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भाग 5 राजव्यवस्था जिला प्रशासन कंप्यूटर min
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ly/rsmssb-vdo-notes 1
राज्य, जिला तहसील और पंचायत स्तर पर रािस्थान में प्रशासननक ढांचा
1. राज्यपाल
2. मुख्यमंत्री और मंत्रीपररषद
3. विधानमंडल
4. उच्च न्यायालय
कम्प्यूटर
8. सॉफ्टिेयर के प्रकार
9. वििं डोि के प्रकार इत्यारद /
राज्यपाल
(अनुच्छेद 153)
भारतीय संविधान के भाग 6 में राज्य शासन के जलए प्रािधान रकया गया है ।यह
प्रािधान पहले िम्मू-कश्मीर को छोड़कर सभी राज्यों के जलए लागू होता था लेरकन
अब सभी राज्यों के जलए लागू होता है।
राज्य की कायापाजलका का प्रमुख "राज्यपाल" होता है िह प्रत्यक्ष रूप से अथिा
अधीनस्थ अनधकाररयों के माध्यम से इसका उपयोग करता है अथाात राज्यों में
राज्यपालकी स्थस्थतत कायापाजलका के प्रधान की होती है परं तु िास्तविक शक्तक्त मुख्यमंत्री
के नेतत्व
ृ में मंतत्रपररषद में ननरहत होती है
राज्य में राज्यपालका उसी प्रकार से स्थान है जिस प्रकार से देश में राष्ट्रपतत का
(कुछमामलोंकोछोड़कर)।
मूल संविधान में अनुच्छेद 153 में यह जलखखत रकया गया था रक प्रत्येक राज्य के जलए
एक राज्यपाल होगा लेरकन 7 िें संविधान संशोधन (1956) द्वारा इसमें एक अन्य
प्रािधान िोड़ रदया गया जिसके अनुसार एक ही व्यक्तक्त दो या दो से अनधक राज्यों
के जलए भी राज्यपाल ननयुक्त रकया िा सकता है।
योग्यताएं -
● राज्यपाल की अिनध के दौरान उसके विरुद्ध रकसी भी न्यायालय में रकसी प्रकार की
आपरानधक कायािाही प्रारं भ नहीं की िासकती।
● राज्यपाल का पदग्रहर् करने से पूिा या पश्चात उसके द्वारा रकए गए काया के संबंध में
जसविल करने से पहले उसे 2 माह पूिा सूचना दे नी पड़ती है।
1. कायापाजलका संबध
ं ी काया -
● राज्य के समस्त कायापाजलका काया राज्य के नाम से ही रकए िाते हैं अथाात राज्यपाल
राज्यपाल काया पाजलका का नाममात्र का प्रमुख होता है।
2. विधायी शक्तक्तयां -
राज्यपाल विधान मंडल का अभभन्न अंग होता है अतः राज्यपाल राज्य विधान मंडल का
सत्र आहूत करता है ।सत्रािसान करता है ।तथा उसका विघठन भी करता है।
राज्यपाल विधान सभा के अनधिेशन तथा दोनों सदनों के संयुक्त अनधिेशन को संबोनधत
करता है
राज्य विधान सभा के रकसी भी सदस्य पर अयोग्यता का प्रश्न उत्पन्न होता है तो योग्यता
संबंधी वििाद का ननधाारर् राज्यपाल चुनाि आयोग के परामशा से करता है।
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राज्य विधानमंडल द्वारा पाररत विधेयक राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद ही अनधननयम बन
सकता है।
यरद विधान सभा में आंग्ल भारतीय समुदाय को पयााप्त प्रततनननधत्वन हीं भमलता तो
राज्यपाल उस समुदाय के एकव्यक्तक्त को विधानसभा का सदस्य मनोनीत करता है
(अनुच्छेद 333 )
विधानमंडल का सत्र नहीं चल रहा होता है उस समय राज्यपाल अध्यादे श िारी करता है
जिस का कायाकाल 6 सप्ताहत क होता है।
राज्यपाल धन विधेयक के अततररक्त रकसी विधेयक को पुनविि चार के जलए राज्य विधान
मंडल के पास भेिता है परं तु राज्य विधानमंडल द्वारा इसे दोबारा पाररत रकए िाने पर िह
उसपर अपनी सहमतत दे ने के जलए बाध्य होता है ।राष्ट्रपतत के जलए आरक्रक्षत विधायक
िब राष्ट्रपतत के ननदे श पर पुनविि चार के जलए विधान मंडल को लौटा दे ऐसे लौटाए िाने
पर विधानमंडल 6 माह के भीतर उस पर पुनविि चार करे गा और यरद उसे पुनः पाररत रकया
िाता है तो विधेयक राष्ट्रपतत को पुनः प्रस्तुत रकया िाएगा ।रकिंतु इस पर भी राष्ट्रपतत के
जलए अनुमतत दे ना अननिाया नहीं है। (अनुच्छेद 201)
राज्यपाल रकसी विधेयक को राष्ट्रपतत के विचार के जलए आरक्रक्षत रख सकता है ।यह
आरक्रक्षत विधायक तभी प्रभािी होगा िब राष्ट्रपतत उसे अनुमतत प्रदान करदें ।राज्यपाल
को राष्ट्रपतत के जलए विधायक आरक्रक्षत करना उस समय अननिाया है िब विधेयक उच्च
न्यायालय की शक्तक्तयों का अल्पीकरर् करता है जिससे यरद विधेयक विनध बन िाएगा
तो उच्च न्यायालय की संिैधाननक स्थस्थतत को खतरा होगा।
3. वित्तीय अनधकार –
राज्यपाल प्रत्येक वित्तीय िषा में वित्त मंत्री को विधानमंडल के सम्मुख िावषि क वित्तीय वििरर्
प्रस्तुत करने के जलए कहता है।
विधान सभा में धन विधेयक राज्यपाल की अनुमतत से ही पेश रकया िा सकता है।
राज्यपाल की संस्तुतत के तबना अनुदान की रकसी मांग को विधानमंडल के सम्मुख नहीं
रखा िा सकता।
नोट –राज्य वित्त आयोग रकसी राज्य के राज्यपाल को उस विशेष राज्य की पंचायतों द्वारा
विननयोजित हो सकने िाले करों और शुल्कों के ननधाारर् के जसद्धांतों के विषय में संस्तुतत
करता है।
4. न्यानयक अनधकार –
नोट -राष्ट्रपतत को सभी प्रकार के मृत्युदंड आदे श के मामले में क्षमादान की शक्तक्त प्राप्त
है िबरक राज्यपाल को मृत्युदंड आदे श के मामले में ऐसी शक्तक्त प्राप्त नहीं है ।इसी प्रकार
राष्ट्रपतत को सेना न्यायालय (कोटा -माशाल) के दं डा दे श के मामले में क्षमा दान की
शक्तक्त प्राप्त है िबरक राज्यपाल को ऐसी शक्तक्त प्राप्त नहीं है।
5. आपातकालीन शक्तक्तयां -
● रािस्थान राज्य की प्रथम मरहला राज्यपाल श्रीमती प्रततभा पावटल बनी ।श्रीमती
प्रभाराि रािस्थान राज्य की दस
ू री मरहला राज्यपाल तथा श्रीमती मागेट आल्वा
रािस्थान की तीसरी मरहला राज्यपाल थी।
● राज्यपाल डॉ संपूर्ाानंद के काया काल में राज्य में पहली बार 13 माचा 1967 से 26 अप्रैल
1967 तक राष्ट्रपतत शासन लागू हुआ था।
1. दरबारजसिं ह
2. ननमालचंद्रिैन
3. शैलेंद्रकुमार
4. प्रभाराि।नोट – श्रीमती प्रभाराि की अपने पद पर रहते हुए मृत्यु हुई िें इस प्रकार की
रािस्थान की प्रथम मरहला राज्यपाल थी ।
● रािस्थान राज्य के कल्यार् जसिं ह 20 िें पूर्ा काजलक राज्यपाल थे और ितामान में
कलरािभमश्र 21 िें (लेरकन कुल 44 िें ) राज्यपाल है ।
● रािस्थान के राज्यपालका ग्रीष्मकालीन प्रिास माउं टआबू रािस्थान में स्थस्थत रािभिन
में होता है यह भिन 1868 में भारत के गिनार िनरल के ए. िी. िी. केरे जिडेंस के तौर पर
बनाया गया था ।
1.
नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे िो आपको ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम
सेिक) के इन कम्पलीट नोट्स में पढ़ने को भमलेगा / यरद आपको हमारे नोट्स के
सैंपल अच्छे लगे हों तो कम्पलीट नोट्स खरीदने के जलए हमारे संपका नंबर पर कॉल करें ,
हमें पूर्ा विश्वास है रक ये नोट्स आपकी ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम सेिक) की परीक्षा
में पूर्ा संभि मदद करें गे , धन्यिाद /
विधानमंडल
विधान सभा या िैधाननक सभा को रद्वसदनीय राज्यों में ननचला सदन और एक सदनीय
राज्यों में सोलहा उस कहा िाता है ।
रदल्ली ि पुडुचेरी नामक दो केंद्रशाजसत राज्यों में भी इसी नामका प्रयोग ननचले सदन के
जलए रकया िाता है ।
7 रद्व सदनीय राज्यों में ऊपरी सदन को विधान पररषद कहा िाता है ।
विधानसभा के सदस्य राज्यों के लोगों के प्रत्यक्ष प्रततनननध होते हैं क्योंरक उन्हें रकसी एक
राज्य के 18 िषा से अनधक आयु िगा के नागररकों द्वारा सीधे तौर पर चुना िाता है।
इसके अनधकतम आकार को भारत के संविधान के द्वारा ननधााररत रकया गया है जिसमें 500
से अनधक ि 60 से कम सदस्य नहीं हो सकते।
हालााँरक अपिाद के तौर पर गोिा, जसक्किम, भमिोरम और केंद्रशाजसत प्रदे श पुडुचेरी
विधानसभा का आकार 60 सदस्यों से कम का है ।
प्रत्येक विधानसभा का कायाकाल पांच िषों का होता है जिसके बाद पुनः चुनाि होता है।
आपात काल के दौरान, इस के सत्र को बढ़ाया िा सकता है या इसे भंग रकया िा सकता
है ।
विधान सभा का सत्र आपातकाल के दौरान बढ़ाया िा सकता है लेरकन एक समय में केिल
छ: महीनों के जलए ।
विधानसभा को बहुमत प्राप्त या गठबंधन सरकार के खखलाफ अविश्वास प्रस्ताि पाररत हो
िाने पर भी भंग रकया िा सकता है ।
विधानसभा को भी राज्यसभा ि विधानपररषद के सामान ही कानूनी ताकतें होती हैं ।
विधानसभा का सदस्य बनने के जलए , व्यक्तक्त को भारत का नागररक होना आिश्यक है, िह
25 िषा की आयु पूर्ा कर चुका हो ।
िह मानजसक रूप से ठीक िदी िाजलया न हो।
उसको अपने ऊपर कोई भी आपरानधक मुकदमा न होने का प्रमार् पत्र भी दे ना होता है ।
सरकार के खखलाफ अविश्वास प्रस्ताि केिल विधान सभा में पाररत रकया िा सकता है ।
मनीतबल को केिल विधानसभा में लाया िा सकता है ।
रद्व सदनीय प्रर्ाजलयों में विधानसभा से पास हो िाने के बाद इसे विधान पररषद्के पास
भेिा िाता है िहााँ इसे अनधकतम 14 रदनों के जलए रखा िा सकता है ।
साधारर् तबलों में विधानसभा का ही मत चलता है और यहााँ संयुक्त बैठकका भी कोई
प्रािधान नहीं होता ।
इस तरह के मामलों में, विधान पररष रद्वधानसभा को केिल 4 महीनों (तबल लाने पर पहली
बार 3 महीनों के जलया ि दस ू री बार 1 महीने के जलए ) स्थनगत रकया िा सकता है ।
रािस्थान विधानसभा
नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे िो आपको ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम
सेिक) के इन कम्पलीट नोट्स में पढ़ने को भमलेगा / यरद आपको हमारे नोट्स के
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उच्च न्यायालय
भारत में कुल 24 उच्च न्यायालय है जिनका अनधकार क्षेत्र कोई राज्य विशेष या राज्यों और
केन्द्रशाजसत प्रदे शों के एक समूह होता हैं ।
ितामान समय में पंिाब तथा हररयार्ा के जलए एक ही उच्च न्यायालय है और असम,
नागालैण्ड, मेघालय, मचर्पुर, तत्रपुरा, भमिोरम तथा अरुर्ाचल प्रदे श के जलए एक उच्च
न्यायालय है ।
मुम्बई उच्च न्यायालय का क्षेत्रानधकार महाराष्ट्र और गोिा राज्यों तथा दमन और दीि एिं
दादरा और नागर हिेली संघ राज्य क्षेत्रों पर है ।
इसी प्रकार कलकत्ता उच्च न्यायालय का क्षेत्रानधकार अण्डमान तथा ननकोबार द्वीपसमूह,
मद्रास उच्च न्यायालय का क्षेत्रानधकार पाण्डण्डचेरी तथा केरल उच्च न्यायालय का क्षेत्रानधकार
लक्षद्वीप संघराज्य क्षेत्र पर है ।
सात संघशाजसत राज्यों में से केिल रदल्ली ही एक ऐसा संघ राज्य क्षेत्र है , जिसका अपना
उच्च न्यायालय है ।
उच्च न्यायालय भारतीय संविधान के अनुच्छेद 214, अध्याय 5 िभाग 6 के अंतगात स्थारपत
रकए गए हैं ।न्यानयक प्रर्ाली के भाग के रूप में, उच्च न्यायालय राज्य विधानयकाओं और
अनधकारी के संस्था से स्वतंत्र हैं ।
उच्च न्यायालय, जिला न्यायालय के साथ, िो उनके अधीनस्थ होते है, राज्य के प्रमुख
दीिानी न्यायालय होते हैं ।
उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की ननयुक्तक्त भारत के राष्ट्रपतत द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश
और संबन्धित राज्य के राज्यपाल के साथ परामशा के साथ होती हैं ।
इसके अलािा, राष्ट्रपतत परामशा के तबना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हस्तांतरर् के
अनधकार का प्रयोग कर सकते हैं।
गठन -
प्रत्येक उच्च न्यायालय का गठन एक मुख्य न्यायाधीश तथा ऐसे अन्य न्यायाधीशों को
भमलाकर रकया िाता है ,जिन्हें राष्ट्रपतत समय-समय पर ननयुक्त करे ।
अनुच्छेद 217 के अनुसार कोई व्यक्तक्त रकसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश ननयुक्त होने
के योग्य तब होगा , िब िह
भारत का नागररक हो और 62 िषा की आयु पूरी न की हो ।
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सहायक कलेक्टर : रािस्व प्रशासन में सहायक कलेक्टर का पद पूर्ा रूप से न्यानयक
कायो के ननष्पादन हेतु बनाया गया है ! इसका मुख्य काया रािस्व प्रकरर्ों को सुनना,
ननचर्ि त करने के जलए शुद्र रूप से अदालती काया करना है ! सहायक कलेक्टर िररष्ठ अदालत
के रूप में काया करता है !
उपखण्ड अनधकारी : जिला अनेक उपजिलो में बंटा होता है ! उप जिले के मुखखया को
एस. डी. ओं. अथिा उपजिलाधीश कहते है ! यह एस. डी ओं. जिला और तहशील प्रशासन
के मध्य महत्वपूर्ा कड़ी होता है ! इसका प्रमुख काया तहसीलों का ननररक्षर् करना होता है !
प्रत्येक उप जिलाधीश के पास प्राय : एक या दो तहसील अधीन होती है और उपखण्ड
अनधकारी इनके सफल प्रशासन के जलए िह जिलाधीश के प्रतत उत्तरदायी होता है !
तहसीलदार के ननर्ाय के विरुद्ध उपजिलाधीश के यहााँ अपील की िा सकती है !
जिला कलेक्टर :
जिला अनधकाररयो में सिाानधक शक्तक्तशाली पद जिलाधीश या कलेक्टर का है ! उसे जिले
का शीषस्थ अनधकारी माना िाता है ! उसे जिले में विकास का प्रततक माना िाता है ! िह
जिले में बहुमुखी गततविनधयों का संचालन करता है !
मोयाकाल में कलेक्टर को रािूका, मुगलकाल में मनसबदार या फोिदार तथा अंग्रेिो ने
जिला ननरीक्षक कहना प्रारम्भ रकया ! 1772 में िारे न हेस्टिंग्स ने सिाप्रथम जिला ननररक्षर्
के स्थान पर कलेक्टर के पद का प्रारम्भ रकया तथा 1781 में फोिदार का पद समाप्त कार
उसका कायाभार कलेक्टर को सोंप रदये ! 1812 में होल्ड मेकेंिी ने तथा 1833 में विजलयम
बेवटक ने कलेक्टर को काफी शक्तक्तशाली बना रदया !
स्वतंत्रता प्राण्डप्त के पश्चात् कलेक्टर के पद के महत्व तथा स्थस्थतत में महत्वपूर्ा पररितान आया
है ! लोकतास्िक शासन व्यिस्था में कलेक्टर िनता का सेिक बन गया है ! ऐसी स्थस्थतत में
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कलेक्टर के कायो की प्राथभमकताओं को पूर्ारूपेर् बदल गई है ! पहले भू – रािस्व प्रबिन,
कानून और व्यिस्था की स्थापना करना उसका प्रमुख काया था रकन्तु अब उसके जलए िन
कल्यार् तथा विकास से सम्बन्धित काया महत्वपूर्ा बन गए है !
मुख्य काया : -
1. रािस्व एक्रतत्रत करना
2. भूभम सुधार
3. कानून व्यिस्था की स्थापना
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पंचायती राि
स्थानीय शासन 'महात्मा गााँधी' की संकल्पना राम राज्य या ग्राम स्वराज्य का पररष्कृत
रूप है। गााँधीिी की इस संकल्पना को फलीभूत करने के जलए भारतीय संविधान के
अनुच्छेद 40 में राज्य सरकार को ननदे श रदए गए थे, िो 1993 में 73िें संविधान संशोधन
के पररर्ामस्वरूप सम्भि हुआ।
73िें एिं 74िें संविधान संशोधन 1993 के तहत स्थानीय शासन भारतीय पररसंघीय
व्यिस्था में तीसरे स्तर की सरकार को सामने ला खड़ा रकया।
िषा 1956 में गरठत बलिन्त राय मेहता सभमतत ने सिाप्रथम पंचायती राि को स्थारपत
करने की जसफाररश की जिसे स्वीकार कर जलया गया साथ ही सभी राज्यों को इसे
क्रक्रयास्ित करने के जलए कहा गया।
सिाप्रथम रािस्थान के नागौर जिले में 2 अक्टू बर 1959 को पण्डण्डत ििाहर लाल नेहरू ने
पंचायती राि की नींि रखी और उसी रदन इसे सम्पूर्ा राज्य (रािस्थान) में लागू कर
रदया गया।
रकन्तु िााँभछत सफलता प्राण्डप्त में कमी ने इस पर गम्भीरता से विचार करने के जलए
मिबूर रकया। अनेक सभमततयों का गठन रकया गया, जिन्होंने अपनी जसफाररशों से
पंचायती राि को मिबूती प्रदान की।
िषा, 1989 में तत्कालीन प्रधानमिी श्री रािीि गााँधी ने पंचायतों के सुधार ि
सशक्तक्तकरर् में विशेष रुचच ली तथा एल. एम. जसिं घिी सभमतत और थुमन सभमतत की
जसफाररशों के आधार पर लोकसभा में 64िााँ संविधान संशोधन विधेयक प्रस्तुत रकया।
जिसे लोकसभा द्वारा पाररत कर रदया गया लेरकन राज्यसभा द्वारा अस्वीकार कर रदए
िाने के कारर् विधेयक समाप्त हो गया।
तत्पश्चात्, िषा 1992 में पंचायत सम्बिी प्रािधान के जलए प्रधानमिी पी. िी. नरजसम्हा
राि द्वारा 73िााँ संविधान संशोधन विधेयक संसद में लाया गया, जिसे लोकसभा एिं
राज्यसभा ने क्रमश: 22 एिं 23 रदसम्बर, 1992 को पाररत कर रदया।
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इनपुट डेटा को प्रोसेस करने के बाद, कम्प्यूटर आउटपुट युक्तक्तयों के द्वारा प्रयोगकताा को
आउटपुट प्रदान करता है। कम्प्यूटर मशीन से िुडी हुई सभी इनपुट-आउटपुट यूक्तक्तयों को
पेरीफेरल युक्तक्तयााँ भी कहते हैं।
िे युक्तक्तयााँ, जिनका प्रयोग उपयोगकताा के द्वारा कम्प्यूटर को डेटा और ननदे श प्रदान करने
के जलए रकया िाता है , इनपुट युक्तक्तयााँ कहलाती हैं। इनपुट युक्तक्तयााँ उपयोगकताा से इनपुट
लेने के बाद इसे मशीनी भाषा (Machine Language) में पररिततित करती हैं और इस
पररिततित मशीनी भाषा को सीपीयू के पास भेि दे ती हैं।
1. कीबोडा (Keyboard)
(i) अक्षरांकीय कुंजियााँ (Alphanumeric Keys) इसके अंतगात अक्षर कुंजियााँ (A, B......,
a, b, c,....., z) और अंकीय कुंजियााँ (0, 1, 2,9) आती हैं।
| (ii) अंकीय कुाँजियााँ (Numeric Keys) ये कुंजियााँ कीबोडा पर दाएाँ तरफ होती हैं। ये
कुंजियााँ अंको (0, 1, 2, 9) और गचर्तीय ऑपरे टरों (Mathematical operators) से
भमलकर बनी होती है।
(iii) फंक्शन कुंजियााँ (Function Keys) इन्हें प्रोग्रामेबल कुंजियााँ भी कहते हैं। इनके द्वारा
कंयूटर से कुछ विचशष्ट काया करिाने के जलए ननदे श रदया िाता है। ये कुंजियााँ अक्षरांकीय
कुंजियों के ऊपर F1, F2, F12 से प्रदचशित की िाती हैं।
(b) एण्ड (End) इसका प्रयोग कसार को लाइन के अन्त में भेिने केजलए करते हैं।
(c) पेि अप (Page Up) िब इस कुंिी को दबाया िाता है तो पेि का व्यू (View) एक
पेि ऊपर हो िाता है और कसार रपछले पेि पर चला िाता है।
(d) पेि डाउन (Page Down) िब ये कुंिी दबाई िाती है तो पेि का व्यू एक पेि नीचे हो
िाता है और कसार अगले पेि पर चला िाता है।
कण्ट्रोल कुंजियााँ (Control Keys-Ctrl) ये कुंजियााँ, अन्य कुंजियों के साथ भमलकर रकसी
विशेष काया को करने के जलए प्रयोग की िाती हैं। िैसे Ctrl + S डॉक्यूमेण्ट को सुरक्रक्षत
करने के जलए प्रयोग होती हैं।
एण्टर कुंिी (Enter Key) इसे कीबोडा की मुख्य कुंिी भी कहते हैं। इसका प्रयोग
उपयोगकताा द्वारा टाइप रकए गए ननदे श को कम्प्यूटर को भेिने के जलए रकया िाता है।
एण्टर कुंिी टाइप करने के बाद ननदे श कम्प्यूटर के पास िाता है और ननदे श के अनुसार
कम्प्यूटर आगे का काया करता है।
एस्केप कुंिी (Escape Key) इसका प्रयोग रकसी भी काया को समाप्त करने या बीच में
रोकने के जलए करते हैं। यरद Ctrl Key दबाए हुए, एस्केप कुंिी दबाते हैं तो यह टाटा मेन्यू
(Start Menu) को खोलता हैं।
बैक स्पेस कुंिी (Back Space Keys) इसका प्रयोग टाइप रकए गए डेटा या सूचना को
समाप्त करने के जलए करते हैं। यह डेटा को दाएाँ से बाएाँ रदशा की ओर समाप्त करता है।
रडलीट कुंिी (Delete Keys) इस कुंिी का प्रयोग कम्प्यूटर की मेमोरी से सूचना और स्क्रीन
से अक्षर को समाप्त करने के जलए करते हैं। रकन्तु यरद इसे चशफ्ट की के साथ दबाते हैं तो
चुनी हुई फाइल कम्प्यूटर की मेमोरी से स्थायी रूप से समाप्त हो िाती हैं।
कैप्स लॉक कुंिी (Caps Lock Key) इसका प्रयोग िर्ामाला (Alphabet) को बड़े अक्षरों
(Capital letters) में टाइप करने के जलए करते हैं। िब ये की सक्रक्रय (Enable) होती है
तो बड़े अक्षर में टाइप होता हैं। यरद यह कुंिी ननस्थिय (Disable) होती है तो छोटे अक्षर
(Small Letter) में टाइप होता है।
स्पेसबार कुंिी (Spacebar Key) इसका प्रयोग दो शब्दों या अक्षरों के बीच स्पेस बनाने या
बढ़ाने के जलए रकया िाता है। यह कीबोडा की सबसे लम्बी कुंिी होती हैं।
नम लॉक की (Num Lock Key) इसका उपयोग सांख्यख्यक की-पैड (Numeric Key pad)
को सक्रक्रय या ननस्थिय करने के जलए रकया िाता है। यरद ये कुंिी सक्रक्रय होती है तो अंक
टाइप होता है और यरद ये कुंिी ननस्थिय होती है तो अंक टाइप नहीं होता हैं।
विण्डो कुंिी (Window Key) इसका प्रयोग टाटा मेन्यू को खोलने के जलए करते हैं।
टै ब कुंिी (Tab Key) इसका प्रयोग कसार को एक बार में पााँच स्थान आगे ले िाने के जलए
रकया िाता है। कसार को पुनः पााँच स्थान िापस लाने के जलए टै ब कुंिी को चशफ्ट कुंिी के
साथ दबाया िाता है। इसका प्रयोग पैराग्राफ इण्डेंट करने के जलए भी रकया िाता है।
माउस एक प्रकार की प्वॉइस्ण्टग युक्तक्त है। इसका प्रयोग कसार (टे क्स्ट में आपकी पोजिशन
दशााने िाला ब्लिरकिंग प्वॉइण्ट) या प्वाइण्टर को एक स्थान-से-दस
ू रे स्थान पर ले िाने के
जलए करते हैं। इसके अततररक्त माउस का प्रयोग कम्प्यूटर में ग्रारफक्स (Graphics) की
सहायता कम्प्यूटर को ननदे श देने के जलए करते हैं।
(a) क्लिक या लैफ्ट क्लिक (Click or Left Click) यह स्क्रीन पर रकसी एक Object को
चुनता है।
(b) डबल क्लिक (Double Click) इसका प्रयोग एक डॉक्यूमेण्ट या प्रोग्राम को खोलने के
जलए करते हैं।
(c) दायााँ क्लिक (RightClick) यह स्क्रीन पर आदे शों की एक सूची रदखाता है। दायााँ क्लिक
का प्रयोग रकसी चुने हुए Object के गुर् को एक्सेस (Access) करने के जलए करते हैं।
(d) ड्रैग और ड्रॉप (Drag and Drop) इसका प्रयोग रकसी Object को स्क्रीन पर एक स्थान
से दस
ू रे स्थान पर ले िाने के जलए करते हैं।
(ii) रैकबॉल (Trackball) रैकबॉल एक प्रकार की प्वॉइस्ण्टिंग रैकबॉल युक्तक्त है जिसे माउस
की तरह प्रयोग रकया िाता है। इसमें एक बॉल ऊपरी सतह पर होती है। इसका प्रयोग कसार
के मूिमेण्ट (Movement) को कण्ट्रोल करने के जलए रकया िाता है।
िॉयस्टक एक प्रकार की प्वॉइस्ण्टग युक्तक्त होती है िो सभी रदशाओं में मूि करती है और
कसार के मूिमेण्ट को कण्ट्रोल करती है। िॉयस्टक का प्रयोग फ्लाइट जसम्युनेटर
(Flighsimulator), कम्प्यूटरगेभमिं ग,िॉयस्टकCAD/CAM जसटम में रकया िाता है। इसमें
एक हैण्डल (Handle) लगा होता है, जिसकी सहायता से कसार के मूिमेण्ट को कण्ट्रोल
करते हैं।
िॉयस्टक और माउस दोनों एक ही तरह से काया करते हैं रकन्तु दोनों में यह अन्तर है रक
कसार का मूिमेण्ट माउस के मूिमेण्ट पर ननभार करता है , िबरक िॉयस्टक में, प्वॉइण्टर
लगातार अपने रपछले प्वॉइस्ण्टग रदशा की ओर
नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
इसमें अभी और भी कंटें ट पढ़ना बाकी हे िो आपको ग्राम विकास अनधकारी (ग्राम
इण्टरनेट (Internet)
इण्टरनेट कम्युननकेशन का एक महत्वपूर्ा ि दक्ष माध्यम है , जिसने काफी लोकवप्रयता
अजिित की है। इण्टरनेट के माध्यम से लाखों व्यक्तक्त सूचनाओं, विचारों, ध्वनन, िीरडयो क्लिप्स
इत्यारद को कम्प्यूटरों के िररए पूरी दनु नया में एक-दस ू रे के साथ शेयर कर सकते हैं। यह
विभभन्न आकारों ि प्रकारों के नेटिकों से भमलकर बना होता है
इण्टरनेट (Internet)
इसका पूरा नाम इण्टरनेशनल नेटिका है जिसे िषा 1950 में वििं ट कफा ने शुरू रकया इन्हें
इण्टरनेट का रपता कहा िाता है। इण्टरनेट " नेटिकों " का नेटिका है, जिसमें लाखों ननिी
ि सािािननक लोकल से ग्लोबल स्कोप िाले नेटिका होते हैं। सामान्यतः, “नेटिका दो या दो
से अनधक कम्प्यूटर जसटमों को आपस में िोड़कर बनाया गया एक समूह है।"
सन् 1969 में, लास एं िेल्स् (Los Angeles) में यूननिजसि टी ऑफ कैजलफोननिया (University
of California) तथा युननिजसि टी ऑफ यूटा (University of Utah) अरपानेट
(ARPANET- Advanced Research Projects Agency Network) की शुरुआत के रूप में
िुड़े। इस पररयोिना का मुख्य लक्ष्य विभभन्न विश्वविद्यालयों तथा अमेररकी रक्षा मंत्रालय के
कम्प्यूटरों को आपस में कनेक्ट करना था। यह दनु नया का पहला पैकेट न्धस्वचचिं ग नेटिका था।
(a) दस
ू रे व्यक्तक्तयों से आसानी से सम्पका बनाने की अनुमतत दे ता है।
(b) इसके माध्यम से दनु नया में कहीं भी, रकसी से भी सम्पका बनाया िा सकता है।
(c) इण्टरनेट पर डॉक्यूमेट को प्रकाचशत करने पर पेपर इत्यारद की बचत होती है।
(d) यह कम्पननयों के जलए कीमती संसाधन है। जिस पर िे व्यापार का विज्ञापन तथा लेन-
दे न भी कर सकते हैं।
(e) एक ही िानकारी को कई बार एक्सेस करने के बाद उसे पुनः सचा करने में कम समय
लगता है।
(e) साइबर धोखेबाि क्रेरडट/डेतबट काडा की समस्त िानकारी को चुराकर उसे गलत
तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं।
िॉडबैण्ड का इस्तेमाल हाई स्पीड इण्टरनेट एक्सेस के जलए सामान्य रूप से होता है। यह
इण्टरनेट से िुड़ने के जलए टे लीफोन लाइनों को प्रयोग करता है। िॉडबैण्ड उपयोगकताा को
डायल-अप कनेक्शन से तीव्र गतत पर इण्टरनेट से िुड़ने की सुविधा प्रदान करता है।
िॉडबैण्ड में विभभन्न प्रकार की हाई स्पीड संचरर् तकनीकें भी सन्धम्मजलत है , िो रक इस प्रकार
यह एक लोकवप्रय िॉडबैण्ड कनेक्शन है, जिसमें इण्टरनेट एक्सेस रडजिटल डेटा को लोकल
टे लीफोन नेटिका के तारों (तााँबे के) द्वारा संचररत रकया िाता है। यह डायल सेिा की तरह,
रकन्तु उससे अनधक तेि गतत से काया करता है। इसके जलए DSL मॉडम की आिश्यकता
होती है, जिससे टे लीफोन लाइन तथा कम्प्यूटर को िोड़ा िाता है।
इसके अन्तगात केबल ऑपरे टसा कोएक्सीयल केबल के माध्यम से इण्टरनेट इत्यारद की
सुविधाएाँ भी प्रदान कर सकते हैं। इसकी रांसभमशन स्पीड 1.5 Mbps या इससेभी अनधक
हो सकती है।
फाइबर ऑखिक तकनीक िैद्युतीय संकेतों के रूप में उपस्थस्थत डेटा को प्रकाशीय रूप में
बदल उस प्रकाश को पारदशी ग्लास फाइबर, जिसका व्यास मनुष्य के बाल के लगभग
बराबर होता है, के िररए प्राप्तकताा तक भेिता है
(d) िॉडबैण्ड ऑिर पािर लाइन (Broad Band Over Power Line)
ननम्न तथा माध्यम िोल्टे ि के इलेक्ट्क्रक पािर रडस्ट्रीब्यूशन नेटिका पर बॉडबैण्ड कनेक्शन
की सविि स को िॉडबैण्ड ऑिर पॉिर लाइन कहते हैं , यह उन क्षेत्रों के जलए उपयुक्त है , िहााँ
पर पॉिर लाइन के अलािा कोई और माध्यम उपलब्ध नहीं है।उदाहरर्- ग्रामीर् क्षेत्र
इत्यारद।
िायरलेस िॉडबैण्ड ग्राहक के स्थान और सविि स प्रोिाइडर के बीच रे रडयो जलिं क का प्रयोग
कर घर या व्यापर इत्यारद को इण्टरनेट से िोड़ता है। िायरलैस िॉडबैण्ड स्थस्थर या चलायमान
होता है। इसे केबल या मॉडम इत्यारद की आिश्यकता नहीं होती ि इसका प्रयोग हम रकसी
भी क्षेत्र में, िहााँ DSL ि केबल इत्यारद नहीं पहुाँच सकतें, कर सकते हैं।
यह एक सािातत्रक िायरलैस तकनीक है, जिसमें रे रडयो आिृजत्तयों को डेटारांसफर करने में
प्रयोग रकया िाता है। िाई-फाई केबल या तारों केतबना ही उच्च गतत से इण्टरनेट सेिा प्रदान
नोट – वप्रय पाठकों , यह अध्याय अभी यही समाप्त नही हुआ है यह एक सैंपल मात्र है /
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सेिक) के इन कम्पलीट नोट्स में पढ़ने को भमलेगा / यरद आपको हमारे नोट्स के
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