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माटी वाली

प्रश्न 1) शहर वासी सिर्फ माटी वाली को नहीं, उसके क


ं टर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं। आपकी समझ में

वे कौन से कारण रहे होंगे जिनके रहते माटी वाली को सब पहचानते थे?

उत्तर 1) i) माटी वाली की लाल मिट्टी की हर घर में आवश्यकता होती थी जिससे चूल्हे - चौके की लिपाई की

जाती थी।

ii) इसके बिना किसी का काम नहीं चलता था। मिट्टी दे ने का यह काम उसके अलावा कोई और नहीं करता

था।

iii) शहर से माटा खान बहुत दूर था इसलिए लोग अपने आप मिट्टी नहीं ला सकते थे।

iv) माटी वाली हंसमुख स्वभाव की महिला थी।

प्रश्न 2) माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था ?

उत्तर 2) माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय इसलिए नहीं था

क्योंकि वह दिनभर शहर और गांव के घर - घर में जाकर मिट्टी दे ती थी। उसका गांव टिहरी नगर से बहुत दूर

था | घर से शहर तक आने -जाने में उसे एक घंटा अवश्य लगता था। वह दिनभर अपने काम में व्यस्त रहती

थी। माटा खान से शहर तक लगातार दौड़- धूप के कारण वह किसी और बात के लिए समय ही नहीं निकाल

पाती थी। इसलिए उसके पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में सोचने का समय नहीं था।

प्रश्न 3) ' भूख मीठी कि भोजन मीठा' से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर 3) भूख किसी भी स्वाद को नहीं पहचानती। इस कथन का अर्थ है जब व्यक्ति बहुत मेहनत करता है

और भूख से व्याकुल होता है तब उसे किसी भी प्रकार का भोजन स्वादिष्ट लगता है। वास्तव में व्यक्ति की

भूख ही भोजन की आवश्यकता और महत्व को बढ़ाती है और बिना भूख के और बिना शारीरिक परिश्रम के

अच्छे से अच्छा भोजन भी स्वादिष्ट नहीं लगता। 'भूख मीठी कि भोजन मीठा' से यह अभिप्राय है जब भूख

सता रही हो तब रुखा- सूखा भोजन भी मीठा लगता है।

प्रश्न 4) ' पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीजों को हराम के भाव बेचने का मेरा दिल गवाही नहीं

दे ता।' मालकिन के इस कथन के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तर 4) घर की मालकिन ने अपने पुरखों की मेहनत की कमाई से खरीदे गए पीतल के गिलासों को स


ं भाल

कर रखा था क्योंकि वह पुरखों की मेहनत से कमाई गई संपत्ति के महत्व को भलीभांति समझती थी और

उनके प्रति आदर भाव रखती थी।


लेखक कहना चाहता है कि आजकल के लोगों को भी इस बात को समझना चाहिए और अपने पुरखों

द्वारा संभाल कर रखी हुई वस्तुओं को अनमोल समझना चाहिए क्योंकि उनके साथ पुरखों का स्नेह और यादें

जुड़ी होती हैं। हमें विरासत में मिली हुई धरोहर का सम्मान करना चाहिए और इसकी रक्षा करनी चाहिए।

प्रश्न 5) माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है ?

उत्तर 5) माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी गरीबी को प्रकट करता है। उसका पति

बहुत बूढ़ा और कमजोर था। वह बीमार रहता था। इस कारण वह कोई काम नहीं कर सकता था। माटी वाली

जी - तोड़ मेहनत करती थी और दोनों के भोजन का हिसाब लगाना उसकी आर्थिक स्थिति को दर्शाता है।

उसकी मजबूरी यह थी कि उसे दूसरों से मिलने वाली रोटियों से ही गुजारा करना पड़ता था।

प्रश्न 6) आज माटी वाली बुड्ढे को कोरी रोटियां नहीं दे गी ---इस कथन के आधार पर माटी वाली के हृदय के

भावों को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर 6) माटी वाली गरीब थी। वह सुबह से शाम तक काम करती थी। वह चाहकर भी अपने पति के लिए

ठीक से कमा नहीं पाती थी। घर पहुंचने पर वह अपने बूढ़े पति के लिए रोटियां बनाती थी। जिस दिन उसे

लोगों के घर से रोटियां नहीं मिलती थी उस दिन उसका पति और भी बेचैनी से खाना बनने की प्रतीक्षा करता

था। माटी वाली उसकी इस हालत को समझती थी। इसलिए उसने सोचा कि वह आज अपने पति को सूखी

रोटियां नहीं दे गी। उसने मिट्टी बेचकर कमाए गए पैसों से प्याज खरीदें ताकि उसे कूटकर और तलकर अपने

पति को स्वाद से रोटी खिला सके।

प्रश्न 7) ' गरीब आदमी का शमशान नहीं उ जडना चाहिए।' इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर 7) माटी वाली एक बूढ़ी हरिजन महिला थी। जब उसे यह पता चलता है कि श्मशान घाट में पानी भर

गया है और उसका पति मृत्यु की गोद में सो रहा है तो वह बहुत दुखी व निराश थी। वह सोच रही थी कि गरीब

आदमी सारा जीवन जीने के लिए संघर्ष करता है। कई बार तो उसकी हिम्मत भी टू ट जाती है। ऐसी दशा में

वह जीते जी तो सुखी नहीं रहता कम से कम मरने के बाद तो उसे शांति मिलनी ही चाहिए। बांध का निर्माण

होने के कारण उसका निवास स्थान उससे छिन गया था। वह सोच रही थी कि अब उसके पति को अ
ं तिम

स्थान कैसे प्राप्त होगा ,इसलिए वह हर आने जाने वाले थे अपना दुख प्रकट करते हुए कह रही थी कि कभी

किसी गरीब का शमशान नहीं उजडना चाहिए ।

प्रश्न 8) ' विस्थापन की समस्या' पर एक अनुच्छेद लिखिए।

उत्तर 8) विस्थापन का अर्थ है अपना घर व स्थान छोड़ना। शहरों में बांधों का निर्माण और कारखानों के

बढ़ने के कारण विस्थापन की समस्या जन्म लेती है अर्थात लोगों को अपना निवास स्थान छोड़कर जाना

पड़ता है। इस प्रक्रिया में धनी वर्ग को कोई अ


ं तर नहीं पड़ता पर गरीब जनता इसका शिकार बनती है। इन
लोगों को अपना बसा बसाया घर छोड़कर एक नए स्थान पर जीवन का आरंभ करना पड़ता है। रोजी-रोटी

कमाने के लिए उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ता है। नए स्थान पर काम की तलाश मुश्किल होती है। इस प्रक्रिया

में प्रत्येक व्यक्ति को पूरा-पूरा न्याय मिल पाना स


ं भव नहीं होता।

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