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दशहरा

पूजा विवि

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इस ददन प्रात्कार दे वी का ववधधवत ऩज
ू न कयके
नवभीववद्धा दशभी भें ववसजजन तथा नवयात्र का ऩायण
कयें ।
अऩयाह्न फेरा भें ईशान ददशा भें शुद्ध बूमभ ऩय चॊदन,
कॊु कुभ आदद से अष्टदर कभर का ननभाजण कयके सॊऩूणज
साभग्री जुटाकय अऩयाजजता दे वी के साथ जमा तथा
ववजमा दे ववमों का ऩज
ू न कयें । शभी वऺ
ृ के ऩास जाकय
ववधधऩव
ू क
ज शभी दे वी का ऩज
ू न कय शभी वऺ
ृ के जड़ की
मभट्टी रेकय वाद्म मॊत्रों सदहत वाऩस रौटें । मह मभट्टी
ककसी ऩववत्र स्थान ऩय यखें। इस ददन शभी के कटे हुए
ऩत्तों अथवा डामरमों की ऩज
ू ा नह ॊ कयनी चादहए।
ववजमोत्सव अधूया यह जाता है अगय हभ यावण दहन
का आनॊद न रें। एक तयप जहाॉ फड़े-फड़े दशहया भैदानों
भें यावण, कॊु बकणज व भेघनाद के ऩुतरों के दहन की
ऩयॊ ऩया है साथ ह आज छोट -छोट गमरमों व घयों भें बी
मह आमोजन होने रगे हैं। काभ-क्रोध-भद-रोब रूऩी
इस यावण का दहन कय सबी आगाभी वषज की सपरता
की काभना कयते हैं।

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