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Namostu Chintan 6 Sept18
Namostu Chintan 6 Sept18
Namostu Chintan 6 Sept18
-: मंगलाचरण :-
बु दे लखंडी म दे व शा गु पूजन 08
र ा बंधन 33
लघुनंदन जैन
डॉ. ी सन
ु ील जैन ‘संचय’
चंतन काश 21
आ याि मक ावक-साधना संकार श वर 41
आचाय ी वशु ध सागरजी महाराज
काशक : नमो तु शासन सेवा स म त (रिज.) संपादक : पी. के. जैन “ द प”. अंक : 06 माह : सत बर 2018
Web site: www.vishuddhasagar.com
मनु य बनना भा य है
त व च होना सौभा य है
दगंबर गु मलना
परम सौभा य है
और
िजनवाणी सन
ु ना अहोभा य ह |
जो है सो है
आचाय ी वशु धसागरजी महाराज का
चातम
ु ास ी १००८ पा वनाथ दगंबर जैन
मं दर, राजा बाज़ार, औरं गाबाद, महारा
नमो तु शासन जयवंत हो
म हो रहा ह. आ याि मक ावक साधना
सं कार श वर १४-९-२०१८ से २३-९-२०१८ जयवंत हो वीतराग मण सं कृ त
तक आयोिजत ह गे. सभी आमं त ह. और
अ धक जानकार इसी प का म दे ख.
आचाय ी अ य
सार वत क व मणाचाय
ी 108 वभव सागरजी महाराज
चातुमास के स यक पव :-
गु पू णमा –
न थ वीतरागी साधज
ु न मूलाचार क थत
समाचार व ध का पालन करते हुये उपसंपत गण ु
वीर शासन जयंती
का प रचय द। उपसंपत ् के पाँच भेद ह। िजसम
वनयोपसंपत ् गुण का वणन करते आचाय भगवन ् भगवान महावीर क समवसरण सभा म
खरनेवाल द य व न आज हम सभी के सम
कहते ह - ‘अ य संघ से बहार करते हुये
‘िजनागम-िजनवाणी’ के प म ा त है । सभी
आये मु न को पादो ण या अ त थ मु न कहते ह।
मण एवं ावक िजनागम व णत पंथ अथात के
उनका वनय करना, आसन आ द दे ना, उनका
अनुसार चया कर ऐसी पव
ू ाचाय भगवंत क आ ा
अंगमदन करना, य वचन बोलना आ द।
है । यह ‘वीर शासन’ क प रपालना है । ावण बद
चातुमास के म य म अ य स यक् धम
भावना के आयोजन आयोिजत कर िजनशासन
का गौरव बढ़ाये। स गह
ृ थ ावक, मण संघ के
सा न य म िजनदे व-िजनागम-िजनमु ाधार गु के
त धावान बन। मण संघ वा स यभाव से
मल और स य दशन के आठ अंग आचरण म
आय तभी चातुमास के व श ट ण अ भनंदनीय
हो सकते ह और भगवान महावीर के शासन क
नमल भावना सव गुंजायमान हो सकती है ।
चंतन काश
ान ‘ काश’ है और अ ान ‘अंधकार’ है .
स यक - चंतन काश, उिजयारा, आलोक,
उजाला, भा, रोशनी है . जैसे द प काश दे ता है ,
िजससे माग श त होता है , वैसे ह जो चंतन परम पू य आचाय ी 108
होता है . वह काश है , यो त है , जो वकास का वशु धसागरजी महाराज
माग श त करता है. चंतन वह उजास है जो
उ कष क ओर ले जाता है .
वचन वा स य भावना
चार मले चौसठ खले, बीस रहे कर जोड़ |
सूता गाय अपने ब चे पर ेम करती है | उसी मचार नहाल चंद जैन “चं े श”
कार जो चार कार का संघ ह उस पर ेम करना ल लतपरु .
वा स य है | वा स य अंग एक मह वपण
ू अंग है सलाहकार : नमो तु चंतन
िजसके कारण मनु य के व प अथवा मन के
दशन ा त होते ह | अ य कोई भी ऐसा अंग या
या नह ं िजससे मनु य के मन का च ण हो
. ी नहालचं जी
सके पर तु वा स य को धारण करने वाले मनु य जैन “चं े श”
नमल प रणाम वाले होते ह | सो उनके मन का महाका य रचनाकार :
पव च ण वतः ह हो जाता है | ठ क इसी “ व-संवद
े मण”
कार थमानय
ु ोग का थ
धम सो गौ-ब छ ी त सम
यि त वा स य के अभाव म न जाने कन
र ा बंधन पव क सभी को शभ
ु कामनाय ।
कन क नंदा करता रहता । यहाँ क लोक
पू य मु ा के त भी अ वनय का भाव ले आता
। समाज, नगर और रा म अपने ह धम क
हँसी कराता रहता है । ओर य द उसे पूछा जाएं
क ऐसा य कया जा रहा है ? तो बोलता है
क स य को द ु नयां के सामने ला रहा हूँ । अरे !
उसे कौन समझाये क तेरे इस स य से न जाने
कतन लोग के मन मे िजन धम के त अस य
बैठ गया है ।
इस लए मेरा मानना क य द वा तव म
िजन धम क र ा करनी है और र ा बंधन पव
को साथक बनाना है , तो आये हम सब एक ण
ले क मेरे न म से या हा सएप के मा यम से
या फर फेसबुक के मा यम के साथ साथ अ य
कसी भी सोशल मी डया पर कभी भी िजनधम
क अ भावना नह करगे । बा. . अ य जैन
उदयपरु
हम सब मल कर सयंम से नीचे गरते महाम ी:
हुए जीव को वा स य भाव दे कर उस जीव क नमो तु शासन सेवा
और िजन धम क दोन क र ा करगे । स म त (रिज.)
मंब
ु ई.
वा स य र नाकर ऐसे गु वर
आचाय भगवंत वशु द सागर जी
सदा जयवंत हो ।
इ त शुभम भुयात।।
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ई लपेट आग भव
ु र! कब ल कहां रखूं | अपने गण
ु र न से भव ु र!.......
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चंता कभी करना न भाई, चंता सदा दख
ु दाई है ;आ मशां त सदा मलेगी, चंतन ह सुखदाई है || ई-मेल:
namostushasangh@gmail.com; FB: NAMOSTU SHASAN SANGH
. भैया अ भन दन
+++++
जैसे बादल को दे खकर मोर नाचने लगता
है आ मंज रय को दे खकर कोयल नये गीत गाने
लगती है उसी कार चातुमास लगते ह धा मक
जन और भु भ त का दय कमल खल उठता
है . व भ न कार के धम आराधना तप जप आ म
नयं ण आ द वारा धालज
ु न अपनी आ मा
का क याण करने म लग जाते ह.
सश
ु ांत कुमार जैन.
. भैया अ भन दन आचाय ी वभव सागरजी
उदयपुर. राज थान
महाराज के पाद ालन करते हुए.
सद य : ट मंडल
नमो तु शासन सेवा स म त (रिज.)
क याण, मुंबई.
धांज ल
ऐसे महान मु नवर िज ह ने अपने कडवे
समाधी मरण ह मृ यु महो सव
वचन से भगवान ् महावीर के पथ को जैन ह
एक मा िजन दशन ह ऐसा दशन ह िजसमे
नह ं जैनेतर के जन जन तक पहुंचा कर वीतराग
भगवान ् बनते ह, बनाये नह ं जाते ह और यह
मण परं परा और सं कृ त को जयवंत कया और
दशन ऐसा ह िजसम मृ यु को भी महा महो सव
िजने दे व, सव दे व के नमो तु शासन को
के प म मनाया जाता है .
जयवंत कया, के पावन चरण म सम त नमो तु
जीवन िज ह ने अपने जीवन काल म साधना के भ तगण अपनी अपनी धांज ल अ पत करते
वा याय भी
परम तप ह.
(रिज टड सं था)
धा मक प का नःशु क वतरण के लए
बा. . अ य जैन
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