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अटल ांटटक मह स गर की ध र एँ : ठां डी ध र एँ

1. लैब्र डोर जलध र


3. कन री जलध र

5. बेंगुएल ध र
2. ग्रीनलैंड ध र
4. फॉकलैंड जलध र
1. लै ब्राड र जलधारा

विस्तार
बैविन की खाड़ी एिं डे विस जलडमरूमध्य से
ले कर 450 उत्तरी अक्ांश तक
उत्पवत्त के कारण
m
विम वशलाखंड ं के विघलने से स्वच्छ जल की a il . co
gm
मात्रा में िृद्धि 1 4 @
94
लिणता की विन्नता dpk
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विशेषताएँ On
ly f
or

कनाडा के िूिी तट िर शीत लिर का प्रिाि


िषषिर तािमान में कमी
बड़े -बड़े विम वशलाखंड ं का न्यूिाउं डलैं ड तक
आना
गल्फ स्ट्र ीम से वमलने के िश्चात् क िरे युक्त
िातािरण का वनमाषण, िलस्वरूि सागरीय
यातायात में अिर ध
2. ग्रीनलैंड ध र 3. कन री जलध र

टिस्त र
• ग्रीनलैंड के पूिव से लेकर उत्तर अटल ांटटक प्रि ह तक टिस्त र
उत्त्पटत्त के क रण उत्तरी अफ्रीक के पटिमी तट के सह रे
• टहम के टपघलने से जल की प्र प्ति प्रि टहत होती है ।
• उत्तर पूिी ध्रुिीय पिनोां क प्रभ ि उत्पटत्त के क रण
om
cयह
• लिणत में टभन्नत a il . ि स्ति में उत्तरी अटल ांटटक ध र क ही
gm
टिशेषत एँ 4 14
@ बड़ हुआ दटक्षणी भ ग है । व्य प ररक पिनोां
9
• ग्रीनलैंड एिां आइसलैंड के तटिती क्षेत्ोां में शीतलहर एिां d pk
vrm के क रण उत्तरी अफ्रीक के पटिमी तट के
r
टहमप त On
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o
प स से जल पटिम टदश की ओर हट टदय
ज त है और यह एक ठां डी ध र क रूप
ध रण कर लेती है ।
टिशेषत एँ
उत्तर-पटिमी अफ्रीक में शुष्कत उत्पन्न करती
है ।
4. िॉकलैं ड जलधारा बेंगुएला धारा

विस्तार
विस्तार
अजेंटीना के िूिी तट तक
दवक्ण अफ्रीका एिं नामीवबया के िवश्चमी तट िर
उत्पवत्त के कारण -
उत्पवत्त के कारण
घनत्व की विन्नता m
स्थलीय अिर lध. co
विम के विघलने से स्वच्छ जल की प्राद्धि a i
gm
घनत्व 4की 14 विन्नता
@
विशेषताएँ 9
विशेषdताएँ vrm
इस जलधारा द्वारा अं टाकषवटक क्ेत्र से विमवशला खंड अजेंटीना pk
for तटिती िाग में क िरा िरं तु िषाष का अिाि
y
तट तक लाए जाते िैं ।
l
On
बेंगुएला धारा िूिष की ओर बढ़ने िाली गमष और आर्द्ष ििा की
िैटाग वनया मरूस्थल की उत्पवत्त में सिायक
सािेक् आर्द्षता क कम करने में सिायक िै ।
नामीवबया एिं कालािारी मरूस्थल का वनमाषण करती िै ।
उत्तर की ओर आगे चलकर यि धारा दवक्ण विषुितरे खीय धारा
में विलीन ि जाती िै ।
विं द मिासागर की धाराएँ :
गमष जलधाराएँ

m
co
विन्द मिासागर की धाराओं के िररसंचरण का स्वरूि gm
a il .
दवक्णी विन्द मिासागर की धाराओं का अन्य
अटलांवटक मिासागर एिं प्रशांत मिासागर की धाराओं 94
1 4 @
मिासागर ं के समान स्वरूि ि ता िै और
vrm
से विन्न िै । विन्द मिासागर की धाराओं िर स्थलमं डल dpk मानसून ििाओं की वदशा में मौसमी िररितषन ं
or
तथा मानसूनी ििन ं का ियाषि प्रिाि ि ता िै । On
ly f
से प्रिावित निीं ि ती िैं ।

उत्तरी विन्द मिासागर की धाराएँ उत्तर-िूिष तथा दवक्ण-


िवश्चम मानसूनी ििन ं से प्रिावित ि ती िै , वजसके
िलस्वरूि िषष में द बार धाराओं की वदशा िररिवतषत
ि जाती िै ।
विं द मिासागर की धाराएँ :
गमष जलधाराएँ

m
l . co
1. दवक्ण-िवश्चम मानसून धारा
i
6. अगुलिास धारा
a
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4 @
1
94
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pk
5. मालागासी धारा
d
or
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On
2. उत्तरी-िूिी मानसून धारा
4. म जाद्धिक धारा

3. दवक्णी विषुितीय जलधारा


m
il . co
a
gm
4 @
1
94
vrm
dpk
or
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On
1. दवक्ण-िवश्चम मानसून धारा

विस्तार
स मावलया के तट से ले कर, िारतीय उिमिाद्वीि
की तट रे खा के सिारे , सुमात्रा के तट तक
m
il . co
a
gm
उत्पवत्त के कारण 1 4 @
94
दवक्ण िवश्चमी मानसूनी ििन ं का प्रिाि dpk
vrm
विशेषताएँ ly f
or
On
यि केिल ग्रीष्म ऋतु में प्रिावित ि ती िै ।
िारत एिं दवक्ण िूिी एवशया में मानसूनी
जलिायु की उत्पवत्त में सिायक।
तटिती क्ेत्र ं में िारी िषाष।
2. उत्तरी-िूिी मानसून धारा

विस्तार
िारतीय उिमिाद्वीि की तट रे खा के सिारे सुमात्रा के
तट से ले कर स मावलया के तट तक
उत्पवत्त के कारण . co
m
l
उत्तर-िूिी मानसून ििन a i
gm
4 @
विशेषताएँ 94
1
vrm
यि केिल शीत ऋतु में प्रिावित ि ती िै । or
dpk
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उत्तर िूिी मानसूनी ििाएँ ज स्थल से जल की ओर On
चलती िै । इसके कारण उत्तरी विं द मिासागर में उत्तर
िूिी मानसून की धारा प्रिावित ि ती िै ।
3. दवक्णी विषुितीय जलधारा
विस्तार
अफ्रीका एिं आस्ट्रेवलया के तट के मध्य 100 दवक्ण से 150 दवक्ण
अक्ांश ं के बीच।
उत्पवत्त के कारण
दवक्णिूिी िावणज्य ििन का प्रिाि
िृथ्वी के घूणषन का प्रिाि म जाद्धिक तट िर m
विशेषताएँ a il . co
gm
तंजावनया एिं म जाद्धिक के तटिती क्ेत्र ं में िषाष 9414 @
m
p kvr
ford
ly
On
4. म जाद्धिक धारा 5. मालागासी/MADAGASCAR धारा
विस्तार
म जाद्धिक तट विस्तार
उत्पवत्त के कारण मै डागास्कर के िूिी तट िर
दवक्ण विषुितीय जलधारा द्वारा जल का जमाि उत्पवत्त के कारण
घनत्व की विन्नता दवक्ण विषुितीय जलधारा द्वारा जल का जमाि
विशेषताएँ घनत्व की विन्नता co
m
.
विशेषताएँ il
म जाद्धिक के तटिती क्ेत्र ं में िषाष का ि ना िलस्वरूि तटिती @
gm
a

मे डrागास्कर के तट िर चक्रिात की उत्पवत्त मे सिायक


4
क्ेत्र का िरा-िरा बना रिना m 9 41
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On
6. अगुलिास धारा
विस्तार
दवक्ण अफ्रीका के तट
उत्पवत्त के कारण
म जाद्धिक एिं मालागासी जलधाराओं का वमलना
विशेषताएँ
दवक्ण अफ्रीका के िूिी तट िर चीन तुल्य जलिायु कीoउत्पवत्त m में
सिायक। l . c
ai
gm
तटिती क्ेत्र में िषाष
@
4 14
9 m
p kvr
ford
ly
On
विं द मिासागर की प्रमुख जलधाराएँ : ठं डी धाराएँ

विस्तार
दवक्णी अक्ांश ं के मध्य जंजीबार एिं सुमात्रा के
मध्य
उत्पवत्त के कारण
m
il . co
a
gm
िछु आ ििन ं का प्रिाि। 1 4 @
94
विशेषताएँ dpk
vrm
िछु आ ििन ं के प्रिाि से िवश्चम से िूिष वदशा में On
ly f
or

प्रिावित
िछु आ ििन प्रिाि की एक शाखा उत्तर की ओर
मु ड़ जाती िै तथा ऑस्ट्र े वलया तट के सिारे िवश्चमी
ऑस्ट्रेवलया की धारा के नाम से जानी जाती िै ।
िवश्चमी आस्ट्र े वलयाई धारा
विस्तार
आस्ट्रेवलया का िवश्चमी तट
उत्पवत्त के कारण
दवक्णी विषुितीय जलधारा के रूि में जल के िटने के कारण ढाल-प्रिणता के
वनमाषण के िलस्वरूि िछु आ ििन प्रिाि के जल का उत्तर की ओर प्रिावित ि ना
विशेषताएँ
आस्ट्र े वलया के िवश्चमी तट िर उच्चदाब का वनमाषण a il . co
m

िायु का स्थलखंड से समु र्द् की ओर प्रिाि 4 @


gm
41
आस्ट्रेवलया के मरूस्थल का तटिती क्ेत्र ं तक विस्तार
9
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or
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On
प्रशां त मिासागर की धाराएँ :
गमष धाराएँ

1. उत्तरी विषुितीय जलधारा


m
il . co
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94
1 4 @
6. एल नीन धारा
m
p kvr (अस्थायी धारा)
4. दवक्णी
ly f or
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विषुितीय जलधारा
On
2. क्यूर वशय जलधारा
(शाखा- सुवशमा धारा)
5. िूिी-आस्ट्रेवलयाई धारा

3. उत्तरी प्रशांत प्रिाि (शाखा अलास्का धारा)


1. उत्तरी विषुितीय जलधारा
विस्तार
मैद्धिक तट से विलीिींस तट तक
उत्पवत्त के कारण
उत्तर िूिी व्यािाररक ििन
िृथ्वी की घूणषन गवत।
िषाष द्वारा जल की प्राद्धि
विशेषताएँ m
co
विषुित् रे खा के समानांतर चलती हुई 12,000Km की दू री तय करने के बाद यि विलीिाइन mद्वीि
a il . समू ि तक िहुँचती िै।
g
विलीिाइन के िास, क ररआवलस बल के प्रिाि में आकर, यि उत्तर की ओर मुड़ जाती41िै ।
4@
9
िामुषसा (ताईिान) के िास इसकी एक शाखा उत्तर की ओर मुड़ जाती िै तथा क्युpरkvrवशय
m धारा से वमल जाती िै।
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or
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On
2. क्यूर वशय जलधारा 3. उत्तरी प्रशांत प्रिाि (शाखा अलास्का धारा)
(शाखा- सुवशमा धारा)

विस्तार
ताइिान के दवक्ण से 450 उत्तरी आक्ांश तक
विस्तार
उत्पवत्त के कारण
ि कैड के िूिष से ले कर उत्तरी अमे ररका के िवश्चमी तट
उत्तर विषुितीय जलधारा द्वारा जल का जमाि।
तक .com
घनत्व की विन्नता। il
उत्पवत्त@gक
mे a कारण
विशेषताएँ 4
41 क ररय वलस बल
9
चीन तुल्य जलिायु की उत्पवत्त में सिायक vrm
d pk
िछु आ ििन तुल्य जलिायु का वनमाषण
जािान में तािमान का अवधक रिना एिं िषाष ि ना y for
विशेषताएँ
l
On
ि कैड के तट िर ओयावशय जलधारा से वमलकर क िरे का
अलास्का तट िर बंदरगाि ं का िषषिर खुला रिना।
वनमाषण
कनाडा एिं अमे ररका के िवश्चमी िाग में चक्रिात एिं
गमष एिं ठं डी जलधाराओं के वमलने से मत्स्य उद्य ग का विकास
िषाष।
मत्स्य उद्य ग के विकास में सिायक।
m
il . co
a
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4 @
1
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or
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On
4. दवक्णी विषुितीय जलधारा
5. िूिी-आस्ट्र े वलयाई धारा

विस्तार विस्तार
िेरू एिं इक्वेड र के तट से िािुआ न्यू वगनी तक आस्ट्र े वलया के िूिी तट िर 400 दवक्णी अक्ांश तक
उत्पवत्त के कारण उत्पवत्त के कारण
दवक्ण िूिी व्यािाररक ििन जल का जमाि om
िृथ्वी के घूणषन गवत का प्रिाि घनत्व की gविन्नता ma
il.c

विशेषताएँ विशेषताएँ 9414


@
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न्यू वगनी के िास यि उत्तरी और दवक्णी द शाखएँ में वििक्त ि िू
d pि
kvीr आस्ट्र े वलया में चीन तु ल्य जलिायु की उत्पवत्त में सिायक
for
जाती िै । On
l y
आस्ट्रेवलया के िूिी तटिती क्ेत्र में िषषिर उच्च तािमान एिं िषष
उत्तरी शाखा उत्तरी न्यू वगनी के उत्तर से ि कर प्रवत विषुितरे खीय के अवधकांश मिीन ं में िषाष
धारा क जन्म दे ती िै , जबवक दवक्णी शाखा आस्ट्र े वलया के उत्तरी
तथा उत्तर-िूिष तट की ओर उन्मुख ि जाती िै ।
6. एल नीन धारा (अस्थायी धारा)

विस्तार
िेरू के तट िर 30 दवक्ण से 360 दवक्ण अक्ांश के मध्य
उत्पवत्त के कारण
विषुितरे खीय क्ेत्र में िायुदाब के ि ने िाले िररितषन के
िलस्वरूि दवक्ण विषुितरे खीय धारा का कमज र ि ना m
co
एिं विषुितीय प्रदे श के जल का 30 दवक्ण से 360 दवक्ण gm
a il .

अक्ांश के मध्य प्रिावित ि ना 4 @


1
94
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विशेषताएँ dpk
or
िेरू धारा का ल ि ि ना। On
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िेरू एिं वचली के तटिती क्ेत्र ं में अत्यवधक िषाष ि ना।


तटिती िाग ं में , प्लैंकटन, मछवलय ं एिं िवक्य ं का
विनाश ि ना।
संिूणष विश्व मु ख्यतः मानसूनी जलिायु िर प्रवतकूल प्रिाि
(दवक्णी द लन में व्यिधान उत्पन्न ि ने के कारण)।
प्रश ांत मह स गर की ध र एँ : ठां डी ध र एँ

1. कमचटक य ओय टशयो
ध र य क्यूर इल ध र (श ख m
co
आखोस्टक ध र ) gm
a il .
5. प्रटत टिषुितीय ध र
3. पेरू ध र (हम्बोल्ट ध र ) 1 4@
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kvr
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or
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On

2. कैलीफोटनवय जलध र 4. पछु आ पिन प्रि ह


1. कमचटका या ओयावशय धारा या क्यूराइल धारा (शाखा
आख स्ट्क धारा)

विस्तार
बेररं ग स्ट्र े ट से ले कर ि कैड तट तक
उत्पवत्त के कारण
बिष के विघलने से जल की प्राद्धि . co
m
l
घनत्व की विन्नता a i
gm
4 @
विशेषताएँ 94
1
vrm
साइबेररया एिं सखावलन तट िर शीत लिर एिं or
dpk
ly f
विमिात का प्रक ि On
इसके द्वारा आकषवटक सागर का ठं डा जल प्रशांत
मिासागर में लाया जाता िै ।
इसकी तुलना अटलांवटक मिासागर की ले बराड र
धारा से वकया जा सकता िै ।
जिाँ िर ओयावशय धारा क्यूर वशि धारा से वमलती
िै , ििाँ िर क िरा िड़ता िै ज जलयान ं के वलए
िावनकारक ि ता िै ।
2. कैलीफोटनवय जलध र

टिस्त र
कैटलफ़ोटनवय तट
उत्पटत्त के क रण
व्य प ररक पिन द्व र उत्तर टिषुितीय जलध र . co
m
il
के रूप में कैटलफ़ोटनवय तट से जल के हट ने के @
gm
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4
फलस्वरूप नीचे के अपेक्ष कृत ठां ड जल क vrm
94
1

ऊपर आन (शीत जल उद्वे लन)। or


dpk
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टिशेषत एँ On
कैटलफ़ोटनवय तट पर कोहर , परां तु िष व क
अभ ि।
कैटलफ़ोटनवय मरूस्थल क टनम वण।
3. िेरू धारा (िि ल्ट धारा)
विस्तार
िेरू एिं वचली के तट िर।
उत्पवत्त के कारण
स्थलीय अिर ध
घनत्व की विन्नता
दवक्ण विषुितीय जलधारा के रूि मे िेरू के तट से सति के जल क िटाए जाने के िलस्वरूि शीत जल उद्वे लन
विशेषताएँ
m
il . co
a
gm
तटिती िाग ं में क िरा िरं तु िषाष का अिाि। 41
4 @
9
अटाकामा मरूस्थल का वनमाषण। d pk
vrm
शीत जल उद्वे लन के कारण मत्स्य उद्य ग का विकास। n l y for
O
4. िछु आ ििन प्रिाि
विस्तार
िछु आ ििन के प्रिाि क्ेत्र में िवश्चम से िूिष की ओर।
उत्पवत्त के कारण
बिष के विघलने से जल की प्राद्धि
घनत्व की विन्नता
विशेषताएँ
िछु आ ििन के प्रिाि से 40 वडग्री से 50 वडग्री दवक्ण अक्ांश के बीच सीवमत रिती िैa।il.co
m
gm
अत्यवधक जल विस्तार तथा गरजता चालीसा (Roaring Forties) के कारण यि एक 1 4 @ प्रबल धारा बन जाती िै ज तीव्र गवत से आगे बढ़ती िै ।
94
एक शाखा िॉनष अं तरीि से ि कर अटलांवटक मिासागर में चली जाती िै dऔर pk
v दू सरी शाखा उत्तर की ओर मु ड़कर िे रू धारा में वमल जाती
r m

िै । fo r
nlyO
5. प्रवत विषुितीय धारा
विस्तार
िवश्चम में वमण्डनाओ द्वीि से ले कर िूिष में िनामा की खाड़ी तक।
उत्पवत्त के कारण
व्यािाररक ििन ं के कारण मिासागर के िवश्चमी िाग में जल का संचय ि ने से िवश्चम से िूिष की ओर ढाल प्रिणता (Slope gradient)
का वनमाषण ि ना।
विशेषताएँ
om
उत्तरी तथा दवक्णी विषुितरे खीय धाराओं के मध्य िवश्चम से िूिष वदशा में प्रिावित िmaनेil.cिाली धारा क प्रवत विषुितरे खीय धारा किा जाता
िै ।
g
@
4 14
9 m
p kvr
ford
ly
On
मिासागरीय धाराओं का प्रिाि

1.िृथ्वी का क्ैवतज ऊष्मा संतुलन- क्ैवतज उष्मा संतुलन (Horizontal


heat balance) क स्थावित करने में धाराएँ ियाषि सिय ग करती िैं ।
आकषवटक ि अं टाकषवटक क्ेत्र ं की ठं डी जलधाराएँ उष्ण कवटबंधीय ि m
co
विषुितीय क्ेत्र ं की तरि प्रिावित ि ती िैं , जबवक यिाँ की गमष gm
a il .

जलधाराएँ ध्रु ि ं की तरि प्रिावित ि ती िैं । वजससे तािमान का वनरं तर 94


1 4 @
vrm
स्थानांतरण ि ता रिता िै । उतर िवश्चमी यूर ि के तटिती दे श ं (ग्रे ट dpk
or
वब्रटे न, नािे, स्वीडन, डे नमाकष, िालैण्ड आवद) की आदशष जलिायु का On
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प्रमु ख कारण गल्फस्ट्र ीम का विस्तृत िाग उत्तरी अटलांवटक प्रिाि िी


िै । इस प्रकार गमष धाराएँ उष्ण कवटबंधीय उच्च तािमान क उच्च
अक्ांश ं की ओर ले जाकर तािमान के वितरण में समानता लाने का
प्रयास करती िैं ।
2. िषाष - गमष धाराओं के ऊिर से प्रिावित िायु नमी धारण कर ले ती िै तथा प्रिावित क्ेत्र ं क िषाष प्रदान करती िै । उत्तर िवश्चमी यूर ि
के तटीय िाग ं में उत्तरी अटलांवटक धारा तथा जािान के िूिी िाग में क्यूर वशय ं धारा के कारण िषाष ि ती िै । इसके वििरीत ठण्डी धाराएँ
िातािरण में शुष्कता उत्पन्न करती िैं । जैसे- दवक्ण अफ्रीका के िवश्चम तट िर कालािारी तथा दवक्ण अमे ररका के िवश्चमी तट िर अटाकामा
मरूस्थल ं के आवििाषि में क्रमशः बेंगुला तथा िेरू की ठं डी धाराओं का ियाषि य गदान िै । इसी प्रकार िॉकलै ण्ड धारा के कारण िैंटाग वनया
मरूस्थल का वनमाषण हुआ िै ।
m
il . co
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4 @
1
94
vrm
dpk
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3. तटीय िाग ं की जलिायु िर प्रिाि- उष्ण ि उि ष्ण कवटबन्धीय क्ेत्र ं में गमष जलधाराएँ मिाद्वीि ं के िूिी तट ं के सामानांतर प्रिावित
ि ती िै । इसी कारण यिाँ जलिायु गमष ि आर्द्ष (िषाष कारक) ि ती िैं । मध्य ि उच्च अक्ांश ं में मिाद्वीि ं के िवश्चमी तट ं िर गमष जलधाराएँ
बिती िैं , वजसके कारण ििाँ एक विशेष प्रकार की जलिायु िायी जाती िै । इन क्ेत्र ं में ग्रीष्म़ऋतु अिेक्ाकृत कम गमष और शीतऋतु अिेक्ाकृत
मृ दु ि ती िै । यिाँ िावषषक तािान्तर िी कम ि ता िै । िारत में िी मानसून क वनधाषररत करने में समु र्द्ी धाराओं की मित्विूणष िूवमका िै । इसी
प्रकार िवश्चमी यूर िीय तुल्य जलिायु प्रदे श के वनमाषण में उत्तरी अटलांवटक प्रिाि की मित्विूणष िूवमका िै । उष्ण ि उि ष्ण कवटबंधीय क्ेत्र ं में
मिाद्वीि ं के िवश्चमी तट िर ठं डी जलधाराएँ बिती िैं (विषुितीय क्ेत्र ं क छ ड़कर)। उनका औसत तािमान अिेक्ाकृत कम ि ता िै ि साथ िी
दै वनक ि िावषषक तािांतर िी कम ि ता िै । यिाँ घना क िरा छा जाता िै , यद्यवि ये क्ेत्र प्रायः शुष्क क्ेत्र ि ते िैं ।
m
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4. मत्स्य उद्य ग िर प्रिाि - जिाँ गमष ि ठं डी जलधाराएँ आिस में वमलती िैं , ििाँ ऑिीजन की आिूवतष बढ़ने से प्लैंकटन की मात्रा में
िृद्धि ि जाती िै ज मछवलय ं के वलए आदशष द्धस्थवत िैदा करता िै । संसार के प्रमु ख मत्स्य क्ेत्र इन्ीं क्ेत्र ं में िाए जाते िैं ।
गल्फस्ट्र ीम द्वारा प्लैंकटन न्यूिाउण्डलैं ण्ड तथा उत्तर िवश्चमी यूर िीय तट िर िहुं चाया जाता िै , वजस कारण ििाँ िर मत्स्य उद्य ग अत्यवधक
विकवसत ि गया िै । िरन्तु िेरू तट िर एलवनन धारा के कारण प्लैंकटन के कम ि जाने िर मछवलय ं की मृ त्यु ि जाती िै और मत्स्य उद्य ग
क क्वत उठानी िड़ती िै । शीत क्ेत्र ं में िैदा ि ने िाली खाद्य मछवलयाँ ठं डी धाराओं के साथ गमष प्रदे श ं में आ जाती िैं ।

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व्यािार िर प्रिाि
5. - गमष जलधाराओं के कारण िी ध्रु िीय क्ेत्र के बंदरगाि िर विम निीं जम िाता एिं िे संिूणष िषष खुले रिते िैं । जैसे-उत्तरी
अटलाद्धिक प्रिाि एिं उनकी शाखाओं के प्रिाि से िवश्चमी यूर ि के अवधकतर बंदरगाि िषष िर खुले रिते िैं । नािे इस धारा से सिाषवधक
लाि की द्धस्थवत में रिता िै । रूस का मु मुषस्क बंदरगाि ध्रु िीय प्रदे श में ि ने के बािजूद, इस धारा के प्रिाि के कारण सम्पूणष िषष खुला रिता िै ।
वकन्तु ठं डी धाराएँ अिने साथ प्लािी विमवशलाखंड लाती िैं , ज स्वच्छ जल का विशाल िंडार िै । िरन्तु ये विमवशलाखंड बड़े -बड़े जलयान ं के
वलए खतरे की द्धस्थवत उत्पन्न करते िैं । जिाँ िर गमष और ठं डी धाराएँ वमलती िैं ििां िर क िरा िड़ता िै ज वक सामु वर्द्क जिाज ं के िररििन में
बाधा उत्पन्न करता िै । न्यूिाउं डलैं ड तथा जािान तट के िास इसी तरि के क िरे के कारण जलयान ं क अिार क्वत उठानी िड़ती िै ।

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6. सामु वर्द्क जीि-जन्तुओं िर प्रिाि- धाराएँ सामु वर्द्क जीिन 7. नौसंचालन (Shipping) िर प्रिाि- डीजल से चलने िाले
का आिश्यक घटक िैं , सामु वर्द्क जीिन क बनाए रखने और उसक अवत आधु वनक शद्धक्तशाली जिाज धाराओं से अवधक प्रिावित निीं
प्रश्रय दे ने में धाराएँ मित्विूणष य गदान दे ती िैं । धाराओं के कारण िी ि ते िै , वकन्तु प्राचीनकाल में जब जिाज िालदार ि ते थे, धाराओं का
समु र्द् ं में आिश्यक जीिन-तत्व (ऑिीजन) एिं प्लेंकटन का नौसंचालन िर उल्लेखनीय प्रिाि िड़ता था।
सन्तुवलत वितरण ि ता िै । कई जीि ं के वलए ि जन का आधार िी ये
धाराएँ िी िैं ।
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