Professional Documents
Culture Documents
Nachiketa Samwad
Nachiketa Samwad
Nachiketa Samwad
ता सं
वाद (Yamraj-Nachiketa Samwad)
हमारे धम ं थो म मृयुके दे
व यमराज सेजुड़ेदो ऐसेसं ग आतेहैजब यमराज को इंसान केहठ केआगे मजबू र होना पड़ा
था। पहला सं ग सा व ी सेस बंधत है
, जहाँ
यमराज को सा व ी केहठ पर मजबूर होकर उसके प त स यवान को पुनः
जी वत करना पड़ा। जब क सरा सं ग एक बालक न चके ता से
स बं
धत है, जहाँ
यमराज को एक बालक क जद के आगे
मजबू र होकर उसे मृयुसेजुड़ेगू
ढ़ रह य बतानेपढ़े। हम आपको
यमराज और सा व ी के सं
ग के
बारे
म पहले
बता चु
केहै
। आज हम जानगे
यमराज और न चके
ता से
जुड़ेसं
ग को और
उनकेबीच ए संवाद को।
यमराज-न चके
ता सं
ग (Yamraj Nachiketa Prasang)
इस सं ग का वणन ह धम थ कठोप नषद म मलता है । इसके अनुसार न चकेता वाज वस (उ ालक) ऋ ष के पुथे
।
एक बार उ ह नेव जीत नामक ऐसा य कया, जसम सब कु छ दान कर दया जाता है। दान केव न चकेता यह दे
खकर
बे
चन
ै आ क उनकेपता व थ गाय के बजाए कमजोर, बीमार गाएं
दान कर रह ह। न चके ता धा मक वृ का और
बु मान था, वह तु
रत
ंसमझ गया क मोह के
कारण ही पता ऐसा कर रहे ह।
पता केमोह को र करने केलए न चके ता नेपता से सवाल कया क वे अपनेपुको कसे दान दगे
। उ ालक ऋ ष नेइस
सवाल को टाला, ले
कन न चके ता नेफर यही पूछा। बार-बार यही पू
छनेपर ऋ ष ो धत हो गए और उ ह नेकह दया
क तुझेमृयु(यमराज) को दान क ंगा। पता के वा य से न चकेता को :ख आ, ले कन स य क र ा केलए न चके ता ने
मृ
युको दान करने का सं
क प भी पता से पूर ा करवा लया। तब न चके ता यमराज को खोजतेए यमलोक प च ंगया।
यम केदरवाजेपर प च
ंनेपर न चकेता को पता चला क यमराज वहां
नह है
, फर भी उसनेहार नह मानी और तीन दन
तक वह पर बना खाए- पए बै
ठा रहा। यम ने
लौटने पर ारपाल से
न चके
ता केबारे
म जाना तो बालक क पतृ भ और
कठोर सं
क प से वे
ब त खुश ए। यमराज ने न चकेता क पता क आ ा के पालन और तीन दन तक कठोर ण करने के
लए तीन वर मां
गनेकेलए कहा।
तब न चकेता नेपहला वर पता का नेह मां
गा। सरा अ न व ा जानने केबारेम था। तीसरा वर मृयुरह य और आ म ान
को लेकर था। यम नेआ खरी वर को टालनेक भरपू र को शश क और न चके ता को आ म ान के बदलेकई सां
सा रक सु
ख-
सुवधा को दे नेका लालच दया, लेकन न चकेता को मृयुका रह य जानना था। अत: न चके ता ने
सभी सुख-सुवधा
को नाशवान जानतेए नकार दया। अं त म ववश होकर यमराज ने ज म-मृयु सेजुड़ेरह य बताए।
आइए अब हम जानते
हैक न चके
ता ने
यमराज सेया सवाल कये
और यमराज ने
उनका या उ र दया।
यमराज-न चके
ता सं
वाद (Yamraj-Nachiketa Samwad) :-
कस तरह शरीर से
होता है का ान व दशन?
मनु य शरीर दो आं
खं
, दो कान, दो नाक केछ , एक मुहं
, र , ना भ, गु
दा और श के प म 11 दरवाज वालेनगर
क तरह है , जो क नगरी ही है । वे
मनु य केदय म रहते
ह। इस रह य को समझकर जो मनुय यान और चतन करता
है
, उसेकसी कार का ख नह होता है । ऐसा यान और चतन करने वालेलोग मृयु
केबाद ज म-मृ
युकेबं
धन से
भी मु
हो जाता है
।
या आ मा मरती या मारती है
?
कै
सेदय म माना जाता है
परमा मा का वास?
मनु य का दय को पाने
का थान माना जाता है। यमदे
व ने
बताया मनु
य ही परमा मा को पाने
का अ धकारी माना गया
है
। उसका दय अं गठ
ूेक माप का होता है
। इस लए इसके अनु
सार ही को अं
गठूे
के आकार का पुकारा गया है
और अपने
दय म भगवान का वास मानने वाला यह मानता हैक सर केदय म भी इसी तरह वराजमान है
। इस लए
सर क बु र ाई या घृ
णा सेर रहना चा हए।
या है
आ मा का व प?
यमदे
व के अनु
सार शरीर के नाश होनेकेसाथ जीवा मा का नाश नह होता। आ मा का भोग- वलास, नाशवान, अ न य और
जड़ शरीर से
इसका कोई ले ना-दे
ना नह है
। यह अन त, अना द और दोष र हत है
। इसका कोई कारण है, न कोई काय यानी
इसका न ज म होता है
, न मरती है
।
कै
सा है का व प और वे
कहां
और कै
सेकट होते
ह?
ाकृ तक गु
ण सेएकदम अलग ह, वेवयंकट होने वाले देवता ह। इनका नाम वसु है
। वेही मे
हमान बनकर हमारे घर
म आते ह। य म प व अ और उसम आ त दे नेवालेभी वसु दे
वता ही होतेह। इसी तरह सभी मनु य , ेदेवता ,
पतर , आकाश और स य म थत होते ह। जल म मछली हो या शंख, पृवी पर पे
ड़-पौधे, अंकुर, अनाज, औष ध हो या पवत
म नद , झरनेऔर य फल के तौर पर भी ही कट होते ह। इस कार य दे व ह।
आ मा नकलने
केबाद शरीर म या रह जाता है
?
मृ
युके
बाद आ मा को य और कौन सी यो नयांमलती ह?
यमदेव केअनुसार अ छे और बु
रे
काम और शा , गु, सं
ग त, श ा और ापार के मा यम से
दे
खी-सुनी बात के आधार
पर पाप-पुय होतेह। इनके
आधार पर ही आ मा मनु
य या पशुके प म नया ज म ा त करती है
। जो लोग ब त यादा
पाप करतेह, वे
मनु य और पशु के अ त र अ य यो नय म ज म पातेह। अ य यो नयां
जैसे
पेड़-पौध, पहाड़, तनके
आ द।
या है
आ म ान और परमा मा का व प?
मृयुसेजु
ड़े रह य को जाननेक शुआत बालक न चके ता नेयमदेव सेधम-अधम से सं
बं
ध र हत, काय-कारण प कृ त,
भू
त, भ व य और वतमान से परेपरमा म त व के
बारे
म ज ासा कर क । यमदे व ने न चकेता को ‘ऊँ
’ को तीक प म
पर का व प बताया। उ ह नेबताया क अ वनाशी णव यानी ऊं कार ही परमा मा का व प है । ऊं
कार ही परमा मा
को पाने
के सभी आ य म सबसे सव ेऔर अं तम मा यम है। सारे
वे
द कई तरह के छ द व मंम यही रह य बताए गए
ह। जगत म परमा मा केइस नाम व व प क शरण ले ना ही सबसे बे
हतर उपाय है।