Download as docx, pdf, or txt
Download as docx, pdf, or txt
You are on page 1of 2

यु धिष्ठिर : नक्षत्रयु क्त चन्द्र वाला स्वर्ण ध्वज।

अर्जुन : अर्जुन की ध्वजा पर हनु मान का चित्र अं कित था। इसे 'वानर ध्वज' कहा जाता था।

भीष्म : भीष्‍म के पास ताड़ और 5 तारों के चिह्न से यु क्‍त विशाल ध्‍वजा-पताका थी।

नकुल : स्वर्ण पीठ लिए लाल हिरण का चित्र अं कित था।

Ads by

सहदे व : सहदे व के रथ पर लहराने वाले ध्वज पर चांदीजड़ित हं स का चिन्ह बना हुआ था।

अभिमन्यु : अभिमन्यु के ध्वज पर पीले पत्तों वाला पे ड़ अं कित था।

कृपाचार्य : कृपाचार्य की ध्वजा पर सांड बना था।

मद्रराज : मद्रराज की ध्वजा पर हल।

वृ षसे न : अं गराज वृ षसे न की ध्वजा पर मोर।

जयद्रथ : सिं धुराज जयद्रथ के झं डे पर वराह की छवि अं कित थी। जयद्रथ के रथ पर चांदी का शूकर-ध्वज फहरा
रहा था।

भूरिश्रवा : भूरिश्रवा के रथ में यूप का चिह्न बना था। वह ध्‍वज सूर्य के समान प्रकाशित होता था और उसमें
चन्‍दर् मा का चिह्न भी दृष्टिगोचर होता था।

गु रु द्रोणाचार्य : गु रु द्रोणाचार्य के ध्वज पर सौवर्ण वे दी का चित्र था। इसके अलावा तपस्वी का कटोरा और धनु ष
अं कित था।

घटोत्कच : घटोत्कच के ध्वज पर गिद्ध विराजमान था।

दुर्योधन : दुर्योधन के ध्वज पर कोबरा बना हुआ था। इसे सर्पकेतु भी कहते थे ।

श्रीकृष्ण : भगवान श्रीकृष्ण के झं डे पर गरूड़ अं कित होने से उसे गरूड़ ध्वज कहा जाता है ।

बलराम : बलरामजी ने हालां कि यु द्ध में भाग नहीं लिया था ले किन बलराम के झं डे पर ताल वृ क्ष की छवि अं कित होने
से उसे 'ताल ध्वज' कहते थे ।

कर्ण : कर्ण का हस्तिकाश्यामाहार-केतु नामक ध्वज था।

अश्वत्थामा : अश्वत्थामा की ध्वजा पताका में सिं ह की पूंछ का चिन्ह बना हुआ था।

इसके अलावा महाभारत में शाल्व के शासक अष्टमं गला ध्वज रखते थे । झं डे पर हाथी की आकृति थी और स्वर्ण
मयूरों से शोभित था। महीपति की ध्वजाओं पर स्वर्ण, रजत एवं ताम्र धातु ओं से बने कलश आदि चित्रित रहते थे ।
इनकी एक ध्वजा सर्वसिद्धिदा कहलाती थी। इस ध्वजा पर रत्नजड़ित घड़ियाल के 4 जबड़े अं कित होते थे ।
ध्वजों के प्रकार : रणभूमि में अवसर के अनु कूल 8 प्रकार के झं डों का प्रयोग होता था। ये झं डे थे - जय, विजय,
भीम, चपल, वै जयन्तिक, दीर्घ, विशाल और लोल। ये सभी झं डे सं केत के सहारे सूचना दे ने वाले होते थे । विशाल
झं डा क् रां तिकारी यु द्ध का तथा लोल झं डा भयं कर मार-काट का सूचक था।

* जय : जय झं डा सबसे हल्का तथा रक्त वर्ण का होता था। यह विजय का सूचक माना जाता था। इसका दं ड 5 हाथ
लं बा होता था।

* विजय : विजय की लं बाई 6 हाथ थी। श्वे त वर्ण का यह ध्वज पूर्ण विजय के अवसर पर फहराया जाता था।

* भीम : भीम ध्वज 7 हाथ लं बा होता था और लोमहर्षक यु द्ध के अवसर पर इसे फहराया जाता था। यह अरुण वर्ण
का होता था।

* चपल : चपल ध्वज पीत वर्ण का होता था तथा 8 हाथ लं बा होता था। विजय और हार के बीच जब द्वन्द्व चलता था,
उस समय इसी चपल ध्वज के माध्यम से से नापति को यु द्ध-गति की सूचना दी जाती थी।

* वै जयन्तिक : वै जयन्तिक ध्वज 9 हाथ लं बा तथा विविध रं गों का होता था।

* दीर्घ : दीर्घ ध्वज की लं बाई 10 हाथ होती थी। यह नीले रं ग का होता था। यु द्ध का परिणाम जब शीघ्र ज्ञात नहीं हो
सकता था तो उस समय यही झं डा प्रयु क्त होता था।

* विशाल : विशाल ध्वज 11 हाथ लं बा और धारीवाल।

* लोल : लोल झं डा 12 हाथ लं बा और कृष्ण वर्ण का होता था।

You might also like