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पाठ-5 मित्र हो तो ऐसा Master notes
पाठ-5 मित्र हो तो ऐसा Master notes
िांनतदत
ू
ववनाि
आँकना
कािी
भौनतक शमत्र हो
सहोदि
संपदा तो ऐसा
िहस्यम
िाधापुत्र
यी
अग्रज
िौखखक प्रश्न-
उत्तर- कणय पांडवों का सहोदि है औि उनका बडा भाई है यह भेद कृष्ण के हृदय को
सालता िहा र्था ।
उत्तर- कणय को भाग्य ने आिं भ से ही छला र्था । पग-पग पि उसे ग्लानन, लाँछना औि
अपमान भोगना पडा र्था । सूत-पुत्र कहकि उसका नतिस्काि ककया गया र्था । उसे ईश्वि
औि भाग्य से यही शिकायत र्थी ।
उत्तर- कणय ने कृष्ण से कहा कक शमत्रता से बढ़कि इस संसाि में कुछ भी िीतल, मधुि
औि सुखदायक नहीं है, उसका मूल्य भौनतक संपदा औि मान-सम्मान से नहीं आँका जा
सकता ।
मलखखत
प्रश्न-1- दय
ु ोधन की सभा से लौटते समय कृष्ण ननिाि क्यों र्थे ?
उत्तर- कृष्ण दय
ु ोधन की सभा में िांनतदत
ू बनकि गए दय
ु ोधन िांनत संदेि मानने से
इंकािकि ददया, इसशलए लौटते समय कृष्ण ननिाि र्थे ।
उत्तर- यव
ु ती कंु ती ने कलेजे पि पत्र्थि िखकि लोकभय से अपने हृदय के टुकडे को जल-
तिं गों को सौंप ददया । उस बालक को एक सत
ू में पाल-पोस कि बडा ककया । यही
बालक कणय है ।
प्रश्न-4- कणय को ग्लानन औि लांछना क्यों भोगनी पडी ?
उत्तर- सत
ू द्वािा पालन-पोषण ककए जाने के कािण कणय को क्षत्रत्रय िाजकुमािों का
सम्मान नहीं शमला । पिाक्रमी होने पि भी कणय को ग्लानन, अपमान औि लांछना सहनी
पडी ।
प्रश्न-1- कृष्ण कणय को पांडवों के पक्ष में क्यों शमलाना चाहते र्थे ?
उत्तर- कणय पििुिाम जी के पिम शिष्य, असाधािण योद्धा औि अद्ववतीय धनुधयि र्थे ।
कृष्ण कणय के पिाक्रम को जानते र्थे । पांडवों की ववजय ननष्श्चत किने के शलए कृष्ण
कणय को पांडवों की ओि शमलाना चाहते र्थे ।
उत्तर- कृष्ण ने कणय की प्रिंसा किते हुए कहा कक तुम अद्ववतीय बलिाली, बुद्धधमान,
पुरुषार्थय औि पिाक्रमी भी हो । संसाि में तुम्हें पिम दानी, ननस्सहायों औि वंधचतों का
िक्षी ‘महात्मा कणय’ कहते हैं ।
प्रश्न-4- कृष्ण ने ऐसा क्यों कहा- “क्या ऐसा चरित्र संभव है ? ओह ! शमत्र हो तो ऐसा !”
उत्तर- जो व्यष्क्त िाजा पांडु की पत्नी को अपनी माता मानकि औि सभी पांडवों को
अपना भाई मानकि औि यह जानकि कक इस सत्य को स्वीकाि किके वह ककतने आदि
औि सम्मान का अधधकािी हो सकता है , अपनी शमत्रता के शलए इन सब का त्याग कि
ददया । कणय के इस व्यवहाि को दे खकि कृष्ण ने ऐसा कहा है- ओह ! शमत्र हो तो ऐसा
!”