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ऩाठ ३

छोटा जादग
ू र
जयशंकर प्रसाद
जन्भ - १८९० ई.
भत्ृ मु - १९३७ ई.
ऱेखक ऩररचय
जमशॊकय प्रसाद का जन्भ काशी के साहू ऩरयवाय भें सन १८८९ ई. भें हुआ। इन्होने कववता,
नाटक, कहानी औय उऩन्मास आदद ववधाओॊ ऩय प्रचयु सादहत्म की यचना की। इन्होंने रगबग सत्तय
कहाननमाॉ लरखी हैं। जो लशल्ऩ की दृष्टी से फेजोड़ है । 'काभामनी' भहाकाव्म इनकी कारजमी यचना है ।
उनका ननधन १९३७ ई. भें हुआ।

कृतियााँ
कानान कुसभ
ु , भहायाणा का भहत्त्व, झयना, आॉस,ू रहय, काभामनी (काव्म), स्कदगप्ु त,
चन्रगप्ु त, ध्रव
ु स्वालभनी, जनभेजम का नागमऻ, याज्मश्री (नाटक), छामा, प्रनतध्वनन, आकाशदीऩ, आॊधी,
इन्रजार (कहानी सॊग्रह), कॊकार, नततरी, इयावती (उऩन्मास)।

ऩाठ ऩररचय -
मह ऩाठ दे श को स्वतॊत्रता लभरने से ऩव
ू व का है । जजसभे काननववार के भैदान भें कथा नामक को
एक रड़का लभरा। जो बीख भाॊगने की फजाम जाद ू का खेर ददखाता है । वह लसपव चौदह वषव का था तबी
कथा नामक से उसकी जान ऩहचान हो गमी। वह एक झोऩड़ी भें यहता था। फड़े ददनों के फाद उनकी बेट
जादग
ू य से हुई। उस रडके को मह खफय लभरी की उसके भाॉ की घडी सभीऩ आ यही है । मह सन ु कय
रेखक उसे भोटय भें बफठाकय झोऩड़ी रे जाते है । ऩय जादग
ू य के घय ऩोहचते ही उसके भाॉ ने प्राण त्माग
ददए। जादग
ू य मह दे ख योने रगा। मह बावक
ु दृश्म दे खकय कथानामक के आॉसू ननकर आए।

छोटा जादग
ू र
(१)
"काननववर' के भैदान भें बफजरी जगभगा यही थी। भई खड़ा था पुहाये के ऩास, जहाॉ एक रड़का
चऩ
ु चाऩ शयफत ऩीनेवारों को दे ख यहा था। उसके गरे भें पटे कुयते के ऊऩय से एक भोटी-सी सत
ू की
यस्सी ऩड़ी थी औय जेफ भें कुछ ताश के ऩत्ते थे। उसके भॉह
ु ऩय गम्बीय ववषाद के साथ धैमव की ये खाएॉ
थीॊ। भैं उसकी ओय न जाने क्मों आकवषवत हुआ!
"भैंने ऩछ
ू ा, क्मों जी, तभ
ु ने इसभें क्मा दे खा?"
"भैंने सफ दे खा है । महाॉ चूड़ी पेंकते हैं। खखरौनों ऩय ननशाना रगाते हैं। तीय से नम्फय छे दते हैं।
भझ
ु े तो खखरौने ऩय ननशाना रगाना अच्छा भारभ ू हुआ। जादग ू य तो बफल्कुर ननकम्भा है । उससे अच्छा
तो ताश का खेर भैं ही ददखा सकता हूॉ।" उसने फड़ी प्रगल्बता से कहा।
भैंने ऩछ
ू ा, "औय उस ऩदे भें क्मा है ? वहाॉ तभ
ु क्मों गए थे?"
"नहीॊ, वहाॉ भैं नहीॊ जा सकता। दटकट रगता हैं।"
भैंने कहा, "तो चरो, भैं वहाॉ ऩय तभ
ु को रे चरॉ ।ू "
उसने कहा - "वहाॉ जाकय क्मा कीजजएगा? चलरए ननशाना रगामा जामे।"
भैंने उससे सहभत होकय कहा- "तो फपय चरो, ऩहरे शयफत ऩी लरमा जामे।"
हभ दोनों शयफत ऩीकय ननशाना रगाने चरे। याह भें ही उससे ऩछ
ू ा, "तम्
ु हाये औय कौन हैं?"
"भाॉ औय फाफज
ू ी।"
"उन्होंने तभ
ु को महाॉ आने के लरमे भना नहीॊ फकमा?"
"फाफज
ू ी जेर भें हैं।"
"क्मों?"
"दे श के लरमे", वह गवव से फोरा।
"औय तम्
ु हायी भाॉ।"
"वह फीभाय है ।"
"औय तभ
ु तभाशा दे ख यहे हो?"
उसके भॉह
ु ऩय नतयस्काय की हॉसी पुट ऩड़ी। उसने कहा, तभाशा दे खने नहीॊ, ददखाने आमा हूॉ। कुछ
ऩैसे रे जाऊॉगा, तो भाॉ को ऩथ्म दॉ ग
ू ा। भझ
ु े शयफत न वऩराकय आऩने भेया खेर दे खकय भझ ु े कुछ दे
ददमा होता तो, तो भझ
ु े अधधक प्रसन्नता होती।"
भैं आश्चमव से उस तेयह-चौदह वषव के फारक को दे खने रगा।
"हाॉ, भैं सच कहता हूॉ, फाफज
ू ी! भाॉ फीभाय है , इसलरए भैं नहीॊ गमा।"
"कहाॉ?"
"जेर भें । जफ कुछ रोग खेर-तभाशा दे खते ही हैं, तो भैं क्मों न ददखाकय भाॉ की दवा करॉ औय
अऩना ऩेट बरॉ?
भैंने उससे कहा - अच्छा, चरो ननशाना रगामा जामे। हभ दोनों उस जगह ऩय ऩहुॉचे जहाॉ खखरौने
को गें द से धगयामा जाता था। भैंने फाहय दटकट खयीद कय उस रड़के को दे ददमे।
वह ननकरा ऩक्का ननशानेफाज, उसकी कोई गें द खारी नहीॊ गमी।
दे खने वारे दॊ ग यह गमे। उसने फायह खखरौने को फटोय लरमा, रेफकन उठाता कैसे कुछ भेये रुभार
भें फाॉध,े कुछ जेफ भें यख लरमे।
(२)
करकत्ता के सयु म्म फोटे ननकर उद्मान भें , रार कभलरनी से बयी हुई, एक छोटी झीर के फकनाये
घने वऺ
ृ ों की छामा भें अऩनी भॊडरी के साथ फैठा हुआ, भैं जरऩान कय यहा था। इतने भें वह छोटा
जादग
ू य ददखाई ऩड़ा। भस्तानी चार से झभू ता हुआ आकय कहने रगा।
"फाफज
ू ी नभस्ते। आज कदहमे तो खेर ददखाऊॉ?"
"नहीॊ जी, अबी हभ रोग जरऩान कय यहे हैं।
"फपय इसके फाद क्मा गाना फजाना होगा, फाफज
ू ी।"
"नहीॊ जी- तभ
ु को 'भैं क्रोध भें कुछ औय कहने जा यहा था। श्रीभती नेकहा, "ददखराओ जी, तभ

तो अच्छे आमे। बरा कुछ भन तो फहरे।"भैं चुऩ हो गमा क्मोंफक श्रीभती की वाणी भें भाॉ की सी भीठास
थी, जजसके साभने फकसी बी रडके को योका नहीॊ जा सकता। उसने खेर आयम्ब फकमा।
उस ददन काननववर के सफ खखरौने उसके खेर भें अऩना अलबनम कयने रगे। बफल्री रठने रगी।
बारू भनाने रगा। फॊदय घड़ु कने रगा। गड़ु ड़मा का ब्माह हुआ। गड्ु डा वय काना ननकरा। रडके की
वाचारता से ही अलबनम हो यहा था। सफ हॉसते-हॉसते रोट-ऩोट हो गमे।
ताश के ऩत्ते रार हो गमे। फपय अफ कारे हो गमे। गरे की सत
ू की डोयी टुकड़े टुकड़े होकय जुड़
गमी। रट्टू अऩने आऩ नाच यहे थे। भैंने कहा, "अफ हो चक
ू ा। अऩना खेर फटोय रो, हभ रोग बी अफ
जामेंगे।"
श्रीभती जी ने धीये से एक रऩमा दे ददमा। वह उछर ऩड़ा। भैंने कहा 'रडके'
"छोटा जादग
ू य कदहमे, मह भेया नाभ है । इसी से भेयी जीवका है ।"
भैं कुछ फोरना ही चाहता था फक श्रीभती जी ने कहा, "अच्छा, तभ
ु इस रुऩमे से क्मा कयोगे?"
"ऩहरे बय ऩेट ऩकौड़ी खाऊॉगा। फपय एक सत
ू ी चादय रॉ ग
ू ा।"
भेया क्रोध अफ रौट आमा। भैं अऩने ऩय फहुत क्रुद्ध होकय सोचने रगा, ओह! फकतना स्वाथी हूॉ भैं!
उसके एक रऩमा ऩाने ऩय भैं ईष्माव कयने रगा था न!
वह नभस्काय कय के चरा गमा! हभ रोग कॊु ज दे खने के लरए चरे। यह-यह कय छोटे जादग
ू य का
स्भयण होता था। सचभच
ु वह एक झोऩड़ी के ऩास चादय कन्धे ऩय डारे खड़ा था। भैंने भोटय योककय
उससे ऩछ
ू ा, "तभ
ु महाॉ कहाॉ?"
"भेयी भाॉ मही है न! अफ उसे अस्ऩतार वारों ने ननकार ददमा।" भैं उतय गमा" उस झोऩड़ी भें
दे खा, तो एक स्त्री धचथड़ों भें लरऩटी काॉऩ यही थी।
छोटे जादग
ू य ने कम्फर ऊऩय डारकय उसके शयीय से लरऩटते हुए कहा, "भाॉ।"
भेयी आॉखों से आॉसू ननकर ऩड़े।
(३)
एक ददन करकत्ते के उस उद्मान को फपय दे खने की इच्छा से भैं अकेरे ही चर ऩड़ा। दस फज
चुके थे। भैंने दे खा फक उस ननभवर धुऩ भें सड़क के फकनाये एक कऩडे ऩय छोटे जादग
ू य का यॊ ग भॊच सजा
था। भोटय योक कय उतय ऩड़ा। वहाॉ बफल्री रठ यही थी, बारू भनाने चरा था। ब्माह की तैमायी थी। ऩय
मह सफ होते हुए बी जादग ू य की वाणी भें प्रसन्नता की तयी नहीॊ थी भानो उसके भानों उसके योमें यो यहे
थे। भैं आश्चमव से दे ख यहा था। खेर हो जाने ऩय ऩैसा फटोय कय उसने बीड़ भें भझ ु े दे खा। वह जैसे ऺण
बय के लरमे स्पूनतवभान हो गमा। भैंने उसकी ऩीठ थऩथऩाते हुए ऩछ
ू ा, "आज तम्
ु हाया खेर जभा क्मों
नहीॊ?"
"भाॉ ने कहा था फक आज तयु न्त चरे आना। भेयी घडी सभीऩ है ।" अववचर बाव से उसने कहा।
"तफ बी तभ
ु खेर ददखाने चरे आमे!" भैंने कुछ क्रोध से कहा। उसने कहा, "क्मों नहीॊ आता?"
औय कुछ कहने भें जैसे वह अऩभान का अनब
ु व कय यहा था। ऺण बय भें भझ
ु े अऩनी बर

भारभ ु हो गमी। उसके झोरे को गाडी भें पेंककय उसे बी बफठाते हुए भैंने कहा, "जल्दी कयो।" भोटयवारा
भेये फतामे हुए ऩथ ऩय चर ऩड़ा।
कुछ ही लभनट भें झोऩड़े के ऩास ऩहुॉचा। जादग
ू य दौड़कय झोऩड़े भें भाॉ-भाॉ ऩक
ु ायते हुए घस
ु ा। भैं
बी ऩीछे था। फकन्तु स्त्री के भॉह
ु से, 'फे......... ' ननकरकय यह गमा। उसके दफ
ु र
व हाथ उठकय यह गमे।
जादग
ू य उससे लरऩटकय यो यहा था, भैं स्तब्ध था। उस उज्ज्वर धऩ
ु भें सभग्र सॊसाय जैसे जाद-ू सा भेये
चायों ओय नत्ृ म कयने रगा।

शब्दार्थ
काननववर - जनता के भनोयॊ जन की भेरे के ढॊ ग की मोजना हैं जजसभें खेर, व्मामाभ के अद्भत
ु प्रदशवन,
जाद ू के खेरों तथा गीत, नत्ृ म औय अलबनम आदद का सभावेश यहता है । इसभें कई तयह के दटकट रगते
हैं।
ववषाद - द्ु ख प्रगल्बता - गम्बीयता, तीक्ष्ण दृजष्ट
नतयस्काय - अऩभान, अनादय ऩथ्म - योगी के लरए सऩ
ु ाच्म बोजन
सयु म्म - फहुत सन्
ु दय कभलरनी - छोटे कभर
भस्तानी - भतवारी घड़
ु कने - क्रोध से डयाने का हाव-बाव
वाचारता - फात कयने भें ननऩण
ु ता जीववका - बयण-ऩोषण का साधन
धचथड़ों - पटे ऩयु ाने वस्त्र स्पूनतवभान - ऊजाववान
अववचर - जस्थय, अटर कॊु ज - ऩौधों मा रताओॊ से ढका हुआ स्थान
जादग
ू य - जाद ू कयनेवारा भदायी क्रुद्ध - जो गस्ु से से बया हो
सचेतन - वववेक मक्
ु त प्राणी तभाशा - भन को प्रसन्न कयनेवारा दृश्म
भॊच - उॉ च फना हुआ स्थान

प्रश्न उत्िर
वस्ितु नष्ठ प्रश्नों के उत्िर लऱखे।
१) छोटा जादग
ू य के वऩता जेर भें क्मों थे?
क) चोयी के कायण ख) भायऩीट के कायण
ग़) दे श के लरए घ) नशे के कायण
उत्तय - ग) दे श के लरए

२) ननशाना रगाकय छोटा जादग


ू य ने फकतने खखरौने फटोय लरए?
क) दस ख) आठ
ग) तयह घ) फायह
उत्तय - घ) फायह
अतिऱघत्ू िरात्मक प्रश्नों के उत्िर लऱखें ।
१) 'काननववार' क्मा है ? सभझाइए।
उत्तय : 'काननववार' जनता के भनोयॊ जन के लरए एक प्रकाय का भेरा होता है जजसभें खेर, व्मामाभ, जाद,ू
गीत, नत्ृ म आदद भनोयॊ जन के साधन होते हैं।

२) छोटा जादग
ू य चाहकय बी स्वमॊ जेर क्मों नहीॊ जा सका ?
उत्तय : उसका वऩता जेर भें था तथा भाॉ असाध्म फीभाय थी, उसकी दे खबार कयने का दानमत्व होने से
वह जेर नहीॊ जा सका।

३) "जफ कुछ रोग खेर-तभाशा दे खते ही हैं तो भैं क्मों न ददखाकय अऩना ऩेट बरॉ।"
अ) मे शब्द फकसने औय फकससे कहे ?
उत्तय : मे शब्द छोटे जादग
ू य ने कथानामक से कहे ।
आ) वह खेर ददखाकय क्मों अऩनी जीववका चराता था?
उत्तय : वऩता के जेर भें होने के कायण वह रड़का कोई औय काभ नहीॊ कय सकता था, फीभाय भाॉ की
दे खबार हे तु वह खेर ददखाकय कुछ कभाता था।

४) भैंने उसकी ऩीठ थऩथऩाते हुए ऩछ ू ा - "आज तम्


ु हाया खेर जभा क्मों नहीॊ?"
अ) फकसने, फकससे औय कहाॉ ऩछ ू ा?
उत्तय : मह कथानामक ने छोटे जादग
ू य से तफ ऩछ
ू ा, जफ वह सड़क के फकनाये खेर ददखाकय ऩैसे फटोय
चक
ु ा था।
आ) उसने क्मा उत्तय ददमा?
उत्तय : कथानामक के ऩछ
ू ने ऩय छोटे जादग
ू य ने उत्तय ददमा फक "भाॉ ने कहा था फक आज तयु न्त चरे
आना। भेयी घड़ी सभीऩ है ।"
इ) उसके फाद क्मा घटना घदटत हुई?
उत्तय : उसके फाद कथानामक उसके साथ वहाॉ गमा, जहाॉ एक झोंऩड़े भें उसकी फीभाय भाॉ ऩड़ी हुई थी।
वहाॉ ऩहुॉचते ही उसकी भाॉ का प्राणान्त हो गमा था औय छोटा जादग
ू य उससे लरऩटकय योने रगा था।

५) छोटा जादग
ू य खेर-तभाशा ददखाकय कभामे ऩैसों से क्मा कयता था ?
उत्तय : छोटा जादग
ू य खेर-तभाशा ददखाकय कभामे ऩैसों से भाॉ की दवा राता था औय दोनों का ऩेट
बयता था।
ऱघत्ू िरात्मक प्रश्नों के उत्िर लऱखें ।
१) फताइमे फक इस ऩाठ का शीषवक 'छोटा जादग
ू य' कहाॉ तक उऩमक्
ु त है ? क्मा आऩ इसके लरए कोई
दस
ू या उऩमक्
ु त शीषवक दे सकते हैं?
उत्तय : 'छोटा जादग
ू य' कहानी भें एक ऐसे फारक का धचत्रण हुआ है , जो बीख न भाॉगकय अऩने अल्ऩ
साधनों से अऩनी जीववका चराता है । वह काननववार के भैदान भें गड्
ु डा-गड़ु ड़मों का तभाशा ददखाता है ।
कहानी भें उसे केन्र भें यखा गमा है औय साया कथानक उसके ही चरयत्र ऩय आधारयत है । इसलरए कहानी
का शीषवक 'छोटा जादग
ू य' ऩयू ी तयह उऩमक्
ु त है । मह योचक कौतह
ू रजनक एवॊ कथानक का व्मॊजक है ।
इस कहानी का दस
ू या शीषवक 'स्वावरम्फी फारक' हो सकता है ।

२) छोटा जादग
ू य के फकस गण
ु ने आऩको सवावधधक प्रबाववत फकमा औय क्मों ?
उत्तय : छोटा जादग
ू य तेयह-चौदह वषव का फारक था। वह अबावों से ग्रस्त था। वऩता के जेर चरे जाने
औय भाॉ के फीभाय ऩड़ जाने से उसके साभने जीववका का औय भाॉ की दे खबार का प्रश्न था। वह बी
भाॉगकय अथवा रोगों के साभने धगड़धगड़ाकय ऩेट बयना नहीॊ चाहता था। वह दृढ़ता एवॊ धैमव से अऩने
अल्ऩ साधनों से अऩनी जीववका चराना चाहता था। उसके इस दृढ़-आत्भववश्वास औय स्वावरम्फन के
गण
ु ने हभें सवावधधक प्रबाववत फकमा। क्मोंफक कथानामक ने उसे शयफत वऩराकय कुछ ऩैसे दे ने का
प्रस्ताव फकमा, तो तफ बी उसने कुछ खेर ददखाने के फाद ही ऩैसा रेना स्वीकाय फकमा।

३) ननम्नलरखखत भह
ु ावयों का स्वयधचत वाक्मों भें प्रमोग कीजजए।
हॉसी पुट ऩड़ना, दॊ ग यहना, हॉसते-हॉसते रोट-ऩोट होना, ऩीठ थऩथऩाना, ऩैसे फटोयना।
१. हॉसी पुट ऩड़ना
वाक्म प्रमोग - जोकय के कयतफ दे खकय छोटे फच्चों की हॅंसी पूट गई।
२. दॊ ग यहना
वाक्म प्रमोग - सनु नता स्त्रीवादी फकताफ ऩढ़ने भें दॊ ग यह गई ।
३. हॉसते-हॉसते रोट-ऩोट होना
वाक्म प्रमोग - सकवस भें हाथी के कयतफ दे खकय सबी रोक हॅंसते - हॅंसते रोट-ऩोट हो गए।
४. ऩीठ थऩथऩाना
वाक्म प्रमोग - नये श ऩरयऺा भें प्रथभ आने ऩय उसके वऩताने उसकी ऩीठ थऩथऩाई।
५. ऩैसे फटोयना।
वाक्म प्रमोग - स्वाथी रोक अऩना जीवन ऩैसे फटोयने भें रगा दे ते है ।

३) ननम्नलरखखत शब्दों का एक-एक ऩमावमवाची शब्द दीजजए।


ननशाना, ववषाद, नतयस्काय, अलबनम।
उत्तय -
ननशाना- रक्ष्म ।
नतयस्काय-अऩभान।
अलबनम- भनोगत बाव व्मक्त कयने वारी शयीय - चेष्टा, दृष्मानक
ु यण।
ववषाद - द:ु ख, खखन्नता ।

४) ये खाॊफकत शब्दों के व्माकयण की दृष्टी से शब्द बेद फताइमे।


छोटे जादग
ू य ने कम्फर ऊऩय डारकय उसके शयीय से लरऩटते हुए कहा "भाॉ"

उत्तय -
छोटे - ववशेषण, गण
ु वाचक।
जादग
ू य - सॊऻा,जानतवाचक।
ऊऩय - फक्रमाववशेषण, स्थानवाचक।
उसके - सववनाभ, सम्फन्धवाचक।
कहा - सकभवक फक्रमा, ऩव
ू क
व ालरक।

तनबन्धात्मक प्रश्नों के उत्िर लऱखें ।


१) छोटे जादग
ू य भें जो गण
ु ददखराई ऩड़ते है , उन्हें उदाहयण दे कय फताइमे।
उत्तय : छोटे जादग
ू य भें अनेक गण
ु ददखाई दे ते हैं, जैसे वह चॊचर फारक है , वह ननशाना रगाने भें , जाद ू
का खेर ददखाने भें कापी चतयु ाई ददखाता है ।
वह भेहनती एवॊ स्वावरम्फी है , क्मोंफक वह बीख भाॉगने की फजाम भेहनत कयके जीववकाॊ चराने का
प्रमास कयता है ।
वह अऩनी भाॉ से स्वाबाववक प्रेभ यखता है , इसलरए फीभाय होने ऩय उसका इराज कयाना चाहता है ।
वह सयर स्वबाव का औय ईभानदाय रड़का है । इसी से वह कथानामक के साथ आत्भीमता एवॊ ईभानदायी
ददखाता है ।
वह सच्चा दे शबक्त है औय आजादी की खानतय जेर जाने वारे अऩने वऩता ऩय गवव कयता है । इस प्रकाय
छोटे जादग
ू य भें मे प्रभख
ु गण
ु ददखराई ऩड़ते हैं।

२) अ) इस कहानी भें कहानीकाय का क्मा उद्देश्म नछऩा हुआ है ?


आ) इस कहानी से आऩ क्मा प्रेयणा ग्रहण कय सकते हैं?
उत्तय : अ) उद्देश्म : इस कहानी भें कहानीकाय का मह उद्देश्म ननदहत है फक एक साभान्म गयीफ फारक
फकस प्रकाय स्वावरम्फी फनकय जीववका का ननवावह कयता है औय दे शप्रेभ की बावना यखकय स्वालबभानी
फना यहता है । कहानीकाय छोटे जादग
ू य की कतवव्मननष्ठा, भात-ृ बजक्त एवॊ लसलभत साधनों भें बी
स्वावरम्फी होने की ववशेषता प्रकट कयना चाहता है ।
आ) कहानी से प्रेयणा - इस कहानी से मह प्रेयणा लभरती है फक फयु ा सभम आने ऩय बी धैमव यखना
चादहए, दस
ू यों से धगड़धगड़ाने की अऩेऺा स्वमॊ भेहनत कयके औय अऩने लसलभत साधनों से अऩना जीवन-
ननवावह कयना चादहए। सदा आत्भववश्वास एवॊ ईभानदायी यखनी चादहए औय स्वावरम्फी फनने का प्रमास
कयना चादहए। दे श-प्रेभ एवॊ भात-ृ प्रेभ का अनस
ु यण कयना चादहए।

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