भाग 5 राजव्यवस्था जिला प्रशासन कंप्यूटर min

You might also like

Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 37

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.

ly/rsmssb-vdo-notes 1
 राज्य, जिला तहसील और पंचायत स्तर पर रािस्थान में प्रशासननक ढांचा

1. राज्यपाल
2. मुख्यमंत्री और मंत्रीपररषद
3. विधानमंडल
4. उच्च न्यायालय

5. रािस्थान लोक सेिा आयोग


6. राज्य मानिानधकार आयोग
7. लोकायुक्त

8. राज्य ननिााचन आयोग


9. राज्य सूचना आयोग
10. रािस्थान राज्य मरहला आयोग
11. जिला प्रशासन एिं तहसील प्रशासन
12. पंचायती राि

13. ग्राम विकास के महत्वपूर्ा तथ्य

कम्प्यूटर

1. कम्प्यूटर का बुननयादी ज्ञान

2. इनपुट और आउटपुट युक्तक्तयााँ


3. िडा प्रोसेसंग सॉफ्टिेयर
whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 2
4. माइक्रोसॉफ्ट पॉिर प्वॉइं ट

5. स्प्रेड शीट सॉफ्टिेयर


6. इण्टरनेट
7. कम्प्यूटर मेमोरी

8. सॉफ्टिेयर के प्रकार
9. वििं डोि के प्रकार इत्यारद /

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 3


अध्याय – 1

राज्यपाल
(अनुच्छेद 153)

 भारतीय संविधान के भाग 6 में राज्य शासन के जलए प्रािधान रकया गया है ।यह
प्रािधान पहले िम्मू-कश्मीर को छोड़कर सभी राज्यों के जलए लागू होता था लेरकन
अब सभी राज्यों के जलए लागू होता है।
 राज्य की कायापाजलका का प्रमुख "राज्यपाल" होता है िह प्रत्यक्ष रूप से अथिा
अधीनस्थ अनधकाररयों के माध्यम से इसका उपयोग करता है अथाात राज्यों में
राज्यपालकी स्थस्थतत कायापाजलका के प्रधान की होती है परं तु िास्तविक शक्तक्त मुख्यमंत्री
के नेतत्व
ृ में मंतत्रपररषद में ननरहत होती है
 राज्य में राज्यपालका उसी प्रकार से स्थान है जिस प्रकार से देश में राष्ट्रपतत का
(कुछमामलोंकोछोड़कर)।
 मूल संविधान में अनुच्छेद 153 में यह जलखखत रकया गया था रक प्रत्येक राज्य के जलए
एक राज्यपाल होगा लेरकन 7 िें संविधान संशोधन (1956) द्वारा इसमें एक अन्य
प्रािधान िोड़ रदया गया जिसके अनुसार एक ही व्यक्तक्त दो या दो से अनधक राज्यों
के जलए भी राज्यपाल ननयुक्त रकया िा सकता है।

राज्यपाल बनने के जलए ननम्नजलखखत योग्यता ओं की आिश्यकता होती है -

योग्यताएं -

1. िह भारत का नागररक हो।

2. िह 35 िषा की आयु पूरी कर चुका हो

3. रकसी प्रकार के लाभ के पद पर ना हो।

4. और िह राज्य विधान सभा का सदस्य चुने िाने योग्य हो

 राज्यपाल की ननयुक्तक्त राष्ट्रपतत के द्वारा 5 िषों की अिनध के जलए की िाती है परं तु


यह राष्ट्रपतत के प्रसादपयंत पद धारर् करता है ।अनुच्छेद 156(1) या िह पदत्याग कर
सकता है अनुच्छेद 156 (2)
whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 4
 सबसे महत्वपूर्ा बात यह रक जिस प्रकार से राष्ट्रपतत को हटाने के जलए "महाभभयोग"
प्रक्रक्रया का उपयोग रकया िाता है उस प्रकार भारत के संविधान में राज्यपाल को
उसके पद से हटाने हे तु रकसी भी प्रक्रक्रया का उल्लेख नहीं रकया गया है।
 राज्यपाल का ितामान िेतन ₹350000 माजसक है यरद दोया अनधक राज्यों के जलए
एक ही राज्यपाल हो उसे दोनों राज्यपाल का िेतन उस अनुपात में रदया िाएगा िैसा
रक राष्ट्रपतत ननधााररत करें ।
 राज्यपाल पद ग्रहर् करने से पूिा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अथिा िररष्ठतम
न्यायाधीश के सम्मुख अपने पद की शपथ ग्रहर् करता है।

राज्यपाल के विशेषानधकार एिं उन्मुक्तक्तयां -

● अपने पद पर अपने पद की शक्तक्तयों के प्रयोग तथा कताव्य पालन के जलए रकसी भी


न्यायालय के प्रतत उत्तरदायी नहीं होताहै।

● राज्यपाल की अिनध के दौरान उसके विरुद्ध रकसी भी न्यायालय में रकसी प्रकार की
आपरानधक कायािाही प्रारं भ नहीं की िासकती।

● िब िह अपने पद पर तब उसकी नगरफ्तारी का आदे श रकसी न्यायालय द्वारा िारी नहीं


रकया िा सकता।

● राज्यपाल का पदग्रहर् करने से पूिा या पश्चात उसके द्वारा रकए गए काया के संबंध में
जसविल करने से पहले उसे 2 माह पूिा सूचना दे नी पड़ती है।

राज्यपाल के काया एिं शक्तक्तयां -

1. कायापाजलका संबध
ं ी काया -

● राज्य के समस्त कायापाजलका काया राज्य के नाम से ही रकए िाते हैं अथाात राज्यपाल
राज्यपाल काया पाजलका का नाममात्र का प्रमुख होता है।

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 5


● राज्यपाल मुख्यमंत्री को तथा उसकी सलाह से उनकी मंतत्रपररषद के सदस्यों को ननयुक्त
करता है तथा उन्हें पद एिं गोपनीयता की शपथ रदलाता है।

 राज्यपाल राज्य के उच्च अनधकाररयों िैसे मुख्यसचचि, महानधिक्ता, राज्य लोकसेिा


आयोग के अध्यक्ष एिं सदस्यों की ननयुक्तक्त करता है। (महत्वपूर्ा यह रक राज्यपाल
राज्य लोकसेिा आयोग के सदस्यों को ननयुक्त िरूर करता है लेरकन उनको उनके
पद से हटा नहीं सकता। लोकसेिा आयोग के सदस्य राष्ट्रपतत द्वारा ननदे चशत रकए
िाने पर उच्चतम न्यायालय के प्रततिेदन पर और कुछ नन रहाता ओंके होने पर ही
राष्ट्रपतत द्वारा हटाए िा सकते हैं। (अनुच्छेद 317)
 राज्य के उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की ननयुक्तक्त के संबंध में राष्ट्रपतत को परामशा
दे ता है।
 राज्यपाल का अनधकार है रक िह राज्य के प्रशासन के संबंध में मुख्यमंत्री से सूचना
प्राप्त करें
 राष्ट्रपतत शासन के समय केंद्र सरकार के एिेंट के रूप में राज्य का प्रशासन चलाता
है।
 राज्यपाल राज्य के विश्वविद्यालयों का कुलानधपतत होता है तथा उपकुलपततयों की
ननयुक्त करता है
 राज्य विधान पररषद की कुल सदस्य संख्या का 1/6 भाग सदस्यों को ननयुक्त करता
है जिसका संबंध कला, सारहत्य, विज्ञान, समािसेिा, सहकारी आंदोलन होता है
।(अनुच्छेद 171) ध्यान दे ने योग्य बात है रक राज्य सभा से संबंनध ततत्समान सूची में
"सहकारी आंदोलन" शाभमल नहीं है।

2. विधायी शक्तक्तयां -

 राज्यपाल विधान मंडल का अभभन्न अंग होता है अतः राज्यपाल राज्य विधान मंडल का
सत्र आहूत करता है ।सत्रािसान करता है ।तथा उसका विघठन भी करता है।
 राज्यपाल विधान सभा के अनधिेशन तथा दोनों सदनों के संयुक्त अनधिेशन को संबोनधत
करता है
 राज्य विधान सभा के रकसी भी सदस्य पर अयोग्यता का प्रश्न उत्पन्न होता है तो योग्यता
संबंधी वििाद का ननधाारर् राज्यपाल चुनाि आयोग के परामशा से करता है।
whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 6
 राज्य विधानमंडल द्वारा पाररत विधेयक राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद ही अनधननयम बन
सकता है।
 यरद विधान सभा में आंग्ल भारतीय समुदाय को पयााप्त प्रततनननधत्वन हीं भमलता तो
राज्यपाल उस समुदाय के एकव्यक्तक्त को विधानसभा का सदस्य मनोनीत करता है
(अनुच्छेद 333 )
 विधानमंडल का सत्र नहीं चल रहा होता है उस समय राज्यपाल अध्यादे श िारी करता है
जिस का कायाकाल 6 सप्ताहत क होता है।
 राज्यपाल धन विधेयक के अततररक्त रकसी विधेयक को पुनविि चार के जलए राज्य विधान
मंडल के पास भेिता है परं तु राज्य विधानमंडल द्वारा इसे दोबारा पाररत रकए िाने पर िह
उसपर अपनी सहमतत दे ने के जलए बाध्य होता है ।राष्ट्रपतत के जलए आरक्रक्षत विधायक
िब राष्ट्रपतत के ननदे श पर पुनविि चार के जलए विधान मंडल को लौटा दे ऐसे लौटाए िाने
पर विधानमंडल 6 माह के भीतर उस पर पुनविि चार करे गा और यरद उसे पुनः पाररत रकया
िाता है तो विधेयक राष्ट्रपतत को पुनः प्रस्तुत रकया िाएगा ।रकिंतु इस पर भी राष्ट्रपतत के
जलए अनुमतत दे ना अननिाया नहीं है। (अनुच्छेद 201)
 राज्यपाल रकसी विधेयक को राष्ट्रपतत के विचार के जलए आरक्रक्षत रख सकता है ।यह
आरक्रक्षत विधायक तभी प्रभािी होगा िब राष्ट्रपतत उसे अनुमतत प्रदान करदें ।राज्यपाल
को राष्ट्रपतत के जलए विधायक आरक्रक्षत करना उस समय अननिाया है िब विधेयक उच्च
न्यायालय की शक्तक्तयों का अल्पीकरर् करता है जिससे यरद विधेयक विनध बन िाएगा
तो उच्च न्यायालय की संिैधाननक स्थस्थतत को खतरा होगा।

3. वित्तीय अनधकार –

 राज्यपाल प्रत्येक वित्तीय िषा में वित्त मंत्री को विधानमंडल के सम्मुख िावषि क वित्तीय वििरर्
प्रस्तुत करने के जलए कहता है।
 विधान सभा में धन विधेयक राज्यपाल की अनुमतत से ही पेश रकया िा सकता है।
 राज्यपाल की संस्तुतत के तबना अनुदान की रकसी मांग को विधानमंडल के सम्मुख नहीं
रखा िा सकता।

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 7


 ऐसा कोई विधेयक िो राज्य की संचचत नननध से खचा ननकाल ने की व्यिस्था करता है उस
समय तक विधान मंडल द्वारा पाररत नहीं रकया िा सकता िब तक राज्यपाल इसकी
संस्तुतत ना कर दे ।

नोट –राज्य वित्त आयोग रकसी राज्य के राज्यपाल को उस विशेष राज्य की पंचायतों द्वारा
विननयोजित हो सकने िाले करों और शुल्कों के ननधाारर् के जसद्धांतों के विषय में संस्तुतत
करता है।

4. न्यानयक अनधकार –

 राज्यपाल की न्यानयक शक्तक्त के अंतगात िह रकसी दं ड को क्षमा, उसका प्रतबलम्बन, विराम


या पररहार कर सकता है या रकसी दं डा दे श का ननलंबन, पररहार या लघुकरर् सकता है।
 यह ऐसे व्यक्तक्त के संबंध में होगा जिसे ऐसी विनधके अधीन अपराध के जलए जसद्ध दोष
ठहराया गया है जिस के संबंध में राज्य की कायापाजलका शक्तक्त का विस्तार है । (अनुच्छेद
161)

नोट -राष्ट्रपतत को सभी प्रकार के मृत्युदंड आदे श के मामले में क्षमादान की शक्तक्त प्राप्त
है िबरक राज्यपाल को मृत्युदंड आदे श के मामले में ऐसी शक्तक्त प्राप्त नहीं है ।इसी प्रकार
राष्ट्रपतत को सेना न्यायालय (कोटा -माशाल) के दं डा दे श के मामले में क्षमा दान की
शक्तक्त प्राप्त है िबरक राज्यपाल को ऐसी शक्तक्त प्राप्त नहीं है।

5. आपातकालीन शक्तक्तयां -

 िब राज्यपाल को यह समाधान हो िाता है रक ऐसी पररस्थस्थततयां उत्पन्न हो गई है जिनमें


राज्य का शासन संविधान के उपबंधों के अनुसार चलाया िा सकता है तो िह राष्ट्रपतत
को प्रततिेदन भेिकर (अनुच्छेद 356) यह कह सकता है रक राष्ट्रपतत राज्य के शासन
के सभी या कोई कृत्य स्वयं ग्रहर् कर ले ।अथाात राष्ट्रपतत शासन लागू कर दें ।

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 8


रािस्थान में राज्यपाल -

 रािस्थान राज्य के प्रथम राज्यपाल सरदार गुरुमुख ननहाल जसिं ह थे।


 रािस्थान के प्रथम कायािाहक राज्यपाल िगत नारायर् िी थे।
 सिाई मानजसिं ह रािस्थान के पहले राज्य प्रमुख थे जिन्हें राज्यपाल के समकक्ष माना
िाता है 1 निंबर 1956 को संविधान संशोधन द्वारा रािस्थान में राज्यप्रमुख व्यिस्था को
समाप्त कर रदया गया था।

● रािस्थान राज्य की प्रथम मरहला राज्यपाल श्रीमती प्रततभा पावटल बनी ।श्रीमती
प्रभाराि रािस्थान राज्य की दस
ू री मरहला राज्यपाल तथा श्रीमती मागेट आल्वा
रािस्थान की तीसरी मरहला राज्यपाल थी।

● राज्यपाल डॉ संपूर्ाानंद के काया काल में राज्य में पहली बार 13 माचा 1967 से 26 अप्रैल
1967 तक राष्ट्रपतत शासन लागू हुआ था।

● अब तक चार राज्य पाल की अपने पद पर रहकर मृत्यु हुई है -

1. दरबारजसिं ह

2. ननमालचंद्रिैन

3. शैलेंद्रकुमार

4. प्रभाराि।नोट – श्रीमती प्रभाराि की अपने पद पर रहते हुए मृत्यु हुई िें इस प्रकार की
रािस्थान की प्रथम मरहला राज्यपाल थी ।

● रािस्थान में अब तक 17 बार कायािाहक राज्यपाल बने िा चुके हैं ।

● रािस्थान राज्य के कल्यार् जसिं ह 20 िें पूर्ा काजलक राज्यपाल थे और ितामान में
कलरािभमश्र 21 िें (लेरकन कुल 44 िें ) राज्यपाल है ।

● रािस्थान के राज्यपालका ग्रीष्मकालीन प्रिास माउं टआबू रािस्थान में स्थस्थत रािभिन
में होता है यह भिन 1868 में भारत के गिनार िनरल के ए. िी. िी. केरे जिडेंस के तौर पर
बनाया गया था ।

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 9


रािस्थान के राज्यपालों की सूची –

1.

नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे िो आपको ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम
सेिक) के इन कम्पलीट नोट्स में पढ़ने को भमलेगा / यरद आपको हमारे नोट्स के
सैंपल अच्छे लगे हों तो कम्पलीट नोट्स खरीदने के जलए हमारे संपका नंबर पर कॉल करें ,
हमें पूर्ा विश्वास है रक ये नोट्स आपकी ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम सेिक) की परीक्षा
में पूर्ा संभि मदद करें गे , धन्यिाद /

संपका करें - 8233195718

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 10


अध्याय – 3

विधानमंडल

 विधान सभा या िैधाननक सभा को रद्वसदनीय राज्यों में ननचला सदन और एक सदनीय
राज्यों में सोलहा उस कहा िाता है ।
 रदल्ली ि पुडुचेरी नामक दो केंद्रशाजसत राज्यों में भी इसी नामका प्रयोग ननचले सदन के
जलए रकया िाता है ।
 7 रद्व सदनीय राज्यों में ऊपरी सदन को विधान पररषद कहा िाता है ।
 विधानसभा के सदस्य राज्यों के लोगों के प्रत्यक्ष प्रततनननध होते हैं क्योंरक उन्हें रकसी एक
राज्य के 18 िषा से अनधक आयु िगा के नागररकों द्वारा सीधे तौर पर चुना िाता है।
 इसके अनधकतम आकार को भारत के संविधान के द्वारा ननधााररत रकया गया है जिसमें 500
से अनधक ि 60 से कम सदस्य नहीं हो सकते।
 हालााँरक अपिाद के तौर पर गोिा, जसक्किम, भमिोरम और केंद्रशाजसत प्रदे श पुडुचेरी
विधानसभा का आकार 60 सदस्यों से कम का है ।
 प्रत्येक विधानसभा का कायाकाल पांच िषों का होता है जिसके बाद पुनः चुनाि होता है।
 आपात काल के दौरान, इस के सत्र को बढ़ाया िा सकता है या इसे भंग रकया िा सकता
है ।
 विधान सभा का सत्र आपातकाल के दौरान बढ़ाया िा सकता है लेरकन एक समय में केिल
छ: महीनों के जलए ।
 विधानसभा को बहुमत प्राप्त या गठबंधन सरकार के खखलाफ अविश्वास प्रस्ताि पाररत हो
िाने पर भी भंग रकया िा सकता है ।
 विधानसभा को भी राज्यसभा ि विधानपररषद के सामान ही कानूनी ताकतें होती हैं ।

सदस्य बनने हे तु योग्यता

 विधानसभा का सदस्य बनने के जलए , व्यक्तक्त को भारत का नागररक होना आिश्यक है, िह
25 िषा की आयु पूर्ा कर चुका हो ।
 िह मानजसक रूप से ठीक िदी िाजलया न हो।
 उसको अपने ऊपर कोई भी आपरानधक मुकदमा न होने का प्रमार् पत्र भी दे ना होता है ।

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 11


विधानसभा की विशेष शक्तक्तयां

 सरकार के खखलाफ अविश्वास प्रस्ताि केिल विधान सभा में पाररत रकया िा सकता है ।
 मनीतबल को केिल विधानसभा में लाया िा सकता है ।
 रद्व सदनीय प्रर्ाजलयों में विधानसभा से पास हो िाने के बाद इसे विधान पररषद्के पास
भेिा िाता है िहााँ इसे अनधकतम 14 रदनों के जलए रखा िा सकता है ।
 साधारर् तबलों में विधानसभा का ही मत चलता है और यहााँ संयुक्त बैठकका भी कोई
प्रािधान नहीं होता ।
 इस तरह के मामलों में, विधान पररष रद्वधानसभा को केिल 4 महीनों (तबल लाने पर पहली
बार 3 महीनों के जलया ि दस ू री बार 1 महीने के जलए ) स्थनगत रकया िा सकता है ।

रािस्थान विधानसभा

 भारत के संविधान के अनुच्छेद 168 के प्रािधानों के अनुसार, प्रत्येक राज्य को एक या दो


सदनों से भमल कर एक विधानयका स्थारपत करनी थी ।रािस्थान ने एक सदनीय व्यिस्था
का चुनाि रकया और इसकी विधानसभा को रािस्थान विधानसभा के रूप में िाना िाता
है ।

रािस्थान विधानसभा भारतीय राज्य रािस्थान में एक सदनीय विधानमंडल

नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे िो आपको ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम
सेिक) के इन कम्पलीट नोट्स में पढ़ने को भमलेगा / यरद आपको हमारे नोट्स के
सैंपल अच्छे लगे हों तो कम्पलीट नोट्स खरीदने के जलए हमारे संपका नंबर पर कॉल करें ,
हमें पूर्ा विश्वास है रक ये नोट्स आपकी ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम सेिक) की परीक्षा
में पूर्ा संभि मदद करें गे , धन्यिाद /

संपका करें – 8233195718

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 12


अध्याय – 4

उच्च न्यायालय

 भारत में कुल 24 उच्च न्यायालय है जिनका अनधकार क्षेत्र कोई राज्य विशेष या राज्यों और
केन्द्रशाजसत प्रदे शों के एक समूह होता हैं ।
 ितामान समय में पंिाब तथा हररयार्ा के जलए एक ही उच्च न्यायालय है और असम,
नागालैण्ड, मेघालय, मचर्पुर, तत्रपुरा, भमिोरम तथा अरुर्ाचल प्रदे श के जलए एक उच्च
न्यायालय है ।
 मुम्बई उच्च न्यायालय का क्षेत्रानधकार महाराष्ट्र और गोिा राज्यों तथा दमन और दीि एिं
दादरा और नागर हिेली संघ राज्य क्षेत्रों पर है ।
 इसी प्रकार कलकत्ता उच्च न्यायालय का क्षेत्रानधकार अण्डमान तथा ननकोबार द्वीपसमूह,
मद्रास उच्च न्यायालय का क्षेत्रानधकार पाण्डण्डचेरी तथा केरल उच्च न्यायालय का क्षेत्रानधकार
लक्षद्वीप संघराज्य क्षेत्र पर है ।
 सात संघशाजसत राज्यों में से केिल रदल्ली ही एक ऐसा संघ राज्य क्षेत्र है , जिसका अपना
उच्च न्यायालय है ।
 उच्च न्यायालय भारतीय संविधान के अनुच्छेद 214, अध्याय 5 िभाग 6 के अंतगात स्थारपत
रकए गए हैं ।न्यानयक प्रर्ाली के भाग के रूप में, उच्च न्यायालय राज्य विधानयकाओं और
अनधकारी के संस्था से स्वतंत्र हैं ।
 उच्च न्यायालय, जिला न्यायालय के साथ, िो उनके अधीनस्थ होते है, राज्य के प्रमुख
दीिानी न्यायालय होते हैं ।
 उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की ननयुक्तक्त भारत के राष्ट्रपतत द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश
और संबन्धित राज्य के राज्यपाल के साथ परामशा के साथ होती हैं ।
 इसके अलािा, राष्ट्रपतत परामशा के तबना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हस्तांतरर् के
अनधकार का प्रयोग कर सकते हैं।

गठन -
 प्रत्येक उच्च न्यायालय का गठन एक मुख्य न्यायाधीश तथा ऐसे अन्य न्यायाधीशों को
भमलाकर रकया िाता है ,जिन्हें राष्ट्रपतत समय-समय पर ननयुक्त करे ।

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 13


न्यायाधीशों की योग्यता -

 अनुच्छेद 217 के अनुसार कोई व्यक्तक्त रकसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश ननयुक्त होने
के योग्य तब होगा , िब िह
 भारत का नागररक हो और 62 िषा की आयु पूरी न की हो ।

कम से कम 10िषा तक न्यानयक पद धारर् कर चुका हो । न्यानयक पद धारर् करने की अिनध


की गर्ना करने में िह अिनध भी सन्धम्मजलत की िाएगी , जिसके दौरान कोई

नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे िो आपको ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम
सेिक) के इन कम्पलीट नोट्स में पढ़ने को भमलेगा / यरद आपको हमारे नोट्स के
सैंपल अच्छे लगे हों तो कम्पलीट नोट्स खरीदने के जलए हमारे संपका नंबर पर कॉल करें ,
हमें पूर्ा विश्वास है रक ये नोट्स आपकी ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम सेिक) की परीक्षा
में पूर्ा संभि मदद करें गे , धन्यिाद /

संपका करें – 8233195718

रािस्थान उच्च न्यायालय -

 रािस्थान उच्च न्यायालय रािस्थान का न्यायालय हैं।


 इसका मुख्यालय िोधपुर मे है।
 यह 21 िून, 1949 को रािस्थान उच्च न्यायालय अध्यादे श, 1949 के अंतगात स्थारपत
रकया गया । इसकी एक खण्डपीठ ियपुर में भी स्थस्थत है।
 रािस्थान हाईकोटा में न्यायधीशों की संख्या 50 तक हो सकती है।

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 14


 न्यायधीश कमल कां तिमाा को रािस्थान के प्रथम मुख्य न्यायधीश होने का गौरि प्राप्त
है।
 रािस्थान हाई कोटा के ियपुर बेंच की स्थापना 31 िनिरी 1977 को की गई।

रािस्थान के मुख्य न्यायधीश

क्र. मुख्य न्यायधीश कायाकाल

1. 1. श्री कमलकांतिमाा 29.08.49 - 24.01.50

2. 2. श्री कैलाशिांचू. 02.01.51 - 10.08.58

नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे िो आपको ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम
सेिक) के इन कम्पलीट नोट्स में पढ़ने को भमलेगा / यरद आपको हमारे नोट्स के
सैंपल अच्छे लगे हों तो कम्पलीट नोट्स खरीदने के जलए हमारे संपका नंबर पर कॉल करें ,
हमें पूर्ा विश्वास है रक ये नोट्स आपकी ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम सेिक) की परीक्षा
में पूर्ा संभि मदद करें गे , धन्यिाद /

संपका करें – 8233195718

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 15


अध्याय – 11

जिला प्रशासन एिं तहसील प्रशासन


जिला कलेक्टर : जिला अनधकारीयों में सिाानधक शक्तक्तशाली पद जिलाधीश या कलेक्टर
का है ! उसे जिले का शीषस्थ अनधकारी माना िाता है ! उसे जिले में विकास का प्रतीक
माना िाता है ! िह जिले में बहुमुखी गततविनधयों का संचालन करता है!

सहायक कलेक्टर : रािस्व प्रशासन में सहायक कलेक्टर का पद पूर्ा रूप से न्यानयक
कायो के ननष्पादन हेतु बनाया गया है ! इसका मुख्य काया रािस्व प्रकरर्ों को सुनना,
ननचर्ि त करने के जलए शुद्र रूप से अदालती काया करना है ! सहायक कलेक्टर िररष्ठ अदालत
के रूप में काया करता है !

उपखण्ड अनधकारी : जिला अनेक उपजिलो में बंटा होता है ! उप जिले के मुखखया को
एस. डी. ओं. अथिा उपजिलाधीश कहते है ! यह एस. डी ओं. जिला और तहशील प्रशासन
के मध्य महत्वपूर्ा कड़ी होता है ! इसका प्रमुख काया तहसीलों का ननररक्षर् करना होता है !
प्रत्येक उप जिलाधीश के पास प्राय : एक या दो तहसील अधीन होती है और उपखण्ड
अनधकारी इनके सफल प्रशासन के जलए िह जिलाधीश के प्रतत उत्तरदायी होता है !
तहसीलदार के ननर्ाय के विरुद्ध उपजिलाधीश के यहााँ अपील की िा सकती है !

तहसील प्रशासन : भू- रािस्व प्रशासन की आधारभुत इकाई तहसील प्रशासन है िो


गाि ि जिले एक महत्वपूर्ा प्रशासननक इकाई है ! तहसील प्रशासन भू – रािस्व , न्याय ि
विकास कायो में अपना विचशष्ट स्थान रखता है ! राज्य के भोगोजलक विभािन के आधार
पर बनी अंततम प्रशासननक इकाई तहसील है ! तहसील विशुद्ध रूप से रािस्व प्रशासन के
जलए बनाई गई है ! मुग़ल काल से ही रािस्व प्रशासन में तहसील का एक महत्वपूर्ा स्थान
रहा है !तहसील को कुछ अन्य राज्यों में दस
ु रे नामों से िाना िाता है, िेसे – तभमलनाडु में
इसे ‘तालुक’ एिम् महाराष्ट्र में ‘तालुक’कहा िाता है !

पटिारी प्रशासन का अंततम प्रशासननक कमाचारी होता है ! भारत में मुगलकाल से ही


पटिारी का पद रािस्व प्रशासन का महत्वपूर्ा भाग रहा है ! पटिारी रकसानों से सम्बन्धित
व्यक्तक्त था िो रकसानों के व्यक्तक्तगत लगान लेना ि लेनदे न का रहसाब रखना उसका प्रमुख
कताव्य था !

राज्य एिम् केन्द्रीय सरकार से

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 16


नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे िो आपको ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम
सेिक) के इन कम्पलीट नोट्स में पढ़ने को भमलेगा / यरद आपको हमारे नोट्स के
सैंपल अच्छे लगे हों तो कम्पलीट नोट्स खरीदने के जलए हमारे संपका नंबर पर कॉल करें ,
हमें पूर्ा विश्वास है रक ये नोट्स आपकी ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम सेिक) की परीक्षा
में पूर्ा संभि मदद करें गे , धन्यिाद /

संपका करें – 8233195718

जिला कलेक्टर :
जिला अनधकाररयो में सिाानधक शक्तक्तशाली पद जिलाधीश या कलेक्टर का है ! उसे जिले
का शीषस्थ अनधकारी माना िाता है ! उसे जिले में विकास का प्रततक माना िाता है ! िह
जिले में बहुमुखी गततविनधयों का संचालन करता है !

मोयाकाल में कलेक्टर को रािूका, मुगलकाल में मनसबदार या फोिदार तथा अंग्रेिो ने
जिला ननरीक्षक कहना प्रारम्भ रकया ! 1772 में िारे न हेस्टिंग्स ने सिाप्रथम जिला ननररक्षर्
के स्थान पर कलेक्टर के पद का प्रारम्भ रकया तथा 1781 में फोिदार का पद समाप्त कार
उसका कायाभार कलेक्टर को सोंप रदये ! 1812 में होल्ड मेकेंिी ने तथा 1833 में विजलयम
बेवटक ने कलेक्टर को काफी शक्तक्तशाली बना रदया !

1935 के अनधननयम के द्वारा कलेक्टर को शक्तक्तशाली बनाये िाने की जसफाररश की गई !


1944 में रोलेट्स कमेटी द्वारा इस पद को और प्रततष्ठािान बनाने की जसफाररश की गई !
सम्पूर्ा अंग्रिी शासनकाल में जिला स्तर पर कलेक्टर केन्द्रीय शक्तक्त के रूप में काया करता
रहा िो रक जिले की समस्त प्रशासननक क्रक्रयाओं को समस्ित करता था ! उसकी महता में
लाखो शब्द िासरयो , गिानरों तथा शोधकताा द्वरा जलखे गए है ! तिवटश शासनकाल में
कलेक्टर का पद सता, सम्मान और गोरिमय पद था ! जिला स्तर पर यह सरकार की समस्त
शक्तक्तयों का प्रयोग करता था !

स्वतंत्रता प्राण्डप्त के पश्चात् कलेक्टर के पद के महत्व तथा स्थस्थतत में महत्वपूर्ा पररितान आया
है ! लोकतास्िक शासन व्यिस्था में कलेक्टर िनता का सेिक बन गया है ! ऐसी स्थस्थतत में
whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 17
कलेक्टर के कायो की प्राथभमकताओं को पूर्ारूपेर् बदल गई है ! पहले भू – रािस्व प्रबिन,
कानून और व्यिस्था की स्थापना करना उसका प्रमुख काया था रकन्तु अब उसके जलए िन
कल्यार् तथा विकास से सम्बन्धित काया महत्वपूर्ा बन गए है !

साधारर्त: कलेक्टर भारतीय प्रशासननक सेिा का सदस्य होता है ! िह या तो भारतीय


प्रशासननक सेिा में सीधी भती द्वारा ननयुक्त अथिा राज्य प्रशासननक सेिा से पदोन्नतत
अनधकारी होता है ! इसका चयन एिम् भती संघ लोक सेिा आयोग द्वारा की िाती है तथा
यह राज्य सरकार के जलए काया करता है ! 6 से 10 िषा की सेिा कर चुके अनधकारी को
कलेक्टर बनाया िाता है ! उसका िेतन, सेिा शते, आचरर्, ननयमन आरद केंद्र सरकार
द्वारा ननधााररत होते है ! भारतीय संविधान के अनुछेद 311 के अनुसार उसके कायाकाल को
सुरक्षा प्रदान की गई है ! इसके अनुसार केंद्र की अनुमतत के तबना ननलक्कम्बत , हटाया,
पदािनत नही रकया िा सकता !

रािस्थान भू – रािस्व अनधननयम 1956 की धारा कलेक्टर को जिले का भू – अभभलेख


अनधकारी बनाया गया है !

मुख्य काया : -
1. रािस्व एक्रतत्रत करना
2. भूभम सुधार
3. कानून व्यिस्था की स्थापना

नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे िो आपको ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम
सेिक) के इन कम्पलीट नोट्स में पढ़ने को भमलेगा / यरद आपको हमारे नोट्स के
सैंपल अच्छे लगे हों तो कम्पलीट नोट्स खरीदने के जलए हमारे संपका नंबर पर कॉल करें ,
हमें पूर्ा विश्वास है रक ये नोट्स आपकी ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम सेिक) की परीक्षा
में पूर्ा संभि मदद करें गे , धन्यिाद /

संपका करें – 8233195718

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 18


अध्याय- 12

पंचायती राि

 स्थानीय शासन 'महात्मा गााँधी' की संकल्पना राम राज्य या ग्राम स्वराज्य का पररष्कृत
रूप है। गााँधीिी की इस संकल्पना को फलीभूत करने के जलए भारतीय संविधान के
अनुच्छेद 40 में राज्य सरकार को ननदे श रदए गए थे, िो 1993 में 73िें संविधान संशोधन
के पररर्ामस्वरूप सम्भि हुआ।

 73िें एिं 74िें संविधान संशोधन 1993 के तहत स्थानीय शासन भारतीय पररसंघीय
व्यिस्था में तीसरे स्तर की सरकार को सामने ला खड़ा रकया।

 'पंचायती राि' और 'नगरपाजलका प्रर्ाली' को संिैधाननक अस्थस्तत्व प्राप्त करने में एक


लम्बा संघषा करना पड़ा।

 िषा 1956 में गरठत बलिन्त राय मेहता सभमतत ने सिाप्रथम पंचायती राि को स्थारपत
करने की जसफाररश की जिसे स्वीकार कर जलया गया साथ ही सभी राज्यों को इसे
क्रक्रयास्ित करने के जलए कहा गया।

 सिाप्रथम रािस्थान के नागौर जिले में 2 अक्टू बर 1959 को पण्डण्डत ििाहर लाल नेहरू ने
पंचायती राि की नींि रखी और उसी रदन इसे सम्पूर्ा राज्य (रािस्थान) में लागू कर
रदया गया।

 रकन्तु िााँभछत सफलता प्राण्डप्त में कमी ने इस पर गम्भीरता से विचार करने के जलए
मिबूर रकया। अनेक सभमततयों का गठन रकया गया, जिन्होंने अपनी जसफाररशों से
पंचायती राि को मिबूती प्रदान की।

पंचायती राि व्यिस्था सभमततयााँ

1. बलिंत राय मेहता सभमतत 1957

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 19


2. अशोक मेहता सभमतत 1977

3. िी.िी.के. राि सभमतत 1985

4. एल. एम. जसिं घिी सभमतत 1986

5. संथानम सभमतत 1962

6. सारदक अली सभमतत 1964

पंचायती राि संस्थाओं को संिध


ै ाननक दिाा

 िषा, 1989 में तत्कालीन प्रधानमिी श्री रािीि गााँधी ने पंचायतों के सुधार ि
सशक्तक्तकरर् में विशेष रुचच ली तथा एल. एम. जसिं घिी सभमतत और थुमन सभमतत की
जसफाररशों के आधार पर लोकसभा में 64िााँ संविधान संशोधन विधेयक प्रस्तुत रकया।
जिसे लोकसभा द्वारा पाररत कर रदया गया लेरकन राज्यसभा द्वारा अस्वीकार कर रदए
िाने के कारर् विधेयक समाप्त हो गया।

 तत्पश्चात्, िषा 1992 में पंचायत सम्बिी प्रािधान के जलए प्रधानमिी पी. िी. नरजसम्हा
राि द्वारा 73िााँ संविधान संशोधन विधेयक संसद में लाया गया, जिसे लोकसभा एिं
राज्यसभा ने क्रमश: 22 एिं 23 रदसम्बर, 1992 को पाररत कर रदया।

 17 राज्यों की विधानसभाओं द्वारा अनुमोरदत रकए िाने के बाद 20 अप्रैल, 1993 को


राष्ट्रपतत ने इस विधेयक पर अपनी सहमतत प्रदान कर दी। 24 अप्रैल, 1993 से 73िााँ
संविधान संशोधन अनधननयम पूरे दे श में लागू हो गया।

 73िें संविधान संशोधन अनधननयम 1992 के पाररत होने से दे श के संघीय लोकतांतत्रक


ढााँचे में एक नए युग का सूत्रपात हुआ और पंचायती राि संस्थाओं को सिैधाननक दिाा
प्राप्त हो गया।
whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 20
इस संविधान संशोधन द्वारा संविधान में भाग 9 को पुनः स्थारपत कर 16 नए अनुच्छेद

नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे िो आपको ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम
सेिक) के इन कम्पलीट नोट्स में पढ़ने को भमलेगा / यरद आपको हमारे नोट्स के
सैंपल अच्छे लगे हों तो कम्पलीट नोट्स खरीदने के जलए हमारे संपका नंबर पर कॉल करें ,
हमें पूर्ा विश्वास है रक ये नोट्स आपकी ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम सेिक) की परीक्षा
में पूर्ा संभि मदद करें गे , धन्यिाद /

संपका करें – 8233195718

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 21


अध्याय – 13
ग्राम विकास के महत्वपूर्ा तथ्य
 भूभम के धरातल पर अिस्थस्थत तबन्दओ
ु ं की माप-तौल करना कहलाता है - भू-सिेक्षर्
 भू-सिेक्षर् हेतु रकन यिों की सहायता ली िाती है -चैंन (िरीब) कम्पात, प्लेन
टे तबल तथा नथयोडोलाइट
 दाखखल-खाररि की िाती है - िब भूभम के कब्जे या स्वाभमत्व में पररितान होता हैँ
 भारत में कृवष िषा होता है - 1 िुलाई से 30 िून तक
 अनधकार-अभभलेख में शाभमल होते हैं - खतरा एिं खतोंनी
 अमीन का मुख्य काया होता है. – भू-रािस्व की कसूली करना
 फसली िषा कहा िाता है - कृवष िषा को
 वििादों को पंच ननर्ाय को ननदे चशत करने का अनधकार है - प्रत्येक रािस्व न्यायालयों
को
 वििादों को पंच ननर्ाय को ननदे चशत करने का अनधकार रकसे नहीं है - तहसीलदार
को
 मालगुिारी क्या है - यह एक टें क्स हैं , िो भूभम पर उसकी उपि पर लगाया िाता हैँ
 भू-रािस्व क्या है - सरकार द्वारा लगाया गया कर
 लगान क्या है - संविदा की िस्तु, जिसे पक्षकारों के करार से पररिततित रकया िा
सकता हेँ
 पंचायत सभमतत द्वारा ननधााररत ननर्ायों का कायााियन कौन करता है - खण्ड विकास
अनधकारी
 भूभम का उपंयोग करने के एिि में रकसानों से बसूला िाने िाला टै क्स क्या कहलाता
है- लगान
 लम्बाई के मापन हेतु प्रयुक्त की िाती है - िरीब, करम, पोल
 भूभम सुधार हेतु भारत में सबसे पहले क्या प्रारम्भ रकया गया - िमींदारी उन्मूलन
 चकबन्दी की प्रक्रक्रया एक कल्यार्कारी योिना है - राज्य सरकार की

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 22


नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे िो आपको ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम
सेिक) के इन कम्पलीट नोट्स में पढ़ने को भमलेगा / यरद आपको हमारे नोट्स के
सैंपल अच्छे लगे हों तो कम्पलीट नोट्स खरीदने के जलए हमारे संपका नंबर पर कॉल करें ,
हमें पूर्ा विश्वास है रक ये नोट्स आपकी ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम सेिक) की परीक्षा
में पूर्ा संभि मदद करें गे , धन्यिाद /

संपका करें – 8233195718

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 23


कंयूटर
अध्याय – 2

इनपुट और आउटपुट युक्तक्तयां

कम्प्यूटर और मनुष्य के मध्य सम्पका (Communication) स्थारपत करने के जलए इनपुट-


आउटपुट युक्तक्तयों का प्रयोग रकया िाता है। इनपुट युक्तक्तयों का प्रयोग कम्प्यूटर को डेटा
और ननदे श प्रदान करने के जलए रकया िाता है।

इनपुट डेटा को प्रोसेस करने के बाद, कम्प्यूटर आउटपुट युक्तक्तयों के द्वारा प्रयोगकताा को
आउटपुट प्रदान करता है। कम्प्यूटर मशीन से िुडी हुई सभी इनपुट-आउटपुट यूक्तक्तयों को
पेरीफेरल युक्तक्तयााँ भी कहते हैं।

इनपुट युक्तक्तयााँ (Input Devices)

िे युक्तक्तयााँ, जिनका प्रयोग उपयोगकताा के द्वारा कम्प्यूटर को डेटा और ननदे श प्रदान करने
के जलए रकया िाता है , इनपुट युक्तक्तयााँ कहलाती हैं। इनपुट युक्तक्तयााँ उपयोगकताा से इनपुट
लेने के बाद इसे मशीनी भाषा (Machine Language) में पररिततित करती हैं और इस
पररिततित मशीनी भाषा को सीपीयू के पास भेि दे ती हैं।

कुछ प्रमुख इनपुट युक्तक्तयााँ ननम्न हैं

1. कीबोडा (Keyboard)

कीबोडा एक प्रकार की मुख्य इनपुट रडिाइस है । कीबोडा का प्रयोग कम्प्यूटर को अक्षर और


अंकीय रूप में डेटा और सूचना देने के जलए करते हैं। कीबोडा एक सामान्य टाइपराइटर की
तरह रदखता है , इसमें टाइपराइटर की अपेक्षा कुछ ज्यादा कुंजियााँ (Keys) होती हैं। िब
कोई कुंिी कोबोडा पर दबाई िाती है तो कीबोडा, कीबोडा कण्ट्रोलर और की बोडा बफर से
सम्पका करता है। कीबोडा कण्ट्रोलर, दबाई गई कुंिी के कोड को कीबोडा बफर में टोर करता
है और बफर में टोर कोड सी पी यू के पास भेिा िाता है। सी पी यू इस कोड को प्रोसेस
करने के बाद इसे आउटपुट रडिाइस पर प्रदचशित करता है। कुछ विभभन्न प्रकार के कीबोडा िैसे
रक QWERTY, DVORAK और AZERTY मुख्य रूप से प्रयोग रकए िाते हैं।

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 24


कीबोडा में कुंजियों के प्रकार

( (Types of Keys on Keyboard)

कीबोडा में ननम्न प्रकार की कुंजियां होती हैं

(i) अक्षरांकीय कुंजियााँ (Alphanumeric Keys) इसके अंतगात अक्षर कुंजियााँ (A, B......,
a, b, c,....., z) और अंकीय कुंजियााँ (0, 1, 2,9) आती हैं।

| (ii) अंकीय कुाँजियााँ (Numeric Keys) ये कुंजियााँ कीबोडा पर दाएाँ तरफ होती हैं। ये
कुंजियााँ अंको (0, 1, 2, 9) और गचर्तीय ऑपरे टरों (Mathematical operators) से
भमलकर बनी होती है।

(iii) फंक्शन कुंजियााँ (Function Keys) इन्हें प्रोग्रामेबल कुंजियााँ भी कहते हैं। इनके द्वारा
कंयूटर से कुछ विचशष्ट काया करिाने के जलए ननदे श रदया िाता है। ये कुंजियााँ अक्षरांकीय
कुंजियों के ऊपर F1, F2, F12 से प्रदचशित की िाती हैं।

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 25


(iv) कसार कण्ट्रोल कुंजियााँ (Cursor Control Keys) इसके अन्तगात चार तीर के ननशान
िाली कुंजियााँ आती हैं िो चार रदशाओं (दाएाँ , बाएाँ , ऊपर, नीचे) को दशााती हैं। ये कुंजियााँ
अक्षरांकीय कुंजियों और अंकीय कुंजियों के मध्य उल्टे T आकार में व्यिस्थस्थत होती हैं ,
इनका प्रयोग कसार को ऊपर, नीचे, दाएाँ या बाएाँ ले िाने के जलए करते हैं। इन चारों कुंजियों
के अततररक्त चार कुंजियााँ और होती हैं, जिनका प्रयोग कसार को कण्ट्रोल करने के जलए
करते हैं।

ये कुंजियााँ ननम्न हैं

(a) होम (Home) इसका प्रयोग लाइन के प्रारम्भ में या डाक्यूमण्ट


े के प्रारम्भ में कसार को
िापस भेिने के जलए करते हैं।

(b) एण्ड (End) इसका प्रयोग कसार को लाइन के अन्त में भेिने केजलए करते हैं।

(c) पेि अप (Page Up) िब इस कुंिी को दबाया िाता है तो पेि का व्यू (View) एक
पेि ऊपर हो िाता है और कसार रपछले पेि पर चला िाता है।

(d) पेि डाउन (Page Down) िब ये कुंिी दबाई िाती है तो पेि का व्यू एक पेि नीचे हो
िाता है और कसार अगले पेि पर चला िाता है।

कीबोडा की अन्य कुंजियााँ

कुछ अन्य कुंजियााँ ननम्नजलखखत हैं

कण्ट्रोल कुंजियााँ (Control Keys-Ctrl) ये कुंजियााँ, अन्य कुंजियों के साथ भमलकर रकसी
विशेष काया को करने के जलए प्रयोग की िाती हैं। िैसे Ctrl + S डॉक्यूमेण्ट को सुरक्रक्षत
करने के जलए प्रयोग होती हैं।

एण्टर कुंिी (Enter Key) इसे कीबोडा की मुख्य कुंिी भी कहते हैं। इसका प्रयोग
उपयोगकताा द्वारा टाइप रकए गए ननदे श को कम्प्यूटर को भेिने के जलए रकया िाता है।
एण्टर कुंिी टाइप करने के बाद ननदे श कम्प्यूटर के पास िाता है और ननदे श के अनुसार
कम्प्यूटर आगे का काया करता है।

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 26


चशफ्ट कुंिी (Shift Keys) कीबोडा में कुछ कुंिी ऐसी होती हैं, जिनमें ऊपर-नीचे दो संकेत
छपे होते हैं। उनमें से ऊपर के संकेत को टाइप करने के जलए उसे चशफ्ट कुंिी के साथ दबाते
हैं। इसे कॉम्बीनेशन-की भी कहा िाता है।

एस्केप कुंिी (Escape Key) इसका प्रयोग रकसी भी काया को समाप्त करने या बीच में
रोकने के जलए करते हैं। यरद Ctrl Key दबाए हुए, एस्केप कुंिी दबाते हैं तो यह टाटा मेन्यू
(Start Menu) को खोलता हैं।

बैक स्पेस कुंिी (Back Space Keys) इसका प्रयोग टाइप रकए गए डेटा या सूचना को
समाप्त करने के जलए करते हैं। यह डेटा को दाएाँ से बाएाँ रदशा की ओर समाप्त करता है।

रडलीट कुंिी (Delete Keys) इस कुंिी का प्रयोग कम्प्यूटर की मेमोरी से सूचना और स्क्रीन
से अक्षर को समाप्त करने के जलए करते हैं। रकन्तु यरद इसे चशफ्ट की के साथ दबाते हैं तो
चुनी हुई फाइल कम्प्यूटर की मेमोरी से स्थायी रूप से समाप्त हो िाती हैं।

कैप्स लॉक कुंिी (Caps Lock Key) इसका प्रयोग िर्ामाला (Alphabet) को बड़े अक्षरों
(Capital letters) में टाइप करने के जलए करते हैं। िब ये की सक्रक्रय (Enable) होती है
तो बड़े अक्षर में टाइप होता हैं। यरद यह कुंिी ननस्थिय (Disable) होती है तो छोटे अक्षर
(Small Letter) में टाइप होता है।

स्पेसबार कुंिी (Spacebar Key) इसका प्रयोग दो शब्दों या अक्षरों के बीच स्पेस बनाने या
बढ़ाने के जलए रकया िाता है। यह कीबोडा की सबसे लम्बी कुंिी होती हैं।

नम लॉक की (Num Lock Key) इसका उपयोग सांख्यख्यक की-पैड (Numeric Key pad)
को सक्रक्रय या ननस्थिय करने के जलए रकया िाता है। यरद ये कुंिी सक्रक्रय होती है तो अंक
टाइप होता है और यरद ये कुंिी ननस्थिय होती है तो अंक टाइप नहीं होता हैं।

विण्डो कुंिी (Window Key) इसका प्रयोग टाटा मेन्यू को खोलने के जलए करते हैं।

टै ब कुंिी (Tab Key) इसका प्रयोग कसार को एक बार में पााँच स्थान आगे ले िाने के जलए
रकया िाता है। कसार को पुनः पााँच स्थान िापस लाने के जलए टै ब कुंिी को चशफ्ट कुंिी के
साथ दबाया िाता है। इसका प्रयोग पैराग्राफ इण्डेंट करने के जलए भी रकया िाता है।

चशफ्ट कुंिी (Shift Key) इस कुंिी (Key) को दस


ू री कुंजियों के साथ प्रयोग रकया िाता
है, इसजलए इसे संयोिन कुंिी (Combination) भी कहते हैं।

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 27


कैप्स लॉक (Caps Lock) और नम लॉक (Num Lock) को टोगल कुंिी (Toggle Keys)
कहते हैं क्योंरक िब ये दबाए िाते हैं तो इनकी अिस्थाएाँ (States) पररिततित होती रहती हैं।

QWERTY कीबोडा में कुल 104 कुंिी होती हैं।

2. प्वॉइस्ण्टिंग युक्तक्तयााँ (Pointing Devices)

प्वॉइस्ण्टग रडिाइसेि का प्रयोग मॉनीटर के स्क्रीन पर कसार या प्वॉइण्टर क एक स्थान-से-


दसू रे स्थान पर ले िाने के जलए रकया िाता है। कुछ मुख्य रूप से प्रयोग में आने िाली
प्वॉइक्तटिंग युक्तक्तयााँ; िैसे- माउस, रैकबॉल, िॉयस्टक, लाइट पेन और टच स्क्रीन आरद हैं।

(i) माउस (Mouse)

माउस एक प्रकार की प्वॉइस्ण्टग युक्तक्त है। इसका प्रयोग कसार (टे क्स्ट में आपकी पोजिशन
दशााने िाला ब्लिरकिंग प्वॉइण्ट) या प्वाइण्टर को एक स्थान-से-दस
ू रे स्थान पर ले िाने के
जलए करते हैं। इसके अततररक्त माउस का प्रयोग कम्प्यूटर में ग्रारफक्स (Graphics) की
सहायता कम्प्यूटर को ननदे श देने के जलए करते हैं।

माउस सामान्यतः तीन प्रकार के होते हैं।

(a) िायरलेस माउस (Wireless Mouse)

(b) मैकेननकल माउस (Mechanical Mouse)

(c) ऑखिकल माउस (Optical Mouse)

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 28


माउस के चार प्रमुख काया हैं

(a) क्लिक या लैफ्ट क्लिक (Click or Left Click) यह स्क्रीन पर रकसी एक Object को
चुनता है।

(b) डबल क्लिक (Double Click) इसका प्रयोग एक डॉक्यूमेण्ट या प्रोग्राम को खोलने के
जलए करते हैं।

(c) दायााँ क्लिक (RightClick) यह स्क्रीन पर आदे शों की एक सूची रदखाता है। दायााँ क्लिक
का प्रयोग रकसी चुने हुए Object के गुर् को एक्सेस (Access) करने के जलए करते हैं।

(d) ड्रैग और ड्रॉप (Drag and Drop) इसका प्रयोग रकसी Object को स्क्रीन पर एक स्थान
से दस
ू रे स्थान पर ले िाने के जलए करते हैं।

(ii) रैकबॉल (Trackball) रैकबॉल एक प्रकार की प्वॉइस्ण्टिंग रैकबॉल युक्तक्त है जिसे माउस
की तरह प्रयोग रकया िाता है। इसमें एक बॉल ऊपरी सतह पर होती है। इसका प्रयोग कसार
के मूिमेण्ट (Movement) को कण्ट्रोल करने के जलए रकया िाता है।

इसका प्रयोग ननम्नजलखखत कायों मे रकया िाता है।

(a) CAD िकाटे शनों (Computer Aided Design Workstations) में

(b) CAM िकाटे शनों (Computer Aided Manufacturing Workstations) में

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 29


(c) कम्प्यूटरीकृत िकाटे शनों (Computerised Workstations) िैसे रक एयर-रैरफक
कण्ट्रोल रूम (Air-traffic Control Room), रडार कण्ट्रोल्स (Radar Controls) में

(d) िहाि पर सोनार ति (Sonar System) में

(iii) Freiftech (Joystick)

िॉयस्टक एक प्रकार की प्वॉइस्ण्टग युक्तक्त होती है िो सभी रदशाओं में मूि करती है और
कसार के मूिमेण्ट को कण्ट्रोल करती है। िॉयस्टक का प्रयोग फ्लाइट जसम्युनेटर
(Flighsimulator), कम्प्यूटरगेभमिं ग,िॉयस्टकCAD/CAM जसटम में रकया िाता है। इसमें
एक हैण्डल (Handle) लगा होता है, जिसकी सहायता से कसार के मूिमेण्ट को कण्ट्रोल
करते हैं।

िॉयस्टक और माउस दोनों एक ही तरह से काया करते हैं रकन्तु दोनों में यह अन्तर है रक
कसार का मूिमेण्ट माउस के मूिमेण्ट पर ननभार करता है , िबरक िॉयस्टक में, प्वॉइण्टर
लगातार अपने रपछले प्वॉइस्ण्टग रदशा की ओर

नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे िो आपको ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 30


सेिक) के इन कम्पलीट नोट्स में पढ़ने को भमलेगा / यरद आपको हमारे नोट्स के
सैंपल अच्छे लगे हों तो कम्पलीट नोट्स खरीदने के जलए हमारे संपका नंबर पर कॉल करें ,
हमें पूर्ा विश्वास है रक ये नोट्स आपकी ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम सेिक) की परीक्षा
में पूर्ा संभि मदद करें गे , धन्यिाद /

संपका करें – 8233195718

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 31


अध्याय – 6

इण्टरनेट (Internet)
इण्टरनेट कम्युननकेशन का एक महत्वपूर्ा ि दक्ष माध्यम है , जिसने काफी लोकवप्रयता
अजिित की है। इण्टरनेट के माध्यम से लाखों व्यक्तक्त सूचनाओं, विचारों, ध्वनन, िीरडयो क्लिप्स
इत्यारद को कम्प्यूटरों के िररए पूरी दनु नया में एक-दस ू रे के साथ शेयर कर सकते हैं। यह
विभभन्न आकारों ि प्रकारों के नेटिकों से भमलकर बना होता है

इण्टरनेट (Internet)

इसका पूरा नाम इण्टरनेशनल नेटिका है जिसे िषा 1950 में वििं ट कफा ने शुरू रकया इन्हें
इण्टरनेट का रपता कहा िाता है। इण्टरनेट " नेटिकों " का नेटिका है, जिसमें लाखों ननिी
ि सािािननक लोकल से ग्लोबल स्कोप िाले नेटिका होते हैं। सामान्यतः, “नेटिका दो या दो
से अनधक कम्प्यूटर जसटमों को आपस में िोड़कर बनाया गया एक समूह है।"

इण्टरनेट का इततहास (History of Internet)

सन् 1969 में, लास एं िेल्स् (Los Angeles) में यूननिजसि टी ऑफ कैजलफोननिया (University
of California) तथा युननिजसि टी ऑफ यूटा (University of Utah) अरपानेट
(ARPANET- Advanced Research Projects Agency Network) की शुरुआत के रूप में
िुड़े। इस पररयोिना का मुख्य लक्ष्य विभभन्न विश्वविद्यालयों तथा अमेररकी रक्षा मंत्रालय के
कम्प्यूटरों को आपस में कनेक्ट करना था। यह दनु नया का पहला पैकेट न्धस्वचचिं ग नेटिका था।

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 32


मध्य 80 के दशक मे, एक और संघीय एिेंसी राष्ट्रीय विज्ञान फाउं टेशन (National
Science Foundation) ने एक नया उच्च क्षमता िाला नेटिका NSFnet बनाया िो
ARPANET से अनधक सक्षम था। NSFnet में केिलयही कमी थी रक यह अपने नेटिका पर
केिल शैक्रक्षक अनुसध
ं ान की ही अनुमतत दे ता था, रकसी भी प्रकार के ननिी व्यापार की
अनुमतत नहीं। इसी कारर् ननिी संगठनों, तथा लोगों ने अपने खुद के नेटिका का ननमाार्
करना शुरू कर रदया जिसने बाद में ARPANET तथा NSFnet से िुडकर इण्टरनेट का
ननमाार् रकया।

इण्टरनेट के लाभ (Advantages of Internet)

इण्टरनेट के लाभ ननम्नजलखखत है

(a) दस
ू रे व्यक्तक्तयों से आसानी से सम्पका बनाने की अनुमतत दे ता है।

(b) इसके माध्यम से दनु नया में कहीं भी, रकसी से भी सम्पका बनाया िा सकता है।

(c) इण्टरनेट पर डॉक्यूमेट को प्रकाचशत करने पर पेपर इत्यारद की बचत होती है।

(d) यह कम्पननयों के जलए कीमती संसाधन है। जिस पर िे व्यापार का विज्ञापन तथा लेन-
दे न भी कर सकते हैं।

(e) एक ही िानकारी को कई बार एक्सेस करने के बाद उसे पुनः सचा करने में कम समय
लगता है।

इण्टरनेट की हाननयााँ (Disadvantages of Internet)

इण्टरनेट की हाननयााँ ननम्नजलखखत हैं

(a) कम्प्यूटर में िायरस के जलए यह सिाानधक उत्तरदायी है।

(b) इण्टरनेट पर भेिे गए सन्दे शों को आसानी से चुराया िा सकता है।

(c) बहुत-सी िानकारी िााँची नहीं िाती। िह गलत या असंगत भी हो सकती है

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 33


(d) अनैस्थच्छक तथा अनुचचत डॉक्यूमेट/तत्व कभी-कभी गलत लोगों (आतंकिादी) द्वारा
इस्तेमाल कर जलए िाते हैं।

(e) साइबर धोखेबाि क्रेरडट/डेतबट काडा की समस्त िानकारी को चुराकर उसे गलत
तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं।

इण्टरनेट कनेक्शन्स (Internet Connections)

बैण्डविड्थ ि कीमत इन दो घटकों के आधार पर ही कौन से इण्टरनेट कनेक्शन को उपयोग


में लाना है यह सिाप्रथम ननण्डश्चत रकया िाता है।इण्टरनेट की गतत बैण्डविड्थ पर ननभार
करती है। इण्टरनेट एक्सेस के जलए कुछ इण्टरनेट कनेक्शन इस प्रकार है

1. डायल-अप कनेक्शन (Dial-up Connection

)डायल-अप पूिा उपस्थस्थत टे लीफोन लाइन की सहायता से इण्टरनेट से िुड़ने का एक


माध्यम है। िब भी उपोयोगकताा डायल-अप कनेक्शन को चलाता है , तो पहले मॉडम
इण्टरनेट सविि स प्रोिाइडर (ISP) का फोन नम्बर डायल करता है। जिसे डायल-अप कॉल्स
को प्राप्त करने के जलए तैयार रकया गया है ि रफर आई एस पी (ISP) कनेक्शन स्थारपत
करता है। जिसमें सामान्य रूप से दस सेकण्ट्ड्स लगते हैं। सामान्यतः शब्द ISP उन कम्पननयों
के जलए प्रयोग रकया िाता है। िो उपयोगकतााओ ं को इण्टरनेट कनेक्शन प्रदान करती
है।उदाहरर् के जलए, कुछ प्रजसद्ध ISP के नाम है- Airtel, MTNL, Vodafone आरद।

2. िॉडबैण्ड कनेक्शन (Broad Band Connection)

िॉडबैण्ड का इस्तेमाल हाई स्पीड इण्टरनेट एक्सेस के जलए सामान्य रूप से होता है। यह
इण्टरनेट से िुड़ने के जलए टे लीफोन लाइनों को प्रयोग करता है। िॉडबैण्ड उपयोगकताा को
डायल-अप कनेक्शन से तीव्र गतत पर इण्टरनेट से िुड़ने की सुविधा प्रदान करता है।
िॉडबैण्ड में विभभन्न प्रकार की हाई स्पीड संचरर् तकनीकें भी सन्धम्मजलत है , िो रक इस प्रकार

(a) रडजिटल सब्स्क्स्क्राइबर लाइन (DSL- Digital Subscriber Line)

यह एक लोकवप्रय िॉडबैण्ड कनेक्शन है, जिसमें इण्टरनेट एक्सेस रडजिटल डेटा को लोकल
टे लीफोन नेटिका के तारों (तााँबे के) द्वारा संचररत रकया िाता है। यह डायल सेिा की तरह,
रकन्तु उससे अनधक तेि गतत से काया करता है। इसके जलए DSL मॉडम की आिश्यकता
होती है, जिससे टे लीफोन लाइन तथा कम्प्यूटर को िोड़ा िाता है।

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 34


(b) केबल मॉडम (Cable Modem)

इसके अन्तगात केबल ऑपरे टसा कोएक्सीयल केबल के माध्यम से इण्टरनेट इत्यारद की
सुविधाएाँ भी प्रदान कर सकते हैं। इसकी रांसभमशन स्पीड 1.5 Mbps या इससेभी अनधक
हो सकती है।

(c) फाइबर ऑखिक (Fiber Optic)

फाइबर ऑखिक तकनीक िैद्युतीय संकेतों के रूप में उपस्थस्थत डेटा को प्रकाशीय रूप में
बदल उस प्रकाश को पारदशी ग्लास फाइबर, जिसका व्यास मनुष्य के बाल के लगभग
बराबर होता है, के िररए प्राप्तकताा तक भेिता है

(d) िॉडबैण्ड ऑिर पािर लाइन (Broad Band Over Power Line)

ननम्न तथा माध्यम िोल्टे ि के इलेक्ट्क्रक पािर रडस्ट्रीब्यूशन नेटिका पर बॉडबैण्ड कनेक्शन
की सविि स को िॉडबैण्ड ऑिर पॉिर लाइन कहते हैं , यह उन क्षेत्रों के जलए उपयुक्त है , िहााँ
पर पॉिर लाइन के अलािा कोई और माध्यम उपलब्ध नहीं है।उदाहरर्- ग्रामीर् क्षेत्र
इत्यारद।

3. िायरलेस कनेक्शन (Wireless Connection)

िायरलेस िॉडबैण्ड ग्राहक के स्थान और सविि स प्रोिाइडर के बीच रे रडयो जलिं क का प्रयोग
कर घर या व्यापर इत्यारद को इण्टरनेट से िोड़ता है। िायरलैस िॉडबैण्ड स्थस्थर या चलायमान
होता है। इसे केबल या मॉडम इत्यारद की आिश्यकता नहीं होती ि इसका प्रयोग हम रकसी
भी क्षेत्र में, िहााँ DSL ि केबल इत्यारद नहीं पहुाँच सकतें, कर सकते हैं।

(a) िायरलैस रफडेजलटी (Wireless Fidelity- WiFi)

यह एक सािातत्रक िायरलैस तकनीक है, जिसमें रे रडयो आिृजत्तयों को डेटारांसफर करने में
प्रयोग रकया िाता है। िाई-फाई केबल या तारों केतबना ही उच्च गतत से इण्टरनेट सेिा प्रदान

नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे िो आपको ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम
सेिक) के इन कम्पलीट नोट्स में पढ़ने को भमलेगा / यरद आपको हमारे नोट्स के
whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 35
सैंपल अच्छे लगे हों तो कम्पलीट नोट्स खरीदने के जलए हमारे संपका नंबर पर कॉल करें ,
हमें पूर्ा विश्वास है रक ये नोट्स आपकी ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम सेिक) की परीक्षा
में पूर्ा संभि मदद करें गे , धन्यिाद /

संपका करें – 8233195718

whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 36


whatsapp https://wa.link/cfvbjs Website https://bit.ly/rsmssb-vdo-notes 37

You might also like