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आयोग Unit-10 PRE नोट्स #VICS
आयोग Unit-10 PRE नोट्स #VICS
भारतीय संशवधान के भाग 15 के ऄनुच्छे द 324 से 329 तक शनवााचन अयोग तथा शनवााचन से
सबं शं धत प्रावधान है।
शनवााचन अयोग एक ऄशखल भारतीय शनकाय है जो कें द्र और राज्य सरकारों के शलए चुनाव
संबंधी शदिाशनदेि का काया करती है।
अयोग की संरचना
शनवााचन अयोग में एक मुख्य चुनाव अयुक्त और दो ऄन्य अयुक्त होते हैं।
मुख्य चुनाव अयुक्त और ऄन्य शनवााचन अयुक्तों की शनयुशक्त राष्ट्रपशत द्वारा की जाती है।
राष्ट्रपशत शनवााचन अयोग की सलाह पर प्रादेशिक अयुक्तों की शनयुशक्त करता है शजसे वह
शनवााचन अयोग की सहायता के शलए अवश्यक समझे।
शनवााचन अयुक्तों और क्षेत्रीय अयुक्तों की सेवा ितों और कायाकाल का शनधाारण राष्ट्रपशत
करता है।
पद से हटाने की शवशध
मुख्य शनवााचन अयुक्त का कायाकाल शनशित है। ईसे ईसके पद से ईसी रीती से हटाया जा सकता
है जैसे सवोच्च न्यायालय के न्यायाधीि को हटाया जाता है (ऄथाात कदाचार और दुर्वयावहार का
दोषी पाए जाने पर)।
भारत में शनवााचन अयुक्त राष्ट्रपशत के प्रसादपयंत पद धारण नहीं करता है।
ऄन्य शनवााचन अयुक्त या प्रादेशिक अयुक्त को मुख्य शनवााचन अयुक्त की शसफाररि पर ही
हटाया जा सकता है ऄन्यथा नहीं।
मुख्य काया
1. शनवााचक नामावली तैयार करना योग्य मतदाताओ ं को पंजीकृत करना।
संशवधान के ऄनुच्छे द 243 त में राज्य शनवााचन अयोग का प्रावधान शकया गया है।
प्रत्येक राज्य के शलए राज्य शनवााचन अयोग होगा शजसमें एक राज्य शनवााचन अयुक्त होगा।
राज्य शनवााचन अयुक्त की शनयुशक्त राज्यपाल द्वारा होती है।
राज्यपाल को ऄशधकार होगा शक वह राज्य शनवााचन अयुक्त की सेवा ितें तथा पदावशध का
शनधाारण करें।
राज्य शनवााचन अयुक्त को ईसी रीशत और ईन्हीं अधारों पर हटाया जा सके गा जैसे शक ईच्च
न्यायालय के शकसी न्यायाधीि को हटाया जाता है।
राज्य शनवााचन अयोग पंचायतों पंचायतों की सभी चुनाव के शलए मतदाता सूची तैयार करने
तथा पच ं ायतों के सभी चुनाव के सच ं ालन के शलए ईत्तरदाइ होता है।
संघ लोक सेवा अयोग एक ऄध्यक्ष और कुछ ऄन्य सदस्यों द्वारा शमलकर गशठत होती है सदस्य
संख्या शनधााररत नहीं।
सदस्य सख्ं या को शनधााररत करने का ऄशधकार राष्ट्रपशत को है।
अयोग के अधे सदस्यों के शलए भारत सरकार ऄथवा राज्य सरकार के ऄधीन काया का कम से
कम 10 वषा का ऄनुभव होना अवश्यक है।
ऄध्यक्ष व ऄन्य सदस्यों की सेवा ितें राष्ट्रपशत द्वारा शनधााररत की जाती हैं।
अयोग के ऄध्यक्ष व सदस्य पद ग्रहण की तारीख से 6 वषा की ऄवशध या 65 वषा की अयु
आनमें जो भी पहले हो तक पद धारण करते हैं।
ऄन्य तथ्य
संघ लोक सेवा अयोग भारत में कें द्रीय भती ऄशधकरण है।
संसद के द्वारा आसकी काया क्षेत्र में वृशि की जा सकती है।
ऄध्यक्ष को या सदस्य को पनु ः शनयुक्त ऄथवा दूसरे कायाकाल के शलए चुना जा सकता है।
संघ लोक सेवा अयोग के ऄध्यक्ष एवं सदस्यों के वेतन एवं भत्ते भारत की संशचत शनशध पर
भाररत होती है।
संवैधाशनक प्रावधान
संशवधान के भाग 14 में ऄनुच्छे द 315 से 323 तक राज्य लोक सेवा अयोग की स्वतंत्रता िशक्त
गठन व सदस्यों की शनयुशक्त तथा बखाास्तगी के बारे में ईल्लेख है।
संवैधाशनक प्रावधान
भारतीय संशवधान का ऄनुच्छे द 148 – 151 भारत के शनयंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से संबंशधत
है।
यह लोक शवत्त का संरक्षक एवं लेखा परीक्षण व लेखा शवभाग का मुशखया होता है।
साथ ही आसका शनयंत्रण कें द्र व राज्य दोनों स्तरों पर पाया जाता है।
डॉ. ऄंबेडकर ने शनयंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को भारतीय संशवधान के ऄंतगात सवााशधक
महत्वपूणा पदाशधकारी की संज्ञा दी है।
नहीं
2. ऄशत र्वययता सरकारी धन खचा करने में धन के ऄत्यशधक दुरुपयोग पर कै ग जांच के बाद
ररपोटा तैयार करता है।
कै ग की ररपोटा ---- राष्ट्रपशत या राज्यपाल ---- सस
ं द/ शवधान मंडल के प्रत्येक सदन ----- लोक लेखा
सशमशत ----- शनष्ट्कषा
ऄन्य तथ्य
र्वयवहार में कै ग की ररपोटा भ्रिाचार रोकने का प्रमुख साधन है आस ररपोटा के अधार पर
न्यायालय में कायावाही की जा सकती है।
भारत में शनयंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को लोक लेखा सशमशत के शमत्र, दािाशनक एवं पथ
प्रदिाक की संज्ञा दी जाती है।
नीशत अयोग का गठन कें द्र सरकार द्वारा 1 जनवरी 2015 को योजना अयोग के स्थान पर
शकया गया
यह सरकार के शथंक टैंक के रूप में सेवाएं देगा और कें द्र व राज्य सरकारों की नीशत शनधाारण के
सबं ध
ं में प्रासशं गक, महत्वपण
ू ा एवं तकनीक परामिा ईपलब्ध कराएगा।
संरचना
भारत के प्रधानमंत्री ऄध्यक्ष, गवशनंग काईंशसल में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और सघं राज्य
क्षेत्रों के ईपराज्यपाल
शजन कें द्र िाशसत प्रदेिों में शवधानसभा है वहां के मुख्यमंत्री
शवशिि मुद्दों और ऐसे अकशस्मक मामले की शजनका सबं ध ं एक से ऄशधक राज्य या क्षेत्र से हो
को देखने के शलए क्षेत्रीय पररषदें
शविेष अमंशत्रत सदस्य शवशभन्न क्षेत्रों के शविेषज्ञ प्रधानमंत्री द्वारा नाशमत
पूणाकाशलक संगठनात्मक ढांचे में प्रधानमंत्री के ऄध्यक्ष होने के ऄलावा शनम्न होंगे
ईपाध्यक्ष प्रधानमंत्री द्वारा शनयुक्त
सदस्य पूणाकाशलक
मुख्य काया कारी ऄशधकारी भारत सरकार के सशचव स्तर का ऄशधकारी शनशित
ईद्देश्य / काया
शवकास प्रशिया में शनदेि और रणनीशतक परामिा देना
सहयोगात्मक सघं वाद का शवकास करना।
ग्राम स्तर पर र्वयावहाररक योजना बनाने में सहयोग एवं योजनाओ ं के ईत्तरोत्तर शवकास में मदद
करना।
कायािमों और नीशतयों के कायाान्वयन हेतु प्रौद्योशगकी व क्षमता शनमााण का शवकास करना।
दीघाकालीन योजना कायािम शनमााण और समयानस ु ार अवश्यक पररवतान अशद करना।
सामान्य पररचय
राष्ट्रीय मानवाशधकार अयोग का गठन मानव ऄशधकार संरक्षण ऄशधशनयम 1993 के तहत शकया
गया।
यह एक सांशवशधक स्वायत्त शनकाय है।
आसका गठन संसदीय ऄशधशनयम के माध्यम से शकया गया है।
ईद्देश्य मानवाशधकार संरक्षण के प्रयासों को सिक्त एवं शनष्ट्पक्ष बनाना, व एक स्वतंत्र संस्था के
रूप में मानवाशधकारों के ईल्लघं न से जुडे मुद्दों पर सरकार का ध्यान अकृि करना।
आसका प्रधान कायाालय शदल्ली में शस्थत है।
यह अयोग ईन मामलों की जांच कर सकता है शजन्हें घशटत हुए 1 वषा से कम समय हुअ हो।
प्रशतवषा 10 शदसंबर को ऄंतरराष्ट्रीय मानवाशधकार शदवस के रुप में मनाया जाता है।
2 सदस्य जो ऐसे र्वयशक्तयों में से शनयुक्त शकए जाएग ं े शजन्हें मानवाशधकारों से सबं शं धत शवषयों
का ज्ञान या र्वयावहाररक ऄनुभव है।
आन स्थाइ सदस्यों के ऄशतररक्त राष्ट्रीय मानवाशधकार अयोग के चार पदेन सदस्य भी होते हैं जो आस
प्रकार हैं
1. राष्ट्रीय ऄल्पसख् ं यक अयोग का ऄध्यक्ष
2. राष्ट्रीय मशहला अयोग के ऄध्यक्ष
1. प्रधानमंत्री,
2. लोकसभा ऄध्यक्ष,
3. राज्यसभा ईपसभापशत,
4. दोनों सदनों में शवपक्षी नेता और कें द्रीय गृह मंत्री होते हैं।
अयोग के काया
मानवाशधकार के ईल्लंघन से संबंशधत मामलों की जांच करना।
शजलों एवं बंदी गृहों में जाकर वहां की शस्थशत देखना व सुधार हेतु ऄनुिंसा करना।
मानव ऄशधकार से संबंशधत ऄंतरराष्ट्रीय संशध समझौतों का प्रभावी शियान्वयन ।
मानवाशधकार संरक्षण हेतु शवशधक ईपायों के प्रशत जन जागरूकता पैदा करना।
न्यायालयों में लंशबत मानवाशधकारों जै से शहस ं ा संबंधी मामलों में हस्तक्षेप करना।
मानवाशधकारों के क्षेत्र में कायारत गैर सरकारी संगठनों के प्रयासों की सराहना करना।
जांच के सबं ध
ं में काया
1. गवाहों को ऄपने पास बुला कर परीक्षण करना
ऄध्यक्ष या सदस्य की शनयुशक्त के पिात वेतन भत्तों एवं सेवा ितों अशद में कोइ ऄलाभकारी
पररवतान नहीं।
ऄध्यक्ष या सदस्य को कदाचार या क्षमता के अधार पर राष्ट्रपशत हटा सकता है लेशकन ऐसा करने
से पहले वह ईच्चतम न्यायालय में जांच हेतु मामलों को सौंपेगा। जांच की पशु ि होने पर पद मुक्त
शकया जा सकता है।
सामान्य पररचय
राष्ट्रीय मशहला अयोग एक सांशवशधक शनकाय हैं। आसका गठन जनवरी 1992 में मशहला
सिशक्तकरण को प्रभावी बनाने हेतु राष्ट्रीय मशहला अयोग ऄशधशनयम 1990 के तहत शकया
गया।
अयोग की पहली ऄध्यक्ष श्रीमती जयंती पटनायक थी।
भारत सरकार का मशहला एवं बाल शवकास मंत्रालय आस अयोग का नोडल मंत्रालय है।
अयोग का मुख्य ईद्देश्य मशहलाओ ं के शलए संवैधाशनक और कानूनी सुरक्षा ईपायों की समीक्षा
करना व ईपचारात्मक शवधायी, ईपायों की शसफाररि तथा शिकायतों के शनवारण में वृशि करना
है।
संरचना
यह अयोग बहु सदस्यीय है आसमें एक ऄध्यक्ष 5 सदस्य तथा एक सदस्य सशचव होता है।
ऄध्यक्ष सदस्य और सशचव का नामांकन मशहला एवं बाल शवकास मंत्रालय द्वारा शकया जाता
है।
वेतन भत्ते पेंिन तथा सेवा ितों का शनधाारण कें द्र सरकार द्वारा शकया जाता है।
कायाकाल
ऄध्यक्ष और सदस्यों का कायाकाल 3 वषा का होता है शकंतु स्वेच्छा से भी कें द्र सरकार को ऄपना
त्यागपत्र दे सकते हैं।
पदच्युशत
कें द्र सरकार ऄध्यक्ष या ईसके शकसी सदस्य को ईसके पद से हटा सकती है यशद वह
र्वयशक्त
शदवाशलया घोशषत शकया गया हो ।
सक्षम ऄदालत द्वारा मानशसक रूप से ऄस्वस्थ घोशषत शकया गया हो।
शकसी ऄपराध हेतु दोष शसि हो गया हो ऄथवा कें द्र सरकार की नजर में ऄनैशतक हो।
बाल ऄशधकार संरक्षण ऄशधशनयम 2005 के तहत माचा 2007 में राष्ट्रीय बाल ऄशधकार संरक्षण
अयोग की स्थापना की गइ।
ऄशधशनयम के ऄंतगात संयुक्त राष्ट्र संघ समझौता (20 नवंबर 1989) द्वारा बच्चों के ऄशधकारों को
िाशमल शकया गया है।
यह ऄशधशनयम ऄल्पसंख्यक िब्द को पररभाशषत नहीं करता शकंतु कें द्र सरकार को िशक्त प्रदान
करता है शक वह ऄल्पसंख्यकों को ऄशधसूशचत करें।
अयोग में एक ऄध्यक्ष एक ईपाध्यक्ष व पांच ऄन्य सदस्य सशम्मशलत होते हैं।
1993 में 5 धाशमाक समुदाय मुशस्लम, इसाइ, शसख, बौि व पारसी तथा जनवरी 2014 में जैन
समुदाय को भी ऄल्पसंख्यक वगा में िाशमल शकया गया।
ईच्चतम न्यायालय के शनदेि पर भारत सरकार द्वारा 1993 में राष्ट्रीय शपछडा वगा अयोग
ऄशधशनयम के तहत राष्ट्रीय शपछडा वगा अयोग का गठन शकया गया।
एक ऄध्यक्ष जो सवोच्च न्यायालय या ईच्च न्यायालय का न्यायाधीि होता है।
एक समाज शवज्ञानी, शपछडे वगों के बारे में शविेष जानकारी रखने वाले 2 सदस्य तथा 1 सदस्य
सशचव जो भारत सरकार के सशचव स्तर का कें द्र सरकार का ऄशधकारी होता है।
संवैधाशनक प्रावधान
भारतीय संशवधान का ऄनुच्छे द 338 ऄनुसूशचत जाशतयों के शलए एक शविेष ऄशधकारी की
शनयुशक्त का ईपबंध करता हैजो ऄनुसूशचत जाशतयों एवं जनजाशतयों के संवैधाशनक संरक्षण से
संबंशधत सभी मामलों का शनरीक्षण करें तथा ईससे संबंशधत प्रशतवेदन राष्ट्रपशत के समक्ष प्रस्तुत
करें।
वषा 1978 में कै शबनेट प्रस्ताव द्वारा ऄनुसूशचत जाशत एवं ऄनुसूशचत जनजाशत अयोग की स्थापना
की गइ शफर 1987 में सरकार ने अयोग के कायों में संिोधन शकया तथा अयोग का नाम
बदलकर राष्ट्रीय ऄनस ु शू चत जाशत एवं ऄनसु शू चत जनजाशत अयोग कर शदया।
बाद में 65 वें संशवधान संिोधन ऄशधशनयम 1990 द्वारा ऄनुसूशचत जाशतयों एवं जनजाशतयों के
शलए एक शविेष ऄशधकारी के स्थान पर एक ईच्च स्तरीय बहु सदस्यीय राष्ट्रीय ऄनुसूशचत जाशत
एवं ऄनुसूशचत जनजाशत अयोग की स्थापना की गइ।
89 वें संशवधान संिोधन ऄशधशनयम 2003 के द्वारा आसे पुन: दो भागों में बांट शदया गया और
पृथक पृथक दो अयोग िमिः
1. राष्ट्रीय ऄनुसूशचत जाशत ऄनुच्छे द 338 और
2. राष्ट्रीय ऄनस ु शू चत जनजाशत अयोग ऄनच्ु छे द 338 (क) ऄशस्तत्व में अए।
3. ऄशधशनयम वषा 2004 से प्रभावी हुअ।
सदस्यों का कायाकाल
आस अयोग में एक ऄध्यक्ष एक ईपाध्यक्ष व तीन ऄन्य सदस्य होते हैं शजनकी शनयुशक्त राष्ट्रपशत
द्वारा होती है।
आनकी सेवा ितें एवं कायाकाल राष्ट्रपशत द्वारा शनधााररत शकए जाते हैं।
शनयमानुसार आनका कायाकाल 3 वषा का होता है।
अयोग के काया
संशवधान में ऄनुसूशचत जाशतयों से संबंशधत प्रावधानों के साथ समय-समय पर ईनके शलए बनाए
गए कानूनों का शियान्वयन करना व आनका शनरीक्षण ऄधीक्षण व समीक्षा भी करना।
ऄनस ु ूशचत जाशतयों के संरक्षण एवं ईनके ऄशधकारों के ईल्लंघन से संबंशधत शकन्हीं शविेष
शिकायतों की जांच करना।
सरं क्षण हेतु शकए गए कायों की वाशषाक ररपोटा राष्ट्रपशत को सौंपना।
संरक्षण कल्याण एवं सामाशजक अशथाक शवकास हेतु ऄन्य ईपायों की शसफाररि करना।
ऄत्याचार एवं ईत्पीडन के मामलों में स्वत: संज्ञान के माध्यम से कायावाही िुरू करना।
अयोग की िशक्तयां
अयोग को शसशवल कोटा की िशक्तयां प्राि है। आससे संबंशधत शनम्नशलशखत ऄशधकार प्राि है
1. भारत के शकसी भी भाग में शकसी र्वयशक्त को सम्मन जारी करना।
4. शकसी न्यायालय या कायाा लय से शकसी लोक ऄशभलेख या ईसकी प्रशत को प्राि करना।
अयोग के काया
जनजाशतयों को प्राि संवैधाशनक संरक्षण की समीक्षा करना।
जनजाशतयों को संशवधान में शदए गए ऄशधकार शकस प्रकार से प्राि हो ईसके बारे में सरकार को
परामिा देना।
जनजाशतयों के ऄशधकारों के हनन की शस्थशत की जांच करना।
राष्ट्रपशत को जनजाशतयों के ऄशधकारों व शवकास के बारे में प्रशतवषा ररपोटा देना।
ऄन्य काया
वन क्षेत्र की शनवासी जनजाशतयों को लघु वनोपज पर स्वाशमत्व का ऄशधकार देना।
कानून द्वारा जनजातीय समुदायों के खशनज तथा जल सस ं ाधनों अशद पर ऄशधकार को सुरशक्षत
रखने के ईपाय करना।
जनजाशतयों के शवकास तथा वन्य अजीशवका हेतु रणनीशतयों का शनधाारण करना।
ऐसे समुदाय में वन सुरक्षा व सामाशजक वाशनकी में ऄशधक सहयोग के ईपाय करना।
पेिा ऄशधशनयम 1996 का परू ी कायाान्वयन सशु नशित करना।
जनजातीय समूहों के पुनवाास संबंधी कायों को प्रभावी बनाना।
अयोग की िशक्तयां
आस अयोग की िशक्तयां भी शसशवल कोटा के ही समान है।
आस अयोग की िशक्तयां राष्ट्रीय ऄनुसूशचत जाशत अयोग से ही समान है।
सांशवशधक प्रावधान
भ्रिाचार रोकने के शलए कें द्र सरकार द्वारा बनाइ गइ संथानम सशमशत की शसफाररि पर 1964 में
कें द्र सरकार द्वारा संबंशधत प्रस्ताव पाररत कर अयोग की स्थापना की गइ।
ईच्चतम न्यायालय के शनणाय ऄनुसार अयोग को कें द्रीय सतका ता अयोग ऄध्यादेि 1998 के
द्वारा सांशवशधक दजाा शदया गया है।
आससे संबंशधत शवधेयक 2003 में संसद के दोनों सदनों द्वारा पाररत शकया गया व राष्ट्रपशत की
मंजूरी शमलने के पिात या अयोग ऄशधशनयम प्रभाव में अया।
भारत सरकार द्वारा 2004 में आस अयोग को नाशमत एजेंसी के रूप में ऄशधकृत शकया गया है।
संरचना
यह एक बहु सदस्यीय सस्ं था है आसमें ऄध्यक्ष के रूप में एक कें द्रीय सतका ता अयुक्त व दो या दो
से कम सतका ता अयुक्त होते हैं।
ऄध्यक्ष व सदस्यों की शनयुशक्त राष्ट्रपशत द्वारा एक सशमशत की शसफाररि के अधार पर की जाती
है।
चयन सशमशत में शनम्नशलशखत सदस्य होते हैं
1. प्रधानमंत्री
शनयुशक्त के पिात वेतन भत्तों में ऄलाभकारी पररवतान नहीं शकया जा सकता है।
पदच्युशत के अधार
राष्ट्रपशत कें द्रीय सतका ता अयुक्त या ऄन्य शकसी भी सतका ता अयुक्त को ईसके पद से शकसी भी
समय शनम्नशलशखत पररशस्थशतयों में हटा सकते हैं
यशद वह शदवाशलया घोशषत हो या
नैशतक चररत्र हीनता के अधार पर शकसी ऄपराध में दोषी पाया गया हो या
ऄपनी पद ऄवशध के दौरान ऄपने पद के कतार्वयों से बाहर शकसी वेतन पाने वाले शनयोजन में
लगा हुअ हो या
ईसने ऐसे शवत्तीय या ऄन्य शहत ऄशजात शकए हो शजससे ईसके कें द्रीय सतका ता अयुक्त के रूप में
कृत्यों पर प्रशतकूल प्रभाव पडने की संभावना हो।
ररपोटा
कें द्रीय सतका ता अयोग ऄपनी वाशषाक कायाकलापों की ररपोटा राष्ट्रपशत को सकता है और
राष्ट्रपशत आस ररपोटा को संसद के प्रत्येक सदन में प्रस्तुत करता है।
अयोग द्वारा भ्रिाचार शनवारण हेतु शवज अइ (VIGEYE) नामक पोटाल का प्रारंभ शकया गया
है यह एक शिकायत दजा कराने वाला पोटाल है।
मइ 2014 में राष्ट्रपशत की मंजूरी शमलने के पिात संपूणा भारत में ऄशधशनयम लागू शकया गया
जम्मू कश्मीर को छोडकर।
आस ऄशधशनयम द्वारा जनशहत के शलए सरकारी कमाचाररयों द्वारा शकए गए शकसी प्रकार के
भ्रिाचार का खुलासा करने वाले र्वयशक्तयों को संरक्षण प्रदान शकया गया है।
मुख्य सूचना अयुक्त व ऄन्य अयुक्तों की शनयुशक्त राष्ट्रपशत एक सशमशत की शसफाररि पर करता
है शजसमें शनम्न सदस्य होते हैं
1. प्रधानमंत्री
कें द्र सरकार की नजर में नैशतक चररत्र हीनता के अधार पर शकसी ऄपराध में दोषी पाया गया हो
या
राष्ट्रपशत की राय में मानशसक व िारीररक िैशथल्य के कारण पद पर बने रहने की ऄयोग्य हो या
शकसी ऐसे लाभ को प्राि करते हुए पाया जाता है शजससे ईसका काया या शनष्ट्पक्षता प्रभाशवत
होती है।
साशबत कदाचार एवं ऄसमथा ता के अधार पर भी राष्ट्रपशत ईन्हें पद से हटा सकता है बिते
पहले ईच्चतम न्यायालय में राष्ट्रपशत द्वारा शदए गए शनदेि के ऄनुरूप जांच के बाद ऐसी ररपोटा
दी गइ हो।
ऄशधकरण की िशक्तयां
शसशवल प्रशिया संशहता 1908 के तहत ऄशधकरण को शसशवल कोटा का दजाा शदया गया है
आसके तहत ऄशधकरण की िशक्तयां हैं
1. शकसी र्वयशक्त के शखलाफ समन जारी करना
यह ऄशधकरण शसशवल प्रशिया संशहता 1908 से बंधा नहीं होगा बशल्क यह प्राकृशतक न्याय के
शसिांतों द्वारा शनदेशित होगा।