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हैं। पर क्या हमने महाभारत की नीतिकथाएँ पढ़ी हैं? हम महाभारत के मनष्ु य पात्रों
के बारे में जानते हैं। पर क्या हम महर्षि वेद व्यास की इस महान् सहि
ं ता में चतरु सियार, ढोंगी
हसं , जानकार चहू ा, कपटी बिल्ला, बड़बोला कौआ, आलसी ऊँ ट, घमण्डी
पेड़, भगत सग्ु गा, दयालु कबतू र और अनोखे नेवले के बारे में जानते हैं?
यह व्यास-कथा महाभारत की इक्यावन नीतिकथाओ ं का सक
ं लन है। ये मनोरञ्जक और प्रबोधक
कथाएँ व्यावहारिक और राजनीतिक ज्ञान, नैतिक मल्ू यों, वैश्विक सत्यों और
दर्शन का सागर हैं। पश,ु पक्षी, सरीसृप, मछलियाँ, कीड़े, पेड़, नदियाँ, दिशाएँ,
प्राण, मृत्यु और काल एक बहुत रोचक ढगं से हमें प्राचीन भारतीय ज्ञान
सिखाते हैं। सजीव चित्रण और प्रभावशाली अभिव्यक्ति वाली ये
कथाएँ प्राचीन भारत की उत्कृ ष्ट कथाशैली का उदाहरण हैं।
इस व्यास कथा में लेखक प्रत्येक कथा का संदर्भ के साथ यथार्थ और पर्णू अनवु ाद प्रस्ततु
करते हैं। नीलकण्ठ की टीका और अन्य भारतीय ग्रन्थों से अनेक
शिक्षाओ,ं पच्चीस चित्रों और उपयोगी टिप्पणियों सहित यह
पस्ु तक हर आयु वर्ग (बच्चों और बड़ों) अर्थात सबके लिए पढ़ने योग्य है।
भारतीय प्रबन्ध संस्थान बेंगलरुू से पढ़े नित्यानन्द मिश्र संस्कृ त और हिन्दू धर्म
के प्रख्यात विद्वान् हैं। श्री मिश्र एक वित्तीय विश्ले षक और नामकरण विशेषज्ञ हैं।
साथ ही वे हिन्दू धर्म, इसके विविध शास्त्र, दर्शन और संस्कृ ति पर लेखन कार्य भी करते हैं।
अपने परिवार के साथ श्री मिश्र मम्ु बई में रहते हैं।