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भास्कराचार्य का जीवन परिचय - Bhaskaracharya Biography in Hindi - Scientific World
भास्कराचार्य का जीवन परिचय - Bhaskaracharya Biography in Hindi - Scientific World
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0 8 जन
ू 2019
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2/28/2021
आज हम आपके लए भा कराचाय का जीवन प रचय Bhaskaracharya Biography in Hindi लेकर आए ह। इसे आप भा कराचाय वतीय क
भा कराचाय के पता महे वराचाय एक उ च को ट के ग णत ( Great Mathematician of India ) थे। उनके भाव
से ह भा कराचाय क ग णत म च जागत
ृ हुई। ा त जानकार के अनस
ु ार भा कराचाय का काय े उ जैन माना
जाता है । म य दे श ि थत इस थान पर उ ह ने व या का अ ययन कया और वह ं पर रहकर अपने थ क रचना
क । कुछ व वान का मत है क भा कराचाय उ जैन ि थत यो तषीय वेधशाला के धान थे और वह ं पर रहकर
उ ह ने अपने थ का णयन कया।
आमतौर से यह दे खने म आता रहा है क ाचीनकाल के व वान कसी राज-दरबार के संर ण म रहकर अपना
रचनाकम कया करते थे। इस कारण वे अपनी कृ तय म अपने संर क क मु त कंठ से शंसा भी कया करते थे।
क तु भा कराचाय के थ म इस तरह का कोई वणन नह ं मलता है । इससे तीत होता है क भा कराचाय वतं
कृ त के व वान थे और बना कसी राजा क सहायता के अपना अनस
ु ंधान काय करने म च रखते थे।
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‘ स ाँत शरोम ण’ के दस
ू रे ख ड का नाम बीज ग णत है । भा कराचाय ने
बीजग णत को ‘अ य त ग णत’ के प म स बो धत कया है । चँ ू क
बीजग णत क गणना अ ात अथवा अ य त रा शय के वारा क जाती
है , इसी लए ाचीन काल म इसे अ य त ग णत कहा जाता था। हम
जानते ह क बीजग णत म इन अ ात रा शय के लए , य जैसे अ र
का योग होता है । ाचीन काल म इ ह ‘यावत ्-तावत ्’ कहकर स बो धत
कया जाता था तथा लेखन म इनके लए ‘या’ का योग होता था।
भा कराचाय ने अपनी इस पु तक म धना मक तथा ऋणा मक रा शय
क चचा क है । उ ह ने सव थम यह बताया क दो ऋणा मक सं याओं के
गुणनफल का मान धना मक होता है । उ ह ने कहा क कसी एक
ऋणा मक सं या म दस
ू र ऋणा मक सं या से भाग दे ने पर जो भागफल
ा त होगा, वह धना मक होगा। उ ह ने बताया क धना मक सं या म
ऋणा मक सं या से गुणा करने पर गुणनफल का मान ऋणा मक होगा
तथा धना मक सं या म ऋणा मक सं या से भाग दे ने पर भागफल का मान ऋणा मक होगा।
यह सन
ु कर ल लावती बोल - ‘ले कन फर भी यह न बना रहता है क प ृ वी कस चीज पर टक है ?’ इसपर
भा कराचाय ने कहा, ‘हम यह य नह ं मान सकते क प ृ वी कसी भी व तु पर नह ं टक है ? ...य द हम यह कह क
प ृ वी वयं के बल से टक है और इसे धारणाि मका शि त कह द तो इसम या दोष है ? अपनी इस बात के समथन म
भा कराचाय ने व तओ
ु ं क शि त क ववेचना क है :
इससे प ट है क भा कराचाय ने यट
ू न से 550 वष पव
ू गु वाकषण के बारे म बता दया था। य द उनके इस स ाँत
क ठ क ढ़ं ग से या या क जाती और उसका चार- सार होता, तो यह स ाँत भा कराचाय के नाम से जाना जाता।
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ल लावती के ज म के समय भा कराचाय को पता चला क उसका वैवा हक जीवन क ट द होगा। इससे वे चं तत हो
गये। उ ह ने अपनी गणनाओं से यह न कष नकाला क य द लालावती क शाद एक खास मह
ु ु त पर क जाए, तो इस
ि थ त को बदला जा सकता है । उस शभ
ु मह
ु ु त को याद रखने के लए उ ह ने एक जलघड़ी बनाई। उसम एक नि चत
मा ा म पानी भरने के बाद उसे एक सरु त थान पर रख दया। बीच म अचानक भा कराचाय को कह ं जाना पड़ा।
ल लावती िज ासावश उस जलघड़ी को दे खने लगी। उसी दौरान उसके हाथ से फसलकर एक म ण जलघड़ी म गर
गयी। इससे जलघड़ी म बना पानी टपकने वाला छ बंद हो गया और भा कराचाय वारा नकाले गये मह
ु ुत म
ल लावती क शाद नह ं हो सक । इससे भा कराचाय बहुत द:ु खी हुए। उसी ण उ ह ने यह न चय कया क वह
अपनी पु ी को ह-न क ग तय को समझने वाल व या सखाएँगे। त प चात उ ह ने ल लावती को उस गढ़ ू
व या का ान दया और उन सार बात को संक लत करके ‘ल लावती थ' ( Lilavati book ) क रचना क ।
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फैजी के लखने के बाद यह क सा इतना लोक य हो गया क ल लावती को उनक पु ी के प म जाना जाने लगा।
जब क भा कराचाय क पु तक म इस बात का कोई िज नह ं मलता है । इससे पता चलता है क यह क सा परू तरह
कपोल कि पत है और इसका वा त वकता से कोई स बंध नह ं है ।
करण-कुतह
ू ल (Karan Kutuhal Book)
भा कराचाय के स ाँत शरोम ण म फ लत यो तष क कोई चचा नह ं है ( फरभी बहुत से लोग उनके नाम से च लत
भा कर हारो कोप bhaskar horoscope का उपयोग करते पाए जाते ह।)। अपनी उ के अि तम पड़ाव म उ ह ने 68
वष क आयु म ‘करण-कुतह
ु ल’ नामक पु तक क रचना क । इस पु तक म उ ह ने पंचाँग बनाने के तर के समझाए थे।
इसे ‘कारण थ’ भी कहा जाता है । चँ ू क पंचाँग के साथ ह फ लत यो तष भी जड़
ु ा हुआ है , इसी लए यो तष के े
म भी उ ह इस पु तक के कारण स मानपव
ू क याद कया जाता है ।
भा कराचाय अपनी थापनाओं और स ाँत के कारण सारे व व म सराहे गये। उनक रचनाओं का सबसे पहला
अनव
ु ाद अकबर के दरबार फैजी ने कया था। उ ह ने 1587 म ‘ल लावती’ का फारसी म अनव
ु ाद कया। लालावती के
अनवु ाद को पढ़कर मग
ु ल बादशाह शाहजहाँ बहुत स न हुआ। उसने अपने दरबार अताउ लाह रसीद से 1634 म
भा कराचाय के ‘बीजग णत’ का फारसी म अनव ु ाद कराया। ई ट इि डया कंपनी के एक अ धकार एडवड ै ची को
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भा कराचाय के पु ल मीधर भी अपने पता क तरह ग णत एवं खगोल शा के व वान थे। ले कन वे अपने पता
क तरह न तो इतनी मह वप
ू ण
ू थापनाएँ दे पाए और न ह उनका इतना नाम ह हुआ। वा तव म उस कालख ड म
फर भारत क धरती पर भा कराचाय जैसा कोई व वान उ प न नह ं हुआ। यह कारण है क वे ाचीन भारत के
अि तम वै ा नक के प म याद कये जाते ह।
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ग णत Indian Mathematician या Bhaskaracharya Biography in Hindi के बारे म पछ
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