D15 Mandar Chatorikar - D15 Mandar Chatorikar

You might also like

Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 2

क वता का शीषक - अ भयां क का छोरा

आ मह या करणे क सोचणे वालो ,सूनो एक कहाणी अ भयां क के व ाथ क ,


मरणा भूल जाओगे , चाहात हो जाएगी जनेक ,
एक मासूम लाडका था , न य पढाई करता था ,
टॉप कया सीईट मे , वेश लया अ भयां क व ालय म ,
ऐसा भोला भाला था ब ा , जो था मन का स ा ,
अ भयां क व ालय म ली उसने एड मशन , वही से सु ई सारी टे न ,
पहले सेम म क पढाई ,टॉप आया अपना भाई ,
सरे सेम म मले दो त आवरा ,राजू शामु ऑर वरा ,
यहाँ खंतम इ पढाई , चारो बन गये भाई भाई ,
सरे सेम तक सब था ठ क , पर अब ए पढाई म वीक ,
भाई ने अब मन मे ठाणी ,अब वो सीखेगा जपानी ,
दे खणे लगा कोड वथ हॅरी , सब कू छ पड गया दमाख पर भारी ,
C,c++ ब त कु छ सखा , पर python के सामने सबकु च फ का ,
पैसे कमाने क चाह आ गयी , trader,youtuber बन गया भाई,
सारे ब झनेस हो गये लॉप ,भाई क बंद हो गई ऑनलाईन शॉप ,
ऐसे करते ए खतम आ तसरा साल ,भाई के ठे ब त बुरे हाल ,
चौथे साल म श तु ा ले ली , कै से बैठेगा अब वो खाली ,
चारो दो त ने क ब त पढाई , अब जलवा दखाने क बारी आई ,
कॅ स सले न मे आई कं पनी ,भाई ने दखाई सबको नानी ,
चारो को मला 12-12 लाख का वेतन , खुश हो गया भाई का मन ,
“चार साल, 40 वषय, 4 हजार असाइनमट, 4 हजार घंटे,
एक आम इंसान ऐसा नह कर सकता है,
ऐसे करने वाले सुपर हीरो को इंजी नय रग के छा कहते ह,
है पी इंजी नयस डे.!”

- मंदार चाटोरीकर
- S.E.(C.S.)
- Ghriet , Pune

You might also like