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कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन

मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोस्तवकर्मणि

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।

मा कर्मफलहे तुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।2.47।।

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।


मा कर्मफलहे तुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ॥

कर्मण्येवाधिकारस्ते, मा फलेषु कदाचन ।

मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि ।। 

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