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01 अक्तूबर मालंच नई सुबह शुक्रवार
01 अक्तूबर मालंच नई सुबह शुक्रवार
कहा जाता है क ,’ नाि त अणडाल एवं वातं य वमश के प म यह घर – बाहर के दोहरे के मह व के त जाग क
व यासमां च ुनाि त सं ाम म शौय क पयाय पछले छः – सात वष से दा य व म अ भुत बनाने म अहम ् भू मका
समोगु ‘ अथात ् व या से बनी रानी ल मी बाई आ द वशेष च चत रहा है | सामंज य दखाते हुए नभाई है , क तु अभी भी
बढ़कर ने नह ं एवं माता ऐसे अन गनत नाम ह जो भारतीय स दभ म इस अपने उन नैस गक गुण श ा को ाथ मकता सूची
के समान गु नह ं | वेद नार को अश त , अबला श द को य द हम दे ख तो का सा ा कार वयं भी के पहले पायदान पर रखने
ने भी इस उि त को आ द – आ द वशेषण को यह प ट है क वतं ता करते हुए उ ह अबला के त कोई उ साह नह ं
सम थत करते हुए प ट सरे से खा रज करते ह | ाि त उपरा त तन दशक समझने वाले वच ववा दय द खता इसे पूवा ह त
कहा क माता ह अपनी दे श वतं हुआ , तक म हलाओं को सश त के स मुख चुनौती बनकर मान सकता के अ त र त
संतान क थम श क सं वधान बना , मौ लक करने के यास को ,’ खडी ह , दसू र ओर , गांव या कहा जा सकता है ?
होती है ; इसके प चात ् भी अ धकार भी हम दए गए म हला क याण ‘ के नाम म रहनेवाल ि याँ ह , जबतक समाज ि य के
वेदकाल न अपवाद से इतर क तु उस ‘ हम ‘ म हम से जाना जाता रहा , िज ह न तो अपने त दोहरे मापदं ड से वयं
नार श ा येक काल म ि य को सि म लत नह ं कालांतर म आठव दशक म अ धकार क जानकार है को मु त नह ं करता , नार
घोर उपे ा का वषय रह | कया गया | वं रा क ‘ ‘म हला वकास ‘ क बात न ह उन अ धकार का सशि तकरण क बात
जीवन के येक े म नाग रक होते हुए भी कह जाने लगी और नौवे उपभोग करने क मंचीय बहस का मु दा
अभूतपूव एवं महती वंतं ता क ताज़ा बयार से दशक म यह यास ‘ इ छाशि त और लालसा | बनकर ह रह जाएगी |
योगदान के बावजूद भी ि याँ वं चत ह रह ं और म हला समानता ‘ के नाम अ याचार और सामिजक यह न ववाद स य है क
हमार तु छ और घर क चारद वार के भीतर से जाना जाने लगा | नौवे वजनाओं तथा मान सक कोई भी रा वकास के
पूवा ह त मान सकता ने अभी भी उनक ि थ त दशक के अं तम चरण म उ पीडन क ऐसी अ य त पथ पर तभी अ सर हो
ि य क समु चत त ठा को हू के बैल के सामान ह एवं इ क सवीं सद म हो चुक ह क उन सकता है जब उसक आधी
का अ धकार बनने के माग रह | वेश करते ह नार वजनाओं को ह वे अपनी आबाद को आ थक ,
म सदै व अवरोध उ प न समवेत प से इसका सशि तकरण का वर तेज नय त मान चक ु ह | सामिजक , राजनै तक ,
कये | इ क सवीं सद म द ु भाव रा य तर पर हो गया | सशि तकरण यह एक गंभीर चंतनीय शै णक , व धा मक – हर
वेश कर हमने भ व य क पड़ा िजसका सबसे बड़ा अपने आप म यापक अथ वषय है क सामिजक े म सश त कया जाये
अपनी या ा आर भ कर द खा मयाजा भग ु तना पड़ा को समा हत करता हुआ सशि तकरण का ज रया | अर तू ने स दय पूव इस
, क तु ि थ त आज भी श ा यव था को | कहा वयं को प रभा षत करता या हो सकता है ? उ र त य को मा यता दे ते हुए
यूना धक पूववत ् ह बनी गया है क “ य द एक पु ष है , िजसके साथ अ धकार िजतना ह सरल तीत कहा था - ,’ म हलाओं का
हुई है | या तो काल क को श त बनाया जाये तो एवं शि तय का होता है उसे पाना उतना ह सश त होना नरं तर
गत के साथ हम श ा का लाभ मा उस वाभा वकतः समावेश है | क ठन ! श ा ह एकमा वकास क बु नयाद है ,
सामंज य ह बठा नह ं पु ष वशेष को ह मलता व तुतः सशि तकरण एक वह शि तशाल उपकरण है समथ और श त म हलाएं
पाये , या अपने वच वमोह है क तु एक ी को मान सक अव था है जो सामिजक वकास क ह अपने जीवन के सभी
से त अपनी मान सकता श त बनाने पर परू ा िजसका आधार आतं रक ग त को उ वगामी दशा पहलओ ु ं पर पूरा नयं ण
म तदनु प प रवतन लाने प रवार श त होता है | मता , शै क , और ती ता दान कर राख सकती ह एवं जबतक
क क पना हमारे गले नह ं “एक अ श ता माता के सामािजक , आ थक , सकती है | समानता एवं उ ह जीवन और आजी वका
उतर पाई | ि य का वारा अपनी संतान को राजनै तक प रि थ तयां वतं ता के अ धकार के के भौ तक आधार क
वा चक म हमा मंडन कर श ा के त जागत ृ करना होती ह िजसे पु ट करने के साथ – साथ अपने वैधा नक सश तता ा त नह ं हो
एक और तो उ ह दे वी के एवं े रत करना द ु ह लए समाज म आव यक अ धकार का उपयोग एवं जाती तबतक म हला
प म पूजनीया घो षत क पना के अ त र त और वैधा नक आधार , उपभग एक श त यि त सशि तकरण क क पना
कया तो दस ू र और कुछ नह ं | सरु ा मक ावधान के ह कर सकता है | श ा ह यथ है | ‘
पर पराओं एवं ढय क अथववेद क न न सुचा या वयन के लए उसे आ थक एवं राजनै तक न कषतः ी
ृ लाओं म जकड उ ह
ंख ऋ षयोि त के साथ संपूण स म शास नक यव था प से स म और सश त सशि तकरण के ल य को
घर क योढ़ क बं दनी व व म नार म हमा का क अपे ा होती है |इन बनती है | इ तहास सा ी है ा त करने म श ा क
बना दया| ी अि मता उ घोष हो चक ु ा था , “ अपे ाओं क पू त न होने पतसृ ा मक ष यं का अहम ् भू मका है | श ा
को पहचानने से इनकार माता भू मः पु ो अहम ् के कारण ह हमारे दे श म िजसके तहत ि याँ अपने मानवीय आचार , वचार ,
करते हुए उनके स पूण प ृ थ याः “ क तु इसके नार सशि तकरण मा एक अ धकार के त जाग क य हार म यथो चत एवं
जीवन को ववाह , गह ृ प चात ् भी वड बना व प दशाह न आ दोलन और न हो सक , उन अपे त प रवतन लाती है |
काय , पु ष उपभो या , ह नता और ि याँ एक महज जुमलेबाजी का अ धकार क माँग न कर श ा ि य के सवागीण
संतानो प एवं संतान का दस ू रे का पयाय बनी रह ं | शकार होकर रह गया है | सक , उ ह श ा से वं चत वकास , समाज के
लालन – पालन एवं वतमान समय भी सा ी है एक और भी दभ ु ा य नार रखा गया | अ ततः उसी चतु दक वकास और
संपण ू तः एक दासी के प ि य के उस अनवरत सशि तकरण के साथ जड ु ा ष यंत के वशीभत ू आज भी स यता के बहुमख ु ी वकास
म प रभा षत कया गया | संघष क संल नता का है और वह है इसका शहर अ धसं य ि याँ दोयम का मा यम है | पूवा ह
य य प अतीत के प न िजसके साथ वे आज भी तक ह सी मत रह जाना | दज क नाग रकता को ह मु त मान सकता को याग
म वेदकाल न ी मनी षय अपने उस मान – स मान एकओर जहाँ शहर और अपना यथे ट मानती रह ं िजस ण दोन आधी
के प म अ ं धती , को ा त करने हे तु महानगर क ि याँ | आज भी पु ष सा रता आबा दयाँ एक दस ू रे क
लोपमु ा , भारती क उस यासरत ह | श त , सड़ी – गल क तुलना म ी सा रता पूरक बनने का संक प लेते
व वता के माण भी म हला सशि तकरण का पर पराओं से मु त , का अनुपात बहुत ह कम है हुए जीवन के माग को
मलते ह िजससे त काल न योग एवं यास लगभग आ थक वतं ता से लैस , |य य प इधर कुछ वष म समतल बनाने का संक प
पु ष मनी षय म ह नता पछले एक दशक से होता नई सोच से भर घर क अंतरा य प रि थ तय , लगी , म हला सशि तकरण
का भाव अपने चरम पर आ रहा है क तु एक चाहरद वार से बाहर खुल वाभा वक सामिजक का ल य उसी ण पूरा
रहा , भि तकाल मीराबाई , आ दोलन के प म तथा हवा म साँस ले रह ह , वकास ने ि य को श ा होगा |
शु वार, 1 अ तूबर 2021
डा पु पा जमआ
ु र-पटना अ तमम
ु ु ा
आज फर जब घड़ी क छोट -बड़ी सुई मले
कर एक होगी तो जाने वाले साल को वदाई
दे ते हुए, आते हुऐ नये साल का वागत
करे गी। घड़ी को एकटक दे खते हुए सोचने
लगी क पछले साल जब घड़ी क दोन
सुईय ने मल कर नये साल के आगमन का
संकेत दया था तब इस घर म हष-उ लास
का वातावरण था ।ब चे थे प त थे । जैसे ह
बारह बजे सुईयाँ आपस म मल ं थीं क
ब चे खु शयाँ मनाते हुए आपस म नये साल
क बधाइयाँ दे ने लगे थे ।हँसी-खशु ी, नाच-गा
कर नये साल का वागत कया था ।और
आज वह अकेल नये साल के आगमन को
अ वीकार करते हुए रजाई म चप ु चाप पड़ी है
।सड़क पर नाचते-गाते शोर मचाते लोग नये
साल के वागत म य त थे ।ले कन उसके
अ दर एक भयंकर स नाटा पसरा हुआ था ।
घड़ी को दे खते-दे खते वह फर सोच म घर गयी ।'यह तो शा वत स य है , क जब भी छोट -बड़ी दोन सुईय आपस
म एक हो जाती है तो कुछ नया आता है ।वह दन, स ताह, मह ना, या साल भी हो सकता है ।नये साल पर
ायः लोग अपने सोच के साथ कुछ नये संक प करते ह ।"उसी संक प म नयी सिृ ट का आगाज़ होता है ।कय क
सिृ ट का सज ृ न भी दो यि तय के मलन से ह ं होती है ।“
"पर तु आज म अकेल रह गयी हूँ ।ब चे वदे श जा बसे और प त परलोक सधार गए ,रह गयी सफ म और मेरा
दखु ।अभी स च ह ं रह थी क तभीदरवाजे पर द तक हुई ।ख -ख -ख ।" "वह च क पड़ी ।"इतनी रात को कौन
आया होगा?ब चे तो आस-पास ह नह ं क नये साल क बधाई दे ने आये ह , फर यह कौन हो सकता है ?""दरवाजे
पर पन ु ः द तक हुई।ख -ख ।"अनमने रजाई से नकल कर उसने दरवाजा खोला ।सामने खड़ी ब ची को दे खा ।उसने
पूछा, कौन हो?“
"अ तमम ु ु ा ""पर म तु ह नह ं जानती ।“
"म तु हारे अ दर क दबी इ छा हूँ।उसने धीरे से कहा ।""तुम जाओ मेर कोई इ छा नह ं है ।म तो बस कसी तरह
से अपना जीवन काट, रह हूँ ।""तभी तो तु ह जगाने आई हूँ । सार द ु नया नये साल का वागत कर रह है, पर
तु हारे अ दर स नाटा य पसरा हुआ है?यह तो नय त है , आने वाले को जाना ह ं पड़ता है ।जो साल अब तक
ल ग को दवाना बनाऐ हुऐ था ,वह भी चला गया है ।और अब नये साल ल ग को दवाना बनाऐ हुऐ है ।इस शशु
प म आए नये साल का वागत करो ।खु शयाँ अपने आप तु हारे पाँव चम ू ेगी ।जीवन जीने का नाम है ।ब च ने
तु ह बधाई नह ं द तो तु ह फोन पर उ ह आशीवाद दो।""मानो न ा से वह जाग उठ ।उसनेसंक प कया क जो
रात गयी वह बात गयी ।उसने जैसे ह मोबाइल फोन उठाया क घंट बज उठ ।उधर से आवाज़ आई ।"है लो!माँ!है पी
यू ईयर "आज हम सब को आपक अनप ु ि थ त खल गयी ।ज द ह हम सभी आपके पास आयगे, जी भर कर
खु शयाँ मनाएंगे ।“
"यह सन ु कर वह अ भभत ू हो उठ ।उसे लगा क घर का हर कोना अब जगमगा उठा है ।और ब चे चार ओर
धमाचौकड़ी मचा रहे ह।।उसने त कालफोन पर ह ं ब च को आशीवाद दया और नये वष क शभ ु कामनाएँ द ं ।"“
तभी पड़ोसन ने घरम वेश करते हुए कहा--"अरे उमा जी!नया साल मुबारक हो ।"
तु हारा होना
स लल सरोज
नई द ल
मेरे ना होने से तु हारा होना कैसे हो जाएगा लाल , बंद , सुख ,महद ,चूड़ी, कंगन सबठ क है
दे ख , बग़ैर आँख के रोना कैसे हो जाएगा पर मेरे दे खे बन तुम को सजाना कैसे हो जाएगा
उचट नींद , आधे वाब , अकेल सी रात कुछ खत , कुछ त वीर , कुछ ल ह ,कुछ सामान से
ख़ामोश सलवट से बछौना कैसे हो जाएगा तु हारे साथ बनाए याद का हजाना कैसे हो जाएगा
घड़ी दो घड़ी को तुम, तुम लग सकती हो तु हारे होने से ह कुछ और होने का मतलब है
ले कन, यह वारदात रोज़ाना कैसे हो जाएगा छत और द वार से आ शयाना कैसे हो जाएगा
रा य / बहार शु वार, 1 अ तूबर 2021
पंचायत चन
ु ाव को लेकर बगहा दो खंड म नामांकन क
या शु
बगहा/ त न ध (मालंच नई सुबह)पंचायत चुनाव को लेकर बगहा दो
खंड म गु वार के दन से नामांकन क या शु हो गई । खंड
वकास पदा धकार जयराम चौर सया ने बताया क नामांकन हेतु 21
काउं टर बनाए गए ह । वह ं बीडीसी, वाड सद य, मु खया, सरपंच, पंच
आ द के नामांकन के लए अलग - अलग काउं टर बनाया गया है । वह ं
अ य थय को कसी कार क परे शानी ना हो िजसको दे खते हुए एक
पूछताछ काउं टर बनाया गया है । िजस पर चुनाव से संबं धत हर
जानकार ल जा सकते ह । वह ं सुर ा के ि टकोण से खंड
मु यालय म दोन वेश वार पर भार पु लस यव था क गई है ।
ता क अ यथ व उसके ताव के अलावा अ य लोग वेश न कर सके
। उ ह ने बताया क 30 सतंबर से लेकर 6 अ टूबर तक नामांकन क
या चलाई जाएगी । िजसम 2 दन अवकाश है । वह ं उ ह ने
बताया क 24 अ टूबर को मतदान कराया जाएगा । वह ं मतगड़ना 26
व 27 को िजला मु यालय म होगा ।
पटना डे क /िजते कुमार स हा (मालंच नई सुबह) व व दय दवस के अवसर पर आयु मान भारत सं था वारा IMA के सहयोग से ICH -
2021( International Conference On Heart) का आयोजन कया गया। काय म म मु य अ त थ के प म IMA के अ य डॉ. सहजानंद साद संह
ने काय म क सराहना करते हुए कहा क ऐसे काय म से समाज के लोग म दय रोग को लेकर जाग कता बढ़े गी और दय रोग पर नयं ण
एवं छुटकारा पाने म मदद मलेगी I
उ त अवसर पर आयु मान भारत सं था के अ य डॉ. व पन कुमार ने अ त थय का वागत करते हुए कहा क येक 10 सेकंड म एक
यि त को दयाघात होता है येक दन चाल स वष से नीचे के 900 युवाओं क मौत दयाघात के कारण हुआ है , ऐसे भी हो रह मौत म
से 60 % मौत दय रोग के कारण य और अ य प से हो रहा है I दे श के भ व य के चंतन का वषय है और इसी को यान म रखते
हुए आयु मान भारत कॉ े स, से मनार एवं कायशालाओं के मा यम से आम लोग म दय रोग को लेकर जाग कता फैलाने का यास
कया जा रहा है I इस कड़ी म व ड हाट डे क पूव सं या पर ICH -2021 का आयोजन कया गया है I उ ह ने कहा क दय रोग होने के कई
कारण हो सकते ह, चाहे वह तनाव हो, गलत जीवनशैल हो या गलत खानपान।
उ त अवसर पर दे श क या त ा त च क सक ने काय म म भाग लयाI सू के अनस ु ार स मेलन क वशेषता यह रह क दे श के जाने-
माने डॉ टर के साथ-साथ मूलचंद अ पताल के डॉ. एस.के. चोपड़ा, गंगाराम अ पताल के डॉ. एस.सी. मनचंदा, ब ा अ पताल के डॉ नवजीत
तालुकदार, नारायणा अ पताल गुड़गांव के डॉ ववेक चतुवद , कैलाश हॉि पटल के डॉ संतोष कुमार अ वाल, सर गंगा राम अ पताल के डॉ क वता
यागी, अ सेन इंटरनेशनल अ पताल के डॉ अंशल ु कुमार जैन, मै स अ पताल के डॉ अनप ू म गोयल, नोएडा से डॉ नशांत शेखर ठाकुर,
आई.सी. एम.आर क डॉ नीता कुमार एवं भारत सरकार के पूव महा नदे शक - वा य सेवाएँ डॉ. डी. सी. जैन उपि थत थे।
काय म का सफलतापूवक संचालन डॉ. एस.एस. भ टाचाय ने क , हज़ार लोग ने काय म से जुड़कर
मोबाइल हे थ एंड वैलनेस सटर को हर झंडी दखाकर कया गया रवाना शु आत म
मजु फरपरु और नालंदा म घम ू ेगी मोबाइल हे थ एंड वैलनेस सटर
पटना डे क (मालंच नई सुबह)आयु मान भारत काय म के अंतगत वा य
सेवाओं को जन समुदाय के कर ब पहुंचाने के उ दे य से गु वार को रा य
वा य स म त, बहार के कायपालक नदे शक संजय कुमार संह के वारा
स म त के ांगण से मोबाइल हे थ एंड वैलनेस सटर को हर झंडी दखाकर रवाना
कया गया।
शु आत म यह मोबाइल हे थ एंड वैलनेस सटर रा य के दो िजल यथा
मुज फरपुर और नालंदा म चलगे। इन चलंत वाहन म सामा य गैर संचार रोग
नंग और सामा य ने वकार के उपचार क सु वधा उपल ध होगी। मोबाइल
हे थ एंड वैलनेस वाहन म च क सक य परामश हे तु टे ल कंस टे शन क भी सु वधा
उपल ध है ।
इस वाहन म एक टाफ नस एक ने सहायक मौजद ू रहगे एवं ने जांच से संबं धत आधु नक उपकरण भी वाहन के अंदर मौजद ू ह,
िजससे लाभाथ मौके पर ह ने जांच क सु वधा का लाभ उठा पाएंगे।वाहन के मा यम से दवा और उपकरण क यव था रहे गी।
इसका मु य उ दे य ामीण तर पर वा य के त ामीण को जाग क करना एवं रोग का सह समय पर इलाज करने के
लए े रत करना है । इस ोजे ट म जापाईगो, केयर इं डया और िजला वा थ स म त के वा य कायकताओं का सहयोग लेकर
इसे सच ु ा प से याि वत कया जाएगा।इस मौके पर रा य वा य स म त, बहार के कायपालक नदे शक संजय कुमार संह,
अ नमेष कुमार पराशर, अपर कायपालक नदे शक, सुमन साद साह, शासी पदा धकार , रा य वा य स म त, बहार, रा य
काय म पदा धकार , हे थ एड वेलनेस सटर डॉ. ए. के. शाह , डॉ. माज़ इकबाल, हे थ एड वेलनेस सटर सलाहकार, जापाईगो के
टे ट हे ड डॉ. प लवी, केयर इं डया के रा य काय म बंधक रवीं शमा समेत स म त के अ य पदा धकार गण उपि थत रहे ।