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Guru Dakshina
Guru Dakshina
Guru Dakshina
लेखक - the_great_warrior
दोस्तो मेरी एक नेट फ्रेंड है जजसका नाम नम्रता जोशी है और उसका पेट नेम है ककट्टू। ककट्टू ऐसे पड़ा की
नम्रता एक बहुत ही खब ू शरू त लड़की है जजसे पहले तो लोग प्यार से ्यट ू ी ्यट ू ी कह के बल ु ाते थे पर वक़्त के
साथ यह ्यट ू ी ्यट
ू ी जा के ककट्टू ककट्टू बन गयी। हाूँ दोस्तो मेरी नेट फ्रेंड ककट्टू से मैं से्सी चैटटंग करता हूूँ
और वो मझ
ु से चैटटंग करते करते अपनी चूत का मसाज भी करती रहती है और एक टाइम की चैटटंग में कम से
कम 3 या 4 बार वो झड़ती है और जब वायस चैट होती है तो वो बड़ी मस्ती में से्सी आवाज़ें ननकालते
ननकालते झड़ने लगती है । ककट्टू अपनी से्सी फैं टसीस मझ
ु े सन
ु ाती रहती है और अपने अनभ
ु व भी सन
ु ाए है ।
अब मैं आपको ककट्टू की ऐसे ही एक अनभ
ु व की कहानी ककट्टू की जुबानी सन
ु ाता हूूँ।
***** *****
मेरा नाम ककट्टू है । मैं इंदौर में रहती हूूँ। मैं 23 साल की एक खूबशरू त लड़की हूूँ। बड़ी बड़ी भरू ी आूँखें, मेरा रं ग
बहुत ही गोरा है , लाइट ब्राउन लंबे बाल जो मेरी कमर तक आते हैं और मेरा कफगर 32-27-30 है । है ना मस्त…
मैं कभी कभी उसका टाप भी पहन लेती हूूँ तो मझ ु े थोड़ा टाइट तो होता है पर मेरे बब्ू स बहुत उभर के टदखाई
दे ते हैं और ननपल्स भी साफ टदखाई दे ते हैं।
***** *****
मैं बी॰काम॰ के दसू रे साल में पिती हूूँ। मैं अकाउं टे न्सी और एकनामम्स में थोड़ी वीक हूूँ इमसलीए एक सर के
पास ट्यश ू न के मलए जाती हूूँ जजनका नाम पवन कुमार वमास है , जजन्हें स्टूडेंट पी॰के॰ सर के नाम से पक
ु ारते है ।
पी॰के॰ सर के पास दस
ू रे साल और फाइनल इयर के स्टूडेंट्स’ ट्यश
ू न के मलए आते हैं। पी॰के॰ सर अपने घर पे
ही पिाते हैं। पी॰के॰ सर की हाइट तकरीबन 5’8” होगी, मीडडयम रं ग है काले घघ
ुूँ राले बाल। आन द होल सर एक
नामसल से मसंपल और साधारण व्यज्त हैं।
पी॰के॰ सर की शादी तकरीबन दो साल पहले हुई थी। उनकी पत्नी मोस्टली अपने गाव में रहती है और महीने
या दो महीने में 5–7 टदन के मलए आ जाती थी। मेरा पससनल खयाल यह है की जब उनकी वाइफ को चुदवाना
होता होगा और उनकी चूत में खुजली होती होगी तो चुदवाने आ जाती होगी या कफर सर को जब चोदना होता
तो बल
ु ा लेते होंगे ्योंकी उनकी पत्नी जजनका नाम सन
ु ीता है एक टटपपकल हाउसवाइफ जैसी हैं। दे खने में भी
अच्छी खासी खूबशरू त हैं, 5’4” के करीब हाइट होगी, गोरा रं ग, भरे भरे बदन वाली। टाइट ब्लाउस पहनती है ।
उनके टाइट ब्लाउस से उनकी चचू चयां बड़ी मस्त लगती हैं। कई बार मेरा जी चाहा की उनकी 36 साइज की
चूचचयों को पकड़ के चूसना शरू
ु कर दूँ ।ू
उनका बदन तो बहुत ही से्सी है लेककन वो बहुत इनोसेंट लगती हैं। अ्सर ऐसी लडीस जो दे खने में मासम ू
टदखाई दे ती हैं वो बबस्तर में बहुत गरम होती हैं और बड़े मस्त तरीके से चद
ु वाती हैं और से्स का भरपरू मजा
लेती हैं। अब यह नहीं पता की सर की पत्नी बबस्तर में ककतनी से्सी है और कैसे चुदवाती है ।
मैंने कभी ककसी के साथ से्स नहीं ककया पर नेट पे पप्चसस जरूर दे खी है । कभी कभी मन करता है के ककसी
फ्रेंड से चुदवा के दे खूूँ की से्स में ककतना मजा आता है । कफर अपने आपको रोक लेती हूूँ। आन द होल मैं एक
सीधी साधारण सी लड़की हूूँ। हम टोटल 11 स्टूडेंट्स हैं जो ट्यश ू न पिते हैं जजसमें से मसर्फस दो लड़ककयां हैं मेरे
कालेज की हैं, बाकी के सारे लड़के और लड़ककयाूँ दस
ू रे कालेज की है । मैं ट्यश
ू न को मोस्टली सलवार कमीज
पहन कर जाती हूूँ, कभी कभी स्कटस और टाप या जीन्स आंड टाप भी पहन के जाती हूूँ। मेरे पास नेट वाली दो
ड्रेस है एक सफेद और एक काली। मझ ु े कभी सर को अपनी बाडी टदखाने का मन करता है तो वो जाली वाली
पहन लेती हूूँ और सर को अपनी बाडी टदखाने की परू ी कोमशश करती हूूँ।
मझ
ु े पता है की मेरी दो फ्रेंड्स तो सर को लाइन भी मारने की कोमशश कर चक
ु ी हैं पर उन्हें सफलता नहीं ममली
थी। सर ने ककसी लड़की को भी मलफ्ट नहीं दी, वरना अब तक वो लगभग हम सबको ही चोद चुके होते शाएद।
वो अपनी वाइफ के मसवा ककसी की तरफ आूँख उठा के भी नहीं दे खते थे। हाूँ तो मैं सर के घर में अंदर आ
गयी थी और अभी मैं अकेली ही थी, मेरी फ्रेंड अभी नहीं आई थी और मैं बोर भी हो रही थी। इतने में इत्तेफाक
से मेरी नजर सर के रूम के खुले डोर से उनके ड्रेमसंग टे बल के ममरर पे पड़ी। मैं तो दे ख के दं ग रह गयी की
सर बाथरूम में नंगे नहा रहे हैं और अपने गधे जैसे लंबे और मोटे लण्ड को साबन
ु लगा रहे हैं। मैंने दे खा की
उनका लण्ड खड़ा हो गया है ।
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मैं अ्सर अपनी चूत का मसाज करती हूूँ पर इतनी जल्दी मेरा जूस कभी नहीं ननकला, जजतनी जल्दी आज
ननकल गया और आज तो दो टाइम ननकला और वो भी इतनी जल्दी जल्दी। मैं बहुत ही मस्त हो चक ु ी थी। सर
का नहाना खतम हुआ और वो बबना तौमलया लपेटे ही बाथरूम से बाहर ननकले, अपने कपबोडस को खोलने लगे
जजसे मैं ममरर में दे ख रही थी। मैं अपनी जगह से आटोमेटटकली उठ गयी और सर के बेडरूम की पवंडो के पास
चली गयी और अंदर झाूँक के दे खने लगी। सर ने अपनी अलमारी में से अपना बा्ससस शाट्सस ननकाला। उनका
लण्ड अब थोड़ा सा नरम पड़ गया था और उनकी जांघ के बीच में जांघों तक लटक रहा था। मैं डर भी रही थी
पर अपने आपको रोक भी नहीं पा रही थी और सर को चें ज करते दे खती रही।
जैसे ही सर ने चें ज कर मलया अब वो बा्ससस शाट्सस में और टी-शटस में थे और ममरर के सामने था खड़े होके
अपने बाल सेट कर रहे थे तो मैं अपनी मस्ती से चौंक गयी और वापस आ के अपनी सीट पे बैठ गयी। मेरा
चेहरा लाल हो गया था और साूँसें तेजी से चल रही थी और एक मात्रा में हाल में मेरे जस
ू की स्मेल भी आ रही
थी। थोड़ी दे र के बाद सर धीमे सरु ो में सीटी बजाते हुए बाहर ननकल के आ गये और मझ
ु े दे ख के पछ
ू ा की अरे
ककट्टू तम
ु कब आई और कोई नहीं आया ्या…
मझ
ु े लग रहा था की मेरी जुबान मोटी हो गयी है और मेरे मूँह
ु से एक शब्द भी ननकलना मजु श्कल हो गया था।
इससे पहले के मैं कोई जवाब दे ती दो लड़के और अंदर आ गये और उसके 5 ममनट के अंदर ही बाकी के सारे
स्टूडेंट्स आ गये और सर ने पिाना शरू
ु कर टदया। मेरा टदमाग तो सर का ले्चर सन
ु ने को तैयार ही नहीं था।
बार बार उनका फनफनाता हुआ लंबा मोटा लण्ड ही मेरे मूँह
ु के सामने आ जाता था और मेरे टदमाग में हलचल
मचा रहा था।
मैंने कहा- सर अब तक ठीक थी पर अचानक पता नहीं ्यों मेरी तबीयत अजीब सी हो रही है …
तो मैंने कहा की नहीं रे ऐसी कोई बात नहीं बस तबीयत थोड़ी ठीक नहीं है । अब मैं उसको ्या… बताती की सर
के लण्ड ने मझ
ु े पागल बना टदया है । हमारे कमरे में दो मसंगल बेड हैं जो करीब-करीब पड़े हुए हैं और हम दोनों
अलग अलग ही बेड पे सोते हैं। मैं अपने स्टडी टे बल पे बैठी तो पिने के मलए थी पर अपनी नोटबक ु की तरफ
घरू के दे ख रही थी, जजसमें मझ
ु े मसवाए सर के लण्ड के और कुछ नहीं टदखाई दे रहा था और अब मैं सर से
चुदवाने के तरीके सोचने लगी की कैसे सर को तैयार ककया जाए और उनके लण्ड को अपनी चूत में डलवाया
जाए सर से चुदने को मैं पागल हो रही थी।
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अजश्मता थोड़ी दे र पि के सो गयी थी कफर मैं टे बल पे से उठ गयी और अपने बेड पे लेट गयी। कंबल ओि
मलया और मेरा हाथ आटोमेटटकली एक ममनट की दे र ककए बबना मेरी नाइटी के अंदर चला गया (हम दोनों सोने
के टाइम पे नाइटी पहन लेते हैं) और अपनी बालों भरी चूत का मसाज करने लगी। मेरी झांटें मेरी ज्लटोररस से
लगी और मझ
ु े मजा आने लगा। मैं अपने खयालोँ में सोच रही थी की सर अपने लंबे मोटे लण्ड से मेरी कूँु वारी
चूत को चोद रहे हैं और मेरा हाथ और तेजी से चलने लगा और मेरा सारा बदन टहलने लगा और मैं
आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह््ह्ह्ह्ह और सस्स्स्स्स ्स्सस्स की आवाज़ें ननकालते ननकालते झड़ने लगी। उस रात मैंने 3 टाइम अपनी
चत
ू का मसाज ककया और खब
ू झड़ी।
खैर थोड़ी दे र के बाद फ्रेंड्स ममले और हूँसी मजाक में टाइम ननकल गया। कालेज के बाद घर आ गयी और यह
सारा टाइम मैं सर को पटाने के बारे में और उनसे चुदने के नये नये तरीके सोचने लगी।
तब सर ने पछ
ू ा- ककट्टू कोई प्राब्लम है ्या…
तो मैं शरम से लाल हो गयी, बबना कुछ कहे मैं बाथरूम में गयी तो दे खा की मेरी पैंटी जहां रखी थी वहीं रखी
है , लगता है सर ने उसको हाथ भी नहीं लगाया। मेरा ख्याल था की शाएद सर मेरी चूत की सग
ु ध
ं मेरी पैंटी में
सूँघ
ू ेगे पर शाएद ऐसा कुछ नहीं हुआ। मेरी पैंटी जहां थी वही रही और मैं थोड़ी सी ननराश हो गयी। मैं अपनी
पैंटी सर के बाथरूम से उठा लाई और अपने पसस में रख मलया जजसे सर दे ख रहे थे पर कुछ बोले नहीं। मेरे
टदमाग में सर से चद
ु वाने का खयाल जड़ पकड़ता जा रहा था और मझ
ु े बार बार अपनी ननगाहों के सामने सर
का लहराता लण्ड ही टदखाई दे ता था। मेरा पिाई में टदल भी नहीं लगता था, समझ में नहीं आ रहा था की कैसे
सर को पटाऊं और कैसे उनसे चुदवाऊूँ…
पर बार बार उनकी पत्नी का खयाल आता था की उनकी पत्नी तो बड़ी लकी है जो इतना बड़ा और मोटा लण्ड
वाला पनत ममला है और उन्हें चुदवाने में स्वगस का मजा आता होगा। मैं अपने खयालों में ही सोचती रहती की
उनकी पत्नी ककतने मजे से चुदवाती होगी और यह भी सोचती की वो कौं कौं से स्टाइल में चुदवाती होगी और
यह की अगर मझ
ु े चान्स ममले तो मैं कैसे और कौं कौं से स्टाइल में चुदवाऊूँगी यह सोच सोच के मेरी चूत
गीली हो जाती और मैं चूत का मसाज करने लगती और जूस ननकाल के अपनी बेचैन गरम चूत की आग को
शांत करती रहती। एक टदन मैं ट्यश
ू न के मलए पैदल ही जा रही थी तो रास्ते में दे खा की एक गधा एक गधी
की कमर पे अपने पैर टटका के उसके ऊपर चिा हुआ है और घपा घप चोद रहा है और जब मैं करीब पहुूँची तो
उसी टाइम पे शाएद उनका ्लाइमे्स हो गया था।
एक टदन मैं घर से ननकली ही थी की सर पीछे से आ गये और अपनी बाइक मेरे करीब रोकते हुए बोले की
ककट्टू ट्यश
ू न को चल रही हो तो बैठ जाओ, मैं भी घर ही जा रहा हूूँ। तो मैं बहुत खुश हो गयी और उनकी
बाइक पे पीछे चि के बैठ गयी और अपने दोनों हाथों से उनके पेट को पकड़ मलया और सीट पे आगे को खखसक
गयी और अपने चूचचयां सर की पीठ से लगा दी। आहह ्या बताऊूँ ककतना मजा आ रहा था। मैं उस टदन
जीन्स और टाप में थी तो मैं भी अपने दोनों पैर बाइक के दो तरफ करके बैठी थी। बाइक कभी उछल जाती तो
मेरी चचू चयां भी सर की पीठ पे ऊपर नीचे रगड़ी जाती और कभी बाइक के सामने कुछ आ जाता और सर ब्रेक
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मार दे ते तो सीट पे आगे खखसक जाती और मेरी चूचचयां उनकी पीठ से लग कर दब जाती थी। दबती ्या थी
मैं खद
ु ही कुछ ज्यादा ही दबा दे ती थी।
आ्चुअली मैं सर को अपनी चूचचयों से दबा दबा के अपनी चूचचयां उनको महसस
ू करवाना चाहती थी की इन्हें
दबाओ और मसल डालो। एक टाइम तो बाइक जब ककसी पोटहोल (गड्ढे ) में से उछली तो मेरा हाथ जस्लप हो के
मसर के लण्ड से लगा जो अभी सो रहा था, पर उनके लण्ड को टच तो कर ही टदया। उस टदन रात को मैंने
उनके लण्ड को याद कर करके बहुत मसाज ककया अपनी चूत का और 4–5 बार झड़ी तब कहीं जा के नींद आई।
एक टदन तो मैंने सारी मलममट्स को क्रास कर टदया और अपनी स्कटस के अंदर पैंटी भी नहीं पहनी और सर को
अपनी चत
ू भी टदखा दी। मैं अपनी तरफ से परू ी कोमशश करती की सर मेरी चत
ू दे खें और मेरे बब्ू स दे ख के
मझ
ु े पकड़ के चोद डालें पर उनके ऊपर मेरे से्सी ड्रेस और से्सी हरकतों का कोई असर होता टदखाई नहीं दे
रहा था। मैं उनसे चुदवाने को उतावली हो रही थी और सोच रही थी की सर आखखर ्यों नहीं चोद रहे मझ
ु …
े
्या मेरी चत
ू को नहीं दे ख पाए या मेरी चत
ू दे ख के भी उनके लण्ड में कोई हलचल नहीं मची। मैंने तो सोच
मलया था की आखखर कब तक मेरी चूत से बचे रहें गे। एक ना एक टदन तो सर को मझ
ु े चोदना ही पड़ेगा।
अभी मैं उनके घर के अंदर आ के सर का वेट कर रही थी की एकदम से बड़ी जोरों की बाररश पड़ने लगी,
घनघोर घटा छा गयी और साथ में ठं डी ठं डी हवा भी चलने लगी। सर के घर में छोटा सा खल
ु ा आूँगन (ओपन
स्पेस) होने की वजह से मझ
ु े भी ठं ड लगने लगी थी। मैं सर का वेट कर रही थी। मेरे आने के शाएद 5 या 7
ममनट के अंदर ही सर भीगते हुए अंदर बाइक ले के आ गये और मझ
ु े दे ख के बोले की अरे ककट्टू तम
ु … और
इतनी बाररश में …
तो मैंने बोला के हाूँ सर बाररश के आसार टदख रहे थे तो मैं जल्दी ही आ गयी और इसी बीचे वो अपनी बाइक
को स्टैंड लगाने लगे वहां जमीन बाररश के पानी से गीली हो गयी थी और बाइक सही तरीके से नहीं ठहर पाई
और जस्लप हो गयी और बाइक को संभालते संभालते सर का पैर भी जस्लप हो गया और वो नीचे चगर पड़े और
साथ में बाइक भी उनके ऊपर ही चगर पड़ी। उनकी टांग बाइक के नीचे आ गयी और उनकी जांघ में बाइक का
हैंडल लग गया।
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मैं दौड़ते हुए बाहर आई और सर को हे ल्प कर के उठाया और दोनों ने बड़ी मजु श्कल से बाइक का स्टैंड लगाया।
जब सर आगे बिने लगे तो लड़खड़ा के कफर से चगर गये आ्चअ ु ली उनको पता ही नहीं चला था की उनकी
टांग मड़ ु गयी है । मैंने हे ल्प ककया तो सर जमीन पे से उठ खड़े हुए। पर उनको चलना नहीं आ रहा था शाएद
टांग में बहुत ददस हो रहा था, तो मैंने उनको सहारा टदया और वो मेरे शोल्डर पे हाथ रखे रखे बेडरूम में आए।
पर इतनी दे र में हम दोनों खूब अच्छी तरह से भीग चुके थे और सर के बदन पे जमीन की कीचड़ (मड) लग
गयी थी तो सर डाइरे ्ट बाथरूम जाना चाह रहे थे ताकी स्नान करके वो कपड़े बदल सके और अपने बदन पे
लगी कीचड़ को धो डाले।
हम दोनों बेडरूम में आ गये तो सर वहीं एक कुसी पे बैठ गये। बेडरूम के फ्लोर पे हमारे बदन का पानी चगर
गया और सर के बदन से कीचड़ भी ननकला तो फ्लोर गंदा हो गया। सर बाथरूम में जाना चाह रहे थे और
बाथरूम की दो या तीन छोटी छोटी सीटियाूँ भी थी।
सर ने कहा- ककट्टू बाथरूम में एक कुसी रख दो मैं उसी पे बैठ के शावर ले लूँ ग
ू ा और कपड़े चें ज कर लूँ ग
ू ा जरा
तम
ु मेरे कपबोडस से मेरे कपड़े ननकाल दो प्लीज और तम
ु भी तो गीली हो गयी हो (वाउ सर ने कहा तम
ु गीली
हो गयी हो तो मझ
ु े एकदम से शरम आ गयी और मैं सच में गीली हो गयी और मेरी चूत जूस से भर गयी)
तम
ु भी सन
ु ीता के कपबोडस से जो पसंद आए वो कपड़े ननकाल के पहन लो…
कफर मैंने फोन करके अपनी म्मी को बता टदया की मैं बाररश शरू
ु होने से पहले ही सर के पास पहुूँच गयी
और सर ने बोला है की बाररश खतम होने के बाद वो खद
ु मझ
ु े घर लाकर छोड़ दें गे।
अब मझ
ु े यकीन था की कोई आने वाला नहीं है और आज मैं इतने गोलडेन चान्स को खोना नहीं चाहती थी।
मैंने जल्दी से अपने भीगे हुए कपड़े उतार के गरम पानी से लाइट शावर ले मलया और अपने कपड़ों को भी वही
धो डाला जजस पे थोड़ा सा कीचड़ लगा हुआ था, साथ मैंने अपनी पैंटी भी ननकाल दी और बबना पैंटी और
ब्रजस्सएर के मसर्फस नाइटी पहन के बाहर आ गयी। दे खा तो अभी तक सर बाथरूम से बाहर नहीं आए थे। मैं वही
उनके बेडरूम में बैठ के सर का वेट करने लगी। थोड़ी ही दे र में सर ने बाथरूम का डोर खोला और लंगड़ाते हुए
उछल उछल के बाहर आने लगे।
बाहर आते ही जब मझ
ु े दे खा तो बोले- अरे ककट्टू तम
ु ने नाइटी पहन ली… अरे कोई उसका सलवार सट
ू पहन
लेती, कोई प्राब्लम नहीं था।
तो मैंने कहा की सर मैंने तेज बाररश के चलते और आपकी टांग की तकलीफ दे खते हुए सबको फोन कर टदया
है की आज ट्यश ू न ्लास नहीं होगी और अब कोई आने वाला नहीं है । यह कहते हुए मैं कफर से उनके करीब
चली गयी और अपने कंधे का सहारा दे के उनको बेड पे मलटा टदया और बोला की सर मैं अभी आपको हल्दी
वाला दध
ू बना के दे ती हूूँ, ददस फारन कम हो जाएगा।
मैंने कहा- सर आप हमारे मलए इतना कुछ करते हैं और मैं इतना छोटा सा काम भी आपके मलए नहीं कर
सकती ्या… और अगर मैं आपका थोड़ा सा काम कर दूँ ग
ू ी तो मझ
ु े बहुत खुशी होगी।
मैं बेड के ककनारे पे बैठी रही, बाररश बड़ी तेज हो रही थी और ऐसा लगता था जैसे शाम के 4:30 नहीं रात के
12:00 बजे हों। मैंने पछ
ू ा- सर पैर में ददस कैसा है …
तो उन्होंने बोला की ककट्टू जांघ में हैंडल बहुत जोर से लगा है तकलीफ तो है और इत्तेफाक से घर में कोई
मेडडमसन भी नहीं है ।
तो मैंने कहा- सर मझ
ु े कुछ खखदमत का मौका दीजजए…
तो सर ने पछ
ू ा- ्या मतलब…
तो मैंने कहा- सर अगर आप कुछ फील ना करे तो मैं आपकी टांग को दबा दूँ ू और आमलव आनयल लगा के
थोड़ी सी मामलश कर दूँ ू तो ददस जल्दी कम हो जाएगा।
तो सर ने कहा- ककट्टू कहीं पागल तो नहीं हो गयी… ऐसे कैसे मामलश करे गी मेरी और वो भी जांघ पे…
तो मैंने कहा- तो ्या हुआ सर… आप बस लेटे रटहए और दे खखए की मैं कैसे आपकी मामलश करती हूूँ…
तो मैं उठ के रै क में से आमलव आनयल की बोतल ननकाल लाई और बेड पे बैठ के पहले तो बबना तेल लगाए ही
उनके पैर दबाती रही, नीचे से घट
ु नों तक और थोड़ा सा जांघ के पास और पछ
ू ा की सर कहां पे है आ्चुयल
ददस…
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तो उन्होंने कहा- थोड़ा और ऊपर…
मैंने उनकी लग
ुं ी के ऊपर से ही अपनी उं गली रख के पछ
ू ा यहां…
और वो जगह एग्ज़ै्टली जांघों के पास थी। मेरा टदल खुशी से उछलने लगा की आज मैं उनके लण्ड को पकड़
ही लूँ ग
ू ी और श्योर चद
ु वा लूँ ग
ू ी। कफर मैंने कहा- ओके सर… अब मैं आपको तेल लगाती हूूँ…
आनयल के डब्बे को खोलते ही आनयल की खुश्बू आने लगी तो मैंने कहा- सर यह तो ओररजजनल लगता है …
तो उन्होंने कहा- हाूँ मेरा एक स्टूडेंट गल्फ से लाया था, मेड इन स्पेन है ।
तो मैंने टे बल से उठा के कैं डल जला टदया और करीब में पड़े लकड़ी के स्टूल पे रख टदया तो खखड़की में से और
डोर से आती हवा के चलते फौरन ही कैं डल बझ
ु गयी तो मैंने दरवाजा और खखड़की बंद कर टदए पर कफर भी
हवा आ रही थी तो सर ने कहा की कैं डल जला के ककचन में रख दो वहां हवा नहीं आती। तो मैंने कैं डल जला
के ककचन में रख दी पर वहां से कमरे के अंदर ठीक से कैं डल की लाइट नहीं आ रही थी और कमरा आलमोस्ट
अंधेरा ही था।
तो मैंने कहा कोई बात नहीं सर अभी लाइट आ जाएगी परू े एररया की गयी है तो हो सकता है जल्दी ही आ
जाए। इतने में मेरी मोम का फोन आया तो मैंने कहा की म्मी आप कफकर ना करो मैं ठीक हूूँ और यहां भी
लाइट चली गयी है ।
तो म्मी ने गंभीरता से पछ
ू ा- अब ्या होगा बेटा, दो टदन बाद तो तेरा एग्ज़ाम है ।
तो मैंने कहा- म्मी आप चचंता ना करो मैं पि रही हूूँ और दो टदन के अंदर मैं पफे्ट हो जाऊूँगी और कफर
फोन कट हो गया, शाएद मसग्नल खतम हो गया था।
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अब कमरे में आलमोस्ट अंधेरा ही था और मझ
ु े कुछ साफ नजर नहीं आ रहा था और मैं मसर्फस अंदाजे से ही
जांघों की मामलश कर रही थी। मैंने सर से एक बार कफर पछ
ू ा की सर यहां ददस है ्या…
और जैसे ही मैंने हाथ थोड़ा ऊपर ककया, मेरा हाथ उनके लण्ड से लगा जो उनकी जांघ पे पड़ा हुआ था और मैं
ऐसे टटोलने लगी जैसे पता नहीं मेरे हाथ में ्या आ गया…
तो सर के मूँह
ु से सस्स्स्स्स ्स्स की मससकारी ननकल गयी।
तो मैंने पछ
ू ा की सर तकलीफ हो रही है ्या…
तो जब मझ
ु े एहसास हुआ की हाूँ मझ
ु े तो ठं ड भी लग रही है ।
तो उन्होंने कहा की मझ
ु े भी ठं ड लग रही है तो बेड के एंड पे डबल कंबल है वो ओिा दो और तम
ु भी कंबल के
अंदर ही आ जाओ ्योंकी मेरे पास मसर्फस एक ही कंबल है । कंबल अच्छी खासी बड़ी थी जजसमें हम दोनों बड़ी
आसानी से आ गये थे। कंबल मेरे बैक से सर के सीने तक आ गयी थी और मेरा मूँह
ु कंबल के बाहर था और
मझ
ु े सर की जांघें नहीं टदखाई दे रही थी ्योंकी उनकी टाूँगें तो कंबल अंदर थी और मेरा मूँह
ु बाहर। मामलश
करते करते मेरा हाथ कभी कभी उनके लण्ड के नीचे लगे हुए आंडो को लगा तो कभी उनके लण्ड पे लगा और
जब भी मेरा हाथ उनके लण्ड के ककसी भी भाग से टच होता तो वो एक मससकारी भरते सस्स्स्स्स ्स्स की और
उनका बदन कुछ अकड़ने लगता।
मैं ऐसे ही बबना दे खे उनकी टाूँगों की मामलश करती रही और मेरा हाथ उनके लण्ड से टकराता रहा। मेरे हाथ के
लगते ही उनका लण्ड एकदम से लहराता हुआ खड़ा हो गया और मेरा हाथ लण्ड से लगते ही सर के मूँहु से
सस्स्स्स्स ्स्स जैसी आवाज ननकल जाती और उनकी गाण्ड थोड़ी सी ऊपर उठ जाती। हम दोनों खामोश थे मेरे
हाथ उनके जांघों पे कम और लण्ड पे ज्यादा लग रहे थे।
तो सर ने कांपती आवाज से पछ
ू ा- हाई ककट्टू यह ्या कर रही हो…
और अपने हाथ से मेरा हाथ जो लण्ड पे था उसको पकड़ मलया और दबाने लगे तो मैं भी उनके लण्ड को दबाने
लगी और सर के कुछ और करीब आ गयी। हम दोनों कुछ नहीं बोल रहे थे बस हमारी वासना बोल रही थी और
मेरी चूत में तो जैसे बाि आ गयी थी। मैंने सर का लण्ड मट्
ु ठी में पकड़ के मठ
ू मारना स्टाटस कर टदया तो सर
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ने कहा- आआआहह ककट्टू त्
ु हारे हाथ का स्पशस मझ
ु े दीवाना बना रहा है …
तो उन्होंने कहा की ऐसे करोगी तो कंबल और मेरे कपड़े दोनों खराब हो जाएंग…
े
और मैंने उनकी लग
ुं ी की नाट को खोल टदया और कंबल हटा टदया। अब सर मेरे सामने नंगे लेटे थे और उनका
राकेट जैसा लण्ड छत की तरफ मूँह
ु ककए ककसी अजग्न ममजाइल की तरह फायररंग के मलए रे डी था। मैंने अब
डाइरे ्ट सर के लण्ड की मामलश शरू
ु कर दी। उनका लण्ड इतना बड़ा था की मेरे दोनों हाथों में भी नहीं आ रहा
था। मैं अपने दोनों हाथों से मठ
ू मार रही थी।
तो मैंने बोला- सर एक टाइम जब आप स्नान कर रहे थे तो मैंने इसको दे ख मलया था तब से ही मैं इसकी
दीवानी हो गयी हूूँ और ककतने टाइम आपको मसग्नल टदया, कभी अपनी टाूँगें खोल के आपको सब कुछ टदखाया
और कभी खुजाया पर आपने ध्यान ही नहीं टदया।
सर के मूँह
ु से आआअहह ककट्टू त्त्तम
ु यह ््््क् ्या करररस रर र रहीई हा त्त्तम
ु और उनका हाथ भी बड़ी तेजी से
मेरी चूत की मामलश करने लगा। सर ने बोला- ककट्टू मेरररस रर ा जन्न्नकलने वाला है ईई तो मझ
ु े सडेन्ली इंटरनेट पे
दे खा हुआ एक वीडडयो ज्लप याद आ गया जजसमें ऐसे ही एक लड़की ककसी लड़के का लण्ड पकड़ के मठ ू मारते
मारते जब उसकी मलाई ननकलने लगती है तो लण्ड को अपने मूँह
ु में ले के चस
ू ने लगी और उसकी सारी मलाई
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बड़े मजे से खा लेती है ।
और उसी टाइम पे सर के लण्ड में से उनकी गरम मलाई की मोटी मोटी पपचकाररयाूँ ननकल के मेरे पेट में
डाइरे ्ट चली गयी। सर मेरे मूँह
ु को चोदते रहे और मेरा पेट अपनी मलाई से भरते रहे और मैं उनकी मीठी
मीठी मलाई मजे ले ले के खाती रही।
पी॰के॰ सर अब गहरी गहरी साूँसें ले रहे थे, मेरी चूत में जैसे उबाल आया हुआ था और मैं वासना की आग में
जलते जलते पागल हो रही थी। जी चाह रहा था की बस अभी चि के सर के लण्ड की सवारी शरू ु कर दूँ ू पर डर
भी लग रहा था की इतना बड़ा और मोटा गधे जैसा लण्ड मेरी छोटी सी कूँु वारी चत
ू में घस
ु पाएगा भी या नहीं।
मैं आज हाथ लगे इस चान्स को खोना भी नहीं चाहती थी और बस मेरे टदमाग में तो चुदने का भत
ू सवार था
और मैं डाइरे ्ट सर के ऊपर चि के बैठ गयी।
सर के पैर सीधे रखे हुए थे और उनका लण्ड थोड़ा सा नरम हो गया था और उनकी नामभ पे ककसी साूँप की
तरह पड़ा हुआ था। मैं अपनी दोनों टाूँगें सर के टहप्स के इधर उधर रख के उनके लण्ड के डंडे पे अपनी चत
ू की
फाूँकें रख के आगे पीछे कफसलने लगी। मेरी चत
ू तो समंदर जैसी गीली हो रही थी।
तो उन्होंने कहा- त्
ु हारी मज़ी… ककट्टू मैं तम
ु पे ही छोड़ता हूूँ तम
ु खुद ही इसको जजतना मज़ी आए अंदर ले
लेना।
तो मैंने कहा- सर आज तो मैं इसको परू े का परू ा अपनी चूत के अंदर ले लूँ ग
ू ी, मैं अब इसके बबना नहीं रह
सकती…
तो सर ने कहा- मेरी पत्नी अब तक मेरा परू े का परू ा लण्ड अपनी चूत के अंदर तक नहीं ले पाई है , तो तम
ु
कैसे झेल पाओगी, तम
ु तो अभी कूँु वारी हो…
तो मैंने कहा- मझ
ु े कुछ नहीं मालम
ू सर अगर बाइ एनी चान्स मैं इसको अपने अंदर नहीं ले पाई तो आप कुछ
भी कीजजए और चाहे मेरी चूत फट जाए, इसको परू े का परू ा मेरी चूत के अंदर पेल दीजजए। मैंने इंटरनेट पे लण्ड
दे खे तो है पर ऐसे नहीं दे ख…
े
13
तो वो हूँसने लगे और बोले- ककट्टू… मेरी बीवी सन
ु ीता भी इसे अभी तक सही तरीके से ना अपने मूँह
ु में ले पाई
है और ना ही चत
ू के अंदर और मझ
ु े डाउट है की तम
ु इसको अपनी इतनी छोटी सी चत
ू के अंदर ले पाओगी…
तो मैंने कहा के मझ
ु े कुछ नहीं मालम
ू सर की आप मेरे साथ ्या करते हैं और कैसे करते हैं लेककन यह आज
मझ
ु े परू े का परू ा चाटहए।
उफ्फ ्या बताऊूँ ककतना मजा आया आज पहली बार मेरी चचू चयां ककसी के मूँह
ु में गयी थी और आज कोई
पहली बार मेरी चूचचयों को चूस रहा था मेरे बदन में बबजली दौड़ने लगी। रूम भी अंधेरा ही था और बाररश बड़े
जोरों की पड़ रही थी। कभी जब बबजली कड़क के चमक जाती तो उसकी रोशनी में हम एक दस
ू रे को दे ख पाते,
बड़ा रोमाूँटटक माहौल था।
सर के लण्ड में एक बार कफर से सख्ती आ गयी थी और वो लोहे जैसा सख़्त हो गया था और मैं उसके डंडे पे
कफसल रही थी और सर मझ
ु े झुका के मेरी चूचचयों को चूस रहे थे और बोल रहे थे की ककट्टू आज तक मेरी
वाइफ ने कभी भी मेरे लण्ड को नहीं चूसा था। आज तम
ु ने मेरी वो इच्छा भी परू ी कर दी और मझ
ु े वो मजा
टदया है जजसके मैं मसर्फस ख्वाब ही दे खा करता था। यू आर ग्रेट…
तो मैंने कहा- सर आपका पहला ही लण्ड है जजसे मैंने अपना हाथ लगाया है और आज ही फस्टस टाइम लण्ड को
चूसने का और मलाई खाने का मजा मलया है ।
अब हम दोनों लण्ड और चत
ू जैसे शब्दों का उपयोग बबंदास कर रहे थे। अब मेरा शौक और उत्तेजना बिती ही
चली जा रही थी और अब मेरी चत
ू सर के गधे जैसे लण्ड को अपने अंदर लेने के मलए बेताब हो रही थी, तो मैं
घट
ु नों के बल हो थोड़ा झुक गयी और अपने हाथ से पकड़ के लण्ड को अपनी गीली चूत के सरु ाख में सेट
ककया। सर के लण्ड में से अब प्री-कम ननकलना चालू हो गया था और मेरी गीली चत
ू के सरु ाख में लग रहा था
और सरु ाख को जस्लपरी बना रहा था।
एक बार कफर सर ने मझ
ु से पछ
ू ा- ककट्टू त्
ु हें मालम
ू है तम
ु ्या करने जा रही हो…
तो मैंने झक
ु के सर के कान में बड़े रोमाूँटटक स्टाइल में कहा- सर मझ
ु े आपके इस मस्त लण्ड के मसवा कुछ
नहीं चाटहए। आज मेरी चूत को फाड़ ही डालो सर, चोद डालो मझ
ु े और मझ
ु े लड़की से औरत बना डालो। मैं ऐसे
लण्ड पे आपको अपनी चूत की गरु
ु -दक्षिणा दे ती हूूँ और धीरे से उनका कान काट मलया और उनके नेक पे ककस
कर टदया और अपनी जुबान उनके मूँह
ु में घस
ु ेड़ दी।
मझ
ु े ताज्जुब इस बात का हो रहा था की मैं एक सीधी साधारण सी लड़की जजसको कभी से्स की ऐसी इच्छा
कभी नहीं हुई थी पर पता नहीं आज ्या हो गया है मझ ु े यह मेरी समझ से बाहर था। मैंने अपना ध्यान परू ा
सर के लण्ड और अपनी कूँु वारी चत
ू पे लगा टदया। मैं थोड़ा सा अपनी जगह से उठ गयी और सर के लण्ड को
अपनी चूत के सरु ाख पे सटा टदया और जोश में एकदम से अपना परू ा वजन उनके लण्ड पे डाल टदया। लण्ड का
टे बल टे जन्नस बाल से भी थोड़ा मोटा सप
ु ाड़ा मेरी गीली चत
ू में एक झटके से घस
ु गया तो मझ
ु े लगा जैसे मेरी
चूत के अंदर कोई बा्ब घस
ु गया हो और चूत के अंदर जलन होने लगी और मैं चचल्ला पड़ी ऊऊओईईईइ ्माअ
और एकदम से उनके लण्ड से उछल गयी तो एक “प्लॉप” की आवाज से लण्ड का मोटा लाल सप
ु ाड़ा चूत से
बाहर ननकल गया।
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सर ने कहा- ककट्टू आराम से अंदर लो… जल्दी मत करो…
तो मैंने कहा- ठीक है सर… और एक बार कफर से उनके लण्ड के डंडे को पकड़ के सप
ु ाड़े को अपनी चत
ू के
सरु ाख में रख टदया। सप
ु ाड़े के अंदर घस
ु ने से मेरी चूत का सरु ाख अब तक खुल बंद हो रहा था। मैं अब धीरे
धीरे लण्ड पे बैठने लगी और अपना प्रेशर बिाती रही और लण्ड का सप
ु ाड़ा जो प्री-कम के ननकलने से और मेरी
गीली चूत के जूस से चचकना हो रहा था एक बार कफर से धीरे धीरे अंदर घस
ु ने लगा। मेरी आूँखें तकलीफ से बंद
हो गयी थी आूँख में से आूँसू ननकल रहे थे और दाूँत एक दस
ू रे से मजबत
ू ी से टाइट हो गये थे और मैं अपना
प्रेशर और बिाती चली गयी।
मझ
ु े लग रहा था जैसे कोई गरम लोहे का डंडा मेरी चत
ू में घस
ु रहा हो और मेरी छोटी सी चूत को काट रहा हो।
सर ने मझ
ु े झुका मलया और बोले की अब आटहस्ता आटहस्ता इतना ही अंदर बाहर करती रहो और थोड़ा थोड़ा
प्रेशर बिाती रहो…
तो मैंने हाूँ में अपना मसर टहला टदया जो अंधेरे की वजह से सर को नहीं टदखा। सर मझ
ु े झुका के चूचचयां चूसने
लगे और मेरी गाण्ड और पीठ को सहलाते रहे और मैं दो इंच अंदर घस
ु े लण्ड को ही अंदर बाहर करने लगी।
लण्ड अब मेरी गीली चूत में आराम से उतना ही अंदर बाहर हो रहा था, जजतना लण्ड अंदर घसु ा हुआ था। पर
मझ
ु े तो आज अपनी चूत सर के परू े लण्ड को भें ट करनी थी इमसलीए जोश में जोर जोर से एक बार कफर से
आगे पीछे जस्लप होती रही और अपना प्रेशर बिाती रही।
जब सर ने दे खा के मैं अब कुछ ररलै्स हो रही हूूँ और मस्ती में आ गयी हूूँ तो उन्होंने मेरे चूतड़ों को पकड़ के
अपनी गाण्ड उठा के एक जोर का ध्का मारा तो लण्ड मेरी चत ू में एक इंच और अंदर घस ु गया और मैं कफर
से चचल्ला पड़ी ऊऊईईइ सस्सररस रर र… और अगर सर मझ
ु े नहीं पकड़े होते तो शाएद मैं ककसी जस्प्रंग की तरह बाहर
उछल पड़ती, लेककन उन्होंने मझ
ु े कस के पकड़ा हुआ था। सर का लण्ड तकरीबन तीन इंच मेरी चूत में घस ु
चक
ु ा था और मझु े लग रहा था जैसे वो परू ा जड़ तक अंदर घस
ु चक
ु ा है तकलीफ के मारे मेरी जान ही ननकली
जा रही थी।
सर ने मझ
ु से कहा की ककट्टू तम
ु पलट जाओ और 69 जैसी पोजजशन में आ जाओ तो मैं सर के हे ड के दोनों
तरफ अपने घट
ु ने मोड़ के झुक गयी और सर मेरी चूत में अपनी जीभ घस
ु ा के चूसने लगे। आअहह… ्या बताऊूँ
ककतना मजा आ रहा था… उनकी जीभ मेरी चूत के सरु ाख में थी और वो मेरी ज्लटोररस से खेल रहे थे और
कभी अपने दांतो से काट डालते तो मैं पागल हो जाती। मैं इतनी मस्ती में आ गयी थी की सर के ममजाइल
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जैसे खड़े लण्ड को अपने हलक तक अंदर ले के चूसने लगी और अपनी गाण्ड उठा उठा के सर के मूँह
ु को
अपनी चत
ू से चोदने लगी।
मझ
ु े लगा के मेरा एक बार और जूस ननकलने वाला है और जैसे ही सर ने मेरी चूत को अपने दातों से पकड़ा मैं
काूँपने लगी और सर के मूँह
ु में ही झड़ने लगी और मेरी चूत से ननकले जूस को सर बड़े मजे से चाटने लगे।
अब सर का लण्ड बहुत गीला हो चुका था और मेरी चूत तो समंदर जैसी गीली हो चुकी थी। मैं फुल मस्ती में
आ गयी थी और अब मझ ु े सर का लण्ड चाटहए था। तो मैंने कहा की सर अब आप मेरे ऊपर आ जाओ और
मझ
ु े चोद डालो, बस अब मेरे से और सहन नहीं होता और सर के कुछ बोलने से पहले ही मैं उनके ऊपर से उठी
और साइड में लेट गयी। अंधेरे की वजह से कुछ नजर भी नहीं आ रहा था और लगातार बाररश के चलते माहौल
बेइंतह
े ा रोमाूँटटक हो गया था और कमरे के डोर और पवंडो बंद होने से और वासना की आग में जलने से हमारे
बदन बहुत ही गरम हो चक
ु े थे। हमें अब ठं ड भी नहीं लग रही थी।
मैं पीठ के बल लेटी थी और अब सर मेरे पैरों के बीचे में आ गये और अपने पैर पीछे की ओर करके बेड के
ककनारे से टटका टदए और लण्ड जजतना अंदर पहले था उतना अंदर घस
ु ा के मेरे ऊपर झुक गये और मेरी चूचचयों
को एक के बाद दस
ू री को चूसने लगे और ननपल्स को काटने लगे मेरी आूँखें मस्ती में बंद हो गयी थी। सर ने
मझ
ु े बगल से हाथ ननकाल के शोल्डर को टाइट पकड़ा हुआ था और अपनी गाण्ड उठा उठा के मझ
ु े चोदने लगे
मझु े बहुत ही मजा आ रहा था।
मैंने अपनी टाूँगें सर के बैक से लपेट ली जजससे मेरी चूत कुछ और खुल गयी थी और मैं सर की पीठ की धीरे
धीरे सहला रही थी, मझ
ु े बहुत ही मजा आ रहा था। सर ने थोड़ा प्रेशर बिाया और लण्ड का सप
ु ाड़ा कुछ और
अंदर आ गया और शाएद मेरी कूँु वारी चत
ू की सील से टकरा गया। सर ने चोदना बंद कर टदया और अपने लण्ड
को चूत के अंदर ही रखे रखे बोले की ककट्टू एक बार और सोच लो… दे खो अभी तम
ु कूँु वारी हो और कही त्
ु हें
बाद में अफसोस ना हो…
तो मैंने मस्ती में बंद आूँखों से उन्हें बड़े प्यार से ककस करते हुए कहा- सर अब वक़्त आ गया है , आप अपनी
गरु
ु -दक्षिणा ले लो। मैं बबल्कुल तैयार हूूँ और मझ ु े कभी भी कोई अफसोस नहीं होगा बलकी मैं तो सारी जज़ंदगी
खश
ु रहूूँगी के मेरी सील एक इतने बड़े मस्त मोटे और लोहे के मस
ू ल जैसे लण्ड से टूटी है जजसकी कल्पना सभी
लड़ककयाूँ ककया करती है । यह तो मेरी ककश्मत है सर… अब आप और कुछ ना सोचो और पेल दो अपना यह
मस
ू ल मेरी गरम कूँु वारी चूत के अंदर…
एक बार कफर से मेरे बगल से हाथ डाल के शोल्डर को बहुत टाइट पकड़ मलए थे। लण्ड बड़ी आसानी से गीली
चूत में तकरीबन 4 इंच तक अंदर बाहर हो रहा था और मेरा मस्ती और मजे के मारे बरु ा हाल था। मैं सर से
चचपकी हुई थी।
सर के चोदने की स्पीड जैसे जैसे बिने लगी मेरा बदन वैसे ही काूँपने लगा और मैंने सर के बैक को टाइट पकड़
मलया और उनके मस
ू ल लण्ड पे ही झड़ने लगी। मेरे जूस से चूत कुछ ज्यादा ही गीली हो गयी थी और सर का
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लण्ड बड़े आराम से अंदर बाहर हो रहा था। मेरी आूँखें मस्ती में बंद हो चुकी थी और मैं अभी अपने आगगज
स म के
नशे में डूबी हुई थी की सर ने मझ
ु े बहुत ही टाइट पकड़ मलया और अपना परू ा लण्ड सप ु ाड़े तक मेरी चत
ू से
बाहर ननकाला और एक बहुत ही जोरदार परू ी ताकत से ध्का मारा तो उनका कुतब ु मीनार जैसा बड़ा और
मसू ल जैसा मोटा और लोहे जैसा सख़्त लण्ड मेरी कूँु वारी चूत की सील को फाड़ता हुआ और मेरी चूत को ककसी
ममजाइल की तरह से चीरता हुआ मेरी छोटी सी मासम
ू और कूँु वारी चूत की गहराइयों में उतर गया और मेरे मूँह
ु
से चीख ननकली…
ऊऊऊईईईईई ्््ममाआआअ ्््मररस रर ् ीईईईईई हायईईई सस्स्स्स्सरसर हायईई और मेरे टदमाग में लाखों पटाखे
फूटने लगे जैसे दीवाली की रात मेरे टदमाग में ही उतर आई हो और आूँखों से आूँसू रोल हो के मेरे गालों से बेड
पे चगरने लगे। ऐसे लगा जैसे मेरी छोटी सी चूत में ककसी ने लोहे का गरम गरम डंडा घस
ु ा टदया हो और मेरी
चत
ू के दो टुकड़े कर टदए हों, चत
ू में ऐसी जलन होने लगी जैसे ककसी ने ढे र सारा लाल ममचस पाउडर मेरी चत
ू
में भर टदया हो। ददस के मारे पहले तो मैं सर के बदन से बहुत जोर से चचपक गयी कफर मेरा सारा बदन एकदम
से बेजान हो गया और मेरे हाथ और पैर उनके बदन से ननकल के बबस्तर पे चगर पड़े। चीख के साथ ही बबजली
भी बड़ी जोर की आवाज के साथ चमक उठी सारा कमरा दो–तीन सेकेंड्स के मलए रोशन हो गया।
पर मेरे टदमाग में तो अंधेरा ही छाया रहा और पटाखे फूट रहे थे और कमरा गोल गोल घम
ू रहा था। अगर ऐसे
टाइम पे बबजली नहीं कड़कती तो शाएद मेरी चीख एक ककलो मीटर दरू मेरे घर तक आसानी से सन
ु ाई दे ती।
कुछ दे र के बाद मेरे होश ओ हवास ठीक हुए और मेरी आूँख खुली तो सबसे पहले तो मैं यह सोचने लगी की मैं
कहा हूूँ और मझु े ्या हुआ है पर जैसे ही मझ
ु े सर का गरम मोटा और लोहे जैसा सख़्त लण्ड अपनी फटी चूत
में चभ
ु ता महसस
ू हुआ, मझ ु े सब याद आ गया की अब मैंने अपने गरु ु को अपनी कूँु वारी चत ू की दक्षिणा दे दी
है और अपनी छोटी सी कूँु वारी चूत की भें ट उनके मस्त मस
ू ल लण्ड की भें ट चिा दी है । मेरे बदन में कुछ
मव्ू में ट्स हुई तो सर ने समझा के मेरे टदमाग से वो डाकस फेज हट गया है और उन्होंने अपना लण्ड धीरे -धीरे
मेरी चूत से बाहर ननकाला।
तो मझु े महसस
ू हुआ की मेरी चूत की पतली चमड़ी उनके लण्ड के साथ बाहर ननकल रही है । पहले तो वो धीरे
धीरे लण्ड को अंदर बाहर करके मझ
ु े चोदते रहे । थोड़ी ही दे र में मझ
ु े मजा आने लगा और मैंने सर के बदन को
अपने हाथों और पैरों से एक बार कफर से पकड़ मलया और अपनी टाूँगें सर के बैक पे लपेट ली और अपनी गाण्ड
उठा उठा के उनके ध्कों को मैच करती हुई मजे ले ले के चुदवाने लगी। लण्ड परू ा अंदर बाहर हो रहा था और
मझ
ु े लग रहा था जैसे वो मेरी चूत में से घस
ु के मेरे पेट में से होता हुआ मेरे मूँह
ु से बाहर ननकल जाएगा।
मेरी चूत के मसल्स सर के मस ू ल लण्ड के डंडे को टाइट पकड़े हुए थी। एक बार जब उनके मोटे लण्ड का मोटा
सपु ाड़ा मेरी बच्चेदानी को जोर से टहट ककया तो मैं काूँपने लगी और सर के बदन को जोर से पकड़ मलया और
काूँपते हुए झड़ने लगी। मेरी चूत में से ननकला हुआ जूस मेरी चूत को और ज्यादा जस्लपरी बना चुका था और
अब मझ ु े बहुत ही मजा आने लगा था। सर के चोदने की स्पीड भी अब बि गयी थी और वो मझ ु े तफ
ू ानी रफ़्तार
से चोद रहे थे। मेरी चत
ू ने सर का परू े का परू ा लण्ड अपनी गहराइयों में ले मलया था। सर ने मझ
ु े बड़ी जोर से
टाइट पकड़ा हुआ था और बेड के ककनारे से अपने पैर टटकाए कस कस के ध्के मार मार के मेरी चुदाई कर रहे
थे।
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से मेरी बच्चेदानी से टकराया और उनके मस
ू ल लण्ड से मोटी मोटी मलाई की गरम गरम धाररयाूँ उछल उछल
के मेरी बच्चेदानी को भरने लगी और मेरी चत
ू के अंदर सर की मलाई की बरसात होने लगी। मझ
ु े ऐसा लगा
जैसे ककसी सखू ी जमीन में बरसात पड़ी हो और उस जमीन को ननहारते हुए उसमें से एक अनोखी और मस्त
खुश्बू आने लगी हो।
तो मैंने उन्हें चूमते हुए कहा- सर आपकी पत्नी को शाएद आपके लण्ड की कदर नहीं है और उन्हें यह लोहे जैसे
सख़्त और राकेट जैसे एरे ्ट लण्ड का मजा नहीं मालम ू और जजस टदन ऐसे मस्त लण्ड का मजा उनकी चत ू को
लग जाएगा मझ
ु े यकीन है की वो आपके लण्ड की पज
ू ा करना शरू
ु कर दे गी।
यह सन
ु के सर मस्
ु कुराने लगे और बोले- पता नहीं वो टदन कब आएगा… या आएगा भी या नहीं। अरे वो तो
तीन चार इंच ही अंदर ले के रोने लगती है और मझ ु े उसपर दया आ जाती है , मैं ्या करूूँ और हट जाता हूूँ
और कफर वो अपने हाथों से मठ ू मार के ही मेरी मलाई ननकाल दे ती है और हूँसते हुए बोले की अब वो मठ
ू
मारने में पफे्ट हो गयी है । मझ
ु े लगता है की उसको से्स में कोई इंटेरेस्ट नहीं है । मेरी जज़ंदगी बस ऐसे ही
चल रही है इसीमलए वो यहां मेरे साथ नहीं रहती। मेरी समझ में नहीं आता की मैं ्या करूूँ…
तो मैंने बोला- सर आप ्यों कफकर करते हैं अब तो मैं हूूँ ना आपके पास में तो आपके इस वंडरफुल लण्ड की
दीवानी हो चुकी हूूँ और जब जब मौका ममलेगा मैं आपसे चुदवाती रहूूँगी और आपके लण्ड की गमी को शांत
करती रहूूँगी।
तो वो मझ
ु े बेतहाशा चूमने लगे और बोले- थैं्स ककट्टू सच में आज तम
ु ने जो मझ
ु े गरु
ु -दक्षिणा दी है ऐसी गरु
ु -
दक्षिणा आज तक ककसी ने, ककसी भी मशष्या ने, ककसी भी गरु
ु को नहीं दी होगी। आज तम
ु ने जो मजा मझ
ु े
टदया है उसे मैं जज़ंदगी भर नहीं भल
ू पाऊूँगा।
उनका लण्ड मेरी फटी चूत को जैसे ढ्कन से सील करते हैं वैसे अंदर घस
ु के सील ककया हुआ था और मेरी
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फटी हुई चूत में से बाहर ननकलते ही जैसे बोतल का ढ्कन खुल गया और मझु े ऐसा लगा जैसा मेरे बदन का
ही कोई टहस्सा मेरे बदन से ननकल गया हो और चत ू एकदम से खाली खाली महसस ू होने लगी और लण्ड के
बाहर ननकलते ही मेरी चूत में जो हम दोनों की मम्स मलाई इकट्ठा हो गयी थी और मेरी चूत पे उनके लण्ड
का ढ्कन लगा था और वो खुल गया और साथ में ही मेरी चूत में से हम दोनों का मम्स जूस ऐसे ननकलने
लगा जैसे ककसी नदी में बाि आ गयी हो और बबस्तर पे चगरने लगा।
मैं उठ के बैठ गयी और खुली टाूँगों के बीच से अपनी दखु ती हुई चूत को दे खा तो है रान रह गयी। वहां बबस्तर
पे मेरी चत
ू से ननकली हमारी मम्स मलाई और मेरे खन ू का एक बहुत बड़ा पल ू जैसे बन गया था। इतना खन ू
तो मेरे मेन्सेस के टाइम पे भी नहीं ननकलता था। मझ
ु े लगा जैसे मेरे बदन का आधा खून ननकल गया हो और
मझ
ु े एकदम से वीकनेस महसस
ू होने लगी। सर ने मझ
ु े पकड़ के उठाया और हम दोनों बाथरूम में घस
ु गये और
एक साथ ही शावर लेने लगे।
ठं डे ठं डे मौसम में और ऐसी एस्पेशली मस्त चुदाई के बाद गरमा गरम पानी से शावर लेने का अपना ही मजा
है । हम दोनों ने एक दस
ू रे को साबन
ु लगाया और मैंने सर के लटकते हुए लण्ड पे जो मलाई और मेरा खून लगा
हुआ था उसको साबन ु लगाया और धोने लगी। सर ने भी झुक के मेरी झांटों भरी चूत पे साबन
ु लगाया और
साफ ककया। सर ने पछ
ू ा की ककट्टू तम
ु झांटें नहीं ननकालती हो ्या…
तो वो हं स पड़े तो मैंने पछ
ू ा की सर… अगर आपको पसंद नहीं तो मैं शेव कर लेती हूूँ…
हम दोनों एक दस
ू रे को साबन
ु लगा के रगड़ रहे थे। जैसे जैसे मैं सर के लण्ड को रगड़ रही थी तो एक ही
ममनट के अंदर उनका लण्ड एक बार कफर से ककसी नाग की तरह उठ के खड़ा हो गया और टहलने लगा। उनका
लण्ड इतना बड़ा था की मेरे दोनों मजु त्ठयो में भी नहीं आ रहा था। मैं उनके लण्ड को पकड़ के फ्लोर पे बैठ
गयी और लण्ड को अपने मूँह
ु में ले के मजे से चूसने लगी। उनका लण्ड अब मेरे मूँह
ु में फुल्ली एरे ्ट हो चुका
था और आधे लण्ड से ही मेरा मूँह
ु भर गया था।
मैं धीरे धीरे उनके लण्ड को चूसने लगी और वो भी मेरे सर को पकड़ के मेरे मूँह
ु को चोदने लगे। सर ने शावर
बंद कर टदया और मझ
ु े घोड़ी बनने को कहा (डागी स्टाइल) तो मैं डर गयी की कही सर अपने इतने लंबे और
मोटे लण्ड से मेरी गाण्ड ही ना फाड़ डाले। मैं थोड़ा हे जजटे ट कर रही थी तो बोले की अरे ककट्टू डरती ्यों है … मैं
गाण्ड नहीं मारूूँगा, पीछे से चूत में ही डाल के चोदं ग
ू ा। तो मैं पलट गयी और घोड़ी बन गयी तो सर ने अपना
लण्ड पीछे से मेरी चूत, जो अब परू ी तरह से खुल चुकी थी, उसके सरु ाख से लण्ड के सप
ु ाड़े को सटा टदया और
झक
ु के मेरे शोल्डसस को कस के पकड़ मलया और एक ही पावरफुल ध्के में अपने गधे जैसा लंबा और लोहे जैसे
सख़्त लण्ड को मेरी फटी चूत में घस
ु ा टदया।
मैं एक बार कफर से चचल्ला पड़ी- हाआयईईई सस्स्स्स्सररस रर ् रर आआअहह… मेरा मूँह
ु तकलीफ से खुल गया और
जुबान बाहर आ गयी और मझ
ु े लगा की उनका लण्ड मेरी चूत को फाड़ता हुआ मेरे मूँह
ु से बाहर ननकल जाएगा
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और मझ
ु े लगा जैसे एक लंबा गरमा गरम ममजाइल मेरी चूत के रास्ते मेरे पेट में घस
ु गया हो और मेरे घट
ु ने
फ्लोर से जस्लप हो गये और मैं शावर ट्रे के अंदर ही पेट के बल चगर गयी और मेरे साथ में ही सर भी मेरे बदन
पे चगर पड़े। उनका लण्ड मेरी चूत में घस
ु ा हुआ था और वो मेरे ऊपर पड़े हुए थे।
***** *****
मेरे नीचे चगरने के बावजूद भी उनका लण्ड मेरी चूत से बाहर नहीं ननकला था। वो थोड़ी दे र मेरे ऊपर लेटे लेटे
ही वेट करते रहे और जब मेरी चूत उनके मस
ू ल लण्ड से अड्जस्ट हो गयी तो उन्होंने अपनी गाण्ड ऊपर नीचे
करके मझ
ु े चोदना शरू
ु कर टदया। मेरी गाण्ड थोड़ी सी ऊपर उठ गयी थी और वो पीछे से चत
ू में लण्ड घस
ु ाए
चोदने लगे।
उनका लण्ड मेरी बच्चेदानी से लगातार टकरा रहा था और एक ही ममनट के अंदर मेरी चूत में हलचल मचने
लगी और मैं उनके लण्ड के ऊपर ही झड़ने लगी। मेरी चूत में से ननकले जूस की वजह से उनका इतना बड़ा गधे
जैसा लण्ड भी अब आराम से मेरी चत
ू के अंदर बाहर घस
ु रहा था और मैं मस्ती में आूँखें बंद ककए चद
ु वा रही
थी और ऐसी वंडरफुल चुदाई का परू ा आनंद ले रही थी और सोच रही थी के मैं ककतनी खुश ककश्मत हूूँ की ऐसा
लण्ड ममला है मेरी चूत के द्वार खोलने के मलए।
थोड़ी दे र में ही उन्होंने मेरी कमर को पकड़ के अपने ऊपर कर मलया और ऐसे पोजजशन चें ज कक की वो नीचे
पीठ के बल लेट गये और मैं उनके लण्ड पे बैठी हुई थी, मेरा मूँह
ु उनके पैरों की तरफ था और मेरी पीठ उनके
मूँह
ु की तरफ। कुछ दे र ऐसे ही चोदने के बाद उन्होंने मझ
ु े अपने ऊपर झक
ु ा मलया और मेरी चचू चयों को मसलने
लगे और अपनी गाण्ड उठा उठा के मझ
ु े चोदने लगे। ऐसी पोजजशन में उनका इतना लंबा लण्ड भी मेरी चत
ू के
अंदर परू ा नहीं घस
ु पा रहा था और वो बस आधे ही लण्ड से मझ
ु े चोदे जा रहे थे। यह पोजजशन कुछ ज्यादा
ठीक नहीं लग रही थी तो सर ने अपना लण्ड मेरी चत
ू में से बाहर खींच के ननकाल मलया और एक बार कफर
मझ
ु े लगा के मेरी चूत खाली खाली हो गयी हो।
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मारा। सर ने मझ
ु े मेरी बगल में हाथ डाल के उठा मलया और आटोमेटटकली मेरी टाूँगें खुल गयी और उनके बैक
पे मलपट गयी और सर ने अपने हाथ मेरे चत
ू ड़ों के नीच रख के सपोटस टदया और मैं उनके गले में अपनी बाहें
डाल के झूलने लगी।
लण्ड का सप ु ाड़ा आटोमेटटकली मेरी खुली हुई चूत के सरु ाख से लग गया ऐसा लग रहा था जैसे लण्ड के हे ड में
आूँखें हो और वो अपना रास्ता खुद ही तलाश कर रहा हो। सर का लण्ड मेरी चूत के सरु ाख के अंदर घसु ते ही
सर ने अपने हाथों की चग्रप मेरे ऊपर चूतड़ों पर थोड़ी सी लस ू कर दी और जैसे ही मैं थोड़ा सा नीचे जस्लप हुई
तो सर का लण्ड एक ही झटके में मेरी चत ू के अंदर परू े का परू ा घस
ु गया और सर मेरे चत
ू ड़ों को पकड़ के मझ ु े
उछाल उछाल के मझु े खड़े खड़े चोदने लगे। ऐसी पोजजशन में लण्ड मेरी चूत के बहुत अंदर तक घस
ु रहा था
और मैं एक ही ध्के में काूँपते हुए उनके लण्ड पे झड़ने लगी।
अब सर ने लण्ड को परू ा बाहर तक ननकाल ननकाल के चोदना शरूु ककया। वो बहुत जोर जोर से ध्के मार रहे
थे। ऐसा लगता था जैसे उनका कुतबु मीनार जैसा लंबा और लोहे जैसा सख़्त लण्ड मेरी चूत को फाड़ता हुआ
पीछे दीवार में घस
ु जाएगा। उनका लण्ड ककसी जैक हमर की तरह से मेरी चत ू को चोदे जा रहा था। एक ही
पावरफुल ध्के में मेरा मूँह
ु खुल गया और मेरी चूत में बाि आ गयी और जूस ररलीस होने लगा। अब सर को
बड़ी अच्छी पोजजशन ममल गयी थी उनके पैर पीछे बाथटब में टटके हुए थे और मैं दीवार से टटकी हुई थी और
सर बहुत ही पावरफुल ध्के मार रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे आज ही सारी उमर की चुदाई करने का इरादा
हो। सर ने अपने हथौड़े जैसे लण्ड से चोद चोद कर मेरी चूत की हालत ही बबगाड़ दी थी। बबचगननंग में तो मझ
ु े
थोड़ी सी तकलीफ हो रही थी।
मझ
ु े लगा जैसे राइफल में से गोली ननकली हो और मेरी बच्चेदानी पे ननशाना लगा के मार रही हो और मैं
काूँपने लगी और मेरी चूत में एक बार कफर से बाि आ गयी और जूस ककसी टूटी नदी से बाि की तरह ननकलने
लगा और हम दोनों गहरी गहरी साूँसें लेने लगे और दोनों आलमोस्ट बेदम हो गये और कुछ दे र तक बाथटब के
अंदर ही बैठे रहे । मेरी चत
ू में से हम दोनों का ममला जल
ु ा जस
ू नीचे बहने लगा। मैंने अपनी दख
ु ती हुई चत
ू पे
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हाथ लगाया और चूत से ननकलते जूस को उूँ गमलयों में लगा के दे खा तो मैं है रान रह गयी एक बार कफर से मेरी
चत
ू से खन
ू ननकला था तो मैं समझ गयी के यह सर के पागलों की तरह से चोदने के नतीजे में मेरी चत
ू की
यह हालत हो गयी थी।
अब मेरी चूत कूँु वारी चूत नहीं भोसड़ा बन चुकी थी और मेरी छोटी सी चूत का छोटा सा सरु ाख अब इतना बड़ा
घार (केव) जैसा सरु ाख बन गया था जजसमें से चूत के अंदर के साफ्ट मसल्स टदखाई दे रहे थे। थोड़ी दे र के
बाद जब थोड़ा होश आया तो सर ने मझ ु े ककस ककया और बोले की ककट्टू सच कह रहा हूूँ की आज से पहले
मैंने कभी ककसी की चद
ु ाई नहीं की ्योंकी ककसी लड़की की चत
ू में मेरा लण्ड घस
ु ता ही नहीं था। आज तम
ु ने
मझ
ु े जज़ंदगी का वो सख
ु टदया है जजसकी तमन्ना मैं ना जाने ककतने सालों से कर रहा था। यू आर ररयली ग्रेट
ककट्टू मैं त्
ु हारा यह एहसान जज़ंदगी भर नहीं भल
ू ग
ु ा…
तो मैं मस्
ु कुराने लगी और अपने इस स्सेस्फुल परफामेन्स पे खश
ु हो गयी। मैं बाथटब में दोनों पैर फैलाए बैठी
थी, मेरी चूत खुली हुई थी, मैंने झुक के दे खा तो वो एकदम से लाल हो गयी थी और ऐसी घमासान चुदाई के
बाद ऐसे खुल गयी थी जैसे चत ू का भोसड़ा बन गया हो और शाएद ककसी प्राजस्टट्यट
ू की चत
ू भी एक महीने की
लगातार चुदाई के बाद भी इतनी चौड़ी नहीं हुई होगी, जजतनी मेरी चूत हो गयी थी। अब सर ने अपने पैर लंबे
करके फैला मलए और मझ ु े अपने पैरों पे बबठा मलया और मैं भी अपने पैर उनकी पीठ से लपेट के उनके जांघों
के ऊपर बैठ गयी।
इस पोजजशन में एक बार कफर से मेरी चूत सर के मरु झाए हुए लण्ड के सामने थी। उनका मरझाया लण्ड मेरी
चूत के सामने ककसी सोए हुए साूँप की तरह पड़ा हुआ था और मरु झाया हुआ भी इतना बड़ा था की मझ ु े दे ख के
डर लग रहा था। मैं एक बार सोचने पे मजबरू हो गयी की मैंने इतना बड़ा और मोटा मसू ल जैसा लण्ड अपनी
कूँु वारी चूत के अंदर कैसे ले मलया और वो भी एक ही टाइम में … यह सोच के मझ
ु े है रत होने लगी।
सर ने अपना हाथ बिा के शावर खोल टदया और हमारे ऊपर एक बार कफर से हल्के गरम पानी की फुवार पड़ने
लगी। एक बार कफर से हम दोनों ने एक दस
ू रे को बैठे ही बैठे साबन
ु लगाया और रगड़ रगड़ के नहाए। बाथरूम
से बाहर ननकले तो मझ
ु े चला नहीं जा रहा था। सर ने सहारा दे के मझ
ु े बाथरूम से बाहर ननकाला और मेरे
कपड़े ला के टदए जो अब सख
ू गये थे। बाररश भी अब रुक चुकी थी रात के आलमोस्ट 10:00 बज रहे थे तो
मझ
ु े होश आया की मेरी चुदाई तो तकरीबन 4–5 घंटे तक चलती रही।
सर ने अपनी बाइक ननकली और मझ ु े पीछे बबठा के घर की तरफ चलने लगे। रोड पे पानी भरा हुआ था और
बाइक चलना मजु श्कल हो रहा था। रोड पे हम दोनों के मसवा कोई और नहीं था और स्ट्रीट लाइट्स भी परू ी नहीं
जल रही थी, इ्का द्
ु का ही जल रही थी। सर ने लोंग जैकेट पहन मलया था और मैं बाइक पे पीछे बैठ के
अपने दोनों हाथ उनकी जैकेट के अंदर रख मलए और सर के लण्ड को उनकी पैंट से बाहर ननकाल के अपने
दोनों हाथों से पकड़ के मठ
ू मारने लगी और मस्ती में दबाने लगी।
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सर का लण्ड एक बार कफर से ककसी ममजाइल की तरह खड़ा हो गया था। कभी उनके लण्ड को दोनों हाथों से
जोर से दबा दे ती तो कभी मठ
ू मारने लगती। मझ
ु े उनका लण्ड बेइंतह
े ा पसंद आया था और उनका लण्ड मेरे
हाथों में बहुत अच्छा लग रहा था और जोश में मठ ू मार रही थी। सर ने मेरे घर से कुछ पहले ही बाइक रोक
ली यहां कुछ अंधेरा भी था। मैं पीछे बैठे बैठे सर के लण्ड को पकड़ के मठू मार रही थी। बाहर से लगती ठं डी
हवा से सर को कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था।
सर बोले- आआआहहह ककट्टूवयू आआस्स्स्सीई टहईईई औररस रर ज्जोररस रर ् सेईईईई करोओ आआअहह औउररस र जोररस रर
सेईई आआअहह…
अब मेरा एक पैर जमीन पे था और एक पैर अभी भी बाइक की सीट पे था और मैंने एक हाथ से सर की कमर
को पकड़ा हुआ था और दस
ू रे हाथ से बड़ी जोर जोर से मठ
ू मार रही थी एक टाइम जोर से आआआहह की
आवाज आई और उनका बदन अकड़ने लगा और मैंने दे खा की सर के लण्ड में से एक मोटी पपचकारी की मोटी
धार उछल के बाइक के सामने उड़ी और बहुत दरू जा चगरी और कफर छोटी छोटी पपचकाररयाूँ ननकलने लगी जो
बाइक की पेट्रोल टैंक पे चगर गयी तो मैं बाइक से नीचे उतरते उतरते पेट्रोल टैंक पे पड़ी हुई मलाई को अपने
उं गली से उठा मलया और चाट मलया।
उन्होंने मझ
ु े एक बार कफर से अपनी बाूँहो में खींच मलया और एक जबरदस्त जीभ सककं ग ककस ककया और बोले
की ककट्टू त्
ु हें नहीं मालम
ू की त्
ु हारी इस प्यारी गरु
ु -दक्षिणा ने मझ
ु े ककतना सख
ु टदया है …
सर मझ
ु े दे खते रहे और मैं अपने घर की ओर चल पड़ी। मेरे घर में अंदर जाने से पहले हम दोनों ने एक दस
ू रे
को हाथ टहला के गड
ु बाइ कहा और मैं एक फ्लाइनयंग ककस करते हुए अपने घर के अंदर चली गयी।
बाद में जैसे जैसे हमारी चुदाई बिती चली गयी वैसे ही मेरा और पी॰के॰ सर का प्यार भी बिता ही चला गया
हम एक दस
ू रे से बेइंतह
े ा प्यार करने लगे। मैं तो उनके मस
ू ल लण्ड की दीवानी हो गयी हूूँ और जब भी मौका
ममलता है हम जी भर के चद
ु ाई करते हैं। कभी कभी तो मैं घर में कोई ना कोई बहाना बना के सर के पास
सारा सारा टदन रुक जाती हूूँ और सारा टदन हम चुदाई ही करते रहते और सारा टदन घर में नंगे ही घम ू ते रहते
हैं। कभी पोनस मव
ू ी भी लगा दे ते और हमेशा नयी पोजजशन्स ट्राइ करते। सर ने एक टदन मेरी कूँु वारी गाण्ड भी
मार डाली। उस टदन मझ ु े बहुत ही तकलीफ हुई मैं दो टदन तक तो चलने के काबबल भी नहीं थी। घर में बहाना
बनाना पड़ा की मैं सीटढयो से चगर पड़ी थी और टांग में चोट लगी है ।
तो यह थी दोस्तों मेरी कहानी जजसे मैं तो नहीं मलख सकती थी इमसलीए राज़ से रर्वेस्ट की थी, जजसने मेरी
ररयल लाइफ की स्टोरी को इतने अच्छे तरीके से मलख टदया।
आप सबका “the_great_warrior”
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