माला शुद्धिकरण

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् करण एवं संस्कार विधि 

।।
।। माला शुदधि
कोई भी जप या अनु ष्ठान में माला की जरुरत होती है ! प्रायः बाजार से माला खरीदकर उसी से जप आरम्भ
कर दिया जाता है  ।
इस तरह की माला से किसी भी तरह का लाभ नहीं मिल पाता है l सर्वप्रथम माला खरीदने के बाद ,
माला का विधिवत तरीके से सं स्कार करना चाहिए ।
ू विधि निचे दी गयी है  ।
माला के सं स्कार की सं पर्ण
व्यवहारिक विधि – साधक सबसे पहले स्नान करके अपने शरीर को शु द्ध कर ले एवम उसके पश्चात अपने
पूजा घर पूर्व या उत्तर की ओर मु ख करके आसन पर बै ठ जाए ।
अब सर्व प्रथम इस मं तर् का उच्चारण करते हुवे अपने शरीर को पवित्र करे :-
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा ।
यः स्मरे त पु ण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शु चिः ।।
फिर ३- बार आचमन करे
पवित्रीकरण करने के बाद गणे श जी एवं अपने इष्ट दे व का ध्यान करे , ध्यान एवम पूजा करने के बाद
माला को , पीपल के पत्तो के ऊपर रख दीजिये |
् करण :- सर्वप्रथम माला का शुदधि
माला शुदधि ् करण करें गे , एक पात्र में आप को  साफ पानी ले ना है
और एक पात्र में आप को पं चगव्य (पं चगव्य :- गाय का दध
ू , दही , घी , गोमूतर् , गोबर ) ले ना है
सबसे पहले माला को शु द्ध पानी से स्नान करना है उसके पश्चात आप को माला को पं चगव्य से स्नान
इस मं तर् का उच्चारण करते हुए माला को पं चगव्य से धोले
ॐ अं आं इं ईं उं ऊं ऋं ऋंृ लृं लॄं एं ऐं ओं औं अं अः कं खं गं घं ङं चं छं जं झं ञं टं ठं डं ढं णं तं थं दं धं
नं पं फं बं भं मं यं रं लं वं शं षं सं हं क्षं
माला को पं चगव्य से स्नान कराने के बाद निचे लिखे हुवे मं तर् को बोलते हुए पु नः माला को जल से धो ले
|
ॐ सद्यो जातं प्रद्यामि सद्यो जाताय वै नमो नमः।
भवे भवे नाति भवे भवस्य मां भवोद्भवाय नमः ।।
अब माला को साफ़ वस्त्र से पोछकर माला को शु द्ध थाली एवं चौकी पर स्थापित करे एवं निम्न मं तर् को
बोलते हुए माला के प्रत्ये क मनके पर चन्दन- कुमकुम का तिलक करे |
ॐ वामदे वाय नमः जये ष्ठाय नमः श्रेष्ठाय नमो रुद्राय नमः कल विकरणाय नमो बलविकरणाय नमः ।
बलाय नमो बल प्रमथनाय नमः सर्वभूत दमनाय नमो मनोनमनाय नमः ।।
अब दीपक – अगरबत्ती जला कर निचे दिए हुवे मं तर् को बोले  ।
ॐ अघोरे भ्योथघोरे भ्यो घोर घोर तरे भ्य: सर्वेभ्य: सर्व ।
शर्वेभया नमस्ते अस्तु रुद्ररूपे भ्य: ।।
अब माला को अपने बाये हाथ में ले कर दाए हाथ से ढक ले और निम्न मं तर् का १०८ बार जप कर उसको
अभिमं त्रित करे –
ॐ ईशानः सर्व विद्यानमीश्वर सर्वभूतानाम ब्रह्माधिपति ब्रह्मणो अधिपति ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदा
शिवोम ।।
अब साधक माला की प्राण प्रतिष्ठा हे तु अपने दाय हाथ में जल ले कर विनियोग करे एवं जमीन पर पानी
छोडे
ॐ अस्य श्री प्राण प्रतिष्ठा मं तर् स्य ब्रह्मा विष्णु रुद्रा ऋषय: ऋग्यजु :सामानि छन्दां सि
प्राणशक्तिदे वता आं बीजं
ह्रीं शक्ति क् रों कीलकम अस्मिन माले प्राणप्रतिष्ठापने विनियोगः ।।
अब माला को बाय हाथ में ले कर दाय हाथ से ढक ले और निम्न मं तर् बोलते हुए ऐसी भावना करे कि यह
माला पूर्ण चै तन्य व शक्ति सं पन्न हो रही है |
ॐ आं ह्रीं क् रों यं रं लं वं शं षं सं हों ॐ क्षं सं सः ह्रीं ॐ आं ह्रीं क् रों अस्य मालाम प्राणा इह
प्राणाः ।
ॐ आं ह्रीं क् रों यं रं लं वं शं षं सं हों ॐ क्षं सं हं सः ह्रीं ॐ आं ह्रीं क् रों अस्य मालाम जीव इह
स्थितः ।
ॐ आं ह्रीं क् रों यं रं लं वं शं षं सं हों ॐ क्षं सं हं सः ह्रीं ॐ आं ह्रीं क् रों अस्य मालाम सर्वेन्द्रयाणी
वाङ् मनसत्वक चक्षु ः श्रोत्र जिह्वा घ्राण प्राणा इहागत्य इहै व सु खं तिष्ठन्तु स्वाहा ।
ॐ मनो जूतिजु र्षतामाज्यस्य बृ हस्पतिरयज्ञमिमन्तनो त्वरिष्टं यज्ञं समिमं दधातु विश्वे दे वास इह
मादयन्ताम् ॐ प्रतिष्ठ ।।
अब माला को अपने मस्तक से लगा कर पूरे सम्मान सहित स्थान दे ! इतने सं स्कार करने के बाद माला
जप करने योग्य शु द्ध तथा सिद्धिदायक होती है  ।
नित्य जप करने से पूर्व माला का सं क्षिप्त पूजन निम्न मं तर् से करने के उपरान्त जप प्रारम्भ करे –
ॐ अक्षमालाधिपतये सु सिद्धिं दे हि दे हि सर्व मं तर् ार्थ
साधिनी साधय-साधय सर्व सिद्धिं परिकल्पय मे स्वाहा ।
ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः ।।
अब माला का गं ध, अक्षत, धूप, दीप, पु ष्प आदि से पं चोपचार पूजन कर, इसके पश्चात माला को अपने
मस्तक से लगा कर पूरे सम्मान सहित गौमु खी में स्थापित कर दें ! इतने सं स्कार करने के बाद माला जप
करने योग्य शु द्ध होती है  ।
ध्यान रखे :-
जाप करते समय माला पर किसी कि नज़र नहीं पड़नी चाहिए व तर्जनी अं गुली का माला को कभी स्पर्श
नहीं होना चाहिए ।
गोमु ख रूपी थै ली में माला रखकर इसी थै ले में हाथ डालकर जप किया जाना चाहिए अथवा वस्त्र आदि
से माला को ढक कर भी किया जा सकता है  ।

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