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Bhajanslllllll 1
Bhajanslllllll 1
∎ तेरे बगेर सवा�रय िजया नह�ं जाये प्रभुजी मोर� लागी लगन मत तोड़न
तुम आकर बाह पकड़ लो तो कोई बात बने .......... लगी लगन मत तोड़ना ..............
कभी हम� भी �मटायो तो कोई बात बने .............. जल है गहे रा नाव परु ानी २
∎ जहा जो राधा जो संग म� रमण करो प्यार �बच भवर मत छोड़ना ................
वह� पर हमको भी बसालो तो कोई बात बने ......... ब्याज पे ब्याज मत जोड़न.............
बनाऊ फुलोके के बंगल �बराजो तुम प्यारे हाथ पकड़ मत छोड़ना ......................
तेर कारन सब जग छोड़ा ,तुम संग नाता जोड़ा प्यारे तुम संग नाता जोड़ा
ल�िजये हमको शरण म� हम सदाचार� बने ,ब्रह्मचार� धमर्र�क वीर व्रत धार.............................!
�नदा �कसीक� हम �कसी से भूल कर भी न करे ,ईष्यार् कभी भी हम �कसी से भूल कर भी न कर..................!
सत्य बोले झूठ त्यागे मेल आपस म� क,�दव्या जीवन हो हमारा यश तेरा गया करे..............................!
जाये हमार� आयु हे प्रभु लोक के उपकार ,हाथ डाले हम कभी न भूल कर अपकार म� ........................!
क�िजये हमपर कृपा ऐसी हे परमात्मा,मोह मद मत्सर र�हत हॉवे हमार� आत्म...................................!
प्रेम से हम गुरु जन� क� �नत्य ह� सेवा ,प्रेम से हम संस्कृ�त क� �नत्य ह� सेवा .........................!
योग �वद्या ब्रह्म �वद्या हो अ�धक प्यार,ब्रह्म �नष्ठा प्राप्त करके सवर् �हतक...............................!
हर� नाम क� प्याल� �पलात, नीज मस्ती म� हमको डुबाते२,तुम सा करुणा नजर ना कह� आई........................!
तेरे �बन मेरा जीवन अधरु ा,लगता है सब सुना सुना,तुम तो मुझको �मले मेरे सा� ,मेरे जीवन म� महक छा गई ....!
धन दौलत ये मान बड़ाई ,अंत समय कुछ कम न आई ,तुम्ह� सच्ची दौलत मे रे स,क� अँधेरे म� रौशनी आ गई ..!
दे �ख है जब से ये तशवीर तेर�, तब से बदल गई तक़द�र मेर�,कैसी सरू त ये है तेर� सा� मेरे �दल म� है छा गई ...!
हम तो तेरे ह� द�दार चाहे ,द�वाने तेरे प्यार को चाहे,करद� येसी दया मेरे सा�,के उजड़े चमन म� बाहार आ गई ...!
�बन तेरे हम रह नह�ं सकते, ददर् जुदाई का सह नह�ं सकते कैसी माया ये तुमने �दखाई क� धरा पे है रब क� छ�व आ गई..................!
तुमको मेर� उमर लग जाये ,कोई हो जाये ऐसा उपाए ,द�घर् आयु हो तुम,�चर आयु हो तुम
नह�ं सह सकते तुम से हम दरु � ,मेर� द ु�नया तेरे �बन अधरू �,हमारे स्वामी हो तुम,अंतयार्मी हो तुम
हमारे सर पर रहे तेरा साया, हमारे संग ह� चले तेर� छाया ,तुम्ह� सब क� पूजा तुम सा कोई न दूजा
तेरा साथ कभी ये न छुटे ,तुमसे बंधन कभी ये न टूटे ,हमारे जीवन हो तुम ,हमर� धड़कन हो तुम
तुम �नराले हो सारे जहाँ से ,तुम से चलती है ये मेर� सांसे ,मन भी तेरा �दया ,तन भी तेरा �दया
क्या करे जा के मंद�र �शवाले,हमारा सब कुछ है तेरे हवाले, हमर� बंदगी भी तू ,हमर� िजन्दगी भी तू
अजर् सुन लो बापू जी हमर�,हमको पल पल जरुरत तुम्हार,तुमको जब से पाया चैन �दल को आया
सुखासिक्त दोसो क� मात, सकल दोस ह� है दःु ख पाता ,दोष त्याग के �लए सजग ह
नाम रुप्प प्रभु क� माया,अहं कार उसक� छाया है ,माया छाया िजनके आ�श्र
उसे प्रेम से ह� पान,साथी सावधान हो जाना ........................................
जो द�खता है सत्य नह�ं है,जो क� दे खता सत्य वोह� ह ै,प�थक वोह� �वश्राम पा सक
अपना बनाते दर पे बुलाते �गरते �गरते हुए उठाते है ,एरे सा� है �कतने महान ,जो क� दे ते है सबका ध्यान.........
तारा है तारा तुमने �कतनो को तारा मारा है मारा तुमने �वषय� को मारा
दाता हो दाता तुम सबके भाग्य �वधाता,जाता न जाता तुम �बन रहा न जाता
रहते हो रहते तुम सबके �दल म� रहते ,कहते हो कहते तुम सबके �हत क� कहते
आया है आया मेरे �दल को शुकून आया ,भाया है भाया तेराचेहरा नरु ानी भाया
रहना हम� रहना है तेर� शरण म� रहना,कहना हम� कहना हम� थामे सदा ह� रहना
द�न दख
ु ी सबके तुम रखवाले हो .......................................
तू मीरा जस
ै ी भिक्त कर तू �कसी भी दुःख से कभी न दर,तू जनम जनम के �फर न मर तर� गे तुझको बस गुरुव
तेरे भीतर अमर खजाना है बस पद� को ह� हटाना है ,बु�द्ध शिक्त को बढ़ाना है बस ईश्वर को ह� पाना
करनी जस
ै े भी करे गा पायेगा तू उसका फल ........................................
गुरु प्रेम म� दुबक� लगाये जा गुरु मंत्र का कवच बन,तू �ान का अमत
ृ पायेजा गुरुवर का गुण तू गायेजा
तू शिक्त अपनी जान ले तू खुद को ह� पहचान ले,कहना तू गुरु का मान ले उचा उठने क� ठान ले
तेरे भीतर ह� �छपा है ईश प्रािप्त का .......................................
तझ
ु े पतन से खद
ु को बचाना है तझ
ु े संयम अपना बढ़ाना है ,तझ
ु े कभी नह�ं घबराना है बस आगे बढ़ते जाना है
तू प्री�त अपना बढ़ता जा अतम शां�त तू पाता ज,तू गुरु म� लह्गन लगायेजा जीवन तू अपना सजाये
तू वीर �शवा जी जैसा बन तू भिक्त बढ़ाने वाला ब,तू ध्रुब के जैसा आज चमक तू प्रह्लाद के जैसा प्या
मेरे मन म� तुम्ह� रहते सदा हसते हसाते हो,मेरे धड़कन म� तुम बसते सदा हसते हसाते हो
करू मै प्री�त तुम से ह� मुझे तुम क्य� सताते,तेरे दशर्न का व्रत मेरा तो चेहरा क्य� छुपाते
मेरे मन क� चंचलता को उसे सीधी राह चलाते हो ,मै भोगो म� रहा डूबा मुझे तम
ु ्ह� बचाते हो
जले ज्यो�त परम शां�त के उसे तुम्ह� जलाते , बने जीवन उध्वर्गामी िजसे तुम्ह� उठाते
पण
ू र्ता के परम स्वामी गुरुवर याद आते .......................................
भरे झोल� गुरु प्यारे दयालुता �दखाते ह,रहे न कोई खाल� सभी को प्यार देते हो
जब हम बैठे थे सख
ु ो म� तू सख
ु ा रहा था तन को ,जब हम बैठे थे घरो म� तू भुला रहा था मन को
वो कैसी राते ह�गी पभु प्रेम म� जब तू रोय,द ु�नया थी नींद म� सोई तू भर भर प्याले रोया
नगर सेठ कहलाने वाले गुरुदार पे मरता �मटता,तेर� मज� परू ण हो ये ध्यान ह्रदये म� धर
गाडी चल� है गर
ु ु के दरबार िजसको चलना है हो जाओ तैयार
गाडी चल� है गुरु के दरबार िजसको चलना है हो जाओ तैयार
वो हो जयो तय
ै ार 2वो हो जयो तैयार ..............................
तुम हो गुरुवर प्राण� से प्य,मेरे हो तुम सबसे द ुलारे ,दखो मेरे �दल से न जाना ,तुमको म�ने अपना माना
धन भाग्य हमारे आज हुए शुभ दशर्न ऐसे सदगुरु 2 पवन �कन्ह� भारत भू�म2 ब�लहार� ऐसे सदगुरु क�......
क्या रूप अनुपम पायो है सोहे जीमे तारो �बच चन्2 सूरत मूरत मोहन कार� 2 ब�लहार� ऐसे सदगुरु क�..........
व्याख्यान छटा जीमे इंद्र घटा बरसत वाणी अमृत ध2 वो मधरु मधरु अजब धन
ु ी 2 ब�लहार� ऐसे सदगुरु क�...
गुरु �ान रूपी जल बरसा कर गुरु धरम बगीचा लगा �द2 �खल रह� है कैसी फुलवार� २ब�लहार� ऐसे सदगुरु क�
तेरे दरबार म� क्या म� क्या राजा क्या �भखार� प2 हाँ हाँ कचरै � फशर् पर करतार ने लगा� ह ै...............
आपे बगीचा ते आपे ह� माल� 2 आपे ह� क�लयां ते आपे ह� डाल� 2 आपे ह� फुल गुलाब बन्देया बीती जाये िजंद.
सदगुरु मेरे डा नूर है मुखड़ा,दशर्न �कतेयाँ दे �मट जावे दुखड़ा2 रज रज दशर्न पा बन्देया बीती जाये िजंदगानी ह
लबदां �फरे �बच पथरा च पाणी 2 तेर� बु�द्ध क्य� मार� गई प्2अंदर शािन्त तू पा बन्देया बीती जाये िजन्द
सदगुरु मेरे पूरण ब्रह्म�2घट घट दे �बच बसदा मेरा स्वामी2 अंदर द� ज्योत जगा बन्देया बीती जाए ज.....
�शव क� जटा क� गंगा बोले मेरे जैसा बनना 2 सदा प�वत्र रहना तुम औरो को प�वत्र क
गुरु का �ान पाकर बन्दे सबको पवन कर, काहे ह�रा जनम गवाए .........................
�शव क� हाथ क� डमरू बोले मेरे जैसा बनना2 दःु ख आये या सुख आये सदा मगन म� रहना ......
�शव मश्तक का चन्दा बोले मे रे जैसा बनन२ �ान गुरु का पाकर प्यारे मश्तक ऊपर स.........
�शव के हाथ �त्रशूल बोले मे रे जैसा बनन2 तीन गुण� के तीन शुलो से ऊपर उठते रहना .......
�शव के गले का सपर् बोले मेरे जैसा बनना२ मान जो चाहे औरो का गुरु के हाथो म� ह� रहना....
गर
ु ु सत मारग बतलाये कोई �बरला ह� वहां जाये
गुरु सत मारग बतलाये कोई �बरला ह� वहां जाये,नमो नम: गुरुदेव तुमको नमो न:
को�ट जनम क� मैल उतार� कृपा द्रिष्ट सब काज सवा2सत्संग साधन बतलाये कोई �बरला ह� वहां जाए.....
अमत
ृ पान क� �व�ध बताई ,जन्म जन्म क� प्यास बुझ2 भवसागर से तर जाये कोई �बरला ह� वहां जाये ..
मीरा द�वानी हो गई रे .
मीरा आ ..................................................................................................
द�वानी हो गई ...............................................................................................
मीरा द�वानी हो गई रे मीरा मस्तानी हो गई2 श्याम रन म� रंगी चुन�रया हो...............आ .............
राणा क� रजधानी छोड़ी लोक लाज सब छोड़ी 2 रं ग के श्याम रंग म� चुनर मीरा जी ने ओढ़�
इस द ु�नया से प्रीत छोड़ कर शावर रंग चढाय२ साथ सभी का �दया छोड़ कर गीधर �गरधर गाया
परै ो म� वो घग
ुं रू बाँध कर नाचे झूमे गाये2 भई �बरहनी श्याम �बरह क� और न कोई भा
बद
ं ृ ावन क� गई डग�रया हो .....................हा ...........................................
लगन लगी है तेरे दरस क� और न कोई भाए २गल� गल� तुझे ढूंढती डोले कह� न कह� तू पाए
भीतर से जब बाहर लाये छुट गइल सब महल अट�रया ,चलन के बे�रया ........................
चार� जना �मल� खाट उठावे 2 रोवत ले चल� डगर डग�रया, चलन के बे�रया .................
कहत कबीर सुनो भाई साधो 2 संग चल� बस सुखी लक�ड़या चलन के बे�रया ..................
मं�दर सन
ू ा एक द�पक �बनु 2 द�पक है सन
ू ा ज्यो�त �बना2 जार जाया ऐसा जीना भजन �बना ........
गरै ो क� बात करे क्या मुझे अपन� ने ठुकराया2 बन गया �पता तू मेरा तूने हर पल साथ �नभाया
मइया बन कर के तूने मुझे स्नेह का �दया ह ै छाया2 बन गया �पता तू मेरा तूने चलना हम� �सखाया
मै �कसी से कुछ क्या मांगू,�बन मांगे ह� सब पाऊ 2 जब द्वार �मला बापू तेरा मै �कसी के दर क्य� ज
�कतनी कृपा क� तूने ये मुख से कहा न जाये 2 जब जब याद करू तो मेरा हृदये भर भर आय
ये दास कहे ३ क्या अब कुछ ओ मेरे सदगुरु प्यारे मुझी नह�ं चा�हए ...................
हृदये म� माँ गौर� ल�मी कंठ शारधा माता ह ,2 जो भी मुख से बचन कहे वो बचन सत्य हो जाता है2
है गुरु ब्रह्मा है गुरु �वष्णु है शंकरभगवान् आपके चरण� म� हे गुरुदेव प्रणाम आपक ................
जन्म के दाता मात �पता है आप कमर् के दाता ह2 आप �मलाते हो ईश्वर से आप ह� भाग्या �बधाता ह2
द�ु खया मन को रोगी तन को �मलता है आराम आप के चरण� म� हे गुरुदेव प्रणाम आपके चरण� .............
�नबर्ल को बलवान बना दो मुरख को �वद्वान् प्2 सभी साधक भक्तो को भी �ान का दो वरदान प्र2
हे माहादानी हे माहा�ानी रहू मै सुबह शाम आपके चरण� म� हे गुरुदेव प्रणाम आप के चरण� ............
दोहा- कतार् करे न कर सके गुरु करे सो ह,तीन लोक नव खंड म� गुरु से बड़ा न कोई||
जनम गवाया जीवन गवाया,नस्वर जोड़ा सत को न पाय,बस तुम्ह� जीवन आधार सद्गुरु आया तेरे द्2
दया धरम का मुझको वर दो,भिक्त से मेर� झोल� भर द,तेरा करता रहू द�दार ,सद्गुरु आया ते रे द्व2
सद्गुरु तुम करुना के स,गुरु सेवा से भर दो गागर,मेर� �बनती करो स्वीकार बापू आया तेरे द्वा2
द ु�नया रुलाया बहुत सताया,सच्चा प्यार कह� न पाय,बस पाने को तेरा प्यार बापू आया तेरे द्वा2
तेरे नाम का आसरा �मल गया है ,है करतार तेर� बड़ी मेहरबानी.......
जहा �चत्त हो चंचल जगत के सुखो म,वहा पर मै उसका शमन चाहता हूँ .....
4 न पच
ु ो ये मुझ से मै क्या देखता हू,मै तेर� नजर म� खद
ु ा दे खता हूँ
5 �मटे िजस तरह से ये भव दःु ख बंधन,मै येसा ह� साधन भजन चाहता हूँ
नह�ं �दख रहा है अब कोई �कनारा गुरु अब तुम्हार� शरण चाहता हू.......
7 अब प्रभु कृपा करो येह� भा,सब तिज भजन करहूँ �दन राती
1 भजन करे गा बड़ा सुख पायेगा2 भिक्त से आत्मा का मैल धुल जाए2
कोई �पछले जनम के अछे करम ,मुझे बापू तेरा द्वार �मला2
3 कोई और हम� अब क्या देगा,इस दर से जो म�ने पाया है 2 िजसको तरसे जन्नत साड़ी मेरे �सर पर तो वो साया ह
4 श्रधा से जो ते रे दर बैठ2 उसने ह� सब कुछ पाया है 2 धन दौलत चरण� क� दाशी संसार भी फ�क� माया 2
2 ब्रह्मा �वष्णु महेश्वर ये तीनो रूप ग,करुना वश ये होकर धारे रूप गुरु
3 म�हमा इनक� �नराल� अद्भुत ल�ला करत,खेल-खेल म� सबको �ान से झोल� भरते
4 सत्संग क� वषार् कर के पाप ताप को �मटा,घट-घट म� व्याप म� व्याप रहा जो पल म� दशर् करा