथक मंदी के कारण कइ देश ऊण सहायता प्रदान करने में ऄसमथा हो
गए हैं।
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द्वारा विकास सहायता प्रदान करने की प्रवतबद्धता है। ितामान समय में, विकवसत देश ऄपने GDP
का 0.7% ODA के रूप में विकाशील देशों को देने के वलए प्रवतबद्ध हैं, हालााँक्रक कम ही देशों ने
आस लक्ष्य को पूरा क्रकया है।
विदेशी सहायता प्राप्त करने िाले देशों में भारत 2011 में िठा सबसे बड़ा प्राप्तकताा था और
ईच्चतम प्राप्तकताा बना हुअ है। विश्व बैंक की िेबसाआट पर ईपलर्फध अंकड़ों के ऄनुसार, भारत ने
2011 में 3.2 वबवलयन डॉलर, 2012 में 1.6 वबवलयन डॉलर और 2013 में 2.4 वबवलयन डॉलर
प्राप्त क्रकये।
शीषा दानकतााओं में शावमल हैं: विश्व बैंक, जापान, जमानी, एवशयाइ विकास बैंक, यूनाआटेड
ककगडम, फ़्ांस, ग्लोबल फं ड (AIDS, तपेक्रदक और मलेररया से लड़ने के वलए), यूनाआटेड स्टेट्स
ऑफ़ ऄमेररका और यूरोपीय संघ।
भारत भी ऄर्नय देशों को सहायता प्रदान करता है। आसका 2015-16 के वलए विदेशी सहायता का
बजट 1.6 वबवलयन डॉलर था।
हालााँक्रक, हाल के समय में भारत की विदेशी सहायता में काफी कमी अइ है। यह अंवशक रूप से
भारत की तीव्र अर्मथक संिृवद्ध और अंवशक रूप से बदलते भौगोवलक-राजवनवतक धुरी के कारण
हैं।
स्िछि उजाा, खाद्य सुरक्षा और स्िास्र्थय के वलए लवक्षत ऄमेररकी सहायता में हाल के िषों में 25
प्रवतशत (िषा 2010 में लगभग 127 वमवलयन डॉलर से घट कर 2013 में 98.3 वमवलयन डॉलर)
की वगरािट अइ है। ।
2015 में UK ने भारत को अर्मथक विकास के नाम पर दी जाने िाली सहायता बंद कर दी। भारत
ने यह कहते हुए आस कदम का स्िागत क्रकया है क्रक “सहायता ऄतीत है, व्यापार भविष्य है”।
भारत ऄब समृद्ध राष्ट्रों से एक वनधान राष्ट्र के रूप में सहायता प्राप्त करने िाले मॉडल को नकारते
हुए स्ियं को एक िैवश्वक शवि तथा वब्रटेन जैसे विकवसत देशों के एक भागीदार के रूप में देखता
और खुद को आसी रूप में प्रस्तुत करता है।
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आसे विदेशी ऄंशदान (विवनयमन) ऄवधवनयम (FCRA), 1976 के स्थान पर लाया गया है। यह
ऄवधवनयम (FCRA, 2010) दान, ईपहार या ऄनुदान के मार्धयम से प्राप्त हाने िाले सभी विदेशी धन
की स्िीकृ वत एिं ईपयोग को विवनयवमत करता है।
1976 के ऄवधवनयम के ऄंतगात ऄनेक ऐसे संगठनों एिं व्यवियों की सूची तैयार की गयी है, वजर्नहें
विदेशी ऄंशदान स्िीकार करने से प्रवतबंवधत क्रकया गया है। नए ऄवधवनयम द्वारा आस सूची में
"राजनीवतक प्रकृ वत" के संगठनों तथा आलेक्ट्रॉवनक मीवडया संगठनों को जोड़ा गया है।
आस ऄवधवनयम का दायरा बहुत व्यापक है तथा यह एक व्यवि, कॉरपोरे ट वनकाय, ऄर्नय सभी प्रकार
की भारतीय संस्थाओं (चाहे वनगवमत हों या नहीं) अक्रद पर लागू है। साथ ही, यह भारत में गरठत या
पंजीकृ त भारतीय कं पवनयों तथा ऄर्नय संस्थाओं, ऄवनिासी भारतीयों तथा भारतीय कं पवनयों की
विदेशी शाखाओं/सहायक कं पवनयों पर भी लागू है। यह भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा कायाावर्नित
क्रकया जाता है।
FCRA से संबवं धत हावलया मुद्दे तथा NGOs पर प्रभाि
24 जुलाइ, 2018 को कें िीय गृह राज्य मंत्री ने लोकसभा में एक प्रश्न के ईत्तर में कहा क्रक िषा
2011 से ऄब तक लगभग 19,000 NGOs का FCRA पंजीकरण रद्द कर क्रदया गया है तथा ईर्नहें
विदेशी धन प्राप्त करने से प्रवतबंवधत कर क्रदया गया है। ईर्नहोंने सदन को यह भी बताया क्रक अज
तक 2,547 NGOs ने ऄपने लंवबत िार्मषक ररटना - अय एिं व्यय, विदेशों से धनरावश की
प्रावप्तयां ि बैलस
ें शीट - जमा करने में सरकारी अदेशों का पालन नहीं क्रकया है।
कु ल प्राप्त रावश का 13 प्रवतशत धार्ममक संस्थानों एिं जागरूकता ऄवभयान जैसे वििाक्रदत मुद्दों पर
व्यय होता है। सरकार ने आन दोनों गवतविवधयों को राष्ट्र-विरोधी करार क्रदया है, क्योंक्रक धार्ममक
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संस्थान अतंकिादी गवतविवधयों को बढ़ािा दे रहे हैं तथा जागरूकता ऄवभयान सरकार की
विकासार्तमक पररयोजनाओं को लवक्षत कर रहे हैं।
विशेषज्ञों ने एक विरोधाभास की ओर संकेत क्रकया है क्रक भारत प्रर्तयक्ष विदेशी वनिेश (FDI) को
तो बढ़ािा देता है, परं तु NGOs को सहायता लेने से प्रवतबंवधत करता है। ऄतीत में, रूस एिं
हंगरी जैसे कर्भयुवनस्ट देशों द्वारा समान प्रवतबंध लगाए गए थे।
एक खुक्रफया ररपोटा (IB) ने भारत के GDP में वगरािट के वलए NGOs को दोषी ठहराया है। यह
भी अरोप लगाया गया है क्रक कु ि इसाइ NGOs धमाांतरण में लगे हुए हैं। आस िम में, ऄमेररका-
अधाररत एक NGO कर्भपैशन आंटरनेशनल को सरकार द्वारा ‘प्राथवमकता सूची‘ (priority list) में
रखा गया था।
जून 2018 में, सरकार ने FCRA मानदंडों का ईल्लंघन करने पर NGOs पर लगाए जाने िाले
जुमााने में ढील दी है। ऄब से, वनलंबन या लाआसेंस रद्द करने के बजाय, NGOs पर भारी जुमााना
लगाया जाएगा। ये जुमााने भूतलक्षी तौर पर अरोवपत नहीं क्रकये जाएंगे।
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नृजातीय मुद्दे: लगभग तीन दशकों तक चले एक लंबे युद्ध के कारण विस्थावपत तवमल जनसंख्या के
पुनिाास के वलए भारत श्रीलंका में घरों का वनमााण कर रहा है।
सॉर्पट पॉिर कू टनीवतः भारत ऄपनी सॉर्पट पािर की पहचान स्थावपत करने के वलए भी सहायता
प्रदान करता है।
पड़ोसी देशों में चीन के प्रभाि का मुकाबला करना भारतीय सहायता के पीिे एक और प्रमुख
कारण है।
दवक्षण एवशया एक अपदा प्रिण क्षेत्र है तथा आस क्षेत्र के कइ देश स्ियं राहत काया करने में सक्षम
नहीं हैं।
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बैंककग क्षेत्र पर MFIs की ऄवधक वनभारता: आनका लगभग 80% फं ड बैंकों से अता है। आनमें से
ऄवधकतर वनजी बैंक हैं जो ईच्च र्फयाज दर प्रभाररत करते हैं और साथ ही ऊण की ऄिवध भी कम
होती है। यह ईर्नहें वडफ़ॉल्ट और चूक के प्रकरणों के प्रवत ऄल्प प्रवतक्रियाशील बनाता है।
वित्तीय सेिाओं के संबध ं में जागरूकता की कमी: भारत में वित्तीय साक्षरता बहुत कम है। लगभग
76% अबादी मूलभूत वित्तीय ऄिधारणाएं नहीं समझती है। MFIs जागरूकता की आस कमी के
कारण ऄपने व्यापार को वित्तीय रूप से ऄवधक व्यिहाया बनाने के वलए संघषा करते हैं।
वनयामकीय मुद्दे: RBI, MFIs का वनयामक है, लेक्रकन सूक्ष्मवित्त क्षेत्रक की अिश्यकताएं और
प्रारूप बैंकों से काफी वभन्न है। वनयामकीय मुद्दों ने ईप-आितम प्रदशान और नए वित्तीय ईर्तपादों
एिं सेिाओं के विकास में विफलता का मागा प्रशस्त क्रकया है
ईपयुि मॉडल: ऄवधकांश MFIs SHGs या संयुि देयता समूह मॉडल का ऄनुसरण करते हैं।
ऄक्सर यह देखा जाता है क्रक आनके मॉडल के चयन की प्रकृ वत िैज्ञावनक नहीं होती है। आससे
दीघाकाल में संगठन की संधारणीयता प्रभावित होती है और साथ ही गरीब िगा के वलए ईधार लेने
का जोवखम ईनकी सहनशीलता से परे भी बढ़ सकता है।
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सोसाआटी (Societies): सोसाआटी पंजीकरण ऄवधवनयम, 1860 और 1947 के बाद से आसमें हुए
विवभन्न राज्य संशोधनों के ऄंतगात पंजीकृ त सोसाआरटयां आसके ऄंतगात अती हैं;
धार्ममक और लोकोपकारी काया (religious and charitable work): ररलीवजयस एंड
एनडाईनमेंट एक्ट, 1863; चैररटेबल एंड ररलीवजयस ट्रस्ट एक्ट, 1920; िक्फ ऄवधवनयम, 1995
और ऐसे ही ऄर्नय राज्य ऄवधवनयमों के ऄंतगात पंजीकृ त विशुद्ध धार्ममक और लोकोपकारी काया में
लगी सोसाआरटयां;
र्नयास एिं लोकोपकारी संस्था (Trusts and charitable institutions): भारतीय र्नयास
ऄवधवनयम, 1882; चैररटेबल एनडाईनमेंट एक्ट, 1890; बॉर्भबे पवर्फलक सािाजवनक ट्रस्ट एक्ट,
1950; और ऐसे ही ऄर्नय राज्य ऄवधवनयमों के ऄंतगात पंजीकृ त र्नयास और लोकोपकारी संस्थाएं।
सोसाआटी िस्तुतः सावहर्तय, लवलत कला, विज्ञान आर्तयाक्रद के संिधान के वलए कु ि साझा ईद्देश्यों से सात
या ऄवधक व्यवियों द्वारा वनर्ममत संघ होती है। आसे अरं भ करने के वलए कु ि साझी पररसंपवत्तयां हो भी
सकती हैं या नहीं भी हो सकती हैं, लेक्रकन समय के साथ, सोसाआरटयां वपरसंपवत्तयां ऄवधग्रहीत कर
सकती हैं। आर्नहें सोसाआटी पंजीकरण ऄवधवनयम, 1860 के ऄंतगात पंजीकृ त क्रकया जाता है।
कइ राज्य कानूनों (स्ितंत्रता के बाद संशोधन के मार्धयम से) ने सोसाआरटयों के दुरुपयोग और दुराचार से
वनपटने के वलए व्यापक सरकारी वनयंत्रण स्थावपत क्रकया है। आन कानूनी ईपायों में सवर्भमवलत हैं:
पूिताि और जांच की राज्य की शवि;
पंजीकरण का वनरसन और पररणामस्िरूप सोसाआटी का विघटन;
शासी वनकाय का ऄवधग्रहण;
प्रशासक की वनयुवि;
विघटन; तथा
वनवष्िय संगठनों का विलोपन।
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ररलीवजयस एंड एनडाईनमेंट पर ऄर्नय राज्य कानूनों के ऄंतगात गरठत प्रबंध सवमवत द्वारा
पयािेक्षण क्रकया जाता है; तथा
िक्फ सृवजत कर, वजसका िक्फ ऄवधवनयम, 1995 के प्रािधानों के ऄंतगात प्रबंधन क्रकया जा
सकता है।
र्नयास िस्तुतः संगठन का एक विशेष प्रकार होता है जो िसीयतनामा (will) से ईर्दभूत होता है।
िसीयतनामा वनमााता विशेष रूप से क्रकसी विवशि ईद्देश्य के वलए ईपयोग क्रकए जाने हेतु संपवत्त
का स्िावमर्ति हस्तांतररत कर देता है। यक्रद आसका ईद्देश्य विशेष व्यवियों को लाभ पहुंचाना है, तो
िह वनजी र्नयास बन जाता है और यक्रद यह समग्र रूप से अम जनता या समुदाय के कु ि ईद्देश्यों से
संबंवधत है, तो आसे सािाजवनक र्नयास कहा जाता है।
र्नयास और सोसाआटी के बीच ऄंतर
सामार्नयतः वजन विषयों के अधार पर क्रकसी संस्थान को सोसाआटी पंजीकरण ऄवधवनयम, 1860
के ऄंतगात पंजीकृ त क्रकया जा सकता है, व्यािहाररक रूप से ईर्नहीं अधारों पर र्नयास को गरठत
क्रकया जा सकता है।
सोसाआटी, प्रथमदृष्टया, विवभन्न लोकतांवत्रक आकाइयों में से एक है, क्योंक्रक आसके सभी सदस्यों
(कम से कम सात) की आसके संचालन में समान भागीदारी होती है, जबक्रक र्नयास में, िसीयतनामा
की स्पिता के अधार पर संपवत्त पर वनयंत्रण पूरी तरह से र्नयावसयों (Trustees) के हाथों में बना
रहता है और ऐसा प्रबंधन लंबे समय तक ऄवस्तर्ति में बना रहता है।
सरकार र्नयास के मामलों में के िल तभी हस्तक्षेप करती है जब र्नयासी बदलते हैं या र्नयास आतना
ऄवधक पुराना हो जाता है क्रक मूल िसीयतनामा की शतों के ऄनुसार आसे प्रबंवधत नहीं क्रकया जा
सकता है या र्नयास के दुराचार या दुरुपयोग के अधार पर।
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(Religious Endowments)
ररलीवजयस एनडाईनमेंट और िक्फ र्नयास के प्रकार हैं वजनका विवशि धार्ममक ईद्देश्यों के वलए
गठन क्रकया जाता है, ईदाहरण के वलए, िमशः प्रहदुओं और मुसलमानों के बीच इश्वर, दान-पुण्य
और धमा से संबंवधत कायों में सहायता प्रदान करने के वलए।
सािाजवनक र्नयासों के विपरीत, ये ऄवनिाया रूप से क्रकसी औपचाररक पंजीकरण के मार्धयम से
गरठत नहीं भी हो सकते हैं, न ही िे दाता, र्नयासी और लाभाथी के बीच वत्रकोणीय संबंधों पर
विशेष रूप से बल देते हैं।
ररलीवजयस एनडाईनमेंट िस्तुतः धार्ममक ईद्देश्यों के वलए संपवत्त के समपाण से गरठत होते हैं।
मुवस्लम समुदाय के बीच सदृश कायािाही से िक्फ का सृजन होता है। िक्फ संपवत्त की व्यस्था
करते हैं और लोगों को भोगावधकार समर्मपत कर देते हैं।
भारतीय संविधान धार्ममक प्रकरणों को प्रबंवधत करने की स्ितंत्रता को ऄपने नागररक के एक मूल
ऄवधकार के रूप में मार्नयता देता है। ऄनुछिेद 26 के ऄनुसार - "लोक व्यिस्था, सदाचार और
स्िास्र्थय के ऄधीन रहते हुए, प्रर्तयेक धार्ममक संप्रदाय या ईसके क्रकसी ऄनुभाग को-
(a) धार्ममक और पूता प्रयोजनों के वलए संस्थाओं की स्थापना और पोषण का;
(b) ऄपने धमा विषयक कायों का प्रबंध करने का;
(c) जंगम और स्थािर संपवत्त के ऄजान और स्िावमर्ति का; तथा
(d) ऐसी संपवत्त का विवध के ऄनुसार प्रशासन करने का;
ऄवधकार होगा।
हालांक्रक, ईपयुाि प्रािधान धार्ममक ईद्देश्यों के वलए र्नयास/लोकोपकारी संस्थाओं को सृवजत करने
की स्ितंत्रता देता है, लेक्रकन यह "विवध के ऄनुसार" ऐसी संपवत्त के प्रशासन पर कु ि वनयंत्रण
स्थावपत करता है - ऄनुछिेद 26 (d)।
भारत में मुवस्लम शासन के दौरान, िक्फ की ऄिधारणा को व्यापक रूप से कु रान द्वारा ऄनुमोक्रदत
दान-पुण्य की भािना के साथ यथा संरेवखत क्रकया गया था। िक्फ का तार्तपया आस अधार पर
मुवस्लमों द्वारा इश्िर को चल या ऄचल, मूता या ऄमूता संपवत्त ऄर्मपत करने से है क्रक यह हस्तांतरण
जरूरतमंदों को लाभावर्नित करे गा। जैसा क्रक आसका तार्तपया इश्िर को संपवत्त के ऄर्बयपाण से है,
ऄत: िक्फ विलेख (Waqf deed) ऄपररितानीय और शाश्वत होता है।
ितामान में, भारत में 30,0000 िक्फों को िक्फ ऄवधवनयम, 1995 के विवभन्न प्रािधानों के
ऄंतगात प्रशावसत क्रकया जा रहा है। यह ऄवधवनयम जर्भमू-कश्मीर और दरगाह ख्िाजा साहब,
ऄजमेर को िोड़कर पूरे देश में लागू है।
आस ऄवधवनयम के ऄंतगात प्रबंधन संरचना के तहत प्रर्तयेक राज्य में एक शीषा वनकाय के रूप में एक
िक्फ बोडा का गठन क्रकया गया है। प्रर्तयेक िक्फ बोडा एक ऄधा-र्नयावयक वनकाय है वजसे िक्फ से
संबंवधत वििादों पर वनणाय देने का ऄवधकार है। राष्ट्रीय स्तर पर, कें िीय िक्फ पररषद (Central
Waqf Council) का गठन क्रकया गया है जो एक िैधावनक एिं सलाहकारी वनकाय है।
िक्फ ऄवधवनयम को 2013 में संशोवधत क्रकया गया था। संशोवधत िक्फ ऄवधवनयम ने िक्फ
संस्थान को मजबूत बनाने और ईनका कायाकरण सुव्यिवस्थत बनाने के प्रािधान क्रकए हैं। आस
ऄवधवनयम में सवर्भमवलत कु ि महर्तिपूणा प्रािधान हैं:
o गैर-मुसलमानों को भी िक्फ के सृजन की ऄनुमवत देने के वलए िक्फ की पररभाषा में संशोधन
क्रकया गया है।
o यक्रद क्रकरायेदारी (tenancy), पट्टा या लाआसेंस समाप्त हो गया है या समाप्त कर क्रदया गया
है, तो आसे ऄवतिमण माना जाएगा।
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o कें िीय िक्फ पररषद को यह ऄवधकार क्रदया गया है क्रक िह िार्मषक ररपोटा और लेखा परीक्षा
ररपोटा की जानकारी मांगते हुए राज्य िक्फ बोडों को ईनके वित्तीय प्रदशान, सिेक्षण, िक्फ
विलेखों के रखरखाि, राजस्ि ऄवभलेख, और िक्फ संपवत्तयों के ऄवतिमण पर वनदेश जारी
कर सकता है।
o कें िीय िक्फ पररषद द्वारा जारी क्रकए गए वनदेशों से ईर्तपर्नन होने िाला कोइ भी वििाद
सिोच्च र्नयायालय के सेिावनिृत्त र्नयायाधीश या ईच्च र्नयायालय के सेिावनिृत्त मुख्य र्नयायाधीश
की ऄर्धयक्षता में कें ि सरकार द्वारा गरठत ऄवधवनणाय बोडा को संदर्मभत क्रकया जाएगा।
o आस ऄवधवनयम के अरं भ होने की वतवथ से 6 महीने के भीतर राज्य िक्फ बोडों की स्थापना
की जाएंगी।
o िक्फ संपवत्तयों के हस्तांतरण को रोकने के वलए िक्फ संपवत्तयों की 'वबिी', 'ईपहार', 'बंधक',
विवनमय' और 'हस्तांतरण' पर प्रवतबंध लगाया गया है।
o िक्फ संपवत्तयों के 'पट्टे' की ऄनुमवत है। हालांक्रक, मवस्जद, दरगाह, खानकाह, कवब्रस्तान और
आमामबाड़ा का 'पट्टा' वनवषद्ध कर क्रदया गया है।
o राज्य सरकार द्वारा ऄनुमोदन से पट्टा ऄिवध को िावणवज्यक गवतविवधयों, वशक्षा या स्िास्र्थय
ईद्देश्यों के वलए ऐसी पररयोजनाओं की लंबी पररपक्िता ऄिवध और वनयोवजत पूज
ं ी पर लंबी
ऄिवध के प्रवतफल के कारण एक समान रूप से 30 िषों तक बढ़ाया गया है। कृ वष भूवम के पट्टे
की ऄवधकतम ऄिवध 3 िषा तय की गइ है। आसके ऄवतररक्त, 3 िषा से ऄवधक पट्टे की राज्य
सरकार को सूचना दी जानी चावहए और यह के िल 45 क्रदनों के बाद प्रभािी होगा।
श्रवमक संघ ऄवधवनयम, 1926 (Trade Unions Act, 1926) की धारा 2 के संदभा में, "श्रवमक
संघ से अशय मुख्य रूप से श्रवमकों और वनयोिाओं के बीच या श्रवमकों और श्रवमकों के बीच या
वनयोिाओं और वनयोिाओं के बीच संबंधों को विवनयवमत करने के ईद्देश्य से गरठत या क्रकसी भी
व्यापार या व्यिसाय के संचालन पर प्रवतबंधक शते लागू करने के वलए संयोजन से है, चाहे
ऄस्थायी हो या स्थायी, और आसमें दो या दो से ऄवधक श्रवमक संघों िाला कोइ भी संघ सवर्भमवलत
है।"
श्रवमक संघ ऄवधवनयम का ईद्देश्य, जैसा क्रक उपर पररभावषत क्रकया गया है, श्रवमक संघों को
कानूनी ऄवस्तर्ति और सुरक्षा प्रदान करना है।
महर्तिपूणा बात यह है क्रक यह भी प्रािधान क्रकया गया है क्रक संघ या राज्य में मंवत्रपररषद का कोइ
भी सदस्य या लाभ का पद धारण करने िाला व्यवि पंजीकृ त श्रवमक संघ का कायाकारी सदस्य या
ऄर्नय पदधारी नहीं होगा।
1. स्ियं-सहायता समूह (SHG) बैंक प्रलके ज प्रोग्राम आसे विवभन्न देशों में विविध सामावजक-
अर्मथक समस्यायों को सुलझाने हेतु प्रयुि एक प्रभािी साधन के रूप में प्रस्तुत करता है।
भारत में आस प्रकार के कायािम के संभावित वनष्पादन और संधारणीयता का ऄर्निेषण
कीवजए?
दृविकोण:
भूवमका में स्ियं-सहायता समूह (SHG) बैंक प्रलके ज प्रोग्राम का िणान कीवजए।
आसके वनष्पादन को बताते समय सकारार्तमक पररणामों और सामना की जाने िाली चुनौवतयों
को किर क्रकया जाना चावहए।
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यहााँ तक क्रक SHGs में घटक राज्यों के मर्धय भी व्यापक ऄंतर-क्षेत्रीय ऄसमानता फै ल
गइ है। दवक्षणी क्षेत्र में, प्रवत लाख जनसंख्या पर अंध्र प्रदेश में 891 और के रल में 435
SHGs की ईपवस्थवत के साथ वभन्नता विद्यमान थी। ईत्तर-पूिी क्षेत्र में, जहााँ कु ल
SHGs में ऄसम का 3.1 प्रवतशत वहस्सा था, िहीं आस क्षेत्र के शेष िह राज्यों का कु ल
SHGs में नगण्य वहस्सा था।
बैंककग अईटरीच और SHGs अंदोलन के प्रसार के मर्धय सामंजस्य का भी ऄभाि है।
आसी प्रकार एक ही बैंककग नेटिका के मामले में भी क्षेत्र और राज्यों के मर्धय SHG के
विस्तार में वभन्नताएं क्रदखायी देती हैं जो दशााता है क्रक ऄर्नय स्थानीय कारक समान रूप
से महर्तिपूणा होते हैं।
विवभन्न ऄर्धययनों में यह पाया गया है क्रक कम वनधान लोग आससे ऄवधक जुड़े हैं जबक्रक
ऄवत वनधान लोगों की पहुाँच ऄभी भी नगण्य है। सरकार प्रायोवजत कायािमों को िोड़कर
जो वनधानों पर र्धयान कें क्रित करने के वलए ऄवनिाया है, ऄर्नय प्रयास वनधानतम को
प्राथवमकता नहीं देते हैं।
SHG-बैंक प्रलके ज प्रोग्राम की दीघाकावलक संधारणीयता के वलए सुझाि:
िंवचत क्षेत्रों में SHGs को प्रोर्तसावहत करना;
सरकारी कायाकतााओं का क्षमता वनमााण;
ऊण स्िीकृ वत और ईन्नयन करते समय ्िाचार/कमीशन के मामलों की जांच करना;
SHGs अंदोलन के सहभागी चररत्र को बनाए रखना;
NABARD द्वारा गरीबों की पहचान;
गैर-सरकारी संगठनों के वलए प्रोर्तसाहन पैकेज ईपलर्फध करना;
ऊण की 'एिर-ग्रीप्रनग' से बचाि;
ररकॉडा के रखरखाि में पारदर्मशता सुवनवश्चत करना;
ऄवधशेष वितरण हेतु मानदंड विकवसत करने में SHGs की सकारार्तमक भूवमका पर बल
देना;
अय/रोजगार सृजन करने िाली गवतविवधयों की पहचान करना; और
ICT प्रौद्योवगकी और ईर्तपाद निाचार पर बल।
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नागररक समाज की प्रकृ वत की स्पि व्याख्या की जाएगी। आसके ऄलािा NGOs की सीमाओं
का ईल्लेख कीवजए और नागररक समाज की भूवमका पर प्रकाश डालते हुए बताएं क्रक ईनसे
क्या ईर्भमीद की जाती है।
ईत्तरः
भारत में नागररक समाज संगठन का ईद्भि दो प्रक्रियाओं के कारण हुअ, पहला,
औपवनिेशीकरण का विरोध और दूसरा पारर्भपररक ऄर्बयासों/प्रथाओं के प्रवत अर्तम-सर्भमान
की ऄवभिृवत्त का विकास। ये दोनों अधुवनक वशक्षा प्रणाली और ईदारिादी विचारधाराओं के
प्रकाश में ऄस्िीकाया थे।
स्ितंत्रता प्रावप्त के पूिा काल में कम से कम सात तरह के संगठनों ने नागररक समाज का
वनमााण क्रकया वजनमें सामावजक धार्ममक सुधार अंदोलन, गांधीजी द्वारा स्थावपत संस्थाएं,
बहुसंख्य SHGs जो क्रक व्यापाररक संघों के चारों ओर पनपे थे, सामावजक दमन के विरूद्ध
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सूचना का ऄवधकार, अश्रय, प्राथवमक वशक्षा एिं स्िास्र्थय अक्रद के वलए ऄवभयान।
हालांक्रक, 1990 के दशक से कइ पेशिर एिं ऄछिी तरह से वित्त पोवषत NGOs का ईद्भि
हुअ, जो विवभन्न संघटकों की ओर से बोलने का दािा करते हैं। यद्यवप ऐसा नहीं है, क्रक
NGOs नागररक समाज संगठन नहीं है, परर्नतु ये सामावजक संगठनों, या अंदोलनों, या
नागररक समूहों या व्यिसायी संगठनों से वभन्न होते हैं, जो सदस्य अधाररत संगठन हो भी
सकते है, और नही भी। ईदाहरण के वलए रीप्रडग और विचार विमशा का क्लब सदस्यता
अधाररत होता है। आस प्रकार जब ऐसी विकास एजेंवसयााँ नागररक समाज के स्थान पर अती
हैं, और नागररकों के स्थान पर काया करने लगती हैं, तो िास्ति में यह साफ नही होता क्रक ये
क्रकससे विचार विमशा करती हैं और क्रकस संघटक के प्रवत ईत्तरदायी हैं। आसके ऄलािा कइ
ऄिसरों पर NGOs की कायासूची और अदेश भी स्पि नहीं होते।
पुनः नागररक समाज में ऄनुभिी NGOs के प्रिेश से काम करने के तरीकों में गुणार्तमक
पररितान अया है - सामावजक अंदोलनों के स्थान पर ‘ऄवभयान’, नागररकों को राजनीवतक
रं ग देने के बजाय सरकारी कमाचाररयों और मीवडया की लॉप्रबग, नागररक सक्रियता के बजाय
नेटिका पर वनभारता, सीधी प्रक्रिया के बजाय र्नयायपावलका पर ऄवत वनभारता अक्रद। ईनके
द्वारा चलाये गये ऄवभयान ऄवधकतर तभी सफल होते हैं, जब ईच्चतम र्नयायालय द्वारा ईन
मुद्दों पर हस्तक्षेप क्रकया जाता है।
यद्यवप कोटा के हस्तक्षेप के द्वारा आन ऄवभयानों को लक्ष्य प्रावप्त में सफलता वमलती है, परर्नतु
र्नयायपावलका का ये हस्तक्षेप नागररक समाज संघटन के विरोधाभास को स्पि करता है। यह
मान वलया गया है क्रक नागररक समाज के पास राज्य को संबोवधत करने तथा ऄपनी मागों पर
र्धयान अकृ ि कराने की क्षमता है। हालांक्रक भारतीय राज्य र्नयायालय के प्रवत ऄवधक
ईत्तरदायी सावबत हुए हैं और ऄवधक से ऄवधक समूहों को र्नयावयक रास्ता ऄपनाने के वलए
बार्धय क्रकया है।
िैसे NGOs जो नागररक समाज पर प्रभािशाली हैं, ईर्नहोने ईन मुद्दो पर र्धयान के वर्नित करके
जो राजनीवतक प्रवतवनवधयों द्वारा िोड़ क्रदए गए थे, लोकतंत्र को मजबूत क्रकया है। ये मुद्दे हैं-
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NGOs सेिा अपूर्मत के कायो में रहे हैं, ऄतः ये मुवश्कल से ईन कायों को कर पाते हैं, जो
आछिाओं की पूर्मत नहीं कर सकते। ऄवधकतर NGOs के पास तकनीकी विशेषता िाले
कमाचारी होते हैं, वजनके ऄपने विचार होते हैं, जो जानते हैं क्रक समस्या क्या है, और आस बारे
में क्या होना चावहए। नागररक राजनीवत का राजनीवतक सर्नदभा ऄब बदल चुका है। ऄब लोग
के िल वनिाावचत प्रवतवनवध पर के वर्नित न होकर ये विचार लगे हैं क्रक कै से ईर्नहोंने ऄपना काया
क्रकया, कै से प्रवतवनवध तंत्र को और लोकतांवत्रक बनाया जा सकता है। ये गैर-सरकारी एजेंट
वबना ईन संघटकों के प्रभाि में अए वजनका िे प्रवतवनवधर्ति करते है, नागररकों का स्थान
लेकर ईनके समथान में बोलते हैं, पक्ष समथान की राजनीवत में शावमल होते हैं, और ऄक्सर
नीवतयााँ बनाते एिं वबगाडते हैं। आसका ऄथा है क्रक जब NGOs लोकतंत्र के कायारत होते हैं,
तब िे प्रवतवनवध या नागररकों के प्रवत ईनके चूक/कृ र्तयों के प्रवत वजर्भमेदार नहीं होते।
खैर, NGOs क्षेत्रक की भी ऄपनी सीमाएं हैं। िे आस वस्थवत में नहीं होते क्रक आतना संसाधन
होते हैं, और कइ ऐसे मुद्दे ईनसे ऄनिु ए रह जाते हैं, ईदाहरण के वलए, देश में संसाधनों की
भारी विषमता। न ही ये संगठन अर्मथक समानता के मुद्दों को संबोवधत करने में सक्षम हैं। िे
बहुत बड़े और पूरा न हो सकने िाले सपने नहीं देखते, ऄवपतु िे बस अने िाली पीढ़ी के
सामावजक रूप से सक्रिय होने की कल्पना करते हैं ताक्रक शवि के ढ़ांचे का पुनगाठन हो, और
सामावजक संबंधों की नइ और र्नयायसंगत संरचना विकवसत हो।
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ईत्तरः
भारत जैसे प्रवतवनवधर्ति अधाररत लोकतंत्र में, जनता के प्रवतवनवध कानून के वनमााण के वलए
ईत्तरदायी हैं। हालांक्रक ितामान समय में शासन प्रक्रिया में, नागररक समाज की भूवमका पर
और ऄवधक बल क्रदया जा रहा है। आसके ऄलािा एक ऄनुभूवत यह है क्रक नागररक समाज को
कानून बनने से ले कर कानून को लागू करने, विकास कायािमों के पोस्ट-फै क्टो विश्लेषण के
चरणों तक साझेदार बनाया जाना चावहए। भारत ने पूिा में सूचना का ऄवधकार ऄवधवनयम,
काया स्थल पर मवहलाओं के यौन ईर्तपीड़न (बचाि, वनषेध और वनदान) ऄवधवनयम आर्तयाक्रद से
सर्भबंवधत कानूनों के वनमााण की प्रक्रिया में नागररक समाज की भागीदारी के कु ि ईदाहरण
देखे हैं। आससे वनम्नवलवखत लाभ हो सकते हैंःः
भारत जैसे विविधतापूणा देश में कें िीकृ त कानून वनमााण की प्रक्रिया के मार्धयम से सभी
िगों की प्रचताओं का समाधान नहीं क्रकया जा सकता। भागीदारीपूणा कानून वनमााण की
प्रक्रिया यह सुवनवश्चत करे गी क्रक कानून सभी िगों की प्रचताओं का समाधान कर सके ।
आस प्रकार कानून की कवमयााँ दूर होती हैं।
भारत की मुख्य समस्याओं में से एक है जनता का कानून के प्रवत ऄनवभज्ञता। कानून
वनमााण में जनता की भागीदारी यह सुवनवश्चत कर सके गी क्रक िे भी कानून के विषय में
जानें।
कानून के बारे में ऄवधक जागरूकता ऄंततः कानून के विषय में लोगों की वशकायतों को
कम करे गा और आससे कानून का बेहतर क्रियार्नियन भी सुवनवश्चत हो सके गा।
यह क्रियार्नियन एजेंवसयों के दावयर्तिबोध को बढ़ाएगा क्योंक्रक जागरूक लोग एजेंवसयों
की भूल-चूक के कृ र्तयों के वलए ईर्नहें वजर्भमेदार ठहराने में समथा हो सकें गे।
यह प्रशासन में पारदर्मशता सुवनवश्चत करे गा।
भारत में कानूनों को ऄक्सर अम लोगों की समझ से परे तकनीकी शर्फदािवलयों में बााँध
क्रदया जाता है। लोगों की भागीदारी से यह सुवनवश्चत होगा क्रक कानूनों को अमलोगों के
समझने लायक बनाया जाए।
यह कदम भारत को “प्रवतवनवधर्ति अधाररत लोकतंत्र से भागीदारीपूणा, विचारशील लोकतंत्र”
में पररिर्मतत कर देगा।
आसके ऄलािा, हाल ही में कै वबनेट सवचि के नेतृर्ति िाली सवमवत ने भारत में कानून वनमााण
की पूि-ा विधायी संिीक्षा प्रक्रिया में जन-भागीदारी को संस्थागत रूप देने का वनश्चय क्रकया है।
आस वनणाय में के र्नि सरकार के प्रर्तयेक विभाग को क्रकसी प्रस्तावित कानून के र्फयौरे को सं सद में
प्रस्तुत करने से पूिा आं टरनेट और ऄर्नय मार्धयमों से ईपलर्फध कराना होगा। आस प्रवतदशा को
के रल में पुवलस विधेयक को पुनवनर्ममत करने में अजमाया गया था वजसमें बहुत से सुझािों
को शावमल क्रकया गया।
आस वनणाय के तहत, िंार्पट विधेयकों के साथ एक व्याख्यार्तमक रटर्ऩपणी होनी चावहए वजसमें
विधेयक के अिश्यक प्रािधानों को तथा प्रभावित लोगों के जीिन पर होने िाले आसके
प्रभािों को संक्षेप में बताया गया हो। तर्तपश्चात जनता को कम-से-कम 30 क्रदन रटर्ऩपणी करने
के वलए क्रदया जाना चावहए। आन रटर्ऩपवणयों को विधेयक की जांच कर रही संसद की सं बंवधत
स्थायी सवमवत के समक्ष प्रस्तुत क्रकया जाना चावहए।
5. हालांक्रक राज्य एजेंवसयों और स्िैवछिक संगठनों के बीच मतवभन्नता हैं, क्रफर भी राज्य
स्िैवछिक क्षेत्र के विकास के वलए परररक्षण, संरक्षण और एक ऄनुकूल िातािरण की
अिश्यकता को मार्नयता प्रदान करता है। स्िैवछिक क्षेत्र पर राष्ट्रीय नीवत के संदभा में व्याख्या
कीवजए।
दृविकोण:
स्िैवछिक संगठनों की भूवमका के महर्ति का संवक्षप्त पररचय दीवजए।
विवभन्न मुद्दों पर स्िैवछिक संगठनों और राज्य एजेंवसयों के बीच विचारों/विवधयों के ऄर्नतर के
बारे मे प्रश्नगत कथन की व्याख्या कीवजए।
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आसके पश्चात्, सरकार द्वारा स्िैवछिक संगठनों को बढ़ािा देने की भूवमका का ईल्लेख कीवजए
और बताइए क्रक राष्ट्रीय नीवत के अलोक में आसे कै से देखा जा सकता है।
स्िैवछिक संगठनों के प्रवत सरकार की सक्रिय भूवमका को रे खांक्रकत कीवजए। आसमे शावमल हैः
o विकास में साझेदारी।
o स्िैवछिक क्षेत्र के वलए ऄनुकूल िातािरण स्थावपत करना।
o स्िैवछिक संगठनों के प्रशासन और प्रबर्नधन की पारदशी एिं जिाबदेह प्रणाली सुवनवश्चत
करने के वलए स्ि-विवनयमन को बढ़ािा देना।
सकारार्तमक भाि के साथ ईत्तर समाप्त कीवजए।
अप कु ि ईदाहरण भी दे सकते हैं, जैस-े PMANE द्वारा कु डनकु लम विरोधी अंदोलन अक्रद।
चेतािनीः स्िैवछिक क्षेत्र पर राष्ट्रीय नीवत के ईद्देश्यों को दो टूक तरीके से वलखने से बवचए।
ईत्तरः
देश कइ जरटल समस्याओं का सामना कर रहा है वजसके वलए ऄनुकूल एिं बहु-क्षेत्रीय
समाधान की अिश्यकता है तथा साथ ही ऄनिरत सामावजक लामबर्नदी भी आस हेतु विशेष
रूप से महर्तिपूणा है।
यद्यवप आन दोनों संस्थानों के बीच विचारों और कायों को लेकर मतभेद हैं, तथावप ऐसे क्षेत्र
ऺ ों
के वलए सरकार और स्िैवछिक संगठनों के बीच रणनीवतक सहयोग की तर्तकाल अिश्यकता
है। स्िैवछिक क्षेत्र लोगों और सरकार के बीच एक प्रभािशाली ऄराजनैवतक कड़ी के रूप में
काम करता है। स्िैवछिक संगठनों और सरकार के बीच संबंध, संसाधनों का सदुपयोग, लोगों
के विस्थापन अक्रद को लेकर मतभेद विद्यमान है।
स्िैवछिक क्षेत्र पर राष्ट्रीय नीवत, 2007 में साझेदारी हेतु तीन क्षेत्रों की पहचान की गइ, यथा,
(i) परामशा: के र्नि, राज्य और वजला स्तर पर एक औपचाररक प्रक्रिया के मार्धयम से बातचीत;
(ii) रणनीवतक सहयोग: दीघाकाल के वलए सतत सामावजक लामबंदी के महर्ति को देखते हुए
जरटल हस्तक्षेपों से वनपटने के वलए रणनीवतक सहयोग; और (iii) वित्त पोषण: मानक
योजनाओं के मार्धयम से पररयोजनाओं के वलए वित्त पोषण।
स्िैवछिक क्षेत्र पर राष्ट्रीय नीवत, 2007 के मार्धयम से सरकार का ईद्देश्य स्िैवछिक क्षेत्र
की स्िायत्तता की रक्षा और साथ ही ईनकी जिाबदेही को सुवनवश्चत करते हुए स्िैवछिक
क्षेत्र से सर्भबवर्नधत विवधयों, नीवतयों, वनयम और विवनयमों का एक समुच्चय ईपलर्फध
कराना है।
स्िैवछिक क्षेत्र की स्ितंत्रता ईर्नहें लोकवहत के विरुद्ध काया कर सकने िाली सामावजक,
अर्मथक और राजनीवतक ताकतों को चुनौती देने के वलए विकास के िैकवल्पक प्रवतमानों
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एिं गरीबी, ऄभाि ि ऄर्नय सामावजक समस्याओं से वनबटने हेतु नए तरीकों की खोज की
स्िीकृ वत प्रदान करे गी।
आससे स्िैवछिक क्षेत्र को िैध रूप से भारत और विदेशों से अिश्यक वित्तीय संसाधन
(कर िू ट, FCRA के मार्धयम से विवनयमन) जुटाने का ऄवधकार वमलेगा। आसके साथ ही,
सरकार यह सुवनवश्चत करने के वलए प्रशासवनक और दण्डार्तमक प्रक्रियाओं को कठोर
बनाने पर विचार करे गी ताक्रक आन प्रोर्तसाहनों का दुरूपयोग कागजी र्नयासों द्वारा वनजी
वित्तीय लाभ के वलए न क्रकया जाए।
स्िैवछिक क्षेत्र के साथ व्यिहार करने हेतु समयबद्ध प्रक्रियाएं शुरू करने के वलए सरकार
सभी सर्भबवर्नधत के र्निीय और राज्य सरकार की एजेंवसयों को प्रोर्तसावहत करे गी। आसमें
पंजीकरण, अय कर क्लीयरें स, वित्तीय सहायता अक्रद शावमल है। स्िैवछिक क्षेत्र की
वशकायतों के पंजीकरण एिं वनिारण हेतु औपचाररक प्रणावलयां होगी।
स्िैवछिक संगठनों के प्रशासन और प्रबंधन में पारदशी एिं जिाबदेह प्रणाली सुवनवश्चत करने
हेतु स्ि-विवनयमन को बढ़ािा देना
सरकार, स्िैवछिक क्षेत्र हेतु एक स्ितंत्र, राष्ट्र स्तरीय स्ि-विवनयामक एजेंसी के ईद्भि को
प्रोर्तसावहत करती है एिं ईर्नहें मार्नयता प्रदान करती है।
आन समस्याओं पर चचाा ओर सिासर्भमवत कायम करने की सुविधा हेतु सरकार, समथाक
संगठनों और स्िैवछिक क्षेत्र नेटिका और महासंघों को प्रोर्तसावहत करे गी।
यह नीवत स्िैवछिक संगठनों के अकार और कायो में विविधता से युि एक स्ितंत्र, रचनार्तमक
और प्रभािशाली स्िैवछिक क्षेत्र को प्रोर्तसावहत, समथा और सशि बनाने के प्रवत समर्मपत है
ताक्रक यह भारत के लोगों के सामावजक, सांस्कृ वतक और अर्मथक प्रगवत में योगदान दे सके ।
6. स्ियं सहायता समूहों (SHGs) तथा पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) के बीच ऄस्िस्थ
प्रवतस्पद्धाा, दोनों की प्रभाविता को कम करती है। चचाा कीवजए। दोनों के बीच सामंजस्य
स्थावपत करने से ईप-वजला स्तर पर विकास की चुनौवतयों से वनपटने में क्रकस प्रकार सहायता
वमल सकती है?
दृविकोण:
संक्षेप में PRIs की भूवमका तथा ईत्तरदावयर्तिों और SHGs आन ईत्तरदावयर्तिों के साथ कै से
प्रवतस्पधाा कर रहे हैं, आसे पररभावषत कीवजए।
चचाा कीवजए क्रक आस प्रकार का परस्पर व्यापन दोनों संस्थानों की प्रभािशीलता के वलए क्रकस
प्रकार से हावनकारक हो सकता है।
ऄंत में चचाा कीवजए क्रक समर्निय और स्पि सीमांकन दोनों के बीच कै से पूरकता ला सकता है।
सफल PRIs-SHGs प्रलके ज का ईदाहरण प्रस्तुत कीवजए।
ईत्तर:
SHGs सूक्ष्म वित्तीय मर्धयस्थ होते हैं। सामार्नयत: NGOs द्वारा आर्नहें सहायता प्रदान की
जाती है और ये कृ वष तथा गैर-कृ वष कायों में संलग्न ऄपने विवभन्न सदस्यों को प्रवशक्षण ि
सलाह प्रदान करते हैं। मवहलाओं को सशि बनाने, नेतृर्ति क्षमता का विकास करने, विद्यालय
में नामांकन में िृवद्ध करने, पोषण में सुधार लाने, अक्रद जैसे बड़े लक्ष्यों को साकार करने के
वलए वित्तीय मर्धयस्थता सामार्नयत: आनका प्राथवमक ईद्देश्य होता है।
जैसा क्रक देखा भी जा सकता है, PRIs और SHGs के गरीबी ईर्नमूलन से लेकर सहभागी
लोकतंत्र का संिधान करने तक परस्पंर व्यापन करने िाले ईद्देश्य हैं। ये दोनों संस्थान कभी
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कभी विकास प्रशासन और राजनीवतक प्रक्रिया में ईवचत स्थान पाने के वलए एक दूसरे के
साथ प्रवतस्पधाा करते हैं। तब SHGs को PRIs की संिैधावनक भूवमका को कम करने िाला
देखा जाता है। वनम्नवलवखत तर्थय प्रवतस्पधाा के प्रबदुओं को स्पि करते हैं:
SHGs विवभन्न विकास योजनाओं के वलए मागा बनते जा रहे हैं।
SHGs के वहतों के साथ सूक्ष्म वित्तीय संस्थाओं (MFIs), NGOs, वनगमों और
दानकतााओं के वहतों का संरेखण देखने को वमला है। क्षमता वनमााण के मामले में ये PRIs
के स्थान पर SHGs के साथ ऄवधक से ऄवधक संवलप्त होते जा रहे हैं।
PRIs और SHGs की सामावजक संरचनाओं के कारण राजनीवतक पूिााग्रह ने दोनों के
बीच संबंधों को कमजोर बनाया है।
कु ि राज्यों ने PRIs की विवभन्न सवमवतयों (जैस-े वमड-डे मील) में SHGs के सदस्यों
का समोिश करना ऄवनिाया बना क्रदया है। हालांक्रक, आस संबंध में कोइ प्रयास नहीं क्रकया
गया है।
हालांक्रक, ऐसे कइ सफल ईदाहरण हैं जहााँ साथ वमलकर काम करने िाले SHGs और PRIs
ने ग्रामीण समाज में सकारार्तमक पररितान को प्रभावित क्रकया है। अंध्र प्रदेश में ग्रामीण
गरीबी ईर्नमूलन सोसायटी (Society for Elimination of Rural Poverty: SERP) की
‘आं क्रदरा िांवत प्रथम योजना’ ग्रामीण गरीब पररिारों की अजीविका में सुधार लाने में बहुत
सक्रिय है। ये SHGs मनरे गा अक्रद के ऄंतग
ा त सामावजक सुरक्षा, पेंशन और मजदूरी के
वितरण के वलए पंचायत प्रणाली के ऄंतागत काम करते हैं। कु दुर्भबश्री (के रल), मवहला
अधाररत भागीदारी युि गरीबी ईर्नमूलन कायािम, एक SHG अंदोलन है वजसमें विवभन्न
पंचायत स्तरों का एकीकरण हुअ है।
आन दोनों संस्थानों की प्रकृ वत और जनादेश मांग करती है क्रक संसाधनों का कु शलता पूिाक
ईपयोग करने और बेहतर पररणाम पैदा करने के वलए ये समर्निय के साथ काम करें । SHGs
के साथ संस्थागत और कायाार्तमक संबंध से PRIs के ईत्तरदावयर्ति और पारदर्मशता में िृवद्ध
होगी।
जहां ग्राम पंचायत स्तर पर SHGs लागू करने िाले, वनगरानी करने िाले और मूल्यांकन
करने िाले ऄवभकरण बन सकते है, िहीं प्रखंड और वजला स्तर पर दबाि समूह के रूप में
काया कर सकते हैं, फीडबैक ईपलर्फध करा सकते हैं और िाचडॉग के रूप में काया कर सकते हैं।
हालांक्रक, यह अिश्यक है सहजीिी संबंध के वलए SHGs और PRIs की क्षमता और सामर्थया
को मजबूत बनाया जाना चावहए।
7. वसविल सोसाआटी के गैर-राजनीवतक क्षेत्र में वस्थवत होने के बािजूद भी गैर-सरकारी संगठन
(NGOs) भारत की राजनीवत में भले ही ऄप्रर्तयक्ष, लेक्रकन महर्तिपूणा भूवमका वनभा रहे हैं।
रटर्ऩपणी कीवजए।
दृविकोण:
गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को पररभावषत करते हुए ईत्तर प्रारर्भभ कीवजए।
संक्षेप में भारतीय समाज में NGOs की भूवमका पर चचाा कीवजए।
भारतीय राजनीवत में NGOs की भूवमका (प्रर्तयक्ष/ऄप्रर्तयक्ष) पर चचाा कीवजए।
अिश्यकतानुसार ईपयुि ईदाहरण दीवजए।
ईपयुाि प्रबदुओं के अधार पर ईत्तर समार्ऩत कीवजए।
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ईत्तर:
NGOs को गैर-लाभकारी वनजी संगठन के रूप में पररभावषत क्रकया जाता है, जो समस्याओं को
दूर करने, गरीबों के वहतों को बढ़ािा देने, पयाािरण की सुरक्षा करने, अधारभूत सामावजक सेिाएं
प्रदान करने या सामुदावयक विकास का भार ईठाने िाली गवतविवधयों का ऄनुसरण करते है।
काया-ईर्नमुख और साझा वहतों िाले लोगों द्वारा संचावलत, NGOs विवभन्न प्रकार की सेिाएं और
मानिीय काया करते हैं, नागररकों की प्रचताओं को सरकारों तक पहुंचाते हैं, नीवतयों का समथान
और वनगरानी करते हैं तथा सूचना के प्रबंधन के मार्धयम से राजनीवतक भागीदारी को प्रोर्तसावहत
करते हैं।
कु ि NGOs कु ि सािाजवनक मुद्दों पर लोगों की लामबंदी के मार्धयम से ईनका सशविकरण भी
करते हैं और आस प्रकार 'कल्याण' के दृविकोण को बढ़ािा देते हैं। ऐसे NGOs वनम्नवलवखत तरीकों
से राजनीवत को प्रभावित करते हैं:
o कु ि NGOs प्रस्तावित पररयोजनाओं के विरूद्ध लामबंदी में लगे हुए हैं, जैस-े कु डनकु लम
परमाणु पररयोजना, POSCO संयंत्र, नमादा बचाओ अंदोलन अक्रद। ऐसी पररयोजनाओं से
प्रभावित लोगों को र्नयाय क्रदलाने के वलए अंदोलनों को बढ़ािा देते हैं। आस प्रकार NGOs
राजनीवतक दलों और ऄर्नय सामावजक अंदोलनों के वलए महर्तिपूणा सूचनाएं ईपलर्फध कराने
िाले स्रोत बन गए हैं।
कु ि NGOs प्रर्तयक्ष रूप से राजनीवतक क्षेत्र में काम कर रहे हैं:
वलए कानूनी लड़ाइ लड़ रहे हैं, जैसे- पीपुल्स यूवनयन फॉर वसविल वलबटीज।
o ऄनेक NGOs जमीनी स्तर पर लोगों को सािाजवनक सेिाएं ईपलर्फध करिा रहे हैं,
वजसके कारण ईर्नहें लोकवप्रय समथान प्राप्त हो रहा है।
ऄनेक NGOs सक्रिय रूप से सभी के कल्याण के वलए नीवत में पररितान की िकालत कर रहे हैं,
जैस-े ग्रीनपीस। ईनकी िकालत नीवतगत वनणायों को प्रभावित करती हैं और आसी के कारण ईर्नहें
राजनीवतक भूवमका वनभाने िाला कहा जाता है।
NGOs और अंदोलन समूहों तथा NGOs और राज्य के बीच ऄस्पि होती सीमारे खा ईन ऄनेक
कारकों में से एक है वजसने NGOs को धीरे -धीरे और प्राय: परोक्ष रूप से चुनािी राजनीवत के
क्षेत्र में प्रिेश करने की ऄनुमवत दी है।
हालांक्रक, ऄनेक NGOs को वित्तीय ऄवनयवमतताओं और राष्ट्रीय वहतों के विरूद्ध काम करने का
दोषी भी पाया गया है, वजनमे सुधार क्रकए जाने की अिश्यकता है। लोकतांवत्रक विकें िीकरण ने
NGOs को राजनीवतक क्षेत्र में प्रिेश करने का ऄिसर प्रदान क्रकया है। लेक्रकन ऄंतत: NGOs का
विकासार्तमक एजेंडा ईर्नहें राजनीवत के साथ महर्तिपूणा रूप से संरेवखत करता है।
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8. भारत के विकास की प्रक्रिया में NGOs के महर्ति को र्धयान में रखते हुए आनके वलए पयााप्त
कानूनी एिं विवनयामक तंत्र का होना ऄर्तयािश्यक हो जाता है। हाल के विकास संदभा में चचाा
कीवजए।
दृविकोण:
NGOs और ईनके कायों के महर्ति पर प्रकाश डालते हुए ईत्तर अरं भ कीवजए।
आसके ऄवतररि, हाल के ईन प्रकरणों का ईल्लेख कीवजए वजर्नहोंने NGOs के कामकाज के
संबंध में आस मुद्दे पर प्रकाश डाला है।
विवनयमन के पक्ष और विपक्ष में तका प्रस्तुत कीवजए। जहां संभि हो, विवशि ईदाहरणों और
ऄनुशस
ं ाओं या वनणायों का ईल्लेख कीवजए।
ईत्तर:
विश्व बैंक, NGOs को ऐसे "वनजी संगठनों के रूप में पररभावषत करता है जो विपवत्त से
राहत देने और गरीबों के वहतों का संिधान करने िाली गवतविवधयों का ऄनुगमन करते हैं।"
2007) में स्पि रूप से राष्ट्रीय विकास में स्िैवछिक क्षेत्र की भूवमका को मार्नयता दी गइ है।
ईनकी गवतविवधयों का व्यापक दायरा जो महर्तिपूणा सािाजवनक वहतों को प्रभावित करता है,
मांग करता है क्रक ईवचत कानूनी और वनयामक तंत्र विद्यमान होने चावहए। आसके ऄवतररि,
ईर्नहें वनवश्चतता के िातािरण में काया करने के वलए सक्षम बनाने के वलए, 'पयााप्त' रूपरे खा
अिश्यक है।
हावलया घटनािम:
िषा 2015 में NGOs की विदेशी फं प्रडग को विवनयवमत करने के वलए विदेशी ऄंशदान
(विवनयमन) ऄवधवनयम (FCRA) के वनयमों में संशोधन क्रकया गया था और ग्रीनपीस
आं वडया का FCRA लाआसेंस रद्द कर क्रदया गया था।
हाल के िषों में, कायाकताा या राजनीवतक NGOs का ईद्भि देखने को वमला हैं,
वजर्नहोंने सरकार की नीवतयों में पररितान लाने या प्रहरी की भूवमका वनभाने के वलए
नीवतगत पक्षधरता, लॉप्रबग, जन लामबंदी और तीखे प्रचार का सहारा वलया हैं।
सरकार को आन विसंगवतयों के कारण विदेशी वित्त पोवषत NGOs के बैंक खातों की
जांच करनी पड़ी है।
विवनयमन के पक्ष में तका :
ईपयुाि घटनािमों के ऄवतररि, ऄर्नय कारण हैं:
NGOs क्षेत्रक हाल के िषों में बहुत तेज गवत से बढ़ा है।
चलायमान NGOs द्वारा फं ड का दुरूपयोग।
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कइ NGOs सरकार द्वारा वित्त पोवषत हैं, और आसवलए ईनकी िानबीन की जानी
चावहए।
सिोच्च र्नयायालय ने भी ऄपने हाल ही के वनणाय में आस कदम का पक्ष वलया है।
10% से भी कम NGOs रवजस्ट्रार, सोसायटीज को ऄपना लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हैं,
जैसाक्रक कानून द्वारा ऄवनिाया है।
विदेशी धन से वित्त पोवषत NGOs का एजेंडा राष्ट्रीय वहतों के विपरीत हो सकता है।
आसवलए, जहां NGOs का विवनयमन िांिनीय और स्िीकाया है, िहीं सरकार को ऄवत
विवनयमन से ईनकी अिाज न दबाने का भी र्धयान रखना चावहए।
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सिषय सूची
1. भारत में सससिल सेिाएं (Civil Services in India) ___________________________________________________ 3
2. लोकतंर में सससिल सेिाओं की भूसमका (Role of Civil Services in a Democracy) ___________________________ 7
3. भारत में सससिल सेिाओं से जुड़े मुद्दे (Issues with Civil Services in India) _______________________________ 13
3.2 ऄसखल भारतीय सेिाओं से जुड़े मुद्दे (Issues with All India Services) __________________________________ 14
3.2.1 ऄसखल भारतीय सेिाओं का महत्ि _________________________________________________________ 14
3.2.2 ऄसखल भारतीय सेिाओं से जुड़े मुद्दे _________________________________________________________ 15
3.2.3 सरकाररया अयोग की ससफाररशें___________________________________________________________ 16
4. सससिल सेिाओं में अिश्यक सुधार (Reforms Required in civil services) _______________________________ 18
6. UPSC मुख्य परीक्षा में सिगत िषों में पूछे गए प्रश्न ___________________________________________________ 34
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व्यिथथा की गइ। क्रकन्त्तु भारत में लोक सेिा को ऄनुबंसधत (covenant) और गैर-ऄनुबसं धत
(non-covenant) सेिा के रूप में सिभासजत करते हुए भारतीयों को कम प्रशाससनक महत्ि के
गैर-ऄनुबंसधत पदों तक ही सीसमत कर क्रदया गया।
1854 में, मैकॉले की ररपोटत की ऄनुशंसाओं के अधार पर लोक सेिकों की भती के सलए सससिल
सेिा अयोग की थथापना की गइ। प्रारं भ में परीक्षा के िल लंदन में अयोसजत की जाती थी तथा
आनके सलए न्त्यूनतम और ऄसधकतम अयु िमश: 18 और 23 िषत थी।
आसके पाठ्यिम में यूरोपीय सिषयों की प्रधानता होने के बािजूद, सत्येंद्रनाथ टैगोर 1864 में लोक
सेिा में सफलता प्राप्त करने िाले प्रथम भारतीय बने।
एसचन्त्सन कमीशन (1886) ने एक नइ पद्सत के अधार पर सेिाओं के पुनगतिन की ससफाररश की
और सेिाओं को तीन समूहों में सिभासजत क्रकया - आं पीररयल, प्रांतीय और ऄधीनथथ। 'राज्य
ससचि' आं पीररयल सेिाओं के सलए भती और सनयंरक प्रासधकरण था जबक्रक प्रांतीय सेिाओं के सलए
सिरटश सरकार िारा 1911 में, मुख्यतः भारत में सिरटश प्रशासन को मजबूत करने के ईद्देश्य से
भारतीय लोक सेिा की थथापना की गइ।
हालांक्रक भारतीयों िारा लम्बे समय से आन सेिाओं में सुधारों की मांग की जा रही थी क्रकन्त्तु प्रथम
सिर्श् युद् और मांटेग्यू चेम्सफोडत सुधारों के बाद ही सससिल सेिाओं की चयन प्रक्रिया में पररिततन
क्रकया गया।
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1922 से, यह परीक्षा भारत में भी अयोसजत की जाने लगी। सिप्रतथम, आलाहाबाद में और
तत्पिात क्रदल्ली में संघीय लोक सेिा अयोग की थथापना की गयी।
भारत सरकार ऄसधसनयम 1919 ने आं पीररयल सेिाओं को ऄसखल भारतीय सेिाओं और कें द्रीय
सेिाओं में सिभासजत क्रकया गया। कें द्रीय सेिा की ऄसधकाररता कें द्र सरकार के प्रत्यक्ष सनयंरण के
तहत अने िाले सिषयों तक सिथताररत थी।
आस ऄसधसनयम के तहत भारत में लोक सेिा अयोग की थथापना के सलए भी प्रािधान क्रकये गए थे।
क्रकन्त्तु आसकी थथापना 1926 में ली अयोग िारा आसके गिन हेतु की गइ ससफाररशों के पिात् ही
हुइ।
आसके ऄसतररि, भारत सरकार ऄसधसनयम, 1935 में संघ के सलए एक लोक सेिा अयोग और
प्रत्येक प्रांत या प्रांतों के समूह के सलए एक प्रांतीय लोक सेिा अयोग के गिन का प्रािधान क्रकया
गया। आस प्रकार आस ऄसधसनयम िारा लोक सेिा अयोग को संघीय लोक सेिा अयोग का थिरूप
प्रदान क्रकया गया।
पुसलस सेिा
थितंरता से पूित आं पीररयल पुसलस की सनयुसि प्रसतयोगी परीक्षा के माध्यम से राज्य ससचि िारा
की जाती थी।
आं पीररयल पुसलस में भारतीयों के प्रिेश हेतु 1920 के पिात् ही ऄिसर प्रदान क्रकए गए और
अगामी िषत की सेिाओं के सलए परीक्षा आंग्लैंड और भारत दोनों में अयोसजत की गइ थी।
आस्थलगटन अयोग एिं ली अयोग की ससफाररशों के बािजूद पुसलस सेिाओं के भारतीयकरण
(1931 में कु ल पदों का 20%) की गसत मंद रही।
िन सेिाएँ
भारत में आं पीररयल िन सिभाग की थथापना 1864 में जबक्रक आंपीररयल िन सेिा का गिन 1867
में क्रकया गया। 1867 से 1885 तक, आं पीररयल िन सेिा में सनयुि ऄसधकाररयों को फ्ांस और
जमतनी में प्रसशसक्षत क्रकया जाता था।
िषत 1920 में यह सनणतय सलया गया क्रक आं पीररयल िन सेिा के सलए अगामी सनयुसियां आं ग्लैंड
और भारत में प्रत्यक्ष भती के रूप में तथा प्रांतीय सेिा से पदोन्नसत के माध्यम से की जाएगी।
26 जनिरी, 1950 में भारतीय संसिधान के प्रभािी होते ही, संसिधान के ऄनुच्छेद 378 के खंड (1) के
अधार पर संघीय (फ़े डरल) लोक सेिा अयोग को संघ लोक सेिा अयोग िारा प्रसतथथासपत कर क्रदया
गया और संघीय लोक सेिा अयोग के ऄध्यक्ष एिं सदथय, संघ लोक सेिा के ऄध्यक्ष एिं सदथय बन
गए।
थितंरता के पिात, सससिल सेिकों से यह ऄपेक्षा की जाने लगी क्रक िह ‘पुसलस राज्य’ नहीं बसल्क एक
कल्याणकारी राज्य से सम्बंसधत भूसमका सनभाएं। भारतीय जनसामान्त्य के कल्याण को भारतीय राज्य
के कें द्रीय कायत के रूप में सनधातररत क्रकया गया। आससलए ईन्त्हें सिसभन्न कल्याणकारी भूसमकाएं प्रदान की
गइ जैसे शरणार्णथयों का पुनिातस और दैसनक जीिन की न्त्यूनतम अिश्यकताओं की पूर्णत की व्यिथथा
करना, बाहरी अिमण से राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा और अंतररक शांसत के सलए ईिरदायी
पररसथथसतयों का सनमातण अक्रद।
थितंर भारत में सससिल सेिा की प्रकृ सत में 1940 के दशक के ईिराद्त में कल्याण-ईन्त्मुखता, 1960
और 1980 के दशक के मध्य सिकास-ईन्त्मुखता और ऄंततः 1990 के दशक में सुसिधा प्रदाता के रूप में
पररिततन हुअ। आसकी िततमान भूसमकाओं में ऄनेक पक्षों जैसे पयातिरणीय चुनौसतयों, 1996, 2000
और 2004 के अम चुनािों के दौरान सिसभन्न राजनीसतक दलों िारा जारी घोषणापर में प्रसतस्बसबत
“सामूसहक चयन तंर”(कलेसक्टि चॉआस मैकेसनज्म) और लाखों लोगों की लोकतांसरक अिश्यकताओं को
पूरा करने की चुनौती अक्रद को शासमल क्रकया जाता है।
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भारत में,संघ और राज्य थतर पर सिसभन्न सससिल सेिाओं को तीन व्यापक समूहों में िगीकृ त क्रकया जा
सकता है- के न्त्द्रीय सससिल सेिाएं, ऄसखल भारतीय सेिाएं और राज्य सससिल सेिाएं।
के न्त्द्रीय सेिाएं कें द्र सरकार के ऄंतगतत कायत करती हैं और ये सामान्त्यतः संसिधान के ऄंतगतत संघ को
सौंपे गए सिषयों को प्रशाससत करती हैं।
ऄसखल भारतीय सेिाएं संघ और राज्य सरकारों के सलए ईभयसनष्ठ होती हैं और राज्य सेिाएं
के िल राज्य सरकारों के ऄधीन कायत करती हैं।
संघ और राज्य सेिाओं को ईनकी भूसमका एिं ईिरदासयत्ि के अधार पर समूह A, B, C और D
श्रेसणयों में िगीकृ त क्रकया जा सकता है।
आन सेिाओं को तकनीकी और गैर-तकनीकी सेिाओं में भी िगीकृ त क्रकया जा सकता है।
ऄसखल भारतीय सेिाओं तथा समूह A एिं समूह B की कु छ सेिाओं की चयन प्रक्रिया संघ लोक सेिा
अयोग (UPSC) िारा संचासलत की जाती है। समूह B, समूह C और D की कु छ सेिाओं के सदथयों का
चयन कमतचारी चयन अयोग िारा क्रकया जाता है। राज्य सरकारों का थियं का राज्य लोक सेिा अयोग
होता है। आन अयोगों के कायत एक ऄलग ऄसधसनयम िारा सनयंसरत क्रकए जाते हैं।
आस संसिधान िारा ऄसभव्यि रूप से यथा ईपबंसधत के ससिाय, प्रत्येक व्यसि जो रक्षा का या संघ की
सससिल सेिा का या ऄसखल भारतीय सेिा का सदथय है ऄथिा रक्षा से सम्बंसधत कोइ पद या संघ के
ऄधीन कोइ पद धारण करता है, तो िह राष्ट्रपसत के प्रसादपयंत पद धारण करे गा और िह प्रत्येक व्यसि
जो क्रकसी राज्य की सससिल सेिा का सदथय है या राज्य के ऄधीन कोइ सससिल पद धारण करता है िह
(ईस राज्य के राज्यपाल) के प्रसादपयंत पद धारण करे गा।
ऄनुच्छेद 311: संघ या राज्य के ऄधीन सससिल सेिा में सनयोसजत व्यसियों का पदच्युत क्रकया जाना,
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नौकरशाही सरकार की कायतकारी शाखा है। लोकतंर एक ऐसी प्रक्रिया है सजसमें सरकार का सनिातचन
लोगों िारा होता है, जबक्रक नौकरशाही एक ऐसी व्यिथथा है सजसमे सनिातसचत सरकार िारा राज्य के
ऄसधकाररयों को राज्य के संचालन का कायत सौंपा जाता है। आनका चयन सरकार िारा मेररट अधाररत
प्रक्रिया के माध्यम से क्रकया जाता है।
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प्रसतबद् नौकरशाही: आस ऄिधारणा का ईद्भि 1970 और 80 के दशक में हुअ। आसका मूलभूत
सिचार यह था क्रक एक नौकरशाह को सिारूढ़ राजनीसतक दल की नीसतयों एिं कायतिमों के प्रसत
पूणत रूप से प्रसतबद् होना चासहए। आसके ऄसतररि ईन्त्हें सिारूढ़ व्यसिगत राजनेताओं के प्रसत भी
पूणत प्रसतबद् रहना चासहए। साथ ही एक नौकरशाह को क्रकसी ऄन्त्य सिचार से सनदेसशत नहीं क्रकया
जाना चासहए।
लाआसेंस परसमट राज: सिकास के समाजिादी मॉडल के कारण, क्रकसी भी बड़े ऄथिा छोटे प्रकार
के व्यिसाय को प्रारं भ करने हेतु लाआसेंस की अिश्यकता पड़ती थी। ऄतः सििेकाधीन शसि
नौकरशाही के पास होती है जो संबंसधत व्यिसायी िारा क्रदए गए ऄनुग्रहों के बदले में ही ईसे
लाआसेंस प्रदान करती है।
िैर्श्ीकरण: आसे भारतीय नौकरशाही के सलए सिातसधक पररिततनकारी युग के रूप में माना जाता
है। ऄथतव्यिथथा के ईदारीकरण से तात्पयत है राष्ट्रीय ऄथतव्यिथथा को सरकारी सनयंरण से मुि
करना और आसका संचालन बाजार की शसियों के ऄनुसार करना।
मुद्दे
मंरी ऄथिा नौकरशाह: अलोचकों का यह तकत है क्रक कायतकारी पदों पर सिधायकों की सनयुसि
करना एक दोषपूणत एिं जोसखम से भरा हुअ है। सनिातसचत प्रसतसनसधयों को ऄपना ध्यान प्रशासक
बनने के थथान पर सामासजक मुद्दों का समाधान करने तथा कानून सनमातण पर के सन्त्द्रत करना
चासहए। ईनके िारा सिशेषज्ञता एिं प्रौद्योसगकी के युग में गुणििायुि सेिाएं प्रदान करने की
अशा करना सितथा ऄसंगत है। जब क्रकसी भी पेशेिर राजनेता को पेशेिर प्रशासक का प्रभार सौंपा
जाता है, तो यह दोनों के ईद्देश्यों को सनष्फल बना देता है।
नौकरशाही का राजनीसतकरण: यह गैर-पक्षपातपूणत एिं कु शल प्रशासन प्रदान करने के नौकरशाहों
के मूलभूत ईद्देश्य को सनष्फल बना देता है। जैसे ही नइ सरकार सिा में अती है, प्रशासकों िारा
मंसरयों को सिभागों के बेहतर पहलुओं एिं बारीक्रकयों के बारे में प्रसशक्षण देकर ईन्त्हें आनसे ऄिगत
कराया जाता है। आसके ऄसतररि राजनेताओं को प्रदान की गइ शसि संरक्षण को ईत्पन्न करती है,
न क्रक प्रदशतन को तथा क्रकसी भी ऄन्त्य सनरीक्षण और जांच के ऄभाि में, िे राजनेता भ्रष्टाचार में
सलप्त हो जाते हैं।
राजनेता, नौकरशाह एिं व्यिसायी का गिजोड़ : आस गिजोड़ का ईद्भि लाआसेंस कोटा राज से
हुअ है। लाआसेंस कोटा राज में राजनेताओं एिं नौकरशाहों के पास देश के प्राकृ सतक संसाधनों के
अिंटन की सििेकाधीन शसि होती है। आसके फलथिरूप यह आस प्रकार की ऄनैसतक सांि-गांि एिं
िोनी कै सपटसलज्म का मुख्य कारण बन गया है। आसने देश की लोकतांसरक साख को भी कमजोर
क्रकया है।
नौकरशाही का रिैया : ईदारीकरण के पररणामथिरूप ऄथतव्यिथथा के संरचनात्मक समायोजन के
बाद, नौकरशाही के रिैये में ऄिधारणात्मक पररिततन हुए हैं। शुरुअती चरण में, िे खुले तौर पर
आन सुधारों के सिरोधी थे। िे एक सुसिधा प्रदाता बनने के बजाय सिकास में ही बाधक ससद् हुए।
हालांक्रक, यह प्रिृसि सपछले कु छ िषों में पररिर्णतत हुइ है।
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90 के दशक में पक्षपात, थथानीय ऄिधारणाएँ तथा भाइ-भतीजािाद की प्रिृसत भी आस व्यिथथा में
समासहत हो गइ।
कै डरों की सथथरता:यह सससिल सेिकों के कायत में ऄक्षमता और ऄप्रभासिता के रूप में पररणत
होता है। कै डरों की सथथरता ऄसखल भारतीय चररर में कमी लाती है तथा थथानीय मुद्दों के प्रसत
ऄसधकाररयों की स्चताओं को भी सीसमत करती है।
प्रांतीयकरण: मेहता एिं कपूर िारा सलखी गइ पुथतक 'पसब्लक आं सथटट्यूशंस आन आंसडया-
परफॉरमेंस एंड सडज़ाआन’ के ऄनुसार ऐसा प्रतीत होता है क्रक अइएएस ऄसधकारी ऄब नाममार के
'ऄसखल भारतीय' थिरुप के ऄसधकारी रह गए हैं। िाथतसिक तौर पर राज्य एिं कें द्र सरकार के
मध्य संपकत थथासपत करने िाले ऄसधकाररयों के ऄनुपात में सगरािट अइ है।
ईत्कृ ष्ट प्रथाओं को ऄपनाना: सससिल सेिाओं का प्रांतीयकरण सससिल सेिाओं की ऄन्त्य कै डरों की
ऄच्छी प्रथाओं को ऄपनाने तथा प्रसाररत करने की क्षमता को प्रभासित कर सकता है।
थथानीय राजनेताओं के साथ गिजोड़: पसंदीदा एिं ईच्च पद पर तैनाती की आच्छा रखने िाले
ऄसधकारी थथानीय राजनेताओं तथा ऄसधकाररयों के साथ गिजोड़ करते हैं।
सिसशष्ट सथथसतयां: सितीय प्रशाससनक सुधार अयोग (2nd ARC) के ऄनुसार, कै डर अधाररत
सससिल सेिाओं के कारण पार्श्त प्रिेश (लेटरल एंट्री) के माध्यम से महत्िपूणत पदों पर सिसशष्ट ज्ञान
िाले व्यसियों की भती सीसमत हो गइ है।
िृहत सभन्नता: राज्य की कु ल जनसंख्या के संबंध में अइएएस कै डरों के अकार में िृहत सभन्नताएं
सिद्यमान हैं। आसके पररणामथिरूप, के िल जनसंख्या के अधार पर ईिर प्रदेश में अइएएस कै डर
ऄपेक्षा से 40% छोटा है, जबक्रक ससक्रिम में यह ऄपेक्षा से 15% बड़ा है।
कें द्रीय प्रसतसनयुसि: मेहता एिं कपूर िारा सलखी गइ पुथतक 'पसब्लक आं सथटट्यूशंस आन आं सडया-
परफॉरमेंस एंड सडज़ाआन’ के ऄनुसार भारत के कइ छोटे राज्य बड़े राज्यों की तुलना में कें द्रीय
मंरालयों तथा सिभागों में काफी बेहतर प्रसतसनसधत्ि करते हैं।
'डी-कै डर(de-cadre)' पदों के प्रसत ऄसनच्छा: सामासजक एिं अर्णथक पररसथथसतयों में पररिततन के
कारण कु छ पदों के महत्ि में कमी अइ है। परं तु ईन पदों को कै डर से हटाने के ईदाहरण दुलभ
त हैं।
ईदाहरणाथत, भूसम ऄसधग्रहण / भूसम राजथि सनपटान कायों के पूणत होने के दशकों बाद ऄभी भी
कइ राज्यों में भू-व्यिथथा ऄसधकारी के पद को कै डर में यथाित रखा गया है।
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अगे की राह
नइ कै डर नीसत (2017) का सनमातण ईपयुति मुद्दों के समाधान हेतु क्रकया गया है। नइ नीसत का
ईद्देश्य देश की शीषत नौकरशाही में 'राष्ट्रीय एकीकरण' को सुसनसित करना है।
नइ नीसत यह सुसनसित करने का प्रयास करे गी क्रक सबहार के ऄसधकाररयों को दसक्षणी एिं ईिर-
पूिी राज्यों में कायत सौंपा जाए, जो सामान्त्यतः ईनके पसंदीदा कै डर नहीं होते हैं।
ऄसखल भारतीय सेिा के ऄसधकाररयों से यह ऄपेसक्षत है क्रक ईन्त्हें सिसभन्न ऄनुभि प्राप्त हों। ऐसा िे
सिसभन्न राज्यों में कायत करके ऄर्णजत कर सकते हैं। यह ईन्त्हें सिोिम प्रथाओं का भी ज्ञान प्रदान
करे गा।
नइ कै डर नीसत (2017)
नइ नीसत का ईद्देश्य “राष्ट्रीय एकीकरण” है, सजसके ऄंतगतत सभी राज्यों एिं संयुि कै डरों को 5 जोन में
जोन I- AGMUT, जम्मू एिं कश्मीर, सहमाचल प्रदेश, ईिराखंड, पंजाब, राजथथान एिं
हररयाणा
ऄभ्यर्णथयों को िरीयता के ऄिरोही िम में, सिसभन्न जोनों में से कै डर सिकल्प देना पड़ता है। ऄभ्यथी
ऄपनी पहली पसंद के रूप में के िल एक जोन में से एक राज्य/कै डर चुन सकते हैं। ईनकी ऄगली पसंद
एक सभन्न जोन से होनी चासहए। सभी जोनों में से पहली पसंद चुनने के बाद ही पुनः पहले जोन से
दूसरे राज्य/कै डर का चयन क्रकया जा सकता है। आस नीसत के बनने से पूित ईम्मीदिार ऄपने घरे लू राज्य
को िरीयता देता था, जबक्रक पड़ोसी राज्यों को ऄपनी ऄगली िरीयताओं के रूप में चुनता था।
पार्श्त प्रिेश (लैटरल एंट्री)- हाल ही में, सरकार िारा सिसशष्ट पदों के सलए सिशेषज्ञों की भती की
घोषणा एक थिागतयोग्य कदम है। आसके साथ ही यह सितीय प्रशाससनक सुधार अयोग (2nd
कै डरों के अकार में कटौती: ऄप्रासंसगक पदों के प्रसार के कारण ही, ऄसधकाररयों को सनरुत्सासहत
क्रकया जाता है तथा थथानांतरण का प्रयोग ईन्त्हें दंड के ईद्देश्य से क्रकया जाता है। ऄतः अिसधक
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जाता है।
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ऄसधकाररयों को कायातलयों में थपष्ट रूप से पररभासषत पदानुिम में संगरित क्रकया जाता है।
ईम्मीदिारों को तकनीकी योग्यता के अधार पर चुना जाता है।
ईन्त्हें सनसित िेतन प्रदान क्रकया जाता है।
यह एक कररयर का गिन करता है। आसमें िररष्ठता ऄथिा ईपलसब्ध या दोनों के ऄनुसार 'पदोन्नसत'
की एक प्रणाली सिद्यमान है।
असधकाररक कायत पूरी तरह से प्रशासन के साधनों के थिासमत्ि से और ईनके पद का ईपयोग क्रकये
सबना ऄलग क्रकये गए हैं।
प्रत्येक कायातलय में कायत करने की क्षमता का एक पररभासषत क्षेर होता है।
ऄसधकारी व्यसिगत रूप से थितंर होते हैं और के िल ऄपने व्यसिगत असधकाररक दासयत्िों के
संबंध में प्रासधकरण के ऄधीन होते हैं।
ऄनुभि से थपष्ट होता है क्रक परम्परागत प्रकृ सत की नौकरशाही व्यिथथाएं लोगों की अिश्यकताओं के
प्रसत ईिरदायी नहीं हैं क्योंक्रक िे लाल फीताशाही और औपचाररकतािाद, भाइ-भतीजािाद जैसे
सििादों में सघरी रहती हैं तथा रूक्रढ़िाद एिं यथा-सथथसत बनाये रखने के पक्ष में होती हैं।
अज का पररिेश जहां कं प्यूटर, आलेक्ट्रॉसनक्स और एसियासनक्स के क्षेर में सिकास ने समय और थथान
की दूरी को समाप्त कर क्रदया है, ऐसे संथथानों की मांग करता है जो ऄत्यंत लचीले एिं बदलते पररिे श
के ऄनुरूप थियं को ऄनुकूसलत करने में सक्षम हों ताक्रक ये संथथान लोगों को ईच्च गुणििा िाली सेिाएं
प्रदान करने और जरटल िैर्श्ीकृ त सिर्श् में व्याप्त चुनौसतयों का सामना में सक्षम हो सकें ।
यूनाआटेड ककगडम (UK), न्त्यूजीलैंड, ऑथट्रेसलया, कनाडा, स्सगापुर जैसे राष्ट्रमंडल देशों ने नौकरशाही के
िेबेररयन मॉडल को ऄथिीकार कर क्रदया है और साितजसनक सेिा दक्षता में नाटकीय िृसद् के साथ, न्त्यू
पसब्लक मैनज
े मेंट (NPM) या नि लोक प्रबंधन के नाम से सिख्यात एक नये दशतन को ऄपना सलया है।
NPM दशतन के मुख्य घटकों में प्रासधकार का हथतांतरण, प्रदशतन ऄनुबंध और ग्राहक को कें द्र में रखना
आत्याक्रद ससम्मसलत हैं।
भारतीय सससिल सेिा प्रणाली रैं क-अधाररत है और पद-अधाररत सससिल सेिाओं के ससद्ांतों का
पालन नहीं करती है। आस कारण भारत में एक सिशेषीकृ त सससिल सेिा प्रणाली की ऄनुपसथथसत रही है।
भारतीय सससिल सेिा प्रणाली के मूल दशतन ने आस पररघटना में ऄत्यसधक योगदान क्रदया है, क्योंक्रक
आसमें सिशेषज्ञों के बजाय सामान्त्यज्ञों की भती पर ऄत्यसधक बल क्रदया जाता है। भारतीय सससिल सेिा
के पदासीन ऄसधकाररयों की कायातिसध (क्रकसी एक थथान पर क्रकसी सनसित पद के सन्त्दभत में) ऄत्यल्प
(सामान्त्यतः एक िषत से भी कम) होती है। गैर-संघीय चररर को लेकर ऄसखल भारतीय सेिाओं की
अलोचना की जाती है।
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3.2 ऄसखल भारतीय से िाओं से जु ड़े मु द्दे (Issues with All India Services)
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आन सेिाओं के ऄसधकारी कें द्र और राज्यों के मध्य िसमक रूप में भेजे जा सकते हैं और आस प्रकार,
सलाह दे सकते हैं। जबक्रक राज्य सेिाओं के ऄसधकारी ऐसी सलाह देने में संकोच कर सकते हैं।
राष्ट्रीय या संिैधासनक अपात की सथथसत में, कें द्र सरकार AIS के माध्यम से कायत कर सकती है।
कें द्र सरकार AIS के माध्यम से सनचले थतर की िाथतसिकताओं के संपकत में रहती है।
कें द्र-राज्य संबंधों पर सरकाररया अयोग ने सनम्नसलसखत प्रश्नों पर राज्य सरकारों से ईनके सिचारों की
मांग की:
क्या ऄसखल भारतीय सेिाओं (AIS) ने संसिधान सनमातताओं की ऄपेक्षाओं को पूरा क्रकया है; तथा
ईम्मीदों को पूरा क्रकया है। हालांक्रक, कु छ राज्य सरकारों ने स्चताएं व्यि की हैं जैसे :
थितंरता के ऄनेक िषों पिात AIS की प्रासंसगकता: देश के समक्ष व्याप्त राजनीसतक-प्रशाससनक
क्रकए जाते हैं, आससलए लोक व्यिथथा के संबंध में राज्य सरकार के ईिरदासयत्ि में भी कमी अइ है।
संघिाद के सिरुद् : यह तकत क्रदया जाता है क्रक AIS की समासप्त और राज्य एिं कें द्र की नागररक
अर्णथक समृसद्, मजबूत िैकसल्पक संथथान आत्याक्रद जैसे ऄसधक रटकाउ कारकों पर अधाररत होना
चासहए।
प्रासधकरण-ईिरदासयत्ि ऄंतराल : AIS के ऄसधकाररयों का मानना है क्रक िे राज्य सरकार नहीं
बसल्क कें द्र सरकार के ऄनुशासनात्मक सनयंरण में कायत करते हैं । आसके ईपरांत कु छ राज्य सरकारों
ने आस बात पर सिशेष बल क्रदया है की ईनके राज्य क्षेर में सेिारत AIS के ऄसधकाररयों को ईनके
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कै डर अिंटन नीसत: AIS के प्रत्येक राज्य कै डर में कम से कम 50% बाहरी लोगों को शासमल
करने के सलए संघ की नीसत का तात्पयत यह है क्रक ये बाहरी लोग ऄंदरूनी लोगों की तुलना में कें द्र
सरकार के सनयंरण के सलए ऄसधक ईिरदायी हैं। यह दृसष्टकोण AIS और राज्य सेिाओं के साथ-
साथ राज्य में पूित और राजनीसतक नेतत्ृ ि के बीच सििादों को बढ़ािा देता है। राज्यों सरकारों का
ऐसा मानना है क्रक यह ईनको सनयंसरत करने हेतु कें द्र सरकार की एक कु रटल नीसत है।
भूसम पुर ससद्ांत (Son of soil theory): बाहरी लोग सजन ऄन्त्य राज्यों में तैनात क्रकए जाते है,
िे िहां की भाषा, अचार तथा राज्य प्रोफाआल के सिषय में पयातप्त जानकारी नहीं रखते हैं।
संघ सूची के तहत AIS : ऄसखल भारतीय सेिाएँ कें द्र और राज्य का संयुि ईिरदासयत्ि है, क्रफर
नए AIS का गिन: निीन ऄसखल भारतीय सेिाओं (AIS) के गिन का प्रश्न कें द्र सरकार और
राज्यों के मध्य मुख्य रूप से तीन कारणों से तनाि का एक महत्िपूणत क्षेर रहा है:
o निीन AIS का सृजन राज्य सेिाओं के प्रभािी सिथतार में कटौती करता है, आस प्रकार, भूसम
समय थी।
AIS को भंग करने का कोइ कदम या क्रकसी राज्य सरकार को AIS की व्यिथथा से बाहर सनकलने
की ऄनुमसत देना देश के व्यापक सहतों के प्रसतकू ल और हासनकारक माना जाना चासहए।
AIS को और ऄसधक सुदढ़ृ बनाया जाना चासहए और ईनके िारा सनभायी जाने िाली भूसमका पर
ऄसधक बल क्रदया जाना चासहए। यह चयन, प्रसशक्षण, तैनाती, सिकास और पदोन्नसत नीसतयों एिं
तरीकों में भली-भांसत योजनाबद् सुधारों के माध्यम से प्राप्त क्रकया जा सकता है।
िततमान में सामान्त्यज्ञता पर सिशेष बल क्रदए जाने से लोक प्रशासन के एक या एक से ऄसधक क्षेरों
में ऄसधक सिशेषज्ञता का मागत प्रशथत होना चासहए।
प्रत्येक AIS ऄसधकारी (चाहे प्रत्यक्ष रूप में भती हुअ हो या पदोन्नत ऄसधकारी हो) को कें द्र
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संघ और राज्य सरकारों के मध्य AIS के प्रबंधन पर सनयसमत परामशत होना चासहए।
आस ईद्देश्य के सलए AIS के कार्णमक प्रशासन हेतु एक सलाहकार पररषद की थथापना की जा सकती
है, सजसमें पूणततः िररष्ठ ऄसधकारी ससम्मसलत होंगे जो सिचार-सिमशत क्रकए जाने िाले मुद्दों से
प्रत्यक्ष रूप में संबंसधत होंगे।
आसकी बैिक सनयसमत रूप से एक सनसित ऄंतराल पर होनी चासहए और आसे संघ एिं राज्य
सरकारों िारा संदर्णभत समथयाओं के समाधान का सुझाि देना चासहए।
कें द्र सरकार आंजीसनयरों के सलए भारतीय सेिाएं (IES), भारतीय सचक्रकत्सा और थिाथ्य सेिाएं
(IM&HS) और सशक्षा के सलए ऄसखल भारतीय सेिाओं के गिन हेतु सहमत करने के सलए राज्य
सरकारों को मन सकती हैं।
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सससिल सेिा में िततमान पदोन्नसत प्रणाली काल-िम (टाआम थके ल) पर अधाररत है और यह आसके
कायतकाल की सुरक्षा के साथ जुड़ी होती है। हमारी लोक सेिा में ये तत्ि गसतशील सससिल सेिकों को
अत्मसंतुष्ट बना रहे हैं और कइ पदोन्नसतयाँ नेताओं या मंसरयों के संरक्षण पर अधाररत होती हैं। एक
सरकारी कमतचारी की पदोन्नसत, कररयर ईन्नसत और सेिा में सनरं तरता नौकरी में ईसके िाथतसिक
प्रदशतन से सम्बद् होनी चासहए एिं ऄकमतण्य लोगों को सनष्काससत क्रकया जाना चासहए।
पदोन्नसत योग्यता अधाररत होनी चासहए। संबंसधत ऄसधकाररयों को सिोिम तौर-तरीकों को एक
मानक के रूप में थथासपत करना होगा होगा तथा ईसके अधार पर िततमान तौर-तरीकों का
अकलन करना होगा। आसके ऄसतररि सिसभन्न प्रकार के मानकों के अधार पर सससिल सेिकों के
प्रदशतन का गुणात्मक और मारात्मक रूप से मूल्यांकन करना होगा।
सनष्पादन संबसं धत प्रोत्साहन योजना (Performance Related Incentive Scheme:PRIS):
छिें िेतन अयोग ने सरकारी कमतचाररयों के सलए सनयसमत िेतन के ऄसतररि एक नए प्रदशतन
अधाररत मौक्रद्रक लाभ को अरम्भ करने की ऄनुशंसा की है। यह सनष्पादन सिसशष्ट पुरथकार
(ऄलग-ऄलग सनष्पादनों के सलए ऄलग-ऄलग पुरथकार) के ससद्ांत पर अधाररत होना चासहए।
सरकार में PRIS अरम्भ करने का ऄंसतम ईद्देश्य कमतचारी की ऄसभप्रेरणा में सुधार करने; ईच्च
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ईत्पादकता या अगत प्राप्त करने और गुणििापूणत साितजसनक सेिा प्रदान करने तक सीसमत नहीं
है; बसल्क यह ईिरदायी शासन के सलए प्रभािशीलता और सुव्यिसथथत पररिततन के बड़े लक्ष्यों की
तलाश करता है।
सनष्पादन प्रबंधन प्रणाली पर 2nd ARC की ऄनुशस
ं ाएं
o मूल्यांकन को ऄसधक परामशी और पारदशी बनाना - सभी सेिाओं के सलए प्रदशतन मूल्यांकन
प्रणाली को ऄसखल भारतीय सेिाओं हेतु हाल ही में प्रथतुत क्रकए गए कार्णमक प्रशासन सनयम
(Personnel Administration Rule:PAR) की तजत पर संशोसधत क्रकया जाना चासहए।
o सनष्पादन अकलन िषत-पयंत चलना चासहए: सभी सेिाओं के सलए सिथतृत कायत योजना और
एक ऄद्त-िार्णषक समीक्षा हेतु प्रािधान क्रकया जाना चासहए।
o ऄंकीय रे टटग सनर्ददष्ट करने के सलए क्रदशा-सनदेश तैयार क्रकए जाने की अिश्यकता है।
o सरकार को व्यापक सनष्पादन प्रबंधन प्रणाली (PMS) के सलए ऄपने कमतचाररयों की िततमान
सनष्पादन मूल्यांकन प्रणाली के दायरे का सिथतार करना चासहए।
o PMS को सिशेष मंरालय/सिभाग/संगिन के सलए ईपयुि समग्र नीसतगत रूपरे खा के ऄंतगतत
सडजाआन क्रकया जाना चासहए।
4.3 िररष्ठ थतर की सनयु सियों के सलए प्रसतयोसगता और सिशे ष ज्ञतापू णत ज्ञान
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आसने एक सांसिसधक के न्त्द्रीय सससिल सेिा प्रासधकरण के गिन का सुझाि क्रदया है। यह डोमेन
अिंटन के मामलों, सिसभन्न थतरों पर ऄसधकाररयों को तैनात करने के सलए पैनल तैयार करने,
कायतकाल तय करने जैसे कायत करे गा और यह सनधातररत करे गा क्रक कौन-से पदों को पार्श्त प्रिेश
(लैटरल एंट्री) के सलए सिज्ञासपत क्रकया जाना चासहए।
िततमान में ऄनुशासन संबंधी सनयमों के प्रािधान ऄत्यसधक जरटल और समयसाध्य हैं सजससे क्रकसी
दोषी कमतचारी के सिरुद् अदेश के ईल्लंघन और दुव्यतिहार के सलए कारत िाइ करना ऄत्यंत करिन हो
जाता है। आस प्रकार, एक बार सनयुसि हो जाने के पिात् क्रकसी कमतचारी को हटाना या सनष्कासषत
करना लगभग ऄसंभि हो जाता है। आसका पररणाम सनम्न कायत संथकृ सत और समग्रता में ऄक्षमता के रूप
में होता है। सससिल सेिा अचरण और ऄनुशासन सनयमों के प्रािधान ऄत्यसधक दोषपूणत ि जरटल हैं।
आस संदभत में 2nd ARC की ऄनुशस
ं ाएं
2nd ARC के ऄनुसार सससिल सेिकों को प्रदि सिसधक सुरक्षा ने ऄक्षमता और गलत कायत के
सलए दंड के ऄभाि में अिश्यकता से ऄसधक सुरक्षा का िातािरण बना क्रदया है।
प्रथतासित सससिल सेिा कानून में प्राकृ सतक न्त्याय के मानदंडों को पूरा करने के सलए न्त्यन
ू तम
सांसिसधक ऄनुशासनात्मक और पद से बखातथतगी की प्रक्रियाओं व्यिथथा की जानी चासहए और
पालन की जाने िाली प्रक्रिया के ब्यौरे संबंसधत सरकारी सिभागों पर छोड़ क्रदए जाने चासहए।
िततमान मौसखक जांच प्रक्रिया को पररिर्णतत क्रकया जाना चासहए। यह जांच एक िररष्ठ ऄसधकारी
िारा, कोटत ट्रायल प्रक्रियाओं के सबना, सारांश रूप (समरी मैनर) में सम्पन्न एक ऄनुशासनात्मक
बैिक या साक्षात्कार के रूप में की जानी चासहए।
बखातथतगी और पदच्युसत के िल क्रकसी ऐसे प्रासधकारी िारा ही की जानी चासहए जो सम्बंसधत
सरकारी कमतचारी िारा धारण क्रकये पद से कम से कम तीन थतर उपर हो।
जब तक जाँच नहीं की गइ हो और दोषी सरकारी कमतचारी को सुनिाइ का एक ऄिसर क्रदया नहीं
क्रदया गया हो तब तक कोइ दंड नहीं क्रदया जा सकता।
सतकत ता दृसष्टकोण से जुड़े मामलों में CVC के साथ दो चरणीय परामशत को समाप्त करके
ऄनुशासनात्मक प्रक्रिया के पूणत होने के पिात् के िल सितीय चरण का परामशत प्राप्त क्रकया जाना
चासहए।
UPSC के साथ परामशत के िल ईन मामलों में ऄसनिायत होना चासहए सजनमें सरकारी कमतचारी
ऄसधकांश सरकारी सिभाग सनम्नथतरीय कायत संथकृ सत और सनम्न ईत्पादकता से ग्रथत हैं। लागत प्रभािी
सेिाएं प्रदान करने के सलए सनम्नसलसखत ईपाय क्रकये जा सकते हैं:
बहु-थतरीय पदानुिसमक संरचना को कम क्रकया जाना चासहए और सनणतय लेने में तीव्रता लाने हेतु
सीधे एक थतर से क्रकसी ऄन्त्य थतर पर जाने की व्यिथथा (लेिल जस्म्पग) से युि एक ऄसधकारी
ईन्त्मुख तंर प्रथतुत क्रकया जाना चासहए।
सरकारी कायातलयों को कं प्यूटर एिं ऄन्त्य गैजेट प्रदान कर ईनका अधुसनकीकरण क्रकया जाना
चासहए और एक सहायक कायत िातािरण का सृजन क्रकया जाना चासहए।
ऄसधकाररयों को ऄसभप्रेररत रहना चासहए और ईन्त्हें ऄसधक ईिरदासयत्ि एिं सनणतय लेने का
ऄसधकार प्रदान करके सशि बनाया जाना चासहए।
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आन सनयमों को ऄद्यसतत एिं सरल होना चासहए तथा लोक सेिकों के सििेकासधकारों को सीसमत
या समाप्त क्रकया जाना चासहए।
सरकारी कायातलय की दक्षता का एक बड़ा भाग कर्णमयों, सििीय एिं खरीद प्रबंधन प्रणाली पर
सनभतर करता है। कर्णमयों के प्रबंधन से संबंसधत सनयम पुराने और किोर हैं तथा थथानीय
पररसथथसतयों के ऄनुकूल होने के सलए सिभागों को कोइ लचीलापन प्रदान नहीं करते हैं सजसके
पररणामथिरूप ऄक्षमता ईत्पन्न होती है।
बजटीय एिं खरीद सनयमों को पररिर्णतत क्रकया जाना चासहए। सिभागों को पयातप्त लचीलापन
प्रदान क्रकया जाना चासहए सजससे िे धन का सिोिम मूल्य सुरसक्षत करने के ऄपने सनणतय का
ईपयोग करने में सक्षम हो सकें ।
ईदारीकरण के युग में राज्य के थिासमत्ि िाले ईन ईद्यमों, जो या तो घाटे में चल रहे हैं या होटल,
पयतटन, आं जीसनयटरग और कपड़ा क्षेर जैसे ऄथतव्यिथथा के तृतीयक क्षेर से सम्बंसधत हैं, के सनजीकरण के
पीछे अर्णथक तकत सनसहत है। ये ईद्यम सनजी क्षेर के साथ प्रसतथपधात नहीं कर कर पाने के कारण राष्ट्रीय
संसाधनों के सनगतमन का कारण बने हुए हैं।
नगरपासलका मागों की सफाइ, ऄपसशष्ट संग्रहण, सिद्युत् सितरण, शहरी पररिहन अक्रद जैसी
सेिाओं के सनजीकरण के सलए एक सुदढ़ृ सथथसत बनी हुइ है।
ऄनुभि से पता चलता है क्रक साितजसनक और सनजी क्षेर के प्रदाताओं के मध्य प्रसतथपद्ात ससहत
साितजसनक सेिाओं के सितरण में प्रसतथपद्ात के बढ़ते ईपयोग से लागत प्रभािशीलता और सेिा की
गुणििा में सुधार हुअ है।
सूचना प्रौद्योसगकी के क्षेर में अयी िांसत ने सुशासन के सलए आसे ऄपनाने की ओर ध्यान अकर्णषत क्रकया
है।
इ-गिनेंस सुदरू िती गांिों को शहरों में सथथत सरकारी कायातलयों से सम्बद् कर दूररयों को घटा
कर शून्त्य कर सकता है, कमतचाररयों की संख्या को कम कर सकता है, लागत में कटौती कर सकता
है, सरकारी तंर में गोपनीय सूचनाओं के प्रकटीकरण की जांच कर सकता है तथा कतारों में खड़े
हुए सबना और दफ्तरों में क्लकों से ईत्पीसड़त हुए सबना नागररक एिं सरकार के मध्य ऄंतःक्रिया
को सुगम बना सकता है।
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परन्त्तु यह ध्यान रखना अिश्यक है क्रक इ-गिनेंस के िल सुशासन के सलए एक साधन है। यह थितंर
या ईिरदायी ऄसधकाररयों का थथान नहीं ले सकता है। आसे के िल राजनीसतक नेतृत्ि के थिासमत्ि
के ऄधीन होना चासहए।
ऄसधकाररयों को सिशेषकर राज्य सरकारों में सेिा प्रदान करने िाली ऄसखल भारतीय सेिाओं के संदभत
में, ईनके कायतकाल से संबंसधत िाथतसिक समथयाओं का सामना करना पड़ रहा है।
सामान्त्यतः सरकार में पररिततन के साथ ऄसधकाररयों का थथानांतरण होता है और कु छ राज्यों में
सजलासधकारी (DM) एिं पुसलस ऄधीक्षक (SP) का औसत कायतकाल के िल एक िषत से भी कम
समय का होता है। ऄसधकाररयों के आस प्रकार के तीव्र थथानांतरण से अम जनता को प्रदान की
जाने िाली सेिाओं की अपूर्णत एिं गुणििा प्रसतकू ल रूप से प्रभासित होती है।
क्रकसी भी समय होने िाले थथानान्त्तरण का भय ऄसधकाररयों िारा ऄिांसछत थथानीय दबािों का
सामना करने के सलए अिश्यक मनोबल एिं क्षमता को प्रसतकू ल रूप से प्रभासित करता है
लंबे समय तक,राज्यों में ऄसखल भारतीय सेिाओं के ऄसधकाररयों के सनरं तर थथानांतरण से
पररयोजनाओं के कायातन्त्ियन में सिलम्ब होता है। आसके ऄसतररि ऄसधकारी िह ऄथतपूणत ऄनुभि
प्राप्त नहीं कर पाते हैं जो राज्य एिं कें द्र सरकार के ऄधीन ईच्चतर पदों पर नीसत सनमातण के थतर
पर ईनकी क्षमता में िृसद् करता है।
आस संदभत में सससिल सेिा सुधार पर होता ससमसत ने सनम्नसलसखत सुझाि क्रदए:
िार्णषक सनष्पादन लक्ष्यों के साथ ईच्च सससिल सेिा के एक ऄसधकारी के सलए कम से कम तीन िषत
का एक सनसित कायतकाल।
सससिल सेिा बोडत / थथापना बोडत दोनों को राज्यों और भारत सरकार में िैधासनक सथथसत प्रदान
करने के सलए एक सससिल सेिा ऄसधसनयम लागू क्रकया जाना चासहए।
यक्रद कोइ मुख्यमंरी सससिल सेिा बोडत / थथापना बोडत की ससफाररशों से सहमत नहीं है, तो ईसे
सलसखत में ऄपने कारणों का ररकॉडत रखना होगा।
मुख्यमंरी के अदेश के ऄंतगतत ऄपने सामान्त्य कायतकाल से पूित थथानांतररत क्रकया गया ऄसधकारी
तीन सदथयीय लोकपाल के समक्ष ऄपने मामले को प्रथतुत कर सकता है।
ऐसे सभी समयपूित थथानांतरणों के संबंध में लोकपाल राज्य के राज्यपाल को एक ररपोटत प्रथतुत
करे गा। राज्यपाल आस ररपोटत को िार्णषक ररपोटत के साथ राज्य सिधासयका के पटल पर रखिाएगा।
राजनीसतक कायतकाररणी और सससिल सेिकों के मध्य संबंधों पर सितीय प्रशाससनक सुधार अयोग
(2nd ARC) की ऄनुशंसाएं सनम्नसलसखत हैं:
लोक सेिाओं की राजनीसतक तटथथता और सनष्पक्षता का संरक्षण करने की अिश्यकता है।
यह समान रूप से राजनीसतक कायतकाररणी और सससिल सेिाओं का दासयत्ि है।
आस पक्ष को मंसरयों की अचार संसहता के साथ-साथ लोक सेिकों की अचार संसहता में ससम्मसलत
क्रकया जाना चासहए।
भ्रष्टाचार सनिारण ऄसधसनयम,1988 के ऄंतगतत भ्रष्टाचार की पररभाषा का परीक्षण करते समय
"क्रकसी का ऄनुसचत पक्ष लेने और क्षसत पहुँचाने हेतु ऄसधकार के दुरुपयोग" और "न्त्याय में बाधा
पहुँचाने" को ऄसधसनयम के तहत ऄपराध के रूप में िगीकृ त क्रकया जाना चासहए।
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भारतीय प्रशाससनक सेिा (IAS), ऄन्त्य ऄसखल भारतीय सेिाओं के ऄसधकारी एिं ऄन्त्य सससिल
सेिक मौसखक सनदेशों का पालन करने के सलए बाध्य नहीं थे, क्योंक्रक िे "सिर्श्सनीयता को
कमजोर करते हैं”। ईनके िारा सभी कारत िाआयां सलसखत संप्रेषण के अधार पर की जानी चासहए।
सससिल सेिाओं में पार्श्त प्रिेश का ऄथत पदानुिसमक संरचना के ईच्च थतर पर, सनयसमत प्रणाली को
जून 2018 में, कार्णमक एिं प्रसशक्षण सिभाग (DoPT) िारा जारी ऄसधसूचना में अर्णथक
मामलों, राजथि, िासणज्य और राजमागों के सिभागों में संयुि ससचि थतर पर 10 िररष्ठ थतर के
पदों के सलए अिेदनों को अमंसरत क्रकया गया है।
योग्यता मानदंडों में "साितजसनक क्षेर के ईपिमों, थिायि सनकायों, सांसिसधक संगिनों,
ऄनुसंधान सनकायों और सिर्श्सिद्यालयों में कायतरत लोगों के ऄसतररि सनजी क्षेर की कं पसनयों,
परामशत संगिनों, ऄंतरातष्ट्रीय / बहुराष्ट्रीय संगिनों के साथ न्त्यूनतम 15 िषों के ऄनुभि के साथ
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DoPT के ऄनुसार, भती तीन से पांच िषत हेतु ऄनुबंध के अधार पर होगी। प्रारं सभक तौर पर
10 सिभागों में भती की जाएगी क्रकन्त्तु दूसरे चरण में आसका सिथतार ऄन्त्य श्रेसणयों में भी क्रकया
जाएगा।
िेतन, पेंशन तथा ऄन्त्य भिों आत्याक्रद के कारण अर्णथक बोझ में िृसद् होती है। संिैधासनक सुरक्षा
भी ऄपने कततव्यों का ईसचत प्रकार से पालन न करने िाले ऄसधकाररयों के सनष्कासन में व्यिधान
ईत्पन्न करती है। आस सिसंगसत का समाधान पार्श्त प्रिेश के माध्यम से क्रकया जा सकता है।
निाचार को प्रोत्साहन: ऐसा माना जाता है क्रक सनजी क्षेर से पेशेिरों को सससिल सेिाओं में लाने
से निीन सिचारों का प्रिेश होगा तथा एक सिशाल, शसिशाली और ऄनम्य संथथान में निाचारी
समथया समाधान सिसधयों के प्रयोग का अरम्भ होगा।
प्रसतथपद्ात : यह पेशि
े र नौकरशाहों को बेहतर प्रदशतन करने हेतु थिथथ प्रसतथपद्ात की ओर ले
जाएगा। आसके ऄसतररि यह 'प्रदशतन नहीं तो पद नहीं' (perform or perish) के चेतािनी संकेत
के रूप में भी कायत करे गा।
पार्श्त प्रिेश से संबसं धत मुद्दे
संघ लोक सेिा अयोग (UPSC) की ईपेक्षा करना: UPSC एक संिैधासनक सनकाय है और आसने
सिगत कु छ िषों में चयन प्रक्रिया की िैधता एिं सिर्श्सनीयता को बनाए रखा है। कु छ सिशेषज्ञों
का यह भी मानना है क्रक पार्श्त प्रिेश ऄसंिैधासनक है।
प्रत्येक समथया का समाधान नहीं: ऐसा भी तकत क्रदया जाता है क्रक एक व्यिसथथत समथया से
सनपटने के सलए यह एक खंसडत प्रयास है। नौकरशाही में व्यापक सनरीक्षण के पिात् सुधार करने
की अिश्यकता है |
प्रथताि पयातप्त अकषतक नहीं : ऄसधकांशतः भती संबंधी शतें सिोिम प्रसतभा को अकर्णषत करने
हेतु ऄपेसक्षत प्रसतफल प्रदान नहीं कर पाती हैं। यहां तक क्रक हासलया पार्श्त प्रिेश पहल भी के िल 3
िषों के सलए पाररश्रसमक (जो क्रक सनजी क्षेर के समतुल्य नहीं है) के साथ पेशि
े रों की भती करे गी।
सनजीकरण के सलए ऄिसर प्रदान करना : कु छ सससिल सेिकों का मानना है क्रक यह पहल
सनजीकरण को ऄत्यसधक बढ़ािा देगी और ऄंततः सरकार ऄपनी समाजिादी एिं कल्याणकारी
सिशेषताओं को खो देगी।
भती में पारदर्णशता: सरकार को यह सुसनसित करना चासहए क्रक नए सदथय "सिघटनिादी
प्रिृसियों" से मुि रहें। सससिल सेिाओं में चयन प्रक्रिया की पारदर्णशता को बनाए रखने हेतु आसे
िततमान सरकार से पृथक क्रकया जाना चासहए।
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अगे की राह
सितीय प्रशाससनक सुधार अयोग ने कें द्र एिं राज्य दोनों थतरों पर पार्श्त प्रिेश के सलए एक
संथथागत एिं पारदशी प्रक्रिया की ऄनुशस
ं ा की है। परं तु नौकरशाहों, सेिारत कमतचाररयों एिं
सेिासनिृि लोगों की नकारात्मक प्रसतक्रिया और दशकों से व्यापक थतर पर सिद्यमान ऄपररिर्णतत
सससिल सेिाओं की संथथागत सनसष्ियता ने आसकी प्रगसत में बाधा ईत्पन्न की है।
डॉ. शसश थरूर की ऄध्यक्षता में सिदेशी मामलों पर गरित संसदीय थथायी ससमसत ने सरकार से
देश के राजनसयक समूहों का सिथतार करने हेतु सिदेश सेिा में ऄसनिासी भारतीयों (NRI) को
प्रिेश की सुसिधा प्रदान करने का अग्रह क्रकया है।
पार्श्त प्रिेश के ऄसतररि सससिल सेिा प्रसशक्षण की प्रणाली में भी ऄनेक अिश्यक सुधार करने की
अिश्यकता है।
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लोक सेिाओं में सुधार करना सरकार के समक्ष एक प्रमुख चुनौती है। सबसे बड़ा व्यिधान नौकरशाहों
िारा ईत्पन्न क्रकया जाता है जो ऄपने व्यापक सहतों के कारण आन सुधारों को सनष्पादन ईन्त्मुख तथा
ईिरदायी बनाने के क्रकसी भी प्रयास का सिरोध करते हैं।
साथतक सुधारों के क्रियान्त्ियन हेतु ईच्चतम थतर पर राजनीसतक आच्छा की अिश्यकता है। यही समय है
जब सरकार को भी यह थिीकार करना चासहए क्रक देश से सनधतनता, सनरक्षरता, कु पोषण एिं िंचना के
ईन्त्मूलन के सलए तथा देश को खुशहाल, थिथथ और समृद् सनिास थथान बनाने हेतु लोक सेिा सुधार
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कायत-काल के मध्य में क्रकया जाने िाला कायत-सनष्पादन क्षमता का मूल्यांकन क्या है?
कायत-काल के मध्य में क्रकया जाने िाले कायत-सनष्पादन क्षमता संबंधी मूल्यांकन सनष्पादन
क्षमता की सनगरानी हेतु क्रकया जाता है। यह प्रत्येक सनयत ऄिसध के बाद ररपोटत क्रकये गए
सरकारी ऄसधकारी तथा ररपोटत करने िाले ऄसधकारी के बीच संपन्न क्रकया जाने िाला एक
संयुि ऄभ्यास है।
लक्ष्यों को सनयत करते समय संपाक्रदत कायत की प्रकृ सत तथा क्षेर को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक
सिषय के ऄनुसार प्राथसमकता सनर्ददष्ट की जानी चासहए।
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2. भारत में सससिल सेिकों का छोटा कायतकाल ईनके प्रबंधन को क्रकस प्रकार ऄल्प प्रभािी
बनाता है? आस मुददे को संबोसधत करने के सलए सससिल सेिा बोडत की थथापना करने की
पहल पर अलोचनात्मक चचात कीसजए।
दृसष्टकोण:
सितप्रथम भारत में सससिल सेिकों के छोटे कायतकाल के मुद्दे की संसक्षप्त रूपरे खा प्रथतुत
कीसजए।
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आसके पिात, भारत में सससिल सेिकों के छोटे कायतकाल से संबद् महत्िपूणत मुद्दों को
प्रथतुत कीसजए।
आसके पिात, सससिल सेिा बोडों की थथापना की ऄिधारणा को थपष्ट कीसजए और
आनके लाभों और आनसे जुड़ी स्चताओं को ईद्धृत करते हुए चचात कीसजए क्रक क्या यह
िततमान मुद्दों का प्रभािी समाधान करे गा।
ईिर:
सससिल सेिकों को कायतकाल की सथथरता प्राप्त नहीं होती है, सिशेष रूप से राज्य सरकारों में
ईनके थथानांतरण और पदथथापन प्रायः कायतकारी प्रमुखों की सनक और मजी के ऄनुसार
क्रकए जाते हैं।
सससिल सेिकों के छोटे कायतकाल से सनम्नसलसखत मुद्दे संबंसद्त हैं:
छोटा कायतकाल एिं पदथथापन के सलए राजनीसतक िगत पर सनभतरता के कारण सससिल
सेिकों में पक्षपात की प्रिृसि सिकससत हो जाती है। आस प्रिृसि के कारण ईनमें भ्रष्टाचार,
सहत-संघषत, भाइ-भतीजािाद एिं तटथथता का क्षरण, जैसी ऄन्त्य अशंकाएं बढ़ जाती हैं।
भारत में महत्िपूणत पदों में कायतकाल की सुरक्षा का ऄभाि के कारण सससिल सेिा के
मनोबल और क्षमता में ऄत्यसधक ्ास हुअ है।
सससिल सेिकों के छोटे कायतकाल के कारण ईनका कायत-सनष्पादन मापन एिं मूल्यांकन
का थतर ऄल्प-प्रभािी रह जाता है।
महत्िपूणत पद धारण करने िाले सससिल सेिकों के मनमाना थथानांतरण कभी-कभी
जनसहत एिं सुशासन के ससद्ातों के सिरुद् चले जाते हैं।
थथाइ कायतकाल, पदासीन ऄसधकाररयों को नौकरी के दौरान सीखने, ऄपनी क्षमता का
सिकास करने और तत्पिात सिोत्तम रूप से योगदान देने में सक्षम बनाने हेतु अिश्यक
है।
आस प्रकार, राजनीसतकरण एिं संरक्षणिाद से सससिल सेिकों की सुरक्षा हेतु सितीय
प्रशाससनक सुधार अयोग (ARC) और साथ ही सिोच्च न्त्यायालय ने 2013 में सनम्नसलसखत
ईद्देश्यों के सलए सससिल सेिा बोडत की थथापना करने की ऄनुशंसा की:
राजनीसतक हथतक्षेपों से ऄसधकारी िगत का परररक्षण करना एिं सससिल सेिकों के बार-
बार थथानांतरण क्रकए जाने की कायतप्रणाली को समाप्त करना।
थथानांतरण, पदथथापन, जाँच एिं प्रोन्त्नसत, पुरथकार, दण्ड एिं ऄनुशासनात्मक मामलों
के प्रक्रिया की, देखरे ख करना।
सससिल सेिकों को पद की सथथरता प्रदान करने से ईनकी कायत पद्सत में तटथथता एिं
सनष्पक्षता बनी रहेगी।
क्रकन्त्तु कु छ ऐसे मुद्दें हैं, जो सससिल सेिा बोडत की थथापना के ईद्देश्य को संभितः बासधत कर
सकते हैं:
सक्षम ऄसधकारी जैसे क्रक के न्त्द्र के मामले में प्रधानमंरी एिं राज्य के मामले में मुख्यमंरी
सससिल सेिा बोडत की ऄनुशस
ं ा को संशोसधत, पररिर्णतत या सनरथत कर सकते हैं, सजसके
कारणों को सलसखत रूप में दजत क्रकया जाना होगा।
आस बोडत की ऄध्यक्षता राज्य के मुख्य ससचि िारा की जानी है, सजनके सहटन में टकराि
आस प्रक्रिया में हो सकता है।
आस प्रकार, सससिल सेिा बोडत की थथापना करने के ऄसतररक्त आसकी राजनीसतक
पृथकता भी अिश्यक है। साथ ही कु छ िॉचडॉग जैसे क्रक समयपूित थथानांतरण के मामले
में लोकायुक्त की ऄनुमसत को आस ्यिथथा में समासिष्ट क्रकया जा सकता है।
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3. 21िीं सदी की साितजसनक नीसत िथतुतः एक सामान्त्यज्ञ नौकरशाही की मांग करती है।
तुलना में लोक नीसत के सिसिध पहलुओं से ऄिगत होने की ऄपेक्षा की जाती है। 21िीं सदी में
लोक सेिा की चुनौसतयां बहुमुखी और जरटल हैं। आसके सलए गिबंधनों का सनमातण करने,
सिशेषीकृ त ज्ञान, पदानुिम में न ईलझने, ऄसधक सहयोग, कायतक्षेर (डोमेन) सिशेषज्ञता एिं
सरल पेशि
े र संरचनाओं का सिकास करने की अिश्यकता है। आस संबंध में, सससिल सेिकों के
authority) में शीषत थतर पर सिद्यमान रहना चासहए। आसका लाभ यह है क्रक आससे
शासन में नौकरशाही में कमी अएगी और यह ऄपेक्षाकृ त ऄसधक कायतिम ईन्त्मु ख एिं
प्रसतबद् बनेगी।
सामान्त्यज्ञ प्रशासक अमतौर पर क्रकसी सिसशष्ट गसतसिसध के प्रसत सचरकासलक
(संधारणीय) रुसच सिकससत नहीं करता है। ऄपिादथिरूप यक्रद िह आस प्रकार की रुसच
पैदा भी कर लेता है तो िह सनष्फल हो जाती है क्योंक्रक जब तक िह क्रकसी कायत को
सीखता है, तब तक ईसका क्रकसी ऄन्त्य कायत के सलए थथानांतरण कर क्रदया जाता है।
प्रबंधन एिं प्रशासन (जैसे साितजसनक क्षेरक के ईपिम) से संबंसधत ऄसधकाररयों को
ऄपने ईद्यमों की कायत-प्रणाली के संबंध में ईत्कृ ष्ट प्रसशक्षण-प्राप्त होना चासहए। एकमार
सैद्ांसतक, ऄसधकारीतंरीय सनयंरण के थथान पर अत्मसनभतर सुसिज्ञ ्यिथथा पर जोर
है।
सिशेषज्ञों (समान कायत क्षेर के सिशेषज्ञता प्राप्त ्यसियों) में बेहतर अपसी समझ होती
है और आसके कारण कायत करने का ऄनुकूल िातािरण बन सकता है एिं बेहतर नीसतयाँ
सिकससत हो सकती हैं।
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ऄमूल्य है, लेक्रकन एक थिामी के रूप में यह हमें बबातद भी कर सकती है। थितंरता के बाद से
भारत में लोकतंर और नौकरशाही के बीच के सम्बन्त्धों के अलोक में आसकी चचात करें । आसके
ऄलािा, ईन तरीकों का भी परीक्षण करें सजससे नौकरशाही की लोकतांसरक सिर्श्सनीयता
को मजबूत क्रकया जा सकता है।
दृसष्टकोणः
लोकतंर में नौकरशाही के महत्ि की चचात करें और तब नौकरशाही एिं लोकतंर के बीच
संघषों के कारणों को रे खांक्रकत करते हुए नौकरशाही की प्रकृ सत में ऐसतहाससक बदलाि की
पहचान करें । ऄन्त्त में नौकरशाही की लोकतांसरक साख को मजबूत करने के सलए सुझाि दें,
सनष्पक्ष चुनाि का संचालन करने, अर्णथक लोकतंर की थथापना करने एिं नीसतयों के
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लोकतंर के अरसम्भक 40 िषों के दौरान नौकरशाही ने लोक सेिाओं के सितरण हेतु ऄसत
शसिशाली, गुप्त और सम्भ्रान्त्त संगिन के रूप में कायत क्रकया। हालांक्रक, 1990 के बाद
सहभागी लोकतंर और सिके न्त्द्रीकरण पर जोर के साथ, यह लोक अिश्यकताओं के प्रसत
संिेदनशील, ऄसधक खुला और सक्रिय संगिन बनने की क्रदशा में ऄपना चररर बदल रहा है।
क्रफर भी, नौकरशाही के सिरुद् ईसकी लोकतांसरक साख पर सिाल के साथ अरोप लग रहे
हैः
यह एक ईपकरण/ईपाय से खुद के सिशेषासधकारों और स्चताओं िाली संथथा में
रूपांतररत हो गइ है।
नौकरशाही प्रकायो के भीतर किोर प्रणाली, ऄनािश्यक जरटलताएं, नीसत और प्रबन्त्धन
ढांचों में ऄसत के न्त्द्रीकरण ऄकसर बहुत बाधा पैदा करती हैं।
हमारा समाज अर्णथक िृसद्, शहरीकरण, प्रौद्योसगकीय पररिततन अक्रद के रूप में तीव्र
पररिततन का साक्षी बन रहा है। लेक्रकन धारणा यह है क्रक नौकरशाही ऐसे पररिततनों का
प्रसतरोध करती है।
यह प्रायः नागररक समाज, राजनीसतक दलों, और थथानीय सनकायों की भूसमका में बाधा
डालता है।
नौकशाही की सनष्पक्षता हमेशा सन्त्दह
े के दायरे में रहती है।
नागररकों के बारे में ज्यादा से ज्यादा सूचनाएं आकििा करने, भण्डारण, सिश्लेषण और
पुनःप्राप्त करने की प्रणाली का सिकास करके नौकरशाही में लोगों के सनजी जीिन में
दखलंदाजी की प्रिृसि होती है।
ऄमेररकी नौरशाही की सफलता को प्रायः आसके प्रसतसनधात्मक चररर से जोड़कर देखा
जाता है। आसे सम्पूणत समाज के सूक्ष्म जगत के रूप में माना जाता है। भारतीय नौकरशही
आस मानदण्ड के पैमाने पर नहीं है।
नौकरशाही की लोकतांसरक साख में सुधार हेतु सुझािः
किोर सनयमों ि सिसनयमों के सख्त ऄनुपालन की बजाय सिकासात्मक कायों के सलए
कु छ लोचशीलता की अिश्यकता है।
सससिल सेिकों की भती के मामले में सुधार अिश्यक है।
RTI, नागररक चाटतर, समासजक अकें क्षण, लोकपाल अक्रद जैसे ईपकरणों का
प्रभािशाली कायातन्त्ियन हो।
भ्रष्टों के सिरुद् ऄनुकरणीय और त्िररत कारत िाइ होनी चासहए।
नौकरशाही को ऄसधक सहतधारक भागीदारी की ओर ईन्त्मुख क्रकया जाना चासहए।
इ-शासन को मजबूत बनाने से जिाबदेही सुसनसित होगी।
ऄसधकारों के सिके न्त्द्रीकरण और कॉलेसजयम सनणतय से लोकतांसरक साख में िृसद् होगी।
5. लोकतन्त्र में सुशासन हेतु मसन्त्रयों एिं नौकरशाहों के मध्य थिथथ कायतकारी सम्बन्त्ध बहुत
महत्िपूणत हैं क्रफर भी नौकरशाही को राजनीसतक प्रभाि से ऄिश्य ही मुि होना चासहए।
रटप्पणी कीसजये।
दृसष्टकोणः
आस प्रश्न का ईद्देश्य राजनीसतक और थथायी कायतपासलका के बीच संबंधों की परख करना है।
एक नौकरशाह से राजनीसतक रूप से तटथथ और व्यिहार में सनष्पक्ष होने की अशा की जाती
है। ईिर में आस बात की व्याख्या की जानी चासहए क्रक क्रकस प्रकार समय के साथ-साथ
राजनीसतक तटथथता की ऄिधारणा खत्म होती जा रही है और क्रकस प्रकार आसे पुनः
प्रसतथथासपत क्रकया जाना चासहए।
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ईिरः
नौकरशाहों और राजनीसतक कायतपासलका के बीच संबध
ं का महत्ि
क्रकसी प्रजातंर में शसि जनता में सनसहत होती है। यह शसि आसके चुने गए प्रसतसनसधयों
के िारा ईपयोग में लाइ जाती है सजनके पास एक सनसित ऄिधी तक ईन पर शासन कर
सकने का जनादेश होता है।
ऄपने ज्ञान, ऄनुभि और जन मामलों की समझ के बल पर नौकरशाही नीसत सनमातण में
व्यसि पर एक सामान रूप से लागू होती हैं, क्रफर चाहे िो राजनीसतक कायतपासलका का
सरकार में पररिततन-खास तौर से राज्य थतर पर-नौकरशाहों के बड़े थतर पर थथानांतरण
को जन्त्म देता है।
बहुत से नौकरशाहों के , चाहे यह सही हो या गलत, क्रकसी सिशेष राजनीसतक धड़े से जुड़े
होने का प्रमाण समलने के बाद राजनीसतक तटथथता ऄब थिीकृ त कसौटी नहीं रह गयी
है।
ऐसा समझा जाता है क्रक के न्त्द्र सरकार में भी ऄसधकाररयों को ईपयुि पद प्राप्त करने के
सलए राजनीसतज्ञों का िरदहथत प्राप्त करना अिश्यक हो जाता है। सजस कारण जन
सामान्त्य की ऄिधारणा में नौकरशाही को और ऄसधक राजनीसतक रं ग में रं गा हुअ
समझते हैं।
नौकरशाही को क्रकसी भी ऐसे तरीके से कायत करने को नहीं कहना चासहए जो ईनके
दासयत्िों और सजम्मेदाररयों के साथ मेल नहीं खाता।
ऄगर संक्षप
े में कहें तो, मंसरयों या सांसदों या सिधायकों िारा नौकरशाही को सौंपे गए
कायत में सनरं कुश और ऄिैध हथतक्षेप एक प्रभािी सरकार के सलए न तो िांसछत है और न
ही लाभकारी।
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