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पाठ 16- नौबतखाने में इबादत


पृष्ठ संख्या: 122

प्रश्न अभ्यास

1. शहनाई की दनु नया में डुमरााँव को क्यों याद नकया जाता है?

उत्तर

मशहूर शहनाई वादक "निनममल्ला खााँ" का जन्म डुमरााँव गााँव में ही हुआ था। इसके अलावा शहनाई िजाने के नलए रीड का
प्रयोग होता है। रीड अंदर से पोली होती है, नजसके सहारे शहनाई को फाँ का जाता है। रीड, नरकट से िनाई जाती है जो डुमरााँव में
मख्ु यत: सोन नदी के नकनारे पाई जाती है। इसी कारण शहनाई की दनु नया में डुमरााँव का महत्त्व है।

2. निनममल्ला खााँ को शहनाई की मगं लध्वनन का नायक क्यों कहा गया है?

उत्तर

शहनाई ऐसा वाद्य है नजसे मांगनलक अवसरों पर ही िजाया जाता है। उमताद निनममल्ला खााँ शहनाई वादन के क्षेत्र में अनितीय
मथान रखते हैं। इन्हीं कारणों के वजह से निनममल्ला खााँ को शहनाई की मंगलध्वनन का नायक क्यों कहा गया है।

3. सनु िर-वाद्यों से क्या अनिप्राय है? शहनाई को 'सनु िर वाद्यों में शाह' की उपानि क्यों दी गई होगी?

उत्तर

सनु िर-वाद्यों से अनिप्राय है फाँ ककर िजाये जाने वाले वाद्ध।


शहनाई एक अत्यंत मिरु मवर उत्पन्न करने वाला वाद्ध है। फाँ ककर िजाए जाने वाले वाद्धों में कोई िी वाद्ध ऐसा नहीं है नजसके
मवर में इतनी मिरु ता हो। शहनाई में सममत राग-रानगननयों को आकिषक सरु ों में िााँिा जा सकता है। इसनलए शहनाई की तल ु ना में
अन्य कोई सनु िर-वाद्य नहीं नटकता और शहनाई को 'सनु िर-वाद्यों के शाह' की उपानि दी गयी होगी।

4. आशय मपष्ट कीनजए -

(क) 'फटा सरु न िख्शें। लंनु गया का क्या है, आज फटी है, तो कल सी जाएगी।

उत्तर

यहााँ निनममल्ला खााँ ने सरु तथा कपडे (िन-दौलत) से तल


ु ना करते हुए सरु को अनिक मल्यवान िताया है। क्योंनक कपडा यनद
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एक िार फट जाए तो दिु ारा नसल देने से ठीक हो सकता है। परन्तु नकसी का फटा हुआ सरु किी ठीक नहीं हो सकता है। और
उनकी पहचान सरु ों से ही थी इसनलए वह यह प्राथषना करते हैं नक ईश्वर उन्हें अच्छा कपडा अथाषत् िन-दौलत दें या न दें लेनकन
अच्छा सरु अवश्य दें।

(ख) 'मेरे मानलक सरु िख्श दे। सरु में वह तासीर पैदा कर नक आाँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आाँस ननकल आएाँ।'

उत्तर

निनममल्ला खााँ पााँचों वक्त नमाज़ के िाद खदु ा से सच्चा सरु पाने की प्राथषना करते थे। वे खदु ा से कहते थे नक उन्हें इतना
प्रिावशाली सच्चा सरु दें और उनके सरु ों में नदल को छने वाली ताकत िख्शे उनके शहनाई के मवर आत्मा तक प्रवेश करें और
उसे सनु ने वालों की आाँखों से सच्चे मोती की तरह आाँस ननकल जाए। यही उनके सरु की कामयािी होगी।

5. काशी में हो रहे कौन-से पररवतषन निनममल्ला खााँ को व्यनथत करते थे?

उत्तर

काशी से िहुत सी परंपराएाँ लप्तु हो गई है। सगं ीत, सानहत्य और अदि की परंपर में िीरे -िीरे कमी आ गई है। अि काशी से िमष
की प्रनतष्ठा िी लप्तु होती जा रही है। वहााँ नहदं ु और मसु लमानों में पहले जैसा िाईचारा नहीं है। पहले काशी खानपान की चीज़ों के
नलए नवख्यात हुआ करता था। परन्तु अि उनमें पररवतषन हुए हैं। काशी की इन सिी लप्तु होती परंपराओ ं के कारण निनममल्ला खााँ
द:ु खी थे।

6. पाठ में आए नकन प्रसंगों के आिार पर आप कह सकते हैं नक -


(क) निनममल्ला खााँ नमली-जल ु ी संमकृ नत के प्रतीक थे।
(ख) वे वामतनवक अथों में एक सच्चे इनसान थे।

उत्तर

(क) निनममल्ला खााँ नमली जल ु ी संमकृ नत के प्रतीक थे। उनका िमष मनु मलम था। मनु मलम िमष के प्रनत उनकी सच्ची आमथा थी
परन्तु वे नहदं ु िमष का िी सम्मान करते थे। महु रष म के महीने में आठवी तारीख के नदन खााँ साहि खडे होकर शहनाई िजाते थे व
दालमंडी मे फातमान के करीि आठ नकलोमीटर की दरी तक पैदल रोते हुए, नौहा िजाते जाते थे।
इसी तरह इनकी श्रद्धा काशी नवश्वनाथ जी के प्रनत िी अपार है। वे जि िी काशी से िाहर रहते थे। ति नवश्वनाथ व िालाजी मंनदर
की नदशा की ओर माँहु करके िैठते थे और उसी ओर शहनाई िजाते थे। वे अक्सर कहा करते थे नक काशी छोडकर कहााँ जाए,
गगं ा मइया यहााँ, िािा नवश्वनाथ यहााँ, िालाजी का मनं दर यहााँ। मरते दम तक न यह शहनाई छटेगी न काशी।

(ख) निनममल्ला खााँ एक सच्चे इसं ान थे। वे िमों से अनिक मानवता को महत्व देते थे, नहदं ु तथा मनु मलम िमष दोनों का ही
सम्मान करते थे, िारत रत्न से सम्माननत होने पर िी उनमें घमंड नहीं था, दौलत से अनिक सरु उनके नलए ज़रुरी था।
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7. निनममल्ला खााँ के जीवन से जडु ी उन घटनाओ ं और व्यनक्तयों का उल्लेख करें नजन्होंने उनकी संगीत सािना को समृद्ध नकया?

उत्तर

निनममल्ला खााँ के जीवन में कुछ ऐसे व्यनक्त और कुछ ऐसी घटनाएाँ थीं नजन्होंने उनकी संगीत सािना को प्रेररत नकया।
1. िालाजी मंनदर तक जाने का रामता रसलनिाई और ितलनिाई के यहााँ से होकर जाता था। इस रामते से किी ठुमरी, किी
टप्पे, किी दादरा की आवाज़ें आती थी। इन्हीं गानयका िनहनों को सनु कर उनके मन में संगीत की ललक जागी।
2. निनममल्ला खााँ जि नसर्फष चार साल के थे ति छुपकर अपने नाना को शहनाई िजाते हुए सनु ते थे। ररयाज़ के िाद जि उनके
नाना उठकर चले जाते थे ति अपनी नाना वाली शहनाई ढाँढते थे और उन्हीं की तरह शहनाई िजाना चाहते थे।
3. मामजान अलीिख्श जि शहनाई िजाते-िजाते सम पर आ जाते तो निनममल्ला खााँ िड से एक पत्थर ज़मीन में मारा करते थे।
इस प्रकार उन्होंने संगीत में दाद देना सीखा।
4. निनममल्ला खााँ कुलसमु की कचौडी तलने की कला में िी संगीत का आरोह-अवरोह देखा करते थे।
5. िचपन में वे िालाजी मंनदर पर रोज़ शहनाई िजाते थे। इससे शहनाई िजाने की उनकी कला नदन-प्रनतनदन ननखरने लगी।

रचना और अभिव्यभि

8. निनममल्ला खााँ के व्यनक्तत्व की कौन-कौन सी नवशेिताओ ं ने आपको प्रिानवत नकया?

उत्तर

निनममल्ला खााँ के व्यनक्तत्व की ननम्ननलनखत िातें हमें प्रिानवत करती हैं -


1. ईश्वर के प्रनत उनके मन में अगाि िनक्त थी।
2. मनु मलम होने के िाद िी उन्होंने नहदं ु िमष का सम्मान नकया तथा नहदं -ु मनु मलम एकता को कायम रखा।
3. िारत रत्न की उपानि नमलने के िाद िी उनमें घमडं किी नहीं आया।
4. वे एक सीिे-सादे तथा सच्चे इसं ान थे।
5. उनमें संगीत के प्रनत सच्ची लगन तथा सच्चा प्रेम था।
6. वे अपनी मातृिनम से सच्चा प्रेम करते थे।

9. महु रष म से निनममल्ला खााँ के जडु ाव को अपने शब्दों में नलनखए।

उत्तर

महु रष म पवष के साथ निनममल्ला खााँ और शहनाई का सम्िन्ि िहुत गहरा है। महु रष म के महीने में नशया मसु लमान शोक मनाते थे।
इसनलए परे दस नदनों तक उनके खानदान का कोई व्यनक्त न तो महु रष म के नदनों में शहनाई िजाता था और न ही संगीत के नकसी
कायषक्रम में िाग लेते थे। आठवीं तारीख खााँ साहि के नलए िहुत ही महत्वपणष होती थी। इस नदन खााँ साहि खडे होकर शहनाई
िजाते और दालमडं ी में फातमान के करीि आठ नकलोमीटर की दरी तक पैदल रोते हुए, नौहा िजाते हुए जाते थे। इन नदनों कोई
राग-रानगनी नहीं िजाई जाती थी। उनकी आाँखें इमाम हुसैन और उनके पररवार के लोगों की शहादत में नम रहती थीं।
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10. निनममल्ला खााँ कला के अनन्य उपासक थे, तकष सनहत उत्तर दीनजए।

उत्तर

निनममल्ला खााँ िारत के सवषश्रेष्ठ शहनाई वादक थे। वे अपनी कला के प्रनत पणषतया समनपषत थे। उन्होंने जीवनिर सगं ीत को
सपं णषता व एकानिकार से सीखने की इच्छा को अपने अदं र नजदं ा रखा। वे अपने सरु ों को किी िी पणष नहीं समझते थे इसनलए
खदु ा के सामने वे नगडनगडाकर कहते - ''मेरे मानलक एक सरु िख्श दे। सरु में वह तासीर पैदा कर नक आाँखों से सच्चे मोती की
तरह अनगढ़ आाँस ननकल आएाँ।'' खााँ साहि ने किी िी िन-दौलत को पाने की इच्छा नहीं की िनल्क उन्होंने संगीत को ही
सवषश्रेष्ठ माना। वे कहते थे- ''मानलक से यही दआ
ु है - फटा सरु न िख्शें। लंनु गया का क्या है, आज फटी है, तो कल सी जाएगी।"
इससे यह पता चलता है नक निनममल्ला खााँ कला के अनन्य उपासक थे।

िाषा अध्यन

ननम्ननलनखत नमश्र वाक्यों के उपवाक्य छााँटकर िेद िी नलनखए -


(क) यह ज़रुर है नक शहनाई और डुमरााँव एक-दसरे के नलए उपयोगी हैं।
(ख) रीड अंदर से पोली होती है नजसके सहारे शहनाई को फाँ का जाता है।
(ग) रीड नरकट से िनाई जाती है जो डुमरााँव में मख्ु यत: सोन नदी के नकनारों पर पाई जाती है।
(घ) उनको यकीन है, किी खदु ा याँ ही उन पर मेहरिान होगा।
(ङ) नहरन अपनी ही महक से परे शान परे जंगल में उस वरदान को खोजता है नजसकी गमक उसी में समाई है।
(च) खााँ साहि की सिसे िडी देन हमें यही है नक परे अमसी िरस उन्होंने संगीत को संपणषता व एकानिकार से सीखने की
नजजीनविा को अपने िीतर नजंदा रखा।

उत्तर

(क) शहनाई और डुमरााँव एक-दसरे के नलए उपयोगी हैं। (संज्ञा आनश्रत उपवाक्य)
(ख) नजसके सहारे शहनाई को फाँ का जाता है। (नवशेिण आनश्रत उपवाक्य)
(ग) जो डुमरााँव में मख्ु यत: सोन नदी के नकनारों पर पाई जाती है। (नवशेिण आनश्रत उपवाक्य)
(घ) किी खदु ा याँ ही उन पर मेहरिान होगा। (संज्ञा आनश्रत उपवाक्य)
(ङ) नजसकी गमक उसी में समाई है। (नवशेिण आनश्रत उपवाक्य)
(च) परे अमसी िरस उन्होंने संगीत को संपणषता व एकानिकार से सीखने की नजजीनविा को अपने िीतर नजंदा रखा। (संज्ञा
आनश्रत उपवाक्य)

पृष्ठ संख्या: 123

12. ननम्ननलनखत वाक्यों को नमनश्रत वाक्यों में िदनलए-


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(क) इसी िालसल ु ि हाँसी में कई यादें िंद हैं।


(ख) काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है।
(ग) ित!् पगली ई िारतरत्न हमको शहनईया पे नमला है, लंनु गया पे नाहीं।
(घ) काशी का नायाि हीरा हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में िाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।

उत्तर

(क) यह वही िालसल ु ि हाँसी है नजसमें कई यादें िंद हैं।


(ख) काशी में संगीत का आयोजन होता है जो नक एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है।
(ग) ित्! पगली ई िारतरत्न हमको लंनु गया पे नाहीं, शहनईया पे नमला है, ।
(घ) यह जो काशी का नायाि हीरा है वह हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में िाईचारे के साथ रहने की
प्रेरणा देता रहा।

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