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Reaching The Threshold
Reaching The Threshold
आमुख
कुछ परिवर्तन ऐसे भी होंगे जिसे रोक पाना हमारे नियंतर् ण में नहीं
रहने वाला, हमीं उसके उफान के साथ ताल मिलाकर चल पाने की
तमन्ना लिए अग्रज की भूमिका में ढाल जाना होगा | अगर हम
उस प्रकोप को नहीं झे ल पाए तो जाहिर सी बात है कि हमें मिटने के
लिए तैयार रहना होगा | लोकतंतर् , समाजतंतर् और पूज ं ी तंतर् के
बीच चलने वाले खींच तान का विषय संसार में आज कोई नया नहीं है
, इसके पहले भी दु निया इसे किसी और रूप में झे ल चु की है | अतः
उचित यही होगा कि वक्त की अहमियत को समझते हुए ,
् मत्ता का परिचय दे ते हुए और विश्व संस्कृति को जीवित रख
बु दधि
पाने लायक ठोस साझी रणनीति का निर्माण करके सभी जन कदम से
कदम मिलाकर चलने के आदि हो जाएँ |
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चंदन से नगु प्ता
प्रकाशक
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चिकित्सकों के सामने चुनौती
कहा जाता है जहाँ हौसले बुलद ं हों और इरादे ने क हों वहाँ रास्ते
अपने आप ही खुल जाते हैं | किसी महामारी से या फिर विश्व स्तर
तक फैलने वाले ख़तरों से मानव संपर् दाय के द्वारा छे ड़े गये संघर्ष का
यह कोई पहला मौका नहीं है | इसके पहले भी उसी चीन से ब्लै क
डे थ नामक महामारी को फैलते हुए, और यूरोप की आधी आबादी को
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समाप्त करते हुए, दु निया दे ख चु की है | दोनों विश्वयु द्ध के ठीक पहले
पहले दु निया को महामारी की मार भी झे लना पड़ा था | आज
नयापन सिर्फ़ इतना ही है कि चिकित्सा विज्ञान के साथ सूचना तंतर्
और प्रोद्योगिकी का सम्मेलन हो चु का है और इसी वजह से निदान
तंतर् में एक नयापन आया हुआ है |
अछूते प्रश्न
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व्यवस्था या सरकार!
विभागीय समन्वय
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प्रबंधन के आलोक में यह लंबित प्रक्रिया कदापि सराहनीय नहीं
हो सकता |
अग्रज और अनुज
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अपने दे श की एक ख़ासियत भी हमें गिनना होगा | सकट की घड़ी में
् को दर किनार करते हुए दे श के लोग एकजु ट
छोटी बड़ी भे द बुदधि
होकर उसका मु काबला करने में जु ट जाते हैं , चाहे वो यु द्ध के हालात
हों , या आपदा के या फिर कोई संक्रमण के , सबका एकजु ट होना
एक भवितव्य ही है | उन्हें किसी भी दृष्टि से कोई भी उपद्रवी शक्ति
गतिविधियों को सफलता की ओर मोड़ने से नहीं रोक पाता है | सन
१९६५ की लड़ाई आधे पे ट लड़ना, सरहदों पर से नानियों का डटे
रहना, दु श्मनों के दाँत खट्टे करना, परमाणु परीक्षण के बाद की
स्थिति का डटकर मु काबला करना आदि कई मु द्दों पर राष्ट्र अपने
कौशल्य और आत्मबल का प्रमाण दे चु का है | आपसी मतभे द
भूलकर सुर में सुर मिलाने हे तु राष्ट्रीय तंतर् को कुछे क मिनट ही
लगते हैं |
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विश्व व्यापार का नक्शा
दोनों विश्व यु द्ध के समय अमे रिका अपने निर्णायक कदम से दु निया
को ओतप्रोत कर चु की है , समझा भी चु की है और संकटों पर अंकुश
पाने के अपने इरादों से सबको आगाह भी कर चु की है | अब एक और
संकतमे परिस्थिति से जूझते हुए आज अमे रिका और उसके साथी
दे शों को हम दे ख सकेंगे ; उनकी शक्ति के लिए यह किसी अग्नि
परीक्षा से कम नहीं मानना चाहिए | दु निया में ऐसी मान्यता भी फैल
रही है कि सबसे ज़्यादा प्रौद्योगिकी पर नियंतर् ण रखने वाले समूह
का मु खिया भी दिग्भ्रमित होने जा रहा है | जिस समय के आलोक में
हम परिस्थिति का विश्ले षण कर रहे हैं उस समय उन दे शों के सामने
अपने नागरिकों को मौत के मु ह ँ से निकाल लाने की जबरदस्त चुनौती
सन्दर्भित हो रही है |
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कोरोना वायरस का मामला एक विश्व महामारी के स्तर तक फैल
जाने के पीछे की असली कहानी से अभी भी लोग अनभिज्ञ ही हैं ;
सिर्फ़ अटकलों, आरोपों और प्रत्यारोपों के दौर से हमें धूमिल रास्तों
पर चलते हुए ही कुछ ठोस कदम उठाते हुए समस्या की जड़ तक
पहुचँ ना होगा | इस क् रम में कहीं लाचार लोगों का जीवन दाँव पर न
लगे इस ओर भी धान दे ना होगा | समस्या की जड़ तक पहुच ँ पाने के
उपरांत शायद यह संभव हो सके कि हमें विश्व स्तर पर साझी
रणनीति अपनाते हुए अग्रज बने दे शों के समीकरण में कुछे क
परिवर्तन दिखने लगे | क्या हम तबतक इंतजार करें या जहाँ हैं वहीं
से कचल पड़ें ?
कोरोना संक्रमण को रोकने के उद्दे श्य से तुरंत उठाए जाने वाले कदम
में सबसे पहला और ज़्यादा असर पै दा करने वाला कदम है सामाजिक
दूरी बनाए रखना, ताकि सौदाय स्तर पर इस बिमारी को फाने से रोका
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जा सके | इसी ओर एक वालिष्ठ कदम उठाते हुए स्तनीय प्रशशण
ने जगह जगह पर लोगों को एक दूसरे से दूरी बनाए रखने के मकसद
से दै नंदिन गतिविधियों को तीन साप्ताह के लिए बंद रखने का निर्णय
लिया | इस दृष्टि से भारत, दक्षिण अफ् रीका, अमे रिका आदि दे शों में
से ना और सरकार बढ़ चढ़ कर यु द्ध स्तर पर कार्य कर रहे हैं | उनका
मनोबल बढ़ाने के लिए जनता का भी उन्हें साथ मिल रहा है |
स्वास्थ्य कर्मियों के सामने भी चुनौती इस बात का ही है कि सीमित
साधनों को उपयोग में लाकर हम जटिल परिस्थिति का मु काबला करें
भी तो कैसे !
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बाद से वायरस को सन्दर्भीत होते हुए दु निया इसके विनाशक रूप को
दे ख और समझ पाई |
चिकित्सा विज्ञान की दु निया में कहर वर्षाने वाले कोरोना के बारे में
सबसे पहला संकेत भे जने का काम जिस व्यक्ति ने किया था उस
व्यक्ति को जीवित रख पाने से चीन चूकी; वह मामला अभी भी
एक रहस्य बना हुआ है | लोग उसे कुछ और ही मान रहे हैं | आने
वाले समय में लोगों की निगाहें चीन पर इस बात के लिए भी टिक
सकती है कि चिकित्सकीय तंतर् में फेर बदल से उसका निपटने का
कौशल्य क्या है | अब उसके पास शायद बीमारी से लड़ने लायक
फौज भी रहे हों जो दूसरे दे शों को से वाएँ प्रदान करना चाहते हों |
् मत्ता साझा करने जैसी परिस्थिति कभी बन पाएगी या नहीं
बु दधि
इस विषय में हमारा कुछ कह पाना एक जल्दबाज़ी में उठाया गया
कदम होगा | इस वक्त सबसे ज़्यादा संकट में अगर कोई है तो वा है
मानवता, मानवीय विचारधारा और मानवतावादी विचारकों का समूह
|
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जीवन शैली में परिवर्तन
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कोरोना स्पंदन
२८ मार्च २०२०
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पड़ोसी यूरोपीय दे श, यूक्रे न और रूस की तरह कड़े कदम नहीं उठा
रहा है .
बे लारूस के राष्ट् रपति अले क्ज़ें डर लूकाशे न्को कहते हैं कि फिलहाल
दे श में कोरोना को पै र पसारने से रोकने के लिए ऐहतियातन कदम
उठाने की ज़रूरत नहीं है .
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की ख़ु फ़िया एजें सी बे लारूसी केजीबी को, "आम लोगों के बीच
अफ़वाह फैलाने और दहशत फैलाने वालों को पकड़ने " का आदे श
दिया है . अब तक दे श में कोरोना वायरस के कुल 86 मामले सामने
आए हैं और यहां इस कारण मात्र दो मौतें हुई हैं . बे लारूस ने
आधिकारिक तौर पर इस बात की पु ष्टि नहीं की है कि मौतों का
कारण कोरोना है ले किन माना जा रहा है कि इन मौतें का कारण
वायरस ही है .
किम ने अपने फ़ेसबु क पन्ने पर लिखा कि लूकाशे न्को बिल्कुल सही हैं
क्योंकि, "अगर वो पूरे दे श के लोगों पर बाहर निकलने से जु ड़े
प्रतिबं ध लगाते हैं तो बे लारूस की अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी.
यहां चीज़ें अलग हैं और बे लारुस फिलहाल दुनिया का ऐसा एक
मात्र दे श है जहां सरकार लोगों का भला सोच कर काम करती है न
कि जनकल्याणकारी योजनाओं पर निर्भर करती है ."
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'कोविड 19' से बचने के लिए
ऐसे में खांसते और छींकते वक्त टिश्यू का इस्ते माल करना, बिना
हाथ धोए अपने चे हरे को न छन ू ा और सं क्रमित व्यक्ति के सं पर्क में
आने से बचना इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए बे हद
महत्वपूर्ण हैं . चिकित्सा विशे षज्ञों के अनु सार फेस मास्क इससे
प्रभावी सु रक्षा प्रदान नहीं करते .
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विश्व स्वास्थ्य सं गठन (डब्ल्यूएचओ) के अनु सार वायरस के शरीर में
पहुंचने और लक्षण दिखने के बीच 14 दिनों तक का समय हो सकता
है . हालां कि कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि ये समय 24 दिनों तक का भी
हो सकता है .
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अधिकारी उनका परीक्षण करें गे . परीक्षण के नतीजे आने तक आपको
ू रों से खु द को दरू रखने के लिए कहा जाएगा.
इं तज़ार करने और दस
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जगहों के अच्छे उदाहरण हैं जिन्हें लोग बार बार छत
ू े हैं और जो
ख़तरनाक साबित हो सकते हैं .
विशे षज्ञ मानते हैं कि कोरोनावायरस कई दिनों तक एक जगह पर
ज़िं दा रह सकता है . ऐसे में बे हतर ये है कि आप अपने हाथ बार बार
धोएँ ताकि सं क्रमण और वायरस के प्रसार का ख़तरा कम किया जा
सके.
कोरोना वायरस और बु ख़ार में एक जै से लक्षण होते हैं जिनकी वजह
से बिना टे स्ट के उनमें अं तर करना काफ़ी मु श्किल होता है . कोरोना
वायरस का मु ख्य लक्षण बु खार और ख़ासी है . बु खार के अन्य लक्षण
जै से गला ख़राब होना भी है . ले किन कोरोना वायरस के मरीज़ों को
सांस ले ने में परे शानी महसूस हो सकती है . औसतन कोरोना वायरस
से सं क्रमित लोग दो या तीन लोगों को सं क्रमित करते हैं . वहीं, फ्लू
से सं क्रमित व्यक्ति एक व्यक्ति को सं क्रमित करता है . हालां कि,
फ्लू से सं क्रमित व्यक्ति दसू रे लोगों के लिए जल्दी ही सं क्रामक हो
जाता है . ऐसे में दोनों ही वायरस ते ज़ी से फैलते हैं . कोरोना वायरस
से सं क्रमित व्यक्ति द्वारा बनाया हुआ खाना अगर एक सामान्य
व्यक्ति तक साफ सु थरे ढं ग से न पहुंचे तो खाना खाने वाले व्यक्ति के
सं क्रमित होने की सं भावना है . कोरोना वायरस खांसने के दौरान मुं ह
से बाहर आए छींटों के हाथों पर गिरने से फैल सकता है . वायरस के
प्रसार को रोकने के लिए खाना खाने और छन ू े से पहले हाथ धोना
एक अच्छी सलाह है .
कोरोना वायरस से सं क्रमित व्यक्ति द्वारा बनाया हुआ खाना अगर
एक सामान्य व्यक्ति तक साफ सु थरे ढं ग से न पहुंचे तो खाना खाने
वाले व्यक्ति के सं क्रमित होने की सं भावना है . कोरोना वायरस
खांसने के दौरान मुं ह से बाहर आए छींटों के हाथों पर गिरने से फैल
सकता है . वायरस के प्रसार को रोकने के लिए खाना खाने और छन ू े
से पहले हाथ धोना एक अच्छी सलाह है .
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क्या है ऑपरे शन नमस्ते ?
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- जैसे ही नाइट शे ल्टर्स में खाना दे ने की घोषणा हुई तो वो लोग
शे ल्टर्स की तरफ बढ़ने लगे और शे ल्टर्स में भीड़ बहुत बढ़ गई.
शे ल्टर में खाना सीमित होता है तो जो लोग शे ल्टर में पहले से
मौजूद हैं और जो बाद में आए उनमें झगड़ा भी हुआ.
- उत्तर पूर्वी दिल्ली में हालात सबसे ज़्यादा ख़राब हैं . कोरोना वायरस
को दे खते हुए यहां पर राहत शिविर हटा दिये गये हैं . इसके कारण
लोगों को अपने पुराने जले हुए और टूटे घरों में लौटना पड़ रहा है .
उनके पास खाने -पीने की भी ठीक से व्यवस्था नहीं है . वो एक महीने
से ज़्यादा समय से तनावभरे माहौल में रह रहे हैं .
क्या हो समाधान
सरकार की कोशिशों के बावजूद भी व्यवस्थागत कमियों के कारण
लोगों तक खाने -पीने के सामान की आपूर्ति ठीक से नहीं हो पा रही है .
इसे दूर करने के लिए रिपोर्ट में सु धार के कुछ सु झाव दिए गए हैं .
वायरस के फैलने में विभिन्न स्टे ज का जिक् र करते हुए डॉ. भार्गव
बताते हैं कि पहले स्टे ज में यह विदे श से दे श के भीतर आता है । जो
कोरोना के मामले में 30 जनवरी को केरल में चीन से आए तीन
मरीजों के साथ शु रू हुआ। वायरस के फैलने का बाद दस ू रा स्टे ज तब
आता है , जब विदे श से आए कोरोना वायरस ग्रसित व्यक्ति से दे श
के भीतर दस ू रे व्यक्तियों को इसका सं क्रमण होने लगता है । यह
सं क्रमण ग्रसित व्यक्ति के नजदीकी सं पर्क आने वाले तक सीमित
रहता है ।
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आगरा के एक ही परिवार के छह लोगों और केरल में फरवरी के अं त
में कुछ लोगों में इस तरह से कोरोना सं क्रमण हुआ। यानी पहले
ू रे स्टे ज तक पहुंचने में एक महीने का समय लगा।
स्टे ज से दस
वायरस के फैलने में तीसरा स्टे ज सबसे अहम होता है । जब वह
सामान्य लोगों के बीच फैलने लगता है । बड़ी जनसं ख्या के बीच
वायरस के पहुंचने के बाद यह महामारी का रूप धारण कर ले ता है ,
जो चौथा स्टे ज कहा जाता है ।
यदि किसी व्यक्ति में कोरोना से ग्रसित होने के बाद भी उसके लक्षण
नहीं दिख रहे हैं , तो इसका मतलब है कि उसमें वायरस बहुत ज्यादा
नहीं होगा और टे स्ट में वह निगे टिव भी आ सकता है । यदि ऐसे
व्यक्ति को कोरोना नहीं होने का प्रमाण-पत्र दे दिया जाए, तो वह
सु रक्षित होने का वहम पाल ले गा, जबकि 14 दिन में उसमें कभी भी
कोरोना के लक्षण आ सकते हैं । कोरोना के दोबारा प्रकोप पर ले कर
कोई जानकारी नहीं आइसीएमआर के वै ज्ञानिकों का कहना है कि
किसी भी व्यक्ति को एक बार होने के बाद कोरोना दोबारा होने के बारे
में साफ तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है । वै से जापान और दस ू रे
दे शों में कुछ मामलों में दोबारा कोरोना से ग्रसित होने की बात
सामने आई है ।
कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता का समय बहुत छोटा
होता और उस से दोबारा ग्रसित होने की सं भावना है । कोविड 19 के
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बारे में हम अभी यह नहीं कह सकते हैं । यदि कोविड-19 का वायरस
इं फ्लु एंजा वायरस की तरह नए-नए रूप में परिवर्तित होता रहे गा,
तो उसके खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखना सं भव नहीं
होगा।
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कई जगह इस तरह के दावे किए दावे किए जा रहे हैं कि गर्मी की
मदद से कोरोना वायरस को ख़त्म किया जा सकता है . कई दावों में
पानी को गर्म करके पीने की सलाह दी जा रही है . यहां तक कि नहाने
के लिए गर्म पानी के इस्ते माल की बात कही जा रही है .
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अमरीकन ने शनल इं स्टीट्यूट ऑर हे ल्थ ने अपने रिसर्च में पाया है
कि ये थूक के कणों में वायरस 3-4 घं टों तक ज़िं दा रह सकते हैं और
हवा में तै र सकते हैं . ले किन अगर ये कण दरवाज़े का हैं डल, लिफ्ट
बटन जै से धातु जै सी सतहों पर ये 48 घं टों तक एक्टिव रह सकते हैं .
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के भातर. कुछ वायरस तापमान बढ़ने के बाद नष्ट होते हैं ले किन
कोरोना वायरस पर बढ़ते तापमान का क्या असर होगा?
इसके बारे में ब्रितानी डॉक्टर सारा जार्विस कहती हैं कि 2002 के
नवं बर में सार्स महामारी शु रू हुई थी जो जु लाई में खत्म हो गई थी.
ले किन ये तापमान बदलने की वजह से हुआ या किसी और वजह से ये
बताना मु श्किल है . वायरस पर शोध करने वाले डॉक्टर परे श दे शपांडे
का कहना है कि अगर कोई भरी गर्मी में छींका तो थूक के डॉपले ट
सतह पर गिर कर जल्दी सूख सकते हैं और कोरोना फैसले का
सं क्रमण कम हो सकता है . हम जानते हैं कि फ्लू वायरस गर्मियों के
दौरान शरीर के बाहर नहीं रह पाते ले किन हमें इस बारे में नहीं पता
कि कोरोना वायरस पर गर्मी का क्या असर पड़ता है .
इसी कारण सरकारें इससे बचने के तरीकों के बारे में नागरिकों को बता
रही हैं . वो यातायात सं बंधी प्रतिबं ध लगा रही हैं और लोगों से एक
ू रे से दरू ी बनाए रखने के लिए कह रही हैं .
दस
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मास्क पहनना कितना ज़रूरी !
सामाजिक स्वास्थ्य के क्षे तर् में काम करने वाली सं स्थाएं और पे शेवर
जिसमें विश्व स्वास्थ्य सं गठन भी शामिल हैं , कहती हैं कि ये मुं ह
छनू े की आदत ख़तरनाक है . कोविड-19 से जु ड़ी सलाह में हाथों को
साफ रखना और उन्हें धु लने पर जोर दिया गया है .
इं सान और कुछ स्तनपायी जीव ख़ु द को ऐसा करने से नहीं रोक पाते
हैं . ऐसा लगता है कि ये हमारे विकास के क् रम का हिस्सा है .
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चूं कि कुछ जातियां अपने चे हरों को छक ू र कीड़ों को हटाने की
कोशिश करते हैं . ले किन हम और दस ू रे अन्य स्तनपायी जीव दस ू रे
कारणों की वजह से भी ऐसा करते हैं .
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"ये हरकतें सभी भावनात्मक और सं ज्ञानात्मक प्रक्रियाओं में अहम
भूमिका निभाती हैं . ये सभी लोगों में होती हैं ."
विशे षज्ञ अभी भी वायरस के इस नये स्ट् रेन पर शोध कर रहे हैं .
ले किन ऐसा माना जा रहा है कि कोरोना वायरस किसी जगह पर
गिरने के बाद 9 दिनों तक ज़िं दा रहते हैं .
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ये लोग अपने हाथों को अपने मुं ह और नाक तक हर घं टे में 3.6 बार
ले गए.
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ब्रिटे न के पूर्व प्रधानमं तर् ी डेविड कैमरन के सहयोगी रहे कोलंबिया
यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर और बिहे वियरल साइं स के विशे षज्ञ माइकल
हॉलस्वर्थ मानते हैं कि ये कहना आसान है कि ऐसा न किया जाए
ले किन असल में इस सलाह को अमल में लाना मु श्किल है .
हालां कि, हालस्वर्थ मानते हैं कि कुछ चीज़ें हैं जो आपकी मदद कर
सकती हैं . इनमें से एक यह है कि हमें ये पता हो कि हम अपने चे हरों
को कितनी बार छत ू े हैं .
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इसका आसान जवाब है कि ये एक ग़लत तरीक़ा है , जब तक कि
दस्तानों को बार-बार साफ़ करके कीटाणु मुक्त ना किया जाए, नहीं तो
वे भी हानिकारिक बन जाएं गे.
सु पर स्प्रेडर
चूं कि, वो विदे श से लौटे थे , ऐसे में उन्हें घर पर ही क्वारं टीन रहकर
वक्त बिताना चाहिए था.
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ले किन अगले दिन वो अपने दो दोस्तों के साथ डे ढ़ घं टे की यात्रा
कर 'होला-मु हल्ला फेस्टिवल' में शामिल होने आनं दपु र साहिब
पहुंच गए. यह एक छह दिन चलने वाला सालाना जलसा है जिसमें
हजारों लोग रोज़ आते हैं .
इसके बाद खु लासा हुआ कि बिशन सिं ह हार्ट पे शेंट होने के साथ
डायबिटीज़ से भी पीड़ित थे और कोरोना वायरस के टे स्ट में
पॉजिटिव पाए गए थे .
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कोविड-19 से मरने वाले बिशन सिं ह चौथे भारतीय थे . साथ ही
पं जाब में इस बीमारी से मरने वाले इकलौते शख्स हैं .
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अधिकारी इस बात से परे शान हैं कि बिशन सिं ह हजारों लोगों को
सं क्रमित कर चु के होंगे .
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दक्षिण कोरिया में मृ तकों की सं ख्या 139 पहुंच चु की है जबकि 9,478
लोग इससे सं क्रमित हुए हैं ।
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सोडियम क्लोराइड इं सानों की रोग प्रतिरोधी क्षमता पर
नकारात्मक प्रभाव डालता है । शोधकर्ताओं ने कुछ प्रतिभागियों
को हर दिन छह ग्राम अतिरिक्त नमक का से वन कराया। ये नमक
दो फास्ट फू ड में मौजूद थे जै से दो बर्गर और दो फ् रें च फ् राई के
पै केट। एक हफ्ते बाद शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों के खून के नमूने
लिए और उनमें मौजूद ग्रैनु लोसाइट की मात्रा को दे खा।
ग्रैनु लोसाइट प्रतिरोधी कोशिकाएं होती हैं जो रक्त में मौजूद
होती हैं ।
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डॉक्टरों का कहना है कि गं ध और स्वाद का अहसास न होना भी
कोरोना वायरस के सं क्रमण का एक लक्षण हो सकता है । डॉक्टरों ने
इस समस्या का सामना करने वाले लोगों को भी से ल्फ आइसोले ट
करने की सख्त जरूरत है ।
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ब्रिटिश राइनोलॉजिकल सोसायटी के अध्यक्ष प्रोफेसर क्ले यर
हॉपकिंस ने बताया कि शु क्रवार को, ब्रिटिश कान, नाक और गले के
डॉक्टरों ने दुनियाभर के सहयोगियों की रिपोर्टों का हवाला दे ते हुए
इस पर विस्तृ त अध्ययन शु रू कर दिया है । डॉक्टरों ने शु क्रवार को
उन वयस्कों को सात दिनों के आइसोले शन के लिए बु लाया, जो
अपनी इं द्रियों से गं ध और स्वाद को खो चु के हैं , भले ही उनमें
सं क्रमण के कोई अन्य लक्षण न हों। हालां कि, अभी इसकी
प्रमाणिक तौर पर पु ष्टि नहीं हुई हो ले किन डॉक्टर सं क्रमण के
फैलाव को ले कर चिं तित हैं । साथ ही प्रसार को धीमा करने के लिए
आइसोले शन कर क्वारं टाइन के लिए चे तावनी दे रहे हैं ।
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ब्रिटे न के सं क्रमित ईएनटी डॉक्टरों की हालात गं भीर :
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