Professional Documents
Culture Documents
आचार्य ने लघु विराम लिया
आचार्य ने लघु विराम लिया
िंस इस िृत्र् िो दे ख िर आिाि रह गर्ा। उसिे सभी सेना पति अपने अपने स्थान पर स्िंलभि हो गए। िोई
भी हहल न सिा।
िहााँ एित्रिि भीड़ उन्मादी हो गर्ी थी। आखाड़े िे सभी प्रहरी भाग खड़े हुए।
उसिे अंगरक्षिों और सेििों िे लसिार् मगध िा एि भी सैतनि नहीं िहााँ हदख रहा था। र्हााँ िि कि िे भी भर्
से िााँप रहे थे। प्रबल िहााँ से तनिलिर अन्िःपुर िे प्रिेश द्िार िी रक्षा िर रहा था, मानो, उसिे ललए मगध
िी राजिुमाररर्ों िी सुरक्षा िरना ही महत्िपूर्य िार्य था। िंस क्रोध में चचल्लार्ा," र्हद मैं इस संिट से सुरक्षक्षि
तनिल गर्ा िो मैंने इन मगधों/मगध सैतनिों िो िापस भेज दं ग
ू ा। िंस ने चार्ूर िो बाहर आने िे ललए
चचल्लािे हुए आदे श हदर्ा। िरु ं ि एि विशालिार् दै त्र् मुष्टटि िे साथ आखाड़े में प्रविटट हुआ। दोनों बालि
(िृटर् और बलराम) भीड़ में ओझल हो गए और उपष्स्थि भीड़ उन्हें विजेिाओं िे रूप में ऊपर उठा िर
दशयिदीघाय में घुमा रही थी। जब िंस उन दोनों िो बलपूिि
य आखाड़े में लाने िे ललए अपने सैतनिों पर चचल्लार्ा।
िहााँ िंस िे आदे श िा पालन िरने िे ललए िोई नहीं था। िंस िे साथ उपष्स्थि पररजनों में घोर सन्नटा छा
गर्ा। र्हााँ िि कि मगध िे लगभग आधे अंगरक्षि अदृश्र् हो गए। िंस अत्र्ंि हिोत्साहहि हो रहा था। उसी
क्षर् एि अिल्पनीर् घटना घहटि हुई। दोनों बालि त्रबना स्िर्ंस्फूतिय से अखाड़े में िूद गए। विश्िास िरो
अथिा नहीं, उन्होंने अपने से दग
ु ने और तिगुने आिर िे र्ोद्धाओं से द्िंद्ि िरने िी चुनौिी स्िीिार िर ली
थी। ऐसा इसललए था क्र्ोंकि उन्हें मल्ल र्ुद्ध में किसी िो पराष्जि िरने िे तनज पराक्रम पर विश्िास था।
िृटर् ने बलराम से हठठोली िरिे हुए िहा, "दाऊ गजराज िो गर्ा और अब हमारे पास र्े दो बाल हाथी हैं। र्हााँ
िि कि अखाड़े िे मध्र् मि
ृ पड़े िुिलर्ापीड िो दे खिर चार्ूर भी भर्भीि हो गर्ा था। उसिी मोटी बुद्चध
उसे हदगभ्रलमि िर रही थी। उसने अपने विशालिार् शरीर से अचधिााँश मल्ल र्ोद्धाओं िो परास्ि किर्ा था।
अचधिााँश समर् उसने बलपूिि
य अबला ष्स्िर्ों पर आचधपत्र् स्थावपि िर उनिा शील भंग किर्ा था। किन्िु र्े
प्रतिद्िंदी बहुि ही िेज और चिुर थे। जैसे ही िृटर् और बलराम चार्ूर िी ओर आगे बढे , मुष्टटि ने बलराम
िो रोििे हुए िहा," अरे मोटे !.. र्हााँ आओ और मझ
ु से द्िंद्ि िरो।" र्ह सुनिे ही बलराम उसिे ऊपर इिने
बल और गति से आ धमिा कि िह अपना संिुलन खो बैठा और भूलम पर चगर पड़ा। बलराम ने भूलम पर चगरे
हुए मुष्टटि िा गला घोटने िे ललए अपने बल िा प्रर्ोग किर्ा। उसने अपना सम्पूर्य बल लगािर उसिो गदय न
से दबोच ललर्ा। चार्ूर ने उसिी पिड़ से छूटने िा पूर्य उद्र्म किर्ा परन्िु इस र्त्न में िह बुरी िरह थि
गर्ा। िहीं दस
ू री ओर, िृटर्, चार्ूर िो चचढ़ा रहा था। िह उसिे चारों ओर घूम रहा था। िुिलर्ापीड़ िो िैसे
परास्ि किर्ा गर्ा था र्ह चार्ूर ने नहीं दे खा था।