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ददल्री ऩब्लरक स्कूर आगया/याजनगय,गाब्िमाफाद

(ददल्री ऩब्लरक स्कूर सोसाइटी,नई ददल्री के तत्वावधान भें सॊचालरत)

कऺा- ऩाॉच

ववषम- दहॊदी

प्रकयण- पूर औय काॉटा

बाग-एक
कववता का स्ऩष्टीकयण

ददल्री ऩब्लरक स्कूर आगया/याजनगय,गाब्िमाफाद


ददल्री ऩब्लरक स्कूर आगया/याजनगय,गाब्िमाफाद
अमोध्मा लसॊह उऩाध्माम ‘हरयऔध’
जीवन ऩरयचम- अमोध्मा स हिं उऩाध्माम ‘हरयऔध’ जी का
जन्भ १८६४ ई.भें ब्जरा आजभगढ़ के ननजाभाफाद कस्फे
भें हुआ था। इनके पऩता का नाभ ऩिं. बोरास हिं उऩाध्माम
था। वनााक्मर ू य सभडिर कयके मे क्वीिं कॉरेज फनाय भें
अिंग्रेिी ऩढ़ने गए ऩय अस्वस्थता के कायण अध्ममन
छोड़ना ऩड़ा। स्वाध्माम े इन्होंने दहिंदी, िंस्कृत, पाय ी
औय अिंग्रेिी का अच्छा ज्ञान प्राप्त कय सरमा था।

कृततमाॉ-
काव्मग्रन्थ-पप्रमप्रवा , य करष, चोखे चैऩदे , वैदेही वनवा
उऩन्मा -प्रेभकान्ता, ठे ठ दहिंदी का ठाठ, अधखखरा पूर

ददल्री ऩब्लरक स्कूर आगया/याजनगय,गाब्िमाफाद


कववता- पूर औय काॉटा
अथथ स्ऩष्टीकयण
पूर औय काॉटा- अमोध्मा लसॊह उऩाध्माम ‘हरयऔध’ जी द्वाया यचचत कववता
है । इस कववता भें कवव ने मह सॊदेश दे ना चाहा है कक ककसी के कभथ ही
होते हैं, जो उसे भहानता के लशखय ऩय रे जाते हैं इसभें उसके जन्भ मा
कुर का भहत्व नहीॊ होता है । अऩने इन ववचायों को प्रकट कयने के लरए
कवव ने पूर औय काॉटे का सहाया लरमा है ।

ददल्री ऩब्लरक स्कूर आगया/याजनगय,गाब्िमाफाद


जन्भ रेते हैं, जगह भें एक ही,
एक ही ऩौधा उन्हें है ऩारता।
यात भें उन ऩय चभकता चाॉद बी,
एक ही सी चाॉदनी है डारता।

अथथ स्ऩष्टीकयण-

एक ही ऩौधे ऩय पूर औय काॉटे दोनों जन्भ


रेते हैं औय उसी ऩौधे द्वाया दोनों का ऩारन-
ऩोषण ककमा जाता हैं। यात को जफ चन्रभा
तनकरता है तो वह अऩनी चाॉदनी से पूर औय
काॉटे दोनों को सभान रूऩ से ढक दे ता है ।

ददल्री ऩब्लरक स्कूर आगया/याजनगय,गाब्िमाफाद


भेह उन ऩय है फयसता एक सा,
एक सी उन ऩय हवाएॉ हैं फहीॊ।
ऩय सदा ही मह ददखाता है सभम,
ढॊ ग उनके एक से होते नहीॊ।
अथथ स्ऩष्टीकयण-
फारयश की फॉदू ें बी सभान रूऩ से पूर औय काॉटे
ऩय चगयती हैं औय हवा बी एक जैसी ही फहती
है । रेककन अक्सय मह आने वारा सभम ही
फताता है कक उन दोनों का व्मवहाय कबी बी
एक सभान नहीॊ यहा है ।

ददल्री ऩब्लरक स्कूर आगया/याजनगय,गाब्िमाफाद


छे द कय काॉटा ककसी की अॉगुलरमाॉ,
पाड़ दे ता है ककसी का वय वसन।
औय प्मायी तततलरमों का ऩय कतय,
बौंये का है वेध दे ता श्माभ तन।
अथथ स्ऩष्टीकयण-
स्वबाव के इसी अन्तय के कायण काॉटा रोगों
की अॉगुलरमों को घामर कय दे ता है मा ककसी
के कऩड़े को पाड़ दे ता है औय कबी तततलरमों
के ऩॊखों को अऩने नुकीरे कोनों द्वाया काट दे ता
है , कबी भ्रभय के कारे तन ऩय अऩने ऩैने काॉटे
चब ु ो दे ता है ।

ददल्री ऩब्लरक स्कूर आगया/याजनगय,गाब्िमाफाद


पूर रेकय तततलरमों को गोद भें ,
बौंय को अऩना अनठ ू ा यस वऩरा।
तनज सग ु न्धों औय तनयारे यॊ ग से,
है सदा दे ता करी का जी खखरा ।

अथथ स्ऩष्टीकयण-
वहीॊ ऩयोऩकायी पूर तततलरमों को अऩनी गोद भें
उठा रेते हैं औय बौंये को अऩना अनोखा यस
वऩराते हैं । अऩनी भनबावनी खश ु फू औय
भनभोहक यॊ गों से हभेशा कलरमों का भन प्रसन्न
कय दे ते हैं।

ददल्री ऩब्लरक स्कूर आगया/याजनगय,गाब्िमाफाद


है खटकता एक सफकी आॉख भें ,
दसू या है सोहता सयु सीस ऩय ।
ककस तयह कुर की फड़ाई काभ दे ,
जो ककसी भें हो फड़प्ऩन की कसय।

अथथ स्ऩष्टीकयण-

अऩने इन्हीॊ गणु ों औय अवगण ु ों के कायण काॉटा सफकी आॉखों भें चब ु ता है


जफकक पूर दे वताओॊ के शीश ऩय सजता है। कवव के अनस ु ाय ऊॉचे खानदान
भें जन्भ रेने से व्मब्क्त भहान नहीॊ फनता फब्ल्क भहानता प्राप्त कयने के
लरए अऩने दग ु ण
ुथ ों को सभाप्त कयके दस ू यों के सख
ु के ववषम भें सोचना
चादहए।
गह
ृ कामथ- कववता ‘पूर औय काॉटा’ माद कयें ।

धन्मवाद

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