Aadhi Raat Ke Baad

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आधी रात के बाद

Written By Dr. Shankar Shesh

Abridge and Adaptaed by Sachin Kumar Gupta

( मिशन इम्पॉसिबल थीम सांग इंडियन वर्जन बैकग्राउंड में )

Chor ek 3x5 ft kale fatte k peeche chupa hua hai, Ganne k sath apni furati dikhata hai. Tabhi ek truck
accident ki awaz aati hai.

Ek suit case dikhata hai, Chor uss suit case k pass jata hai usse kholta hai.. wo uske andar dekh k heran
reh jata hai. Tabhi...awaaz aati hai " Oye! suit case chord... " Chor bhagta hai " Bhaag k kaha thak
jayega"

( Rang manch pe andhera )

( Raghuvinder singh judge ka makan. Judge soo raha hai, Tabhi dhaab si awaaz aati hai... )

जज: कौन है?

कौन हो तुम?

चोर: हेलो सर! ई एम चोर।

जज: हे...! जानते नहीं मैं जज हूँ!

चोर: इसका मतलब कोई गलती नहीं हुई। मै सही जगह आया हु ।

जज: क्या कर रहे थे तुम?

चोर: चोर और क्या करेगा? चोरी ।

जज: तुम्हारे पास चुरा वोरा तो नही है?

चोर: मैं चोर हूँ साहब । हजाम नही ।

जज: मै अभी पुलिस को फ़ोन करता हु ।

चोर: हाँ! वन जीरो जीरो डायल कीजिये! अगर ना लगे तो 217435 डायल कीजिये. असिस्टेंट कमिश्नर का नंबर है ।

जज: हाँ !

चोर: एक मिनट सर! आपको बताना होगा कि चोर के साथ माल बरामद हुआ है । मैंने अभी तक आपके किसी भी सामान को हाथ नही लगाया... मै ये
घडी चुरा लेता हु ... बय दा वे... कितने की होगी सर!

जज: कीमत नही जानत । ये घड़ी मेने खरीदी नहीं है ।


चोर: तो कहा से मिली ।

जज: तुम पूछने वाले कौन होते हो?

चोर: मुझे इसकी किम्मत लगनी है । बताइये ।

जज: तुम्हारे पास चुरा तो नही है?

चोर: ( साड़ी जेब पलटा हुआ) अब यकीन हुआ... कहिये तो कपडे भी उत्तर दू । मै अपने उसूलो क खिलाफ काम नहीं करता जज साहब ।

जज: ये घड़ी मुझे ससुराल से मिली थी । सताइस सल पुराणी घडी है ।

चोर: तब तो आपको नै घडी ले लेनी चाहिए थी ।

जज: मेरी हैसियत नहीं थी ।

चोर: वो तो मैं देख सकता हु । आपके घर में तो कु छ नहीं है । एक सुपरवाइजर के घर के जितना सामान भी नहीं है। सर, हिंदी फलम क जज क्या
ठाट से रहते हैदो दो.... गाड़ियां, पांच पांच.... नौकर। एक दम धमाल। खैर आपकी गाड़ी चुराने से तो कोई फ़ायदा नही है ज्यादा से ज्यादा हज़्ज़ार
रुपए।

जज: ये इसकी ओरिजिनल कीमत है ।

चोर: तब तो 400 रुपए । चोरी कम से कम पांच हजार रुपए की होनी चाहिए । अगर सड़क पे की तो ज़्यादा से ज़्यादा तीन साल... बिल्डिंग, जहाज पे
की तो ज़्यादा से ज़्यादा सत् सल ।

जज: तुम तो कानून भी जानते हो...

चोर: मजबूरी है सर! कानून कौन जानता है... एक वो जो उससे बनता है । लेकिन खुद भूल जाता है.. दूसरा जो उसे तोड़ते है... यांनी में और मेरे जाट
भाई! तीसरे दरोगा वगेरा । और चौथे वकील.. उनका तो धंधा है बेचारों का..

जज: और मैं?

चोर: आप लोग तो खैर जानते ही है । आचा नौकरी थेरी... बत्तिये न में क्या चुरा लूँ जिसकी किम्मत पञ्च हज़्ज़ार रुपए से ज़्यादा हो जाये ।

जज: तुम पञ्च हज़्ज़ार रुपए पे इतना जोर क्यों दे रहे हो?

चोर: ये सवाल आप मुझ से पूछ रहे हैपञ्च हज़्ज़ार क ऊपर की चोरी में समझोता महि हो सकता सर! यानी सजा पक्की । और मुझे ज़्यादा से ज़्यादा
सजा पक्की करनी है ।

जज: अभी तो मैंने फ़ोन भी नहीं किआ है.. और तुम्हे ज़्यादा से ज़्यादा सजा की बात करने लगे ।

चोर: इस बार में कोई गलती नहीं कर सकता । वकील साहब ने पूरा प्लान बना के दिअ है । पिछले महीने तक वकील साहब और मैं साथ में थे। रोज़ का
हमारा उठना बैठना । मस्त आदमी है साहब । बहार होता तो जाने कितना कमा लिया होता ।

जज: मतलब?

चोर: वो आज कल भीतर है ।
जज: यानि जेल का वकील?

चोर: जेल का वकील नहीं...! जेल में वकील!

खैर आपको फ़ोन करना है और रात बोहोत हो गयी है...

जज: तुम्हे जेल जाने की इतनी जल्दी क्यों है?

चोर: लो सर! अपने घर जाने की जल्दी किससे नहीं होती सर्.... कौन सी चीज़ उठाऊ की बरामद माल की क़ीमत पांच हज़ार से आगे निकल जाये!

जज: ज़रा सोचने दो..

चोर: कमाल है । पांच हज़ार की कोई चीज़ ही नहीं है आपके यहाँन...

जज: आठ दस किताब... पांच हज़्ज़ार हो जायेगा ।

चोर: किताबो की चोरी. के स कमज़ोर हो जायेगा सर. ये मैडल सोने का है!

जज: हाँ!

चोर: तब तो कम से कम तीस हज़ार का हुआ । कब मिला था आपको? कानून क इम्तिहान में?

जज: मुझे नहीं मिला था ।

चोर: तो?

जज: मेरे लड़के को मिला था. इंजीनियरिंग में फर्स्ट क्लास फर्स्ट आया था ।

चोर: आज कल कहा है वो? अमेरिका चला गया? सब होशियार लोग उधर चले जाते है ।

जज: नहीं!

चोर: तब तो दुबई जरूर गया होगा ।

जज: नही अब वो बोहोत दूर चला गया है!

चोर: आई ऍम सॉरी सर! में इतना नीच नहीं की आपके बेटे की आखरी निशानी चुरा लू । रहने दीजिये । वैसे मई आपके घर गैरकानूनी ढंग से घुसा था
। कानून तो मैंने तोडा ही है । ये भी सच है की मैंने आवाज़ भी जान-बूझ क करी थी जिस से कि आपकी नींद टू ट जाये और आप मुझे पकड़ ले...

जज: हाँ, तुम पर किसी क घर में गैरकानूनी ढंग से घुसने का आरोप लगे गा ।

चोर: तो फ़ोन कीजिये!

( जज फ़ोन लगाता है)

जज: वन जीरो जीरो अंगागेड है ।

चोर: वो तो होगा ही, आप 217435 तरय कीजिये ।


जज: नो रिस्पांस !

चोर: यह! एक नई मुसीबत ।

एक बार फिर से फ़ोन तरय कीजिये न ।

जज: बार बार कहने की ज़रुरत नहीं है मैं कर लूंगा..

चोर: तब तक मै क्या करूं गा?

आप बुरा न माने तो एक बात पूछूं?

जज: पूछो?

चोर: घर में आप अके ले? मतलब चची... माफ़ करना.. आप जज है.. समझ नही अता क्या कहुँ उन्हको.. चोर हु न ।

जज: वो भी नही है । आज से पांच साल पहले वो चल बसी ।

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