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जीवन मल्ू य-

1.घमंडी का सिर नीचा।


2. घमंड न करने की प्रेरणा।
3. अपने िामर्थयय को पहचान कर कायय करना।
मंथन—
अक्िर ववद्यार्थययों में आपि में एक दि ू रे िे आगे बढ़ने की होड़ लगी रहती है । यह
प्रततस्पर्ाय यदद स्वस्थ हो तो प्रेरणादायी है , अन्यथा आप को मुँह की खानी पड़
िकती है । कभी भी अपने-आप को बढ़-चढ़कर नह ं िमझना चादहए। जो अपने को
बहत बढ़कर िमझता है , उिका अंत बरा होता है । अपने िामर्थयय िे अर्र्क काम
करने पर अंत में स्वयं को ह नकिान उठाना पड़ता है ।
एक वन में एक खरगोश रहता था। एक ददन खरगोश ने एक रे लगाड़ी दे खी।वह रे लगाड़ी तेजी िे दौड़ी जा रह थी।
खरगोश ने अपने मन में िोचा, क्या वह रे लगाड़ी की
तरह तेज नह ं दौड़ िकता? अवश्य दौड़ िकता है ,
क्योंफक वन में ऐिा कोई भी जानवर
नह ं जो दौड़ में उिका मकाबला कर िके।
यह जानकर खरगोश गवय िे िूल उठा।

दि
ू रे ददन फिर खरगोश की नजर एक रे लगाड़ी पर पड़ी ।
बि फिर क्या था? खरगोश रे लगाड़ी के िाथ दौड़ पड़ा।
कछ दरू जाकर रे ल गाड़ी फकिी स्टे शन पर खड़ी हो गई।
वह एक िवार गाड़ी थी जो हर स्टे शन पर खड़ी होती थी।
उर्र खरगोश दौड़ता रहा और रे लगाड़ी को पीछे छोड़ कर
बहत आगे तनकल गया। खरगोश का मन बल्ल्लयों उछल
पड़ा और उिने िोचा फक वह रे लगाड़ी िे भी तेज दौड़
िकता है ।
अब वह अपने िामने फकिी को कछ भी नह ं िमझता था और िब िे यह
कहता फक वन में उिके िामने कोई भी नह ं है , क्योंफक उिने दौड़ में रे लगाड़ी
को भी पछाड़ ददया है ।वन के िभी जानवर खरगोश की बातों में आकर उिे
अच्छा मानने लगे और आदर िे नमन करने लगे।

जंगल में एक बद्र्र्मान उदबबलाव भी रहता था। उिे इि बात पर


ववश्वाि न हआ फक खरगोश रे लगाड़ी िे भी तेज दौड़ िकता है । इिसलए
उिने तरकीब िोची।एक ददन ऊदबबलाव उिके घर पहुँ चा। उिने खरगोश
की बड़ी प्रशंिा की और कहा फक िचमच जंगल में िबिे श्रेष्ठ है फिर उिे
वन का राजा क्यों न बनाया जाए? खरगोश मन ह मन बहत खश हआ
और वन का राजा बनने के सलए तैयार हो गया।
पर उदबबलाव ने खरगोश के िामने एक शतय रखी फक वह िभी जानवरों को इकट्ठा करे गा और उिके िामने
खरगोश को रे लगाड़ी के िाथ दौड़ कर ददखाना होगा फक वह उििे ज्यादा तेज दौड़ िकता है ।
खरगोश ने उदबबलाव की शतय मान ल , क्योंफक वह घमंड
में िूला हआ था।वह अपनी मखू तय ा के कारण यह
िमझता था फक वह रे लगाड़ी िे भी ज्यादा तेज दौड़
िकता है ।

एक ददन िबह जंगल के िभी


जानवर एक पेड़ के नीचे इकट्ठे हए।
ऊदबबलाव ने खरगोश की बड़ी
प्रशंिा की।उिने कहा फक खरगोश
और िबके िामने दौड़ कर
ददखाएगा फक वह रे लगाड़ी िे भी तेज
दौड़ िकता है और हम िब उिको
अपना राजा बनाएुँगे।
ऊदबबलाव अपनी बात परू ह कर पाया था फक िामने
िे रे लगाड़ी आती हई ददखाई द । खरगोश रे लगाड़ी को
दे खते ह उछला और उिके िाथ-िाथ दौड़ पड़ा। वह
डाकगाड़ी थी और कई स्टे शनों के बाद खड़ी होती थी।
रे लगाड़ी िर-िर भागती हई खरगोश िे आगे तनकल
गई।खरगोश रे लगाड़ी को पकड़ने की बहत कोसशश
की, पर वह बहत पीछे छूट गया था।
वह रे लगाड़ी को पकड़ने में इतना अंर्ा हो गया था फक काुँटों की झाड़ी में र्गर पड़ा और लहूलहान हो गया और
तड़प-तड़प कर दम तोड़ने लगा।

ऊदबबलाव जंगल के िभी जानवर के िाथ खरगोश के पाि पहुँ चा। उि िमय
खरगोश दम तोड़ रहा था। उदबबलाव ने िबको िना कर कहा--"भाइयों, यह
खरगोश अपने को बहत बढ़-चढ़कर िमझता था। जो अपने को बहत बढ़-चढ़कर
िमझता है , उिका अंत में यह हाल होता है । अपने बल िे अर्र्क काम करने पर
अंत में नकिान ह उठाना पड़ता है ।"

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