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भारतीय स्वतंत्रता सग्रं ाम

वििेकानंद इंस्टिट्यूि Mob – 9993259075, 8815894728


For Civil Services 203, Pearl Business Park Vishnupuri, Indore
1. यरोपीय कंपलनयों का आगमन

• पतु तगालियों और स्पेन वालसयों ने भौगोलिक खोजों का शभ ु ारभ


ं लकया था। पतु तगाि के राजा
हेनरी द नेलवगेटर भौगोलिक खोजों का कायत प्रारंभ लकया।
• 1492 ई. में स्पेन के लनवासी कोिंबस ने भारत पहुंचने का मागत ढंढते हुए अमेररका की खोज की।
1498 ई. में वास्कोलिगामा (पतु तगािी) ने के प ऑफ गिु होप के रास्ते भारत पहचुं ने में सफिता
प्राप्त की।
भारत में लवदेशी कंपलनयों का आगमन
कंपनी देश स्थापना स्थि गवनतर
पतु तगािी ईस्ट इलं िया पतु तगाि 1498 ई. कािीकट एफ िी आल्मीिा
कंपनी
िच ईस्ट इंलिया हॉिैण्ि 1602 ई मसिीपट्टनम लवलनतच ओ
कंपनी
अंग्रेजी ईस्ट इंलिया लिटेन 1600 ई. सरत सर टॉमस रो
कंपनी
िेलनश ईस्ट इंलिया िेनमाकत 1616 ई. सुतानाती िीहस्तमान
कंपनी
फ्ांसीसी ईस्ट इंलिया फ्ांस 1664 ई. सरत कॉल्बटत मालटतन
कंपनी

1. पतु तगाि

• यरोलपयन देशों में सवतप्रथम पुततगािी भारत आए वास्कोलिगामा ने यरोप से भारत के लिए समुद्री
मागत की खोज की।
• वास्कोलिगामा ने गुजराती पथ प्रदशतक अब्दुि मजीद की सहायता से के प ऑफ गुि होप का
चक्कर िगाते हुए 17 मई 1498 को कािीकट के प्रलसद्ध बंदरगाह कप्पकिाब पर अपना बेडा
उतारा।
• कािीकट के लहदं राजा जमोररन ने उसका स्वागत लकया।
• वास्कोलिगामा कािी लमचत िेकर अपने हेक्टर नामक जहाज से पुततगाि वापस गया और 60 गुना
िाभ प्राप्त लकया।
• पेट्रो एिवारेज कै िाि 1500 ई. में भारत पहच
ुं ने वािा दसरा पतु तगािी था।

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• 1502 ई. में वास्कोलिगामा पुनः भारत आया।
• 1503 ई. में पुततगालियों ने कोचीन में अपनी पहिी फैक्ट्री स्थालपत की उसके बाद 1505 ई. में
कुन्नर में दसरी फैक्ट्री स्थालपत की।

पुततगािी गवनतर

1. फ्ांलसस्को िी अल्मीिा (1505 – 1509 ई.)

• यह प्रथम पुततगािी वायसराय बनकर भारत आया


• इसका उद्देश्य शांलतपर्त व्यापार करना था उसकी यह नीलत ब्ि वाटर पॉलिसी अथवा शांत
जि की नीलत के नाम से जाना जाता है।
• अल्मीिा का 1508 ईसवी में संयक्त ु मलु स्िम नौसैलनक बेडे गज
ु रात लमस्र तक
ु ी से चोि के
समीप युद्ध हुआ लजसमें वह परालजत हुआ।
• 1509 ईस्वी में इसने संयुक्त मुलस्िम नौसैलनक बेडे को परालजत लकया।

2. अल्फास
ं ो िी अल्बक
ु कत (1509 – 1515 ई.)

• यह दसरा पतु तगािी वायसराय था।


• उसने कोचीन को पुततगालियों का मुख्यािय बनाया।
• अल्बुककत को भारत में पुततगािी शलक्त का वास्तलवक संस्थापक माना जाता है।
• 1510 ईसवी में अल्बककत ने बीजापुर के आलदिशाही युसफ सुल्तान से गोवा जीत लिया।
• अल्बकु कत भारत में स्थाई पुततगािी आबादी बसाना चाहता था इसलिए उसने स्वदेशीयों को
भारतीय लियों से लववाह करने के लिए प्रोत्सालहत लकया।
• 1515 ई. में प्रथम चचत का लनमातर् गोवा में लकया गया लजसका नाम सेंट जेलवयर चचत रखा
गया।
• अल्बुककत ने अपने क्षेत्र में सती प्रथा को लनलिद्ध कर लदया।
• 1515 ई. अल्बुककत की मृत्यु तक पुततगािी भारत की सबसे प्रबि जि शलक्त बन चुके थे।

3. 3. ननो िी कुन्हा (1529 – 38 ई.)

• इसने 1530 ई. में गोवा को भारत में पुततगािी राज्य की औपचाररक राजधानी बनाया।
• पुततगालियों ने सामुलद्रक भारतीय साम्राज्य को एस्तादो द इंलिया नाम लदया।उन्होंने लहंद
महासागर से होने वािे व्यापार को लनयंलत्रत करने और उस पर कर िगाने का प्रयास लकया।

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• पतु तगालियों ने काटेज आमेिा कालफिा व्यवस्था द्वारा एलशयाई व्यापार पर गहरा प्रभाव
िािा|
• पतु तगािी अपने आप को सागर के स्वामी कहते थे तथा काटेज आमेिा व्यवस्था को उलचत
ठहराते थे।
• काटेज आमेिा कालफिा व्यवस्था के अंतगतत कोई भी भारतीय या अरबी जहाज पुततगािी
अलधकाररयों से काटतज (परलमट) लिए लबना अरब सागर में नहीं जा सकता था।
• कालफिा व्यवस्था के अंतगतत स्थानीय व्यापाररयों के जहाजों का एक कालफिा होता था
लजसकी रक्षा के लिए पुततगािी बेडा साथ साथ चिता था।
• 1560 ई. में गोवा में ईसाई धमत न्यायािय की स्थापना की गई।
• 1542 ई. में पुततगािी गवनतर मालटतन लिसजा के साथ प्रलसद्ध इसाई संत जेलवयर भारत आए।ं
• पुततगािी मध्य अमेररका से तंबाक आि और मक्का भारत िाए।ं
• पुततगालियों ने भारत में लप्रंलटंग प्रेस को आरंभ लकया।
• अनन्नास पपीता बादाम काज मगं फिी शकरकंद िीची और सतं रा पतु तगालियों की देन थी।

2. िच

• पतु तगालियों के पश्चात िच भारत आएं जो नीदरिैंि के मि लनवासी थे।


• प्रथम िच यात्री कानेलियन हाउटमैन 1596 ई. में भारत के पवत में लस्थत सुमात्रा पहुंचा।
• 1602 ई. में लवलभन्न िच कंपलनयों को लमिाकर यनाइटेि ईस्ट इंलिया कंपनी ऑफ नीदरिैंि के
नाम से एक लवशाि व्यापाररक संस्था की स्थापना की गई।
• 1605 ई. में मसिीपट्टनम में प्रथम िच फैक्ट्री की स्थापना हुई।
• 1610 ई. में िचों ने चंद्रलगरी के राजा के साथ समझौता कर पुलिकट में एक अन्य फैक्ट्री की
स्थापना की तथा इसे अपना मख् ु यािय बनाया।
• िचों ने यहीं पर अपने स्वर्त लसक्के पैगोिा को ढािा।
• िचों ने 1616 ई. में सरत एवं 1641 में लवमिीपतनम में फैलक्ट्रयों की स्थापना की| बंगाि में प्रथम
िच फैक्ट्री की स्थापना लपपिी में 1627 ई. में की गई थी।
• 1658 ई. में िचों ने कालसम बाजार, बािासोर, पटना और नागापटनम में अपनी फैलक्ट्रयां
स्थालपत की।
• औरगं जेब ने 1664 ई. में िचों को 3.5%वालितक चगुं ी पर लबहार, बगं ाि और उडीसा में व्यापार
करने का अलधकार लदया।
• िचों ने मसािों के स्थान पर भारतीय कपडों के लनयातत को अलधक महत्व लदया।
• िच कंपनी ने कालसम बाजार में एक रेशम बनाने का उद्योग स्थालपत लकया।

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• 1759 ई. में अंग्रेजों के साथ बेदरा (बंगाि) के युद्ध में िच परालजत हुए। इस पराजय ने भारत में
उनकी शलक्त समाप्त कर दी।
• िच व्यापाररक व्यवस्था सहकाररता अथातत काटति पद्धलत पर आधाररत थी।
• िच कंपनी ने साझेदारों को 18% िाभांश लदया जो व्यापाररक इलतहास में ररकॉित माना जाता है।

3. अग्रं ेज

• लसतबं र 1599 ई. में िंदन में कुछ व्यापाररयों ने िॉित मेयर की अध्यक्षता में एक सभा का
आयोजन लकया। इन व्यापाररयों ने पवत के देश के साथ व्यापार करने के उद्देश्य से 1599 ई. में एक
कंपनी का गठन लकया।
• इस कंपनी का नाम “गवनतर एिं कंपनी ऑफ मचेंट ऑफ द िंदन ट्रेलिंग इन ट इंसटत इंिीज” रखा
गया।
• इग्ं िैंि की महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने 31 लदसबं र 1600 ई. में एक आज्ञा पत्र द्वारा इसे 15 विों
के लिए पवी देशों के साथ व्यापार करने का अलधकार लदया।
• कंपनी के प्रबंध के लिए एक सलमलत की व्यवस्था की गई इसमें एक लनदेशक एक उपलनदेशक
और 14 अन्य सदस्य थे। यही सलमलत बाद में कोटत ऑफ िायरेक्टसत के नाम से जानी गई।
• कै प्टन हॉलकंस के नेतृत्व में हेक्टर नामक प्रथम अंग्रेजी जहाज 1608 इसवी में सरत बंदरगाह पर
पहुंचा।

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• जॉन हॉलकंस प्रथम अंग्रेज था लजसने समुंदर के रास्ते भारत की भलम पर कदम रखा। हॉलकंस
जहागं ीर के नाम लिलटश सम्राट जेम्स प्रथम का पत्र िेकर मगु ि बादशाह जहागं ीर के दरबार में
पहुंचा।
• हॉलकंस को तुकी एवं फारसी भािा का ज्ञान था। उसने मुगि दरबार में फारसी भािा में बात की।
• जहागं ीर ने उसे 400 का मनसब लदया।
• जहांगीर से हॉलकंस ने सरत में एक फैक्ट्री खोिने की अनुमलत मांगी। जहांगीर ने उसे इंलग्िश खान
की उपालध प्रदान की।
• 1610 – 11 ई. में कै प्टन लमलिल्टन ने स्वािी में पुततगालियों के जहाजी बेडे को परास्त लकया
लजससे जहांगीर प्रभालवत हुआ।
• 1613 ई. इसी में जहांगीर ने अंग्रेजों को सरत में स्थाई कारखाना स्थालपत करने की अनुमलत दे दी।
इससे पहिे 1611 ई. में मसिीपट्टनम में अंग्रेजों ने व्यापाररक कोठी स्थालपत की।
• मसिीपट्टनम गोिकुंिा राज्य का मख् ु य बदं रगाह था।
• 1632 ई. में गोिकुंिा के सुल्तान ने अंग्रेजों को एक सुनहरा फरमान लदया। इसके अनुसार 500
पगोिा वालितक कर के बदिे व्यापार की अनुमलत लमिी।
• 1639 ई. में फ्ालं सस िे अलधकारी ने चद्रं लगरी के राजा से मद्रास को पट्टे पर लिया तथा वहां एक
लकिा बंद कोठी बनाई लजसका नाम फोटत सेंट जॉजत या फोटत सेंट िेलवि जॉजत पडा। अंग्रेजों ने
1651 ई. में हुगिी में व्यापाररक कोठी स्थालपत की।
• 1615 ई. में सर टॉमस रो जहांगीर के दरबार में आया।
• 1661 इसी में इंग्िैंि के राजा चाल्सत लद्वतीय का लववाह पुततगाि राजकुमारी कै थरीन ऑफ
लिगेन्जा के साथ हुआ इस अवसर पर पुततगालियों ने चाल्सत को दहेज के रूप में बम्बई द्वीप
लदया।
• 1668 ई. में सम्राट चाल्सत लद्वतीय ने बम्बई को 10 पौंि के वालितक लकराए पर कंपनी को सौंप
लदया।
• बम्बई का गवनतर गेराल्ि औलगयार ं बम्बई का वास्तलवक संस्थापक था।
• हगु िी पर अलधकार के पश्चात अग्रं ेजों ने कालसम बाजार पटना और राजमहि में कारखाने
स्थालपत लकए।
• 1694 ई. में हाउस ऑफ कॉमंस के प्रस्ताव के अंतगतत 1698 ई. में दो अन्य नई कंपलनयां स्थालपत
की गई इनमें से एक जनरि सोसायटी तथा दसरी इलं ग्िश कंपनी ट्रेलिगं इन द ईस्ट के नाम से
जानी गई।

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• 1688 ईस्वी में स्थालपत न्य कंपनी 1698 ई. में स्थालपत जनरि सोसायटी और इंलग्िश कंपनी
ट्रेलिंग इन द ईस्ट नामक कंपनी का 1708 ई. में लविय हो गया तथा द यनाइटेि कंपनी ऑफ
मचेंट ऑफ िदं न ट्रेलिगं इन द ईस्ट इिं ीज का जन्म हआु ।
• कंपनी का यह नाम 1833 ई. तक रहा और 1833 ई. के चाटतर एक्ट के द्वारा इसका नाम बदिकर
ईस्ट इंलिया कंपनी कर लदया गया।
• जॉब चरनॉक ने अगस्त 1690 ई. में सतु ानाती में एक अग्रं ेजी कोठी स्थालपत की इस प्रकार लिलटश
भारत की भावी राजधानी कोिकाता की नींव पडी।
• अक्टबर 1686 ई. में अंग्रेजों ने हुगिी को िट लिया परंतु औरंगजेब द्वारा परालजत होने पर वे

हुगिी से भाग खडे हुए।


• बंगाि की सबेदार अजीम उस शान 1698 ई. में अंग्रेजों को सुतानाती, कलिकत्ता और गोलवंदपुर

नामक 3 गांव की जमीन दारी प्रदान की।

नाररश लमशन (1698 ई.)

• 1698 ई. में इंग्िैंि के राजा लवलियम तृतीय ने एक अन्य कंपनी स्थालपत की | जो इंलग्िश कंपनी
ट्रेलिगं इन द ईस्ट के नाम से प्रलसद्ध हईु ।
• इस कंपनी ने अपने लिए व्यापाररक सुलवधा प्राप्त करने के उद्देश्य से सर लवलियम नाररश को
औरंगजेब की दरवार है राजदत के रूप में भेजा।

जॉन सरमन लमशन (1715 ई.)

• कंपनी ने 1715 ई में जॉन सरमन की अध्यक्षता में कोिकाता से एक दत मंिि मुगि दरबार में
भेजा।
• इस दत मंिि में एिवित स्टीफेनसन, लवलियम हैलमल्टन नामक सजतन और ख्वाजा सेहूदत नामक

एक आमीलनयन दुभालिया था।


• हैलमल्टन ने बादशाह फर्रतखलशयर की एक ददतनाक बीमारी खत्म करने में सफिता प्राप्त की थी।

• इससे फर्रतखलशयर अंग्रेजों से प्रसन्न होकर 1717 ई. में एक शाही फरमान जारी लकया लजसके

अंतगतत……..
1. ₹3000 वालितक कर के बदिे में कंपनी को बग ं ाि में मक्त
ु व्यापार करने की छट लमि गई।
2. ₹10000 वालितक कर देने के बदिे में कंपनी को सरत में सभी कर से मुक्त कर लदया गया।

3. मुंबई में कंपनी द्वारा ढािे गए लसक्कों को संपर्त मुगि राज्य में चिाने की आज्ञा लमि गई।

• लिलटश इलतहासकार औसत ने इसे कंपनी का मैग्नाकाटात कहा है।

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4. िेलनश

• अग्रं ेजों के पश्चात िेन व्यापारी 1616 ई. में भारत आए।


• िेनों ने 1620 ईस्वी में त्रावर्कोर में अपनी पहिी फैक्ट्री स्थालपत की।
• 1745 ईस्वी में उन्होंने अपनी सभी फैलक्ट्रयां लिलटश कंपनी को बेच दी तथा वे भारत से चिे गए
5. फ्ांसीसी

• िईु 14 वें के मंत्री कॉल्बटत ने सरकार की सहायता से 1664 ई. में भारत से व्यापार करने के लिए
प्रथम फ्ांसीसी कंपनी कंपनी द इंिेंस ओररयंतिेस की स्थापना की।
• भारत में फ्ांसीलसयों की पहिी कोठी फ्ैं क कै रो द्वारा सन 1668 ई. में सरत में स्थालपत की गई।
• 1672 ई. में फ्ांसीलसयों ने मद्रास के लनकट सेंट टोमे को जीत लिया।
• अग्रं ेज समलथतत िचों ने 1693 ई. में फ्ांसीलसयों से पांलिचेरी िे लिया परंतु1697 ई. में ररजलवक
की सलं ध द्वारा इसे वापस िौटा लदया।
• फ्ास ं ीलसयों ने 1725 ई. में माहे पर और 1739 ई. में कराईकि पर अलधकार कर लिया।
• पांलिचेरी को 1701 ई.में पवत की फ्ांसीलसयों की सभी बलस्तयों का मुख्यािय बनाया गया तथा
फ्ालं सस मालटतन को भारत में फ्ास ं ीसी मामिे का महालनदेशक बनाया गया।
• फ्ांसीसी गवनतर िुप्िे के समय में फ्ांसीसी प्रभुत्व की स्थापना हुई।

यरोपीय कंपनी और पहिी व्यापाररक कोठी

कंपनी स्थान वित


पतु तगाि कोचीन 1503 ई.
िच मसिीपट्टनम 1605 ई.
अंग्रेज मसिीपट्टनम , सरत 1611 ई.1613 ई.
िेलनश त्रावर्कोर 1620 ई.
फ्ांसीसी सरत 1668 ई.

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अंग्रेज फ्ास
ं ीसी युद्ध या कनातटक युद्ध

प्रथम कनातटक यद्ध


ु (1746 – 48 ई.)

• तात्कालिक कारर् – अंग्रेज कै प्टन बनेट के नेतृत्व में कुछ फ्ांसीसी जहाजों पर अलधकार कर
िेना।
• बाद में िप्िे ने मद्रास के गवनतर मोसत को आत्मसमपतर् के लिए मजबर कर लदया। कै प्टन

पैरािाइज के नेतृत्व में फ्ांसीसी सेना ने सेंट थॉमस के युद्ध में कनातटक के नवाब अनवरउद्दीन को
परालजत लकया।
• यरोप में अंग्रेजों और फ्ांसीलसयों के बीच ऑलस्ट्रया में िडे जा रहे उत्तरालधकार युद्ध की समालप्त

• ऑक्सा िा शैपि की संलध

लद्वतीय कनातटक युद्ध (1749 – 54 ई.)

• कनातटक में उत्तरालधकार युद्ध


• िप्िे ने चदं ा साहब को नवाब के लिए तथा मुजफ्फर जगं को दक्कन की सबेदारी का समथतन
लकया |
• अंग्रेजों ने अनवर उद्दीन और नालसर जंग को समथतन लदया।
• िप्िे के स्थान पर गोिेहू को 1754 ई. में गवनतर बनाया गया | गोिेहू ने अग्रं ेजों के साथ पालं िचेरी
की संलध की।
• मुजफ्फरजंग, चंदासाहब और िप्िे की संयुक्त सेनाओ ं ने 1749 ई. में कनातटक पर आक्रमर् कर
अम्बर की िडाई में अनवरउद्दीन को परालजत कर मार िािा।

तृतीय कनातटक युद्ध (1757 – 63 ई.)

• तत्कािीन कारर् – क्िाइव और वाटसन द्वारा बगं ाि लस्थत चंद्रनगर पर अलधकार की िािसा।
वांण्िीवाश नामक लनर्ातयक िडाई में 1760 ई. में आयरकट की सेना ने िािी के नेतृत्व में
फ्ांसीसी सेना को परालजत लकया।
• कनातटक के ततृ ीय यद्ध
ु का समापन पेररस की सलं ध के साथ सपं न्न हआ
ु और साथ ही 1763 ई. में
सप्त विीय युद्ध भी समाप्त हो गया।

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बंगाि में अंग्रेजों का लवस्तार

• 1651 ई. में सासु जाने अग्रं ेजों को ₹3000 वालितक के बदिे लबहार बगं ाि तथा उडीसा में मफ्ु त
व्यापार की अनुमलत दी।
• सबेदार azeem-o-shaan ने 1698 ई. में कंपनी को सुतानाती कलिकता और गोलवंदपुरी की
जमींनदारी दे दी।
• मुशीद कुिी खााँ को औरंगजेब ने 1700 में बंगाि का दीवान बनाया तथा 1717 ईस्वी में वह
बंगाि का सबेदार बन गया।

मुलशतद कुिी खां (1717 – 1727 ई. )

• इसने अपनी राजधानी ढाका से मुलशतदाबाद स्थानांतररत कर दी।


• मश
ु ीद कुिी खान भलम बदं ोबस्त में इजारेदारी प्रथा को प्रारभ
ं लकया।

अिी वदी खााँ (1740 – 1750 ई. )

• इसने यरोलपयों की तुिना मधुमलक्खयों से की और कहा की यलद इन्हें न छे डा जाए तो शहद देंगी
और यलद छे डा जाए तो काट काट कर मार िािेंगे |

लसराजुद्दौिा (1750 – 57 ई.)

• इसके लवरोलधयों में पलर्तया के नवाब शौकतगंज, घसीटी बेगम तथा उसका सेनापलत मीरजाफर
शालमि था |
• ब्िैक होि त्रासदी इसके समय की प्रमुख घटना थी।

प्िासी का युद्ध (1757 ई.)

• यह युद्ध 23 जन 1757 ई. को मुलशतदाबाद में नवाब लसराजुद्दौिा और रॉबटत क्िाइव की सेना के


बीच िडा गया।
• नवाब की लवरोलधयों लमरजाफर,राय दुितभ और जगत सेठ के िि्यंत्र के कारर् नवाब की पराजय
हुई।
• इसके बाद मीर जाफर को बंगाि का नवाब बनाया गया।

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मीर कालसम

• इसने अपनी राजधानी मलु शतदाबाद से मगुं ेर स्थानातं ररत की।


• दस्तक पास का दुर्रपयोग करने के कारर् मीर कालसम ने आंतररक व्यापार पर सभी प्रकार के
शल्कों की वसिी बंद करवा दी।
• मगुं ेर में मीर कालसम ने तोपों और तोडेदार बदं क के लनमातर् हेतु कारखाना स्थालपत की |

बक्सर का युद्ध

• 22 अक्टबर 1764 को हेक्टर मुनरो के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना ने अवध के नवाब शुजाउदौिा
मुगि सम्राट शाह आिम लद्वतीय और मीर कालसम की संयुक्त सेना को परालजत लकया।
• क्िाइव ने 1765 ईस्वी में अवध के साथ संलध की लजसे इिाहाबाद की संलध के नाम से जाना
जाता है।

आग्ं ि फ्ांसीसी संघित

सघं ित काि कारर् सलं ध


प्रथम कनातटक युद्ध 1746–48 ई. ऑलस्ट्रया का उत्तरालधकार युद्धएक्स िा शैपि की
सलं ध
लद्वतीय कनातटक युद्ध 1749–54 ई. हैदराबाद तथा कनातटक के आंतररक पांलिचेरी की संलध
मामिे 1754 ई.
तृतीय कनातटक युद्ध 1758-63 ई. सप्त विीय युद्ध से प्रभालवत पेररस की संलध 1763 ई

इिाहाबाद की प्रथम संलध (12 अगस्त 1765 ई.)

• यह संलध मुगि सम्राट शाह आिम लद्वतीय और अंग्रेजों के मध्य हुए।


• मुगि सम्राट शाह आिम लद्वतीय ने 12 अगस्त के फरमान के जररए बंगाि, लबहार एवं उडीसा की
दीवानी कंपनी को दे दी।
• सम्राट को अवध के नवाब से कडा और इिाहाबाद के लजिे िे कर दे लदए गए ।
• मुगि सम्राट को ₹2600000 प्रलत वित पेंशन के रूप में लदए जाने का लनर्तय लिया गया।

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इिाहाबाद की दसरी संलध (16 अगस्त 1765 ई.)

• यह सलं ध अवध के नवाब शज


ु ा उदौिा और क्िाइव के बीच हईु -
• अवध का राज्य कडा और इिाहाबाद को छोडकर नवाब को वापस लमि गया
• कंपनी को ₹5000000 अवध से प्राप्त हुए।
उत्तर मगु िकािीन राज्यों के सस्ं थापक

राज्य समय सस्ं थापक


बगं ाि 1719 ई. मलु शतद कुिी खां
हैदराबाद 1724 ई. लनजाम उि मुल्क
भरतपरु 18 वीं शताब्दी चरु ामन बदन लसहं
कनातटक 18 वीं शताब्दी सआदतउल्िा खान
अवध 1722 – 24 ई. सआदत खान
बरु हान उि मल्ु क
जयपरु 18 वीं सदी सवाई राजा जयलसंह
मैसर 18 वीं सदी हैदर अिी

पज
ं ाब

• लसख 12 छोटे-छोटे समहों में सगं लठत थे उन समहों को लमसि कहा जाता था।

रंजीत लसंह (1792 – 1839 ई.)

• रंजीत लसंह शुकरचलकया लमसि के थे।


• 1809 ई. में िॉित लमंटो के दत चाल्सत मेटकाफ और रर्जीत लसंह के मध्य अमृतसर की संलध हुई।

अमतृ सर की सलं ध (25 अप्रैि 1809)

1. सतिज नदी को दोनों राज्यों की सीमा मान लिया गया।


2. सतिज के परब के राज्य अग्रं ेजों के पास चिे गए

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3. िलु धयाना में एक अंग्रेजी रेजीमेंट रखी गई लजससे रर्जीत लसंह इस तरफ आक्रमर् ना कर
सके ।
• फ्ास
ं ीसी यात्री लवक्टर जाकमा ने रज ं ीत लसहं की ति
ु ना नेपोलियन बोनापाटत से की है।
• रंजीत लसंह के उत्तरालधकारी खडक लसंह, शेर लसंह और लदिीप लसंह हुए।

मराठा राज्य

• 12 अप्रैि 1680 ई. को लशवाजी की मृत्यु के पश्चात मुगि सत्ता को सबसे महत्वपर्त चुनौती
मराठा राज्य से लमिी।
• लशवाजी के पौत्र साहू को औरंगजेब ने 1689 से कै द कर रखा था।
• साहू को 1707 ई. में औरंगजेब की मृत्यु के बाद ररहा लकया गया।
• साहू और ताराबाई के बीच गृह युद्ध के कारर् मराठा सरदारों ने लकसी ना लकसी का पक्ष िेना
शरू
ु लकया। लजसके कारर् मराठा सरदार की एक नई व्यवस्था ने जन्म लिया लजसका नेता राजा
साहू का पेशवा बािाजी लवश्वनाथ था।

बािाजी लवश्वनाथ (1713 – 1720 ई.)

• साहू ने 1713 ई. में बािाजी लवश्वनाथ को पेशवा बनाया।


• पेशवा ने अपने बेटे बाजीराव प्रथम को मराठा साम्राज्य का कायतकारी प्रधान बना लदया।
• अपनी नेतृत्व में एक मराठा फौज िेकर बािाजी लवश्वनाथ 1719 ई. में सैयद हुसैन अिी खान के
साथ लदल्िी गया और फरूतखलसयर का तख्ता पिटने में सैयद बंधुओ ं की मदद की।
• बािाजी लवश्वनाथ 1720 ई. में मारा गया लजसके बाद उसके 20 विीय पुत्र बाजीराव प्रथम को
पेशवा बनाया गया।

बाजीराव प्रथम (1720 – 1740 ई.)

• इसने पेशवा के पद को वंशानुगत बनाया।


• बाजीराव प्रथम ने मुगि साम्राज्य के प्रलत अपनी नीलत की घोिर्ा करते हुए कहा लक “हमें इस
जजतर वृक्ष के तने पर आक्रमर् करना चालहए शाखाएं तो स्वयं ही लगर जाएगं े।“
• बाजीराव प्रथम को लशवाजी के बाद गुररल्िा युद्ध का सबसे बडा प्रलतपादक कहा गया है।

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बािाजी बाजीराव (1740 – 1761 ई.)

• इसे नाना साहब के नाम से भी जाना जाता है जो बाजीराव प्रथम का पत्रु था।
• इसके शासनकाि में मराठों और अहमद शाह अब्दािी की सेनाओ ं का पानीपत में 14 जनवरी
1761 ई. को सामना हुआ लजसमें मराठा सेना परी तरह से परालजत हो गई।
• इस यद्ध
ु में लवश्वास राव और सदालशव राव भाऊ की मृत्यु हो गई।

पानीपत का तीसरा युद्ध (14 जनवरी 1761)

• अहमद शाह अब्दािी ने दुरातनी वंश की स्थापना की।


• इस युद्ध में अवध के नवाब और र्रहेिा सरदार ने अब्दािी की मदद की।
• इस युद्ध में राजपत जाट लसख एवं अन्य लकसी शलक्त ने मराठों की मदद नहीं की।

आंग्ि मराठा युद्ध

यद्ध
ु अवलध पेशवा गवनतर जनरि सलं ध
प्रथम आंग्ि मराठा 1775 – 82 ई. माधवराव वारेन हेलस्टंग्स सािबाई की संलध
युद्ध
लद्वतीय आंग्ि 1803 – 05 ई. बाजीराव जॉजत बािो एवं राजघाट की संलध
मराठा युद्ध लद्वतीय वेिेजिी
तृतीय आंग्ि मराठा 1817 – 1818 बाजीराव िॉित हेलस्टंग्स पना की सलं ध
युद्ध ई. लद्वतीय

• अलहल्याबाई होल्कर का शासनकाि 1765 – 1794 ई. तक चिा।


• पानीपत के तृतीय युद्ध के बाद लसंलधया वंश ने उत्तर भारत की राजनीलत में अपना स्थान बनाया।
• ग्वालियर में महादजी लसंलधया के शासन काि के समय यह वंश संगलठत हुआ।

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मराठों द्वारा की गई प्रमुख संलधयां

सलं ध वित सलं धकतात पक्ष


पुरंदर की संलध 1665 ई. जयलसंह और लशवाजी
सगु ौिी की सलं ध 1750 ई. बािाजी बाजीराव और राजाराम
सरत की संलध 1775 ई. रघुनाथ राव - ईस्ट इंलिया कंपनी
पुरंदर की संलध 1776 ई. माधवराव नारायर् व अंग्रेज
बडगांव की संलध 1779 ई. माधवराव नारायर् और अंग्रेज
सािबाई की संलध 1782 ई. माधवराव नारायर् और अंग्रेज
बसीन की संलध 1802 ई. बाजीराव लद्वतीय और अंग्रेज
देवगांव की संलध 1803 ई. बराड के भोसिे और अंग्रेज
सरु जी अजतनगावं की सलं ध 1803 ई. लसलं धया और अग्रं ेज
राजापुर घाट की संलध 1804 ई. होल्कर और अंग्रेज
पना की संलध 1817 ई. बाजीराव लद्वतीय और अंग्रेज
ग्वालियर की संलध 1817 ई. दौितराव लसंलधया और अंग्रेज

मैसर
हैदर अिी

• 1780 ई. में हैदर अिी ने अंग्रेज जनरि जॉजत बेिी को परालजत कर अकातट पर अलधकार कर
लिया
• 1781 ई. में अंग्रेज जनरि आयर कट ने पोटोनोवा के युद्ध में हैदर अिी को परालजत लकया।

टीप सल्ु तान (1783 – 1799 ई.)

• 1782 ई. में अपने लपता हैदर अिी की मृत्यु के बाद मैसर की राजगद्दी पर बैठा।
• इसने श्गृं ेरी में शारदा देवी की मलतत के लिए धन लदया।
• टीप ने श्ीरंगपट्टनम में स्वतंत्रता का वृक्ष िगाया और जैकोलबन क्िब की स्थापना की।
• टीप सुल्तान की यह अत्यंत लप्रय उलक्त है लक
“एक शेर की तरह एक लदन जीना बेहतर है िेलकन भेड की तरह िबं ी लजदं गी जीना अच्छा नहीं
है।“

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नोट: - प्रथम और लद्वतीय मैसर युद्ध में मराठों और लनजाम ने हैदर अिी का साथ लदया जबलक तृतीय
और चतुथत मैसर युद्ध में मराठे और लनजाम ने अंग्रेजों का साथ लदया।

आंगि मैसर संघित

यद्ध
ु काि मैसर गवनतर कारर् सलं ध लवशेि
शासक
प्रथम आंग्ि मैसर 1767 – हैदर िॉित अग्रं ेजों की मद्रास की दलक्षर् भारत का प्रथम
यद्ध
ु 69 ई. अिी वेरेल्स्ट आक्रामक नीलत सलं ध शासक था जो अग्रं ेजों
से परालजत नहीं हुआ।
लद्वतीय आंग्ि 1780 – हैदर वारेन माहे पर मंगिौर की हैदर अिी की मृत्यु के
मैसर यद्ध
ु 84 ई. अिी हेलस्टंग्स अलधकार सलं ध बाद टीप सल्ु तान के
नेतृत्व में युद्ध हुआ।
तृतीय आंग्ि 1790 – टीप िॉित त्रावर्कोर पर श्ीरंगपट्टनम टीप सुल्तान की लस्थलत
मैसर युद्ध 92 ई. सुल्तान कॉनतवालिस आक्रमर् की संलध कमजोर हो गई।
चतुथत आंग्ि मैसर 1799 ई. टीप िॉित मैसर की टीप की मृत्यु पुनः मैसर
युद्ध सल्ु तान वेिेजिी सहायक में वालियार वंश की
सलं ध स्थापना

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2. लिलटश काि की प्रशासलनक
एवं आलथतक नीलतयां
A. प्रशासलनक नीलतयां

• लजन क्षेत्रों पर अग्रं ेजों का प्रत्यक्ष शासन स्थालपत हुआ उन्हें तीन प्रेलसिेंलसयों में बाटं ा गया बगं ाि,
मद्रास और बंबई।
• 1853 ई. में लबहार के पलश्चमी क्षेत्र को बंगाि प्रेलसिेंसी से अिग कर पलश्चमोत्तर प्रांत का नाम
लदया गया।
• प्रशासलनक व्यवस्था एवं अराजकता के कारर् 1772 ई. तक आलथतक आलस्थरता इतनी बढ़ गई
इसके सुधार के लिए संसद को हस्तक्षेप करना पडा।
भारत का संवैधालनक लवकास
•रे गुलेटिंग एक्ि - 1773 ई.
•विट्स इंडिया एक्ि - 1784 ई.
ब्रिटिश ईटि इंडिया
•चािट र एक्ि - 1793 ई.
कंिनी के अंतगटत
•चािट र एक्ि - 1813 ई.
(1773 – 1853)
•चािट र एक्ि - 1833 ई.
•चािट र एक्ि - 1853 ई.

लिलटश क्राउन के अंतगतत भारत (1858- 1947 ई.)

माउं िबेिन योजना गिनटमेंि ऑफ इंडिया


1947 ई. एक्ि 1857 – 58 ई.

गिनटमेंि ऑफ इंडियन काउं ससल


इंडिया एक्ि 1935 एक्ि 1861 ई.
ई.
गिनटमेंि ऑफ इंडिया
इंडियन काउं ससल
एक्ि 1919 ई.
एक्ि 1892 ई.
(मोंिे ग्यू चेम्सफोिट इंडियन काउं ससल एक्ि
सुधार) 1909 ई.

(मोले समंिो सुधार)

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1. रेगुिेलटंग एक्ट 1773 ई.

✓ सरकार ने कंपनी के आलथतक, प्रशासलनक एवं सैलनक कायों पर संसद के आंलशक लनयंत्रर्
के लिए यह एक्ट िाया।
✓ कंपनी के िायरेक्टरों की सख् ं या 24 कर दी गई।
✓ इस एक्ट के अंतगतत मद्रास एवं मुंबई प्रेलसिेंसी को कोिकाता प्रेलसिेंसी के अंतगतत कर
लदया गया।
✓ लजसका प्रमुख एक गवनतर जनरि होता था।
✓ वारेन हेलस्टंग्स प्रथम गवनतर जनरि बना।
✓ गवनतर जनरि की पररिद में 4 सदस्य थे
फ्ांलसस,बारबेि,क्िैवररंग तथा मानसान।
✓ कोिकाता में एक सप्रु ीम कोटत की स्थापना की गई लजसमें एक मख् ु य न्यायाधीश तथा तीन
अपर न्यायाधीश होते थे।
✓ एलिजा इम्पे को मुख्य न्यायाधीश बनाया गया।

2. लपट्स इलं िया एक्ट 1784 ई.

• यह एक्ट लिलटश प्रधानमंत्री यंगर पीट द्वारा प्रस्तुत लकया गया था।
• इस एक्ट का उद्देश्य कंपनी पर लिलटश क्रॉउन का लनयंत्रर् बढ़ाना था।
• इस एक्ट के माध्यम से कंपनी के व्यापाररक एवं राजनैलतक लक्रयाकिापों को अिग अिग
कर लदया गया।
A. कंपनी का व्यापाररक कायत – बोित ऑफ िायरे क्टर

B. प्रशासलनक कायत – बोित ऑफ कंट्रोि स्थालपत

• बोित ऑफ कंट्रोि (लनयंत्रक मंिि) की स्थापना की गई। फित: कंपनी पर दोहरा लनयंत्रर्
स्थालपत हआ ु ।
• बोित ऑफ कंट्रोि में 6 सदस्य होते थे इसके अंतगतत 4 सदस्य लिलटश प्रीवी काउंलसि से
चुने जाते थे।
• लपट्स इलं िया एक्ट के लववाद को िेकर िॉित नाथत एवं फॉक्स की लमिी जुिी सरकार को
त्यागपत्र देना पडा।
• यह पहिा और अंलतम अवसर था जब लकसी भारतीय मामिे पर लिलटश सरकार लगर गई
हो।

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3. 1786 ई. का एक्ट

• इसका उद्देश्य कॉनतवालिस को भारत के गवनतर जनरि पद के लिए तैयार करना था।
• गवनतर जनरि लवशेि अवस्था में पररिद के लनर्तय को रद्द कर सकता था तथा उन्हें िाग भी
कर सकता था।
• इस अलधलनयम में गवनतर जनरि को प्रधान सेनापलत की शलक्तयां प्रदान की गई।

4. 1793 का चाटतर एक्ट

• कंपनी के व्यापाररक अलधकारों को 20 वित के लिए बढ़ा लदया गया।


• इस एक्ट में लनयत्रं क मिं ि के सदस्यों को भारतीय राजस्व से वेतन देने की व्यवस्था की
गई।
• गवनतर जनरि के बम्बई तथा मद्रास प्रेलसिेंसी पर अलधकार स्पष्ट कर लदए गए।

5. 1813 ई. का चाटतर एक्ट

• के वि चीन के साथ व्यापार एवं चाय का एकालधकार छोडकर भारत में लिलटश कंपनी का
व्यापारी की एकालधकार समाप्त हो गया।
• अथातत कुछ प्रलतबंधों के साथ समस्त अंग्रेजों को भारत से व्यापार करने की खुिी छट प्राप्त
हो गई।
• लशक्षा के लवकास के लिए ₹100000 वालितक लदया जाना लनलश्चत हआ ु ।
• ईसाई लमशनरी को धमत प्रचार करने की अनुमलत

6. 1833 का चाटतर अलधलनयम

• बंगाि के गवनतर जनरि को भारत का गवनतर जनरि बना लदया लजसमें सभी नागररक एवं
सैन्य शलक्तयां लनलहत थी।
• िॉित लवलियम बेंलटक भारत का प्रथम गवनतर जनरि बना।
• गवनतर जनरि की कायतकाररर्ी में लवलध आयोग का गठन लकया गया।
• लवलध आयोग का प्रथम अध्यक्ष िॉित मैकािे को लनयुक्त लकया गया।
• इस अलधलनयम ने पहिी बार एक ऐसी सरकार का लनमातर् लकया लजसका लिलटश आलधपत्य
वािे संपर्त भारतीय क्षेत्रफि पर्त लनयंत्रर् था।
• कंपनी का चाय व चीन के साथ व्यापार प्रलतबंलधत हो गया।
• मद्रास और बबं ई के गवनतरों को लवधालयका संबध ं ी शलक्त से वलं चत कर लदया गया।

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• मबुं ई एवं मद्रास प्रेलसिेंसी को पर्ततः बंगाि के अधीन कर लदया गया।
• भारत का प्रशासन 20 विों के लिए कंपनी के अधीन छोड लदया गया।

7. 1853 का चाटतर अलधलनयम

• इस अलधलनयम के द्वारा लवधायी कायों को प्रशासलनक कायों से अिग कर लदया गया।


• लवलध लनमातर् हेतु एक अिग 12 सदस्य लवधान पररिद की स्थापना की गई।
• लवधान पररिद द्वारा पाररत लवधेयकों को गवनतर जनरि वीटो कर सकता था।
• 1853 ई. के अलधलनयम ने ही सवतप्रथम संपर्त भारत के लिए एक लवधान मंिि की स्थापना
की ।
• बोित ऑफ िायरेक्टर से लसलवि सवेंट की लनयुलक्त का अलधकार छीन लिया गया। अब
प्रलतयोलगता परीक्षा को इस लनयुलक्त हेतु आधार बनाया गया।
• गवनतर जनरि की पररिद में 6 नए सदस्यों में से 4 का चनु ाव बगं ाि , मद्रास, बम्बई और
आगरा की स्थानीय प्रांतीय सरकारों द्वारा लकया जाता था।

8. भारत शासन अलधलनयम 1858

• इसके द्वारा कंपनी की लवस्तारवादी नीलत पर रोक िगा दी गई।


• इस अलधलनयम के तहत भारत का शासन प्रत्यक्ष रूप से लिलटश क्रॉउन (महारानी लवक्टोररया)
के अधीन हो गया।
• अलधलनयम में गवनतर जनरि का पदनाम बदिकर भारत का वायसराय कर लदया गया।
• भारत का पहिा वायसराय िॉित कै लनंग बना।
• भारत सलचव के पद का सज ृ न लकया गया तथा उसकी सहायता के लिए 15 सदस्य काउंलसि
बनाई गई।
• इस काउंलसि के 7 सदस्यों की लनयलु क्त कोटत ऑफ िायरेक्टर के द्वारा और 8 सदस्यों की
लनयलु क्त लिलटश क्राउन के द्वारा की जानी थी।
• बोित ऑफ कंट्रोि का अंत कर लदया गया इस तरह दोहरे लनयंत्रर् की समालप्त हो गई।

9. भारत पररिद अलधलनयम:1861

• इस अलधलनयम द्वारा भारत में संवैधालनक लवकास का सत्रपात हुआ।


• इसके द्वारा अंग्रेजों ने ऐसी नीलत प्रारंभ की लजसे सहयोग की नीलत ( policy of association)
या उधार लनरक ं ु शता( benevolent distortion) की सज्ञं ा दी जाती है।
• पहिी बार भारतीयों को शासन में भागीदार बनाने का प्रयत्न लकया गया।

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• इस अलधलनयम ने भारत में प्रलतलनलध संस्थाओ ं (representative institution) को जन्म
लदया।
• गवनतर जनरि को अध्यादेश जारी करने की शलक्त प्रदान की गई लजसका प्रयोग वह स्वलववेक
से कर सकता था।
• वायसराय को इस बात के लिए अलधकृत लकया गया लक वह प्रशासलनक व्यवस्था हेतु लवलध
बनाए।ं
• कै लनंग ने लवभागीय व्यवस्था की शुर्रआत की।

10. भारत पररिद अलधलनयम 1892

• कें द्रीय तथा प्रांतीय लवधान मंििों में भारतीय सदस्यों को वालितक बजट पर बहस करने तथा
सरकार से प्रश्न पछने का अलधकार लदया गया।
• गैर सरकारी सदस्यों की लनयलु क्त हेतु अप्रत्यक्ष लनवातचन का प्रावधान लकया गया।
• गैर सरकारी सदस्य बजट पर संशोधन का प्रस्ताव एवं मतदान में भाग नहीं िे सकते थे।
• इस अलधलनयम का सबसे महत्वपर्त प्रावधान चुनाव पद्धलत की शुर्रआत करनी थी।

11. भारत पररिद अलधलनयम: 1909

• इस अलधलनयम को मािे लमंटो सुधार के नाम से जाना जाता है।


• उस समय िाित मािे इंग्िैंि में भारत के राज्य सलचव तथा िाित लमंटो भारत के वायसराय थे।
• मुसिमानों के लिए पृथक मतालधकार तथा पृथक लनवातचन क्षेत्रों की स्थापना की गई।
• इस अलधलनयम का िक्ष्य भारत के िोगों को उत्तरदाई सरकार प्रदान करना नहीं बलल्क
लवधान पररिदों को परामशत दात्री सस्ं था के रूप में लवकलसत करना था।
• िोगों को सीलमत मतालधकार प्रदान लकया गया।।
• गवनतर जनरि की कायतकाररर्ी में एक भारतीय सदस्य की लनयुलक्त की गई
• सत्येंद्र प्रसाद लसन्हा गवनतर जनरि की कायतकाररर्ी के प्रथम सदस्य थे।

11. भारत शासन अलधलनयम 1919

• इस अलधलनयम को मांटेग्य चेम्सफोित सुधार के नाम से जाना जाता है।


• इस अलधलनयम के आधार पर प्रांतों में आंलशक रूप से उत्तरदाई सरकार की स्थापना की गई।
• कें द्रीय तथा प्रांतीय सरकारों के बीच प्रशासन के लवियों को कें द्रीय तथा प्रांतीय दो वगों में
लवभक्त लकया गया।
• प्रांतों में द्वैध शासन प्रर्ािी स्थालपत हो गई।

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• प्रातं ीय लवियों को आरलक्षत तथा हस्तांतररत दो वगों में लवभालजत लकया गया।
• प्रांतों में प्रत्यक्ष चुनाव प्रर्ािी अपनाई गई लजसमें सांप्रदालयक आधार पर आरक्षर् की
व्यवस्था थी।
• मलहिाओ ं को भी मतालधकार प्रदान लकया गया।
• सांप्रदालयक आधार पर लनवातचन प्रर्ािी को लसखों यरोलपयों, एग्ं िो इंलियन और ईसाइयों
पर भी िाग कर लदया गया।
• इस अलधलनयम के द्वारा कें द्र में लद्वसदनात्मक लवधालयका स्थालपत की गई ।
• एक सदन को राज्य पररिद तथा दसरे को लवधानसभा कहा गया।
• इस अलधलनयम के अंतगतत भारत सलचव के कायत भार को कम करने के लिए हाई कलमश्नर की
लनयुलक्त की व्यवस्था की गई।

12. भारत शासन अलधलनयम 1935

• अलखि भारतीय संघ की स्थापना |


• इस संघ को लिलटश भारतीय प्रांत तथा कुछ देशी ररयासतों को लमिाकर बनाया गया।
• सघं ीय न्यायािय का प्रावधान।
• संघीय न्यायािय के लवर्रद्ध अपीि प्रीवी काउंलसि में की जा सकती थी।
• इंग्िैंि में भारत पररिद की समालप्त
• ररजवत बैंक की स्थापना
• िोक सेवा आयोग की स्थापना
• प्रांतों में द्वैध शासन समाप्त कर कें द्र में द्वैध शासन िाग लकया गया।
• संघीय प्रशासन के लविय को हस्तांतररत तथा आरलक्षत दो भागों में लवभक्त कर लदया गया।
• आरलक्षत लवियों में प्रलतरक्षा, लवदेशी मामिे, धालमतक लविय और जनजातीय क्षेत्र शालमि थे
बाकी सारे लविय हस्तांतररत लवियों की सची में थे।
• इस अलधलनयम लवियों को तीन श्ेलर्यों में बांटा गया संघ सची प्रांतीय सची तथा समवती
सची
• अवलशष्ट लवियों पर लनर्तय िेने की शलक्त गवनतर जनरि के पास थी।
• कें द्रीय सरकार की कायतकाररर्ी शलक्त गवनतर जनरि में लनलहत कर दी गई।
• इस अलधलनयम के द्वारा 1935 में बमात को भारत से अिग लकया गया।

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13. 1947 ईसवी का भारतीय स्वतंत्रता अलधलनयम

• 3 जन 1947 को िॉित माउंटबेटन को भारत का वायसराय लनयुक्त लकया गया।


• इस अलधलनयम के अंतगतत लिलटश शासन को समाप्त कर 15 अगस्त 1947 को भारत को
स्वतत्रं एवं सप्रं भु राष्ट्ट्र घोलित कर
• दो स्वतंत्र राष्ट्ट्र भारत तथा पालकस्तान को अलस्तत्व में िाया गया
• वायसराय का पद समाप्त कर दोनों िोलमलनयन राज्यों के लिए गवनतर जनरि के पद का सृजन
लकया गया।

महत्वपर्त अलधलनयम: एक नजर में

अलधलनयम वित महत्वपर्त लनर्तय


रेगुिेलटंग एक्ट 1773 बंगाि में सवोच्च न्यायािय की स्थापना
चाटतर एक्ट 1793 कंपनी के व्यापाररक अलधकारों को 20 वित के लिए बढ़ा लदया
गया
चाटतर एक्ट 1813 लशक्षा के लिए प्रलत वित 100000 खचत करने की व्यवस्था
चाटतर एक्ट 1833 कंपनी का भारतीय व्यापार पर से एकालधकार समाप्त
चाटतर एक्ट 1853 लवधायी कायों को प्रशासलनक कायों से अिग, सवतप्रथम संपर्त
भारत के लिए एक लवधान मंिि की स्थापना
भारत शासन अलधलनयम 1858 कंपनी का शासन समाप्त, लिलटश क्राउन का शासन प्रारंभ, गवनतर
जनरि वायसराय बना
भारत पररिद अलधलनयम 1861 लवभागीय एवं मलं त्रमिं िीय प्रर्ािी का प्रारभ ं , िेलजसिेलटव
काउंलसि की स्थापना
भारत पररिद अलधलनयम 1892 पहिी बार लवधान पररिद में बजट पर बहस करने का अलधकार
लमिा।
भारत पररिद अलधलनयम 1909 पृथक लनवातचन मंिि
भारत शासन अलधलनयम 1919 लद्वसदनीय व्यवस्थालपका, प्रातं ों में द्वैध शासन, लसखों को लवशेि
प्रलतलनलधत्व
भारत शासन अलधलनयम 1935 कें द्र में द्वैध शासन, प्रांतीय स्वायत्तता, लनवातचन का अलधकार
(हररजनों, भारतीय ईसाइयों एवं एग्ं िो इलं ियन को )

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B. आलथतक नीलतयां

बगं ाि में द्वैध शासन (1765 – 72 ई.)

• द्वैध शासन का जनक लियो कालटतश को माना जाता है।


• इिाहाबाद की संलध से कंपनी को दीवानी और लनजामत दोनों अलधकार प्राप्त हो गया लजसके

बाद कंपनी ने बंगाि में द्वैध शासन की शुर्रआत की।


• रजा खान को बंगाि का तथा लसताब राम को लबहार का दीवान बनाया गया।

• द्वैध शासन के अंतगतत कंपनी दीवानी और लनजामत के कायों का लनष्ट्पादन भारतीयों के माध्यम

से करती िेलकन वास्तलवक शलक्त कंपनी के पास होती थी।


• 1772 ई. में गवनतर जनरि वारे न हेलस्टंग्स बंगाि में द्वैध शासन को समाप्त कर इजारे दारी प्रथा का

प्रारभ
ं लकया।
फालमिंग लसस्टम (इजारेदारी व्यवस्था) के अंतगतत कंपनी लकसी क्षेत्र या लजिे के भ- क्षेत्र से राजस्व
वसिी की लजम्मेदारी उसे सौंपती थी जो सबसे अलधक बोिी िगाता था।
1. तीन कलठया प्रथा – लबहार के चपं ारर् लजिे में लकसानों को इस प्रथा के अंतगतत अग्रं ेज नीि बगानों
से अनुबंध के तहत अपनी भलम के 3/ 20 भाग पर नीि की खेती करनी पडती थी।
2. ददनी प्रथा – इस प्रथा के अंतगतत लिलटश व्यापारी भारतीय उत्पादकों, कारीगरों, लशलल्पयों आलद
को लनलमतत माि प्राप्त करने के लिए अलग्रम अथवा पेशगी के रूप में धन देते थे।

आलथतक नीलतयों के प्रभाव का आकिन करने वािे प्रमुख इलतहासकार

दादा भाई नौरोजी, महादेव गोलवदं रानािे, आरसी दत्त, गोपाि कृष्ट्र् गोखिे, गोपाि सिु मण्यम
अयंगर, पृथ्वी चंद्र राय

धन का बलहगतमन लसद्धांत

• सवतप्रथम दादा भाई नौरोजी ने अपनी पस्ु तक िेब्ट्स ट इलं िया में इस लसद्धातं का प्रलतपादन
लकया।
• गृह व्यय भी धन की लनकासी का एक माध्यम था लजसमें अलधकाररयों को वेतन तथा पेंशन देना।
• भारत में रेि लनमातर् में लिलटश पंजी पर िाभांश 10% था।

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• इसके अिावा नागररक एवं सैन्य भंिार के लिए लवदेश से खरीदी गई वस्तु , नौवहन कंपनी को
की गई अदायगी भी धन लनकासी के प्रमुख माध्यम थे।
• भारत में पहिा सीमेंट उद्योग वित 1914 में पोरबदं र में स्थालपत हआ
ु |

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लिलटश कािीन भ राजस्व व्यवस्था

टथाई बंदोबटत रै यतिाडी व्यिटथा महालिाडी व्यिटथा

लॉिट कॉनटिासलस 1793 िॉमस मुनरो 1820 होल्ि मैकेंजी 1835

बंगाल, ब्रबहार, उडीसा,


उत्तर प्रदे श, बनारस, बम्बई ,मद्रास, असम उत्तर प्रदे श मध्य
उत्तरी कनाटिक प्रांत िंजाब

समटत अंग्रेजी भारत समटत अंग्रेजी भसू म का


समटत भूसम का
का 19% 51%
30%

भूसम अधधग्रहण सदै ि भसू म का मासलक


भूसम िर गांि का
के सलए जमींदार को ककसान
अधधकार
ब्रिटिश सरकार को ब्रिटिश सरकार को
राजटि दे ने की ब्रिटिश सरकार को राजटि दे ने की
स्जम्मेदारी जमींदार राजटि दे ने की स्जम्मेदारी समटत
की स्जम्मेदारी ककसान की गांि के मुखियाओं
की
कर की दर 10/11
ब्रिटिश कोष में और 1 कर की दर 33 से 55% कर की दर 60% तक
/ 11 जमींदार का

ननस्चचत समय िर
करना दे ने िर जमीन 1792 ईटिी में कनटल बागानी कृवष को
दारी नीलाम रीि ने सिटप्रथम बढािा
बारामहल स्जले में
लागू

प्रमुख अकाि आयोग एवं सलमलतयां

1. कैं पबेि आयोग (1866 – 67 ई.)

• उडीसा में आए अकाि की जांच के लिए


• आयोग ने माना लक के वि स्वयं सेवी संस्थाएं ही राहत कायों के लिए उत्तरदाई नहीं है।

2. स्ट्रैची आयोग (1878 – 80 ई.)

• इसने लसफाररश की लक जरूरतमदं िोगों को सहायता पहच


ुं ाना राज्य का कततव्य है|

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• आसक्त िोगों को भोजन बांटा जाए
• प्रत्येक प्रांत में अकाि कोि होना चालहए।

3. िायि आयोग 1897 ई.

4. मैकिोनाल्ि आयोग 1900 ई.

• अकाि सहायता तथा अनदु ान पर बि लदया।

लवत्त एवं अथतव्यवस्था से संबंलधत प्रमुख सलमलतयां

सलमलत काि सस्ं तुलत


अमीनी सलमलत 1778 भ राजस्व एवं अकाि से संबंलधत
लनकोिसन आयोग 1892 सरकारी संस्थाओ ं की कायतप्रर्ािी जांच से संबंलधत
वेिवी आयोग धन के बलहगतमन लसद्धांत पर दादा भाई नौरोजी के आरोपों की
समीक्षा
हािैण्ि सलमलत 1916 उद्योगों के लवकास से संबंलधत
मैक्सबेि ब्िमफील्ि 1928 बारदोिी कृिक आंदोिन के पुनमतल्यांकन से संबंलधत
सलमलत
लिट्िे आयोग 1929 श्लमकों से संबंलधत
सप्र सलमलत 1934 मध्यवगत में बेरोजगार की जाच ं से सबं लं धत
फ्िाउि आयोग 1940 इस आयोग ने कुि फसि उत्पादन का दो-लतहाई बटाईदारों को देने
का सुझाव लदया।

भारत में पंजीवाद का लवकास

1. वालर्लज्यक पंजीवाद (1757 – 1813)

• ईस्ट इलं िया कंपनी का व्यापारी का व्यापाररक एकालधकार

2. औद्योलगक पंजीवाद (1813 – 1858)

• लिटेन में औद्योलगक क्रांलत के बाद भारत एक बाजार के रूप में पररवलततत हो गया

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• भारतीय परंपरागत उद्योगों का तेजी से लवनाश
• 1813 और 1833 का चाटतर एक्ट से आलथतक शोिर् की प्रलक्रया और तीव्र हुई क्योंलक ईस्ट
इलं िया कंपनी का व्यापाररक एकालधकार खत्म हो गया।
• कच्चे मािों का लनयातत लिटेन लकया जाने िगा।

3. लवत्तीय पंजीवाद (1858 – 1947)

• इस चरर् में रेिवे तथा संचार माध्यमों का लवस्तार लकया गया


• इस दौर में लिलटश व्यापाररयों का लहत प्रारंभ हुआ।
➢ दादा भाई नौरोजी को प्रलत व्यलक्त आय का अनुमान िगाने वािा प्रथम राष्ट्ट्रवादी नेता
माना जाता है।
➢ राष्ट्ट्रीय आय का प्रथम वैज्ञालनक आकिन िॉ वी के आर वी राव ने लकया।
➢ कारखाना अलधलनयम 1891 िॉित िैंसिाउन के काि में िाया गया
• यह अलधलनयम 50 श्लमकों वािे कारखानों पर िाग हुआ था लजसके अंतगतत मलहिाओ ं
को रालत्र 7:00 बजे से सुबह 5:00 बजे तक कायत करने पर प्रलतबंध िगाया गया।
➢ लिन लिथगों आयोग की स्थापना 1928 में की गई थी | यह आयोग भारतीय कृलि की
लस्थलत की जांच से संबंलधत था।

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3. सामाभजक धाभमिक सुधार आंदोलन

• उन्नीसवीं सदी के आरभं िक दशकों में देश के प्रत्येक िाग में यह आिास भकया जाने लगा भक
समाज भिछडा हुआ है और इसमें सुधार लाना आवश्यक है।
• सामाभजक कुरीभियों और अंधभवश्वासों ने धाभमिक भवश्वासों का रूि धारण कर भलया था अिः
देश के प्रत्येक िाग और प्रत्येक धाभमिक समुदाय में सामाभजक सुधार के जो आंदोलन प्रारंि हुए
वे धाभमिक सुधार की िी आंदोलन थे।
1. राजा राममोहन राय और ब्रह्म समाज

• राजा राममोहन राय का जन्म 22 मई 1774 ई. को बगं ाल में हआ ु था।


• राजा राममोहन राय ने फारसी में िोहफि-उल-मुभहबोद्दीन( एक ईश्वर वाभदयों को उिहार) और
मीराि उल अखबार, बांग्ला िाषा में संवाद कौमुदी, अंग्रेजी िाषा में ब्रह्माभनकल मैगजीन,
प्रीसेप्ट ऑफ जीसस की रचना की।
• मुगल शासक अकबर भििीय ने राम मोहन राय को राजा की उिाभध प्रदान की और भब्रभटश सम्राट
भवभलयम चिथ ु ि के दरबार में िेजा था।
• इन्हें िारिीय राष्ट्रवाद का जनक िी कहा जािा है। यह एके श्वरवाद के समथिक िथा बहुदेववाद के
प्रबल भवरोधी थे।
• सुिाष चंद्र बोस ने राजा राममोहन राय को युगदूि िी कहा है।
• 1829 ई. में लॉर्ि भवभलयम बेंभटक की सहायिा से सिी प्रथा को प्रभिबंभधि करवाया था।
• उन्होंने र्ेभवर् हेयर के सहयोग से कोलकािा में भहदं ू कॉलेज 1817 ई. की स्थािना की ।
• 1825 ई. में उन्होंने कोलकािा में वेदांि कॉलेज की स्थािना की।
• राजा राममोहन राय के बाद देवेंद्र नाथ टैगोर ने 1843 ई. में ब्रह्म समाज को नेिृत्व प्रदान भकया।
देवेंद्र नाथ टैगोर ने 1839 ई. में ित्वबोभधनी सिा की स्थािना की।
• ब्रह्म समाज के भवचारों को लेकर 1865 ई. में के शव चंद्र सेन िथा देवेंद्रनाथ टैगोर के बीच में
भववाद हुआ और
• के शव चंद्र सेन ने आभद ब्रह्म समाज का गठन भकया।
• के शव चंद्र सेन ने इंभर्यन ररफामि एसोभसएशन की स्थािना की इन्होंने 1872 ई. में ब्रह्म भववाह
अभधभनयम को काननू ी रूि देने के भलए राजी भकया।
• 1878 ई. में आचायि के शव चंद्र सेन ने अिनी अल्िायु िुत्री का भववाह ब्रह्म भववाह अभधभनयम का
उल्लंघन करिे हुए कूचभबहार के राजा से कर भदया भजसके कारण ब्रह्म समाज में असंिोष िनिने
लगा।
• फलस्वरूि के शव चंद्र सेन की अनुयाभययों ने आभद ब्रह्म समाज से अलग होकर साधारण ब्रह्म
समाज का गठन भकया।
• 1835 ईस्वी में भब्रस्टल इंग्लैंर् नामक स्थान िर राजा राममोहन राय की मृत्यु हो गई।

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प्रमुख संस्थान स्थािना वषि प्रमुख संस्थान स्थािना
आत्मीय सिा 1814 ई. कोलकािा यूभनटेररयन 1821 ई
वेदांि सोसाइटी 1816 ई. वेदांि कॉलेज 1825 ई
भहंदू कॉलेज 1817 ई. ब्रह्म समाज 1828 ई

2. प्राथिना समाज

• महाराष्ट्र में 1867 ई. में प्राथिना समाज की स्थािना हईु ।


• प्राथिना समाज में जाभि व्यवस्था िथा िुरोभहिों के आभधित्य की आलोचना की।
• प्राथिना समाज की स्थािना र्ॉ. आत्माराम िांर्ुरंग ने की बाद में आर जी िंर्ारकर िथा महादेव
गोभवंद रानार्े इस समाज से जुडे।
• प्राथिना समाज की स्थािना के प्रेरणा स्रोि के शव चंद्र सेन थे।
• महादेव गोभवदं रानार्े को िभिम िारि में सास्ं कृभिक िनु जािगरण का अग्रदूि कहा जािा है। इन्हें
दक्कन का सुकराि िी कहा जािा था।
• आरजी िंर्ारकर, अगरकर, गोिाल हरी देशमुख मालाबारी भशंदे आभद प्राथिना समाज से जुडे थे।

प्राथिना समाज से संबंभधि प्रमुख संस्थाएं

सस्ं था सस्ं थािक


साविजभनक समाज महादेव गोभवंद रानार्े
दक्कन एजुकेशनल सोसायटी महादेव गोभवंद रानार्े
भवर्ो रीमैररज एसोभसएशन महादेव गोभवदं रानार्े
आयि मभहला समाज िंभर्िा रमाबाई
भवर्ो होम प्रो. र्ी के कवे
इंभर्यन भवमेंस यूभनवभसिटी प्रो. र्ी के कवे
दभलि जाभि मर्ं ल, समाजसेवा लीग प्रो. र्ी के कवे

3. स्वामी दयानंद सरस्विी और आयि समाज

• स्वामी दयानंद सरस्विी का जन्म 1824 ई. में गुजराि में हुआ था।
• उनके बचिन का नाम मूल शंकर था।
• इन्होंने ही सविप्रथम स्वराज शब्द का प्रयोग भकया था िथा भहंदी को राष्ट्रिाषा के रूि में स्वीकार
भकया था।

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• एनी बेसेंट ने कहा था भक स्वामी दयानंद ऐसे िहले व्यभि थे भजन्होंने कहा भक िारि िारि
वाभसयों के भलए है।
• स्वामी दयानंद सरस्विी को िारि का माभटिन लूथर कहा जािा है।
• आयि समाज की स्थािना 1875 ई. में मुंबई में स्वामी दयानंद सरस्विी ने की।
• 1877 ई. में इसका मुख्यालय लाहौर में बनाया गया।
• भहंदू धमि के दोषों को उजागर करने के साथ-साथ उन्होंने वेदों की ओर लौटो का नारा भदया।
• आयि समाज का प्रसार िज ं ाब ,िभिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान िथा महाराष्ट्र में अभधक हआ
ु था।
• दयानंद सरस्विी ने भहंदू धमि छोडकर अन्य धमि अिनाने वालों के भलए शुभि आंदोलन चलाया
था।
• स्वामी दयानदं सरस्विी ने आगरा में िाखर्ं खर्ं नी ििाका फहराई थी ।
• दयानंद सरस्विी की मृत्यु अजमेर में 30 अक्टूबर 1883 ई. को हुई थी।
• इनके सहयोगी लाला हंसराज ने 1886 ई. में दयानदं एग्ं लो वैभदक कॉलेज (लाहौर) िथा स्वामी
श्रिानंद ने गुरुकुल कांगडी भवश्वभवद्यालय (हररिार) की स्थािना की थी।
स्वामी दयानंद सरस्विी की रचनाएं

• सत्याथि प्रकाश
• िाखर्ं खर्ं न
• वेद िाष्ट्य िूभमका
• अिैि मि का खर्ं न
• िंच महायज्ञ भवभध
• वल्लिाचायि मि का खंर्न
• ऋग्वेद िाष्ट्य
• गौकरुणाभनभध।
4. स्वामी भववेकानंद और रामकृष्ट्ण भमशन

• स्वामी भववेकानदं का जन्म 1860 ई. में कोलकािा में हआ ु था।


• इनके बचिन का नाम नरेंद्र दत्त था।
• 1893 ई. में अमेररका के भशकागो में आयोभजि प्रथम भवश्व धमि सम्मेलन में िाग भलया।
• खेिडी के राजा के सझ ु ाव िर इन्होंने अिना नाम स्वामी भववेकानदं रख भलया।
• वषि 1900 ई. में िेररस में आयोभजि भििीय भवश्व धमि सम्मेलन में िी स्वामी भववेकानंद ने िाग
भलया था।
• मागिरेट नोबेल भसस्टर भनवेभदिा उनकी भशष्ट्या थी।
• स्वामी जी को 19वीं शिाब्दी के नव भहंदू जागरण का संस्थािक िी कहा जािा है।
• सिु ाष चद्रं बोस ने स्वामी भववेकानदं को आधुभनक राष्ट्रीय आदं ोलन का आध्याभत्मक भििा
कहा है।
• इन्होंने प्रबुि िारि (अंग्रेजी) एवं उद्बोधन (बंगाली) नामक िभत्रकाओ ं का प्रकाशन भकया।

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• राजयोग कमियोग एवं वेदांि भफलासफी उनकी प्रभसि िुस्िके है।
• 1896 – 97 ई. में बेलरू कोलकािा में स्वामी भववेकानदं ने रामकृष्ट्ण भमशन की स्थािना की।
• स्वामी भववेकानंद ने फरवरी 1896 ई. में न्यूयॉकि में वेदांि सोसाइटी का गठन िारिीय धमि एवं
दशिन के प्रचार के भलए भकया था।
• इन्होंने मूभिि िूजा बहूदेववाद का समथिन भकया िथा इनका मानना था भक ईश्वर की अनुिूभि
प्रिीकों के रूि में की जा सकिी है।
5. हेनरी भवभवयन र्ेरोभजयो और यगं बगं ाल

• उन्नीसवीं सदी के चौथे दशक में बगं ाल के बभु िजीभवयों में एक रेभर्कल ग्रिु सगं भठि हआ
ु । इस
आंदोलन को यंग बंगाल आंदोलन के नाम से जाना गया है भजसके प्रवििक हेनरी भवभवयन
र्ेरेभजओ थे।
• यह फ्ांसीसी क्ांभि से प्रिाभवि थे िथा इन्होंने भहंदू कॉलेज में 1826 – 21 ई. िक िढाया।
• र्ेरोभजयो को सुरेंद्रनाथ बनजी ने बंगाल में आधुभनक सभ्यिा का अग्रदूि एवं अिनी जाभि का
भििा माना है।
• इनके प्रमुख अनुयायी राम गोिाल घोष, कृष्ट्ण मोहन बनजी िथा महेश चंद्र घोष थे।
• भर्रोभजयो ने एके र्भमक एसोभसएशन िथा सोसायटी फॉर द एक्वीजीशन ऑफ जनरल नॉलेज,
एग्ं लो इभं र्यन भहदं ू एसोभसएशन, बगं भहि सिा और भर्बेभटंग क्लब का गठन भकया।
6. एनी बेसेंट और भथयोसॉभफकल सोसायटी

• एनी बेसेंट ने 1898 ई. में बनारस में सेंरल भहंदू कॉलेज की स्थािना की थी| भजसे वषि 1916 ई. में
मदन मोहन मालवीय ने बनारस भहदं ू भवश्वभवद्यालय के रूि में भवकभसि भकया।
• इनकी भवचारधारा को दैव भवज्ञान के नाम से जाना जािा है।
• एनी बेसेंट कांग्रेस के 33 वें अभधवेशन कोलकािा 1917 में प्रथम मभहला अध्यक्षा बनी थी।
• इन्होंने भहंदू धमि के प्रसार प्रचार के भलए मद्रास में भहंदू सम्मेलन का आयोजन भकया।
• भथयोसोभफकल सोसायटी की स्थािना 1875 ई. में न्यूयॉकि में मैर्म हेलेना ब्लॉवाट्सकी िथा
कनिल हेनरी अलकॉट ने की थी।
• 1883 ई. में मद्रास (चेन्नई) के भनकट आर््यार नामक स्थान िर भथयोसोभफकल सोसायटी का
मुख्यालय बनाया गया।
• 1893 ई. में आयरीश लेर्ी मभहला एनी बेसेंट ने िारि में भथयोसोभफकल सोसायटी का कायििार
संिाला।
• एनी बेसेंट ने वषि 1915 ई. में आयरलैंर् की होम रूल लीग की िजि िर िारि में होमरूल लीग की
स्थािना की।
• इस सोसाइटी से जुडे अन्य भहंदू नेिा र्ॉक्टर िगवान दास िथा एस सुब्रमण्यम अय्यर प्रमुख है।

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भहंदू धाभमिक सामाभजक आंदोलन

सस्ं था सस्ं थािक स्थािना स्थल प्रमखु उद्देश्य


धमि सिा राधाकांि देव 1829 ई. कोलकािा स्थािना ब्रह्म समाज के भवरोध में
ित्वबोभधनी सिा देवेंद्र नाथ टैगोर 1839 ई. कोलकािा राममोहन राय के भवचारों का प्रचार
करना
राधा स्वामी सत्संग िल
ु सीराम 1861 ई. आगरा एके श्वरवादी भसिांिों का प्रचार
िारिीय ब्रह्म के शव चंद्र सेन 1866 ई. कोलकािा मूल ब्रह्म समाज से अलग होकर
समाज स्थाभिि
मूल समाज को आभद ब्रह्म समाज कहा
गया।
साधारण ब्रह्म भशवनाथ शास्त्री 1878 ई. कोलकािा ब्रह्म समाज में भििीय भविाजन ; के शव
समाज आनंद मोहन बोस चंद्र सेन की युवा अनुयाभययों के एक
वगि ने उन्हें छोड भदया।
देव समाज भशव नारायण 1887 ई. लाहौर इसके अनुयायी गुरु को िूजिे थे।
अभग्नहोत्री ब्रह्म समाज की िरह
िारि सेवक समाज गोिाल कृष्ट्ण 1905 ई. मुंबई िारिीयों को भशभक्षि करने िथा
गोखले मभहला कल्याण को बढावा देने
के भलए।

मुभस्लम सुधार आंदोलन


1. सर सैयद अहमद खान और अलीगढ आदं ोलन

• सर सैयद अहमद खान का जन्म 1817 ई. में भदल्ली में हुआ था।
• 1857 ई के भवद्रोह के समय यह कंिनी की न्याभयक सेवा में कायिरि करिे हुए राज िि बने रहे।
• इन्होंने कुरान िर टीका भलखी। इन्होंने िहजीब उल अखलाक िभत्रका का प्रकाशन भकया िथा
देशिि एसोभसएशन की स्थािना की।
• अलीगढ आंदोलन का प्रवििन अहमद खान ने इस्लाम में व्याप्त सामाभजक कुरीभियों के भवरुि
भकया।
• 1864 ई. में सैयद अहमद खान ने साइंभटभफक सोसाइटी की स्थािना की।
• 1875 ई. में अलीगढ में मोहम्मर्न एग्ं लो ओररएटं ल स्कूल की स्थािना की भजसे वषि 1920 ई. में
अलीगढ मुभस्लम भवश्वभवद्यालय बनाया गया।
• भचराग अली, अल्िाफ हुसैन हाली, नजीर अहमद और मौलाना भशब्ली नोमानी अलीगढ
आदं ोलन के प्रमख ु नेिा थे।

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2. अहमभदया आंदोलन

• 1889 ई. में िंजाब के काभदयान नामक स्थान िर भमजाि गुलाम अहमद ने अहमभदया आंदोलन की
शरुु आि की।
• इसने भजहाद का भवरोध और इस्लामी िलाक िथा बहु ित्नी भववाह का समथिन भकया था।
3. देवबंद आंदोलन

• 1867 ई. में उत्तर प्रदेश के सहारनिरु भजले के देवबदं स्थान िर कुरान िथा हदीस की भशक्षाओ ं के
प्रसार के भलए एक मदरसे की स्थािना की गई।
• इस मदरसे की स्थािना मोहम्मद काभसम ननौिी एवं रशीद अहमद गंगोही के िारा की गई थी।
• देवबदं शाखा ने िारिीय राष्ट्रीय काग्रं ेस का समथिन भकया लेभकन सैयद अहमद खान के िारा
बनाई गई िारिीय देशिि सिा िथा मोहम्मद एग्ं लो ओररएटं ल एसोभसएशन के भवरुि फिवा
जारी भकया।
4. िारसी सुधार आंदोलन

• 1851 ई. में नौरोजी फरदोनजी, दादा िाई नौरोजी िथा एस एस बंगाली ने रहनुमाई मजदयासन
सिा की स्थािना की
• इस सिा ने रास्ि गोफ्िार नामक िभत्रका चलायी।
• दादा िाई नौरोजी िारि के भििामह (ग्रैंर् ओल्र् मैन ऑफ़ इंभर्या) के नाम से भवख्याि है।
• 1807 ई. में इन्होंने इग्ं लैंर् में ईस्ट इभं र्या एसोभसएशन बनाया भजससे इभं र्या िभत्रका का प्रकाशन
होिा था।
5. भसख सुधार आंदोलन

• भसखों में धाभमिक सुधार की शुरुआि 19वीं शिाब्दी में अमृिसर में खालसा कॉलेज की स्थािना
से हुई थी।
• भसख धमि सुधार आंदोलन के अग्रदूि दयालदास है भजनके अनुयायी भनरंकारी कहलाए।
भनम्न जाभि आदं ोलन एवं अछूिों िारा आदं ोलन

1. सत्यशोधक समाज

• भनम्न जाभि आदं ोलन की शरुु आि सविप्रथम महाराष्ट्र में हुई वहां िर इसका नेिृत्व ज्योभिबा फुले
ने भकया।
• ज्योभिबा फुले ने भनम्न जाभियों के कल्याण के भलए 1872 ई. में सत्यशोधक समाज की स्थािना
की।

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• ज्योभिबा फुले ने 1872 ई. में एक िुस्िक गुलामभगरी भलखी इनकी एक अन्य िुस्िक साविजभनक
सत्य धमि िी है।
2. आत्मसम्मान आंदोलन

• 1920 के दशक में रामास्वामी नायकर उफि िेररयार ने इस आंदोलन की शुरुआि की।
• िेररयार िारा िभमल रामायण की रचना की गई।
• आत्मसम्मान आंदोलन में भबना ब्राह्मण की सहायिा से भववाह करना मंभदरों में जबरन प्रवेश और
मनुस्मृभि जलाना गभिभवभधयां शाभमल थी।
3. वायकोम सत्याग्रह

• छुआछूि के भवरुि आदं ोलन के रल में चलाया गया था।


• 30 माचि 1924 ई. को के रल कांग्रेस कमेटी ने हररजनों को मंभदर में प्रवेश कराया।
4. गरुु वायरू सत्याग्रह

• के कलप्िण ने इस आदं ोलन की शरुु आि के रल में की।


• 1931 ई. में गुरुवायूर में मंभदर प्रवेश सत्याग्रह छे डने का भनणिय भलया गया।।
5. र्ॉक्टर िीमराव अंबेर्कर

• 1924 ई. में अंबेर्कर ने मुंबई में दभलि संस्थान बभहष्ट्कृि भहिकाररणी सिा की स्थािना की।
• इसका उद्देश्य सवणि भहंदुओ ं िथा अछूिों में सामाभजक समिा के भसिांि का प्रचार करना था|
भजसके भलए समाज समिा संघ की स्थािना की गई।
• 1942 ई. में अबं ेर्कर ने अनस ु भू चि जाभि िररषद की स्थािना की।
• इन्होंने ऑल इंभर्या भर्प्रेस्र् क्लास एसोभसएशन (अभखल िारिीय दभलि वगि संघ) की स्थािना
की।
6. महात्मा गांधी

• गाधं ी अस्िृश्यिा को मानविा के भलए अिराध मानिे थे।


• वषि 1932 ई. में हररजन सेवक संघ की स्थािना गांधी ने की।
• इन्होंने एक िभत्रका हररजन भनकाली

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सामाभजक सुधार अभधभनयम

अभधभनयम वषि गवनिर भवषय


जनरल
भशशु वध प्रभिबंध 1802 ई. वेलेजली भशशु हत्या िर प्रभिबंध
सिी प्रथा प्रभिबंध 1829 ई. लॉर्ि भवभलयम सिी प्रथा िर प्रभिबंध – भनयम 17 वा
बेंभटक
दास प्रथा प्रभिबंध 1843 ई. एलनबरो 1843 में दासिा िर प्रभिबंध
भहंदू भवधवा िुनभविवाह 1856 ई. लॉर्ि कै भनंग भवधवा भववाह की अनुमभि ( भवद्यासागर के
प्रयास) - 15
नेभटव मैररज एक्ट 1872 ई. नॉथिब्रुक अन्िजाििीय भववाह (के शव चंद्र सेन के
प्रयास से)
एज ऑफ कंसेंट एक्ट 1891 ई. लैंसर्ाउन भववाह की आयु 12 वषि लडकी के भलए
भनधािररि बहरामजी मालाबारी के प्रयास से,
बाल गंगाधर भिलक ने इसका भवरोध भकया
था
शारदा एक्ट 1930 ई. इरभवन भववाह की आयु 18 वषि लडके के भलए
भनधािररि हरभवलास शारदा के प्रयास से
इन्फेंट मैररज प्रीवेंशन 1931 ई. इरभवन बाल भववाह प्रभिबध

• बाल हत्या प्रथा : बाल हत्या की प्रथा राजिूिों एवं बंगाल में अभधक प्रचभलि थी
• 1795 ई. में बगं ाल भनयम 21 और 1804 ई. में भनयम 3 के िहि इस कुप्रथा को रोकने का व्यािक
प्रयास भकया गया।
1. बाल भववाह

इसके भवरुि सविप्रथम आंदोलन राजा राममोहन राय ने भकया। के शव चंद्र सेन वह
बहरामजी मालाबारी के प्रयास से 1872 ई. में देशी बाल भववाह अभधभनयम िाररि भकया गया।
इस अभधभनयम में 14 वषि से कम आयु की बाभलकाओ ं िथा 18 वषि से कम आयु के बालकों
के भववाह को प्रभिबभं धि भकया गया। एच एस बगं ाली के प्रयासों के फलस्वरूि 1891 ई. में
भब्रभटश सरकार ने एज ऑफ कंसेंट एक्ट िाररि भकया भजसमें 12 वषि से कम आयु की कन्याओ ं
के भववाह िर प्रभिबंध लगाया गया।

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2. सिी प्रथा

िारि में सिी प्रथा का प्रथम उल्लेख 510 ई. के एरण अभिलेख में भमलिा है।
सविप्रथम 15वीं शिाब्दी में कश्मीर के शासक भसकंदर ने सिी प्रथा को बदं कराया था।
िुििगाली वायसराय अल्बुककि ने 1510 ई में गोवा में इस प्रथा को बंद करवाया था। राजा
राममोहन राय ने सिी प्रथा का भवरोध करिे हुए भब्रभटश सरकार से इसे िणू ििः बदं करवाने का
अनुरोध भकया था। राजा राममोहन राय के प्रयासों से ही लॉर्ि भवभलयम बेंभटक ने 4 भदसंबर
1829 को भनयम 17 के िहि बंगाल में सिी प्रथा िर रोक लगाई।
3. भवधवा िनु भविवाह

भवधवा िुनभविवाह के क्षेत्र में सवािभधक योगदान कोलकािा के संस्कृि कॉलेज के


प्राचायि ईश्वर चंद्र भवद्यासागर ने भदया। उन्होंने 1000 हस्िाक्षर से युि ित्र र्लहौजी को िेजकर
भवधवा िनु भविवाह को काननू ी रूि से मान्यिा देने का अनरु ोध भकया था। ईश्वर चद्रं भवद्यासागर
के प्रयासों के फलस्वरूि भब्रभटश सरकार (लॉर्ि कै भनंग) ने 1856 ई. में भहंदू भवधवा िुनभविवाह
अभधभनयम भनयम 15 िाररि भकया। भजसमें भवधवा िुनभविवाह को कानूनी मान्यिा दी गई। प्रो.
धोंर्ो के शव कवे एवं वीरेसभलगं मििुं लु ने िी भवधवा िनु भविवाह के भलए कायि भकया । प्रो. कवे
ने 1899 ई. में भवधवा आश्रम की िुणे में स्थािना की। िथा स्वयं एक भवधवा से भववाह भकया।
4. स्त्री भशक्षा

िारिीय समाज में भस्त्रयों की दयनीय भस्थभि को देखिे हएु सविप्रथम ईसाई भमशनररयों
ने 1819 ई. में कोलकािा में िरुण स्त्री सिा की स्थािना की। 1849 ई. में जे र्ी बैथुन (भशक्षा
िररषद के अध्यक्ष) िारा कोलकािा में बाभलका भवद्यालय की स्थािना की गई।
स्त्री भशक्षा के भलए सवािभधक प्रयास ईश्वर चद्रं भवद्यासागर ने भकए । उन्होंने बगं ाल में
लगिग 35 बाभलका भवद्यालय स्थाभिि भकए| 1854 ई. में गभठि भशक्षा आयोग चाल्सि वुर्
भर्स्िैच में िी स्त्री भशक्षा िर भवशेष बल भदया गया। प्रो. र्ी के कवे ने स्त्री भशक्षा को बढावा देने
के भलए 1916 ई. में िुणे में प्रथम िारिीय मभहला भवश्वभवद्यालय की स्थािना की थी। 1926 ई.
में मभहलाओ ं के उत्थान के भलए अभखल िारिीय मभहला संघ की स्थािना हुई। राष्ट्रीय भशक्षा
नीभि 1986 ई. में लडभकयों की भशक्षा िर भवशेष नीभि बनाई गई थी।
5. दास प्रथा

िारिीय समाज में प्रचभलि दास प्रथा को बंद करने के भलए 1823 ई. में भलस्टर
स्टैन्होि ने इग्ं लैंर् के र््यक
ू ऑफ़ ग्लास्टर से अनरु ोध भकया था। भजसके फलस्वरूि दासों के
भनयािि को बंद कर भदया गया। 1833 ई. चाटिर एक्ट िारा भब्रभटश सरकार ने दासिा िर िूणि
प्रभिबंध लगाया िथा इस प्रभिबंध को 1843 ई. में संिूणि िारि में लागू भकया गया। 1860 ई. में
दासिा को िारिीय दर्ं सभं हिा के िारा अिराध घोभषि कर भदया गया।

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4. कृषक श्रभमक और जनजािीय आंदोलन

➢ देश के भजन प्रदेशों में भब्रभटश शासन का भवस्िार हुआ वहां लोगों िारा इसका भवरोध भकया
गया।
➢ इन भवरोध में मख्
ु य रूि से कृषक श्रभमक और भवभिन्न प्रदेशों की जनजाभियों ने िाग भलया।

A. भकसान आंदोलन

• भब्रभटश शासन की राजस्व व्यवस्था ने मध्यस्थों की एक नई श्रेणी भवकभसि की।बढिे हुए लगान
के कारण भकसान उधार लेने को बाध्य हुए भजसे साहूकारों के एक नए वगि का उदय हुआ।
• इन भकसान आंदोलनों का उद्देश्य सामंि शाही बंधनों को िोडना लगान बढाने बेदखली
ब्याजखोरी इत्याभद के भखलाफ आवाज उठाना था।

प्रमुख भकसान आंदोलन

1. रामोशी आंदोलन 1822 – 41 ई.

• रामोशी आदं ोलन महाराष्ट्र के िभिमी घाट में अकाल िथा िख


ू की समस्या के चलिे प्रारि

हुआ था।
• इसका नेिृत्व चीिर भसंह और नरभसंह िेटकर ने भकया।

2. मोिला भवद्रोह 1836 – 85 ई.

• मोिला के रल की मालाबार क्षेत्र में रहने वाले और अरब एवं मलयाली मुसलमान थे।
• यह अभधकिर छोटे भकसान और व्यािारी थे।
• भब्रभटश सरकार ने िू स्वाभमयों के अभधकार का भवस्िार करके उच्च जािीय भहंदू नम्बूदरी एवं
नायर िू स्वाभमयों की शभि बढा दी थी भजसके कारण या भवद्रोह हुआ।
• इस भवद्रोह ने साप्रं दाभयक रूि ले भलया।
• महात्मा गांधी ,अबुल कलाम आजाद और भखलाफि आंदोलन के नेिा शौकि अली ने
मोिला भवद्रोभहयों का समथिन भकया।

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3. नील भवद्रोह 1859 – 60 ई.

• यह बंगाल के काश्िकारों िारा नील बागान माभलकों के भखलाफ 1859 ई. में भकया गया
भवद्रोह था।
• स्थानीय नेिा भदगंबर भवश्वास और भवष्ट्णु भवश्वास ने इस भवद्रोह का नेिृत्व भकया।
• 1860 ई. िक यह आदं ोलन बगं ाल के भवभिन्न क्षेत्रों में काफी िेजी से फैला भजसके कारण
नील के सिी कर खाने बंद हो गए।
• नील भवद्रोह को बंगाल के बुभिजीभवयों, धमि प्रचारकों, छोटे जमींदारों और महाजों का िी
सहयोग प्राप्त हआु ।
• भहंदू िेभरयट के संिादक हररिंद्र मुखजी और नील दििण नाटक के रचनाकार दीनबंधु भमत्र ने
नील बागान माभलकों के अत्याचारों का खुला भचत्रण भकया।
• नील भवद्रोह िारिीय भकसानों का िहला सफल भवद्रोह था।

4. िाबना भवद्रोह 1873 – 85 ई.

• यह भवद्रोह बगं ाल के िाबना भजले में जमींदारों िारा लगान की अत्यभधक वभृ ि के कारण
हुआ।
• िाबना क्षेत्र िटसन की खेिी के भलए भवख्याि था।
• िावना भवद्रोह के प्रमखु नेिा ईशान चद्रं राय के शव चद्रं राय और शि ं ू िाल थे।
• बंभकम चंद्र चट्टोिाध्याय िथा आरसी दत्त िाबना आंदोलन के समथिक थे
• सरकार िारा इस भवद्रोह के कारणों और प्रकृभि की जांच करने के भलए भनयुि आयोग ने
गरीबी और इसके िररणाम स्वरूि भकसानों की ऋणग्रस्ििा को ही भवद्रोह का एकमात्र कारण
बिाया।
• इस आयोग की संस्िुभि के आधार िर 1885 ई. में सरकार ने बंगाल टेनेंसी एक्ट िाररि भकया
भजसमें यह प्रावधान भकया गया भक भकसानों की जमीनों को जब्ि नहीं भकया जाएगा।
• इस आदं ोलन में भहदं ू िथा मसु लमानों ने साप्रं दाभयक सौहाद्रि का िररचय भदया।

5. दक्कन भवद्रोह 1874 – 75 ई.

• इस भवद्रोह का प्रमख
ु कारण रैयिवारी िू राजस्व व्यवस्था थी भजसमें भकसान करों के िारी
बोझ के साथ-साथ साहूकारों के चंगुल में िी फँ स गए।
• करों में 50% की वृभि के कारण कृषक समस्याएं चरम िर िहुंच गई।

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• यह आंदोलन दक्कन से फैल कर pune-solapur िथा सिारा में फैल गया और ऋण संबंधी
कागजाि िथा करार नामें लूटे गए और उनको जलाया गया।
• इन दगं ों की प्रकृभि िथा कारणों की जाच
ं करने के भलए सरकार ने दक्कन उिग्रह आयोग
भनयुि भकया। भजसका भनष्ट्कषि था भक गरीबी के िररणाम स्वरूि भकसानों की ऋण ग्रस्ििा
इसका प्रमुख कारण थी
• अिं िः दक्कन कृषक राहि अभधभनयम 1879 िाररि हुआ भजसके िारा कृषकों को महा जनों
के भवरुि संरक्षण प्राप्त हुआ।

राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान कृषक भवद्रोह

1. चंिारण सत्याग्रह 1917 ई.

• भबहार के चंिारण के भकसानों से अंग्रेज बागान माभलकों ने एक करार कर रखा था भजसके


अंिगिि भकसानों को अिनी कृभष जन्य क्षेत्र के 3 / 20 िाग िर नील की खेिी करनी होिी थी।
• उन्नीसवीं सदी के अंभिम भदनों में रासायभनक रंगों की खोज और उसके प्रचलन से नील
बाजार में भगरावट आने लगी भजससे भकसानों को नक ु सान हुआ और िररणाम स्वरुि भवद्रोह
शुरू हुआ।
• 1916 ई. िक इस आंदोलन का नेिृत्व राजकुमार शुक्ल ने भकया।
• ित्ििाि महात्मा गाध ं ी 1917 ई. में इस आदं ोलन से जडु े और इस आदं ोलन का नेित्ृ व
भकया।
• िारि में सत्याग्रह के प्रयोग का यह गांधी का प्रथम प्रयास था।
• इस सत्याग्रह के सफल नेिृत्व के कारण रभवद्रं नाथ टैगोर ने गाधं ी को महात्मा की उिाभध दी।
• इस मामले की जांच के भलए सरकार ने जुलाई 1917 में एक आयोग स्थाभिि भकया भजसके
सदस्यों में गांधीजी िी शाभमल थे।
• आयोग की सलाह िर सरकार ने िीन कभठया ििभि को समाप्त करिे हुए घोषणा की भक
भकसानों से अवैध रूि से वसूले गए धन का 25% िाग वािस कर भदया जाए।

2 अवध भकसान सिा – 1918 ई.

• गुजराि के खेडा भजले में फसल खराब होने के बाद िी भकसानों से लगान की वसूली की जा
रही थी।
• 22 माचि 1918 ई. को गांधी ने इसके भखलाफ आंदोलन भकया और भकसानों को लगान अदा
न करने का सुझाव भदया| यह गांधी का प्रथम वास्िभवक भकसान सत्याग्रह था।

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• इस आंदोलन में इंदूलाल याभग्नक और बल्लि िाई िटेल ने गांधी जी का साथ भदया।
• अवध के क्षेत्र में सविप्रथम भकसानों को जमींदारों और िालुकदारओ ं शोषण के भवरुि
सगं भठि करने का प्रयास होम रूल लीग के कायिकिािओ ं ने भकया।
• गौरीशंकर भमश्र, इंद्र नारायण भिवेदी, मदन मोहन मालवीय इत्याभद के प्रयत्नों से 1918 में
अवध में उत्तर प्रदेश भकसान सिा का गठन भकया गया।
• नाई धोबी बदं आदं ोलन सबं भं धि है।
• 1920 ई. में उत्तर प्रदेश भकसान आंदोलन असहयोग आंदोलन के साथ जुड गया।
• 17 अक्टूबर 1920 ई. को बाबा रामचंद्र के प्रयास से अवध भकसान सिा का गठन भकया
गया।

3 एक आंदोलन 1921 – 22 ई.

• इस आदं ोलन का मख् ु य कारण जमींदारों िारा की गई अत्यभधक लगान वृभि एवं गैर काननू ी
रूि से खेिों को छीना जाना था।
• इस आंदोलन का नेिृत्व मदारी िासी एवं सहदेव ने भकया था।

4. बारदोली सत्याग्रह 1928 ई.

• सरू ि के बारदोली िालुका में वषि 1928 ई. में भकसानों िारा लगान न अदायगी का आंदोलन
चलाया गया भजसमें कुनबी िाटीदार जाभि के िस्ू वामी भकसान और कालीिराज की
जनजाभि के लोगों ने भहस्सा भलया।
• सरकार ने ब्रूमफील्र् और मैक्सवेल को बारदोली मामले की जांच का आदेश भदया। जांच
ररिोटि में बढी हुई 30% लगान दर को अवैध करार भदया गया।
• सरकार ने लगान को घटाकर 6.03% कर भदया।
• यहां की मभहलाओ ं ने वल्लि िाई िटेल को सरदार की उिाभध से भविूभषि भकया।

5. अभखल िारिीय भकसान सिा 1936

• सभवनय अवज्ञा आंदोलन की समाभप्त के बाद 11 अप्रैल 1936 ई. को लखनऊ में अभखल
िारिीय भकसान सिा की स्थािना की गई।
• स्वामी सहजानदं सरस्विी इसका अध्यक्ष िथा एन जी रगं ा को इसका महासभचव भनयिु
भकया गया।
• इस सम्मेलन में िू राजस्व की दर को 50% कम करने िथा भकसान संगठनों को मान्यिा देने
की मागं रखी गई।

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• अभखल िारिीय भकसान सिा को जवाहरलाल नेहरू ने िी संबोभधि भकया था।

6. िेिागा आदं ोलन 1946 ई.

• यह आंदोलन बंगाल का सबसे सशि आंदोलन था।इस आंदोलन िारा बटाई दारों ने यह
मांग की भक उन्हें उिज का 1 / 3 िाग प्रदान भकया जाए।
• यह जोिदारों के भवरुि बटाईदारों का आदं ोलन था।
• इस आंदोलन का नेिृत्व कम्िाराम और िवन भसंह ने भकया।

7. वली भवद्रोह 1947 ई.

• महाराष्ट्र के वली में भकसानों ने जमींदारों साहूकारों और जंगल के ठे केदारों के भवरुि यह


आंदोलन भकया।

प्रमख
ु भकसान आदं ोलनों का सभं क्षप्त भववरण

आदं ोलन /सगं ठन/ सस्ं थािक /अध्यक्ष / नेिा वषि प्रिाभवि क्षेत्र
भवद्रोह
चंिारण and खेडा महात्मा गांधी 1917 and भबहार and गुजराि
सत्याग्रह 1918
उत्तर प्रदेश भकसान सिा गौरी शंकर भमश्र, इंद्र नारायण 1918 उत्तर प्रदेश
भिवेदी
अवध भकसान सिा बाबा रामचंद्र 1920 उत्तर प्रदेश
एका आंदोलन मदारी िासी 1921 - 22 उत्तर प्रदेश
भबहार भकसान सिा स्वामी सहजानंद सरस्विी 1929 भबहार
कृषक प्रजा िाटी अकरम खान अब्दुरिहीम खान 1929 बंगाल
फजलुल हक
प्रथम िारिीय भकसान एनजी रंगा 1938 आंध्र प्रदेश
स्कूल
अभखल िारिीय स्वामी सहजानदं सरस्विी 1936 लखनऊ
भकसान सिा

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B. जनजािीय आंदोलन

1. सन्यासी भवद्रोह

• 1760 ई. में बंगाल में इस आंदोलन की शुरुआि िीथि स्थानों िर लगाया जाने वाला प्रभिबंध के
कारण हआु ।
• इसइस आंदोलन नेिृत्व किाि के ना सरकार िथा दजी नारायण थे।
• बंभकमचंद्र रभचि आनंदमठ नामक उिन्यास में इस भवद्रोह का वणिन भकया गया है।

2. चुआर भवद्रोह

• इस भवद्रोह की शुरुआि बंगाल के भमदनािुर भजले में िूभम कर एवं अकाल से उत्िन्न आभथिक
सक
ं ट के कारण हआ ु ।
• इस भवद्रोह का नेिृत्व 1798 ई. में दुजिन भसंह िथा जगन्नाथ ने भकया था।

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3. हो एवं मुंर्ा भवद्रोह

• अग्रं ेजों िारा छोटानागिुर िथा भसंहिूम भजले से िथा मुंर्ा आभदवाभसयों को बेदखल भकए
जाने के कारण जनजाभियों ने 1820 – 22 ई. में प्रभिरोध भकया।
• बंगाल के ित्कालीन िराहार राजा जगन्नाथ ने आभदवाभसयों की भवद्रोह में सहायिा की।
• मर्ुं ा भवद्रोह 1824 ई. में प्रारि
ं हआ
ु िथा 1895 ई. में भबरसा मर्ुं ा के नेित्ृ व में अिने चरम िर
िहुंचा।
• मुंर्ो की िारंिररक िूभम व्यवस्था खूँटकट्टी में िररवििन के भवरुि मुंर्ा भवद्रोह की शुरुआि
हईु ।
• इस भवद्रोह को उल्गुन के नाम से जाना जािा है।
• 3 फरवरी 1900 ई. को भबरसा मुंर्ा को भगरफ्िार कर भलया गया िथा रांची जेल में इनकी है
जैसे मृत्यु हो गई।

4. िील भवद्रोह

• 1825 ई. में िभिमी घाट क्षेत्र में िीलो िारा या भवद्रोह भकया गया।
• इस भवद्रोह का प्रमुख कारण कृभष संबंधी िरेशाभनयां थी जो अंग्रेजों िारा िैदा की गई थी।
• सेवा राम ने इस भवद्रोह का नेिृत्व भकया।

5. अहोम भवद्रोह

• 1828 ई. में जब भब्रभटश साम्राज्य में असम के अहोम क्षेत्र को अंग्रेजी राज में भमलाने का
प्रयास भकया िब गोमधन कुँवर के नेित्ृ व में अहोम लोगों ने भवद्रोह भकया

6. कोल भवद्रोह

• 1831 ई. में छोटा नागिरु क्षेत्र में कोल आभदवाभसयों की जमीन छीनकर मस
ु लमान एवं भसख
कृषकों को देने के कारण यह भवद्रोह हुआ।
• बुिो िगि, गंगा नारायण ने इस आंदोलन का नेिृत्व भकया।

7. खासी भवद्रोह

• अिने साम्राज्य के भवस्िार के भलए जब 1822 ई. में अंग्रेजों ने खासी िहाभडयों से एक सडक
बनाना प्रारि
ं भकया िब यह भवद्रोह शरू ु हआ ु ।
• राजा िीरथ भसंह ने इस भवद्रोह को नेिृत्व प्रदान भकया।

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8. सथ
ं ाल भवद्रोह

• िागलिरु एवं राजमहल के संथाल आभदवाभसयों ने 1855 ई. में जमींदारों साहूकारों के


अत्याचार के भवरुि आंदोलन भकया।
• इस भवद्रोह के नेिृत्व करिा भसिू एवं कान्हू थे।

9. राम्िा भवद्रोह

• आंध्र प्रदेश के गोदावरी भजले में 1879 ई. भवद्रोह हुआ।

10. बहावी आदं ोलन

• यह आंदोलन 1830 – 1807 ई. के बीच रायबरे ली के सैयद अहमद के नेिृत्व में हुआ।
• इसका उद्देश्य इस्लाम धमि में आई बुराइयों को दूर करके हजरि मोहम्मद से संबंभधि मूल
इस्लाम धमि को िुनस्थािभिि करना था।
• िारि में इसका मुख्य कें द्र िटना था।
• सैयद अहमद ने अिने अनुयाभययों को शस्त्र धारण करने की प्रेरणा दी और िंजाब में भसखों के
राज्य के भवरुि भजहाद की घोषणा की।
• इस भवद्रोह में भवलायि अली और इनायि अली ने िाग भलया था।

11. फराजी भवद्रोह

• यह भवद्रोह बंगाल की फरीदिुर से शुरू हुआ भजसका नेिृत्व शररयािुल्लाह और उसके िुत्र
दादू भमयां ने भकया।
• यह भवद्रोह 1838 – 1857 ई. िक चलिा रहा और अंि में बहावी आंदोलन से जुड गया।

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भब्रभटश प्रशासन के भवरुि प्रमुख जनजािीय एवं अन्य भवद्रोह

भवद्रोह अवभध प्रिाभवि क्षेत्र नेिृत्व किाि


सन्यासी भवद्रोह 1760 – 1800 ई. भबहार, बंगाल के ना सरकार ,दजी
नारायण
फकीर भवद्रोह 1776 – 77 ई. बंगाल मजनून शाह एवं भचराग
अली
िॉलीगरों का भवद्रोह 1799 – 1801 ई. िभमलनार्ु वीर िी काट्टावाम्मान
वेलाथाम्िी भवद्रोह 1808 – 09 ई. त्रावणकोर मेलु थाम्िी
िील भवद्रोह 1825 – 30 ई. िभिमी घाट सेवाराम
रामोसी भवद्रोह 1822 – 29 ई. िभिमी घाट भचिर भसंह
िागलिथ ं ी भवद्रोह 1825 – 27 ई. असम टीिू
अहोम भवद्रोह 1828 ई. असम गोमधन कुँवर
कॉल आदं ोलन 1831 – 32 ई. छोटा नागिुर गोमधन कुँवर
खासी भवद्रोह 1833 ई. असम िीरि भसंह
फराजी आंदोलन 1838 – 48 ई. बंगाल शररयािुल्लाह टीटू
भमयां
नील भवद्रोह 1854 – 62 ई. भबहार , बंगाल िीरथभसंह
सथ
ं ाल भवद्रोह 1855 – 56 ई. भबहार , बंगाल भसिू कान्हू
मुंर्ा भवद्रोह 1899 – 1900 ई. भबहार झारखंर् भबरसा मुंर्ा
िाइक भवद्रोह 1817 – 25 ई. उडीसा बक्सी जगबंधु
नील आंदोलन 1859 – 60 ई. बंगाल भदगंबर भवश्वास , भवष्ट्णु
भवश्वास
िावना भवद्रोह 1873 – 76 ई. िावना (बगं ाल) ईशान चद्रं राय, शिं ू
िाल
मोिला भवद्रोह 1920 – 22 ई. मालाबार अली मुसभलयार
कूका आदं ोलन 1840 ई. िजं ाब िगि मभु स्लयर
रम्िाओ ं का भवद्रोह 1879 – 1922 ई. आंध्र प्रदेश सीिाराम राजू
िाना िगि आदं ोलन 1914 ई. भबहार जिरा िगि
िेिागा आंदोलन 1946 ई. बंगाल कम्िा राम एवं िवन
भसंह

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C. िारि में श्रभमक आंदोलन

• िारि के श्रभमक आंदोलनों का प्रारंि आधुभनक उद्योगों की स्थािना के साथ शुरू होिा है । रेलवे
का भनमािण इस भदशा में प्रथम कदम था | आधुभनक उद्योगों के उदय के साथ ही कर खानों में
अनेक बरु ाइयां जैसे – काम की अभधक घटं े, आवास की उभचि व्यवस्था ना होना, कम वेिन,
अत्यभधक सुरक्षा आभद समस्याओ ं उिडी।
• 1877 ई. में नागिुर भस्थि एप्रं ेस भमल के श्रभमकों ने अिने वेिन की दरों के भवरुि हडिाल का
आयोजन भकया।
• आरंभिक भदनों में राष्ट्रवादी नेिाओ ं का रुझान श्रभमक आंदोलन के प्रभि उदासीन था।
• राष्ट्रवादी नेिा इस समय के वल उन्हीं मुद्दों से लडना चाहिे थे भजसमे समूचे देश की िागीदारी हो |
कामगार भहिवधिक सिा (वषि 1909) सामाभजक सेवा संघ (1911) कोलकािा मुद्रक (1905),
िारिीय रेल कमिचारी एकीकृि सोसाइटी (1897) आभद प्रारभं िक श्रभमक आदं ोलन से जडु ी
संस्थाएं थी।
• 1870 ई. में बंगाल के शभश िाद बनजी ने श्रभमकों का एक क्लब स्थाभिि भकया और िारि
श्रमजीवी नामक िभत्रका का प्रकाशन भकया | 1890 ई. में एन एम लोखर्ं े ने मबुं ई भमल हैंर्
एसोभसएशन की स्थािना की भजसे आंभशक रूि से िारि का िहला श्रभमक संघ माना जािा है।
• इस समय का एकमात्र समाचार ित्र मराठा ही भमल श्रभमकों की ररयायतों के भलए वकालि करिा
था।
• िारि का िहला आधुभनक श्रभमक संगठन बी िी वाभर्या िारा गभठि मद्रास श्रभमक संघ वषि
1918 ई. था।
• 16 अक्टूबर 1905 ई. को बंगाल भविाजन के भदन श्रभमकों ने समूचे बंगाल में हडिाल रखी।

स्वदेशी आंदोलन के दौरान श्रभमक आंदोलन

• स्वदेशी आंदोलन के दौरान नेिाओ ं ने स्थाई रेर् यूभनयन, हडिालों, कानून की सहयोग, िथा कोष
एकत्र करने जैसे अभियानों में उत्साह िूविक िाग भलया।
• हडिालों मजदूरों की सिाओ ं को भबभिन चद्रं िाल, भचिरज ं न दास िथा भलयाकि हुसैन जैसे
राष्ट्रवादी नेिाओ ं ने संबोभधि भकया।
• स्वदेशी आंदोलन के दौरान 4 बडे नेिाओ ं ने अभश्वनी कुमार दत्त, प्रिाि कुमार राय चौधरी,
प्रेमिोष बोस िथा अिूवि घोष ने अिने को सभक्य श्रभमक आंदोलन को समभििि भकया।

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• 1918 ई. में गांधीजी ने अहमदाबाद टेक्सटाइल लेबर एसोभसएशन की स्थािना की। इस दौरान
अहमदाबाद भमल मजदूरों की एक हडिाल में गांधी जी ने स्वयं िाग लेकर उनकी मजदूरी में 27.5
% िक वलृ द्ध करवाई।
• इसी दौरान गांधीजी ने रस्टीभशि का भसिांि भदया भजसके अनुसार िूंजीिभि मजदूरों के भहि की
रक्षा करने वाला रस्टी होिा है।

अभखल िारिीय रेर् यूभनयन कांग्रेस

• वषि 1920 ई. में एन एम जोशी, जोसेफ बैिभटस्टा िथा लाला लाजिि राय के प्रयासों से अभखल
िारिीय रेर् यूभनयन कांग्रेस (AITUC) की स्थािना हुई।
• इसका प्रथम अभधवेशन लाला लाजिि राय की अध्यक्षिा में वषि 1920 ई. में मुंबई में हुआ
दीवान चमनलाल इसके महामंत्री बने।
• इसके िीसरे और चौथे अभधवेशन की अध्यक्षिा भचिरज ं न दास ने की थी।
• वषि 1929 ई. के नागिुर अभधवेशन में जब जवाहरलाल नेहरू ऑल इंभर्या रेर् यूभनयन कांग्रेस
(AITUC) के अध्यक्ष थे िो इसका दो िागों में भविाजन हो गया मुख्य मुद्दा यह था भक एटक
(AITUC) अग्रं ेजों िारा भनयि ु रायल कमीशन ऑन लेबर का बभहष्ट्कार करेगी या नहीं।।
• वषि 1931 ई. में दूसरा भविाजन हुआ इस बार साम्यवाभदयो ने एटक (AITUC) छोड भदया िथा
रेर् रेर् यूभनयन कांग्रेस (RTUC) बनाई।
• रेर् रेर् यूभनयन के प्रमुख नेिाओ ं में रणदेव देशिांर्े, बंभकम मुखजी िथा िूिेंद्र दत्त शाभमल थे।
और इनके प्रयासों से वषि 1933 ई. में राष्ट्रीय मजदूर संघ एवं िररसंघ (NTUF) की स्थािना हुई।

मजदूर आंदोलन िथा वामिंथ

• बीसवीं शिाब्दी के िीसरे दशक में मजदूर आंदोलनों िर वामिंथी भवचारधाराओ ं की िकड
मजबूि हुई।
• वषि 1927 ई. के आरि ं में देश के अलग-अलग िागों में भवभिन्न कम्यभु नस्टों ने अिने को वकि सि
एर्ं िीजेंट्स िाटी (कामगारों और भकसानों की िाटी) के रूि में संगभठि भकया।
• इसके प्रमुख नेिा थे श्रीिाद अमृि र्ांगे, मुजफ्फर अहमद, िूरन चंद्र जोशी िथा सोहन भसंह जोर।
• कामगार भकसान िाटी काग्रं ेस के अदं र ही वामिथ ं ी गटु के रूि में काम करिी थी।
• वषि 1930 ई. िथा वषि 1936 ई. के दौरान मजदूर वगि का आंदोलन सभवनय अवज्ञा आंदोलन के
साथ जुडा हुआ था।
• भििीय भवश्व युि के भवरोध में आई एन ए मुकदमा िथा वषि 1942 ई. में िारि छोडो आंदोलन के
दौरान गाध ं ीजी और अन्य नेिाओ ं की भगरफ्िारी के भवरोध में देशिर के मजदूरों ने आदं ोलन
भकया।

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• मबुं ई िथा कोलकािा की बंदरगाहों के मजदूरों ने सेना की रसद को इंर्ोनेभशया िक िहुंचाने वाले
जहाजों में माल लादने से इंकार कर भदया।
• वषि 1947 ई. में सरदार िटेल के नेित्ृ व में इभं र्यन नेशनल रेर् यभू नयन काग्रं ेस (INTUC) की
स्थािना हुई।

भब्रभटश सरकार िारा िाररि कारखाना अभधभनयम

अभधभनयम वषि वायसराय मुख्य िथ्य


प्रथम 1881 ई. लॉर्ि ररिन • 7 वषि से कम उम्र के बच्चों के काम कराने िर प्रभिबंध
कारखाना
• महीने में 4 भदन का अवकाश
अभधभनयम
• श्रभमक के मुद्दे को छोड भदया गया
भििीय 1891 ई. लॉर्ि ➢ सप्ताह में 1 भदन का अवकाश
कारखाना लैंसर्ाउन ➢ 9 वषि कम आयु के बच्चों को काम करने िर प्रभिबंध
अभधभनयम ➢ कायािवभध 11 घंटे प्रभिभदन भनधािररि।
➢ यह उन्हीं कारखानों िर लागू होिा जो भबजली का
उििोग करिे थे िथा
➢ श्रभमकों की संख्या 50 से अभधक होिी थी
कारखाना 1911 ई. लॉर्ि हाभर्िंग िरुु ष कायािवभध 12 घटं े भनभिि
अभधभनयम
कारखाना 1922 ई. लॉर्ि रीभर्ंग ❖ बच्चों की कायि अवभध 7 घंटे प्रभिभदन भनभिि
अभधभनयम ❖ 12 -15 वषि की आयु के बच्चों को कारखानों में कायि
करने की अनुमभि
कारखाना 1934 ई. लॉर्ि ✓ मौसमी िथा गैर मौसमी कारखानों में अंिर भकया गया
अभधभनयम वेभलंगटन ✓ अल्िायु बच्चों की कायि अवभध 5 घंटे भनभिि
✓ श्रभमकों की भचभकत्सा एवं आराम की व्यवस्था
कारखाना 1944 ई. लॉर्ि वेवेल ▪ भनयभमि कारखानों में श्रभमकों की कायि अवभध 9 घंटे
अभधभनयम ▪ कैं टीन की व्यवस्था की गई।

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5. 1857 का भवद्रोह

• 34 वें नेभटव इन्फेंरी बैरकिुर बंगाल के भसिाही मंगल िांर्े ने 29 माचि 1857 ई. को अंग्रेज
अभधकारी साजेंट ह्यस ू न को गोली मार दी एवं लेभफ्टनेंट बाग की िी हत्या कर दी।
• 8 अप्रैल 1857 ई. को मगं ल िांर्े को फांसी दे दी गई।
• 24 अप्रैल 1857 ई. को मेरठ में िैनाि देसी घुडसवार सेना के 99 भसिाभहयों ने चबी वाले कारिूस
का प्रयोग करने से इंकार कर भदया।
• इनमें से िचासी सैभनकों को 10 वषि की सजा सुनाई गई भजसके भवरोध में 10 मई 1857 को मेरठ
के िारिीय सैभनकों ने भवद्रोह कर भदया।
• 12 मई 1857 को इन भवद्रोभहयों ने भदल्ली िर अभधकार कर के मुगल शासक को नेिा स्वीकार
भकया।
• 1850 ई. के धाभमिक लनयोग्यिाअभधभनयम (ररभलभजयस लिजेभबभलटी एक्ट) िारा ईसाई धमि ग्रहण
करने वाले लोगों को अिनी िैिृक संिभत्त का हकदार माना गया साथ ही उन्हें नौकररयों में
िदोन्नभि भशक्षण संस्थाओ ं में प्रवेश की सुभवधा प्रदान की गई।
• र्लहौजी की राज्य हडि नीभि या व्यिगि नीभि िथा आभथिक नीभियों के कारण िारिीयों की
दयनीय भस्थभि इत्याभद के कारण यह भवद्रोह प्रारंि हुआ।
• भवद्रोह का ित्कालीक कारण चबी वाले कारिूस का प्रयोग था

1857 से िूवि भकए गए भवद्रोह

➢ भसिाभहयों ने भनम्न कारणों से िूवि में कंिनी के भवरुि भवद्रोह भकए।


• 1764 बक्सर के युि के समय हेक्टर मुनरो के नेिृत्व में लड रही सेना के कुछ भसिाही भवद्रोह
करके मीर काभसम से भमल गए।
• 1806 वेल्लोर का भवद्रोह
• 1824 बैरकिुर छावनी में दोहरे ित्ते के भबना रंगून जाने के प्रश्न िर उिद्रव
• 1825 असम भस्थि िोि खाने में भवद्रोह
• 1830 शोलािुर में वेिन ित्ते के भलए भवद्रोह
1857 िर आधाररि प्रमुख िुस्िकें

• द ग्रेट ररबेलीयन – अशोक मेहिा


• फस्टि वार ऑफ इभं र्िेंर्ेंस – वी र्ी सावरकर

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• 1857 – एस.एन. सेन
• भसिाँय म्यूटनी एर्ं द – आर.सी. मजूमदार
ररवोल्ट ऑफ 1857
• भहस्री ऑफ इंभर्यन म्यूटनी – टी.आर. होम्स
• ररबेलीयन 1857 – िी.सी. जोशी
• कॉजेज ऑफ द इभं र्यन ररवॉल्ट – सर सैयद अहमद खान

भवद्रोह िर इभिहासकारों के मि

इभिहासकार मि
सर जॉन लॉरें स यह िूणििः एक भसिाही भवद्रोह था।
सर जॉन नीले भवद्रोह िूणििः देशिभि रभहि स्वाथि िूणि सैभनक भवद्रोह था भजसका न कोई
नेिृत्व था और न कोई जनसमथिन।
िी रॉबटिसन अट्ठारह सौ सत्तावन ईसवी का भवद्रोह के वल एक सैभनक भवद्रोह था भजस का
िात्काभलक कारण चबी युि कारिूस था
टी आर होम्स यह सभ्यिा एवं बबिरिा का सघं षि था।
र्ब्ल्यू टेलर जेम्स आउरम यह अंग्रेजो के भवरुि भहंदू मुसलमानों का षर््यंत्र था
रीज यह ईसाई धमि के भवरुि एक धमि यि ु था।
रॉबटिस यह वस्िुिः मुभस्लम षर््यंत्र था।
एस.एन सेन भवद्रोह धमि के भलए लडाई के रूि में प्रारंि हुआ वह स्विंत्रिा संग्राम के रूि में
समाप्त हआ ु ।
अशोक मेहिा भवद्रोह का स्वरूि राष्ट्रीय था।
वी र्ी सावरकर एक सभु नयोभजि राष्ट्रीय स्वित्रं िा सग्रं ाम था।
आर सी मजूमदार िथाकभथि प्रथम राष्ट्रीय संग्राम ना िो प्रथम ना ही राष्ट्रीय और ना ही स्विंत्रिा
संग्राम था।
भवभिन चद्रं ा भवद्रोह भवदेशी शासन से राष्ट्र को मि ु कराने का िभि िण ू ि प्रयास था।
जवाहरलाल नेहरु दुगािदास भसिाही भवद्रोह नहीं अभििु स्विंत्रिा प्राभप्त के भनभमत्त िारिीय जनिा का
बंधोिाध्याय सैयद अहमद संगभठि संग्राम था।
खान

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• 20 भसिंबर 1857 ई. को बहादुर शाह ने हुमायूं के मकबरे में लेभफ्टनेंट र््ब्लयू एस आर हर्सन के
समक्ष समििण कर भदया िथा उन्हें रंगून (वमाि) जेल िेज भदया गया। वहीं िर 1862 ई. में बहादुर
शाह जफर की मत्ृ यु हो गई।
• नाना साहब, िेशवा बाजीराव भििीय के दत्तक िुत्र थे। इनका वास्िभवक नाम धोंधूिंि था। अंग्रेजों
ने इनको उत्तराभधकारी मानने से इनकार कर भदया और इनकी वाभषिक िेंशन (₹800000)बंद कर
दी।
• नाना साहब के सैभनकों का नेिृत्व िात्या टोिे कर रहे थे भजनका वास्िभवक नाम रामचंद्र िांर्ुरंग
था। इन्हें िारि का गैरीबाल्र्ी िी कहा जािा है।
• रानी लक्ष्मी बाई के बचिन का नाम मभणकभणिका था और झांसी के राजा गंगाधर राव से इनकी
शादी के बाद इनका नाम महारानी लक्ष्मीबाई िडा।
• बेगम हजरि महल वाभजद अली शाह की ित्नी थी और इनका अल्ि वयस्क बेटा भवजररश
काभदर था।

1857 के भवद्रोह से संबंभधि महत्विूणि कें द्र एवं नेिृत्व किाि

कें द्र भवद्रोही नेिा भवद्रोह का भदन सैन्य अभधकारी समििण का भदन
भदल्ली बहादुर शाह, बख्ि 11 मई 1857 भनकल्सन हर्सन 20 भसिंबर 1857
खान
कानिुर नाना साहब, िात्या 5 जून1857 कॉभलन कैं िबेल भदसंबर 1857
टोिे
लखनऊ बेगम हजरि महल 4 जनू 1857 कॉभलन कैं िबेल 31 माचि 1858
झांसी लक्ष्मीबाई, िात्या 4 जून 1857 जनरल ह्यूरोज 17 जून 1858
टोिे
जगदीशिरु कुंवर भसंह, अमर 12 जून 1857 मेजर भवभलयम भदसंबर 1858
दानािुर भसंह टेलर
फैजाबाद मौलवी जनू 1857 जनरल रेनार्ि जनू 1858
अहमदुल्लाह
इलाहाबाद भलयाकि अली जनू 1857 कनिल नील 1858
बरेली खान बहादुर जून 1857 भबसेण्ट आयर 1858

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1857 के भवद्रोह के असफलिा के कारण

• भवद्रोह का सीभमि स्वरूि


• देसी नरेश एवं सामंिों का भवश्वासघाि
• योग्य नेिृत्व का अिाव
• सगं ठन का िाव
• भनभिि उद्देश्यों का िाव
• सीभमि साधन
• जनसमथिन का अिाव
• अंग्रेजों के अनुकूल िररभस्थभियां एवं कुशल नेिृत्व।

कें द्र भवद्रोही नेिा


असम दीवान मनीराम दत्त, कदवेश्वर भसंह
उडीसा सुरेंद्र शाही, उज्जवल शाही
िटना िीर अली
कोटा जय दयाल, हरदयाल
मेरठ कदम भसहं
महाराष्ट्र वासुदेव बलवंि फडके
गोवा गरुु राम भसंह

भवद्रोह में िाग नहीं लेने वाले व्यभि

• कश्मीर के गुलाब भसंह


• हैदराबाद के सालारजंग
• नेिाल के जंग बहादुर
• िोिाल की बेगम
• सीख दीिांकर राव
• भसभं धया के मत्रं ी
• िारि के बुभिजीवी वगि और भशभक्षि वगि।

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1857 के बाद िारि में भब्रभटश नीभियां और प्रशासन में बदलाव

महारानी भवक्टोररया ने एक राजाज्ञा जारी की गवनिर जनरल कै भनंग ने 1 नवंबर 1858 ई. को इलाहाबाद
में एक दरबार लगाया और उसमें महारानी की राजाज्ञा िढकर सुनाई। भजसमें घोषणा की गई भक
िारिीय राजाओ ं के अभधकार सुरभक्षि रहेंगे िथा अब अंग्रेजी राज्य में नए क्षेत्र शाभमल नहीं भकए जाएगं े।
• गवनिर जनरल को अब वायसराय कहा जाने लगा।

• िारि का प्रथम राज्य सभचव चाल्सि वुर् बना।

• 1869 ई. में स्वेज नहर खुल जाने से िूमध्य सागर और लाल सागर एक दूसरे से जुड गए इससे इंग्लैंर्

और िारि के बीच की दूरी काफी कम हो गई।

स्थानीय स्वशासन

• 1687 ई. में कोटि ऑफ़ र्ायरेक्टसि के आदेश िर मद्रास में म्यभू नभसिल कॉरिोरेशन का गठन हुआ।
• 1870 ई. में लॉर्ि मेयो िारा भवत्तीय भवकें द्रीकरण की प्रभक्या प्रारंि की गई िथा स्थानीय
स्वशासी संस्थाओ ं के भलए कुछ मदें भनधािररि की गई।
• ररिन को िारि में स्थानीय स्वायत्त सस्ं थाओ ं का जनक कहा जािा है।
• 1919 ई. के िारि शासन अभधभनयम के िारा स्थानीय स्वशासन को राज्य के भवषय के अंिगिि
शाभमल कर भदया गया िथा इसे हस्िािं ररि भवषय माना गया।
• 1807 ई. में भवल्सन िारा िहली बार आयकर लगाया गया और बजट प्रस्ििु भकया गया।

भब्रभटश कालीन सभमभियां

आयोग/ स्थािना वायसराय उद्देश्य


सभमभियां
हशेल सभमभि 1893 ई. लॉर्ि टकसाल संबंधी सुझाव देने हेिु।
लैंसर्ाउन
मॉन्क्ीफ 1901 ई. लॉर्ि भसच
ं ाई व्यय की योजना बनाने के भलए।
आयोग कजिन
फ्े जर आयोग 1902 ई. लॉर्ि िुभलस प्रशासन की कायि ििभि की जांच करने के भलए गभठि।
कजिन
शाही आयोग 1923 ई. लॉर्ि लॉर्ि ली की अध्यक्षिा में नागररक सेवा से संबंभधि समस्याओ ं
रीभर्ंग िर

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सैंर्हस्र्ट सभमभि 1925 ई. लॉर्ि एड्रं यू भस्कन की अध्यक्षिा में अंग्रेजी सेना का िारिीय करण
रीभर्ंग करने के संबंधी सुझाव हेिु गभठि
बटलर सभमभि 1927 ई. लॉर्ि भब्रभटश िरम सत्ता और देसी राज्यों के अच्छे संबंध स्थाभिि करने
इरभवन के उद्देश्य से।
भलर्ं से आयोग 1929 ई. लॉर्ि भमशनरी भशक्षा के भवकास के भलए गभठि
इरभवन
ह्वीटले आयोग 1929 ई. लॉर्ि िारि में औद्योभगक कायिशालाओ ं व बगीचों में श्रम की भस्थभि में
इरभवन सधु ार व सझ
ु ाव।
बुर् हेर् आयोग 1943 ई. लॉर्ि बंगाल दुभििक्ष के कारणों की जांच हेिु गभठि।
वेवेल

सेना का िुनगिठन

• िारिीय सैभनकों को िोिखानों और शास्त्रागारों से अलग रखने का भनणिय भलया गया । यूरोिीय
सैभनकों की संख्या में िी वृभि की गई । िारिीय सैभनकों और यूरोिीय सैभनकों का अनुिाि 2:1
रखा गया। बाद में इसे बढाकर 5:2 कर भदया गया।
• 1853 ई. के अभधभनयम िारा भसभवल सेवा प्रभियोभगिा िरीक्षा का प्रावधान भकया गया। यह
िरीक्षा इंग्लैंर् में होिी थी िथा इसका माध्यम अंग्रेजी था।
• 1859 ई. में िरीक्षा के भलए आवश्यक अभधकिम आयु कम करके 22 वषि कर दी गई भजसे
घटाकर 1877 में भलटन 19 वषि कर भदया।
• एभचंसन कमीशन 1886 ई. प्रांिीय भसभवल सेवा से संबंभधि है।
• 1912 ई. में भसभवल सेवा िर भलंगटन कमीशन का गठन भकया गया। इसे रॉयल कमीशन के नाम
से िी जाना जािा है।
• 1923 ई. में लॉर्ि ली ने ROYAL कमीशन का गठन भकया भजसने लोक सेवा आयोग के गठन
की अनुशंसा की।
• िारिीय राज्यों को प्रिस ु त्ता के भसिािं के अिं गिि भब्रभटश सरकार के अधीन बनाया गया।
• 1 जनवरी 1877 ई. को महारानी भवक्टोररया ने िारि की साम्राज्ञी की िदवी धारण की थी। इस
समय िारि के कई क्षेत्रों में अकाल िडा था।
• 1872 ई. में जब िहली बार जनगणना की गई िो उस समय िारि की आबादी 20 करोड 60
लाख थी।
• 1901 में यह आबादी बढकर 28 करोड 30 लाख हो गई।

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िारि में रेलवे का भवकास

• िारि में रेलवे भनमािण की भदशा में प्रथम प्रयास लॉर्ि र्लहौजी 1848 – 56 ई. िारा भकया गया
था।
• िारि में रेलवे लाइन लाने वाले अग्रणी व्यभि रोलैंर् मैकर्ोनाल्र् स्टीफेनसन थे।
• िारि में रेल लाइन भबछाने का प्रथम प्रस्िाव मद्रास में 1831 ई. में आया था । भजसमें रेल के
भर्ब्बे को घोडों से खींचने का प्रस्िाव रखा था।
• िारि की प्रथम रेलगाडी 16 अप्रैल 1853 ई. को मुंबई से थाने के बीच चलाई गई थी।
• 1854 ई. में कोलकािा से रानीगज ं के बीच दूसरी रेलवे लाइन स्थाभिि की गई।
• लॉर्ि कजिन के कायिकाल (1899 – 1905 ई.) में िारि में रेलवे लाइन का सवािभधक भवस्िार और
सवािभधक भवकास हुआ।
• 1920 ई. में भमस्टर रॉबटिसन की अध्यक्षिा में रे ल आयोग का गठन भकया गया।
• इस आयोग में दो िारिीय सदस्य (1) गुरुदास बनजी सैयद (2) भबलग्रामी शाभमल थे।
• 1908 ई. में रेलवे को स्वायत्तशासी संस्था का दजाि प्रदान भकया गया।
• 1924 ई. में एकवथि कमेटी के सुझाव िर रे ल बजट को सामान्य बजट से िृथक भकया गया था।
• वषि 2016 – 17 में बजट से रेल बजट को सामान्य बजट के साथ िाररि भकया जाना प्रारि ं कर
भदया गया।

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6. भारत में प्रेस तथा शिक्षा का शिकास

प्रेस िथा समाचार ित्रों का भवकास

• िारिीय समाचार ित्रों का इभिहास यूरोिीय लोगों के आने के साथ प्रारंि हुआ।
• ििु िगाभलयों ने िारि में मद्रु णालय की स्थािना की।
• जेम्स ऑगस्टस भहक्की ने िारि में 1780 ई. में िहला समाचार ित्र प्रकाभशि भकया भजसका नाम
था “द बंगाल गजट।“
• बगं ाल गजट भकसी िारिीय िारा अग्रं ेजी में प्रकाभशि िहला समाचार ित्र था भजसे गगं ाधर
िट्टाचायि ने 1816 ई. इसमें भनकालना प्रारंि भकया। यह ित्र सप्ताभहक था।
• मासिमैंने 1818 ई. में भदग्दशिन नामक माभसक िभत्रका बंगाली में शुरू की।
• राजा राममोहन राय ने 1821 ई. में बगं ाली में संवाद कौमदु ी िथा 1822 ई. में फारसी में मीराि उल
अखबार का प्रकाशन भकया।
• राजा राममोहन राय को राष्ट्रीय प्रेस की स्थािना का श्रेय भदया जािा है।
• 1851 ई. में रास्ि गोफ्िार का संिादन दादा िाई नौरोजी ने गुजरािी िाषा में भकया।
• भहदं ू िैभरयोट का प्रकाशन 1853 ई. में हररिद्रं मख
ु जी िथा भगरीश चद्रं घोष ने कोलकािा से
भकया।

समाचारित्र अभधभनयम

1. 1799 ई. का समाचार ित्रों का सेंसरभशि अभधभनयम

• इस अभधभनयम को 1799 ई. में लॉर्ि वेलेजली ने िाररि भकया।


• इसके अनुसार समाचार ित्र के संिादक, मुद्रक और स्वामी का नाम स्िष्ट रूि से छािना
िडिा था।
• इस अभधभनयम से प्री - सेंसरभशि की व्यवस्था की गई भजसे 1807 ई. में बढाकर िभत्रकाओ,ं
िैंफलेट और िुस्िकों िर िी लागू कर भदया गया।

2. 1823 ई.के अनुज्ञभप्त (licence) भनयम

• इस भनयम को कायिवाहक गवनिर जनरल जॉन ऐर्म्स ने िाररि भकया था।

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• गवनिर जनरल को अभधकार था भक वह भकसी अनुज्ञभप्त को रद्द कर दे अथवा नया प्राथिना ित्र
मांग ले।
• यह आदेश उन समाचार ित्रों के भलए भवशेष रूि से लागू था जो िारिीय िाषाओ ं में अथवा
िारिीयों िारा प्रकाभशि होिे थे।
• इसके िहि राजा राममोहन राय की मीराि उल अखबार िभत्रका को बंद करना िडा।

3. 1833 ई. का िारिीय समाचार ित्रों का स्वायत्त होना

• लॉर्ि भवभलयम बेंभटक का समाचार ित्रों के प्रभि उदारवादी रुख


• कायिवाहक गवनिर जनरल चाल्सि मेटकाफ (1835 -36) ने 1823 ई. में कुभत्सि भनयमों को रद्द
कर भदया।
चाल्सि मेटकाफ - िारिीय समाचार ित्रों का मुभिदािा

4. 1857 ई. का अनुज्ञभप्त अभधभनयम

• यह अभधभनयम 1857 ई. के भवद्रोह से उत्िन्न हुई आिािकालीन भस्थभि से भनिटने के भलए


लॉर्ि कै भनगं िारा लाई गई।

5. 1867 ई. का िंजीकरण अभधभनयम

• इस अभधभनयम का मख् ु य उद्देश्य समाचार ित्रों को भनयभमि करना था ना भक इन िर रोक


लगाना।
• प्रत्येक मुभद्रि िुस्िक िथा समाचार ित्र िर मुद्रक, प्रकाशक और मुद्रण स्थान का नाम होना
आवश्यक था।
• इसके अलावा प्रकाशन भक 1 माह के िीिर िुस्िक की एक प्रभि भबना मूल्य के स्थानीय
सरकार को देनी होिी थी।

6. 1878 ई. का देसी िाषा समाचार ित्र अभधभनयम (वनािकुलर प्रेस एक्ट)

• लॉर्ि भलटन िारा िारि में राष्ट्रवादी भवचारों के प्रसार को रोकने के भलए लाया गया।
• कुछ अग्रं ेजी अखबारों ने वनािकुलर प्रेस एक्ट का समथिन भकया।
• यह कानून िाषाई अखबारों िर अंकुश लगाने के भलए बनाया गया था।
• सोम प्रकाश , िारि भमभहर िथा अमृि बाजार िभत्रका इस एक्ट से मुख्य रूि से प्रिाभवि हुई।

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• इस अभधभनयम को मुख्य रूि से अमृि बाजार िभत्रका के भलए बनाया गया था जो उस समय
अंग्रेजी और बांग्ला दोनों िाषाओ ं में छििा था।
• इस अभधभनयम को महुं बदं करने वाला अभधभनयम कहा गया।
• लॉर्ि ररिन ने 1878 ई. में वनािकुलर प्रेस एक्ट को रद्द कर भदया।
• ित्कालीन िारि सभचव क्े नब्रुक वनािकुलर प्रेस एक्ट की समीक्षा के भलए प्रेस कमीशन की
स्थािना का भनदेश भदया।

7. 1908 ई. का समाचार ित्र अभधभनयम

• लॉर्ि कजिन की नीभियों िारा उत्िन्न स्वदेशी और उग्रवादी भहंसक आदं ोलन को दबाने के
भलए सरकार ने newspaper incitement of offence act 1908 िाररि भकया।
• इसके अनुसार भजन िभत्रकाओ ं या समाचार ित्रों से लोगों को हत्या या भहंसक गभिभवभधयों में
िाग लेने की प्रेरणा भमलिी थी उसकी सिं भत्त अथवा मद्रु णालय को जब्ि भकया जा सकिा
था।

8. 1910 ई. का िारिीय समाचार ित्र अभधभनयम

• इसके अनुसार स्थानीय सरकार भकसी मुद्रणालय के स्वामी अथवा समाचार ित्र के प्रकाशन
से िंजीकरण जमानि (रभजस्रेशन भसक्योररटी) मांग सकिी थी जो कम से कम ₹500 िथा
अभधक से अभधक 2000 होिी थी।
• इस अभधभनयम के आधार िर भिलक को जेल हुई थी।
• वषि 1921 ई. में भवभध सदस्य सर िेज बहादुर सप्रू की अध्यक्षिा में प्रेस इंक्वायरी कमेटी
भनयुि की गई थी।
• इस कमेटी की अनश ु स
ं ा िर वषि 1908 एवं वषि 1910 की प्रेस अभधभनयमों को भनरस्ि कर
भदया ।

िारि में प्रकाभशि प्रमुख समाचार ित्र संभक्षप्त अवलोकन

समाचार ित्र सिं ादक वषि स्थान िाषा


टाइम्स ऑफ राबट नाइट 1861 मुंबई अंग्रेजी
इंभर्या
िायभनयर जॉजि एलएन 1865 इलाहाबाद अग्रं ेजी
अमिृ बाजार मोिी लाल घोष 1868 & कोलकािा बांग्ला ,अंग्रेजी

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िभत्रका 1878
सोम प्रकाश ईश्वर चद्रं भवद्यासागर 1859 कोलकािा बाग्ं ला
बंगवासी जोभगंदर नाथ बोस 1881 कोलकािा बांग्ला
भहंदू वीर राधवाचारी 1878 मद्रास अंग्रेज
के सरी & मराठा भिलक 1881 मुंबई मराठी & अंग्रेजी
बंगाली सुरेंद्रनाथ बनजी 1879 कोलकािा अंग्रेजी
भहदं ु स्िान मालवीय & प्रिाि 1924 कालाकाकं र भहदं ी
नारायण भमश्र (UP)
मबुं ई दशिन बाल शास्त्री 1832 मुंबई मराठी
बस स्टैंर्र्ि & एनी बेसेंट 1914 मद्रास अंग्रेजी
कॉमनवील
कभव वचन सध ु ा िारिेंदु हररिंद्र 1867 उत्तर प्रदेश भहदं ी
भहंदी प्रदीि बालकृष्ट्ण िट्ट 1877 उत्तर प्रदेश भहंदी
यंग इंभर्या & महात्मा गांधी 1919 अहमदाबाद अंग्रेजी & भहंदी,
नवजीवन गजु रािी
हररजन महात्मा गांधी 1933 िणु े भहंदी , गुजरािी
इभं र्िेंर्ेंस मोिीलाल नेहरू 1919 इलाहाबाद अग्रं ेजी
भहंदुस्िान टाइम्स के एम िभणक्कर 1920 भदल्ली अंग्रेजी
नेशनल हेराल्र् जवाहरलाल नेहरू 1938 भदल्ली अंग्रेजी
उदंि माििंर् जुगल भकशोर 1826 कानिुर भहंदी
अल भहलाल, अल मौलाना अबुल कलाम 1912 कोलकािा उदूि
भबलाग आजाद
प्रिाि भमत्र गणेश शंकर भवद्याथी 1910 कानिरु भहंदी
ग़दर गदर िाटी 1913 सैन फ्ांभसस्को अंग्रेजी , िंजाबी
भहंदू िैभरयोट हररिंद्र मुखजी 1855 कोलकािा अग्रं ेजी
अंग्रेजी

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िारि में भशक्षा का भवकास

• सविप्रथम 1813 ई. के चाटिर एक्ट में भशक्षा के भलए ₹100000 का प्रावधान भकया गया।
• वारेन हेभस्टंग्स के समय सर भवभलयम जोंस ने कोलकािा में एभशयाभटक सोसाइटी की स्थािना
की।
• भवलभकंस ने िगवि गीिा िथा भहिोिदेश का अग्रं ेजी में अनवु ाद भकया।
• भवभलयम जोंस ने काभलदास रभचि अभिज्ञान शाकुंिलम् का अंग्रेजी अनुवाद भकया।
• मनुस्मृभि िहला ग्रंथ है भजसका 1776 ई. में अंग्रेजी िाषा में एक कोर् ऑफ जेंटू लॉज के नाम से
भकया गया।
• आधुभनक काल में वारेन हेभस्टंग्स ने िारि में भशक्षा के प्रचार प्रसार के भलए सविप्रथम प्रयास करिे
हुए 1781 ई. में फारसी अरबी िढाने के भलए कोलकािा मदरसा की स्थािना की।
• 1791 ई. में जोनाथन र्क ं न ने बनारस में सस्ं कृि कॉलेज खोला।
• 1800 ई. में लॉर्ि वेलेजली ने कंिनी के असैभनक अभधकाररयों के प्रभशक्षण के भलए फोटि
भवभलयम कॉलेज की स्थािना की।
• र्ेभवर् हेयर िथा राजा राममोहन राय के प्रयत्न से 1817 ई. में कोलकािा में भहंदू कॉलेज स्थाभिि
हआु ।

अंगल प्राच्य िाषा भववाद

• राज्य िाषा के समथिक ओररएटं लिस्ट जो िारि में भशक्षा का प्रचार प्रसार का माध्यम संस्कृि
और अरबी में करना चाहिे थे।
• इसके प्रमुख समथिक एच.टी भप्रंसेि और एच एच भवल्सन थे।
• जबभक आगं ल िाषा के समथिक मनु रो एलभफंस्टन एवं लॉर्ि मैकाले थे।
• लॉर्ि मैकाले ने ित्कालीन गवनिर लॉर्ि भवभलयम बेंभटक को 1835 ई. में ित्र भलखकर भशक्षा के
प्रसार के भलए अंग्रेजी िाषा को माध्यम बनाने का अनुरोध भकया।
• भजसके कारण 1854 ई. से िवू ि मैकाले की यह नीभि िारि में भशक्षा के भवकास का प्रमखु आधार
रही है।

भशक्षा का अधोमख
ु ी भनस्यदं न भसिािं

• इस भसिांि के अनुसार िारिीय उच्च वगों को भशभक्षि भकया जाए । भजनसे भशक्षा का प्रसार
भनम्न वगों िक हो जाएगा
• इस नीभि को लॉर्ि ऑकलैंर् ने लागू भकया था ।

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1. 1854 ई. का वुर् भर्स्िैच

• इसे बोर्ि ऑफ कंरोल के प्रधान सदस्य चाल्सि वुर् ने लाया था।


• इसे िारिीय भशक्षा का मैग्नाकाटाि िी कहा जािा है।
प्रमुख भसफाररशें
• यरू ोिीय ज्ञान को अंग्रेजी िाषा के साथ-साथ देशी िाषाओ ं के िारा जनसाधारण िक
िहुंचाया जा सकिा है।
• सरकार का प्रमुख उद्देश्य िािात्य भशक्षा का प्रचार प्रसार है।
• गावं में िाषाई िाठशाला एवं भजलों में एग्ं लो वनािकुलर हाई स्कूल और कॉलेज खोले
जाएगं े।
• कंिनी िारा िांचो प्रांिों में लोक भशक्षा भविाग स्थाभिि भकए जाएगं े।
• भब्रभटश सरकार ने इन भसफाररशों को लागू करने के भलए 1855 ई. में लोक भशक्षा भविाग
की स्थािना की और कोलकािा, मुंबई एवं मद्रास में लंदन भवश्वभवद्यालय के िजि िर 1857
ई. में भवश्वभवद्यालयों की स्थािना की गई।

2. हटं र भशक्षा आयोग 1882 – 83 ई.

• लॉर्ि ररिन ने 1882 ई. में र्ब्ल्यू र्ब्ल्यू हंटर की अध्यक्षिा में एक भशक्षा आयोग का गठन
भकया।
• इसका उद्देश्य 1854 ई. के ििाि भशक्षा के क्षेत्र में हुई प्रगभि का मूल्यांकन करना था।
• इस आयोग को प्राथभमक भशक्षा के प्रसार के भलए िी उिाय सुझाने थे।
• मुंबई कोलकािा एवं मद्रास के अलावा अन्य स्थानों िर मभहला भशक्षा का भवकास भकया
जाना चाभहए।
• 1882 ई. में िंजाब एवं 1887 ई. में इलाहाबाद भवश्वभवद्यालय की स्थािना की गई।

3. िारिीय भवश्वभवद्यालय अभधभनयम 1950

• लॉर्ि कजिन ने 1902 ई. में सर टॉमस रै िे की अध्यक्षिा में एक आयोग स्थाभिि भकया
भजसका कायि भवश्वभवद्यालय भशक्षा की समीक्षा करना था।
• इस आयोग की अनश ु स
ं ा िर 1904 ई. में िारिीय भवश्वभवद्यालय अभधभनयम िाररि भकया
गया।

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इनकी प्रमुख भसफाररशें

• भनजी कॉलेजों िर कठोर प्रभिबंध लगाए गए।


• कजिन के समय कृभष भविाग, िुराित्व भविाग की स्थािना की गई । वषि 1950 ई. में कालािइल
िररित्र जारी हुआ भजसके िहि राजनीभिक उद्देश्यों की प्राभप्त हेिु भवद्याभथियों के प्रयोग भकए जाने
की भनदं ा की गई।
• भशक्षा नीभि िर सरकारी प्रस्िाव 1913 ई. में लाया गया।
• वषि 1906 ई. में सविप्रथम बडौदा की ररयासि में प्राथभमक भशक्षा को अभनवायि बनाया गया।

4. सैंर्लर भवश्वभवद्यालय आयोग 1917 – 19

• कोलकािा भवश्वभवद्यालय की भशक्षा नीभियों की समीक्षा करने के भलए इस आयोग की


स्थािना की गई।
• इस आयोग के दो प्रमुख िारिीय सदस्य 1) आशुिोष मुखजी एवं 2) भजयाउद्दीन अहमद
थे।
• इस आयोग ने कोलकािा भवश्वभवद्यालय की भशक्षा नीभियों की आलोचना की।
• इसने स्कूल की भशक्षा 12 वषि करने के भलए भसफाररश की।
• इस आयोग की अनुशंसा िर वषि 1916 से 1921 के बीच मैसूर, िटना, बनारस, अलीगढ
,ढाका, लखनऊ, और उस्माभनया भवश्वभवद्यालय अभस्ित्व में आए।

5. हटोंग सभमभि 1929 ई.

इस आयोग की प्रमख ु भसफाररशें भनम्नभलभखि थी


• प्राथभमक भशक्षा के राष्ट्रीय महत्व िर बल

• ग्रामीण संस्कृभि के छात्रों को भमभर्ल स्कूल िक ही भशक्षा दी जाए एवं इसके ििाि उन्हें

औद्योभगक एवं व्यवसाभयक भशक्षा दी जाए।


• उच्च भशक्षा प्राप्त करने योग्य छात्रों को ही उच्च भशक्षा प्राप्त करने की अनुमभि दी जाए।

6. वधाि योजना

• महात्मा गांधी ने वषि 1937 ई. में मौभलक भशक्षा के भलए हररजन समाचार ित्र में वधाि
योजना प्रस्िुि की।
• इस योजना का ब्यौरा जाभकर हुसैन ने प्रस्ििु भकया।
• इसमें अध्यािकों के प्रभशक्षण, ियिवेक्षण, िरीक्षण के सुझाव भदए गए।

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• योजना के िहि भवद्याभथियों को मातृ िाषा में 7 वषि िक अध्ययन करना था।
• हस्ि उत्िादक कायि प्रणाली अिनाना इस योजना की मुख्य भवशेषिा थी।
• लेभकन इस योजना को कायािभन्वि नहीं भकया गया।

7. सजेंट योजना 1944 ई.

इस योजना के प्रमख
ु प्रावधान भनम्नभलभखि है

• 6 से 11 वषि के बच्चों के भलए भनशुल्क एवं अभनवायि भशक्षा का प्रबंध हो।


• प्रारभं िक एवं उच्च माध्यभमक भवद्यालय स्थाभिि भकए जाए।ं
• स्विंत्रिा प्राभप्त के बाद िहली भशक्षा आयोग का गठन 1948 – 49 ई. में भकया गया भजसके
अध्यक्ष र्ॉ. राधा कृष्ट्ण थे।
• वषि 1949 ई. में राधा कृष्ट्ण आयोग की अनश ु स
ं ा के बाद िारि सरकार ने 1953 ई. में
भवश्वभवद्यालय आयोग गभठि भकए।
• इसका गठन एक स्वायत्त िूणि संस्थान के रूि में भकया गया।
• सरकार िारा मान्यिा प्राप्त भवश्वभवद्यालयों एवं महाभवद्यालयों को अनुदान प्रदान करना
इसका मख् ु य कायि है।
• कोठारी भशक्षा आयोग का गठन 1964 ई. में भकया गया भजसमें माध्यभमक भशक्षा को
व्यवसालयक बनाने िर जोर भदया गया ।
• भवश्वभवद्यालय भवश्वभवद्यालयों में अंिरराष्ट्रीय मानक की स्थािना िर िी जोड भदया गया।

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7. िारिीय राष्ट्रीय कांग्रेस
काग्रं ेस की स्थािना 1885 ई.

• िारिीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थािना एक अंग्रेज अभधकारी एलन अक्टोभवयन ह्यम िारा 1885 ई.
में की गई।
• इसका प्रथम अभधवेशन 28 भदसबं र 1885 को मबुं ई के ग्वाभलया टैंक मैदान भस्थि गोकुलदास
िेजिाल संस्कृि कॉलेज में हुआ।
• आरंि में इसका नाम िारिीय राष्ट्रीय संघ था लेभकन बाद में दादा िाई नौरोजी के सुझाव िर
बदलकर िारिीय राष्ट्रीय काग्रं ेस कर भदया गया।
• मुंबई के िहले अभधवेशन में िाग लेने वाले अभधकिर नेिा वकील एवं ित्रकार थे।
• प्रथम सम्मेलन में िाग लेने वाले सदस्यों की संख्या 72 थी।
• प्रथम अभधवेशन की अध्यक्ष व्योमेश चद्रं बनजी िथा सभचव एलन अक्टोभवयन ह्यम थे।
• सेफ्टी वाल्व भसिांि के जनक लाला लाजिि राय थे।
• कांग्रेस के प्रथम अभधवेशन में भजन मांगों को िाररि भकया गया उनमें प्रमुख थे – कें द्र िथा प्रांिों
में भवधान िररषदों का भवस्िार भकया जाए , उच्च सरकारी नौकररयों में िारिीयों को िी िूणि
अवसर भदया जाए , सैभनक खचि में कटौिी की जाए।

काग्रं ेस के सदं िि में विव्य

भवभिन चंद्र िाल काग्रं ेस एक प्रकार की याचना करने वाली संस्था है।
र्फररन काग्रं ेस सभ् ं ांि लोगों का प्रभिभनभधत्व करने वाला सगं ठन है।
कजिन कांग्रेस अिनी मौि की घभडयां भगन रही है िारि में रहिे हुए मेरी एक सबसे बडी इच्छा है
भक मैं उसे शांभििूविक मरने में मदद कर सकूं।
भिलक यभद वषि में एक बार मेंढक की िरह टराियेंगे िो कुछ नहीं भमलेगा।
अभश्वनी कुमार कांग्रेस के सम्मेलन 3 भदनों का िमाशा है।
दत्त

स्वित्रं िा प्राभप्त के बाद महात्मा गांधी ने िारिीय राष्ट्रीय कांग्रेस संगठन को समाप्त करने का सुझाव
भदया था।

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संगठन वषि संस्थािक स्थान

सगं ठन वषि सस्ं थािक स्थान


लैंर्होल्र्सि सोसायटी 1838 िारकानाथ टैगोर कलकािा
भब्रभटश इंभर्या सोसाइटी 1839 भवभलयम ऐर्म्स लंदन
बंगाल ……………….. 1843 जॉजि थॉमसन कलकािा
भब्रभटश इभं र्या एसोभसएशन 1851 देवेंद्र नाथ टैगोर कलकािा
मद्रास नेभटव एसोभसएशन 1852 गजुलू नरसुचेट्टी मद्रास
मुंबई एसोभसएशन 1852 जगन्नाथ शंकर सेठ बम्बई
ईस्ट इंभर्या एसोभसएशन 1866 दादा िाई नौरोजी लंदन
नेशनल इंभर्यन एसोभसएशन 1867 मेरी कारिेंटर लंदन
िूना साविजभनक सिा 1870 जी जोशी , एम जी िूना
रानार्े
इभं र्या सोसाइटी 1872 आनदं मोहन बोस लदं न
इंभर्यन एसोभसएशन 1876 आनंद मोहन बोस कलकािा
मद्रास महाजन सिा 1884 वीर राघवाचारी मद्रास
आनदं चारलू

• बंबई प्रेसीर्ेंसी एसोभसएशन – 1885 – भफरोजशाह मेहिा, के . टी िैलंग, बदरुद्दीन िैयबजी –


बम्बई

कांग्रेस की स्थािना के बाद संगठन

सगं ठन वषि सस्ं थािक स्थान


यूनाइटेर् इंभर्यन िैभरयोभटक 1888 सर सैयद अहमद खान अलीगढ
एसोभसएशन
सवेंट ऑफ़ इंभर्या सोसाइटी 1905 गोिाल कृष्ट्ण गोखले बम्बई
होम रूल लीग 1916 एनी बेसेंट व भिलक िुणे
नेशनल भलबरल फेर्रेशन 1918 एस एन बनजी कलकािा
अहमदाबाद टेक्सटाइल लेबर 1918 महात्मा गांधी अहमदाबाद
एसोभसएशन
इंभर्यन कम्युभनस्ट िाटी 1920 एम एन राय िाशकंद

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िारिीय रेर् यूभनयन कांग्रेस 1920 एम एम जोशी , लाला लखनऊ
लाजिि राय
स्वराज िाटी 1923 सी आर दास , मोिीलाल कलकािा
नेहरू
राष्ट्रीय स्वयस
ं ेवक सघं 1925 के वी हेर्गेवार हररिार
ऑल इंभर्या वीमेंस कॉन्फ्ें स 1927 लेर्ी सदाभशव अय्यर मद्रास
श्रभमक स्वराज िाटी 1928 काजी नजरुल इस्लाम
खुदाई भखदमिगार 1929 खान अब्दुल गफ्फार खान िेशावर
कांग्रेस समाजवादी िाटी 1934 जयप्रकाश नारायण ,
आचायि नरेंद्र
अभखल िारिीय भवद्याथी िररषद 1936 मीनू मसानी, अशोक मेहिा
फॉरवर्ि ब्लॉक 1939 सुिाष चंद्र बोस कलकािा
िारिीय बोल्शेभवक दल 1939 एन र्ी मजूमदार कलकािा
क्ांभिकारी समाजवादी दल 1942 सौम्येंद्र नाथ टैगोर कलकािा

• काग्रं ेस का दूसरा अभधवेशन 1886 ई. में कोलकािा में संिन्न हुआ।


• सुरेंद्रनाथ बनजी और इंभर्यन एसोभसएशन के अन्य नेिा कांग्रेस के दूसरे अभधवेशन में शाभमल हुए।
• दादा िाई नौरोजी 20 से िी अभधक वषों िक काग्रं ेस के अग्रणी नेिा रहे। वे िीन बार काग्रं ेस के
अध्यक्ष बने।
• भब्रटेन में िारिीय सुधार सभमभि की स्थािना दादा िाई नौरोजी की अध्यक्षिा में की गई थी।
• दादा िाई नौरोजी भब्रभटश िाभलियामेंट में चनु े जाने वाले एकमात्र िारिीय सदस्य थे।
• नरमिंथी नेिा दादा िाई नौरोजी को ग्रैंर् ओल्र् मैन ऑफ़ इंभर्या कहा जािा है।
• 1887 ई. में कांग्रेस के िीसरे अभधवेशन की अध्यक्षिा बदरुद्दीन िैयब जी ने की।
• बदरुद्दीन िैयब जी प्रथम मुभस्लम कांग्रेस अध्यक्ष थे।
• 1888 ई. के इलाहाबाद अभधवेशन में कांग्रेस के अध्यक्षिा जॉजि यूले (प्रथम अंग्रेज अध्यक्ष) ने
की।
• 1888 ई. में भवभलयम भर्ग्बी की अध्यक्षिा में लंदन में भब्रभटश कमेटी ऑफ इंभर्या की स्थािना
की ग
• कांग्रेस के अध्यक्ष बनने वाले अन्य अंग्रेज भवभलयम वेर्रबनि , अलफ्े र् वेब और हेनरी कॉटन थे।
• कांग्रेस के आरंभिक 20 वषि (1885 ई. से 1905 ई.) सामान्य रूि से नरम दौर के नाम से जाना
जािा है।

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• 1940 से 45 ई. िक कांग्रेस के अभधवेशन नहीं हुए और अबल
ु कलाम आजाद लगािार 6 वषों
िक अध्यक्ष बने रहे।

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कांग्रेस के महत्विूणि अभधवेशन

वषि स्थान अध्यक्ष महत्विण ू ि िथ्य


1885 बम्बई व्योमेश चंद्र प्रथम अभधवेशन 72 प्रभिभनभधयों ने िाग भलया। कांग्रेस के उद्देश्य
बनजी िय भकए गए ।
1886 कलकािा दादा िाई इस अभधवेशन में राष्ट्रीय कांग्रेस िथा नेशनल कांफ्ेंस का भवलय
नौरोजी हो गया।
1887 मद्रास सै. बदरुद्दीन प्रथम मुभस्लम अध्यक्ष मुसलमानों से राष्ट्रीय आंदोलन में िाग लेने
िैयबजी की अिील ।
1888 इलाहाबाद जॉजि यलू े प्रथम अग्रं ेज अध्यक्ष
1889 बम्बई सर भवभलयम इंग्लैंर् में कांग्रेस के दृभष्टकोण का प्रचार करने के भलए
वेर्रबनि प्रभिभनभधमंर्ल िेजने के फैसले िर िहली बार मभहलाओ ं ने िाग
भलया।
1892 इलाहाबाद व्योमेश चंद्र इसी समय 1892 में दादा िाई नौरोजी भब्रभटश िाभलियामेंट के भलए
बनजी चुने गए।
1893 लाहौर दादा िाई भसभवल सेवा िरीक्षा िारि में करवाने की मागं ।
नौरोजी
1896 कलकािा एम ए सयानी कांग्रेस मंच से िहली बार वंदे मािरम का गान भकया गया।
1899 लखनऊ रमेश चंद्र दत्त िू राजस्व को स्थाई करने की मांग
1905 बनारस गोिाल कृष्ट्ण बंग िंग एवं कजिन की प्रभिभक्या वाली नीभियों की आलोचना।
गोखले
1906 कलकािा दादा िाई स्वराज शब्द का प्रथम बार प्रयोग
नौरोजी
1907 सरू ि रास भबहारी काग्रं ेस में भविाजन
घोष
1908 मद्रास रासभबहारी कांग्रेस के संभवधान का भनमािण प्रस्िाभवि , भमंटो माले सुधार का
बोस स्वागि
1909 लाहौर मदन मोहन िृथक भनवािचन ििभि की व्यवस्था को अस्वीकार कर भदया।
मालवीय
1911 कलकािा भबशन िहली बार राष्ट्रगान को गाया गया
नारायण दत्त
1912 बाक
ं ीिरु रगं नाथ मध ु ोल िहली बार भबहार (िटना) में अभधवेशन

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कर
1914 मद्रास ििू ेंद्रनाथ दत्त एनी बेसेंट ने कांग्रेस की सदस्यिा ग्रहण की।
1915 बम्बई एस िी भसहं ा प्रोभवंस की स्वायत्तिा के भलए प्रस्िाव िाररि भकए गए।
1916 लखनऊ अंभबका चरण कांग्रेस के गरम दल एवं नरम दल में समझौिा , कांग्रेस एवं
मजमू दार मभु स्लम लीग के मध्य समझौिा
1917 कलकािा एनी बेसेंट प्रथम मभहला अध्यक्ष थी।
1918 भदल्ली मदन मोहन सम्मेलन में मोंटेग्यू चेम्सफोर्ि प्रस्िाव को दोहराया गया । इस
मालवीय सम्मेलन में रोलेट राजद्रोह सभमभि ररिोटि (जुलाई 1918) को
खाररज भकया गया।
1919 अमृिसर मोिीलाल मोंटेग्यू चेम्सफोर्ि ररिोटि की भनदं ा, भखलाफि आदं ोलन को
नेहरू समथिन देने का भनणिय।
1920 कलकािा लाला (भवशेष अभधवेशन) असहयोग का प्रस्िाव स्वीकार।
लाजिि राय
1920 नागिुर सी वीर कांग्रेस के संभवधान में संशोधन।
राघवाचारी
1922 गया सी आर दास भबहार में दूसरा अभधवेशन
1923 भदल्ली अबुल कलाम भवशेष अभधवेशन सबसे कम उम्र के अध्यक्ष
आजाद
1924 बेलगाम महात्मा गांधी (कनािटक) कांग्रेस और मुभस्लम लीग अलग हो गए।
गांव
1925 कानिरु सरोभजनी प्रथम िारिीय मभहला अध्यक्ष , भहदं ी काग्रं ेस की आभधकाररक
नायर्ू िाषा घोभषि भकया
1926 गुवाहाटी एस श्रीभनवास कांग्रेस नेिाओ ं के भलए खादी िहनना अभनवायि।
अयगं र
1928 कलकािा मोिीलाल कांग्रेस का भवदेश भविाग स्थाभिि
नेहरू
1929 लाहौर जवाहरलाल िूणि स्वराज्य का प्रस्िाव िाररि।
नेहरू
1931 कराची बल्लि िाई मौभलक अभधकारों िर प्रस्िाव आभथिक कायिक्म को स्वीकृभि
िटेल
1934 बम्बई राजेंद्र प्रसाद काग्रं ेस समाजवादी दल की स्थािना
1936 लखनऊ जवाहरलाल काग्रं ेस िाभलियामेंट बोर्ि की स्थािना।

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नेहरू
1937 फैजिरु जवाहरलाल िहली बार गावं में अभधवेशन , 13 सत्रू ीय अस्थाई कृभष कायिक्म
(UP) नेहरू घोभषि।
1938 हरीिुरा सुिाष चंद्र (गुजराि) राष्ट्रीय भनयोजन सभमभि का गठन
बोस
1939 भत्रिरु ी राजेंद्र प्रसाद (सुिाष चंद्र बोस त्यागित्र) सुिाष चंद्र बोस ने कांग्रेस की
(MP) अध्यक्षिा छोड दी।
1940 रामगढ अबल ु कलाम
आजाद
1946 मेरठ जेबी कृिलानी स्विंत्रिा प्राभप्त के समय कृिलानी ही कांग्रेस के अध्यक्ष थे।
1947 भदल्ली राजेंद्र
प्रसाद

• 1941 – 45 – मौलाना अबुल कलाम आजाद – कांग्रेस को गैर कानूनी संस्था घोभषि कर भदया
गया
• इस दौरान कोई अभधवेशन नहीं हआ ु ।
वषि स्थान अध्यक्ष महत्विूणि िथ्य
1885 बम्बई व्योमेश चंद्र बनजी प्रथम अभधवेशन 72 प्रभिभनभधयों ने िाग भलया। कांग्रेस के
उद्देश्य िय भकए गए ।
1886 कलकािा दादा िाई नौरोजी इस अभधवेशन में राष्ट्रीय कांग्रेस िथा नेशनल कांफ्ेंस का
भवलय हो गया।
1887 मद्रास सै. बदरुद्दीन प्रथम मुभस्लम अध्यक्ष मुसलमानों से राष्ट्रीय आंदोलन में
िैयबजी िाग लेने की अिील ।
1888 इलाहाबाद जॉजि यल ू े प्रथम अग्रं ेज अध्यक्ष
1889 बम्बई सर भवभलयम इंग्लैंर् में कांग्रेस के दृभष्टकोण का प्रचार करने के भलए
वेर्रबनि प्रभिभनभधमंर्ल िेजने के फैसले िर िहली बार मभहलाओ ं ने
िाग भलया।
1892 इलाहाबाद व्योमेश चंद्र बनजी इसी समय 1892 में दादा िाई नौरोजी भब्रभटश िाभलियामेंट के
भलए चुने गए।
1893 लाहौर दादा िाई नौरोजी भसभवल सेवा िरीक्षा िारि में करवाने की मांग।
1896 कलकािा एम ए सयानी कांग्रेस मंच से िहली बार वंदे मािरम का गान भकया गया।
1899 लखनऊ रमेश चद्रं दत्त िू राजस्व को स्थाई करने की मागं

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1905 बनारस गोिाल कृष्ट्ण बंग िंग एवं कजिन की प्रभिभक्या वाली नीभियों की
गोखले आलोचना।
1906 कलकािा दादा िाई नौरोजी स्वराज शब्द का प्रथम बार प्रयोग
1907 सूरि रास भबहारी घोष कांग्रेस में भविाजन
1908 मद्रास रासभबहारी बोस काग्रं ेस के सभं वधान का भनमािण प्रस्िाभवि , भमटं ो माले सध
ु ार
का स्वागि
1909 लाहौर मदन मोहन िृथक भनवािचन ििभि की व्यवस्था को अस्वीकार कर भदया।
मालवीय
1911 कलकािा भबशन नारायण दत्त िहली बार राष्ट्रगान को गाया गया
1912 बाक
ं ीिरु रगं नाथ मध ु ोल कर िहली बार भबहार (िटना) में अभधवेशन
1914 मद्रास िूिेंद्रनाथ दत्त एनी बेसेंट ने कांग्रेस की सदस्यिा ग्रहण की।
1915 बम्बई एस िी भसंहा प्रोभवंस की स्वायत्तिा के भलए प्रस्िाव िाररि भकए गए।
1916 लखनऊ अंभबका चरण कांग्रेस के गरम दल एवं नरम दल में समझौिा , कांग्रेस एवं
मजूमदार मुभस्लम लीग के मध्य समझौिा
1917 कलकािा एनी बेसेंट प्रथम मभहला अध्यक्ष थी।
1918 भदल्ली मदन मोहन सम्मेलन में मोंटेग्यू चेम्सफोर्ि प्रस्िाव को दोहराया गया । इस
मालवीय सम्मेलन में रोलेट राजद्रोह सभमभि ररिोटि (जुलाई 1918) को
खाररज भकया गया।
1919 अमृिसर मोिीलाल नेहरू मोंटेग्यू चेम्सफोर्ि ररिोटि की भनंदा, भखलाफि आंदोलन को
समथिन देने का भनणिय।
1920 कलकािा लाला लाजिि राय (भवशेष अभधवेशन) असहयोग का प्रस्िाव स्वीकार।
1920 नागिुर सी वीर राघवाचारी कांग्रेस के संभवधान में संशोधन।
1922 गया सी आर दास भबहार में दूसरा अभधवेशन
1923 भदल्ली अबुल कलाम भवशेष अभधवेशन सबसे कम उम्र के अध्यक्ष
आजाद
1924 बेलगाम महात्मा गांधी (कनािटक) कांग्रेस और मुभस्लम लीग अलग हो गए।
गांव
1925 कानिरु सरोभजनी नायर्ू प्रथम िारिीय मभहला अध्यक्ष , भहदं ी काग्रं ेस की
आभधकाररक िाषा घोभषि भकया
1926 गुवाहाटी एस श्रीभनवास कांग्रेस नेिाओ ं के भलए खादी िहनना अभनवायि।
अयगं र

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1928 कलकािा मोिीलाल नेहरू काग्रं ेस का भवदेश भविाग स्थाभिि
1929 लाहौर जवाहरलाल नेहरू िणू ि स्वराज्य का प्रस्िाव िाररि।
1931 कराची बल्लि िाई िटेल मौभलक अभधकारों िर प्रस्िाव आभथिक कायिक्म को
स्वीकृभि
1934 बम्बई राजेंद्र प्रसाद काग्रं ेस समाजवादी दल की स्थािना
1936 लखनऊ जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस िाभलियामेंट बोर्ि की स्थािना।
1937 फैजिरु जवाहरलाल नेहरू िहली बार गावं में अभधवेशन , 13 सत्रू ीय अस्थाई कृभष
(UP) कायिक्म घोभषि।
1938 हरीिुरा सि
ु ाष चंद्र बोस (गुजराि) राष्ट्रीय भनयोजन सभमभि का गठन
1939 भत्रिरु ी राजेंद्र प्रसाद (सि
ु ाष चद्रं बोस त्यागित्र) सि ु ाष चद्रं बोस ने काग्रं ेस की
(MP) अध्यक्षिा छोड दी।
1940 रामगढ अबुल कलाम
आजाद
1946 मेरठ जेबी कृिलानी स्विंत्रिा प्राभप्त के समय कृिलानी ही कांग्रेस के अध्यक्ष थे।
1947 भदल्ली राजेंद्र
प्रसाद

• 1941 – 45 – मौलाना अबुल कलाम आजाद – काग्रं ेस को गैर काननू ी सस्ं था घोभषि कर भदया
गया
• इस दौरान कोई अभधवेशन नहीं हुआ।

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8. स्वराज के भलए संघषि
उदारवादी चरण 1885 से 1905 ई.

• िारिीय राष्ट्रीय कांग्रेस िर 1885 ई. से लेकर 1904-05 ई. िक उदारवाभदयों का वचिस्व था।


• उन्हें उदारवादी या नरमिंथी इसभलए कहा जािा था क्योंभक इनका लक्ष्य भब्रभटश सरकार के प्रभि
भनष्ठा व्यि करना िथा अिनी मागं ों को प्रभिवेदन िाषणों और लेखों के माध्यम से सरकार के
सम्मुख प्रस्िुि करना था।
• प्रमुख उदारवादी नेिा दादा िाई नौरोजी, सुरेंद्रनाथ बनजी, गोिाल कृष्ट्ण गोखले, भफरोजशाह
मेहिा, मदन मोहन मालवीय और भदनशा वाचा थे।
• उदारवादी नेिाओ ं ने अिनी मांग मनवाने के उद्देश्य से भब्रटेन में दादा िाई नौरोजी की अध्यक्षिा में
1887 ई. में िारिीय सुधार सभमभि की स्थािना की थी।
• राष्ट्रवाभदयों की प्रारभं िक सफलिा के रूि में 1886 ई. में लोक सेवा आयोग की स्थािना िथा
िारि और इंग्लैंर् में एक साथ िरीक्षा कराने िर सहमभि, िारिीय व्यय की समीक्षा हेिु वेल्वी
आयोग की स्थािना िथा 1892 ई. में िारि िररषद अभधभनयम का िाररि होना आभद देखा जा
सकिा है।

उग्रवादी चरण 1950 – 1919 ई.

• इस काल को नवराष्ट्रवाद का उदय काल माना जािा है और इसी समय स्वदेशी िथा क्ाभं िकारी
आंदोलनों की शुरुआि हुई थी।
• कांग्रेस के उग्रवादी िथा अभिवादी कहे जाने वाले नेिाओ ं में बाल गंगाधर भिलक, अरभवंद घोष,
भबभिन चंद्र िाल िथा लाला लाजिि राय का नाम प्रमुख है।
• स्वराज, स्वदेशी और बभहष्ट्कार का नारा सविप्रथम भिलक ने ही भदया।
• भिलक ने 1893 ई. में गणिभि महोत्सव और 1896 ई. में भशवाजी महोत्सव की शुरुआि
करवाई।
• कुछ अिं रािष्ट्रीय घटनाएं जैसे अफ्ीकी अलबलसनीयाई देश िारा 1896 ई. में इटली को िराभजि कर
देना, वषि 1905 ई. में जािान िारा रूस को िराभजि करना आभद ने कांग्रेस की एक गुट को देश
की स्विंत्रिा के भलए अभिवादी नीभि अिनाने हेिु प्रेररि भकया।

बंगाल भविाजन 1905 ई.

• 19 जुलाई 1905 ई. को भविाजन की घोषणा हुई िथा 16 अक्टूबर 1905 ई. को योजना प्रिावी
हो गई।

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• भविाजन की घोषणा के ििाि 7 अगस्ि 1905 ई. को कोलकािा के टाउन हॉल में एक
ऐभिहाभसक बैठक हुई यहीं िर स्वदेशी एवं बभहष्ट्कार आंदोलन का प्रस्िाव िाररि हुआ।
• रभवद्रं नाथ टैगोर की आवाहन िर 16 अक्टूबर 1905 ई. को रक्षाबध
ं न भदवस के रूि में मनाया
गया।

बगं ाल भविाजन का भवरोध स्वदेशी एवं बभहष्ट्कार

• स्वदेशी आंदोलन का नेिृत्व भदल्ली में सैयद हैदर रजा एवं मद्रास में भचदंबरम भिल्लई ने भकया
था।
• काग्रं ेस की बनारस अभधवेशन 1905 ई. में स्वदेशी और बभहष्ट्कार आदं ोलन का अनमु ोदन भकया
गया इस अभधवेशन के अध्यक्ष गोिाल कृष्ट्ण गोखले थे।
• अभश्वनी कुमार दत्त ने स्वदेश बांधव सभमभि की स्थािना की।टैगोर ने उस समय आमार सोनार
बाग्ं ला नामक गीि भलखा जो वषि 1971 ई. में बाग्ं लादेश का राष्ट्रीय गान बना।
• 15 अगस्ि 1986 ई. सद्गुरु दास बनजी ने राष्ट्रीय भशक्षा िररषद की स्थािना की।
• आचायि प्रफुल्ल चंद्र राय के िारा बंगाल के भमकल्स एवं फमािस्युभटकल्स की स्थािना की गई।।
• स्वदेशी आंदोलन के समय िहली बार मभहलाओ ं ने िरदे से बाहर आकर धरना और प्रदशिनों में
भहस्सा भलया।
• वषि1906 ई. के कोलकािा अभधवेशन में अभिवाभदयो ने स्वदेशी, बभहष्ट्कार, राष्ट्रीय भशक्षा और
सुशासन से जुडे चार महत्विूणि प्रस्िाव िाररि करवा भलए । इसी अभधवेशन में दादा िाई नौरोजी
ने िहली बार स्वराज शब्द का उल्लेख भकया था।
• िूंजीिभि, भकसान एवं बहुसंख्यक मुभस्लम समुदाय स्वदेशी और बभहष्ट्कार आंदोलन से अलग
रहा।

मुभस्लम लीग की स्थािना 1906 ई.

• मभु स्लम लीग की स्थािना का मुख्य उद्देश्य भब्रटेन सरकार के प्रभि मुसलमानों में भनष्ठा बढाना और
मस ु लमानों की राजनीभिक अभधकारों की रक्षा करना िथा काग्रं ेस के प्रभि मसु लमानों में घण ृ ा
फैलाना था।
• बंगाल भविाजन की घोषणा के बाद ही 1 अक्टूबर 1906 ई. को आगा खां के नेिृत्व में
मस ु लमानों का एक भशष्टमर्ं ल ित्कालीन वायसराय लॉर्ि भमटं ो से भशमला में भमला।
• 30 भदसंबर 1906 ई. को ढाका में एक बैठक आयोभजि की गई भजसकी अध्यक्षिा नवाब
सलीमुल्लाह ने की।
• इसमें मोभहभसन उल मुल्क, आगा खां िथा नवाब बाकर उल मुल्क उिभस्थि थे।

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• भजसमें अभखल िारिीय मुभस्लम लीग नामक राजनीभिक संगठन की स्थािना करने का भनणिय
भलया गया।
• वषि 1908 ई. में आगा खां को मभु स्लम लीग का स्थाई अध्यक्ष बनाया गया।
• वषि 1960 ई. में मुभस्लम लीग ने अिने अमृिसर अभधवेशन में मुसलमानों के भलए िृथक भनवािचक
मंर्ल की मांग की।
• जो वषि उन्नीस सौ नौ में माले भमटं ो सध
ु ारों के िारा प्रदान कर भदया गया।
• भहंदी उदूि भववाद बंगाल का भविाजन और स्वदेशी आंदोलन िथा माले का िाषण ने मुभस्लम
लीग के गठन को प्रिाभवि भकया।

अभखल िारिीय मुभस्लम लीग अभधवेशन

अभधवेशन वषि स्थान


प्रथम अभधवेशन 1906 ढाका
भििीय अभधवेशन 1907 कराची
ििृ ीय अभधवेशन 1908 अमिृ सर

काग्रं ेस का सरू ि अभधवेशन 1907 ई.

• यह अभधवेशन 26 भदसंबर 1960 ई. को सूरि में संिन्न हुआ।


• इस अभधवेशन में कांग्रेस स्िष्ट रूि से नरमिंभथयोंऔर गरमिंभथयों में भविाभजि हो गई।
• भववाद का कें द्र रास भबहारी घोष थे भजन्हें इस अभधवेशन का अध्यक्ष चुना गया।
• उग्रवादी लाला लाजिि राय को कांग्रेस अध्यक्ष बनाना चाहिे थे जबभक उदारवादी रास भबहारी
घोष को।

माले भमंटो सुधार 1909

• 1989 ई. में इंभर्यन काउंभसल एक्ट की घोषणा हुई । इसे मोले भमंटो सुधार के नाम से जाना जािा
है । उस समय माले िारि सभचव और भमंटो वायसराय थे।
• इस एक्ट के अनुसार कें द्रीय और प्रांिीय भवधान िररषदों में सदस्यों की संख्या बढा दी गई िरंिु
इन िररषदों में भनवािभचि सदस्यों की संख्या बहुि कम थी।
• यह भनवािभचि सदस्य जनिा िारा नहीं बभल्क जमींदारों, व्यािाररयों, भवद्यालयों और स्थानीय
संस्थाओ ं िारा चुने गए थे।

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• इस सुधार िारा सांप्रदाभयक प्रभिभनभधत्व की व्यवस्था प्रारंि की गई। मुसलमानों के भलए िृथक
भनवािचक मंर्ल की व्यवस्था की गई।
• सत्येंद्र नाथ भसन्हा गवनिर जनरल की कायिकाररणी िररषद के िहले िारिीय सदस्य बने।सत्येंद्र
नाथ भसन्हा को भबहार और उडीसा का गवनिर बनाया गया।

भदल्ली दरबार 1911 ई.

• भदसबं र 1911 ई. में भब्रभटश सम्राट जॉजि िंचम और महारानी मेरी के िारि आगमन िर उनके
स्वागि हेिु भदल्ली में एक दरबार का आयोजन भकया गया।
• भदल्ली दरबार में ही 12 भदसबं र 1911 ई. को बगं ाल भविाजन को रद्द घोभषि भकया गया और
साथ ही कोलकािा की जगह भदल्ली को िारि की नई राजधानी बनाने की अनुमभि प्रदान की
गई।
• 1 अप्रैल 1912 ई. को भदल्ली को कोलकािा की जगह िारि की नई राजधानी बना भदया गया।
• बंगाल भविाजन के रद्द होने के बाद भबहार को बंगाल से अलग कर भदया गया।

क्ांभिकारी आंदोलन

• क्ाभं िकारी आंदोलन का उद्देश्य संवैधाभनकिा के साथ-साथ भहंसक कायि िी थे।


• क्ांभिकारी मानिे थे भक िभिमी साम्राज्यवाद का अंि िभिमी भहंसक िरीकों से ही संिव है।

क्ांभिकारी आंदोलन का प्रसार

• क्ाभं िकारी आंदोलन की शुरुआि महाराष्ट्र से मानी जािी है।


• व्यायाम मर्ं ल प्रथम क्ाभं िकारी सगं ठन माना जािा है भजसकी स्थािना 1896 – 97 ई. में चािेकर
बंधु (दामोदर बालकृष्ट्ण चािेकर , वासुदेव चािेकर) ने की।
• 22 जून 1897 ई. को इन्होंने िूना के प्लेग अभधकारी रैंर् एवं आमिस्ट की हत्या की।
• 1904 ई. में वीर दामोदर सावरकर और गणेश सावरकर ने अभिनव िारि नामक गप्तु सस्ं था की
स्थािना की।
• अभिनव िारि के सदस्य अनंि लक्ष्मण कडकडे ने नाभसक के भजला मभजस्रेट जैकसन की हत्या
कर दी और इस हत्याकांर् से जुडे लोगों िर नाभसक षर््यंत्र के स चलाया गया।
• अनश ु ीलन सभमभि की स्थािना 1903 ई. में प्रिाि नाथ भमत्र, सिीश चद्रं बोस, नरेंद्र िट्टाचायि ने
कोलकािा में की थी।
• अरभवंद घोष और बररंद्र घोष अनुशीलन सभमभि के सदस्य थे। बररंद्र घोष ने िवानी मंभदर और
वििमान रणनीभि िस्ु िक की रचना की।

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• बररंद्र घोष ने क्ांभि के प्रचार के भलए युगांिर नामक ित्र भनकाला भजसके प्रथम संिादक
िूिेंद्रनाथ दत्त थे।
• वषि 1960 ई. में खदु ीराम बोस एवं प्रफुल्ल चाकी ने मज ु फ्फरिरु के भजला जज र्ी ए भकंग्सफोर्ि
को मारने का प्रयास भकया लेभकन दुिािग्यवश इस प्रयास में राष्ट्रीय आंदोलन के समथिक भमस्टर
के नेर्ी का िररवार मारा गया।
• इसके बाद प्रफुल्ल चाकी ने आत्महत्या कर ली और खदु ीराम बोस 11 अगस्ि 1908 ई. को
भगरफ्िार कर फांसी दे दी गई। इस घटना के बाद िुभलस ने माभणकिल्ला िर छािा मारकर 34
लोगों को भगरफ्िार भकया भजसमें बररंदर और अरभवंद घोष शाभमल थे। इन सिी िर अलीिुर
षर््यंत्र के स के िहि मुकदमा चलाया गया।
• खुदीराम बोस सबसे कम उम्र में शहीद होने वाले क्ांभिकारी थे।
• अरभवंद घोष ने इसके बाद क्ांभिकारी गभिभवभधयों को त्याग भदया और िांभर्चेरी चले गए जहां
उन्होंने ऑरोभवले आश्रम की स्थािना की।

हाभर्िंग बम कांर् 1912 ई.

• भजस समय वायसराय हाभर्िंग अिने िररवार िथा भब्रटेन के शाही राजवंश के साथ एक लंबे जुलूस
में समारोह िवू िक भदल्ली में प्रवेश कर रहे थे उसी समय उन िर बम फेंका गया भजसमें हाभर्िंग
घायल हो गया।
• इस कायि को बंसल भवश्वास, अमीरचंद, अवध भबहारी एवं बालमुकुंद ने अंजाम भदया था। भजन्हें
बाद में फास
ं ी दे दी गई।

िारिीय क्ांभिकारी संगठन

सगं ठन स्थािना संस्थािक


भमत्र मेला 1903 भवनायक दामोदर और गणेश सावरकर
िारि मािा सोसायटी 1904 अजीि भसहं व अबं ा प्रसाद
ढाका अनुशीलन सभमभि 1904 िी भमत्र व िुभलन दास
अभिनव िारि 1904 वी र्ी सावरकर
अनुशीलन सभमभि 1907 वररंद्र कुमार घोष, जभिंद्र नाथ बनजी , प्रबोध भमत्र, िुभलन
दास, सिीश चंद्र बोस
यगु ािं र , अज
ं मु ाने मोभहब्बाने 1907 बीके घोष ििू ेंद्र नाथ दत्त सरदार अजीि भसहं
विन
भहंदुस्िान ररिभब्लकन 1924 सभचंद्र नाथ सान्याल, राम प्रसाद भबभस्मल ,योगेश चंद्र

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एसोभसएशन (HRA)
नौजवान सिा 1926 िगि भसहं
भहंदुस्िान सोशभलस्ट 1928 चंद्रशेखर आजाद
ररिभब्लकन एसोभसएशन

प्रमुख क्ांभिकारी घटनाएं

घटनाएं वषि स्थल क्ाभं िकारी


एमहसटि एवं कभमश्नर 1897 िणु े चािेकर बध ं ु
रैंर् हत्या
अलीिुर षर््यंत्र 1908 मुजफ्फरिुर खुदीराम बोस प्रफुल्ल चाकी
कनिल वायली की 1909 लदं न मदनलाल ढींगरा
हत्या
जैकसन हत्याकार्ं 1909 नाभसक अनिं कण्हेरे
भदल्ली बम कांर् 1912 भदल्ली बसंि कुमार रासभबहारी बोस
काकोरी रेन र्कै िी 1925 काकोरी राम प्रसाद भबभस्मल, बसंि कुमार
सांर्सि हत्याकांर् 1928 लाहौर िगि भसंह
शस्त्रागार र्कै िी कांर् 1930 चटगांव सूयि सेन
जनरल र्ायर हत्याकार्ं 1940 लदं न उधम भसहं

भवदेशों में क्ांभिकारी आदं ोलन

• सविप्रथम श्यामजी कृष्ट्ण वमाि ने 1905 ई. में इंभर्या होम रूल लीग की स्थािना की एवं इंभर्यन
सोभशयोलॉभजस्ट नामक ित्र भनकाला।
• इन्होंने वषि 1950 ई. में लंदन में िारिीयों के भलए इंभर्या हाउस की स्थािना की।
• श्यामजी कृष्ट्ण वमाि के िेररस में सहयोगी मैर्म िीकाजी कामा थी।
• िीकाजी कामा ने अंग्रेजी में वंदे मािरम ित्र का प्रकाशन भकया।
• कामा ने वषि 1960 ई. में स्टुटगाटि (जमिनी) में भििीय समाजवादी काग्रं ेस में िारि का प्रभिभनभधत्व
भकया और िारि का भिरंगा (हरा+ िीला+ लाल) फहराया।

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➢ प्रथम भवश्व यि ु 1914 ई. की भवरोधी शभियां दो गटु ों में भविाभजि हईु
➢ प्रथम गुट जमिनी, ऑभस्रया, इटली और िुकी - भरिल एलाइंस
➢ दूसरा गुट – फ्ांस रूस और इंग्लैंर् – भरिल एन्टेन्ट
➢ राष्ट्रवादी नेिा भिलक और गांधी जी ने युि के भदनों में सरकार की सहायिा हेिु धन और सेना
के भलए भसिाही की व्यवस्था करने के भलए गांव का दौरा भकया।
➢ भजसके कारण गांधी को ििी करने वाला सजेंट की उिाभध दी गई।
➢ कामागाटामारू प्रकरण का संबंध प्रथम भवश्वयुि से है।

भवदेशों में क्ांभिकारी संगठन

सगं ठन स्थािना सस्ं थािक


इंभर्या होम रूल 1905 श्यामजी कृष्ट्ण वमाि
सोसायटी
इंभर्या इंभर्िेंर्ेंस लीग 1907 िारक नाथ दास
गदर िाटी 1913 लाला हरदयाल रामचंद्र बरकिुल्लाह सोहन भसंह िकना
भहदं एसोभसएशन 1913 सोहन भसहं िकना
इंभर्यन इंभर्िेंर्ेंस लीग 1915 राजा महेंद्र प्रिाि
आजाद भहदं फौज 1942 मोहन भसहं
इंभर्यन इंभर्िेंर्ेंस लीग 1942 रासभबहारी बोस
िेररस इंभर्यन सोसाइटी 1905 मैर्म िीकाजी कामा

होमरूल लीग आंदोलन – 1916 ई.

• 1915 ईस्वी में लाला लाजिि राय ने अमेररका में एक होमरूल लीग का गठन भकया था।
भिलक का होमरुल एनी बेसेंट का होमरूल
क्षेत्र महाराष्ट्र कनािटक मद्रास िभमल नार्ु
मुख्यालय बेलगांव (कनािटक) आर््यार (मद्रास)
स्वरूि सीभमि स्वरूि अभखल िारिीय स्वरूि
अध्यक्ष एन सी के लकर जॉजि अरुंर्ेल
उद्देश्य स्वराज मेरा जन्मभसि अभधकार है स्वशासन की स्थािना
प्रचार मराठा व के सरी कॉमनवील व न्यू इंभर्या

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• भिलक के लीग िर भकए गए मुकदमे की िैरवी मोहम्मद अली भजन्ना ने की थी।
• होमरूल आंदोलन में शाभमल होने वाले अन्य प्रमुख नेिा भचिरंजन दास और मोिीलाल नेहरू थे।
• एनी बेसेंट की लीग के साथ जॉजि अरुंर्ेल, सी िी रामास्वामी अय्यर, बी िी वाभर्या, मोिीलाल
नेहरू, िेज बहादुर सप्रू, मदन मोहन मालवीय आभद थे। कालांिर में िंभर्ि जवाहरलाल नेहरू िथा
वी चक्विी एवं जे बनजी िी इसमें शाभमल हुए।
• एनी बेसेंट के अन्य समथिकों में मद्रास के सत्यमभू िि, अलीकुज्जमा, लखनऊ से जमनु ादास
िारकादास, उमर सुिानी, शंकर दयाल बैंकर िथा इंदूलाल याभग्नक प्रमुख थे।
• मद्रास सरकार ने एनी बेसेंट, जॉजि अरुंर्ेल िथा बीिी वाभर्या को जून 1917 ई. में भगरफ्िार कर
भलया। इसके भवरोध में सर एस सुब्रमण्यम अय्यर ने नाइटहुर् की सरकारी उिाभध को त्याग भदया।

लखनऊ समझौिा 1916

• 1916 ई. में लखनऊ अभधवेशन की अध्यक्षिा अभं बका चरण मजमू दार ने की। मदन मोहन
मालवीय ने लखनऊ समझौिे का भवरोध भकया था।
• इस समझौिे में कांग्रेस और मुभस्लम लीग दोनों ने हस्िाक्षर भकए िथा कांग्रेस ने भवधान िररषदों में
मुसलमानों के िृथक प्रभिभनभधत्व को स्वीकार कर भलया।
• काग्रं ेस के सरू ि अभधवेशन के 9 साल बाद अब काग्रं ेस के गरम दल और नरम दल िनु एकजटु हो
गए।
• िारि सभचव मांटेग्यू ने अगस्ि 1917 ई. में यह घोषणा की भक भब्रभटश सरकार िारि में उत्तरदाई
सरकार स्थाभिि करने के उद्देश्य से धीरे -धीरे स्वशासी सस्ं थाओ ं की स्थािना करना चाहिी है।

मांटेग्यू घोषणा अगस्ि 1917 ई.

• 8 जल ु ाई 1998 ई. में मोंटेग्यू चेम्सफोर्ि ररिोटि प्रकाभशि हईु इस समय िारि का वायसराय
चेम्सफोर्ि और िारि सभचव मांटेग्यू थे।
• भिलक ने मांटेग्यू घोषणा को सूयि भवहीन उषाकाल की संज्ञा दी।
• नरमिथ ं ी नेिाओ ं ने सरु ेंद्रनाथ बनजी के नेित्ृ व में अगस्ि 1918 ई. में इस ररिोटि का स्वागि भकया
और कांग्रेस से अलग होकर राष्ट्रीय उदारवादी संघ (नेशनल भलबरल लीग) का गठन भकया।
• जो बाद में अभखल िारिीय उदारवादी संघ (ऑल इंभर्या भलबरल फेर्रेशन) के रूि में प्रभसि
हईु ।
• कांग्रेस के उदार वाभदयों ने मांटेग्यू घोषणा को िारि का मैग्नाकाटाि कहा। इस प्रकार कांग्रेस का
दूसरा भविाजन हो गया।
• इस ररिोटि उन सुधारों की बाि की गई थी भजन्हें भब्रभटश सरकार िारि में लागू करना चाहिी थी।

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• इस ररिोटि के प्रकाशन के बाद एक और ररिोटि प्रकाभशि हुई यह युि के दौरान िारिीयों की
सरकार भवरोधी गभिभवभधयों की जांच के भलए स्थाभिि रोलेट कमीशन की ररिोटि थी।
• रोलेट कमीशन की ररिोटि में दमन के नए िरीके सझु ाए गए इस ररिोटि िर आधाररि काननू ने देश
की राजनीभिक भस्थभि को िूरी िरह बदल भदया।

मोंटेग्यू चेम्सफोर्ि सध
ु ार 1919 ई.

• इसे िारि शासन अभधभनयम के नाम से िी जाना जािा है।


• इसके अंिगिि प्रांिीय भवधायक िररषदों का आकार बढा भदया गया िथा यह भनभिि भकया गया
भक अभधकाश ं सदस्य चनु ाव जीिकर आएगं े।
• प्रांिों में िैध शासन प्रणाली को प्रारंि भकया गया भजस के जन्मदािा भलयोभनश काभटिश थे।
• 1919 ई. के अभधभनयम की सवािभधक महत्विूणि भवशेषिा प्रांिों में िैध शासन प्रणाली थी।
• इसके अिं गिि प्रािं ीय भवषयों को आरभक्षि एवं हस्िांिररि दो िागों में भविाभजि कर भदया गया
आरभक्षि भवषयों में अत्यंि महत्विूणि भवषय जैसे भवत्त, कानून व्यवस्था, अकाल आभद रखे गए।
• इस अभधभनयम के िारा िारि में िहली बार लोक सेवा आयोग की स्थािना का प्रावधान रखा
गया िथा िारिीय भवधान मंर्ल को बजट िास करने के संबंध में िहली बार सीभमि अभधकार
भदए गए।

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9. महात्मा गाध
ं ी और राष्ट्रीय आदं ोलन

गांधी एक िररचय

• नाम – मोहनदास करमचंद गांधी


• भििा – करमचदं गाध ं ी
• मािा – िुिलीबाई
• जन्म – 2 अक्टूबर 1869 ई.
• मत्ृ यु – 30 जनवरी 1948 ई.
• जन्म स्थान – िोरबंदर गुजराि में
• ित्नी – कस्िूरबा गांधी
• ित्रु – हररलाल मभणलाल देवदास रामदास
• राजनीभिक गुरु – गोिाल कृष्ट्ण गोखले
• कांग्रेस अभधवेशन में प्रथम बार शाभमल – 1921 ई. कोलकािा अभधवेशन
• र्रबन में भफभनक्स आश्रम की स्थािना – 1904 ई.
• सत्याग्रह का प्रथम प्रयोग – 1906 ई. में दभक्षण अफ्ीका में
• जेल में जीवन का प्रथम अनुिव – 1908 ई.
• गांधी का िारि आगमन – 9 जनवरी 1915 ई.
• साबरमिी आश्रम – 1915 ई.
• अभखल िारिीय खादी बोर्ि की स्थािना – 1923 ई.
• अभखल िारिीय चरखा संघ की स्थािना – 1925 ई.

महात्मा गांधी के प्रमुख आश्रम

फामि स्थान वषि


भफभनक्स फामि र्रबन (दभक्षण अफ्ीका) 1904
टॉलस्टॉय फॉमि जोहास
ं बगि (दभक्षण अफ्ीका) 1910
साबरमिी आश्रम साबरमिी (अहमदाबाद) 1915
सत्याग्रह आश्रम कोचराब (अहमदाबाद) 1915
अनासभि आश्रम कौसानी (उत्तराखंर्) 1929
सेवाग्राम वधाि (महाराष्ट्र) 1936

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महात्मा गांधी आंदोलन व सत्याग्रह

• चिं ारण सत्याग्रह यह 1917 ई. में प्रथम वास्िभवक भकसान सत्याग्रह था । 3 / 20 भविाग िर
अभनवायि नील की खेिी के भवरुि सत्याग्रह भजसे िीन कभठया ििभि िी कहा जािा था।
• अहमदाबाद मजदूर आंदोलन 1918 ई. िारि में प्रथम िूख हडिाल ।
• खेडा सत्याग्रह 1918 ई. प्रथम िण
ू ि भकसान सत्याग्रह ।
• भखलाफि आंदोलन 1919 ई. सविप्रथम असहयोग आंदोलन की अभिव्यभि ।
• असहयोग आंदोलन 1920 ई. प्रथम जन आंदोलन की अभिव्यभि ।
• सभवनय अवज्ञा आदं ोलन दार्ं ी माचि 1930 ई. नमक सत्याग्रह ।
• व्यभिगि सत्याग्रह 1940 ई. उिनाम भदल्ली चलो आंदोलन ।
• िारि छोडो आंदोलन अगस्ि क्ांभि 1942 ई. नारा करो या मरो ।

गांधीजी के प्रारंभिक सत्याग्रह

1. चिं ारण सत्याग्रह 1917 ई.

• भबहार के चंिारण भजले में गांधी जी ने सत्याग्रह का िहला प्रयोग वषि 1917 ई. में भकया।चंिारण
में नील की खेिी करने वाले भकसानों िर यूरोिीय माभलक बहुि अत्याचार करिे थे।
• यरू ोिीय लोगों ने भकसानों से एक अनबु ध
ं करा भलया था भक वे अिने िभू म के 3 / 20 में भहस्से िर
अभनवायि रूि से नील की खेिी करें यह व्यवस्था िीन कभठया के नाम से जानी जािी थी।
• वषि 1917 ई. के लखनऊ अभधवेशन में राजकुमार शुक्ल ने गांधी से मुलाकाि कर चंिारण की
समस्याओ ं से अवगि कराया और उन्हें आने का न्योिा भदया।
• सरकार ने मामले की जांच के भलए एक आयोग का गठन भकया िथा गांधी जी को िी इसका
सदस्य बनाया गया। इसके ििाि ठे केदार अवैध वसूली का 25% भहस्सा लौटाने को राजी हो
गए।
• चंिारण सत्याग्रह के दौरान गांधी के कुशल नेिृत्व से प्रिाभवि होकर रभवंद्र नाथ टैगोर ने उन्हें
महात्मा की उिाभध दी।

2. अहमदाबाद मजदूर आदं ोलन 1918 ई.

• यह आंदोलन सरकारी िंत्र के भवरुि ना होकर िारिीय किडा भमल माभलकों के भवरुि था।
• यहां िर माभलकों एवं मजदूरों में प्लेग बोनस को लेकर भववाद था।

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• गाध ं ीजी ने मजदूरों को िूख हडिाल िर जाने को कहा और 35% बोनस की मांग रखने का
प्रस्िाव भदया।
• भमल माभलक 20% बोनस ही देने के भलए राजी थे और अिं िः मजदूरों को 35% बोनस भदया
गया।

3. खेडा सत्याग्रह 1918 ई.

• 1918 ई. में खेडा भजले में िीषण अकाल िडा और िूरी फसल बबािद हो गई।
• सरकार ने मालगुजारी वसूलने की प्रभक्या को बंद नहीं भकया लेभकन इसमें 30% की वृभि िी
की।
• सरकार के इन दमनकारी नीभियों के भखलाफ गांधी ने प्रथम भकसान आंदोलन की शुरुआि की।

4. भखलाफि आदं ोलन 1919 ई.

• गाध
ं ीजी भखलाफि आंदोलन को भहंदू मुभस्लम एकिा का सुनहरा अवसर मानिे थे।
• भसिंबर 1919 ई. में अभखल िारिीय भखलाफि कमेटी का गठन भकया गया।
• 17 अक्टूबर 1919 ई. को अभखल िारिीय स्िर िर भखलाफि भदवस मनाया गया।
• 23 नवंबर 1919 ई. को इसका िहला सम्मेलन भदल्ली में हुआ िथा गांधी जी को अध्यक्ष चनु ा
गया।
• इस आदं ोलन का भवरोध सी आर दास ने भकया उनका भवरोध भवधान िररषदों के बभहष्ट्कार को
लेकर था।
• मौलाना हसरि मोहानी इसके संस्थािक थे िथा अली बंधु (शौकि अली मोहम्मद अली) और
मौलाना आजाद इसके सदस्य थे।
• अबल ु कलाम आजाद ने अिनी िभत्रका al-hilal के माध्यम से इस आदं ोलन का प्रचार भकया।
• यह आंदोलन टकी के खलीफा से संबंभधि था।
• 1924 ई. में जब िुकी में मुस्िफा कमाल िाशा के नेिृत्व में नई सरकार का गठन हुआ िो उसने
खलीफा के िद को समाप्त कर भदया।

5. रोलेट सत्याग्रह 1919 ई.

• िारि में क्ाभं िकाररयों के प्रिाव को समाप्त करने के भलए भब्रभटश सरकार ने 1917 ई. में सर
भसर्नी रोलेट की अध्यक्षिा में एक सभमभि बनाई।
• रौलट एक्ट, सेभर्शन कभमटी की भसफाररश िर आधाररि

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• रोलेट एक्ट लागू करने का मुख्य कारण यह था भक िारि रक्षा कानून की अवभध समाप्त होने
वाली थी।
• यह काननू 3 वषि की अवभध के भलए 18 माचि 1919 ई. को िाररि भकया गया था।
• रोलेट एक्ट को िारिीय जनिा ने काला कानून कहकर आलोचना की।
• रौलट एक्ट को भबना वकील भबना अिील िथा भबना दलील का कानून कहा गया।
• गाध ं ी ने इसके भखलाफ देशव्यािी भवरोध करने का भनिय भलया और 6 अप्रैल 1919 ई. का भदन
राष्ट्रीय अिमान भदवस के रूि में मनाया गया।
• इस प्रदशिन के भखलाफ सरकार ने बबिरिा िूणि दमन की कायिवाही शुरू की िथा कई जगहों िर
लाठी एवं गोली का सहारा भलया।

जाभलयांवाला बाग हत्याकांर्

• 10 अप्रैल 1919 ई. को दो राष्ट्रवादी नेिा र्ॉ. सत्यिाल और र्ॉ. सैफुद्दीन भकचलू भगरफ्िार कर
भलए गए ।
• 13 अप्रैल 1919 ई. में इनकी भगरफ्िारी के भवरोध में जाभलयांवाला बाग में एक जनसिा एकत्र
हुई।
• (जाभलयावं ाला बाग अमिृ सर में भस्थि एक छोटा सा िाकि है जो िीन िरफ से ऊंची दीवारों से
भघरा हुआ है।)
• सिा स्थल िर अंग्रेज जनरल आर र्ायर ने भबना कोई िूवि सूचना या चेिावनी के िीड िर गोली
चलवा दी भजसमें हजारों लोग मारे गए।
• इस हत्याकांर् के भवरोध में रभवंद्र नाथ टैगोर ने नाइट की उिाभध वािस कर दी।
• वायसराय की कायिकाररणी के सदस्य शंकर नायर ने िी कायिकाररणी िररषद से त्यागित्र दे भदया।
• इस हत्याकार्ं की जाच ं हेिु लॉर्ि हटं र की अध्यक्षिा में हटं र सभमभि की भनयभु ि की गई।
• हंटर कमेटी के भनम्नभलभखि सदस्य थे-
जभस्टस रैभस्कन, राइस, सर जॉजिबरो, सर टॉमस भस्मथ, सर भचमनलाल सीिलवाड, शाहबाज
सुल्िान अहमद िथा जगि नारायण।
• जाभलयांवाला बाग हत्याकांर् के समय िंजाब प्रांि के लेभफ्टनेंट गवनिर माइकल ओ र्ायर थे ।
जबभक अमृिसर शहर का प्रशासन सैन्य अभधकारी भब्रगेभर्यर जनरल आर र्ायर को सौंिा गया
था।
• काग्रं ेस ने जाभलयावं ाला बाग हत्याकार्ं की जाच ं हेिु मदन मोहन मालवीय की अध्यक्षिा में एक
सभमभि की भनयुभि की। सभमभि के अन्य सदस्य थे मोिीलाल नेहरू, महात्मा गांधी, सी आर दास,
िैयब जी और जायकर।
• 13 माचि 1940 ई. को उद्यम भसंह ने गोली मारकर माइकल ओ र्ायर की हत्या कर दी।

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6. असहयोग आंदोलन (1920 – 22 ई.)

• असहयोग आंदोलन का प्रस्िाव गांधी ने िैयार भकया था जबभक इसे सीआर दास ने िेश भकया
था।
• असहयोग का प्रस्िाव कोलकािा के भवशेष अभधवेशन 1920 ई. में िास हुआ। भजसके अध्यक्ष
लाला लाजिि राय
• असहयोग आंदोलन संबंधी प्रस्िाव को भदसंबर 1920 में नागिुर में हुए अभधवेशन में िुभष्ट कर दी
गई।
• इसमें स्वराज के लक्ष्य िक िहच ुं ने के भलए कांग्रेस िारा साभं वभधक उिाय शाभं ि में और उभचि
उिाय आवेदन और अिील के साथ साथ कर देने से मना करना जैसी सीधी कायिवाही िी
शाभमल थी।
• असहयोग आदं ोलन गाध ं ी जी िारा 1 अगस्ि 1920 ई. को शरू ु कर भदया गया। भजसमें गाधं ी जी
ने अिना कै सर ए भहंद, जुलू युि िदक और बोअर िदक वािस कर भदया।
• 1 अगस्ि 1920 ई. को भिलक की मृत्यु हो गई।
• 17 नवंबर 1921 ई. को भप्रंस ऑफ वेल्स के िारि आगमन िर संिूणि िारि में साविजभनक
हडिाल का आयोजन भकया गया।
• इस आंदोलन के दौरान भवद्याभथियों िारा स्कूलों का बभहष्ट्कार भकया गया।
• सुिाष चंद्र बोस नेशनल कॉलेज कोलकािा के प्रधानाचायि बने।
• िज ं ाब में लाला लाजिि राय का नेिृत्व
• राष्ट्रवाभदयों ने भदल्ली में जाभमया भमभलया और बनारस में काशी भवद्यािीठ जैसी भशक्षण संस्थाएं
स्थाभिि की।
• लोगों ने अिनी सरकारी नौकररयां छोड दी वकीलों ने अदालिों का बभहष्ट्कार भकया।
• 1921 ई. का मोिला भवद्रोह इस आंदोलन से जुड गया।

चौरी चौरा कांर् 1922 ई.

• उत्तर प्रदेश के गोरखिुर भजले में भस्थि चौरी चौरा नामक स्थान िर 5 फरवरी 1922 ई. को एक
घटना घटी।
• इस घटना के ििाि िीड ने भवरोध स्वरूि िभु लस के 22 भसिाभहयों को थाने के अदं र भजदं ा जला
भदया।
• 12 फरवरी 1922 ई. को बारदोली में कांग्रेस कायिसभमभि की बैठक में सत्याग्रह व सहयोग को
स्थभगि करने का प्रस्िाव िाररि भकया गया।

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• प्रस्िाव में रचनात्मक कायिक्मों िर बल भदया गया भजसमें कांग्रेस के भलए एक करोड सदस्य ििी
कराना, चरखे का प्रचार, राष्ट्रीय भवद्यालयों की स्थािना, मादक द्रव्य भनषेध िथा िंचायि
सगं भठि करना सभम्मभलि था।

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10.राष्ट्ट्रीय आंदोलन 1923 से 1939 ई.
स्वराज िाटी

• भदसबं र 1922 ई. के गया अभधवेशन में सी आर दास ने अिने अध्यक्षीय िाषण में भवधान िररषद
में प्रवेश का प्रस्िाव रखा।
• सी आर दास की वकालि के बावजदू यह प्रस्िाव िाररि नहीं हो सका।
• भविक्षी गुट का नेिृत्व सी राजगोिालाचारी ने भकया।
• प्रस्िाव िाररि न होने िर सीआर दास और मोिीलाल नेहरू ने कांग्रेस से त्यागित्र दे भदया िथा
माचि 1923 ई. में इलाहाबाद में स्वराज िाटी बनाई।
• िाटी ने अिने को कांग्रेस का अभिन्न अंग के रूि में प्रचाररि भकया िथा यह घोषणा की भक
इसका िात्काभलक लक्ष्य र्ोभमभनयन स्टेटस की प्राभप्त है।
• भसिबं र 1923 ई. में भदल्ली में कांग्रेस के एक भवशेष अभधवेशन के अिं गिि स्वराज िाटी के
कायिक्मों को मान्यिा दी गई भजसकी अध्यक्षिा अबुल कलाम आजाद ने की थी।

बारदोली सत्याग्रह 1928 ई.

• गुजराि के बारदोली में भकसानों ने सरकार िारा बढाए गए 30% कर के भवरोध में वल्लि िाई
िटेल के नेिृत्व में सत्याग्रह भकया।
• इस सत्याग्रह की सफलिा के बाद सरकार ने कर को घटाकर 6.03% कर भदया।
• बारदोली सत्याग्रह के सफल होने के बाद मभहलाओ ं ने वल्लि िाई िटेल को सरदार की उिाभध
थी।
• बीिी वाभर्या, भथरु वी कल्याण सुंदरम, चक्कराई चेरट्टयार, मद्रास लेबर यूभनयन के प्रमुख नेिा थे
भजसकी स्थािना 1918 ई. में हईु थी।
• िारि में रेर् यूभनयन आंदोलन के अग्रणी नेिा नारायण मल्हार जोशी थे भजन्होंने मजदूरों के िहले
अभखल िारिीय ऑल इंभर्या रेर् यूभनयन कांग्रेस (AITUC) की स्थािना की।
• इस अभधवेशन की स्थािना 1920 ई. में मबुं ई में हईु ।
• भजसके प्रथम अध्यक्ष लाला लाजिि राय थे ित्ििाि भचिरंजन दास, जवाहरलाल नेहरू, और
सुिाष चंद्र बोस अध्यक्ष बने।
• 11 अप्रैल 1936 ई. को प्रथम अभखल िारिीय भकसान सिा (AIKS) का गठन लखनऊ में हुआ
भजसके अध्यक्ष स्वामी सहजानंद सरस्विी िथा महासभचव एन.जी. रंगा को बनाया गया।

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समाजवादी और क्ांभिकारी आंदोलन

• िारि के बाहर रह रहे क्ांभिकारी मानवेंद्र नाथ राय ने कई देशों की कम्युभनस्ट िाभटियों िारा
स्थाभिि कम्युभनस्ट इंटरनेशनल में कई वषों िक सभक्य रूि से िाग भलया।
• िारि में समाजवादी संगठनों के अभधकांश नेिाओ ं ने असहयोग आंदोलन में िाग भलया था।
• भजसमें श्रीिाद अमिृ र्ागं े, एम भसगं ारवेलू, शौकि उस्मानी और मजु फ्फर अहमद प्रमख ु थे।
• इनमें से कुछ समूह एक दूसरे के नजदीक आए और 1925 ई. में िारिीय कम्युभनस्ट िाटी की
स्थािना की।
• िारि में समाजवादी भवचारों को लोकभप्रय बनाने वाले राष्ट्रीय आदं ोलन के सबसे प्रमख ु नेिा
जवाहरलाल नेहरू थे।
• जवाहरलाल नेहरू के प्रिाव में 1934 ई. में कांग्रेस समाजवादी िाटी की स्थािना हुई।

क्ांभिकारी आंदोलन

• असहयोग आंदोलन वािस लेने से जो भनराशा फैली उससे 1920 के दशक में क्ांभिकारी
गभिभवभधयां िनु : आरि ं हईु ।
• सभचंद्र नाथ सान्याल, योगेश चटजी, राम प्रसाद भबभस्मल राजेंद्र लाभहडी, चंद्रशेखर आजाद आभद
ने भमलकर 1924 ई. में कानिुर में भहंदुस्िान ररिभब्लकन एसोभसएशन (HRA) का गठन भकया।

काकोरी कांर् (9 अगस्ि 1925 ई.)

• 9 अगस्ि 1925 ई. को लखनऊ सहारनिुर संिाग के काकोरी नामक स्थान िर 8 र्ाउन रेन र्कै िी
र्ालकर सरकारी खजाने को लटू भलया गया।
• काकोरी षर््यंत्र कांर् में 29 लोगों िर मुकदमा चलाया गया।
• भजसमें राम प्रसाद भबभस्मल, अशफाक उल्ला खान, रोशन लाल िथा राजेंद्र लाभहडी को फांसी
दी गई।

भहंदुस्िान सोशभलस्ट ररिभब्लकन एसोभसएशन (HRSA)

• काकोरी कार्ं के ििाि HRA का अभस्ित्व समाप्त हो गया और चद्रं शेखर आजाद के नेित्ृ व में
भहंदुस्िान ररिभब्लकन एसोभसएशन (HRA) का नाम बदलकर भहंदुस्िान सोशभलस्ट ररिभब्लकन
एसोभसएशन (HRSA) कर भदया गया।
• इस सगं ठन का उद्देश्य िारि में एक समाजवादी गणित्रं ात्मक राज्य की स्थािना करना था।

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• इसके सभक्य सदस्यों में िगविी चरण वोहरा, भवजय कुमार भसन्हा, भशव वमाि, िगि भसंह,
जयदेव किूर एवं सुखदेव प्रमुख थे।

प्रमुख षर््यंत्र के स

षर््यत्रं वषि क्ाभं िकारी


नाभसक षर््यंत्र के स 1904 अभिनव िारि , गणेश सावरकर (उम्र कै द)
अलीिुर षर््यंत्र 1908 प्रफुल्ल चाकी, खुदीराम बोस (फांसी) वररंद्र घोष िथा अरभवंद घोष
के स
कानिुर षर््यंत्र के स 1924 नभलनी गुप्ता, अवनी मुखजी
काकोरी षर््यत्रं 1925 राम प्रसाद भबभस्मल, अशफाक उल्ला खान, रोशन भसहं , राजेंद्र लहरी
के स (फांसी)
लाहौर षर््यंत्र के स 23 march िगि भसंह राजगुरु और सुखदेव को फांसी
1931
मेरठ षर््यंत्र के स 1929 – 33 32 साम्यवाभदयों िर मुकदमा, िीन अंग्रेजों िी (भफभलि स्प्रेट, वेन
वैर्ल, लेस्टर हभचंसन)

• िेशावर षर््यंत्र, कानिुर षर््यंत्र के स, और मेरठ षर््यंत्र के स का संबंध साम्यवादी आंदोलन से है।
• सरकार ने कम्युभनस्टों के बढिे प्रिाव को रोकने के भलए वषि 1928 – 29 में जनसुरक्षा कानून,
भह्वटृले कमीशन, रेर् भर्स्प्यटू भबल िथा मेरठ षर््यत्रं के स का सहारा भलया।

प्रमुख वामिंथी संगठन

सगं ठन वषि प्रमख


ु नेिा
मजदूर भकसान िाटी 1927 एस एस भमराजकर, धुंर्ीराज ठें गदी
मजदूर भकसान िाटी 1927 सोहन भसहं िकना (अमिृ सर)
यूिी भकसान िाटी 1928 भफभलप्स स्प्रेट, मुजफ्फर अहमद, अब्दुल मजीद, सोहन
भसंह, िूरन चंद्र जोशी
अभखल िारिीय मजदूर भकसान िाटी 1928 सोहन भसंह जोश, आर एस भनंबारकर
कांग्रेस समाजवादी िाटी 1934 जयप्रकाश नारायण आचायि नरें द्र देव, अच्युि िटवधिन
(मबुं ई)
िारिीय बोल्शेभवक दल 1939 एन दत्त मजूमदार अजीि राय भशभशर राय भवश्वनाथ दुबे
फॉरवर्ि ब्लॉक 1940 सुिाष चंद्र बोस

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साण्र्सि की हत्या (17 भदसंबर 1928 ई.)

• 30 अक्टूबर 1928 ई. को लाहौर में साइमन कमीशन का भवरोध के दौरान िुभलस अधीक्षक
साण्र्सि ने लाला लाजिि राय को घािक रूि से घायल कर भदया।
• 17 भदसंबर 1928 ई. को लाहौर स्टेशन िर िगि भसंह चंद्रशेखर आजाद और राजगुरु ने साण्र्सि
की हत्या कर दी।

सेंरल लेभजसलेभटव असेंबली बम कांर्

• 8 अप्रैल 1929 ई. को जब भवधानसिा में साविजभनक सुरक्षा भवधेयक (िभब्लक सेफ्टी भबल) िथा
व्यािार भववाद भवधेयक (रेर् भर्स्प्यूट भबल) िर बहस चल रही थी िब िगि भसंह और बटुकेश्वर
दत्त ने भवधानसिा में दो बम फेंके ।
• कें द्रीय भवधानसिा में जो िचे फेंके गए उस िर भलखा हआ ु था “बहरों को सनु ाने के भलए बमों की
आवश्यकिा है।“
• िगि भसंह और बटुकेश्वर दत्त को भगरफ्िार कर भलया गया िथा 23 माचि 1931 ई. को लाहौर
षर््यत्रं के स में िगि भसहं राजगरुु और सख
ु देव को फांसी दे दी गई।
• जेल में िूख हडिाल के दौरान जभिन दास की 64 वें भदन मृत्यु हो गई।
• चंद्रशेखर आजाद इलाहाबाद के अल्फ्े र् िाकि में िुभलस के साथ हुई एक मुठिेड में अिने आि
को गोली मार ली।

चटगांव आमिरी रेर्

• बगं ाल के क्ाभं िकारी सगं ठनों में सयू ि सेन िारा स्थाभिि IRA (इभं र्यन ररिभब्लकन एसोभसएशन)
का भवभशष्ट स्थान था।
• इसके सदस्यों में लोकी नाथ वाउल, प्रीभि लिा वार्ेकर, गणेश घोष और कल्िना दत्त प्रमुख थे।
• इस भवद्रोह में 16 फरवरी 1933 ई. को सयू ि सेन को भगरफ्िार कर भलया गया िथा 12 जनवरी
1934 ई. को फांसी दी गई।
• वषि 1926 ई. में िगि भसंह, छबीलदास और यशिाल आभद नवयुवकों ने नौजवान सिा की
स्थािना की।
• जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवबं र 1889 ई. को हआ ु था।
• सुिाष चंद्र बोस का जन्म कटक में 1897 ई. में हुआ था।
• 1920 ई. में सुिाष चंद्र बोस इंभर्यन भसभवल सभविस (ICS) में चौथा स्थान प्राप्त भकया।
• वे राष्ट्रीय आदं ोलन में नेिाजी के नाम से लोकभप्रय हएु ।

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क्ांभिकारी आंदोलन से जुडी प्रमुख ित्र िभत्रकाएं एवं िुस्िकें

िभत्रका सिं ादक िभत्रका सिं ादक


युगांिर बररंद्र कुमार घोष एवं इंभर्यन श्यामजी कृष्ट्ण वमाि
ििू ेंद्रनाथ दत्त सोभशयोलॉभजस्ट
संध्या ब्रह्मा बन्धव उिाध्याय फ्ी भहंदुस्िान (बेंकूवर) िारक नाथ दास

काल लंदन बंदी जीवन सभचद्रं सान्याल


िारि मािा अजीि भसंह िवानी मंभदर बररंद्र घोष
िथेर दावी शरि चद्रं चट्टोिाध्याय भफलॉस्फी ऑफ बम िगविी चरण वोहरा
ग़दर लाला हरदयाल न्यू इंभर्या भबभिन चंद्र िाल
ग़दर (सैन गदर िाटी मैं नाभस्िक क्यों हूं िगि भसहं
फ्ांभसस्को)

क्ाभं िकारी संस्थाएं

सस्ं था सस्ं थािक स्थान वषि


भमत्र मेला वी र्ी सावरकर नाभसक 1899
अभिनव िारि वी र्ी सावरकर नाभसक 1904
अनुशीलन सभमभि प्रिाि नाथ भमत्र कोलकािा 1905
सिीश चंद्र
िारि स्वशासन सभमभि श्यामजी कृ. वमाि लदं न 1905
इंभर्या हाउस श्यामजी कृ. वमाि लंदन 1905
युगांिर वररंद्र घोष कोलकािा 1906
िारि नौजवान सिा िगि भसंह छबीलदास लाहौर 1926
मेहिा
भहदं ु स्िान ररिभब्लकन चद्रं शेखर आजाद कानिरु 1924
एसोभसएशन सभचंद्र सान्याल
भहंदुस्िान सोशभलस्ट चंद्रशेखर आजाद भदल्ली 1928
ररिभब्लकन एसोभसएशन

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साइमन कमीशन (1927 – 28 ई.)

• वषि 1919 ई. के िारि शासन अभधभनयम में कहा गया था भक 10 वषि बाद एक संवैधाभनक
आयोग की भनयुभि की जाएगी।
• सर जॉन साइमन की अध्यक्षिा में गभठि साइमन आयोग में कुल 7 सदस्य क्लाइमेंट एटली, हेनरी
लेवी लासन, एर्वर्ि कार्ोगान वेनोन हाटिशोन, जॉजि लेन फॉक्स, र्ोनाल्र् हावर्ि, आयोग के
सदस्य थे।
• इसके सिी सदस्य अंग्रेज थे इसीभलए िारिीयों ने इसे श्वेि कमीशन कहा गया।
• 8 नवबं र 1927 ई. को साइमन कमीशन की घोषणा की गई।
• 1927 ई. के कांग्रेस के मद्रास अभधवेशन में कमीशन के बभहष्ट्कार का भनणिय भलया गया।
• 3 फरवरी 1928 ई. को साइमन कमीशन मुंबई (िारि) िहुंचा इस भदन देशव्यािी हडिाल
आयोभजि की गई।
• साइमन कमीशन का िूणि बभहष्ट्कार का भनणिय भलया गया और साइमन गो बैक के नारे लगाए
गए।
• राजनीभिक दलों में भलबरल फेर्रेशन (िेज बहादुर सप्रू), िारिीय औद्योभगक वाभणभज्यक कांग्रेस,
भहदं ू महासिा, भकसान मजदूर िाटी मभु स्लम लीग आभद ने आयोग की बभहष्ट्कार का समथिन
भकया।
• जबभक मुभस्लम लीग का मोहम्मद शफी गुट, जभस्टस िाटी (मद्रास) यूभनयभनस्ट िाटी (िंजाब)
िथा र्ॉ. िीमराव अबं ेर्कर के नेित्ृ व में सच
ं ाभलि भर्प्रेस्र् क्लास एसोभसएशन ने साइमन
कमीशन का समथिन भकया।

भदल्ली प्रस्िाव (1927 ई.)

• मभु स्लम भहिों के भवषय में संयुि प्रस्िाव भब्रभटश सरकार िारा िाररि भकया गया भजसमें 4
भनम्नभलभखि प्रस्िाव थे :-
1. भसध ं को अलग प्रािं बनाना
2. उत्तर िभिम सीमांि प्रांि को अन्य प्रांि के समकक्ष दजाि

3. कें द्रीय मंभत्रमंर्ल में मुभस्लम का 33% प्रभिभनभधत्व

4. िज ं ाब और बगं ाल के प्रभिभनभधत्व का अनिु ाि जनसख् ं या के आधार िर हो।

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नेहरू ररिोटि (28 अगस्ि 1928 ई.)

• लॉर्ि बकि नहेर् (िारि सभचव) ने साइमन कमीशन की भनयुभि करने के साथ ही राष्ट्रीय नेिृत्व को
एक ऐसा संभवधान बनाने की चुनौिी िी थी जो देश के सिी समुदायों और वगों को स्वीकार हो।
• अंििः मोिीलाल नेहरू की अध्यक्षिा वाली एक सभमभि में 28 अगस्ि 1928 ई. को अिनी ररिोटि
प्रस्ििु की भजसे लखनऊ में आयोभजि सविदलीय सम्मेलन में स्वीकार कर भलया गया।

नेहरू ररिोटि की मुख्य भसफाररशें

1. िारि को र्ोभमभनयन का दजाि भदया जाए


2. सांप्रदाभयक भनवािचन प्रणाली को समाप्त कर भदया जाए और इसके स्थान िर संयुि भनवािचन
प्रणाली अिनाई जाए।
3. कें द्र िथा राज्यों में जहां मस
ु लमान अल्ि सख्
ं या में हो उनके भहिों की रक्षा के भलए कुछ स्थानों को
आरभक्षि कर भदया जाए िरंिु जहां मुसलमान बहुसंख्यक है वहां यह व्यवस्था लागू ना हो जैसे –
िंजाब, बंगाल।
4. िाषाई आधार िर प्रािं ों का गठन हो कें द्र एवं राज्यों में उत्तरदाई सरकार की स्थािना हो।
5. कें द्र सरकार का प्रमुख गवनिर जनरल हो भजसकी भनयुभि भब्रभटश सरकार िारा हो। वह कें द्रीय
कायिकाररणी िररषद की सलाह िर कायि करें जो कें द्रीय व्यवस्थाभिका के प्रभि उत्तरदाई हो।
6. प्रािं ीय व्यवस्थाभिका का कायिकाल 5 वषि का हो।
7. िारि धमिभनरिेक्ष राज्य होगा लेभकन अल्िसंख्यकों के धाभमिक एवं सांस्कृभिक भहिों का िूणि
संरक्षण होगा।
8. कें द्र एवं प्रांि में संघीय आधार िर शभि का भविाजन एवं अवभशष्ट शभियां कें द्र के िास हो।
9. िारि में एक प्रभि रक्षा सभमभि , उच्चिम न्यायालय और लोक सेवा आयोग की स्थािना की बाि
की गई।
10. भसंध को मुंबई से िृथक कर एक अलग प्रांि बनाया जाए।
11. मौभलक अभधकारों की मागं भजसमें मभहलाओ ं को समान अभधकार, सघं बनाने की स्वित्रं िा एवं
व्यस्ि मिाभधकार जैसी मांगें थी।
12. मुभस्लम लीग ने नेहरू ररिोटि को इस आधार िर अस्वीकार कर भदया भक इसमें िृथक भनवािचक
मर्ं ल का प्रावधान नहीं था।
13. इसके बाद भजन्ना ने 14 सूत्रीय मांगे िेश की।

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िूणि स्वाधीनिा की मांग

• भदसबं र 1929 ई. में कांग्रेस का वाभषिक अभधवेशन लाहौर में हुआ । भजसके अध्यक्ष जवाहरलाल
नेहरू बने।
• 31 भदसंबर 1929 ई. को एक प्रस्िाव में घोषणा की गई भक कांग्रेस के संभवधान की धारा 1 में
स्वराज्य शब्द का अथि होगा िण ू ि स्वाधीनिा।
• 26 जनवरी 1930 ई. को िूरे राष्ट्र में प्रथम स्विंत्रिा भदवस मनाने का भनिय भकया गया।
• गांधीजी को स्वाधीनिा आंदोलन का नेिृत्व प्रदान करने के भलए कहा गया।
• काग्रं ेस जनों को आदेश भदया गया भक वह िभवष्ट्य में काउंभसल चनु ाव में िाग ना ले और
काउंभसल के मौजूदा सदस्य अिने िदों से त्यागित्र दे दे।

सभवनय अवज्ञा आदं ोलन

1930 ई. में स्वाधीनिा भदवस मनाने के बाद गांधी जी के नेिृत्व में सभवनय अवज्ञा आंदोलन
आरंि हुआ।
• यह आदं ोलन गाध ं ी जी की प्रभसि दार्ं ी यात्रा से आरि
ं हआ
ु ।
• 12 माचि 1930 को गांधी जी ने अहमदाबाद के अिने साबरमिी आश्रम से 78 समथिकों के साथ
दांर्ी यात्रा प्रारंि की।
• 24 भदनों बाद 6 अप्रैल 1930 ई. को गाध ं ी जी ने नमक बनाकर काननू िोडा।
• नमक कानून को िोडने के बाद संिूणि देश में सभवनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ।
• सुिाष चंद्र बोस ने गांधीजी के दांर्ी माचि की िुलना नेिोभलयन के िेररस माचि िथा मुसोभलनी के
रोम माचि से की है।
• सभवनय आदं ोलन के कायिक्मों में नमक कानून का उल्लघं न, करों का िुगिान न करना, भवदेशी
वस्िुओ ं का बभहष्ट्कार आभद शाभमल था।
• िभिमोत्तर सीमा प्रांि में खान अब्दुल गफ्फार खान ने सभवनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआि
की।
• चंद्र भसंह गढवाली के नेिृत्व में सैभनकों ने भनहत्थे आंदोलनकाररयों िर गोली चलाने से इनकार
कर भदया।
• धरासना में नमक सत्याग्रह का नेिृत्व सरोभजनी नायर्ू, इमाम साहब, गाध ं ी जी के ित्रु मभणलाल
और अबुल कलाम आजाद ने भकया।
• धरासना में अंग्रेजों ने भनमिमिा िूविक आंदोलन का दमन भकया। भजसका उल्लेख अमेररका के
समाचार ित्र न्यू फ्ीमैन के ित्रकार वेब भमलर ने भकया है।
• िभमलनार्ु में सी. राजगोिालाचारी ने भत्रचनािल्ली से वेदारण्यम िक की यात्रा की।

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• मालाबार में के . कल्लिम आंदोलन का नेिृत्व भकया और कालीकट से ियनूर िक की यात्रा की।
• मभणिुर में आंदोलन का नेिृत्व नागा मभहला गैभर्नेल्यू ने भकया। जवाहरलाल नेहरू ने इन्हें रानी
की उिाभध से सम्माभनि भकया।
• बंगाल में चौकीदारी एवं यूभनयन बोर्ि भवरोधी आंदोलन चलाया गया।महाराष्ट्र मध्य प्रांि एवं
कनािटक में कडे वन भनयमों के भवरुि सत्याग्रह चलाया गया।
• प्रिाि फेररयां भनकाली गई सदं ेश िहच
ुं ाने के भलए जादुई लालटेन का प्रयोग भकया गया। बच्चों
ने वानर सेना िथा लडभकयों ने मंजरी सेना का गठन भकया।
• ररयासिों की जनिा के सिी संगठन ऑल इंभर्या स्टेट्स िीिुल्स कॉन्फ्ें स में एकभत्रि हुए।
• 1939 ई. में जवाहरलाल नेहरू को ऑल इंभर्या स्टेट्स िीिुल्स कॉन्फ्ें स का अध्यक्ष चुना गया।
• 1915 ई. में भहंदू महासिा की स्थािना हुई।
• अशफाक उल्ला खां िहले मुभस्लम नेिा थे भजन्हें स्विंत्रिा संघषि के दौरान फांसी दी गई थी।

प्रथम गोलमेज सम्मेलन

• साइमन कमीशन की भसफाररश िर भवचार करने के भलए प्रथम गोलमेज सम्मेलन आयोभजि
भकया गया जो 12 नवंबर 1930 ई. से 10 जनवरी 1931 ई. िक चला।
• लदं न में सेंट जेम्स िैलेस में आयोभजि इस सम्मेलन की अध्यक्षिा ित्कालीन प्रधानमत्रं ी रैम्जे
मैकर्ोनाल्र् ने की।
• कांग्रेस ने प्रथम गोलमेज सम्मेलन का बभहष्ट्कार भकया भकंिु िारिीय राजाओ,ं मुभस्लम लीग, भहंदू
महासिा और कुछ अन्य सगं ठनों के प्रभिभनभध उसमें शाभमल हएु ।

गांधी इरभवन समझौिा

• 19 फरवरी1931 ई. से 15 भदनों िक चली एक वािाि के फल स्वरूि 5 माचि 1921 ई. को गांधी


और इरभवन के बीच में एक समझौिा हुआ। भजसे गांधी इरभवन समझौिा या भदल्ली समझौिा
कहा जािा है।
• इस समझौिे ने काग्रं ेस की भस्थभि को सरकार के बराबर कर भदया । समझौिे की शिे थी-
1. समझौिे में भहंसात्मक अिराभधयों के अभिररि सिी राजनीभिक कै भदयों की ररहाई

2. अिहरण की संिभत्त वािस भकया जाना

3. समद्र
ु िट के एक भनभिि सीमा के िीिर नमक िैयार करने की अनमु भि प्रदान करना िथा
4. मभदरा, अफीम, भवदेशी वस्िुओ ं की दुकानों के सम्मुख शांभििूणि भवरोध प्रदशिन की अनुमभि

देना आभद शाभमल था।


5. कांग्रेस की ओर से गांधी जी सभवनय अवज्ञा आंदोलन स्थभगि करने िर सहमि हो गए।

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• काग्रं ेस भििीय गोलमेज सम्मेलन में िाग लेने के भलए इस शिि िर िैयार हुई भक प्रस्िाभवि
संवैधाभनक सुधारों का आधार संघीय व्यवस्था, उत्तरदाभयत्व िूणि शासन, िारि के भहिों को ध्यान
में रखिे हएु सरु क्षात्मक व्यवस्था प्रदान करनी होगी।

कांग्रेस का कराची अभधवेशन 1931 ई.

• गाध
ं ी इरभवन समझौिा को स्वीकृभि देने के भलए काग्रं ेस का अभधवेशन 29 माचि 1931 ई. को
बुलाया गया।
• भजसकी अध्यक्षिा सरदार वल्लि िाई िटेल ने की थी।
• इसमें भदल्ली समझौिे को सविसम्मभि से स्वीकार कर भलया गया और िहली बार िण ू ि स्वराज को
िररिाभषि भकया गया।
• इस सत्र में िहली बार मौभलक अभधकारों और राष्ट्रीय कायिक्म से संबंभधि प्रस्िाव िाररि भकए
गए।
• िगि भसंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी होने के कारण गांधी जी को काले झंर्े भदखाए गए।

भििीय गोलमेज सम्मेलन

• 7 भसिंबर 1931 ई. से 1 भदसंबर 1931 ई. िक चलने वाले इस सम्मेलन में गांधी जी ने कांग्रेस के
एकमात्र प्रभिभनभध के रूि में भहस्सा भलया।
• गाधं ी जी के साथ एस एस राजििू ाना जहाज में महादेव देसाई, मदन मोहन मालवीय, देवदास
गांधी, घनश्याम दास भबडला और मीराबेन िी थी।
• इस समय भब्रटेन में लेबर िाटी का ििन हो गया और िारि में इरभवन के स्थान िर लॉर्ि वेभलंगटन
वायसराय भनयुि हुए।
• साप्रं दाभयक मामले िर कोई भनणिय न होने के कारण भििीय गोलमेज सम्मेलन भबना भकसी
िररणाम के समाप्त हो गया।
• भििीय गोलमेज सम्मेलन में सरोभजनी नायर्ू (मभहला प्रभिभनभध), एनी बेसेंट, मदन मोहन
मालवीय (भहदं ू महासिा), जी र्ी भबरला (व्यवसाय), िेज बहादुर सप्रू, सी वाई भचंिामभण
(उदारवादी), भजन्ना, अली इमाम, इकबाल मुभस्लम लीग, एस के दत्ता, िारिीय ईसाई , र्ॉक्टर
अंबेर्कर (अछूि फेर्रेशन) आभद सदस्यों ने िाग भलया।

िृिीय गोलमेज सम्मेलन

• 17 नवंबर 1932 ई. को लंदन में िृिीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन भकया गया।
• काग्रं ेस ने इस सम्मेलन का बभहष्ट्कार भकया।

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• इस सम्मेलन में िारि सरकार अभधभनयम 1935 ई. हेिु ठोस योजना के अंिररम स्वरूि को िेश
भकया गया।
• यह सम्मेलन 24 भदसबं र 1932 ई. को समाप्त हो गया।
• िीनो गोलमेज सम्मेलन में िाग लेने वाले दभलि नेिा अंबेर्कर थे।

प्रािं ीय चनु ाव वषि 1937

• वषि 1935 ई. के िारि शासन के आधार िर फरवरी 1937 ई. में चनु ाव हुए, भजसमें कांग्रेस को
बडी सफलिा भमली।
• 11 प्रािं ों मद्रास, कें द्रीय मध्य प्रािं , भबहार, उडीसा, सयं ि
ु प्रािं , मबुं ई, असम, उत्तर िभिम सीमा
प्रांि, बंगाल, िंजाब एवं भसंध में चुनाव हुए।
• कांग्रेस ने 5 प्रांिों मद्रास, संयुि प्रांि, मध्य प्रांि, भबहार उडीसा में िूणि बहुमि प्राप्त भकए।
• मबुं ई, असम , उत्तर िभिमी सीमा प्रािं में वह सबसे बडी िाटी के रूि में उिरी।
• के वल बंगाल, िंजाब, िथा भसंध में ही कांग्रेस बहुमि से वंभचि रह गई।
• िंजाब में मुभस्लम लीग िथा यूभनयभनस्ट िाटी ने संयुि सरकार बनाई।
• बंगाल में कृषक प्रजा िाटी िथा मुभस्लम लीग ने संयुि सरकार बनाई।
• भसध ं में भसधं यूनाइटेर् िाटी के अधीन सयं ि ु सरकार का गठन हआ ु ।

भवभिन्न प्रांिों में बनी सरकार

प्रािं दल नेिृत्व (प्रधानमंत्री)


बंगाल कृषक प्रजा िाटी , मुभस्लम फजलुल हक
लीग
िंजाब यूभनयभनस्ट िाटी , मुभस्लम भसकंदर हयाि खान
लीग
भसंध भसंध यूनाइटेर् िाटी गुलाम हुसैन भहदायिुल्लाह एवं अल्लाह
बख्श
भबहार िारिीय राष्ट्रीय काग्रं ेस श्री कृष्ट्ण भसहं
संयुि प्रांि िारिीय राष्ट्रीय कांग्रेस गोभवंद बल्लि िंि
मुंबई िारिीय राष्ट्रीय कांग्रेस बी जी खेर
कें द्रीय प्रांि िारिीय राष्ट्रीय कांग्रेस नारायण िास्कर खरे
उत्तर िभिम िारिीय राष्ट्रीय कांग्रेस र्ॉ. खान साहब
प्रािं

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असम िारिीय राष्ट्रीय कांग्रेस गोिीनाथ बारदोलई
मद्रास िारिीय राष्ट्रीय काग्रं ेस सी राजगोिालाचारी
उडीसा िारिीय राष्ट्रीय कांग्रेस भवश्वनाथ

कांग्रेस मंत्री मंर्लों का कायिकाल वषि (1937 – 39)

• वषि 1937 ई. के चनु ाव में कांग्रेस ने कुल 8 राज्यों में सरकार बनाई और इनका शासनकाल मात्र
28 महीने रहा।
• प्रशासन को सुचारू रूि से चलाने के भलए संसदीय उि सभमभि या कें द्रीय भनयंत्रण िररषद का
गठन भकया गया भजसके सदस्य बल्लि िाई िटेल, अबुल कलाम आजाद, और र्ॉ.राजेंद्र प्रसाद
थे।

कांग्रेस का भत्रिुरी संकट वषि 1939 ई.

• वषि 1938 ई. में सुिाष चंद्र बोस हररिुरा अभधवेशन के अध्यक्ष चुने गए।
• वषि 1939 ई. में भत्रिुरी में प्रस्िाभवि अभधवेशन के भलए उन्होंने िुनः खडे होने का भनणिय भलया।
• भजसका भवरोध सरदार िटेल, राजेंद्र प्रसाद, और आचायि कृिलानी ने भकया िथा अिना
उम्मीदवार उन्होंने िट्टािी सीिारमैया को घोभषि भकया।
• िट्टािी सीिारमैया को गांधी जी का िी समथिन प्राप्त था।
• िट्टािी सीिारमैया की हार िर गांधी जी ने कहा था भक यह सीिारामय्या से अभधक मेरी हार है।
• अिं िः उसने अध्यक्ष िद से त्यागित्र देकर फॉरवर्ि ब्लॉक की स्थािना की।
• कांग्रेस ने सुिाष चंद्र बोस के स्थान िर राजेंद्र प्रसाद को अध्यक्ष मनोनीि भकया।

भििीय भवश्वयि
ु िथा काग्रं ेस की भस्थभि

• भििीय भवश्व युि 3 भसिंबर 1939 ई. को आरंि हुआ।


• ित्कालीन वायसराय लॉर्ि भलनभलथगो ने िारिीय जनिा से भवचार भवमशि भकए भबना ही िारि

को जमिनी के भवरुि यि ु रि राष्ट्र घोभषि कर भदया।


• कांग्रेस युि में अिना सहयोग एवं समथिन देने के भलए 2 शिे रखी : -

1. युि के ििाि संभवधान सिा की बैठक आहूि की जानी चाभहए। यह संभवधान सिा स्विंत्र

िारि की राजनीभिक सरं चना िर भवचार करेगी।


2. अभि शीघ्र कें द्र में भकसी प्रकार की वास्िभवक एवं उत्तरदाई सरकार की स्थािना की जाए।

• वायसराय भलनभलथगो ने इस प्रस्िाव को अस्वीकार कर भदया।

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11. स्विंत्र िारि

अगस्ि प्रस्िाव (8 अगस्ि 1940)

• काग्रं ेस मंभत्रमंर्ल के त्यागित्र के ििाि कांग्रेस का वाभषिक अभधवेशन रामगढ में मौलाना अबुल
कलाम आजाद की अध्यक्षिा में हआ ु ।
• इसमें कहा गया भक भब्रभटश सरकार को कांग्रेस इस शिि िर सहयोग करेगी भक कें द्र में अंिररम
राष्ट्रीय सरकार गभठि की जाए।
• कांग्रेस के इस प्रस्िाव के प्रत्युत्तर में वायसराय भलनभलथगो ने कांग्रेस का सहयोग प्राप्त करने के
भलए एक प्रस्िाव रखा भजसे अगस्ि प्रस्िाव कहा जािा है।

अगस्ि प्रस्िाव के प्रमख


ु भबदं ु भनम्नभलभखि हैं : -

1. यि
ु के बाद प्रभिभनभध मुलक संभवधान भनमाित्री सिा का गठन
2. वायसराय की कायिकाररणी की संख्या में अभि शीघ्र वृभि
3. एक युि सलाहकार िररषद का गठन
4. अल्िसंख्यकों को भबना भवश्वास में भलए भकसी िी संवैधाभनक िररवििन को लागू नहीं भकया
जाएगा
5. िारि के भलए र्ोभमभनयन स्टेटस।
➢ कांग्रेस ने इस प्रस्िाव को अस्वीकार कर भदया।

व्यभिगि सत्याग्रह (1940 – 41 ई.)

• अगस्ि प्रस्िाव को अस्वीकार करने के ििाि कांग्रेस ने व्यभिगि सत्याग्रह शुरू भकया
• इसका उद्देश्य युि के भवरुि प्रचार करना था।
• व्यभिगि सत्याग्रह 17 अक्टूबर 1940 ई. को िवनार आश्रम (महाराष्ट्र) से प्रारि
ं हआ
ु ।
• िहले सत्याग्रही भवनोवा िावे थी िथा दूसरे सत्याग्रही जवाहरलाल नेहरू।

भक्प्स भमशन (1942 ई.)

• भब्रभटश प्रधानमंत्री चभचिल ने भब्रभटश संसद सदस्य िथा मजदूर नेिा सर स्टैनफोर्ि भक्प्स के नेिृत्व
में माचि 1942 में एक भमशन िारि िेजा।

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• काग्रं ेस िथा मुभस्लम लीग दोनों ने भक्प्स प्रस्िाव को स्वीकार नहीं भकया।
• गांधीजी ने भक्प्स प्रस्िाव को उत्तरभिभथय चेक (िोस्ट र्ेटेर् चेक) कहा।(जवाहरलाल नेहरू ने
इसमें आगे “ऐसा बैंक जो टूट रहा है।“ जोड भदया।)

भक्प्स भमशन के प्रमख


ु प्रावधान भनम्नभलभखि थे:-

1. यिु के बाद िारिीय संघ क भनमािण का प्रयत्न करना।


2. िारि को र्ोभमभनयन स्टेट का दजाि देना।
3. यि ु के ित्काल बाद एक सभं वधान भनमाित्री सिा का गठन करना भजसमें भब्रभटश िारि और
देशी रजवाडे के प्रभिभनभध शाभमल हो।

िारि छोडो आंदोलन

• काग्रं ेस कायिसभमभि ने भक्प्स भमशन के प्रस्िाव को अस्वीकार कर भदया। क्योंभक इसमें भकसी िी
प्रकार से िारिीय स्विंत्रिा की बाि नहीं थी।
• वधाि में 7 – 14 जुलाई 1942 ई. को एक बैठक बुलाई गई भजसमें गांधी के संघषि के भनणिय की
िुभष्ट कर दी गई िथा िारि छोडो आंदोलन का प्रस्िाव िास भकया।
• 1 अगस्ि को इलाहाबाद में भिलक भदवस मनाया गया।
• 7 अगस्ि 1942 ई. को मौलाना अबुल कलाम की अध्यक्षिा में मुंबई के ऐभिहाभसक ग्वाभलया
टैंक मैदान में अभखल िारिीय काग्रं ेस की एक बैठक हईु ।
• भजसमें वधाि प्रस्िाव की िुभष्ट कर दी गई।
• नेहरू ने िारि छोडो प्रस्िाव िेश भकया भजसे थोडे बहुि संशोधनों के बाद 8 अगस्ि 1942 ई. को
स्वीकार कर भलया गया।
• गांधी जी ने करो या मरो का नारा भदया

आंदोलन की प्रगभि

• 9 अगस्ि 1942 ई. को आंदोलन शुरू होिे हैं ऑिरेशन जीरो आवर के अंिगिि कांग्रेस के सिी
प्रमुख नेिाओ ं को भगरफ्िार कर भलया गया।
• जो कांग्रेसी नेिा भगरफ्िार नहीं हो सके (राम मनोहर लोभहया, अरुणा आसफ अली) ने गुप्त रूि से
जनिा को भनदेश भदए।
• िारि छोडो आंदोलन स्वि: स्फूिि आंदोलन था।
• महात्मा गांधी और सरोभजनी नायर्ू को भगरफ्िार करके आगा खान िैलेस में बंद कर भदया गया।

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• इस आंदोलन में बंगाल की 73 साल की मािंभगनी हजारा असम की 13 साल की कनकलािा
बरूआ और िटना के साथ िरुण भवद्याभथियों सभहि अन्य सैकडों को गोली मारकर मौि के घाट
उिार भदया गया।
• देश के कुछ िागों में जैसे – उत्तरप्रदेश में (बभलया) भचत्तू िांर्े, बंगाल में िमलुक, महाराष्ट्र में
सिारा, कनािटक में धारवाड और उडीसा में बालासोर िथा िलचर में भब्रभटश सरकार के समानांिर
जनिा ने सरकार की स्थािना की।
• बभलया में भचिू िांर्े ने िहली समानांिर सरकार की स्थािना की।
• 9 अगस्ि 1942 ई. को िहली बार कांग्रेस रेभर्यो स्थाभिि करने का मि व्यि भकया गया और राम
मनोहर लोभहया, उषा मेहिा आभद ने इसकी व्यवस्था की।
• काग्रं ेस प्रसारण स्टेशन मुख्य रूि से मुंबई एवं नाभसक से कायि कर रहा था।

सी आर फामिल
ू ा (10 जुलाई 1944)
• इसके अिं गिि राजगोिालाचारी ने काग्रं ेस िथा मभु स्लम लीग के बीच समझौिे की एक योजना
प्रस्िुि की।

आजाद भहंद फौज

• आजाद भहंद फौज का भवचार सबसे िहले मोहन भसंह के मन में आया था।
• आजाद भहंद फौज के गठन में एक जािानी सैन्य अभधकारी मेजर फुजीवारा का महत्विूणि
योगदान था।
• 1943 ई. में आजाद भहंद फौज का नेिृत्व सुिाष चंद्र बोस को सौंिा गया।
• 21 अक्टूबर 1943 ई. को सुिाष चंद्र बोस ने भसंगािुर में स्विंत्र िारि की अस्थाई सरकार का
गठन भकया भजसका मुख्यालय रंगून था।
• अस्थाई सरकार के मंभत्रयों में एच सी चटजी (भवत्त), एम ए अय्यर (प्रचार), लक्ष्मी सहगल (भस्त्रयों
का भविाग) आभद शाभमल था।
• सुिाष चंद्र बोस ने रंगून एवं भसंगािुर में आई एन ए के मुख्यालय स्थाभिि भकए।
• आजाद भहदं फौज की िीन और भब्रगेर् का नाम –
सुिाष नेहरू व गांधी भब्रगेर् रखा गया।
• जबभक मभहलाओ ं के भलए रानी झांसी रेजीमेंट की स्थािना की गई।
• सिु ाष चद्रं बोस ने नारा भदया “िमु मझ ु े खनू दो मैं िम्ु हें आजादी दूगं ा।“
• आजाद भहंद फौज ने “जय भहंद और भदल्ली चलो” का नारा भदया।

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• 6 नवंबर 1943 ई. को जािानी सेना ने आजाद भहंद फौज को अंर्मान और भनकोबार िीि सौंि
भदए।
• बोस ने अर्ं मान एवं भनकोबार का नाम क्रमशः शहीद और स्वराज िीि रखा।
• िहली बार सुिाष चंद्र बोस िारा ही गांधीजी के भलए राष्ट्रभििा शब्द का प्रयोग भकया गया।
• मई 1945 ई. में भब्रभटश सेना िारा रंगून िर िुनः अभधकार कर भलए जाने के बाद आजाद भहंद के
भसिाभहयों को जािानी सेना के साथ आत्मसमििण करना िडा।

आजाद भहदं फौज िर मक


ु दमा (1945 ई.)
• इसे लाल भकला मुकदमा नाम से िी जाना जािा है।
• नवंबर 1945 ई. में िहला मुकदमा आजाद भहंद फौज के सैभनकों िर चलाया गया।
• नवंबर 1945 ई. के मुकदमे में शाहनवाज खान, गुरबक्श भसंह भढल्लों िथा प्रेम कुमार सहगल को
एक साथ मुकदमा चलाने के भलए लाल भकले में बनी अदालि में खडा भकया गया।
• काग्रं ेस ने आजाद भहदं फौज के भसिाभहयों के बचाव के भलए आजाद भहदं बचाओ सभमभि की
स्थािना की।
• बचाव िक्ष के वकीलों में िूलािाई देसाई प्रमुख थे उनका सहयोग करने के भलए िेज बहादुर सप्रू,
जवाहरलाल नेहरू ने िी अदालि में बहस की।
• इस आंदोलन को यूभनयन वादी, अकाली दल, जभस्टस िाटी, भहंदू महासिा, लसख ,लीग िथा
अहरार िाटी का िी समथिन प्राप्त था।

वेवेल योजना (1945 ई.)

• अक्टूबर 1945 ई. में भलनभलथगो की जगह वेवेल वायसराय बने।


• इन्होंने शांभि लाने के उद्देश्य से कांग्रेस कायिसभमभि के सदस्यों को ररहा कर भदया।
• 4 जून 1945 ई. को वेवेल ने एक योजना रखी

भजसमें भनम्न बािें थी:-

1. कें द्र में नई कायि िररषद का गठन भकया जाएगा।


2. िररषद में वायसराय िथा सैन्य प्रमुख के अभिररि शेष सिी सदस्य िारिीय होंगे। प्रभिरक्षा
भविाग वायसराय के अधीन होगा।
3. कायिकाररणी में मुसलमानों की संख्या सवणि भहंदुओ ं के बराबर होगी।
4. गवनिर जनरल मंभत्रयों की सलाह िर वीटों या भनषेधाभधकार का प्रयोग करेगा।

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• भवभिन्न प्रस्िाव िर भवचार भवमशि के भलए 25 जून 1945 को भशमला में सम्मेलन आयोभजि
भकया गया भजसमें कांग्रेस के साथ लीग को बराबरी का दजाि भदया गया।
• भजन्ना की मागं थी भक वायसराय की िररषद के सिी मभु स्लम सदस्य लीग से भलए जाएँ क्योंभक
मुभस्लम लीग ही मुसलमानों की एकमात्र प्रभिभनभध है।
• भजन्ना की यही मांग भशमला सम्मेलन की असफलिा का कारण बनी है।
• इस सम्मेलन में काग्रं ेस ने अिना प्रभिभनभध मौलाना अबल
ु कलाम आजाद को भनयि ु भकया।
• वायसराय ने अिनी कायिकाररणी में 14 सदस्य रखने का भनणिय भलया भजसमें 5 कांग्रेस की 5
मुभस्लम लीग के िथा 4 अन्य सदस्य थे।

िारि में आम चुनाव (1945ई.)

• भब्रटेन में भवंस्टन चभचिल की कंजरवेभटव िाटी की िराजय के बाद लेबर िाटी के नेिा भक्लमेंट
एटली भब्रटेन के प्रधानमंत्री बने।
• उसने सर िैभथक लोरेंस को िारि सभचव भनयुि भकया भजसने िारि में आम चनु ाव करवाए।ं
• कें द्रीय भवधानमंर्ल की 102 सीटों में कांग्रेस 57 सीटों िर सफल हुई।
• प्रांिीय चुनावों में कांग्रेस को बंगाल भसंध और िंजाब के अलावा शेष स्थानों िर बहुमि प्राप्त हुई।
• मद्रास, बम्बई, सयं ि ु प्रािं , भबहार, उडीसा, असम और मध्य प्रािं में काग्रं ेस ने अिनी सरकारों का
गठन भकया।
• मुभस्लम लीग को के वल बंगाल और भसंध में ही बहुमि भमला।

शाही नौसेना में भवद्रोह (1946 ई.)

• 18 फरवरी 1946 ई. को रॉयल इंभर्यन नेवी के गैर कमीशन अभधकाररयों एवं सैभनकों ने नस्लीय
िेदिाव एवं खराब खाना के कारण हडिाल भकया।
• यह भवद्रोह बम्बई के नवसैभनक प्रभशक्षण िोि िलवार िर भकया गया था।
• नौसेना भवद्रोह के समथिन में 22 फरवरी 1946 ई. को बम्बई में अिूििूवि हडिाल आयोभजि भकया
गया।
• िटेल और भजन्ना ने इन्हें आत्मसमििण करने के भलए कहा।
• 24 फरवरी 1946 ई. को भवद्रोभहयों ने यह कहिे हुए आत्मसमििण भकया भक “हम िारि के सामने
आत्मसमििण कर रहे हैं भब्रटेन के सामने नहीं।“

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कै भबनेट भमशन योजना (1946 ई.)

• जनवरी 1946 ई. में एटली ने िारिीय नेिाओ ं से औिचाररक स्िर िर बािचीि करने के भलए एक
संसदीय दल को िारि िेजने का भनणिय भलया भजसे कै भबनेट भमशन कहा गया।
• 29 माचि 1946 ई. कै भबनेट भमशन िारि आया।
• कै भबनेट भमशन के सदस्यों में सर स्टैनफोर्ि भक्प्स, ए वी अलेक्जेंर्र िथा िैभथक लोरेंस शाभमल
थे।

कै भबनेट भमशन योजना के मुख्य भबंदु:-


1.िारि एक आभधराज्य होगा भजसमें भब्रभटश िारि के प्रांि और देसी राज्य दोनों शाभमल होंगे।
2. भवदेशी मामले प्रभिरक्षा िथा संचार साधन कें द्रीय सरकार के अधीन होंगे।

3. मुभस्लम लीग की िाभकस्िान मांग को इस आधार िर ठुकरा भदया गया था भक इससे

साप्रं दाभयक अल्िसख् ं यकों की समस्या का समाधान नहीं होगा।


4. प्रांिों को िीन श्रेभणयों को क, ख और ग में बांटा गया

िाग क मुंबई, भबहार, मध्य प्रांि, मद्रास, उडीसा और संयुि प्रांि


िाग ख िभिमोत्तर सीमा प्रािं भसध ं और िज ं ाब
िाग ग असम बंगाल
5. संघीय भवषयों को छोडकर शेष भवषय और अवभशष्ट शभियां प्रांिों में भनभहि होंगी।

6. सभं वधान भनमाित्री सिा का गठन प्राि ं ीय भवधानसिाओ ं िथा देशी ररयासिों के प्रभिभनभधयों िारा
भकया जाएगा िथा प्रत्येक प्रांि को उसकी जनसंख्या के अनुिाि में सामान्यि: 10 लाख की
आबादी िर एक प्रभिभनभध के अनुिाि में सीटों की कुल संख्या आवंभटि की जाएगं ी।
➢ 6 जून 1946 ई. को मुभस्लम लीग ने िथा 24 जून 1946 ई. को कांग्रेस ने इसे स्वीकार कर भलया।
➢ मुभस्लम लीग ने 29 जुलाई 1946 ई. को अिनी स्वीकृभि वािस ले ली और िाभकस्िान के भलए
सीधी कायिवाही शुरू की।

अंिररम सरकार का गठन (2 भसिंबर 1946 ई.)

• काग्रं ेस िारा वायसराय की नवीनिम प्रस्िावों को स्वीकार कर लेने के बाद अगस्ि 1946 ई. को
वेवेल ने कांग्रेस अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू को अंिररम सरकार के गठन के भलए आमंभत्रि भकया।
• 20 नवबं र 1946 ई. को लॉर्ि वेवेल ने सभं वधान सिा की प्रथम बैठक के सदस्यों को आमभं त्रि
भकया।

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• 9 भदसंबर 1946 ई. को संभवधान सिा की प्रथम बैठक हुई भजसमें र्ॉ. सभच्चदानंद भसन्हा को
अस्थाई अध्यक्ष चुना गया।
• 11 भदसबं र 1946 ई. को र्ॉ राजेंद्र प्रसाद को संभवधान का स्थाई अध्यक्ष चनु ा गया।
• 13 भदसंबर को नेहरू जी ने उद्देश्य प्रस्िाव िेश भकया।

अंिररम सरकार का मंभत्रमंर्ल

सदस्य भविाग
जवाहरलाल नेहरू कायिकारी िररषद के उिाध्यक्ष, भवदेश मामले एवं राष्ट्र मंर्ल से संबंभधि मामले
सरदार बल्लि िाई िटेल गृह सूचना एवं प्रसारण भविाग िथा ररयासि संबंधी मामले
बलदेव भसंह रक्षा भविाग
जॉन मथाई उद्योग एवं आिभू िि भविाग
सी राजगोिालाचारी भशक्षा भविाग
सी एच िािा कायि ,खान िथा बदं रगाह
र्ॉ राजेंद्र प्रसाद खाद्य एवं कृभष भविाग
आसफ अली रेल भविाग
जगजीवन राम श्रम भविाग
भलयाकि अली खान भवत्त भविाग

माउंटबेटन योजना

• 20 फरवरी 1947 ई. को भब्रभटश प्रधानमंत्री लॉर्ि एटली ने हाउस ऑफ कॉमंस में बयान भदया भक
जनू 1948 ई. िक िारिीयों को सत्ता सौंिकर अग्रं ेज िारि छोड देंगे।
• वेवेल के स्थान िर 24 माचि 1947 ई. को माउंटबेटन गवनिर जनरल बन कर िारि आया।
• 3 जून को माउंटबेटन ने िारि के भविाजन के साथ सत्ता हस्िांिरण की योजना प्रस्िुि की।

इस योजना के भनम्नभलभखि भबंदु थे:-

1. 15 अगस्ि 1947 ई. को िारि में दो आभधराज्यों की स्थािना की जाएगी और सिी शभियां


इन्हें हस्िािं ररि कर दी जाएगी।
2. िारिीय राजवाडों को िारि या िाभकस्िान में शाभमल होने की इजाजि दी गई। उन्हें स्विंत्र
रहने का भवकल्ि नहीं भदया गया।

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3. उत्तर िभिम सीमा प्रांि िथा असम के भसलहट भजले में जनमि संग्रह के िारा ििा लगाया जाना
था भक वह भकसके साथ रहना चाहिे हैं।

िारिीय स्विंत्रिा अभधभनयम (1947 ई.)

• माउंटबेटन योजना के आधार िर 4 जुलाई 1947 ई. को भब्रभटश संसद में िारिीय स्विंत्रिा
भवधेयक िेश भकया गया।
• 15 जुलाई को यह हाउस ऑफ कॉमंस में िथा 16 जुलाई 1947 ई. को भब्रभटश सम्राट के िारा
स्वीकार कर भलया गया।
• इस अभधभनयम के आधार िर 14 अगस्ि को िाभकस्िान िथा 15 अगस्ि को िारि स्विंत्र हो
गया।
• मोहम्मद अली भजन्ना िाभकस्िान के गवनिर जनरल िथा भलयाकि अली प्रधानमंत्री बने।
• िारि में लॉर्ि माउंटबेटन प्रथम गवनिर जनरल िथा िंभर्ि जवाहरलाल नेहरू प्रथम प्रधानमंत्री
बने।
• ित्कालीन गृह मंत्री सरदार िटेल िथा वीिी मेनन के प्रयासों से 15 अगस्ि 1947 ई. िक 136
ररयासिों ने िारिीय संघ में शाभमल होने के भलए एक भवलय ित्र िर हस्िाक्षर भकए।
• जम्मू कश्मीर में 26 अक्टूबर 1947 ई. को भवलय ित्र िर हस्िाक्षर भकए।
• 9 नवंबर 1947 ई. को जूनागढ का प्रशासन िारि ने अिने हाथों में भलया।
• हैदराबाद ने 26 अक्टूबर 1948 ई. को भवलय ित्र िर हस्िाक्षर भकए।
• वषि 1954 ई. में फ्ांस की सरकार ने िाभं र्चेरी चद्रं नगर िथा माहे को िारि को सौंि भदए।
• 19 भसिंबर 1961 ई. को गोवा के अभिररि दमन और दीव के क्षेत्र को िी िारि में भमला भलया
गया।
• गोवा को सबसे अंि में िारिीय संघ का भहस्सा बनाया गया।

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12. गवनिर गवनिर जनरल एवं वायसराय

1772 ई. तक

बंगाल के गिनटर

(1772 –
1857 ई. 1833 ई.)
के बाद बंगाल का
िायसराय गिनटर
जनरल

(1833 – 1857 ई.)


भारत का गिनटर
जनरल

1. बंगाल के गवनिर 1772 ई. िक

रॉबटि क्लाइव (1757 – 60 ई. )(1765 – 67 ई.)

• प्लासी के भवजय (1757 ई.) के बाद क्लाइव को बंगाल का गवनिर बनाया गया।
• क्लाइव ने बक्सर के युि (1764) में सफलिा के बाद 1765 ई. में बंगाल में िैध शासन लागू
भकया जो 1772 ई. िक चलिा रहा।
• इसी के काल में दोहरी वेिन खत्म करने के कारण श्वेि भवद्रोह हआ
ु ।
• 1754 ई. में क्लाइव ने अकािट की भकले की घेराबंदी की।
• आलमगीर िारा इसे उमारा की उिाभध दी गई।
• एर्मर्ं बकि ने क्लाइव को बडी बडी नीवें रखने वाला कहा है।

क्लाइव के बाद बगं ाल के गवनिर


1. हालवेल 1760 ई. – इसके समय में ब्लैक होल की घटना हुई थी।
2. बेभन्सटाटि (1760 – 65 ई.) – बक्सर के युि के समय बेभन्सटाटि बंगाल का गवनिर था।
3. वेरेलस्ट (1767 – 69 ई.) – िैध शासन के समय यह बंगाल का गवनिर था।
4. काभटियर (1769 – 72 ई.) – इसके काल में ही 1770 ई. में बंगाल में आधुभनक िारि का प्रथम
अकाल िडा।

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5. वारेन हेभस्टंग्स (1772 -74 ई.) – यह बंगाल का अंभिम गवनिर था।इसने बंगाल में िैध शासन को
समाप्त कर भदया।

2. बंगाल के गवनिर जनरल (1772 - 1833 ई.)


TRICK – HenCe JVBM HAi – TOTAL 8

िारे न हेस्टिं ग्स जॉन िोर जॉजड बालो लॉर्ड हेस्टिं ग्स
1772 - 85 1793 – 98 1805 - 07 1813 - 23

लॉर्ड कानडिाशलस लॉर्ड िेलेजली लॉर्ड शमिंटो प्रथम लॉर्ड एमहटड


1786 - 93 1798 - 1805 1807 -13 1823 - 28

1. वारेन हेभस्टंग्स (1772 – 85 ई.)

• रेगुलेभटंग एक्ट के िहि वारेन हेभस्टंग्स बंगाल का प्रथम गवनिर जनरल बना।
• हेभस्टंग्स ने 1772 ई. में राजस्व बोर्ि का गठन भकया िथा कोष को मुभशिदाबाद से कोलकािा
स्थानांिररि कर भदया।
• 1772 ई. में उसने 5 वषीय िथा 1777 ई. में 1 वषीय िू राजस्व बंदोबस्ि लागू भकया।
• वारेन हेभस्टंग्स को िारि में न्याभयक सेवा का जन्मदािा माना जािा है।
• कोलकािा में एक सुप्रीम कोटि की स्थािना 1779 ई. में इसके काल में की गई । भजसके मुख्य
न्यायाधीश एभलजा इम्िे थे।
• वारेन हेभस्टंग्स के काल में बनारस की संभध (1773 ई.) फैजाबाद की संभध (1775 ई.) एभशयाभटक
सोसाइटी ऑफ़ बंगाल (1784 ई.) िथा नंदकुमार िर अभियोग (1775 ई.) जैसी प्रमुख घटनाएं
घटी।
• हेभस्टंग्स को ररंग ऑफ फेन्स (घेरे की नीभि) का जनक माना जािा है।
• हेभस्टंग्स बंगाल का एकमात्र ऐसा गवनिर जनरल था भजस िर बकि ने महाभियोग का मुकदमा
दायर भकया।

इसके काल में घभटि प्रमुख घटनाएं

• 1773 ई. – रेगल
ु ेभटंग एक्ट
• 1784 ई. – भिट्स इंभर्या एक्ट
• 1775 – 82 ई. – प्रथम आंग्ल मराठा युि (सालबाई की संभध)

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• 1780 – 84 ई. – भििीय आंग्ल मैसूर युि (मंगलौर की संभध)
• बंगाल में िैध शासन की समाभप्त
• कोलकािा बगं ाल की राजधानी घोभषि

2. लॉर्ि कानिवाभलस (1786 – 93 ई.)

• कनिवाभलस को 1786 ई. के सशं ोधन एक्ट िारा commander-in-chief बनाया गया।


• िारि में कानिवाभलस को भसभवल सेवा और िुभलस सेवा का जन्मदािा माना जािा है।
• इसने शभि का िृथक्करण भसिांि को लागू भकया और राजस्व भविाग को न्याभयक भविाग से
अलग भकया।
• अब कलेक्टर के िास भसफि िू राजस्व वसूली का अभधकार था। दीवानी अभधकार वािस ले भलए
गए।
• कनिवाभलस िारि का एकमात्र गवनिर जनरल है भजसकी समाभध िारि में उत्तर प्रदेश के गाजीिरु
में भस्थि है।

घभटि प्रमुख घटनाएं

• 1789 ई. दास व्यािार िर रोक


• िृिीय मैसूर युि (1790 – 92 ई.) श्रीरंगिट्टनम की संभध
• 1793 ई. कनिवाभलस कोर् का भनमािण

3. जॉन शोर (1793 – 98 ई.)

• इसने मैसरू के प्रभि अहस्िक्षेि की नीभि का िालन भकया। (अिवाद अवध का उत्तराभधकार
मामला)
• इसने जमींदारों को िूभम का वास्िभवक स्वामी माना।
• इसके समय 1793 ई. का चाटिर एक्ट िाररि हुआ।
• भनजाम और मराठों में खदाि की लडाई (1795 ई.)

4. लॉर्ि वेलेजली (1798 – 1805 ई.)

• वेलेजली 37 वषि की आयु में िारि का गवनिर जनरल बना इसे बंगाल के टाइगर के नाम से िी
जाना जािा है।
• इसे सहायक सभं ध का जन्मदािा माना जािा है।

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• इस संभध को स्वीकार करने वाले राज्यों के वैदेभशक संबंध अंग्रेजी राज्य के अधीन हो जािे थे
लेभकन उनके आंिररक मामलों में हस्िक्षेि नहीं भकया जािा था।

सहायक संभध स्वीकार करने वाले राज्यों का क्म

• हैदराबाद (1798 ई.) मैसूर (1799 ई.) िंजौर (1799 ई.) अवध (1801 ई.) िेशवा (1802 ई.)
िोंसले (1803 ई.) भसभं धया (1804 ई.) जोधिरु , जयिरु , मच्छे डी, बदूं ी िथा िरििरु । TRICK –
HMT APBS JJMB
• फ्ांसीसी गवनिर र्ुप्ले ने िारि में सहायक संभध की नींव रखी भकंिु इसे व्यावहाररक रूि वेलेजली
ने ही भदया।
• 1799 ई. में वेलेजली ने प्रेस िर प्रभिबंध लगाया जो िारिीय प्रेस िर प्रभिबंध लगने वाली िहली
घटना मानी जािी है।
• वेलेजली ने नागररक सेवा में ििी भकए गए युवकों को प्रभशक्षण देने के भलए 1800 ई. में
कोलकािा में फोटि भवभलयम कॉलेज की स्थािना की।
• 1803 ई. में इसने बाल हत्या िर अभधभनयम 4 के िारा िूणिि: प्रभिबंध लगा भदया।
• चिुथि आंग्ल मैसूर युि (1799 ई.)
• भििीय मराठा यि ु (1803 – 05 ई.)
• बसीन की संभध (1802 ई.)

5. जॉजि बोलो (1805 – 07 ई.)

• इसने हस्िक्षेि की नीभि का िालन भकया।


• वेल्लोर का भसिाही भवद्रोह 1806 ई.

6. लॉर्ि भमंटो प्रथम (1807 – 13 ई.)

• लॉर्ि भमटं ो भनयत्रं ण बोर्ि का अध्यक्ष था।


• 1809 ई. में लॉर्ि भमंटो महाराजा रंजीि भसंह के साथ अमृिसर की संभध में सभम्मभलि हुआ।
• इस संभध िर अंग्रेजों की ओर से चाल्सि मैटकॉफ ने हस्िाक्षर भकए।
• भमटं ो ने बदुं ेलखर्ं नागिरु और बराड के भवद्रोह को दबाया।
• 1813 ई. का चाटिर एक्ट भमंटो के समय िाररि हुआ भजसमें भशक्षा के भवकास के भलए ₹100000
की व्यवस्था की गई।

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7. लॉर्ि हेभस्टंग्स (1813 – 23 ई.)

• इसने अहस्िक्षेि की नीभि का िररत्याग कर भदया।


• िारि में भब्रभटश प्रिुसत्ता इसी के समय स्थाभिि हुई।
प्रमुख घटनाएं
• नेिाल के साथ 1816 ई. सगं ोली की सभं ध भजसके कारण इसे मारभक्वस ऑफ हेभस्टंग्स की उिाभध
दी गई।
• हेभस्टंग्स को भिंर्ाररयों का दमन करने का िी श्रेय प्राप्त है। भिंर्ारी लुटेरों का एक दल था भजसमें
भहदं ू िथा मसु लमान दोनों शाभमल थे।
• िृिीय मराठा युि (1817 – 19 ई.) – मराठा िररसंघ का भवलय
• भसंभधया की संभध – 1817 ई.
• टॉमस मनु रो िारा रैयिवाडी व्यवस्था स्थाभिि
• बम्बई प्रेभसर्ेंसी की स्थािना – 1818 ई.

8. लॉर्ि एमहस्टि (1823 – 28 ई.)

• इसके समय प्रथम आंग्ल बमाि युि (1824 – 26 ई.) हुआ।


• प्रथम आंग्ल बमाि युि यार्बू की संभध (1826 ई.) से समाप्त हुआ।
• इसी के काल में बैरकिरु छावनी में सैन्य भवद्रोह हुआ।

लॉिट विसलयम बेंटिक (1828 - 35


ई.)

लॉिट िलहौजी (1848 - सर चाल्सट मैिकॉफ (1835 -


56 ई.) 36 ई.)

लॉिट ऑकलैंि (1836 -


42 ई.)
लॉिट हाडििंग
(1844 - 48 ई.)

लॉिट एलनबरो (1842 -


44 ई.)

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3. िारि के गवनिर जनरल (1833 – 1858 ई.)

1. लॉर्ि भवभलयम बेंभटक (1828 – 35 ई.)

• लॉर्ि भवभलयम बेंभटक िारि का प्रथम गवनिर जनरल बना।


• बेंभटक ने सिी प्रथा के भखलाफ कानून बनाकर भदसंबर 1889 ई. में धारा 17 िारा भवधवाओ ं के
सिी होने को अवैध घोभषि भकया।
• ठगी प्रथा की समाभप्त के भलए बेंभटक ने कनिल स्लीमैन की भनयुभि की।
• बेंभटक ने नरबभल िथा राजिूिों में लडभकयों की भशशु हत्या िर िी प्रभिबंध लगाया।
• लॉर्ि भवभलयम बेंभटक के काल में 1835 ई. में मैकाले की अनुशंसा िर अंग्रेजी भशक्षा ििभि लागू
कर दी गई िथा इसमें इनफील्रेशन ििभि को अिनाया गया।
• 1835 ई. में कोलकािा में प्रथम मेभर्कल कॉलेज की स्थािना की गई।
• न्यायालयों में फारसी िाषा के स्थान िर देशी िाषाओ ं को अिनाया गया।
• बेंभटक समय में ही िहली बार माभटिन बर्ि की देखरेख में मानभचत्र और िंभछयों के आधार िर
महालवाडी व्यवस्था को नया रूि भदया गया।
• बर्ि को उत्तरी िारि के िू राजस्व व्यवस्था का जनक कहिे हैं।
• 1833 ई. का चाटिर एक्ट लॉर्ि भवभलयम बेंभटक के शासनकाल में िाररि भकया गया।

2. सर चाल्सि मैटकॉफ (1835 – 36 ई.)

• 1809 ई. में रणजीि भसहं के साथ अमृिसर की सभं ध की।


• िारिीय प्रेस से प्रभिबंध हटाने के कारण इसे समाचार ित्रों के मुभिदािा के रूि में जाना जािा है।
3. लॉर्ि ऑकलैंर् (1836 – 42 ई.)

• प्रथम आंग्ल अफगान युि (1838 – 42 ई.)


• ऑकलैंर् के समय भत्रिक्षीय संभध हुई इस संभध में शाहशुजा, रंजीि भसंह और अंग्रेज शाभमल थे।
• इसी के काल में शेरशाह सूरी मागि का नाम बदलकर ग्रांर् रंक रोर् कर भदया गया।
4. लॉर्ि एलनबरो 1842 – 44 ई.

• एलनबरो के समय में 1843 ई. में भसध


ं का भवलय भकया गया।
• इसने 1843 ई. इसमें अभधभनयम िांच िारा दास प्रथा िर प्रभिबंध लगा भदया।

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5. लॉर्ि हाभर्िंग (1844 – 48 ई.)

• प्रथम आंग्ल भसख युि (1846 – 48 ई.) में लडा गया िथा लाहौर की संभध की गई।
• इसने उडीसा में नरबभल प्रथा को समाप्त कर भदया।
6. लॉर्ि र्लहौजी (1848 – 1856 ई.)

• 36 वषि की आयु में र्लहौजी िारि का गवनिर जनरल बना।


• इसने 1852 ई. में िंजाब िर अभधकार कर भलया।
• भििीय आंग्ल बमाि युि में इसने लोअर वमाि िथा िीगू का भवलय कर भदया।
• र्लहौजी ने राज्य हडि की नीभि या व्यिगि भसिािं को लागू भकया।

व्यिगि भसिांि के अंिगिि सभम्मभलि भकए जाने वाले राज्यों का क्म

• सािारा (1848 ई.) सबं लिरु (1849 ई.) जैििरु (1849 ई.) बाघाट (1850 ई.) उदयिरु (1852 ई.)
झांसी (1853 ई.) नागिुर (1854) TRICK – SSJBUJN
• अवध को कुशासन के आरोि में 1856 ई. में भवलय भकया गया।
• र्लहौजी ने प्रशासभनक सध ु ारों के अिं गिि िारि के गवनिर जनरल के कायि िार को कम करने के
भलए बंगाल में एक लेभफ्टनेंट गवनिर की भनयुभि की।
• र्लहौजी ने िार िथा रेल भविाग को अत्यंि महत्व भदया।
• इसके शासनकाल में 1853 ई. में प्रथम रेलवे लाइन मबुं ई से थाने व दूसरी रेलवे लाइन 1854 ई. में
कोलकािा से रानीगंज के बीच भबछाई गई।
• र्लहौजी के ही काल में प्रथम भवद्युि िार सेवा कोलकािा से आगरा के बीच प्रारंि हुई।
• 1854 ई. का चाल्सि वुर् का भर्स्िैच जो भवश्वभवद्यालय भशक्षा से संबंभधि था र्लहौजी के समय में
िाररि हुआ।
• र्लहौजी ने र्ाक भविाग में सुधार करिे हुए 1854 ई. में नया िोस्ट ऑभफस एक्ट िाररि भकया।
• र्लहौजी ने िहली बार एक साविजभनक भनमािण भविाग बनाया।
• गगं ा नहर का भनमािण कर उसे भसच ं ाई के भलए खोल भदया गया।
• र्लहौजी ने जीटी रोर् का भनमािण कायि िी िुनः प्रारंि करवाया।
• संथाल भवद्रोह (1855 - 56 ई.) िथा भवधवा िुनभविवाह भवधेयक इसी के काल की महत्विूणि
घटना है।

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4. िारि के वायसराय (1858 – 1947 ई.)

TRICK – CALl MtNL is Real Deal Land Agreement – TOTAL 10 (1856 – 1899 ई.)
लॉिट
लॉिट सर लॉिट लॉिट एस्ल्ग
लॉिट लॉिट लॉिट लॉिट लॉिट
एस्ल्गन जॉन नॉथटिु िफरर न
कैननंग मेयो सलिन ररिन लैंसिाउन
प्रथम लॉरें स क न द्विती
1856 - 1869- 1876- 1880- 1888 -
62 1862 - 1864- 72 1872 - 80 84 1884- 94 य
63 69 76 88 1894 -
99

1. लॉर्ि कै भनंग (1856 - 62 ई.)

• लॉर्ि कै भनंग ईस्ट इंभर्या कंिनी का अंभिम गवनिर जनरल िथा सम्राट के अधीन िारि का प्रथम
वायसराय था।
• इसके काल में 1857 ई. का भवद्रोह हआ ु ।
• 1861 ई. में प्रभसि िारिीय काउंभसल एक्ट स्वीकृि हुआ।
• इसी काल में हाई कोटि की स्थािना 1861 ई. में हुई
• 1861 ई. में िभु लस भविाग का गठन।
• कै भनंग के काल में 1858 ई. में महारानी भवक्टोररया की उद्घोषणा जारी हुई भजसके िारा िारि में
ईस्ट इंभर्या कंिनी के शासन की समाभप्त कर दी गई।
• 1854 ई. के वुर् िारा प्रेभषि ित्र की भसफाररशों के अनुसार लंदन भवश्वभवद्यालय की िजि िर
कोलकािा, मबुं ई िथा मद्रास में भवश्वभवद्यालय स्थाभिि भकए गए।
• आभथिक सुधारों के अंिगिि कै भनंग ने भब्रभटश अथिशास्त्री भवल्सन को िारि बुलाया िथा ₹500 से
अभधक आय िर आयकर लगा भदया।
• भवधवा िनु भविवाह अभधभनयम (1856 ई.) और िारिीय दर्ं सभं हिा इभं र्यन िीनल कोर् (1861
ई.) कै भनंग के समय में िाररि हुई।

2. लॉर्ि एलभगन प्रथम (1862 – 63 ई.)

• एभल्गन के काल में बहाभवयों का भवद्रोह हुआ।


• सवोच्च एवं सदर न्यायालयों को उच्च न्यायालय के साथ शाभमल कर भदया गया।
• कबायभलयों के दमन के भलए अंब्रेला अभियान की शुरुआि की गई।

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3. सर जॉन लॉरें स (1864 – 69 ई.)

• लॉरेंस कुशल अकमिण्यिा नीभि का जनक था।


• अफगाभनस्िान के संदिि में उसने अहस्िक्षेि की नीभि का िालन भकया।
• 1865 ई. में िटू ाभनयों ने भब्रभटश साम्राज्य िर आक्मण कर भदया।
• इस के कायिकाल में वषि 1866 ई. में िारि िथा यूरोि के बीच प्रथम समुद्री टेलीग्राफ सेवा शुरू
की गई।
• सर जॉजि कैं िवेल की नेिृत्व में अकाल आयोग भनयुि भकया गया।
• 1868 ई. में िंजाब िथा अवध में काश्िकारी अभधभनयम िाररि हुए।

4. लॉर्ि मेयो (1869 – 72 ई.)

• इसने िारि में भवत्त के भवकें द्रीकरण के क्म को आरंि भकया।


• 1870 ई. में लाल सागर होकर िार व्यवस्था का प्रारंि
• अभखल िारिीय जनगणना का िहला प्रयास 1872 ई.
• 1872 ई. में ही उसने एक कृभष भविाग की स्थािना की।
• अंर्मान िीि में 1872 ई. में इसकी हत्या कर दी गई।

5. लॉर्ि नॉथिब्रुक (1872 – 76 ई.)

• इसके काल में िंजाब का प्रभसि कूका आंदोलन हुआ।


• 1873 – 74 ई. में भबहार में िथा बगं ाल के एक िाग में अकाल िडा।
• इनकी सहायिा से 1875 ई. में अलीगढ में सर सैयद अहमद खान िारा मोहम्मर्न एंग्लो
ओररएटं ल कॉलेज की स्थािना की गई।
• लॉर्ि नॉथिब्रक
ु के समय भप्रसं ऑफ वेल्स भकंग एर्वर्ि सप्तम िारि आए।

6. लॉर्ि भलटन (1876 – 80 ई.)

• लॉर्ि भलटन साभहत्य जगि में ओवन मैररभर्थ के नाम से प्रभसि था।
• 1876 – 78 ई. के बीच लगिग समस्ि िारि में िीषण अकाल िडा इसकी जांच के भलए जॉन
स्रैची की अध्यक्षिा में एक आयोग का गठन हुआ।
• इसके शासनकाल में अकाल संभहिा का भनमािण हुआ।
• 1877 ई. में प्रथम भदल्ली दरबार का आयोजन भकया गया िथा रानी भवक्टोररया को के सर ए भहंद
की उिाभध दी गई।

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• 1878 ई. में अभधभनयम 9 िारा वनािकुलर प्रेस एक्ट िाररि भकया गया भजसमें मभजस्रेट को या
अभधकार था भक भकसी देशी िाषा के समाचार ित्र के प्रकाशन को रोक सके ।

7. लॉर्ि ररिन (1880 – 84 ई.)

• प्रथम वास्िभवक जनगणना ररिन के काल में 1881 ई.


• प्रथम फैक्री अभधभनयम लॉर्ि ररिन के समय में 1881 ई. में िाररि हुआ।
• इसने अिने सुधार कायों के िहि सविप्रथम समाचार ित्रों की स्विंत्रिा को बहाल बनािे हुए
1882 ई. में वनािकुलर प्रेस एक्ट को समाप्त कर भदया।
• इसे स्थानीय स्वशासन का भििा कहा जािा है।
• इसने 1882 ई. में हंटर कमीशन का गठन भकया जो प्राथभमक भशक्षा से संबंभधि था।
• इल्बटि भबल भववाद 1884 ई. में ररिन के समय में ही हुआ इस भववाद के कारण अिना कायिकाल
समाप्त होने से िवू ि ही ररिन ने त्यागित्र दे भदया।
• 1883 ई. की अकाल संभहिा ररिन के काल में बनी थी।

8. लॉर्ि र्फररन (1884 – 1888 ई.)

• इसके काल की महत्विूणि घटना िृिीय आंग्ल बमाि युि (1885 – 88 ई.) था। इस युि में बमाि
िराभजि हुआ।
• 1885 ई. में बंगाल में टेनेंसी एक्ट िाररि हुआ भजसके अंिगिि अब जमींदार अिनी इच्छा अनुसार
भकसानों की िूभम नहीं छीन सकिे थे।
• 1887 ई. में इलाहाबाद भवश्वभवद्यालय की स्थािना की गई।
• लॉर्ि र्फररन के काल में 1885 ई. में ए ओ ह्यूम ने िारिीय राष्ट्रीय काग्रं ेस की स्थािना की।

9. लॉर्ि लैंसर्ाउन (1888 – 94 ई.)

• इसके समय भप्रंस ऑफ वेल्स का दूसरी बार िारि आगमन हुआ।


• लैंसर्ाउन के काल में 1891 ई. में दूसरा फैक्री अभधभनयम िाररि हुआ।
• 1892 ई. का इभं र्यन काउंभसल एक्ट िाररि भकया गया भजसके िारा िारि में भनवािचन ििभि की
शुरुआि हुई।

10. लॉर्ि एभल्गन भििीय (1894 – 99 ई.)

• इंभर्यन एजुकेशन सोसाइटी की स्थािना इसके समय की प्रमुख घटना है।

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• 1893 ई. में एक अफीम आयोग भनयुि भकया गया भजसका काम अफीम के प्रयोग से जनिा के
स्वास्थ्य िर प्रिाव के संबंध में जांच करना िथा ररिोटि देना था।
• इसी के काल में चािेकर बध ं ओ
ु ं िारा िण
ु े के प्लेग कभमश्नर रैंर् की हत्या कर दी गई।

4.2 िारि के वायसराय (1899 – 1947 ई.)

लॉिट
कजटन
लॉिट 1899 - लॉिट समंिो
1905
माउं िबेन द्वितीय
1947 - 48 1905 - 10

TRICK
लॉिट हाडििंग
लॉिट िेिेल Cold Morning द्वितीय
1944 - 47
Hungry Columbus 1910 - 16

Reached India
लॉिट Went 4 Lunch With लॉिट
सलनसलगो चेम्सफोिट
1936 - 44
Maharaj 1916 - 21
TOTAL – 10
लॉिट लॉिट
विसलंगिन रीडिंग
1921- 36 लॉिट 1921 - 26
इरविन
1926 - 31

1. लॉर्ि कजिन (1899 – 1905 ई.)

• वषि 1899 – 1900 ई. के बीच अकाल िडा भजसके भलए कजिन ने सर एटं ोनी मैकर्ोनाल्र् की
अध्यक्षिा में एक अकाल आयोग का गठन भकया।
• 1901 ई. में कालीन स्काट मानक्ीफ की अध्यक्षिा में एक भसंचाई आयोग को भनयुि भकया
गया।
• वषि 1902 में सर एड्रं यू फ्े जर की अध्यक्षिा में एक िुभलस आयोग गभठि भकया गया।
• सर टॉमस रैले की अध्यक्षिा में वषि 1902 में भवश्वभवद्यालय आयोग गभठि भकया गया।
• वषि 1904 ई. में िारिीय भवश्वभवद्यालय अभधभनयम िाररि भकया गया।

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• कजिन ने 1986 ई. में एक सहकारी उदार सभमभि अभधभनयम िाररि भकया।
• इसके काल में प्राचीन स्मारकों की रक्षा हेिु 1904 ई. में एक अभधभनयम िाररि भकया गया।
• कजिन ने वषि 1904 भिब्बि में त्यगं हसबैंर् का अभियान
• राष्ट्रीय आंदोलन को दबाने व कमजोर करने के उद्देश्य से कजिन ने वषि 1905 में बंगाल को दो
िागों में बांट भदया।
• िसू ा कृभष अनस ु ध
ं ान कें द्र और रेलवे बोर्ि की स्थािना कजिन के काल में हुई।

2. लॉर्ि भमंटो भििीय (1905 – 10 ई.)

• भमटं ो के काल में वषि 1906 में ढाका में मुभस्लम लीग की स्थािना हुई।
• वषि 1907 में कांग्रेस का सूरि अभधवेशन में भविाजन।
• वषि 1907 में भथयोसोभफकल सोसायटी की श्रीमिी एनी बेसेंट िारा अध्यक्षिा।
• 1908 का समाचार ित्र अभधभनयम िाररि।
• 1909 ई. का माले भमंटो सुधार अभधभनयम।

3. लॉर्ि हाभर्िंग भििीय (1910 – 16 ई.)

• इसके समय में जॉजि िंचम वषि 1911 में िारि है।
• 12 भदसंबर 1911 ई. को भदल्ली में दूसरे भदल्ली दरबार का आयोजन कोरोनेशन िाकि में भकया
गया।
• इस अवसर िर िारि की राजधानी कोलकािा से भदल्ली िररवभििि की गई।
• बंगाल भविाजन को रद्द कर भदया गया।
• 23 भदसबं र 1912 ई. को भदल्ली में अभधकृि रूि से प्रवेश करिे समय लॉर्ि हाभर्िंग िर बम फेंका
गया।
• 1915 ई. में मदन मोहन मालवीय ने भहंदू महासिा की स्थािना की।

4. लॉर्ि चेम्सफोर्ि (1916 – 21 ई.)

• इसके काल में 1919 ई. में मोंटेग्यू चेम्सफोर्ि अभधभनयम िाररि भकया गया।
• प्रांिों में िैध शासन लागू हुआ।
• मोहम्मर्न एंग्लो ओररएटं ल कॉलेज का नाम अलीगढ भवश्वभवद्यालय कर भदया गया।
• र्ी के कवे िारा वषि 1916 में मुंबई में मभहला भवश्वभवद्यालय की स्थािना की गई।
• वषि 1917 में सैंर्लर आयोग िारि आया भजसने प्राथभमक से भवश्वभवद्यालय भशक्षा िर जोर भदया।
• इसने मभहला भशक्षा के भलए स्वायत्त संस्थाओ ं को प्रोत्साभहि भकया।

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अन्य महत्विूणि घटनाएं

• रोलेट एक्ट, जाभलयांवाला बाग हत्याकांर्, भिलक की मृत्यु ,असहयोग आंदोलन, भखलाफि
आंदोलन की शुरुआि
• भिलक िथा बेसेंट िारा िृथक होम रूल लीग की स्थािना
• 1916 ई. के लखनऊ अभधवेशन में कांग्रेस और मभु स्लम लीग का एक साथ आना।

5. लॉर्ि रीभर्ंग (1921 – 26 ई.)

• िारि आने वाला यह एकमात्र यहूदी वायसराय था।


• एकवथि कमीशन की अनुशंसा िर रेल बजट को आम बजट से अलग भकया गया।
• सैन्य सध
ु ारों के भलए इभं र्यन सैण्र्हस्टि सभमभि का गठन भकया गया।
• 1924 ई. में लोक सेवा के भलए ली आयोग का गठन हुआ।
• ली आयोग की अनुशंसा िर लोक सेवा आयोग का गठन भकया गया।
• वषि 1923 में भसभवल सभविसेज िरीक्षा इंग्लैंर् के साथ-साथ िारि में िी होने लगी।

अन्य प्रमुख घटनाएं

• चौरी चौरा कार्ं 5 फरवरी 1922 ई.


• मोिला भकसान भवद्रोह
• काकोरी रेन र्कै िी
• स्वराज्य िाटी का गठन

6. लॉर्ि इरभवन 1926 – 31 ई.

• 8 नवबं र 1927 ई. को भब्रटेन में साइमन आयोग की भनयभु ि


• साइमन आयोग माचि 1928 में िारि आया।

इसके समय की अन्य प्रमख


ु घटनाएं

• वषि 1928 में रॉयल कमीशन की भनयुभि


• वषि 1929 में इंिीररयल कौंभसल ऑफ एग्रीकल्चरल ररसचि
• 26 जनवरी 1930 ई. को सिं ण ू ि देश में स्वित्रं िा भदवस
• 12 माचि 1930 ई. – गांधी िारा सभवनय अवज्ञा आंदोलन
• नेहरू ररिोटि 1928 ई.

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• हटोग बटलर कमेटी – देसी ररयासि से संबंभधि
• सांर्सि की हत्या लाहौर षर््यंत्र
• जभिन दास की मृत्यु
• भदल्ली भवधानसिा में बम भवस्फोट
• प्रथम गोलमेज सम्मेलन
• गाधं ी इरभवन समझौिा

7. लॉर्ि भवभलंगर्न (1931 – 36 ई.)

• भििीय गोलमेज सम्मेलन लंदन में आयोभजि भकया गया भजसमें कांग्रेस के रुि में एकमात्र
प्रभिभनभध गांधी जी ने िाग भलया।
• अगस्ि 1932 ई. में रैम्जे मैकर्ोनाल्र् ने प्रभसि सांप्रदाभयक भनणिय की घोषणा कर दी ।
• र्ॉक्टर अबं ेर्कर और गाध ं ीजी के बीच िनू ा समझौिा
• वषि 1935 का िारि शासन अभधभनयम
• वमाि को िारि से िृथक कर भदया गया।

अन्य महत्विूणि घटनाएं

• ििृ ीय गोलमेज का आयोजन 1932 ई. में


• इभं र्यन भमभलरी अकादमी देहरादून की स्थािना 1932 ई.

• चौधरी रहमि अली िारा 1933 ई. में िाभकस्िान शब्द का प्रयोग

• 1936 ई. में संिूणि िारि भकसान सिा की स्थािना।

➢ 1935 के अभधभनयम के िारा वायसराय को िन ु ः गवनिर जनरल कहा जाने लगा।

8. लॉर्ि भलनभलथगो (1936 – 44 ई.)

• 1935 ई. के अभधभनयम के अंिगिि िहला आम चुनाव


1936 - 37 ई. में हुआ।
• 1 भसिंबर 1939 ई. को भििीय भवश्व युि प्रारंि हुआ।
• इस यिु में िारिीयों का सभक्य सहयोग प्राप्त करने के उद्देश्य से लॉर्ि भलनभलथगो ने िारिीय
नेिाओ ं के समक्ष अगस्ि प्रस्िाव 8 अगस्ि 1940 ई. रखा।
• इस के कायिकाल में वषि 1942 में भक्प्स भमशन िारि आया।
• आजाद भहदं फौज की स्थािना
• इस के कायिकाल में भब्रटेन के प्रधानमंत्री भवंस्टन चभचिल थे।

वििेकानंद इंस्टिट्यूि Mob – 9993259075, 8815894728


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9. लॉर्ि वेवेल (1944 – 47 ई.)

• भििीय भवश्व युि इसके काल में समाप्त हुआ।


• भशमला सम्मेलन 25 जून 1945 ई. को वेवेल िारा बुलाया गया।
• भशमला समझौिा असफल रहा।

लॉर्ि वेवेल के काल की प्रमुख घटनाएं

• आजाद भहदं फौज के सैभनकों िर मक ु दमा वषि 1945


• नौसैभनक का भवद्रोह वषि 1946
• अंिररम सरकार का गठन वषि 1946 ई.
• प्रत्यक्ष कायिवाही भदवस 16 अगस्ि 1946 ई.
• सी आर फामिल ू ा
• गांधी भजन्ना वािाि असफल

10. लॉर्ि माउंटबेटन (1947 – 48 ई.)

• 3 जून 1947 ई. को माउंटबेटन प्लान की घोषणा की गई भजसमें िारि भविाजन की योजना थी।
• 4 जलु ाई 1947 ई. को एटली िारा िारिीय स्वित्रं िा भवधेयक भब्रभटश सस ं द में प्रस्ििु भकया गया।
• 18 जुलाई 1947 ई. को भब्रभटश संसद िारा िाररि कर भदया गया।
• भवधेयक के अनुसार िारि और िाभकस्िान नामक दो स्विंत्र राष्ट्रों के भनमािण की घोषणा की
गई।
• 14 अगस्ि को िाभकस्िान िथा 15 अगस्ि को िारि स्विंत्र हुआ।
• स्विंत्रिा के बाद लॉर्ि माउंटबेटन को स्विंत्र िारि का प्रथम गवनिर जनरल बनाया गया।

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