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बैिबलॉन

का
सबसे
अमीर
आदमी
बैिबलॉन
का
सबसे
अमीर
आदमी
आ थक सफलता के शा त रह य
धन-दौलत पर िलखी सबसे ेरक पु तक

जॉज एस. लासन


अनुवाद : डॉ. सुधीर दीि त

मंजुल पि ल शंग हाउस


First published in India

Manjul Publishing House


Corporate and Editorial Office
• 2nd Floor, Usha Preet Complex, 42 Malviya Nagar, Bhopal 462 003 - India
Sales and Marketing Office
• 7/32, Ground Floor, Ansari Road, Daryaganj, New Delhi 110 002 - India
Website: www.manjulindia.com

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Ahmedabad, Bengaluru, Bhopal, Kolkata, Chennai,
Hyderabad, Mumbai, New Delhi, Pune

This edition published by arrangement with Dutton,


a member of Penguin Group (USA) Inc.

This edition first published in 2005


Seventh impression 2016

Copyright George S. Clason, 1926, 1930, 1931, 1932, 1936, 1937, 1940, 1946, 1947, 1954, 1955

ISBN 978-81-8322-019-4

Translation by Dr. Sudhir Dixit, Rajni Dixit

All rights reserved. No part Nopart of of this this publication maybe reproduced, rपproduced
stored in or introduced into a retrieval system, or or transmitted, in in any form, or by any means
(electronic, mechanical, photocopying, recording or otherwise) without the prior permission of
the publisher. Any person who does any unauthorized act in relation to this publication may be
liable to criminal prosecution and civil claims for damages.
1920 के दशक म िलखी गई पु तक इ सव सदी के आधुिनक िनवेशक को उनक आ थक ि थित के बारे
म या िसखा सकती है? ब त कु छ, अगर यह पु तक जॉज लासन क “बैिबलॉन का सबसे अमीर आदमी” हो।
इस पु तक म धन के मूलभूत िस ांत िव तार से बताए गए ह। यह हर कॉलेज के िव ाथ या आम आदमी के
िलए बेहतरीन तोहफ़ा है, जो धन क दुिनया म ख़द को दुिवधा त पाता है। साथ ही, यह अनुभवी िनवेशक के
िलए भी अ भुत प से पठनीय है।
लॉस एंजेिलस टाइ स

आपके सामने आपका भिव य फै ला आ है, दूर जाने वाली सड़क क तरह। इस सड़क पर मह वाकां ाएँ ह,
िज ह आप हािसल करना चाहते ह... इ छाएँ ह, िज ह आप पूरी करना चाहते ह।
अपनी मह वाकां ा और इ छा को पूरा करने के िलए आपके पास धन होना चािहए। इस पु तक म
दए गए आ थक िस ांत का योग कर। उनसे सीख क अपने ख़ाली पस को कै से भरा जाता है और इसके ारा
यादा सुखद जीवन का आनंद कै से िलया जाता है।
गु वाकषण के िनयम क तरह धन के ये िनयम भी शा त और अप रवतनीय ह। वे ब त से लोग को
लाभ प च ँ ा चुके ह... और आपको भी लाभ प चँ ाएँगे। इस पु तक को पढ़ने के बाद िनि त प से आपका बक
बैलस बढ़ जाएगा और आपक आ थक गित तेज़ी से होने लगेगी।
उन लोग के िलए इस दुिनया म बेशुमार धन मौज़ूद है, जो इसे
हािसल करने के आसान िनयम को जानते ह:

1. अपने पस को मोटा कर
2. अपने ख़च को िनयंि त कर
3. अपने धन को कई गुना बढ़ाएँ
4. अपनी पूँजी न गँवाएँ
5. अपने घर को लाभकारी िनवेश बनाएँ
6. भावी आमदनी सुिनि त कर
7. अपनी कमाने क मता बढ़ाएँ

बैिबलॉन का सबसे अमीर आदमी


धन से सांसा रक सफलता का आकलन कया जाता है।
धन से इस दुिनया क सारी अ छी चीज़ का आनंद िलया जा सकता है।
धन उन लोग के आसानी से आता है, करने पास जो इसे हािसल के आसान िनयम को जानते ह।
आज भी धन के िनयम वही ह, जो छह हज़ार साल पहले बैिबलॉन के अमीर लोग के समय थे।
िवषय-सूची

1. अमीर बनने क इ छा

2. बैिबलॉन का सबसे अमीर आदमी

3. ख़ाली पस के सात इलाज

4. सौभा य क देवी से िमल

5. धन के पाँच िनयम

6. बैिबलॉन का सा कार

7. बैिबलॉन क दीवार

8. बैिबलॉन का ऊँट का ापारी

9. बैिबलॉन के मृदाप

10. बैिबलॉन का सबसे खुश क़ मत आदमी

11. बैिबलॉन का ऐितहािसक वणन


तावना

क सीयह देपुशतक
क समृि इसके नाग रक क पर िनभर करती है।
सफलता के बारे म है। सफलता का अथ है हमारे यास और यो यता के प रणाम व प
िमलने वाली उपलि धयाँ। हमारी सफलता क कुं जी है। उिचत तैयारी। हमारे काम हमारे िवचार िजतने
ही बुि म ापूण हो सकते ह और हमारे िवचार हमारे ान िजतने ही बुि म ापूण हो सकते ह।
ख़ाली पस का इलाज करने वाली इस पु तक को आ थक ान क मागद शका कहा गया है। दरअसल यही
इसका ल य है। यह मह वाकां ी लोग को आ थक सफलता का ऐसा ान देती है, िजसक मदद से वे धन
हािसल कर सकते ह, उसे अपने पास रख सकते ह और उससे यादा धन कमा सकते ह।
आगे के पृ म हम बैिबलॉन म चलगे, जहाँ धन के मूलभूत िस ांत िवकिसत कए गए थे, िज ह आज
दुिनया भर म जाना और माना जाता है।
लेखक यह आशा करता है क इस पु तक म पाठक को अपने बक अकाउं ट म वृि करने, अिधक िव ीय
सफलता पाने और मुि कल िव ीय सम या के समाधान क ेरणा िमलेगी। दुिनया भर के हज़ार पाठक ने
इसके बारे म यही राय क है।
लेखक उन सभी िबज़नेस ए ज़ी यू ट ज़ को ध यवाद देना चाहता है, िज ह ने अपने िम , र तेदार ,
कमचा रय और सहयोिगय को यह पु तक बड़ी सं या म बाँटी है। इस पु तक को सफल लोग ने पसंद कया,
य क ये सफल लोग भी इ ह िस ांत क बदौलत सफल बने थे।
बैिबलॉन ाचीन िव का सबसे दौलतमंद शहर इसिलए था, य क इसके नाग रक ब त अमीर थे। वे
धन का मू य समझते थे। वे धन को हािसल करने, उसे बनाए रखने और उससे अिधक धन कमाने के दमदार
आ थक िस ांत पर अमल करते थे। इन िस ांत क बदौलत वे दौलतमंद बन गए और हम भी यही तो चाहते
ह।
जॉज एस. लासन
अमीर बनने क इ छा

बं िज़र बैिबलॉन म रथ बनाता था। इस समय वह अपने घर के अहाते क दीवार पर उदास बैठा था। वह अपने
ख़ ताहाल घर और आँगन को उदासी से देख रहा था। आँगन म एक रथ अधूरा पड़ा था।
बंिज़र क प ी बार–बार घर के बाहरी दरवाज़े पर आकर झाँक रही थी। अपनी प ी के देखने के अंदाज़ से
वह समझ गया क घर म खाने को कु छ नह है और उसे ज दी से रथ पूरा कर लेना चािहए। वह जानता था क
इस समय उसे हाथ पर हाथ धरकर बैठने के बजाय हथौड़ा चलाना चािहए, कु हाड़ी से काट–छाँट करना चािहए,
पॉिलश और पट करना चािहए, पिहय के रम पर चमड़ा चढ़ाना चािहए और रथ को ाहक तक प च ँ ाना
चािहए, ता क उसे अमीर ाहक से पैसे िमल सक।
बहरहाल, सुग ठत और मांसल देह वाला बंिज़र दीवार पर अलसाए अंदाज़ म बैठा रहा। उसका दमाग़
ब त मंद गित से काम कर रहा था। कु छ समय से उसके मन म एक ऐसी उलझन थी, िजसका उसे जवाब नह
िमल रहा था। यू े टस नदी क इस घाटी म सूरज आम तौर पर शोले बरसाता था। आज भी यह िनममता से शोले
बरसा रहा था। इस वजह से बंिज़र क भ ह पर पसीने के मोती छलछला आए थे, जो वहकर उसके सीने के बाल
म गुम हो गए।
दूर उसे स ाट के महल क बाहरी ऊँची दीवार दखाई दे रही थ । पास म नीले आसमान को छू ती बेल
मं दर क मीनार थी। इतनी भ ता क छाया म उसका छोटा सा घर था। उसके आस–पास कई और लोग के घर
भी थे, िजनक हालत उसके घर से भी यादा ख़राब थी। बैिबलॉन का यही माहौल था। यहाँ भ ता और
मिलनता साथ–साथ रहती थ । यहाँ चुर दौलत और बेहद गरीबी पास–पास रहती थ । अमीर और गरीब दोन
तरह के लोग शहर क सुर ा मक दीवार के भीतर िबना कसी योजना या व था के साथ–साथ रहते थे।
बंिज़र के पीछे अमीर के रथ शोर कर रहे थे, ता क जूते पहने ापारी और नंगे पैर चल रहे िभखारी रा ते
से हट जाएँ। बहरहाल, जब पानी लाने वाले ग़लाम सड़क पर नज़र आते थे, तो उ ह रा ता देने के िलए अमीर के
रथ नािलय क तरफ़ हट जाते थे। वे ऐसा इसिलए करते थे, य क ये गुलाम “स ाट का काम” कर रहे थे। इन
सबक पीठ पर पानी क भारी मशक लदी थ , जो ह गंग गाड स म डालने के िलए ले जाई जा रही थ
बंिज़र अपनी सम या पर सोच–िवचार करने म इतना खोया आ था क उसने त शहर के कोलाहल को
न तो सुना, न ही उसक तरफ़ यान दया। उसक तं ा तभी टू टी, जब उसे एक प रिचत वा यं क तान सुनाई
द । उसने पलटकर देखा क उसका सबसे प ा दो त कोबी पास म खड़ा था। कोबी संगीतकार था और इस समय
उसका संवेदनशील चेहरा मु करा रहा था।
कोबी ने झुककर सलाम करते ए कहा, “देवता आप पर मेहरबान ह , मेरे अ छे िम । ले कन ऐसा लगता
है क देवता आप पर पहले से ही इतने मेहरबान हो चुके ह क अब आपको मेहनत करने क कोई ज़ रत ही नह
है। आपक ख़श क़ मती देखकर मुझे भी खुशी हो रही है। इतना ही नह , म तो यह भी चाहता ँ क आपक
ख़श क़ मती से मेरी भी क़ मत बदल जाए। आपका पस ज़ र भारी होगा, य क अगर यह िस क वजह से
भारी नह होता, तो आप रथ बनाने का काम कर रहे होते। मेहरबानी करके आप अपने पस म से दो िस े
िनकालकर मुझे उधार दे द। म आज रात को सामंत क दावत के बाद उधार चुका दूग ँ ा। आपको पता भी नह
चलेगा, इससे पहले ही आपका उधार वापस लौट आएगा।”
बंिज़र ने उदासी से जवाब दया, “अगर मेरे पास दो िस े होते, तो म उ ह कसी को भी उधार नह देता –
तु ह भी नह , मेरे सबसे प े दो त। इसका कारण यह है क वे दो िस े मेरी ज़ंदगी भर क दौलत होते, मेरी पूरी
दौलत। कोई भी अपनी पूरी दौलत कसी को उधार नह देता, भले ही वह उसका सबसे प ा दो त ही य न
हो।”
“ या ?” कोबी ने हैरान होकर कहा। “तु हारे पस म एक भी िस ा नह है, इसके बावज़ूद तुम दीवार पर
बुत बने बैठे हो! उस रथ को पूरा य नह करते ? तु हारी तेज़ भूख को शांत करने के िलए भोजन कहाँ से
आएगा ? तुम ऐसे तो नह थे ? तुम तो दन–रात मेहनत करते थे? या कोई चीज़ तु ह दुखी कर रही है? या
देवता ने तुम पर कोई मुसीबत लाद दी है ?”
“यह मुसीबत ज़ र देवता ने ही लादी होगी,” बंिज़र ने हामी भरते ए कहा। “सारा झमेला एक सपने से
शु आ था। यह बेिसरपैर का सपना था। इसम मने देखा क म अमीर बन गया था। मेरे बे ट से खनखनाते
िस से भरा पस लटक रहा था और म िभखा रय क तरफ़ लापरवाही से िस े उछालता जा रहा था। म चाँदी
के िस से अपनी प ी के िलए व और अपने िलए मनचाही चीज ख़रीद रहा था। मेरे पास सोने के िस े भी थे,
इसिलए म भिव य को लेकर आ त था और मुझे चाँदी के िस े ख़च करने म कोई डर नह लग रहा था। म ब त
ही संतु और सुखी महसूस कर रहा था! मुझे देखकर तुम यह नह कह सकते थे क म तु हारा वही मेहनती िम
।ँ तुम मेरी प ी को भी नह पहचान सकते थे, य क उसके खुशी से दमकते चेहरे पर झु रय का नामोिनशान
नह था। वह एक बार फर से उतनी ही सुंदर और ख़शिमज़ाज. लग रही थी, िजतनी हमारी शादी के समय
लगती थी।”
कोबी ने कहा, “सचमुच ब त ब ढ़या सपना था। परं तु इतने अ छे सपने क वजह से तुम दुखी होकर दीवार
पर य बैठे हो ?”
“ य क जागने पर मने देखा क मेरा पस ख़ाली था। मेरे अंदर िव ोह क भावना सुलगने लगी। आओ, हम
इस बारे म िव तार से बात कर, य क जैसा समु ी या ी कहते ह, हम एक ही नाव म सवार ह। बचपन म हम
दोन ने धमगु से एक साथ िश ा हािसल क । कशोराव था म हमने साथ–साथ मौज–म ती क । बड़े होने
पर साथ–साथ हम दोन गहरे िम बन गए। हम संतु लोग क तरह रहते ह। दन–रात मेहनत करने और
अपनी पूरी कमाई ख़च करने के बावज़ूद हम संतु रहे ह। इतने साल म हमने ब त पैसा कमाया, परं तु हम कभी
दौलत क खुशी का ज़रा भी एहसास नह आ। इसके िलए हम सपन का सहारा लेना पड़ता है। अब मेरे मन म
यह िवचार आता है क या हम गूँगी भेड़ िजतने मूख ह? हम दुिनया के सबसे अमीर शहर म रहते ह। या ी
कहते ह क इतनी दौलत दुिनया म और कह नह है। हमारे आसपास बेशुमार दौलत िबखरी पड़ी है, परं तु हमारे
पास कु छ भी नह है। मेरे यारे दो त, आधी जंदगी कड़ी मेहनत करने के बाद भी तु हारा पस ख़ाली है और तुम
मुझसे कहते हो, ‘मेहरबानी करके आप अपने पस म से दो िस े िनकालकर मुझे उधार दे द। म आज रात को
सामंत क दावत के बाद उधार चुका दूग ं ा।’ इसका म या जवाब देता ।ँ या म यह कहता ,ँ ‘यह रहा मेरा
पस। इसम से िजतने िस े चाहो, ख़शी–ख़शी िनकाल लो।?’ नह , इसके बजाय म यह कहता ँ क मेरा पस भी
तु हारे पस क तरह ही ख़ाली है। आिख़र इसक या वजह है ? हमारे पास धन टकता य नह है ? हम संपि
य नह जोड़ पाते ह ? हम इतना ही य कमा पाते ह, ता क हम ज़ंदा रह सक और हमारे भोजन तथा व
क मूलभूत ज़ रत ही पूरी हो सक?”
बंिज़र ने कहा, “और इस बारे म भी सोचो क हमारे बेटे भी हमारे ही पदिच ह पर चल रहे ह? या वे
और उनके पु भी इस सोने क नगरी म हमारी ही तरह गरीब रहगे? या उ ह भी बकरी के दूध और दिलए से
पेट भरना होगा?”
कोबी ने हैरान होकर कहा, “बंिज़र, हमारी दो ती को इतने साल हो चुके ह, परं तु तुमने पहले कभी ऐसी
बात नह क ।”
“अब तक मने कभी इस तरह से सोचा ही नह था। सुबह होते ही म काम म जुट जाता था और अँधेरा होने
तक जुटा रहता था। मने अपनी मेहनत से दुिनया के सबसे शानदार रथ तैयार कए। मुझे आशा थी क मेरे
बेहतरीन काम को देखकर देवता कसी दन ख़श ह गे और मुझे अमीर बनने का आशीवाद दगे। परं तु देवता ने
ऐसा कभी नह कया। अब मुझे यह एहसास हो चुका है क वे ऐसा कभी करगे भी नह । इसीिलए मेरा दल
उदास है। म अमीर बनना चाहता ।ँ म चाहता ँ क मेरे पास ज़मीन हो, मवेशी ह , सुंदर कपड़े ह और िस से
भरा पस हो ।
“इन चीज़ को पाने के िलए म डटकर मेहनत करने को तैयार ।ँ इन चीज़ को पाने के िलए म अपनी पूरी
यो यता और मता से मेहनत करने को तैयार ।ँ परं तु म यह भी चाहता ँ क मेरी मेहनत का मुझे उिचत
पुर कार िमले। म एक बार फर तुमसे पूछता ,ँ आिख़र बात या है? दुिनया म इतनी सारी अ छी चीज ह,
परं तु वे हम य नह िमलती ह ? हमारे पास इतना पैसा य नह है क हम अपनी मनचाही चीज खरीद सक?”
कोबी ने जवाब दया, “काश मुझे इस सवाल का जवाब पता होता! म भी उतना ही असंतु ,ँ िजतने क
तुम। संगीत बजाकर म िजतना भी कमाता ,ँ त काल ख़च हो जाता है। मेरे प रवार को भूख मरने क नौबत न
आए, मुझे अ सर इसक योजना बनाना पड़ती है। मेरे दल म एक बल इ छा ब त समय से है। म एक ऐसा
वा यं ख़रीदना चाहता ,ँ िजससे म अपने मन म तैर रही संगीत क धुन को सचमुच बाहर िनकाल सकूँ । ऐसा
वा यं ख़रीदने के बाद म इतना बेहतरीन संगीत वजा सकता ,ँ जो स ाट ने भी कभी नह सुना होगा।”
“इस तरह का वा यं तु हारे पास होना चािहए। बैिबलॉन म तुमसे यादा मधुर संगीत कोई नह बजा
सकता है। न िसफ़ स ाट, बि क देवता भी खुश ह गे। परं तु तुम उसे ख़रीदोगे कै से? हम दोन तो स ाट के गुलाम
िजतने गरीब ह ? घंटी क आवाज़ सुन रहे हो! वह देखो, स ाट के ग़लाम आ गए।” उसने पसीना–पसीना हो रहे
अधनंगे िभि तय को देखा, जो नदी से पानी ला रहे थे और सँकरी सड़क पर बोझ लादकर चल रहे थे। पाँच
ग़लाम एक साथ चल रहे थे और हर एक क पीठ पर पानी क भारी मशक का बोझ लदा था।
“जो आदमी सबसे आगे चल रहा है, उसका शरीर कतना सुग ठत है।” कोबी ने सबसे आगे घंटी लेकर
चलने वाले ि क तरफ़ इशारा कया, िजसक पीठ पर मशक नह थी। “साफ़ नज़र आता है क वह अपने
देश म िति त आदमी रहा होगा।”
बंिज़र ने सहमत होते ए जवाब दया, “इन गुलाम म यादातर लोग हमारी तरह ह। लंबे और गोरे
गुलाम उ री देश के ह, हँसमुख अ ेत दि ण के ह और नाटे भूरे गुलाम आस–पास के देश के ह। सभी ग़लाम
एक साथ नदी से बगीचे तक और बगीचे से नदी तक आते–जाते ह। ये लोग दन भर, साल भर यही काम करते ह।
उनके जीवन म सुख नह है, न ही सुख िमलने क ज़रा भी आशा है। वे भूसे के िब तर पर सोते ह। घ टया अनाज
का दिलया खाते ह। बेचारे गुलाम पर तरस खाओ, कोबी!”
“मुझे भी उन पर तरस आता है। परं तु तु हारी बात से म समझ गया ँ क हमारी हालत भी उ ह जैसी है,
हालाँ क पहले म खुद को वत मानता था”
“यह सच है कोबी, हालाँ क यह िवचार सुखद नह है। हम यह नह चाहगे क हम भी हर दन, हर साल
ग़लाम जैसी ज़ंदगी िजएँ। काम करना, काम करना, काम करना! और इसके बाद भी कोई गित, कोई तर
नह होना।”
कोबी ने पूछा, “ या हम यह पता नह लगा सकते क अमीर लोग अमीर कै से बनते ह? इसके बाद शायद
हम भी उसी तरीक़े पर चलकर अमीर बन सकते ह?”
“अगर कोई ि दौलत का रह य जानता हो और वह हम बता दे तो शायद हम भी उस रह य को सीख
सकते ह,” बंिज़र ने सोचते ए जवाब दया।
कोबी ने सुझाव दया, “आज ही मुझे अपना पुराना िम अरक़ाद दखा था। वह अपने सुनहरे रथ पर सवार
था। उसने मुझे देखकर अनदेखा नह कया, िजस तरह बाक़ अमीर लोग करते ह। इसके बजाय उसने अपना हाथ
मेरी तरफ़ िहलाया‚ ता क सब लोग यह देख ल क वह संगीतकार कोबी का मु कराकर अिभवादन कर रहा है।”
बंिज़र ने कहा, “लोग कहते ह क अरक़ाद बैिबलॉन का सबसे अमीर आदमी है।”
कोबी ने जवाब दया, “इतना अमीर क स ाट भी ख़ज़ाने के िलए समय–समय पर उसक मदद लेता रहता
है।”
बंिज़र बीच म बोल पड़ा, “इतना अमीर! अगर वह मुझे कह रात के अँधेरे म िमल जाए, तो मुझे डर है क
मेरा हाथ उसके मोटे पस पर चला जाएगा।”
कोबी ने िझड़कते ए कहा, “बकवास। इं सान क दौलत उसके पस म नह होती है। अगर पस म लगातार
धन न आए, तो मोटे से मोटा पस भी ज दी ही ख़ाली हो जाएगा। अरक़ाद क आमदनी इतनी यादा है क वह
कतना ही दल खोलकर खच करे , उसका पस हमेशा भरा रहता है।”
“आमदनी ही तो सबसे बड़ी बात है,” बंिज़र बोला। “म चाहता ँ क मेरे पस म भी आमदनी आती रहे,
भले ही म दीवार पर बैठा र ँ या दूर देश क या ा करने चला जाऊँ। अरक़ाद को मालूम होगा क आमदनी कै से
बढ़ाई जा सकती है। या तु ह लगता है क वह मेरे जैसे मंदबुि ि को यह बात प ता से समझा सकता
है?”
कोबी ने कहा, “मने सुना है क उसने अपने पु नोमािज़र को यह ान दया था। इसके बाद नोमािज़र
िननेवा गया और अपने िपता क सहायता के िबना ही ब त अमीर बन गया!”
“कोबी, तुमने एक ब त बेहतरीन िवचार दया है।” बंिज़र क आँख म एक नई रोशनी चमकने लगी।
“अ छे िम क समझदारी भरी सलाह मु त म िमलती है। और अरक़ाद हमेशा हमारा अ छा िम रहा है। इस
बात से कोई फ़क़ नह पड़ता है क हमारे पस ख़ाली ह। हमारी गरीबी अब हम नह रोक सकती है। हम सोने क
नगरी म ग़रीब क तरह रहते–रहते तंग आ चुके ह। हम अमीर बनना चाहते ह। आओ, अरक़ाद के पास चलकर
उससे यह सीख क हम अपनी आमदनी और दौलत कै से बढ़ा सकते ह।”
“तुमने मेरे दल क बात कह दी। तु हारी बात से मेरे मन म एक नया िवचार आया है। अब म यह समझ
गया ँ क हम कभी अमीर य नह बन पाए। सच तो यह है क आज से पहले हमने कभी अमीर बनना ही नह
चाहा। तु हारा ल य यह था क तुम बैिबलॉन के सबसे मज़बूत रथ बनाओगे और तुम लगन से उस दशा म
मेहनत करते रहे। तुमने अपने सव े यास उस ल य को सम पत कर दए। इसिलए तुम उस काम म सफल
ए। मेरा ल य बेहतरीन संगीतकार बनना था और मने उस दशा म मेहनत क । अंतत: म अपने ल य तक
प चँ ने म सफल आ।
“िजन ल य क दशा म हमने मेहनत क , उन तक प च ँ ने म हम सफलता िमली। देवता को इस ि थित
के यूँ ही चलने से कोई द क़त नह है। बहरहाल, अब हम उगते सूरज क करण दख गई है। यह हम आमंि त
कर रही है क हम अमीर बनने का तरीक़ा सीख। अगर हम अमीर बनने का तरीक़ा सीख लगे, तो हमारी सारी
इ छाएँ चुटक बजाते ही पूरी हो जाएँगी।”
बंिज़र ने आ ह कया, “हम आज ही अरक़ाद के पास चलते ह। इसके अलावा हम अपने बचपन के उन
दो त को भी ले चलगे, िजनका हाल भी हमारी ही तरह है। म चाहता ँ क वे भी अरक़ाद के ान का लाभ
उठाएँ।”
“बंिज़र, तुम हमेशा अपने िम का ब त याल रखते हो। इसीिलए तु हारे इतने सारे िम ह। तुम जैसा
कहते हो, हम वैसा ही करगे। हम आज ही चलगे और अपने बचपन के िम को भी साथ ले चलगे।”
बैिबलॉन का सबसे अमीर आदमी

ा चीन बैिबलॉन म कभी अरक़ाद नाम का ब त अमीर आदमी रहता था। उसक अपार दौलत के चच दूर–दूर
तक फै ले थे। इसके अलावा उसक उदारता भी मश र थी। वह दल खोलकर दान देता था और परोपकार
के काम करता था। वह अपने प रवार के ित भी उदार था और खुले हाथ से ख़च करता था। फर भी हर
साल वह िजतना ख़च करता था, उसक दौलत उससे यादा तेज़ी से बढ़ जाती थी।
उसके बचपन के कु छ िम ने एक दन उसके पास आकर कहा “अरक़ाद, तुम हमसे यादा ख़श क़ मत हो।
तुम बैिबलॉन के सबसे अमीर आदमी बन गए हो, जब क हम मुि कल से गुज़ारा कर पा रहे ह। तुम बेहतरीन
कपड़े पहन सकते हो और बेहतरीन भोजन का आनंद ले सकते हो, जब क हमारा हाल यह है क अगर हमारे
प रवार को भरपेट भोजन और तन ढँकने को कपड़े िमल जाएँ, तो हमारी खुशी का ठकाना नह रहता है।
“परं तु कभी हम एक जैसे थे। हम एक ही अ यापक ने पढ़ाया है हम एक साथ खेले ह। पढ़ाई या खेल म तुम
हमसे आगे नह थे। और इसके बाद भी कई साल तक तु हारी हालत हमसे बेहतर नह थी।”
“जहाँ तक हम जानते ह, तुमने हमसे यादा कड़ी मेहनत भी नह क है। फर ऐसा य है क क़ मत तुम
पर मेहरबान हो गई और उसने तु ह ज़ंदगी क सारी ख़िशयाँ दे द , जब क उसने हम नज़रअंदाज़ कर दया,
हालाँ क हम भी तु हारे ही िजतने के हक़दार थे?”
इस पर अरक़ाद ने कहा, “अगर तुम लोग को पैसे क द क़त आ रही है, तो इसका कारण यह है क या तो
तुम दौलत इक ी करने के िनयम को नह जान पाए हो, या फर तुम उनका पालन नह करते हाे।
“ क़ मत एक ऐसी. दु देवी है, जो कसी का भी थायी प से भला नह करती है। िजस पर भी यह िबना
मेहनत के धन क बरसात कर देती है, वह लगभग हमेशा बबाद हो जाता है। उसक मेहरबानी के बाद इं सान
बेतहाशा ख़च करने लगता है और कु छ ही समय म अपनी सारी दौलत गँवा बैठता है। दौलत तो चली जाती है,
परं तु उसके अंदर ब त सी इ छा क भूख बाक़ रह जाती है, िज ह संतु करने का अब उसके पास साधन नह
है। िजन लोग पर क़ मत मेहरबान होती है, उनम से कई कं जूस बन जाते ह और अपनी दौलत को सतकर रखते
ह वे ख़च करने से डरते ह, य क वे जानते ह क अगर उनक दौलत चली गई, तो इसके बाद उनम दौलत
कमाने क यो यता नह है। इसके अलावा उ ह चोर और डाकु का डर भी सताता है। इस तरह उनक ज़ंदगी
खोखली और क कारी हो जाती है।”
“शायद ऐसे लोग भी ह गे, जो मेहनत के िबना कमाई दौलत को लेकर उसे बढ़ा ल और सुखी नाग रक के
प म जीवन िजएँ। परं तु ऐसे लोग ब त कम ह गे। मने आज तक ऐसे कसी ि को नह देखा है, हालाँ क मने
इस बारे म कई अफ़वाह ज़ र सुनी ह। अगर तुम लोग को यक़ न नह हो रहा हो, तो अपनी जान–पहचान के
उन लोग के बारे म सोचो, िज ह िवरासत म अचानक दौलत िमली थी। या ऐसा ही नह होता है?”
अरक़ाद के िम ने वीकार कया क िजन लोग को िवरासत म दौलत िमली थी, उनके बारे म यह सच
था। परं तु िम ने अरक़ाद से कहा क वह अपने दौलतमंद बनने क कहानी िव तार से बताए। इसके जवाब म
अरक़ाद बोला,
“अपनी जवानी म मने अपने चार तरफ़ सुख और संतुि देने वाली ब त सी अ छी चीज़ देख । इसके बाद
मने यह भी देखा क दौलत इन सबक शि को बढ़ा देती है।”
“दौलत म शि होती है। दौलत हो, तो ब त सी चीज संभव ह।”
“आप अपने घर को सबसे महँगे सामान से सजा सकते ह।”
“आप दूर देश क या ा कर सकते ह।”
“आप दूर के देश के जायके दार ंजन का वाद चख सकते ह।”
“आप सुनार और जौहरी से आभूषण ख़रीद सकते ह।”
“आप ई र के भ मं दर भी बनवा सकते ह।”
“आप ये सारे काम कर सकते ह और इसके अलावा अनेक ऐसे काम कर सकते ह, िजनसे इं य को आनंद
तथा आ मा को सुख िमले।”
“और जब मुझे इन सब बात का एहसास आ, तो मने यह संक प कया क म ज़ंदगी क तमाम अ छी
चीज हािसल करके र ग ँ ा। म उन लोग जैसा नह बनूंगा, जो दूर खड़े रहते ह और सुखी लोग से ई या करते ह।
म स ते कपड़ म संतु नह र ग ं ा, िजनम लोग स मानजनक दखने क कोिशश करते ह। म गरीब आदमी क
ज़ंदगी से संतु नह र ग ँ ा । इसके िवपरीत, म बेहतरीन चीज़ के इस ज म खुद को एक स मािनत अितिथ
बनाऊँगा।”
“जैसा तुम लोग जानते हो, मेरे िपता एक छोटे ापारी थे और हमारा प रवार बड़ा था, इसिलए मुझे
िवरासत म कु छ िमलने क ज़रा भी उ मीद नह थी। जैसा तुम लोग ने कहा है, मुझम ती बुि या िवशेष
यो यता भी नह थी। इसिलए मने फ़ै सला कया क अगर म अपनी इ छा पूरी करना चाहता ,ँ तो इसके िलए
मुझे समय और ान क ज़ रत ह।”
“जहाँ तक समय का सवाल है, यह सबके पास चुरता म होता है। तुम सबके पास दौलतमंद बनने के िलए
काफ़ समय था, िजसे तुमने बबाद कर दया है। तुम लोग के अनुसार तु हारे पास संपि के नाम पर िसफ़
तु हारे प रवार ह, जो सचमुच गव करने लायक ह।”
“जहाँ तक ान का सवाल है, तु ह याद होगा, हमारे बुि मान अ यापक ने हम सबको यह िसखाया था क
ान दो तरह का होता है : एक तरह का ान वह होता है, जो हम सीखते और जानते ह। और दूसरी तरह का
ान यह िश ण है क हम उस चीज़ का पता कै से लगाएँ, िजसे हम नह जानते ह?”
“इसिलए मने यह पता लगाने का फै सला कया क दौलत का सं ह कै से कया जा सकता है। मने यह
संक प कया क इसका तरीक़ा मालूम होते ही म दौलत का सं ह करने म जुट जाऊँगा और इस काम को अ छी
तरह क ं गा। समझदारी इसी म है क जब तक हम इस दुिनया म ह, तब तक जंदगी का आनंद ल, य क इस
दुिनया से जाने के बाद हम पया दुख िमलगे।”
“मुझे रकॉड म म नक़लनवीस का काम िमल गया। म हर दन कई घंट तक मृदाप (िम ी क टेबले स)
पर मेहनत से िलखता रहा। महीन मेहनत करने के बावज़ूद म दौलत के नाम पर कु छ भी इक ा नह कर पाया।
भोजन, कपड़े, देवता के ायि त और न जाने कतनी चीज़ पर मेरी सारी कमाई ख़च हो जाती थी। ले कन
इसके बावज़ूद मेरा संक प कम नह आ।”
फर एक दन सा कार अ ग़ेिमश िसटी मा टर के घर पर आए। उ ह ने नव िनयम क नक़ल माँगी और
मुझसे कहा, ‘मुझे यह दो दन म चािहए, और अगर यह काम उस समय तक पूरा हो गया, तो म तु ह ताँबे के दो
िस े दूग
ँ ा।’
मने कड़ी मेहनत क , परं तु वह िनयम लंबा था और जब अ ग़ेिमश आए, तो काम अधूरा पड़ा था। वे नाराज़
होकर बोले क अगर म उनका गुलाम होता, तो वे मेरी खाल उधेड़ लेते। बहरहाल, म जानता था क िसटी
मा टर उ ह मुझ पर हाथ नह उठाने दगे, इसिलए मुझे इस बात का डर नह था। मने उनसे कहा, ‘ अ ग़ेिमश,
आप ब त अमीर ह। मुझे बताएँ क म भी अमीर कै से बन सकता ।ँ अगर आप ऐसा करने का वायदा कर, तो म
सारी रात मृदाप पर िलखूँगा और सूरज उगने तक आपका काम पूरा हो जाएगा। ’
वे मेरी तरफ़ देखकर मु कराए और बोले, “तुम ब त ही दु साहसी हो, परं तु मुझे यह सौदा मंजूर है।’
“म पूरी रात िलखता रहा, हालाँ क मेरी कमर म दद हो रहा था, तेल क बदबू से मेरा िसर घूम रहा था
और मेरी आँख के सामने अँधेरा छा रहा था। ले कन जब वे सुबह आए, तो िनयम क पूरी नक़ल तैयार हो चुक
थी।”
फर मने उनसे कहा, ‘अब आप अपना वायदा पूरा कर।’
“वे दयालुता से बोले, ‘तुमने सौदे का अपनी तरफ़ वाला िह सा पूरा कर िलया है, बेटे! और म अपना
िह सा पूरा करने के िलए तैयार ।ँ म तु ह वे सब बात बताऊँगा, जो तुम जानना चाहते हो, य क म बूढ़ा हो
रहा ँ और बूढ़े लोग को मुँह चलाना अ छा लगता है। जब युवक बूढ़े लोग के पास सलाह लेने आते ह, तो उ ह
अनुभव से हािसल ान िमलता है। परं तु अ सर युवक यह मान लेते ह क बूढ़े लोग के पास जो ान है, वह गुज़रे
जमाने का ान है और वतमान म उससे कोई लाभ नह होगा। यही वजह है क वे उस ान का लाभ नह उठाते
ह। मगर एक बात हमेशा याद रखना, आज जो सूरज चमक रहा है, यह वही सूरज है जो तु हारे िपता के जमाने
म चमकता था और यह सूरज तब भी चमकता रहेगा, जब तु हारे नाती–पोते इस दुिनया से चले जाएँग।े ”
“उ ह ने आगे कहा, ‘युवा के िवचार उन धूमके तु क तरह होते ह, जो अ सर आसमान को चमकदार
बना देते ह, जब क बुढ़ापे का ान िसतार क तरह होता है, िजनक चमक म कोई फ़क़ नह आता है। इसीिलए
समु ी या ा करने वाले लोग िसतार के आधार पर अपनी दशा िनधा रत करते ह, धूमके तु के आधार पर नह
करते।”
“मेरे श द को अ छी तरह से गाँठ बाँध लो, य क अगर तुम मेरी बात म िछपी स ाई को नह समझ
पाओगे, तो तु ह लगेगा क तु हारी रात भर क मेहनत बेकार चली गई।”
फर उ ह ने अपनी मोटी भ ह के नीचे से मुझ पर तीखी िनगाह डाली। इसके बाद वे धीमे परं तु सश
लहज़े म बोले, ‘म दौलत क राह पर तब प च ँ ा, जब मने यह फ़ै सला कया क म अपनी कमाई का एक िह सा
ख़द रखूँगा। अगर तुम भी ऐसा ही करो, तो तुम भी दौलत क राह पर प च ँ जाओगे।’
फर वे मेरी तरफ़ पैनी िनगाह से देखते रहे, पर बोले कु छ नह ।
मने पूछा, ‘बस इतना ही ?’
उ ह ने जवाब दया, ‘भेड़ चराने वाले कशोर को सा कार म बदलने के िलए बस इतना ही काफ़ था।’
मने पूछा, ‘परं तु म िजतना कमाता ,ँ वह सब म ही तो रखता ।ँ या यह सच नह है?’
उ ह ने कहा, ‘िबलकु ल नह है। या तुम दज को पैसे नह देते हो ? या तुम मोची को पैसे नह देते हो?
या तुम भोजन पर ख़च नह करते हो? या तुम बैिबलॉन म िबना ख़च कए ज़ंदा रह सकते हो? तु हारी
िपछले महीने क कमाई कहाँ है? िपछले साल क कमाई ? मुख! तुम बाक़ सबको पैसे देते हो, परं तु खुद को नह
देते हो। बेवकू फ़, तुम अपने िलए नह , दूसर के िलए मेहनत करते हो। इससे अ छा तो यह है क तुम गुलाम बन
जाओ और मािलक तु हारी मेहनत के बदले म तु ह खाने तथा पहनने को दे। अगर तुम अपनी कमाई का दसवाँ
िह सा अपने पास रखोगे, तो तु हारे पास दस साल म कतनी दौलत जमा हो जाएगी?’
मेरा गिणत ठीक–ठाक था, इसिलए मने त काल जवाब दया, ‘मेरी एक साल क आमदनी के बराबर।’
वे बोले, ‘तु हारी बात आधी सच है। देखो, तुम जो भी वण मु ा बचाते हो, वह तु हारी ग़लाम बनकर
तु हारे िलए काम करती है। यह वण मु ा िजतने भी ताँबे के िस े कमाती है, वे सब इसक संतान ह और वे भी
तु हारे िलए धन कमा सकते ह। अगर तुम दौलतमंद बनना चाहते हो, तो तु ह अपनी बचत का िनवेश करना
चािहए, ता क तु हारी बचत और इसक संतान धन कमाएँ तथा तु ह तु हारी मनचाही दौलत दान कर।’
उ ह ने आगे कहा, ‘तु ह शायद यह लग रहा होगा क म तु हारी रात भर क मेहनत के बदले म तु ह गलत
सलाह दे रहा ।ँ परं तु यक़ न करो, म तु ह हज़ार गुना यादा भुगतान कर रहा ,ँ बशत तुमम मेरी बात के पीछे
िछपी स ाई को समझने क बुि हो।’
अपनी कमाई का एक िह सा खुद रखो। चाहे तु हारी कमाई कतनी ही कम य न हो, तु ह इसके दसव
िह से यानी दस ितशत से कम नह बचाना चािहए। तुम इससे िजतना यादा बचा सकते हो, बचा लो। सबसे
पहले ख़द को भुगतान करो। बची ई कमाई म अपना ख़च चलाओ। दज और मोची से इतना सामान मत ख़रीदो
क तुम अपनी बची ई आमदनी म से उनका भुगतान न कर पाओ। इसके अलावा, तु ह बची ई कमाई म से ही
भोजन, परोपकार और ई र के ायि त के िलए भी ख़च करना होगा।
“पेड़ क तरह ही दौलत भी एक छोटे से बीज से उगती है। तु हारे ारा बचाया गया ताँबे का पहला िस ा
वह वीज है, िजससे तु हारी दौलत का पेड़ उगेगा। िजतनी ज दी तुम यह बीज बो दोगे, पेड़ उतनी ही ज दी
उगेगा। तुम िजतनी िन ा और िनरं तरता से उस पेड़ म अपनी बचत का पानी स चोगे, उतनी ही ज दी तुम
उसक छाया के नीचे आराम कर सकते हो।”
यह कहकर उ ह ने अपने मृदाप उठाए और चले गए।
मने उनक सलाह पर काफ़ समय तक िवचार कया और वह मुझे तकपूण लगी। इसिलए मने उस पर
अमल करने का फ़ै सला कया। जब भी म कु छ कमाता था, तो ताँबे के दस िस म से एक िनकालकर अलग रख
देता था। और अजीब बात यह थी क मुझे ख़च चलाने म पहले से यादा द क़त नह ई। मुझे कोई फ़क़ महसूस
नह आ और म अपनी आमदनी के दसव िह से के िबना ही गुज़ारा करने लगा। धीरे –धीरे मेरी बचत का आकार
बढ़ने लगा। अपनी बढ़ती बचत को देखकर मेरा मन ललचाता था क म इसे ख़च करके ापा रय से वे अ छी–
अ छी चीज खरीद लूँ, जो ऊँट और जहाज़ से फ़ िनिशय स के देश से आती ह। परं तु मने समझदारी से काम
िलया और ऐसा नह कया।
एक साल बाद अ ग़ेिमश दुबारा आए और उ ह ने मुझसे पूछा, ‘बेटे, तुमने िपछले साल िजतना कमाया है,
या तुमने उसका कम से कम दसवाँ िह सा अपने िलए बचाया है?’
मने गव से जवाब दया, ‘हाँ, मने ऐसा कया है।’
उ ह ने मु कराकर कहा, ‘यह तो ब त अ छी बात है। और तुमने उस पैसे का या कया?’
“मने इसे ईट बनाने वाले अज़मर को दे दया, िजसने मुझसे कहा था क वह दूर देश क या ा करने जा
रहा है और वह टायर से मेरे िलए फ़ िनिशय स के दुलभ र ख़रीद लाएगा। उसके लौटने के बाद हम उन र को
यादा क़ मत पर बेचकर मुनाफ़ा कमाएँगे और मुनाफ़े को आपस म बाँट लगे।”
वे गुराकर बोले, ‘हर मूख अपनी ही गलती से सीखता है। परं तु तुमने र के बारे म ईट बनाने वाले पर
भरोसा य कया? या तुम ेड बनाने वाले से योितष क भिव यवाणी पूछते हो ? नह , अगर तुमम ज़रा भी
बुि है, तो तुम इसके िलए योितषी के पास जाते हो। तु हारी पूरी बचत अब चली गई है। बेटे, तुमने अपनी
दौलत के पेड़ को जड़ से उखाड़ दया है। परं तु तुम इसे दुबारा बो सकते हो। दुबारा कोिशश करो। और अगली
बार अगर तु ह र के बारे म सलाह क ज़ रत हो, तो जौहरी के पास जाना। अगर तु ह भेड़ के बारे म स ाई
जानना हो, तो गड़ रए के पास जाना। सलाह एक ऐसी चीज़ है, िजसे लोग मु त म बाँटते ह, परं तु इस बारे म
सतक रहने क ज़ रत है। वही सलाह मानो, जो मानने यो य हो। जो ि अपनी बचत के बारे म अनुभवहीन
ि य से सलाह लेता है, वह गलत सलाह के कारण अपनी बचत गँवा देता है।‘ इतना कहकर वे चले गए।
और जैसा उ ह ने कहा था, वैसा ही आ। य क बदमाश फ़ िनिशय स ने अज़मर को र क तरह दखने
वाले काँच के स ते टु कड़े पकड़ा दए। परं तु जैसा अ ग़ेिमश ने मुझसे कहा था, मने दुबारा अपनी कमाई का दसवाँ
िह सा बचाया। अब मेरी बचत करने क आदत पड़ चुक थी, इसिलए यह काम मुि कल नह था।
एक साल बाद अ ग़ेिमश फर से नक़लनवीस के कमरे म आए और मुझसे पूछने लगे, ‘हमारी िपछली
मुलाक़ात के बाद तुमने कतनी तर कर ली है?‘
मने जवाब दया, ‘मने खुद को भुगतान कया है और अपनी आमदनी का दसवाँ िह सा बचाया है। मने
अपनी बचत ढाल बनाने वाले अगर को काँसा ख़रीदने के िलए दे दी है। वह मुझे हर चौथे महीने याज देता है।’
“यह तुमने अ छा कया। परं तु यह तो बताओ, तुम उस याज का या करते हो ?”
“म उससे बेहतरीन ज मनाता ।ँ म शहद, बेहतरीन शराब और के क का लु फ़ उठाता ।ँ मने एक लाल
जैकेट भी ख़रीद ली है। और ज दी ही म सवारी करने के िलए एक ख र भी ख़रीदने वाला है।”
इस पर अ ग़ेिमश हँस,े ‘तुम अपनी बचत क संतान को खा रहे हो। फर तुम यह उ मीद कै से कर सकते हो
क वे तु हारे िलए काम करगी। और फर उनक संतान कै से ह गी, जो तु हारे िलए काम कर सक? ? सबसे पहले
िस के गुलाम क सेना बनाओ। इसके बाद तुम िबना पछताए बेहतरीन ज मना सकते हो।‘ इतना कहकर वे
चले गए।
इसके बाद मने उ ह दो साल बाद देखा। बुढ़ापे के कारण उनके चेहरे पर झु रयाँ पड़ चुक थ और उनके
कं धे झुक गए थे। उ ह ने मुझसे पूछा, ‘अरक़ाद, या तु ह वह दौलत िमल चुक है, िजसका तुमने सपना देखा
था?’
मने जवाब दया, ‘उतनी तो नह िमली, िजतनी म चाहता था, परं तु मेरे पास कु छ संपि जमा हो गई है।
यह संपि याज कमाती है तथा इसका याज और याज कमाता है।’
“और या तुम अब भी ईट बनाने वाल से सलाह लेते हो?”
मने जवाब म कहा, “इं ट के बारे म वे अ छी सलाह देते ह।”
यह सुनकर वे बोले, ‘अरक़ाद, तुमने मेरे सबक़ अ छी तरह से सीख िलए ह। पहले तो तुमने यह सीखा क
अपनी आमदनी से कम म अपना ख़च कै से चलाया जाए। फर तुमने उन लोग से सलाह लेना सीखा, जो उस े
का अनुभव और ान रखते ह । और अंत म तुमने यह सीखा क धन से अपने िलए काम कै से करवाया जाता है।
“तुमने यह सीख िलया है क धन को कै से हािसल कया जाता है, इसे अपने पास कै से रखा जाता है और
इसका योग कै से कया जाता है। इसिलए तुम िज़ मेदारी का पद सँभालने के यो य बन चुके हो। म अब बूढ़ा हो
रहा ।ँ मेरे पु हमेशा ख़च करने क योजनाएँ बनाते रहते ह और कमाने के बारे म ज़रा भी नह सोचते ह। मेरी
जायदाद ब त फै ली ई है और म उसे नह सँभाल सकता ,ँ य क अब म बूढ़ा हो चुका ।ँ अगर तुम िन पर
जाकर मेरी जांयदाद सँभाल लो, तो म तु ह अपना पाटनर बना लूंगा।”
“इस तरह मने िन पर जाकर उनक जायदाद सँभाल ली, जो काफ़ बड़ी थी। चूँ क मुझम बल
मह वाकां ा थी और मने दौलत सँभालने के तीन िनयम म िनपुणता हािसल कर ली थी, इसिलए मने उनक
जायदाद के लाभ को ब त बढ़ा िलया। प रणाम यह आ क मेरे पास काफ़ पैसा आ गया और जब अ ग़ेिमश
इस दुिनया से चले गए, तो मुझे उनक वसीयत के मुतािबक़ उनक जायदाद का कु छ िह सा भी िमल है गया।”
अरक़ाद ने जब अपनी कहानी ख़ म क , तो एक िम ने कहा, “तुम सचमुच ख़श क़ मत थे क अ ग़ेिमश ने
तु ह अपना वा रस बनाया।”
“म िसफ़ इस मामले म ख़श क़ मत था क उनसे िमलने से पहले मेरे मन म दौलतमंद बनने क इ छा थी।
या मने चार साल तक अपनी आमदनी का दसवाँ िह सा बचाकर यह सािबत नह कया था क मुझम अपने
ल य तक प च ँ ने क लगन थी? या आप उस सफल मछु आरे को ख़श क़ मत कहगे, िजसने बरस तक मछिलय
क आदत का अ ययन कया है, ता क वह हर बदलती हवा के साथ उन पर अपना जाल फक सके ? अवसर एक
घमंडी देवता है, जो उन लोग पर समय बबाद नह करता, जो तैयार न ह ।”
एक और िम बोला, “आपम इतनी दृढ़ इ छाशि थी क आप पहले साल क बचत डू बने के बाद भी यह
काम करते रहे। इस मामले म आप असाधारण ह।”
अरक़ाद ने कहा, “इ छाशि बकवास! या तु ह लगता है क इ छाशि मनु य को वह बोझ उठाने क
शि दे सकती है, जो ऊँट नह उठा सकता ? या इ छाशि मनु य को वह भारी बैलगाड़ी ख चने क शि दे
सकती है, िजसे बैल नह िहला सकता ? इ छाशि और कु छ नह , बि क वह काम करने का दृढ़ संक प है, िजसे
पूरा करने का आपने फ़ै सला कया है। अगर मने कोई काम करने का फ़ै सला कया है, तो चाहे वह कतना ही
छोटा य न हो, म उसे पूरा करता ।ँ वरना मुझम मह वपूण काम करने के िलए आ मिव ास कै से आएगा ?
अगर म ख़द से यह क ,ँ ‘शहर जाने वाले पुल को पार करते समय म सौ दन तक हर दन सड़क से एक कं कड़
उठाकर नदी म डालूँगा,‘ तो म ऐसा हर दन क ँ गा। अगर सातव दन पुल पार करते समय म कं कड़ डालना भूल
जाऊँ, तो म लौटकर यह नह क ग ँ ा, ‘कल म दो कं कड़ डाल दूग
ँ ा । इससे कोई फ़क़ नह पड़ेगा।‘ नह , म दुबारा
पुल तक जाऊँगा और कं कड़ डालूँगा। न ही बीसव दन म खुद से यह क ग ँ ा, ‘अरक़ाद, यह बेकार का काम है। हर
दन एक कं कड़ डालने से या फ़ायदा होगा ? इससे अ छा तो यह है क मु ी भर कं कड़ उठाकर नदी म एक साथ
डाल दो और इस झंझट को ख़ म करो।‘ नह , म ऐसा नह क ग ँ ा, म ऐसा नह क ँ गा । जब म कसी काम को
करने का फै सला करता ,ँ तो म उसे पूरा करके ही दम लेता ।ँ इसिलए म इस बात का यान रखता ँ क म
क ठन और अ ावहा रक काम शु न क ँ , य क मुझे फु रसत म रहना और आराम करना पसंद है।”
फर एक और िम बोला, “आपक बात तकपूण ह। और अगर ये सच ह, तो यह काम ब त आसान है।
अगर सब लोग ऐसा ही करने लग, तो फर दौलत इस हाथ से उस हाथ तक कै से प च ँ पाएगी ?”
अरक़ाद ने जवाब दया, “जहाँ भी मनु य म करते ह, वहाँ दौलत बढ़ती है। अगर कोई अमीर आदमी एक
नया महल बनाता है, तो या उसका ख़च कया आ पैसा गायब हो जाता है ? नह , इं ट वाले को इसका एक
िह सा िमलता है, मज़दूर को इसका एक िह सा िमलता है, कारीगर को इसका एक िह सा िमलता है। जो भी
उस महल को बनाने म मेहनत करता है, उसे उस धन म से िह सा िमलता है। और जब महल बनकर तैयार हो
जाता है, तो या यह इसक लागत िजतना मू यवान नह होता है? या महल बनने के कारण उस भूिम का मू य
नह बढ़ जाता है, िजस पर यह बना है? और या महल बनने के कारण इसके पास वाली भूिम क क़ मत भी नह
बढ़ जाती है ? दौलत जादुई तरीके से बढ़ती है। कोई भी ि इसक सीमा क भिव यवाणी नह कर सकता।
फ़ िनिशय स के समु ी जहाज़ दूसरे देश के ापार से जो धन कमाकर लाते ह, या उस धन से उ ह ने वीरान
समु ी तट पर बड़े शहर नह बना िलए ह?”
एक और िम ने पूछा, “तो फर आप हम अमीर बनने के िलए या करने क सलाह देते ह? हमारे ब त
साल बबाद हो चुके ह। हमारी जवानी चली गई है। और हमारे पास बचत के नाम पर कु छ भी नह है।”
म सलाह देता ँ क आप अ ग़ेिमश क समझदारी से सीख ल और खुद से कह, ‘म िजतना कमाऊँगा, उसका
एक िह सा खुद रखूँगा।’ इस वा य को सुबह उठते समय दोहराएँ। इसे दोपहर म दोहराएँ। इसे रात म दोहराएँ।
इसे हर दन, हर घंटे दोहराएँ। आप ख़द से तब तक यह कहते रह, जब तक क ये श द आसमान म आग के अ र
क तरह साफ़ नज़र न आने लग
अपने मन पर इस िवचार क मोहर लगा ल। अपने मि त क म इस िवचार को भर ल। फर आमदनी का
िजतना िह सा तकसंगत लगता हो, उतना बचाएँ। आपक यह बचत आपक आमदनी के दसव िह से यानी दस
ितशत से कम नह होना चािहए। फर इस िह से को अलग रख द। अगर आव यक हो, तो अपने बाक़ ख़च कम
कर द। परं तु सबसे पहले दसव िह से को अलग रख द। ज दी ही आप खुद को एक ऐसे खज़ाने का वामी पाएँगे,
िजस पर िसफ़ आपका हक़ होगा। इससे आपको ब त सुख िमलेगा। जब आपका ख़ज़ाना बढ़ेगा, तो इससे आपको
ेरणा िमलेगी। जंदगी का एक नया आनंद आपको रोमांिचत करे गा। फर आप यादा कमाने के िलए यादा
कोिशश करगे, य क आपक आमदनी िजतनी बढ़ेगी, आपक बचत भी उतनी ही बढ़ेगी।
इ के बाद अपने ख़ज़ाने से अपने िलए काम करवाना सीख। इसे अपना गुलाम बनाएँ। इसक संतान और
इसक संतान क संतान से अपने िलए काम करवाएँ।
भिव य क आमदनी सुिनि त कर ल। बूढ़े लोग को देख और यह याद रख क कसी दन आपक िगनती
भी इ ह लोग म होगी। इसिलए अपने ख़ज़ाने का िनवेश ब त सावधानी से कर, ता क आप इसे गँवा न द। बदले
म ब त यादा मुनाफ़ा वह धोखेबाज़ जलपरी है, जो अपने मधुर गीत से असावधान ि को मोिहत करके
च ान क ओर आक षत करती है, जहाँ वह नुक़सान और प ाताप क च ान से टकराकर व त हो जाता है।
इस बात क व था भी कर ल क अगर देवता आपको अपने पास बुला ल, तो आपके प रवार पर आ थक
संकट न आए। समय–समय पर बीमे का थोड़ा भुगतान करने से ऐसी सुरि त व था करना संभव है। इसिलए
समझदार ि ऐसे समझदारीपूण उ े य के िलए धन ख़च करने म देर नह करता है
बुि मान लोग से सलाह ल। धन संबंधी काम करने वाले लोग से सलाह ल। वे आपको उस तरह क ग़लती
से बचा लगे, जो मने अपने धन को ईट बनाने वाले अज़मर के हवाले करते समय क थी। कम परं तु सुरि त लाभ
जोिखम लेने से बेहतर है।
“जब तक आप इस दुिनया म ह, इसका आनंद ल। अपनी मता से यादा मेहनत न कर। ब त यादा धन
बचाने क कोिशश भी न कर। अगर आप अपनी आमदनी के दसव िह से को आराम से बचा सकते ह, तो इतना
बचाकर ही संतु रह। इसके अलावा, अपनी आमदनी के िहसाब से ज़ंदगी गुज़ार। ब त यादा कं जूस न बन, न
ही ख़च करने से डर। ज़ंदगी ब त अ छी है और ज़ंदगी म ऐसी ब त सी चीज ह, िजनका आनंद िलया जाना
चािहए।”
अरक़ाद के िम ने उसे ध यवाद देकर उससे िवदा ली। लौटते समय कु छ िम तो ख़ामोश थे, य क उनम
क पनाशि नह थी और वे अरक़ाद क बात का पूरा मतलब नह समझ पाए थे। कु छ आलोचना कर रहे थे,
य क वे सोच रहे थे क इतने अमीर आदमी को अपनी दौलत का कु छ िह सा अपने गरीब दो त म बाँट देना
चािहए। परं तु कु छ क आँख म एक नई चमक थी। वे जानते थे क अ ग़ेिमश हर बार नक़लनवीस के कमरे म
लौटा था, य क वह अरक़ाद को अंधकार से िनकलकर काश क ओर जाते देख रहा था। जब अरक़ाद को ान
का काश िमल गया, तो एक अवसर, एक पद उसका इं तज़ार कर रहा था। कोई भी उस जगह को नह भर
सकता था, जब तक क वह अपने ान को बढ़ा न ले और अवसर के िलए तैयार न हो।
बाद वाले लोग कई साल तक अरक़ाद से बार–बार िमलने गए, िजसने खुशी से उनका वागत कया। उसने
उ ह काफ़ समझदारी भरी सलाह दी, जैसा अनुभवी लोग हमेशा खुशी–खुशी करते ह। और उसने उनक बचत के
िनवेश म मदद भी क , ता क उ ह सुरि त याज िमल सके और उनका मूलधन सुरि त रहे या वे ऐसे िनवेश म
न उलझ जाए, िजनम उ ह कोई लाभ न हो।
इन लोग क ज़ंदगी म बदलाव का ण उस दन आया, जब उ ह उस स य का एहसास आ, जो
अ ग़ेिमश से अरक़ाद ने और अरक़ाद से उ ह ने सीखा था।

अपनी आमदनी का दसवाँ िह सा खुद के िलए बचाकर अलग रख।


ख़ाली पस के सात इलाज

बै िबलॉन ब त ही समृ शहर था। इतने युग


िजसका ख़ज़ाना हमेशा भरा रहता था।
बाद भी यह दुिनया के सबसे समृ शहर के प म मश र है,

परं तु हमेशा से ऐसा नह था। बैिबलॉन क अमीरी का कारण यह था क इसके नाग रक बुि मान थे।
उ ह ने अमीर बनने का फ़ॉमूला सीख िलया था।
जब स ाट सागन अपने श ु को परािजत करने के बाद बैिबलॉन लौटे, तो उ ह एक गंभीर ि थित का
सामना करना पड़ा। उनके वज़ीर ने उ ह बताया,
“महामिहम ने संचाई के िलए बड़ी नहर और पूजा–अचना के िलए ऊँचे मं दर बनवाए, िजस वजह से
जाजन कई साल तक समृ रहे। परं तु अब ये काम पूरे हो गए ह, इसिलए यादातर नाग रक अपनी गुज़र–
बसर नह कर पा रहे ह।”
“मज़दूर बेरोज़गार ह। ापा रय क ाहक ब त कम हो गई है। कसान क फ़सल नह िबक रही है।
लोग के पास सामान ख़रीदने के िलए पया धन नह है।”
राजा ने पूछा, “हमने नहर और मं दर बनवाने म इतना सारा धन ख़च कया था। आिख़र वह धन गया
कहाँ?”
वज़ीर ने कहा, “महाराज, वह धन हमारे शहर के मु ी भर अमीर लोग के पास चला गया है। वह धन
हमारे अिधकांश नाग रक क ऊँगिलय म से उसी तरह फसल गया, िजस तरह बकरी का दूध छलनी म से
फसल जाता है। चूँ क अब धन क न दयाँ बहना बंद हो गई ह, इसिलए यादातर लोग क आमदनी भी ख़ म
हो गई है।”
स ाट कु छ समय तक सोचते रहे। फर उ ह ने पूछा, “इतना सारा धन मु ी भर लोग के पास कै से चला
गया?”
वज़ीर ने जवाब दया, “ य क वे इसका तरीक़ा जानते थे। हम सफल लोग क इस कारण नंदा नह कर
सकते, य क वे सफल होने का तरीक़ा जानते ह। इसके अलावा यह भी उिचत नह होगा क वैध प से कमाए
धन को ज़बद ती छीनकर कम यो य ि य म बाँट दया जाए।”
स ाट ने पूछा, “सब लोग यह य नह सीखते क धन इक ा कै से कया जाता है, ता क मेरे शहर का हर
आदमी अमीर बन जाए? ? या यह संभव नह है?”
“िब कु ल संभव है, महाराज। परं तु उ ह िसखाएगा कौन ? पुरोिहत और पुजारी तो िनि त प से ऐसा
नह कर सकते, य क उ ह धन कमाने के बारे म र ी भर भी ान नह है।”
स ाट ने पूछा, “वज़ीर, दौलतमंद बनने का तरीक़ा हमारे शहर म सबसे अ छी तरह कौन जानता है?”
“आपके सवाल म ही जवाब िछपा है, महाराज। बैिबलॉन म सबसे यादा दौलत कसके पास है ?”
“मेरे क़ािबल वज़ीर, तुमने ब त अ छी बात कही है। अरक़ाद के िसवा और कौन हो सकता है। वह बैिबलॉन
का सबसे अमीर आदमी है। उसे कल मेरे सामने पेश करो।”
अगले दन स ाट के आदेश के अनुसार अरक़ाद उनके सामने उपि थत आ। हालाँ क उसक उ स र वष
हो चुक थी, परं तु वह अब भी चु त और फु त ला था।
स ाट ने कहा, ‘‘अरक़ाद, या यह सच है क तुम बैिबलॉन के सबसे अमीर आदमी हो ?”
“लोग ऐसा कहते ह, महामिहम, और कोई भी इसका िवरोध नह करता है।”
“तुम इतने दौलतमंद कै से बने ?”
“उन अवसर का लाभ लेकर, जो हमारे े शहर के सभी नाग रक के िलए उपल ध ह।”
“तु हारे पास शु म तो कु छ नह था ?”
“िसफ़ दौलत कमाने क बल इ छा थी। इसके अलावा और कु छ भी नह था।”
स ाट ने आगे कहा, “अरक़ाद, हमारे शहर क ि थित ब त गंभीर है। िसफ़ मु ी भर लोग ही दौलत कमाने
का तरीक़ा जानते ह, इसिलए धन पर उनका एकािधकार हो गया है, जब क हमारे अिधकांश नाग रक यह नह
जानते ह क वे अपनी आमदनी म से बचत करके दौलतमंद कै से बन सकते ह।”
“म चाहता ँ क बैिबलॉन दुिनया का सबसे अमीर शहर बन जाए। इसिलए इसम ब त से दौलतमंद लोग
होना चािहए। इसके िलए हम सब लोग को यह िसखाना होगा क अमीर कै से बना जाता है। मुझे बताओ
अरक़ाद, या दौलतमंद बनने का कोई रह य या फ़ॉमूला है ? या इसे िसखाया जा सकता है?”
“महामिहम, जो एक ि जानता है, उसे दूसर को भी िसखाया जा सकता है।”
स ाट क आँख म चमक आ गई, “अरक़ाद, तुमने वही श द बोल दए, जो म सुनना चाहता था। या तुम
इस महान काम म अपना सहयोग दोगे ? या तुम कु छ लोग को िसखा सकते हो, जो आगे चलकर दूसर को
िसखाएँ, जब तक क हम अपने शहर के हर नाग रक को अमीर बनने का फ़ॉमूला न िसखा द ?”
अरक़ाद ने िसर झुकाकर कहा, “म आपका िवन सेवक ँ और आपके आदेश का पालन क ँ गा। मेरे पास
िजतना भी ान है, म उसे अपने साथी नाग रक क बेहतरी और स ाट क संतुि के िलए ख़शी–ख़शी दूग ँ ा।
अगर वज़ीर साहब मेरी क ा के िलए सौ लोग का बंध कर द, तो म उ ह ख़ाली पस के सात इलाज बताऊँगा।
कभी मेरा पस बैिबलॉन का सबसे ख़ाली पस था, परं तु मने इन सात इलाज से उसे मोटा कर िलया।”
पं ह दन बाद स ाट के म से सौ लोग िश ण मं दर के बड़े हॉल म एकि त ए। वे अधवृ के आकार म
बैठे थे। अरक़ाद एक छोटे चबूतरे के पास बैठा था, जहाँ पिव दीपक जल रहा था, िजसम से एक अजीब और
अ छी ख़शबू आ रही थी।
जब अरक़ाद उठा, तो एक िव ाथ ने अपने पड़ोसी को कोहनी मारते ए कहा, ”बैिबलॉन के सबसे अमीर
आदमी को देखो। परं तु वह भी हम लोग क तरह ही इं सान है।”
अरक़ाद ने बोलना शु कया, “हमारे महान स ाट के आ ाकारी सेवक के प म म आपके सामने खड़ा ।ँ
चूँ क म भी कभी धन क बल इ छा रखने वाला ग़रीब युवक था और चूँ क मने अपने ान क बदौलत चुर
दौलत हािसल क है, इसिलए स ाट चाहते ह क म आपको वह ान दान क ँ , ता क आप भी दौलतमंद बन
सक।”
“मेरी जीवनया ा ब त ग़रीबी म शु ई थी। मेरे पास ऐसा कोई लाभ नह था, जो आपके या बैिबलॉन के
बाक़ नाग रक के पास न हो।”
“उस समय मेरे पास एक ब त पुराना पस था। वह हमेशा ख़ाली रहता था और मुझे इस बात से ब त िचढ़
होती थी। म चाहता था क मेरा पस मोटा रहे और इसम सोने के िस े खनखनाते रह। इसिलए म ख़ाली पस के
इलाज खोजने म जुट गया। मुझे कु ल सात इलाज िमले।”
“आज म आप लोग को ख़ाली पस के सात इलाज बताऊँगा। जो लोग ब त दौलतमंद बनना चाहते ह, म
उ ह सलाह देता ँ क वे इन इलाज पर अमल कर। सात दन तक हर दन म आपको ख़ाली पस के सात
इलाज म से एक–एक इलाज बताऊँगा।”
“मेरी बात को यान से सुन। मेरे साथ बहस कर। आपस म चचा कर। ये सबक़ अ छी तरह से सीख ल,
ता क आप भी अपने पस म दौलत का बीज बो सक। सबसे पहले तो आपको इस ान से लाभ उठाकर दौलतमंद
बनना होगा। इसके बाद ही आप इस क़ािबल बनगे क आप ये सबक़ दूसर को िसखा सक।”
“म आपको पस मोटा करने के आसान तरीक़े िसखाऊँगा। यह दौलत के मं दर क पहली सीढ़ी है। कोई भी
आदमी बाक़ सी ढ़याँ तब तक नह चढ़ सकता, जब तक वह इस पहली सीढ़ी पर दृढ़ता से अपने क़दम न रख ले

“अब हम पहले इलाज पर िवचार करते ह।”

पहला इलाज
अपने पस को मोटा करना शु कर
अरक़ाद ने दूसरी पंि म बैठे एक िवचारम ि से पूछा, “मेरे ि य िम , आप या करते ह?”
उस आदमी ने जवाब दया, “म एक नक़लनवीस ँ और मृदाप पर रकॉड िलखता ।ँ ”
“मने भी यह से शु आत क थी। इसिलए आपके पास भी दौलतमंद बनने का उतना ही अवसर है, िजतना
मेरे पास था।”
फर अरक़ाद ने पीछे क तरफ़ बैठे एक लाल चेहरे वाले आदमी से पूछा, “आप अपनी आजीिवका कै से
कमाते ह ?”
उस आदमी ने जवाब दया, “म माँस बेचता ।ँ म कसान से बक रयाँ ख़रीदकर उ ह िजबह करता ँ और
फर उनका माँस गृिहिणय को तथा उनक खाल जूते बनाने वाल को बेचता ।ँ ”
“चूँ क आप भी मेहनत करके कमाते ह, इसिलए आपके पास भी सफल होने का उतना ही अवसर है, िजतना
मेरे पास था।”
इस तरह अरक़ाद ने यह पता लगाया क हर आदमी कौन सा काम करके अपनी आजीिवका कमाता है। सब
लोग से सवाल पूछने के बाद उसने कहा,
“अब मेरे िव ा थय , आप देख सकते ह क ऐसे ब त से काम और म होते ह, िजनसे इं सान धन कमा
सकता है। कमाई का हर तरीक़ा धन क नदी क तरह है। काम करने वाला अपनी मेहनत से उस नदी का ख़
अपने पस क तरफ़ मोड़ लेता है। इसिलए आपके पस म आपक यो यता के अनुसार धन क छोटी या बड़ी धारा
बहती है। या यह सच नह है?”
सब लोग ने कहा क यह सच है।
अरक़ाद ने कहा, “अगर आप दौलतमंद बनना चाहते ह, तो या यह समझदारीपूण नह है क आप दौलत
के उस ोत का उपयोग करना शु कर, िजसे आपने पहले से थािपत कर रखा है ?”
इस पर भी वे सहमत हो गए।
फर अरक़ाद अंड के एक ग़रीब ापारी क ओर मुड़ा। अरक़ाद ने उससे पूछा, “अगर आप कसी डिलया
म हर सुबह दस अंडे रख और हर शाम को उसम से नौ अंडे िनकाल, तो कु छ समय बाद या होगा ?”
“कु छ समय बाद वह डिलया पूरी भर जाएगी।”
“ य ?”
“ य क म हर दन उसम िजतने अंडे डालता ,ँ उससे एक अंडा कम िनकालता ।ँ ”
अरक़ाद मु कराते ए क ा क ओर मुड़ा, “ या आपम से कसी का पस ख़ाली है ?”
वे लोग पहले तो िखिसयाकर हँस,े फर उ ह ने मज़ाक़ म अपने ख़ाली पस लहराकर अरक़ाद को दखाए।
अरक़ाद आगे बोला, “ठीक है। अब म आपको ख़ाली पस का पहला इलाज बताता ।ँ आप वही कर, िजसका
सुझाव मने अंडे के ापारी को दया था। अपने पस म डाले गए दस िस म से िसफ़ नौ िस े बाहर िनकाल।
जब आप अपनी िसफ़ न बे ितशत आमदनी ही ख़च करगे, तो ज दी ही आपका पस मोटा होने लगेगा। पस
भारी होने से आपको अ छा लगेगा और आपके कलेजे को ठं डक प च ँ ेगी।”
यह सबक़ ब त साधारण लगता है, परं तु साधारण होने के कारण मेरी कही बात को ह के पन से न ल। स य
हमेशा साधारण होता है। म आपको बताऊँगा क मने दौलत कै से इक ी क । मने भी इसी तरह शु आत क थी।
पहले मेरा पस भी हमेशा खाली रहता था और म इसे कोसा करता था, य क इसम मेरी इ छा को संतु
करने के िलए धन नह रहता था। ले कन जब मने अपने पस म दस िस े डालकर िसफ़ नौ िस े बाहर िनकालना
शु कया, तो यह भारी होने लगा। इस उपाय पर चलने से आपका पस भी भारी हो जाएगा।
अब म आपको एक िविच स य बताता ,ँ िजसका कारण म नह जानता ।ँ जब मने ख़च के िलए िसफ़
न बे ितशत आमदनी रखी, तब भी मेरा ख़च उतनी ही अ छी तरह से चलता रहा। म पहले िजतनी कड़क म
रहता था, लगभग उतनी ही कड़क म रहा। इसके अलावा कु छ समय बाद धन मेरे पास पहले से यादा आसानी
से आने लगा। िनि त प से यह देवता का िनयम है क जो ि अपनी आमदनी का एक िनि त िह सा
बचाकर रखता है और उसे ख़च नह करता है, उसके पास धन यादा आसानी से आता है। इसी तरह यह भी सही
है क धन ख़ाली पस वाले पर मेहरबान नह होता है।
आप कस चीज़ को पाने के यादा इ छु क ह ? या आपके िलए रोज़मरा क ता कािलक इ छा क
संतुि यादा मह वपूण है आभूषण, व , सजावट क चीज़, बेहतरीन ंजन ? ये चीज ज दी ही चली जाती ह
और भुला दी जाती ह। या फर आपके िलए दूरगामी इ छाएँ यादा मह वपूण ह – िवशाल जायदाद, वण,
भूिम, मवेशी, ापार, आमदनी देने वाले िनवेश ? आप अपने पस म से जो िस े िनकालते ह, उनसे आपक
ता कािलक इ छाएँ पूरी होती ह। आप अपने पस म जो िस े बचाते ह, उनसे आपक दूरगामी इ छाएँ पूरी होती
ह।
“मेरे िव ा थय , यह ख़ाली पस का पहला इलाज था, िजसे मने खोजा था। म पस म दस िस े डालता था
और उनम से िसफ़ नौ िस े ख़च करता था ।” आप लोग इस पर आपस म चचा कर और अगर कसी को इसम
कोई गड़बड़ नज़र आए, तो वह कल मुझे बता दे।”

दूसरा इलाज
ख़च को िनयंि त कर
अरक़ाद ने दूसरे दन अपने िव ा थय को संबोिधत करते ए कहा, आपम से कु छ लोग ने मुझसे यह पूछा
है : ‘जब कोई अपनी पूरी आमदनी म अपना ख़च नह चला पाता है, तो वह अपने पस म डाले गए दस िस म
से एक िस ा कै से बचा सकता है ?’
“कल आपम से कतन के पस ख़ाली थे ?”
सबने जवाब दया, “हम सबके ।”
परं तु आपक आमदनी समान नह है। कु छ लोग दूसर से यादा कमाते ह। कु छ का प रवार यादा बड़ा है,
इसिलए उनका पालन–पोषण करने म वे यादा ख़च करते ह। परं तु आमदनी और ख़च अलग–अलग होने के
बावज़ूद आप सबके पस एक जैसे यानी ख़ाली थे। अब म आपको इं सान के बारे म एक असामा य स ाई
बताऊँगा। वह स ाई यह है : हमारे ‘ ‘आव यक ख़च‘ हमेशा हमारी आमदनी के अनुपात म बढ़ते रहगे, जब तक
क हम इ ह रोकने क कोिशश न कर।
आव यक ख़च और अपनी इ छा के बीच के फ़क़ को नज़रअंदाज़ न कर। आपक आमदनी से आपक
िजतनी इ छाएँ संतु हो सकती ह, आपक और आपके प रवार क इ छाएँ उससे कह यादा होती ह। उन
इ छा क संतुि के िलए आमदनी कम पड़ जाती है और ब त सी इ छाएँ ऐसी रह जाती ह, जो संतु नह हो
पात ।
सभी लोग के पास उससे यादा इ छाएँ होती ह, िजतनी वे संतु कर सकते ह। आप सोचते ह गे क म
अपनी दौलत के कारण अपनी हर इ छा पूरी कर सकता ?ँ यह सही नह है। मेरे समय क सीमा है। मेरी शि
क सीमा है। म िजतनी या ा कर सकता ,ँ उसक दूरी क सीमा है। म जो खा सकता ,ँ उसक भी सीमा है। म
िजतने उ साह से आनंद ले सकता ,ँ उसक भी सीमा है।
कसान खेत म जहाँ भी ख़ाली जगह छोड़ता है, वहाँ पर खरपतवार उग आती है, उसी तरह जहाँ भी
इ छा के संतु होने क संभावना होती है, वहाँ इं सान के मन म इ छाएँ पैदा हो जाती ह। इ छाएँ असीिमत
होती ह, परं तु िजन इ छा को आप पूरा कर सकते ह, वे सीिमत होती ह।
अपनी जीवनशैली और ख़च क आदत के बारे म अ छी तरह सोच। ऐसा करने पर आपको कु छ ऐसे ख़च
ज़ र िमलगे, िज ह कम या ख़ म कया जा सकता है। यह ल य बना ल क आप जो भी िस ा ख़च कर, उसके
बदले म आपको शत– ितशत संतुि िमले।
इसिलए आप िजन चीज़ के िलए ख़च करना चाहते ह , उ ह िलख ल। िसफ़ आव यक चीज़ को चुन। इसके
अलावा िसफ़ उ ह चीज़ को चुन, जो आपक न बे ितशत आमदनी म संभव ह । बाक़ सब चीज़ को हटा द
और उ ह अपनी असीिमत इ छा का िह सा मान ल, जो संतु नह ह गी। उनका अफ़सोस न कर।
फर अपने आव यक ख़च का बजट बना ल। उस दसव िह से को छु एँ भी नह , जो आपके पस को मोटा कर
रहा है। इसे अपनी बल इ छा बना ल, जो संतु हो रही है। अपने बजट पर मेहनत करते रह और इसम
फे रबदल करते रह। अपने पस को मोटा बनाए रखने क दशा म बजट को अपना पहला सलाहकार बनाएँ।
इस पर लाल और सुनहरे व वाले एक आदमी ने खड़े होकर कहा, ”म एक वतं ि ।ँ म मानता ँ
क मुझे ज़ंदगी क अ छी चीज़ का आनंद लेने का हक़ है। इसिलए म बजट क ग़लामी का िवरोध करता ,ँ जो
यह तय करता है क म कतना ख़च कर सकता ँ और कन चीज़ के िलए कर सकता ।ँ म महसूस करता ँ क
इससे मेरी ज़ंदगी का आनंद कम हो जाएगा और म बोझ उठाने वाले ख र क तरह बन जाऊँगा।”
इस पर अरक़ाद ने जवाब दया, “मेरे िम , आपका बजट कौन बनाएगा ?”
उस आदमी ने कहा, “म ख़द।”
मान ल क कोई ख र अपने बोझ का बजट बनाए, तो वह इसम या शािमल करे गा ? या वह इसम र ,
कालीन और सोने क भारी िसि लयाँ शािमल करे गा ? िब कु ल नह । वह इन क़ मती चीज़ को अपने बोझ म
शािमल नह करे गा। इसके बजाय वह उस बोझ म घास, अनाज और रे िग तान के िलए पानी क मशक रखेगा।
बजट का उ े य यह है क आपका पस मोटा बने। बजट आपक आव यकता को संतु करने म आपक
मदद करता है। आव यकता के अलावा यह आपक कु छ इ छा को पूरा करने म भी आपक मदद करता है।
बजट ारा आप साधारण इ छा से अपनी सबसे बल इ छा क र ा करते ह, ता क वे पूरी हो सक।
आपका बजट अँधेरी गुफा म चमकती मशाल क तरह आपको दखाता है क आपके पस म कहाँ छेद हो रहे ह।
यह उन छेद को िसलने म आपक मदद करता है। बजट आपके ख़च को इस तरह से िनयंि त करता है, ता क
आप िसफ़ िनि त और संतुि दायक उ े य के िलए ही ख़च कर।
“ख़ाली पस का यह दूसरा इलाज है। अपने ख़च का बजट बना ल, ता क आपके पास अपनी आव यकता
को पूरा करने के िलए पैसा रहे और आप न बे ितशत आमदनी म ही अपनी बाक़ मह वपूण इ छा का आनंद
ले सक तथा उ ह संतु कर सक।”

तीसरा इलाज
अपने धन को कई गुना बढ़ाएँ
अरक़ाद ने तीसरे दन अपनी क ा को संबोिधत करते ए कहा, “अब आप देखगे क आपका ख़ाली पस
मोटा होता जा रहा है। और ऐसा ज़ र होगा, य क आप खुद को अनुशािसत कर चुके ह। अब आप अपनी
आमदनी का दसवाँ िह सा बचाने लगे ह। आपने अपने ख़च को िनयंि त कर िलया है, ता क आपके बढ़ते ए
ख़ज़ाने क र ा हो सके । इसके बाद हम इस बात पर िवचार करगे क आप अपनी बचत से कै से मेहनत करवा
सकते ह और इसे कै से बढ़ा सकते ह। पस म रखा धन है और कं जूस आदमी को संतोष देता है, परं तु यह आमदनी
अ छा लगता को बढ़ाता नह है। अपनी आमदनी म से धन बचाना तो िसफ़ शु आत है। उस बचत से जो
आमदनी होगी, उसी से हम दौलतमंद बनगे।”
हम अपने धन या बचत से मेहनत कै से करवा सकते ह ? िनवेश करके ! मेरा पहला िनवेश दुभा यपूण था
और उसम मेरी सारी बचत डू ब गई थी। वह कहानी म आपको बाद म बताऊँगा। मने अपना पहला लाभकारी
िनवेश तब कया, जब मने ढाल बनाने वाले अ ग़र को कज़ दया। वह ढाल बनाने के िलए हर साल समु पार से
ब त सारा काँसा ख़रीदता था। चूँ क इतना काँसा ख़रीदने के िलए उसके पास पया पूँजी नह रहती थी,
इसिलए वह उन लोग से उधार ले लेता था, िजनके पास अित र धन होता था। अ ग़र एक स मािनत और
भरोसेमंद ि था। जब उसक ढाल िबक जाती थ , तो वह अपना कज़ तो चुकाता ही था, उस पर उदारता से
याज भी देता था।
उसे दुबारा कज़ देते समय म उसके चुकाए गए याज को भी कज़ म जोड़ देता था। इस तरह से न िसफ़ मेरी
पूँजी बढ़ती थी, बि क मेरी आमदनी भी बढ़ जाती थी। जब मेरी पूँजी सूद समेत मेरे पस म लौटती थी, तो मुझे
ब त संतुि िमलती थी।
“मेरे िव ा थय , म आपको बता दू,ँ दौलत पस म खनखना रहे िस से नह बनती है। दौलत तो िनवेश से
ा आमदनी से बनती है। दौलत का अथ धन क वह धारा है, जो लगातार पस म बहकर आती है और उसे
हमेशा मोटा करती रहती है। हर इं सान यही तो चाहता है। आपम से हर एक क भी यही इ छा तो है क आपके
पस म आमदनी लगातार आती रहे, भले ही आप मेहनत कर या कह सैर–सपाटे पर चले जाएँ।”
“मेरी आमदनी ब त यादा है। इतनी यादा क मुझे ब त अमीर आदमी कहा जाता है। अ ग़र को मने जो
कज़ दया था, वह लाभकारी िनवेश के े म मेरा पहला िश ण था। इस अनुभव से मुझे जो ान हािसल
आ, वह मेरे ब त काम आया। मेरी जमापूँजी बढ़ने पर मने दूसर को भी कज़ दया और लगातार िनवेश करता
रहा। पहले तो कु छ जगह से और बाद म ब त सी जगह से मेरे पस म धन क सुनहरी धाराएँ बहकर आने लग ,
िजनका म अपनी सूझबूझ से मनचाहा योग कर सकता था।”
“देिखए, अपनी छोटी सी आमदनी से मने सुनहरे सेवक क सेना तैयार कर ली, िजनम से हर िस ा या
सैिनक मेरे िलए काम करता था और धन कमाता था। उ ह क तरह उनक संतान भी मेरे िलए काम करती थ
और फर उनक संतान... जब तक क उनके संयु यास से मुझे काफ़ आमदनी नह होने लगी।”
जब आमदनी अ छी हो, तो धन तेज़ी से बढ़ता है, जैसा आप इस उदाहरण म देखगे। एक कसान ने अपने
पहले पु के ज म के समय एक सा कार के पास चाँदी के दस िस े याज पर जमा करा दए। उसने सा कार से
कहा क जब उसका पु बीस साल का हो जाए, तो वह मूलधन को सूद सिहत लौटा दे। सा कार हर चार साल म
प ीस ितशत याज देने के िलए तैयार हो गया। कसान अपने पु के िलए यह धन अलग रख रहा था, इसिलए
उसने सा कार से कहा क वह याज को भी मूलधन म जोड़ता रहे।
जब वह लड़का बीस साल का आ, तो कसान एक बार फर सा कार के पास गया और अपनी जमा क
गई रािश के बारे म पूछताछ क । सा कार ने बताया क चूँ क उसक रक़म च वृि याज से बढ़ रही थी,
इसिलए उसने चाँदी के जो दस िस े जमा कए थे, वे अब बढ़कर साढ़े तीस िस े हो गए ह।
यह सुनकर कसान ब त ख़श आ। चूँ क उसके पु को अभी धन क ज़ रत नह थी, इसिलए उसने वह
धन सा कार के पास ही जमा रहने दया। जब पु पचास साल का आ (इस दौरान उसका िपता इस दुिनया से
जा चुका था), तो सा कार ने िहसाब चुकता करते ए पु को चाँदी के एक सौ पचह र िस े दए।
इस तरह पचास साल म यह िनवेश च वृि याज के कारण लगभग स ह गुना बढ़ गया।
यह ख़ाली पस का तीसरा इलाज है : “हर िस े से मेहनत करवाते रह, जब तक क यह और िस े पैदा न
करे , ठीक उसी तरह िजस तरह मवेशी करते ह। यह सुिनि त कर क हर िस े का िनवेश आपको आमदनी देता
रहे और धन क धारा लगातार आपके पस म बहकर आती रहे।”

चौथा इलाज
अपनी पूँजी क र ा कर
अरक़ाद ने चौथे दन अपनी क ा से कहा, “दुभा य को चमकता िनशाना अ छा लगता है। इं सान को अपने
पस म रखे धन क दृढ़ता से र ा करना चािहए। अगर वह ऐसा नह करे गा, तो धन उसके पास से चला जाएगा।
इसिलए समझदारी इसी म है क पहले हम छोटी रक़म को सुरि त रखना सीख, तभी देवता को यह िव ास
होगा क हम बड़ी रक़म को सुरि त रख पाएँग।े
िजसके भी पास धन होता है, उसके सामने ब त से लोभन आते ह। उसे कई ऐसे अवसर ललचाते ह, जब
उसे लगता है क वह ब त अ छी योजना म िनवेश करके ब त लाभ कमा सकता है। अ सर उसके िम और
र तेदार ऐसे िनवेश म उ साह से वेश करते ह और उसे भी ऐसा ही करने के िलए े रत करते ह।
िनवेश का पहला दमदार िस ांत है आपके मूलधन क सुर ा। अगर मूलधन के चले जाने का ख़तरा हो, तो
या यादा कमाई के लालच म पड़ना समझदारी है ? मुझे इसम ज़रा भी समझदारी नज़र नह आती है। अगर
आप इतना बड़ा जोिखम उठाते ह, तो इसक सज़ा यह होगी क शायद आप अपना मूलधन भी गँवा द। अपनी
जमापूँजी का िनवेश करने से पहले सावधानी से जाँच–पड़ताल कर। पहले पूरी तरह आ त हो जाएँ क आपक
पूँजी सुरि त लौट आएगी। फटाफट अमीर बनने क हवाई इ छा से ग़लत दशा म न चले जाएँ।
कसी ि को कज़ देने से पहले आपको यह यक़ न कर लेना चािहए क उसम कज़ चुकाने क साम य है।
यह भी देख ल क कज़ चुकाने के बारे म उसक ित ा कै सी है, ता क कह अनजाने म आप उसे अपनी मेहनत
क कमाई तोहफ़े म न दे रहे ह ।
कसी भी े म िनवेश करने से पहले अपने मूलधन पर मँडराने वाले ख़तर के बारे म जान ल।
“मेरा पहला िनवेश दुभा यपूण और दुखद था । एक साल तक मने मेहनत से जो पैसा बचाया था, उसे मने
अज़मर नामक ट बनाने वाले को दे दया था, जो दूर देश क या ा पर जा रहा था। वह इस बात के िलए तैयार
हो गया क वह टायर से मेरे िलए फ़ िनिशय स के दुलभ र ख़रीद लाएगा। हमारी योजना यह थी क हम उन
र को यादा दाम म बेचकर मुनाफ़े को आपस म बाँट लगे। फ़ िनिशय स बदमाश थे और उ ह ने अज़मर को
र के बजाय काँच के टु कड़े पकड़ा दए। मेरी पूरी जमापूँजी चली गई थी। आज मेरे पास इतना ान आ चुका है
क म त काल समझ लूँगा क र ख़रीदने के िलए ईट बनाने वाले पर भरोसा करना मूखता है।”
“म अपने अनुभव क समझदारी से आपको यह सलाह देना चाहता ँ : अित आ मिव ास म आकर अपनी
पूँजी का ऐसी जगह पर िनवेश न कर, जहाँ उसके डू बने का ख़तरा हो। बेहतर यह है क आप धन के बंधन म
अनुभवी लोग क समझदारी भरी सलाह ल। इस तरह क सलाह माँगने पर मु त िमल जाती है। हो सकता है
यह सलाह उतनी ही मू यवान सािबत हो, िजतनी रक़म का आप िनवेश करने जा रहे ह। सच तो यह है क अगर
यह सलाह आपक पूँजी को डू बने से बचाती है, तो यह आपक पूँजी िजतनी ही मू यवान होती है।”
यह ख़ाली पस का चौथा इलाज है। यह इलाज ब त मह वपूण है य क पस के भर जाने के बाद यह उसे
ख़ाली होने से बचाता है। “अपनी जमापूँजी को नुक़सान से बचाएँ। िसफ़ वह िनवेश कर, जहाँ आपका मूलधन
सुरि त रहे, जहाँ आप जब चाह, इसे दुबारा वापस पा सक और जहाँ आपको उिचत याज लगातार िमलता रहे।
बुि मान लोग से सलाह ल। धन के लाभकारी बंधन म अनुभवी लोग से सलाह ल। असुरि त िनवेश से अपने
धन क बुि म ापूवक र ा कर।”

पाँचवाँ इलाज
अपने घर को लाभकारी िनवेश बनाएँ
अरक़ाद ने अपनी क ा को पाँचवाँ सबक़ िसखाते ए कहा, “इं सान अपनी कमाई का दसवाँ िह सा इसिलए
अलग रखता है, ता क वह भिव य म जीवन का आनंद ले सके । बहरहाल, अगर वह अपनी आमदनी के बचे ए
नौ िह स म से भी कु छ बचा सके और उसका लाभकारी िनवेश कर सके , तो उसका ख़ज़ाना यादा तेज़ी से
बढ़ेगा।”
बैिबलॉन के ब त से लोग अपने प रवार के साथ कराए के मकान म रहते ह, हालाँ क उनके आस–पास
का माहौल अ छा नह रहता है। वे हर महीने कराए के प म मकान मािलक को ब त सा धन देते ह। अ सर
उनके मकान म बाग़-बगीचे के िलए जगह नह होती है। उनक पि याँ पेड़–पौधे नह लगा पाती ह, िजनसे हर
औरत को खुशी िमलती है। उन मकान म ब के खेलने के िलए कोई जगह नह होती है, इसिलए वे गंदी गिलय
म खेलते रहते ह।
कसी भी ि का प रवार तब तक ज़ंदगी का पूरा आनंद नह ले सकता, जब तक क उसके मकान म
इतनी जगह न हो क उसके ब े साफ़–सुथरी धरती पर खेल सक और उसक प ी न िसफ़ सुंदर फू ल उगा सके ,
बि क प रवार को िखलाने के िलए अ छी सिबज़याँ भी उगा सके ।
अपने पेड़ के अंजीर और अंगूर खाकर हर इं सान ख़श होता है। अपने घर का वामी बनने म उसे गव का
एहसास होता है। इससे उसका आ मिव ास बढ़ता है और वह अपने सभी यास म यादा मेहनत करता है।
इसिलए म यह सलाह देता ँ क हर आदमी के पास अपना खुद का मकान होना चािहए, िजसम वह और उसका
प रवार रह सके ।
अपने घर का मािलक बनना कोई ख़ास मुि कल काम नह है। िजस ि म भी इ छाशि हो, वह ऐसा
कर सकता है। हमारे महान स ाट ने बैिबलॉन क दीवार को इतनी दूर तक फै ला िलया है क इसके भीतर ब त
सी ख़ाली ज़मीन पड़ी है, िजसे ब त उिचत क़ मत पर ख़रीदा जा सकता है।
“मेरे िव ा थय , म आप लोग से यह भी कहता ँ क सा कार ख़शी–ख़शी उन लोग को उधार दे देते ह,
जो अपने प रवार के िलए ज़मीन और मकान ख़रीदना चाहते ह। इस नेक काम के िलए आपको रक़म आसानी से
उधार िमल जाएगी। आप ईट बनाने वाले और मकान बनाने वाले को पैसे देने के िलए उधार ले सकते ह, बशत
आप अपनी तरफ़ से भी थोड़ी सी जमापूँजी लगाएँ और यह िव ास दला सक क आप कज़ चुका सकते ह।”
“तब आपको स ी खुशी का एहसास होगा, य क आप एक ब मू य जायदाद के वामी बन जाएँगे और
उस पर आपका इकलौता ख़च यह होगा क आपको स ाट को टै स देना होगा।”
“इसके अलावा, आपक प ी आपके कपड़े धोने के िलए यादा बार नदी तक जाएगी, ता क हर बार लौटते
समय वह पौध म डालने के िलए एक मशक पानी ला सके ।”
इस तरह गृह वामी बनने वाले ि को ब त से लाभ होते ह। इससे उसका ख़च भी ब त कम हो जाता
है, िजससे उसक आमदनी का अिधक िह सा उसक इ छा क संतुि तथा आनंद के िलए उपल ध होता है।
यह ख़ाली पस का पाँचवाँ इलाज है : अपने घर के मािलक बन।

छठवाँ इलाज
भावी आमदनी सुिनि त कर
अरक़ाद ने अपनी क ा को छठव दन संबोिधत करते ए कहा, “हर ि क ज़ंदगी बचपन से बुढ़ापे क
तरफ़ चलती है। यह ज़ंदगी का माग है और इस पर हर एक को चलना पड़ता है, जब तक क देवता उसे असमय
ही अपने पास न बुला ल। इसिलए म आपसे कहता ँ क इं सान को अपने भिव य या बुढ़ापे के िलए उिचत
आमदनी क व था कर लेना चािहए। इसके अलावा उसे इस बात क भी व था कर लेना चािहए क अगर
वह इस दुिनया म न रहे, तो भी उसके प रवार को सहारा तथा आराम िमलता रहे। आज का सबक़ आपको
िसखाएगा क बुढ़ापे म भी आपका पस कै से भरा रह सकता है।”
धन के िनयम के ान से जो ि धन इक ा कर लेता है, उसे अपने भिव य के बारे म िवचार करना
चािहए। उसे कु छ ऐसे िनवेश क योजना बनाना चािहए, जो कई साल तक सुरि त प से बढ़ते रह और ज़ रत
के समय काम आएँ, िजसक उसने समझदारी से पहले ही क पना कर ली थी।
इं सान कई तरीक़ से अपने भिव य के िलए धन को सुरि त रख सकता है। वह अपने ख़ज़ाने को कसी गु
जगह पर ज़मीन म गाड़ सकता है। परं तु चाहे ख़ज़ाने को कतनी भी चतुराई से छु पाया गया हो, अंत म चोर उसे
लूटकर ले जाएँगे। इस वजह से म इस योजना क सलाह नह देता ।ँ
भिव य के िलए धन सुरि त रखने के उ े य से इं सान घर या ज़मीन ख़रीद सकता है। अगर समझदारी से
घर या ज़मीन को चुना जाए, ता क भिव य म भी उसक उपयोिगता तथा मू य म वृि हो, तो ऐसा करना
लाभकारी है। भिव य म इस जायदाद को बेचकर अपने ल य को हािसल कया जा सकता है।
इसके अलावा, इं सान िनयिमत प से सा कार के पास छोटी-छोटी रािशयाँ जमा करके अपने धन को बढ़ा
सकता है। सा कार ारा दया जाने वाला याज जब मूलधन म जुड़ जाएगा, तो धनरािश ब त बढ़ जाएगी। म
अंसान नाम के मोची को जानता ।ँ कु छ समय पहले उसने मुझे बताया था क आठ साल से हर स ाह वह
सा कार के पास चाँदी के दो िस े जमा कर रहा है। सा कार ने उसे हाल ही म उसका िहसाब बताया, िजसे
सुनकर वह ब त ख़श आ। उसने जो छोटी–छोटी रािशयाँ जमा क थ , वे हर चार साल म प ीस ितशत
याज क आम दर से बढ़कर अब चाँदी के एक हज़ार चालीस िस म बदल गई ह।
मने ख़श होकर उसे आगे भी बचत करने के िलए ो सािहत कया। अपने अंक के ान से मने उसे बताया
क अगर वह बारह साल तक हर ह ते चाँदी के दो िस े जमा करता रहेगा, तो सा कार उसे चाँदी के चार हज़ार
िस े देगा और इतनी रक़म उसक पूरी ज़ंदगी के ख़च के िलए पया होगी
जब िनयिमत प से जमा करने पर छोटी रािश इतने लाभकारी प रणाम देती है, तो कसी ि का
वसाय या िनवेश कतना ही समृ हो, उसे यह व था कर लेना चािहए क उसके बुढ़ापे और प रवार क
र ा के िलए पया दौलत हो।
मेरी इ छा होती है क म इसके बारे म और भी कु छ क ँ । मेरा यह िव ास है क कसी दन समझदारी से
सोचने वाले लोग मौत के िखलाफ़ प रवार को सुरि त रखने क योजना बनाएँग।े इस योजना म ब त से लोग
िनयिमत प से छोटी सी रािश जमा करगे और उस जमा रािश से एक अ छी रक़म मृत सद य के प रवार को दी
जाएगी। म चाहता ँ क ऐसा हो और म ऐसा करने क बल सलाह देता ।ँ परं तु आज यह संभव नह है,
य क यह काम कसी इं सान या पाटनरिशप क ज़ंदगी तक सीिमत नह है। इस तरह क योजना को स ाट के
संहासन क तरह ि थर होना चािहए। मुझे लगता है क कसी दन इस तरह क योजना बनेगी और यह ब त से
लोग के िलए वरदान सािबत होगी, य क िसफ पहले छोटे भुगतान के बाद ही ि के मर जाने पर उसके
प रवार के िलए दौलत क व था हो जाएगी।
परं तु चूँ क हमारे समय म इस तरह क योजना नह है और हमारे जीवनकाल म ऐसी योजना होगी भी
नह , इसिलए हम अपने संसाधन का लाभ उठाकर अपने ल य को हािसल करने के दूसरे तरीक़े खोजना चािहए।
इसी वजह से म सब लोग को सुझाव देता ँ क वे अ छी तरह सोचकर समझदारीपूण तरीक़ से अपने बुढ़ापे के
िलए धन क व था कर ल। य क जब कोई आदमी कमा नह सके या जब प रवार का मुिखया चला जाए, तो
ख़ाली पस ब त दुख का कारण बन जाता है।
तो ख़ाली पस का छठवाँ इलाज यह है : अपने बुढ़ापे और अपने प रवार क र ा के िलए पहले से ही
व था कर ल।

सातवाँ इलाज
अपनी आमदनी क मता बढ़ाएँ
अरक़ाद ने सातव दन अपनी क ा को संबोिधत करते ए कहा, “मेरे िव ा थय , आज म आपको ख़ाली
पस का एक सटीक उपचार बताने जा रहा ।ँ परं तु आज म धन के बारे म नह , बि क आपके बारे म बात क ँ गा,
जो अलग–अलग रं ग के कपड़ म मेरे सामने बैठे ह। म इं सान के दमाग़ और ज़ंदगी क उन चीज़ के बारे म
बात क ँ गा, जो उसक सफलता के समथन या िवरोध म काम करती ह।”
कु छ समय पहले एक युवक मेरे पास उधार माँगने आया। जब मने उससे पूछा क उसे इसक ज़ रत य
पड़ी, तो उसने जवाब दया क उसके ख़च उसक आमदनी से यादा ह। इस पर मने उससे कहा क ऐसी ि थित
म कोई भी सा कार उसे कज़ नह देगा, जब तक क उसके पास अित र धन कमाने क मता न हो, िजससे
वह अपना कज़ चुका सके ।
मने उससे कहा, ‘तु ह अपनी आमदनी बढ़ाना चािहए। कमाने क अपनी मता को बढ़ाने के िलए तुमने
या कया है?’
युवक ने कहा, ‘मने वह सब कया है, जो म कर सकता ।ँ दो महीन म छह बार मने अपने मािलक के पास
जाकर अपनी तन वाह बढ़ाने का आ ह कया, परं तु मुझे सफलता नह िमली। कोई भी ि इससे यादा बार
यह अनुरोध नह कर सकता।’
हम उसके भोलेपन पर हँस सकते ह, परं तु उस युवक म आमदनी को बढ़ाने के िलए आव यक एक मह वपूण
गुण था। उसम यादा कमाने क बल इ छा थी, जो ब त उिचत और सराहनीय है।
“उपलि ध से पहले उसक इ छा होना चािहए। आपक इ छाएँ बल और िनि त होना चािहए।”
सामा य इ छाएँ िसफ़ कमज़ोर चाहत होती ह। अगर कसी इं सान म िसफ़ अमीर बनने क चाहत है, तो उससे
कोई फ़ायदा नह होगा। परं तु िजस ि म पाँच णमु– ाएँ कमाने क इ छा है, उसक इ छा िनि त है और
वह इसे पूरा कर सकता है। जब वह इसे हािसल करने के िलए ल य क शि का योग करे गा और सफल हो
जाएगा, तो अगली बार वह दस वण-मु ाएँ कमाने के िलए उ ह तरीक़ का योग कर सकता है। फर बीस
मु ा के िलए और बाद म एक हज़ार मु ा के िलए। और देखते ही देखते वह अमीर बन जाएगा। अपनी एक
िनि त छोटी इ छा को पूरी करना सीखकर उसने बड़ी इ छा पूरी करने का िश ण पा िलया है। इसी या
से दौलत हािसल क जाती है : पहले छोटी रािश, फर उससे बड़ी रािश, जब तक क इं सान सीखकर यादा
स म नह बन जाता।
इ छाएँ आसान और िनि त होना चािहए। अगर वे ब त यादा या ब त ज टल ह या ऐसी ह , िज ह
हािसल करने का िश ण उस ि के पास न हो, तो सफलता नह िमलती है।
जब मनु य अपने काम म यादा कु शल बनता है, तो वह अपनी कमाने क मता को भी बढ़ा लेता है। जब
म ग़रीब नक़लनवीस था और हर दन कु छ िस के बदले म मृदाप पर िलखता था, तो मने देखा क कु छ
नक़लनवीस मुझसे यादा काम करते थे और इस कारण उ ह मुझसे यादा आमदनी होती थी। इसिलए मने यह
संक प कया क म भी उनके िजतना काम क ँ गा । उनके यादा सफल होने का कारण जानने म मुझे यादा
समय नह लगा। मने अपने काम म यादा िच ली, एका ता से काम कया, अपने यास म यादा लगन का
योग कया। और देखते–ही देखते म िजतने मृदाप पर िलखता था, ब त कम लोग उससे यादा िलख सकते
थे। ज दी ही मुझे अपनी बढ़ी ई मता क वजह से पुर कार िमला। अपनी तन वाह बढ़वाने के िलए मुझे अपने
मािलक के पास छह बार जाने क ज़ रत भी नह पड़ी।
हमारे पास िजतना ान होता है, हम उतना ही यादा कमा सकते ह। जो ि अपनी कला म यादा
िनपुणता हािसल करने क कोिशश करता है, उसे उसके अ छे पुर कार िमलते ह। अगर वह कारीगर है, तो वह
अपने वसाय के सवािधक यो य ि से सीख सकता है। अगर वह कानून या उपचार के े म मेहनत करता
है, तो वह अपने वसाय के बाक़ लोग से िवचार–िवमश कर सकता है या उनक सलाह ले सकता है। अगर वह
ापारी है, तो वह लगातार अ छी चीज़ क तलाश कर सकता है, िज ह कम क़ मत पर ख़ारीदा जा सके ।
मनु य क ि थितयाँ हमेशा बदलती और सुधरती रहती ह, य क बुि मान लोग नई यो यताएँ सीखते
रहे ह, ता क वे बेहतर ढंग से उनक सेवा कर सक, िजनके संर ण पर उनक गित िनभर है। इसिलए म सभी
ि य से यह आ ह करता ँ क वे गित क पहली क़तार म खड़े रह और ि थर न रह, य क ि थर खड़े
रहने पर वे पीछे रह जाएँगे।
ब त सी चीज़ इं सान क ज़ंदगी को लाभकारी अनुभव से समृ बनाती ह। अगर कसी ि म
आ मस मान है, तो उसे नीचे दए गए काम करना चािहए :
“उसे अपना कज़ यथासंभव शी ता से चुकाना चािहए और ऐसी चीज़ नह ख़ारीदना चािहए, िजनका वह
भुगतान न कर पाए। ”
“उसे अपने प रवार क अ छी देखभाल करना चािहए, ता क वे उसके बारे म अ छे िवचार रख और
अ छी बात कह।”
“उसे अपनी वसीयत कर देना चािहए, चािहए ता क जब देवता उसे अपने पास बुला ल, तो उसक
जायदाद का उिचत और ग रमापूण बँटवारा हो सके ।”
“उसे दुभा य के िशकार लोग पर दया करना चािहए और ता कक सीमा के भीतर उनक मदद करना
चािहए। उसे अपने ि यजन के ित िवचारपूवक काम करना चािहए।”
इस तरह खाली पस का सातवाँ और अंितम इलाज है : “अपनी शि य का िवकास करना, अिधक
बुि मान तथा यो य बनने के िलए अ ययन करना, आ मस मान से काम करना।” ऐसा करने पर आपम यह
आ मिव ास आ जाएगा क आप सावधानीपूवक सोची गई इ छा को पूरा सकते ह।
तो ख़ाली पस के सात इलाज ये ह, जो मने लंबे और सफल जीवन के अनुभव से सीखे ह। म दौलत चाहने
वाले सभी लोग से इन पर अमल करने का आ ह करता ।ँ
“मेरे िम , बैिबलॉन म इतना सोना भरा पड़ा है, िजसक आप क पना भी नह कर सकते ह। यहाँ पर
सबके िलए चुर दौलत है।”
“आगे बढ़े और इन स ाइय पर अमल कर, ता क आप समृ और दौलतमंद बन सक, जो आपका अिधकार
है।”
“आगे बढ़े और इन स ाइय को दूसरे लोग को भी िसखाएँ, ता क हमारे स ाट का हर स मािनत नाग रक
हमारे ि य शहर क अपार दौलत म सहभागी बन सके ।”
सौभा य क देवी से िमल
अगर कोई इं सान भा यशाली है, तो उसके सौभा य क सीमा के बारे म कोई
भिव यवाणी नह क जा सकत । अगर उसे नदी म भी फक दया जाए, तो न िसफ़ वह
तैरकर बाहर िनकल आएगा, बि क उसके हाथ म एक मोती भी होगा।
बैिबलॉन क कहावत

ह रमन मि सौभा
सौभा यशाली बनना चाहता है। आज से चार हज़ार साल पहले ाचीन बैिबलॉन म भी मनु य के
यशाली बनने क इ छा उतनी ही बल थी, िजतनी क आज के मनु य के मन म है। हम सब
चाहते ह क सौभा य क चंचल देवी हम पर मेहरबान हो जाए। या कोई ऐसा तरीक़ा है, िजससे हम उस देवी
को अपनी ओर आक षत कर सक और उसके कृ पापा बन सक ? या कोई ऐसा तरीक़ा है, िजससे न िसफ़ हम
उस देवी का यान ख च सक, बि क उसके उदार वरदान भी पा सक?
या सौभा यशाली बनने का कोई तरीक़ा है ?
ाचीन बैिबलॉन के ि य के मन म भी यही सवाल उठा। उ ह ने यह पता लगाने का फै सला कया। वे
चतुर और िवचारशील थे। इसी वजह से उनका शहर अपने समय का सबसे समृ और शि शाली शहर बना।
उस पुराने समय म कू ल या कॉलेज नह थे। बहरहाल बैिबलॉन म ान का एक क था और वह सै ांितक
नह , बि क ब त ावहा रक था। बैिबलॉन क ऊँची इमारत म एक इमारत स ाट के महल, ह गंग गाडस और
देवी–देवता के मं दर िजतनी मह वपूण थी। आपको इितहास क पु तक म इसका ब त कम िज़ िमलेगा।
इस बात क ब त संभावना है क आपको इसका िज़ िमलेगा ही नह , बहरहाल इस इमारत का उस युग के
चंतन पर ब त बल असर आ।
यह इमारत ान का मं दर थी, जहाँ वयंसेवी िश क ान दान करते थे। यहाँ सावजिनक िच के िवषय
पर खुले मंच पर िवचार–िवमश होता था। इसक दीवार के भीतर सभी ि बराबर होते थे। सबसे ग़रीब
सेवक भी अपने तक से शाही घराने के राजकु मार के िवचार को ग़लत सािबत कर सकता था।
ान के मं दर म कई लोग िनयिमत प से जाते थे। इनम से एक अरक़ाद नामक बुि मान आदमी था, िजसे
बैिबलॉन का सबसे अमीर आदमी कहा जाता था। उसका अपना िवशेष हॉल था, जहाँ लगभग हर शाम को ब त
से लोग रोचक िवषय पर चचा और बहस करने के िलए इक े होते थे। इन लोग म कु छ वृ और कु छ युवा भी
थे, परं तु अिधकांश अधेड़ थे। बेहतर होगा क हम उनक बात सुन, ता क हम यह जान सक क या वे सौभा य
या ख़श क़ मती को आक षत करने का तरीक़ा जानते थे।
जब अरक़ाद अपने मंच पर आया, तो सूरज रे िग तानी धूल क धुंध के बीच आग क बड़ी लाल गद क तरह
चमकते ए अभी–अभी डू बा था। अ स लोग उसके आने का इं तज़ार कर रहे थे और फ़श पर िबछे कालीन पर
बैठे ए थे। बाक़ लोग आते जा रहे थे।
अरक़ाद ने पूछा, “आज शाम को हम कस िवषय पर चचा करगे ?”
थोड़े संकोच के बाद कपड़े बुनने वाले एक लंबे ि ने खड़े होकर कहा,“म चाहता ँ क एक ख़ास िवषय
पर चचा हो। परं तु म इसे बताने म डरता ँ अरक़ाद क कह यह आपको और मेरे िम को मूखतापूण न लगे।”
जब अरक़ाद और बाक़ लोग ने उससे वह िवषय बताने का आ ह कया, तो उसने कहा, “आज के दन म
ख़श क मत था, य क मुझे वणमु ा से भरा एक पस िमल गया। मेरी बल इ छा है क म हमेशा
ख़श क़ मत र ।ँ मुझे लगता है क हर ि क यही इ छा होगी, इसिलए म सुझाव देता ँ क हम इस िवषय
पर बहस कर क सौभा य या ख़श क़ मती को कै से आक षत कया जाता है, ता क हम ख़श क़ मत बनने के
तरीके खोज सक।”
अरक़ाद ने कहा, “यह ब त ही रोचक िवषय है। इस पर हम चचा करना ही चािहए। कु छ लोग के िलए
अ छी क़ मत का मतलब संयोग या कोई अक मात घटना है, जो िबना कसी उ े य या कारण के हो सकती है।
बाक़ लोग को यह िव ास होता है क हमारी ख़श क़ मती हमारी सबसे उदार देवी अ र क कृ पा पर िनभर
है, जो उन लोग को उदारतापूवक पुर कार देती है, जो उसे ख़श करते ह। िम , आप लोग क या राय है ?
या हम यह पता लगाएँ क हम कन तरीक़ से ख़श क़ मती को आक षत कर सकते ह, ता क हम सब
ख़श क़ मत बन सक ?”
“हाँ! हाँ! ब त ब ढ़या रहेगा!” उ सुक ोता के बढ़ते समूह ने जवाब दया।
इस पर अरक़ाद ने आगे कहा, “चचा शु करने से पहले आप लोग मुझे बताएँ क आप म से कन लोग को
हमारे िम कपड़ के बुनकर क तरह के अनुभव ए ह, जब उ ह िबना कोिशश के ब मू य ख़ज़ाने या र िमले
ह ।”
एक चु पी छा गई। सबने एक–दूसरे क तरफ़ देखा, परं तु कोई भी कु छ नह बोला।
अरक़ाद ने पूछा, “ या ऐसा और कसी के साथ नह आ? फर तो इस तरह क ख़श क़ मती ब त ही
दुलभ होगी। अब आप म से कोई यह सुझाव दे क हम अपनी खोज कहाँ से शु कर ?”
अ छे कपड़े पहने ए एक युवक ने कहा,“म बताता ।ँ जब कोई ि ख़श क़ मती के बारे म बात करता
है, तो या यह वाभािवक नह है क उसके िवचार जुए क टेबल (गे मंग टेबल) क ओर मुड़ ? या वहाँ हम ऐसे
लोग नह िमलते ह, जो जीतने के िलए देवी क कृ पा चाहते ह?”
उसके बैठने के बाद एक आवाज़ सुनाई दी, “ को मत! अपनी बात पूरी कै रो! हम बताओ, या जुए क
टेबल पर देवी ने तुम पर कृ पा क थी ? या यूब म लाल िह सा ऊपर आाया था और तुमने जुएघर के मािलक से
ढेर सारा धन जीत िलया था ? या फर यूब का नीला िह सा ऊपर आया था, िजससे जुएघर का मािलक तु हारा
मेहनत से कमाया गया धन बटोरकर ले गया था ?”
युवक ने हँसकर जवाब दया,“मुझे यह वीकार करने म कोई संकोच नह है क सौभा य क देवी को तो
शायद यह मालूम ही नह था क म वहाँ पर था। परं तु आप म से बाक़ लोग के साथ तो ऐसा आ होगा ? या
आपने पाया है क देवी ऐसी जगह पर आपका इं तज़ार कर रही थी और यूब को फ़ायदे के िलए पलट रही थी ?
हम यह सुनने और सीखने के िलए उ सुक ह।”
अरक़ाद ने कहा, “ब त ही समझदारीपूण शु आत है। हम यहाँ पर हर के सभी पहलु पर िवचार–
िवमश करने के िलए इक े ए ह। जुए क टेबल को नज़रअंदाज़ करना अिधकांश लोग क उस बल भावना को
नज़रअंदाज़ करना है, िजसम ि कु छ चाँदी के िस े दाँव पर लगाने के बाद ढेर सारी वण–मु ाएँ जीतने क
आशा करता है।”
एक अ य ोता ने कहा, “इससे मुझे कल क घुड़दौड़ क याद आ गई। अगर सौभा य क देवी जुएघर म
िमल सकती है, तो िनि त प से वह घुड़दौड़ को भी नज़रअंदाज़ नह करती होगी, जहाँ सजे ए रथ और तेज़
गित से दौड़ते घोड़े ब त यादा रोमांच दान करते ह। हम ईमानदारी से बताएँ अरक़ाद क या उसने आपके
कान म धीरे से यह फु सफु सा दया था क आप कल िननेवे के भूरे घोड़ पर अपना दाँव लगाएँ। म आपके ठीक
पीछे ही खड़ा था और जब मने सुना क आप उन भूरे घोड़ पर दाँव लगा रहे ह, तो मुझे अपने कान पर यक़ न
नह आ। हम सब जानते ह, िजनम आप भी शािमल ह, क िन प दौड़ म पूरे एसी रया म कोई भी घोड़ा हमारे
ि य घोड़ को नह हरा सकता।”
“ या देवी ने आपके कान म चुपके से कह दया था क भूरे घोड़ पर दाँव लगा दो ? य क आिखरी च र
म अंदर वाला काला घोड़ा लड़खड़ा गया था, िजससे हमारे घोड़ क राह म बाधा आ गई और भूरे घोड़े रे स म
जीत गए, हालाँ क वे इस यो य नह थे।”
अरक़ाद ने इस ठठोली पर मु कराते ए कहा, “हमारे पास यह महसूस करने का या कारण है क
सौभा य क देवी घुड़दौड़ म कसी ि के दाँव म इतनी िच लगी ? मेरे िलए वे ेम और ग रमा क देवी ह,
जो ज़ रतमंद लोग क मदद करती ह और यो य लोग को पुर कार देती ह। म जुएघर या घुड़दौड़ म उनक
तलाश नह करता ,ँ जहाँ यादातर लोग धन कमाने के बजाय गँवाते ह। इसके बजाय म दूसरी जगह पर
उनक तलाश करता ,ँ जहाँ इं सान के काम यादा मह वपूण और पुर कार के यो य होते ह।”
“चाहे ख़ेती हो या ईमानदारी से कया जाने वाला वसाय, सभी काम म इं सान के पास अपनी कोिशश
और सौद से लाभ कमाने का अवसर होता है। शायद हमेशा उसे पुर कार नह िमलेगा, य क कई बार उसका
िनणय गलत हो सकता है और कई बार हवाएँ तथा मौसम उसक कोिशश पर पानी फे र सकते ह। बहरहाल,
अगर उसम लगन होगी, तो आम तौर पर उसे हमेशा लाभ होगा, य क लाभ का अवसर हमेशा उसके प म
होता है।”
“परं तु जब कोई ि जुए क टेबल पर जुआ खेलता है, तो ि थित उ टी होती है। यहाँ पर लाभ का
अवसर हमेशा जुएघर के मािलक के प म होता है। जुआ इस तरह से िखलाया जाता है, ता क वह हमेशा
मािलक के प म रहे। यह उसका वसाय है, िजसम वह िखलािड़य के दाँव से लाभ कमाने क योजना बनाता
है। जुआ खेलने वाले ब त कम लोग यह बात जानते ह क जुएघर के मािलक का लाभ कतना सुिनि त होता है
और उनके जीतने क संभावना कतनी अिनि त होती है।”
“उदाहरण के िलए, हम यूब पर लगाए गए दाँव के बारे म िवचार कर। जब भी इसे फका जाता है, तो
हम इस बात पर दाँव लगाते ह क कौन सा िह सा सबसे ऊपर आएगा। लाल िह सा आने पर जुएघर का मािलक
हम दाँव पर लगे धन का चार गुना देगा। परं तु अगर बाक़ पाँच िह स म से कोई भी िह सा ऊपर आता है, तो
हमने दाँव पर जो पैसा लगाया था, वह डू ब जाएगा। इस तरह हर दाँव म हमारे हारने क संभावना पाँच गुनी है,
परं तु चूँ क मािलक जीतने पर िसफ़ चार गुना पैसा देता है, इसिलए हमारे जीतने क संभावना चार गुनी है। एक
रात के खेल म जुएघर का मािलक दाँव पर लगाए गए पूरे धन का पाँचवाँ िह सा या बीस ितशत लाभ म कमाने
क उ मीद कर सकता है। जब ि थित इस कार क हो, िजसम ि अपने लगाए गए सभी दाँव पर बीस
ितशत धन गँवा दे, तो वह िसफ़ कभी–कभार ही जीतने क उ मीद कर सकता है!”
एक ोता ने कहा, “बहरहाल, कई बार कु छ लोग ब त बड़ी रक़म जीत लेते ह।”
अरक़ाद ने कहा, “हाँ, ऐसा भी होता है। सवाल यह है क या उन ख़श क़ मत लोग के िलए इस तरह से
हािसल कए गए धन का कोई थायी मह व होता है ? म बैिबलॉन के कई सफल लोग को जानता ,ँ परं तु उनम
से एक भी ऐसा नह है, िजसने अपनी सफलता क शु आत जुएघर क टेबल से क हो।”
“आप लोग भी कई धनवान लोग को जानते ह गे। म यह जानना चा ग ँ ा क हमारे सफल नाग रक म से
कतने अपनी सफलता क शु आत का ेय जुएधर को दे सकते ह। या आप ऐसे लोग को जानते ह ?”
लंबी ख़ामोशी के बाद एक मसखरे ने पूछा, “ या हम जुएधर के मािलक को इस जाँच म शािमल कर सकते
ह ?”
अरक़ाद बोला, “अगर आप कसी और के बारे म नह सोच सकते, तो फर अपने बारे म कह ? या हमारे
बीच म ऐसे लोग ह, जो जुए म लगातार जीतते ह, परं तु अपनी आमदनी के िलए इस तरह के ोत क सलाह देने
म िझझक रहे ह ?”
इस चुनौती पर पीछे से आह भरने क आवाज़ आई और फर लोग हँसने लगे।
अरक़ाद ने कहा,“ऐसा लगता है क हम ख़श क़ मती उन जगह पर नह िमलती है, जहाँ देवी अ सर रहती
ह। इसिलए अब हम दूसरे े क तलाश करते ह। हमने पाया है क ख़श क़ मती का ग़म हो गए पस उठाने से
कोई संबंध नह है, न ही इसका संबंध जुए से है। जहाँ तक घुड़दौड़ का सवाल है, म यह वीकार करना चाहता ँ
क मने इसम िजतना धन जीता है, उससे ब त यादा धन गँवाया है।”
“अब हम अपने वसाय पर िवचार करते ह। जब हम कोई लाभकारी सौदा करते ह, तो या यह
वाभािवक नह है क हम इसे ख़श क़ मती मानने के बजाय अपनी मेहनत का उिचत पुर कार मानते ह ? म
सोचता ँ क ऐसा करके हम देवी के उपहार को नज़र अंदाज़ कर देते ह। शायद वे सचमुच हमारी मदद करती
ह, परं तु हम उनक उदारता के िलए उनके शु गुज़ार नह होते ह। कौन इस िवषय पर चचा आगे बढ़ा सकता है
?”
इस पर एक वृ ापारी उठा और अपने सफ़े द व क सलवट ठीक करते ए बोला, “अरक़ाद, आपक
और अपने िम क अनुमित से म एक सुझाव देना चाहता ।ँ जैसा आपने कहा है, अगर हम अपने ापार क
सफलता के िलए अपनी मेहनत और यो यता को ेय देते ह, तो उन सफलता और ब त लाभदायक चीज़ के
बारे म य न सोच, जो हम लगभग िमलने वाली थ , परं तु आिख़री िमनट पर नह िमल । अगर वे सचमुच हो
जात , तो वे ख़श क मती का दुलभ उदाहरण होत । चूँ क वे पूण नह हो पा , इसिलए हम उ ह अपना उिचत
पुर कार नह मान सकते। िनि त प से यहाँ बैठे कई लोग इस तरह के अनुभव बता सकते ह गे।”
अरक़ाद ने सहमत होते ए कहा, “यह समझदारी भरा सुझाव है। ख़श क़ मती आप म से कतन क मु ी
म थी, परं तु आिख़री िमनट पर फसल गई ?”
कई हाथ उठे , िजनम उस ापारी का हाथ भी था। अरक़ाद ने उसे बोलने का मौक़ा दया, “चूँ क आपने ही
यह सुझाव दया है, इसिलए हम सबसे पहले आपके मुँह से इसके बारे म सुनना चाहगे।”
ापारी ने कहा, “म ख़शी–ख़शी अपने जीवन क एक घटना बताऊँगा। इससे आप यह जान जाएँगे क
ख़श क़ मती के क़रीब आने पर भी इं सान अंध क तरह उसे अपने हाथ से िनकल जाने देता है, िजससे उसे
नुक़सान होता है और वह बाद म पछताता है।”
“कई साल पहले म युवा था और मेरी कु छ समय पहले ही शादी ई थी। उन दन म कमाना शु कर रहा
था। एक दन मेरे िपताजी मेरे पास आए और उ ह ने ज़ोर देकर मुझसे कहा क म एक योजना म अपने धन का
िनवेश कर दू।ँ उनके एक अ छे िम के पु ने भूिम का एक ख़ाली टु कड़ा देखा था, जो हमारे शहर क बाहरी
दीवार से यादा दूर नह था। वह टु कड़ा नहर के काफ़ ऊपर था और वहाँ पानी नह प च ँ सकता था ।”
“मेरे िपता के िम के पु ने एक योजना बनाई क वह इस ज़मीन को ख़रीद लेगा, बैल ारा चलने वाले
तीन बड़े रहट बनाएगा और इस तरह से जीवनदायी पानी को उपजाऊ भूिम तक प च ँ ाएगा। उसक योजना यह
थी क ऐसा करने के बाद वह इस ज़मीन के लॉट काट देगा और शहर के नाग रक को स ज़ी उगाने के िलए बेच
देगा।”
“मेरे िपता के िम के पु के पास इस काम के िलए पया धन नह था। मेरी ही तरह उसक आमदनी भी
सामा य थी। उसके िपता भी मेरे िपता क तरह ही बड़े प रवार और कम संसाधन वाले थे। इसिलए उसने कु छ
लोग को अपना पाटनर बनाने का फ़ै सला कया। उसे बारह लोग क ज़ रत थी, िजनम से हर एक कमाता हो
और वह अपनी कमाई का दसवाँ िह सा उस अिभयान म तब तक देने के िलए सहमत हो, जब तक क ज़मीन
िबकने के िलए तैयार न हो जाए। योजना यह थी क ज़मीन िबकने के बाद सब लोग अपने िनवेश के अनुपात म
लाभ को आपस म बाँट लगे।”
मेरे िपता ने मुझसे कहा, ‘बेटे, तुम अभी जवान हो। मेरी यह बल इ छा है क तुम अपने िलए ब मू य
जायदाद बना लो, ता क लोग तु हारा स मान कर। अपने िपता क नासमझी और ग़लितय के ान से लाभ
उठाओ।’
मने जवाब दया, ‘मेरी भी यह बल इ छा है।’
“तो म तु ह यह सलाह देता ।ँ वह करो, जो मुझे तु हारी उ म करना चािहए था। अपनी आमदनी के
दसव िह से को लाभकारी िनवेश के िलए अलग रख दो। अपनी आमदनी के इस दसव िह से और इससे िमलने
वाले याज क मदद से मेरी प च ँ ने से पहले तुम ब मू य उ तक जायदाद बना सकते हो।”
“िपताजी, आपने ब त समझदारी क बात कही है। म अमीर बनना चाहता ।ँ परं तु मेरी आमदनी के साथ
ब त से ख़च भी जुड़े ह इसिलए म आपके सुझाव पर अमल करने से िझझक रहा ।ँ म अभी जवान ।ँ अभी मेरे
पास ब त समय है।”
“तु हारी उ म मने भी यही सोचा था, परं तु देखो, साल गुज़रते चले गए और म शु आत भी नह कर
पाया।”
“अब ज़माना बदल गया है, िपताजी। म आपक ग़लितय से बचूँगा।”
“अवसर तु हारे सामने खड़ा है, बेटे। यह तु ह एक ऐसा मौक़ा दे रहा है, जो दौलत क ओर ले जा सकता है।
मेरा तुमसे यही कहना है, देर मत करो। कल सुबह ही मेरे िम के पु के पास जाओ और उससे यह सौदा कर लो
क इस िनवेश म तुम अपनी दस ितशत आमदनी लगाओगे। त काल कल सुबह चले जाना। अवसर कसी का
इं तज़ार नह करता। आज यह सामने होता है, परं तु कल दूर चला जाता है। इसिलए देर मत करो!”
“अपने िपता क सलाह के बावज़ूद म िझझकता रहा। पूव देश से ापारी नए सुंदर व लाए थे, जो
इतने आकषक और ब ढ़या लग रहे थे क मने और मेरी प ी प ी ने ने महसूस कया क हम उ ह ख़रीद लेना
चािहए। अगर म उस अिभयान म अपनी दस ितशत आमदनी का िनवेश करने के िलए तैयार हो जाता, तो हम
उन व को नह ख़रीद पाते और कई अ य आनंद से भी वंिचत रह जाते, िज ह हम ब त चाहते थे। मने िनणय
लेने म तब तक देर लगाई, जब तक क ब त देर नह हो गई। बाद म म इस पर ब त पछताया। वह अिभयान
उ मीद से यादा फ़ायदेमंद सािबत आ। मेरी कहानी यह बताती है क मने कस तरह ख़श क़ मती को अपने
पास से िनकल जाने दया।”
रे िग तान से आए एक साँवले आदमी ने कहा, “इस कहानी म हम देखते ह क ख़श क़ मती उस ि के
पास आती है, जो अवसर को वीकार करता है।” जायदाद बनाने के िलए हमेशा एक शु आत करना पड़ती है।
शु म यह सोने या चाँदी के कु छ िस तक सीिमत होती है, िज ह इं सान अपनी आमदनी म से बचाकर अपना
पहला िनवेश करता है। म ख़द कई मवेिशय का मािलक ।ँ मवेशी पालने क शु आत मने बचपन म ही कर दी
थी, जब मने चाँदी के एक िस े से एक बिछया ख़रीदी थी। चूँ क यह मेरी दौलत क शु आत थी, इसिलए मेरे
िलए यह ब त मह वपूण थी।
“पहली शु आत के बाद जायदाद बनाना ख़श क मती से हर इं सान के बूते क बात है। पहला क़दम ब त
मह वपूण है। इस क़दम को उठाने के बाद इं सान मेहनत से धन कमाने वाले ि के बजाय अपने िनवेश से लाभ
कमाने वाले ि म बदल जाता है। सौभा य से कु छ लोग कम उ म ही यह क़दम उठा लेते ह। इसी वजह से वे
आ थक े म उन लोग से यादा सफल हो जाते ह, जो यह क़दम बाद म उठाते ह। वे उन दुभा यशाली लोग से
तो ब त यादा सफल होते ह, जो यह क़दम कभी नह उठाते ह, जैसा इस ापारी के िपता के साथ आ था।”
“अगर मेरे ापारी िम ने अवसर सामने आने पर अपनी जवानी म यह क़दम उठा िलया होता, तो आज
उसे दुिनया क ब त सी अ छी चीज़ का वरदान िमला होता। अगर हमारे बुनकर िम ने उस समय यह क़दम
उठा िलया होता, तो आज उसके पास काफ़ दौलत होती।”
दूसरे देश से आए एक अजनबी ने खड़े होकर कहा, ,”ध यवाद! म भी कु छ बोलना चाहता ।ँ म सी रया का
।ँ म आपक भाषा अ छी तरह नह बोल पाता ।ँ म इस ापारी िम को एक नाम से पुकारना चाहता ।ँ
शायद आप सोचगे क यह शालीन नाम नह है। परं तु म फर भी उसे उस नाम से पुकारना चाहता ।ँ परं तु मुझे
आपक भाषा का वह श द नह मालूम। अगर म इसे सी रया क भाषा म बोलूँ, तो आप उसे समझ नह पाएँगे।
इसिलए मेरे िम , मुझे बताएँ क आप उस आदमी को या कहते ह, जो अपने िलए फ़ायदेमंद सािबत होने वाले
काम को भी टालता रहता है है।”
एक आवाज़ आई, “टालमटोल करने वाला।”
“विह,” सी रया के िनवासी ने अपने हाथ को रोमांच से लहराते ए कहा, “जब अवसर आता है, तो वह
उसे वीकार नह करता है। वह इं तज़ार करता है। वह कहता है मेरे सामने अभी ब त काम पड़ा है। म धीरे –धीरे
यह काम क ँ गा। अवसर इस तरह के ढीले आदमी का इं तज़ार नह करे गा। अवसर सोचता है क अगर इं सान
ख़श क़ मत बनना चाहता है, तो उसे त काल क़दम उठाना चािहए। अवसर सामने आने पर जो ि त काल
क़दम नह उठाता है, वह हमारे ापारी िम क तरह टालमटोल करने वाला होता है।”
ापारी उठकर खड़ा आ और िसर झुकाकर लोग क हँसी पर ित या करते ए बोला, “अजनबी, आप
हमारे मेहमान है! म आपक शंसा करता ,ँ जो आपने स ी बात बोलने म ज़रा भी िहचक नह दखाई।”
अरक़ाद ने कहा, “खोए ए अवसर क एक और कहानी हम कौन सुनाएगा ?”
लाल व पहने एक अधेड़ ि ने कहा, “म सुनाऊँगा। म मवेिशय का ख़रीदार ,ँ ख़ास तौर पर ऊँट
और घोड़ का। कई बार म भेड़–बक रयाँ भी ख़रीद लेता ।ँ एक रात को अवसर मेरे सामने अचानक आया, जब
म इसक िबलकु ल भी उ मीद नह कर रहा था। शायद इसी वजह से मने इसे अपने हाथ से फसल जाने दया।
बेहतर होगा क फै सला आप ही कर।”
म ऊँट ख़रीदने के िलए शहर से बाहर गया था। दस दन क िनराशाजनक या ा के बाद जब म लौटा, तो
मुझे यह देखकर गु सा आया क रात होने क वजह से शहर का ार बंद हो चुका था और उस पर ताले भी लग
चुके थे। मेरे नौकर ने रात काटने के िलए तंबू लगाए। बहरहाल हम सोच रहे थे क हमारे पास ब त कम भोजन
है और पानी तो िब कु ल भी नह है, इसिलए यह रात मुि कल से कटेगी। उसी समय एक बूढ़ा कसान मेरे पास
आया, जो शहर के ार का ताला बंद हो जाने के कारण हमारी ही तरह बाहर रह गया था।
उसने मुझसे कहा, ‘आदरणीय ीमान्, आपके िलए से मुझे लगता है क आप मवेिशय के ख़रीदार ह।
अगर ऐसा है, तो म आपको अपनी ब त अ छी भेड़ बेचना चा ग ँ ा, िज ह म अभी–अभी लाया ।ँ मेरी प ी
ब त बीमार है और उसे बुखार है। मुझे त काल लौटना होगा। आप मेरी भेड़ ख़रीद ल, ता क म और मेरे नौकर
ऊँट पर सवार होकर िबना देर कए त काल घर लौट जाएँ।’
इतना अँधेरा था क म उसक भेड़ को नह देख सकता था, हालाँ क उनक आवाज से म समझ गया क
रे वड़ ब त बड़ा होगा। मने ऊँट क तलाश म अपने दस दन बबाद कर दए थे, परं तु मुझे अ छे ऊँट नह िमल
पाए थे, इसिलए म उसके साथ ख़शी–ख़शी सौदेबाज़ी करने लगा। वह मुि कल म था, इसिलए उसने ब त ही
वािजब दाम माँगा। मने वह सौदा मंजूर कर िलया, य क म अ छी तरह जानता था क मेरे नौकर सुबह भेड़
को हाँककर शहर म ले जाएँगे और उ ह बेचने से हम काफ़ लाभ होगा।
सौदा होने के बाद मने अपने नौकर से मशाल लेकर आने को कहा, ता क हम कसान क 900 भेड़ को
िगन सक। िम ो, म आपको यह वणन सुनाकर बोर नह क ँ गा क इतनी सारी यासी, भूखी और बेचैन भेड़ को
िगनने म हम कतनी मुि कल आ । यह एक असंभव काम सािबत हो रहा था। इसिलए मने उस कसान से साफ़–
साफ़ कह दया क सुबह होने के बाद म भेड़ िगनूँगा और तभी उसे पैसे दूग ँ ा।
उसने आ ह कया, ‘मेहरबानी करके आप आज रात को मुझे दो ितहाई क़ मत ही दे द, ता क म अपने घर
लौट सकूँ । म अपने सबसे समझदार और िशि त सेवक को आपके पास छोड़ जाऊँगा, जो सुबह भेड़ िगनने म
आपक मदद करे गा। वह िव सनीय है और आप बाक़ का एक–ितहाई पैसा उसे दे सकते ह।’
“परं तु मने िजद पकड़ ली और रात को पैसे देने से इं कार कर दया। अगली सुबह मेरे उठने से पहले ही शहर
का ारा खुला और चार ख़रीदार भेड़ क तलाश म बाहर भागते ए आए। वे ब त उ सुक थे और ऊँची क़ मत
देने को तैयार थे, य क शहर पर यु क घेराबंदी का ख़तरा मंडरा रहा था और भोजन पया नह था। कसान
मुझे िजतनी क़ मत पर भेड़ देने के िलए तैयार आ था, उसे उससे लगभग तीन गुना यादा क़ मत िमली। यह
ब त ही ब ढ़या अवसर था, जो मने अपने ही हाथ से गँवा दया।”
अरक़ाद ने ट पणी क , “यह ब त ही असामा य कहानी है। इससे हम या िश ा िमलती है ?”
घोड़े क जीन बनाने वाले ने कहा, ”इससे हम यह िश ा िमलती है क जब हम िव ास हो क हमारा सौदा
समझदारीपूण है, तो हम त काल पैसे दे देना चािहए। अगर सौदा अ छा है, तो आपको दूसर के अलावा ख़द क
कमज़ो रय से भी अपनी र ा करने क ज़ रत होती है। इं सान के िवचार बदलते रहते ह। म तो यह क ग ँ ा क
हम अपना मन तेज़ी से बदल लेते ह और ऐसा तब अिधक होता है, जब हम गलत नह , बि क सही होते ह। गलत
िनणय के बारे म हम िज़ ी होते ह, परं तु सही िनणय लेने के बाद हम िहच कचाते ह और अवसर को अपने हाथ
से फसल जाने देते ह। मेरा पहला िनणय मेरा सव े िनणय होता है। परं तु मने हमेशा यह पाया है क अ छा
सौदा करने के बाद म िहच कचाता ँ और टालमटोल करता ।ँ इसिलए अपनी कमज़ोरी से बचने के िलए म
त काल उस सौदे का बयाना दे देता ।ँ इससे म ख़श क़ मती के अवसर को गँवाने के प ाताप से बच जाता ।ँ ”
सी रया के िनवासी ने एक बार फर खड़े होकर कहा, “ध यवाद! म एक बार फर बोलना चाहता ।ँ ये
कहािनयाँ लगभग एक सी ह। हर बार अवसर एक ही कारण से दूर भाग जाता है। हर बार वह टालमटोल करने
वाले के पास आता है और एक अ छी योजना पेश करता है। हर बार टालमटोल करने वाला िहच कचाता है। वह
यह नह कहता क अभी सबसे अ छा समय है, म यह काम त काल कर देता ।ँ इसके बजाय वह टालमटोल
करता है। आदमी इस तरह सफल कै से हो सकता है ?”
ख़रीदार ने कहा, “आपके श द म समझदारी है। ख़श क़ मती इन दोन ही कहािनय म टालमटोल करने
के कारण दूर भाग गई थी। बहरहाल, यह असामा य नह है। टालमटोल करने क वृि सबम होती है। हम
दौलत चाहते ह, परं तु जब अवसर हमारे सामने आता है, तो टालमटोल क वृि के कारण हम उसे त काल
वीकार नह करते ह और इस तरह हम अपने सबसे बड़े दु मन बन जाते ह।”
“अपनी जवानी म म टालमटोल श द को नह जानता था, जो हमारे सी रया के िम को इतना पसंद आया
है। म पहले तो यह सोचता था क मेरे गलत िनणय के कारण मेरे हाथ से कई लाभदायक सौदे िनकल गए। बाद
म मने अपने िज़ ी वभाव को इसके िलए दोष दया। बहरहाल, अंत म मुझे स ाई का पता चल गया। मने जान
िलया क जब मुझे काम करना चािहए था, जब मुझे त काल और िनणायक काम करना चािहए था, तब म
अनाव यक प से देर कर रहा था। जब मुझे स ाई पता चली, तो मुझे ब त िचढ़ ई। जंगली ख र को कसी
रथ म जोतने पर वह ब त कटु हो जाता है। उतनी ही कटु ता से मने अपनी सफलता के इस दु मन से अपना पीछा
छु ड़ाया।”
“ध यवाद! म अब अपने ापारी िम से एक सवाल पूछना चाहता ।ँ आप अ छे कपड़े पहनते ह। आपके
कपड़े गरीब जैसे नह ह। आप सफल ि क तरह बोलते ह। हम बताएँ, जब टालमटोल आपके कान म कु छ
कहती है, तो या आप अब भी उसक बात सुनते ह ?”
ापारी ने जवाब दया, “ख़रीदार िम क तरह मुझे भी टालमटोल को पहचानना और जीतना पड़ा। यह
मेरी दु मन थी, जो हमेशा मेरी सफलता म बाधा डालने क ताक म रहती थी। मने जो कहानी सुनाई है, उस
तरह के ब त से उदाहरण ह, िजनके ारा म बता सकता ँ क टालमटोल क वजह से मेरे अवसर कस तरह दूर
चले गए। एक बार समझ लेने के बाद टालमटोल को जीतना मुि कल नह होता। कोई भी ि वे छा से चोर
को अपना अनाज चुराने नह देता है। न ही कोई ि श ु को अपने ाहक को दूर भगाने क छू ट देता है,
य क इससे उसका मुनाफ़ा कम हो जाएगा। जब मने यह पहचान िलया क मेरा दु मन इस तरह के काम कर
रहा है, तो मने संक प के साथ उस पर िवजय पाई। अगर कोई ि बैिबलॉन क चुर दौलत म िह सेदार
बनना चाहता है, तो सबसे पहले उसे अपनी टालमटोल क भावना पर िवजय पाना होगी ।”
“अरक़ाद, आप या कहते है? चूँ क आप बैिबलॉन के सबसे अमीर ि ह, इसिलए कई लोग कहते ह क
आप सबसे यादा ख़श क़ मत ि भी ह। या आप मेरी इस बात से सहमत ह क कोई भी आदमी जब तक
टालमटोल क भावना को पूरी तरह न नह कर देता, तब तक वह बड़ी सफलता नह पा सकता ?”
अरक़ाद ने वीकार कया, “जैसा आप कहते ह, िब कु ल वैसा ही है। मेरे लंबे जीवन म मने कई पी ढ़य को
वसाय, िव ान और ान के उन े म आगे बढ़ते देखा है, जो ज़ंदगी म सफलता क राह पर ले जाते ह।
अवसर उन सब लोग के पास आए थे। बहरहाल, कु छ ने अपने सामने आए अवसर का लाभ उठाया और अपनी
गहनतम इ छा क संतुि क ओर आगे बढ़ते रहे, परं तु अिधकांश लोग िझझके , लड़खड़ाए और पीछे रह गए।”
अरक़ाद कपड़े के बुनकर क ओर मुड़ा, “आप ही ने यह सुझाव दया था क हम ख़श क़ मती पर बहस कर।
अब आप इस बारे म या सोचते ह ?”
“अब म ख़श क़ मती को एक अलग रोशनी म देख रहा ।ँ मने सोचा था क ख़श क़ मत होने के िलए
इं सान को कोई कोिशश नह करना पड़ती। अब मुझे यह एहसास हो गया है क इं सान िबना कु छ कए
ख़श क़ मती को अपनी ओर आक षत नह कर सकता। इस चचा से मने यह सीखा है क ख़श क़ मती को
आक षत करने के िलए अवसर का लाभ उठाना ज़ री है। म अपने सामने आने वाले अवसर का अिधकतम
लाभ उठाने क कोिशश क ँ गा।”
अरक़ाद ने जवाब दया, “आपने हमारी चचा के स य को ब त अ छी तरह से पकड़ िलया है। हमने यह
पाया है क अ सर ख़श क मती अवसर के पीछे आती है। यह शायद ही कभी कसी दूसरे प म आती है। हमारा
ापारी िम ब त ख़श क़ मत होता, अगर उसने सौभा य क देवी ारा दए गए अवसर को वीकार कर
िलया होता। इसी तरह हमारा ख़रीदार िम भी ख़श क़ मत होता, अगर उसने मवेिशय को समय पर ख़रीद
िलया होता और उ ह तीन गुने लाभ पर बेचा होता।”
हमने यह चचा इसिलए शु क थी, ता क हम ख़श क़ मती को अपनी ओर आक षत करने का तरीक़ा
खोज सक। मुझे लगता है क हमने वह तरीक़ा खोज िलया है। दोन ही कहािनय से यह िन कष िनकलता है क
ख़श क़ मती अवसर म छु पी होती है। चाहे ख़श क़ मती का लाभ उठाया गया हो या नह उठाया गया हो, इस
स य को बदला नह जा सकता : अवसर को वीकार करके ख़श क़ मती को आक षत कया जा सकता है।
जो लोग गित के अवसर का लाभ लेने के िलए त पर रहते ह, उनम सौभा य क देवी िच लेती है। वे
हमेशा उन लोग क मदद करने क इ छु क होती ह, जो उ ह ख़श करते ह; और कमशील ि उ ह सबसे
यादा ख़श करते ह।
“कम आपको सफलता क ओर ले जाएगा।”

सौभा य क देवी कमशील ि य पर कृ पा करती ह।


धन के पाँच िनयम

“अ गर आपके सामने एक तरफ़ सोने क मोहर से भरी थैली रख दी जाए और दूसरी तरफ़ बुि
से भरा मृदाप रख दया जाए, तो आप दोन म से कसे चुनगे ?”
म ा के श द

रे िग तानी झािड़य क आग क िहलती रोशनी म ोता के झुलसे चेहर पर दलच पी क चमक साफ़
नज़र आ रही थी।
स ाईस लोग ने एक साथ कहा, “सोने क मोहर से भरी थैली।”
बूढ़ा कालाबाब समझदारी से मु कराया।
उसने अपना हाथ उठाकर उ ह चुप कराया और कहा, “रात म आवारा कु के भ कने क आवाज़ सुनो। वे
इसिलए िच ला रहे ह और रो रहे ह, य क वे भूख से ाकु ल ह। परं तु अगर उ ह खाना िमल जाए, तो उसके
बाद वे या करगे ? वे लड़ने लगगे और घमंड से इतराते ए चलने लगगे। वे आने वाले कल क तरफ़ यान नह
दगे, जो िनि त प से आएगा ही।”
इं सान भी यही करते ह। अगर उ ह सोने और बुि मानी म से कसी एक को चुनने के िलए कहा जाता है, तो
वे या करते ह? वे बुि मानी को नज़रअंदाज़ कर देते ह और सोने को बबाद कर देते ह। आने वाले कल म वे
दुबारा रोएँगे, य क उनके पास अब सोना नह बचा है।
“सोना या धन उन लोग को ही िमलता है, जो इसके िनयम जानते ह और उनका पालन करते ह।”
कालाबाब ने अपने सफ़े द दुशाले को अपने दुबले पैर पर समेटा, य क रात क ठं डी हवा बह रही थी।
“तुम लोग ने इस लंबी या ा म वफ़ादारी से मेरी सेवा क है। तुमने मेरे ऊँट क अ छी देखभाल क है।
तुमने रे िग तान क गम रे त पर िबना िशकायत कए मेहनत क है। तुमने उन डकै त का बहादुरी से मुक़ाबला
कया है, जो मेरा सामान लूटना चाहते थे। इसिलए म आज रात को तु ह धन के पाँच िनयम क कहानी
सुनाऊँगा। तुमने इस तरह क कहानी पहले कभी नह सुनी होगी।”
“ यान से सुनो, मेरे श द को ब त यान से सुनो, य क अगर तुम उनका मतलब समझ लोगे और उनका
पालन करोगे, तो भिव य म तुम भी धनवान बन सकते हो।”
भाव डालने के िलए वह थोड़ी देर का। ऊपर बैिबलॉन के नीले आसमान म िसतारे चमक रहे थे। उन
लोग के पीछे तंबू बँधे थे, ता क रे िग तान के संभािवत तूफ़ान से र ा हो सके । तंबु के पास ापा रक सामान
क़रीने से रखा था और जानवर क खाल से ढँका था। पास म ही ऊँट का रे वड़ रे त म बैठा था। कु छ ऊँट संतुि
के साथ जुगाली कर रहे थे, बाक़ खराटे ले रहे थे।
“आपने हम ब त सी अ छी कहािनयाँ सुनाई ह, कालाबाब,” सामान बाँधने वाले मुख ि ने कहा,
“हम चाहते ह क कल जब आपके साथ हमारी सेवा ख़ म हो, तो उसके बाद आपके श द का मागदशन हमारे
साथ रहे।”
कालाबाब ने कहा, ”मने तु ह अजीब और सुदरू देश के अपने अनुभव सुनाए ह, परं तु आज रात को म तु ह
समझदार और अमीर अरक़ाद क बुि मानी के बारे म बताना चाहता ।ँ ”
सामान बाँधने वाले मुख ि ने कहा, “हमने उनके बारे म काफ़ सुना है, य क वे बैिबलॉन के सबसे
अमीर आदमी थे।”
“वे सबसे अमीर आदमी इसिलए बने, य क वे धन के िनयम को जानते थे। धन के िनयम उनसे पहले
कसी को भी इतनी अ छी तरह से मालूम नह थे। आज क रात म तु ह ब त समझदारी क बात बताऊँगा, जो
उनके बेटे नोमािज़र ने कई साल पहले िननेवे म मुझे बताई थ , जब म छोटा था।”
“मेरे मािलक और म नोमािज़र के महल म देर रात तक के थे। म सुंदर कालीन के बड़े बंडल लाने म अपने
मािलक क मदद कर रहा था। नोमािज़र ने हर क़ालीन क जाँच क , जब तक क वह रं ग के चयन से पूरी तरह
संतु नह हो गया। आिखरकार वह ब त खुश आ और उसने हम अपने पास िबठा िलया। उसने हम ब त दुलभ
और ख़सबूदार शराब िपलाई, िजसे पीने के बाद मेरे पेट म गम दौड़ गई, य क मेरे पेट को इस तरह के पेय
पदाथ क आदत नह थी।”
“ फर उसने हम अपने िपता अरक़ाद क समझदारी क यह कहानी सुनाई, जो म तु ह सुनाने जा रहा ।ँ ”
जैसी परं परा है, बैिबलॉन म दौलतमंद िपता के पु हमेशा उनके साथ रहते ह और उनक जायदाद
िवरासत म पाने क आशा करते ह। । अरक़ाद को यह परं परा पसंद नह थी। इसिलए नोमािज़र के वय क होने
पर अरक़ाद ने उससे कहा :
“मेरे बेटे, मेरी यह इ छा है क तुम मेरी जायदाद के वा रस बनो। परं तु पहले तु ह यह सािबत करना होगा
क तुम समझदारी से इसे सँभाल सकते हो। इसिलए म चाहता ँ क तुम दुिनया म बाहर िनकलो और धन
कमाने तथा लोग के बीच स मान पाने क अपनी यो यता को सािबत करो।”
“तु ह अ छी तरह से शु आत करने के िलए म दो चीज़े देता ,ँ जो मुझे नह िमली थ । जब मने दौलत
इक ी करना शु क थी, तब म ब त गरीब था।”
“सबसे पहले तो म तु ह सोने क मोहर से भरी यह थैली देता ।ँ अगर तुम इसका समझदारी से उपयोग
करोगे, तो यह तु हारी भावी सफलता क न व बन जाएगी।”
“दूसरी बात, म तु ह यह मृदाप देता ,ँ िजस पर धन के पाँच िनयम िलखे ह। अगर तुम इन िनयम के
अनुसार चलोगे, तो तु ह यो यता और सुर ा ज़ र िमलेगी।”
“आज से दस साल बाद तुम घर लौटकर अपने अनुभव बताना। अगर तुम खुद को यो य सािबत कर दोगे,
तो म तु ह अपनी जायदाद का वा रस बना दूग ँ ा। वरना म यह जायदाद पुरोिहत को दान कर दूग ँ ा, ता क वे मेरी
आ मा क शांित के िलए देवी-देवता से ाथना कर।”
“इस तरह नोमािज़र ज़ंदगी म कु छ कर दखाने के िलए चल पड़ा। उसने धन क थैली और मृदाप को
रे शमी कपड़ म लपेट िलया। फर वह घोड़े पर बैठकर अपने नौकर के साथ या ा पर चल दया।”
“दस साल गुज़र गए और जैसा तय आ था, नोमािज़र अपने िपता के घर लौटा। उसके आने क खुशी म
उसके िपता ने बेहतरीन दावत दी थी, िजसम कई र तेदार और िम को बुलाया गया था। ज ख़ म होने के
बाद नोमािज़र के माता-िपता बड़े हॉल के एक और संहासन जैसी कु सय पर बैठे और नोमािज़र उनके सामने
खड़े होकर अपने अनुभव सुनाने लगा, जैसा उसने अपने िपता से वायदा कया था।”
“रात हो चुक थी। कमरे म तेल के दीपक का धुआँ भरा था। रोशनी मि म थी। सफ़े द जैकेट पहने नौकर
खजूर के लंबे प से हवा कर रहे थे। पूरे दृ य म शाही ग रमा थी। नोमािज़र क प ी और उसके दो छोटे पु ,
प रवार के िम तथा र तेदार के साथ क़ालीन पर बैठे थे। वे सभी नोमािज़र क बात सुनने के िलए उ सुक
थे।”
नोमािज़र ने कहा, “िपताजी, म आपक बुि म ा के सामने िसर झुकाता ।ँ दस साल पहले जब म
युवाव था क दहलीज़ पर खड़ा था, तो आपने मुझसे कहा था क म बाहर िनकलूँ और मद बनकर दखाऊँ,
बजाय इसके क म आपक दौलत िवरासत म िमलने का इं तज़ार करता र ।ँ ”
“आपने मुझे काफ़ धन दया था। आपने मुझे काफ़ बुि म ा भी दी थी। जहाँ तक धन का सवाल है, म यह
वीकार करता ँ क म उसे ठीक से सँभाल नह पाया। सच तो यह है क मेरे अनुभवहीन हाथ से धन उसी तरह
फसल गया, िजस तरह जंगली खरगोश पहला मौक़ा िमलते ही उसे पकड़ने वाले ब े के हाथ से िनकल भागता
है।”
िपता ने मु कराते ए कहा, ‘आगे बोलो बेटे, तु हारी कहानी ब त दलच प है।‘
“मने िननेवे जाने का फ़ै सला कया, य क उस शहर म तर क संभावनाएँ यादा दख रही थ । मुझे
िव ास था क मुझे वहाँ ब त से अवसर िमलगे। म एक कारवाँ म शािमल हो गया और उसम मेरे ब त से दो त
बन गए। उनम दो मधुरभाषी लोग भी थे, िजनके पास एक ब त सुंदर सफ़े द घोड़ा था, जो हवा क गित से
भागता था।”
“या ा के दौरान उ ह ने मुझे िव ास म लेकर बताया क िननेवे म एक दौलतमंद आदमी है, िजसके पास
इतना तेज़ घोड़ा है क वह कभी नह हारा है। उसके मािलक को यक़ न है क दुिनया का कोई घोड़ा उससे तेज़
नह भाग सकता। वे लोग अपनी रक़म को दाँव पर लगाने जा रहे ह क वह घोड़ा बैिबलॉन के सारे घोड़ से
यादा तेज़ भाग सकता है। मेरे िम ने कहा क उस घोड़े के सामने उनका घोड़ा तो एक कमज़ोर ख र है, िजसे
ब त आसानी से हराया जा सकता है।”
“उ ह ने मुझ पर कृ पा दखाते ए मुझे भी उस दाँव म िह सेदार बना िलया। म इस योजना पर मोिहत
था।”
“हमारा घोड़ा बुरी और यादातर तरह हार गया मने अपना धन गँवा दया।” यह सुनकर अरक़ाद को हँसी
आ गई। “बाद म मुझे पता चला क वह उन धोखेबाज़ क चालाक भरी योजना थी और वे लगातार कारवाँ म
अपने िशकार क तलाश म या ा करते ह। िननेवे का वह आदमी उनका पाटनर था और वे लोग दाँव पर लगाए
गए पैसे को आपस म बाँट लेते थे। इस चालबाज़ी ने मुझे सतक रहने का पहला सबक़ िसखाया।”
“ज दी ही मुझे एक और इतना ही कटु अनुभव होने वाला था। कारवाँ म एक और युवक मेरा िम बन गया
था। उसके माता-िपता दौलतमंद थे और वह भी मेरी ही तरह वसाय करने के िलए िननेवे जा रहा था। हमारे
प च ँ ने के कु छ समय बाद ही उसने मुझे बताया क एक ापारी क मृ यु हो गई है, िजस वजह से उसक दुकान
म भरा पूरा सामान और उसक दुकान का नाम ब त कम क़ मत पर िमल रहा है। उसने कहा क हम बराबरी के
पाटनर ह गे, परं तु पहले उसे बैिबलॉन जाकर धन लाना होगा। उसने मुझे राज़ी कर िलया क म अपने धन से उस
दुकान को ख़रीद लूँ और वह बाद म जाकर अपने िह से का धन ले आएगा। चूँ क दुकान म बाद म भी धन क
ज़ रत पड़ना थी, इसिलए म इसके िलए तैयार हो गया।”
“वह बैिबलॉन जाने म टालमटोल करता रहा। काफ समय बीत गया। इस दौरान उसने यह सािबत कर
दया क उसम ख़रीदने और ख़च करने क समझ नह थी। मने उसे आिख़रकार बाहर िनकाल दया, परं तु तब
तक वसाय क हालत इतनी िबगड़ चुक थी क हमारे पास िसफ़ वही सामान बचा था, जो िबक नह सकता
था। अब हमारे पास बाक़ सामान ख़रीदने के िलए धन भी नह बचा था। बचे ए सामान को मने इज़राइल के
एक ि को ब त ही स ते दाम पर बेच दया।”
“िपताजी, ज दी ही मेरे बुरे दन शु हो गए। मने नौकरी क तलाश क , जो मुझे नह िमली, य क मेरे
पास कोई ऐसा ान या िश ण नह था, िजसके मा यम से म कमा सकूँ । मने अपने घोड़े बेच दए। मने अपना
गुलाम बेच दया। मने अपने अित र कपड़ को भी बेच दया, ता क मुझे भोजन और सोने क जगह िमल सके ,
परं तु हर दन घोर गरीबी मेरे क़रीब आती जा रही थी।”
“ले कन उन दुख भरे दन म भी यह याद रहा क आपको मुझ पर िव ास था। आपने मुझे मद बनने के
िलए भेजा था और म मद बनने के िलए संक पवान था।” नोमािज़र क माँ ने दोन हाथ से अपना चेहरा छु पा
िलया और सुबकने लगी।
“उस समय मुझम आपका दया वह मृदाप याद आया, िजस पर धन के पाँच िनयम िलखे थे। मने आपक
समझदारी के श द को ब त यान से पढ़ा। उ ह पढ़ने के बाद मुझे यह एहसास हो गया क अगर मने इन
समझदारी के श द को पहले पढ़ िलया होता, तो मेरा धन नह डू बता। मने हर िनयम याद कर िलया और यह
संक प कया क जब सौभा य क देवी मुझ पर मेहरबान ह गी, तो म जवानी क अनुभवहीनता से नह , बि क
उ क बुि म ा से अपनी दशा तय क ं गा।”
आज रात जो लोग यहाँ पर बैठे ह, उनके लाभ के िलए म अपने िपता के बुि म ापूण िनयम को पढ़ना
चा ग ँ ा, जो उ ह ने मुझे दस साल पहले दए मृदाप पर िलखे थे :

धन के पाँच िनयम
1. धन उस आदमी के पास ख़शी-ख़शी आता है और बढ़ती मा ा म आता है, जो अपनी आमदनी क
कम से कम दसव िह से का योग अपने तथा अपने प रवार के भिव य के िलए जायदाद बनाने म
करता है।
2. धन उस समझदार मािलक के िलए जमकर मेहनत करता है, जो इसके िलए लाभकारी काम खोजता
है। यह मवेिशय क तरह तेज़ी से बढ़ता है।
3. धन उस सावधान मािलक के संर ण म रहता है, जो इसका िनवेश िसफ़ समझदार लोग क
सलाह से करता है।
4. धन उस आदमी से दूर चला जाता है, जो इसका िनवेश उन वसाय या उ े य के िलए करता है,
िजनसे वह प रिचत नह है या िजनक अनुशंसा समझदार लोग नह करते ह।
5. धन उस आदमी से दूर चला जाता है, जो इसके मा यम से असंभव आमदनी हािसल करना चाहता
है या जो चालबाज़ लोग क लुभावनी सलाह मानता है या जो इसे अपनी अनुभवहीनता और
मानी इ छा के अधीन िनवेश करता है।
“ये धन के वे पाँच िनयम ह, जो मेरे िपताजी ने िलखे थे। म उ ह सोने से भी यादा मू यवान मानता ,ँ
जैसा म आपको आगे क कहानी म बताऊँगा।”
वह एक बार फर अपने िपता क ओर मुड़ा, ‘मने आपको बता दया है क अपनी अनुभवहीनता के कारण
म ग़रीबी और िनराशा क गहराई म प च ँ गया था।’
“बहरहाल, संकट क कोई ृंखला ऐसी नह होती, जो कभी ख़ म न हो। मेरे संकट का दौर भी
आिख़रकार तब ख़ म आ, जब मुझे एक नौकरी िमल गई। मुझे शहर क नई बाहरी दीवार पर काम करने वाले
ग़लामो का मैनेजर बना दया गया।”
“धन के पहले िनयम के ान का लाभ उठाते ए मने अपनी पहली आमदनी म से दसवाँ िह सा यानी ताँबे
का एक िस ा बचा िलया और मौक़ा िमलते ही इसम िस े जोड़ता रहा, जब तक क यह चाँदी के िस े म नह
बदल गया। यह ब त धीमा काम था, य क इं सान को ज़ंदा रहने के िलए ख़च करना पड़ता है। मने ब त
कफ़ायत से ख़च कया, य क म यह संक प कर चुका था क दस साल बाद म आपको उतना धन लौटा दूग ँ ा,
िजतना आपने मुझे दया था।”
“गुलाम के मािलक से मेरी िम ता हो गई। एक दन उसने मुझसे कहा, ‘तुम एक कफ़ायती युवक हो, जो
अपनी कमाई को उड़ाते नह हो। या तु हारे पास ऐसा धन है, जो काम म न आ रहा हो ?”
मने जवाब दया, ‘हाँ, मेरी सबसे बड़ी इ छा यही है क म उतना धन कमा लू,ँ िजतना मेरे िपताजी ने मुझे
दया था, परं तु िजसे मने अपनी मूखता से गँवा दया है।’
“यह ब त अ छी मह वाकां ा है! परं तु या तुम जानते हो क तुमने िजतना धन बचाया है, वह तु हारे
िलए मेहनत करके और यादा धन कमा सकता है ?”
“इस मामले म मेरा अनुभव बुरा रहा है, य क मेरे िपता का दया धन मुझसे दूर चला गया है और मुझे
डर है क कह मेरी बचत का भी यही हाल न हो।” ”
उसने जवाब दया, ‘अगर तु ह मुझ पर भरोसा हो, तो म तु ह धन के लाभकारी बंधन के बारे म एक
सबक़ िसखाना चा ग ँ ा। एक साल म शहर क बाहरी दीवार पूरी बन जाएगी और वेश ार पर लगाने के िलए
काँसे के बड़े दरवाज़ क ज़ रत होगी, ता क शहर श ु से सुरि त रहे। इन दरवाज़ को बनाने के िलए िननेवे
म पया धातु नह है और राजा ने इस बारे म सोचा ही नह है। मेरी योजना है क हम लोग अपना धन इक ा
करके ताँबे और टन क खदान तक कारवाँ भेज, जो ब त दूर ह। वहाँ से हम िननेवे के दरवाज़ के िलए धातु
मँगवाएँगे। जब राजा कहेगा, “बड़े दरवाज़े लगाओ,” तो िसफ़ हमारे पास ही उतनी धातु होगी, िजससे दरवाज़े
बन सक। इसके बदले म राजा हम ऊँचे दाम देगा। और अगर हम यह मान भी ल क राजा हमसे धातु नह
ख़रीदेगा, तो भी हमारे पास धातु तो रहेगी, िजसे हम ऊँचे दाम पर बेच सकते ह।‘
नोमािज़र ने कहा, ‘उसके ताव म मुझे तीसरे िनयम क झलक दखाई दी। तीसरे िनयम के अनुसार
अपनी बचत का िनवेश समझदार लोग के मागदशन म करना चािहए। ऐसा करने के बाद म िनराश नह आ।
हमारी योजना सफल ई और उस सौदे क सफलता के बाद मेरा छोटा सा धन-सं ह िवशाल सं ह बन गया।’
बाद म इस समूह ने मुझे अ य िनवेश म भी िह सेदार बना िलया। वे लोग धन के लाभकारी बंधन म
िनपुण थे। कोई भी काम करने से पहले वे ब त सावधानी से योजना बनाते थे। वे इस बात का यान रखते थे क
उनके मूल धन पर ज़रा भी आँच न आए। वे ऐसे िनवेश म भी हाथ नह डालते थे, जहाँ से उनका धन वापस न
लौट सके । घुड़दौड़ या दुकान म पाटनरिशप जैसी मूखतापूण चीज़ पर, िजनम मने अपनी अनुभवहीनता के
कारण हाथ डाला था, वे िवचार भी नह करते थे। अगर मने उनके संपक म आने के बाद ये काम कए होते, तो
उ ह ने मुझे त काल इनके ख़तरे बता दए होते।
इन लोग के संपक म आने से मने धन का सुरि त और लाभकारी िनवेश करना सीख िलया। समय गुज़रने
के साथ मेरा ख़ज़ाना बढ़ा और तेज़ी से बढ़ा। मने न िसफ़ अपना गँवाया आ धन दुबारा कमा िलया, बि क मने
उससे ब त यादा कमाया।
“िपताजी, मेरे दुभा य , परे शािनय और सफलता के ारा मने बार-बार धन के पाँच िनयम क
बुि म ा को परखा है और वे हर इ तहान म खरे उतरे ह। िजस ि को धन के इन पाँच िनयम का ान नह
है, उसके पास धन वैसे तो आता ही नह है और आता भी है, तो ज दी ही चला जाता है। परं तु जो इन पाँच
िनयम का पालन करता है उसके पास धन आता है और उसके वफ़ादार सेवक क तरह काम करता है। ”
नोमािज़र ने बोलना बंद कर दया और कमरे म पीछे खड़े गुलाम को इशारा कया। गुलाम एक-एक करके
चमड़े के तीन भारी थैले लेकर आया। नोमािज़र ने उनम से एक को उठाकर अपने िपता के सामने रखा और कहा :
“आपने मुझे सोने क एक थैली दी थी, िजसम बैिबलॉन का सोना था। उसके एवज म म आपको उतने ही
वज़न क िननेवे के सोने क थैली लौटा रहा ।ँ सब लोग यह बात मानगे क यह िबलकु ल बराबरी का सौदा है।”
“आपने मुझे बुि म ा से भरा मृदाप दया था। उसके एवज म म आपको सोने क दो थैिलयाँ लौटा रहा
।ँ ” यह कहते ए उसने गुलाम से बाक़ दोन थैिलयाँ ल और उ ह भी अपने िपता के सामने फ़श पर रख दया।

“िपताजी, इस तरह म आपके सामने यह सािबत कर रहा ँ क म आपक बुि म ा को आपके धन से
यादा मू यवान मानता ।ँ बहरहाल, बुि म ा के मू य को सोने क थैिलय म नह तौला जा सकता। बुि म ा
न हो, तो धन अमीर आदमी से भी ज दी ही दूर चला जाता है। ले कन बुि म ा होने पर गरीब आदमी भी धन
हािसल कर सकता है, जैसा सोने क मोहर से भरी इन तीन थैिलय से सािबत होता है।”
“िपताजी, मुझे आपके सामने खड़े होकर यह कहने म ब त संतोष हो रहा है क आपक समझदारी के
कारण म अमीर और स मािनत बनने म सफल आ।”
िपता ने नोमािज़र के िसर पर अपना हाथ फराया और बोले, “तुमने अपने सबक़ अ छी तरह से सीख िलए
ह और म ख़श क मत ,ँ जो मुझे इतना यो य पु िमला है। अब म तु ह अपनी दौलत स प सकता ।ँ ”
कालाबाब ने अपनी कहानी ख़ म क और ोता को देखा।
उसने पूछा, “नोमािज़र क कहानी से तुमने या सीखा ?”
“तुमम से कौन अपने िपता या ससुर के पास जाकर अपनी आमदनी के बुि म ापूण बंधन का िहसाब दे
सकता है?”
ये स मािनत लोग या सोचगे, अगर तुम यह कहोगे, ‘मने काफ़ या ा क है, काफ़ कु छ सीखा है, काफ़
मेहनत क है और काफ़ कमाया है, परं तु म यादा धन बचा नह पाया ।ँ कु छ धन मने समझदारी से ख़च कया,
कु छ मूखता से और बाक़ मने नासमझी म गँवा दया।’
“ या तुम अब भी सोचते हो क यह क मत का खेल है क कु छ लोग के पास ब त दौलत होती है, जब क
बा क़य के पास िबलकु ल भी नह होती है ? अगर तुम ऐसा सोचते हो, तो तुम ग़लत सोचते हो।”
“लोग के पास दौलत तब आती है, जब वे धन के इन पाँच िनयम को जानते ह और उनका पालन करते
है।”
“चूँ क मने कशोराव था म ही ये पाँच िनयम सीख िलए थे और उनका पालन करने लगा था, इसिलए म
संप ापारी बन गया। मने अपनी दौलत जादू से इक ी नह क है।”
“ज दी आने वाली दौलत ज दी ही चली जाती है।”
“अपने मािलक को खुशी और संतुि देने वाली थायी दौलत धीरे -धीरे आती है, य क यह ान तथा
सतत संक प क संतान होती है।”
“दौलत कमाना िवचारशील ि के िलए एक ह का बोझ होता है। इस बोझ को लगातार हर साल
उठाकर वह अपने अंितम उ े य को हािसल कर लेता है।”
“म तुम लोग को पुर कार म सोने के पाँच िनयम देता ,ँ िजनका तु ह पालन करना चािहए।”
“इन पाँच िनयम म से हर एक का गहरा अथ है। हो सकता है तुमने कहानी सुनते समय इनके गहरे अथ को
नज़रअंदाज़ कर दया हो, इसिलए अब म सभी िनयम को दोहराऊँगा। मुझे ये िनयम अ छी तरह याद ह,
य क मने अपनी जवानी म उनका मह व समझ िलया था और म तब तक चैन से नह बैठा, जब तक क वे मुझे
पूरी तरह से याद नह हो गए।”

धन का पहला िनयम
धन उस आदमी के पास ख़शी-ख़शी आता है और बढ़ती मा ा म आता है, जो अपनी
आमदनी के कम से के भिव य के िलए जायदाद बनाने म करता है।
“जो आदमी अपनी आमदनी का दसवाँ िह सा लगातार बचाता है और उसका समझदारी से िनवेश करता
है, वह ज दी ही अ छी-ख़ासी जायदाद बना लेगा, िजससे भिव य म उसे आमदनी होती रहेगी और जो उसक
मृ यु क ि थित म उसके प रवार क सुर ा क गारं टी होगी। यह िनयम कहता है क धन हमेशा ऐसे आदमी के
पास ख़शी-ख़शी आता है। म अपने जीवन म इसका माण कई बार देख चुका ।ँ म िजतना यादा धन इक ा
करता ,ँ यह मेरे पास उतनी ही यादा मा ा म और यादा तेज़ी से आता है। जो धन म बचाता ,ँ वह और
यादा कमाई करता है, िजस तरह तु हारा भी करे गा। िनवेश से िमलने वाले याज का दुबारा िनवेश करने पर
तुम और यादा कमाओगे। यही पहले िनयम का सार है।”

धन का दूसरा िनयम
धन उस समजझदार मािलक के िलए जमकर मेहनत करता है, जो इसके िलए
लाभकारी काम खोजता है। यह मवेिशय क तरह तेज़ी से बढ़ता है।
सचमुच धन एक इ छु क सेवक है। यह मौक़ा िमलते ही कई गुना होने के िलए हमेशा उ सुक रहता है। जो
भी धन को बड़ी मा ा म इक ा कर लेता है, उसे इसके सबसे यादा लाभकारी योग का अवसर िमलता है।
समय गुज़रने के साथ धन आ यजनक तेज़ी से कई गुना हो जाता है

धन का तीसरा िनयम
धन उस सावधान मािलक के संर ण म रहता है, जो इसका िनवेश िसफ़ समझदार
लोग क सलाह से करता है।
“धन सावधान मािलक के संर ण म बढ़ता है और लापरवाह मािलक से दूर भागता है। जो ि धन के
बंधन म समझदार लोग क सलाह लेता है, वह ज दी ही यह सीख लेता है क अपने धन को जोिखम म डालने
के बजाय उसे सुरि त रखने और लगातार बढ़ते देखने म ही स ा आनंद िमलता है।”

धन का चौथा िनयम
धन उस आदमी से दूर चला जाता है, जो इसका िनवेश उन वसाय या उ े य के
िलए करता है, िजनसे से वह प रिचत नही है या िजनक अनुशंसा समझदार लोग नही
करते ह।
“िजस ि के पास धन तो होता है, परं तु वह इसे सँभालना नह जानता है, उसे ब त से लाभकारी सौदे
नज़र आते ह। अ सर उनम धन गँवाने का जोिखम होता है। समझदार ि य के अनुसार उनम लाभ क ब त
कम संभावना होती है। परं तु धन का अनुभवहीन मािलक अपनी बुि पर ज़ रत से यादा भरोसा करता है और
वह अपने धन को ऐसे वसाय तथा उ े य म लगाता है, िजनके बारे म वह कु छ नह जानता। अ सर बाद म
जाकर उसे पता चलता है क उसका िनणय गलत था। इस तरह वह अपनी अनुभवहीनता के कारण अपना धन
गँवा देता है। सचमुच समझदार ि वह है, जो अपनी बचत का िनवेश उन लोग क सलाह से करता है, जो
धन के बंधन म िनपुण होते ह।”

धन का पाँचवाँ िनयम
धन उस आदमी से दूर चला जाता है, जो इसके मा यम से असंभव आमदनी हािसल
करना चाहता है या जो चालबाज़ लोग क लुभावनी सलाह मानता है या जो इसे
अपनी अनुभवहीनता और मानी इ छा के अधीन िनवेश करता है।
“नए-नए धनवान बने ि के सामने रोमांचक और क पना क हवाई उड़ान वाली योजनाएँ हमेशा
आती ह। ऐसा नज़र आता है क जादुई शि से उसका ख़ज़ाना बढ़ जाएगा और उसे असंभव आमदनी होने
लगेगी। बहरहाल, समझदार ि य क बात पर यान द, य क वे फटाफट दौलत कमाने क हर योजना के
पीछे िछपे जोिखम को जानते है।”
“िननेवे के अमीर लोग को न भूल, जो अपने मूलधन को गँवाने का कोई जोिखम नह लेना चाहते थे या इसे
अलाभकारी िनवेश म फँ साना चाहते थे।”
“यहाँ पर धन के पाँच िनयम क मेरी कहानी ख़ म होती है। इसम मने अपनी सफलता के रह य भी बता
दए ह।
“बहरहाल, ये रह य नह , बि क स ाइयाँ ह, जो हर इं सान को पहले सीखना ह गी और फर इन पर अमल
करना होगा। तभी वह यादातर लोग के समूह से बाहर िनकल सकता है, जो आवारा कु क तरह हर दन
अपने भोजन के बारे म ही चंता करते ह।”
“कल हम बैिबलॉन म वेश करगे। देखो। बेल के मं दर के ऊपर हमेशा जलने वाली योित को देखो!
सुनहरा शहर हमारे सामने है। कल तुमम से हर एक के पास धन होगा, िजसे तुमने अपनी वफ़ादारी भरी सेवा से
कमाया है।”
“आज से दस साल बाद तुम इस धन के बारे म या कहोगे?”
“अगर तुम नोमािज़र क तरह अपने धन के एक िह से से जायदाद बनाना शु करोगे और अरक़ाद क
बुि म ा से मागदशन लोगे, तो यह तय है क दस साल बाद अरक़ाद के पु क तरह ही तुम भी अमीर और
स मािनत बन जाओगे।”
“हमारे समझदारी भरे काम हम ज़ंदगी भर खुशी देते ह और हमारी मदद करते ह। इसी तरह हमारे
नासमझी भरे काम हम ज़ंदगी भर दुख देते ह और सताते ह। हम उ ह भुला नह पाते ह। हम जो चीज सबसे
यादा सताती ह, वे उन चीज़ क याद ह, जो हम करना चािहए थ , उन अवसर क याद ह, जो हमारे सामने
आए, परं तु हम उनका लाभ नह उठा पाए।”
बैिबलॉन के ख़ज़ाने भरे ए ह। इनम इतनी बेशुमार दौलत है क कोई ि सोने क मोहर म उनक
िगनती नह कर सकता। साल ये ख़ज़ाने यादा भर जाते ह। हर देश के ख़ज़ान क तरह इस म भी पुर कार उन
संक पवान लोग का इं तज़ार कर रहा है, जो अपना उिचत िह सा लेने का संक प कर चुके ह।”
“आपक इ छाशि म ताक़त होती है। अगर तुम धन के पाँच िनयम के ान से इस शि को राह
दखाओगे, तो तुम भी बैिबलॉन के ख़ज़ाने म िह सेदार बन जाओगे। ”
बैिबलॉन का सा कार

सो नेनहक रहीपचासथ ।मोहर! बैिबलॉन म भाले बनाने वाले रोडन के चमड़े के पस म इससे पहले कभी इतनी मोहर
वह राजमहल से िनकलकर राजमाग पर चलने लगा। उसके हर क़दम के साथ उसके बे ट म
बँधे पस म मोहर खनक रही थ – जो उसे दुिनया का सबसे मधुर संगीत लग रहा था।
सोने क पचास मोहर – सब क सब उसक ! उसे अपनी ख़श क़ मती पर यक़ न ही नह हो रहा था। सोने
क इन खनकती मोहर म कतनी शि है! इनसे वह जो चाहे ख़रीद सकता है – बड़ा घर, ज़मीन, मवेशी, ऊँट,
घोड़े, रथ, जो भी वह चाहे।
वह इनका योग कै से करे गा ? उस शाम को जब वह अपनी बहन के घर क तरफ़ जाने वाली गली म मुड़ा,
तो वह कसी और चीज़ के बारे म नह सोच पा रहा था। उसके मन म िसफ़ यही वािहश थी क वह सोने क
उन चमकती, भारी मोहर का वामी बना रहे – हमेशा।
इसके कु छ दन बाद क बात है। शाम के समय परे शान रोडन मैथन क दुकान के भीतर गया। मैथन
सा कार था और लोग को धन उधार देता था। वह हीरे –जवाहरात तथा दुलभ व का ापारी भी था। रोडन
ने दाएँ–बाएँ कु छ नह देखा, जहाँ रं गीन व तुएँ ख़ूबसूरती से सजी थ । वह सीधा पीछे क तरफ़ बने ए घर क
ओर गया। वहाँ पर उसे मैथन एक क़ालीन पर बैठा दखा। मैथन भोजन कर रहा था और एक अ ेत गुलाम उसे
खाना परोस रहा था।
रोडन सीधे उसके सामने जाकर पैर फै लाकर खड़ा हो गया। उसक चमड़े क जैकेट के बीच से बाल भरा
सीना दख रहा था। उसने कहा “म आपसे एक चीज़ के बारे म सलाह लेना चाहता ।ँ म समझ नह पा रहा ँ क
इस मामले म या क ं ।”
मैथन के पतले और पीले चेहरे पर एक िम ता भरी मु कान आ गई, “तुमने कौन सी गलती कर दी है,
िजसक वजह से तु ह सा कार के पास उधार लेने आना पड़ा है? या जुए क टेबल पर तु ह बद क़ मित का
सामना करना पड़ा है? या फर कसी जवान ख़ूबसूरत मिहला ने तु ह अपने जाल म फँ सा िलया है ? म तु ह कई
साल से जानता ,ँ परं तु तुम मदद माँगने के िलए मेरे पास पहले कभी नह आए।”
“नह , नह । वह बात नह है, जो आप सोच रहे ह। म आपसे धन उधार नह लेना चाहता। इसके बजाय म
आपक समझदारी भरी सलाह लेना चाहता ।ँ ”
“सुनो! सुनो! यह आदमी या कह रहा है ? सा कार के पास सलाह लेने कौन आता है ? शायद मेरे कान
मुझे धोखा दे रहे ह।”
“नह , वे सच सुन रहे ह।”
“ या ऐसा हो सकता है ? भाले बनाने वाला रोडन बाक़ सब लोग से यादा चतुर है, य क वह मैथन के
पास धन नह , बि क सलाह लेने आया है। ब त से लोग मूखतापूण ख़च के िलए मुझसे धन उधार लेने आते ह,
परं तु वे सलाह नह चाहते ह। बहरहाल, सा कार से यादा अ छी सलाह और कौन दे सकता है, िजसके पास
लोग अपनी मुि कल म उधार लेने आते ह?”
“रोडन, आज तुम मेरे साथ खाना खाओगे। आज शाम को तुम मेरे मेहमान बनोगे। ए डो!” उसने अपने
अ ेत गुलाम को आदेश दया, “मेरे िम रोडन के िलए एक क़ालीन िबछाओ। वह मुझसे सलाह लेने आया है।
वह मेरा स मािनत अितिथ है। उसके सामने ब त सा भोजन परोसो और मेरा सबसे बड़ा िगलास लेकर आओ।
सबसे अ छी शराब चुनना, ता क रोडन को उसे पीने म मज़ा आ जाए।
“अब मुझे बताओ, तुम कस मुि कल म हो।”
“म स ाट के उपहार क वजह से मुि कल म ।ं ”
“स ाट के उपहार क वजह से ? स ाट ने तु ह एक उपहार दया है और उसक वजह से तुम मुि कल म हो
? कस तरह का उपहार ?”
“मने शाही र क के भाल पर नई नोक का नमूना पेश कया था, िजससे स ाट ब त ख़श ए और उ ह ने
मुझे पुर कार म सोने क पचास मोहर दे द । इससे म ब त दुिवधा म ।ँ ”
“ दन भर ऐसे लोग मुझे तंग करते ह, जो मुझसे यह दौलत हिथयाना चाहते ह।”
मैथन ने कहा, “यह वाभािवक है। यादातर लोग धन चाहते ह, जब क यह ब त कम लोग के पास होता
है। यादातर लोग उस दौलतमंद ि को खोजते ह, िजसने आसानी से दौलत कमाई हो, ता क वे उसका धन
हड़प सक। परं तु तुम उनसे ‘नह ’ य नह कहते हो ? या तु हारी इ छाशि तु हारी मु ी िजतनी सश नह
है ?”
“ यादातर लोग से म ‘नह ’ कह देता ,ँ परं तु कई बार हाँ कहना यादा आसान होता है। या कोई अपनी
ब त ही यारी बहन को दौलत देने से इं कार कर सकता है ?”
“िनि त प से तु हारी बहन तु ह इस पुर कार के आनंद से वंिचत नह करना चाहती होगी।”
“परं तु वह यह धन अपने पित अरमान के िलए चाहती है, िजसे वह एक अमीर ापारी के प म देखना
चाहती है। उसे लगता है क अरमान को कभी मौक़ा नह िमला है। उसने मुझसे आ ह कया है क म उसके पित
को यह धन दे दू,ँ ता क वह एक समृ ापारी बन जाए। वह यह भी कहती है क सफल होने के बाद उसका पित
मेरा सारा कज़ चुका देगा।”
मैथन ने कहा, “मेरे िम , तुम िजस िवषय पर सलाह लेने आए हो वह ब त ही ब ढ़या िवषय है। धन अपने
साथ िज़ मेदारी भी लाता है। धन के वामी क िज़ मेदारी बढ़ जाती है। उसके सािथय के साथ उसक ि थित
बदल जाती है। धन के साथ यह डर भी आता है क कह यह धन चला न जाए या कोई चालबाज़ी से उसे ले न
जाए। पैसे से नेक काम करने क शि और साम य िमलती है। इसी तरह, धनवान आदमी के सामने ऐसे अवसर
भी आते ह, जब ब त अ छे इराद के बावज़ूद वह मुि कल म पड़ सकता है।”
“ या तुमने कभी िननेवे के उस कसान के बारे म सुना है, जो जानवर क भाषा समझ सकता था ? मुझे
लगता है तुमने नह सुना होगा, य क काँसा ढालने वाले क वकशॉप म लोग इस तरह क कहानी नह सुनाते
ह। म तु ह यह कहानी सुनाऊँगा, ता क तुम यह समझ जाओ क उधार लेना और देना िसफ़ एक ि के हाथ से
पैसा िनकलकर दूसरे ि के पास पैसा जाने तक ही सीिमत नह है।”
वह कसान जानवर क बात समझ लेता था। वह हर शाम को जानवर क बात सुनने के िलए उनके दड़बे
के पास क जाता था। एक शाम को उसने सुना क बैल ख र से िशकायत कर रहा था क उसक जंदगी म क
ही क ह, ‘म सुबह से शाम तक जुताई म ही लगा रहता ।ँ चाहे कतनी ही गम हो, चाहे म कतना ही थका ँ
या चाहे मेरी गदन कतनी ही दुख रही हो, मुझे काम करना पड़ता है। दूसरी तरफ़, तुम हमेशा आराम करते रहते
हो। तु ह रं गीन कं बल से सज़ाया जाता है, जब क तुम मािलक को मनचाही जगह पर ले जाने के अलावा कु छ नह
करते हो। जब मािलक को कह नह जाना होता है, तो तुम आराम करते हो और सारा दन हरी घास खाते रहते
हो।’
ख र ब त दयालु था। उसने बैल के साथ सहानुभूित दखाते ए कहा, ‘मेरे ि य िम , तुम ब त कड़ी
मेहनत करते हो और म तु हारे क दूर करने म मदद क ँ गा। म तु ह बताता ँ क तुम कै से आराम कर सकते हो।
सुबह जब नौकर तु ह जोतने आए, तो तुम ज़मीन पर िगर जाना और दद से कराहने लगना, ता क वह मािलक से
जाकर कहे क तुम बीमार हो और काम नह कर सकते।’
बैल ने ख र क सलाह मान ली। अगली सुबह नौकर ने कसान से जाकर कहा क बैल बीमार है और वह
जुताई का काम नह कर सकता।
कसान ने कहा, “जुताई का काम तो होना ही है, इसिलए तुम बैल क जगह पर ख र को बाँध दो।”
“ख र क इ छा िसफ़ अपने िम क मदद करने क थी, परं तु इसका प रणाम यह आ क पूरे दन उसे
बैल के िह से का काम करना पड़ा। रात होने पर जब वह दड़बे म वापस आया, तो उसके दल म कड़वाहट भरी
थी, उसके पैर थके थे और उसक गदन दुख रही थी।”
“ कसान उनक बात सुनने के िलए वह ठहर गया।”
बैल ने कहा, ‘तुम मेरे अ छे िम हो। तु हारी समझदारी भरी सलाह के कारण मुझे दन भर पूरा आराम
िमला।’
“ख र ने जवाब दया, ‘और म मूख ,ँ य क म तो िसफ़ िम क मदद करना चाहता था, परं तु बदले म
मुझे ही उसके िह से का पूरा काम करना पड़ा। आज के बाद तुम अपना काम खुद करना, य क मने मािलक को
सेवक से यह कहते सुना था क अगर तुम दुबारा बीमार ए, तो वह तु ह क़साई के पास िभजवा देगा। यह ठीक
भी रहेगा, य क तुम ब त आलसी हो।’ इसके बाद उ ह ने एक–दूसरे से कभी बातचीत नह क – उनक दो ती
ख़ म हो गई। इस कहानी से तु ह या िश ा िमलती है, रोडन ?”
रोडन ने कहा, “कहानी अ छी थी, परं तु मुझे इसम िश ा या सबक़ जैसी कोई चीज़ नह दखी।”
“मुझे लगा भी नह था क तु ह दखेगी। परं तु सबक़ है और ब त आसान है। अगर तुम अपने िम क मदद
करना चाहते हो, तो इस तरह से करो, ता क तु हारे िम का बोझ तु हारे ऊपर न आ जाए।”
“मने इस बारे म तो सोचा ही नह था। यह ब त समझदारी भरा सबक़ है। म अपनी बहन के पित का बोझ
अपने ऊपर नह लेना चाहता ।ँ परं तु मुझे एक बात बताएँ। आप ब त से लोग को उधार देते ह। या उधार लेने
वाले हमेशा उधार चुका देते ह ?”
मैथन ब त अनुभवी आदमी क तरह मु कराया। फर उसने कहा, “अगर कज़दार कज़ चुका नह सकता,
तो या सा कार उसे कज़ देगा ? सा कार को सावधानी और समझदारी से यह तय करना होता है क उसका
धन उधार लेने वाले के काम आएगा तथा उसका पैसा दुबारा लौट आएगा। अगर उसका धन मूखतापूण काम म
लगेगा, तो उसका मूलधन भी डू ब जाएगा, य क कज़ लेने वाला कज़ नह चुका पाएगा ? म तु ह अपनी संदक ू
म रखी िनशािनयाँ बताता ।ँ हर िनशानी म एक कहानी छु पी ई है।”
वह कमरे म एक बड़ा संदक ू लेकर आया, िजस पर सुअर क लाल खाल चढ़ी थी और उस पर काँसे क
आकृ ित बनी थी। संदक ू को फ़श पर रखकर वह उसके सामने बैठ गया। फर वह अपने दोन हाथ से उसे खोलने
लगा।
“म िजसे भी उधार देता ,ँ उससे अपनी इस संदक ू के िलए कोई न कोई िनशानी ज़ र ले लेता ।ँ वह
िनशानी तब तक यहाँ रहती है, जब तक क पूरा कज़ नह उतर जाता। जब कज़दार पूरा कज़ चुका देता है, तो म
उसे वह िनशानी लौटा देता ।ँ बहरहाल, अगर वह कज़ नह चुका पाता है, तो वह िनशानी मुझे हमेशा यह याद
दलाती रहती है क अमुक ि मेरे िव ास पर खरा नह उतरा।”
“िनशानी वाला संदक ू मुझे बताता है क सबसे सुरि त कज़दार वे होते ह, िजनके पास कज़ क रक़म से
यादा संपि होती है। उनके पास ज़मीन, हीरे –जवाहरात, ऊँट या अ य चीज होती ह, िज ह बेचकर कज़
चुकाया जा सकता है। मुझे िनशानी के प म कई ऐसे र दए जाते ह, िजनका मू य कज़ से यादा होता है।
बा क़य म इस तरह के वादे होते ह क अगर कज़ न चुकाया गया, तो वे अपनी जायदाद का एक िनि त िह सा
मेरे नाम कर दगे। इस तरह के कज़ देते समय मुझे िव ास होता है क मेरा धन सूद समेत वापस लौट आएगा,
य क कज़ जायदाद के आधार पर दया गया है।”
“दूसरी ेणी म ऐसे लोग आते ह, िजनम कमाने क मता होती है। वे तु हारी तरह के लोग होते ह, जो
मेहनत या सेवा करते ह और उ ह बदले म वेतन या पा र िमक िमलता है। उनके पास आमदनी का िनयिमत
साधन होता है। अगर वे ईमानदार ह और उन पर कोई िवपि न आए, तो वे कज़ और सूद दोन को चुका सकते
ह। इस तरह के कज़ इं सान क मेहनत पर आधा रत होते ह।”
“बाक़ लोग ऐसे होते ह, िजनके पास न तो जायदाद होती है, न ही कमाने क िव सनीय मता होती है।
िज़दगी मुि कल है और कु छ लोग ज़ंदगी के साथ तालमेल नह िबठा पाते ह। इन लोग को म जो कज़ देता ,ँ
भले ही वह एक पए का भी य न हो, मेरा िनशानी वाला संदक ू आगे आने वाले साल म मुझे िचढ़ाता रहेगा,
जब तक क कज़ लेने वाले के साथ उसके अ छे िम क गारं टी न हो, जो उसे िव सनीय मानते ह ।”
मैथन ने संदक ू खोला। रोडन उ सुकता से आगे झुका।
संदक
ू म सबसे ऊपर लाल कपड़े पर काँसे का नेक–पीस पड़ा था। मैथन ने उसे उठाकर यार से थपथपाया,
“यह मेरे संदक ू म हमेशा रहेगा, य क इसका मािलक अब इस दुिनया से जा चुका है। म इस िनशानी को
सँभालकर रखता ँ और म उसक याद को भी सँजोकर रखता ,ँ य क वह मेरा अ छा िम था। हमने साथ–
साथ सफलतापूवक ापार कया या, जब तक क वह पूवा देश क एक मिहला को याह कर नह ले आया। वह
सुंदर थी, परं तु हमारी मिहला जैसी नह थी। वह औरत नह , िबजली थी! मेरे िम ने अपनी प ी क इ छा
को संतु करने के िलए पानी क तरह पैसा बहाया। जब उसका धन ख़ म हो गया, तो वह क म मेरे पास आया।
मने उसे सलाह दी। मने उससे कहा क म उसे एक बार फर हालात ठीक करने का मौक़ा दूग ँ ा। उसने नए िसरे से
शु करने क क़सम खाई। ले कन ऐसा हो नह पाया। एक दन आपसी झगड़े म उसक प ी ने उसके सीने म
चाकू घुसा दया, य क उसके पित ने उसे ऐसा करने क चुनौती दी थी।”
“और वह मिहला ?” रोडन ने सवाल कया।
“हाँ, ज़ािहर है, यह उसी का है।” मैथन ने लाल व उठाते ए कहा, “पछतावे म वह नदी म कू द गई। ये दो
कज़ कभी नह चुकाए जाएँगे। रोडन, यह संदक ू बताता है क जो लोग ब त भावुक होते ह या भावना मक
तूफ़ान म िघरे रहते ह, वे सा कार के िलए सुरि त नह होते ह।
“यह! यह अलग चीज़ है।” उसने बैल क ह ी से बनी अँगूठी को उठाते ए कहा। “यह एक कसान क है।
म उसक मिहला से ग़लीचे ख़रीदता ।ँ उस कसान के खेत पर ट ी दल ने धावा बोल दया। उसके घर म
फाके पड़ने क नौबत आ गई। ऐसे समय म मने उसक मदद क । नई फसल आने पर उसने त काल अपना कज़
चुका दया। इसके बाद एक दन वह मेरे पास आया और उसने एक दूर देश क बक रय के बारे म बताया,
िजनका वणन उसने एक या ी से सुना था। उन बक रय के लंबे बाल इतने सुंदर और नम थे क वह उनसे इतने
बेहतरीन गलीचे बना सकता था, जैसे आज तक बैिबलॉन म देखे नह गए। वह ऐसी बक रय का रे वड़ चाहता
था, परं तु उ ह ख़रीदने के िलए उसके पास धन नह था। इसिलए मने उसे या ा करने और बक रयाँ लाने के िलए
धन उधार दया। अब उसने रे वड़ ख़रीद िलया है और अगले साल म बैिबलॉन के अमीर को हैरान कर दूग ँ ा,
य क म उ ह ब त शानदार और महँगे ग़लीचे बेचूँगा। ज दी ही मुझे उसक अँगूठी लौटाना होगी। वह त काल
कज़ चुकाने पर ज़ोर दे रहा है।”
रोडन ने पूछा, “कु छ उधार लेने वाले समय से पहले भी कज़ चुका देते ह ?”
“अगर वे कसी ऐसे उ े य के िलए कज़ लेते ह, िजससे उ ह पैसा िमल जाता है, तो वे ऐसा करते ह। परं तु
अगर वे अपनी नासमिझय के िलए उधार लेते ह, तो म तु ह यह चेतावनी देता ँ क तु हारा धन तु हारे हाथ म
दोबारा लौटकर नह आएगा।”
रोडन ने दुलभ कारीगरी वाले र से जड़े सोने के भारी कं गन को उठाते ए पूछा, “मुझे इसके बारे म
बताएँ।”
मैथन ने हँसते ए कहा, “मेरे अ छे िम को मिहलाएँ कु छ यादा ही पसंद ह।”
रोडन ने कहा, “आिखर म आपसे अिधक युवा ।ँ ”
“म मानता ,ँ परं तु इस बार तुम ख़ाम वाह रोमांस का शक कर रहे हो। इस कं गन क माल कन मोटी और
बूढ़ी है। वह ब त यादा बोलती है, परं तु उसक बात इतनी अथहीन होती ह क वह मुझे पागल कर देती है।
कभी उन लोग के पास ब त पैसा था और वे अ छे ाहक थे, परं तु फर वे बद क़ मती के िशकार हो गए। उस
मिहला का एक बेटा है, िजसे वह ापारी बनाना चाहती है। इसिलए वह मेरे पास आई और मुझसे धन उधार
िलया, ता क उसका पु एक कारवाँ के मािलक का िह सेदार बन सके , जो या ा करते समय एक शहर से ऊँट
ख़रीदता है और दूसरे शहर म बेच देता है।”
“कारवाँ का मािलक बदमाश िनकला, य क उसने बेचारे लड़के को दूर के एक शहर म िबना धन और
िबना िम के छोड़ दया। वह उस युवक को सोता आ छोड़ गया। युवक कु छ साल बाद शायद इस कज़ को चुका
सकता है। तब तक मुझे अपना याज नह िमलेगा, िसफ़ हवाई बात ही सुनने को िमलती रहगी। वैसे असली बात
यह है क यह कगन कज़ क रक़म से यादा क़ मती है।”
“ या इस मिहला ने आपसे कज़ क समझदारी के बारे म सलाह माँगी थी ?”
“मामला िब कु ल ही उ टा था। उसने क पना म अपने पु को बैिबलॉन का दौलतमंद और सश आदमी
मान िलया था। इसका िवरोध करने का मतलब उसे गु सा दलाना था। उसने मुझे अ छी तरह फटकारा। म
जानता था क इस अनुभवहीन युवक को धन देने म जोिख़म है, परं तु चूँ क उसने यह कं गन िगरवी रखा था,
इसिलए म उसे कज़ देने से इं कार नह कर सकता था।”
मैथन ने र सी क गाँठ को दखाते ए आगे कहा, “यह ऊँट के ापारी नेबाटू र क है। जब वह कोई बड़ा
रे वड़ ख़रीदता है और उसे इसके िलए पैस क ज़ रत होती है, तो वह मुझे यह र सी दे जाता है और म उसे
ज़ रत के मुतािबक़ उधार दे देता ।ँ वह एक समझदार ापारी है। मुझे उसके सही िनणय लेने क मता पर
भरोसा है और म उसे उदारता से उधार दे सकता ।ँ बैिबलॉन के कई अ य ापा रय पर भी मुझे भरोसा है,
य क उनका वहार िव सनीय है। उनक िनशािनयाँ मेरे संदक ू म आती–जाती रहती ह। अ छे ापारी
हमारे शहर क शान ह। ापार म उनक सहायता करने से मुझे तो लाभ होता ही है, बैिबलॉन भी समृ होता
है।”
मैथन ने फ़ रोज़े म उभरी ई बीटल क आकृ ित को उठाया और उसे िहक़ारत से फश पर फक दया। “िम
का क ड़ा। यह िजस लड़के का है, उसे मेरा पैसा लौटाने क ज़रा भी परवाह नह है। जब म उसे याद दलाता ,ँ
तो वह जवाब देता है, ‘म आपका कज़ कै से चुका सकता ,ँ जब क बद क़ मती मेरे पीछे हाथ धोकर पड़ी है ?
आपके पास ब त पैसा है।’ म या कर सकता ँ ? यह िनशानी उसके िपता क है। उनक आमदनी सीिमत थी,
परं तु उ ह ने अपने पु के ापार के िलए अपनी ज़मीन और मवेशी िगरवी रख दए। युवक को पहले तो
सफलता िमली परं तु बाद म वह ढेर सारी दौलत हािसल करने के च र म अित उ साही बन गया। उसम अनुभव
क कमी थी, इसिलए उसका धंधा चौपट हो गया।”
“युवक मह वाकां ी होते ह। वे दौलत तथा अ य मनचाही व तु के िलए शॉटकट अपनाते ह। फटाफट
दौलत हािसल करने के िलए युवक अ सर नासमझी भरे कज़ ले लेते ह। उनके पास अनुभव नह होता, इसिलए
उ ह यह एहसास ही नह होता है क िनराशाजनक कज़ एक गहरा ग ा है, िजसम कोई भी आसानी से उतर तो
सकता है, परं तु उसम से िनकलना आसान नह है। कज़ से उबरने के िलए लंबा संघष करना पड़ सकता है। यह
दुख और प ाताप क खाई है, जहाँ सूरज क रोशनी मि म हो जाती है और रात क न द उड़ जाती है।
बहरहाल, म यह नह कहता ँ क उधार लेना ही नह चािहए। म कज़ लेने को हतो सािहत नह , बि क
ो सािहत करता ।ँ अगर कज़ समझदारीपूण उ े य के िलए िलया जा रहा है, तो म कज़ लेने क सलाह देता ।ँ
मुझे भी ापारी के प म अपनी पहली सफलता कज़ लेने के बाद िमली थी।”
“बहरहाल, ऐसे मामले म कज़ देने वाला या कर सकता है? यह युवक िनराश हो चुका है और उसक
आमदनी शू य है। वह हताश हो चुका है। वह कज़ चुकाने क कोई कोिशश नह कर रहा है। मेरा दल नह
चाहता क म उसके िपता क ज़मीन और मवेशी छीन लूं।”
रोडन ने कहा, “आपने मुझे ब त कु छ बताया है और आपक बात मुझे ब त दलच प लगी ह। ले कन मुझे
अब भी मेरे सवाल का जवाब नह िमला है। या मुझे अपनी बहन के पित को अपनी पचास सोने क मोहर
उधार देना चािहए ? ये मोहर मेरे िलए ब त मह वपूण ह।”
“तु हारी बहन ब त ब ढ़या मिहला है, िजसका म काफ़ स मान करता ।ँ अगर उसका पित मेरे पास आए
और मुझसे सोने क पचास मोहर उधार माँगे, तो मुझे उससे यह पूछना होगा क वह इनका या करे गा।”
“अगर वह जवाब देता है क वह मेरी ही तरह ापारी बनना चाहता है और हीरे हीरे –जवाहरात तथा
दुलभ सजावटी सामान का कारोबार करना चाहता है, तो म उससे यह पूछूँगा, ‘तु ह इस वसाय का कतना
ान है ? या तुम जानते हो क सबसे कम क़ मत पर यह सामान कहाँ ख़रीदा जा सकता है ? या तुम जानते हो
क अ छी क़ मत पर यह सामान कहाँ बेचा जा सकता है ?’ या वह इन सवाल का जवाब ‘हाँ’ म दे सकता है?”
“नह , वह नह दे सकता,” रोडन ने वीकार कया। “हालाँ क उसने भाले बनाने म मेरी काफ़ मदद क है
और कई दुकान म भी मदद क है।”
“ फर म उससे क ग ँ ा क उसका उ े य समझदारीपूण नह है। ापा रय को ापार करना आना
चािहए। हालाँ क उसक मह वाकां ा उिचत है, परं तु यह ावहा रक नह है, इसिलए म उसे धन उधार नह
दूग
ँ ा”
परं तु मान ल, वह यह कहे, ‘हाँ, मने ापा रय क काफ़ मदद क है। म जानता ँ क मना तक क या ा
कै से क जाती है और वहाँ जाकर गृिहिणय के हाथ से बुने ग़लीच को कम क़ मत पर कै से ख़रीदा जा सकता है।
म बैिबलॉन के कई अमीर लोग को भी जानता ,ँ िज ह म भारी मुनाफ़े पर ये ग़लीचे बेच सकता ।ँ ’ इस पर म
उससे क ग ँ ा, ‘आपका उ े य समझदारीपूण है और आपक मह वाकां ा स मानजनक है। म आपको ख़शी–ख़शी
सोने क पचास मोहर दे दूग ँ ा, परं तु बदले म मुझे कोई ऐसी चीज़ चािहए, जो इन मोहर के लौटने क गारं टी दे
सके ।’ ले कन अगर वह कहे, ‘मेरे पास िगरवी रखने के िलए कोई चीज़ नह है। म एक स मािनत ि ँ और म
आपको कज़ के बदले म अ छा सूद दूग ँ ा ।’ तो मेरा जवाब यह होगा, ‘म सोने क हर मोहर का याल रखता ँ
अगर मन क या ा म जाते समय डाकू आपसे सोने क मोहर छीन ल या लौटते समय अगर वे आपसे ग़लीचे
छीन ल, तो आप मेरा कज़ नह चुका पाएँगे और मेरा सारा पैसा डू ब जाएगा।’
रोडन, धन से सा कार का ापार चलता है। इसे उधार देना आसान है। अगर इसे नासमझी से उधार दया
जाता है, तो इसका वापस लौटना मुि कल होता है। समझदार सा कार उधार देते समय जोिख़म नह लेता है।
वह सुरि त भुगतान क गारं टी चाहता है।
उसने आगे कहा, “मुि कल म फँ से लोग क मदद करना अ छी बात है। दुभा य के िशकार लोग क मदद
करना अ छी बात है। उन लोग क मदद करना भी अ छी बात है, जो अपना वसाय शु कर रहे ह, ता क वे
गित कर सक और स मािनत नाग रक बन सक। परं तु मदद समझदारीपूण तरीके से क जाना चािहए, वरना
मदद करते समय कसान के ख र क तरह हम भी दूसर का बोझ अपने ऊपर लाद लगे।”
“एक बार फर म तु हारे मूल सवाल से दूर भटक गया ँ रोडन, परं तु मेरा जवाब सुन लो : ‘ अपनी सोने
क पचास मोहर अपने ही पास रखो। जो तुमने अपनी मेहनत से कमाया है और जो तु ह पुर कार म िमला है, वह
तु हारा है और कोई ि इस पर तब तक हक़ नह जमा सकता, जब तक क तुम ऐसा न चाहो। अगर तुम इसे
उधार देते हो, ता क यह तु हारे िलए सूद कमा सके , तो इस काम म सतक रहना और कई जगह पर इसका
िनवेश करना। मुझे पस म पड़ा रहने वाला आलसी सोना पसंद नह है। बहरहाल, मुझे जोिखम तो उससे भी
यादा नापसंद है।”
“तु ह भाले बनाने का काम करते ए कतने साल हो गए ह?”
“पूरे तीन साल ।”
“राजा के उपहार के अलावा तुमने कतना बचा िलया है ?”
“सोने क तीन मोहर ”
“हर साल तुमने मेहनत क , हर साल तुमने सोने क एक मोहर को बचाने के िलए अपनी इ छा पर क़ाबू
रखा और अ छी–अ छी चीज़े ख़रीदने के बजाय बचत क ?”
“िब कु ल सही बात है।”
“इस तरह तुम खुद क इ छा पर क़ाबू रखकर पचास साल म सोने क पचास मोहर बचा सकते हो ?”
“इस काम म जंदगी भर क मेहनत लगेगी।”
“ज़रा सोचो क या तु हारी बहन तु हारी पचास साल क मेहनत क बचत को जोिखम म डालना
चाहेगी, िसफ़ इसिलए य क उसका पित ापारी बनने का योग करना चाहता है ?”
“अगर म आपके श द म बोलूँ, तो वह ऐसा कभी नह चाहेगी।”
“तो उससे जाकर कह दो, ‘तीन साल तक मने हर दन सुबह से रात तक मेहनत करके और अपनी इ छा
पर क़ाबू रखकर बचत क है। साल भर क मेहनत और कफ़ायत के बाद म सोने क एक मोहर बचा पाया ।ँ तुम
मेरी ि य बहन हो और म चाहता ँ क तु हारा पित कसी ऐसे वसाय म लग जाए, िजसम वह ब त अमीर
बन सके । अगर वह मेरे सामने कोई ऐसी योजना रखता है, जो मेरे िम मैथन को समझदारीपूण और संभव
लगती है, तो म ख़शी–ख़शी उसे अपनी एक साल क बचत उधार दे दूग ँ ा, ता क उसे यह सािबत करने का अवसर
िमले क वह सफल हो सकता है।’ अगर उसके पित के मन म सफल होने क बल इ छा है, तो वह सफल हो
सकता है। अगर वह असफल भी हो जाता है, तो भी उस पर इतना यादा कज़ नह होगा, िजसे वह कभी न चुका
पाए।”
“म धन इसिलए उधार देता ,ँ य क म अपने ापार म िजतने धन का योग कर सकता ,ँ मेरे पास
उससे यादा धन है। म चाहता ँ क मेरा अित र धन दूसर के िलए मेहनत करे और उससे यादा पैसा
कमाया जा सके । म धन गँवाने का जोिखम नह लेना चाहता ँ य क मने इसे हािसल करने के िलए काफ़
मेहनत क है और ब त सी इ छा का याग कया है। इसिलए म इसे वहाँ उधार नह दूग ँ ा, जहाँ मुझे यह
िव ास न हो क यह सुरि त रहेगा और मेरे पास वापस आएगा। म इसे वहाँ भी उधार नह दूग ँ ा, जहाँ मुझे यह
िव ास न हो क इसका याज मुझे समय पर दया जाएगा।”
“रोडन, मने तु ह अपनी िनशानी वाली संदक ू के कु छ रह य बताए ह। उनसे तुम इं सान क कमज़ो रयाँ को
समझ सकते हो और यह भी क कज़ चुकाने के साधन न होने के बावज़ूद लोग कज़ लेने के िलए कतने उ सुक
रहते ह। लोग यह सोचते ह क अगर उनके पास वसाय शु करने के िलए पैसा आ जाए, तो दौलत उनके घर
म बरसने लगेगी। परं तु इस तरह क आशा झूठी होती है, य क उनके पास सफल होने क यो यता या िश ण
नह होता है।”
“रोडन, तु हारे पास अभी धन है। उससे तु ह याज हािसल करना चािहए। तुम भी मेरी ही तरह धन उधार
दे सकते हो। अगर तुम अपने ख़ज़ाने को सुरि त रखोगे, तो यह तु ह ब त सा धन कमाकर देगा। यह तु हारे िलए
ज़ंदगी भर सुख और लाभ का ोत होगा। परं तु अगर तुम इसे गँवा देते हो, तो यह ज़ंदगी भर सतत दुख और
प ाताप का ोत रहेगा।”
“अपने पस म रखे इस धन के बारे म तु हारी सबसे यादा इ छा या है ?”
“इसे सुरि त रखना। ”
मैथन ने शंसा के अंदाज़ म कहा, “ब त समझदारी का जवाब दया। तु हारी पहली इ छा सुर ा क है।
या तुम यह सोचते हो क तु हारी बहन के पित के पास प च ँ ने पर यह धन सचमुच संभािवत नुक़सान से
सुरि त रहेगा ?”
“मुझे डर है क यह सुरि त नह रहेगा। उसम धन को सुरि त रखने क समझदारी नह है।”
“ऐसे ि पर धन के मामले म िव ास य करते हो ? र ते–नात क मूखतापूण भावना से िवचिलत
होना ठीक बात नह है। अगर तुम अपने प रवार या िम क मदद करना चाहते हो, तो धन गँवाने का जोिख़म
लेने के अलावा दूसरे तरीके खोजो। यह मत भूलो क जो लोग धन क सुर ा करने के मामले म कु शल नह होते
ह, धन उनके पास से अ यािशत तरीक़ से चला जाता है। दूसर को देकर धन गँवाने से तो अ छा है क तुम खुद
ही ख़च करके इसे उड़ा डालो।”
“सुर ा के बाद इस धन के बारे म तु हारी या इ छा है ?”
“यही क इससे यादा धन आए।”
“एक बार फर तुमने समझदारी भरा जवाब दया है। इसे अित र धन कमाने के काम म लगाया जाना
चािहए, तभी यह बढ़ेगा। समझदारी से उधार दया गया धन इं सान के बूढ़े होने से पहले दोगुना हो सकता है।
अगर तुम मूलधन गँवाने का जोिख़म लेते हो, तो तुम उसके याज को भी गँवाने का जोिखम लेते हो, जो यह कमा
सकता है।”
“इसिलए अ ावहा रक लोग क का पिनक योजना से मत डगमगाओ, जो सोचते ह क उ ह आपके
धन से ब त बड़ी रक़म कमाने के तरीके मालूम ह। इस तरह क योजनाएँ हवाई सपने देखने वाले लोग बनाते ह,
िज ह वसाय के सुरि त और िव सनीय िनयम का ान नह होता है। अपने धन पर तुम कतने ितशत
याज चाहते हो, इस बारे म तुम ज़मीन पर ही रहना, ता क तु हारा मूलधन सुरि त रह सके और तुम उसका
आनंद ले सको। ब त यादा लाभ कमाने के लालच म आकर उधार देना नुक़सान को आमंि त करना है।”
“खुद को ऐसे लोग और योजना से जोड़ो, िजनक सफलता मािणत हो चुक है, ता क तु हारा मूलधन
उनके कु शल योग से अ छी कमाई करे और उनक समझदारी तथा अनुभव ारा सुरि त रहे।”
“इस तरह तुम उन दुभा य से बच सकते हो, जो अिधकांश इं सान पर उस समय आते ह, जब ई र उ ह
धन दान करता है ।”
जब रोडन ने मैथन क समझदारी भरी सलाह के िलए उसे ध यवाद दया, तो मैथन ने कहा, “स ाट का
तोहफ़ा तु हारा काफ़ ान बढ़ाएगा। अगर तुम सोने क पचास मोहर को सुरि त रखना चाहते हो, तो तु ह
ब त समझदारी से काम लेना होगा। तु हारे सामने कई लोभन आएँग।े तु ह ब तेरी सलाह दी जाएँगी। तु ह
अिव सनीय लाभ देने वाले असं य अवसर क योजनाएँ बताई जाएँगी। िनशािनय वाले संदक ू क कहािनय
से तु ह सचेत हो जाना चािहए। जब तुम अपने पस से सोने क मोहर िनकालकर कसी को उधार दो, तो पहले
यह सुिनि त कर लेना क वे सुरि त प से तु हारे पास लौट आएँगी। अगर तु ह आगे कभी मेरी सलाह क
ज़ रत पड़े, तो िब कु ल मत िहच कचाना। सलाह देने म मुझे खुशी होती है।”
जाने से पहले उस वा य को पढ़ते जाओ, जो मने अपने िनशािनय वाले संदक ू के नीचे िलख रखा है। यह
कज़दार और सा कार दोन पर लागू होता है :

बड़े प ाताप के बजाय थोड़ी सी


सावधानी बेहतर है।
बैिबलाॅन क दीवार

बां ज़र नामक वृ सैिनक बैिबलॉन क दीवार तक ऊपर जाने ा वाली सी ढ़य पर पहरा दे रहा था। ऊपर
बहादुर र क दीवार क र ा करने के िलए यु कर रहे थे। उन पर इस महान शहर और इसम रहने वाले
लाख नाग रक का भिव य िनभर था।
दीवार के पार से हमलावर सेना का शोर सुनाई दे रहा था। ब त से लोग के चीख़ने क आवाज़ आ रही
थ , हज़ार घोड़ क टाप सुनाई दे रही थ और मेढ़ क कानफोडू आवाज़ आ रही थ , जो अपने िसर से काँसे के
ार पर हार कर रहे थे।
नगर के ार के पीछे वाली सड़क पर सैिनक भाले लेकर तैयार थे। ार टू टने क ि थित म वे दु मन से
मुक़ाबला करने के िलए तैयार खड़े थे। परं तु इस काम के िलए तैयार सैिनक क सं या आव यकता से ब त कम
थी। बैिबलॉन क यादातर सेना स ाट के साथ इलेमाइ स के िख़लाफ़ पूव दशा म लड़ने गई थी। उनक
अनुपि थित म शहर पर हमले क कोई आशंका नह थी, इसिलए र ा करने वाली सेना ब त कम थी।
अ यािशत प से उ र दशा से एसी रय स क शि शाली सेना ने हमला कर दया। और अब र ा क
िज़ मेदारी इन दीवार पर आ गई थी, वरना बैिबलॉन न हो जाता।
बूढ़े सैिनक बांज़र के आसपास नाग रक क भीड़ लगी थी। दहशत के मारे सबके चेहरे सफ़े द थे और वे यु
क ताज़ा ि थित जानना चाह रहे थे। ख़ामोशी से उ ह ने घायल और मृत सैिनक क क़तार को देखा, िज ह उस
रा ते से लाया जा रहा था।
यह हमले का मह वपूण मोड़ था। दीवार के तीन दन तक च र लगाने के बाद दु मन ने अचानक अपनी
पूरी ताक़त इस िह से और इस दरवाज़े पर लगा दी थी।
दु मन मंच बनाकर और सीढ़ी लगाकर ऊपर चढ़ने क कोिशश कर रहे थे। उधर दीवार के ऊपर मौज़ूद
बैिबलॉन के सैिनक तीर और खौलते ए तेल का योग करके दु मन को ऊपर प च ँ ने से रोक रहे थे। अगर
इसके बावजूद कोई दु मन ऊपर प च ँ जाए, तो सैिनक भाले लेकर तैयार खड़े थे। सैिनक पर दु मन के हज़ार
तीरं दाज़ तीर क घातक बौछार कर रहे थे।
बूढ़े बांज़र क ि थित यु क ख़बर देने के िहसाब से ब त अनुकूल थी। वह यु के सबसे क़रीब था और
उ साही आ मणकता के हर ताज़े हमले के बारे म उसे सबसे पहले पता चलता था।
एक बूढ़े ापारी ने क़रीब आकर अपने कमज़ोर और काँपते हाथ को िहलाते ए पूछा, “मुझे बताओ! मुझे
बताओ! दु मन अंदर तो नह घुस आएँगे। मेरे बेटे स ाट के साथ गए ह। मेरी बूढ़ी प ी क र ा करने वाला कोई
नह है। दु मन मेरा सारा सामान लूटकर ले जाएँगे। मेरा भोजन भी ले जाएँग।े हमारे पास कु छ भी नह बचेगा।
हम बूढ़े ह, इतने बूढ़े क हम अपनी र ा नह कर सकते और हम गुलाम के प म बेचा भी नह जा सकता। हम
भूख मर जाएँगे। हम तबाह हो जाएँगे। मुझे बताओ क कह वे अंदर तो नह आ जाएँगे।”
सैिनक ने जवाब दया, “शांत रह, अ छे ापारी। बैिबलॉन क दीवार ब त मज़बूत ह। घर जाकर अपनी
प ी को तस ली दो क दीवार आपक तथा आपके सामान क सुर ा उसी तरह करगी, जैसे वे स ाट के
बेशक़ मती ख़ज़ाने क र ा करती ह। दीवार के पास खड़े रह, ता क कह कोई उड़ता आ तीर आपको न लग
जाए!”
बूढ़े ापारी के चले जाने के बाद गोद म ब ी िलए एक मिहला वहाँ आकर खड़ी हो गई। “सैिनक, ऊपर से
या ख़बर है ? मुझे सच-सच बताना, ता क म अपने पित को तस ली दे सकूँ । वह गहरे घाव क वजह से बुखार
म पड़ा है, परं तु वह मेरी र ा करने के िलए िज़रहब तर और भाला उठाकर बाहर िनकलने के िलए तैयार है।
मुझे ब ा होने वाला है। वह कहता है क अगर दु मन क सेना अंदर घुस आई, तो उनका ितशोध भयानक
होगा।”
“तस ली रखो, एक ब े क माँ और दूसरे ब े क होने वाली माँ, य क बैिबलॉन क दीवार तु हारी तथा
तु हारे ब क र ा करगी। वे ऊँची और मज़बूत ह। या तुमने हमारे बहादुर सैिनक क आवाज नह सुन , जब
उ ह ने सी ढ़य पर चढ़ने वाल पर खौलते ए तेल के म फके थे ?”
“हाँ, मने वह आवाज़ सुनी थी। और मने हमला करने वाले मेढ़ क आवाज़ भी सुनी थी, जो हमारे ार पर
हार कर रहे ह।”
“अपने पित के पास लौट जाओ। उसे बता दो क दरवाज़े मज़बूत ह और इन मेढ़ के हार से उनका बाल
भी बाँका नह होगा। यह भी बता दो क अगर सीढ़ी लगाकर कु छ दु मन सैिनक दीवार पर चढ़ने म सफल हो
भी जाते ह, तो भाल क न क ऊपर उनका इं तज़ार कर रही है इन इमारत के पीछे से सँभलकर जाना।”
बांज़र सैिनक क टु कड़ी को रा ता देने के िलए एक तरफ़ हट गया। काँसे क आवाज़ करती ढाल और
भारी क़दम से जब सैिनक पास से गुज़रे , तो एक छोटी लड़क ने बांज़र के कमरबंद को ख चा।
उसने आ ह कया, “सैिनक मुझे बताओ, हम सुरि त तो ह ? मने भयानक आवाज़े सुनी ह। मने सैिनक को
ल लुहान देखा है। म ब त डर गई ।ँ हमारे प रवार, मेरी माँ, छोटे भाई और ब े का या होगा ?”
ब ी को देखकर बूढ़े सैिनक ने अपनी आँख झपका और अपनी ठु ी को आगे िनकाल िलया।
“बेटी, डरो मत। बैिबलॉन क दीवार तु हारी और तु हारी माँ, तु हारे छोटे भाई और ब े क र ा करगी।
शहर को सुरि त रखने के िलए महारानी सेिमरै िमस ने सौ साल पहले ये दीवार बनवाई थ । आज तक दु मन
उनके पार नह आ पाए ह। जाकर अपने प रवार वाल से कह दो क बैिबलॉन क दीवार उनक र ा करगी और
उ ह डरने क ज़ रत नह है।”
हर दन बूढ़ा बांज़र अपनी जगह पर खड़ा होता था और गिलयारे म से सैिनक को ऊपर जाते देखता था,
जो वहाँ पर तब तक लड़ते रहते थे, जब तक क वे घायल न हो जाएँ या मर न जाएँ। उसके बाद उ ह एक बार
फर नीचे लाया जाता था। उसके चार तरफ़ डरे ए नाग रक क भीड़ हमेशा लगी रहती थी, जो यह जानने के
िलए उ सुक थे क या दीवार हमले को सहन कर पाएँगी। वह बूढ़ा सैिनक ग रमापूण अंदाज़ म उन सबसे यही
कहता था, “बैिबलॉन क दीवार आपक र ा करगी।”
तीन स ाह और पाँच दन तक उसी बलता से लगातार हमला होता रहा। बांज़र का चेहरा स त होता
गया, जब उसने अपने पीछे के गिलयारे को घायल सैिनक के ख़ून से लाल होते देखा। उसने देखा क ऊपर-नीचे
आने-जाने वाले सैिनक के कारण क चड़ सा मच गया था। हर दन मरे ए दु मन का ढेर दीवार के सामने लग
जाता था। हर रात को उनके साथी उ ह ले जाकर दफ़ना देते थे।
चौथे स ाह क पाँचव रात को बाहर का शोर थम गया। दन के उजाले क पहली करण म लोग ने देखा
क लौटती सेनाएँ धूल के िवशाल बादल उड़ाती जा रही थ ।
र ा करने वाल ने जमकर शोर मचाया। इसका मतलब समझने म कोई गलती नह हो सकती थी। दीवार
के पीछे इं तज़ार कर रही टु किड़य ने इस शोर को दोहराया। शोर क गूँज सड़क पर इं तज़ार कर रहे नाग रक ने
भी दोहराई। शोर कसी तूफ़ान क तरह पूरे शहर म फै ल गया।
लोग अपने-अपने घर से िनकलकर बाहर आ गए। सड़क पर भारी भीड़ जमा हो गई। कई स ाह क
दहशत खुशी के ज़बद त कोलाहल म बदल गई। बेल के मं दर क ऊँची मीनार पर िवजय क मशाल जला दी
गई। नीला धुआँ आसमान म उड़ने लगा, ता क संदश े दूर-दूर तक प चँ सके ।
बैिबलॉन क दीवार ने एक बार फर शि शाली और दु दु मन के इराद को नाकामयाब कर दया था,
जो उसके समृ ख़ज़ाने को हिथयाना चाहता था और इसके नाग रक को लूटना तथा ग़लाम बनाना चाहता था।
बैिबलॉन स दय तक इसीिलए सुरि त रह पाया, य क इसक दीवार के कारण यह पूरी तरह सुरि त
था। इसके अलावा कोई उपाय भी नह था।
बैिबलॉन क दीवार मनु य क सुर ा क ज़ रत और इ छा का उ कृ उदाहरण ह। यह इ छा समूची
मानव जाित म होती है। यह हमेशा क तरह आज भी उतनी ही बल है, परं तु हमने इस उ े य को पूरा करने के
िलए बड़ी और बेहतर योजनाएँ बना ली ह।
आज हम बीमे, बचत ख़ात और िव सनीय िनवेश क अभे दीवार से खुद को अ यािशत ास दय से
बचा सकते ह, जो कसी भी दरवाज़े से अंदर आ सकती ह और कसी भी घर पर हमला कर सकती ह।

पया सुर ा के िबना रहना


समझदारी नह है।
बैिबलॉन का ऊँट का ापारी

इं सान को िजतनी यादा भूख लगती है, उसका दमाग़ उतनी ही यादा प ता से काम करता है - इसके
अलावा वह भोजन क ख़शबू के ित उतना ही यादा संवेदनशील भी हो जाता है।
अज़योर का पु तरक़ाद िनि त प से ऐसा ही महसूस कर रहा था। दो दन से उसके मुँह म अ का दाना
भी नह गया था। उसने िसफ़ दो छोटे अंजीर खाए थे, जो उसने एक बगीचे क दीवार के ऊपर से चुराकर तोड़े
थे। वह इससे यादा इसिलए नह तोड़ पाया, य क तभी बगीचे क माल कन गु से म बाहर िनकल आई और
उसे पकड़ने के िलए सड़क पर भागने लगी। उसक तीखी चीख़ अब भी तरक़ाद के कान म गूँज रही थी, हालाँ क
इस समय वह बाज़ार से गुज़र रहा था। इसी कारण वह खुद पर इतना संयम रख पा रहा था क बाज़ार म फल
बेचने वाली मिहला क ललचाने वाली टोक रय तक अपनी बेचैन उँ गिलय को न प च ँ ने दे।
इससे पहले उसे कभी यह एहसास नह आ था क बैिबलॉन के बाजार म खाने-पीने का इतना सामान
आता है और उसक ख़शबू इतनी अ छी होती है। बाज़ार छोड़कर वह सराय क तरफ़ चल दया। वह सराय के
भीतर जाकर कु छ खाना चाहता था और इसी आशा म सराय के सामने इधर से उधर घूमने लगा। काश कोई
जान-पहचान वाला िमल जाए, िजससे वह ताँबे का एक िस ा उधार ले सके । वह जानता था क ताँबे के िस े को
देखकर ही सराय का मािलक मु कराएगा और उसे भरपेट खाना िखलाएगा। वह यह भी जानता था क ताँबे के
िस े के िबना सराय का मािलक उसे दु कार कर भगा देगा।
वह सोच-िवचार म इतना खोया आ था क उसे अपने आस-पास क ज़रा भी सुध-बुध नह रही। अचानक
उसने अपने सामने एक ऐसे ि को खड़े देखा, िजससे वह सबसे यादा बचना चाहता था। वह ऊँट का
ापारी देबेिज़र था। उसने िजतने भी दो त और अ य लोग से उधार िलया, उनम देबेिज़र सबसे यादा
परे शान करता था, य क तरक़ाद त काल कज़ चुकाने के अपने वादे को पूरा नह कर पाया था।
तरक़ाद को देखकर देबेिज़र के चेहरे पर चमक आ गई। ‘‘अरे वाह! यह तो तरक़ाद है। म तु ह ही तो ढू ँढ़
रहा था, ता क तुम मुझे ताँबे के वे दो िस े चुका दो, जो मने तु ह पं ह दन पहले उधार दए थे; इसके अलावा
चाँदी का वह िस ा भी, जो मने तु ह इससे पहले उधार दया था। तुम अ छे िमल गए। आज वे िस े मेरे ब त
काम आ सकते ह। तुम या कहते हो, ब े ? या कहते हो ?”
तरक़ाद हकलाने लगा और उसका चेहरा लाल पड़ गया। उसके ख़ाली पेट म कु छ भी नह था, िजससे उसे
मुँहफट देबेिज़र के साथ बहस करने क शि िमले। वह कमज़ोर वर म बुदबुदाया, “मुझे अफ़सोस है, मुझे ब त
अफ़सोस है। परं तु आज मेरे पास ताँबे या चाँदी का एक भी िस ा नह है, िजससे म आपका उधार चुका सकूँ ।’’
देबेिज़र ने ज़ोर देकर कहा, “तो फर उनका इं तज़ाम करो। िनि त प से तुम ताँबे और चाँदी के कु छ िस
का इं तज़ाम तो कर ही सकते हो, ता क अपने िपता के पुराने िम का कज़ चुका सको, िजसने ज़ रत के समय
तु हारी मदद क थी ?’’
“चूँ क बद क़ मती मेरा पीछा कर रही है, इसिलए म आपका कज़ नह चुका सकता।’’
“बद क़ मती! अपनी कमज़ोरी के िलए देवी-देवता को दोष य देते हो ? बद क़ मती हर उस ि का
पीछा करती है, जो कज़ चुकाने के बजाय कज़ लेने के बारे म यादा सोचता है। म सराय म खाना खाने जा रहा
,ँ य क मुझे ब त भूख लग रही है। तुम भी मेरे साथ आ जाओ। म तु ह एक कहानी सुनाना चाहता ।ँ ’’
तरक़ाद को देबेिज़र का मुँहफट अंदाज़ पसंद नह था, परं तु सराय के अंदर जाने के िवचार से उसे खुशी ई,
य क अब उसके मन म भोजन िमलने क आशा जाग गई थी।
देबेिज़र उसे कमरे के दूर वाले कोने म ले गया, जहाँ वे छोटे क़ालीन पर बैठे।
जब सराय का मािलक कासकोर उनके पास मु कराते ए आया, तो देबेिज़र ने उससे मज़ा कया अंदाज़ म
कहा, “रे िग तान क मोटी िछपकली, मेरे िलए बकरे क टाँग लाओ, िजसम ब त सारा गो त हो और जो
िबलकु ल भूरी हो। इसके अलावा ेड और सि ज़याँ भी लाओ, य क म ब त भूखा ँ और डटकर भोजन करना
चाहता ।ँ मेरे िम को भी मत भूलना। उसके िलए एक जग भरकर पानी लाना। पानी ठं डा होना चािहए,
य क आज ब त गम है।”
तरक़ाद िनराश हो गया। या यहाँ पर बैठकर वह िसफ पानी िपएगा और इस आदमी को बकरे क मोटी
टाँग खाते ए देखेगा ? उसने कछ नह कहा। वह यह सोच नह पा रहा था क वह या कहे।
बहरहाल देबेिज़र ने तो चुप रहना कभी सीखा ही नह था। वह दूसरे ाहक क तरफ़ देखकर मु कराने
लगा और िम तापूण अंदाज़ म हाथ िहलाने लगा। वे सब उसे अ छी तरह जानते थे। इसके बाद देवेिज़र ने आगे
कहा।
“आफ़ा से हाल ही म एक या ी लौटा है। उसने मुझे एक अमीर आदमी के बारे म बताया, िजसने प थर के
एक टु कड़े को इतना बारीक तराश िलया है क इं सान उसके आर-पार देख सकता है। उसने इसे अपने घर क
िखड़क म लगा दया है, ता क बा रश से बचा जा सके । या ी के अनुसार यह प थर पीला है। या ी ने जब इसके
आार-पार देखा, तो बाहर क दुिनया िविच दख रही थी और अपने वा तिवक रं ग प म नज़र नह आ रही
थी। इस बारे म तुम या कहते हो, तरक़ाद ? या तु ह लगता है क इं सान को दुिनया वा तिवकता से अलग
दख सकती है ?”
“शायद । ।” युवक ने कहा। उसक दलच पी कहानी से यादा बकरे क मोटी टाँग म थी, जो देबेिज़र के
सामने रखी थी।
‘‘म जानता ँ क यह सच है, य क मने दुिनया को वा तिवकता से िभ रं ग म देखा है। म तु ह एक
कहानी सुनाने जा रहा ।ँ उससे तुम यह जान जाओगे क म दुिनया को फर से सही रं ग म कै से देख पाया।’’
पड़ोस म खाना खा रहे एक ि ने अपने पड़ोसी से फु सफु साते ए कहा, “देबेिज़र कहानी सुना रहा है।”
वह अपने क़ालीन को पास ख च लाया। भोजन करने वाले बाक़ लोग भी अपना भोजन लेकर वह आ गए और
एक अधवृ बना िलया। उनके चबर-चबर खाने क आवाज़े तरक़ाद के कान म गूँज रही थ । िसफ़ तरक़ाद ही
था, िजसके सामने भोजन नह था। देबेिज़र ने उसके िलए भोजन नह मँगाया था। न ही उसने तरक़ाद को ेड का
वह टु कड़ा उठाने का इशारा कया था, जो लेट से फ़श पर िगर गया था।
देबेिज़र ने बकरे क टाँग का एक बड़ा िह सा काटने के बाद कहा, “आज जो कहानी म सुनाने जा रहा ,ँ
वह मेरे शु आती जीवन के बारे म है। इस कहानी म यह बताया गया है क म ऊँट का ापारी कै से बना। या
कसी को मालूम है क म कभी सी रया म गुलाम था ?”
ोता आ य से बुदबुदाने लगे, िजसे सुनकर देवेिज़र संतु आ।
देबेिज़र ने बकरे क टाँग को एक बार फर कु तरते ए कहा, “युवाव था म मने अपने िपता का वसाय
यानी काठी बनाना सीखा। म उनक दुकान म उनके साथ काम करता था और फर मेरी शादी हो गई। म युवा
था, परं तु मुझम यादा यो यता नह थी, इसिलए म ब त कम कमा पाता था, िसफ़ इतना क म जैसे-तैसे अपनी
प ी का ख़च उठा पाता था। म ब त सी अ छी चीज़ क लालसा करता था, परं तु मेरे पास उ ह ख़रीदने के िलए
पैसे नह थे। ज दी ही मने पाया क पैसे न होने के बावजूद दुकानदार मुझे उधारी पर सामान देने के िलए तैयार
थे।’’
“युवा और अनुभवहीन होने के कारण म यह नह जानता था क जो ि अपनी कमाई से यादा ख़च
करता है, वह अनाव यक भोग-िवलास के बीज बोता है और आगे चलकर उसे मुि कल और अपमान क फ़सल
काटना पड़ती है। चूँ क म यह नह जानता था, इसिलए मने अपने अरमान को पूरा कया और अपनी प ी तथा
घर के िलए िवलािसता क व तुएँ उधारी पर ख़रीद ल ।’’
‘‘म िजतना उधार चुका सकता था, उतना चुकाता रहा। कु छ समय तक तो सब कु छ ठीक चला। परं तु बाद
म मने पाया क म अपनी आमदनी से एक साथ दोन काम नह कर सकता था; म अपनी आमदनी म या तो
अपना ख़च चला सकता था या फर अपना कज़ चुका सकता था। कज़दार अपना उधार वसूल करने के िलए मेरा
पीछा करने लगे और मेरी ज़ंदगी दुखद बन गई। मने अपने िम से उधार िलया, परं तु उनका कज़ भी नह चुका
पाया। चीज बद से बदतर होती ग । मने अपनी प ी को मायके भेज दया और खुद बैिबलॉन छोड़कर दूसरे
शहर म जाने का फ़ै सला कया, जहाँ मुझे बेहतर अवसर िमल सक।’’
“दो साल तक मने कारवाँ के ापा रय के यहाँ काम कया। इस दौरान म ब त बेचैन और दुखी रहा।
इसके बाद म डकै त के िगरोह म शािमल हो गया, जो रे िग तान म िन:श कारवाँ क तलाश म भटकते ह। इस
तरह के काम हमारे ख़ानदान के नाम पर कलंक थे, परं तु म दुिनया को रं गीन प थर से देख रहा था और मुझे यह
एहसास नह था क मेरा कतना पतन हो गया है।”
“हम अपने पहले अिभयान म सफलता िमली। हमने ब त सा सोना, रे शमी कपड़े और अ य मू यवान
व तुएँ लूट ल । हम लूट के सामान को िगिनर ले गए और ख़च कर डाला।”
“दूसरी बार हमारी क़ मत उतनी अ छी नह रही। जैसे ही हमने सामान लूटा, कु छ सश लोग ने हम
पर हमला कर दया। ये भाले वाले उस क़बीले के मुिखया ने भेजे थे, िजसे कारवाँ संर ण के िलए पैसे देते थे।
हमारे दो लीडस मारे गए और बाक़ सब लोग को पकड़कर दिम क ले जाया गया, जहाँ हमारे कपड़े उतारकर
हम ग़लाम के प म बेच दया गया।”
“मुझे सी रया के रे िग तानी क़बीले के मुिखया ने चाँदी के दो िस म ख़रीदा। मेरे बाल उतरवा दए गए
और मेरे शरीर पर िसफ़ एक कपड़ा था, जो कमर पर िलपटा आ था। म बाक़ ग़लाम से यादा अलग नह था।
लापरवाह युवक क तरह मने सोचा क यह अनुभव भी रोमांचक होगा। परं तु म तब दहल गया, जब मेरे मािलक
ने मुझे अपनी चार पि य के सामने पेश करके कहा क वे मुझे अपना क र बना सकती ह।”
“दरअसल तब जाकर मुझे अपनी िनराशाजनक ि थित का एहसास आ । रे िग तान के ये लोग जंगली और
यो ा थे। उनक इ छा का पालन करना मेरी मजबूरी थी, य क मेरे पास न तो हिथयार थे, न ही बचाव के
साधन ।”
“जब उन चार मिहला ने मुझे ग़ौर से देखा, तो म दहशत म खड़ा रहा। म सोच रहा था क या मुझे
उनसे दया क आशा करना चािहए। पहली प ी सीरा बाक़ तीन पि य से बड़ी थी। मेरी तरफ़ देखते समय
उसका चेहरा भावहीन था। मुझे उससे दया क क़तई उ मीद नह थी। मने दूसरी प ी क तरफ़ आशा भरी नज़र
डाली। वह एक घमंडी सुंदरी थी, जो मेरी तरफ़ इतनी उदासीनता से देख रही थी, जैसे ज़मीन पर रगने वाले
कसी क ड़े को देख रही हो। बाक़ दोन छोटी पि याँ हँस रही थ , जैसे यह कोई दलच प मज़ाक़ हो।’’
सज़ा का इं तज़ार करते ए मुझे ऐसा लगा, जैसे एक युग बीत गया हो। हर मिहला चाहती थी क दूसरी
मिहला फ़ै सला करे । अंत म सीरा ने ठं डी आवाज़ म कहा,
“हमारे पास ब त से क र ह, परं तु ऊँट क देखभाल करने वाले गुलाम ब त कम ह। जो ह, वे कसी काम
के नह ह। आज ही म अपनी बीमार माँ से िमलने जाना चाहती ,ँ परं तु ऐसा कोई गुलाम नह है, िजस पर म
भरोसा कर सकूँ क वह मेरे ऊँट को ठीक से ले जाएगा। इस गुलाम से पूछो क या वह ऊँट क देखभाल कर
सकता है।”
इस पर मेरे मािलक ने मुझसे पूछा, ‘तुम ऊँट के बारे म या जानते हो ?’
अपनी खुशी को छु पाने क कोिशश करते ए मने जवाब दया, ‘म उ ह िबठा सकता ,ँ उन पर बोझ लाद
सकता ,ँ उ ह िबना थके लंबी या ा पर ले जा सकता ।ँ अगर ज़ रत हो, तो म उनके साज़ोसामान क
मर मत भी कर सकता ।ँ ’
“मेरे मािलक ने कहा, ‘ऐसा लगता है गुलाम को ऊँट सँभालने का अनुभव है। सीरा, अगर तुम चाहो तो तुम
इस आदमी को अपने ऊँट क देखभाल के िलए रख सकती हो।”
“इस तरह मुझे सीरा के हवाले कर दया गया। उसी दन म उसे ऊँट पर बैठाकर उसक बीमार माँ से
िमलवाने ले गया। या ा लंबी थी और मुझे उसक मदद के िलए उसे ध यवाद देने का अवसर िमल गया। मने उसे
यह भी बताया क म ज म से ग़लाम नह था और मेरे िपता बैिबलॉन के एक स मािनत काठी बनाने वाले थे। मने
उसे अपने बारे म ब त कु छ बताया। ले कन उसके जवाब सुनकर म उलझन म पड़ गया और बाद म मने उसक
बात पर काफ़ िवचार कया ।’’
‘‘तुम ख़द को वतं ि कै से कह सकते हो, जब तु हारी कमज़ोरी ने तु हारा यह हाल कर दया है?
अगर कसी ि म गुलाम क आ मा है, तो चाहे वह ज म से कु छ भी हो, अंततः वह गुलाम ही बन जाएगा।
इं सान भी पानी क तरह अपने तर पर प च ँ जाता है। अगर कसी ि म वतं नाग रक क आ मा है, तो
अपने दुभा य के बावज़ूद अंततः स मािनत नाग रक बन जाएगा!”
म एक साल से यादा समय तक बाक़ ग़लाम के साथ रहा, परं तु म उनसे उनसे जुड़ जुड़ नह पाया। एक
दन सीरा ने मुझसे पूछा, ‘शाम को बाक़ ग़लाम ‘‘आपस आपस म िमलते ह और एक-दूसरे के साथ हँसी-मज़ाक़
करते ह। परं तु तुम अपने तंबू म अके ले य बैठे हो ?’
“इस पर मने जवाब दया, ‘मने आपक कही बात पर िवचार कया है। मुझे नह लगता क मुझम गुलाम
क आ मा है। म उनम से एक नह बन सकता, इसिलए म अलग बैठता ँ ।’’
उसने मुझे िव ास म लेकर कहा, ‘मुझे भी अलग बैठना पड़ता है। मेरे माता-िपता ने ब त दहेज दया था
और इसी कारण मेरे पित ने मुझसे शादी क थी। बहरहाल उ ह मुझसे ज़रा भी ेम नह है। हर औरत क हसरत
होती है क वह माँ बने। परं तु मेरी यह हसरत अधूरी है। म बाँझ और िन संतान ,ँ इसिलए मुझे अलग बैठना
पड़ता है। अगर म ‘‘मद’’ होती, तो इस तरह ग़लाम जैसी ज़ंदगी जीने के बजाय आ मह या कर लेती, ले कन
हमारे क़बीले क परं परा म औरत और ग़लाम म कोई ख़ास फ़क़ नह है ।’
मने सीरा से अचानक पूछा, ‘अब आप मेरे बारे म या सोचती ह ? मुझम मद क आ मा है या ग़लाम क ?’
उसने जवाब दया, ‘तुमने बैिबलॉन म जो कज़ िलए थे, या तुम उ ह चुकाना चाहते हो ?’
“हाँ, म चाहता तो ,ँ परं तु मुझे ऐसा करने का कोई रा ता दखाई नह देता।’’
“अगर तुम समय गुज़र जाने दोगे और उ ह चुकाने क कोिशश नह करोगे, तो तुमम ग़लाम क घृिणत
आ मा है। जो ि ख़द का स मान नह करता है, वह ग़लाम ही होता है। और जो ि अपने कज़ नह
चुकाता है, वह खुद का स मान नह कर सकता है।’’
“परं तु म या कर सकता ,ँ म तो सी रया म ग़लाम ँ ?”
“कमज़ोर आदमी, तुम ज़ंदगी भर सी रया म ही गुलाम बने रहोगे।”
“म कमज़ोर नह ,ँ ” मने गु से से कहा ।
“इसे सािबत करके दखाओ।”
‘‘कै से ?’’
“ या हमारा महान स ाट अपने दु मन से हर संभव तरीक़े से और पूरी ताक़त से नह लड़ता है ? तु हारा
कज़ ही तु हारा दु मन है। उसी ने तु ह बैिबलॉन से खदेड़ दया है। तुमने उससे लड़ना छोड़ दया है, इसिलए अब
वह तुमसे यादा ताक़तवर बन गया है। अगर तुम मद क तरह लड़ते, तो तुम जीत सकते थे। तब शहर के लोग
तु हारा स मान करते। परं तु तुमम उससे संघष करने का हौसला नह था और देखो आज तु हारा यह हाल है क
तुम गुलाम हो ।’’
“मने उसके िनदयी आरोप के बारे म काफ़ सोचा। मने अपनी र ा म कई बात सोच , िजनसे म सीरा के
सामने यह सािबत क ँ क म दल से गुलाम नह था। बहरहाल, मुझे ऐसा करने का अवसर नह िमल पाया।
तीन दन बाद सीरा क दासी मुझे अपनी माल कन के पास ले गई।”
सीर ने कहा, ‘मेरी माँ ब त बीमार ह। मेरे पित के रे वड़ के दो सबसे अ छे ऊँट को तैयार करो। उन पर लंबी
या ा के िलए पानी क मशक और खाने का सामान बाँध लो। मेरी दासी तु ह रसोई से भोजन दे देगी।’ मने ऊँट
को तैयार कया। म इस बात पर हैरान था क दासी ने खाने का इतना यादा सामान य बाँधा था य क सीरा
क माँ जहाँ रहती थ , वहाँ प च ँ ने म एक दन से भी कम समय लगता था। दासी सबसे पीछे वाले ऊँट पर सवार
थी और म अपनी माल कन के ऊँट को रा ता दखा रहा था। उनक माँ के घर प च ँ ते-प च
ँ ते काफ़ अँधेरा हो
चुका था। सीरा ने दासी को अंदर भेजने के बाद मुझसे कहा,
“देबेिज़र, तुमम वतं नाग रक क आ मा है या गुलाम क ?”
मने ज़ोर देकर कहा, “ वतं नाग रक क ।”
“अब तु हारे सामने यह सािबत करने का अवसर आ गया है। इस व तु हारे मािलक शराब के नशे म धु
ह और उनके िसपहसालार भी मदहोश ह। इन ऊँट को लेकर यहाँ से भाग जाओ। इस थैले म तु हारे मािलक क
पोशाक है, िजससे तु ह वेश बदलने म मदद िमलेगी। म क ग ँ ी क जब म अपनी बीमार माँ के पास थी, तब तुम
ऊँट चुराकर भाग गए ।”
मने उससे कहा, “आपम महारानी क आ मा है। मेरी ब त इ छा होती है क आप भी मेरे साथ चल, ता क
म आपको खुशी दान कर सकूँ ।”
उसने जवाब दया, “खुशी उस भागने वाली प ी को नह िमलती, जो दूर देश म अनजान लोग के बीच
इसक तलाश करती है। अब तुम अपने रा ते जाओ। रे िग तान के देवता तु हारी र ा कर, य क तु हारी मंिज़ल
दूर है और रा ते म तु ह खाने-पीने को कु छ नह िमलेगा।”
“भागने के िलए मुझे यादा ो सािहत करने क ज़ रत नह थी। मने उसे दल से ध यवाद दया और रात
के अँधेरे म दूर चल दया। मुझे उस अजीब थान का कोई ान नह था और िसफ़ एक ह का सा आभास था क
बैिबलॉन कस दशा म है। बहरहाल, म बहादुरी से पहािड़य क दशा म रे िग तान के पार चल दया। म एक
ऊँट पर सवार आ और दूसरे को अपने पीछे-पीछे चलने का इशारा कया। मने पूरी रात या ा क और अगले पूरे
दन भी। म जानता था क मािलक का सामान चुराकर भागने वाले ग़लाम को ब त स त सज़ा दी जाती है।”
“उस शाम को म एक उजाड़ सी जगह पर प च ँ ा। रे िग तान क तरह ही यहाँ भी कोई नह रहता था।
नुक ली च ान ने मेरे वफ़ादार ऊँट के पैर ज़ मी कर दए थे। वे ब त धीमे-धीमे और कराहते ए चल रहे थे।
मुझे रा ते म इं सान तो या, जानवर तक नह िमला। म अ छी तरह समझ सकता था क इस उजाड़ जगह पर
कोई य नह रहता था।”
“उसके बाद क या ा इतनी भीषण थी क ब त कम लोग उसे करने के बाद ज़ंदा बचे ह गे। हर दन हम
धीरे -धीरे चलते रहे। हमारे पास िजतना भोजन और पानी था, वह सब ख़ म हो गया। सूरज क गम िनममता से
हम झुलसा रही थी। नौव दन शाम को म अपने ऊँट से फसलकर िगर पड़ा। म जानता था क म इतना कमज़ोर
था क दुबारा ऊँट पर नह चढ़ पाऊँगा और इसी उजाड़ जगह पर मर जाऊँगा।”
“म ज़मीन पर ही पसर गया और सो गया। मेरी आँख जो लगी, तो सूरज क पहली करण िनकलने पर ही
खुली।”
“मने उठकर अपने चार तरफ़ देखा। सुबह क हवा म ठं डक थी। पास म ही मेरे ऊँट लेटे थे, जो ब त उदास
दख रहे थे। मेरे आस-पास बबादी का आलम था, जहाँ च ान, रे त और काँटेदार चीज थ । वहाँ पर पानी का
नामोिनशान नह था। इसके अलावा वहाँ पर इं सान या ऊँट के खाने के िलए भी कु छ नह था।”
“ या यह हो सकता है क इस वीराने म ही म इस दुिनया से चला जाऊँगा ? उस समय मेरा दमाग िजतनी
प ता से सोच रहा था, उतनी प ता से इसने पहले कभी नह सोचा था। अब मेरा शरीर ब त कम मह वपूण
लग रहा था। मेरे ह ठ सूखे थे और उनसे ख़ून िनकल रहा था, मेरी जीभ सूखी और सूजी ई थी, मेरा पेट ख़ाली
था, परं तु िपछले दन इन सबसे मुझे िजतना भीषण दद हो रहा था, अब वह ग़ायब हो चुका था ।”
“मने एक बार फर खुद से यह सवाल पूछा, ‘मुझम वतं नाग रक क आ मा है या गुलाम क ?’ फर
प ता के साथ मुझे एहसास आ क अगर मुझम ग़लाम क आ मा होती, तो मने हार मान ली होती, रे िग तान
म ही पसरकर मर गया होता, जो एक भगोड़े ग़लाम का उिचत अंत होता।”
“परं तु अगर मुझम वतं नाग रक क आ मा है, तो फर ? िनि त प से म बैिबलॉन तक प च ँ ने क
कोिशश क ँ गा, अपने पर भरोसा करने वाले लोग का कज़ चुकाने क कोिशश क ँ गा, अपनी ेमपूण प ी को
खुशी दूगँ ा और अपने माता-िपता को शांित तथा संतुि दान क ँ गा।’’
सीरा ने कहा था, ‘तु हारा कज़ ही तु हारा दु मन है। उसी ने तु ह बैिबलॉन से खदेड़ दया है।’ हाँ, यह सही
था। मद क तरह उसका मुक़ाबला य नह कया ? मने अपनी प ी को मायके य भेज दया ?
“ फर एक अजीब चीज़ ई। पूरी दुिनया अलग नज़र आने लगी ऐसा लग रहा था, जैसे पहले म दुिनया को
कसी रं गीन प थर के मा यम से देख रहा था, जो अब अचानक हट गया था। आिख़रकार मुझे स े जीवन मू य
नज़र आने लगे।”
“म और रे िग तान म मर जाऊँ! कभी नह । अब मेरे मन म एक नया सपना जाग चुका था। अब म जानता
था क मुझे कौन से क़ाम करने ही थे। सबसे पहले तो म बैिबलॉन जाऊँगा और कज़ देने वाले लोग से िमलूँगा । म
उ ह बताऊँगा क बरस तक भटकने और दुभा य का िशकार होने के बाद म उनका कज़ उतारने के िलए आ गया
।ँ िजतनी ज दी देवता इजाज़त दगे, म उनका कज़ उतार दूग ँ ा। फर मुझे अपनी प ी को खुशी देना चािहए और
एक ऐसा नाग रक बनना चािहए, ता क मेरे माता-िपता मुझ पर गव कर सक।”
“मेरे कज़ मेरे दु मन थे, परं तु िजन लोग से मने कज़ िलया था, वे मेरे िम थे। आिख़र उ ह ने मुझ पर
िव ास कया था।”
“म लड़खड़ाते ए अपने पैर पर खड़ा आ। भूख से या फ़क़ पड़ता था ? यास से या फ़क़ पड़ता था ? वे
तो बैिबलॉन क राह पर होने वाली घटनाएँ भर थ । मेरे भीतर एक वतं ि क आ मा िहलोर मारने लगी,
जो अपने श ु को जीतने और अपने िम को पुर कार देने के िलए ज दी से बैिबलॉन प च ँ ना चाहती थी। म
महान संक प से रोमांिचत हो गया।”
“मेरी भराई आवाज़ म अब एक नई खनक आ गई थी, िजसे सुनकर मेरे ऊँट क थक आँख म भी चमक आ
गई। ब त कोिशश के बाद वे उठकर खड़े ए। कराहते ए लगन के साथ वे उ र दशा म बढ़ते गए। मेरी
अंतरा मा क आवाज़ यह कह रही थी क इस दशा म हम बैिबलॉन िमल जाएगा।”
ज द ही हम उपजाऊ इलाके म प च ँ गए। यहाँ हम पानी, घास और फल िमले। हम बैिबलॉन का रा ता
िमल गया। तब जाकर मुझे यह एहसास आ क वतं ि क आ मा ज़ंदगी को ऐसी सम या क ृंखला
के प म देखती है, िज ह सुलझाया जाना है और फर वह उ ह सुलझा देता है, जब क गुलाम क आ मा रोती है,
‘म या कर सकता ,ँ म तो गुलाम ।ँ ’
“तरक़ाद, तुम अपने बारे म कु छ कहो ? या तु हारे पेट क भूख ने तु हारे दमाग को ब त प कर दया
है? या तुम उस राह पर चलने के िलए तैयार हो, जो तु ह दुबारा आ म-स मान दला सके ? या तुम दुिनया
को इसके स े रं ग म देख सकते हो ? या तुमम अपने कज़ चुकाने क इ छा है, चाहे वे कतने ही यादा य न
ह ? या तुम दुबारा बैिबलॉन के स मािनत नाग रक बनना चाहते हो ?”
“तरक़ाद क आँख म नमी आ गई। वह अपने घुटन पर उ साह से उठा। “आपने मुझे ज़ंदगी जीने का एक
नया नज़ रया दया है। मुझे यह लगने लगा है क मेरे भीतर वतं ि क आ मा िहलोर मार रही है।”
“परं तु देबेिज़र, यह तो बताओ क वापस लौटने के बाद तु हारा या हाल आ। ?" एक दलच पी लेने
वाले ोता ने पूछा।
देवेिज़र ने जवाब दया, “जहाँ संक प होता है, वहाँ राह िनकल आती है। मुझम संक प था, इसिलए म राह
खोजने िनकल पड़ा। सबसे पहले तो म हर कज़ देने वाले से िमला। मने सबसे यही आ ह कया क वे तब तक
और धैय रख, जब तक क म उनका कज उतारने लायक कमा न लूं। उनम से यादातर मुझे देखकर खुश ए।
हालाँ क कु छ ने मुझे खरी-खोटी सुनाई, परं तु बा क़य ने मेरी मदद करने का वचन दया। उनम से एक ने तो मेरी
वह मदद क , िजसक मुझे स त ज़ रत थी। वह मैथन नामक सा कार था। जब उसे यह पता चला क म
सी रया म ऊँट क देखभाल करता था, तो उसने मुझे ऊँट के ापारी नेवाटू र के पास भेज दया। नेवाटू र को
हमारे स ाट ने एक महान अिभयान के िलए अ छे ऊँट के ब त से रे वड़ ख़रीदने का ठे का दया था। उसके यहाँ
मने अपने ऊँट के ान का ब त अ छा उपयोग कया। धीरे -धीरे मने अपने ऊपर चढ़े ताँबे और चाँदी के एक-एक
िस े का कज़ उतार दया। अब म एक बार फर अपना िसर उठाकर जी सकता था और यह अनुभव कर सकता
था क म भी एक स मािनत इं सान ।ँ ”
एक बार फर देबेिज़र अपने भोजन क ओर मुड़ा। उसने ज़ोर से िच लाकर कहा, ता क उसक आवाज़
रसोई तक सुनाई दे, “कासकोर तुम ब त ढीले हो। खाना ठं डा हो गया है। मेरे िलए गमागम माँस लेकर आओ।
मेरे िम के बेटे तरक़ाद के िलए भी एक बड़ा टु कड़ा लेकर आना, य क वह भूखा है और मेरे साथ खाना खाएगा
।”
इस तरह ाचीन बैिबलॉन के ऊँट के ापारी देवेिज़र क कहानी सूख म ई। उसे अपनी अंतरा मा क
आवाज़ उस समय सुनाई दी, जब उसे एक महान स ाई का एहसास आ – एक ऐसी स ाई का, िजसे उससे
पहले के सभी समझदार लोग जानते थे और उसका इ तेमाल करते थे।
इसने हर युग के लोग को मुि कल से बाहर िनकाला है और सफलता क राह दखाई है। जो बुि मान
लोग इसक जादुई शि को समझते ह, उ ह यह भिव य म भी सफलता दलाती रहेगी। इसका योग नीचे दए
गए श द को पढ़ने वाला हर ि कर सकता है :

जहाँ संवक प होता है,


वहाँ राह, िनदकल आती है।
बैिवलॉज के मृदाप

सट ि व द स कॉलेज
नॉ टं घम यूिनव सटी
नेवाक-ऑन- े ट
नॉ टं घम
21 अवटु बर, 1934
ोफ़े सर किलन का डवेल,
के यर ऑफ़ ि टश साइं ट फ़क ए सपीिडशज,
िह ला, मेसोपोटािमया।

ि य ोफ़े सर,
व त वैिब लॉज के अवशेष म हाल म ई खुदाई म िमले जो पाँथ मृदाप पल भेजे है, वे आपके प के
साथ ही ा ए। म उळछे देठत मं मु ध रह गया। मैले उठनदी िलिप का हैिडलॉन का सबसे अमीर आदमी
अपळी भाषा म अ ुवाद कर म कई सु तद घंटे िबताए। मुझे आपके प का त काल जवाब दे देता थािहए था,
परं तु मैॐओ जाल–बूझकर देर क , यो क म चाहता था क अ ुवाद का काम पूरा कट के बाद ही आपको प
िल ढू ं।
मृदाप िबठा क सी ित के सुयि त प च ं गए थे, य क आपके उलछ ब त अ छी तरह पैव कया था
और उस पर सुरि त टतळो काले पदाथ का िछड़काव कर दया था।
इळ मृदाप क कहाळी म आप भी उत ही हैरान रह जाएँग, िजत क हम लोग योगशाला म ए
थे। तीत वी धली छाया से हम रोमांस और रोमांच क उ मीद करते है। “अरे िबयल व्◌ाइ स” क तरह वी पीज।
परं तु इस व ाळभी म देबेिजट जामदा ि अपळी कजा युवा क सम या के बारे म बताता है। इळ मृदाप
को पढ़दकट हम यह एहसास होता है क हमारी दुिनया क प रि थितयाँ पाँच हज़ार साल म उतनी यादा
व्◌ाह बदली है, िजतळा हम सोचते ह।
यह अजीब है, परं तु इळ पुरा मृदाप के कारण म पशोपेश म पड़ गया ।ं कॉलेज का ोफे सर ढोले के छाते
मुझे ाठी माला जाता है, िजससे अिधवयांश िवषय का ठीक–ठाव ात है। बहरहाल, इन मृदात म बैिबलाॅन
के रवंडहरा म दफ़न एक आदमी कज़ युवा और थल -उसं ह कर का ऐसा तटीया सुझाता है, जो मैले पहले
कभी नह सुळा।
म कहता ं क यह ब त सु तद िववाट है। मेरी दलच पी यह सािबत करठ म है क ाचीन बैिब लूॉल का
यह ती ता या आज भी उतनी ही अ छी तरह वाम द सदकता है। िमटसेज़ भूजबेटी और म इस योजळा पर
अमल क क योजळा बना रहे है, ता क हमारी आ थक प रि थितय म सुधार हो सके ।
आपके सफल अिभयान पर म आपको शुभकामनाएँ देता ँ । म आपक मदद कटले के कसी और अवसर का
उ सुकता से इं तजार कर रहा ।ँ
आपका
अ े ड एच. ुज़बेरी,
पुरात व िवभग।

पहला मृदाप
आज पू णमा है। म देबेिज़र ।ँ सी रया म गुलाम क ज़ंदगी िबताने के बाद म हाल ही म अपने शहर लौटा
।ँ मने संक प कर िलया है क म अपने सारे कज़ चुका दूग
ँ ा और बैिबलॉन के अपने पैतृक शहर म संप बनकर
दखाऊँगा। म मृदाप पर अपनी प रि थितय का थायी रकॉड िलखना चाहता ,ँ ता क मुझे अपनी बल
इ छा को पूरा करने म मागदशन और सहयोग िमल सके ।
मेरे अ छे िम सा कार मैथन क समझदारीपूण सलाह के अनुसार म एक िनि त योजना पर चलने का
संक प कर चुका ।ँ उसका कहना है क यह योजना कसी भी ि को कज़ से मुि दला सकती है और उसे
संप तथा स मािनत बना सकती है।
इस योजना के तीन उ े य ह, िज ह म चाहता ँ और िजनक म आशा करता ।ँ
पहला, यह योजना मेरी भावी समृि सुिनि त करती है।
इसिलए म अपनी आमदनी का दसवाँ िह सा अपने िलए अलग रख दूग ँ ा। य क मैथन ने समझदारीपूवक
यह कहा था :
“जो ि अपने पस म सोना और चाँदी रखता है, िजसे ख़च करने क उसे ज़ रत नह है, वह अपने
प रवार के ित ेमपूण और स ाट के ित वफ़ादार होता है ।’’
“िजस ि के पस म ताँबे के कु छ िस े ही होते ह, वह अपने प रवार और स ाट के ित उदासीन होता
है।”
“परं तु िजस ि के पस म कु छ नह होता है, वह अपने प रवार के ित िनदयी और अपने स ाट के ित
दग़ाबाज़ होता है, य क उसका दय कटु ता से भरा होता है।”
“इसिलए जो ि सफल होना चाहता है, उसके पस म धन खनकना चािहए, ता क उसके दय म अपने
प रवार के ित ेम और अपने स ाट के ित वफ़ादारी हो।”
दूसरी बात, यह योजना सुिनि त करती है क म अपनी अ छी प ी के ख़च पूरे क ँ गा और उसके िलए
व ख़रीदूग ँ ा, य क वह वफ़ादारी के साथ अपने िपता के घर से मेरे पास लौटी है। मैथन ने कहा है क वफ़ादार
प ी क अ छी देखभाल करने से मनु य के मन म आ म–स मान पैदा होता है, उसके उ े य म शि आती है
और उसके संक प म वृि होती है।
इसिलए म अपनी स र ितशत आमदनी का इ तेमाल घर, कपड़े और भोजन पर क ँ गा । इसके अलावा
म इसी आमदनी म अपना सामा य ख़च चलाऊँगा, ता क हमारी ज़ंदगी म खुिशय क कमी न रहे। परं तु मैथन
ने इस बारे म सावधानी बरतने को कहा है क हम इन अ छे उ े य के िलए अपनी स र ितशत आमदनी से
अिधक का इ तेमाल नह करना चािहए। इसी म इस योजना क सफलता िनिहत है। मुझे स र ितशत आमदनी
म ही गुज़ारा करना चािहए और कभी इससे यादा का इ तेमाल नह करना चािहए, न ही मुझे कोई ऐसी चीज़
ख़रीदना चािहए, िजसका भुगतान म अपनी आमदनी के इस िह से से न कर सकूँ ।

दूसरा मृदाप
तीसरी बात, इस योजना म यह बताया गया है क अपनी आमदनी म से म अपना कज़ कै से चुकाऊँ।
इसिलए हर पू णमा के दन म अपनी महीने भर क कमाई म से बीस ितशत िनकालकर उससे अपना कज़
चुकाता ँ । िजन लोग ने मुझे कज़ दया है, उ ह ने मुझ पर भरोसा कया है, इसिलए म स मानपूवक उनम
बराबरी से अपनी बीस ितशत आमदनी बाँट देता ।ँ इस तरह समय के साथ मेरा सारा कज़ उतर जाएगा।
म यहाँ पर हर उस ि का नाम िलख रहा ,ँ िजसका म कज़दार ँ । साथ ही म यह भी िलख रहा ँ क
मने कस ि से कतना कज़ िलया है ।
फे ह , बुनकर, चाँदी के 2 िस े , ताँबे के 6 िस े ।
संजार, फ़न चर बनाने वाला, चाँदी का 1 िस ा।
अहमर, मेरा िम , चाँदी के 3 िस े , ताँबे का 1 िस ा।
जकार, मेरा िम , चाँदी के 4 िस े , ताँबे के 7 िस े ।
अ कािमर, मेरा िम , चाँदी का 1 िस ा, ताँबे के 3 िस े ।
है रनैिज़र, आभूषण बनाने वाला, चाँदी के 6 िस े , ताँबे के 2 िस े ।
डायरबेकर, मेरे िपता के िम , चाँदी के 4 िस े , ताँबे का 1 िस ा।
अ काहद, मकान मािलक, चाँदी के 14 िस े ।
मैथन, सा कार, चाँदी के 9 िस े ।
बीरे िज़क, कसान, चाँदी का 1 िस ा, ताँबे के 7 िस े ।
(यहाँ से मृदाप ित त था। पढ़ा नह जा सका।)

तीसरा मृदाप
इन कज़दार को मुझे कु ल िमलाकर चाँदी के 119 िस े और ताँबे के 141 िस े चुकाना है। चूँ क मुझ पर
इतना भारी कज़ चढ़ा था और उसे चुकाने का मुझे कोई रा ता नह सूझ रहा था, इसिलए मूखतावश मने अपनी
प ी को मायके भेज दया और अपने पैतृक शहर को छोड़कर आसान दौलत क तलाश म परदेस चला गया।
बहरहाल, वहाँ पर म संकट म फँ स गया और गुलाम बन गया।
अब जब मैथन ने मुझे दखा दया है क अपनी कम आमदनी के बावजूद म अपना कज़ कै से चुका सकता ,ँ
तो मुझे यह एहसास होता है क अपनी फ़ज़ूलख़च के प रणाम से भागना मेरी ब त बड़ी मूखता थी।
इसिलए म उन लोग के पास गया, िजनसे मने कज़ िलया था। मने उ ह बताया क मेरे पास कोई संपि या
जायदाद नह है, िजससे म उनका कज़ चुका सकूँ । मने उनसे कहा क मेरे पास िसफ़ कमाने क मता है और म
अपनी आमदनी का बीस ितशत िह सा कज़ चुकाने म लगाऊँगा। म पूरी ईमानदारी और बराबरी से अपने कज़
चुकाऊँगा। म कज़ चुकाने के िलए बीस ितशत से यादा आमदनी का इ तेमाल नह कर सकता ।ँ इसिलए
अगर वे धैय रख, तो समय के साथ म पूरा कज़ उतार दूगँ ा।
अहमर को म अपना सबसे अ छा िम समझता था, परं तु उसने मुझे बुरा–भला कहा और मेरा अपमान
कया। बीरे िज़क नामक कसान ने मुझसे अनुरोध कया क म सबसे पहले उसका कज़ चुकाऊँ, य क उसे पैसे
क ब त यादा ज़ रत है। यह योजना सुनकर मकान मािलक अ काहद ब त गु सा हो गया और उसने साफ़
कह दया क अगर मने ज दी से उसका कज़ नह उतारा, तो प रणाम ब त बुरा होगा।
बाक़ सबने खुशी–खुशी मेरे ताव को मान िलया। इसिलए अब म इस योजना पर अमल करने के िलए
पहले से यादा संक पवान ।ँ अब मुझे िव ास हो चुका है क कज़ चुकाने से बचने के बजाय उ ह चुकाना कह
यादा आसान है। हालाँ क म अपने कु छ कज़दाता क आव यकता और माँग को पूरा नह कर पाऊँगा,
परं तु म उन सबके साथ िन प ता से वहार क ँ गा।

चौथा मृदाप
एक बार फर पू णमा है। मने कड़ी मेहनत क है। मेरी अ छी प ी ने कज़ उतारने के मेरे इराद म मेरा पूरा
साथ दया है। हमारे बुि म ापूण संक प के कारण इस महीने मने नेबाटू र के िलए मज़बूत देह और अ छे पैर
वाले ऊँट ख़रीदे, िजसके एवज म मुझे चाँदी के 19 िस क आमदनी ई।
इस आमदनी को मने योजना के अनुसार बाँट दया। इसका दस ितशत मने अपने िलए अलग रख िलया।
इसका स र ितशत मने जीवन–यापन के िलए अलग रख िलया। और इसका बीस ितशत मने अपने
कज़दाता म बराबरी से बाँट दया।
म जब अहमर के घर गया, तो वह नह िमला, परं तु म वह रािश उसक प ी को दे आया। बीरे िज़क तो
इतना खुश आ क उसने मेरा हाथ चूम िलया। िसफ़ बूढ़ा अ काहद ही बड़बड़ाया और बोला क मुझे अपना कज़
यादा ज दी चुकाना चािहए। इस पर मने जवाब दया क अगर म ठीक से खाऊँगा और चंता नह क ँ गा, तभी
म यादा तेज़ी से कज़ चुका पाऊँगा। बाक़ सबने मुझे ध यवाद दया और मेरे यास क सराहना क ।
इस तरह एक महीने म मने चाँदी के 4 िस का कज़ उतार दया। इसके अलावा म चाँदी के 2 िस का
वामी भी बन गया ,ँ िजन पर कसी ि का कोई हक़ नह है। म खुश ँ और म ब त लंबे समय बाद खुश
आ ।ँ
एक बार फर पू णमा आ गई है। कड़ी मेहनत के बावजूद इस महीने मुझे यादा सफलता नह िमली। म
ब त कम ऊँट ख़रीद पाया। म चाँदी के िसफ़ 11 िस े ही कमा पाया। बहरहाल मेरी अ छी प ी और म योजना
के अनु प चले। हमने एक भी नया व नह ख़रीदा और िसफ़ सि ज़याँ खाकर गुज़ारा कया। एक बार फर मने
अपनी आमदनी का दस ितशत खुद के िलए अलग रख िलया और स र ितशत से अपना ख़च चलाया। म
हैरान रह गया, जब अहमर ने कज़ चुकाने के िलए मेरी तारीफ़ क , हालाँ क जो रक़म म चुका रहा था, वह छोटी
थी। बीरे िज़क ने भी ऐसा ही कया। अ काहद आग–बबूला हो गया, परं तु जब मने उससे कहा क अगर वह इस
रक़म को नह लेना चाहता तो वापस कर दे, तो वह ठं डा पड़ गया। पहले क तरह बाक़ सभी लोग संतु ए।
एक बार फर पू णमा आ गई है और म ब त खुश ।ँ इस बार मुझे ऊँट का ब त अ छा रे वड़ िमल गया
और मने कई बेहतरीन ऊँट ख़रीद िलए, िजस वजह से मुझे चाँदी के 42 िस क आमदनी ई। इस पू णमा को
मेरी प ी और मने जूते तथा कपड़े ख़रीदे, िजनक हम ब त ज़ रत थी। इसके अलावा, हमने गो त और मुगा
खाकर ज मनाया।
हमने चाँदी के 8 िस से यादा का कज़ उतार दया। अ काहाद तक ने कोई उ टी बात नह क ।
वह योजना महान है, जो हम कज़ से बाहर िनकालती है और बचत कराती है।
तीन महीने बाद म एक बार फर िलख रहा ।ँ हर बार मने अपनी आमदनी का दस ितशत िह सा अलग
बचाकर रखा। मने और मेरी अ छी प ी ने हर बार स र ितशत आमदनी म अपना ख़च चलाया, हालाँ क कई
बार ऐसा करने म काफ़ मुि कल आ । हर बार मने अपनी बीस ितशत आमदनी से अपने कज़दाता का कज़
चुकाया।
मेरे पस म अब चाँदी के 21 िस े ह, जो िसफ़ मेरे ह। इससे मेरा िसर तन जाता है और म अपने दो त के
बीच गव के साथ उठ–बैठ सकता ँ ।
मेरी प ी घर को ब त अ छी तरह से सँभालती है और अ छे कपड़े पहनती है। हम साथ-साथ रहकर ख़श
ह।
यह योजना अनमोल है। इसने एक पूव गुलाम को स मािनत ि म बदल दया है।

पाँचवाँ मृदाप
एक बार फर पू णमा है। म जानता ँ क मने ब त समय से कु छ नह िलखा है। दरअसल बारह महीने
गुज़र चुके ह। बहरहाल, आज म अपना रकॉड िलखने से नह चूकुँगा, य क आज मने अपना आिख़री कज़ चुका
दया है। आज के दन मने और मेरी प ी ने ज मनाया, य क हमारा संक प पूरा हो गया है।
जब म अपने कज़दाता से आिख़री बार िमला, तो ऐसी कई वात , िज ह म हमेशा याद रखूँगा। अहमर
ने अपने कठोर श द के िलए मुझसे माफ़ माँगी और कहा क वह चाहेगा क हमारी दो ती हमेशा क़ायम रहे।
बूढ़ा अ काहद भी आिख़र इतना बुरा नह था, य क उसने कहा, “तुम कभी नम िम ी क तरह नाज़क थे,
िजसे कोई भी छू कर दबा सकता था और मनचाहे आकार म ढाल सकता था, परं तु अब तुम काँसे के टु कड़े क तरह
हो, जो कसी का भी मुक़ाबला कर सकता है। अगर तु ह कभी चाँदी या सोने क ज़ रत पड़े, तो बेिहचक मेरे
पास चले आना।”
बाक़ लोग ने भी मुझसे स मानपूवक बात क । मेरी अ छी प ी ने मुझे इतने गव से देखा क कसी भी
आदमी म आ मिव ास आ जाएगा।
बहरहाल, मुझे सफलता अपनी योजना क बदौलत िमली। इस योजना ने ही मुझे इस क़ािबल बनाया क म
अपना सारा कज़ चुका दूँ और मेरे पस म सोना–चाँदी जमा होता रहे। म सफलता चाहने वाले हर आदमी को यह
सलाह दूगँ ा क वह इस योजना पर चले। जब इसक बदौलत एक पूव गुलाम अपने कज़ चुका सकता है और अपने
पस म सोना इक ा कर सकता है, तो इस पर अमल करके कोई भी ि ऐसा कर सकता है। म अब भी इस
योजना पर चल रहा ,ँ य क मुझे िव ास है क अगर म इस पर अमल करता र ग ँ ा, तो म ज दी ही अमीर
बन जाऊँगा।

सट ि व द स कॉलेज
ऩॉ टं घम यूिनव सटी
नेवाक-अॉन- ट
नॉ टं घम
7 नवंबर, 1936
ोफ़े सर किलन का डवेल,
के यर ऑफ़ ि टश साइं ट फ़क ए सपीिडशन,
िह ला, मेसोपोटािमया।

ि य ोफ़े सर,
अगर बैिबलाॅन के अवशेष म खुदाई करते समय आपको वहाँ के ऊँट के ापारी देबेिज़ट का भूत िमले, तो
मुझ पर एक मेहरबानी कर। उसे बता दे क उसने मृदाप पर ब त समय पहले जो िलया था, उसके िलए इं लड
के दो ोफ़े सर आजीवन उसके आभारी रहगे।
आपको शायद याद होगा, एक साल पहले मैने िलखा था क िमसेज ूज़बेरी और मै कज़ से बाहर िनकलने
क इस योजना क आवाज़ भी सुनना चाहते ह। शायद आपने अनुमान लगा िलया होगा क हमारी आ थक
ि थित ख़राब थी, हालाँ क हम इसे अपळ दो त से छु पाने क कोिशश कर रहे थे।
हम कई साल से अपमान भरा जीवन जी रहे थे, य क हमारे िसर पर पुराने कज़ का पहाड़ था और नए
कज़ चढ़ते जा रहे थे। हम दहशत म थे क कह ापारी लोग कोई फसाद न खड़ा कर द, िजसक वजह से मुझे
कॉलेज से िनकाल दया जाए। ऐसा नह है क हम कज़ चुकाने क कोिशश नह कर रहे थे। अपनी आमदनी म से
हम िजतना भी बचा सकते थे, उतना बचाने क कोिशश करते थे। परं तु आमदनी म अपना ख़च चलाना भी
मुि कल पड़ रहा था । इसके अलावा हम मजबूरन उन जगह से सामान ख़रीदना पड़ता था, जहाँ हम उधार िमल
सके , भले ही वहाँ हम महँगे दाम पर सामान िमलता था।
इससे एक दु च शु हो गया, िजससे चीज़ बेहतर बनने के बजाय बदतर बनती चली ग । हमारी ि थित
िनराशाजनक होती जा रही थी। हम कम कराए वाले मकान म नह जा सकते थे, य क हम पर मकान मािलक
का कज़ चढ़ा आ था। ऐसा लगता था क हम ि थित को सुधारने के िलए कु छ नह कर सकते थे।
फर आपके बैिबलाॅन के ऊँट के ापारी ने हमे एक ऐसी योजना सुझाई, िजस पर अमल करके हम अपनी
मनचाही चीज़ हािसल कर सकते थे। उसने हम अपनी योजना पर अमल करने क सूची बनाई और मने वह सूची
अपने सभी कज़दाता को दखाई।
मने उ ह यह प बता दया क वतमान ि थित म म उनका कज़ त काल नह चुका सकता ।ँ आँकड़ो को
देखकर वे यह बात खुद ही समझ सकते थे। फर मने उ ह बताया क पूरा कज़ चुकाने का इकलौता रा ता यही
था क म हर महीने अपनी बीस ितशत आमदनी सभी कज़दाता म बराबरी से बाँट दूँ । इस तरह से म
लगभग दो साल म सारे कज़ उतार दूग ँ ा। इस दौरान हम अपना सारा सामान नक़द ख़रीदगे, िजससे उ ह
अित र लाभ होगा।
कज़दाता सचमुच ब त स न थे। हम स ज़ी देने वाला बूढ़ा आदमी समझदार था। उसने एक ऐसी बात
कही, िजसके ारा मुझे दूसर को समझाने म आसानी ई। उसने कहा, अगर आप आगे से सारा सामान नक़द
खरीदगे, और अपने कज़ का कु छ िह सा भी चुकाएँगे, तो यह उससे बेहतर रहेगा जो आपने आज तक कया है।
आपने तीन साल से मुझे एक पैसा भी नह दया है।
अंत म मने उन सबसे यह अनुबंध करवा िलया क जब तक म िनयिमत प से अपनी बीस ितशत
आमदनी से उनके कज़ चुकाता र ग ँ ा, तब तक वे मुझे कसी कार से तंग नह करगे। फर हमने स र ितशत
आमदनी म गुज़ारा करने क योजना बनाई । हम अपनी दस ितशत आमदनी बचाने के िलए संक पवान थे।
चाँदी और संभवत: सोने के िस े बचाने का िवचार ब त आकषक था।
ख़द को बदलने म हम रोमांच का अनुभव आ । अपनी स र ितशत आमदनी म आराम से ख़च चलाने के
तरीक़े खोजने म हम ब त मज़ा आया। हमने यह काम मकान के कराए से शु कया और हम मकान का कराया
कम करवाने म कामयाब हो मामल म हम अ छा सामान कम क मत पर िमल सकता है।
यह इतनी लंबी कहानी है क एक प म पूरी नह हो सकती। सं ेप म, इसम हम यादा क ठनाई नही ई
और हमने खुशी-खुशी यह काम कर दया। अपनी आ थक समसया को इस तरह सुलझाने से हम ब त राहत
िमली और अब हम पुराने कज़ के कारण आतं कत नह थे।
बहरहाल, म आपको उस दस ितशत आमदनी के बारे म बताना नह भूलूँगा, िजससे हमने खनकाने के
िलए अलग रखा था। हमने कु छ समय तक तो अपनी जमापूँजी को देखने का आनंद िलया। कृ पया यह सुनकर
हँसने न लग। देिखए, यही असली बात है। असली आनंद इसी म है क आप धन बचाना शु कर दे, िजससे आप
ख़च नह करना चाहते। धन ख़च करने के बजाय उसे इक ा करने म यादा आनंद िमलता है।
जब हमने मन भरकर धन खनकाने का आनंद ले िलया, तो हमने इसका एक यादा लाभकारी योग खोज
िलया। हमने एक ऐसी जगह पर इसका िनवेश कर दया, जहाँ हम इससे हर महीने दस ितशत याज िमलने
लगा। यह हमारे प रवतन का सबसे संतोषजनक िह सा सािबत हो रहा है। अपनी आमदनी म से हम सबसे पहले
इसी दस ितशत िह से का भुगतान करते ह।
हम यह जानकर सुर ा का ब त ही संतोषजनक एहसास होता है क हमारा िनवेश िनयिमत प से बढ़
रहा है। हमारे रटायरमट तक हमारे बचत ख़ाते म काफ धनरािश इक ी हो जाएगी। यह धनरािश इतनी यादा
होगी क इससे बाद म हमारे ख़च पूरे होते रहगे।
मज़े क बात यह है क यह सब मेरी पुरानी आमदनी म ही संभव आ है। हालाँ क इस बात पर यक़ न
करना मुि कल है, परं तु यह िबलकु ल सच है। हम धीरे –धीरे आपके सारे कजा युवा रहे है। इसके अलावा हमारा
िनवेश बढ़ रहा है और हमारी आ थक ि थित पहले से बेहतर है। कौन िव ास कर सकता है क िबना क वजह से
प रणाम म इतना अंतर आ सकता है?
अगले साल के अंत तक हमारे सारे कज़ उतर जाएँगे। तब हम यादा धनरािश का िनवेश करने क ि थित म
होगी। इसके अलावा हमारे पास इतना धन होगा क हम बाहर घूमने– फरने जा सके । बहरहाल, हमळो संक प
कर िलया है क हम कसी भी ि थित म अपळओ जीवन–यापन के ख़च को अपनी स र ितशत अामदनी से
यादा नह होने दगे।
अब आप समझ सकते है क हम बैिबलॉन के उस आदमी को ि गत प से ध यवाद य देना चाहते है,
िजसक योजना ने हम “धरती पर नारक य जीवन” से बचाया है। उसके पास ान था, य क वह इन ि थितय
से गुज़र चुका था। वह चाहता था क उसके कटु अनुभव से दूसर को लाभ िमले। इसीिलए उसको अपना संदश े
िलखने म इतने घंट क मेहनत क ।
अपनी ही तरह क उठाने वाले लोग के िलए उसके पास एक स ा संदश े था। यह संदश े इतना मह वपूण
था क पाँच हज़ार साल बाद यह बैिबलॉन के अवशेष से बाहर िनकला और आज भी यह उतना ही स ा तथा
भावी है, िजतना यह ाचीन बैिबलॉन म था।
आपका
अ े ड एच. ूज़बेरी,
पुरात व िवभाग
बैिबलॉन का सबसे ख़श क़ मत आदमी

बै िबलॉन का समृ ापारी शा नादा अपने कारवाँ म सबसे आगे चल रहा था। उसे अ छे व पसंद थे,
इसिलए वह बेहतरीन व पहनता था। उसे अ छे जानवर पसंद थे और वह ब त तेज़ भागने वाले अरबी
घोड़े पर सवारी करता था। उसे देखकर कोई उसके बुढ़ापे का अंदाज़ा नह लगा सकता था। िनि त प से
लोग को यह शक नह आ होता क अंदर से वह परे शान है।
दिम क से वापस लौटने क या ा लंबी है और इसम रे िग तान क कई मुि कल का सामना करना पड़ता
है। बहरहाल, शा नादा को ख़ास मुि कल का सामना नह करना पड़ता है। खूँख़ार अरब जनजाितयाँ कारवाँ
को लूटने क फराक म रहती ह, परं तु उसे इस बात का कोई डर नह था, य क उसके पास घुड़सवार र क का
समूह था, जो कारवाँ क र ा करने के िलए पया था।
शा नादा के साथ एक युवक चल रहा था, िजसे वह दिम क से ला रहा था। उसी क वजह से शा नादा
परे शान था। उस युवक का नाम हादान ग़ला था, जो उसके पुराने पाटनर अरद ग़ला का पोता था। वह ग़ला का
इतना कृ त था क उसके कज़ को कभी नह उतार अरद सकता था। वह अरद ग़ला के पोते के िलए कु छ करना
चाहता था, परं तु उसने इस बारे म िजतना सोचा, यह काम उसे उतना ही मुि कल लगा। सबसे बड़ी मुि कल वह
युवक वयं था।
उस युवक ने हाथ म अँगू ठयाँ और कान म छ ले पहन रखे थे। यह देखकर शा नादा ने सोचा, “वह
सोचता है क आभूषण मद के िलए होते ह, परं तु उसके पास अपने दादा का संक पवान चेहरा भी है। उसके दादा
ने इस तरह के भड़क ले व कभी नह पहने। बहरहाल, म चाहता था क वह मेरे साथ आए, य क मुझे आशा
थी क वह कोई ढंग का काम शु करे और अपने िपता से दूर रहे, िज ह ने िवरासत म िमले धन को गँवा दया
था।”
हादान ग़ला ने उसके िवचार म बाधा डाली, "आप इतनी कड़ी मेहनत य करते ह ? अपने कारवाँ के साथ
लंबी या ा पर य जाते ह ? आप कभी ज़ंदगी का आनंद लेने के िलए समय य नह िनकालते?”
शा नादा मु कराया, “ जंदगी का आनंद ? ... अगर तुम शा नादा क जगह होते, तो तुम ज़ंदगी का
आनंद लेने के िलए या करते ?”
अगर मेरे पास आपके िजतनी दौलत होती, तो म राजकु मार क तरह राहता। । म कभी गम रे िग तान क
या ा नह करता। धन मेरे पस म िजतनी तेज़ी से आता, म उसे उतनी ही तेज़ी से उड़ा डालता। म सबसे महँगे
कपड़े और सबसे दुलभ र पहनता। म इसी तरह क ज़ंदगी जीता, य क इसी तरह जीने म तो आनंद है।”
दोन ही हँस।े
शा नादा के मुँह से बरबस िनकल गया, “तु हारे दादाजी आभूषण नह पहनते थे।” फर उसने कु छ
सोचकर मज़ाक़ म कहा, “ या तुम कभी काम नह करते?”
हादान ग़ला ने जवाब दया, “काम तो नौकर करते ह।”
शा नादा ने अपने ह ठ काट िलए, परं तु कोई जवाब नह दया। वे ख़ामोशी से सवारी करते रहे, जब तक
क पगडंडी उ ह ढाल पर नह ले आई। यहाँ उसने अपने घोड़े क रास ख ची और दूर दखने वाली हरी घाटी क
तरफ़ इशारा करते ए कहा, “वह राही घाटी। और नीचे देखो, वहाँ पर तु ह बैिबलॉन क दीवार धुँधली-धुँधली
दख सकती ह। वह मीनार बेल का मं दर है। अगर तु हारी आँख तेज़ ह, तो तुम इसके ऊपर अमर योित का धुँआ
भी देख सकते हो।”
हादान ग़ला बोला, "तो बैिबलॉन यह है ? म हमेशा दुिनया के सबसे दौलतमंद शहर को देखना चाहता था।
बैिबलॉन, जहाँ मेरे दादाजी ने दौलत कमाई थी। काश वे अब भी ज़ंदा होते! अगर वे ज़ंदा होते, तो हमारी
आ थक हालत इतनी ख़राब नह होती।”
“तुम यह य चाहते हो क वे इस धरती पर अपने िनधा रत समय से यादा रहते ? तुम और तु हारे िपता
भी तो उनके पदिच ह पर चल सकते हो|”
“परं तु हम दोन म ही उनके िजतनी ितभा नह है। िपताजी और म दोन ही धन को आक षत करने का
रह य नह जानते ह।"
शा नादा ने कोई जवाब नह दया, पर अपने घोड़े क रास ढीली छोड़ दी। फर वह कु छ सोचता आ
घाटी क पगडंडी से उतरने लगा। उनके पीछे कारवाँ लाल धूल का बादल उड़ाता आ रहा था। कु छ समय बाद वे
राजमाग पर प च ँ गए और संिचत खेत म से होते ए दि ण दशा म मुड़ गए।
तीन बूढ़े कसान एक खेत क जुताई कर रहे थे। शा नादा का यान उनक तरफ़ गया। वे उसे जाने-
पहचाने लगे। कतनी अजीब बात है क चालीस साल बाद आप कसी खेत से गुज़र, और आपको वही लोग वह
पर खुदाई करते िमल। बहरहाल, उसके दल ने कहा क वे वही थे। उनम से एक हल को कमज़ोरी से पकड़े था।
बाक़ बैल के पास चल रहे थे और उ ह क च रहे थे, ता क वे ढंग से काम कर।
चालीस साल पहले उसे इन लोग से ई या होती थी! उस समय इनक ज़ंदगी से अपनी ज़ंदगी क अदला-
बदली करने म उसे कतनी खुशी ई होती! परं तु अब कतना फ़क़ था! उसने गव से अपने पीछे आते कारवाँ,
बेहतरीन ऊँट और गध को देखा, िजन पर दिम क के क़ मती सामान का ऊँचा ढेर लदा आ था। यह सब उसका
था और यह उसक दौलत का िसफ़ एक िह सा था।
उसने जुताई करने वाल क तरफ़ इशारा करते ए कहा, “ये लोग चालीस साल पहले जहाँ थे, अब भी
वह पर ह। वे अब भी उसी खेत को जोत रहे ह।”
“ऐसा लगता तो है, परं तु आप ऐसा य सोचते ह क ये वही लोग ह ?”
शा नादा ने जवाब दया, “मने उ ह पहले भी यह पर देखा है।”
उसके दमाग़ म याद सरपट भाग रही थ । वह अतीत को दफ़न य नह कर सकता ? वह वतमान म य
नह रह सकता? फर उसके दमाग म अरद गुला के मु कराते चेहरे क त वीर क ध गई। उसके और युवक के
बीच का अवरोध त काल गायब हो गया।
परं तु वह इस अिभमानी युवक क मदद कै से कर सकता है, िजसके दमाग़ म फ़ज़ूलखच के िवचार भरे थे
और िजसके हाथ म र थे ? काम करने के इ छु क लोग के िलए उसके पास ब त काम था, परं तु उन लोग के
िलए उसके पास कोई काम नह था, जो काम करने को हेय दृि से देखते ह और खुद को े मानते ह ।
बहरहाल, वह अरद ग़ला का इतना आभारी था क उसे कु छ न कु छ तो करना ही था। उसे पूरी कोिशश करना ही
थी। उसने और अरद ग़ला ने कभी आधी-अधूरी कोिशश नह क थी। वे ऐसे लोग नह थे।
उसके दमाग़ म त काल एक योजना क ध गई। फर आपि याँ आई। उसे अपने प रवार और अपनी ित ा
का याल आया। उसने सोचा क इस योजना पर अमल करने से उसक ित ा पर आँच आ सकती है। परं तु
त काल िनणय लेने क आदत के कारण उसने इस आपि को दर कनार कर दया और कम करने का फै सला
कया।
उसने सवाल पूछा, " या तुम यह जानना चाहते हो क तु हारे यो य दादाजी और म पाटनर कै से बने, िजस
वजह से हम दोन ही दौलतमंद बन गए?”
युवक ने उतावलेपन से कहा, “इसके बजाय आप मुझे सीधे-सीधे यह य नह बता देते क आपने धन कै से
कमाया? म बस इतना ही जानना चाहता !ँ ”
शा नादा ने उसक बात को नज़रअंदाज़ करते ए आगे कहा, “हम इन जुताई करने वाले लोग से शु
करते ह। तब म तु हारी ही उ का था। मेरे साथ मेिगडो नाम का कसान था। इन लोग को जुताई करते देखकर
उसने नाक-भ िसकोड़ी थी और कहा था क वे लापरवाही से खेत जोत रहे थे। मेिगडो मेरे पास ही जंज़ीर से बँधा
था। उसने कहा, ‘इन आलसी लोग को देखो। हल पकड़ने वाला गहराई से जोतने क कोिशश नह कर रहा है।
बैल को साधने वाले बैल को सही माग पर नह रख पा रहे ह। इतनी ख़राब जुताई के बाद वे अ छी फ़सल
उगाने क उ मीद कै से कर सकते ह?” ?”
हादान ग़ला ने हैरानी से पूछा, “आप और मेिगडो जंज़ीर से बँधे थे?”
हाँ, हमारी गदन पर काँसे के प े थे और हमारे बीच म भारी जंज़ीर थी। उसके पास म ही भेड़ का चोर
ज़ैबेदो था, िजससे म पहले हा न म िमला था। सबसे अंत म जो ि था, उसे हम समु ी डाकू कहते थे, य क
उसने हम अपना नाम नह बताया था। हमारे ख़याल से वह जहाज़ी था, य क जहािज़य क तरह ही उसके
सीने पर भी दो साँप गुदे ए थे। जंज़ीर इस तरह से बँधी थ , ता क चार लोग एक साथ चल सक।”
“आप गुलाम क तरह जंजीर म जकड़े थे?” हादान ग़ला ने हैरानी से पूछा।
“ या तु हारे दादाजी ने तु ह कभी नह बताया क म कभी गुलाम था?”
“वे अ सर आपके बारे म बात करते थे, परं तु उ ह ने कभी इस बात क ओर संकेत नह कया।"
“वे ऐसे इं सान थे, िज ह सबसे गहरे रह य पूरे िव ास के साथ बताए जा सकते थे। म तुम पर भी भरोसा
कर सकता ,ँ है ना?” शा नादा ने उसक आँख म झाँकते ए कहा।
“आप मुझ पर भरोसा कर सकते ह क म चुप र ग ँ ा। परं तु म हैरान ।ँ मुझे बताएँ क आप ग़लाम कै से
बने?”
शा नादा ने अपने कं धे उचकाए, “कोई भी आदमी कभी भी ग़लाम बन सकता है। जुए और शराब के
कारण मुझ पर यह संकट आया था म अपने भाई क ग़लितय का िशकार आ था। एक झगड़े म उसने अपने िम
को मार डाला। मेरे िपता यह नह चाहते थे क मेरे भाई पर क़ानून के मुतािबक़ मुकदमा चले, इसिलए उ ह ने
मुझे ‘ क बनाकर मृत ि क िवधवा के हवाले कर दया। जब मेरे िपता मुझे मु कराने के िलए पया धन
नह जुटा पाए, तो उस िवधवा ने गु से म आकर मुझे गुलाम के ापारी के हाथ बेच दया।”
हादान गुला ने कहा, “ कतनी शम और अ याय क बात है! परं तु मुझे बताएँ, आप दुवारा कै से वतं ए?”
हम उस मु े पर बाद म आएँग।े अभी हम इस कहानी को आगे बढ़ाते ह। हमारे वहाँ से िनकलते समय खेत
जोतने वाल ने हमारी िख ली उड़ाई। एक ने अपना फटेहाल टोप उठाकर और िसर झुकाकर हमारा अिभवादन
कया और कहा, ‘स ाट के अितिथय , बैिबलॉन म आपका वागत है। वे शहर क दीवार पर आपका इं तज़ार
कर रहे ह, जहाँ पर दावत का आयोजन कया गया है। दावत म िम ी क ईट और याज का सूप है।‘ इसके साथ
ही वे ज़ोर से हँस पड़े।
“समु ी डाकू यह सुनते ही आपे से बाहर हो गया और उ ह गािलयाँ देने लगा। मने उससे पूछा, ‘इन लोग
ने यह य कहा क स ाट दीवार पर हमारा इं तज़ार कर रहे ह?‘”
वह बोला, “शहर क दीवार तक ईट ढोने वाले अपनी कमर टू टने तक ट ढोते रहते ह। यह भी संभव है क
कमर टू टने से पहले ही सैिनक िपटाई करके उनक जान ले ल। पर वे मेरी िपटाई नह कर पाएँगे। म उ ह जान से
मार दूगँ ा।"
फर मेिगडो बोला, “मािलक अपने इ छु क और मेहनती सेवक क िपटाई करके उनक जान य लगे?
मािलक अ छे ग़लाम को पसंद करते ह और उनके साथ अ छा वहार करते ह।”
ज़ैबेदी ने ट पणी क , “मेहनत कौन करना चाहता ह? ये खेत जोतने वाले समझदार ह। ये अपनी कमर नह
तोड़ रहे ह। ये िसफ़ काम चला रहे ह।”
मेिगडो ने िवरोध करते ए कहा, “आप काम टालकर गित नह कर सकते। अगर आप दन म एक हे टेयर
खेत जोतते ह, तो यह ब त अ छा काम है और हर मािलक यह बात जानता है। परं तु अगर आप एक दन म िसफ़
आधा हे टेयर जोतते ह, तो यह काम को टालना है। म काम नह टालता। मुझे काम करना पसंद है और मुझे
अ छी तरह से काम करना पसंद है, य क मने पाया है क काम इं सान का सबसे अ छा िम होता है। इसी क
बदौलत मुझे अपनी सारी अ छी चीज िमली ह - मेरा खेत, मवेशी और फ़सल, सब कु छ।"
ज़ैबेदो ने ताना मारते ए कहा, "अ छा! और इस समय वे सारी चीज़ कहाँ ह? मुझे लगता है क आदमी को
चालाक बनना चािहए और िबना मेहनत कए आगे बढ़ना चािहए। यही बेहतर नीित है। तुम देखना, अगर हम
दीवार पर काम करने के िलए बेच दया जाएगा, तो म पानी का थैला उठाऊँगा या ऐसा ही कोई आसान काम
क ँ गा, जब क तुम, जो काम करना पसंद करते हो, ईट ढोकर अपनी कमर तोड़ लोगे।" वह मूखतापूण अंदाज़ म
हँसा ।
उस पूरी रात म दहशत म रहा। म सो नह पाया। म गाड क र सी के क़रीब िखसक आया। जब बाक़ लोग
सो गए, तो मने पहरा देने वाले गाड गोडोसो का यान आक षत कया। वह उन लुटेरे अरबवािसय म से था, जो
आपका पस लूटते समय यह सोचते थे क उ ह आपका गला भी काट देना चािहए।
मने फु सफु साकर पूछा, “गोडीसो, मुझे बताओ, जब हम बैिबलॉन प च ँ गे, तो या हम दीवार के काम म
लगाने के िलए बेचा जाएगा?”
उसने सावधानी से पूछा, "तुम य जानना चाहते हो?"
म िगड़िगड़ाया, “ या तु ह समझ म नह आता है? म जवान ।ँ म ज़ंदा रहना चाहता ।ँ म दीवार पर
काम करते ए नह मरना चाहता। म िपटाई से नह मरना चाहता। या अ छा मािलक िमलने क कोई
संभावना है?”
उसने धीमे से कहा, “म बताता ।ँ गोडोसो को कोई द क़त मत दो। अ सर हम सबसे पहले गुलाम के
बाज़ार म जाते ह। अब यान से सुनो। जब ख़रीदार आएँ, तो उनसे कहो क तुम अ छे मेहनती आदमी हो और
तुम अ छे मािलक के िलए कड़ी मेहनत करोगे। पूरी कोिशश करो, ता क ख़रीदार तु ह ख़रीद ल। अगर तुम इसम
कामयाब नह हो पाए, तो अगले दन तुम इट उठाओगे, जो ब त कठोर काम है।"
उसके जाने के बाद म गम रे त म लेट गया और िसतार क तरफ़ देखते ए काम के बारे म सोचने लगा।
मेिगडो ने कहा था क काम उसका सबसे अ छा िम है। म सोच रहा था, या वह मेरा भी सबसे अ छा िम
होगा। िनि त प से होगा, अगर वह मुझे इस संकट से िनकाल ले।
जब मेिगडो जागा, तो मने उसके कान म फु सफु साकर यह अ छी ख़बर दी। जब हम बैिबलॉन क ओर बढ़
रहे थे, तो हमारे िलए यह आशा क इकलौती करण थी। शाम को हम दीवार के पास प च ँ ।े हम दख रहा था
क लोग क लंबी क़तार काली च टय क तरह ऊँचे रा त पर ऊपर-नीचे आ-जा रही थ । क़रीब प च ँ ने पर
हम यह देखकर हैरानी ई क हज़ार लोग काम कर रहे थे। कु छ खंदक म खुदाई कर रहे थे, कु छ िम ी क इट म
िम ी िमला रहे थे। ब सं यक लोग ईट को बड़ी बा के ट म लेकर मैस स तक जाने वाली ऊँची पगडंिडय पर
चल रहे थे।*
ठे केदार ढीले मज़दूर को गािलयाँ दे रहा था और क़तार म न चलने वाले लोग क पीठ पर चाबुक चला
रहा था। थके ए कमज़ोर लोग अपनी भारी बा के ट के बोझ से लड़खड़ाकर िगर जाते थे और दुबारा नह उठ
पाते थे। अगर चाबुक के बावज़ूद वे उठकर खड़े नह होते थे, तो उ ह रा ते म एक तरफ़ धके ल दया जाता था
और वह पर तड़पता छोड़ दया जाता था। ज दी ही उ ह दूसरे कायर के पास प च ँ ा दया जाता था, जहाँ क़
उनका इं तज़ार कर रही होती थी। मने सोचा, अगर म गुलाम के बाज़ार म नह िबकूँ गा, तो मेरा भी यही हाल
होगा।
गोडोसो ने सही कहा था। हम शहर के ार से गुलाम क जेल तक ले जाया गया और अगली सुबह हम
बाज़ार म खड़ा कर दया गया। मेरे बाक़ साथी डरे ए थे। वे िसफ़ गाड के चाबुक क वजह से, ही िहल-डु ल रहे
थे, ता क ख़रीदार उनक जाँच कर सके । मेिगडो और म उ सुकता से हर ख़रीदार से बात कर रहे थे, बशत वह
हम ऐसा करने क अनुमित दे।
गुलाम के ापारी ने राजा के सैिनक बुलवाए, िज ह ने समु ी डाकू को जंज़ीर से बाँधा और जब उसने
ितरोध कया, तो उसक ू रता से िपटाई क । जब वे उसे पकड़कर ले गए, तो मुझे उस पर दया आई।
मेिगडो को महसूस आ क हम ज दी ही एक-दूसरे से जुदा हो जाएँगे। जब आस-पास कोई ख़रीदार नह
था, तो उसने मुझसे गंभीरता से बात क और मुझे बताया क काम भिव य म मेरे िलए कतना ब मू य सािबत
होगा। ‘कु छ लोग काम से नफ़रत करते ह और इसे अपना दु मन बना लेते ह। बेहतर होगा क इसके साथ िम
क तरह वहार करो और इसे पसंद करो। इस बात क परवाह मत करो क यह मुि कल है। अगर तुम कोई
बेहतरीन मकान बना रहे हो, तो तु ह यह परवाह नह होती है क ल े भारी ह और कु आँ दूर है, जहाँ से पानी
लाना पड़ता है। मुझसे यह वादा करो क अगर तु ह कोई ख़रीद ले, तो तुम उसके िलए अपनी पूरी मेहनत से
काम करोगे। अगर वह तु हारे काम से भािवत न हो, तो भी परवाह मत करना। याद रखो, अगर काम अ छी
तरह से कया जाए, तो काम करने वाले को इससे हमेशा लाभ होता है। इससे वह बेहतर इं सान बन जाता है।‘”
उसी समय वहाँ पर एक सुग ठत कसान आकर हमारी जाँच करने लगा, इसिलए मेिगडो ने अपनी बात यह पर
ख़ म कर दी।
मेिगडो ने उसके खेत तथा फसल के बारे म पूछा और उसे ज दी ही यह िव ास दला दया क वह ब त
ही उपयोगी ग़लाम सािबत होगा। काफ़ देर तक गुलाम के ापारी से भाव-ताव करने के बाद कसान ने अपने
व के नीचे से अपना मोटा पस िनकाला और ज दी ही मेिगडो अपने नए मािलक के साथ आँख से ओझल हो
गया।
कु छ और लोग भी सुबह ही िबक गए। दोपहर म गोडोसो ने मुझे िव ास म लेकर बताया क गुलाम का
ापारी उकता गया था। इस ि थित म वह रात भर इं तज़ार नह करे गा, बि क शाम होते ही बचे ए गुलाम को
स ाट के आदिमय को बेच देगा। यह सुनकर म ब त छटपटाने लगा। उसी समय एक मोटा और अ छे वभाव
वाला ि दीवार के पास आया। उसने पूछा क या हमम से कोई बेकर (नानबाई) है।
मने उससे पूछा, "आप जैसा अ छा बेकर कसी दूसरे घ टया बेकर को य खोज रहा है ? या मेरी तरह के
कसी इ छु क युवक को अपनी कला िसखाना यादा आसान नह होगा ? मेरी तरफ़ देख, म युवा ,ँ शि शाली
ँ और मुझे काम करना पसंद है। मुझे एक मौक़ा तो द, म आपके िलए धन कमाने का सव े यास क ँ गा।"
वह मेरी इ छा से ब त भािवत आ और गुलाम के ापारी के साथ सौदेबाज़ी करने लगा। हालाँ क
ापारी ने मेरी तरफ़ पहले कभी यान नह दया था, परं तु इस समय वह मेरी यो यता , मेरी अ छी सेहत
और मेरे अ छे वभाव क तारीफ़ के पुल बाँध रहा था। मुझे लगा, जैसे म कोई मोटा बैल ,ँ िजसे कसी क़साई
के हाथ बेचा जा रहा हो। आिख़रकार जब सौदा पूरा हो गया, तो मुझे ब त खुशी ई। म अपने नए मािलक के
साथ चल दया और यह सोचने लगा क म बैिबलॉन का सबसे ख़श क़ मत आदमी ।ँ
मेरा नया घर मुझे काफ़ पसंद आया। मेरे मािलक नानानेद ने मुझे िसखाया क अहाते म रखी जौ को प थर
क िसल पर कै से पीसना है, ओवन म आग कै से जलाना है और फर शहद वाले के क के िलए ितल को ब त बारीक
कै से पीसना है। मेरा िब तर अनाज के भंडार वाले शेड म लगा था। यहाँ पर एक बूढ़ी गुलाम मिहला हाउसक पर
थी। वाि त नाम क इस मिहला ने मुझे अ छी तरह खाना िखलाया और जब मने भारी काम म उसक मदद
क , तो वह खुश हो गई।
म यही अवसर तो चाहता था, ता क म अपने मािलक क नज़र म मू यवान बन सकूँ । म आशा कर रहा था
क वतं ता हािसल करने का कोई न कोई रा ता िनकल आएगा।
मने नानानेद से कहा क वह मुझे िसखाए क आटे को कै से गूँथा जाता है और बे कं ग कै से क जाती है। उसने
मुझे यह िसखा दया और वह मेरे सीखने क इ छा से ब त खुश आ। बाद म जब म इस काम को अ छी तरह
करने लगा, तो मने उससे कहा क वह मुझे शहद के के क बनाना भी िसखा दे। ज दी ही म बे कं ग का सारा काम
करने लगा। मेरे मािलक को अब पूरा आराम िमल गया था। वे आलस क जंदगी से ब त खुश थे, परं तु वाि त ने
अ स ता म अपना िसर हलाया, “इं सान के पास कोई काम न होना बुरी बात है।”
मने महसूस कया क अब मुझे कोई ऐसा रा ता खोजना था, िजससे म अपनी वतं ता ख़रीदने के िलए
कु छ िस े कमा सकूँ । बे कं ग का काम दोपहर तक ख़ म हो जाता था। मने सोचा क अगर म दोपहर के बाद कु छ
कमाई क ँ और उसे अपने मािलक के साथ बाँट लू,ँ तो नानानेद राज़ी हो जाएँगे। फर मेरे मन म यह िवचार
आया, य न शहद के के क यादा बना लूँ और उ ह शहर क सड़क पर भूखे लोग को बेचूँ ?
“मने नानानेद को यह िवचार इस तरीके से बताया, “दोपहर तक मेरा बे कं ग का काम ख़ म हो जाता है।
अगर म उसके बाद आपके िलए धन कमा सकूँ , तो या आप मेरी आमदनी का कु छ िह सा मुझे दे दगे? म चाहता
ँ क मेरे पास भी कु छ पैसा रहे, िजसक ज़ रत हर इं सान को अपनी इ छा और ज़ रत के िलए होती है?"’
य नह , य नह ,” उसने वीकार कया। जब मने उसे अपनी योजना बताई क म बाज़ार म शहद के
के क बेचने के बारे म सोच रहा ,ँ तो वह ब त ख़श आ। उसने सुझाव दया, “हम यह कर सकते ह। तुम एक
पेनी म दो के क बेचना। िजतनी कमाई होगी, उसम से आधी तो आटे, शहद और इधन क लकड़ी के ख़च के प म
म ले लूँगा। बाक़ बची आधी कमाई म से आधा मेरा और आधा तु हारा होगा।"
म उसके इस उदार ताव से ब त ख़श आ क मुझे िब का चौथाई िह सा िमलेगा। उस रात मने देर
तक काम करके एक े बनाई, ता क म उस पर के क रख सकूँ । । नानानेद ने मुझे अपने पुराने कपड़े दे दए, ता क
मेरा िलया ठीक दखे। वाि त ने मािलक के कपड़ पर पैबंद लगाकर उ ह धोकर साफ़ कर दया।
अगले दन मने शहद के यादा के क बनाए। मने सोचा, े पर रखे ए भूरे के क देखकर लोग का मन ललचा
जाएगा। म सड़क पर जाकर ज़ोर-ज़ोर से अपने के क के बारे म िच लाने लगा। पहले तो कसी ने भी िच नह
दखाई और म हताश हो गया। बहरहाल म जुटा रहा। बाद म जब दोपहर को लोग को भूख लगी, तो के क
धड़ाधड़ िबकने लगे और ज दी ही मेरी े ख़ाली हो गई।
नानानेद मेरी सफलता से ब त खुश आ और उसने ख़शी-ख़शी मुझे मेरी कमाई का चौथा िह सा दे दया।
म धन का वामी बनकर आनं दत था। मेिगडो सही था, िजसने कहा था क मािलक अपने गुलाम के अ छे काम
क शंसा करता है। म अपनी सफलता पर इतना रोमांिचत था क उस रात को मुझे न द नह आई। म यह
अनुमान लगा रहा था क म एक साल म कतना कमा सकता ँ और अपनी वतं ता ख़रीदने म मुझे कतने साल
लगगे।
जब म हर दन अपनी े म के क रखकर बेचने लगा, तो ज दी ही मेरे िनयिमत ाहक बन गए। उनम से एक
तु हारे दादा अरद गुला थे। वे क़ालीन के ापारी थे, िज ह वे गृिहिणय को बेचते थे। वे शहर के एक कोने से
दूसरे कोने तक जाते थे। उनके साथ-साथ एक गधा चलता था, िजस पर क़ालीन का ऊँचा ढेर रखा रहता था।
इसक देखभाल के िलए उनके साथ एक अ ेत गुलाम भी रहता था। वे दो के क अपने िलए ख़रीदते थे और दो
अपने गुलाम के िलए। उ ह खाते समय वे मुझसे बात करने के िलए हमेशा ठहर जाते थे।
तु हारे दादाजी ने एक दन मुझसे एक ऐसी बात कही, जो मुझे हमेशा याद रहेगी। “मुझे तु हारे के क पसंद
ह, परं तु मुझे तु हारी मेहनत इससे भी यादा पसंद है, िजसके साथ तुम उ ह बेचते हो। अगर तुम इसी तरह से
काम करते रहोगे, तो तुम सफलता क राह पर ब त आगे तक जाओगे।”
‘हादान ग़ला, तुम यह बात नह समझ सकते क ो साहन के ये श द उस ग़लाम लड़के के िलए या मायने
रखते ह गे, जो एक बड़े शहर म अपनी पूरी ताक़त से अके ला संघष कर रहा था, ता क अपनी ग़लामी से बाहर
िनकलने का कोई तरीक़ा खोज सके ?
महीने गुज़रते गए और मेरे पस म िस े इक े होते गए। मेरे बे ट म लगे पस का वज़न बढ़ता गया। जैसा
मेिगडो ने कहा था, काम मेरा सबसे अ छा िम सािबत हो रहा था। म ब त ख़श था, परं तु वाि त चंितत थी।
उसने कहा, “म मािलक क वजह से चंितत ।ँ मुझे डर है क वे अपना यादातर समय जुए क टेबल पर
िबताते ह।"
एक दन मुझे मेरा िम मेिगडो सड़क पर िमल गया, िजससे िमलकर मुझे ब त खुशी ई। वह तीन गध
पर सि ज़याँ लादकर बाज़ार ले जा रहा था। उसने कहा, “म ब त अ छी तरह से ।ँ मेरे मािलक ने मेरे अ छे
काम से खुश होकर मुझे भारी बना दया है। वह सामान बेचने के मामले म भी मुझ पर भरोसा करता है और
उसने मेरे प रवार को भी बुलवा भेजा है। काम िवपि से उबरने म मेरी मदद कर रहा है। कसी दन यह
वतं ता खरीदने म भी मेरी मदद करे गा और भिव य म म अपने खेत का मािलक बन जाऊँगा।”
समय गुज़रता गया । नानानेद मेरे लौटने का बेस ी से इं तज़ार करने लगा। जब म लौटता था, तो वह
इं तज़ार करता िमलता था, ता क वह उ सुकता से हमारे धन को िगने और बाँट ले। वह मुझे नए बाज़ार तलाशने
के िलए े रत करता था, ता क म यादा के क बेच सकूँ ।
अ सर म शहर के दरवाज़े के बाहर भी जाता था, ता क दीवार बनाने वाले ग़लाम के ठे केदार को अपने
के क बेच सकूँ । हालाँ क मुझे वह अि य दृ य िबलकु ल पसंद नह था, परं तु ठे केदार ब त उदारता से ख़रीदते थे।
एक दन म जैबेदो को देखकर हैरान आ, जो ईट को अपनी बा के ट म भरने के िलए क़तार म लगा था। वह
ब त दुबला हो गया था, उसके कं धे झुक गए थे और उसक कमर पर चावुक के घाव और फोड़े साफ़ नज़र आ रहे
थे। उस पर तरस खाकर मने उसे एक के क दे दया । वह भूखे जानवर क तरह के क को चबा गया। उसक आँख
म लोभ क चमक देखकर मुझे डर लगा क कह वह मेरी पूरी े न छीन ले, इसिलए म वहाँ से भाग खड़ा आ।
अरद गुला ने एक दन मुझसे पूछा, “तुम इतनी कड़ी मेहनत य करते हो?” या तु ह याद है, यही सवाल
आज तुमने मुझसे पूछा था? मने उ ह बताया क मेिगडो ने काम के बारे म या कहा था और यह भी क काम
मेरा सबसे अ छा िम सािबत हो रहा था। मने उ ह गव से िस से भरा अपना पस बताया और यह कहा क म
अपनी वतं ता ख़रीदने के िलए उ ह बचा रहा था।
उ ह ने पूछा, " वतं होने के बाद तुम या करोगे?"
मने जवाब दया, "म ापारी बनना चाहता ।ँ "
इस पर उ ह ने मुझे िव ास म िलया। उ ह ने मुझे एक ऐसी बात बताई, जो म सपने म भी नह सोच
सकता था। उ ह ने कहा, "तुम शायद यह नह जानते हो क म भी ग़लाम ,ँ परं तु म अपने मािलक का पाटनर
भी ।ँ "
हादान ग़ला ने कहा, “ क जाओ। म अपने दादाजी का अपमान करने वाली झूठी बात नह सुनूँगा। वे
गुलाम नह थे।" उसक आँख गु से से दहकने लगी थ ।
शा नादा शांत रहा। “म उनका स मान करता ,ँ य क वे अपने दुभा य से बाहर िनकलकर ऊपर उठे
और दिम क के अ णी नाग रक बने। या तुम, उनके पोते, भी उसी िम ी के बने हो ? या तुम मद हो, जो स े
त य का सामना कर सके या तुम झूठे म म जीना पसंद करते हो?”
हादान गुला तनकर बैठ गया। गहरी भावना से ँ धी आवाज़ म उसने जवाब दया, “मेरे दादाजी से सब ेम
करते थे। उ ह ने अनिगनत अ छे काम कए थे। जब अकाल आया, तो उ ह ने िम म अनाज ख़रीदने के िलए धन
दया और उनका कारवाँ इसे दिम क लेकर आया। उ ह ने सारा अनाज लोग म बाँट दया, ता क कोई भूखा न
मरे । अब आप कहते ह क वे बैिबलॉन म एक अपमािनत गुलाम थे।"
शा नादा ने जवाब दया, "अगर वे बैिबलॉन म गुलाम ही बने रहते, तो उ ह अपमािनत कहना उिचत
होता। परं तु जब वे अपने यास से दिम क के महान ि बन गए, तो दरअसल देवता ने उनके दुभा य को
माफ़ कर दया और उनका स मान कया।"
शा नादा ने आगे कहा, “मुझे यह बताने के बाद क वे एक गुलाम ह, उ ह ने यह कहा क वे वतं होने के
िलए बेताब थे। अब उनके पास अपनी वतं ता ख़रीदने के िलए पया धन आ गया था, परं तु वे इस दुिवधा म थे
क या उ ह ऐसा करना चािहए। उन दन उनक िब पहले िजतनी अ छी नह हो रही थी और उ ह अपने
मािलक का सहारा छोड़ने म डर लग रहा था।”
मने उनके अिनणय का िवरोध कया, “अपने मािलक से बँधकर न रह। एक बार फर से वतं ि बनने
क भावना का अनुभव कर। वतं ि क तरह काम कर और सफल बन! यह फै सला कर क आप या
हािसल करना चाहते ह और फर काम करके आप उसे हािसल कर लगे।” वे यह कहकर अपने रा ते चले गए क
मने उनक कायरता पर उ ह लि त कर दया था और इससे उ ह ख़शी ई थी।*
एक दन म एक बार फर शहर के ार के बाहर गया। मुझे यह देखकर हैरानी ई क वहाँ पर भारी भीड़
जमा थी। जब मने एक ि से इसका कारण पूछा, तो उसने जवाब दया, “ या तुमने सुना नह है ? एक भगोड़े
गुलाम ने स ाट के सैिनक को मार डाला था। उसे पकड़कर सज़ा सुना दी गई है और आज उसे उसके अपराध के
िलए कोड़े मारकर मार डाला जाएगा। स ाट वयं यहाँ पर आने वाले ह।”
कोड़े मारने वाले थान के आस-पास इतनी यादा भीड़ थी क म घबरा गया। मुझे डर था क अगर म वहाँ
गया, तो मेरी शहद के के क वाली े िगर जाएगी। इसिलए म एक अधूरी दीवार पर चढ़ गया, ता क लोग के िसर
के ऊपर से नज़ारा देख सकूँ । मने वहाँ पर स ाट को देखा, जो अपने सुनहरे रथ पर सवार थे। इससे पहले मने
कभी इतना वैभव नह देखा था - सुंदर व , सुनहरे कपड़े और मख़मल के पद।
म कोड़ क मार नह देख पाया, हालाँ क मुझे बेचारे गुलाम क चीख़ सुनाई दे रही थ । मने सोचा क
हमारे आकषक स ाट िजतना उदार ि इतने क को देखना कै से सहन कर सकता है, परं तु जब मने उ ह अपने
सामंत के साथ हँसी-मज़ाक़ करते देखा, तो म जान गया क वे ू र थे और म यह भी समझ गया क दीवार बनाने
म गुलाम से ऐसे अमानवीय काम य करवाए जाते ह।
गुलाम के मर जाने के बाद उसका शरीर एक खंभे पर र सी से लटका दया गया, ता क सब उसे देख सक।
भीड़ छँटने के बाद म क़रीब गया। उसके बाल भरे सीने पर मने दो साँप गुदे देख।े वह और कोई नह , बि क मेरा
प रिचत समु ी डाकू था।
अगली बार जब म अरद गुला से िमला, तो वे बदले ए इं सान थे। उ साह भरे वर म उ ह ने मुझसे कहा,
“देखो, िजस ग़लाम को तुम जानते थे, वह अब वतं इं सान बन चुका है। तु हारे श द म जादू था। मेरी िब
और मुनाफ़ा अब बढ़ने लगे ह। मेरी प ी ब त खुश है। वह मेरे मािलक क भतीजी थी और एक वतं मिहला
थी। उसक ब त इ छा है क हम कसी अजनबी शहर म चले जाएँ, जहाँ कसी को भी मेरी ग़लामी के बारे म
जानकारी न हो, ता क हमारे ब को अपने िपता के दुभा य के िलए ताने न झेलना पड़। काम मेरा सबसे बड़ा
सहयोगी बन चुका है। इसने मुझे आ मिव ास दलाया है और मेरी बेचने क मता को बढ़ाया है।"
म ब त ख़श आ क उनके दए ो साहन के बदले म मने थोड़ा सा ही सही, योगदान तो दया था।
एक शाम को वाि त ब त दुखी अंदाज़ म मेरे पास आई और बोली, “मािलक संकट म ह। मुझे उनक चंता
हो रही है। कु छ महीने पहले वे जुए क टेबल पर ब त यादा रक़म हार गए थे। वे कसान को अनाज या शहद के
पैसे नह दे रहे ह। वे सूदख़ोर का याज नह चुका रहे ह। ये लोग गु सा ह और उ ह ने मािलक को धमक भी दी
है।”
मने िबना सोचे-समझे कहा, “हम अपने मािलक क मूखता पर चंता य कर ? हम उनके रखवाले नह
ह।"
“मूख युवक, तुम समझ नह रहे हो। उ ह ने सूदख़ोर से जो धन िलया था, उसके बदले म उ ह ने तु ह बंधक
बना दया था। क़ानून के मुतािबक़ वह सूदख़ोर तुम पर दावा कर सकता है और तु ह बेच सकता है। म नह
जानती क म या क ँ । वे अ छे मािलक ह। य ? आिख़र उन पर ऐसी मुि कल य आई?”
वाि त के डर िनराधार नह थे। जब म अगली सुबह के क बना रहा था, तो सूदख़ोर सासी नाम के एक
आदमी के साथ वहाँ आया। उस आदमी ने मुझे देखकर कहा क म ठीक ।ँ
सूदख़ोर ने मेरे मािलक के लौटने का इं तज़ार भी नह कया। इसके बजाय उसने वाि त से कहा क वह
मािलक को बता दे क वह मुझे ले गया है। मेरे पास िसफ़ तन के कपड़े और मेरे बे ट म बंधा िस से भरा पस
था। के क अधूरे छोड़कर म उसके साथ चल दया।
“मेरी सारी आशाएँ उसी तरह उजड़ गई, िजस तरह तूफ़ान कसी पेड़ को जंगल से उखाड़कर उफनते समु
म डाल देता है। एक बार फर जुए और शराब ने मेरे जीवन म संकट उ प कर दया था।"
सासी एक खा ि था। जब वह मुझे शहर के पार ले गया, तो मने उसे बताया क मने नानानेद के िलए
कतना अ छा काम कया था और म उसके िलए भी अ छा काम करने क कोिशश क ँ गा। उसके जवाब म कोई
ो साहन नह था :
“मुझे यह काम पसंद नह है। मेरे मािलक को भी यह पसंद नह है। मािलक को स ाट ने कहा क वह बड़ी
नहर का एक िह सा बनाने के िलए मुझे भेजे। मािलक ने मुझसे कहा क म ढेर सारे गुलाम ख़रीदू,ँ कड़ी मेहनत
क ँ और काम ज दी ख़ म क ँ । बाप रे , कोई आदमी इतने बड़े काम को ज दी ख़ म कै से कर सकता है?”
क पना करो, हर तरफ़ रे िग तान हो, एक पेड़ तक न हो, िसफ़ छोटी झािड़याँ ह । सूरज इतनी तेज़ी से
चमक रहा हो क हमारे पीपे का पानी इतना गम हो जाता था क हम उसे पी नह सकते थे। फर क पना करो,
आदिमय क क़तार लगी ह , जो सुबह से रात तक गहराई म जा रही ह और िम ी क भारी बाि टयाँ धूल भरी
गम पगडंिडय से ऊपर ला रही ह । भोजन एक तरह क नाली म दया जाता था, िजसम से हम सुअर क तरह
खाते थे। हमारे पास न तो तंबू थे, न ही िब तर। मने खुद को इस तरह क ि थित म पाया। मने अपने पस को
ज़मीन म गाड़कर छु पा दया और सोचने लगा क या म इसे कभी खोदकर दुबारा िनकाल पाऊँगा।
पहले तो मने उ साह से काम कया, परं तु कई महीने गुज़रने के बाद मेरा मनोबल टू टने लगा। फर बुखार ने
मेरे थके शरीर को िगर त म ले िलया। मेरी भूख ख़ म हो गई और मुझसे मटन या सि ज़याँ नह खाई जाती थ ।
रात को म जागता रहता था और दुखी होता रहता था।
दुखी मन से मने सोचा क कह ज़ैबेदो क योजना ही तो सबसे अ छी नह थी क काम को टालो और
अपनी पीठ को टू टने से बचाओ। फर मुझे याद आया क मने उसे िपछली बार कस हाल म देखा था। म समझ
गया क उसक योजना अ छी नह थी।
फर मुझे ग़ सैल समु ी डाकू याद आया और मने सोचा क लड़ने और मार डालने का तरीक़ा भी इतना
बुरा नह था। परं तु फर मुझे उसक ख़ून से लथपथ देह याद आ गई और म समझ गया क उसक योजना भी
बकवास थी।
फर मुझे मैिगडो क आिखरी झलक याद आई। कड़ी मेहनत के कारण उसके हाथ म छाले पड़ गए थे, परं तु
उसका दल ह का था और उसके चेहरे पर ख़शी थी। उसक योजना सबसे अ छी थी।
बहरहाल म भी मेिगडो क तरह मेहनत करना चाहता था; मेिगडो मुझसे यादा कड़ी मेहनत नह कर
सकता था। फर काम क बदौलत मुझे ख़शी और सफलता य नह िमली ? मेिगडो को खुशी काम क बदौलत
िमली थी या फर खुशी और सफलता िसफ़ देवता क इ छा पर िनभर करती थी? ? या म पूरी ज़ंदगी
मेहनत करने के बाद भी अपने ल य तक नह प च ँ पाऊँगा? या मुझे कभी खुशी और सफलता नह िमलेगी ? ये
सारे सवाल मेरे दमाग म गूँजते रहे और मेरे पास इनका कोई जवाब नह था। दरअसल म ब त दुिवधा म था।
कई दन बाद जब ऐसा लगा क म अपनी सहनशि के छोर पर प च ँ गया था और मेरे सवाल का कोई
जवाब नह िमल रहा था, तो सासी ने मुझे बुलवाया। एक संदश े वाहक मेरे मािलक के पास से मुझे बैिबलॉन ले
जाने के िलए आया था। मने अपने क़ मती पस को ज़मीन से खोदकर बाहर िनकाला, अपने तन पर अपने फटे
कपड़े डाले और उस संदश े वाहक के साथ चल दया।
या ा के दौरान मेरे बुखार से तपते मि त क म यह िवचार आया क तूफ़ान मुझे उठाकर इधर से उधर
पटक रहा था। मेरा जीवन अपने पैतृक क़ बे हा न के गीत के िविच श द के अनु प था :
बवंडर क तरह इं सान को घुमाते ए,
तूफ़ान क तरह उसे उड़ाते ए,
िजसक राह का कोई अनुसरण नह कर सकता,
िजसके भा य क कोई भिव यवाणी
नह कर सकता।
या मेरी क़ मत म इसी तरह सज़ा पाना िलखा था, न जाने कन पाप क ? न जाने कौन सी िनराशाएँ
और दुख मेरा इं तज़ार कर रहे ह गे ?
जब हम मािलक के घर के अहाते म प च ँ ,े तो मेरे आ य क क पना कर क वहाँ मने अरद ग़ला को अपना
इं तज़ार करते देखा। उ ह ने नीचे उतरने म मेरी मदद क और मुझे इस तरह गले लगाया, जैसे उ ह उनका
िबछड़ा आ भाई िमल गया हो।
अंदर जाते समय म उनके पीछे-पीछे चलने लगा, जैसे ग़लाम को मािलक के पीछे चलना चािहए, परं तु
उ ह ने इसक इजाज़त नह दी। उ ह ने मेरी कमर म हाथ डालकर कहा, “मने तु ह हर जगह ढू ँढ़ा। जब मेरी
आशा ख़ म हो गई, तब कह जाकर वाि त से मेरी मुलाक़ात ई। उसने मुझे उस सूदख़ोर के बारे म बताया,
िजसने मुझे तु हारे मािलक तक प च ँ ाया। उसने ब त यादा क़ मत माँगी और मने ब त महँगा सौदा कया,
परं तु तुम सचमुच ब त मू यवान हो। तु हारे जीवनदशन और तु हारी मेहनत ने ही मुझे इस सफलता तक
प च ँ ने क ेरणा दी थी।"
मने बीच म कहा, “मेरा नह , मेिगडो का जीवनदशन।”
“मेिगडो का भी और तु हारा भी। तुम दोन को ध यवाद। हम दिम क जा रहे ह और म तु ह अपना पाटनर
बनाना चाहता ।ँ एक िमनट म तुम वतं ि बन जाओगे!” इतना कहकर उ ह ने अपने व के नीचे से एक
मृदाप िनकाला, जो मेरी ग़लामी का द तावेज़ था। इसे उ ह ने अपने िसर के ऊपर उठाया और जमकर प थर
पर पटक दया। इसके सैकड़ टु कड़े हो गए। खुशी से वे उन टु कड़ पर तब तक कू दते रहे, जब तक क वे धूल नह
बन गए।”
“मेरी आँख म कृ त ता के आँसू छलक आए। म जानता था क म बैिबलॉन का सबसे ख़श क़ मत आदमी
था।”
“इस कहानी म तुमने देखा क मेरी सबसे बड़ी िवपि म भी काम मेरा सबसे अ छा िम सािबत आ।
काम करने क मेरी इ छा क बदौलत ही म दीवार पर काम करने वाले ग़लाम क िगनती म आने से बचा। मेरे
काम ने ही तु हारे दादाजी को भािवत कया। इसी वजह से उ ह ने मुझे अपना पाटनर बनाया।"
फर हादान ग़ला ने पूछा, “ या काम ही मेरे दादाजी क दौलत का रह य था ?”
शा नादा ने जवाब दया, “यह उनक सफलता का इकलौता रह य था। तु हारे दादाजी काम करने से ेम
करते थे। देवता ने उनक मेहनत से ख़श होकर उ ह उदारतापूवक पुर कार दया।"
हादान गुला ने सोचते ए कहा, “म अब देख सकता ।ँ काम ने उनके ब त से िम बनाए, जो उनक
मेहनत और इससे िमलने वाली सफलता से भािवत थे। काम ने उ ह दिम क म स मान दलाया। काम ने ही
उ ह वे सारी चीज दलाइ, जो म चाहता ।ँ और म सोचता था क काम िसफ़ गुलाम करते ह।”
शा नादा ने कहा, “ जंदगी म ब त से आनंद ह, िजनका उपभोग आदमी को करना चािहए। हर आनंद क
अपनी जगह है। म ख़श ँ क काम िसफ नौकर या ग़लाम के िलए आरि त नह है। अगर ऐसा होता, तो म
अपने सबसे बड़े आनंद से मह म रह जाता। म ब त सी चीज़ का आनंद लेता ,ँ परं तु काम क जगह कोई और
चीज़ नह ले सकती।"
शा नादा और हादान ग़ला ऊँची दीवार क छाया से िनकलकर बैिबलॉन के काँसे के बड़े ार से िव
होने लगे। उनके पास आते ही ार के र क सावधान क मु ा म आ गए और उ ह ने एक स मािनत नाग रक को
सलाम कया। शा नादा ने िसर तानकर अपने लंबे कारवाँ को ार से िव कराया और शहर क सड़क पर ले
गया।
हादान ग़ला ने उसम िव ास जताते ए कहा, “म हमेशा अपने दादाजी क तरह बनना चाहता था। परं तु
पहले कभी मुझे यह पता ही नह था क वे कस तरह के इं सान थे। आज आपने मुझे यह बता दया है। अब म
समझ गया ँ और म उनक पहले से यादा शंसा करता ।ँ अब मेरा संक प बढ़ चुका है और मने यह ठान
िलया है क म उनके जैसा बनूँगा। मुझे डर है क म कभी आपका ऋण नह चुका पाऊँगा, य क आपने उनक
सफलता क स ी कुं जी मुझे स प दी है। आज से ही म उनक कुं जी का योग क ँ गा । म उतनी ही छोटी शु आत
क ँ गा, िजतनी उ ह ने क थी, जो मेरी हैिसयत को यादा स ाई से बताएगी, जो र और अ छे व से पता
नह चलती है।”
यह कहकर हादान गुला ने अपने कान से र के छ ले और अपनी उँ गिलय से अँगू ठयाँ उतार द । फर
अपने घोड़े क रास छोड़ते ए वह कारवाँ के लीडर के पीछे-पीछे चलने लगा।
* (" ाचीन बैिबलॉन के मश रं काम ग़लाम के म से ए थे, िजनम इसक दीवार, मं दर, ह गंग गाडन और
बड़ी नहर शािमल ह। यादातर गुलाम यु बंदी थे, इससे यह समझना आसान है क उनके साथ अमानवीय
वहार य कया जाता था। इन मज़दूर म बैिबलॉन और इसके ांत के कई नाग रक भी शािमल थे, िज ह
अपराध या आ थक मुि कल के कारण गुलाम के प म बेच दया गया था। यह एक आम परं परा थी, िजसम
लोग अपनी पि य या ब को कज, क़ानूनी िनणय या अ य एहसान के बदले बंधक बना देते थे। जब वादा पूरा
नह होता था, तो बंधक बने लोग को ग़लाम क तरह बेच दया जाता था।)

*( ाचीन बैिबलॉन म ग़लाम क परं पराएँ कानून ारा िनधा रत थ , हालाँ क आज हम वे असंगत तीत ह गी।
उदाहरण के िलए, गुलाम कसी भी तरह क जायदाद का वामी बन सकता था। वह अ य ग़लाम का वामी भी
बन सकता था, िजन पर उसके मािलक का कोई अिधकार नह होता था। ग़लाम वतं लोग के साथ िववाह कर
सकते थे। वतं माता के ब े भी वतं होते थे। शहर के अिधकांश ापारी गुलाम थे। उनम से कई अपने
मािलक के पाटनर थे और अमीर भी थे।)
बैिबलॉन का ऐितहािसक वणन

इ ितहास के प म और कोई शहर बैिबलॉन िजतना वैभवशाली | नह है। इसका नाम सुनते ही हमारे सामने
दौलत और वैभव क त वीर खंच जाती है। यहाँ सोने और र का भरपूर ख़ज़ाना था। वाभािवक है क यह
सुनकर हम सोचगे क शायद यह समृ शहर कसी उ णक टबंधीय भूिम पर ि थत होगा, जहाँ जंगल और
खदान जैसे चुर ाकृ ितक संसाधन ह गे। परं तु यह सच नह है। दरअसल यह यू े टस नदी के कनारे पर ि थत
था। यह एक सपाट और शु क घाटी म ि थत था। यहाँ न तो जंगल थे, न ही खदान। यहाँ तो इमारत बनाने के
िलए प थर तक नह थे। यह ाकृ ितक ापा रक माग पर भी ि थत नह था। बा रश इतनी कम होती थी क
फसल उगाना संभव नह था।
बैिबलॉन एक उ कृ उदाहरण है, जो हम िसखाता है क उपल ध संसाधन का योग करते ए मानवीय
मता से महान ल य हािसल कए जा सकते ह। इस भ शहर के सभी संसाधन मनु य ारा िवकिसत कए
गए थे। इसक समृि इसके नाग रक क मेहनत का प रणाम थी।
बैिबलॉन के पास िसफ़ दो ाकृ ितक संसाधन थे – उवर भूिम और नदी का पानी। बैिबलॉन के इं जीिनयर ने
इं जीिनय रं ग क एक महान योजना बनाकर बाँध और बड़ी नहर के ारा नदी के पानी क दशा बदल दी। ये
नहर शु क घाटी म दूर तक गई और उवर भूिम को जीवनदायी पानी से संिचत कया। यह इितहास म
इं जीिनय रं ग के सबसे पहले कारनाम म से एक था। इस संचाई तं के प रणाम व प अभूतपूव और ज़बद त
फ़सल पैदा होने लगी।
सौभा य से बैिबलॉन के स ाट ने सा ा य के िव तार और यु करके लूटपाट करने म यादा िच नह
ली। हालाँ क यहाँ के शासक ने कई यु लड़े, परं तु उनम से अिधकांश थानीय थे या दूसरे देश के मह वाकां ी
िवजेता के िखलाफ़ थे, जो बैिबलॉन क अथाह संपि पर नज़र गड़ाए ए थे। बैिबलॉन के उ कृ शासक
इितहास म अपनी बुि , आ थक िनयोजन और याय के िलए िव यात ह। बैिबलॉन का कोई स ाट इतना
मह वाकां ी नह था क वह पूरी दुिनया को जीतने का वाब देख।े
शहर के प म बैिबलॉन का अि त व अब नह है। िजन मानवीय शि य ने हज़ार साल तक शहर को
क़ायम रखा था और इसका िवकास कया था, उनके हटने के बाद शहर ज दी ही वीरान खंडहर म बदल गया।
इस शहर का थान एिशया म वेज़ नहर के छह सौ मील पूव म और प शयन खाड़ी के उ र म है। इसका अ ांश
लगभग 30 िड ी है, जो यूमा, ए रज़ोना का अ ांश भी है। बैिबलॉन का मौसम भी इस अमे रक शहर क तरह
ही गम और सूखा था।
यू े टस क घाटी, जो कभी आबाद और संिचत थी, जहाँ कभी भरपूर फ़सल पैदा होती थी, आज बबाद
और वीरान हो चुक है। रे तीली हवाएँ इतनी तेज़ी से बहती ह क घास और रे िग तानी झुरमुट भी ब त कम
दखाई देते ह। उपजाऊ खेत, िवशाल शहर और सामान के लंबे कारवाँ अब अतीत म दफ़न हो चुके ह। अब यहाँ
पर िसफ़ अरब के कु छ घुमंतू दल ही रहते ह, जो छोटे रे वड़ को पालकर अपना जीवनयापन करते ह। यह ि थित
लगभग दो हज़ार साल से है।
इस घाटी म िम ी क कु छ पहािड़याँ भी ह। स दय से या ी उ ह पहािड़याँ ही मानते थे। आिख़रकार
पुरात विवद का यान उनक ओर आक षत आ, य क कभी-कभार आने वाले बा रश के तूफ़ान म यहाँ पर
बतन और ईट के टू टे ए टु कड़े िमले। यूरोपीय और अमे रक सं हालय ने इस अिभयान के िलए धन दया। इन
पहािड़य पर खुदाई का काम इस आशा म शु आ क शायद यहाँ पर कु छ िमल जाए। खुदाई करने से ज दी ही
यह सािबत हो गया क ये दरअसल पहािड़याँ नह , बि क ाचीन शहर थे। उ ह शहर के मक़बरे भी कहा जा
सकता है।
बैिबलॉन भी इनम से एक था। लगभग बीस स दय तक हवा ने इस पर रे िग तानी धूल डाली थी। यह
मूलतः ईट का बना था, परं तु यह िम ी म िमल चुका था। बैिबलॉन का अमीर शहर आज इस हाल म है। यह िम ी
के ढेर म बदल चुका है। जब तक इसक सड़क , मं दर और महल के खंडहर पर से स दय क धूल नह हटाई
गई, तब तक कसी को भी इसका नाम मालूम नह था।
कई वै ािनक मानते ह क बैिबलॉन और इस घाटी के अ य शहर क स यता दुिनया क सबसे पुरानी
स यता है, िजसका िनि त उ लेख िमलता है। यह सािबत कया जा चुका है क यह स यता लगभग 8,000 साल
पुरानी हो सकती है। इस ितिथ के िनधारण के पीछे भी एक रोचक त य है। बैिबलॉन के अवशेष म सूय हण का
एक वणन िमला। आधुिनक खगोलिवद ने त काल उस समय क गणना कर ली, जब इस तरह का सूय हण
बैिबलॉन म दखा होगा। इस तरह उ ह ने बैिबलॉन के कै लडर तथा आधुिनक कै लडर म एक संबंध थािपत कर
िलया।
इस तरह से अब यह सािबत हो चुका है क 8,000 साल पहले बैिबलॉिनया म रहने वाले सुमेरवासी दीवार
से िघरे शहर म रहते थे। हम िसफ़ अनुमान ही लगा सकते ह क इससे पहले इन शहर का अि त च कतनी
स दय से रहा होगा। र ा करने वाली दीवार के भीतर रहने वाले ये लोग बबर नह थे। वे िशि त और
बुि मान थे। िलिखत इितहास के अनुसार वे दुिनया के पहले इं जीिनयर, पहले खगोलिवद्, पहले गिणत , पहले
फ़ाइनसस और िलिप का योग करने वाले पहले लोग थे।
संचाई तं का उ लेख पहले ही कया जा चुका है, िजसने शु क घाटी को कृ िष के वग म बदल दया था।
इन नहर के अवशेष अब भी िमलते ह, हालाँ क उनका यादातर िह सा िम ी से भरा है। उनम से कु छ का
आकार तो इतना बड़ा है क अगर उनम पानी न हो, तो एक दजन घोड़े एक साथ दौड़ सकते ह। आकार म वे
कोलोरे डो और यूटा क सबसे बड़ी नहर से भी यादा बड़ी ह।
घाटी क भूिम को संिचत करने के अलावा बैिबलॉन के इं जीिनयर ने एक और बड़ी योजना पूरी क । एक
वृहद न े ेज िस टम ारा उ ह ने यू े टस और टग रस न दय के मुहान क दलदली ज़मीन के एक बड़े टु कड़े का
पानी िनकालकर उसे कृ िष के उपयोग म ले िलया।
यूनानी या ी और इितहासकार हेरोडोटस ने बैिबलॉन क या ा उस समय क , जब यहाँ क स यता िशखर
पर थी। हेरोडोटस ऐसे इकलौते बाहरी ि ह, िजनके ारा िलखा गया बैिबलॉन का वणन उपल ध है। उ ह ने
शहर का िच ा मक वणन कया है और नाग रक क कु छ असामा य परं परा का उ लेख भी कया है। उ ह ने
यहाँ क भूिम क उ लेखनीय उपजाऊ मता का उ लेख कया है और इसके ारा उ प गे ँ तथा जौ क चुर
फ़सल का भी।
बैिबलॉन का वैभव धुँधला पड़ चुका है, परं तु इसका ान अब भी सुरि त है। इसके िलए हम उनके रकॉड
रखने के तरीके के आभारी ह। उस ाचीन युग म काग़ज़ का आिव कार नह आ था। इसके बजाय वे गीली िम ी
पर िलखते थे। पूरा िलख लेने के बाद िम ी को आग म पकाया जाता था, ता क वह स त हो जाए। आकार म ये
मृदाप 6 x 8 इं च के लगभग होते थे। उनक मोटाई एक इं च होती थी।
िलखने म इन मृदाप का उसी तरह से योग होता था, िजस तरह आज हम कागज़ का योग करते ह।
उन पर दंतकथाएँ, किवताएँ, इितहास, राजा ा, देश के कानून, जायदाद के द तावेज़, ॉिमसरी नोट और यहाँ
तक क प भी िलखे जाते थे, िज ह संदश े वाहक दूसरे शहर तक प च ँ ाते थे। इन मृदाप से हम इन लोग के
अंतरं ग और ि गत मामल क जानकारी िमलती है। उदाहरण के िलए, एक मृदाप म एक दुकानदार का
रकॉड िमलता है। इसम यह उ लेख है क एक िनि त तारीख़ को एक ाहक एक गाय लेकर आया और उसके
बदले म उसने सात बोरे गे ँ िलए, िजनम से तीन बोरे वह उसी समय ले गया और बाक़ चार बोरे वह बाद म ले
जाएगा ।
शहर के मलवे म सुरि त प से दफ़न लाख मृदाप पुरात विवद को िमले ह।
बैिबलॉन का एक उ लेखनीय आ य शहर के चार तरफ़ क िवशाल दीवार थ । ाचीन लोग उ ह िम के
िपरािमड क तरह ही “दुिनया के सात आ य ” म से एक मानते थे। महारानी सेिमरै िमकस को शहर क पहली
दीवार बनवाने का ेय दया जाता है। आधुिनक खुदाई करने वाल को मूल दीवार का कोई अवशेष नह िमला
है। उनक ऊँचाई के बारे म भी कोई जानकारी उपल ध नह है। शु आती लेखक के वणन के आधार पर यह
अनुमान लगाया जाता है क उनक ऊँचाई पचास से साठ फ़ु ट के बीच होगी, िजसम बाहरी ओर जली ई ईट थ
और पानी क गहरी खंदक बनाकर सुर ा का अित र बंध कया गया था।
बाद वाली मश र दीवार लगभग 600 ई.पू. म स ाट नाबोपोलैज़र ने बनवाना शु क थ । उसने इतने
बड़े पैमाने पर दीवार के पुन नमाण क योजना बनाई थी क वह इसे अपने जीवनकाल म पूरा नह करवा
पाया। यह काम उसके पु नेबूशैडनेज़र ने पूरा कया, िजसका नाम बाइबल के इितहास म पाया जाता है।
इन बाद वाली दीवार क ऊँचाई और लंबाई अिव सनीय थी। िव सनीय सू के अनुसार वे एक सौ
साठ फ़ु ट ऊँची थ , यानी कसी आधुिनक ऑ फ़स क पं ह मंिज़ली इमारत बराबर ऊँची। इनक कु ल लंबाई नौ
से यारह मील के बीच होगी। दीवार का ऊपरी िह सा इतना चौड़ा था क छह घोड़ का रथ उस पर आसानी से
चल सकता था। इस िवराट तं का ब त कम अवशेष िमला है। िसफ़ न व और खंदक बचे ह। कृ ित के क़हर के
अलावा अरबवािसय ने इसक ईट िनकाल ल , ता क उनका योग करके दूसरी जगह पर इमारत बना सक। इस
तरह ये दीवार अब पूरी तरह से न हो चुक ह।
बैिबलॉन क दीवार पर लगभग हर िवजेता क सेना ने आ मण कया। ब त से राजा ने बैिबलॉन क
घेराबंदी क , परं तु उ ह हमेशा असफलता ही हाथ लगी। उस समय क आ मणकारी सेना को हम कम नह
आँकना चािहए। इितहासकार बताते ह क उसम आम तौर पर 10,000 घुड़सवार, 25,000 रथ, पैदल सैिनक क
1,200 रे िजमट होती थ , िजनम से हर रे िजमट म 1,000 सैिनक होते थे। अ सर यु के सामान और रा ते म
सेना के भोजन क व था करने म दो–तीन साल क तैयारी क ज़ रत पड़ती थी।
बैिबलॉन का शहर कसी आधुिनक शहर क तरह वि थत था। यहाँ पर सड़क और दुकान थ । फे री वाले
अपना सामान रहाइशी इलाक़ म बेचा करते थे। पुजारी भ मं दर म पूजा–अचना करते थे। शहर के भीतर
शाही महल के िलए एक आंत रक परकोटा था, िजसक दीवार शहर क दीवार से भी यादा ऊँची थ ।
बैिबलॉन के िनवासी कला म िनपुण थे। इनम थाप य कला, िच कला, बुनाई, सोने का काम और धातु
के हिथयार तथा कृ िष उपकरण का िनमाण मुख थे। उनके आभूषण–िनमाता के बनाए अिधकांश आभूषण
कला मक थे। आभूषण के कु छ नमूने बैिबलॉन के अमीर नाग रक क क़ म से िमले ह और संसार के शीष थ
सं हालय म देखने के िलए रखे गए ह।
जब बाक़ क दुिनया प थर क न क वाली कु हािड़य से पेड़ काट रही थी, या प थर क न क वाले भाल
से िशकार कर रही थी और तीर से लड़ रही थी, तब बैिबलॉन के िनवासी धातु क कु हािड़य , भाल और तीर
का योग कर रहे थे।
बैिबलॉन के लोग चतुर फ़ाईनसर और ापारी थे। उपल ध माण के आधार पर वे धन के मूल
आिव कारक थे और इसका आदान– दान करते थे। इसके अलावा वे ॉिमसरी नो स और जायदाद के िलिखत
टाइट स के भी आिव कारक थे।
बैिबलॉन म श ु सेनाएँ 540 वष ई.पू. तक कभी वेश नह कर पा । जब श ु सेना ने नगर म वेश
कया, तब भी वे दीवार को नह जीत पाई। बैिबलॉन के पतन क कहानी ब त असामा य है। उस समय के
महान िवजेता साइरस ने बैिबलॉन पर हमला करने क योजना बनाई। वह इसक अजेय दीवार को जीतना
चाहता था। बैिबलॉन के स ाट नैबोिनडस के सलाहकार ने उसे सलाह दी क वह शहर क घेराबंदी होने का
इं तज़ार न करे , बि क शहर से बाहर िनकलकर साइरस का मुक़ाबला करे । इस यु म बैिबलॉन क सेना परािजत
हो गई और शहर छोड़कर भाग गई। इसके बाद साइरस शहर के खुले ार से घुसकर बैिबलॉन म दािख़ल आ
और उसने िबना कसी ितरोध के शहर पर क़ ज़ा कर िलया।
इसके बाद शहर क शि और ित ा धीरे –धीरे कम हो गई, जब तक क कई स दय म यह शहर पूरी
तरह वीरान नह हो गया। इसे हवा और तूफ़ान के िलए छोड़ दया गया, ता क वे एक बार फर इसे
रे िग तानी िम ी से ढँक दे, िजससे यह मूलतः बना था। बैिबलॉन िम ी म िमल चुका है। अब इसका पुन थान
कभी नह हो सकता, परं तु स यता इसक ब त ऋणी है।
समय ने इसके मं दर क गव ली दीवार को िम ी म िमला दया है, परं तु बैिबलॉन का ान आज भी
क़ायम है।
जॉज सै युअल लासन का ज म लूिसयाना, िमसूरी म नवंबर 1874 म आ । उ ह ने ने ा का यूिनव सटी म
िश ा ली और पेिनश–अमे रकन यु के दौरान अमे रक सेना म काम कया। वे एक सफल वसायी थे और
उ ह ने डेनवर, कोलोरे डो म लासन मैप कं पनी शु क , िजसने अमे रका तथा कनाडा का पहला रोड एटलस
कािशत कया। 1926 म उ ह ने बचत और आ थक सफलता क पहली कहानी िलखी, िजसके पा ाचीन
बैिबलॉन के थे। इन कहािनय को बक तथा बीमा कं पिनय ने बड़ी सं या म अपने ाहक म बाँटा। लाख लोग
ने इन कहािनय को पढ़ा और इनसे लाभ उठाया। इन कहािनय म सबसे िस कहानी “बैिबलॉन का सबसे
अमीर आदमी” है, जो इस पु तक का शीषक है। बैिबलॉन क ये कहािनयाँ आधुिनक युग क ेरक लािसक का
दजा पा चुक ह।

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