Shastri

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सप्रु सिद्ध 'दी ताशकंद फाइल्स' फिल्म के निर्माताओ ं द्वारा लिखित


लाल बहादरु शास्त्री-
मृत्यु या हत्या?
विवेक रंजन अग्निहोत्री

Page 2 or Back Cover Page


वह शीत यद्ध
ु का काल था। द्वितीय विश्व यद्ध
ु के बाद दसू रे सबसे बड़े सशस्त्र संघर्ष में पाकिस्तान को हराने के बाद,
भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादरु शास्त्री शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिये तत्कालीन सोवियत सघं के
ताशकंद शहर पहुचं े। कई दिनों तक चली लम्बी बैठकों और वार्ताओ ं के दौर के बाद सोवियत सघं के प्रधानमत्रं ी
अलेक्सी कोसिगिन की उपस्थिति में भारत और पाकिस्तान के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये गये।

इसके कुछ ही घटं ों के बाद रात के 1 बजकर 32 मिनट पर डाचा में शास्त्री जी का अचानक और रहस्यमय ढगं से
निधन हो गया।
इस दर्घु टना के तरु ं त बाद उनके आधिकारिक रूसी बटलर और वहां पर उनकी सेवा में नियक्त ु भारतीय राजदतू के
रसोइये को के जीबी के नौवें डायरे क्टरे ट ने शास्त्री को ज़हर देने के संदहे में गिरफ्तार कर लिया।
कोई पोस्टमार्टम नहीं किया गया। किसी ने जर्मु कबल
ू नहीं किया। और यहाँ तक कि इस रहस्यमयी मृत्यु की कभी
भी किसी प्रकार की न्यायिक जांच नहीं की गयी। उनके निधन की इस दर्घु टना के बाद 50 साल बीत गए, लेकिन
हमें अभी भी सच्चाई का पता नहीं है।
क्या वास्तव में उनको दिल का दौरा पड़ा था?
क्या उन्हें ज़हर दिया गया था ?
क्या सीआईए ने उन्हें मरवा दिया था ?
या के जीबी ने ?
और क्या यह सरकार प्रायोजित हत्या थी ?
शास्त्री की मृत्यु के पीछे के रहस्य का पता लगाने के लिये व्हिसल ब्लोअर बने विवेक रंजन अग्निहोत्री और उनके
सहायकों की अनभु वहीन और बेमेल टोली अपने आप को एक ऐसी दनि ु या में पाते हैं जहाँ हर कोई सदं हे के घेरे में
आता है | लेकिन जब उन्हें पता चला कि देश को कै से बिकने के लिए छोड़ दिया गया था तब वे खदु को उनके
जीवन से छूने वाली दर्दनाक कहानी से दरू नहीं रख सके ।

Page 3 Or The Inside of Front Cover Page:


'शास्त्री के दमदार नेतत्ृ व और कूटनीति ने एशिया में समीकरण बदल दिये थे। अमेरिका, सोवियत संघ और चीन
इन तीनों शक्तियों को यह आभास हो गया था कि शास्त्री कोई नौसिखिये और कमजोर नेता नहीं हैं जिन्हे उकसाया
जा सकता है या फिर उनके साथ कोई छद्म खेल खेला जा सकता है।'
'एक ऐसे नेता या नायक को मात देना लगभग असंभव होता है जिसे अपनी सत्ता के खोने का डर नहीं होता है।
यही निडरता उसकी शक्ति होती है। यहां तक अच्छे से अच्छा अल्सेशियन (जर्मन शेफर्ड) भी सड़क के आवारा
कुत्ते का सामना होने पर पीछे हट जाता है क्योंकि वह जानता है कि अगर भिंड़त हुई तो उसका क्या हश्र होगा |
संदशे एकदम स्पष्ट था-1965 का भारत 1962 वाला भारत नहीं था।'
'उसी रात तीन बजे के जीबी के सबसे शक्तिशाली नौवें चीफ डायरे क्टरे ट की पलि
ु स ने तीन सहायकों सहित चीफ
बटलर अहमद सत्तारोव और भारतीय राजदतू टीएन कौल के रसोईये जान मोहम्मद को जगाया और उन्हें गिरफ्तार
करके किसी अज्ञात स्थान पर ले गयी।'
होमी भाभा और शास्त्री का ज़िक्र करते हुए क्रो ने कहा था,"हमने भाभा को कार्गो में रखे बम के साथ उड़ा
दिया..... और हमने टोपी पहनने वाले, गाय-प्रेमी शास्त्री को भी ठोक दिया।"
'के जीबी के पर्वू मेजर जनरल ओलेग कलगि
ु न ने भी कहा था,"ऐसा लगता था कि जैसे परू ा देश ही बिक्री के लिए
रख दिया गया था।"
'उसका नाम होमी भाभा था ... और सच मानिये, वह बहुत खतरनाक था। उसके साथ एक दर्भा ु ग्यपर्णू हादसा हुआ
था। जब वह और परे शानियां बढ़ाने के लिए वियना जा रहा था... तब 707 के कार्गो में रखा हुआ बम फटा और
विमान में बैठे सभी लोग हमेशा के लिये आल्पस के ऊँ चे पर्वतों में समा गये। इसका न ही किसी को पता चला
और न ही किसी के पास कोई सबतू है, और दनिु या फिर से एक सरु क्षित स्थान बन गयी।’
रॉबर्ट ट्रमबल क्रॉऊली, दी क्रो
सीआईए के गप्तु अभियानों के प्रमख

रिकॉर्ड किये गये साक्षात्कार में
Page 4 or Inside of the back where Author Introduction is written
विवेक रंजन अग्निहोत्री फिल्म जगत में राष्ट्रीय परु स्कार विजेता, सप्रु सिद्ध फिल्म-निर्माता, बेस्टसेलिंग लेखक और
एक स्वतंत्र विचारक हैं। पर्वू के विज्ञापन व्यवसायी विवेक एक लोकप्रिय और निडर वक्ता हैं जो वैश्विक स्तर के
शीर्ष सस्ं थानों में सामाजिक-राजनीतिक मद्दु ों, रचनात्मक दृष्टिकोण और परिवर्तनात्‍मक विषयों पर अपने विचार
व्यक्त करते हैं। विवेक 'इडि
ं क सभ्यता' के एक योद्धा हैं।
विवेक द्वारा निर्मित ‘बद्ध ु ा इन ए ट्रैफिक जाम’ फिल्म शहरी नक्सलवाद पर आधारित है। यह फिल्म
नक्सलवादियों, मीडिया, गैर सरकारी संगठनों और शिक्षाविदों के बीच के खतरनाक गठजोड़ का पर्दाफास करती
है। भारत के पर्वू प्रधानमंत्री लाल बहादरु शास्त्री की रहस्यमयी मृत्यु पर आधारित विवेक की नवीनतम फिल्म 'दी
ताशकंद फाइल्स' को समीक्षकों की बहुत सराहना मिली है।
विवेक की प्रथम पस्ु तक 'अर्बन-नक्सल' सबसे तेज बिकने वाली नंबर 1 रैं क की बेस्टसेलर पस्ु तक बनी है। उनके
द्वारा निर्मित 'अर्बन-नक्सल' (शहरी नक्सल) शब्द अब काननू ी रूप में प्रयोग किया जाता है और इसे सभी
राजनीतिक विश्ले षक, मीडिया और भारत सरकार राजनीतिक वास्तविकता के रूप में स्वीकार करते हैं।
अभिनय क्षेत्र में राष्ट्रीय परु स्कार जीतने वाली अभिनेत्री पल्लवी जोशी के साथ उनका विवाह हुआ है और उनके
दो बच्चे हैं। पल्लवी के साथ मिलकर वह 'आई एम बद्ध ु ा फाउंडेशन' नामक एक एनजीओ का संचालन भी करते
हैं। यह एनजीओ वंचित और जरूरमंद यवु ाओ ं को रचनात्मक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए प्रेरित करता है
और उन्हें प्रशिक्षण भी देता है। अपने उद्यमों के लिए विवेक को राष्ट्रीय और अतं रराष्ट्रीय स्तर पर कई परु स्कारों से
सम्मानित किया जा चक ु ा है।

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