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प्रश्न :
वैश्वीकरण ने भारतीय समाज को किस सीमा तक सकारात्मक रूप से प्रभावित किया, चर्चा करें।
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• भूमिका
• निष्कर्ष
वैश्वीकरण एक सतत् चलने वाली प्रक्रिया है जिसमें दुनिया के सभी देश एक-दूसरे से आर्थिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक रूप से जुड़े हुए हैं। इस
प्रक्रिया में सभी संभव स्तरों पर वैश्विक संचार बढ़ता है तथा विश्व में एकरूपता और क्षेत्रीयता दोनों की प्रवृत्ति बढ़ती है। इस प्रक्रिया में कुछ
सकारात्मक और कुछ नकारात्मक प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों में पडते हैं।
वैश्वीकरण के भारतीय समाज पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभावों को निम्नलिखित बिंदुओं के अंतर्गत समझा जा सकता है-
वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप भारतीय समाज ने पश्चिमी समाज तथा संस्कृतियों के कुछ बातों को आत्मसात् किया है, जैसे- महिलाओं की
स्वतंत्रता हेतु पहल, रूढ़िवादी तत्त्वों का विरोध।
शिक्षा की अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुँच सुनिश्चित हुई है।
शहरीकरण, जनजागरूकता, संसाधनों की पहुँच में वृद्धि हुई है।
हमारे खान-पान, रहन-सहन तथा पहनावे में विविधता आई है, वैश्वीकरण ने हमारे सामने विकल्पों की उपलब्धता को बढ़ावा दिया है।
भारतीय समाज में आधुनिकतम तकनीकों का आगमन हुआ। लेपटॉप, एयर कंडीशनर, आदि आज आम बात हो गई है।
वैश्वीकरण के फलस्वरूप भारतीय समाज में मध्यम वर्ग का उदय हुआ।
इसके अलावा डिजिटल लेन-देन, सोशल मीडिया, ई-कॉमर्स आदि कई क्षेत्रों में प्रगति हुई है। हालाँकि वैश्वीकरण का समाज पर पड़ने वाले प्रभाव की
भी सीमाएँ हैं, जैसे- शिक्षा बाजार केंद्रित हो गई है और आज पढ़ाई का उद्देश्य मात्र पैसे कमाने तक सीमित रह गया है।
लोक कल्याणकारी राज्य की जगह बाज़ार, आर्थिक तथा सामाजिक प्राथमिकताओं के प्रमुख निर्धारक हो गए हैं।
वैश्वीकरण ने सांस्कृतिक समरूपता की दिशा में कार्य किया है जिसकी वजह से स्थानीय संस्कृतियों को खतरा पहुँचा है।
निष्कर्षत: वैश्वीकरण ने समाज को कई सकारात्मक आयामों से सुसज्जित करने में मदद की है, किंतु इसकी कुछ सीमाएँ भी रही है।
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