स्वर सन्धि

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'स ध'

स ध/सं ध(सम्+ ध)श द का अथ है 'मेल'


या जोड़।

दो नकटवत वण के पर पर मेल से जो
वकार/प रवतन होता है वह सं ध कहलाता है।
सं कृत, ह द एवं अ य भाषा म
पर पर वण के मेल से उ प वकार को
स ध कहते ह।
जैस-े दे व+इं =दे व , भानु+उदय=भानूदय आ द।

जस कार नीला और लाल मलकर बैगनी रंग बन जाता


है उसी कार स ध एक " ाकृ तक" या "सहज" या है।

स ध के भेद:-
स ध मु यतः तीन कार क होती ह -
1. वर स ध या अच् स ध
2. न् स ध या हल् सं ध
3. वसग स ध
नलेश नागर
9165746375
1
1. वर स ध या अच् स ध

दो वर के मेल से होने वाले


वकार/प रवतन को वर-सं ध कहते ह।जैस-े
व ा+आलय= व ालय।

【 नयम:- "+" के नशान से पहले वाले श द का अं तम


वण वर हो तथा "+" के बाद वाले श द का थम वण
भी वर हो।】

वर-सं ध पाँच कार क होती ह -


1. द घ सं ध
2. गुण सं ध
3. वृ सं ध
4. यण सं ध
5. अया द सं ध

नलेश नागर
9165746375
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1.1 द घ सं ध
सू - "अक: सवण द घः"

अथात् अक् याहार के बाद उसका सवण


आये तो दोनो मलकर द घ बन जाते ह।

अथ:- दो समान वर मलकर द घ हो जाते ह।

नयम:-अ/आ के बाद अ/आ हो तो "आ"


इ/ई के बाद इ/ई हो तो "ई"
उ/ऊ के बाद उ/ऊ हो तो "ऊ"
होता ह। 】

नलेश नागर
9165746375
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द घ सं ध के उदाहरण:
(क) अ और आ
1.अ+अ=आ अ +अभाव=अ ाभाव, धम+अथ=धमाथ
2.अ+आ=आ भोजन+आलय=भोजनालय
3.आ+अ=आ व ा+अथ = व ाथ
4.आ+आ=आ महा+आ मा=महा मा, व ा+आलय= व ालय

(ख) इ और ई
1.इ+इ=ई ग र+इं = गर , र व+इं =रव
2.ई+इ=ई मही+इं =मह , नारी+इं =नार
3.इ+ई=ई ग र+ईश= गरीश, मु न+ईश=मुनीश
4.ई+ई=ई रजनी+ईश=रजनीश, मही+ईश=महीश

(ग) उ और ऊ
1.उ+उ=ऊ भानु+उदय=भानूदय, वधु+उदय= वधूदय
2.उ+ऊ=ऊ अंबु+ऊ म=अंबू म, लघु+ऊ म=लघू म
3.ऊ+उ=ऊ वधू+उ सव=वधू सव, वधू+उ लेख=वधू लेख
4.ऊ+ऊ=ऊ भू+ऊजा=भूजा, भू+ऊ व=भू व

नलेश नागर
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1.2 गुण सं ध
सू - "आ गुणः"
अथात्:- अ/आ के बाद इ/ई हो तो 'ए'
अ/आ के बाद उ/ऊ हो तो 'ऊ'
अ/आ के बाद ऋ हो तो 'अर् होता है।

अथ:- अ/आ के बाद इ/ई, उ/ऊ,


ऋ हो तो मशः ए,ओ,अर् होता है

गुण सं ध के उदाहरण:-
1. अ+इ=ए नर+इं =नर
2. अ+ई=ए नर+ईश=नरेश
3. आ+इ=ए महा+इं =मह
4. आ+ई=ए महा+ईश=महेश
1. अ+उ=ओ ान+उपदे श= ानोपदे श
2. आ+उ=ओ महा+उ सव=महो सव
3. अ+ऊ=ओ जल+ऊ म=जलो म
4. आ+ऊ=ओ महा+ऊ म=महो म।
1. अ+ऋ=अर् दे व+ऋ ष=दे व ष
2. आ+ऋ=अर् महा+ऋ ष=मह ष

नलेश नागर
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1.3 वृ सं ध
सू - "वृ रे च"

अथात्- अ/आ के बाद ए/ऐ हो तो 'ऐ' और


ओ/औ हो तो 'औ’ हो जाता है|

वृ सं ध के उदाहरण:-

1. अ+ए=ऐ एक+एक=एकैक
2. अ+ऐ=ऐ परम+ऐ य=परमै य, मत+ऐ य=मतै य
3. आ+ए=ऐ सदा+एव=सदै व
4. आ+ऐ=ऐ महा+ऐ य=महै य
1. अ+ओ=औ परम+ओज=परमौज
2. आ+ओ=औ महा+ओज वी=महौज वी
3. अ+ओ=औ वन+औषध=वनौषध
4. आ+औ=औ महा+औषध=महौषध

नलेश नागर
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1.4. यण् सं ध
सू :- इको यण च
अथात्-
(क) इ/ई के आगे कोई वजातीय (असमान) वर होने पर
इ/ई को ‘य्’ हो जाता है।
(ख) उ/ऊ के आगे कसी वजातीय वर के आने पर उ/ऊ
को ‘व्’ हो जाता है।
(ग) ‘ऋ’ के आगे कसी वजातीय वर के आने पर ऋ को
‘र्’ हो जाता है।
【 नयम- इ/ई, उ/ऊ, ऋ को म से य,व,र होता ह असमान
वर बाद म हो तो】

यण् सं ध के उदाहरण:-
1. इ+अ=य्+अ य द+अ प=य प
2. ई+आ=य्+आ इ त+आ द=इ या द।
3. ई+अ=य्+अ नद +अपण=न पण
4. ई+आ=य्+आ दे वी+आगमन=दे ागमन
1. उ+अ=व्+अ अनु+अय=अ वय
2. उ+आ=व्+आ सु+आगत= वागत
3. उ+ए=व्+ए अनु+एषण=अ वेषण
1. ऋ+अ=र्+आ पतृ+आ ा= प ा ा

नलेश नागर
9165746375
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1.5 अया द सं ध
सू :- एचो$यवायावः
अथात्-
ए/ऐ, ओ/औ के बाद वर के होने पर ए को अय्, ऐ
को आय्, ओ को अव्, औ को आव् हो जाता है।

【 नयम:- ए को अय्, ऐ को आय्,


ओ को अव्, औ को आव् 】
अया द सं ध के उदाहरण:-
1. ए+अ=अय्+अ ने+अन=नयन
2. ऐ+अ=आय्+अ गै+अक=गायक
3. ओ+अ=अव्+अ पो+अन=पवन
4. औ+अ=आव्+अ पौ+अक=पावक, नौ+इक=ना वक

तुतकता :-
नलेश नागर
श त नातक श क(सं कृत)
क य व ालय बलरामपुर {9165746375}

नलेश नागर
9165746375
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