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नम कार

जीवन एक अ त घटना
हचय ही जीवन
अ या म गूढ़ और रह यमय
ई र एक खोज
मृ यु एक अका सय
।।।।।।।।।।।।।।।परमा मा आपको शां त दे ।।।।।।।।।।।।।।।।
Whole books is Written By Rahul Sharma(Vairagi)

वषयसू च
1. छा जीवन क रोचक घटना
ै ी
2. पूणतः दै वीय अनुभव
3. अ त क सा
4. छायापु ष ाटक स अनुभव
5. मनो व ान योग
6. आ मा
7. आ मा क ऊजा का एक अ द योग
8. अ सरा साधना क सा
9. आ मसूय के दशन
10. सव म अनुभव
11. आ ाच से संबं धत यान अनुभव
12. यान अनुभव
13. भटकती ई ेतनी क दा तान
14. मेरा अ त व
15. भगवान म व ास
16. कान का रह य
17. कुंड लनी जागरण के बाद मेरे डरावने अनुभव
18. पारस पु ष
19. ा जी का सर वती जी से ववाह रह य
20. यान और ाट क
21. ा म व ास
22. जुड़वां आ मा का रह य
23.
सनातन धम के दो प
24.
मानव शरीर म आ मा का नवास ान
25.
वर व ान
26.
यौन इ ा को नयं त कैसे करे?
27.
फला चूण कसे नह लेना चा हए?
28.
ौ े े े
सुबह ज द उठकर दौड़ लगाने के या फायदे ह?
29.
एक ी का कौन सा भाग सबसे प व होता है?
30.
ब े/नवजात को दफ़नाने का रह य
31.
सुबह ज द उठने के सट क उपाय
32.
सूय नम कार
33.
या चय पालन करने से दमाग क श बढ़ती है?
34.
शाद शुदा जीवन म से स कतना ज री है?
35.
ई र को उस समय य नह रोकता, जब वह
कोई पाप कर रहा हो?
36.
य द सब कुछ माया या म है, तो आ म ान कैसे?
37.
पूवज म का कम रह य
38.
ई र दशन अ द कथा
39.
ाजी को वेद का ान कराने वाले कौन ह?
40.
आ मा और परमा मा म या अंतर है?
41.
बु और बौ
42.
आ खर य भगवान राम और भगवान कृ ण को दाढ़
म नह दखाया जाता?
43.
ई ै ै े
ई र सव ापक है! कैसे?
44.
सुख और ख म ई र के त हमारा कोण
45.
दे वी व दे वता म कौन अ धक श शाली है?
46.
ाथना
47.
त या उपवास का माहा यम
48.
जीव
49.
भगवान साकार या नराकार
50.
तृ त ही ा त" या " ा त ही तृ त
51.
व ान को माने या भगवान
52.
अपने अंदर के 'म' (अ ) को कैसे ख म कर?
53.
इंसान ई र क सबसे खूबशूरत कृ त है, कैसे?
54.
या भगवान और क मत जैसा कुछ नह ह?
55.
या एक आम इंसान रोज़मरा के कामकाज म उलझ
कर भी कुंड लनी जागृत कर सकता है?
56.
कस उ म एक पूरी तरह से संतु है?
57.
या बोधन ही मह वपूण उ रदा य व?
58.
ांड म आ मा और परमा मा रह य
59.
मृ यु
60.
जीवन जीने का सबसे सरल तरीका या है?
छा जीवन क
रोचक घटना
ये साल 2009 क बात है, मेरा एड मशन आ लास 11 म। चूं क मेरी पढ़ाई उ र दे श
बोड से ई है पहले बता दे ता ं। नया कूल था, मेरे लए ब कुल, म सरे कूल से वहां
आया था दा खला लेके।
पहले दन म ज द प ंच गया, और जाके अपनी लास म बैठ गया,
चूं क ये जो रा य के बोड से संबं धत कूल होते ह इनमे लड़ कयां एक तरफ बैठती ह, और
लड़के एक तरफ। बाक कूल म जो भी होता हो।
पहले दन म सबसे आगे जाके बैठा था।
फर दे खा कुछ नए लड़के आये मेरी लास म, और कहते ह
लगता है इस कूल म नए आये हो।
यहां का नयम है क जो लयंट होगा वही सबसे आगे बैठ सकता है।
मैने जवाब दया क मुझे कोई शक नही खुद क का ब लयत पे, और अगर तु ह भी न हो
तो बैठ जाओ।
कु सयां जुड़ी ई थी, जसमे 4 लोगो के बैठने क मता होती थी। पर सब मेरी पीछे क
कु सय पे बैठ गए।
और इस तरह धीरे धीरे पूरी लास भर गई, लड़के लड़ कय से। उस लास म टू डट क
सं या, 150 थी उस समय, जसमे आधी लड़ कयां और आधे लड़के थे लगभग। मेरी
कुस पर मेरे जैसे ही नए दा खला लेने वाले आके बैठ चुके थे।
म काफ उ सा हत था, और अंतमन म चल रहे ढे रो वचार पे झूल रहा था। खैर शां त ई,
और लास म एक लंबे कद काठ के का वेश आ। लाल आंखे जैसे नशे म धधक
रही थ , वो आके कुस पर बैठे। और सबको घूरने के बाद बोले,
दे खए आप सब यहां पढ़ने आये ह, इसी लए लास म शां त बनाए रख, और शरारत मत
करे वरना आपको कूल से नही नकाला जाएगा अ पतु आपको एक अ ा इंसान बनाया
जाएगा, उसके लए चाहे हमे कतने भी डं डे तोड़ने पड़।
उनका कठोर दयी भाषण सुनके हम सब ठठके और थोड़ा सहम।
इसके बाद उ ह ने कहा चलो आप सब अपना प रचय फटाफट दो।
चूं क म सबसे आगे था लड़को म, तो उ ह ने मुझे कहा, इन वटे शन दे ना पड़े गा या, अपना
प रचय दो ज द ।
म खड़ा आ तुरंत और, अपना नाम और कस कूल से और कस जगह से आया ं बता
दया, उ ह ने बैठ जाने का इशारा दया। इस कार पूरी लास का प रचय आ जसम
कई लड़के लड़ कय क काफ मौज ली सर जी ने, पर वो अभी भी उतने ही कठोर थे।
खैर इसके बाद उ ह ने अपना प रचय दया और बताया क वो हद पढ़ाते ह। फर इसके
बाद उ ह ने मुझे बुलाया हद क कताब लेके, और म उनके बाएं साइड खड़ा हो गया
चूं क इसी तरफ हम सब लड़के भी बैठे ए थे। ले कन उ ह ने मुझे दा हनी साइड कया
जस तरफ लड़ कयां बैठ ई थी। और कहा अरे शमा जी आप तो ा ण हो इन
लड़ कय को आपके हद के ान क ब त आव यकता है, उ ह ने तंज कसा।
खैर इसके बाद मने पहला अ याय खोलके पढ़ने के लए उनक तरफ दे खा उ ह ने मुझे
पढ़ने का इशारा कया।
मैने पढ़ना शु कया तो उ ह ने मुझे टोका और कहा धीरे पढ़ो शमा जी, जससे हम भी तो
आपके हद ान को समझ पाएं। मैने धीरे धीरे पढ़ना शु कया, थोड़ी दे र बाद मेरे गाल पे
झ ाटे दार थ पड़ पड़ा।
मेरा भेजा ाई हो गया, उनके हाँथ क लंबाई चौड़ाई और उसक मजबूती ने मेरे गाल पे
कान पे और आंख के बगल तक छाप रख द । ब त भयानक दद आ मने अपने अंतमन से
पूंछा ऐसा य ? कोई जवाब नही, सब सु त,,
म समझ गया ये परी ा और श ण का समय है और यह एक पड़ाव है, और इससे मेरी
उ त होगी। इतनी ज द मने खुद को समझा भी लया।
खैर लास म स ाटा छा गया सब चुप कुछ मुह दाब के हंस रहे थे कुछ लड़ कयां तो एक
सरे एक बगल म छु पके अपनी हँसी छपा रही थ ,,,,,, फर सर ने मुझे बोला शमा जी
आप क हद अ है पर ज द ज द म आप छोट छोट उ ारण मे गल तयां करते हो।
खैर उ ह ने मुझे दोबारा पढ़ने का इशारा कया, मने फर पढ़ना शु कया, इस बार थोड़ी
दे र म पीठ म तेजी से एक घूंसा मार दया गु जी ने, और कहा जबतक गल तयां करोगे
तबतक इसी तरह आपक सेवा होगी पं डत जी। अब आप समझ गए ह गे उ ह ने मुझे
दा हनी तरफ य खड़ा कया था।
इस तरह 1 थ पड़ और 1 घूंसा खाके। मेरा समय पूरा आ बाक सबका समय आया, इस
खेल म म अकेला नही था बाक सब क भी अ े से धुलाई ई डांटा गया, हद के गु जी
न प थे सब को बराबर ठोकते थे। जो लड़ कयां हंस रही थी उ ह तो गु जी क आवाज
ने ही ला दया था, अब हमारे जैसो क बारी थी हसने क । खैर, गु जी का समय समा त
आ वो गए। उसके बाद बाक पी रयड् स म ऐसा कुछ था नही सब पार हो जाते थे, फर
चाहे रसायन हो, भौ तक हो, ग णत हो ये सब ै टकल वषय ह, मुझे इनमे द कत नही
ई।
इसी तरह हर दन, कभी 2 तो कभी कभी 5, 6 थ पड़ खाने पड़ते थे। हद के गु जी जरा
सी भी गलती बदा त नह करते थे। आ का अगर आपने अ बोल दया समझो कुट गए।
एक दन ऐसे ही गु जी ने मुझे कस के जड़ दया थ पड़, मने दे खा कुछ कु सयां छोड़ के
एक लड़क रो सी रही थी, उसके आंसू मने दे खे और वो मुझे दे ख रही थी, पर तुरंत सरी
तरफ मुह फेर के खुद के आंसु को छपा लया उसने। वो थोड़ा लंबी भी थी इस लए भी
ज द दख गयी मुझे, मेरा भी यान केवल उसी पर य गया म समझ नह पाया। खैर
पास ही बैठ लड़क ने गु जी से कहा सर उसके ह ठो पर खून तो मने तुरंत माल नकाल
के चेक कया तो थोड़ा कट गया था जससे खून नकल आया था। खैर गु जी ने तुरंत मुझे
नीचे भेजा सपल म म वहां मने चपरासी से लेके थोड़ी बोरोलीन लगाई और वापस
आया। गु जी ने मेरा इंतज़ार कया उसके बाद कहा ठ क हो, अब मैने हां म जवाब दया।
और अपनी कुस पे जाके बैठ गया। खैर बाक लोगो का नंबर आया पढ़ने का। इसके बाद
उस लड़क का भी पढ़ने का नंबर आया जो मुझे दे ख के अपने आँसू छपा रही थी, मैने
उसको दे खा, सुंदर नैन न से भरपूर गोरा रंग, और सभी लड़ कय से अलग ही थी वो,
ऐसा लगा जैसे कोई राजकुमारी दा सय के बीच आके बैठ हो(जब आप उ के उस पड़ाव
म होते ह तो आपको पसंद आने वाली लडक़ आपको राजकुमारी ही दखती है इस लए
लड कया बुरा मत माने)। इसके पहले मने उसपर यान नही दया था। खैर म तो उसक
सुंदरता ही दे खता रह गया पर जब वो पढ़ के चली गयी तो गु जी ने मुझे कहा दे खा, शमा
कतने अ े से पढ़ा दे वी जी ने, कुछ सीखो इनसे। मने कहा जी सर अव य। उस लड़क
ने मुझे ब त ह क सी मु कान द ।
अब तो म उससे बात करना चाहता था, 1 ह ते तक मने उसे दे खा उसने मुझे दे खा, पर
कुछ नही आ।
मने हद को और अ े से पढ़ा, तो एक दन जब गु जी एक भी थ पड़ नही मार पाए तो
बोलते ह, आज आप असली पं डत बने, "कोई भी कम से ा हण बनता है ज म से नही" ये
बात उनक मुझे आज भी याद है 10 सालो के बाद भी। उनका नाम था शवनारायण म
और वे भी एक स े ा हण थे,(मतलब ह)।।
एक दन लंच के समय वो मुझे पानी पीने वाली जगह मल गयी मने उससे कहा,
सु नए, उसने मेरी तरफ दे खा, मने तुरंत कहा आप ठ क हो? उसने कहा य ? मैने कहा
उस दन आप रो रही थ जब मुझे थ पड़ पड़ा था, य ? तो उसने कहा नही वो तो आंख म
कचरा चला गया था इस लए। फर वो चली गई मुझे टाल के। उस दन से वो मुझे दे ख के
मु कुरा दे ती थी।
खैर एक दन मने उसे सी ढ़य पे चढ़ते ए जाते दे खा और उससे कहा यूंही मु कुराती
रहोगी या इसका कुछ मतलब भी बताओगी?
ये सुनके उसक ड हँसी और उसका हाँथ पकड़ के रोक के उसे बोली जाओ शमा जी
बुला रहे ह, उ ह मु कुराने का मतलब समझाओ, और वो चली गई। म तुरंत उसके पास
गया और उससे कहा या नाम है तु हारा?
उसने जवाब दया अं कता… मैने अपना भी नाम बताया। इसके बाद वो चली गई। और म
उसके मुड़ के दे खने का इंतज़ार करता रहा, पर वो नह मुड़ी।। फर उस दन मुझे पता चला
ये मुड़ने वाला आई डया, द वानापन और फ मी है।
अगले दन लंच के समय उसने अपना ट फन नकाला और म तो जैसे उसी के सपन म
था, और उसी को तड़ रहा था तुरंत उसके पास प ंच गया, वहां लड़के नही थे सब कट न म
थे, इसी लए इससे कोई उसका मजाक भी नही उड़ा सकता था, लड कया भी यादा नही
थी पर उसके आस पास थ । मैने कहा "अं कता, मुझे भी कुछ मलेगा खाने को, उसने मुझे
ट फन थमा दया, और कहा लो खालो, जो भी तु हे खाना हो, मैने उस क तरफ दे खा उसने
वीकृ त द खुशी से। दे खा रवे का हलुवा था जसमे ब त अ खुशबू आ रही थी, और
तरह तरह के ाई ू ट् स उसमे नजर आ रहे थे, मने थोड़ा सा पेपर म लेके बाक उसे दे
दया और बड़े चाव से हलुए का आनंद लया। और बाद म तारीफ भी क ।
लास म मेरे बो अंदाज को दे ख के वो मुझसे ब त भा वत ई। मैने उसके मन को
जीत लया था। इस तरह से हमारी दो ती ब त मजबूत हो गयी। नंबर ए सचज ए, और
हम दोन क दो ती और गहरी हो गई। हम बाहर भी मले, घूमे फरे। म उसके घर भी जाने
लगा, चूं क म औपचा रकताएं पूरी करता था और एक ज मेदार भारतीय नाग रक क तरह
बात करने क ेरणा मेरी वाभा वक थी इसी लए उसके पेरट् स मुझपर पूण भरोषा रखते
थे, और उनक ब टया पढ़ने म ब त हो शयार और समझदार भी थी।
एक दन र ववार को अं कता ने मुझे बुलाया उसके घर, म प ंचा तो कोई भी नही था
अं कता के अलावा वहां, हम अंदर प ंचे बैठे बाते शु , मने उससे पूंछा या आ य
बुलाया। उसने कोई जवाब नही दया बस मुझे दे ख के मु कुरा रही थी, पर थोड़ी दे र म
बोली ब त बुरा लग रहा था और कोई नही था घर पर इसी लए स चा तु हे बुला लू, मेरी
ड को बुलाया पर वो भी नही आई।
मैने उसका हाँथ पकड़ा और कहा या आ सब ठ क? उसने मेरी तरफ दे खते ए, कहा
"तुम य इतने अ े अ े बने रहते हो? या सच मे ऐसे हो क ये कोई अ भनय है
तु हारा, य क म कभी भी तु हारे जैसे लड़के से नही मली, तुम ब त साहसी हो, ऐसा
होने क ेरणा तु हे कैसे मलती है?
मैने कहा ये पूछने के लए बुलाया है क म ऐसा य ? मैने भी स चा या जवाब ं ।
इसी लए मने भी कह दया, " म सफ और सफ तु हारी वजह से ऐसा बना ँ, मुझे तुमने
ऐसा बनाया है, मुझे तुमसे ेरणा मलती है साहसी बनने क, मने कहा तुम भी तो इतनी
अ हो इसी लए ऊपर वाले ने मुझे तुमसे मला दया। मैन कहा अगर तु ह लगता है क
तुम अ भनय नही कर रही हो तो समझो म भी अ भनय नही कर रहा ँ।
इतना कहना था क उसने मुझे कसके गले से लगा लया मने भी उसक मदद क , और वो
भर भर के आंसू रोने लगी, और उसने कहा तो ठ क है हम एक जैसे है तो कभी भी एक
सरे का साथ नही छोड़गे, सारी जदगी साथ रहगे। अब म तु हारे बगैर ब कुल भी नही
रहना चाहती, इसी लए चलो हम कही र चले जाएं सब से जहां कोई न हो सवा हमारे।
मने भी उसके जोर से धड़कते दल क तड़प को महसूस कया तो मने भी उससे कह दया
ठ क है, ऐसा ही होगा परेशान मत हो।
उसके 2 दन तक वो कूल नही आई, अगले दन जब वो मली मुझे। तो उसने कहा दे खो
उस दन जो आ वो बचकाना था, यादा मत सोचना, हम ऐसा कुछ नही करगे, ये सब
फ मी नाटक है, वो बोलती गई म सुनता गया।
बाद म मुझसे कहती है कुछ समझे रा ल?
मने कहा उस दन भी मने हां क थी, आज भी हां कह रहा ँ। च भी तु हारा प भी
तु हारा। म तो आज भी तट ं, पर तुम न भटकना अपनी जदगी म। खैर वो इतना
सुनके चली गयी। उसके बाद पेपर आ गए, हमारी कोई बात नही ई, छु य म भी मेरी
उससे कोई बात नही ई। सब ख म हो चुका था, बना कसी के कहे। मुझे भी काफ बुरा
लगा, पता नह य पर म खुद को समझा नही पा रहा था, ये कुछ ब त पसंद दा चीज खो
जाने सा अनुभव था। गाने सुनने का मन करता था। उन गान म भी वही दखती थी। उस
दन म समझा था क एक लड़क से स ी दो ती या ेम करना कतना मु कल हो जाता
है जब वो दो ती टू ट जाती है। खुद को समझाया मैन क शायद उसका वो ेम आक मक
था जसमे उसे मुझपर अचानक से आकषण हो गया और उसने मुझसे दो ती कर ली। पता
नही लड़ कय को भला कौन समझ सका है।
लास 11 के बाद उसने उस कूल से नाम ही कटवा लया और 12 के लए कही और
एड मशन ले लया। पता नही या आ म उसक मनोवै ा नक त समझ नही सका।
खैर 2 महीने बाद सब साधारण हो गया, जदगी आगे बढ़ 12वी क पढ़ाई पूरी ई और मैने
भी उसे भुला दया। यही एक रोचक घटना है मेरी जदगी क ।।।।

पूणतः
दै वीय अनुभव
साल 2010 मुझे सदमा लगा जब मेरे जीवन मे कसी का साथ छू टा, मने एक जवाब म
बताया भी है, उस व त म ब कुल भी वैरागी नह था अ पतु ा था पर मुझे भौ तक
जीवन से भी काफ लगाव था और म इसका आनंद लेता था। उसका मुझसे यू ही र हो
जाना ब त खल गया मुझे म इस संसार से वमुख होने लगा था उस व त मुझे कुछ भी
अ ा नह लगता था, म बस दोबारा उसका साथ चाहता था, उसने मेरे दल पर जगह बना
ली थी ूल प से उसने मुझे छोड़ दया था पर कह दल म सू म प से वो बसी थी
जसे म नकाल नह पा रहा था, म ये नह समझ पा रहा था क आ खर ये लगाव कैसा है
जो मुझे अंदर ही अंदर जला रहा है, कैसा है ये ेम, ये ेम अलग तरह का था बाक तरह
के ेम से ब कुल अलग, मतलब मां बाप के ेम से कह यादा ती था ये, जसने भी इसे
जया होगा वो समझता होगा क कसीको भूलना कतना मु कल होता है, जब आप
कसी से भावना मक प से जुड़ जाते ह और अचानक से वो र ता भौ तक तल पर टू ट
जाता है पर आ मक तल पर नह टू टता। खैर ये तो ई दद क कहानी जसका अंत 2010
मे ही हो गया था, उन दन म अपने दो त से मल के अपना दद बांटता था वो बेचारे जो
कर सकते थे, करते थे, मुझे हँसा के, कभी मेरी बात का मजाक बना के कभी गंभीरता से
समझाके। आप स च सकते है एक भौ तक वाद कतना कमजोर हो जाता है कभी कभी
ऐसी प र तय म।
एक दन म के साथ म एक काली माता के मं दर गया जो क ब त पुराना है और लोगो
के अनुसार वो स और ाण त त मं दर है, इसका मतलब वहाँ दै वीय ऊजा का वास
है, ऐसी मा यता है तभी वहां भीड़ भी लगती है और लोगो क काफ ा है उस मं दर के
त। वो मं दर कानपुर के शा ी नगर म है, जो काली म ठया मं दर के नाम से व यात है।
हम लोग वहां प ंचे साद चढ़ाया, दशन कये दे वी मां के सच म अ त मू त है ब कुल
असली लगती है जैसे दे वी जी वयं बैठ ह । खैर बाहर आये मं दर के मेरे दो त वह चाट/
गोलग पे खाने लगे म बाहर खड़े दे वी जी क मू त को नहार रहा था हाँथ जोड़े क तभी,
एक ब ी ब कुल काली कलूट सी, और मैले कुचैले कपड़े पहने मुझे दे ख के हँस रही थी
उसक उ शायद 8 साल होगी, और मेरी तरफ हाँथ बढ़ा के पैसे मांग रही थी, मने कहा के
कौन हो तुम? उसने कहा ए भैया पैसा दो न, भूंख लगी है, कुछ दो न खाने को, अनायास
मेरी नजर उसक आंखो पर पड़ी उसक आँख मे कुछ धधक रहा था उसक आँख से
नजरे मलाना मु कल था, मेरे तुरंत आंसू आ गए, म ब त च कत हो गया, मने स चा इस
ब ी म भला या ऐसा है जो मेरी नजर नह ठहर पा रह , वो तो अब भी हँस रही थी और
मुझसे पैसे मांग रही थी। खैर मने उसे नजर अंदाज कया और जेब म हाँथ डाल के एक 10
का नोट नकाल के उसे दया और चलता बना। थोड़ी र जाने के बाद मुड़ के दे खा तो वो
उस जगह नह थी, कह जा चुक थी, म थोड़ा अचं भत आ पर इसे म समझ के भुला
दया और अपने दो त के पास आ गया। घर प ंचने के बाद जब कपड़े बदल रहा था क
तभी मेरी जेब से 10 का नोट गरा। अरे, ये तो वही नोट था जो मने उस ब ी को दया था,
म सकपका गया ये दे खकर म ब त अचं भत था, इस नोट को मने साद लेते व पस से
नकाला था, ले कन मेरे दो त ने दे दया था तो मने इसे आगे क जेब म डाल लया था और
जब उस ब ी ने मुझसे पैसा मांगा तो मने यही नोट उसे दया था फर ये कैसे वापस जेब
म आ गया। इस अजीब घटना को म पचा नह पा रहा था। मेरी बेचैनी बढ़ गई थी क
आ खर इस सब का या मतलब है। इसी बेचैनी को लेकर म सो गया और बड़ी गहरी न द
म सोया। म दे खता ँ क मेरे ब तर के पास वही ब ी खड़ी मु कुरा रही है जसे मने मं दर
के बाहर दे खा था, आंख म वही तेज, उसके शरीर से ऊजा करणे फूट रह थी, उसका वहां
होना कसी रह यमय लोक क कर रहा था, ा या करना क ठन है इतना अ त
था। मने कहा तुम? यहां कैसे? वो हँसी और बोली, जसके घर तू आज गया था। मने कहा
या आप वयं काली दे वी मां हो? वो फर हँसी, म रोने लगा, और कहने लगा म मूख
अ ानी आपको समझ नह पाया, आपक लीला को नह समझ पाया माँ, उ ह ने कहा
कोई बात नह अब तो व ास हो गया? हाँ माँ, पर भला मुझ अ ानी म कहां इतनी समझ
के आपको समझ पाऊं, आप तो सब जानती हो दे वी माँ आपके दशन पाके म ध य हो
गया। पर आप मुझे असली काली प के दशन द मां। उ ह ने कहा 'अभी तुमम यो यता
नह उस प के दशन करने क , तुम उस व प के तेज को नह सह पाओगे, तुम व त
हो जाओगे या वैरागी हो जाओगे अभी इसका अनुकूल समय नह आया है जब तुम यो य
ह गे तब तुम जसके चाहोगे उस दे वी/दे वता के दशन कर पाओगे। मने कहा जी मां म
समझ गया पर म अपने जीवन म ब त परेशान ँ या क ँ ? उ ह ने कहा ' ये पड़ाव है
तु हे इस भौ तक जीवन से वमुख करने के लए इसे पार करो और आगे बढ़ो तु हे
आ या मक ग त करनी ह इस सब म मत फस , भौ तक जीवन के श ण से मत
घबराओ, तुम जस व चाह लो समझो मु हो भौ तक सम या से, तुम जानबूझकर
उसमे उलझे हो। उनक वाणी का तेज, अ त था। मने अपने आप मे अदभुत प रवतन
महसूस कया, मेरी सारी चताएं, सारी वेदनाएं, सारे हवा हो रहे थे मानो, मुझे
आंत रक संतु ा त हो रही थी, अब कह कोई तड़प नह बची थी कसी के लए। म
ब तर से उठा और माँ,माँ ,माँ कहते ए उनके चरण म जा गरा।
अचानक मेरी न द खुल गई सुबह हो चुक थी और म अपने ब तर पर ही उठ बैठा था।
आसपास दे खा कोई नह था। ये मेरा व था जो इतना सच था जैसे असली म घटा हो।
और जो काली माँ के चरण मे जा गरा था वो मेरा सू म शरीर था जो क दे वी माँ क ऊजा
से ऊजावान हो गया था थोड़ी दे र के लए।। उस दन से लेकर आजतक मने अपना जीवन
का समय आ या मक प से सम पत कर रखा है, भले ही वो एक व था पर मुझे
व ास है क वो मेरा पहला अ या म जागरण था। इस तरह क घटनाएं जीवन मे बड़ा
बदलाव लाती ह, उस दन से आजतक म कभी डगा नह न भौ तक जीवन म न
आ या मक जीवन म। ये घटना आपको पूणतः अ व श नय तब तक लगेगी जब तक आप
वयं इस तरह क घटना से नह गुजरगे, यही मेरे जीवन का अजीब अनुभव था जसे मने
आप सभी के साथ साझा कया।।

अ त
क सा
एक बार म एक डटल हॉ टल म गया हम इंतज़ार करने के लए बोला गया, वो एक
कमरा था जसे आ टफ सयल चीज से जोड़ के बनाया गया था, हम वहां पड़े सोफ म
बैठ गए म था मेरा दो त था, थोड़ी दे र म वहाँ और भी लोग आ गए। अंदर फलहाल
डॉ टस त थे सरे मरीज के साथ, थोड़ी दे र बाद वहां एक म हला के साथ उनक बेट
भी आई, वो शायद सरे समुदाय क थ उनके पहनावे से पता चल गया। खैर मेरा दो त
उनक लड़क को दे ख के मं मु ध हो गया, और मुझे कहने लगा 'भाई मुझे तो ये लड़क
ब त पसंद है, और म तो आज इससे बात करके र ँगा, मेरे दो त क बचकाना हरकत वो
लड़क भांप गई थी, य क लड़ कयां इस मामले म अ त सवदनशील होती ह, उ ह पता
चल जाता है कौन उ ह तड़ रहा है, ये उनमे खास प से ई र का दया आ तोहफा है जो
उन सबमे होता है।। खैर उस लड़क ने मेरे बदचलन दो त को पूण प से इ नोर कया
और त कर लया अपने आप को अपनी अ मी क बात म। मेरा दो त भी ओछ हरकत
कर रहा था, म जान गया था इसे आ शक़ सवार है इसका कुछ नह हो सकता, अब री
ही इसका नशा उतारेगी उस लड़क के त।। खैर थोड़ी दे र म अ मत नाम बुलाया गया,
मेरा दो त गया अंदर उसका नंबर आ चुका था वो चला गया। अब मने चैन क सांस ली
य क उसक हरकत उसक पटाई भी करवा सकती थी, और दो चार मुझे भी खाने
पड़ते, या भरोषा।
खैर अब उस जगह म था वो लड़क थी उसक ममी थ और दो चार लोग जो अपने अपने
मोबाइल म लगे थे सब त थे। अंदर लगभग 20 डॉ टर थे जो लोगो का े टमट कर रहे
थे, थोड़ी दे र म दो लोग को और बुला लया, उसमे उस लड़क क मां थी और एक और थे
कोई। कुछ लोग जा भी रहे थे ठ क होके। खैर अब मने उस लड़क को दे खा पता नह
नजर कैसे चली गई, वो सच म ब त खूबसूरत थ , उ ह ने मुझे एक नजर दे ख के इ नोर
कर दया, मुझे थोड़ा बुरा लगा य क मेरी कोई बुरी भावना नह थी मने तो उ सुकता वश
दे ख लया था। पर शायद मने गलत कर दया था पता नही।।
अब वो मेरे सामने बैठे मुझे इ नोर करने के लए अपना मोबाइल म त हो गई। मने
स चा य न योग कया जाए आकषण का, इस लए मने दमाग श का योग करने
का वचार कया यूह खाली बैठे या करता भला, इस लए अब म अपनी मन क श से
उसे आक षत करने क को शश करने लगा, कुछ भी नह हो रहा था।। शायद यान नह
लग रहा था, इस लए मने आंखे बंद कर ल और सोफे म सीधे बैठ गया और ऐसा जा हर
कया क म सो रहा ँ और पूरे यान से उसे अपने बगल म बुलाने के लए वचार स ेषण
करने लगा, थोड़ी दे र म मने अपने आ ाच से कुछ नकलते ए महसूस कया जो क
उस तक प ंच रहा था, इसे आप बस मेरा योग समझ मेरी अब भी कोई गलत भावना
नह थी।। खैर थोड़ी दे र म मने अपने कंधे म कसी के हाँथ का श महसूस कया, चूं क
म गहरे यान म वेश कर गया था, इस लए मुझे अपनी ूल चेतना म लौटने म समय
लगा। मने आंखे खोली तो वो लड़क का ही हाँथ था जो मुझे जगा रही थ क आपको
अंदर बुला रहे ह आपका नाम न खल है? मने सकपका के कहा नह नह मेरा नाम रा ल
है। वो कसी और नंबर के को बुला रहे थे जो उस व त मौजूद नह था वहाँ, पर उस
लड़क ने स चा क शायद म सो गया इसी लए यान नह दे रहा।। खैर अब वो लड़क मेरे
बगल म ही बैठ गई, वो नह गई वापस सामने वाले सोफे पर, और मुझसे कहने लगी वो
आपका दो त था न? मने कहा जी हाँ। उसने कहा वो बड़ा बदतमीज है जब मने इ नोर कर
दया फर भी पीछे पड़ गया और घूरना ब द नह कर रहा था? मने कहा जी आपने सही
कहा वो थोड़ा मूख है पर दल का अ ा है आप उसक हरकत का बुरा मत माने, उसके
लए म आपसे माफ मांगता ं। उ ह ने कहा कोई बात नह आजकल ये सब झेलना पड़ता
है पर उसके लए आप मत माफ मांगे, आपने थोड़ी कुछ कया है, उ ह ने कहा या आप
भी ठ क कराने आये ह अपने दांत? मने कहा नह जी नह म तो अपने दो त के लए आ
गया था उसे इस जगह क जानकारी नही थी। वो मेरी बात सुनके खुश , पता नह ? खैर
इसी तरह हमारी बात हँसी मजाक म त द ल हो ग ।। उ ह अ ासन आ मेरी बात से क
म एक अ ा इंसान ँ, और लड़ कयो के लए कोई गलत अवधारणा नह रखता।। उ ह ने
कहा भी क उ ह मेरे जैसे साफ दल के लोग पसंद ह, बात बात म पता चला क वो भी
उसी हॉ टल म पढ़ाई कर रही ह, बैचलर ऑफ डटल सजरी क ( मने मन म स चा तब
तो प का म और मेरा दो त बच गए) यहाँ वो अपनी मां को दखाने आई थ । खैर अब म
इस असमंजस म था क ये मेरी मन क श थी के कोई असमंजस था।। कुछ भी हो पर
मने इसे अपने दमाग क श ही समझी य क ऐसा ब कुल भी नह होता, क कोई
लड़क आपसे वयं आके बात करे, शायद मने उ ह अ भभूत कर लया था, अपनी मन क
श से और अपनी बात से।।
ये पूणतः मनो व ान क उ मता म आता है जसे हम परामनो व ान कहते ह, यह
आपक एका ता पर नभर करता है। ये काय आपका आ ाच संभालता है, अब ये जो
आ ाच है इसका 75% ह सा सु त पड़ा रहता है यादातर लोग का, जसमे
का ब लयत होती है कसी को वचार स ेषण से भा वत करने क । परंतु फर भी अगर
आप अपनी पुरी एका ता श से कसी को याद कर मतलब आप पूरी तरह से सम पत हो
जाएं सामने वाले को याद करने म तो कुछ अ त घट सकता है, य क एका मन से
अ फा करणे नकलग जो लाख कलोमीटर क री तय कर सकती ह, पर अगर आप
साधारण इंसान ह योग नह करते तो आपक एका ता इ ह कम से कम 20 हजार
कलोमीटर तक क री तय करवा सकती है, जससे वो इंसान अव य भा वत होगा और
उसका दमाग बेचैन हो जाएगा आपक श से हो सकता है वो आपको फ़ोन करे, और
आपका हाल चाल पूंछे।। ये नभर करता है क सामने वाला कतना संवेदनशील है,
य क अगर वो ऐसा नह है तो वो इसे टाल भी दे गा, एक फालतू क याद या वचार
समझके। परंतु आप एक ही घर मे ह तो अव य वो वच लत होगा और आपसे बात करेगा।
य क अब री घट गई। और कह मेरी तरह आप एक ही कमरे म है तो सम झए आप
अपने दमाग क श से उसे पूणतः नयं त भी कर सकते ह, ये सब ब त अच व
वाली च ज ह जनपर कोई भरोषा नह करता जबतक वो वयं योग म नह उतरता।।
इसमे बताई गई कहानी 6 साल पुरानी है तब म अपने नातक वष म था इस लए अपनी
आंत रक श य का पयोग करता था,परंतु अब म ऐसा ब कुल नह करता य क
एक तो इससे सं कार बनते ह सरा असीम ऊजा न होती है, और योग साधना षत
होती है। इसे एक अ ानी के हाथ म आई ई श यां सम झए, इसका मने पयोग ब द
कर दया था, मने बताया है क म कैसे परेशान हो गया था जसके बाद मुझे गाय ी मं का
जप करना पड़ा तब ये शांत आप लोग को मेरी बात अटपट लग सकती ह पर या
क म भी इसी संसार का ह सा ँ, मुझमे ये सब बचपन से है ऐसी ढे र घटनाएं ह मेरे
जीवन क जन पर सहसा कोई व ास नह करेगा।।
छायापु ष ाटक स अनुभव
स य के लए तड़पता आ भटकता आ म कब वयं स होने क राह पर चल पड़ा
समझ नह पाया, शायद म अपनी भौ तक ज रत क पू त को आ या मकता से पूरी
करने क जद म था इसी लए मने जीवन म अब तक क भी झेले और मृ यु तक के दशन
कये। जीवन अ त है अगर हम सम पत ह तो हम भौ तकता म भौ तक तरीके से सफल
हो सकते ह और आ या मकता म अ या म के तरीके से। जब हम दोन को मलाने क
को शश करते ह तभी गड़बड़ होती है, य क ऐसा करना वपरीत प र तय को ज म
दे ता है जससे जीवन म उ पात मचता है और होती है गड़बड़।
ाटक जैसे गंभीर आ या मक श द के बारे म मुझे तब लालच आया जब मने छायापु ष
ाटक स के बारे म जाना, ये शायद 2012-2013 क बात है, म लालच मे आ गया था
इसके बारे म जानकर, य क इससे हम अपनी सारी भौ तक ज रते पूरी कर सकते ह,
बना कसी मेहनत के जो क एक कोरी बकवास थी य क कुछ पाने के लए कुछ खोना
पडता है दे ना पड़ता है समय और ऊजा, यह हांडीय स य वचन है। ले कन जस कदर म
2017 म अ सरा साधना के लए पागल था उसके पहले म छायापु ष स के लए भी
पागल आ था, कई जगह खोजा इंटरनेट , बु स यू ूब , ब त कुछ मला यादातर
तारीफ ही मली क अगर इसे आप स कर लगे तो आप इससे कुछ भी काम ले सकते
हो कोई भौ तक व तु मंगा सकते हो कसी भी मन से लड़ सकते हो, जा गरी दखा
सकते हो, यह आपको कुछ भी ला के दे दे गा दरअसल यह आपके साथ २४ घंटे रहेगा।
अब नभर करता है आप इससे या काम लेना चाहते हो, आप इसे प भी दे सकते हो
जैसा आप दे ना चाहो, चाहो तो बलकुल आपक श ल सूरत का यह हो जायेगा यही तो
कला है छायापु ष स क . खैर मने इसके ढे र फायदे दे खकर इस स को पाने का
ढ़ न य कया। जान समझ सब लया था पढ़ लया था या या करना है, जो जानकारी
मुझे चा हए वो मुझे मल गई थी, उस व त म बना गु के साधना कर रहा था। कौन गु ये
सब ाचीन बात हो ग ह अब गु वगैरह सफ श द रह गए ह। पहले होते थे गु उनक
कताब आज भी जी वत ह स चये अगर उनक कताब और हमारे सनातन धम ंथ, न
मल तो हम जैसे नौजवान के भी वही हाल हो जो सरे धम के नौजवान के है य क
उनके यहाँ तो ऐसा कुछ भी नह ह अब उनके यहां मेरे जैसे खोजी वभाव वाले का ज म
हो जाये तो बेचारा या करे मजबूर हो जाये भेड़ चाल चलने और भेड़ चाल भी ऐसी क न
मानो तो गदन उड़ाने क बात उनक खास कताब ही सखाती है तो डर भी है। खुशनसीब
ँ क सनातन धम म ज म आ। खैर रा 10 बजे कमरे क लाइट बुझा द आसन के पीछे
घी का दया रख के बैठ गया और अपनी परछाई पर यान करने लगा। शु वात म तो ब त
द कत ई यान लगाने म, पर धीरे धीरे परछाई पर यान साधने लगा। 20 दन गुजर गए
परछाई न हली न डु ली, कोई त या नह ई इसी तरह 45 दन बीत गए कुछ नह
आ। फर कह एक कताब म संगवश मैडम अले स डरा डे वड नील के बताए अनुसार
छायापु ष क साधना करने क को शश क । यह प त त बतीय खोज है जसे मैडम ने
सीखा था त बत जाकर, आप ांस क आ या मक कृ त क महान व षी म हला थ ,
आप क कताब अ त त बतीय श य का समावेश ह। रा 10 बजे म कमरे म यान
पर बैठ गया और जानकारी अनुसार बगल म भी एक आसान लगा लया और सामने मेरी
परछाई को मेरे जैसे ही व प म बैठे एक इंसान क जो क एक क पना थी, म व करने
का आदे श दया। कुछ नह हो रहा था, खैर अब पलक नह झपकती थ ज द और आंसू
भी नह नकलते थे य क काफ लंबा अ यास हो गया था ाटक का। खैर 2 दन तक
कुछ नह आ पर तीसरे दन मेरी परछाई हलने लगी म शांत न वकार बैठा था पर मेरी
परछाई हलने लगी थी जब तक म उसपर नजर गड़ाए रहता था, जैसे ही यान भटकता वो
फर शांत हो जाती, आज मुझे आ म व ास आ क म सफल हो गया साधना म, पर
अभी असली कयामत तो आने वाली थी। म उसे आदे श दे ने लगा क वो मेरे बगल म लगे
आसान म आके मेरा सरा व प ले। तो सहसा मेरी परछाई समट कर मेरी आ ा
अनुसार उस आसन म आकर समा जाती, ऐसा काफ दन तक होता रहा। फर एक दन
मुझे एक लैश से आ जैसे ब कपड़े पहने मेरे बगल म म बैठा ँ म घोर व मत था
कुछ लोग से बताने का यास कया पर कसी ने न सुनी सब कहते बकवास है सपना
दे खा होगा। लगभग स हो गया था म छायापु ष स म पर ऐसा म समझ रहा था, यह
सच नह था। अगली सुबह जब म सोकर उठा तो मुझे ब त तेज बुखार था, म अकेले रहता
ँ कानपुर म तो अकेले ही सरकारी अ ताल सुबह सुबह प ंच गया, दे खा वहाँ लाइन
लगी थी, म भी लाइन म लग गया, धूप नकली काफ दे र लाइन म लगे रहने के बाद तो
दे खा मेरी परछाई डोल रही है यकायक गायब हो जाती है फर वापस आ जाती है, मेरा
बुखार बढ़ रहा है, कमजोरी आ रही है। खैर डॉ टर ने दवाइयां लख , जांच लखी जांच
करवाई, तो शाम को रपोट मली, जसमे पता चला मेरे म, खून, लेटलेट्स, आरबीसी
काउं ट सब कम हो रहा है। मुझे उ ह ने भत होने के लए बोला, म च कत हो गया रपोट
दे खकर, उस छोटे से कमरे म भी मने एक परछाई दे खी जो हंस रही थी तो मुझे अजीब लग
रहा था जैसे म मृ यु के नजद क जा रहा ँ बाक कोई उसे नह दे ख पा रहा था। मने बहाना
बना के वहाँ से नकलना ठ क समझा, कमरे आया ध गरम कर के पया ना ता कया,
दवाई खाई, और लग गया ढूं ढने इंटरनेट पर छायापु ष ाटक स से होने वाली
सम याएं, कुछ खास नह मला। च कूट म हमारे पताजी के गु रहते ह उ ही का पता
मुझे मालूम था बाक जो संत/महा मा जीवनकाल म मले उनका कोई पता ठकाना नह
था मेरे पास। मेरी परछाई हावी हो रही थी मुझपर और म हो रहा था कमजोर। मं जप से
कुछ नह हो रहा था मने बना जानकार के खुद के साथ खलवाड़ कया था, उसी का
नतीजा था ये। खैर इतनी ज द तो म मरने वाला नह था। झकरकट से बस पकड़ी 4 घ टे
म बांदा प ंचा और रात होने से पहले म गु दे व के सामने बैठा था। उ ह अपनी था
बताई, संयोगवश उनके यहाँ हमाचल से एक तां क साधक महाशय आये ए थे। उनके
सामने म गया रात के दस बज रहे थे। वे मुझे दे खते ही समझ गए और बताने लगे, अपने ही
ेत को स कर रहे थे? म अवाक रह गया उनक बात सुनकर। उ ह ने बताया छायापु ष
स अपने ही ेत शरीर को बलवान बनाकर उसे अपने काय करवाने के लए क जाती है
जो क ब त गलत होता है बना श य के आप अपने बलवान ए ेत शरीर के गुलाम
बनने लगते हो, जो क आपके खून से ही ऊजा ा त करके धीरे धीरे मजबूत बनता है, और
आपक आ मा यानी चेतना को वयं म समा हत कर लेता है जसके बाद आप उसी शरीर
म हो जाते हो व , और आप भूत/ ेत बन जाते हो ूल शरीर मर जाता है इसका एक
और भी कारण है, क वासनाएं, इ ाएँ, लालच भी इसे बलवान बनाता है, जो क तु हारे म
सर से पैर तक भरा है, अभी मेरी परछाई वहाँ जल रहे दय क रोशनी म ब कुल शांत
थी। खैर उ ह ने बताया क हवन करके तु हारा शु करण होगा जससे तु हारे ेत शरीर
को फर से उसक सामा य अव ा म लाना होगा, अ यथा तु हारी मृ यु अ त नकट है, मने
कहा महाराज आपके रहते भला मुझे या हो सकता है, म उनके चरण म लोट गया,
शु करण शु आ रा म तरह तरह क तां क ा याएँ , हवन आ, मने माला
जाप कया रा भर मेरी बुखार हवा हो चुक थी, लोभ लालच, खो गया था, अब म पूण
शु था और हो गया था अपनी ही ेता मा से मु । उस दन मने ण कया कभी भी
भौ तक सम याय को आ या मक तरीके से नह ब क भौ तक तरीके से ही सुलझाऊंगा,
य क दोन को एक सरे से अलग रखना चा हए, जब आप एक का इ तेमाल सरे म
करते हो तो कुछ भी हो सकता है। पर मुझम वासना अब भी थी जो अ सरा साधना जैसी
घोर पीड़ा सहने के बाद ठ क ई या न ई। सर आ माओ को नयं त करना आसान
है सा वक वै दक मं से, पर जब आप वयं म कुछ गड़बड़ कर लेते हो कसी कारणवश
तो फर आपको शु होना पड़ता है।

नो व ान योग
मनो व ान का उ प है कसी को आदे श दे ने क श आ जाना, क सी से अपने मन
क बात बुलवाना, कसी को अपने वश म एक चुटक म कर लेना, और ये सारी श यां
कई तरह से ा त होती ह, जैसे कुंड लनी जागृत हो जाती है उसको, जो ाटक क ऊंचाई
पर प ंच जाता है उसको, जो सनातन धम शा ो और योग तं से संबं धत लेख पढ़ लेता
है मन से तो उसके पूव ज म क श भी जागृत हो जाती है। हालां क मने इन सब पर
गहराई से काम कया है और थोड़े समय मे सब मे थोड़ी ब त सफलता हा सल क है, पर
अभी भी ब त कुछ बाक है मुझे हा सल करना। खैर इससे आप मनोवै ा नक प से
इतने मजबूत हो जाते हो क आप कसी भी समय गहरे यान म जा सकते हो, कसी भी
समय वयं के शरीर को नयं त कर सकते हो, अपने शरीर के अंग को मन क श से
ग त दे सकते हो। अपने दमाग को नयं त करके उसके वचार पे लगाम लगा सकते हो
शरीर के कसी भी ह से के दद को नयं त करके ख म कर सकते हो वगैरह वगैरह, अब
जब आप वयं को इस तरह से नयं त करने लग जाते हो तो इस श का सार बढ़ने
लग जाता है, और बाक लोगो को भी नयं त करने लगते हो। मने अपनी ये मताएं
कसी को नही बताई य क कोई भरोषा नही करेगा इस लए यहां पर बता के उन लोगो
को जो इसमे थोड़ा सा भी दलच ी रखते ह उ ह ो साहन मलेगा इस खोज म उतरने
का। एक बार मने यूह या ा करते व त े न म एक म हला को नयं त करना चाहा, चूं क
म जनरल ड बे म था और भीड़ म हाँथ आजमाना अ बात होती है। खैर वो मेरे बगल
म बैठ थी तो मने पूरी को शश क वयं के दमाग को उसके दमाग से जोड़ने म अब मुझे
पता तो नही चला पर ये थोड़ा कमजोर कर दे ने वाला अनुभव था (जब आप कसी सरे
को नयं त करते ह तो यादा ऊजा ख म होती है) चूं क वो म हला अभी कुवारी थी और
शारी रक और मान सक प से मजबूत भी लग रही थी इस लए मु कल था। खैर मैने उसे
मुझे मु कान दे ने के लये संकेत भेजा, एक सेकंड से भी कम समय मे उसने मेरी तरफ दे ख
के मु कुराया, फर मने उसे मुझे हांथो से छू ने के लये संकेत दया उसका बायां हाँथ ने मेरे
कंधे को छु आ फर मेरी पीठ पर हाँथ फेरा, खैर म अंदर से अपनी श के दशन से ब त
अचं भत था, इसके बाद मने उसे मुझसे समय पूछने के लए संकेत दया, उसने जमहवाई
लेते ए मुझसे समय पूंछा मैने तुरंत बता दया, वो मेरे बगल म अव य बैठ थी पर मुझसे
सट कर नही बैठ थी, मैने इसके लए भी उसे संकेत दया वो तुरंत मुझसे सट के बैठ गई।।
अब ब त हो रहा था अब म थोड़ा यादा कमजोर महसूस कर रहा था इसी लए मने तुरंत
उससे अपना मन हटा लया।। सरे वचार म खो गया पर अब वो मेरे अभीभूत हो चुक
थी, इसी लए उसने पूंछा आप कहाँ जा रहे मैने बता दया।। अब बात आगे न बढ़े इसी लए
मने ऊपर वाली सीट पर बैठना ला जमी समझा, ऊपर बैठने के बाद मने उससे ब कुल
यान हटा लया।। उस दन से म अपनी इस अ त श क मता दे खकर ब त
अचं भत आ। इसके बाद से मैने कई जीवो को नयं त कया, कई लोगो से अपनी बात
बना कुछ कहे मनवाई, पर इसके लए मेरा अंतरमन हमेशा मुझे मना करता था, य क
इसमे ब त ऊजा ख म होती थी। अब म ज द बस वगैरह म चलता नही था, और बाहर
नकलते ही च मा पहन लेता था य क अब बना मेरे कुछ कये लोग आक षत होके
मुझसे बात करने लगते थे, खासकर लड़ कयां कभी कभार वो मुझसे वयं बात करने आती
पर म उ ह सीधा और खा जवाब दे के टाल दे ता, ये बड़े अजीब अनुभव थे मुझे इस अ त
श को न करने के लए अशु रहना पड़ता था, अशु का मतलब, नहाना नही, शराब
सेवन, और ाटक ब कुल नह करना, म जब ऐसा करके इसपे नयं ण नही कर पाया तो
मने फर शु होके गाय ी मं का जाप कया 2 ह ते बाद मने इसपे नयं ण पा लया अब
अपने मन से कुछ नही होता था म कसी को भी खुद से र कर सकता था, अब ये ऊजा
मेरे नयं ण म थी।। ये मेरी ही आंत रक श यां थ जो मुझपर हावी होके मेरी
आ या मक श को न कर रही थी, पर अब गाय ी मं के जाप ने इ ह फर सुला दया
था। यही रह य है जनसे हमारा सनातन आज तक फल फूल रहा है,आधु नक मनो व ान
और दशनशा हमारे सनातन क पहली सीढ़ है, हमारे पूवज ने इसपे ब त मेहनत क है
ब त तप या करके आज हमारे लए तरह तरह के ंथ छोड़ के गए ह, कतने तो न हो
गए नालंदा म लगभग 9 लाख कताबे न कर द ग गूढ़ ान से संबं धत हमारा नालंदा
कसी असली हॉगवट् स जैसा ही था। पर या करे उन लोगो का ज ह सू मता पर उतरना
ही नह है। भेड़ चाल चलने वाले संसार से बना कुछ जाने चले जाते ह।। ये संसार एक
ब त ही बडा रह य है जो आज हम यहाँ तक लेके आई है वो हमारी खोज ही है।। ाचीन
म हो या ाचीन भारत सब तं और योग क खोज पर ही जदा थे।। ाचीन म के
तां क ग णत और रसायन के ान का ु अंश चोरी करके यूनानी आज खुद को ग णत
का मसीहा कहते ह पर ये वही लोग ह जो हमारे योग को योगा बोल के बेच रहे ह, वदे शी
कभी भी हम नही छू पाएंगे,, आज वो जस परमाणु क बात करते ह जस वांटम भौ तक
क बात करते ह उसे हजारो साल पहले हमारे पूवजो ने खोज लया था, जसका कुछ अंश
बचा है, ब त सारा महाभारत क लड़ाई म और फर बाहरी आ मण ने हम सनात नयो
का सारा शा न कर दया पर फर भी हमारा शा जदा है, मुहजुबानी जदा है य क
ये तरीका हमारे पूवज का दया आ है य क वो भ व य के खतर को जानते थे, पर वो
इसपे लगाम नह लगा सकते थे य क कलयुग के कोप को महा लय ही न करेगी
और उसने अपना काम शु कर दया है।

आत्
मा
यह घटना है सन 2015 क , मेरी तं मं म च बचपन से रही है। जब म 10 वष का था
तब से ही म गांव म लगने वाले मेले म जाया करता था वहाँ म सफ भूत/ ेत क कहा नय
क कताब ले आता था जतना पढता और पढ़ने क इ ा होती थी, और ढे र लगा रखा था
कताब का अ त कहा नयां होती थ , जैसे कैसे बना इं जन रात को अचानक चल पड़े
गाड़ी के ड बे? या यह भूत का कमाल था? खूंखार लकड़ब घे का शकार, आ मा का
डे रा, सपनो का संसार, भयानक हवेली, चुड़ैल क यास, ऐसी ऐसी कहा नयां होती क
दल खुश हो जाता था पढ़ के, पर एक बार पढ़ने के बाद दोबारा ब कुल भी मन नह करता
था इस लए दो त को दे दे ता और खुद नई कताब क तलाश करता। कई कहा नयां
वदे श क होत थ । उस व त हमारी जदगी म इंटरनेट जैसी कोई चीज नह थी क हम
कोई भी जानकारी ढूं ढ ले कसी को कताब का पीडीएफ वशन डाउनलोड करके पढ़ ल,
आजकल इंटरनेट कसी क भी ज ासा शांत करने म मा हर है बस कंटट खोजने वाला
होशयार हो इसे चलाने म, जो बु स पीडीएफ म नह मलती उ ह आप घर मंगवा सकते हो
हर चीज हमारी उं ग लय पर आ चुक है कुछ दन बाद मन से होगा सब वह दन ब त
ज द आने वाला है। एक दन गांव म मुझे अपनी बचपन क ज ासा को पूण करने का
मौका मल गया एक षट् कम साधक से मुलाकात हो गई। उससे मने भूत/ ेत के बारे म
पूंछा तो उसने बताया क यह सब होते ह बस नजर होनी चा हए दे खने क । मने उनसे कहा
या आप मुझे दखा सकते हो वो सब कैसे दखते ह, पहले उ ह ने मना कया फर जब म
अड़ गया तो मान गए। हम शाम 5 बजे नकल गए जंगल क ओर सूरज ढलने लगा था,
ठं ड के दन थे पर अभी उजाला था इतना क कोई द कत नह थी। हम प ंचे एक जगह
जहाँ नाला था और उसके अगल बगल झा ड़य से घरे जंगल से था ऐसा लग रहा था जैसे
बीच का छोटा सा तालाब कसी का घर हो और उसे पेड़ और झा ड़य ने छत नुमा जगह
बनाकर चार ओर से घेर रखा था। वह तां क महाशय और म वही झाड़ी म छप गए
उ ह ने मुझे एक माला द गले म पहनने को, और अब हम वह बैठ गए उन तां क
महाशय ने मन ही मन मं शाबर मं का पाठ शु कया, म उनक तरफ ताक रहा था
उ ह ने मेरा हाँथ पकड़ लया, और फूंक मारी चार तरफ और हमारे चार ओर मुझे ऐसा
लगा जैसे म कसी ऊजा वलय म कैद हो चुका ँ, उनसे मने पूंछा हम कर या रहे ह?
उ ह ने बताया चुप रहो बाद म। म समझ गया कुछ गंभीर है, खैर सूरज पूरी तरह डू ब चुका
था। अब बस था तो वो उजाला जो रात होने से पहले होता है, इस उजाले के अपने गहरे
रह य ह फर कभी इनका उ लेख क ँ गा। अब मने दे खा उस सूखे नाले म कह से एक
दै याकार महा कु प शरीर क आकृ त कट हो गई उसका मुह उसके छाती म घुसा था,
जब सीधा कया तो उसके छाती मे अंदर तक ग ा था, उसके एक हाँथ था जो इतना लंबा
था क जमीन म घसट रहा था, और वह उसके माथे से नकला था, एक पैर उसका ब त
मोटा था एक म सफ ह ी थी, मुह उसका कसी अजीब नया के जानवर जैसा था,
उसके एक आंख थी वो भी बड़ी सी, उसे दे खकर मेरी घ घ ब गई, मुझे उस कु प को
दे खकर उ ट आने लगी, उन तां क महाशय ने मेरे सर पर हाँथ फेरा तो मुझे राहत मली,
ऐसा वीभ स जानवर पी नर मने अपनी जदगी म कभी नह दे खा था। उसको दे खकर म
स च रहा था काश म उसे न दे खता, य क उसका कु प शरीर क छ व मेरे दमाग म बस
गई है। वह ब कुल न वकार था न हँसी न खुशी, जरा सी भी शकन न थी उसम। तभी
वहां उसके पीछे से दो 2–2 फुट के महा कु प नर कट ए और कसी म हला को
घसीटते ए उसके सामने डाल दया, वह म हला अभी बेहोश थी उसके शरीर पर कुछ
नह था नव थी वह ब कुल और उसका प ठ क था बस उसके बाल नह थे , एक
तन नह था, और उसका पेट म एक लंबा घाव था जससे खून टप टप करके बह रहा था
जसे वे दो कु पी जानवर पी नर आधम चाट रहे थे। अब उस बड़े वाले दै य ने उस
म हला को उठाया और अपनी जीभ उसके मुह म घुसेड़ द और हलने लगा वह म हला
एक दम से चीख उठ भयानक च कार से, यकायक वह दै य छोटा होकर उस म हला के
मुह से अंदर घुस गया उस म हला क शरीर बुरी तरह हलने लगा वह बुरी चीख से चीखने
लगी उसे ऐसा लग रहा था जैसे खून चूसने वाले लाख क ड़े उसके शरीर म घुस गए ह , म
यह दे खकर ब त ो धत आ, और दया भी आई क आ खर ऐसा य हो रहा है उस
बेचारी के साथ, के तभी वह दै य उसके अधोमाग से नकला तो अब वह ठ क हो गया था,
ब कुल मनु य प म कसी नौजवान जैसा हो गया था, वह म हला वह गर पड़ी और
फर बेहोश हो गई। तभी तां क महाशय ने मं बाचना फर शु कया और एक न बू काट
कर मं फूंककर उस जगह फका उससे वहाँ आग लगने लगी और इनका मं जाप बराबर
चलता रहा थोड़ी दे र म वह तीन कु प नर आधम जलने लगे और वह म हला भी जलने
लगी वह चार जल गए और न जाने कहाँ वलु त हो गए उनक राख तक नह बची वहाँ।
अब तक रात हो चुक थी। अब तां क महाशय ने मं फूंका और हम उठे और चल दये
घर को। रा ते म मने पूंछा तां क से क या लीला थी वह? कौन थे वे? मेरे को सुन
के वे हंसे और बोले। क दे खो वे तीन नरक भोग रहे ह, ज ह उ ह ने मं श से बांध
लया है छोट द वाली म वे उ ह कसी ऐसी जगह गाड़ दगे जससे वे बाक कसी को
परेशान न कर पाएं, अभी हजार वष तक उ ह और इस पृ वी म ेतयो न भोगनी है। हमारे
यहाँ के हजार वष उनके यहाँ के कुछ वष ही होते ह। खैर वह म हला कसी पूव ज म के
पाप के कारण इस ज म म इस नरक यातना से गुजरना आव यक था। अब वह आजाद है
और आज रात उसे सू म शरीर हो जाएगा उपल और इसके बाद वह यह पृ वी म त
यानी ेत लोक छोड़कर सू म लोक को चली जायेगी उसका पापकम ख म हो चुका है
अब। म हत भ हो गया उनक बात सुनकर। अब उ ह ने बोलना ब द कर दया हम घर
प ंच चुके थे। वे अपने घर को गए म अपने घर को मैने नहाया, पूजा पाठ कया, रात म ही,
और उस रात मेरा भोजन करने का मन नह था। यह सब ब त ज द घट रहा था। म सोने
भी चला गया रात भी ज द ही हो गयी। अब म व म दे खता ँ वही म हला जो आज
आजाद ई थी मेरे ब तर के पास खड़ी मु कुरा रही है, म उसके अ त प यौवन को
दे खकर मु ध ँ, उसका बदन पूण नव है, उसके बाल इतने घने और काले ह क असल
जदगी म मने ऐसा कभी दे खा ही नह था पहले कभी, उसके पेट का घाव भी नह है,
उसका सरा तन भी है मौजूद, उसका वहाँ होना अ त अहसास दे रहा है उसके बदन से
भीनी सुगंध झर रही है जो मेरे दमाग के कसी कोने म घुसे जा रही है, उसके शरीर से
सुनहरी रोशनी फूट रही है, एक अ त चमक है उस शरीर म यह चमक मानव जीवन मे
नह दे खी पहले कभी, इससे यादा म उस नवयौवना क तारीफ म नह लखना चाहता
नह तो उसका उपहास होगा, य क आ खर यह व ही तो है जसे हमारे संसार म दवा
व कहते ह, म उसे ही नहारे जा रहा ँ, वह जमीन पर नह है अ पतु हवा म है ऐसा
लगता है पर जैसे म उसके पैर दे खता ँ वह जमीन पर लग रहे ह और उसके पैर सीधे भी
ह। वह सफ मुझे दे ख रही है। मने डरते ए पूंछा आप ठ क ह? उसने हां म सर हलाकर
जवाब दया। फर मने पूंछा आपको भयानक दद आ होगा? उसने फर सर हलाया हां
म। फर मने पूंछा या आपको सू म शरीर मल गया? वह मु कुराई और मेरे सर पर हाँथ
फेरने लगी, म बेहोश होने लगा उसके जा ई श से, मेरी आँख मुंद ग और म सो गया।
यकायक म उठ बैठा सुबह के 5 बज चुके थे, और म गांव म नह था ब क शहर म था
अपने कमरे म, अकेला म रात भर सपनो म ही खोया था, मने सपने के अंदर सपना दे खा
था, कोई पूवज म का सं कार व बनकर उभरा था। मुझे सफ ये घटना याद थी उन
तां क महाशय का नाम हीरालाल भ था ले कन मेरे गाँव म ऐसा कोई नह रहता
था इस जीवनकाल म, न ही जस घर म म आया था वह वीभ स कृ य दे खकर वह भी मेरा
वतमान का घर नह था, वहाँ जतने लोग दे खे उनके चेहरे यादा याद तो नह थे परंतु वे
सब इस वतमान ज म म है ही नह , म वयं कसी सरे शरीर म था पर फर भी म ही उस
करदार म था। आज मने परामनो व ान और आ ममय जगत का अ त अनुभव ा त
कया था अपने सपनो म जसने मुझे रोमां चत कर दया था। भले ही यह एक व था
परंतु यह लगा था ब कुल जीवंत।। आप लोग इसपर व ास नह करगे पर जसने ऐसे
गहरे व दे खे ह गे और कये ह गे अपने ही पूव ज म के दशन तो वह इसे अव य
समझेग।।यह मने कसी को नह बताया था य क कोई व ास नह करता पर अब यहाँ
लखकर कसी कज से मु आ महसूस कर रहा ँ।
आ मा क ऊजा का एक अ द
योग
चूं क म अपनी जीवन ऊजा से लोगो को हील करने का तरीका जानता ं, जसे आप लोग
रेक के नाम से जानते ह।
एक बार 11 जनवरी 2015 म रात को अपने अकेले कमरे म, मने जब दोन हांथो को पास
लाके एक अजीबोगरीब तनाव और खचाव को महसूस कया तो म उछल पड़ा, मने कहा
ये अ त है, ये चीज या है। मैने खूब योग कया उसपर फर मने पास म रखे टे बल पर
पड़ी चीजो को अपने हाँथ से कं ोल भी कया, मतलब मने उनमे ग त उ प क , इस
अ त श को पा के म ब त खुश आ। 10 महीने पहले ऐसा कुछ नह था, य क 10
महीने पहले मेरा हचय खं डत हो जाता था, मने 10 महीने तक हचय का कठोर पालन
कया था तो भगवान ने मुझे इतनी अ त श दे द थी। आप स च भी नही सकते उस
रात मने कतना ध यवाद दया था ई र को एक नया आयाम मेरे लए खोलने के लए। खैर
मने तुरंत इंटरनेट पर पड़ताल क जसमे मुझे द पक चोपड़ा जी के वी डयोस से ब त
जानकारी मली। और भी ब त ढूं ढा, जसमे मुझे पता चला क यह हमारी आ मा क ही
ऊजा होती है, ये सफ हचय पालन करने वालो को ही ा त होती है, य क बाक लोगो
मे इतनी ऊजा इक ा ही नही हो पाती, वासना के चलते और षत वचारो क वजह से।
खैर मने इसके बारे म मली जानकारी से ये भी जाना क इससे आप वयं क और सर
क बीमा रयां भी ठ क कर सकते हो। इसी लए मने अपने सर पे हो रहे दद पे हाँथ रखा तो
4 सेकंड म वो ठ क हो गया मैने अपने हाँथ से उस जगह कुछ जाते ए महसूस कया। ये
सब ब त ही अ ा अनुभव था। खैर मैने इसका सरो पर उपयोग करना चाहा, तो मेरे घर
मे मेरी बहन को बुखार आ रहा था एक दन वो ब तर से उठ नही पा रही थी, जससे
उसका शरीर भी तप रहा था और दद कर रहा था। म उसके पास प ंचा और उससे बात क
के दे खना म अभी तु हे ठ क कर दे ता ँ, वो बेचारी इसे मजाक समझ के ह क सी
मु कुराई, बोलने क भी ह मत नही थी उसको। खैर मैने उसे आंख बंद रखने को बोला,
उसके बाद पैर म च पल पहन के मैने ऊजा के बाहर जाने का रा ता बंद कया, और पूरी
एका ता के साथ अपने दोन हांथो को उसके शरीर से 1 फुट क री से सर से लेके पैर
तक बुखार को उतारने लगा, धीरे धीरे, लगभग 3 मनट तक मैने पूरे मन से उसे ठ क करने
क त ा ठानी, और पूरी क , पीछे मां खड़े ये सब दे ख रही थी वो बोल ऐसे सब ठ क
होने लगे बेटा तो फर डॉ टर का या होगा भला। दवा कंप नय का या होगा। खैर मेरी
बहन अभी भी आंखे बंद कये थी, और शायद सो भी गई थी। मैने अपनी मां से कहा 'मां ये
डॉ टर, ये दवाइया ये सब वदे शी चीजे ह, एक चीज ठ क करके सरी बगाड़ दे ती ह। ये
जो मने अभी कया ये तो हमारा अपना सनातन ान है, बस कुछ बाह रय के आ मण ने
सब बबाद कर दया वरना आज हम जाने कहाँ होते इसमे। खैर म वहां से नकल गया।
लगभग 15 मनट बाद मेरे सर म दद होने लगा तेज और तेज, असहनीय और हाँथ पैर भी
चीभने लगे, मने स चा ये या हो गया, लगता है मैने कुछ गलत कर दया अपनी बहन को
ठ क करने के च कर मे। खैर इतनी मता तो थी मुझमे म भी सहता गया, मुझे पछतावा
होने लगा क मने ई र क व ा पे शायद दखलंदाजी क इसी लए परेशान हो रहा ं।
मने तुर त इंटरनेट पे इसके बारे म ढूं ढा तो पता चला, सरो को ठ क करते व त खुद क
सांस को थाम के रखना है, और ऊपर से नीचे जाते व झटक दे ना है दोन हांथो को और
सांसो को,, फर सांस भरना है, और उस बीमारी को चले जाने को बोलना है। और अगर
मरीज क बीमारी आप पे हावी हो तो यान पे बैठ के वयं को ठ क कर। मने ऐसा ही
कया और वयं को ठ क कर लया। शायद मैने गलती कर द थी य क मुझे बारी कयां
नही पता थ ।
फर मेरी वही बहन आके मुझे बोलती है, ' दे खो भैया मेरा बुखार ब कुल ठ क हो गया,
जैसे ही आपने कुछ कया। आप के पास सच मे श है। मेरी माँ ने भी कहा क ये तो बड़ा
अ व नीय है।मेरी बहन का बुखार सच म जा चुका था वो ठ क हो गई थी। रोगी को बचाने
का पछतावा तो आ जब म खुद बीमार हो गया,, पर जब हम दोन ठ क हो गए फर या
सोचना। इसके पीछे कई और रह य ह जससे पदा उठना अभी बाक है। अभी फलहाल
म इसको अपनी आंख म सबसे यादा महसूस कर रहा ँ।
अ सरा
साधना क सा
इस अ त कहानी को म आप लोग के बीच मौजूद रह य को ढूं ढने वालो के साथ साझा
करना चाहता ं, य क यह एक राज यमय अ सरा अनुभव है जसका मने अनुभव कया
है वो भी बड़े रह यमय प से तो यान से प ढ़ए मेरा खद अनुभव
चेतावनी- मृ यु, पागलपन,घोर बीमारी, वगैरह जैसी चीज से बचना हो तो अ सरा साधना
बना कसी यो य गु के मत कर य क ये तं का वषय है, और तं ब त ज द अपना
काम दखाता है, फर चाह बुरा हो या अ ा। स चे भी मत।।
साल 2017 अग त ी नारायण द ीमाली जी का एक अ सरा साधना नामक वी डयो
मुझे रकमड आ यू ूब म य क म उसमे यादातर अ या म जैसी चीज ही दे खता था।
मने उस वी डयो को पूरा दे खा, म हैरान था क ऐसा भी होता है और मुझे कुछ पता ही नह
मने फर उनके सभी वी डयोस दे खे उनके चैनल को खंगाल डाला ऐसा पागल आ म
अ सरा स के बारे म सुनकर उस समय मेरा ऊजा जागरण नह आ था बस अ या म
का खोजी था तभी रस ढूं ढ रहा था पर अब ई र को खोज रहा ँ, आप चाहते कुछ हो और
अंत म पा कुछ और लेते हो य क चाहना है शरीर तल तक सी मत वासना है पर पा जाना
है आ मा तल का वषय तभी मने ई र को पा लया ऐसा म महसूस करता ँ अभी दशन
नह कया। खैर आप वयं वो वी डयो दे खए नीचे-
ये तो इनका एक ऑ डयो है वो वी डयो नह मल रहा पर इनके नाम से ऐसे ढे र वी डयो
बने ह, इ ह ने वयं अ सरा स क थी एक जमाने म और यह एक अ वल दज के तं
साधक थे। इसके अलावा भी और चैनल के वी डयो मने दे ख अपने अंद नी जुनून क
वजह से।
यह कुछ खास वी डयो ह कुछ खास लोग के जनक बात से लगता है क इ ह ने कुछ न
कुछ अव य उखाड़ा है अ सरा स करके। इन वी डयोस के बाद इस वषय को खोजने
के लए म पागल हो गया, इंटरनेट खंगाल डाला 1 ह ते तक दन रात बराबर इस वषय क
ही खोज क 200 से 400 पेज तक क कई तां क बुक दन रात एक करके पढ़ । हर
जगह बस अ सरा साधना नाम का श द ही ढूं ढ रहा था म, अपने पागलपन से वयं च कत
था ऐसा लगता था जैसे पूव ज म का कोई सं कार जा त आ हो। सब भुला के इस वषय
क पड़ताल करी ऊपर दए चनल के सभी वी डया दे खे, उसके अलावा ढे र लोग के
वी डयो दे ख, फ़ोन पर बात क , इस रह य मय वषय ने मुझे अपने सामा य जीवन से
वमुख कर दया था, खाना पीना भुला बैठा था 30 दन इसी तरह बीत गए इस वषय क
जानकारी इक ा करने म, पर अब म इस वषय क जड़ से लेकर चोट तक जान चुका था
ऐसा मुझे लगता था, पर बाद म म गलत सा बत आ। खैर से टे बर आया इन सं ान म
फ़ोन कया, कई लोग से बात क मुझे अ सरा स करवाने को लेकर। जनपर ट आ
उ ह ने बताया वे एक उ क लत मं दगे जसका 41 दन जाप करना होगा, यह मं
अ सरा द ा व प दया जाएगा। 41 व दन हवन करना होगा कमलग े का और जाने
या या तां क ा याएँ बता साथ म क या भोज भी दान वगैरह जाने या या
बताया मेरा दमाग घूम गया मने स चा इतना क ठन ह अ सरा को स करना। मने कहा
कोई साधारण तरीका बताओ भाई ये सब तुम कर दो और मुझे अ सरा दे दो स करके।
उसने कहा जब सब मुझे ही करना है तो फर तु हारी या ज रत, और इतनी ज द है तो
कसी कोठे पर चला जा मल जाएंगी ढे र अ सरा।मने कहा या भाई मजाक कर रहे हो,
उसने जवाब दया मज़ाक तो तू कर रहा है भाई तं को तूने या समझ रखा है कोई भाड़े
क चीज जो पैसे से मल जाये।उस समय मुझम यादा ठहराव नह था म तो बस पागल
क तरह रह यमय चीज को खोजने का लालची था। खैर मने स चा चलो कर लगे ये सब
41 दन बाद अ सरा तो स हो जाएगी। तो मने पूंछा उनसे मतलब 42व दन अ सरा मेरी
ये तो प का है? उ ह ने कहा कतई नह । य क कसी कसी को अ सरा 1 दन म स
हो जाती है और कसी कसी को 41 दन बाद और कसी को गहन यान से और कसी को
जीवनभर स नह होती है। मने कहा या भाई आप तो मेरा मनोबल गरा रहे, अ ा 41
दन बाद नह ई तो फर या? उस भाई ने बताया दे ख भाई जसे 1 या 41 दन क तं
साधना के बाद म अ सरा क कोई अनुभू त नह होती, तो उस इंसान को यान करना
पड़ता है उसी उ क लत मं का जाप करना होता है यान करते ए, य क आपने मं
जप, तपण, परमाजन, वगैरह करके (न जाने या चीज होती ह म तो भूल भी गया अब)
जनके बाद उस अ सरा को उसका भोग मल जाता है, और वह उसके लोक क सीमा को
पार करने के लए वतं हो जाती है पर जब वह तु हारे पास नह आती उसका कारण
होता है क तुमतक आने के लए उसे और ऊजा श चा हए, जो क तु हारे गहन यान म
उसका जप करने से उसे ा त होती है तब वह आती है, य क तु हारा सह ार जागृत
होकर उसको व प दान करता है, तु हारी आ ा ही उसके व प का नमाण करती है।
मै ये सब सुन के च कत आ और थोड़ा मन भी खराब आ क कतना क ठन है यार तं
मं और यादा यान यान भी म नह करता था तब, उस व त म सफ अ या म अ ययन
और दशन करता था यादातर खाली समय म ाटक भी छोड़ दया था गैप हो जाता था
समय नह मलता था यादा। खैर मने उनसे कहा ठ क है, आप मुझे एक बात बताओ क
अगर जब मुझे यान करके ही उसे अपने पास बुलाना है तो फर 41 दन क कठोर
हचय के साथ साधना य फर उसम भी तपण हवन, क या भोजन, वगैरह क तनी
चीज य ? उ ह ने कहा य क इससे उस अ सरा को भोग मल जाता है, यह बना
अ सरा द ा लए नह सफल होता। और बना उसका भोग कये करने से आपके खून से
उसक पू त होती है और आप शी मर जाते ह। म थोड़ा सहमा इस अं तम लाइन को
बोलने म उ ह ने कठोरता बरती थी। मने काफ वचार के बाद ये तय कया क म इसे बना
41 दन का साधना कये बना भोग चढ़ाए क ँ गा, य क ये सब म नह कर पाऊंगा, कुछ
गलती अव य कर ं गा और हाँ, यह बताना तो भूल ही गया मेरे भाई/बहन क उ ह ने मुझे
एक टक क अ भमं त माला क बात बताई थी, वो भी मुझे लेनी थी जसका मू य
था शायद 2100 पये, उस व त म रमोट जॉब करता था इतना पैसा भी नह बचता था
क म सफ एक माला के इतने पया ँ , फर मं जप, हवन, वगैरह फर क या भोज
उसम भी बताना नह है क यह अ सरा साधना का भोग का साद है, एक तो लोग कतना
मजाक उड़ाएंगे क ये जवान लड़का या बकवास चीज कर रहा है सरा इसके कुछ
साधना नयम इस लए भी छपाया जाता है और कुछ और बता दया जाता है। शायद यही
दन चल रहे थे 2017 के, उ ह के संकलन से मने एक खास अ सरा साधना के उ क लत
मं चोरी कये(माफ कर) कई और कताब से भी लए पर मुझे उनम से एक मं सही
लगा( कसीको कभी नह बताऊंगा इस लए मत पूंछना) उसी का जाप करने का मने न य
कया सफ यान म।
रात म अकेले कमरे म म व होकर बैठ गया, उस मं को मने रट लया था। अब वो मुझे
पूणतः याद था मने अपनी सुर ा के लए एक घी का द पक भी जला के रख लया था,
आसन म बैठ गया और बना माला के वह मं उ ा रत करने लगा मन ही मन, वो भी पूण
समपण से भले उन महाशय ने मुझे डराया था पर म हठ ं, कसी चीज के पीछे पड़ गया
तो पड़ गया अभी जैसे अपने अनुभव बताने के पीछे पड़ गया ँ तो कयोरा म लखे डाल
रहा ँ यह भी मेरा ही जुनून है, मेरी तरह शायद ही कोई जवाब लखता हो 19 अग त से
लखना शु कया आज 2 अ टू बर हो गया, दे खता ँ कतना लख पाता ँ जैसे ही मेरा
रस ख म हो जाएगा यहाँ से भी नकल लूंगा। खैर म उस मं को जपता रहा, कई बार
भटक गया वचार म फर लौटा, फर जपा यह मने 10 बजे रात म शु कया था फर 3
बजे तक जपता रहा काफ एका ता स ध, इसी तरह 4 दन गुजर गया 3 से 5 घंटो तक
बैठा उस एक मं का जाप करता रहता था। कुछ भी अ ा घ टत नह आ था। सवाय
मेरा सर भारी रहता था और मन मे वही मं जाप चलता रहता था, अब म बेहोश से रहने
लगा था, कमजोर से लगने लगा था मुझे, 1 ह ता गुजर गया था मं जाप करते करते। कुछ
भी नह आ था और म कमजोर भी हो गया था, कोई अ सरा नह आयी थी कोई अनुभू त
भी नह ई थी। मेरी ऊजा के साथ साथ मेरा जुनून भी ख म हो गया था म इसे बकवास
समझ के भूल रहा था। ले कन एक गड़बड़ थी के मं जाप नह ब द हो रहा था मन ही मन
अंतमन वह मं बराबर चल रहा था दनभर जससे बाक काम करते व त भी बड़ा
द कत होती थी, परेशान कर के रखा आ था, म स च स च के परेशान था क कस घड़ी
म मने ये सब बना गु के द ा लए कया। पर या क ँ ये मेरी अंतरा मा चाहती थी म
अंदर से मजबूर था इसे करने क यास मेरी आंत रक थी, वो जुनून कभी नह आ जो इस
अ सरा साधना नाम के श द से फूटा था मुझम।ले कन भूचाल तो अभी आना बाक था।
10 व दन शाम को तकरीबन 7 बजे म 4 लोग के बीच बैठा था, थोड़ा ह क के जाम
गटका रहा था अपने दमाग को ठ क करने के लए, तभी उनमे से एक भाई ने कहा अरे
यार ये खुशबू कहाँ से आ रही है यार फर सबने कहा हां यार ऐसी खुशबू नह सूंघी मने
पहले कभी उन सबने मेरी तरफ दे ख के कहा अरे शमा कौन सा सट लगाए हो भाई इतना
कहे महक रहे हो, मने पहले नजरअंदाज कया फर जब वह खुशबू मेरी नाक म घुसने
लगी तो ह क का नशा उतरने लगा उस रह यमय खुशबू का नशा चढ़ने लगा, मने मन म
स चा इसका या रह य है, कुछ गड़बड़ तो नह हो गई फर।वह सुगंध रातरानी के फूल
जैसी गुलाब सी भीनी भीनी मली जुली जैसी आ रही थी, बाक जो सुग थी उसे म
समझ नह पा रही था वह कसी अ त जगत क थी जससे नशा चढ़ रहा था मुझे। खैर
मने दो त को शुभरा बोली वे भी उस सुगंध को नजर दाज करते ए अपनी ह क के
नशे म म त नकल लए, म भी घर आया। कपड़े बदल लए, फर भी न महक जाए, तुरंत
नहाया धोया खाना बनाया खाया और आराम कर रहा था अकेले था कमरे म फ़ोन पर बात
कर रहा था, ब तर पर लेटा आ तो जैसे सरी करवट पलट तो कसी का अहसास आ
जैसे कोई मेरे पीछे लेटा आ था, अब मेरा यान भटका फ़ोन से मने फ़ोन काट दया। और
कमरे म महसूस कया मेरा कमरा गुलाब क खुशबू से भरा था, इसके अलावा भी और
खुशबू थी पर म उ ह नह पहचानता था, पर थी मदम त करने वाली नशे से भत ई, शरीर
म अजीब अजीब अहसास हो रहे थे, मं जाप भी क ध जा रहा था मन म उस मं ने मुझे
जकड़ सा लया था। अब मुझे शक हो गया था मेरे कमरे म कुछ है, अजीब रह यमय हो
रहा था कमरे का वातावरण, म ब तर से उठ तक नह पा रहा था, ह मत नह पड़ रही थी,
म दल का ब त मजबूत ं पर जब कोई अ य आपके साथ मौजूद हो जसके बारे म
आप अ ात हो तो डर वाभा वक है। खैर कसी तरह मने मोबाइल म गाना लगाया, कसी
तरह मन भटकाने के लए, पर कोई लाभ नह एक तो मुझे नशा चढ़ रहा था सरा वो मं
गाने से यान हटा के खुद म लगा दे ता था। मने मोबाइल वच ऑफ करके रख दया अपने
आप पता नह कैसे जैसे कसी क अ य श से भरी ेरणा वश। लाइट बुझाई, और
ब तर पर लेट गया, इतनी गहरी न द महसूस हो रही थी या बताऊँ। म सो गया।
अब दे खता ँ मेरा दो लोग के लेटने के का बल बेड चौड़ा हो गया है म पूणतः नव लेटा
ँ और 7 अ त सुंदर अ त सुंदर अ त सुंदर षोडश वष य क याएं जो इस पृ वी क क या
जैसी ही ह पर उनका व प, बड़ा ही रह यमय है, उनक रह यमय काया कसी ाचीन
राजकुमा रय सी है ज ह दे ख के कोई भी पागल हो जाये इतनी सुंदर, म कुछ बोलना
चाहता ं पर आवाज नह नकल रही बस उनक घूरती नजरे मुझे नशे से भर रही ह, फर
जो आ उसे म बयान नह करना चाहता वह बीभ स कृ य भयानक था, मेरे शरीर के एक
एक रोम छ से आह नकली उस व म। सुबह 5 बजे मेरी न द खुली बड़ा ही कमजोर
हो गया था म श ही नह बची थी, इस लये फ़ र सो गया। सुबह 8 बजे सोकर उठा अब
अ ा लग रहा ऐसा लग रहा था जैसे क ही ंजन का वाद लेकर उठा ँ, ऊजा से भरा
आ मन म त क। आनंद महसूस हो रहा था। खैर दनभर यही ऊजा रही ब कुल भूख
नह लगी चेहरे पर अजीब तेज था, हाँथ पैर जैसे रात भर तरासे गए ह ऐसे चमक रहे थे,
बाल मेरे घुंघराले नह ह पर उस दन कसी नवजात ब े क तरह थे मेरे बाल, अभी भी
वह रह यमय खुशबू थी मेरे म, कसी काम से सट सटर जाना पड़ा काम वतः हो गया
बना कसी कावट के, लोग घूर रहे थे मुझे, अजीब नजर मेरा पीछा कर रह थ , हर कोई
बात करना चाह रहा था, पर म तो नशे म था अजीब खुशबू के तो म भला कहाँ कसी क
सुनने वाला था मेरा 10 महीने का हचय खं डत आ आज रात बुरी तरह से पर म
कमजोर ब कुल भी महसूस नह कर रहा था, हां ले कन म भी बदला था ये मुझे पता था
आप समझो जैसे नवजात कतना मासूम लगता है, वह सफ ध पीता है, उसे हर कोई
गोद म लेना चाहता है वैसा ही था कुछ मेरा शरीर पर फुल कपड़ म यादा समझ नह आ
रहा था। अपने आपम म ब कुल फट नौजवान 16 साल का हो रहा था। पर फर वही
होना था आज रात और वही फर आ। सुबह फर वही ऊजा, 2 दन हो गए थे मुझे बना
कुछ खाये, और आज म थोडा सा और सकुड़ गया था। इसी तरह 5 दन बीत गए,
मंगलवार का दन था, शाम को GT रोड क गली म एक द णे र हनुमान जी का स
मं दर पड़ता है, वह आके कूट क गई, मतलब ब द हो गई। टाट ही नह हो रही थी,
एक भाईसाहब बोले अरे बेटा हनुमान जी के मं दर के बाहर क है गाड़ी आज मंगलवार है
जाओ दशन कर लो सब ठ क हो जाएगा। मैने हां म सर हला दया। अंदर से मेरा मन नह
था ब कुल भी, मेरा मन था क कतनी ज द कूट टाट हो और म घर प ंचूं। ले कन
तभी कसी ने मुझे पुकारा…
रा ल भाई.. ओ रा ल भाई मैने स चा मुझे पुकार रहा है या कोई दे खा तो मेरा दो त था
नातक का। ब त मजा कया हद से यादा, मुझे भी अंदर से खुशी ई। इस लये कूट
कनारे लगाई। और सीधा उसके पास प ंच गया। तुरंत गले मला वह, मुझे अ ा लगा
उसने ज दबाजी म मेरे मुह म साद का ल ठूं स दया। म भला या करता, खा गया
बेमन। बाते उसने साद चढ़ा दया था, मने भी आवेश वश साद लया और चढ़ाया,
दषन कये हनुमान जी अजीब झटका से लगा मुझे जैसे बजली करंट जब मुझे पं डत जी
ने ट का लगाया माथे म, फर मने साद दया सबको खुद खाया पता नह भूख लग रही थी
न जाने य यकायक। खैर उससे बाते , उसने कहा रा ल भाई बले हो गए हो पर सोने
जैसे चमक रहे हो या है भाई, कौन सी म से नहा रहे हो। मने हंस के टाल दया,
य क जो मेरे साथ घट रहा था वह म वयं नह समझ पा रहा था य क सब आंत रक
था और था अ य व वह पूण वासनामय व जैसा अनुभव ही था। खैर बाते ख म ,
मुझे भूंख लग रही थी 5 दन बाद ब त तेज, इस लए म भी वहाँ से नकलने के लए कूट
दोबारा टाट कया और सरी कक म टाट हो गई। अच व…
घर आया रा ते म जो फल ध लए थे वही खा के सो गया। सपने म दे खता ँ एक वशाल
आग उगलता आ गोला मेरे ब तर के पास मौजूद है। उसने कहा तुमने ब त बड़ी गलती
क 7 दन का मं जाप करके, य लोक म इसक गंभीर सजा है। मं का गलत इ तेमाल
तु हे इस जीवन तो या कसी भी जीवन म नह छोड़े गा पर तुम एक महान योगी और
तां क हो पूव ज म के इस लए तुम बच गए, सकारा मक ऊजा और पूव ज म के कम ने
तु हारे ाण बचा लए, पर खतरा अभी टला नह है आसपास है, फर हमला बोल दे गा
ईस लये गाय ी मं जपो। इतना बोलकर वह वलु त हो गया। मेरी झटके से न द खुल गयी
पसीने म डू बा था म दल जोर से धड़क रहा था अ त व मत था म वह ब कुल जीवंत
लगने वाला व दे खकर। खैर मने उस रात से गाय ी मं का जप शु कर दया। 15 दन
तक जाप कया आरती कया हनुमान मं दर गया सब ठ क हो गया। अब कोई अ य श
नह थी मेरे पास। अब म वतं था। इसके बाद मने ाणायाम कये 3 महीने बराबर गाय ी
मं जपा बराबर यान कया पूण हचय पालन कया। अब कोई रह यमय खुशबू वगैरह
ब कुल नह थी सब गायब हो चुका था। फर 23 जनवरी 2018 आया मेरा ऊजा जागरण
होने के बाद सब ठ क हो गया।मुझे इस अ सरा साधना पी मृ यु शै या पर सुलाने वाले
करण क कहानी भी समझ आ गई। दरअसल 7 दन बना द ा लए मं जाप करने से
मने षत अ सरा ऊजा को आक षत कर लया था उ ही क ेरणा वश मने शराब पी
जससे म और अशु आ और उ ह उनका तपण पी भोग मला वे श शाली ई, वे
य नह ई थ य क मने 7 दन बाद साधना ब द कर द थी, पर सात दन म ही
उ ह ने मेरी आ मा को जकड़ लया था तभी मं जप ब द नह हो रहा था, इससे वे
श शाली हो रह थ , अगर म इसे करता रहता तो वे य होकर मेरा भ ण कर
डालत । रा म वे भोग लेती थी सुबह उ ही का अ य तनपान मुझे ऊजामय बनाये
रखता था, जससे मेरा कायाक प हो रहा था। कुछ दन म ही मेरी मृ यु हो जाती अगर
अ य ेरणा व प उस श प ड ने मेरी मदद न क होती। य क मेरे भ व य म तो
कुछ और ही होना लखा था। हनुमान मं दर दशन और साद से वे न य हो ग तभी
मुझे भूख लगी तुरंत वे अभी भी थी बस हनुमान जी क श ने उ ह मुझसे र कर रखा
था। रा व म वह श पड मेरी मदद के लए ही आया था, उसका मुझे य लोक के
बारे म बताना यह आगाह करना था। जो लोग मेरी तरह मं ो का गलत जाप करते ह बना
द ा के, मतलब राजस मं का और तामस मं ो का गलत उपयोग करते ह जैसे षट् कम
करते ह कसी का बेवजह नुकसान करते ह उनक आ मा को खास य लोक क या
से 1000 अंशो म वभ करके क ट पतंग के प म ज म लेने पर मजबूर कर दया जाता
ह फर 1000 पृ वी वष तक वे फर मलने को बेचैन उस तड़प और दद को सहते ह, घूमते
फरते ह कभी बरया तो कभी भौर बनकर, खैर जो सा वक मं होते ह उनसे कोई द कत
नह होती उनसे र ा ही होती है जपने से जैसे मुझे गाय ी मं जापने से लाभ आ मेरा
पीछा छू टा।
यह सवाल मने वयं पूंछा है य क म 'अ सरा' जैसे वषय को भी भलीभां त अपने
अ य अनुभव से बताना चाहता था इसी लए वयं जवाब लखा मने। इतने लंबे जवाब
को पढ़ने का आपका ध यवाद।आपका क मती व त खराब कया उसके लए माफ कर पर
जो लोग इस तरह क चीज म बना जानकारी के पड़ते ह उनके लए एक चेतावनी व प
यह जवाब उनका जीवन बचाएगा। परमा मा आपका क याण कर।।

आम
सूय के दशन
साल 2017 नोवे बर का महीना ठं ड लगभग अपने पैर पसारने लगी थी और ठं ड का मौसम
हम यो गय के लए अमृत समान होता है। मेरी नौकरी छू ट गई थी मेरी ही लापरवाही से
य क म अ सरा स के च कर म काम नही करता था, मेरा काम शाम 6 से रात 2 बजे
तक चलता था, यह एक रमोट जॉब थी, जसम मुझे ब कुल भी दलच ी नह थी, मेरी
दलच ी तो तं म अ सरा स करने म थी, और मने कया भी और उसके प रणाम भी
भुगते, मरते मरते बचा, तब से तं को छोड़ ही दया, कान पकड़ लए तं म बगैर जानकर
के नह जाऊंगा कुछ करने। और नवंबर के महीने से रोज सुबह 3:30 पर सोकर उठने
लगा, न य कम करता, नान करता, पूजा करता, और चार बजे बैठ जाता आसन लगाकर
एक माल पास म रखकर, और शु कर दे ता ाणायाम, सभी ाणयाम करता जो मुझे
आते, बड़ा मजा आता इ ह करने मे अंदर से जैसे कोई चाह रहा था क अब जो म कर रहा
ं यही है असली अ या म, इसी म न हत है सम त तं और योग, यही है वयं स बनने
क या, म सुबह 4 से 8 बजे तक ाणयाम करता पूरी लगन से, सारा शरीर ऊजा से
भर जाता। दनभर तरोताजा रहता दमाग, दनम नौकरी ढूं ढता शहर म, शाम को जब घूम
फर के कमरे वापस आता तो फर व होता, खाना बनाता खाता पीता टहलता, अब जो
बचत कर रखी थी वही खच हो रही थी, या गांव से सामान आ जाता था खाने पीने का। खैर
रात म टहलता इधर उधर बात करता और जबरद ती यान म बैठकर 1 से 2 घंटे तक बस
बैठा रहता चाह यान लगे न लगे फर भी म शरीर को शव लग क भां त शांत करने का
यास करता। सुबह फर वही ट न, यही चलता रहा लगातार 25 वे दन मेरे आ ाच से
अ द काश र मयां नकलने लग , हर बार एक रंग का धुआं फूटता और र जाकर बड़ा
हो जाता उसम से महक मेरी नाक म आती तो मुझे बड़ा आनंद आता वह सुगंध बड़ी
मनमोहक होती। दसंबर आने वाला था, और इन अनुभव ने मुझे और आक षत कया था
ाणायाम करने को, काश र मय म रंग नकलते थे, जैसे एक बार हरा, एक बार बैगनी,
एक बार नारंगी, एक बार नीला, एक बार लाल, एक बार पीला, इसी तरह कई रंग नकलते
ज ह पहचानना मु कल होता पर म उनका आनंद लेता य क उन रंग म अ द ती णता
होती, और हाँ एक बात जो बताना भूल रहा ँ क यह सब मुझे अंत म उ पन ाणयाम
और फर ामरी म होता। यह अनुभव होते ए मुझे 25 दन बीत गए, यानी दसंबर भी
जाने वाला था, और मेरा ाणयाम का ट न बराबर चल रहा था। और म द सुग और
द काश का अनुभव बराबर कर रहा था, यह अ द था, आनंददायक था, यह फल था
मेरी योग साधना का। बाक मुझे इससे ब त लाभ थे, मुझे ाणयाम क वजह से वासना
नह सता त थी, ऊजा इसी म लगती थी। सुबह साढ़े तीन बजे जागने से म उस पल का
अनुभव करता था जो दै वीय होता था भले ही सद थी गजब क । फर भी म ठं डे जल से
भयंकर सद म नहा लेता था, यह मेरे पूव सं कार ही समझे, क म इतना यागी था, इसका
फल भी मुझे मल रहा था, ले कन हां नौकरी अब भी नह मल रही थी। जनवरी आ चुका
था यानी 2018 क 1 तारीख को सुबह ाणयाम म ामरी करते ए म जब क गया जब
मेरे आ ाच से सभी रंग नकले और एक इं धनुष का नमाण हो गया, वह र मय से
आलो कत हो रहा था और उससे सुगंध नकल रही थी, और यान रख शु से लेकर अंत
तक यानी शवाशन करने तक मेरी आँख बंद ही रहती थ मतलब म यह सब इन आंख से
नह दे खता था ब क मन क आंख से दे खता था, इसे समझाना मु कल है श द से। खैर
आज नए साल म मेरा वागत इं धनुष के दशन से आ जो क अ द था। फर अगले दन
यानी 2 जनवरी 2018 को मुझे ामरी म एक वलयाकार गोले के दशन ए परमशा त म
वह छोटा सा था, और जैसे जैसे ामरी ाणयाम गहराता वह और ती ण होता जाता जैसे
मेरे ाणयाम से उसक ऊजा बढ़ती तो वह और ऊजा वान होकर चमकता। अगले दन के
अनुभव म वह और बड़ा और ती ण आ, उसका काश ब कुल सूय के ती ण काश
जैसा था और उसके अगल बगल वही सारे रंग उसे घेरे थे। फर अगले दन और बड़ा बन
गया आज यह आधा गोला था बीच म इसके घोर काली सुरंग थी, यह कालापन ऐसा था
क शायद इसे मेरी ूल आँख न दे ख पात उनमे इतनी श नह , स चये आ मसुय क
इतनी ती णता फर वयं ई र का कतना तेज होता होगा ज ह दे खना कतना नामुम कन
होता होगा यह तो वे ही जानते ह गे ज ह ने ई र के दशन कये ह जैसे महान धनुधारी
अजुन। ऐसी महान आ मा को णाम। खैर इसी तरह एक ह ता बीत गया आ मसुय के
दशन करते ए, अब आप ये मत कहना क मुझे कैसे पता चला क वह आ मसुय ही था।
यह मने पहले ही खोज लया था इंटरनेट पर और कताब म। पर जैसा बताया गया था
वैसा कुछ नह था मुझे कुछ और ही दख रहा था। एक दन वह पूरे काश से भरे गोले म
बदल गया उसम दो रेखाएं थ दोन के अंदर सूय का तेजोमय काश था और बीच म काली
सुरंग थी जसम सवाय कालेपन के कुछ नह था भगवान जाने इसका मतलब। खैर अब म
वयं के ारा बनाई ई आ मसुय क अ द प टग शेयर करता ँ।
आप लोग कहगे क तनी घ टया प टग है ले कन मने ये 7 सेकंड म बनाई है तो इससे
अ नह बन सकती इतने कम समय म। खैर ऐसा ही कुछ था मेरा आ मसुय, यही दे ख
रहा था म जनवरी के महीने म, इसी के दशन कर रहा था। ाणयाम क वजह से यह आ
या यह मेरे पूव ज म क साधना जागृत ई थी जो भी हो ले कन था सबकुछ अ द। इसके
बाद क कहानी तो आप लगभग सब जानते हो अगर आपने मेरा सव म अनुभव वाला
जवाब पढ़ा होगा। वह घटना 23 जनवरी क रात 2 बजे घट जसे 24 जनवरी म घट
कहगे य क 23 तो ख म हो गया था न रात 12 के बाद। फर तो ऐसे ढे र अनुभव ए,
आज भी होते ह, मतानुसार जो बता पाता ँ बता दे ता ँ, बाक सब पड़े ह कह दमाग
क को शका म याद बनकर, परमा मा के ो साहन से। मुझपर कसी क लगाम नह है,
शव मेरे गु ह, और मेरा अनुभव बताना समय क मांग समझता ं म आज जब ये
रह यमय चीज लु त हो रही ह तो मेरे जैसे लोग सनातन के दये म फर घी डाल रहे ह क
वह अनवरत जलता रहे य क हमारा धम ब त ही अ द है बस आज सनातनी इसे भूल
गया है ले कन यह नया को वो दे सकता है जसके लए हर ाणी जाने अनजाने लगा
आ है खोजने। लखने को तो ब त कुछ है पर समय नह इस लए कलम यह रोकता ँ।
पढ़ने के लए ब त ब त ध यवाद आप सभी का।।।
(वैरागी रा ल शमा)

सव म अनुभव
रोजमरा क तरह 23 जनवरी 2018 भी आया और उस दन सुबह 9 बजे म काम पे चला
गया, सारा दन ोजे ट पर काम करते करते गुजर गया शाम 7 बजे म वापस आया अपने
कमरे म, तभी फ़ोन क घंट बजी और गांव से खबर मली क मेरे पापा को दो लोगो ने
ब त मारा है, मेरे पापा के पास एक कु हाड़ी थी जसका इ तेमाल उ ह ने बचाव म कया,
और उनको खदे ड़ दया पापा के सर पर चोट आई थी, और बाएं हाँथ क अंगु लय म भी
ब त च टे थी , मेरे अंदर ही अंदर तूफान सा मच गया य क कभी ऐसा नही आ था मेरे
प रवार के साथ, म ब त परेशान हो गया और अंदर ही अंदर जलने लगा तशोध क आग
म, उस दन मुझे लगा क इंसान बुरा होता है, और भी न जाने या या म सोचने लगा
वचारो का तूफान मच गया मेरे दमाग मे मेरा दल मुझे च लाने लगा "दे ख इस नया क
औकात यही है यहां सब एक सरे को नोचने के लए ही पैदा होते ह"। मैने जो सपने
सजाए थे, सब धराशायी हो गए। मेरा अंतमन से झगड़ा चल रहा था। एक यु क आंधी
मेरे अंदर बराबर चल रही थी। खैर पापा से बात ई वो ठ क थे उनका इलाज हो चुका था
और उ ह ने मुझे आ ासन दया क वो ठ क हो जाएंगे य क परमा मा अभी भी उनके
साथ ह। रात दो बजे तक म वैरा य से भर गया था, मुझे हर चीज के त वैरा य हो गया
था। मैने या या सोच लया था उस अकेले कमरे म आप सोच भी नही सकते, तशोध
ने मुझे झकझोर दया था मैने सोच लया था क या तो म र ंगा या इस संसार मे बुराई।
अपने अंदर छु पी इस अपार ऊजा को आज दे खकर मुझे खुद व ास नही हो रहा था। मेरे
अंदर अजीब बदलाव हो रहा था जसे दे ख के म हत भ था। मेरा शरीर हद से यादा गम
हो रहा था, और जैसे फौलाद हो गया था। मैने खुद पे कं ोल करने क को शश क पर कुछ
नही हो रहा था। म सीधे ब तर पे लेट गया बना त कया के और आंखे बंद करली। फर
मने महसूस कया जैसे म सांस नही ले रहा अ पतु कुछ और है जो सांस ले रहा है, सांसो
क ग त बढ़ने लगी मेरा दय ब त तेजी से उछलने लगा, म पूण प से चेतना म था और
ये सब महसूस कर रहा था और सोच रहा था लगता आज कुछ होने वाला है। थोड़ा डर भी
लगा और सोचा उठके पानी पी लेता ं पर कसी अ य श ने मुझे उठने नही दया और
फर मेरी रीढ़ के नीचे वाले ह से म कुछ अजीब हरकत ई और कुछ उछलने लगा और
गोल गोल च कर काटने लगा फर वो चीज रीढ़ पर से ऊपर उठने लगी और जब हाट पर
प ंची तो जो हाट तेजी से उछल रहा था अब वो जैसे बाहर आने वाला था इतना भयानक
प से वो धड़क रहा था और वहां पर भी कुछ गोल घूमने लगा और फर रीढ़ के नीचे से
कोई चीज ऊपर आती और हाट तक प ंचती और फर नीचे से ऊपर आती , फर एकदम
से मेरे गले मे ठोकर सी लगी और कोई चीज मेरे आंख के बीच आके फर रीढ़ के नीचे तक
गई और रा ता जैसे साफ करने लगी मतलब भौह के बीच से रीढ़ के नीचे तक चलने लगी,
और मेरे भौह पर इतना तेज दबाव होने लगा क जैसे कोई छे द कर रहा है मेरा पूरा जबड़ा
फटा जा रहा था, सारे शरीर मे अजीब सनसनाहट और ंदन हो रहे थे, फर ये सब शांत
आ और मुझे पता नही कब म सो गया। और सुबह 5 बजे उठा तो ब त ह का महसूस
कर रहा था दमाग ब कुल शांत था। पर भ ह के बीच ंदन बराबर चल रहा था वो शांत
नही आ। खैर नहाया और तैयार आ और नकल गया े न पकड़ने गांव के लए। म खुद
म ब कुल बदलाव महसूस कर रहा था म बदल चुका था और लोग मुझे घूर रहे थे, म खुद
को छपा रहा था, और कल क शाम 7 बजे से रात सोने तक जो आ वो सब स च रहा
था, और मन ही मन याय मांग रहा था ई र से और जवाब मल रहा था क परेशान मत हो
सब ठ क है।मेरे सभी सवाल ख म हो जाते थे पूछने से पहले ही, म पूण संतु हो जाता था
तुरंत। इतना लयर म कभी भी नही था। खैर ै न खाली थी म एक कोने म जाके आंखे
ब द करके बैठ गया,और भौह के बीच के अ त ंदन को पकड़ने क को शश कर रहा
था जसमे एक अ त आन द था, उस गुदगुदाहट म एक नशा था, म श द म बयान नही
कर पाऊंगा, और इसी तरह पूरी या ा कर ली, और कसी तरह गांव प ंचा, दे खा पापा
आराम कर रहे थे जमावड़ा लगा आ था लोगो का। उनको मारने वाले फरार हो चुके थे,
और पु लस म एफ आई आर दज हो चुक थी। मने पापा से बात क वो ठ क थे। लोगो के
बीच बैठे बैठे म एक अ त रस म म न था, ये सब जो मेरे साथ हो रहा था ऐसा पहले कभी
नही आ था। अब म आंत रक प से वैरागी हो रहा था। अब मेरे सवाल ये थे क "म कौन
ँ? कहाँ से आया ँ? कहाँ को जाऊँगा? या म शरीर ँ? नह नह म शरीर नही ँ।ये
संसार या है ये र ते या ह या है ये नया?इस तरह क मान सकता हो गई थी मेरी।
मुझे ब त धीमी बात भी तेज सुनाई दे रही थी, घर म बन रहे खाने क खुशबू मेरा नाक म
ब त तेज महसूस हो रही थी, कभी कभी ंदन ब त तेज हो जाता आंख के बीच फर
कभी धीमा, ये अ त था। म पूरे शरीर को नद शत करने लगा था, शरीर के कसी भी
ह से पर म यान ले जा सकता था। इस तरह म खुद म म न म तशोध लेना भूल चुका
था, और म कसी का बुरा नही करना चाहता था अब मुझे हर कोई अ ा लग रहा था। सब
एक जैसे ब क म खुद को उन सबमे दे ख रहा था। ये ब कुल अजीब अनुभव था। उस
रात गांव म जब म सोने के लए लेटा तो मेरे साथ फर वही आ और इस बार भौह के
बीच न जाके पीछे से जहां हमारे ह ओ म हम ा हण लोग चु टया रखते ह वहां पर
ठोकर लगी और वहां पर ब त ठं डा से महसूस आ और फर अंदर ही अंदर धीरे धीरे कुछ
अजीब ंदन, और च कर काटने लगा और बड़ा ही अ त अनुभव महसूस आ और
ऐसा लगा जैसे कुछ खुल से गया हो। फर उसके बाद से भ ह म ंदन हमेशा नही होता
था जब म यान ले जाता था तभी ंदन होता था।
आ ाच से संबं धत यान अनुभव
यह अनुभव 29 जनवरी 2018 म रात म आया था, श जागरण के बाद, तब म गांव म ही
था, अ ठं ड थी उस समय वहां।। यह सब उस परमा मा क ही कृपा है जो उ ह ने मुझे
चुना, और मने चुना अपने अनुभव के अंश लखना जससे लोग को पता लगे क सनातन
ंथ जसके लए बार बार उ लेख करते ह वह अका स य है और ऐसा घटता है सफ
उन लोग के साथ जनमे होती है यो यता और स ा समपण।
जसका ऊजा जागरण हो जाता है वह कस अव ा म होता है इसे समझना और
समझाना ब त मु कल होता है अगर समझने वाला उस अव ा म नह है तो समझाने
वाला लाख को शश कर ले परंतु यह एक कहानी ही लगती है 99% लोग को। खैर म वयं
स होने क राह पर चल पड़ा था, जस रा ते पर कतई भीड़ नह होती, सुनसान होता है
वह हाँ अगर गु हो तो अव य साथ चलता है य क वह वयं उस तरह के रा त से गुजर
चुका होता है। 29 जनवरी को शाम को 7 बजे एक कुस पर बैठा था, सब लोग बैठे थे हँसी
मजाक चल रहा था, म चुप बैठा हंस रहा था सबक बांतो पर आप तो जानते ह गे कैसा
होता है गांव का शांत माहौल अगर आप कभी ऐसे माहौल म रहे ह वहाँ क हवा म शां त
होती है, जीव जंतु क आवाज जुगनु का काश उस वातावरण को रह यमय बनाता
है, आकाश साफ होता है जससे तार के दशन होते ह झल मल आकाशगंगा को दे खने म
बड़ा ही अ त आनंद आता है एक ऊजा जा त उस आकाश को दे खकर अंदर से रो
दे ता है, वह स चता है या है इस अन त आकाश का होना या जा है इसमे कैसे रचना
ई होगी इसक , ऐसे ढे र उसके मन म रह यमय कौतूहल क सृ करते ह। तभी र
कह से उ र-प म के आकाश से रंग बरंगी रोशनी करता आ कृ म यान नकलता है
सभी उसक आवाज सुनते ह और उसको दे खने के लए ाकुल होते ह और फर उसी को
दे खते ए सब दांतो तले उं गली दबा लेते ह क काश उ ह भी उसमे बैठने का आनंद ा त
हो। खैर फर म कहता ं क ऐसा मत स च आप दोन आनंद ले रहे हो, जो उस यान पर
बैठा है वो तो उसका आनंद ले ही रहा है और आप सब भी आनंद ले सकते ह अगर आप
सब थोड़ा और ऊंचा दे ख, या यान नकलेगा तभी आप आसमान दे खोगे इसके अलावा
नह , इसके अलावा इस आसमान क अह मयत नह आपक नजर म, वे सब मेरी बात
सुनकर चुप हो जाते ह। फर पताजी बोलते ह, बेटा अगर सब लोग आसमान दे खने लग
गए तो वे वचार म खो जाएंगे, अपने जीवन से वमुख भी हो जाएंगे, अंतमुखी हो जाएंगे,
उ ह कसी भौ तक चीज म रस और आनंद नह आएगा, य क फर वे उस आकाश को
दे खने लगगे, और आकाश या है अनंत, और अनंत या है, ई र, तो जो उस अनंत ई र
को दे खने लगा तो वो फर अपने शरीर का भी भान भूल जाएगा।अब पताजी चुप हो गए।
अब म अपने पताजी क बात सुनकर हत भ रह गया वे अ त ानी ह, उ ह वयं हनुमान
जी स ह, इसी लए उनम अ त ान ह, ब त ज द नह बोलते ऐसी बात भ माग के
अनुयायी ह व उ ह णाम। अब सब अपने अपने काय म लग जाते ह या कह त हो
जाते ह, अब म बैठा कुस पर शरीर म अजीब सुरसुरी महसूस करता ँ, ऐसा लगता है जैसे
पैर से सर तक कुछ दौड़ रहा है, अंदर ही अंदर अजीब ऊजा वाह सु हो रहा है, अचानक
आ यह, म समझ गया यह या है ऐसे म यान पर बैठने को ाकुल हो जाता ँ म। गम
हो चुका शु दे शी ध पीता ँ, और मन म कामना करता ँ आज सब ज द सो जाएं
आज शरीर म उठ रही सुरसुरी यह बता रही है क आज अ त यान घटे गा। खैर ऐसा ही
होता है कब 10:30 हो जाता है घूमते टहलते उस रात पता नह लगता। इस व त तक
एकांत हो जाता है ा त सब अपने अपने ब तर पकड़ लेते ह। गांव म चारपाई होती है
जो क एक लेटने वाले झूले का अपडे टेड वजन सम झए। और जमीन पर बैठकर यान
करना मतलब ब ली कभी भी आ सकती है, और अंदर कोई दरवाजे बंद नह करता, खुला
आंगन है तो जीव जंतु भी आते जाते ह पर ठं ड क वजह से कमर म ही लेटते ह सब,
इस लए मने ग े और रजाई को समेटकर आसन बनाया चारपाई म और यान पर बैठ
गया।
अभी 5 मनट ही ए थे क वही सुरसुरी तेज हो गई, आप स च सकते ह नीचे से ऊपर तक
तेज कुछ दौड़ लगा रहा है, भयानक प से, और तेज ई ये, जतना म शांत होता गया,
अंतमुखी होता जा रहा ँ, शरीर गु वाकषण खोने लगा ग े से बने आसन पर म लुढ़कने
लगा, मूलाधर च तेजी से आंदो लत होता आ उछल रहा है और मेरी हचय क ऊजा
श को बदल रहा है ओज पी ऊजा म अब सुषु ना नाड़ी से तेजी से गरम आग जैसा
ऊजा वाह ऊपर उठने लगता है, म कराह दया जब वह आग जैसी ऊजा उपर चढ़ रही है,
उसके ऊपर आने पर ऐसा लग रहा है जैसे वह इस शरीर मे भ के प म जंग लगी नस
ना ड़यां खुल रही ह पूरा शरीर जोर से हलता है, अंदर ही अंदर से अपने आप वह ऊजा
आ ाच पर प ंचकर उसे जागृत करती है, फर अंदर ही अंदर कह से सह ार पर
प ंचती ह, मेरा जबड़ा फटा जा रहा है, आंखे अजीब तरह से मुड़ रही ह, गले म अंदर ही
अंदर जैसे कोई नचोड़े दे रहा है, जीभ मेरी अजीब तरह से या कर रही है, दय तेजी से
धड़क रहा है, सारा शरीर झूम रहा है, दमाग म अंदर ही अंदर जाने कैसे या हो रहा है
जैसे अंदर मरे ए सांप जदा हो गए ह और फर फड़फड़ा रहे ह , इस तरह जाने या या
हो रहा है म या या बताऊँ, ऐसा लगता है म आ ाच म बैठा ँ और मेरा शरीर कसी
और के हवाले है और वह इसको अपने हसाब से का बल बना रहा है, इसे रगड़ रगड़ के
अंदर से धो रहा है कोई। यह होता रहा फर काफ दे र, फर यकायक सब शांत र हो
गया अपने आप जैसे कसी ने बजली का तार नकाल लया हो, अब सभी च शांत हो
गए सवाय आ ाच के, शरीर धीरे धीरे शू य होने लगा और दल भी धड़कन शांत हो
गया, म ब कुल शांत हो गया अब म समट के आ ाच पर आ गया ँ, अब मुझे लग रहा
है जैसे कुछ नह है इसके सवा म कसी न हे जीव क तरह हो गया ँ, म शरीर ही नह ं,
उस अव ा म मने दे खा न वहाँ झ गुर क आवाज है, न वहाँ कु ो के भ कने क , न ही
कुछ वयं मेरी सांस ब द है जो थोड़ी दे र पहले मेरे बस म नह थी मतलब म आपको बता ं
म लंबे कु को से गुजरा था अभी अभी जसपर मेरा कोई बस नह था यह ऐसा था जैसे
कोई मुह दबा ले रहा हो,जब उसका मन था तभी सांस अंदर बाहर जाती इसपर बस नह
था मेरा, ब त भयानक अनुभव था तभी से मेरे लंबे बा और आंत रक कु क क आदत
ई । आ ाच म चूं क आंखे तो ब द ही ह फलहाल उनपर मेरा बस नह है वे मर सी गई
ह अरे कुल मलाकर अभी म मरा ँ सही बात आप जान लो। मेरे मानस पटल पर मने दे खा
वहां एकदम वराट संसार है काला से , उसी काले अंधेरे म एक 10 फ़ ट का गोला ख च
जाता है लाइन से बना आ क ई रंग का, उसम ॐ बनता है जो व न कर रहा है ऐसे
'ओउम ओउम ओउम ओउम ओउम' यह व न कंपन से है, म णाम करता ँ, यह सहसा
गायब हो जाता है फर वहां सुनहला काश उभरता है जरा सी भी आवाज नह होती बस
कट होता है अपने आप और सामने एक आसन पर म बैठा ँ ब कुल न न सोने सा
सुनहला शरीर है, शरीर से अजीब करणे नकल रही ह रंग बरंगी, मेरे सारे शरीर को एक
लंबा मोटा सुनहला सांप लपेटे ए है और वह मेरे गले म लपटा आ मेरे चेहरे और सर म
और शरीर म आग उड़े ल रहा है अपने मुह से म जल जाता ँ फर ठ क होके सोने जैसे
चमकता ँ फर जैसे ही कह काला होता ँ या कोई और रंग लेता ँ तो वह फर आग
उगल दे ता है, यह दे ख कर म अ त च कत ँ और अजीब सी सहरन से भर रहा ँ, म मन
ही मन उस सांप को णाम करता ँ तो सब गायब हो जाता है, म लुढ़क जाता ँ अपने
आसन पर शायद बेहोश हो जाता ँ।।
थोड़ी दे र म उठता ँ आसपास दे खता ं कुछ नह सब शांत ह कह कुछ नह , सांस नह
चल रही बस हाँथ पैर सब काम कर रहे ह, बस म सांस नह ले रहा, सुषु ना चल रही है,
और दल नह धड़क रहा है हाँथ क नाड़ी भी गायब है, ब तर को ठ क करके लेट जाता ँ
इतनी ठं ड है पर मुझे नह लग रही सीधे लेटा आ जो अभी घटा उसी पर वचार कर रहा
ँ, स च रहा ँ या लीला है भु क , जो अब तक पढ़ा था सुना था आज वह मेरे साथ
घटने लगा है मेरी अंदर से चीख नकल जाती है उसी रात भयंकर वैरा य से तड़प उठता ँ
स चता ँ बस हमालय भाग जाऊं। इ ही सब खयाल म खोया आ सो जाता ँ। पर नह
सोता सफ शरीर सो रहा है म जाग रहा ँ। यह भी अ त होता है। यह खास अनुभव था
इसको बताने का कोई खास उ े य नह था बस अ या मवा दय क भीड़ बढ़ जाये भारत
म फर एक बार तो साथ जीने म आनंद आये। परमा मा सभी का क याण कर।पढ़ने के
लए ध यवाद। मुझे आशा है आपम ई र के त आ ा उमड़े और आप अ या मवाद
बन।।।

यान अनुभव
2018 अ ैल 3 क रात 10 बजे और म एक अकेले कमरे म मौजूद यान करने के लए बैठ
गया। पहले तो जो दनभर कया वो मेरे मानसपटल म लैश होने लगा तकरीबन 20 मनट
बाद वचार ब द ए, इस बीच मुझे न द भी आई आंख से आंसू भी नकले, और मुझे मेरे
भौ तक मन ने यान से उठने के लए ब त जबरद ती क और मैने उससे पूरे अंतरमन से
यु लड़ा और अंत मे मेरी जीत ई। अब मेरा भौ तक/ता कक मन ने मुझे सलाह दे ना बंद
कर दया था और अब वो पूण शांत हो गया था। अब चारो तरफ शां त ा त थी कही कोई
आवाज नही चूं क म एक बीहड़ इलाके म था जहां जनसं या ब त कम और लोग 8 बजे
सो जाते थे। अब म धीरे धीरे अंतमुखी होता जा रहा था, फर धीरे धीरे मेरे शरीर मे हवा
भरने लगी ऐसा मुझे महसूस आ और मेरा शरीर गु वाकषण खोने लगा और हवा म
उठने क वयं को शश करने लगा, म इसे महसूस कर सकता था पर म एक मू त क भां त
र था, अब मेरा शरीर हवा म था मेरे कंबल के आसन से 1 फ़ ट ऊंचाई पर, उस पल मैने
महसूस कया व ान के नयमो को धराशयी होते ए। खैर कुछ व बाद म वयं अपने
आसान पे आकर फर र होके बैठ गया। इस अजीब ख ता भारी शां त म म पूण प
से एक प र क भां त हो चुका था। मेरी चेतना पूण प से मेरे आ ा च पर थी और म
उसके तेज ंदन को महसूस कर रहा था। अब मुझे समय का भान नही था क कतना
समय हो चुका होगा य क म कसी सरे आयाम म ही खुद को महसूस कर रहा था, जहां
वचार शू य थे। अचानक से मुझे आवाजे सुनाई दे नी लगी ऐसी अजीब आवाजे इस नया
मे पहले कभी नही सुनी थी मने, अजीब भाषा मे कुछ खच पच हो रही थी, ये बड़ा अजीब
था, अब मुझे अपने मानस पटल पे घु प अंधेरे म कुछ अजीब सी आकृ तयां चलती ई
दखने लगा, अरे हाँ ये आवाजे तो वोही अजीब से आकृ तय से आ रही थी। फर मैन उसी
घु प अंधेरे म र से काश का गोला से आता आ दे खा जो तेजी से मेरे पास आके फट
गया और घु प अंधेरा और वो आवाजे न जाने कहाँ खो ग । ये काश के रंग को म नही
समझा सकता य क ये रंग होता ही नही है हमारी इंसानो क नया मे, पर ये था ब त ही
अ त और संसार से परे, पर अभी वहां कोई य नही था सवाय उस काश के न ही
कोई आवाज थी, फर मेरे आ ाच से उठा क या म शरीर से बाहर आना चाहता ँ
तो मेरे अंतमन ने तुरंत न कह द , अपने आप न हो गई समझ नही पाया म, और एक झटके
म सब गायब हो गया अब म खुद को साधारण त म महसूस कर रहा था। यान से
उठके समय दे खा तो रात के 1:40 बज रहे थे, मने अपने अंतमन से सवाल कया क न
य कह द तो जवाब मला क य क म सुर ा म नही था, अगर म शरीर के बाहर बना
सुर ा के नकलता तो शायद उस अ त संसार क माया म खो जाता और फर कभी न
लौटता, और अभी मेरा अंत समय नही आया है। ये मेरा अजीब अनुभव था जो मने बता
दया आपको।.

भटकती ई ेतनी क दा तान


दे खए साहब जी ऐसा है क ये जो भूत ेत क बाते होती ह इनपे ज द कोई व ास नही
करता। व ास न करने के पीछे कारण ये होता है क लोग भूत क प रभाषा से अ े से
वा कफ ह, क कौन भूत बनता है, और कौन भूत नही बनता। जो कपट और बुरे कम करते
ह, या संसार को छोड़ना नही चाहते और मरने से ब त डरते ह, लालची होते ह या वासना
के वामी होते ह- मतलब हरदम संभोग क चता करने वाले लोग ही भूत ेत बनते ह तो
जब कभी आप ऐसे लोगो से भूत ेत क बात करोगे तो वो आपसे कहगे या तुम अब भी
व ास करते हो इन सब चीजो पे? य भाई य न करे ? न करने का मतलब है हम
इंसान क औलादे नही है, कसी ह से आये ए लयन ह, या हम सफ शरीर है आ मा नही
है लाओ काट दो फर इसे या फक पड़ता है। फर भावनाये कैसी ये लगाव कैसा ेम
कैसा?
य क मुझे वचा लत लेखन पे व ास है( कृपया इसका इ तेमाल यहां सफ जानकारी
के लए हो रहा है इसी लए इसे आप योग मत करे वरना आप को भी भूत बनने म दे र नही
लगेगी ये चेतावनी सभी को पहले दे रहा ँ) और मुझे इसमे थोड़ा अनुभव भी है तो पहले
म इसमे अपने हाँथ आजमा लेता था कभी कभी ले कन बात नही बनती थी, कोई भी
ेता मा नही आती थी।
ये बात है 16 मई 2018 क उस दन मेरे घर पर कोई नही था, चूं क म हठ ं अ त चीजो
क खोज के त इसी लए म उस दन शाम को 7 बजे वचा लत लेखन करने बैठ गया
और पहले पूरे मन से यान लगाया वचारो को शांत कया जसम मुझे सफलता मली और
पेन को पेपर पे रखके बैठ गया और आ मा का आवाहन करने लगा क अचानक से पेन
म ऊजा महसूस ई मुझे जैसे कोई उसे चलाना चाहता हो मैने पेन को थोड़ा ढ ल दे द तो
पेन चलने लगा पेपर पे और न जाने या बकवास वाले आकार बनने लगे, ऐसे ही धीरे धीरे
श द बनने लगे जब मने उस पेन को उस ऊजा श के हवाले कर दया पूण प से, पहले
लखा, प फर पा, फर न, फर लखा पान, फर लख गया पानी ,पानी, पानी, कई बार। तो
मने धीरे से पूंछा या मतलब पानी, पानी? इतना कहने पे पेन का और फर तुरंत लख
गया अ सलाम वालेकुम, मैने बोलके जवाब दया सलाम वालेकुम (मुझे इतना ही पता था
क जवाब म ऐसा ही बोला जाता है) खैर अब लखा म कहकशा, ब त यासी ँ या थोड़ा
पानी मलेगा ? मैने बोला हाँ अव य मलेगा( पास म ही अ भमं त जल रखा था मेरी
सुर ा के लए) मैन कहा वो लोटे म रखा है पी लो, पेन चला और लख गया क नही ये
नह , इतने से कुछ नही होगा और यहां नही पी सकती कृपया आप मेरी मदद कर म ब त
यासी ं। मैने बोला आप अपना पूण प रचय द,उसके बाद जो कलम चली वो न क
ज द
" जैसा क म बता चुक ं मेरा नाम कहकशा है, म ेत लोक म ं , जो क इसी पृ वी पे
है,और म ब त परेशान ं मुझे इस नक से मु चा हए, मेरे प त का नाम महरान है, जो
अभी इंसानो क नया मे है। मेरी उनसे शाद 1996 म ई थी चूं क म ब त खूबसूरत थी
इसी लए महरान मुझे ब त चाहते थे, वो मुझपे जी जान से मरते थे, वो एक अ े इंसान
थे, पर शाद के चार साल तक जब म उ ह संतान नही दे पाई तो वो ब त परेशान रहने
लगे, लोग उनपे ताने कसने लगे क तेरी बीवी बेकार है क तू बेकार है इसका पता लगाना है
तो सरी शाद कर और कहकशा को दफा कर अपनी जदगी से, हमारा समाज हमसे री
बनाने लगा क हमारी कोख पर कसी ज का साया है, चूं क महरान हमे ब त चाहते थे
इसी लए उ ह ने सरी शाद नही क । महरान और म कई दरगाह पे गए अ लाह से आ
क पर उससे हमे कोई मदद नही ई फर हमने कई फक र के च कर काटे और उन सबने
हम न जाने कैसी कैसी घ टया चीजे द जनको हमे कभी खाना पड़ा तो कभी पहनना।
ले कन उससे कोई फक नही पड़ा। हमारे प रवार वाले एक सरे को दोष दे रहे थे। खैर
जदगी फर भी चलती गई, एक रात अचानक तेज पेट दद से हम ब त परेशान हो गए, खैर
डॉ टर ने इंजे न दया दद का तो दद ठ क आ, पर उसके बाद से पेट मे दद रोजाना
रहने लगा , महरान परेशान न हो इसक वजह से हम दवा खा लेते थे दद क थोड़ा आराम
मल जाता था और थोड़ा सह लेते थे। एक दन अचानक दद उठा और हम हाँथ म कपड़ो
क बा ट लए सी ढ़य से गर गए, घर मे नही था कोई उस समय और महरान काम पे
चले गए थे। हमने उठने क को शश क पर हमारे पैर ने साथ नही दया और दायां हाँथ
हमारा जैसे उसम जान ही नही बची थी।हम वही पड़े रहे, और मदद के लए च लाते रहे
पर कोई नही था सुनने वाला। खैर शाम को जब महरान आये तो वो हम इस हालत म दे ख
के ब त घबरा गए, तुरंत हमे अ ताल प ंचाया जहां हमारे दोन पैर म ला टर और दाएं
हाँथ म ला टर चढ़ गया। अब घर पर हम सेवा क ज रत थी तो हमे हमारे मायके भेज
दया, मायके म हमारी अ मी थी और अ बू थे,भाई सरे शहर म रहते थे। तो हमारी सेवा
सफ हमारी अ मी के हवाले थी। कभी कभी महरान आके पये दे जाते थे, य क वो हमे
ब त चाहते थे और हम भी, पर ऐसा वो कबतक झेलते इसी लए उ ह ने हम बताया क वो
सरी शाद करने जा रहे ह, पर वो अब भी हमे उतना ही यार करते ह। उनके जाने के बाद
हमने खुद क क मत को ब त कोसा, सोचा म कतनी अभागन क इतने अ े इंसान
को खु शया नही दे पाय । उस समय घर पर कोई नही था, अ बू अपने काम से चले गए थे
और अ मी कह पास म ही गई ह गी। पर अचानक हमे ब त जोरो क यास लगी हमारे
पास जो सुराही थी वो ब कुल खाली थी हमारे पास म एक बूंद पानी नही था न मुझमे
ह मत थी, खुद से पानी लेने क , इसी लए हमने अ मी को आवाज लगाई पर वहां कोई
नही था, कसी ने हमारी आवाज नही सुनी। हम पानी पानी च लाते रहे पर कोई नही
आया हमारी मदद के लए। हम च लाते च लाते कब बेहोस हो गए पता नही चली, यास
के दद ने हमे झकझोर दया था। काफ दे र बाद जब अ मी आ तो सुराही को लुढ़का दे ख
और आसपास क अ त तता को दे ख के घबरा गई और हमे जगाने लगी, पर ये या??
हम तो अपने शरीर के बाहर थे और सरहाने खड़े ये सब दे ख रहे थे, और खुद म यास क
तड़प महसूस कर रहे थे, हम अपने शरीर मे घुसने क को शश कर रहे थे पर हम ऐसा नही
कर पा रहे थे वहां सूय वाला काश नही था पर कोहरे वाला अंधेरा था जसमे हम सब दे ख
रहे थे, ऐसा अंधेरा आज भी कायम है और आज भी हम यासे ह। खैर हमारी अ मी ब त
रोई और सबको बात दया क हमारा इंतेक़ाल हो चुका है, महरान आये तो हमने दे खा क
महरान सच मे हमे ब त चाहते ह, और वो ब त स े इंसान है। खैर इन सब बात का
कोई फ़क़ नही पड़ता अब। हम दफना दया गया। अब हम अपने शरीर क माया से मु
हो चुके थे पर हमारी यास ने हमारा जीना हराम कर रखा था, चारो तरफ हम पानी ढूं ढ रहे
थे पर उस धु भरे कोहरे म कुछ नही था सवाय भटकने के, और आज भी हम और
हमारी जैसे कतने इस धु म भटक रहे ह। अब कलम थम गई। मै हत भ हो गया
कहकशा क कहानी सुनके और तुरंत बोला क बताओ म तु हरी कैसे मदद क ?
कलम फर चली तुरंत और लख गया क उसक क इस जगह पर है आप अभी जाइये
और वहां एक सुराही पानी भर के रख द जए और वापस मुड़के मत दे खएगा। बस म मु
हो जाऊंगी।
रात के 2:29 हो रहे थे, डर तो जैसे मेरी पी ढ़य म कभी नही था तो भला मुझमे कहाँ से हो
सकता है, य क मुझे मरने से ब कुल भी डर नही लगता य क म सोचता ं क मरने
के बाद भी तो कुछ होगा जो मेरी खोज का ह सा है। खैर म जानता था क सुराही बेचने
वाले झोपड़ा बनाके रहते ह , छोटे ब तय म इसी लए म नकल गया, चारो तरफ अबूझ
सी ख ता थी रा तो पर और हाँ कहकशा भी तो मेरे साथ थी फर भला मुझे कसका डर।
मने दे खा ढे रो सुरा हय के पास एक आदमी खराटे भर रहा था मने उसे जगाया चचा…
चचा..?? वो जागे और लेटे लेटे बोले कौन हो भाई या चा हए? मैने कहा ड रये नही इंसान
ं ये दे खए माटफोन, बोले ढाई बजे तुम हमे मोबाइल दखाने आये हो? मैने कहा चचा
एक सुराही चा हए । वो थोड़े समझदार थे इसी लए उ ह ने मुझे एक सुराही द मैने उ ह
300 पये थमाए और सुराही लेके गाड़ी टाट करके नकल गया कहकशा क क के
लए। वहां प ंचते ही पास म ही गाड़ी पाक करके आसपास दे खा चारो तरफ स ाटा पसरा
आ था, मुझे क क रखवाली करने वाला कही कोई नही दखा, और मने फ भी नही
क , और पास म ही मौजूद पानी क टं क से सुराही को भरा और कहकशा के बताए
अनुसार उसक क पे पानी से भरी सुराही रख द संभाल के, और वापस मुड़ा तो अभी
कुछ कदम ही चल पाया था क सुराही तेज आवाज से फूट गई।
मैने मुड़के नही दे खा भला य दे खता कहकशा ने मुझे मना कया था और म नयमो का
पालन अव य करता ँ। फर थोड़ी दे र बाद मुझे अपने पास कसी क मौजूदगी का
अहसास आ जसक खुशबू मैने पहले कभी नह सूंघी थी, फर कान म ब त ही धीमी
आवाज म शु या.. शु या..शु या.. बस यही गूंजता रहा। म सीधे घर आ गया और
कभी भी वचा लत लेखन का इ तेमाल न करने क कसम खाई। वो इसी लए क अगर म
इस तरह भूत/ ेत समाज सेवा करने लगा तो म अपनी जदगी कब जीऊंगा, भला! ऐसी
आ माओ क कोई गनती नही है सबको मु दे ते दे ते म एक दन खुद मु हो जाऊंगा।
इसी लए म शां त और ेम का संदेश लख रहा ं क भाइयो/बहन अ े कम कर बुरे कम
करने वाले का कभी साथ मत दे ब क उसका वरोध कर। य क बुरे कम वालो क ग त
ब त बुरी ग त होती है। कहकशा ने अपने पूव ज म के बुरे कम को ख म करने के लए वो
जदगी चुनी थी जसे अब वो भोग के आगे बढ़ चुक है, अभी वो 4 लोक के पांचवे तल म
है जहां पर वो पृ वी पे पुनज म के लए इंतज़ार कर रही है
मेरा अ त व
जून 2018 म म शहर आ गया था अपने गांव से, सुबह, शाम ाणायम और यान करता
था, ले कन रा म 10 से 12 बजे तक पूण गहन यान करता था कभी कभी अ त
अनुभव होते थे, तो कभी कभी ब कुल अनुभव नह होते बस चेतना समट जाती थी कभी
आ ा च पर तो कभी सह ार पर, और नीचे ब कुल शू य ा त हो जाता था। इससे
अ त परमानंद ा त होता था। और यह सफ इस लए होता था य क म ाणायम कर
रहा था सुबह शाम। ले कन कभी कभी यान अटक जाता था एक जगह आकर वह था मेरा
वा ध ान और असीम ऊजा से बड़ी सम या होती थी य क म अभी समा ध म नह जा
पा रहा था, जससे मेरी उ त क ई थी।
एक रा व म मने दे खा म एक पेड़ पर बैठा ँ, वो पेड़ ब कुल सीधा है, और उसका
पूरा तना रंग बरंगी र मयां छोड़ रहा है और जहां म बैठा ँ सबसे ऊपर वह एक बड़ा सा
कमल का फूल है मने कहा इतना बड़ा कमल का फूल कहाँ से आया और म इस फूल पर
कैसे प ंच गया? म उस अ त य को दे खकर अ त च कत ँ, वह जगह कसी रह यमय
लोक क सृ है, अनंत आकाश जो ब कुल धया रोशनी से नहाया आ है वही रोशनी
वहां चार ओर ा त है, वहाँ कोई भी सूय, तारा चाँद नह है, बस अ त काश है, वहाँ
परम शां त ा त है, जमीन का कह कोई अंत नह है जहां मेरी नजर प ंच रही वहां वही
काश ा त हो रहा है, मने वयं को दे खा म पूण प से कसी सोने क भां त चमक रहा
ँ मेरे शरीर से तेज झर रहा है, अदभूत वण काश र मयाँ मेरे हाँथ पैर से फूट रही ह वह
अ त कमल ब कुल जीवंत लग रहा है और जैसे ही म उसक क लय को दे खता ँ तो वे
झुक के मुझे ेम द शत कर रही ह। म वहाँ क इससे यादा ा या नह करना चाहता
य क यह है तो सफ एक व और व तो ऐसे सब दे खते ह। फर मने दे खा नीचे कोई
न न ी मुझे पुकार रही है, म तुरंत उठा कमल से और उस पेड़ से नीचे उतर रहा ँ अपने
आप हो रहा है यह, अब जैसे जैसे म नीचे आ रहा ँ मेरे शरीर का रंग प रवत त हो रहा है,
कमल जाने कहाँ गायब हो गया पेड़ पर उतरते व त अपने आप उसमे पकड़ने और पैर
रखने के लए पेड़ के तने से कुछ नकल के अंदर हो जाता है फर वलु त हो जाता है, अब
नीचे आकर मेरे शरीर का रंग ब कुल काला हो गया वो पेड़ गायब हो गया, अब मेरे शरीर
से काले रंग क र मयां नकल रही ह और म उस ी का पीछा कर रहा ँ, चार ओर अब
धया रोशनी गायब हो गई है धीरे धीरे और ह का सा सूय वाला काश ा त हो रहा है,
वो ी चले जा रही है पर म ब कुल भी उसे नह छू पा रहा ँ, य क जैसे ही म उसके
पास प ंच रहा ँ वो मुझसे र हो जाती है हंसते ए,, म ब त परेशान हो रहा ँ य क
मेरे शरीर मे अब ऊजा नह बची है, म बेचैन ँ तो वह खुश हो रही है, म धीरे धीरे इतना
कमजोर हो गया क मेरा शरीर ही झर गया और अब म वह काली और क चड़ से भरी
जमीन म गर गया और धीरे धीरे न हो गया पर उस ी को छू नह पाया।
यकायक मेरी आंख खुली पर मुझे ये नह लगा क म न द से उठा ँ पर ये लगा गहन यान
म चला गया था, य क बना त कए के सो गया था, घड़ी दे ख 3 बजकर 43 मनट हो रहा
था, और म एक अ त व को दे खकर अ त व मत था, व या म तो इसे यान म
आया अनुभव क ंगा य क शवाशन क अव ा म म गहन यान म वेश कर गया था।
म स च रहा था आ खर ये कैसा व है? वह ी कौन थी? वह अ त सृ कैसी थी?
यकायक कुछ क धा मेरे आ ाच पर और मुझे अपने अनुभव का मतलब अपने आप
समझ म आने लगा।

वशेष अथ-
दरअसल वो कमल सह ार च था जसपर म बैठा था, पेड़ का सीधा तना मेरी रीढ़ थी
और उसमे ा त रंग बरंगी र मयां मेरे च से नकल रही थ , चारो ओर क सृ और
हांड क धया रोशनी का मतलब था मेरे शरीर क शु याँ। वो ी थी मेरी अपनी
वासना क सृ मतलब वो का प नक थी, उसका न न व प मेरी ही वासना क सृ थी,
और उसे दे खकर मेरा कमल के नीचे आना था क , अभी मुझमे बचे वासना सं कार मुझे
उस ी क ओर घसीट रहे थे, और जब म ब कुल नीचे आ गया तो फर अशु द से म भर
गया और वहाँ क सृ ी और वह अदभुत य गायब हो गए, गायब या हो गए काले हो
गए और अपनी वासना का पीछा करने से म उ ह दे ख नह पा रहा था। मेरा उस ी का
पीछा करना मेरी वासना क असंतु है जससे म न हो रहा ँ और एक पल ऐसा आया
क म ब कुल ही न हो गया और मेरा शरीर झर के वह बखर गया छोटे छोटे टु कड़ म
भगवान म व ास
ये घटना है, 11 माच 2019 क , जसने मेरी ई र के त आ ा को ब त अटू ट कर दया,
हालां क ये थोड़ी मजा कया भी है, थोड़ी डरावनी भी है अगर आप इसे अपने अंतमन से
पढ़, चूं क हमारा भौ तक/ता कक मन हम रह यमय चीजो पर भरोषा नही करने दे ता और
माण मांगता है।। खैर मने ब त दन से यान और ाणायाम नह कया था, या कया भी
था तो कभी कभी जब समय मल जाता था वो भी थोड़ा ब त य क भौ तक जीवन क
रोट बड़ी मेहनत से मलती है और इसमे ब त समपण करना होता है हर रोज।। तो इस
खास दन रात 12 बजे मुझ समय मला तो मेरा मन यान म उतरने का आ, कैसे भी
करके म यान म उतर के अपने दमाग को शांत और शरीर क थकावट को र करना
चाहता था।। दनभर क थकान और भौ तकवा द लोगो के बीच यादा पैसे कमाने क
अजीब अजीब तरक ब को सुन सुन के म पक गया था, कोई भी हो जो वो काम कर रहा है
उसपे यान दे ने के बजाय और पैसा कैसे बढ़ाया जाय यही बात करता था, ये बाते मेरे जैसे
वभाव वाले को वैरा य से भर दे ती ह इस संसार के त य क म मेहनत पे भरोषा
करता ँ। खैर व होने के बाद मने कंबल का आसन लगाया और अ ी पालथी मार के
बैठ गया, चूं क म सफ लंगोट म था, तो कोई द कत नही ई बैठने म, अब म उस अंधेरे
घु प कमरे म यान पे बैठ गया, जो दनभर आ था वही सब चल रहा था मानसपटल पे वो
भी कसी यु क भां त मेरा दमाग चीज को सहेजने म लगा था वो इतने बड़े वचार के
यु मे जीतने क को शश कर रहा था य क वो मुझे शां त दे के गहरी न द दे ना चाहता था
पर भला कैसे इतना कुछ संभाले वो बना सोए, पर उससे भी ज द सब ख म नही होता
इसी लए मने यान करके शां त पाने का यास यादा सुलभ जाना। पर मुझे कोई
सफलता मलती नह दखी।।
अब थोड़ी दे र म म र भी परेशान करने लगे मेरा खुला शरीर पाके और नोचने भी लगे
जब क मने इसक व ा शाम को करद थी पर कोई धुरंदर म र होगा जो बच गया
होगा, मैने फैन भी बंद कर रखा था य क वो आवाज करता है, पसीने भी छू ट रहे थे गम
का मौसम, कूलर तो चला नही सकते और आवाज होती , ac क सु वधा मेरे पास है नह ,
खैर फर भी म सहता रहा फर थोड़ी दे र म कोई bmw गुजरी र सड़क से हॉन बजाते ए,
इ स लए कहते ह शहर म सफ भौ तक तर क मल सकती है परंतु आ या मक शां त
नह । खैर अब मने स चा ये मेरा ही मन है जो भटक रहा है, इसे म ही सुधार सकता ँ ये
ऐसे नही मानेगा।। मने जमीन से अपना आसान उठाया कनारे रखा और अपने डबल ग
से बने ब तर पे आके बीच मे बैठ गया, रात के पौने एक बजे रहे थे, अब स ाटा था पर
फर भी शहर के बाहर बायपास से नकल रहे क क हॉन क आवाज शां त को भंग कर
दे ती थी।। एक गलीमत थी क कु े नह भ क रहे थे। अब बीच मे बैठने के बाद मने
ाणायम करने का न य कया तभी शां त मलेगी चूं क मैने पहले भी ाणायाम कया था
इ स लए बगल म एक बड़ा सा मुलायम माल भी रख लया।। अब उस घु प अंधेरे कमरे
म मैने भ का ाणायाम शु कया वो भी नाग क फुं कार के जैसे कसी क परवाह
कये बगैर ( य क सब सो रहे थे, ac कूलर म और कसी को या लेना दे ना) अब भयंकर
भ का ाणायाम करते ए मेरे नाक से ढे र गंदगी नकलने लगी म प छता गया माल म
ये नाक थी जो नकल रही थी म इसे बराबर करता रहा 1 घंटे तक बीच मे थोड़ा कता फर
और करता फर और करता इस तरह से मेरे मांथे म, नाक के अंदर, गले मे, हाट म, से ढे र
गंदगी मैने नकाल के माल को भर दया, अब अ त आनंद से भर गया मेरा मन
म त क। दल मेरा ब कुल धड़कना ब द कर चुका था ऐसा लगा मुझे पर वो ब त धीरे
धड़क रहा था अभी भी। इससे मेरे फेफड़ो और दमाग मे अ त शां त हो गई ा त।। अब
गला भी ब कुल साफ लग रहा था, और बड़ी राहत महसूस हो रही थी, सारी मान सक
थकान हवा हो चुक थी, अब कोई भी शोर सुनाई नही दे रहा था वचार जैसे थम से गए थे,
एक अ त चीज जो अब शु हो गई थी जो रह य और आनंद से भरा मेरा आ ाच तेज
खचाव के साथ अंगड़ाइयाँ ले रहा था जैसे महीन बाद सो के उठा हो और कुछ अ त रस
उगल रहा था मेरे मांथे म, जससे मुझे सहवास के जैसे आनंद से 100 गुना आनंद मल
रहा था ।।
अब मैने कपालभा त क शु वात क जो पेट से कया जाता है, अब मैने पेट को खलबला
दया कपालभा त करते करते, इस सब मे मेरा अंतमन ब त साथ दे रहा था।। अब मैने
लगभग 45 मनट तक कपालभा त कया जसम मेरा पेट से लेके मांथे तक अ त ठं डक
महसूस ई हजारो नस ना ड़य को जैसे ऑ सीजन ने ऊजा से भर दया था, पेट मे ठं डक
हो गई थी ा त, और अ त प से ग त हो रही थी पेट के अंदर, ऐसा लग रहा था जैसे
सांप घुसे हो मेरे पट म और तेजी से इधर उधर मचल रहे ह , खैर अब पेट से लेके मांथे तक
के अ त और रह यमय संवेदन ने मुझे आ यच कत कर दया था।
अब मने बा और आंत रक कु क क शु वात क इसमे मने शरीर क सारी सांस बाहर
नकाल के रोक के रखा जसमे अंदर बड़ी बेचैनी ई मरने जैसे अनुभव ए पर म ठहरा
हठ और मौत तो मेरे लए खोज है तो फर भला म य ड ं ।। खैर म सह गया फर अंदर
सांस भरी पूरे शरीर मे नाक से फर रोक ली अब म इसे लगभग 5 मनट रोके रहा फर
बेचैनी ई तो सहता गया पर म डगा नह इसी तरह इसे भी आधे घंटे तक म करता रहा,
इसे करते करते मूलाधार च अपनी पूरी मता से आंदो लत होने लगा और गले मे मौजुद
वशु च पे ऊजा क ठोकरे मारने लगा जससे वशु भी तेज ंदन से कराहने
लगा। इस तरह इस ाणायाम को ख म करके म आगे बढ़ा, य क असली ाणायम तो
अब म करने वाला था, बाक तो झा लगाने के लए थे मेरे पूरे शरीर म
अब मैने अनुलोम वलोम ाणायम शु कया, इसे मने लगभग डे ढ़ घंटे तक पूरे मन से
और अ े तरीके से कया इसमे मने पूरक कु क और रेचक सबको पूरा समय दया, अब
मेरे फेफड़ म मौजूद अनाहद च भी घूमने लगे या कह ं दत होने लगा और सारा शरीर
मेरा एक अ त ऊजा को बाहर फेकने लगा, मेरा शरीर से ऊजा के काश कण नकलने
लगे, मेरा शरीर ई से भी ह का हो गया हाँथ क हथे लयां पैर के नीचे सब जगह जैसे कुछ
घूम रहा था, शरीर के इन ंदन ने मुझे नशे से चूर कर दया था म कसी आनंद म झूम
रहा था, जतनी ा या क ँ उतनी कम है, जतना लखूं उतना कम है। अभी असली राज
तो खुलने वाला था।।
अब मने अनुलोम वलोम के बाद शु कया उ ायी जस म म ओम का जाप करता ँ
अब मैने अ, उ, म, का मब जाप आरंभ कया सफ 15 मनट ही कया था क मुह
अपने आप ब द हो गया। सब चुप सब शांत सारे वचार हवा, अब ऊजा ने अपना रा ता
बना लया था और अब वो अशु य को चीरते ए हारं पर प ंच गई थी इसी लए मेरा
मुह ब द हो चुका था, अब मेरे हारांधर के पास कोई चीज गोल च कर काटने लगी थी,
अब बाक च शांत हो चुके थे आ ाच भी ब कुल शांत हो चुका था, य क इस मानव
शरीर के राजा सह ार च का जागरण हो रहा था पर ये ब त ही क ठन होता है और
ज द नही होता इसी लए बस शु वात थी, खैर सह ार मुझे नशे से भर रहा था, उसके
अ त और वल ण आनंद को म नही सह पा रहा था धीरे धीरे मैने अपनी चेतना क
वलु त का अनुभव कया अब म अपने आप ब तर पे लेट गया कसी ने मुझे पीछे से थाम
के ब तर पे लटा से दया था ऐसा मने अनुभव कया, ये अव य कोई श रही होगी, खैर
अब म पूणतया अवचेतन मन मे वेश कर चुका था य क अशु द थी वरना म बेहोश नही
होता खैर अब म कसी सर नया मे ही था वहां ह का काश था बना सूय वाला और
वो कोई और जगह नही ब क मेरा अपना ही कमरा था परंतु जस शरीर मे म अभी खुद
को महसूस कर रहा था उसम भी मुझम न के बराबर श से यादा नही थ , और वो ऐसा
अनुभव था जसम मुझे घनघोर शराब के नशे जैसा महसूस हो रहा था मैने बगल म पड़े
अपने शरीर को दे खा पर नजर ब त धुंधली थी,मेरा ये शरीर बैठ नही पा रहा था लुढ़क से
रहा था,इसमे भी म लंगोट पहने था, अब मेरे इस शरीर ने अ त यौ गक याएं करना
शु कया अपने आप तरह तरह से मुड़ रहा था और आसन कर रहा था जसमे ऊजा सी
बढ़ रही थी मेरी, ये काफ दे र तक होता रहा, म भी करता रहा(जो नह जानते उ ह बता ं
ये मेरा सू म शरीर था जो अभी ब त कमजोर था ये शरीर आपक ाण ऊजा से मजबूत
होता है) खैर थोड़ी दे र म पता नही या आ कसी क आवाज ने मुझे जगाया, अब म
होश म था और ब त ह का महसूस कर रहा था, जी हां आप ठ क समझे अब म वापस
आ चुका था असली नया म, सह ार तक प ंचते प ंचते सुबह के साढ़े पांच बजे चुके
थे। उसके बाद सू म नया मे प ंचने के बाद जब म लौटा तो सुबह के दस बजे थे म
लगभग 5 घंटे सू म संसार म था अगर मेरे सू म शरीर क ाण ऊजा मजबूत होती तो म
वहां घूम सकता ले कन म ढं ग से एक जगह से सरी जगह खसक भी नही पा रहा था।।
अब मैने जाग के अपने आप को संभाला व पहने, माल दे खा तो ब कुल गंदगी से भरा
था मने उसे कूड़े म फक दया। हँ दो तो ये बात सच है शहर का षण और हमारे खाने
का मल अंदर जमा होता रहता है।। अब म अपने आप मे बड़ी शां त महसूस कर रहा था
काफ दन बाद ऐसे अनुभव हो रहा था, मेरा शरीर ई के समान ह का था, अब मैने न य
याएं ख म क जब नहाके सूय भगवान को जल चढ़ाके णाम कर रहा था आंखे बंद
करके तो सारा शरीर झूम रहा था अंदर से ऊपर से नीचे से जैसे नस ना ड़यां गीत गा रही
थ सारे च ग त कर रहे थे, जैसे ही आ ाच पे यान जाता तो सह ार शांत हो जाता
जैसे ही सह ार पे यान जाता तो आ ाच शांत हो जाता अ त सम वय था इन
सबका। आप समझो म काफ दे र इसी के आनंद म चूर रहा, म इसे श दो मे बयान नही कर
पा रहा ऐसी अनुभ त थी। खैर उस दन मने काम पे जाने का ो ाम क सल कर दया, छु
ली, और कुस पर बैठा इस आनंद म खोया था, क तभी,,,,,
कह से घं टयां सुनाई द मुझ, मैने स चा इतने बजे पूजा कहाँ हो रही है फर आवाज और
तेज ई मैने इधर उधर दे खा फर यान दया तो पता चला ये आवाज मेरे कान के अंदर
कह बज रही है, मैने कहा ये या नौटं क शु हो गई भाई, अब मैने अपने कान हांथो से
बंद करके यान से सुना तो दोन कान म ट ट ट ट ट ट ट क आवाज तेज
होती ई मेरे कान म गूंज रही थी, म परेशान हो गया और समझा प का कुछ गड़बड़ कर
दया मने अब म पागल हो जाऊंगा ये या हो गया मुझसे लगता है मैने यादा ाणायाम
करके अपनी कोई नस नाड़ी तोड़ डाली है या दमाग क को शका डै मेज कर द है मने, अब
आवाज और बढ़ रही थी और एक शंख क भां त बजे जा रही थी, म हैरान परेशान क से
बताऊं या क ँ बड़ी वकट प र त थी वो, और कोई नही थी मेरी मदद को अब म खुद
के पागलपन को कोष रहा था, खैर म लेट गया ब तर जाके।।
अब मैने कान को दबा के सुनने क को शश क के या आवाजे आ रही ह, मने सुना ट
ट क आवाज आ रही थी पर दल से आ रही थी क मेरे दमाग के कसी ह से से
पहचानना मु कल था, मैने और मन से यान लगाया और पूरे ा से उसे सुनता रहा
थोड़ी दे र म फर वो आवाज शंख क व न म प रव तत हो गई, इसमे डर के साथ साथ
आनंद भी आने लगा था मुझे अब, खैर इसी तरह ये आवाज ओम ओम ओम ओम ओम ॐ
ॐ क आने लगी थोड़ी दे र म कुछ ऐसी थी आ आ आ आ उ उ उ उ म म म म म म म इस
तरह मेरे कान म ओमकार गूंजने लगा था। इसमे अ त आनंद था ये सब मेरे अंदर से ही
आ रहा था, अब म इस अ त आनंद म खो रहा था बड़ा ही वल ण वाद था उस आवाज
म पहले कभी ऐसी वाणी न ह सुनी थी मैन।। फर इसके बाद इसी आवाज म कुछ सं कृत
जैसी ही भाषा मे ोक उ रत होने लगे पर ये ब त ज टल सं कृत थी। खैर ोक बजते
रहे मेरे कान म अब मेरी चेतना वलु त होने लगी और म गहरी न द म दोबारा चला गया।।
शाम के 5 बज रहे थे और म एक अ त न द से उठ बैठा था बड़ा ही प रवतन था मुझम।।
इतने सारे अनुभव ने मुझे ब त कुछ बता दया था जो मेरे लए ब त था ई र पर अटू ट
व ास करने के लए, पर अभी भी म उसके ान का 0.000001 भी नह जाना था।। ई र
ब त बड़ी चीज ह, ना वो कसी कताब म समा सकते ह, ना कसी के वचार म न कसी
के अनुभव म, एक ज म म आप उ ह नही जान सकते इसी लए लांखो ज म लेके आपको
उ ह समझना पड़ता है। खैर मैने इंटरनेट पर इसक जांच पड़ताल करी तो पता चला ये
"नाद योग" है और ये आवाज च से आती ह, जनका संबंध उन लोको से होने लगता ह
जहां से उनका कायभार संभाला जाता है, और ये उ ही लोक क आवाज होती ह,हमारे
रीढ़ और दमाग मे मौजूद रह यमय ऊजा क का संबंध जुड़ जाता है जब ह मे पा ता आ
जाती है।। ये जो नाद योग है उसमे महान सदगु दे व गु नानक दे व जी पारंगत थे,उ ह ने
नाद योग से ही भु से ान ा त कया था, उसी क थोड़ी अनुभू त मुझे ई थी पर
अशु द और श नही होने के कारण म उस आवाज क श को सहन नही कर सका
और इसी लए सो गया।। स ख म पगड़ी इसी लए बंधी जाती है य क इससे भु के
संदेश ा त करने म आसानी होती है और इसके कुछ रह यमय नयम है जो वयं गु दे व
ही जानते थे, कृपाण नकारा मक श य से र ा करता है और इसी तरह बाक चीजे सब
बड़ी रह य से भरी ह।।नाद योग भी सनातन से नकली एक खोज है जसमे के लोगो ने
यास कये पर सच मे इसमे सफल ए गु नानक जी,, खैर इसी तरह मने अपनी
ज ासा को शांत कया और फर कभी भी उतना गहरा ाणायाम नही कया आज
तक।।
कान का रह य
"पल पल खुद के शरीर को मरते ए दे खना जीवन का वो सार है जसे 99% लोग जी रहे
है"
तो फर जीवन का और या सार है जसे 1% लोग जी रहे ह? और..
1% वालो और 99% वालो म या फक है?

इमेज को दे ख के सम झए य है फ़क़। 1% वालो के जो earlobes होते ह वो इससे भी


यादा वचा से अलग होते ह, इमेज तो सफ उदाहरण है, ऐसे लोग परम वैरागी होते ह,
इसक भी अपनी कई तयां होती ह, कसी का आधा चपका होता है, पर जसका पूण
प से अलग होता है उसके अंतमन म कसी भी चीज के लए लगाव नही होता, और वो
हर चीज को अनुभव करके तुरंत ऊब जाता है, और फर कुछ नया खोजता है। ये कोई
ब त बड़ा अ भनेता हो सकता है, वै ा नक हो सकता है, लीडर हो सकता है, ब त बड़ा
दशनशा ी हो सकता है, स संत हो सकता है, ब त बड़ा मनोवै ा नक हो सकता है,
आप बड़ी से बड़ी चीज का नाम लो वो, वो कर सकता पर ये उसक अपनी वयं क इ ा
पर नभर करता है। य क उसम आंत रक प से कोई इ ा नही होती तो वो इन चीज
को भी कत या जो भी कहे सोच के करता है। पर उसक स ी तलाश होती है, खुद को
जानने क , रह यो को खोजने क , जीवन से संबं धत ऐसे गूढ़ करने क । उसके सवाल
उसक बाते सबके समझ मे नही आती, लोग उसके के जवाब नही दे पाते, वो महान
ना तक होता है पर सफ इस लए य क वो ई र से मलना चाहते ह, इसी लए वो सबसे
बड़े अंतमुखी भी होते ह य क कोई उ ह समझ नही सकता। उनक इतनी खू बयां काफ
है उनक कृ त को समझाने के लए।
पर अब सवाल ये उठता है, कौन होते ह ये लोग? (!! ये जो 1% वाली खूबी है ये आपको
ब त बूढ़े लोगो मे भी मलेगी पर उसका कोई मोल नही य क शरीर बूढा हो चुका है और
अब ऊजा नही है उनम जससे वो कुछ नही कर सकते !!)
ये वो लोग होते ह ज ह मानव के पुनज म का एक लंबा अनुभव होता है। और इन
पुनज म म वो जीवन क सभी इ ा सभी श ण , सभी परी ा , को पार करके
जीवन के सभी पहलु का खासा अनुभव ले चुके होते है।
जीवन का मम या है ऐसा सवाल अगर आपक अंतरा मा से उठ रहा है तो इसका मतलब
है क आप ने तरह तरह के जीवन के मम को समझ लया है, अ े से आपने क पना क
उड़ान भर के उनको समझ लया है अपने इस वतमान जीवन म। पर आप इसम और कुछ
खास जानना चाहते हो, आप कुछ भी छोड़ना नही चाहते हो। आप कसी साधारण सी या
कहे सरो ारा जी जा रही या जी जा चुक जदगी म उतर के बूढा नही होना चाहते हो।
परंतु आप कुछ खास जानना चाहते हो। पता है वो या है? वो खुद आप हो जसे आप
जानना चाहते हो या वो 1% जानना चाहते है परंतु उ ह नही पता इस बेचैनी क दवा। इस
बेचैनी क दवा सफ और सफ अ या म है।असली अ या म ही आपक यास बुझा सकता
है। जब आपका आ मसा ा कार होगा तभी आप जदगी के असली मम को समझ
पाओगे।
ये गूढ़ ान है, म और ब त लख सकता ं पर म अपने जैसे 1% वालो को ये रह य बता
रहा ं, तो मुझे यादा लखने क आव यकता महसूस नही हो रही।
अब म 1% वालो को समझने वाली कुछ इमेजेज अपलोड कर रहा ं जो क गौतम बु क
ह, अब गौतम बु को सब जानते ह और उनके वैरा य को भी कृपया नीचे दे ख
अब दखा लाड बु ा के लटकते ए कान का नचला भाग जो क उनके गाल से नही
चपका। आप अपने आस पास कही ऐसे लोगो को ढूं ढए ज द नह मलगे।
99% वाले डर गए क वे ब कुल भी आ या मक या रह यवाद या वैरागी नह है, ऐसा
नह है आप सब या म हो वहाँ प ंचने क और जीवन के अनुभव और ान ा त को
बरकरार र खये एक दन आप अव य उस त तक प ंचगे, तशतता सबम अलग
अलग होती ह यही चीज हम सब को एक सरे से अलग करती ह। वचार और वभाव
तथा मा यता का अलग अलग होना इसी वजह से होता है, इसी लए बदलाव को
वीकार करते रह और आगे बढ़े आप अव य उस अव ा तक प ंचगे मायूस मत ह ,
हमसब भी एक समय आप क अव ा म थे हजार मानव ज म हम जैसो ने भी लए तब
आज यहाँ प ंचे आप भी एक दन यहां प ंचगे। ध यवाद��
कुंड लनी जागरण के बाद मेरे डरावने अनुभव
म रात म सोते सोते अचानक झटके के साथ जग जाता ँ।।
म ब तर से हवा म होता ँ, रोज।।
म अपनी सांस को रोके रहता ँ पर मुझे कुछ नह होता सवाय मेरा शरीर संवेदना से
भर जाता है।
इ सलए रात म कभी कभी म ब तर से गर जाता ँ नीचे
जब म व दे खता ँ तो मुझे सब याद रहता है
अब मुझे गहरी न द ज द नह आती, ब क तुरीय अव ा मे चला जाता ँ
जब म बैठता ँ तो मेरा शरीर हवा भरने जैसा उछलता है,
जस दन म ाणायम करता ँ उस दन परम वैरा य से भर जाता ँ, हमालय भाग जाने
का मन करता है और आ ाच का खचाव दो दन तक बना रहता है जससे कसी भी
काय म मन नही लगता सारा संसार मायामय लगता है, सफ यान पर बैठने का मन करता
है,
यान पर बैठने के 1 घंटे के बाद समा ध लगने लगती है मेरी इसी लए तुरंत उठ जाता ँ
या पता या हो आगे, वापस ही न आ पाऊं,
कान ब द करके सुनने पर तूफान सुनाई दे ता है कभी बादल गरजते ह कभी पानी बरसता
है,
मुह खोलने पर अंदर से अजीब रह यमय नया क आवाज गूंजती ह, ऐसा महसूस होता
है शरीर के भीतर सारा हांड समाया आ है,
जमीन , लोहा, से शरीर छू ने पर अपने शरीर से ऊजा को नकलते ए महसूस करता ँ
अपने उं ग लय से माथे के अंदर मौजूद रह यमय क के साथ खेलता ँ तो नशा चढ़ने
लगता है,
कसी काय को एका ता से करने बैठता ँ यान लगने लगता है,
बोलना ार लगता है, कम बोलता ं
लोगो को योग बड़ा मु कल लगता है मेरे लए आसान है, फर भी म आगे नह बढ़ रहा
जान बूझ कर,
अपनी इन अ त मता को यूं न होते दे खता ँ तो स चता ं भौ तक ज मेदा रय ने
आ या मकता क कमर तोड़ द ( य क भौ तक जीवन म वचार/सं कार बनना ला जमी
है जनको भूलने म ब त समय लगता है और यान नह लगता ज द )
ब तर पर जब लेटा होता ँ तो अपने आप शरीर हवा म उठने के लए ाकुल होता है,
जैसे सारा शरीर दल क भां त धड़कता है,
कसी भी इंसान म खुद को ढूं ढ लेता ँ,
कसी के दद ख को वयं म महसूस कर लेता ँ
कसी क हंसी के आनंद को वयं म अनुभव करता ँ
कसी के रोने पर म उसका दद सहता ं
कसी आवारा पशु क वेदना मेरा दय चीर दे ती है
सड़क क गंदगी को वयं के शरीर पर पड़ी ई महसूस करता ँ
म हला के त हो रहे अ याचार को सुन/दे ख के सारे संसार को न करने का भी
याल आता है, खुद पे कं ोल रखता ँ
यूज़ पेपर कभी नह पढ़ता मेरा खून खौल जाता है लोग क बुरी हरकत से, और कोई
कुछ नही कर सकता सवाय उ ह झेलने के,
बुरे लोग का तशत दे ख के वैरा य उ प होता है संसार से
धा मक गीत सुनने से मेरा शरीर झूमने लगता है, और सभी च अपनी ऊजा से मुझे भ
भाव से भर दे ते ह, अ ुधरा को रोकता नह फर बहने दे ता ँ, इस लए ज द नह सुनता
संसार क न समझ मे आने वाली भाषा के संगीत म भी आणंद लेता ँ,
हर चीज का व ेषण करके वीकार कर लेता ँ कृ त क लीला समझ के
न चाहते ए भी फसा ँ संसार म इसे भी वीकार कर लेता ँ!
कृपया आप लोग मेरी फ मत करो 2017 तक मुझे इसमे कोई द कत नह थी परंतु
2018 म एक घटना ने मेरा कायाक प कर दया, म खुद को संभाल सकता ँ ब त अ े
से, मैने बस अपने कुछ डर बताये ह ज ह जी रहा ँ , म जीवन के स य से प र चत हो
रहा ँ ये उसी क या का ह सा ह, बोधन क उ अव ा तक प ंचने म अभी मुझे
ब त सारे पड़ाव पार करने ह, भौ तक और आ या मक जीवन म सामंज य ा पत कर
रहा ँ, चूं क मेरा अ या म जागरण आ है तो मुझे कुछ तो सहना ही पड़े गा, और वैसे भी
जदगी कसक सरल है जो मुझ जैसे आ त व खोजी क कैसे होगी।। म तो कसी लभ
खोज क तलाश म ं, जसके रा ते पर कई साल बाद कसी अजनबी के पैर के नशा
बनते है ।। आप सभी के ेम का ध यवाद बोल के ख म नह क ं गा नह तो अकेला हो
जाऊंगा।।

पारस पु ष
यह कहानी अ द है, और ब कुल स य है यह घटना, पारस पु ष नाम भी आपने नह
सुना होगा। पर आज म ऐसे का जीवन क सा आप सभी से साझा करना चाहता ँ।
आपने पारद गु टका के बारे म सुना होगा जो कसी भी धातु को सोना बना दे ती है। इसे
स करना अ त क ठन होता है, ाडी नामक कोई था जो रसायन स जैसे
नागाजुन जैस महान रसायन शा य के कदम पर चला था तो उसने पारद गु टका स
क थी ले कन अंत म उसे वैरा य हो गया था। इस क सारी धन संप पारद गु टका
को स करने म खच हो गई थी फर भी यह उसे स नह कर पाया था। अंत मे जब वह
ब कुल नधन हो गया मतलब भूखा मरने लगा तो वह अंदर से टू ट गया और अपनी खोज
म सं हत कये प े जो क ब त क मती थे उनको नद के पानी म बहा रहा था तभी र
एक वे या उन प ो को बहता दे ख पकड़ ले रही थी। अंत म वह वे या इस के पास
आकर बोलती है क इतने परेशान य हो, वह बोलता है मेरी सारी जदगी तीत हो गई,
सारा धन ख म हो गया परंतु म पारद गु टका स नह कर सका आज म अपने ाण
यागने जा रहा ँ ा नद मे डू बकर। उसक बात सुनकर वे या ने उसे ढाँढस बंधाया
और कहा म तु हे और धन ं गी इस खोज को जारी रखने के लए घबराओ नह । एक नारी
क ेरणा तो आप जानते हो क तनी ऊजा होती है उसम। तो ा ड ने फर शु कर द
पारद रसायन को स करने क या, तो रसायन पा उबल रहा था आग म रखे ए तो
वह यह दे खने के लए क दे खूं भला स आ क नह झांकने के लए उठा तो उसके सर
पर एक प टया लगी तेजी से उसके माथे से खून टपटापने लगा वह खून उस रसायन पा म
तड़ तड़ करके गरने लगा और रसायन स हो गया यानी सोना बनाने का रसायन स
हो गया, यह वो गलती कर रहा था उसे एक श द र माल क ा या नह आ रही थी
समझ इसी लए बार बार वह असफल हो जाता था परंतु इस बार वह सफल रहा संयोग
वश, यह अ द था क वह वैरागी हो गया य क जस चीज के लए उसने अपना जीवन
धन लगा दया उसे एक ी क ेरणा से और संयोग से खून टपकने से स होने था यही
बात से उसका मन वैरागी हो गया इस संसार से।
अब आप इस कहानी का ोत पूंछगे तो वो भी म बताऊंगा य क आज मुझे पता है इस
कहानी का ोत दरअसल वाराणसी म एक महान त व ान अ वेषणकता रहा करते थे,
उनका नाम था पं डत अ ण कुमार शमा, वह महान खोजी थे, वयं योग और तां क स
थे। उ ह ने त बत, हमालय, और भारत क रह यमय जगह क या ाएं क ह जनमे उ ह
अ द अनुभव ए, ान ा त आ महान योगी और साधक से मले, वयं साधनाएं क ,
उनका सारा जीवन रह य क खोज म बीता, वह एक द आ मा थे, आप पूंछोगे मुझ
उनके बारे म कैसे पता? अरे भाई उ ह ने अपना सारा जीवन वृ ांत अपनी अ द और
रह य से भरी पु तक म समेटा है। उ ह ने काफ पु तक लखी ह, उनक पु तक के एक
एक श द म अथाह गहराई है आप 10 बार भी पढ़ोगे तब भी इतना आनंद आएगा क और
पढ़, आपके भौ तक और आ या मक जीवन से संबं धत 80% सवाल के जवाब आपको
उनक अ द कताब म मल जाएंगे। आप सनातन धंम व ान,इन सब का मूल जान
लोगे। अब म उन महान वभू त के वषय म या बतलाऊँ उ ह ने सू म लोक क या ाएं
क ह यह भी उ ह ने अपनी पु तक म बताया है और भी न जाने कतनी रह यमय खोज ह
ज ह वे संक लत नह कर पाए समय क कमी क वजह से। पर ऐसे त व ा नय को मेरा
णाम वह अ या म माग के मेरे गु ह ऐसा म मानता ं। उनके गु थे महाम हम पं डत
गो पनाथ क वराज। आप अ ण शमा जी क पु तक का अ ययन करने के लए ऊनक ही
वेबसाइट से मंगवा सकते ह उनके बारे म पढ़ सकते ह।
यह याडी वाली कहानी भी मने उ ही के मुखार बद से सुनी है एक वी डयो के ज रये, भले
ही आज वो ूल शरीर म नह ह उनसे मलने का सौभा य नह मल पाया मुझे पर जसे
मला वह खुशनसीब होगा। वी डयो से याडी क कहानी जाने कहानी अंत म है।
अ ा तो अब मने पारद गु टका के बारे मे बता दया और उदाहरण भी दया, और ोत भी
बताया और आपको मेरे आ या मक गु से भी प रचय करवाया। मतलब म उनसे मला
नह परंतु उनका लखा सा ह य पढ़के म एक ही बार म समझ गया था क गु दे व महान ह
और संयोग दे खए वह 2011 म इस नया से चले गए हम छोड़कर उसके बाद 5 साल
बाद मुझे उनका सा ह य पढ़ने का सौभा य ा त आ। ले कन म समझता ं वह आज भी
जदा ह हम सब के बीच अपने सा ह य के साथ।
अब म आपको इस पारद पु ष का प रचय करवाता ँ। म य दे श म मेरे गाँव के पास ही
एक गांव पड़ता है जसका नाम है पहरा तहसील-गौ रहार जला- छतरपुर म य दे श। वहां
एक वै य प रवार रहता है वह लोग सा (तेली) ह, वह लोग वसायी ह। उनके पूवज म
एक महान इंसान ए सन 1940 के आसपास जनका नाम तो नह पता पर लोग उ ह
पारस पु ष के नाम से जानते थे। वह वण स थे। मतलब वह वयं स थे धन से।
उनके नजर पसारे दौलत थी। वह जहां चाह लेते वह सोने क बौछार हो जाती थी, वह
जहाँ भी खोद दे ते थे वह गड़ा आ धन नकल आता था। वहाँ जहाँ रहते थे उनका सारा
घर माया से घर गया था, सोना उनका पीछा करता था। उ ह जतनी आव यकता होती
उतना वह नकाल लेते। उस व त भारत म लोग द सका के लए घर के बाहर जाते थे तो
वे भी जाते थे, ले कन जब बैठे बैठे वह अपनी उँ गल से जमीन खोदने लगते यूह तो वहां
से उ ह मोहरे और अश फयाँ नकलने लगती। वह उ ह वह खोद के गाड़ दे ते वे या करते
इतने अकूट धन का। एक बार वहां के एक आततायी ने उ ह कैद करवा लया क चलो
सारा धन मुझे दो। तो वह बुरा इंसान जस सघासन म बैठा था उसी के ऊपर इ ह ने ती ण
नजर दौड़ाई तभी उनक छत से सोने से भरे बड़े बड़े बतन क बरसात होने लगी और वह
मारा गया। इस तरह यह बचे। एक बार यह सुबह 11 बजे जंगल म थे यानी खेत पर तभी
वहाँ एक डाकू ब त मश र था तो वह इनके पास आया और बोलता है अबे ब नये दे ख जा
रहा ँ तेरे घर दन म चोरी करने तो इन पारस पु ष ने कहा तो जा ना मने कब मना कया है
जतना तेरी औकाद हो लूट ले। तो डाकू मंगल सह उनके घर गया खूब चोरी क घरवाले
अपने आप बाहर आ गए, डाकू चोरी करता रहा ढे र सोना भर ले गया बोर म, जब चोरी
करके थक गया य क उनके घर म पूरे पूरे कमरे भरे थे सोने से। वह चला गया। जब
पारस महाशय आये तो हसने लगे क बस इतनी ही औकाद थी उसक , अरे वह मेरे धन का
एक कोना भी नह ले गया। उ ह ने अपने आंगन को खोदा तो फर ढे र धन नकला, उसे
उ ह ने अपने घर वाल को ढांढस बंधाने के लए खोद के दखाया था क उनके पास माया
क कोई कमी नह है। वह हर भौ तक काय म सफल हो जाते थे, जसके घर म खाना खा
लेते वह अमीर हो जाता कुछ दन म, कसी को हाँथ रख दे ते तो उसके दन सुधर जाते।
उनक सेवा करने वाला अमीर हो जाता। वह अगर कभी कसी सरी धातु के बतन या
कसी धातु को छू लेते तो वह कुछ दन म सोना बन जाती। उनका हर कदम ख क
आवाज करता। उनसे अ द महक आती, ऐसा लगता जैसे वयं ल मी का पु ष प
धरती पर ज म लया हो। ऐसे थे वे पारस पु ष। बचपन से ऐसे नह थे वे जब बड़े ए तब
उनम यह तभा आयी। शायद वरदानी पु ष कह सकते हो या हो सकता है उ ह ने कोई
स क हो यह सब आज भी राज है उनका फलता फूलता प रवार है आज जतना धन/
माया उ ह चा हए उनके घर म गड़ा है, और वह उ ह ही फ लत है फलहाल उनके मज के
बगैर कोई नह उसका इ तेमाल कर सकता य क इसक सीमाएं ह, आज वे ब त अमीर
लोग ह। आप कहोगे फर वे अ बानी यो नह बन जाते? अरे भाई हर चीज क सीमाएं
होती ह हो सकता है इसके कुछ गहरे राज ह जनका वे लोग या वह अमीर प रवार पालन
करता हो भारत दे श अ द रह य से भरा है, यहाँ के लोग अ द ह, वो तो कहो यह
इंटरनेट आ गया तो अब सब जुड़कर एक सरे से रह य साझा कर लेते ह। अ ा पारस
पु ष तो नह रहे परंतु आज सा प रवार समृ है अमीर है और उनके पास कसी चीज
क कोई कमी नह । अब आप ये मत कहना क वे दे श क गरीबी य नह मटा दे ते? तो
भाई कोई नह कृ त क या म टांग अड़ाता, आज वह कसी खास वजह से अमीर ह,
जैसे अ बानी तो या अ बानी अपना धन गरीब मे बांट दे , और या इससे नकारा लोग
का भला हो जाएगा। बस यही कारण ह क वे लोग रज़व ह ज द कसी से बात नह
करते अपने राज नह बताते कसी को जैसे बाक अमीर ह ते ह।।
तो ये थी एक पारस पु ष क दा तान जो मने आप लोग से वयं सवाल पूंछ के लखी
खुशी होगी अगर आप लोग को पसंद आये। और इस रह ययु वषय क खोज करने
वाले को मागदशन ा त हो बस यही कारण था इस रह यमय कहानी को आपसे साझा
करने का औ च य।।।

ा जी का सर वती जी से ववाह रह य
एक लाइन म लखूं तो न हा जी रामलाल के लड़के ह न ही सर वती जी यामलाल क
लड़क है जो उन दोन का भौ तक ववाह होगा, लोग ने परमा मा और उसके अनंत अंश
को जाने या समझ रखा है, मजाक बना के रखा आ है ।
हां जी ने सर वती जी से ववाह नह कया ।
शव ने श मां से ववाह नह कया।
व णु ने ल मी जी से ववाह नह कया।
अब आप लोग का माथा ठनका क नह ?
अरे भाई इसका गूढ़ रह य है, क जब इस अनंत सृ क रचना ई तो महाश /
आ दश जो क एक ब /शू य था वो गजन के साथ ु टत आ जससे ये वशाल
हांड बना,परमे र और परमे र उ प ए फर बाक सृ ई। महाश तीन गुण के
साथ मशः सा वक, राज सक ताम सक ये महाश के तीन गुण ह। दे वय के प म
वक सत ए। और परमे र के तीन गुण उ प ए दे व के प म। बाक सभी दे वी
दे वता और ऋ ष मह ष उ ह के अंशो से उ प ए।
तीन अंश जो परमे र् से नकले जसमे मशः हां व णु और शव जी ए। इनके गुण ह
मशः परम ान, परम ऐ य, परम वैरा य। इन तीनो से इनके इ ही तीन गुण से तीन
श अंश ने प लया मश सर वती, ल मी, और माँ श । ये तीनो श अंश तीनो
दे वता के आ मख ड है या कह उ ही का ी प ह जो परमे री/महाश के तीन प
भी ह। आप समझे यहाँ शाद ववाह नह आ कसी का। अ पतु इन सबम मलकर
क रचना क जसम व णु भगवान पेड़ क जड़ ह और पेड़ क शाखा तक पालन
पोषण कर रहे ह इसी लए उ ह इस सृ का पालन हार कहा गया ये बड़ा ही गूढ़ वषय है।
हां जी के अंश इस संसार मे ऋ ष मह षय के प म नकले ज ह हां जी ने ान
दया जसे वेद ान कहा गया और ऋ ष मह ष य क हम सब संताने ह जैसा आप सब
जानते ह। फर जन स तऋ षय का उ रण हां जी से आ था उनके भी अंशो से अंश
नकले पैदा नह अ पतु उन ऋ षय ने अपनी श य से उ ह प दया जैसे हां जी ने
स तऋ षय को अपनी श से प दया। अब हमारे योगी जी वयं शव ने शंकर प म
अपनी श अंश के साथ पावती के प म ज म लया और उ ह ने स तऋ षय को मो
का ान दया जो क 112 यान सू के प म संसार। फैला आ है तो आप समझे वयं
व णु जी ने अवतार लए इसी तरह संसार म मतलब उनके अंश ने इंसान प म एक
इंसान के गभ से ज म लया या अवतार आ जससे उ ह ने संसार म लोग को धम ,कम
का ान दया, मयादाएं सखा , जीना सखाया। ापर म इस स सार सागर से तरने के
लए न काम कम करना सखाया, भ योग, ान योग,अ ांग योग दया। इस तरह ये
सृ बनी ये तो उछला आ ान है पुरा बताते बताते मेरी आपक उ ख म हो जाएगी
य क ये हजार साल क रचना है। जब कभी सामने मलूंगा तो मुझे 21 दन लगगे
आपको इस सृ क रचना को एक एक करके बताने म इस लए इंतज़ार क जये।।
एक च म या मू त म आपने दे खा होगा क हां जी व णु भगवान के पेट से जुड़े ए
दखाये गए ह इसका रह य है क बना पेट पूजा के ान नही है मतलब बना ऊजा के
अनुभव नह तो ान नह । पहले पेट पूजा फर काम जा। और पालनहार यानी पेट को
पालने वाले कौन ह वयं व णु भगवान तभी उससे ब न ऊजा आपके शरीर को और
दमाग को मले ग उसी से आपका वकास होगा और आप ान ा त करगे तभी
आ मो त कर पाएंगे।। जतना लखूं कम लगता है समझ म आये तो ठ क वरना सवाल
पूंछ।। अ ा बना पेट पूजा के कैसे ान अपने आप मले उसको भी एक मू त रचना से
दखाया गया है वो ऐसे क आपने दे खा होगा क जबतक महादे व सी रयल म शव लग
नह रखा गया व णु जी के दा हने हाँथ के नीचे तब तक मू त अपूण रही। मतलब आप
शव लग क भां त र हो जाइए या शव क अव ा ा त कर ली जए उतने शांत हो
जाइए तो आपको वयं पालनहार ऊजा से स चगे और आप को पेट क पू त के लए
भटकना नह होगा, मेहनत नह करनी होगी। मतलब आप परम वैरागी बन जाइये। अब
इस ा या से जुड़ा कोई भी पूंछ।

यान और ाटक
1. या आप यान करते ह?
2. या आप ाथना करते ह?
3. इ ह करने पे आपको ज हाई आती है?
4. या मन नह लगता?
5. शरीर दद करता है आपका यान करने पर?
6. या वचार नह थमते आपके?
7. या आपको न द आती है यान करने पर?
8. या आप जानते ह यान कब करना चा हए?
9. या आप जानते ह क ई र से ाथना कब करनी चा हए जससे ये
फलीभूत हो?
10.
या आप ब त साल से यान कर रहे ह, और कुछ भी ा त नह आ?
11.
या आप बना हचय पालन कये यान कर रहे ह?

।।अब शु वात होती है इस तरह के सवाल के जवाब क ।।

1. इस तरह के ढे र सवाल के जवाब दे ने क मेरी को शश शायद आपक मदद


करे। यान योग का ह सा है,और योग म यम, नयम, आसन, ाणायाम,
याहार, धारणा, यान, समा ध, ये आठ चरण आते ह जब आपके पहले
चरण नह सधगे तो आपका यान कभी भी नह लगेगा न ही समा ध लगेगी।
या तो आप उ को ट के योगी हो।
2. ाथना या है एका होकर ई र को याद करना, इसमे भी आप को ज हाई
आती है वो इस लए य क आपका ूल शरीर अशु य से भरा है, तो
जैसे ही आप एका होते ह मन को, वचार को, शरीर को शांत करते ह
मतलब हलना डु लना ब द करते ह तो शरीर आपको जवाब दे ने लगता है क
वो कतना अशु है, यहां अशु का मतलब है शरीर मे त नस ना डय
म र और ऊजा श का वाह धीमा है या क क के हो रहा है इस लए
आपको ज हाई या न द आती है ाथना और यान करने म।
3. मन नह लगता यान म य क या तो आपक इ य इ ाएँ अभी बची ई
ह या आपको मान सक तनाव है,या भौ तक सम या का पु लदा आपक
दमाग क को शका म जमा हो गया है जससे आपका मन एका नही
होता और आपको चढ़ होती है यान म बैठने से और तुर त उठने का मन
करता है। तो पहले इस तनाव को ख म कर सकारा मकता लाएं, जीवन म
सरलता लाएं, जबतक यान पर बैठे ह तो भौ तकता को कनारे रख फर
यान कर। दोन म सामंज य लाएं।
4. यम/ नयम से हमारा शरीर लायक बनता है, जसम हचय और ाटक
सव प र है। आसन से हमम सहनशीलता आती है और शरीर लायक बनता
है, ाणायाम आपक 72 हजार नस ना डय के मल को साफ करता है उनम
ऊजा और र वाह को सरल करता है, सांस यादा दे र तक कती है
आपक जससे आपका शरीर हलता नह है और आप बलकुल शांत हो
जाते ह, जससे आप याहार के लए तैयार होते ह।
5. अ ांगयोग का पाँचवाँ अंग याहार है जो क अ त मह वपूण है। वासना
क ओर जो इं याँ नरंतर गमन करती रहती ह, उनक इस ग त को अपने
अंदर ही लौटाकर आ मा क ओर लगाना या र रखने का यास करना
याहार है। इं य को इन घातक वासना से वमुख कर अपनी
आंत रकता क ओर मोड़ दे ने का यास करना ही याहार है। पाँच इं याँ
है आँख, नाक, कान, जीभ और श। आँख दे खती है, कान सुनते ह, नाक
सूँघती है, जीभ वाद लेती है और वचा से श का अनुभव होता है। जब
हम उ पाँच इं य के मा यम से अपनी इ ा क पू त करते ह तो
इ ाएँ और बलवान होने लगती है य क अस लयत म इ ा हमारा मन
ही करता है। मन ही दे खना, सुनना और श करना चाहता है। इं या तो
सफ मा यम है।तो याहार आपको धारणा के लए तैयार करता है जो क
छठवां अंग है अ ांग योग का।
6. अपने मन को अपनी इ ा से अपने ही शरीर के अ दर कसी एक ान म
बांधने, रोकने या टका दे ने को धारणा कहते ह। इससे आप अपनी चेतना
को समेटना सीख जाते ह जससे यान नामक अ ांग योग क अगली सी ढ
के लए आप तैयार होते ह।
7. यान समा ध म लीन होने का माग है, और ये तब तक नह लगता जबतक
आप बाक 6 चरण को यान नह दे ते। यान तब करना चा हए जब आपक
सुषु ना नाड़ी चली और यह तभी चलती है जब आप शु शरीर और शु द
मन से रहते ह।
8. सुषु ना सायंकाल चलती है शाम 5 बजे, इसको पहचानने के लए आप
अपने नाक छ को महसूस कर जब दोन से वायु आ जा रही हो तो समझे
सुषु ना नाड़ी चल रही है, इसी व आपका यान गहरा लगेगा, और इसी
व क गई ाथना फलीभूत होगी। जब ये नाड़ी चले तो सफ ई र
ा ण यान ही कर य क इस व त कोई भी भौ तक काय नह करना
चा हए। ईस तरह आप सफलता अ जत करगे।।
9. समा ध या है? यान क पराका ा यानी उ तम त। समा ध कई तरह
क होती है पर यह परम शां त क त है, परम शू यता क त है,
समा ध परम ान क त है।।
10.
दोन के लए सबसे पहली बात एकांत अ त आव यक है कुछ
लोग को यह रा म ा त हो पाता है इस लए वे दोन को रा म ही करते ह।
11.
यान-
12.
यान क कोई खास व ध नह है बस बैठ जाएं कसी कसी
कंबल या चटाई के आसन म और वयं सहजासन लगाएं यह अ ा है इसमे
आपके पैर दद नह करगे, सीधे हो जाएं ब कुल आंखे बंद कर और अपने
शरीर को महसूस कर, या खुद को हलने से रोक शांत होने क को षश कर
इसी को बरकरार रख। गहरे ान के लए मेरे जवाब पढ़।
13.
ाटक-
14.
ाटक कई तरह का होता है, ले कन शु वात ब ाटक से
करनी चा हए। इसके लए घी, ध, आव यक है खाना य क इसम आप
आंख का इ तेमाल करते ह। ाटक म आपको कसी A4 पेपर पर एक काला
गोला बनाना ह जतनी आपक आंख क काली पुतली होती है उसके बीच म
नीले रंग से भरना है गोला को। फर जहां आप ाटक करने वाले ह वह
द वाल म आपक भौह के बीच के सीधे म इसे चपका ल, और दो फुट क
री पर आसन लगाएं पास म एक मुलायम सूती कपड़े का माल रखले आंसू
पोछने के लए, अब दो फुट र आसन लगा के बैठ जाएं और उसी ब को
बना पलक झपकाएं दे ख बस दे खते रह, रंग बरं ग र मयां दखगी जो आपके
आंख से नकलगी यह सं कार और वचार ह और वो सब चीज ह जो आप
अपनी आंख से दे खते ह वह इसी तरह आंख के शांत होने पर बाहर नकलते
ह जनसे आपक एक ता सधती है और आप जीवन म सफल होते ह। जब
पलक झपकने पर मजबूर कर तो समझे अभी ब त कचरा भरा है आपके
दमाग म यह अ ांग योग के यम/ नयम म आता है, इसक स हचय से
सधती है, जसने ाटक पर यो यता हा सल करली या इसे स कर लया
वह सीधे यान क सीढ़ पर प ंचता है और समा ध म वेश करता है। गहरा
यान ाटक से ज द स होता है। ाटक स से भौ तक के साथ साथ
आ या मक लाभ ब त ह, मने ाटक को स करके ही ब त जाना अभी भी
इसका अ यास करता ँ समयानुसार। ब ाटक के अलावा और भी ाटक
ह जैसे लौ ाटक, सीसा ाटक, तारा ाटक, चाँद ाटक, सूय ाटक, मं दर/
म जद क चोट , पेड़ क चोट , इनमे सव प र है, लौ ाटक यह आपके तीसरे
आंख को ब त शी अनावृत करता है, सीसा ाटक डरावना है इसे सफ
चल च जगत म जाने को इ ुक कर इससे वे बना पलक झपकाए अपनी
बात कर पाएंगे, लोग से आंख मला के बात कर सकगे,शम ख म होगी,
आ म व ास आएगा, सूय ाटक सफ महान योगी बनने के लए कर, चाँद
ाटक सबको करना चा हए इसके ढे र लाभ ह, तारा ाटक से भ व य और
भूतकल के रह य ात होते ह मन मे छठ इं खुलती है, इंसान कालदश
बनता है, वगैरह वगैरह लाभ है हर ाटक के, ाटक श द गागर म सागर है यह
और हचय अकेला इंसान को हर े म महारथी बना सकते ह। ाटक करते
व त आपका शरीर खुजला सकता है तेजी से, तो जहां भी ऐसा हो तो उसे
होने द अगर सहगे तो आपके शरीर का वह ह सा ज द ठ क होगा। मेरे पैर म
एक घाव हो गया था तो मने 2 घंटे तक ाटक कया उस घाव ने मुझे ब त
परेशान कया जब म ाटक म बैठा था पर अगले दन वह सुख गया अपने
आप शरीर ने उसे ठ क कर लया इसी तरह आप बाक बीमा रया भी ठ क कर
सकते ह। ाटक के इतने लाभ ह क म गना नह सकता इसे आप वयं
जानोगे जब आप इसे करोगे, आपका तनाव भाग जाएगा, आपको न द ब त
गहरी आएगी, दनभर क सम याएं सब चाहे मान सक हो या शारी रक सब
ख म हो जायगी। ाटक करने वाले अपने आप यान म सफल होते ह,
इसी लए मने यान का कोई यादा उ लेख नह कया इस जवाब म य क
यान कोई बात करने या उसपर तक करने क चीज नह है ब क यान यो
बस करने क चीज है, इसे बस करना है औए सू मता को ा त करना है
जससे समा ध नामक परम रस म त लीन हो जाएं जससे आपको परमान द
ा त हो ई र अनुभू त हो, आ म ान हो, आ मसा कार हो। करने क चीज
ह यम, नयम,आसन, ाणायम, याहार, धारणा, अगर इ ह आपने ढं ग से
कर लया तो यान तो वतः घट जाएगा और गहरे यान म समा ध घट
जाएगी। न न सूचना को बना पढे मत जाएं।।
15.
वशेष सूचना- माल से सफ आंसू प छ आंख पर मत रगड़े
य क ाटक करने से आंख नाजुक हो जाती ह उनपर रगड़ से रोशनी खराब
कर सकती है। हाँथ से तो ब कुल आंसू मत पोछ, आंख से बह आये आंसू
प छे आंख को वैसे ही रहने द, अंत म जब ाटक ख म कर तो थोड़ी दे र वह
बैठे रह, जमीन पर चलने के लए साफ सुथरी लीपर का इ तेमाल कर, फर
ठं डे जल से आंख पर र से ह के छठे मारे इससे उनमे ऑ सीजन वाह
होगा और गम र होगी। पढ़ने के लए ध यवाद, परमा मा आपको सफलता
द।
16.
जब आप यान पर बैठते ह तो गदन अजीब हरकत करती है,
पीठ म अजीब तनाव होता है, पैर म सु ता हो जाती है, बार बार आपका मन
यान से उठने का करता है। अ ा सवाल म गदन के ऊपर जाने, गदन के
मुड़ने, गदन म दबाव संबं धत सम याएं गनाई ग ह तो उनके हसाब से ही
बता रहा ँ। दरअसल जब ाणवायु गले के ऊपर नह जा पाती तब यह
सम या आती है। जब आप यान करते ह तब आपक ाणवायु समटती है पूरे
शरीर से और यह आपके गले के ऊपर मौजूद च क तरफ जाने का यास
करती है य क जबतक यह नही जाएगी तब तक चेतन नह जाएगा, और
जब तक चेतन नह जाएगा तब तक कुंड लनी ऊजा कैसे सुषु ना पी नाड़ी
म अव त ा हणी नाड़ी से ऊपर जाएगी, इसी लए वो रा ता बनाने क
को शश म ऐसी अजीब ा याएँ करती है। अ ा आपका ये ूल शरीर पांच
त व से मलकर बना है, त जल पावक गगन समीर, तो जब आपके ूल
शरीर क शु नह होगी, उसमे इक ा आ मल न का षत नह होगा,
मोटापा नह छटे गा, तब कैसे आप सू मता म जा पाओगे या तो आप का पूव
ज म का साधना सं कार जागृत हो जाये जैसे नीम करोरी बाबा। इसे सदगु
भूत शु कहते ह जो सबसे पहले क जाती है। इसमे आव यकता है यम,
नयम और आसान क ये आपके शरीर को उस लायक बनाते ह, योग या है?
तप या।। तो इस तप से आपका शरीर तपता है और आपक ूल या कहे
भूत शु होती है। भूत मतलब आका षक शरीर जो क अशु य को समेटे
ए है यह पहला तल है आपका, जब ूल शरीर लायक बनता है तो इसमे
अव त हजार नस ना डय क सफाई होती है, र वाह सुग य बनता है
जब आप ाणायम करते हो, और इससे अब धीरे धीरे ाण ऊजा भी बलशाली
बनती है मतलब यह ाणायम अब आपके ूल शरीर के साथ साथ सू म
शरीर को भी लायक बनाता है, आगे के पड़ाव म उतरने के लए जससे अब
आपक सांस यादा दे र तक केगी, दय सामा य धड़केगा, ाणवायु केगी
नह कह तो गदन नह मुड़ेगी, और ाण वायु शी ता से ऊपर नीचे आ जा
पाएगी जससे आगे क साधना का माग स त होगा।। अ ा अब आप
याहार म आते ह, याहार है अपनी इ य पी इ ा को ज ह आपका
मन चाहता है क पूरी हो उ ह समेट लेना ही याहार है, मतलब इ ा र हत
अव ा ही आगे के माग को श त करेगी नह तो आप यह फसे रहोगे जब
तक अपनी इ ा पी श ु को परा त नह करोगे, इ ह कछु ए क भां त समेट
ली जये अपने अंदर और आ मा पर ले जाइए, नह तो जाइये पहले अपनी
इ ाएँ पूण क रये और संतु और असंतु ढूं ढए जो बाहर कह मल जाये।।
अ ा जसने इससे पार पा लया तो अब बारी आती है धारणा क , इसमे
सफल होना नह है अ पतु सफ जांचना है क या अब आप अपने मन को
अपने शरीर के कसी भी अंग या जगह पर लगा सकते ह, कुछ इसे ही यान
लगाना कहते ह पर यह यान नह है यह तो सफ जांचना है क कह आप
बाहर नह भटक रहे तो जांचे क अब आप याहार से अपने आप को समेट
के अंदर आ चुके ह अब आप भटक नह रहे वचारो म। यह कुछ लोग म
वतः घटता है, समझा इस लए रहा ँ य क कसी को इसमे ब त द कत
होती है। सम या है सी ढयां, कौन क तनी नीचे वाली सीढ़ पर है उसे उतने ही
यादा मागदशन क आव यकता होगी।। अ ा अब आता है यान। यान है
समा ध म लीन होने का माग पहले बता चुका ं पर कैसे लीन होते ह? यान
वतः गहरा होता है यह एक घटना व प होता है, और गहरा यान लग जाता
है। अ ा इसमे होता है आपक ाणवायु आपके चेतन का समट जाना और
साथ म आपक कुंड लनी ऊजा को रा ता मल जाना ऊपर जाने का उसी के
अनुसार आगे का माग वह स त करती है जब वह बाक के च को अपनी
ऊजा से साफ करती है अब आप अ त सू मता म वेश करते जाते है करते
जाते ह और समा ध घट जाती है। तो समा ध सू मता है वहाँ प ंचने के लए
आपको सू म होना पड़े गा शोर मचाने से कुछ ा त नह होगा सवा भटकने
के।।
17.
समा ध का बीज आपके गले के ऊपर अव त क म है तो
जबतक उस जगह ऊजा और र वाह नह होगा तब तक आप यान क
गहराई म वेश नह कर पाएंगे।।।।
ा म व ास
मुझे इस वषय का अनुभव है म आपको इसके बारे म बताने क पूरी को षश क ँ गा और
बोनस के प म एक क सा भी है यान से पढ़ और जीवन को ऐसा बनाएं जसे याद रखा
जाए-
व ास न करने के लए हमारे पास एक वजह है और वह है ोध म या बना जाने समझे
बोल दे ना क ये सब कोरी बकवास है।
व ास करने के लए ढे र कारण ह, यही समझ ली जए क ये एक तरीका है जो सनातन
म परंपरा व प चलाया गया है कई साल से और जैसा क सब जानते ह क सनातन से
संबं धत चीज कभी भी झूंट नह होत उनक गूढ़ता अव य होती है भले ही आप को उसके
वषय म जानकारी न हो। तो ा है अपने सगे संबं धय क आ मा क उ त के लए
कया गया यास जससे जीवा मा तर जाती है अगर कसी कारण वश वो इस संसार म
फसी है, या वो प लोक म है तो उसक आ मो त के लए जो भी हम यहाँ ा प
करते ह उसका सू म भाग उस सू म संसार म हमारे पूवज को ा त होता है और इस
काय म दे री नह करनी चा हए इसके भयंकर प रणाम मेरे सामने घटे ह। एक हमारे
र तेदार के यहाँ भी अ व ास है ई र/ प , जैसी चीज को लेकर और वो लोग इतने
परेशान ह क हद है पर फर भी वो ा नह कर रहे य क वो हर सम या को पैसे से
हल कर रहे ह, अब जनाब आलम ये है क उनके घरवाल पर उनके प कभी कभी सवार
होकर चीखते च लाते ह और मु के लए ाथना करते ह, ले कन वो इसे मनोवै ा नक
सम या कह के टाल रहे ह, बड़ी दयनीय त है, अभी पछले ह ते म उनके घर के एक
सद य से ब आ जो दमागी प से इतना परेशान था क मरने जैसे वचार से भर
रहा था मैने उसक मदद क अब वो ठ क है। तो जब आप कई साल तक अपने पूवज का
ा नह करते और अगर वे तरे नह है अपने आप तो आपके प रवार म अजीब अजीब
सम याएं आएंगी, जैसे अजीब जीव जंतु का घर मे नकलना, छपक लयां, सांप, ब ु ,
क ड़े मकोड़े , म र, और अशां त का माहौल आपको परेशान कर डालेगा ये चीज यह
नह थमती हर साल पतर के संमय आपक कोई घटना भी हो सकती है, छोट मोट
च ट, आपसी झगड़े , गु सा, तनाव ये सब चीज ब त साधारण ह ज ह पहचानना आसान
होता है अगर नजर पैनी हो। तो इनसे बचने के लए आप अपने पतर का ा अव य
क जये इससे जतनी ज द हो अव य नप टय। और सर को भी बोले इसे करने को
य क सरे के प भी आपको परेशान करते ह य क वो चाहते ह जस तरह आपने
अपने पतर का ा कया उसी कार आप उनक भी मदद कर द, और ऐसा संभव है
अगर ा करने वाले ानी है और उस ेता मा से बात कर सकता है तो उसका ा
संभव है। संसार म सम याय का एक कारण ये चीज भी होती ह य क मरने के बाद ये
आ माएं मु नह होत कसी कारणवश।।।
अगर आपने अपने पूवज का ा कर रखा है और फर भी आप ऊपर लखी सम या
से पी ड़त ह तो नकारा मकता को भगाने हेतु सकारा मक ऊजा का वाह रख आसपास,
कुछ भी गलत करने, सोचने, ोध करने से पहले ये यान रख क कह ये बना वजह तो
नह है या कसी और बुरी आ मा के वचार का वाह तो नह जो आपको परेशान कर रहा
है तो आप इससे बच जाएंगे।। कभी कभी जीवा मा छोट छोट चीज़ क वजह से मु
नह हो पाती, जैसे याकम नह कया ढं ग से, कपाल या नह क, मरते व कसी
चीज से ब त लगाव था, या कसी इंसान से ब त लगाव था, ऐसे ढे र कारण से वह
जीवा मा सफ अपने घरवाल को ही नह अ पतु सबको परेशान करने क को शश करती
है, सफल सफ तभी होती है जब सामने वाला जसपर उसका हमला होने वाला है
नकारा मक/ना तक/ ोधी/ गुणी वभाव का होता है।इस वषय के ऐसे ढे र कारण है जो
पूणतः कोरी बकवास या अंध व ास लगते ह पर इन चीज पर तब व ास होता है जब
आपके घर म एक ब े का ज म होता है और पड़ोस म कसी क मृ यु। य क तब वैरा य
उफान मारता है, जब मरने वाला सहसा गायब हो जाता है, या शरीर पी चोला उतार के
चला जाता कह । व ास तब होता है जब आप आसमान क ओर दे खते हो जसका कोई
अंत नह वहां आपका अहंकार न हो जाता है इसी लए अहंकारी कभी आसमान नह
दे खता वो जमीन दे खता है वहां उसके अहंकार को स मान मलता है। आप कसी को नील
आम ॉ ग के बारे म बताओ या आ या मक बात बताओ वो टाल दे गा या वषय बदल दे गा
या मजाक करेगा वह आप उसे द न ह न बुरी हालत म मौजूद लोग दखाओ वो उसे दे खने
के लए ाकुल होगा, इसके और भी गहरे पहलू ह सफ अहंकारी को कोशना गलत है,
जैसे क वो उन लोग क मदद के लए भी आगे आएगा और आंसू भी बहायेगा, ये
पालनहार के गुण ह य क जहाँ ल मी है वहाँ अहंकार या कह एक मान स मान है वहां
बना इसके ल मी नह ह यान रख, जहाँ सर वती यानी ान है वहाँ खोज है और समय
नही है न अहंकार के लए, न ही तक वतक के लए, य क वहाँ तो सफ और सफ ान
को पा लेने क चाह है, और जहाँ श यानी अपार ऊजा है वहाँ वैरा य है। ई र के तीन
गुण स व ,रजस, तमस प म सृ म ा त ह और इसे चला रहे ह। सतयुग म सफ स व
था। ेता म रजस और तमस था जसम स व ने ज म लेकर इनको सुधारा या सही राह द,
ापर म भी स व ने पछाड़ा ओछे तमस को और रजस को ान दया ई र दशन दए। अब
कलयुग म स व भी है, रजस भी है, तमस भी है अब दे खते ह या होता है इसका भ व य,,
कौन जीतता है। जसको भी जीतना है उसक जनसं या से नह अ पतु एक अकेला ही
काया पलट दे गा। यहाँ अकेला कोई भी हो सकता है बस वो अपने गुण क अ त उ
प रप वता पर हो पर इसका मतलब ये नह हम सब उसका इंतजार कर और हाँथ पर हाँथ
धर के बैठ, य क ऐसा कोई नह है ये तो मने आ म व ास बढ़ाने के लए लख दया
अ पतु वो हम सब मे है बस तड़प रहा है बाहर आने को।। वषय अ त लंबा हो जाएगा ये
ड जटल कलम है बंद नह होती जब आपके पास समय होता है, इस जवाब को थोड़ा
थोड़ा करके लख रहा था आज पूरा आ लग रहा है।
अ ा तो आप माण मांगोगे क मने ये सब कहाँ जाना पतर वाला वषय तो दे खए
अ ययन शील म 2005 से ं और अ या म पर मेरी असली खोज शु ई 2010 से तभी
आजतक के थोड़े मोड़े अनुभव लख दे ता ँ कयोरा पर समयानुसार।
तो इसी लए भाई/बहन म आपको एक छोटा सा क सा सुनता ँ मुझे पता है व ास नह
होता पर या क ँ बताने का लोभ भी तो है मुझे तो सुनो फर,
एक बार म े न से या ा करते ए च कूट जा रहा था जो क धा मक ल है और वह
उ र दे श और म य दे श क सीमा के पास है कह , तो वहाँ म दशन हेतु जा रहा था म
ै न म जनरल ड बे म ऊपर वाली सीट पर बैठा था भीड़ थी काफ कुछ टे शन बाद एक
नौजवान संत का आगमन आ मुझसे आंखे मलाई और उनके तेजोमय आभामंडल से
फूटती ऊजा को मुझे पहचानने म दे र नह लगी उन महाशय क आंख म असीम तेज था,
सा ात हचय क मू त लग रहे थे वे, चौड़ा म तक, कसी आम के जवान जैसा शरीर,
अ त ऊजा थी, जसे सफ म पहचान पा रहा था बाक लोग तो उ ह नजरअंदाज कर रहे
थे और बाक ढ गी बाबा क तरह उ ह भी समझ रहे थे और समझना भी चा हए आ खर
ये कलयुग है और कसपर भरोषा कर जब हम पहचान ही नह सकते कौन स ा है और
कौन झूठा। खैर उन संत महाशय को मने ऊपर बैठने का योता दया वो तो जैसे चाहते थे
बचना लोग के शरीर से इ स लए तुरंत ऊपर आकर बैठ गए एकदम न वकार, और
न छल वृ थी उनक वो मुझे अ त वर लग रहे थे पैर म घाव था जसमे कोई अजीब
सी ग दे ने वाली कोई बूट लगा रहे थे। खैर मने स चा ये नह कुछ बोलने वाले, इस लए
मने पूंछा महाराज आप कहाँ जा रहे ह? उ ह ने मेरी नजर म नजर गड़ा के दे खा और बोले
जहाँ आप जा रहे ह। म थोड़ा व मत आ और बोलने वाला था क आपको कैसे पता
चला क म च कूट जा रहा ँ उसके पहले उ ह ने बोल दया " च कूट"
च कूट जा रहे ह न आप? मेरी हलक म आवाज फंस गई एक तो उन का रह यमय
व और सरा उनक बात जो क कसी रह य से भी परे थ । खैर अब मेरा सारा
यान उनपर ही था म भूल चुका था ै न क भीड़, शोरगुल सब। उनसे मेरी बात शु
ढे र रह य पता चले, अनुभव भी ए मुझे उनक श य के,जैसे जब उ ह जान पड़ा क म
उनपर व ास नह कर रहा तो उ ह ने ै न गायब कर द , वो य ही गायब कर दया और
म और वह कसी हवाई प जैसी जगह पर बैठे थे मतलब हमने ए ल े वल या जो भी
इसे आप कह कर ली थी, कुल मलाकर मेरे सामने से मौजूदा य गायब था और सामने
था झरना नद पहाड़ जंगल अ त सृ थी वो, है न क तनी अ व श नय बात पर या
क ँ है तो है, पर इसका मतलब ये नह क आप आज से कसी बाबा/वैरागी को ढूं ढने लग
य क असली/नकली आप नह पहचान पाओगे बना योग साधना के।। उ ह ने ही पतर,
ा , वगैरह का मायाजाल समझाया, उनका वयं का शरीर हमालय क कसी गुफा म
सुर त रखा है, जो क द ा शरीर है। और जस शरीर म वे अभी थे वो कसी नौजवान
आम के जवान का एक ा हण शरीर था जो क अब उनका हो चुका था जसम वे आगे क
जीवन या ा कर रहे ह, तो दो तो आप अपनी छोट सी जदगी म बैठे रहोगे तो या सारी
नया आपक तरह बैठ जाएगी? नह भाई/बहन इसी संसार म न जाने या या होता है
जसका आपको कुछ नह पता, आप अ ानी के भां त इंसान शरीर और उसक अनंत
मता को तु समझते ह। और जब कभी मेरे जैसा आपके सवालो के जवाब म रह य
भरता है तो आप च कत हो जाते हो।। अरे भाई/बहन ये सब अपना सनातन धम म ही है
इसके बाहर कुछ नह भले ही आज हम इसे भूल गए ह ।। भले ही आपने महावीर को नह
दे खा तो या वे नह थे, अरे सब थे बस समय काल सरा था, कभी ये भी स च लया करो
क जस तरह आइ ट न कभी कभी पैदा होते ह और इ तहास रच जाते ह उसी कार
कभी कभी ीराम/ ीकृष/महावीर/गौतमबु भी कभी कभी ही ज म लेते ह और जब वे
पुराने हो जाते ह तो लोग उनके अ त व को ही नकारने लगते ह य क लोग क यही
अ वीकायता नए ा नय के ज म का ोतक होती है।।।
जुड़वां आ मा का रह य
जो ड़यां वग म बनती ह इसका रह य या है?
कृपया अंतमन से पढ़।
परमा मा से उनका एक अंश नकलता है, और यह अंश दो भाग म वभ हो जाता है
जसमे एक होता है पु ष अंश और सरा होता है ी अंश। दोन खंड एक सरे के
आ मअंश होते ह।
पु ष अंश म 4 अंश होते ह, पहला पु ष, सरा ी,तीसरा पु ष चौथा ी, इसी लए हर
पु ष के अंदर दो अंश ी भी होती है, और दो अंश पु ष।
ी अंश म पहला ी, सरा पु ष, तीसरी ी चौथा पु ष। इसी कार हर ी के अंदर
पु ष व भी होता है तभी वो कभी कभी वीरांगना बन जाती है।
इस कार दो अंशो के प म वभ ई आ मा को संसार मे छोड़ दया जाता है पर वो
अभी पूण आ मा नह बनती जब तक दोन अंश संसार मे 84 लाख ज म भोगते ए मानव
ज म लेते ह।मानव ज म लेके उनक आ मो त ही जाती है फर वो आ मअंश से
आ मख ड बन जाते ह।। अब आप कहोगे क भला आ मा के कैसे खंड हो गए? म क ंगा
कोई खंड नह कया गया है ब क सफ उ ह बांटा गया है, इसी क वरह वेदना म वो एक
सरे को संसार म ढूं ढते रहते ह।
दोन खंड का ज म साथ साथ होता है, पर संसार एक छोर से सरे छोर म हो सकता या
ब कुल पड़ोस म भी।। बस बहन भाई के प म नह होता है ऐसी कृ त क व ा
होती है।
मनु य ज म मलने के बाद दोन अ त ाकुल रहती ह मलने के लए।
यह ाकुलता उ ह आक षत करती है एक चु बक य आकषण पैदा करती है एक सरे के
आ मा खंड के त वो आजमाते भी ह शाद करके परंतु वो कसी सरे के आ मख ड
होते ह ।।इसी लए कहते ह क जो ड़यां वग म तो बनती ह परंतु धरती पर आके बार बार
टू टती ह।
इसके सबसे अ े उदाहरण ह वयं लीलाधर भगवान ी कृ ण और राधा। वो दोन एक
सरे के आ मख ड ही थे इसी लए उनमे असीम ेम था जसक थाह नही थी।। भगवान
राम ने भी अपने अंश के साथ ज म लया, परंतु संसार क माया ने कैसे उ ह बार बार
अलग कया कैसे एक सरे के लए तड़पे, फर दोबारा मले तो फर संसार ने उ ह अलग
कया।। कृ ण राधा ने भी इसी तरह ाकुलता म अपना जीवन गुजारा।।
भगवान शंकर और माता पावती का अधनारी र प इस बात क पु करता है क कैसे
एक ी के बगैर पु ष और पु ष के बगैर ी अपूण है।। जब वे दोन मलते ह तभी
पूणता आती है, तभी 7 वे लोक के 9 वे मंडल से दोन पूण होके चौथे व क या ा पर
नकल जाते ह वहाँ अपूणता नह है वहां पूणता का ही वाश है।।
कसी कसी का आ म खंड 7 वे लोक तक क या ा पूरी कर लेता है परंतु उसका सरा
आ मख ड अभी फसा है इसी भौ तक संसार म तो वहाँ 7 वे लोक म उसका खंड उसका
इंतज़ार करता है उसक आ मो त म अ य प से उस क सहायता करता है या करती
है।।
औरत का स र लगाना उनके पु ष व को दबाए रखता है, जससे वो अपने प त को
परमे र मानती ह भले ही वो एक सरे के आ मख ड न ह पर स र औरत को शांत कये
रहता है, अगर कह ऐसा नह होता तो वहाँ वो एक सरे को बदा त नह कर पाते य क
दोन कसी सरे के खंड ह पहली बात, और दोन कम नह ह एक सरे से कसी चीज म
जो चीज पु ष कर सकता है उसे ी भी कर सकती है बेहतरी से य क उसका पहला
अंश ी का है, जसमे धैय है, और इससे ज द वो टू टती नह और सहनशीलता क वजह
से डगती नह ।। पु ष पहले अपनी श झ क दे ता है फर असफल हो जाता है और फर
हार मान के जब खुद को कमजोर समझता है तो उसका सरा अंश फर ढाँढस बँधाता है
और वो फर मैदान म उतरता है अपने तीसरे अंश क श के साथ और झंडे गाड़ दे ता है।
दोन एक सरे के पूरक ह।।
पु ष और य म खासकर नौजवानो म एक सरे के त आकषण होता है एक
चु बक य आकषण होता है जसमे लगता है क य न म इससे जुड़ जाऊं या कह वो एक
सरे को एक कर लेना चाहते ह, इसी लए वो सहवास म उतरते ह, कभी चु बन म उतरते
ह, ये या है एक सरे म मल जाने क वेदना है, वरह है अगर वो एक सरे के आ मख ड
ए तब वो अंत तक उसी ेम म जीवन गुजारते ह, अगर एक क मृ यु हो गई तो समझो
सरा भी उसक वेदना म ज द इस संसार को छोड़ के अपने ेम से जा मलेगा।। और
वह अगर वो कसी सरे के खंड ह तो पहले बार के सहवास म वो एक सरे से चढ़
जाएंगे या दोबारा उतरगे भी तो सफ वासना के तल पर असली ेम के तल पर नह ।
म फर कहता ं वो अलग ह बछड़ गय ह पर वो जुदा होके भी जुदा नह ह , एक सरे क
तलाश उ ह हमेशा बनी रहती है।ये तलाश ही उ ह ेरणा दे ती है उ ती करने क । उनका
ेम आ मतल का होता है, वहाँ वासना नह होती।।

परमा मा ने जब एक से अनेक होने क इ ा क तो ये संसार बना जसके बाद आ मा


नामक अंश उ प आ और वो बछड़ गए या कह दो भाग म एक पु ष अंश और सरा
ी अंश म अलग हो गए, कृ त क गूढ़ या के दौरान य क इ ा से ं द भी पैदा होते
ह इस लए आ मा बछड़ गई इसे आप सम झए क जब आप कसी जमीन पर कसी
अ चीज का नमाण करते ह या ऐसा करने क इ ा करते ह तो उस जगह पर जो पहले
मौजूद था उससे वकृ त पैदा होना वाभा वक है, आप आईएएस बनते हो तो हजार लोग
को कुचल के वहाँ प ंचते हो तो आपक इ ा ई आइएएस बनने क ले कन आपक इ ा
से पैदा ए कुचले ए लोग मतलब ं द पैदा हो गया तो उसे ठ क तो करना ही होगा। उसी
कार जब ये सृ ी बनी तो बुराई, े ष, वकृ तयां अपने आप पैदा मतलब ई रीय इ ा
से जो आ फर उसी चीज को ई र ने संभालने के लए ज म लया दे वी/दे वता के प
म और लोगो को धम कम सखाया और ान दया और बुराई को न कया। इसी कार
उस ं द क वजह से जो आ मा बछड़ गई थी वही मलने के लए ाकुल है अपनी अंश
आ मा से ज ह हम आ मख ड कहते ह पहले बता चुका ं।
आ म खंड ह कृ ण राधा, राम सीता, हीर रांझा, रो मयो जू लयट, लैला मजनू, और अभी
हाल ही के वष म आई फ़ म रॉक टार म नदशक ने जुड़वा आ माओ के असीम ेम को
दखाने का अ ा यास कया इस फ़ म के ज रये। जसमे जॉडन और हीर अजीब तरह
क परेशानी म जीते ह बार बार बछड़ के बार बार पास आते ह और उस चु बक य
आकषण से पागल होते ह, एक सरे के सवा उ ह कोई और नह भाता आंत रक प से
या ेम से इसी कार लोग संसार म शरीर और रंग प क जगह सीरत वाले ेम क बात
करते ह हाई दे ते ह, इसमे खासकर म हलाएं यादातर यास करती ह स े ेम क
य क वो पु ष से कह यादा संवेदनशील होती ह। खैर वो तो फ़ म थी असली म
उसक 1000 गुनी वरह और वेदना होती है जसे मापा नह जा सकता ये तो मने उदाहरण
व प लखा, इसमे जलता है इंसान अंदर अंदर अगर गलती से उसे उसका अंश कह
मल गया, और नह मलता तो अंदर कह तलाश होती है जो कभी कभी सरे क प नी या
सरी म हला को दे खकर जागृत होती है पर इसका मतलब ये नह क वो उसका
आ मख ड हो ये तो तलाश का ह सा होता है जो आजमाना चाहता है सबको पर इससे
आप नह ढूं ढ सकते अपने बछड़े ए अंश को इसी लए आजमाना पाप बताया गया
संसार म और ऐसा है भी य क फर आपक इ ा से नए ं द और े ष पैदा ह गे इस लए
कृपया बच।। बड़ा उलझा दया परमा मा ने हम सबको इस अनंत हांड म। खैर ये हर
कोई नह स चता इनसे भला या भौ तक लाभ ह।।
आ मा ने ज म लया नह ब क भु क इ ा से ये सृ ब न अब ये ज म मरण उसी
या का ह सा ह हम सब फर मलकर उस इ ा को फर से उसी प म प रव तत
करने म लगे ह जसमे हम इतनी ज ोजहद करनी पड़ रही है, म इसे बयान नह कर पा
रहा ये इतना रह यमय है इसे आप खुद जानगे जब आप वकास क उस अव ा म ह गे
जहाँ म ँ अभी। म नश द ँ।।
भारतीय वै दक यो तष म ी का बायां हाँथ और पु ष का दायां हाँथ दे खा जाता है, ये तो
हर कोई जानता होगा, या जो नह जानता तो आज जान ल। हम पूंछते थे बचपन म कभी
कभी अपने घर वाल से क सरा हाँथ कस लए होता है फर जब दायाँ ही दे खा जाता है,
तो वे कहते थे ये तु हारी होने वाली प नी या प त का है त अनु प, या वो अ सर टाल
दे ते थे। पर आज मुझे ये रह य जानकर आनंद आ क एक पु ष होने के नाते मेरा बायां
हाँथ मेरी अंश आ मा का है जो अभी मुझसे बछड़ी ई है और कसी ी का दा हना हाँथ
उसके पु ष अंश का है जो उससे बछड़ा आ है जसक उसे कह न कह तलाश है
असली ेमी क ।
अब आप अपनी प नी के दा हने हाँथ से अपने बाएं हाँथ क रेखा को मलाएं पता लग
जायेगा क वो आपका अंश है क नह । नही भी है तो कृपया नाराज मत हो आपको
आपका अंश मल जाएगा हजार चार हजार ज म के बाद।।

सनातन धम के दो प
क ठन लगने वाला वषय है ग णत। और अगर आपने इस क ठन वषय पर महारथ
हा सल कर ली तो आपको सहज पेशा मल जाएगा। अब पेशे क त भी इस बात पर
नभर करेगी क आपने ग णत म कतनी महारथ हा सल क है। आपका ग णत ान
आपको हर जगह सफल बना दे गा, भौ तक व ान आप समझ लोगे अगर आपको ये आ
गई, ज टल मनो व ान/दाश नक के सवालो को आप अपने ग णत से नखारे ए दमाग मे
डालोगे तो आपको ब त ही अ ा जवाब मलेगा जो आपके साथ साथ ढे र लोग को
संतु करेगा। आइ ट न एक महान वै ा नक के साथ साथ एक अ े दाश नक भी थे।
ऐसे ढे र उदाहरण आपको मल जाएंगे जो ये मा णत कर दगे क ग णत कस कार
आपके दमाग म छपी तभा को खोलती है। आज संसार म जो भी बदलाव आपको
नजर आ रहा है वो ग णत के ान से संभव हो पाया है, कसी भी सवाल को हल करने के
लए वै ा नक ग णत का ही सहारा लेते ह जसे ए लाइड ग णत कहते ह जसे बनाया
जाता है, इस संसार क ज टल सम या , हांडीय रह य को ग णत ही मा णत करती
है। आप समझ गए ह गे क इसका कोई अंत नह है कह आप जीवन लगा दो अपना इसम
ये आपको भौ तक माण दे सकती है हर चीज के।।यहां हर चीज इस लए लखी य क
ी नवास रामानुजन अनंत ई र को मा णत करने वाले थे, जससे लोग को ई र का भी
माण मल जाता पर उससे पहले उनक फेफड़ क बीमारी ने उनक जान ले ली पता नह
या रह य था इसका क त जाने।।
अ ा अब बात आती है ये क ठन य है, अगर कसी के लए है तो? वो इस लए य क
ग णत आपके दमाग क खरब तं का को शका ( यूरॉ स) को जगाती है, उनमे हलचल
पैदा करती है, उनमे ऊजा का इ तेमाल होता है, वो जब स य होते ह तो गु सा आता है
दमाग को चढ़ होती है जससे कुछ लोग ग णत से चढ़ने लगते ह या छोड़ दे ते ह या सफ
ज रत के लए पढ़ते ह, पर आप यान र खये दो तो क ये आपक दमाग क मता
को भौ तक प से खोलने क कुंजी है आप इसे जतना लगाओगे ये आपको उतना ही
मदद करेगी जीवन क बाक सभी सम या से नपटने म, इसक उ त म आप
लगभग ानी कहे जाओगे य क आपको ग णत का ान तो है ही उसके अलावा आप
जीवन क द कत को चुटक म सुलझा डालोगे। ये व ान, अंत र , भौ तकता, संगणक,
भौ तक व ान, मनो व ान, परामनो व ान, जतनी चीज़ ह उ ह इस ग णत ने ही मा णत
कया है और यहाँ तक उ त द है। जब आप दमाग क उ मता को खोल लेते ह
तब आप मनो व ान और परामनो व ान को समझने लगते ह बाक चीजे तो सीधे इसी से
जुड़ ह।
आज इतनी आधु नकता ग णत क ही वजह से आपको दख रही है। कं यूटर,
आ टफ सयल इंटेलीजस, डे टा साइंस, वांटम कं यू टग, वांटम मैके न स, वांटम
भौ तक , इन सभी म ग णत का इ तेमाल होता है और ग णत म अ ा खासा ान रखने
वाले ही इ ह समझ पाते और इस तरह के आ व कार करते ह और हर रोज नए बदलाव
करते जा रहे ह खैर इन सब चीज को हर कोई समझता है इ ह यादा गहराई से बताने क
आव यकता नह है। अ ा आप समझ गए सफ एक वषय हम क तनी तर क दे
सकता है, हमारे दमाग क श को मजबूत कर सकता है, हमे वकास क अ त उ त
अव ा तक प ंचा सकता है, नभर करता है हम कतना सम पत ह इस वषय के लए,
कतना खुद क तर क चाहते ह, इस लए इसे अपनाइए ये आपको ब त मदद करेगी
जीवन माग म, एक स ी और आपके लए सम पत सं गनी क भात ये जीवन भर
आपका साथ नभाएगी समाज म यश, स मान, त ा दलाने म और इसके लाभ के कई
पहलू ह ज ह आप वयं समझगे जब आप इसे वीकार करगे।।
अ ा अब आपको आसान वषय बताऊंगा, सब आसान वषय ह और सबसे क ठन पेशा
दे ते ह(भौ तक /रसायन को र रख वो भी ग णत से ही हल होते ह, और बजनेस को भी
अलग रख य क उसे संभालने के लए कभी CA, तो कभी, Engineers , ढूं ढते ह
बजनेस वाले) इन पेशेवर को शु वात म ब त द कत आती ह, ले कन जीवन के अनुभव
दमाग को खोल दे ते ह जैसे जैसे उ बढ़ती है। य क सफ ग णत ही नह दमाग खोलती
उ बढ़ने से और जीवन अनुभव से भी दमाग क मताएं खुलती जात ह जससे हर
कोई सम याएं सुलझाने लगता है धीरे धीरे ही सही। आप शायद मेरे श द क गूढ़ता समझ
पाए क आ खर म या बता रहा ँ। तो ग णत का मतलब या है? इसका मतलब है अपने
ही दमाग को खोलना ये श द इसक ा या शायद अ े से नह कर पा रहा आप फर
भी वयं इसे समझ।।
अ ा तो इसका मतलब हम भारतीय तो बेकार ह फर य क भले ही 0 आयभ ने दया
पर ग णत क खोज और उनपे लख कताब तो वदे शी ह फर हमने नया को भला या
दया? या आप भी ऐसा सोचते ह?? तो आप गलत स चते ह।। कैसे??
हमारे ऋ ष मह ष सब जानते थे वे चाहते तो ग णत का अ व कार जब ही कर दे ते पर
इससे उनक भी त आज के प मी वै ा नय जैसी ही होती ' म पूवक' पर ऐसा नह
है आयभ ने अ त ग णत स ांत लखे ज ह समझना अ त क ठन रहा लोग के लए।
पर ग णत आपक अ त उ मता को नह खोल सकती इ ह सफ अ या म ही खोल
सकता है या जागृत कर सकता है या वक सत कर सकता, या आपको पूण पु ष बनने म
मदद कर सकता है।। इस लए ऋ षय ने इसका सू म रह य जाना और इस दमाग क
पूण मता को खोलने के लए यान और समाधी जैसी अ त चीज क रचना क
जनसे वो ान ा त होगा जो ग णत से कभी भी ा त नह हो सकता अब आप गव करो
क आप सनातनी हो और उ ह ऋ षय के अंश हो जो इतने रह यमय थे।। आपको पता है
इस संसार म लोग को ग णत ान भी सू म संसार से मला है वचार के वाह से इसे
आप समझ लोगे समयानुसार मेरे लखे जवाब से।।
हमारे ऋ ष मह ष सब जानते थे वे चाहते तो ग णत का अ व कार जब ही कर दे ते पर
इससे उनक भी त आज के प मी वै ा नय जैसी ही होती ' म पूवक' पर ऐसा नह
है आयभ ने अ त ग णत स ांत लखे ज ह समझना अ त क ठन रहा लोग के लए।
पर ग णत आपक अ त उ मता को नह खोल सकती इ ह सफ अ या म ही खोल
सकता है या जागृत कर सकता है या वक सत कर सकता, या आपको पूण पु ष बनने म
मदद कर सकता है।। इस लए ऋ षय ने इसका सू म रह य जाना और इस दमाग क
पूण मता को खोलने के लए यान और समाधी जैसी अ त चीज क रचना क
जनसे वो ान ा त होगा जो ग णत से कभी भी ा त नह हो सकता अब आप गव करो
क आप सनातनी हो और उ ह ऋ षय के अंश हो जो इतने रह यमय थे।। आपको पता है
इस संसार म लोग को ग णत ान भी सू म संसार से मला है वचार के वाह से इसे
आप समझ लोगे समयानुसार मेरे लखे जवाब से।।
अ ा तो ऋ ष लोगो ने योग का अ व कार कया (ई र से ा त कया) तं का अ व कार
कया, साधना, स का अ व कार कया, गूढ़ और रह यमय या का अ व कार
कया, जससे उ ह ने इस मानव शरीर क अदभुत रचना को एक एक करके लोग को
बताया और ंथ लखे, मानव को बाक जीव वन त से जोड़ा 84 लाख जीव यो नयो को
उस जमाने म समझा जसे आज के जीव व ान म डा वन ने मा णत कया अपनी
वकास क णाली म। उ ह ने तां क प तय से सूय क रय को जान, परा मड जैसे
गूढ़ तां क साधना लीय क रचना क ,आयुवद के ऐसे ऐसे रह य बताये क आज भी
कायम ह जमनी उ ह कै सूल बना के बेच रहा नया म, अ ांग योग और तं से आप
अपने दमाग क पूण मता को खोल सकते ह जसे आज क भौ तक ग णत सफ
क पना कर सकती है, पर आप ये समझो क सनातन धम के ही दो प इस संसार को
चला रहे ह, एक है उसका भौ तक प सरा है आ या मक प बाक आप सब समझ
जाओगे अगर आपने इस लाइन को समझ लया।।
जस कार आप अपनी दमाग क मता को ग णत से खोलते ह और आइं ट न बन
जाते हो। उसी के आगे क या पूण मता को हमारा योग और तं अपने गूढ़ और रह यमय
तरीक से खोलता है फर आपका भु व आपके इस शरीर पर हो जाता है फर आप ाता,
ेय, और ान को समेट के वयं सब करता धता हो जाते हो, आपसे इस मानव शरीर और
इस सम त संसार और अनंत हांड को जान लेते हो य क आप उसे जान लेते हो
जससे ये सब अवत रत आ है या जसने ये सारी लीला रची है मतलब आप ई र को
जान लेते हो।।। आप समझ गए ह गे क कैसे इन दो चीज क रचना ई है और आज ये
मौजूद ह बस चुनाव आप को करना है क आप इसके भौ तक प म जाना चाहते ह या
आ या मक प म य क दोन सनातनी खोजे ह अगर आप मेरी त म आके इसका
व ेषण करना सीख ल।। तो अब आप तय कर क आप आइ ट न वाली लाइन म खड़े
होना चाहते ह या आप महा मा बु /परम ानी/ स /आ म ानी वाली लाइन म।।। दोन म
ढे र संभावनाएं ह।।
इस सृ क रचना गजन से शु ई थी और हम आप ये अनंत हांड सब कंपन ह,
ओमकार है, इसे हजार साल पहले ऋ षय ने बता दया था, जसे आज का व ान माण
दे रहा है, मुझसे कसी ने पूंछा क ई र कैसे ह गे ? मने कहा जैसे भी ह पर वे कोई तु हारे
दो त क तरह अलग नह ह गे।। मतलब ई र को जानना है खुद को जानना। ई र
को आप अलग नह कर सकते खुद से य क आप वयं उसी ई र के अंश ह(मने फर
गागर म सागर भर दया) इसी लए कहता ं जतना लखूं कम लगता है य क ये सबके
समझ म न आने वाले वषय ह लोग इ ह नजरअंदाज कर दे ते ह पर सब नह ।।।

मानव शरीर म आ मा का नवास ान


आ मा चेतना श है, जो पूण शरीर म ा त है। इसमे वेश करने के बाद वह इस पड
शरीर म बखर जाती है और भा त है। लोग कहते ह क वह दय गुफा म है कह , कोई
कहता है दमाग मे है कह पर ऐसा नह है वह चेतना है जो बखरी है जबतक जीवन है,
जब मृ यु होती है तो समट जाती है सारे शरीर से और सं कार को इक ा करके नकल
जाती है आगे क जीवन या ा पर। वह एक तो खुद समटती है या फर योगी लोग समेटते
ह उसे गहन समा ध क अव ा म सू म संसार म मण करने के लए। वह एक अंगु के
बराबर होती है जब समटती है। साधारण मनु य क आ मा मृ यु के समय कभी अधोमाग
से, कभी मुह से कभी ना भ से, कभी आंख से, कभी कानो से नकलती है।अधोमाग से
नकलने का मतलब है वासनामय इंसान था, ना भ से नकलने का मतलब था इंसान
सृजना मक था, आंख से नकलने का मतलब था क इंसान दे खा दे खी म जीवन गुजार
गया फर भी असंतु रहा, कानो से सुनने वाला जीवन पयत, मुह से जीवन भाषण म
गुजारने वाला। स और बु योगी लोग क आ मा सह ार म समट कर नकलती है
जससे फर वे मो ा त कर लेते ह इसके बाद उनका ज म नह होता जबतक उनक
इ ा न हो दोबारा ज म क । जबतक आपक आ मा सह ार से नह नकलती तब तक
आप दोबारा ज म अव य लोगे, नक भोगोगे, कभी वग नह मलेगा(अ े कम कये ह तो
अव य मलेगा वग पर न त समय के लए उसके बाद तुरंत ज म मनु य यो न म फर
घूमो पूरा च कर), सह ार से नीचे मरने वाले कुछ न कुछ मोह/माया लेकर ही मरते ह, या
वे समय ही नह दे पाते खुद क आ म उ त म वे मृ यु को भुला दे ते ह जससे जब वह
आती है तो वह नणय भी वयं करती है क आपक आ मा का या करना।

वर व ान
1. वर ई र है और यही जीवन है।
2. मूलतः तीन वर चलते ह जनसे वायु क आपू त होती है पूरे शरीर म ।
3. दाएं नथुने से चलने वाले वर को सूय वर या पगला नाड़ी का चलना कहते
ह।
4. बाएं नथुने से चलने वाले वर को चं वर या इंगला या इड़ा नाड़ी का
चलना कहते ह।
5. दोन नथुन से चलने वाले वर को ई र वर या सुषु ना नाड़ी का चलना
कहा जाता है।
6. शारी रक तापमान के नधारण म इडा और पगला नाड़ी बारी बारी से काय
स ाल त ह।
7. रीढ़ और दमाग म मौजूद रह यमय नस नाड़ी क को ऊजा से भरने के
लए और आपका आंत रक वकास करने के लए सुषु ना नाड़ी चलती है
कभी कभी।
8. जब सुषु ना नाड़ी चले तभी यान, ई र ाथना, ई र दशन, करना
लाभदायी होता है, ये दन म कसी भी व त चल सकती है जब आप
मान सक और शारी रक प से शांत और व होते ह।
9. सुषु ना जब चले उस व त सोना नह चा हए य क इससे आयु घटती है,
ये खासकर शाम 5 से 7:30 तक चलती है, इस समय यान या ई र आरती,
ाथना करनी चा हए।
10.
यो गय के तीनो ना डय ओर नयं ण होता है वो जब चाह जो नाड़ी चला
ल। तभी योगी गम और सद से परे होते ह य क वो इससे बचने के तरीके
जानते ह और जब उ ह समा ध म उतरना होता है तो वे सुषु ना नाड़ी चला
लेते ह।
11.
सुषु ना नाड़ी पर नयं ण बना ाणायाम संभव नह ।
12.
वरदान और ाप सुषु ना चलने पर ही फलीभूत होते ह। पर इसका गलत
इ तेमाल से आप नरक भोगते ह 1 हजार ज म तक।
13.
वर बदलकर आप कई बीमा रय से बच सकते ह।
14.
य द आप कसी के पास अपने काय से संबं धत वषय जैसे नौकरी,
मुकदमा, वसाय के लए जा रहे ह तो चलते समय उसी पैर को दरवाजे के
बाहर रख जस ओर का वर चल रहा हो, और वहाँ प चने पर उस
वशेष को अपने उसी वर क तरफ रख इससे आप सफल ह गे।
15.
य द आप अपने जीवन म सफल होना चाहते ह तो सुबह सूय उदय के पहले
उठ और जस ओर का वर चल रहा हो उसी तरफ के हाँथ को अपने चेहरे
पर फेर और जमीन उसी हाँथ से णाम कर फर उसी तरफ के पैर को
जमीन म रखकर दन क शु वात कर इससे अचूक लाभ होगा ये काल पर
वजय पाने के नयम है। जस तरह आप सफ बुधवार, शु वार, र ववार को
ही कपड़े धोते ह, दाढ़ बनाते ह, बाल कटवाते ह, नाखून काटते ह, इनसे
आपक उ बढ़ती है बीमा रया नह लगत लेश, झगड़ा नह होता, आपका
भा यउदय होता है, ये काल पर वजय पाने के अचूक तरीके ह। आप इ ह
अपनाकर अपना एक एक पल बचाते ह
16.
कह आग लग गई हो तो वहां एक लोटा पानी लेकर जाएं फर आपका जो
वर चल रहा हो उस नथुने से वास भर और फर थोड़ा पानी पएं और सात
बार उसी लोटे से अंजुली म जल लेकर छड़क आग पर इससे आग शांत
होकर बुझ जाएगी।
17.
जब सर या शरीर दद करे तो जस तरफ का नथुने से वास चल रहा हो
उसी करवट लेट जाएं फर वर बदल जायेगा और आपको राहत मलेगी
और आप व हो जाएंगे।
18.
ज ह क ज बदहजमी, अपच, जैसी सम या है तो यान दे कर पहले दा हने
या पगला वर को चला ल बाई करवट लेटकर जब दा हना वर चलने लगे
तब ही भोजन कर, और फर 5 मनट बाद बाई करवट लेट जाएं लाभ होगा।
19.
ज ह दमा क बीमारी हो और जैसे ही वास फूलने लगे तो उस व त जो
भी वर चल रहा हो उसे तुरंत बदल द और एक महीने तक इसे कर इससे
आपको अ यंत लाभ मलेगा।
20.
प र म या धूप क गम को शांत करने के लए दा करवट लेट जाएं।
21.
ये सब त व ान है जो अ त मह वपूण है जीवन माग म, इससे आप काल
पर वजय पाते ह और खुद को छोट छोट सम याय से बचाते ह। वर
व ान अ त व तृत है ये तो उसका ु अंश है, स ूण वर व ान तो
आपको महारथी बना सकता है हांड म।

यौन इ ा को नयं त कैसे करे?


"कहते ह कमजोर वीय ब त उछलता है, और मजबूत वीय शांत रहता है"
यौन इ ा को नयं त करने के लए, आपको पहले अपने दमाग मे बस चुके वासना के
बीज को जो क अब पौध के प म पनप चुके ह, और कुछ दनो म वासनाओ के जंगल मे
प रव तत हो जाएंगे इसको उखाड़ फकना होगा।
आपको इसके लए आसपास मौजूद जतना भी पोन से संबं धत डे टा है फर चाहे वो
कं यूटर पे हो ऑनलाइन हो मूवीज हो, एड ट बु स हो, मैगजी स ह , इमेजेज ह , और
बाक जतनी भी ऐसी वासना को भड़का दे ने वाली चीज हो उनको न कर दे ना होगा,
कबाड़ी को नही द जएगा नही तो फालतू म जनसं या बढ़े गी दे श क ।
वीय का व ान है क आप जैसा अ , वचार, भावनाये, कामुकताएं, अपने लए परोसोगे
उसी के अनुसार आपक वीय श आपके जननांग क ओर बहेगी, जससे आवेश म आके
आप को जो भी तरीका सही लगेगा आप उसको उस तरीके से शां त दान करोगे, करना ही
पड़े गा भाई आप इसे कं ोल नही कर सकते अगर ये भड़क गई तो, बाहर नकल के ही दम
लेगी, फर चाहे आप प नी का सहयोग ले या कोई भी अननैचरल तरीका अपनाए। दे खए
ये सफ और सफ आपक अपनी नस ना डया है जो एक खास तरह का आपको आनंद
दे ती ह, जसे आप बार महसूस करने क आदत डाल लेते हो, बाक सब तो ज रये ह, फर
चाहे वो ी हो, या कुछ भी। अब जब आप इसे करते हो, तो फर आप नही कते रोज
करते हो, फर भी संतु नही होते।। और ये जो रोज करने क ेरणा है ना ये आपके
कमजोर हो गए वीय से ज म लेती है। परंतु आप तो स चते हो अरे यार मेरे अंदर ब त
पावर है, म कुछ भी कर सकता ं, पर ऐसा कतई नही है मेरे भाई, तु हे पता है डॉ टर से
पूंछो जाके भला वो कभी खुद के शरीर को इस तरह मारता हो। म अ े डॉ टर क बात
कर रहा ं, उन मूख डॉ टर क नही जो लोगो को मा टरबेशन के लाभ बताते ह" अरे इ ही
लोगो ने सारा बेडा गक कया आ है, य क इससे इनक काने चल रह है भाई, आपके
गु त रोग, य के गु त रोग, संतान नही होना, वीय म शु ाणु नही होना, टे ट ूब फला
ढमका, ये सब नौटं क ई पड़ी है। आ खर हम इंसानो क न लो को ही बबाद कर दगे तो
फर कसको सखाएंगे "मा टरबेशन के लाभ"।। ये मा टरबेशन के लाभ नही सच बता
रहा ं मौत है मौत वो भी आपके शरीर क ।
अब आप कमजोर वीय के बारे म जान चुके हो, इसमे शु ाणु नही बनते मजबूत जससे
मजबूत संताने भी नही पैदा ह त य क शु ाणु ही कमजोर होगा तो आपसे होने वाली
संतान 3 फुट क रह जाएगी और बु से पैदल होगी, जो जदगी भर आपको परेशान
करेगी। आप सोचोगे डा वन क योरी म एवो यूशन के बारे म तो पढ़ा था पर साला मेरी
खुद क संतान य पीछे रह गई।अरे भाई इसके ज मेदार सफ आप ह।
जब आप वीय को कमजोर बनाने वाली सभी बुरी आदत से नजात पाके, कठोरता से
हचय के नयमो का पालन करोगे, और लंबी अव ध तक आप जस भी फ म हो
उसपे मेहनत करोगे मन लगाके तो आशातीत सफलता मलेगी। अब जब क लंबी अव ध
तक आप संयम बरतोगे, और वासना को आसपास नही भटकने दोगे तो आपक ऊजा
वयं, ऊपर को बहना शु हो जाएगी, जैसे पेट मे प ंच के उसे मजबूती दे गी, फर दय पे
प ंच के उसे ठ क करेगी, फर गले पे जाके उसक सफाई करेगी, फर आपके चेहरे पे
मौजूद अंग को श दान करेगी, फर आपके दमाग पे प ंच के उसको ठं डा करेगी और
उसक करोड़ो को शका को ऊजा दान करेगी जससे आपम आमूल चूल प रवतन आ
जायेगा और आप एक अलग ही व के इंसान बनोगे जो क लोगो के लए ेरणा
बनेगा। आपके दमाग को ताकत दे गी जससे वो आपक अ े से मदद कर पायेगा जीवन
मे, और फर वहां से ऊजा पूरे शरीर मे बहेगी, और पूरे शरीर को मजबूत बनाएगी। जससे
आप ज द बूढ़े नही ह गे, संसार मे आपक अलग पहचान होगी। जस े म आप ह गे
वहां आप ब त आगे जाएंगे। फर जब आप संतान ा त के उ े य से यौन संबंध बनाओगे
तो उससे आपसे 100 गुना अ आ मा इस धरती पे आपके पु प म ज म लेगी,
जससे संसार का क याण होगा। फैसला आपका है, मजा लेके सजा भुगतो जदगी भर या
कुछ अ ा करो जसे ब त ही कम लोग आज कर रहे ह, सफ 5% जो क कभी आपको
नर मोद के प म कभी ट व जॉ स के तो कभी रतन टाटा के प म और कभी वामी
ववेकानंद के प म संसार मे नजर आते ह।

फला चूण कसे नह लेना चा हए?


1. जसे अपनी आंख क रोशनी म इजाफा न करना हो।
2. जसे अपनी वीय श को फौलाद क तरह मजबूत न करना हो
3. जसे अपने पेट क सारी पाचन संबं धत और लवर क सम या को ख म
न करना हो
4. जसे अपने खून को साफ न करना हो
5. जसे अपने बाल क सेहत को बरकरार न रखना हो
6. जसे टे टो टोरेन के लेवल को न बढ़ाना हो
7. जसे अपने चेहरे पर से तेज उतारना हो उसे फला का सेवन नही करना
चा हए बाक लोग कर सकते ह ज ह चमकता आ चेहरा अ ा लगता
हो।
8. म हला म कशो रयां इसे ले सक त ह, या जो कमजोर है, ये उ ह ठोस
बना दे गा।
9. इस चूण का फायदा आपको तुरंत होने लगता है बशत ये अ वा लट
का हो, खैर अब तो इसके जूस आ चुके ह, ले कन आप गुणव ा परख कर
ही ले।और एक इसका सेवन करे आपक ा के अनुसार।
10. पु ष म आप इसे कसी भी अव ा मे ले सकते ह। आँवला तो सही
मल जाता है पर हर और बहेड़ा जो इसम पड़ता है वो ज द अ ा नही
मलता इसी लए खरीदते समय सही चीज ल।
11. कभी कभी कसी जगह पर फला नही मलता उसके लए आप
आँवला चूण ले सकते हो ये अकेला ब त फायदे मंद होता है।
12. कुछ लोग आपको कहेगे क इससे आप नपुंसक बनते हो या हो सकता
है कहे क जननांग का इ तेमाल नह करने से वो बेकार हो जाएगा तो ये एक
म है जसे समाज मे फैला लोगो को बहकाया जाता है जससे वो अनगल
और अ ाकृ तक प से उसका इ तेमाल करके ऊजा को न कर जो क
मूखता है।
13. फला से शु वात म आप अपने जननांग म ब त ऊजा महशूस कर
सकते जसे आपने आपके पेट को सकोड़ के ऊपर को ऊजा ख चनी है,
और यान लगाना है आ ाच पे वो ऊजा को न य करके उसको
आपके शरीर मे आव यक नस ना ड़य म भेज के उसको सही राह दे गा।
14. फला से आपका अंदर से पोषण होता है और 72 हजार ना ड़य का
शु करण होकर उ ह श दान करता है जससे आप का कमजोर प
रंग खल जाता है और आप पूण प से पु ष क ेणी म आके पूण पु ष
के प म प रव तत होने लगते हो।
15. आप स च रहे ह गे मैने ये य नही बताया क वाकई म कसे इसे नही
लेना चा हए, अरे भाई म कसी चीज के नुकसान से यादा उसके फायद
को तव ो दे ता ं , एक चूण बेचारा हमारे साथ या अ याय करेगा वो तो
हमारी मदद ही करेगा। बस उसक वा लट शु हो।।

सुबह ज द उठकर दौड़ लगाने के या फायदे ह?


1. शरीर मे मौजूद ह य के जोड़ का ायाम हो जाता है जससे उनम
मजबूती आती है, पर प क सड़क पर मत दौड़, य क इससे नुकसान
होता है।
2. नस ना डय म खून का बहाव बढ़ता है जससे उनमे जमा क टाणु,
बीमा रयां, मल साफ होता है जब पसीना आता है, और छ से षत वायु
भी नकल जाती है।
3. उस इंसान को कभी वचा, जुखाम, बाल का गरना, आंख का कमजोर
होना, पाचन संबंधी, दय रोग संबंधी सम याएं नह होत , जीवन भर।
4. दनभर मान सक या शारी रक मेहनत करने म सर और शरीर कभी भी दद
नह करता।
5. भोजन से सभी रस पूरी मा ा म ा त होते ह जससे जीवन रस ब त ही
मजबूत बनता है य क उसको बनाने वाली अंद नी नस ना ड़य का
ायाम हो जाता है।
6. ये पूरी तरह से आयुव दक नु खा है य क दौड़ना और चलना जुड़े ह
आपस म ाचीन समय म लोग हजार km पैदल चलते थे, केरल से
हमाचल तक और कभी बीमार नह पड़ते थे, पर ये लंबे अ यास से मदद
करता है और इसमे ढ ला नह डालना चा हए।
7. शरीर क रोग तरोधक मता ब त मजबूत हो जाती है य क शरीर क
फैली ई चब समटने लगती है और फर धीरे धीरे स त होने लगती है
जससे साधारण च ट चब को छ ल नह पाती जससे उस इंसान क कभी
ह यां नह टू टत ।
8. दौड़ते या चलते या बैठे या सोते या काम करते समय मुह से सांस मत ल
इससे आपक शरीर क ऊजा बाहर नकल जाती है और अंदर सांस लेते
व षण अंदर चला जाता है, जब क नाक से सांस लेने पर गंदगी बाहर
रह जाती है नाक के बाल क वजह से और जो भी अंदर चली गई उसक
सफाई होती है अंदर जससे नाक से गंदगी नकलती है कभी कभी जुखाम
बनकर या खांसते ए। सोते समय मुह से सांस लगे तो खराटे भरगे।
9. दौड़ते समय कुछ स चे नह , तनाव मत ल, कसी से बात मत कर, सफ
अपने शरीर पर हो रहे प रवतन पर यान द मेहनत को महसूस कर।
10.
जो दौड़ या चल नह सकते कसी भी कारणवश वे 'योग' कर समान लाभ
ा त ह गे।
11.
को शश कर सूय से पहले उठके इसे करने क इससे सूय नकलते नकलते
आपका ायाम भी हो जाएगा और फर जब दशन ह गे सूय भगवान के तो
समझो सोने पे सुहागा मल जाएगा।
12.
सुबह सो कर उठना कतना मु कल होता और उसके ऊपर ये सब दौड़ना
,चलना, योग,सूय नम कार, भला कौन करे? ये तो 99% स चते ह पर यहाँ
बात एक बदलाव क हो रही है जसे हम अपने जीवन म उतारकर अपने
आप को पूणतः बदलना चाहते ह तो शु वात म द कत तो होना जायज है
पर तु इससे आप म सहनशीलता आएगी आप ोध र भागेगा, य क
आप खुद पर इस तरह शाशन करोगे तो आप का दमाग कभी भी जाने
अनजाने ोध नह करेगा और कसी भी प र त म डगमगाएगा नह ।
13.
21 दन बाद आपका शरीर आल य भूल जाएगा, चीज को टालना भूल
जाएगा, अब आप पूण प से राजा ह गे और ये आपका शरीर आपका
भौ तक मन आपका ग़लाम।
14.
तो चलो प रवतन क शु वात करते ह अपने शरीर से।

एक ी का कौन सा भाग सबसे प व होता है?


एक धमपरायण व और सकारा मक वचार वाली और सर के भले के लए सम पत
ी वयं श व पा मां जगद बा का त प होती है। उस ी का पूण शरीर प व
होता है। पर जो सबसे यादा प व होता है उनमे, वो ह उनके चरण। जो इंसान खुद क
कामुकता से सत है और हचय पालन नह कर पा रहा तो ऐसी ी के चरण के दशन
करे 41 दन तक सुबह सुबह और उनके चरण के अंगूठे को श करके अपने दय म
धारण करे वो भी स े मन से, उसक वासना छू हो जाएगी, जब मने अ या म क शु वात
क थी तो एक स योगी ने मुझे ये रह य बताया था य के बारे म।। अगर आप ऐसा
नह कर सकते या नही करना चाहते कसी कारणवश तो आप वयं मां जगद बा के चरण
के दशन कर और उनके चरण अपने दय म धारण कर अव य लाभ होगा,इससे आपका
अहंकार, ोध, पांत रत हो जाएगा सकारा मक गुण म, इसे वयं वामी रामकृ ण
परमहंस भी करते थे, तभी वो इतने महान ानी बन पाए।

ब े/नवजात को दफ़नाने का रह य
ब ो को उनके शरीर का भान नही होता। उ ह मोह नह होता शरीर का इसी लए मरने के
बाद वो अपने शरीर को तुरंत छोड़ के चले जाते ह अपनी अंतहीन जीवा म क या ा पे।।
अगर आपने कभी यान दया हो तो नवजात एक साल तक मु कुराते रहते ह जब वो यहाँ
पृ वी पे सो रहे होते ह, तो उनक आ मा जीवा मा जगत म अपनी साथी आ मा के साथ
वचरती है, उ ह यहां के प रवेश के बारे म बताती है उ ह आ त करती है क जनके यहाँ
मैने ज म लया है वो अ े लोग ह तब उसक साथी आ माएं खुश होती ह।। अगर उसी
आ मा ने कह दया क लोग अ े नह तो फर तुरंत उस ब े क आ मा उस शरीर को
कसी खास कारण पैदा करके शरीर को छोड़ दे ती है।। ऐसा बाक ब के साथ भी है,
मृ यु के कार अलग अलग होते ह।। अब 5 साल का ब ा कतना मोह रखता होगा अपने
शरीर का या 10 साल का ब कुल नह इसी लए उ ह दफना दया जाता है, मतलब ज ह
मोह नही इस शरीर का उ ह ही दफनाया जाता है, नह तो वे यह अपने शरीर के लए
भटकते रहते ह य क वो अपनी मृ यु वीकार नह करते।। समा ध लेने वाल को भी
दफनाया जाता है य क उ ह भी मोह नह होता अपने शरीर से अब स चे ज ह शरीर का
मोह नह उ ह बाक चीज का य होगा।। बाक जतने साधारण लोग होते ह उ ह जला
के तुरंत उनका मोह ख म कया जाता है जबरद ती नह तो वो वह बैठे रहगे तरगे नह और
धनंजय ाण को न करने के लए खोपड़ी भी तोड़ी जाती है जससे ब कुल मोह न हो
जाता है शरीर के त।।

सुबह ज द उठने के सट क उपाय


हम सोते ह शारी रक और मान सक थकान मटाने के लए। पर या हो अगर न आपक
शारी रक थकान मटे , न ही आपक मान सक थकान तो फर कैसे आप सुबह उठ पाएंगे?
दरअसल कभी कभी आपक रात सपनो म ही गुजर जाती है और गहरी न द नह आती तो
आपक शारी रक थकान तो थोड़ा ब त मट जाती है पर मान सक नह य क दनभर
पूरी नह ई कामना के पूण नह होने पर दमाग सपने दे कर कसी तरह उ ह पूरी करता
है, अ ा आपको सारे सपने याद नह रहते ऐसी व ा है बस सुबह वाला ही याद रहता
है। तो इस तरह सपनो म रात गुजरने का मतलब है क आपक इ ाएँ, वासनाएं, कामनाएं,
पूण नह और आप असंतु लेकर सोए जससे उस असंतु को आपका दमाग पूरी
करता है, जसमे सुबह कब हो जाती है पता नह चलता और सुबह उठने पर लगता ही नह
कअ न द सोए, ऊपर से थकान लगती है, जैसे मेहनत करके उठे ह , और इसी के
च कर म अलाम खुद अपने हांथो से आप ब द करते ह और फर सो जाते ह।
इससे बचने के लए आप न न नयम अपनाएं-

सबसे पहली बात अलाम मत लगाइए।


इमरजसी म अलाम अव य लगाइए अगर ै न/ लाइट पकड़नी हो य क
तब डर मजबूरी म उठाता है आपको। साधारण दन म अलाम ब कुल मत
लगाएं।
रा म सोने जाने से पहले सभी इ ा कामना लालसा सब, को न य
करके सोने जाएं, ऐसा स चे क अब बस आप गहरी न द चाहते ह और
इसके सवा आपको इस संसार म कुछ नह चा हए। तभी गहरी नीदं
लगेगी।
सुबह से आप अपनी इ ा के लए ेरणा दे सकते ह अपने दमाग को
कोई हज नह ।
अब अगर फर भी नह उठ पा रहे ह ज द सुबह तो रा यान कर यह
आपक मान सक और शारी रक थकान को हवा कर दे गा और आप गहरी
न द म सो जाएंगे। और सुबह उतने बजे ही उठ जाएंगे, जतने बजे उठने का
संक प आपने लया होगा यान के प ात।
यह धीरे धीरे आपके अवचेतन मन म बस जाएगा और आप सुबह ज द
बना कसी सम या के उठने लगगे।

सूय नम कार
गांव म जब पढ़ता था तो शायद इ 12–13 साल क थी, तो कूल म रा ीय वयं सेवक
संघ वाले आते थे उ ह ने वहां एक सी नयर को सूय नम कार और कुछ योग और ायाम
का श ण दे दया था। अगली सुबह 4 बजे सब व ाथ को कूल प ंचना था मने भी
हामी भर द थी मेरे सी नयर साथी नीरज भाई से क वे मुझे जगा ल सुबह य क म कभी
नह सोकर उठा था इतनी ज द । अब कह तो दया था जोश म आकर क हां कल से म
भी सूय नम कार क ँ गा ले कन शरीर पर भरोषा अब भी नह था। खैर रात ई सो गया,
सुबह चार बजे दरवाजे पे नीरज भाई आ गए खटखटाने लगे म धु न द मे म त सो रहा
था, ले कन पापा जग गए और उ ह पता था क आज से म सूय नम कार के लए जाने
वाला ँ, इस लए उ ह ने मुझे जगाया, जब नही जगा यो पानी के छ ठे मारे चेहरे पर नीरज
भाई अब भी मुझे बुला रहे थे, और म ग बर न द से तो उठ गया पर फर ध गया ब तर
पर इस बार पापा ने कान पकड़ा और तानते ए दरवाजे तक ले गए और मुझसे बोल दया
जाओ योग का मजा लेकर आओ ब त सो लया। खैर अब मेरी न द जा चुक थी साढ़े चार
बजने वाले था, हमु त ब त ज द ख म होता है यह रह य है। नीरज भाई तो जैसे ऊजा
से भरे थे, म न य या भी नही कया और चल दया योग करने, प ंचे हम, वहाँ पहले से
ही भीड़ मौजूद थी, कुछ करने से पहले छाती पर हाँथ रखकर एक गीत गाया जाता है लय
से। खैर वही हो रहा था पीछे लग गए जाकर। फर शु आ आड़ी, तरछ म छ या
का खेल, काफ दे र चला, जतना मुझसे बन पड़ा करता गया, खैर सब होने के बाद म घर
आकर फर सो गया उस दन कूल भी नह गया। अब यह ट न जब म 1 ह ते तक
करता रहा तो म भी बना कसी के जगाए, उठने लगा, व होकर प ंच जाता नीरज
भाई अभी भी मुझे बुलाने आते पर मेरे अ यास ने मुझे ढ़ और मजबूत बना दया था। सूय
नम कार म अ यंत ऊजा है, इससे आपके शरीर से षत वायु बाहर नकल जाती है,
पसीने से षत मल बाहर हो जाता है, और इससे दै वीय लाभ ब त ह बस इसे स े मन
से करना चा हए सूय भगवान हमे अपनी अ द ऊजा से ओत ेत कर दे ते ह, सुबह सुबह
क करण अ यंत बलशाली होती ह जससे शरीर म उनका वेश ज द होता है और इससे
आप कभी बीमार नह पड़ते, लंबा जीवन होता है, कसर जैसी बीमा रय को पनपाने वाली
षत चीज शरीर से बाहर हो जाती ह, यह शरीर हर पल मर जाता है और फर नया प
लेता है जससे जो मरी ई कोशकाएँ ह उ ह बाहर करने के लए योग अ त आव यक है,
और ब तर का साफ होना, और पसीना आना भी, हरदम ठं ड म रहने वाले ही बीमार पड़ते
ह, शरीर गम है तब तक ही जीवन है वरना मुदा तो ठं डा होता ही है। जसे भी इसका माण
चा हए वो बस इसे करे, उसे जस तरह के पोषण क आव यकता होगी उसे ा त हो
जाएगी। अ ा जब आप का शरीर योगासन पी सूय नम कार करता है तो शरीर के अंग
अंग म ाण ऊजा का वाह होता है जससे वहां छपी सम याएं दद दे कर बाहर नकल त
ह और उस अंग को ऊजा वाह पु बनाता है। बैठे रहने से, शरीर के कई अंग का वकास
क जाता है, य क वहां ाण वाह कम हो रहा है, इस लए इस यं पी शरीर को
जैसा क महा मा बु ने कहा, हमे मजबूत बनाकर रखना ही होगा अगर हम इसमे लंबे
समय तक रहना चाहते ह कुछ भौ तक या आ या मक ा त करना चाहते ह। योग क न व
हचय है, हचय योग के यम/ नयम म आता है फर आसन आता है फर ाणयाम फर
बाक सब तो। योगासन से पहले हचय आव यक है यानी सूय नम कार तभी फलता है
जब हचय पालन करता है, और तभी ाणायाम भी सही से काय करता है और
तभी याहार सधता है, फर धारणा के बलशाली होने पर यान गहराता है और समा ध
लग जाती है और आप जान जाते हो खुद को और बाक सम त संसार हांड को यानी
ई र को स चये कैसे एक च ट ने पहाड़ चढ़ लया जब उसने अपनी न व को मजबूत
बनाया। एक च ट के लए उसका आ म व ास ही उसे उस पहाड़ पर ले गया, और
आपको उस चोट तक आपका हचय ले जाएगा। हचय से आ म व ास, साहस, बल,
बु , श अपने आप ा त होगी।

या चय पालन करने से दमाग क श बढ़ती है?


हचय पालन से मान सक के साथ साथ शारी रक श भी बढ़ती है, शरीर मजबूत
बनता है, बीमा रया नह फटकत आसपास, दमाग क करोड़ को शका को इसी क
ऊजा से काय करने म मदद मलती है, इसी क ऊजा से फालतू के वचार पर वराम
लगता है, इसी क ऊजा से एका ता सधती है, इसी क ऊजा से आंखे 100 साल तक
खराब नह होत , इसी क ऊजा से पाचन श मजबूत रहती है, इसी क ऊजा से दल
धड़कता रहता है साल तक बना कसी द कत के, इसी क श से शरीर चमकता है
सोने जैसा, इसी क श से ह यां मजबूत रहती ह, इसी क श से एक व ाथ
परी ा म सफल होता है, ऐसे ढे र जीवन लाभ जनका संबंध है हचय क ऊजा से। ये
जीवन रस होता है जससे हम संसार म नए जीवन को ज म दे सकते। चाह भौ तक उ त
हो या आ या मक दोन जगह पर हचय पालन ही सफलता दला सकता है, नह तो
सफ असफलता ही हाँथ लगती है, या कह इंसान अस तु जीवन तीत करता है और
ब त ज द इस संसार से चला जाता है, य क लंबे वा य और उ के लए यही
आव यक है। मनु य शरीर म बनने वाली स तधातु का राजा है ये इसके बगैर कुछ भी
संभव नह इस संसार म। इसक र ा मन से कम से और बोल से इन तीनो प से करनी
चा हए।

शाद शुदा जीवन म से स कतना ज री है?


शाद शुदा जीवन मे से स सफ और सफ संतान उ प के लए आव यक है। अगर आप
अपना जीवन बना बीमा रय के जीना चाहते ह तो अपनी ाण ऊजा/जीवन ऊजा को हाल
ही के पूवजो क तरह वासना म बबाद करने से अ ा है आप इसको वयं के वकास म
लगाइए, आपका जब वकास होगा तो आपके समाज का भी वकास होगा। ये मान सक
और शारी रक प से आपके जीवन नमाण म सहायक होगी। कोई भी जोड़ा जो शाद
करता है उनके दमाग मे खयालात होते ह क अब हम एक हो चुके ह, अब हम एक सरे
को संतु कर सकते ह, ये सबसे गलत वचार ह भारतीय दं प के जसे सब भेड़ चाल क
तरह मानते है। ाचीन भारत मे लोग ऐसे नही रहते थे वरना आज भारत मे इतने शा
रचना न हो पाती न ही परमे र के नयमो को याद कर कर के आज हमारे पास प ंच पाते।
वो जो ान उ ह ने हम दया वो सब उ ह मुह जुबानी याद था, ये याद करने क श कहाँ
से मलती थी उस पीढ़ को? इसका राज अखंड हचय ही है, उनक संतानो के प म
भी ब त ही अ आ माएं ज म लेती थ , य क इसके लए वो दोन प त प नी लंबे
समय के हचय म रहके इसक तैयारी करते थे, सा वक तो वो होते ही थे, पर ई र से
खास ाथना करके उ ह अ संतान दे ने क कृपा ा त करते थे, और फर वो से स
करते थे वो भी बना वासना के य क लंबे हचय के बाद आपक ऊजा श इतनी बढ़
जाती है क फर वहां वासना नही होती उसमे शु ता ज म ले लेती है। भारत दे श मे कई
साल से ऐसी महान ह तयां ज म ही नही ले रही ह, हचय का पालन न करने से आज
भारत बीमा रय का गढ़ बनता जा रहा है। हर इंसान म आपको कोई न कोई बीमारी मल
जाएगी फर चाहे वो कैसी भी हो,इसके पीछे छपे कारण के बारे म सो चए?। आज
कशोराव ा म प ंचे ब े/ब यां अपनी ाण ऊजा को तरह तरह से बबाद करके सीवर
म बहा रहे ह, और भयंकर मान सक बीमा रया पाल रहे ह, शारी रक प से कमजोर, चेहरे
से तेजहीन हमारी नई पीढ़ आ खर कहां तक जीवन या ा के पथ पर चल पाएगी। से स
ऊजा का ब त ही गूढ़ व ान है, इसे जो भी बचा लेगा वो अपने जीवन काल मे महान
ऊंचाइय को छु एगा और संसार मे नाम रोशन करेगा, और गरीबो क मदद करेगा। परमा मा
भी ऐसे लोगो का साथ दे ते ह जो परमा मा के गुण का वकास वयं के जीवन मे करता है।
ई र से वही लोग र ह जसने अपने जीवन मे बुरी आदत को पाल रखा है। जो ई र के
नयमो का वे ा से पालन करता है साफ मन से उसके पास ई र ह और वो ई र के।
ऐसे ही लोगो का ई र भी क याण करते ह, और ऐसे लोग समाज मे प रवतन लाते ह।
साधारण लोगो क भां त जीवन जीने से अ ा है, इसमे आज और अभी से प रवतन लाया
जाए हचय का फर दे खते ह ये ऊजा कैसे हमारी रचना मकता म प रवतन लाती
ई र को उस समय य नह रोकता, जब वह कोई पाप कर रहा हो?
यह नभर करता है उस इंसान म इंसान के कतने गुण ह, य क ई र अंतमन क मदद से
आगाह करते या कह अंतमन ही है जो रोकता है, पर उसक सू म आवाज एक इंसानी
गुण वाला इंसान ही सुन सकता है, पशु के गुण से भरपूर पशुमय जीवन गुजारने वाला
शरीर का ग़लाम होता है उसे आ मा से या लेना दे ना, बेहोश जीवन जी रहा है वह, अभी
उसे अनंत संसार म करोड़ क ट पतंग के ज म दोबारा लेने ह बुरे कृ य करने वाला इंसान
पी रा स दोबारा 3 युग तक मानव ज म नह पाता, दोबारा कलयुग म ही उसे ज म
मलेगा, अपने कम सुधारने का पर फर वह वही करेगा और भटकता रहेगा इस अनंत
हांड म। अब आप के सवाल के हसाब से आप चाहते ह क ई र एक एक को ुशन दे
तो फर इंसान क या आव यकता है जीने क ख म करो फर सबको, ई र को ही जीने
दो, पृ वी पर आकर पर ऐसा तो केवल सतयुग म होता है तब रा स नह होते सफ ई र
के गुण को अपने समा हत कये लोग ही होते ह उनसे ई र भी समय समय पर अनुभू त
प म मलते रहते ह। आज इंसान के पास सबकुछ मौजूद अ े बुरे का फ़क़, ंथ, कम,
सं कार नरक, जैसे सारा रह य इस अनंत हांड पी ई र का अनावृत हो चुका है अब
फर भी कसी को पाप कम करना हो तो करने दो वह अपने कम खराब कर रहा है। आज
इंसान अरबो साल क या ा से यहाँ प ंचा है, उसके पास सब ान है, हर चीज उसे पता
है, अब ई र ही रोकगे आकर तभी मानेगा पाप करना तो हो चुका अरे भाई या बात करते
हो ऐसे कुक मय को आप पैनी नजर से दे खो कसी कु े के प म दख जाएंगे जसके
खोपड़ी म क ड़ो का सा ा य पनप चुका है म खयां भन भना रही ह उसे याद है उसके
बुरे कम इसी लए वह दया पी भीख क गुजा रश कर रहा है इंसानो से और इंसान करते
भी ह बेचारे वो भी वही अ े इंसान उसके जैसे कुकम करने वाले इंसान सफ हंसते ह।
कसी बोझा ढोने वाले पशु को दे खो उसे याद है क वो अपने पूव ज म कम न कर रहा है
जो उसने इंसान प म कये थे पशु यो न म ज म लेकर कैसे अपने मा लक क हर बात पे
झुकता है इसपर मा लक का दोश नह है यही है कम का फल। कसी अ ताल म तड़पते
ए को दे ख लो जाकर आपको या लगता है उसे ये यातना जबरद ती द जा रही है, नह
उसने खुद चुनी थी ज म लेने से पहले जससे वह अपने बुरे कम न कर सके, वो वयं
ई र को नह कोषता पर बाक जो व ह वह ई र को कोशते ह उस इंसान को इस
हालत म दे खकर। गरीब को लूटने वाले अमीर अपने अगले ज म म एक गरीब का ज म
लेते ह और गरीबी क हद उ ह चीर डालती ह। यह सब लीला उस मूढ़ जीवा मा को सफ
ये सखाने के लए है जसने मनु य ज म लेकर सब नकार के रा स वृ क सीमाएं पर
कर । ज म कम का बंधन यही है सनातन ंथो म चेतावनी व प सब बताया गया है और
ंथ ही य भाई अगर आप वैरागी जीवन जयो तो भी आप सब जान लोगे क आ खर
संसार म इतना पाप कम य है और पाप कम है तो फ़ र इतना ख दद य ह यातना य
है , य है अजीब व भ ताएं इंसान म यो लगता है जैसे कु े के प म कोई इंसान है
बस बोल नह पा रहा। आपको मेरा जवाब डरा सकता है पर आप बलकुल भी मत ड रये
य क आप ये लाइन तो पढ़ रहे ह कुकम तो पहली लाइन पढ़ के भाग खड़ा होगा, यही
रह य है। दो तरह के पाप होते ह अ ानतावश जो गलती से हो गए आपको उसका ख है
आप वीकार करते हो तो आप बच गए पर जसने जानबूझकर वाथ वश अहंकार वश
पाप कया वही भोगता है जबतक वीकाता नह क उसने पाप कया है इस लए भोग रहा
है। अ ा ये जो ज ह ज म मल जाता है द न ह न मंदबु , दयनीय त वाल को पशु
प म उ ह ने अपने पाप वीकार कर लए जसे भोग के ख म कर लगे एक दन। ले कन
जो अपना पाप वीकार नह करते वह ेत यो न या ेत शरीर म रहते ह पृ वी म, हजार
साल तक भटकते ह क चड़ और गंदे से कु प से कोहरे से भरे अंधेरे सूरज म, जानवर के
बीच, हजार साल तक उनके ेत शरीर को क ड़े नोच नोच खाते ह इसी लए वे चीखते
च लाते ह। जब कसी मनु य शरीर मे वेश करते ह जो उ ही के गुण का होता है तो वह
मूढ़ आ मा क जैसी बात करते ह जैसे कोई पागल ही कहेगा। तो आप ई र को े ष मत
द दोश द उस मूढ़ता को जसने पा पय को शरीर तल से अ दर झांकने ही नह दया।।

य द सब कुछ माया या म है, तो आ म ान कैसे?


सब कुछ माया या म वही बोल सकता है जो आ म ानी हो गया हो य क तब वह मम
समझ लेता है हर भौ तक प म मौजूद चीज का इस लए वह इसके माया का खेल होने
क सं ा दे ता है। आ म ान है वयं को जान लेना वयं को पहचान लेना वयं का मूल
जान लेना। आप कहाँ से आये? य आये? कहाँ को जाओगे? इन सवाल के जवाब
य दे ख लेने पर ही आप संसार को माया कहते ह। माया कहने के पीछे कारण है, ये
समझ लेना और जान लेना क सृ बनने के बाद आप कसी रेत के दाने के प म पड़े थे
कह , सृ म आज से अरब साल पहले उस रेत के दाने से आज 84 लाख यो नय से
गुजरते ए आप इ ही के अनंतर आज वकास क अव ा के अ त उ प म मौजूद ह,
जो क इंसान शरीर है फर चाह वह म हला हो या पु ष। अब इंसान बनने के बाद भी
परी ा और श ण को पार करते ए अ त उ त प म आप ने इंसान प म ज म
लया हजार मानव शरीर यागते ए, इसी लए इतने साल क या ा से आपका बौ क
तर अ त ऊंचा आ अब आप सब कुछ कर चुके हो कई बार अब आप अ त व खोजी
बनते हो आपम स ा अ या म जागृत होता है और आप संसार को याग के चल दे ते हो
आ म ान के पथ पर तब आप समझ लेते हो क संसार आ खर म कैसे है। पर बेचारा
कोई अभी नया नया मनु य ज म लया है उसे आप कहोगे म है माया है वो आपको
पागल कह दे गा, या कहेगा भाई मेहनत कर अमीर बन ऐश कर दे खना मजा इसी जीवन म
आने लगेगा तुझे फर तू फालतू बात नह करेगा। यही मान सकता आपको उससे अलग
करती है, आपने 1000 मनु य ज म लेकर सब भोग लया वो बेचारा अभी अभी सरा
ज म लेके आया है मनु य का उसे या समझ बौ कता क भला, वो तो ऐश करेगा,
उसके पास भी उतना ही समय है जतना तु हारे पास है लगभग परंतु वो जीवन रस के
आनंद म अभी म त है अभी उसे और ज म लने दो इंसान के वो भी अगर उसने कुकम नह
कये नह तो फर पशु यो न म प ंचो, अ ा तो भला कैसे उसके और आप के वचार मेल
खाएंगे, कहाँ बेचारा वो और कहाँ आप। भारत दे श म जात पात इसी लए आयी थी बौ क
तर के प म इसका पूणतः वै ा नक कारण था, उस समय लोग वीकार भी करते थे क
वे अ ययन नह करगे मेहनत का काम करगे, या कुछ कहते थे हम सफ सरहद क र ा
करगे, या कुछ को ापार करने म रस आता था। कुछ अ ययन ही करते थे वो भी
आ या मक। खैर, ये जसे लोग माया/ म कहते ह उ ह इसका गहरा राज नह पता। अरे
भाई माया है या? ये सृ । इस सृ के पंचत व से हमारा शरीर बनता है, यह हम खाते
पीते ह, हमारे मा बाप क वजह से हमे यहाँ ज म मलता है, हजार साल ज म लेकर इसी
कार बौ क वकास क उ त अव ा तक प ंचते ह इसी पृ वी और संसार क मदद से
फर इसी को नकार दे ते ह, तो भला कैसा ओछा ान है ये जो वयं पालनहार व णु और
उनक ऐ वय पी गुण दे वी ल मी को एक म बता रहा है उनके अहसानो को भुला रहा
है, जस आंगन म खेला आज उसे ही बदनाम कर रहा है माया बोल कर। हाँ अगर माया
बोलने के पीछे गहरा कारण है तो फर समझ आता है क ठ क है, जैसे कसी आ म ानी ने
इस सृ को माया कहा तो वह इस लए ऐसा कह रहा है य क वह जानता है क यह
संसार च है जसम हम सब घूम रहे ह बार बार ज म लेकर और इसी बीच बुरा कम हो
गया हमसे तो फर पशु यो नयो म उसे भोगने के लए ज म लेगा। कुल मलाकर यह एक
या के अनुसार चल रहा है, यह एक ाकृ तक या बन गई है जीवन मरण क , अब
आ म ानी तो सारा क ा च ा दे ख सकता है य क उसने वयं को जान लया है और
वयं का जानना है कृ त का रह य जान लेना परा और अपरा दोन तभी वह इस तरह क
गंभीर बात बोलता है, तो सफ एक आ म ानी को ही यह बोलना शोभा दे ता है, भोगी को
नह न ही रोगी को य क उसे तो अपना रोग ठ क करना है।

पूवज म का कम रह य
ये पूव ज म का लेखा जोखा ही तो है जसक वजह से हम बार बार ज म लेते ह अलग
अलग जीवन क प र तय म, कभी बुरे कम भोगते ह तो कभी अ े । सुख ख, धूप
छाहँ क तरह आता जाता रहता है। कम का स ा त बड़ा गूढ़ और रह यमय है। ार
बनते रहते ह हर पल अगले ज म के लए, कुछ लोग तो एक ही प रवार म बार बार ज म
लेते ह, मेरे प रवार म एक ब े का ज म आ तो जब बोलने चालने लगा तो बताने लगा
क उसक मौत पा क तान से यु म ई थी उसने अपने सर पर नशान भी दखाए
गो लय के जो इस ज म म भी मौजूद थे, वो अपना पछला ज म भूल नह पा रहा था,
और सबको अपनी पूव ज मो क कहा नय बताता था इस सब से परेशान होकर उसके
पता जी ने कसी बाबा क सलाह से उसके कान छदवा दए जसके बाद वो सब भूल
गया और सामा य बालक क तरह हो गया। अब उसे ब कुल भी कुछ याद नह था।
ले कन जस दन कान छदे थे उसके बाद वो 6 महीने तक यादातर समय सोता रहता था,
इसके भी रह य ह गे पता नह । तो पूव ज म क कहा नयां मेरी आँख के सामने घट ह।
कम पीछा ही नह अ पतु ये लपटा रहता है इससे आप बलकुल भी नह बचते नह तो
बना ार ज म नह होगा अगला और आप मु हो जाएंगे।। श द कम के रह य को
समझने म यादा मदद नह कर सकते।।
ई र दशन अ द कथा
यह घटना ब त पुरानी है तारीख याद नह है। पर है ब कुल स य जो ई र क अ त वता
का माण दे ती है जो क आ ममय जगत क स ा है जसका माण दे ना मु कल है
एक अनपढ़ वाला भसे और गाय चराया करता था हमारे पास के ही गांव का था। वह
सुबह 5 बजे उठकर नहा धोकर पशु को लेकर चला जाता था जंगल सुबह रोट नमक
खाकर, और 4 रोट मच अचार नमक बांध के ले जाता था। वह चुप रहने वाला शांत
वभाव, माया मोह से र हत बालक था उसक उ 22 साल थी। वह अपने माँ/बाप का
आ ाकारी बेटा था, ऐसा लगता था क इतना भोला भाला लड़का कैसे इस नया का
सामना करेगा। वो जो पशु चराता था वे सरे के थे और दो उसक वयं क गाय और भस
थ । सर से जो पैसा मलता था वह सब अपने पताजी को दे दे ता, उसका अपना कोई
भ व य नह था, न ही वह इसक फ ही करता था, उसे तो बस जंगल जाकर पशु
चराना, और शाम को घर आकर अपने माता और पता के चरण क सेवा करना। हमारे
गांव और उसके गांव के बीच म एक हनुमान मं दर है वहां जो मू त लगी है वह उसी जगह
से जमीन से नकली थी एक स पु ष ने उसक ापना क थी उसक भी अलग कहानी
है। खैर तो वह उसी मं दर म आता था और र कसी कोने पर जाकर बैठ जाता था और
मू त क तरफ दे खता रहता था, उसे लगाव था मू त से उसके जब आंसू नकल जाते थे तो
लोग उसे टोकते थे क यो रो रहा है बेटा? या आ? वह हँस के टाल दे ता था। उसका
अपना ही लगाव था हनुमान जी से भले ही उसे समझ नह थी। खैर एक दन जंगल मे पेड़
के नीचे बैठा वह अपनी गठरी खोल रहा था, तभी एक बंदर आया और उसक तरफ हाँथ
बढ़ा के खाने को मांगने लगा ये बेचारा इतना दयावान क उसे ही चारो रो टयां खला आया
और खुद भूखा रहा ऐसा 3 दन बराबर आ वह बंदर रोट खाकर जाने कहाँ वलु त हो
जाता, एक दन शाम को घर आकर मां से बोला माँ कल से 8 रो टयां बांध दे ना मुझे यादा
भूख लगती है। तो उसके पता बोले नह 8 नही बांधना नह तो ये सो जाएगा और गाय
भसे कोई चोरी कर लेगा। वो बेचारा इतना यादा आ ाकारी था क चुप हो जाता था,
इस लए उसक शांत हो गई मु ा को भांप कर उसके पता ने कहा ठ क है इसे 6 रो टयां
बांध दे ना। शाम को उसे थोड़ा ध खाने को मलता था बाक ध धवाला ले जाता था
जससे उनके घर का खच चलता था। खैर उसने संतु करी क 4 रोट बंदर खा लेगा और
2 वह वयं। उसने बचपन से सुन रखा था दे ख रखा था रामायण सी रयल म हनुमान जी
बंदर जैसे दखते ह इस लए ा वश वह अपना भोजन दे दे ता था। ऐसा करते ए उसे
काफ दन हो गए। एक दन उसने उस बंदर को पकड़ लया और कहने लगा क दशन दो
भु असली प म दशन दो और वह बंदर छू टने क को शश करता पर वह नह छू टा पा
रहा था और सबसे बड़ी बात क बंदर उसपर हमला भी नह कर रहा था खैर थोड़ी दे र म
उस बंदर ने उसके सर पर हाँथ फेरा तो वह बेहोश होने लगा और बंदर का पैर कब उसने
छोड़ दया उसे होश नह रहा। खैर जब वह जगा तो खाट पर था, उसके साथी वाले उसे
उठाकर लाये थे जब उ ह ने यकायक उसे एक पेड़ पर सोने जैसी अव ा म दे खा था। खैर
घर आकर उसने कसी को कुछ नह बताया नह तो डाँट पड़ती क वह अपना भोजन एक
बंदर को खला रहा था, उसे जैसे कसी ने रोक लया सच बताने से, और उसने कह दया
क गलती से सो गया था उसके पताजी उसपर खूब भड़के क मने पहले कहा था क इसे
4 रोट से यादा मत दे ना ये ग बर है सो जाएगा और कह भैसे चोरी हो जाती तो। उसके
पता ने उसक पटाई कर द , वह सह गया य क उसम असीम सहन शीलता थी, पर वह
अपनी बात पर अड़ा रहा सच नह बताया कसी को भी। खैर रात गहराई ठं ड के दन थे
सब सो गए। वह भी सो गया।
दे खता है एक वशाल आकृ त उभरती है उसके ब तर के पास काश कण को बखेरती
ई और हनुमान जी का प लेती है वह उठ बैठता है और आंखे फाड़ फाड़ के दे खता है
उसक घ घी ब जाती है, हनुमान जी उससे कहते ह बालक तू परी ा म सफल हो गया
है, तेरा भौ तक जीवन आज से ख म होता है, चल इस जगह पर मेरी एक मू त है जमीन म
उसक ापना कर, भ मं दर बनवा और, अ या म का प थक बन तुझे इस संसार का
क याण करना है। खैर वह रोता आ उनके चरण म गर पड़ता है और पूंछता है क भु
मुझ अ ानी को आपने दशन दे के कृताथ कर दया, तो हनुमानजी उसे उठाते ए कहते ह
अबोध बालक तू मेरा पूव ज म का भ है इतनी ज द भूल गया सब, वे उसके माथे पर
अपनी उँ गल रखते है यकायक उस बालक को सब याद आ जाता है उसे सारे पूव ज म
दख जाते ह उसके और वह रोता आ हनुमान जी को गले लगा लेता है जैसे भु से बछड़
गया था और तभी हनुमान जी वलु त हो जाते ह। यकायक रात के 2 बजे वह बालक उठ
बैठता है अपने ब तर से उस अ त व से उसमे अ त प रवतन आ चुका है, वह अपने
माता पता के चरण चूमता है उ ह मन से ध यवाद दे ता है इस ज म के लए और सफ
लंगोट पहने ए नंगे पैर रात के 2 बजे घर से नकल आता है उसी रात उसे ब कुल ठं ड
नह लग रही आज वह 22 वष य कसी 1000 वष के तप वी क भां त हो गया है उसका
साधना सं कार जागृत हो गया है अब वह अबोध नह ब क ानी हो गया है, वह अ त
ान उसके गांव से 7 कलोमीटर र है काली अंधेरी रात म वह 22 साल का नौजवान
नकल गया उस ान क खोज म उसे पता था क उसके साथ वयं पवनपु चल रहै ह
इस लए वह भी चलता गया। उसके पैर पर जैसे प हये लगे थे और वह हवा म उड़ता आ
चला जा रहा है, आज उसका असीम वैरा य दोबारा जागृत हो गया था, न जाने कैसे वह
वह गरते पड़ते एक जंगल और झा ड़य से घरी एक अजीब जगह पे प ंच जाता है, वह
उसके पैर क गए एक अ य श उसके साथ थी जो उसे और आगे जाने से रोक रही
थी वह समझ गया था क यही है उसक मं जल वह वह बैठ गया और कब गहरी न द म
सो गया क उसे पता ही नह चला। सपने म दे खता है हनुमान जी उससे कह रहे ह उठ
बालक तू सो यो रहा है यही जंगल है तेरा ान इसी जंगल म तू मेरी मू त खोज, और
मं दर बनवा उसके लए जो भी तुझे चा हए सब इसी जगह मलेगा तू जहाँ खोदे गा अकूट
माया ही माया मलेगी तुझे ले कन कभी इसका पयोग मत करना न ही कसी को दे ना
य क यह सफ आ या मक चीज म ही लग सकती है इसके अलावा नह , यह म
समान हो जाएगी अगर इसका पयोग करेगा तो। यकायक उसक न द खुल जाती है
सुबह हो चुक सूय नकलने को है और यह बेचारा एक प र के ऊपर लेटा आ है, उठ
बैठता है और अपने चार ओर दे खता है व क गंभीरता को समझ के होश संभालता है
और पास ही के तालाब म जाकर नान करता है और आ जाता है वापस उसी जंगल नुमा
जगह म अब उसे अ य प से संकेत मल रहे होते ह क मू त कस जगह है इस लए वह
झा ड़य को हटाता आ अंदर वेश करने क को शश म उसके कई जगह छल गया कांटो
से उसके पास कोई औजार नह था और उस जगह कोई भी नह था जससे वह मदद ले
सके, इस लए वह वयं ही अंदर घुस गया यकायक दो सांप नकले काले नाग ब कुल
जसे लोग कग कोबरा कहते ह आधु नक भाषा म, वे उसके शरीर म लपट गए और एक
गले म सरा उसके पैर मे पर वे उसे काट नह रहे थे, वो अव य थोड़ा डर से रहा था पर
वह तो उसके दो त क भां त उससे खेल रहे थे उससे अठखे लयाँ कर रहे थे। खैर वह
प ंच गया एक जगह जहाँ पर एक शूल क आकृ त बनी थी, लगभग 1 हाँथ क जगह
ब कुल साफ थी उसी म। समझते दे र नह लगी उसे, उसने एक पैनी लकड़ी के कोने से
खोदना शु कर दया खोदते ही थोड़ी दे र म एक अजीब सी धातु का औजार जैसे शूल
का एक ही शूल था वह मला छोटा सा ठ क है अब उसे लकड़ी से नह खोदना पड़े गा अब
वह खोदता गया खोदता गया, एक दम से ख क आवाज ई और उसने हाँथ से म
हटाई तो चमकती ई धातु के छोटे छोटे टे जैसे टु कड़े मले और खोदा तो 8 टे मली
उसने सफाई क तो वे चमकती ई धातु कुछ और नह सोना थी अब वह यह समझ चुका
था उसने वह सोने क टे वह रख द और खोदा तो एक दम से वह जगह लगभग खसक
गई वहाँ एक ग ा हो गया 5 फ़ ट का वह उसी म गर पड़ा उसका हाँथ कसी अजीब सी
चीज पर लगा उसने उस चीज को उठाकर ऊपर नकाला साफ कया तो दे खा वह मू त है
हनुमान जी क । उसके मू त दे ख कर आंसू नकल आये वह खूब रोया बलख के क मेरे
भु इतने साल से इस जमीन म कैद थे, उसे याद आ गया कुछ जैसे उसी ने वह मू त
कसी ज म म वहाँ छपाई थी कसी कारण वश। खैर अब वह बालक मू त को वह पर
छपाकर टो को भी छपा दया। और पास के ही गाँव प ंच गया वहाँ लोग उसका द
तेज दे खकर उसके पीछे पीछे घूमने लगे, लोग उसके पैर म लोटने लगे। वह सबको
आशीवाद दे ता आ आगे बढ़ता गया, और जसक उसे तलाश थी उस घर के बाहर
आवाज लगाई एक महाशय नकले उनका नाम लया और कहा मुझे तुमसे बात करनी है,
महाशय भी अ य ेरणा वश रोक नह उस संत बालक क पुकार को। वह उन महाशय
के घर के अंदर चला गया बाक भीड़ भी इधर उधर हो गई। अब इन ानी बालक ने उन
महाशय के पूवज के बारे म बताना शु कया क उनके राजवाड़े चलते थे वह उनका
राजगु था पूव ज म म, नाम भी सही सही बता दए, वह महाशय हत भ ए उस बालक
पी महान ानी क बात सुनकर और उसके चरण पर सर रखकर रोने लगे। और फर
उनके वहाँ पधारने का औ च य पूंछा। इस बालक ने सब बता दया क मू त क पुन ापना
करवानी है। ऐसी ऐसी जगह पर यह महाशय प र चत थे उस जगह से य क इ ही क
जमीन थी वह, खैर महाशय ने कहा जी महाराज म तन मन धन से सम पत ँ आपके लए
आप बताएं या करना है?
बालक बोले आप सफ तन और मन से सप पत हो बाक धन क चता मत कर। और इस
तरह उन महाशय क मदद से उस मू त और सोने क ट को उनके घर म रखवा दया
गया। अब उस जंगल पी जगह क सफाई के लए मज र लगवाए गए। सारा झाड़ी
वगैरह सब साफ कया ग़या, गलत जगह उँ ग आये पेड़ काटे गए मं दर नमाण के लए
आव यक जगह का नमाण कया गया। वहाँ जहाँ भी खोदा जा रहा था तो टे नकल रही
थ म क मज र और महाशय के लए परंतु वह 22 वष य ानी हो चुका बालक को
वहाँ ट के प म चारो तरफ सोना बखरा आ दख रहा था इतनी माया थी वहां पर,
मतलब अभी है बस सफ उ ही ई र सा ा कार को ा त ए संत के लए। ले कन उस
वैरागी के लए भी वह कुछ नह थी सवाय म का प रवत त प। खैर इसी तरह वहां
मं दर नमाण आ भ प से य आ, भंडारा आ, आज भी होता है हर वष, और
जतने भी धन क आव यकता पड़ती है उसी ान से ा त हो जाता है। अ ा मं दर
बनवा के वे वहां पुजारी नह बने ब क कसी और को बठाया, अब रामसीता ल म मं दर
है दे वी मं दर है अब सारे दे वता के मं दर बन चुके ह वहां, वह वयं कभी च कूट, तो
कभी हमालय, तो कभी भारत दशन, घूमते ही रहते ह। ग बना द पर वे वयं अपनी
तप या म लीन रहते ह गरी गुफा म कंदरा म। एक बार एक उनसे झगड़ गया
उनको झूँठा संत बोलने लगा तो वे बेचारे चुप रहे ले कन थोड़ी दे र म उस को फ़ोन
आया क उसके बेटे क त बयत ब त खराब है इसके लए वह घर जाने के लए जैसे ही
अपनी गाड़ी टाट करे तो वह टाट ही नह हो रही थी, तब वह उन संत के पैर पर गरकर
माफ मांगने लगा और तभी उन संत ने उसे उठाया और घर जाने को बोला तो उसक गाड़ी
भी टाट ई और उसका ब ा भी ठ क हो गया। इसका रह य संत ने बताया था क आप
अगर कसी स संत को अ ा नह बोल सकते तो बुरा भी मत बोले आप अपने कम
सुधार, उ ह ने कुछ नह कया था बस कालच का खेल कब कसको डस ले या मालूम।
खैर वे अपने खास भ को अ त चम कार दखाते रहते ह। एक बार मने उनक फोटो
ख च ली गलती से, उ ह ने मना भी कया था, पर घर आते ही मोबाइल डे ड हो गया, कई
जगह दखाया पर कोई उसे ठ क नह कर पाया, वह नो कया का लाइड वाला फ़ोन था
जसम कैमेरा आता था अगर आप लोग को याद हो। स लोग क फ़ोटो आप ज द
नह ख च सकते बना उनक इजाजत के। खैर वे मण करते रहते ह, पर अपने गांव
शायद ही कभी जाते ह । जब मं दर नमाण हो रहा था तो उनके माता पता आये थे पता
करते ए, ले कन उ ह व ास नह हो रहा था क यह उ ही का बेटा है अपने ही बालक के
तेज को दे खकर वे च क गए थे और उसके चरण पर गर पड़े थे, उसने तुरंत उ ह गले से
लगाया और इस ज म के लये ध यवाद दया। अपने बेटे क उ वैरागी बात से उसके मां
बाप गदगद हो गए उनके घर म एक स का ज म आ था वे यही जानकर खुश थे और
परमा मा को ध यवाद कर रहे थे।
यह जब समा ध लगाते तो इनपर सांप लोटते, और इनका कुछ नह करते, इनक यह
अ त साम य दे ख कर लोग च कत हो जाते ह। स संत ह बस सबसे नह मलते।
उनके अ य प भी ह हर जगह मौजूद हो जाते ह। कब कहाँ प ंच जाए कुछ नह पता।
तो मेरा कहना यही है क ई र से उनके भ का समपण ही उ ह मलवाता है बाक लोग
तो भटकते रहते ह, कुछ लोग को वयं ई र चुनते ह, यह लोग हमारे आसपास ही रहते ह
बस हम इ ह पहचान नह पाते या हमारा अहंकार हम इनसे र रखता है।
ाजी को वेद का ान कराने वाले कौन ह?
सृ बनने पर परमे र के जो तीन गुण ह उनमे से परम ान भी एक गुण ह, तो कसी ने
सखाया नह ब क हाजी का होना ही परम ान है, वेद ान, या इस संसार के जतने
भी तरह के जो ान होते ह वह सब मलकर हा ही ह। कसी ने बैठ कर लास नह द
हा जी को वेदांत अ ययन क ब क यह उनका गुण ह। अरे उनका तो काम है ान का
चार सार करना सारे संसार म न क खुद पढ़ना कसी से। इसी कार महायोगी महादे व
का गुण है परम वैरा य, परम श , जतने भी अथाह श याँ ह जनसे वे जहर भी पी
जाते ह और जहर है अ ाई और बुराई के बीच चलने वाले समु मंथन यानी घषण से जो
ऊजा पी जहर ज म लेता है उसको वयं महादे व पी जाते ह, जब सृ शु वात मे बनानी
होती है तभी शवा का नृ य ही इसको इस तरह सा रत करता है। इले ान, ो ान,
यू ॉन, यह तीन को cern नामक एक वै ा नक सं ा ने शवा का कॉ मक डांस यानी
नृ य बताया है, इसी लए उनक सं ा म शव जी क नृ य मु ा म मू त ा पत क गई है।
इस तरह से जो लोग व ान व ान व ान च लाते रहते ह वो पहले इंटरनेट पर खोज कर
लया कर। म अपने हर जवाब म बोलता ं क भाइय और बहन इस संसार म सनातन
धम से अलग कुछ है ही नह , आप ये व ास कर लो क मह ष कणाद ने अणु क खोज
जाने कब कर ली थी। ऐसे ढे र ऋ षय ने जाने या या खोजा है और आप उ ही क
संताने होकर भी सब भुला बैठे हो अपने धम पे बना खोज कये इसपर सवाल उठाते हो।
आपके इतने आसान से दखने वाले सवाल म नह है ह मत सनातन धम के रह य को
सहेजने क । आप ाचीन लोग को ह धम म जात पात के लए गाली दे ते हो जब क एक
बार समझना नह चाहते क आ खर जात पात का या वै ा नक रह य है। कुछ लोग इसी
म उलझे रहते ह क हा जी के मं दर यो नह ह? अरे ह मं दर भाई सबसे यादा मं दर
हा जी के ही ह और सबसे यादा ह और सबसे बड़ी बात सारे संसार म ह। पूंछो कैसे?
अरे कूल, कॉलेज, यू नव सट , सं ा, ये सब ान के ही तो मं दर ह अब समझे और ान
कसका गुण वयं हा जी का जो क परम ानी ह। तो उ ही के तो ह वे जगह जहाँ ान
खोजा जाता है जहाँ ान सखाया जाता है, इस तरह क सभी जगह जहाँ आप सीखते हो
कुछ वह सब हा जी के ही मं दर ह, अब अलग मत करो कुछ भाई ापक प से स च
सब कुछ जान जाओगे,बाक दे व को भी समझो ऐसे ही।। आप कयोरा म ान के लए
आते हो करने या 10–20 डॉलर क भीख के लए इस वदे शी कंपनी से। अरे भाई
जीवन अमू य है तुम यहाँ इन सब म न ही फस तो ठ क है, धन अ जत करने के सॉ लड
तरीके ही कारगर ह उ ही से खुशी भी मलती है। खैर जो महाशय लोग व ान और
सनातन धम को अलग करते है वही आज भटक रहे ह बार बार एक ही सवाल पूंछते ए।
सबसे पहले तो आप इस मानव शरीर क क करो बराबर चाह वह म हला हो या पु ष
उसके य क ऐसा सनातन ने कहा है मा णत कया है, जसे आज आपका व ान
मा णत कर रहा है। न आपने मनो व ान पढ़ , न दशन न आपने, सनातन धम, न आपने
व ान ही पढ़ है बस आपको उछला ान है इ स लये आप परेशान हो और रहोगे जबतक
इसपर वयं काम नह करोगे। अ ा इले ान ो ान यू ॉन के बारे म जो अबतक क
व ान क सबसे गहरी सबसे गहरी शाखा है न वांटम भौ तक उसने ही यह मा णत
कया है क यह तीन का वेव शवा के नृ य क भां त ह, यह cern नामक सं ा ने
मा णत कर दया है। वांटम भौ तक ने सू मता को थोड़ा ब त समझाया है जसे वेद से
जोड़ा गया तो अ द बात पता चल , सब जुड़ा है ऐसा अजीब अजीब रह य अब व ान
मा णत कर रहा है, आगे भी जाने या पता लगने वाला है। अ ा अब दे व को अलग
मत करना दे वय से यह उ ही का ी गुण ह यह अ त रह यमय वषय है बताने क
को शश क है मने पछले जवाब म।। कुछ लोग ने कहा है क आपने परमे र और
परमे र अलग बताएं ह फर दे व और दे वय को उनसे अलग कया है तो म उन लोग
से बताना चाहता ँ क दे व का एक होना ही परमे र/परम ह व प है, उसी कार
दे वय का एक होना परमे र/आ दश व प है। और परमे र/परम ह तथा
परमे र/आ दश का एक होना ही या समट जाना या एक सरे म मल जाना ही परम
शू य है सृ का न होना है, मतलब यह वह त है जब सृ नह बनी थी शू य शू य
शू य ही था यानी परमशू य।।।
सृ के पालनहार आपका पालनपोषण करते ह यानी पेट भरते ह या संभावनाएं बनाते ह
जससे आप जय, तब आप 84 लाख जीव यो नय के अनंतर मानव यानी मनु य का ज म
पाते ह। अब बारी आती है वयं हा जी क मतलब यहाँ आपको पालनहार क ज रत है
पर इतनी नह जतनी जानवर को होती है वे अधंधु खाते ह, तब वह मानव शरीर क
या ा पूरी कर पाते ह अब आप dianasour को अलग मत करना वह भी 84 लाख म ही
आते ह मतलब वह अव ा भी हम पार करनी थी। खैर तो अब आप मानव ज म म अ द
रचना है इस मानव शरीर क शा ने इसे हांड का लघु प कहा है मतलब अब आपने
वह पा ही लया जसके लए आप लाख साल से मेहनत कर रहे थे। अब आप बचपन से
ही ान के मं दर म जाकर अ ययन करोगे दमाग क परत खोलोगे, कोई हो शयार होगा
तो कोई गधा, वो ऐसे क कसी म अब भी पशु के गुण ह गे जैसे यादा भोजन, यादा
न द, यादा आलस, वगैरह तो वह कमजोर रहेगा कसी तरह काम चलाएगा और नए ज म
लेगा मानव प म और नखार लाएगा। इस तरह काम करता है यह प हया। कुछ धुरंधर
कई मानव ज म लगे और अंत म ान ा त करते ए ा हण प रवार म ज म लगे, जा हर
है ानी ह गे। अब आप समझे सनातन धम म जात पात कतनी वै ा नक है अगर आप
इसक गहराई समझ पाएं। इससे यादा अ े से आप वयं ही वयं को समझा सकते हो।
तो अगर एक ा हण ज म म ान पी श ा पूरी नह क तो और मानव ज म लोगे
ा हण के प म एक अ े और स े ा हण प रवार म और आपम फूटे गा वैरा य। अब
बारी आती है शव जी क वहाँ आप को शव जी के गुण का वयं मे वकास करके परम
वैरा य से अ त उ अव ा को करना होगा ा त यही खेल है तीन दे व का इसी लए
कहते ह दे व के दे व महादे व। महादे व ही ह सब कुछ उ ही तक आपको प ंचना ह बाक
सब ज रये ह जनसे आप वहां प ंचते ह। शव प ही ल य है हर एक ाणी का, वयं को
तु मानव मत समझो तुम उसी अमृत के पु हो तुम भूल गए हो तु हे आदत हो गई है
गु और पैग बर के तलवे चाटने क , इंसान को परमा मा से अलग करने वाले कभी
वयं का रह य नह जान पाएंगे फर परमा मा को कैसे जानगे वे, जीवनपयत भटकना है
पांच इं य को लेकर इ ही क पू त म लगे रहगे। व ान तब मर जाता है जब कोई मर
जाता है, व ान तब मर जाता है जब एक न हा सा शरीर कलका रयाँ करता ह। य क
वह नह बता पाता क ये ाण कहाँ से आया ये जीव कहाँ से आया या os कहाँ से आया
उसी कार यह ाण कहाँ गया, जीव कहाँ गया, os डे ड कैसे हो गया? सरा कैसे इं टॉल
करा जाए?? और और ?? तो जो लोग सनातन धम और व ान और वयं ईन
तीन को साथ लेकर चलने वाले ही सफल रहते ह, शांत रहते है और अ द खोज करते ह।
अरे भाई प म के वै ा नको ने राहत क सांस ली जब उ ह सनातन धम का ान आ,
पता चला।

आ मा और परमा मा म या अंतर है?


आ मा बू द है तो परमा मा महासागर, बू द का ल य है महासागर उसी म मल जाना है
जाकर यही है नवाण ा त हो जाना मो ा त हो जाना। महासागर म भी जल है और
बू द भी जल है तो फ़क़ तो नह है न। महासागर का जल खारा य है? य क बू द अपने
साथ अशु य को लेकर जाती है सागर तक तो सागर भी खारा हो जाता है य क वहां
ढे र बूंदे जा रही ह न , इसी तरह हमारी अशु य को परमा मा खुद म धारण कर लेते ह
जहर वयं पी लेते ह ता क बूंदे अपनी या ा पूरी कर पाएं महासागर तक प ंचने क । तो
जीवन को स ी राह पर जय य क सच कड़वा होता है, जीवन क परी ा श ण,
सम याय को झेलना सीख य क जो आरामदायक झूँठा यानी मीठा जीवन जीते ह वह
फॅसे रह जाते ह परमा मा तक स े लोग ही प ंचते ह।

बु और बौ
बौ धम स ाथ गौतम ारा संसार के ख से उबरने के लए बनाया गया था, उ ह ने
अ ांग योग से नवाण माग खोजा था, जससे नवाण क अव ा तक प ंचता है मनु य।
दरअसल आप अगर बौ धम मे जाते ह तो इसका मतलब है, क आप भ ु बने और
महा मा बु के अ ांग योग माग से नवाण ा त कर, न क हम सामा जक लोग के बीच
रह के धन अ जत कर और जीवन को भोग, ऐसा ब कुल नह है, ये तो बाद म अपनी
सु वधा के अनुसार लोग ने इस धम को वीकार करना शु कर दया जसे सफ दो नाव
म सवार होना कहगे, महा मा बु भारत म इस लए यादा सफल नह ए य क उनको
फॉलो करना उ ह मानना, का सीधा मतलब था आप लामा बनो और जंगल या मठ म जाके
साधना करो, वो तो लोगो ने इसे अपने प मे ढाल लया जन दे श म इसे माना जाता है।
अ ा अ ांग योग या है? जो कृ ण यानी व णु भगवान ने सूय को दया था फर उ ह ने
पतंज ल को और फर राजा इ वाकु को और इसी तरह संसार म फैला, तो बौ द धम जो क
एक तरीका है आ म ान का नवाण का, उसे धम बनाके भोगी जीवन जीना यह कतई बौ
धम नह है, नया तो कुछ का कुछ बनाने म मा हर ही है जैसे हमारे योग को योगा बना
डाला, तो या कसी को आ म ान मला? नह मला।। बौ धम एक समय त बत म
पनपा था जब अले स डरा डे वड नील वहां ग थ , वहाँ से वह ब त कुछ सख के आ
थ । आज त बत म वो सब नह बचा। आज त बत भी आधु नक हो गया है। आधु नकता
है भौ तकता और जहां भौ तकता है वहाँ आ या मकता होना मु कल होता है या तो आप
दोन म सामंज य बैठा पाएं। लोग बड़े चाव से बौ धम के अनुयायी बन जाते ह जब क
उ ह इसक abcd नह पता य क आजका बौ द धम आधु नक बौ धम हो गया है। अरे
जस इंसान ने भौ तक जीवन को याग दया फर उसे नवाण ा त आ भला वो य
ऐसा धम बनायेगा जसम लोग भौ तक जीवन भी भोगे और नवाण भी ा त कर। ह
धम व त है, इसमे ढे र योग ह जो ीकृ ण ने बताये ह जैसे हठयोग, भ योग, नादयोग,
मं योग, लययोग, राजयोग, ानयोग, कमयोग। महा मा बु का अ ांग योग इ ही से
नकला है। पर म फर क ँगा सामा य मनु य जो भौ तक जीवन का नवहन कर रहा है वह
कमयोग म है, वो चाह जतना बौ धम म बना रहे या कसी और धम म कम का स ा त
ही इस व को चला रहा है इस प हये को घुमा रहा है। बौ धम मे वक प बनाया गया
बाद म, बौ धम पूणतः वै ा नक धम है या म इसे धम तो नही परंतु बौ माग क ंगा
य क यही स य है। हांथो को जोड़कर ऊजा वाह को अंदर ही समेटे रहने का तरीका
महा मा बु ने ही खोजा था। महा मा बु के बाद सरा उनके जैसा नह आ पर जो
ह धम म थे यहाँ से हर तरह के आ म ानी नकले जसको जो पसंद था उसने वही
कया, ढे र ऋ ष मह ष ए अ त सं कृत ंथ लखे। भ माग से भी ए, हठयोग माग
से ये, कम योग से ए, इसके अलावा भी अघोर पंथ ए, तां क स दाय ए, इसमे
सब समाया आ है, यहाँ पसंद है जसे जो अ ा लगे वह वही माग चुनकर आगे बढ़े यही
है सनातन धम। गौतम बु ने ई र नकारा नह अ पतु बात नह क उस बारे म, या वो
ऐसा कहना ही नह चाहते थे, य क वो वयं ई र हो गए थे, ई र हम आप सब म है बस
हम फसे ह इस संसार म, तो वयं को अलग समझते ह ई र से, जब क हम उसी का
अ भ ह सा ह। जब बु ए तब तक ब त कुछ हो चुका था, वै दक ान फैला था
संसार म, जैसे आज है समाज वैसा ही उस समय था बस थोड़ा यादा धा मक था, राजा
महाराजा होते थे, वगैरह, ले कन जो ह ान को ा त करने अ ांग योग ये सब कह
छपा था, इसका कोई योग नह करता था, यह सब वै दक, और उप नषद ान खो रहा
था, तभी स ाथ गौतम का ज म आ और जैसे ही उ ह ात आ इस संसार का ख,
जैसे ही वे अवगत ए तो वे ाकुल हो गए रह य जानने को, इस अनंत हांड का उस
ई र का जसक लोग बात करते थे उस समय या उनके लए पुराना वै दक तरीका अपनाते
थे जसम कतई सफलता नह मलती थी, स ाथ ने फर उन लोग और जगह क तलाश
क जहां वे योग सीख पाए, वह ब त भटके, फर जब उ ह काफ कुछ ात हो गया अ ांग
योग के बारे म तो वे अपनी साधना म मगन हो गए, और चूं क वैरा य उनमे पहले से था तो
उ ह सफलता ज द मली, और वह आ म शरीर तक प ंचे तो उ ह अहम हा मी का
ान हो गया या उस अव ा तक वे प ंच गए फर उ ह छठे शरीर पर प ंचने पर मो
यानी मु मल गई संसार से ओसे मो शरीर कहते ह फर सातव अं तम यानी नवाण
शरीर पर प ंचे तो वह वयं ई र हो गए इसी लए उ ह भगवान क सं ा द गई य क
उनके याग ने उ ह इस अव ा तक प ंचा दया, जो अ त लभ है वहां कतई अहंकार
नह है, उस अव ा तक सफ महा मा बु जैसे ही प ंच पाते ह जनमे वैरा य बहता है,
घोर वैरा य इस संसार के त, के लोग अहम हा म तक प ंच के क जाते ह मतलब
उनमे अहंकार हो जाता है खुद म तभी वे क जाते ह आ मशरीर म जाकर इसके आगे क
साधना करना नह चाहते या जो भी कारण हो।
खैर तो महा मा बु ने ई र को सफ इस लए नकारा या बात नह क य क वे नही
चाहते थे क लोग उनके बताए ई र को पूंजे, ब क अ ांग योग माग से वयं उस अव ा
तक प ंच, न क मू त बनाके पूंजे। जैसा क लोगो ने कया वयं महा मा बु क मू त बना
द ले कन ये ठ क है, य क हर कोई अ ांग योग करने लगा तो फर चल चुक ये नया,
खैर मू त पूजा के राज ह गहरे उ ह समझना मु कल है सबके लए, यह नभर करता है
मं दर कतना ाचीन है उतना ही लाभ मलता है मनु य को। जैसा क ानुसार नकारने
क बात कही गई दरअसल नकारना सफ था नवाण ा त करने का उ े य। ले कन आ
या, आज लोग बौ धम भी अपनाते ह भोगी जीवन भी जीते ह बु क मू त भी बनाते
ह, यही तो नया है अपने हसाब से प दे दे ती है हर चीज को, यही ह सनातन धम
सखाता है क आप अपना ई र वयं खोजे य क सरे का तरीका आपको न रास
आएगा, उसे आप स े मन से न अपनाओगे, यही तो राज है क अ या म म सबके
अनुभव अलग अलग होते ह। तभी आज कतने वष बाद भी सरा महा मा बु नह आ
पर सरा रामकृ ण आ, सरा ववेकानंद आ, सरा महावतार बाबाजी जैसे महान लोग
ए और यही होता है। भ माग को योग माग समझ न आएगा, न योग माग को भ
माग पर दोन का काम नह चलेगा एक सरे के बगैर यही रह य है। अब बु लोग को
दोबारा य रामायण महाभारत पढ़ाये या गीता पढ़ाये, जो आप जानते हो वह बताने से
लोग आपको नह सुनगे, ब क और गहरे से वै ा नक प से नवाण ा त करने का
अ त रह य ही लोग वीकार करगे।
आ खर य भगवान राम और भगवान कृ ण को दाढ़ म नह
दखाया जाता?
जाक रही भावना जैसी, भु मूरत दे खी तन तैसी।
तुलसीदास जी क यह चौपाई सब कह रही है, इससे ऊपर कुछ नह ह। मानो तो प र म
भी ई र है न मानो तो प र ही है। ले कन प र सफ प र तो नह हो सकता। हर चीज
म कुछ न कुछ आंत रक छपा रहता है जैसे सेब के भीतर बीज होते ह, आम के अंदर
इठली होती है, इंसान के अंदर तो जैसे सम त हांड ही न हत है, तो हर चीज के दो प
ह, एक पदाथ और सरा जीव। एक अपरा कृ त है सरी परा कृ त। अपरा ूल है,
पदाथ है, और परा उसम आंत रक प से न हत ऊजा है, जीव है, श है, इस श के
नकल जाने से वह पदाथ बखर जाता है उ ही पांच त व म जनसे वो बना है। भावना
कैसी होनी चा हए? अगर भावना खमय है तो ख ही होगा, भावना सुखमय है तो सुख ही
होगा, और अगर भावना है क बस भगवान दशन द तो दाढ़ मुछ म तो वे आपको दाढ़ मुछ
म दशन दगे, वह तट नह ह, बंधे नह ह, आप हम सब इंसान बंधे है या वयं को बांध
लेते ह बदलाव वीकार नह करते। आपने कहाँ कहाँ दे खा होगा राम और कृ ण को tv म?
तो वो सफ उस चल च के स करने के लए कया जाता है। मं दर म दे खा होगा तो
वो इस लए क उ ह इस प म हर कोई अपनी था कहने म स म ह। आप अघोरी क
तरह दाढ़ रख लो, फर आपसे म हलाएं, ब े, ज द बात नह करगे, वे आपसे डरगे, यही
कारण ह क उ ह इस तरह का मूरत प दया गया क वह बना दाढ़ मुछ के ही रह ऐसे
म उ ह हर कोई वीकार करेगा ाथना करेगा और जन महान लोग ने उनके दशन कये
उ ह ने इसी प म उनके दशन क लालसा क थी। आप को जो चा हए जैसे प म
चा हए उसे ही ढूं ढए तो अव य मल जाएगा इसमे संदेह नह ।

ई र सव ापक है! कैसे?


भले ही पांच त व से बने हम सब जीव जंतु अलग रंग प, के ह ले कन गहराई से दे खगे
तो खुद को अलग नह कर पाएंगे भले ही पूंछ हो बाक जीव के ले कन सरंचना म कुछ
खास फ़क़ नह ह और सबसे बड़ी बात सब एक सर का भ ण करके ही बड़े होते ह, जैसे
वेज वाले लाल खून वाले जीव को नह खाते। बाक नॉनवेज वाले सब लाल खून वाले
जीव को खाते ह। वेज खाने वाले वे इंसान होते ह ज ह ने कई मानव ज म लए ह और
अं तम पशु पी ज म उनका कसी शाकाहारी पशु का था, और भी कारण ह क कई
इंसानी ज म लेने के बाद इंसान शरीर वाद तल से उठकर ऊजा तल पर भोजन करना
सीख जाता है, वह आ म तल पर जीने लगता है, उसमे ान क भूख जागती है, वह अपने
दमाग क गहरी परत को खोलने लगता है, उसक बात म दाश नकता झलकती है, ढे र
गुण ह इ ह एक ा हण व के गुण के प म माना गया है। आजकल अपवाद मल जाएंगे
य क सब अ त त हो चुका है, इस लए ा हण व के गुण वाला इंसान कसी भी धम/
जाती/समुदाय म ज म ले सकता है। अब जो नॉनवेज खाता है, तो ये जो नॉन जुड़ गया
इसमे म सफ जीभ के वाद को ही मु य मानता ं वरना ऊजा तो सफेद खून वाले सेब से
और एक गलास ध से मल सकती है। खैर इस वषय पर यादा या बोलना, म तो सफ
जोड़ रहा था क ई र सव ापक है तो कैसे, य एक ा हण व के गुण वाला इंसान उस
परं हा के सबसे करीब होता है, य क अब वो बस कसी तरह उसे जानना चाहता है
उसी के बारे म जानना चाहता है य क अब वो आसमान म दे खना सीख जाता है,
अहंकारी कभी आसमान नह दे खता इससे उसके अहंकार पर च ट लगती है। अ ा सभी
जानवर म मौजूद पूंछ का कुछ तो राज है, मुझे लगता है शायद उनके जननांग क र ा के
लए, और शायद ये उ ह पीछे से आने वाल खतर से आगाह करती है, खैर जो भी कारण
हो इसके, ले कन ये इंसानो के यो नह होती है? बंदर के होती है ज ह इंसान का पूवज
कहा जाता है, पर इंसानो के यो नह । काश होती तो शायद फर सारी नया 84 लाख
जीव यो नय के सनातनी रह य को समझ जाती, खैर डा वन ने मदद क थोड़ा ब त। आप
अपनी रीढ़ के नीचे ह से म दे ख वहाँ बाल उगते ह सभी इंसानो के वहाँ कुछ अजीब से
ड स से दखते ह, शायद वकास क मानव अव ा तक प ंचने के बाद उसक पूंछ तो
गायब हो गई पर अपने नशान ज र छोड़ गई। काफ इंसान और जीव क बात हो गई
अब कुछ और बात करते ह। ऐसा पाया गया है क जीव जब धरती पर आया तो वह सबसे
पहले समु म पनपा य क अभी उसमे इतनी मता नह थी क वो धरती के वातावरण
को सहन कर सके तो इस लए कृ त क व ा के अनुसार ये सब आ आज से खरब
साल पहले स चये उस न हे से जीव से आज आप इंसान प म मौजूद मेरा ये लेख पढ़
रहे ह, या लीला है परमे र क स चकर आंसू आ जाते ह क कतना खुशनसीब ँ क
इंसान के प म एक ा हण प रवार म ज म आ और वयं म ा हण व के गुण का
वकास कर रहा ँ। पांच त व से मलकर बने ह हम, जनसे ये अनंत व हांड बना है
इसी लए जो इस अनंत हांड म है वह इस मानव शरीर म है। तो इससे ये बात तो तय हो
जाती है क हम सब एक ही म से बने है साधारण भाषा म कहना हो तो। भले ही
वातावरण के हसाब और मां/बाप के वजह से रंग अलग हो चेहर अलग ह । 7 चेहरे मलने
वाली बात सही है पर 7 को हटा दो य क एक ही चेहरे के 10 भी मल जाएंगे ये त व ान
से ही समझ आएगा क आ खर शरीर नमाण कैसे होता है। लोग जीवन को इतना आसान
समझ के बना कुछ जाने समझे गुजार दे ते ह क पूंछो नह , इसके भी अपने रह य ह, ये
सीढय क त है, कौन कस पायदान पे है यह भी एक त व ानी ही बता सकता है।
खैर मुझे अ तर नह लगता सीधी बात म इसका रह य भलीभां त समझ चुका ं अपने इन
चम च ु से। खैर ये तो ई भौ तक उप त क बात जसक रचना तो बड़ी भ
दखाई पड़ती है पर है नह , बस नजर पैनी करनी ह। खैर ये तो बात ई ूल संसार क
ले कन इसके अलावा भी संसार है जो आ मा क तरह अनंत और अ वनाशी है, यह पद के
पीछे क नया है, पदा हटने पर इसका रह य अनावृत होता है। पदा तभी अनावृत होगा
जब आप सू मता म जाएंगे य क पहली बात तो आपमे वे गुण होने चा हए जनसे आप
पहले शरीर तल से ऊपर उठकर कभी अंदर झांको क आ खर आपक आ मा क या
वा हश है, य क इस भौ तक संसार म हजार चीज ह करने के लए जससे आप उ ह
ही करते करते बूढ़े हो जाएंगे फर भी स चगे काश फर जवान हो जाएं और फर मजे ल
जीवन के, या तो आप मेरे जैसे नौजवान हो जो अंदर झांकना सीख गया हो। अ ा य क
अब हम आंत रक प क बात कर रहे ह तो गहराई म उतरते ह अब, अ ा तो आप एक
बात अ े से जानते समझते हो क इंसान ही है जो भाषा क मदद से बात करता है,
अपनी आवाज को श द से एक प दे ना सीख गया, जैसा क आप सब जानते ह यह सृ
ओम व न से बनी है या उ प ई है इसी लए कहते ह सृ कंपन है, श दमयी है। अ ा
कोई भी जीव हो आवाज सबम होती है, झ गुर भी अजीब चीखने सी आवाज नकालता है,
पशु प ी सब अलग अलग तरह क आवाज नकालते ह यह मा णत है, रोज दे खते हो
आप लोग, बस समझ नह आता क आ खर या बोल रहा है, य क उसका बौ क
वकास अभी नह आ जससे वह कोई भाषा का अ व कार नह कर सके, या उनक जो
भाषा है हम नह समझ सकते हमारी वो नह , पर इंसान ने कया और कई तरह क
भाषा का कया अ व कार, तो कुल मलाकर उसने तर क क अब धीरे धीरे वह एक
सरे से े ष भी करने लगा जब उसे सरे के वचार से नफरत ई जो उसने उसक बात
से जाने, जससे आंत रक व भ ताएं पैदा जससे दे खए आज कतना फक है इंसान
के वचार म के वे बट गए, धम के नाम पर समुदाय के नाम पर, अरे कसी ने तो हद पार
कर द जब वचार नह मले तो गदन ही उड़ा द स चये एक च ट से इंसान बना एक जीव
लाख ज म लेकर और उसने या कया? कसी सरे इंसान का खून, आपके हसाब से
इसम सजा होनी चा हए होती भी है, नह भी होती, पर यहाँ वही बुरे कम का स ांत उस
को फर उसी च ट के प म प ंचा दे ता है, दरअसल इसका रह य मुझे एक स अघोरी
ने बताया था जसमे ऐसे इंसान क आ मा को 10000 टु कड़ म वभ करके कसी नाली
के सफ सू मदश से ही दख सकने वाले जीव के प म ज म लेने के लए ववश कर
दया जाता है जससे वो 3 युग के बाद सीधा कलयुग म ही मनु य यो न म ज म पायेगा।
चाह भौ तक संसार म सजा मले या न मले ऐसे जतने भी कृ य ह उनका यही ह होता
है। आज आप ई र को गाली दो उसे मत मानो, ना तक हो जाओ, बा कय को भी
बहकाओ, इससे ई र को या फ़क़ पड़ने वाला है? आप ख़ुद को खुशनसीब समझो क
आपके पास भाषा है य क बौ कता का वकास है आपम आप इंसान ह कई चीज क
वतं ता आपको द गई है, उस बेजुबान( बना भाषा) जानवर के बारे म आपका या
खयाल है भाईसाब? उसक तड़प कौन सुने? कौन भोजन दे उसको?(इसी लए जीव को
पालने वाल से ई र भी खुश होते ह) उसके पास तो भाषा जैसा अ त अ व कार भी नह
क वह ई र को गाली दे सके उसको उस त म डालने के लए, और दे भी य उसे तो
इतनी वतं ता ही नह है। खैर वचार क भ ताएं आपने दे ख ल । यही आवरण है जो
हम अंदर नह झांकने दे ता य क पहले तो हम शरीर से ही सर को अलग समझते थे
अब तो वचार, भाव, अहंकार ने हम एक सरे से र कर दया कुछ र त म लोग शरीर से
पास होते ह ले कन वचार से मन से कतने भी र हो सकते ह। इ ही सब चीज ने हमे ये
जानने नह दया क आ खर कैसे हम उस अनंत ई र के ही अंश ह। कृ त दो कार क
है, परा और अपरा। पृ वी, जल अ न, वायु आकाश, मन, बु , अहंकार, ये अपरा कृ त
है। शु वाती पांच चीज तो ह ही सब म पर मन, बु , अहंकार, ये इंसान म, सबम अलग
अलग प म मौजूद ह। मन के तल पर जीने वाला इसक इ ाएँ ही पू त करता रहेगा
इं य के मा यम से, पर वो इसका मम नह समझ पायेगा क आ खर मन इंसान को य
मला, इसको मने पहले बताया है, दरअसल मन दया गया था जससे आ मा यानी आप
इस मन पर लगाम लगाएं और इसे नद शत कर इं य को जानवर क भां त हरकत करने
से रोकने के लए। ले कन आ उ टा। खैर बु वाले वही ह सब जनके मोबाइल से म ये
जवाब लख रहा ँ भले ही मने धन दया है, कलयुग म तो इ ही का बोलबाला है, पहले
ग णत, व ान का ान फैलाया सारे संसार म, एक एक ब े ने पढ़ा ज ह समझ नह
आया उ ह कमतर आंका गया, तभी आज हर ब ा बड़ा होकर व ान को ही धम मानने
लगा है, खैर इस बु ने मदद भी क जैसी भी क हो, सब सामने है, ले कन ये आपको
हजार साल बाद भी कसी ह पर पानी ढूं ढते नजर आएंगे, जसक री होगी हजार खराब
कलोमीटर इससे बडी सं या मुझे नह आती, खैर ठ क है कम से कम वे सफल तो ए,
आज हर कोई माण मांगता है हर चीज के ये उ ही क दे न है, माण मांगना उ ही ने
सखाया है। खैर बु के कुछ तर ने हला डाला लोग को। अहंकार हर जगह मल
जाएगा, मन वाले म, बु वाले म, ये न त चीज नह ह सबम मौजूद होती ह बस
तशतता कम यादा हो सकती है। ये तो ई अपरा क बात ूल को मने पहले इस लये
बताया य क ये सब अपरा पर ही आते ह। अब बात आती है परा कृ त क , तो जो सबम
भाष रही है जीव प म वह है परा। यही है चेतन त व। तो आप सम झए क इं य , मन,
बु , अहंकार, से उपर उठकर जब आप चेतन पर आते हो तब आप समझ पाते हो इन
सब रह य को क आ खर चल या रहा है। अ ा लोग कहगे चेतन या है? म क ंगा
आप हो चेतन।आज आप चेतन तक प ंचे हो, चेतन एक ऊजा है जो शरीर म है ा त पूरे
शरीर म है, लोग कहगे नह वो तो दय के भीतर है कह , म क ंगा वो वह तो नह ह अरे
भाई अभी तु हारे म वो बखरी है पूरे शरीर म, जब आप उसे समेटते हो तब वह एक आ मा
का प लेती है और कसी एक जगह ठहरती है। आप शरीर को भूल जाते हो फर, गहन
यान म सारे शरीर से समट कर आपका चेतनत व कसी एक च पर समटकर आपको
ई र सा ा कार करवाता है, तभी आप जान पाते हो क कैसे है सव ापक ई र। कैसे वह
बखरा है सबम। जस तरह सृ बनने के पहले वह समटा था, और सृ बनने के बाद
वह बखर गया इस अनंत सृ के प म उसी कार आप भी भखरे ए हो इस हांड के
छोटे प म( यत प डे तत् हा डे य यह शरीर इस अनंत हांड का लघु प है)। आपका
समटना ही आपको सव ापकता का रह य बता पायेगा। समझने वाले समझ लगे न
समझने वाले और ज म लगे फर दोहराएंगे। पहले आप आ ाच म समटते ह तो व
हांड का रह य अनावरण हो जाता है, फर आप सह ार म समटते हो तो ई र क
सव ापकता का रह य जान लेते हो।
भारतीय सनातन गूढ़ ान अ त रह यमय है, इसक थाह नह , पर एक अ त संवेदनशील,
और महान दयालु व का इंसान ही इन रह य को वयं जान पाता है, बाक 99%
लोग तो एक साईकल के प हये म घूम रहे ह, यह है जीवन के सच, समय लगबहग
नधा रत ही है, अब तय आपको करना है क एक 100 साल का वै ा नक जीवन बता के
आप सृ के रह य ूलता से खोजना चाहते हो या एक योगी बनके सृ के रह य को
सू मता से खोजना चाहते हो। जा हर है लोग जड़ को चुनगे यह मा णत है। चेतन के बारे
म सोचने से भी कई लोग डर जाते ह।
सुख और ख म ई र के त हमारा कोण
सुख म ई र के त कोण
सुख म ई र का ध यवाद करना चा हए क उ ह ने इस अनंत हांड म आपको याद रखा
और आपके अ े कम का फल आपको दया। कभी भी ई र को नह भूलना चा हए एक
बार स े दल से उनका ध यवाद करना चा हए भले ही ये हवा से गले लगने जैसी बात है
पर आपके दल को ठं डक मलेगी और आप उस खुशी को अंदर से भी महसूस कर
पाओगे। दरअसल ई र से बात करने के लए आपक आ मा ही होती है उस मे साम य है
उनका ध यवाद करने को तो शरीर को भूल कर 2 मनट आंखे बंद करके सफ याद कर ल,
जब कोई अंदर से हंसता है तो इससे भौ तक लाभ भी ह य क इससे उस इंसान का
वलय सकारा मक बनता है जससे उसके आसपास मौजूद लोग भी उस खुशी को दल से
मनाते ह और उनके भी अंदर से हँसी फूटती है। आपके आसपास नकारा मक ऊजा भी
भागती है य क एक तो आप क ई र पर ा ऊपर से अपनी हर खुशी को पहले उ ह
समपण कर दे ने से आपके सर पर उस परम ई र का हाँथ रख गया ऐसा आप मानते हो तो
आप सकारा मक रहते हो यह एक वैरागी का मानना है। अब ना तक तो ऐसा कुछ मानता
नह ई र जैसी चीज जो भी इसके कारण ह इसी वजह से वह अपने अंदर मौजूद आ मा
पी ऊजा श को भी नह मानता तो वह ब त ज द असंतु हो जाता है, अरे भाई
उसने आपके जैसे उस खुशी को जया ही नह आंत रक तल पर तो कैसे उसके अंदर से
खुशी फूटे । इस लए कम से कम अपनी आ मा के लए उस परं हा और परमे र पर
भरोषा रख।
ख म ई र के त कोण
जब ख आये तो आप ई र से उसे ज द ख म करने क ाथना क जये मन ही मन
य क आपक स ी ाथना ई र तक प ंचेगी और आपको उस ख को सहने क श
मलेगी आप अंदर से मजबूत ह गे तो आप टू टगे नह , और उस ख को झेल जाएंगे। अब
लोग कहगे जब ई र हमारे मन म ह तो फर य ाथना करना? अरे भाई ई र सम त
हांड म ा त ह परंतु आपके अंदर उनका ांसमीटर नामक एक अंतमन लगा है, जो क
आ मा का वायरलेस डवाइस है इस हांड से जुड़ने के लए और हांड या है?-
परमा मा।। जो बना समपण के काम नह करता, समपण कैसा? सभी काम छोड़ के एक
जगह बैठ जाइए सभी वचार को भुला कर शरीर पी पड को भूल कर 2 मनट का मौन
धारण करके शांत हो जाइए और आपके ख को ख म करने के लए स ी ाथना
क जये, अपने पूवज म के कम के लए माफ मां गये, समपण क जये क आप उसी के
अंश ह, जब आपक सपूण ऊजा इक ा होगी तो आपका अंतमन पी वायरलैस डवाइस
स य होकर हांड म आपक ाथना प ंचाएगा और हांडीय श यां यानी परमा मा
आपके ख को ख म करके आपको मान सक शां त दान करगे। यहाँ भी आपक
आ तकता और व ास काम आया आपको ढाँढस बंधाने म, आप टू टे नह य क आपने
ख म उसे याद कया जसे आपने सुख म याद कया था, मतलब आपने समानता बरकरार
रखी।स च ना तक बेचारा कसका दरवाजा खट खटायेगा ख म य क सुखी
ज द कसी का ख नह सुनते, सुनते भी ह तो बेमन या तो वे ब त करीबी ह । आपका
ख कतना भी बड़ा हो सकता है, पर उसे झेलने के लए, आपको सबसे यादा ज रत
होती है सकारा मक ऊजा क , नभर करता है ख कतना बड़ा है। अ ा लोग भीड़ भी
इ स लए इक ा करते ह जससे ख ख म हो या उसे सहने क श ा त हो,भीड़ से
ा त सकारा मक उजा से पर या सबूत है क ऊजा सकारा मक ही होगी? जो ख बांट
कर दद ह का हो जाएगा। पर आप जरा स चये या वो भीड़ आपको ढाँढस बंधा पाती है?
अरे वे सब खुद अपनी जीवन क उलझन म त ह। उनमे से कुछ जो करीबी ह गे वही
आपके ख को समझगे, आपके पास बैठ कर स े मन से आपक था सुनकर आपका
ढाँढस बँधाएँगे, उनक सकारा मक ऊजा थोड़ा ब त आपको अव य मदद करेगी पर
असीम शां त न मल पाएगी। इसके लए आप उलझन म फसी आ मा क भीड़ मत
इक ा क जये, और इक ा हो भी गई है तो उनसे अपना ख मत रोइये य क उनम से
कुछ ही समझगे आपको बाक सुन के टाल दगे, य क उ ह ने उस तरह का ख झेला ही
नह होगा तो भला कैसे वो आपक मदद कर पाएंगे। अरे भाई अपने ख म आ मा का
साथ नह सफ परमा मा का साथ ढूं ढए उ ह से ाथना क जये य क वह वकराल है
वही आपक स ी मदद करगे, वही आपको मान सक शां त दान करगे, चाह जतना बड़ा
ख हो पर वह परमा मा से बड़ा नह हो सकता।
दे वी व दे वता म कौन अ धक श शाली है?
दोन बराबर श शाली ह, पर जब दे वी अपनी पूण श य के साथ अवत रत होती है
महाश के प म तो सब नतम तक होते ह। दे वयां परमे री का त प ह और दे वता
परमे र के। बना सरे के तीसरे क सृ असंभव है इस लए परमे री भी है, अगर
परमे र ह तो। सृ रचना के समय जब ब यानी शू य ु टत आ(जहाँ शू य है वहाँ
असीम ऊजा है, जैसे शू य हांड म नहा रये अनंत ऊजा ा त है) तो परमे री और
परमे र उ प ए सृ म बीज पड़ा और सृ बनने लगी और आजतक बन रही है बगड़
रही है अरब साल से। इ ही परमे र और परमे री से बाक दे वी दे वता और इनसे
ऋ षय मह षय यो गयो और योग नय से आगे के लए रा ता तैयार आ। जस कार
इस धरती पर बना ी के सृ संभव नह उस कार इस सृ क सृ बना परमे री के
संभव नह अब आप इ ह परम शव और आ दश कह द वह भी इ ही का त प ह या
वयं व णु और ल मी कह द वह भी इ ह परमे री और परमे र का त प ह, या हां
और सर वती कह द वह भी इ ही का त प ह। ी अगर अपनी श भूली रहे तब
ठ क वरना वह जो कर डालेगी उसका पु ष स च भी नह सकता। ी महान ऊजा है और
जो महान होता है वह शांत रहता है पर आजकल समाज मे हो रहे अ याचार, उसका
शोषण, उसको तु समझना, इसने अब उसक श को जागृत कर दया है थोड़ा ब त,
इसी लए आज वो हर े म सफल है, य क वह अधा गनी तब तक है जब तक वह भूली
ई है अपना साम य नह तो उसके बराबर श पु ष म कहाँ। कई धम ने इसी लए
परमे री को नकार दया और सफ एक परं हा को वीकार कया जब क वो ज म उसी
ी के कोख से लये थे, लोग इसे कराए क समझती ह, जब क यही चीज उ ह स य से
वमुख करती है और वह भटकते रहते है बना गंत के चलने वाली े न के ड बो म।
य क इंजन को पता ही नह है क परमे र भी ही वो तो सफ परमे र यानी परमपु ष
को ढूं ढ रहा है अकेले बस यह चूक हो गई। सनातन ह धम ने वीकार कया परमे र
आ दश को तभी उसके अवतार भी ए रा स का संघार करने के लए अब यहाँ भी
लोग क ा काम आयी के परमे र ने अपने अंश पो म उ प होकर संसार मे शां त
ा त क । आज नवरा पव धूमधाम से मनाया जाता है ह म उसका यही राज है,
बना इसके आप भटकोगे अनंत ज मो तक। अ ा ी को उसक रह यमय वृ य के
वजह से तु करार कर दया गया पर ऐसा करने वाले इसक गूढ़ ववेचना करना भूल
गए। आप ी को मजबूर मत करे उसे खुद को सा बत करने म य क वो खुद को सा बत
तो कर दे गी पर इससे ं द पैदा हो जाएगा य क उसक वकराल ऊजा श आपको
तहस नहस भी कर सकती है। जहां य को भोग क व तु समझा जाता है, उ ह नीच
समझा जाता है वहाँ कभी परमे र भी नह रहते य क वे बना परमे र के अधूरे ह और
अपनी तलाश म त ह वे आपको कतई दशन नह दगे या परम ान नह दगे जबतक
परमे र को वीकार नह करोगे। मनु य के मूलाधर च म परमे र/आ दश व मान
है, जब वह जागृत होकर अशु य को चीरते ए सह ार म व मान और परमसमा ध म
लीन परम शव/परमे र से मलती है तब उ ह जागृत करती है और उनसे उनका मलन
होता है तब वह दोन पूण होते ह, म फर कहता ं बना सरे के दोन अधूरे ह वरह म ह
वेदना म ह दद म ह, दोन समा ध म त लीन ह। तो जब मनु य के शरीर म यह घटना घट
जाती है तो वह मनु य असाधारण हो जाता है उसम असाधारण गुण आ जाते ह या कह
वह पु ष बनने क दौड़ म शा मल हो जाता है अब तक तो वह भटका आ या भटक ई
जीवा मा था/थी। अब उसे परम ान परामवैरा य और परमे य का रह य ात हो जाता है
वह आ म ानी हो जाता है, तो आज से आप सब दे वता के साथ साथ दे वय को बराबर
मान अगर आप भटकना नह चाहते।
अ ा ी क ऊजा श समाज मे अ सर दे खने म आती है। ी क एक नजर कतनो
को पागल कर दे ती है वह उसपर योछावर हो जाते ह। ी क ेरणा से इंसान चाँद तक
प ंच जाता है, ी ेरणा पु ष को आ म ानी तक बना सकती है। ी के श द कटा क
भां त चुभ जाते ह, ऐसा य भला? य क म फर बोलता ं वो अ त ऊजा श है,
असीम है वह ऊजा उसक थाह नह , कभी आप एक ी से नह जीत सकते उसक
स ूण ऊजा जहाँ लगेगी उस जगह आप ठहर नह पाएंगे, कुछ लोग तो मने दे खा है क वो
ी को एक मनट बदा त नह कर पाते, उसपर हसा करते ह, जससे वह और भड़कती
है, पु ष उससे री ही बनाता है तभी शां त होती है। अ ा ी के संवेदनशील और
सहनशील होने के पीछे भी उसक असीम श ही है जो उसे अंदर से टू टने नह दे ती। पर
गलती से कह वह भड़क गई तो समझो फर संसार का संघार होना तय है। वामके र तं
प ढ़ए ी के बारे म ही बताया गया है आप च कत हो जाएंगे।। आज य का पु ष को
हर े म पीछे धकेल दे ने का राज यही है क अब उसने अ याचार सहना ब द करके
अपनी ऊजा श से संसार म अपनी पहचान बनाने पर उता ह यही एक ेरणा उ ह
महान सा बत कर दे गी कुछ वष म।। मेरा लेख कई लोग को च कत करेगा कई मुझे य
का मसीहा भी कहगे परंतु दो तो म भी च कत आ था जब मने पढ़े और य क
ा या पढ़ च कूट क या ा करते व त एक परकाया वेश स संत से मेरी भट ने
मुझे य के ढे र राज बता डाले थे, उ ह ने मुझे ऊजा जागरण का रह य बताया था क
परमे र को परमे र के समतु य मानने वाले ही आ म ानी ह गे। रह यमय संत ने बताया
क एक समय असम और बंगाल इसक चरम सीमा पर थे वहां से ढे र तां क नकले
दे वय का अनु ान और उनको स करने का ान वह से फैला पूरे भारत म, तां क ने
ही इस शरीर रचना के रह य बताये, इसमे व मान रह यमय क म न हत ऊजा अंक
प म ा त थे श द ान से उनमे ऊजा वाह हो पाया जससे वे स य ए। 10
महा व ा साधना ने ही संसार मे आ म ान ा त करने का अदभुत तरीका पता चला।
य क योगी पैदा होते ह, पर तां क अपनी असीम तं साधना से उस त को ा त
करते ह और तं साधना बना भैरवी( ी) के असंभव है, इसके बना तं माग पर चलना
तलवार क धार पर चलने के समान है। भैरवी कदम कदम पर र ा करती है और क को
वयं सहती है। तं से ही अघोरपंथ नकला, क मीरी शैव दशन, कौला तक स दाय,
शा स दाय, कापा लक स दाय जैसे तां क समुदाय ने भारत को एक समय म दे वी
दे वता क गढ़ बना के रख दया था, उस व तके भारत म परमान द क हवा बहती थी।
ले कन तं को बदनाम करने क सा जश ने आम लोग को इससे र कर दया। इसे जा
टोना षट् कम जैसे तु कृ य का नाम दे दया गया जससे आज भारतीय समाज दे वी
आराधना से भी डरता है, लोग इसे पाप मानते ह अब भारत क कुछ जगह पर, तभी आज
लोग गु ढूं ढ रहे ह, और उ ह गु नह मल रहा य क अब सफ योगी बचे ह और एक
योगी बना तं के कुछ नह है, जबतक वह योगतं परक साधना नह करता तब तक वह
आ म ान ा त नह कर सकता या तो वह महा मा बु जैसी उ आ मा हो जसने
हजार मनु य ज म लेकर तं साधना क हो और अगले ज म म सफ गहन यान म वेश
करने से आ म ानी हो जाये। इसके और गु रह य ह म चंद श द म इस वषय क गूढ़ता
बयान नह कर सकता। ी से ेम से आप कुछ भी पा सकते हो, चाह वह मा ेम हो
प नी ेम हो अ य कोई। इसी कार दे वी साधना से आप सह ार यानी परमाकाश म
ा त समा ध म लीन परम शव/परमे र को जागृत कर सकते हो, य क जब पावती
बैठती ह तप या म तब शव का आसन डोल जाता है। दे वी आराधना आपको जतनी
ज द ान दे सकती, आपके ऊजा क को खोल सकती है वह योग नह कर सकता,
य क योग यो यता से ा त होता है और यो यता ा त होती है दो तरीक से।

साधना
तप या

तं है साधना, और योग है तप या, तो तं आपको स दे ता है जससे आगे का माग


वतः खुलता जाता है। और योग यानी तप या म आप वयं को योछावर करते हो जलाते
हो खुद को याग करते हो वैरा य वीकार करते हो तब सं कार जलते है दर दर भटककर
भीख मांगने से, भूख सहने से फर भीख मांगने से तभी सं कार वचार जलते ह, आपका
अहंकार इ ा न होती है तब आपका यान गहरा लगता है जब आप संसार से पूण वमुख
हो जाते ह तभी अंदर क ओर ग त होती है याहार स होता है, और धारना सधती है
य क अब बाहर से आपका मन भर जाता है, फर यान गहरा लगता है, और आपके पूण
समपण से समा ध घटती है, और समा ध म फर वह कुंड लनी पी परमे र ऊजा जागृत
होती है और परमे र को समा ध से उठाकर मलान को पूण करती है तब आप आ म ानी
बनते ह, यही स ाथ गौतम को करना पड़ा था, स चये कतना याग है तब सफलता
मलती है, वो भी ज री नह है क मले अगर से सं कार नह जले, या कह कोई वासना
इ ाएँ दब ग , तो भटकते रहो कुछ नह मलना यही है योग क तप या और ऐसे मलती
है यो यता परमवैरा य से। और तं म या करना है? पूण शु प से, सम पत होकर मं
जाप करना है मं जाप क ऊजा आपम यो यता लाती है और आप दे वय को महा व ा
को स करते ह जससे आप एक महान तां क योगी बनते हो।
आपक वीकायता ही आपके परम ान का ोतक है। वीकायता है परमे र को वीकार
करना, उसक कृपा क कामना रखना य क उसम ज द सफलता है भाई दे वी
ज द सुनती ह स े साधक क । जो लोग हचय को बचाने के लए य से री बनाते
ह, उ ह तु समझते ह वही भटकते ह, उनका हचय कभी सफल नह होता, य क
जसने आपको ज म दया उस जननी को नकार के आप कौन सा घमंड लए बैठे हो मेरे
भाई, अरे ये आपक अपनी वासना है जो आप य के तेज को सहन नह कर पा रहे,
उ ह दे ख के वच लत हो जाते ह, स ा चारी एक वे या के हाँथ का भोजन कर लेगा
फर भी त नक भी वच लत नह होगा, और उसे सहष वीकार करेगा उससे वातालाप
करेगा फर उसम वासना जरा भी नह खटकेगी य क उसने उसे परमे र का ही एक
प वीकार कर लया है, वो जस बौ क तर पर स च सकता है एक साधारण मनु य
नह स च सकता। गौतम बु को ही ले ली जए उ ह ने एक वे या के हाँथ का बना साद
सहष वीकार कया था, इसके घर भी गए थे। यही रह य ह इस कृ त के। अ ा जो
लोग जबद ती करते ह और सर को उससे र रहने का ान बांटते है फजूल का वही
प तत होते ह, य क वे रह य ही नह समझ पाए ी का परमे र का। आपको अपने
हचय म सफल होने के लए ी को मातृ व प म वीकार करना होगा तभी आप अपने
हचय म सफल बनगे, वयं जगद बा के चरणकमल अपने दय म धारण क जये आप
सफल हो जाएंगे वासना आपको कभी नह सताएगी। वयं रामकृ ण परमहंस दे वी काली
को मातृ व पा मानकर उनके चरण को अपने दय म धारण करते थे तभी वे साधना क
परम ऊंचाइय तक प ंच पाए अपनी प नी को मातृ व पा मानने वाले थे वे। यही रह य
उ ह ने नर को बताया था जससे वे भी इसम सफल ए और वामी ववेकानंद के नाम से
सारे संसार म व यात ए आज उ ह और वयं बु को कोई भूल नह पा रहा भुला ही
नह सकता य क उ ह ने परमे र को वीकार कया उ ह उ दजा दया। ववेकानंद
का अखंड हचय ने उ ह असीम मृ त श दान क , उ ह आ म ान आ राजयोग
दया उ ह ने संसार म, ान दया भारत दे श का नाम ऊंचा कया संसार म आज उनक
श ा को कतने युवा पालन करते ह। तो मूल या था परमे र को वीकारना और
उ ह ने उ ह कहाँ प ंचा दया। यही तो काय आपक कुंड लनी दे वी करती है उ ह वीकार
करते हो आप तो वे आपको वयं परमे र् से मला दे ती ह, या वयँ आपको आ म ानी
बना दे ती ह। आजकल तं ानी ब कुल नह बचे और जो बचे ह वे वयं को छपाएं ह,
य क उ ह पता है अभी समाज तं क गूढ़ता से अन भ है यह उ ह वीकार नह
करेगा। योगी अव य चार ओर मल जाएंगे वयं भटके ह सर को भी भटका रहे ह या
क ँ इससे अ लाइन नह मली आजके अ या म क ा या करने को।।
आजकल इंसान पी पड शरीर बंट गया है एके रवाद के नाम पर जब क वह त नक भी
इसका रह य नह जानते। जो उसे श मानते ह वे भी भटक गए ह जो उसे मानते
ह वे थोड़ा कम भटके ह पर भटके अव य ह। य क श मानने का मतलब है शू य को
मानना य क कहाँ कुछ नह है वहां कुछ न कुछ अव य है और है वकट। शू य श है
इसी लए श भारत ने द इस संसार को तब संसार म ान क खोज ई, बना श के
शु वात नह । तो श जो है शू यता और शू यता का मतलब जब कुछ नह था, मतलब
ु टन आ ही नह था, सवाय शू य था, जब ु टन आ तब परमे र और परमे र
उ प ए फर बाक सृ उनसे ई, मतलब वो दोन पहले एक थे जब अलग ए तब
सृ बनी बाक संसार ह पड उ प ए कृ त क या अनुसार। तो श का मानना
है शू य का मानना और शू य से आप रह य नह समझ पाओगे य क आप बाक सब
दे वी दे वता परमे र और परमे र को नकार दोगे सफ वचार के रसातल म ही डु बक
लगाते रहोगे दे व/दे वी दशन नह कर पाओगे। इसी भटकाव म आपका सारा जीवन ख म हो
जाएगा। ओशो इसके उदाहरण है य क उ ह ने सफ श को माना। अ ा तो
फर को मानने वाले कौन ह, ये वे लोग ह जो एक ई र(पु ष) या परमे वर को ही
मानते ह, अब चूं क परमे र तो ब त ऊंचाई पर ह जैसा वे लोग कहते ह अगर मान लया
जाए तो वे सातव आसमान म है, पर ये भूल है य क वे वहाँ कसी सघासन म नह बैठे
सबसे बड़ी भूल है यह, वह परमे र ह जो परमसमा ध म बैठे ह उ ह सफ और सफ
परमे र ही जगा सकती ह, और परमे र को तो आप मानते नह तो आपक फ रयाद
कैसे प ंचे वहां कौन लेकर जाए, "यह है गागर म सागर वाले श द" तो सफ मानने
वाले भी भटक गए य क इस क श को उ ह ने अ वीकार कर दया भाई। बना
श के हलचल नह कसी चीज म यही रह य है इस जीवन के। तो वे धम ज ह ने ी
को ढं क दया, छपा दया, उसे गंदगी क सं ा द , समाज म उसे अजनबी के प म माना,
ताडन के अ धकारी जैसे वहशी श द क रचना क वही है असली भटके ए लोग उ ह
इस संसार तो या इस हांड के कसी कोने म शां त नह मलेगी लख लो।। अ ा
जसने परमे र यानी आ दश को माना उसक पूजा क उसे स कया उसक कृपा
ा त क वही आज फल फूल रहा है वह आ म ानी ज म ले रहे ह, और सारे संसार को
शरीर तल से उठकर आ मतल पर जीने का ान दे रहे ह। य क ये लोग जानते ह
परमे र को ऐसे ही जाना जा सकता है या उ ह समा ध से जगाया जा सकता है जब हम
उनक श क आराधना करगे। तभी आज दे खए सनातनी कतने वधान से दे वी पूजा
करते ह, य क यही स य है जससे भटके ए लोग र भाग रहे ह, अरे वो श से र
भागकर आस को जगाने जा रहे ह जो परम समा ध म सोया आ है। मुझे व ास है क
यह लेख आपको असली रह य से प र चत करवा पाए।

ाथना
ाथना म ब त श है और यह नभर करती है क आप कतने शु , व , सकारा मक
वचार वाले और ऊजावान ह। ाथना स े मन से बना यान भटकाये करने पर अव य
सफलता मलती है ऐसा मेरा अनुभव है। श या है ऊजा, यह स ूण हांड ऊजा ही
तो है और हम वयं इस हांड का लघु सं करण है, जन त व से इस हांड क सृ ई
है, उ ही से हमारे शरीर क भी रचना ई है, और इसे अ ुण बनाये रखने के लए हम
भोजन करते ह जससे ा त ऊजा हमारे शरीर को ऊजा दान करती है। हमारे दमाग म
मौजूद असं य कोशकाएँ इसी ऊजा श क सहायता से ाथना क अव ा म एका
होकर अदभुत वचार क ऊजा को ज म दे ती ह जससे हमारी ाथना म अभी स
मलती है। तो ाथना म ब त श तभी है, जब आपम सकारा मक श है, और आपक
एका ता श मजबूत है आपका मनोबल उ है। मुझे इसमे अ यंत व ास है य क
मेरे अनुभव ने मुझे इसमे व ास करने पर मजबूर कया है।

त या उपवास का माहा यम
त/उपवास ाचीन ऋ ष/मु नय ारा खोजा गया तरीका था शरीर को
व ाम दे ने का आपक जठरा न को व ाम दे ने का।
यह आपक जठरा न को सम पत एक दन है जसमे वो खाना पचाने के
बजाय खाली होकर वात प और कफ क सफाई तथा शरीर से े मा
दोष न करती है और इनका न काशन करती है मल ार से।
जो त/उपवास केवल पानी पीकर न रह पाए और उसका पेट दद करे, तो
समझे उसमे सबसे यादा अशु यां ह।
ये पेट दद आपको भूंख के लए उकसाता है इससे बच, दरअसल आपके
पेट म मौजूद अंग को राहत दे ने के लए यह एक नु खा है, खाली समय म
वो अपने आपको ठ क करते ह।
इससे आपक लवर, नाल, प ाशय, गुदा, वगैरह जतने अंग होते ह उनक
सफाई हो जाती है और दद का मतलब होता है उतना ही खराबी आपम पैदा
हो चूं क ह ज ह ठ क करने म मीठा दद उ प हो रहा है।
जब पेट शांत होता है य क ऊजा अब खाने को पचाने म नह लग रही तो
जब आप ई र का भजन करते ह तो आपक ऊजा वहाँ बहती है जससे
यान ाथना अ होती है और अभी फल क ा त होती है।
त वही है जसमे सफ पानी पीना हो या पानी न पीना हो तो और सोने पे
सुहागा य क तब आपके शरीर म जो षत या तेल जमा है वह सब
नचुड़ के नकल जायेगा अंदर से भी और बाहर से भी जससे आप साल
तक बीमार नह पड़ोगे।
भूंखे/ यासे रहने पर वैरा य उमड़ता है, यादा बोलने का मन नह करता
सफ स चने का मन करता है, या कहे आ म चतन करने का मन करता है
अकेले म रहने का मन करता है, इससे आपक आ मो त होती है, आप
पशु सं कारो को न करते ह और उ त करके ई रीय सं कार वयं म
समा हत करते ह।
इसके ऊपर वाले पॉइंट के हसाब से जब आप उपवास वाले दन गहरी
स च म डू बते ह, तो आपके सर के पीछे त अधोलघु म त क स य हो
उठता है, जसका संबंध हांडीय ऊजा से हो जाता है चूं क आप शु हो
और सकारा मक हो, पेट खाली है तो आपको व वचार, अ या म ऊजा,
ई रीय अनुभू तयां, ई र दशन तक क संभावनाएं बन जाती ह।
लोग सफ जीभ के वाद के च कर म बकवास भोजन पेट म भरते रहते ह
अकारण फर जीवन भर मूढ़ बने रहते ह, इसका मु य कारण यही है क
आप पशु क तरह ढे र भर खा गए अब आप ही स च आप कैसे इंसान ह गे,
अ ानी, और गधे वाले काय ही आप कर पाओगे, इस अ त दमाग क
मता को नह खोल पाओगे इसी लए सा वक भोजन नामक णाली
भारत म लगभग हर सनातनी के घर म अपनाई जाती है य क लोग को
अपने ब को इंसान बनाना है ख र नह ।
जैसा आपको काय करना हो वैसा ही भोजन आप कर यह नया को भारत
दे श ने ही सखाया। यह उपवास भी उसी भोजन णाली का ह सा है जसे
ाचीन भारत म हर जगह अपनाया जाता था, आज पता नह या हाल ह
असली त/उपवास के।
अ ा भारतीय सनातनी म हलाएं इसमे हमेशा समझदार थ इसी लए वे
इस रह य को समझती ह और इसे आज भी जीवन का अ भ ह सा
बनाये ह। परंतु ये सब के लए था य क सबम जठरा न होती है, सबम
दोष पनपते ह, सबम वात/ प /कफ बनता है। ले कन या कर साहब
पा ा य इलाज जैसा वक प भी तो हो क एक छोट गोली खाओ और
काम हो जाएगा, पर यान र खये वो छोट गोली आपके गुद आपका दमाग
आपक नस ना ड़यां, और आपका खून सड़ाने के लए काफ है।इस लए
भारतीय ह तो भारतीय ही रह और भारतीय गुण मत भूल।
इस लए कम खाएं, मन से खाएं, पर अ ा खाएं जसमे वाद चाह न हो पर
ऊजा अव य हो य क ये शरीर ऊजा से चलता है न क यादा खाने से
य क फर उसे पचाने म ढे र ऊजा लगती है, और ढे र मल आपके शरीर म
इक ा होता है, फर तरह तरह क बीमा रयां पनपती ह।
खाना वही अ ा जसमे बार बार पानी न पीना पड़े , य क खाना खाने के
तुरंत बाद पानी पीने से क ज, गैस, अपच जैसी सम याएं पैदा होती ह।
उपवास अव य रख, इससे आप खुद के शरीर क मदद करते हो अंदर से
सफाई करने म। और आपक उ बढ़ती जाती है, मोटापा वतः छट जाता
है।
त/उपवास के ढे र फायद ह ज ह गनाने से लाभ नह अ पतु वयं अनुभव
से लाभ है इस लए सब लोग जीवन म इसे अपनाएं और बना बीमा रय
वाला लंबा और खुशहाल जीवन पाएं।

जीव
वन त/जंतु/पशु/मनु य ये सब इस कृ त क या का ह सा ह, ये अनंत सृ बढ़
रही है हर पल उसी कार बाक चीज भी उसी या के अनु प घ टत हो रही ह। ई र
ने इ ा कर द एक से अनेक होने क पर इसका मतलब ये नह क तारे ह उप ह, एक
दन म बन गए, ऐसा ब कुल भी नह है इसका इ तहास अरब साल का है। अरब साल
म ये कृ त आज इस प म मौजूद है, जब आप आ म ान क सीढ़ म प ंचने वाले ह गे
तब आप इस रह य को समझ पाएंगे। मनु य एक दन म नह बना पहले सफ ूल ह
बने जसके बाद जल क संभावनाएं बनी, और ये अनंत आकाश फैल रहा था, नए गृह और
तारे बन रहे थे, उसके बाद वन त बनने म हजार साल लगे फर धीरे धीरे जीव जंतु बने
फर और वकास आ तो पशु प ी बनने क संभावनाएं ंई, बड़े बड़े जीव बने, जब लाख
जीव अरब खरब साल क या ा से बने तो फर वन मनु य नामक जा त का ज म आ
फर इंसान जैसी समझ आई। अ ा अब चूं क आप इंसान ह तो जब आप बुरे कम करके
अपनी आ मा का तर गरा लेते ह तब आप जानवर बनते ह और ये भी कृ त क या
के अनुसार घटता है, तो इसमे आप भगवान को दोष मत द ब क आपने अपनी मनु य
पी वतं ता का गलत फायदा उठाया है इस लए हांडीय नयमो अनुसार आपको सजा
मलती है, तो यान रख ये मनु य जीवन अ त लभ इसी लए है।।

भगवान साकार या नराकार


"सनातन ह धम का अबतक का सबसे बड़ा रह यो ाटन कोरा पर पहली बार दल थाम
के प ढ़ए शां त से और जीवन म खोजी ब नये ना क तक म उलझी आ मा य क कुछ
समय बाद आप कूच कर जाएंगे पृ वी से"
एक से यादा दे वी/ दे वता क पूजा के पीछे कई रह यमय कारण है। ह धम या कह
सनातन धम ही एक ऐसा धम है इस संसार मे जो लोगो को छू ट दे ता है जब बात धम क
आती है और उ ह आजाद दे ता है क वो जैसे भी चाहे ई र को पूज सकते ह, या मान
सकते ह। चूं क ये परंपरा हजारो वष पुरानी है, तो इस तरह से कई ऋ ष मु नय ने पूरी
आ ा से और सम पत होकर ई र क खोज ारंभ क जसमे सबको आशातीत सफलता
मली परंतु कसी ने भु के मनु य के जैसे ही व प के दशन कये कसी ने नौ दे वय के
दशन कये, और ये दशन अ त थे, दे वी दे वता ने अपने पूण प म ऋ षय को दशन
दए, और ान दया और संसार को आगे बढ़ाने का नदशन कया। अब आप कहोगे भला
ऋ ष मु नय ने दे वी दे वता के दशन कैसे कये इन चम च ु से, तो दे खए उस समय
के ऋ षगण गृह जीवन के साथ साथ परम चारी का भी जीवन यापन करते थे,
जससे उनके शरीर का वकास अ त होता था, और ई र के त उनका भ भाव का
समपण अथाह होता था जससे उनके शरीर मे मौजूद सभी च खुल जाते थे जससे वो
एक पूण पु ष बन जाते थे, इ ही च म मनु य के भ ह के बीच एक तीसरी आंख होती
है जसका अनावरण होने पर आपको सच दखने लगता है संसार का, और आप संसार क
हर व तु के त पूण वैरागी हो जाते हो,और आपक सारी इ ाये ख म हो जाती है बस
आप वयं को और ई र को ही जानना चाहते हो, आप अपना अ त व जानना चाहते हो,
और जानना चाहते हो आप कौन हो? कहाँ से आये हो? कहाँ को जाओगे? इसक अपनी
कई अव ाएं ह, इसक उ अव ा है, परमा मा के दशन क श ा त होना, और
परमा मा को इस संसार क हर एक चीज म दे खने लायक हो जाना। तो इस तरह क तीसरे
आंख के अनावरण करने के बाद वो दे वी दे वता के दशन अपने मानसपटल पर पाते थे
और संसार के रह य पूंछते थे, उस समय का इंसान आज क तरह कपट राचारी, े ष
भावना रखने वाला, काम, ोध, लोभ, मोह मद, म चूर रहने वाला नही होता था इस लए
वो दे वी दे वता के सबसे करीब होता था। तभी दे वी दे वता ने ऋ षय को उनक
वै ा नक व ध बताई थी मू त ापना करने क , जससे उस मं दर का संबंध उस दै वीय
नया से जुड़ जाता था, ये और भी गूढ़ और रह यमय वषय है, वहां पर जाने वाला हर
ाणी सुख और शां त पाता था, और दान करता था, जससे साद तैयार कया जाता था
और उ ही सब भ ो म बांट दया जाता था।अब कोई कहे मुझे कोई शां त नही मली या
मुझे नौकरी नही मली मं दर जाके तो उसका भी राज है, क हर दे वी दे वता क मू त
आशीवाद दे ती है जसका मतलब होता है, क जाओ हमने तु हे वग जैसी पृ वी द , हाँथ
पैर दए , दमाग दया, और या चा हए, पहले जाकर उसपर मेहनत करो और अपनी
इ ाएँ पूरी करो फर जब समझ आ जाये क हां अब म संतु ँ तो फर आना शां त क
तलाश म। जो क रह य है ई र के दे वी दे वता के प म पूजा करने के पीछे , घर मे मं दर
बनाने के पीछे कारण ये है क रोज सुबह शाम जैसे मं दर म आरती भजन या मं ो का
उ ारण होता है और उससे मं दर का माहौल शांत और आनंददायक होता है उसी कार
घर पर भी आप ऐसा करे इससे आपके घर मे सुख शां त बनी रहेगी और मं ो के जाप से
मं दर और घर के माहौल म एक ऊजा ज म लेगी जो नकारा मक श य का वनाश करके
सकारा मक ऊजा को ज म दे गी जससे इंसान क ख और बाधाएं ख म ह गी। ये तो मने
आसान श दो मे बताया है जतना आप लोगो को समझ आये और आप लोग बोर भी न हो
नही तो मेरे पास ऐसे ऐसे वै ा नक सा य भरे पड़े ह जससे म वयं आपको दे वी दे वता
से मलने का रा ता तैयार कर सकता ँ परंतु ये आजकल क भागदौड़ भरी जदगी म ब त
क ठन है, और यो य साधक मलना जैसे अरबो च टय म सुनहरी च ट ढूं ढने जतना
क ठन है।
अब जब क कुछ ऋ षय ने इस तरह भगवान के कई व प को तरह तरह के दे वी
दे वता के प म जान के हजार शा क रचना क जससे सनातन धम और वै ा नक
प लेता गया, ये मौजूद हमेशा था बस खोज तब शु ई जब इंसान अ त ब म आया
और उसने वयं को जानने क इ ा जताई। उसक खोजी वृ ने ई र के कई पो म
खोजा और संसार मे ान दया, परंतु उ ही म से कुछ लोग अब भी इतने खोजी थे क और
कुछ जानने चाहते थे, वो चुप नही बैठना चाहते थे, इसी लए कुछ सनातनी लग गए ई र
को और गहराई से खोजने म कुछ ा त नही आ, कई साल लगे कह कुछ पता नही चला
सवाय दे वी दे वता के परंतु वो तो स य का भी स य जानना चाहते थे, चाहे जैसे जाने
उनके इस तरह समपण ने उनके जैसे और कई लोगो को आक षत कया और सब लग गए
गुफा म घुस गए हजारो सालो क तप या और यान म,,
अब आप कहगे क वो भूखे यासे कैसे हजारो वष जदा रह के तप या कर लेते थे? इसका
जवाब है, क इंसान क रीढ़ के सबसे नचले ह से म एक ं थ होती है जो क अ त सू म
होती है, अगर आप इस ूल शरीर को चरोगे/फाड़ोगे तो वो नही मलेगी परंतु वो होती है
ये मेरा वयं का ूल और सू म अनुभव है जसे मने महसूस कया है, तो उस ं थ को
हमारे ऋ ष मु नय ने ंथो म मूलाधार च नाम दया है, इस मूलाधार च म ऊजा होती
है, जो क आपक मैथुनी ऊजा( जसका इ तेमाल संतान उ प म होता है या जसे हम
आप वीय कहते ह) को प रव तत करके ओज प म तैयार करती है, तैयार करने के लए
आपके मूलाधार च म एक स पणी बैठ होती है जसक पूंछ उसके मुह म घुसी होती है,
अब जब वो अपनी पूंछ को उगल के जसे कुंड लनी श का जागरण भी कहते ह, ओज
पी ऊजा को ऊपर के च , वा ध ान, म णपूरक, अनाहत, वशु , आ ाच , और
अंत मे जहां सनातनी चु टया रखते ह वहां पर मौजूद सह ार पर प ंचती है तो इनसब
च का धीरे धीरे जागरण कर त जाती है, अं तम च यानी सह ार के जागरण से सर के
ऊपर मौजूद एक नाजुक और सू म छ खुल जाता है जससे इस च का संबंध हांड
क कॉ मक श से हो जाता है, और ये सब घटता है गहरे यान क अव ा मे ही, खैर
हांड से उस इंसान को जो क अब परम ानी, या परम ा या कहे, आ म ानी, या कहे ,
स पु ष, या कह वयं बु , जो ान को ा त हो गया हो, फर उसे कसी भी तरह के
भोजन क आव यकता नही होती, न ही कसी तरल क ही ये सब उसे ऊजा के प म
ा त होता है, हांड से।
तो उस तप या या यान क अव था म उ ह ने अनंत ई र को जाना जो क सारे हांड म
ा त था, मतलब, 84 लाख जीवो म वो, पेड़ पौध म वो, हांड म वो सूय चं मा म वो
दे वी दे वता म वो, हर पदाथ म वो, मतलब उन तप वय ने वयं म भी ई र के अंश
आ मा को दे खा और उसका सा ा कार कया, सा ा कार करने का मतलब होता है, ं ,या
म , ँ, यहां म(अहंकार मट जाता है) सफ ं रह जाता है फर थोड़ी दे र म ँ भी मट जाता
है और परम शां त हो जाती है ा त। बस फर वयं का न होना रह जाता है, वयं का
अ त व मट जाता है, बस होना रहा जाता है जसका भी आधार ख म हो जाता है य क
उसको जानने वाला या उसक समी ा करने वाला भी मट जाता है, तो इस कार वो
महान तप वी और आ म ानी,, ई र जसे आप एके र कहते ह उसको हर जगह पाता है,
मतलब इस संसार मे ऐसी कोई चीज बनी ही नही जो इस ई र से अलग हो तो इस त
को महा मा बु ने ई र का सा ा कार बताया है। यही एके र है जो कई सालो बाद परम
ा नय को ही उपल होता है। अब यहां दशन इस लए नही कहगे य क जो हर जगह
ा त है उसे भला आप कैसे एक जगह खड़ा करके दशन कर सकते हो, वही नराकार
परम ह व प है, उसके दशन के लए उसके साकार प क प रक पना करके स े
मन से ाथना करनी पड़ती है तब वह साकार प म दशन दे ता है आपक आ ा के
अनु प, अब कोई कहे क सनातनी झूट बोलते ह या कुछ नही जानते तो सनातनी चुप
रहता है और मु कुरा दे ता है चूं क वो जानता है क इसके धड़कते दल मे भी तो वो है। अब
आप कहगे तो फर दे वी दे वता य मानो?? जब ई र ही सब कुछ है?? तो मेरे भाई मेरे
बंधु, दे वी दे वता जो ह उसे आप इस तरह समझ सकते ह ,,
जस तरह आपके ज म के लए माँ बाप चा हए, नही तो आप इस संसार मे ज म नही ले
सकते, या ले सकते ह? जस तरह आप श ा हण नही कर सकते उसके लए आपको
तरह तरह के अलग अलग वषय पढ़ने के लए अलग अलग श क चा हए होते ह, जस
तरह आप के जैसे लड़के लड कया ढे रो है जो क व भ ता को समेटे ए ह, हर कोई
एक सरे से अलग है सबके वचार अलग अलग, सबक भावनाये अलग अलग, सबके
प रंग अलग अलग, कोई सुंदर तो कोई कु प, कसी के आंख नही तो कसी के पैर नही,
कसी को ग णत पसंद तो कसी को रसायन, कसी को सेब पसंद तो कसी को आम कसी
को बगर पसंद तो कसी को प ा, कसी को को क पसंद तो कसी को ध, तो
कसी को दही, इस तरह जब आप कह नौकरी करते हो तो कई वभाग होते ह जहां कई
लोग अपना अपना काय संभालते ह ऊपर एक लीडर होता है जो सबको संभालता है।
मतलब हजारो, लाखो व भ ताएं, जससे संसार मे तरह तरह के रंग बरंगी नया है, ये
सब आ माएं इंसान प म अपने अ े बुरे कम के कारण इस संसार मे आती ह कभी बुरे
कम का फल भोगने तो कभी अ े का, हजारो ज म लेके, जब कोई आ मा उ त
को ा त होती है, तो वो समाज मे सकारा मक प रवतन लाती है। आप जतने भी महान
लोगो को जानते ह वो उ ही उ आ माओ के गुण वाले होते ह ज ह आम जनता पूजती
है, और उनके गुण का बखान करती है सालो साल तक और उनक बताई ान क बात
का अनुसरण करती है, ब क वो सब भी उ ही के जैसे इंसानी प लेके ज म लए और
उ ही के बीच रहे फर भी कतने भ सकारा मक गुण ने उ ह कभी दे वी तो कभी दे वता
का प दया, ये त उ ह इस लए ा त ई य क वो ब त उ त को ा त
ानी आ मा थी जसने संसार मे ज म लया यहां के लोगो का क याण करने के लए।
बुराई को ख म करने के लए और मनु य को जीवन म सही राह दखाने के लए। अब ये
उ आ माएं ई र के सबसे करीब रहती ह जससे ये पृ वी पे अपना काय पूरा करके, इस
लोक से उ लोको म जाके यहां के लोगो का नदशन करती ह, संसार को संभालती ह।
अब जस तरह से आपको कोई ान क बात या पैस क ज रत के लए कृमशः श क
के पास और पता के पास जाना होता है तब वही लोग आपक मदद करते है न?,, या आप
सीधा उस एक ई र को बुलाके ये सारी चीज मांगते हो? नही न ? तो इसी तरह ह
सनातनी भी दे वी/दे वता से ान यान शां त क कामना करते ह, और इनसे मदद मांगते
है स े दल से जससे उ ह तुरंत मदद मलती है दे वी दे वता क ।
अब आप शायद साकार या नराकार को लेके च तत हो या समझ गए हो म नही जानता
इस लए म इस राज से भी पदा उठाता ँ,
""महाभारत म भगवान ी कृ ण से अजुन जस प म र वण( जसमे मन ही मन बात
होती है, जसे सफ संजय ने अपनी र णव क श से सुना) कर रहे थे और ये एक
मान सक वातालाप था जो कुछ समय मे हो गया था मतलब गीता के 18 अ याय कुछ ही
समय म भु ने अजुन को समझा दए थे, खैर जब अजुन क तरह साधारण प म परम
रह यमयी और लीलाधर भगवान ी कृ ण बात कर रहे थे तब वो उनका साकार दै वीय प
था, ले कन जब अजुन ने जद क या इ ा जा हर क उस परम नराकार परमे र के
व प का दशन करने क तो, वयं भगवान ी कृ ण ने अजुन को बताया क दे खो, अभी
तुम जन च ु से मुझे दे ख रहे हो वो तु हारे साधारण चम च ु(आंखे) ह, इनसे तुम मेरे
वराट नराकार व प को नही दे ख सकते हो, इस लए म तु हारे द च ु(आ ाच /
तीसरी आंख) क श को अनावरण करता ँ, जससे तुम उस व प को दे ख पाओगे,
और इस तरह भगवान ने उसे वो श दे के, थोड़ी दे र म अपना वराट व प धारण कया,
जसका न कोई आ द था न कोई अंत था, वो हर जगह था, अजुन के भीतर, वहां मौजूद हर
चीज म जहां अजुन दे खे वही सफ वो ही वो दखे, वयं अजुन म भी वो ही भाष रहा था,
यही था परमे र का वराट " नराकार" व प जसको अजुन ने महसूस कया था, और
अजुन इस गंभीर और परम गूढ़ रह य को जान के कांपने लगा था, जब उस वराट व प
ने अजुन से कुछ कहा था तो वो आवाज अजुन क भीतर से संसार के सम त ह पडो,
और मौजूद सभी ा णय से वो आवाज आ रही थी मतलब वो हर जगह ा त था, ये सब
दे खके अजुन ब त ही डर गया था और भु से उनके साकार प म लौटने का आ ह
कया तो भु फर अपने कृ ण अवतार म कट हो गए और फर अजुन को संभाला। अब
आप ये भी जान गए साकार और नराकार परमा मा का अंतर। परमा मा ब त ही रह यमय
है जसे साधारण तक म नही तोला जा सकता है। न साधारण मनु य उसक ा या कर
सकता है।
खैर इस तरह से उ आ माएं ही दे वी दे वता के प म मनु य का हर दम क याण करती
ह, उनके अपने लोक से, मनु य को भटकने से बचाती ह, पल पल मदद करती ह, भूखे के
भोजन क व ा करती ह, जीवो को पालती है। सब अपने अपने दए ए काय मे लगी
रहती है, और ईमानदारी से उसे नभाती ह, सबक अलग अलग ऊजा होती है सबक
अपनी अपनी श होती है ये सब आप सनातन शा म पढ़ सकते हो, दे वी दे वता और
उनके प और श यां। हर दे वता या दे वी का व प पूणतः वै ा नक है, अब म आपको
हर चीज बताने लगा तो कोरा भर जाएगा पर ये सनातन ान ख म नह य क इसपे
हजारो लोगो ने अपना जीवन योछावर कया है, और आप जानते हो जो जतनी मेहनत
और समपण दे ता है वो उतना ही ऊंचा उठता है, और खोज कभी भी बंद नही होनी चा हए
य क परमा मा अभी भी इंसान के लए खोज है, सफ उनके लए जो अनजान है या इस
खोज म उतरे नह शायद गहराई से घबराते हो बेचारे। खैर जो काली दे वी क जीभ नकली
होती है वो भी वै ा नक है ,और जो उनका पैर आगे को ग त कर रहा है उसका मतलब
होता है, अनवरत ग त से अ र संसार का, जो क बराबर प रवतनशील है, हम आप सब
पल पल ख म हो रहे ह, और एक दन इस संसार सागर से कूच कर जाते ह, और हमारा
सारा अ त व समट के कभी क तो कभी राख बन जाता है पर हम न जाने कस संसार
मे हो जाते ह गुम। फर हमारे सारे वचार भावनाये और हमारा अ त व मट जाता है,
हमारे अपने ही हमारे शरीर को जसपर हमे इतना घमंड था, ' जसके लए हमने संसार मे
या कुछ नही कया जसक इ ा को पूरा करने के लए हमने कतनी मेहनत क , पर
उस एक दन जस दन हम इस पजरे से बाहर नकल जाते है, इसे न कर दया जाता
है। यही सच है इस संसार का वो भी सबसे बड़ा। सनातन सबको यही ान दे ता है , और
आ तक ना तक, धम पे व ास न करने वाला, या कोई भी सरा इसको न मानने वाला,
सबको वीकार करता है, य क वो ये जानता है, ये सब न करके भी आप कुछ तो कर रहे
ह गे वो भी सनातन धम ही है, बशत आप कुछ अ याय या बुरे कम कर रहे ह तो इसके
ज मेदार आप वयं ह, और उसके कमफल को आपको ही भुगतान है लाखो पुनज म लेके
और भटकते रहना है 84 लाख जीव यो नय म।
"तृ त ही ा त" या " ा त ही तृ त"
नभर करता है आप ा त कस चीज क कर रहे ह। मतलब आज आप मनपसंद भोजन
करगे और अंत म मूछ टे ते ए बोलगे क तृ त हो गया आनंद आ गया तो यहाँ तृ त ए
'भोजन से' और ा त आ 'आनंद'। ले कन ऐसा तो नह है क अगले दन से आपको भूख
ही न लगे या ज रत ही न पड़े , है ना? सुबह ना ते के बाद शाम को भूख लग आती है फर
चाह सुबह जतना खालो तो फर अगले दन तो चूहे ही दौड़गे ये कैसी तृ त भला? ये कैसी
ा त? ये तो कुछ समय बाद म फर बल हो उठती है। इं यां छक ही नह सकत । कानो
को चाह जतना अ ा संगीत सुना दे ये दोबारा सुनना चाहेग कुछ नया, आंख को पूरी
नया के अ त य दखा द, ये कुछ और दे खना चाहगी फर चाहे वो मंगल ह क धूल
भरी आंधी ही य न हो, जीभ को सारी नया के ंजन चखा द कभी तृ त नह होगी
फर नए वाद क मांग करेगी, आज सहवास म उतरने के बाद अगले दन मन न करे ऐसा
हो ही नह सकता, तो इं य को आप कभी तृ त नह कर सकते। य क आप ा त सफ
ऐसी चीज क कर रहे ह ज ह आपक ये इं यां मांगती ह, आ मा को संतु नह मलती
इ य सुख से थोड़ी दे र अव य लगेगा आ मा तृ त हो गई परंतु ये सफ खयाल होता है
जसे आप बार बार दोहराते ह सफ खुद के अंदर तृ त को खोजने के लए पर वहां अभी
भी यास होती है।
तो फर कहाँ है तृ त जसको ा त करने के बाद दोबारा उसे ा त करने क आव यकता
ही न पड़े ?
बोधन म है तृ त बोधन को ा त हो जाने पर दोबारा बोधन क आव यकता नह रह
जाती, वहां तृ त आ मा को होती है, तो जब ा त ' बोधन' है तभी 'असली तृ त' है।
गौतम जब बु हो गए तो फर उ ह दोबारा बु होने क ज रत नह थी मतलब ये सोचना
भी अटपटा है। तो अगर आप सच म तृ त होना चाह तो ा त का उ े य बोधन होना
चा हए न क इ य सुख।

व ान को माने या भगवान
सनातन दो प म बट चुका है, एक है आ या मक प जो क सू म ान है और एक है
उसका भौ तक प जो क ूल व ान है। थोड़ी खोज क जये या मेरे जवाब प ढ़ए सब
समझ आ जायेगा।। व ान भगवान को सीधे नह बोल सकता क वो है पर अ य
इले ान और ऋ वेद के रह य ने व ान क खोपड़ी घुमा के रखी ई है जब से व ान
बना है, आप को वयं अ ययन करना पड़े गा आ खर व ान क कसौट या है। वो सफ
माण पर काम करता है। स म कुछ वै ा नक सनातन के रह य पर खोज कर रहे ह। ये
तो उछली भाषा बोलने वाले ह जो कह दे ते ह म तो व ान को मानता ं भगवान को नह ,
जब क न वो व ान को जानते है न ही भगवान को। दे खए ऐसा है एक साधारण इंसान
होता है उसे गहरी वै ा नक बात और आ या मक बात हजम नह होत इस लए वो एक
वचारधरना बना के खुद को संतु कये रहता है य क वो बेचैनी म नह जी सकता, उसे
भौ तक जीवन के रस से फुरसत नह आप उसे रह यो से प र चत कराओगे वो हंस के
टाल दे गा, बेचारा करे भी तो या?
कसी बड़ी चीज के लए समपण चा हए होता है, नह तो हर गली म एक आइं ट न मलता
और हर गली म स पु ष रह रहे होते। ये वो लोग होते ह जो अपना जीवन योछावर कर
दे ते ह अपनी बेचैनी को संतु करने म। एक साधारण इंसान के जरा सी च ट लग जाये वो
रोने लगेगा इ स लए ये सब के न समझ म आने वाली बात ह, जस दन आप भगवान या
व ान के बारे म सोचने लगते है उस दन आप अपने भौ तक जीवन से वमुख होने लगते
ह, य क ये दो प आपक सकल ऊजा क मांग करते ह, यहाँ संतु नह , ज द अ पतु
रह यमय और खोजी जीवन है।।
आप अपने कसी पड़ोसी से कह क चल भाई एक योग करना है जसम तु हे एक खास
तरह का रसायन खाना पड़े गा जसमे अगर सफल ए तो तु हे श मलेगी नह तो तुम
ख म हो जाओगे, जल जाओगे, यादातर लोग मना कर दगे। य ?? य क वो एक
साधारण इंसान है बेचारा भोग रहा है जीवन को भोगने दो उसमे नह दम ये सब करने क ।
यही चीज एक साधारण इंसान को असाधारण इंसान से अलग करती ह।
स चये मरने से डरने वाले भला या व ान क खोज म समपण दखाएंगे कहाँ वो नील
आम ॉ ग क भां त चं मा पर जाएंगे, ये तो फर भी व ान है फर भगवान जसने इस
अनंत को रचा है उसके लए कैसे वो समपण दखायेगा? उसके लए तो वो एक
प रभाषा नधा रत कर लेगा और जीता रहेगा भौ तक जदगी।।
अब आपके सवाल का जवाब मल चुका है आपको और नह मला तो आप ये समझ
ली जए जो आपको पसंद हो उसपे योछावर हो जाइए म आ ासन दे ता ँ आप कुछ न
कुछ पा लगे। आपका अनंत समपण अनंत से आपको मला दे गा जस स य को आप
जानना चाहते ह वो जान लगे, य क कोई भी वै ा नक व ान के माण तो आपको दे
सकता है य क वो ूल सनातन ान है।
पर कोई स /आ म ानी/बु /योगी आपको माण नह दे सकता ई र का रा ता बता
सकता है बस चलना आपको पड़े गा अगर आंत रक चाह है नह तो भौ तक जीवन का मजा
लेते र हए। कोई भी ई र को जानने वाला अपने लए ही उसे जान पाता है सरे म बना
पा ता के वो कुछ नह कर सकता य क ऐसी व ा है कृ त क जससे आप व ास
तब तक नह करते जबतक आप वयं उसक अनुभू त नह करते।।

अपने अंदर के 'म' (अ ) को कैसे ख म कर?


जस व आप ये सवाल करके "म" को समेट दे रहे ह सम झए यही त है अहंकार
र हत होने क , यही व ेषण करने क व आपके अहंकार को ख म करती है, फर
आपका होना रह जाता है, अहंकार नह रहता वहाँ। अहंकार को होने के लए दशन
करना पड़ता है। जैसे आपक वजह से कसी क जान बच गई तो आप च ला च ला के
अपनी वाहवाही को लोगो को बताने के बजाय इस बात से संतु कर ले क आप बस वहां
उप त थे, तो कृ त ने ऐसी व ा क जससे आपक मौजूदगी ने अनथ नह होने
दया, बस खुद को कृ त का अ भ अंग समझो अपनी अलग से स ा मत का बज करो।।
ये जो , मने कया, मेरी वजह से ये आ, म न होता तो ऐसा हो जाता वैसा हो जाता,
तु हारी मदद मने क , ये जो आपका "म" पन है ये आपको शां त से स चने नह दे ता गहराई
से क भला ये काय आपक वजह से आ तो य आ? या या ये कोई ऐसा काय था
जसे इस संसार का कोई नह कर सकता? मतलब वक प है आपके तो फर आप
कैसे खुद को महारथी सा बत करते ह, जस तरह एक अमीर के ऊपर भी अमीर होता है
उसके ऊपर भी अमीर होता उसी कार आपका भी वक प अव य होगा, बस जहां
आपक मदद से कसी क मदद ई वहां खुद को सम झए क क त ने अपने आप म
आपको जोड़ने क को शश तो क पर आपके अहंकार ने आपको ये पहचानने ही नह
दया।। आप बस अपनी सू म नजर दौड़ाइये सब नजर आ जायेगा क कैसे हम सब इसी
अनंत के अनंत ह से ह।। जैसे एक पेड़ ऑ सीजन छोड़ता है और वो सोचने लगे क म
ना ँ तो ऑ सीजन न बचे, और मेरी वजह से ये जीव जंतु जदा ह, मतलब पेड़ को
अहंकार आ गया खुद क का ब लयत पर। परंतु आप ये दे खए क अगर ये वशाल पृ वी न
होती तो भला वो पेड़ अपनी जड़ कहाँ जमाता? आसमान म? इसी कार आप भी स च
क कैसे इस पृ वी म रह रहे आप भी इसी म का ह सा हो और एक दन इसी म मल
जाओगे, और आपका सू म अंश आ मा जो क हर पल परमा मा से जुड़ी है अपने परमा मा
म ही मल जाएगी। मतलब बू द महासागर म ही मल जाएगी और वो भी महासागर बन
जाएगी। यहाँ पृ वी म आप अपना अलग से महासागर बनाने क को शश म लगे रहते ह,
अपनी अलग से नया बनाने लगते ह जब क आप ठहर एक पल नह सकते उस अनंत के
बना मज (इसका मतलब ये नह क आप तर क मत करो, खूब करो बस उसे मन से
सम पत रहने दो ई र क कृपा पर) काल हर पल आपसे पल पल ले लेता है और आप
फर भी अपने 'म' म डू बे रहना चाहते ह, ये तो बचकाना है, आप चाहकर के भी कुछ नह
कर पाते, इ ह रह य को एक योगी जानता है और जब सारा रह य इस संसार और
परमा मा का वो जान जाता है तो वो बस आनंद म झूमता है।।
ये बात सन 2006 क है ,मेरी दाद कु के मेले ग घूमने अपने दो त के साथ, वहां पर वे
अपने सा थय से बछड़ ग , उनके साथी लोग घर भी आ गए ये स च के क शायद हमारी
दाद भी आ ग ह गी घर, पर दाद नह आई थ , हम सब परेशान हो गए। फर शाम को
दाद आ ग 6 बजे यागराज से, उ ह ने बताया क उनका भतीजा मल गया था कु मेले
म वह उनको हमारे घर के 10km र तक छोड़ गया है। हम सब च कत हो गए ये लीला
सुन के य क हमारे दाद का भतीजा महान ना तक वो भला या करने गया था कु
यागराज? कोई औ च य ही नह बनता उनके वहां जाने का। खैर दाद तो ह र भजन करने
लग य क उ ह व ास हो गया था क वो वयं भु थे ज होने उनके भतीजे का प धर
के उनक मदद क कु क भीड़ से नकल के घर प चने म। खैर उस व त फ़ोन नह
होते थे यादातर तो लगभग 2 महीने बाद चाचा जी आये मतलब दाद के भतीजे तो हमने
और दाद ने उ सुकता वश पूंछा क आप कु के मेले म या करने गए थे? आपको हमारी
दाद कैसे मली? तो एक तो वो स हो गए फर कहते ह कौन सा कु मेला? म भला य
जाऊंगा वहां? वो बकवास जगह, मुझे इन सब चीज म व ास नह सब नौटं क है।। हम
और दाद सब उनक ओर दे खते रह गए, दाद ने उनसे कहा क तुम ही थे, पर वो नह माने
और वो चले गए।। उस दन से हमे व ास हो गया क ऐसी जगह पर वयं दे वता भी
पधारते ह, और बेसहारा लोग क मदद भी करते ह।। जीवन के अनुभव ही आपको उस
अन त क मौजूदगी का आभास कराते ह, ज री है पैनी नजर जो उ ह पहचान ले, और ये
तभी होता है जब आप "म" से ऊपर उठके स चते ह।।
इंसान ई र क सबसे खूबशूरत कृ त है, कैसे?
यत प डे तत हा डे य - मतलब जो हांड(ई र) म है वो इस पड(मानव शरीर) म है।
मानव शरीर इस हांड यानी ई र का लघु प है।। ाण श , मन श , आ म श
इन तीनो श य से बनती है च त श जसे तं क महाश कहते ह (तं ब त ही
रह यमय और सब के लए ज द आ मो त का रा ता तैयार करता है) और यह मानव
दय म वराजती है तो मानव शरीर शव है(इस लए मां काली का पैर शंकर भगवान क
छाती पर रखा है, वो सफ आपको समझाने के लए इतना रह यमय प दया गया है),
और जब वह यहां नह वराजती तो मानव शरीर शव है(मतलब पल पल मर रहा है और
एक दन ब कुल बूढा होके मर जाता है)।।
बस इतना समझ ली जए के जो ई र म है वो इंसान म है बस सु त है, और चाबी है खुद
को मटा दे ना।। ई र ने कोई बेईमानी नह क है इसे बनाने म बस ज रत है तो खुद को
उसका अंश समझ के उसके गुण का वयं म जागरण फर दे खए वो ही वो आपको
दखेगा च ं ओर।। ये मानव शरीर जतना बाहर से आपको खूबसूरत लगता है फर चाह
नर का हो या नारी का दोन म समान गुण है दोन कसी से कम नह और दोन एक सरे
के बगैर अधूरे ह, दोन को एक सरे क तलाश है। जतना बाहर से खूबसूरत है मानव
शरीर उतना ही अंदर से रह यमय है। इसके अंदर राज द न है जो खुलते ह जब मानव म
पा ता आ जाती है।। इस शरीर के एक एक अंग एक एक भाग को अ त रह य से
लबालब भरा है ई र ने, इसी लए इसके उ प म मौजूद दे वी/दे वता क मू त पूजा
क जाती, य क दे वी/दे वता ने ई र के गुण का वकास कया और वयं के शरीर के
रह यमय क को खोलने के लए हजार साल तप या क जसमे वो सफल ए इ स लए
इंसान उ ह पूजते ह, ये सब बड़े गूढ़ सनात नक वषय ह इनक कोई थाह नह ह आपको
इ ह समझने के लए वयं खोज म उतरना पड़े गा।सनातन धम के रह य के भी रह य ह,
फलहाल म उसी अनंत क खोज म ँ, जससे म लोग को और अ े से बता सकूं और
मदद कर सकूं उस अनंत को जानने म। एवम तु।

या भगवान और क मत जैसा कुछ नह ह?


क मत ार ह ज ह भोग के ख म करते ह हम आप सब, जो क आपके पूव ज म के
अ े कम होते ह। पूव ज मो के बुरे कम का ार भी हम भोगना पड़ता है बुरी
प र तय के प म।
आपके फेफड़ को पेड़ से जोड़ के दो भाग कर दए उस अनंत को जानना समझना कतना
आसान है पर आप कह इतना वराट परमा मा आपके सामने बैठके आपको ान दे
ीकृ ण बन के तो आपम अजुन जैसा याग भी होना चा हए।।अजुन ने हजार साल क
तप या से उस त को ा त कया था।।
मेहनत सुधारती है आपके वतमान जीवन को इस लए सफ ार या क मत या भा य के
भरोसे मत बैठ य क वो ज द ख म होते ह।
परमे र को पहचानना ब त सरल है पर सारे माण झूंट लगते ह य क वो आपका
अंतमन मा णत करता है। भौ तक/ता कक मन के लए आप कभी भी उस परमा मा को
मा णत नह कर सकते य क इसक रचना वयं परमे र ने क है जसक वजह से
आज संसार इतनी तर क कर पाया कतने लोग ने तरह तरह क खोज क लोगो के
जीवन म रस घोला। ऐसा करने क ेरणा उनके भौ तक मन ने ही द ।
भौ तक मन इतना श शाली होता है क परमा मा आपके सामने ह गे पर आप उनपे
व ास नह करगे।।
भगवान ी कृ ण अजुन को ान दे रहे थे पर अजुन का भौ तक मन बार बार सवाल कर
रहा था, और मानने को तैयार नह था क ये वयं परमे र का त प ह, फर जब ी
कृ ण ने उ ह अपना वराट नराकार परम ह व प दखाया तब उनक आंख खुली और
व ास आ परमे र पर। तब महायु शु आ।
ई र को आप अपने लए जान सकते हो अपने लए उनके दशन भी ा त कर सकते हो
पर संसार के लए माण नही पा सकते य क ई र चाहते ह मुझे पाने के लए सब
आ ा दखाएं सब अपना अपना यास कर। अ ा वाले इंसान को आपने माण भी दे
दया तब भी वो व ास नह करेगा, य क ऐसी व ा है सब के लए सबको अलग
अलग यास करना पड़े गा य क ये कोई भौ तक पदाथ नह जसे फै म तैयार करके
लोग को बेच दया जाए।।
या एक आम इंसान रोज़मरा के कामकाज म उलझ
कर भी कुंड लनी जागृत कर सकता है?
सब आम इंसान ह और रोज मरा के कामकाज सबके पास होते ह।
ऐसा सोचना क आप उसमे उलझे हो ये सफ खयाल है जो आपने पाल रखा है।
अब जब क आप आ या मक नयां म कदम रखना चाहते हो तो उ क पहली शत है
आपको ा बनना पड़े गा। मतलब जस चीज को आप एक बार अनुभव कर लगे उसे
दोबारा अनुभव करने का मन आंत रक प से न होना और कसी नई चीज/ वचार/बात/
रह य क खोज के लए त पर रहना ही ा होना है।
अब म आपसे क ंगा क चलो मरो अभी इ स व अपने वजूद को न करो, तो आप
करगे? जा हर है नह करगे य क आप सवाल पर ही वीकार कर रहे ह क आप उलझे ह
ये बड़ी वकट सम या है।
अब मैने जो आपसे मर जाने के लए बोला उसका रह यमय मतलब जानो— मर जाने का
मतलब है क म नह जी रहा ब क भु जी रहे ह, इससे तु हारा न काम कम सफल अब
जब क भु जी रह ह तो भु का गुण पाप कम करना तो है नह तो आप जा हर है अब
आप पाप नह करोगे, अगर आप अपने व को आंत रक तु दे ते ह।
बना पाप के बाद जो भी अ े कम करोगे वो भी न काम हो जाएंगे, य क तुम सब कुछ
ये समझ के करोगे क मुझमे भु भाष रहे ह तो अहंकार तो ब कुल ख म य क यहाँ
"म" ख म हो गया, य क भु ही ह, म तो ं ही नह ।।
इस वजह से ार नह तो अगले ज म नह ।
इस कार क गहराई तु हे अ या म के सागर म गोता लगवाती है जसमे मोती ही नकलते
ह।
अब रही बात कुंड लनी क तो इस तरह क पा ता जसमे आ जायेगी तो ताला है कुंड लनी
बस समझो जग जाएगी।।
एक बार कुंड लनी जगी तो सब जगे पर फर भी न जगे।।
असली या ा क शु वात तो अब होती है।।
अब दखाओ असली याग।।
कस उ म एक पूरी तरह से संतु है?
जस उ म वो संतु होना चाह ले, एक 16 वष का नौजवान स यास ले लेता है, पर कभी
कभी 95 साल का बूढा अभी और जीना चाहता है अभी और अ े से भोग भोगना
चाहता है।। ये समझ है कसी भी उ के पड़ाव म आ सकती है। मैने दोन उदाहरण अपने
सामने घटते ए दे खे ह। संतु या है?- ा भाव है, जसमे एक चीज को भोग लेने के
बाद मनु य तुरंत नई चीज मांगता है, वो रस ढूं ढता रहता है बाहर हर चीज को आजमा के
और उसको भोग के उसी व त ख म करता है, चूं क वो उसके रस को चख के उसका
अनुभव एक बार ले लेता है फर उसे उस चीज के रस को दोबारा पाने का मोह नह रह
जाता यही है संतु । तो इस कार से एक ा एक अनुभवकता भी है, और वो स ा
अनुभवकता है। एक ा नीरस जीवन जीता है, उसे हर बार नया चा हए इस नए रस क
तलाश उसे उसके वयं क तलाश म अ सर करती है।।
ा कौन है? जो सृजन करता है और उसी सृजन म रस ढूं ढ लेता है और उस एक रस को
बार बार जीता है, ये खुश रहता है य क इसे रोज एक ही चीज को करने म बड़ा आनंद
आता है यही असंतु है। मतलब अगर इसने आज पान खाया तो रोज खायेगा पर
संतु नह होगा उसे वही चा हए बार बार उसे इसी तरह के कई रस क आदत पड़ जाती
है तो वो उ ह रस म मदम त रहता है उसे नह फ नई चजो को कभी भूले भटके उसे
नई चीज का वाद मल गया तो वो उसे भी भोगता रहेगा बराबर पर संतु नह होगा
इसी लए ा भो ा भी है और कता भी है, पर अनुभवकता नह है य क वो
अनुभवकता हो गया तो फर वो भी ा बन जायेगा ये स य है, इसी लए वो बस आनंद
लेता है भोग का बार बार।। ा के पास आप जाओगे तो वो आपको जीवन क
सकारा मक ऊजा से भर दे गा।। जहां ा होता है वहाँ रहने वाले बाक भी उसी के जैसे
बनते ह य क वो बा कय को रस से भरे जीवन का आन द बताता है, तो एक ा
रसमय जीवन जीता है।। एक ा ब त बड़ा अमीर हो सकता है, बजनेस मैन हो सकता
है, उसक सकारा मक ऊजा लोग म जान भर दे ती है, जीवन के त वो ब त सकारा मक
स च रखता है और हर भौ तक े म सफल होता है।।
एक ा को जब आप कसी खास चीज के बारे म बताओगे, अगर उसने उसे अनुभव
कया है तो 3 सेकंड के बाद वो आपको टाल दे गा।। एक ा वचार भी नए ढूं ढता है, बाते
भी नई ढूं ढता है हर चीज उसे नई चा हए।।
अब अगर आप संतु होना चाहते ह तो ा ब नये और असंतु तो ा फैसला आप पर
नभर है।।।
या बोधन ही मह वपूण उ रदा य व
बोधन है परम ान को उपल हो जाना जससे जीवनमु मलती है संसार च से
ये जीवन का मह वपूण उ रदा य व नह है, ब क वयं के अ त व क खोज है।। अगर
आप ऐसा स चते ह क ये भी एक ज मेदारी है तो आप गलत ह ये कृ त क परंपरा है
जसपे हम सब अनजाने म चल ही रहे ह और इसके अनुभव से बोधन क ओर अनजाने
म ही सही पर बढ़ अव य रहे ह नही तो आज हम इस मनु य प म नह होते, जब से
बनी तब भी हम मौजूद थे बस वकास क अ त सू म या म थे और आज तक 84
लाख यो नय से गुजरने के बाद हम मनु य प म मौजूद ह ये वकास क उ या है
जो कृ त क परंपरागत प से चलने वाली वकास क या के ारा हम इंसा न शरीर
मला, अगर हम लायक नह होते तो फर कैसे हम इस शरीर मे ज म ले पाते।। आप एक
च ट के शरीर मे मौजूद जीव को एक इंसान के शरीर म नही डाल सकते इंसान के शरीर के
लए अप ेडेड जीव चा हए जसे हम जीवा म या आ मा कहते ह, इसी कार एक आ मा
को च ट के शरीर म नही डाल सकते नह तो स टम ै श हो जाएगा।। अब जब क आप
यहां तक प ंच गए ह तो इस शरीर म रहके आप को ब त सारी मताए मल गई ह ऐसा
लगता है जैसे कोई रोक टोक नह कुछ भी करो सब अपना है चाह चाँद पे जाओ चाह
मंगल पे कोई सम या नह । अब इसम आपको ढे र भ ताएं भी मलती ह य क इसके
गूढ़ रह य ह।। अब आप खुद के बनाने वाले को भी मान सकते हो, उसे अभ भाषा म
गाली दे सकते हो या संसार मे उ पात मचा सकते हो, या एक सरे के जान के मन बन
सकते हो ऐसी ब त सारी छू ट आपको इस अव था म आने के बाद ा त हो जाती ह, कुल
मलाके शा म इ ह बुरे कम कहा गया ह, जनसे आप फर नीचे जाते हो इले ॉ नक
कबाड़ म फर ै श करके आपको नया प दया जाता है। खैर अब जो समझदार ह पढ़े
लखे ह वो बेचारे अ ा ही अ ा करते है और अ े कम सं चत करते ह जससे उ ह
उ लोक क ा त होती है और धीरे धीरे तर क करके फर कई मानव ज म उ ह
मलते ह, इस तरह वकास करते करते करते करते वो अपने अं तम जीवन तक प ंचते ह
मानव ज म लेके ा हण कुल म(पहले ऐसा होता था अब कसी भी जा त म कोई भी ानी
या अ ानी पैदा हो सकता है, इसी लए अब जाती का कांसे ट धीरे धीरे धीरे न हो रहा है)
खैर अब आप बेचैन होते ह य क आपने ढे र मानव ज म लेके सब जान चुके ह सब कर
चुके ह और आप अब कुछ दोहराना नह चाहते, और अगर आप भौ तक जीवन मे फसते
हो तो फर आपके अ े कम बनगे(बुरे क म बात ही नही करता य क जसने बुरा कया
तो आप जानते हो वो कहाँ प ंच जाएगा फर से) जससे फर दोबारा इन अ े कम को
भोगने के लए पृ वी पे ज म लेके आओ मतलब उ आ मा भी फस गई इस गोला पे।।
अब भगवान ी कृ ण ने लोग को न काम कम करने का तरीका बताया जसमे आपके
ार नह बनते और आप मो को ा त हो जाते ह, या आपक भाषा म बोधन क
चरम उपल को ा त हो जाते हो।। पर यहाँ आप बुरे कम को न काम कम समझ के
मत करने लगना य क उससे आप नही बच सकते य क उसके सं कार अव य बनते ह
और सं कार ही ार क पोटली ह। अब जीवन काल म आप बच भी गए बुरे कम से तो
जो आप अ े कम को न काम कम समझ के करोगे उसमे भी आपक जीत के मौके
सफ 1% ह य क वो एक तलवार क धार म चलने के समान ह जसके अगल बगल
खाई है अ े /बुरे कम क ।। तो जो भु ने कमयोगी बनने को कहा है उसका मतलब है
न काम कमयोगी ब नये।। कुछ महान आ मा ने इसे कतई वीकार नह कया और वो
लग ग अ ांग योग या कह यायोग को करने म (इसे भी भु ी कृ ण ने सूय भगवान
को दया था, जसके बाद कई लोग को मला) और उ ह ने परम बोध क उपल को
ा त कया, इससे ये मा णत होता है क ये उ रदा य व नह है ये वयं को इस गोले से
हमेशा के लए बाहर नकालने के लए कया गया उ वैरागी आ मा का अथाह य न
है जो उ ह जीवनमु दे ता है।। अगर आपके अंदर वैरा य नह है और आपको ये संसार
पसंद है तो इसक ब कुल फ मत क जए आप बस इसका आनंद ली जये घू मये
फ रये संसार मे उ त क रये लोग क मदद क रये बस कोई बोधन क उपल क
आव यकता नह आपको।। ये भगवान ने उ ह बताया है ज ह ये जीवन रास नह आता।।
भगवान बु को ले ली जये उ ह एक पल नही भाया ये संसार जब उ ह सचाई पता चली,
और इसके अखंड नयम क बूढा होके ही मरना है, इ स लए वो लग गए स य को खोजने
म और समपण तो दे खए क चाहे मार जाऊं पर जब तक सच नह जान लेता उठूं गा
नह ,तो भगवान ने ऐसे लोग के लए ये सब ान दया है ज ह इस संसार से परे चीज को
जानना है, इस संसार का रह य अनुभव करना है, या परमा मा को जानना है।। इसी को
आधु नक समाज ने एनलाइटनमट/ बोधन नाम दया।।

ांड म आ मा और परमा मा रह य
आप और हम जस हांड म रहते ह जसे आपका हबल कै चर करता है या जस म क
गैले सी क आप बात करते हो, ये सफ आप और हमारे जैसे लोग के लए बनाया गया
है। इसमे कई गृह ह फलहाल ज ह आप जानते ह उनमे पहले जीवन था पर अब सफ
पृ वी पर बचा है, धीरे धीरे यहां भी न हो रहा है।। आप जस भौ तक संसार, हांड को
दे खते हो यह इसका ूल प है, इसका सू म प भी है जसके कई आयाम है। आप
हम सब इस संसार मे इस ूल शरीर म रहते ह, और कम करके अपनी आ मो त करते
ह। जैसा क सवाल के हसाब से आप आ मा पर व ास करते हो तो जब इस शरीर क
मृ यु हो जाती है, तो आपक आ मा अपने कम के अनुसार सू म लोको म जा त है।
ये आ माएं भूत/ ेत नही बनती जो सू म लोक म चल जाती ह।। ब क वो आ माएं बनती
ह ज ह इस संसार से ब त लगाव होता है और मरने के बाद भी वो इस सच को वीकार
नह करती के वे मर चुक ह, या वे अपनी कोई पसंद दा चीज को नह छोड़ती, या भयंकर
लालच, या घोर कामी, वासना से भरपूर, वाली आ माएं इसी संसार मे रहती ह और अपनी
इ ाएँ पू त करती ह, लोगो के बीच रहके, झगड़े े ष, वासना, आ मह या इन सब चीज के
लए यही उकसाती ह, आप जब भी कभी कुछ बुरा करने क स चते हो तो ऐसा करने म ये
आपका पूण साथ दे ती ह वचारो के ज रये,( बुरा करने के बाद आप स चते हो अरे भगवान
ये मैने कैसे कर दया) अब आप भी उ ही आ मा क ेणी म आ जाते हो।। अब आप
भगवान को े ष दोगे क यह सब वो ठ क य नह करते मारते य नह इ ह— भाई
मेरे,भगवान बेचारे ठ क ही तो कर रहे ह सबको जब से ये संसार बना।।
जहां जीव ह या होती है, मांस बकता है, वहां क ड़े भन भनाते ह और अजीब सी घन
रहती है वातावरण म वहाँ पर, तो आपको पता है, वहाँ खरीदने वाल से यादा बुरे कु प
और अजीब नया के जीव यादा होते ह,अ य प म और मांस का आन द लेते ह, बस
लाल खून उ ह पसंद होता है, इन बुरी आ मा का वहां तातां लगा होता है।।
अब भला कर भी या सकते ह, लोग यादा ह खा साम ी कम इसी लए ऐसी व ा
क गई क लोग ये सब खाने लगे वो भी चाव से, वरना ऊजा तो एक सेब से भी मल जाती
है, नभर करता है आप ऊजा के लए खाते ह क वाद के लए।। खैर भूत/ ेत क कहानी
ख म।।।।
अब जो आ माएं सू म लोक म जा त ह, उनके तर होते ह, थम, तीय, तृतीय, चतुथ,
पंचम, ष , स तम, इ ह लोक कहते ह। इनमे भी तर होते ह, जैसे थम के
1,2,3,4,5,6,7,8,9 इसी कार बाक के भी।। ये सब औपचा रक लोक ह यहाँ पर आने
वाली आ माएं अपने कम का फल भोगती ह युग तक (लोक 3 तक बुरे कम वाली और
उसके बाद अ े कम वाली सुख भोगती ह)। ये सब सू म संसार मे ह इस पृ वी से अ य
कह ।। थम लोक म आने वाली आ माओ का तर सबसे नीचे है और सबसे उ तर है
सातवां लोक तर 9। इस कार इन सब क संचालक उन लोक से उ आ माएं होती ह
जो अपने लोक म मौजूद आ माओ को ान दे ती ह, और सच बताती ह जो आ मा उनक
बात समझ के अपनी तर क चाहती ह उ ह पृ वी पर त काल ज म दया जाता है, वो
प र त भी चुनती ह जससे उनके बुरे कम न ह और अ े कम वो भोग अगर ह तब।
4 लोक के नीचे वाली आ माएं ब त ही नीच क म क होती ह, उ ह ब त सुधार क
आव यकता होती है, जसमे उनका सब मलके सहयोग करते ह। मदद उसको मलती है
जो आवाज लगाता है वो भी स े मन से।। 7 से 1 तक आते आते अंधेरे का सूय अंधेरा
उगलने लगता है।। इन लोक का औसत अ ा लोक होता है 4।। इस तरह से आ माओ म
फ़क़ सफ उनक उ त का है।(अब आप समझो इस संसार मे इतनी व भ ताएं य ह)
मैने एक सवाल के जवाब म (जीवन का मम या है?) कान को आ मा क उ त से जोड़ा
है अव य प ढ़ए।। 7 वे लोक के 9 तर के बाद आ मा क अ त े उ त हो जाती है,
ई र के परम गुण उसम समा हत हो जाते ह। अब व ा के अनुसार वो चौथे व क
या ा पर नकल पड़ती है। जसक क पना वयं वो आ माएं नही कर सकत तो फर हम
तो सब अ ानी है भला इतनी कहाँ हमारी स च।। अब आ मा के बारे म तो बता दया
जो क अंश ह परमा मा के, तो फर परमा मा कहाँ है? परमा मा अभी भी खोज है मेरे
भाइय / बहन मने कहा था हमे बनाने वाले को खोजना इतना आसान नही ह, या तो आप
अजुन बनो, महान ऋ ष बन नह तो भटकते रहो कुछ नह मलेगा।।
"न चीखने से मलेगा, न च लाने से मलेगा अरे वो तो परमा मा है सफ शां त से बैठ जाने
पे मलेगा" एक सरे के बाल नोचने वाले परमा मा के नाम पे भूल जाते ह क ये शरीर उ ह
दया गया है इस संसार मे जी वत रहके अपनी आ मो त करने के लए।। ये शरीर ही
मदद करता है आपक जदा रहने के लए इस संसार म , ये कराए का मकान है-और
कराया आप चुकाते हो पेट को भोजन दे के।। ठ क है समझ गए? इस शरीर का मन होता
है जसे हम भौ तक/ता कक मन कहते ह, ये मन हमारी मदद करता है इस संसार म जीवन
नवहन करने के लए, तर क करने के लए भौ तक माण पाने के लए।। पर इसक
सीमाएं ह, व ान एक जगह जाके थम जाता है, इसके आगे उनका बस नह चलता जब
वो खरब लाइट इयस क बात करते ह उतनी दे र मे कतने लोगो क लाइट बुझ जाती है।
खरब लाइट इयस म जाओगे कैसे? जाओगे भी तो जब लौट के आओगे तो यहां 1 हजार
साल बीत जाएंगे। बस ध र रह गई न औकाद व ान वाल क । इसका मतलब ये नही क
हम ये सब ब द करदे । चलने दो कनारे कुछ न कुछ तो ढूं ढ ही लगे पांच छह सौ साल बाद
पर उस व त हम और आप इस प म नह ह गे और ह गे भी तो कसी सरे प म और
एक सरे को भूल चुके ह गे।। बस यही बाते मुझे ब कुल नही सुहात ।। हमारा आपका
साथ बस इस व का है, कल तो होता ही नह ।। हर रोज आज होता है।। इसी लए कहते
ह कल क फ छोड़ और आज को जी भला य न कह जब कल होता ही नह अरे ये
बात नु कड़ के कान वाले ने अपने कान म टांग ली है, य क यही सच है।। अब ये जो
ई र/परमा मा/भगवान/अ लाह/etc जो भी आप मानते हो उसके अनुसार उनका अंश है
ये आ मा- ठ क।।अब इस आ मा का होता है एक अंतमन-ठ क।। ये अंतमन अ े बुरे का
फ़क़ बताता है-ठ क।। (पहले बता चुका ं जवाबो म) अब ये जो अंतमन है ये कैसे फ़क़
बताता है? य क यही वो यं है जसने आपके पूव ज म का सारा क ा च ा सहेज के
रखा आ है, और इसका सीधा कने न परमा मा से है।। अब अगर जसको भी परमा मा
को जानना है वो उसे इसी अंतरा मा से ही जान सकता है।। बाक परमा मा क मज ।। तो
आप समझे भौ तक जीवन मे तर क के लए भौ तक मन और आ या मक जीवन मे
तर क के लए अंतमन।। इतना लखने के बाद भी परमा मा खोज ही है।खैर। मैने पहले
बताया है क उसे आप कसी कताब म नह समा सकते वही चाह ले तो खुद को एक राई
के दाने म बंद कर ले।। नही समझे??।। अरे भगवान शंकर का कथन है क म इस को
एक राई के दाने म समेट सकता ँ।। इससे ये स होता है क बनने से पहले एक
ब था अ त सू म जो फूट गया तो हमारा व बन गया।। व का मतलब है हमारा ये
संसार जो तीसरे व म आता है, इसके अलावा हजार व ह जनका कोई अंत नह ।।
इ ह हम अपनी ूल आंख से नह ब क सू म आंख से ही दे ख सकते ह।। सू म आंख
मतलब- द आंख/तीसरी आंख।। भगवान ी कृ ण ने कहा है गीता म मेरे म कई व
समाएं ए ह, कई व ख म होते रहते ह कई नए बनते रहते ह,अरे अपना सौभा य समझो
क हमारे/तु हारे व को ान दे ने परमा मा ने वयं ज म लया।। हम सब इंसान ह जो
बुरी तरह से गुमराह ह, अपने अपने भगवान को अलग करके पूजने के च कर म खुद म
और सरे म डालना ही भूल गए।। उस वराट परमा मा को अलग करके सोचने वाले
हम इंसान एक सरे से जात पात, धम के नाम पे भेद रखने वाले उस काली पीली
नीली भूरी च ट क तरह ह, जो अपने अपने गुट बनाके चलती ह।। उनम भी तो ग त होती
है, उनमे भी जीव होता है, तो फर य नही हम समझते क हम भी च टय जैसे अपने
समुदाय बनाके रहते ह।। यही स य है इंसान का और जो इस स य को समझ लेता है,
उसमे लगती है आग सच जानने क य क इतने से उसे ब कुल फ़क़ नह पड़ता, यही
हमे अलग करता है, मूख से अ ा नय से इसी लए जात पात आई थी परंतु अब इसका
औ च य नह य क आजकल मन से वैरागी और ानी लोग हर जा त म पैदा हो रहे ह,
समय रहते जो सुधार नह लाते उ ही का क याण नह होता।।।। अब जसको व ास नह
होता मेरी बात पर कोई बात नह जब तक इसे वयं न दे ख/समझ लेना ब कुल भरोषा
मत करना यही आग तु हे तु हारे आ त व और इस संसार के रह य को खंगालने म मदद
करेगी।।
मृ यु
मृ यु वो अका स य है जसे टाला नही जा सकता, चाहे कोई हो इससे कोई नही बच
पता है, चाहे अमीर हो चाहे गरीब, चाहे साधारण या असाधारण, जसने भी मानव ज म
लया उसे एक दन इस संसार को छोड़के जाना ही जाना है।
वाभा वक या ाकृ तक मृ यु कैसे होती है?
धीरे धीरे समय का भाव जीव के शरीर पर पड़ता है और वो शरीर जजर होता जाता है,
जससे अंत मे वो ब तर पकड़ लेता है, फर उसके पूरे गले ए शरीर से पांच ाण 1. ाण
2.अपान 3.समान 4.उदान 5. ान और पांच उप ाण 1.दे वद 2.वृकल 3.कूम 4.नाग
5.धनंजय इनका सारे शरीर से खचाव होता है जससे इतना दद होता है क इंसान बेहोश
हो जाता है और जब धीरे धीरे सारे ाण और उप ाण नकल जाते है, ( सवाय धनंजय के)
तो मृ यु हो जाती है, इसे ही वाभा वक या साधारण मृ यु कहते ह जसे 99 .99 % लोग
गुजरते ह। धनंजय ाण इंसान क खोपड़ी म व मान रहता है जससे जीवा म अब भी
अपने शरीर के त माया म रहती है और उसम घुसने के लए ाकुल रहती है और उसके
आसपास मंडराती रहती है, ले कन जब उसक खोपड़ी तोड़ के न कर द जाती है और
उसके शरीर को न कर दया जाता पूरे याकम से तो जीवा मा का मोह ख म हो जाता
है और वो नकल जाती है अपने जीवा मा जगत क या ा म अपने कम के अनु प खैर ये
भी गूढ़ का मक वषय है। इस तरह क मृ यु हम सबने दे खी होती है। इसमे ये भी होता है
कसी के ाण नीचे से नकलते ह, कसी के आंख से कसी के ना भ से, कसी के मुह से,
इसके अपने बड़े बड़े रह य ह।
0.1 % वाली मृ यु के बारे म सफ योगी लोग जान पाते ह मतलब उ ह अपनी मृ यु का
न त समय पता चल जाता है, जब वे योग क ऊंची अव ा पे प ंच जाते ह, ईस
तरह क मृ यु म भी ाण और उप ाण नकलते ह, पर योगी का शरीर शु होता है उसक
72 हजार ना ड़यां शु होती ह, इस वजह से उसे ब कुल भी दद नही होता और वो बैठे
बैठे ाण यागता है, बेहोश नही होता और पूण चेतन क अव था म मृ यु को जीता है। इसे
मैने जीना इ स लए कहा य क योगी चेतना क अव ा मे मृ यु को महसूस करता है।
और साधारण इंसान वाभा वक मृ यु क अव ा मे गुजर जाता है बना जानकारी के
य क वो बेहोश होता है या कह अचेतन क अव ा मे होता है। उसे नही पता चलता कब
वह कैसे मरा, मरने के बाद जब उसक आ मा बाहर खड़ी होती है तब छटपटाती अव य है
दोबारा शरीर मे वेश के लए पर वो ऐसा नही कर पाती जससे वो ब त ाकुल हो उठती
है।
चूं क उ अव ा ा त योगी ाण यागता है, पूण चेतन क अव था म तो उसके ाण
हमेशा उसके हारं से नकलते है जो उसके उ लोको म जाने का माण दे ते ह, चूं क
योगी को उसके भौ तक शरीर से लगाव नही होता इसी लए यो गय या स संतो क
समा ध बनाई जाती है, उ ह जलाते नही ायः।
इतना बताने के बाद म अब और एक रह य बताने का लोभ संवरण नही कर पा रहा ँ,
इ स लए ज म से संबं धत छोटा सा रह य भी बताता ँ। जो साधारण 99.99% इंसान होते
है वाभा वक मृ यु वाले उनका ज म भी अचेतन अव ा मे होता है।
एक तो उ योगी ज द ज म नही लेते और लेते ह तो कभी राम के प म तो कभी कृ ण
के हाँ जी हाँ ये उ महान योगे र जब मानव ज म लेते ह तो चेतन क अव था म लेते ह
उनके उस छोटे व प को भी सब ान रहता है, पूण प से वो सारी था समझते ह उस
गभ म रहने क 9 महीने, और जब ज म लेते ह तो जतना क उनक मां और उनको होता
है तो उसे वो महसूस करते ह पूरे चेतन क अव ा मे, ज म लेने के बाद वो सब जानते ह
वो कौन ह ? कहाँ से आये है? य आये ह? उ ह सम त ान होता है इसी तरह सब जानते
ए वो अपने काय नपटा के संसार से पूण चेतन क अव ा मे कूच कर जाते ह।

जीवन जीने का सबसे सरल तरीका या है?


म मान के चलता ं अभी आप अपने व ाथ जीवन मे ह, जसमे आप
अपने दमाग को इस का बल बनाने क को शश कर रहे ह क वो आपको
इस संसार मे आपके जीवन के लए धन कमाने म मदद करे चूं क उसक
मदद से हम यादा धन कमा सकते ह कम शारी रक मेहनत करके। यहां
यादा का मतलब आप समझे ठ क ठाक।। करोड़ो नह । ठ क है। चूं क
श ा ब त ज री है इस संसार मे य क वो आपको ापक प से
सोचने समझने खुद को संभालने, सरो को संभालने क श दे ती है।
श ा आपके दमाग के कई े को खोलती है।आपम अ े गुण का
वकास करती है। इसी लए इससे पीछे मत हट।
अब आप धन कमाने का कोई भी ज रया तलाश सकते ह सफ नौकरी
करना ये एक म है। आपको जो भी अ ा लगे, चाहे वो आपक श ा से
मेल खाता हो अ बात नही खाता तो और अ बात। य क श ा एक
अ ा इंसान बनने के लए ली जाती है, जबरद त धन अ जत करने के
लए नह । अब जब क आप 2 पड़ाव पार कर चुके ह तो इसके बाद आता है
असली चुनाव अब आती है फैसला लेने क बारी। आइए चलते है अगले
पड़ाव क ओर।
इस पड़ाव को कहते ह, भौ तक जीवन या सामा जक ज मेदारी, इसमे
आपको एक लड़क से ववाह करना है, फर चाहे वो ेम ववाह हो या
फै मली ववाह, दोन अपनी जगह अ े है, मेरे हसाब से फै मली ववाह
यादा अ ा है य क ये शा त नयमो के अनुसार है तो इसम गड़बड़
होने क गुंजाइश नही है। अब आप इस भौ तक जीवन मे उतर जाइये।
शाद ववाह के बाद एक सरे से ेम करते ए जीवन का आनंद ली जये,
यादा भौ तकता म और दखावे म मत प ड़ये, बो लये कम बहस मत
क जये बस जीवन को महसूस क जये अ आदत डा लये। जीवन को
शा त बनाइये एक सरे का हाँथ पकड़ के सुबह सूय और रात म चाँद के
दशन क जये जससे आपक होने वाली संतान सूय और चांद के गुण जैसी
होगी। चूं क ये दोन क ऊजा हमेशा नकलती रहती है।
जीवन के कत का नवहन करते जाइये और इसी तरह जीवन के पड़ाव
पार करते जाइये।
योग क जये , यान क जये, खाने म 50% क ा भो य इ तेमाल
क जये, फल ू ट खाइये, सुबह कभी भी चाय काफ , मत पी जए, पेपर
मत प ढ़ए सुबह सुबह। सुबह सफ आनंद ली जये योग और यान का
जससे आप व रहगे, शारी रक और मान सक प से।
ई र पे भरोषा क जये जैसे ही कोई सम या जीवन मे आये तो तुरंत अपनी
अंतरा मा से ाथना क जये आपक सम या हल हो जाएगी।
जीवन मे ोध मत क जये शां त से सारी चीज का हल ढूं ढए।
मरने से मत ड रये, य क मरने के बाद भी जीवन होता है।
एक दन बूढ़े हो जाइए इसी तरह जीवन को जीते ए और कूच कर जाइये
इस संसार से।
ऐसा जीवन जीके आपने इस संसार को एक नई पीढ़ को ज म दया, एक
ी का साथ दया, जदगी भर मेहनत क आपको ब त ही ेम से लोग याद
करगे।
ये जो नई पीढ़ को ज म दे ने क ज मेदारी होती है ये हम सबको नभानी
चा हए य क ये परम कत है इस संसार को आगे बढ़ाने का।

आ या मक जीवन->
" या है स ा अ या म और य ज म लेता है और कसम ज म लेता है? या मं दर म
जाके हाँथ जोड़ आना और भगवान क मू त म शीश झुका दे ना ही अ या म है? नह नह ये
तो भेड़ चाल है। तो फर या है स ा अ या म।

1. संसार से घड़ी घड़ी वैरा य उ प होना है स ा अ या म।


2. संसार म फैली बुराई/फरेब/झूट/चोरी/हैवा नयत दे ख के मन का बार बार
ख हो जाना ही अ या म जागरण है।
3. भोजन करते ए सोचना म य खा रहा ं या औ च य है इसका यही है
अ या म।
4. कसी अपने को खो दे ना और उसका वापस न आना पैदा करता है आ य म
क यास।
5. जब आप रोज घर आते हो दनभर मेहनत करके और आपक प नी और
ब क अनंत इ ा क चलते रोज झगड़ते हो तब ज म लेता है असली
वैरा य।
6. खुद क ढलती उ को दे खते ए जब डर लगने लगता है तो अ े अ े
ना तक, भगवान को ढूं ढने लग जाते ह।
7. जब आप कसी पं डत को ा भषेक का जाप करते ए सुनते हो तो सोचते
हो क ये या बक रहा है ? या है इसका असली राज? अं ेज तो ऐसा नही
करते? तब भड़कता है आपका वैरा य इस संसार के त।
8. जब आप कसी भगवान क मू त क आंख म झांकते ए उसक औकाद
पूंछते हो क या है तेरा अ त व, य है तेरी बनाई इस नया मे इतनी
अ रता ?? तब आप परम ना तक हो चुके होते हो और आपका वैरा य
एक वकराल प ले लेता है।
9. फर जब आप इस संसार से ऊब ने लगते हो कदम कदम पे तो फर आप
अपनी अंतरा मा से स ी पुकार लगाते हो और उस ई र से मौत मांगते हो
और कोई जवाब नही मलता तो आप अपनी सांस को वयं रोकते हो तो
आपको अजीब बेचैनी होती है, फर भी आप उसको सहते जाते हो और
सांस लेना जबरज ती ब द कर दे ते हो, तब चूं क ई र भी हार जाते ह
आपके सामने तो वो आपको स े अ या म से ब करवा दे ते ह, पर फर
म कहता ं चूं क आपने आ या मक जीवन को चुना है इस लए अब आप
स े वैरागी हो जाते हो।(ये सफ वधा म फसे एक खास वग के लोगो क
ग त है क वो आ मह या तक उ र आते ह इसी लए साधारण लोग इसपर
यान मत द।)
10.
अब आपके लए भौ तक जीवन क कोई औकाद नही रह जाती, आप इस
जीवन को यं वत जीते हो,परंतु आप आ या मक तर क करते जाते हो।।

अब आप मुझे कहोगे या यही जीवन को सरल बनाने का तरीका है?


म कहता ं मेरे भाई/बहन जब जीवन ही सरल नही तो फर कैसे आप उसको सरल बना
के जी सकते हो? न जाने कतने करोड़ शु ाणु को लात मार के आप और हम सब यहां
इस प म मौजूद है। जब ज म लेना इतना क ठन है तो सो चए ये ज म लेने के बाद कैसे
सरल हो सकता है, कई लोग इसी लए घबराके आ मह या कर लेते ह। जीवन का सरा
नाम है परी ा, श ण, आप यहां सुधरने आते हो फर कसी को सुधारते हो। समझे
आज आप सच सुन ही लो यही सच है इस स सार का क हम सब यहां फसे ए ह, और
इन सबसे नकलने का रा ता है क जीवन को स ाई से ईमानदारी से और मेहनत से हर
श ण को पार करना और खुद म प रवतन लाना। बुरे कम का ाय त करना बुरी
आदत को सुधारना, और जतना अ ा कर सकते ह करना। आपक वजह से कसी का
नुकसान न हो जबरद ती, आपके वाथवश। परमा मा आपके साथ है हर कदम पर वो
कदम अ ाई क ओर बढ़े तबतक।

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