आकाश भवानी मंत्र

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आकाश भवानी मंत्र

आकाश कामिनी आकाश मोहिनी आकाश भवानी इस नाम को आप साधकों ने शायद कम ही सुना होगा।
आपके ज्ञान के लिए बतादँ ू ये दे वी वर्ग की शक्ति है बहुत ही ज्यादा खतरनाक और शक्तिशाली दे वी है
ये इनकी साधना बहुत ही गप्ु त ये दे वी आकाश में ही वास करती है और इसका भोग भी आकाश में ही
दे ना होता है । मेरे साधनाकाल के लंबे अनुभव में मुझे इस दे वी नही मील किस्मत से उत्तरप्रदे श के रहने
वाले एक सज्जन पुरुष के माध्यम से उनके एक ओझा मित्र से मुलाकात करने का अवसर मिला तो पता
चला कि उनको माता आकाश भवानी का आशीर्वाद प्राप्त है और माता उनके द्वारा हर प्रार्थना को कुछ
ही समय में परू ा कर दे तीं है ।तो मेरे मन में उन साधकों के विषय में विचार आया जिनके पास आकाश
कामिनी का मंत्र नही है उनमें से कुछ सज्जनो की इष्ट या कुलदे वी ही आकाश कामिनी है मेरे पास एक
मंत्र माता का पड़ा हुआ था उससे मैंने पांच सात बार काम भी लिया लेकिन अधिक नही।
विधि और मन्त्र पहले वाली वीडियो में नही था लेकिन अपनी कमी को सुधारते हुए मैं आपको एक मंत्र
और उसकी विधि इस वीडियो में डाल रहा हु दीवाली से 11 दिन पहले ही इसका जाप शुरू कर दें इस
दे वी का रूप अद्भत
ु मनोहारी है लेकिन इनकी शक्ति बहुत भयंकर  इस मंत्र की पांच माला रोज़ाना जाप
रुद्राक्ष की माला से करना है और इसका भोग बहुत ही अद्भत
ु तरीके से दिया जाता है पहले बांस की तीन
खपच्चियों या लकड़ी से एक तिपाये का निर्माण किया जाता है फिर उस तिपाये पर एक मिट्टी का कोसा
टिकाया जाता है उसमें गाय के गोबर की आग जलाकर (हवन सामग्री+पांच मेवा+शक्कर मिलाकर) हवन
108 आहुति इसी मन्त्र से दे ना होता है आकाश कामिनी माता का दीपक भी उपरोक्तानस
ु ार ही जलाया
जाता है और
पक्की धार पहले डीह दे वता फिर काली माई को और फिर आकाश कामिनी माई को दी जाती है यहां एक
चीज़ स्पष्ट कर दे ता हूं कि धार क्या होती है दर्गा
ु सप्तसती में दे वी के निमित होम बलि और अर्घ इन
तीन चीज़ों का विशेष महत्व है ।अर्घ को दे वी के प्रति उसी प्रकार से समर्पित किया जाता है जिस प्रकार
सूर्यनारायण को अर्घ दिया जाता है । उस अर्घ को ही धार या ढ़रकोणा क्षेत्रीय भाषा में बोला जाता है फिर
ये अर्घ भी दो प्रकार का होता है ।
1.कच्ची धार ।
2.पक्की धार।
कच्ची धार :-एक लोटे में साफ जल में कुछ गंगा जल मिलाकर सबूत कच्चे चावल,गुड़ या शक्कर,2,5,7
या 9 लौंग,दो फूल अड़हुल के या गुड़हल के ना मिले को गुलाब या कनेर भी चलेगा। इसको आपने कार्य
के निमित दे वता के नाम पर अर्पित करने सी अद्भत
ु एक ताबड़तोड़ फल की प्राप्ति होती है ।
पक्की धार:-दे वता के निमित्त विशेष फल की प्राप्ति के लिए
पांच मेवा को जौकुट करके कच्ची हल्दी की जौकुट करके एक लोटा बढ़िया साफ तरीके से माँज कर
गंगाजल मिश्रित जल से भरना है फिर पांच मेवा और हल्दी थोडासा सिन्दरू ,गुड़ शक्कर या चीनी,अक्षत
2, 5, 7 या 9 लौंग और अंत में जोड़ा अड़हुल अथवा गुड़हल के फूल डाल कर अर्घ दे वता के प्रति समर्पित
करना है अगर रोगी है तो रोगी के सिर के ऊपर से उतारकर दे वता को सच्चे मन से याद करते हुवे
समर्पित करना है । यह तो था धार दे ने का तरीका अब इस मंत्र के बारे में बात करते हैं जोकि अकाश
कामनी माता की साधना का मंत्र है इस साधना को करने वाले साधक के ऊपर माता आकाश कामनी की
कृपा होती है अगर किसी साधक की कुलदे वी या इष्ट दे वी आकाश कामनी माता है तो उसके ऊपर विशेष
कृपा होती है दे वी की और सभी कार्यों को माता निर्विघ्न संपन्न करती है अपने कार्य के निमित्त जब
साधक माता को याचना करे गा तो उसके कार्यों की पूर्ति होगी यह एक अद्भत
ु गुप्त और असाधारण
साधना है ।
यह आकाश कामनी माता का गुप्त मंत्र है और शक्तिशाली मंत्र है इतना शक्तिशाली कि इसको 108 बार
करने से ही इसकी शक्ति का पता चलने लग जाता है यह मुझे अकाश कामिनी माता के एक साधक से
मिला है जोकि उत्तरप्रदे श के रहने वाले हैं और उनके पास अकाश कामिनी माता साक्षात रहती हैं और
उनके सभी कार्यों को पूरा करते हैं आकाश कामनी माता की यह लक्षण होते हैं कि जब इन का आवाहन
किया जाता है । इस साधना के कुछ नियम में आपसे बता रहा हूं उन नियमों को ध्यान में रखते हुए
दिवाली से 11 दिन पर्व
ू से यह साधना शरू
ु की जानी चाहिए आर माता का भोग बांस की खपचीयों द्वारा
बनाए गए त्रिपाई के ऊपर टिकाए हुए मिट्टी के कोसे में आग जलाकर ही दे नी चाहिए।
उसी प्रकार वैसे ही टिपाई पर्कोसा रखकर उसने दे सी घी का दीपक माताजी के निमित्त आपको दे ना है ।
लोंग इलायची सुपारी जायफल कपरू नींबू जो कुछ भी आपको माता को भें ट चढ़ा नहीं है वह उसने तिपाई
पर ही दी जाएगी।
5 माला प्रतिदिन जाप के बाद 108 आहुति इस मंत्र से दे कर पूजा सम्पन्न करें ।
पीला रं ग का आसन वस्त्र ।
पर्व
ू की ओर मख
ु ।
रुद्राक्ष की माला।
ब्रह्मचर्य का व्रत धारण करना क्योंकि इस साधना में साधक खुद ही द्रवित होता है उससे बचने के लिए
माता के चरणों का ध्यान करें ।
और माता के चरणों में ध्यान रखना।
आपको सिद्धि दिलवाएगा ।
जब तक यह साधना करें इस साधना के विषय में किसी को भी कुछ ना बताएं ।
सिर्फ गुरु आज्ञा से ही यह साधना करें ।
इसकी दे वी रुष्ट होने पर साधक के प्राण तक ले लेती है । इसलिए बिना गुरु की आज्ञा के या बिना गुरु
के अनुमति के इस साधना को ना करें ।
प्रतिदिन पहले डीह, फिर काली माई ,फिर आकाश कामनी, के निमित्त आपको प्रतिदिन सुबह-शाम अर्घ
दे ना है ।

**।।आकाश कामिनी का मंत्र।।**


ॐ नमो कंस के हाथ से छूट भवानी।।जा आकाश विराजे,
दसों दिशा को बांध भवानी।।नमो आकाश कामिनी,
अष्टभज
ु ी तेरा स्वरूप ।।सरर से आये सट्ट से जाये,
दे श-विदे श की खबर बताये।भगत जनों के काज बनाये
ना आये माता तो सातों डाली शीलता की आन,
माता बिंध्याचलवासिनी माता काली की आन,
लोना चमारी की विद्या फुरै छू। कनक कामिनी फूलों का हार,आकाश कामिनी करे शिंगार। तन मोहे मन
मोह मोहे सारा दे श,सात जात की विद्या मोहे । सभ जन को ना मोहे आकाश कामिनी तो दह
ु ाई माता
काली की चौसठ योगिनीयों की आन,लोना चमारी की विद्या फुरै छू।
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