Download as ppsx, pdf, or txt
Download as ppsx, pdf, or txt
You are on page 1of 4

BATTLE OF PLASEY

-M.Akshith
प्लासी की लड़ाई
 स युद्ध को कोई बहुत बड़ा युद्ध नहीं माना जाता है बस इसे एक सेना की झड़प माना
जाता है इस युद्ध में षड़यंत्र का सहारा लिया जाता है अंग्रेजों ने कै से कै से नवाब के
एक एक अधिकारी को अपने पक्ष में मिला लिया और मीर जाफर जो सिराज का
कमांडर इन चीफ था उसको अपने पक्ष में मिला लिया और उम्मी चंद , रॉय दुर्लभ को
अपनी पक्ष में मिलाया और रोबर्ट क्लाइव ने कू टनीति की सहायता से प्लासी का युद्ध
जीता और सिराज को वहां से बाहर किया | यह रॉबर्ट क्लाइव और सिराज-उद-दौला
(बंगाल के नवाब) के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कं पनी के बल पर लड़ी गई लड़ाई है | यह
युद्ध 23 जून 1757 को प्लासी नमक एक गाँव में हुआ था और इस युद्ध में ब्रिटिश
ईस्ट इंडिया कं पनी की जीत हुयी और नवाब की हार हुयी | 1
प्लासी की लड़ाई
 प्लासी के युद्ध के बहुत से कारण है क्युकी ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कं पनी की महत्वाकांक्षाएं बढती जा
रही थी क्यूंकि अंग्रेजों को ब्रिटिश से सोना और चांदी ज्यादा मात्रा में में नहीं मिल पा रहा था अब
इसके लिए उन्हें बंगाल पर ज्यादा कब्ज़ा करना पड़ेगा और जितने ज्यादा अधिकार होंगे उतने
ज्यादा रिच होंगे | 1717 में फरुख्शियर के द्वारा शाही फरमान जारी किया गया और इस शाही
फरमान में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कं पनी को 3000 रूपए देकर कहा गया की आप बंगाल में फ्री ट्रेड
कर सकते हो लेकिन ये फरमान सभी नवाबों के लिये एक गले का काँटा बन गया इस फरमान का
किसी ने विरोध नहीं किया खासकर मुर्शिद कु ली खान और अली वर्दी खान , भी इस दस्तक से
खुश नहीं थे लेकिन किसी ने इसका विरोध नहीं किया | उन्होंने विरोध इसलिए नहीं किया की
अंग्रेजों द्वारा व्यापार में व्रद्धि हो रही है और इससे बंगाल की सम्रद्धि भी बढ रही थी लेकिन ये भी
सही था इसका विरोध सिराज-उद-दौला द्वारा किया गया जिससे अंग्रेजों और नवाब के बीच रिश्ते
2
थोड़े ख़राब होने लगे |
प्लासी की लड़ाई
 प्लासी के युद्ध के बाद बंगाल की दुर्व्यवस्था की शुरुआत हुयी इस युद्ध में बंगाल की
सेना की कमजोरी अंग्रेजों को समझ में आ गयी थी |

You might also like