Professional Documents
Culture Documents
Hind Swaraj Highlit
Hind Swaraj Highlit
गाांधीजी
अनुवादक
अमृतलाल ठाकोरदास नाणावटी
ISBN 978-81-7229-125-9
मुद्रक और प्रकाशक
हववेक हजतेन्द्रभाई दे साई
नवजीवन मुद्रणालय
अहर्दाबाद - ३८० ०१४
फोन: +91-79-28540635 | 27542634
E-mail : jitnavjivan10@gmail.com | Website : www.navajivantrust.org
अनुक्रमहणका
कनवाि.
कप्रक्तन्टिंग प्रेि.
१९१४ मे: दु िरा गुजराती ििंस्करण. कफनीक्स (द. अकिका) : इन्टरनेशनि कप्रक्तन्टिंग
प्रेि. गािंधीजी की नई प्रस्तावना के िाथ.
१९१९ कहिंद र्ें पहिा अिंग्रेज़ी ििंस्करण. र्द्राि: गणेश एन्ड किंपनी. गािंधीजी की नई
१९२१ ििंस्करण ४. र्द्राि: गणेश एन्ड किंपनी. यिंग इक्तन्डया र्ें प्रकिद्ध गािंधीजी के
प्रकाशन.
१९३९ ििंवकधमत अिंग्रेज़ी ििंस्करण. नवजीवन. गािंधीजी ने आयमन पाथ को कदए ििंदेश
और र्हादे वभाई ने आयमन पाथ के 'कहिंद स्वराज कवशेषािंक' के बारे र्ें
२००९ कहिंद स्वराज शताब्दी वषम के कनकर्ि पर हस्ताक्षर एविं गुजराती, कहिंदी और
दकक्षण अकिका र्ें िवम प्रथर् १९१० र्ें, कहिंद स्वराज पुस्तक स्वरूप र्ें प्रकाकशत हुई । इन
ििंस्करण कनकिते रहे । इन ििंस्करणोिं र्ें गािंधीजी की प्रस्तावनाएिं अिग अिग यथेच्छ ढिं ग
२००९ र्ें कहिंद स्वराज का शताब्दी ििंस्करण नवजीवन ने अनूठे ढिं ग र्ें प्रकट ककया
था: बरिोिं िे अप्राप्य हस्ताक्षर ििंस्करण के अिावा नवजीवन-प्रकाकशत र्ूि गुजराती पाठ,
रुकिपूवमक कनकर्मत यह कवकशष्ट ििंस्करण का िर्ुकित स्वागत हुआ था, और उपहार के किए
यह ििंस्करण िर्ाप्त होने के पश्चात उिे दु बारा प्रकट करते वक्त शताब्दी आवृकि
की कडज़ाइन िगभग यथातथ रख के, कुछ ििंपादकीय िुधार एविं नई िार्ग्री के िाथ
के आरिं भ र्ें एककत्रत करना उकित िर्झा है। कवकवध ििंस्करणोिं र्ें िर्ाकवष्ट अन्य
र्हानुभाव किक्तखत प्रस्तावनाएिं पुस्तक के अिंत र्ें दी गई हैं । आकद ििंस्करण की कुछ
प्रस्तावनाएिं जो छूट गई थी, तथा कुछ अग्रिंथस्थ िार्ग्री िुन-खोज़कर यहााँ एकत्र की गई
हैं । (उनका यथोकित कनदे श अनुक्रर्कणका र्ें ककया गया है ।) यह ििंपादकीय पररश्रर् के
बाद कहिंद स्वराज का यह कवकशष्ट ििंस्करण अखिंड और अकधकृत बनता है | इिे प्रस्तुत
ककफायती दर िे प्रकट होने वािे गुजराती, कहिंदी व अिंग्रेज़ी ििंस्करण र्ें भी वह िभी
नवीन िार्ग्री का िर्ावेश कर के ििंवकधमत पुस्तक िहषम प्रस्तुत है।
हनवेदन
गािंधीजी के कविार आिान कहिंदुस्तानी र्ें जनता के िार्ने रखना ‘गािंधी कहिंदुस्तानी िाकहत्य
िभा, कदल्ली' के अनेक कार्ोिं र्ें िे एक खाि कार् है। गााँधीजी अकिर आिान भाषा र्ें
हीिं किखते थे। उन्होिंने जो गुजराती भाषा र्ें किखा है, वह कबिकुि िरि है।
िर्झे जाते हैं, वे किफम उदू म जाननेवािोिं के किए नये होिं। इिकिए अनुवाद र्ें एिे शब्दोिं के
िाथ िाथ आिान उदू म शब्द भी दे ना ठीक िर्झा है। उम्मीद है कक इि तरह उदू म जबान
कहिंदी के नज़दीक आयेगी और उदू म जाननेवािी जनता कहिंदुस्तान की दू िरी भाषाओिं का
ककताबें वह तैयार करे गी, उनकी नागरी आवृकि छापने का भार नवजीवन का होगा।
काका कालेलकर
हिांद स्वराज की प्रस्तावना
जोहाकनिबगम ,
कहिंद स्वराज्य का अिंग्रेज़ी अनुवाद जनता के िार्ने पेश करते हुए र्ुझे कुछ ििंकोि हो
रहा है। एक यूरोपीय कर्त्र के१ िाथ इिकी कवषय-वस्तु पर र्ेरी ििाम हुई थी। उन्होिंने इच्छा
प्रकट की कक इिका अिंग्रेज़ी अनुवाद ककया जाये; इिकिए अपने फुरित के िर्य र्ें, र्ैं
जल्दी-जल्दी बोिता गया और वे किखते गये। यह कोई शब्दश: अनुवाद नहीिं है। परन्तु
इिर्ें र्ूि के भाव पूरे-पूरे आ गये हैं। कुछ अिंग्रेज़ कर्त्रोिं ने इिे पढ किया है और जब रायें
र्ााँगी जा रही थी कक पुस्तक को प्रकाकशत करना ठीक है या नहीिं, तभी िर्ािार कर्िा कक
र्ूि पुस्तक भारत र्ें जब्त कर िी गई है। इि िर्ािार के कारण तुरन्त कनणमय िेना पडा
कक इिका अनुवाद प्रकाकशत करने र्ें एक क्षण की भी दे र नहीिं की जानी िाकहए। र्ेरे
इिं टरनेशनि कप्रक्तन्टिंग प्रेि के िाथी कायमकतामओ िं की भी यही राय रही और उन्होिंने अकतररि
िर्य कार् करके-केवि इि कार् के प्रकत प्रेर् के कारण हीिं-र्ुझे , आशा िे कर् िर्य
र्ें, इि अनुवाद को जनता के िार्ने रखने र्ें िहायता दी। पुस्तक जनता को िागत र्ूल्य
पर हीिं दी जा रही है। बहुत-िे कर्त्रोिं ने र्ुझे इिकी प्रकतयााँ स्वयिं अपने किए और िोगोिं र्ें
बााँटने के किए खरीदने का विन कदया है। यकद उनिे यह आकथमक िहायता न कर्िी होती
तो शायद यह पुस्तक प्रकाकशत हीिं न हो पाती।
र्ूि र्ें जो अनेक खाकर्यािं हैं उनका र्ुझे खूब ज्ञान है। अिंग्रेज़ी अनुवाद र्ें भी इनका
और िाथ हीिं दू िरी बहुत-िी भूिोिं का जाना स्वाभाकवक है। क्ोिंकक र्ैं र्ूि के भावोिं को
िही-रूप र्ें अनूवाकदत नहीिं कर िका हाँ। कजन कर्त्रोिं ने अिंग्रेज़ी अनुवाद पढा है उनर्ें िे
कुछ ने पुस्तक के कवषय का कनरूपण ििं वाद-रूप र्ें करने पर आपकि की है। र्ेरे पाि
इि आपकि का कोई जवाब नहीिं है। किवा इिके कक इि रूप र्ें किखना गुजराती र्ें िरि
होता है और उिर्ें ककठन कवषयोिं को िर्झाने का यही िबिे अच्छा तरीका र्ाना गया
है। अगर र्ैंने र्ूितः अिंग्रेज़ी पढनेवािोिं को ध्यान र्ें रखकर किखा होता तो कवषय का
प्रकतपादन कबिकुि दू िरे प्रकार िे ककया गया होता। इिके अिावा कजि रूप र्ें ििंवाद
कदया गया है उिी रूप र्ें ककतने हीिं कर्त्रोिं िे , जो ज्यादातर इिं कडयन ओकपकनयन के पाठक
कहिंद स्वराज्य र्ें प्रकट ककये गये कविार र्ेरे कविार हैं और र्ैनें भारतीय दशमनशास्त्र
के आिायों के िाथ-िाथ टॉल्स्टॉय, रक्तस्कन, थोरो, इर्िमन और अन्य िेखकोिं का भी
नम्रतापूवमक अनुिरण करने का यत्न ककया है। वषों िे टॉल्स्टॉय र्ेरे गुरूओिं र्ें िे एक रहें
है। जो िोग आगे के अध्यायोिं र्ें प्रस्तुत कविारोिं का अनुर्ोदन ढू ाँ ढना िाहे उन्हें स्वयिं इन
कविारकोिं के शब्दोिं र्ें अनुर्ोदन इनका कर्ि जायेगा। पाठकोिं की िहकियत के किए कुछ
र्ुझे पता नहीिं कक कहिंद स्वराज्य पु स्तक भारत र्ें जब्त क्योिं कर िी गई? र्ेरी दृकष्ट
र्ें तो यह जब्ती किकटश िरकार कजि िभ्यता का प्रकतकनकधत्व करती है उिके कनिंद्य होने
का अकतररि प्रर्ाण है। इि पुस्तक र्ें कहिंिा का तकनक-िा भी िर्थमन कहीिं ककिी रूप
र्ें नहीिं है। हााँ , उिर्ें किकटश िरकार के तौर-तरीकोिं की जरूर कडी कनन्दा की गई है।
अगर र्ैं यह न करता तो र्ैं ित्य का, भारत का और कजि िाम्राज्य के प्रकत वफादार हाँ
उिका द्रोही बनता। वफादारी की र्ेरी कल्पना र्ें वतमर्ान शािन अथवा िरकार को,
उिकी न्यायशीिता या उिके अन्याय की ओर िे आाँ खें र्ूाँदकर िुपिाप स्वीकार कर
िेना नहीिं आता। न्याय और नीकत के नार् पर वह आज जो कर रही है उिे र्ैं नहीिं र्ानता।
करती है उिे वह भकवष्य र्ें कभी व्यवहार र्ें भी स्वीकार करे गी। परन्तु र्ुझे िाफ तौर िे
र्ान िेना िाकहए कक र्ुझे किकटश िाम्राज्य के स्थाकयत्व िे इतना िरोकार नहीिं हैं कजतना
भारत की प्रािीन िभ्यता के स्थाकयत्व िे है; क्ोिंकक र्ेरी र्ान्यता है कक वह ििंिार की
िवोिर् िभ्यता है। भारत र्ें अिंग्रेज़ी राज्य आज आधुकनक और प्रािीन िभ्यता के बीि के
ििंघषम का प्रतीक है। इनर्ें िे एक शैतान का राज्य है और दू िरा ईश्वर का। एक युद्ध का
दे वता है और दू िरा प्रेर् का। र्ेरे दे शवािी आधुकनक िभ्यता की बुराइयोिं के किए अिंग्रेज़
जाकत को दोषी ठहराते है। इिकिए वे िर्झते हैं कक अिंग्रेज िोग बुरे हैं, न कक वह िभ्यता
पहिे इि अनुवाद को इिं कडयन ओकपकनयन र्ें छापने का कविार था। परन्तु र्ूि
पुस्तक के जब्त हो जाने के कारण एिा करना उकित नहीिं जान पडा। इिं कडयन ओकपकनयन
टर ान्सवाि के ित्याग्रह-ििंग्रार् का प्रकतकनकधत्व करता है। इिके अिावा उिर्ें आर् तौर
वािंछनीय िर्झा गया कक इि तरह के प्राकतकनकधक पत्र र्ें र्ेरे व्यक्तिगत कविार प्रकाकशत
न ककये जायें। ये कविार खतरनाक या राजद्रोहात्मक भी र्ाने जा िकते हैं। स्वभावत: र्ेरी
किन्ता तो यह है कक र्ेरे ककिी एिे कायम िे कजि का उििे कोई ििंबिंध न हो, इि र्हान
ििंघषम को हाकन न पहुाँिे। अगर र्ुझे यह र्ािूर् न हो गया होता कक दकक्षण अकिका र्ें भी
कहिंिात्मक िाधनोिं के िोककप्रय होने का खतरा है और र्े रे िैकडोिं दे शभाइयोिं ने ओर कई
अिंग्रेज़ कर्त्रोिं ने भी र्ुझिे यह आग्रह न ककया होता कक र्ैं भारत के राष्टरीय आन्दोिन के
करता। िेककन आज र्ेरा जो स्थान है उिे दे खते हुए, उपयुमि पररक्तस्थकतयोिं र्ें इि पुस्तक
[अिंग्रेज़ी िे]
_____________________
दू िरा गुजराती ििंस्करण, दकक्षण अकिका: इिं टरनेशनि कप्रक्तन्टिंग प्रेि, १९१४
कहिंद स्वराज्य र्ैंने १९०९ र्ें इिं ग्लैण्ड िे [दकक्षण अकिका] वाकपि आते हुए जहाज़ पर किखी
थी। ककताब बम्बई प्रेिीडें िी र्ें जब्त कर िी गई थी इिकिए िन् १९१० र्ें र्ैंने उिका
[अिंग्रेज़ी] अनुवाद प्रकाकशत ककया। पुस्तक र्ें व्यि कविारोिं को प्रकाकशत हुए इि प्रकार
पााँि वषम हो िुके हैं। इि बीि, उनके ििंबिंध र्ें अनेक व्यक्तियोिं ने र्ेरे िाथ ििाम की है।
और उदाहरण दे कर और कवस्तार दे िक़ता हाँ ; िेककन उनर्ें फेरफार करने का र्ुझे कोई
यहााँ र्ैं किफम एक बात का उल्लेख करना िाहाँगा। र्ेरे कान र्ें यह बात आई है कक
यद्यकप कहिंद स्वराज्य िगातार यही िीख दे ता है कक हर्ें ककिी भी क्तस्थकत र्ें, ककिी भी
िर्य शरीरबि का आश्रय नहीिं िेना िाकहए और अपना िाध्य िदा आत्मबि िे हीिं प्राप्त
करना िाकहए; िेककन िीख जो भी रही हो, पररणार् की दृकष्ट िे उििे अिंग्रेज़ोिं के प्रकत
कतरस्कार का भाव और उनके िाथ हकथयारोिं िे िडकर या और ककिी तरह र्ारकर उन्हें
भारत िे कनकाि दे ने का कविार पैदा हुआ है। यह िुनकर र्ुझे दु ःख हुआ। कहिंद स्वराज्य
किखने र्ें यह हेतु कबिकुि नहीिं था। और र्ुझे कहना पडे गा कक उिर्ें िे कजन िोगोिं ने
यह कनष्कषम कनकािा है वे उिे कबिकुि नहीिं िर्झे हैं। र्ैं स्वयिं अिंग्रेज़ोिं के या अन्य ककिी
जैिे ककिी र्हािागर की जि-राकश की िारी बूाँदें एक हीिं अिंग हैं उिी प्रकार िब
प्राणी एक हीिं हैं। र्ेरा कवश्वाि है कक प्राकणिागर र्ें रहनेवािे हर् िब प्राणी एक हीिं हैं और
एक-दू िरे िे हर्ारे ििंबिंध अत्यिंत प्रगाढ है। जो कबिंदु िर्ुद्र िे अिग हो जाता है वह िूख
जाता है , उिी प्रकार जो जीव अपने को दू िरोिं िे कभन् र्ानता है वह नष्ट हो जाता है। र्ैं
तो यूरोप की आधुकनक िभ्यता का शत्रु हाँ और कहिंद स्वराज्य र्ें र्ैंने अपने इिी कविार को
कनरूकपत ककया है। और यह बताया है कक भारत की दु दमशा के किए अिंग्रेज़ नहीिं बक्ति हर्
िोग हीिं दोषी हैं, कजन्होिं ने आधुकनक िभ्यता स्वीकार कर िी है। इि िभ्यता को छोडकर
हर् िच्ची धर्म -नीकत िे युि अपनी प्रािीन िभ्यता पु नः अपना िें तो भारत आज हीिं र्ुि
हो िक़ता है। कहिंद स्वराज्य को िर्झने की कुिंजी इि बात र्ें है कक हर्ें दु कनयावी प्रवृकि
िे कनवृि होकर धाकर्मक जीवन ग्रहण करना िाकहए। एिे जीवन र्ें कािे या गोरे ककिी भी
[गुजराती िे]
प्रस्तावना
कहिंद र्ें पहिा अिंग्रेजी ििंस्करण र्द्राि: गणेश एण्ड किंपनी, १९१९
बम्बई
र्ैं इि पुक्तस्तका को एकाकधक बार पढ गया हाँ। इि िर्य इिका ज्योिं का-त्योिं छाप कदया
जाना हीिं ठीक है। परिं तु यकद र्ैं इिर्ें ििंशोधन करना हीिं िाहाँ तो उिर्ें एक हीिं शब्द
बदिना िाहाँगा क्ोिंकक र्ैं इि बात का विन अपने एक अिंग्रेज़ कर्त्र को दे िुका हाँ। उन्होिं
ने ििंिद के ििंबिंध र्ें र्ेरे द्वारा प्रयुि “वेश्या” शब्द पर आपकि की थी। यह शब्द उन्हें
िुरुकिपूणम नहीिं जान पडा। पाठकोिं को र्ैं कफर याद कदिा दू ाँ कक प्रस्तुत पुक्तस्तका र्ूि
जो कविार इन पृिोिं र्ें व्यि ककए गए हैं उनको अनेक वषो तक आिरण र्ें उतारने
का प्रयत्न करते रहकर जान पडता है कक उिर्ें कदखाया गया र्ागम हीिं स्वराज्य का िच्चा
र्ागम है। ित्याग्रह अथामत् प्रेर्-धर्म हीिं जीवन का धर्म है। उििे च्युत होना कवनाश की ओर
तथा उि पर आरूढ रहना नवजीवन की ओर िे जाता है।
मो. क. गाांधी
[अिंग्रेज़ी िे]
हिांद स्वराज्य के बारे में
र्ेरी इि छोटी िी ककताब की ओर कवशाि जनििं ख्या का ध्यान क्तखिंि रहा है , यह ििर्ुि
हीिं र्ेरा िौभाग्य है। यह र्ूि तो गुजराती र्ें किखी गई है। इिका जीवन-क्रर् अजीब है।
यह पहिे -पहि दकक्षण अिीका र्ें छपनेवािे िाप्ताकहक इिं कडयन ओपीकनयन र्ें प्रगट
हुई थी। १९०८१ र्ें ििंदन िे दकक्षण अिीका िौटते हुए जहाज़ पर कहिंदुस्ताकनयोिं के
कहिंिावादी पिंथ को और उिी कविारधारा वािे दकक्षण अिीका के एक वगम को कदये गये
जवाब के रूप र्ें यह किखी गई थी। ििंदन र्ें रहने वािे हर एक नार्ी अराजकतावादी
कहिंदुस्तानी के ििंपकम र्ें र्ैं आया था। उनकी शूरवीरता { बहादु री } का अिर र्ेरे र्न पर
पडा था, िेककन र्ुझे िगा कक उनके जोश ने उिटी राह पकड िी है। र्ुझे िगा कक कहिंिा
कहिंदुस्तान के दु ःखोिं का इिाज नहीिं है, और उिकी ििंस्कृकत { तर्द् दु न } को दे खते हुए
उिे आत्मरक्षा { अपना बिाव } के किए कोई अिग और ऊाँिे प्रकार का शस्त्र कार् र्ें
िाना िाकहए। दकक्षण अिीका का ित्याग्रह उि वक्त र्ुक्तिि िे दो िाि का बच्चा था।
िेककन उिका कवकाि इतना हो िुका था कक उिके बारे र्ें कुछ हद तक आत्मकवश्वाि िे
किखने की र्ैंने कहम्मत की थी। र्ेरी वह िेखर्ािा पाठक-वगम को इतनी पिन्द आयी कक
वह ककताब के रूप र्ें प्रकाकशत की गई। कहिंदुस्तान र्ें उिकी ओर िोगोिं का कुछ ध्यान
गया। बम्बई िरकार ने उिके प्रिार की र्नाही कर दी। २उिका जवाब र्ैंने ककताब का
अिंग्रेज़ी अनुवाद प्रकाकशत कर के कदया। र्ुझे िगा कक अपने अिंग्रेज़ कर्त्रोिं को इि ककताब
र्ेरी राय र्ें यह ककताब एिी है कक यह बािक के हाथ र्ें भी दी जा िकतीिं है। यह
द्वे षधर्म की जगह प्रेर्धर्म किखाती है ; कहिंिा की जगह आत्म-बकिदान को रखती है ; पशुबि
िे टक्कर िेने के किए आत्मबि को खडा करती है। इिकी अनेक आवृकियााँ हो िुकी हैं;
और कजन्हें इिे पढने की परवाह है उनिे इिे पढने की र्ैं जरूर किफ़ाररश करू
िं गा। इिर्ें
िे र्ैंने किफम एक हीिं शब्द-और वह एक र्कहिा कर्त्र की इच्छा को र्ान कर-रद ककया है ;
इिके किवा और कोई फेरबदि र्ैंने इिर्ें नहीिं ककया है।
इि ककताब र्ें ‘आधुकनक िभ्यता' की िख्त टीका की गई है। यह १९०८३ र्ें किखी
गई थी। इिर्ें र्ेरी जो र्ान्यता प्रगट की गई है, वह आज पहिे िे ज्यादा र्जबूत बनी है।
र्ुझे िगता है कक अगर कहिंदुस्तान ‘आधुकनक िभ्यता' का त्याग करे गा, तो उििे उिे िाभ
हीिं होगा।
ककताब र्ें कजि स्वराज्य की तिवीर र्ैंने खडी की है , वैिा स्वराज्य कायर् करने के किए
आज र्ेरी कोकशशें िि रही हैं। र्ैं जानता हाँ कक अभी कहिंदुस्तान उिके किए तैयार नहीिं
है। एिा कहने र्ें शायद कढठाई का भाि हो, िेककन र्ुझे तो पक्का कवश्वाि है कक इिर्ें
कजि स्वराज्य की तिवीर र्ैंने खीिंिी है, वैिा स्वराज्य पाने की र्ेरी कनजी कोकशश जरूर
िि रही है। िेककन इिर्ें कोई शक नहीिं कक आज र्ेरी िार्ूकहक { आर् } प्रवृकि का ध्येय
तो कहिंदुस्तान की प्रजा की इच्छा के र्ुताकबक पाकिमयार्ेन्टरी ढिं ग का स्वराज्य पाना है। रे िोिं
या अस्पतािोिं का नाश करने का ध्येय र्ेरे र्न र्ें नहीिं है , अगरिे उनका कुदरती नाश हो
कबिकुि शुद्ध ििंस्कृकत की िूिक (किह्न) नहीिं है। ज्यादा िे ज्यादा इतना हीिं कह िक़ते हैं
कक यह एक एिी बुराई है, जो टािी नहीिं जा िकती। दोनोिं र्ें िे एक भी हर्ारे राष्टर की
नैकतक ऊाँिाई र्ें एक इिं ि की भी बढती नहीिं करती। उिी तरह र्ैं अदाितोिं के स्थायी {
कायर्ी } नाश का ध्येय र्न र्ें नहीिं रखता, हािािंकक एिा नतीजा आये तो र्ुझे अवश्य बहुत
अच्छा िगेगा। यिंत्रोिं और कर्िोिं के नाश के किए तो र्ैं उििे भी कर् कोकशश करता हाँ।
उिके किए िोगोिं की आज जो तैयारी है उििे कहीिं ज्यादा िादगी और त्याग की जरूरत
रहती है।
इि पुस्तक र्ें कदखाई हुई भावना िे नहीिं हो रहा है। अगर हो तो कहिंदुस्तान एक हीिं रोज़ र्ें
स्वराज्य पा जाय। कहिंदुस्तान अगर प्रेर् के किद्धान्त को अपने धर्म के एक िकक्रय { अर्िी
} अिंश के रूप र्ें स्वीकार करे और उिे अपनी राजनीकत र्ें शाकर्ि करे , तो स्वराज्य स्वगम
िे कहिंदुस्तान की धरती पर उतरे गा। िेककन र्ुझे दु ःख के िाथ इि बात का भान है कक
इि र्तिब के िेख भी दे खे हैं कक र्ैं कोई गहरी िाि िि रहा हाँ, आज की उथि-पुथि
िे िाभ उठा कर अपने अजीब खयाि भारत के किर िादने की कोकशश कर रहा हाँ और
कहिंदुस्तान को नुकिान पहुाँिा कर अपने धाकर्मक प्रयोग कर रहा हाँ। इिका र्ेरे पाि यही
जवाब है कक ित्याग्रह एिी कोई कच्ची खोखिी िीज नहीिं है। उिर्ें कुछ भी दु राव-कछपाव
नहीिं है , उिर्ें कुछ भी गुप्तता नहीिं है। कहिंद स्वराज्य र्ें बताये हुए ििंपूणम जीवन-किद्धािंत
के एक भाग को आिरण र्ें िाने की कोकशश हो रही है , इिर्ें कोई शक नहीिं। एिा नहीिं
{ िवाि } है उिके िाथ कजन कहस्सोिं का कोई ििंबिंध नहीिं है एिे कहस्से र्ेरे िेखोिं र्ें िे दे
[अिंग्रेज़ी िे]
_________________
१. १९०९ र्ें
३. १९०९ र्ें
हिांद स्वराज के प्रकरण
प्रस्तावना
१. कािंग्रेि और उिके कताम -धताम
२. बिंग-भिंग
३. अशािंकत और अििंतोष
४. स्वराज्य क्ा है ?
५. इग्लैंड की हाित
६. िभ्यता का दशमन
७. कहिंदुस्तान कैिे गया?
८. कहिंदुस्तान की दशा
९. कहिंदुस्तान की दशा – रे िगाकडयााँ
१०. कहिंदुस्तान की दशा – कहिंदू-र्ुििर्ान
११. कहिंदुस्तान की दशा – वकीि
१२. कहिंदुस्तान की दशा – डॉक्टर
१३. िच्ची िभ्यता कौन िी?
१४. कहिंदुस्तान कैिे आजाद हो?
१५. इटिी और कहिंदुस्तान
१६. गोिा-बारूद
१७. ित्याग्रह-आत्मबि
१८. कशक्षा
१९. र्शीनें
२०. छु टकारा
पररकशष्ट
कुछ प्रर्ाणभूत ग्रिंथ
प्रकतकित व्यक्तियोिं की िाक्षी
प्रस्तावना
इि कवषय { र्ििा } पर र्ैंने जो बीि अध्याय { बाब } किखे हैं, उन्हें पाठकोिं के िार्ने
जब र्ुझिे रहा हीिं नहीिं गया तभी र्ैंने यह किखा है। बहुत पढा, बहुत िोिा।
कविायत र्ें टर ान्सवाि डे प्युटेशन के िाथ र्ैं िार र्ाह रहा, उि बीि हो िका उतने
कहिंदुस्ताकनयोिं के िाथ र्ैंने िोि-कविार ककया, हो िका उतने अिंग्रेज़ोिं िे भी र्ैं कर्िा। अपने
जो कविार र्ुझे आक्तखरी र्ािूर् हुए, उन्हें पाठकोिं के िार्ने रखना र्ैंने अपना फजम िर्झा।
जो गुजराती नहीिं जानते , वे दू िरोिं िे पढवाते हैं। इन भाइयोिं ने कहिंदुस्तान की हाित के बारे
र्ें र्ुझिे बहुत िवाि ककये हैं। एिे हीिं िवाि र्ुझिे कविायत र्ें ककये गये थे। इिकिए र्ुझे
िगा कक जो कविार र्ैंने योिं खानगी र्ें बताये, उन्हें िबके िार्ने रखना गित नहीिं होगा।
जो कविार यहािं रखे गये हैं, वे र्ेरे हैं और र्ेरे नहीिं भी हैं। वे र्ेरे हैं, क्ोिंकक उनके
र्ुताकबक बरतने की र्ैं उम्मीद रखता हाँ; वे र्ेरी आत्मा र्ें गढे -जडे हुए जैिे हैं। वे र्ेरे नहीिं
हैं, क्ोिंकक किफम र्ैंने हीिं उन्हें िोिा हो िो बात नहीिं। कुछ ककताबें पढने के बाद वे बने हैं।
कदि र्ें भीतर हीिं भीतर र्ैं जो र्हिूि करता था, उिका इन ककताबोिं ने िर्थमन { ताईद }
ककया।
यह िाकबत करने की जरूरत नहीिं कक जो कविार र्ैं पाठकोिं के िार्ने रखता हाँ , वे
कहिंदुस्तान र्ें कजन पर (पकश्चर्ी) िभ्यता की धुन िवार नहीिं हुई है एिे बहुतेरे कहिंदु स्ताकनयोिं
के हैं। िेककन यही कविार यूरोप के हज़ारोिं िोगोिं के हैं, यह र्ैं अपने पाठकोिं के र्न र्ें
अपने िबूतोिं िे ही जिंिाना िाहता हिं। कजिे इिकी खोज करनी हो, कजिे एिी फुरित हो,
वह आदर्ी वे ककताबें दे ख िक़ता है। अपनी फुरित िे उन ककताबोिं र्ें िे कुछ न कुछ
इिं कडयन ओपीकनयन के पाठकोिं या औरोिं के र्न र्ें र्ेरे िेख पढ कर जो कविार
आये , उन्हें अगर वे र्ुझे बतायेंगे तो र्ैं उनका आभारी रहाँगा।
उद्दे श्य किफम दे श की िेवा करने का और ित्य की खोज करने का और उिके
र्ुताकबक बरतने का है। इिकिए अगर र्ेरे कविार गित िाकबत होिं, तो उन्हें पकड रखने
का र्ेरा आग्रह नहीिं है। अगर वे िि िाकबत होिं तो दू िरे िोग भी उनके र्ुताकबक बरतें ,
एिी दे श के भिे के किए िाधारण तौर पर र्ेरी भावना रहेगी।
िुर्ीते के किए िेखोिं को पाठक और ििंपादक के बीि के ििंवाद का रूप कदया गया
है ।
२२-११-१९०९
१. काांग्रेस और उसके कताच -धताच
पाठक: आजकि कहिंदुस्तान र्ें स्वराज्य की हवा िि रही है। िब कहिंदुस्तानी आजाद होने
के किए तरि रहें हैं। दकक्षण अकिका र्ें भी वही जोश कदखाई दे रहा है। कहिंदुस्ताकनयोिं र्ें
अपने हक पाने की बडी कहम्मत आई हुई र्ािूर् होती है। इि बारे र्ें क्ा आप अपने
खयाि बतायेंगे?
सांपादक: आपने िवाि ठीक पूछा है। िेककन इिका जवाब दे ना आिान बात नहीिं है।
तो िाहे कजतनी र्ुिीबतें आने पर भी बेधडक होकर उन्हें कदखाना। आपके िवाि का
जवाब दे ने र्ें ये तीनोिं कार् िाथ-िाथ आ जाते हैं। िोगोिं की भावनायें कुछ हद तक बतानी
होिंगी, न होिं वैिी भावनायें उनर्ें पैदा करने की कोकशश करनी होगी और उनके दोषोिं की
कनिंदा भी करनी होगी। कफर भी आपने िवाि ककया है , इिकिए उिका जवाब दे ना र्ेरा
पाठक: क्ा स्वराज्य की भावना कहिंद र्ें पैदा हुई आप दे खते हैं ?
सांपादक: वह तो जब िे नेशनि कािंग्रेि कायर् हुई तभी िे दे खने र्ें आई है। 'नेशनि'
पाठक: यह तो आपने ठीक नहीिं कहा। नौजवान कहिंदुस्तानी आज कािंग्रेि की परवाह हीिं
नहीिं करते। वे तो उिे अिंग्रेज़ोिं का राज्य कनभाने का िाधन { औज़ार, ज़ररया } र्ानते हैं।
सांपादक: नौजवानोिं का एिा खयाि ठीक नहीिं है। कहिंद के दादा दादाभाई नौरोजी ने जर्ीन
तैयार नहीिं की होती, तो नौजवान आज जो बातें कर रहें हैं वह भी नहीिं कर पाते। कर्. ह्यूर्
ने जो िेख किखे, जो फटकारें हर्ें िुनाई, कजि जोश िे हर्ें जगाया, उिे कैिे भुिाया
जाय? िर कवकियर् वेडरबनम ने कािंग्रेि का र्क़िद हाकिि करने के किए अपना तन, र्न
और धन िब दे कदया था। उन्होिंने अिंग्रेज़ी राज्य के बारे र्ें जो िेख किखे हैं , वे आज भी
पढने िायक हैं। प्रोफेिर गोखिे ने जनता को तैयार करने के किए, कभखारी के जैिी हाित
र्ें रहकर, अपने बीि िाि कदये हैं। आज भी वे गरीबी र्ें रहते हैं। र्रहर् जक्तटि
बदरूद्दीन ने भी कािंग्रेि के जररये स्वराज्य का बीज बोया था। योिं बिंगाि, र्द्राि, पिंजाब
वगैरा र्ें कािंग्रेि का और कहिंद का भिा िाहने वािे कई कहिंदुस्तानी और अिंग्रेज़ िोग हो गये
जवाब कुछ और दे रहें हैं। र्ैं स्वराज्य की बात करता हाँ और आप परराज्य की बात करते
हैं। र्ुझे अिंग्रेज़ोिं का नार् तक नहीिं िाकहए और आप तो अिंग्रेज़ोिं का नार् दे ने िगे। इि तरह
तो हर्ारी गाडी राह पर आये, एिा नहीिं कदखता। र्ुझे तो स्वराज्य की हीिं बातें अच्छी िगती
सांपादक: आप अधीर हो गये हैं। र्ैं अधीरपन बरदाश्त नहीिं कर िक़ता। आप जरा िि
करें ग तो आपको जो िाकहए वही कर्िेगा। 'उताविी िे आर् नहीिं पकते , दाि नहीिं िुरती'
– यह कहावत याद रक्तखए। आपने र्ुझे रोका और आपको कहिंद पर उपकार करनेवािोिं
की बात भी िुननी अच्छी नहीिं िगती, यह बताता है कक अभी आपके किए स्वराज्य दू र है।
पाठक: र्ुझे तो िगता है कक ये गोि-र्ोि बातें बनाकर आप र्ेरे िवाि का जवाब उडा
दे ना िाहते हैं। आप कजन्हें कहिंदुस्तान पर उपकार करनेवािे र्ानते हैं, उन्हें र्ैं एिा नहीिं
र्ानता; कफर र्ुझे ककिके उपकार की बात िुननी है ? आप कजन्हें कहिंद के दादा कहते हैं ,
उन्होिंने क्ा उपकार ककया? वे तो कहते हैं कक अिंग्रेज़ राजकताम न्याय करें गे और उनिे हर्ें
सांपादक: र्ुझे िकवनय { अदब िे } आपिे कहना िाकहए कक उि पुरूष के बारे र्ें आपका
बेअदबी िे योिं बोिना हर्ारे किए शरर् की बात है। उनके कार्ोिं की ओर दे क्तखए। उन्होिंने
अपना जीवन कहिंद को अपमण { नज़र } कर कदया है। उनिे यह िबक हर्ने िीखा। कहिंद
का खून अिंग्रेज़ोिं ने िूि किया है , यह किखानेवािे र्ाननीय दादाभाई हैं। आज उन्हें अिंग्रेज़ोिं
पर भरोिा है उििे क्ा? हर् जवानी के जोश र्ें एक कदर् आगे रखते हैं, इििे कया
दादाभाई कर् पूज्य हो जाते हैं? इििे क्ा हर् ज्यादा ज्ञानी हो गये? कजि िीढी िे हर्
ऊपर िढे उिको िात न र्ारने र्ें हीिं बुक्तद्धर्ानी { अक़िर्िंदी } है। अगर वह िीढी कनकाि
दें तो िारी कनिैनी कगर जाय, यह हर्ें याद रखना िाकहए। हर् बिपन िे जवानी र्ें आते हैं
तब बिपन िे नफरत नहीिं करते , बक्ति उन कदनोिं को प्यार िे याद करते हैं। बरिोिं तक
अगर र्ुझे कोई पढाता है और उििे र्ेरी जानकारी जरा बढ जाती है , तो इििे र्ैं अपने
कशक्षक { उस्ताद } िे ज्यादा ज्ञानी नहीिं र्ाना जाऊाँगा; अपने कशक्षक को तो र्ु झे र्ान {
इज़्जत } दे ना हीिं पडे गा। इिी तरह कहिंद के दादा के बारे र्ें िर्झना िाकहए। उनके पीछे
पाठक: यह आपने ठीक कहा। दादाभाई नौरोजी की इज्जत करना िाकहए, यह तो िर्झ
िकते हैं। उन्होिंने और उनके जै िे दू िरे पुरूषोिं ने जो कार् ककये हैं , उनके बगैर हर् आज
का जोश र्हिूि नहीिं कर पाते, यह बात ठीक िगती है। िेककन यही बात प्रोफेिर गोखिे
िाहब के बारे र्ें हर् कैिे र्ान िक़ते हैं ? वे तो अिंग्रेज़ोिं के बडे भाईबिंद बन कर बैठे हैं; वे
तो कहते हैं कक अिंग्रेज़ोिं िे हर्ें बहुत कुछ िीखना है। अिंग्रेजोिं की राजनीकत िे हर् वाककफ
हो जायें , तभी स्वराज्य की बातिीत की जाय। उन िाहब के भाषणोिं िे तो र्ैं ऊब गया हाँ।
नौजवान अपने र्ााँ -बाप के ठिं डे कर्ज़ाज िे ऊब जाते हैं और वे (र्ािं -बाप) अगर अपने िाथ
न दौडें तो गुस्सा होते हैं, वे अपने र्ािं -बाप का अनादर { बेअदबी } करते हैं एिा हर्
िर्झते हैं। प्रोफेिर गोखिे के बारे र्ें भी एिा हीिं िर्झना िाकहए। क्ा हुआ अगर
प्रोफेिर गोखिे हर्ारे िाथ नहीिं दौडते हैं? स्वराज्य भुगतने की इच्छा रखनेवािी प्रजा
अपने बुजुगों का कतरस्कार { बेइज़्जती, नफ़रत } नहीिं कर िकतीिं। अगर दू िरे की इज्जत
करने की आदत हर् खो बैठे, तो हर् कनकम्मे हो जायेंगे। जो प्रौढ { पुख्ता } और तजरबेकार
हैं, वे हीिं स्वराज्य भुगत िक़ते हैं , न कक बे -िगार् िोग। और दे क्तखए कक जब प्रोफेिर
गोखिे ने कहिंदुस्तान की कशक्षा { तािीर् } के किए त्याग ककया तब एिे ककतने कहिंदुस्तानी
थे? र्ैं तो खाि तौर पर र्ानता हाँ कक प्रोफेिर गोखिे जो कुछ भी करते हैं वह शुद्ध भाव
िे और कहिंदुस्तान का कहत र्ानकर करते हैं । कहिंद के किए अगर अपनी जान भी दे नी पडे
तो वे दे दें गे, एिी कहिंद के किए उनकी भक्ति है। वे जो कुछ कहते हैं वह ककिी की खुशार्द
करने के किए नहीिं, बक्ति िही र्ानकर कहते हैं। इिकिए हर्ारे र्न र्ें उनके किए पूज्य
पाठक: तो क्या वे िाहब जो कहते हैं उिके र्ुताकबक हर्ें भी करना िाकहए?
सांपादक: र्ैं एिा कुछ नहीिं कहता। अगर हर् शुद्ध बुक्तद्ध िे अिग राय रखते हैं, तो उि
राय के र्ुताकबक ििने की ििाह खुद प्रोफेिर िाहब हर्ें दें गे। हर्ारा र्ुख्य कार् तो यह
है कक हर् उनके कार्ोिं की कनन्दा न करें ; हर्िे वे र्हान हैं एिा र्ाने और यक़ीन रखें कक
उनके र्ुकाबिे र्ें हर्ने कहिंद के किए कुछ भी नहीिं ककया है। उनके बारे र्ें कुछ अखबार
जो अकशष्टतापूवमक { बेअदबी िे } किखते हैं उिकी हर्ें कनन्दा करनी िाकहए और प्रोफेिर
गोखिे जैिो को हर्ें स्वराज्य के स्तिंभ { खिंभ } र्ानना िाकहए। उनके खयाि गित और
हर्ारे हीिं िही हैं , या हर्ारे खयािोिं के र्ुताकबक न बरतनेवािे दे श के दु श्मन हैं , एिा र्ान
िेना बुरी भावना है।
पाठक: आप जो कुछ कहते हैं वह अब र्ेरी िर्झ र्ें कुछ आता है। कफर भी र्ुझे उिके
बारे र्ें िोिना होगा। पर कर्. ह्यूर्, िर कवकियर् वेडरबनम वगैरा के बारे र्ें आपने जो कहा
उिर्ें तो हद हो गई।
सांपादक: जो कनयर् कहिंदुस्ताकनयोिं के बारे र्ें है , वही अिंग्रेज़ोिं के बारे र्ें िर्झना िाकहए।
िारे के िारे अिंग्रेज़ बुरे हैं , एिा तो र्ैं नहीिं र्ानूाँगा। बहुत िे अिंग्रेज िाहते हैं कक कहिंदुस्तान
को स्वराज्य कर्िे। उि प्रजा र्ें स्वाथम ज्यादा है यह ठीक है , िेककन उििे हर एक अिंग्रेज़
बुरा है एिा िाकबत नहीिं होता। जो हक – न्याय { इन्साफ़ } – िाहते हैं , उन्हें िबके िाथ
न्याय करना होगा। िर कवकियर् कहिंदुस्तान का बुरा िाहनेवािे नहीिं हैं , इतना हर्ारे किए
काफ़ी है। ज्योिं ज्योिं हर् आगे बढें गे त्योिं त्योिं आप दे खेंगे कक अगर हर् न्याय की भावना िे
कार् िेंगे, तो कहिंदुस्तान का छु टकारा जल्दी होगा। आप यह भी दे खेंगे कक अगर हर् तर्ार्
अिंग्रेज़ोिं िे द्वे ष { नफ़रत } करें गे , तो उििे स्वराज्य दू र हीिं जानेवािा है ; िेककन अगर
उनके िाथ भी न्याय करें गे, तो स्वराज्य के किए हर्ें उनकी र्दद कर्िेगी।
पाठक: अभी तो ये िब र्ुझे कफजूि की बडी बडी बातें िगती हैं। अिंग्रेज़ोिं की र्दद कर्िे
और उििे स्वराज्य कर्ि जाय, ये तो आपने दो उिटी बातें कहीिं। िेककन इि िवाि का
हि अभी र्ुझे नहीिं िाकहए। उिर्ें िर्य कबताना बेकार है। स्वराज्य कैिे कर्िेगा, यह जब
आप बतायेंगे तब शायद आपके कविार र्ैं िर्झ िकूाँ तो िर्झ िकूाँ। कफिहाि तो अिंग्रेज़ोिं
की र्दद की आपकी बात ने र्ुझे शिंका र्ें डाि कदया है और आपके कविारोिं के क्तखिाफ
र्ुझे भरर्ा कदया है। इिकिए यह बात आप आगे न बढाये तो अच्छा हो।
सांपादक: र्ैं अिंग्रेज़ोिं की बात को बढाना नहीिं िाहता। आप शिंका र्ें पड गये, इिकी कोई
कफकर नहीिं। र्ुझे जो र्हत्त्व [ अहर्् } की बात कहनी है, उिे पहिे िे हीिं बता दे ना ठीक
पाठक: आपकी यह बात र्ुझे पिन्द आयी। इििे र्ुझे जो ठीक िगे वह बात कहने की
र्ुझ र्ें कहम्मत आई है। अभी र्ेरी एक शिंका रह गई है। कािंग्रेि के आरम्भ िे स्वराज्य की
नीिंव पडी, यह कैिे कहा जा िक़ता है ?
सांपादक: दे क्तखये, कािंग्रेि ने अिग अिग जगहोिं पर कहिंदुस्ताकनयोिं को इकट्ठा करके उनर्ें
'हर् एक-राष्टर हैं' एिा जोश पैदा ककया। कािंग्रेि पर िरकार की कडी नज़र रहती थी।
र्हिूि का हक प्रजा को होना िाकहए, एिी र्ािंग कािंग्रेि ने हर्ेशा की है। जैिा स्वराज्य
कॅनेडा र्ें है वैिा स्वराज्य कािंग्रेि ने हर्ेशा िाहा है। वैिा स्वराज्य कर्िेगा या नहीिं कर्िेगा,
वैिा स्वराज्य हर्ें िाकहए या नहीिं िाकहए, उििे बढकर दू िरा कोई स्वराज्य है या नहीिं,
यह िवाि अिग है। र्ुझे कदखाना तो इतना हीिं है कक कािंग्रेि ने कहिंद को स्वराज्य का रि
िखाया। इिका जि कोई और िेना िाहे तो वह ठीक न होगा, और हर् भी एिा र्ाने तो
बेक़दर { कृतघ्न } ठहरें गे। इतना हीिं नहीिं, बक्ति जो र्क़िद हर् हाकिि करना िाहते हैं
उिर्ें र्ुिीबतें पैदा होिंगी। कािंग्रेि को अिग िर्झने और स्वराज्य के क्तखिाफ र्ानने िे
पाठक: आप कहते हैं उि तरह कविार करने पर यह ठीक िगता है कक कािंग्रेि ने स्वराज्य
की नीिंव डािी। िेककन यह तो आप र्ानेंगे कक वह िही जागृकत { जाग } नहीिं थी। िही
सांपादक: बीज हर्ेशा हर्ें कदखाई नहीिं दे ता। वह अपना कार् जर्ीन के नीिे करता है
और जब खुद कर्ट जाता है तब पेड जर्ीन के ऊपर दे खने र्ें आता है। कािंग्रेि के बारे र्ें
एिा हीिं िर्कझये। कजिे आप िही जागृकत र्ानते हैं वह तो बिंग-भिंग िे हुई, कजिके किए
हर् िोडम कज़मन के आभारी हैं। बिंग-भिंग के वक्त बिंगाकियोिं ने कज़म न िाहब िे बहुत प्राथमना
को, िेककन वे िाहब अपनी ििा के र्द र्ें िापरवाह रहें। उन्होिंने र्ान किया कक कहिंदुस्तानी
िोग किफम बकवाि हीिं करें गे, उनिे कुछ भी नहीिं होगा। उन्होिंने अपर्ानभरी भाषा का
प्रयोग ककया और जबरदस्ती बिंगाि के डु कडे ककये। हर् यह र्ान िक़ते हैं कक उि कदन
िे अिंग्रेज़ी राज्य के भी टु कडे हुए। बिंग-भिंग िे जो धक्का अिंग्रेज़ी हुकूर्त को िगा, वैिा
और ककिी कार् िे नहीिं िगा। इिका र्तिब यह नहीिं कक जो दू िरे गैर -इन्साफ़ हुए, वे
बिंग-भिंग िे कुछ कर् थे। नर्क-र्हिूि कुछ कर् गैर-इन्साफ़ नहीिं है। एिा और तो आगे
हर् बहुत दे खेंगे। िेककन बिंगाि के डु कडे करने का कवरोध { र्ुखाकिफ़त } करने के किए
प्रजा तैयार थी। उि वक्त प्रजा की भावना बहुत तेज़ थी। उि िर्य बिंगाि के बहुतेरे नेता
अपना िब कुछ न्यौछावर करने को तैयार थे। अपनी ििा, अपनी ताक़त को वे जानते थे।
इिकिए तुरन्त आग भडक उठी। अब वह बुझनेवािी नहीिं है, उिे बुझाने की जरूरत भी
नहीिं है। ये टु कडे कायर् नहीिं रहेंगे, बिंगाि कफर एक हो जाएगा। िेककन अिंग्रेज़ी जहाज़ र्ें
जो दरार पडी है, वह तो हर्ेशा रहेगी हीिं। वह कदन-ब-कदन िौडी होती जाएगी। जागा हुआ
कहिंद कफर िो जाय, वह नार्ुर्ककन है। बिंग-भिंग को रद करने की र्ािंग स्वराज्य की र्ािंग
के बराबर है। बिंगाि के नेता यह बात खूब जानते हैं। अिंग्रेज़ी हुकूर्त भी यह बात िर्झती
है। इिीकिए टु कडे रद नहीिं हुए। ज्योिं ज्योिं कदन बीतते जाते हैं , त्योिं त्योिं प्रजा तै यार होती
जाती है। प्रजा एक कदन र्ें नहीिं बनती; उिे बनने र्ें कई बरि िग जाते हैं।
पर भी दाद न कर्िे तो दु ःख िहन करना िाकहए; अिबिा, अजम तो करते हीिं रहना िाकहए।
बिंगाि के टु कडे होने के बाद िोगोिं ने दे खा कक हर्ारी अजम के पीछे कुछ ताक़त िाकहए,
िोगोिं र्ें कष्ट िहन करने की शक्ति िाकहए। यह नया जोश टु कडे होने का अहर् नतीजा
र्ाना जाएगा। यह जोश अखबारोिं के िेखोिं र्ें कदखाई कदया। िे ख कडे होने िगे। जो बात
िोग डरते हुए या िोरी-िुपके करते थे, वह खुल्लर्खुल्ला होने िगी — किखी जाने िगी।
अब नहीिं डरते; र्ार-पीट िे भी नहीिं डरते; जेि जाने र्ें भी उन्हें कोई हजम नहीिं र्ािूर्
होता; और कहिंद के पुत्ररत्न आज दे शकनकािा भुगतते हुए (कवदे शोिं र्ें) कवराजर्ान हैं। यह
िीज उि अजम िे अिग है। योिं िोगोिं र्ें खिबिी र्ि रही है। बिंगाि की हवा उिर र्ें
पाठक: इिके अिावा और कोई जानने िायक नतीजा आपको िूझता है ? सांपादक: बिंग-
भिंग िे जैिे अिंग्रेज़ी जहाज़ र्ें दरार पडी है , वैिे हीिं हर् र्ें भी दरार – फूट— पडी है। बडी
घटनाओिं के पररणार् { नतीज़े } भी योिं बडे हीिं होते हैं। हर्ारे नेताओिं र्ें दो दि हो गये हैं:
दो शब्दोिं का अथम करते हैं। यह िि है कक ये जो दि हुए हैं, उनके बीि जहर भी पैदा
हुआ है। एक दि दू िरे का भरोिा नहीिं करता, दोनोिं एक-दू िरे को ताना र्ारते हैं। िुरत
अच्छी कनशानी { किह्न } नहीिं है , एिा र्ुझे तो िगता है। िेककन र्ैं यह भी र्ानता हाँ कक एिे
दि िम्बे अरिे तक कटकेंगे नहीिं। इि तरह कब तक ये दि रहेंगे, यह तो नेताओिं पर
पाठक: तो आपने बिंग-भिंग को जागृकत का कारण र्ाना। उििे फैिी हुई अशािंकत को
सांपादक: इनिान नीिंद र्ें िे उठता है तो अिंगडाई िेता है, इधर-उधर घूर्ता है और
अशान्त { बेिैन } रहता है। उिे पूरा भान { िुध } आने र्ें कुछ वक्त िगता है। उिी तरह
अगरिे बिंग-भिंग िे जागृकत आई है , कफर भी बेहोशी नहीिं गई है। अभी हर् अिंगडाई िेने
की हाित र्ें हैं। अभी अशाक्तन्त की हाित है। जैिे नीिंद और जाग के बीि की हाित
जरूरी र्ानी जानी िाकहए और इिकिए वह ठीक कही जाएगी, वैिे बिंगाि र्ें और उि
कारण िे कहिंदुस्तान र्ें जो अशाक्तन्त फैिी है वह भी ठीक है। अशाक्तन्त है यह हर् जानते हैं ,
इिकिए शाक्तन्त का िर्य आने की शक्ता { इर्कान } है। नीिंद िे उठने के बाद हर्ेशा
अिंगडाई िेने की हाित र्ें हर् नहीिं रहते , िेककन दे र-िबेर अपनी शक्ति के र्ुताकबक पूरे
जागते हीिं हैं। इिी तरह इि अशाक्तन्त र्ें िे हर् जरूर छूटें गे। अशाक्तन्त ककिी को नहीिं
भाती।
सांपादक: अशाक्तन्त अिि र्ें अििंतोष है। उिे आजकि हर् ‘अनरे ट’ कहते हैं। कािंग्रेि
के जर्ाने र्ें वह ‘कडस्कन्टे न्ट' कहिाता था। कर्. ह्यूर् हर्ेशा कहते थे कक कहिंदुस्तान र्ें
अििंतोष फैिाने की जरूरत है। यह अििंतोष बहुत उपयोगी िीज है। जब तक आदर्ी
अपनी िािू हाित र्ें खुश रहता है, तब तक उिर्ें िे कनकिने के किए उिे िर्झाना
र्ुक्तिि है। इिकिए हर एक िुधार के पहिे अििंतोष होना हीिं िाकहए। िािू िीज िे ऊब
जाने पर हीिं उिे फेंक दे ने को र्न करता है। एिा अििंतोष हर् र्ें र्हान कहिंदुस्ताकनयोिं की
और अिंग्रेज़ोिं की पुस्तकें पढकर पैदा हुआ है। उि अििंतोष िे अशाक्तन्त पैदा हुई; और उि
अशाक्तन्त र्ें कई िोग र्रे , कई बरबाद हुए, कई जेि गये, कई को दे शकनकािा हुआ। आगे
भी एिा होगा; और होना िाकहए। ये िब िक्षण { कनशाकनयािं } अच्छे र्ाने जा िक़ते हैं।
पाठक: कािंग्रेि ने कहिंदुस्तान को एक-राष्टर बनाने के किए क्या ककया, बिंग-भिंग िे जागृकत
कैिे हुई, अशाक्तन्त और अििंतोष कैिे फैिे , यह िब जाना। अब र्ैं यह जानना िाहता हाँ
कक स्वराज्य के बारे र्ें आपके क्ा खयाि हैं। र्ुझे डर है कक शायद हर्ारी िर्झ र्ें फरक
हो।
सांपादक: फरक होना र्ुर्ककन है। स्वराज्य के किए आप-हर् िब अधीर बन रहें हैं,
िेककन वह कया है इि बारे र्ें हर् ठीक राय पर नहीिं पहुाँिे हैं। अिंग्रेज़ोिं को कनकाि बाहर
करना िाकहए, यह कविार बहुतोिं के र्ुाँह िे िुना जाता है; िेककन उन्हें क्ोिं कनकािना
िाकहए, इिका कोई ठीक खयाि ककया गया हो एिा नहीिं िगता। आपिे हीिं एक िवाि
र्ैं पूछता हाँ। र्ान िीकजये कक हर् र्ािंगते हैं उतना िब अिंग्रेज हर्ें दे दें , तो कफर उन्हें (यहााँ
पाठक: र्ैं तो उनिे एक हीिं िीज र्ािंगूाँगा। वह है: र्ेहरबानी करके आप हर्ारे र्ुि िे
ििे जायें। यह र्ााँग वे कबूि करें और कहिंदुस्तान िे ििे जायें, तब भी अगर कोई एिा अथम
का अनथम { िही का गित अथम } करें कक वे यहीिं रहते हैं, तो र्ुझे उिकी परवाह नहीिं
होगी। तब कफर हर् एिा र्ानेंगे कक हर्ारी भाषा र्ें कुछ िोग ‘जाना’ का अथम 'रहना' करते
हैं।
सांपादक: अच्छा, हर् र्ान िें कक हर्ारी र्ााँग के र्ुताकबक अिंग्रेज़ ििे गये। उिके बाद
आप क्या करें गे ?
पाठक: इि िवाि का जवाब अभी िे कदया हीिं नहीिं जा िक़ता। वे ककि तरह जाते हैं ,
उि पर बाद की हाित का आधार रहेगा। र्ान िें कक आप कहते हैं उि तरह वे ििे गये,
तो र्ुझे िगता है कक उनका बनाया हुआ कवधान { दस्तूर } हर् िािू रखेंगे और राज का
कारोबार ििायेंगे। कहने िे हीिं वे ििे जायें तो हर्ारे पाि ििर तैयार हीिं होगा, इिकिए
बहि नहीिं करना िाहता। र्ुझे तो आपके िवाि का जवाब दे ना है। वह जवाब र्ैं आपिे
हीिं कुछ िवाि करके अच्छी तरह दे िक़ता हाँ। इिकिए कुछ िवाि आपिे करता हाँ।
हर् अिंग्रेज़ोिं को क्ोिं कनकािना िाहते हैं?
िे धन िे जाते हैं। वे अपनी हीिं िर्डी के िोगोिं को बडे ओहदे दे ते हैं, हर्ें किफम गुिार्ी र्ें
रखते हैं , हर्ारे िाथ बेअदबी का बरताव करते हैं और हर्ारी जरा भी परवा नहीिं करते।
सांपादक: अगर वे धन बाहर न िे जायें, नम्र बन जायें और हर्ें बडे ओहदे दें , तो उनके
पाठक: यह िवाि हीिं बेकार है। बाघ अपना रूप { िूरत } पिट दे तो उिकी भाईबिंदी
िे कोई नुकिान है ? एिा िवाि आपने पूछा, यह किफम वक्त बरबाद करने के खाकतर हीिं।
अगर बाघ अपना स्वभाव { कर्ज़ाज } बदि िके, तो अिंग्रेज़ िोग अपनी आदत छोड िक़ते
हैं। जो कभी होनेवािा नहीिं है वह होगा, एिा र्ानना र्नुष्य की रीत हीिं नहीिं है।
सांपादक: कॅनेडा को जो राजििा कर्िी है, बोअर िोगोिं को जो राजििा कर्िी है , वैिी
पाठक: यह भी बेकार िवाि है। हर्ारे पाि उनकी तरह गोिाबारूद हो तब वैिा जरूर
हो िक़ता है। िे ककन उन िोगोिं के कजतनी ििा जब अिंग्रेज़ हर्ें दें गे तब हर् अपना हीिं
झिंडा रखेंगे। जैिा जापान वैिा कहिंदुस्तान। अपना जिंगी बेडा, अपनी फौज़ और अपनी
बोिबािा होगा।
सांपादक: यह तो आपने अच्छी तिवीर खीिंिी। इिका अथम यह हुआ कक हर्ें अिंग्रेज़ी राज्य
तो िाकहए, पर अिंग्रेज़ (शािक) नहीिं िाकहए। आप बाघ का स्वभाव तो िाहते हैं , िेककन
बाघ नहीिं िाहते। र्तिब यह हुआ कक आप कहिंदुस्तान को अिंग्रेज़ बनाना िाहते हैं। और
कुछ कार् की हो, स्पेन्सर, कर्ि वगैरा र्हान िेखकोिं के जो िेख हर् पढते हैं वे कुछ कार्
के होिं, अिंग्रेज़ोिं की पाकिमयार्ेन्ट पाकिमयार्ेन्टोिं की र्ाता हो, तो कफर बेशक र्ुझे तो िगता है
कक हर्ें उनकी नकि करनी िाकहए; वह यहााँ तक कक जैिे वे अपने र्ुि र्ें दू िरोिं को
घुिने नहीिं दे ते वैिे हर् भी दू िरोिं को न घुिने दें । योिं तो उन्होिंने अपने दे श र्ें जो ककया है,
वैिा और जगह अभी दे खने र्ें नहीिं आता। इिकिए उिे तो हर्ें अपने दे श र्ें अपनाना हीिं
सांपादक: अभी दे र है। र्ेरे कविार अपने आप इि ििाम र्ें आपको र्ािूर् हो जायेंगे।
स्वराज्य को िर्झना आपको कजतना आिान िगता है उतना हीिं र्ुझे र्ुक्तिि िगता है।
इिकिए कफिहाि र्ैं आपको इतना हीिं िर्झाने की कोकशश करू
ाँ गा कक कजिे आप
पाठक: आप जो कहते हैं उि पर िे तो र्ैं यही अिंदाज िगाता हाँ कक इिं ग्लैंड र्ें जो राज्य
सांपादक: आपका यह खयाि िही है। इिं ग्लैंड र्ें आज जो हाित है वह ििर्ुि दयनीय –
तरि खाने िायक है। र्ैं तो भगवान िे यही र्ााँगता हाँ कक कहिंदुस्तान की एिी हाित कभी
वेश्या } है। ये दोनोिं शब्द बहुत कडे हैं , तो भी उिे अच्छी तरह िागू होते हैं। र्ैंने उिे बािंझ
कहा, क्ोिंकक अब तक उि पाकिमयार्ेन्ट ने अपने आप एक भी अच्छा कार् नहीिं ककया।
अगर उि पर
जोर – दबाव डािनेवािा कोई न हो तो वह कुछ भी न करे , एिी उिकी कुदरती हाित
है। और वह बेिवा है क्ोिंकक जो र्िंकत्र-र्िंडि उिे रखे उिके पाि वह रहती है। आज
पाठक: आपके बोिने र्ें कुछ व्यिंग्य { भेद } है। बािंझ शब्द को अब तक आपने िागू नहीिं
ककया। पाकिमयार्ेन्ट िोगोिं की बनी है, इिकिए बेशक िोगोिं के दबाव िे हीिं वह कार् करे गी।
वही उिका गुण { किफ़त } है, उिके ऊपर का अिंकुश {काबू } है।
सांपादक: यह बडी गित बात है। अगर पाकिमयार्ेन्ट बािंझ न हो तो इि तरह होना िाकहए
– िोग उिर्ें अच्छे िे अच्छे र्ेम्बर िुनकर भेजते हैं। र्ेम्बर तनख्वाह नहीिं िेते, इिकिए
उन्हें िोगोिं की भिाई के किए (पाकिमयार्ेन्ट र्ें) जाना िाकहए। िोग खुद िुकशकक्षत-ििंस्कारी
{ तािीर्याफ़्ता } र्ाने जाते हैं, इिकिए उनिे भूि नहीिं होती एिा हर्ें र्ानना िाकहए। एिी
पाकिमयार्ेन्ट को अजी की जरूरत नहीिं होनी िाकहए, न दबाव की। उि पाकिमयार्ेन्ट का
कार् इतना िरि होना िाकहए कक कदन-ब-कदन उिका तेज बढता जाय और िोगोिं पर
उिका अिर होता जाय। िेककन इििे उिटे इतना तो िब कबूि करते हैं कक पाकिमयार्ेन्ट
के र्ेम्बर कदखावटी और स्वाथी { खुदगजम } पाये जाते हैं। िब अपना र्तिब िाधने की
िोिते हैं। किफम डर के कारण हीिं पाकिमयार्ेन्ट कुछ कार् करती है। जो कार् आज ककया
वह कि उिे रद करना पडता है। आज तक एक भी िीज को पाकिम यार्ेन्ट र्ें कठकाने
िगाया हो एिी कोई कर्िाि दे खने र्ें नहीिं आती। बडे िवािोिं की ििाम जब पाकिमयार्ेन्ट
र्ें ििती है, तब उिके र्ेम्बर पैर फैिाकर िेटते हैं या बैठे बैठे झपककयााँ िेते हैं। उि
पाकिमयार्ेन्ट र्ें र्ेम्बर इतने जोरोिं िे किल्लाते हैं कक िुननेवािे हैरान-परे शान हो जाते हैं।
उिके एक र्हान िेखक ने उिे ‘दु कनया की बातूनी' जैिा नार् कदया है। र्ेम्बर कजि पक्ष
{ दि, पाटी } के होिं उि पक्ष के किए अपना र्त वे बगैर िोिे -कविारे दे ते हैं, दे ने को बाँधे
हुए हैं। अगर कोई र्ेम्बर इिर्ें अपवादरूप { इस्तुनाके तीर पर } कनकि आये, तो उिकी
कर्बख़्ती हीिं िर्कझये। कजतना िर्य और पैिा पाकिमयार्ेन्ट खिम करती है उतना िर्य
और पैिा अगर अच्छे िोगोिं को कर्िे तो प्रजा का उद्धार { बेहतर हाित } हो जाय। किकटश
पाकिमयार्ेन्ट र्हज़ प्रजा का क्तखिौना है और वह क्तखिौना प्रजा को भारी खिम र्ें डािता है।
ये कविार र्ेरे खुद के हैं एिा आप न र्ाने। बडे और कविारशीि अिंग्रेज़ एिा कविार रखते
नहीिं रही। दू िरे र्ेम्बर ने तो यहााँ तक कहा है कक पाकिमयार्ेन्ट एक ‘बच्चा’ (बेबी) है। बच्चोिं
को कभी आपने हर्ेशा बच्चे हीिं रहते दे खा है? आज िात िौ बरि के बाद भी अगर
पाठक: आपने र्ुझे िोि र्ें डाि कदया। यह िब र्ुझे तुरन्त र्ान िेना िाकहए, एिा तो
आप नहीिं कहेंगे। आप कबिकुि कनरािे कविार र्ेरे र्न र्ें पैदा कर रहें हैं। र्ुझे उन्हें हजर्
सांपादक: र्ेरे कविारोिं को आप तुरन्त नहीिं र्ान िक़ते , यह बात ठीक है। उिके बारे र्ें
आपको जो िाकहत्य पढना िाकहए वह आप पढें गे, तो आपको कुछ खयाि आयेगा।
पाकिमयार्ेन्ट को र्ैंने बेिवा कहा, वह भी ठीक है। उिका कोई र्ाकिक नहीिं है। उिका
कोई एक र्ाकिक नहीिं हो िक़ता। िेककन र्ेरे कहने का र्तिब इतना हीिं नहीिं है। जब
कोई उिका र्ाकिक बनता है – जैिे प्रधानर्िंत्री – तब भी उिकी िाि एक िरीखी नहीिं
रहती। जैिे बुरे हाि { दु दमशा } बेिवा के होते हैं, वैिे हीिं िदा पाकिमयार्ेन्ट के होते हैं।
प्रधानर्िंत्री को पाकिमयार्ेन्ट की थोडी हीिं परवाह रहती है। वह तो अपनी ििा के र्द र्ें
र्स्त रहता है। अपना दि कैिे जीते इिी की िगन उिे रहती है। पाकिमयार्ेन्ट िही कार्
कैिे करे , इिका वह बहुत कर् कविार करता है। अपने दि को बिवान बनाने के किए
प्रधानर्िंत्री पाकिमयार्ेन्ट िे कैिे कैिे कार् करवाता है , इिकी कर्िािें कजतनी िाकहए उतनी
सांपादक: हााँ, यह िि है। र्ुझे प्रधानर्िंकत्रयोिं िे द्वे ष { बैर } नहीिं है। िेककन तजरबे िे र्ैंने
दे खा है कक वे िच्चे दे शाकभर्ानी नहीिं कहे जा िक़ते। कजिे हर् घूि कहते हैं वह घूि वे
खुल्लर्खुल्ला नहीिं िेते-दे ते, इिकिए भिे हीिं वे ईर्ानदार कहे जायें। िेककन उनके पाि
बिीिा { किफाररश } कार् कर िक़ता है। वे दू िरोिं िे कार् कनकािने के किए उपाकध {
इिकाब } वगैरा की घूि बहुत दे ते हैं। र्ैं कहम्मत के िाथ कह िक़ता हाँ कक उनर्ें शुद्ध
भावना और िच्ची ईर्ानदारी नहीिं होती।
पाठक: जब आपके एिे खयाि हैं तो कजन अिंग्रेज़ोिं के नार् िे पाकिमयार्ेन्ट राज करती है
उनके बारे र्ें अब कुछ ककहये, ताकक उनके स्वराज्य का पूरा खयाि र्ुझे आ जाये।
सांपादक: जो अिंग्रेज ‘वोटर' हैं (िुनाव करते हैं), उनकी धर्म -पुस्तक (बाइबि) तो है
अखबार। वे अखबारोिं िे अपने कविार बनाते हैं। अखबार अप्रार्ाकणक { बेईर्ान } होते हैं ,
एक हीिं बात को दो शकिें दे ते हैं। एक दिवािे उिी बात को बडी बनाकर कदखिाते हैं ,
तो दू िरे दिवािे उिी को छोटी कर डािते हैं। एक अखबारवािा ककिी अिंग्रेज़ नेता को
प्रार्ाकणक { ईर्ानदार } र्ानेगा, तो दू िरा अखबारवािा उिको अप्रार्ाकणक र्ानेगा। कजि
सांपादक: उन िोगोिं के कविार घडी-घडी र्ें बदिते हैं। उन िोगोिं र्ें यह कहावत है कक
िात िात बरि र्ें रिं ग बदिता है। घडी के िोिक की तरह वे इधर-उधर घूर्ा करते हैं।
जर्कर वे बैठ हीिं नहीिं िक़ते। कोई दौर-दर्ार्वािा आदर्ी हो और उिने अगर बडी
बडी बातें कर दीिं या दावतें दे दीिं, तो वे नक्कारिी की तरह उिीके ढोि पीटने िग जाते
हैं। एिे िोगोिं की याकिमयार्ेन्ट भी एिी हीिं होती है। उनर्ें एक बात जरूर है। वह यह कक
वे अपने दे श को खोयेंगे नहीिं। अगर ककिी ने उि पर बुरी नजर डािी, तो वे उिकी कर्ट्टी
पिीद कर दें गे। िेककन इििे उि प्रजा र्ें िब गुण आ गये, या उि प्रजा की नक़ि की
जाय, एिा नहीिं कह िक़ते। अगर कहिंदुस्तान अिंग्रेज़ प्रजा की नक़ि करे तो कहिंदुस्तान
पार्ाि हो जाय, एिा र्ेरा पक्का खयाि है।
पाठक: अिंग्रेज़ प्रजा एिी हो गई है, इिके आप क्या कारण र्ानते हैं?
सांपादक: इिर्ें अिंग्रेज़ोिं का कोई खाि किूर नहीिं है , पर उनकी – बक्ति यूरोप की –
सांपादक: र्ेरे कहिाब िे हीिं नहीिं, बक्ति अिंग्रेज िेखकोिं के कहिाब िे भी यह िभ्यता कबगाड
करनेवािी है। उिके बारे र्ें बहुत ककताबें किखी गई हैं। वहााँ इि िभ्यता के क्तखिाफ
र्िंडि भी कायर् हो रहें हैं। एक िेखक ने 'िभ्यता, उिके कारण और उिकी दवा' नार्
की ककताब किखी है। उिर्ें उिने यह िाकबत ककया है कक यह िभ्यता एक तरह का रोग
है।
सांपादक: इिका कारण तो िाफ है। कोई भी आदर्ी अपने क्तखिाफ जानेवािी बात करे
एिा शायद हीिं होता है। आज की िभ्यता के र्ोह र्ें फाँिे हुए िोग उिके क्तख िाफ नहीिं
किखेंगे, उिटे उिको िहारा कर्िे एिी हीिं बातें और दिीिें ढू ाँ ढ कनकािेंगे। यह वे जान-
बुझकर करते हैं एिा भी नहीिं है। वे जो किखते हैं उिे खुद िि र्ानते हैं। नीिंद र्ें आदर्ी
जो िपना दे खता है , उिे वह िही र्ानता है। जब उिकी नीिंद खुिती है तभी उिे अपनी
गिती र्ािूर् होती है। एिी हीिं दशा िभ्यता के र्ोह र्ें फाँिे हुए आदर्ी की होती है। हर्
जो बातें पढते हैं वे िभ्यता की कहर्ायत करनेवािोिं की किखी बातें होती हैं। उनर्ें बहुत
होकशयार और भिे आदर्ी हैं। उनके िेखोिं िे हर् िौिंकधया जाते हैं। योिं एक के बाद दू िरा
पाठक: यह बात आपने ठीक कही। अब आपने जो कुछ पढा और िोिा है, उिका खयाि
र्ुझे दीकजये।
सांपादक: पहिे तो हर् यह िोिें कक िभ्यता ककि हाित का नार् है। इि िभ्यता की
िही पहिान तो यह है कक िोग बाहरी (दु कनया) की खोजोिं र्ें और शरीर के िुख र्ें धन्यता
– िाथमकता { पुरअरर्ानी } और पुरूषाथम { बहादु री, बडा कार् } र्ानते हैं। इिकी कुछ
कर्िािें िें। िौ िाि पहिे यूरोप के िोग जैिे घरोिं र्ें रहते थे उनिे ज्यादा अच्छे घरोिं र्ें
आज वे रहते हैं ; यह िभ्यता की कनशानी र्ानी जाती है। इिर्ें शरीर के िुख की बात है।
इिके पहिे िोग िर्डे के कपडे पहनते थे और भािोिं का इस्तेर्ाि करते थे। अब वे ििंबे
पतिून पहनते हैं और शरीर को िजाने के किए तरह-तरह के कपडे बनवाते हैं; और भािे
के बदिे एक के बाद एक पााँि गोकियािं छोड िके एिी िक्करवािी बन्दू क इस्तेर्ाि
करते हैं | यह िभ्यता की कनशानी है | ककिी र्ुि के िोग, जो जूते वगैरा नहीिं पहनते होिं,
जब यूरोप के कपडे पहनना िीखते हैं, तो जिंगिी हाित र्ें िे िभ्य हाित र्ें आये हुए र्ाने
जाते हैं। पहिे यूरोप र्ें िोग र्ार्ूिी हि की र्दद िे अपने किए जात-र्ेहनत करके
जर्ीन जोतते थे। उिकी जगह आज भाप के यिंत्रोिं िे हि ििाकर एक आदर्ी बहुत िारी
जर्ीन जोत िक़ता है और बहुत-िा पैिा जर्ा कर िकता है। यह िभ्यता की कनशानी
र्ानी जाती है। पहिे िोग कुछ हीिं ककताबें किखते थे और वे अनर्ोि र्ानी जाती थीिं | आज
हर कोई िाहे जो किखता है और छपवाता है और िोगोिं के र्न को भरर्ाता है। यह िभ्यता
की कनशानी है। पहिे िोग बै िगाडी िे रोज़ बारह कोि की र्िंकजि तय करते थे। आज
रे िगाडी िे िार िौ कोि की र्िंकजि र्ारते हैं। यह तो िभ्यता की िोटी { कशखर } र्ानी
गई है। यह िभ्यता जैिे जैिे आगे बढती जाती है वैिे वैिे यह िोिा जाता है कक िोग
हवाई जहाज़ िे िफ़र करें गे और थोडे हीिं घिंटोिं र्ें दु कनया के ककिी भी भाग { कहस्सा } र्ें
अखबार कर्ि जायेंगे, तीिरा दबाया कक उिके किए गाडी तैयार हो जायेगी; हर हर्ेशा नये
भोजन कर्िेंगे, हाथ-पैर का कार् हीिं नहीिं पडे गा, िारा कार् कि { यिंत्र } िे हीिं ककया
जाएगा। पहिे जब िोग िडना िाहते थे तो एक-दू िरे का शरीर-बि आजर्ाते थे। आज
तो तोप के एक गोिे िे हज़ारोिं जाने िी जा िकतीिं हैं। यह िभ्यता की कनशानी है। पहिे
िोग खुिी हवा र्ें अपने को ठीक िगे उतना कार् स्वतिंत्रता िे करते थे। अब हज़ारोिं
आदर्ी अपने गुज़ारे के किए इकट्ठा होकर बडे कारखानोिं र्ें या खानोिं र्ें कार् करते हैं।
उनकी हाित जानवर िे भी बदतर हो गई है। उन्हें िीिे वगैरा के कारखानोिं र्ें जान को
जोक्तखर् र्ें डािकर कार् करना पडता है। इिका िाभ पैिेदार िोगोिं को कर्िता है। पहिे
िोगोिं को र्ार-पीट कर गुिार् बनाया जाता था; आज िोगोिं को पैिे का और भोग { र्ज़ा,
आनन्द } का िािि दे कर गुिार् बनाया जाता है। पहिे जैिे रोग नहीिं थे वैिे रोग आज
िोगोिं र्ें पैदा हो गये हैं और उिके िाथ डॉक्टर खोज करने िगे हैं कक ये रोग कैिे कर्टाये
जायें। एिा करने िे अस्पताि बढे हैं। यह िभ्यता की कनशानी र्ानी जाती है । पहिे िोग
पत्र किखते थे तब खाि काकिद उिे िे जाता था और उिके किए काफ़ी खिम िगता था।
आज र्ुझे ककिी को गाकियााँ दे ने के किए पत्र किखना हो, तो एक पैिे र्ें र्ैं गाकियााँ दे
िक़ता हाँ , ककिी को र्ुझे र्ुबारकबाद दे ना हो तो भी र्ैं उिी दार् र्ें पत्र भेज िक़ता हाँ।
यह िभ्यता की कनशानी है। पहिे िोग दो या तीन बार खाते थे और वह भी खुद हाथ िे
भी पुस्तक र्ें पढ िक़ते हैं। ये िब िभ्यता की िच्ची कनशाकनयााँ र्ानी जाती हैं। और अगर
कोई भी इििे कभन् बात िर्झाये, तो वह भोिा है एिा कनश्चय { खिूिन } हीिं र्ाकनए।
िभ्यता तो र्ैंने जो बताई वही र्ानी जाती है। उिर्ें नीकत या धर्म की बात हीिं नहीिं है।
िभ्यता के कहर्ायती िाफ कहते हैं कक उनका कार् िोगोिं को धर्म किखाने का नहीिं है।
धर्म तो ढोिंग है , एिा कुछ िोग र्ानते हैं। और कुछ िोग धर्म का दम्भ करते हैं , नीकत की
बातें भी करते हैं। कफर भी र्ैं आपिे बीि बरि के अनुभव { तजरबा } के बाद कहता हाँ
कक नीकत के नार् िे अनीकत किखिाई जाती है। ऊपर की बातोिं र्ें नीकत हो हीिं नहीिं िकतीिं,
यह कोई बच्चा भी िर्झ िक़ता है। शरीर का िुख कैिे कर्िे, यही आज की िभ्यता
ढू ाँ ढती है ; और यही दे ने की वह कोकशश करती है। परिं तु वह िुख भी नहीिं कर्ि पाता।
िोग आधे पागि जैिे दे खने र्ें आते हैं। उनर्ें िच्ची कूबत नहीिं है; वे नशा करके अपनी
ताक़त कायर् रखते हैं। एकान्त { तनहाई } र्ें वे बैठ हीिं नहीिं िक़ते। जो क्तस्त्रयााँ घर की
राकनयााँ होनी िाकहए, उन्हें गकियोिं र्ें भटकना पडता है , या कोई र्ज़दू री करनी पडती है।
इिं ग्लैंड र्ें हीिं िािीि िाख गरीब औरतोिं को पेट के किए िख्त र्ज़दू री करनी पडती है ,
यह िभ्यता एिी है कक अगर हर् धीरज धर कर बैठे रहेंगे, तो िभ्यता की िपेट र्ें
आये हुए िोग खुद की जिाई हुई आग र्ें जि र्रें गे। पैगम्बर र्ोहम्मद िाहब की िीख
के र्ुताकबक यह शैतानी िभ्यता है। कहिंदू धर्म इिे कनरा 'किजुग’ कहता है। र्ैं आपके
िार्ने इि िभ्यता का हबह कित्र नहीिं खीिंि िक़ता। यह र्ेरी शक्ति के बाहर है। िेककन
आप िर्झ िकेंगे कक इि िभ्यता के कारण अिंग्रेज़ प्रजा र्ें िडन ने घर कर किया है। यह
िभ्यता दू िरोिं का नाश करनेवािी और खुद नाशवान है। इििे दू र रहना िाकहए और
इिीकिए किकटश और दू िरी पाकिमयार्ेन्टें बेकार हो गई हैं। किकटश पाकिमयार्ेन्ट अिंग्रेज़ प्रजा
की गुिार्ी की कनशानी है, यह पक्की बात है। आप पढें गे और िोिेंगे तो आपको भी एिा
हीिं िगेगा। इिर्ें आप अिंग्रेज़ोिं का दोष { किूर } न कनकािें। उन पर तो हर्ें दया आनी
िाकहए। वे काकबि प्रजा हैं इिकिए ककिी कदन उि जाि िे कनकि जाएाँ गे एिा र्ैं र्ानता
हाँ। वे िाहिी और र्ेहनती हैं। र्ूि र्ें उनके कविार अनीकतभरे नहीिं हैं , इिकिए उनके बारे
र्ें र्ेरे र्न र्ें उिर् { बहुत अच्छे } खयाि हीिं है। उनका कदि बुरा नहीिं है। यह िभ्यता
उनके किए कोई अकर्ट रोग नहीिं है। िेककन अभी वे उि रोग र्ें फिंिे हुए हैं , यह तो हर्ें
पाठक: आपने िभ्यता के बारे र्ें बहुत कुछ कहा; और र्ुझे कविार र्ें डाि कदया। अब तो
र्ैं इि ििंकट { पिोपेश, दु कबधा } र्ें आ पडा हाँ कक यूरोप की प्रजा िे र्ैं क्ा िूाँ और क्या
न िूाँ। िेककन एक िवाि र्ेरे र्न र्ें तुरन्त उठता है: अगर आज की िभ्यता कबगाड
करनेवािी है , एक रोग है , तो एिी िभ्यता र्ें फिंिे हुए अिंग्रेज़ कहिंदुस्तान को कैिे िे िके?
दे र र्ें हर् स्वराज्य के बारे र्ें भी कविार कर िकेंगे। आपके इि िवाि का जवाब अभी
दे ना बाकी है, यह र्ैं भूिा नहीिं हाँ। िेककन आपके आखरी िवाि पर हर् आये। कहिंदुस्तान
अिंग्रेज़ोिं ने किया िो बात नहीिं है , बक्ति हर्ने उन्हें कदया है। कहिंदुस्तान र्ें वे अपने बि िे
नहीिं कटके हैं , बक्ति हर्ने उन्हें कटका रखा है। वह कैिे िो दे खें। आपको र्ैं याद कदिाता
हाँ कक हर्ारे दे श र्ें वे दरअिि व्यापार के किए आये थे। आप अपनी किंपनी बहादु र को
याद कीकजये। उिे बहादु र ककिने बनाया? वे बेिारे तो राज करने का इरादा भी नहीिं रखते
थे। किंपनी के िोगोिं की र्दद ककिने की? उनकी िााँदी को दे खकर कौन र्ोह र्ें पड जाता
था? उनका र्ाि कौन बेिता था? इकतहाि { तवारीख } िबूत दे ता है कक यह िब हर् हीिं
करते थे। जल्दी पैिा पाने के र्तिब िे हर् उनका स्वागत करते थे। हर् उनकी र्दद
करते थे। र्ुझे भााँग पीने की आदत हो और भााँग बेिनेवािा र्ुझे भााँग बेिे, तो किूर
बेिनेवािे का कनकािना िाकहए या अपना खुद का? बेिनेवािे का किूर कनकािने िे र्ेरा
व्यिन { ित, कुटे व } थोडे हीिं कर्टनेवािा है? एक बेिनेवािे को भगा दें गे तो क्या दू िरे
र्ुझे भााँग नहीिं बेिेंगे? कहिंदुस्तान के िच्चे िेवक को अच्छी तरह खोज करके इिकी जड
तक पहुाँिना होगा। ज्यादा खाने िे अगर र्ुझे अजीणम हुआ हो, तो र्ैं पानी का दोष कनकाि
खोजे। आप अगर कहिंदुस्तान के रोग के डॉक्टर होना िाहते हैं, तो आपको रोग की जड
नहीिं रहे गी। र्ैं आपके कविार जानने के किए अधीर बन गया हाँ। अब हर् बहुत हीिं कदििस्प
कवषय { बात } पर आ गये हैं, इिकिए र्ुझे आप अपने हीिं कविार बतायें। जब उनके बारे
र्ें शिंका पैदा होगी तब र्ैं आपको रोकूाँगा।
सांपादक: बहुत अच्छा। पर र्ुझे डर है कक आगे ििने पर हर्ारे बीि कफर िे र्तभेद
जरूर होगा। कफर भी जब आप र्ुझे रोकेंगे तभी र्ैं दिीि र्ें उतरू
ाँ गा। हर्ने दे खा कक
अिंग्रेज़ व्यापाररयोिं को हर्ने बढावा कदया तभी वे कहिंदुस्तान र्ें अपने पैर फैिा िके। वैिे हीिं
जब हर्ारे राजा िोग आपि र्ें झगडे तब उन्होिंने किंपनी बहादु र िे र्दद र्ााँगी। किंपनी
बहादु र व्यापार और िडाई के कार् र्ें कुशि { होकशयार } थी। उिर्ें उिे नीकत-अनीकत
की अडिन नहीिं थी। व्यापार बढाना और पैिा कर्ाना, यही उिका धिंधा था। उिर्ें जब
हर्ने र्दद दी तब उिने हर्ारी र्दद िी और अपनी कोकठयााँ बढाई। कोकठयोिं का बिाव
करने के किए उिने ििर रखा। उि ििर का हर्ने उपयोग ककया, इिकिए अब उिे
दोष दे ना बेकार है। उि वक्त कहिंदू-र्ुििर्ानोिं के बीि बैर था। किंपनी को उििे र्ौक़ा
कर्िा। इि तरह हर्ने किंपनी के किए एिे ििंजोग पैदा ककये, कजििे कहिंदुस्तान पर उिका
अकधकार हो जाय। इिकिए कहिंदुस्तान गया एिा कहने के बजाय ज्यादा िि यह कहना
होगा कक हर्ने कहिंदुस्तान अिं ग्रेज़ोिं को कदया।
सांपादक: जैिे हर्ने कहिंदुस्तान उन्हें कदया वैिे हीिं हर् कहिंदुस्तान को उनके पाि रहने दे ते
हैं। उन्होिंने तिवार िे कहिंदुस्तान किया एिा उनर्ें िे कुछ कहते हैं , और एिा भी कहते हैं
कक तिवार िे वे उिे रख रहें हैं। ये दोनोिं बातें गित हैं। कहिंदुस्तान को रखने के किए
तिवार ककिी कार् र्ें नहीिं आ िकतीिं; हर् खुद हीिं उन्हें यहााँ रहने दे ते हैं।
नेपोकियन ने अिंग्रेज़ोिं को व्यापारी प्रजा कहा है । वह कबिकुि ठीक बात है। वे कजि
दे श को (अपने काबू र्ें ) रखते हैं, उिे व्यापार के किए रखते हैं , यह जानने िायक है।
उनकी फ़ौजें और जिंगी बेडे किफम व्यापार की रक्षा { रखवािी } के किए हैं। जब टर ान्सवाि
र्ें व्यापार का िािि नहीिं था तब कर्. ग्लेडटन को तुरन्त िूझ गया कक टर ान्सवाि अिंग्रेज़ोिं
को नहीिं रखना िाकहए। जब टर ान्सवाि र्ें व्यापार का आकषमण दे खा तब उििे िडाई की
प्रेकिडे न्ट क्रूगर िे ककिी ने िवाि ककया: ‘िााँद र्ें िोना है या नहीिं?’ उिने जवाब कदया:
“िााँद र्ें िोना होने की ििंभावना नहीिं है , क्ोिंकक िोना होता तो अिंग्रेज़ अपने राज के िाथ
उिे जोड दे ते।' पैिा उनका खुदा है, यह ध्यान र्ें रखने िे िब बातें िाफ हो जायेगीिं।
तब अिंग्रेज़ोिं को हर् कहिंदुस्तािं र्ें किफम अपनी ग़रज़ िे रखते हैं। हर्ें उनका व्यापार
पििंद आता है। वे िािबाजी करके हर्ें ररझाते हैं और ररझाकर हर्िे कार् िेते हैं। इिर्ें
उनका दोष कनकािना उनकी ििा को कनभाने जैिा है। इिके अिावा, हर् आपि र्ें
इि र्ौके पर र्ैं आपको याद कदिाता हाँ कक जापान र्ें अिंग्रेज़ी झिंडा िहराता है एिा
आप र्ाकनये। जापान के िाथ अिंग्रेज़ोिं ने जो करार ककया है वह अपने व्यापार के किए ककया
है। और आप दे खेंगे कक जापान र्ें अिंग्रेज़ िोग अपना व्यापार खूब जर्ायेंगे। अिंग्रेज़ अपने
र्ाि के किए िारी दु कनया को अपना बाजार बनाना िाहते हैं। यह िि है कक एिा वे नहीिं
कर िकेंगे। इिर्ें उनका कोई किूर नहीिं र्ाना जा िक्रता। अपनी कोकशश र्ें वे कोई
पाठक: कहिंदुस्तान अिंग्रेजोिं के हाथ र्ें क्योिं है , यह िर्झा जा िक़ता है। अब र्ैं कहिंदुस्तान
सांपादक: आज कहिंदुस्तान की रिं क { किंगाि } दशा है। यह आपिे कहते हुए र्ेरी आाँ खोिं र्ें
पानी भर आता है और गिा िूख जाता है। यह बात र्ैं आपको पूरी तरह िर्झा िकूिंगा
या नहीिं, इि बारे र्ें र्ुझे शक है। र्ेरी पक्की राय है , कक कहिंदुस्तान अिंग्रेज़ोिं िे नहीिं, बक्ति
आजकि की िभ्यता { तहजीब } िे कुििा जा रहा है , उिकी िपेट र्ें वह फाँि गया है।
उिर्ें िे बिने का अभी भी उपाय है, िेककन कदन-ब-कदन िर्य बीतता जा रहा है। र्ुझे
तो धर्म प्यारा है ; इिकिए पहिा दु ःख र्ुझे यह है कक कहिंदुस्तान धर्मभ्रष्ट होता जा रहा है।
धर्म का अथम र्ैं यहााँ कहिंदू, र्ुक्तिर् या जरथोस्ती धर्म नहीिं करता। िेककन इन िब धर्ों के
अन्दर जो 'धर्म' है वह कहिंदुस्तान िे जा रहा है; हर् ईश्वर िे कवर्ुख { अिग } होते जा रहें
हैं।
पाठक: िो कैिे ?
उत्साही { पुरजोश } हैं। इिे हर्ने र्ान किया है। इिकिए हर् अपनी हाित को बदिना
िाहते हैं।
कहिंदू, र्ुक्तिर्, जरथोस्ती, ईिाई िब धर्म किखाते हैं कक हर्ें दु कनयावी बातोिं के बारे
र्ें र्िंद { िुस्त } और धाकर्मक { दीनी } बातोिं के बारे र्ें उत्साही रहना िाकहए। हर्ें अपने
दु कनयावी िोभ की हद बााँधनी िाकहए और धाकर्मक िोभ को खुिा छोड दे ना िाकहए। हर्ारा
उत्साह { जोश } धाकर्मक िोभ र्ें हीिं रहना िाकहए।
पाठक: इििे तो र्ािूर् होता है कक आप पाखिंडी { ढोिंगी } बनने की तािीर् दे ते हैं। धर्म
के बारे र्ें एिी बातें करके ठग िोग दु कनया को ठगते आये हैं और आज भी ठग रहें हैं।
सांपादक: आप धर्म पर गित आरोप { तोहर्त } िगाते हैं। पाखिंड तो िब धर्ों र्ें है। जहााँ
िूरज है वहााँ अिंधेरा रहता हीिं है। परछाई हर एक िीज के िाथ जूडी रहती है। धाकर्मक
ठगोिं को आप दु कनयावी ठगोिं िे अच्छे पाएाँ गे। िभ्यता र्ें जो पाखिंड र्ैं आपको बता िुका
पाठक: यह कैिे कहा जा िक़ता है ? धर्म के नार् पर कहिंदू-र्ुििर्ान िडे, धर्म के नार्
पर ईिाइयोिं र्ें बडे बडे युद्ध हुए। धर्म के नार् पर हज़ारोिं बेगुनाह िोग र्ारे गये, उन्हें जिा
कदया गया, उन पर बडी बडी र्ुिीबतें गुजारी गईिं। यह तो िभ्यता िे बदतर हीिं र्ाना
जाएगा।
आपने जो कुछ कहा वह पाखिंड है , एिा िब िोग िर्झते हैं। इिकिए पाखिंड र्ें फिंिे हुए
िोग र्र गए कक िारा िवाि हि हो गया। जहााँ भोिे िोग हैं वहााँ एिा हीिं ििता रहेगा।
िेककन उिका अिर हर्ेशा के किए बुरा नहीिं रहता। िभ्यता की होिी र्ें जो िोग जि
र्रे हैं , उनकी तो कोई हद हीिं नहीिं है । उिकी खूबी यह है कक िोग उिे अच्छा र्ानकर
उिर्ें कूद पडते हैं। कफर वे न तो रहते दीन के और न रहते दु कनया के। वे िि बात को
कबिकुि भूि जाते हैं। िभ्यता िूहे की तरह फूिंककर काटती है। उिका अिर जब हर्
जानेंगे तब पुराने वहर् र्ुकाबिे र्ें हर्ें र्ीठे िगेंगे। र्ेर कहना यह नहीिं कक हर्ें उन वहर्ोिं
को कायर् रखना िाकहए। नहीिं, उनके क्तखिाफ तो हर् िडें गे हीिं; िेककन वह िडाई धर्म
को भूि कर नहीिं िडी जायेगी, बक्ति िही तौर पर धर्म को िर्झकर और उिकी रक्षा
है वह बेकार है।
सांपादक: आप भिे शािंकत दे खते होिं, पर र्ैं तो शाक्तन्त का िुख नहीिं दे खता।
पाठक: तब तो ठग, कपिंडारी, भीि वगैरा दे श र्ें जो त्राि { जुल्म } गुजारते थे उिर्ें आपके
खयाि िे कोई बुराई नहीिं थी?
सांपादक: आप जरा िोिेंगे तो र्ािूर् होगा कक उनका त्राि बहुत कर् था। अगर ििर्ुि
उनका त्राि भयिंकर होता, तो प्रजा का जडर्ूि िे कभी का नाश हो जाता। और, हाि की
शाक्तन्त तो नार् की हीिं है। र्ैं यह कहना िाहता हाँ कक इि शाक्तन्त िे हर् नार्दम , नपुिंिक
और डरपोक बन गये हैं। भीिोिं और कपिंडारीयोिं का स्वभाव अिंग्रेज़ोिं ने बदि कदया है, एिा
हर् न र्ान िें। हर् पर एिा जुल्म होता हो तो हर्ें उिे बरदाश्त करना िाकहए। िेककन
दू िरे िोग हर्ें उि जुल्म िे बिाये, यह तो हर्ारे किए कबिकुि कििंक { दाग } जैिा है।
हर् कर्जोर और डरपोक बनें , इििे तो भीिोिं के तीर-कर्ान िे र्रना र्ुझे ज्यादा पििंद
है। उि हाित र्ें जो कहिंदुस्तान था, उिका जोश कुछ दू िरा हीिं था। र्ैकोिे ने कहिंदुस्ताकनयोिं
को नार्दम र्ाना, वह उिकी अधर् अज्ञान दशा को बताता है। कहिंदुस्तानी नार्दम कभी नहीिं
थे। यह जान िीकजये कक कजि दे श र्ें पहाडी िोग बिते हैं, जहााँ बाघ-भेकडये रहते हैं , उि
दे श के रहनेवािे अगर ििर्ुि डरपोक होिं तो उनका नाश हीिं हो जाये। आप कभी खेतोिं
र्ें गये हैं? र्ैं आपिे यकीनन कहता हाँ कक खेतोिं र्ें हर्ारे ककिान आज भी कनभमय { कनडर
} होकर िोते हैं , जब कक अिंग्रेज़ और आप वहााँ िोने के किए आनाकानी करें गे। बि तो
कनभमयता { कनडरता } र्ें है; बदन पर र्ााँि के िोिंदे होने र्ें बि नहीिं है। आप थोडा भी
और आपको, जो स्वराज्य िाहनेवािे हैं , र्ैं िावधान { आगाह } करता हाँ कक भीि,
कपिंडारी और ठग ये िब हर्ारे हीिं दे शी भाई हैं। उन्हें जीतना र्ेरा और आपका कार् है।
पाठक: कहिंदुस्तान की शाक्तन्त के बारे र्ें र्ेरा जो र्ोह था वह आपने िे किया। अब तो याद
सांपादक: अब तक तो र्ैंने आपको किफम धर्म की दशा का हीिं खयाि कराया है। िेककन
कहिंदुस्तान रिं क { किंगाि } क्ोिं है, इि बारे र्ें र्ैं अपने कविार आपको बताऊाँगा तब तो
शायद आप र्ुझिे नफरत हीिं करें गे; क्ोिंकक आज तक हर्ने और आपने कजन िीजोिं को
एिी हाित है कक अगर हर् िर्य पर नहीिं िेतेंगे , तो िारोिं ओर िे कघर कर बरबाद हो
जायेंगे।
पाठक: र्ुझे डर है कक हर्ारे कविार कभी कर्िेंगे या नहीिं। आपने तो जो कुछ अच्छा दे खने
र्ें आया है और अच्छा र्ाना गया है, उिी पर धावा बोि कदया है! अब बाकी कया रहा?
र्ुक्तिि िे र्ािूर् हो िक़ता है। डॉक्टर आपको बतिायेंगे कक क्षय का र्रीज र्ौत के
कदन तक भी जीने की आशा रखता है। क्षय का रोग बाहर कदखाई दे नेवािी हाकन नहीिं
पहुाँिाता और वह रोग आदर्ी को झूठी िािी दे ता है। इििे बीर्ार कवश्वाि र्ें बहता रहता
है और आकखर डूब जाता है। िभ्यता का भी एिा हीिं िर्कझये। वह एक अदृश्य { गैबी }
सांपादक: आपके कदि र्ें यह बात तुरन्त उठे गी कक अगर रे ि न हो तो अिंग्रेज़ोिं का काबू
कहिंदुस्तान पर कजतना है उतना तो नहीिं हीिं रहेगा। रे ि िे र्हार्ारी फैिी है। अगर रे िगाडी
फैिानेवािे } रोग िारे दे श र्ें नहीिं पहुाँि पायेंगे। पहिे हर् कुदरती तौर पर हीिं 'िेग्रेगेशन'
– िूतक – पािते थे। रे ि िे अकाि बढे हैं, क्ोिंकक रे िगाडी की िुकवधा { िुभीता } के
कारण िोग अपना अनाज बेि डािते हैं। जहााँ र्हिंगाई हो वहााँ अनाज क्तखिंि जाता है , िोग
िापरवाह बनते हैं और उििे अकाि का दु ःख बढता है। रे ि िे दु ष्टता { नीिता } बढती
है। बुरे िोग अपनी बुराई तेजी िे फैिा िक़ते हैं। कहिंदुस्तान र्ें जो पकवत्र { पाक } स्थान थे ,
वे अपकवत्र { नापाक } बन गये हैं। पहिे िोग बडी र्ुिीबत िे वहााँ जाते थे। एिे िोग वहााँ
िच्ची भावना िे ईश्वर को भजने जाते थे ; अब तो ठगोिं की टोिी किफम ठगने के किए वहााँ
जाती है।
पाठक: यह तो आपने इकतरफा बात कही। जैिे खराब िोग वहााँ जा िक़ते हैं वैिे अच्छे
सांपादक: जो अच्छा होता है वह बीरबहटी की तरह धीरे ििता है। उिकी रे ि िे नहीिं
बनती। अच्छा करनेवािे के र्न र्ें स्वाथम नहीिं रहता। वह जल्दी नहीिं करे गा। वह जानता
है कक आदर्ी पर अच्छी बात का अिर डािने र्ें बहुत िर्य िगता है। बुरी बात हीिं तेजी
िे बढ िकतीिं है। घर बनाना र्ुक्तिि है , तोडना िहि है। इिकिए रे िगाडी हर्े शा दु ष्टता
का हीिं फैिाव करे गी, यह बराबर िर्झ िेना िाकहए। उििे अकाि फैिेगा या नहीिं, इि
बारे र्ें कोई शास्त्रकार र्ेरे र्न र्ें घडी भर शिंका पैदा कर िक़ता है ; िेककन रे ि िे दु ष्टता
बढती है यह बात जो र्ेरे र्न र्ें जर् गयी है वह कर्टनेवािी नहीिं है।
आज कहिंदुस्तान र्ें एक-राष्टर का जोश दे खने र्ें आता है। इिकिए र्ैं तो कहाँगा कक रे ि के
सांपादक: यह आपकी भूि हीिं है। आपको अिंग्रेज़ोिं ने किखाया है कक आप एक-राष्टर नहीिं थे
और एक-राष्टर बनने र्ें आपको िैकडोिं बरि िगेंगे। यह बात कबिकुि बेबुकनयाद है। जब
अिंग्रेज़ कहिंदुस्तान र्ें नहीिं थे तब हर् एक-राष्टर थे , हर्ारे कविार एक थे , हर्ारा रहन-िहन
एक था। तभी तो अिंग्रेजोिं ने यहााँ एक-राज्य कायर् ककया। भेद तो हर्ारे बीि बाद र्ें उन्होिंने
पैदा ककये।
कक हर्ारे बीि कोई र्तभेद नहीिं था; िेककन हर्ारे र्ुख्य िोग पैदि या बैिगाडी र्ें
कहिंदुस्तान का िफ़र करते थे , वे एक-दू िरे की भाषा िीखते थे और उनके बीि कोई अन्तर
नहीिं था। कजन दू रदशी { दू रिं दे श } पुरूषोिं ने िेतुबिंध रार्ेश्वर, जगन्ाथपुरी और हरद्वार की
यात्रा ठहराई { कनकश्चत की }, उनका आपकी राय र्ें क्ा खयाि होगा? वे र्ूखम नहीिं थे , यह
तो आप कबूि करें गे। वे जानते थे कक ईश्वर-भजन घर बैठे भी होता है। उन्हीिं ने हर्ें यह
किखाया है कक र्न िाँगा तो कठौती र्ें गिंगा। िेककन उन्होिंने िोिा कक कुदरत ने कहिंदुस्तान
को एक-दे श बनाया है , इिकिए वह एक-राष्टर होना िाकहए। इिकिए उन्होिंने अिग अिग
स्थान तय करके िोगोिं को एकता का कविार इि तरह कदया, जैिा दु कनया र्ें और कहीिं
नहीिं कदया गया है। दो अिंग्रेज कजतने एक नहीिं हैं उतने हर् कहिंदुस्तानी एक थे और एक हैं।
किफम हर् और आप जो खुद को िभ्य र्ानते हैं उन्हीिं के र्न र्ें एिा आभाि ( भ्रर् ) पैदा
हुआ कक कहिंदुस्तान र्ें हर् अिग अिग राष्टर हैं। रे ि के कारण हर् अपने को अिग राष्टर
र्ानने िगे और रे ि के कारण एक-राष्टर का खयाि कफर िे हर्ारे र्न र्ें आने िगा, एिा
आप र्ाने तो र्ुझे हजम नहीिं है। अफ़ीर्िी कह िक़ता है कक अफ़ीर् के नुकिान का पता
र्ुझे अफ़ीर् िे ििा, इिकिए अफ़ीर् अच्छी िीज है। यह िब आप अच्छी तरह िोकिए।
अभी आपके र्न र्ें और भी शिंकाएाँ उठें गी। िेककन आप खुद उन िबको हि कर िकेंगे।
पाठक: आपने जो कुछ कहा उि पर र्ैं िोिूाँगा। िेककन एक िवाि र्ेरे र्न र्ें इिी िर्य
उठता है। र्ुििर्ान कहिंदुस्तान र्ें आये उिके पहिे के कहिंदुस्तान की बात आपने की।
िेककन अब तो र्ुििर्ानोिं, पारकियोिं, ईिाइयोिं की कहिंदुस्तान र्ें बडी ििंख्या है। वे एक-राष्टर
नहीिं हो िक़ते। कहा जाता है कक कहिंदू-र्ुििर्ानोिं र्ें कट्टर बैर है। हर्ारी कहावतें भी एिी
हीिं हैं। 'कर्यााँ और र्हादे व की नहीिं बनेगी।' कहिंदू पूवम र्ें ईश्वर को पूजता है , तो र्ुक्तिर्
पकश्चर् र्ें पूजता है। र्ुििर्ान कहिंदू को बुतपरस्त – र्ूकतमपूजक – र्ानकर उििे नफरत
करता है। कहिंदू र्ूकतमपूजक है, र्ुििर्ान र्ूकतम को तोडनेवािा है। कहिंदू गाय को पूजता है ,
र्ुििर्ान उिे र्ारता है। कहिंदू अकहिंिक है , र्ुििर्ान कहिंिक। योिं पग-पग पर जो कवरोध
सांपादक: आपका आखरी िवाि बडा गम्भीर र्ािूर् होता है। िेककन िोिने पर वह िहि
र्ािूर् होगा। यह िवाि उठा है, उिका कारण भी रे ि, वकीि और डॉक्टर हैं। वकीिोिं
और डॉक्टरोिं का कविार तो अभी करना बाकी है। रे िोिं का कविार हर् कर िुके। इतना र्ैं
जोडता हाँ कक र्नुष्य इि तरह पैदा ककया गया है कक अपने हाथ-पै र िे बने उतनी हीिं आने -
जाने वगैरा की हििि उिे करनी िाकहए। अगर हर् रे ि वगैरा िाधनोिं िे दौडधूप करें हीिं
नहीिं, तो बहुत पेिीदे िवाि हर्ारे िार्ने आयेंगे हीिं नहीिं। हर् खुद होकर दु ःख को न्योतते
हैं। भगवान ने र्नुष्य की हद उिके शरीर की बनावट िे हीिं बााँध दी, िेककन र्नुष्य ने उि
भगवान को भूिने र्ें ककया। र्ैं अपनी कुदरती हद के र्ुताकबक अपने आिपाि रहनेवािोिं
की हीिं िेवा कर िक़ता हाँ ; पर र्ैंने तुरन्त अपनी र्गरूरी र्ें ढू ाँ ढ कनकािा कक र्ुझे तो िारी
दु कनया की िेवा अपने तन िे करनी िाकहए। एिा करने र्ें अनेक धर्ों के और कई तरह
के िोगोिं का िाथ होगा। यह बोझ र्नुष्य उठा हीिं नहीिं िकता और इिकिए अकुिाता है।
इि कविार िे आप िर्झ िेंगे कक रे िगाडी ििर्ुि एक तूफानी िाधन है। र्नुष्य रे िगाडी
पाठक: पर र्ैं तो अब जो िवाि र्ैंने उठाया है उिका जवाब िुनने को अधीर हो रहा हाँ।
सांपादक: कहिंदुस्तान र्ें िाहे कजि धर्म के आदर्ी रह िक़ते हैं ; उििे वह एक-राष्टर
कर्टनेवािा नहीिं है। जो नये िोग उिर्ें दाक्तखि होते हैं, वे उिकी प्रजा को तोड नहीिं िक़ते ,
वे उिकी प्रजा र्ें घुिकर्ि जाते हैं । एिा हो तभी कोई र्ुि एक-राष्टर र्ाना जाएगा। एिे
र्ुि र्ें दू िरे िोगोिं का िर्ावेश करने का गुण होना िाकहए। कहिंदुस्तान एिा था और आज
भी है। योिं तो कजतने आदर्ी उतने धर्म एिा र्ान िक़ते हैं। एक-राष्टर होकर रहने वािे िोग
एक-दू िरे के धर्म र्ें दखि नहीिं दे ते; अगर दे ते हैं तो िर्झना िाकहए कक वे एक-राष्टर होने
िायक नहीिं हैं। अगर कहिंदू र्ाने कक िारा कहिंदुस्तान किफम कहिंदुओ िं िे भरा होना िाकहए, तो
यह एक कनरा िपना है। र्ुििर्ान अगर एिा र्ाने कक उिर्ें किफम र्ुििर्ान हीिं रहें , तो
अपना वतन र्ानकर बि िुके हैं एक-दे शी, एक-र्ुिी हैं, वे दे शी-भाई हैं , और उन्हें एक-
दू िरे के स्वाथम के किए भी एक होकर रहना पडे गा। दु कनया के ककिी भी कहस्से र्ें एक-
राष्टर का अथम एक-धर्म नहीिं ककया गया है; कहिंदुस्तान र्ें तो एिा था हीिं नहीिं।
सांपादक: ‘कट्टर बैर' शब्द दोनोिं के दु श्मन ने खोज कनकािा है। जब कहिंदू-र्ुििर्ान
झगडते थे तब वे एिी बातें भी करते थे। झगडा तो हर्ारा िबका बिंद हो गया है। कफर
कट्टर बैर काहे का? और इतना याद रक्तखए कक अिंग्रेज़ोिं के आने के बाद हीिं हर्ारा झगडा
बन्द हुआ एिा नहीिं है। कहिंदू िोग र्ुििर्ान बादशाहोिं के र्ातहत और र्ुििर्ान कहिंदू
राजाओिं के र्ातहत रहते आये हैं। दोनोिं को बाद र्ें िर्झ र्ें आ गया कक झगडने िे कोई
फायदा नहीिं; िडाई िे कोई अपना धर्म नहीिं छोडें गे और कोई अपनी कजद भी नहीिं छोडें गे।
इिकिए दोनोिं ने कर्िकर रहने का फैििा ककया। झगडे तो कफर िे अिंग्रेज़ोिं ने शुरू
करवाये।
धुन र्ें इतना भी याद नहीिं रखते कक बहुते रे कहिंदुओ िं और र्ुििर्ानोिं के बाप-दादे एक हीिं
थे, हर्ारे अिंदर एक हीिं खून है। क्या धर्म बदिा इिकिए हर् आपि र्ें दु श्मन बन गये?
धर्म तो एक हीिं जगह पहुाँिने के अिग-अिग रास्ते हैं। हर् दोनोिं अिग-अिग रास्ते िें,
और एिी कहावतें तो शैवोिं और वैष्णवोिं र्ें भी ििती हैं ; पर इििे कोई यह नहीिं
कहेगा कक वे एक-राष्टर नहीिं हैं। वेदधकर्मयोिं और जैनोिं के बीि बहुत फकम र्ाना जाता है ,
कफर भी इििे वे अिग राष्टर नहीिं बन जाते। हर् गुिार् हो गये हैं, इिीकिए अपने झगडे
करनेवािा एक वगम दे खने र्ें आता है। ज्योिं ज्योिं िही ज्ञान बढे गा त्योिं त्योिं हर् िर्झते
जायेंगे कक हर्ें पिन्द न आनेवािा धर्म दू िरा आदर्ी पािता हो, तो भी उििे बैरभाव
रखना हर्ारे किए ठीक नहीिं; हर् उि पर जबरदस्ती न करें ।
सांपादक: र्ैं खुद गाय को पूजता हाँ यानी र्ान दे ता हाँ। गाय कहिंदुस्तान की रक्षा करनेवािी
है, क्ोिंकक उिकी ििंतान पर कहिंदुस्तान का, जो खेती-प्रधान दे श है , आधार है। गाय कई
करें गे।
िेककन जैिे र्ैं गाय को पूजता हाँ वैिे र्ैं र्नुष्य को भी पूजता हाँ। जैिे गाय उपयोगी
है वैिे र्नुष्य भी – कफर िाहे वह र्ुििर्ान हो या कहिंदू – उपयोगी है। तब कया गाय को
यही उपाय है कक र्ुझे अपने र्ुििर्ान भाई के िार्ने हाथ जोडने िाकहए और उिे दे श
के खाकतर गाय को बिाने के किए िर्झाना िाकहए। अगर वह न िर्झे तो र्ुझे गाय को
र्रने दे ना िाकहए, क्ोिंकक वह र्ेरे बि की बात नहीिं। अगर र्ुझे गाय पर अत्यिं त { बेहद }
दया आती हो तो अपनी जान दे दे नी िाकहए, िेककन र्ुििर्ान की जान नहीिं िेनी िाकहए।
'हााँ' और 'नहीिं' के बीि हर्ेशा बैर रहता है। अगर र्ैं वाद-कववाद { बहि } करू
ाँ गा,
र्ैं बाकिश्त भर नर्ूाँगा, तो वह हाथ भर नर्ेगा; और अगर वह नहीिं भी नर्े तो र्ेरा नर्ना
गित नहीिं कहिायेगा। जब हर्ने कजद की तब गोकुशी बढी। र्ेरी राय है कक गोरक्षा
प्रिाररणी िभा गोवध प्रिाररणी िभा र्ानी जानी िाकहए। एिी िभा का होना हर्ारे किए
बदनार्ी की बात है। जब गाय की रक्षा करना हर् भूि गये तब एिी िभा की जरूरत
पडी होगी।
र्ेरा भाई गाय को र्ारने दौडे , तो र्ैं उिके िाथ कैिा बरताव करू
ाँ गा? उिे र्ारू
ाँ गा
या उिके पैरोिं र्ें पडूाँगा? अगर आप कहें कक र्ुझे उिके पााँव पडना िाकहए, तो र्ुझे
जो कहिंदू गाय की औिाद { बैि को } को पैना (आर) भोिंकता है, उि कहिंदू को कौन िर्झाता
है? इििे हर्ारे एक-राष्टर होने र्ें कोई रूकावट नहीिं आई है।
अिंत र्ें, कहिंदू अकहिंिक और र्ुििर्ान कहिंिक है, यह बात अगर िही हो तो अकहिंिक
का धर्म क्ा है ? अकहिंिक को आदर्ी की कहिंिा करनी िाकहए, एिा कहीिं किखा नहीिं है।
अकहिंिक के किए तो राह िीधी है। उिे एक को बिाने के किए दू िरे की कहिंिा करनी हीिं
नहीिं िाकहए। उिे तो र्ात्र िरण-विंदना करनी िाकहए, किफम िर्झाने का कार् करना
िाकहए। इिी र्ें उिका पुरूषाथम { बहादु री } है।
िेककन कया तर्ार् कहिंदू अकहिंिक हैं? िवाि की जड र्ें जाकर कविार करने पर
र्ािूर् होता है कक कोई भी अकहिंिक नहीिं है, क्ोिंकक जीव को तो हर् र्ारते हीिं हैं। िेककन
इि कहिंिा िे हर् छूटना िाहते हैं, इिकिए अकहिंिक (कहिाते) हैं। िाधारण कविार करने
िे र्ािूर् होता है कक बहुत िे कहिंदू र्ााँि खाने वािे हैं, इिकिए वे अकहिंिक नहीिं र्ाने जा
िक़ते। खीिंि-तानकर दू िरा अथम करना हो तो र्ुझे कुछ कहना नहीिं है। जब एिी हाित
है तब र्ुििर्ान कहिंिक और कहिंदू अकहिंिक हैं , इिकिए दोनोिं की नहीिं बनेगी, वह िोिना
एिे कविार स्वाथी धर्मकशक्षकोिं, शाक्तस्त्रयोिं और र्ुल्लाओिं ने हर्ें कदये हैं। और इिर्ें
जो कर्ी रह गई थी, उिे अिंग्रेज़ोिं ने पूरा ककया है। उन्हें इकतहाि किखने की आदत है ; हर
एक जाकत के रीकत-ररवाज जानने का वे दिं भ { कदखावा } करते हैं। ईश्वर ने हर्ारा र्न तो
छोटा बनाया है, कफर भी वे ईश्वरी दावा करते आये हैं और तरह तरह के प्रयोग
{ आजर्ाइश } करते हैं। वे अपने बाजे खुद बजाते हैं और हर्ारे र्न र्ें अपनी बात िही
होने का कवश्वाि जर्ाते हैं। हर् भोिेपन र्ें उि िब पर भरोिा कर िेते हैं।
जो टे ढा नहीिं दे खना िाहते वे दे ख िकेंगे कक कुरान शरीफ़ र्ें एिे िैकडोिं विन हैं ,
जो कहिंदुओ िं को र्ान्य { र्िंजूर } होिं; भगवद् गीता र्ें एिी बातें किखी हैं कक कजनके क्तखिाफ
र्ुििर्ान को कोई भी ऐतराज नहीिं हो िक़ता। कुरान शरीफ़ का कुछ भाग र्ैं न िर्झ
पाऊाँ या कुछ भाग र्ुझे पििंद न आये , इि वजह िे क्ा र्ैं उिे र्ाननेवािे िे नफरत
करू
ाँ ? झगडा दो िे हीिं हो िक़ता है। र्ुझे झगडा नहीिं करना हो, तो र्ुििर्ान क्या करे गा?
और र्ुििर्ान को झगडा न करना हो, तो र्ैं क्ा कर िक़ता हाँ? हवा र्ें हाथ उठानेवािे
का हाथ उखड जाता है। िब अपने अपने धर्म का स्वरूप िर्झकर उििे किपके रहें
और शाक्तस्त्रयोिं व र्ुल्लाओिं को बीि र्ें न आने दें , तो झगडे का र्ुाँह हर्ेशा के किए कािा
हीिं रहेगा।
सांपादक: यह िवाि डरपोक आदर्ी का है। यह िवाि हर्ारी हीनता को कदखाता है।
अगर दो भाई िाहते होिं कक उनका आपि र्ें र्ेि बना रहें, तो कौन उनके बीि र्ें आ
िक़ता है ? अगर तीिरा आदर्ी दोनोिं के बीि झगडा पैदा कर िकें, तो उन भाइयोिं को
हर् कच्चे कदि के कहेंगे। उिी तरह अगर हर् – कहिंदू और र्ुििर्ान – कच्चे कदि के
होिंगे, तो कफर अिंग्रेज़ोिं का किूर कनकािना बेकार होगा। कच्चा घडा एक किंकड िे नहीिं तो
दू िरे किंकड िे फूटे गा हीिं। घडे को बिाने का रास्ता यह नहीिं है कक उिे किंकड िे दू र
रखा जाय, बक्ति यह है कक उिे पक्का बनाया जाय, कजििे किंकड का भय हीिं न रहें।
उिी तरह हर्ें पक्के कदि के बनना है। हर् दोनोिं र्ें िे कोई एक (भी) पक्के कदि के होिंगे,
तो तीिरे की कुछ नहीिं ििेगी। यह कार् कहिंदू आिानी िे कर िक़ते हैं। उनकी ििंख्या
बडी है, वे अपने को ज्यादा पढे -किखे र्ानते हैं; इिकिए वे पक्का कदि रख िकते हैं।
दोनोिं कौर् के बीि अकवश्वाि { ना एतबार } है, इिकिए र्ुििर्ान िोडम र्ोिे िे
कुछ हक र्ााँगते हैं। इिर्ें कहिंदू क्योिं कवरोध करें ? अगर कहिंदू कवरोध न करें , तो अिंग्रेज िौकेंगे ,
र्ुििर्ान धीरे धीरे कहिंदुओ िं का भरोिा करने िगेंगे और दोनोिं का भाईिारा बढे गा। अपने
झगडे अिंग्रेज़ोिं के पाि िे जाने र्ें हर्ें शरर्ाना िाकहए। एिा करने िे कहिंदू कुछ खोनेवािे
नहीिं हैं ; इिका कहिाब आप खुद िगा िकेंगे। कजि आदर्ी ने दू िरे पर कवश्वाि ककया,
र्ैं यह नहीिं कहना िाहता कक कहिंदू-र्ुििर्ान कभी झगडें गे हीिं नहीिं। दो भाई िाथ
रहें तो उनके बीि तकरार होती है। कभी हर्ारे किर भी फूटें गे। एिा होना जरूरी नहीिं है,
िेककन िब िोग एक िी अकि के नहीिं होते। दोनोिं जोश र्ें आते हैं तब अकिर गित
कार् कर बेठते हैं। उन्हें हर्ें िहन करना होगा। िेककन एिी तकरार को भी बडी वकाित
बघारकर हर् अिंग्रेज़ोिं की अदाित र्ें न िे जायें। दो आदर्ी िडे , िडाई र्ें दोनोिं के किर
या एक का किर फूटे , तो उिर्ें तीिरा कया न्याय करे गा? जो िडें गे वे जख्मी भी होिंगे।
बदन िे बदन टकरायेगा तब कुछ कनशानी तो रहेंगी हीिं। उिर्ें न्याय कया हो िक़ता है ?
११. हिांदुस्तान की दशा – वकील
पाठक: आप कहते हैं कक दो आदर्ी झगडें तब उिका न्याय भी नहीिं कराना िाकहए। यह
सांपादक: इिे अजीब ककहये या दू िरा कोई कवशेषण { किफ़्त } िगाइए, पर बात िही है।
आपकी शिंका हर्ें वकीि-डॉक्टरोिं की पहिान कराती है। र्ेरी राय है कक वकीिोिं ने
कहिंदुस्तान को गुिार् बनाया है, कहिंदू-र्ुििर्ानोिं के झगडे बढाये हैं और अिंग्रेज़ी हुकूर्त
पाठक: एिे इिजार् िगाना आिान है, िेककन उन्हें िाकबत करना र्ुक्तिि होगा। वकीिोिं
के किवा दू िरा कौन हर्ें आजादी का र्ागम बताता? उनके किवा गरीबोिं का बिाव कौन
करता? उनके किवा कौन हर्ें न्याय कदिाता? दे क्तखये , स्व र्नर्ोहन घोष ने ककतनोिं को
बिाया? खुद एक कौडी भी उन्होिंने नहीिं िी। कािंग्रेि , कजिके आपने हीिं बखान ककये हैं ,
वकीिोिं िे कनभती है और उनकी र्ेहनत िे हीिं उिर्ें कार् होते हैं। इि वगम { जर्ात } की
आप कनिंदा करें , यह इन्साफ़ के िाथ गैर-इन्साफ़ करने जैिा है। वह तो आपके हाथ र्ें
अखबार आया इिकिए िाहे जो बोिने की छूट िेने जैिा िगता है।
सांपादक: जैिा आप र्ानते हैं वैिा हीिं र्ैं भी एक िर्य र्ानता था। वकीिोिं ने कभी कोई
अच्छा कार् नहीिं ककया, एिा र्ैं आपिे नहीिं कहना िाहता। कर्. र्नर्ोहन घोष की र्ैं
इज्जत करता हाँ। उन्होिंने गरीबोिं की र्दद की थी यह बात िही है। कािंग्रेि र्ें वकीिोिं ने
कुछ कार् ककया है, यह भी हर् र्ान िक़ते हैं। वकीि भी आक्तखर र्नुष्य है; और
र्नुष्यजाकत र्ें कुछ तो अच्छाई है हीिं। वकीिोिं की भिर्निी के जो बहुत िे ककस्से दे खने
र्ें आते हैं , वे तभी हुए जब वे अपने को वकीि िर्झना भूि गये। र्ुझे तो आपको किफम
यही कदखाना है कक उनका धिंधा उन्हें अनीकत किखानेवािा है। वे बुरे िािि र्ें फाँिते हैं ,
कहिंदू-र्ुििर्ान आपि र्ें िडे हैं। तटस्थ { बेतरफ़दार } आदर्ी उनिे कहेगा कक
आप गयी-बीती को भूि जायें; इिर्ें दोनोिं का किूर रहा होगा। अब दोनोिं कर्िकर रकहये।
िेककन वे वकीि के पाि जाते हैं। वकीि का फजम हो जाता है कक वह र्ुवक्तक्कि की ओर
जोर िगाये। र्ुवक्तक्कि के खयाि र्ें भी न होिं एिी दिीिें र्ुवक्तक्कि की ओर िे ढू ाँ ढना
वकीि का कार् है। अगर वह एिा नहीिं करता तो र्ाना जाएगा कक वह अपने पेशे को
बट्टा िगाता है। इिकिए वकीि तो आर् तौर पर झगडा आगे बढाने की हीिं ििाह दे गा।
िोग दू िरोिं का दु ःख दू र करने के किए नहीिं, बक्ति पैिा पैदा करने के किए वकीि बनते
हैं। वह एक कर्ाई का रास्ता है। इिकिए वकीि का स्वाथम झगडा बढाने र्ें है। वह तो
र्ेरी जानी हुई बात है कक जब झगडे होते हैं तब वकीि खुश होते हैं। र्ुखतार िोग भी
वकीि की जात के हैं। जहााँ झगडे नहीिं होते वहााँ भी वे झगडे खडे करते हैं। उनके दिाि
जोिंक की तरह गरीब िोगोिं िे किपकते हैं और उनका खून िूि िेते हैं। वह पेशा एिा है
कक उिर्ें आदकर्योिं को झगडे के किए बढावा कर्िता हीिं है। वकीि िोग कनठल्ले होते हैं।
आििी िोग ऐश-आरार् करने के किए वकीि बनते हैं। यह िही बात है। वकाित का
पेशा बडा आबरूदार पेशा है, एिा खोज कनकािनेवािे भी वकीि हीिं हैं। कानून वे बनाते
हैं, उिकी तारीफ़ भी वे हीिं करते हैं। िोगोिं िे क्ा दार् किये जायें , यह भी वे हीिं तय करते
हैं; और िोगोिं पर रोब जर्ाने के किए आडिं बर { कदखावा } एिा करते हैं , र्ानोिं वे आिर्ान
वे र्जदू र िे ज्यादा रोज़ी क्योिं र्ााँगते हैं? उनकी जरूरतें र्ज़दू र िे ज्यादा क्ोिं हैं ?
उन्होिंने र्ज़दू र िे ज्यादा दे श का क्या भिा ककया है? क्ा भिा करनेवािे को ज्यादा पैिा
िेने का हक है? और अगर पै िे के खाकतर उन्होिंने भिा ककया हो, तो उिे भिा कैिे कहा
वकीिोिं के कारण कहिंदू-र्ुििर्ानोिं के बीि कुछ दिं गे हुए हैं, यह तो कजन्हें अनुभव
है वे जानते होिंगे। उनिे कुछ खानदान बरबाद हो गये हैं। उनकी बदौित भाईयोिं र्ें जहर
दाक्तखि हो गया है। कुछ ररयाितें वकीिोिं के जाि र्ें फाँिकर कजमदार हो गयी हैं। बहुत
िे गराकिये { राजविंशी जागीरदार } इन वकीिोिं की कारस्तानी िे िुट गये हैं। एिी बहुत
गदम न पर र्जबूत जर् गया है। आप िोकिये। क्ा आप र्ानते हैं कक अिंग्रेज़ी अदािते यहााँ
न होतीिं तो वे हर्ारे दे श र्ें राज कर िक़ते थे ? ये अदािते िोगोिं के भिे के किए नहीिं हैं।
कजन्हें अपनी ििा कायर् रखनी है , वे अदाितोिं के जररये िोगोिं को बि र्ें रखते हैं। िोग
अगर खुद अपने झगडे कनबटा िें, तो तीिरा आदर्ी उन पर अपनी ििा नहीिं जर्ा िक़ता।
ििर्ुि जब िोग खुद र्ार-पीट करके या ररश्तेदारोिं को पिंि बनाकर अपना झगडा कनबटा
िेते थे तब वे बहादु र थे। अदािते आयीिं और वे कायर बन गये। िोग आपि र्ें िड कर
झगडे कर्टायें, यह जिंगिी र्ाना जाता था। अब तीिरा आदर्ी झगडा कर्टाता है, यह क्या
कर् जिंगिीपन है? क्या कोई एिा कह िकेगा कक तीिरा आदर्ी जो फैििा दे ता है वह
िही फैििा हीिं होता है? कोन िच्चा है , यह दोनोिं पक्ष के िोग जानते हैं। हर् भोिेपन र्ें
र्ान िेते हैं कक तीिरा आदर्ी हर्िे पैिे िेकर हर्ारा इन्साफ़ करता है।
जररये हर् पर अिंकुश जर्ाया है और अगर हर् वकीि न बनें तो ये अदािते िि हीिं नहीिं
िकतीिं। अगर अिंग्रेज़ हीिं जज होते, अिंग्रेज़ हीिं वकीि होते और अिंग्रेज़ हीिं किपाही होते , तो
वे किफम अिं ग्रेज़ोिं पर हीिं राज करते। कहिंदुस्तानी जज और कहिंदुस्तानी वकीि के बगैर उनका
कार् िि नहीिं िका। वकीि कैिे पैदा हुए, उन्होिंने कैिी धािंधि र्िाई, यह िब अगर
आप िर्झ िकें, तो र्ेरे कजतनी हीिं नफ़रत आपको भी इि पेशे के किए होगी। अिंग्रेज़ी
ििा की एक र्ुख्य { बडी } कुिंजी उनकी अदािते हैं और अदाितोिं की कुिंजी वकीि हैं।
अगर वकीि वकाित करना छोड दें और वह पेशा वेश्या के पेशे जैिा नीि र्ाना जाय,
तो अिंग्रेज़ी राज एक कदन र्ें टू ट जाय। वकीिोिं ने कहिंदुस्तानी प्रजा पर यह तोहर्त िगवाई
है कक हर्ें झगडे प्यारे हैं और हर् कोटम -किहरी रूपी पानी की र्छकियााँ हैं।
जो शब्द र्ैं वकीिोिं के किए इस्तेर्ाि करता हाँ, वे हीिं शब्द जजोिं को भी िागू होते
पाठक: वकीिोिं की बात तो हर् िर्झ िकते हैं। उन्होिंने जो अच्छा कार् ककया है वह
जान-बूझकर नहीिं ककया, एिा यकीन होता है। बाकी उनके धिंधे को दे खा जाय तो वह
ककनि { बहुत हिका } हीिं है। िेककन आप तो डॉक्टरोिं को भी उनके िाथ घिीटते हैं। यह
केिे ?
सांपादक: र्ैं जो कविार आपके िार्ने रखता हाँ , वे इि िर्य तो र्ेरे अपने हीिं हैं । िेककन
एिे कविार र्ैंने हीिं ककये हैं िो बात नहीिं। पकश्चर् के िुधारक खुद र्ुझिे ज्यादा िख्त शब्दोिं
र्ें इन धिंधोिं के बारे र्ें किख गये हैं। उन्होिंने वकीिोिं और डॉक्टरोिं की बहुत कनिंदा की है।
उनर्ें िे एक िेखक ने एक जहरी पेड का कित्र खीिंिा है, वकीि-डॉक्टर वगैरा कनकम्मे
िेंगे कक र्ैं आपके िार्ने अपने कदर्ाग िे कनकािे हुए नये कविार नहीिं रखता, िेककन दू िरोिं
डॉक्टरोिं के बारे र्ें जैिे आपको अभी र्ोह है वैिे कभी र्ुझे भी था। एक िर्य एिा
था जब र्ैंने खुद डॉक्टर होने का इरादा ककया था और िोिा था कक डॉक्टर बनकर कौर्
की िेवा करू
ाँ गा। र्ेरा यह र्ोह अब कर्ट गया है। हर्ारे िर्ाज र्ें वैद्य का धिंधा कभी
अच्छा र्ाना हीिं नहीिं गया, इिका भान अब र्ुझे हुआ है; और उि कविार की कीर्त र्ैं
अिंग्रेजोिं ने डॉक्टरी कवद्या िे भी हर् पर काबू जर्ाया है। डॉक्टरोिं र्ें दिं भ की भी कर्ी
नहीिं है। र्ुगि बादशाह को भरर्ानेवािा एक अिंग्रेज़ डॉक्टर हीिं था। उिने बादशाह के
घर र्ें कुछ बीर्ारी कर्टाई, इिकिए उिे किरोपाव कर्िा। अर्ीरोिं के पाि पहुाँिनेवािे भी
डॉक्टरोिं ने हर्ें जड िे कहिा कदया है। डॉक्टरोिं िे नीर्-हकीर् ज्यादा अच्छे , एिा
नहीिं है। उनका कार् शरीर र्ें जो रोग पैदा होते हैं उन्हें दू र करने का है। रोग क्ोिं होते हैं ?
हर्ारी हीिं गफ़ित िे। र्ैं बहुत खाऊाँ और र्ुझे बदहजर्ी, अजीरन हो जाय; कफर र्ैं डॉक्टर
के पाि जााँऊ और वह र्ुझे गोिी दे ; गोिी खाकर र्ैं ििंगा हो जााँऊ और दु बारा खूब खाऊाँ
और कफर िे गोिी िूाँ। अगर र्ैं गोिी न िेता तो अजीरन की िजा भुगतता और कफर िे
बेहद नहीिं खाता। डॉक्टर बीि र्ें आया और उिने हदिे ज्यादा खाने र्ें र्ेरी र्दद की।
उििे र्ेरे शरीर को तो आरार् हुआ, िेककन र्ेरा र्न कर्ज़ोर बना। इि तरह आक्तखर
र्ैंने कविाि ककया, र्ैं बीर्ार पडा; डॉक्टर ने र्ुझे दवा दी और र्ैं िाँ गा हुआ। क्ा
र्ैं कफर िे कविाि नहीिं करू
ाँ गा? जरूर करू
ाँ गा। अगर डॉक्टर बीि र्ें न आता तो कुदरत
अपना कार् करती, र्ेरा र्न र्जबूत बनता और अन्त र्ें कनकवमषयी { बे-नन्स-परस्त } होकर
अस्पतािें पाप की जड हैं। उनकी बदौित िोग शरीर का जतन कर् करते हैं और
यूरोप के डॉक्टर तो हद करते हैं । वे किफम शरीर के हीिं गित जतन के किए िाखोिं
जीवोिं को हर िाि र्ारते हैं , कजिंदा जीवोिं पर प्रयोग करते हैं। एिा करना ककिी भी धर्म को
र्िंजूर नहीिं। कहिंदू, र्ुििर्ान, ईिाई, जरथोस्ती – िब धर्म कहते हैं कक आदर्ी के शरीर के
डॉक्टर हर्ें धर्मभ्रष्ट { बेदीन } करते हैं। उनकी बहुत िी दवाओिं र्ें िरबी या दारू
होती है। इन दोनोिं र्ें िे एक भी िीज कहिंदू-र्ुििर्ान को िि िके एिी नहीिं है। हर् िभ्य
होने का ढोिंग करके , दू िरोिं को वहर्ी र्ानकर और बे-िगार् { स्वच्छन्द } होकर िाहे िो
करते रहें ; यह दू िरी बात है। िेककन डॉक्टर हर्ें धर्म िे भ्रष्ट करते हैं , यह िाफ और िीधी
बात है।
और नार्दम बनते हैं। एिी दशा र्ें हर् िोकिेवा करने िायक नहीिं रहते और शरीर िे
क्षीण { कर्ज़ोर } और बुक्तद्धहीन { बे -अक़ि } होते जा रहें हैं। अिंग्रेज़ी या यूरोकपयन डॉक्टरी
हर् डॉक्टर क्ोिं बनते हैं, यह भी िोिने की बात है। उिका िच्चा कारण तो
आबरूदार और पैिा कर्ाने का धिंधा करने की इच्छा है। उिर्ें परोपकार की बात नहीिं
है। उि धन्धे र्ें परोपकार नहीिं है , यह तो र्ैं बता िुका। उििे िोगोिं को नुकिान होता है।
डॉक्टर किफम आडम्बर कदखाकर हीिं िोगोिं िे बडी फीि विूि करते हैं और अपनी एक
पैिे की दवा के कई रूपये िेते हैं। योिं कवश्वाि र्ें और ििंगे हो जाने की आशा र्ें िोग
डॉक्टरोिं िे ठगे जाते हैं। जब एिा हीिं है तब भिाई का कदखावा करनेवािे डॉक्टरोिं िे खुिे
पाठक: आपने रे ि को रद कर कदया, वकीिोिं की कनन्दा की, डॉक्टरोिं को दबा कदया। तर्ार्
कि-कार् { यिंत्रकार् } को भी आप नुकिानदे ह र्ानेंगे, एिा र्ैं दे ख िक़ता हाँ। तब िभ्यता
सांपादक: इि िवाि का जवाब र्ुक्तिि नहीिं है। र्ैं र्ानता हाँ कक जो िभ्यता कहिं दुस्तान ने
कदखायी है, उिको दु कनया र्ें कोई नहीिं पहुाँि िक़ता। जो बीज हर्ारे पुरखोिं ने बोए हैं,
उनकी बराबरी कर िके एिी कोई िीज दे खने र्ें नहीिं आयी। रोर् कर्ट्टी र्ें कर्ि गया,
ग्रीि का किफम नार् हीिं रह गया, कर्स्र की बादशाही ििी गई, जापान पकश्चर् के कशकिंजे र्ें
फाँि गया और िीन का कुछ भी कहा नहीिं जा िक़ता। िेककन कगरा-टू टा जैिा भी हो,
जो रोर् और ग्रीि कगर िुके हैं, उनकी ककताबोिं िे यूरोप के िोग िीखते हैं। उनकी गिकतयााँ
वे नहीिं करें गे एिा गुर्ान { अकभर्ान } रखते हैं। एिी उनकी किंगाि हाित है, जब कक
कहिंदुस्तान अिि है, अकडग है। यही उिका भूषण है। कहिंदुस्तान पर आरोप िगाया जाता
है कक वह एिा जिंगिी, एिा अज्ञान है कक उििे जीवन र्ें कुछ फेरबदि कराये हीिं नहीिं
जा िक़ते। यह आरोप हर्ारा गुण { किफ़त } है, दोष { नुक़्ि } नहीिं। अनुभव { तजरबा }
िे जो हर्ें ठीक िगा है , उिे हर् क्ोिं बदिेंगे? बहुत िे अकि दे नेवािे आते -जाते रहते
हैं, पर कहिंदुस्तान अकडग रहता है। यह उिकी खूबी है, यह उिका ििंगर है।
िभ्यता वह आिरण { बरताव } है कजििे आदर्ी अपना फजम अदा करता हैं। फजम
अदा करने के र्ानी है नीकत का पािन करना। नीकत के पािन का र्तिब है अपने र्न
और इक्तियोिं को बि र्ें रखना। एिा करते हुए हर् अपने को (अपनी अिकियत को)
पहिानते हैं। यही िभ्यता है। इििे जो उिटा है वह कबगाड करनेवािा है।
बहुत िे अिंग्रेज िेखक किख गये हैं कक ऊपर की व्याख्या { तशरीह } के र्ुताकबक
उिका र्न बेकार की दौडधूप ककया करता है। उिका शरीर जैिे-जैिे ज्यादा कदया जाय
वैिे-वैिे ज़्यादा र्ााँगता है। ज्यादा िेकर भी वह िुखी नहीिं होता। भोग भोगने िे भोग की
इच्छा बढती जाती है। इिकिए हर्ारे पुरखोिं ने भोग की हद बााँध दी। बहुत िोिकर उन्होिंने
दे खा कक िुख-दु ःख तो र्न के कारण हैं। अर्ीर अपनी अर्ीरी की वजह िे िुखी नहीिं है ,
गरीब अपनी गरीबी के कारण दु ःखी नहीिं है। अर्ीर दु ःखी दे खने र्ें आता है और गरीब
िुखी दे खने र्ें आता है। करोडोिं िोग तो गरीब हीिं रहेंगे। एिा दे खकर उन्होिंने भोग की
वािना
{ ख्वाकहश } छु डवाई। हजारोिं िाि पहिे जो हि कार् र्ें किया जाता था, उििे हर्ने कार्
ििाया। हजारोिं िाि पहिे जैिे झोिंपडे थे , उन्हें हर्ने कायर् रखा। हजारोिं िाि पहिे
जैिी हर्ारी कशक्षा { तािीर् } थी वही ििती आई। हर्ने नाशकारक होड को िर्ाज र्ें
जगह नहीिं दी; िब अपना अपना धिंधा करते रहें। उिर्ें उन्होिंने दस्तूर के र्ुताकबक दार्
किए। एिा नहीिं था कक हर्ें यिंत्र वगैरा की खोज करना हीिं नहीिं आता था। िेककन हर्ारे
पूवमजोिं ने दे खा कक िोग अगर यिंत्र वगैरा की झिंझट र्ें पडें गे, तो गुिार् हीिं बनेंगे और अपनी
नीकत को छोड दें गे। उन्होिंने िोि-िर्झकर कहा कक हर्ें अपने हाथ-पैरोिं िे जो कार् हो
िके वही करना िाकहए। हाथ-पैरोिं का इस्तेर्ाि करने र्ें हीिं िच्चा िुख है, उिीर्ें
तिंदुरूस्ती है।
उन्होिंने िोिा कक बढे शहर खडे करना बेकार की झिंझट है। उनर्ें िोग िुखी नहीिं
होिंगे। उनर्ें धूतों { ठगोिं } की टोकियााँ और वेश्याओिं { बेिवाओिं } की गकियााँ पैदा होिंगी;
गरीब अर्ीरोिं िे िूटे जायेंगे। इिकिए उन्होिंने छोटे दे हातोिं िे ििंतोष र्ाना।
दजे का र्ाना।
एिी कजि राष्टर की गठन है वह राष्टर दू िरोिं को किखाने िायक है; वह दू िरोिं िे
कनयर् के र्ुताकबक ििते थे। िब जानते थे कक ये धन्धे बडे नहीिं हैं। और वकीि, डॉक्टर
वगैरा िोगोिं र्ें िूट नहीिं ििाते थे; वे तो िोगोिं के आकश्रत { पनाहगीर } थे। वे िोगोिं के
र्ाकिक बनकर नहीिं रहते थे। इन्साफ़ काफी अच्छा होता था। अदाितोिं र्ें न जाना, यह
िोगोिं का ध्येय { र्क़िद } था। उन्हें भरर्ानेवािे स्वाथी िोग नहीिं थे। इतनी िडन भी किफम
राजा और राजधानी के आिपाि हीिं थी। योिं (आर्) प्रजा तो उििे स्वतिंत्र रहकर अपने
वैिा हीिं है। उिके िार्ने आप अपने नये ढोिंगोिं की बात करें गे , तो वह आपकी हाँिी
उडाएगा। उि पर न तो अिंग्रेज़ राज करते हैं, न आप कर िकेंगे। कजन िोगोिं के नार् पर
हर् बात करते हैं , उन्हें हर् पहिानते नहीिं हैं , न वे हर्ें पहिानते हैं। आपको और दू िरोिं
को, कजनर्ें दे शप्रेर् है, र्ेरी ििाह है कक आप दे श र्ें —जहााँ रे ि की बाढ नहीिं फैिी है उि
भाग र्ें – छह र्ाह के किए घूर् आयें और बाद र्ें दे श की िगन िगाये , बाद र्ें स्वराज्य
की बात करें ।
अब आपने दे खा कक िच्ची िभ्यता र्ैं ककि िीज को कहता हाँ । ऊपर र्ैंने जो
तिवीर खीिंिी है वैिा कहिंदुस्तान जहााँ हो वहााँ जो आदर्ी फेरफार करे गा उिे आप दु श्मन
पाठक: आपने जैिा बताया वैिा हीिं कहिंदुस्तान होता तब तो ठीक था। िेककन कजि दे श र्ें
हजारोिं बाि-कवधवायें हैं, कजि दे श र्ें दो बरि की बच्ची की शादी हो जाती है , कजि दे श
र्ें बारह िाि की उम्र के िडके-िडककयोिं घर-ििंिार ििाते हैं , कजि दे श र्ें स्त्री एक िे
ज्यादा पकत करती है , कजि दे श र्ें कनयोग१ की प्रथा है, कजि दे श र्ें धर्म के नार् पर
कुर्ाररकाएाँ बेिवाएाँ { दे वदाकियािं } बनती हैं , कजि दे श र्ें धर्म के नार् पर पाडोिं और बकरोिं
की हत्या { कत्ल } होती है, वह दे श भी कहिंदुस्तान हीिं है। एिा होने पर भी आपने जो बताया
नहीिं कहता। वे दोष िभ्यता के बावजूद कायर् रहें हैं। उन्हें दू र करने के प्रयत्न हर्ेशा हुए
हैं, और होते हीिं रहेंगे। हर्र्ें जो नया जोश पैदा हुआ है, उिका उपयोग हर् इन दोषोिं को
दू र करने र्ें कर िकते हैं।
खुद बताते हैं। र्ैंने कहिंदुस्तान की िभ्यता का जो वणमन ककया, वह वणमन { बयान } नई
ककिी भी दे श र्ें ककिी भी िभ्यता के र्ातहत िभी िोग ििंपूणमता तक नहीिं पहुाँि
कहिंदुस्तान की िभ्यता िे , बच्चा जैिे र्ााँिे किपटा रहता है वैिे, किपट रहें।
________________________
१. एक पु राना ररवाज कजिके र्ु ताकबक कबना ििं तानवािी स्त्री पकत के रोगी, नपुिं िक या र्ृ त होने की हाित
र्ें अपने दे वर या पकत के ककिी और ििं बिंधी िे ििं तान पै दा करा िकती थी।
१४. हिांदुस्तान कैसे आजाद िो?
पाठक: िभ्यता के बारे र्ें आपके कविार र्ैं िर्झ गया। आपने जो कहा उि पर र्ुझे
ध्यान दे ना होगा। तुरन्त िब कुछ र्िंजूर कर किया जाय, एिा आप नहीिं र्ानते होिंगे; एिी
आशा भी नहीिं रखते होिंगे। आपके एिे कविारोिं के अनुिार आप कहिंदुस्तान के आजाद होने
सांपादक: र्ेरे कविार िब िोग तुरन्त र्ान िें , एिी आशा र्ैं नहीिं रखता। र्ेरा फजम इतना
हीिं है कक आपके जैिे जो िोग र्ेरे कविार जानना िाहते हैं , उनके िार्ने अपने कविार रख
दू ाँ । वे कविार उन्हें पििंद आयेंगे या नहीिं आयेंगे, यह तो िर्य बीतने पर हीिं र्ािूर् होगा।
रूप र्ें उन पर कविार ककया। अब हर् उन पर उनके स्वरूप र्ें कविार करें ।
कजि कारण िे रोगी बीर्ार हुआ हो वह कारण अगर दू र कर कदया जाय, तो रोगी
अच्छा हो जाएगा यह जग र्शहर बात है। इिी तरह कजि कारण िे कहिंदुस्तान गु िार् बना
पाठक: आपकी र्ान्यता के र्ुताकबक कहिंदुस्तान की िभ्यता अगर िबिे अच्छी है, तो कफर
वह गुिार् क्योिं बना?
सांपादक: िभ्यता तो र्ैंने कही वैिी हीिं है, िेककन दे खने र्ें आया है कक हर िभ्यता पर
कहिंदुस्तान के बािकोिं र्ें कोई न कोई कर्ी थी, इिीकिए वह िभ्यता आफतोिं िे कघर गई।
िेककन इि घेरे र्ें िे छूटने की ताक़त उिर्ें है , यह उिके गौरव { बडाई } को कदखाता
है।
और कफर िारा कहिंदुस्तान उिर्ें (गुिार्ी र्ें) कघरा हुआ नहीिं है। कजन्होिंने पकश्चर् की
कशक्षा पाई है और जो उिके पाश { फिंदे } र्ें फाँि गये हैं, वे हीिं गुिार्ी र्ें कघरे हुए हैं। हर्
जगत को अपनी दर्डी के नाप िे नापते हैं । अगर हर् गुिार् हैं , तो जगत को भी गुिार्
र्ान िेते हैं। हर् किंगाि दशा र्ें हैं , इिकिए र्ान िेते हैं कक िारा कहिंदुस्तान एिी दशा र्ें
है। दरअिि एिा कुछ नहीिं है। कफर भी हर्ारी गुिार्ी िारे दे श की गुिार्ी है , एिा
र्ानना ठीक है। िेककन ऊपर की बात हर् ध्यान र्ें रखें तो िर्झ िकेंगे कक हर्ारी अपनी
गुिार्ी कर्ट जाय, तो कहिंदुस्तान की गुिार्ी कर्ट गई एिा र्ान िेना िाकहए। इिर्ें अब
आपको स्वराज्य की व्याख्या { तशरीह } भी कर्ि जाती है। हर् अपने ऊपर राज करें वही
स्वराज्य नहीिं है। यह तो एिा स्वराज्य है कक आपने अगर इिका स्वाद िख किया हो, तो
दू िरोिं को इिका स्वाद िखाने के किए आप कजन्दगी भर कोकशश करें गे। िेककन र्ुख्य {
खाि या अहर्् } बात तो हर शख्ि के स्वराज्य भोगने की है। डूबता आदर्ी दू िरे को नहीिं
तारे गा, िेककन तैरता आदर्ी दू िरे को तारे गा। हर् खुद गुिार् होिंगे और दू िरोिं को आजाद
र्क़िद िार्ने रखने की जरूरत नहीिं है। अगर अिंग्रेज़ कहिंदुस्तानी बनकर रहें तो हर्
उनका िर्ावेश यहााँ कर िकते हैं। अिंग्रेज अगर अपनी िभ्यता के िाथ रहना िाहें, तो
उनके किए कहिंदुस्तान र्ें जगह नहीिं है। एिी हाित पैदा करना हर्ारे हाथ र्ें है।
सांपादक: हर्ारा एिा कहना यह कहने के बराबर है कक अिंग्रेज र्नुष्य नहीिं हैं। वे हर्ारे
जैिे बनें या न बनें, इिकी हर्ें परवाह नहीिं है। हर् अपना घर िाफ करें । कफर रहने िायक
िोग हीिं उिर्ें रहेंगे; दू िरे अपने -आप ििे जायेंगे। एिा अनुभव तो हर आदर्ी को हुआ
होगा।
पाठक: एिा होने की बात तवारीख { इकतहाि } र्ें तो हर्ने नहीिं पढी।
सांपादक: जो िीज तवारीख र्ें नहीिं दे खी वह कभी नहीिं होगी, एिा र्ानना र्नुष्य की
प्रकतिा र्ें अकवश्वाि करना है। जो बात हर्ारी अकि र्ें आ िके, उिे आक्तखर हर्ें
का बि अिाधारण है। इिकिए दू िरी तवारीखोिं िे हर्ारा कर् ििंबिंध है। र्ैंने आपको
बताया कक दू िरी िभ्यतायें कर्ट्टी र्ें कर्ि गयीिं, जब कक कहिंदुस्तानी िभ्यता को आाँ ि नहीिं
आयी है।
पाठक: र्ुझे ये िब बातें ठीक नहीिं िगतीिं। हर्ें िडकर अिंग्रेज़ोिं को कनकािना हीिं होगा,
इिर्ें कोई शक नहीिं। जब तक वे हर्ारे र्ुि र्ें हैं , तब तक हर्ें िैन नहीिं पड िक़ता।
'पराधीन िपनेहु िुख नाहीिं' एिा दे खने र्ें आता है। अिंग्रेज़ यहााँ हैं इिकिए हर् कर्ज़ोर
होते जा रहें हैं। हर्ारा तेज ििा गया है और हर्ारे िोग घबराये -िे दीखते हैं। अिंग्रेज हर्ारे
दे श के किए यर् (काि) जैिे हैं। उि यर् को हर्ें ककिी भी प्रयत्न िे भगाना होगा।
सांपादक: आप अपने आवेश { जोश } र्ें र्ेरा िारा कहना भूि गये हैं। अिंग्रेज़ोिं को यहााँ
िानेवािे हर् हैं और वे हर्ारी बदौित हीिं यहााँ रहते हैं। आप यह कैिे भूि जाते हैं कक
हर्ने उनकी िभ्यता अपनायी है , इिकिए वे यहााँ रह िक़ते हैं ? आप उनिे जो नफ़रत
करते हैं वह नफ़रत आपको उनकी िभ्यता िे करनी िाकहए। कफर भी र्ान िें कक हर्
सांपादक: आपने इटिी का उदाहरण { कर्िाि } ठीक कदया। र्ैकज़नी र्हात्मा था।
गैरीबाल्डी बडा योद्धा { िडवैया } था। दोनोिं पूजनीय थे। उनिे हर् बहुत िीख िक़ते हैं।
अरर्ान अिग थे। र्ैकज़नी जैिा िोिता था वैिा इटिी र्ें नहीिं हुआ। र्ैकज़नी ने र्नुष्य-
जाकत के कतमव्य के बारे र्ें किखते हुए यह बताया है कक हर एक को स्वराज्य भोगना िीख
िेना िाकहए। यह बात उिके किए िपने जैिी रही। गैरीबाल्डी और र्ैकज़नी के बीि र्तभेद
{ अिग राय } हो गया था, यह हर्ें याद रखना िाकहए। इिके किवा, गैरीबाल्डी ने हर
इटिी और आक्तटरया के बीि िभ्यता का भेद नहीिं था। वे तो ‘ििेरे भाई’ र्ाने
जायेंगे। 'जैिे को तैिा' वािी बात इटिी की थी। इटिी को परदे शी (आक्तटरया के) जूए िे
छु डाने का र्ोह गैरीबाल्डी को था। इिके किए उिने कावूर के र्ारफ़त जो िाकज़शें {
षड्यिंत्र } कीिं, वे उिकी शूरता को बट्टा िगानेवािी हैं।
और अन्त र्ें नतीजा क्ा कनकिा? इटिी र्ें इटाकियन राज करते हैं इिकिए इटिी
की प्रजा िुखी है, एिा आप र्ानते होिं तो र्ैं आपिे कहाँगा कक आप अिंधेरे र्ें भटकते हैं।
र्ैकज़नी ने िाफ िाफ बताया है कक इटिी आजाद नहीिं हुआ है। कवक्टर इर्ेन्युअि ने इटिी
का अथम था इटिी के िोग—उिके ककिान। इर्ेन्युअि वगैरा तो उनके (प्रजा के) नौकर
थे। र्ैकज़नी का इटिी अब भी गुिार् है। दो राजाओिं के बीि शतरिं ज की बाज़ी िगी थी;
इटिी की प्रजा तो किफम प्यादा थी और है। इटिी के र्जदू र अब भी दु ःखी हैं। इटिी के
र्जदू रोिं की दाद-फ़ररयाद नहीिं िुनी जाती, इिकिए वे िोग खून करते हैं, कवरोध करते हैं ,
किर फोडते हैं और वहााँ बिवा होने का डर आज भी बना हुआ है। आक्तटरया के जाने िे
इटिी को क्ा िाभ हुआ? नार् का हीिं िाभ हुआ। कजन िु धारोिं के किए जिंग र्िा वे िुधार
कहिंदुस्तान की एिी दशा करने का तो आपका इरादा नहीिं हीिं होगा। र्ैं र्ानता हाँ कक
र्ैं राजििा िे िूाँ। अगर एिा है तो हर्ें एक हीिं कविार करना िाकहए। वह यह कक प्रजा
आप कबूि करें गे कक कुछ दे शी ररयाितोिं र्ें प्रजा कुििी जाती है। वहााँ के शािक
नीिता िे िोगोिं को कुििते हैं। उनका जुल्म अिंग्रेज़ोिं के जुल्म िे भी ज्यादा है। एिा जुल्म
अगर आप कहिंदुस्तान र्ें िाहते होिं, तो हर्ारी पटरी कभी नहीिं बैठेगी।
कजि तरह प्रजा कुििी जाती है उिी तरह उिे कुििने कदया जाय। र्ुझर्ें बि होगा तो
स्वदे शाकभर्ान का अथम र्ैं दे श का कहत { भिा } िर्झता हाँ। अगर दे श का कहत
अिंग्रेज़ कहे कक दे श को आजाद करना िाकहए, जुल्म के क्तखिाफ होना िाकहए और िोगोिं
की िेवा करनी िाकहए, तो उि अिंग्रेज को र्ैं कहिंदुस्तानी र्ान कर उिका स्वागत करू
ाँ गा।
इि भगीरथ (बहुत बडे) कार् का तो, र्ािूर् होता है, आपने कविार हीिं नहीिं ककया है।
अिंग्रेज़ गोिा-बारूद िे पूरी तरह िैि हैं, इििे र्ुझे डर नहीिं िगता। िेककन एिा तो
करना होगा। अगर एिा हो िक़ता हो, तो इिर्ें ककतने िाि िगेंगे? और तर्ार्
एिा हुआ तो आज यूरोप के जो बेहाि है वैिे हीिं कहिंदुस्तान के भी होिंगे। थोडे र्ें, कहिंदुस्तान
को यूरोप की िभ्यता अपनानी होगी। एिा हीिं होनेवािा हो तो अच्छी बात यह होगी कक
जो अिंग्रेज उि िभ्यता र्ें कुशि हैं , उन्हीिं को हर् यहााँ रहनें दें । उनिे थोडा-बहुत झगड
कर कुछ हक हर् पायेंगे, कुछ नहीिं पायेंगे और अपने कदन गुजारें गे।
िेककन बात तो यह है कक कहिंदुस्तान की प्रजा कभी हकथयार नहीिं उठायेगी। न उठाये
पाठक: आप तो बहुत आगे बढ गये। िबके हकथयारबिंद होने की जरूरत नहीिं। हर् पहिे
तो कुछ अिंग्रेज़ोिं का खून करके आतिंक { दहशत, त्राि } फैिायेंगे। कफर तो थोडे िोग
हकथयारबिंद होिंगे, वे खुल्लर्खुल्ला िडें गे। उिर्ें पहिे तो वीि-पिीि िाख कहिंदुस्तानी
जरूर र्रें गे। िेककन आक्तखर हर् दे श को अिंग्रेज़ोिं िे जीत िेंगे। हर् गुरीिा (डाकुओिं जैिी)
िडाई िडकर अिंग्रेज़ोिं को हरा दें गे।
सांपादकः आपका खयाि कहिंदुस्तान की पकवत्र भूकर् को राक्षिी { शैतानी } बनाने का िगता
है। अिंग्रेज़ोिं का खून करके कहिंदुस्तान को छूडायेंगे, एिा कविार करते हुए आपको त्राि क्योिं
नहीिं होता? खून तो हर्ें अपना करना िाकहए; क्ोिंकक हर् नार्दम बन गये हैं, इिीकिए हर्
खून का कविार करते हैं। एिा करके आप ककिे आजाद करें गे ? कहिंदुस्तान की प्रजा एिा
कभी नहीिं िाहती। हर् जैिे िोग हीिं, कजन्होिंने अधर् िभ्यतारूपी भािंग पी है , नशे र्ें एिा
कविार करते हैं। खून करके जो िोग राज करें गे, वे प्रजा को िुखी नहीिं बना िकेंगे। धीिंगरा१
ने जो खून ककया है उििे या जो खून कहिंदुस्तान र्ें हुए हैं उनिे दे श को फायदा हुआ है ,
एिा अगर कोई र्ानता हो तो यह बडी भूि करता है। धीिंगरा को र्ैं दे शाकभर्ानी र्ानता
हाँ, िेककन उिका दे शप्रेर् पागिपन िे भरा था। उिने अपने शरीर का बकिदान गित
पाठक: िेककन आपको इतना तो कबूि करना हीिं होगा कक अिंग्रेज़ इि खून िे डर गये हैं ,
और िोडम र्ोिे ने जो कुछ हर्ें कदया है वह एिे डर िे हीिं कदया है।
सांपादक: अिंग्रेज़ जैिे डरपोक प्रजा हैं वैिे बहादु र भी हैं। गोिाबारूद का अिर उन पर
तुरन्त होता है , एिा र्ैं र्ानता हाँ। ििंभव है , िोडम र्ोिे ने हर्ें जो कुछ कदया वह डर िे कदया
हो। िेककन डर िे कर्िी हुई िीज जब तक डर बना रहता है तभी तक कटक िकतीिं है।
___________________
पाठक: डर िे कदया हुआ जब तक डर रहें तभी तक कटक िकता है, यह तो आपने कवकित्र
सांपादक: एिा नहीिं है। १८५७ की घोषणा बिवे के अिंत र्ें िोगोिं र्ें शाक्तन्त कायर् रखने
िोगोिं िे कार् किया जा िक़ता है और इिकिए हर् एिा करते आये हैं।
पाठक: आपकी यह बात आपके क्तखिाफ जाती है, एिा आपको नहीिं िगता? आपको
स्वीकार करना होगा कक अिंग्रेज़ोिं ने खुद जो कुछ हाकिि ककया है, वह र्ार-काट करके हीिं
हाकिि ककया है। आप कह िुके हैं कक (र्ार-काट िे) उन्होिंने जो कुछ हाकिि ककया है वह
बेकार है ; यह र्ुझे याद है। इििे र्ेरी दिीि को धक्का नहीिं पहुाँिता। उन्होिंने बेकार (िीज)
पाने का िोिा और उिे पाया। र्तिब यह कक उन्होिंने अपनी र्ुराद पूरी की। िाधन {
जररया } क्ा था, इिकी किन्ता हर् क्ोिं करें ? अगर हर्ारी र्ुराद अच्छी हो तो क्या उिे
हर् िाहे कजि िाधन िे , र्ार-काट करके भी, पूरा नहीिं करें गे ? िोर र्ेरे घर र्ें घुिे तब
का हीिं होगा।
क्योिं न िें? जरूरत हो उतनी र्ार का डर हर् हर्ेशा बनाये रखेंगे। बच्चा अगर आग र्ें
पैर रखे और उिे आग िे बिाने के किए हर् उि पर रोक िगाये , तो आप भी इिे दोष
नहीिं र्ानेंगे। ककिी भी तरह हर्ें अपना कार् पूरा कर िेना है।
सांपादक: आपने दिीि तो अच्छी की। वह एिी है कक बहुतोिं ने उििे धोखा खाया है। र्ैं
भी एिी हीिं दिीि करता था। िेककन अब र्ेरी आाँखें खुि गई हैं और र्ैं अपनी गिती
र्ार-काट करके पाया, इिकिए हर् भी वैिा हीिं करके र्निाही िीज पायें। अिंग्रेज़ोिं ने र्ार-
काट की और हर् भी कर िक़ते हैं , यह बात तो ठीक है। िेककन र्ार-काट िे जैिी िीज
उन्हें कर्िी वैिी हीिं हर् भी िे िक़ते हैं। आप कबूि करें गे कक वैिी िीज हर्ें नहीिं िाकहए।
है। यह बहुत बडी भूि है। इि भूि के कारण जो िोग धाकर्मक { दीनदार } कहिाते हैं ,
उन्होिंने घोर कर्म ककये हैं। यह तो धतूरे का पौधा िगाकर र्ोगरे के फूि की इच्छा करने
जैिा हुआ। र्ेरे किए िर्ुद्र पार करने का िाधन जहाज़ हीिं हो िक़ता है। अगर र्ैं पानी र्ें
बैिगाडी डाि दू ाँ तो वह गाडी और र्ैं दोनोिं िर्ुद्र के तिे पहुाँि जायेंगे। जैिे दे व वैिी
पूजा— यह वाक् { कफ़करा } बहुत िोिने िायक है। उिका गित अथम करके िोग भुिावे
र्ें पड गये हैं। िाधन बीज है और िाध्य—हाकिि करने की िीज—पेड है। इिकिए कजतना
ििंबिंध िीज और पेड के बीि है, उतना हीिं िाधन और िाध्य के बीि है। शैतान को भजकर
र्ैं ईश्वर-भजन का फि पाउ, यह कभी हो हीिं नहीिं िक़ता। इिकिए यह कहना कक हर्ें तो
ईश्वर को हीिं भजना है, िाधन भिे शैतान हो, कबिकुि अज्ञान की बात है। जैिी करनी
वैिी भरनी।
अिंग्रेज़ोिं ने र्ार-काट करके १८३३ र्ें वोट के (र्त के) कवशेष अकधकार पाये। क्या
र्ार-काट करके वे अपना फजम िर्झ िके? उनकी र्ुराद अकधकार पाने की थी, इिकिए
ककया, िेककन फजम िो गया। जहााँ िभी अकधकार की बात करें , वहााँ कौन ककिको दे ? वे
कोई भी फजम अदा नहीिं करते, एिा कहने का र्तिब यहााँ नहीिं है। िेककन जो अकधकार
वे र्ााँगते थे उन्हें हाकिि करके उन्होिंने वे फजम पूरे नहीिं ककये जो उन्हें करने िाकहए थे।
उन्होिंने योग्यता प्राप्त नहीिं की, इिकिए उनके अकधकार उनकी गरदन पर जूए की तरह
िवार हो बैठे हैं। इिकिए जो कुछ उन्होिंने पाया है, वह उनके िाधन का हीिं पररणार् {
नतीजा } है। जैिी िीज़ उन्हें िाकहए थी वैिे िाधन उन्होिंने कार् र्ें किये।
र्ुझे अगर आपिे आपकी घडी छीन िेनी हो, तो बेशक आपके िाथ र्ुझे र्ार-पीट
करनी होगी। िेककन अगर र्ुझे आपकी घडी खरीदनी हो, तो आपको दार् दे ने होिंगे। अगर
र्ुझे बक्तिश के तौर पर आपकी घडी िेनी होगी, तो र्ुझे आपिे कवनकत { आकजज़ी }
करनी होगी। घडी पानें के किए र्ैं जो िाधन कार् र्ें िूाँगा, उिके अनुिार वह िोरी का
र्ाि, र्ेरा र्ाि या बक्तिश की िीज़ होगी। तीन िाधनोिं के तीन अिग पररणार् आयेंगे।
अगर र्ेरे घर र्ें र्ेरा कपता िोरी करने आयेगा, तो र्ैं एक िाधन कार् र्ें िूाँगा।
अगर कोई र्ेरी पहिान का िोरी करने आयेगा, तो र्ैं वही िाधन कार् र्ें नहीिं िूाँगा। और
कोई अनजान आदर्ी आयेगा, तो र्ैं तीिरा िाधन कार् र्ें िूाँगा। अगर वह गोरा हो तो
एक िाधन और कहिंदुस्तानी हो तो दू िरा िाधन कार् र्ें िाना िाकहए, एिा भी शायद आप
कहेंगे। अगर कोई र्ुदामर िडका िोरी करने आया होगा, तो र्ैं कबिकुि दू िरा हीिं िाधन
कार् र्ें िूाँगा। अगर वह र्ेरी बराबरी का होगा, तो और हीिं कोई िाधन र्ैं कार् र्ें िूाँगा।
और अगर वह हकथयारबिंद तगडा आदर्ी होगा, तो र्ैं िुपिाप िो रहाँगा। इिर्ें कपता िे
िेकर ताकतवर आदर्ी तक अिग अिग िाधन इस्तेर्ाि ककये जायेंगे। कपता होगा तो
भी र्ुझे िगता है कक र्ैं िो रहाँगा और हकथयार िे िैि कोई होगा तो भी र्ैं िो रहाँगा। कपता
र्ें भी बि है, हकथयारबिंद आदर्ी र्ें भी बि है। दोनोिं बिोिं के बि होकर र्ैं अपनी िीज
को जाने दू ाँ गा। कपता का बि र्ुझे दया िे रूिायेगा। हकथयारबिंद आदर्ी का बि र्ेरे र्न
र्ें गुस्सा पैदा करे गा; हर् कट्टर दु श्मन हो जायेंगे। एिी र्ुक्तिि हाित है। इन कर्िािोिं िे
हर् दोनोिं िाधनोिं के कनणमय { फैििा } पर तो नहीिं पहुाँि िकेंगे। र्ुझे तो िब िोरोिं के बारे
र्ें क्ा करना िाकहए यह िूझता है। िेककन उि इिाज िे आप घबरा जायेंगे, इिकिए र्ैं
आपके िार्ने उिे नहीिं रखता। आप इिे िर्झ िें; और अगर नहीिं िर्झेंगे तो हर वक्त
आपको अिग िाधन कार् र्ें िेने होिंगे। िेककन आपने इतना तो दे खा कक िोर को
कनकािने के किए िाहे जो िाधन कार् नहीिं दे गा; और जैिा िाधन आपका होगा उिके
र्ुताकबक नतीजा आयेगा। आपका धर्म ककिी भी िाधन िे िोर को घर िे कनकािने का
जरा आगे बढें । वह हकथयारबिंद आदर्ी आपकी िीज़ िे गया है। आपने उिे याद
रखा है। आपके र्न र्ें उि पर गुस्सा भरा है। आप उि िुच्चे को अपने किए नहीिं, िेककन
िोगोिं के कल्याण के किए िजा दे ना िाहते हैं। आपने कुछ आदर्ी जर्ा ककये। उिके घर
पर आपने धावा बोिने का कनश्चय ककया। उिे र्ािूर् हुआ। वह भागा। उिने दू िरे िुटेरे
जर्ा ककये। वह भी खीजा हुआ है। अब तो उिने आपका घर कदन-दहाडे िूटने का ििंदेशा
आपको भेजा है। आप उिके र्ुकाबिे के किए तैयार बैठे हैं। इि बीि िुटेरा आपके
आिपाि के िोगोिं को हैरान करता है। वे आपिे कशकायत करते हैं। आप कहते हैं: “यह
िब र्ैं आप हीिं के किए तो करता हाँ। र्ेरा र्ाि गया उिकी तो कोई कबिात हीिं नहीिं” िोग
कहते हैं; “पहिे तो वह हर्ें िूटता नहीिं था। आपने जब िे उिके िाथ िडाई शुरू की है
तभी िे उिने यह कार् शुरू ककया है।” आप दु कवधा र्ें फाँि जाते हैं। गरीबोिं के ऊपर
आपको रहर् है। उनकी बात िही है। अब क्या ककया जाय? क्या िुटेरे को छोड कदया
जाय? इििे तो आपकी इज्जत ििी जायेगी। इज्जत िबको प्यारी होती है। आप गरीबोिं िे
कहते हैं : “कोई । कफ़क्र नहीिं। आइये, र्ेरा धन आपका हीिं है। र्ैं आपको हकथयार दे ता
हाँ। र्ैं आपको उनका उपयोग किखाऊाँगा। आप उि बदर्ाश को र्ाररये, छोकडये नहीिं.”
योिं िडाई बढी। िुटेरे बढे । िोगोिं ने खुद होकर र्ुिीबत र्ोि िी। िोर िे बदिा िेने का
पररणार् यह आया कक नीिंद बेिकर जागरण र्ोि किया। जहााँ शािंकत थी वहााँ अशािंकत पैदा
हुई। पहिे तो जब र्ौत आती तभी र्रते थे। अब तो िदा हीिं र्रने के कदन आये। िोग
कहम्मत हारकर पस्तकहम्मत { ना कहम्मत, कायर } बने। इिर्ें र्ैंने बढा िढाकर कुछ नहीिं
जैिा आदर्ी है। उिने ककि इरादे िे िोरी की, यह आपको क्या र्ािूर्? आपके किए
अच्छा रास्ता तो यही है कक जब र्ौका कर्िे तब आप उि आदर्ी के भीतर िे िोरी का
बीज हीिं कनकाि दें । एिा आप िोि रहें हैं, इतने र्ें वे भाई िाहब कफर िे िोरी करने आते
हैं। आप नाराज नहीिं होते। आपको उि पर दया आती है। आप िोिते हैं कक यह आदर्ी
रोगी है। आप क्तखडकी-दरवाजे खुिे कर दे ते हैं। आप अपनी िोने की जगह बदि दे ते हैं।
आप अपनी िीजें झट िे जाई जा िकें इि तरह रख दे ते हैं। िोर आता है। वह घबराता
है। यह िब उिे नया हीिं र्ािूर् होता है। र्ाि तो वह िे जाता है, िेककन उिका र्न
िक्कर र्ें पड जाता है। वह गााँव र्ें जााँि-पडताि करता है। आपकी दया के बारे र्ें उिको
र्ािूर् होता है। वह पछताता है और आपिे र्ाफी र्ााँगता है। आपकी िीजें वापि िे आता
है। वह िोरी का धिंधा छोड दे ता है। आपका िेवक बन जाता है । आप उिे कार्धिंधे िे
आप दे खते हैं कक अिग अिग िाधनोिं के अिग अिग नतीजे आते हैं। िब िोर
एिा हीिं बरताव करें गे या िबर्ें आपका-िा दयाभाव होगा, एिा र्ैं इििे िाकबत नहीिं
करना िाहता। िेककन यही कदखाना िाहता हाँ कक अच्छे नतीजे िाने के किए अच्छे हीिं
िाधन िाकहए। और अगर िब नहीिं तो ज्यादातर र्ार्िोिं र्ें हकथयार-बि िे दयाबि ज्यादा
ताकतवर िाकबत होता है। हकथयार र्ें हाकन { नुकिान } है, दया र्ें कभी नहीिं।
अब अरजी की बात िें। कजिके पीछे बि नहीिं है वह अरजी कनकम्मी है, इिर्ें कोई
िाधन है। उििे िोगोिं को अपनी क्तस्थकत { हाित } का भान कराया जा िक़ता है और
राजकताम { हाककर् } को िेतावनी दी जा िकतीिं है। योिं िोिें तो अरजी कनकम्मी िीज है।
बराबरी का आदर्ी अरजी करे गा तो वह उिकी नम्रता की कनशानी र्ानी जाएगी। गुिार्
अरजी के पीछे दो तरह के बि होते हैं: “अगर आप नहीिं दें गे तो हर् आपको
र्ारें गे।” यह गोिा-बारूद का बि है। इिका बुरा नतीजा हर् दे ख िुके। दू िरा बि यह
है: “अगर आप नहीिं दें गे तो हर् आपके अरजदार नहीिं रहेंगे। हर् अरजदार होिंगे तो आप
बादशाह बने रहेंगे। हर् आपके िाथ कोई व्यवहार नहीिं रखेंगे।” इि बि को िाहे दयाबि
बि का उपयोग करनेवािा अपनी हाित को बराबर िर्झता है। इिका िर्ावेश हर्ारे
बुजुगों ने 'एक ना ही िब रोगोिं की दवा' र्ें ककया है। यह बि कजिर्ें है उिका हकथयार-
बि कुछ नहीिं कबगाड िक़ता।
बच्चा अगर आग र्ें पैर रखे, तो उिको दबाने की कर्िाि की छानबीन करने र्ें तो
आप हार जायेंगे। बच्चे के िाथ आप क्ा करें गे? र्ान िीकजये कक बच्चा एिा जोर करे कक
आपको र्ारकर वह आग र्ें जा पडे । तब तो आग र्ें पडे कबना वह रहेगा हीिं नहीिं। इिका
उपाय आपके पाि यह है: या तो आग र्ें पडने िे रोकने के किए आप उिके प्राण िे िें,
या उिका आग र्ें पडना आपिे दे खा नहीिं जाता इिकिए आप स्वयिं आग र्ें पडकर अपनी
जान दे दें । आप बच्चे के प्राण तो नहीिं हीिं िेंगे। आपर्ें अगर ििंपूणम दयाभाव न हो, तो
र्ुर्ककन है कक आप अपने प्राण नहीिं दें गे। तो कफर िािारी िे आप बच्चे को आग र्ें कूदने
दें गे। इि तरह आप बच्चे पर हकथयार-बि का उपयोग नहीिं करते हैं। बच्चे को आप और
ककिी तरह रोक िकें तो रोकेंगे ; और वह बि कर् दजम का िेककन हकथयार-बि हीिं होगा
एिा भी आप न िर्झ िें। वह बि और हीिं प्रकार { तरह } का है। उिी को िर्झ िेना
है।
बच्चे को रोकने र्ें आप किफम बच्चे का स्वाथम दे खते हैं। कजिके ऊपर आप अिंकुश
रखना िाहते हैं, उि पर उिके स्वाथम के किए हीिं अिंकुश रखेंगे। यह कर्िाि अिंग्रेज़ोिं पर
जरा भी िागू नहीिं होती। आप अिंग्रेज़ोिं पर जो हकथयार-बि का उपयोग करना िाहते हैं ,
उिर्ें आप अपना हीिं यानी प्रजा का स्वाथम दे खते हैं। उिर्ें दया जरा भी नहीिं है। अगर
आप योिं कहें कक अिंग्रेज़ जो अधर्—नीि कार् करते हैं वह आग है, वे आग र्ें अज्ञान के
कारण जाते हैं और आप दया िे अज्ञानी को यानी बच्चे को उििे बिाना िाहते हैं , तो इि
प्रयोग को आजर्ाने के किए आपको जहााँ -जहााँ जो भी आदर्ी नीि कार् करता होगा वहााँ
वहााँ पहुाँिना होगा और िार्नेवािे के—बच्चे के—प्राण िेने के बजाय अपने प्राणोिं की
आहुकत दे नी पडे गी। इतना पुरूषाथम { बडा कार् } आप करना िाहें तो कर िक़ते हैं, आप
पाठक: आप कजि ित्याग्रह या आत्मबि की बात करते हैं, उिका इकतहाि र्ें कोई प्रर्ाण
{ िबूत } है ? आज तक दु कनया का एक भी राष्टर इि बि िे ऊपर िढा हो, एिा दे खने र्ें
नहीिं आता। र्ार-काट के कबना बुरे िोग िीधे रहेंगे हीिं नहीिं, एिा कवश्वाि अभी भी र्ेरे र्न
र्ुझे तो यह वाक् शास्त्र-विन जैिा िगता है। जैिे दो और दो िार हीिं होते हैं, उतना हीिं
प्रर्ाण पग पग पर कदखाई दे ते हैं। अगर यह बि नहीिं होता, तो पृथ्वी रिाति (िात पातािोिं
िेककन आप तो इकतहाि का प्रर्ाण िाहते हैं। इिके किए हर्ें इकतहाि का अथम
जानना होगा।
‘इकतहाि’ का शब्दाथम है: 'एिा हो गया।' एिा अथम करें तो आपको ित्याग्रह के कई
प्रर्ाण कदये जा िकेंगे। 'इकतहाि' कजि अिंग्रेज़ी शब्द का तरजुर्ा है और कजि शब्द का
अथम बादशाहोिं या राजाओिं की तवारीख होता है , उिका अथम िेने िे ित्याग्रह का प्रर्ाण
नहीिं कर्ि िक़ता। जस्ते की खान र्ें आप अगर िााँदी ढू ाँ ढने जायें , तो वह कैिे कर्िेगी?
'कहटरी' र्ें दु कनया के कोिाहि की हीिं कहानी कर्िेगी। इिकिए गोरे िोगोिं र्ें कहावत है
कक कजि राष्टर की 'कहटरी' (कोिाहि) नहीिं है वह राष्टर िुखी है। राजा िोग कैिे खेिते थे ,
कैिे खून करते थे , कैिे बैर रखते थे , यह िब 'कहटरी' र्ें कर्िता है। अगर यही इकतहाि
होता, अगर इतना हीिं हुआ होता, तब तो यह दु कनया कब की डूब गई होती। अगर दु कनया
की कथा िडाई िे शुरू हुई होती, तो आज एक भी आदर्ी कजिंदा नहीिं रहता। जो प्रजा
िडाई का हीिं भोग (कशकार) बन गई, उिकी एिी हीिं दशा हुई है। आटर े किया के हब्शी
िोगोिं का नार्ोकनशान कर्ट गया है। आटर े किया के गोरोिं ने उनर्ें िे शायद हीिं ककिी को
जीने कदया है। कजनकी जड हीिं खतर् हो गई, वे िोग ित्याग्रही नहीिं थे। जो कजिंदा रहेंगे वे
दे खेंगे कक आटर े किया के गोरे िोगोिं के भी यही हाि होिंगे। ‘जो तिवार ििाते हैं उनकी
र्ौत तिवार िे हीिं होती है।' हर्ारे यहााँ एिी कहावत है कक ‘तैराक की र्ौत पानी र्ें'।
दु कनया र्ें इतने िोग आज भी कजिंदा हैं, यह बताता है कक दु कनया का आधार हकथयार-
बि पर नहीिं है, परन्तु ित्य, दया या आत्मबि पर है। इिका िबिे बडा प्रर्ाण तो यही है
कक दु कनया िडाई के हिंगार्ोिं के बावजूद कटकी हुई है। इिकिए िडाई के बि के बजाय
दू िरा हीिं बि उिका आधार है।
हजारोिं बक्ति िाखोिं िोग प्रेर् के बि रहकर अपना जीवन बिर करते हैं। करोडोिं
कुटु म्बोिं का क्लेश { दु ःख } प्रेर् की भावना र्ें िर्ा जाता है, डूब जाता है। िैकडोिं राष्टर
र्ेिजोि िे रहें हैं, इिको 'कहटरी' नोट नहीिं करती; 'कहटरी' कर भी नहीिं िकतीिं। जब
इि दया की, प्रेर् की और ित्य की धारा रुकती है, टू टती है , तभी इकतहाि र्ें वह किखा
जाता है। एक कुटु म्ब के दो भाई िडे । इिर्ें एक ने दू िरे के क्तखिाफ ित्याग्रह का बि
कार् र्ें किया। दोनोिं कफर िे कर्ि-जुिकर रहने िगे। इिका नोट कौन िेता है ? अगर
दोनोिं भाईयोिं र्ें वकीिोिं की र्दद िे या दू िरे कारणोिं िे वैरभाव बढता और वे हकथयारोिं
उनके नार् अखबारोिं र्ें छपते, अडोि-पडोि के िोग जानते और शायद इकतहाि र्ें भी
किखे जाते। जो बात कुटु म्बोिं, जर्ातोिं और इकतहाि के बारे र्ें िि है, वही राष्टरोिं के बारे र्ें
भी िर्झ िेना िाकहए। कुटु म्ब के किए एक कानून और राष्टर के किए दू िरा, एिा र्ानने
का कोई कारण नहीिं है। 'कहटरी' अस्वाभाकवक { गैर-कुदरती } बातोिं को दजम करती है।
ित्याग्रह स्वाभाकवक है, इिकिए उिे दजम करने की जरूरत हीिं नहीिं है।
पाठक: आपके कहे र्ुताकबक तो यही िर्झ र्ें आता है कक ित्याग्रह की कर्िािें इकतहाि
र्ें नहीिं किखी जा िकतीिं। इि ित्याग्रह को ज्यादा िर्झने की जरूरत है। आप जो कुछ
कहना िाहते हैं , उिे ज्यादा िाफ शब्दो र्ें कहेंगे तो अच्छा होगा।
सांपादक: ित्याग्रह या आत्मबि को अिंग्रेज़ी र्ें 'पैकिव रे कज़टे न्स’ कहा जाता है। कजन िोगोिं
ने अपने अकधकार पाने के किए खुद दु ःख िहन ककया था, उनके दु ःख िहने के ढिं ग के
किए यह शब्द बरता गया है। उिका ध्येय { र्क़िद } िडाई के ध्येय िे उिटा है। जब
कर्िाि के तौर पर, र्ुझे िागू होनेवािा कोई कानून िरकार ने पाि ककया। वह
कानून र्ुझे पिन्द नहीिं है। अब अगर र्ैं िरकार पर हर्िा करके यह कानून रद करवाता
हाँ, तो कहा जाएगा कक र्ैंने शरीर-बि का उपयोग ककया। अगर र्ैं उि कानून को र्िंजूर
हीिं न करू
ाँ और उि कारण िे होनेवािी िजा भुगत िूाँ, तो कहा जाएगा कक र्ैंने आत्मबि
या ित्याग्रह िे कार् किया। ित्याग्रह र्ें र्ैं अपना हीिं बकिदान दे ता हाँ।
ज्यादा अच्छा है। इिके किवा, ित्याग्रह िे िडते हुए अगर िडाई गित ठहरी, तो किफम
िडाई छे डनेवािा हीिं दु ःख भोगता है। यानी अपनी भूि की िजा वह खुद भोगता है। एिी
कई घटनायें हुई हैं कजनर्ें िोग गिती िे शाकर्ि हुए थे। कोई भी आदर्ी दावे िे यह नहीिं
कह िक़ता कक फिािं कार् खराब हीिं है। िेककन कजिे वह खराब िगा, उिके किए तो वह
खराब हीिं है। अगर एिा हीिं है तो कफर उिे वह कार् नहीिं करना िाकहए और उिके किए
पाठक: तब तो आप कानून के क्तखिाफ होते हैं! यह बेवफाई कही जाएगी। हर्ारी कगनती
हर्ेशा कानून को र्ाननेवािी प्रजा र्ें होती है। आप तो ‘एक्स्ट्रीकर्ट' िे भी आगे बढते
दीखते हैं। 'एक्स्ट्रीकर्ट’ कहता है कक जो कानू न बन िुके हैं उन्हें तो र्ानना हीिं िाकहए;
र्ुझे। हर् तो जो अच्छा है उिे खोजना िाहते हैं और उिके र्ुताकबक बरतना िाहते हैं।
हर् कानून को र्ाननेवािी प्रजा हैं, इिका िही अथम तो यह है कक हर् ित्याग्रही
प्रजा हैं। कानून जब पिन्द न आयें तब हर् कानून बनानेवािोिं का किर नहीिं तोडते , बक्ति
उन्हें रद कराने के किए खुद उपवाि करते हैं खुद दु ःख उठाते हैं।
हर्ें अच्छे या बुरे कानून को र्ानना िाकहए, एिा अथम तो आजकि का है। पहिे
एिा नहीिं था। तब िाहे कजि कानून को िोग तोडते थे और उिकी िजा भोगते थे।
िरकार तो कहेगी कक हर् उिके िार्ने निंगे होकर नािें। तो क्ा हर् नािेंगे? अगर
र्ैं ित्याग्रही होऊाँ तो िरकार िे कहाँगा: “यह कानून आप अपने घर र्ें रक्तखये। र्ैं न तो
आपके िार्ने निंगा होनेवािा हाँ और न नािनेवािा हाँ। ” िेककन हर् एिे अित्याग्रही हो
गये हैं कक िरकार के जुल्म के िार्ने झुक कर निंगे होकर नािने िे भी ज्यादा नीि कार्
करते हैं।
कजि आदर्ी र्ें िच्ची इन्साकनयत है, जो खुदा िे हीिं डरता है , वह और ककिी िे
नहीिं डरे गा। दू िरे के बनाये हुए कानून उिके किए बिंधनकारक नहीिं होते । बेिारी िरकार
भी नहीिं कहती कक ‘तुम्हें एिा करना हीिं पडे गा।' वह कहती है कक 'तुर् एिा नहीिं करोगे
तो तुम्हें िजा होगी।' हर् अपनी अधर् दशा के कारण र्ान िेते हैं कक हर्ें 'एिा हीिं करना
अगर िोग एक बार िीख िें कक जो कानून हर्ें अन्यायी { गैर-इन्साफ़वािा } र्ािूर्
हो उिे र्ानना नार्दम गी है , तो हर्ें ककिी का भी जुल्म बााँध नहीिं िक़ता। यही स्वराज्य की
कुिंजी है।
ज्यादा िोग जो कहें उिे थोडे िोगोिं को र्ान िेना िाकहए, यह तो अनीश्वरी { िा-
खुदाई } बात है, एक वहर् है। एिी हजारोिं कर्िािें कर्िेंगी, कजनर्ें बहुतोिं ने जो कहा वह
गित कनकिा हो और थोडे िोगोिं ने जो कहा वह िही कनकिा हो। िारे िुधार बहुत िे
िोगोिं के क्तखिाफ जाकर कुछ िोगोिं ने हीिं दाक्तखि करवाये हैं। ठगोिं के गााँव र्ें अगर बहुत
िे िोग यह कहें कक ठगकवद्या िीखनी हीिं िाकहए, तो क्ा कोई िाधु ठग बन जाएगा?
हरकगज नहीिं। अन्यायी कानू न को र्ानना िाकहए, यह वहर् जब तक दू र नहीिं होता तब
िक़ता है।
कानून के क्तखिाफ है। इिका अथम तो यह हुआ कक हर्ें जो पििंद है वह दू िरे आदर्ी िे
हर् (जबरन) करवाना िाहते हैं। अगर यह िही हो तो कफर वह िार्नेवािा आदर्ी भी
अपनी पििंद का कार् हर्िे करवाने के किए हर् पर गोिा-बारूद ििाने का हकदार है।
इि तरह तो हर् कभी एकराय पर पहुाँिेंगे हीिं नहीिं। कोल्स्ह के बैि की तरह आाँ खोिं पर पट्टी
बााँधकर भिे हीिं हर् र्ान िें कक हर् आगे बढते हैं। िेककन दरअिि तो बैि की तरह हर्
गोि गोि िक्कर हीिं काटते रहते हैं। जो िोग एिा र्ानते हैं कक जो कानून खुद को
नापिन्द है उिे र्ानने के किए आदर्ी बाँधा हुआ नहीिं है, उन्हें तो ित्याग्रह को हीिं िही
िाधन { जररया } र्ानना िाकहए; वरना बडा कवकट { खतरनाक } नतीजा आयेगा।
किए काफी कार् का है। िेककन जब वे बिवान बन जायें तब तो उन्हें तोप (हकथयार) हीिं
ििाना िाकहए।
है। वह जब तोपबि िे ज्यादा कार् करता है, तो कफर कर्ज़ोरोिं का हकथयार कैिे र्ाना
कानून को तोड िकेगा? ‘एक्स्ट्रीकर्ट' तोपबि – पशुबि के कहर्ायती हैं। वे क्योिं कानून
को र्ानने की बात कर रहें हैं ? र्ैं उनका दोष नहीिं कनकािता। वे दू िरी कोई बात कर हीिं
नहीिं िक़ते। वे खुद जब अिंग्रेज़ोिं को र्ारकर राज्य करें गे तब आपिे और हर्िे (जबरन)
कानून र्नवाना िाहेंगे। उनके तरीके के किए यही कहना ठीक है। िेककन ित्याग्रही तो
कहेगा कक जो कानून उिे पिन्द नहीिं हैं उन्हें वह स्वीकार नहीिं करे गा, कफर िाहे उिे तोप
आप क्या र्ानते हैं? तोप ििाकर िैकडोिं को र्ारने र्ें कहम्मत की जरूरत है या
हाँिते -हाँिते तोप के र्ुाँह पर बाँध कर धक्तज्जयााँ उडने दे ने र्ें कहम्मत की जरूरत है ? खुद
िक़ता।
हो िक़ता है ; औरत भी हो िकतीिं है। उिे अपना ििर तैयार करने की जरूरत नहीिं
रहती। उिे पहिवानोिं की कुश्ती िीखने की जरूरत नहीिं रहती। उिने अपने र्न को
काबू र्ें ककया कक कफर वह वनराज— कििंह की तरह गजमना कर िक़ता है ; और जो उिके
ित्याग्रह एिी तिवार है, कजिके दोनोिं ओर धार है। उिे िाहे जैिे कार् र्ें किया
जा िक़ता है। जो उिे ििाता है और कजि पर वह ििाई जाती है, वे दोनोिं िुखी होते हैं।
वह खून नहीिं कनकािती, िेककन उििे भी बडा पररणार् िा िकतीिं है। उिको जिंग नहीिं
िग िकतीिं। उिे कोई (िु राकर) िे नहीिं जा िक़ता। अगर ित्याग्रही दू िरे ित्याग्रही के
िाथ होड र्ें उतरता है , तो उिर्ें उिे थकान िगती हीिं नहीिं। ित्याग्रही की तिवार को
म्यान की जरूरत नहीिं रहती। उिे कोई छीन नहीिं िक़ता। कफर भी ित्याग्रह को आप
कर्ज़ोरोिं का हकथयार र्ाने तब तो उिे अाँधेर हीिं कहा जाएगा।
पाठक: आपने कहा कक वह कहिंदुस्तान का खाि हकथयार है। तो कया कहिंदुस्तान र्ें तोप के
राजा तो हकथयार कार् र्ें िायेंगे हीिं। उनका वह ररवाज हीिं हो गया है। उन्हें हुक्म
ििाना है। िेककन हुक्म र्ाननेवािे को तोपबि की जरूरत नहीिं है। दु कनया के ज्यादातर
िोग हुक्म र्ाननेवािे हैं। उन्हें या तो तोपबि या ित्याग्रह का बि किखाना िाकहए। जहााँ
वे तोपबि िीखते हैं वहााँ राजा-प्रजा दोनोिं पागि जैिे हो जाते हैं। जहााँ हुक्म र्ाननेवािोिं
ने ित्याग्रह करना िीखा है वहााँ राजा का जुल्म उिकी तीन गज की तिवार िे आगे नहीिं
िोनेवािी र्हान प्रजा हैं। उन्होिंने र्ौत का डर छोड कदया है, इिकिए िबका डर छोड
कदया है। यहााँ र्ैं कुछ बढा-िढाकर तिवीर खीिंिता हाँ, यह ठीक है। िेककन हर् जो तिवार
के बि िे िककत { दिं ग } हो गये हैं, उनके किए यह कुछ ज्यादा नहीिं है।
को कार् र्ें किया है । जब राजा जुल्म करता है तब प्रजा रूठती है। यह ित्याग्रह हीिं है।
र्ुझे याद है कक एक ररयाित र्ें रै यत को अर्ुक हुक्म पिन्द नहीिं आया, इिकिए
िे र्ाफी र्ााँगी और हुक्म वापि िे किया। एिी कर्िािें तो बहुत कर्ि िकतीिं हैं। िेककन
वे ज्यादातर भारत-भूकर् की हीिं उपज होिंगी। एिी रै यत जहााँ है वहीिं स्वराज्य है। इिके
सांपादक: एिा र्ैं कभी नहीिं कहाँगा। शरीर को किे कबना ित्याग्रही होना र्ुक्तिि है।
अकिर कजन शरीरोिं को गित िाड िडा कर या िहिाकर कर्ज़ोर बना कदया गया है,
उनर्ें रहनेवािा र्न भी कर्ज़ोर होता है। और जहााँ र्न का बि नहीिं है वहााँ आत्मबि
तोप के र्ुाँ ह पर खडा हो जाने के किए कहाँ, तो िोग र्ेरी हाँिी उडायेंगे।
पाठक: आपके कहने िे तो एिा िगता है कक ित्याग्रही होना र्ार्ूिी बात नहीिं है , और
अगर एिा है तो कोई आदर्ी ित्याग्रही कैिे बन िक़ता है, यह आपको िर्झाना होगा।
सांपादक: ित्याग्रही होना आिान है। िेककन कजतना वह आिान है उतना हीिं र्ुक्तिि भी
है। िौदह बरि का एक िडका ित्याग्रही हुआ है, यह र्ेरे अनुभव की बात है। रोगी
अनुभव िे र्ैं दे खता हाँ कक जो दे श के भिे के किए ित्याग्रही होना िाहता है, उिे
िह्मियम का पािन करना िाकहए, गरीबी अपनानी िाकहए, ित्य का पािन तो करना हीिं
िह्मियम एक र्हान व्रत है, कजिके कबना र्न र्जबूत नहीिं होता। िह्मियम का पािन
न करने िे र्नुष्य वीयमवान नहीिं रहता, नार्दम और कर्ज़ोर हो जाता है। कजिका र्न कवषय
{ नफ़िानी ख्वाकहश } र्ें भटकता है, वह क्या शेर र्ारे गा? यह बात अनकगनत कर्िािोिं िे
िोहबत की) वह कवषय-भोग नहीिं है, एिा कोई नहीिं कहेगा। ििंतान पैदा करने के किए हीिं
अपनी स्त्री का ििंग करने की बात कही गयी है। और ित्याग्रही को ििं तान पैदा करने की
इच्छा नहीिं होनी िाकहए। इिकिए ििंिारी होने पर भी वह िह्मियम का पािन कर िक़ता
है। यह बात ज्यादा खोिकर किखने की जरूरत नहीिं। स्त्री का क्ा कविार है? यह िब
कैिे हो िक़ता है ? एिे कविार र्न र्ें पैदा होते हैं। कफर भी कजिे र्हान कायों र्ें कहस्सा
िेना है , उिे तो एिे िवािोिं का हि ढू ाँ ढना हीिं होगा।
जैिे िह्मियम की जरूरत है वैिे हीिं गरीबी को अपनाने की भी जरूरत है। पैिे का
िोभ और ित्याग्रह का िेवनपािन (दोनोिं िाथ िाथ) कभी नहीिं िि िक़ते। िेककन र्ेरा
र्तिब यह नहीिं है कक कजिके पाि पैिा है वह उिे फेंक दे । कफर भी पैिे के बारे र्ें
िापरवाह रहने की जरूरत है। ित्याग्रह का िेवन करते हुए अगर पैिा ििा जाय, तो
जो ित्य का िेवन नहीिं करता, वह ित्य का बि, ित्य की ताक़त कैिे कदखा
िकेगा? इिकिए ित्य की तो पूरी-पूरी जरूरत रहेगी हीिं। बडे िे बडा नुकिान होने पर
भी ित्य को नहीिं छोडा जा िक़ता। ित्य के किए कुछ कछपाने को होता हीिं नहीिं। इिकिए
ित्याग्रही के किए कछपी िेना की जरूरत नहीिं होती। जान बिाने के किए झूठ बोिना
िाकहए या नहीिं, एिा िवाि यहााँ र्न र्ें नहीिं उठाना िाकहए। कजिे झूठ का बिाव करना
है, वही एिे बेकार िवाि उठाता है। कजिे ित्य की हीिं राह िे नी है, उिके िार्ने एिे धर्म -
ििंकट { दु कबधा } कभी आते हीिं नहीिं। एिी र्ुक्तिि हाित र्ें आ पडे तो भी ित्यवादी
उिर्ें िे उबर जाता है।
ििंपूणम और िब बातोिं के किए होना िाकहए। जर्ीन-जायदाद का, झूठी इज्जज़त का, िगे-
ििंबिंकधयोिं का, राज-दरबार का, शरीर को पहुाँिनेवािी िोटोिं का और र्रण का अभय हो,
तभी ित्याग्रह का पािन हो िक़ता है। यह िब करना र्ुक्तिि है , एिा र्ानकर इिे छोड
इिके किवा, हर् यह भी िर्झ िक़ते हैं कक कजिे हकथयार-बि पाना होगा, उिे भी
इन बातोिं की जरूरत रहेगी। रणवीर होना कोई एिी बात नहीिं कक ककिी ने इच्छा की और
तुरन्त रणवीर हो गया। योद्धा (िडवैया) को िह्मियम का पािन करना होगा, कभखारी बनना
होगा। रण र्ें कजिके भीतर अभय न हो वह िड नहीिं िक़ता। उिे (योद्धा को) ित्यव्रत
का पािन करने की उतनी जरूरत नहीिं है, एिा शायद ककिी को िगे। िेककन जहााँ अभय
है वहााँ ित्य कुदरती तौर पर रहता हीिं है। र्नुष्य जब ित्य को छोडता है तब ककिी तरह
इिकिए इन िार गुणोिं { किफ़तोिं } िे डर जाने का कोई कारण नहीिं है। कफर,
तिवारबाज़ को और भी कुछ बेकार कोकशशें करनी पडती हैं , जो ित्याग्रही को नहीिं करनी
पडतीिं। तिवारबाज़ को जो दू िरी कोकशशें करनी पडती हैं , उिका कारण भय है। अगर
उिर्ें पूरी कनडरता आ जाय, तो उिी पि उिके हाथ िे तिवार कगर जाएगी। कफर उिे
तिवार के िहारे की जरूरत नहीिं रहती। कजिकी ककिी िे दु श्मनी नहीिं है , उिे तिवार
की जरूरत हीिं नहीिं है। कििं ह के िार्ने आनेवािे एक आदर्ी के हाथ की िाठी अपने -
आप उठ गई। उिने दे खा कक अभय का पाठ उिने किफम ज़बानी हीिं ककया था। उिने
__________________
पाठक: आपने इतना िारा कहा, परन्तु उिर्ें कहीिं भी कशक्षा –तािीर् की जरूरत तो
बताई हीिं नहीिं। हर् कशक्षा की कर्ी की हर्ेशा कशकायत करते रहते हैं। िाकज़र्ी तािीर्
दे ने का आन्दोिन हर् िारे दे श र्ें दे खते हैं। र्हाराजा गायकवाड ने (अपने राज्य र्ें)
िाकज़र्ी कशक्षा शुरू की है। उिकी ओर िबका ध्यान गया है। हर् उन्हें धन्यवाद दे ते हैं।
सांपादक: अगर हर् अपनी िभ्यता { तहजीब } को िबिे अच्छी र्ानते हैं, तब तो र्ुझे
अफिोि के िाथ कहना पडे गा कक वह कोकशश ज्यादातर बेकार हीिं है। र्हाराजा िाहब
और हर्ारे दू िरे धुरन्धर { बहुत बडे } नेता िबको तािीर् दे ने की जो कोकशश कर रहें हैं,
उिर्ें उनका हेतु कनर्मि है। इिकिए उन्हें धन्यवाद हीिं दे ना िाकहए। िेककन उनके हेतु का
कशक्षा: तािीर् का अथम क्ा है? अगर उिका अथम किफम अक्षरज्ञान हीिं हो, तो वह
तो एक िाधन जैिी हीिं हुईिं। उिका अच्छा उपयोग भी हो िक़ता है और बुरा उपयोग भी
हो िक़ता है। एक शस्त्र { औज़ार } िे िीर-फाड करके बीर्ार को अच्छा ककया जा िक़ता
है और वही शस्त्र ककिी की जान िेने के किए भी कार् र्ें िाया जा िक़ता है। अक्षर-ज्ञान
का भी एिा हीिं है। बहुत िे िोग उिका बुरा उपयोग करते हैं , यह तो हर् दे खते हीिं हैं।
उिका अच्छा उपयोग प्रर्ाण { र्ुकाबिे } र्ें कर् हीिं िोग करते हैं। यह बात अगर ठीक
हुआ है।
कशक्षा का िाधारण अथम अक्षर-ज्ञान हीिं होता है। िोगोिं को किखना, पढना और
कहिाब करना किखाना बुकनयादी या प्राथकर्क – प्रायर्री – कशक्षा कहिाती है। एक ककिान
ईर्ानदारी िे खुद खेती करके रोटी कर्ाता है। उिे र्ार्ूिी तौर पर दु कनयावी ज्ञान है।
अपने र्ााँ -बाप के िाथ कैिे बरतना, अपनी स्त्री के िाथ कैिे बरतना, बच्चोिं िे कैिे पेश
आना, कजि दे हात र्ें वह बिा हुआ है वहााँ उिकी िािढाि कैिी होनी िाकहए, इि िबका
उिे काफी ज्ञान है। वह नीकत के कनयर् िर्झता है और उनका पािन करता है। िेककन
वह अपने दस्तखत करना नहीिं जानता। इि आदर्ी को आप अक्षर-ज्ञान दे कर क्ा करना
िाहते हैं ? उिके िुख र्ें आप कौन िी बढती करें गे ? क्ा उिकी झोिंपडी या उिकी हाित
के बारे र्ें आप उिके र्न र्ें अििंतोष पैदा करना िाहते हैं ? एिा करना हो तो भी उिे
अक्षर-ज्ञान दे ने की जरूरत नहीिं है। पकश्चर् के अिर के नीिे आकर हर्ने यह बात ििायी
है कक िोगोिं को कशक्षा दे नी िाकहए। िेककन उिके बारे र्ें हर् आगे-पीछे की बात िोिते
हीिं नहीिं।
र्ैंने हाकिि ककया, भूगभम-कवद्या को भी र्ैं पी गया। िेककन उििे क्ा? उििे र्ैंने अपना
कौन िा भिा ककया? अपने आिपाि के िोगोिं का क्ा भिा ककया? ककि र्किद िे र्ैंने
वह ज्ञान हाकिि ककया? उििे र्ुझे क्ा फायदा हुआ? एक अिंग्रेज़ कवद्वान (हक्सिी) ने
कशक्षा के बारे र्ें योिं कहा है: “उि आदर्ी ने िच्ची कशक्षा पाई है , कजिके शरीर को एिी
आदत डािी गई है कक वह उिके बि र्ें रहता है, कजिका शरीर िैन िे और आिानी िे
िौिंपा हुआ कार् करता है। उि आदर्ी ने िच्ची कशक्षा पाई है , कजिकी बुक्तद्ध शुद्ध, शािंत
और न्यायदशी { इन्साफ़ को परखनेवािी } है। उिने िच्ची कशक्षा पाई है , कजिका र्न
कुदरती कानूनोिं िे भरा है और कजिकी इक्तियााँ उिके बि र्ें हैं , कजिके र्न की भावनायें
कबिकुि शुद्ध हैं, कजिे नीि कार्ोिं िे नफ़रत है और जो दू िरोिं को अपने जैिा र्ानता है।
एिा आदर्ी हीिं िच्चा कशकक्षत (तािीर्शुदा) र्ाना जाएगा, क्योिंकक वह कुदरत के कानून
के र्ुताकबक ििता है। कुदरत उिका अच्छा उपयोग करे गी और वह कुदरत का अच्छा
उपयोग करे गा।” अगर यही िच्ची कशक्षा हो तो र्ैं किर् खाकर कहाँगा कक ऊपर जो
शास्त्र र्ैंने कगनाए हैं उनका उपयोग र्ेरे शरीर या र्ेरी इक्तियोिं को बि र्ें करने के किए
र्ुझे नहीिं करना पडा। इिकिए प्रायर्री – प्राथकर्क कशक्षा को िीकजये या ऊाँिी कशक्षा को
िीकजये , उिका उपयोग र्ुख्य बात र्ें नहीिं होता। उििे हर् र्नुष्य नहीिं बनते – उििे
हैं, वह ककिकी बदौित कह रहें हैं ? अगर आपने अक्षर-ज्ञान और ऊाँिी कशक्षा नहीिं पाई
सांपादक: आपने अच्छी िुनाई। िेककन आपके िवाि का र्ेरा जवाब भी िीधा हीिं है।
अगर र्ैंने ऊाँिी या नीिी कशक्षा नहीिं पाई होती, तो र्ैं नहीिं र्ानता कक र्ैं कनकम्मा आदर्ी
हो जाता। अब ये बातें कहकर र्ैं उपयोगी बनने की इच्छा रखता हाँ। एिा करते हुए जो
कुछ र्ैं ने पढा उिे र्ैं कार् र्ें िाता हाँ ; और उिका उपयोग, अगर वह उपयोग हो तो, र्ैं
अपने करोडोिं भाईयोिं के किए नहीिं कर िक़ता, किफम आप जैिे पढे -किखोिं के किए हीिं कर
िकता हाँ। इििे भी र्ेरी हीिं बात का िर्थमन { ताईद } होता है। र्ैं और आप दोनोिं गित
कशक्षा के पिंजे र्ें फैंि गये थे। उिर्ें िे र्ैं अपने को र्ुि हुआ र्ानता हाँ। अब वह अनुभव
र्ैं आपको दे ता हाँ और उिे दे ते िर्य िी हुई कशक्षा का उपयोग करके उिर्ें रही िडन
र्ैं आपको कदखाता हाँ।
इिके किवा, आपने जो बात र्ुझे िुनाई उिर्ें आप गिती खा गये , क्ोिंकक र्ैंने
अक्षर-ज्ञान को (हर हाित र्ें) बुरा नहीिं कहा है। र्ैंने तो इतना हीिं कहा है कक उि ज्ञान की
हर्ें र्ूकतम की तरह पूजा नहीिं करनी िाकहए। वह हर्ारी कार्धे नु { र्निाहा दे नेवािी गाय
} नहीिं है। वह अपनी जगह पर शोभा दे िक़ता है। और वह जगह यह है: जब र्ैंने और
आपने अपनी इक्तियोिं को बि र्ें कर किया हो, जब हर्ने नीकत की नीिंव र्जबूत बना िी
हो, तब अगर हर्ें अक्षर-ज्ञान पाने की इच्छा हो, तो उिे पाकर हर् उिका अच्छा उपयोग
कर िक़ते हैं। वह कशक्षा आभूषण { गहना } के रूप र्ें अच्छी िग िकतीिं है। िेककन
अक्षर-ज्ञान का अगर आभूषण के तौर पर हीिं उपयोग हो, तो एिी कशक्षा को िाकज़र्ी करने
की हर्ें जरूरत नहीिं। हर्ारे पुराने स्कूि हीिं काफी हैं। वहााँ नीकत को पहिा स्थान कदया
जाता है। वह िच्ची प्राथकर्क कशक्षा है। उि पर हर् जो इर्ारत खडी करें गे वह कटक
िकेगी।
उन्हें गुिार्ी र्ें डािने जैिा है। र्ेकोिे ने कशक्षा की जो बुकनयाद डािी, वह ििर्ुि गुिार्ी
की बुकनयाद थी। उिने इिी इरादे िे अपनी योजना बनाई थी, एिा र्ैं नहीिं िुझाना िाहता।
िेककन उिके कार् का नतीजा यही कनकिा है। यह ककतने दु ःख की बात है कक हर्
िायक है। उन्हीिं के कवद्वान कहते रहते हैं कक उिर्ें यह अच्छा नहीिं है, वह अच्छा नहीिं है।
वे कजिे भूि-िे गये हैं, उिी िे हर् अपने अज्ञान के कारण किपके रहते हैं। उनर्ें अपनी
अपनी भाषा की उन्कत करने की कोकशश िि रही है। वेल्स इिं ग्लैंड का एक छोटा िा
परगना है ; उिकी भाषा धूि जैिी नगण्य है। एिी भाषा का अब जीणेद्धार१ हो रहा है।
वेल्स के बच्चे वेल्स्श भाषा र्ें हीिं बोिें, एिी कोकशश वहााँ िि रही है। इिर्ें इिं ग्लैंड
के खजािंिी िॉयड जोजम बडा कहस्सा िेते हैं। और हर्ारी दशा कैिी है ? हर् एक-दू िरे को
पत्र किखते हैं तब गित अिंग्रेज़ी र्ें किखते हैं। एक िाधारण एर्. ए. पाि आदर्ी भी एिी
गित अिंग्रेज़ी िे बिा नहीिं होता। हर्ारे अच्छे िे अच्छे कविार प्रगट { जाकहर } करने का
जररया है अिंग्रेज़ी; हर्ारी कािंग्रेि का कारोबार भी अिंग्रेज़ी र्ें ििता है। अगर एिा ििंबे
अरिे तक ििा, तो र्ेरा र्ानना है कक आनेवािी पीढी हर्ारा कतरस्कार करे गी और उिका
आपको िर्झना िाकहए कक अिंग्रेज़ी कशक्षा िेकर हर्ने अपने राष्टर को गुिार् बनाया
है। अिंग्रेज़ी कशक्षा िे दिं भ { ढोिंग }, राग { र्र्ता } द्वे ष }, जुल्म वगैरा बढे हैं। अिंग्रेज़ी कशक्षा
पाये हुए िोगोिं ने प्रजा को ठगने र्ें, उिे परे शान करने र्ें कुछ भी उठा नहीिं रखा है। अब
अगर हर् अिंग्रेज़ी कशक्षा पाये हुए िोग उिके किए कुछ करते हैं , तो उिका हर् पर जो
कजम िढा हुआ है उिका कुछ कहस्सा हीिं हर् अदा करते हैं।
यह क्या कर् जुल्म की बात है कक अपने दे श र्ें अगर र्ुझे इन्साफ़ पाना हो, तो
र्ुझे अिंग्रेज़ी भाषा का उपयोग करना िाकहए! बैररटर होने पर र्ैं स्वभाषा र्ें बोि हीिं नहीिं
िक़ता! दू िरे आदर्ी को र्ेरे किए तरजुर्ा कर दे ना िाकहए! यह कुछ कर् दिं भ है ? यह
गुिार्ी की हद नहीिं तो और क्या है ? इिर्ें र्ैं अिंग्रेज़ोिं का दोष कनकािूाँ या अपना? कहिंदुस्तान
को गुिार् बनानेवािे तो हर् अिं ग्रेज़ी जाननेवािे िोग हीिं हैं। राष्टर की हाय अिंग्रेज़ोिं पर नहीिं
िेककन र्ैंने आपिे कहा कक र्ेरा जवाब 'हााँ' और ‘ना' दोनोिं है । हााँ! कैिे िो र्ैंने
आपको िर्झाया।
अब 'ना' कैिे यह बताता हाँ। हर् िभ्यता के रोग र्ें एिे फाँि गये हैं कक अिंग्रेज़ी
कशक्षा कबिकुि किये कबना अपना कार् ििा िकें एिा िर्य अब नहीिं रहा। कजिने वह
कशक्षा पाई है, वह उिका अच्छा उपयोग करे । अिंग्रेज़ोिं के िाथ के व्यवहार र्ें, एिे
कहिंदुस्ताकनयोिं के िाथ के व्यवहार र्ें कजनकी भाषा हर् िर्झ न िक़ते होिं और अिं ग्रेज़ खुद
अपनी िभ्यता िे कैिे परे शान हो गये हैं यह िर्झने के किए अिंग्रेज़ी का उपयोग ककया
जाय। जो िोग अिंग्रेज़ी पढे हुए हैं उनकी ििंतानोिं को पहिे तो नीकत किखानी िाकहए, उनकी
िाकहए। बािक जब पुख्ता (पक्की) उम्र के हो जायें तब भिे हीिं वे अिंग्रेज़ी कशक्षा पायें , और
वह भी उिे कर्टाने के इरादे िे , न कक उिके जररये पैिे कर्ाने के इरादे िे। एिा करते
हुए भी हर्ें यह िोिना होगा कक अिंग्रेज़ी र्ें क्ा िीखना िाकहए और क्या नहीिं िीखना
िाकहए। कोन िे शास्त्र पढने िाकहए, यह भी हर्ें िोिना होगा। थोडा कविार करने िे हीिं
हर्ारी िर्झ र्ें आ जाएगा कक अगर अिंग्रेज़ी कडग्री िेना हर् बन्द कर दें , तो अिंग्रेज हाककर्
िौकेंगे।
सांपादकः उिका जवाब ऊपर कुछ हद तक आ गया है। कफर भी इि िवाि पर हर् और
कविार करें । र्ुझे तो िगता है कक हर्ें अपनी िभी भाषाओिं को उज्ज्वि—शानदार बनाना
िाकहए। हर्ें अपनी भाषा र्ें हीिं कशक्षा िेनी िाकहए— इिके क्या र्ानी है, इिे ज्यादा
िर्झाने का यह स्थान नहीिं है। जो अिंग्रेजी पुस्तकें कार् की हैं , उनका हर्ें अपनी भाषा र्ें
अनुवाद करना होगा। बहुत िे शास्त्र िीखने का दिं भ और वहर् हर्ें छोडना होगा। िबिे
पहिे तो धर्म की कशक्षा या नीकत की कशक्षा दी जानी िाकहए। हर एक पढे -किखे कहिंदुस्तानी
को अपनी भाषा का, कहिंदू को ििंस्कृत का, र्ुििर्ान को अरबी का, पारिी को फारिी
का और िबको कहिंदी का ज्ञान होना िाकहए। कुछ कहिंदुओ िं को अरबी और कुछ र्ुििर्ानोिं
और पारकियोिं को ििंस्कृत िीखनी िाकहए। उिरी और पकश्चर्ी कहिंदुस्तान के िोगोिं को
ताकर्ि िीखनी िाकहए। िारे कहिंदुस्तान के किए जो भाषा िाकहए, वह तो कहिंदी हीिं होनी
िाकहए। उिे उदू म या नागरी किकप र्ें किखने की छूट रहनी िाकहए। कहिंदू-र्ुििर्ानोिं के
ििंबिंध ठीक रहें, इिकिए बहुत िे कहिंदुस्ताकनयोिं का इन दोनोिं किकपयोिं को जान िेना जरूरी
है। एिा होने िे हर् आपि के व्यवहार र्ें अिंग्रेज़ी को कनकाि िकेंगे।
और यह िब ककिके किए जरूरी है? हर् जो गुिार् बन गये हैं उनके किए। हर्ारी
गुिार्ी की वजह िे दे श की प्रजा गुिार् बनी है। अगर हर् गु िार्ी िे छूट जायाँ, तो प्रजा
सांपादक: कफर भी उिके कबना हर्ारा कार् नहीिं िि िक़ता। कहिंदुस्तान कभी नाक्तस्तक
नहीिं बनेगा। कहिंदुस्तान की भू कर् र्ें नाक्तस्तक फि-फूि नहीिं िकते । बेशक, यह कार्
र्ुक्तिि है। धर्म की कशक्षा का खयाि करते हीिं किर िकराने िगता है। धर्म के आिायम
दिं भी और स्वाथी { खुदगजम } र्ािूर् होते हैं। उनके पाि पहुाँिकर हर्ें नम्र भाव िे उन्हें
िर्झाना होगा। उिकी कुिंजी र्ुल्लोिं, दस्तूरोिं और िाह्मणोिं के हाथ र्ें है। िेककन उनर्ें
अगर िद् बु क्तद्ध पैदा न हो, तो अिंग्रेज़ी कशक्षा के कारण हर्र्ें जो जोश पैदा हुआ है उिका
उपयोग करके हर् िोगोिं को नीकत की कशक्षा दे िक़ते हैं। यह कोई बहुत र्ुक्तिि बात
नहीिं है। कहिंदुस्तानी िागर के ककनारे पर हीिं र्ैि जर्ा है। उि र्ैि िे जो गिंदे हो गये हैं
उन्हें िाफ होना है। हर् िोग एिे हीिं हैं और खुद हीिं बहुत कुछ िाफ हो िक़ते हैं। र्ेरी
यह टीका करोडोिं िोगोिं के बारे र्ें नहीिं है। कहिंदुस्तान को अििी रास्ते पर िाने के किए
हर्ें हीिं अििी रास्ते पर आना होगा। बाकी करोडोिं िोग तो अििी रास्ते पर हीिं हैं। उिर्ें
िुधार, कबगाड, उन्कत { तरक्की }, अवनकत { कगरावट } िर्य के अनुिार होते हीिं रहेंगे।
पकश्चर् की िभ्यता को कनकाि बाहर करने की हीिं हर्ें कोकशश करनी िाकहए। दू िरा िब
______________________
सांपादक: र्ुझे जो िोट िगी थी उिे यह िवाि करके आपने ताजा कर कदया है। कर्.
हाित हो गई थी। उिका कफर िे कविार करता हाँ, तो र्ेरा कदि भर आता है। र्शीन की
झपट िगने िे हीिं कहिंदुस्तान पार्ाि हो गया है। र्ैन्चेटर ने हर्ें जो नुकिान पहुाँिाया है ,
उिकी तो कोई हद हीिं नहीिं है। कहिंदुस्तान िे कारीगरी जो करीब-करीब खतर् हो गई, वह
िेककन र्ैं भूिता हाँ। र्ैन्चेटर को दोष कैिे कदया जा िक़ता है? हर्ने उिके कपडे
पहने तभी तो उिने कपडे बनाये। बिंगाि की बहादु री का वणमन { कजक्र } जब र्ैंने पढा
तब र्ुझे हषम { भारी खुशी } हुआ। बिंगाि र्ें कपडे की कर्िें नहीिं हैं, इिकिए िोगोिं ने अपना
अििी धिंधा कफर िे हाथ र्ें िे किया। बिंगाि बम्बई की कर्िोिं को बढावा दे ता है वह ठीक
हीिं है; िेककन अगर बिंगाि ने तर्ार् र्शीनोिं िे परहेज ककया होता, उनका बायकाट –
र्शीनें यूरोप को उजाडने िगी हैं और वहााँ की हवा अब कहिंदुस्तान र्ें िि रही है।
िकता हाँ।
बम्बई की कर्िोिं र्ें जो र्जदू र कार् करते हैं , वे गुिार् बन गये हैं। जो औरतें उनर्ें
कार् करती हैं, उनकी हाित दे खकर कोई भी कााँप उठे गा। जब कर्िोिं की वषाम नहीिं हुई
थी तब वे औरतें भूखोिं नहीिं र्रती थीिं। र्शीन की यह हवा अगर ज्यादा ििी, तो कहिंदुस्तान
र्ेरी बात आपको कुछ र्ुक्तिि र्ािूर् होती होगी। िेककन र्ुझे कहना िाकहए कक
हर् कहिंदुस्तान र्ें कर्िें कायर् करें , उिके बजाय हर्ारा भिा इिी र्ें है कक हर् र्ैन्चेटर
को और भी रूपये भेजकर उिका िडा हुआ कपडा कार् र्ें िें; क्योिंकक उिका कपडा
कार् र्ें िेने िे किफम हर्ारे पैिे हीिं जायेंगे। कहिंदुस्तान र्ें अगर हर् र्ैन्चेटर कायर् करें गे
तो पैिा कहिंदुस्तान र्ें हीिं रहेगा, िेककन वह पैिा हर्ारा खून िूिेगा; क्ोिंकक वह हर्ारी नीकत
को कबिकुि खतर् कर दे गा। जो िोग कर्िोिं र्ें कार् करते हैं उनकी नीकत कैिी है , यह
उन्हीिं िे पूछा जाय। उनर्ें िे कजन्होिंने रूपये जर्ा ककये हैं, उनकी नीकत दू िरे पैिेवािोिं िे
अच्छी नहीिं हो िकतीिं। अर्रीका के रॉकफेिरोिं िे कहिंदुस्तान के रॉकफेिर कुछ कर् हैं ,
एिा र्ानना कनरा अज्ञान है। गरीब कहिंदुस्तान तो गुिार्ी िे छूट िकेगा, िेककन अनीकत िे
र्ुझे तो िगता है कक हर्ें यह स्वीकार करना होगा कक अिंग्रेज़ी राज्य को यहााँ कटकाए
रखनेवािे ये धनवान िोग हीिं हैं। एिी क्तस्थकत र्ें हीिं उनका स्वाथम िधेगा। पै िा आदर्ी को
दीन { िािार } बना दे ता है। एिी दू िरी िीज दु कनया र्ें कवषय-भोग { शहवत } है। ये दोनोिं
कवषय { बातें } कवषर्य { जहरीिे } हैं। उनका डिं क िााँप के डिं क िे ज्यादा जहरीिा है। जब
िााँप काटता है तो हर्ारा शरीर िेकर हर्ें छोड दे ता है। जब पैिा या कवषय काटता है तब
वह शरीर, ज्ञान, र्न िब-कुछ िे िेता है , तो भी हर्ारा छु टकारा नहीिं होता। इिकिए हर्ारे
दे श र्ें कर्िें कायर् होिं, इिर्ें खुश होने जैिा कुछ नहीिं है।
र्ुक्तिि है। इिीकिए कार् शुरू न करना पहिी बुक्तद्धर्ानी है।१ कर्ि-र्ाकिकोिं की ओर
हर् नफ़रत की कनगाह िे नहीिं दे ख िक़ते। हर्ें उन पर दया करनी िाकहए। वे यकायक
कर्िें छोड दें , यह तो र्ुर्ककन नहीिं है; िेककन हर् उनिे एिी कबनती कर िक़ते हैं कक वे
अपने इि िाहि को बढाये नहीिं। अगर वे दे श का भिा करना िाहें, तो खुद अपना कार्
धीरे धीरे कर् कर िकते हैं। वे खुद पुराने , प्रौढ, पकवत्र िरखे दे श के हजारोिं घरोिं र्ें दाक्तखि
कर िक़ते हैं और िोगोिं का बुना हुआ कपडा िेकर उिे बेि िकते हैं।
अगर वे एिा न करें तो भी िोग खुद र्शीनोिं का कपडा इस्तेर्ाि करना बन्द कर
िकते हैं।
पाठक: यह तो कपडे के बारे र्ें हुआ। िेककन यिंत्र की बनी तो अनेक िीजें हैं। वे िीजें या
तो हर्ें परदे श िे िेनी होिंगी या एिे यिंत्र हर्ारे दे श र्ें दाक्तखि करने होिंगे।
सांपादक: ििर्ुि हर्ारे दे व (र्ूकतमयााँ) भी जर्मनी के यिंत्रोिं र्ें बनकर आते हैं; तो कफर
कदयाििाई या आिकपन िे िेकर कााँि के झाड-फानूि की तो बात हीिं क्ा? र्ेरा अपना
जवाब तो एक हीिं है। जब ये िब िीजें यिंत्र िे नहीिं बनती थीिं तब कहिंदुस्तान क्ा करता था?
उिके कबना हर् अपना कार् ििा िेंगे। झाड-फानूि को आग िगा दें गे। कर्ट्टी के दीये र्ें
तेि डािकर और हर्ारे खेत र्ें पैदा हुई रूई की बिी बना कर दीया जिायेंगे। एिा करने
िे हर्ारी आाँखें (खराब होने िे) बिेंगी, पैिे बिेंगे और हर् स्वदे शी रहेंगे, बनेंगे और
स्वराज्य की धूनी जगायेंगे।
यह िारा कार् िब िोग एक हीिं िर्य र्ें करें गे या एक हीिं िर्य र्ें कुछ िोग यिंत्र
की िब िीजें छोड दें गे, यह ििंभव नहीिं है। िेककन अगर यह कविार िही होगा, तो हर्
हर्ेशा शोध-खोज करते रहेंगे और हर्ेशा थोडी-थोडी िीजें छोडते जायेंगे। अगर हर् एिा
करें गे तो दू िरे िोग भी एिा करें गे। पहिे तो यह कविार जड पकडे यह जरूरी है ; बाद र्ें
उिके र्ुताकबक कार् होगा। पहिे एक हीिं आदर्ी करे गा, कफर दि, कफर िौ—योिं नाररयि
की कहानी की तरह िोग बढते हीिं जायेंगे। बडे िोग जो कार् करते हैं, उिे छोटे भी करते
हैं और करें गे। िर्झें तो बात छोटी और िरि है। आपको और र्ुझे दू िरोिं के करने की
राह नहीिं दे खना है। हर् तो ज्योिं हीिं िर्झ िें त्योिं हीिं उिे शुरू कर दें । जो नहीिं करे गा वह
सांपादक: यह िवाि आपने बहुत दे र िे ककया। इि िवाि र्ें अब कोई जान नहीिं रही।
रे िने अगर हर्ारा नाश ककया है, तो क्ा टर ार् नहीिं करती? यिंत्र तो िााँप का एिा कबि है,
कजिर्ें एक नहीिं बक्ति िैकडोिं िााँप होते हैं। एक के पीछे दू िरा िगा हीिं रहता है। जहााँ
यिंत्र होिंगे वहााँ बडे शहर होिंगे। जहााँ बडे शहर होिंगे वहााँ टर ार्गाडी और रे िगाडी होगी। वहीिं
कबजिी की बिी की जरूरत रहती है। आप जानते होिंगे कक कविायत र्ें भी दे हातोिं र्ें
कबजिी की बिी या टर ार् नहीिं है। प्रार्ाकणक { ईर्ानदार } वैद्य और डॉक्टर आपको बतायेंगे
कक जहााँ रे िगाडी, टर ार्गाडी वगैरा िाधन { जररये } बढे हैं , वहााँ िोगोिं की तिंदुरूस्ती कगरी
हुई होती है। र्ुझे याद है कक यूरोप के एक शहर र्ें जब पैिे की तिंगी हो गई थी तब टर ार्ोिं,
वकीिोिं और डॉक्टरोिं की आर्दनी घट गयी थी, िेककन िोग तिंदुरूस्ती हो गये थे।
यिंत्र का गुण तो र्ुझे एक भी याद नहीिं आता, जब कक उिके अवगुणोिं िे र्ैं पूरी
पाठक: यह िारा किखा हुआ यिंत्र की र्दद िे छापा जाएगा और उिकी र्दद िे बााँटा
सांपादक: यह 'जहर की दवा जहर है ' की कर्िाि है। इिर्ें यिंत्र का कोई गुण नहीिं है। यिंत्र
र्रते र्रते कह जाता है कक 'र्ुझिे बकिए, होकशयार रकहये ; र्ुझिे आपको कोई फायदा
नहीिं होने का।' अगर एिा कहा जाय कक यिंत्र ने इतनी ठीक कोकशश की, तो यह भी उन्हीिं
िेककन र्ूि बात न भूकियेगा। र्न र्ें यह तय कर िेना िाकहए कक यिंत्र खराब िीज
है। बाद र्ें हर् उिका धीरे -धीरे नाश करें गे। एिा कोई िरि { आिान,
िीधा }, रास्ता कुदरत ने हीिं बनाया नहीिं है कक कजि िीज की हर्ें इच्छा हो वह तुरन्त कर्ि
जाय। यिंत्र के ऊपर हर्ारी र्ीठी नज़र के बजाय जहरीिी नज़र पडे गी, तो आक्तखर वह
जाएगा हीिं।
______________________
पाठक: आपके कविारोिं िे एिा िगता है कक आप एक तीिरा हीिं पक्ष कायर् करना िाहते
सांपादक: यहााँ आपकी भूि होती है। र्ेरे र्न र्ें तीिरे पक्ष का कोई खयाि नहीिं है। िबके
कविार एक िे नहीिं रहते। र्ोडरे टोिं र्ें भी िब एक हीिं कविार के हैं, एिा नहीिं र्ानना िाकहए।
कजिे (िोगोिं की) िेवा हीिं करनी है , उिके किए पक्ष कैिा? र्ैं तो र्ोडरे टोिं की िेवा करू
ाँ गा
और एक्स्ट्रीकर्टोिं की भी करू
ाँ गा। जहााँ उनके कविार िे र्ेरी राय अिग पडे गी वहााँ र्ैं
उन्हें नम्रता िे बताऊाँगा और अपना कार् करता ििूाँगा।
सांपादक: एक्स्ट्रीकर्टोिं िे र्ैं कहाँगा कक आपका हेतु कहिंदुस्तान के किए स्वराज्य हाकिि
करने का है। स्वराज्य आपकी कोकशश िे कर्िनेवािा नहीिं है। स्वराज्य तो िबको अपने
किए पाना िाकहए—और िबको उिे अपना बनाना िाकहए। दू िरे िोग जो स्वराज्य कदिा
दें वह स्वराज्य नहीिं है, बक्ति परराज्य है। इिकिए किफम अिंग्रेज़ोिं को बाहर कनकािा कक
आपने स्वराज्य पा किया, एिा अगर आप र्ानते होिं तो वह ठीक नहीिं है । िच्चा स्वराज्य
जो र्ैंने पहिे बताया वही होना िाकहए। उिे आप गोिा-बारूद िे कभी नहीिं पायेंगे। गोिा-
बारूद कहिंदुस्तान को िधेगा नहीिं। इिकिए ित्याग्रह पर हीिं भरोिा रक्तखए। र्न र्ें एिा
शक भी पैदा न होने दीकजये कक स्वराज्य पाने के किए हर्ें गोिा-बारूद की जरूरत है।
र्ोडरे टोिं िे र्ैं कहाँगा कक हर् खािी आकजज़ी करना िाहें, यह तो हर्ारी हीनता {
कर्ी } होगी। उिर्ें हर् अपना हिकापन कबूि करते हैं। ‘अिंग्रेजोिं िे ििंबिंध रखना हर्ारे
किए जरूरी है ' – एिा कहना हर्ारे किए, ईश्वर के िोर बनने जैिा हो जाता है । हर्ें ईश्वर
के किवा और ककिी की जरूरत है, एिा कहना ठीक नहीिं है। और िाधारण कविार करने
िे भी हर्ें िगेगा कक ‘अिंग्रेज़ोिं के कबना आज तो हर्ारा कार् ििेगा हीिं नहीिं.' एिा कहना
इिकिए अगर हर्ारे भाग र्ें आपि र्ें िडना हीिं किखा होगा तो हर् िड र्रें गे। उिर्ें
कर्ज़ोर को बिाने के बहाने ककिी दू िरे को बीि र्ें पडने की जरूरत नहीिं है । इिी िे
तो हर्ारा ित्यानाश हुआ है। इि तरह कर्ज़ोर को बिाना उिे और भी कर्ज़ोर बनाने
जैिा है। र्ोडरे टोिं को इि बात पर अच्छी तरह कविार करना िाकहए। इिके कबना स्वराज्य
नहीिं प्राप्त हो िक़ता। र्ें उन्हें एक अिंग्रेज़ पादरी के शब्दोिं की याद कदिाऊाँगा: “स्वराज्य
र्ें अिंधाधुिंधी बरदाश्त की जा िकतीिं है, िेककन परराज्य की व्यवस्था (बन्दोबस्त) हर्ारी
अथम अिग है। हर् ककिी का भी जुल्म या दबाव नहीिं िाहते – िाहे वह गोरा हो या
कहिंदुस्तानी हो। हर् िबको तैरना िीखना और किखाना है।
कर्िना िाकहए; दोनोिं को एक-दू िरे का डर रखने की या अकवश्वाि करने की जरूरत नहीिं
है।
सांपादक: उनिे र्ैं कवनय िे कहाँगा कक आप हर्ारे राजा जरूर हैं। आप अपनी तिवार
िे हर्ारे राजा हैं या हर्ारी इच्छा िे , इि िवाि की ििाम र्ुझे करने की जरूरत नहीिं।
आप हर्ारे दे श र्ें रहें इिका भी र्ुझे द्वे ष { डाह, इष्याम , बैर } नहीिं है। िेककन राजा होते
हुए भी आपको हर्ारे नौकर बनकर रहना होगा। आपका कहा हर्ें नहीिं, बक्ति हर्ारा
हजर् कर किया। िेककन अब आगे आपका एिा करना हर्ें पिन्द नहीिं होगा। आप
कहिंदुस्तान र्ें किपाहकगरी करना िाहें तो रह िक़ते हैं। हर्ारे िाथ व्यापार करने का िािि
आपको छोडना होगा। कजि िभ्यता की आप कहर्ायत करते हैं , उिे हर् नुकिानदे ह
र्ानते हैं। अपनी िभ्यता को हर् आपको िभ्यता िे कहीिं ज्यादा ऊाँिी िर्झते हैं। आपको
भी एिा िगे तो उिर्ें आपका िाभ हीिं है। िेककन एिा न िगे तो भी आपको, आपकी
कहावत१ के र्ुताकबक, हर्ारे दे श र्ें कहिंदुस्तानी होकर रहना होगा। आपको एिा कुछ नहीिं
करना िाकहए, कजििे हर्ारे धर्म को बाधा पहुाँिे। राजकताम होने के नाते आपका फजम है
कक कहिंदुओ िं की भावना का आदर करने के किए आप गाय का र्ािंि खाना छोड दें और
र्ुििर्ानोिं के खाकतर बुरे जानवर-(िूअर)का र्ािंि खाना छोड दें । हर् दब गये थे इिकिए
बोि नहीिं िके, िेककन आप एिा न िर्झें कक आपके इि बरताव िे हर्ारी भावनाओिं को
िोट नहीिं पहुाँिी है। हर् स्वाथम या दू िरे भय िे आज तक कह नहीिं िके, िेककन अब यह
कहना हर्ारा फजम हो गया है। हर् र्ानते हैं कक आपकी कायर् की हुई शािाएाँ और
अदािते हर्ारे ककिी कार् की नहीिं हैं। उनके बजाय हर्ारी पुरानी अििी शािाएाँ और
कहिंदुस्तान की आर् भाषा अिंग्रेज़ी नहीिं बक्ति कहिंदी है। वह आपको िीखनी होगी
और हर् तो आपके िाथ अपनी भाषा र्ें हीिं व्यवहार करें गे।
आप रे िवे और फौज के किए बेशुर्ार रूपये खिम करते हैं , यह हर्िे दे खा नहीिं
जाता। हर्ें उिकी जरूरत नहीिं र्ािूर् होती। रूि का डर आपको होगा, हर्ें नहीिं है।
रूिी आयेंगे तब हर् उनिे कनबट िेंगे; आप होिंगे तो हर् दोनोिं कर्िकर उनिे कनबट िेंगे।
हर्ें कविायती या यूरोपी कपडा नहीिं िाकहए। इि दे श र्ें पैदा होनेवािी िीजोिं िे हीिं हर्
अपना कार् ििा िेंगे। आपकी एक आाँख र्ैन्चेटर पर और दू िरी हर् पर रहें , यह अब
नहीिं पुिायेगा। आपका और हर्ारा स्वाथम एक हीिं है, इि तरह आप बरतेंगे तभी हर्ारा
आपिे यह िब हर् बेअदबी िे नहीिं कह रहें हैं। आपके पाि हकथयार-बि है, भारी
जहाजी िेना है। उिके क्तखिाफ वैिी हीिं ताक़त िे हर् नहीिं िड िक़ते। िेककन आपको
अगर ऊपर कही गई बात र्िंजूर न हो, तो आपिे हर्ारी नहीिं बनेगी। आपकी र्रजी र्ें
आये तो और र्ुर्ककन हो तो आप हर्ें तिवार िे काट िकते हैं , र्रजी र्ें आये तो हर्ें
तोप िे उडा िक़ते हैं। हर्ें जो पििंद नहीिं है वह अगर आप करें गे, तो हर् आपकी र्दद
ििंभव है कक अपनी ििा के र्द र्ें हर्ारी इि बात को आप हाँिी र्ें उडा दें ।
आपका हाँिना बेकार है , एिा आज शायद हर् नहीिं कदखा िकें। िेककन अगर हर्र्ें कुछ
दर् होगा, तो आप दे खेंगे कक आपका र्द { गरूर, घर्िंड } बेकार है और आपका हाँिना
हर् र्ानते हैं कक आप स्वभाव िे धाकर्मक राष्टर की प्रजा हैं। हर् तो धर्मस्थान र्ें हीिं
बिे हुए हैं। आपका और हर्ारा कैिे िाथ हुआ, इिर्ें उतरना कफजूि है। िेककन अपने
आप कहिंदुस्तान र्ें आनेवािे जो अिंग्रेज़ हैं वे अिंग्रेज़ प्रजा के िच्चे नर्ूने नहीिं हैं ; और
हर् जो आधे अिंग्रेज़ जैिे बन गये हैं वे भी िच्ची कहिंदुस्तानी प्रजा के नर्ूने नहीिं कहे जा
िक़ते। अिं ग्रेज़ प्रजा को अगर आपकी करतूतोिं के बारे र्ें िब र्ािूर् हो जाय, तो वह
आपके कार्ोिं के क्तखिाफ हो जाय। कहिंद की प्रजा ने तो आपके िाथ ििंबिंध थोडा हीिं रखा
है। आप अपनी िभ्यता को, जो दरअिि कबगाड करनेवािी है, छोड कर अपने धर्म की
छानबीन करें गे , तो आपको िगेगा कक हर्ारी र्ााँग ठीक है। इिी तरह आप कहिंदुस्तान र्ें
रह िक़ते हैं। अगर उि ढिं ग िे आप यहााँ रहेंगे तो आपिे हर्ें जो थोडा िीखना है वह हर्
िीखेंगे और हर्िे आपको जो बहुत िीखना है वह आप िीखेंगे। इि तरह हर् (एक-दू िरे
िे) िाभ उठायेंगे और िारी दु कनया को िाभ पहुाँिायेंगे। िेककन यह तो तभी हो िक़ता है
जब हर्ारे ििंबिंध की जड धर्मक्षेत्र र्ें जर्े।
पाठक: अभी तो आप कजि अथम र्ें यह शब्द कार् र्ें िेते हैं उिी अथमवािा राष्टर, यानी जो
िोग यूरोप की िभ्यता र्ें रिं गे हुए हैं, जो स्वराज्य की आवाज़ उठा रहें हैं।
सांपादक: इि राष्टर िे र्ैं कहाँगा कक कजि कहिंदुस्तानी को (स्वराज्य की) िच्ची खुर्ारी यानी
र्स्ती िढी होगी, वही अिंग्रेज़ोिं िे ऊपर की बात कह िकेगा और उनके रोब िे नहीिं दबेगा।
हो कक कहिंद की िभ्यता िबिे अच्छी है और यूरोप की िभ्यता िार कदन की िााँदनी है।
दबेगा और कनडर रहेगा तथा िपने र्ें भी तोप-बि का उपयोग करने की बात नहीिं िोिेगा।
ऊपर की र्ााँग र्ााँग नहीिं है; वह कहिंदुस्ताकनयोिं के र्न की दशा को बताती है। र्ााँगने
िे कुछ नहीिं कर्िेगा; वह तो हर्ें खुद िेना होगा। उिे िेने की हर्र्ें ताक़त होनी िाकहए।
िर्झायेगा।
छोडे गा।
बैदकशािाओिं – फार्मकियोिं – र्ें जीवोिं पर जो कनदम यता की जाती है , वैिी कनदम यता िे (बनी
हुई दवाओिं िे) शरीर को ििंगा करने के बजाय बेहतर है कक शरीर रोगी रहें।
उनकी बीर्ारी का िही कारण बताकर उिे दू र करने के किए कहेगा; कनकम्मी दवाएाँ
दे कर उन्हें गित िाड नहीिं िडायेगा। वह तो यही िर्झेगा कक कनकम्मी दवाएाँ न िेने िे
बीर्ार की दे ह अगर कगर भी जाय, तो उििे दु कनया अनाथ नहीिं हो जाएगी, और यही
९. जो धनी होने पर भी धन की परवाह ककये कबना अपने र्न र्ें होगा वही कहेगा
और बडे -िे -बडे ििाधीश की भी परवाह न करे गा।
१०. जो धनी होने िे अपना रूपया िरखे िािू करने र्ें खरिेगा और खुद किफम
स्वदे शी र्ाि का इस्तेर्ाि करके दू िरोिं को भी एिा करने के किए बढावा दे गा।
रहते हैं और हर्ारा किूर दू र होगा तब वे यहााँ िे ििे जायेंगे या बदि जायेंगे।
नहीिं हो िक़ते। जब तक हर्ें िैन नहीिं है तब तक हर्ारा जेि र्ें रहना या दे श -कनकािा
अद् भुत होता है; हर् कनडर होकर जो र्न र्ें है वही कहेंगे और इि तरह कहने का जो
नतीजा आये उिे िहेंगे, तभी हर् अपने कहने का अिर दू िरोिं पर डाि िकेंगे।
१६. जो दू िरे कहिंदुस्ताकनयोिं की तरह यह िर्झेगा कक हर् दु ःख िहन करके हीिं
कबना ऊपर िढा नहीिं है। िडाई के र्ैदान र्ें भी दु ःख हीिं किौटी होता है , न कक दू िरे को
हर् करें , जब दू िरोिं को ठीक िगेगा तब वे करें गे – यही करने का िच्चा रास्ता है। अगर
र्ैं स्वाकदष्ट { जायकेदार } भोजन दे खता हाँ , तो उिे खाने के किए दू िरे की राह नहीिं दे खता।
ऊपर कहे र्ुताकबक प्रयत्न { कोकशश } करना, दु ःख िहना यह स्वाकदष्ट भोजन है। ऊबकर
सांपादक: आप कफर भूिते हैं। िबकी न तो र्ुझे परवाह है, न आपको होनी िाकहए। ‘आप
अपना दे ख िीकजये , र्ैं अपना दे ख िूाँगा'—यह स्वाथम -विन र्ाना जाता है , िेककन यह
िकूिंगा। अपना कतमव्य { फजम } र्ैं कर िूाँ, इिी र्ें कार् की िारी किक्तद्धयााँ िर्ाई हुई हैं।
आपको कबदा करने िे पहिे कफर एक बार र्ैं यह दोहराने की इजाजत िाहता हाँ
कक:
उन्हें िजा दे ने के किए नहीिं करें , बक्ति इिकिए करें कक एिा करना हर्ारा कतमव्य है।
का कपडा पहनेंगे , या अिंग्रेज़ी भाषा कार् र्ें िायेंगे, या उनकी हुनर-किा का उपयोग
करें गे िो बात नहीिं है। हर्ें यह िर्झना िाकहए कक वह िब दरअिि नहीिं करने जैिा है ,
र्ैंने जो कुछ कहा है वह अिंग्रेज़ोिं के किए द्वे ष होने के कारण नहीिं, बक्ति उनकी
र्ुझे िगता है कक हर्ने स्वराज्य का नार् तो किया, िेककन उिका स्वरूप हर् नहीिं
िर्झे हैं। र्ैंने उिे जैिा िर्झा है वैिा यहााँ बताने की कोकशश की है।
र्ेरा र्न गवाही दे ता है कक एिा स्वराज्य पाने के किए र्ेरा यह शरीर िर्कपमत {
_____________________
कहिंद स्वराज्य र्ें प्रकतपाकदत कवषय के अकधक अध्ययन के किए िूकित पुस्तकें :
द ककिंगडर् ओफ़ गोड इज़ कवकदन यू — टॉल्स्टॉय
व्होट इज़ आटम ? – टॉल्स्टॉय
द स्िे वरी ओफ़ अवर टाइस — टॉल्स्टॉय
द फटम टे प — टॉल्स्टॉय
हाउ शैि वी एस्केप? – टॉल्स्टॉय
िेटर टु ए कहिंदू — टॉल्स्टॉय
द व्हाइट िे व्ज़ ओफ़ इिं ग्लैंड – शेराडम
किकविाइज़ेशन, इट् ि कोज़ एण्ड क्ोर — कारपेन्टर
द फैिेिी ओफ़ स्पीड — टे िर
ए न्यू क्रूिेड — िाउण्ट
ओन ध ड्यूटी ओफ़ किकवि कडिओबीकडएन्स — थोरो
िाइफ कवदाउट कप्रन्सीपि — थोरो
अन्टु कदि िाट — रक्तस्कन
ए जॉय फोर एवर — रक्तस्कन
ड्यूटीज़ ओफ़ र्ैन — र्ैकज़नी
कडफेन्स एण्ड डै थ ओफ़ िोक्रेटीज़ — प्लेटो
पैराडोक्सेज़ ओफ़ किकविाइज़ेशन — र्ैक्स नादम यू
पावटी एण्ड अनकिकटश रूि इन इिं कडया — नौरोजी
इकानाकर्क कहटर ी ओफ़ इिं कडया — दि
कविेज कम्युकनटीज़ — र्ेन
२. प्रहतहित व्यक्तियोां की साक्षी
श्री अल्स्िेड वेब के र्ू ल्यवान ििंग्रह िे कदए जा रहें इन उद्धरणोिं िे ज्ञात होगा कक भारत
जे सीमोर के,
किकटश ििंिद-िदस्य
यह बात अच्छी तरह िर्झ िेनी िाकहए कक हर्ारी क्तस्थकत भारत र्ें जिंगिी जाकतयोिं के बीि
िभ्यता का प्रकाश िेकर पहुाँिे हुए िभ्य िोगोिं की कभी नहीिं रही। हर् जब भारत पहुाँिे
पद्धकतयााँ दी हैं बक्ति िार्ाकजक और कौटुिं कबक जीवन की अत्यिंत कवकवध और िर्ृद्ध
ििंस्थाएाँ भी दी हैं। ये िारी ििंस्थाएाँ कुि कर्िाकर ककतनी कहतकारी हैं , यह बात कहिंदू जाकत
जनता र्ें शायद हीिं कर्िे। वे व्यापार र्ें ितुर हैं, कविार और कववेिन की गहराइयोिं र्ें
जानेवािी तीक्ष्ण बुक्तद्ध रखते हैं, कर्तव्ययी, धर्म-परायण, ििंयर्शीि, उदार, र्ाता-कपता की
आज्ञा र्ाननेवािे, वृद्धोिं को आदर दे नेवािे, कानून का पािन करनेवािे , व्यवहार र्ें र्ीठे ,
अिहायोिं के प्रकत दयािु और आपकि आ पडने पर उिे धीरज िे िहन करनेवािे हैं।
हवक्टर कह़िन
(१७९२-१८६७)
आिं दोिनोिं का, कजनका प्रभाव अब यूरोप र्ें भी फैिता कदखाई दे रहा है , ध्यान िे अध्ययन
करते हैं तो हर्ें वहााँ इतने अकधक और इतने गहरे ित्योिं का िाक्षात्कार होता है कक हर्
पूवम की प्रकतभा के िार्ने घूाँटने टे कने के किए कववश हो जाते हैं और यह र्ाने कबना नहीिं
जन्मभूकर् है। यूरोप की प्रकतभा कजन पररणार्ोिं तक पहुाँिकर रुक गई है उनकी क्षुद्रता
और पूवम की प्रकतभा द्वारा प्रकाकशत इन ित्योिं के र्हदन्तर को दे खकर ििर्ुि आश्चयम
होता है।
फ्रेडररक मैक्समुलर
हर्ारा िारा पािन-पोषण यूनाकनयोिं, रोर्नोिं और केवि एक हीिं िार्ी जाकत, अथामत्
यहकदयोिं की कविार-िम्पद् पर हुआ है। यकद र्ैं अपने -आपिे यह प्रश्न करू
ाँ कक अपना
आिं तररक जीवन अकधक ििंपूणम, अकधक व्यापक, अकधक िवमस्पशी या एिा कहें िही अथो
र्ें अकधक र्ानवतापूणम बनाने के किए कजि वस्तु की आवश्यकता है वह हर् यूरोपवाकियोिं
इििे इनकार नहीिं ककया जा िक़ता कक पूवमकािीन भारतीयोिं को ईश्वर का िच्चा ज्ञान था।
उनकी रिनाएाँ उदाि, प्रािंजि और भव्य भावोिं और उद्गारोिं िे पररपूणम हैं। उनकी गहराई
और उनर्ें प्रकतकबक्तम्बत भक्ति की भावना कवकवध भाषाओिं के िाकहत्य र्ें प्राप्त ईश्वर परक
रिनाओिं की गहराई या भक्ति-भावना िे ककिी भी प्रकार कर् नहीिं है। ... एिे राष्टरोिं र्ें
कजनके पाि अपना दशमन और तत्त्वज्ञान है और जो इन कवषयोिं के प्रकत स्वाभाकवक रुकि
कववाकहत क्तस्त्रयााँ अपने घरोिं र्ें अपने अकधकार का उपयोग पररवार के िदस्योिं र्ें शािंकत
और व्यवस्था बनाएाँ रखने र्ें करती हैं; और उनर्ें िे अकधकािंश इि र्हत्त्वपूणम कतमव्य को
कजि कववेक और दू रदकशमता िे कनबाहती हैं उिकी तुिना यूरोप र्ें र्ुक्तिि िे हीिं कर्िेगी।
बडे -बडे िडके और बडी-बडी िडककयााँ और उनके बच्चोिं िे कनकर्मत, तीि-तीि, िािीि-
िािीि व्यक्तियोिं के पररवारोिं को र्ैंने ककिी बडी-बूढी स्त्री, उन बडे िडके-िडककयोिं की
र्ााँ या िाि की अध्यक्षता र्ें इकट्ठे रहते दे खा है। र्ैंने दे खा कक यह वृद्धा अपने व्यवस्था-
प्रकतकूि स्वभाववािी उन िारी क्तस्त्रयोिं र्ें शािंकत और िौहादम रखने र्ें िफि होती है। र्ैं
पूछता हाँ कक क्या यह िीज़ एिी पररक्तस्थकतयोिं र्ें हर् अपने दे शोिं र्ें किद्ध करने की उम्मीद
कर िक़ते हैं ? हर्ारे दे शोिं र्ें तो हर् इतना भी नहीिं कर पाते कक एक हीिं घर र्ें रहने वािी
ककिी िभ्य दे श र्ें ईर्ानदारी िे ककए जाने योग्य जो भी कायम होते हैं उनर्ें शायद
हीिं कोई एिा हो कजिर्ें कहिंदू क्तस्त्रयााँ िर्ुकित कहस्सा न िेती होिं। घर-गृहस्थी की व्यवस्था
और पररवार की िार-िाँभाि के किवा ककिानोिं की पकत्नयााँ और िडककयााँ अपने पकतयोिं
और कपताओिं को खेती-ककिानी र्ें र्दद पहुाँिाती हैं। व्यापार-धिंधा करनेवािोिं की क्तस्त्रयााँ
उन्हें उनकी दू कान ििाने र्ें र्दद करती हैं। ककतनी हीिं क्तस्त्रयााँ अपने बि पर दू कानें
ििाती हैं ; उन्हें अक्षर या अिंकोिं का ज्ञान नहीिं होता कफर भी वे अपना कहिाब-ककताब दू िरी
युक्तियोिं के द्वारा बहुत अच्छी तरह रखती हैं और व्यापाररक िौदे करने र्ें वे पुरुषोिं िे भी
जे. यांग
भारत र्ें बिनेवािी ये जाकतयााँ नैकतक दृकष्ट िे दु कनया र्ें शायद िबिे ज्यादा कवकशष्ट हैं।
उनके व्यक्तित्व और स्वभाव िे नैकतक पकवत्रता टपकती र्ािूर् होती है कजिकी हर्
िराहना ककए कबना नहीिं रह िक़ते। गरीब वगों के बारे र्ें यह बात खाि तौरपर िागू होती
है जो गरीबी िे उत्पन् अभावोिं के बावजूद िुखी और ििंतुष्ट कदखाई पडते हैं। वे प्रकृकत के
िच्चे बािक हैं और अपना जीवन कि की कििंता ककए कबना और कवधाता ने उन्हें रूखा-
िूखा जो भी दे रखा है, उिके किए उिका आभार र्ानते हुए, ििंतोष िे कबताते हैं। स्त्री
िूयामस्त तक ििती रहती है , शार् के िर्य घर वापि आते हुए दे क्तखए तो आपको कवस्मय
होगा। िगातार कडी र्ेहनत करने के फिस्वरूप होनेवािी थकान के बावज़ूद वे िोग
ज्यादातर खुश नज़र आते हैं, उनके हाथ-पााँवोिं र्ें तब भी िजीवता होती है, आपि र्ें
उत्साहपूवमक बातिीत करते होते हैं और बीि-बीि र्ें ककिी गीत की कडी गुाँजा उठते हैं।
ककिंतु कजन्हें वे अपना घर कहते हैं उन झोिंपडोिं र्ें पहुाँिने के बाद उन्हें कर्िता क्ा है ?
भोजन के नार् पर थोडा-िा िावि और िोने के किए कर्ट्टी का फशम। भारतीय घरोिं र्ें
पाररवाररक िौहादम तो िार्ान्यत: कर्िता हीिं है। भारत र्ें प्रिकित कववाह-ििंबिंध की रीकत
का खयाि ककया जाए तो वह कुछ अजीब-िी र्ािूर् होती है क्ोिंकक कववाह ििंबिंध जोडने
का कार् वहााँ र्ाता-कपता करते हैं। अकधकतर घर-पररवार हर तरह िे िुििंपन् श्रेि
वैवाकहक जीवन का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। इिका कारण शायद उनके शास्त्रोिं की
कशक्षा और वैवाकहक कतम व्योिं के कवषय र्ें उनके र्हान आदे श हैं। िेककन यह कहने र्ें भी
कोई अत्युक्ति नहीिं कक पकत िार्ान्यत: अपनी पकत्नयोिं िे गहरा प्रेर् करते हैं और अकधकािंश
पकत्नयााँ पकत के प्रकत अपने कतमव्योिं के बारे र्ें बहुत ऊाँिे आदशम रखती हैं।
कनचल टामस मनरो
खेती की अच्छी पद्धकत, अकद्वतीय वस्तु -कनर्ामण-कौशि, एिी िारी िीजें पैदा करने की
क्षर्ता कजनिे िुकवधाओिं र्ें या िुखोपभोग र्ें वृक्तद्ध होती हो, किखना-पढना और गकणत
िवमिार्ान्य प्रथा और एक-दू िरे के प्रकत प्रेर् और िद्भाव का गुण और िबिे बढकर
िभ्य होने का किह्न र्ाना जाए तो कहिंदू जाकत यूरोप के ककिी भी राष्टर िे घटकर नहीिं है ; और
भारतीय गााँव इि प्रकार िकदयोिं तक राजनीकतक अव्यवस्था की बाढ रोकने वािी दीवार
और िादे , घरे िू और िार्ाकजक गुणोिं का धार् रहा है। इिकिए कोई आश्चयम नहीिं कक
उद्योगशीि, शािंकत-प्रेर्ी और शब्द के उिर् अथम र्ें प्रािीनता-प्रेर्ी। ... र्ेरा खयाि है कक
आप र्ुझिे इि बात र्ें िहर्त होिंगे कक भारतीय गााँव के िार्ाकजक और घरे िू जीवन की
जीवन पद्धकत का एक कनदोष और िुखी नर्ूना है। इिके किवा, उिके व्यावहाररक
हटप्पण
कहिंिा की कविारधारा को हर्ें िाधारणतया प्रतीत होता है उििे अकधक अनुर्ोदन प्राप्य
है। कहिंिा के कहर्ायती दो वगम र्ें कवभाकजत हैं। अल्प और अल्पतर् होता एक िर्ुदाय कहिंिा
र्ें र्ानता है और उि पर आिरण करने को तत्पर होता है। दू िरा एक कवशाि वगम हर्ेशा
िे रहा है जो कहिंिा र्ें आस्था तो रखता है , पर, हाि के आिं दोिन की कनष्फिता के कटु
अनुभव के पश्चात् , उनकी यह आस्था आिरण र्ें पररवकतमत नहीिं होती। कायमकिक्तद्ध के किए
जबरदस्ती किवा दू िरा र्ागम उनके पाि नहीिं होता। कहिंिा के प्रकत उनका दृढ इतबार उन्हें
अन्य ककिी कार् करने िे या भोग दे ने के रास्ते पर ििने िे रोकता है। यह दोनोिं हीिं बातें
कर्थ्या है। कहिंिािार के नकार की आवश्यकता कजतनी आज है इतनी पहिे कभी न थी।
इि ध्येयकिक्तद्ध के किए गािंधीजी के यह कवख्यात पुस्तक का प्रकाशन और उिके कवशाि
िोडम िोकधयन जब िेवाग्रार् आये थे तब उन्होिंने र्ुझिे कहिंद स्वराज्य की नकि र्ािंगी थी।
उन्होिंने कहा था: ‘गािंधीजी आजकि जो कुछ भी कह रहें हैं वह इि छोटी िी ककताब र्ें
बीज के रूप र्ें है, और गािंधीजी को ठीक िे िर्झने के किए यह ककताब बार-बार पढनी
िाकहए।‘
अिरज की बात यह है कक उिी अरिे र्ें श्रीर्ती िोकफया वाकडया ने कहिंद स्वराज्य के बारे
र्ें एक िेख किखा था, कजिर्ें उन्होिंने हर्ारे िब र्िंकत्रयोिं िे, धारािभा के िदस्योिं िे , गोरे
अकहिंिक आदर्ी अपने हीिं घर र्ें तानाशाही कैिे ििा िक़ता है ? वह शराब कैिे
बेि िक़ता है ? अगर वह वकीि हो तो अपने र्ु वक्तक्कि को अदाित र्ें जाकर
िडने की ििाह कैिे दे िक़ता है ? इन िारे िवािोिं का जवाब दे ते िर्य बहुत हीिं
र्हत्त्व के राजनीकतक िवािोिं का कविार करना जरूरी हो जाता है। कहिंद स्वराज्य
र्ें इन प्रश्नोिं की किद्धान्त की दृकष्ट िे ििाम की गई है। इिकिए वह पुस्तक िोगोिं र्ें
ज्यादा पढी जानी िाकहए और उिर्ें जो कहा गया है उिके बारे र्ें िोकर्त तैयार
करना िाकहए।
श्रीर्ती वाकडया की कबनती ठीक वक्त पर की गई है। १९०९ र्ें गािंधीजी ने कविायत
िे िौटते हुए जहाज़ पर यह पुस्तक किखी थी। कहिंिक िाधनोिं र्ें कवश्वाि रखनेवािे कुछ
भारतीयोिं के िाथ जो ििामएिं हुई थीिं, उन पर िे उन्होिंने र्ूि पुस्तक गुजराती र्ें किखी थी
और इिं कडयन ओपीकनयन नार्क िाप्ताकहक र्ें कििकििेवार िेखोिं र्ें उिे प्रगट ककया
गया था। बाद र्ें उिे पुस्तक के रूप र्ें प्रगट ककया गया और बम्बई िरकार ने उिे जब्त
ककया। गािंधीजी ने कर्. कैिनबैक के किए उि ककताब का अिंग्रेज़ी र्ें जो अनुवाद ककया था,
उिे बम्बई िरकार के हुक्म के जवाब के रूप र्ें प्रकाकशत ककया गया। गोखिे जी १९१२
र्ें जब दकक्षण अिीका गये तब उन्होिंने वह अनुवाद दे खा। उन्हें उिका र्जर्ून इतना
अनगढ िगा और उिके कविार एिे जल्दबाज़ी र्ें बने हुए िगे कक उन्होिंने भकवष्यवाणी
की कक गािंधीजी एक िाि भारत र्ें रहने के बाद खुद हीिं उि पुस्तक का नाश कर दें गे।
वह द्वे षधर्म की जगह प्रेर्धर्म किखाती है; कहिंिा की जगह आत्मबकिदान को रखती
है; पशुबि िे टक्कर िेने के किए आत्मबि को खडा करती है। उिर्ें िे र्ैंने किफम
िभ्यता की िख्त टीका की गई है। यह १९०९ र्ें किखी गई थी। इिर्ें र्ैंने जो
र्ान्यता प्रगट की है, वह आज पहिे िे ज्यादा र्जबूत बनी है।... िेककन र्ैं पाठकोिं
को एक िेतावनी दे ना िाहता हाँ। वे एिा न र्ान िें कक इि ककताब र्ें कजि स्वराज्य
की तिवीर र्ैंने खडी की है , वैिा स्वराज्य कायर् करने के किए आज र्ेरी कोकशशें
िि रही हैं, र्ैं जानता हाँ कक अभी कहिंदुस्तान उिके किए तैयार नहीिं है। एिा कहने
र्ें शायद कढठाई का भाि हो, िेककन र्ुझे तो पक्का कवश्वाि है। उिर्ें कजि स्वराज्य
की तिवीर र्ैंने खीिंिी है, वैिा स्वराज्य पाने की र्ेरी कनजी कोकशश जरूर िि रही
है। िेककन इिर्ें कोई शक नहीिं कक आज की र्ेरी िार्ूकहक { आर् } प्रवृकि का
पाना है।
१९३८ र्ें भी गािंधीजी को कुछ जगहोिं पर भाषा बदिने के किवा और कुछ फेरबदि
करने जैिा नहीिं िगा। इिकिए यह ककताब ककिी भी प्रकार की काट-छािंट के कबना र्ूि
िेककन इिर्ें बताये हुए स्वराज्य के किए कहिंदुस्तान तैयार हो या न हो, कहिंदुस्ताकनयोिं
के किए यही उिर् { िबिे अच्छा } है कक वे इि बीजरूप ग्रिंथ का अध्ययन करें । ित्य
और अकहिंिा के किद्धान्तोिं के स्वीकार िे अिंत र्ें क्ा नतीजा आयेगा, उिकी तिवीर इिर्ें
है। इिे पढकर उन किद्धान्तोिं को स्वीकार करना िाकहए या उनका त्याग, यह तो पाठक
हीिं तय करें ।
कजन किद्धािंतोिं के पक्षपोषण { ताईद } के किए कहिंद स्वराज किखा गया,१ आप उनका प्रिार
कर रहें हैं , यह र्ेरे किए बडी खुशी की बात है। अिंग्रेज़ी ििंस्करण { एकडशन } र्ूि गुजराती
पुस्तक का अनुवाद है। अगर इिे कफर िे किखना पडे तो हो िक़ता है, इिकी भाषा र्ें र्ैं
जहााँ -तहााँ कुछ पररवतमन करू
ाँ । िेककन तब िे र्ेरे जीवन के जो तीि कर्म -ििंकुि वषम बीते
हैं, उनर्ें र्ेरे दे खने र्ें एिा कुछ नहीिं आया कजिके आधार पर र्ैं इि पुक्तस्तका र्ें
बातिीत हुई, उिको हीिं ईर्ानदारी के िाथ किकपबद्ध ककया गया है। उन्हें यह भी याद
रखना िाकहए कक दकक्षण अकिका र्ें रहनेवािे भारतीयोिं के जीवन र्ें जो एक िडााँघ आ
जाने का खतरा पैदा हो गया था, उिे भी इि पुस्तक ने रोक कदया। और पाठक िाहें तो
बीि नहीिं रहें) इि राय को रख िक़ते हैं कक यह तो एक र्ूखम व्यक्ति की कृकत है।२
_______________________
१. कहिं द स्वराज पर कितम्बर र्ें आयम न पाथ का एक कवशेषािं क कनकिा था। उिर्ें िै कडरक िोडी, जी डी
एि कोि, िी डे कििि बन्सम , जोन कर्कडिटन र्री, ह्यूग आइ’ आनिन फोिे ट, गे राल्ड हडम और इरे न
रॅ थबोन जैिे पाश्चात्य कविारकोिं के िेख थे । यद्यकप उनर्ें िे कोई भी कहिं द स्वराज र्ें प्रकतपाकदत र्त िे
पू णमतया िहर्त नही िं था, कफर भी िभी ने उि कृकत को अत्यिं त र्हत्त्वपू णम र्ाना था।
नई आवृहत्त की प्रस्तावना
पाथ र्ाकिक के कहिंद स्वराज्य अिंक की जो िर्ािोिना र्ैंने हररजन र्ें अिंग्रेज़ी र्ें किखी
थी, उिका तरजुर्ा दे ना यहािं नार्ुनाकिब नहीिं होगा। यह िही है कक कहिंद स्वराज्य की
पहिी आवृकि र्ें गािंधीजी के जो कविार कदखाये गये हैं, उनर्ें कोई फेरबदि नहीिं हुआ है।
िेककन उनका उिरोिर { िगातार } कवकाि { क्तखिना } तो हुआ हीिं है। र्ेरे नीिे कदये हुए
िेख र्ें उि कवकाि के बारे र्ें कुछ ििाम की गई है। उम्मीद है कक उििे गािंधीजी के
वधाम , ११-१२-१९३८ – म. ि. दे .]
मित्त्व का प्रकाशन
आयमन पाथ र्ाकिक ने अभी अभी कहिंद स्वराज्य अिंक प्रकाकशत ककया है। कजि तरफ एिा
अिंक { निंबर } कनकािने का कविार अनोखा है, उिी तरह उिका रूप-रिं ग भी बकढया है।
इिका प्रकाशन श्रीर्ती िोकफया वाकडया के भक्तिभाव-भरे श्रर् का आभारी है। उन्होिंने
कहिंद स्वराज्य की नकिें परदे श र्ें अपने अनेक कर्त्रोिं को भेजी थीिं और उनर्ें जो र्ुख्य थे
उन्हें उि पुस्तक के बारे र्ें अपने कविार किख भेजने के किए कहा था। खुद श्रीर्ती वाकडया
ने तो उि पुस्तक के बारे र्ें िेख किखे हीिं थे और ये कविार जाकहर ककये थे कक उिर्ें
भारतवषम के उजिे भकवष्य की आशा रही है। िेककन उि पु स्तक र्ें यूरोप की अिंधाधुिंधी
आया है। इि खाि अिंक र्ें अध्यापक िोडी, कोि, कडिाइि बन्सम, कर्डिटन र्री,
बेरेिफडम , ह्यू फोिेट, क्लोड हटन, कज़राल्ड हडम , कुर्ारी रै थबोन वगैरा अनेक नार्ी
िेखक-िेक्तखकाओिं के िेख छपे हैं। उनर्ें िे कुछ तो शािंकतवादी और िर्ाजवादी के तौर
पर र्शहर हैं। िेककन कजनके कविार शािंकतवाद और िर्ाजवाद के क्तखिाफ हैं , एिे िोगोिं
के िेख भी इि अिंक र्ें आये होते तो अिंक कैिा होता! जो िेख कदये गये हैं उनकी व्यवस्था
इि तरह की गई है कक 'शुरू के िेखोिं र्ें जो आिोिनायें और उज्र आये हैं, उनर्ें िे बहुतोिं
के जवाब बाद के िेखोिं र्ें आ जाते हैं।' िेककन दो-एक टीकायें िगभग िब िेखकोिं ने की
हैं, इिकिए पहिे उनका कविार करना ठीक होगा। कुछ बातें एिी कही गई हैं , कजन्हें तुरन्त
स्वीकार कर िेना िाकहए। अध्यापक िोडी ने किखा है कक वे हाि र्ें हीिं कहिंदुस्तान आये थे
और यहााँ उन्होिंने एिा कुछ भी नहीिं दे खा कजिे ऊपर-ऊपर िे दे खने पर एिा िगे कक
कहिंद स्वराज्य र्ें बताये हुए किद्धान्तोिं { उिूिोिं } को कुछ ज्यादा िफिता कर्िी है। यह
कबिकुि िि बात है। एिी हीिं िही बात कर्. कोि ने कही है कक गािंधीजी की 'किफम अकेिे
की बात िोिनी हो तो वे एिे स्वराज्य के नजदीक इनिान कजतना पहुाँि िक़ता है उतना
पहुाँि हीिं िुके हैं। िेककन उिके अिावा एक और िवाि रहता है ; वह यह कक इनिान
इनिान के बीि जो खाई है, खुद अकेिे अर्ुक आिरण करना और दू िरोिं को उनकी
बुक्तद्ध के र्ुताकबक आिरण करने र्ें र्दद करना – इन दोनोिं के बीि जो अिंतर है उिे कैिे
पाटा जाय? इि दू िरी िीज के किए तो औरोिं के िाथ रह कर, उनर्ें िे एक बन कर,
उनके िाथ तादात्म्य – एकता िाध कर र्नुष्य को आिरण करना पडता है ; एक हीिं िर्य
र्ें अपना अििी रूप और दू िरे का धारण ककया हुआ रूप यानी व्यक्तित्व (कजिे खुद
जााँि िके, कजिकी टीका-कटप्पणी कर िके और कजिकी कीर्त आिं क िके), एिे दो तरह
के बरताव रखने पडते हैं। गािंधीजी ने अपने आिरण की िाधना को आक्तखरी हद तक
पहुाँिाया जरूर है, िेककन इि दू िरे िवाि को, खुद को ििंतोष हो इि तरह, वे हि नहीिं
कर पाये हैं।' कफर जोन कर्डिटन र्री कहते हैं वह भी िही है कक 'अकहिंिा को अगर किफम
के किए भी कोकशश करता रहता है। िैकडोिं बरि पहिे बुद्ध और ईिा र्िीह ने अकहिंिा
और प्रेर् के किद्धान्त का उपदे श ककया था। इन िैकडोिं बरिोिं र्ें इक्केदु क्के व्यक्तियोिं ने
छोटे -छोटे और िीकर्त { र्हदू द } प्रश्नोिं र्ें उिका प्रयोग ककया है। गािं धीजी के बारे र्ें एक
बात स्वीकार हो िुकी है, कजिका कजक्र करते हुए इि िेख-ििंग्रह { र्जर्ुआ } र्ें कज़राल्ड
हडम ने कहा है कक ‘गािंधीजी के प्रयोग र्ें िारे जगत को कदििस्पी है, और उिका र्हत्त्व {
अहकर्यत } युगोिं तक कायर् रहेगा। इिका कारण यह है कक उन्होिंने िर्ूह को िेकर या
िाफ हैं , िेककन गािंधीजी को भरोिा है कक इन र्ुिीबतोिं को पार करना नार्ुर्ककन नहीिं
है। कहिंदुस्तान र्ें १९२१ र्ें वह प्रयोग नार्ुर्ककन र्ािूर् हुआ और उिे छोड दे ना पडा।
िेककन जो बात उि िर्य नार्ुर्ककन थी, वह १९३० र्ें र्ुर्ककन हुई। अब भी बहुत बार
का ििंबे अरिे तक प्रयोग और आिरण { अर्ि } करने की जरूरत है। पकश्चर् के कविारक
अकिर भूि जाते हैं कक अकहिंिा के आिरण र्ें िब िे जरूरी और न टािी जा िकने
वािी िीज प्रेर् है; और शुद्ध कनःस्वाथम प्रेर् र्न की और शरीर की बेदाग – कनष्कििंक शुक्तद्ध
कर्डिटन र्री कहते हैं: ‘गािंधीजी अपने कविारोिं के जोश र्ें यह भूि जाते हैं कक जो िरखा
उन्हें बहुत प्यारा है , वह भी एक यिंत्र हीिं है और कुदरत की नहीिं िेककन इनिान की बनायी
हुई एक अकुदरती – कृकत्रर् िीज है। उनके उिूि के र्ुताकबक तो उिका भी नाश करना
होगा।' कडिाइि बन्सम कहते हैं: 'यह तो बुकनयादी कविार-दोष है। उिर्ें कछपे रूप िे यह
बात िूकित की गई है कक कजि ककिी िीज का बुरा उपयोग हो िक़ता है, उिे हर्ें नैकतक
दृकष्ट िे हीन र्ानना िाकहए। िेककन िरखा भी तो एक यिंत्र हीिं है। और नाक पर िगाया
हुआ िश्मा भी आिं ख की र्दद करने को िगाया हुआ यिंत्र हीिं है। हि भी यिंत्र है। और पानी
बरि की िगातार कोकशश के आक्तखरी फि होिंगे।... ककिी भी यिंत्र का बुरा उपयोग होने
की ििंभावना रहती है। िेककन अगर एिा हो तो उिर्ें रही हुई नैकतक हीनता यिंत्र की नहीिं,
र्ुझे इतना तो कबूि करना िाकहए कक गािंधीजी ने 'अपने कविारोिं के जोश र्ें ’ यिंत्रोिं
बैठें तो उि भाषा को वे खुद बदि दें गे। क्ोिं कक र्ुझे यकीन है कक र्ैंने ऊपर िर्ािोिकोिं
के जो कथन कदये हैं उनका गािंधीजी स्वीकार करें गे; और जो नैकतक गुण यिंत्र का इस्तेर्ाि
करने वािे र्ें रहें हैं, उन गुणोिं को उन्होिंने यिंत्र के गुण कभी नहीिं र्ाना। कर्िाि के तौर पर
१९२४ र्ें उन्होिंने जो भाषा इस्तेर्ाि की थी वह ऊपर कदये हुए दो कथनोिं की याद कदिाती
है। उि िाि कदल्स्िी र्ें गािंधीजी का एक भाई के िाथ जो ििंवाद { बातिीत } हुआ था, वह
गािंधीजी ने र्ुस्कराते हुए कहा: वैिा र्ैं कैिे हो िक़ता हाँ , जब र्ैं जानता हाँ कक यह
शरीर भी एक बहुत नाजुक यिंत्र हीिं है ? खुद िरखा भी एक यिंत्र हीिं है, छोटी दािंत-कुरे दनी
{ खरका } भी यिंत्र है। र्ेरा कवरोध यिंत्रोिं के किए नहीिं है, बक्ति यिंत्रोिं के पीछे जो पागिपन
िि रहा है, उिके किए है। आज तो कजन्हें र्ेहनत बिाने वािे यिंत्र कहते हैं , उनके पीछे
िोग पागि हो गये हैं। उनिे र्ेहनत जरूर बिती है , िेककन िाखोिं िोग बेकार होकर
भूखोिं र्रते हुए रास्तोिं पर भटकते हैं। िर्य और श्रर् की बित तो र्ैं भी िाहता हाँ , परन्तु
वह ककिी खाि वगम की नहीिं, बक्ति िारी र्ानव-जाकत की होनी िाकहए। कुछ कगने -कगनाये
िोगोिं के पाि ििंपकि जर्ा हो एिा नहीिं, बक्ति िब के पाि जर्ा हो एिा र्ैं िाहता हाँ।
आज तो करोडोिं की गरदन पर कुछ िोगोिं के िवार हो जाने र्ें यिंत्र र्ददगार हो रहें हैं।
यिंत्रोिं के उपयोग के पीछे जो प्रेरक कारण है वह श्रर् की बित नहीिं है, बक्ति धन का िोभ
है। आज की इि िािू अथम -व्यवस्था के क्तखिाफ र्ैं अपनी तर्ार् ताक़त िगा कर युद्ध
‘जरा भी आनाकानी ककये कबना र्ैं कहता हाँ कक 'हािं'। िेककन र्ैं इतना जोडना
िाहता हाँ कक िबिे पहिे यिंत्रोिं की खोज और कवज्ञान िोभ के िाधन नहीिं रहने िाकहए।
कफर र्जदू रोिं िे उनकी ताक़त िे ज्यादा कार् नहीिं किया जाएगा, और यिंत्र रूकावट बनने
के बजाय र्ददगार हो जायेंगे। र्ेरा उद्दे श्य { र्क़िद } तर्ार् यिंत्रोिं का नाश करने का नहीिं
भौकतक { दु कनयावी } शक्ति िे ििने वािे और भारी पेिीदा तर्ार् यिंत्रोिं का त्याग करना
िाकहए।'
गािंधीजी ने र्िंजूर करते हुए कहा: त्याग करना भी पडे । िेककन एक बात र्ैं िाफ
करना िाहाँगा। हर् जो कुछ करें उिर्ें र्ुख्य कविार इनिान के भिे का होना िाकहए। एिे
यिंत्र नहीिं होने िाकहए जो कार् न रहने के कारण आदर्ी के अिंगोिं को जड और बेकार बना
दें । इिकिए यिंत्रोिं को र्ुझे परखना होगा। जैिे, कििंगर की िीने की र्शीन का र्ैं स्वागत
करू
िं गा। आज की िब खोजोिं र्ें जो बहुत कार् की थोडी खोजें हैं , उनर्ें िे एक यह िीने
की र्शीन है। उिकी खोज के पीछे अद् भुत इकतहाि है। कििंगर ने अपनी पत्नी को िीने
और बक्तखया िगाने का उकताने वािा कार् करते दे खा। पत्नी के प्रकत रहें उिके प्रेर् ने
गैर-जरूरी र्ेहनत िे उिे बिाने के किए कििंगर को एिी र्शीन बनाने की प्रेरणा की। एिी
खोज करके उिने न किफम अपनी पत्नी का हीिं श्रर् बिाया, बक्ति जो भी एिी िीने की
र्शीन खरीद िक़ते हैं उन िब को हाथ िे िीने के उबाने वािे श्रर् िे छु डाया है।'
रार्ििन् ने कहा: ‘िेककन कििंगर की िीने की र्शीनें बनाने के किए तो बडा
कारखाना िाकहए और उिर्ें भौकतक शक्ति िे ििने वािे यिंत्रोिं का उपयोग करना हीिं
पडे गा।'
रार्ििन् के इि कवरोध र्ें किफम ज्यादा जानने की इच्छा हीिं थी। गािंधीजी ने
र्ुस्कराते हुए कहा: 'हािं, िेककन र्ैं इतना कहने की हद तक िर्ाजवादी तो हाँ हीिं कक एिे
जायें। उनकी हस्ती नफे के किए नहीिं बक्ति िोगोिं के भिे के किए हो। िोभ की जगह प्रेर्
को कायर् करने का उिका उद्दे श्य हो। र्ैं तो यह िाहता हाँ कक र्ज़दू रोिं की हाित र्ें
कुछ िुधार हो। धन के पीछे आज जो पागि दौड िि रही है वह रूकनी िाकहए। र्ज़दू रोिं
को किफम अच्छी रोजी कर्िे , इतना हीिं बि नहीिं है। उनिे हो िके एिा कार् उन्हें रोज
कर्िना िाकहए। एिी हाित र्ें यिंत्र कजतना िरकार को या उिके र्ाकिक को िाभ
पहुिंिायेगा, उतना हीिं िाभ उिके ििाने वािे र्ज़दू र को पहुिंिायेगा। र्ेरी कल्पना र्ें यिंत्रोिं
के बारे र्ें जो कुछ अपवाद हैं, उनर्ें िे एक यह है। कििंगर र्शीन के पीछे प्रेर् था, इिकिए
र्ानव-िुख का कविार र्ुख्य { खाि } था। उि यिंत्र का उद्दे श्य है र्ानव-श्रर् की बित।
उिका इस्तेर्ाि करने के पीछे र्क़िद धन के िोभ का नहीिं होना िाकहए, बक्ति
प्रार्ाकणक रीकत { ईर्ानदारी } िे दया का होना िाकहए। र्ििन, टे ढे तकुवे को िीधा बनाने
वािे के पाि तकुवा िीधा कर िेने के किए यिंत्र हो, इतना हीिं र्ैं िाहता हाँ। इिकिए िोभ
र्ुझे नहीिं िगता कक ऊपर के ििंवाद र्ें गािंधीजी ने जो कहा है , उिके बारे र्ें इन
आिोिकोिं र्ें िे ककिी का किद्धान्त { उिूि } की दृकष्ट िे कवरोध हो। दे ह की तरह यिंत्र भी,
अगर वह आत्मा के कवकाि र्ें र्दद करता हो तो, और कजतनी हद तक र्दद करता हो
की र्हाशत्रु है ' – इि कथन का कवरोध करते हुए कर्. कोि किखते हैं: ‘र्ैं कहता हाँ कक
स्पेन और एकबिीकनया के भयिंकर ििंहार { कत्ल }, हर्ारे किर पर हर्ेशा िटकने वािा भय,
िब तरह की ररक्तद्ध-किक्तद्ध पैदा करने की शक्ति र्ौजूद होने पर भी करोडोिं का दाररद्र्य, ये
हैं, िभ्यता की जड नहीिं हैं।... र्ैं यह नहीिं कहता कक हर् अपनी इि िभ्यता को िुधारें गे ;
िेककन वह िुधर हीिं नहीिं िकतीिं, एिा र्ैं नहीिं र्ानता। जो िीज़ें र्ानव की आत्मा के किए
जरूरी हैं , उनके िाफ इनकार पर उि िभ्यता की रिना हुई है एिा र्ैं नहीिं र्ानता !’
कबिकुि िही बात है। और गािंधीजी ने उि िभ्यता के जो दू षण बताये वे कुदरती नहीिं थे,
बक्ति उि िभ्यता की प्रवृकियोिं र्ें रहें हुए दू षण थे; और इि पुस्तक र्ें गािंधीजी का र्क़िद
भारतीय िभ्यता की प्रवृकियािं पकश्चर् की िभ्यता की प्रवृकियोिं िे ककतनी कभन् हैं यही
कदखाने का था। पकश्चर् की िभ्यता को िुधारना नार्ुर्ककन नहीिं है, कर्. कोि की इि बात
िे गािंधीजी पूरी तरह िहर्त { हर् राय } होिंगे; उनको यह भी र्िंजूर होगा कक पकश्चर् को
‘गािंधी जैिे आत्म-कनग्रह { खुद पर काबू रखनेवािे } वािे पुरूषोिं के कविार के अनु िार तो
होगा, िेककन वे पुरूष हर्ारे पकश्चर् के ढिं ग के होिंगे; और वह ढिं ग गािंधी या कहिंदुस्तान का
हसद्धान्त की मयाचदा
के कवर्ानी िीन के शहरोिं र्ें हजारोिं िोगोिं को कत्ल कर रहें होिं, जब जर्मन िेनाएाँ
आक्तटरया र्ें घुि िुकी होिं और िेकोिोवाककया र्ें घुि जाने की धर्ककयााँ दे रही
होिं, जब एकबिीकनया पर बर् बरिाकर उिे जीत किया गया हो, तब आज के एिे
िर्य र्ें क्ा यह (अकहिं िा का) किद्धान्त कटक िकेगा? दो-एक बरि पहिे र्ैं तर्ार्
ििंजोगोिं र्ें युद्ध का और र्ृत्युकारी कहिंिा का कवरोध करता था। िेककन आज, युद्ध
के बारे र्ें र्ेरे कदि र्ें नापििंदगी और नफ़रत होने पर भी, इन कत्लेआर्ोिं –
उनके र्न र्ें एक-दू िरे के कवरोधी ये कविार कैिा िख्त ििंघषम र्िा रहें हैं, यह नीिे
की ितरोिं िे जाकहर होता है। वे कहते हैं:
र्ैं युद्ध का खतरा जरूर उठाऊाँगा, परन्तु अभी भी र्ेरा वह दू िरा व्यक्तित्व {
शक्तियत } इनिान की हत्या करने के कविार िे घबराकर, िोट खाकर पीछे हटता
है। र्ैं खुद तो दू िरे की जान िेने के बजाय अपनी जान दे ना ज्यादा पिन्द करू
िं गा।
िेककन अर्ुक ििंजोगोिं र्ें खुद र्र-कर्टने के बजाय दू िरे की जान िेने की कोकशश
करना कया र्ेरा फजम नहीिं होगा? गािंधी शायद जवाब दें गे कक कजिने व्यक्तिगत {
अपना } स्वराज्य पाया है , उिके िार्ने एिा धर्मििंकट { पिोपेश, दु कवधा } पैदा हीिं
नहीिं होगा। एिा व्यक्तिगत स्वराज्य र्ैंने पाया है , यह र्ेरा दावा नहीिं है। िेककन
खयाि कीकजये कक र्ैंने एिा स्वराज्य पा किया है , तो भी उििे पकश्चर् यूरोप र्ें आज
के िर्य र्ेरे किए यह िवाि कुछ कर् जोरदार हो जायेगा एिा र्ुझे कवश्वाि नहीिं
होता।'
कर्. कोि ने जो ििंजोग बताये हैं, वे र्नुष्य की श्रद्धा { अक़ीदा } की किौटी जरूर
करते हैं। िेककन इिका जवाब गािंधीजी अनेक बार दे िुके हैं, हािािंकक उन्होिंने अपना
व्यक्तिगत स्वराज्य पूरी तरह पाया नहीिं है ; क्ोिंकक जब तक दू िरे दे शबन्धुओ िं ने स्वराज्य
नहीिं पाया है , तब तक वे अपने पाये हुए स्वराज्य को अधूरा हीिं र्ानते हैं। िेककन वे श्रद्धा
के िाथ जीते हैं और अकहिंिा के बारे र्ें उनकी जो श्रद्धा है वह इटिी या जापान के ककये
हुए कत्लेआर्ोिं की बात िुनते हीिं डगर्गाने नहीिं िगती। क्ोिंकक कहिंिा र्ें िे कहिंिा के हीिं
नतीजे पैदा होते हैं ; और एक बार उि रास्ते पर जा पहुिंिे कक कफर उिका कोई अन्त हीिं
नहीिं आता। 'िीन का पक्ष िेकर आपको िडना िाकहए’ एिा कहने वािे एक िीनी कर्त्र
को जवाब दे ते हुए वार रे कज़टर नार्क पत्र र्ें कफकिप र्र्फडम ने किखा है:
दु श्मन नहीिं हैं। उन अभागे और अनपढ िोगोिं को तो र्ािूर् भी नहीिं कक उन्हें क्योिं
िडने का हुक्म ककया जाता है। कफर भी, अगर आप अपने दे श के बिाव के किए
जो आपके िच्चे दु श्मन नहीिं हैं उन्हीिं को— र्ारना पडे गा। अकहिंिा की जो रीकत
गािंधीजी ने कहिंदुस्तान र्ें आजर्ाई, उिी के जररये अगर िीन अपनी रक्षा करने की
रीकत की नकि करने के बजाय इि अकहिंिा की रीकत िे उिे बहुत ज्यादा िफिता
है। जो शूरवीर िीनी अपने दे श के बिाव के किए िड रहें हैं, उनके किए हर्ें आदर
नहीिं है एिा आप न र्ानें। हर् उनके त्याग और बकिदान की भारी कदर करते हैं
और िर्झते हैं कक वे हर् िे कभन् किद्धान्तोिं र्ें र्ानने वािे हैं। कफर भी हर् तो र्ानते
हैं कक कहिंिा िब ििंजोगोिं र्ें बुरी है और उिर्ें िे अच्छे फि कनकिना अििंभव है।
अकहिंिा का पािन आपको तर्ार् दु ःखोिं िे उबार तो नहीिं िेगा, िेककन र्ैं र्ानता हाँ
कक आपके िब शस्त्र-अस्त्रोिं और ििरोिं के बकनस्बत अकहिंिा एक अरिे के बाद
रहेंगे।
कुर्ारी रै थबोन ने एिी हीिं एक िर्स्या { र्ििा, पहेिी } रखी है। वे किखती है :
र्ें एिा कौन आदर्ी – िार्ान्य या ििंतपुरूष – है , जो उनकी हत्या होने दे गा?’ गािंधी
इि िवाि का जवाब नहीिं दे ते। उन्होिंने यह िवाि उठाया तक नहीिं है। ...इि बारे
र्ें ईिा र्िीह का कहना ज्यादा स्पष्ट { िाफ़ } है। ...उनके शब्द ये हैं: ‘र्ुझ पर
श्रद्धा रखने वािे इन नन्हें र्ुन्ोिं के क्तखिाफ जो कोई हाथ उठाये, उिके गिे र्ें
िक्की का पाट िटका कर उिे िर्ुद्र के पानी र्ें डु बो कदया जाय।' ... योिं हर्ें इि
बारे र्ें गािंधीजी के बकनस्बत ईिा र्िीह की ओर िे ज्यादा र्दद कर्िती है...।
र्ुझे िगता है, ईिा र्िीह के विन किफम उनका पुण्य-प्रकोप { पाक गुस्सा } प्रकट
आदर्ी िजा करे इिकिए नहीिं, बक्ति गुनहगार खुद अपने को प्रायकश्चि { कफ़्फारा } के
तौर पर िजा दे इिकिए है। और क्या कुर्ारी रै थबोन को पक्का यकीन है कक कजिे वे ईिा
का उपाय र्ानती हैं, उिे आजर्ाकर वे बािकोिं को र्ौत िे बिा िकेंगी? गािंधीजी ने यह
िवाि उठाया हीिं नहीिं है , एिा उनका र्ानना िही नहीिं है । उन्होिंने यह िवाि उठाया है
और उिका िाफ़ िाफ़ जवाब भी कदया है; जैिे १३०० बरि पहिे उन अर्र र्ुक्तिर्
शहीदोिं ने भी यह िवाि उठाया था और अपने कार् िे उिका जवाब कदया था। जाकिर्
भूखे-प्यािे तडपते हुए र्रने दे ना हीिं उन्होिंने ज्यादा पिन्द ककया था; क्ोिंकक जाकिर् के
दे खकर अपनी प्रार्ाकणकता की जािंि करना र्ेरे किए जरूरी हो गया है। िोगोिं िे र्ेरी
ििंदन िे दकक्षण अिीका िौटते हुए गािंधीजी ने रास्ते र्ें जो ििंवाद किखा और
दकक्षण अिीका के भारतीय िोगोिं के अकधकारोिं की रक्षा के किए ितत िडते हुए
गािंधीजी १९०९ र्ें ििंदन गये थे। वहािं कई क्रािंकतकारी स्वराज्य-प्रेर्ी भारतीय नवयु वक उन्हें
कर्िे। उनिे गािंधीजी की जो बातिीत हुई उिीका िार गािंधीजी ने एक काल्पकनक ििंवाद
र्ें ग्रकथत ककया है। इि ििंवाद र्ें गािंधीजी के उि िर्य के र्हत्त्व के िब कविार आ जाते
हैं। ककताब के बारे र्ें गािंधीजी ने स्वयिं कहा है कक ‘र्ेरी राय र्ें यह ककताब एिी है कक यह
बािक के हाथ र्ें भी दी जा िकतीिं है। यह द्वे षधर्म की जगह प्रेर्धर्म किखाती है ; कहिंिा की
जगह आत्म-बकिदान को रखती है; पशुबि िे टक्कर िेने के किए आत्मबि को खडा
करती है।' गािंधीजी इि कनणमय पर पहुिंिे थे कक पकश्चर् के दे शोिं र्ें , यूरोप-अर्ेररका र्ें जो
ित्यानाशकारी है। गािंधीजी र्ानते थे कक भारत र्ें और िारी दु कनया र्ें प्रािीन काि िे जो
धर्म-परायण नीकत-प्रधान िभ्यता ििी आयी है वही िच्ची िभ्यता है।
िे भारत को अपनी िच्ची िभ्यता का स्वराज्य नहीिं कर्िेगा। हर् अिंग्रेज़ोिं को हटा दें और
उन्हीिं की िभ्यता का और उन्हीिं के आदशम का स्वीकार करें तो हर्ारा उद्धार नहीिं होगा।
हर्ें अपनी आत्मा को बिाना िाकहए। भारत के किखे -पढे ििंद िोग पकश्चर् के र्ोह र्ें फिंि
गये हैं। जो िोग पकश्चर् के अिर तिे नहीिं आये हैं, वे भारत की धर्म -परायण नैकतक िभ्यता
को हीिं र्ानते हैं। उनको अगर आत्मशक्ति का उपयोग करने का तरीक़ा किखाया जाय,
को भी बिा िकेंगे।
हीिं हैं – वगैरा बातें कबना ककिी ििंकोि के गािंधीजी ने इि ककताब र्ें दी हैं।
र्ूि ककताब गुजराती र्ें किखी गयी थी। उिके कहिंदुस्तान आते हीिं बिंबई िरकार ने
आक्षेपाहम बताकर उिे जब्त ककया। तब गािंधीजी ने िोिा कक कहिंद स्वराज र्ें र्ैंने जो कुछ
भी किखा है , वह जैिा का वैिा अपने अिंग्रेज़ी जानने वािे कर्त्रोिं और टीकाकारोिं के िार्ने
रखना िाकहए। उन्होिंने स्वयिं गुजराती कहिंद स्वराज का अिंग्रेज़ी अनुवाद ककया और उिे
दकक्षण अिीका का अपना िारा कार् पूरा करके िन् १९१५ र्ें गािंधीजी भारत
आये। उिके बाद ित्याग्रह करने का जब पहिा र्ौका गािंधीजी को कर्िा, तब उन्होिंने
बिंबई िरकार के हुक्म के क्तखिाफ कहिंद स्वराज कफर िे छपवाकर प्रकाकशत ककया। बम्बई
िरकार ने इिका कवरोध नहीिं ककया। तब िे यह ककताब बम्बई िरकार ने राज्य र्ें, िारे
भारत र्ें और दु कनया के गिंभीर कविारकोिं के बीि ध्यान िे पढी जाती है।
िेककन वैिा नहीिं हुआ। गािंधीजी ने एकाध िुधार कर के कहा कक आज र्ैं इि ककताब को
अगर कफर िे किखता, तो उिकी भाषा र्ें जरूर कुछ िुधार करता। िेककन र्ेरे र्ूिभूत
गािंधीजी के प्रकत आदर और उनके कविारोिं के प्रकत िहानुभूकत रखने वािे दु कनया के
बडे बडे कविारकोिं ने कहिंद स्वराज के बारे र्ें जो ििंर्कत प्रगट की है , उिका िार श्री र्हादे व
स्वराज्य र्ें पायी जाती है। इिकिए गािंधीजी के कविारिागर र्ें इि छोटी िी पु स्तक का
र्हत्त्व अिाधारण है।
गािंधीजी के प्रयत्न का वही हाि हुआ, जो दु कनया की अन्य श्रेि कवभूकतयोिं के प्रयत्नोिं
को पूरी तरह अपनाया नहीिं है। धर्मपरायण, नीकत-प्रधान पुरानी ििंस्कृकत की प्रकतिा कजिर्ें
नहीिं है , एिी हीिं कशक्षा-पद्धकत भारत र्ें आज प्रकतकित है। न्यायदान पकश्चर्ी ढिं ग िे हीिं हो
रहा है। इिकी तािीर् भी जैिी अिंग्रेज़ोिं के कदनोिं र्ें थी वैिी हीिं आज है। अध्यापक, वकीि,
डॉक्टर, इिं जीकनयर और राजनीकतक नेता – ये पािंि कर्िकर भारत के िावमजकनक जीवन
को पकश्चर्ी ढिं ग िे ििा रहें हैं। अगर पकश्चर् के कवज्ञान और यािंकत्रक कौशल्य
(Technology) का िहारा हर् न िें और गािंधीजी के हीिं िािंस्कृकतक आदशम का स्वीकार
करें , तो भारत जैिा र्हान दे श िाउदी अरे कबया जैिे नगण्य दे श की कोकट तक पहुिंि
किंकण भारत-िरकार ने अपने हाथ र्ें बािंधा है। तो भी कजि तरह के आदशम का गािंधीजी
ने अपनी ककताब कहिंद स्वराज्य र्ें पुरस्कार ककया है, उिका तो उिने अस्वीकार हीिं ककया
है। स्वाभाकवक है कक इि तरह के नये भारत र्ें अिंग्रेज़ी भाषा का हीिं बोिबािा रहें। किफम
अर्ेररका हीिं नहीिं, ककन्तु रकशया, जर्मनी, िेकोिोवाककया, जापान आकद कवज्ञान-परायण
राष्टरोिं की र्दद िे भारत यिंत्र-ििंस्कृकत र्ें जोरोिं िे आगे बढ रहा है। और उिकी आिं तररक
कनिा र्ानती है कक यही िच्चा र्ागम है। पू ॰ गािंधीजी के कविार जैिे हैं वैिे नहीिं िि िक़ते।
यह नई कनिा केवि ने हरूजी की नहीिं, ककन्तु करीब करीब िारे राष्टर की है। श्री
कवनोबा भावे गािंधीजी के आत्मवाद का, िवोदय का और अकहिंिक शोषण-कवहीन िर्ाज-
र्ें आर्ूिाग्र क्रािंकत करने की कोकशश कर रहें हैं । िेककन उन्होिंने भी दे ख किया है कक पकश्चर्
किए खडे हैं , एिे अविर पर गािंधीजी की इि युगािंतरकारी छोटी िी ककताब का अध्ययन
कहिंद स्वराज्य की प्रस्तावना र्ें गािंधीजी ने स्वयिं किखा है कक व्यक्तिश: उनका िारा
प्रयत्न कहिंद स्वराज्य र्ें बताये हुए आध्याक्तत्मक स्वराज्य की स्थापना करने के किए हीिं है।
िेककन उन्होिंने भारत र्ें अनेक िाकथयोिं की र्दद िे स्वराज्य का जो आन्दोिन ििाया,
स्वराज्य के किए अन्याय का, शोषण का और परदे शी िरकार का कवरोध करने र्ें
अकहिंिा का िहारा किया जाय, इतना एक हीिं आग्रह उन्होिंने रखा है। इिकिए भारत की
स्वराज्य-प्रवृकि का अथम उनकी इि वार्नर्ूकतम पुस्तक कहिंद स्वराज्य िे न ककया जाय।
के किए थी। आज जो िोग भारत का स्वराज्य ििा रहें हैं , उनके बिाव र्ें भी यह िूिना
कार् आ िकतीिं है। भारत के राष्टरीय कवकाि का कदन-रात कििंतन करने वािे कििं तक और
नेता भी कह िक़ते हैं कक हर्ारे किर पर कहिंद स्वराज्य के आदशम का बोझा गािंधीजी ने
र्ैंने एक दफे गािंधीजी िे कहा था कक ‘आपने अपनी स्वराज्यिेवा के प्रारम्भ र्ें कहिंद
स्वराज्य नार्क जो पुस्तक किखी उिर्ें आपके र्ौकिक कविार हैं, तो भी शिंका होती है
कक वे रक्तस्कन, थोरो, एडवडम कारपेन्टर, टे िर, र्ैक्स नाडूम आकद िोगोिं के कििंतन िे प्रभाकवत
हैं। इन िोगोिं ने आधुकनक िभ्यता के दोष कदखाये हैं। कवश्व-बिंधुत्व की बुकनयाद पर स्थाकपत
पुरानी िभ्यता का इन िोगोिं ने पुरस्कार ककया, इिकिए आपका कहिंद स्वराज्य पढने िे
यही खयाि होता है कक आप भूतकाि को कफर िे जाग्रत करने के पक्ष र्ें हैं। आपको
रास्ते कजतनी प्रगकत की उतना रास्ता पीछे ििकर िच्चे रास्ते पर िगने के बाद आप कफर
“आपका जीवन-कायम करीब करीब िर्ाप्त होने आया है। भारत का स्वराज्य
स्थाकपत होने की तैयारी है। एिे िर्य पर आप कफर िे अपने जीवनभर के अनुभव और
कििंतन की बुकनयाद पर एिी एक नयी हीिं ककताब क्ोिं नहीिं किखते , कजिर्ें भकवष्य की एक
हजार िाि की र्हार्ानव ििंस्कृकत का बीज दु कनया को कर्िे?” वे अपने कायम र्ें इतने
व्यस्त थे और कबगडता हुआ र्ार्िा िुधारने की प्राणपण िे िेष्टा करने के किए इतने
र्ें और उिे स्थाकपत करने के बारे र्ें गािंधीजी के कविार इकट्ठा कर के एिा एक प्रभावशािी
कित्र ककिी अकधकारी व्यक्ति को तैयार करना िाकहए, कजिे हर् कहिंद स्वराज्य की पररणत
आवृकि नहीिं कहेंगे; उिे तो स्वराज्य-भोगी भारत का कवश्वकायम या एिा हीिं कुछ कहना
होगा।
अर्र ककताब का स्थान तो भारतीय जीवन र्ें हर्ेशा के किए रहेगा हीिं।
[र्ूि कहिंदी]
आज िे करीब १०६ िाि पहिे , िन १९०९ र्ें , दकक्षण अकिका के टर ान्सवाि प्रान्त र्ें
बिनेवािे कहन्दु स्तानी िोगोिं की िर्स्याओिं के बारे र्ें अिंग्रेज िरकार के िाथ र्शवरा करने
थे। िन्दन र्ें िार र्कहनोिं तक रुकने के बाद ककिडोनन कॅिि नार्क जि-जहाज़ र्ें वे
उनके जीवन की प्रस्तावना बराबर था। शायद ही ३७ िाि की उम्र के गािंधीजी अभी
कहन्दु स्तान के ककनारे छः िाि बाद उतरने वािे थे। इिके पहिे उन्होिंने अपने आगे के
र्ें रे खािंककत ककया। दकक्षण अकिका पहुाँिने के बाद रक्तस्कन की पुस्तक अन्टु कधि िाट
गािंधीजी के जीवन र्ें र्ागम -पररवतमक बनी थी; तो, र्ानो उिी पुस्तक के कवककित स्वरूप
र्ात्र ग्रिंथ है। इिके अिावा िबिे र्हत्त्वपूणम बात यह है कक गािंधी कविारधारा को िर्झने