STD Viii Class Note Hindi 2021 22

You might also like

Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 2

ईदगाह

लिखित उत्त्तर

उतर(क) ईदगाह जाने से पूर्व बच्चे बहुत प्रसन्न थे। र्े बार-बार अपनी जेब से अपना िजाना ननकाि कर गगनते
और िुश होकर फिर रि िेते थे। इन अनगगनत पैसों से अनगगनत चीजें िरीदने का उनमें असीम उत्त्साह था।
सबसे ज्यादा प्रसन्न हालमद था।

उतर (ि) हमीद ने गचमटे को कंधे पर रिा जैसे फक र्ह बंदक


ू हो, हाथ में लिया िकीरों के गचमटे की तरह, उसे
बजाने िगा जैसे फक मंजीरा हो, र्ह यह भी बताया फक एक गचमटा जमा दे तो सारे खििौने टूट सकते हैं ,पर
उसका खििौना इतना मजबत
ू है फक उसका बाि भी बांका नहीं हो सकता । यह सब बोिकर हालमद अपने गचमटे
को खििौना लसद्ध फकया।

उतर (ग) “हालमद को खििौनों से ज्यादा गचमटा आकर्षवत करता है” - इसमें उसके चररत्र की ननम्नलिखित अच्छाइयों
का पता चिता है-

-दादी के प्रनत उसके मन में अत्त्यगधक प्रेम था।

- र्ह अत्त्यंत कोमि र् संर्ेदनशीि हृदय र्ािा बच्चा था।

- बडे- बूढों के प्रनत उसके मन में सम्मान का भार् था।

- उसमें त्त्याग की भार्ना थी।

- उसमें र्र्र्ेक, सद्भार् एर्ं सहनशीिता भी थी।

उतर (घ) दीर्ार में दो िूंटटयां गाड कर उस पर िकडी का एक पटरा रिा गया। पटरे पर कागज का एक कािीन
बबछा कर नूरे के र्कीि को राजा भोज की भांनत लसंहासन पर बैठाया गया। हर्ा या पंिे की चोट से र्कीि साहब
गगर कर लमट्टी में लमि गए।

उतर(ङ) अमीना को जब पता चिा फक हालमद ने सारे पैसे गचमटा िरीद कर िचव कर टदए तब उसे बहुत क्रोध
आया। उसे िगा फक हालमद बेहद नासमझ िडका है, जो तेज धूप में कुछ िाया- र्पया भी नहीं और िाया भी तो
गचमटा ।

इसे जगाओ

लिखित उतर

उतर 1. कर्र् ने मनुष्य को जगाने का अनुरोध सूर ज, पंछी और पर्न से फकया है।

उतर 2. आिस की र्जह से जीर्न की दौड में मनष्ु य र्पछड जाता है क्योंफक र्ह समय पर कोई काम नहीं कर
पाता।
उतर 3. मनुष्य असमय जागने पर घबरा जाता है क्योंफक उसके साथी आगे ननकि जाते हैं और उनकी बराबरी
करने के लिए र्ह घबराकर उनके पीछे भागता रहता है।

उतर 4. जब मनुष्य र्ास्तर्र्कता को छोडकर कल्पना की दनु नया में आनंद िेने िगता है तब र्ह सच से बेिबर हो
जाता है। सोना अज्ञानता और जागना कायव के प्रनत सतकव होने का प्रतीक है।

उतर 5. पर्न, सूयव और पक्षी तीनों ही प्रकृनत को सुचारू रूप से चिाने में मदद करते हैं। ये मानर् जीर्न के सबसे
ननकटतम साथी हैं। सय
ू व तथा पर्न से हमें ननरं तर अनश
ु ालसत होकर कायव करने की सीि लमिती है तथा पक्षक्षयों
का चहचहाना जीर्न में उमंग और उल्िास भर दे ता है।

You might also like