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केन्द्रीय विद्याऱय संगठन

KENDRIYA VIDYALAYA SANGATHAN

शशऺा एवं प्रशशऺण का आंचशिक संस्थान, चंडीगढ़


ZONAL INSTITUTE OF EDUCATION AND TRAINING, CHANDIGARH

संक्षऺप्त अध्ययन सामग्री


Brief Study Material
शैक्षऺक सत्र / Session - 2021-22

सत्र / Term - 2

कऺा / Class - दसवीं


ववषय / Subject - हहन्दी (अ)
ववषय कोड / Subject Code - 002

शिऺा एिं प्रशिऺण का आंचशऱक संस्थान, चंडीगढ़


सेक्टर - 33 सी, चंडीगढ़
िेबसाइट : zietchandigarh.kvs.gov.in
ई-मेऱ : kvszietchd@gmail.com
दरू भाष-0172-2621302, 2621364

KVS ZONAL INSTITUTE OF EDUCATON AND TRAINIG, CHANDIGARH


हमारे संरऺक

1. श्रीमती ननधध ऩांड,े आईआईएस आयुक्त, के वि सं

2. डॉ. ई. प्रभाकर अऩर आयुक्त (िैक्षऺक)

3. श्रीमती वऩया ठाकुर संयक्


ु त आयक्
ु त (िैक्षऺक)

4. श्री सत्य नारायण गुशऱया संयुक्त आयुक्त (वित्त)

5. श्री एन. आर. मुरऱी संयुक्त आयुक्त (प्रशिऺण)

6. श्री एस. एस. राित संयक्


ु त आयक्
ु त (काशमिक)

KVS ZONAL INSTITUTE OF EDUCATON AND TRAINIG, CHANDIGARH


DIRECTOR’S MESSAGE

Our aim is to provide such brief study materials and sample papers to the student that

not only guides students to the path of success, but also inspires them to recognize and

explore their own inner potential. The Board exam preparation is based on three pillars

– Concept Clarity, Contextual familiarity and Application Expertise. Our innovative

and dedicated teaching materials ensure that every student gets a firm grip of each of

these pillars so very essential for these arduous preparations.

We also understand the importance of CBSE board exam as students' future goal

depends upon the performance in board exams. We know that in pandemic situation

the students feel a lot of pressure of performance in board exam. It is very important to

develop the right exam temperament in students so they can tackle the pressure &

surprises easily. In this direction, to release such brief study materials and sample

papers will help to the students a lot.

KVS ZONAL INSTITUTE OF EDUCATON AND TRAINIG, CHANDIGARH


ववषय-सूची / INDEX

ऩाठ्य वििरण ऩष्ृ ठ संख्या

1. द्वितीय सत्र का ऩाठ्यक्रम 1

2. अध्ययन सामग्री -1 3

3. अध्ययन सामग्री -2 18

4. अध्ययन सामग्री -3 39

KVS ZONAL INSTITUTE OF EDUCATON AND TRAINIG, CHANDIGARH


1
2
गद्म-खॊड
प्रकयण - रखनवी अॊदाज
मशऩार
जीवन ऩरयचम- श्रेष्ठ कथाकाय मशऩार का जन्भ सन 1903 भें ऩॊजाफ के फपयोजऩयु छावनी भें हुआ
था। उनकी प्रायॊ भबक भशऺा काॉगड़ा भें ग्रहण फकमा औय उसके फाद उन्होंने राहौय के नेशनर कॉरेज
से फी.ए फकमा। राहौय भें उनका ऩरयचम क्रन्न्तकायी बगत भसॊह औय सख
ु दे व से हुआ। इसके फाद वो
बायतीम स्वतॊत्रता आॊदोरन की क्राॊततकायी धाया से जुड़ गए। स्वाधीनता आॊदोरन से जुड़ाव के कायण
वे कई फाय जेर बी गए। उनकी भत्ृ मु सन ् 1976 भें हुई।
रेखनगत ववशेषताएॉ- मशऩार की यचनाओॊ भें आभ आदभी के सयोकायों की उऩन्स्थतत साप झरकती
है । वे मथाथथवादी शैरी के ववभशष्ट यचनाकाय थे। साभान्जक ववषभता , याजनीततक ऩाखॊड औय
रूढ़िवाढदमों का ववयोध उनकी यचनाओॊ का भख्
ु म स्वय है । बाषा की स्वाबाववकता औय सजीवता उनकी
यचनागत ववशेषता है ।
यचनाएॉ- उनकी प्रभख
ु यचनाएॉ तनम्नभरखखत हैं-
 कहानी सॊग्रह- ऻानदान, तकथ का तप
ू ान, वऩॊजये की उड़ान, वा दभु रमा, पूरों का कुताथ।
 उऩन्मास- झूठा सच (मह बायत ववबाजन की त्रासदी का भाभभथक दस्तावेज है )
 अन्म प्रभख
ु उऩन्मास- अभभता, ढदव्मा, ऩाटी काभये ड, दादा काभये ड, भेयी तेयी उसकी फात।

ऩाठ का प्रततऩाद्म- रेखक ने ‘रखनवी अॊदाज ’ नाभक व्मॊग्मात्भक ऩाठ मह साबफत कयने के भरए
भरखा था फक बफना कथ्म के कहानी नहीॊ भरखी जा सकती ऩयॊ तु एक स्वतॊत्र यचना के रूऩ भें इस
यचना को ऩ़िा जा सकता है । मशऩार उस ऩतनशीर साभॊती वगथ ऩय कटाऺ कयते हैं जो वास्तववकता
से फेखफय एक फनावटी जीवन शैरी का आदी है । कहना न होगा फक आज के सभम भें बी ऐसी
ऩयजीवी सॊस्कृतत को दे खा जा सकता है ।

ऩाठ का साय - रेखक को अऩने घय से थोड़ी दयू कहीॊ जाना था। रेखक ने बीड़ से फचने , एकाॊत भें
फकसी नई कहानी के फाये भें सोच सकने औय ट्रे न की खखड़की से फाहय के प्राकृततक दृश्मों को तनहायने
के भरए ऩैसज
ें य ट्रे न (भप
ु न्स्सर) की सेकॊड क्रास का ढटकट खयीद भरमा। जफ वे स्टे शन ऩहुॉचे तो
गाड़ी छूटने ही वारी थी। इसीभरए वे दौड़कय सेकॊड क्रास के एक डडब्फे को खारी सभझकय उसभें
च़ि गए रेफकन न्जस डडब्फे को वे खारी सभझ यहे थे , वहाॉ ऩहरे से ही एक रखनवी नवाफ फहुत
आयाभ से ऩारथी भाये फैठे हुए थे औय उनके साभने दो ताजे खीये एक तौभरए के ऊऩय यखे हुए थे।
रेखक को दे ख नवाफ साहफ बफल्कुर बी खुश नहीॊ हुए क्मोंफक उन्हें अऩना एकाॊत बॊग होता
हुआ ढदखाई ढदमा। रेखक उनके साभने वारी खारी सीट ऩय फैठ गए। उन्होंने रेखक से फात कयने भें
बी कोई उत्साह मा रूचच नहीॊ ढदखाई। रेखक की खारी फैठे कल्ऩनाएॉ कयने की ऩयु ानी आदत थी।
इसभरए वे नवाफ साहफ को होने वारी असवु वधा का अनभ
ु ान रगाने रगे। वे सोच यहे थे शामद नवाफ
साहफ ने अकेरे सक
ु ू न से मात्रा कयने की इच्छा से सेकॊड क्रास का ढटकट रे भरमा होगा । रेफकन
अफ उनको मह दे खकय बफल्कुर बी अच्छा नहीॊ रग यहा है फक शहय का कोई सपेदऩोश व्मन्क्त उन्हें
सेकॊड क्रास भें सपय कयते दे खे। उन्होंने मही सोचकय दो खीये खयीदे होंगे फक अकेरे भें सपय का
वक्त अच्छे से कट जाएगा। ऩयॊ तु अफ फकसी सपेदऩोश आदभी के साभने खीया कैसे खाएॊ।

3
नवाफ साहफ गाड़ी की खखड़की से रगाताय फाहय दे ख यहे थे औय रेखक कनखखमों से नवाफ
साहफ की ओय दे ख यहा था । अचानक नवाफ साहफ ने रेखक से खीया खाने के भरए ऩछ
ू ा रेफकन
रेखक ने नवाफ साहफ को शफु क्रमा कहते हुए भना कय ढदमा। उसके फाद नवाफ साहफ ने फहुत ही
तयीके से खीयों को ऩानी से धोमा औय उसे छोटे -छोटे टुकड़ों (पाॉक) भें काटा। फपय उसभें जीया रगा
नभक, भभचथ रगा कय उनको तौभरमे भें कयीने से सजामा। इसके फाद नवाफ साहफ ने एक औय फाय
रेखक से खीये खाने के फाये भें ऩछ
ू ा। क्मोंफक रेखक ऩहरे ही खीया खाने से भना कय चुका था
इसीभरए उन्होंने अऩना आत्भ -सम्भान फनाए यखने के भरए इस फाय ऩेट खयाफ होने का फहाना
फनाकय खीया खाने से भना कय ढदमा।
रेखक के भना कयने के फाद नवाफ साहफ ने नभक भभची रगे उन खीये के टुकड़ों को दे खा।
फपय खखड़की के फाहय दे ख कय एक गहयी साॉस री। उसके फाद नवाफ साहफ खीये की एक पाॉक
(टुकड़े) को उठाकय होठों तक रे गए, पाॉक को सघ
ूॊ ा। स्वाद के आनॊद भें नवाफ साहफ की ऩरकें भद
ुॊ
गई। भॉह
ु भें बय आए ऩानी का घट
ूॊ गरे भें उतय गमा। उसके फाद नवाफ साहफ ने खीये के उस
टुकड़े को खखड़की से फाहय पेंक ढदमा। इसी प्रकाय नवाफ साहफ खीये के हय टुकड़े को होठों के ऩास रे
जाते, फपय उसको सघ
ूॊ ते औय उसके फाद उसे खखड़की से फाहय पेंक दे त।े खीये के साये टुकड़ों को फाहय
पेंकने के फाद उन्होंने आयाभ से तौभरए से हाथ औय होंठों को ऩोछा। औय फपय फड़े गवथ से रेखक की
तयप दे खा। जैसे रेखक को कहना चाह यहे हो फक ‘मही है खानदानी यईसों का तयीका’।
नवाफ साहफ खीये की तैमायी औय इस्तेभार से थक कय रेट गए। रेखक ने सोचा फक “क्मा
भसपथ खीये को सघ
ूॊ कय ही ऩेट बया जा सकता है ”। तबी नवाफ साहफ ने एक जोयदाय डकाय री औय
फोरे “खीया रजीज होता है ऩय ऩेट ऩय फोझ डार दे ता है ”। मह सन
ु कय रेखक के ऻान चऺु खुर
गए। उन्होंने सोचा फक जफ खीये की सग
ु ध
ॊ औय स्वाद की कल्ऩना से ही ऩेट बय ने की डकाय आ
सकती है , तो बफना फकसी ववचाय , घटना, कथावस्तु औय ऩात्रों के , भसपथ रेखक की इच्छा भात्र से ‘नई
कहानी’ बी तो भरखी जा सकती है ।

तनम्नलरखखत गद्माॊशों को ऩढ़िए औय ढ़दए गए प्रश्नों के उत्तय लरखखए.

1. गाड़ी छूट यही थी। सेकण्ड क्रास के एक छोटे डडब्फे को खारी सभझकय जया दौड़कय
उसभें च़ि गए। अनभ
ु ान के प्रततकूर डडब्फा तनजथन नहीॊ था। एक फथथ ऩय रखनऊ की
नवाफी नस्र के एक सपेदऩोश सज्जन फहुत सवु वधा से ऩारथी भाये फैठे थे। साभने दो
ताजे-चचकने खीये तौभरए ऩय यखे थे। डडब्फे भें हभाये सहसा कूद जाने से सज्जन की आॉखों
भें एकाॊत चचन्तन भें ववघ्न का असॊतोष ढदखाई ढदमा। सोचा , हो सकता है , मह बी कहानी
के भरए सझ
ू की चचन्ता भें हों मा खीये -जैसी अऩदाथथ वस्तु का शौक कयते दे खे जाने के
सॊकोच भें हों। नवाफ साहफ ने सॊगतत के भरए उत्साह नहीॊ ढदखामा। हभने बी उनके साभने
की फथथ ऩय फैठकय आत्भ-सम्भान भें आॉखें चयु ा रीॊ। खारी फैठे , कल्ऩना कयते यहने की
ऩुयानी आदत है । नवाफ साहफ की असुववधा औय सॊकोच के कायण का अनुभान कयने रगे।
सम्बव है , नवाफ साहफ ने बफरकुर अकेरे मात्रा कय सकने के अनुभान भें फकफ़ामत के
ववचाय से सेकण्ड क्रास का ढटकट खयीद भरमा हो औय अफ गवाया न हो फक शहय का
कोई सफ़ेदऩोश उन्हें भॉझरे दजे भें सफ़य कयता दे खे।

4
प्रश्न (क) रेखक सेकॊड क्रास के डडब्फे भें दौड़कय चिने ऩय रेखक ने क्मा दे खा ?
उत्तय् सेकॊड क्रास के डडब्फे भें दौड़कय च़िने ऩय रेखक ने दे खा फक डडब्फा खारी नहीॊ था।
एक फथथ ऩय रखनऊ की नवाफी नस्र के एक सपेदऩोश सज्जन फहुत सवु वधा से ऩारथी
भाये फैठे थे। उनके साभने दो ताजे-चचकने खीये तौभरए ऩय यखे थे।

प्रश्न (ख) रेखक ने नवाफ साहफ के असवु वधा औय सॊकोच के कायणों का क्मा अनभ
ु ान
रगामा?
उत्तय् रेखक ने अनभ
ु ान रगामा फक शामद नवाफ साहफ ने बफरकुर अकेरे मात्रा कय
सकने के उद्दे श्म औय फकफ़ामत के ववचाय से सेकण्ड क्रास का ढटकट खयीद भरमा हो
औय अफ गवाया न हो फक शहय का कोई सफ़ेदऩोश उन्हें भॉझरे दजे भें सफ़य कयता दे खे।

प्रश्न (ग) डडब्फे भें चिने ऩय रेखक ने नवाफ साहफ के भूड को दे खकय क्मा ककमा ?
उत्तय् डडब्फे भें च़िने ऩय रेखक ने नवाफ साहफ के भड
ू को दे खकय सभझ भरमा फक नवाफ
साहफ सॊगतत के भरए उत्सा ढहत नहीॊ हैं । इसभरए रेखक ने बी उनके साभने की फथथ ऩय
फैठकय आत्भ-सम्भान भें आॉखें चयु ा रीॊ।

प्रश्न (घ) सज्जन की आॉखों भें एकाॊत चचन्तन भें ववघ्न का असॊतोष दे ख कय रेखक ने क्मा
सोचा ?
उत्तय: सज्जन की आॉखों भें एकाॊत चचन्तन भें ववघ्न का असॊतोष दे खकय रेखक ने सोचा, हो
सकता है , मह बी कहानी के भरए सझ
ू की चचन्ता भें हों मा खीये -जैसी अऩदाथथ वस्तु का शौक
कयते दे खे जाने के सॊकोच भें हों।
2. नभक-भभचथ तछड़क ढदमे जाने से खीये की ऩतनमाती पाॉकें दे खकय भॉह
ु भें ऩानी जरूय आ
यहा था, रेफकन इॊकाय कय चक
ु े थे। आत्भ-सम्भान तनफाहना ही उचचत सभझा। उत्तय ढदमा ,
"शुफक्रमा, इस वक्त तरफ भहसूस नहीॊ हो यही है , भेदा बी जया कभजोय है , फकफरा शौक
पयभाएॉ।" नवाफ साहफ ने सतष्ृ ण आॉखों से नभक-भभचथ के सॊमोग से चभकती खीये की
पाॉकों की ओय दे खा। खखड़की के फाहय दे खकय दीघथ तन्श्वास भरमा। खीये की एक पाॉक
उठाकय होठों तक रे गमे। पाॉक को सॉघ
ू ा। स्वाद के आनन्द भें ऩरकें भुॊद गई। भॉह
ु भें बय
आए ऩानी का घूॉट गरे से उतय गमा। तफ नवाफ साहफ ने पाॉक को खखड़की से फाहय छोड़
ढदमा। नवाफ साहफ खीये की पाॉकों को नाक के ऩास रे जाकय , वासना से यसास्वादन कय
खखड़की के फाहय पेंकते गमे।

प्रश्न (क) रेखक के भॉह


ु भें ऩानी क्मों आ यहा था ?
उत्तय् नवाफ साहफ ने खीये धोकय पाॉकें काटी औय उस ऩय नभक-भभचथ तछड़क ढदमे न्जससे
खीये की पाॉकें ऩतनमा गईं औय उसे दे खकय रेखक के भॉह
ु भें ऩानी आ यहा था।

प्रश्न (ख) नवाफ साहफ ने खीये का यसास्वादन कयने से ऩूवव क्मा ककमा ?

उत्तय् नवाफ साहफ ने सतष्ृ ण आॉखों से नभक-भभचथ के सॊमोग से चभकती खीये की पाॉकों
की ओय दे खा औय फपय खखड़की के फाहय दे खकय दीघथ तन्श्वास भरमा। खीये की एक पाॉक

5
उठाकय होठों तक रे गमे। पाॉक को सॉघ
ू ा। स्वाद के आनन्द भें ऩरकें फॊद कय री औय
भॉह
ु भें बय आए ऩानी का घॉट
ू गरे से उताय भरमा ।

प्रश्न (ग) रेखक ने नवाफ साहफ को क्मा जवाफ ढ़दमा ? इसका क्मा कायण था ?
उत्तय् रेखक ने खीये खाने से भना कय ढदमा था। आत्भ-सम्भान फचाए यखने के भरए उसने
नवाफ साहफ को उत्तय ढदमा फक इस वक्त तरफ भहसस
ू नहीॊ हो यही है औय भेदा बी जया
कभज़ोय है ।

प्रश्न (घ) नवाफ साहफ ने खीये की पाॉकों को खखड़की से फाहय क्मों पेंक ढ़दमा ?
उत्तय: नवाफ साहफ अऩनी खानदानी नवाफी ढदखा यहे थे। वे खीये खा नहीॊ यहे थे फन्ल्क
उसके स्वाद का यसास्वादन कय यहे थे । नवाफ साहफ खीये की पाॉकों को नाक के ऩास रे
जाते, आॉख फॊद कयके उसे सूॊघते औय वासना से यसास्वादन कय खखड़की के फाहय पेंक
दे ते ।

3. नवाफ साहफ खीये की तैमायी औय इस्तेभार से थककय रेट गए। हभें तसरीभ भें भसय
खभ कय रेना ऩड़ा-मह है खानदानी तहज़ीफ , नफ़ासत औय नज़ाकत! हभ गौय कय यहे थे ,
खीया इस्तेभार कयने के इस तयीके को खीये की सुगॊध औय स्वाद की कल्ऩना से सॊतुष्ट
होने का सूक्ष्भ , नपीस मा एब्स्ट्रै क्ट तयीका ज़रूय कहा जा सकता है , ऩयन्तु क्मा ऐसे तयीके
से उदय की तन्ृ तत बी हो सकती है ?
नवाफ साहफ की ओय से बये ऩेट के ऊॉचे डकाय का शब्द सुनाई ढदमा औय नवाफ साहफ ने
हभायी ओय दे खकय कह ढदमा , ‘खीया रज़ीज होता है , रेफकन होता है सकीर , नाभुयाद भेदे
ऩय फोझ डार दे ता है ’ ऻान-चऺु खर
ु गए। ऩहचाना मे हैं नई कहानी के रेखक!

प्रश्न (क) नवाफ साहफ क्मों रेट गए। ?

उत्तय् नवाफ साहफ खीये की तैमायी औय इस्तेभार से कयने के तयीके से फहुत थक से गए


थे। वे रेखक को ढदखाना चाह यहे थे फक खीये खाने का नवाफी तयीका आसान नहीॊ होता।
मह फहुत ही भेहनत का काभ है ।

प्रश्न (ख) नवाफ साहफ के खीये के इस्तेभार के तयीके को क्मा कहा जा सकता है ?
उत्तय् नवाफ साहफ के खीये के इस्तेभार के तयीके को सूक्ष्भ, नफ़ीस मा एब्सट्रै क्ट अवश्म कहा
जा सकता है ऩय ऐसे तयीके से उदय की तन्ृ तत नहीॊ हो सकती।

प्रश्न (ग) नवाफ साहफ ने रेखक से क्मा कहा ?


उत्तय् नवाफ साहफ ने रेखक की ओय दे खकय कहा फक ‘खीया रज़ीज होता है , रेफकन होता है
सकीर, नाभुयाद भेदे ऩय फोझ डार दे ता है ’।

प्रश्न (घ) ऩहचाना मे हैं नई कहानी के रेखक! - इस ऩॊक्क्त का क्मा अथव है ?


उत्तय् ऩहचाना मे हैं नई कहानी के रेखक! - इस ऩॊन्क्त का अथथ है फक मढद बफना खीया
खाए भजे से उसका यसास्वादन भरमा जा सकता है तो बफना ववचाय, ववषम औय ऩात्र के

6
रेखक की इच्छा भात्र से कहानी बी आसानी से भरखी जा सकती है ।

प्रकयण - भानवीम करुणा की ढ़दव्म चभक


सवेश्वय दमार सक्सेना

जीवन ऩरयचम- सवेश्वय दमार सक्सेना का जन्भ सन ् 1927 भें उत्तय प्रदे श के फस्ती न्जरे भें हुआ
था। उन की आयॊ भबक भशऺा फस्ती भें तथा उच्च भशऺा इराहाफाद ववश्वववद्मारम से हुई। उन्होंने
अध्माऩन औय सॊऩादन दोनों कामथ फकए। ऩहरे अध्माऩक के रूऩ भें तनमक्
ु त हुए औय फाद भें
आकाशवाणी प्रमाग भें सहामक प्रोड्मस
ू य, ‘ढदनभान’ भें उऩ-सॊऩादक औय फार ऩबत्रका ‘ऩयाग’ के
सॊऩादक यहे । सक्सेना जी द्वाया शरू
ु फकमा गमा ‘चयचे औय चयखे ’ फहुत रोकवप्रम हुआ। सन ् 1983
भें उनका आकन्स्भक तनधन हो गमा।
रेखनगत ववशेषताएॉ- सवेश्वय दमार सक्सेना फहुभख
ु ी प्रततबा सॊऩन्न साढहत्मकाय थे। वे कवव,
कहानीकाय, उऩन्मासकाय, तनफॊधकाय औय नाटककाय थे। उनकी ऩहचान भध्मवगीम आकाॊऺाओॊ के
रेखक के रूऩ की जाती है । भध्म वगीम जीवन की भहत्वकाॊऺाओॊ, सऩनों, सॊघषथ, शोषण, हताशा, औय
कॊु ठा का चचत्रण उनके साढहत्म भें भभरता है । सवेश्वय जी स्तॊबकाय थे औय ढदनभान के ‘चयचे औय
चयखे’ स्तॊब भें फेफाक सच कहने का साहस ढदखराई ऩड़ता है ।
उऩरक्ब्धमाॉ - 1983 भें सक्सेना जी को अऩने कववता सॊग्रह ‘खढूॉ टमों ऩय टॊ गे रोग ’ के भरए साढहत्म
अकादभी ऩयु स्काय भभरा।
यचनाएॊ : सवेश्वय दमार सक्सेना जी के साढहत्म सजथन भें कववता के अततरयक्त कहानी, नाटक औय
फार साढहत्म बी शाभभर हैं। उनकी भख्
ु म यचनाएॉ तनम्नभरखखत हैं -
काव्म-सॊग्रह- काठ की घन्ण्टमाॉ, कुआनो नदी, जॊगर का ददथ , खढूॉ टमों ऩय टॊ गे रोग
उऩन्मास- ऩागर कुत्तों का भसीहा, सोमा हुआ जर
कहानी-सॊग्रह-रड़ाई, अॊधेये ऩय अॊधेया
नाटक- फकयी
फार साढ़हत्म- बौं-बौं-खौं-खौं, फतूता का जूता, राख की नाक,
ऩाठ का प्रततऩाद्म- रेखक द्वाया भरखखत ‘भानवीम करुणा की ढदव्म चभक’ ऩाठ एक
सॊस्भयण है न्जसभें उन्होंने फेन्ल्जमभ (मयू ोऩ) भें जन्भे फ़ादय काभभर फल्
ु के के बायतीम प्रेभ
को फड़ी ही सॊजीदगी से दशाथमा है । यै म्सचैऩर शहय को चगरयजाघयों, ऩादरयमों, धभथगरु
ु ओॊ औय
सॊतों की बभू भ कही जाती है ऩयन्तु काभभर फल्
ु के ने बायत को अऩनी कभथबभू भ फनामा। फ़ादय
काभभर फल्
ु के एक सॊन्मासी थे फकन्तु ऩायॊ ऩरयक अथथ भें नहीॊ। रेखक का फ़ादय काभभर फल्
ु के
से घतनष्ठ सॊफॊध था न्जसकी साफ़ झरक हभें इस सॊस्भयण भें ढदखाई ऩड़ती है । रेखक का
भानना है फक जफ तक याभकथा है तफ तक इस ववदे शी साधु को माद फकमा जाता यहे गा
तथा ढहन्दी बाषा औय फोभरमों के प्रतत उनके प्रेभ का उदाहयण ढदमा जाता यहे गा।
ऩाठ का साय- सवेश्वय दमार सक्सेना ‘ द्वाया भरखखत ऩाठ ‘भानवीम करुणा की ढदव्म चभक’
ऩाठ भें मूयोऩ के फेन्ल्जमभ भें जन्भे पादय काभभर फुल्के के व्मन्क्तत्व व जीवन का फहुत ही

7
खफ
ू सयू ती से वणथन फकमा गमा है । पादय एक ईसाई सॊन्मासी थे रेफकन वो आभ सन्माभसमों
जैसे नहीॊ थे। वे बायत को अऩना दे श व अऩने को बायतीम भानते थे। उन्होंने बायत को
अऩनी कभथबभू भ फनामा। पादय काभभर फल्
ु के ने अऩना फचऩन औय मव
ु ावस्था के प्रायॊ भबक
वषथ यै म्सचैऩर भें बफताए थे। पादय फल्
ु के के वऩता व्मवसामी थे। जफफक एक बाई ऩादयी था
औय एक बाई ऩरयवाय के साथ यहकय काभ कयता था। उनकी एक न्जद्दी फहन बी थी,
न्जसकी शादी कापी दे य से हुई थी। पादय काभभर फुल्के ने इॊजीतनमरयॊग के अॊततभ वषथ की
ऩ़िाई छोड़ कय ववचधवत सॊन्मास धायण फकमा। वे बायतीम सॊस्कृतत से फहुत अचधक प्रबाववत
थे । इसभरए सॊन्मास धायण कयने के फाद बायत वे आ गए। फपय मही के हो कय यह गए।
पादय फुल्के अऩनी भाॊ को फहुत तमाय कयते थे। वह अक्सय उनको माद कयते थे।
उनकी भाॊ उन्हें ऩत्र भरखती यहती थी, न्जसके फाये भें वह अऩने दोस्त डॉ. यघव
ु ॊश को फताते
थे। बायत भें आकय उन्होंने ‘न्जसेट सॊघ’ भें दो सार तक ऩादरयमों के फीच यहकय धभाथचाय की
ऩढाई की औय फपय 9 -10 वषथ दान्जथभरॊग भें यहकय ऩढाई की। उसके फाद उन्होंने कोरकाता से
फी.ए औय इराहाफाद से ढहॊदी भें एभ.ए की डडग्री हाभसर की औय इसी के साथ ही उन्होंने
प्रमाग ववश्वववद्मारम के ढहॊदी ववबाग से सन 1950 भें “याभकथा : उत्ऩवत्त औय ववकास”
ववषम भें शोध बी फकमा। पादय फुल्के ने भातयभरॊक के प्रभसद्ध नाटक “ब्रू फडथ” का ढहॊदी भें
नीर ऩॊछी के नाभ से अनुवाद फकमा। फाद भें उन्होंने सेंट जेववमसथ कॉरेज, याॊची भें ढहॊदी औय
सॊस्कृत ववबाग के ववबागाध्मऺ के रूऩ भें बी कामथ फकमा। मही उन्होंने अऩना प्रभसद्ध
“अॊग्रेजी-ढहॊदी शब्दकोश” बी तैमाय फकमा औय फाइबफर का बी ढहॊदी भें अनुवाद फकमा। उनका
ढहॊदी के प्रतत अथाह प्रेभ इसी फात से झरकता है ।
जहयफाद की फीभायी के कायण 73 वषथ की उम्र भें उनका दे हाॊत हो गमा। पादय फुल्के
बायत भें रगबग 47 वषों तक यहे । इस फीच वो भसपथ तीन मा चाय फाय ही अऩनी भातब
ृ ूभभ
फेन्ल्जमभ गए। सॊन्मासी धभथ के ववऩयीत पादय फुल्के का रेखक से फहुत आत्भीम सॊफॊध था।
पादय रेखक के ऩारयवारयक सदस्म के जैसे ही थे। रेखक का ऩरयचम पादय फल् ु के से
इराहाफाद भें हुआ, जो जीवन ऩमंत यहा। रेखक पादय के व्मन्क्तत्व से कापी प्रबाववत थे।
रेखक के अनुसाय पादय वात्सल्म व तमाय की साऺात भतू तथ थे। वह हभेशा रोगों को अऩने
आशीवाथद से बय दे ते थे। उनके ढदर भें हय फकसी के भरए प्रेभ, अऩनाऩन व दमा का बाव
था। वह रोगों के दख
ु भें शाभभर होते औय उन्हें अऩने भधयु वचनों से साॊत्वना दे ते थे। वो
न्जससे एक फाय रयश्ता फनाते थे , उसे जीवन ऩमंत तनबाते थे।
पादय की ढदरी तभन्ना ढहॊदी को याष्ट्रबाषा के रूऩ भें दे खने की थी। वह अक्सय ढहॊदी
बावषमों की ढहॊदी के प्रतत उऩेऺा दे खकय दख
ु ी हो जाते थे। पादय फल्
ु के की भत्ृ मु ढदल्री भें
जहयफाद से ऩीडड़त होकय हुई। रेखक उस वक्त बी ढदल्री भें ही यहते थे। रेफकन उनको
पादय की फीभायी का ऩता सभम से न चर ऩामा, न्जस कायण वह भत्ृ मु से ऩहरे पादय फल्
ु के
के दशथन नहीॊ कय सके। इस फात का रेखक को गहया अफ़सोस था ।
18 अगस्त 1982 की सुफह 10 फजे कश्भीयी गेट के तनकरसन कब्रगाह भें उनका ताफूत
एक छोटी सी नीरी गाड़ी भें से कुछ ऩादरयमों औय यघुवॊशीजी के फेटे , याजेश्वय भसॊह द्वाया

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उताया गमा। फपय उस ताफत
ू को ऩेड़ों की घनी छाॉव वारी सड़क से कब्र तक रे जामा गमा।
उसके फाद पादय फल्
ु के के भत
ृ शयीय को कब्र भें उताय ढदमा गमा। याॊची के पादय ऩास्कर
तोमना ने भसीही ववचध से उनका अॊततभ सॊस्काय फकमा औय सफने नभ आॊखों से पादय फल्
ु के
को अऩनी श्रद्धाॊजभर अवऩथत की। उनके अॊततभ सॊस्काय के वक्त वहाॊ हजायों रोग इकट्ठे थे,
न्जन्होंने नभ आॊखों से पादय फल्
ु के को अऩनी अॊततभ श्रद्धाॊजभर दी। इसके अरावा वहाॉ
जैनेन्र कुभाय, ववजेंर स्नातक, अजीत कुभाय, डॉ तनभथरा जैन, भसीही सभुदाम के रोग,
ऩादयीगण, डॉक्टय सत्मप्रकाश औय डॉक्टय यघुवॊश बी उऩन्स्थत थे। रेखक का भानना है फक
न्जस व्मन्क्त ने जीवन बय दस
ू यों को वात्सल्म व प्रेभ का अभत
ृ वऩरामा। औय न्जसकी यगों
भें दस
ू यों के भरए भभठास बये अभत
ृ के अततरयक्त औय कुछ नहीॊ था। उसकी भत्ृ मु जहयफाद
से हुई मह पादय के प्रतत ऊऩय वारे का घोय अन्माम है ।
रेखक ने पादय की तुरना एक ऐसे छामादाय वऺ ृ से की है न्जसके पर पूर सबी
भीठी भीठी सुगॊध से बये यहते हैं औय जो अऩनी शयण भें आने वारे सबी रोगों को अऩनी
छामा से शीतरता प्रदान कयता हैं। ठीक उसी तयह पादय फुल्के बी हभ सफके साथ यहते हुए,
हभ जैसे होकय बी, हभ सफ से फहुत अरग थे। प्राणी भात्र के भरए उनका प्रेभ व वात्सल्म
उनके व्मन्क्तत्व को भानवीम करुणा की ढदव्म चभक से प्रकाशभान कयता था। रेखक के
भरए उनकी स्भतृ त फकसी मऻ की ऩववत्र अन्ग्न की आॉच की तयह है न्जसकी तऩन को वे
हभेशा भहसूस कयते यहें गे।

तनम्नलरखखत गद्माॊश को ऩिकय ऩछ


ू े गए प्रश्नों के उत्तय दीक्जए-

1. फ़ादय को माद कयना एक उदास शाॊत सॊगीत को सन


ु ने जैसा है । उनको दे खना करुणा के
तनभथर जर भें स्नान कयने जैसा था औय उनसे फात कयना कभथ के सॊकल्ऩ से बयना था।
भझ
ु े 'ऩरयभर' के वे ढदन माद आते हैं जफ हभ सफ एक ऩारयवारयक रयश्ते भें फॉधे जैसे थे
न्जसके फड़े पादय फल्
ु के थे। हभाये हॊ सी-भज़ाक भें वह तनभरथतत शाभभर यहते, हभायी गोन्ष्ठमों
भें वह गॊबीय फहस कयते, हभायी यचनाओॊ ऩय फेफाक याम औय सझ
ु ाव दे ते औय हभाये घयों के
फकसी बी उत्सव औय सॊस्काय भें वह फड़े बाई औय ऩुयोढहत जैसे खड़े हो हभें अऩने आशीषों
से बय दे ते।
प्रश्न (क) पादय को माद कयना, दे खना औय उनसे फातें कयना फकन अनुबूततमों को जगाने
वारा होता था?
उत्तय: फ़ादय फुल्के को माद कयना एक शाॊत, उदास सॊगीत को सुनने के सभान प्रतीत होता है ।
उनको दे खने से करुणा के तनभथर जर भें स्नान कयने जैसी अनुबूतत प्रातत होती थी औय
उनसे फातें कयने से अऩने भन को कभथ के सॊकल्ऩ से बय रेने की गहन अनुबूतत का अनुबव
प्रातत होता था।
प्रश्न (ख) 'ऩरयभर' की गोक्ठठमों से जुड़ी फादय की ककन स्भतृ तमों को रेखक माद कय यहा है ?
उत्तय: 'ऩरयभर' की गोन्ष्ठमों से जड़
ु ी फ़ादय की फहुत सी स्भतृ तमाॉ रेखक को माद आती हैं। सबी
साढहत्मकाय ऩारयवारयक सॊफॊधों भें फॊधे अनब ु व कयते थे औय उस ऩरयवाय के फड़े व्मन्क्त फ़ादय

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फुल्के हुआ कयते थे। सबी के फीच हॉ सी-भज़ाक चरता था औय गॊबीयता से ऩरयऩूणथ फहस बी होती
थी। वे तनष्ऩऺ होकय यचनाओॊ से सॊफॊचधत अऩनी याम ढदमा कयते थे।
प्रश्न (ग) घय के उत्सवों भें फादय फुल्के की बूलभका को स्ऩठट कीक्जए।
उत्तय: घय के उत्सवों भें फ़ादय फुल्के फड़े बाई औय ऩुयोढहत की बूभभका तनबाते थे। वे सबी के
साथ भद
ृ ु व्मवहाय कयते थे। फड़े बाई के सभान सबी के साथ स्नेहऩूणथ व्मवहाय औय ऩुयोढहत के
सभान आशीवाथद दे ते हुए वे दे वदाय वऺ
ृ के सभान प्रतीत होते थे जो सफको शाॊतत औय शीतरता
प्रदान कयता है ।
प्रश्न (घ) पादय कालभर फुल्के के व्मक्क्तत्व की ववशेषताओॊ को अऩने शब्दों लरखखए?
उत्तय: पादय काभभर फुल्के का व्मन्क्तत्व ढदव्म आबा से मुक्त है । वे सफके साथ सदै व अच्छा
व्मवहाय फकमा कयते थे। भभत्रों के साथ हय सुख-द्ु ख भें शाभभर होते थे। वे दे वदाय के वऺ

के सभान सफको शाॊतत औय शीतरता से बय दे ते थे।

2. पादय की दे ह ऩहरे कब्र के ऊऩय भरटाई गई। भसीही ववचध से अॊततभ सॊस्काय शुरू हुआ।
याॊची के फ़ादय ऩास्कर तोमना के द्वाया। उन्होंने ढहॊदी भें भसीही ववचध से प्राथथना की फपय
सेंट जेववमसथ के ये क्टय फ़ादय ऩास्कर ने उनके जीवन औय कभथ ऩय श्रद्धाॊजभर अवऩथत कयते
हुए कहा, ‘पादय फुल्के धयती भें जा यहे हैं। इस धयती से ऐसे यत्न औय ऩैदा हों। डॉ.
सत्मप्रकाश ने बी अऩनी श्रदाॊजभर भें इनके अनुकयणीम जीवन को नभन फकमा। फपय दे ह
कब्र भें उताय दी गई। भैं नहीॊ जानता इस सॊन्मासी ने कबी सोचा था मा नहीॊ फक उसकी
भत्ृ मु ऩय कोई योएगा। रेफकन उस ऺण योने वारों की कभी नहीॊ थी। (नभ आॊखों को चगनना
स्माही पैराना है ।)

प्रश्न (क) पादय फुल्के का अॊततभ सॊस्काय फकस ववचध से कयवामा गमा?
उत्तय: पादय फुल्के की दे ह सफसे ऩहरे कब्र के ऊऩय भरटाई गई औय फपय भसीही ववचध से
अॊततभ सॊस्काय शुरू हुआ। याॊची के फ़ादय ऩास्कर तोमना के द्वाया ढहॊदी भें भसीही ववचध से
प्राथथना की गई।

प्रश्न (ख) सेंट जेववमसव के ये क्टय पादय ऩास्कर ने पादय फुल्के को ककन शब्दों भें श्रद्धाॊजलर
अवऩवत की?
उत्तय: सेंट जेववमसथ के ये क्टय फ़ादय ऩास्कर ने उनके जीवन औय कभथ ऩय श्रद्धाॊजभर अवऩथत
कयते हुए कहा फक पादय फुल्के धयती भें जा यहे हैं। उनके जैसे इस धयती से औय बी यत्न
ऩैदा हों।

प्रश्न (ग) रेखक के अनस


ु ाय फादय फुल्के की भत्ृ मु ऩय योने वारों की कभी नहीॊ थी, क्मों?
उत्तय: फ़ादय काभभर फुल्के की भत्ृ मु ऩय योने वारों की कभी नहीॊ थी क्मोंफक उनका सबी के प्रतत
भभत्रवत ् व्मवहाय था। सबी के भरए दमा व सहमोग की बावना थी तथा उनके हदम भें सबी के
प्रतत कल्माण की बावना थी। उनका रृदम भानवीम करुणा से ऩरयऩूणथ था। मही कायण था फक
जफ उनकी भत्ृ मु हुई तो असॊख्म रोगों की आॉखों भें आॉसू थे।

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प्रश्न (ख) डॉ. सत्मप्रकाश ने ककनके अनुकयणीम जीवन को नभन ककमा औय क्मों?
उत्तय: डॉ. सत्मप्रकाश ने फ़ादय काभभर फुल्के के अनुकयणीम जीवन को नभन फकमा क्मोंफक
उनका जीवन उदायता औय तनश्छर प्रेभ से बया हुआ था। उनका ह्रदम भानवीम करुणा से ऩरयऩूणथ
था। वे एक ऩववत्र ज्मोतत के सभान थे।

3. पादय फुल्के सॊकल्ऩ से सॊन्मासी थे। कबी-कबी रगता है वह भन से सॊन्मासी नहीॊ थे।
रयश्ता फनाते थे तो तोड़ते नहीॊ थे। दभसमों सार फाद भभरने के फाद बी उसकी गॊध भहसूस
होती थी। वह जफ बी ढदल्री आते ज़रूय भभरते-खोजकय, सभम तनकारकय, गभी, सदी, फयसात
झेरकय भभरते, चाहे दो भभनट के भरए ही सही। मह कौन सॊन्मासी कयता है ? उनकी चचॊता
ढहॊदी को याष्ट्रबाषा के रूऩ भें दे खने की थी। हय भॊच से इसकी तकरीप फमान कयते, इसके
भरए अकाट्म तकथ दे ते। फस इसी एक सवार ऩय उन्हें झॉझ
ु राते दे खा है औय ढहन्दी वारों
द्वाया ही ढहॊदी की उऩेऺा ऩय दख
ु कयते उन्हें ऩामा है ।

प्रश्न (क) पादय फुल्के सॊकल्ऩ से सॊन्मासी थे भन से नहीॊ। रेखक ने ऐसा क्मों कहा है ?
उत्तय : फ़ादय फुल्के ने सॊन्मास रेने भरए सॊकल्ऩ भरमा रेफकन अऩने इस सॊकल्ऩ को वे तनबा
नहीॊ ऩाए। जो व्मन्क्त सॊन्मास रेता है वह साॊसारयक रयश्तों से दयू हो जाता है , रेफकन फ़ादय
फुल्के का स्वबाव इसके ववऩयीत था। वे न्जसके साथ भन से जुड़ जाते थे उससे उन्हें गहया
रगाव हो जाता था। वे उस रयश्ते को अॊत तक तनबाते थे। भन से तथा अऩनत्व से फॊधने के
कायण रेखक ने उनके फाये भें कहा फक वे भन से सॊन्मासी नहीॊ थे।

प्रश्न (ख) पादय फुल्के रयश्ते फनाकय उनका तनवावह कैसे कयते थे?
उत्तय : पादय फुल्के न्जससे बी रयश्ता फना रेते उसे आजीवन तनबाते थे। रेखक के साथ उनका
गहया स्नेह सॊफॊध था। वे जफ बी ढदल्री आते रेखक से भभरे बफना कबी वावऩस नहीॊ जाते थे।
फकसी बी न्स्थतत भें उनकी अऩने स्नेह-ऩात्र से आत्भीमता कभ नहीॊ होती थी।

प्रश्न (ग) ढ़हॊदी को रेकय पादय कालभर फुल्के की क्मा चचॊता थी?
उत्तय : फ़ादय काभभर फुल्के की चचॊता ढहॊदी को याष्ट्रबाषा के रूऩ भें दे खने की थी। वे हय भॊच
से इसकी तकरीप फमान कयते तथा इसके भरए अकाट्म तकथ दे ते। ढहन्दी वारों द्वाया ही
ढहॊदी की उऩेऺा कयने ऩय वे दख
ु प्रकट कयते थे औय ढहॊदी को याष्ट्रबाषा फनाने के सवार ऩय
वे झॉुझरा उठते थे ।

प्रश्न (घ) उक्त गद्माॊश के आधाय ऩय पादय कालभर फुल्के की बावनाओॊ को स्ऩठट कीक्जए ?
उत्तय : फ़ादय काभभर फल्
ु के सॊकल्ऩ से सॊन्मासी थे रेफकन भन से सॊन्मासी नहीॊ थे। वे जफ
फकसी से रयश्ता फनाते थे तो तोड़ते नहीॊ थे। वे ढहॊदी को याष्ट्रबाषा के रूऩ भें दे खना चाहते
थे। ढहॊदी को याष्ट्रबाषा फनाने को रेकय मढद कोई सवार कयता था तो वे झॉझ
ु रा उठते थे। वे
हय भॊच से ढहॊदी को याष्ट्र बाषा फनाने का सभथथन कयते औय इसके भरए अकाट्म तकथ दे ते
थे। ढहन्दी वारों द्वाया ही ढहॊदी की उऩेऺा कयने ऩय उन्हें फहुत दख
ु होता था।

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ऩद्म खॊड
‘उत्साह’ औय ‘अट नहीॊ यही है ’
-सम
ू क
थ ान्त बत्रऩाठी ‘तनयारा’
जीवन ऩरयचम- छामावादी कववता के प्रभख
ु हस्ताऺय सम
ू क
थ ान्त बत्रऩाठी 'तनयारा' का जन्भ फॊगार के
भढहषादर रयमासत (न्जरा भेढदनीऩयु ) भें 21 फ़यवयी, सन ् 1899 भें हुआ। वे भर
ू रूऩ से उत्तय प्रदे श
के उन्नाव न्जरे के ग़िाकोरा नाभक गाॉव के तनवासी थे। उनके वऩता ऩॊडडत याभसहाम ततवायी उन्नाव
(फैसवाड़ा) के यहने वारे थे औय भढहषादर भें भसऩाही की नौकयी कयते थे। तनयारा की औऩचारयक
भशऺा नौवीॊ तक भढहषादर भें ही हुई। उन्होंने स्वाध्माम से सॊस्कृत, फाॊग्रा औय अॊग्रेजी का ऻान
अन्जथत फकमा।वे सॊगीत औय दशथन शास्त्र के गहये अध्मेता थे। याभकृष्ण ऩयभहॊ स औय वववेकानॊद की
ववचायधाया ने उन ऩय ववशेष प्रबाव डारा। तनयारा का ऩारयवारयक जीवन दख
ु ों औय सॊघषों से बया था।
आत्भीम जनों के असाभतमक तनधन ने उन्हें बीतय तक तोड़ ढदमा। साढहन्त्मक भोचे ऩय बी उन्होंने
अनवयत सॊघषथ फकमा। सन ् 1961 भें उनका दे हाॊत हो गमा।
काव्मगत ववशेषताएॉ- अऩने सभकारीन अन्म कववमों से अरग उन्होंने कववता भें कल्ऩना का सहाया
फहुत कभ भरमा है औय मथाथथ को प्रभख
ु ता से चचबत्रत फकमा है । वे ढहन्दी भें भक्
ु तछॊ द के प्रवतथक बी
भाने जाते हैं। तनयारा ववस्तत
ृ सयोकायों के कवव हैं। दाशथतनकता, ववरोह, क्राॊतत, प्रेभ की तयरता औय
प्रकृतत का ववयाट तथा उदात्त चचत्र उनकी यचनाओॊ भें उऩन्स्थत है । उनके ववरोही स्वबाव ने कववता के
बाव-जगत औय भशल्ऩ-जगत भें नए प्रमोगों को सॊबव फकमा। छामावादी यचनाकायों भें उन्होंने सफसे
ऩहरे भक्
ु त छॊ द का प्रमोग फकमा। शोवषत, उऩेक्षऺत, ऩीडड़त औय प्रताडड़त जन के प्रतत उनकी कववता भें
जहाॉ गहयी सहानब
ु तू त का भभरता है , वहीॊ शोषक वगथ औय सत्ता के प्रतत प्रचॊड प्रततकाय का बाव बी।
कृततमाॉ- उनके द्वाया यचचत प्रभख
ु कृततमाॉ तनम्नवत हैं-
काव्म-सॊग्रह- अनाभभका, ऩरयभर, गीततका, अनाभभका (द्ववतीम) , तर
ु सीदास, कुकुयभत्त
ु ा,अखणभा, फेरा,
नमे ऩत्ते, अचथना, आयाधना, गीत कॊु ज, साॊध्म काकरी, अऩया (सॊचमन)
उऩन्मास- अतसया , अरका, प्रबावती, तनरुऩभा, कुल्री बाट , बफल्रेसयु फकरयहा , चोटी की ऩकड़ , कारे
कायनाभे
कहानी सॊग्रह- भररी, सखी, सक
ु ु र की फीवी, चतयु ी चभाय, सखी, दे वी
तनफॊध-आरोचना- यवीन्र कववता कानन, प्रफॊध ऩद्भ, प्रफॊध प्रततभा, चाफक
ु , चमन, सॊग्रह
ऩयु ाण कथा- भहाबायत, याभामण की अन्तकथथाएॉ
फारोऩमोगी साढहत्म - बक्त ध्रुव , बक्त प्रहराद, बीष्भ, भहायाणा प्रताऩ, सीखबयी कहातनमाॉ , ईसऩ की
नीततकथाएॉ। उनकी सम्ऩण
ू थ यचनाओॊ का सॊकरन तनयारा यचनावरी नाभ से 8 खण्डों भें प्रकाभशत है ।
‘उत्साह’ कववता का साय- उत्साह कववता एक आह्वान गीत है जो फादर को सॊफोचधत है । फादर तनयारा
जी का सफसे ऩसॊदीदा ववषम है । कववता भें फादर एक तयप ऩीडड़त-तमासे जन की आकाॊऺा को ऩयू ा
कयने वारा है , तो दस
ू यी तयप वही फादर नई कल्ऩना औय नए अॊकुय के भरए ववध्वॊस, ववतरव औय

12
क्राॊतत चेतना को सॊबव कयने वारा बी। वे जीवन को व्माऩक एवॊ सभग्र रूऩ से दे खते हैं। कववता भें
रभरत कल्ऩना औय क्राॊतत-चेतना दोनों हैं। साभान्जक क्राॊतत मा फदराव भें साढहत्म की बभू भका
भहत्त्वऩण
ू थ होती है , वे इसे ‘नवजीवन’ औय ‘नत
ू न कववता’ के सॊदबथ भें दे खते हैं। तनयारा जी इस कववता
के भाध्मभ से जीवन से तनयाश व हताश हुए रोगों को मह उम्भीद दे ना चाहते हैं फक चाहे कुछ बी हो
जाए रेफकन आऩके जीवन भें बी खश
ु हारी ज़रूय रौटे गी।
‘अट नहीॊ यही है ’ कववता का साय- कववता भें कवव ने प्रकृतत की भादकता औय व्माऩकता का फड़े ही
सन्
ु दय ढॊ ग से वणथन फकमा है । जफ भन प्रसन्न हो तो हय तयप पागन
ु का ही सौंदमथ औय उल्रास
ढदखाई ऩड़ता है । पागन
ु के सभम ऩयू ी प्रकृतत खखर उठती है । प्रकृतत की भस्ती को दे खकय भनष्ु म बी
भस्ती भें आ जाता है औय पागन
ु के गीत, होयी, पाग इत्माढद गाने रगता है । सन्
ु दय शब्दों के चमन
एवॊ रम ने कववता को बी पागन
ु की ही तयह सद
ुॊ य एवॊ रभरत फना ढदमा है ।
तनम्नलरखखत काव्माॊ शों को ऩढ़िए औय ढ़दए गए प्रश्नों के उत्तय लरखखए

1. फादर, गयजो!
घेय घेय घोय गगन, धायाधय ओ!
रभरत रभरत, कारे घॊघ
ु यारे,
फार कल्ऩना के से ऩारे,
ववद्मुत छबफ उय भें , कवव, नवजीवन वारे!
वज्र तछऩा, नूतन कववता
फपय बय दो
फादर गयजो!
प्रश्न (क) कवव फादर से गयजने के लरए क्मों कहता है ?
उत्तय : कवव का भानना है फक फादर भें अऩाय ऊजाथ बयी होती है । उसभें रोगों भें उत्साह बयने
की ऺभता होती है । वह ऩूये वातावयण भें जोश, उत्साह औय क्राॊतत उत्ऩन्न कय सकता है । वह
गभी से फेहार रोगों भें नवजीवन का सॊचाय कयता है । इसभरए कवव फादर से गयजने के भरए
कहता है ।
प्रश्न (ख) कवव के अनस
ु ाय फादर का स्वरुऩ कैसा है ?
उत्तय : कवव का कहना है फक फादरों की यचना भें नवीनता होती है । कारे-कारे घुॊघयारे
फादरों का अनग़ि रूऩ ऐसे रगता है जैसे उनभें फकसी फारक की कल्ऩना सभाई हुई हो।
फादरों का सभह
ू ऩयू े आसभान को घेय रेता है । फाद रों के रृदम भें फकसी कवव की तयह
असीभ ऊजाथ बयी होती है । वे कवव को नई कववता की यचना कयने के भरए प्रेरयत कयते हैं ।
प्रश्न (ग) कवव फादरों से अऩने लरए क्मा चाहता है ?
उत्तय : कवव फादरों से चाहता है फक वे बमॊकय गजथना कयते हुए ऩूये आसभान भें चायों तयप
से तघय आएॉ। उन्हें दे खकय कवव नई ऊजाथ से बय उठे गा औय वह धयती के फेहार प्राखणमों के
भरए नवजीवन दे ने वारी कववता की यचना कय सकेगा न्जससे उनभें उत्साह का सॊचाय हो
सकेगा।

13
2. कहीॊ साॉस रेते हो,
घय-घय बय दे ते हो,
उड़ने को नब भें तुभ
ऩय-ऩय कय दे ते हो,
आॉख हटाता हूॉ तो
हट नहीॊ यही है ।
ऩत्तों से रदी डार
कहीॊ हयी, कहीॊ रार,
कहीॊ ऩड़ी है उय भें
भॊद-गॊध-ऩुष्ऩ-भार,
ऩाट-ऩाट शोबा-श्री
ऩट नहीॊ यही है ।

प्रश्न (क) उक्त काव्माॊश भें कवव ने ककस ऋतु के सौंदमव का वणवन ककमा है ?
उत्तय : उक्त काव्माॊश भें कवव ने वसॊत ऋतु के सौंदमथ का भनोहायी वणथन फकमा है । वसॊत
ऋतु भें जफ चायों तयप पूरों की सुगॊध पैरी होती है तो उसकी खश
ु फू से हय घय बय उठता
है । कबी ऐसा रगता है भानो वसॊत आसभान भें उड़ने के भरए अऩने ऩॊख पड़पड़ा यहा है ।
कवव उस सौंदमथ से अऩनी आॉखें हटाना चाहता है रेफकन उसकी आॉखें हट नहीॊ यही हैं।

प्रश्न (ख) वसॊत ऋतु भें खखरे हुए पूरों के सौंदमव के ववषम भें कवव ने क्मा कहा है ?
उत्तय : वसॊत ऋतु भें खखरे हुए पूरों के सौंदमथ दे खकय कवव कहता है फक ऩेड़ों ऩय कई यॊ गों
के नए ऩत्ते तनकर आए हैं। उन्हें दे खकय रगता है भानो कहीॊ-कहीॊ ऩय कुछ ऩेड़ों के गरे भें
बीनी-बीनी खश
ु फू दे ने वारे पूरों की भारा रटकी हुई है । हय तयप सुॊदयता बफखयी ऩड़ी है
औय वह इतनी अचधक है फक धया ऩय सभा नहीॊ यही है ।

प्रश्न (ग) प्रस्तत


ु काव्माॊश का लशल्ऩ-सौंदमव फताइए।
उत्तय : प्रस्तत
ु काव्माॊश भें कवव ने पागन
ु के भहीने की प्राकृततक सॊद
ु यता का भनोयभ वणथन
फकमा है । इन ऩॊन्क्तमों भें तत्सभ व तद्बव शब्दावरी मक्
ु त साढहन्त्मक खड़ी फोरी का प्रमोग
फकमा गमा है । बाषा प्रसाद गण
ु मक्
ु त व राऺखणक है । छॊ द भक्
ु त होने के फावजद
ू इन
ऩॊन्क्तमों भें सयु , रम व सॊगीत का ऩण ू थ तनवाथह हुआ है । छॊ द भक् ु त शैरी भें यचचत इन
ऩॊन्क्तमों भें दृश्म बफॊफ का सपर प्रमोग हुआ है । ‘ऩट नहीॊ यही है ’ भुहावये के प्रमोग से कववता
का सौन्दमथ फ़ि गमा है । इनभें अनुप्रास, ऩुनरुन्क्त-प्रकाश, उऩभा, ववशेषोन्क्त एवॊ भानवीकयण
अरॊकायों का सपर प्रमोग हुआ है ।

कन्मादान

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-ऋतयु ाज
जीवन ऩरयचम- कवव ऋतयु ाज का जन्भ सन ् 1940 भें याजस्थान के बयतऩयु न्जरे भें हुआ। उन्होंने
याजस्थान ववश्वववद्मारम, जमऩयु से अॊग्रेजी भें एभ.ए. की उऩाचध ग्रहण की। चारीस वषों तक अॊग्रेजी
साढहत्म के अध्माऩन के फाद अफ वे सेवातनववृ त्त रेकय जमऩयु भें यहते हैं। उनके अफ तक आठ
कववता-सॊग्रह प्रकाभशत हो चुके हैं। न्जनभें ‘एक भयणधभाथ औय अन्म’, ‘ऩर
ु ऩय ऩानी’, ‘सयु त तनयत’
तथा ‘रीरा भख
ु ायववॊद’ प्रभख
ु हैं। इन्हें अनेक ऩयु स्कायों से सम्भातनत फकमा गमा है न्जनभें सोभदत्त,
ऩरयभर सम्भान, भीया ऩयु स्काय, ऩहर सम्भान तथा बफहायी ऩयु स्काय शाभभर हैं।
काव्मगत ववशेषताएॉ- उन्होंने अऩनी कववताओॊ भें भख्
ु म धाया से अरग सभाज के हाभशए के रोगों की
चचॊताओॊ को अऩने रेखन का ववषम फनामा है । उनकी कववताओॊ भें दै तनक जीवन के अनब
ु व का
मथाथथ है औय वे अऩने आस-ऩास योजभयाथ भें घढटत होने वारे साभान्जक शोषण औय ववडॊफनाओॊ ऩय
तनगाह डारते हैं। इसी वजह से उनकी काव्म-बाषा अऩने ऩरयवेश औय रोक जीवन से जड़ ु ी हुई है ।
2. ‘कन्मादान’ कववता का साय- प्रस्तत
ु कववता भें कवव ने वववाह के फाद ववदाई के सभम भाॉ द्वाया
फेटी को दी गई सीख का योचक वणथन फकमा है । भाॉ अऩनी फेटी को स्त्री के ऩयॊ ऩयागत ‘आदशथ’ रूऩ से
हटकय जीने की सीख दे यही है । कवव का भानना है फक सभाज-व्मवस्था द्वाया न्स्त्रमों के भरए
आचयण सॊफध
ॊ ी जो प्रततभान ग़ि भरए जाते हैं वे आदशथ के भर
ु म्भे भें फॊधन होते हैं। ‘कोभरता’ के
गौयव भें ‘कभजोयी’ का उऩहास तछऩा यहता है । रड़की जैसा न ढदखाई दे ने भें इसी आदशीकयण का
प्रततकाय है । फेटी भाॉ के सफसे तनकट औय उसके सख
ु -द्ु ख की साथी होती है । इसी कायण उसे अॊततभ
ऩॉज
ू ी कहा गमा है । कववता भें कोयी बावक
ु ता नहीॊ फन्ल्क भाॉ के सॊचचत अनब
ु वों की ऩीड़ा की
प्राभाखणक अभबव्मन्क्त है । इस छोटी-सी कववता भें स्त्री जीवन के प्रतत ऋतयु ाज जी की गहयी
सॊवेदनाशीरता अभबव्मक्त हुई है । फेटी को ववदा कयते सभम भाॉ को ऐसा रगता है , भानो उसके
जीवन की सायी जभा ऩॉज ू ी उससे दयू चरी जा यही है । ऩत्र
ु ी-भोह उसे बमबीत कयता है फक कहीॊ नए
घय भें फेटी को कुछ ऩये शानी न हो, मा उसे कोई अत्माचाय न सहना ऩड़े। इसभरए चचॊततत होकय वह
अऩनी पूर-सी फेटी को बरे-फयु े का ऩाठ ऩ़िाने रग जाती है ।
तनम्नलरखखत काव्माॊ शों को ऩढ़िए औय ढ़दए गए प्रश्नों के उत्तय लरखखए

1. फकतना प्राभाखणक था उसका दख



रड़की को दान भें दे ते वक्त
जैसे वही उसकी अॊततभ ऩॉूजी हो
रड़की अबी समानी नहीॊ थी
अबी इतनी बोरी सयर थी
फक उसे सुख का आबास तो होता था
रेफकन दख
ु फाॉचना नहीॊ आता था
ऩाढठका थी वह धुॉधरे प्रकाश की
कुछ तुकों औय कुछ रमफद्ध ऩॊन्क्तमों की

प्रश्न (क) वववाह के फाद ववदा कयते सभम भाॉ को उसकी फेटी अॊततभ ऩॉूजी क्मों रगती है ?
उत्तय : वववाह के फाद फेटी को ववदा कयते वक्त भाॉ का द्ु ख फड़ा ही स्वाबाववक होता है । हय भाॉ
को रगता है फक उसके जीवन की आख़ियी जभा ऩॉूजी बी उससे दयू चरी जा यही है । भाॉ अऩनी
फेटी को फड़े ही राड-दर
ु ाय से ऩार -ऩोसकय फड़ा कयती है । वह अऩनी फेटी के साथ अऩने जीवन
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के हय सुख-द्ु ख फाॉटती है । भाॉ हभेशा अहसास होता है फक फेटी ही तो उनके जीवन की सच्ची
साथी थी। ऩयन्तु अफ वह बी उससे दयू चरी जा यही है ।
प्रश्न (ख) फेटी के ववषम भें भाॉ का क्मा ख्मार था?
उत्तय : भाॉ का ख्मार था फक रड़की फड़ी तो हो गई थी रेफकन ऩूयी तयह से समानी नहीॊ थी ।
अथाथत दतु नमादायी की सभझ अबी उसभें नहीॊ आमी थी। फेटी ने अबी तक अऩने घय के फाहय की
दतु नमा नहीॊ दे खी थी। उसे जीवन की जढटरता ओॊ का साभना नहीॊ कयना ऩड़ा था। उसका जीवन
अबी तक फड़ी सयरता से फीत यहा था। मही कायण है फक उसे ़िुभशमाॉ भनाना तो आता था ,
रेफकन ऩये शातनमों का साभना कैसे फकमा जाए, मह अबी तक नहीॊ ऩता था।
प्रश्न (ग) ऩाढ़ठका थी वह धुॉधरे प्रकाश की- ककसके ववषम भें कहा गमा है औय क्मों?
उत्तय : इस ऩॊन्क्त भें भाॉ की राडरी फेटी के ववषम भें कहा गमा है । फेटी के भरए घय के फाहय
की दतु नमा एक धुॊधरी तस्वीय की तयह थी। न्जसे वह कबी ठीक से दे ख नहीॊ ऩाई थी। उसने
अबी तक घय के फाहय कदभ न हीॊ यखे थे । फाहय की दतु नमा से वह बफरकुर अवऩरयचत थी।
इसभरए अबी तक उसका ऩूणथ रूऩ से ववकास नहीॊ हो ऩामा था । अबी वह बोरी फच्ची केवर
सख
ु ों की कल्ऩना भें ही जी हुई थी।

2. भाॉ ने कहा ऩानी भें झाॉककय


अऩने चेहये ऩय भत यीझना
आग योढटमाॉ सेंकने के भरए है
जरने के भरए नहीॊ
वस्त्र औय आबूषण शान्ब्दक भ्रभों की तयह
फॊधन हैं स्त्री जीवन के
भाॉ ने कहा रड़की होना
ऩय रड़की जैसी ढदखाई भत दे ना।

प्रश्न (क) भाॉ ने अऩनी फेटी को अऩने चेहये ऩय यीझने से क्मों भना ककमा?
उत्तय : भाॉ ने अऩनी फेटी को सभझामा फक अऩनी सॊद
ु यता ऩय कबी भत इतयाना क्मोंफक
साॊसारयक जीवन को सही तयह से चराने के भरए सॊद
ु यता नहीॊ फन्ल्क हभाये गण
ु काभ आते हैं।
जीवन भें व्मन्क्त रूऩ के फजाम गुणों से प्रततष्ठा प्रातत कयता है । इसभरए भाॉ ने अऩनी फेटी को
अऩने चेहये ऩय यीझने से भना फकमा।

प्रश्न (ख) कवव ने स्री जीवन के फॊधन ककसे भाना है औय क्मों ?


उत्तय : कवव ने वस्त्र औय आबूषण को स्त्री जीवन के फॊधन भाना है । न्स्त्रमाॉ प्राम: जीवन भें वस्त्र
औय आबूषण के भोह भें ऩड़कय अऩने व्मन्क्तत्व को बूर फैठतीॊ हैं। इनकी रारच भें वे
ऩरयन्स्थततमों से सभझौता कयतीॊ हैं औय अऩने जीवन की साथथकता को खत्भ कय रेती हैं। इसके
चक्कय भें फसा-फसामा घय बी उजड़ जाता है । अत: कवव का भानना है फक मह एक तयह का
फॊधन है न्जसभें उन्हें कबी नहीॊ फॊधना चाढहए।
प्रश्न (ग) भाॉ ने ऐसा क्मों कहा कक रड़की होना ऩय रड़की जैसी ढ़दखाई भत दे ना?

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उत्तय : भाॉ ने अऩनी फेटी से कहा फक कबी बी स्वमॊ को फकसी के साभने एक दफ
ु र
थ कन्मा की
तयह प्रस्तुत भत कयना औय न ही अऩनी तनफथरता फकसी के साभने आने दे ना। अन्माम औय
अत्माचाय के साभने बफल्कुर भत झुकना। इस सॊसाय भें रोग तनफथर के ऊऩय ही अत्माचाय कयते
हैं। भाॉ ने अऩनी फेटी को सभझामा फक अऩने बीतय नायी के सबी गुण फनाए यखना, रेफकन कबी
बी दस
ू यों के साभने खुद को तनफथर औय असहाम भत ढदखाना।

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भाता का अॊचर
-शिवऩज
ू न सहाम
‘भाता का अॊचर’ ऩाठ रेखक शिवऩूजन सहाम के सन 1926 भें प्रकाशित प्रथभ आॊचशरक
उऩन्मास ‘दे हाती दनु नमा’ का एक छोटा सा अॊि हैं। आत्भ कथात्भक िैरी भें शरखे गए इस
उऩन्मास भें ग्राभीण जीवन की झाॉकी को ग्राभीण बाषा भें फड़े ही सयर औय भनोयभ तयीके से
प्रस्तुत ककमा गमा है । इसभें रेखक ने भाता-पऩता के दर
ु ाय व प्रेभ, अऩने फचऩन तथा ग्राभीण
जीवन के साथ ही ग्राभीण फच्चों द्वाया खेरे जाने वारे पवशबन्न खेरों का फड़े सुॊदय ढॊ ग से
वणणन ककमा है । फात-फात ऩय ग्राभीणों द्वाया फोरी जाने वारी रोकोक्ततमों का बी भजेदाय ढॊ ग
से इस्तेभार ककमा गमा है ।
मह कहानी भात ृ प्रेभ का अनूठा उदाहयण है । इस कहानी से हभें ऩता चरता है कक नन्हे
फच्चे को सायी खशु िमाॊ, सुयऺा औय िाॊनत शसपण भाॊ के आॊचर के तरे ही शभरती है ।
रेखक के फचऩन का नाभ ‘तायकेश्वयनाथ’ था। भगय घय भें सफ उसे ‘बोरानाथ’ कहकय
ऩुकायते थे। बोरानाथ अऩने पऩता को ‘फाफूजी’ व भाता को ‘भइमाॉ’ कहता था। फचऩन भें
बोरानाथ का अधधकतय सभम अऩने पऩता के साननध्म भें ही गुजयता था। बोरानाथ अऩने पऩता
के साथ ही सोता, उनके साथ ही जल्दी सफ
ु ह उठकय स्नान कयता औय अऩने पऩता के साथ ही
बगवान की ऩज
ू ा अचणना कयता था। वह अऩने फाफज
ू ी से अऩने भाथे ऩय नतरक रगवाकय खफ

खि
ु होता औय जफ बी बोरानाथ के पऩताजी याभामण का ऩाठ कयते तफ बोरानाथ उनके फगर
भें फैठकय अऩने चेहये को आइने भें दे खकय खफ
ू खि
ु होता। ऩय जैसे ही उनके फाफज
ू ी की नजय
उस ऩय ऩड़ती तफ वह थोड़ा िभाणकय, थोड़ा भस्
ु कुया कय आईना नीचे यख दे ता। इस फात ऩय
उनके पऩता बी भस्
ु कुया उठते थे।
ऩज
ू ा अचणना कयने के फाद बोरानाथ याभ नाभ शरखी कागज की ऩधचणमों भें छोटी -छोटी
आटे की गोशरमाॊ यखकय अऩने फाफूजी के कॊधे भें फैठकय गॊगा जी के ऩास जाता औय कपय उन
आटे की गोशरमाॊ को भछशरमों को खखराता था। उसके फाद वो अऩने फाफूजी के साथ घय आकय
खाना खाता। बोरानाथ की भाॉ उन्हें अनेक ऩक्षऺमों के नाभ से ननवारे फनाकय फड़े प्माय से
खखराती थी। बोरानाथ की भाॉ बोरानाथ को फहुत राड़-प्माय कयती थी। वह कबी उन्हें अऩनी
फाहों भें बय कय खफ
ू प्माय कयती, तो कबी उन्हें जफयदस्ती ऩकड़ कय उनके शसय ऩय सयसों के
तेर से भाशरि कयती। उस वतत बोरानाथ फहुत छोटे थे। इसशरए वह फात-फात ऩय योने
रगता। इस ऩय फाफूजी बोरानाथ की भाॉ से नायाज हो जाते थे। रेककन बोरानाथ की भाॉ उनके
फारों को अच्छे से सवाॉय कय, उनकी एक अच्छी सी गॉथ
ु फनाकय उसभें पूरदाय रड्डू रगा दे ती
औय साथ भें बोरानाथ को यॊ गीन कुताण व टोऩी ऩहना कय उन्हें “कन्है मा” जैसा फना दे ती थी।
बोरानाथ अऩने हभउम्र दोस्तों के साथ खफ
ू भौज-भस्ती औय तभािे कयते। इन तभािों भें तयह-
तयह के नाटक िाशभर होते थे। कबी चफूतये का एक कोना ही उनका नाटक घय फन जाता तो,
कबी फाफूजी की नहाने वारी चौकी ही यॊ गभॊच फन जाती थी।
उसी यॊ गभॊच ऩय सयकॊडे के खॊबों ऩय कागज की चाॊदनी फनाकय उनभें शभट्टी मा अन्म
चीजों से फनी शभठाइमों की दक
ु ान रग जाती क्जसभें रड्डू, फतािे, जरेबफमाॉ आदद सजा दी जाती
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थी औय कपय जस्ते के छोटे -छोटे टुकड़ों के फने ऩैसों से फच्चे उन शभठाइमों को खयीदने का
नाटक होता था। बोरानाथ के फाफज
ू ी बी कबी-कबी वहाॉ से खयीदायी कय रेते थे। ऐसे ही नाटक
भें कबी घयोंदा फना ददमा जाता था क्जसभें घय की ऩयू ी साभग्री यखी हुई नजय आती थी। तो
कबी-कबी फच्चे फायात का बी जर ु स
ू ननकारते थे। क्जसभें तॊफयू ा औय िहनाई बी फजाई जाती
थी। दल्
ु हन को बी पवदा कय रामा जाता था। कबी-कबी फाफज
ू ी दल्
ु हन का घॊघ
ू ट उठा कय दे ख
रेते तो सफ फच्चे हॊ सते हुए वहाॉ से बाग जाते थे।
फाफूजी बी फच्चों के खेरों भें बाग रेकय उनका आनॊद उठाते थे। फाफूजी फच्चों से कुश्ती
भें जानफूझ कय हाय जाते थे । फस इसी हॉ सी खि
ु ी भें बोरानाथ का ऩूया फचऩन भजे से फीत
यहा था। एक ददन की फात है साये फच्चे आभ के फाग़ भें खेर यहे थे। तबी फड़ी जोय से आॊधी
आई। फादरों से ऩूया आकाि ढक गमा औय दे खते ही दे खते खफ
ू जभ कय फारयि होने रगी।
कापी दे य फाद फारयि फॊद हुई तो फाग के आसऩास बफच्छू ननकर आए क्जन्हें दे खकय साये फच्चे
डय के भाये बागने रगे। सॊमोगवि यास्ते भें उन्हें भस
ू न नतवायी शभर गए। बोरानाथ के एक
दोस्त फैजू ने उन्हें धचढा ददमा। कपय तमा था फैजू की दे खा दे खी साये फच्चे भूसन नतवायी को
धचढाने रगे। भूसन नतवायी ने सबी फच्चों को वहाॉ से खदे ड़ा औय सीधे ऩाठिारा चरे
गए। ऩाठिारा भें उनकी शिकामत गुरु जी से कय दी। गुरु जी ने सबी फच्चों को स्कूर भें ऩकड़
राने का आदे ि ददमा। सबी को ऩकड़कय स्कूर ऩहुॊचामा गमा। दोस्तों के साथ बोरानाथ को बी
जभकय भाय ऩड़ी। जफ फाफूजी तक मह खफय ऩहुॊची तो वे दौड़े-दौड़े ऩाठिारा आए। जैसे ही
बोरानाथ ने अऩने फाफूजी को दे खा तो वो दौड़कय फाफूजी की गोद भें चढ गमा औय योते-योते
फाफूजी का कॊधा अऩने आॊसुओॊ से शबगा ददमा। गुरूजी की भान शभनती कय फाफूजी बोरानाथ को
घय रे आमे।
बोरानाथ कापी दे य तक फाफूजी की गोद भें बी योता यहा। रेककन जैसे ही यास्ते भें
उन्होंने अऩनी शभत्र भॊडरी को दे खा तो वो अऩना योना बूरकय शभत्र भॊडरी भें िाशभर हो गमा।
शभत्र भॊडरी उस सभम धचडड़मों को ऩकड़ने की कोशिि कय यही थी। बोरानाथ बी धचडड़मों को
ऩकड़ने रगा। धचडड़माॉ उनके हाथ नहीॊ आईं ऩय उन्होंने एक चह
ू े के बफर भें ऩानी डारना िुरू
कय ददमा। उस बफर से चह
ू ा तो नहीॊ ननकरा रेककन साॉऩ जरूय ननकर आमा। साॉऩ को दे खते ही
साये फच्चे डय के भाये बागने रगे। बोरानाथ बी डय के भाये बागा औय धगयते-ऩड़ते जैस-े तैसे घय
ऩहुॊचा। साभने फाफज
ू ी फैठ कय हुतका ऩी यहे थे। रेककन बोरानाथ जो अधधकतय सभम अऩने
फाफजू ी के साथ बफताते थे उस सभम फाफज
ू ी के ऩास न जाकय सीधे अॊदय अऩनी भाॉ की गोद भें
जाकय छुऩ गमा। डय से काॉऩते हुए बोरानाथ को दे खकय भाॉ घफया गई । भाॉ ने बोरानाथ के
जख्भों की धर
ू को साप कय उसभें हल्दी का रेऩ रगामा। डये व घफयाए हुए बोरानाथ को उस
सभम पऩता के भजफत ू फाॉहों के सहाये व दर
ु ाय के फजाम अऩनी भाॉ का आॉचर ज्मादा सयु क्षऺत
रगा।

भहत्त्वऩण
ू ण प्रश्न औय उनके उत्तय

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प्रश्न 1.प्रस्तत
ु ऩाठ के आधाय ऩय मह कहा जा सकता है कक फच्चे का अऩने पऩता से अधधक
जड़
ु ाव था। कपय बी पवऩदा के सभम वह पऩता के ऩास न जाकय भाॉ की शयण रेता है । आऩकी
सभझ से इसकी क्मा वजह हो सकती है ?
उत्तय- भाता औय पऩता दोनों ही अऩने फच्चे से ननस्वाथण प्रेभ कयते हैं। पऩता के प्माय से फच्चे को
दहम्भत व हौसरा शभरता है । हय चन
ु ौती से रड़ने की ताकत पऩता से ही शभरती है । रेककन एक
छोटे फच्चे के शरए ‘भाॉ के आॉचर’ से ज्मादा सुयक्षऺत जगह दनु नमा भें औय कोई नहीॊ होती है
जहाॊ वह अऩने आऩ को सुयक्षऺत भहसूस कयता है । उसे भाॉ के आॊचर तरे ही दनु नमा की सायी
खि
ु ी व िाॊनत प्राप्त होती है । इसीशरए वह पवऩदा के सभम पऩता के ऩास न जाकय भाॉ की
ियण रेता है ।
प्रश्न 2. आऩके पवचाय से बोरानाथ अऩने साधथमों को दे खकय सससकना क्मों बूर जाता है ?
उत्तय- जया सी फात ऩय रूठना औय चट
ु ककमों भें भान जाना, कोई ऩसॊद की वस्तु ना शभरने ऩय
यो दे ना औय शभर जाने ऩय खखर खखराकय हॉ स दे ना। मह फारऩन का स्वबाव है । फच्चों के भन
भें ककसी के शरए बी फहुत दे य तक याग, द्वेष, ईर्षमाण का बाव नहीॊ यहता है । इसीशरए बोरानाथ
बी अऩनी उम्र के दहसाफ से ही जया सी फात ऩय योने - शससकने रगता था। उसे अऩनी शभत्र
भॊडरी के साथ खेरना, तयह-तयह की िैताननमाॊ कयना फेहद पप्रम था। शससकते हुए जफ वह
अऩनी शभत्र भॊडरी को खेरते औय हुडदॊ ग भचाते दे खता तो अऩना योना बूर जाता था। वह कपय
से अऩनी शभत्र भॊडरी के साथ अऩने खेरों को खेरने भें भगन हो जाता था।
प्रश्न 3 . बोरानाथ औय उसके साधथमों के खेर औय खेरने की साभग्री आऩके खेर औय खेरने
की साभग्री से ककस प्रकाय सबन्न है ?
उत्तय- बोरानाथ अऩने साधथमों के साथ गाॉव भें ही उऩरब्ध मा अऩने घय के आस-ऩास ही
उऩरब्ध वस्तुओॊ को अऩना खखरौना फना कय उन्हीॊ से खेरता था। शभट्टी, ऩत्थय, ऩेड़ों की
टहननमाॉ औय घय भें उऩमोग होने वारे छोटे -भोटे फतणन मा कऩड़े से फनाई गई गें द आदद का
उऩमोग खखरौनों के रूऩ भें कयता। उसी भें खफ
ू भजे कयता औय खि
ु यहता था। रेककन अफ
सभम फहुत फदर गमा है । आज फच्चे मानन हभायी ऩीढी के फच्चे शभट्टी मा ऩत्थय के खखरौनों
से नहीॊ खेरते हैं। आज के फच्चे स्भाटण पोन , कॊप्मूटय मा फाजाय भें शभरने वारे भहॊ गे-भहॊ गे
खखरौनों से खेरते हैं। कपय बी उतने खि
ु नहीॊ होते क्जतने उस सभम के फच्चे यहते थे। तमोंकक
वो स्वतॊत्रता ऩव
ू क
ण अऩने घय-आॊगन, खेतों व खर
ु ी जगह भें खेरते थे। रेककन आज के फच्चे एक
कभये के अॊदय ही शसभट कय यह गए हैं।
प्रश्न 4 .ऩाठ भें आए ऐसे प्रसॊगों का वणणन कीजजए जो आऩके ददर को छू गए हों।
उत्तय- इस ऩाठ के कई प्रसॊग ऐसे हैं जो स्वाबापवक रूऩ से ददर को छू जाते हैं।
1. बोरानाथ का अऩने पऩता की गोद भें फैठ कय आईने भें अऩना प्रनतबफॊफ ननहायना औय
पऩता द्वाया उसे दे खने ऩय रज्जा कय व भस्
ु कुयाकय आईने को नीचे यख दे ना।
2. बोरानाथ का अऩने पऩता के कॊधे की सवायी कयना औय भाता द्वाया बोरानाथ को
तोता, भैना औय बी कई ऩिु-ऩऺी के नाभ ऩय ननवारे फनाकय खखराना, हभें अऩने फचऩन
की माद ददराता है ।

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3. िैतानी कयते हुए ऩकड़े जाने ऩय ऩाठिारा के गरु
ु जी द्वाया उनकी खफय शरए जाना,
पऩता का ऩाठिारा ऩहुॊचना। बोरेनाथ का उनके कॊधे को अऩने आॊसओ
ु ॊ से तय कय दे ना,
कपय फाफू जी की गोद भें चढकय घय की तयप आना। रेककन यास्ते भें दोस्तों को दे ख
कय सफ कुछ बर
ू कय उनके साथ खेर भें भस्त हो जाना।
4. बोरानाथ औय उसके दोस्तों के द्वाया फायात का नाटक कयना, कपय दल्
ु हन को पवदा
कयाकय घय राना। पऩता द्वाया दल्
ु हन का घूॊघट उठाने ऩय साये फच्चों का बाग जाना,
ददर को छू रेता है ।
5. बोरानाथ का अऩने पऩता के साथ कुश्ती रड़ना, पऩता का फेटे से जानफूझ कय हाय जाना
औय कपय फेटे द्वाया पऩता की भूछों को खीॊचने ऩय पऩता का प्रसन्न होना, फड़ा ही आनॊद
दे ता है ।
6. अॊत भें साॉऩ के डय से बागकय अऩनी भाॉ के आॉचर भें छुऩ जाना। मे सबी प्रसॊग
स्वाबापवक रूऩ से ही ददर को छू जाते हैं।
प्रश्न 5. इस उऩन्मास के अॊश भें तीस के दशक की ग्राम्म सॊस्कृतत का धचत्रण है । आज की
ग्राभीण सॊस्कृतत भें आऩको ककस तयह के ऩरयवतणन ददखाई दे ते हैं?
उत्तय- मह कहानी कापी सभम ऩहरे शरखी गई है । इसीशरए इस कहानी भें ग्राभीण सॊस्कृनत,
यहन-सहन, गाॊव के रोगों की सीधी-सादी व प्रेभ-बाव मुतत जीवन िैरी को दिाणमा गमा है । उस
सभम रोगों के फीच आत्भीमता की बावना भुख्म होती थी। ऩूया गाॊव एक ऩरयवाय के सभान ही
होता था, जहाॊ रोग एक दस
ू ये का दख
ु व सुख फाॊटते थे। तीज त्मोहायों को शभरकय भनामा जाता
था। रोगों का जीवन छर-कऩट से यदहत होता था। गाॊव भें सभ्मता-सॊस्कृनत खफ
ू परती- पूरती
थी। खेती-फाड़ी उस सभम का भुख्म व्मवसाम होता था। इसीशरए फच्चों को बी खेर, भस्ती के
साथ-साथ फचऩन से ही मह सफ शसखामा जाता था क्जससे फड़े होकय वो अऩना जीवन आयाभ
से गुजायते थे।
सभम के साथ-साथ ग्राभीण जीवन भें बी फदराव आमा है । आज गाॊव- गाॊव तक स्भाटण पोन ,
इॊटयनेट, कॊप्मूटय ऩहुॊच गमा है । ग्राभीण रोग बी अफ िहयी जीवन की चभक दभक भें अऩनी
ग्राभीण सॊस्कृनत व सभ्मता को बर ू ते जा यहे हैं। औय िहयी जीवन व तौय तयीके अऩनाने रगे
हैं। रोगों के फीच प्माय व अऩनाऩन की बावना भें कभी आ गई है । जानत, धभण, याग-द्वेष,
वैभनस्म ग्राभीण रोगों के जीवन भें बी ऩनऩने रगा है ।
प्रश्न 6. महाॉ भाता-पऩता का फच्चे के प्रतत जो वात्सल्म व्मक्त हुआ है उसे अऩने शब्दों भें
सरखखए।
उत्तय- मह कहानी भाता पऩता के ननस्वाथण प्रेभ का एक अनोखा उदाहयण है । इस कहानी भें पऩता
अऩने फेटे के साथ अधधक से अधधक सभम बफताने का प्रमास कयते हैं। उसे अऩने साथ सफ
ु ह
जगाते, नहराते, ऩज
ू ा भें अऩने साथ बफठाते, उसको अऩने कॊधे की सवायी कयाते तथा उसके खेरों
भें िाशभर होकय उनका आनॊद उठाते थे। याभामण ऩढते वतत वो अऩने फेटे को अऩनी गोद भें
बफठाते थे ताकक वह अऩनी धभण सॊस्कृनत से जुड़ सकें। मे सफ फातें एक पऩता का अऩने ऩुत्र के
प्रनत असीभ प्रेभ बावना को दिाणता है ।

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वहीॊ दस
ू यी ओय भाता अऩने नन्हे फच्चे को हय वतत अऩनी भभता व प्माय से सीॊचती यहती
थी। उसे तयह-तयह के फहाने फनाकय खाना खखराना, फच्चे को थोड़ी सी चोट रगने ऩय भाॊ के
आॊखों से आॊसू का फह जाना, मह भातप्र
ृ ेभ का अनठ
ू ा उदाहयण है । हय सभम अऩने फच्चे की
धचॊता कयना, साॊऩ से डये हुए अऩने फच्चे को अऩने आॊचर भें सभेट कय उसे सयु क्षऺत भहसस

कयाना। मह भात ृ प्रेभ को दिाणता है ।
प्रश्न 7. ‘भाता का अॉचर’ शीषणक की उऩमुक्तता फताते हुए कोई अन्म शीषणक सुझाइए।
उत्तय- कहानी भें भाता-पऩता का अऩने ऩुत्र के प्रनत असीभ प्रेभ को दिाणमा गमा है । कहानी भें
पऩता अऩने ऩुत्र से अत्मधधक प्रेभ कयते हैं। वो अऩने ऩुत्र के हय काभ भें उसके साथ होते हैं।
चाहे वह सुफह उठना, नहाना, ऩूजा कयना मा खेरना ही तमों ना हो। वह अऩने ऩुत्र के साथ
अऩना सभम बफताने भें आनॊद भहसूस कयते हैं औय जफ बी ऩुत्र ककसी ऩये िानी भें हो। वो तुयॊत
अऩने ऩुत्र को ऩये िानी से ननकार दे ते हैं। ऩुत्र बी अऩने पऩता के साथ फहुत आनॊद व खि
ु ी
भहसूस कयता है ।
रेककन कहानी भें मह स्ऩर्षट तौय से दिाणमा गमा है कक भाॉ की भभता की तुरना दनु नमा के
ककसी प्माय से नहीॊ की जा सकती हैं। चाहे वह पऩता ही तमों ना हो। फच्चा जफ बी अऩने आऩ
को असुयक्षऺत भहसूस कयता है मा ककसी ऩीड़ा भें होता है , तो वह अऩनी भाॉ के आॊचर भें ही
अऩने आऩ को सफसे ज्मादा सुयक्षऺत भहसूस कयता है । उसको भाॉ की गोद भें ही सुयऺा, िाॊनत
औय असीभ वात्सल्म भहसूस होता है ।
इसशरए इस कहानी के शरए ‘भाता का अॉचर ’ िीषणक उऩमुतत है । भेयी याम भें इसका एक औय
उधचत िीषणक हो सकता है । ‘भाॉ की भभता’, ‘फचऩन की सुनहयी मादें ’ ‘फचऩन औय भाॉ’,।

प्रश्न 8. फच्चे भाता-पऩता के प्रतत अऩने प्रेभ को कैसे असबव्मक्त कयते हैं?
उत्तय- फच्चे भाता-पऩता के प्रनत अऩने प्रेभ को ननम्नशरखखत तयह से अशबव्मतत कयते हैं-
1. फच्चे अऩने भाता-पऩता ऩय अऩना सॊऩूणण अधधकाय सभझते हैं। इसशरए उनको रगता है
कक भाता-पऩता की हय चीज उनकी अऩनी है ।
2. कबी गरे रग जाना, कबी थोड़ा सा नाटक का सहाया रेकय अऩनी फात भनवाना औय
कबी प्मायी फातें फना कय अऩने प्माय का इजहाय कयके अऩने प्रेभ व्मतत कयते हैं।
3. रूठना औय भनाना बी उनके प्रेभ को जादहय कयने का एक अनोखा तयीका होता है ।
4. भाता-पऩता के साथ अऩने ददर की फातों को साझा कयना औय अऩने दोस्तों के फाये भें
फताना बी का एक तयीका है ।
5. फाहय घुभाने-कपयाने के शरए रे जाने की क्जद कयना, खाने-ऩीने की चीजों मा खखरौनों की
भाॊग कयना, मह सफ उनके प्रेभ का ही एक रूऩ है ।
प्रश्न 9 . इस ऩाठ भें फच्चों की जो दतु नमा यची गई है । वह आऩके फचऩन की दतु नमा से ककस
तयह सबन्न है?
उत्तय- रेखक द्वाया इस कहानी का ताना-फाना ग्राभीण ऩरयवेि को रेकय फुना गमा है । क्जस
वतत मह कहानी शरखी गई है । उस सभम अधधकतय फच्चों का फचऩन कुछ इसी तयह से फीतता
था। फच्चे अऩनी दनु नमा भें ही भस्त यहते थे। उनको भहॉ गे खखरौनों की कोई आवश्मकता नहीॊ

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थी। फच्चे अतसय अऩना ऩयू ा फचऩन गाॊव भें ही उऩरब्ध खखरौनों, शभट्टी, ऩत्थय व प्रकृनत से
शभरने वारी चीजों से खेरने भें फताते थे।
मह भेये फचऩन की दनु नमा से बफल्कुर शबन्न हैं। सभम के साथ-साथ फहुत कुछ फदर गमा है ।
आज के सभम भें खेरने के शरए अनेक खखरौने भौजद ू हैं। जैसे किकेट, फैडशभॊटन, वॉरीफॉर,
कैयभ, साॊऩ-सीढी, रड
ू ो, वीडडमो गेभ, कॊप्मट
ू य गेभ आदद। अफ फच्चे ऩत्थय मा शभट्टी से खेरना
ऩसॊद नहीॊ कयते औय भैं बी इन्हीॊ के साथ खेरते हुए फड़ा हुआ हूॉ।

जाजण ऩॊचभ की नाक


-कभरेश्वय

मह ऩाठ एक व्मॊग्म है । इस ऩाठ के भाध्मभ से रेखक कभरेश्वय जी ने उन रोगों ऩय


कटाऺ ककमा है जो अॊग्रेजों की गर
ु ाभी से आजाद होने के फाद बी अऩनी गर
ु ाभ भानशसकता से
आजादी नही ऩा सके हैं। ऐसे रोग अबी बी अॊग्रेजों को अऩने आऩ से फेहतय व श्रेर्षठ भानते हैं
औय उनको खि
ु कयने के शरए ककसी बी हद तक जा सकते हैं। रेखक का भानना है कक अऩने
दे ि के भहान स्वतॊत्रता सेनाननमों की नाक , महाॊ तक कक िहीद फच्चों की ना क बी जॉजण ऩॊचभ
की नाक से कही ज्मादा सम्भानीम व रॊफी है । मानन अऩने दे ि के भहान स्वतॊत्रता सेनाननमों की
इज्जत, उनका सम्भान जॉजण ऩॊचभ की इज्जत से कहीॊ ज्मादा है तमोंकक उन्होंने इस दे ि की
आजादी के शरए अऩनी कुफाणनी दी है ।
मह फात उस सभम की है जफ इॊग्रैंड की यानी एशरजाफेथ द्पवतीम अऩने ऩनत के साथ
बायत का दौया कयने वारी थी। अखफायों भें इस िाही दौये की हय योज चचाण होती थी। रॊदन से
ननकरने वारे अखफाय योज इस िाही दौये की तैमारयमों के फाये भें खफ
ू जभकय खफयें दे यहे थे।
यानी का दजी दहॊदस्
ु तान, ऩाककस्तान, औय नेऩार मात्रा के दौयान यानी ककस तयह की वेिबूषा
ऩहनेंगी। इस फात को रेकय ऩये िान था। वह यानी की वेिबूषा कुछ ऐसी फनाना चाहता था
क्जसभें यानी की िानो-िौकत औय िाही ठाट-फाट का ऩता बी चरे औय वेिबूषा गरयभाभमी बी
हो। िाही दौये से ऩहरे यानी का सेिेटयी औय जासूस ऩूये भहाद्वीऩ का तूपानी दौया कयने वारे
थे। नमे जभाने के दहसाफ से पोटोग्रापयों की पौज बी तैमाय हो यही थी। अखफाय भें यानी
एशरजाफेथ की जन्भऩत्री व पप्रॊस कपशरऩ के कायनाभों को बी छाऩा गमा औय साथ भें उनके
नौकयों, फावयधचमों, खानसाभों औय अॊगयऺकों की जीवननमों को उनकी तस्वीयों के साथ छाऩा
गमा। महाॊ तक कक िाही भहर भें यहने वारे कुत्तों की तस्वीयें बी छाऩी गमीॊ।
इॊग्रैंड भें इस िाही दौये को रेकय खफ
ू िोय ियाफा था। िॊख इॊग्रैंड भें फज यहा था, भगय
उसकी गूॊज बायत भें बी सुनाई दे यही थी। बायत भें बी िाही भेहभानों के स्वागत की तैमारयमाॊ
खफ
ू जोय िोय से चर यही थी। सड़कों को साप ककमा जा यहा था। इभायतों का यॊ ग योगन कय
उन्हें खफ
ू सजामा सॊवाया जा यहा था। िाही भेहभानों को खि
ु कयने की सायी तैमारयमाॉ चयभ
सीभा ऩय थी। फस एक ही कभी यह गई थी क्जससे िाही भेहभानों के नायाज होने का डय था।
वह थी जॉजण ऩॊचभ की राट की नाक , जो राट से गामफ हो चक
ु ी थी।

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जॉजण ऩॊचभ की नाक के गामफ होने के ऩीछे एक रम्फी दास्तान हैं। ककसी वतत जॉजण
ऩॊचभ की नाक के शरए फड़े-फड़े तहरके व खफ
ू आॊदोरन हुए। याजनीनतक ऩादटण मों ने प्रस्ताव ऩास
ककमे, चॊदा जभा ककमा गमा औय कुछ नेताओॊ ने बाषण बी ददए। अखफायों के ऩन्ने यॊ ग गए थे।
खफू गयभा-गयभ फहस शसपण इस फात ऩय हुई कक जॉजण ऩॊचभ की नाक को यहने ददमा जाए मा
हटा ददमा जाए। इस फात के शरए जफयदस्त आॊदोरन चर यहा था। जॉजण ऩॊचभ की नाक को
कोई नुकसान न ऩहुॊचे इसीशरए जॉजण ऩॊचभ की नाक की यऺा के शरए हधथमायफॊद ऩहये दाय तैनात
कय ददए गए। रेककन इतना कयने के फाद बी इॊडडमा गेट के साभने वारी जॉजण ऩॊचभ की राट
की नाक एकाएक गामफ हो गई। यानी आए औय नाक न हो, इस फात से सबी रोग ऩये िान थे।
खैय दे ि के दहतैषी रोगों ने जॉजण ऩॊचभ की नाक के भसरे को हर कयने के शरए एक उच्च
स्तयीम भीदटॊग फुराई। औय इस भाभरे को उनके साभने यखा ।
सबी इस फात से सहभत थे कक अगय भूनतण की नाक नहीॊ यही तो, हभायी नाक बी नहीॊ
यह जाएगी। इसीशरए उच्च स्तयीम पवचाय-पवभिण व भिवये के फाद मह तम ककमा गमा कक राट
ऩय नाक रगाना हय हार भें जरूयी है । इसीशरए ककसी भूनतणकाय से तुयॊत नाक रगवाई
जाए। भूनतणकाय को तुयॊत फुरामा गमा। भूनतणकाय मूॊ तो उम्दा कराकाय था। ऩयन्तु स्वबाव से
रारची था। उसने भूनतण को दे ख कय कहा कक “भूनतण ऩय नाक रग जाएगी, ऩय भुझे मह भारूभ
होना चादहए कक मह नाक कफ औय कहाॊ फनी थी। इस राट के शरए ऩत्थय कहाॊ से रामा गमा
था”। रेककन वहाॉ उऩक्स्थनत हुतभयानों भें से ककसी को बी इस फात का ऩता नहीॊ था। इसीशरए
ऩत्थय से सॊफॊधधत जानकायी के शरए ऩुयातत्व पवबाग की पाइरों की छानफीन की गई। रेककन
उनसे बी कुछ ऩता ना चर सका। फाद भें भूनतणकाय ने मह कहकय भसरा खद
ु ही हर कय ददमा
कक “भैं दहॊदस्
ु तान के हय ऩहाड़ भें जाऊॊगा औय ऐसा ही ऩत्थय ढूॊढ कय राऊॊगा”।
भूनतणकाय की फात सुनकय हुतभयानों की जान ऩय जान आई। भूनतणकाय दहॊदस्
ु तान के ऩहाड़ी प्रदे िों
औय ऩत्थयों की खानों के दौये ऩय ननकर ऩड़ा। रेककन कापी प्रमास कयने के फाद बी उसे उस
ककस्भ का ऩत्थय कहीॊ नहीॊ शभरा। अफ उसने राट ऩय रगे ऩत्थय को पवदे िी फताकय उससे
अऩना ऩल्रा झाड़ने की कोशिि।
कभेटी के सबी रोग इस फात से फहुत ऩये िान थे। तबी भूनतणकाय ने एक औय सुझाव
कभेटी के सदस्मों को ददमा। भनू तणकाय ने कहा कक “दे ि भें अऩने स्वतॊत्रता सेनानी नेताओॊ की
भनू तणमाॊ बी रगी हैं औय आऩ रोग ठीक सभझें तो क्जस बी स्वतॊत्रता सेनानी की नाक, इस
राट ऩय ठीक फैठे, उसे उताय कय रगा ददमा जाए”। थोड़ी दहचक के फाद सबी ने इस फात ऩय
सहभनत जताई औय भनू तणकाय ननकर ऩड़ा ऩयू े दे ि के दौये ऩय। उसने ऩयू े दे ि भें घभ
ू -घभ
ू कय
अऩने दे ि के सबी भहान नेताओॊ जैसे दादाबाई नयोजी, गोखरे, नतरक, शिवाजी, काॉवसजी,
गाॊधीजी, सयदाय ऩटे र, बफट्ठरबाई ऩटे र, भहादे व दे साई, गरु
ु यवीॊद्रनाथ, सब
ु ाष चॊद्र फोस, याजा
याभभोहन याम, चॊद्रिेखय आजाद, याभप्रसाद पवक्स्भर, भोतीरार नेहरू, भदन भोहन भारवीम,
सत्मभूनतण, रारा राजऩत याम, बगत शसॊह आदद की नाकों का नाऩ शरमा। रेककन ककसी बी नेता
की नाक जॉजण ऩॊचभ की राट की नाक से भेर नहीॊ खाती थी।
उसके फाद उसने सन 1942 भें बफहाय सेिेटरयएट के साभने िहीद फच्चों की भूनतणमों की
नाकों का नाऩ शरमा। रेककन उन सबी फच्चों की नाकें बी जॉजण ऩॊचभ की नाक से कापी फड़ी
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थी। अॊत भें वह ननयाि होकय ददल्री रौट आमा। याजधानी भें िाही दौये की खफ
ू तैमारयमाॉ चर
यही थी। जॉजण ऩॊचभ की राट को नहरा कय उसका यॊ ग योगन कय उसे चभका ददमा गमा। सफ
कुछ तो हो चक
ु ा था फस नाक की कभी थी। सबी रोग इस फात से ऩये िान थे। तबी भनू तणकाय
ने एक अजीफ सा सझ
ु ाव ददमा। उसने कहा कक “चकॊू क नाक रगाना एकदभ जरूयी है । इसीशरए
भेयी याम है कक 40 कयोड़ भें से कोई एक क्जॊदा नाक काट कय रगा दी जाए”।
नाक रगानी फेहद जरूयी थी। इसशरए इसकी इजाजत दे दी गई। अखफायों भें फस इतना
छऩा कक भसरा हर हो गमा है । औय याजऩथ ऩय इॊडडमा गेट के ऩास वारी जॉजण ऩॊचभ की नाक
रग यही है । नाक रगने से ऩहरे कपय हधथमायफॊद ऩहये दायों की तैनाती की गई। भूनतण के
आसऩास का ताराफ सुखाकय साप ककमा गमा। कपय उसभें ताजा ऩानी डारा ददमा गमा, ताकक
क्जन्दा नाक सूखने ना ऩाए। कुछ सभम फाद जॉजण ऩॊचभ की राट ऩय एक क्जॊदा नाक रगा दी
गई। उस ददन सफ अखफायों ने फस इतनी ही खफय छाऩी कक “जॉजण ऩॊचभ के क्जॊदा नाक रगाई
गई है । मानन एक ऐसी नाक जो कतई ऩत्थय की नहीॊ रगती”। इसके अरावा अखफायों ने उस
ददन औय कुछ नहीॊ छाऩा। सफ अखफाय खारी थे।

भहत्त्वऩण
ू ण प्रश्न औय उनके उत्तय

प्रश्न 1 सयकायी तॊत्र भें जाजण ऩॊचभ की नाक रगाने को रेकय जो धचॊता मा फदहवासी ददखाई
दे ती है । वह उनकी ककस भानससकता को दशाणती है ।
उत्तय- सयकायी तॊत्र भें जाजण ऩॊचभ की नाक रगाने को रेकय जो धचॊता मा फदहवासी ददखाई दे ती
है । वह उनकी गर
ु ाभ भानशसकता को प्रदशिणत कयती है । इग्रैण्ड व उसके िा सकों ने हभाये दे ि
को गर
ु ाभ फनामा औय हभाये रोगों ऩय तयह-तयह के जल्
ु भ ढामे। हभाये दे ि की फहुभल्
ू म
सॊम्ऩदाओॊ को रट
ू कय हभाये दे ि को फफाणद कय ददमा। कपय बी सयकायी तॊत्र उनको खि ु कयने के
प्रमास भें जट
ु ा यहता है । मह दे ि के सयकायी तॊत्र की औऩननवेशिक व गर
ु ाभ भानशसकता ,
चाटुकारयता औय भख
ू त
ण ा को दिाणता है ।
प्रश्न 2 यानी एसरजाफेथ के दजी की ऩये शानी का क्मा कायण था? उसकी ऩये शानी को आऩ ककस
तयह तकणसॊगत ठहयाएॉग?े
उत्तय- यानी एशरजाफेथ के दजी की ऩये िानी का असरी कायण यानी द्वाया बायत, ऩाककस्तान औय
नेऩार की मात्रा के दौयान ऩहनी जाने वारी वेिबूषा थी। दयअसर दजी जानता था कक अऩनी
इस मात्रा भें यानी एशरजाफेथ शसपण एक यानी फनकय नहीॊ जा यही हैं। फक्ल्क वो अऩने दे ि का
प्रनतननधधत्व बी कय यही हैं। इसीशरए यानी की वेिबूषा भें याजसी ठाट-फाट व िानो-िौकत की
झरक बी ददखनी चादहए औय वह वेिबूषा दे ि की गरयभा के अनुकूर बी होनी चादहए। इसीशरए
दजी की ऩये िानी तकणसॊगत ही रगती हैं।
प्रश्न 3 “औय दे खते ही दे खते नई ददल्री का कामा ऩरट होने रगा”। नई ददल्री के कामा ऩरट
के सरए क्मा-क्मा प्रमत्न ककए गए होंगे ?
उत्तय - नई ददल्री की कामाऩरट कयने के शरए कई काभ ककए गए होंगे।जैसे ऩूयी ददल्री की
साप सपाई , सड़कों की भयम्भत , सयकायी इभायतों का यॊ गयोगन व सजावट ककमा गमा होगा।

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साथ भें जगह जगह पूर के ऩौधों व छामादाय ऩेड़ों को रगामा गमा होगा । उनकी सयु ऺा के
ऩख्
ु ता इॊतजाभ ककमे गमे होंगे। ऩशु रस प्रिािन को सतकण यहने के आदे ि ददमे गमे होंगे , ताकक
ककसी बी अपप्रम घटना से फचा जा सके।
प्रश्न 4 आज की ऩत्रकारयता भें चधचणत हजस्तमों के ऩहनावे औय खान-ऩान सॊफॊधी आदतों आदद
के वणणन का दौय चर ऩड़ा है ।
(क) इस प्रकाय की ऩत्रकारयता के फाये भें आऩके क्मा पवचाय हैं?
उत्तय- ऩत्रकारयता को रोकतॊत्र के चौथे स्तॊब के रूऩ भें भान्मता दी गई है । तमोंकक मह रोगों के
अधधकायों की यऺा कयने तथा सभाज औय यार्षर दोनों की उन्ननत भें एक अहभ बूशभका ननबाता
है । रोगों को जागरूक कयना, दे ि के अहभ भुद्दों की जानकायी रोगों तक ऩहुॊचाना, सही औय
गरत फातों को तथ्मों के साथ रोगों के साभने प्रस्तुत कयने का काभ ऩत्रकारयता के भाध्मभ से
ककमा जाता है ।
रेककन आजकर अधधकतय ऩत्रकाय अऩनी प्रभुख क्जम्भेदायी को छोड़कय चधचणत हक्स्तमों के
खाने-ऩीने, ऩहनावे आदद फातों को शरखने भें पविेष रूधच रेते हैं। क्जससे सभाज औय यार्षर का
कोई बरा नहीॊ होता औय न ही इससे ककसी व्मक्तत के ऻान भें कोई वद्
ृ धध होती है । वैसे बी
ककसी के व्मक्ततगत जीवन भें बफना उसकी अनुभनत के हस्तऺेऩ कयना मा उसके व्मक्ततगत
जीवन के फाये भें शरखना अनुधचत है । मह ननम्न स्तय की ऩत्रकारयता है औय साथ भें हभायी
बायतीम सॊस्कृनत के खखराप बी है ।
(ख) इस तयह की ऩत्रकारयता आभ जनता पवशेषकय मुवा ऩीढी ऩय क्मा प्रबाव डारती है?
उत्तय- इस तयह की ऩत्रकारयता आभ जनता खास कय मुवा वगण ऩय नकायात्भक प्रबाव डारती हैं।
मुवा अवस्था वह उम्र होती हैं जफ मुवा हकीकत से दयू सऩनों की यॊ गीन दनु नमा भें खोमे यहते
हैं। औय ऐसे भें जफ वो ककसी चधचणत हस्ती की जीवन िैरी, यहन-सहन व खानऩान के फाये भें
ऩढते हैं, तो वह उस जीवन िैरी की तयप आकपषणत होते है औय ठीक उसी तयह का जीवन
जीना चाहते हैं। कई मुवा अऩने असरी रक्ष्म से बटककय उस छरावे की दनु नमा की तयप अऩना
कदभ फढा रेते हैं। मुवा ही दे ि का असरी बपवर्षम होते हैं। उनका इस तयह का बटकाव न ही
सभाज दहत भें है औय न ही दे िदहत भें है । इससे मुवाओॊ का जीवन तो फफाणद होता ही है साथ
भें मह दे ि की तयतकी बी फाधधत होती है ।
इसीशरए इस तयह की ऩत्रकारयता कयते वतत व्मक्तत को इस फात का ध्मान अवश्म
यखना चादहए कक उसकी ऩत्रकारयता से मव
ु ा रक्ष्मपवहीन व कतणव्मपवहीन होकय गरत भागण की
तयप अग्रसय न हों। ऩत्रकाय अऩनी ऩत्रकारयता के भाध्मभ से मव
ु ाओॊ को एक रक्ष्म ननधाणयण
कयने व सही भागण भें चरने को प्रेरयत कय सकते हैं।
प्रश्न 5 जाजण ऩॊचभ की राट की नाक को ऩुन: रगाने के सरए भूततणकाय ने क्मा-क्मा मत्न
ककए?
उत्तय- जाजण ऩॊचभ की राट की नाक को ऩुन: रगाने के शरए भूनतणकाय ने अनेक मत्न ककए।
सफसे ऩहरे भूनतणकाय ने जाजण ऩॊचभ की राट की नाक भें प्रमोग ककमे गए ऩत्थय को ऩूये दे ि भें
ढूढने का प्रमास ककमा। चकूॊ क जाजण ऩॊचभ की राट की नाक भें प्रमोग ककमा गमा ऩत्थय पवदे िी
था। इसीशरए वह ऩत्थय ऩूये दे ि भें कही नहीॊ शभरा। कपय उसने दे ि बय भें घूभ-घूभ कय सबी
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िहीद नेताओॊ की भनू तणमों की नाक का नाऩ शरमा। रेककन भनू तणकाय को महाॉ बी सपरता नहीॊ
शभरी। सफ भनू तणमों की नाक आकाय भें फड़ी थी। इसके फाद भनू तणकाय ने 1942 भें बफहाय
सेिेटरयएट के साभने िहीद सबी फच्चों की नाक का नाऩ शरमा। रेककन वो बी आकाय भें फड़ी
ननकरी। अॊत भें हाय थक कय भनू तणकाय ने जाजण ऩॊचभ की राट भें ककसी क्जॊदा नाक को रगाने
का सझ
ु ाव ददमा।
प्रश्न 6 प्रस्तुत कहानी भें जगह-जगह कुछ ऐसे कथन आए हैं, जो भौजूदा व्मवस्था ऩय कयायी
चोट कयते हैं। उदाहयण के सरए “पाइरें सफ कुछ हजभ कय चक
ु ी हैं ”। “सफ हुक्काभों
ने एक दस
ू ये की तयप ताका”। ऩाठ भें आए ऐसे अन्म कथन छाॉटकय सरखखए।
उत्तय- भौजूदा व्मवस्था ऩय कयायी चोट कयने वारे कथन ननम्नशरखखत है -
1. “िॊख इॊग्रैंड भें फज यहा था, गूॊज दहॊदस्
ु तान भें आ यही थी”।
2. “ककसी ने ककसी से नहीॊ कहा, ककसी ने ककसी को नहीॊ दे खा, ऩय सड़कें जवान हो गई।
फुढाऩे की धर
ू साप हो गई”।
3. “दहॊदस्
ु तान भें जगह-जगह ऐसी नाकें खड़ी थी। औय क्जन नाकों तक रोगों के हाथ ऩहुॊच
गए, उन्हें िानो िौकत के साथ उतायकय अजामफघयों भें ऩहुॊचा ददमा गमा”।
4. “गश्त रगती यही औय राट की नाक चरी गई”।
5. “रानत है आऩकी अतर ऩय। पवदे िों की सायी चीजें हभ अऩना चक
ु े हैं। ददर-ददभाग,
तौय-तयीके औय यहन-सहन। जफ दहॊदस्
ु तान भें फार डाॊस तक शभर जाता है तो ऩत्थय
तमों नहीॊ शभर सकता”।
6. “तमोंकक नाक रगाना एकदभ जरूयी है । इसशरए भेयी याम मह है कक 40 कयोड़ भें से
कोई एक क्जॊदा नाक काटकय रगा दीक्जए”।
7. “ऩुयातत्व पवबाग की पाइरों के ऩेट चीये गए, ऩय कुछ ऩता नहीॊ चरा”।

प्रश्न 7 नाक भान-सम्भान व प्रततष्ठा का द्मोतक है । मह फात ऩूयी व्मॊग्म यचना भें ककस
तयह उबयकय आई है ? सरखखए।
उत्तय- नाक को हभेिा ही भान-सम्भान व प्रनतर्षठा का प्रतीक भाना जाता है । रेखक ने इस ऩाठ
भें नाक को भान-सम्भान व प्रनतर्षठा का प्रतीक फनाकय फड़ी गॊबीय फात को सहज व्मॊग्म के रूऩ
भें कहने की कोशिि की है । जाजण ऩॊचभ की राट ऩय नाक का न होना, जाजण ऩॊचभ के भान-
सम्भान व प्रनतर्षठा को कभ मा खत्भ कयने जैसा था। औय वह बी तफ, जफ यानी एशरजाफेथ
अऩने ऩनत के साथ बायत आ यही थी। राट ऩय नाक न होने से यानी नायाज हो सकती थी।
इसीशरए जाजण ऩॊचभ की नाक को रगाना आवश्मक था।
यानी एशरजाफेथ औय उनके ऩनत को खि
ु कयने के शरए सयकायी तॊत्र को िहीद नेताओॊ व फहादयु
फच्चों के सम्भान से खखरवाड़ कयने भें जया सा बी सॊकोच नहीॊ हुआ। औय उन्होंने एक राट की
नाक के सम्भान को, हभाये दे ि के वीय सऩूतों के भान-सम्भान से बी ऊॉचा फना ददमा।
मह सयकायी तॊत्र की चाटुकारयता व धत
ू त
ण ा को दिाणता है ।
प्रश्न 8 जाजण ऩॊचभ की राट ऩय ककसी बी बायतीम नेता , महाॉ तक कक बायतीम फच्चे की
नाक कपट न होने की फात से रेखक ककस ओय सॊकेत कयना चाहता है ।

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उत्तय- जाजण ऩॊचभ की राट ऩय ककसी बी बायतीम नेता, महाॉ तक कक ककसी बायतीम फच्चे की
नाक कपट न होने की फात कह कय रेखक िहीद बायतीम नेताओॊ व वीय बायतीम फच्चों के
प्रनत अऩना सम्भान व्मतत कयता है ।
रेखक इस फात को स्ऩर्षट रूऩ से कहना चाहता है कक िहीद नेताओॊ औय फच्चों ने भाॉ बायती
की यऺा व स्वतॊत्रता के शरए अऩने प्राणों की हॉ सते हुए आहुनत दे दी। अऩने जीवन का सवोच्च
फशरदान दे ने वारे उन अभय सऩूतों का हय बायतीम अऩने ददर की गहयाइमों से सम्भान कयता
है । िहीदों के इस सवोच्च सम्भान के साभने जॉजण ऩॊचभ की नाक का कोई भोर नहीॊ है मा
कोई सम्भान नहीॊ है ।
प्रश्न 9 अखफायों ने जजॊदा नाक रगाने की खफय को ककस तयह से प्रस्तुत ककमा ?
उत्तय- सफ अखफायों ने फस इतनी ही खफय छाऩी कक जॉजण ऩॊचभ के क्जन्दा नाक रगाई गई है ।
मानी ऐसी नाक जो कतई ऩत्थय की नहीॊ रगती है । इसके अरावा अखफायों भें औय कोई बी
खफय नहीॊ थी। सफ अख़फाय खारी थे।
प्रश्न 10 “नई ददल्री भें सफ था ……ससपण नाक नहीॊ थी”। इस कथन के भाध्मभ से रेखक
क्मा कहना चाहता है ?
उत्तय- बायत भें अऩने रॊफे िासनकार के दौयान अॊग्रेजों ने क्जस तयह बायत की अनभोर सॊऩदा
को रूटा। महाॊ की सॊस्कृनत को नुकसान ऩहुॊचामा। औय बायतीम जनभानस के साथ गुराभों जैसा
व्मवहाय ककमा। उससे बायतीम जनभानस के भन भें उनके शरए भान सम्भान की बावना
बफल्कुर खत्भ हो गई थी।
“नई ददल्री भें सफ कुछ था। शसपण नाक नहीॊ थी” इस कथन भें सॊबवत: रेखक मही कहना
चाहते हैं कक बरे ही सयकायी तॊत्र ने यानी औय उनके ऩनत के स्वागत के शरए हय प्रकाय की
तैमारयमाॊ कय री हों । साप-सपाई से रेकय उनकी हय सुख-सुपवधा का ध्मान यखा गमा हो।
उनकी सुयऺा के हय सॊबव इॊतजाभ ककमे गए हों। भगय बायतीमों के भन भें उनके शरए भान-
सम्भान बफरकुर नहीॊ था।
प्रश्न 11 जाजण ऩॊचभ की नाक रगने वारी खफय के ददन अखफाय चऩ
ु क्मों थे ?
उत्तय- एक ननजीव फुत की नाक रगाने के चतकय भें कुछ रोगों ने अऩनी चाटुकारयता के कायण
ऩयू े दे ि के भान-सम्भान को दाॊव ऩय रगा ददमा। यानी व उनके ऩनत औय अॊग्रेजी सयकाय को
खि
ु कयने के चतकय भें एक क्जॊदा इॊसान की नाक को जॉजण ऩॊचभ की राट ऩय रगा दे ना।
िामद ककसी बी बायतीम को ऩसॊद नहीॊ आमा होगा।
अखफाय वारों को बी मह बफरकुर ऩसॊद नहीॊ आमा। इसीशरए उन्होंने इसका भौन पवयोध ककमा
औय अखफाय भें ककसी तयह की कोई खफय ना छाऩने का ननणणम शरमा। अगय अखफाय वारे इस
खफय को छाऩ दे ते हैं , तो ऩयू ी दनु नमा भें बायत की तमा इज्जत यह जाती। सफ मही कहते
आजाद होकय बी ददर औय ददभाग से आज बी बायतीम गर
ु ाभ ही हैं।

साना साना हाथ जोडड़

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-भधु काॊकरयमा

‘साना साना हाथ जोडड़’ ऩाठ एक मात्रा वत


ृ ाॊत है । इस मात्रा वत
ृ ाॊत भें रेखखका भधु
काॊकरयमा ने ऩूवोत्तय के ऩवणतीम प्रदे ि शसक्तकभ की अऩनी मात्रा, वहाॉ के प्राकृनतक सौंदमण व
दहभारम के पवयाट एवॊ बव्म रूऩ का फहुत खफ ू सूयती से वणणन ककमा है । दयअसर रेखखका उच्च
दहभारमी ऩहाड़ी ऺेत्रों , सपेद फपण की चादय ओढे ऩवणतों व प्राकृनतक दृश्मों को ऩहरी फाय फहुत
कयीफ से दे ख यही थी क्जन्हें दे खकय वह फहुत योभाॊधचत भहसूस कय यही थी। असर भें इन
ऩहाड़ों की मही खफ
ू सूयती है । मे ऩहाड़ एक ओय जहाॉ ऩमणटकों को अऩनी भनभोहक प्राकृनतक
सॊद
ु यता से अऩनी ओय खीॊचते हैं। वहीॊ दस
ू यी ओय कर-कर फहती नदद माॉ, ऊॊचे-ऊॊचे ऩहाड़ों से
धगयते जरप्रऩात, फपण से ढके ऩवणत औय टे ढे-भेढे सॊकये यास्ते ऩमणटकों का भन भोह रेते हैं । महाॉ
यहने वारे स्थानीम रोगों के शरए कई फाय मही ऩहाड़ भस
ु ीफत का सफफ फन जाते हैं। उन्हें हय
ददन इन टे ढे -भेढे सॊकये यास्तों से होकय अऩने घयों , खेत-खशरहानों व छोटे -छोटे फच्चों को स्कूरों
तक ऩहुॊचना होता है । जॊगरों से जानवयों के शरए चाया व जरावन के शरए रकड़ी राना , खेती-
फाड़ी के अनधगनत काभ आदद इनकी योज की ददनचमाण भें िाशभर होते हैं। इन ऩहाड़ों भें यहने
वारे रोगों की क्जॊदगी कदठनाइमों से कापी बयी होती है वे हय योज नई चन
ु ौनतमों का साभना
कयते हैं।

इस मात्रा वत
ृ ाॊत की िरु
ु आत रेखखका के गैंगटॉक िहय भें ऩहुॊचने के फाद िरू
ु होती है ।
जफ रेखखका दटभदटभाते हजायों तायों से बये आसभान को दे ख कय एक अजीफ सा सम्भोहन
भहसस
ू कयती है औय उन जाद ू बये ऺणों भें खो जाती है । रेखखका गैंगटॉक िहय को ‘भेहनतकि
फादिाहों का िहय’ कह कय सम्भाननत कयती है तमोंकक महाॉ के रोग फहुत अधधक भेहनत कय
अऩना जीवन माऩन कयते हैं। तायों बयी खफू सूयत यात दे खने के फाद अगरी सुफह वह एक
नेऩारी मुवती द्वाया शसखाई गई प्राथणना “साना साना हाथ जोड़ड़, गदण हु प्राथणना। हाम्रो जीवन
ततम्रो कौसेरी” मातन “छोटे -छोटे हाथ जोड़कय प्राथणना कय यही हूॊ कक भेया साया जीवन अच्छाइमों
को सभपऩणत हो” कयने रगती है । प्राथणना कयने के फाद वह मूभथाॊग की ओय चरने से ऩहरे
दहभारम की तीसयी सफसे फड़ी चोटी कॊचनजॊघा को दे खने अऩनी फारकनी भें ऩहुॉचती हैं। फादर
होने के कायण उन्हें कॊचनजॊघा की चोटी तो नहीॊ ददखाई दे ती है । रेककन साभने फगीचे भें खखरे
ढे यों पूरों को दे खकय कापी खि
ु हो जाती हैं। उसके फाद रेखखका गैंगटॉक िहय से 149
ककरोभीटय दयू मूभथाॊग मानन घादटमों को दे खने अऩने गाइड क्जतेन नागे व सहे री भखण के
साथ चर ऩड़ती है । ऩाइन औय धऩ ू ी के खफ
ू सूयत नुकीरे ऩेड़ों को दे खते हुए वो धीये -धीये ऩहाड़ी
यास्तों से आगे फढने रगती है । आगे चरते-चरते रेखखका को फौद्ध धभाणवरॊबफमों द्वाया रगाई
गई सपेद ऩताकाएॉ ददखाई दे ती हैं। भॊत्र शरखी मे ऩताकाएॉ ककसी ध्वज की तयह पहया यही थी
जो िाॊनत औय अदहॊसा का प्रतीक थी।

रेखखका ने जफ इन ऩताकाओॊ के फाये भें ऩूछा तो गाइड क्जतेन ने फतामा कक जफ बी


ककसी फुद्धधस्ट की भत्ृ मु होती है तो उसकी आत्भा की िाॊनत के शरए िहय से दयू ककसी ऩपवत्र
स्थान ऩय 108 ऩताकाएॉ पहया दी जाती हैं। नागे ने मह बी फतामा कक ककसी िुब अवसय मा

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नए कामण की िरु
ु आत कयने ऩय सपेद की जगह यॊ गीन ऩताकाएॉ पहया दी जाती हैं। महाॊ से थोड़ी
दयू ी ऩय क्स्थत ‘कवी रोंग स्टॉक’ जगह के फाये भें नागे ने फतामा कक महाॊ ‘गाइड’ कपल्भ की
िदू टॊग हुई थी। इन्हीॊ यास्तों से आगे जाते हुए रेखखका ने एक कुदटमा के अॊदय ‘प्रेमय व्हीर मानन
धभण चि’ को धभ ू ते हुए दे ख कय उत्सकु ता से उसके फाये भें जानने की कोशिि की। तफ नागे ने
फतामा कक प्रेमय व्हीर एक धभण चि है । इसको घभ
ु ाने से साये ऩाऩ धर
ु जाते हैं। मह सन
ु कय
रेखखका को रगा कक ‘ऩहाड़ हो मा भैदान मा कोई बी जगह हो, इस दे ि की आत्भा एक जैसी
ही है ”।

जैस-े जैसे रेखखका अऩनी मात्रा भें ऩहाड़ की ऊॊचाई की तयप फढने रगी। फाजाय, रोग,
फक्स्तमाॊ सफ ऩीछे छूटने रगे। अफ रेखखका को नीचे घादटमों भें ऩेड़-ऩौधों के फीच फने छोटे -छोटे
घय, ताि के ऩत्तों से फने घयों की बाॊनत प्रतीत हो यहे थे औय न जाने ककतने ही तीथणमाबत्रमों,
कपवमों, दिणकों साधु-सॊतों के आयाध्म दहभारम का पवयाट व वैबविारी रूऩ धीये -धीये रेखखका के
साभने आने रगा था। अफ रेखखका को दहभारम ऩर-ऩर फदरता हुआ नजय आ यहा
था। रेखखका अफ खफ
ू सूयत प्राकृनतक नजायों, आसभान छूते ऩवणत शिखयों, ऊॊचाई से दध
ू की धाय
की तयह झय-झय धगयते जरप्रऩातों, नीचे ऩूये वेग से फहती चाॊदी की तयह चभकती तीस्ता नदी
को दे खकय अॊदय ही अॊदय योभाॊधचत भहसूस कय यही थी।
तबी उनकी जीऩ „सेवेन शसस्टसण वॉटयपॉर‟ ऩय रूक गई। महाॉ ऩहुॊचकय रेखखका को ऐसा
रग यहा था जैसे उनके अॊदय की सायी फुयाइमाॉ व दर्षु ट वासनाएॉ इस झयने के ननभणर धाया भें
फह गई हों। मह दृश्म रेखखका के भन व आत्भा को िाॊनत दे ने वारा था। धीये -धीये रेखखका का
सपय आगे फढता गमा औय प्राकृनतक दृश्म हय ऩर भें कुछ मूॊ फदर यहे थे जैसे कोई जाद ू की
छड़ी घुभा कय इन दृश्मों को फदर यहा हो। ऩवणत, झयने, घादटमों, तथा वाददमों के दर
ु ब
ण नजाये
सबी कुछ फेहद खफ ॊ ग्रीन’ फोडण ऩय ऩड़ गई। सफ कुछ
ू सूयत थे। तबी रेखखका की नजय ‘धथक
कल्ऩनाओॊ से बी ज्मादा सुॊदय था। रेखखका को जभीनी हकीकत का एक दृश्म अॊदय से झकझोय
गमा। जफ रेखखका ने कुछ ऩहाड़ी औयतों को कुदार औय हथौड़ी से ऩत्थय तोड़ते हुए दे खा। कुछ
भदहराओॊ की ऩीठ भें फड़ी सी टोकरयमा (डोको) थी क्जनभें उनके फच्चे फॊधे थे। भातत्ृ व साधना
औय श्रभ साधना का मह रूऩ दे ख कय उनको फड़ा आघात रगा। ऩूछने ऩय उनको ऩता चरा कक
मे भदहराएॊ ऩहाड़ी यास्तों को चौड़ा फनाने का काभ कय यही हैं औय मह फड़ा ही खतयनाक काभ
होता है । तमोंकक यास्तों को चौड़ा फनाने के शरए डामनाभाइट का प्रमोग ककमा जाता है औय कई
फाय इसभें भजदयू ों की भौत बी हो जाती हैं। मह दे खकय वह भन ही भन सोचने रगी ‘ककतना
कभ रेकय मे रोग, सभाज को ककतना अधधक वाऩस कय दे ते हैं’।
थोड़ा सा औय ऊॊचाई ऩय चरने के फाद रेखखका ने दे खा कक सात-आठ सार के फच्चे
अऩने स्कूर से घय रौटते हुए उनसे शरफ्ट भाॊग यहे थे। रेखखका के स्कूर फस के फाये भें ऩछू ने
ऩय नागे ने हॊ सते हुए फतामा कक ऩहाड़ी इराकों भें जीवन फहुत कठोय होता है । मे फच्चे योज 3
से 4 ककरोभीटय टे ढे-भेढे ऩहाड़ी यास्तों से ऩैदर चरकय अऩने स्कूर ऩहुॊचते हैं। िाभ को घय
आकय अऩनी भाॊओॊ के साथ भवेशिमों को चयाने जॊगर जाते हैं। जॊगर से बायी बायी रकड़ी के
गगट्ठय शसय ऩय राद कय घय राते हैं। जीऩ जफ धीये धीये ऩहाड़ी यास्तों से फढने रगी तबी

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सयू ज ढरने रगा। रेखखका ने दे खा कक कुछ ऩहाड़ी औयतों गामों को चया कय वाऩस अऩने घय
रौट यही थी। रेखखका की जीऩ चाम के फागानों से गज
ु यने रगी। शसततभी ऩरयधान ऩहने कुछ
मव
ु नतमाॊ फागानों से चाम की ऩपत्तमाॊ तोड यही थी। चटक हरयमारी के फीच सख
ु ण रार यॊ ग, डूफते
सयू ज की स्वखणणभ औय साक्त्वक आबा भें इॊद्रधनष
ु ी छटा बफखेय यहा था।
मभ
ू थाॊग ऩहुॊचने से ऩहरे रेखखका को एक यात रामॊग
ु भें बफतानी थी। रामॊग
ु गगनचफ
ॊु ी ऩहाड़ों के
तरे एक छोटी सी िाॊत फस्ती थी। दौड़ बाग बयी क्जॊदगी से दयू िाॊत औय एकाॊत जगह।
रेखखका अऩनी थकान उतायने के शरए तीस्ता नदी के ककनाये एक ऩत्थय के ऊऩय जा कय फैठ
गई।
यात होने ऩय गाइड नागे के साथ अन्म रोगों ने नाचना – गाना िुरू कय ददमा। रेखखका
की सहे री भखण ने बी फहुत सुॊदय नत्ृ म ककमा। रामुॊग भें रोगों की आजीपवका का भुख्म साधन
ऩहाड़ी आरू , धान की खेती औय ियाफ ही है । रेखखका महाॊ फपण दे खना चाहती थी रेककन उन्हें
वहाॊ कहीॊ बी फपण नहीॊ ददखाई दी। तबी एक स्थानीम मुवक ने रेखखका को फतामा कक प्रदष
ू ण
के कायण अफ महाॊ फपणफायी फहुत कभ होती है । रेखखका को अगय फपण दे खनी है तो उन्हें
“कटाओ मानी बायत का क्स्वट्जयरैंड” जाना ऩड़ेगा। कटाओ ऩमणटक स्थर के रूऩ भें अबी उतना
पवकशसत नहीॊ हुआ था। इसीशरए महाॊ का प्राकृनतक सौंदमण अबी बी ऩूयी तयह से फयकयाय था।
रामुॊग से कटाओ का सपय रगबग 2 घॊटे का था। रेककन वहाॊ ऩहुॊचने का यास्ता फहुत ही
खतयनाक था। कटाओ भें फपण से ढके ऩहाड़ चाॊदी की तयह चभक यहे थे। रेखखका इसे दे खकय
फहुत ही आनॊददत भहसूस कय यही थी। कटाओ भें रोग फपण के साथ पोटो खखॊचवा यहे थे।
रेककन वह तो इस नजाये को अऩनी आॊखों भें बय रेना चाहती थी। उन्हें ऐसा रग यहा था कक
जैसे कक ऋपष-भुननमों को वेदों की यचना कयने की प्रेयणा मही से शभरी हो औय उन्हें मह बी
भहसूस हुआ कक मदद इस असीभ सौंदमण को कोई अऩयाधी बी दे ख रे तो , वह बी आध्माक्त्भक
मा ऋपष हो जाए।
रेखखका की सहे री भखण के भन भें बी दािणननकता के बाव ऩनऩने रगे औय वह कहने
रगी कक प्रकृनत की जर सॊचम व्मवस्था ककतनी िानदाय है । वह अऩने अनोखे ढॊ ग से ही जर
सॊचम कयती है । मह दहभशिखय जर स्तॊब हैं ऩूये एशिमा के। प्रकृनत जाड़ों भें ऩहाड़ की ऊॊची-
ऊॊची चोदटमों भें फपण जभा दे ती हैं औय गभी आते ही फपण पऩघर कय ऩानी के रूऩ भें नददमों से
फहकय हभ तक ऩहुॊचाती हैं औय हभायी प्मास फझ
ु ाती हैं। थोड़ा आगे चरने ऩय रेखखका को कुछ
पौजी छावननमाॉ ददखी। तबी उन्हें ध्मान आमा कक मह फॉडणय एरयमा है । महाॊ चीन की सीभा
बायत से रगती है । जफ रेखखका ने एक पौजी से ऩछ
ू ा कक आऩ इस कड़कड़ाती ठॊ ड भें महाॊ कैसे
यहते हैं। तफ पौजी ने फड़े हॊ सते हुए जवाफ ददमा कक “आऩ चैन से इसीशरए सोते हैं तमोंकक हभ
महाॊ ऩहया दे ते हैं”।
रेखखका सोचने को भजफयू हो गई कक जफ इस कड़कड़ाती ठॊ ड भें हभ थोड़ी दे य बी महाॉ
ठहय नहीॊ ऩा यहे हैं तो मे पौजी कैसे अऩनी ड्मूटी ननबाते होंगे। मह सोचकय रेखखका का शसय
सम्भान से झुक गमा। उन्होंने पौजी से “पेयी बेटुरा मानन कपय शभरेंगे” कहकय पवदा री। इसके
फाद मूभथाॊग की ओय रौट ऩड़ी। मूभथाॊग की घादटमों भें उस सभम ढे यों पप्रमता औय योड़ोंडेड्रो के

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फहुत ही खफ
ू सयू त पूर खखरे थे। रेककन मभ
ू थाॊग वाऩस आकय उन रोगों को सफ कुछ पीका
पीका रग यहा था तमोंकक मभू थाॊग कटाओ जैसा सॊदु य नहीॊ था।
चरते चरते रेखखका ने धचप्स फेचती एक शसततभी मव
ु ती से ऩछ
ू ा, “तमा तभ
ु शसक्तकभी हो?”
मवु ती ने जवाफ ददमा “नहीॊ, भैं इॊडडमन हूॊ”। मह सन ु कय रेखखका को फहुत अच्छा रगा।
शसक्तकभ के रोग बायत भें शभरकय कापी खि ु हैं। दयअसर शसक्तकभ ऩहरे बायत का दहस्सा
नहीॊ था। शसक्तकभ ऩहरे स्वतॊत्र यजवाड़ा था। रेककन अफ शसक्तकभ बायत भें कुछ इस तयह से
घुरशभर गमा है ऐसा रगता ही नहीॊ कक शसक्तकभ ऩहरे बायत का दहस्सा नहीॊ था। तफ वहाॊ ऩय
ऩमणटन उद्मोग इतना परा-पूरा नहीॊ था। शसक्तकभ के रोग बायत का दहस्सा फनकय कापी
खि
ु हैं।
जीऩ आगे को फढती जा यही थी कक तबी एक ऩहाड़ी कुत्ते ने यास्ता काट शरमा। भखण ने
फतामा कक मे ऩहाड़ी कुत्ते शसपण चाॊदनी यात भें ही बौंकते हैं। मह सुनकय रेखखका है यान थी।
थोड़ा आगे चरने ऩय नागे ने रेखखका को गुरु नानक के पुटपप्रॊट वारा ऩत्थय बी ददखामा। नागे
ने फतामा कक ऐसा भाना जाता है कक इस जगह ऩय गुरु नानकजी की थारी से थोड़े से चावर
नछटक कय धगय गए थे। औय जहाॊ-जहाॊ वो चावर नछटक कय धगये । वहाॊ-वहाॊ अफ चावर की
खेती होती है । महाॊ से कयीफ 3 ककरोभीटय आगे चरने के फाद वो खेदभ ु ऩहुॊच।े मह रगबग 1
ककरोभीटय का ऺेत्र था। नागे ने फतामा कक इस स्थान ऩय दे वी-दे वताओॊ का ननवास है । महाॊ
कोई गॊदगी नहीॊ पैराता है । जो बी गॊदगी पैराता है वह भय जाता है । उसने मह बी फतामा कक
हभ ऩहाड़, नदी, झयने इन सफ की ऩूजा कयते हैं। हभ इन्हें गॊदा नहीॊ कय सकते।
रेखखका के मह कहने ऩय कक “तबी गैंगटॉक िहय इतना सुॊदय है ”। नागे ने रेखखका को
कहा “भैडभ गैंगटॉक नहीॊ गॊतोक कदहए। क्जसका अथण होता है ऩहाड़”।
उसने आगे फतामा कक शसक्तकभ के बायत भें शभरने के कई वषों फाद बायतीम आभी के एक
कप्तान िेखय दत्ता ने इसे ऩमणटन स्थर ( टूरयस्ट स्ऩॉट) फनाने का ननणणम शरमा। इसके फाद से
ही शसक्तकभ भें ऩहाड़ों को काटकय यास्ते फनाए जा यहे हैं। नए नए ऩमणटन स्थरों की खोज जायी
है । रेखखका ने भन ही भन सोचा कक इॊसान की इसी असभाप्त खोज का नाभ ही तो सौंदमण
है …..।
भहत्त्वऩण
ू ण प्रश्न औय उनके उत्तय

प्रश्न 1. खझरसभराते ससतायों की योशनी भें नहामा गॊतोक रेखखका को ककस तयह सम्भोदहत
कय यहा था?
उत्तय- खझरशभराते शसतायों की योिनी भें नहामा गॊतोक िहय रेखखका को फहुत अच्छा रगा ।
दटभदटभाते तायों से बयी यात भें जगभगाते गॊतोक की खफ ू सयू ती ने रेखखका ऩय कुछ ऐसा जाद ू
ककमा कक वह अऩनी सध
ु -फध
ु खो फैठी। उन्हें अऩने फाहय व बीतय सफ कुछ िन्
ू म जैसा प्रतीत
हो यहा था। यात के सभम गॊतोक िहय की खफ
ू सयू ती उनकी कल्ऩनाओॊ से ऩये थी।
प्रश्न 2 . गॊतोक को “भेहनतकश फादशाहों का शहय” क्मों कहा गमा ?
उत्तय- गॊतोक िहय बायत के ऩव
ू ोत्तय भें फसा एक ऩहाड़ी बू-बाग है । जहाॉ क्जॊदगी भैदानी बागों के
अऩेऺा फहुत कदठन होती है । अन्म ऩहाड़ी ऺेत्रों भें यहने वारे रोगों की तयह ही गॊतोक भें ननवास
32
कयने वारे रोग बी फहुत भेहनती होते हैं। भिीनों ऩय ननबणय यहने के फजाम , मे रोग खद
ु की
रगन व भेहनत ऩय ज्मादा पवश्वास कयते हैं।
गॊतोक िहय का प्रकृनत की गोद भें फैठे होने के कायण महाॊ के रोग अऩनी जरूयत की
अधधकतय वस्तओ
ु ॊ को प्रकृनत से ही रेते हैं। क्जसके शरए इनको कापी भेहनत कयनी ऩड़ती हैं।
मे ऩयू ी तयह से आत्भननबणय होकय अऩना जीवन आयाभ से बफताते हैं। इसशरए रेखखका ने गॊतोक
को “भेहनतकि फादिाहों का िहय” कहा है ।
प्रश्न 3. कबी श्वेत तो कबी यॊ गीन ऩताकाओॊ का पहयाना ककन अरग-अरग अवसयों की ओय
सॊकेत कयता है ?
उत्तय- फौद्ध धभण का भूर शसद्धाॊत ही सत्म औय अदहॊसा है । फौद्ध धभाणवरॊफी अरग-अरग
अवसयों ऩय अरग अरग तयह की ऩताकाएॉ पहयाते हैं। जो िाॊनत औय अदहॊसा का प्रतीक होती हैं।
इन ऩताकाओॊ भें कुछ भॊत्र शरखे होते हैं। फौद्ध धभण भें ककसी फुद्धधस्ट की भत्ृ मु हो जाने ऩय
उसकी आत्भा की िाॊनत के शरए िहय से दयू ककसी बी ऩपवत्र स्थान ऩय 108 श्वेत (सपेद)
ऩताकाएॉ पहया दी जाती हैं। क्जन्हें कबी उताया नहीॊ जाता है । धीये धीये मे ऩताकाएॉ खद
ु ही नर्षट
हो जाती हैं। ऐसे ही कोई िुब अवसय होने ऩय मा ककसी नए कामण की िुरुआत कयने ऩय सपेद
की जगह यॊ गीन ऩताकाएॉ पहया दी जाती हैं।
प्रश्न 4. जजतेन नागे ने रेखखका को ससजक्कभ की प्रकृतत, वहाॉ की बौगोसरक जस्थतत एवॊ
जनजीवन के फाये भें क्मा-क्मा भहत्वऩूणण जानकारयमाॉ दीॊ?
उत्तय- क्जतेन नागे ने रेखखका को शसक्तकभ की प्रकृनत, वहाॉ की बौगोशरक क्स्थनत एवॊ जनजीवन
के फाये भें फहुत सी जानकारयमाॉ दी। क्जतेन नागे ने रेखखका को फतामा कक शसक्तकभ को प्रकृ नत
ने कई खफ ू सूयत उऩहायों जैसे आसभान छूते ऩवणतों , झयने, जर प्रऩातों, पूरों, घादटमों, ऩयू े वेग से
फहती व चाॊदी सी चभकती तीस्ता नदी व अन्म दर
ु ब नजायों से नवाजा हैं। महाॊ से दहभारम की
छोटी फड़ी चोदटमों के अरावा दहभारम की तीसयी सफसे फड़ी चोटी कॊचनजॊघा सपेद फपण की
चादय ओढे , सीना ताने साभने खड़ी ददखाई दे ती है । शसक्तकभ की बौगोशरक क्स्थनत
ककसी ऩहाड़ी इराके जैसी ही है । ऩहाड़ी इराका होने के कायण महाॊ के यास्ते एकदभ दग
ु भ
ण , सॉकये ,
वीयान व जरेफीनुभा हैं । जगह जगह ऩय ऩाइन औय धऩ
ू ी के खफ
ू सूयत नुकीरे ऩेड़ ददखाई दे ते
हैं।
ऊॊचाई वारी जगहों ऩय खतयनाक हे मय फैंड भोड़ों से गज
ु यना ऩड़ता है । सॊद
ु य-सॊद
ु य हयी-
बयी घादटमों भें फसे छोटे -छोटे घय ताि के घयों की तयह सॊद
ु य ददखाई दे ते हैं। महाॊ से न जाने
ककतने ही कपवमों, तीथणमाबत्रमों, साध-ु सॊतों की आस्था का केंद्र दहभारम अऩने पवयाट व बव्म रूऩ
भें ददखाई दे ता है । द ुगभ
ण ऩहाड़ी ऺेत्र होने के कायण शसक्तकभ के रोगों का जीवन फहुत आसान
नहीॊ है । महाॉ के फच्चे दग ु भ
ण ऩहाड़ी यास्तों से स्कूर जाते हैं। िाभ को अऩनी भाॊओॊ के साथ
भवेशिमों को चयाने जाते हैं। जॊगरों से रकड़ी के गठ्ठय शसय ऩय राद कय घय राते हैं औय दयू
से ऩानी बय कय राते हैं।
ऩहाड़ी भदहराएॊ कुदार औय हथौड़ी से ददन बय ऩत्थय तोड़ने का काभ कयती हैं। साथ भें
फड़ी सी टोकयी भें फच्चों को बी अऩनी ऩीठ ऩय रादे यहती हैं। मह धयती ऩमणटकों के शरए

33
क्जतनी सॊद
ु य हैं महाॊ यहने वारे रोगों के शरए उतनी ही कठोय हैं।महाॊ फौद्ध धभाणवरॊफी ज्मादा
यहते हैं। जो िाॊनत व अदहॊसा पप्रम होते हैं।
प्रश्न 5 . रोंग-स्टॉक भें घूभते हुए चक्र को दे खकय रेखखका को ऩूये बायत की आत्भा एक सी
क्मों ददखाई दी?
उत्तय- रोंग-स्टॉक भें घभ
ू ते हुए रेखखका को एक कुदटमा के अॊदय धभण चि घभ
ू ते हुए ददखाई
ददमा। इसके फाये भें रेखखका के ऩूछने ऩय नागे ने फतामा कक “मह धभण चि है औय इसको
घुभाने से साये ऩाऩ धर
ु जाते हैं”। मह फौद्ध धभाणवरॊबफमों का बगवान फुद्ध के प्रनत गहन
आस्था व पवश्वास को दिाणता है ।
हभाये दे ि के अरग अरग प्राॊतों भें अरग अरग धभण, सॊप्रदाम औय जानत के रोग यहते
हैं। इन सफकी अऩनी-अऩनी आस्थाएॉ औय अऩने-अऩने पवश्वास हैं। साथ ही इनभें कुछ
अॊधपवश्वास बी व्माप्त हैं। हय धभण के रोग उस ऩयभपऩता को ककसी न ककसी रूऩ भें अवश्म
भानते हैं। शसक्तकभ भें जफ रेखखका ने आस्था व पवश्वास को “प्राथणना चि” के रूऩ भें दे खा तो
उन्हें रगा कक ऩूये बायत की आत्भा एक सी है ।
प्रश्न 6. जजतेन नागे की गाइड की बूसभका के फाये भें पवचाय कयते हुए सरखखए कक एक कुशर
गाइड भें क्मा गुण होते हैं ?
उत्तय- क्जतेन नागे एक फहुत ही कुिर व सभपऩणत गाइड था क्जसे अऩने ऺेत्र की हय छोटी फड़ी
जानकायी थी। वह वहाॊ आने वारे सबी ऩमणटकों को न शसपण प्रशसद्द ऩमणटक स्थर ददखाता था
फक्ल्क उस ऺेत्र पविेष की सबी जानकारयमाॊ बी ऩमणटकों के साथ साझा कयता था। वह गाइड की
अऩनी बूशभका भें बफल्कुर सटीक फैठता है । गाइड की ननम्न पविेषताएॊ होनी चादहए।
1. गाइड को भद
ृ ब
ु ाषी, सहनिीर व शिर्षट होना चादहए औय आने वारे ऩमणटकों के साथ
उसका व्मवहाय भधयु होना चादहए।
2. गाइड को अऩने ऺेत्र पविेष की ऩूयी जानकायी होनी चादहए ताकक वह ऩमणटकों को ऩमणटन
स्थरों की जानकायी अच्छे से दे सकें।
3. गाइड अऩने भद
ृ ु व्मवहाय से ऩमणटकों को फाय-फाय उन ऩमणटन स्थरों ऩय आने के शरए
प्रेरयत कय सकता है । रोगों की मात्रा िानदाय व मादगाय फने, गाइड इसभें अहभ बूशभका
ननबाते हैं।
4. गाइड को अऩने ऺेत्र पविेष के भौसभ, जरवामु व पवऩयीत ऩरयक्स्थनतमों का बी ऻान
होना चादहए। ताकक कदठन सभम भें वह ऩमणटकों को आसानी से फाहय ननकार सके।
5. हय गाइड को अऩने ऩमणटकों के साथ एक आत्भीम रयश्ता कामभ कयना अननवामण है ।
ताकक ऩमणटक उस ऩय पवश्वास कय सकें।
6. गाइड को ऩमणटकों के साथ अबद्र व्मवहाय नहीॊ कयना चादहए।
प्रश्न 7. इस मात्रा वत्त
ृ ाॊत भें रेखखका ने दहभारम के जजन-जजन रूऩों का धचत्र खीॊचा है । उन्हें
अऩने शब्दों भें सरखखए।
उत्तय- रेखखका को दहभारम पवयाट व बव्म रूऩ भें नजय आमा। कबी एकदभ कारा कॊफर ओढे
औय कही चटक हये यॊ ग का भोटा कारीन ओढे , कही हल्के ऩीरे यॊ ग भें यॊ गा, ऩर-ऩर अऩना रूऩ
फदरता दहभारम रेखखका को फेहद खफ
ू सूयत नजय आमा। आसभान को छूते फपण से ढके ऩवणत,
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पूरों की घादटमाॊ, झयने, ऊॊचाई से दध
ू की धाय की तयह झय-झय धगयते जरप्रऩात दहभारम के
सौंदमण को चाय चाॉद रगा यहे थे। चाॊदी की तयह कौंध भायती फनी- ठनी तीस्ता नदी दहभारम
के सौंदमण की ऩयाकार्षठा थी । दहभारम के कयीफ ऩहुॊचते ही रेखखका को रग यहा था जैसे
दहभारम पविार से पविारतभ होता जा यहा है ।
दहभारमी यास्ते एकदभ सॊकये औय जरेफी की तयह टे ढे-भेढे औय भोड़ हे मय पऩन फेंट से
थे। जहाॊ चरना फेहद कदठन था। दहभारम की घादटमों भें फने छोटे -छोटे भकान ऐसे रग यहे थे
जैसे ताि के ऩत्तों से घयों को फनामा हो। जीवन की अनॊनता का प्रतीक झयने रेखखका को जीवन
की िक्तत का एहसास कया यहे थे। दहभारम के इन दर
ु ब
ण नजायों को दे ख कय रेखखका का भन
एक अजीफ आनॊद से बय गमा था।

प्रश्न 8. प्रकृतत के उस अनॊत औय पवयाट स्वरूऩ को दे खकय रेखखका को कैसी अनुबूतत होती
है ?
उत्तय- प्रकृनत के उस अनॊत औय पवयाट स्वरूऩ को दे खकय रेखखका फेहद आनॊददत भहसूस कय
यही थी। प्रकृनत के असीभ सौंदमण के आगे वह नतभस्तक बी थी। वह प्रकृनत के “भामा औय
छामा” के अनूठे खेर को अऩनी आॊखों भें बय रेना चाहती थी। रेखखका को ऐसा रग यहा था
भानो प्रकृनत उन्हें “समाना” फनाने के शरए ही जीवन के यहस्मों का उद्घाटन कयती जा यही
है । पूरों, घादटमों, ऩवणतों, झयनों व दर
ु ब
ण नजायों मानी प्रकृनत के हय रूऩ व सौंदमण को रेखखका
आत्भपवबोय होकय अऩने भन भें सभा रेना चाहती थी।

प्रश्न 9. प्राकृततक सौंदमण के अरौककक आनॊद भें डूफी रेखखका को कौन-कौन से दृश्म झकझोय
गए ?
उत्तय- रेखखका जफ कृनतक सौंदमण के अरौककक आनॊद भें डूफी थी। तबी तीन धयातरी
वास्तपवकताओॊ ने उन्हें झकझोय यख ददमा। ऩहरी फाय जफ रेखखका ने दे खा कुछ ऩहाड़ी औयतें
ऩत्थयों भें फैठी ऩत्थय तोड़ यही थी। कोभर कामा वारी उन भदहराओॊ के हाथों भें कुदार औय
हथौड़े थे। एक दस
ू या दृश्म था क्जसभें कुछ भदहराओॊ की ऩीठ भें डोको भें फच्चे बी थे। ऐसा रग
यहा था भानो वो अऩना भातत्ृ व धभण ननबाने के साथ-साथ बूख औय भौत को भात दे कय क्जॊदा
यहने की जॊग रड़ यही थीॊ। एक औय घटना ने रेखखका के भन को झकझोय ददमा। जफ उन्होंने
दे खा कक हये -बये चाम के फागानों भें शसक्तकभी ऩरयधान ऩहने कुछ मुवनतमाॊ चाम की ऩपत्तमाॊ तोड़
यही थीॊ। वो शसक्तकभी ऩरयधान भें फहुत सुॊदय रग यही थी। कोभर से ददखने वारी इन मुवनतमों
के शरए इतना अधधक श्रभ।

प्रश्न 10. सैरातनमों को प्रकृतत की अरौककक छटा का अनब


ु व कयवाने भें ककन-ककन रोगों का
मोगदान होता है । उल्रेख कयें ।
उत्तय- सैराननमों को प्रकृनत की अरौककक छटा का अनब
ु व कयवाने भें गाइड औय रै वर एजेंशसमाॉ ,
होटरों, स्थानीम ननवासी, सहमात्री, स्थानीम प्रिािन व याज्म सयकायों की बशू भका भहत्वऩण
ू ण होती
है । रै वर एजेंशसमाॉ जहाॊ माबत्रमों की सख
ु द मात्रा की व्मवस्था कयती हैं। वही होटर से जड़
ु े रोग
ऩमणटकों के यहने व खानऩान की व्मवस्था कयते हैं। इसके साथ ही स्थानीम दक
ु ानदाय उनका
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ऩरयचम स्थानीम उत्ऩादों से कयाते हैं। रेककन ऩमणटकों के स्थान पविेष ऩय ऩहुॊचने के फाद सफसे
अहभ बशू भका गाइड ही ननबाते हैं। तमोंकक गाइड को ही उस स्थान पविेष औय उस जगह के
सबी ऩमणटक स्थरों की जानकायी होती है । क्जससे वह ऩमणटकों को उन ऩमणटन स्थरों को ददखाने
के साथ-साथ उन से जड़
ु ी सबी ऐनतहाशसक, बौगोशरक व अन्म भहत्वऩण
ू ण जानकारयमाॊ बी प्रदान
कयते हैं।
इसके साथ ही गाइड को अऩने ऺेत्र के जनजीवन, यहन-सहन, खानऩान, यीनत-रयवाज आदद
के फाये भें बी अच्छी जानकायी होती है क्जससे वह ऩमणटकों को आकषणक ढॊ ग से फता सकता है ।
गाइड का भधयु व्मवहाय ऩमणटकों की मात्रा को सुखद, सपर, आनॊदभम औय योभाॊचकायी फना
सकता है । एक गाइड हभेिा इस फात का ध्मान यखता है कक ऩमणटकों को ककसी बी तयह की
कोई ऩये िानी ना हो मा ऩमणटक ककसी बी तयह के फुये अनुबव से न गुजये । ऐसा होने ऩय ऩमणटक
बी फाय-फाय उस जगह भें आना चाहते हैं।

प्रश्न 11. ककतना कभ रेकय मे सभाज को ककतना अधधक वाऩस रौटा दे ती हैं। इस कथन के
आधाय ऩय स्ऩष्ट कयें कक आभ जनता की दे श की आधथणक प्रगतत भें क्मा बूसभका है ?
उत्तय- रेखखका के भन भें मह फात तफ आमी जफ उन्होंने शसक्तकभ की उन खफ
ू सूयत वाददमों व
ददरकि नजायों के फीच वहाॊ की कठोय क्जॊदगी को फहुत कयीफ से दे खा। चाहे वो ऩराभू व
गुभरा के जॊगरों भें अऩनी ऩीठ ऩय फच्चों को कऩड़े से फाॉधकय ऩत्तों की तराि भें वन-वन
डोरती आददवासी मुवनतमाॉ हों मा हाथ भें कुदार औय हथोड़ा शरए ऩत्थय तोड़ते भदहराओॊ की
कठोय क्जॊदगी। मे सफ अऩनी योजभयाण की भूरबूत आवश्मकताओॊ की ऩूनतण के शरए इतना कदठन
ऩरयश्रभ कय यही थी। मे बरे ही अऩनी भूरबूत जरूयतों की ऩूनतण के शरए ऩरयश्रभ कय यहे थे।
रेककन क्जस योड, यास्ते मा ऩुर का ननभाणण कयने भें मे भहत्वऩूणण मोगदान दे ते हैं। वो दे ि के
पवकास तथा दे ि को आधथणक रूऩ से भजफत
ू फनाने भें अहभ बशू भका ननबाते हैं। चाम के फागान
भें काभ कयने वारी मव
ु नतमाॉ चाम की ऩपत्तमों को तोड़कय चॊद ऩैसे जरुय कभाती हैं। रेककन मही
चाम की ऩपत्तमाॊ दे ि को आधथणक रूऩ से भजफतू फनाने भें फहुत फड़ा मोगदान दे ती है । जहाॉ
याज्म तथा दे ि को इससे अच्छा खासा याजस्व प्राप्त होता है । वही इन रोगों के दहस्से भें चॊद
ऩैसे ही ऩहुॊचते हैं। इसीशरए रेखखका कहती हैं कक “मे रोग ककतना कभ रेकय सभाज को ककतना
अधधक रौटा दे ते हैं”।

प्रश्न 12. आज की ऩीढी द्वाया प्रकृतत के साथ ककस तयह का खखरवाड़ ककमा जा यहा है । इसे
योकने भें आऩकी क्मा बूसभका होनी चादहए?
उत्तय- प्रकृनत औय इन्सान दोनों ही अनाददकार से फहुत अच्छे दोस्त यहे हैं। प्रकृनत ने हभेिा ही
एक भाॊ की तयह सबी को अऩने फच्चों के सभान ऩारा है । प्रकृनत हभेिा दे ती है , फदरे भें हभसे
कुछ नहीॊ भाॊगती है । रेककन इॊसान ने अऩने थोड़े से स्वाथण के कायण प्रकृनत को प्रत्मऺ औय
अप्रत्मऺ रूऩ से कापी नुकसान ऩहुॊचामा है । औय इसभें सफसे ज्मादा बूशभका भानव जननत
प्रदष
ू ण की है ।
पवकास के नाभ ऩय रगाताय कभ होते जॊगर व हय योज कटते ऩेड़ों की वजह से
प्राकृनतक सॊतुरन गड़फड़ा गमा है । जॊगर व ऩेड़ ऩौधे हभाये अनेक रूऩ से भददगाय होते हैं। मे
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वामभ
ु ॊडर से जहयीरी गैस काफणन डाइऑतसाइड को अविोपषत कय जीवनदानमनी ऑतसीजन
प्रदान कयते हैं। कुछ दर
ु ब
ण ककस्भ के ऩेड़-ऩौधे, जीवजॊतु पवरप्ु त होने के कगाय भें हैं।
इसी तयह वाहनों व कायखानों से ननकरने वारी जहयीरी गैस, वामु प्रदष
ू ण का कायण है ।
इसी प्रकाय कायखानों से ननकरने वारे गॊदे व जहयीरे ऩदाथों को नदी नारों भें फहा ददमा जाता
है क्जसकी वजह से जर प्रदष
ू ण का खतया कापी फढ गमा है । वाहनों व राउडस्ऩीकय ने ध्वनन
प्रदष
ू ण भें फढोतयी होती है । इन सबी ने शभरकय प्रकृनत को असॊतुशरत कयने का काभ ककमा है ।
हभें प्रकृनत को सॊतुशरत यखने का हय सॊबव प्रमास कयना चादहए। प्रकृनत को हया-बया
फनाए यखने के शरए सभम-सभम ऩय ऩौधायोऩण कयना चादहए तथा जॊगरों व ऩेड़ों को कटने से
फचाने का हय सॊबव प्रमास कयना चादहए। कायखानों से ननकरने वारी गॊदगी व जहयीरे अविेषों
को नदी नारों भें नहीॊ फहाना चादहए क्जससे जर प्रदष
ू ण का खतया कभ हो सके। प्राक्स्टक के
थैरों व साभानों का कभ से कभ इस्तेभार कय , हभ प्रकृनत को सुयक्षऺत कयने भें अऩना मोगदान
दे सकते हैं।
प्रश्न 13. प्रदष
ू ण के कायण स्नोपॉर भें कभी का जजक्र ककमा गमा है ? प्रदष
ू ण के औय
कौन-कौन से दष्ु ऩरयणाभ साभने आए हैं, सरखें।
उत्तय- ऩेड़ों के कटने से वामुभॊडर भें रगाताय कभ होती ऑतसीजन फहुत फड़ी सभस्मा फनती जा
यही है ।वामु प्रदष
ू ण से रोगों को अनेक तयह की फीभारयमों जैसे साॊस रेने भें ददतकत, ददर से
जुड़ी फीभारयमों का साभना कयना ऩड़ा है । इसी तयह ऩानी के प्रदपू षत होने से अनेक ऩये िाननमाॊ
रगाताय इॊसानी जान की दश्ु भन फनी हुई है । ध्वनन प्रदष
ू ण से कभ सुनाई दे ना मा फहया होना ,
ब्रड प्रेिय का फढ जाना जैसी फीभारयमाॊ रोगों के साभने आ यही है । प्रदष
ू ण के कायण भौसभ
चि भें बी फदराव आमा हैं । कबी अत्मधधक फारयि हो जाती है तो कबी सूखा ऩड़ जाता है ।
फादर का पटना अफ आभ फात हो गई है । जहयीरी गैसों के कायण ओजोन ऩयत शसकुड़ गई है ।
धयती का ताऩभान फढने रगा है । ग्रोफर वाशभिंग का खतया फढ गमा है क्जससे ग्रेशिमय
पऩधरने िुरू हो गए हैं औय सभुद्र भें ऩानी का स्तय फढने रगा है ।
प्रश्न 14. “कटाओ” ऩय ककसी बी दक
ु ान का न होना उसके सरए वयदान है । इस कथन के ऩऺ
भें अऩनी याम व्मक्त कीजजए।
उत्तय- “कटाओ मानन बायत का क्स्वट्जयरैंड” ऩय ककसी बी दक
ु ान का न होना , वाकई भें ककसी
वयदान से कभ नहीॊ है । कटाओ का प्रशसद्ध ऩमणटन के रूऩ भें पवकशसत नहीॊ होने के कायण
अबी बी ज्मादा रोगों को इसकी जानकायी नहीॊ हैं। क्जस कायण अधधक सॊख्मा भें ऩमणटक कटाओ
नहीॊ ऩहुॊच ऩाते हैं। इसीशरए महाॉ ऩय भानव जननत प्रदष ू ण औय गॊदगी बी कभ हैं। इॊसानी
दखर न होने के कायण कटाओ अऩने भर ू प्राकृनतक स्वरूऩ भें सयु क्षऺत हैं । महाॊ अबी बी
अत्मधधक वपणफायी होती हैं। क्जस कायण रेखखका को फपण दे खनी नसीफ हुई।
एक फाय कोई दकु ान महाॊ ऩय खर ु जाएगी औय ऩमणटकों का आना-जाना िरू ु हो जाएगा तो मह
जगह बी इॊसानी चहर-ऩहर व पवकास की दौड़ भें िाशभर हो जाएगी। दक
ु ानों व बवनों का ननभाणण
कयने से प्रकृनत के साथ छे ड़छाड़ होनी ननक्श्चत है जो महाॊ के ऩमाणवयण के शरए खतयनाक साबफत
हो सकता है । जफ कोई व्मक्तत ककसी ऩमणटन स्थर ऩय जाता है तो उसे इस फात का ध्मान
अवश्म यखना चादहए कक वह खद
ु बी गॊदगी न पैरामे औय दस
ू यों को बी ना पैराने दे । रोगों को
37
जागरूक कय ही इन सॊद
ु य ऩमणटन स्थरों को सयु क्षऺत व सॊयक्षऺत कय, इन्हें इनके भर
ू प्राकृनतक रूऩ
भें सॊबार कय यखा जा सकता है ।

प्रश्न 15. प्रकृतत ने जर सॊचम की व्मवस्था ककस प्रकाय की है ?


उत्तय- प्रकृनत ने जर सॊचम की वाकई भें फहुत राजफाफ व्मवस्था की है । जाड़ों भें अत्मधधक ठॊ ड
होने के कायण ऊॊची-ऊॊची चोदटमों भें ऩानी फपण के रूऩ भें जभा हो जाता है । फपण से ढकी हुई
चोदटमों एक प्रकाय के जर स्तॊब हैं। जो गभी का भौसभ आते ही पऩघरना िुरू हो जाते हैं औय
मही फपण पऩघर कय ऩानी के रूऩ भें नददमों के द्वाया आस-ऩास के नगयों, गाॊवों के रोगों की प्मास
फुझाती है औय साथ भें शसॊचाई के काभ बी आती है । अॊत भें मे नददमाॊ जाकय सागय भें सभा जाती
हैं। कपय कुछ सभम फाद सागय से उठे जरवार्षऩ फादर के रूऩ भें ऩरयवनतणत होकय कपय से वषाण
कयते हैं औय मही ऩानी दफ
ु ाया ऩवणतों भें फपण के रूऩ भें जभा हो जाता हैं। मह ऩूया ‘जरचि’
प्रकृनत के जर सॊचम व्मवस्था का फहुत िानदाय रूऩ है ।

प्रश्न 16. दे श की सीभा ऩय फैठे पौजी ककस तयह की कदठनाइमों से जझ


ू ते हैं? उनके प्रतत
हभाया क्मा उत्तयदातमत्व होना चादहए?
उत्तय- हभाये दे ि के सैननक ही हभाये असरी यऺक हैं। जो ऊॊची-ऊॊची फपीरी चोदटमों भें बी सीना
ताने, जान हथेरी भें शरए चौफीसों घॊटे दे ि की सीभाओॊ की यऺा भें तैनात यहते हैं। चाहे सदी हो
मा गभी, वो हय वतत अऩनी ड्मूटी ननबाते यहते हैं औय इन्हीॊ वीय सैननकों की वजह से हभ
आयाभ से अऩने घयों भें चैन की नीॊद सो ऩाते हैं। वे हय वतत हभायी सराभती के शरए दश्ु भनों
से दो-दो हाथ कयने को तैमाय यहते हैं। हभें उन वीय सैननकों के प्रनत हभेिा सम्भान की बावना
यखनी चादहए। न शसपण वीय सैननकों फक्ल्क उनके ऩरयवाय वारों के प्रनत बी हभाये ददरों भें आदय
व सम्भान होना चादहए। औय जफ बी हभ ईश्वय से अऩने शरए प्राथणना कयते हैं, हभें अऩनी
प्राथणनाओॊ भें उनकी सराभती की दआ
ु को बी अवश्म िाशभर कयना चादहए।

38
अनच्
ु छे द-रेखन

 किसी एि बाव , ववचाय मा िथन िो ववस्ताय दे ने िे लरए 100-150 शब्दों भें लरखे
गए सस
ु ॊगत रेख िो अनच्
ु छे द-रेखन िहते हैं।
 इसभें किसी भहत्त्वऩण
ू ण घटना, दृश्म, सभस्मा अथवा ववषम िो शालभर किमा जा
सिता है । इसे सॊक्षऺप्त (िभ शब्दों भें ) किन्तु सायगलबणत (अथणऩण
ू )ण ढॊ ग से लरखा
जाता है ।
 हहन्दी बाषा िा ‘अनच्
ु छे द’ शब्द अॊग्रेजी बाषा िे ‘Paragraph’ शब्द िा हहॊदी ऩमाणम
है । अनुच्छे द एि तयह से ‘ननफॊध’ िा ही सॊक्षऺप्त रूऩ होता है । इसभें हदए गए ववषम
िे किसी एि ऩऺ ऩय अऩना ववचाय प्रस्तुत ियना होता है ।
 अनुच्छे द अऩने-आऩ भें स्वतन्र औय ऩूणण होता है । अनुच्छे द िा भुख्म ववचाय मा बाव
प्राम: मा तो आयम्ब भें मा कपय अन्त भें होता है ।
अनुच्छे द लरखते सभम ननम्नलरखखत फातों िो ध्मान भें यखना चाहहए –
(1) अनुच्छे द लरखने से ऩहरे रूऩये खा, सॊिेत-बफॊद ु आहद फनानी चाहहए। िबी-िबी प्रश्नऩरों भें
ऩहरे से ही रूऩये खा, सॊिेत-बफॊद ु आहद हदए होते हैं। आऩिो उन्हीॊ रूऩये खा, सॊिेत-बफॊद ु इत्माहद
िो ध्मान भें यखते हुए अनुच्छे द लरखना होता है ।
(2) अनुच्छे द भें हदए गए ववषम िे किसी एि ही ऩऺ िा वणणन ियना चाहहए। क्मोंकि मह
सदै व सीलभत शब्दों भें लरखा जाता है ।
(3) अनुच्छे द िी बाषा सयर, सहज औय प्रबावशारी होनी चाहहए। ताकि ऩाठि अनुच्छे द
ऩढ़िय आऩिी फात िो सही से सभझ सिे।
(4) एि ही फात िो फाय-फाय नहीॊ दोहयाना चाहहए। इससे आऩ अऩनी फात िो िभ शब्दों भें
ऩूया नहीॊ िय ऩाएॉगे।
(5) आऩिो मे बी ध्मान यखना है कि आऩ अऩने ववषम से न बटि जाएॉ।
(6) हदए गए ननदे श िे अनुसाय तम शब्द-सीभा िो ध्मान भें यखिय ही अनुच्छे द लरखें ।
(7) ऩूये अनुच्छे द भें एिरूऩता फनाए यखनी चाहहए।
(8) ववषम से सॊफॊधधत सूक्क्त अथवा िववता िी ऩॊक्क्तमों िा प्रमोग बी किमा जा सिता है ।
अनुच्छे द िी प्रभुख ववशेषताएॉ –
(1) अनच्
ु छे द भें किसी एि बाव, ववचाय मा तथ्म एि फाय ही व्मक्त होता है । इसभें अन्म
ववचायों िा िोई भहत्त्व नहीॊ होता है ।
(2) अनच्
ु छे द िे सबी वाक्म एि-दस
ू ये से गहठत औय सस
ु ॊफद्ध होते है । वाक्म छोटे तथा एि
दस
ू ये से जड
ु े होते हैं।
(3) अनच्
ु छे द एि स्वतन्र औय ऩण
ू ण यचना है , क्जसिा िोई बी वाक्म अनावश्मि नहीॊ होता।
(6) अनच्
ु छे द साभान्मत् छोटा होता है , किन्तु इसिी रघत
ु ा मा ववस्ताय ववषमवस्तु ऩय ननबणय
ियता है ।

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सभम सफसे भल्
ू मवान है

‘सभम’ िी गनत िो ऩहचानने वारा ही सच्चा व्माऩायी है । जो सभम िे अनस


ु ाय चरता है वह
िबी असपर नहीॊ होता है । जो व्मक्क्त सभम िी िीभत ियता है सभम उसिी िीभत ियता है ।
जीवन भें फडे-फडे रक्ष्म सभम िो भहत्त्व दे िय ही प्राप्त होते हैं। सभम फीत जाने ऩय किए गए िामण
िा िोई पर प्राप्त नहीॊ होता है औय ऩश्चाताऩ िे अनतरयक्त िुछ हाथ नहीॊ आता। जो ववद्माथी
सफ
ु ह सभम ऩय उठिय अऩने सबी दै ननि िामण सभम ऩय ियता है तथा सभम ऩय सोता है , वही आगे
चरिय सपर व उन्नत व्मक्क्त फन ऩाता है । जो आरस भें आिय सभम गॉवा दे ता है , उसिा बववष्म
अॊधिायभम हो जाता है । सॊत िवव िफीयदास जी ने बी अऩने दोहे भें िहा है –
”िार ियै सो आज िय, आज ियै सो अफ।
ऩर भें ऩयरै होइगी, फहुरय िये गा िफ।।”
सभम िा एि-एि ऩर फहुत भल् ू मवान है औय फीता हुआ ऩर वाऩस रौटिय नहीॊ आता।
इसलरए सभम िा भहत्व ऩहचानिय प्रत्मेि ववद्माथी िो ननमलभत रूऩ से अध्ममन ियना चाहहए
औय अऩने रक्ष्म िो प्राप्त ियना चाहहए। जो सभम फीत गमा उस ऩय वतणभान सभम भें सोच िय
औय अधधि सभम फफाणद न ियिे आगे अऩने िामण ऩय ववचाय िय-रेना ही फद्
ु धधभानी है ।

अभ्मास का भहत्त्व

भानव जीवन भें िई चुनौनतमाॉ हैं। उन चुनौनतमों ऩय ववजम ऩाने िे लरए सतत अभ्मास िी
जरुयत ऩडती है । इससे िोई बी िामण जल्दी औय आसानी से हो जाता है । महद ननयॊ तय अभ्मास किमा
जाए तो िहठन से िहठन िामण िो ियने भें सग
ु भता होती है । ईश्वय ने सबी भनष्ु मों िो फद्
ु धध दी है ।
उस फद्
ु धध िा इस्तेभार तथा अभ्मास ियिे भनष्ु म िुछ बी सीख सिता है । दनु नमा भें अनेि ऐसे
उदाहयण हैं क्जनसे अभ्मास ियने िी प्रेयणा प्राप्त िी जा सिती है । अजन
ुण तथा एिरव्म ने ननयॊ तय
अभ्मास ियिे धनवु वणद्मा भें ननऩण
ु ता प्राप्त िी। एि भॊदफद्
ु धध फारि वयदयाज ने ननयॊ तय अभ्मास
द्वाया ववद्मा प्राप्त िी औय िई ग्रॊथों िी यचना िी। उन्हीॊ ऩय एि प्रलसद्ध िहावत फनी –
”ियत-ियत अभ्मास िे, जडभनत होत सज
ु ान।
यसयी आवत जात तें, लसर ऩय ऩयत ननसान।।”
जफ यस्सी िी यगड से िठोय ऩत्थय ऩय बी ननशान फन सिता है तो ननयॊ तय अभ्मास से
भख
ू ण व्मक्क्त बी ववद्वान फन सिता है । महद ववद्माथी प्रत्मेि ववषम िा ननयॊ तय अभ्मास ियें , तो
उन्हें िोई बी ववषम िहठन नहीॊ रगेगा औय वे सयरता से उस ववषम भें िुशरता प्राप्त िय सिेंगे।
िई ओरक्म्ऩि खखराडडमों ने अभ्मास िे फर ऩय अऩने दे श िा नाभ योशन किमा है ।

मभत्र के जन्भ ददन का उत्सव

भेये लभर योहहत िा जन्भ-हदन था। उसने अन्म लभरों िे साथ भझ


ु े बी फर
ु ामा। योहहत िे
िुछ रयश्तेदाय बी आए हुए थे , किन्तु अधधितय लभर ही उऩक्स्थत थे। घय िे आॉगन भें ही सभायोह
िा आमोजन किमा गमा था। उस स्थान िो फहुत ही सद ॊु य ढॊ ग से सजामा गमा था। हय जगह
झक्डडमाॉ औय गब्ु फाये थे। आॉगन भें रगे एि ऩेड ऩय यॊ ग-बफयॊ गे फल्फ जगभग िय यहे थे। जफ भैं

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ऩहुॉचा तो भेहभान आने शरू
ु ही हुए थे। भेहभान योहहत िे लरए िोई-न-िोई उऩहाय रेिय आते , उसिे
ननिट जािय फधाई दे ते औय योहहत उनिा धन्मवाद ियता। क्रभश् रोग छोटी-छोटी टोलरमों भें
फैठिय गऩशऩ ियने रगे। सॊगीत िी भधयु ध्वननमाॉ गॉज
ू यही थी। एि-दो लभर उठिय नत्ृ म ियने
रगे। िुछ लभर तालरमों फजा िय अऩना मोगदान दे ने रगे। चायों ओय उल्रास िा वातावयण था।
यात िे आठ फजे िे रगबग िेि िाटा गमा। सफ लभरों ने तालरमाॉ फजाई औय लभरिय
जन्भहदन िी फधाई िा गीत गामा। भाॉ ने योहहत िो िेि खखरामा। अन्म रोगों ने बी िेि खामा।
कपय सबी खाना खाने रगे। खाने भें अनेि प्रिाय िी लभठाइमाॉ औय नभिीन थे। तफ हभने योहहत
िो एि फाय कपय फधाई दी , उसिी दीघाणमु िी िाभना िी औय अऩने-अऩने घय िो चर हदए। वह
िामणक्रभ इतना अच्छा था कि अफ बी स्भयण हो आता है ।

वन औय ऩमाावयण का सम्फन्ध

वन औय ऩमाणवयण िा फहुत गहया सम्फन्ध है । वन हैं तो हभ हैं। प्रिृनत िे सॊतर


ु न िो
फनामे यखने िे लरए ऩथ्
ृ वी िे 33% बाग िो अवश्म हया-बया होना चाहहए। वन जीवनदामि हैं। मे
वषाण ियाने भें सहामि होते हैं। धयती िी उऩजाऊ शक्क्त िो फढ़ाते हैं। वनों से बलू भ िा िटाव योिा
जा सिता है । वनों से ये धगस्तान िा पैराव रुिता है , सख
ू ा िभ ऩडता है । इससे ध्वनन प्रदष
ू ण िी
बमॊिय सभस्मा से बी िापी हद ति ननमॊरण ऩामा जा सिता है । वन ही नहदमों , झयनों औय अन्म
प्रािृनति जर स्रोतों िे बडडाय हैं। वनों से हभें रिडी, पर, पूर, खाद्म ऩदाथण, गोंद तथा अन्म साभान
प्राप्त होते हैं। आज बायत भें दब
ु ाणग्म से िेवर 23 % वन फचे हैं। जैस-े जैसे उद्मोगों िी सॊख्मा फढ़
यही है , शहयीियण हो यहा है , वाहनों िी सॊख्मा फढ़ती जा यही है , वैस-े वैसे वनों िा िटाव फढ़ता जा
यहा है । वनों िा सॊयऺण सफसे भहत्वऩण
ू ण िाभ है । इसभें हय व्मक्क्त िो अऩनी क्जम्भेदायी सभझनी
ऩडेगी औय अऩना मोगदान दे ना होगा। अऩने घय-भोहल्रे , नगय भें अत्मधधि सॊख्मा भें वऺ
ृ ायोऩण िो
फढ़ािय इसिो एि आॊदोरन िे रूऩ भें आगे फढ़ाना होगा। तबी हभ अऩने ऩमाणवयण िो स्वच्छ यख
ऩाएॉगे।

कॊप्मट
ू य एक जादईु पऩटाया

आज िा मग
ु ववऻान िा मग
ु है । वतणभान सभम भें ववऻान ने हभें िम्प्मट
ू य िे रूऩ भें एि
अनभोर उऩहाय हदमा है । आज जीवन िे हय ऺेर भें िॊप्मट
ू य िा उऩमोग हो यहा है । जो िाभ भनष्ु म
द्वाया ऩहरे फडी िहठनाई िे साथ किमा जाता था , आज वही िाभ िॊप्मट
ू य द्वाया फडे ही आयाभ से
किमा जा यहा है । िॊप्मटू य िा उऩमोग हदनोंहदन फढ़ता जा यहा है । िॊप्मट ू य ने दनु नमा िो फहुत छोटा
िय हदमा है । इॊटयनेट द्वाया गगू र , माहू एवॊ बफॊग आहद वेफसाइट ऩय दनु नमाबय िी जानिायी घय फैठे
ही प्राप्त िी जा सिती है । इॊटयनेट ऩय ई-भेर िे द्वाया ववश्व भें किसी बी जगह फैठे व्मक्क्त से
सॊऩिण किमा जा सिता है । इसिे लरए िेवर ई-भेर अिाउॊ ट औय ऩासवडण िा होना आवश्मि होता
है । िॊप्मट
ू य भनोयॊ जन िा बी भहत्वऩण
ू ण साधन है । इस ऩय अनेि खेर बी खेरे जा सिते हैं। िुर
लभरिय िहें तो िॊप्मट
ू य ने भानव जीवन िो फहुत सयर फना हदमा है । िॊप्मट
ू य सचभच
ु एि जादईु
वऩटाया है ।

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ग्रोफर वामभिंग

ग्रोफर वालभिंग शब्द ऩथ्


ृ वी िे ताऩभान भें होने वारी वद्
ृ धध िो दशाणता है । मह एि ऐसी
सभस्मा है क्जस ऩय अगय िाफू नहीॊ किमा गमा तो मह ऩयू ी ऩथ्
ृ वी िो ही नष्ट िय दे गा। सीएपसी-
11 औय सीएपसी-12 जैसी ग्रीन हाउस गैसों ने सयू ज िे थभणर ववकियण िो अवशोवषत ियिे ऩथ्
ृ वी िे
वातावयण िो गभण फना हदमा। मे गैसें सम
ू ण िी कियणों िो वामभ
ु ड
ॊ र भें प्रवेश तो ियने दे ती हैं , रेकिन
उससे होने वारे ववकियण िो वामभ
ु ड
ॊ र से फाहय नहीॊ जाने दे ती हैं। इसी िो ग्रीनहाउस प्रबाव िहा
जाता है , जो ऩयू े ववश्व भें ताऩभान भें वद्
ृ धध िे लरए क्जम्भेदाय है । ताऩभान भें वद्
ृ धध से वषाण चक्र ,
ऩारयक्स्थनति सॊतर
ु न, भौसभ िा चक्र आहद प्रबाववत होते हैं। मह वनस्ऩनत औय िृवष िो बी प्रबाववत
ियता है । क्जसिे िायण हभें दनु नमा बय भें रगाताय फाढ़ औय सख
ू े जैसी ऩरयक्स्थनतमों िा साभना
ियना ऩडता है । ताऩभान भें वद्
ृ धध औय ग्रेलशमयों िे वऩघरने िे िायण फर्फणफायी जैसी घटनाओॊ भें
बी िभी आमी है । ताऩभान भें वद्ृ धध से आद्रता भें बी वद्
ृ धध हुई है क्मोंकि ताऩभान भें वद्
ृ धध से
वाष्ऩीियण िी दय भें वद्
ृ धध हुई है । स्थानीम सयिायों िो चाहहए िी वह रोगों िे फीच जागरूिता
ऩैदा िये तथा ऐसे उऩियणों औय वाहनों िी बफक्री िो प्रोत्साहहत िये जो ऩमाणवयण िे अनि
ु ू र हो।
ऩेऩय, प्राक्स्टि औय अन्म साभधग्रमों िी यीसाइक्क्रॊग िो प्रोत्साहहत ियना चाहहए। ऐसे प्रमासों िो
रोगों द्वाया जभीनी स्तय ऩय ियना अत्मॊत आवश्मि है , तबी हभ एि प्रबावी तयीिे से इस बमानि
सभस्मा िा भि
ु ाफरा िय सिते हैं।
ऩर-रेखन

ऩत्र का भहत्त्व : दै ननि व्मवहाय भें ऩर -रेखन अनत भहत्त्वऩण


ू ण है । ऩर सच
ू नाओॊ िे आदान-प्रदान िा
एि सशक्त भाध्मभ है । दो मा दो से अधधि व्मक्क्तमों िे फीच सच
ू ना बेजने एवॊ प्राप्त ियने भें ऩर
िी भहत्त्वऩण
ू ण बलू भिा होती है । ऩर सदै व लरखखत रूऩ भें ही होता है ।
ऩत्र के अॊग :
आयॊ ब- (1) सॊफोधन (2) अलबवादन (3) ववषम ननरुऩण
भध्म- (4) ववषम ववस्ताय (5) ननवेदन
सभाऩन- (6) धन्मवाद ऻाऩन (7) प्रेषि िा नाभ, ऩता व हदनाॊि
ऩत्र के प्रकाय :
(1) औऩचारयक ऩत्र – जो ऩर अधधिारयमों, िामाणरम िे प्रभख
ु ों, सॊस्था िे प्रधानों तथा किसी
प्रनतष्ठान िे सॊचारिों िो आवश्मिता ऩढ़ने ऩय लरखे जाते हैं, वे औऩचारयि ऩर िहराते हैं।
इन ऩरों भें िामाणरमी, लशिामती, सॊऩादिीम औय व्मावसानमि ऩर शालभर होते हैं।
(2) अनौऩचारयक ऩत्र - जो ऩर सगे सॊफधॊ धमों, रयश्तेदायों, ऩारयवारयि रोगों एवॊ लभरों िो मथावसय
लरखे जाते हैं, वे अनौऩचारयि ऩर िहराते हैं।
इन ऩरों भें व्मक्क्तगत (ननजी), ऩारयवारयि औय साभाक्जि ऩर शालभर होते हैं।

औऩचारयक ऩत्र का उदाहयण

अऩने पवद्मारम के प्राचामा को सॊध्माकारीन खेर की उचचत व्मवस्था के मरए ऩत्र मरखखए।

42
सेवा भें

श्रीभान प्राचामण
िेन्द्रीम ववद्मारम क्र.-1,
सेक्टय 31 डी, चॊडीगढ़।

ववषम : ववद्मारम भें सॊध्माकारीन खेरों की उचचत व्मवस्था के सॊफॊध भें ।

भहोदम,
आऩसे सववनम ननवेदन है कि भैं योहहत िुभाय इस ववद्मारम भें अध्ममनयत िऺा
दसवीॊ िा छार हूॉ। इस ववद्मारम िे िई छार औय छाराएॉ सॊिुर एवॊ याज्म स्तयीम
प्रनतमोधगताओॊ भें ववद्मारम िा प्रनतननधधत्व िय चि
ु े हैं । अफ वे सबी याष्रीम स्तय िी
प्रनतमोधगताओॊ भें हहस्सा रेना चाहते हैं किन्तु ववद्मारम भें शाभ िो अभ्मास ियने औय
खेरने िी िोई उधचत व्मवस्था नहीॊ है । िुछ छार-छाराएॉ कक्रिेट, हॉिी, खो-खो, फास्िेटफॉर,
वॉरीफॉर आहद खेरों भें बाग रेना चाहते हैं जफकि िुछ छारों िी अलबरुधच एथरेहटक्स रॊफी
दौड, ऊॊची दौड, फाधा दौड इत्माहद भें है । भेया ववश्वास है कि िुशर प्रलशऺि औय खेरों िी
सभुधचत व्मवस्था लभरने से फच्चे ववद्मारम िा गौयव फढ़ा सिते हैं ।
अत: आऩसे आग्रह है कि ववद्मारम भें सॊध्मािारीन खेरों िी उधचत व्मवस्था ियाने
िी भहती िृऩा ियें । उक्त भहत्त्वऩूणण िामण िे लरए भैं आऩिा सदै व आबायी यहूॉगा ।
धन्मवाद सहहत।

हदनाॊि 15.11.2021
स्थान-चॊडीगढ़
आऩिा ववश्वासी

योहहत िुभाय
िऺा दसवीॊ

अनौऩचारयक ऩत्र का उदाहयण

ऩयीऺा भें प्रथभ स्थान प्राप्त कयने ऩय अऩने मभत्र को फधाई ऩत्र मरखखए।

हदनाॊि 15.11.2021
3/15 शास्री नगय,
ियनार (हरयमाणा)

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वप्रम लभर बयत,
नभस्ते।

ईश्वय िी असीभ अनुिॊऩा से भैं महाॉ ऩय सिुशर हूॉ औय तुम्हाये िुशर होने िी
िाभना ियता हूॉ। भैंने िर शाभ िो तुम्हाये वऩताजी िो पोन किमा तो उनसे ऻात हुआ कि
तुभने दसवीॊ फोडण िी ऩयीऺा भें आगया भॊडर भें प्रथभ स्थान प्राप्त किमा है । मह सभाचाय
सन
ु िय भेया भन खश
ु ी से बय गमा। दसवीॊ फोडण िी ऩयीऺा भें औय आगया भॊडर भें प्रथभ
स्थान आने ऩय तम् ु हें फहुत फहुत फधाई। भझ
ु े ऩण
ू ण ववश्वास था कि तभ
ु ऩयीऺा भें प्रथभ श्रेणी
से जरुय उत्तीणण हो गे रेकिन आगया भॊडर भें बी प्रथभ स्थान प्राप्त ियोगे मह उम्भीद से
फढ़िय है औय फहुत ही अच्छा है । तम् ु हायी भेहनत औय ननमलभत अध्ममन ने ही तम् ु हें इस
सपरता ति ऩहुॊचामा है । भझ
ु े ऩयू ा ववश्वास है कि इससे आगे बी तम्
ु हायी भेहनत यॊ ग राएगी
औय तभ
ु भेये अनभ
ु ान िो सच साबफत ियोगे। तभ
ु ने प्रथभ स्थान प्राप्त िय मह लसद्ध िय
हदमा कि दृढ़ सॊिल्ऩ औय िहठन ऩरयश्रभ से जीवन भें िोई बी सपरता प्राप्त िी जा सिती
है ।
भैं सदा मही िाभना िरूॊगा कि तुम्हें जीवन भें हय ऩयीऺा भें प्रथभ आने िा सौबाग्म
प्राप्त हो औय तुभ इसी प्रिाय ऩरयवाय औय ववद्मारम िा गौयव फढ़ाते यहो। इतना ही नहीॊ
तुभ ऩढ़-लरखिय अच्छी नौियी प्राप्त ियो औय दे श िी सेवा ियते हुए अच्छा जीवन व्मतीत
ियो। दसवीॊ ऩयीऺा औय आगया भॊडर भें प्रथभ स्थान प्राप्त ियने ऩय एि फाय ऩुन: तुम्हें
हाहदण ि फधाई औय शुबिाभनाएॉ।

तुम्हाया लभर
ऩवन

ववऻाऩन-रेखन

पवऻाऩन का भहत्त्व : वतणभान दौय भें उत्ऩादों िी बफक्री फढ़ाने एवॊ उनिे उऩबोग ऩय बयऩयू जोय हदमा
जा यहा है । एि ओय उत्ऩादि अऩनी वस्तओ
ु ॊ िी बफक्री ियिे अधधिाधधि राब िभाना चाहते हैं तो
दस
ू यी ओय उऩबोक्ता उनिा प्रमोग िय सख
ु एवॊ सॊतक्ु ष्ट ऩाना चाहते हैं । उऩबोक्ताओॊ िी इसी प्रववृ त्त
िा पामदा उठाने िे लरए उत्ऩादि तयह-तयह िे साधनों िा सहाया रेते हैं। आज वस्तओ
ु ॊ िी बफक्री
फढ़ाने िा प्रभख
ु हधथमाय ववऻाऩन है ।
पवऻाऩन का अथा : ववऻाऩन शब्द ‘ऻाऩन’ भें ‘वव’ उऩसगण रगाने से फना है, क्जसिा अथण है - ववशेष
जानिायी दे ना। मह जानिायी उत्ऩाहदत वस्तओ
ु ॊ एवॊ सेवाओॊ आहद से जुडी होती है । ववऻाऩन भें वस्तु
िे गण
ु ों िो फढ़ा-चढ़ािय प्रस्तत
ु किमा जाता है, क्जससे उऩबोक्ता रारानमत हों औय इन्हें खयीदने िे
लरए वववश हो जाएॉ। ववऻाऩन िे िायण उत्ऩादिों िो अऩनी वस्तओ
ु ॊ िे अच्छे दाभ लभर जाते हैं तो
उऩबोक्ता िो वस्तओ
ु ॊ िी जानिायी, तर
ु नात्भि दाभ एवॊ चमन िा वविल्ऩ लभर जाता है । आजिर

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टी.वी., ये डडमो िे िामणक्रभ, सभाचाय-ऩर, ऩबरिाएॉ एवॊ बवनों िी दीवायें ववऻाऩनों से यॊ गी हदखाई ऩडती
हैं।
पवऻाऩन रेखन का तयीका :
1. एि फाक्स-सा फनािय ऊऩय भध्म भें ववऻावऩत वस्तु िा नाभ भोटे अऺयों भें लरखना चाहहए।
2. दामें व फामें किनायों ऩय सेर धभािा, खुशखफयी, भहाफचत जैसे रब
ु ावने शब्दों िो लरखना
चाहहए।
3. फाईं ओय भध्म भें ववऻावऩत वस्तु िे गण
ु ों िा उल्रेख ियना चाहहए।
4. दाहहनी ओय मा भध्म भें वस्तु िा फडा-सा धचर दे ना चाहहए।
5. स्टॉि सीलभत मा जल्दी ियें जैसे प्रेयि शब्दों िा प्रमोग किसी डडजाइन भें होना चाहहए।
6. भफ़्
ु त लभरने वारे साभानों मा छूट िा उल्रेख अवश्म किमा जाना चाहहए।
7. ऊऩय ही जगह दे खिय िोई छोटी-सी ति
ु फॊदी, क्जससे ऩढ़ने वारा आिवषणत हो जाए।
8. सॊऩिण ियें मा पोन नॊ. िा उल्रेख ियें । जैसे- 011-23456789 आहद। ननजी पोन नॊ. दे ने से
फचना चाहहए।
पवऻाऩन रेखन का उदाहयण

‘वाणी ऩुस्ति सदन’ ऩुस्ति िी बफक्री फढ़ाने हे तु ववऻाऩन तैमाय ियवाना चाहता है । आऩ
उसिे लरए एि ववऻाऩन तैमाय िीक्जए।

भहाफचत िा भौिा भहाफचत िा भौिा


वाणी ऩस्
ु ति सदन

एनसीईआयटी िी ऩस्
ु तिें 10 िॉवऩमों िे साथ

बी उऩरब्ध हैं 2 बफरिुर फ्री

खयीद के साथ एक उऩहाय जल्दी कयें आपय


बफरकुर भफ्
ु त सीमभत अवचध के मरए

‘लभरन लभल्ि प्रोडक्ट’ अऩनी बफक्री फढ़ाने िे लरए एि ववऻाऩन तैमाय ियवाना चाहते हैं। इस सॊफध

भें आऩ उनिे लरए ववऻाऩन रेखन िीक्जए।

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लभरन लभल्ि प्रोडक्ट

हभाये महाॉ शुद्ध दे शी 500/- रु. से अचधक


घी, दध
ू , भक्खन औय की खयीद ऩय 250
ऩनीय उचचत ये ट ऩय ग्राभ ऩनीय ऩाएॉ
मभरता है । बफरकुर भुफ्त।

खाएॉ औय खखराएॉ, अऩनी सेहत फनाएॉ


मसपा मभरन मभल्क प्रोडक्ट से

सॊदेश रेखन

सॊदेश का भहत्व : सॊदेश िे भाध्मभ से सभाज िे रोग आऩस भें जुडते हैं । वे अऩनी बावनाओॊ
िो एि दस
ू ये से साझा ियते हैं। सभाज िो जागरूि फनाने भें सॊदेश िी भहत्वऩूणण बूलभिा होती
है । किसी बावना, ववचाय अथवा तथ्म िो सभझने िे लरए सॊदेश िी बलू भिा अनत भहत्वऩूणण है ।
िामाणरमों िी िामण-सॊस्िृनत िो जानने भेंसॊदेश फहुत उऩमोगी होते हैं । सख
ु -द्ु ख, ऩवण-त्मौहाय
तथा नववषण इत्माहद िे भौिे ऩय सॊदेश सॊजीवनी िी तयह िाभ ियते हुए उभॊग-ऊजाण िा सॊचाय
ियते हैं। सॊदेशों िा उऩमोग आभॊरण िे लरए बी किमा जाता है ।

सॊदेश की आवश्मकता : जफ िोई व्मक्क्त किसी िायणवश किसी दस


ू ये व्मक्क्त से सीधे फात
नहीॊ िय ऩाता है तफ वह अऩनी फात, सूचना मा खफय उस दस
ू ये व्मक्क्त ति अन्म भाध्मभों
से ऩहुॉचाता है , क्जसे सॊदेश िहा जाता है । किसी व्मक्क्त मा सभूह िा सॊदेश अन्म भाध्मभों
से किसी दस
ू ये व्मक्क्त मा सभूह िो बेजा जाता है ।
सॊदेश की प्रकृतत : सॊदेश लरखखत, भौखखि मा दोनों रूऩों भें हो सिते हैं। मे सुखद औय दख
ु द
दोनों तयह िे होते हैं। िोई बी सॊदेश व्मक्क्तगत मा साभूहहि हो सिता है । सॊदेश बूतिार,
वतणभान िार व बववष्म िार भें लरखे जा सिते हैं। इसी तयह सॊदेश औऩचारयि औय
अनौऩचारयि दोनों तयह िे हो सिते हैं।
औऩचारयक सॊदेश : जो सॊदेश सयिायी िामाणरम िे किसी अधधिायी मा िभणचायी, सॊस्था मा
ननगभ िे िामणिताण तथा नेता मा अलबनेता द्वाया आभ जनभानस भें जागरूिता र्फैराने एवॊ
उन्हें प्रबाववत ियने िे लरए सावणजननि रूऩ से लरखे जा सिते हैं, उन्हें औऩचारयि सॊदेश
िहते हैं।

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अनौऩचारयक सॊदेश : जो सॊदेश किसी व्मक्क्त द्वाया अऩने ऩरयजनों, लभरगणों, ियीफी
रयश्तेदायों मा घय िे सदस्मों िो सुख-द्ु ख िे भौिे ऩय लरखे जाते हैं, उन्हें अनौऩचारयि
सॊदेश िहते हैं।
आजिर व्हाट्सएऩ, एसएभएस, ई-भेर, पेसफुि, तथा ट्ववटय जैसे अनेि सोशर भीडडमा
प्रेटपॉभण उऩरब्ध हैं क्जनिे जरयए सॊदेश बेजा जाता है ।
सॊदेश के प्रकाय : सॊदेश िे ननम्नलरखखत प्रिाय हैं -
(1) शुबकाभना सॊदेश
जो सॊदेश भुख्म रूऩ से किसी व्मक्क्त िे जन्भहदन, सारधगयह, ऩयीऺा भें सपरता प्राप्त ियने,
ऩदोन्ननत होने तथा ऩवण-त्मौहाय िे अवसय ऩय बेजे जाते हैं, उन सॊदेशों िो शुबिाभना सॊदेश
िहा जाता है ।
(2) शोक सॊदेश
जो सॊदेश किसी व्मक्क्त िी भत्ृ मु, ऩुडमनतधथ मा दख
ु द घटना ऩय रोगों िे फीच एि-दस
ू ये िो
िो बेजे जाते हैं, उन्हें शोि सॊदेश िहते हैं।
(3) व्मक्क्तगत सॊदेश
जो सॊदेश ननजी तौय ऩय लसपण अऩने नजदीिी ऩरयजनों, लभरों िो फधाई, शुबिाभना, िहीॊ
आने-जाने मा शालभर होने िा सॊदेश बेजा जाता है , उसे व्मक्क्तगत सॊदेश िहा जाता है ।
(4) साभाक्जक सॊदेश
धालभणि मा साभाक्जि िामणक्रभों से जुडे आमोजनों िे सॊदबण भें हदए जाने वारे सॊदेश िो
साभाक्जि सॊदेश िहा जाता है । जैसे ‘ऩमाणवयण हदवस’ ऩय सॊदेश, ‘जर फचाओ’ सॊदेश, ‘फेटी
फचाओ फेटी ऩढ़ाओ’ इस तयह िे सॊदेश सवाणधधि भहत्वऩण
ू ण होते हैं।
(5) मभचित सॊदेश
लभधश्रत सॊदेश भें तात्िालरि सभम भें चर यही ववववध आऩदाओॊ से फचाव व सयु ऺा तथा
जनचेतना र्फैराने िे ववषम शालभर होते हैं । जैस-े िोयोना भहाभायी, डेंगू, भरेरयमा, फाढ़,
बि
ू ॊ ऩ, किसान आन्दोरन आहद से सॊफॊधधत सॊदेश।
सॊदेश रेखन का तयीका :
1. सफसे ऩहरे सॊदेश िो किसी सीभा ये खा जैसे फॉक्स मा गोरे िे अॊदय लरखा जाना चाहहए।
2. शीषणि िे रूऩ भें ‘सॊदेश’ शब्द अवश्म लरखें । उसिे फाद हदनाॊि व सभम अवश्म लरखें ।
3. भख्
ु म ववषम िो सॊक्षऺप्त रूऩ से प्रबावशारी शब्दों भें वणणन ियें ।
4. सॊदेश लरखने वारे िा नाभ अॊत भें लरखें ।
5. सॊदेश रेखन 30 से 40 शब्दों भें होना चाहहए।
6. ववषमानस
ु ाय धचरों िा उऩमोग किमा जा सिता है ।
7. शामयी, दोहे, श्रोि मा िववता िी ऩॊक्क्तमों िा प्रमोग िय सिते हैं।
8. सॊदेश भें यचनात्भिता औय सज
ृ नात्भिता होनी चाहहए।
9. ववषम िे अनस
ु ाय यॊ गों िा बी प्रमोग किमा जा सिता है ।
सॊदेश रेखन िा प्रारूऩ
(1) औऩचारयक सॊदेश रेखन का प्रारूऩ

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सॊदेश
ददनाॊक : …….
सभम : ……
पवषम (क्जस ववषम हे तु सॊदेश दे यहे हैं, लरखें )
…………………………………………………………….
…………………………………………………………….
अऩना नाभ

(2) अनौऩचारयक सॊदेश रेखन का प्रारूऩ


सॊदेश
ददनाॊक : …….
सभम : ……
पवषम (क्जस ववषम हे तु सन्दे श दे यहे हैं, लरखें )
…………………………………………………………….
…………………………………………………………….
अऩना नाभ

सॊदेश रेखन के उदाहयण


दीऩावरी ऩवा के शब
ु अवसय ऩय एक सॊदेश मरखखए।

शब
ु काभना सॊदेश
ददनाॊक : 16.11.2021
सभम : अऩयाह्न 5.00 फजे

आऩका जीवन खमु शमों के दीऩ से सदा जगभगाता यहे । आऩके


घय भें सख
ु -सौबाग्म की दे वी रक्ष्भीजी का सदा तनवास कयें ।
दीऩावरी के ऩावन ऩवा ऩय आऩ सबी को हाददा क शब
ु काभनाएॉ।
सौयब

अऩने मभत्र के जन्भददन के अवसय ऩय एक फधाई सॊदेश मरखखए।

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फधाई सॊदेश
ददनाॊक : 16.11.2021
सभम : ऩव
ू ााह्न 8.00 फजे

पप्रम मभत्र आशीष, ईश्वय तम्


ु हें दीघाामु फनामे औय तम्
ु हाया जीवन
सख
ु -सभद्
ृ चध औय अच्छे स्वास््म से ऩरयऩण
ू ा यहे । तभ
ु हभेशा
अऩने जीवन सपर यहो। तम्
ु हें जन्भददन की फहुत-फहुत फधाई।
गणेश याज

उदाहयण – 1
स्वतॊत्रता ददवस ऩय दे शवामसमों के मरए एक सॊदेश।

उदाहयण – 2
जन्भ ददवस ऩय शुबकाभना सॊदेश।

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उदाहयण – 3
शोक सॊदेश का उदाहयण

उदाहयण – 4
दीऩावरी ऩय शुबकाभना सॊदेश।

उदाहयण – 5
भाॉ को एक सॊदेश मरखें।

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