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Shri Laxmi Chalisa 228
Shri Laxmi Chalisa 228
ॐ जय लक्ष्मी माता
|| श्री माां लक्ष्मी चालीसा ||
|| दोहा ||
मातु लक्ष्मी करर कृपा करो हृदय में िास।मनोकामना ससद्ध कर पुरिहु मेरी आस॥
ॐ जय लक्ष्मी माता
ससूंधु सुता विष्णुप्रिये नत सिर बारूंबार।ऋद्धद्ध ससद्धद्ध मूंगलिदे नत सिर बारूंबार॥ टेक॥
ॐ जय लक्ष्मी माता
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|| सोरठा ||
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूं।
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सब विधध करौ सुिास, जय जनवन जगदूंवबका॥
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ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता
|| चौपाई ||
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ससन्धु सुता मैं सुवमरौं तोही। ज्ञान बुद्धद्ध विद्या दो मोहह॥तुम समान नहहूं कोई उपकारी। सब विधध पुरबहु आस हमारी॥
जै जै जगत जनवन जगदम्बा। सबके तुमही हो स्वलम्बा॥तुम ही हो घट घट के िासी। विनती यही हमारी खासी॥
ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता
जग जननी जय ससन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हहतकारी।। विनिौं वनत्य तुमहहूं महारानी। कृपा करौ जग जनवन भिानी।
ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता
केहह विधध स्तुवत करौं वतहारी। सुधध लीजै अपराध वबसारी॥कृपा दृप्रि चितिो मम ओरी। जगत जनवन विनती सुन मोरी॥
ज्ञान बुद्धद्ध जय सुख की दाता। सूंकट हरो हमारी माता॥क्षीर ससूंधु जब विष्णु मथायो। िौदह रत्न ससूंधु में पायो॥
िौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेिा प्रकयो िभुहहूं बवन दासी॥जब जब जन्म जहां िभु लीन्हा। रप बदल तहूं सेिा कीन्हा॥
स्वयूं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अिधपुरी अितारा॥तब तुम िकट जनकपुर माहीं। सेिा प्रकयो हृदय पुलकाहीं॥
ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता
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अपनायो तोहह अन्तयामी। विश्व विहदत प्रिभुिन की स्वामी॥ तुम सब िबल िक्ति नहहूं आनी। कहूं तक महहमा कहौं बखानी॥
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मन क्रम ििन करै सेिकाई। मन- इच्छित िांचित फल पाई॥तसज िल कपट और ितुराई। पूजहहूं विविध भांवत मन लाई॥
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और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करे मन लाई॥ताको कोई कि न होई। मन इच्छित फल पािै फल सोई॥
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िाहह- िाहह जय दुुःख वनिाररणी। प्रिविध ताप भि बूंधन हाररद्धण॥जो यह िालीसा पढ़े और पढ़ािे। इसे ध्यान लगाकर सुने सुनािै॥
ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता
ताको कोई न रोग सतािै। पुि आहद धन सम्पधि पािै।पुि हीन और सम्पधि हीना। अन्धा बधधर कोढ़ी अवत दीना॥
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विि बोलाय कै पाठ करािै। िूंका हदल में कभी न लािै॥पाठ करािै हदन िालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
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सुख सम्पधि बहुत सी पािै। कमी नहीं काहू की आिै॥बारह मास करै जो पूजा। तेहह सम धन्य और नहहूं दूजा॥
िवतहदन पाठ करै मन माहीं। उन सम कोई जग में नाहहूं॥बहु विधध क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
ॐ जय लक्ष्मी माता
करर विश्वास करैं व्रत नेमा। होय ससद्ध उपजै उर िेमा॥जय जय जय लक्ष्मी महारानी। सब में व्याप्रपत जो गुण खानी॥
ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता
तुम्हरो तेज िबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयाल कहूूं नाहीं॥मोहह अनाथ की सुधध अब लीजै। सूंकट काप्रट भक्ति मोहह दीजे॥
भूल िूक करी क्षमा हमारी। दिशन दीजै दिा वनहारी॥वबन दरिन व्याकुल अधधकारी। तुमहहूं अक्षत दुुःख सहते भारी॥
नहहूं मोहहूं ज्ञान बुद्धद्ध है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥रप ितुभुशज करके धारण। कि मोर अब करहु वनिारण॥
कहह िकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्धद्ध मोहहूं नहहूं अधधकाई॥रामदास अब कहाई पुकारी। करो दूर तुम विपवत हमारी॥
ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता
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|| दोहा ||
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ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता
िाहह िाहह दुुःख हाररणी हरो बेक्तग सब िास।जयवत जयवत जय लक्ष्मी करो ििुन का नाि॥
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रामदास धरर ध्यान वनत विनय करत कर जोर।मातु लक्ष्मी दास पर करहु दया की कोर॥
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ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता
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ॐ जय लक्ष्मी माता
|| श्री मााँ लक्ष्मी जी की आरती ||
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।तुमको वनसिहदन सेित, हरर विष्णु विधाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।सूय-श िूंद्रमा ध्याित, नारद ऋप्रि गाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥
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दुगा रुप वनरूं जनी, सुख सम्पधि दाता।जो कोई तुमको ध्याित, ऋद्धद्ध-ससद्धद्ध धन पाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥
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तुम पाताल-वनिाससवन, तुम ही िुभदाता।कमश-िभाि-िकासिनी, भिवनधध की िाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥
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सजस घर में तुम रहतीं, सब सद्गण
ु आता।सब सम्भि हो जाता, मन नहीं घबराता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥
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तुम वबन यज्ञ न होते, िस्त्र न कोई पाता।खान-पान का िैभि, सब तुमसे आता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता
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िुभ-गुण मूंहदर सुूंदर, क्षीरोदधध-जाता।रत्न ितुदशि तुम वबन, कोई नहीं पाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥
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ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता
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ॐ जय लक्ष्मी माता
|| श्री मााँ लक्ष्मी की पूजा विधि ||
माँ लक्ष्मी की पूजा-अिशना / पूजा विधध इस िकार है :-
सबसे पहले चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां रखें उनका मुख पूवि या पश्चिम में रहे।
ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता
लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहहनी ओर रहें। पूजनकता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठें। कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें।
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नाररयल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कक नाररयल का अग्रभाग हदखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है।
दो बड़े दीपक रखें। एक घी का, दस
ू रा तेल का। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दस
ू रा मूर्तियों के चरणों में। एक दीपक गणेशजी के पास रखें।
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मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र र्बछाएं । कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढे ररयां
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ॐ जय लक्ष्मी माता
बनाएं ।
ॐ जय लक्ष्मी माता
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गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढे ररयां बनाएं । ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चचह्न बनाएं ।
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इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी।
सबसे ऊपर बीचोंबीच ॐ श्चलखें। छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें।
थाश्चलयों की र्नम्नानुसार व्यवस्था करें - 1. ग्यारह दीपक, 2. खील, बताशे, र्मठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, श्चसन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान, 3. फूल, दवु ा,
ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता
चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधधत पदाथि, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक।
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