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December INSTA CA Compilation Hindi
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दिसम्बर 2021
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Table of Contents
सामान्य अध्ययन-I .............................................................. 1 3. अरब सागर में चक्रवातों की अतधक संख्या ......................... 29
दिषय: भारतीय संस्कृ तत में प्राचीन काल से आधतु नक काल तक के कला के 4. प्रशांत मिासागरीय ज्वालावृत्त ..................................... 30
रूप, सातित्य और वास्तुकला के मुख्य पिलू शातमल िोंगे। ................... 1 सामान्य अध्ययन-II ......................................................... 32
1. रायगढ़ तकले का मित्व .............................................. 1 दिषय: भारतीय संतवधान- ऐततिातसक आधार, तवकास, तवशेषताएँ, संशोधन,
2. चार धाम ............................................................ 2 मित्त्वपूर्ा प्रावधान और बुतनयादी संरचना। ................................. 32
3. ‘दगु ाा पूजा’ यूनेस्को की 'अमूता सांस्कृ ततक तवरासत' सूची में शातमल . 4 1. भारतीय नागररकता का पयावसान................................... 32
दिषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वतामान समय तक का आधतु नक 2. सतं वधान की उद्देतशका में संशोधन िेतु तवधेयक ..................... 33
भारतीय इततिास- मित्त्वपूर्ा घटनाएँ, व्यतित्व, तवषय। ...................... 6 3. दलबदल-रोधी कानून .............................................. 34
1. वीर सावरकर ........................................................ 6 4. भारतीय संतवधान की छठी अनुसूची ................................ 36
2. पाइका तवद्रोि ....................................................... 7 5. पररसीमन पैनल .................................................... 37
3. सतं वधान सभा की पिली बैठक के 75 वषा .......................... 8 6. जम्मू और कश्मीर पररसीमन आयोग................................ 39
4. अल्लूरी सीताराम राजू एवं रंपा तवद्रोि ................................ 9 7. ‘भल
ु ाए जाने का अतधकार’ ........................................ 39
5. सालार मसूद एवं राजा सुिलदेव के बीच युद्ध ....................... 10 8. मानिातन का मामला ............................................... 40
6. श्री अरतबंदो ....................................................... 12 दिषय:संघ एवं राज्यों के काया तथा उत्तरदातयत्व, संघीय ढाँचे से संबतं धत तवषय
7. रानी लक्ष्मी बाई ................................................... 13 एवं चनु ौततयाँ, स्थानीय स्तर पर शतियों और तवत्त का िस्तांतरर् और उसकी
दिषय:स्वतंत्रता के पश्चात् देश के अंदर एकीकरर् और पुनगाठन। ........... 14 चनु ौततयाँ। ................................................................. 41
दिषय:मतिलाओ ं की भतू मका और मतिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मद्दु े, दिषय:तवतभन्न घटकों के बीच शतियों का पृथक्करर्, तववाद तनवारर् तंत्र तथा
गरीबी और तवकासात्मक तवषय, शिरीकरर्, उनकी समस्याएँ और उनके संस्थान। ................................................................... 42
रक्षोपाय। .................................................................. 15 1. ससं द में व्यवधान .................................................. 42
1. स्माटा तसटीज तमशन ............................................... 15 2. कायापातलका द्वारा अदालत के आदेशों का अनादर करने की प्रवृतत्त . 44
2. सिायक प्रजनन तकनीक एवं सरोगेसी तवधेयक..................... 16 दिषय:ससं द और राज्य तवधातयका- सरं चना, काया, काया-सचं ालन, शतियाँ
3. तवश्व असमानता ररपोटा ............................................. 17 एवं तवशेषातधकार और इनसे उत्पन्न िोने वाले तवषय। ...................... 45
4. बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना .................................. 19 1. सांसदों के प्रश्नों को स्वीकृ त एवं अस्वीकृ त तकए जाने संबंधी प्रतक्रया 45
6. मतिलाओ ं के तलए तववाि की तवतधक आयु में वृतद्ध ................ 21 3. तवशेषातधकार प्रस्ताव .............................................. 48
8. श्यामा प्रसाद मख
ु जी रुबान तमशन................................... 24 5. मतिलाओ ं के तलए तववाि की आयु बढ़ाने संबंधी तवधेयक की समीक्षा
....................................................................... 50
दिषय:सामातजक सशिीकरर्, सप्रं दायवाद, क्षेत्रवाद और धमातनरपेक्षता।.. 25
6. मिाराष्ट्र और कनााटक के मध्य बेलगावी सीमा तववाद .............. 51
1. सश ं 2021 ........................................ 25
ु ासन सचू काक
दिषय:जन प्रतततनतधत्व अतधतनयम की मुख्य तवशेषताएँ।................... 53
दिषय:भक ू ं प, सुनामी, ज्वालामुखीय िलचल, चक्रवात आतद जैसी मित्त्वपूर्ा
1. मतदाता पिचान पत्र को आधार कार्ा से जोड़ने िेतु तवधेयक ........ 53
भ-ू भौततकीय घटनाएँ, भौगोतलक तवशेषताएँ और उनके स्थान- अतत मित्त्वपूर्ा
भौगोतलक तवशेषताओ ं (जल-स्रोत और तिमावरर् सतित) और वनस्पतत एवं दिषय:तवतभन्न संवैधातनक पदों पर तनयतु ि और तवतभन्न सवं ैधातनक तनकायों
प्रातर्जगत में पररवतान और इस प्रकार के पररवतानों के प्रभाव। .............. 27 की शतियाँ, काया और उत्तरदातयत्व।....................................... 54
1. चक्रवात जवाद .................................................... 27 1. तनवााचन आयोग की तनष्ट्पक्षता पर सवाल .......................... 54
2. इस वषा उत्तर-पवू ी मानसून के कमजोर रिने का कारर्............... 28 2. सदन के अध्यक्ष का तनवााचन ...................................... 55
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दिषय:सातं वतधक, तवतनयामक और तवतभन्न अद्धा-न्यातयक तनकाय। ........ 57 दिषय:तवकास प्रतक्रया तथा तवकास उद्योग- गैर-सरकारी सगं ठनों, स्वयं
1. भारत का तवतध आयोग ............................................ 57 सिायता समूिों, तवतभन्न समूिों और संघों, दानकतााओ,ं लोकोपकारी
संस्थाओ,ं संस्थागत एवं अन्य पक्षों की भतू मका।............................ 96
2. कॉलेतजयम प्रर्ाली ................................................ 58
1. स्मारकों के तलए CSR तनतध ...................................... 96
दिषय:सरकारी नीततयों और तवतभन्न क्षेत्रों में तवकास के तलये िस्तक्षेप और
उनके अतभकल्पन तथा कायाान्वयन के कारर् उत्पन्न तवषय।................ 60 दिषय:स्वास््य, तशक्षा, मानव संसाधनों से संबंतधत सामातजक क्षेत्र/सेवाओ ं के
तवकास और प्रबंधन से संबंतधत तवषय।..................................... 98
1. जम्म-ू कश्मीर का ‘रोशनी अतधतनयम’ .............................. 60
1. तमशन इन्द्रधनुष 3.0 .............................................. 98
2. राष्ट्रीय तनयाात बीमा खाता ......................................... 61
2. पोषर् रैकर ......................................................... 99
3. जाततगत जनगर्ना ................................................ 62
3. पोषर् अतभयान.................................................. 100
4. रक्षा उपकरर्ों से संबतधत नकारात्मक आयात सूची ................ 64
4. बर्ा फलू ......................................................... 101
5. बांध सुरक्षा तवधेयक 2019 ...................................... 65
5. पूरक बाल पोषर् ................................................ 102
6. उत्तराखंर् का ‘चार धाम अतधतनयम’ ............................... 67
6. पोषर् रैकर ...................................................... 103
7. ‘देशद्रोि’ की सीमाओ ं को पररभातषत करने का सिी समय: उच्चतम
न्यायालय ............................................................. 68 7. पावो वायरस..................................................... 104
9. के न-बेतवा तलंक पररयोजना के तलए मंजरू ी ......................... 71 9. अटल नवाचार संस्थान उपलतधध रैं तकंग (ARIIA)............... 106
10. सीबीआई और प्रवतान तनदेशालय के तनदेशकों के कायाकाल को बढ़ाने दिषय:शासन व्यवस्था, पारदतशाता और जवाबदेिी के मित्त्वपूर्ा पक्ष, ई-
िेतु तवधेयक ........................................................... 72 गवनेंस- अनुप्रयोग, मॉर्ल, सफलताएँ, सीमाएँ और सभं ावनाएँ; नागररक
चाटार, पारदतशाता एवं जवाबदेिी और सस्ं थागत तथा अन्य उपाय। ........ 107
11. देशद्रोि कानून ................................................... 74
1. ‘तवश्व प्रेस स्वतत्रं ता सचू काक
ं ’ में भारत की तस्थतत पर कें द्र सरकार की
12. बैंक जमा बीमा कायाक्रम ......................................... 75 असिमतत ........................................................... 107
13. तबिार के तलए तवशेष श्रेर्ी राज्य का दजाा ........................ 76 दिषय:भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध। .................................. 109
14. भगु तान बैंको एवं लघु तवत्त बैंकों को ‘सरकारी एजेंसी कारोबार’ करने 1. भारत-रूस वातषाक तशखर सम्मेलन ............................... 109
की अनुमतत ........................................................... 77
2. यूक्रेन संबंधी मामले .............................................. 110
15. भारत का ‘र्ेटा संरक्षर् तवधेयक’ ................................ 79
3. बलूतचस्तान बदं रगाि पर चीनी पररयोजना ........................ 111
16. ततमलनार्ु में ‘राज्य गीत’ बजते समय खड़ा िोना अतनवाया ....... 80
4. इर्ं ो-पैतसतफक क्षेत्र ............................................... 113
17. पशु क्रूरता तनवारर् अतधतनयम, 1960 ......................... 81
5. भारत-ताइवान सबं धं ............................................. 114
18. तलंतचंग संबंधी मामलों पर एक तवधेयक की आवश्यकता ......... 82
6. भारत द्वारा म्यामं ार में लोकतत्रं को शीघ्र बिाल तकए जाने की मागं 115
19. कनााटक का ‘धमाांतरर् रोधी तवधेयक’ मसौदा.................... 84
दिषय:तद्वपक्षीय, क्षेत्रीय और वैतश्वक समिू और भारत से सबं तं धत और/अथवा
20. एनर्ीपीएस तवधेयक, 2021 ................................... 86 भारत के तितों को प्रभातवत करने वाले करार। ............................. 117
21. श्रम सतं िता संबंधी प्रकरर् ....................................... 87 1. लॉतजतस्टक्स समझौते और उनके लाभ ........................... 117
22. मेकेदातु तववाद .................................................. 88 2. G7 समूि ....................................................... 118
23. तवशेष श्रेर्ी राज्य का दजाा ....................................... 89 3. व्यापक आतथाक सियोग समझौता ............................... 119
24. तवदेशी अंशदान (तवतनयमन) अतधतनयम, 2010 ............... 90 दिषय:भारत के तितों पर तवकतसत तथा तवकासशील देशों की नीततयों तथा
25. वस्त्र उद्योग के तलए ‘उत्पादन-संबद्ध प्रोत्सािन (पीएलआई)’ योजना राजनीतत का प्रभाव; प्रवासी भारतीय। .................................... 120
....................................................................... 91 1. िांगकांग का प्रशासन ............................................ 120
26. तबिार में अवैध शराब तनमाार् की तनगरानी िेतु उपाय ............. 92
2. एस-400 और CAATSA .................................... 122
27. PESA अतधतनयम ............................................. 93
3. तशनतजयांग तववाद ............................................... 124
28. के न-बेतवा तलक
ं पररयोजना...................................... 95
4. चीन-िांगकांग संबंध ............................................. 125
5. सयं ुि अरब अमीरात का गोल्र्न वीजा .......................... 126
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6. पाचं मिीने के बाद ईरान परमार्ु वाताा तफर से शुरू ............... 128 1. िाइपरसोतनक ितथयार ........................................... 153
दिषय:मित्त्वपर्ू ा अतं रााष्ट्रीय सस्ं थान, सस्ं थाएँ और मच
ं - उनकी सरं चना, 2. नासा की नवीन सचं ार प्रर्ाली.................................... 156
अतधदेश।................................................................ 129 3. एकीकृ त भगु तान इटं रफे स ........................................ 156
1. अंतरााष्ट्रीय तवत्तीय सेवा कें द्र ..................................... 129 4. राष्ट्रीय गतर्त तदवस ............................................. 158
2. तवश्व स्वर्ा पररषद ................................................ 130 5. क्वाटं म उलझन .................................................. 158
3. ‘सौर गठबंधन’ के तलए ‘संयुि राष्ट्र पयावेक्षक’ का दजाा ......... 131 दिषय:सचू ना प्रौद्योतगकी, अतं ररक्ष, कंप्यटू र, रोबोतटक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी,
4. सयं ुि राष्ट्र समुद्री कानून संतध ................................... 133 बायो-टैक्नोलॉजी और बौतद्धक संपदा अतधकारों से संबंतधत तवषयों के संबंध में
जागरुकता। .............................................................. 160
5. इस्लातमक सियोग संगठन ....................................... 134
1. सेंरल बैंक की तर्तजटल करें सी ................................... 160
6. सयं ुि राष्ट्र शरर्ाथी उच्चायोग (UNHCR) ................... 134
2. 5 जी टेक्नोलॉजी ................................................ 161
7. क्षेत्रीय व्यापक आतथाक भागीदारी ................................ 135
3. पाका र सोलर प्रोब ................................................ 163
8. न्यू र्ेवलपमेंट बैंक ............................................... 137
4. मख
ु ाकृ तत पिचान तकनीक....................................... 164
सामान्य अध्ययन-III ...................................................... 139
5. पेतप्सको पेटेंट तववाद ............................................. 165
दिषय:भारतीय अथाव्यवस्था तथा योजना, ससं ाधनों को जुटाने, प्रगतत, तवकास
तथा रोज़गार से संबंतधत तवषय। .......................................... 139 6. पाका र सोलर प्रोब ................................................ 167
1. नेगेतटव यील्र् बॉण्र् ............................................. 139 7. जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ........................................ 167
3. कृ तष उत्पादों में ‘वायदा कारोबार’ का तनलंबन ................... 140 9. चीन द्वारा 'कृ तत्रम सूया' के तलए परमार्ु संलयन परीक्षर्........... 171
4. पूवव्ा यापी कराधान ............................................... 141 10. ररज़वा बैंक द्वारा तक्रप्टोकरें सी पर पूर्ा प्रततबंध लगाए जाने का तवचार
..................................................................... 172
दिषय:समावेशी तवकास तथा इससे उत्पन्न तवषय। ....................... 143
11. जीआई टैग .................................................... 174
1. सि-ऋर् मॉर्ल: बैंकों और गैर-बैंतकंग तवत्तीय कंपतनयों द्वारा सि-ऋर्
..................................................................... 143 12. जीएमओ फसलों पर FSSAI का तवतनयमन मसौदा............ 175
2. ‘गैर-बैंतकंग तवत्तीय कंपतनयों’ के तलए सश ं ोतधत त्वररत सुधारात्मक 13. ततआनगोंग अंतररक्ष स्टेशन .................................... 176
कारा वाई फ्रेमवका ..................................................... 143 दिषय:संरक्षर्, पयाावरर् प्रदषू र् और क्षरर्, पयाावरर् प्रभाव का आकलन।
3. टोकनाइजेशन और आरबीआई के नए तदशातनदेश ................ 145 ......................................................................... 178
दिषय:प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृ तष सिायता तथा न्यनू तम समथान मल्ू य से 1. “वायमु र्ं ल और जलवायु अनसु धं ान-मॉर्तलगं प्रेक्षर् प्रर्ाली एवं
संबंतधत तवषय; जन तवतरर् प्रर्ाली- उद्देश्य, काया, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक सेवाओ ं (ACROSS)” योजना ..................................... 178
तथा खाद्य सरु क्षा संबंधी तवषय; प्रौद्योतगकी तमशन; पशु पालन संबंधी 2. CAMPA फंर् ................................................ 179
अथाशास्त्र। ............................................................... 146
3. पतश्चमी घाट पर ‘कस्तूरीरंगन सतमतत’ ररपोटा ...................... 180
1. न्यूनतम समथान मल्ू य ............................................ 146
4. ‘जलवायु पररवतान’ को ‘सयं ुि राष्ट्र सुरक्षा पररषद’ में ले जाने संबंधी
दिषय:उदारीकरर् का अथाव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योतगक नीतत में पररवतान प्रस्ताव का तवरोध ................................................... 182
तथा औद्योतगक तवकास पर इनका प्रभाव।................................ 148
5. ग्रीन िाइड्रोजन ................................................... 183
1. अमेज़न- फ्यचू र ग्रुप सौदा ........................................ 148
6. जैतवक तवतवधता तवधेयक, 2021 में पररवतान .................. 184
दिषय:बतु नयादी ढाँचााः ऊजाा, बंदरगाि, सड़क, तवमानपत्तन, रे लवे आतद।
7. 'मीनदम मंजअप्पाई’ योजना ..................................... 185
......................................................................... 150
8. फ्लेक्स ईधन
ं वािन............................................... 186
1. िाइड्रोजन-समृद्ध संपीतर्त प्राकृ ततक गैस ......................... 150
9. बॉटम रॉतलंग और संबंतधत मुद्दे .................................. 188
2. उड़ान योजना एवं इससे संबतं धत समस्याएं ........................ 151
दिषय:आंतररक सुरक्षा के तलये चनु ौती उत्पन्न करने वाले शासन तवरोधी तत्त्वों
3. इलेतक्रक वािनों के अपनाने को बढ़ावा देने िेतु सरकारी नीततयां.. 152
की भतू मका। ............................................................. 189
दिषय:तवज्ञान एवं प्रौद्योतगकी- तवकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मराा के जीवन पर
1. ‘ग्रेटर तटपरालैंर्’ ................................................. 189
इसका प्रभाव। तवज्ञान एवं प्रौद्योतगकी में भारतीयों की उपलतधधयाँ; देशज रूप से
प्रौद्योतगकी का तवकास और नई प्रौद्योतगकी का तवकास। .................. 153 2. तवतधतवरूद्ध तक्रयाकलाप (तनवारर्) अतधतनयम .................. 190
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3. लोकुर आयोग ................................................... 191 22. तधलीगी और दा’वाि .......................................... 208
दिषय:सचं ार नेटवका के माध्यम से आतं ररक सरु क्षा को चनु ौती, आतं ररक सरु क्षा 23. बातल्टक सागर................................................. 208
चनु ौततयों में मीतर्या और सामातजक नेटवतकां ग साइटों की भतू मका, साइबर 24. कोन्याक नागा ................................................. 209
सुरक्षा की बुतनयादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना। ................... 192
25. तमस यतू नवसा-2021 ......................................... 209
1. सशस्त्र बल (तवशेष अतधकार) अतधतनयम ........................ 192
26. राजा चैत तसिं ................................................. 209
2. पेगासस जासूसी प्रकरर् .......................................... 194
27. कार्ा टोकनाइजेशन ............................................ 210
3. सशस्त्र बल (तवशेष अतधकार) अतधतनयम ........................ 196
28. प्रधानमत्रं ी मोदी को भटू ान का शीषा नागररक परु स्कार ........... 210
4. ‘तर्तजटल ऋर्’ को तवतनयतमत करने िेतु कानून बनाने पर तवचार. 196
29. कालीबाड़ी मतं दर .............................................. 210
5. सशस्त्र बल (तवशेष अतधकार) अतधतनयम ........................ 198
30. खल
ु ा क्षेत्रफल लाइसेंतसगं नीतत................................. 210
दिषय:तवतभन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अतधदेश। ............ 199
31. तशरोमतर् अकाली दल......................................... 211
1. असम राइफल्स का दोिरा तनयंत्रर् तवन्यास....................... 199
32. भारतीय संतवधान का अनुच्छे द 31D ......................... 211
2. चीफ ऑफ तर्फें स स्टाफ......................................... 200
33. तचल्ले / तचल्लाई- कलां ....................................... 211
3. राष्ट्रीय अन्वेषर् अतभकरर् ...................................... 201
34. एतल्बनो इतं र्यन फ्लैपशेल कछुआ ............................. 212
प्रारदम्िक परीक्षा हेतु तथ्य ................................................ 203
35. के रल की तसल्वर लाइन पररयोजना ............................. 212
1. सूचना प्रबंधन और तवश्लेषर् कें द्र ................................ 203
36. समाज सुधार अतभयान ......................................... 212
2. मतिला वैज्ञातनकों के तलए POWER योजना ................... 203
37. टाइफून राय .................................................... 213
3. तगरनार पवात..................................................... 203
38. तधलीगी जमात ................................................ 213
4. बारबार्ोस....................................................... 203
39. पी एन पतर्कर ................................................. 214
5. पराग अग्रवाल................................................... 203
40. अभ्यास ....................................................... 214
6. मानवातधकार उच्चायुि कायाालय ............................... 203
41. ओतलव ररर्ले कछुए .......................................... 214
7. भारतीय सासा-कोव-2 जीनोतमक्स कंसोतटायम .................... 204
42. ‘सयं ुि राष्ट्र सुरक्षा पररषद’ का संकल्प 2615 ................ 215
8. चॉकलेट-बॉर्ार तफ्लटर .......................................... 204
43. प्रलय तमसाइल ................................................ 215
9. क्यह्यतु टसुका सतचकारुम ......................................... 204
44. वनााक्युलर इनोवेशन प्रोग्राम .................................... 215
10. अंतरााष्ट्रीय तनपटान बैंक ....................................... 204
45. तोलकातप्पयम ................................................. 216
11. व्यापार करने की स्वतंत्रता ..................................... 205
46. आका तबशप र्ेसमंर् टूटू ........................................ 216
12. ACE2 प्रोटीन ................................................ 205
47. गोलन िाइट् स ................................................. 217
13. िॉनातबल मिोत्सव ............................................. 205
48. ‘जन गर् मन’ के सावाजतनक रूप से पिली बार गायन की 110 वीं
14. उच्च न्यायालय और सवोच्च न्यायालय के न्यायाधीश (वेतन एवं सेवा वषागांठ .............................................................. 217
शतें) संशोधन तवधेयक, 2021 .................................... 206
49. ई.ओ. तवल्सन ................................................. 217
15. न्यूजीलैंर् का आजीवन प्रततबंध................................ 206
50. जीरो-र्े वल्नरतबतलटी तथा लॉग4जे ........................... 218
16. ज्ञानपीठ पुरस्कार .............................................. 206
51. भारत में नए टीकों को मंजूरी.................................... 218
17. रॉयल गोल्र् मेर्ल 2022 .................................... 207
52. कें द्र सरकार द्वारा ‘सोया खाद्य’ आवश्यक वस्तु सूची में शातमल. 218
18. एतशयाई शति सूचकांक, 2021 ............................. 207
53. जम्मू-कश्मीर ररयल एस्टेट क्षेत्र ................................. 218
19. तफन बुनकर पक्षी .............................................. 208
54. नीलगाय ....................................................... 219
20. ‘तवदेशी अतधकरर्’ ........................................... 208
55. दारा तशकोि (1615-59) ................................... 219
21. लॉग4शेल .................................................... 208
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सामान्य अध्ययन-I
भारतीय विरासत और संस्कृतत, विश्ि का इततहास एिं भूगोल और समाज
विषय: भारतीय संस्कृतत में प्राचीन काल से आधतु नक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तक
ु ला के मख्
ु य
पिलू शाममल िोंगे।
1. रायगढ़ ककले का महत्ि
संदभभ:
राष्ट्रपतत राम नाथ कोववंद ने िाल िी में रायगढ़ ककले का दौरा ककया और छत्रपतत मशवाजी मिाराज को श्रदधांजमल
दी।
रायगढ़ ककले से संबंधित राज्य और राजिंश:
• रायगढ़ ककले को पिले ‘रायरी’ (Rairi) किा जाता था, और यि 12वीं शताब्दी में मराठाओं के ‘मशके’ वंश
का गढ़ था।
• इस ककले पर बिमनी शासकों से लेकर तनजामशािी तक कई शासकों का अधधकार रिा, बाद में यि
आहदलशािी के अधधकार में आ गया।
• वर्ष 1656 में , छत्रपतत मशवाजी ने जावली के राजा चंद्रराव मोरे को पराजजत कर इस ककले को अपने
अधधकार में ले मलया। चंद्रराव मोरे , आहदलशािी सल्तनत के अधीन एक ररयासत के शासक थे।
• वर्ष 1662 में , मशवाजी ने औपचाररक रूप से ककले का नाम बदलकर रायगढ़ कर हदया और इसका जीर्णोदधार
तथा ककले में नए तनमाषर्ण कायष कराए। वर्ष 1664 तक, यि ककला मशवाजी की सरकार का प्रमख
ु गढ़ बन
गया।
इस ककले ने मशवाजी को आहदलशािी वंश के प्रभत्ु व को चन
ु ौती दे ने में मित्वपर्ण
ू ष भमू मका तनभाई और साथ िी,
छत्रपतत मशवाजी को अपनी शजतत का ववस्तार करने िे तु, कोंकर्ण की ओर मागष भी प्रशस्त ककया।
ककले का महत्त्ि:
भारत आने वाले शुरुआती यूरोपीय लोगों दवारा इस ककले को ‘पूवष का जजब्राल्टर’ (Gibraltar of the East) नाम हदया
गया था। ककले की मुख्य ववशेर्ता, लगभग डेढ़ मील के क्षेत्र में ववस्ताररत इसकी सपाट शीर्ष िै , जजस पर कई
इमारतें बन सकती िैं। अपने उत्कर्ष काल में , इस ककले में पत्थरों से तनममषत 300 मकान थे, और इसमें 2,000
सैतनक तनवास करते थे।
महाराष्ट्र की राजनीतत में रायगढ़ ककले का महत्ि:
छत्रपतत मशवाजी, मिाराष्ट्र में सबसे ऊंचे और सबसे प्रततजष्ट्ठत प्रतीक िैं और उनकी ववरासत को िधथयाने के मलए
सभी प्रकार के राजनीततक दलों दवारा तनरं तर प्रयास ककया जाता रिा िै । उनके जीवन-काल में ‘रायगढ़’ के मित्व
के कारर्ण, कई राजनीततक नेता ककले का दौरा करने के माध्यम से उनके प्रतत तनष्ट्ठा और सम्मान का प्रदशषन
करते िैं।
‘छत्रपतत शशिाजी’ के बारे में - उल्लेखनीय बबंद:ु
‘छत्रपतत मशवाजी’ का जन्म वर्ष 1639 में एक मराठा सेनापतत शािजी भोंसले के घर िुआ था। शािजी भोंसले,
बीजापुर सल्तनत के अधीन ‘पुर्णे’ और ‘सुप’े के जागीरदार थे। ‘मशवाजी’ की माता जीजाबाई, एक धमषपरायर्ण
महिला थी, जजनके धाममषक गुर्णों का उन पर गंभीर प्रभाव पड़ा।
उन्िोंने वर्ष 1645 में पिली बार अपने सैन्य उत्साि का प्रदशषन करते िुए अपनी ककशोरावस्था में िी बीजापरु
के अधीन ‘तोरर्ण दग ु ’ष पर सफलतापूवक
ष तनयंत्रर्ण प्राप्त कर मलया। उन्िोंने ‘कोंडाना ककले’ पर भी अपना
आधधपत्य स्थावपत कर मलया। ये दोनों ककले ‘बीजापुर सल्तनत’ के आहदल शाि के अधीन आते थे।
उन्िोंने छत्रपतत, शाककाताष, क्षत्रत्रय कुलवंत और िैंदव धमोधारक की उपाधध धारर्ण की।
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शशिाजी से संबधं ित महत्िपर्
ू भ यद्
ु ि:
1. प्रतापगढ़ का यद
ु ध, 1659
2. पवन खण्ड का यद
ु ध, 1660
3. परु ं दर का यद
ु ध, 1665
4. मसंिगढ़ का यद
ु ध, 1670
5. कल्यार्ण की लड़ाई, 1682-83
6. संगमनेर का युदध, 1679
पुरंदर की संधि:
जन
ू 1665 में मशवाजी और राजा जय मसंि प्रथम (औरं गजेब का प्रतततनधधत्व) के बीच परु ं दर की संधध पर िस्ताक्षर
ककए गए थे।
इस संधध के अनुसार, मशवाजी ने अब तक जीते कई ककले मुगलों को वापस कर हदए और आगरा में मशवाजी तथा
औरं गजेब की मल
ु ाकात पर सिमतत िुई थी। मशवाजी, अपने पत्र
ु संभाजी को औरं गजेब के दरबार में भेजने के मलए
तैयार िो गए।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक 1674 में , मशवाजी को रायगढ़ में गंगभट्ट ने राजमुकुट पिनाया था, और
उसी समय उन्िोंने छत्रपतत की उपाधध धारर्ण की थी?
में स शलंक:
1. रायगढ़ ककले के बारे में
2. छत्रपतत मशवाजी
3. औरं गजेब
4. प्रतापगढ़ की लड़ाई, 1659
5. पवन खखंड की लड़ाई, 1660
6. पुरंदर का युदध, 1665
में स शलंक: भारत के इततिास में रायगढ़ ककले के मित्व पर चचाष कीजजए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।
2. चार िाम
संदभभ: िाल िी में , उच्चत्तम न्यायालय दवारा, अपने पिले के आदे श को संशोधधत करते िुए ‘चार धाम सड़क
पररयोजना’ के एक भाग के रूप में , तीन राजमागों पर चौपहिया वािनों के मागष को 10 मीटर तक चौड़ा करने की
अनुमतत दी गयी िै । इसके पिले शीर्ष अदालत ने अपने आदे श में इस चौड़ाई को 5.5 मीटर तक सीममत करने
का तनदे श हदया था।
सुप्रीम कोटभ का तनर्भय:
• उच्चत्तम न्यायालय के तीन-न्यायाधीशों की एक पीठ ने, एक अन्य तीन-न्यायाधीशों की पीठ दवारा
मसतंबर, 2020 में जारी एक आदे श में संशोधन ककया िै , जजसमें तनदे श हदया गया था कक उत्तराखंड में 899
ककलोमीटर के सड़क नेटवकष के भाग के रूप में तनममषत ककए जाने वाले तीन राजमागों पर चौपहिया वािनों
के मागष (Carriage-way) की चौड़ाई 5.5 मीटर तक रिना चाहिए।
• रक्षा मंत्रालय दवारा अदालत के इस तनर्णषय की समीक्षा ककए जाने की मांग की गयी थी, जजसके बाद
सुप्रीम कोटष ने अब केंद्र सरकार की मांग के अनुरूप सड़कों की चौड़ाई 10 मीटर तक ककए जाने का फैसला
सुनाया िै , जजससे इन राजमागों को ‘डबल लेन’ बनाए जाने का मागष प्रशस्त िो गया िै ।
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• चीन सीमा से जोड़ने के मलए फीडर सड़कों के रूप में कायष करने वाले इन तीन राजमागों के रर्णनीततक
मित्व को स्वीकार करते िुए, शीर्ष अदालत ने पयाषवरर्णीय धचंताओं के साथ इस प्रकार की प्राथममकताओं
को संतमु लत करने की आवश्यकता पर भी ध्यान हदया िै ।
• शीर्ष अदालत ने, उच्चतम न्यायालय के पूवष न्यायाधीश ए के सीकरी की अध्यक्षता में एक ‘तनगरानी
सममतत’ के गठन का भी आदे श हदया, ताकक इस संबध
ं में ‘उच्चाधधकार प्राप्त सममतत’ की मसफाररशों को
शाममल करते िुए कायों का पयाषवरर्ण के प्रतत जागरूक तरीके से तनष्ट्पादन सुतनजश्चत ककया जा सके।
चारिाम पररयोजना (Chardham Project) में अब तक का घटनाक्रम:
1. चार धाम सड़क पररयोजना की आधारमशला प्रधानमंत्री नरें द्र मोदी दवारा हदसंबर 2016 में रखी गयी थी।
2. लेककन, इस पररयोजना को पयाषवरर्णीय आधार पर अदालतों में चुनौती दी गयी थी, जजसमे याधचकाकताषओं
ने पररयोजना के मलए पयाषवरर्णीय मंजूरी में अतनयममतताओं का आरोप लगाया और किा कक मौजूदा
मानदं डों के उल्लंघन करते िुए पररयोजना पर कायष ककया जा रिा िै ।
3. इस पररयोजना को मसतंबर 2018 में ‘राष्ट्रीय िररत अधधकरर्ण’ (NGT) दवारा मंजूरी प्रदान की गयी थी,
लेककन, इसके आदे श को इस आधार पर अदालत में चुनौती दी गयी, कक यि आदे श, मामले की सुनवाई
करने वाली पीठ बेंच से अलग अन्य पीठ बेंच दवारा पाररत ककया गया िै । जजस पर, सुप्रीम कोटष ने
अतटूबर 2018 में NGT के आदे श पर रोक लगा दी।
4. मसतंबर 2020 में, सप्र
ु ीम कोटष ने एक ररट याधचका पर सनु वाई करते िुए एक आदे श पाररत ककया जजसमें
किा गया था, कक केंद्रीय सड़क पररविन मंत्रालय के 2018 के पररपत्र में तनधाषररत ‘चार धाम पररयोजना’
के मलए राजमागों की चौड़ाई 5.5 मीटर से अधधक निीं िोनी चाहिए। लेककन रक्षा मंत्रालय ने उसी वर्ष
हदसंबर में , राजमागों की चौड़ाई 10 मीटर ककए जाने की अनम
ु तत दे ने के मलए, अदालत से आदे श में
संशोधन करने का अनुरोध ककया।
5. जजसके बाद, शीर्ष अदालत ने एक ‘उच्चाधधकार प्राप्त सममतत’ (High-Powered Committee - HPC) को
राजमागों की चौड़ाई पर केंद्र सरकार दवारा पेश ककए गए तकों पर गौर करने के मलए किा।
‘उच्चाधिकार प्राप्त सशमतत’ (HPC) द्िारा प्रस्तुत तनष्ट्कषभ:
• इन राजमागों के सामररक मित्व को दे खते िुए चौड़ाई 10 मीटर करने की अनमु तत दी जानी चाहिए।
• राजमागों के जजन हिस्सों पर पिले से िी 10 मीटर चौड़ाई पर काम शुरू ककया जा चुका िै , विां इसकी
चौड़ाई 5.5 मीटर तक कम करने मलए कफर से काम करना “व्यविाररक” निीं िोगा।
• सड़क तनमाषर्ण का मागष प्रशस्त करने के मलए जजन हिस्सों में पेड़ काटे जा चुके िैं, उन पर कफर से
वक्ष
ृ ारोपर्ण करना संभव निीं िोगा।
राजमागों की चौड़ाई 10 मीटर ककए जाने मांग हे तु ददए गए तकभ:
इस क्षेत्र में कई ऐसे दग
ु म
ष इलाके िैं, जिां सेना को भारी वािनों, मशीनरी, िधथयारों, ममसाइलों, टैंकों, सैतनकों और
खादय आपूततष को लाने और लेजाने की आवश्यकता िोती िै ।
संबंधित पयाभिरर्ीय धचंताएं:
1. पवषतीय इलाकों में बड़े पैमाने पर तनमाषर्ण कायष, आपदा के मलए एक नुस्खा िोते िै तयोंकक पेड़ों की कटाई
ककए जाने और चट्टानों के ढीले िोने से भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता िै ।
2. ‘अतनवायष पयाषवरर्ण मंजूरी’ और ‘पयाषवरर्ण प्रभाव मूल्यांकन’ (Environment Impact Assessment - EIA)
प्रकियाओं को दरककनार करते िुए पररयोजना को तनष्ट्पाहदत ककया जा रिा िै ।
3. पररयोजना के तित सड़क बनाने के मलए कधथत तौर पर 25,000 से अधधक पेड़ काटे गए िै , जोकक
पाररजस्थततक रूप से संवद
े नशील क्षेत्र के मलए एक गंभीर धचंता का ववर्य िै ।
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4. चूंकक चौपहिया वािनों के मलए चौड़े मागष बनाने के मलए ज्यादा उत्खनन और ववस्फोटन करना िोगा,
जजससे इस क्षेत्र की स्थलाकृतत कफसलन और भस्
ू खलन के प्रतत अधधक संवेदनशील िो जाएगी,
पररर्णामस्वरूप सभी मौसमों में चालू रिने वाले राजमागष बनाने का उददे श्य प्रभाववत िो सकता िै ।
‘चारिाम पररयोजना’ (Chardham Project) के बारे में :
• चारधाम पररयोजना में , हिंदओ
ू ं के पववत्र तीथष स्थलों- बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री- को आपस
में जोड़ने के मलए, 12,000 करोड़ रुपये की अनुमातनत लागत से 900 ककलोमीटर लंबाई के राष्ट्रीय राजमागों
को ववकमसत और चौड़ा ककया जाना शाममल िै ।
• इस राजमागष को ‘चार धाम मिामागष’ (चार धाम राजमागष) और ‘राजमागष तनमाषर्ण पररयोजना’ को ‘चार
धाम मिामागष ववकास पररयोजना’ किा जाएगा।
प्रीशलम्स शलंक:
1. पररयोजना का अवलोकन
2. इस क्षेत्र में मित्वपूर्णष राष्ट्रीय उदयान और
वन्यजीव अभयारण्य
3. इन स्थानों से बिने वाली मित्वपूर्णष नहदयााँ
4. राष्ट्रीय उदयानों और वन्यजीव अभयारण्यों के
बीच अंतर
में स शलंक: चारधाम पररयोजना के मित्व की वववेचना
कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
3. ‘दग
ु ाभ पूजा’ यूनेस्को की 'अमूतभ सांस्कृततक विरासत'
सूची में शाशमल
संदभभ: ‘अमूतष सांस्कृततक धरोिरों की सुरक्षा िे तु अंतर-
सरकारी सममतत’ दवारा ‘मानवता की अमूतष सांस्कृततक ववरासत’ (Intangible Cultural Heritage of Humanity) की
प्रतततनधध सूची में 'कोलकाता में िोने वाली दग
ु ाष पूजा' को शाममल ककया गया िै ।
अब तक कुल ममलाकर, भारत के 14 ‘अमत
ू ष सांस्कृततक ववरासत तत्वों’ (Intangible Cultural Heritage elements)
को यूनेस्को की प्रतततनधध सूची में शाममल ककया जा चुका िै ।
तनदहतार्भ:
यूनेस्को की 'अमूतष सांस्कृततक ववरासत' सच
ू ी में शाममल ककए जाने से, दग
ु ाष पूजा मनाने वाले स्थानीय समद
ु ायों,
सभी पारं पररक मशल्पकारों, डडजाइनरों, कलाकारों, और बड़े पैमाने पर सांस्कृततक कायषिमों का आयोजन करने वालों
के साथ-साथ ‘दग
ु ाष पज
ू ा’ के सवष समावेशी उत्सव में भाग लेने वाले पयषटकों और आगंतक
ु ों को प्रोत्सािन ममलेगा।
‘दग
ु ाभ पूजा’ के बारे में :
‘दग
ु ाष पूजा’ (Durga Puja) एक पांच हदवसीय त्योिार िै , जो नौ-हदवसीय नवरात्रत्र उत्सव की पांचवीं रात से शुरू
िोकर, दसवें हदन अथाषत दशमी को समाप्त िोता िै । इस अवधध में , लोग सामहू िक रूप से ब्रहमांड की नारी-ऊजाष
मानी जाने वाले, शजतत-स्वरूपा दे वी दग
ु ाष की पज
ू ा करते िैं और उनका आहवान करते िैं।
• यदयवप इस उत्सव की शरु ु आत ‘पजश्चम बंगाल’ में िुई िै , ककं तु यि त्योिार भारत और ववश्व के कई
अन्य हिस्सों में भी मनाया जाता िै ।
• कई लोग इसे त्योिार से ज्यादा ‘भावना’ के रूप में दे खते िैं।
• ‘दग
ु ाष पज
ू ा’ धमष और संस्कृतत का एक उत्कृष्ट्ट संगम िै।
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‘अमूतभ सांस्कृततक विरासत’ के बारे में :
यूनेस्को (UNESCO) के अनस
ु ार, ‘अमूतष सांस्कृततक ववरासत’
(Intangible Cultural Heritage) में परं पराओं अथवा िमारे
पूवज
ष ों से ववरासत में ममली जीती-जागती अमभव्यजततयों,
जैसेकक मौखखक परं पराएं, प्रदशषन कला, सामाजजक प्रथाएं,
अनुष्ट्ठान, त्यौिार एवं उत्सव, प्रकृतत और ब्रहमांड से संबंधधत
प्रथाएं अथवा ज्ञान और पारं पररक मशल्प संबंधी कौशल को
सजम्ममलत ककया जाता िै ।
• यूनेस्को दवारा ववश्व में मित्वपूर्णष ‘अमूतष
सांस्कृततक धरोिरों / ववरासतों’ की बेितर सुरक्षा
सतु नजश्चत करने और उनके मित्व के बारे में
जागरूकता फ़ैलाने के उददे श्य से ‘अमूतष सांस्कृततक
ववरासत सूची’ का गठन ककया गया िै ।
• यि सूची वर्ष 2008 में , ‘अमूतष सांस्कृततक ववरासत
सुरक्षा अमभसमय, 2003 (2003 Convention for the
Safeguarding of the Intangible Cultural Heritage)
के प्रभावी िोने पर तनममषत की गयी थी।
वर्ष 2010 तक इस कायषिम के अंतगषत दो सूधचयों को
संकलन ककया जाता रिा िै :
1. मानिता की अमूतभ सांस्कृततक विरासतों की लंबी,
प्रतततनधि सूची में सांस्कृततक "प्रथाएं और
अमभव्यजततयां शाममल की जाती िैं, [जो] इस
ववरासत की ववववधता को प्रदमशषत करने और इसके
मित्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करती
िैं।"
2. तत्काल सुरक्षा की आिश्यकता िाली ‘अमूतभ
सांस्कृततक विरासतों’ की छोटी सूची, में उन
सांस्कृततक तत्वों को सजम्ममलत ककया जाता िै ,
जजन्िें संबंधधत समद
ु ाय और दे श, प्रचमलत रखने / जीववत रखने के मलए तत्काल उपाय ककए जाने की
आवश्यकता समझते िैं।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप ‘भारत की अमूतष सांस्कृततक ववरासत की राष्ट्रीय सच
ू ी’ (National List of Intangible
Cultural Heritage) के बारे में जानते िैं?
प्रीशलम्स शलंक:
1. यूनेस्को ‘मानवता की अमूतष सांस्कृततक ववरासत’ की प्रतततनधध सूची में शाममल भारत के ‘अमूतष सांस्कृततक
ववरासत तत्व’
2. यूनेस्को के बारे में
3. मत
ू ष और अमत
ू ष धरोिरों के बीच अंतर
4. पात्रता मानदं ड
5. यूनेस्को "अमूतष सांस्कृततक ववरासत" के अंतगषत सधू चयााँ
में स शलंक: यन
ू ेस्को की अमत
ू ष सांस्कृततक ववरासत की सच
ू ी के मित्व पर चचाष कीजजए।
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विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वतषमान समय तक का आधुतनक भारतीय इततिास- मित्त्वपूर्णष घटनाएाँ,
व्यजततत्व, ववर्य।
1. िीर सािरकर
संदभभ: िाल िी में , हिंदत्ु व की राजनीततक ववचारधारा के प्रर्णेता माने जाने वाले ‘ववनायक दामोदर सावरकर’ के
व्यजततत्व को ‘‘भारत रत्न’’ से ऊपर बताते िुए ‘केंद्रीय सूचना आयुतत’ (CIC) उदय मािूरकर ने किा, कक यहद
सावरकर को सवोच्च नागररक सम्मान निीं भी ममलता िै , तो भी उनका कद अप्रभाववत रिे गा तयोंकक दे श में
‘सावरकर युग’ का आगमन पिले िी िो चुका िै ।
संबंधित प्रकरर्:
सावरकर का बताया जाने वाला एक ‘उदधरर्ण’ प्रायः अकादममक गोजष्ट्ठयों में चचाष का ववर्य रिता िै , इसके
अनुसार, सावरकर ने जजन्ना के ‘दो राष्ट्र मसदधांत’ का समथषन ककया था।
• िालांकक कुछ ववशेर्ज्ञों का मानना िै , कक जिां जजन्ना दे श का ववभाजन चािते थे, विी सावरकर भारत
की क्षेत्रीय अखंडता के पक्षधर थे।
• जजन्ना, अल्पसंख्यकों का शासन-व्यवस्था में प्रतततनधधत्व चािते थे, जबकक सावरकर बिुसंख्यकों का शासन
चािते थे।
• जजन्ना, राज्य की ‘अवमशष्ट्ट शजततयां’ प्रांतों को हदए जाने के पक्ष में थे, ककं तु सावरकर इन शजततयों के
मलए ‘केंद्र’ को सौंपना चािते थे।
• जजन्ना, मसववल/लोक सेवा भती में आरक्षर्ण हदए जाने की बात करते थे, जबकक सावरकर चािते थे कक
लोक सेवाओं में भती के मलए योग्यता िी एकमात्र मानदं ड िो।
सािरकर के बारे में :
ववनायक दामोदर सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 को मिाराष्ट्र के नामसक जजले में भागुर शिर में िुआ था।
राष्ट्रिाद और सामाजजक सि
ु ार:
• ववनायक सावरकर और गर्णेश सावरकर ने 1899 में नामसक में एक िांततकारी युवा संगठन- शमत्र मेला
की शुरुआत की थी। इस संगठन को राष्ट्रीय और िांततकारी ववचारों के प्रसार के मलए स्थावपत ककया गया
था।
• वि ववदे शी वस्तुओं का ववरोध और ‘स्वदे शी’ के ववचार का समथषन करते थे। 1905 में , उन्िोंने दशिरे के
अवसर पर सभी ववदे शी सामानों को अलाव में जला हदया।
• वि नाजस्तकता और ताककषकता का समथषन करते थे और उन्िोंने रूहढ़वादी हिंद ू ववचारों का खंडन ककया।
वस्तुतः, उन्िोंने गाय की पज
ू ा को भी अंधववश्वास कि कर खाररज कर हदया था।
• ववनायक सावरकर, वर्ष 1937 से 1943 के दौरान हिंद ू मिासभा के अध्यक्ष रिे ।
• 22 अतटूबर 1939 को कांग्रस
े मंत्रालयों दवारा त्यागपत्र हदए जाने के बाद, इनके नेतत्ृ व में दहंद ू महासभा
ने मुजस्लम लीग के सार् शमलकर शसंि, बंगाल और पजश्चमोत्तर सीमांत प्रांत (NWFP) प्रांतों में सरकार
बनाने के मलए सियोग ककया।
• सावरकर ने, पर्ण
ु े में , "अमभनव भारत समाज" नामक संगठन की स्थापना की।
• इन्िोने, लोकमान्य ततलक की स्वराज पाटी की सदस्यता भी ग्रिर्ण की।
• इन्िोंने ‘फ्री इंडिया सोसाइटी’ की स्थापना की। इस सोसायटी के दवारा त्योिारों, स्वतंत्रता आंदोलन संबंधी
प्रमुख घटनाओं सहित भारतीय कैलेंडर की मित्वपूर्णष ततधथयों को मनाया जाता था और यि भारतीय
स्वतंत्रता के संदभष में ववमशष को आगे बढ़ाने के मलए समवपषत थी।
• इनका मानना था, कक भारत को अंग्रेजों से मुतत करने के मलए िधथयारों के इस्तेमाल की जरूरत िै , और
इन्िोने इंग्लैंड में िधथयारों से लैस भारतीयों का एक नेटवकष बनाया।
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महत्िपूर्भ रचनाएं:
1. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का इततिास (‘द हिस्री ऑफ द वॉर ऑफ इंडडयन इंडडपें डस
ें ’)
2. मॉले-ममंटो सध
ु ार के खखलाफ एक सशस्त्र ववद्रोि (An armed revolt against the Morley-Minto reform)
3. 'हिंदत्ु व' नामक अपनी पुस्तक में दो राष्ट्र मसदधांत की स्थापना
प्रीशलम्स शलंक:
1. ममत्रा मेला, अमभनव भारत सोसाइटी और फ्री इंडडया सोसाइटी की स्थापना ककसने की थी? इनके उददे श्य
तया थे?
2. सावरकर दवारा मलखखत पस्
ु तकें?
3. सावरकर की पस्
ु तक, जो मैडम भीकाजी कामा दवारा प्रकामशत की गई थी?
4. मॉले-ममंटो सुधार: प्रमख
ु प्रावधान
5. भारत को आजाद करने के मलए िधथयारों के इस्तेमाल पर सावरकर के ववचार
6. हिंद ू मिासभा- प्रमख
ु उपलजब्धयां
में स शलंक: दे श में िोने वाले सामाजजक सुधारों में वीर सावरकर के योगदान पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
2. पाइका विद्रोह
संदभभ: िाल िी में केंद्रीय संस्कृतत मंत्री ने ‘पाइका ववद्रोि’ (Paika Rebellion) के संदभष में तनम्नमलखखत अनुशंसा
करते िुए किा िै , कक
“ओडडशा में िुए वर्ष 1817 के ‘पाइका ववद्रोि’ को स्वतंत्रता का पिला युदध निीं किा जा सकता, लेककन अंग्रज
े ों के
खखलाफ एक जन-ववद्रोि की शुरुआत के रूप में मानते िुए इस ववद्रोि को कक्षा 8 की ‘राष्ट्रीय शैक्षक्षक एवं प्रमशक्षर्ण
अनुसंधान पररर्द’ (NCERT) इततिास की पाठ्यपुस्तक में केस स्टडी के रूप में शाममल ककया जाएगा।“
‘पाइका’ कौन र्े?
16 वीं शताब्दी के बाद ओडडशा में कई राजाओं दवारा ‘लगान-मुतत भूमम’ (तनश-कर जागीर) और खखताब के बदले
सैन्य सेवाएं प्रदान करने िेतु समाज के ववमभन्न समि
ू ों से लोगों को भती ककया गया था, जजन्िें ‘पाइका’ किा
जाता था।
ये ओडडशा के पारं पररक भू-स्वामी नागररक सैतनक थे और लड़ाई के समय योदधाओं के रूप में कायष करते थे।
पाइका विद्रोह की शुरुआत:
• जब 1803 में ईस्ट इंडडया कंपनी की सेनाओं ने अधधकांश ओडडशा पर कब्जा कर मलया और ‘खोरदा’ के
राजा की पराजय के बाद पाइकों की शजतत एवं प्रततष्ट्ठा घटने लगी।
• अंग्रेज, इस आिामक और युदधक नयी प्रजा के प्रतत अभ्यस्त और सिज निीं थे, और उन्िोंने इस मामले
को दे खने के मलए ‘वाल्टर ईवर’ की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन ककया।
• इस आयोग ने पाइकाओं को दी गई वंशानुगत लगान-मुतत भमू म त्रब्रहटश प्रशासन दवारा वापस मलए जाने
की मसफाररश की, और इस मसफाररश का उत्सािपूवक
ष पालन ककया गया।
• इसके बाद अंग्रेजों ने पाइकों की जमीन िड़प ली और कंपनी की सरकार और उसके कमषचाररयों दवारा
उनसे जबरन वसूली और उनका उत्पीड़न ककया जाने लगा। इसके जबाव में पाइकों ने ववद्रोि कर हदया।
• इस ववद्रोि का नेतत्ृ व खोरदा के राजा मुकंु द दे व दववतीय के मिासेनापतत ‘बख्शी जगबंधु ववदयाधर मिापात्र
भरमारबार राय’ ने ककया था।
• िालांकक, नमक की कीमत में वद
ृ धध, करों के भुगतान के मलए कौड़ी मुद्रा का उन्मूलन और खुले तौर पर
जबरन वसल
ू ी करने वाली भमू म राजस्व नीतत आहद ववद्रोि के अन्य अंततनषहित कारर्ण भी थे।
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पररर्ाम: शरु
ु आत में ‘कंपनी’ को इस ववद्रोि का सामना करने में काफी कहठनाई िुई, लेककन मई 1817 तक वे
ववद्रोि को दबाने में सफल रिे ।
कई पाइका नेताओं को फांसी दे दी गई या तनवाषमसत कर हदया गया। वर्ष 1825 में जगबंधु ने आत्मसमपषर्ण कर
हदया।
पाइका विद्रोह: राष्ट्रिादी आंदोलन या ककसान विद्रोह?
त्रब्रहटश ईस्ट इंडडया कंपनी दवारा अपनी सेना के बल पर प्रभुत्व में ववस्तार करने के दौरान, ‘पाइका ववद्रोि’ भारत
में िुए ककसान ववद्रोिों में से एक िै ।
इस ववद्रोि में कई मौकों पर यरू ोपीय उपतनवेशवाहदयों और ममशनररयों के साथ हिंसक रूप से मभड़त भी िुई थी;
इस वजि से पाइकाओं के प्रततरोध को कभी-कभी औपतनवेमशक शासन के खखलाफ प्रततरोध की पिली अमभव्यजतत
के रूप में दे खा जाता िै - और इसमलए ‘पाइका ववद्रोि’ को प्रकृतत में "राष्ट्रवादी" माना जाता िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. पाइका ववद्रोि
2. ‘पाइका’ कौन थे?
3. वाल्टर ईवर आयोग
में स शलंक: पाइका ववद्रोि राष्ट्रवादी आंदोलन िै या ककसान ववद्रोि? चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
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• सीटों का आवंटन, संबंधधत प्रांतों की जनसंख्या के अनप
ु ात के आधार पर ककया गया था।
• प्रत्येक त्रब्रहटश प्रांत को आवंहटत सीटों का तनधाषरर्ण तीन प्रमुख समुदायों- मुजस्लम, मसख व सामान्य - के
बीच ककया जाना था।
• प्रत्येक समुदाय के प्रतततनधधयों का चुनाव प्रांतीय असेंबली में उस समद
ु ाय के सदस्यों दवारा ककया जाना
था, और एकल संिमर्णीय मत के माध्यम से समानुपाततक तरीके से मतदान ककया जाना था।
• दे शी ररयासतों के प्रतततनधधयों का चयन इन ररयासतों के प्रमुखों दवारा ककया जाना था।
संवििान सभा की संरचना के संबंि में संक्षक्षप्त अिलोकन:
• संववधान सभा आंमशक रूप से तनवाषधचत और आंमशक रूप से नामांककत तनकाय थी।
• सदस्यों का चयन अप्रत्यक्ष रूप से प्रांतीय व्यवस्थावपका के सदस्यों के दवारा ककया जाना था, जजनका
चुनाव एक सीममत मताधधकार के आधार पर ककया गया था।
• यदयवप संववधान सभा का चन ु ाव भारत के व्यस्क मतदाताओं दवारा प्रत्यक्ष रूप से निीं िुआ था, तथावप
इसमें समाज के सभी वगों के प्रतततनधध शाममल थे।
• संववधान सभा की पिली बैठक में मजु स्लम लीग ने भाग निीं मलया।
• संववधान सभा दवारा दो साल, 11 मिीने और 18 हदनों की अवधध में 11 सत्र आयोजजत ककए गए।
• संववधान सभा का अंततम सत्र 24 जनवरी 1950 को आयोजजत ककया गया था।
संववधान सभा दवारा नयी ववधातयका के गठन िोने तक ‘अस्थायी ववधातयका’ के रूप में कायष ककया ककया गया।
इस दौरान संववधान सभा दवारा ककए गए कुछ प्रमख
ु कायष इस प्रकार थे:
1. मई 1949 में राष्ट्रमंडल में भारत की सदस्यता का सत्यापन।
2. इसने 22 जल
ु ाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया।
3. इसने 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान को अपनाया।
4. 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गीत को अपनाया।
5. 24 जनवरी 1950 को भारत के पिले राष्ट्रपतत के रूप में डॉ राजेंद्र प्रसाद को चुना।
संवििान सभा की आलोचना:
1. संववधान सभा, प्रतततनधध तनकाय निीं थी, तयोंकक सदस्य प्रत्यक्ष रूप से तनवाषधचत निीं ककए गए थे।
2. यि एक ‘संप्रभु तनकाय’ निीं था तयोंकक यि त्रब्रहटश आदे श के आधार पर गहठत की गयी थी।
3. संववधान का तनमाषर्ण करने में अनावश्यक रूप से लंबा समय लगा।
4. इसके सदस्यों में मुख्य रूप से कांग्रेस पाटी का वचषस्व था।
5. इसमें वकील-राजनेताओं का प्रभुत्व काफी अधधक था।
6. इसमें मख्
ु य रूप से हिंदओ
ु ं का वचषस्व था।
इंस्टा जजज्ञासु:
तया आप जानते िैं, कक संववधान सभा की पिली बैठक की अध्यक्षता सभा के "अस्थायी अध्यक्ष" सजच्चदानंद
मसन्िा दवारा की गयी थी? सजच्चदानंद मसन्िा, उस समय संववधान सभा में भारत के सबसे उम्रदराज सदस्य थे,
और उन्िोंने 1910 से 1920 तक इम्पीररयल लेजजस्लेहटव कौंमसल के सदस्य भी रि चुके थे।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।
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‘अल्लूरी सीताराम राजू’ के बारे में :
वर्ष 1922 में , भारतीय िांततकारी ‘अल्लूरी सीताराम राज’ू (Alluri Sitaram Raju) ने मद्रास वन अधधतनयम, 1882
को लागू ककए जाने पर त्रब्रहटश राज के खखलाफ ‘रम्पा ववद्रोि’ (Rampa Rebellion) का नेतत्ृ व ककया था। इस कानन
ू
के तित आहदवामसयों की उनके िी वनों में मुतत आवाजािी पर कड़े प्रततबंध लगा हदए गए थे।
• इस अधधतनयम के लागू िोने की वजि से, आहदवासी समुदाय ‘पारं पररक पोडु कृवर् पदधतत’ के तित खेती
निीं कर पा रिे थे। ‘पोडु कृवर् पदधतत’ (Podu agricultural system) में ‘झूम खेती’ शाममल िोती िै ।
• इस सशस्त्र संघर्ष का अंत वर्ष 1924 में एक हिंसक कारवाई के साथ िुआ, जजसमे ‘सीताराम राजू’ को
त्रब्रहटश मसपाहियों के पकड़ कर पेड़ से बांध हदया, और एक फायररंग दस्ते दवारा उसे गोली मार दी गई।
• ‘अल्लूरी सीताराम राज’ू को वीरता के मलए उन्िें ‘मान्यम वीरुडु’ (Manyam Veerudu), या 'जंगल के नायक'
की उपाधध दी गयी िै ।
‘कोमाराम भीम’ (Komaram Bheem) के बारे में :
• कोमाराम भीम (कोमुरम भीम) का जन्म वर्ष 1901 में तेलंगाना के आहदलाबाद जजले में ‘गोंड समद
ु ाय’ में
िुआ था, और वि ‘चंदा’ और ‘बल्लालपुर’ ररयासतों के जंगलों में बसी आबादी के बीच पले-बढ़े थे।
• युवावस्था में ‘कोमाराम भीम’ जेल से भागकर असम के एक चाय बागान में काम करने चले गए। यिां,
उन्िोंने ‘अल्लूरी सीताराम राजू’ के नेतत्ृ व में जारी ववद्रोि के बारे में सुना, और अपनी गोंड जनजातत की
रक्षा िे तु ववद्रोि में कूद पड़े।
रं पा (रम्पा) विद्रोह:
वर्ष 1922 का ‘रम्पा ववद्रोि’, जजसे ‘मान्यम ववद्रोि’ (Manyam Rebellion) के रूप में भी जाना जाता िै , त्रब्रहटश भारत
के अधीन ‘मद्रास प्रेसीडेंसी’ की गोदावरी शाखा में ‘अल्लरू ी सीताराम राजू’ के नेतत्ृ व में एक शरू
ु ककया गया
आहदवासी ववद्रोि था। यि ववद्रोि अगस्त 1922 में शुरू िुआ और मई 1924 में ‘राजू’ को कैद करने और उसकी
ित्या ककए जाने तक जारी रिा।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक त्रब्रहटश राज के दौरान, दे श भर में करीब 40 प्रमुख आहदवासी ववद्रोि िुए
थे, जजनमें से पिला ववद्रोि 1774-79 में , छत्तीसगढ़ के बस्तर में ‘िाल्बा जनजातत’ दवारा ‘डोंगर’ में कंपनी शासन
के खखलाफ ववद्रोि ककया गया था?
प्रीशलम्स शलंक:
1. रम्पा ववद्रोि के बारे में
2. अल्लूरी सीताराम राजू
3. कोमाराम भीम
4. मान्यम ववद्रोि
में स शलंक: ताम्पा ववद्रोि (Tampa Rebellion) के मित्व की वववेचना कीजजए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।
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• उत्तर प्रदे श के बिराइच में उसका मकबरा िै , जिााँ बड़ी संख्या में मुसलमानों के साथ-साथ हिंद ू भी तीथषयात्रा
और दशषन करने आते िैं।
• सालार मसद
ू , काहठयावाड़ में सोमनाथ पर आिमर्ण करने सहित, मिमद
ू गजनी के सभी अमभयानों में
साथ रिा। किा जाता िै , कक ‘मसूद’ ने िी अपने चाचा ‘गजनी’ को सोमनाथ की प्रमसदध मूततष ध्वस्त
करने के मलए राजी ककया था। इस कायष को फारसी कववताओं में बार-बार एक मिान उपलजब्ध के रूप में
महिमामंडडत ककया जाता िै।
• ‘गाजी ममयां’ के बारे में जानकारी का सबसे व्यापक स्रोत ‘ममरात-ए-मसूद’ (Mirat-e-Masaud) िै । यि
धचश्ती परं परा के सफ
ू ी संत अब्दरु रिमान धचश्ती दवारा रधचत 17वीं शताब्दी की फारसी में संचररत्र रचना
(Hagiography) िै ।
• किा जाता िै , कक मग
ु ल बादशाि अकबर ने गाजी ममयां की दरगाि के रख-रखाव के मलए 1571 ई. में
भमू म दान में दी थी।
सालार मसूद और राजा सुहलदे ि:
सालार मसूद और राजा सुिलदे व के बीच युदध, इततिास और ममथक दोनों का ममश्रर्ण िै ।
• अमभलेखों के अनुसार, बिराइच में , 1034 ई. में एक युदध के दौरान मसद
ू और सुिलदे व नाम के एक
स्थानीय राजा का आमना-सामना िुआ था।
• यदु ध के दौरान, मसद
ू एक तीर से घायल िो गया और दम तोड़ हदया।
• चूंकक, वि एक योदधा के रूप में अपने कतषव्यों को पूरा करते िुए मारा गया, इसमलए उसे शिीद का दजाष
'गाजी ममयां' की उपाधध दी गयी।
राजा सह
ु लदे ि:
‘सुिेलदे व’ (Suhaldev), श्रावस्ती (वतषमान उत्तर-पूवी उत्तर प्रदे श में ) के एक प्रमसदध
राजा थे। माना जाता िै कक ‘सुिेलदे व’ (Suhaldev), ‘भर समुदाय’ (Bhar community)
के राजा के सबसे बड़े पुत्र थे। ‘भर समद
ु ाय’ से िी, इस क्षेत्र के एक दमलत जातत
समूि ‘पासी समुदाय’ का उदय िुआ।
इस क्षेत्र के प्रचमलत इततिास में इनके मलए सि
ु लदे व, साकारदे व, सिरदे व और सहु िलदे व
सहित कई नामों से जाना जाता िै । यदयवप, समकालीन मुद्रर्ण परं परा में इन्िें राजा
सुिलदे व के रूप में जाना जाता िै ।
इन शजससयतों को लेकर वििाद:
• गाजी ममयां की पूजा करने वाले कुछ लोग ‘सुिलदे व’ को एक स्थानीय जनजातत के राजा के रूप में दे खते
िैं। इनमे से अधधकााँश लोग मजु स्लम िै , और ये लोग ‘राजा सि
ु लदे व’ को अपने ऊपर शासन करने वाला
एक अत्याचारी और उत्पीड़क राजा मानते िैं।
• िालााँकक, ‘राजा सुिलदे व’ को एक वीर योदधा भी माना जाता िै , और उन्िें हिंदओ
ू ं (या, भारतीय-धमष और
संस्कृतत) को नष्ट्ट करने की कोमशश करने वाले ववदे शी आिमर्णकारी (गाजी ममयां) के खखलाफ यद
ु ध करने
वाले, एक उदधारकताष के रूप में प्रस्तुत ककया जाता िै।
आज ‘मिाराजा सुिालदे व’ की स्मतृ त में उत्सव मनाया जाता िै ।
• फरवरी 2016 में , तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अममत शाि ने सुिलदे व को एक राष्ट्रीय नायक के रूप में
सम्मातनत ककया और बिराइच में उनकी प्रततमा का अनावरर्ण ककया।
• भारतीय रे लवे दवारा गाजीपरु से ‘सि
ु लदे व एतसप्रेस’ की शरु
ु आत की गयी िै ।
• वर्ष 2017 में उत्तर प्रदे श सरकार दवारा लखनऊ में सि
ु लदे व की एक प्रततमा स्थावपत करने संबंधी एक
योजना की घोर्र्णा की गयी थी।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।
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6. श्री अरबबंदो
संदभभ: िाल िी में , प्रधानमंत्री श्री नरे न्द्र मोदी ने, श्री अरत्रबंदो (Sri Aurobindo) की 150वीं जयंती पर आयोजजत
ककए जाने वाले स्मरर्णोत्सव के मलए गहठत ‘उच्च स्तरीय सममतत’ की पिली बैठक की अध्यक्षता की।
• बैठक में उन्िोंने दे श भर के 150 ववश्वववदयालयों को श्री अरत्रबंदो के जीवन और दशषन के ववमभन्न पिलओ
ु ं
पर लेख मलखने िे तु शाममल करने और इस अवसर पर 150 लेखों को प्रकामशत करने का सुझाव हदया।
• श्री अरत्रबंदो का जन्म 15 अगस्त, 1872 को कोलकाता, पजश्चम बंगाल में िुआ था।
‘श्री अरबबंदो’ के बारे में :
• श्री अरत्रबंदो (अरववन्द घोर्), ‘आध्याजत्मक ववकास के माध्यम से पथ्
ृ वी पर
हदव्य जीवन’ के दशषन को प्रततपाहदत करने वाले एक योगी, द्रष्ट्टा, दाशषतनक,
कवव और भारतीय राष्ट्रवादी थे।
• इन्िोंने यव
ु ा अवस्था में वर्ष 1902 से 1910 तक स्वतन्त्रता संग्राम में
िाजन्तकारी के रूप में भाग मलया।
• बाद में श्री अरत्रबंदो एक योगी बन गये और इन्िोंने पांडडचेरी में एक
‘आध्याजत्मक साधकों’ के एक संप्रदाय की स्थापना की, जो 1926 में ‘श्री
अरत्रबंदो आश्रम’ के रूप में ववकमसत िुआ।
• वि अमेररकी िांतत, इटली में ववद्रोि और मध्यकालीन इंग्लैंड के खखलाफ
फ्रांसीसी ववद्रोिों से बिुत प्रभाववत थे।
• उन्िोंने कांग्रेस के अधधवेशनों में भाग मलया और साथ िी वर्ष 1902 में
कलकत्ता में ‘अनश
ु ीलन सममतत’ की स्थापना में सियोग ककया।
• उन्िोंने और उनके भाई िांततकारी बाररन घोर् (Barin Ghose) ने युगांतर पत्रत्रका में कई लेख मलखे, जजसने
कई युवाओं को िांततकारी कायष करने के मलए प्रेररत ककया।
• वे ‘बंदे मातरम’ जैसे समाचार पत्रों का संपादन करने वाले पत्रकार भी थे।
• मई 1908 में , अरत्रबंदो को ‘अलीपुर र्डयंत्र केस’ के मसलमसले में धगरफ्तार ककया गया था।
• 1914 में उन्िोंने ‘आयष पत्रत्रका’ का प्रकाशन शरू
ु ककया।
• उन्िोंने काफी संख्या में रचनाएाँ की। उनकी सबसे प्रख्यात साहिजत्यक उपलजब्ध 'साववत्री' थी। इस मिाकाव्य
कववता में लगभग 24000 पंजततयां िैं।
• उन्िोंने एक प्रकार का योग ववकमसत ककया जजसे ‘एकात्म योग’ (Integral Yoga) किा जाता िै ।
राष्ट्रिाद का उनका शसद्िांत:
श्री अरत्रबंदो घोर् को भारतीय राष्ट्रवाद का पैगम्बर माना जाता था। बंककमचंद्र, ततलक और दयानंद के साथ-साथ,
उन्िोंने भारत में राष्ट्रवाद के मसदधांत को ववकमसत ककया।
• श्री अरत्रबंदो का राष्ट्रवाद का मसदधांत, वेदांत दशषन पर आधाररत था, जजसमें ‘मनुष्ट्य और ईश्वर’ में
एकरूपता और एकात्मकता की बात किी गयी थी।
• उन्िोंने किा कक, भारत वास्तव में ‘भारत माता’ िै जो अपने लाखों बच्चों की एकजुट शजतत और सत्ता
का प्रतततनधधत्व करती िै । भारत माता, अपने लोगों की अनंत ऊजाष का प्रतततनधधत्व करती िै : उन्िोंने
भारत माता को ईश्वर की तरि बताया और किा कक यि भारत को स्वतंत्र कराना, ईश्वर का हदव्य ममशन
िै ।
• उन्िोंने किा कक गांवों को अपनी स्वायत्तता और स्वशासन कायम रखना चाहिए, लेककन साथ िी, 'राष्ट्रीय
एकता को बढ़ावा दे ने की कोमशश करनी चाहिए। ‘राष्ट्रीय स्वराज’ का आदशष, ‘आत्मतनभषर, स्वायत्त और
स्वशासी, पुराने ग्राम समाज’ पर आधाररत िोना चाहिए।
स्रोत: द हिंद।ू
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7. रानी लक्ष्मी बाई
संदभभ उत्तर प्रदे श के ‘झांसी रे लवे स्टे शन’ को अब ‘वीरांगना लक्ष्मीबाई रे लवे
स्टे शन’ के नाम से जाना जाएगा।
रे लिे स्टे शन का नाम बदलने की प्रकक्रया:
• उत्तर प्रदे श सरकार दवारा पिले इस स्टे शन का नाम बदलने का प्रस्ताव
केंद्रीय गि
ृ मंत्रालय को भेजा गया था।
• केंद्रीय रे ल मंत्रालय, भारतीय सवेक्षर्ण ववभाग और डाक ववभाग से अनापवत्त
प्राप्त करने के बाद, ‘गि
ृ मंत्रालय’ दवारा ककसी भी स्टे शन या स्थान के नाम पररवतषन के मलए सिमतत
दी जाती िै ।
• उपरोतत संगठन इस बात की पुजष्ट्ट करते िैं, कक उनके ररकॉडष में प्रस्ताववत नाम के समान नाम वाला
कोई अन्य कस्बा या गांव निीं िै ।
• नाम पररवतषन को मंजूरी ममलने के बाद, एक कायषकारी आदे श जारी ककया जाता िै , जजसके उपरांत ‘रे ल
मंत्रालय’ दवारा तदनुसार स्टे शन कोड बदल हदया जाता िै ।
‘रानी लक्ष्मीबाई’ के बारे में :
• ‘रानी लक्ष्मीबाई’ का जन्म 19 नवंबर, 1828 को वारार्णसी, उत्तर प्रदे श में िुआ था, इनका बचपन का नाम
‘मखर्णकखर्णषका तांबे’ था।
• वर्ष 1842 में ‘लक्ष्मीबाई’ का वववाि झांसी के राजा ‘गंगाधर नेवालकर’ से िुआ।
अंग्रेजों और रानी लक्ष्मीबाई के बीच यद् ु ि:
रानी लक्ष्मीबाई के एक पत्र
ु िुआ जजसका नाम ‘दामोदर राव’ रखा गया, ककं तु जन्म के चार मिीने के भीतर िी
उसकी मत्ृ यु िो गयी। मशशु की मत्ृ यु के बाद, लक्ष्मीबाई के पतत ने अपने एक चचेरे भाई के बच्चे ‘आनंद राव’ को
गोद मलया, और मिाराजा की मत्ृ यु से एक हदन पिले उसका नाम ‘दामोदर राव’ रखा गया था।
• लॉडष डलिौजी ने बच्चे को राज्य का उत्तराधधकारी स्वीकार करने से इनकार कर हदया और ‘व्यपगत का
मसदधांत’ या ‘िड़प नीतत’ (Doctrine of Lapse) के माध्यम से राज्य पर कब्जा कर मलया। ककं तु, रानी ने
लॉडष डलिौजी के इस फैसले को मानने से इनकार कर हदया।
• इसी बात को लेकर दोनों के बीच युदध शुरू िो गया। अंग्रेजों ने शिर के चारो ओर घेराबंदी कर दी, ‘झांसी
की रानी’ ने इस दौरान दो सप्ताि तक अंग्रज
े ों को कड़ी टतकर दी।
• उसने अंग्रेजों के खखलाफ बिादरु ी से लड़ाई लड़ी और अपने राज्य को बचाने के मलए अंग्रेजी सेना के
कप्तान सर ‘हयू रोज’ का कड़ा मुकबला ककया।
• 17 जनू , 1858 को यदु ध के मैदान में लड़ते िुए रानी लक्ष्मीबाई वीरगतत को प्राप्त िो गई।
‘व्यपगत का शसद्िांत’ या ‘हड़प नीतत’:
‘व्यपगत का मसदधांत’ या ‘िड़प नीतत’ (डॉजतरन ऑफ लैप्स) छोटे राज्यों और दे शी ररयासतों को अंग्रेजी साम्राज्य
में ववलय करने की एक नीतत थी। जजसे, वर्ष 1848 से 1856 तक भारत के गवनषर-जनरल रिने के दौरान लॉडष
डलिौजी दवारा व्यापक रूप से लागू ककया गया था।
• इस नीतत के अनुसार, ईस्ट इंडडया कंपनी के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष (एक जागीरदार के रूप में ) तनयंत्रर्ण के
तित ककसी भी ररयासत पर, जिां शासक का कोई कानन
ू ी पुरुर् उत्तराधधकारी निीं था, कंपनी दवारा कब्जा
कर मलया जाएगा।
• इसके अनस
ु ार, भारतीय शासक के ककसी दत्तक पत्र
ु को राज्य का उत्तराधधकारी घोवर्त निीं ककया जा सकता
था। इस नीतत ने, भारतीय शासक के अपनी पसंद के उत्तराधधकारी को तनयुतत करने के लंबे समय से
चले आ रिे अधधकार को चन
ु ौती दी थी।
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इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक, जब 1943 में ‘आजाद हिन्द फौज’ या ‘इजण्डयन नेशनल आमी’ (Indian
National Army) ने अपनी पिली महिला इकाई का गठन ककया था, तो इसका नाम झांसी की वीर रानी के नाम
पर रखा गया।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।
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विषय:महिलाओं की भूममका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबदध मुददे , गरीबी और ववकासात्मक ववर्य,
शिरीकरर्ण, उनकी समस्याएाँ और उनके रक्षोपाय।
1. स्माटभ शसटीज शमशन
संदभभ: COVID-19 मिामारी के कारर्ण िुई दे री और अगस्त में नीतत आयोग दवारा की गयी मसफाररश के आधार
पर ‘स्माटष मसटीज ममशन’ (SCM) के तित सीमा, ‘भाग लेने वाले सभी 100 शिरों’ के मलए, पररयोजनाओं को पूरा
करने की समय जून 2023 तक बढ़ा दी गई िै ।
स्माटभ शसटी शमशन:
• स्माटष मसटीज ममशन (Smart Cities Mission), भारत सरकार ने 2015 में शरू
ु ककया था।
• ममशन के तित पररयोजनाओं को पूरा करने के मलए चयतनत शिरों को पांच साल का समय हदया गया
था, जजसमें स्माटष मसटी का पिला सेट 2021 में पूरा िोने की उम्मीद िै ।
• इस ममशन में 100 शिरों को शाममल ककया जाएगा और इसकी अवधध पांच साल (ववत्तीय वर्ष 2015-16 से
ववत्तीय वर्ष 2019-20) की िोगी।
• इस ममशन का उददे श्य, शिरी कायों को एकीकृत करना, दल
ु भ
ष संसाधनों का अधधक कुशलता से उपयोग
करना और नागररकों के जीवन की गुर्णवत्ता में सध
ु ार करना िै ।
• यि, आवास और शिरी मामलों के मंत्रालय के तित एक अमभनव पिल िै ।
• यि एक ‘केंद्र प्रायोजजत योजना’ िै ।
‘स्माटभ शसटी’ में पररकजल्पत ‘चार स्तंभ’:
1. सामाजजक अवसंरचना (Social Infrastructure)
2. भौततक अवसंरचना (Physical Infrastructure)
3. प्रशासन सहित संस्थागत अवसंरचना (Institutional Infrastructure)
4. आधथषक अवसंरचना (Economic Infrastructure)
इस योजना के तहत की गई प्रगतत (जून 2021 तक):
• इस ममशन के तित कुल प्रस्ताववत पररयोजनाओं में से 5,924 पररयोजनाओं के टें डर जारी िो चुके िैं,
5,236 पररयोजनाओं के मलए कायष आदे श जारी ककए जा चक
ु े िैं और 2,665 पररयोजनाएं परू ी तरि से चालू
िैं।
• 24,964 करोड़ रुपए की 212 तनजी-सावषजतनक पररयोजनाएं पूरी िो चुकी िैं।
• 70 स्माटष शिर ववकमसत ककए जा चुके िैं और इनमे एकीकृत कमांड और तनयंत्रर्ण केंद्रों (Integrated
Command and Control Centres - ICCCs) का संचालन शुरू िो गया िै ।
आगे की चन
ु ौततयां:
1. ऊजाष दक्ष और िररत भवनों के तनमाषर्ण में अभी काफी प्रगतत अपेक्षक्षत िै ।
2. शिरी तनकायों को आत्मतनभषर बनाना।
3. सावषजतनक पररविन की हिस्सेदारी घटती जा रिी िै । बढ़ते शिरीकरर्ण की जरूरतों को परू ा करने के मलए
इसमें वद
ृ धध ककए जाने की जरूरत िै ।
4. शिरीकरर्ण में वद
ृ धध के कारर्ण, बढ़ता वायु प्रदर्
ू र्ण और सड़कों पर भीड़भाड़ में वद
ृ धध।
इंस्टा जजज्ञासु:
• तया आप ‘ग्लोबल स्माटष मसटी इंडेतस’ के बारे में जानते िैं?
• तया आपको ‘शिरी नवाचार सच
ू कांक’ (CiX) के बारे में याद िै ?
स्रोत: द हिंद।ू
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2. सहायक प्रजनन तकनीक एिं सरोगेसी वििेयक
संदभभ:
िाल िी में , लोकसभा दवारा ‘सिायक प्रजनन प्रौदयोधगकी ववतनयमन ववधेयक’, 2020 (Assisted Reproductive
Technology Regulation Bill, 2020) पाररत कर हदया गया िै । ववधेयक में , दे श में ‘सिायक प्रजनन तकनीक
(Assisted Reproductive Technology - ART) सेवाओं के सुरक्षक्षत और नीततपरक तौर-तरीकों को अपनाने के मलए
अनेक प्रावधान ककए गए िैं।
वििेयक का अिलोकन एिं इसके प्रमुख बबंद:ु
1. ववधेयक में , ‘इन-ववरो फहटषलाइजेशन’ (IVF) तलीतनक में काम करने वाले व्यजततयों के मलए एक आचार
संहिता बनाने और लागू करने िे तु एक राष्ट्रीय बोडष के गठन का प्रावधान ककया गया िै ।
2. इसमें , ‘सिायक प्रजनन तकनीक’ (ART) तलीतनकों और बैंकों दवारा तनयोजजत ककए जाने वाले ववशेर्ज्ञों
और भौततक बतु नयादी ढांचे, प्रयोगशाला, नैदातनक उपकरर्ण आहद के मलए न्यन
ू तम मानक तनधाषररत ककए
गए िैं।
3. ववधेयक में , ART के माध्यम से पैदा िोने वाले बच्चे के लाभ िे तु ‘आरोपर्ण’ (Implantation) से पिले भ्रर्ण
ू
के आनुवंमशक परीक्षर्ण को अतनवायष ककया गया िै ।
4. इसमें शुिार्णु (Sperm), अंडार्णु (Oocytes) और भ्रर्ण
ू (Embryos) के मलए अतततनम्न-तापीय संरक्षर्ण (Cryo-
Preservation Processes) प्रकियाओं को व्यवजस्थत करने िे तु प्रावधान ककए गए िैं।
5. ववधेयक में , एक केंद्रीय डेटाबेस बनाए रखने और राष्ट्रीय बोडष को कामकाज में सिायता करने िे तु एक
‘राष्ट्रीय रजजस्री एवं पंजीकरर्ण प्राधधकरर्ण’ के गठन का भी प्रस्ताव ककया गया िै ।
6. इस ववधेयक में ‘मलंग चयन, मानव भ्रर्ण
ू या यग्ु मक की त्रबिी और इस तरि के अन्य गैरकानन
ू ी कायों के
मलए एजेंमसयों/रै केट/संगठनों को चलाने वालों के मलए कड़ी सजा का प्रस्ताव ककया गया िै ।
इस संबंि में एक कानून की आिश्यकता:
संबंधधत महिलाओं एवं बच्चों को शोर्र्ण से संरक्षर्ण प्रदान करने िे तु ‘सिायक प्रजनन तकनीक’ (ART) सेवाओं को
ववतनयममत करने की आवश्यकता िै । वतषमान में तलीनकों के मलए ‘भारतीय आयुववषज्ञान अनुसध
ं ान पररर्द’ (ICMR)
के साथ पंजीकरर्ण कराना स्वैजच्छक िै , जजसकी वजि से अधधकांश तलीतनक पंजीकरर्ण कराने की जिमत निीं
उठाते िैं, और बांझपन उपचार की पेशकश करते समय अस्पष्ट्टता रखते िैं।
महत्ि:
इस अधधतनयम के लागू िोने से, दे श में ‘सिायक प्रजनन प्रौदयोधगकी सेवाएं’ ववतनयममत िोंगी। जजसके
पररर्णामस्वरूप, बांझ दं पतत ‘एआरटी तलीतनकों’ में नैततक तौर-तरीकों के बारे में अधधक सुतनजश्चत और आश्वस्त
िो सकेंगे।
एआरटी के बारे में :
‘सिायक प्रजनन तकनीक (Assisted Reproductive Technology - ART), में आमतौर पर इन-ववरो फहटष लाइजेशन
(IVF), इंरा-यट
ू े राइन इनसेममनेशन (IUI), अंडार्णु एवं शि
ु ार्णु डोनेशन, अतततनम्न-तापीय संरक्षर्ण (Cryo-Preservation
Processes) जैसी प्रकियाएं शाममल िोती िैं, इनके अलावा ‘सरोगेसी’ (Surrogacy) को भी इसमें शाममल ककया जाता
िै ।
तनःसंतान िोने के सामाजजक कलंक और गोद लेने की लंबी प्रकियाओं की वजि से भारत में ‘सिायक प्रजनन
तकनीक (ART) की मांग में वद
ृ धध िुई िै । अतः ART उदयोग में 10% की चिवद
ृ धध दर से वावर्षक वद
ृ धध िोने की
संभावना कोई आश्चयष की बात निीं िै ।
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भारत में ‘सरोगेसी’ बनाम ART:
• ‘सरोगेसी (तनयमन) ववधेयक’ (Surrogacy (Regulation) Bill), बांझपन की समस्या के तनदान िे तु ‘स्थानापन्न
मातत्ृ व’ अथाषत ‘सरोगेसी’ (Surrogacy) से संबंधधत िै , जजसमे एक तीसरा व्यजतत, अथाषत एक महिला,
सरोगेट मां के रूप में कायष करती िै । ‘सिायक प्रजनन तकनीक (ART) प्रकिया में , संतान के आकांक्षी
दं पवत्त स्वयं इस उपचार का लाभ उठा सकते िैं और इसमें ककसी तीसरे व्यजतत की प्रायः जरूरत निीं
पड़ती िै ।
• सरोगेसी की अनुमतत, केवल भारतीय वववाहित दम्पतत के मलए िै । जबकक, एआरटी प्रकियाएं वववाहित
दं पततयों, मलव-इन पाटष नसष, मसंगल महिलाओं और ववदे मशयों के मलए भी खल
ु ी िैं।
• वर्ष 2015 में जारी एक अधधसूचना के माध्यम से ववदे मशयों या OCI या PIO काडषधारकों को भारत में
सरोगेसी प्रकिया शुरू करने से प्रततबंधधत ककया गया िै , ककं तु भारतीय नागररकता रखने वाले NRI सरोगेसी
का लाभ उठा सकते िैं। जबकक एआरटी सेवाओं का लाभ उठाने के मलए, ववदे शी नागररक, धचककत्सा पयषटन
के तित भारत आ सकते िैं।
इंस्टा जजज्ञासु:
महिलाओं के प्रजनन अधधकारों की रक्षा िे तु एक और मित्वपूर्णष ववधेयक - सरोगेसी (तनयमन) ववधेयक, 2019 - 5
अगस्त, 2019 - को लोकसभा दवारा पाररत ककया गया था। ववधेयक के कई पिलुओं पर ववचार करने िे तु इसे एक
प्रवर सममतत को भेजा गया, जजसने एआरटी ववधेयक को पिले लाये जाने की मसफाररश की थी, जजससे बाद में
सरोगेसी (ववतनयमन) ववधेयक, 2019 में , सभी उच्च तकनीकी और धचककत्सा पिलओ
ु ं को संबोधधत ककया जा सके।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘सिायक प्रजनन प्रौदयोधगकी ववतनयमन ववधेयक’ के बारे में
2. मुख्य ववशेर्ताएं, लाभ
3. सरोगेसी त्रबल, प्रमख
ु प्रावधान
में स शलंक: सरोगेसी ववधेयक से जुड़ी धचंताओं पर चचाष कीजजए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।
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विश्ि असमानता ररपोटभ , 2022 के प्रमुख तनष्ट्कषभ:
• राष्ट्रीय आय में भागीदारी के संदभष में अमीर और गरीब के बीच का अंतर काफी बड़ा िै , और सरकारी
नीततयों के समद
ृ ध अमभजात वगष के पक्ष में िोने के पररर्णामस्वरूप इस अंतर में तेजी से वद
ृ धध िो रिी
िै । वैजश्वक आबादी के 10 प्रततशत सबसे अमीर आबादी के पास वैजश्वक आय का 52% हिस्सा िै , जबकक
सबसे गरीब 50% आबादी को इसका मात्र 8.5% भाग प्राप्त िोता िै ।
• वैजश्वक संपवत्त असमानता, आय असमानता से भी बदतर िैं। सबसे गरीब 50% आबादी के पास वैजश्वक
संपवत्त का मात्र 2% िै , जबकक सबसे अमीर 10% आबादी के पास कुल संपवत्त का 76% भाग िै ।
• दे शों के बीच असमानता में कमी कम िो रिी िै , जबकक दे शों के भीतर असमानता बढ़ती जा रिी िै । सबसे
अमीर 10% दे शों की औसत आय और सबसे गरीब 50% दे शों की औसत आय के बीच का अंतर 50 गर्ण
ु ा
से घटकर 40 गर्ण
ु ा से भी कम िो गया िै । दे शों के भीतर शीर्ष 10% व्यजततयों और तनचले 50% व्यजततयों
की औसत आय के बीच का अंतर लगभग दोगन
ु ा (8.5 गर्ण
ु ा से 15 गर्ण
ु ा) िो गया िै ।
• दे श अमीर होते जा रहे हैं, ककं तु सरकारें गरीब होती जा रही हैं: राष्ट्रीय संपवत्त में तनजी स्वाममत्व वाली
संपवत्त का हिस्सा बढ़ रिा िै , जबकक सावषजतनक पररसंपवत्तयों (भवन, ववश्वववदयालय, सड़क, अस्पताल आहद)
का हिस्सा कम िोता जा रिा िै ।
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भारत में असमानता- 1947 से पहले और बाद में :
भारत में वतषमान ‘आय असमानता’ त्रब्रहटश शासन-काल के मुकाबले बदतर िै । अंग्रेजी शासन (1858-1947) के
दौरान, भारत में शीर्ष 10% आबादी का राष्ट्रीय आय में लगभग 50% (वतषमान के 57% से कम) हिस्सा था।
• भारत को स्वतंत्रता ममलने के बाद के दशकों में , समाजवादी आधथषक नीततयों ने आय असमानता को कम
ककया, जजससे शीर्ष 10% आबादी की हिस्सेदारी 35-40% िो गई।
• ररपोटष के अनुसार, 1980 के दशक से, "ववतनयमन और उदारीकरर्ण नीततयों की वजि से ववश्व में आय
और धन असमानता में सबसे अधधक वद
ृ धध दे खी गयी िै ।"
ररपोटभ के समग्र तनष्ट्कषभ:
ररपोटष में इस तथत को उजागर ककया गया िै कक असमानता और गरीबी अपररिायष या तनजश्चत निीं िोती िै ,
बजल्क मुख्य रूप से यि नीततगत तनर्णषयों का नतीजा िोती िैं।
• ररपोटष में , 1980 के दशक के बाद से - वपछले तीन दशकों के ववपरीत -ववमभन्न दे शों में लागू ककए गए
उदारीकरर्ण कायषिमों के बाद, दतु नया भर में असमानताओं के बढ़ने संबंधी करर्णों का पता लगाया गया
िै ।
• ववश्व असमानता ररपोटष , 2022 में , नीततगत उपायों के रूप में अत्याधधक धनवान (सुपर-ररच) पर संपवत्त
कर लगाने तथा, एक सशतत पुनववषतरर्ण व्यवस्था, जो यहद बढ़ती असमानता की मौजूदा प्रववृ त्त को उलट
निीं सके तो कम से कम इसे रोकने में सक्षम िो, तैयार करने की मसफाररश की गयी िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ववश्व असमानता ररपोटष (WIR) ककसके दवारा जारी की जाती िै ?
2. मानदं ड
3. ररपोटष के प्रमुख तनष्ट्कर्ष
4. भारतीय पररदृश्य
में स शलंक: भारत में बढ़ती असमानता से संबंधधत धचंताओं पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
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योजना के पररर्ाम:
1. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, जन्म के समय मलंगानुपात में सुधार के आशाजनक रुझान हदखाई दे रिे िैं
और इसमें वर्ष 2014-15 में 918 से 16 अंकों का सध
ु ार िोकर वर्ष 2019-20 में 934 िो चक
ु ा िै ।
2. प्रसवपूवष दे खभाल की पिली ततमािी के दौरान स्वास्थ्य प्रततशत में सध
ु ार की प्रववृ त्त हदखाई दे ती गई, और
यि वर्ष 2014-15 में 61 प्रततशत से बढ़कर वर्ष 2019-20 में 71 प्रततशत िो गया िै ।
3. माध्यममक स्तर पर स्कूलों में लड़ककयों के सकल नामांकन अनुपात भी वर्ष 2014-15 के 77.45 प्रततशत
से बढ़ कर वर्ष 2018-19 (अनंततम आंकड़े) में 81.32 प्रततशत िो गया िै ।
इंस्टा जजज्ञास:ु
तया आप ‘सुकन्या समद
ृ धध योजना’ के बारे में जानते िैं? यि ‘बेटी बचाओ बेटी पढाओ’ अमभयान के एक भाग
के रूप में शुरू की गई बामलकाओं के मलए एक लघु बचत योजना िै ।
स्रोत: द हिंद।ू
5. मदहला न्यायािीश
संदभभ: भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमर्ण ने ‘अधधक महिला न्यायाधीशों को शाममल ककए जाने’ की मांग
को सुप्रीम कोटष कॉलेजजयम के समक्ष रखने का वादा ककया िै ।
भारतीय न्यायपाशलका में मदहलाओं की जस्र्तत:
• सुप्रीम कोटष के 71 वर्ों के इततिास में , अब तक केवल आठ महिला न्यायाधीश शीर्ष अदालत में तनयुतत
की गयी िैं। सप्र
ु ीम कोटष में पिली महिला न्यायाधीश ‘फाततमा बीवी’ थीं, जजन्िें सप्र
ु ीम कोटष की स्थापना
से 39 साल के लंबे अंतराल के बाद शीर्ष अदालत की पीठ में पदोन्नत ककया गया था।
• उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में कुल स्वीकृत 1,113 न्यायाधीशों की संख्या में , केवल 80
महिला न्यायाधीश िैं।
• छि उच्च न्यायालयों - मखर्णपुर, मेघालय, पटना, त्रत्रपुरा, तेलंगाना और उत्तराखंड – में कोई महिला न्यायाधीश
निीं िैं।
सिोच्च न्यायालय में विवििता और लैंधगक प्रतततनधित्ि के लाभ:
1. महिला न्यायाधीशों का उन स्थानों में शाममल करना जिां से उन्िें ऐततिामसक रूप से बािर रखा गया था,
न्यायपामलका को अधधक पारदशी, समावेशी और प्रतततनधध रूप में समझे जाने, की हदशा में एक सकारात्मक
कदम रिा िै ।
2. अपनी उपजस्थतत मात्र से, महिला न्यायाधीश अदालतों की वैधता में वद
ृ धध करती िैं, एक सशतत संकेत
भेजती िैं कक अदालतें , न्याय की शरर्ण में आने वालों के मलए खुली िै और सुलभ िैं।
3. महिला न्यायाधीश, न्याय की संभावना में सध
ु ार करने के अलावा किीं अधधक योगदान कर सकती िैं: वे
तनर्णषय लेने की गर्ण
ु वत्ता में भी मित्वपर्ण
ू ष योगदान दे कर न्याय की गर्ण
ु वत्ता में भी योगदान दे ती िैं।
4. कानून और तनर्णषय ककस तरि लैंधगक रूहढ़यों पर आधाररत िो सकते िैं, अथवा इनका महिलाओं और
पुरुर्ों पर अलग-अलग प्रभाव ककस तरि पड़ सकता िै , इसको स्पष्ट्ट करते िुए ‘लैंधगक पररप्रेक्ष्य’
न्यायतनर्णषयन की तनष्ट्पक्षता में वद
ृ धध करता िै ।
5. महिला न्यायाधीश, अपने साथ बीते िुए अनुभवों का अपने न्यातयक कायों के उपयोग में लाती िैं, ऐसे
अनुभव, अधधक व्यापक और समानुभूततपूर्णष दृजष्ट्टकोर्ण की ओर प्रवत्त
ृ करते िैं।
6. यौन हिंसा से जुड़े मामलों में , न्यातयक प्रकिया में महिलाओं के प्रतततनधधत्व में सुधार, अधधक संतुमलत
और समानुभूततपूर्णष दृजष्ट्टकोर्ण की हदशा में अतत मित्वपूर्णष सात्रबत िो सकता िै ।
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न्यायपाशलका में मदहलाओं के प्रिेश संबंिी चुनौततयााँ:
• जजला न्यायाधीशों के रूप में महिलाओं की भती में , प्रवेश परीक्षा दे ने के मलए पात्रता मानदं ड एक प्रमख
ु
बाधा िैं।
• न्यायाधीश बनने िे तु, वकीलों के मलए सात साल की तनरं तर कानूनी प्रैजतटस, और 35-45 की आयु वगष
में िोना आवश्यक िोता िै ।
• यि शतष, महिलाओं के मलए नुकसान-दे ि िै , तयोंकक इस उम्र में कई महिलाओं की शादी िो जाती िै ।
• इसके अलावा, कानूनी क्षेत्र में लंबे और कड़े काम के घंटे, पाररवाररक जजम्मेदाररयों के साथ, कई महिलाओं
को कानन
ू ी प्रैजतटस छोड़ने के मलए मजबरू कर दे ते िैं और जजससे वे तनरं तर प्रैजतटस की अतनवायषता को
पूरा करने में ववफल रिती िैं।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक वतषमान में , सवोच्च न्यायालय के अब तक के इततिास में सवाषधधक महिला
न्यायाधीश िैं?
प्रीशलम्स शलंक:
1. कॉलेजजयम तया िै ?
2. सवोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की तनयुजतत कैसे की जाती िै ?
3. सेवातनवत्त
ृ न्यायाधीशों की तनयुजतत
4. संबंधधत संवध
ै ातनक प्रावधान
5. शजततयां और कायष
में स शलंक: न्यायाधीशों की तनयुजतत के मलए कॉलेजजयम प्रर्णाली से जुड़े मुददों पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
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सशमतत द्िारा प्रस्तुत प्रस्तािों के पक्ष में तकभ:
सममतत के अनुसार, कक उपयत
ुष त अनुशंसाएं ‘जनसंख्या तनयंत्रर्ण’ (भारत की ‘कुल प्रजनन दर’ में पिले से िी कमी
आ रिी िै ) के तकष की अपेक्षा ‘महिला सशजततकरर्ण एवं लैंधगक समानता’ पर अधधक आधाररत िै । सममतत का
किना िै , कक कानून के प्रभावी रूप से लागू िोने के मलए, मशक्षा और आजीववका तक पिुंच में एक साथ वद
ृ धध
की जानी चाहिए।
आलोचना:
• महिला अधधकार कायषकताषओं ने इस सुझाव का ववरोध ककया िै और कई प्रमार्णों का उदधरर्ण दे ते िुए यि
सात्रबत ककया िै , कक इस तरि की कायषवािी का इस्तेमाल, माता-वपता की सिमतत के त्रबना वववाि करने
वाले युवा वयस्कों को ‘कैद करने’ के मलए ककया जा सकता िै ।
• साथ िी, इस कदम से कानन
ू के लागू िोने के बाद, िोने वाले बड़ी संख्या में वववािों का ‘अपराधीकरर्ण’ िो
जाएगा, अथाषत बड़ी संख्या में िोने बाले वववाि ‘अपराध’ माने जाएंग।े
इस संदभभ में िैिातनक प्राििान:
वतषमान में , कानून के अनस
ु ार, पुरुष तर्ा मदहलाओं के शलए वििाह की न्यूनतम आयु क्रमशः 21 और 18 िषभ
तनिाभररत है ।
वििाह हे तु तनिाभररत न्यूनतम आयु, व्यस्क होने की आयु से शभन्न होती है । वयस्कता, लैंधगक रूप से तटस्थ
िोती िै ।
1. भारतीय ियस्कता अधितनयम, 1875 के अनुसार, कोई व्यजतत 18 वर्ष की आयु परू ी करने पर ‘व्यस्क’ िो
जाता िै ।
2. हिंदओ
ु ं के मलए, दहंद ू वििाह अधितनयम, 1955 की िारा 5 (iii), में वधू न्यन
ू तम आयु 18 वर्ष तथा वर के
मलए न्यूनतम आयु 21 वर्ष तनधाषररत की गई िै । बाल वििाह गैरकानूनी नहीं है ककं तु वववाि में ककसी
नाबामलग (वर अथवा वधू) के अनुरोध पर वववाि को शून्य घोवर्त ककया जा सकता िै ।
3. इस्लाम में , नाबाशलग के यौिन प्राप्त कर लेने के पश्चात वििाह को मजु स्लम पसषनल लॉ, के तित वैध
माना जाता िै ।
4. विशेष वििाह अधितनयम, 1954 और बाल वििाह तनषेि अधितनयम, 2006 के अंतगषत िमशः महिलाओं
और पुरुर्ों के मलए वववाि के मलए सिमतत की न्यूनतम आयु के रूप में 18 और 21 वर्ष तनधाषररत की
गयी िै ।
इस कानून पर पुनविभचार की आिश्यकता:
महिलाओं में प्रारं मभक गभाषवस्था के जोखखमों को कम करने तथा ‘लैंधगक-तटस्थता’ लाने िे तु महिलाओं के मलए
वववाि की न्यन
ू तम आयु बढ़ाने के पक्ष में कई तकष हदए जाते रिे िैं।
• प्रारं मभक गभाषवस्था का संबध
ं बाल मत्ृ यु दर में वद
ृ धध से िोता िै तथा यि मााँ के स्वास्थ्य को प्रभाववत
करती िै ।
• वववाि के मलए न्यन
ू तम आयु की अतनवायषता तथा नाबामलग के साथ यौन संबंध बनाने को अपराध घोवर्त
ककये जाने के बाद भी, दे श में बाल वववाि का काफी प्रचलन िै ।
• इसके अलावा, एक अध्ययन के अनुसार, ककशोर माताओं (10-19 वर्ष) से जन्म लेने वाले बच्चों में युवा-
वयस्क माताओं (20-24 वर्ष) से पैदा िोने वाले बच्चों की तुलना में 5 प्रततशत तक कद में बौने रि जाने
की संभावना िोती िै ।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।
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7. महाराष्ट्र सरकार का शजतत वििेयक
संदभभ: िाल िी में , मिाराष्ट्र सरकार के ‘शजतत आपराधधक कानून (मिाराष्ट्र संशोधन) ववधेयक’, 2020 (Shakti
Criminal Laws (Maharashtra Amendment) Bill, 2020) पर गहठत एक संयत
ु त सममतत ने अपनी ररपोटष सौंप दी िै ।
सशमतत द्िारा ररपोटभ में की गई प्रमुख शसफाररशें:
1. बलात्कार के मामलों में मत्ृ युदंड
2. मशकायत दजष िोने की तारीख से, जांच पूरी करने के मलए 30 हदनों की समय-सीमा
3. सोशल मीडडया प्लेटफॉमष के साथ-साथ इंटरनेट डेटा प्रदान करने वाली कंपतनयों पर पुमलस जांच िे तु डेटा
साझा करने का दातयत्व।
2. मूल ववधेयक में झूठी मशकायतों के मामले में , या ककसी व्यजतत को जानबझ
ू कर परे शान ककए जाने के
मामले में , ‘अधग्रम जमानत याधचका’ दायर करने का प्रावधान निीं था। सममतत दवारा इस पर ववचार
करने की मसफाररश की गयी िै ।
महाराष्ट्र सरकार द्िारा नया कानून बनाने का कारर्:
राज्य में हिंसा संबध
ं ी मामलों, ववशेर् रूप से महिलाओं और बच्चों के खखलाफ यौन हिंसा के मामलों में िोने वाली
वद
ृ धध पर रोक लगाने िे तु नया क़ानून लाया गया िै ।
वििेयक के मसौदे में प्रस्तावित प्राििान:
1. ववधेयक के मसौदे में , भारतीय दं ड संहिता (IPC), आपराधधक प्रकिया संहिता (CrPC) और यौन अपराधों से
बालकों का संरक्षर्ण (POCSO) अधधतनयम में बदलाव करने का प्रस्ताव ककया गया िै ।
2. बलात्कार, यौन उत्पीड़न, एमसड िमले और बाल यौन शोर्र्ण से संबंधधत मौजद
ू ा कानूनों की धाराओं में
पररवतषन ककया जाएगा।
3. ववधेयक में बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, प्रभावशाली व्यजततयों दवारा बलात्कार, नाबामलगों के यौन उत्पीड़न
और एमसड िमले दवारा गंभीर रूप से घायल करने संबंधी मामलों में मौत की सजा का प्रस्ताव ककया
गया िै ।
4. जघन्य प्रकृतत के अपराधों के मलए और जिााँ पर पयाषप्त साक्ष्य उपलब्ध िै , और पररजस्थततयों दवारा एक
अनक
ु रर्णीय सजा की मांग ककये जाने पर मत्ृ यद
ु ं ड का प्रावधान ककया गया िै ।
सोशल मीडिया से संबंधित विशशष्ट्ट प्राििान:
• प्रस्ताववत ववधेयक में सोशल मीडडया पर महिलाओं के साथ िोने वाले दव्ु यषविार से तनपटने के मलए एक
अततररतत कानून का प्रस्ताव ककया गया िै ।
• ककसी महिला के मलए जानबूझकर ‘खतरे , धमकाने और भय का मािौल बनाने और उसकी गररमा को ठे स
पिुचाने वाले ककसी कृत्य, लेख अथवा शब्दों का प्रयोग करना या घर्ण
ृ ास्पद हटप्पर्णी करना भी अपराध की
श्रेर्णी में शाममल करने और इसके मलए दो साल तक के कारावास और 1 लाख रुपये का जम ु ाषने का दं ड
हदए जाने िे तु ‘िारा 354E’ को जोड़ा गया िै ।
• इसके तित महिलाओं के ‘ववकृत’ ककये गए वीडडयो (Morphed Videos) अपलोड करना या उनकी तनजता
का उल्लंघन करने वाले या सम्मान को ठे स पिुचाने वाले वीडडयो या फोटो अपलोड करने की धमकी दे ना
भी शाममल िै ।
• पिले इस संबंध में एक मिीने तक की साधारर्ण कारावास या 5 लाख रुपये जुमाषना या दोनों सजा का
प्रावधान था। अब सममतत ने कारावास की अवधध तीन मिीने और 25 लाख रुपये का जुमाषना या दोनों
का प्रावधान ककए जाने की मसफाररश की िै ।
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‘शमथ्या जानकारी’ और "अंततनभदहत सहमतत" संबि
ं ी प्राििान:
ववधेयक में ककसी व्यजतत को तनतांत, अपमातनत करने, धमकाने या जबरदस्ती बसूली करने, बदनाम या उत्पीड़न
करने के उददे श्य से की गयी ‘झठ
ू ी मशकायत’ अथवा तथाकधथत अपराध करने के संबंध में गलत जानकारी प्रदान
करने पर एक वर्ष तक कारावास या जुमाषना या दोनों का दं ड हदया जा सकता िै ।
इसके मलए सममतत ने कम से कम तीन साल की कैद और तीन साल तक की कैद और एक लाख रुपये जुमाषने
का प्रस्ताव रखा िै । इससे पिले, एक वर्ष तक के साधारर्ण कारावास और जुमाषने का प्रावधान था, जोकक तनहदष ष्ट्ट
भी निीं था।
इंस्टा जजज्ञास:ु तया आप जानते िैं कक मिाराष्ट्र का यि कानन
ू , आंध्र प्रदे श के ‘हदशा अधधतनयम’ की तजष पर
तैयार ककया गया िै ? ‘हदशा अधधतनयम’ के प्रमुख प्रावधान तया िैं?
प्रीशलम्स और में स शलंक:
1. ‘शजतत अधधतनयम’, 2020 के प्रमख
ु प्रावधान और मित्व।
स्रोत: द हिंद।ू
8. श्यामा प्रसाद मख
ु जी रुबभन शमशन
संदभभ: नवीनतम सवेक्षर्ण के अनुसार योजना के प्रदशषन का ववश्लेर्र्ण:
• श्यामा प्रसाद मुखजी रूबषन ममशन (Shyama Prasad Mukherji Rurban Mission - SPMRM) के कायाषन्वयन
में तेलंगाना पिले स्थान पर रिा।
• इसके बाद SPMRM के कायाषन्वयन में तममलनाडु और गज
ु रात ने िमशः दस
ू रा और तीसरा स्थान प्राप्त
ककया।
‘श्यामा प्रसाद मुखजी रूबभन शमशन’ के बारे में :
‘श्यामा प्रसाद मुखजी रुबषन ममशन’ (Shyama Prasad Mukherji Rurban Mission-SPMRM) का शुभारं भ 21 फरवरी,
2016 को िुआ था।
इस कायषिम को ववकास की दिलीज पर पिुाँच चुके ग्रामीर्ण क्षेत्रों में उत्प्रेरक िस्तक्षेप करने के मलए डडजाइन
ककया गया िै ।
• केन्द्रीय ग्रामीर्ण ववकास मंत्रालय दवारा शुरू ककए गये ‘श्यामा प्रसाद मुखजी रुबषन ममशन’ के तित स्थान-
संबंधी तनयोजन के जररए ‘तलस्टर आधाररत एकीकृत ववकास’ पर फोकस ककया जाता िै ।
• इसके तित, दे श भर के ऐसे ग्रामीर्ण क्षेत्रों में ग्रामीर्ण तलस्टरों की पिचान की जाती िै , जिां शिरी घनत्व
में वद
ृ धध, गैर-कृवर् रोजगारों के उच्च स्तर, आर्धथक गततववधधयां बढ़ने और अन्य सामाजजक-आधथषक पैमाने
जैसे शिरीकरर्ण के बढ़ते संकेत ममल रिे िैं।
• यि एक केंद्र प्रायोजजत योजना िै ।
• वित्तीयन: इस कायषिम के तित िोने वाले व्यय को, मैदानी क्षेत्र के राज्यों के मलए केंद्र और राज्य के
बीच 60:40 के अनुपात में और हिमालयी और पूवोत्तर राज्यों के मलए 90:10 के अनुपात में साझा ककया
जाता िै ।
• योजना का मस
ु य उद्दे श्य आधथषक, तकनीकी और सवु वधाओं और सेवाओं से संबंधधत ग्रामीर्ण-शिरी ववभाजन
को पाटना िै ।
विकास:
ममशन के तित, केंद्र सरकार दवारा जजला प्रशासन के साथ समन्वय करते िुए एवं गांवों की आत्मा को बरकरार
रखते िुए, उधचत नागररक सुववधाओं के साथ शिरों की तजष पर, ग्रामीर्ण ग्राम पंचायतों और गांवों का बिुस्तरीय
चरर्णबदध ववकास करने संबंधी उपाय ककए जाते िैं।
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‘रुबभन क्षेत्र’ तया है ?
'रुबषन तलस्टर' (Rurban Cluster), मैदानी और तटीय क्षेत्रों में लगभग 25000 से 50000 की आबादी-युतत तथा
रे धगस्तान, पिाड़ी या आहदवासी क्षेत्रों में 5000 से 15000 की आबादी वाले, भौगोमलक रूप से सटे िुए गांवों का
समूि िोता िै । इन तलस्टसष में आम तौर पर ववकास की संभावनाएं हदखायी दे ती िैं, तथा इन जगिों पर आधथषक
वद
ृ धध के मलए आवश्यक चालक तत्व पाए जाते िै और ये स्थानीय और प्रततस्पधी लाभ उठाने में सक्षम िोते िैं।
इस शमशन के तहत पररकजल्पत पररर्ाम:
1. आधथषक, तकनीकी और सवु वधाओं और सेवाओं से संबंधधत, ग्रामीर्ण-शिरी ववभाजन को पाटना।
2. ग्रामीर्ण क्षेत्रों में गरीबी और बेरोजगारी को कम करने पर जोर दे ते िुए स्थानीय आधथषक ववकास को
प्रोत्साहित करना।
3. क्षेत्र में ववकास का प्रसार करना।
4. ग्रामीर्ण क्षेत्रों में तनवेश आकवर्षत करना।
आिश्यकता: 2011 की जनगर्णना के अनुसार, भारत में 6 लाख से अधधक गााँव िैं, तथा लगभग 7,000 कस्बे और
शिरी केंद्र िैं। कुल जनसंख्या में , ग्रामीर्ण जनसंख्या 69% और शिरी जनसंख्या 31% िै ।
• दे श की लगभग 70% आबादी ग्रामीर्ण क्षेत्रों में रिती िै और कुल श्रम शजतत का लगभग 50% अभी भी
कृवर् पर तनभषर िै जोकक पयाषप्त रूप से उत्पादक निीं िै ।
• दे श में ग्रामीर्ण क्षेत्रों के अधधकााँश क्षेत्र में एकाकी बजस्तयां निीं पायी जाती िैं, बजल्क अपेक्षाकृत एक दस
ू रे
के तनकट जस्थत ‘बजस्तयों’ का समूि िोता िै । इन तलस्टसष में आम तौर पर ववकास की संभावनाएं पायी
जाती िैं, आधथषक वद
ृ धध के मलए आवश्यक चालक तत्वों की मौजूदगी के साथ-साथ, ये स्थानीय और
प्रततस्पधी लाभ उठाने में सक्षम िोते िैं।
• एक बार ववकमसत िो जाने के बाद इन समूिों को 'रूबषन' (RURBAN) के रूप में वगीकृत ककया जा सकता
िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. रुबषन ममशन
2. प्रमख
ु त्रबंद ु
3. रुबषन क्षेत्र
4. भारत में शिरी ववकास
में स शलंक: भारत में शिरी ववकास से संबंधधत सरोकारों पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
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सुशासन सूचकांक (जीजीआई) 2021 के ढांचे में दस क्षेत्र और 58 संकेतक शाममल ककए गए िैं।
GGI 2021 के क्षेत्र हैं:
1) कृवर् और संबदध क्षेत्र,
2) वाखर्णज्य और उदयोग,
3) मानव संसाधन ववकास,
4) सावषजतनक स्वास्थ्य,
5) सावषजतनक बतु नयादी ढांचा और उपयोधगताएं,
6) आधथषक शासन,
7) समाज कल्यार्ण और ववकास,
8) न्यातयक और सावषजतनक सरु क्षा,
9) पयाषवरर्ण और
10) नागररक-केंहद्रत शासन।
सुशासन सूचकांक 2020-21 में राज्यों और केंद्रशामसत प्रदे शों को चार श्रेणर्यों में बांटा गया िै । ये श्रेर्णी िैं:
1. अन्य राज्य - समूि ए,
2. अन्य राज्य - समूि बी,
3. उत्तर-पव
ू ष व पिाड़ी राज्य और
4. केंद्रशामसत प्रदे श।
विशभन्न राज्यों का प्रदशभन:
• 10 क्षेत्रों को कवर करते िुए गज
ु रात, मिाराष्ट्र और गोवा ‘समग्र रैंककं ग’ में शीर्ष स्थान पर िैं।
• सुशासन सूचकांक- 2021 के अनस ु ार 20 राज्यों ने जीजीआई- 2019 तुलना में अपने समग्र GGI स्कोर में
सुधार ककया िै ।
• केंद्रशामसत प्रदे शों की श्रेर्णी में हदल्ली ‘समग्र रैंककं ग’ में शीर्ष स्थान पर िै ।
• उत्तर प्रदे श ने सभी क्षेत्रों के बीच ‘वाखर्णज्य व उदयोग’ में शीर्ष स्थान प्राप्त ककया िै ।
• उत्तर-पव
ू ष और पिाड़ी राज्यों की श्रेर्णी में ममजोरम व जम्मू और कश्मीर ने GGI 2019 की तल
ु ना में िमशः
10.4 प्रततशत और 3.7 प्रततशत की समग्र बढ़ोतरी दजष की िै ।
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सुशासन सूचकांक की सीमाएं:
• सूचकांक की सीमाएं, बड़े पैमाने पर डेटा की उपलब्धता से तनधाषररत िोती िैं, ककं तु डेटा प्रामाखर्णक और
ववश्वसनीय सरकारी स्रोतों से उपलब्ध िो जाता िै अतः इस सीमा को समय के साथ दरू ककया जा सकता
िै ।
• इनपुट और प्रकिया आधाररत संकेतकों के मित्व से सिमतत जताते िुए भी, सश ु ासन सूचकांक फ्रेमवकष
केवल पररर्णाम/आउटपुट आधाररत संकेतकों पर ध्यान केंहद्रत करने तक सीममत िै।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक पूवष प्रधानमंत्री अटल त्रबिारी वाजपेयी की जयंती के उपलक्ष्य में 25 हदसंबर
को सश
ु ासन हदवस के रूप में मनाया जाता िै ?
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘सुशासन सूचकांक’ (GGI) के बारे में
2. मख्
ु य ववशेर्ताएं
3. सूचकांक के नवीनतम संस्करर्ण में ववमभन्न राज्यों का प्रदशषन
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।
विषय:भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय िलचल, चिवात आहद जैसी मित्त्वपूर्णष भ-ू भौततकीय घटनाएाँ, भौगोमलक ववशेर्ताएाँ
और उनके स्थान- अतत मित्त्वपूर्णष भौगोमलक ववशेर्ताओं (जल-स्रोत और हिमावरर्ण सहित) और वनस्पतत एवं
प्राखर्णजगत में पररवतषन और इस प्रकार के पररवतषनों के प्रभाव।
1. चक्रिात जिाद
संदभभ: िाल िी में, बंगाल की खाड़ी में तनममषत ‘तनम्न दबाव’ (Deep Depression)
की जस्थतत एक गिन चिवाती तूफान जवाद (Cyclonic Jawad) में पररवततषत
िो गयी, और इस तफ़
ू ान के ओडडशा और आंध्र प्रदे श के समीप पिुंचने की
संभावना िै ।
इस चिवाती तूफान का नामकरर्ण:
इस चिवाती तूफान का नामकरर्ण ‘सऊदी अरब’ दवारा ककया गया िै , और
इसका नाम 'जवाद' (Jawad) रखा िै । अरबी भार्ा में ‘जवाद’ का अथष उदार
या दयालु िोता िै । चकंू क, यि तफ़
ू ान वपछले अन्य चिवाती तफ
ू ानों की तरि
प्रबल और खतरनाक निीं िोगा, इसमलए इसका ‘जवाद’ नाम रखा गया िै ।
‘चिवातों की उत्पवत्त:
चिवातों का तनमाषर्ण, उष्ट्र्णकहटबंधीय क्षेत्रों में समद्र
ु ीय जल के ऊपर िोता िै ।
इन क्षेत्रों में सौर-प्रकाश की मात्रा सवाषधधक िोती िै , जजसके पररर्णामस्वरूप
स्थलीय और जलीय भागों की ऊपरी सति गमष िो जाती िैं। सति के गमष
िोने के कारर्ण, समुद्र के ऊपर जस्थत उष्ट्र्ण-आद्रष वायु ऊपर की ओर उठने लगती
िै , जजसके बाद इस ररतत स्थान को भरने के मलए तेजी से झपट्टा मारकर आगे बढ़ती िै , कफर ये भी गमष िोकर
ऊपर की उठ जाती िै , और यि चि जारी रिता िै ।
िायु-चक्रर् (Spin) तनशमभत होने का कारर्:
वायु, सदै व उच्च दाब क्षेत्र से तनम्न दाब िाले क्षेत्रों की ओर प्रवाहित िोती िै । उच्च दाब क्षेत्रों का तनमाषर्ण ठं डे क्षेत्र
में िोता िै , जबकक तनम्न दाब की जस्थतत उष्ट्र्ण या गमष क्षेत्रों में बनती िै । ध्रुवीय क्षेत्रों में सौर-प्रकाश की मात्रा
उष्ट्र्ण-कहटबंधीय क्षेत्रों की तल
ु ना में काफी कम िोती िै , अतः ये सामान्यतः उच्च दाब के क्षेत्र िोते िैं। और इसीमलए
वायु का संचरर्ण प्रायः ध्रव
ु ीय क्षेत्रों से उष्ट्र्णकहटबंधीय क्षेत्रों की ओर िोता िै ।
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• इसके बाद, पथ्
ृ िी की गतत अपनी भूममका अदा करती िै , जोकक पजश्चम से पूवष की ओर िोती िै । पथ्
ृ वी
के अपनी धुरी पर पररिमा करने की वजि से, दोनों धुवों की ओर से बिने वाली िवा का उष्ट्र्णकहटबंधीय
क्षेत्रों में ववक्षेपर्ण िोता िै , तयोंकक गोलाकार िोने के कारर्ण पथ्
ृ वी के घर्ण
ू न ष की गतत ध्रुवों की तल
ु ना में
उष्ट्र्णकहटबंधीय क्षेत्रों में अधधक िोती िै । आकषहटक क्षेत्र से आने वाली िवा, दायीं ओर ववक्षेवपत िो जाती
िै तथा अंटाकषहटकक्षेत्र से चलने वाली िवा बायीं ओर ववक्षेवपत िो जाती िै ।
• इस प्रकार, पिले से िी तनजश्चत हदशाओं में प्रवाहित िो रिी वायु, जब ककसी गमष स्थान पर पिुाँचने के
पश्चात ् ऊपर उठती िै , तो ररतत स्थान को भरने के मलए ठं डी िवा, केंद्र की ओर आकवर्षत िोने लगती
िै । केंद्र की ओर बढ़ते समय, ठं डी िवा ववक्षेवपत िोती रिती िै जजसके पररर्णामस्वरूप वाय-ु संचरर्ण में
पररवलन िोने लगता िै , और प्रकिया, चिवात के स्थल से टकराने तक जारी रिती िै ।
चक्रिात के स्र्ल से टकराने के पश्चात:
चिवात, स्थलीय क्षेत्रों पर पिुचने के बाद त्रबखर कर समाप्त िो जाता िै , तयोंकक उष्ट्र्ण जल के संपकष में आने के
कारर्ण वायु गमष िोकर ऊपर उठती िै और ठं डी वायु के मलए ररतत स्थान बनाती िै , ककं तु स्थल पर इसका अभाव
िोता िै । इसके अलावा, ऊपर उठने वाली आद्रष िवा से बादलों का तनमाषर्ण का तनमाषर्ण िोता िै , जजससे चिवातों के
दौरान तेज िवाओं के साथ तीव्र बाररश िोती िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: ‘ववश्व मौसम ववज्ञान संगठन’ (World Meteorological Organisation- WMO) दवारा चिवातों के नामों
की िममक सच
ू ी की दे खरे ख की जाती िै । चिवातों का नामकरर्ण ककस प्रकार ककया जाता?
प्रीशलम्स शलंक:
1. चिवातों के तनमाषर्ण के मलए उत्तरदायी कारक
2. ववश्व के ववमभन्न क्षेत्रों में चिवातों का नामकरर्ण
3. भारत के पूवी तट पर अधधक चिवात आने का कारर्ण
4. कोररओमलस बल तया िै ?
5. संघनन की गुप्त ऊष्ट्मा तया िै ?
में स शलंक: उष्ट्र्ण कहटबंधीय चिवातों के तनमाषर्ण के मलए उत्तरदायी कारकों की वववेचना कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
2. इस िषभ उत्तर-पि
ू ी मानसन
ू के कमजोर रहने का कारर्
संदभभ: वर्ष 2018 के बाद से लगातार चौथे साल बाढ़ और भूस्खलन का सामना कर रिे उत्तरी पवषतीय क्षेत्रों में ,
उत्तर-पूवी मानसून (Northeast Monsoon) की मात्र दो माि की अवधध में , जीवन, संपवत्त और फसलों को भारी क्षतत
पिुाँची िै ।
अकेले अतटूबर और नवंबर में िुई भारी बर्ष से कुल 11,916.3 करोड़ रुपये की क्षतत िोने का अनुमान लगाया जा
रिा िै , जबकक ‘राज्य आपदा प्रततकिया कोर्’ / ‘राज्य आपदा मोचन तनधध’ (SDRF) के मानकों के अनस ु ार कुल
1,281.92 करोड़ रुपये की यि क्षतत आंकी गई िै ।
‘उत्तर-पूिी मानसून’ / ‘पूिोत्तर मानसून’ के बारे में :
• ‘उत्तर-पव
ू ी मानसन
ू ’ (Northeast Monsoon) की उत्त्पवत्त अतटूबर से हदसंबर के मध्य िोती िै , और दक्षक्षर्ण-
पजश्चम मानसून की तुलना में इसकी अवधध कम िोती िै ।
• यि मानसून प्रायः दक्षक्षर्णी प्रायदवीप तक िी सीममत रिता िै ।
• ‘उत्तर-पूवी मानसून’ से िोने वाली वर्ाष, तममलनाडु, पुदच
ु ेरी, कराईकल, यनम, तटीय आंध्र प्रदे श, केरल, उत्तर
आंतररक कनाषटक, मािे और लक्षदवीप के मलए काफी मित्वपूर्णष िोती िै ।
• इस मानसन
ू के कारर्ण, कुछ दक्षक्षर्ण एमशयाई दे शों, जैसे कक मालदीव, श्रीलंका और म्यांमार में भी अतटूबर
से हदसंबर के मध्य वर्ाष िोती िै ।
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ला-नीना का ‘उत्तर-पूिी मानसून’ से संबंि
ला-नीना की जस्थतत से दक्षक्षर्ण-पजश्चम मानसून से िोने वाली वर्ाष में वद
ृ धध िोती िै , जबकक इससे ‘उत्तर-पूवी
मानसन
ू ’ के दौरान िोने वाली वर्ाष पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता िै ।
• ला-नीना (La Niña) के वर्ों के दौरान, बंगाल की खाड़ी में तनममषत संयुतत प्रर्णाली (Synoptic Systems)-
तनम्नदाब अथवा चिवात- की जस्थतत, सामान्य से काफी उत्तर की ओर िो जाती िै ।
• इसके अलावा, ये प्रर्णाली पजश्चम की ओर बढ़ने की बजाय, पीछे की ओर मुड़ जाती िै । चूंकक, इस प्रर्णाली
की जस्थतत सामान्य से उत्तर की ओर िोती िै , जजसके पररर्णामस्वरूप दक्षक्षर्णी क्षेत्रों, जैसे तममलनाडु, में
अधधक वर्ाष निीं िोती िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. अल-नीनो तया िै ?
2. ला-नीना तया िै?
3. ENSO तया िै?
4. ये पररघटनाएाँ कब िोती िैं?
5. एमशया, अफ्रीका और ऑस्रे मलया पर ENSO
का प्रभाव।
में स शलंक: ला-नीना मौसमी पररघटना के भारत पर
प्रभाव संबंधी चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
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• तापमान में िोने वाली वद
ृ धध से, अरब सागर में ववकमसत िोने वाले चिवातों की तीव्रता के मलए, पयाषप्त
ऊजाष की आपूततष िोती िै ।
• अरब सागर, चिवातों के अनक
ु ू ल पवन- अपरूपर्ण (wind shear) भी प्रदान कर रिा िै । उदािरर्ण के मलए,
उच्च स्तरीय पूवी पवनों की वजि से, चक्रिात ओखी का तनम्नदाब क्षेत्र / गतष, बंगाल की खाड़ी से अरब
सागर की ओर सरक गया था।
चक्रिातों का नामकरर् (Naming of Cyclones):
उष्ट्र्णकहटबंधीय चिवात पर सममतत (Panel on Tropical Cyclones – PTC) दवारा, वर्ष 2000 में ओमान सल्तनत के
मस्कट में आयोजजत, WMO/ESCAP के 27 वें सत्र में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उत्पन्न िोने वाले
उष्ट्र्णकहटबंधीय चिवातों को नाम दे ने के मलए सैदधांततक तौर पर सिमतत जताई गई थी।
• WMO/ESCAP का तात्पयष ‘ववश्व मौसम ववज्ञान मौसम संगठन’ (World Meteorological Organisation-
WMO) और ‘एशशया एिं प्रशांत हे तु संयत
ु त राष्ट्र आधर्भक और सामाजजक आयोग’ (United Nations
Economic and Social Commission for Asia and the Pacific) से िै ।
• उत्तरी दहंद महासागर में उष्ट्र्कदटबंिीय चक्रिातों के नामकरर् की शरु
ु आत, मसतंबर 2004 से, WMO/ESCAP
पीटीसी के तत्कालीन आठ सदस्य दे शों: बांग्लादे श, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाककस्तान, श्रीलंका और
थाईलैंड दवारा प्रस्ताववत ककये गए नामों के साथ की गयी थी। इसके बाद से उष्ट्र्कदटबंिीय चक्रिात पर
सशमतत (PTC) में पांच अन्य सदस्य शाममल िो चक
ु े िै ।
• बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के ऊपर तनममषत िोने वाले चिवाती तूफान, जब उपयुतत तीव्रता िामसल
कर लेते िैं, तब इनके नामकरर्ण के मलए, ‘क्षेत्रीय विशशष्ट्ट मौसम विज्ञान केंद्र’ (Regional Specialised
Meteorological Centre- RSMC), नई हदल्ली जजम्मेदार िोता िै ।
• ‘भारतीय मौसम ववज्ञान ववभाग’ (IMD) तथा पांच उष्ट्र्णकहटबंधीय चिवात चेतावनी केंद्रों सहित, ववश्व भर
में कुल छि ‘क्षेत्रीय विशशष्ट्ट मौसम विज्ञान केंद्र’ (RSMC) िैं।
इंस्टा जजज्ञासु:
तया आप सुपरसेल (Supercell) और मेसोसायलोन (Mesocylone) में अंतर जानते िैं?
तया आप जानते िैं कक एक ‘बिुत गंभीर चिवात’ को 220 ककमी प्रतत घंटे की रफ्तार से िवा की गतत के साथ
पररभावर्त ककया जाता िै ? यि "अत्यंत गंभीर चिवात" के ठीक बाद, चिवातों की चौथी उच्चतम श्रेर्णी िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
6. चिवातों के तनमाषर्ण के मलए उत्तरदायी कारक
7. ववश्व के ववमभन्न क्षेत्रों में चिवातों का नामकरर्ण
8. भारत के पव
ू ी तट पर अधधक चिवात आने का कारर्ण
9. कोररओमलस बल तया िै ?
10. संघनन की गुप्त ऊष्ट्मा तया िै ?
में स शलंक: उष्ट्र्ण कहटबंधीय चिवातों के तनमाषर्ण के मलए उत्तरदायी कारकों की वववेचना कीजजए।
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इंिोनेशशया के भूकंप के प्रतत संिेदनशील होने के कारर्:
• इंडोनेमशया, ज्वालावत्त
ृ / ररंग ऑफ फायर (Ring of Fire) क्षेत्र में जस्थत िै , इस क्षेत्र में दतु नया में सवाषधधक
ज्वालामख
ु ी ववस्फोट िोते िैं। ‘ररंग ऑफ फायर’ क्षेत्र में, िाल के हदनों में व्यापक गततववधधयां दे खी गयी
िै । इंडोनेमशया के वववतषतनक प्लेटों (Tectonic Plates) के एक ववस्तत
ृ धग्रड पर अवजस्थत िोने के कारर्ण,
इसे काफी नुकसान िोता िै।
• इंडोनेमशया, तीन प्रमुख मिादवीपीय प्लेटों - प्रशांत, यूरेमशयन और इंडो-ऑस्रे मलयाई प्लेटों - और एक लघु
‘कफलीपीन प्लेट’ के ममलन त्रबंद ु पर जस्थत िै । नतीजतन, इंडोनेमशयाई दवीपों पर कई ज्वालामुखखयों के
प्रस्फोटन का खतरा मंडराता रिता िै । इंडोनेमशया में लगभग 400 ज्वालामख
ु ी पाए जाते िै , जजनमें से 127
वतषमान में सकिय िैं, जो दतु नया के सकिय ज्वालामुखखयों का लगभग एक ततिाई िै ।
‘ररंग ऑफ फायर’ तया है ?
‘ज्वालावत्त
ृ ’ या ‘ररंग ऑफ फायर’ में 450 से अधधक ज्वालामुखी शाममल िैं; जजसमे ववश्व के चार सवाषधधक सकिय
ज्वालामुखखयों में से तीन - संयुतत राज्य अमेररका में माउं ट सेंट िे लेंस, जापान में माउं ट फ़ूजी और कफलीपींस में
माउं ट वपनातब
ु ो शाममल िैं। इसे कभी-कभी ‘परर-प्रशांत मेखला’ (Circum-Pacific Belt) भी किा जाता िै ।
ववश्व के लगभग 90% भूकंप, और 80% सबसे बड़े भक
ू ं प ‘ररंग ऑफ फायर’ क्षेत्र में आते िैं।
अिजस्र्तत:
‘ररंग ऑफ फायर’ या ‘ज्वालावत्त
ृ ’, प्रशांत मिासागर की तटीय रे खा के साथ फैला िुआ िै । इस तटीय क्षेत्र में प्रशांत
प्लेट, भू-पपषटी की अन्य छोटी टे तटोतनक प्लेटों जैस,े कफलीपीन सागर प्लेट तथा प्रशांत मिासागर के ककनारे पर
जस्थत कोकोस और नाजका प्लेटों के साथ घर्षर्ण करती िै ।
घोड़े की नाल के आकार का 40,000 ककलोमीटर लंबा ‘ररंग ऑफ फायर’ न्यज
ू ीलैंड से लेकर, एमशया और अमेररका
के तटों से िोकर गुजरता िुआ धचली तक फैला िुआ िै।
जोणखम:
अमेररका के पजश्चमी तट, धचली, जापान और सोलोमन दवीप सहित दवीप राष्ट्रों की आबादी को ‘ररंग ऑफ फायर’
में िोने वाली गततववधधयों से सवाषधधक खतरा िोता िै । ये क्षेत्र अधःतनक्षेपर्ण मंडल (subduction zones) में जस्थत
िोने की वजि से सबसे अधधक जोखखम वाले क्षेत्र िैं। अधःतनक्षेपर्ण मंडल, पथ्
ृ वी को दो वववतषतनक प्लेटों के बीच
टकराव का क्षेत्र िोता िै ।
‘ररंग ऑफ फायर’ का तनमाभर्:
सागरीय वववतषतनक प्लेटों के, कम घनत्व वाली अथाषत िल्की मिादवीपीय प्लेटों के नीचे अधःक्षेवपत (subduction)
िोने पर ‘ररंग ऑफ फायर’ का तनमाषर्ण िोता िै । जजस क्षेत्र में ये टे तटोतनक प्लेट्स ममलती िैं, उसे अधःतनक्षेपर्ण
मंडल (subduction zones) किा जाता िै ।
‘ररंग ऑफ फायर’ में भक
ू ं प आने का कारर्:
• दतु नया के सबसे गिरे भूकंप ‘अधःतनक्षेपर्ण मंडल’ क्षेत्रों में आते िैं, तयोंकक इसी क्षेत्र में टे तटोतनक प्लेट्स
एक-दस
ू रे से टकराती िैं। ववश्व के सवाषधधक ‘अधःतनक्षेपर्ण मंडल’ ररंग ऑफ़ फायर में पाए जाते िै ।
• पथ्
ृ वी के वपघले िुए कोर से तनसत ृ ऊजाष की वजि से टे तटोतनक प्लेटों में संचरर्ण िोता िै , और वे एक-
दस
ू रे से टकराती िैं, जजससे घर्षर्ण िोता िै । इस घर्षर्ण के पररर्णामस्वरूप और अधधक ऊजाष उत्पन्न िोती
िै , और अंततः जब यि ऊजाष सति की ओर तनकलती िै तो यि भूकंप का कारर्ण बनती िै । समुद्र में ऐसी
जस्थतत िोने पर, यि ववनाशकारी सुनामी का कारर्ण बन सकती िै ।
• टे तटोतनक प्लेट्स आमतौर पर प्रततवर्ष औसतन कुछ सेंटीमीटर िी स्थानांतररत िोते िैं, लेककन भक
ू ं प आने
के दौरान, ये बड़े पैमाने पर गतत करते िैं और कई मीटर प्रतत सेकंड की गतत से आगे बढ़ सकते िैं।
स्रोत: द हिंद।ू
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सामान्य अध्ययन-II
विषय: भारतीय संववधान- ऐततिामसक आधार, ववकास, ववशेर्ताएाँ, संशोधन, मित्त्वपूर्णष प्रावधान और बुतनयादी संरचना।
1. भारतीय नागररकता का पयभिसान
संदभभ: केंद्रीय गि
ृ मंत्रालय (MHA) ने लोकसभा में एक प्रश्न का उत्तर दे ते िुए जानकारी दी, कक वपछले पांच वर्ों
में छि लाख से अधधक भारतीयों ने अपनी नागररकता त्याग दी िै ।
इस उत्तर में , इतनी बड़ी संख्या में भारतीयों दवारा अपनी नागररकता छोड़ने का कारर्ण निीं बताया गया।
नागररकता का पयभिसान:
‘नागररकता अधधतनयम, 1955’ (Citizenship Act, 1955) में अधधतनयम या संवध
ै ातनक व्यवस्था के अनस
ु ार भारतीय
नागररकता खोने के तीन कारर्ण बताए गए िैं:
1. त्यजन द्िारा (By renunciation):
वय: प्राप्त और पूर्णष सामथ्यष का कोई भारत नाधगरक, भारतीय नागररकता के त्यजन की घोर्र्णा कर ववहित रीतत
से सकता िै ।
भारत के ककसी यद
ु ध में लगे िोने पर, इस प्रकार की घोर्र्णा को स्वीकार निीं ककया जा सकता िै ।
जब कोई व्यजतत अपनी नागररकता का पररत्याग करता िै , तो उस व्यजतत के नाबामलग बच्चों की भी भारतीय
नागररकता समाप्त िो जाती िै । यदयवप, इस तरि के बच्चे अठारि वर्ष की आयु पूरी करने पर भारतीय
नागररक बन सकते िैं।
2. बखाभस्तगी द्िारा (By Termination):
यहद भारत का कोई नागररक स्वेच्छा से ककसी अन्य दे श की नागररकता अजजषत कर लेता िै , तो उसकी भारतीय
नागररकता स्वतः समाप्त िो जाएगी। िालांकक, यि प्रावधान, भारत के युदध में व्यस्त रिने के दौरान लागू निीं
िोता िै ।
3. िंधचत करने के द्िारा (By deprivation):
केंद्र सरकार के मलए तनम्नमलखखत जस्थततयों में ककसी
व्यजतत की भारतीय नागररकता को बखाषस्त करना
अतनवायष िोता िै :
1. यहद नागररकता फजी तरीके से प्राप्त की
गयी िो।
2. यहद नागररक ने भारत के संववधान के प्रतत
अनादर जताया िो।
3. यहद नागररक ने यद
ु ध के दौरान शत्रु के
साथ गैर-कानूनी रूप से संबध
ं स्थावपत ककया
िो या उसे कोई राष्ट्रववरोधी सूचना दी िो।
4. पंजीकरर्ण या प्राकृततक नागररकता के 5 वर्ों
के भीतर, उतत नागररक को ककसी दे श में
दो वर्ष की कैद िुई िो।
5. नागररक सामान्य रूप से, सात 7 वर्ों से
भारत से बािर रि रिा िो।
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इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक ‘ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन ररव्यू ररपोटष ’ के अनुसार, 2019 में , ‘उच्च तनवल
मूल्य वाले व्यजततयों’ (High Net Worth Individuals – HNIs) दवारा दे श छोड़ने के मामले में , ववश्व स्तर पर भारत
का स्थान, चीन के बाद दस
ू रा िै ?
स्रोत: द हिंद।ू
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संवििान के भाग के रूप में उद्दे शशका:
बेरुबारी यूतनयन केस (1960) में , सप्र
ु ीम कोटष ने किा कक ‘उददे मशका’ को संववधान का हिस्सा निीं िै ।
वर्ष 1973 के ‘केशवानंद भारती मामले’ में उच्चतम न्यायालय ने अपने पिले ववचार को उलटते िुए, ‘उददे मशका’
को संववधान का हिस्सा बताया। इस मत को ‘भारतीय जीवन बीमा तनगम मामले’ (1995) में सुप्रीम कोटष दवारा
और स्पष्ट्ट ककया गया था।
यदयवप, ‘उददे मशका’ संववधान का हिस्सा िै; कफर भी,
• यि न तो ववधातयका के मलए शजतत का स्रोत िै और न िी ववधातयका की शजततयों पर प्रततबंध लगती
िै ।
• यि ‘वादयोग्य निीं’ (non-justiciable) िै , अथाषत इसके प्रावधान ककसी भी न्यायालय के माध्यम से प्रवतषनीय
निी ककया जा सकता िैं।
‘उद्दे शशका’ और इसकी संशोिनीयता:
केशवानंद भारती मामले में , शीर्ष अदालत ने माना कक ‘उददे मशका’ में अंततनषहित संववधान के मूल तत्वों या मौमलक
ववशेर्ताओं को ‘अनुच्छे द 368’ के तित ककसी संशोधन के दवारा पररवततषत निीं ककया जा सकता िै ।
‘उददे मशका’ में अब तक केवल एक बार संशोधन ककया गया िै । 42वां संववधान संशोधन अधधतनयम, 1976 के
माध्यम से ‘उददे मशका’ में ‘समाजवादी’, ‘पंथ-तनरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ तीन नए शब्द जोड़े गए थे।
प्रीशलम्स शलंक:
1. प्रस्तावना,
2. मुख्य त्रबंद,ु
3. 42वां संववधान संशोधन अधधतनयम
4. प्रासंधगक ववधधक मामले
5. प्रस्तावना की संशोधनीयता
में स शलंक: ‘उददे मशका’ को व्यापक रूप से भारतीय संववधान के प्रतीक या आत्मा और आत्मा के रूप में स्वीकार
ककया जाता िै । चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
3. दलबदल-रोिी कानन
ू
संदभभ: कांग्रेस पाटी ने मेघालय ववधानसभा के अध्यक्ष को पत्र के माध्यम से, िाल िी में अखखल भारतीय तर्ण
ृ मूल
कांग्रेस (AITMC) में शाममल िोने के मलए कांग्रेस पाटी छोड़ने वाले कुल 12 ववधायकों में से 10 ववधायकों को
‘तनरिषक’ / ‘अयोग्य’ घोवर्त करने की मांग की िै ।
उतत प्रकरर् में 10िीं अनस
ु ूची तयों लागू नहीं हो सकती है ?
भारतीय संववधान की 10वीं अनस
ु च
ू ी को आमतौर पर ‘दलबदल रोधी अधधतनयम’ के रूप में जाना जाता िै । इन
क़ानून के अनुसार, ककसी राजनीततक दल में ववभाजन िोने की जस्थतत में दलबदल के आधार पर अयोग्यता का
प्रावधान लागू निीं िोगा।
• जिां सदन का कोई सदस्य यि दावा करता िै , कक उसने और उसके ववधायक दल के अन्य सदस्यों ने,
अपने मूल राजनीततक दल में ववभाजन के पररर्णामस्वरूप उत्पन्न नए गुट का प्रतततनधधत्व करने वाले
समूि का गठन कर मलया िै और उसके समूि में उसके मूल राजनीततक दल के सदन में कुल सदस्यों की
संख्या के दो-ततिाई सदस्य से अधधक सदस्य शाममल िै, तो इन सदस्यों को अयोग्य निीं ठिराया जाएगा।
• इस तरि के ववभाजन के पश्चात ्, संबंधधत समूि को, जजस राजनीततक दल ने वि वतषमान में जुड़ा िै , उसी
का भाग माना जाएगा।
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भारतीय संवििान की दसिीं अनुसूची: प्रासंधगकता
• भारतीय संववधान की दसवीं अनुसूची, ‘दल-बदल रोधी कानून’ के रूप में लोकवप्रय िै ।
• इसमें उन पररजस्थततयों को तनहदष ष्ट्ट ककया गया िै , जजनके तित सांसदों / ववधायकों दवारा राजनीततक
दलों को बदलने पर कानून के तित कारष वाई की जा सकती िै ।
• इस अनुसूची को 52वें संशोधन अधधतनयम दवारा संववधान में जोड़ा गया था।
• इसमें तनदष लीय ववधायकों के चुनाव के बाद ककसी पाटी में शाममल िो जाने संबध
ं ी जस्थततयों के बारे में भी
प्रावधान ककए गए िैं।
इस क़ानन
ू में ककसी सांसद या ववधायक दवारा राजनीततक दल बदलने के संबंध में तनम्नमलखखत तीन पररदृश्यों
को तनहदषष्ट्ट ककया गया िै :
1. जब ककसी राजनीततक दल से संबंधधत सदन का सदस्य स्वेच्छा से अपनी राजनीततक पाटी की सदस्यता
त्याग दे ता िै , अथवा यहद वि सदन में अपने राजनीततक दल के तनदे शों के ववपरीत मत दे ता िै अथवा
मतदान में अनुपजस्थत रिता िै तथा अपने राजनीततक दल से उसने पंद्रि हदनों के भीतर क्षमादान न
पाया िो।
2. जब कोई ववधायक, जो तनदष लीय उम्मीदवार के रूप में अपनी सीट जीत चुका िै , चुनाव के बाद ककसी
राजनीततक दल में शाममल िो जाता िै । [उपरोतत दो मामलों में , सांसद / ववधायक, दल पररवतषन करने
(या शाममल िोने) पर ववधातयका में अपनी सीट खो दे ता िै ।]
3. मनोनीत सदस्यों से संबंधित: मनोनीत सदस्यों (Nominated Member) के मामले में , कानून उन्िें मनोनीत
ककए जाने के बाद, ककसी राजनीततक दल में शाममल िोने के मलए छि मिीने का समय दे ता िै । यहद वे
इस समयावधध के बाद ककसी पाटी में शाममल िोते िैं, तो वे सदन में अपनी सीट खो दे ते िैं।
तनहभरता से संबंधित मामले:
• दल-बदल ववरोधी कानून के तित, ककसी सांसद या ववधायक की तनिषरता / अयोग्यता के ववर्य में फैसला
करने की शजतत ववधातयका के पीठासीन अधधकारी के पास िोती िै ।
• कानून में इस ववर्य पर तनर्णषय लेने िे तु कोई समय सीमा तनहदषष्ट्ट निीं की गयी िै ।
• वपछले वर्ष, सप्र
ु ीम कोटष ने किा था, कक ववधातयका के पीठासीन अधधकारी दवारा दलबदल रोधी मामलों
का फैसला तीन मिीने की समयावधध में ककया जाना चाहिए।
कानून के तहत अपिाद:
सदन के सदस्य कुछ पररजस्थततयों में तनरिषता के जोखखम के त्रबना अपनी पाटी बदल सकते सकते िैं।
1. इस ववधान में ककसी दल के दवारा ककसी अन्य दल में ववलय करने करने की अनुमतत दी गयी िै बशते
कक उसके कम से कम दो-ततिाई ववधायक ववलय के पक्ष में िों।
2. ऐसे पररदृश्य में , अन्य दल में ववलय का तनर्णषय लेने वाले सदस्यों तथा मूल दल में रिने वाले सदस्यों
को अयोग्य निीं ठिराया जा सकता िै ।
कानन
ू में खाशमयां:
इस क़ानून का ववरोध करने वालों का किना िै , कक मतदाताओं दवारा चुनाव में व्यजततयों को चुना जाता िै, न
कक पाहटष यों को और इसमलए दलबदल रोधी कानून तनष्ट्फल िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक दलबदल रोधी कानून (1969, 1973) बनाने के शुरुआती प्रयासों में राजनीततक
दलों में शाममल िोने वाले तनदष लीय ववधायकों को शाममल निीं ककया गया था? कफर, उन्िें कानून के तित कब
शाममल ककया गया? इसके बारे में जानकारी िे तु संक्षक्षप्त अवलोकन कीजजए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।
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4. भारतीय संवििान की छठी अनुसच
ू ी
संदभभ: लददाख में ववमभन्न नागररक समाज समूिों दवारा ‘लददाख’ को संववधान की छठी अनुसूची (Sixth Schedule
of the Constitution) के अंतगषत शाममल करने की मांग की जा रिी िै ।
‘लददाख स्वायत्त पवषतीय ववकास पररर्द’ (Ladakh Autonomous Hill Development Council - LAHDC) वतषमान स्वरूप
में आहदवासी हितों की रक्षा करने में सक्षम निीं िै , तयोंकक इसके पास भूमम, नौकरी और संस्कृतत जैसे ववर्यों पर
कानून बनाने या तनयम बनाने की शजतत निीं थी। इसे दे खते िुए नागररक समुदायों दवारा छठी अनुसच
ू ी की मांग
शुरू की गयी िै ।
आिश्यकता:
1. लददाख की लगभग 90% से अधधक आबादी आहदवासी िै । बलती (Balti), बेडा (Beda), बोट (Bot) या बोटो
(Boto), ब्रोकपा (Brokpa), ड्रोकपा (Drokpa), डाडष (Dard), मशन (Shin), चांगपा (Changpa), गराष (Garra),
मोन (Mon) और परु ीगपा (Purigpa) लददाख की प्रमख
ु अनस
ु धू चत जनजाततयां िैं।
2. इसमलए, लददाख क्षेत्र में इन समुदायों की कई ववमशष्ट्ट सांस्कृततक ववरासतों को संरक्षक्षत और बढ़ावा दे ने
की आवश्यकता िै ।
‘छठी अनुसच
ू ी’ के बारे में :
1949 में संववधान सभा दवारा पाररत छठी अनुसच
ू ी भूमम, ‘स्वायत्त क्षेत्रीय पररर्दों’ और ‘स्वायत्त जजला पररर्दों’
(ADCs) के माध्यम से आहदवामसयों के अधधकारों की सरु क्षा का प्रावधान करती िै ।
• इन पररर्दों को सावषजतनक स्वास्थ्य, कृवर् और अन्य ववर्यों पर कानून बनाने की शजतत प्राप्त िोती िै ।
• वतषमान में छठी अनुसूची के अंतगषत, चार पूवोत्तर राज्यों असम, मेघालय, ममजोरम और त्रत्रपुरा की 10
स्वायत्त जजला पररर्दें सजम्ममलत िैं।
• यि ‘ववशेर् प्रावधान’ संववधान के अनुच्छे द 244 (2) और अनुच्छे द 275 (1) के तित ककया गया िै ।
छठी अनुसच
ू ी के प्रमुख प्राििान:
इसके अंतगषत चार राज्यों- असम, मेघालय, त्रत्रपुरा और ममजोरम में जनजातीय क्षेत्रों को स्वायत्त जजलों के रूप में
गहठत ककया गया िै , ककं तु इन्िें संबंधधत राज्य के कायषकारी प्राधधकरर्ण के अधीन रखा गया िै ।
1. राज्यपाल को स्वायत्त जजलों को गहठत करने और पन
ु गषहठत करने का अधधकार िै।
2. यहद एक स्वायत्त जजले में अलग-अलग जनजाततयााँ िैं, तो राज्यपाल जजले को कई स्वायत्त क्षेत्रों में ववभाजजत
कर सकता िै ।
3. संरचना: प्रत्येक स्वायत्त जजले में एक जजला पररर्द िोती िै जजसमें 30 सदस्य िोते िैं , जजनमें से चार
राज्यपाल दवारा नाममत ककए जाते िैं और शेर् 26 वयस्क मताधधकार के आधार पर चुने जाते िैं।
4. कायभकाल: तनवाषधचत सदस्य पााँच साल के कायषकाल के मलये पद धारर्ण करते िैं (यहद पररर्द को इससे
पूवष भंग निीं ककया जाता िै) और मनोनीत सदस्य राज्यपाल के इच्छानुसार समय तक पद पर बने रिते
िैं।
5. प्रत्येक स्वायत्त क्षेत्र में एक अलग क्षेत्रीय पररर्द भी िोती िै ।
6. पररषदों की शजततयां: जजला और क्षेत्रीय पररर्दें अपने अधधकार क्षेत्र के तित क्षेत्रों का प्रशासन करती िैं।
वे भूमम,वन, निर के जल, स्थानांतररत कृवर्, ग्राम प्रशासन, संपवत्त का उत्तराधधकार, वववाि एवं तलाक,
सामाजजक रीतत-ररवाजों जैसे कुछ तनहदषष्ट्ट मामलों पर कानून बना सकती िैं, ककं तु ऐसे सभी कानूनों के
मलये राज्यपाल की सिमतत आवश्यक िै ।
7. ग्राम सभाएाँ: अपने क्षेत्रीय न्यायालयों के अंतगषत जजला और क्षेत्रीय पररर्दें जनजाततयों के मध्य मक
ु दमों
एवं मामलों की सुनवाई के मलये ग्राम पररषदों या अदालतों का गठन कर सकती िैं। वे उनकी अपील
सुनते िैं। इन मुकदमों और मामलों पर उच्च न्यायालय का अधधकार क्षेत्र राज्यपाल दवारा तनहदष ष्ट्ट ककया
जाता िै ।
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इंस्टा जजज्ञास:ु तया आप ‘संववधान (125वां संशोधन) ववधेयक, 2019’ के बारे में जानते िैं?
• 6 फरवरी, 2019 को राज्यसभा में पेश ककए गए इस ववधेयक में तनवाषधचत ग्राम नगरपामलका पररर्दों के
संबंध में प्रावधान ककए गए िैं।
• यि ववधेयक अभी भी ववचाराधीन िै , और इसमें राज्य चन
ु ाव आयोग दवारा स्वायत्त पररर्दों, ग्राम और
नगर पररर्दों के चुनाव कराए जाने का प्रस्ताव ककया गया िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. भारतीय संववधान की 5 वीं और 6 वीं अनुसच
ू ी के बीच अंतर
2. 5 वीं अनुसच
ू ी के तित राज्यपाल की शजततयां
3. 5 वीं के अंतगषत क्षेत्रों को शाममल करने अथवा बािर तनकालने की शजतत ककसे प्राप्त िै ?
4. अनुसूधचत क्षेत्र तया िैं?
5. वन अधधकार अधधतनयम- प्रमुख प्रावधान
6. जनजातीय सलािकार पररर्द- रचना और कायष
में स शलंक: भारतीय संववधान की 5 वीं और 6 वीं अनुसच
ू ी के मध्य अंतर स्पष्ट्ट कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
5. पररसीमन पैनल
संदभभ: िाल िी में , नेशनल कांफ्रेंस (NC) ने सवोच्च न्यायालय के सेवातनवत्त
ृ न्यायाधीश न्यायमूततष रं जना प्रकाश
दे साई की अध्यक्षता में गहठत ‘जम्म-ू कश्मीर पररसीमन आयोग’ (Jammu and Kashmir Delimitation Commission)
से एक पत्र के माध्यम से ‘केंद्र शामसत प्रदे श’ के राजनीततक दलों के साथ िोने वाली आगामी बैठक के एजेंडे का
वववरर्ण मांगा िै ।
पष्ट्ृ ठभूशम:
‘जम्मू और कश्मीर पररसीमन आयोग’ के अनुसार- आयोग दवारा अपनी अंततम ररपोटष वर्ष 2011 की जनगर्णना
के आधार पर तैयार की जाएगी और और ररपोटष में भौगोमलक जस्थतत, दग
ु म
ष इलाकों तथा वतषमान में जारी
‘पररसीमन प्रकिया’ (Delimitation Exercise) िे तु संचार के साधनों और उपलब्ध सवु वधाओं को भी ध्यान में रखा
जाएगा।
आयोग को ‘केंद्र शामसत प्रदे श’ की 83 सदस्यीय ववधानसभा के मलए सात अततररतत सीटों को तनधाषररत करने का
दातयत्व सौंपा गया िै ।
जम्मू-कश्मीर में पररसीमन प्रकक्रया- घटनाक्रम:
1. जम्म-ू कश्मीर में पिली पररसीमन प्रकिया वर्ष 1951 में एक पररसीमन सममतत दवारा तनष्ट्पाहदत की गई
थी, और इसके तित, तत्कालीन राज्य को 25 ववधानसभा क्षेत्रों में ववभतत ककया गया था।
2. इसके पश्चात, वर्ष 1981 में पिली बार एक पूर्णष पररसीमन आयोग (Delimitation Commission) का गठन
ककया गया था और इस आयोग दवारा वर्ष 1981 की जनगर्णना के आधार पर वर्ष 1995 में अपनी
मसफाररशें प्रस्तुत की गेन थी। इसके बाद से, राज्य में कोई अब तक कोई पररसीमन निीं िुआ िै ।
3. वर्ष 2020 में जम्मू-कश्मीर के मलए, वर्ष 2011 की जनगर्णना के आधार पर पररसीमन करने के मलए, एक
‘पररसीमन आयोग’ का गठन ककया गया। इस आयोग को संघ-शामसत प्रदे श में सात अन्य सीटों को जोड़ने
तथा अनुसूधचत जातत एवं अनुसूधचत जनजातत समद
ु ायों को आरक्षर्ण दे ने का आदे श हदया गया।
4. नए पररसीमन के पश्चात, जम्मू-कश्मीर में सीटों की कुल संख्या 83 से बढ़ाकर 90 कर दी जाएगी। ये
सीटें ‘पाक अधधकृत कश्मीर’ (PoK) के मलए आरक्षक्षत 24 सीटों के अततररतत िोंगी और इन सीटों को
ववधानसभा में खाली रखा जाएगा।
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जम्मू-कश्मीर में पररसीमन की आिश्यकता:
‘पररसीमन अधधतनयम,’ 2002 (Delimitation Act, 2002) और अन्य जम्मू-कश्मीर-ववमशष्ट्ट ववधेयकों के साथ अगस्त
2019 में केंद्र सरकार दवारा पाररत ‘जम्मू और कश्मीर पन
ु गषठन अधधतनयम’, 2019 (Jammu and Kashmir
Reorganisation Act, 2019) के प्रावधानों के अनुसार, केंद्र सरकार दवारा वपछले साल 6 माचष को, केंद्रशामसत प्रदे श
के लोकसभा और ववधानसभा क्षेत्रों को कफर से तनधाषररत करने के मलए ‘जम्मू-कश्मीर पररसीमन आयोग’ का गठन
ककया गया था।
‘पररसीमन’ तया होता है ?
‘पररसीमन’ (Delimitation) का शाजब्दक अथष, ‘ववधायी तनकाय वाले ककसी राज्य में क्षेत्रीय तनवाषचन क्षेत्रों की सीमा
तनधाषरर्ण प्रकिया’ िोता िै ।
‘पररसीमन प्रकक्रया’ का तनष्ट्पादन:
• पररसीमन प्रकिया, एक उच्च अधधकार प्राप्त आयोग दवारा संपन्न की जाती िै । इस आयोग को औपचाररक
रूप से पररसीमन आयोग (Delimitation Commission) या सीमा आयोग (Boundary Commission) किा जाता
िै ।
• पररसीमन आयोग के आदे शों को ‘क़ानून के समान’ शजततयां प्राप्त िोती िै , और इन्िें ककसी भी अदालत
के समक्ष चुनौती निीं दी जा सकती िै ।
आयोग की संरचना:
‘पररसीमन आयोग अधितनयम’, 2002 के अनुसार, केंद्र सरकार दवारा तनयुतत पररसीमन आयोग में तीन सदस्य
िोते िैं: जजनमे अध्यक्ष के रूप में उच्चतम न्यायालय के सेवारत या सेवातनवत्त
ृ न्यायाधीश, तथा पदे न सदस्य के
रूप में मख्
ु य तनवाषचन आयत
ु त अथवा इनके दवारा नाममत तनवाषचन आयत
ु त एवं राज्य तनवाषचन आयत
ु त शाममल
िोते िै ।
संिैिातनक प्राििान:
1. संवििान के अनुच्छे द 82 के अंतगषत, प्रत्येक जनगर्णना के पश्चात ् भारत की संसद दवारा एक ‘पररसीमन
अधधतनयम’ क़ानून बनाया जाता िै ।
2. अनच्
ु छे द 170 के तहत, प्रत्येक जनगर्णना के बाद, पररसीमन अधधतनयम के अनस
ु ार राज्यों को भी क्षेत्रीय
तनवाषचन-क्षेत्रों में ववभाजजत ककया जाता िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक अगस्त 2019 तक,
जम्मू-कश्मीर में ववधानसभा सीटों का पररसीमन ‘जम्मू
और कश्मीर संववधान’ और ‘जम्मू और कश्मीर लोक
प्रतततनधधत्व अधधतनयम’, 1957 के अंतगषत ककया िोता था?
प्रीशलम्स शलंक:
1. पूवव
ष ती पररसीमन आयोग- शजततयााँ और कायष
2. आयोग की संरचना
3. आयोग का गठन ककसके दवारा ककया जाता िै ?
4. आयोग के अंततम आदे शों में पररवतषन की
अनुमतत?
5. पररसीमन आयोग से संबंधधत संवैधातनक प्रावधान
में स शलंक: तनवाषचन क्षेत्रों का पररसीमन ककस प्रकार और
तयों ककया जाता िै ? चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
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6. जम्मू और कश्मीर पररसीमन आयोग
संदभभ: िाल िी में , सवोच्च न्यायालय के सेवातनवत्त
ृ न्यायाधीश न्यायमूततष रं जना प्रकाश दे साई की अध्यक्षता में ,
‘जम्मू और कश्मीर पररसीमन आयोग’ (Jammu and Kashmir Delimitation Commission) दवारा तनम्नमलखखत
मसफाररशें की गयी िैं:
1. जम्मू संभाग के मलए छि सीटें और कश्मीर संभाग के मलए एक सीट बढ़ायी जायें।
2. अनुसूधचत जातत (SC) और अनुसूधचत जनजातत (ST) समुदायों के मलए 16 सीटें आरक्षक्षत की जायें।
तनदहतार्भ:
जम्मू-कश्मीर की ववधानसभा में अब सदस्यों की संख्या 90 िोगी। जबकक केंद्र सरकार दवारा जम्म-ू कश्मीर की
ववशेर् संवैधातनक जस्थतत समाप्त ककए जाने से पिले राज्य की ववधानसभा में 87 सदस्य िोते थे।
इन शसफाररशों का आिार:
‘जम्मू एवं कश्मीर पररसीमन आयोग’ के अनस
ु ार, इसकी अंततम ररपोटष वर्ष 2011 की जनगर्णना के आधार पर
तैयार की जाएगी, और ररपोटष में भौगोमलक जस्थतत, दग
ु म
ष इलाकों तथा वतषमान में जारी ‘पररसीमन प्रकिया’
(Delimitation Exercise) िे तु संचार के साधनों और उपलब्ध सुववधाओं को भी ध्यान में रखा जाएगा।
स्रोत: द हिंद।ू
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इस प्रकार के कानून ककन दे शों में लागू हैं?
• यूरोपीय संघ में ‘सामान्य डेटा संरक्षर्ण ववतनयमन’ (General Data Protection Regulation- GDPR)
• 2015 में रूस ने एक कानन
ू बनाया गया, जजसके तित, उपयोगकताषओं को अप्रासंधगकता, अशद
ु धध और
‘कानून के उल्लंघन’ के आधार पर व्यजततगत जानकारी के मलंक को िटाने के मलए एक सचष इंजन को
वववश करने की अनुमतत दी गयी िै ।
• ‘भुलाए जाने के अधधकार’ को कुछ िद तक तक
ु ी और साइबेररया में भी मान्यता प्राप्त िै , जबकक स्पेन
और इंग्लैंड की अदालतों ने इस ववर्य पर कुछ तनर्णषय हदए गए िै ।
स्रोत: द हिंद।ू
8. मानहातन का मामला
संदभभ: िाल िी में , पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत मसंि मसदधू के खखलाफ एक ‘मानिातन’ (Defamation) का मामला
दजष ककया गया िै । मसदधू ने एक भार्र्ण के दौरान अपनी पाटी के दो सदस्यों की प्रशंसा करते िुए उन्िें
“पमु लसकममषयों की पैंट गीली करने में सक्षम” बताया था।
िालांकक, वववाद के बाद मसदधू ने किा कक उनकी इस हटप्पर्णी को शाजब्दक रूप से निीं मलया जाना चाहिए। उन्िोंने
किा, कक यि किने का एक तरीका िै कक कांग्रेस के पास "अधधकार” िै ।
‘मानहातन’ तया होती है?
‘मानिातन’ (Defamation), ककसी व्यजतत, व्यवसाय, उत्पाद, समूि, सरकार, धमष अथवा राष्ट्र की प्रततष्ट्ठा को िातन
पिुचाने वाले गलत व्यततव्यों का संप्रेर्र्ण िोती िै ।
• भारत में , मानिातन मसववल और किममनल दोनों प्रकार की िोती िै । मानिातन के दोनों प्रकारों में अंतर उनके
उददे श्यों में तनहित िोता िै ।
• मसववल प्रकार की मानिातन में अपराधी को तनवारर्ण के रूप में क्षततपूततष दे नी पड़ती िै तथा किममनल /
आपराधधक प्रकार की मानिातन के सन्दभष में अपराधी को दजण्डत ककया जाता िै , और इस प्रकार दस
ू रों को
इस तरि का कायष न करने का संदेश हदया जाता िै ।
विधिक प्राििान:
आपराधधक मानिातन को, ववशेर् रूप से, भारतीय दं ि संदहता (Indian Penal Code - IPC) की िारा 499 के तित
अपराध के रूप में पररभावर्त ककया गया िै ।
मसववल मानिातन, अपकृत्य क़ानून (Tort law) पर आधाररत िै । अपकृत्य क़ानून:, कानून का वि क्षेत्र िै , जो ककसी
गलती को पररभावर्त करने के मलए ककसी ववधान अथवा क़ानून पर तनभषर निीं िोता िै , परन्तु, ‘तया करना गलत
िो सकता िै ?’ इसकी व्याख्या करने के मलए ववमभन्न कानूनों का उपयोग करता िै ।
• IPC की धारा 499 के अनुसार, मानिातन, बोले गए अथवा पढ़े जाने योग्य शब्दों के माध्यम से, संकेतों के
माध्यम से तथा दृश्यमान अमभव्यजतत के माध्यम से भी िो सकती िै ।
• धारा 499 में अपवादों का भी िवाला हदया गया िै । इनमें ‘लोक हित’ में आवश्यक ‘सत्य बात का लांछन’
लगाया जाना या प्रकामशत ककया जाना मानिातन के अंतगषत निीं आता िै ।
• मानिातन के मलए सजा के संबंध में आईपीसी की धारा 500, के अनस
ु ार, ककसी व्यजतत को दस
ू रे व्यजतत
की मानिातन करने पर, दो वर्ष तक का साधारर्ण कारावास या जुमाषना अथवा दोनों से दजण्डत ककया जा
सकता िै ।
मानहातन कानून का दरु
ु पयोग तर्ा संबंधित धचंताएाँ:
• इसके अंतगषत, आपराधधक प्रावधानों को प्रायः ववशुदध रूप से उत्पीड़न के माध्यम में रूप में प्रयत
ु त ककया
जाता िै ।
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• भारतीय ववधधक प्रकियाओं की बोखझल प्रकृतत को दे खते िुए, मामले की गंभीरता पर ध्यान हदए त्रबना िी,
प्रकक्रया ही सजा के समान हो जाती है ।
• आलोचकों का तकष िै कक मानिातन कानन
ू िाक् एिं अशभव्यजतत की स्ितंत्रता के मौशलक अधिकारों से
टकराते िैं।
• आपराधिक मानहातन का समाज पर बुरा प्रभाि पड़ता है : उदािरर्ण के मलए, राज्य इसे, मीडडया और
राजनीततक ववरोधधयों को आलोचना करने से रोकने तथा अनुधचत संयम अपनाने के मलए वववश करता
िै ।
उच्चत्तम न्यायालय द्िारा की गयी दटप्पणर्यााँ:
• सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत संघ मामले 2014 में , न्यायालय दवारा भारतीय दं ड संहिता की धारा 499
और 500 (आपराधधक मानिातन) की संवैधातनक वैधता की अमभपुजष्ट्ट की गयी तथा यि किा गया कक,
ककसी व्यजतत के ‘गररमा तथा सम्मान के साथ जीने के अधधकार’ को ककसी अन्य व्यजतत दवारा मात्र
इसमलए भंग निीं ककया जा सकता, तयोंकक उसको स्वतंत्रता प्राप्त िै ।
• अगस्त 2016 में , न्यायालय ने तममलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयलमलता पर ‘लोकतंत्र का दम घोटने’ के
मलए आपराधधक मानिातन कानून का दरु ु पयोग करने के मलए सख्त आलोचना करते िुए किा कक
‘सावषजतनक िजस्तयों’ को आलोचनाओं का सामना करना चाहिए।
प्रीशलम्स शलंक:
1. आपराधधक और मसववल मानिातन के मध्य अंतर
2. आईपीसी की धारा 499 और 500 ककससे संबंधधत िैं?
3. अपकृत्य क़ानन
ू (Tort law) तया िै ?
4. इस संबंध में सवोच्च न्यायालय के तनर्णषय
5. धारा 499 के तित अपवाद
में स शलंक:
तया आपको लगता िै कक भारत में मानिातन को गैर-अपराध घोवर्त ककया जाना चाहिए? तया मानिातन तथा
अवमानना कानन
ू परु ाने समय के क़ानन
ू िो चक
ु े िै ? उपयत
ु त उदािरर्णों सहित उधचत सात्रबत कीजजए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।
विषय:संघ एवं राज्यों के कायष तथा उत्तरदातयत्व, संघीय ढााँचे से संबंधधत ववर्य एवं चुनौततयााँ, स्थानीय स्तर पर
शजततयों और ववत्त का िस्तांतरर्ण और उसकी चुनौततयााँ।
1. तनजी सदस्य वििेयक
संदभभ: जारी संसद सत्र में शुिवार को लोकसभा में 153 तनजी सदस्य ववधेयक (Private Member’s Bill) पेश ककए
गए, जजनमें से एक ववधेयक में ‘मलंधचंग’ से सरु क्षा िे तु प्रावधान बनाए जाने का प्रस्ताव ककया गया िै , और एक
अन्य ववधेयक में दे श के सभी ‘मशक्षर्ण संस्थानों में भगवद गीता का अतनवायष मशक्षर्ण’ संबंधी प्रस्ताव ककया गया
िै ।
‘प्राइिेट में बर’ या ‘तनजी सदस्य’ कौन होते हैं?
सरकार में शाममल ‘मंत्रत्रयों’ के अलावा अन्य संसद सदस्यों को ‘तनजी सदस्य’ या ‘प्राइवेट में बर’ (Private Member)
के रूप में संदमभषत ककया जाता िै ।
तनजी सदस्य ववधेयक (Private Member’s Bill) का उददे श्य सरकार का ध्यान उस ओर आकवर्षत करना िै , जो कक
सांसद (मंत्रत्रयों के अततररतत) के मुतात्रबक, एक मित्त्वपूर्णष मुददा िै और जजस पर ववधायी िस्तक्षेप की आवश्यकता
िै ।
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तनजी सदस्य वििेयक की स्िीकायभता:
• ककसी ‘प्राइवेट में बर त्रबल’ को ववचार करने िे तु स्वीकार ककया जाए अथवा निीं, इसका तनर्णषय राज्य सभा
के सभापतत अथवा लोकसभा अध्यक्ष दवारा ककया जाता िै ।
• सदन दवारा ‘तनजी सदस्य ववधेयक’ के खाररज ककए जाने अथवा इसकी अस्वीकृतत का ‘सरकार में संसदीय
ववश्वास’ अथवा उसके इस्तीफे पर कोई प्रभाव निीं पड़ता िै ।
तनजी सदस्य वििेयक संबि
ं ी प्रकक्रया दोनों सदनों में लगभग एक समान होती है:
• ववधेयक को पुरःस्थावपत करने के मलए, सच
ू ीबदध ककए जाने से पिले सदस्य को कम से कम एक मिीने
का नोहटस दे ना िोता िै ।
• सदन के सधचवालय दवारा, इस प्रकार के ववधेयक को सूचीबदध करने से पिले, संवैधातनक प्रावधानों और
कानून पर तनयमों के अनुपालन संबंधी परीक्षर्ण ककया जाता िै ।
अपिाद: सरकारी ववधेयकों को ककसी भी हदन पेश ककया जा सकता िै और उन पर चचाष की जा सकती िै , परन्तु
तनजी सदस्य ववधेयक / गैर-सरकारी ववधेयकों को केवल शुिवार को िी पेश ककया जा सकता िै और उसी हदन
उन पर चचाष िो सकती िै ।
तया अभी तक कोई ‘प्राइिेट में बर बबल’ कभी कानून बन सका है ?
‘पीआरएस लेजजस्लेहटव’ के अनुसार, 1970 के बाद से संसद दवारा कोई भी ‘तनजी सदस्य ववधेयक’ पाररत निीं
ककया गया िै ।
आज तक, संसद दवारा 14 ‘तनजी सदस्य ववधेयकों’ को पाररत ककया जा चुका िै , जजनमें से छि ववधेयक 1956
में पाररत ककए गए थे। 14वीं लोकसभा में , 300 से अधधक तनजी सदस्य ववधेयक पेश ककए गए, जजनमें से लगभग
‘चार प्रततशत’ पर चचाष िुई, शेर् 96 प्रततशत बगैर ककसी ववमशष के व्यपगत िो गए।
स्रोत: द हिंद।ू
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इस प्रकार की हटप्पखर्णयों का प्रत्युत्तर दे ने सबसे अच्छा तरीका यि िै , कक ववधातयकाओं की गररमा और मयाषदा
सुतनजश्चत करके उनके उधचत कामकाज को सतु नजश्चत ककया जाए, तयोंकक इस तरि की हटप्पखर्णयां ववधातयकाओं
के कामकाज के बारे में जनता के नजररए को प्रभाववत करती िैं।
प्रमुख धचंताएं:
िमारे ववधायी कामकाज की नींव के रूप में ‘चचाष’ की जगि ‘व्यवधान’ (Disruption) लेता जा रिा िै ।
• पीआरएस (PRS Legislative Research) की एक ररपोटष के अनुसार, 15वीं लोकसभा (2009-14) के दौरान
संसदीय कायषवािी में बार-बार व्यवधान िोने के कारर्ण, लोकसभा और राज्यसभा में तनधाषररत समय का
कुल िमशः 61 फीसदी और 66 फीसदी काम िुआ था।
• पीआरएस की एक अन्य ररपोटष के अनुसार, 16वीं लोकसभा (2014-19) के दौरान तनधाषररत समय का 16%
समय व्यवधानों के कारर्ण ख़राब िो गया। िालााँकक यि 15वीं लोकसभा (37%) से बेितर, ककं तु 14वीं
लोकसभा (13%) से भी बदतर स्थतत रिी।
• 16वीं लोकसभा के दौरान, राज्य सभा में अपने तनधाषररत समय का 36 प्रततशत व्यवधानों के कारर्ण ख़राब
िुआ। 15वीं और 14वीं लोकसभा के दौरान, राज्य सभा में तनधाषररत समय का िमश: 32% और 14%
नष्ट्ट िुआ था।
व्यििानों के कारर्:
1. वववाहदत ववर्यों और सावषजतनक मित्व के मामलों पर चचाष।
2. व्यवधान, सत्ता पक्ष के मलए जजम्मेदारी से बचने में सिायक सात्रबत िो सकते िैं।
3. गैर-सूचीबदध चचाष के मलए समवपषत समय का अभाव।
4. अनश
ु ासनात्मक शजततयों का दल
ु भ
ष प्रयोग।
5. दलगत राजनीतत।
आिश्यकता: संसद में अव्यवस्था को रोकने िे तु, सांसदों और ववधायकों के मलए ‘आचार संहिता’ को सख्ती से लागू
ककए जाने की आवश्यकता िै ।
• आचार संहिताओं का पालन न करने वाले और सदनों के कामकाज में बाधा डालने वाले सांसदों को,
पीठासीन अधधकारी दवारा तनलंत्रबत कर दे ना चाहिए।
• वतषमान सरकार के मलए, और अधधक लोकतांत्रत्रक िोने और ववपक्ष को अपने ववचारों को स्वतंत्र रूप से
रखने का अवसर दे ने की जरूरत िै ।
• व्यवधानों और स्थगन पर बबाषद िुए घंटों की संख्या को ध्यान में रखने तथा संसद के दोनों सदनों के
हदन-प्रततहदन के कामकाज की उत्पादकता की तनगरानी करने िे तु एक "उत्पादकता मापक" (Productivity
Meter) तैयार ककया जाना चाहिए।
तनष्ट्कषभ: मुददों पर सिमतत और असिमतत का प्रदशषन ‘बिस’ के माध्यम से ककया जा सकता िै , न कक ‘व्यवधान’
के माध्यम से। सदन का सुचारू संचालन सभी हितधारकों की जजम्मेदारी िोती िै और इसकी कायषवािी सभी की
सामहू िक इच्छा और सिमतत के साथ चलनी चाहिए।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप ‘स्थगन’ और ‘अतनजश्चत काल के मलए स्थगन’ बीच अंतर जानते िैं?
प्रीशलम्स शलंक:
1. संसद के सत्र
2. संसद सत्र को आिूत करने की शजतत ककसे प्राप्त िै ?
3. संसदीय सत्र के दौरान लोकसभा अध्यक्ष की भमू मकाएं और शजततयां
4. संयुतत बैठक
5. संववधान के अनुच्छे द 74 और 75
स्रोत: द हिंद।ू
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2. कायभपाशलका द्िारा अदालत के आदे शों का अनादर करने की प्रिवृ त्त
संदभभ: भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमर्ण ने िाल िी में किा िै , कक कायषपामलका (Executive) दवारा न्यायालय
के आदे शों की अविे लना और यिां तक कक अनादर करने की प्रववृ त्त बढ़ रिी िै। जबकक कायषपामलका को दे श में
‘ववधध का शासन’ बनाए रखने के मलए सिायता और सियोग करना चाहिए।
न्यायपामलका के समक्ष चन
ु ौततयों पर प्रकाश डालते िुए, भारत के मुख्य न्यायाधीश ने किा कक, वतषमान में
'असियोगी कायषपामलका' अदालत के सामने मौजद ू धचंताओं में से एक िै ।
समय की मांग:
राष्ट्र में ‘ववधध के शासन’ को जारी रखने के मलए कायषपामलका को सिायता और सियोग करने की आवश्यकता
िै । जब तक कायषपामलका और कानून, न्यातयक ररजततयों को भरने, अमभयोजकों की तनयुजतत, बतु नयादी ढांचे को
मजबूत करने, स्पष्ट्ट दरू दमशषता और हितधारकों के ववश्लेर्र्ण सहित कानून बनाने के मलए ईमानदार प्रयास निीं
करते, तब तक ‘ववधध के शासन’ के मलए न्यायपामलका को अकेले जजम्मेदार निीं ठिराया जा सकता िै ।
राष्ट्र तनमाभर् में न्यायपाशलका की महत्िपूर्भ भशू मका :
• केशवानंद भारती मामले में , शीर्ष न्यायालय ने पिली बार ‘संववधान संशोधनों’ की समीक्षा करने की अपनी
शजतत को प्रततपाहदत ककया था।
• इस तरि की व्याख्या के माध्यम से िी ‘इंहदरा गांधी बनाम राज नारायर्ण मामले’ में 39वें संशोधन
अधधतनयम को रदद कर हदया गया था।
‘न्यातयक समीक्षा’ की शजतत:
‘न्यातयक समीक्षा’ (Judicial Review) की शजतत को अतसर ‘न्यातयक अततरे क’ (Judicial Overreach) के रूप में
ब्रांडेड करने का प्रयास ककया जाता िै । इस तरि के ‘सामान्यीकरर्ण’ प्रायः गम
ु राि करने वाले िोते िैं। संववधान में
तीन एक-समान अंगों का तनमाषर्ण ककया गया िै , और इस संदभष में ‘न्यायपामलका’ को अन्य दो ‘अंगों’ दवारा उठाए
गए कदमों की वैधता की समीक्षा करने की भूममका दी गई िै । यहद न्यायपामलका के पास ‘न्यातयक समीक्षा’ की
शजतत निीं िोगी, तो इस दे श में लोकतंत्र का कायष करना अकल्पनीय िो जाएगा।
ितभमान धचंताएं:
• आमतौर पर, कोई भी कानन
ू पाररत करने से पिले, उसका प्रभाव मल्
ू यांकन या संवैधातनकता की बतु नयादी
जांच निीं की जाती िै । कानूनों का मसौदा तैयार करते समय कम-से-कम यि अपेक्षा की जाती िै , कक ये
क़ानून स्थावपत संवैधातनक मसदधांतों का पालन करते िों। ववधध-तनमाषताओं को कानून से उत्पन्न िोने
वाले मुददों के मलए ‘प्रभावी उपचार’ प्रदान करने के बारे में भी सोचना चाहिए। लेककन ऐसा प्रतीत िोता
िै कक वतषमान में इन मसदधांतों की अनदे खी की जा रिी िै । और, इसका सीधा असर अदालतों पर पड़ता
िै ।
• कई बार, पक्षकारों को अपने अनुकूल आदे श न ममलने पर, वप्रंट और सोशल मीडडया में भी जजों के
खखलाफ अमभयान चलाए जाते िैं।
• मीडिया-सन
ु िाई की बढ़ती संसया: नए मीडडया उपकरर्णों में ककसी मामले को व्यापक स्तर पर ववस्तार
दे ने की क्षमता िोती िै , लेककन वे सिी और गलत, अच्छे और बुरे और वास्तववक और नकली के बीच
अंतर करने में असमथष प्रतीत िोते िैं।
समय की मांग: न्यायपामलका में ज्ञान-क्षेत्र ववशेर्ज्ञता की आवश्यकता िै । िमें ववमभन्न क्षेत्रों में ववकास की समझ
रखने वाले न्यायाधीशों और वकीलों की जरूरत िै ।
• तकनीकी ववशेर्ज्ञों से लगातार ‘न्यातयक प्रमशक्षर्ण’ प्राप्त करना भी आवश्यक िै । कानन
ू ी मशक्षा को समय
के साथ तालमेल त्रबठाने और अपने पाठ्यिम को लगातार अदयतन (अपडेट) करने की जरूरत िै ।
• ‘आभासी सुनवाई’ (Virtual Hearings) जैसी आवश्यकताओं को पूरा करने के मलए न्यायपामलका को एक
अनक
ु ू ल मंच की आवश्यकता िै ।
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‘न्यातयक समीक्षा’ तया है?
न्यातयक समीक्षा (Judicial review), न्यायपामलका को प्राप्त एक शजतत िै , जजसके अंतगषत वि सरकार के ववधायी
तथा कायषकारी अंगों दवारा पाररत ककसी अधधतनयम या आदे श से ककसी प्रभाववत व्यजतत के चन
ु ौती हदए जाने पर
इन कानूनों/ आदे श की समीक्षा तथा इनकी संवैधातनकता पर तनर्णषय करती िै ।
भारत में ‘न्यातयक समीक्षा’ की जस्र्तत:
भारत में न्यातयक समीक्षा की शजतत का स्रोत भारतीय संववधान िै (संववधान के अनुच्छे द 13, 32, 136, 142 और
147)।
1. न्यातयक समीक्षा की शजतत का प्रयोग संववधान के भाग-तीन में प्रदत्त मल
ू अधधकारों की रक्षा करने और
इन्िें प्रवततषत करने के मलए ककया जाता िै ।
2. संववधान के अनुच्छे द 13 में संसद और राज्य ववधानसभाओं को दे श के नागररकों को प्राप्त मूल-अधधकारों
को समाप्त करने अथवा इनका िनन करने वाले क़ानन
ू बनाना तनर्ेध ककया गया िै ।
3. अनुच्छे द 13 के तित मौमलक अधधकारों की सुरक्षा करने के प्रावधान ककए गए िैं तथा इसके तित ककसी
भी कानून को ‘मूल-अधधकारों के असंगत अथवा अल्पीकरर्ण’ करने की सीमा तक अमान्य माना गया िै ।
स्रोत: द हिंद।ू
विषय:संसद और राज्य ववधातयका- संरचना, कायष, कायष-संचालन, शजततयााँ एवं ववशेर्ाधधकार और इनसे उत्पन्न
िोने वाले ववर्य।
1. सांसदों के प्रश्नों को स्िीकृत एिं अस्िीकृत ककए जाने संबंिी प्रकक्रया
संदभभ: वपछले कुछ सत्रों के दौरान, कुछ सासंदों- ववशेर्कर ववपक्ष के सांसदों दवारा, अतसर उनके प्रश्नों को संसद
में पूछे जाने की अनुमतत निीं हदए जाने का आरोप लगाया जा रिा िै ।
जजन प्रश्नों को सदन में पछ
ू े जाने की अनुमतत निीं दी गयी, उनमे तनम्नमलखखत मुख्य सवाल शाममल थे:
• तया अतनवासी भारतीयों (NRIs) को िवाई अड्डों पर परे शान ककया गया और वापस भेज हदया गया?
• तया चीनी सतनक लददाख में ‘वास्तववक तनयंत्रर्ण सीमा’ (LAC) का अततिमर्ण करते िुए भारतीय सीमा
में घस
ु गए िैं?
लोकसभा और राज्यसभा सधचवालयों ने इस सवालों को अनुमतत न दे ने के कारर्ण, समय की कमी और राष्ट्रीय
सुरक्षा बताया िै ।
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सांसदों का सिाल पूछने का अधिकार:
दोनों सदनों में , तनवाषधचत सदस्यों को तारांककत प्रश्नों (Starred Questions), अतारांककत प्रश्नों (Unstarred
Questions), अल्प सच
ू ना प्रश्नों (Short Notice Questions) तथा ‘तनजी सदस्यों के मलए प्रश्नों’ (Questions To
Private Members) के रूप में ववमभन्न ववमभन्न मंत्रालयों और ववभागों से जानकारी प्राप्त करने का अधधकार िोता
िै ।
प्रश्नों की ग्राह्यता संबंिी प्रकक्रया:
आम तौर पर, सांसदों के प्रश्नों की एक लंबी सूची तैयार की जाती िै , जो बाद में अनुमोदन की एक कठोर प्रकिया
से गज
ु रती िै ।
• प्रश्नों की ग्राहयता को शामसत करने वाली शतें राज्य सभा के प्रकिया तथा कायष संचालन तनयमों के तनयम
47-50 में दी गई िैं।
• ग्राहयता संबंधी शतों को परू ा करने वाला कोई प्रश्न, प्राप्त िोने के बाद सधचवालय उसे संबंधधत मंत्रालय
को भेजता िै । मंत्रालय से तथ्य प्राप्त िोने के बाद, ‘स्वीकायषता’ के मलए प्रश्न की आगे जांच की जाती िै ।
• प्रश्नों की अंततम सूची मंत्रत्रयों के मलए भेज दी जाती िै , जजसके आधार पर वे अपने उत्तर तैयार करते िैं।
तारांककत, अतारांककत एिं अन्य श्रेणर्यों के प्रश्नों के बारे में :
तारांककत प्रश्न (Starred Questions): यि वि सवाल िोते िैं, जजसका सदस्य, सभा में मंत्री से मौखखक उत्तर चािते
िैं और पिचान के मलए इन प्रश्नों पर तारांक बना रिता िै । ऐसे प्रश्न के उत्तर के पश्चात ् सदस्यों दवारा उस पर
अनुपूरक प्रश्न पूछे जा सकते िैं।
अतारांककत प्रश्न (Unstarred Questions): इन प्रश्नों का मलखखत उत्तर मंत्रत्रयों दवारा हदया जाता िै जजन्िें प्रश्न
काल के अंत में सभा पटल पर रखे गये मान मलया जाता िै । इस प्रकार इसे मौखखक उत्तर के मलए निीं पक
ु ारा
जाता िै और इस पर कोई अनुपूरक प्रश्न निीं पूछा जा सकता।
अल्प सूचना प्रश्न (Short Notice Questions): ऐसे प्रश्नों को तारांककत और अतारांककत प्रश्नों के मलए तनधाषररत
समय से कम समय पर प्रश्न काल के पश्चात ् अथवा प्रश्न काल न िो तो कायषसूची के प्रथम मद
ु दे के रूप में
सभा में मौखखक रूप से पछ
ू ा जा सकता िै ।
इन प्रश्नों को ऐसी ववर्य-वस्तु से संबंधधत िोना चाहिए जजन्िें सभापतत अत्यावश्यक लोक मित्व का समझे।
सदस्य दवारा मौखखक उत्तर िे तु पाने के मलए, अववलम्बनीय लोक मित्व से संबंधधत प्रश्न की सूचना दी जा सकती
िै और जजसे एक सामान्य प्रश्न िे तु ववतनहदष ष्ट्ट 10 हदन की सच
ू नावधध से कम अवधध के भीतर पूछा जा सकता
िै । ऐसे प्रश्न को ‘अल्प सच
ू ना प्रश्न’ के नाम से जाना जाता िै ।
‘तनजी सदस्यों के शलए प्रश्नों’ (Questions To Private Members): लोकसभा के प्रकिया तनयमों के तनयम 40 के
तित या राज्य सभा के तनयम 48 के तित एक तनजी सदस्य को एक प्रश्न को संबोधधत ककया जा सकता िै ,
बशते कक उस प्रश्न की ववर्यवस्तु ककसी ववधेयक, संकल्प या सभा में कायष संचालन से संबंधधत अन्य मामले से
संबंधधत िो जजसके मलए वि सदस्य उत्तरदायी िै ।
ककस तरह के प्रश्न पछ
ू े जा सकते हैं?
• राज्य सभा में , ववमभन्न मानदं डों के अततररतत, प्रश्न ‘सटीक, ववमशष्ट्ट और केवल एक मुददे के मलए सीममत
िोने चाहिए; उसमें कोई ऐसा नाम या कथन निीं िोगा जो प्रश्न को सुबोध बनाने के मलये सवषथा आवश्यक
न िो; यहद उसमें कोई कथन िो तो सदस्य को उस कथन की पररशुदधता के मलये उत्तरदायी िोना पड़ेगा;
और उसमें तकष, अनुमान, व्यंग्यात्मक पद, अभ्यारोप, ववशेर्र्ण या मानिातनकारक कथन निीं िोने चाहिए।
• लोकसभा में , ऐसे प्रश्नों स्वीकार निीं ककया जाता िै , जजनके उत्तर पिले हदये जा चक
ु े िों या जजनका उत्तर
दे ना अस्वीकार कर हदया गया िो; अथवा ऐसे मामले जो ककसी न्यायालय या संसदीय सममतत के समक्ष
ववचाराधीन तनर्णषय के मलए लंत्रबत िैं।
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इंस्टा जजज्ञासु: दोनों सदनों में , प्रत्येक बैठक का पिला घंटा आमतौर पर प्रश्न पूछने और उत्तर दे ने के मलए समवपषत
िोता िै , और इसे 'प्रश्नकाल' किा जाता िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘प्रश्नकाल’, ‘शून्यकाल’, ‘तारांककत प्रश्न’ तया िोते िैं?
2. ‘अतारांककत प्रश्न’ तया िैं?
में स शलंक: संसद में ‘शून्यकाल’ के मित्व पर चचाष कीजजए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।
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कानून का विरोि:
• नागररकता (संशोधन) अधधतनयम (CAA) की संवैधातनक और कानूनी वैधता को भारत के माननीय सवोच्च
न्यायालय में चन
ु ौती दी गई िै । राजस्थान और केरल की सरकारों दवारा अनच्
ु छे द 131 के तित याधचकाएं
दायर की गयी िैं । (भारत सरकार और एक या अधधक राज्यों के बीच ककसी भी वववाद में सवोच्च
न्यायालय, ककसी भी अन्य अदालत का अपवजषन करते िुए, की मूल अधधकाररता िोती िै )।
• केंद्र सरकार के मलए मेघालय, पजश्चम बंगाल, तममलनाडु, केरल और पंजाब की ववधानसभाओं दवारा
अधधतनयम के खखलाफ पाररत प्रस्ताव भी प्राप्त िो चक
ु े िैं।
इंस्टा जजज्ञास:ु ‘राष्ट्रीय नागररक रजजस्टर’ (National Register of Citizens- NRC), नागररकता (संशोधन) अधधतनयम
(CAA) से ककस प्रकार मभन्न िै ? तया दोनों में कोई समानता िै ?
प्रीशलम्स शलंक:
1. नागररकता (संशोधन) अधधतनयम (CAA) के बारे में
2. अधधतनयम में ककन धमों को शाममल ककया गया िै ?
में स शलंक: नागररकता (संशोधन) अधधतनयम के कायाषन्वयन से संबंधधत मद
ु दों पर चचाष कीजजए। स्रोत: द हिंद।ू
3. विशेषाधिकार प्रस्ताि
संदभभ: िाल िी में तर्ण
ृ मलू कांग्रेस पाटी के दो सांसदों और कांग्रेस पाटी के तीन सांसदों ने भारत के पूवष मुख्य
न्यायाधीश एवं राज्यसभा सदस्य ‘रं जन गोगोई’ के खखलाफ ‘ववशेर्ाधधकार उल्लंघन प्रस्ताव’ (Privilege Motion)
पेश ककया िै । श्री रं जन गोगोई ने िाल िी में एक इंटरव्यू के दौरान किा था, कक “उन्िोंने जब उनका मन िुआ
तब सदन में भाग मलया”।
माचष 2020 में सदन में मनोनीत ककए जाने िोने के बाद से, श्री गोगोई सदन की कायषवािी में केवल छि बार
शाममल िुए िैं।
संबंधित तनयम:
तनयमों के अनुसार, प्रत्येक सदस्य को ‘सत्र के दौरान’ कम से कम एक हदन उपजस्थत िोना आवश्यक िोता िै और
यहद वि सदन की कारवाई में शाममल निीं िोते िै , तो उसे छुट्टी के मलए आवेदन करना िोगा, जजस पर सदन
की स्वीकृतत आवश्यक िोती िै ।
संबंधित प्रकरर्:
िाल िी में , एक न्यूज चैनल ‘एनडीटीवी’ को हदए गए एक साक्षात्कार के दौरान, रं जन गोगोई से संसद में उनकी
उपजस्थतत के बारे में पूछा गया था। जजसके जबाब में , पूवष सीजेआई ने ‘सोशल डडस्टें मसंग’ और ‘बैठने की व्यवस्था’
में कमी के प्रतत असुववधा और ‘कोववड-प्रततबंधों’ का िवाला हदया था।
‘ववशेर्ाधधकार प्रस्ताव’ में किा गया िै , कक संसद सदस्य के यि बयान सदन की गररमा का उल्लंघन करते िैं
और उसे अनदे खा करते िै ।
‘संसदीय विशेषाधिकार’ तया होते हैं?
संसदीय ववशेर्ाधधकार (Parliamentary Privileges), संसद सदस्यों को, व्यजततगत और सामूहिक रूप से, प्राप्त कुछ
अधधकार और उन्मजु ततयां िोते िैं, ताकक वे "अपने कायों का प्रभावी ढं ग से तनवषिन" कर सकें।
• संवििान के अनुच्छे द 105 में स्पष्ट्ट रूप से दो ववशेर्ाधधकारों का उल्लेख ककया गया िै । ये िैं: संसद में
वाक् -स्वतंत्रता और इसकी कायषवािी के प्रकाशन का अधधकार।
• संववधान में ववतनहदषष्ट्ट ववशेर्ाधधकारों के अततररतत, शसविल प्रकक्रया संदहता, 1908 में सदन या उसकी
सममतत की बैठक के दौरान तथा इसके आरं भ िोने से चालीस हदन पव
ू ष और इसकी समाजप्त के चालीस
हदन पश्चात मसववल प्रकिया के अंतगषत सदस्यों की धगरफ्तारी और उन्िें तनरुदध ककए जाने से स्वतंत्रता
का उपबंध ककया गया िै ।
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विशेषाधिकार उल्लंघन के णखलाफ प्रस्ताि:
सांसदों को प्राप्त ककसी भी अधधकार और उन्मुजतत की अविे लना करने पर, इस अपराध को ववशेर्ाधधकार
िनन किा जाता िै , और यि संसद के कानून के तित दं डनीय िोता िै।
• ककसी भी सदन के ककसी भी सदस्य दवारा ‘ववशेर्ाधधकार िनन’ के दोर्ी व्यजतत के खखलाफ एक
प्रस्ताव के रूप में एक सूचना प्रस्तुत की जा सकती िै।
लोकसभा अध्यक्ष / राज्य सभा सभापतत की भूशमका:
ववशेर्ाधधकार प्रस्ताव की जांच के मलए, लोकसभा अध्यक्ष / राज्य सभा सभापतत, पिला स्तर िोता िै ।
• लोकसभा अध्यक्ष / राज्यसभा सभापतत, ववशेर्ाधधकार प्रस्ताव पर स्वयं तनर्णषय ले सकते िैं या इसे संसद
की ववशेर्ाधधकार सममतत के मलए संदमभषत कर सकते िैं।
• यहद लोकसभा अध्यक्ष / राज्यसभा सभापतत, संगत तनयमों के तित प्रस्ताव पर सिमतत दे ते िैं, तो संबंधधत
सदस्य को प्रस्ताव के संदभष में एक संक्षक्षप्त वततव्य दे ने का अवसर हदया जाता िै ।
प्रयोज्यता:
• संववधान में , उन सभी व्यजततयों को भी संसदीय ववशेर्ाधधकार प्रदान ककए गए िै , जो संसद के ककसी
सदन या उसकी ककसी सममतत की कायषवािी में बोलने और भाग लेने के िकदार िैं। इन सदस्यों में भारत
के मिान्यायवादी और केंद्रीय मंत्री शाममल िोते िैं।
• िालांकक, संसद का अमभन्न अंग िोने बावजद
ू , राष्ट्रपतत को संसदीय ववशेर्ाधधकार प्राप्त निीं िोते िैं।
राष्ट्रपतत के मलए संववधान के अनुच्छे द 361 में ववशेर्ाधधकारों का प्रावधान ककया गया िै ।
इंस्टा जजज्ञास:ु तया ‘संसदीय ववशेर्ाधधकारों’ को ककसी कानन
ू के तित पररभावर्त ककया गया िैं? इस बारे में
जानकारी िे तु पहढ़ए।
प्रीशलम्स शलंक:
1. संववधान के कौन से प्रावधान ववधातयका के ववशेर्ाधधकारों की रक्षा करते िैं?
2. ववधातयका के ववशेर्ाधधकार के कधथत उल्लंघन के मामलों में अपनाई जाने वाली प्रकिया तया िै ?
3. संसद और राज्य ववधानमंडलों में ववशेर्ाधधकार सममततयों की संरचना और कायष
4. ववधातयका के ववशेर्ाधधकार िनन का दोर्ी पाए जाने वाले व्यजतत के मलए तया सजा िै ?
5. तया राज्य ववधानसभाओं के ववशेर्ाधधकार िनन से जुड़े मामलों में न्यायालय िस्तक्षेप कर सकते िैं?
में स शलंक: ववधातयका के ववशेर्ाधधकारों से आप तया समझते िैं? भारत में समय-समय पर दे खी जाने वाली
ववधातयका ववशेर्ाधधकारों की समस्या पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
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लोकसभा वेबसाइट के अनुसार, संसदीय सममतत से तात्पयष उस सममतत से िै , जो सभा दवारा तनयत
ु त या तनवाषधचत
की जाती िै अथवा अध्यक्ष दवारा नाम-तनदे मशत की जाती िै तथा अध्यक्ष के तनदे शानुसार कायष करती िै एवं
अपना प्रततवेदन सभा को या अध्यक्ष को प्रस्तत
ु करती िै ।
संसदीय सशमततयों के प्रकार:
1. स्र्ायी सशमततयााँ (Standing Committees): ये सममततयां अनवरत प्रकृतत की िोती िैं अथाषत ् इनका कायष
प्रायः तनरं तर चलता रिता िै । इस प्रकार की सममततयों को वावर्षक आधार पर पुनगषहठत ककया जाता िै ।
• इन्िें वित्तीय सशमततयों और विभागों से संबद्ि स्र्ायी सशमततयों (Departmentally-Related Standing
Committees- DRSCs) में ववभाजजत ककया जाता िै ।
• ववत्तीय सममततयों को ववशेर् रूप से शजततशाली माना जाता िै , तथा यि तीन प्रकार की िोती िैं:
लोक लेखा सशमतत, प्रातकलन सशमतत एिं सरकारी उपक्रमों संबंिी सशमतत।
2. तदर्भ सशमततयां (Select Committees): तदथष सममततयां ककसी ववमशष्ट्ट प्रयोजन के मलए तनयत
ु त की जाती
िैं और जब वे अपना काम समाप्त कर लेती िैं तथा अपना प्रततवेदन प्रस्तुत कर दे ती िैं, तब उनका
अजस्तत्व समाप्त िो जाता िै ।
संिैिातनक प्राििान:
संसदीय सममततयां, अनुच्छे द 105 (संसद सदस्यों के ववशेर्ाधधकार) तथा अनुच्छे द 118 (संसदीय प्रकिया तथा
कायषवािी के संचालन के मलए तनयम बनाने िे तु संसद की शजतत) से अपनी शजततयां प्राप्त करती िैं।
विभागों से संबद्ि स्र्ायी सशमततयों (DRSCs) की संरचना:
ववभागों से संबदध स्थायी सममततयों की संख्या 24 िै जजनके क्षेत्राधधकार में भारत सरकार के सभी मंत्रालय/ववभाग
आते िैं।
• 13 िीं लोकसभा तक प्रत्येक DRSC में 45 सदस्य िोते थे – जजनमे से 30 सदस्यों को लोकसभा से तथा
15 सदस्यों को राज्यसभा से नाम-तनहदष ष्ट्ट ककया जाता था।
• जुलाई 2004 में विभागों से संबद्ि स्र्ायी सशमततयों के पुनगभठन के पश्चात, इनमें से प्रत्येक सममतत में
31 सदस्य िोते िैं - 21 लोक सभा से तर्ा 10 राज्य सभा से जजन्हें क्रमश: लोक सभा के अध्यक्ष तर्ा
राज्य सभा के सभापतत द्िारा नाम-तनददभ ष्ट्ट
ककया जाता है ।
• इन सममततयों को एक िषभ की अधिकतम
अिधि के मलए गहठत ककया जाता िै और
सममततयों के पुनगषठन में प्रततवर्ष सभी दलों
के सदस्यों को सजम्ममलत ककया जाता िै ।
संसदीय सशमतत प्रर्ाली का महत्ि:
1. अंतर-मंत्रालयी समन्वय
2. ववस्तत
ृ संवीक्षा िे तु उपकरर्ण
3. लघु-संसद के रूप में कायषकारी तनकाय
स्रोत: द हिंद।ू
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वििाद की उत्पवत्त:
पूवव
ष ती बॉम्बे प्रेसीडेंसी एक एक बिुभार्ी प्रांत था, जजसमे वतषमान कनाषटक राज्य के बीजापुर, बेलागवी, धारवाड़
और उत्तर-कन्नड़ जजले सजम्ममलत थे। बॉम्बे प्रेसीडेंसी में मराठी, गज
ु राती और कन्नड भार्ाएं बोलने वाले लोग रिा
करते थे।
• वर्ष 1948 में , बेलगाम नगरीय तनकाय ने अनुरोध ककया था कक मुख्य रूप से मराठी भार्ी जनसाँख्या वाले
जजले को प्रस्ताववत मिाराष्ट्र राज्य में शाममल कर हदया जाए।
• िालााँकक, भार्ाई और प्रशासतनक आधार पर राज्यों को ववभाजजत करने िाले राज्य पुनगभठन अधितनयम,
1956 के तित बेलगाम और बॉम्बे प्रेसीडेंसी के 10 अन्य तालक
ु ों को तत्कालीन मैसरू राज्य (जजसे 1973
में कनाषटक का नाम हदया गया था) का एक हिस्सा बना हदया गया।
महाजन आयोग की ररपोटभ :
राज्य पनु गषठन आयोग दवारा, राज्यों का सीमांकन करते िुए, 50 प्रततशत से अधिक कन्नड़ भाषी आबादी िाले
तालुकों को मैसूर राज्य में शाशमल कर ददया गया।
• इस क्षेत्र के मैसूर में शाशमल ककए जाने का काफी विरोि ककया गया। ववरोध करने वालों का किना था,
कक इस क्षेत्र में मराठी भावषयों की संसया 1956 में यहााँ रहने िाले कन्नड़ भावषयों से अधिक हो गयी है ।
• मसतंबर 1957 में, बॉम्बे सरकार दवारा इनकी मांग को आवाज दी गयी और केंद्र के समक्ष ववरोध दजष
कराया गया, जजसके पररर्णामस्वरूप अतटूबर 1966 में पव
ू ष मख्
ु य न्यायाधीश मेिर चंद मिाजन की अध्यक्षता
में महाजन आयोग का गठन ककया गया।
आयोग की शसफाररश:
अगस्त 1967 में आयोग ने अपनी ररपोटष में मसफाररश के अनस
ु ार- 264 गांवों को मिाराष्ट्र (जजसका 1960 में
गठन ककया गया) में स्थानांतररत ककया जाएगा तथा बेलगाम और 247 गााँि कनाभटक में रखे जाएंगे।
बाद का घटनाक्रम:
• मिाराष्ट्र दवारा इस ररपोटष को खाररज कर हदया गया तथा इसे पक्षपाती और अताककषक बताते िुए इसकी
समीक्षा ककए जाने की मांग की गई।
• कनाषटक ने इस ररपोटष का स्वागत ककया और इसके कायाषन्वयन िे तु दबाव दे ता रिा िै , िालांकक इसे केंद्र
दवारा औपचाररक रूप से स्वीकार निीं ककया गया िै ।
• मिाराष्ट्र, बेलगाम शिर, जो वतषमान में कनाषटक का हिस्सा िै , सहित सीमा पर जस्थत 814 से अधधक
गााँवों पर दावा करता िै ।
• मिाराष्ट्र की सरकारों दवारा इन क्षेत्रों को राज्य में सजम्ममलत ककये जाने की मांग की जाती रिी िै - जबकक
कनाषटक के दवारा इन दावों का ववरोध ककया जाता िै ।
इंस्टा जजज्ञासु:
तया आप जानते िैं कक वर्ष 1950 में संववधान में भारतीय संघ के राज्यों का चार श्रेखर्णयों- श्रेर्णी ए, श्रेर्णी बी, श्रेर्णी
सी और श्रेर्णी डी- में वगीकरर्ण ककया गया था?
प्रीशलम्स शलंक:
1. मिाजन आयोग के बारे में
2. राज्य पुनगषठन अधधतनयम, 1956 के बारे में
में स शलंक:
राज्य पन
ु गषठन अधधतनयम, 1956 की प्रमख
ु ववशेर्ताओं पर चचाष कीजजए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।
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विषय:जन प्रतततनधधत्व अधधतनयम की मुख्य ववशेर्ताएाँ।
1. मतदाता पहचान पत्र को आिार कािभ से जोड़ने हे तु वििेयक
संदभभ: िाल िी में, ‘मतदाता पिचान पत्र को ऐजच्छक रूप से आधार काडष से जोड़ने सहित अन्य प्रमख
ु सध
ु ार करने
िे तु ‘जन प्रतततनधधत्व अधधतनयम’ में संशोधन करने के उददे श्य से संसद में ‘तनवाषचन कानून (संशोधन) ववधेयक’,
2021 (Election Laws (Amendment) Bill, 2021) को केंद्रीय मंत्रत्रमंडल दवारा मंजूरी दे दी गयी िै ।
आिार कािभ को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने की आिश्यकता:
भारत तनवाषचन आयोग (ECI) दवारा वर्ष 2015 से यि मांग की जा रिी िै । तनवाषचन आयोग दवारा आधार संख्या
को मतदाता पिचान संख्या से जोड़ने के मलए, ‘राष्ट्रीय तनवाषचन कानन
ू शोधन और प्रमार्णीकरर्ण कायषिम’
(National Electoral Law Purification and Authentication Programme) शुरू ककया गया था। आयोग के अनस
ु ार,
इस संबदधता (मलंककं ग) से एक व्यजतत के नाम पर कई नामांकनों को धचजहनत कर उन्िें समाप्त ककया जा
सकेगा।
• उस समय, इस कायषिम पर रोक लगा दी गयी थी, तयोंकक सुप्रीम कोटष ने आदे श हदया था कक कल्यार्णकारी
योजनाओं का लाभ उठाने के मलए ‘आधार संख्या’ का उपयोग वैकजल्पक रिे गा।
• इसके बाद, चुनाव तनवाषचन ने अपने प्रस्ताव में संशोधन करते िुए ‘मलंककं ग’ को वैकजल्पक बना हदया।
वििेयक के अन्य प्राििान:
ववधेयक में , िर वर्ष चार ‘अिताष ततधथयों’ पर नए मतदाताओं के पंजीकरर्ण का प्रावधान ककया गया िै , वतषमान में
नए मतदाताओं के पंजीकरर्ण िे तु केवल 1 जनवरी को ‘अिताष ततधथ’ माना जाता िै ।
• वतषमान में , 1 जनवरी को या उससे पिले 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाला कोई भी व्यजतत मतदाता के
रूप में पंजीकृत िोने के मलए पात्र िोता िै ।
• केवल एक कटऑफ डेट िोने के कारर्ण 2 जनवरी को 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले व्यजतत पंजीकरर्ण
निीं करा पाते थे और उन्िें पंजीकरर्ण कराने के मलये अगले वर्ष का इंतजार करना पड़ता था।
• ववधेयक के अनुसार, प्रत्येक कैलेंडर वर्ष में , मतदाता पंजीकरर्ण के मलए 1 जनवरी के साथ-साथ तीन अन्य
अिताष ततधथयां - 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अतटूबर - िोंगी।
संशोधन ववधेयक में ‘सेवारत मतदाताओं’ (Service Voters) के मलए तनवाषचन को ‘लैंधगक रूप से तटस्थ’ बनाने का
प्रावधान ककया गया िै ।
• संशोधन के तित, ‘पत्नी’ शब्द के स्थान पर 'पतत/पत्नी' (Spouse) ककया जाएगा, जजससे यि क़ानन
ू
‘लैंधगक रूप से तटस्थ’ (Gender Neutral) बन जाएगा।
• वतषमान में सशत्र सेना के एक जवान की ‘पत्नी’ ‘सेवा मतदाता’ के रूप में नामांककत िोने की िकदार िै ,
लेककन ‘महिला अधधकारी’ के पतत को यि सवु वधा उपलब्ध निीं िै । 'पत्नी' के स्थान पर 'पतत/पत्नी' शब्द
का प्रयोग ककए जाने से इसमें पररवतषन िो जाएगा।
िोटर आईिी-आिार कािभ युग्मन से संबंधित मद्
ु दे :
• संसोधन प्रस्ताव में ‘भारत तनवाषचन आयोग’ (ECI) और UIDAI डेटाबेस को ककस सीमा तक साझा ककया
जाएगा, मतदाता से उसकी सिमतत िामसल लेने की तया प्रकिया िोगी, और तया डेटाबेस को जोड़ने के
मलए दी गयी सिमतत रदद की जा सकती िै , जैसे सवालों को स्पष्ट्ट निीं ककया गया िै ।
• एक सशतत ‘तनजी डेटा संरक्षर्ण कानून’ के अभाव में ‘डेटा साझा करने की अनुमतत’ दे ने संबध
ं ी कोई भी
कदम समस्यात्मक सात्रबत िो सकता िै । यि व्यजतत की तनजता में दखल िोगा। ‘तनजी डेटा संरक्षर्ण
कानन
ू ’ के संबंध में एक ववधेयक अभी संसद में ववचाराधीन िै ।
इंस्टा जजज्ञासु:
• तया आप ‘राष्ट्रीय मतदाता सूची शद
ु धधकरर्ण और प्रमार्णीकरर्ण कायषिम’ (NERPAP) के बारे में जानते िैं?
इसे कब शरू ककया गया था?
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• तया आप सुप्रीम कोटष के 2015 के ‘जजस्टस केएस पट्
ु टस्वामी (सेवातनवत्त
ृ ) एवं अन्य बनाम भारत संघ
मामले’ में तनजता की सुरक्षा से संबंधधत फैसले के बारे में जानते िैं? इस मामले में "आधार योजना और
आधार अधधतनयम, 2016 की वैधता" को चन
ु ौती दी गयी थी?
में स शलंक: आधार संख्या को मतदाता पिचान पत्र से जोड़े जाने से संबंधी मुददों और धचंताओं पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
विषय:ववमभन्न संवैधातनक पदों पर तनयुजतत और ववमभन्न संवैधातनक तनकायों की शजततयााँ, कायष और उत्तरदातयत्व।
1. तनिाभचन आयोग की तनष्ट्पक्षता पर सिाल
संदभभ: िाल िी में , मुख्य तनवाषचन आयुतत (Chief Election Commissioner - CEC) सुशील चंद्रा और अन्य तनवाषचन
आयत
ु त (Election Commissioners) राजीव कुमार और अनप
ू चंद्र पांडे दवारा ‘प्रधान मंत्री कायाषलय’ (PMO) दवारा
बुलाई गयी एक ऑनलाइन वाताष में भाग लेने पर, ववपक्ष ने पांच राज्यों में िोने वाले आगामी चुनावों की तनष्ट्पक्षता
पर सवाल उठाया िै ।
आलोचकों का किना िै , कक ‘तनवाषचन आयोग’ एक स्वतंत्र तनकाय िै और PMO दवारा ‘तनवाषचन आयोग’ को इस
तरि की वाताष के मलए निीं बुलाया जा सकता।
केंद्र सरकार की प्रततकक्रया:
‘तनवाषचन आयोग’ प्रशासतनक रूप से ‘ववधध मंत्रालय’ के अंतगषत आता िै । ‘ववधध मंत्रालय’ दवारा जारी एक
आधधकाररक संप्रेर्र्ण में उतत प्रकरर्ण के बारे में स्पष्ट्टीकरर्ण दे ते िुए किा िै , कक यि बैठक चुनावी सुधारों पर
चचाष के मलए बैठक बल ु ाई गई थी। साथ िी, मंत्रालय ने जोर दे कर किा िै , कक यि बैठक मात्र एक "अनौपचाररक
वाताष" थी।
संबंधित मुद्दे :
• ‘प्रधान मंत्री कायाषलय’ (PMO) दवारा जारी “तनदे श’, तनवाषचन आयोग के स्वतंत्र कामकाज के बारे में धचंता
उत्पन्न करते िै । आनुिममक ‘मुख्य तनवाषचन आयुततों’ दवारा ‘तनवाषचन आयोग’ की स्वायत्तता की रक्षा
करने का जोशपर्ण
ू ष तरि से प्रयास ककया जाता िै ।
• खासकर, जब मित्वपर्ण
ू ष राज्यों में चुनाव नजदीक आ रिे िै , ऐसे में इस "अनौपचाररक वाताष" से आयोग
की तनष्ट्पक्षता के बारे में भी सवाल उठते िैं।
संवििान में तनिाभचन आयोग की जजम्मेदाररयां और शजततयां:
तनवाषचन आयोग एक संवध
ै ातनक प्राधधकरर्ण िै , संववधान के अनुच्छे द 324 में तनवाषचन आयोग की जजम्मेदाररयां
और शजततयां तनधाषररत की गयी िैं।
• तनवाषचन आयोग, कायषकारी िस्तक्षेप से मत
ु त रिता िै।
• तनवाषचन आयोग दवारा चुनाव आयोजजत करने - चािे आम चुनाव िों या उपचुनाव- िे तु चुनाव कायषिम
तनधाषररत ककए जाते िैं।
• तनवाषचन आयोग िी, मतदान केंद्रों के स्थान, मतदाताओं के मलए मतदान केंद्रों का तनयतन, मतगर्णना केंद्रों
के स्थान, मतदान केंद्रों और मतगर्णना केंद्रों और इनके आसपास की जाने वाली व्यवस्थाओं और सभी
संबदध मामलों पर तनर्णषय लेता िै ।
• तनवाषचन आयोग के तनर्णषयों को उपयुतत याधचकाओं के माध्यम से उच्च न्यायालयों और भारत के सवोच्च
न्यायालय में चुनौती दी जा सकती िै ।
• लंबे समय से चली आ रिी परं परा और कई न्यातयक तनर्णषयों के अनुसार, एक बार चुनाव की वास्तववक
प्रकिया शुरू िो जाने के बाद, न्यायपामलका चुनावों के वास्तववक संचालन में िस्तक्षेप निीं करती िै ।
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तनिाभचन आयोग और सरकार के बीच संप्रेषर्:
• तनवाषचन आयोग, चुनाव संबध
ं ी मामलों पर सरकार (या तो अपने प्रशासतनक मंत्रालय अथाषत ‘ववधध मंत्रालय’
या ‘गि
ृ मंत्रालय’) के साथ, चन
ु ाव के दौरान सरु क्षा बलों की तैनाती के मलए नौकरशािी के माध्यम से
संप्रेर्र्ण (Communication) करता िै ।
• ऐसे मामलों में , प्रायः गि
ृ सधचव को ‘पूर्णष आयोग’ के समक्ष आमंत्रत्रत ककया जाता िै , जजसमे तीनों तनवाषचन
आयुतत मौजूद रिते िैं।
• ववधध मंत्रालय दवारा दे श के कानून की बारीककयां सपष्ट्ट की जाती िै , और मंत्रालय से यि अपेक्षा की
जाती िै कक उसके दवारा तनवाषचन आयोग की स्वायत्तता सतु नजश्चत करने िे तु प्रददत संवध
ै ातनक सरु क्षा
का उल्लंघन निीं ककया जाएगा।
हाल ही में हुई इस प्रकार की घटनाएं:
• वर्ष 2019 के लोकसभा चन ु ावों के दौरान, मख्
ु य तनवाषचन आयत
ु त सन
ु ील अरोड़ा के नेतत्ृ व में तनवाषचन
आयोग ने प्रधान मंत्री नरें द्र मोदी को एक मामले में तलीन धचट दी। जजसमे प्रधान मंत्री ने, लातूर में एक
चुनावी रै ली में सशस्त्र बलों की ओर से एक अपील के साथ अपने अमभयान का संदभष हदया था।
• 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान आदशष आचार संहिता के कई उल्लंघन भी िुए िैं।
• इस वर्ष, एक भयंकर मिामारी के बीच चुनाव अमभयानों पर प्रततबंध लगाने में आयोग के ववलंत्रबत तनर्णषय
पर भी सवाल उठे थे।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आपने ‘ववश्व तनवाषचन तनकाय संगठन’ / ‘एसोमसएशन ऑफ वल्डष इलेतशन बॉडीज’ (Association
of World Election Bodies - A-WEB) के बारे में सुना िै ? तया भारत इसका सदस्य िै ?
प्रीशलम्स शलंक:
1. अनुच्छे द 243 तथा अनुच्छे द 324 में अंतर
2. राज्य तनवाषचन आयोगों तथा भारत तनवाषचन आयोग की शजततयों में समानताएं और अंतर
3. तनवाषचन आयोगों के फैसलों के खखलाफ अपील
4. संसद और राज्य ववधानसभाओं के चुनाव तथा स्थानीय तनकाय चुनाव में मभन्नता
में स शलंक: तया भारत में राज्य तनवाषचन आयोग, भारत तनवाषचन आयोग की भांतत स्वतंत्र िैं? चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
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तनयमों में ककए गए हाशलया संशोिन:
वपछले िफ्ते, सरकार ने ववधानसभा में एक प्रस्ताव पेश ककया, जजसमें तनयम 6 (ववधानसभा अध्यक्ष का चन
ु ाव)
और तनयम 7 (उपसभा अध्यक्ष का चन
ु ाव) में गप्ु त मतदान के बजाय ध्वतन मत से कराए जाने िे तु संशोधन करने
की मांग की गई। यि संशोधन, ववधातयका की तनयम सममतत दवारा प्रस्ताववत ककए गए थे।
• संशोधनों में "चुनाव कराने" शब्दों को शाममल निीं ककया गया, तथा ‘मिाराष्ट्र ववधान सभा तनयमावली’
के तनयम 6 में "मुख्यमंत्री की मसफाररश पर अध्यक्ष का चुनाव करने के मलए" शब्द शाममल ककए गए।
• संशोधनों में ‘अध्यक्ष’ के चन
ु ाव के प्रावधान को "गप्ु त मतदान" (Secret Ballot) को "ध्वतन मत" (Voice
Vote) से पररवततषत ककया गया िै ।
आलोचना: ववपक्ष ने इन संशोधनों का ववरोध करते िुए तकष हदया िै कक, ववधानसभा अध्यक्ष की अनुपजस्थतत में
‘तनयमवली’ में संशोधन निीं ककया जा सकता िै ।
सरकार का पक्ष:
सरकार का तकष िै , कक यि संशोधन, लोकसभा, राज्य ववधानमंडल के उच्च सदन और कई अन्य राज्यों की
ववधानसभाओं में प्रचमलत तनयमों के अनुरूप िैं।
• इन संशोधनों से, ववधयाकों की खरीद-फरोख्त पर ववराम लग जाएगा।
• सरकार ने किा कक तनयमों में संशोधन करना, ववधातयका के अधधकार में आता िै ।
वििानसभा अध्यक्ष के तनिाभचन हे तु राज्यपाल की मंजरू ी की आिश्यकता:
ववधानसभा अध्यक्ष के चुनाव की तारीख, राज्यपाल दवारा अधधसूधचत की जाती िै ।
• मिाराष्ट्र ववधान सभा तनयमावली के तनयम 6 के अनुसार, "ववधानसभा अध्यक्ष का चुनाव कराने िे तु,
राज्यपाल एक तारीख तय करे गा और ववधानसभा सधचव दवारा िर सदस्य को इस तरि की तय तारीख
की सूचना भेजी जाएगी।"
• इसमलए, ववधानसभा अध्यक्ष का चुनाव, राज्यपाल दवारा इसकी तारीख तय करने के बाद िी िो सकता
िै ।
आगे की राह:
जस्थतत बड़ी ववधचत्र िै । मिाराष्ट्र ववधान सभा तनयमावली के तनयम 6 में किा गया िै, कक राज्यपाल को ववधानसभा
अध्यक्ष चुनाव की तारीख तय करनी चाहिए, जबकक संशोधन के अनुसार, राज्यपाल को मुख्यमंत्री की सलाि पर
चुनाव की तारीख तय करनी चाहिए। यि दो संवध
ै ातनक संस्थाओं के बीच का संघर्ष िै ।
• सूत्रों के अनुसार, सरकार यि दे खने के मलए कानूनी ववकल्प तलाशेगी, कक तया राज्यपाल की सिमतत के
त्रबना अध्यक्ष का चुनाव िो सकता िै ।
• लेककन सदन के पव
ू ष सधचव के अनस
ु ार, त्रबना राज्यपाल की सिमतत के चन
ु ाव कराना मजु श्कल िोगा।
सदन के अध्यक्ष की भूममकाओं और कायों के बारे में अधधक जानकारी के मलए पहढ़ए।
इंस्टा जजज्ञासु:
तया आप जानते िैं कक, संववधान में इन चन
ु ावों को कराने की प्रकिया को तनहदषष्ट्ट निीं की गयी िै ? और इसे
राज्य ववधानसभाओं पर छोड़ हदया गया िै । संववधान में , सदन के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव कराने िे तु कोई
समय सीमा तनधाषररत निीं की गयी िै , मात्र यि किा गया िै कक चुनाव "जजतनी जल्दी िो सके" िोने चाहिए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।
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विषय:सांववधधक, ववतनयामक और ववमभन्न अदषध-न्यातयक तनकाय।
1. भारत का विधि आयोग
संदभभ: सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सधू चत करते िुए बताया िै , कक भारत के 22वें ववधध आयोग (Law
Commission of India) के अध्यक्ष और सदस्यों की तनयजु तत पर ववचार ककया जा रिा िै ।
संबंधित प्रकरर्:
22वें ववधध आयोग का गठन, सरकार दवारा 21 फरवरी, 2020 को ककया गया था। िालांकक, इसमें की जाने वाली
तनयुजततयों को लेकर अब तक कोई प्रगतत निीं िुई िै , और ववधध मंत्रालय दवारा अदालत में दायर संक्षक्षप्त
िलफनामे में , इस सबंध में कोई कारर्ण निीं बताए गए िैं।
‘शजततयों के पर्
ृ तकरर्’ का शसद्िांत':
सुनवाई के दौरान, सरकार ने ‘शजततयों के पथृ तकरर्ण’ (Doctrine of Separation of Power) का िवाला दे ते िुए किा
िै , कक शासन के एक अंग को दस ू रे के कायों में अततिमर्ण निीं करना चाहिए।
‘भारत के विधि आयोग’ के बारे में :
भारत का ववधध आयोग (Law Commission of India), भारत सरकार के एक आदे श दवारा गहठत एक कायषकारी
तनकाय िै ।
• मूल रूप से 1955 में गहठत, ‘ववधध आयोग’ का िर तीन साल में पुनगषठन ककया जाता िै , और यि आयोग
सरकार को अब तक 277 ररपोटें सौंप चक
ु ा िै ।
• न्यायमूततष बी.एस. चौिान (सेवातनवत्त
ृ ) की अध्यक्षता में वपछले ववधध आयोग दवारा लोकसभा और
ववधानसभाओं में एक साथ चुनाव और ‘समान नागररक संहिता’ जैसे प्रमख
ु मुददों पर ररपोटष और कायष-
पत्र प्रस्तत
ु ककए गए थे।
विधि आयोग की संरचना:
• 22 वें ववधध आयोग में एक पूर्णक
ष ामलक अध्यक्ष के अततररतत, एक सदस्य-सधचव सहित चार पूर्णक
ष ामलक
सदस्य िोते िोंगे।
• ववधध मंत्रालय के ‘कानूनी मामलों के ववभाग’ के सधचव एवं ‘ववधायी ववभाग’ के सधचव पदे न सदस्य के
रूप में सजम्ममलत िोंगे
• आयोग में अधधकतम पांच अंशकामलक सदस्य शाममल िोंगे।
• सवोच्च न्यायालय का सेवातनवत्त
ृ न्यायाधीश या उच्च न्यायालय का सेवातनवत्त
ृ मुख्य न्यायाधीश, ववधध
आयोग का अध्यक्ष िोगा।
भूशमकाएं और कायभ:
• ववधध आयोग, केंद्र सरकार दवारा सौंपे गए संदभों या स्वप्रेरर्णा से, कानन
ू ों की जांच करे गा तथा नए कानन
ू
बनाने, और भारत में मौजद
ू ा कानूनों में सध
ु ार करने िे तु उनकी समीक्षा करे गा।
• आयोग, प्रकियाओं में िोने वाली दे री को समाप्त करने, मामलों के त्वररत तनपटान, मुकदमेबाजी की लागत
में कमी आहद के मलए ‘न्याय ववतरर्ण प्रर्णाली’ में सध
ु ार लाने िे तु अध्ययन और अन्वेर्र्ण भी करे गा।
सुिारों की आिश्यकता:
ववधध आयोग को एक क़ानून के तित लाया जाना चाहिए, जजसमे आयोग से संबंधधत तनयुजततयों, कायों और
शजततयों के बारे में स्पष्ट्ट प्रावधान ककए गए िों।
‘शजततयों के पर्
ृ तकरर्’ का शसद्िांत:
‘शजततयों के पथ
ृ तकरर्ण’ का मसदधांत, शासन के एक मॉडल को संदमभषत करता िै, जजसमे कायषकारी, ववधायी और
न्यातयक शजततयां ककसी एक तनकाय में केंहद्रत निीं िोती िैं, बजल्क ववमभन्न शाखाओं में ववभाजजत िोती िैं।
यि भारतीय संववधान की मूल संरचना का एक भाग िै , ककं तु, इसका संवििान में स्पष्ट्ट रूप से उल्लेख नहीं ककया
गया िै ।
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संवििान में ‘शजततयों के पर्
ृ तकरर्’ को अशभव्यतत करने संबंिी अनुच्छे द:
1. अनुच्छे द 50: राज्य, न्यायपामलका को कायषपामलका से पथ
ृ क् करने के मलए कदम उठाएगा। इसका उददे श्य
न्यायपामलका की स्वतंत्रता सतु नजश्चत करना िै ।
2. अनुच्छे द 122 और 212: संसद एवं ववधानसभाओं की ककसी कायषवािी की ववधधमान्यता को प्रकिया की
ककसी अमभकधथत अतनयममतता के आधार पर प्रश्नगत निीं ककया जाएगा। साथ िी, इन अनुच्छे दों के
तित सांसदों / ववधायकों के मलए अमभव्यजतत के संदभष में कुछ ववशेर्ाधधकार प्रदान ककये गए िै , और
सदन के पटल पर किी गई कोई भी बात उनके खखलाफ इस्तेमाल निीं की जा सकती।
3. संवििान के अनच्
ु छे द 121 और 211 के अनस
ु ार; सवोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों
के न्यातयक आचरर्ण पर संसद और राज्य ववधानमंडल में चचाष निीं की जा सकती िै ।
4. अनुच्छे द 53 और 154 में प्रावधान िै , कक संघ और राज्य की कायषकारी शजतत राष्ट्रपतत और राज्यपाल में
तनहित िोगी और इनके मलए नागररक और आपराधधक दातयत्व से प्रततरक्षा प्राप्त िोगी।
5. अनुच्छे द 361: राष्ट्रपतत या राज्यपाल अपने पद की शजततयों और कत्तषव्यों के तनवषिन और उसके तित
ककये जाने वाले ककसी भी कायष के मलये ककसी न्यायालय में उत्तरदायी निीं िोंगे।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक आजादी से पिले, प्रथम आयोग का गठन वर्ष 1834 में त्रब्रहटश सरकार ने
दवारा चाटष र एतट- 1833 के तित लॉडष मैकाले की अध्यक्षता में ककया गया था।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘जनहित याधचका’ तया िै?
2. जनहित याधचका के संदभष में सवोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय की शजततयां।
3. संववधान में शजततयों के पथ
ृ तकरर्ण संबध
ं ी अनच्
ु छे द।
में स शलंक: ‘शजततयों के पथ
ृ तकरर्ण’ का मसदधांत तया िै ? तया िै ? भारतीय संववधान के अंतगषत इसका पालन ककस
प्रकार ककया जाता िै ? चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
2. कॉलेजजयम प्रर्ाली
संदभभ: िाल िी में सरकार ने किा िै , कक जजों की तनयुजतत के मलए ‘कॉलेजजयम मसस्टम’ (Collegium System) को
बदलने के मलए न्यायपामलका के अंदर से, और सांसदों के दवारा मांग की जा रिी िै ।
‘कॉलेजजयम प्रर्णाली’ में पारदमशषता और जवाबदे िी लाने के मलए ‘प्रकिया का एक मसौदा ज्ञापन’ सरकार दवारा
सवोच्च न्यायालय को प्रस्तत
ु ककया जा चुका िै , जो अदालत में अभी लंत्रबत िै ।
उच्चतम न्यायालय में न्यायािीशों की तनयुजतत:
• उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की तनयुजततयां, भारतीय संववधान के अनुच्छे द 124 के उपबंध (2)
दवारा प्रदत्त शजततयों का प्रयोग करते िुए, भारत के राष्ट्रपतत दवारा की जाती िैं।
• सुप्रीम कोटष की कॉलेजजयम दवारा न्यायाधीशों के रूप में तनयुतत ककए जाने िे तु नामों की मसफाररश की
जाती िै ।
उच्चतम न्यायालय में न्यायािीश बनने हे तु अहताभ:
1. भारतीय संववधान के अनुच्छे द 124 में उच्चतम न्यायालय में न्यायािीश के रूप में तनयुजतत हे तु पात्रता
से संबंधधत मानदं डों का उल्लेख ककया गया िै ।
2. उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनने के मलए व्यजतत का भारतीय नागररक िोना आवश्यक िै ।
3. आयु की दृजष्ट्ट से, व्यजतत की आयु 65 वर्ष से अधधक निीं िोनी चाहिए।
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4. व्यजतत को ककसी एक या एक से अधधक उच्च न्यायालय (तनरं तर) के न्यायाधीश के रूप में न्यूनतम पांच
साल तक सेवा का अनुभव या उच्च न्यायालय में अधधवतता के रूप में न्यूनतम 10 वर्ष का अनुभव या
प्रततजष्ट्ठत न्यायववद िोना चाहिए।
‘कॉलेजजयम प्रर्ाली’:
‘कॉलेजजयम प्रर्णाली’ (Collegium System), न्यायाधीशों की तनयुजतत और स्थानांतरर्ण संबध
ं ी एक पदधतत िै , जो
संसद के ककसी अधितनयम अर्िा संवििान के ककसी प्राििान द्िारा गदठत होने के बजाय उच्चतम न्यायालय के
तनर्भयों के माध्यम से विकशसत हुई है ।
• उच्चतम न्यायालय कॉलेजजयम की अध्यक्षता भारत के मख्
ु य न्यायाधीश (CJI) दवारा की जाती िै , और
इसमें न्यायालय के चार अन्य वररष्ट्ठतम न्यायाधीश शाममल िोते िैं।
• उच्च न्यायालय कॉलेजजयम के अध्यक्ष संबंधधत उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश िोते िैं और इसमें
संबंधधत अदालत के चार अन्य वररष्ट्ठतम न्यायाधीश शाममल िोते िैं।
तया कॉलेजजयम द्िारा की गयी शसफाररशें अंततम और बाध्यकारी होती है ?
कॉलेजजयम दवारा अपनी अंततम रूप से तैयार मसफाररशों को अनुमोदन के मलए भारत के राष्ट्रपतत के पास भेजी
जाती िैं। राष्ट्रपतत के मलए इन मसफाररशों को स्वीकार करने अथवा अस्वीकार करने की शजतत प्राप्त िोती िै ।
यहद राष्ट्रपतत दवारा इन मसफाररशों को खाररज कर हदया जाता िै , तो इनके मलए कॉलेजजयम के पास वापस
भेज हदया जाता िै । ककं तु, यहद कॉलेजजयम दवारा राष्ट्रपतत को अपनी मसफाररश दोबारा भेजी जाती िैं, तो राष्ट्रपतत
उन मसफाररशों पर स्वीकृतत दे ने के मलए बाध्य िोता िै ।
कॉलेजजयम पद्ितत के णखलाफ आम आलोचना:
• अपारदमशषता और पारदमशषता की कमी
• भाई-भतीजावाद की गुंजाइश
• सावषजतनक वववादों में फंसना
• कई प्रततभाशाली कतनष्ट्ठ न्यायाधीशों और अधधवतताओं को अनदे खा ककया जाता िै ।
आिश्यक सुिार:
1. उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की तनयजु तत िे त,ु अधधमान्य रूप से एक स्वतंत्र व्यापक-आधार सहित
संवैधातनक तनकाय दवारा कियान्वतयत एक पारदशी और भागीदारी प्रकिया िोनी चाहिए। इस प्रकिया में
न्यातयक ववमशष्ट्टता की बजाय
न्यातयक प्रधानता की गारं टी दी जानी
चाहिए।
2. न्यायाधीशों का चयन करते समय
स्वतंत्रता की सतु नजश्चतता, ववववधता
का प्रततत्रबंबन, पेशेवर क्षमता और
सत्यतनष्ट्ठा का प्रदशषन िोना चाहिए।
3. एक तनजश्चत संख्या में ररजततयों को
भरने के मलए आवश्यक न्यायाधीशों
का चयन करने के बजाय, कॉलेजजयम
को वरीयता और अन्य वैध मानदं डों
के िम में राष्ट्रपतत को तनयजु तत िे तु
संभाववत नामों का एक पैनल प्रस्तुत
करना चाहिए।
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इंस्टा जजज्ञासु: तया आप संसद के दोनों सदनों दवारा पाररत ‘राष्ट्रीय न्यातयक तनयुजतत आयोग’ (NJAC) ववधेयक
के बारे में जानते िैं? इस ववधेयक को वर्ष 2015 में सप्र
ु ीम कोटष ने ‘अधधकारातीत’ (Ultra Vires) अथाषत, ‘संसद के
अधधकार-क्षेत्र से बािर’ घोवर्त कर हदया था।
प्रीशलम्स शलंक:
1. कॉलेजजयम प्रर्णाली’ तया िै?
2. सुप्रीम कोटष और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को ककस प्रकार तनयत
ु त और िटाया जाता िै ?
3. संबंधधत संवध
ै ातनक प्रावधान
में स शलंक: राष्ट्रीय न्यातयक तनयजु तत आयोग पर एक हटप्पर्णी मलखखए।
स्रोत: द हिंद।ू
विषय:सरकारी नीततयों और ववमभन्न क्षेत्रों में ववकास के मलये िस्तक्षेप और उनके अमभकल्पन तथा कायाषन्वयन
के कारर्ण उत्पन्न ववर्य।
1. जम्मू-कश्मीर का ‘रोशनी अधितनयम’
संदभभ: उच्च न्यायालय दवारा ‘रोशनी अधधतनयम’ (Roshni Act) को रदद ककए जाने के एक साल बाद, जम्मू और
कश्मीर सरकार ने अब लाभाधथषयों को इस अधधतनयम के तित दी गई भूमम को पन
ु ः प्राप्त करने की कवायद शुरू
कर दी िै ।
पष्ट्ृ ठभूशम: ‘जम्म-ू कश्मीर राज्य भूमम (कब्जाधारकों के मलए स्वाममत्व अधधकार) अधधतनयम’ (Jammu and Kashmir
States Land (vesting of ownership to the occupants) Act), को ‘रोशनी अधधनयम’ के नाम से भी जाना जाता िै ।
प्रायः, इस अधधतनयम के कायाषन्वयन में अतनयममतताओं से संबंधधत आरोप लगाए जाते रिे िै । यि अधधतनयम
अब अमान्य घोवर्त ककया जा चुका िै ।
1 नवंबर, 2020 को, केंद्र शामसत प्रदे श प्रशासन दवारा ‘रोशनी अधधतनयम, 2001’ के तित, सरकारी भूमम पर कब्जा
करने वालों के स्वाममत्व अधधकारों को रदद कर हदया गया था।
‘रोशशनी अधितनयम’ के बारे में :
इस अधधतनयम को वर्ष 2001 में लागू ककया गया था, इसका उददे श्य अनधधकृत भूमम को तनयममत करना था।
इस अधधतनयम में , सरकार दवारा तनधाषररत की गयी कीमत चुकाए जाने के पश्चात, राज्य की भमू म पर तत्कालीन
कब्जाधारकों के मलए स्िाशमत्ि अधिकारों को हस्तांतररत करने का प्राििान ककया गया था।
• सरकार दवारा, इस प्रकार प्राप्त िोने वाले राजस्व को पनबबजली पररयोजनाएं शरू
ु करने पर, व्यय करने
का ववचार ककया गया था, इसीमलये इस अधितनयम का नाम ‘रोशनी’ रख हदया गया।
• इसके अलावा, संशोधनों के माध्यम से, सरकार दवारा ककसानों को अधिकृत कृवष भशू म पर मुफ्त में स्िाशमत्ि
अधिकार प्रदान ककये गए, इसके मलए मात्र 100 रुपये प्रतत कनाल, प्रलेखन शल्
ु क मलया गया।
इस अधितनयम को ‘रद्द’ ककए जाने संबंिी कारर्:
• वर्ष 2009 में , राज्य सतकषता संगठन दवारा कई सरकारी अधधकाररयों के खखलाफ प्राथममकी दजष की गयी
थी, इन अधधकाररयों पर, रोशनी अधधतनयम के तित मानदं डो को पूरा निीं करने वाले कब्जाधारकों को
गैरकानन
ू ी तरीके से भमू म के स्वाममत्व अधधकार प्रदान करने की आपराधधक साजजश करने के आरोप
लगाए गए थे।
• वर्ष 2014 में , तनयंत्रक और मिालेखा परीक्षक (CAG) की एक ररपोटष के अनुसार, वर्ष 2007 से वर्ष 2013 के
बीच, अततिममत भूमम के िस्तांतरर्ण से 25,000 करोड़ रुपये के राजस्व प्राजप्त का लक्ष्य रखा गया था,
ककं तु मात्र 76 करोड़ रुपये की प्राजप्त िुई थी। इस प्रकार इस क़ानून का उददे श्य िी तनष्ट्फल िो गया।
• ररपोटष में , राजनेताओं और प्रभावशाली लोगों को लाभ पिुंचाने के मलए, ‘स्थायी सममतत’ दवारा तय की
गई कीमतों में मनमानी ढं ग से कमी ककये जाने संबध
ं ी अतनयममतताओं को दोर्ी ठिराया गया था।
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प्रीशलम्स शलंक:
1. रोशनी अधधतनयम तया िै ?
2. अधधतनयम की ववशेर्ताएं, संशोधन
में स शलंक: जम्म-ू कश्मीर का ‘रोशनी अधधतनयम’ तया िै? िाल िी में इसे तयों समाप्त कर हदया गया? चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
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सरकार के हाशलया कदम का महत्ि:
NEIA रस्ट में पूंजी लगाने से ‘भारतीय पररयोजना तनयाषतकों’ (Indian Project Exporters - IPE) को तनधाषररत बाजार
में पररयोजना तनयाषत की ववशाल क्षमता का दोिन करने में मदद ममलेगी।
• दे श भर से भारतीय स्रोतों से प्राप्त सामग्री के साथ पररयोजना तनयाषत की हदशा में ककये गए इस समथषन
से भारत में ववतनमाषर्ण को बढ़ावा ममलेगा।
• 1,650 करोड़ रुपये की धनरामश के योगदान से रस्ट की जोखखम क्षमता बढ़े गी।
• यि NEIA को पूरी क्षमता के उपयोग के साथ 33,000 करोड़ रुपये के पररयोजना तनयाषत का सियोग करने
में सक्षम बनाएगा।
• इसके पररर्णामस्वरूप घरे लू स्तर पर तनममषत वस्तुओं के अनुमातनत उत्पादन में लगभग 25,000 करोड़
रुपये अजजषत ककए जा सकेंगे।
NEIA - प्रदशभन के मस
ु य बबंद:ु
ऋर्ण और राजनीततक सुरक्षा दे कर एनईआईए रस्ट मध्यम और दीघाषवधध (एमएलटी)/पररयोजना तनयाषत को बढ़ावा
दे ने के मलए 2006 में एनईआईए रस्ट की स्थापना की गई थी।
1. एनईआईए ऐसी पररयोजनाओं को समथषन दे ता िै , जो वाखर्णजज्यक रूप से व्यविायष िो और रर्णनीततक रूप
से मित्वपूर्णष िों।
2. भारत सरकार ने इसके मलए 4,000 करोड़ रुपये की प्रततबदधता तय की िै और वास्तववक कॉपषस की
तुलना में 20 गुना अधधकतम दे यता के मलए मंजूरी िै ।
3. कई साल के दौरान भारत सरकार से ममला अंशदान 31 माचष, 2021 तक 3,091 करोड़ रुपये िो गया था।
4. शरु
ु आत से अब तक, एनईआईए 31 अगस्त, 2021 तक 53,000 करोड़ रुपये के समेककत पररयोजना मल्
ू य
के साथ 213 कवर दे चक
ु ा िै ।
5. पररयोजना तनयाषत को संभव बनाने के मामले में इसका प्रभाव अफ्रीका और दक्षक्षर्ण एमशया में सबसे
मित्वपूर्णष रिा िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप ‘तनयाषत उत्पादों’ पर लगने वाले ‘संलग्न केंद्रीय, राज्य और स्थानीय शल्
ु कों या करों’ को
वापस ककए जाने संबंधी RoDTEP योजना के बारे में जानते िैं?
प्रीशलम्स शलंक:
1. योजना के प्रमुख त्रबंद,ु पात्रता, लाभ
में स शलंक: राष्ट्रीय तनयाषत बीमा खाता (NEIA) रस्ट के मित्व पर चचाष कीजजए।
स्रोत: पीआईबी।
3. जाततगत जनगर्ना
संदभभ: त्रबिार राज्य-ववमशष्ट्ट जातत-आधाररत गर्णना आयोजजत करने की योजना बना रिा िै । कुछ समय पिले,
मुख्यमंत्री के नेतत्ृ व में त्रबिार के नेताओं के एक प्रतततनधधमंडल की प्रधान मंत्री नरें द्र मोदी से मुलाकात की थे
और उनसे दे श में जातत जनगर्णना कराने का आग्रि ककया था। बाद में , केंद्र सरकार ने इसे आयोजजत करने से
इनकार कर हदया। इसके बाद त्रबिार सरकार दवारा यि कदम उठाया जा रिा िै ।
संबंधित प्रकरर्:
िाल िी में , केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोटष को सधू चत करते िुए किा था, कक 2011 की सामाजजक-आधर्भक जातत
जनगर्ना (Socio-Economic Caste Census - SECC) में एकत्रत्रत ककया गया जातत-आधाररत आंकड़े "अनुपयोगी" िै,
जबकक वर्ष 2016 में , ‘भारत के महारजजस्रार एिं जनगर्ना आयुतत’ (Registrar-General and Census Commissioner
of India) दवारा ग्रामीर्ण ववकास पर गहठत संसद की स्थायी सममतत को जानकारी दे ते िुए किा था, व्यजततगत
जातत और धमष पर एकत्रत्रत ककए गए 98.87 प्रततशत आंकड़े त्रुदट मत
ु त" हैं।
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सरकार के अनुसार सामाजजक-आधर्भक जातत जनगर्ना के आंकड़े "अनुपयोगी" तयों है ?
• सरकार के अनुसार, 1931 में ककए गए सवेक्षर्ण में शाममल जाततयों की कुल संख्या 4,147 थी, जबकक
सामाजजक-आधथषक जातत जनगर्णना (SECC) के आंकड़ों के अनस
ु ार, दे श में 46 लाख से अधधक ववमभन्न
जाततयााँ िैं। यि माना जा सकता िै , कक कुछ जाततयां उप-जाततयों में ववभाजजत िो सकती िैं, लेककन
इनकी कुल संख्या इस िद तक अधधक निीं िो सकती िै ।
• गर्णनाकारों दवारा एक िी जातत के मलए अलग-अलग वतषनी का इस्तेमाल ककया गया और इस वजि से
सामाजजक-आधथषक जातत जनगर्णना की पूरी कवायद अनुपयोगी िो गई िै । सरकार ने किा, कक कई मामलों
में उत्तरदाताओं ने अपनी जाततयों का खल
ु ासा करने से इनकार भी कर हदया था।
अब तक ‘जातत-संबि
ं ी’ वििरर् एकत्र करने की विधि:
• गर्णनाकारों के दवारा, जनगर्णना के एक भाग के रूप में ‘अनुसूधचत जातत/अनस
ु ूधचत जनजातत’ संबंधी
वववरर्ण एकत्र ककया जाता िै , जबकक इसके तित, अन्य जाततयों का वििरर् एकत्र नहीं ककया जाता िै ।
• जनगर्णना की मुख्य पदधतत के अंतगषत, सभी नागररक गर्णनाकार के मलए ‘स्व-घोवर्त’ जानकारी प्रदान
करते िैं।
• अब तक, ववमभन्न राज्यों में ‘वपछड़ा िगभ आयोगों’ दवारा वपछड़ी जाततयों की जनसंख्या का पता लगाने
िे तु अपनी-अपनी गर्णना की जाती रिी िै ।
जनगर्ना में ककस प्रकार के जातत संबि
ं ी आंकड़े प्रकाशशत ककए जाते हैं?
• स्वतंत्र भारत में , 1951 से 2011 के बीच की गई प्रत्येक जनगर्णना में केवल अनुसूधचत जाततयों और
अनुसूधचत जनजाततयों पर आंकड़े प्रकामशत ककए गए िैं। अन्य जाततयों के वववरर्ण को जनगर्णना में
प्रकामशत निीं ककया गया िै।
• िालांकक, इससे पिले वर्ष 1931 तक की गई प्रत्येक जनगर्णना में जातत संबंधी आंकड़े प्रकमशत ककए जाते
थे।
‘सामाजजक-आधर्भक और जाततगत जनगर्ना’ (SECC) 2011 के बारे में :
वर्ष 2011 में आयोजजत ‘सामाजजक-आधथषक और जाततगत जनगर्णना’ (Socio-Economic and Caste Census- SECC)
ववमभन्न समद
ु ायों की सामाजजक-आधथषक जस्थतत के बारे में आंकड़े प्राप्त करने के मलए एक मित्वपर्ण
ू ष कायषिम
था।
• इसके दो घटक र्े: पिला, ग्रामीर्ण और शिरी पररवारों का एक सवेक्षर्ण तथा पूवष तनधाषररत मापदं डों के
आधार पर इन पररवारों की रैंककं ग, और दस
ू रा ‘जाततगत जनगर्णना’।
• िालांकक, सरकार दवारा केवल ग्रामीर्ण और शिरी पररवारों में लोगों की आधथषक जस्थतत का वववरर्ण जारी
ककया गया था। जातत संबि
ं ी आंकड़े अभी तक जारी नहीं ककए गए िैं।
‘जनगर्ना’ और ‘सामाजजक-आधर्भक और जाततगत जनगर्ना’ में अंतर:
• जनगर्णना, भारत की आबादी की तस्वीर प्रदान करती िै , जबकक सामाजजक-आधथषक और जाततगत जनगर्णना’
(SECC) राज्य दवारा सिायता प्राप्त करने वाले लाभाधथषयों की पिचान करने का एक उपकरर्ण िोती िै ।
• ‘जनगर्णना’, ‘जनगर्णना अधधतनयम’ 1948 (Census Act of 1948) के अंतगषत आती िै और इसके सभी
आकड़ों को गोपनीय माना जाता िै , जबकक SECC के तित दी गई सभी व्यजततगत जानकारी, सरकारी
ववभागों दवारा पररवारों को लाभ प्रदान करने और/या रोकने िे तु उपयोग करने के मलए उपलब्ध रिती िै ।
जाततगत जनगर्ना के लाभ:
प्रत्येक जातत की आबादी की सटीक संख्या, सभी का समान प्रतततनधधत्व सतु नजश्चत करने िे तु आरक्षर्ण नीतत को
तैयार करने में मदद करे गी।
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संबंधित धचंताएं:
• संभावना िै , कक जाततगत जनगर्णना से कुछ वगों में नाराजगी पैदा िोगी और कुछ समुदाय अपने मलए
अधधक या अलग कोटा की मांग करें ग।े
• कधथत तौर यि माना जाता िै , कक मात्र व्यजततयों को ककसी जातत से जुड़े िोने का ठप्पा लगाने से,
समाज में जातत-व्यवस्था िमेशा बनी रि सकती िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं, कक ‘आईना-ए-अकबरी' में जनसंख्या, उदयोग, धन और कई अन्य ववशेर्ताओं से
संबंधधत व्यापक आंकड़े ममलते िैं? इस पुस्तक में अन्य ककन ववर्यों का वववरर्ण हदया गया िै?
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘जनगर्णना’ तया िै ? वैधातनक प्रावधान, ‘जनगर्णना’ की ववधध
2. जनगर्णना 2011 की प्रमुख ववशेर्ताएं
3. ‘राष्ट्रीय वपछड़ा आयोग’ के बारे में
में स शलंक: जातत आधाररत जनगर्णना की आवश्यकता और मित्व पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
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दस
ू री सूची:
मई 2021 रक्षा मंत्रालय दवारा 108 वस्तुओं की दस
ू री ‘नकारात्मक आयात सूची’ (Negative Import List) जारी की
गई िै , और इसका नाम पररवततषत कर ‘सकारात्मक स्वदे शीकरर्ण सच
ू ी' (Positive Indigenisation List) कर हदया गया
िै । इन सभी वस्तुओं की खरीद स्वदे शी स्रोतों से की जाएगी।
• अब इस नई सूची शाममल कुल वस्तुओं की संख्या 209 िो गई िै ।
• 'दस
ू री सकारात्मक स्वदे शीकरर्ण सच
ू ी' में जहटल प्रर्णामलयां, सेंसर, मसम्युलेटर, िधथयार और गोला-बारूद जैसे
िे लीकॉप्टर, नेतस्ट जेनरे शन कॉवेट, एयर बोनष अली वातनिंग एंड कंरोल (AEW&C) मसस्टम, टैंक इंजन, आहद
को शाममल ककया गया िै ।
इस कदम का महत्ि एिं तनदहतार्भ:
1. सूची में स्थानीय रक्षा उदयोग की क्षमता को मान्यता दी गई िै ।
2. यि प्रौदयोधगकी व ववतनमाषर्ण क्षमताओं में नए तनवेश को आकवर्षत करके घरे लू अनस
ु ंधान और ववकास
को भी बढ़ावा दे गा।
3. यि सूची 'स्टाटष-अप' के साथ-साथ सक्ष्
ू म, लघु और मध्यम उदयमों (MSMEs) के मलए भी एक उत्कृष्ट्ट
अवसर प्रदान करती िै जजसे इस पिल से जबरदस्त बढ़ावा ममलेगा।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक ‘कर अधधकाररयों’ दवारा भी एक नकारात्मक सूची बनाई जाती िै ? (िालांकक
यि सच
ू ी इस ववर्य से सीधे संबंधधत निीं िै , ककं तु इसके बारे में जानकारी रखना आवश्यक िै )।
वैजश्वक स्तर पर ‘सैन्य व्यय रुझानों’ पर ररपोटष के बारे में पहढ़ए।
प्रीशलम्स शलंक:
1. यि नीतत कब शरू
ु की गई थी?
2. ववशेर्ताएं, अपवाद, कायाषन्वयन मंत्रालय
में स शलंक: ‘नकारात्मक आयात सूची’ नीतत की आवश्यकता और मित्व पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
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‘बांि सुरक्षा वििेयक, 2019’ के प्रमुख बबंद:ु
1. ‘बांध सुरक्षा ववधेयक’ दे श के सभी बड़े बांधों की तनगरानी, तनरीक्षर्ण, पररचालन और रखरखाव संबध
ं ी पयाषप्त
सवु वधा प्रदान करे गा, ताकक बांध के फेल िोने की जस्थतत में िोने वाली आपदा को रोका जा सके।
2. बांधों के सुरक्षक्षत पररचालन को सुतनजश्चत करने के मलए आवश्यक संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक
उपायों की हदशा में यि ववधेयक केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर एक संस्थागत तंत्र की व्यवस्था प्रदान
करे गा।
3. ववधेयक के प्रावधान के अनुसार, एकसमान बांध सुरक्षा नीततयां, प्रोटोकॉल और प्रकियाओं को ववकमसत
करने में मदद करने के मलए ‘बांध सरु क्षा पर एक राष्ट्रीय सममतत’ (NCDS) का गठन ककया जाएगा।
4. यि ववधेयक बांध सुरक्षा नीततयां और मानकों के राष्ट्रव्यापी कायाषन्वयन को सुतनजश्चत करने की हदशा में
एक तनयामक संस्था के तौर पर ‘राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधधकरर्ण’ (NDSA) स्थावपत करने की सवु वधा भी
प्रदान करता िै ।
5. इस ववधेयक में राज्यों के स्तर पर ‘बांध सुरक्षा पर राज्य सममतत’ (SCDS) का गठन करने और राज्य
बांध सुरक्षा संगठन स्थावपत करने की व्यवस्था की गई िै ।
महत्ि:
• बांध सुरक्षा ववधेयक, भारत के सभी राज्यों और केंद्र शामसत प्रदे शों के मलए एक समान बांध सुरक्षा
प्रकियाओं को अपनाने में मदद करे गा, जो बांधों की सरु क्षा सतु नजश्चत करे गी और ऐसे बांधों से िोने वाले
लाभों की सुरक्षा िो सकेगी। इससे मानव जीवन, पशध
ु न और संपवत्त की सुरक्षा में भी मदद ममलेगी।
• ववधेयक में , बांधों के तनयममत तनरीक्षर्ण, आपातकालीन कायष योजना, व्यापक बांध सुरक्षा समीक्षा, बांध
सरु क्षा के मलए पयाषप्त मरम्मत और रखरखाव तनधध, उपकरर्ण और सरु क्षा तनयमावली सहित बांध सरु क्षा
से संबंधधत सभी मुददों पर प्रावधान ककए गए िैं।
• ववधेयक में ‘बांध सुरक्षा’ की जजम्मेदारी बांध के मामलक पर तनधाषररत की गयी िै , और कुछ कृत्यों के
करने पर तथा ककसी लापरवािी के मलए दं डात्मक प्रावधानों का प्रावधान भी ककया गया िै ।
आिश्यकता:
• वपछले पचास वर्ों में , भारत में बांधों और संबधं धत बतु नयादी ढांचे में काफी तनवेश ककया गया िै , और
वतषमान में भारत, बड़े बांधों की संख्या में संयुतत राज्य अमेररका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर िै ।
मौजूदा समय में , दे श में 5254 बड़े बांध कायषशील िैं और 447 अन्य बड़े बांध तनमाषर्णाधीन िैं।
• इसके अलावा, दे श में िजारों मध्यम और छोटे बांध मौजूद िैं।
• जिां बांधों ने भारत में तेजी से और सतत कृवर् ववकास और ववकास को बढ़ावा दे ने में मित्वपूर्णष भूममका
तनभाई िै , विीं बांध सरु क्षा सतु नजश्चत करने के मलए एक समान कानन
ू और प्रशासतनक ढांचे की आवश्यकता
लंबे समय से मिसूस की जा रिी िै ।
• केंद्रीय जल आयोग दवारा ‘राष्ट्रीय बांध सुरक्षा सममतत’ (NCDS), केंद्रीय बांध सुरक्षा संगठन (CDSO) और
राज्य बांध सरु क्षा संगठन (SDSO) के माध्यम से इस हदशा में लगातार प्रयास ककया जा रिा िै , लेककन
इन संगठनों के पास कोई वैधातनक शजतत निीं िै , और ये केवल सलािकार प्रकृतत के िैं।
• भारत में लगभग 75 प्रततशत बड़े बांध 25 वर्ष से अधधक पुराने िैं और लगभग 164 बांध 100 वर्ष से
अधधक पुराने िो चक
ु े िैं, ऐसे में यि धचंता का ववर्य िै ।
• ख़राब रखरखाव वाले, असुरक्षक्षत बांध मानव जीवन, वनस्पततयों और जीवों, सावषजतनक और तनजी संपवत्तयों
और पयाषवरर्ण के मलए खतरा िो सकते िैं।
• अतीत में , भारत में 42 बांध ववफल िो चुके िैं।
स्रोत: द हिंद।ू
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6. उत्तराखंि का ‘चार िाम अधितनयम’
संदभभ: िाल िी में , उत्तराखंड सरकार दवारा ‘चार धाम दे वस्थानम प्रबंधन अधधतनयम’ (Char Dham Devasthanam
Management Act) को वापस लेने की घोर्र्णा की गयी िै । इस तनर्णषय के पश्चात ्, उत्तराखंड चार धाम दे वस्थानम
प्रबंधन बोडष को समाप्त कर हदया जाएगा। इस अधधतनयम का उत्तराखंड के चार मंहदरों और ववश्व हिंद ू पररर्द
(VHP) के पुजाररयों और अन्य हितधारकों के ववरोध ककया जा रिा िै ।
पररयोजना के बारे में पयाभिरर् संबंिी धचंताएाँ:
• इस पररयोजना की वजि से 55,000 पेड़ों सहित लगभग 690 िे तटे यर वन भूमम के नष्ट्ट िोने का संकट
उत्पन्न िो सकता िै और लगभग 20 मममलयन तयत्रू बक मीटर ममट्टी खोदे जाने का अनम
ु ान िै ।
• सड़कों को चौड़ा करने िे तु पेड़ों की तनमषम कटाई या वनस्पतत को उखाड़ना, जैव ववववधता और क्षेत्रीय
पाररजस्थततकी के मलए खतरनाक सात्रबत िो सकता िै ।
‘चारिाम पररयोजना’ के बारे में :
• ‘चारधाम पररयोजना’ (Chardham Project) में 889 ककलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमागों का ववकास और सध
ु ार
ककया जाना सजम्ममलत िै ।
• इस पररयोजना के दवारा बद्रीनाथ धाम, केदारनाथ धाम, गंगोत्री, यमुनोत्री और कैलाश मानसरोवर यात्रा के
मलए जाने वाले मागष को जोड़ा जाएगा।
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7. ‘दे शद्रोह’ की सीमाओं को पररभावषत करने का सही समय: उच्चतम न्यायालय
संदभभ:
िाल िी में , असम पमु लस दवारा एक स्थानीय समाचार पोटष ल के संपादक और सि-मामलक पर, राज्य के असममया
और बंगाली भार्ी नागररकों के बीच दश्ु मनी को बढ़ावा दे ने वाला एक संपादकीय मलखने का आरोप लगाते िुए
‘दे शद्रोि’ (124A के तित) के तित मामला दजष ककया गया िै ।
बराक घाटी में बंगामलयों का और ब्रहमपुत्र घाटी में असममया भार्ी जनता का वचषस्व िै ।
पष्ट्ृ ठभूशम:
सरकार के कोववड-19 प्रबंधन के बारे में अपनी मशकायतों को आवाज दे ने पर अथवा मिामारी की दस
ू री लिर के
दौरान, धचककत्सा सेवाओं तक पिुंच, उपकरर्ण, दवाएं और ऑतसीजन मसलेंडर िामसल करने के मलए मदद मांगने के
मलए आलोचकों, पत्रकारों, सोशल मीडडया उपयोगकताषओं, कायषकताषओं और नागररकों के खखलाफ राजद्रोि कानून का
अंधाधध
ंु इस्तेमाल ककया गया िै ।
‘दे शद्रोह’ (Sedition) तया होता है ?
भारतीय दं ड संहिता (IPC) की धारा 124A के अनुसार, “ककसी भी व्यजतत के दवारा, शब्दों दवारा, मलखखत अथवा
बोलने के माध्यम से, अथवा संकेतों दवारा, या दृश्य- प्रदशषन दवारा, या ककसी अन्य तरीके से, ववधध दवारा स्थावपत
सरकार के खखलाफ, घर्ण
ृ ा या अवमानना हदखाने, उत्तेजजत िोने अथवा उत्तेजना भड़काने का प्रयास करने पर उसे,
आजीवन कारावास और साथ में जम
ु ाषना, या तीन साल तक की कैद और साथ में जम
ु ाषना, या मात्र जम
ु ाषने का दं ड
हदया जा सकता िै ।
एक यर्ोधचत पररभाषा की आिश्यकता:
दे शद्रोि कानन
ू लंबे समय से वववादों में रिा िै । अतसर सरकारों के ‘भारतीय दं ि संदहता (आईपीसी) की िारा 124-
A’ कानून का उपयोग करने पर, उनकी नीततयों के मुखर आलोचकों दवारा आलोचना की जाती िै ।
इसमलए, इस धारा को व्यजततयों की अमभव्यजतत की स्वतंत्रता के प्रततबंध के रूप में दे खा जाता िै , और एक प्रकार
से संववधान के अनुच्छे द 19 के तित प्रदत्त अमभव्यजतत की स्वतंत्रता पर लगाए जाने वाले उधचत प्रततबंधों संबंधी
प्रावधानों के अंतगषत आती िै ।
इस क़ानन
ू को औपतनवेमशक त्रब्रहटश शासकों दवारा 1860 के दशक में लागू ककया गया था, उस समय से लेकर
आज तक यि क़ानून बिस का ववर्य रिा िै । मिात्मा गांधी और जवािरलाल नेिरू सहित स्वतंत्रता आंदोलन के
कई शीर्ष नेताओं पर राजद्रोि कानून के तित मामले दजष ककए गए थे।
1. मिात्मा गांधी दवारा इस क़ानून को “नागररक की स्वतंत्रता का िनन करने िे तु तैयार की गई भारतीय
दं ड संहिता की राजनीततक धाराओं का राजकुमार” बताया था।
2. नेिरू ने इस कानन
ू को "अत्यधधक आपवत्तजनक और तनंदनीय” बताते िुए किा, कक “िमारे दवारा पाररत
ककसी भी कानूनों प्रावधानों में इसे कोई जगि निीं दी जानी चाहिए” और "जजतनी जल्दी िम इससे
छुटकारा पा लें उतना अच्छा िै ।"
इस संदभभ में सप्र
ु ीम कोटभ के प्रासंधगक फैसले:
केदार नार् शसंह बनाम बबहार राज्य मामला (1962):
1. आईपीसी की धारा 124A के तित अपराधों से संबंधधत मामले की सुनवाई के दौरान, उच्चतम न्यायालय
की पांच-न्यायािीशों की संिैिातनक पीठ ने केदार नाथ मसंि बनाम त्रबिार राज्य मामले (1962) में कुछ
मागषदशषक मसदधांत तनधाषररत ककए थे।
2. अदालत ने फैसला सन
ु ाया था, कक सरकार के कायों की चािें ककतने भी कड़े शब्दों में नापसंदगी व्यतत
की जाए, यहद उसकी वजि से हिंसक कृत्यों दवारा सावषजतनक व्यवस्था भंग निीं िोती िै , तो उसे दं डनीय
निीं माना जाएगा।
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बलिंत शसंह बनाम पंजाब राज्य (1995) मामला:
1. इस मामले में सुप्रीम कोटष ने स्पष्ट्ट ककया था, कक केवल नारे लगाना, इस मामले में जैसे कक ‘खामलस्तान
जजंदाबाद’, दे शद्रोि निीं िै ।
जाहिर िै , दे शद्रोि कानून को गलत तरीके से समझा जा रिा िै और असिमतत को दबाने के मलए इसका दरु
ु पयोग
ककया जा रिा िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक ‘के.एम. मुश्शी संशोधन’ (K.M. Mushshi’s Amendment) के दवारा संववधान
से 'दे शद्रोि' को िटा हदया था और बाद में सुप्रीम कोटष के एक फैसले दवारा भारत में राजद्रोि कानून को वापस
लागू ककया गया था?
इतने सारे नकारात्मक तत्व िोने के बावजूद, िमारे दे श में अभी भी यि कानून प्रचलन में तयों िै?
प्रीशलम्स शलंक:
1. दे शद्रोि को ककस क़ानन
ू के तित पररभावर्त ककया गया िै ?
2. आईपीसी की धारा 124A ककससे संबंधधत िै?
3. आईपीसी की धारा 153 ककससे संबंधधत िै?
4. इस संदभष में सुप्रीम कोटष के प्रासंधगक फैसले
5. भारतीय संववधान का अनुच्छे द 19
में स शलंक: भारत में दे शद्रोि कानन
ू लागू करने से जड़
ु े मद
ु दों पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
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• 2014 के संशोधन से पिले, अधधतनयम की धारा 2 के खंड (viiia) में उप-खंड (i) से (v) शाममल थे, जजसमें
'अवैध यातायात' शब्द को पररभावर्त ककया गया था।
• इस खंड को ‘नारकोहटक ड्रग्स एंड साइकोरोवपक सब्सटें स (संशोधन) अधधतनयम’, 2014 दवारा खंड (viiib)
के रूप में प्रततस्थावपत कर हदया गया था, तयोंकक "आवश्यक स्वापक और्धधयों" को पररभावर्त करते िुए
अधधतनयम की धारा 2 में एक नया खंड (viiiia) जोड़ा गया था। िालांकक, अनजाने में इस पररर्णामी पररवतषन
के अनुरूप ‘एनडीपीएस अधधतनयम’ की धारा 27A को संसोधधत निीं ककया गया था।
वििेयक को लेकर आलोचनाएं:
• कुछ ववशेर्ज्ञों का किना िै , कक ववधेयक
में , संबंधधत प्रावधान वर्ष 2014 से िोने
वाले अपराधों पर ‘पूवव्ष यापी प्रभाव’ से
लागू ककए जाने का प्रस्ताव ककया गया िै ,
अतः यि नागररकों के मौमलक अधधकारों
का उल्लंघन करता िै ।
• यि क़ानून, अनुच्छे द 21 में प्रददत
मौमलक अधधकारों का भी उल्लंघन करता
िै , तयोंकक ककसी व्यजतत को केवल उसी
अपराध के मलए दं डडत ककया जा सकता
िै , जजसके मलए अपराध ककए जाने के
समय कानन
ू मौजद
ू िै ।
‘स्िापक ओषधि और मनःप्रभािी पदार्भ अधितनयम’ / एनिीपीएस अधितनयम:
‘एनडीपीएस अधधतनयम’ (NDPS Act) के तित, ककसी व्यजतत को, ककसी भी ‘स्वापक और्धध’ (narcotic Drug) या
‘मनःप्रभावी पदाथष’ (Psychotropic Substance) के उत्पादन, रखने, बेचने, खरीदने, पररविन करने, भंडारर्ण करने और/या
उपभोग करने से प्रततबंधधत ककया गया िै ।
• NDPS एतट, 1985 में अब तक तीन बार- वर्ष 1988, 2001 और 2014 में संशोधन ककए जा चक
ु े िैं।
• यि अधधतनयम परू े भारत में लागू िै , और यि भारत के बािर के सभी भारतीय नागररकों तथा भारत में
पंजीकृत जिाजों और ववमानों पर सवार सभी व्यजततयों पर भी लागू िोता िै ।
मादक पदार्ों की तस्करी की समस्या से तनपटने हे तु भारत सरकार की नीततयााँ और पहलें:
1. ववमभन्न स्रोतों से उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर, दे श के 272 जजलों में 'नशा मत
ु त भारत अशभयान' या
'ड्रग्स-मत
ु त भारत अशभयान' को 15 अगस्त 2020 को िरी झंडी हदखाई गई।
2. सामाजजक न्याय और अधधकाररता मंत्रालय दवारा वर्ष 2018-2025 की अवधध के मलए ‘नशीली दवाओं की
मांग में कमी लाने िे तु राष्ट्रीय कायषयोजना’ (National Action Plan for Drug Demand Reduction- NAPDDR)
का कायाषन्वयन शरू
ु ककया गया िै ।
3. सरकार दवारा नवंबर, 2016 में नाको-समन्िय केंद्र (NCORD) का गठन ककया गया िै ।
4. सरकार दवारा नारकोहटक ड्रग्स संबंधी अवैध व्यापार, व्यसनी / नशेडड़यों के पुनवाषस, और नशीली दवाओं
के दरु
ु पयोग के खखलाफ जनता को मशक्षक्षत करने आहद में िोने वाले व्यय को पूरा करने िे तु "नशीली
दवाओं के दरु
ु पयोग तनयंत्रर्ण िे तु राष्ट्रीय कोर्" (National Fund for Control of Drug Abuse) नामक एक
कोर् का गठन ककया गया िै ।
इंस्टा जजज्ञासु:
7 हदसंबर, 1987 को संयुतत राष्ट्र मिासभा दवारा 26 जून के मलए नशीली दवाओं के सेवन और अवैध तस्करी के
खखलाफ अंतराषष्ट्रीय हदवस के रूप में चन
ु ा गया था। इसे तयों चन
ु ा गया? इसके उददे श्य तया थे?
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प्रीशलम्स शलंक:
1. UNODC के बारे में
2. "नारकोहटतस तनयंत्रर्ण के मलए
राज्यों को ववत्तीय सिायता" की
योजना का अवलोकन
3. नाको-समन्वय केंद्र (NCORD) की
संरचना
4. नशीली दवाओं के दरु
ु पयोग के
तनयंत्रर्ण िे तु राष्ट्रीय कोर्
5. नारकोहटतस कंरोल ब्यूरो के बारे में
6. नशीली दवाओं के दरु
ु पयोग और
अवैध तस्करी के खखलाफ
अंतराषष्ट्रीय हदवस और इस वर्ष की
थीम
में स शलंक: भारत, मादक पदाथों की तस्करी
की चपेट में िै । इसके कारर्णों का
समालोचनात्मक परीक्षर्ण कीजजए। नशीली
दवाओं की समस्या से तनपटने में सरकार
की भमू मका पर भी हटप्पर्णी कररए।
स्रोत: द हिंद।ू
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संबंधित धचंताएं: कई बाधाओं की वजि से यि पररयोजना प्रभाववत िो सकती िै ।
• इस पररयोजना से, मध्य प्रदे श में पन्ना टाइगर ररजवष आंमशक रूप से जलमग्न िो जाएगा, जजससे अन्य
जीवों सहित धगदधों और गीदड़ों के आवासों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता िै ।
• कई वर्ों के ववरोध के बाद, अंततः 2016 में सवोच्च वन्यजीव तनयामक, राष्ट्रीय वन्यजीव बोडष दवारा इस
पररयोजना को मंजूरी दी गई।
इंटरशलंककं ग के लाभ:
1. पानी और खादय सुरक्षा में वद
ृ धध
2. पानी का उधचत उपयोग
3. कृवर् को बढ़ावा
4. आपदा न्यूनीकरर्ण
1. पररविन को बढ़ावा
महत्िपूर्भ तथ्य:
• केन और बेतवा नहदयााँ मध्यप्रदे श से तनकलती िैं, और यमुना की सिायक नहदयााँ िैं।
• केन नदी उत्तर प्रदे श के बांदा जजले में यमुना और िमीरपुर जजले में बेतवा से ममलती िै ।
• बेतवा नदी, पर राजघाट, परीचा और माताटीला बांध तनममषत ककए गए िैं।
• केन नदी, पन्ना टाइगर ररजवष से िोकर गज
ु रती िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप ‘नहदयों को आपस में जोड़ने संबंधी राष्ट्रीय पररप्रेक्ष्य योजना’ (National Perspective Plan)
के बारे में जानते िैं?
स्रोत: द हिंद।ू
10. सीबीआई और प्रितभन तनदे शालय के तनदे शकों के कायभकाल को बढ़ाने हे तु वििेयक
संदभभ:
ववपक्ष दवारा कड़ी आपवत्त व्यतत ककए जाने के बीच, लोकसभा में केंद्र सरकार के मलए ‘केंद्रीय अन्वेर्र्ण ब्यूरो’
(CBI) और ‘प्रवतषन तनदे शालय’ (ED) के तनदे शकों के कायषकाल को बढाने की शजतत प्रदान करने वाले दो ववधेयक
पाररत कर हदए गए िैं।
यि ववधेयक वपछले मिीने लाए प्रख्यावपत ककया गए अध्यादे शों की जगि लेंगे।
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अध्यादे शों के बारे में :
िाल िी केंद्र सरकार दवारा दो अध्यादे श लाए गए िैं, जजनमे ‘केंद्रीय अन्वेर्र्ण ब्यूरो’ (CBI) और ‘प्रवतषन तनदे शालय’
(Enforcement Directorate - ED) के तनदे शकों के दो साल के तनधाषररत कायषकाल को बढ़ाकर अधधकतम पांच साल
तक बढाए जाने का प्रावधान ककया गया िै ।
शीर्ष जांच एजेंमसयों के प्रमख
ु ों के कायषकाल में ,एक बार में केवल एक वर्ष का ववस्तार हदया जा सकता िै । अथाषत,
दो साल के एक तनजश्चत कायषकाल के बाद उन्िें वावर्षक रूप से, तीन बार एतसटें शन ममल सकता िै ।
संशोधित ककए गए कानून:
1. सीबीआई तनदे शक के कायषकाल में पररवतषन करने िेतु ‘ददल्ली विशेष पशु लस स्र्ापना अधितनयम’, 1946
में संशोधन ककया गया िै ।
2. ‘प्रवतषन तनदे शालय’ (ED) तनदे शक के कायषकाल में पररवतषन, िे तु ‘केंद्रीय सतकभता आयोग अधितनयम’,
2003 में संशोधन ककया गया िै ।
इन अध्यादे शों पर सुप्रीम कोटभ में याधचका:
केंद सरकार दवारा लागू ककए गए दो अध्यादे शों को रदद करने की मांग करते िुए सुप्रीम कोटष में याधचकाएं दायर
की गई िैं। इन अध्यादे शों के दवारा केंद्र सरकार को ‘केंद्रीय अन्वेर्र्ण ब्यूरो’ (CBI) और ‘प्रवतषन तनदे शालय’
(Enforcement Directorate - ED) के तनदे शकों के कायषकाल को अलग-अलग चरर्णों में पांच साल तक बढ़ाने की
शजतत प्रदान की गयी िै ।
संबंधित मुद्दे :
• याधचकाकताषओं का किना िै कक, इन अध्यादे शों की वजि से दोनों शीर्ष जांच एजेंमसयों के प्रमख
ु अपने
कायषकाल के बारे में असरु क्षक्षत िो जाएंगे, और इससे उनकी पेशेवर स्वतंत्रता खत्म िो जाएगी।
• इसके अलावा, इन अध्यादे शों में 'सावषजतनक हित' के अस्पष्ट्ट संदभष के अलावा कोई मानदं ड प्रदान निीं
ककया गया िै । वास्तव में ये सरकार की व्यजततपरक संतुजष्ट्ट पर आधाररत िै । इसका प्रत्यक्ष और स्पष्ट्ट
प्रभाव जांच एजेंमसयों की स्वतंत्रता को नष्ट्ट करने का िै ।
• सरकार के इस कदम की ववपक्षी दलों ने भी कड़ी आलोचना की िै । ववपक्ष ने आरोप लगाते िुए किा िै,
आगामी संसद सत्र 29 नवंबर से शरू
ु िो रिा िै , इसके बावजद
ू भी सरकार ने यि क़ानन
ू लागू करने ककए
‘अध्यादे श’ का मागष चुना िै।
इन अध्यादे शों को ककन आिारों पर चुनौती दी गई है?
• लगभग एक साल पिले, ‘प्रवतषन तनदे शालय’ (ED) तनदे शक को दो साल का तनजश्चत कायषकाल पूरा करने
के बाद पूवव्ष यापी प्रभाव से एक साल का सेवा-ववस्तार हदया गया था। सरकार के इस कदम को सुप्रीम
कोटष में चन
ु ौती दी गई थी और इसमें अदालत ने सरकार के फैसले को बरकरार रखा। िालांकक, सप्र
ु ीम कोटष
ने किा था, कक इस तरि के कड़े कदम कभी-कभार िी उठाए जाने चाहिए।
• याधचकाकताषओं ने सुप्रीम कोटष के इस फैसले और ‘ववनीत नारायर्ण बनाम भारत संघ’ (1997) में सवोच्च
न्यायालय के फैसले का िवाला दे ते िुए दोनों अध्यादे शों को मनमाना और असंवैधातनक बताया िै । 1997
के फैसले में शीर्ष अदालत ने किा था, कक ‘केंद्रीय अन्वेर्र्ण ब्यूरो’ (CBI) और ‘प्रवतषन तनदे शालय’
(Enforcement Directorate - ED) के प्रमख
ु ों का न्यूनतम कायषकाल दो साल का िोना चाहिए।
इंस्टा जजज्ञास:ु ‘प्रकाश मसंि मामले’ में सुप्रीम कोटष के फैसले का वववरर्ण और संबंधधत आदे शों के बारे में आप तया
जानते िैं? जानकारी के मलए पहढ़ए।
स्रोत: द हिंद।ू
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11. दे शद्रोह कानून
संदभभ: गि
ृ मंत्रालय (MHA) ने स्पष्ट्ट करते िुए किा िै कक ‘दे शद्रोि’ (Sedition) से संबंधधत भारतीय दं ड संहिता
(IPC) की धारा 124A को खत्म करने का कोई प्रस्ताव ववचाराधीन निीं िै ।
पष्ट्ृ ठभूशम: सरकार के कोववड-19 प्रबंधन के बारे में अपनी मशकायतों को आवाज दे ने पर अथवा मिामारी की दस
ू री
लिर के दौरान, धचककत्सा सेवाओं तक पिुंच, उपकरर्ण, दवाएं और ऑतसीजन मसलेंडर िामसल करने के मलए मदद
मांगने के मलए आलोचकों, पत्रकारों, सोशल मीडडया उपयोगकताषओं, कायषकताषओं और नागररकों के खखलाफ राजद्रोि
कानून का अंधाधध
ुं इस्तेमाल ककया गया िै ।
‘राजद्रोह’ / ‘दे शद्रोह’ (Sedition) तया होता है ?
भारतीय दं ड संहिता (IPC) की धारा 124A के अनुसार, “ककसी भी व्यजतत के दवारा, शब्दों दवारा, मलखखत अथवा
बोलने के माध्यम से, अथवा संकेतों दवारा, या दृश्य- प्रदशषन दवारा, या ककसी अन्य तरीके से, ववधध दवारा स्थावपत
सरकार के खखलाफ, घर्ण
ृ ा या अवमानना हदखाने, उत्तेजजत िोने अथवा उत्तेजना भड़काने का प्रयास करने पर उसे,
आजीवन कारावास और साथ में जुमाषना, या तीन साल तक की कैद और साथ में जुमाषना, या मात्र जुमाषने का दं ड
हदया जा सकता िै ।
इसके दरु
ु पयोग संबि
ं ी मुद्दे :
राजद्रोि कानून लंबे समय से वववादों में रिा िै । अतसर सरकारों के ‘भारतीय दं ि संदहता (आईपीसी) की िारा 124-
A’ कानन
ू का उपयोग करने पर, उनकी नीततयों के मख
ु र आलोचकों दवारा आलोचना की जाती िै ।
इसमलए, इस धारा को व्यजततयों की अमभव्यजतत की स्वतंत्रता के प्रततबंध के रूप में दे खा जाता िै , और एक प्रकार
से संववधान के अनुच्छे द 19 के तित प्रदत्त अमभव्यजतत की स्वतंत्रता पर लगाए जाने वाले उधचत प्रततबंधों संबंधी
प्रावधानों के अंतगषत आती िै ।
इस क़ानून को औपतनवेमशक त्रब्रहटश शासकों दवारा 1860 के दशक में लागू ककया गया था, उस समय से लेकर
आज तक यि क़ानून बिस का ववर्य रिा िै । मिात्मा गांधी और जवािरलाल नेिरू सहित स्वतंत्रता आंदोलन के
कई शीर्ष नेताओं पर राजद्रोि कानून के तित मामले दजष ककए गए थे।
इस संदभभ में सुप्रीम कोटभ के प्रासंधगक फैसले:
केदार नार् शसंह बनाम बबहार राज्य मामला (1962):
3. आईपीसी की धारा 124A के तित अपराधों से संबंधधत मामले की सुनवाई के दौरान, उच्चतम न्यायालय
की पांच-न्यायािीशों की संिैिातनक पीठ ने केदार नाथ मसंि बनाम त्रबिार राज्य मामले (1962) में कुछ
मागषदशषक मसदधांत तनधाषररत ककए थे।
4. अदालत ने फैसला सुनाया था, कक सरकार के कायों की चािें ककतने भी कड़े शब्दों में नापसंदगी व्यतत
की जाए, यहद उसकी वजि से हिंसक कृत्यों दवारा सावषजतनक व्यवस्था भंग निीं िोती िै , तो उसे दं डनीय
निीं माना जाएगा।
बलिंत शसंह बनाम पंजाब राज्य (1995) मामला:
2. इस मामले में सप्र
ु ीम कोटष ने स्पष्ट्ट ककया था, कक केवल नारे लगाना, इस मामले में जैसे कक ‘खामलस्तान
जजंदाबाद’, राजद्रोि निीं िै ।
जाहिर िै , राजद्रोि कानून को गलत तरीके से समझा जा रिा िै और असिमतत को दबाने के मलए इसका दरु
ु पयोग
ककया जा रिा िै ।
समय की मांग: शीर्ष अदालत के अनुसार, ववशेर् रूप से समाचार, सच
ू ना को संप्रवे र्त करने के मलए इलेतरॉतनक
और वप्रंट मीडडया के अधधकार, और दे श के ककसी भी हिस्से में मौजद
ू ा शासन की आलोचना करने के अधधकार के
संदभष में “भारतीय दं ड संहिता, 1860 की धारा 124A, 153A और 505 के प्रावधानों के दायरे और मापदं डों की व्याख्या
ककए जाने की आवश्यकता िै ।
स्रोत: द हिंद।ू
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12. बैंक जमा बीमा कायभक्रम
संदभभ: केंद्र सरकार दवारा बैंक बंद िोने जैसी समस्याओं की जस्थतत में ‘बैंक जमा बीमा’ (Bank Deposit Insurance)
सरु क्षा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने के मित्व पर प्रकाश डाला गया िै । िाल िी में , प्रधानमंत्री
दवारा बैंक जमा रामश बीमा कायषिम में जमाकताषओं को सम्बोधधत ककया गया।
पष्ट्ृ ठभूशम:
पिले 'जमा बीमा िेडडट गारं टी योजना' (Deposit Insurance Credit Guarantee Scheme)के तित 1 लाख रुपये या
उससे अधधक की जमा रामश के मलए 1 लाख रुपये का िी ‘बैंक जमा बीमा कवर’ िुआ करता था।
जमा बीमा और भारत में इसका वितनयमन:
• जमा बीमा (Deposit Insurance), एक प्रीममयम प्राप्त करके जमाकताष के पैसे को बीमा सुरक्षा प्रदान करता
िै ।
• सरकार दवारा ककसी बैंक के ववफल िोने / डूब जाने पर जमाकताषओं की सरु क्षा के मलए आरबीआई के
अधीन ‘जमा बीमा एवं िेडडट गारं टी तनगम (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation -
DICGC) की स्थापना की गयी िै ।
• DICGC, बैंक दवारा धाररत 100 रुपये जमा पर 10 पैसे चाजष करता िै । बीमाकृत बैंकों दवारा तनगम को
ककया गया प्रीममयम भुगतान, बैंकों दवारा ककया जाता िै , इसका कोई भी अंश जमाकताषओं से निीं मलया
जाता िै ।
• DICGC दवारा वपछली बार फरवरी, 2020 में ‘जमा बीमा कवर’ को संशोधधत कर ₹5 लाख कर हदया गया
था, जोकक वर्ष 1993 से ₹1 लाख था।
जमा बीमा- किरे ज:
• जमा बीमा, भारत में कायषरत सभी वाखर्णजज्यक बैंकों में सभी जमाओं जैसे बचत, सावधध, चाल,ू आवती जमा
आहद को कवर करता िै ।
• इसके अंतगषत, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में कायषरत राज्य, केंद्रीय और प्राथममक सिकारी बैंकों की जमारामशयां
भी कवर की जाती िैं।
विफल हो चक
ु ी बैंक से जमाकताभओं द्िारा अपनी राशश का दािा करने की प्रकक्रया:
• ‘जमा बीमा एवं िेडडट गारं टी तनगम’ (DICGC) सीधे जमाकताषओं के साथ कायष-व्यविार निीं करता िै ।
• ककसी बैंक का पररसमापन करने (liquidate) का तनदे श हदए जाने पर, आरबीआई (या रजजस्रार) दवारा
समापन प्रकिया की दे खरे ख के मलए एक आधधकाररक पररसमापक (Liquidator) तनयुतत ककया जाता िै ।
• DICGC अधधतनयम के तित, पररसमापक को प्रभार लेने के तीन मिीने के भीतर सभी बीममत जमाकताषओं
(उनके बकाया के साथ) की एक सच
ू ी DICGC को सौंपनी िोती िै ।
• DICGC दवारा यि सूची प्राप्त िोने के दो मिीने के भीतर इन दे य रामशयों का भग
ु तान ककया जाता िै ।
DICGC में तनम्नमलखखत प्रकार की जमारामशयााँ शाममल निीं िोती िैं:
1. ववदे शी सरकारों की जमारामशयााँ
2. केंद्र/राज्य सरकारों की जमारामशयां
3. अंतर-बैंक जमा
4. राज्य सिकारी बैंक के पास राज्य भूमम ववकास बैंकों की जमा रामश
5. भारत से बािर प्राप्त ककसी जमा रामश पर कोई दे य रामश
6. DICGC दवारा, ववशेर् रूप से आरबीआई की पव
ू ष अनम
ु तत सहित, छूट दी गई कोई भी रामश।
स्रोत: द हिंद।ू
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13. बबहार के शलए विशेष श्रेर्ी राज्य का दजाभ
संदभभ: नीतीश कुमार ने त्रबिार के मलए ‘ववशेर् श्रेर्णी राज्य’ (Special Category State - SCS) का दजाष हदए जाने की
अपनी करीब 15 साल परु ानी मांग एक बार कफर से उठाई िै । नीतीश कुमार, वर्ष 2007 से त्रबिार के मलए ‘ववशेर्
श्रेर्णी राज्य’ की मांग कर रिे िैं।
अन्य राज्यों की तुलना में बबहार का विकास:
• नीतत आयोग की नवीनतम ररपोटष में , ववकास दर और मानव ववकास सच
ू कांकों के मामले में त्रबिार को
सबसे तनचले राज्यों की श्रेर्णी में रखा गया िै ।
• त्रबिार की वावर्षक प्रतत व्यजतत आय 50,735 रुपये िै , जोकक राष्ट्रीय प्रतत व्यजतत आय आंकड़े, अथाषत
1,34,432 रुपये से काफी कम िै ।
• ररपोटष के अनुसार, राज्य की 51.91 प्रततशत आबादी - दे श में सबसे ज्यादा - गरीबी रे खा से नीचे रिती
िै ।
• स्कूल छोड़ने, बच्चों के कुपोर्र्ण, मात ृ स्वास्थ्य और मशशु मत्ृ यु दर के मामले में भी त्रबिार का प्रदशषन
काफी खराब रिा िै ।
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‘विशेष श्रेर्ी राज्य का दजाभ’ प्राप्त करने के शलए कुछ प्रमुख ददशातनदे श:
1. राज्य, खराब बतु नयादी ढांचे के साथ आधथषक रूप से वपछड़ा िोना चाहिए।
2. राज्यों को पिाड़ी और चन
ु ौतीपर्ण
ू ष इलाकों में जस्थत िोना चाहिए।
3. राज्यों का जनसंख्या घनत्व कम और जनजातीय आबादी अधधक िोनी चाहिए।
4. राज्य, रर्णनीततक रूप से पड़ोसी दे शों की सीमाओं के समीप जस्थत िोना चाहिए।
‘विशेष श्रेर्ी राज्य का दजाभ’ कौन प्रदान करता है ?
• पिले, ‘राष्ट्रीय ववकास पररर्द’ दवारा ‘योजना सिायता के मलये’ ववशेर् श्रेर्णी का दजाष उन राज्यों को प्रदान
ककया गया था, जजन्िें ववशेर् रूप से ध्यान हदये जाने की आवश्यकता िै ।
• अब, ऐसे राज्यों को केंद्र दवारा ‘ववशेर् श्रेर्णी राज्य’ का दजाष हदया जाता िै ।
लाभ: करों से छूट और अन्य लाभों के अलावा, ‘ववशेर् श्रेर्णी दजाष’ वाले राज्य के मलये केंद्र प्रायोजजत योजनाओं पर
कुल व्यय का 90% केंद्रीय अनद
ु ान के रूप में भग
ु तान ककया जाता िै , तथा शेर् 10% भी शन्
ू य प्रततशत ब्याज पर
ऋर्ण के रूप में हदया जाता िै ।
संबंधित धचंताएं:
ककसी भी नए राज्य को ‘ववशेर् दजाष’ दे ने पर ववचार करने से, अन्य राज्यों की मांगें बढ़ें गी और पररर्णामस्वरूप,
इससे ममलने वाले लाभों में और कमी आएगी। राज्यों के मलए ‘ववशेर् दजाष’ की मांग करना आधथषक रूप से भी
फायदे मंद निीं िै तयोंकक वतषमान व्यवस्था के तित इसके लाभ काफी कम िैं। इसमलए, ववशेर् समस्याओं का
सामना कर रिे राज्यों के मलए ‘ववशेर् पैकेज की मांग करना’ बेितर िोगा।
ितभमान पररदृश्य:
14वें ववत्त आयोग दवारा पव
ू ोत्तर और तीन पिाड़ी राज्यों को छोड़कर अन्य राज्यों के मलए 'ववशेर् श्रेर्णी का दजाष'
खत्म कर हदया गया िै ।
• इसके स्थान पर, आयोग ने सुझाव हदया कक प्रत्येक राज्य के ‘संसाधन अंतर’ को 'कर िस्तांतरर्ण' के
माध्यम से भरा जाए, और केंद्र सरकार से कर राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी को 32% से बढ़ाकर 42%
करने का आग्रि ककया, जजसे वर्ष 2015 से लागू ककया गया िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ववशेर् श्रेर्णी राज्य का दजाष
2. 14वां ववत्त आयोग
3. ववत्त आयोग
4. गाडधगल फॉमूल
ष ा
में स शलंक: राज्यों को ववशेर् श्रेर्णी का दजाष हदए जाने से संबंधधत मद
ु दों की चचाष कीजजए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।
14. भुगतान बैंको एिं लघु वित्त बैंकों को ‘सरकारी एजेंसी कारोबार’ करने की अनम
ु तत
संदभभ:
िाल िी में , भारतीय ररजवष बैंक दवारा भग
ु तान बैंकों (Payments Banks) तथा लघु ववत्त बैंकों (Small Finance Banks)
को ‘सरकारी एजेंसी कारोबार / त्रबजनेस’ (Govt agency business) करने की अनुमतत दी गयी िै ।
इसके मलए यि शतष रखी गयी िै , कक संबधं धत बैंक ‘त्वररत सुधारात्मक कारष वाई’ (Prompt Corrective Action - PCA)
फ्रेमवकष या अधधस्थगन के अंतगषत निीं िोनी चाहिए।
‘एजेंसी बैंक’ को मान्यता दे ने की शजतत:
ककसी ववशेर् ‘सरकारी एजेंसी कारोबार’ के मलए ‘एजेंसी बैंक’ (अनस
ु धू चत तनजी क्षेत्र के एजेंसी बैंक सहित) को
मान्यता दे ने का ववकल्प, पूरी तरि से केंद्र सरकार के संबंधधत ववभागों / राज्य सरकारों के पास िै ।
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तनदहतार्भ: इस व्यवस्था के बाद, बैंक अब सरकार और अन्य बड़े तनगमों दवारा जारी अनुरोध प्रस्तावों (Request
for Proposals), प्राथममक नीलामी, तनजश्चत दर और पररवतषनीय रे पो दर, और ररवसष रे पो, तथा ‘सीमांत स्थायी
सवु वधा (Marginal Standing Facility - MSF) में भाग ले सकते िैं।
• साथ िी, बैंक अब सरकार दवारा संचामलत ववत्तीय समावेशन योजनाओं में भागीदार के मलए भी पात्र िोंगे।
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15. भारत का ‘िेटा संरक्षर् वििेयक’
संदभभ:
‘तनजी डेटा संरक्षर्ण ववधेयक’ 2019 (Personal Data Protection (PDP) Bill, 2019) पर, 11 हदसंबर 2019 को भाजपा
सांसद पी.पी. चौधरी की अध्यक्षता में गहठत ‘संयुतत संसदीय सममतत’ (Joint Parliamentary Committee - JPC)
दवारा, अपने गठन के लगभग दो साल बाद, 16 हदसंबर को संसद के दोनों सदनों में अपनी अंततम ररपोटष प्रस्तत
ु
की गयी िै ।
‘संयुतत संसदीय सममतत’ की प्रमुख अनुशंसाएं:
1. ‘तनजी डेटा संरक्षर्ण ववधेयक' के मौजद
ू ा शीर्षक से 'तनजी’(Personal) शब्द को िटाया जाए। इसका उददे श्य
यि दशाषना िै , कक तनजता को बेितर ढं ग से सतु नजश्चत करने िे तु इस ववधेयक में , अनामक ककए जा चुके
(anonymised) ‘तनजी डेटा’ जैसे, ‘गैर-तनजी डेटा’ से भी संबंधधत प्रावधान ककए गए िै ।
2. भारत के बािर ‘तनजी डेटा के िस्तांतरर्ण’ को प्रततबंधधत करने वाले अनभ
ु ाग में संशोधन ककया जाए और
इसमें यि जोड़ा जाए कक “संवेदनशील तनजी डेटा को, केंद्र सरकार के अनुमोदन के बगैर, ककसी भी ववदे शी
सरकार या एजेंसी के साथ साझा निीं ककया जाएगा।
3. भारत में ककसी भी सोशल मीडडया प्लेटफॉमष को, उसकी मूल कंपनी (जो इसकी सेवाओं के मलए प्रौदयोधगकी
को तनयंत्रत्रत करती िै ) दवारा दे श में अपना कायाषलय स्थावपत निीं करने तक, संचालन की अनुमतत निीं
दी जानी चाहिए।
4. ‘संयुतत संसदीय सममतत’ ने मीडडया को ववतनयममत करने के मलए एक अलग तनयामक तनकाय की
स्थापना का प्रस्ताव ककया िै ।
5. ककसी व्यजतत दवारा ‘अज्ञात’ (de-identified) ककए जा चक
ु े डेटा को कफर से ‘अमभज्ञात’ (Identified) ककए
जाने पर, उसे तीन साल तक का कारावास, अथवा 2 लाख रुपये का जुमाषना या दोनों, की सजा िो सकती
िै ।
6. ववधेयक के नाम से ‘तनजी’ शब्द िटा हदया जाना चाहिए।
7. केंद्र सरकार, ककसी भी सरकारी एजेंसी को ववशेर् पररजस्थततयों में िी कानून से छूट दे सकती िै ।
इन शसफाररशों एिं यरू ोपीय संघ के वितनयमों की तल
ु ना:
‘तनजी डेटा संरक्षर्ण ववधेयक’ पर ‘संयुतत संसदीय सममतत’ की मसफाररशें कुछ पिलओ
ु ं पर ‘यूरोपीय संघ के सामान्य
डेटा संरक्षर्ण ववतनयमन’ (European Union’s General Data Protection Regulation - GDPR) जैसे वैजश्वक मानकों के
समान िैं।
समानताएं:
• सहमतत: उपयोगकताषओं को उनके डेटा को संसाधधत करने के तरीके के बारे में भलीभांतत जानकारी दे ना
चाहिए ताकक वे संबंधधत मामलों में ‘सिमतत’ दे ने अथवा बािर तनकलने पर तनर्णषय ले सकें।
• सुरक्षा उल्लंघन: डेटा-लीक िोने के 72 घंटों के भीतर अधधकाररयों को ‘सुरक्षा उल्लंघन’ के बारे में सूधचत
ककया जाना चाहिए।
• पररितभन अिधि (Transition period): ‘सामान्य डेटा संरक्षर्ण ववतनयमन’ (GDPR) के प्रावधानों को लागू
करने के मलए दो साल की ‘पररवतषन अवधध’ का तनधाषरर्ण।
• िेटा न्यासी (Data fiduciary): यूरोपीय संघ के कानून के तित, डेटा प्रोसेमसंग के उददे श्य और पदधतत
तनधाषररत करने िे तु, कोई भी प्राकृततक या कानूनी व्यजतत, सावषजतनक प्राधधकरर्ण, एजेंसी या तनकाय ‘डेटा
न्यासी’ िो सकता िै । भारत में ‘डेटा न्यासी’ के रूप में ‘गैर-सरकारी संस्थाएं’ (NGOs) को भी शाममल ककया
गया िै ।
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िेटा संरक्षर् प्राधिकरर्: संयुतत संसदीय सममतत ने ‘डेटा संरक्षर्ण प्राधधकरर्ण’ (Data Protection Authority - DPA)
का गठन ककए जाने की मसफाररश की िै :
• डेटा प्रोटे तशन अथॉररटी (DPA), तनजता एवं तनजी डेटा के साथ-साथ गैर-तनजी डेटा से भी संबधं धत मामलों
का समाधान करे गी।
• संरचना: ‘डेटा संरक्षर्ण प्राधधकरर्ण’ के अध्यक्ष और सदस्यों की तनयुजतत, कैत्रबनेट सधचव की अध्यक्षता में
एक चयन सममतत की मसफाररश के आधार पर केंद्र सरकार दवारा की जाएगी।
• सशमतत के अन्य सदस्यों में ‘भारत के मिान्यायवादी, सच
ू ना एवं प्रोदयोधगकी मंत्रालय के सधचव तथा और
ववधध मंत्रालय के सधचव’ शाममल िोंगे।
• नाशमत सदस्य: केंद्र दवारा एक स्वतंत्र ववशेर्ज्ञ और आईआईटी तथा आईआईएम से एक-एक तनदे शक
नाममत ककया जाएगा।
इंस्टा जजज्ञास:ु तया आप जानते िैं कक इस ‘ववधेयक का स्रोत’ न्यायमतू तष बी.एन. श्रीकृष्ट्र्णा की अध्यक्षता में गहठत
एक ववशेर्ज्ञ सममतत दवारा तैयार की गयी ररपोटष में ममलता िै । इस बारे में अधधक जानकारी के मलए पहढ़ए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।
16. तशमलनािु में ‘राज्य गीत’ बजते समय खड़ा होना अतनिायभ
संदभभ: तममलनाडु सरकार दवारा ‘तममल मातभ
ृ ूमम’ की स्तुतत में गाए जाने वाले एक प्राथषना गीत ‘तममल थाई
वज़्थु’ (Tamil Thai Vaazhthu) को राजकीय गीत घोवर्त ककया गया िै ।
एक सरकारी आदे श के माध्यम से, गीत के गायन के दौरान मौजद
ू सभी लोगों, हदव्यांग व्यजततयों को छोड़कर,
को खड़े रिने का तनदे श हदया गया िै ।
संबंधित वििाद: तममलनाडु सरकार का यि तनर्णषय मद्रास उच्च न्यायालय की मदरु ै पीठ के ‘कैन. इलांगो बनाम
राज्य’ मामले (Kan. Ilango v. State case) में िाल के फैसले के बाद आया िै ।
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में किा था, कक ‘तममल थाई वजथु’ केवल एक प्राथषना गीत िै , और अभी ऐसा
कोई वैधातनक या कायषकारी आदे श निीं बना िै , जजसमें उपजस्थत लोगों को ‘तममल थाई वजथु’ गाए जाने पर खड़ा
रिना अतनवायष ककया गया िो।“
इस संबंि में सुप्रीम कोटभ द्िारा पूिभ में ददए गए तनर्भय:
• उच्च न्यायालय ने वर्ष 1986 के ‘त्रबजो इमैनए
ु ल बनाम केरल राज्य’ मामले (Bijoe Emmanuel vs. State of
Kerala case, 1986) का उल्लेख ककया, जजसमें सवोच्च न्यायालय ने ‘यिोवा के साक्षी’ (Jehovah's Witnesses)
संप्रदाय के तीन बच्चों के स्कूल में पुनः प्रवेश का आदे श हदया था। इन बच्चों को राष्ट्रगान गाने से
इनकार करने के कारर्ण स्कूल से तनष्ट्कामसत कर हदया गया था। उस समय सुप्रीम कोटष ने यि किा था,
कक कानून में ऐसा कोई प्रावधान निीं िै , जो ककसी को राष्ट्रगान गाने के मलए बाध्य करता िै ।
• कफर, सप्र
ु ीम कोटष ने ‘श्याम नारायर्ण चौकसे बनाम भारत संघ’ (2017) मामले में तनदे श हदया था, कक
कफल्म शुरू िोने से पिले सभी मसनेमा िॉलों में राष्ट्रगान बजाया जाए और इस दौरान विां उपजस्थत सभी
लोगों को खड़े रिना अतनवायष िोगा। बाद में अदालत ने अपने इस मूल तनदे श को संशोधधत करते िुए,
राष्ट्रगान प्रसारर्ण के दौरान खड़ा िोना "वैकजल्पक और गैर-अतनवायष" बना हदया।
हाईकोटभ द्िारा उठाए गए सिाल:
उच्च न्यायालय ने किा, कक यदयवप "यि सच िै कक “तममल थाई वज़्थु’ के गायन के दौरान श्रोतागर्ण पारं पररक
रूप से खड़े िो जाते िैं, सवाल यि िै कक तया यिी सम्मान प्रदमशषत करने का एकमात्र तरीका िै"।
• जब िम बिुलवाद और ववववधता को मामने के बारे में गवष व्यतत करते िैं, तो इस बात पर जोर दे ना कक
सम्मान प्रदमशषत करने का केवल एक िी तरीका िो सकता िै , केवल पाखण्ड िै ।
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• साथ िी, यहद लोग केवल उनके मलए बनाए गए ककसी कानून की वजि से, ककसी का सम्मान करते िैं
तथा यि "झूठा सम्मान" िोगा।
संबंधित धचंताएं:
• दे शभजतत की तनगरानी करने वाले (Vigilantes), राज्य-गीत के गायन के दौरान ककसी के खड़े न िोने पर
उसके साथ अभद्रता या मर-पीट कर सकते िैं।
• राष्ट्र-गौरव अपमान-तनवारर्ण अधधतनयम, 1971 (Prevention of Insults to National Honour Act, 1971) के
तित इस तरि के प्रततबंध लगाने संबंधी कोई प्रावधान निीं ककया गया िै ।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।
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‘पशु िूरता तनवारर्ण (पशु संपवत्त की दे खभाल और रखरखाव) तनयम’, 2017 के बारे में :
(Prevention of Cruelty to Animals (Care and Maintenance of Case Property Animals) Rules, 2017)
• इस क़ानन
ू को ‘पशु क्रूरता तनिारर् अधितनयम’ (Prevention of Cruelty to Animals Act), 1960 के अंतगषत
बनाया गया था।
• 2017 के तनयमों के अनुसार, मजजस्रे ट को पशु िूरता तनवारर्ण अधधतनयम के तित मुकदमे में अमभयत
ु त
व्यजतत के मवेमशयों को जब्त करने का अधधकार प्राप्त िै ।
• जब्त ककये गए जानवरों को कफर ‘धचककत्सालयों’, 'गौशालाओं,' वपंजरापोल’ (Pinjrapole), आहद में भेज हदया
जाता िै ।
• इसके बाद में संबधं धत अधधकारी इन जानवरों को ‘पालने के मलए’ ककसी को दे सकते िैं।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘पशु िूरता तनवारर्ण अधधतनयम’ (PCA) के बारे में ।
2. ‘पशु िूरता तनवारर्ण (पशु संपवत्त की दे खभाल और रखरखाव) तनयम’
3. प्रमुख प्रावधान
4. जल्लीकट्टू
में स शलंक: मिाराष्ट्र में आयोजजत की जाने वाली बैलगाड़ी दौड़ से जुड़ी धचंताओं पर चचाष कीजजए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।
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‘शलंधचंग’ का तात्पयभ:
धमष, जातत, जातत, मलंग, जन्म स्थान, भार्ा, खान-पान, यौन-अमभरुधच, राजनीततक संबदधता, जातीयता अथवा ककसी
अन्य संबंधधत आधार पर भीड़ दवारा तनयोजजत अथवा तात्कामलक हिंसा या हिंसा भड़काने वाले कृत्यों आहद को
मॉब मलंधचंग (Mob Lynching) किा जाता िै ।
इसमें अतनयंत्रत्रत भीड़ दवारा ककसी दोर्ी को उसके ककये अपराध के मलये या कभी-कभी मात्र अफवािों के आधार
पर िी त्रबना अपराध ककये भी तत्काल सजा दी जाए अथवा उसे पीट-पीट कर मार डाला जाता िै ।
इस प्रकार के मामलों से ककस प्रकार तनपटा जाता है ?
• मौजद
ू ा ‘भारतीय दं ड-ववधान संहिता’ (IPC) के तित, इस प्रकार घटनाओं के मलए "कोई अलग" पररभार्ा
निीं िै । मलंधचंग की घटनाओं से ‘आईपीसी’ की धारा 300 और 302 के तित तनपटा जाता िै ।
• भारतीय दं ड संहिता की धारा 302 के अनुसार, जो कोई भी ककसी व्यजतत की ित्या करता िै , तो उसे मत्ृ यु
दं ड या आजीवन कारावास और साथ िी आधथषक दं ड से दं डडत ककया जाएगा। ‘ित्या करना’ एक गैर-
जमानती, संज्ञेय और गैर-शमनीय अपराध िै ।
इस संबंि में उच्चत्तम न्यायालय के ददशातनदे श:
1. मलंधचंग एक ‘पथ
ृ क अपराध’ िोगा तथा रायल कोटष अमभयुततों को दोर्ी ठिराए जाने पर अधधकतम सजा
का प्रावधान कर मॉब मलंधचंग करने वाली भीड़ के मलए कड़ा उदिारर्ण स्थावपत करें ।
2. राज्य सरकारें , प्रत्येक जजले में मॉब मलंधचंग और हिंसा को रोकने के उपायों के मलये एक सीतनयर पमु लस
अधधकारी को प्राधधकृत करें । राज्य सरकारें उन जजलों, तिसीलों, गााँवों को धचजन्ित करें जिााँ िाल िी में मॉब
मलंधचंग की घटनाएाँ िुई िैं।
3. नोडल अधधकारी मॉब मलंधचंग से संबधं धत जजला स्तर पर समन्वय के मद
ु दों को राज्य के DGP के समक्ष
प्रस्तुत करे गें।
4. केंद्र तथा राज्य सरकारों को रे डडयो, टे लीववजन और अन्य सोशल मीडडया प्लेटफॉमष पर यि प्रसाररत कराना
िोगा कक ककसी भी प्रकार की मॉब मलंधचंग एवं हिंसा की घटना में शाममल िोने पर ववधध के अनुसार
कठोर दं ड हदया जा सकता िै ।
5. केंद्र और राज्य सरकारें , भीड़-भाड़ और हिंसा के गंभीर पररर्णामों के बारे में रे डडयो, टे लीववजन और अन्य
मीडडया प्लेटफामों पर प्रसाररत करें गी।
6. राज्य पुमलस दवारा ककए गए उपायों के बावजूद, मॉब मलंधचंग जैसी घटनाएाँ िोने पर संबंधधत पमु लस स्टे शन
तुरंत एफआईआर दजष करे गा।
7. राज्य सरकारें मॉब मलंधचंग से प्रभाववत व्यजततयों के मलये क्षततपूततष योजना प्रारं भ करे गी।
8. यहद कोई पमु लस अधधकारी या जजला प्रशासन का कोई अधधकारी अपने कतषव्य को परू ा करने में ववफल
रिता िै , तो यि जानबूझकर की गई लापरवािी माना जाएगा।
समय की मांग:
• प्रत्येक बार ऑनर ककमलंग, घर्ण
ृ ा-अपराधों, डायन-ित्या अथवा मॉब मलंधचंग की घटनाओं के िोने पर इन
अपराधों से तनपटने के मलए ववशेर् कानून की मांग उठायी जाती िैं।
• लेककन, तथ्य यि िै कक यि अपराध ित्याओं के अलावा और कुछ निीं िैं तथा IPC और सीआरपीसी
(CrPC) के तित मौजूदा प्रावधान ऐसे अपराधों से तनपटने के मलए पयाषप्त िैं।
• पूनावाला मामले में तनधाषररत हदशा-तनदे शों के साथ, िम मॉब मलंधचंग से तनपटने के मलए पयाषप्त रूप से
सक्षम िैं। इन अपराधों से तनपटने के मलए मौजद
ू ा कानन
ू ों और प्रवतषन एजेंमसयों को अधधक जवाबदे ि
बनाने की आवश्यकता िै ।
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इस सन्दभभ में विशभन्न राज्यों द्िारा ककये गए प्रयास:
• मणर्पुर सरकार दवारा वर्ष 2018 में इस संदभष में कुछ ताककषक और प्रासंधगक उपबंधो को सजम्ममलत करते
िुए एक ववधेयक पाररत ककया गया।
• राजस्र्ान सरकार दवारा अगस्त 2019 में मलंधचंग के खखलाफ एक ववधेयक पाररत ककया गया।
• पजश्चम बंगाल सरकार ने भी मॉब मलंधचंग के ववरूदध कठोर प्रावधानों सहित एक ववधेयक पेश ककया।
इंस्टा जजज्ञासु:
तया आप जानते िैं कक ‘िे ट स्पीच’ पर संयुतत राष्ट्र दवारा ‘रर्णनीतत’ और ‘कायष योजना’ जैसा कोई उपाय ककया
गया िै ? इस बारे में अधधक जानकारी के मलए पहढ़ए।
प्रीशलम्स शलंक:
1. मॉब मलंधचंग के ववरुदध ककन राज्यों कानून पाररत ककये िैं?
2. ’पन
ू ावाला मामला’ तया िै?
3. आईपीसी के तित मॉब मलंधचंग के खखलाफ कौन से प्रावधान उपलब्ध िैं?
में स शलंक: मॉब मलंधचंग भारत में एक अतसर िोने वाली घटना बन गई िै जो धाममषक और जाततगत अल्पसंख्यकों
को तनशाना बनाते िुए नफरत व हिंसा को बढ़ा रिी िै। इसके कारक- कारर्णों को समझाएं तथा इससे तनपटने के
तरीके सुझाइए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।
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आगे की चुनौततयां:
कनाषटक सरकार दवारा अपने धमािंतरर्ण रोधी कानून के तित लागू ककए जाने वाले कुछ प्रावधानों पर, भाजपा
शामसत एक अन्य राज्य- गज
ु रात में रोक लगा दी गयी थी।
• वर्ष 2020 में , गुजरात सरकार दवारा एक संशोधधत धमािंतरर्ण रोधी कानून भी लाया गया था।
• िालााँकक, गज
ु रात उच्च न्यायालय ने अगस्त 2021 में इसके कुछ प्रावधानों- जैसेकक ‘साक्ष्य जुटाने का भार’
(burden of proof), अंतर-धाममषक वववाि करने वालों पर डालने संबंधी प्रावधान- पर रोक लगा दी थी।
• गुजरात उच्च न्यायालय ने किा, कक यि प्रावधान भारत के संववधान के अंतगषत प्रददत ‘व्यजतत की पसंद
और स्वतंत्रता के अधधकार’ का उल्लंघन करते िैं।
चूंकक इसी तरि के प्रावधान, कनाषटक सरकार दवारा प्रस्तुत ववधेयक में भी शाममल िैं, इसका मतलब िै कक यि
कानून संववधान दवारा गारं टीकृत अधधकारों का उल्लंघन करता िै ।
पष्ट्ृ ठभशू म: उत्तर प्रदे श और मध्य प्रदे श जैसे राज्यों में पिले िी जबरन धमािंतरर्ण के खखलाफ सख्त कानन
ू लागू
ककए चक
ु े िैं। िररयार्णा और कनाषटक दवारा भी इस तरि के कानून बनाने के इरादे की घोर्र्णा की जा चुकी िै ।
लेककन, केंद्रीय कानून बनाने की मांग करने वालों का किना िै , कक दे श में िाल की घटनाओं ने सात्रबत कर हदया
कक यि एक अखखल भारतीय रै केट िै , और इसमलए एक केंद्रीय कानून बनाए जाने की आवश्यकता िै ।
‘िमाांतरर् विरोिी कानूनों के अधितनयमन’ के पीछे तकभ:
1. जबरन धमष पररवतषन की धमकी
2. उकसावा या प्रलोभन की समस्या
3. ‘धमष पररवतषन’ मौमलक अधधकार निीं िै ।
आलोचकों का पक्ष: कई ववधध-वेत्ताओं दवारा इस प्रकार के कानन
ू ों की कड़ी आलोचना की गई िै , इनका तकष िै ,
कक 'लव जजिाद' की अवधारर्णा का कोई संवैधातनक या कानूनी आधार निीं िै ।
• इन्िोने संववधान के अनुच्छे द 21 का िवाला दे ते िुए किा िै , संववधान, व्यजततयों को अपनी पसंद के
व्यजतत से शादी करने के अधधकार की गारं टी दे ता िै ।
• साथ िी, अनुच्छे द 25 के तहत भी सभी व्यजततयों को अंतःकरर्ण की स्वतंत्रता का और अपनी पसंद के
धमष को अबाध रूप से मानने, आचरर्ण करने, प्रचार करने, और ककसी भी धमष का पालन न करने के
अधधकार की गारं टी दी गयी िै ।
वििाह और िमाांतरर् पर सिोच्च न्यायालय के फैसले:
1. भारत के सवोच्च न्यायालय दवारा अपने कई तनर्णषयों में यि किा गया िै , कक ककसी ियस्क को अपना
जीिन सार्ी चुनने संबंिी मामले में पूर्भ अधिकार िोता िै , और इस पर राज्य और अदालतों का कोई
क्षेत्राधधकार निीं िै ।
2. भारत के सवोच्च न्यायालय ने, शलली र्ॉमस और सरला मुद्गल, दोनों मामलों में यि पजु ष्ट्ट की िै , कक
धाममषक ववश्वास के त्रबना और कुछ कानूनी लाभ प्राप्त करने के एकमात्र उददे श्य के मलए ककए गए धमष-
पररवतषन का कोई आधार निीं िै ।
3. इलािाबाद उच्च न्यायालय ने वर्ष 2020 के ‘सलामत अंसारी-वप्रयंका खरिार’ मामले में तनर्णषय सुनाते िुए
किा कक, ककसी साथी को चनु ने का अधधकार अथवा अपनी पसंद के व्यजतत के साथ रिने का अधधकार,
नागररकों के ‘जीवन और स्वतंत्रता संबंधी मूल अधधकार’ (अनुच्छे द 21) का भाग िै ।
समय की मांग:
1. एकरूपता की आिश्यकता: मानवाधधकारों की सावषभौममक घोर्र्णा (UDHR) के अनच्
ु छे द 18 के अनस
ु ार,
सभी व्यजततयों को धमष की स्वतंत्रता का अधधकार िै , जजसमे उनका धमष पररवतषन करने का अधधकार भी
शाममल िै । चूंकक यि राज्य का ववर्य िै , इसमलए केंद्र सरकार इस ववर्य पर, अनुबंध खेती पर मॉडल
कानन
ू आहद जैसा कोई एक मॉडल कानन
ू बना सकती िै ।
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2. धमािंतरर्ण ववरोधी कानून बनाते समय राज्यों को, अपनी इच्छा से धमािंतरर्ण करने वाले व्यजतत के मलए
कोई अस्पष्ट्ट या अनेकाथी प्रावधान निीं करना चाहिए।
3. धमािंतरर्ण ववरोधी कानन
ू ों में , अल्पसंख्यक समद
ु ाय संस्थानों दवारा धमािंतरर्ण के मलए कानन
ू ी चरर्णों का
उल्लेख करने संबंधी प्रावधान को भी शाममल करने की आवश्यकता िै ।
4. लोगों को जबरदस्ती धमािंतरर्ण, प्रलोभन या प्रलोभन आहद से संबधं धत प्रावधानों और तरीकों के बारे में भी
मशक्षक्षत करने की आवश्यकता िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक ‘ववशेर् वववाि अधधतनयम,’ 1954 (SMA) अलग-अलग धमों को मानने वाले
जोड़ों के वववाि की सवु वधा के मलए बनाया गया था?
प्रीशलम्स शलंक:
1. अनुच्छे द 21 के बारे में
2. अनच्
ु छे द 25
3. ‘ववशेर् वववाि अधधतनयम’ (SMA) के बारे में
5. ककन राज्यों दवारा धमािंतरर्ण रोधी कानून पाररत ककए जा चुके िैं।
में स शलंक: जीवन साथी को चुनने का अधधकार अथवा अपनी पसंद के व्यजतत के साथ रिने का अधधकार, नागररकों
के ‘जीवन और स्वतंत्रता संबंधी मूल अधधकार’ का भाग िै । चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
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21. श्रम संदहता संबंिी प्रकरर्
संदभभ: भारत में , वर्ष 2022 से शुरू िोने वाले आगामी ववत्तीय वर्ष तक ‘मजदरू ी, सामाजजक सुरक्षा, व्यावसातयक
सरु क्षा और औदयोधगक संबंधों’ पर “चार श्रम संहिताओं” (labour codes on wages, social security, occupational
safety and industrial relations) को लागू ककए जाने की संभावना िै ।
इन नई संहिताओं के अंतगषत, सामान्य रूप से, रोजगार और कायष संस्कृतत से संबंधधत कई पिलूओं- जैसे कक
कमषचाररयों के िाथ में आने वाला वेतन, काम के घंटे और सप्ताि में कायष-हदवसों की संख्या आहद - में बदलाव
िो सकता िै ।
विरोि:
िालांकक, तीन कृवर् कानूनों को तनरस्त करने संबध
ं ी सरकार के फैसले के मददे नजर, रे ड यूतनयनों ने इन श्रम
संहिताओं के खखलाफ अपने आंदोलन को तेज करने की योजना बनाई िै ।
रे ि यतू नयनों की मांगें:
• रे ड यूतनयनों का किना िै कक, मजदरू ी और सामाजजक सुरक्षा पर बनाए गई सहिंताओं (Codes) को िम
स्वीकार करते िै , और इन्िें तत्काल लागू ककया जाए।
• रे ड यूतनयनों दवारा ‘औदयोधगक संबंध’ (Industrial Relations) और ‘व्यावसातयक सुरक्षा’ (Occupational
Safety) पर बनाए गई सहिंताओं पर आपवत्त वयतत करते िुए इनकी समीक्षा ककए जाने की मांग की जा
रिी िै ।
‘श्रम संदहताओं’ (labour codes) के बारे में :
• कानूनों के इस नवीन सेट में 44 श्रम कानूनों को ‘चार संहिताओं’ में समेककत ककया गया िै : मजदरू ी
संहिता (Wage Code), सामाजजक सरु क्षा संहिता (Social Security Code), ‘व्यावसातयक सरु क्षा, स्वास्थ्य एवं
कायष दशाएं संहिता’ (Occupational Safety, Health & Working Conditions Code) और औदयोधगक संबध
ं
संहिता (Industrial Relations Code)।
• संसद दवारा पिले िी इन चारों संहिताओं को पाररत ककया जा चुका िै और, इनके मलए राष्ट्रपतत की
सिमतत भी ममल चुकी िै ।
ये चार संदहताएाँ हैं:
1. मजदरू ी संदहता, 2019 (The Code on Wages, 2019): यि संहिता संगहठत और असंगहठत क्षेत्र के सभी
कमषचाररयों पर लागू िोती िै । इसका उददे श्य सभी रोजगारों में ‘वेतन’ / ‘मजदरू ी’ और बोनस भुगतान को
ववतनयममत करना िै , तथा िर उदयोग, पेश,े व्यवसाय या ववतनमाषर्ण में समान प्रकृतत के काम करने वाले
कमषचाररयों को समान पाररश्रममक प्रदान करना िै ।
2. ‘व्यािसातयक सरु क्षा, स्िास्थ्य एिं कायभ दशाएं संदहता’ 2020 (Occupational Safety, Health & Working
Conditions Code, 2020): इसका उददे श्य 10 या अधधक श्रममकों वाले प्रततष्ट्ठानों और सभी खदानों और
बंदरगािों / गोदी (Docks) में कम करने वाले श्रममकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा की जस्थतत को ववतनयममत
करना िै ।
3. सामाजजक सुरक्षा संदहता, 2020 (Social Security Code, 2020): इसके अंतगषत सामाजजक सुरक्षा और मातत्ृ व
लाभ से संबंधधत नौ कानूनों को समेककत ककया गया िै ।
4. औद्योधगक संबंि संदहता, 2020 (Industrial Relations Code, 2020): इसके तित, तीन श्रम कानूनों अथाषत;
रे ड यूतनयन अधधतनयम, 1926, औदयोधगक तनयोजन (स्थायी आदे श) अधधतनयम, 1946 और औदयोधगक
वववाद अधधतनयम, 1947 को समेककत ककया गया िै । इसका उददे श्य, उदयोगों पर श्रम कानन
ू ों के अनप
ु ालन
बोझ को काफी िद तक कम करके, दे श में कारोबारी मािौल में सुधार करना िै ।
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इन संदहताओं के सार् समस्याएं:
• तनयममत कामगारों के मलए कायष-घंटा प्रावधानों में ‘हदन में आठ घंटे से अधधक काम के घंटे तय करने
संबंधी’ कोई प्रावधान निीं ककया गया िै ।
• इन संहिताओं में अंशकामलक कमषचाररयों के मलए समान प्रावधान तनधाषररत निीं ककए गए िैं।
• कमषचाररयों के वेतन को प्रभाववत करने वाले प्रावधान भी शाममल ककए गए िैं।
• श्रम संहिताओं में , प्रावधानों का पालन न करने और दस
ू री बार अपराध करने पर, व्यवसायों पर जुमाषना
लगाए जाने का प्रावधान ककया गया िै । वतषमान मिामारी की जस्थतत में , अधधकांश छोटे व्यवसाय, श्रम
संहिताओं में ककए गए पररवतषनों को अपनाने और लागू करने की जस्थतत में निीं िैं।
स्रोत: द हिंद।ू
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तशमलनािु द्िारा इस पररयोजना का विरोि करने के कारर्:
1. तममलनाडु का किना िै , कक ‘उच्चतम न्यायालय’ और ‘कावेरी जल वववाद अधधकरर्ण’ (CWDT) के अनुसार
‘कावेरी बेमसन में उपलब्ध मौजद
ू ा भंडारर्ण सवु वधाएं, जल भंडारर्ण और ववतरर्ण के मलए पयाषप्त िै , अतः
कनाषटक का यि प्रस्ताव पव
ू -ष दृष्ट्टया असमथषनीय िै और इसे सीधे खाररज कर हदया जाना चाहिए।
2. तममलनाडु के अनुसार- प्रस्ताववत जलाशय का तनमाषर्ण केवल पीने के पानी के मलए निीं ककया जा रिा िै ,
बजल्क इसके दवारा मसंचाई की सीमा बढाया जाएगा, जोकक ‘कावेरी जल वववाद तनर्णषय’ का स्पष्ट्ट उल्लंघन
िै ।
अधिकरर् तर्ा सप्र
ु ीम कोटभ द्िारा ददए गए तनर्भय:
‘कावेरी जल वववाद अधधकरर्ण’ (CWDT) का गठन वर्ष 1990 में की गयी थी और वर्ष 2007 में हदए गए अपने
अंततम फैसले में , तममलनाडु को 419 टीएमसी फीट, कनाषटक को 270 टीएमसी फीट, केरल को 30 टीएमसी फीट
और पड
ु ु चेरी को 7 टीएमसी फीट पानी का बटवारा ककया था। अधधकरर्ण ने, बाररश की कमी वाले वर्ों में , सभी
राज्यों के मलए जल-आवंटन की मात्रा कम कर दी जाएगी।
• िालांकक, तममलनाडु और कनाषटक दोनों दवारा इस बटवारे पर अप्रसन्नता व्यतत की और जल बंटवारे को
लेकर दोनों राज्यों में ववरोध और हिंसा के प्रदशषन िुए। इसके बाद सुप्रीम कोटष दवारा इस मामले पर
सुनवाई की गई और वर्ष 2018 के फैसले में , बंटवारा करते िुए तममलनाडु के पूवष तनधाषररत हिस्से में से
14.75 टीएमसी फीट पानी कनाषटक को दे हदया।
• इस प्रकार, नया बटवारे के अनुसार, तममलनाडु के मलए 404.25 टीएमसी फीट पानी ममला और कनाषटक
को 284.75 टीएमसी फीट पानी हदया गया। केरल और पुडुचेरी का हिस्सा अपररवततषत रिा।
इंस्टा जजज्ञास:ु तया आप जानते िैं कक 2018 में भारत के सवोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के मलए ‘कावेरी प्रबंधन
योजना’ अधधसधू चत करने का तनदे श हदया था? इस योजना के प्रमुख घटक कौन से िैं?
स्रोत: द हिंद।ू
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• तत्कालीन ववपक्षी दल बीजेपी ने भी इसके मलए सिमतत व्यतत की, और यि भी किा था, कक यहद वि
सत्ता में आती िै तो /ववशेर् श्रेर्णी के दजे’ और पांच साल के मलए बढ़ा हदया जाएगा।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।
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िषभ 2020 का निीनतम संशोिन और संबद्ि आलोचनाएाँ:
• ववदे शी अंशदान (ववतनयमन) संशोधन, 2020 के तित पंजीकृत गैर सरकारी संगठन (NGO) के मलए भारतीय
स्टे ट बैंक की नई हदल्ली शाखा में एक तनहदषष्ट्ट FCRA खाता खोलना अतनवायष ककया गया था। गैर सरकारी
संगठन (NGO) केवल इस तनहदष ष्ट्ट खाते में िी ववदे शी अनुदान दान स्वीकार कर सकेंगे।
• इस प्रावधान के खखलाफ, याधचकाकताषओं ने तकष हदया िै कक यि तनयम ग्रामीर्ण भारत में , और राजधानी
से दरू काम कर रिे गैर सरकारी संगठनों के मलए काफी भारी-भरकम और थकाऊ िोगा।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘ववदे शी अंशदान ववतनयमन अधधतनयम’ (FCRA) के बारे में
2. ‘गैर सरकारी संगठनों के ववदे शी ववत्त पोर्र्ण’ के बारे में
3. मदर टे रेसा
में स शलंक: ‘ववदे शी अंशदान ववतनयमन अधधतनयम’ (FCRA) के प्रमख
ु प्रावधानों और ऐसे कानन
ू की आवश्यकता पर
चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
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3. 100 करोड़ रुपये से 300 करोड़ रुपये के बीच तनवेश करने वाली कंपतनयां भी शुल्क वापसी और प्रोत्सािन
(उनके कारोबार के 15 प्रततशत से कम) प्राप्त करने की पात्र िोंगी।
4. इस योजना से सरकार को "19,000 करोड़ रुपए से अधधक का नया तनवेश और 3 लाख करोड़ रुपए से
अधधक का संचयी कारोबार" प्राप्त करने की उम्मीद िै ।
महत्ि: पीएलआई योजना, घरे लू ववतनमाषर्ण को मित्वपूर्णष रूप से बढ़ावा दे गी, और ‘आत्मतनभषर भारत’ की भावना
के अनुरूप वैजश्वक बाजारों में एक बड़ा प्रभाव डालने के मलए वस्त्र उदयोग को तैयार करे गी। यि योजना इस क्षेत्र
में अधधक तनवेश आकवर्षत करने में भी मदद करे गी।
आिश्यकता:
वस्त्रों में अंतराषष्ट्रीय व्यापार का दो-ततिाई, मानव तनममषत और तकनीकी वस्त्रों का िै । भारत को मानव तनममषत
फाइबर (MMF) से बने वस्त्रों और वस्त्र उदयोग के पाररजस्थततकी तंत्र में भी योगदान करने में सक्षम बनाने के
उददे श्य से इस योजना को मंजरू ी दी गई िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक वर्ष 2020 में , आधथषक मामलों की मंत्रत्रमंडलीय सममतत (CCEA) दवारा एक
1,480 करोड़ रुपए के कुल पररव्यय से ‘राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र ममशन’ की स्थापना को मंजूरी दी गई थी।
स्रोत: द हिंद।ू
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4. कमजोर व्यजतत, कभी कच्ची उम्र के कारर्ण या नशे की ओर झुकाव या साधथयों के दबाव की वजि से
अतसर, इस प्रलोभन के मशकार िोते िैं।
मद्यतनषेि क़ानन
ू लागू करने िाले अन्य राज्य:
वतषमान में , गुजरात, ममजोरम, नागालैंड और केंद्र शामसत प्रदे श लक्षदवीप में शराबबंदी लागू िै ।
संबंधित संिि
ै ातनक प्राििान:
1. राज्य सच
ू ी का विषय: मदय अथवा शराब, भारतीय संववधान की सातवीं अनुसच
ू ी के तित ‘राज्य सूची’
का ववर्य िै ।
2. अनच्
ु छे द 47: भारत के संववधान में नीतत-तनदे शक मसदधांत में किा गया िै कक “राज्य, ववमशष्ट्टतया, मादक
पेयों और स्वास्नय के मलए िातनकर ओर्धधयों के, और्धीय प्रयोजनों से मभन्न, उपभोग का प्रततर्ेध करने
का प्रयास करे गा।"
इंस्टा जजज्ञास:ु
तया आपको ‘उधचत वगीकरर्ण का मसदधांत’ (Doctrine of Reasonable Classification) के बारे में जानकारी िै?
स्रोत: द हिंद।ू
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‘पेसा अधितनयम, 1996’ के बारे में :
‘पंचायत (अनुसूधचत क्षेत्रों तक ववस्तार) अधधतनयम, 1996’ या ‘पेसा अधधतनयम’ भारत के अनुसूधचत क्षेत्रों में रिने
वाली आबादी के मलए, पारं पररक ग्राम सभाओं के माध्यम से, स्वशासन सतु नजश्चत करने के मलए भारत सरकार
दवारा अधधतनयममत एक कानून िै ।
● यि क़ानून 1996 में संसद दवारा अधधतनयममत ककया गया था और 24 हदसंबर 1996 को लागू िुआ था।
● ‘पेसा अधधतनयम’ को भारत में आहदवासी कानून की रीढ़ माना जाता िै ।
● इस क़ानून के तित, तनर्णषय लेने की प्रकिया की पारं पररक प्रर्णाली को मान्यता दी गयी िै और और लोगों
की स्वशासन की भागीदारी सतु नजश्चत की गयी िै ।
पष्ट्ृ ठभूशम:
ग्रामीर्ण भारत में स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा दे ने िेतु, वर्ष 1992 में 73िां संवििान संशोिन ककया गया। इस
संशोधन के माध्यम से बत्रस्तरीय पंचायती राज संस्र्ा को एक कानन
ू बनाया गया।
● िालांकक, अनुच्छे द 243 (M) के तित अनुसधू चत और आहदवासी क्षेत्रों में इस कानून को लागू करना
प्रततबंधधत था।
● वर्ष 1995 में ‘भूररया सममतत’ की मसफाररशों के बाद, भारत के अनुसूधचत क्षेत्रों में रिने वाली आबादी के
मलये स्व-शासन सुतनजश्चत करने िे तु ‘पंचायत (अनुसूधचत क्षेत्रों तक ववस्तार) अधधतनयम,1996 लागू ककया
गया।
● 1995 में भरू रया सममतत की मसफाररशों के बाद, भारत के अनुसूधचत क्षेत्रों में रिने वाले लोगों के मलए
आहदवासी स्व-शासन सतु नजश्चत करने के मलए अनुसूधचत क्षेत्रों में पंचायत ववस्तार (पेसा) अधधतनयम 1996
अजस्तत्व में आया।
● PESA क़ानून के तित, ग्राम सभा को पूर्णष शजततयााँ प्रदान की गयी िै , जबकक राज्य ववधातयका को पंचायतों
और ग्राम सभाओं के समुधचत कायष को सुतनजश्चत करने के मलए एक सलािकार की भूममका दी गई िै ।
● ग्राम सभा को प्रत्यायोजजत शजततयों में , ककसी उच्च स्तर की संस्था के दवारा कटौती निीं की जा सकती
िै , और इन्िें अपने तनधाषररत कायष करने की पूरी स्वतंत्रता रिे गी।
ग्राम सभाओं को दी गई शजततयााँ और कायभ:
1. भूमम अधधग्रिर्ण, पुनवाषस और ववस्थावपत व्यजततयों के पुनवाषस में अतनवायष परामशष का अधधकार
2. पारं पररक आस्था और आहदवासी समुदायों की संस्कृतत का संरक्षर्ण
3. लघु वन उत्पादों पर स्वाममत्व
4. स्थानीय वववादों का समाधान
5. भमू म अलगाव की रोकथाम
6. ग्रामीर्ण बाजारों का प्रबंधन
7. शराब के उत्पादन, आसवन और तनर्ेध को तनयंत्रत्रत करने का अधधकार
8. सािूकारों पर तनयंत्रर्ण का अधधकार
9. अनुसूधचत जनजाततयों से संबंधधत अन्य अधधकार
PESA क़ानून से संबधं ित मद्
ु दे :
राज्य सरकारों से अपेक्षा की जाती िै , कक वे ‘पंचायत (अनुसूधचत क्षेत्रों तक ववस्तार) अधधतनयम, एक राष्ट्रीय
कानून, के अनुरूप अपने अनुसूधचत क्षेत्रों के मलये राज्य स्तर पर कानून बनाएाँ। इसके पररर्णामस्वरूप राज्यों में
PESA क़ानन ू का आंमशक रूप से कायाषन्वयन िुआ िै ।
● इस आंमशक कायाषन्वयन की वजि से आहदवासी क्षेत्रों में , जैस-े झारखंड में , स्वशासन व्यवस्था खराब िुई
िै ।
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● कई ववशेर्ज्ञों का दावा िै , कक ‘स्पष्ट्टता की कमी, कानूनी दब
ु ल
ष ता, नौकरशािी की उदासीनता, राजनीततक
इच्छाशजतत की कमी, सत्ता के पदानुिम में पररवतषन के प्रततरोध आहद के कारर्ण, PESA क़ानून सफल निीं
िो सका िै ।
● राज्य भर में ककये गए सोशल ऑडडट से पता चला िै , कक ववमभन्न ववकास योजनाओं को ग्राम सभा दवारा
केवल कागज पर अनुमोहदत ककया जा रिा था और वास्तव में चचाष और तनर्णषय लेने के मलये कोई बैठक
निीं िुई थी।
प्रीशलम्स शलंक:
1. PESA क़ानन
ू के बारे में
2. मुख्य ववशेर्ताएं, अधधतनयम के तित अधधकार, ग्राम सभाओं की भूममका, सोशल ऑडडट
में स शलंक: ‘पंचायत (अनुसूधचत क्षेत्रों तक ववस्तार) अधधतनयम (पेसा अधधतनयम) के मित्व की वववेचना कीजजए।
स्रोत: इकोनॉममक टाइम्स।
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• यि पररयोजना, मध्य प्रदे श और उत्तर प्रदे श में ववस्तत
ृ पानी की कमी वाले ‘बुंदेलखंड क्षेत्र’ के मलए
अत्यधधक लाभकारी िोगी।
• इस पररयोजना से कृवर् गततववधधयों में वद
ृ धध और रोजगार सज
ृ न के कारर्ण वपछड़े बंद
ु े लखंड क्षेत्र में
सामाजजक-आधथषक समद
ृ धध को बढ़ावा ममलने की उम्मीद िै ।
• पररयोजना, क्षेत्र से संकटपर्ण
ू ष प्रवास को रोकने में भी मदद करे गी।
इंटरशलंककं ग के लाभ:
• जल और खादय सुरक्षा में वद
ृ धध
• जल का समधु चत उपयोग
• कृवर् को बढ़ावा
• आपदा न्यूनीकरर्ण
• पररविन को बढ़ावा दे ना
स्रोत: द हिंद।ू
विषय:ववकास प्रकिया तथा ववकास उदयोग- गैर-सरकारी संगठनों, स्वयं सिायता समूिों, ववमभन्न समूिों और संघों,
दानकताषओं, लोकोपकारी संस्थाओं, संस्थागत एवं अन्य पक्षों की भमू मका।
1. स्मारकों के शलए CSR तनधि
संदभभ: िाल िी में , संसद में पेश ककए गए एक तनजी सदस्य ववधेयक में , सभी ‘कॉपोरे ट सामाजजक उत्तरदातयत्व’
(Corporate Social Responsibility - CSR) फंड का 25% प्राचीन स्मारकों और परु ाताजत्वक स्थलों के जीर्णोदधार,
प्रबंधन और रखरखाव के मलए इस्तेमाल ककए जाने का प्रस्ताव ककया गया िै ।
इस पर, कुछ सदस्यों ने ‘कंपनी (संशोधन) ववधेयक’, 2019 का समथषन ककया, तथा कुछ सदस्यों ने ववधेयक के
अन्य अतनवायष प्रावधानों से असिमत व्यतत की।
अधिक संसािनों की आिश्यकता:
भारतीय पुरातत्व सवेक्षर्ण (ASI), राष्ट्रीय स्मारक प्राधधकरर्ण (NMA) और स्मारकों की दे खभाल करने वाली अन्य
एजेंमसयों के पास पुराताजत्वक एवं मित्वपूर्णष स्थलों के रखरखाव के मलए आवश्यक संसाधनों की कमी िै ।
वििेयक का विरोि:
‘नैगममक सामाजजक उत्तरदातयत्व’ / ‘कॉपोरे ट सामाजजक उत्तरदातयत्व’ तनधध (CSR fund) का उददे श्य स्थानीय समद
ु ायों
को लाभ पिुंचाना िै । इसमलए फंड का ककसी अन्य प्रयोजनों के मलए उपयोग निीं ककया जाना चाहिए।
‘कॉपोरे ट सामाजजक उत्तरदातयत्ि’ (CSR) तया है ?
कॉपोरे ट सोशल ररस्पांमसत्रबमलटी (CSR) को एक प्रबंधन अवधारर्णा िै , जजसके तित कंपतनयााँ अपने व्यवसाय मॉडल
और पदधतत में सामाजजक और पयाषवरर्ण संबंधी लाभकारी कायषिमों और प्रथाओं को उनके हितधारकों के साथ
एकीकृत करती िैं।
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भारत में CSR का वितनयमन:
वर्ष 2014 में कंपनी अधधतनयम, 2013 (कंपनी अधधतनयम) में संशोधन ककए जाने के पश्चात ्, कॉपोरे ट सोशल
ररस्पांमसत्रबमलटी (CSR) गततववधधयों की पिचान करके एक रूपरे खा तैयार करने और कंपतनयों के मलए CSR को
अतनवायष करने वाला भारत, दतु नया के पिले दे शों में से एक िै ।
‘कंपनी अधधतनयम’ के तित, कारोबाररयों दवारा अपने अजजषत लाभ को स्वास्थ्य दे खभाल, स्वच्छता, मशक्षा सहित
कौशल ववकास, पयाषवरर्णीय जस्थरता, आहद के संदभष में ग्रामीर्ण ववकास को बढ़ावा दे ने जैसे क्षेत्रों में तनवेश ककया
जा सकता िै ।
कंपनी अधधतनयम की धारा 135(1) में CSR सममतत गहठत करने िे तु कंपतनयों को धचजहनत करने के मलए सीमा-
रे खा तनधाषररत की गयी िै ; जजसके अनुसार-
1. जजन कंपतनयों की ठीक पूवव
ष ती ववत्तीय वर्ष में , सकल पररसंपवत्त 500 करोड़ रुपये या उससे अधधक िै; या
2. जजन कंपतनयों ने 1000 करोड़ रुपये या अधधक का कारोबार ककया िै ; या
3. 5 करोड़ रुपये या उससे अधधक का शद
ु ध लाभ अजजषत ककया िै , उनके मलए CSR सममतत का गठन करना
आवश्यक िोगा।
कंपनी (संशोधन) अधधतनयम, 2019 के अनुसार, ‘कॉपोरे ट सोशल ररस्पांमसत्रबमलटी’, कंपतनयों के तीन ववत्तीय वर्ष के
पूरे िोने पर लागू िोता िै ।
व्यय की जाने िाली राशश:
कंपतनयों को प्रत्येक ववत्तीय वर्ष में , तत्काल पूवव
ष ती तीन ववत्तीय वर्ों के दौरान अजजषत अपने औसत शुदध लाभ
का कम से कम 2% ‘कॉपोरे ट सोशल ररस्पांमसत्रबमलटी’ के रूप में व्यय करना अतनवायष िै ।
जजन कंपतनयों ने 3 ववत्तीय वर्ष परू े निीं ककए िैं, उनके मलए वपछले ववत्तीय वर्ों में अजजषत औसत शद
ु ध लाभ पर
CSR की गर्णना की जाएगी।
अव्यतयत राशशयों का तनरूपर्:
• CSR गततववधध के मलए उपयोग की जाने वाली अव्यतयत रामश (Unspent Amounts) को संबंधधत ववत्तीय
वर्ष की समाजप्त के 30 हदनों के भीतर प्रावधान के तित तनधाषररत ववशेर् खाते में जमा ककया जाना
चाहिए।
• अव्यतयत रामश का उपयोग कंपनी दवारा इस तरि के अंतरर्ण की तारीख से 3 ववत्तीय वर्ों की अवधध के
भीतर ववशेर् CSR गततववधध के मलए ककया जाना चाहिए। जजसमें ववफल िोने पर, इसे कंपनी अधधतनयम की
अनुसूची VII के तित प्रावधान के अनुसार ककसी भी फंड में , जैसेकक स्वच्छ गंगा कोर्, स्वच्छ भारत कोर्,
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राित कोर् आहद में अंतररत ककया जाना चाहिए।
• कोई भी अव्यतयत रामश, जो जारी CSR गततववधध से संबंधधत निीं िै , संबंधधत ववत्तीय वर्ष के अंत के 6
मिीने की अवधध के भीतर अनुसूची VII के तित तनधाषररत तनधधयों में अंतररत की जानी चाहिए।
सामाजजक उत्तरदातयत्ि का सामररक महत्ि:
सामाजजक उत्तरदातयत्व का दो कारर्णों से सामररक मित्व िै :
• एक स्वस्थ व्यवसाय केवल स्वस्थ समाज में िी सफल िो सकता िै । अतः समाज के स्वास्थ्य को मजबत
ू
करने वाली वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करना, कंपनी के सवोत्तम हित में िोता िै ।
• यहद कोई कंपनी दीघाषवधध के मलए सफल िोना चािती िै , तो उसे कंपनी के पररचालन से प्रभाववत िोने
वाले सामाजजक कताषओं से स्वीकृतत, या पररचालन के मलए लाइसेंस की आवश्यकता िोती िै ।
इंस्टा जजज्ञास:ु तया आप इंजेती श्रीतनवास सममतत (Injeti Srinivas's Committee) के बारे में जानते िैं?
स्रोत: द हिंद।ू
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विषय:स्वास्थ्य, मशक्षा, मानव संसाधनों से संबंधधत सामाजजक क्षेत्र/सेवाओं के ववकास और प्रबंधन से संबंधधत
ववर्य।
1. शमशन इन्द्रिनष
ु 3.0
संदभभ: िाल िी में , 29 राज्यों / केंद्र शामसत प्रदे शों के 250 जजलों में तनयममत टीकाकरर्ण कायषिमों के तित गभषवती
महिलाओं और टीकाकरर्ण से चूकने वाले बच्चों तक पिुंचने के मलए, ‘गिन ममशन इंद्रधनुर्’ 3.0 (Intensified
Mission Indradhanush – IMI 3.0) के 15 हदवसीय दो दौर आयोजजत ककए गए थे।
• गिन ममशन इंद्रधनुर् (IMI) 3.0 के दौरान लगभग 9.5 लाख बच्चों और 2.2 लाख गभषवती महिलाओं का
टीकाकरर्ण ककया जा चक
ु ा िै ।
• ववमभन्न राज्यों और केंद्र शामसत प्रदे शों में ‘गिन ममशन इंद्रधनुर् 3.0’ का कायाषन्वयन शुरू ककया जा चुका
िै ।
गहन शमशन इंद्रिनष
ु (IMI) 3.0 के बारे में :
गिन ममशन इंद्रधनुर् (आईएमआई) 3.0, तनयममत टीकाकरर्ण कायषिम से वंधचत या छूट गए बच्चों और गभषवती
महिलाओं तक पिुंचने के मलए एक अमभयान िै ।
• इसका उददे श्य ममशन मोड में िस्तक्षेप के माध्यम से बच्चों और गभषवती महिलाओं के पूर्णष टीकाकरर्ण
में तेजी लाना िै ।
• इसका पिला चरर्ण 22 फरवरी 2021 से 15 हदनों के मलए शरू
ु ककया गया िै ।
• यि अमभयान दे श के 29 राज्यों/ केंद्र शामसत प्रदे शों में पूवष धचजन्ित 250 जजलों/शिरी क्षेत्रों में चलाया जा
रिा िै ।
• इसके तित, कोववड-19 के दौरान टीके की खरु ाक से वंधचत रि गए प्रवासी व्यजततयों और दग
ु म
ष क्षेत्रों के
लाभाधथषयों तक पिुंचने का लक्ष्य रखा गया िै ।
जजलों का िगीकरर्:
आईएमआई 3.0 के मलए जारी हदशातनदे शों के अनुसार जजलों को कम जोखखम वाले 313, मध्यम जोखखम वाले
152 और सबसे ज्यादा जोखखम वाले 250 जजलों में वगीकृत ककया गया िै ।
‘शमशन इंद्रिनष
ु ’ तया है ?
'ममशन इंद्रधनुर्' की शुरुआत भारत सरकार दवारा हदसंबर 2014 में की गई थी।
ममशन इंद्रधनुर् का अंततम लक्ष्य दो साल तक के बच्चों और गभषवती महिलाओं के मलए सभी उपलब्ध टीकों के
साथ पूर्णष टीकाकरर्ण सतु नजश्चत करना िै ।
गहन शमशन इन्द्रिनुष (IMI):
टीकाकरर्ण कायषिम को और तीव्र करने िे त,ु 8 अतटूबर, 2017 को गहन इन्द्रिनष
ु शमशन (Intensified Mission
Indradhanush- IMI) शुरू ककया गया था।
• इसका लक्ष्य, दो वर्ष तक की आयु तक के उन बच्चों और गभषवती महिलाओं तक पिुंचने का िै जो
तनयममत टीकाकरर्ण कायषिम से वंधचत रि गए या छूट गए िैं।
• इस ववशेर् अमभयान के तित, हदसंबर 2018 तक 90% से अधधक पूर्णष टीकाकरर्ण सुतनजश्चत करने िे तु
चुतनंदा जजलों और शिरों में टीकाकरर्ण कवरे ज में सध
ु ार करने पर ध्यान केंहद्रत ककया गया था।
गहन शमशन इंद्रिनुष (आईएमआई) 2.0:
'इंटेंमसफाइड ममशन इन्द्रधनर्
ु 2.0' का आरं भ 31 अतटूबर, 2019 को ककया गया था।
• इसका उददे श्य यि सतु नजश्चत करना था, कक दे श में एक भी बच्चा टीकाकरर्ण से निीं छूटे ।
• इसके तित "कम" टीकाकरर्ण वाले क्षेत्रों में कवरे ज के सुधार पर ववशेर् ध्यान हदया गया था।
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• 'आईएमआई 2.0' के माध्यम से, स्वास्थ्य मंत्रालय
का लक्ष्य दे श के 271 जजलों में , दो साल से कम
उम्र के प्रत्येक बच्चे और सभी गभषवती महिलाओं
- अभी भी कवर निीं िैं/आंमशक रूप से कवर िैं-
तक पिुंचना था।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ममशन इन्द्रधनुर् के बारे में
2. गिन इन्द्रधनर्
ु ममशन तया िै ?
3. आईएमआई 3.0 तया िै?
4. इन ममशनों के तित लक्ष्य
5. कवरे ज
में स शलंक: ममशन इन्द्रधनुर् के मित्व पर चचाष कीजजए।
स्रोत: पीआईबी।
2. पोषर् रै कर
संदभभ: महिला एवं बाल ववकास मंत्रालय दवारा ‘पोर्र्ण रै कर’ (Poshan or Nutrition Tracker) पर 1,000 करोड़ रुपये
से अधधक खचष ककए गए िैं। यि ‘पोर्र्ण रै कर’ प्रत्येक आंगनवाड़ी में कुपोवर्त और 'गंभीर तीव्र कुपोवर्त' बच्चों पर
रीयल-टाइम डेटा ररकॉडष करता िै , ककं तु इसके लॉन्च िोने के चार साल बाद भी सरकार ने इसके डेटा को सावषजतनक
निीं ककया िै ।
संबंधित धचंताएं: सरकारी अधधकाररयों ने डेटा को ताले-चाबी के भीतर रखने के कारर्ण के रूप में गोपनीयता संबंधी
धचंताओं का िवाला हदया िै, लेककन ववशेर्ज्ञों का किना िै , कक इन आंकड़ों को आसानी से ‘त्रबना ककसी नाम के’
जारी ककया जा सकता िै , जैसा कक कई अन्य सरकारी योजनाओं के डेटा के मामले में ककया जाता िै ।
‘पोषर् रै कर’ के बारे में :
‘पोर्र्ण रै कर’ (Poshan Tracker) को इसके पूवष संस्करर्ण में ‘एकीकृत बाल ववकास सेवाएं-सामान्य अनप्र
ु योग
सॉफ्टवेयर’ (Integrated Child Development Services-Common Application Software: ICDS-CAS) के रूप में जाना
जाता था, जजसे आंगनवाडड़यों के माध्यम से ववतररत की जाने ववमभन्न सेवाओं को रै क करने और इनमे सध
ु ार
करने तथा लाभाधथषयों के पोर्र्ण प्रबंधन को सुतनजश्चत करने के उददे श्य से तैयार ककया गया था।
यि ररयल टाइम तनगरानी प्रर्णाली, नवंबर 2017 में तीन वर्ष की अवधध के मलए 9,000 करोड़ रुपये के ववत्तीय
पररव्यय के साथ केंद्रीय मंत्रत्रमंडल दवारा अनुमोहदत पोर्र्ण अमभयान के प्रमख
ु स्तंभों में से एक िै ।
पोषर् अशभयान के बारे में :
पोर्र्ण अमभयान (Poshan Abhiyaan) कायषिम का उददे श्य बच्चों, गभषवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली
माताओं के मलए पोर्र्ण संबध
ं ी पररर्णामों में सध
ु ार करना िै ।
वर्ष 2018 में महिला एवं बाल ववकास मंत्रालय ने दे शभर में कुपोर्र्ण की समस्या को संबोधधत करने िे तु पोर्र्ण
अमभयान की शरु
ु आत की थी। इसके तित, वर्ष 2022 तक िामसल ककए जाने वाले ववमशष्ट्ट लक्ष्यों को तनधाषररत
ककया गया था।
उद्दे श्य एिं लक्ष्य:
• 0-6 वर्ष के बच्चों में हठगनेपन से बचाव एवं इसमें प्रतत वर्ष 2% (2022 तक कुल 6%) की दर से कमी
लाना।
• 15 से 49 वर्ष की ककशोररयों, गभषवती एवं धात्री (स्तनपान कराने वाली) माताओं में रतताल्पता के प्रसार
में प्रतत वर्ष 3% की दर से (कुल 9%) कमी लाना।
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शमशन का लक्ष्य:
वर्ष 2022 तक 0-6 आयु वगष के बच्चों में हठगनेपन को 38.4% से घटाकर 25% करना।
पष्ट्ृ ठभशू म:
दे श में पांच साल से कम उम्र के एक ततिाई से अधधक बच्चे हठगनेपन (Stunting) और दब
ु ल
ष ता (Wasting) से
ग्रमसत िैं और एक से चार वर्ष की आयु के 40% बच्चे रतताल्पता (एनीममक) से पीडड़त िैं। वर्ष 2016 में जारी
‘राष्ट्रीय पररवार स्वास्थ्य’ सवेक्षर्ण 4 के अनुसार, 50% से अधधक गभषवती और अन्य महिलाएं रतताल्पता से पीडड़त
पाई गईं।
स्रोत: द हिंद।ू
3. पोषर् अशभयान
संदभभ: केंद्र सरकार ने लोकसभा को सूधचत करते िुए बताया िै , कक राज्य सरकारों और केंद्र शामसत प्रदे शों ने
वपछले तीन वर्ों में ‘पोर्र्ण अमभयान’ (Poshan Abhiyan) या ‘पोर्र्ण ममशन’ के तित जारी कुल धनरामश का केवल
56% उपयोग ककया िै ।
• ववत्तीय वर्ष 2019 से 2021 के बीच केंद्र दवारा ववतररत कुल ₹5,312 करोड़ की रामश में से ₹2,985 करोड़
की रामश का उपयोग ककया गया।
• दे श में "गंभीर रूप से कुपोवर्त" (Severe Acute Malnourished) बच्चों की संख्या 15 लाख से कम िो गई
िै ।
पोषर् अशभयान के बारे में :
• इस कायषिम को बच्चों, गभभिती मदहलाओं और स्तनपान कराने िाली माताओं के मलए पोर्र्ण पररर्णामों
में सुधार करने िे तु शरू
ु ककया गया िै ।
• इस कायषिम को वर्ष 2022 तक पूरे ककये जाने वाले ववमशष्ट्ट लक्ष्यों सहित वर्ष 2018 में आरं भ ककया गया
था।
कायभक्रम का उद्दे श्य:
• बच्चों में नाटे पन और दब
ु ल
ष ता में प्रततवर्ष 2% (वर्ष 2022 तक कुल 6%) की कमी करना।
• बच्चों, ककशोररयों और गभषवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं में प्रतत वर्ष 3% (वर्ष 2022
तक कुल 9%) रतत-अल्पता को कम करना।
इस ममशन का लक्ष्य वर्ष 2022 तक 0-6 साल आयु वगष के बच्चों में नाटे पन को 38.4% से 25% तक कम करना
िै ।
पष्ट्ृ ठभूशम:
पांच साल के कम आयु के एक ततिाई से अधधक बच्चे नाटे पन और दब
ु ल
ष ता, तथा एक से चार आयु वगष के 40%
बच्चे रतत-अल्पता से ग्रमसत िैं। वर्ष 2016 में जारी ककये गए राष्ट्रीय पररवार स्वास्थ्य सवेक्षर्ण 4 के अनस
ु ार,
50% से अधधक गभषवती और अन्य महिलाओं में रतत-अल्पता पायी गयी।
नीतत आयोग द्िारा ददए गए सुझाि:
• केंद्र दवारा वर्ष 2022 तक नाटे पन, दब
ु ल
ष ता और रतत-अल्पता को कम करने िे तु तनधाषररत लक्ष्यों को परू ा
करने के मलए इस कायषिम को आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
• एक पोषर् प्लस रर्नीतत के मलए, अमभयान में चार प्रमुख स्तम्भों को सशतत बनाने के साथ िी
NHM/ICDS ववतरर्ण तंत्र संबध
ं ी की चुनौततयों को दरू करने के अलावा अन्य सामाजजक तनधाषरकों पर भी
नए मसरे से ध्यान केंहद्रत करने की आवश्यकता िै ।
• स्तनपान के साथ-साथ परू क आिार प्रदान ककये जाने पर भी जोर हदया जाए। इससे भारत में नाटे पन के
कुल मामलों में 60% से अधधक कमी की जा सकती िै।
4. बिभ फलू
संदभभ: िाल िी में , केरल के कुट्टनाड क्षेत्र में ‘बडष फ्लू’ (Bird
Flu) के ताजा मामलों की पुजष्ट्ट िुई िै । प्रभाववत क्षेत्रों में
पक्षक्षयों को पकड़ने के मलए प्रततकिया दल गहठत ककए गए
िैं।
जांच िे तु मलए गए नमन
ू ों में H5N1 इन्फ्लए
ू ंजा वायरस पाया
गया िै ।
बिभ फ्लू के बारे में :
इसे एववयन इन्फ्लूएंजा (Avian influenza-AI) भी किा जाता
िै । यि ववश्व भर में वन्य पक्षक्षयों में प्राकृततक रूप से पाए
जाने वाले ‘एववयन इन्फ्लए
ू ंजा टाइप ए’ वायरस के कारर्ण
िोने वाली बीमारी िै ।
इससे संिममत िोने पर, िल्के से लेकर गंभीर इन्फ्लूएंजा
जैसी बीमारी तक के लक्षर्ण हदखाई दे ते िैं।
िगीकरर्: ‘इन्फ्लूएंजा ए’ वायरस को दो प्रकार के प्रोटीन
‘िे माग्लगुहटतनन’ (Hemagglutinin- HA) और ‘न्यूरोममतनडेस’
(Neuraminidase- NA) के आधार पर उप-प्रकारों में वगीकृत ककया जाता िै ।
• इसके लगभग 18 HA उपप्रकार और 11 NA उपप्रकार पाए जाते िैं।
• इन दोनों प्रोटीनों के कई संयोजन संभव िैं जैसे, H5N1, H7N2, H9N6, H17N10, आहद।
संचरर्:
• िाल िी में , मनुष्ट्यों में एववयन और स्वाइन इन्फ्लूएंजा के संिमर्ण की खबरें आई िैं।
• इनका संिमर्ण काफी घातक िोता िै , तयोंकक इसमें मत्ृ यु दर लगभग 60% तक िोती िै ।
• इस वायरस के संचरर्ण का सबसे आम माध्यम सीधा संपकष िोता िै । संिममत पोल्री के समीप दवू र्त
जगिों या िवा के संपकष में आने से भी मनुष्ट्य इस वायरस से संिममत िो सकता िै ।
तया यह िायरस, इंसानों में रांसफर हो सकता है ?
अब तक मनुष्ट्यों में H5N8 ववर्ार्णु संिमर्ण के मामले निीं पाए गए िै । आम जनता के मलए इसके संिमर्ण का
जोखखम काफी कम िै ।
महत्ि:
• ARIIA रैंककं ग, भारतीय संस्थानों को उच्च गुर्णवत्ता वाले अनुसंधान, नवाचार और उदयममता को प्रोत्साहित
करने िे त,ु अपनी मानमसकता का पन
ु : अमभमख
ु ीकरर्ण करने और पाररतंत्र का तनमाषर्ण करने के मलए प्रेररत
करे गी।
• ARIIA में नवाचारों की मात्रा की अपेक्षा गर्ण
ु वत्ता पर ध्यान केंहद्रत ककया जाता िै और इसमें राष्ट्रीय और
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन नवाचारों के वास्तववक प्रभाव को मापने का प्रयास ककया जाता िै ।
• ARIIA रैंककं ग संस्थानों के मलए भववष्ट्य के ववकास के मलए उन्िें ववश्व स्तर पर प्रततस्पधी और नवाचार के
मामले में अग्रर्णी बनाने के मलए गतत और हदशा भी तनधाषररत करे गी।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप डडजजटल हदशा (Digital Disha) कायषिम के बारे में जानते िैं? इसे कब लॉन्च ककया गया
था? इसके उददे श्य तया थे?
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘अटल नवाचार रैंककं ग’ ककसके दवारा जारी की जाती िै?
2. रैंककं ग पैरामीटर
3. श्रेखर्णयााँ।
4. ववमभन्न श्रेखर्णयों में सवषश्रेष्ट्ठ प्रदशषन करने वाले संस्थान।
में स शलंक: ‘अटल नवाचार उपलजब्ध संस्थान रैंककं ग’ के मित्व पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
भारत की धचंताएं:
• यि गमलयारा ‘पाककस्तान अधधकृत कश्मीर’ (POK) के धगलधगत-बाजल्टस्तान और पाककस्तान के वववाहदत
क्षेत्र बलधू चस्तान से िोते िुए गुजरे गा।
• यि पररयोजना पाककस्तान अधधकृत कश्मीर पर भारतीय संप्रुभता के मलए नक
ु सानदे य सात्रबत िोगी l
• CPEC, ग्वादर बंदरगाि के माध्यम से अपनी आपूततष लाइनों को सुरक्षक्षत और छोटा करने के साथ-साथ
हिंद मिासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ाने संबंधी चीनी योजना पर आधाररत िै । अतः यि माना जाता िै
कक CPEC के पररर्णामस्वरूप हिंद मिासागर में चीनी मौजद
ू गी भारत के प्रभाव पर नकारात्मक प्रभाव
डालेगी।
• यातायात और ऊजाष की ममली-जुली इस पररयोजना के तित समुद्र में बंदरगाि को ववकमसत ककए जाएंगे,
जजससे भारतीय हिंद मिासागर तक चीन की पिुंच का रास्ता खल ु ेगाl ग्वादर, बलधू चस्तान के अरब सागर
तट पर जस्थत िै l पाककस्तान के दक्षक्षर्ण-पजश्चम का यि हिस्सा दशकों से अलगाववादी ववद्रोि का मशकार
िै l
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इंस्टा जजज्ञासु:
तया आप जानते िैं कक ‘पाक अधधकृत कश्मीर’ (PoK) में िोने वाले चुनावों में शरर्णाधथषयों के मलए 12 सीटें आरक्षक्षत
िैं? स्रोत: द हिंद।ू
4. इंिो-पैशसकफक क्षेत्र
संदभभ: िाल िी में , अमेररकी ववदे श मंत्री एंटनी जब्लंकन ने किा िै कक भारत-प्रशांत (Indo-Pacific) क्षेत्र में चीन की
बढ़ती िठधममषता के खखलाफ संयुतत राज्य अमेररका, एमशया में भागीदारों के साथ अपने सैन्य और आधथषक संबंधों
का ववस्तार करे गा।
‘इंिो-पैशसकफक’ तया है ?
एकल रर्णनीततक क्षेत्र के रूप में ‘इंिो-पैशसकफक’ (Indo- Pacific) की अवधारर्णा, हिंद मिासागर क्षेत्र में चीन के
बढ़ते प्रभाव के पररर्णाम िै । यि, हिंद मिासागर और प्रशांत मिासागर के मध्य परस्पर संपकष तथा सुरक्षा और
वाखर्णज्य के मलए मिासागरों के मित्व का प्रतीक िै ।
‘इंिो-पैशसकफक क्षेत्र’ का महत्ि:
1. क्षेत्रीय संतुलन को बनाए रखने िे तु।
2. भारत की रर्णनीततक जस्थतत में बढ़त के मलए, अमेररका के साथ मजबूत संबंधों को एक मित्वपूर्णष उपकरर्ण
के रूप में दे खा जाता िै ।
3. राष्ट्रीय हितों के मलए दीघषकामलक पररकल्पना।
4. हिंद मिासागर क्षेत्र में चीन की तेजी से बढ़ती उपजस्थतत, व्यापार और सेना के माध्यम से एमशया त्तथा
उससे आगे भूराजनीततक पिुंच का ववस्तार करने के चीनी प्रयास।
5. नौ-पररविन की स्वतंत्रता, क़ानून-आधाररत व्यवस्था का पालन करने तथा व्यापार िे तु सुव्यवजस्थत मािौल
का तनमाषर्ण करने िे तु।
6. मुतत समद्र
ु एवं मत
ु त िवाई मागो तथा कनेजतटववटी के मलए; और अंतरराष्ट्रीय तनयमों और मानकों को
बनाए रखने के मलए।
भारत के शलए ‘इंिो-पैशसकफक क्षेत्र’ की भूशमका एिं तनदहतार्भ:
• इंडो-पैमसकफक / हिंद-प्रशांत क्षेत्र, जैसा कक, राष्ट्रीय सरु क्षा रर्णनीतत में वखर्णषत िै , ववश्व के सबसे अधधक
आबादी वाले और आधथषक रूप से गततमान हिस्से का प्रतततनधधत्व करता िै । यि, भारत के पजश्चमी तट
से संयुतत राज्य के पजश्चमी तट तक ववस्तत
ृ िै ।
• भारत, सदै व से गंभीर राष्ट्रीय मित्वाकांक्षाओं वाला दे श रिा िै और "इंडो-पैमसकफक स्रै टेजी" अवधारर्णा
का सबसे मित्वपूर्णष पैरोकार िै ।
• मुतत अथषव्यवस्था के साथ, भारत, हिंद मिासागर में आने तनकटवती दे शों और ववश्व की प्रमुख समद्र
ु ी
शजततयों के साथ संबंध स्थावपत कर रिा िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘प्रशांत क्षेत्र’ के बारे में ।
2. ‘हिंद मिासागर क्षेत्र’ का अवलोकन।
3. इन क्षेत्रों में अवजस्थत मित्वपूर्णष जलडमरूमध्य,
खाडड़यााँ और मागष।
में स शलंक: भारत के मलए ‘इंडो-पैमसकफक क्षेत्र’ के सामररक
मित्व पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
6. भारत द्िारा म्यांमार में लोकतंत्र को शीघ्र बहाल ककए जाने की मांग
संदभभ: िाल िी में, भारत ने म्यांमार के सैन्य शासकों इस बात से अवगत करा हदया िै , कक वि म्यांमार में लोकतंत्र
की शीघ्र वापसी चािता िै ।
संबंधित प्रकरर्: ववरोध करने वाले नागररकों पर हिंसक कारष वाई ककए जाने के कारर्ण, म्यांमार अंतरराष्ट्रीय स्तर
पर अलग-थलग पड़ गया िै।
भारत की मांगें:
1. म्यांमार में लोकतंत्र की शीघ्राततशीघ्र वापसी;
2. हिरासत में मलए गए व्यजततयों और बंहदयों की ररिाई;
3. वाताष के जररए मुददों का समाधान;
4. सभी प्रकार की हिंसा की पर्ण
ू ष समाजप्त।
भारत के इस कदम का महत्ि:
2 फरवरी से िी, भारत दवारा म्यांमार में लोकतांत्रत्रक तत्वों के खखलाफ जारी सैन्य अमभयान पर धचंता व्यतत की
जा रिी िै । लेककन, इस िामलया बयान का अततररतत मित्व िै , तयोंकक पिली बार सरकार ने संकेत हदया िै , कक
भारत इस संकट को समाप्त करने के मलए ववमभन्न पक्षों के बीच मध्यस्थता करने के मलए तैयार िै ।
म्यांमार में हो रही हाशलया घटनाएाँ:
इसी वर्ष 1 फरवरी को, म्यांमार की सेना ने नोबेल पुरस्कार ववजेता ‘आंग सान सू की’ की लोकतांत्रत्रक रूप से चुनी
गई सरकार के खखलाफ तख्तापलट कर हदया था। सेना ने वपछले साल नवंबर में िुए चुनावों में ‘आंग सान सू की’
की सत्ताधारी पाटी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया था।
िालांकक, सेना दवारा लगाए गए इस आरोप को दे श के वपछले चन
ु ाव आयोग और अंतरराष्ट्रीय तनगरानीकताषओं ने
खाररज कर हदया िै ।
विषय:दववपक्षीय, क्षेत्रीय और वैजश्वक समूि और भारत से संबंधधत और/अथवा भारत के हितों को प्रभाववत करने
वाले करार।
1. लॉजजजस्टतस समझौते और उनके लाभ
संदभभ:
भारत सरकार दवारा शीघ्र िी रूस के साथ एक दववपक्षीय ‘लॉजजजस्टतस समझौते, पारस्पररक लॉजजजस्टतस ववतनयम
समझौता’ (Reciprocal Exchange of Logistics Agreement - RELOS) को अंततम रूप हदया जाएगा।
RELOS के बारे में :
पारस्पररक लॉजजजस्टतस ववतनयम समझौता’ (Reciprocal Exchange of Logistics Agreement - RELOS) का उददे श्य
‘लॉजजजस्टतस’ (प्रचालन-तंत्र) के अंतर-संचालन और साझा करने को बढ़ावा दे ना िै, अतः यि सैन्य क्षेत्र में संबंधों
को प्रगाढ़ करने की हदशा में मित्वपूर्णष कदम िोगा।
लंबे समय से त्रबलंत्रबत इस समझौते पर वर्ष 2019 में िस्ताक्षर ककए जाने थे, लेककन कुछ शतों को अंततम रूप
हदए जाने तक इसे टाल हदया गया था।
2. G7 समूह
संदभभ:
िाल िी में , त्रब्रटे न दवारा उत्तरी इंजग्लश शिर ‘मलवरपल
ू ’ में आयोजजत ववदे श मंत्रत्रयों की बैठक में ‘G7 समि
ू ’ दवारा
यूिेन की ओर रूसी आिामकता के खखलाफ एक संयत
ु त मोचाष बनाए जाने का प्रस्ताव ककया गया िै ।
• यि तनर्णषय, ‘G7 समूि’ की िाल िी में आयोजजत बैठक में मलया गया था। इस बैठक में अमेररकी ववदे श
मंत्री एंटनी जब्लंकन और फ्रांस, इटली, जमषनी, जापान और कनाडा के उनके समकक्षों ने भी व्यजततगत रूप
से भाग मलया था।
• यि तनर्णषय अंतरराष्ट्रीय समद
ु ाय दवारा रूस के यि
ू े न पर आिमर्ण ककए जाने की संभावना पर की जा
रिी धचंता को दे खते िुए ककया गया िै । यदयवप रूस ने ऐसे ककसी िमले की योजना से इनकार ककया िै ।
विषय:भारत के हितों पर ववकमसत तथा ववकासशील दे शों की नीततयों तथा राजनीतत का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।
1. हांगकांग का प्रशासन
संदभभ: िांगकांग के अधधकारी, अपनी बीजजंग-गठबंधन सरकार की आलोचना करने वाले सावषजतनक ववमशष पर नगर-
राज्य की पकड़ को मजबत
ू करने िे तु नए कानूनों का अनुकरर्ण कर रिे िैं।
आिश्यकता:
नगर-राज्य के तनवासी, अपने ववचारों पर खद
ु िी सेंसरमशप लगा रिे िैं, और कई लोगों को लगता िै कक उनके
शिर की प्रगततशील पिचान स्थायी रूप से खो गई िै ।
2. एस-400 और CAATSA
संदभभ: अमेररकी ववदे श ववभाग के प्रवतता ने इस बात का संकेत दे ते िुए किा कक, भले िी S-400 रायम्फ एंटी-
एयरिाफ्ट ममसाइल मसस्टम सौदे को मंजूरी निीं दी जाए, कफर भी भारत के मलए कोई आम छूट (blanket waiver)
निीं दी जाएगी, और भारत और रूस के बीच िोने वाले कोई अन्य ‘मित्वपर्ण
ू ’ष सैन्य एवं परमार्णु सौदा िोने पर
भी ‘अमेररकी प्रततदवंदववयों को प्रततबंधो के माध्यम से प्रत्युत्तर अधधतनयम‘ (Countering America’s Adversaries
Through Sanctions Act - CAATSA) के तित भारत पर अमेररकी प्रततबंध लगाए जा सकते िैं।
5. संयत
ु त अरब अमीरात का गोल्िन िीजा
संदभभ: िाल िी में , बॉलीवुड अमभनेता तुर्ार कपूर को ‘संयुतत अरब अमीरात’ (United Arab Emirates- UAE) सरकार
दवारा ‘गोल्डन वीजा’ (Golden Visa) प्रदान ककया गया िै ।
इसके साथ िी वि, ‘संयुतत अरब अमीरात’ में 10 साल के मलए तनवास-परममट पाने वाले मोिनलाल और शािरुख
खान सहित भारतीय कफल्म मसतारों की सच
ू ी में शाममल िो गए िैं।
‘गोल्िन िीजा’ तया है ?
वर्ष 2019 में , संयुतत अरब अमीरात (UAE) दवारा ‘दीघषकामलक तनवास वीजा’ जारी करने के मलए एक नई प्रर्णाली
लागू की गयी थी, जजसके तित ववदे शी नागररकों को, त्रबना ककसी स्थानीय प्रायोजक के ‘संयत
ु त अरब अमीरात’
में रिने, काम करने और अध्ययन करने की सुववधा प्रदान की जाती िै । इसके अलावा, इस नई व्यवस्था के तित
ववदे शी नागररकों को 100 प्रततशत स्वाममत्व के साथ अपना व्यवसाय करने की भी सुववधा उपलब्ध िोती िै ।
‘गोल्िन िीजा’ के तहत ददए जाने िाले प्रस्ताि:
गोल्डन वीजा प्रर्णाली, मुख्यतः तनवेशक, उदयमी, उत्कृष्ट्ट प्रततभा वाले व्यजतत जैसे शोधकताष, धचककत्सा पेशेवर,
ववज्ञान एवं अन्य ज्ञान-क्षेत्रों से संबंधधत व्यजतत तथा असाधारर्ण छात्र समह
ू ों से संबंधित व्यजततयों को दीघभकाशलक
तनिास (5 और 10 िषभ) के शलए अिसर प्रदान करती िै ।
इंस्टा जजज्ञास:ु तया आप प्रथम ‘ववश्व सौर प्रौदयोधगकी मशखर सम्मेलन’ के बारे में जानते िैं?
स्रोत: द हिंद।ू
6. संयत
ु त राष्ट्र शरर्ार्ी उच्चायोग (UNHCR)
संदभभ:
िाल िी में , वोडाफोन दवारा ववश्व के पिले ‘शॉटष मेसेज सववषस’ अथाषत एसएमएस (SMS) को एक गैर-प्रततमोच्य
टोकन (Non-Fungible Token - NFT) के रूप में नीलाम करने की घोर्र्णा की गयी थी। कंपनी के अनुसार, अब
एक बोली लगाने वाले ने ‘शॉटष मेसेज’ के पिले ‘संचार प्रोटोकॉल की प्रततकृतत’ के मलए 107,000 यूरो का भग
ु तान
ककया िै । इस प्रततकृतत को ‘गैर-प्रततमोच्य टोकन’ (NFT) के रूप में रखा जाएगा, अथाषत इसे ककसी अन्य को बेचा
या िस्तांतररत निीं ककया जाएगा।
महत्ि:
त्रब्रतस समूि में ववश्व के पांच सबसे बड़े ववकासशील दे श शाममल िैं। यि समूि वैजश्वक आबादी का 41%, वैजश्वक
सकल घरे लू उत्पाद का 24% और वैजश्वक व्यापार का 16% प्रतततनधधत्व करता िै।
प्रीशलम्स शलंक:
1. न्यू डेवलपमें ट बैंक (NDB) - सदस्य और मतदान शजततयााँ।
2. NDB दवारा किां तनवेश ककया जा सकता िै?
3. भारत में NDB दवारा ववत्त पोवर्त पररयोजनाएं कौन सी िैं?
4. फोटाषलेजा घोर्र्णा ककससे संबंधधत िै ?
5. NDB की स्थापना कब की गई थी?
6. NDB बनाम World Bank बनाम AIIB
में स शलंक: न्यू डेवलपमें ट बैंक (NDB) के उददे श्यों और मित्व पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
2. ‘गैर-बैंककं ग वित्तीय कंपतनयों’ के शलए संशोधित त्िररत सुिारात्मक कारभ िाई फ्रेमिकभ
संदभभ:
िाल िी में , भारतीय ररजवष बैंक (RBI) दवारा ‘गैर-बैंककं ग ववत्तीय कंपतनयों’ (NBFC) के मलए ‘त्वररत सुधारात्मक
कारष वाई’ (Prompt Corrective Action - PCA) फ्रेमवकष जारी ककया िै ।
NBFC के मलए PCA फ्रेमवकष, उनकी ववत्तीय जस्थतत के आधार पर 31 माचष को या उसके बाद 1 अतटूबर, 2022 से
प्रभावी िोगा।
महत्ि:
‘टोकनकृत काडष’ (Tokenised Card) से लेनदे न को सुरक्षक्षत माना जाता िै , तयोंकक इसमें लेनदे न प्रिमर्ण के दौरान
‘वास्तववक काडष’ के वववरर्ण को व्यापारी के साथ साझा निीं ककया जाता िै ।
जजन ग्रािकों के पास ‘टोकनाइजेशन’ की सुववधा निीं िै , उन्िें िर बार ऑनलाइन ऑडषर करने पर अपना नाम, 16
अंकों का काडष नंबर, समाजप्त ततधथ और CVV दजष करना िोगा। और यि काफी बोखझल प्रकिया िो जाती िै ।
विषय:उदारीकरर्ण का अथषव्यवस्था पर प्रभाव, औदयोधगक नीतत में पररवतषन तथा औदयोधगक ववकास पर इनका
प्रभाव।
1. अमेजन- फ्यूचर ग्रुप सौदा
संदभभ:
िाल िी में , भारतीय प्रततस्पधाष आयोग (CCI) ने फ्यच
ू र
ग्रुप की इकाई में ‘अमेज़ॅन’ को तनवेश करने िे तु नवंबर
2019 में दी गई अपनी मंजूरी पर रोक लगा दी िै । यि
रोक, अमेररकी ई-कॉमसष कंपनी ‘अमेज़ॅन’ दवारा तनयामक
से अनुमोदन की मांग करते समय, इसके दवारा ककए
जाने वाले तनवेश के दायरे और पूर्णष वववरर्ण को उजागर
निीं करने के आधार पर लगायी गयी िै । इसके अलावा,
भारतीय प्रततस्पधाष आयोग ने ‘अमेज़ॅन’ पर कई जुमाषने
भी लगा हदए िैं।
तनदहतार्भ:
अमेज़ॅन दवारा ‘फ्यूचर ग्रुप’ के ररलायंस इंडस्रीज को
अपनी खद
ु रा संपवत्त बेचने संबंधी वर्ष 2020 के फैसले पर
रोक लगाने की मांग की जा रिी िै , ‘भारतीय प्रततस्पधाष
आयोग’ के िामलया तनर्णषय से इस सौदे से संबधं धत कानन
ू ी
पररदृश्य और पेचीदा िो जाएगा।
संबंधित प्रकरर्:
(नोट: मामले का केवल संक्षक्षप्त अवलोकन करें । परीक्षा के दृजष्ट्टकोर्ण से इस मामले के बारे में कोई वववरर्ण
आवश्यक निीं िै ।)
विषय:ववज्ञान एवं प्रौदयोधगकी- ववकास एवं अनुप्रयोग और रोजमराष के जीवन पर इसका प्रभाव। ववज्ञान एवं
प्रौदयोधगकी में भारतीयों की उपलजब्धयााँ; दे शज रूप से प्रौदयोधगकी का ववकास और नई प्रौदयोधगकी का ववकास।
1. हाइपरसोतनक हधर्यार
संदभभ: िाल िी में , अमेररका ने किा िै , कक चीन दवारा ‘िाइपरसोतनक िधथयारों’ (Hypersonic Weapons) का
अनुसरर्ण ककए जाने से "क्षेत्र में तनाव बढ़ रिा िै " और अमेररका ने चीन दवारा उत्पन्न संभाववत खतरों को रोकने
के मलए अपनी क्षमताओं को बनाए रखने का प्रर्ण ककया िै ।
संबंधित प्रकरर्:
चीन की बढ़ती सैन्य ताकत, और एमशया में अमेररकी प्रभुत्व को समाप्त करने संबंधी चीन के अमभयान ने
वामशंगटन में बेचैनी पैदा कर दी िै ।
अपनी सैन्य क्षमताओं को तेजी से बढाने संबंधी चीन के प्रयास, जल
ु ाई में एक ‘िाइपरसोतनक िधथयार’ के परीक्षर्ण
से उजागर िो गए थे। यि अस्त्र, वायुमंडल में पुन: प्रवेश करने और अपने लक्ष्य पर मार करने के मलए एक
गततशील पथ पर ग्लाइडडंग करने से पिले आंमशक रूप से पथ्
ृ वी की पररिमा करने में सक्षम था।
धचंता:
ववशेर्ज्ञों का किना िै कक यि िधथयार प्रर्णाली स्पष्ट्ट रूप से अमेररकी ममसाइल रक्षा से बचने के उददे श्य से तैयार
की गई िै । जबकक, चीन का किना िै कक, उसने ममसाइल का निीं बजल्क एक पन
ु : प्रयोज्य अंतररक्ष वािन का
परीक्षर्ण ककया िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. HSTDV को ककसके दवारा ववकमसत ककया गया िै ?
2. िाइपरसोतनक तकनीक का सफल परीक्षर्ण करने वाले दे श
3. स्िैमजेट तया िै?
4. ICBM तया िैं?
5. िूज ममसाइल तया िैं?
6. बैमलजस्टक ममसाइलें तया िैं?
में स शलंक: िाइपरसोतनक प्रौदयोधगकी प्रदशषन वािन (HSTDV) के सफल परीक्षर्ण का भारत के मलए तया मित्व िै ?
चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू
3. एकीकृत भग
ु तान इंटरफेस
संदभभ:
शीघ्र िी, फीचर फोन यूजसष के मलए UPI सुववधा का ववस्तार ककया जाएगा। कफलिाल, एकीकृत भुगतान इंटरफेस’
या ‘यूतनफाइड पेमेंट्स इंटरफेस’ (UPI) - छोटे मल्
ू य के भुगतान लेनदे न के संदभष मामले में दे श में सबसे बड़ा
खुदरा भुगतान प्रर्णाली िै और केवल स्माटषफोन उपयोगकताषओं के मलए उपलब्ध िै ।
5. तिांटम उलझन
संदभभ: िाल के एक अध्ययन में वैज्ञातनकों ने इततिास के पिले 'तवांटम रूप
से उलझे िुए' (Quantum Entangled) जानवर – ‘टाडडषग्रड
े ’ (Tardigrade) की
पिचान की िै , जोकक जमा िुआ िै ।
यि जमा िुआ (Frozen) टाडडषग्रेड, एक सूक्ष्म बिुकोमशकीय जीव िै । इस
जीव को ‘किप्टोबायोमसस’ (Cryptobiosis) के रूप में ज्ञात जीवन की एक
गप्ु त अवस्था के माध्यम से अत्यधधक भौततक-रासायतनक जस्थततयों को
सिन करने के मलए जाना जाता िै ।
2. 5 जी टे तनोलॉजी
संदभभ: िाल िी में जारी 'एररतसन मोत्रबमलटी ररपोटष ' के अनस
ु ार:
• वर्ष 2027 के अंत तक भारत में पांचवीं पीढ़ी की दरू संचार सेवाओं के मोबाइल सेवा उपयोगकताषओं की
संख्या 39% या लगभग 500 मममलयन िोने की संभावना िै ।
• वर्ष 2021 के अंत तक स्माटष फोन उपयोगकताषओं की कुल संख्या 810 मममलयन िोने की उम्मीद िै और
वर्ष 2027 तक 7% की चिवद
ृ धध वावर्षक वद
ृ धध दर से बढ़कर 1.2 त्रबमलयन से अधधक िोने का अनुमान
िै ।
• 2021 में , 68% व्यजतत 4G सेवा का उपयोग करते िै , मोबाइल सेवा उपयोगकताषओं के 5G सेवा अपनाने की
वजि से वर्ष 2027 में इनकी संख्या 55% रि जाने की उम्मीद िै ।
5G तया है ?
5G तकनीक, मोबाइल ब्रॉडबैंड की अगली पीढ़ी िै । यि तकनीक अंततः 4G LTE कनेतशन को प्रततस्थावपत करे गी
या इसमें मित्वपूर्णष वद
ृ धध करे गी।
5G तकनीक की विशेषताएं और लाभ:
1. यि तकनीक, ‘ममलीमीटर वेव स्पेतरम’ (30-300 गीगािट्षज) पर कायष करती िै , जजसके दवारा काफी बड़ी
मात्रा में डेटा को बिुत तेज गतत से भेजा जा सकता िै ।
2. 5G तकनीक, तीन बैंड्स अथाषत ् तनम्न, मध्य और उच्च आववृ त्त स्पेतरम में काम करती िै ।
3. मल्टी-जीबीपीएस रान्सफर रे ट तथा अत्याधधक कम ववलंबता (ultra-low latency), 5G तकनीक, इंटरनेट
ऑफ धथंग्स (IoT), और कृत्रत्रम बद
ु धधमत्ता की ताकत का उपयोग करने वाली एप्लीकेशंस का समथषन करे गी।
4. 5G नेटवकष की बढ़ी िुई क्षमता, लोड स्पाइतस के प्रभाव को कम कर सकती िै , जैसे कक खेल आयोजनों
और समाचार कायषिमों के दौरान िोती िै ।
कायभ-योजना:
‘DART’ अंतररक्ष यान, डडमोफोस’ मूनलेट तक यात्रा करे गा और लगभग 6.6 ककलोमीटर प्रतत सेकंड या 24,000
ककलोमीटर प्रतत घंटे की गतत से उससे टकराएगा। यि टकराव 26 मसतंबर से 1 अतटूबर 2022 के बीच िोने की
संभवना िै ।
इंस्टा जजज्ञास:ु संभाववत खतरनाक क्षुद्रग्रि (Potentially Hazardous Asteroids - PHAs) तया िैं?
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।
10. ररजिभ बैंक द्िारा कक्रप्टोकरें सी पर पूर्भ प्रततबंि लगाए जाने का विचार
संदभभ: वर्ष 2013 में किसमस की पूवष संध्या पर, भारतीय ररजवष बैंक (RBI) ने भारतीयों को किप्टोकरें सी
(Cryptocurrency) के ववत्तीय, कानूनी और सुरक्षा जोखखमों के बारे में चेतावनी दे ते िुए एक नोट जारी ककया गया
था। आरबीआई की यि चेतावनी, दतु नया की पिली किप्टोकरें सी ‘त्रबटकॉइन’ के लॉन्च िोने के चार साल बाद जारी
की गयी थी। आठ साल बाद, किप्टोकरें सी को लेकर ‘केंद्रीय बैंक’ का ववरोध और मजबत
ू िो गया िै ।
11. जीआई टै ग
संदभभ: िाल िी में एक फमष, ‘जीत जीरो प्रोड्यस
ू र कंपनी मलममटे ड’ दवारा ‘अरुर्णाचल
प्रदे श अपतानी वस्त्र उत्पादों’ उत्पाद के मलये ‘भौगोमलक संकेतक (जीआई) टै ग’
(Geographical Indication - GI tag) हदए जाने िे तु आवेदन ककया गया िै ।
अपतानी बुनाई:
• ‘अपतानी बुनाई’ (Apatani weave) का कायष अरुर्णाचल प्रदे श के लोअर सुबनमसरी जजले के मुख्यालय जीरो
वैली में तनवास करने वाली ‘अपतानी जनजातत’ (Apatani Tribe) दवारा ककया जाता िै ।
• इस जनजातत के लोगों दवारा बुना गया कपड़ा अपने ज्याममतीय और जजगजैग पैटनष तथा कोर्णीय डडजाइनों
के मलए भी जाना जाता िै ।
• यि जनजातत मख्
ु य रूप से जजग जीरो और जजलान या जैकेट के रूप में जानी जाने वाली शॉल बन
ु ती िै
जजसे सुपुंतरी (Supuntari) किा जाता िै ।
• यिााँ के लोग अपने पारं पररक तरीकों से कपास के धागों को जैववक रूप से रं गने के मलए ववमभन्न पवत्तयों
और पौधों जैसे संसाधनों का उपयोग करते िैं। केवल महिलाएाँ िी इस पारं पररक बुनाई कायष में लगी िुई
िैं।
‘जीआई टै ग’ के बारे में :
• भौगोमलक संकेतक (Geographical Indication - GI), मुख्यतः, ककसी एक विशशष्ट्ट भौगोशलक क्षेत्र में उत्पाददत,
कृवष, प्राकृततक अर्िा तनशमभत उत्पाद (िस्तमशल्प और औदयोधगक वस्तए
ु ं) िोते िैं।
• आमतौर पर, इन उत्पादों का नाम गुर्णवत्ता और ववमशष्ट्टता का आश्वासन दे ता िै , जोकक वास्तव में इनकी
उत्पवत्त-स्थान ववशेर्ता को अमभव्यतत करता िै ।
‘जीआई टै ग’ के लाभ:
एक बार जीआई सुरक्षा प्रदान ककये जाने के बाद, ककसी अन्य तनमाषता दवारा इससे ममलते-जुलते उत्पादों को बाजार
में लाने के मलए, इनके नाम का दरु
ु पयोग निीं ककया जा सकता िै । यि संकेतक, ग्रािकों के मलए उत्पाद की
गर्ण
ु वत्ता और प्रामाखर्णकता सतु नजश्चत करते िैं।
भौगोशलक संकेतक (GI) का पंजीकृत माशलक कौन होता है ?
• व्यजततयों या उत्पादकों का कोई संघ, कानून के अंतगषत अथवा इसके दवारा तनधाषररत संस्था अथवा
प्राधधकरर्ण, कोई भी भौगोमलक संकेतक (GI) का पंजीकृत मामलक िो सकता िै ।
• भौगोमलक संकेतक रजजस्टर में इनका नाम, भौगोमलक संकेतक के मलए आवेदन ककए जाने वाले उत्पाद के
वास्तववक स्वामी के रूप में दजष ककया जाता िै ।
भौगोशलक संकेतक पंजीकरर् की िैिता अिधि:
• ककसी भौगोमलक संकेतक का पंजीकरर्ण 10 साल की अिधि तक के शलए िैि िोता िै ।
• इसे समय-समय पर आगामी 10 वर्ों की अवधध के मलए नवीनीकृत ककया जा सकता िै ।
भौगोशलक संकेतक संबंिी समझौते एिं वितनयमन:
1. अंतराभष्ट्रीय स्तर पर: औदयोधगक पररसंपवत्त संरक्षर्ण िे तु ‘पेररस अमभसमय’ तित भौगोमलक संकेतक
बौदधधक संपदा अधधकार (Intellectual Property Rights- IPR) के एक घटक के रूप में शाममल िैं। जीआई,
ववश्व व्यापार संगठन (WTO) के ‘बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबि
ं ी पहलुओं’ (Trade Related
Aspects of Intellectual Property Rights-TRIPS) समझौते दवारा भी प्रशामसत िोते िैं।
2. CAMPA फंि
संदभभ:
‘प्रततकरात्मक वनरोपर्ण तनधध एवं प्रततकरात्मक वनरोपर्ण तनधध प्रबंधन एवं योजना प्राधधकरर्ण’ (Compensatory
Afforestation Fund and Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority) दवारा अब तक
32 राज्यों को ₹48,606 करोड़ की रामश ववतररत की जा चुकी िै ।
CAMPA फंड के तित, छत्तीसगढ़ और ओडडशा को अधधकतम रामश िस्तांतररत की गई िै , जजसमें प्रत्येक राज्य को
लगभग 5,700 करोड़ रुपये हदए गए िै । इनके बाद झारखंड और मिाराष्ट्र का स्थान आता िै , जजनके मलए प्रत्येक
को लगभग 3,000 करोड़ रुपये हदए गए िैं।
CAMPA फंि तया हैं?
CAMPA फंड, उदयोगों दवारा अपनी व्यावसातयक योजनाओं के मलए वन भूमम को नष्ट्ट करने पर पयाषवरर्णीय
मुआवजे के रूप में लगभग एक दशक की अवधध में एकत्र की गई 54,000 करोड़ रुपए की रामश, ‘प्रततकरात्मक
वनीकरर्ण तनधध’ (Compensatory Afforestation Fund - CAF) के दीघषकालीन लंत्रबत बकाया, से तनममषत ‘कोर्’ िै।
दे श में ‘ग्रीन िाइड्रोजन’ के मलए मागष अभी साफ निीं िै और कफलिाल ‘ग्रीन िाइड्रोजन’ का उत्पादन ‘ग्रे- िाइड्रोजन’
(Grey Hydrogen) की तल
ु ना में थोड़ा मिं गा िै ।
हररत हाइड्रोजन / ग्रीन हाइड्रोजन तया है ?
नवीकरर्णीय / अक्षय ऊजाष का उपयोग करके ‘ववदयुत अपघटन’ (Electrolysis) दवारा उत्पाहदत िाइड्रोजन को ‘िररत
िाइड्रोजन’ (Green Hydrogen) के रूप में जाना जाता िै । इसमें काबषन का कोई अंश निीं िोता िै ।
ग्रीन हाइड्रोजन का महत्ि:
भारत के मलए अपने ‘राष्ट्रीय स्तर पर तनधाषररत योगदान’ (Nationally Determined Contribution- INDC) लक्ष्यों
को पूरा करने तथा क्षेत्रीय और राष्ट्रीय ऊजाष सुरक्षा, पिुंच और उपलब्धता सुतनजश्चत करने िे तु ‘ग्रीन िाइड्रोजन’
ऊजाष काफी मित्वपूर्णष िै ।
• ग्रीन िाइड्रोजन, ऊजाष भंडारर्ण ववकल्प के रूप में कायष कर सकता िै , जो भववष्ट्य में नवीकरर्णीय ऊजाष के
अंतराल को पूरा करने के मलए मित्वपूर्णष िोगा।
• पररविन के संदभष में , शिरों के भीतर या राज्यों के मध्य लंबी दरू ी की यात्रा या माल ढुलाई के मलए, रे लवे,
बड़े जिाजों, बसों या रकों आहद में ग्रीन िाइड्रोजन का उपयोग ककया जा सकता िै ।
• यि अधधतनयम भारतीय और ववदे शी अपराधधयों पर समान रूप से लागू िोता िै , भले ही अपराि भारत के
बाहर विदे शी भशू म पर ककया गया हो।
• UAPA के तित, जांच एजेंसी के मलए, धगरफ्तारी के बाद चाजषशीट दाखखल करने के मलए अधधकतम 180
ददनों का समय हदया जाता िै , िालांकक, अदालत को सधू चत करने के बाद इस अवधध को और आगे बढ़ाया
जा सकता िै ।
िषभ 2019 में ककए गए संशोिनों के अनुसार:
• यि अधधतनयम राष्ट्रीय जााँच एजेंसी (NIA) के मिातनदे शक को, एजेंसी दवारा मामले की जांच के दौरान,
आतंकवाद से िोने वाली आय से तनममषत संपवत्त पाए जाने पर उसे जब्त करने की शजतत प्रदान करता िै ।
• यि अधधतनयम राज्य में डीएसपी अथवा एसीपी या उससे ऊपर के रैंक के अधधकारी के अततररतत,
आतंकवाद संबंधी मामलों की जांच करने िे तु ‘राष्ट्रीय जााँच एजेंसी’ के इंस्पेतटर या उससे ऊपर के रैंक के
अधधकाररयों को जांच का अधधकार प्रदान करता िै ।
• अधधतनयम में ककसी व्यजतत को आतंकवादी के रूप में अमभहित करने का प्रावधान भी शाममल िै ।
ददल्ली उच्च न्यायालय द्िारा पररभावषत UAPA की रूपरे खा:
जन
ू 2021 में , ववधधववरूदध कियाकलाप तनवारर्ण अधधतनयम (UAPA), 1967 की एक अन्य रूप से "अस्पष्ट्ट" िारा
15 की रूपरे खा को पररभावर्त करते िुए, हदल्ली उच्च न्यायालय दवारा, अधितनयम की िारा 18, 15, 17 को लागू
करने पर कुछ मित्वपूर्णष मसदधांत तनधाषररत ककए गए थे।
UAPA की िारा 15, 17 और 18:
1. अधधतनयम की धारा 15, 'आतंकवादी कृत्यों’ से संबधं धत अपराधों को आरोवपत करती िै ।
2. धारा 17 के तित आतंकवादी कृत्यों के मलए धन जुटाने पर दजण्डत करने का प्रावधान ककया गया िै ।
3. धारा 18, के अंतगषत 'आतंकवादी कृत्य करने िे तु साजजश आहद रचने' या आतंकवादी कृत्य करने िे तु तैयारी
करने वाले ककसी भी कायष' संबंधी अपराधों के मलए आरोवपत ककया जाता िै ।
3. लोकुर आयोग
संदभभ: िाल िी में , सुप्रीम कोटष ने पजश्चम बंगाल सरकार दवारा इजरायल की साइबर-खुकफया कंपनी NSO ग्रुप दवारा
ववकमसत सैन्य श्रेर्णी के ‘पेगासस स्पाइवेयर’ के माध्यम से ‘मोबाइल फ़ोनों’ की कधथत तनगरानी ककए जाने की
जााँच करने िे तु गहठत ‘न्यायमतू तष मदन लोकुर आयोग’ (Lokur Commission) के समक्ष जारी सभी कायषवाहियों पर
रोक लगा दी।
सुप्रीम कोटष ने किा, कक शीर्ष अदालत दवारा उतत मामले को अखखल भारतीय बताए जाने के बावजद
ू , आयोग ने
कायष करना जारी रखा और राज्य दवारा आयोग के कायष पर रोक लगाने का वचन हदए जाने के बाद, इसका
उल्लंघन ककया गया िै ।
पष्ट्ृ ठभूशम:
जुलाई 2021 में , पजश्चम बंगाल सरकार दवारा ‘जांच आयोग अधधतनयम’, 1952 (Commissions of Inquiry Act, 1952)
के तित, इजरायल की साइबर-खुकफया कंपनी NSO ग्रुप दवारा ववकमसत ‘पेगासस स्पाइवेयर’ के माध्यम से ‘टे लीफोन’
की कधथत तनगरानी ककए जाने की जााँच करने िे तु एक ‘जांच आयोग’ (लोकुर आयोग) का गठन ककया गया था।
इस आयोग को ववमभन्न व्यजततयों की तनजता के कधथत उल्लंघन की जांच का कायष का सौंपा गया था।
इस प्रकार के आयोग गदठत करने की शजतत:
यदयवप, केंद्र और राज्य, दोनों सरकारों द्िारा इस प्रकार के ‘जांच आयोगों’ का गठन ककया जा सकता है , ककं तु
राज्य सरकार केवल उन ववर्यों पर ‘जांच आयोग’ गहठत कर सकती िै , जजन पर उसे कानून बनाने का अधधकार
िोता िै ।
• यहद केंद्र सरकार दवारा ककसी ववर्य पर आयोग का गठन पिले ककया जाता िै , तो राज्य सरकार, उसी
ववर्य पर, केंद्र सरकार की मंजूरी मलए त्रबना, अन्य समानांतर जांच आयोग का गठन निीं कर सकती िै ।
• ककं त,ु यहद राज्य सरकार दवारा ‘जांच आयोग’ का गठन ककया जाता िै , और यहद केंद्र सरकार को लगता
िै , कक इस ववर्य पर जांच का दायरा दो या अधधक राज्यों तक बढाया जा सकता िै , तो वि समान ववर्य
पर दस
ू रा जांच आयोग गहठत कर सकती िै ।
‘जांच आयोग’ को प्राप्त शजततयां:
जांच आयोग अधधतनयम, 1952 के अंतगषत सरकार दवारा गहठत आयोग को, ‘मसववल प्रकिया संहिता’, 1908 (Code
of Civil Procedure, 1908) के तित ककसी मक
ु दमे की सन
ु वाई के दौरान एक ‘दीिानी अदालत’ के समान शजततयां
प्राप्त िोंगी।
विषय:संचार नेटवकष के माध्यम से आंतररक सुरक्षा को चुनौती, आंतररक सुरक्षा चुनौततयों में मीडडया और सामाजजक
नेटवककिंग साइटों की भमू मका, साइबर सुरक्षा की बुतनयादी बातें , धन-शोधन और इसे रोकना।
1. सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधितनयम
संदभभ: िाल िी में , नागालैंड में 14 नागररकों की ित्या के बाद, मुख्यमंत्री नेफ्यू ररयो ने ‘सशस्त्र बल (ववशेर्
अधधकार) अधधतनयम’ (Armed Forces (Special Powers) Act - AFSPA) को तनरस्त करने की मांग की िै ।
1. श्री ररयो ने िर साल नागालैंड के मलए "अशांत क्षेत्र" टै ग का ववस्तार करने के मलए केंद्र सरकार की
आलोचना भी की िै ।
2. उन्िोंने केंद्र सरकार का, इस "कठोर अधधतनयम" की वजि से ववश्व स्तर पर िोने वाली भारत की आलोचना
की ओर ध्यान आकृष्ट्ट ककया िै ।
संबंधित प्रकरर्:
िाल िी में , नागालैंड में अपने गांव लौट रिे हदिाड़ी मजदरू ों का एक समूि, 21 पैरा कमांडो यूतनट के जवानों दवारा
मार हदया गया था। बताया जाता िै , कक सेना को इस क्षेत्र से NSCN(K) आतंकवाहदयों के गज
ु रने की सच
ू ना ममली
थी।
रोकना।
5. सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधितनयम
संदभभ: नागालैंड ‘सशस्त्र बल (ववशेर् अधधकार) अधधतनयम’ (Armed Forces (Special Powers) Act) अथाषत AFSPA के
तित, अगले छि मिीने तक 'अशांत क्षेत्र' (Disturbed Area) बना रिे गा तयोंकक राज्य की जस्थतत "खतरनाक" बनी
िुई िै ।
• सरकार दवारा इस तनर्णषय को, इस मिीने की शुरुआत में , गलत पिचान के कारर्ण 14 नागररकों की ित्या
के बाद, सशस्त्र बलों की ववशेर् शजततयों को वापस लेने के मलए बढ़ती मांग के दौरान मलया गया िै ।
• नागालैंड राज्य में वर्ष 1958 से वववादास्पद AFSPA लागू िै ।
1. सच
ू ना प्रबंिन और विश्लेषर् केंद्र
सूचना प्रबंधन और ववश्लेर्र्ण केंद्र (Information Management and Analysis Centre - IMAC) समद्र
ु ी डेटा संलयन के
मलए नोडल एजेंसी िै ।
• इसे 26/11 में िुए मुंबई आतंकवादी िमलों के बाद स्थावपत ककया गया था।
• वर्ष 2012 में रक्षा अधधग्रिर्ण पररर्द दवारा अनम
ु ोहदत ककया गया।
• वर्ष 2014 से कायष करना आरं भ ककया और यि गरु
ु ग्राम में जस्थत िै ।
• यि नेशनल कमांि कंरोल कम्युतनकेशन एंि इंटेशलजेंस शसस्टम (NC3I) का नोडल केंद्र िै ।
• इसे नौसेना के पररचालन केंद्रों और नौसेना तथा दे श के समुद्र तट पर फैले कोस्ट गाडष के तनचले
अधधकाररयों में संपकष स्थावपत करने िे तु गहठत ककया गया था।
2. मदहला िैज्ञातनकों के शलए POWER योजना
“पावर” (महिलाओं के मलए अनस
ु ंधान में अवसरों को प्रोत्सािन) अथाषत (POWER- Promoting Opportunities for
Women in Exploratory Research)।
• यि भारतीय शैक्षखर्णक संस्थानों और अनुसंधान एवं ववकास प्रयोगशालाओं में ववमभन्न ववज्ञान और
प्रौदयोधगकी कायषिमों में ववज्ञान और इंजीतनयररंग अनस
ु ंधान के ववत्तपोर्र्ण में लैंधगक असमानता को कम
करने की एक योजना िै ।
• इस योजना को ‘ववज्ञान और प्रौदयोधगकी ववभाग’ (DST) के एक सांववधधक तनकाय, ‘ववज्ञान और इंजीतनयररंग
अनुसध
ं ान बोडष’ (SERB) दवारा शुरू ककया गया िै ।
• पावर योजना के दो घटक िैं: (1) एसईआरबी-पावर फैलोमशप (छात्रववृ त्त); (2) एईआरबी- पावर ररसचष ग्रांट
(शोध अनद
ु ान)।
3. धगरनार पिभत
यि पवषत गुजरात में जूनागढ़ के पास अवजस्थत िै ।
• भगवान दत्तात्रेय ने धगरनार पवषत की चोटी पर तपस्या की थी।
• इसी स्थान पर 22 वें तीथिंकर भगवान नेममनाथ ने तनवाषर्ण भी प्राप्त ककया था।
4. बारबािोस
िाल िी में , बारबाडोस (Barbados) में आधधकाररक तौर पर मिारानी एमलजाबेथ दववतीय को अपने राज्य के प्रमुख
के रूप में िटा हदया गया िै।
• इसके साथ िी, बारबाडोस, त्रब्रहटश उपतनवेश बनने के लगभग 400 साल बाद दतु नया का सबसे नया
गर्णराज्य बन गया िै ।
• िालांकक, बारबाडोस 54 राष्ट्रमंडल दे शों में से शाममल रिे गा।
बारबािोस के बारे में : बारबाडोस दक्षक्षर्ण-पूवी कैरे त्रबयन सागर में जस्थत एक छोटा सा दवीपीय दे श िै ।
5. पराग अग्रिाल
सोशल मीडडया हदग्गज ‘ट्ववटर’ के सि-संस्थापक जैक डोसी के पद छोड़ने के बाद भारतीय मल
ू के ‘प्रौदयोधगकी
कायषकारी’ पराग अग्रवाल को ट्ववटर का नया मुख्य कायषकारी अधधकारी तनयुतत ककया गया।
6. मानिाधिकार उच्चायुतत कायाभलय
‘मानवाधधकार उच्चायुतत कायाषलय’ (Office of the High Commissioner for Human Rights - OHCHR), जजसे संयुतत
राष्ट्र मानवाधधकार उच्चायत
ु त कायाषलय भी किा जाता िै , संयुतत राष्ट्र के मानवाधधकार तनकायों में से एक िै ।
• संयुतत राष्ट्र मिासभा (UNGA) दवारा OHCHR को संपर्ण
ू ष ववश्व में सभी के मानवाधधकारों की सुरक्षा करने
और उन्िें प्रोत्सािन दे ने का दातयत्व सौंपा गया िै ।
www.insightsonindia.com 203 InsightsIAS
• OHCHR, मानवाधधकार क्षेत्र पर ‘वैजश्वक मानवाधधकार मानकों के कायाषन्वयन’ में सिायता के मलए तकनीकी
ववशेर्ज्ञता उपलब्ध कराता िै और क्षमता-ववकास में सियोग करता िै ।
• यि, संयत
ु त राष्ट्र सधचवालय का एक भाग िै और इसकी स्थापना वर्ष 1993 में की गयी थी।
• इसका मुख्यालय जजनेवा (जस्वट्जरलैंड) में िै , और इसके कई क्षेत्रीय कायाषलय भी िैं।
• OHCHR के अध्यक्ष ‘मानवाधधकार उच्चायुतत’ िोते िैं।
OHCHR अनद
ु ान: ‘मानवाधधकार उच्चायुतत कायाषलय’ के मलए लगभग 2/3 रामश, दानदाताओं और सदस्य राष्ट्रों
दवारा स्वैजच्छक अंशदान के रूप में प्राप्त िोती िै । शेर् रामश की आपूततष, संयत
ु त राष्ट्र के आम बजट दवारा की
जाती िै ।
7. भारतीय सासभ-कोि-2 जीनोशमतस कंसोदटभ यम
‘इंडडयन SARS-CoV-2 जीनोममतस कंसोहटष यम (Indian SARS-CoV-2 Consortium on Genomics - INSACOG) को
संयुतत रूप से केंद्रीय स्वास्थ्य और पररवार कल्यार्ण मंत्रालय, और जैव प्रौदयोधगकी ववभाग (DBT) दवारा वैज्ञातनक
और औदयोधगक अनस
ु ध
ं ान पररर्द (CSIR) और ‘भारतीय धचककत्सा अनस
ु ंधान पररर्द’ (ICMR) के सियोग से शरू
ु
ककया गया िै ।
• ‘यि, SARS-CoV-2 में जीनोममक ववववधताओं की तनगरानी के मलए 28 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं का एक समि
ू
िै ।
• यि पूरे दे श में SARS-CoV-2 वायरस की संपूर्णष जीनोम अनुिमर्ण करता िै , जजससे वायरस के प्रसार और
ववकास को समझने में सिायता ममलती िै ।
• INSACOG का उददे श्य रोग की गततशीलता और गंभीरता को समझने के मलए नैदातनक नमूनों की अनुिमर्ण
पर ध्यान केंहद्रत करना िै ।
8. चॉकलेट-बॉिभर जफ्लटर
• चॉकलेट-बॉडषर जफ्लटर (Chocolate- bordered flitter),मसजतकम में खोजी गई
तततली की एक नई प्रजातत िै ।
• इस प्रजातत के सबसे करीबी संबंधी िांगकांग के करीब दक्षक्षर्ण-पूवी चीन में
पाए जाते िैं।
• इसकी खोज उत्तरी मसजतकम के ‘जोंगु’ में की गई िै , जजसके नाम पार इसका
वैज्ञातनक नाम जोग्राफेटस िोजोंगुएजन्सस रखा गया।
9. तयह्युदटसुका सधचकारुम
िाल िी में , शोधकत्ताषओं की एक अंतराषष्ट्रीय टीम ने एक नए समद्र
ु ी सरीसप
ृ
की खोज की िै । एक मीटर लंबे खोपड़ी के इस नमूने का नामकरर्ण
‘तयहयुहटसुका सधचकारुम’ (Kyhytysuka Sachicarum) ककया गया िै ।
यि जीवाश्म, जीववत स्वॉडषकफश की तरि हदखने वाले प्राचीन जीव
‘इचथ्योसोर’ (Ichthyosaur) की अंततम जीववत प्रजाततयों में से एक िै ।