Professional Documents
Culture Documents
Asadhya Veena
Asadhya Veena
ओ दघBकाय!
ओ पूरे झारखंड के अYज,
तात, सखा, गE
ु , आdय,
Cाता महTछाय,
ओ Vयाकुल मुख9रत वन-/व?नय; के
व:ृ दगान के मूतB aप,
म तुझे सन
ु ,ँू
दे ख,ूँ /याऊँ
अ?नमेष, Iतfध, संयत, संयुत, ?नवाBक :
कहाँ साहस पाऊँ
छू सकँू तुझे !
तेर काया को छे द, बाँध कर रची गयी वीणा को
@कस IपधाB से
हाथ कर4 आघात
छgनने को तार; से
एक चोट म4 वह सं8चत संगीत िजसे रचने म4
Iवंय न जाने @कतन; के Iपि:दत ाण रचे गये।
म सन
ु ँ,ू
गन
ु ँ,ू
वIमय से भर आँकू
तेरे अनभ
ु व का एक-एक अ:त:Iवर
तेरे दोलन क) लोर पर झम
ू ूँ म त:मय--
गा तू :
तेर लय पर मेर साँस4
भर4 , पुर4, रत4 , वdाि:त पाय4।
"गा तू !
यह वीणा रखी है : तेरा अंग -- अपंग।
@क:तु अंगी, तू अZत, आम-भ9रत,
रस-वद,
तू गा :
मेरे अं8धयारे अंतस म4 आलोक जगा
Iम?ृ त का
dु?त का --
तू गा, तू गा, तू गा, तू गा !
"मुझे Iमरण है
हर तलहट म4, छोटे पेडो ़ क) ओट ताल पर
बँधे समय वन-पशओ
ु ं क) नाना[बध आतुर-तkृ त पुकार4 :
गजBन, घुघुरB , चीख, भूख, हु]का, 8च8चयाहट।
कमल-कुमद
ु -पC; पर चोर-पैर iत
ु धावत
जल-पंछg क) चाप।
थाप दादरु क) च@कत छलांग; क)।
़
प:थी के घोडे क) टाप धीर।
अचंचल धीर थाप भसो के भार खुर क)।
"मुझे Iमरण है
उझक qZ?तज से
@करण भोर क) पहल
जब तकती है ओस-बूँद को
उस Zण क) सहसा च^क)-सी Hसहरन।
और दप
ु हर म4 जब
घास-फूल अनदे खे bखल जाते ह
मौमाbखयाँ असंRय झम
ू ती करती ह गंज
ु ार --
उस ल
बे वलमे Zण का त:iालस ठहराव।
और साँझ को
जब तार; क) तरल कँपकँपी
IपशBहन झरती है --
मानो नभ म4 तरल नयन ठठक)
?न:संRय सवसा यव
ु ती माताओं के आHशवाBद --
उस सि:ध-?नHमष क) पुलकन लयमान।
"मुझे Iमरण है
और 8चC येक
Iतfध, वजrड़त करता है मुझको।
सन
ु ता हूँ म
पर हर Iवर-क
पन लेता है मुझको मुझसे सोख --
वाय-ु सा नाद-भरा म उड़ जाता हूँ। ...
मुझे Iमरण है --
पर मुझको म भूल गया हूँ :
सन
ु ता हूँ म --
पर म मुझसे परे , शfद म4 लयमान।
राजा आगे
समा8धIथ संगीतकार का हाथ उठा था --
काँपी थी उँ गHलयाँ।
अलस अँगड़ाई ले कर मानो जाग उठg थी वीणा :
@कलक उठे थे Iवर-Hशश।ु
नीरव पद रखता जाHलक मायावी
सधे कर; से धीरे धीरे धीरे
डाल रहा था जाल हे म तार;-का ।
"जय दे वी यश:काय
वरमाल Hलये
गाती थी मंगल-गीत,
द:ु दभ
ु ी दरू कहं बजती थी,
राज-मक
ु ु ट सहसा हलका हो आया था, मानो हो फल Hस9रस का
ई\याB, महदाकांZा, Pवेष, चाटुता
सभी पुराने लग
ु ड़े-से झड़ गये, ?नखर आया था जीवन-कांचन
धमB-भाव से िजसे ?नछावर वह कर दे गा ।
रानी ने अलग सन
ु ा:
छँ टती बदल म4 एक क^ध कह गयी --
त
ु हारे ये मbण-माbणक, कंठहार, पट-वIC,
मेखला @कं@कbण --
सब अंधकार के कण ह ये ! आलोक एक है
kयार अन:य ! उसी क)
वPयुKलता घेरती रहती है रस-भार मेघ को,
8थरक उसी क) छाती पर उसम4 ?छपकर सो जाती है
आSवIत, सहज वSवास भर ।
रानी
उस एक kयार को साधेगी ।
संगीतकार
वीणा को धीरे से नीचे रख, ढँ क -- मानो
गोद म4 सोये Hशशु को पालने डाल कर मpु धा माँ
हट जाय, दठ से दल
ु ारती --
उठ खड़ा हुआ ।
बढ़ते राजा का हाथ उठा करता आवजBन,
बोला :
"dेय नहं कुछ मेरा :
म तो डूब गया था Iवयं शू:य म4
वीणा के मा/यम से अपने को मने
सब कुछ को स^प दया था --
सन
ु ा आपने जो वह मेरा नहं,
न वीणा का था :
वह तो सब कुछ क) तथता थी
महाशू:य
वह महामौन
अवभाuय, अनाkत, अiवत, अमेय
जो शfदहन
सबम4 गाता है ।"
नमIकार कर मड़
ु ा यंवद केशक
बल। लेकर क
बल गेह-गफ
ु ा को चला गया ।