December INSTA CA Compilation Hindi

You might also like

Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 224

INSTA CURRENT AFFAIRS

दिसम्बर 2021

WWW.INSIGHTSONINDIA.COM WWW.INSIGHTSACTIVELEARN.COM
Table of Contents
सामान्य अध्ययन-I .............................................................. 1 3. अरब सागर में चक्रवातों की अतधक संख्या ......................... 29
दिषय: भारतीय संस्कृ तत में प्राचीन काल से आधतु नक काल तक के कला के 4. प्रशांत मिासागरीय ज्वालावृत्त ..................................... 30
रूप, सातित्य और वास्तुकला के मुख्य पिलू शातमल िोंगे। ................... 1 सामान्य अध्ययन-II ......................................................... 32
1. रायगढ़ तकले का मित्व .............................................. 1 दिषय: भारतीय संतवधान- ऐततिातसक आधार, तवकास, तवशेषताएँ, संशोधन,
2. चार धाम ............................................................ 2 मित्त्वपूर्ा प्रावधान और बुतनयादी संरचना। ................................. 32
3. ‘दगु ाा पूजा’ यूनेस्को की 'अमूता सांस्कृ ततक तवरासत' सूची में शातमल . 4 1. भारतीय नागररकता का पयावसान................................... 32
दिषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वतामान समय तक का आधतु नक 2. सतं वधान की उद्देतशका में संशोधन िेतु तवधेयक ..................... 33
भारतीय इततिास- मित्त्वपूर्ा घटनाएँ, व्यतित्व, तवषय। ...................... 6 3. दलबदल-रोधी कानून .............................................. 34
1. वीर सावरकर ........................................................ 6 4. भारतीय संतवधान की छठी अनुसूची ................................ 36
2. पाइका तवद्रोि ....................................................... 7 5. पररसीमन पैनल .................................................... 37
3. सतं वधान सभा की पिली बैठक के 75 वषा .......................... 8 6. जम्मू और कश्मीर पररसीमन आयोग................................ 39
4. अल्लूरी सीताराम राजू एवं रंपा तवद्रोि ................................ 9 7. ‘भल
ु ाए जाने का अतधकार’ ........................................ 39
5. सालार मसूद एवं राजा सुिलदेव के बीच युद्ध ....................... 10 8. मानिातन का मामला ............................................... 40
6. श्री अरतबंदो ....................................................... 12 दिषय:संघ एवं राज्यों के काया तथा उत्तरदातयत्व, संघीय ढाँचे से संबतं धत तवषय
7. रानी लक्ष्मी बाई ................................................... 13 एवं चनु ौततयाँ, स्थानीय स्तर पर शतियों और तवत्त का िस्तांतरर् और उसकी
दिषय:स्वतंत्रता के पश्चात् देश के अंदर एकीकरर् और पुनगाठन। ........... 14 चनु ौततयाँ। ................................................................. 41

1. गोवा मतु ि तदवस .................................................. 14 1. तनजी सदस्य तवधेयक .............................................. 41

दिषय:मतिलाओ ं की भतू मका और मतिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मद्दु े, दिषय:तवतभन्न घटकों के बीच शतियों का पृथक्करर्, तववाद तनवारर् तंत्र तथा
गरीबी और तवकासात्मक तवषय, शिरीकरर्, उनकी समस्याएँ और उनके संस्थान। ................................................................... 42
रक्षोपाय। .................................................................. 15 1. ससं द में व्यवधान .................................................. 42
1. स्माटा तसटीज तमशन ............................................... 15 2. कायापातलका द्वारा अदालत के आदेशों का अनादर करने की प्रवृतत्त . 44
2. सिायक प्रजनन तकनीक एवं सरोगेसी तवधेयक..................... 16 दिषय:ससं द और राज्य तवधातयका- सरं चना, काया, काया-सचं ालन, शतियाँ
3. तवश्व असमानता ररपोटा ............................................. 17 एवं तवशेषातधकार और इनसे उत्पन्न िोने वाले तवषय। ...................... 45

4. बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना .................................. 19 1. सांसदों के प्रश्नों को स्वीकृ त एवं अस्वीकृ त तकए जाने संबंधी प्रतक्रया 45

5. मतिला न्यायाधीश ................................................. 20 2. नागररकता (संशोधन) अतधतनयम, 2019 (CAA)............... 47

6. मतिलाओ ं के तलए तववाि की तवतधक आयु में वृतद्ध ................ 21 3. तवशेषातधकार प्रस्ताव .............................................. 48

7. मिाराष्ट्र सरकार का शति तवधेयक ................................ 23 4. लोक लेखा सतमतत................................................. 49

8. श्यामा प्रसाद मख
ु जी रुबान तमशन................................... 24 5. मतिलाओ ं के तलए तववाि की आयु बढ़ाने संबंधी तवधेयक की समीक्षा
....................................................................... 50
दिषय:सामातजक सशिीकरर्, सप्रं दायवाद, क्षेत्रवाद और धमातनरपेक्षता।.. 25
6. मिाराष्ट्र और कनााटक के मध्य बेलगावी सीमा तववाद .............. 51
1. सश ं 2021 ........................................ 25
ु ासन सचू काक
दिषय:जन प्रतततनतधत्व अतधतनयम की मुख्य तवशेषताएँ।................... 53
दिषय:भक ू ं प, सुनामी, ज्वालामुखीय िलचल, चक्रवात आतद जैसी मित्त्वपूर्ा
1. मतदाता पिचान पत्र को आधार कार्ा से जोड़ने िेतु तवधेयक ........ 53
भ-ू भौततकीय घटनाएँ, भौगोतलक तवशेषताएँ और उनके स्थान- अतत मित्त्वपूर्ा
भौगोतलक तवशेषताओ ं (जल-स्रोत और तिमावरर् सतित) और वनस्पतत एवं दिषय:तवतभन्न संवैधातनक पदों पर तनयतु ि और तवतभन्न सवं ैधातनक तनकायों
प्रातर्जगत में पररवतान और इस प्रकार के पररवतानों के प्रभाव। .............. 27 की शतियाँ, काया और उत्तरदातयत्व।....................................... 54
1. चक्रवात जवाद .................................................... 27 1. तनवााचन आयोग की तनष्ट्पक्षता पर सवाल .......................... 54
2. इस वषा उत्तर-पवू ी मानसून के कमजोर रिने का कारर्............... 28 2. सदन के अध्यक्ष का तनवााचन ...................................... 55
www.insightsonindia.com 1 InsightsIAS
दिषय:सातं वतधक, तवतनयामक और तवतभन्न अद्धा-न्यातयक तनकाय। ........ 57 दिषय:तवकास प्रतक्रया तथा तवकास उद्योग- गैर-सरकारी सगं ठनों, स्वयं
1. भारत का तवतध आयोग ............................................ 57 सिायता समूिों, तवतभन्न समूिों और संघों, दानकतााओ,ं लोकोपकारी
संस्थाओ,ं संस्थागत एवं अन्य पक्षों की भतू मका।............................ 96
2. कॉलेतजयम प्रर्ाली ................................................ 58
1. स्मारकों के तलए CSR तनतध ...................................... 96
दिषय:सरकारी नीततयों और तवतभन्न क्षेत्रों में तवकास के तलये िस्तक्षेप और
उनके अतभकल्पन तथा कायाान्वयन के कारर् उत्पन्न तवषय।................ 60 दिषय:स्वास््य, तशक्षा, मानव संसाधनों से संबंतधत सामातजक क्षेत्र/सेवाओ ं के
तवकास और प्रबंधन से संबंतधत तवषय।..................................... 98
1. जम्म-ू कश्मीर का ‘रोशनी अतधतनयम’ .............................. 60
1. तमशन इन्द्रधनुष 3.0 .............................................. 98
2. राष्ट्रीय तनयाात बीमा खाता ......................................... 61
2. पोषर् रैकर ......................................................... 99
3. जाततगत जनगर्ना ................................................ 62
3. पोषर् अतभयान.................................................. 100
4. रक्षा उपकरर्ों से संबतधत नकारात्मक आयात सूची ................ 64
4. बर्ा फलू ......................................................... 101
5. बांध सुरक्षा तवधेयक 2019 ...................................... 65
5. पूरक बाल पोषर् ................................................ 102
6. उत्तराखंर् का ‘चार धाम अतधतनयम’ ............................... 67
6. पोषर् रैकर ...................................................... 103
7. ‘देशद्रोि’ की सीमाओ ं को पररभातषत करने का सिी समय: उच्चतम
न्यायालय ............................................................. 68 7. पावो वायरस..................................................... 104

8. NDPS तवधेयक, 2021 ....................................... 69 8. नीतत आयोग का राज्य स्वास््य सूचकाक


ं ........................ 104

9. के न-बेतवा तलंक पररयोजना के तलए मंजरू ी ......................... 71 9. अटल नवाचार संस्थान उपलतधध रैं तकंग (ARIIA)............... 106

10. सीबीआई और प्रवतान तनदेशालय के तनदेशकों के कायाकाल को बढ़ाने दिषय:शासन व्यवस्था, पारदतशाता और जवाबदेिी के मित्त्वपूर्ा पक्ष, ई-
िेतु तवधेयक ........................................................... 72 गवनेंस- अनुप्रयोग, मॉर्ल, सफलताएँ, सीमाएँ और सभं ावनाएँ; नागररक
चाटार, पारदतशाता एवं जवाबदेिी और सस्ं थागत तथा अन्य उपाय। ........ 107
11. देशद्रोि कानून ................................................... 74
1. ‘तवश्व प्रेस स्वतत्रं ता सचू काक
ं ’ में भारत की तस्थतत पर कें द्र सरकार की
12. बैंक जमा बीमा कायाक्रम ......................................... 75 असिमतत ........................................................... 107
13. तबिार के तलए तवशेष श्रेर्ी राज्य का दजाा ........................ 76 दिषय:भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध। .................................. 109
14. भगु तान बैंको एवं लघु तवत्त बैंकों को ‘सरकारी एजेंसी कारोबार’ करने 1. भारत-रूस वातषाक तशखर सम्मेलन ............................... 109
की अनुमतत ........................................................... 77
2. यूक्रेन संबंधी मामले .............................................. 110
15. भारत का ‘र्ेटा संरक्षर् तवधेयक’ ................................ 79
3. बलूतचस्तान बदं रगाि पर चीनी पररयोजना ........................ 111
16. ततमलनार्ु में ‘राज्य गीत’ बजते समय खड़ा िोना अतनवाया ....... 80
4. इर्ं ो-पैतसतफक क्षेत्र ............................................... 113
17. पशु क्रूरता तनवारर् अतधतनयम, 1960 ......................... 81
5. भारत-ताइवान सबं धं ............................................. 114
18. तलंतचंग संबंधी मामलों पर एक तवधेयक की आवश्यकता ......... 82
6. भारत द्वारा म्यामं ार में लोकतत्रं को शीघ्र बिाल तकए जाने की मागं 115
19. कनााटक का ‘धमाांतरर् रोधी तवधेयक’ मसौदा.................... 84
दिषय:तद्वपक्षीय, क्षेत्रीय और वैतश्वक समिू और भारत से सबं तं धत और/अथवा
20. एनर्ीपीएस तवधेयक, 2021 ................................... 86 भारत के तितों को प्रभातवत करने वाले करार। ............................. 117
21. श्रम सतं िता संबंधी प्रकरर् ....................................... 87 1. लॉतजतस्टक्स समझौते और उनके लाभ ........................... 117
22. मेकेदातु तववाद .................................................. 88 2. G7 समूि ....................................................... 118
23. तवशेष श्रेर्ी राज्य का दजाा ....................................... 89 3. व्यापक आतथाक सियोग समझौता ............................... 119
24. तवदेशी अंशदान (तवतनयमन) अतधतनयम, 2010 ............... 90 दिषय:भारत के तितों पर तवकतसत तथा तवकासशील देशों की नीततयों तथा
25. वस्त्र उद्योग के तलए ‘उत्पादन-संबद्ध प्रोत्सािन (पीएलआई)’ योजना राजनीतत का प्रभाव; प्रवासी भारतीय। .................................... 120
....................................................................... 91 1. िांगकांग का प्रशासन ............................................ 120
26. तबिार में अवैध शराब तनमाार् की तनगरानी िेतु उपाय ............. 92
2. एस-400 और CAATSA .................................... 122
27. PESA अतधतनयम ............................................. 93
3. तशनतजयांग तववाद ............................................... 124
28. के न-बेतवा तलक
ं पररयोजना...................................... 95
4. चीन-िांगकांग संबंध ............................................. 125
5. सयं ुि अरब अमीरात का गोल्र्न वीजा .......................... 126
www.insightsonindia.com 1 InsightsIAS
6. पाचं मिीने के बाद ईरान परमार्ु वाताा तफर से शुरू ............... 128 1. िाइपरसोतनक ितथयार ........................................... 153
दिषय:मित्त्वपर्ू ा अतं रााष्ट्रीय सस्ं थान, सस्ं थाएँ और मच
ं - उनकी सरं चना, 2. नासा की नवीन सचं ार प्रर्ाली.................................... 156
अतधदेश।................................................................ 129 3. एकीकृ त भगु तान इटं रफे स ........................................ 156
1. अंतरााष्ट्रीय तवत्तीय सेवा कें द्र ..................................... 129 4. राष्ट्रीय गतर्त तदवस ............................................. 158
2. तवश्व स्वर्ा पररषद ................................................ 130 5. क्वाटं म उलझन .................................................. 158
3. ‘सौर गठबंधन’ के तलए ‘संयुि राष्ट्र पयावेक्षक’ का दजाा ......... 131 दिषय:सचू ना प्रौद्योतगकी, अतं ररक्ष, कंप्यटू र, रोबोतटक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी,
4. सयं ुि राष्ट्र समुद्री कानून संतध ................................... 133 बायो-टैक्नोलॉजी और बौतद्धक संपदा अतधकारों से संबंतधत तवषयों के संबंध में
जागरुकता। .............................................................. 160
5. इस्लातमक सियोग संगठन ....................................... 134
1. सेंरल बैंक की तर्तजटल करें सी ................................... 160
6. सयं ुि राष्ट्र शरर्ाथी उच्चायोग (UNHCR) ................... 134
2. 5 जी टेक्नोलॉजी ................................................ 161
7. क्षेत्रीय व्यापक आतथाक भागीदारी ................................ 135
3. पाका र सोलर प्रोब ................................................ 163
8. न्यू र्ेवलपमेंट बैंक ............................................... 137
4. मख
ु ाकृ तत पिचान तकनीक....................................... 164
सामान्य अध्ययन-III ...................................................... 139
5. पेतप्सको पेटेंट तववाद ............................................. 165
दिषय:भारतीय अथाव्यवस्था तथा योजना, ससं ाधनों को जुटाने, प्रगतत, तवकास
तथा रोज़गार से संबंतधत तवषय। .......................................... 139 6. पाका र सोलर प्रोब ................................................ 167

1. नेगेतटव यील्र् बॉण्र् ............................................. 139 7. जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ........................................ 167

2. मुद्रास्फीतत लक्ष्यीकरर् .......................................... 140 8. नासा का DART तमशन ........................................ 169

3. कृ तष उत्पादों में ‘वायदा कारोबार’ का तनलंबन ................... 140 9. चीन द्वारा 'कृ तत्रम सूया' के तलए परमार्ु संलयन परीक्षर्........... 171

4. पूवव्ा यापी कराधान ............................................... 141 10. ररज़वा बैंक द्वारा तक्रप्टोकरें सी पर पूर्ा प्रततबंध लगाए जाने का तवचार
..................................................................... 172
दिषय:समावेशी तवकास तथा इससे उत्पन्न तवषय। ....................... 143
11. जीआई टैग .................................................... 174
1. सि-ऋर् मॉर्ल: बैंकों और गैर-बैंतकंग तवत्तीय कंपतनयों द्वारा सि-ऋर्
..................................................................... 143 12. जीएमओ फसलों पर FSSAI का तवतनयमन मसौदा............ 175

2. ‘गैर-बैंतकंग तवत्तीय कंपतनयों’ के तलए सश ं ोतधत त्वररत सुधारात्मक 13. ततआनगोंग अंतररक्ष स्टेशन .................................... 176
कारा वाई फ्रेमवका ..................................................... 143 दिषय:संरक्षर्, पयाावरर् प्रदषू र् और क्षरर्, पयाावरर् प्रभाव का आकलन।
3. टोकनाइजेशन और आरबीआई के नए तदशातनदेश ................ 145 ......................................................................... 178

दिषय:प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृ तष सिायता तथा न्यनू तम समथान मल्ू य से 1. “वायमु र्ं ल और जलवायु अनसु धं ान-मॉर्तलगं प्रेक्षर् प्रर्ाली एवं
संबंतधत तवषय; जन तवतरर् प्रर्ाली- उद्देश्य, काया, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक सेवाओ ं (ACROSS)” योजना ..................................... 178
तथा खाद्य सरु क्षा संबंधी तवषय; प्रौद्योतगकी तमशन; पशु पालन संबंधी 2. CAMPA फंर् ................................................ 179
अथाशास्त्र। ............................................................... 146
3. पतश्चमी घाट पर ‘कस्तूरीरंगन सतमतत’ ररपोटा ...................... 180
1. न्यूनतम समथान मल्ू य ............................................ 146
4. ‘जलवायु पररवतान’ को ‘सयं ुि राष्ट्र सुरक्षा पररषद’ में ले जाने संबंधी
दिषय:उदारीकरर् का अथाव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योतगक नीतत में पररवतान प्रस्ताव का तवरोध ................................................... 182
तथा औद्योतगक तवकास पर इनका प्रभाव।................................ 148
5. ग्रीन िाइड्रोजन ................................................... 183
1. अमेज़न- फ्यचू र ग्रुप सौदा ........................................ 148
6. जैतवक तवतवधता तवधेयक, 2021 में पररवतान .................. 184
दिषय:बतु नयादी ढाँचााः ऊजाा, बंदरगाि, सड़क, तवमानपत्तन, रे लवे आतद।
7. 'मीनदम मंजअप्पाई’ योजना ..................................... 185
......................................................................... 150
8. फ्लेक्स ईधन
ं वािन............................................... 186
1. िाइड्रोजन-समृद्ध संपीतर्त प्राकृ ततक गैस ......................... 150
9. बॉटम रॉतलंग और संबंतधत मुद्दे .................................. 188
2. उड़ान योजना एवं इससे संबतं धत समस्याएं ........................ 151
दिषय:आंतररक सुरक्षा के तलये चनु ौती उत्पन्न करने वाले शासन तवरोधी तत्त्वों
3. इलेतक्रक वािनों के अपनाने को बढ़ावा देने िेतु सरकारी नीततयां.. 152
की भतू मका। ............................................................. 189
दिषय:तवज्ञान एवं प्रौद्योतगकी- तवकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मराा के जीवन पर
1. ‘ग्रेटर तटपरालैंर्’ ................................................. 189
इसका प्रभाव। तवज्ञान एवं प्रौद्योतगकी में भारतीयों की उपलतधधयाँ; देशज रूप से
प्रौद्योतगकी का तवकास और नई प्रौद्योतगकी का तवकास। .................. 153 2. तवतधतवरूद्ध तक्रयाकलाप (तनवारर्) अतधतनयम .................. 190
www.insightsonindia.com 2 InsightsIAS
3. लोकुर आयोग ................................................... 191 22. तधलीगी और दा’वाि .......................................... 208
दिषय:सचं ार नेटवका के माध्यम से आतं ररक सरु क्षा को चनु ौती, आतं ररक सरु क्षा 23. बातल्टक सागर................................................. 208
चनु ौततयों में मीतर्या और सामातजक नेटवतकां ग साइटों की भतू मका, साइबर 24. कोन्याक नागा ................................................. 209
सुरक्षा की बुतनयादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना। ................... 192
25. तमस यतू नवसा-2021 ......................................... 209
1. सशस्त्र बल (तवशेष अतधकार) अतधतनयम ........................ 192
26. राजा चैत तसिं ................................................. 209
2. पेगासस जासूसी प्रकरर् .......................................... 194
27. कार्ा टोकनाइजेशन ............................................ 210
3. सशस्त्र बल (तवशेष अतधकार) अतधतनयम ........................ 196
28. प्रधानमत्रं ी मोदी को भटू ान का शीषा नागररक परु स्कार ........... 210
4. ‘तर्तजटल ऋर्’ को तवतनयतमत करने िेतु कानून बनाने पर तवचार. 196
29. कालीबाड़ी मतं दर .............................................. 210
5. सशस्त्र बल (तवशेष अतधकार) अतधतनयम ........................ 198
30. खल
ु ा क्षेत्रफल लाइसेंतसगं नीतत................................. 210
दिषय:तवतभन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अतधदेश। ............ 199
31. तशरोमतर् अकाली दल......................................... 211
1. असम राइफल्स का दोिरा तनयंत्रर् तवन्यास....................... 199
32. भारतीय संतवधान का अनुच्छे द 31D ......................... 211
2. चीफ ऑफ तर्फें स स्टाफ......................................... 200
33. तचल्ले / तचल्लाई- कलां ....................................... 211
3. राष्ट्रीय अन्वेषर् अतभकरर् ...................................... 201
34. एतल्बनो इतं र्यन फ्लैपशेल कछुआ ............................. 212
प्रारदम्िक परीक्षा हेतु तथ्य ................................................ 203
35. के रल की तसल्वर लाइन पररयोजना ............................. 212
1. सूचना प्रबंधन और तवश्लेषर् कें द्र ................................ 203
36. समाज सुधार अतभयान ......................................... 212
2. मतिला वैज्ञातनकों के तलए POWER योजना ................... 203
37. टाइफून राय .................................................... 213
3. तगरनार पवात..................................................... 203
38. तधलीगी जमात ................................................ 213
4. बारबार्ोस....................................................... 203
39. पी एन पतर्कर ................................................. 214
5. पराग अग्रवाल................................................... 203
40. अभ्यास ....................................................... 214
6. मानवातधकार उच्चायुि कायाालय ............................... 203
41. ओतलव ररर्ले कछुए .......................................... 214
7. भारतीय सासा-कोव-2 जीनोतमक्स कंसोतटायम .................... 204
42. ‘सयं ुि राष्ट्र सुरक्षा पररषद’ का संकल्प 2615 ................ 215
8. चॉकलेट-बॉर्ार तफ्लटर .......................................... 204
43. प्रलय तमसाइल ................................................ 215
9. क्यह्यतु टसुका सतचकारुम ......................................... 204
44. वनााक्युलर इनोवेशन प्रोग्राम .................................... 215
10. अंतरााष्ट्रीय तनपटान बैंक ....................................... 204
45. तोलकातप्पयम ................................................. 216
11. व्यापार करने की स्वतंत्रता ..................................... 205
46. आका तबशप र्ेसमंर् टूटू ........................................ 216
12. ACE2 प्रोटीन ................................................ 205
47. गोलन िाइट् स ................................................. 217
13. िॉनातबल मिोत्सव ............................................. 205
48. ‘जन गर् मन’ के सावाजतनक रूप से पिली बार गायन की 110 वीं
14. उच्च न्यायालय और सवोच्च न्यायालय के न्यायाधीश (वेतन एवं सेवा वषागांठ .............................................................. 217
शतें) संशोधन तवधेयक, 2021 .................................... 206
49. ई.ओ. तवल्सन ................................................. 217
15. न्यूजीलैंर् का आजीवन प्रततबंध................................ 206
50. जीरो-र्े वल्नरतबतलटी तथा लॉग4जे ........................... 218
16. ज्ञानपीठ पुरस्कार .............................................. 206
51. भारत में नए टीकों को मंजूरी.................................... 218
17. रॉयल गोल्र् मेर्ल 2022 .................................... 207
52. कें द्र सरकार द्वारा ‘सोया खाद्य’ आवश्यक वस्तु सूची में शातमल. 218
18. एतशयाई शति सूचकांक, 2021 ............................. 207
53. जम्मू-कश्मीर ररयल एस्टेट क्षेत्र ................................. 218
19. तफन बुनकर पक्षी .............................................. 208
54. नीलगाय ....................................................... 219
20. ‘तवदेशी अतधकरर्’ ........................................... 208
55. दारा तशकोि (1615-59) ................................... 219
21. लॉग4शेल .................................................... 208

www.insightsonindia.com 3 InsightsIAS
सामान्य अध्ययन-I
भारतीय विरासत और संस्कृतत, विश्ि का इततहास एिं भूगोल और समाज
विषय: भारतीय संस्कृतत में प्राचीन काल से आधतु नक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तक
ु ला के मख्
ु य
पिलू शाममल िोंगे।
1. रायगढ़ ककले का महत्ि
संदभभ:
राष्ट्रपतत राम नाथ कोववंद ने िाल िी में रायगढ़ ककले का दौरा ककया और छत्रपतत मशवाजी मिाराज को श्रदधांजमल
दी।
रायगढ़ ककले से संबंधित राज्य और राजिंश:
• रायगढ़ ककले को पिले ‘रायरी’ (Rairi) किा जाता था, और यि 12वीं शताब्दी में मराठाओं के ‘मशके’ वंश
का गढ़ था।
• इस ककले पर बिमनी शासकों से लेकर तनजामशािी तक कई शासकों का अधधकार रिा, बाद में यि
आहदलशािी के अधधकार में आ गया।
• वर्ष 1656 में , छत्रपतत मशवाजी ने जावली के राजा चंद्रराव मोरे को पराजजत कर इस ककले को अपने
अधधकार में ले मलया। चंद्रराव मोरे , आहदलशािी सल्तनत के अधीन एक ररयासत के शासक थे।
• वर्ष 1662 में , मशवाजी ने औपचाररक रूप से ककले का नाम बदलकर रायगढ़ कर हदया और इसका जीर्णोदधार
तथा ककले में नए तनमाषर्ण कायष कराए। वर्ष 1664 तक, यि ककला मशवाजी की सरकार का प्रमख
ु गढ़ बन
गया।
इस ककले ने मशवाजी को आहदलशािी वंश के प्रभत्ु व को चन
ु ौती दे ने में मित्वपर्ण
ू ष भमू मका तनभाई और साथ िी,
छत्रपतत मशवाजी को अपनी शजतत का ववस्तार करने िे तु, कोंकर्ण की ओर मागष भी प्रशस्त ककया।
ककले का महत्त्ि:
भारत आने वाले शुरुआती यूरोपीय लोगों दवारा इस ककले को ‘पूवष का जजब्राल्टर’ (Gibraltar of the East) नाम हदया
गया था। ककले की मुख्य ववशेर्ता, लगभग डेढ़ मील के क्षेत्र में ववस्ताररत इसकी सपाट शीर्ष िै , जजस पर कई
इमारतें बन सकती िैं। अपने उत्कर्ष काल में , इस ककले में पत्थरों से तनममषत 300 मकान थे, और इसमें 2,000
सैतनक तनवास करते थे।
महाराष्ट्र की राजनीतत में रायगढ़ ककले का महत्ि:
छत्रपतत मशवाजी, मिाराष्ट्र में सबसे ऊंचे और सबसे प्रततजष्ट्ठत प्रतीक िैं और उनकी ववरासत को िधथयाने के मलए
सभी प्रकार के राजनीततक दलों दवारा तनरं तर प्रयास ककया जाता रिा िै । उनके जीवन-काल में ‘रायगढ़’ के मित्व
के कारर्ण, कई राजनीततक नेता ककले का दौरा करने के माध्यम से उनके प्रतत तनष्ट्ठा और सम्मान का प्रदशषन
करते िैं।
‘छत्रपतत शशिाजी’ के बारे में - उल्लेखनीय बबंद:ु
‘छत्रपतत मशवाजी’ का जन्म वर्ष 1639 में एक मराठा सेनापतत शािजी भोंसले के घर िुआ था। शािजी भोंसले,
बीजापुर सल्तनत के अधीन ‘पुर्णे’ और ‘सुप’े के जागीरदार थे। ‘मशवाजी’ की माता जीजाबाई, एक धमषपरायर्ण
महिला थी, जजनके धाममषक गुर्णों का उन पर गंभीर प्रभाव पड़ा।
उन्िोंने वर्ष 1645 में पिली बार अपने सैन्य उत्साि का प्रदशषन करते िुए अपनी ककशोरावस्था में िी बीजापरु
के अधीन ‘तोरर्ण दग ु ’ष पर सफलतापूवक
ष तनयंत्रर्ण प्राप्त कर मलया। उन्िोंने ‘कोंडाना ककले’ पर भी अपना
आधधपत्य स्थावपत कर मलया। ये दोनों ककले ‘बीजापुर सल्तनत’ के आहदल शाि के अधीन आते थे।
उन्िोंने छत्रपतत, शाककाताष, क्षत्रत्रय कुलवंत और िैंदव धमोधारक की उपाधध धारर्ण की।

www.insightsonindia.com 1 InsightsIAS
शशिाजी से संबधं ित महत्िपर्
ू भ यद्
ु ि:
1. प्रतापगढ़ का यद
ु ध, 1659
2. पवन खण्ड का यद
ु ध, 1660
3. परु ं दर का यद
ु ध, 1665
4. मसंिगढ़ का यद
ु ध, 1670
5. कल्यार्ण की लड़ाई, 1682-83
6. संगमनेर का युदध, 1679
पुरंदर की संधि:
जन
ू 1665 में मशवाजी और राजा जय मसंि प्रथम (औरं गजेब का प्रतततनधधत्व) के बीच परु ं दर की संधध पर िस्ताक्षर
ककए गए थे।
इस संधध के अनुसार, मशवाजी ने अब तक जीते कई ककले मुगलों को वापस कर हदए और आगरा में मशवाजी तथा
औरं गजेब की मल
ु ाकात पर सिमतत िुई थी। मशवाजी, अपने पत्र
ु संभाजी को औरं गजेब के दरबार में भेजने के मलए
तैयार िो गए।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक 1674 में , मशवाजी को रायगढ़ में गंगभट्ट ने राजमुकुट पिनाया था, और
उसी समय उन्िोंने छत्रपतत की उपाधध धारर्ण की थी?
में स शलंक:
1. रायगढ़ ककले के बारे में
2. छत्रपतत मशवाजी
3. औरं गजेब
4. प्रतापगढ़ की लड़ाई, 1659
5. पवन खखंड की लड़ाई, 1660
6. पुरंदर का युदध, 1665
में स शलंक: भारत के इततिास में रायगढ़ ककले के मित्व पर चचाष कीजजए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

2. चार िाम
संदभभ: िाल िी में , उच्चत्तम न्यायालय दवारा, अपने पिले के आदे श को संशोधधत करते िुए ‘चार धाम सड़क
पररयोजना’ के एक भाग के रूप में , तीन राजमागों पर चौपहिया वािनों के मागष को 10 मीटर तक चौड़ा करने की
अनुमतत दी गयी िै । इसके पिले शीर्ष अदालत ने अपने आदे श में इस चौड़ाई को 5.5 मीटर तक सीममत करने
का तनदे श हदया था।
सुप्रीम कोटभ का तनर्भय:
• उच्चत्तम न्यायालय के तीन-न्यायाधीशों की एक पीठ ने, एक अन्य तीन-न्यायाधीशों की पीठ दवारा
मसतंबर, 2020 में जारी एक आदे श में संशोधन ककया िै , जजसमें तनदे श हदया गया था कक उत्तराखंड में 899
ककलोमीटर के सड़क नेटवकष के भाग के रूप में तनममषत ककए जाने वाले तीन राजमागों पर चौपहिया वािनों
के मागष (Carriage-way) की चौड़ाई 5.5 मीटर तक रिना चाहिए।
• रक्षा मंत्रालय दवारा अदालत के इस तनर्णषय की समीक्षा ककए जाने की मांग की गयी थी, जजसके बाद
सुप्रीम कोटष ने अब केंद्र सरकार की मांग के अनुरूप सड़कों की चौड़ाई 10 मीटर तक ककए जाने का फैसला
सुनाया िै , जजससे इन राजमागों को ‘डबल लेन’ बनाए जाने का मागष प्रशस्त िो गया िै ।

www.insightsonindia.com 2 InsightsIAS
• चीन सीमा से जोड़ने के मलए फीडर सड़कों के रूप में कायष करने वाले इन तीन राजमागों के रर्णनीततक
मित्व को स्वीकार करते िुए, शीर्ष अदालत ने पयाषवरर्णीय धचंताओं के साथ इस प्रकार की प्राथममकताओं
को संतमु लत करने की आवश्यकता पर भी ध्यान हदया िै ।
• शीर्ष अदालत ने, उच्चतम न्यायालय के पूवष न्यायाधीश ए के सीकरी की अध्यक्षता में एक ‘तनगरानी
सममतत’ के गठन का भी आदे श हदया, ताकक इस संबध
ं में ‘उच्चाधधकार प्राप्त सममतत’ की मसफाररशों को
शाममल करते िुए कायों का पयाषवरर्ण के प्रतत जागरूक तरीके से तनष्ट्पादन सुतनजश्चत ककया जा सके।
चारिाम पररयोजना (Chardham Project) में अब तक का घटनाक्रम:
1. चार धाम सड़क पररयोजना की आधारमशला प्रधानमंत्री नरें द्र मोदी दवारा हदसंबर 2016 में रखी गयी थी।
2. लेककन, इस पररयोजना को पयाषवरर्णीय आधार पर अदालतों में चुनौती दी गयी थी, जजसमे याधचकाकताषओं
ने पररयोजना के मलए पयाषवरर्णीय मंजूरी में अतनयममतताओं का आरोप लगाया और किा कक मौजूदा
मानदं डों के उल्लंघन करते िुए पररयोजना पर कायष ककया जा रिा िै ।
3. इस पररयोजना को मसतंबर 2018 में ‘राष्ट्रीय िररत अधधकरर्ण’ (NGT) दवारा मंजूरी प्रदान की गयी थी,
लेककन, इसके आदे श को इस आधार पर अदालत में चुनौती दी गयी, कक यि आदे श, मामले की सुनवाई
करने वाली पीठ बेंच से अलग अन्य पीठ बेंच दवारा पाररत ककया गया िै । जजस पर, सुप्रीम कोटष ने
अतटूबर 2018 में NGT के आदे श पर रोक लगा दी।
4. मसतंबर 2020 में, सप्र
ु ीम कोटष ने एक ररट याधचका पर सनु वाई करते िुए एक आदे श पाररत ककया जजसमें
किा गया था, कक केंद्रीय सड़क पररविन मंत्रालय के 2018 के पररपत्र में तनधाषररत ‘चार धाम पररयोजना’
के मलए राजमागों की चौड़ाई 5.5 मीटर से अधधक निीं िोनी चाहिए। लेककन रक्षा मंत्रालय ने उसी वर्ष
हदसंबर में , राजमागों की चौड़ाई 10 मीटर ककए जाने की अनम
ु तत दे ने के मलए, अदालत से आदे श में
संशोधन करने का अनुरोध ककया।
5. जजसके बाद, शीर्ष अदालत ने एक ‘उच्चाधधकार प्राप्त सममतत’ (High-Powered Committee - HPC) को
राजमागों की चौड़ाई पर केंद्र सरकार दवारा पेश ककए गए तकों पर गौर करने के मलए किा।
‘उच्चाधिकार प्राप्त सशमतत’ (HPC) द्िारा प्रस्तुत तनष्ट्कषभ:
• इन राजमागों के सामररक मित्व को दे खते िुए चौड़ाई 10 मीटर करने की अनमु तत दी जानी चाहिए।
• राजमागों के जजन हिस्सों पर पिले से िी 10 मीटर चौड़ाई पर काम शुरू ककया जा चुका िै , विां इसकी
चौड़ाई 5.5 मीटर तक कम करने मलए कफर से काम करना “व्यविाररक” निीं िोगा।
• सड़क तनमाषर्ण का मागष प्रशस्त करने के मलए जजन हिस्सों में पेड़ काटे जा चुके िैं, उन पर कफर से
वक्ष
ृ ारोपर्ण करना संभव निीं िोगा।
राजमागों की चौड़ाई 10 मीटर ककए जाने मांग हे तु ददए गए तकभ:
इस क्षेत्र में कई ऐसे दग
ु म
ष इलाके िैं, जिां सेना को भारी वािनों, मशीनरी, िधथयारों, ममसाइलों, टैंकों, सैतनकों और
खादय आपूततष को लाने और लेजाने की आवश्यकता िोती िै ।
संबंधित पयाभिरर्ीय धचंताएं:
1. पवषतीय इलाकों में बड़े पैमाने पर तनमाषर्ण कायष, आपदा के मलए एक नुस्खा िोते िै तयोंकक पेड़ों की कटाई
ककए जाने और चट्टानों के ढीले िोने से भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता िै ।
2. ‘अतनवायष पयाषवरर्ण मंजूरी’ और ‘पयाषवरर्ण प्रभाव मूल्यांकन’ (Environment Impact Assessment - EIA)
प्रकियाओं को दरककनार करते िुए पररयोजना को तनष्ट्पाहदत ककया जा रिा िै ।
3. पररयोजना के तित सड़क बनाने के मलए कधथत तौर पर 25,000 से अधधक पेड़ काटे गए िै , जोकक
पाररजस्थततक रूप से संवद
े नशील क्षेत्र के मलए एक गंभीर धचंता का ववर्य िै ।

www.insightsonindia.com 3 InsightsIAS
4. चूंकक चौपहिया वािनों के मलए चौड़े मागष बनाने के मलए ज्यादा उत्खनन और ववस्फोटन करना िोगा,
जजससे इस क्षेत्र की स्थलाकृतत कफसलन और भस्
ू खलन के प्रतत अधधक संवेदनशील िो जाएगी,
पररर्णामस्वरूप सभी मौसमों में चालू रिने वाले राजमागष बनाने का उददे श्य प्रभाववत िो सकता िै ।
‘चारिाम पररयोजना’ (Chardham Project) के बारे में :
• चारधाम पररयोजना में , हिंदओ
ू ं के पववत्र तीथष स्थलों- बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री- को आपस
में जोड़ने के मलए, 12,000 करोड़ रुपये की अनुमातनत लागत से 900 ककलोमीटर लंबाई के राष्ट्रीय राजमागों
को ववकमसत और चौड़ा ककया जाना शाममल िै ।
• इस राजमागष को ‘चार धाम मिामागष’ (चार धाम राजमागष) और ‘राजमागष तनमाषर्ण पररयोजना’ को ‘चार
धाम मिामागष ववकास पररयोजना’ किा जाएगा।
प्रीशलम्स शलंक:
1. पररयोजना का अवलोकन
2. इस क्षेत्र में मित्वपूर्णष राष्ट्रीय उदयान और
वन्यजीव अभयारण्य
3. इन स्थानों से बिने वाली मित्वपूर्णष नहदयााँ
4. राष्ट्रीय उदयानों और वन्यजीव अभयारण्यों के
बीच अंतर
में स शलंक: चारधाम पररयोजना के मित्व की वववेचना
कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

3. ‘दग
ु ाभ पूजा’ यूनेस्को की 'अमूतभ सांस्कृततक विरासत'
सूची में शाशमल
संदभभ: ‘अमूतष सांस्कृततक धरोिरों की सुरक्षा िे तु अंतर-
सरकारी सममतत’ दवारा ‘मानवता की अमूतष सांस्कृततक ववरासत’ (Intangible Cultural Heritage of Humanity) की
प्रतततनधध सूची में 'कोलकाता में िोने वाली दग
ु ाष पूजा' को शाममल ककया गया िै ।
अब तक कुल ममलाकर, भारत के 14 ‘अमत
ू ष सांस्कृततक ववरासत तत्वों’ (Intangible Cultural Heritage elements)
को यूनेस्को की प्रतततनधध सूची में शाममल ककया जा चुका िै ।
तनदहतार्भ:
यूनेस्को की 'अमूतष सांस्कृततक ववरासत' सच
ू ी में शाममल ककए जाने से, दग
ु ाष पूजा मनाने वाले स्थानीय समद
ु ायों,
सभी पारं पररक मशल्पकारों, डडजाइनरों, कलाकारों, और बड़े पैमाने पर सांस्कृततक कायषिमों का आयोजन करने वालों
के साथ-साथ ‘दग
ु ाष पज
ू ा’ के सवष समावेशी उत्सव में भाग लेने वाले पयषटकों और आगंतक
ु ों को प्रोत्सािन ममलेगा।
‘दग
ु ाभ पूजा’ के बारे में :
‘दग
ु ाष पूजा’ (Durga Puja) एक पांच हदवसीय त्योिार िै , जो नौ-हदवसीय नवरात्रत्र उत्सव की पांचवीं रात से शुरू
िोकर, दसवें हदन अथाषत दशमी को समाप्त िोता िै । इस अवधध में , लोग सामहू िक रूप से ब्रहमांड की नारी-ऊजाष
मानी जाने वाले, शजतत-स्वरूपा दे वी दग
ु ाष की पज
ू ा करते िैं और उनका आहवान करते िैं।
• यदयवप इस उत्सव की शरु ु आत ‘पजश्चम बंगाल’ में िुई िै , ककं तु यि त्योिार भारत और ववश्व के कई
अन्य हिस्सों में भी मनाया जाता िै ।
• कई लोग इसे त्योिार से ज्यादा ‘भावना’ के रूप में दे खते िैं।
• ‘दग
ु ाष पज
ू ा’ धमष और संस्कृतत का एक उत्कृष्ट्ट संगम िै।

www.insightsonindia.com 4 InsightsIAS
‘अमूतभ सांस्कृततक विरासत’ के बारे में :
यूनेस्को (UNESCO) के अनस
ु ार, ‘अमूतष सांस्कृततक ववरासत’
(Intangible Cultural Heritage) में परं पराओं अथवा िमारे
पूवज
ष ों से ववरासत में ममली जीती-जागती अमभव्यजततयों,
जैसेकक मौखखक परं पराएं, प्रदशषन कला, सामाजजक प्रथाएं,
अनुष्ट्ठान, त्यौिार एवं उत्सव, प्रकृतत और ब्रहमांड से संबंधधत
प्रथाएं अथवा ज्ञान और पारं पररक मशल्प संबंधी कौशल को
सजम्ममलत ककया जाता िै ।
• यूनेस्को दवारा ववश्व में मित्वपूर्णष ‘अमूतष
सांस्कृततक धरोिरों / ववरासतों’ की बेितर सुरक्षा
सतु नजश्चत करने और उनके मित्व के बारे में
जागरूकता फ़ैलाने के उददे श्य से ‘अमूतष सांस्कृततक
ववरासत सूची’ का गठन ककया गया िै ।
• यि सूची वर्ष 2008 में , ‘अमूतष सांस्कृततक ववरासत
सुरक्षा अमभसमय, 2003 (2003 Convention for the
Safeguarding of the Intangible Cultural Heritage)
के प्रभावी िोने पर तनममषत की गयी थी।
वर्ष 2010 तक इस कायषिम के अंतगषत दो सूधचयों को
संकलन ककया जाता रिा िै :
1. मानिता की अमूतभ सांस्कृततक विरासतों की लंबी,
प्रतततनधि सूची में सांस्कृततक "प्रथाएं और
अमभव्यजततयां शाममल की जाती िैं, [जो] इस
ववरासत की ववववधता को प्रदमशषत करने और इसके
मित्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करती
िैं।"
2. तत्काल सुरक्षा की आिश्यकता िाली ‘अमूतभ
सांस्कृततक विरासतों’ की छोटी सूची, में उन
सांस्कृततक तत्वों को सजम्ममलत ककया जाता िै ,
जजन्िें संबंधधत समद
ु ाय और दे श, प्रचमलत रखने / जीववत रखने के मलए तत्काल उपाय ककए जाने की
आवश्यकता समझते िैं।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप ‘भारत की अमूतष सांस्कृततक ववरासत की राष्ट्रीय सच
ू ी’ (National List of Intangible
Cultural Heritage) के बारे में जानते िैं?
प्रीशलम्स शलंक:
1. यूनेस्को ‘मानवता की अमूतष सांस्कृततक ववरासत’ की प्रतततनधध सूची में शाममल भारत के ‘अमूतष सांस्कृततक
ववरासत तत्व’
2. यूनेस्को के बारे में
3. मत
ू ष और अमत
ू ष धरोिरों के बीच अंतर
4. पात्रता मानदं ड
5. यूनेस्को "अमूतष सांस्कृततक ववरासत" के अंतगषत सधू चयााँ
में स शलंक: यन
ू ेस्को की अमत
ू ष सांस्कृततक ववरासत की सच
ू ी के मित्व पर चचाष कीजजए।
www.insightsonindia.com 5 InsightsIAS
विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वतषमान समय तक का आधुतनक भारतीय इततिास- मित्त्वपूर्णष घटनाएाँ,
व्यजततत्व, ववर्य।
1. िीर सािरकर
संदभभ: िाल िी में , हिंदत्ु व की राजनीततक ववचारधारा के प्रर्णेता माने जाने वाले ‘ववनायक दामोदर सावरकर’ के
व्यजततत्व को ‘‘भारत रत्न’’ से ऊपर बताते िुए ‘केंद्रीय सूचना आयुतत’ (CIC) उदय मािूरकर ने किा, कक यहद
सावरकर को सवोच्च नागररक सम्मान निीं भी ममलता िै , तो भी उनका कद अप्रभाववत रिे गा तयोंकक दे श में
‘सावरकर युग’ का आगमन पिले िी िो चुका िै ।
संबंधित प्रकरर्:
सावरकर का बताया जाने वाला एक ‘उदधरर्ण’ प्रायः अकादममक गोजष्ट्ठयों में चचाष का ववर्य रिता िै , इसके
अनुसार, सावरकर ने जजन्ना के ‘दो राष्ट्र मसदधांत’ का समथषन ककया था।
• िालांकक कुछ ववशेर्ज्ञों का मानना िै , कक जिां जजन्ना दे श का ववभाजन चािते थे, विी सावरकर भारत
की क्षेत्रीय अखंडता के पक्षधर थे।
• जजन्ना, अल्पसंख्यकों का शासन-व्यवस्था में प्रतततनधधत्व चािते थे, जबकक सावरकर बिुसंख्यकों का शासन
चािते थे।
• जजन्ना, राज्य की ‘अवमशष्ट्ट शजततयां’ प्रांतों को हदए जाने के पक्ष में थे, ककं तु सावरकर इन शजततयों के
मलए ‘केंद्र’ को सौंपना चािते थे।
• जजन्ना, मसववल/लोक सेवा भती में आरक्षर्ण हदए जाने की बात करते थे, जबकक सावरकर चािते थे कक
लोक सेवाओं में भती के मलए योग्यता िी एकमात्र मानदं ड िो।
सािरकर के बारे में :
ववनायक दामोदर सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 को मिाराष्ट्र के नामसक जजले में भागुर शिर में िुआ था।
राष्ट्रिाद और सामाजजक सि
ु ार:
• ववनायक सावरकर और गर्णेश सावरकर ने 1899 में नामसक में एक िांततकारी युवा संगठन- शमत्र मेला
की शुरुआत की थी। इस संगठन को राष्ट्रीय और िांततकारी ववचारों के प्रसार के मलए स्थावपत ककया गया
था।
• वि ववदे शी वस्तुओं का ववरोध और ‘स्वदे शी’ के ववचार का समथषन करते थे। 1905 में , उन्िोंने दशिरे के
अवसर पर सभी ववदे शी सामानों को अलाव में जला हदया।
• वि नाजस्तकता और ताककषकता का समथषन करते थे और उन्िोंने रूहढ़वादी हिंद ू ववचारों का खंडन ककया।
वस्तुतः, उन्िोंने गाय की पज
ू ा को भी अंधववश्वास कि कर खाररज कर हदया था।
• ववनायक सावरकर, वर्ष 1937 से 1943 के दौरान हिंद ू मिासभा के अध्यक्ष रिे ।
• 22 अतटूबर 1939 को कांग्रस
े मंत्रालयों दवारा त्यागपत्र हदए जाने के बाद, इनके नेतत्ृ व में दहंद ू महासभा
ने मुजस्लम लीग के सार् शमलकर शसंि, बंगाल और पजश्चमोत्तर सीमांत प्रांत (NWFP) प्रांतों में सरकार
बनाने के मलए सियोग ककया।
• सावरकर ने, पर्ण
ु े में , "अमभनव भारत समाज" नामक संगठन की स्थापना की।
• इन्िोने, लोकमान्य ततलक की स्वराज पाटी की सदस्यता भी ग्रिर्ण की।
• इन्िोंने ‘फ्री इंडिया सोसाइटी’ की स्थापना की। इस सोसायटी के दवारा त्योिारों, स्वतंत्रता आंदोलन संबंधी
प्रमुख घटनाओं सहित भारतीय कैलेंडर की मित्वपूर्णष ततधथयों को मनाया जाता था और यि भारतीय
स्वतंत्रता के संदभष में ववमशष को आगे बढ़ाने के मलए समवपषत थी।
• इनका मानना था, कक भारत को अंग्रेजों से मुतत करने के मलए िधथयारों के इस्तेमाल की जरूरत िै , और
इन्िोने इंग्लैंड में िधथयारों से लैस भारतीयों का एक नेटवकष बनाया।

www.insightsonindia.com 6 InsightsIAS
महत्िपूर्भ रचनाएं:
1. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का इततिास (‘द हिस्री ऑफ द वॉर ऑफ इंडडयन इंडडपें डस
ें ’)
2. मॉले-ममंटो सध
ु ार के खखलाफ एक सशस्त्र ववद्रोि (An armed revolt against the Morley-Minto reform)
3. 'हिंदत्ु व' नामक अपनी पुस्तक में दो राष्ट्र मसदधांत की स्थापना
प्रीशलम्स शलंक:
1. ममत्रा मेला, अमभनव भारत सोसाइटी और फ्री इंडडया सोसाइटी की स्थापना ककसने की थी? इनके उददे श्य
तया थे?
2. सावरकर दवारा मलखखत पस्
ु तकें?
3. सावरकर की पस्
ु तक, जो मैडम भीकाजी कामा दवारा प्रकामशत की गई थी?
4. मॉले-ममंटो सुधार: प्रमख
ु प्रावधान
5. भारत को आजाद करने के मलए िधथयारों के इस्तेमाल पर सावरकर के ववचार
6. हिंद ू मिासभा- प्रमख
ु उपलजब्धयां
में स शलंक: दे श में िोने वाले सामाजजक सुधारों में वीर सावरकर के योगदान पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

2. पाइका विद्रोह
संदभभ: िाल िी में केंद्रीय संस्कृतत मंत्री ने ‘पाइका ववद्रोि’ (Paika Rebellion) के संदभष में तनम्नमलखखत अनुशंसा
करते िुए किा िै , कक
“ओडडशा में िुए वर्ष 1817 के ‘पाइका ववद्रोि’ को स्वतंत्रता का पिला युदध निीं किा जा सकता, लेककन अंग्रज
े ों के
खखलाफ एक जन-ववद्रोि की शुरुआत के रूप में मानते िुए इस ववद्रोि को कक्षा 8 की ‘राष्ट्रीय शैक्षक्षक एवं प्रमशक्षर्ण
अनुसंधान पररर्द’ (NCERT) इततिास की पाठ्यपुस्तक में केस स्टडी के रूप में शाममल ककया जाएगा।“
‘पाइका’ कौन र्े?
16 वीं शताब्दी के बाद ओडडशा में कई राजाओं दवारा ‘लगान-मुतत भूमम’ (तनश-कर जागीर) और खखताब के बदले
सैन्य सेवाएं प्रदान करने िेतु समाज के ववमभन्न समि
ू ों से लोगों को भती ककया गया था, जजन्िें ‘पाइका’ किा
जाता था।
ये ओडडशा के पारं पररक भू-स्वामी नागररक सैतनक थे और लड़ाई के समय योदधाओं के रूप में कायष करते थे।
पाइका विद्रोह की शुरुआत:
• जब 1803 में ईस्ट इंडडया कंपनी की सेनाओं ने अधधकांश ओडडशा पर कब्जा कर मलया और ‘खोरदा’ के
राजा की पराजय के बाद पाइकों की शजतत एवं प्रततष्ट्ठा घटने लगी।
• अंग्रेज, इस आिामक और युदधक नयी प्रजा के प्रतत अभ्यस्त और सिज निीं थे, और उन्िोंने इस मामले
को दे खने के मलए ‘वाल्टर ईवर’ की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन ककया।
• इस आयोग ने पाइकाओं को दी गई वंशानुगत लगान-मुतत भमू म त्रब्रहटश प्रशासन दवारा वापस मलए जाने
की मसफाररश की, और इस मसफाररश का उत्सािपूवक
ष पालन ककया गया।
• इसके बाद अंग्रेजों ने पाइकों की जमीन िड़प ली और कंपनी की सरकार और उसके कमषचाररयों दवारा
उनसे जबरन वसूली और उनका उत्पीड़न ककया जाने लगा। इसके जबाव में पाइकों ने ववद्रोि कर हदया।
• इस ववद्रोि का नेतत्ृ व खोरदा के राजा मुकंु द दे व दववतीय के मिासेनापतत ‘बख्शी जगबंधु ववदयाधर मिापात्र
भरमारबार राय’ ने ककया था।
• िालांकक, नमक की कीमत में वद
ृ धध, करों के भुगतान के मलए कौड़ी मुद्रा का उन्मूलन और खुले तौर पर
जबरन वसल
ू ी करने वाली भमू म राजस्व नीतत आहद ववद्रोि के अन्य अंततनषहित कारर्ण भी थे।

www.insightsonindia.com 7 InsightsIAS
पररर्ाम: शरु
ु आत में ‘कंपनी’ को इस ववद्रोि का सामना करने में काफी कहठनाई िुई, लेककन मई 1817 तक वे
ववद्रोि को दबाने में सफल रिे ।
कई पाइका नेताओं को फांसी दे दी गई या तनवाषमसत कर हदया गया। वर्ष 1825 में जगबंधु ने आत्मसमपषर्ण कर
हदया।
पाइका विद्रोह: राष्ट्रिादी आंदोलन या ककसान विद्रोह?
त्रब्रहटश ईस्ट इंडडया कंपनी दवारा अपनी सेना के बल पर प्रभुत्व में ववस्तार करने के दौरान, ‘पाइका ववद्रोि’ भारत
में िुए ककसान ववद्रोिों में से एक िै ।
इस ववद्रोि में कई मौकों पर यरू ोपीय उपतनवेशवाहदयों और ममशनररयों के साथ हिंसक रूप से मभड़त भी िुई थी;
इस वजि से पाइकाओं के प्रततरोध को कभी-कभी औपतनवेमशक शासन के खखलाफ प्रततरोध की पिली अमभव्यजतत
के रूप में दे खा जाता िै - और इसमलए ‘पाइका ववद्रोि’ को प्रकृतत में "राष्ट्रवादी" माना जाता िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. पाइका ववद्रोि
2. ‘पाइका’ कौन थे?
3. वाल्टर ईवर आयोग
में स शलंक: पाइका ववद्रोि राष्ट्रवादी आंदोलन िै या ककसान ववद्रोि? चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

3. संवििान सभा की पहली बैठक के 75 िषभ


संदभभ: भारत की संववधान सभा (Constituent Assembly) की
पिली बैठक 75 साल पिले 9 हदसंबर 1946 को िुई थी।
संववधान सभा में , भारत के अलग-अलग हिस्सों, मभन्न-मभन्न
पष्ट्ृ ठभूममयों और यिां तक कक अलग-अलग ववचारधाराओं के
प्रततजष्ट्ठत व्यजतत, भारत के लोगों के मलए एक उपयुतत
संववधान प्रदान करने के उददे श्य से एक साथ एकत्र िुए थे।
भारत की संवििान सभा के बारे में महत्िपूर्भ तथ्य:
1. संववधान सभा का ववचार, पिली बार ‘एम एन रॉय’
दवारा प्रस्तुत ककया गया था।
2. वर्ष 1935 में , भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) दवारा पिली बार आधधकाररक तौर पर भारत के मलए एक
संववधान बनाने िे तु एक संववधान सभा की मांग की गयी थी।
3. वर्ष 1938 में , जवािरलाल नेिरू ने संववधान के संबंध में जोरदार वततव्य दे ते िुए किा - 'स्वतंत्र भारत
का संववधान त्रबना ककसी बाहय िस्तक्षेप के, वयस्क मताधधकार के आधार पर तनवाषधचत एक संववधान सभा
दवारा बनाया जाना चाहिए'
4. संववधान सभा की मांग को पिली बार त्रब्रहटश शासन दवारा 1940 के 'अगस्त प्रस्ताव' के माध्यम से
स्वीकार ककया गया था।
5. अंततः, ‘कैत्रबनेट ममशन योजना’ के प्रावधानों के तित, वर्ष 1946 में एक ‘संववधान सभा’ गहठत की गई।
संवििान सभा से संबंधित कुछ महत्िपूर्भ बबंद:ु
• संववधान सभा में कुल सदस्य: 389
• त्रब्रहटश भारत के मलए 296 सीटों और दे शी ररयासतों को 93 सीटों का आवंटन
• त्रब्रहटश भारत के मलए आवंहटत की गयी 296 सीटों में से 292 सदस्यों का चयन गवनषर-शामसत प्रांतों
ग्यारि प्रांतों से और चार सदस्यों का चयन ‘मुख्य आयुतत’-शामसत प्रांतों से ककया जाना था।

www.insightsonindia.com 8 InsightsIAS
• सीटों का आवंटन, संबंधधत प्रांतों की जनसंख्या के अनप
ु ात के आधार पर ककया गया था।
• प्रत्येक त्रब्रहटश प्रांत को आवंहटत सीटों का तनधाषरर्ण तीन प्रमुख समुदायों- मुजस्लम, मसख व सामान्य - के
बीच ककया जाना था।
• प्रत्येक समुदाय के प्रतततनधधयों का चुनाव प्रांतीय असेंबली में उस समद
ु ाय के सदस्यों दवारा ककया जाना
था, और एकल संिमर्णीय मत के माध्यम से समानुपाततक तरीके से मतदान ककया जाना था।
• दे शी ररयासतों के प्रतततनधधयों का चयन इन ररयासतों के प्रमुखों दवारा ककया जाना था।
संवििान सभा की संरचना के संबंि में संक्षक्षप्त अिलोकन:
• संववधान सभा आंमशक रूप से तनवाषधचत और आंमशक रूप से नामांककत तनकाय थी।
• सदस्यों का चयन अप्रत्यक्ष रूप से प्रांतीय व्यवस्थावपका के सदस्यों के दवारा ककया जाना था, जजनका
चुनाव एक सीममत मताधधकार के आधार पर ककया गया था।
• यदयवप संववधान सभा का चन ु ाव भारत के व्यस्क मतदाताओं दवारा प्रत्यक्ष रूप से निीं िुआ था, तथावप
इसमें समाज के सभी वगों के प्रतततनधध शाममल थे।
• संववधान सभा की पिली बैठक में मजु स्लम लीग ने भाग निीं मलया।
• संववधान सभा दवारा दो साल, 11 मिीने और 18 हदनों की अवधध में 11 सत्र आयोजजत ककए गए।
• संववधान सभा का अंततम सत्र 24 जनवरी 1950 को आयोजजत ककया गया था।
संववधान सभा दवारा नयी ववधातयका के गठन िोने तक ‘अस्थायी ववधातयका’ के रूप में कायष ककया ककया गया।
इस दौरान संववधान सभा दवारा ककए गए कुछ प्रमख
ु कायष इस प्रकार थे:
1. मई 1949 में राष्ट्रमंडल में भारत की सदस्यता का सत्यापन।
2. इसने 22 जल
ु ाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया।
3. इसने 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान को अपनाया।
4. 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गीत को अपनाया।
5. 24 जनवरी 1950 को भारत के पिले राष्ट्रपतत के रूप में डॉ राजेंद्र प्रसाद को चुना।
संवििान सभा की आलोचना:
1. संववधान सभा, प्रतततनधध तनकाय निीं थी, तयोंकक सदस्य प्रत्यक्ष रूप से तनवाषधचत निीं ककए गए थे।
2. यि एक ‘संप्रभु तनकाय’ निीं था तयोंकक यि त्रब्रहटश आदे श के आधार पर गहठत की गयी थी।
3. संववधान का तनमाषर्ण करने में अनावश्यक रूप से लंबा समय लगा।
4. इसके सदस्यों में मुख्य रूप से कांग्रेस पाटी का वचषस्व था।
5. इसमें वकील-राजनेताओं का प्रभुत्व काफी अधधक था।
6. इसमें मख्
ु य रूप से हिंदओ
ु ं का वचषस्व था।
इंस्टा जजज्ञासु:
तया आप जानते िैं, कक संववधान सभा की पिली बैठक की अध्यक्षता सभा के "अस्थायी अध्यक्ष" सजच्चदानंद
मसन्िा दवारा की गयी थी? सजच्चदानंद मसन्िा, उस समय संववधान सभा में भारत के सबसे उम्रदराज सदस्य थे,
और उन्िोंने 1910 से 1920 तक इम्पीररयल लेजजस्लेहटव कौंमसल के सदस्य भी रि चुके थे।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

4. अल्लूरी सीताराम राजू एिं रं पा विद्रोह


संदभभ: तनदे शक एसएस राजमौली की अगली पीररयड ड्रामा कफल्म ‘रौद्रम, रर्णं, रुधधरं ’ ररलीज िोने के मलए तैयार
िै , इस कफल्म को आधधकाररक तौर पर ‘आरआरआर’ (RRR) नाम हदया गया िै ।
1920 के दशक की पष्ट्ृ ठभमू म पर तनममषत ‘आरआरआर’ कफल्म को आहदवासी स्वतंत्रता सेनातनयों ‘अल्लरू ी सीताराम
राजू’ और ‘कोमाराम भीम’ के जीवन पर आधाररत एक काल्पतनक किानी बताया जा रिा िै ।

www.insightsonindia.com 9 InsightsIAS
‘अल्लूरी सीताराम राजू’ के बारे में :
वर्ष 1922 में , भारतीय िांततकारी ‘अल्लूरी सीताराम राज’ू (Alluri Sitaram Raju) ने मद्रास वन अधधतनयम, 1882
को लागू ककए जाने पर त्रब्रहटश राज के खखलाफ ‘रम्पा ववद्रोि’ (Rampa Rebellion) का नेतत्ृ व ककया था। इस कानन

के तित आहदवामसयों की उनके िी वनों में मुतत आवाजािी पर कड़े प्रततबंध लगा हदए गए थे।
• इस अधधतनयम के लागू िोने की वजि से, आहदवासी समुदाय ‘पारं पररक पोडु कृवर् पदधतत’ के तित खेती
निीं कर पा रिे थे। ‘पोडु कृवर् पदधतत’ (Podu agricultural system) में ‘झूम खेती’ शाममल िोती िै ।
• इस सशस्त्र संघर्ष का अंत वर्ष 1924 में एक हिंसक कारवाई के साथ िुआ, जजसमे ‘सीताराम राजू’ को
त्रब्रहटश मसपाहियों के पकड़ कर पेड़ से बांध हदया, और एक फायररंग दस्ते दवारा उसे गोली मार दी गई।
• ‘अल्लूरी सीताराम राज’ू को वीरता के मलए उन्िें ‘मान्यम वीरुडु’ (Manyam Veerudu), या 'जंगल के नायक'
की उपाधध दी गयी िै ।
‘कोमाराम भीम’ (Komaram Bheem) के बारे में :
• कोमाराम भीम (कोमुरम भीम) का जन्म वर्ष 1901 में तेलंगाना के आहदलाबाद जजले में ‘गोंड समद
ु ाय’ में
िुआ था, और वि ‘चंदा’ और ‘बल्लालपुर’ ररयासतों के जंगलों में बसी आबादी के बीच पले-बढ़े थे।
• युवावस्था में ‘कोमाराम भीम’ जेल से भागकर असम के एक चाय बागान में काम करने चले गए। यिां,
उन्िोंने ‘अल्लूरी सीताराम राजू’ के नेतत्ृ व में जारी ववद्रोि के बारे में सुना, और अपनी गोंड जनजातत की
रक्षा िे तु ववद्रोि में कूद पड़े।
रं पा (रम्पा) विद्रोह:
वर्ष 1922 का ‘रम्पा ववद्रोि’, जजसे ‘मान्यम ववद्रोि’ (Manyam Rebellion) के रूप में भी जाना जाता िै , त्रब्रहटश भारत
के अधीन ‘मद्रास प्रेसीडेंसी’ की गोदावरी शाखा में ‘अल्लरू ी सीताराम राजू’ के नेतत्ृ व में एक शरू
ु ककया गया
आहदवासी ववद्रोि था। यि ववद्रोि अगस्त 1922 में शुरू िुआ और मई 1924 में ‘राजू’ को कैद करने और उसकी
ित्या ककए जाने तक जारी रिा।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक त्रब्रहटश राज के दौरान, दे श भर में करीब 40 प्रमुख आहदवासी ववद्रोि िुए
थे, जजनमें से पिला ववद्रोि 1774-79 में , छत्तीसगढ़ के बस्तर में ‘िाल्बा जनजातत’ दवारा ‘डोंगर’ में कंपनी शासन
के खखलाफ ववद्रोि ककया गया था?
प्रीशलम्स शलंक:
1. रम्पा ववद्रोि के बारे में
2. अल्लूरी सीताराम राजू
3. कोमाराम भीम
4. मान्यम ववद्रोि
में स शलंक: ताम्पा ववद्रोि (Tampa Rebellion) के मित्व की वववेचना कीजजए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

5. सालार मसूद एिं राजा सुहलदे ि के बीच युद्ि


संदभभ: वारार्णसी में काशी ववश्वनाथ धाम कॉररडोर के उदघाटन समारोि में बोलते िुए प्रधानमंत्री मोदी ने सालार
मसूद और राजा सुिलदे व के बीच लड़ाई का जजि ककया था।
‘सालार मसूद’ कौन र्ा?
• सालार मसूद (Salar Masud) को ‘गाजी ममयां’ के नाम से भी जाना जाता िै , और वि 12वीं शताब्दी में
एक योदधा के रूप में प्रमसदध था।
• वि 11वीं शताब्दी के तक
ु ष आिमर्णकारी मिमद
ू गजनी का भतीजा था।

www.insightsonindia.com 10 InsightsIAS
• उत्तर प्रदे श के बिराइच में उसका मकबरा िै , जिााँ बड़ी संख्या में मुसलमानों के साथ-साथ हिंद ू भी तीथषयात्रा
और दशषन करने आते िैं।
• सालार मसद
ू , काहठयावाड़ में सोमनाथ पर आिमर्ण करने सहित, मिमद
ू गजनी के सभी अमभयानों में
साथ रिा। किा जाता िै , कक ‘मसूद’ ने िी अपने चाचा ‘गजनी’ को सोमनाथ की प्रमसदध मूततष ध्वस्त
करने के मलए राजी ककया था। इस कायष को फारसी कववताओं में बार-बार एक मिान उपलजब्ध के रूप में
महिमामंडडत ककया जाता िै।
• ‘गाजी ममयां’ के बारे में जानकारी का सबसे व्यापक स्रोत ‘ममरात-ए-मसूद’ (Mirat-e-Masaud) िै । यि
धचश्ती परं परा के सफ
ू ी संत अब्दरु रिमान धचश्ती दवारा रधचत 17वीं शताब्दी की फारसी में संचररत्र रचना
(Hagiography) िै ।
• किा जाता िै , कक मग
ु ल बादशाि अकबर ने गाजी ममयां की दरगाि के रख-रखाव के मलए 1571 ई. में
भमू म दान में दी थी।
सालार मसूद और राजा सुहलदे ि:
सालार मसूद और राजा सुिलदे व के बीच युदध, इततिास और ममथक दोनों का ममश्रर्ण िै ।
• अमभलेखों के अनुसार, बिराइच में , 1034 ई. में एक युदध के दौरान मसद
ू और सुिलदे व नाम के एक
स्थानीय राजा का आमना-सामना िुआ था।
• यदु ध के दौरान, मसद
ू एक तीर से घायल िो गया और दम तोड़ हदया।
• चूंकक, वि एक योदधा के रूप में अपने कतषव्यों को पूरा करते िुए मारा गया, इसमलए उसे शिीद का दजाष
'गाजी ममयां' की उपाधध दी गयी।
राजा सह
ु लदे ि:
‘सुिेलदे व’ (Suhaldev), श्रावस्ती (वतषमान उत्तर-पूवी उत्तर प्रदे श में ) के एक प्रमसदध
राजा थे। माना जाता िै कक ‘सुिेलदे व’ (Suhaldev), ‘भर समुदाय’ (Bhar community)
के राजा के सबसे बड़े पुत्र थे। ‘भर समद
ु ाय’ से िी, इस क्षेत्र के एक दमलत जातत
समूि ‘पासी समुदाय’ का उदय िुआ।
इस क्षेत्र के प्रचमलत इततिास में इनके मलए सि
ु लदे व, साकारदे व, सिरदे व और सहु िलदे व
सहित कई नामों से जाना जाता िै । यदयवप, समकालीन मुद्रर्ण परं परा में इन्िें राजा
सुिलदे व के रूप में जाना जाता िै ।
इन शजससयतों को लेकर वििाद:
• गाजी ममयां की पूजा करने वाले कुछ लोग ‘सुिलदे व’ को एक स्थानीय जनजातत के राजा के रूप में दे खते
िैं। इनमे से अधधकााँश लोग मजु स्लम िै , और ये लोग ‘राजा सि
ु लदे व’ को अपने ऊपर शासन करने वाला
एक अत्याचारी और उत्पीड़क राजा मानते िैं।
• िालााँकक, ‘राजा सुिलदे व’ को एक वीर योदधा भी माना जाता िै , और उन्िें हिंदओ
ू ं (या, भारतीय-धमष और
संस्कृतत) को नष्ट्ट करने की कोमशश करने वाले ववदे शी आिमर्णकारी (गाजी ममयां) के खखलाफ यद
ु ध करने
वाले, एक उदधारकताष के रूप में प्रस्तुत ककया जाता िै।
आज ‘मिाराजा सुिालदे व’ की स्मतृ त में उत्सव मनाया जाता िै ।
• फरवरी 2016 में , तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अममत शाि ने सुिलदे व को एक राष्ट्रीय नायक के रूप में
सम्मातनत ककया और बिराइच में उनकी प्रततमा का अनावरर्ण ककया।
• भारतीय रे लवे दवारा गाजीपरु से ‘सि
ु लदे व एतसप्रेस’ की शरु
ु आत की गयी िै ।
• वर्ष 2017 में उत्तर प्रदे श सरकार दवारा लखनऊ में सि
ु लदे व की एक प्रततमा स्थावपत करने संबंधी एक
योजना की घोर्र्णा की गयी थी।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।
www.insightsonindia.com 11 InsightsIAS
6. श्री अरबबंदो
संदभभ: िाल िी में , प्रधानमंत्री श्री नरे न्द्र मोदी ने, श्री अरत्रबंदो (Sri Aurobindo) की 150वीं जयंती पर आयोजजत
ककए जाने वाले स्मरर्णोत्सव के मलए गहठत ‘उच्च स्तरीय सममतत’ की पिली बैठक की अध्यक्षता की।
• बैठक में उन्िोंने दे श भर के 150 ववश्वववदयालयों को श्री अरत्रबंदो के जीवन और दशषन के ववमभन्न पिलओ
ु ं
पर लेख मलखने िे तु शाममल करने और इस अवसर पर 150 लेखों को प्रकामशत करने का सुझाव हदया।
• श्री अरत्रबंदो का जन्म 15 अगस्त, 1872 को कोलकाता, पजश्चम बंगाल में िुआ था।
‘श्री अरबबंदो’ के बारे में :
• श्री अरत्रबंदो (अरववन्द घोर्), ‘आध्याजत्मक ववकास के माध्यम से पथ्
ृ वी पर
हदव्य जीवन’ के दशषन को प्रततपाहदत करने वाले एक योगी, द्रष्ट्टा, दाशषतनक,
कवव और भारतीय राष्ट्रवादी थे।
• इन्िोंने यव
ु ा अवस्था में वर्ष 1902 से 1910 तक स्वतन्त्रता संग्राम में
िाजन्तकारी के रूप में भाग मलया।
• बाद में श्री अरत्रबंदो एक योगी बन गये और इन्िोंने पांडडचेरी में एक
‘आध्याजत्मक साधकों’ के एक संप्रदाय की स्थापना की, जो 1926 में ‘श्री
अरत्रबंदो आश्रम’ के रूप में ववकमसत िुआ।
• वि अमेररकी िांतत, इटली में ववद्रोि और मध्यकालीन इंग्लैंड के खखलाफ
फ्रांसीसी ववद्रोिों से बिुत प्रभाववत थे।
• उन्िोंने कांग्रेस के अधधवेशनों में भाग मलया और साथ िी वर्ष 1902 में
कलकत्ता में ‘अनश
ु ीलन सममतत’ की स्थापना में सियोग ककया।
• उन्िोंने और उनके भाई िांततकारी बाररन घोर् (Barin Ghose) ने युगांतर पत्रत्रका में कई लेख मलखे, जजसने
कई युवाओं को िांततकारी कायष करने के मलए प्रेररत ककया।
• वे ‘बंदे मातरम’ जैसे समाचार पत्रों का संपादन करने वाले पत्रकार भी थे।
• मई 1908 में , अरत्रबंदो को ‘अलीपुर र्डयंत्र केस’ के मसलमसले में धगरफ्तार ककया गया था।
• 1914 में उन्िोंने ‘आयष पत्रत्रका’ का प्रकाशन शरू
ु ककया।
• उन्िोंने काफी संख्या में रचनाएाँ की। उनकी सबसे प्रख्यात साहिजत्यक उपलजब्ध 'साववत्री' थी। इस मिाकाव्य
कववता में लगभग 24000 पंजततयां िैं।
• उन्िोंने एक प्रकार का योग ववकमसत ककया जजसे ‘एकात्म योग’ (Integral Yoga) किा जाता िै ।
राष्ट्रिाद का उनका शसद्िांत:
श्री अरत्रबंदो घोर् को भारतीय राष्ट्रवाद का पैगम्बर माना जाता था। बंककमचंद्र, ततलक और दयानंद के साथ-साथ,
उन्िोंने भारत में राष्ट्रवाद के मसदधांत को ववकमसत ककया।
• श्री अरत्रबंदो का राष्ट्रवाद का मसदधांत, वेदांत दशषन पर आधाररत था, जजसमें ‘मनुष्ट्य और ईश्वर’ में
एकरूपता और एकात्मकता की बात किी गयी थी।
• उन्िोंने किा कक, भारत वास्तव में ‘भारत माता’ िै जो अपने लाखों बच्चों की एकजुट शजतत और सत्ता
का प्रतततनधधत्व करती िै । भारत माता, अपने लोगों की अनंत ऊजाष का प्रतततनधधत्व करती िै : उन्िोंने
भारत माता को ईश्वर की तरि बताया और किा कक यि भारत को स्वतंत्र कराना, ईश्वर का हदव्य ममशन
िै ।
• उन्िोंने किा कक गांवों को अपनी स्वायत्तता और स्वशासन कायम रखना चाहिए, लेककन साथ िी, 'राष्ट्रीय
एकता को बढ़ावा दे ने की कोमशश करनी चाहिए। ‘राष्ट्रीय स्वराज’ का आदशष, ‘आत्मतनभषर, स्वायत्त और
स्वशासी, पुराने ग्राम समाज’ पर आधाररत िोना चाहिए।
स्रोत: द हिंद।ू
www.insightsonindia.com 12 InsightsIAS
7. रानी लक्ष्मी बाई
संदभभ उत्तर प्रदे श के ‘झांसी रे लवे स्टे शन’ को अब ‘वीरांगना लक्ष्मीबाई रे लवे
स्टे शन’ के नाम से जाना जाएगा।
रे लिे स्टे शन का नाम बदलने की प्रकक्रया:
• उत्तर प्रदे श सरकार दवारा पिले इस स्टे शन का नाम बदलने का प्रस्ताव
केंद्रीय गि
ृ मंत्रालय को भेजा गया था।
• केंद्रीय रे ल मंत्रालय, भारतीय सवेक्षर्ण ववभाग और डाक ववभाग से अनापवत्त
प्राप्त करने के बाद, ‘गि
ृ मंत्रालय’ दवारा ककसी भी स्टे शन या स्थान के नाम पररवतषन के मलए सिमतत
दी जाती िै ।
• उपरोतत संगठन इस बात की पुजष्ट्ट करते िैं, कक उनके ररकॉडष में प्रस्ताववत नाम के समान नाम वाला
कोई अन्य कस्बा या गांव निीं िै ।
• नाम पररवतषन को मंजूरी ममलने के बाद, एक कायषकारी आदे श जारी ककया जाता िै , जजसके उपरांत ‘रे ल
मंत्रालय’ दवारा तदनुसार स्टे शन कोड बदल हदया जाता िै ।
‘रानी लक्ष्मीबाई’ के बारे में :
• ‘रानी लक्ष्मीबाई’ का जन्म 19 नवंबर, 1828 को वारार्णसी, उत्तर प्रदे श में िुआ था, इनका बचपन का नाम
‘मखर्णकखर्णषका तांबे’ था।
• वर्ष 1842 में ‘लक्ष्मीबाई’ का वववाि झांसी के राजा ‘गंगाधर नेवालकर’ से िुआ।
अंग्रेजों और रानी लक्ष्मीबाई के बीच यद् ु ि:
रानी लक्ष्मीबाई के एक पत्र
ु िुआ जजसका नाम ‘दामोदर राव’ रखा गया, ककं तु जन्म के चार मिीने के भीतर िी
उसकी मत्ृ यु िो गयी। मशशु की मत्ृ यु के बाद, लक्ष्मीबाई के पतत ने अपने एक चचेरे भाई के बच्चे ‘आनंद राव’ को
गोद मलया, और मिाराजा की मत्ृ यु से एक हदन पिले उसका नाम ‘दामोदर राव’ रखा गया था।
• लॉडष डलिौजी ने बच्चे को राज्य का उत्तराधधकारी स्वीकार करने से इनकार कर हदया और ‘व्यपगत का
मसदधांत’ या ‘िड़प नीतत’ (Doctrine of Lapse) के माध्यम से राज्य पर कब्जा कर मलया। ककं तु, रानी ने
लॉडष डलिौजी के इस फैसले को मानने से इनकार कर हदया।
• इसी बात को लेकर दोनों के बीच युदध शुरू िो गया। अंग्रेजों ने शिर के चारो ओर घेराबंदी कर दी, ‘झांसी
की रानी’ ने इस दौरान दो सप्ताि तक अंग्रज
े ों को कड़ी टतकर दी।
• उसने अंग्रेजों के खखलाफ बिादरु ी से लड़ाई लड़ी और अपने राज्य को बचाने के मलए अंग्रेजी सेना के
कप्तान सर ‘हयू रोज’ का कड़ा मुकबला ककया।
• 17 जनू , 1858 को यदु ध के मैदान में लड़ते िुए रानी लक्ष्मीबाई वीरगतत को प्राप्त िो गई।
‘व्यपगत का शसद्िांत’ या ‘हड़प नीतत’:
‘व्यपगत का मसदधांत’ या ‘िड़प नीतत’ (डॉजतरन ऑफ लैप्स) छोटे राज्यों और दे शी ररयासतों को अंग्रेजी साम्राज्य
में ववलय करने की एक नीतत थी। जजसे, वर्ष 1848 से 1856 तक भारत के गवनषर-जनरल रिने के दौरान लॉडष
डलिौजी दवारा व्यापक रूप से लागू ककया गया था।
• इस नीतत के अनुसार, ईस्ट इंडडया कंपनी के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष (एक जागीरदार के रूप में ) तनयंत्रर्ण के
तित ककसी भी ररयासत पर, जिां शासक का कोई कानन
ू ी पुरुर् उत्तराधधकारी निीं था, कंपनी दवारा कब्जा
कर मलया जाएगा।
• इसके अनस
ु ार, भारतीय शासक के ककसी दत्तक पत्र
ु को राज्य का उत्तराधधकारी घोवर्त निीं ककया जा सकता
था। इस नीतत ने, भारतीय शासक के अपनी पसंद के उत्तराधधकारी को तनयुतत करने के लंबे समय से
चले आ रिे अधधकार को चन
ु ौती दी थी।

www.insightsonindia.com 13 InsightsIAS
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक, जब 1943 में ‘आजाद हिन्द फौज’ या ‘इजण्डयन नेशनल आमी’ (Indian
National Army) ने अपनी पिली महिला इकाई का गठन ककया था, तो इसका नाम झांसी की वीर रानी के नाम
पर रखा गया।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

विषय:स्वतंत्रता के पश्चात ् दे श के अंदर एकीकरर्ण और पुनगषठन।


1. गोिा मुजतत ददिस
संदभभ: 19 हदसंबर, 2021 को गोवा को पुतग
ष ाली औपतनवेमशक शासन से मत
ु त कराने वाले भारतीय सशस्त्र बलों की
स्मतृ त में 60वां ‘गोवा मुजतत हदवस’ (Goa Liberation Day) मनाया गया।
इस घटना का भारतीय इततहास में महत्ि:
यदयवप भारत ने त्रब्रहटश शासन से वर्ष 1947 में िी स्वतंत्रता प्राप्त कर ली थी, कफर भी, गोवा – जोकक उस समय
एक पुतग
ष ाली उपतनवेश था - को ववदे शी तनयंत्रर्ण से मुतत कराने में 14 सालों का और अधधक समय लग गया।
अंततः, 19 हदसंबर 1961 को, भारतीय सशस्त्र बलों ने लगभग 450 वर्ों के औपतनवेमशक शासन का अंत करते िुए,
पुतग
ष ामलयों से गोवा पर अपना तनयंत्रर्ण वापस िामसल कर मलया।
‘ऑपरे शन विजय’ के बारे में :
पुतग
ष ाली, भारत में अपना उपतनवेश स्थावपत करने वाले सबसे पिले औपतनवेमशक शासक थे और दे श छोड़ने वाले
अंततम उपतनवेशी भी यिी थे।
पत
ु ग
ष ामलयों ने वर्ष 1510 में गोवा पर आिमर्ण ककया था।
• तत्कालीन प्रधान मंत्री जवािरलाल नेिरू दवारा भारतीय सशस्त्र बलों के मलए ‘गोवा’ पर िमला करने का
आदे श हदए जाने के बाद, 17 हदसंबर 1961 को ‘ऑपरे शन ववजय’ (Operation Vijay) शुरू ककया गया। इस
अमभयान के तित, लगभग 30,000 भारतीय सैतनकों ने, बरु ी तरि से तैयार 3,000 पत
ु ग
ष ाली सैतनकों पर
आसानी से काबू पा मलया।
• न्यूनतम रततपात के साथ, भारतीय सेना का यि अमभयान सफल रिा और पुतग
ष ाल के तनयंत्रर्ण में अन्य
भारतीय क्षेत्रों - दमन और दीव को अपने अधधकार में लेने के मलए इस ऑपरे शन को आगे जारी रखा
गया।
• इस बीच 18 हदसंबर को, पत
ु ग
ष ाली गवनषर जनरल ‘वासलो डी मसल्वा’ (Vassalo da Silva) ने केंद्र शामसत
प्रदे श गोवा, दमन और दीव पर अपना तनयंत्रर्ण छोड़ हदया।
इंस्टा जजज्ञासु:
तया आप ‘गोवा जनमत संग्रि’ (Goa Opinion Poll) के बारे में जानते िैं?
• 16 जनवरी 1967 को, भारतीय संघ में केंद्र शामसत प्रदे श गोवा, दमन और दीव के भववष्ट्य का फैसला करने
के मलए ‘गोवा ओवपतनयन पोल’ अथाषत ‘जनमत संग्रि’ करवाया गया था।
• यदयवप इस आमतौर पर ‘ओवपतनयन पोल’ किा जाता िै , ककं तु वास्तव में यि एक ‘जनमत संग्रि’
(Referendum) था, तयोंकक ‘पोल’ के पररर्णाम भारत सरकार के मलए बाध्यकारी थे।
• ‘जनमत संग्रि’ में गोवा वामसयों के मलए ‘केंद्र शामसत प्रदे श के रूप में बने रिने’ अथवा ‘मिाराष्ट्र’ राज्य
में ववलय ककए जाने के पक्ष में मतदान करने को किा गया था। स्वतंत्र भारत में िोने वाला यि एकमात्र
जनमत संग्रि िै ।
• गोवा-वामसयों ने ‘मिाराष्ट्र में ववलय ककए जाने के खखलाफ’ मतदान ककया और गोवा एक केंद्र शामसत
प्रदे श बना रिा। इसके बाद, 1987 में गोवा, भारतीय संघ के अंतगषत एक पूर्णष राज्य बन गया।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

www.insightsonindia.com 14 InsightsIAS
विषय:महिलाओं की भूममका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबदध मुददे , गरीबी और ववकासात्मक ववर्य,
शिरीकरर्ण, उनकी समस्याएाँ और उनके रक्षोपाय।
1. स्माटभ शसटीज शमशन
संदभभ: COVID-19 मिामारी के कारर्ण िुई दे री और अगस्त में नीतत आयोग दवारा की गयी मसफाररश के आधार
पर ‘स्माटष मसटीज ममशन’ (SCM) के तित सीमा, ‘भाग लेने वाले सभी 100 शिरों’ के मलए, पररयोजनाओं को पूरा
करने की समय जून 2023 तक बढ़ा दी गई िै ।
स्माटभ शसटी शमशन:
• स्माटष मसटीज ममशन (Smart Cities Mission), भारत सरकार ने 2015 में शरू
ु ककया था।
• ममशन के तित पररयोजनाओं को पूरा करने के मलए चयतनत शिरों को पांच साल का समय हदया गया
था, जजसमें स्माटष मसटी का पिला सेट 2021 में पूरा िोने की उम्मीद िै ।
• इस ममशन में 100 शिरों को शाममल ककया जाएगा और इसकी अवधध पांच साल (ववत्तीय वर्ष 2015-16 से
ववत्तीय वर्ष 2019-20) की िोगी।
• इस ममशन का उददे श्य, शिरी कायों को एकीकृत करना, दल
ु भ
ष संसाधनों का अधधक कुशलता से उपयोग
करना और नागररकों के जीवन की गुर्णवत्ता में सध
ु ार करना िै ।
• यि, आवास और शिरी मामलों के मंत्रालय के तित एक अमभनव पिल िै ।
• यि एक ‘केंद्र प्रायोजजत योजना’ िै ।
‘स्माटभ शसटी’ में पररकजल्पत ‘चार स्तंभ’:
1. सामाजजक अवसंरचना (Social Infrastructure)
2. भौततक अवसंरचना (Physical Infrastructure)
3. प्रशासन सहित संस्थागत अवसंरचना (Institutional Infrastructure)
4. आधथषक अवसंरचना (Economic Infrastructure)
इस योजना के तहत की गई प्रगतत (जून 2021 तक):
• इस ममशन के तित कुल प्रस्ताववत पररयोजनाओं में से 5,924 पररयोजनाओं के टें डर जारी िो चुके िैं,
5,236 पररयोजनाओं के मलए कायष आदे श जारी ककए जा चक
ु े िैं और 2,665 पररयोजनाएं परू ी तरि से चालू
िैं।
• 24,964 करोड़ रुपए की 212 तनजी-सावषजतनक पररयोजनाएं पूरी िो चुकी िैं।
• 70 स्माटष शिर ववकमसत ककए जा चुके िैं और इनमे एकीकृत कमांड और तनयंत्रर्ण केंद्रों (Integrated
Command and Control Centres - ICCCs) का संचालन शुरू िो गया िै ।
आगे की चन
ु ौततयां:
1. ऊजाष दक्ष और िररत भवनों के तनमाषर्ण में अभी काफी प्रगतत अपेक्षक्षत िै ।
2. शिरी तनकायों को आत्मतनभषर बनाना।
3. सावषजतनक पररविन की हिस्सेदारी घटती जा रिी िै । बढ़ते शिरीकरर्ण की जरूरतों को परू ा करने के मलए
इसमें वद
ृ धध ककए जाने की जरूरत िै ।
4. शिरीकरर्ण में वद
ृ धध के कारर्ण, बढ़ता वायु प्रदर्
ू र्ण और सड़कों पर भीड़भाड़ में वद
ृ धध।
इंस्टा जजज्ञासु:
• तया आप ‘ग्लोबल स्माटष मसटी इंडेतस’ के बारे में जानते िैं?
• तया आपको ‘शिरी नवाचार सच
ू कांक’ (CiX) के बारे में याद िै ?
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 15 InsightsIAS
2. सहायक प्रजनन तकनीक एिं सरोगेसी वििेयक
संदभभ:
िाल िी में , लोकसभा दवारा ‘सिायक प्रजनन प्रौदयोधगकी ववतनयमन ववधेयक’, 2020 (Assisted Reproductive
Technology Regulation Bill, 2020) पाररत कर हदया गया िै । ववधेयक में , दे श में ‘सिायक प्रजनन तकनीक
(Assisted Reproductive Technology - ART) सेवाओं के सुरक्षक्षत और नीततपरक तौर-तरीकों को अपनाने के मलए
अनेक प्रावधान ककए गए िैं।
वििेयक का अिलोकन एिं इसके प्रमुख बबंद:ु
1. ववधेयक में , ‘इन-ववरो फहटषलाइजेशन’ (IVF) तलीतनक में काम करने वाले व्यजततयों के मलए एक आचार
संहिता बनाने और लागू करने िे तु एक राष्ट्रीय बोडष के गठन का प्रावधान ककया गया िै ।
2. इसमें , ‘सिायक प्रजनन तकनीक’ (ART) तलीतनकों और बैंकों दवारा तनयोजजत ककए जाने वाले ववशेर्ज्ञों
और भौततक बतु नयादी ढांचे, प्रयोगशाला, नैदातनक उपकरर्ण आहद के मलए न्यन
ू तम मानक तनधाषररत ककए
गए िैं।
3. ववधेयक में , ART के माध्यम से पैदा िोने वाले बच्चे के लाभ िे तु ‘आरोपर्ण’ (Implantation) से पिले भ्रर्ण

के आनुवंमशक परीक्षर्ण को अतनवायष ककया गया िै ।
4. इसमें शुिार्णु (Sperm), अंडार्णु (Oocytes) और भ्रर्ण
ू (Embryos) के मलए अतततनम्न-तापीय संरक्षर्ण (Cryo-
Preservation Processes) प्रकियाओं को व्यवजस्थत करने िे तु प्रावधान ककए गए िैं।
5. ववधेयक में , एक केंद्रीय डेटाबेस बनाए रखने और राष्ट्रीय बोडष को कामकाज में सिायता करने िे तु एक
‘राष्ट्रीय रजजस्री एवं पंजीकरर्ण प्राधधकरर्ण’ के गठन का भी प्रस्ताव ककया गया िै ।
6. इस ववधेयक में ‘मलंग चयन, मानव भ्रर्ण
ू या यग्ु मक की त्रबिी और इस तरि के अन्य गैरकानन
ू ी कायों के
मलए एजेंमसयों/रै केट/संगठनों को चलाने वालों के मलए कड़ी सजा का प्रस्ताव ककया गया िै ।
इस संबंि में एक कानून की आिश्यकता:
संबंधधत महिलाओं एवं बच्चों को शोर्र्ण से संरक्षर्ण प्रदान करने िे तु ‘सिायक प्रजनन तकनीक’ (ART) सेवाओं को
ववतनयममत करने की आवश्यकता िै । वतषमान में तलीनकों के मलए ‘भारतीय आयुववषज्ञान अनुसध
ं ान पररर्द’ (ICMR)
के साथ पंजीकरर्ण कराना स्वैजच्छक िै , जजसकी वजि से अधधकांश तलीतनक पंजीकरर्ण कराने की जिमत निीं
उठाते िैं, और बांझपन उपचार की पेशकश करते समय अस्पष्ट्टता रखते िैं।
महत्ि:
इस अधधतनयम के लागू िोने से, दे श में ‘सिायक प्रजनन प्रौदयोधगकी सेवाएं’ ववतनयममत िोंगी। जजसके
पररर्णामस्वरूप, बांझ दं पतत ‘एआरटी तलीतनकों’ में नैततक तौर-तरीकों के बारे में अधधक सुतनजश्चत और आश्वस्त
िो सकेंगे।
एआरटी के बारे में :
‘सिायक प्रजनन तकनीक (Assisted Reproductive Technology - ART), में आमतौर पर इन-ववरो फहटष लाइजेशन
(IVF), इंरा-यट
ू े राइन इनसेममनेशन (IUI), अंडार्णु एवं शि
ु ार्णु डोनेशन, अतततनम्न-तापीय संरक्षर्ण (Cryo-Preservation
Processes) जैसी प्रकियाएं शाममल िोती िैं, इनके अलावा ‘सरोगेसी’ (Surrogacy) को भी इसमें शाममल ककया जाता
िै ।
तनःसंतान िोने के सामाजजक कलंक और गोद लेने की लंबी प्रकियाओं की वजि से भारत में ‘सिायक प्रजनन
तकनीक (ART) की मांग में वद
ृ धध िुई िै । अतः ART उदयोग में 10% की चिवद
ृ धध दर से वावर्षक वद
ृ धध िोने की
संभावना कोई आश्चयष की बात निीं िै ।

www.insightsonindia.com 16 InsightsIAS
भारत में ‘सरोगेसी’ बनाम ART:
• ‘सरोगेसी (तनयमन) ववधेयक’ (Surrogacy (Regulation) Bill), बांझपन की समस्या के तनदान िे तु ‘स्थानापन्न
मातत्ृ व’ अथाषत ‘सरोगेसी’ (Surrogacy) से संबंधधत िै , जजसमे एक तीसरा व्यजतत, अथाषत एक महिला,
सरोगेट मां के रूप में कायष करती िै । ‘सिायक प्रजनन तकनीक (ART) प्रकिया में , संतान के आकांक्षी
दं पवत्त स्वयं इस उपचार का लाभ उठा सकते िैं और इसमें ककसी तीसरे व्यजतत की प्रायः जरूरत निीं
पड़ती िै ।
• सरोगेसी की अनुमतत, केवल भारतीय वववाहित दम्पतत के मलए िै । जबकक, एआरटी प्रकियाएं वववाहित
दं पततयों, मलव-इन पाटष नसष, मसंगल महिलाओं और ववदे मशयों के मलए भी खल
ु ी िैं।
• वर्ष 2015 में जारी एक अधधसूचना के माध्यम से ववदे मशयों या OCI या PIO काडषधारकों को भारत में
सरोगेसी प्रकिया शुरू करने से प्रततबंधधत ककया गया िै , ककं तु भारतीय नागररकता रखने वाले NRI सरोगेसी
का लाभ उठा सकते िैं। जबकक एआरटी सेवाओं का लाभ उठाने के मलए, ववदे शी नागररक, धचककत्सा पयषटन
के तित भारत आ सकते िैं।
इंस्टा जजज्ञासु:
महिलाओं के प्रजनन अधधकारों की रक्षा िे तु एक और मित्वपूर्णष ववधेयक - सरोगेसी (तनयमन) ववधेयक, 2019 - 5
अगस्त, 2019 - को लोकसभा दवारा पाररत ककया गया था। ववधेयक के कई पिलुओं पर ववचार करने िे तु इसे एक
प्रवर सममतत को भेजा गया, जजसने एआरटी ववधेयक को पिले लाये जाने की मसफाररश की थी, जजससे बाद में
सरोगेसी (ववतनयमन) ववधेयक, 2019 में , सभी उच्च तकनीकी और धचककत्सा पिलओ
ु ं को संबोधधत ककया जा सके।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘सिायक प्रजनन प्रौदयोधगकी ववतनयमन ववधेयक’ के बारे में
2. मुख्य ववशेर्ताएं, लाभ
3. सरोगेसी त्रबल, प्रमख
ु प्रावधान
में स शलंक: सरोगेसी ववधेयक से जुड़ी धचंताओं पर चचाष कीजजए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

3. विश्ि असमानता ररपोटभ


संदभभ:
िाल िी में , ‘ववश्व असमानता ररपोटष 2022’ (World Inequality Report, 2022) जारी की गई िै ।
विश्ि असमानता ररपोटभ (WIR) के बारे में महत्िपूर्भ तथ्य:
• यि ररपोटष ‘पेररस स्कूल ऑफ इकोनॉममतस’ के एक शोध केंद्र ‘वल्डष इनइतवमलटी लैब’ दवारा जारी की गई
िै ।
• ‘ववश्व असमानता ररपोटष ’ में ककसी दे श (और ववश्व) में आय और धन के ववतरर्ण के बारे में जानने िेतु
ववमभन्न प्रकार के ववत्तीय डेटा का अध्ययन ककया जाता िै ।
इस ररपोटभ का महत्ि- असमानताओं पर अध्ययन की आिश्यकता:
इस ररपोटष में दी जाने वाली जानकारी काफी मित्वपर्ण
ू ष िोती िै , तयोंकक अधधकांश लोकतंत्रों में , धनी व्यजतत अपनी
आधथषक शजतत को राजनीततक शजतत में पररवततषत कर सकते िैं और ऐसा करते भी िैं। और इसमलए, जजस दे श में
असमानता जजतनी अधधक िोगी, विां इस बात की उतनी िी अधधक संभावना िोगी कक आधथषक रूप से संपन्न
अल्पसंख्यक, दे श के बिुसंख्यकों के भाग्य का तनधाषरर्ण कर सकते िैं।
असमानता स्तरों के बारे में सटीक डेटा की उपलब्धता, असमानता कम करने में सक्षम नीततगत उपायों के पक्ष
में जनमत तैयार करने में सिायक िो सकते िैं।

www.insightsonindia.com 17 InsightsIAS
विश्ि असमानता ररपोटभ , 2022 के प्रमुख तनष्ट्कषभ:
• राष्ट्रीय आय में भागीदारी के संदभष में अमीर और गरीब के बीच का अंतर काफी बड़ा िै , और सरकारी
नीततयों के समद
ृ ध अमभजात वगष के पक्ष में िोने के पररर्णामस्वरूप इस अंतर में तेजी से वद
ृ धध िो रिी
िै । वैजश्वक आबादी के 10 प्रततशत सबसे अमीर आबादी के पास वैजश्वक आय का 52% हिस्सा िै , जबकक
सबसे गरीब 50% आबादी को इसका मात्र 8.5% भाग प्राप्त िोता िै ।
• वैजश्वक संपवत्त असमानता, आय असमानता से भी बदतर िैं। सबसे गरीब 50% आबादी के पास वैजश्वक
संपवत्त का मात्र 2% िै , जबकक सबसे अमीर 10% आबादी के पास कुल संपवत्त का 76% भाग िै ।
• दे शों के बीच असमानता में कमी कम िो रिी िै , जबकक दे शों के भीतर असमानता बढ़ती जा रिी िै । सबसे
अमीर 10% दे शों की औसत आय और सबसे गरीब 50% दे शों की औसत आय के बीच का अंतर 50 गर्ण
ु ा
से घटकर 40 गर्ण
ु ा से भी कम िो गया िै । दे शों के भीतर शीर्ष 10% व्यजततयों और तनचले 50% व्यजततयों
की औसत आय के बीच का अंतर लगभग दोगन
ु ा (8.5 गर्ण
ु ा से 15 गर्ण
ु ा) िो गया िै ।
• दे श अमीर होते जा रहे हैं, ककं तु सरकारें गरीब होती जा रही हैं: राष्ट्रीय संपवत्त में तनजी स्वाममत्व वाली
संपवत्त का हिस्सा बढ़ रिा िै , जबकक सावषजतनक पररसंपवत्तयों (भवन, ववश्वववदयालय, सड़क, अस्पताल आहद)
का हिस्सा कम िोता जा रिा िै ।

महाद्िीपों के मध्य असमानता:


ररपोटष के अनस
ु ार, यरू ोप सबसे कम असमानता वाला मिादवीप िै , और यिााँ शीर्ष 10% आबादी का आय में 36%
हिस्सा िै । ‘मध्य पूवष और उत्तरी अफ्रीका’ (Middle East and North Africa - MENA) में सवाषधधक असमानता दे खी
गयी िै , यिााँ शीर्ष 10% आबादी का आय में 58 प्रततशत हिस्सा िै ।
भारत में आय असमानता:
• भारत ववशव के सबसे असमान दे शों में से एक िै , और यिााँ शीर्ष 1% आबादी का राष्ट्रीय आय में 21.7%
हिस्सा िै ।
• शीर्ष 10 प्रततशत भारतीयों का राष्ट्रीय आय में 57% हिस्सा िै , जबकक तनचले स्तर की 50% आबादी का
मात्र 13% हिस्सा िै ।
• तनचले स्तर की 50% आबादी की औसत राष्ट्रीय आय ₹53,610 िै , जबकक शीर्ष 10% आबादी की आय
इससे 20 गुना अधधक, अथाषत ₹11,66,520 िै ।

www.insightsonindia.com 18 InsightsIAS
भारत में असमानता- 1947 से पहले और बाद में :
भारत में वतषमान ‘आय असमानता’ त्रब्रहटश शासन-काल के मुकाबले बदतर िै । अंग्रेजी शासन (1858-1947) के
दौरान, भारत में शीर्ष 10% आबादी का राष्ट्रीय आय में लगभग 50% (वतषमान के 57% से कम) हिस्सा था।
• भारत को स्वतंत्रता ममलने के बाद के दशकों में , समाजवादी आधथषक नीततयों ने आय असमानता को कम
ककया, जजससे शीर्ष 10% आबादी की हिस्सेदारी 35-40% िो गई।
• ररपोटष के अनुसार, 1980 के दशक से, "ववतनयमन और उदारीकरर्ण नीततयों की वजि से ववश्व में आय
और धन असमानता में सबसे अधधक वद
ृ धध दे खी गयी िै ।"
ररपोटभ के समग्र तनष्ट्कषभ:
ररपोटष में इस तथत को उजागर ककया गया िै कक असमानता और गरीबी अपररिायष या तनजश्चत निीं िोती िै ,
बजल्क मुख्य रूप से यि नीततगत तनर्णषयों का नतीजा िोती िैं।
• ररपोटष में , 1980 के दशक के बाद से - वपछले तीन दशकों के ववपरीत -ववमभन्न दे शों में लागू ककए गए
उदारीकरर्ण कायषिमों के बाद, दतु नया भर में असमानताओं के बढ़ने संबंधी करर्णों का पता लगाया गया
िै ।
• ववश्व असमानता ररपोटष , 2022 में , नीततगत उपायों के रूप में अत्याधधक धनवान (सुपर-ररच) पर संपवत्त
कर लगाने तथा, एक सशतत पुनववषतरर्ण व्यवस्था, जो यहद बढ़ती असमानता की मौजूदा प्रववृ त्त को उलट
निीं सके तो कम से कम इसे रोकने में सक्षम िो, तैयार करने की मसफाररश की गयी िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ववश्व असमानता ररपोटष (WIR) ककसके दवारा जारी की जाती िै ?
2. मानदं ड
3. ररपोटष के प्रमुख तनष्ट्कर्ष
4. भारतीय पररदृश्य
में स शलंक: भारत में बढ़ती असमानता से संबंधधत धचंताओं पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

4. बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना


संदभभ: ‘महिला सशजततकरर्ण’ पर गहठत संसदीय सममतत ने अपनी ररपोटष में किा िै , कक सरकार दवारा 'बेटी बचाओ,
बेटी पढ़ाओ' (Beti Bachao, Beti Padhao - BBBP) योजना के तित आवंहटत धनरामश का 80 प्रततशत मीडडया प्रचार
पर व्यय ककया गया िै ।
आिश्यकता: वपछले छि वर्ों में , 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' (BBBP) पर केंहद्रत अमभयान के माध्यम से यि कायषिम
बामलकाओं के मित्व के प्रतत राजनीततक नेतत्ृ व और राष्ट्रीय चेतना का ध्यान आकवर्षत करने में सफल रिा िै ।
• सरकार को अब इस रर्णनीतत पर कफर से ववचार करना चाहिए और लड़ककयों के स्वास्थ्य और मशक्षा पर,
माप-योग्य पररर्णाम िामसल करने िे तु, तनवेश करना चाहिए।
‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ (BBBP) के बारे में :
मलंग-चयनात्मक गभषपात और बाल लैंधगक अनप
ु ात में कमी से तनपटने के उददे श्य से जनवरी 2015 में ‘बेटी
बचाओ, बेटी पढाओ’ (Beti Bachao, Beti Padhao - BBBP) योजना का आरं भ ककया गया था। वर्ष 2011 में बाल
लैंधगक अनुपात 918 / 1,000 था।
• 8 माचष 2018 को राजस्थान के झझ ुं ुनू जजले में कायषिम का ववस्तार करते िुए, इसे दे श के सभी 640
जजलों (जनगर्णना 2011 के अनुसार) में शुरू कर हदया गया था।
• यि, तीन केंद्रीय मंत्रालयों, महिलाओं और बाल ववकास, स्वास्थ्य और पररवार कल्यार्ण और मानव संसाधन
ववकास मंत्रालयों का संयत
ु त प्रयास िै ।

www.insightsonindia.com 19 InsightsIAS
योजना के पररर्ाम:
1. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, जन्म के समय मलंगानुपात में सुधार के आशाजनक रुझान हदखाई दे रिे िैं
और इसमें वर्ष 2014-15 में 918 से 16 अंकों का सध
ु ार िोकर वर्ष 2019-20 में 934 िो चक
ु ा िै ।
2. प्रसवपूवष दे खभाल की पिली ततमािी के दौरान स्वास्थ्य प्रततशत में सध
ु ार की प्रववृ त्त हदखाई दे ती गई, और
यि वर्ष 2014-15 में 61 प्रततशत से बढ़कर वर्ष 2019-20 में 71 प्रततशत िो गया िै ।
3. माध्यममक स्तर पर स्कूलों में लड़ककयों के सकल नामांकन अनुपात भी वर्ष 2014-15 के 77.45 प्रततशत
से बढ़ कर वर्ष 2018-19 (अनंततम आंकड़े) में 81.32 प्रततशत िो गया िै ।
इंस्टा जजज्ञास:ु
तया आप ‘सुकन्या समद
ृ धध योजना’ के बारे में जानते िैं? यि ‘बेटी बचाओ बेटी पढाओ’ अमभयान के एक भाग
के रूप में शुरू की गई बामलकाओं के मलए एक लघु बचत योजना िै ।
स्रोत: द हिंद।ू

5. मदहला न्यायािीश
संदभभ: भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमर्ण ने ‘अधधक महिला न्यायाधीशों को शाममल ककए जाने’ की मांग
को सुप्रीम कोटष कॉलेजजयम के समक्ष रखने का वादा ककया िै ।
भारतीय न्यायपाशलका में मदहलाओं की जस्र्तत:
• सुप्रीम कोटष के 71 वर्ों के इततिास में , अब तक केवल आठ महिला न्यायाधीश शीर्ष अदालत में तनयुतत
की गयी िैं। सप्र
ु ीम कोटष में पिली महिला न्यायाधीश ‘फाततमा बीवी’ थीं, जजन्िें सप्र
ु ीम कोटष की स्थापना
से 39 साल के लंबे अंतराल के बाद शीर्ष अदालत की पीठ में पदोन्नत ककया गया था।
• उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में कुल स्वीकृत 1,113 न्यायाधीशों की संख्या में , केवल 80
महिला न्यायाधीश िैं।
• छि उच्च न्यायालयों - मखर्णपुर, मेघालय, पटना, त्रत्रपुरा, तेलंगाना और उत्तराखंड – में कोई महिला न्यायाधीश
निीं िैं।
सिोच्च न्यायालय में विवििता और लैंधगक प्रतततनधित्ि के लाभ:
1. महिला न्यायाधीशों का उन स्थानों में शाममल करना जिां से उन्िें ऐततिामसक रूप से बािर रखा गया था,
न्यायपामलका को अधधक पारदशी, समावेशी और प्रतततनधध रूप में समझे जाने, की हदशा में एक सकारात्मक
कदम रिा िै ।
2. अपनी उपजस्थतत मात्र से, महिला न्यायाधीश अदालतों की वैधता में वद
ृ धध करती िैं, एक सशतत संकेत
भेजती िैं कक अदालतें , न्याय की शरर्ण में आने वालों के मलए खुली िै और सुलभ िैं।
3. महिला न्यायाधीश, न्याय की संभावना में सध
ु ार करने के अलावा किीं अधधक योगदान कर सकती िैं: वे
तनर्णषय लेने की गर्ण
ु वत्ता में भी मित्वपर्ण
ू ष योगदान दे कर न्याय की गर्ण
ु वत्ता में भी योगदान दे ती िैं।
4. कानून और तनर्णषय ककस तरि लैंधगक रूहढ़यों पर आधाररत िो सकते िैं, अथवा इनका महिलाओं और
पुरुर्ों पर अलग-अलग प्रभाव ककस तरि पड़ सकता िै , इसको स्पष्ट्ट करते िुए ‘लैंधगक पररप्रेक्ष्य’
न्यायतनर्णषयन की तनष्ट्पक्षता में वद
ृ धध करता िै ।
5. महिला न्यायाधीश, अपने साथ बीते िुए अनुभवों का अपने न्यातयक कायों के उपयोग में लाती िैं, ऐसे
अनुभव, अधधक व्यापक और समानुभूततपूर्णष दृजष्ट्टकोर्ण की ओर प्रवत्त
ृ करते िैं।
6. यौन हिंसा से जुड़े मामलों में , न्यातयक प्रकिया में महिलाओं के प्रतततनधधत्व में सुधार, अधधक संतुमलत
और समानुभूततपूर्णष दृजष्ट्टकोर्ण की हदशा में अतत मित्वपूर्णष सात्रबत िो सकता िै ।

www.insightsonindia.com 20 InsightsIAS
न्यायपाशलका में मदहलाओं के प्रिेश संबंिी चुनौततयााँ:
• जजला न्यायाधीशों के रूप में महिलाओं की भती में , प्रवेश परीक्षा दे ने के मलए पात्रता मानदं ड एक प्रमख

बाधा िैं।
• न्यायाधीश बनने िे तु, वकीलों के मलए सात साल की तनरं तर कानूनी प्रैजतटस, और 35-45 की आयु वगष
में िोना आवश्यक िोता िै ।
• यि शतष, महिलाओं के मलए नुकसान-दे ि िै , तयोंकक इस उम्र में कई महिलाओं की शादी िो जाती िै ।
• इसके अलावा, कानूनी क्षेत्र में लंबे और कड़े काम के घंटे, पाररवाररक जजम्मेदाररयों के साथ, कई महिलाओं
को कानन
ू ी प्रैजतटस छोड़ने के मलए मजबरू कर दे ते िैं और जजससे वे तनरं तर प्रैजतटस की अतनवायषता को
पूरा करने में ववफल रिती िैं।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक वतषमान में , सवोच्च न्यायालय के अब तक के इततिास में सवाषधधक महिला
न्यायाधीश िैं?
प्रीशलम्स शलंक:
1. कॉलेजजयम तया िै ?
2. सवोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की तनयुजतत कैसे की जाती िै ?
3. सेवातनवत्त
ृ न्यायाधीशों की तनयुजतत
4. संबंधधत संवध
ै ातनक प्रावधान
5. शजततयां और कायष
में स शलंक: न्यायाधीशों की तनयुजतत के मलए कॉलेजजयम प्रर्णाली से जुड़े मुददों पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

6. मदहलाओं के शलए वििाह की विधिक आयु में िद्


ृ धि
संदभभ: िाल िी में , केंद्रीय मंत्रत्रमंडल दवारा महिलाओं के मलए वववाि िे तु कानूनी उम्र 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष
करने का फैसला ककया गया िै ।
यि फैसला ‘जया जेटली’ की अध्यक्षता में गहठत सममतत की मसफाररश पर आधाररत िै ।
कायभबल (Task force):
वपछले वर्ष, ववत्त मंत्री तनमषला सीतारमर्ण दवारा अपने बजट भार्र्ण में मात ृ मत्ृ यु दर कम करने और पोर्र्ण स्तर
में सुधार के मलए ‘मातत्ृ व धारर्ण करने के मलए लड़की की आयु’ तनधाषरर्ण िे तु एक सममतत गहठत ककए जाने का
प्रस्ताव ककया गया था।
लेककन, जब टास्क फोसष तनयुतत करने के तनर्णषय की घोर्र्णा की गई, तो इसके विचारर्ार्भ विषयों (Terms of
reference- ToR) में ‘माताओं और मशशुओं के स्वास्थ्य एवं पोर्र्ण जस्थतत, तथा ‘वििाह एिं मातत्ृ ि की उम्र के
परस्पर संबंि’ की जांच करना’ भी शाममल कर हदया गया था।
महत्िपूर्भ अनुशंसाएं:
• वववाि के मलए तनधाषररत न्यूनतम आयु को बढ़ाकर 21 वर्ष ककया जाना चाहिए।
• सरकार को लड़ककयों की स्कूलों और कॉलेजों तक पिुंच बढ़ाने पर, तथा दरू -दराज के क्षेत्रों से मशक्षा
संस्थानों तक आने-जाने िे तु लड़ककयों के पररविन पर ध्यान दे ना चाहिए।
• स्कूलों में कौशल और व्यावसातयक प्रमशक्षर्ण, तथा यौन मशक्षा को शाममल ककए जाने की भी मसफाररश की
गई िै ।
• इन मसफाररशों को प्राथममकता में रखा जाना चाहिए, तयोंकक जब तक इन्िें लागू निीं ककया जाएगा और
महिलाओं को सशतत निीं ककया जाता िै , तब तक वववाि-आयु संबंधी कानन
ू अपेक्षक्षत रूप से प्रभावी निीं
िोगा।

www.insightsonindia.com 21 InsightsIAS
सशमतत द्िारा प्रस्तुत प्रस्तािों के पक्ष में तकभ:
सममतत के अनुसार, कक उपयत
ुष त अनुशंसाएं ‘जनसंख्या तनयंत्रर्ण’ (भारत की ‘कुल प्रजनन दर’ में पिले से िी कमी
आ रिी िै ) के तकष की अपेक्षा ‘महिला सशजततकरर्ण एवं लैंधगक समानता’ पर अधधक आधाररत िै । सममतत का
किना िै , कक कानून के प्रभावी रूप से लागू िोने के मलए, मशक्षा और आजीववका तक पिुंच में एक साथ वद
ृ धध
की जानी चाहिए।
आलोचना:
• महिला अधधकार कायषकताषओं ने इस सुझाव का ववरोध ककया िै और कई प्रमार्णों का उदधरर्ण दे ते िुए यि
सात्रबत ककया िै , कक इस तरि की कायषवािी का इस्तेमाल, माता-वपता की सिमतत के त्रबना वववाि करने
वाले युवा वयस्कों को ‘कैद करने’ के मलए ककया जा सकता िै ।
• साथ िी, इस कदम से कानन
ू के लागू िोने के बाद, िोने वाले बड़ी संख्या में वववािों का ‘अपराधीकरर्ण’ िो
जाएगा, अथाषत बड़ी संख्या में िोने बाले वववाि ‘अपराध’ माने जाएंग।े
इस संदभभ में िैिातनक प्राििान:
वतषमान में , कानून के अनस
ु ार, पुरुष तर्ा मदहलाओं के शलए वििाह की न्यूनतम आयु क्रमशः 21 और 18 िषभ
तनिाभररत है ।
वििाह हे तु तनिाभररत न्यूनतम आयु, व्यस्क होने की आयु से शभन्न होती है । वयस्कता, लैंधगक रूप से तटस्थ
िोती िै ।
1. भारतीय ियस्कता अधितनयम, 1875 के अनुसार, कोई व्यजतत 18 वर्ष की आयु परू ी करने पर ‘व्यस्क’ िो
जाता िै ।
2. हिंदओ
ु ं के मलए, दहंद ू वििाह अधितनयम, 1955 की िारा 5 (iii), में वधू न्यन
ू तम आयु 18 वर्ष तथा वर के
मलए न्यूनतम आयु 21 वर्ष तनधाषररत की गई िै । बाल वििाह गैरकानूनी नहीं है ककं तु वववाि में ककसी
नाबामलग (वर अथवा वधू) के अनुरोध पर वववाि को शून्य घोवर्त ककया जा सकता िै ।
3. इस्लाम में , नाबाशलग के यौिन प्राप्त कर लेने के पश्चात वििाह को मजु स्लम पसषनल लॉ, के तित वैध
माना जाता िै ।
4. विशेष वििाह अधितनयम, 1954 और बाल वििाह तनषेि अधितनयम, 2006 के अंतगषत िमशः महिलाओं
और पुरुर्ों के मलए वववाि के मलए सिमतत की न्यूनतम आयु के रूप में 18 और 21 वर्ष तनधाषररत की
गयी िै ।
इस कानून पर पुनविभचार की आिश्यकता:
महिलाओं में प्रारं मभक गभाषवस्था के जोखखमों को कम करने तथा ‘लैंधगक-तटस्थता’ लाने िे तु महिलाओं के मलए
वववाि की न्यन
ू तम आयु बढ़ाने के पक्ष में कई तकष हदए जाते रिे िैं।
• प्रारं मभक गभाषवस्था का संबध
ं बाल मत्ृ यु दर में वद
ृ धध से िोता िै तथा यि मााँ के स्वास्थ्य को प्रभाववत
करती िै ।
• वववाि के मलए न्यन
ू तम आयु की अतनवायषता तथा नाबामलग के साथ यौन संबंध बनाने को अपराध घोवर्त
ककये जाने के बाद भी, दे श में बाल वववाि का काफी प्रचलन िै ।
• इसके अलावा, एक अध्ययन के अनुसार, ककशोर माताओं (10-19 वर्ष) से जन्म लेने वाले बच्चों में युवा-
वयस्क माताओं (20-24 वर्ष) से पैदा िोने वाले बच्चों की तुलना में 5 प्रततशत तक कद में बौने रि जाने
की संभावना िोती िै ।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

www.insightsonindia.com 22 InsightsIAS
7. महाराष्ट्र सरकार का शजतत वििेयक
संदभभ: िाल िी में , मिाराष्ट्र सरकार के ‘शजतत आपराधधक कानून (मिाराष्ट्र संशोधन) ववधेयक’, 2020 (Shakti
Criminal Laws (Maharashtra Amendment) Bill, 2020) पर गहठत एक संयत
ु त सममतत ने अपनी ररपोटष सौंप दी िै ।
सशमतत द्िारा ररपोटभ में की गई प्रमुख शसफाररशें:
1. बलात्कार के मामलों में मत्ृ युदंड
2. मशकायत दजष िोने की तारीख से, जांच पूरी करने के मलए 30 हदनों की समय-सीमा
3. सोशल मीडडया प्लेटफॉमष के साथ-साथ इंटरनेट डेटा प्रदान करने वाली कंपतनयों पर पुमलस जांच िे तु डेटा
साझा करने का दातयत्व।
2. मूल ववधेयक में झूठी मशकायतों के मामले में , या ककसी व्यजतत को जानबझ
ू कर परे शान ककए जाने के
मामले में , ‘अधग्रम जमानत याधचका’ दायर करने का प्रावधान निीं था। सममतत दवारा इस पर ववचार
करने की मसफाररश की गयी िै ।
महाराष्ट्र सरकार द्िारा नया कानून बनाने का कारर्:
राज्य में हिंसा संबध
ं ी मामलों, ववशेर् रूप से महिलाओं और बच्चों के खखलाफ यौन हिंसा के मामलों में िोने वाली
वद
ृ धध पर रोक लगाने िे तु नया क़ानून लाया गया िै ।
वििेयक के मसौदे में प्रस्तावित प्राििान:
1. ववधेयक के मसौदे में , भारतीय दं ड संहिता (IPC), आपराधधक प्रकिया संहिता (CrPC) और यौन अपराधों से
बालकों का संरक्षर्ण (POCSO) अधधतनयम में बदलाव करने का प्रस्ताव ककया गया िै ।
2. बलात्कार, यौन उत्पीड़न, एमसड िमले और बाल यौन शोर्र्ण से संबंधधत मौजद
ू ा कानूनों की धाराओं में
पररवतषन ककया जाएगा।
3. ववधेयक में बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, प्रभावशाली व्यजततयों दवारा बलात्कार, नाबामलगों के यौन उत्पीड़न
और एमसड िमले दवारा गंभीर रूप से घायल करने संबंधी मामलों में मौत की सजा का प्रस्ताव ककया
गया िै ।
4. जघन्य प्रकृतत के अपराधों के मलए और जिााँ पर पयाषप्त साक्ष्य उपलब्ध िै , और पररजस्थततयों दवारा एक
अनक
ु रर्णीय सजा की मांग ककये जाने पर मत्ृ यद
ु ं ड का प्रावधान ककया गया िै ।
सोशल मीडिया से संबंधित विशशष्ट्ट प्राििान:
• प्रस्ताववत ववधेयक में सोशल मीडडया पर महिलाओं के साथ िोने वाले दव्ु यषविार से तनपटने के मलए एक
अततररतत कानून का प्रस्ताव ककया गया िै ।
• ककसी महिला के मलए जानबूझकर ‘खतरे , धमकाने और भय का मािौल बनाने और उसकी गररमा को ठे स
पिुचाने वाले ककसी कृत्य, लेख अथवा शब्दों का प्रयोग करना या घर्ण
ृ ास्पद हटप्पर्णी करना भी अपराध की
श्रेर्णी में शाममल करने और इसके मलए दो साल तक के कारावास और 1 लाख रुपये का जम ु ाषने का दं ड
हदए जाने िे तु ‘िारा 354E’ को जोड़ा गया िै ।
• इसके तित महिलाओं के ‘ववकृत’ ककये गए वीडडयो (Morphed Videos) अपलोड करना या उनकी तनजता
का उल्लंघन करने वाले या सम्मान को ठे स पिुचाने वाले वीडडयो या फोटो अपलोड करने की धमकी दे ना
भी शाममल िै ।
• पिले इस संबंध में एक मिीने तक की साधारर्ण कारावास या 5 लाख रुपये जुमाषना या दोनों सजा का
प्रावधान था। अब सममतत ने कारावास की अवधध तीन मिीने और 25 लाख रुपये का जुमाषना या दोनों
का प्रावधान ककए जाने की मसफाररश की िै ।

www.insightsonindia.com 23 InsightsIAS
‘शमथ्या जानकारी’ और "अंततनभदहत सहमतत" संबि
ं ी प्राििान:
ववधेयक में ककसी व्यजतत को तनतांत, अपमातनत करने, धमकाने या जबरदस्ती बसूली करने, बदनाम या उत्पीड़न
करने के उददे श्य से की गयी ‘झठ
ू ी मशकायत’ अथवा तथाकधथत अपराध करने के संबंध में गलत जानकारी प्रदान
करने पर एक वर्ष तक कारावास या जुमाषना या दोनों का दं ड हदया जा सकता िै ।
इसके मलए सममतत ने कम से कम तीन साल की कैद और तीन साल तक की कैद और एक लाख रुपये जुमाषने
का प्रस्ताव रखा िै । इससे पिले, एक वर्ष तक के साधारर्ण कारावास और जुमाषने का प्रावधान था, जोकक तनहदष ष्ट्ट
भी निीं था।
इंस्टा जजज्ञास:ु तया आप जानते िैं कक मिाराष्ट्र का यि कानन
ू , आंध्र प्रदे श के ‘हदशा अधधतनयम’ की तजष पर
तैयार ककया गया िै ? ‘हदशा अधधतनयम’ के प्रमुख प्रावधान तया िैं?
प्रीशलम्स और में स शलंक:
1. ‘शजतत अधधतनयम’, 2020 के प्रमख
ु प्रावधान और मित्व।
स्रोत: द हिंद।ू

8. श्यामा प्रसाद मख
ु जी रुबभन शमशन
संदभभ: नवीनतम सवेक्षर्ण के अनुसार योजना के प्रदशषन का ववश्लेर्र्ण:
• श्यामा प्रसाद मुखजी रूबषन ममशन (Shyama Prasad Mukherji Rurban Mission - SPMRM) के कायाषन्वयन
में तेलंगाना पिले स्थान पर रिा।
• इसके बाद SPMRM के कायाषन्वयन में तममलनाडु और गज
ु रात ने िमशः दस
ू रा और तीसरा स्थान प्राप्त
ककया।
‘श्यामा प्रसाद मुखजी रूबभन शमशन’ के बारे में :
‘श्यामा प्रसाद मुखजी रुबषन ममशन’ (Shyama Prasad Mukherji Rurban Mission-SPMRM) का शुभारं भ 21 फरवरी,
2016 को िुआ था।
इस कायषिम को ववकास की दिलीज पर पिुाँच चुके ग्रामीर्ण क्षेत्रों में उत्प्रेरक िस्तक्षेप करने के मलए डडजाइन
ककया गया िै ।
• केन्द्रीय ग्रामीर्ण ववकास मंत्रालय दवारा शुरू ककए गये ‘श्यामा प्रसाद मुखजी रुबषन ममशन’ के तित स्थान-
संबंधी तनयोजन के जररए ‘तलस्टर आधाररत एकीकृत ववकास’ पर फोकस ककया जाता िै ।
• इसके तित, दे श भर के ऐसे ग्रामीर्ण क्षेत्रों में ग्रामीर्ण तलस्टरों की पिचान की जाती िै , जिां शिरी घनत्व
में वद
ृ धध, गैर-कृवर् रोजगारों के उच्च स्तर, आर्धथक गततववधधयां बढ़ने और अन्य सामाजजक-आधथषक पैमाने
जैसे शिरीकरर्ण के बढ़ते संकेत ममल रिे िैं।
• यि एक केंद्र प्रायोजजत योजना िै ।
• वित्तीयन: इस कायषिम के तित िोने वाले व्यय को, मैदानी क्षेत्र के राज्यों के मलए केंद्र और राज्य के
बीच 60:40 के अनुपात में और हिमालयी और पूवोत्तर राज्यों के मलए 90:10 के अनुपात में साझा ककया
जाता िै ।
• योजना का मस
ु य उद्दे श्य आधथषक, तकनीकी और सवु वधाओं और सेवाओं से संबंधधत ग्रामीर्ण-शिरी ववभाजन
को पाटना िै ।
विकास:
ममशन के तित, केंद्र सरकार दवारा जजला प्रशासन के साथ समन्वय करते िुए एवं गांवों की आत्मा को बरकरार
रखते िुए, उधचत नागररक सुववधाओं के साथ शिरों की तजष पर, ग्रामीर्ण ग्राम पंचायतों और गांवों का बिुस्तरीय
चरर्णबदध ववकास करने संबंधी उपाय ककए जाते िैं।

www.insightsonindia.com 24 InsightsIAS
‘रुबभन क्षेत्र’ तया है ?
'रुबषन तलस्टर' (Rurban Cluster), मैदानी और तटीय क्षेत्रों में लगभग 25000 से 50000 की आबादी-युतत तथा
रे धगस्तान, पिाड़ी या आहदवासी क्षेत्रों में 5000 से 15000 की आबादी वाले, भौगोमलक रूप से सटे िुए गांवों का
समूि िोता िै । इन तलस्टसष में आम तौर पर ववकास की संभावनाएं हदखायी दे ती िैं, तथा इन जगिों पर आधथषक
वद
ृ धध के मलए आवश्यक चालक तत्व पाए जाते िै और ये स्थानीय और प्रततस्पधी लाभ उठाने में सक्षम िोते िैं।
इस शमशन के तहत पररकजल्पत पररर्ाम:
1. आधथषक, तकनीकी और सवु वधाओं और सेवाओं से संबंधधत, ग्रामीर्ण-शिरी ववभाजन को पाटना।
2. ग्रामीर्ण क्षेत्रों में गरीबी और बेरोजगारी को कम करने पर जोर दे ते िुए स्थानीय आधथषक ववकास को
प्रोत्साहित करना।
3. क्षेत्र में ववकास का प्रसार करना।
4. ग्रामीर्ण क्षेत्रों में तनवेश आकवर्षत करना।
आिश्यकता: 2011 की जनगर्णना के अनुसार, भारत में 6 लाख से अधधक गााँव िैं, तथा लगभग 7,000 कस्बे और
शिरी केंद्र िैं। कुल जनसंख्या में , ग्रामीर्ण जनसंख्या 69% और शिरी जनसंख्या 31% िै ।
• दे श की लगभग 70% आबादी ग्रामीर्ण क्षेत्रों में रिती िै और कुल श्रम शजतत का लगभग 50% अभी भी
कृवर् पर तनभषर िै जोकक पयाषप्त रूप से उत्पादक निीं िै ।
• दे श में ग्रामीर्ण क्षेत्रों के अधधकााँश क्षेत्र में एकाकी बजस्तयां निीं पायी जाती िैं, बजल्क अपेक्षाकृत एक दस
ू रे
के तनकट जस्थत ‘बजस्तयों’ का समूि िोता िै । इन तलस्टसष में आम तौर पर ववकास की संभावनाएं पायी
जाती िैं, आधथषक वद
ृ धध के मलए आवश्यक चालक तत्वों की मौजूदगी के साथ-साथ, ये स्थानीय और
प्रततस्पधी लाभ उठाने में सक्षम िोते िैं।
• एक बार ववकमसत िो जाने के बाद इन समूिों को 'रूबषन' (RURBAN) के रूप में वगीकृत ककया जा सकता
िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. रुबषन ममशन
2. प्रमख
ु त्रबंद ु
3. रुबषन क्षेत्र
4. भारत में शिरी ववकास
में स शलंक: भारत में शिरी ववकास से संबंधधत सरोकारों पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:सामाजजक सशततीकरर्ण, संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद और धमषतनरपेक्षता।


1. सुशासन सूचकांक 2021
संदभभ: 25 हदसंबर को ‘सुशासन हदवस’ (Good Governance Day) के अवसर पर केंद्र सरकार दवारा ‘सुशासन
सूचकांक’ (Good Governance Index - GGI) 2021 जारी ककया गया िै ।
‘सश
ु ासन सच
ू कांक’ (GGI) के बारे में :
यि सूचकांक ‘प्रशासतनक सध
ु ार और लोक मशकायत ववभाग’ (DARPG) दवारा तैयार ककया गया िै ।
• ‘सुशासन सूचकांक’ (GGI) राज्यों और केन्द्र शामसत प्रदे शों में शासन की जस्थतत तथा ऐसी सरकारों दवारा
ककए गए प्रशासतनक िस्तक्षेपों के प्रभाव का आकलन करने की एक व्यवस्था िै ।
• GGI का उददे श्य सभी राज्यों और केंद्रशामसत प्रदे शों के शासन की तुलना करने के मलए मात्रात्मक डेटा
प्रदान करना और इसके माध्यम से राज्यों और केंद्रशामसत प्रदे शों को, पररर्णामोन्मख
ु ी दृजष्ट्टकोर्ण और
प्रशासन में बदलाव के मलए उपयुतत रर्णनीतत लागू करने में सक्षम बनाना िै ।

www.insightsonindia.com 25 InsightsIAS
सुशासन सूचकांक (जीजीआई) 2021 के ढांचे में दस क्षेत्र और 58 संकेतक शाममल ककए गए िैं।
GGI 2021 के क्षेत्र हैं:
1) कृवर् और संबदध क्षेत्र,
2) वाखर्णज्य और उदयोग,
3) मानव संसाधन ववकास,
4) सावषजतनक स्वास्थ्य,
5) सावषजतनक बतु नयादी ढांचा और उपयोधगताएं,
6) आधथषक शासन,
7) समाज कल्यार्ण और ववकास,
8) न्यातयक और सावषजतनक सरु क्षा,
9) पयाषवरर्ण और
10) नागररक-केंहद्रत शासन।
सुशासन सूचकांक 2020-21 में राज्यों और केंद्रशामसत प्रदे शों को चार श्रेणर्यों में बांटा गया िै । ये श्रेर्णी िैं:
1. अन्य राज्य - समूि ए,
2. अन्य राज्य - समूि बी,
3. उत्तर-पव
ू ष व पिाड़ी राज्य और
4. केंद्रशामसत प्रदे श।
विशभन्न राज्यों का प्रदशभन:
• 10 क्षेत्रों को कवर करते िुए गज
ु रात, मिाराष्ट्र और गोवा ‘समग्र रैंककं ग’ में शीर्ष स्थान पर िैं।
• सुशासन सूचकांक- 2021 के अनस ु ार 20 राज्यों ने जीजीआई- 2019 तुलना में अपने समग्र GGI स्कोर में
सुधार ककया िै ।
• केंद्रशामसत प्रदे शों की श्रेर्णी में हदल्ली ‘समग्र रैंककं ग’ में शीर्ष स्थान पर िै ।
• उत्तर प्रदे श ने सभी क्षेत्रों के बीच ‘वाखर्णज्य व उदयोग’ में शीर्ष स्थान प्राप्त ककया िै ।
• उत्तर-पव
ू ष और पिाड़ी राज्यों की श्रेर्णी में ममजोरम व जम्मू और कश्मीर ने GGI 2019 की तल
ु ना में िमशः
10.4 प्रततशत और 3.7 प्रततशत की समग्र बढ़ोतरी दजष की िै ।

www.insightsonindia.com 26 InsightsIAS
सुशासन सूचकांक की सीमाएं:
• सूचकांक की सीमाएं, बड़े पैमाने पर डेटा की उपलब्धता से तनधाषररत िोती िैं, ककं तु डेटा प्रामाखर्णक और
ववश्वसनीय सरकारी स्रोतों से उपलब्ध िो जाता िै अतः इस सीमा को समय के साथ दरू ककया जा सकता
िै ।
• इनपुट और प्रकिया आधाररत संकेतकों के मित्व से सिमतत जताते िुए भी, सश ु ासन सूचकांक फ्रेमवकष
केवल पररर्णाम/आउटपुट आधाररत संकेतकों पर ध्यान केंहद्रत करने तक सीममत िै।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक पूवष प्रधानमंत्री अटल त्रबिारी वाजपेयी की जयंती के उपलक्ष्य में 25 हदसंबर
को सश
ु ासन हदवस के रूप में मनाया जाता िै ?
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘सुशासन सूचकांक’ (GGI) के बारे में
2. मख्
ु य ववशेर्ताएं
3. सूचकांक के नवीनतम संस्करर्ण में ववमभन्न राज्यों का प्रदशषन
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

विषय:भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय िलचल, चिवात आहद जैसी मित्त्वपूर्णष भ-ू भौततकीय घटनाएाँ, भौगोमलक ववशेर्ताएाँ
और उनके स्थान- अतत मित्त्वपूर्णष भौगोमलक ववशेर्ताओं (जल-स्रोत और हिमावरर्ण सहित) और वनस्पतत एवं
प्राखर्णजगत में पररवतषन और इस प्रकार के पररवतषनों के प्रभाव।
1. चक्रिात जिाद
संदभभ: िाल िी में, बंगाल की खाड़ी में तनममषत ‘तनम्न दबाव’ (Deep Depression)
की जस्थतत एक गिन चिवाती तूफान जवाद (Cyclonic Jawad) में पररवततषत
िो गयी, और इस तफ़
ू ान के ओडडशा और आंध्र प्रदे श के समीप पिुंचने की
संभावना िै ।
इस चिवाती तूफान का नामकरर्ण:
इस चिवाती तूफान का नामकरर्ण ‘सऊदी अरब’ दवारा ककया गया िै , और
इसका नाम 'जवाद' (Jawad) रखा िै । अरबी भार्ा में ‘जवाद’ का अथष उदार
या दयालु िोता िै । चकंू क, यि तफ़
ू ान वपछले अन्य चिवाती तफ
ू ानों की तरि
प्रबल और खतरनाक निीं िोगा, इसमलए इसका ‘जवाद’ नाम रखा गया िै ।
‘चिवातों की उत्पवत्त:
चिवातों का तनमाषर्ण, उष्ट्र्णकहटबंधीय क्षेत्रों में समद्र
ु ीय जल के ऊपर िोता िै ।
इन क्षेत्रों में सौर-प्रकाश की मात्रा सवाषधधक िोती िै , जजसके पररर्णामस्वरूप
स्थलीय और जलीय भागों की ऊपरी सति गमष िो जाती िैं। सति के गमष
िोने के कारर्ण, समुद्र के ऊपर जस्थत उष्ट्र्ण-आद्रष वायु ऊपर की ओर उठने लगती
िै , जजसके बाद इस ररतत स्थान को भरने के मलए तेजी से झपट्टा मारकर आगे बढ़ती िै , कफर ये भी गमष िोकर
ऊपर की उठ जाती िै , और यि चि जारी रिता िै ।
िायु-चक्रर् (Spin) तनशमभत होने का कारर्:
वायु, सदै व उच्च दाब क्षेत्र से तनम्न दाब िाले क्षेत्रों की ओर प्रवाहित िोती िै । उच्च दाब क्षेत्रों का तनमाषर्ण ठं डे क्षेत्र
में िोता िै , जबकक तनम्न दाब की जस्थतत उष्ट्र्ण या गमष क्षेत्रों में बनती िै । ध्रुवीय क्षेत्रों में सौर-प्रकाश की मात्रा
उष्ट्र्ण-कहटबंधीय क्षेत्रों की तल
ु ना में काफी कम िोती िै , अतः ये सामान्यतः उच्च दाब के क्षेत्र िोते िैं। और इसीमलए
वायु का संचरर्ण प्रायः ध्रव
ु ीय क्षेत्रों से उष्ट्र्णकहटबंधीय क्षेत्रों की ओर िोता िै ।

www.insightsonindia.com 27 InsightsIAS
• इसके बाद, पथ्
ृ िी की गतत अपनी भूममका अदा करती िै , जोकक पजश्चम से पूवष की ओर िोती िै । पथ्
ृ वी
के अपनी धुरी पर पररिमा करने की वजि से, दोनों धुवों की ओर से बिने वाली िवा का उष्ट्र्णकहटबंधीय
क्षेत्रों में ववक्षेपर्ण िोता िै , तयोंकक गोलाकार िोने के कारर्ण पथ्
ृ वी के घर्ण
ू न ष की गतत ध्रुवों की तल
ु ना में
उष्ट्र्णकहटबंधीय क्षेत्रों में अधधक िोती िै । आकषहटक क्षेत्र से आने वाली िवा, दायीं ओर ववक्षेवपत िो जाती
िै तथा अंटाकषहटकक्षेत्र से चलने वाली िवा बायीं ओर ववक्षेवपत िो जाती िै ।
• इस प्रकार, पिले से िी तनजश्चत हदशाओं में प्रवाहित िो रिी वायु, जब ककसी गमष स्थान पर पिुाँचने के
पश्चात ् ऊपर उठती िै , तो ररतत स्थान को भरने के मलए ठं डी िवा, केंद्र की ओर आकवर्षत िोने लगती
िै । केंद्र की ओर बढ़ते समय, ठं डी िवा ववक्षेवपत िोती रिती िै जजसके पररर्णामस्वरूप वाय-ु संचरर्ण में
पररवलन िोने लगता िै , और प्रकिया, चिवात के स्थल से टकराने तक जारी रिती िै ।
चक्रिात के स्र्ल से टकराने के पश्चात:
चिवात, स्थलीय क्षेत्रों पर पिुचने के बाद त्रबखर कर समाप्त िो जाता िै , तयोंकक उष्ट्र्ण जल के संपकष में आने के
कारर्ण वायु गमष िोकर ऊपर उठती िै और ठं डी वायु के मलए ररतत स्थान बनाती िै , ककं तु स्थल पर इसका अभाव
िोता िै । इसके अलावा, ऊपर उठने वाली आद्रष िवा से बादलों का तनमाषर्ण का तनमाषर्ण िोता िै , जजससे चिवातों के
दौरान तेज िवाओं के साथ तीव्र बाररश िोती िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: ‘ववश्व मौसम ववज्ञान संगठन’ (World Meteorological Organisation- WMO) दवारा चिवातों के नामों
की िममक सच
ू ी की दे खरे ख की जाती िै । चिवातों का नामकरर्ण ककस प्रकार ककया जाता?
प्रीशलम्स शलंक:
1. चिवातों के तनमाषर्ण के मलए उत्तरदायी कारक
2. ववश्व के ववमभन्न क्षेत्रों में चिवातों का नामकरर्ण
3. भारत के पूवी तट पर अधधक चिवात आने का कारर्ण
4. कोररओमलस बल तया िै ?
5. संघनन की गुप्त ऊष्ट्मा तया िै ?
में स शलंक: उष्ट्र्ण कहटबंधीय चिवातों के तनमाषर्ण के मलए उत्तरदायी कारकों की वववेचना कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

2. इस िषभ उत्तर-पि
ू ी मानसन
ू के कमजोर रहने का कारर्
संदभभ: वर्ष 2018 के बाद से लगातार चौथे साल बाढ़ और भूस्खलन का सामना कर रिे उत्तरी पवषतीय क्षेत्रों में ,
उत्तर-पूवी मानसून (Northeast Monsoon) की मात्र दो माि की अवधध में , जीवन, संपवत्त और फसलों को भारी क्षतत
पिुाँची िै ।
अकेले अतटूबर और नवंबर में िुई भारी बर्ष से कुल 11,916.3 करोड़ रुपये की क्षतत िोने का अनुमान लगाया जा
रिा िै , जबकक ‘राज्य आपदा प्रततकिया कोर्’ / ‘राज्य आपदा मोचन तनधध’ (SDRF) के मानकों के अनस ु ार कुल
1,281.92 करोड़ रुपये की यि क्षतत आंकी गई िै ।
‘उत्तर-पूिी मानसून’ / ‘पूिोत्तर मानसून’ के बारे में :
• ‘उत्तर-पव
ू ी मानसन
ू ’ (Northeast Monsoon) की उत्त्पवत्त अतटूबर से हदसंबर के मध्य िोती िै , और दक्षक्षर्ण-
पजश्चम मानसून की तुलना में इसकी अवधध कम िोती िै ।
• यि मानसून प्रायः दक्षक्षर्णी प्रायदवीप तक िी सीममत रिता िै ।
• ‘उत्तर-पूवी मानसून’ से िोने वाली वर्ाष, तममलनाडु, पुदच
ु ेरी, कराईकल, यनम, तटीय आंध्र प्रदे श, केरल, उत्तर
आंतररक कनाषटक, मािे और लक्षदवीप के मलए काफी मित्वपूर्णष िोती िै ।
• इस मानसन
ू के कारर्ण, कुछ दक्षक्षर्ण एमशयाई दे शों, जैसे कक मालदीव, श्रीलंका और म्यांमार में भी अतटूबर
से हदसंबर के मध्य वर्ाष िोती िै ।

www.insightsonindia.com 28 InsightsIAS
ला-नीना का ‘उत्तर-पूिी मानसून’ से संबंि
ला-नीना की जस्थतत से दक्षक्षर्ण-पजश्चम मानसून से िोने वाली वर्ाष में वद
ृ धध िोती िै , जबकक इससे ‘उत्तर-पूवी
मानसन
ू ’ के दौरान िोने वाली वर्ाष पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता िै ।
• ला-नीना (La Niña) के वर्ों के दौरान, बंगाल की खाड़ी में तनममषत संयुतत प्रर्णाली (Synoptic Systems)-
तनम्नदाब अथवा चिवात- की जस्थतत, सामान्य से काफी उत्तर की ओर िो जाती िै ।
• इसके अलावा, ये प्रर्णाली पजश्चम की ओर बढ़ने की बजाय, पीछे की ओर मुड़ जाती िै । चूंकक, इस प्रर्णाली
की जस्थतत सामान्य से उत्तर की ओर िोती िै , जजसके पररर्णामस्वरूप दक्षक्षर्णी क्षेत्रों, जैसे तममलनाडु, में
अधधक वर्ाष निीं िोती िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. अल-नीनो तया िै ?
2. ला-नीना तया िै?
3. ENSO तया िै?
4. ये पररघटनाएाँ कब िोती िैं?
5. एमशया, अफ्रीका और ऑस्रे मलया पर ENSO
का प्रभाव।
में स शलंक: ला-नीना मौसमी पररघटना के भारत पर
प्रभाव संबंधी चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

3. अरब सागर में चक्रिातों की अधिक संसया


संदभभ: वर्ष 1891 से 2020 की अवधध के दौरान उत्तरी हिंद मिासागर (बंगाल की खाड़ी और अरब सागर) में आने
वाले चिवातों (Cyclones) संबंधी वपछले आंकड़ों के ववश्लेर्र्ण से संकेत ममलता िै कक:
• िाल के वर्ों में , अरब सागर के ऊपर "बिुत गंभीर चिवाती तूफानों" (Very Severe Cyclonic Storms) की
आववृ त्त में वद
ृ धध िुई िै । िालााँकक, इनके दवारा भारत के पजश्चमी तटवती क्षेत्रों के मलए अधधक खतरा निीं
रिा िै , तयोंकक इनमें से अधधकांश चिवात ओमान और यमन दे शों के स्थलीय भागों तक आकर मदधधम
पड़ गए।
• पूवी तट, पजश्चमी तट की तुलना में "अत्यंत गंभीर चिवातों" के प्रतत अधधक संवद
े नशील रिा, लेककन कफर
भी अत्यधधक गंभीर चिवाती तूफानों (Extremely Severe Cyclonic Storms - ESCS) की आववृ त्त की "कोई
मित्वपूर्णष प्रववृ त्त" निीं रिी।
• पथ्
ृ वी ववज्ञान मंत्रालय (MoES) के अधीन, ‘भारत मौसम ववज्ञान ववभाग’ (IMD) के ‘प्रारं मभक चेतावनी
कौशल’ में सध
ु ार के पररर्णामस्वरूप, चिवातों के कारर्ण िोने वाली मौतों की संख्या में काफी कमी आई
िै ।
• राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधधकरर्ण (NDMA) और गि
ृ मंत्रालय (MHA) दवारा, प्रभावी शमन उपायों और
प्रततकिया कायों में भी सध
ु ार ककया गया िै ।
इसके शलए जजम्मेदार कारक:
• ग्लोबल वाममिंग / वैजश्वक उष्ट्मन की वजि से, वपछली शताब्दी के दौरान, अरब सागर के सतहीय तापमान
में तेजी से िद्
ृ धि िुई िै । वतषमान में अरब सागर का सतिीय तापमान, चार दशक पिले के तापमान से
1.2-1.4 डडग्री सेजल्सयस अधधक िै । यि अधधक गमष तापमान, ‘संविन प्रकिया में तीव्रता, भारी वर्ाष और
तीव्र चिवातों के तनमाषर्ण में सिायक िोता िै ।

www.insightsonindia.com 29 InsightsIAS
• तापमान में िोने वाली वद
ृ धध से, अरब सागर में ववकमसत िोने वाले चिवातों की तीव्रता के मलए, पयाषप्त
ऊजाष की आपूततष िोती िै ।
• अरब सागर, चिवातों के अनक
ु ू ल पवन- अपरूपर्ण (wind shear) भी प्रदान कर रिा िै । उदािरर्ण के मलए,
उच्च स्तरीय पूवी पवनों की वजि से, चक्रिात ओखी का तनम्नदाब क्षेत्र / गतष, बंगाल की खाड़ी से अरब
सागर की ओर सरक गया था।
चक्रिातों का नामकरर् (Naming of Cyclones):
उष्ट्र्णकहटबंधीय चिवात पर सममतत (Panel on Tropical Cyclones – PTC) दवारा, वर्ष 2000 में ओमान सल्तनत के
मस्कट में आयोजजत, WMO/ESCAP के 27 वें सत्र में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उत्पन्न िोने वाले
उष्ट्र्णकहटबंधीय चिवातों को नाम दे ने के मलए सैदधांततक तौर पर सिमतत जताई गई थी।
• WMO/ESCAP का तात्पयष ‘ववश्व मौसम ववज्ञान मौसम संगठन’ (World Meteorological Organisation-
WMO) और ‘एशशया एिं प्रशांत हे तु संयत
ु त राष्ट्र आधर्भक और सामाजजक आयोग’ (United Nations
Economic and Social Commission for Asia and the Pacific) से िै ।
• उत्तरी दहंद महासागर में उष्ट्र्कदटबंिीय चक्रिातों के नामकरर् की शरु
ु आत, मसतंबर 2004 से, WMO/ESCAP
पीटीसी के तत्कालीन आठ सदस्य दे शों: बांग्लादे श, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाककस्तान, श्रीलंका और
थाईलैंड दवारा प्रस्ताववत ककये गए नामों के साथ की गयी थी। इसके बाद से उष्ट्र्कदटबंिीय चक्रिात पर
सशमतत (PTC) में पांच अन्य सदस्य शाममल िो चक
ु े िै ।
• बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के ऊपर तनममषत िोने वाले चिवाती तूफान, जब उपयुतत तीव्रता िामसल
कर लेते िैं, तब इनके नामकरर्ण के मलए, ‘क्षेत्रीय विशशष्ट्ट मौसम विज्ञान केंद्र’ (Regional Specialised
Meteorological Centre- RSMC), नई हदल्ली जजम्मेदार िोता िै ।
• ‘भारतीय मौसम ववज्ञान ववभाग’ (IMD) तथा पांच उष्ट्र्णकहटबंधीय चिवात चेतावनी केंद्रों सहित, ववश्व भर
में कुल छि ‘क्षेत्रीय विशशष्ट्ट मौसम विज्ञान केंद्र’ (RSMC) िैं।
इंस्टा जजज्ञासु:
तया आप सुपरसेल (Supercell) और मेसोसायलोन (Mesocylone) में अंतर जानते िैं?
तया आप जानते िैं कक एक ‘बिुत गंभीर चिवात’ को 220 ककमी प्रतत घंटे की रफ्तार से िवा की गतत के साथ
पररभावर्त ककया जाता िै ? यि "अत्यंत गंभीर चिवात" के ठीक बाद, चिवातों की चौथी उच्चतम श्रेर्णी िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
6. चिवातों के तनमाषर्ण के मलए उत्तरदायी कारक
7. ववश्व के ववमभन्न क्षेत्रों में चिवातों का नामकरर्ण
8. भारत के पव
ू ी तट पर अधधक चिवात आने का कारर्ण
9. कोररओमलस बल तया िै ?
10. संघनन की गुप्त ऊष्ट्मा तया िै ?
में स शलंक: उष्ट्र्ण कहटबंधीय चिवातों के तनमाषर्ण के मलए उत्तरदायी कारकों की वववेचना कीजजए।

4. प्रशांत महासागरीय ज्िालाित्त



(Pacific ring of fire)
संदभभ:
िाल िी में , पूवी इंडोनेमशया में 7.3 तीव्रता का भूकंप आया था। इस भूकंप का केंद्र ‘पूवी नुसा तें गारा प्रांत’ (East
Nusa Tenggara province) के उत्तर में अवजस्थत ‘फ्लोरे स सागर’ (Flores Sea) में था।

www.insightsonindia.com 30 InsightsIAS
इंिोनेशशया के भूकंप के प्रतत संिेदनशील होने के कारर्:
• इंडोनेमशया, ज्वालावत्त
ृ / ररंग ऑफ फायर (Ring of Fire) क्षेत्र में जस्थत िै , इस क्षेत्र में दतु नया में सवाषधधक
ज्वालामख
ु ी ववस्फोट िोते िैं। ‘ररंग ऑफ फायर’ क्षेत्र में, िाल के हदनों में व्यापक गततववधधयां दे खी गयी
िै । इंडोनेमशया के वववतषतनक प्लेटों (Tectonic Plates) के एक ववस्तत
ृ धग्रड पर अवजस्थत िोने के कारर्ण,
इसे काफी नुकसान िोता िै।
• इंडोनेमशया, तीन प्रमुख मिादवीपीय प्लेटों - प्रशांत, यूरेमशयन और इंडो-ऑस्रे मलयाई प्लेटों - और एक लघु
‘कफलीपीन प्लेट’ के ममलन त्रबंद ु पर जस्थत िै । नतीजतन, इंडोनेमशयाई दवीपों पर कई ज्वालामुखखयों के
प्रस्फोटन का खतरा मंडराता रिता िै । इंडोनेमशया में लगभग 400 ज्वालामख
ु ी पाए जाते िै , जजनमें से 127
वतषमान में सकिय िैं, जो दतु नया के सकिय ज्वालामुखखयों का लगभग एक ततिाई िै ।
‘ररंग ऑफ फायर’ तया है ?
‘ज्वालावत्त
ृ ’ या ‘ररंग ऑफ फायर’ में 450 से अधधक ज्वालामुखी शाममल िैं; जजसमे ववश्व के चार सवाषधधक सकिय
ज्वालामुखखयों में से तीन - संयुतत राज्य अमेररका में माउं ट सेंट िे लेंस, जापान में माउं ट फ़ूजी और कफलीपींस में
माउं ट वपनातब
ु ो शाममल िैं। इसे कभी-कभी ‘परर-प्रशांत मेखला’ (Circum-Pacific Belt) भी किा जाता िै ।
ववश्व के लगभग 90% भूकंप, और 80% सबसे बड़े भक
ू ं प ‘ररंग ऑफ फायर’ क्षेत्र में आते िैं।
अिजस्र्तत:
‘ररंग ऑफ फायर’ या ‘ज्वालावत्त
ृ ’, प्रशांत मिासागर की तटीय रे खा के साथ फैला िुआ िै । इस तटीय क्षेत्र में प्रशांत
प्लेट, भू-पपषटी की अन्य छोटी टे तटोतनक प्लेटों जैस,े कफलीपीन सागर प्लेट तथा प्रशांत मिासागर के ककनारे पर
जस्थत कोकोस और नाजका प्लेटों के साथ घर्षर्ण करती िै ।
घोड़े की नाल के आकार का 40,000 ककलोमीटर लंबा ‘ररंग ऑफ फायर’ न्यज
ू ीलैंड से लेकर, एमशया और अमेररका
के तटों से िोकर गुजरता िुआ धचली तक फैला िुआ िै।
जोणखम:
अमेररका के पजश्चमी तट, धचली, जापान और सोलोमन दवीप सहित दवीप राष्ट्रों की आबादी को ‘ररंग ऑफ फायर’
में िोने वाली गततववधधयों से सवाषधधक खतरा िोता िै । ये क्षेत्र अधःतनक्षेपर्ण मंडल (subduction zones) में जस्थत
िोने की वजि से सबसे अधधक जोखखम वाले क्षेत्र िैं। अधःतनक्षेपर्ण मंडल, पथ्
ृ वी को दो वववतषतनक प्लेटों के बीच
टकराव का क्षेत्र िोता िै ।
‘ररंग ऑफ फायर’ का तनमाभर्:
सागरीय वववतषतनक प्लेटों के, कम घनत्व वाली अथाषत िल्की मिादवीपीय प्लेटों के नीचे अधःक्षेवपत (subduction)
िोने पर ‘ररंग ऑफ फायर’ का तनमाषर्ण िोता िै । जजस क्षेत्र में ये टे तटोतनक प्लेट्स ममलती िैं, उसे अधःतनक्षेपर्ण
मंडल (subduction zones) किा जाता िै ।
‘ररंग ऑफ फायर’ में भक
ू ं प आने का कारर्:
• दतु नया के सबसे गिरे भूकंप ‘अधःतनक्षेपर्ण मंडल’ क्षेत्रों में आते िैं, तयोंकक इसी क्षेत्र में टे तटोतनक प्लेट्स
एक-दस
ू रे से टकराती िैं। ववश्व के सवाषधधक ‘अधःतनक्षेपर्ण मंडल’ ररंग ऑफ़ फायर में पाए जाते िै ।
• पथ्
ृ वी के वपघले िुए कोर से तनसत ृ ऊजाष की वजि से टे तटोतनक प्लेटों में संचरर्ण िोता िै , और वे एक-
दस
ू रे से टकराती िैं, जजससे घर्षर्ण िोता िै । इस घर्षर्ण के पररर्णामस्वरूप और अधधक ऊजाष उत्पन्न िोती
िै , और अंततः जब यि ऊजाष सति की ओर तनकलती िै तो यि भूकंप का कारर्ण बनती िै । समुद्र में ऐसी
जस्थतत िोने पर, यि ववनाशकारी सुनामी का कारर्ण बन सकती िै ।
• टे तटोतनक प्लेट्स आमतौर पर प्रततवर्ष औसतन कुछ सेंटीमीटर िी स्थानांतररत िोते िैं, लेककन भक
ू ं प आने
के दौरान, ये बड़े पैमाने पर गतत करते िैं और कई मीटर प्रतत सेकंड की गतत से आगे बढ़ सकते िैं।
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 31 InsightsIAS
सामान्य अध्ययन-II

विषय: भारतीय संववधान- ऐततिामसक आधार, ववकास, ववशेर्ताएाँ, संशोधन, मित्त्वपूर्णष प्रावधान और बुतनयादी संरचना।
1. भारतीय नागररकता का पयभिसान
संदभभ: केंद्रीय गि
ृ मंत्रालय (MHA) ने लोकसभा में एक प्रश्न का उत्तर दे ते िुए जानकारी दी, कक वपछले पांच वर्ों
में छि लाख से अधधक भारतीयों ने अपनी नागररकता त्याग दी िै ।
इस उत्तर में , इतनी बड़ी संख्या में भारतीयों दवारा अपनी नागररकता छोड़ने का कारर्ण निीं बताया गया।
नागररकता का पयभिसान:
‘नागररकता अधधतनयम, 1955’ (Citizenship Act, 1955) में अधधतनयम या संवध
ै ातनक व्यवस्था के अनस
ु ार भारतीय
नागररकता खोने के तीन कारर्ण बताए गए िैं:
1. त्यजन द्िारा (By renunciation):
वय: प्राप्त और पूर्णष सामथ्यष का कोई भारत नाधगरक, भारतीय नागररकता के त्यजन की घोर्र्णा कर ववहित रीतत
से सकता िै ।
भारत के ककसी यद
ु ध में लगे िोने पर, इस प्रकार की घोर्र्णा को स्वीकार निीं ककया जा सकता िै ।
जब कोई व्यजतत अपनी नागररकता का पररत्याग करता िै , तो उस व्यजतत के नाबामलग बच्चों की भी भारतीय
नागररकता समाप्त िो जाती िै । यदयवप, इस तरि के बच्चे अठारि वर्ष की आयु पूरी करने पर भारतीय
नागररक बन सकते िैं।
2. बखाभस्तगी द्िारा (By Termination):
यहद भारत का कोई नागररक स्वेच्छा से ककसी अन्य दे श की नागररकता अजजषत कर लेता िै , तो उसकी भारतीय
नागररकता स्वतः समाप्त िो जाएगी। िालांकक, यि प्रावधान, भारत के युदध में व्यस्त रिने के दौरान लागू निीं
िोता िै ।
3. िंधचत करने के द्िारा (By deprivation):
केंद्र सरकार के मलए तनम्नमलखखत जस्थततयों में ककसी
व्यजतत की भारतीय नागररकता को बखाषस्त करना
अतनवायष िोता िै :
1. यहद नागररकता फजी तरीके से प्राप्त की
गयी िो।
2. यहद नागररक ने भारत के संववधान के प्रतत
अनादर जताया िो।
3. यहद नागररक ने यद
ु ध के दौरान शत्रु के
साथ गैर-कानूनी रूप से संबध
ं स्थावपत ककया
िो या उसे कोई राष्ट्रववरोधी सूचना दी िो।
4. पंजीकरर्ण या प्राकृततक नागररकता के 5 वर्ों
के भीतर, उतत नागररक को ककसी दे श में
दो वर्ष की कैद िुई िो।
5. नागररक सामान्य रूप से, सात 7 वर्ों से
भारत से बािर रि रिा िो।

www.insightsonindia.com 32 InsightsIAS
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक ‘ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन ररव्यू ररपोटष ’ के अनुसार, 2019 में , ‘उच्च तनवल
मूल्य वाले व्यजततयों’ (High Net Worth Individuals – HNIs) दवारा दे श छोड़ने के मामले में , ववश्व स्तर पर भारत
का स्थान, चीन के बाद दस
ू रा िै ?
स्रोत: द हिंद।ू

2. संवििान की उद्दे शशका में संशोिन हे तु वििेयक


संदभभ: संसद के वतषमान सत्र में , ‘संववधान की
उददे मशका’ (Preamble) में संशोधन करने िे तु एक
‘तनजी सदस्य ववधेयक’ (Private Member’s Bill) को
पेश करने की अनम
ु तत दे ने के संबंध में राज्यसभा
के उपसभापतत िररवंश नारायर्ण मसंि ने अपना
फैसला सुरक्षक्षत रख मलया िै ।
‘संवििान (संशोिन) वििेयक, 2021’ के बारे में :
संववधान (संशोधन) ववधेयक 2021 (उददे मशका में
संशोधन), केरल से राज्यसभा में भाजपा सदस्य के
जे अल्फोंस (K J Alphons) दवारा पेश ककया गया िै ।
• प्रस्तुत ककए गए तनजी ववधेयक में संववधान
की उददे मशका / प्रस्तावना में शाममल
‘प्रततष्ट्ठा और अवसर की समानता’
(EQUALITY of status and of opportunity)
शब्दों को संशोधधत कर ‘प्रततष्ट्ठा और जन्म
लेने, पोवर्त ककए जाने, मशक्षक्षत िोने, नौकरी
पाने और सम्मान के साथ व्यविार ककए
जाने के अवसर की समानता’ (EQUALITY
of status and of opportunity to be born, to
be fed, to be educated, to get a job and to
be treated with dignity) में पररवततषत करने
का प्रस्ताव ककया गया िै ।
• ववधेयक में ‘समाजवादी’ (Socialist) शब्द को
संशोधधत कर ‘समतामल
ू क’ (Equitable)
करने का प्रस्ताव भी ककया गया िै ।
• प्रस्ताववत ववधेयक में , प्रस्तावना में उददे श्यों के रूप में "सूचना प्रौदयोधगकी तक पिुंच" और "खुशी" को
जोड़ने का भी प्रस्ताव ककया गया िै ।
उददे मशका / प्रस्तावना के उपरोतत पाठ से चार महत्िपूर्भ पहलुओं के बारे में जानकारी ममलती िै :
1. संवििान की शजतत का स्रोत: संववधान, भारत के लोगों से अपनी शजतत प्राप्त करता िै ।
2. भारतीय राज्य की प्रकृतत: संववधान, भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, पंथ-तनरपेक्ष लोकतांत्रत्रक गर्णराज्य
घोवर्त करता िै ।
3. संवििान के उद्दे श्य: संववधान में , उददे श्यों के रूप में न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को तनहदष ष्ट्ट
ककया गया िै ।
4. अंगीकृत एिं अधितनयशमत करने की ततधर्: 26 नवंबर, 1949।

www.insightsonindia.com 33 InsightsIAS
संवििान के भाग के रूप में उद्दे शशका:
बेरुबारी यूतनयन केस (1960) में , सप्र
ु ीम कोटष ने किा कक ‘उददे मशका’ को संववधान का हिस्सा निीं िै ।
वर्ष 1973 के ‘केशवानंद भारती मामले’ में उच्चतम न्यायालय ने अपने पिले ववचार को उलटते िुए, ‘उददे मशका’
को संववधान का हिस्सा बताया। इस मत को ‘भारतीय जीवन बीमा तनगम मामले’ (1995) में सुप्रीम कोटष दवारा
और स्पष्ट्ट ककया गया था।
यदयवप, ‘उददे मशका’ संववधान का हिस्सा िै; कफर भी,
• यि न तो ववधातयका के मलए शजतत का स्रोत िै और न िी ववधातयका की शजततयों पर प्रततबंध लगती
िै ।
• यि ‘वादयोग्य निीं’ (non-justiciable) िै , अथाषत इसके प्रावधान ककसी भी न्यायालय के माध्यम से प्रवतषनीय
निी ककया जा सकता िैं।
‘उद्दे शशका’ और इसकी संशोिनीयता:
केशवानंद भारती मामले में , शीर्ष अदालत ने माना कक ‘उददे मशका’ में अंततनषहित संववधान के मूल तत्वों या मौमलक
ववशेर्ताओं को ‘अनुच्छे द 368’ के तित ककसी संशोधन के दवारा पररवततषत निीं ककया जा सकता िै ।
‘उददे मशका’ में अब तक केवल एक बार संशोधन ककया गया िै । 42वां संववधान संशोधन अधधतनयम, 1976 के
माध्यम से ‘उददे मशका’ में ‘समाजवादी’, ‘पंथ-तनरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ तीन नए शब्द जोड़े गए थे।
प्रीशलम्स शलंक:
1. प्रस्तावना,
2. मुख्य त्रबंद,ु
3. 42वां संववधान संशोधन अधधतनयम
4. प्रासंधगक ववधधक मामले
5. प्रस्तावना की संशोधनीयता
में स शलंक: ‘उददे मशका’ को व्यापक रूप से भारतीय संववधान के प्रतीक या आत्मा और आत्मा के रूप में स्वीकार
ककया जाता िै । चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

3. दलबदल-रोिी कानन

संदभभ: कांग्रेस पाटी ने मेघालय ववधानसभा के अध्यक्ष को पत्र के माध्यम से, िाल िी में अखखल भारतीय तर्ण
ृ मूल
कांग्रेस (AITMC) में शाममल िोने के मलए कांग्रेस पाटी छोड़ने वाले कुल 12 ववधायकों में से 10 ववधायकों को
‘तनरिषक’ / ‘अयोग्य’ घोवर्त करने की मांग की िै ।
उतत प्रकरर् में 10िीं अनस
ु ूची तयों लागू नहीं हो सकती है ?
भारतीय संववधान की 10वीं अनस
ु च
ू ी को आमतौर पर ‘दलबदल रोधी अधधतनयम’ के रूप में जाना जाता िै । इन
क़ानून के अनुसार, ककसी राजनीततक दल में ववभाजन िोने की जस्थतत में दलबदल के आधार पर अयोग्यता का
प्रावधान लागू निीं िोगा।
• जिां सदन का कोई सदस्य यि दावा करता िै , कक उसने और उसके ववधायक दल के अन्य सदस्यों ने,
अपने मूल राजनीततक दल में ववभाजन के पररर्णामस्वरूप उत्पन्न नए गुट का प्रतततनधधत्व करने वाले
समूि का गठन कर मलया िै और उसके समूि में उसके मूल राजनीततक दल के सदन में कुल सदस्यों की
संख्या के दो-ततिाई सदस्य से अधधक सदस्य शाममल िै, तो इन सदस्यों को अयोग्य निीं ठिराया जाएगा।
• इस तरि के ववभाजन के पश्चात ्, संबंधधत समूि को, जजस राजनीततक दल ने वि वतषमान में जुड़ा िै , उसी
का भाग माना जाएगा।

www.insightsonindia.com 34 InsightsIAS
भारतीय संवििान की दसिीं अनुसूची: प्रासंधगकता
• भारतीय संववधान की दसवीं अनुसूची, ‘दल-बदल रोधी कानून’ के रूप में लोकवप्रय िै ।
• इसमें उन पररजस्थततयों को तनहदष ष्ट्ट ककया गया िै , जजनके तित सांसदों / ववधायकों दवारा राजनीततक
दलों को बदलने पर कानून के तित कारष वाई की जा सकती िै ।
• इस अनुसूची को 52वें संशोधन अधधतनयम दवारा संववधान में जोड़ा गया था।
• इसमें तनदष लीय ववधायकों के चुनाव के बाद ककसी पाटी में शाममल िो जाने संबध
ं ी जस्थततयों के बारे में भी
प्रावधान ककए गए िैं।
इस क़ानन
ू में ककसी सांसद या ववधायक दवारा राजनीततक दल बदलने के संबंध में तनम्नमलखखत तीन पररदृश्यों
को तनहदषष्ट्ट ककया गया िै :
1. जब ककसी राजनीततक दल से संबंधधत सदन का सदस्य स्वेच्छा से अपनी राजनीततक पाटी की सदस्यता
त्याग दे ता िै , अथवा यहद वि सदन में अपने राजनीततक दल के तनदे शों के ववपरीत मत दे ता िै अथवा
मतदान में अनुपजस्थत रिता िै तथा अपने राजनीततक दल से उसने पंद्रि हदनों के भीतर क्षमादान न
पाया िो।
2. जब कोई ववधायक, जो तनदष लीय उम्मीदवार के रूप में अपनी सीट जीत चुका िै , चुनाव के बाद ककसी
राजनीततक दल में शाममल िो जाता िै । [उपरोतत दो मामलों में , सांसद / ववधायक, दल पररवतषन करने
(या शाममल िोने) पर ववधातयका में अपनी सीट खो दे ता िै ।]
3. मनोनीत सदस्यों से संबंधित: मनोनीत सदस्यों (Nominated Member) के मामले में , कानून उन्िें मनोनीत
ककए जाने के बाद, ककसी राजनीततक दल में शाममल िोने के मलए छि मिीने का समय दे ता िै । यहद वे
इस समयावधध के बाद ककसी पाटी में शाममल िोते िैं, तो वे सदन में अपनी सीट खो दे ते िैं।
तनहभरता से संबंधित मामले:
• दल-बदल ववरोधी कानून के तित, ककसी सांसद या ववधायक की तनिषरता / अयोग्यता के ववर्य में फैसला
करने की शजतत ववधातयका के पीठासीन अधधकारी के पास िोती िै ।
• कानून में इस ववर्य पर तनर्णषय लेने िे तु कोई समय सीमा तनहदषष्ट्ट निीं की गयी िै ।
• वपछले वर्ष, सप्र
ु ीम कोटष ने किा था, कक ववधातयका के पीठासीन अधधकारी दवारा दलबदल रोधी मामलों
का फैसला तीन मिीने की समयावधध में ककया जाना चाहिए।
कानून के तहत अपिाद:
सदन के सदस्य कुछ पररजस्थततयों में तनरिषता के जोखखम के त्रबना अपनी पाटी बदल सकते सकते िैं।
1. इस ववधान में ककसी दल के दवारा ककसी अन्य दल में ववलय करने करने की अनुमतत दी गयी िै बशते
कक उसके कम से कम दो-ततिाई ववधायक ववलय के पक्ष में िों।
2. ऐसे पररदृश्य में , अन्य दल में ववलय का तनर्णषय लेने वाले सदस्यों तथा मूल दल में रिने वाले सदस्यों
को अयोग्य निीं ठिराया जा सकता िै ।
कानन
ू में खाशमयां:
इस क़ानून का ववरोध करने वालों का किना िै , कक मतदाताओं दवारा चुनाव में व्यजततयों को चुना जाता िै, न
कक पाहटष यों को और इसमलए दलबदल रोधी कानून तनष्ट्फल िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक दलबदल रोधी कानून (1969, 1973) बनाने के शुरुआती प्रयासों में राजनीततक
दलों में शाममल िोने वाले तनदष लीय ववधायकों को शाममल निीं ककया गया था? कफर, उन्िें कानून के तित कब
शाममल ककया गया? इसके बारे में जानकारी िे तु संक्षक्षप्त अवलोकन कीजजए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

www.insightsonindia.com 35 InsightsIAS
4. भारतीय संवििान की छठी अनुसच
ू ी
संदभभ: लददाख में ववमभन्न नागररक समाज समूिों दवारा ‘लददाख’ को संववधान की छठी अनुसूची (Sixth Schedule
of the Constitution) के अंतगषत शाममल करने की मांग की जा रिी िै ।
‘लददाख स्वायत्त पवषतीय ववकास पररर्द’ (Ladakh Autonomous Hill Development Council - LAHDC) वतषमान स्वरूप
में आहदवासी हितों की रक्षा करने में सक्षम निीं िै , तयोंकक इसके पास भूमम, नौकरी और संस्कृतत जैसे ववर्यों पर
कानून बनाने या तनयम बनाने की शजतत निीं थी। इसे दे खते िुए नागररक समुदायों दवारा छठी अनुसच
ू ी की मांग
शुरू की गयी िै ।
आिश्यकता:
1. लददाख की लगभग 90% से अधधक आबादी आहदवासी िै । बलती (Balti), बेडा (Beda), बोट (Bot) या बोटो
(Boto), ब्रोकपा (Brokpa), ड्रोकपा (Drokpa), डाडष (Dard), मशन (Shin), चांगपा (Changpa), गराष (Garra),
मोन (Mon) और परु ीगपा (Purigpa) लददाख की प्रमख
ु अनस
ु धू चत जनजाततयां िैं।
2. इसमलए, लददाख क्षेत्र में इन समुदायों की कई ववमशष्ट्ट सांस्कृततक ववरासतों को संरक्षक्षत और बढ़ावा दे ने
की आवश्यकता िै ।
‘छठी अनुसच
ू ी’ के बारे में :
1949 में संववधान सभा दवारा पाररत छठी अनुसच
ू ी भूमम, ‘स्वायत्त क्षेत्रीय पररर्दों’ और ‘स्वायत्त जजला पररर्दों’
(ADCs) के माध्यम से आहदवामसयों के अधधकारों की सरु क्षा का प्रावधान करती िै ।
• इन पररर्दों को सावषजतनक स्वास्थ्य, कृवर् और अन्य ववर्यों पर कानून बनाने की शजतत प्राप्त िोती िै ।
• वतषमान में छठी अनुसूची के अंतगषत, चार पूवोत्तर राज्यों असम, मेघालय, ममजोरम और त्रत्रपुरा की 10
स्वायत्त जजला पररर्दें सजम्ममलत िैं।
• यि ‘ववशेर् प्रावधान’ संववधान के अनुच्छे द 244 (2) और अनुच्छे द 275 (1) के तित ककया गया िै ।
छठी अनुसच
ू ी के प्रमुख प्राििान:
इसके अंतगषत चार राज्यों- असम, मेघालय, त्रत्रपुरा और ममजोरम में जनजातीय क्षेत्रों को स्वायत्त जजलों के रूप में
गहठत ककया गया िै , ककं तु इन्िें संबंधधत राज्य के कायषकारी प्राधधकरर्ण के अधीन रखा गया िै ।
1. राज्यपाल को स्वायत्त जजलों को गहठत करने और पन
ु गषहठत करने का अधधकार िै।
2. यहद एक स्वायत्त जजले में अलग-अलग जनजाततयााँ िैं, तो राज्यपाल जजले को कई स्वायत्त क्षेत्रों में ववभाजजत
कर सकता िै ।
3. संरचना: प्रत्येक स्वायत्त जजले में एक जजला पररर्द िोती िै जजसमें 30 सदस्य िोते िैं , जजनमें से चार
राज्यपाल दवारा नाममत ककए जाते िैं और शेर् 26 वयस्क मताधधकार के आधार पर चुने जाते िैं।
4. कायभकाल: तनवाषधचत सदस्य पााँच साल के कायषकाल के मलये पद धारर्ण करते िैं (यहद पररर्द को इससे
पूवष भंग निीं ककया जाता िै) और मनोनीत सदस्य राज्यपाल के इच्छानुसार समय तक पद पर बने रिते
िैं।
5. प्रत्येक स्वायत्त क्षेत्र में एक अलग क्षेत्रीय पररर्द भी िोती िै ।
6. पररषदों की शजततयां: जजला और क्षेत्रीय पररर्दें अपने अधधकार क्षेत्र के तित क्षेत्रों का प्रशासन करती िैं।
वे भूमम,वन, निर के जल, स्थानांतररत कृवर्, ग्राम प्रशासन, संपवत्त का उत्तराधधकार, वववाि एवं तलाक,
सामाजजक रीतत-ररवाजों जैसे कुछ तनहदषष्ट्ट मामलों पर कानून बना सकती िैं, ककं तु ऐसे सभी कानूनों के
मलये राज्यपाल की सिमतत आवश्यक िै ।
7. ग्राम सभाएाँ: अपने क्षेत्रीय न्यायालयों के अंतगषत जजला और क्षेत्रीय पररर्दें जनजाततयों के मध्य मक
ु दमों
एवं मामलों की सुनवाई के मलये ग्राम पररषदों या अदालतों का गठन कर सकती िैं। वे उनकी अपील
सुनते िैं। इन मुकदमों और मामलों पर उच्च न्यायालय का अधधकार क्षेत्र राज्यपाल दवारा तनहदष ष्ट्ट ककया
जाता िै ।
www.insightsonindia.com 36 InsightsIAS
इंस्टा जजज्ञास:ु तया आप ‘संववधान (125वां संशोधन) ववधेयक, 2019’ के बारे में जानते िैं?
• 6 फरवरी, 2019 को राज्यसभा में पेश ककए गए इस ववधेयक में तनवाषधचत ग्राम नगरपामलका पररर्दों के
संबंध में प्रावधान ककए गए िैं।
• यि ववधेयक अभी भी ववचाराधीन िै , और इसमें राज्य चन
ु ाव आयोग दवारा स्वायत्त पररर्दों, ग्राम और
नगर पररर्दों के चुनाव कराए जाने का प्रस्ताव ककया गया िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. भारतीय संववधान की 5 वीं और 6 वीं अनुसच
ू ी के बीच अंतर
2. 5 वीं अनुसच
ू ी के तित राज्यपाल की शजततयां
3. 5 वीं के अंतगषत क्षेत्रों को शाममल करने अथवा बािर तनकालने की शजतत ककसे प्राप्त िै ?
4. अनुसूधचत क्षेत्र तया िैं?
5. वन अधधकार अधधतनयम- प्रमुख प्रावधान
6. जनजातीय सलािकार पररर्द- रचना और कायष
में स शलंक: भारतीय संववधान की 5 वीं और 6 वीं अनुसच
ू ी के मध्य अंतर स्पष्ट्ट कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

5. पररसीमन पैनल
संदभभ: िाल िी में , नेशनल कांफ्रेंस (NC) ने सवोच्च न्यायालय के सेवातनवत्त
ृ न्यायाधीश न्यायमूततष रं जना प्रकाश
दे साई की अध्यक्षता में गहठत ‘जम्म-ू कश्मीर पररसीमन आयोग’ (Jammu and Kashmir Delimitation Commission)
से एक पत्र के माध्यम से ‘केंद्र शामसत प्रदे श’ के राजनीततक दलों के साथ िोने वाली आगामी बैठक के एजेंडे का
वववरर्ण मांगा िै ।
पष्ट्ृ ठभूशम:
‘जम्मू और कश्मीर पररसीमन आयोग’ के अनुसार- आयोग दवारा अपनी अंततम ररपोटष वर्ष 2011 की जनगर्णना
के आधार पर तैयार की जाएगी और और ररपोटष में भौगोमलक जस्थतत, दग
ु म
ष इलाकों तथा वतषमान में जारी
‘पररसीमन प्रकिया’ (Delimitation Exercise) िे तु संचार के साधनों और उपलब्ध सवु वधाओं को भी ध्यान में रखा
जाएगा।
आयोग को ‘केंद्र शामसत प्रदे श’ की 83 सदस्यीय ववधानसभा के मलए सात अततररतत सीटों को तनधाषररत करने का
दातयत्व सौंपा गया िै ।
जम्मू-कश्मीर में पररसीमन प्रकक्रया- घटनाक्रम:
1. जम्म-ू कश्मीर में पिली पररसीमन प्रकिया वर्ष 1951 में एक पररसीमन सममतत दवारा तनष्ट्पाहदत की गई
थी, और इसके तित, तत्कालीन राज्य को 25 ववधानसभा क्षेत्रों में ववभतत ककया गया था।
2. इसके पश्चात, वर्ष 1981 में पिली बार एक पूर्णष पररसीमन आयोग (Delimitation Commission) का गठन
ककया गया था और इस आयोग दवारा वर्ष 1981 की जनगर्णना के आधार पर वर्ष 1995 में अपनी
मसफाररशें प्रस्तुत की गेन थी। इसके बाद से, राज्य में कोई अब तक कोई पररसीमन निीं िुआ िै ।
3. वर्ष 2020 में जम्मू-कश्मीर के मलए, वर्ष 2011 की जनगर्णना के आधार पर पररसीमन करने के मलए, एक
‘पररसीमन आयोग’ का गठन ककया गया। इस आयोग को संघ-शामसत प्रदे श में सात अन्य सीटों को जोड़ने
तथा अनुसूधचत जातत एवं अनुसूधचत जनजातत समद
ु ायों को आरक्षर्ण दे ने का आदे श हदया गया।
4. नए पररसीमन के पश्चात, जम्मू-कश्मीर में सीटों की कुल संख्या 83 से बढ़ाकर 90 कर दी जाएगी। ये
सीटें ‘पाक अधधकृत कश्मीर’ (PoK) के मलए आरक्षक्षत 24 सीटों के अततररतत िोंगी और इन सीटों को
ववधानसभा में खाली रखा जाएगा।

www.insightsonindia.com 37 InsightsIAS
जम्मू-कश्मीर में पररसीमन की आिश्यकता:
‘पररसीमन अधधतनयम,’ 2002 (Delimitation Act, 2002) और अन्य जम्मू-कश्मीर-ववमशष्ट्ट ववधेयकों के साथ अगस्त
2019 में केंद्र सरकार दवारा पाररत ‘जम्मू और कश्मीर पन
ु गषठन अधधतनयम’, 2019 (Jammu and Kashmir
Reorganisation Act, 2019) के प्रावधानों के अनुसार, केंद्र सरकार दवारा वपछले साल 6 माचष को, केंद्रशामसत प्रदे श
के लोकसभा और ववधानसभा क्षेत्रों को कफर से तनधाषररत करने के मलए ‘जम्मू-कश्मीर पररसीमन आयोग’ का गठन
ककया गया था।
‘पररसीमन’ तया होता है ?
‘पररसीमन’ (Delimitation) का शाजब्दक अथष, ‘ववधायी तनकाय वाले ककसी राज्य में क्षेत्रीय तनवाषचन क्षेत्रों की सीमा
तनधाषरर्ण प्रकिया’ िोता िै ।
‘पररसीमन प्रकक्रया’ का तनष्ट्पादन:
• पररसीमन प्रकिया, एक उच्च अधधकार प्राप्त आयोग दवारा संपन्न की जाती िै । इस आयोग को औपचाररक
रूप से पररसीमन आयोग (Delimitation Commission) या सीमा आयोग (Boundary Commission) किा जाता
िै ।
• पररसीमन आयोग के आदे शों को ‘क़ानून के समान’ शजततयां प्राप्त िोती िै , और इन्िें ककसी भी अदालत
के समक्ष चुनौती निीं दी जा सकती िै ।
आयोग की संरचना:
‘पररसीमन आयोग अधितनयम’, 2002 के अनुसार, केंद्र सरकार दवारा तनयुतत पररसीमन आयोग में तीन सदस्य
िोते िैं: जजनमे अध्यक्ष के रूप में उच्चतम न्यायालय के सेवारत या सेवातनवत्त
ृ न्यायाधीश, तथा पदे न सदस्य के
रूप में मख्
ु य तनवाषचन आयत
ु त अथवा इनके दवारा नाममत तनवाषचन आयत
ु त एवं राज्य तनवाषचन आयत
ु त शाममल
िोते िै ।
संिैिातनक प्राििान:
1. संवििान के अनुच्छे द 82 के अंतगषत, प्रत्येक जनगर्णना के पश्चात ् भारत की संसद दवारा एक ‘पररसीमन
अधधतनयम’ क़ानून बनाया जाता िै ।
2. अनच्
ु छे द 170 के तहत, प्रत्येक जनगर्णना के बाद, पररसीमन अधधतनयम के अनस
ु ार राज्यों को भी क्षेत्रीय
तनवाषचन-क्षेत्रों में ववभाजजत ककया जाता िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक अगस्त 2019 तक,
जम्मू-कश्मीर में ववधानसभा सीटों का पररसीमन ‘जम्मू
और कश्मीर संववधान’ और ‘जम्मू और कश्मीर लोक
प्रतततनधधत्व अधधतनयम’, 1957 के अंतगषत ककया िोता था?
प्रीशलम्स शलंक:
1. पूवव
ष ती पररसीमन आयोग- शजततयााँ और कायष
2. आयोग की संरचना
3. आयोग का गठन ककसके दवारा ककया जाता िै ?
4. आयोग के अंततम आदे शों में पररवतषन की
अनुमतत?
5. पररसीमन आयोग से संबंधधत संवैधातनक प्रावधान
में स शलंक: तनवाषचन क्षेत्रों का पररसीमन ककस प्रकार और
तयों ककया जाता िै ? चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 38 InsightsIAS
6. जम्मू और कश्मीर पररसीमन आयोग
संदभभ: िाल िी में , सवोच्च न्यायालय के सेवातनवत्त
ृ न्यायाधीश न्यायमूततष रं जना प्रकाश दे साई की अध्यक्षता में ,
‘जम्मू और कश्मीर पररसीमन आयोग’ (Jammu and Kashmir Delimitation Commission) दवारा तनम्नमलखखत
मसफाररशें की गयी िैं:
1. जम्मू संभाग के मलए छि सीटें और कश्मीर संभाग के मलए एक सीट बढ़ायी जायें।
2. अनुसूधचत जातत (SC) और अनुसूधचत जनजातत (ST) समुदायों के मलए 16 सीटें आरक्षक्षत की जायें।
तनदहतार्भ:
जम्मू-कश्मीर की ववधानसभा में अब सदस्यों की संख्या 90 िोगी। जबकक केंद्र सरकार दवारा जम्म-ू कश्मीर की
ववशेर् संवैधातनक जस्थतत समाप्त ककए जाने से पिले राज्य की ववधानसभा में 87 सदस्य िोते थे।
इन शसफाररशों का आिार:
‘जम्मू एवं कश्मीर पररसीमन आयोग’ के अनस
ु ार, इसकी अंततम ररपोटष वर्ष 2011 की जनगर्णना के आधार पर
तैयार की जाएगी, और ररपोटष में भौगोमलक जस्थतत, दग
ु म
ष इलाकों तथा वतषमान में जारी ‘पररसीमन प्रकिया’
(Delimitation Exercise) िे तु संचार के साधनों और उपलब्ध सुववधाओं को भी ध्यान में रखा जाएगा।
स्रोत: द हिंद।ू

7. ‘भुलाए जाने का अधिकार’


संदभभ:
वपछले िफ्ते, केंद्र सरकार ने हदल्ली उच्च न्यायालय को सधू चत करते िुए किा कक ‘भल
ु ाए जाने का अधधकार’
(Right to be Forgotten) ‘तनजता के मौमलक अधधकार’ का हिस्सा िै , लेककन इस मामले में इसकी कोई मित्वपर्ण
ू ष
भूममका निीं िै ।
ववमभन्न अदालतों में दायर याधचकाओं में इस "अधधकार" को लागू करने की मांग की गयी िै । ‘भुलाए जाने का
अधधकार’ - एक कानन
ू ी मसदधांत िै , जजसे अभी तक भारत में क़ानून दवारा समथषन निीं िै ।
‘भुलाए जाने का अधिकार’ तया है ?
‘भुलाए जाने का अधधकार’ के तित ककसी व्यजतत को इंटरनेट से उसकी तनजी जानकारी को िटाने का अधधकार
प्राप्त िोता िै । इस अवधारर्णा को ववदे शों में कुछ न्यायालयों, ववशेर् रूप से यूरोपीय संघ में मान्यता ममली िुई िै ।
भारतीय संदभभ में ‘भल ु ाए जाने का अधिकार':
• ‘भुलाए जाने का अधधकार’ (Right to be Forgotten), व्यजतत के ‘तनजता के अधधकार’ के दायरे में आता
िै ।
• वर्ष 2017 में , सुप्रीम कोटष दवारा अपने एक ऐततिामसक फैसले (पुत्तस्
ु वामी मामले) में ‘तनजता के अधिकार’
को एक ‘मौशलक अधिकार’ (अनुच्छे द 21 के तित) घोवर्त कर हदया गया था।
• अदालत ने उस समय किा था कक "तनजता का अधधकार ‘अनच्
ु छे द 21’ के तित ‘जीवन और व्यजततगत
स्वतंत्रता के अधधकार’ के अंतभत
ूष हिस्से के रूप में , और संववधान के भाग III दवारा गारं टीकृत ‘स्वतंत्रता’
के एक भाग के रूप में रक्षक्षत िै ।"
इसको मान्यता ददए जाने की आिश्यकता:
इंटरनेट से तनजी जानकारी, वपछले दोर्मसदधध और कायषवािी के अदालती ररकॉडष और वपछली घटनाओं की समाचार
ररपोटष को िटाने की मांग से संबंधधत कम से कम आठ याधचकाएं हदल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष लंत्रबत िैं।
और इस संदभष में , अदालतों से अब तक कुछ िी लोगों को िी राित ममल पाई िै ।

www.insightsonindia.com 39 InsightsIAS
इस प्रकार के कानून ककन दे शों में लागू हैं?
• यूरोपीय संघ में ‘सामान्य डेटा संरक्षर्ण ववतनयमन’ (General Data Protection Regulation- GDPR)
• 2015 में रूस ने एक कानन
ू बनाया गया, जजसके तित, उपयोगकताषओं को अप्रासंधगकता, अशद
ु धध और
‘कानून के उल्लंघन’ के आधार पर व्यजततगत जानकारी के मलंक को िटाने के मलए एक सचष इंजन को
वववश करने की अनुमतत दी गयी िै ।
• ‘भुलाए जाने के अधधकार’ को कुछ िद तक तक
ु ी और साइबेररया में भी मान्यता प्राप्त िै , जबकक स्पेन
और इंग्लैंड की अदालतों ने इस ववर्य पर कुछ तनर्णषय हदए गए िै ।
स्रोत: द हिंद।ू

8. मानहातन का मामला
संदभभ: िाल िी में , पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत मसंि मसदधू के खखलाफ एक ‘मानिातन’ (Defamation) का मामला
दजष ककया गया िै । मसदधू ने एक भार्र्ण के दौरान अपनी पाटी के दो सदस्यों की प्रशंसा करते िुए उन्िें
“पमु लसकममषयों की पैंट गीली करने में सक्षम” बताया था।
िालांकक, वववाद के बाद मसदधू ने किा कक उनकी इस हटप्पर्णी को शाजब्दक रूप से निीं मलया जाना चाहिए। उन्िोंने
किा, कक यि किने का एक तरीका िै कक कांग्रेस के पास "अधधकार” िै ।
‘मानहातन’ तया होती है?
‘मानिातन’ (Defamation), ककसी व्यजतत, व्यवसाय, उत्पाद, समूि, सरकार, धमष अथवा राष्ट्र की प्रततष्ट्ठा को िातन
पिुचाने वाले गलत व्यततव्यों का संप्रेर्र्ण िोती िै ।
• भारत में , मानिातन मसववल और किममनल दोनों प्रकार की िोती िै । मानिातन के दोनों प्रकारों में अंतर उनके
उददे श्यों में तनहित िोता िै ।
• मसववल प्रकार की मानिातन में अपराधी को तनवारर्ण के रूप में क्षततपूततष दे नी पड़ती िै तथा किममनल /
आपराधधक प्रकार की मानिातन के सन्दभष में अपराधी को दजण्डत ककया जाता िै , और इस प्रकार दस
ू रों को
इस तरि का कायष न करने का संदेश हदया जाता िै ।
विधिक प्राििान:
आपराधधक मानिातन को, ववशेर् रूप से, भारतीय दं ि संदहता (Indian Penal Code - IPC) की िारा 499 के तित
अपराध के रूप में पररभावर्त ककया गया िै ।
मसववल मानिातन, अपकृत्य क़ानून (Tort law) पर आधाररत िै । अपकृत्य क़ानून:, कानून का वि क्षेत्र िै , जो ककसी
गलती को पररभावर्त करने के मलए ककसी ववधान अथवा क़ानून पर तनभषर निीं िोता िै , परन्तु, ‘तया करना गलत
िो सकता िै ?’ इसकी व्याख्या करने के मलए ववमभन्न कानूनों का उपयोग करता िै ।
• IPC की धारा 499 के अनुसार, मानिातन, बोले गए अथवा पढ़े जाने योग्य शब्दों के माध्यम से, संकेतों के
माध्यम से तथा दृश्यमान अमभव्यजतत के माध्यम से भी िो सकती िै ।
• धारा 499 में अपवादों का भी िवाला हदया गया िै । इनमें ‘लोक हित’ में आवश्यक ‘सत्य बात का लांछन’
लगाया जाना या प्रकामशत ककया जाना मानिातन के अंतगषत निीं आता िै ।
• मानिातन के मलए सजा के संबंध में आईपीसी की धारा 500, के अनस
ु ार, ककसी व्यजतत को दस
ू रे व्यजतत
की मानिातन करने पर, दो वर्ष तक का साधारर्ण कारावास या जुमाषना अथवा दोनों से दजण्डत ककया जा
सकता िै ।
मानहातन कानून का दरु
ु पयोग तर्ा संबंधित धचंताएाँ:
• इसके अंतगषत, आपराधधक प्रावधानों को प्रायः ववशुदध रूप से उत्पीड़न के माध्यम में रूप में प्रयत
ु त ककया
जाता िै ।

www.insightsonindia.com 40 InsightsIAS
• भारतीय ववधधक प्रकियाओं की बोखझल प्रकृतत को दे खते िुए, मामले की गंभीरता पर ध्यान हदए त्रबना िी,
प्रकक्रया ही सजा के समान हो जाती है ।
• आलोचकों का तकष िै कक मानिातन कानन
ू िाक् एिं अशभव्यजतत की स्ितंत्रता के मौशलक अधिकारों से
टकराते िैं।
• आपराधिक मानहातन का समाज पर बुरा प्रभाि पड़ता है : उदािरर्ण के मलए, राज्य इसे, मीडडया और
राजनीततक ववरोधधयों को आलोचना करने से रोकने तथा अनुधचत संयम अपनाने के मलए वववश करता
िै ।
उच्चत्तम न्यायालय द्िारा की गयी दटप्पणर्यााँ:
• सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत संघ मामले 2014 में , न्यायालय दवारा भारतीय दं ड संहिता की धारा 499
और 500 (आपराधधक मानिातन) की संवैधातनक वैधता की अमभपुजष्ट्ट की गयी तथा यि किा गया कक,
ककसी व्यजतत के ‘गररमा तथा सम्मान के साथ जीने के अधधकार’ को ककसी अन्य व्यजतत दवारा मात्र
इसमलए भंग निीं ककया जा सकता, तयोंकक उसको स्वतंत्रता प्राप्त िै ।
• अगस्त 2016 में , न्यायालय ने तममलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयलमलता पर ‘लोकतंत्र का दम घोटने’ के
मलए आपराधधक मानिातन कानून का दरु ु पयोग करने के मलए सख्त आलोचना करते िुए किा कक
‘सावषजतनक िजस्तयों’ को आलोचनाओं का सामना करना चाहिए।
प्रीशलम्स शलंक:
1. आपराधधक और मसववल मानिातन के मध्य अंतर
2. आईपीसी की धारा 499 और 500 ककससे संबंधधत िैं?
3. अपकृत्य क़ानन
ू (Tort law) तया िै ?
4. इस संबंध में सवोच्च न्यायालय के तनर्णषय
5. धारा 499 के तित अपवाद
में स शलंक:
तया आपको लगता िै कक भारत में मानिातन को गैर-अपराध घोवर्त ककया जाना चाहिए? तया मानिातन तथा
अवमानना कानन
ू परु ाने समय के क़ानन
ू िो चक
ु े िै ? उपयत
ु त उदािरर्णों सहित उधचत सात्रबत कीजजए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

विषय:संघ एवं राज्यों के कायष तथा उत्तरदातयत्व, संघीय ढााँचे से संबंधधत ववर्य एवं चुनौततयााँ, स्थानीय स्तर पर
शजततयों और ववत्त का िस्तांतरर्ण और उसकी चुनौततयााँ।
1. तनजी सदस्य वििेयक
संदभभ: जारी संसद सत्र में शुिवार को लोकसभा में 153 तनजी सदस्य ववधेयक (Private Member’s Bill) पेश ककए
गए, जजनमें से एक ववधेयक में ‘मलंधचंग’ से सरु क्षा िे तु प्रावधान बनाए जाने का प्रस्ताव ककया गया िै , और एक
अन्य ववधेयक में दे श के सभी ‘मशक्षर्ण संस्थानों में भगवद गीता का अतनवायष मशक्षर्ण’ संबंधी प्रस्ताव ककया गया
िै ।
‘प्राइिेट में बर’ या ‘तनजी सदस्य’ कौन होते हैं?
सरकार में शाममल ‘मंत्रत्रयों’ के अलावा अन्य संसद सदस्यों को ‘तनजी सदस्य’ या ‘प्राइवेट में बर’ (Private Member)
के रूप में संदमभषत ककया जाता िै ।
तनजी सदस्य ववधेयक (Private Member’s Bill) का उददे श्य सरकार का ध्यान उस ओर आकवर्षत करना िै , जो कक
सांसद (मंत्रत्रयों के अततररतत) के मुतात्रबक, एक मित्त्वपूर्णष मुददा िै और जजस पर ववधायी िस्तक्षेप की आवश्यकता
िै ।

www.insightsonindia.com 41 InsightsIAS
तनजी सदस्य वििेयक की स्िीकायभता:
• ककसी ‘प्राइवेट में बर त्रबल’ को ववचार करने िे तु स्वीकार ककया जाए अथवा निीं, इसका तनर्णषय राज्य सभा
के सभापतत अथवा लोकसभा अध्यक्ष दवारा ककया जाता िै ।
• सदन दवारा ‘तनजी सदस्य ववधेयक’ के खाररज ककए जाने अथवा इसकी अस्वीकृतत का ‘सरकार में संसदीय
ववश्वास’ अथवा उसके इस्तीफे पर कोई प्रभाव निीं पड़ता िै ।
तनजी सदस्य वििेयक संबि
ं ी प्रकक्रया दोनों सदनों में लगभग एक समान होती है:
• ववधेयक को पुरःस्थावपत करने के मलए, सच
ू ीबदध ककए जाने से पिले सदस्य को कम से कम एक मिीने
का नोहटस दे ना िोता िै ।
• सदन के सधचवालय दवारा, इस प्रकार के ववधेयक को सूचीबदध करने से पिले, संवैधातनक प्रावधानों और
कानून पर तनयमों के अनुपालन संबंधी परीक्षर्ण ककया जाता िै ।
अपिाद: सरकारी ववधेयकों को ककसी भी हदन पेश ककया जा सकता िै और उन पर चचाष की जा सकती िै , परन्तु
तनजी सदस्य ववधेयक / गैर-सरकारी ववधेयकों को केवल शुिवार को िी पेश ककया जा सकता िै और उसी हदन
उन पर चचाष िो सकती िै ।
तया अभी तक कोई ‘प्राइिेट में बर बबल’ कभी कानून बन सका है ?
‘पीआरएस लेजजस्लेहटव’ के अनुसार, 1970 के बाद से संसद दवारा कोई भी ‘तनजी सदस्य ववधेयक’ पाररत निीं
ककया गया िै ।
आज तक, संसद दवारा 14 ‘तनजी सदस्य ववधेयकों’ को पाररत ककया जा चुका िै , जजनमें से छि ववधेयक 1956
में पाररत ककए गए थे। 14वीं लोकसभा में , 300 से अधधक तनजी सदस्य ववधेयक पेश ककए गए, जजनमें से लगभग
‘चार प्रततशत’ पर चचाष िुई, शेर् 96 प्रततशत बगैर ककसी ववमशष के व्यपगत िो गए।
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:ववमभन्न घटकों के बीच शजततयों का पथ


ृ तकरर्ण, वववाद तनवारर्ण तंत्र तथा संस्थान।
1. संसद में व्यििान
संदभभ: िाल िी में , संसद को कफर से अतनजश्चत काल के मलए स्थधगत कर हदया गया, इस तरि से संसद मे
लगातार व्यवधान िोते रिने पर लोकसभा और राज्यसभा के पीठासीन अधधकाररयों ने धचंता व्यतत की िै ।
इस संसदीय सत्र में दोनों सदनों का प्रदशभन:
1. राज्य सभा में इस सत्र की 18 बैठकों के दौरान, आवंहटत समय का केवल 47.9% उपयोग ककया गया िै ।
कुल 95 घंटे छि ममनट के बैठक-काल में , राज्यसभा में केवल 45 घंटे सदन की कारष वाई चली िै ।
2. सदन ने इस सत्र में "अपनी क्षमता से काफी कम" प्रदशषन ककया िै । जजस जस्थतत के कारर्ण सत्र की
शुरुआत में , 12 राज्यसभा सदस्यों को पूरे सत्र के मलए तनलंत्रबत कर हदया गया था, उससे संसद में संघर्ष-
रे खाओं को पिले की तल
ु ना में काफी गिरा कर हदया िै ।
3. लोकसभा में , 18 घंटे 48 ममनट के व्यवधान के साथ 83 घंटे 20 ममनट का कामकाज िुआ।
संबंधित प्रकरर्:
िाल िी में , मख्
ु य न्यायाधीश एन वी रमर्ण ने ‘संसद में की जाने वाली बिस में िो रिी कमी’ के बारे में असंतोर्
प्रकट ककया था। उन्िोंने किा कक, यि ‘खेदजनक जनक जस्थतत’ िै , और सकरात्मक एवं गर्ण
ु वत्तापर्ण
ू ष बिसों के
निीं िोने पर कानूनों के कई पिलू अस्पष्ट्ट रि जाते िैं, जजससे अदालत पर बोझ बढ़ जाता िै ।
इसके बाद: इस प्रकार की हटप्पखर्णयों को ववधातयकाओं के कामकाज के संदभष में दे खा जाना चाहिए, जजनमे लगातार
व्यवधान, अतनयंत्रत्रत व्यविार और हिंसक कारष वाईयां दे खने को ममलती रिती िैं, और जजनका िातनकारक प्रभाव
पड़ता िै ।

www.insightsonindia.com 42 InsightsIAS
इस प्रकार की हटप्पखर्णयों का प्रत्युत्तर दे ने सबसे अच्छा तरीका यि िै , कक ववधातयकाओं की गररमा और मयाषदा
सुतनजश्चत करके उनके उधचत कामकाज को सतु नजश्चत ककया जाए, तयोंकक इस तरि की हटप्पखर्णयां ववधातयकाओं
के कामकाज के बारे में जनता के नजररए को प्रभाववत करती िैं।
प्रमुख धचंताएं:
िमारे ववधायी कामकाज की नींव के रूप में ‘चचाष’ की जगि ‘व्यवधान’ (Disruption) लेता जा रिा िै ।
• पीआरएस (PRS Legislative Research) की एक ररपोटष के अनुसार, 15वीं लोकसभा (2009-14) के दौरान
संसदीय कायषवािी में बार-बार व्यवधान िोने के कारर्ण, लोकसभा और राज्यसभा में तनधाषररत समय का
कुल िमशः 61 फीसदी और 66 फीसदी काम िुआ था।
• पीआरएस की एक अन्य ररपोटष के अनुसार, 16वीं लोकसभा (2014-19) के दौरान तनधाषररत समय का 16%
समय व्यवधानों के कारर्ण ख़राब िो गया। िालााँकक यि 15वीं लोकसभा (37%) से बेितर, ककं तु 14वीं
लोकसभा (13%) से भी बदतर स्थतत रिी।
• 16वीं लोकसभा के दौरान, राज्य सभा में अपने तनधाषररत समय का 36 प्रततशत व्यवधानों के कारर्ण ख़राब
िुआ। 15वीं और 14वीं लोकसभा के दौरान, राज्य सभा में तनधाषररत समय का िमश: 32% और 14%
नष्ट्ट िुआ था।
व्यििानों के कारर्:
1. वववाहदत ववर्यों और सावषजतनक मित्व के मामलों पर चचाष।
2. व्यवधान, सत्ता पक्ष के मलए जजम्मेदारी से बचने में सिायक सात्रबत िो सकते िैं।
3. गैर-सूचीबदध चचाष के मलए समवपषत समय का अभाव।
4. अनश
ु ासनात्मक शजततयों का दल
ु भ
ष प्रयोग।
5. दलगत राजनीतत।
आिश्यकता: संसद में अव्यवस्था को रोकने िे तु, सांसदों और ववधायकों के मलए ‘आचार संहिता’ को सख्ती से लागू
ककए जाने की आवश्यकता िै ।
• आचार संहिताओं का पालन न करने वाले और सदनों के कामकाज में बाधा डालने वाले सांसदों को,
पीठासीन अधधकारी दवारा तनलंत्रबत कर दे ना चाहिए।
• वतषमान सरकार के मलए, और अधधक लोकतांत्रत्रक िोने और ववपक्ष को अपने ववचारों को स्वतंत्र रूप से
रखने का अवसर दे ने की जरूरत िै ।
• व्यवधानों और स्थगन पर बबाषद िुए घंटों की संख्या को ध्यान में रखने तथा संसद के दोनों सदनों के
हदन-प्रततहदन के कामकाज की उत्पादकता की तनगरानी करने िे तु एक "उत्पादकता मापक" (Productivity
Meter) तैयार ककया जाना चाहिए।
तनष्ट्कषभ: मुददों पर सिमतत और असिमतत का प्रदशषन ‘बिस’ के माध्यम से ककया जा सकता िै , न कक ‘व्यवधान’
के माध्यम से। सदन का सुचारू संचालन सभी हितधारकों की जजम्मेदारी िोती िै और इसकी कायषवािी सभी की
सामहू िक इच्छा और सिमतत के साथ चलनी चाहिए।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप ‘स्थगन’ और ‘अतनजश्चत काल के मलए स्थगन’ बीच अंतर जानते िैं?
प्रीशलम्स शलंक:
1. संसद के सत्र
2. संसद सत्र को आिूत करने की शजतत ककसे प्राप्त िै ?
3. संसदीय सत्र के दौरान लोकसभा अध्यक्ष की भमू मकाएं और शजततयां
4. संयुतत बैठक
5. संववधान के अनुच्छे द 74 और 75
स्रोत: द हिंद।ू
www.insightsonindia.com 43 InsightsIAS
2. कायभपाशलका द्िारा अदालत के आदे शों का अनादर करने की प्रिवृ त्त
संदभभ: भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमर्ण ने िाल िी में किा िै , कक कायषपामलका (Executive) दवारा न्यायालय
के आदे शों की अविे लना और यिां तक कक अनादर करने की प्रववृ त्त बढ़ रिी िै। जबकक कायषपामलका को दे श में
‘ववधध का शासन’ बनाए रखने के मलए सिायता और सियोग करना चाहिए।
न्यायपामलका के समक्ष चन
ु ौततयों पर प्रकाश डालते िुए, भारत के मुख्य न्यायाधीश ने किा कक, वतषमान में
'असियोगी कायषपामलका' अदालत के सामने मौजद ू धचंताओं में से एक िै ।
समय की मांग:
राष्ट्र में ‘ववधध के शासन’ को जारी रखने के मलए कायषपामलका को सिायता और सियोग करने की आवश्यकता
िै । जब तक कायषपामलका और कानून, न्यातयक ररजततयों को भरने, अमभयोजकों की तनयुजतत, बतु नयादी ढांचे को
मजबूत करने, स्पष्ट्ट दरू दमशषता और हितधारकों के ववश्लेर्र्ण सहित कानून बनाने के मलए ईमानदार प्रयास निीं
करते, तब तक ‘ववधध के शासन’ के मलए न्यायपामलका को अकेले जजम्मेदार निीं ठिराया जा सकता िै ।
राष्ट्र तनमाभर् में न्यायपाशलका की महत्िपूर्भ भशू मका :
• केशवानंद भारती मामले में , शीर्ष न्यायालय ने पिली बार ‘संववधान संशोधनों’ की समीक्षा करने की अपनी
शजतत को प्रततपाहदत ककया था।
• इस तरि की व्याख्या के माध्यम से िी ‘इंहदरा गांधी बनाम राज नारायर्ण मामले’ में 39वें संशोधन
अधधतनयम को रदद कर हदया गया था।
‘न्यातयक समीक्षा’ की शजतत:
‘न्यातयक समीक्षा’ (Judicial Review) की शजतत को अतसर ‘न्यातयक अततरे क’ (Judicial Overreach) के रूप में
ब्रांडेड करने का प्रयास ककया जाता िै । इस तरि के ‘सामान्यीकरर्ण’ प्रायः गम
ु राि करने वाले िोते िैं। संववधान में
तीन एक-समान अंगों का तनमाषर्ण ककया गया िै , और इस संदभष में ‘न्यायपामलका’ को अन्य दो ‘अंगों’ दवारा उठाए
गए कदमों की वैधता की समीक्षा करने की भूममका दी गई िै । यहद न्यायपामलका के पास ‘न्यातयक समीक्षा’ की
शजतत निीं िोगी, तो इस दे श में लोकतंत्र का कायष करना अकल्पनीय िो जाएगा।
ितभमान धचंताएं:
• आमतौर पर, कोई भी कानन
ू पाररत करने से पिले, उसका प्रभाव मल्
ू यांकन या संवैधातनकता की बतु नयादी
जांच निीं की जाती िै । कानूनों का मसौदा तैयार करते समय कम-से-कम यि अपेक्षा की जाती िै , कक ये
क़ानून स्थावपत संवैधातनक मसदधांतों का पालन करते िों। ववधध-तनमाषताओं को कानून से उत्पन्न िोने
वाले मुददों के मलए ‘प्रभावी उपचार’ प्रदान करने के बारे में भी सोचना चाहिए। लेककन ऐसा प्रतीत िोता
िै कक वतषमान में इन मसदधांतों की अनदे खी की जा रिी िै । और, इसका सीधा असर अदालतों पर पड़ता
िै ।
• कई बार, पक्षकारों को अपने अनुकूल आदे श न ममलने पर, वप्रंट और सोशल मीडडया में भी जजों के
खखलाफ अमभयान चलाए जाते िैं।
• मीडिया-सन
ु िाई की बढ़ती संसया: नए मीडडया उपकरर्णों में ककसी मामले को व्यापक स्तर पर ववस्तार
दे ने की क्षमता िोती िै , लेककन वे सिी और गलत, अच्छे और बुरे और वास्तववक और नकली के बीच
अंतर करने में असमथष प्रतीत िोते िैं।
समय की मांग: न्यायपामलका में ज्ञान-क्षेत्र ववशेर्ज्ञता की आवश्यकता िै । िमें ववमभन्न क्षेत्रों में ववकास की समझ
रखने वाले न्यायाधीशों और वकीलों की जरूरत िै ।
• तकनीकी ववशेर्ज्ञों से लगातार ‘न्यातयक प्रमशक्षर्ण’ प्राप्त करना भी आवश्यक िै । कानन
ू ी मशक्षा को समय
के साथ तालमेल त्रबठाने और अपने पाठ्यिम को लगातार अदयतन (अपडेट) करने की जरूरत िै ।
• ‘आभासी सुनवाई’ (Virtual Hearings) जैसी आवश्यकताओं को पूरा करने के मलए न्यायपामलका को एक
अनक
ु ू ल मंच की आवश्यकता िै ।
www.insightsonindia.com 44 InsightsIAS
‘न्यातयक समीक्षा’ तया है?
न्यातयक समीक्षा (Judicial review), न्यायपामलका को प्राप्त एक शजतत िै , जजसके अंतगषत वि सरकार के ववधायी
तथा कायषकारी अंगों दवारा पाररत ककसी अधधतनयम या आदे श से ककसी प्रभाववत व्यजतत के चन
ु ौती हदए जाने पर
इन कानूनों/ आदे श की समीक्षा तथा इनकी संवैधातनकता पर तनर्णषय करती िै ।
भारत में ‘न्यातयक समीक्षा’ की जस्र्तत:
भारत में न्यातयक समीक्षा की शजतत का स्रोत भारतीय संववधान िै (संववधान के अनुच्छे द 13, 32, 136, 142 और
147)।
1. न्यातयक समीक्षा की शजतत का प्रयोग संववधान के भाग-तीन में प्रदत्त मल
ू अधधकारों की रक्षा करने और
इन्िें प्रवततषत करने के मलए ककया जाता िै ।
2. संववधान के अनुच्छे द 13 में संसद और राज्य ववधानसभाओं को दे श के नागररकों को प्राप्त मूल-अधधकारों
को समाप्त करने अथवा इनका िनन करने वाले क़ानन
ू बनाना तनर्ेध ककया गया िै ।
3. अनुच्छे द 13 के तित मौमलक अधधकारों की सुरक्षा करने के प्रावधान ककए गए िैं तथा इसके तित ककसी
भी कानून को ‘मूल-अधधकारों के असंगत अथवा अल्पीकरर्ण’ करने की सीमा तक अमान्य माना गया िै ।

स्रोत: द हिंद।ू

विषय:संसद और राज्य ववधातयका- संरचना, कायष, कायष-संचालन, शजततयााँ एवं ववशेर्ाधधकार और इनसे उत्पन्न
िोने वाले ववर्य।
1. सांसदों के प्रश्नों को स्िीकृत एिं अस्िीकृत ककए जाने संबंिी प्रकक्रया
संदभभ: वपछले कुछ सत्रों के दौरान, कुछ सासंदों- ववशेर्कर ववपक्ष के सांसदों दवारा, अतसर उनके प्रश्नों को संसद
में पूछे जाने की अनुमतत निीं हदए जाने का आरोप लगाया जा रिा िै ।
जजन प्रश्नों को सदन में पछ
ू े जाने की अनुमतत निीं दी गयी, उनमे तनम्नमलखखत मुख्य सवाल शाममल थे:
• तया अतनवासी भारतीयों (NRIs) को िवाई अड्डों पर परे शान ककया गया और वापस भेज हदया गया?
• तया चीनी सतनक लददाख में ‘वास्तववक तनयंत्रर्ण सीमा’ (LAC) का अततिमर्ण करते िुए भारतीय सीमा
में घस
ु गए िैं?
लोकसभा और राज्यसभा सधचवालयों ने इस सवालों को अनुमतत न दे ने के कारर्ण, समय की कमी और राष्ट्रीय
सुरक्षा बताया िै ।

www.insightsonindia.com 45 InsightsIAS
सांसदों का सिाल पूछने का अधिकार:
दोनों सदनों में , तनवाषधचत सदस्यों को तारांककत प्रश्नों (Starred Questions), अतारांककत प्रश्नों (Unstarred
Questions), अल्प सच
ू ना प्रश्नों (Short Notice Questions) तथा ‘तनजी सदस्यों के मलए प्रश्नों’ (Questions To
Private Members) के रूप में ववमभन्न ववमभन्न मंत्रालयों और ववभागों से जानकारी प्राप्त करने का अधधकार िोता
िै ।
प्रश्नों की ग्राह्यता संबंिी प्रकक्रया:
आम तौर पर, सांसदों के प्रश्नों की एक लंबी सूची तैयार की जाती िै , जो बाद में अनुमोदन की एक कठोर प्रकिया
से गज
ु रती िै ।
• प्रश्नों की ग्राहयता को शामसत करने वाली शतें राज्य सभा के प्रकिया तथा कायष संचालन तनयमों के तनयम
47-50 में दी गई िैं।
• ग्राहयता संबंधी शतों को परू ा करने वाला कोई प्रश्न, प्राप्त िोने के बाद सधचवालय उसे संबंधधत मंत्रालय
को भेजता िै । मंत्रालय से तथ्य प्राप्त िोने के बाद, ‘स्वीकायषता’ के मलए प्रश्न की आगे जांच की जाती िै ।
• प्रश्नों की अंततम सूची मंत्रत्रयों के मलए भेज दी जाती िै , जजसके आधार पर वे अपने उत्तर तैयार करते िैं।
तारांककत, अतारांककत एिं अन्य श्रेणर्यों के प्रश्नों के बारे में :
तारांककत प्रश्न (Starred Questions): यि वि सवाल िोते िैं, जजसका सदस्य, सभा में मंत्री से मौखखक उत्तर चािते
िैं और पिचान के मलए इन प्रश्नों पर तारांक बना रिता िै । ऐसे प्रश्न के उत्तर के पश्चात ् सदस्यों दवारा उस पर
अनुपूरक प्रश्न पूछे जा सकते िैं।
अतारांककत प्रश्न (Unstarred Questions): इन प्रश्नों का मलखखत उत्तर मंत्रत्रयों दवारा हदया जाता िै जजन्िें प्रश्न
काल के अंत में सभा पटल पर रखे गये मान मलया जाता िै । इस प्रकार इसे मौखखक उत्तर के मलए निीं पक
ु ारा
जाता िै और इस पर कोई अनुपूरक प्रश्न निीं पूछा जा सकता।
अल्प सूचना प्रश्न (Short Notice Questions): ऐसे प्रश्नों को तारांककत और अतारांककत प्रश्नों के मलए तनधाषररत
समय से कम समय पर प्रश्न काल के पश्चात ् अथवा प्रश्न काल न िो तो कायषसूची के प्रथम मद
ु दे के रूप में
सभा में मौखखक रूप से पछ
ू ा जा सकता िै ।
इन प्रश्नों को ऐसी ववर्य-वस्तु से संबंधधत िोना चाहिए जजन्िें सभापतत अत्यावश्यक लोक मित्व का समझे।
सदस्य दवारा मौखखक उत्तर िे तु पाने के मलए, अववलम्बनीय लोक मित्व से संबंधधत प्रश्न की सूचना दी जा सकती
िै और जजसे एक सामान्य प्रश्न िे तु ववतनहदष ष्ट्ट 10 हदन की सच
ू नावधध से कम अवधध के भीतर पूछा जा सकता
िै । ऐसे प्रश्न को ‘अल्प सच
ू ना प्रश्न’ के नाम से जाना जाता िै ।
‘तनजी सदस्यों के शलए प्रश्नों’ (Questions To Private Members): लोकसभा के प्रकिया तनयमों के तनयम 40 के
तित या राज्य सभा के तनयम 48 के तित एक तनजी सदस्य को एक प्रश्न को संबोधधत ककया जा सकता िै ,
बशते कक उस प्रश्न की ववर्यवस्तु ककसी ववधेयक, संकल्प या सभा में कायष संचालन से संबंधधत अन्य मामले से
संबंधधत िो जजसके मलए वि सदस्य उत्तरदायी िै ।
ककस तरह के प्रश्न पछ
ू े जा सकते हैं?
• राज्य सभा में , ववमभन्न मानदं डों के अततररतत, प्रश्न ‘सटीक, ववमशष्ट्ट और केवल एक मुददे के मलए सीममत
िोने चाहिए; उसमें कोई ऐसा नाम या कथन निीं िोगा जो प्रश्न को सुबोध बनाने के मलये सवषथा आवश्यक
न िो; यहद उसमें कोई कथन िो तो सदस्य को उस कथन की पररशुदधता के मलये उत्तरदायी िोना पड़ेगा;
और उसमें तकष, अनुमान, व्यंग्यात्मक पद, अभ्यारोप, ववशेर्र्ण या मानिातनकारक कथन निीं िोने चाहिए।
• लोकसभा में , ऐसे प्रश्नों स्वीकार निीं ककया जाता िै , जजनके उत्तर पिले हदये जा चक
ु े िों या जजनका उत्तर
दे ना अस्वीकार कर हदया गया िो; अथवा ऐसे मामले जो ककसी न्यायालय या संसदीय सममतत के समक्ष
ववचाराधीन तनर्णषय के मलए लंत्रबत िैं।

www.insightsonindia.com 46 InsightsIAS
इंस्टा जजज्ञासु: दोनों सदनों में , प्रत्येक बैठक का पिला घंटा आमतौर पर प्रश्न पूछने और उत्तर दे ने के मलए समवपषत
िोता िै , और इसे 'प्रश्नकाल' किा जाता िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘प्रश्नकाल’, ‘शून्यकाल’, ‘तारांककत प्रश्न’ तया िोते िैं?
2. ‘अतारांककत प्रश्न’ तया िैं?
में स शलंक: संसद में ‘शून्यकाल’ के मित्व पर चचाष कीजजए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

2. नागररकता (संशोिन) अधितनयम, 2019 (CAA)


संदभभ: नागररकता (संशोधन) अधधतनयम, 2019 (Citizenship (Amendment) Act, 2019) अथाषत CAA को संसद दवारा
पाररत ककए जाने के दो साल बाद भी, गि
ृ मंत्रालय (MHA) दवारा अभी तक अधधतनयम के ववतनयमन संबंधी तनयमों
को अधधसूधचत निीं ककया गया िै । तनयमों को अधधसूधचत ककए त्रबना कानून को लागू निीं ककया जा सकता िै ।
पष्ट्ृ ठभशू म: नागररकता (संशोधन) अधधतनयम, 2019 (CAA), 12 हदसंबर, 2019 को अधधसधू चत ककया गया था और इसे
10 जनवरी, 2020 से लागू ककया गया।
• इस अधधतनयम के माध्यम से नागररकता अधधतनयम, 1955 में संशोधन ककया गया िै ।
• नागररकता अधधतनयम, 1955 में नागररकता प्राप्त करने िे तु ववमभन्न तरीके तनधाषररत ककये गए िैं।
• इसके तित, भारत में जन्म के आधार पर, वंशानुगत, पंजीकरर्ण, प्राकृततक एवं क्षेत्र समाववष्ट्ट करने के
आधार पर नागररकता िामसल करने का प्रावधान ककया गया िै ।
नागररकता (संशोिन) अधितनयम (CAA) के बारे में :
CAA का उददे श्य पाककस्तान, बांग्लादे श और अफगातनस्तान के- हिंद,ू मसख, जैन, बौदध, पारसी और ईसाई - उत्पीडड़त
अल्पसंख्यकों को भारतीय नागररकता प्रदान करना िै ।
• इन समुदायों के, अपने संबंधधत दे शों में धाममषक आधार पर उत्पीड़न का सामना करने वाले जो व्यजतत
31 हदसंबर 2014 तक भारत में पलायन कर चुके थे, उन्िें अवैध अप्रवासी निीं माना जाएगा बजल्क उन्िें
भारतीय नागररकता दी जाएगी।
• अधधतनयम के एक अन्य प्रावधान के अनुसार, केंद्र सरकार कुछ आधारों पर ‘ओवरसीज मसटीजन ऑफ
इंडडया’ (OCI) के पंजीकरर्ण को भी रदद कर सकती िै।
अपिाद: संववधान की छठी अनुसूची में शाममल िोने के कारर्ण यि अधधतनयम बत्रपरु ा, शमजोरम, असम और मेघालय
के आददिासी क्षेत्रों पर लागू निीं िोता िै ।
• इसके अलावा बंगाल ईस्टनभ फ्रंदटयर रे गुलेशन, 1873 के तित अधधसधू चत ‘इनर मलममट’ के अंतगषत आने
वाले क्षेत्रों भी इस अधधतनयम के दायरे से बािर िोंगे।
इस कानन
ू से संबंधित मद्
ु दे :
• यि क़ानून संववधान के मूल मसदधांतों का उल्लंघन करता िै । इसके अंतगषत धमष के आधार पर अवैध
प्रवामसयों की पिचान की गयी िै ।
• यि क़ानन
ू स्थानीय समद
ु ायों के मलए एक जनसांजख्यकीय खतरा समझा जा रिा िै ।
• इसमें , धमष के आधार पर अवैध प्रवामसयों को नागररकता का पात्र तनधाषररत ककया गया िै । साथ िी इससे,
समानता के अधधकार की गारं टी प्रदान करने वाले संववधान के अनुच्छे द 14 का उल्लंघन िोगा।
• यि ककसी क्षेत्र में बसने वाले अवैध प्रवामसयों की नागररकता को प्राकृततक बनाने का प्रयास करता िै ।
• इसके तित, ककसी भी कानन
ू के उल्लंघन करने पर ‘ओसीआई’ पंजीकरर्ण को रदद करने की अनुमतत गी
गई िै । यि एक व्यापक आधार िै जजसमें मामल
ू ी अपराधों सहित कई प्रकार के उल्लंघन शाममल िो सकते
िैं।

www.insightsonindia.com 47 InsightsIAS
कानून का विरोि:
• नागररकता (संशोधन) अधधतनयम (CAA) की संवैधातनक और कानूनी वैधता को भारत के माननीय सवोच्च
न्यायालय में चन
ु ौती दी गई िै । राजस्थान और केरल की सरकारों दवारा अनच्
ु छे द 131 के तित याधचकाएं
दायर की गयी िैं । (भारत सरकार और एक या अधधक राज्यों के बीच ककसी भी वववाद में सवोच्च
न्यायालय, ककसी भी अन्य अदालत का अपवजषन करते िुए, की मूल अधधकाररता िोती िै )।
• केंद्र सरकार के मलए मेघालय, पजश्चम बंगाल, तममलनाडु, केरल और पंजाब की ववधानसभाओं दवारा
अधधतनयम के खखलाफ पाररत प्रस्ताव भी प्राप्त िो चक
ु े िैं।
इंस्टा जजज्ञास:ु ‘राष्ट्रीय नागररक रजजस्टर’ (National Register of Citizens- NRC), नागररकता (संशोधन) अधधतनयम
(CAA) से ककस प्रकार मभन्न िै ? तया दोनों में कोई समानता िै ?
प्रीशलम्स शलंक:
1. नागररकता (संशोधन) अधधतनयम (CAA) के बारे में
2. अधधतनयम में ककन धमों को शाममल ककया गया िै ?
में स शलंक: नागररकता (संशोधन) अधधतनयम के कायाषन्वयन से संबंधधत मद
ु दों पर चचाष कीजजए। स्रोत: द हिंद।ू

3. विशेषाधिकार प्रस्ताि
संदभभ: िाल िी में तर्ण
ृ मलू कांग्रेस पाटी के दो सांसदों और कांग्रेस पाटी के तीन सांसदों ने भारत के पूवष मुख्य
न्यायाधीश एवं राज्यसभा सदस्य ‘रं जन गोगोई’ के खखलाफ ‘ववशेर्ाधधकार उल्लंघन प्रस्ताव’ (Privilege Motion)
पेश ककया िै । श्री रं जन गोगोई ने िाल िी में एक इंटरव्यू के दौरान किा था, कक “उन्िोंने जब उनका मन िुआ
तब सदन में भाग मलया”।
माचष 2020 में सदन में मनोनीत ककए जाने िोने के बाद से, श्री गोगोई सदन की कायषवािी में केवल छि बार
शाममल िुए िैं।
संबंधित तनयम:
तनयमों के अनुसार, प्रत्येक सदस्य को ‘सत्र के दौरान’ कम से कम एक हदन उपजस्थत िोना आवश्यक िोता िै और
यहद वि सदन की कारवाई में शाममल निीं िोते िै , तो उसे छुट्टी के मलए आवेदन करना िोगा, जजस पर सदन
की स्वीकृतत आवश्यक िोती िै ।
संबंधित प्रकरर्:
िाल िी में , एक न्यूज चैनल ‘एनडीटीवी’ को हदए गए एक साक्षात्कार के दौरान, रं जन गोगोई से संसद में उनकी
उपजस्थतत के बारे में पूछा गया था। जजसके जबाब में , पूवष सीजेआई ने ‘सोशल डडस्टें मसंग’ और ‘बैठने की व्यवस्था’
में कमी के प्रतत असुववधा और ‘कोववड-प्रततबंधों’ का िवाला हदया था।
‘ववशेर्ाधधकार प्रस्ताव’ में किा गया िै , कक संसद सदस्य के यि बयान सदन की गररमा का उल्लंघन करते िैं
और उसे अनदे खा करते िै ।
‘संसदीय विशेषाधिकार’ तया होते हैं?
संसदीय ववशेर्ाधधकार (Parliamentary Privileges), संसद सदस्यों को, व्यजततगत और सामूहिक रूप से, प्राप्त कुछ
अधधकार और उन्मजु ततयां िोते िैं, ताकक वे "अपने कायों का प्रभावी ढं ग से तनवषिन" कर सकें।
• संवििान के अनुच्छे द 105 में स्पष्ट्ट रूप से दो ववशेर्ाधधकारों का उल्लेख ककया गया िै । ये िैं: संसद में
वाक् -स्वतंत्रता और इसकी कायषवािी के प्रकाशन का अधधकार।
• संववधान में ववतनहदषष्ट्ट ववशेर्ाधधकारों के अततररतत, शसविल प्रकक्रया संदहता, 1908 में सदन या उसकी
सममतत की बैठक के दौरान तथा इसके आरं भ िोने से चालीस हदन पव
ू ष और इसकी समाजप्त के चालीस
हदन पश्चात मसववल प्रकिया के अंतगषत सदस्यों की धगरफ्तारी और उन्िें तनरुदध ककए जाने से स्वतंत्रता
का उपबंध ककया गया िै ।

www.insightsonindia.com 48 InsightsIAS
विशेषाधिकार उल्लंघन के णखलाफ प्रस्ताि:
सांसदों को प्राप्त ककसी भी अधधकार और उन्मुजतत की अविे लना करने पर, इस अपराध को ववशेर्ाधधकार
िनन किा जाता िै , और यि संसद के कानून के तित दं डनीय िोता िै।
• ककसी भी सदन के ककसी भी सदस्य दवारा ‘ववशेर्ाधधकार िनन’ के दोर्ी व्यजतत के खखलाफ एक
प्रस्ताव के रूप में एक सूचना प्रस्तुत की जा सकती िै।
लोकसभा अध्यक्ष / राज्य सभा सभापतत की भूशमका:
ववशेर्ाधधकार प्रस्ताव की जांच के मलए, लोकसभा अध्यक्ष / राज्य सभा सभापतत, पिला स्तर िोता िै ।
• लोकसभा अध्यक्ष / राज्यसभा सभापतत, ववशेर्ाधधकार प्रस्ताव पर स्वयं तनर्णषय ले सकते िैं या इसे संसद
की ववशेर्ाधधकार सममतत के मलए संदमभषत कर सकते िैं।
• यहद लोकसभा अध्यक्ष / राज्यसभा सभापतत, संगत तनयमों के तित प्रस्ताव पर सिमतत दे ते िैं, तो संबंधधत
सदस्य को प्रस्ताव के संदभष में एक संक्षक्षप्त वततव्य दे ने का अवसर हदया जाता िै ।
प्रयोज्यता:
• संववधान में , उन सभी व्यजततयों को भी संसदीय ववशेर्ाधधकार प्रदान ककए गए िै , जो संसद के ककसी
सदन या उसकी ककसी सममतत की कायषवािी में बोलने और भाग लेने के िकदार िैं। इन सदस्यों में भारत
के मिान्यायवादी और केंद्रीय मंत्री शाममल िोते िैं।
• िालांकक, संसद का अमभन्न अंग िोने बावजद
ू , राष्ट्रपतत को संसदीय ववशेर्ाधधकार प्राप्त निीं िोते िैं।
राष्ट्रपतत के मलए संववधान के अनुच्छे द 361 में ववशेर्ाधधकारों का प्रावधान ककया गया िै ।
इंस्टा जजज्ञास:ु तया ‘संसदीय ववशेर्ाधधकारों’ को ककसी कानन
ू के तित पररभावर्त ककया गया िैं? इस बारे में
जानकारी िे तु पहढ़ए।
प्रीशलम्स शलंक:
1. संववधान के कौन से प्रावधान ववधातयका के ववशेर्ाधधकारों की रक्षा करते िैं?
2. ववधातयका के ववशेर्ाधधकार के कधथत उल्लंघन के मामलों में अपनाई जाने वाली प्रकिया तया िै ?
3. संसद और राज्य ववधानमंडलों में ववशेर्ाधधकार सममततयों की संरचना और कायष
4. ववधातयका के ववशेर्ाधधकार िनन का दोर्ी पाए जाने वाले व्यजतत के मलए तया सजा िै ?
5. तया राज्य ववधानसभाओं के ववशेर्ाधधकार िनन से जुड़े मामलों में न्यायालय िस्तक्षेप कर सकते िैं?
में स शलंक: ववधातयका के ववशेर्ाधधकारों से आप तया समझते िैं? भारत में समय-समय पर दे खी जाने वाली
ववधातयका ववशेर्ाधधकारों की समस्या पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

4. लोक लेखा सशमतत


संदभभ: िाल िी में संसदीय ‘लोक लेखा सममतत’ (Public Accounts Committee - PAC) का शताब्दी समारोि आयोजजत
ककया गया था।
लोक लेखा सशमतत के बारे में :
1. लोक लेखा सममतत का गठन प्रततवर्ष ककया जाता िै । इसमें अधिकतम सदस्यों की संसया 22 िोती िै ,
जजनमें से 15 सदस्य लोकसभा से और 7 सदस्य राज्यसभा से चुने जाते िैं।
2. सदस्यों का कायषकाल एक वर्ष का िोता िै ।
3. सममतत के अध्यक्ष की तनयुजतत लोकसभा अध्यक्ष दवारा की जाती िै । वर्ष 1967 से, सममतत के अध्यक्ष
का चयन, ववपक्ष के सदस्यों में से ककया जाता िै ।
4. इसका मुसय कायभ तनयंत्रक-मिालेखापरीक्षक (CAG) की ऑडडट ररपोटष को संसद में रखे जाने के बाद इसकी
जांच करना िै ।
www.insightsonindia.com 49 InsightsIAS
लोक लेखा सशमतत की सीमाएं:
1. मोटे तौर पर, यि नीततगत सवालों में िस्तक्षेप निीं कर सकती िै ।
2. यि व्यय िोने के बाद िी, इन पर तनगरानी कर सकती िै । इसमें व्ययों को सीममत करने संबंधी कोई
शजतत निीं िोती िै ।
3. यि हदन-प्रततहदन के प्रशासन के मामलों में िस्तक्षेप निीं कर सकती िै ।
4. सममतत दवारा की जाने वाली अनुशंसाएं मात्र परामशी िोती िै । मंत्रालयों दवारा इन मसफाररशों की उपेक्षा
भी की जा सकती िै ।
5. इसके मलए ववभागों दवारा व्यय पर रोक लगाने की शजतत निीं िोती िै ।
6. यि मात्र एक कायषकारी तनकाय िै और इसे कोई आदे श जारी करने की शजतत निीं िै । इसके तनष्ट्कर्ों पर
केवल संसद िी अंततम तनर्णषय ले सकती िै ।
इंस्टा जजज्ञास:ु तया आप जानते िैं कक लोक लेखा सममतत, सदन की सममततयों में सबसे परु ानी सममतत िै । पिली
बार लोक लेखा सममतत का गठन वर्ष 1921 में मोंटे ग्यू-चेम्सफोडष सुधारों के मददे नजर ककया गया था।
प्रीशलम्स शलंक:
1. संसदीय बनाम कैत्रबनेट सममततयों के बीच अंतर
2. स्थायी सममततयों, चयन सममततयों और ववत्त सममततयों के मध्य अंतर
3. इन सममततयों के अध्यक्ष और सदस्यों की तनयजु तत कौन करता िै ?
4. केवल लोकसभा सदस्यों से गहठत सममततयां
5. लोकसभा अध्यक्ष की अध्यक्षता में गहठत की जाने वाली सममततयााँ
में स शलंक: संसदीय स्थायी सममततयां तया िोती िैं? इनकी आवश्यकता और मित्व को उजागर करने के मलए उनकी
भूममकाओं और कायों पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

5. मदहलाओं के शलए वििाह की आयु बढ़ाने संबि


ं ी वििेयक की समीक्षा
संदभभ: िाल िी में , लोकसभा दवारा ‘बाल वववाि तनर्ेध (संशोधन) ववधेयक, 2021’ (Prohibition of Child Marriage
(Amendment) Bill, 2021’) को समीक्षा के मलए एक ‘स्थायी सममतत’ को भेजा गया िै । इस संशोधन ववधेयक में
महिलाओं के मलए वववाि िेतु कानन
ू ी उम्र 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष करने का प्रावधान ककया गया िै ।
इस कानून को लाने के पीछे तकभ:
वववाि की आयु सभी धमों, जाततयों, पंथों के मलए और महिलाओं के साथ भेदभाव करने वाले ककसी भी ररवाज या
कानून को अध्यारोिी करते िुए, एक समान रूप से लागू िोनी चाहिए।
यि ववधेयक तनम्नमलखखत कानूनों में भी संशोधधत करे गा:
1. भारतीय ईसाई वववाि अधधतनयम, 1972
2. पारसी वववाि और तलाक अधधतनयम, 1936
3. मुजस्लम पसषनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधधतनयम, 1937
4. ववशेर् वववाि अधधतनयम, 1954
5. हिंद ू वववाि अधधतनयम, 1955
6. ववदे शी वववाि अधधतनयम, 1956
इस ववधेयक, इसके प्रमख
ु प्रावधानों, मित्व और धचंताओं के बारे में अधधक जानने के मलए, िाल िी में कवर ककया
गया यि लेख दे खें।
संसदीय सशमततयााँ तया होती हैं?

www.insightsonindia.com 50 InsightsIAS
लोकसभा वेबसाइट के अनुसार, संसदीय सममतत से तात्पयष उस सममतत से िै , जो सभा दवारा तनयत
ु त या तनवाषधचत
की जाती िै अथवा अध्यक्ष दवारा नाम-तनदे मशत की जाती िै तथा अध्यक्ष के तनदे शानुसार कायष करती िै एवं
अपना प्रततवेदन सभा को या अध्यक्ष को प्रस्तत
ु करती िै ।
संसदीय सशमततयों के प्रकार:
1. स्र्ायी सशमततयााँ (Standing Committees): ये सममततयां अनवरत प्रकृतत की िोती िैं अथाषत ् इनका कायष
प्रायः तनरं तर चलता रिता िै । इस प्रकार की सममततयों को वावर्षक आधार पर पुनगषहठत ककया जाता िै ।
• इन्िें वित्तीय सशमततयों और विभागों से संबद्ि स्र्ायी सशमततयों (Departmentally-Related Standing
Committees- DRSCs) में ववभाजजत ककया जाता िै ।
• ववत्तीय सममततयों को ववशेर् रूप से शजततशाली माना जाता िै , तथा यि तीन प्रकार की िोती िैं:
लोक लेखा सशमतत, प्रातकलन सशमतत एिं सरकारी उपक्रमों संबंिी सशमतत।
2. तदर्भ सशमततयां (Select Committees): तदथष सममततयां ककसी ववमशष्ट्ट प्रयोजन के मलए तनयत
ु त की जाती
िैं और जब वे अपना काम समाप्त कर लेती िैं तथा अपना प्रततवेदन प्रस्तुत कर दे ती िैं, तब उनका
अजस्तत्व समाप्त िो जाता िै ।
संिैिातनक प्राििान:
संसदीय सममततयां, अनुच्छे द 105 (संसद सदस्यों के ववशेर्ाधधकार) तथा अनुच्छे द 118 (संसदीय प्रकिया तथा
कायषवािी के संचालन के मलए तनयम बनाने िे तु संसद की शजतत) से अपनी शजततयां प्राप्त करती िैं।
विभागों से संबद्ि स्र्ायी सशमततयों (DRSCs) की संरचना:
ववभागों से संबदध स्थायी सममततयों की संख्या 24 िै जजनके क्षेत्राधधकार में भारत सरकार के सभी मंत्रालय/ववभाग
आते िैं।
• 13 िीं लोकसभा तक प्रत्येक DRSC में 45 सदस्य िोते थे – जजनमे से 30 सदस्यों को लोकसभा से तथा
15 सदस्यों को राज्यसभा से नाम-तनहदष ष्ट्ट ककया जाता था।
• जुलाई 2004 में विभागों से संबद्ि स्र्ायी सशमततयों के पुनगभठन के पश्चात, इनमें से प्रत्येक सममतत में
31 सदस्य िोते िैं - 21 लोक सभा से तर्ा 10 राज्य सभा से जजन्हें क्रमश: लोक सभा के अध्यक्ष तर्ा
राज्य सभा के सभापतत द्िारा नाम-तनददभ ष्ट्ट
ककया जाता है ।
• इन सममततयों को एक िषभ की अधिकतम
अिधि के मलए गहठत ककया जाता िै और
सममततयों के पुनगषठन में प्रततवर्ष सभी दलों
के सदस्यों को सजम्ममलत ककया जाता िै ।
संसदीय सशमतत प्रर्ाली का महत्ि:
1. अंतर-मंत्रालयी समन्वय
2. ववस्तत
ृ संवीक्षा िे तु उपकरर्ण
3. लघु-संसद के रूप में कायषकारी तनकाय
स्रोत: द हिंद।ू

6. महाराष्ट्र और कनाभटक के मध्य बेलगािी सीमा वििाद


संदभभ: स्वतंत्रता के समय तथा 1956 में ‘भार्ाई आधार पर राज्यों के पुनगषठन’ के बाद से, कनाषटक और मिाराष्ट्र
के बीच चले आ रिे एक ‘अंतर-राज्यीय वववाद’ ने कनाषटक के बेलागवी क्षेत्र में कफर से अपना मसर उठा मलया िै ।
िाल िी में िुई छोटी-छोटी घटनाओं की वजि से इस वववाद को तेज कर हदया िै , और सीमा के दोनों ओर कन्नड़
समथषक और मराठी समथषक भावनाएं भड़क उठी िैं।

www.insightsonindia.com 51 InsightsIAS
वििाद की उत्पवत्त:
पूवव
ष ती बॉम्बे प्रेसीडेंसी एक एक बिुभार्ी प्रांत था, जजसमे वतषमान कनाषटक राज्य के बीजापुर, बेलागवी, धारवाड़
और उत्तर-कन्नड़ जजले सजम्ममलत थे। बॉम्बे प्रेसीडेंसी में मराठी, गज
ु राती और कन्नड भार्ाएं बोलने वाले लोग रिा
करते थे।
• वर्ष 1948 में , बेलगाम नगरीय तनकाय ने अनुरोध ककया था कक मुख्य रूप से मराठी भार्ी जनसाँख्या वाले
जजले को प्रस्ताववत मिाराष्ट्र राज्य में शाममल कर हदया जाए।
• िालााँकक, भार्ाई और प्रशासतनक आधार पर राज्यों को ववभाजजत करने िाले राज्य पुनगभठन अधितनयम,
1956 के तित बेलगाम और बॉम्बे प्रेसीडेंसी के 10 अन्य तालक
ु ों को तत्कालीन मैसरू राज्य (जजसे 1973
में कनाषटक का नाम हदया गया था) का एक हिस्सा बना हदया गया।
महाजन आयोग की ररपोटभ :
राज्य पनु गषठन आयोग दवारा, राज्यों का सीमांकन करते िुए, 50 प्रततशत से अधिक कन्नड़ भाषी आबादी िाले
तालुकों को मैसूर राज्य में शाशमल कर ददया गया।
• इस क्षेत्र के मैसूर में शाशमल ककए जाने का काफी विरोि ककया गया। ववरोध करने वालों का किना था,
कक इस क्षेत्र में मराठी भावषयों की संसया 1956 में यहााँ रहने िाले कन्नड़ भावषयों से अधिक हो गयी है ।
• मसतंबर 1957 में, बॉम्बे सरकार दवारा इनकी मांग को आवाज दी गयी और केंद्र के समक्ष ववरोध दजष
कराया गया, जजसके पररर्णामस्वरूप अतटूबर 1966 में पव
ू ष मख्
ु य न्यायाधीश मेिर चंद मिाजन की अध्यक्षता
में महाजन आयोग का गठन ककया गया।
आयोग की शसफाररश:
अगस्त 1967 में आयोग ने अपनी ररपोटष में मसफाररश के अनस
ु ार- 264 गांवों को मिाराष्ट्र (जजसका 1960 में
गठन ककया गया) में स्थानांतररत ककया जाएगा तथा बेलगाम और 247 गााँि कनाभटक में रखे जाएंगे।
बाद का घटनाक्रम:
• मिाराष्ट्र दवारा इस ररपोटष को खाररज कर हदया गया तथा इसे पक्षपाती और अताककषक बताते िुए इसकी
समीक्षा ककए जाने की मांग की गई।
• कनाषटक ने इस ररपोटष का स्वागत ककया और इसके कायाषन्वयन िे तु दबाव दे ता रिा िै , िालांकक इसे केंद्र
दवारा औपचाररक रूप से स्वीकार निीं ककया गया िै ।
• मिाराष्ट्र, बेलगाम शिर, जो वतषमान में कनाषटक का हिस्सा िै , सहित सीमा पर जस्थत 814 से अधधक
गााँवों पर दावा करता िै ।
• मिाराष्ट्र की सरकारों दवारा इन क्षेत्रों को राज्य में सजम्ममलत ककये जाने की मांग की जाती रिी िै - जबकक
कनाषटक के दवारा इन दावों का ववरोध ककया जाता िै ।
इंस्टा जजज्ञासु:
तया आप जानते िैं कक वर्ष 1950 में संववधान में भारतीय संघ के राज्यों का चार श्रेखर्णयों- श्रेर्णी ए, श्रेर्णी बी, श्रेर्णी
सी और श्रेर्णी डी- में वगीकरर्ण ककया गया था?
प्रीशलम्स शलंक:
1. मिाजन आयोग के बारे में
2. राज्य पुनगषठन अधधतनयम, 1956 के बारे में
में स शलंक:
राज्य पन
ु गषठन अधधतनयम, 1956 की प्रमख
ु ववशेर्ताओं पर चचाष कीजजए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

www.insightsonindia.com 52 InsightsIAS
विषय:जन प्रतततनधधत्व अधधतनयम की मुख्य ववशेर्ताएाँ।
1. मतदाता पहचान पत्र को आिार कािभ से जोड़ने हे तु वििेयक
संदभभ: िाल िी में, ‘मतदाता पिचान पत्र को ऐजच्छक रूप से आधार काडष से जोड़ने सहित अन्य प्रमख
ु सध
ु ार करने
िे तु ‘जन प्रतततनधधत्व अधधतनयम’ में संशोधन करने के उददे श्य से संसद में ‘तनवाषचन कानून (संशोधन) ववधेयक’,
2021 (Election Laws (Amendment) Bill, 2021) को केंद्रीय मंत्रत्रमंडल दवारा मंजूरी दे दी गयी िै ।
आिार कािभ को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने की आिश्यकता:
भारत तनवाषचन आयोग (ECI) दवारा वर्ष 2015 से यि मांग की जा रिी िै । तनवाषचन आयोग दवारा आधार संख्या
को मतदाता पिचान संख्या से जोड़ने के मलए, ‘राष्ट्रीय तनवाषचन कानन
ू शोधन और प्रमार्णीकरर्ण कायषिम’
(National Electoral Law Purification and Authentication Programme) शुरू ककया गया था। आयोग के अनस
ु ार,
इस संबदधता (मलंककं ग) से एक व्यजतत के नाम पर कई नामांकनों को धचजहनत कर उन्िें समाप्त ककया जा
सकेगा।
• उस समय, इस कायषिम पर रोक लगा दी गयी थी, तयोंकक सुप्रीम कोटष ने आदे श हदया था कक कल्यार्णकारी
योजनाओं का लाभ उठाने के मलए ‘आधार संख्या’ का उपयोग वैकजल्पक रिे गा।
• इसके बाद, चुनाव तनवाषचन ने अपने प्रस्ताव में संशोधन करते िुए ‘मलंककं ग’ को वैकजल्पक बना हदया।
वििेयक के अन्य प्राििान:
ववधेयक में , िर वर्ष चार ‘अिताष ततधथयों’ पर नए मतदाताओं के पंजीकरर्ण का प्रावधान ककया गया िै , वतषमान में
नए मतदाताओं के पंजीकरर्ण िे तु केवल 1 जनवरी को ‘अिताष ततधथ’ माना जाता िै ।
• वतषमान में , 1 जनवरी को या उससे पिले 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाला कोई भी व्यजतत मतदाता के
रूप में पंजीकृत िोने के मलए पात्र िोता िै ।
• केवल एक कटऑफ डेट िोने के कारर्ण 2 जनवरी को 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले व्यजतत पंजीकरर्ण
निीं करा पाते थे और उन्िें पंजीकरर्ण कराने के मलये अगले वर्ष का इंतजार करना पड़ता था।
• ववधेयक के अनुसार, प्रत्येक कैलेंडर वर्ष में , मतदाता पंजीकरर्ण के मलए 1 जनवरी के साथ-साथ तीन अन्य
अिताष ततधथयां - 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अतटूबर - िोंगी।
संशोधन ववधेयक में ‘सेवारत मतदाताओं’ (Service Voters) के मलए तनवाषचन को ‘लैंधगक रूप से तटस्थ’ बनाने का
प्रावधान ककया गया िै ।
• संशोधन के तित, ‘पत्नी’ शब्द के स्थान पर 'पतत/पत्नी' (Spouse) ककया जाएगा, जजससे यि क़ानन

‘लैंधगक रूप से तटस्थ’ (Gender Neutral) बन जाएगा।
• वतषमान में सशत्र सेना के एक जवान की ‘पत्नी’ ‘सेवा मतदाता’ के रूप में नामांककत िोने की िकदार िै ,
लेककन ‘महिला अधधकारी’ के पतत को यि सवु वधा उपलब्ध निीं िै । 'पत्नी' के स्थान पर 'पतत/पत्नी' शब्द
का प्रयोग ककए जाने से इसमें पररवतषन िो जाएगा।
िोटर आईिी-आिार कािभ युग्मन से संबंधित मद्
ु दे :
• संसोधन प्रस्ताव में ‘भारत तनवाषचन आयोग’ (ECI) और UIDAI डेटाबेस को ककस सीमा तक साझा ककया
जाएगा, मतदाता से उसकी सिमतत िामसल लेने की तया प्रकिया िोगी, और तया डेटाबेस को जोड़ने के
मलए दी गयी सिमतत रदद की जा सकती िै , जैसे सवालों को स्पष्ट्ट निीं ककया गया िै ।
• एक सशतत ‘तनजी डेटा संरक्षर्ण कानून’ के अभाव में ‘डेटा साझा करने की अनुमतत’ दे ने संबध
ं ी कोई भी
कदम समस्यात्मक सात्रबत िो सकता िै । यि व्यजतत की तनजता में दखल िोगा। ‘तनजी डेटा संरक्षर्ण
कानन
ू ’ के संबंध में एक ववधेयक अभी संसद में ववचाराधीन िै ।
इंस्टा जजज्ञासु:
• तया आप ‘राष्ट्रीय मतदाता सूची शद
ु धधकरर्ण और प्रमार्णीकरर्ण कायषिम’ (NERPAP) के बारे में जानते िैं?
इसे कब शरू ककया गया था?
www.insightsonindia.com 53 InsightsIAS
• तया आप सुप्रीम कोटष के 2015 के ‘जजस्टस केएस पट्
ु टस्वामी (सेवातनवत्त
ृ ) एवं अन्य बनाम भारत संघ
मामले’ में तनजता की सुरक्षा से संबंधधत फैसले के बारे में जानते िैं? इस मामले में "आधार योजना और
आधार अधधतनयम, 2016 की वैधता" को चन
ु ौती दी गयी थी?
में स शलंक: आधार संख्या को मतदाता पिचान पत्र से जोड़े जाने से संबंधी मुददों और धचंताओं पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:ववमभन्न संवैधातनक पदों पर तनयुजतत और ववमभन्न संवैधातनक तनकायों की शजततयााँ, कायष और उत्तरदातयत्व।
1. तनिाभचन आयोग की तनष्ट्पक्षता पर सिाल
संदभभ: िाल िी में , मुख्य तनवाषचन आयुतत (Chief Election Commissioner - CEC) सुशील चंद्रा और अन्य तनवाषचन
आयत
ु त (Election Commissioners) राजीव कुमार और अनप
ू चंद्र पांडे दवारा ‘प्रधान मंत्री कायाषलय’ (PMO) दवारा
बुलाई गयी एक ऑनलाइन वाताष में भाग लेने पर, ववपक्ष ने पांच राज्यों में िोने वाले आगामी चुनावों की तनष्ट्पक्षता
पर सवाल उठाया िै ।
आलोचकों का किना िै , कक ‘तनवाषचन आयोग’ एक स्वतंत्र तनकाय िै और PMO दवारा ‘तनवाषचन आयोग’ को इस
तरि की वाताष के मलए निीं बुलाया जा सकता।
केंद्र सरकार की प्रततकक्रया:
‘तनवाषचन आयोग’ प्रशासतनक रूप से ‘ववधध मंत्रालय’ के अंतगषत आता िै । ‘ववधध मंत्रालय’ दवारा जारी एक
आधधकाररक संप्रेर्र्ण में उतत प्रकरर्ण के बारे में स्पष्ट्टीकरर्ण दे ते िुए किा िै , कक यि बैठक चुनावी सुधारों पर
चचाष के मलए बैठक बल ु ाई गई थी। साथ िी, मंत्रालय ने जोर दे कर किा िै , कक यि बैठक मात्र एक "अनौपचाररक
वाताष" थी।
संबंधित मुद्दे :
• ‘प्रधान मंत्री कायाषलय’ (PMO) दवारा जारी “तनदे श’, तनवाषचन आयोग के स्वतंत्र कामकाज के बारे में धचंता
उत्पन्न करते िै । आनुिममक ‘मुख्य तनवाषचन आयुततों’ दवारा ‘तनवाषचन आयोग’ की स्वायत्तता की रक्षा
करने का जोशपर्ण
ू ष तरि से प्रयास ककया जाता िै ।
• खासकर, जब मित्वपर्ण
ू ष राज्यों में चुनाव नजदीक आ रिे िै , ऐसे में इस "अनौपचाररक वाताष" से आयोग
की तनष्ट्पक्षता के बारे में भी सवाल उठते िैं।
संवििान में तनिाभचन आयोग की जजम्मेदाररयां और शजततयां:
तनवाषचन आयोग एक संवध
ै ातनक प्राधधकरर्ण िै , संववधान के अनुच्छे द 324 में तनवाषचन आयोग की जजम्मेदाररयां
और शजततयां तनधाषररत की गयी िैं।
• तनवाषचन आयोग, कायषकारी िस्तक्षेप से मत
ु त रिता िै।
• तनवाषचन आयोग दवारा चुनाव आयोजजत करने - चािे आम चुनाव िों या उपचुनाव- िे तु चुनाव कायषिम
तनधाषररत ककए जाते िैं।
• तनवाषचन आयोग िी, मतदान केंद्रों के स्थान, मतदाताओं के मलए मतदान केंद्रों का तनयतन, मतगर्णना केंद्रों
के स्थान, मतदान केंद्रों और मतगर्णना केंद्रों और इनके आसपास की जाने वाली व्यवस्थाओं और सभी
संबदध मामलों पर तनर्णषय लेता िै ।
• तनवाषचन आयोग के तनर्णषयों को उपयुतत याधचकाओं के माध्यम से उच्च न्यायालयों और भारत के सवोच्च
न्यायालय में चुनौती दी जा सकती िै ।
• लंबे समय से चली आ रिी परं परा और कई न्यातयक तनर्णषयों के अनुसार, एक बार चुनाव की वास्तववक
प्रकिया शुरू िो जाने के बाद, न्यायपामलका चुनावों के वास्तववक संचालन में िस्तक्षेप निीं करती िै ।

www.insightsonindia.com 54 InsightsIAS
तनिाभचन आयोग और सरकार के बीच संप्रेषर्:
• तनवाषचन आयोग, चुनाव संबध
ं ी मामलों पर सरकार (या तो अपने प्रशासतनक मंत्रालय अथाषत ‘ववधध मंत्रालय’
या ‘गि
ृ मंत्रालय’) के साथ, चन
ु ाव के दौरान सरु क्षा बलों की तैनाती के मलए नौकरशािी के माध्यम से
संप्रेर्र्ण (Communication) करता िै ।
• ऐसे मामलों में , प्रायः गि
ृ सधचव को ‘पूर्णष आयोग’ के समक्ष आमंत्रत्रत ककया जाता िै , जजसमे तीनों तनवाषचन
आयुतत मौजूद रिते िैं।
• ववधध मंत्रालय दवारा दे श के कानून की बारीककयां सपष्ट्ट की जाती िै , और मंत्रालय से यि अपेक्षा की
जाती िै कक उसके दवारा तनवाषचन आयोग की स्वायत्तता सतु नजश्चत करने िे तु प्रददत संवध
ै ातनक सरु क्षा
का उल्लंघन निीं ककया जाएगा।
हाल ही में हुई इस प्रकार की घटनाएं:
• वर्ष 2019 के लोकसभा चन ु ावों के दौरान, मख्
ु य तनवाषचन आयत
ु त सन
ु ील अरोड़ा के नेतत्ृ व में तनवाषचन
आयोग ने प्रधान मंत्री नरें द्र मोदी को एक मामले में तलीन धचट दी। जजसमे प्रधान मंत्री ने, लातूर में एक
चुनावी रै ली में सशस्त्र बलों की ओर से एक अपील के साथ अपने अमभयान का संदभष हदया था।
• 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान आदशष आचार संहिता के कई उल्लंघन भी िुए िैं।
• इस वर्ष, एक भयंकर मिामारी के बीच चुनाव अमभयानों पर प्रततबंध लगाने में आयोग के ववलंत्रबत तनर्णषय
पर भी सवाल उठे थे।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आपने ‘ववश्व तनवाषचन तनकाय संगठन’ / ‘एसोमसएशन ऑफ वल्डष इलेतशन बॉडीज’ (Association
of World Election Bodies - A-WEB) के बारे में सुना िै ? तया भारत इसका सदस्य िै ?
प्रीशलम्स शलंक:
1. अनुच्छे द 243 तथा अनुच्छे द 324 में अंतर
2. राज्य तनवाषचन आयोगों तथा भारत तनवाषचन आयोग की शजततयों में समानताएं और अंतर
3. तनवाषचन आयोगों के फैसलों के खखलाफ अपील
4. संसद और राज्य ववधानसभाओं के चुनाव तथा स्थानीय तनकाय चुनाव में मभन्नता
में स शलंक: तया भारत में राज्य तनवाषचन आयोग, भारत तनवाषचन आयोग की भांतत स्वतंत्र िैं? चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

2. सदन के अध्यक्ष का तनिाभचन


संदभभ: मिाराष्ट्र में ववधानसभा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर राज्यपाल भगत मसंि कोश्यारी और ‘मिा ववकास अघाड़ी’
(MVA) सरकार के बीच खींचतान जारी िै ।
संबंधित प्रकरर्:
वर्ष 2019 में िुए ववधानसभा चन ु ाव के बाद कांग्रेस के नाना पटोले को सदन का अध्यक्ष चन ु ा गया था। लेककन
पटोले दवारा पद से इस्तीफा दे ने, और बाद में राज्य कांग्रेस का अध्यक्ष तनयत
ु त ककए जाने के बाद फरवरी 2021
में यि पद खाली िो गया।
• इसके बाद, राकांपा (NCP) से सदन के ‘उपाध्यक्ष’ नरिरर जजरवाल सीताराम ने ववधान सभा में कायषवािी
का संचालन ककया। िालांकक, गठबंधन सरकार में पाहटषयों के बीच आंतररक मतभेदों के कारर्ण यि पद भी
ररतत िो गया।
• अब राज्य सरकार, नवीनतम संशोधनों के अनुसार, गुप्त मतदान के बजाय ‘ध्वतन मत’ से सदन के अध्यक्ष
का चुनाव कराना चािती िै। लेककन, राज्यपाल ने सरकार के इस फैसले की संवध
ै ातनकता पर प्रश्नधचहन
लगा हदया िै ।

www.insightsonindia.com 55 InsightsIAS
तनयमों में ककए गए हाशलया संशोिन:
वपछले िफ्ते, सरकार ने ववधानसभा में एक प्रस्ताव पेश ककया, जजसमें तनयम 6 (ववधानसभा अध्यक्ष का चन
ु ाव)
और तनयम 7 (उपसभा अध्यक्ष का चन
ु ाव) में गप्ु त मतदान के बजाय ध्वतन मत से कराए जाने िे तु संशोधन करने
की मांग की गई। यि संशोधन, ववधातयका की तनयम सममतत दवारा प्रस्ताववत ककए गए थे।
• संशोधनों में "चुनाव कराने" शब्दों को शाममल निीं ककया गया, तथा ‘मिाराष्ट्र ववधान सभा तनयमावली’
के तनयम 6 में "मुख्यमंत्री की मसफाररश पर अध्यक्ष का चुनाव करने के मलए" शब्द शाममल ककए गए।
• संशोधनों में ‘अध्यक्ष’ के चन
ु ाव के प्रावधान को "गप्ु त मतदान" (Secret Ballot) को "ध्वतन मत" (Voice
Vote) से पररवततषत ककया गया िै ।
आलोचना: ववपक्ष ने इन संशोधनों का ववरोध करते िुए तकष हदया िै कक, ववधानसभा अध्यक्ष की अनुपजस्थतत में
‘तनयमवली’ में संशोधन निीं ककया जा सकता िै ।
सरकार का पक्ष:
सरकार का तकष िै , कक यि संशोधन, लोकसभा, राज्य ववधानमंडल के उच्च सदन और कई अन्य राज्यों की
ववधानसभाओं में प्रचमलत तनयमों के अनुरूप िैं।
• इन संशोधनों से, ववधयाकों की खरीद-फरोख्त पर ववराम लग जाएगा।
• सरकार ने किा कक तनयमों में संशोधन करना, ववधातयका के अधधकार में आता िै ।
वििानसभा अध्यक्ष के तनिाभचन हे तु राज्यपाल की मंजरू ी की आिश्यकता:
ववधानसभा अध्यक्ष के चुनाव की तारीख, राज्यपाल दवारा अधधसूधचत की जाती िै ।
• मिाराष्ट्र ववधान सभा तनयमावली के तनयम 6 के अनुसार, "ववधानसभा अध्यक्ष का चुनाव कराने िे तु,
राज्यपाल एक तारीख तय करे गा और ववधानसभा सधचव दवारा िर सदस्य को इस तरि की तय तारीख
की सूचना भेजी जाएगी।"
• इसमलए, ववधानसभा अध्यक्ष का चुनाव, राज्यपाल दवारा इसकी तारीख तय करने के बाद िी िो सकता
िै ।
आगे की राह:
जस्थतत बड़ी ववधचत्र िै । मिाराष्ट्र ववधान सभा तनयमावली के तनयम 6 में किा गया िै, कक राज्यपाल को ववधानसभा
अध्यक्ष चुनाव की तारीख तय करनी चाहिए, जबकक संशोधन के अनुसार, राज्यपाल को मुख्यमंत्री की सलाि पर
चुनाव की तारीख तय करनी चाहिए। यि दो संवध
ै ातनक संस्थाओं के बीच का संघर्ष िै ।
• सूत्रों के अनुसार, सरकार यि दे खने के मलए कानूनी ववकल्प तलाशेगी, कक तया राज्यपाल की सिमतत के
त्रबना अध्यक्ष का चुनाव िो सकता िै ।
• लेककन सदन के पव
ू ष सधचव के अनस
ु ार, त्रबना राज्यपाल की सिमतत के चन
ु ाव कराना मजु श्कल िोगा।
सदन के अध्यक्ष की भूममकाओं और कायों के बारे में अधधक जानकारी के मलए पहढ़ए।
इंस्टा जजज्ञासु:
तया आप जानते िैं कक, संववधान में इन चन
ु ावों को कराने की प्रकिया को तनहदषष्ट्ट निीं की गयी िै ? और इसे
राज्य ववधानसभाओं पर छोड़ हदया गया िै । संववधान में , सदन के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव कराने िे तु कोई
समय सीमा तनधाषररत निीं की गयी िै , मात्र यि किा गया िै कक चुनाव "जजतनी जल्दी िो सके" िोने चाहिए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

www.insightsonindia.com 56 InsightsIAS
विषय:सांववधधक, ववतनयामक और ववमभन्न अदषध-न्यातयक तनकाय।
1. भारत का विधि आयोग
संदभभ: सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सधू चत करते िुए बताया िै , कक भारत के 22वें ववधध आयोग (Law
Commission of India) के अध्यक्ष और सदस्यों की तनयजु तत पर ववचार ककया जा रिा िै ।
संबंधित प्रकरर्:
22वें ववधध आयोग का गठन, सरकार दवारा 21 फरवरी, 2020 को ककया गया था। िालांकक, इसमें की जाने वाली
तनयुजततयों को लेकर अब तक कोई प्रगतत निीं िुई िै , और ववधध मंत्रालय दवारा अदालत में दायर संक्षक्षप्त
िलफनामे में , इस सबंध में कोई कारर्ण निीं बताए गए िैं।
‘शजततयों के पर्
ृ तकरर्’ का शसद्िांत':
सुनवाई के दौरान, सरकार ने ‘शजततयों के पथृ तकरर्ण’ (Doctrine of Separation of Power) का िवाला दे ते िुए किा
िै , कक शासन के एक अंग को दस ू रे के कायों में अततिमर्ण निीं करना चाहिए।
‘भारत के विधि आयोग’ के बारे में :
भारत का ववधध आयोग (Law Commission of India), भारत सरकार के एक आदे श दवारा गहठत एक कायषकारी
तनकाय िै ।
• मूल रूप से 1955 में गहठत, ‘ववधध आयोग’ का िर तीन साल में पुनगषठन ककया जाता िै , और यि आयोग
सरकार को अब तक 277 ररपोटें सौंप चक
ु ा िै ।
• न्यायमूततष बी.एस. चौिान (सेवातनवत्त
ृ ) की अध्यक्षता में वपछले ववधध आयोग दवारा लोकसभा और
ववधानसभाओं में एक साथ चुनाव और ‘समान नागररक संहिता’ जैसे प्रमख
ु मुददों पर ररपोटष और कायष-
पत्र प्रस्तत
ु ककए गए थे।
विधि आयोग की संरचना:
• 22 वें ववधध आयोग में एक पूर्णक
ष ामलक अध्यक्ष के अततररतत, एक सदस्य-सधचव सहित चार पूर्णक
ष ामलक
सदस्य िोते िोंगे।
• ववधध मंत्रालय के ‘कानूनी मामलों के ववभाग’ के सधचव एवं ‘ववधायी ववभाग’ के सधचव पदे न सदस्य के
रूप में सजम्ममलत िोंगे
• आयोग में अधधकतम पांच अंशकामलक सदस्य शाममल िोंगे।
• सवोच्च न्यायालय का सेवातनवत्त
ृ न्यायाधीश या उच्च न्यायालय का सेवातनवत्त
ृ मुख्य न्यायाधीश, ववधध
आयोग का अध्यक्ष िोगा।
भूशमकाएं और कायभ:
• ववधध आयोग, केंद्र सरकार दवारा सौंपे गए संदभों या स्वप्रेरर्णा से, कानन
ू ों की जांच करे गा तथा नए कानन

बनाने, और भारत में मौजद
ू ा कानूनों में सध
ु ार करने िे तु उनकी समीक्षा करे गा।
• आयोग, प्रकियाओं में िोने वाली दे री को समाप्त करने, मामलों के त्वररत तनपटान, मुकदमेबाजी की लागत
में कमी आहद के मलए ‘न्याय ववतरर्ण प्रर्णाली’ में सध
ु ार लाने िे तु अध्ययन और अन्वेर्र्ण भी करे गा।
सुिारों की आिश्यकता:
ववधध आयोग को एक क़ानून के तित लाया जाना चाहिए, जजसमे आयोग से संबंधधत तनयुजततयों, कायों और
शजततयों के बारे में स्पष्ट्ट प्रावधान ककए गए िों।
‘शजततयों के पर्
ृ तकरर्’ का शसद्िांत:
‘शजततयों के पथ
ृ तकरर्ण’ का मसदधांत, शासन के एक मॉडल को संदमभषत करता िै, जजसमे कायषकारी, ववधायी और
न्यातयक शजततयां ककसी एक तनकाय में केंहद्रत निीं िोती िैं, बजल्क ववमभन्न शाखाओं में ववभाजजत िोती िैं।
यि भारतीय संववधान की मूल संरचना का एक भाग िै , ककं तु, इसका संवििान में स्पष्ट्ट रूप से उल्लेख नहीं ककया
गया िै ।
www.insightsonindia.com 57 InsightsIAS
संवििान में ‘शजततयों के पर्
ृ तकरर्’ को अशभव्यतत करने संबंिी अनुच्छे द:
1. अनुच्छे द 50: राज्य, न्यायपामलका को कायषपामलका से पथ
ृ क् करने के मलए कदम उठाएगा। इसका उददे श्य
न्यायपामलका की स्वतंत्रता सतु नजश्चत करना िै ।
2. अनुच्छे द 122 और 212: संसद एवं ववधानसभाओं की ककसी कायषवािी की ववधधमान्यता को प्रकिया की
ककसी अमभकधथत अतनयममतता के आधार पर प्रश्नगत निीं ककया जाएगा। साथ िी, इन अनुच्छे दों के
तित सांसदों / ववधायकों के मलए अमभव्यजतत के संदभष में कुछ ववशेर्ाधधकार प्रदान ककये गए िै , और
सदन के पटल पर किी गई कोई भी बात उनके खखलाफ इस्तेमाल निीं की जा सकती।
3. संवििान के अनच्
ु छे द 121 और 211 के अनस
ु ार; सवोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों
के न्यातयक आचरर्ण पर संसद और राज्य ववधानमंडल में चचाष निीं की जा सकती िै ।
4. अनुच्छे द 53 और 154 में प्रावधान िै , कक संघ और राज्य की कायषकारी शजतत राष्ट्रपतत और राज्यपाल में
तनहित िोगी और इनके मलए नागररक और आपराधधक दातयत्व से प्रततरक्षा प्राप्त िोगी।
5. अनुच्छे द 361: राष्ट्रपतत या राज्यपाल अपने पद की शजततयों और कत्तषव्यों के तनवषिन और उसके तित
ककये जाने वाले ककसी भी कायष के मलये ककसी न्यायालय में उत्तरदायी निीं िोंगे।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक आजादी से पिले, प्रथम आयोग का गठन वर्ष 1834 में त्रब्रहटश सरकार ने
दवारा चाटष र एतट- 1833 के तित लॉडष मैकाले की अध्यक्षता में ककया गया था।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘जनहित याधचका’ तया िै?
2. जनहित याधचका के संदभष में सवोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय की शजततयां।
3. संववधान में शजततयों के पथ
ृ तकरर्ण संबध
ं ी अनच्
ु छे द।
में स शलंक: ‘शजततयों के पथ
ृ तकरर्ण’ का मसदधांत तया िै ? तया िै ? भारतीय संववधान के अंतगषत इसका पालन ककस
प्रकार ककया जाता िै ? चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

2. कॉलेजजयम प्रर्ाली
संदभभ: िाल िी में सरकार ने किा िै , कक जजों की तनयुजतत के मलए ‘कॉलेजजयम मसस्टम’ (Collegium System) को
बदलने के मलए न्यायपामलका के अंदर से, और सांसदों के दवारा मांग की जा रिी िै ।
‘कॉलेजजयम प्रर्णाली’ में पारदमशषता और जवाबदे िी लाने के मलए ‘प्रकिया का एक मसौदा ज्ञापन’ सरकार दवारा
सवोच्च न्यायालय को प्रस्तत
ु ककया जा चुका िै , जो अदालत में अभी लंत्रबत िै ।
उच्चतम न्यायालय में न्यायािीशों की तनयुजतत:
• उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की तनयुजततयां, भारतीय संववधान के अनुच्छे द 124 के उपबंध (2)
दवारा प्रदत्त शजततयों का प्रयोग करते िुए, भारत के राष्ट्रपतत दवारा की जाती िैं।
• सुप्रीम कोटष की कॉलेजजयम दवारा न्यायाधीशों के रूप में तनयुतत ककए जाने िे तु नामों की मसफाररश की
जाती िै ।
उच्चतम न्यायालय में न्यायािीश बनने हे तु अहताभ:
1. भारतीय संववधान के अनुच्छे द 124 में उच्चतम न्यायालय में न्यायािीश के रूप में तनयुजतत हे तु पात्रता
से संबंधधत मानदं डों का उल्लेख ककया गया िै ।
2. उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनने के मलए व्यजतत का भारतीय नागररक िोना आवश्यक िै ।
3. आयु की दृजष्ट्ट से, व्यजतत की आयु 65 वर्ष से अधधक निीं िोनी चाहिए।

www.insightsonindia.com 58 InsightsIAS
4. व्यजतत को ककसी एक या एक से अधधक उच्च न्यायालय (तनरं तर) के न्यायाधीश के रूप में न्यूनतम पांच
साल तक सेवा का अनुभव या उच्च न्यायालय में अधधवतता के रूप में न्यूनतम 10 वर्ष का अनुभव या
प्रततजष्ट्ठत न्यायववद िोना चाहिए।
‘कॉलेजजयम प्रर्ाली’:
‘कॉलेजजयम प्रर्णाली’ (Collegium System), न्यायाधीशों की तनयुजतत और स्थानांतरर्ण संबध
ं ी एक पदधतत िै , जो
संसद के ककसी अधितनयम अर्िा संवििान के ककसी प्राििान द्िारा गदठत होने के बजाय उच्चतम न्यायालय के
तनर्भयों के माध्यम से विकशसत हुई है ।
• उच्चतम न्यायालय कॉलेजजयम की अध्यक्षता भारत के मख्
ु य न्यायाधीश (CJI) दवारा की जाती िै , और
इसमें न्यायालय के चार अन्य वररष्ट्ठतम न्यायाधीश शाममल िोते िैं।
• उच्च न्यायालय कॉलेजजयम के अध्यक्ष संबंधधत उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश िोते िैं और इसमें
संबंधधत अदालत के चार अन्य वररष्ट्ठतम न्यायाधीश शाममल िोते िैं।
तया कॉलेजजयम द्िारा की गयी शसफाररशें अंततम और बाध्यकारी होती है ?
कॉलेजजयम दवारा अपनी अंततम रूप से तैयार मसफाररशों को अनुमोदन के मलए भारत के राष्ट्रपतत के पास भेजी
जाती िैं। राष्ट्रपतत के मलए इन मसफाररशों को स्वीकार करने अथवा अस्वीकार करने की शजतत प्राप्त िोती िै ।
यहद राष्ट्रपतत दवारा इन मसफाररशों को खाररज कर हदया जाता िै , तो इनके मलए कॉलेजजयम के पास वापस
भेज हदया जाता िै । ककं तु, यहद कॉलेजजयम दवारा राष्ट्रपतत को अपनी मसफाररश दोबारा भेजी जाती िैं, तो राष्ट्रपतत
उन मसफाररशों पर स्वीकृतत दे ने के मलए बाध्य िोता िै ।
कॉलेजजयम पद्ितत के णखलाफ आम आलोचना:
• अपारदमशषता और पारदमशषता की कमी
• भाई-भतीजावाद की गुंजाइश
• सावषजतनक वववादों में फंसना
• कई प्रततभाशाली कतनष्ट्ठ न्यायाधीशों और अधधवतताओं को अनदे खा ककया जाता िै ।
आिश्यक सुिार:
1. उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की तनयजु तत िे त,ु अधधमान्य रूप से एक स्वतंत्र व्यापक-आधार सहित
संवैधातनक तनकाय दवारा कियान्वतयत एक पारदशी और भागीदारी प्रकिया िोनी चाहिए। इस प्रकिया में
न्यातयक ववमशष्ट्टता की बजाय
न्यातयक प्रधानता की गारं टी दी जानी
चाहिए।
2. न्यायाधीशों का चयन करते समय
स्वतंत्रता की सतु नजश्चतता, ववववधता
का प्रततत्रबंबन, पेशेवर क्षमता और
सत्यतनष्ट्ठा का प्रदशषन िोना चाहिए।
3. एक तनजश्चत संख्या में ररजततयों को
भरने के मलए आवश्यक न्यायाधीशों
का चयन करने के बजाय, कॉलेजजयम
को वरीयता और अन्य वैध मानदं डों
के िम में राष्ट्रपतत को तनयजु तत िे तु
संभाववत नामों का एक पैनल प्रस्तुत
करना चाहिए।

www.insightsonindia.com 59 InsightsIAS
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप संसद के दोनों सदनों दवारा पाररत ‘राष्ट्रीय न्यातयक तनयुजतत आयोग’ (NJAC) ववधेयक
के बारे में जानते िैं? इस ववधेयक को वर्ष 2015 में सप्र
ु ीम कोटष ने ‘अधधकारातीत’ (Ultra Vires) अथाषत, ‘संसद के
अधधकार-क्षेत्र से बािर’ घोवर्त कर हदया था।
प्रीशलम्स शलंक:
1. कॉलेजजयम प्रर्णाली’ तया िै?
2. सुप्रीम कोटष और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को ककस प्रकार तनयत
ु त और िटाया जाता िै ?
3. संबंधधत संवध
ै ातनक प्रावधान
में स शलंक: राष्ट्रीय न्यातयक तनयजु तत आयोग पर एक हटप्पर्णी मलखखए।
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:सरकारी नीततयों और ववमभन्न क्षेत्रों में ववकास के मलये िस्तक्षेप और उनके अमभकल्पन तथा कायाषन्वयन
के कारर्ण उत्पन्न ववर्य।
1. जम्मू-कश्मीर का ‘रोशनी अधितनयम’
संदभभ: उच्च न्यायालय दवारा ‘रोशनी अधधतनयम’ (Roshni Act) को रदद ककए जाने के एक साल बाद, जम्मू और
कश्मीर सरकार ने अब लाभाधथषयों को इस अधधतनयम के तित दी गई भूमम को पन
ु ः प्राप्त करने की कवायद शुरू
कर दी िै ।
पष्ट्ृ ठभूशम: ‘जम्म-ू कश्मीर राज्य भूमम (कब्जाधारकों के मलए स्वाममत्व अधधकार) अधधतनयम’ (Jammu and Kashmir
States Land (vesting of ownership to the occupants) Act), को ‘रोशनी अधधनयम’ के नाम से भी जाना जाता िै ।
प्रायः, इस अधधतनयम के कायाषन्वयन में अतनयममतताओं से संबंधधत आरोप लगाए जाते रिे िै । यि अधधतनयम
अब अमान्य घोवर्त ककया जा चुका िै ।
1 नवंबर, 2020 को, केंद्र शामसत प्रदे श प्रशासन दवारा ‘रोशनी अधधतनयम, 2001’ के तित, सरकारी भूमम पर कब्जा
करने वालों के स्वाममत्व अधधकारों को रदद कर हदया गया था।
‘रोशशनी अधितनयम’ के बारे में :
इस अधधतनयम को वर्ष 2001 में लागू ककया गया था, इसका उददे श्य अनधधकृत भूमम को तनयममत करना था।
इस अधधतनयम में , सरकार दवारा तनधाषररत की गयी कीमत चुकाए जाने के पश्चात, राज्य की भमू म पर तत्कालीन
कब्जाधारकों के मलए स्िाशमत्ि अधिकारों को हस्तांतररत करने का प्राििान ककया गया था।
• सरकार दवारा, इस प्रकार प्राप्त िोने वाले राजस्व को पनबबजली पररयोजनाएं शरू
ु करने पर, व्यय करने
का ववचार ककया गया था, इसीमलये इस अधितनयम का नाम ‘रोशनी’ रख हदया गया।
• इसके अलावा, संशोधनों के माध्यम से, सरकार दवारा ककसानों को अधिकृत कृवष भशू म पर मुफ्त में स्िाशमत्ि
अधिकार प्रदान ककये गए, इसके मलए मात्र 100 रुपये प्रतत कनाल, प्रलेखन शल्
ु क मलया गया।
इस अधितनयम को ‘रद्द’ ककए जाने संबंिी कारर्:
• वर्ष 2009 में , राज्य सतकषता संगठन दवारा कई सरकारी अधधकाररयों के खखलाफ प्राथममकी दजष की गयी
थी, इन अधधकाररयों पर, रोशनी अधधतनयम के तित मानदं डो को पूरा निीं करने वाले कब्जाधारकों को
गैरकानन
ू ी तरीके से भमू म के स्वाममत्व अधधकार प्रदान करने की आपराधधक साजजश करने के आरोप
लगाए गए थे।
• वर्ष 2014 में , तनयंत्रक और मिालेखा परीक्षक (CAG) की एक ररपोटष के अनुसार, वर्ष 2007 से वर्ष 2013 के
बीच, अततिममत भूमम के िस्तांतरर्ण से 25,000 करोड़ रुपये के राजस्व प्राजप्त का लक्ष्य रखा गया था,
ककं तु मात्र 76 करोड़ रुपये की प्राजप्त िुई थी। इस प्रकार इस क़ानून का उददे श्य िी तनष्ट्फल िो गया।
• ररपोटष में , राजनेताओं और प्रभावशाली लोगों को लाभ पिुंचाने के मलए, ‘स्थायी सममतत’ दवारा तय की
गई कीमतों में मनमानी ढं ग से कमी ककये जाने संबध
ं ी अतनयममतताओं को दोर्ी ठिराया गया था।

www.insightsonindia.com 60 InsightsIAS
प्रीशलम्स शलंक:
1. रोशनी अधधतनयम तया िै ?
2. अधधतनयम की ववशेर्ताएं, संशोधन
में स शलंक: जम्म-ू कश्मीर का ‘रोशनी अधधतनयम’ तया िै? िाल िी में इसे तयों समाप्त कर हदया गया? चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

2. राष्ट्रीय तनयाभत बीमा खाता


संदभभ: केंद्र सरकार दवारा ‘राष्ट्रीय तनयाषत बीमा खाता’
रस्ट (National Export Insurance Account Trust - NEIA
Trust) को 2021-22 से 2025-26 की अवधध तक के मलए
ववत्तीय सिायता प्रदान करने की मंजूरी दी िै ।
‘राष्ट्रीय तनयाभत बीमा खाता’ के बारे में :
• राष्ट्रीय तनयाषत बीमा खाता (National Export
Insurance Account - NEIA) वाखर्णज्य मंत्रालय
दवारा स्थावपत एक रस्ट िै और इसे ‘भारतीय
तनयाषत ऋर्ण और गारं टी तनगम’ (Export Credit
& Guarantee Corporation of India - ECGC)
दवारा प्रशामसत ककया जाता िै ।
• ‘राष्ट्रीय तनयाषत बीमा खाता’ रस्ट (NEIA Trust)
स्थापना वर्ष 2006 में रर्णनीततक और राष्ट्रीय
मित्त्व के दृजष्ट्टकोर्ण से भारत से ‘पररयोजना तनयाषत’ को प्रोत्सािन दे ने के मलये की गई थी।
• राष्ट्रीय तनयाषत बीमा खाता, पात्र तनयाषतकों को कवर दे ने में ईसीजीसी मलममटे ड की सीमाओं, पुनबीमा की
गैर-उपलब्धता पर ववचार करते िुए, भारत सरकार दवारा वाखर्णजज्यक रूप से व्यविाररक ‘मध्यम और
दीघाषवधध तनयाषत’ की सवु वधा करता िै ।
उद्दे श्य:
‘राष्ट्रीय तनयाषत बीमा खाता’ रस्ट (NEIA Trust) का उददे श्य ऐसी पररयोजनाओं और अन्य उच्च मल्
ू य वाले तनयाषतों
के मलए ऋर्ण जोखखम कवर की उपलब्धता सतु नजश्चत करना िै , जो राष्ट्रीय हित के दृजष्ट्टकोर्ण से वांछनीय िैं,
लेककन क्षमता की कमी अथवा नीततयों में मभन्नता की वजि से ECGC इनको बीमा सुरक्षा दे ने में असमथष िोता
िै ।
NEIA रस्ट के कायभ:
• NEIA रस्ट, मध्यम और दीघाषवधध (medium and long term - MLT) / ‘पररयोजना तनयाषत’ को बढ़ावा दे ता िै,
जजसके तित भारत से पररयोजना तनयाषत को (आंमशक/पूर्ण)ष सिायता दे कर ‘तनयाषत ऋर्ण गारं टी तनगम’
(ECGC) दवारा MLT / ‘प्रोजेतट एतसपोटष ’ को सिायता प्रदान की जाती िै ।
• यि भारत से पररयोजना तनयाषत से जड़
ु े ‘एजतजम बैंक फॉर बायसष िेडडट’ (BC-NEIA) को भी सियोग प्रदान
करता िै ।
हाल ही में भारत सरकार द्िारा उठाया गया कदम:
सरकार ने तनयाषत क्षेत्र को प्रोत्सािन दे ने के मलए कई उपाय ककए िैं। इस िम में सरकार ने पांच वर्ों की अवधध
के मलए राष्ट्रीय तनयाषत बीमा खाते (एनईआईए) में 1,650 करोड़ रुपये के सिायता अनुदान (रामश) के योगदान को
स्वीकृतत दी िै ।

www.insightsonindia.com 61 InsightsIAS
सरकार के हाशलया कदम का महत्ि:
NEIA रस्ट में पूंजी लगाने से ‘भारतीय पररयोजना तनयाषतकों’ (Indian Project Exporters - IPE) को तनधाषररत बाजार
में पररयोजना तनयाषत की ववशाल क्षमता का दोिन करने में मदद ममलेगी।
• दे श भर से भारतीय स्रोतों से प्राप्त सामग्री के साथ पररयोजना तनयाषत की हदशा में ककये गए इस समथषन
से भारत में ववतनमाषर्ण को बढ़ावा ममलेगा।
• 1,650 करोड़ रुपये की धनरामश के योगदान से रस्ट की जोखखम क्षमता बढ़े गी।
• यि NEIA को पूरी क्षमता के उपयोग के साथ 33,000 करोड़ रुपये के पररयोजना तनयाषत का सियोग करने
में सक्षम बनाएगा।
• इसके पररर्णामस्वरूप घरे लू स्तर पर तनममषत वस्तुओं के अनुमातनत उत्पादन में लगभग 25,000 करोड़
रुपये अजजषत ककए जा सकेंगे।
NEIA - प्रदशभन के मस
ु य बबंद:ु
ऋर्ण और राजनीततक सुरक्षा दे कर एनईआईए रस्ट मध्यम और दीघाषवधध (एमएलटी)/पररयोजना तनयाषत को बढ़ावा
दे ने के मलए 2006 में एनईआईए रस्ट की स्थापना की गई थी।
1. एनईआईए ऐसी पररयोजनाओं को समथषन दे ता िै , जो वाखर्णजज्यक रूप से व्यविायष िो और रर्णनीततक रूप
से मित्वपूर्णष िों।
2. भारत सरकार ने इसके मलए 4,000 करोड़ रुपये की प्रततबदधता तय की िै और वास्तववक कॉपषस की
तुलना में 20 गुना अधधकतम दे यता के मलए मंजूरी िै ।
3. कई साल के दौरान भारत सरकार से ममला अंशदान 31 माचष, 2021 तक 3,091 करोड़ रुपये िो गया था।
4. शरु
ु आत से अब तक, एनईआईए 31 अगस्त, 2021 तक 53,000 करोड़ रुपये के समेककत पररयोजना मल्
ू य
के साथ 213 कवर दे चक
ु ा िै ।
5. पररयोजना तनयाषत को संभव बनाने के मामले में इसका प्रभाव अफ्रीका और दक्षक्षर्ण एमशया में सबसे
मित्वपूर्णष रिा िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप ‘तनयाषत उत्पादों’ पर लगने वाले ‘संलग्न केंद्रीय, राज्य और स्थानीय शल्
ु कों या करों’ को
वापस ककए जाने संबंधी RoDTEP योजना के बारे में जानते िैं?
प्रीशलम्स शलंक:
1. योजना के प्रमुख त्रबंद,ु पात्रता, लाभ
में स शलंक: राष्ट्रीय तनयाषत बीमा खाता (NEIA) रस्ट के मित्व पर चचाष कीजजए।
स्रोत: पीआईबी।

3. जाततगत जनगर्ना
संदभभ: त्रबिार राज्य-ववमशष्ट्ट जातत-आधाररत गर्णना आयोजजत करने की योजना बना रिा िै । कुछ समय पिले,
मुख्यमंत्री के नेतत्ृ व में त्रबिार के नेताओं के एक प्रतततनधधमंडल की प्रधान मंत्री नरें द्र मोदी से मुलाकात की थे
और उनसे दे श में जातत जनगर्णना कराने का आग्रि ककया था। बाद में , केंद्र सरकार ने इसे आयोजजत करने से
इनकार कर हदया। इसके बाद त्रबिार सरकार दवारा यि कदम उठाया जा रिा िै ।
संबंधित प्रकरर्:
िाल िी में , केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोटष को सधू चत करते िुए किा था, कक 2011 की सामाजजक-आधर्भक जातत
जनगर्ना (Socio-Economic Caste Census - SECC) में एकत्रत्रत ककया गया जातत-आधाररत आंकड़े "अनुपयोगी" िै,
जबकक वर्ष 2016 में , ‘भारत के महारजजस्रार एिं जनगर्ना आयुतत’ (Registrar-General and Census Commissioner
of India) दवारा ग्रामीर्ण ववकास पर गहठत संसद की स्थायी सममतत को जानकारी दे ते िुए किा था, व्यजततगत
जातत और धमष पर एकत्रत्रत ककए गए 98.87 प्रततशत आंकड़े त्रुदट मत
ु त" हैं।

www.insightsonindia.com 62 InsightsIAS
सरकार के अनुसार सामाजजक-आधर्भक जातत जनगर्ना के आंकड़े "अनुपयोगी" तयों है ?
• सरकार के अनुसार, 1931 में ककए गए सवेक्षर्ण में शाममल जाततयों की कुल संख्या 4,147 थी, जबकक
सामाजजक-आधथषक जातत जनगर्णना (SECC) के आंकड़ों के अनस
ु ार, दे श में 46 लाख से अधधक ववमभन्न
जाततयााँ िैं। यि माना जा सकता िै , कक कुछ जाततयां उप-जाततयों में ववभाजजत िो सकती िैं, लेककन
इनकी कुल संख्या इस िद तक अधधक निीं िो सकती िै ।
• गर्णनाकारों दवारा एक िी जातत के मलए अलग-अलग वतषनी का इस्तेमाल ककया गया और इस वजि से
सामाजजक-आधथषक जातत जनगर्णना की पूरी कवायद अनुपयोगी िो गई िै । सरकार ने किा, कक कई मामलों
में उत्तरदाताओं ने अपनी जाततयों का खल
ु ासा करने से इनकार भी कर हदया था।
अब तक ‘जातत-संबि
ं ी’ वििरर् एकत्र करने की विधि:
• गर्णनाकारों के दवारा, जनगर्णना के एक भाग के रूप में ‘अनुसूधचत जातत/अनस
ु ूधचत जनजातत’ संबंधी
वववरर्ण एकत्र ककया जाता िै , जबकक इसके तित, अन्य जाततयों का वििरर् एकत्र नहीं ककया जाता िै ।
• जनगर्णना की मुख्य पदधतत के अंतगषत, सभी नागररक गर्णनाकार के मलए ‘स्व-घोवर्त’ जानकारी प्रदान
करते िैं।
• अब तक, ववमभन्न राज्यों में ‘वपछड़ा िगभ आयोगों’ दवारा वपछड़ी जाततयों की जनसंख्या का पता लगाने
िे तु अपनी-अपनी गर्णना की जाती रिी िै ।
जनगर्ना में ककस प्रकार के जातत संबि
ं ी आंकड़े प्रकाशशत ककए जाते हैं?
• स्वतंत्र भारत में , 1951 से 2011 के बीच की गई प्रत्येक जनगर्णना में केवल अनुसूधचत जाततयों और
अनुसूधचत जनजाततयों पर आंकड़े प्रकामशत ककए गए िैं। अन्य जाततयों के वववरर्ण को जनगर्णना में
प्रकामशत निीं ककया गया िै।
• िालांकक, इससे पिले वर्ष 1931 तक की गई प्रत्येक जनगर्णना में जातत संबंधी आंकड़े प्रकमशत ककए जाते
थे।
‘सामाजजक-आधर्भक और जाततगत जनगर्ना’ (SECC) 2011 के बारे में :
वर्ष 2011 में आयोजजत ‘सामाजजक-आधथषक और जाततगत जनगर्णना’ (Socio-Economic and Caste Census- SECC)
ववमभन्न समद
ु ायों की सामाजजक-आधथषक जस्थतत के बारे में आंकड़े प्राप्त करने के मलए एक मित्वपर्ण
ू ष कायषिम
था।
• इसके दो घटक र्े: पिला, ग्रामीर्ण और शिरी पररवारों का एक सवेक्षर्ण तथा पूवष तनधाषररत मापदं डों के
आधार पर इन पररवारों की रैंककं ग, और दस
ू रा ‘जाततगत जनगर्णना’।
• िालांकक, सरकार दवारा केवल ग्रामीर्ण और शिरी पररवारों में लोगों की आधथषक जस्थतत का वववरर्ण जारी
ककया गया था। जातत संबि
ं ी आंकड़े अभी तक जारी नहीं ककए गए िैं।
‘जनगर्ना’ और ‘सामाजजक-आधर्भक और जाततगत जनगर्ना’ में अंतर:
• जनगर्णना, भारत की आबादी की तस्वीर प्रदान करती िै , जबकक सामाजजक-आधथषक और जाततगत जनगर्णना’
(SECC) राज्य दवारा सिायता प्राप्त करने वाले लाभाधथषयों की पिचान करने का एक उपकरर्ण िोती िै ।
• ‘जनगर्णना’, ‘जनगर्णना अधधतनयम’ 1948 (Census Act of 1948) के अंतगषत आती िै और इसके सभी
आकड़ों को गोपनीय माना जाता िै , जबकक SECC के तित दी गई सभी व्यजततगत जानकारी, सरकारी
ववभागों दवारा पररवारों को लाभ प्रदान करने और/या रोकने िे तु उपयोग करने के मलए उपलब्ध रिती िै ।
जाततगत जनगर्ना के लाभ:
प्रत्येक जातत की आबादी की सटीक संख्या, सभी का समान प्रतततनधधत्व सतु नजश्चत करने िे तु आरक्षर्ण नीतत को
तैयार करने में मदद करे गी।

www.insightsonindia.com 63 InsightsIAS
संबंधित धचंताएं:
• संभावना िै , कक जाततगत जनगर्णना से कुछ वगों में नाराजगी पैदा िोगी और कुछ समुदाय अपने मलए
अधधक या अलग कोटा की मांग करें ग।े
• कधथत तौर यि माना जाता िै , कक मात्र व्यजततयों को ककसी जातत से जुड़े िोने का ठप्पा लगाने से,
समाज में जातत-व्यवस्था िमेशा बनी रि सकती िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं, कक ‘आईना-ए-अकबरी' में जनसंख्या, उदयोग, धन और कई अन्य ववशेर्ताओं से
संबंधधत व्यापक आंकड़े ममलते िैं? इस पुस्तक में अन्य ककन ववर्यों का वववरर्ण हदया गया िै?
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘जनगर्णना’ तया िै ? वैधातनक प्रावधान, ‘जनगर्णना’ की ववधध
2. जनगर्णना 2011 की प्रमुख ववशेर्ताएं
3. ‘राष्ट्रीय वपछड़ा आयोग’ के बारे में
में स शलंक: जातत आधाररत जनगर्णना की आवश्यकता और मित्व पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

4. रक्षा उपकरर्ों से संबधित नकारात्मक आयात सूची


संदभभ: सरकार दवारा अपनी ‘नकारात्मक आयात सूची नीतत’ (Negative Imports List Policy) में कुछ बदलाव ककए
गए िैं। इसके तित, तनम्नमलखखत मुख्य पररवतषन शाममल िै :
• नए तनयमों के तित, सशस्त्र बल अब कुछ ववशेर् पररजस्थततयों में रक्षा उपकरर्णों का आयात कर सकते
िैं, भले िी वि उपकरर्ण नकारात्मक आयात सूची में शाममल िो।
• इसमें "तत्काल आवश्यकता" िोने की जस्थत में घरे लू उदयोग दवारा आपूततष निीं कर पाने, अथवा स्वदे शी
उत्पादों के पयाषप्तता में िोने के कारर्ण सैतनकों की सुरक्षा दांव पर लगने, जैसे पररदृश्यों को शाममल ककया
गया िै ।
• नए तनयमों में , पिली बार अगस्त 2020 में तैयार की गयी ‘नकारात्मक आयात सूची’ में उजल्लखखत
वस्तुओं की समीक्षा करने या िटाने का भी प्रावधान भी ककया गया िै ।
नकारात्मक आयात सूची नीतत / सकारात्मक स्िदे शीकरर् सूची:
अगस्त 2020 में लागू की गई ‘नकारात्मक आयात सच
ू ी’ (Negative Imports List Policy/Positive Indigenisation
List) का मतलब िै कक, सशस्त्र बलों अथाषत सेना, नौसेना और वायु सेना दवारा इस सूची में शाममल वस्तओ
ु ं की
खरीद केवल घरे लू तनमाषताओं से की जाएगी।
इन घरे लू तनमाषताओं के रूप में , तनजी क्षेत्र अथवा रक्षा सावषजतनक क्षेत्र के उपिम (Defence Public Sector
Undertakings- DPSUs) शाममल िोंगे।
इस नीतत की आिश्यकता तर्ा प्रभाि:
स्टॉकिोम इंटरनेशनल पीस ररसचष इंस्टीट्यूट के अनस
ु ार, भारत दवारा 2014 और 2019 के बीच 16.75 त्रबमलयन
अमेररकी डॉलर की रक्षा-संबध
ं ी वस्तुओं का आयात ककया गया और इस अवधध के दौरान यि ववश्व में दस
ू रा सबसे
बड़ा आयातक दे श रिा।
• सरकार, रक्षा क्षेत्र में आयाततत वस्तुओं पर तनभषरता को कम करना चािती िै और घरे लू रक्षा ववतनमाषर्ण
उदयोग को बढ़ावा दे ना चािती िै ।
• नकारात्मक आयात सूची में सजम्ममलत वस्तुओं के आयात की संभावना को नकारते िुए, भारतीय सैन्य बलों
की आवश्यकताओं की पूती के मलए घरे लू रक्षा उदयोग को आगे बढ़ने तथा तनमाषर्ण करने का अवसर हदया
गया िै ।

www.insightsonindia.com 64 InsightsIAS
दस
ू री सूची:
मई 2021 रक्षा मंत्रालय दवारा 108 वस्तुओं की दस
ू री ‘नकारात्मक आयात सूची’ (Negative Import List) जारी की
गई िै , और इसका नाम पररवततषत कर ‘सकारात्मक स्वदे शीकरर्ण सच
ू ी' (Positive Indigenisation List) कर हदया गया
िै । इन सभी वस्तुओं की खरीद स्वदे शी स्रोतों से की जाएगी।
• अब इस नई सूची शाममल कुल वस्तुओं की संख्या 209 िो गई िै ।
• 'दस
ू री सकारात्मक स्वदे शीकरर्ण सच
ू ी' में जहटल प्रर्णामलयां, सेंसर, मसम्युलेटर, िधथयार और गोला-बारूद जैसे
िे लीकॉप्टर, नेतस्ट जेनरे शन कॉवेट, एयर बोनष अली वातनिंग एंड कंरोल (AEW&C) मसस्टम, टैंक इंजन, आहद
को शाममल ककया गया िै ।
इस कदम का महत्ि एिं तनदहतार्भ:
1. सूची में स्थानीय रक्षा उदयोग की क्षमता को मान्यता दी गई िै ।
2. यि प्रौदयोधगकी व ववतनमाषर्ण क्षमताओं में नए तनवेश को आकवर्षत करके घरे लू अनस
ु ंधान और ववकास
को भी बढ़ावा दे गा।
3. यि सूची 'स्टाटष-अप' के साथ-साथ सक्ष्
ू म, लघु और मध्यम उदयमों (MSMEs) के मलए भी एक उत्कृष्ट्ट
अवसर प्रदान करती िै जजसे इस पिल से जबरदस्त बढ़ावा ममलेगा।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक ‘कर अधधकाररयों’ दवारा भी एक नकारात्मक सूची बनाई जाती िै ? (िालांकक
यि सच
ू ी इस ववर्य से सीधे संबंधधत निीं िै , ककं तु इसके बारे में जानकारी रखना आवश्यक िै )।
वैजश्वक स्तर पर ‘सैन्य व्यय रुझानों’ पर ररपोटष के बारे में पहढ़ए।
प्रीशलम्स शलंक:
1. यि नीतत कब शरू
ु की गई थी?
2. ववशेर्ताएं, अपवाद, कायाषन्वयन मंत्रालय
में स शलंक: ‘नकारात्मक आयात सूची’ नीतत की आवश्यकता और मित्व पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

5. बांि सुरक्षा वििेयक 2019


संदभभ: िाल िी में , राज्यसभा दवारा ‘बांध सुरक्षा ववधेयक’ 2019 (Dam Safety Bill, 2019) को पाररत कर हदया गया,
जजससे दे श में बांध सरु क्षा अधधतनयम को लागू करने का रास्ता तैयार िो गया िै।
यि ववधेयक 2 अगस्त, 2019 को लोकसभा में पाररत ककया गया था।
संबंधित धचंताएं:
• इस ववधेयक में बांधो की ‘पररचालन सुरक्षा’ की तुलना में ‘संरचनात्मक सुरक्षा’ पर बिुत अधधक ध्यान
हदया गया िै ।
• बांधों से प्रभाववत लोगों को अपयाषप्त मआ
ु वजा हदया जाता िै ।
• ववधेयक में हितधारकों की सटीक पररभार्ा हदए जाने के साथ-साथ एक ‘स्वतंत्र तनयामक’ का प्रावधान
ककए जाने की आवश्यकता िै ।
• कई राज्यों का किना िै कक यि अपने बांधों के प्रबंधन के संबंध में राज्यों की संप्रभत
ु ा का अततिमर्ण
करता िै , और संववधान में तनहित संघवाद के मसदधांतों का उल्लंघन करता िै । ये राज्य इसे सुरक्षा-संबध
ं ी
धचंताओं की आड़ में केंद्रीय सत्ता को मजबूत करने के प्रयास के रूप में दे खते िैं।
इस वििेयक को केंद्र सरकार द्िारा प्रस्तुत ककए जाने के कारर्:
िालांकक यि ववर्य संसद के दायरे में निीं आता िै , कफर भी केंद्र सरकार ने इस ववधेयक को पेश करने का फैसला
मख्
ु य रूप से इसमलए ककया िै , तयोंकक ‘बांध-सरु क्षा’ दे श में धचंता का ववर्य िै । और, इस संबंध में कोई कानन
ू ी
और संस्थागत सुरक्षा उपाय उपलब्ध निीं िैं।

www.insightsonindia.com 65 InsightsIAS
‘बांि सुरक्षा वििेयक, 2019’ के प्रमुख बबंद:ु
1. ‘बांध सुरक्षा ववधेयक’ दे श के सभी बड़े बांधों की तनगरानी, तनरीक्षर्ण, पररचालन और रखरखाव संबध
ं ी पयाषप्त
सवु वधा प्रदान करे गा, ताकक बांध के फेल िोने की जस्थतत में िोने वाली आपदा को रोका जा सके।
2. बांधों के सुरक्षक्षत पररचालन को सुतनजश्चत करने के मलए आवश्यक संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक
उपायों की हदशा में यि ववधेयक केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर एक संस्थागत तंत्र की व्यवस्था प्रदान
करे गा।
3. ववधेयक के प्रावधान के अनुसार, एकसमान बांध सुरक्षा नीततयां, प्रोटोकॉल और प्रकियाओं को ववकमसत
करने में मदद करने के मलए ‘बांध सरु क्षा पर एक राष्ट्रीय सममतत’ (NCDS) का गठन ककया जाएगा।
4. यि ववधेयक बांध सुरक्षा नीततयां और मानकों के राष्ट्रव्यापी कायाषन्वयन को सुतनजश्चत करने की हदशा में
एक तनयामक संस्था के तौर पर ‘राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधधकरर्ण’ (NDSA) स्थावपत करने की सवु वधा भी
प्रदान करता िै ।
5. इस ववधेयक में राज्यों के स्तर पर ‘बांध सुरक्षा पर राज्य सममतत’ (SCDS) का गठन करने और राज्य
बांध सुरक्षा संगठन स्थावपत करने की व्यवस्था की गई िै ।
महत्ि:
• बांध सुरक्षा ववधेयक, भारत के सभी राज्यों और केंद्र शामसत प्रदे शों के मलए एक समान बांध सुरक्षा
प्रकियाओं को अपनाने में मदद करे गा, जो बांधों की सरु क्षा सतु नजश्चत करे गी और ऐसे बांधों से िोने वाले
लाभों की सुरक्षा िो सकेगी। इससे मानव जीवन, पशध
ु न और संपवत्त की सुरक्षा में भी मदद ममलेगी।
• ववधेयक में , बांधों के तनयममत तनरीक्षर्ण, आपातकालीन कायष योजना, व्यापक बांध सुरक्षा समीक्षा, बांध
सरु क्षा के मलए पयाषप्त मरम्मत और रखरखाव तनधध, उपकरर्ण और सरु क्षा तनयमावली सहित बांध सरु क्षा
से संबंधधत सभी मुददों पर प्रावधान ककए गए िैं।
• ववधेयक में ‘बांध सुरक्षा’ की जजम्मेदारी बांध के मामलक पर तनधाषररत की गयी िै , और कुछ कृत्यों के
करने पर तथा ककसी लापरवािी के मलए दं डात्मक प्रावधानों का प्रावधान भी ककया गया िै ।
आिश्यकता:
• वपछले पचास वर्ों में , भारत में बांधों और संबधं धत बतु नयादी ढांचे में काफी तनवेश ककया गया िै , और
वतषमान में भारत, बड़े बांधों की संख्या में संयुतत राज्य अमेररका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर िै ।
मौजूदा समय में , दे श में 5254 बड़े बांध कायषशील िैं और 447 अन्य बड़े बांध तनमाषर्णाधीन िैं।
• इसके अलावा, दे श में िजारों मध्यम और छोटे बांध मौजूद िैं।
• जिां बांधों ने भारत में तेजी से और सतत कृवर् ववकास और ववकास को बढ़ावा दे ने में मित्वपूर्णष भूममका
तनभाई िै , विीं बांध सरु क्षा सतु नजश्चत करने के मलए एक समान कानन
ू और प्रशासतनक ढांचे की आवश्यकता
लंबे समय से मिसूस की जा रिी िै ।
• केंद्रीय जल आयोग दवारा ‘राष्ट्रीय बांध सुरक्षा सममतत’ (NCDS), केंद्रीय बांध सुरक्षा संगठन (CDSO) और
राज्य बांध सरु क्षा संगठन (SDSO) के माध्यम से इस हदशा में लगातार प्रयास ककया जा रिा िै , लेककन
इन संगठनों के पास कोई वैधातनक शजतत निीं िै , और ये केवल सलािकार प्रकृतत के िैं।
• भारत में लगभग 75 प्रततशत बड़े बांध 25 वर्ष से अधधक पुराने िैं और लगभग 164 बांध 100 वर्ष से
अधधक पुराने िो चक
ु े िैं, ऐसे में यि धचंता का ववर्य िै ।
• ख़राब रखरखाव वाले, असुरक्षक्षत बांध मानव जीवन, वनस्पततयों और जीवों, सावषजतनक और तनजी संपवत्तयों
और पयाषवरर्ण के मलए खतरा िो सकते िैं।
• अतीत में , भारत में 42 बांध ववफल िो चुके िैं।
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 66 InsightsIAS
6. उत्तराखंि का ‘चार िाम अधितनयम’
संदभभ: िाल िी में , उत्तराखंड सरकार दवारा ‘चार धाम दे वस्थानम प्रबंधन अधधतनयम’ (Char Dham Devasthanam
Management Act) को वापस लेने की घोर्र्णा की गयी िै । इस तनर्णषय के पश्चात ्, उत्तराखंड चार धाम दे वस्थानम
प्रबंधन बोडष को समाप्त कर हदया जाएगा। इस अधधतनयम का उत्तराखंड के चार मंहदरों और ववश्व हिंद ू पररर्द
(VHP) के पुजाररयों और अन्य हितधारकों के ववरोध ककया जा रिा िै ।
पररयोजना के बारे में पयाभिरर् संबंिी धचंताएाँ:
• इस पररयोजना की वजि से 55,000 पेड़ों सहित लगभग 690 िे तटे यर वन भूमम के नष्ट्ट िोने का संकट
उत्पन्न िो सकता िै और लगभग 20 मममलयन तयत्रू बक मीटर ममट्टी खोदे जाने का अनम
ु ान िै ।
• सड़कों को चौड़ा करने िे तु पेड़ों की तनमषम कटाई या वनस्पतत को उखाड़ना, जैव ववववधता और क्षेत्रीय
पाररजस्थततकी के मलए खतरनाक सात्रबत िो सकता िै ।
‘चारिाम पररयोजना’ के बारे में :
• ‘चारधाम पररयोजना’ (Chardham Project) में 889 ककलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमागों का ववकास और सध
ु ार
ककया जाना सजम्ममलत िै ।
• इस पररयोजना के दवारा बद्रीनाथ धाम, केदारनाथ धाम, गंगोत्री, यमुनोत्री और कैलाश मानसरोवर यात्रा के
मलए जाने वाले मागष को जोड़ा जाएगा।

राष्ट्रीय सुरक्षा में भूशमका: यि पररयोजना, भारत-चीन सीमा को दे िरादन


ू और मेरठ में सेना के मशववरों से जोड़ने
वाली सामररक फीडर सड़क मागों के रूप में कायष कर सकती िै जो जोड़ती िै । इन स्थानों पर भारतीय सेना का
ममसाइल बेस िै और भारी मशीनरी तैनात रिती िै ।
पररयोजना पर सुप्रीम कोटभ के विचार:
सप्र
ु ीम कोटष ने नवंबर 2020 में , भारत-चीन सीमा की ओर जाने वाली ‘चारधाम पररयोजना’ (CharDham Project -
CDP) सड़कों का ववस्तार करने संबंधी अनुरोध के संदभष में , पयाषवरर्णीय मद
ु दों और राष्ट्रीय सुरक्षा धचंताओं को
संतुमलत करने की आवश्यकता की बात किी थी।
प्रीशलम्स शलंक:
1. पररयोजना का अवलोकन
2. इस क्षेत्र में मित्वपर्ण
ू ष राष्ट्रीय उदयान और वन्यजीव अभयारण्य
3. इन स्थानों से बिने वाली मित्वपूर्णष नहदयााँ
4. राष्ट्रीय उदयानों और वन्यजीव अभयारण्यों के बीच अंतर
में स शलंक: चारधाम पररयोजना के मित्व पर वववेचना कीजजए। स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

www.insightsonindia.com 67 InsightsIAS
7. ‘दे शद्रोह’ की सीमाओं को पररभावषत करने का सही समय: उच्चतम न्यायालय
संदभभ:
िाल िी में , असम पमु लस दवारा एक स्थानीय समाचार पोटष ल के संपादक और सि-मामलक पर, राज्य के असममया
और बंगाली भार्ी नागररकों के बीच दश्ु मनी को बढ़ावा दे ने वाला एक संपादकीय मलखने का आरोप लगाते िुए
‘दे शद्रोि’ (124A के तित) के तित मामला दजष ककया गया िै ।
बराक घाटी में बंगामलयों का और ब्रहमपुत्र घाटी में असममया भार्ी जनता का वचषस्व िै ।
पष्ट्ृ ठभूशम:
सरकार के कोववड-19 प्रबंधन के बारे में अपनी मशकायतों को आवाज दे ने पर अथवा मिामारी की दस
ू री लिर के
दौरान, धचककत्सा सेवाओं तक पिुंच, उपकरर्ण, दवाएं और ऑतसीजन मसलेंडर िामसल करने के मलए मदद मांगने के
मलए आलोचकों, पत्रकारों, सोशल मीडडया उपयोगकताषओं, कायषकताषओं और नागररकों के खखलाफ राजद्रोि कानून का
अंधाधध
ंु इस्तेमाल ककया गया िै ।
‘दे शद्रोह’ (Sedition) तया होता है ?
भारतीय दं ड संहिता (IPC) की धारा 124A के अनुसार, “ककसी भी व्यजतत के दवारा, शब्दों दवारा, मलखखत अथवा
बोलने के माध्यम से, अथवा संकेतों दवारा, या दृश्य- प्रदशषन दवारा, या ककसी अन्य तरीके से, ववधध दवारा स्थावपत
सरकार के खखलाफ, घर्ण
ृ ा या अवमानना हदखाने, उत्तेजजत िोने अथवा उत्तेजना भड़काने का प्रयास करने पर उसे,
आजीवन कारावास और साथ में जम
ु ाषना, या तीन साल तक की कैद और साथ में जम
ु ाषना, या मात्र जम
ु ाषने का दं ड
हदया जा सकता िै ।
एक यर्ोधचत पररभाषा की आिश्यकता:
दे शद्रोि कानन
ू लंबे समय से वववादों में रिा िै । अतसर सरकारों के ‘भारतीय दं ि संदहता (आईपीसी) की िारा 124-
A’ कानून का उपयोग करने पर, उनकी नीततयों के मुखर आलोचकों दवारा आलोचना की जाती िै ।
इसमलए, इस धारा को व्यजततयों की अमभव्यजतत की स्वतंत्रता के प्रततबंध के रूप में दे खा जाता िै , और एक प्रकार
से संववधान के अनुच्छे द 19 के तित प्रदत्त अमभव्यजतत की स्वतंत्रता पर लगाए जाने वाले उधचत प्रततबंधों संबंधी
प्रावधानों के अंतगषत आती िै ।
इस क़ानन
ू को औपतनवेमशक त्रब्रहटश शासकों दवारा 1860 के दशक में लागू ककया गया था, उस समय से लेकर
आज तक यि क़ानून बिस का ववर्य रिा िै । मिात्मा गांधी और जवािरलाल नेिरू सहित स्वतंत्रता आंदोलन के
कई शीर्ष नेताओं पर राजद्रोि कानून के तित मामले दजष ककए गए थे।
1. मिात्मा गांधी दवारा इस क़ानून को “नागररक की स्वतंत्रता का िनन करने िे तु तैयार की गई भारतीय
दं ड संहिता की राजनीततक धाराओं का राजकुमार” बताया था।
2. नेिरू ने इस कानन
ू को "अत्यधधक आपवत्तजनक और तनंदनीय” बताते िुए किा, कक “िमारे दवारा पाररत
ककसी भी कानूनों प्रावधानों में इसे कोई जगि निीं दी जानी चाहिए” और "जजतनी जल्दी िम इससे
छुटकारा पा लें उतना अच्छा िै ।"
इस संदभभ में सप्र
ु ीम कोटभ के प्रासंधगक फैसले:
केदार नार् शसंह बनाम बबहार राज्य मामला (1962):
1. आईपीसी की धारा 124A के तित अपराधों से संबंधधत मामले की सुनवाई के दौरान, उच्चतम न्यायालय
की पांच-न्यायािीशों की संिैिातनक पीठ ने केदार नाथ मसंि बनाम त्रबिार राज्य मामले (1962) में कुछ
मागषदशषक मसदधांत तनधाषररत ककए थे।
2. अदालत ने फैसला सन
ु ाया था, कक सरकार के कायों की चािें ककतने भी कड़े शब्दों में नापसंदगी व्यतत
की जाए, यहद उसकी वजि से हिंसक कृत्यों दवारा सावषजतनक व्यवस्था भंग निीं िोती िै , तो उसे दं डनीय
निीं माना जाएगा।

www.insightsonindia.com 68 InsightsIAS
बलिंत शसंह बनाम पंजाब राज्य (1995) मामला:
1. इस मामले में सुप्रीम कोटष ने स्पष्ट्ट ककया था, कक केवल नारे लगाना, इस मामले में जैसे कक ‘खामलस्तान
जजंदाबाद’, दे शद्रोि निीं िै ।
जाहिर िै , दे शद्रोि कानून को गलत तरीके से समझा जा रिा िै और असिमतत को दबाने के मलए इसका दरु
ु पयोग
ककया जा रिा िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक ‘के.एम. मुश्शी संशोधन’ (K.M. Mushshi’s Amendment) के दवारा संववधान
से 'दे शद्रोि' को िटा हदया था और बाद में सुप्रीम कोटष के एक फैसले दवारा भारत में राजद्रोि कानून को वापस
लागू ककया गया था?
इतने सारे नकारात्मक तत्व िोने के बावजूद, िमारे दे श में अभी भी यि कानून प्रचलन में तयों िै?
प्रीशलम्स शलंक:
1. दे शद्रोि को ककस क़ानन
ू के तित पररभावर्त ककया गया िै ?
2. आईपीसी की धारा 124A ककससे संबंधधत िै?
3. आईपीसी की धारा 153 ककससे संबंधधत िै?
4. इस संदभष में सुप्रीम कोटष के प्रासंधगक फैसले
5. भारतीय संववधान का अनुच्छे द 19
में स शलंक: भारत में दे शद्रोि कानन
ू लागू करने से जड़
ु े मद
ु दों पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

8. NDPS वििेयक, 2021


संदभभ: िाल िी में , लोकसभा में ‘स्वापक और्धध एवं मन:प्रभावी पदाथष (संशोधन) ववधेयक’ 2021 (Narcotic Drugs
and Psychotropic Substances (Amendment) Bill, 2021) / ‘NDPS ववधेयक’ पेश ककया गया था।
यि संशोधन ववधेयक, इसी वर्ष 30 मसतंबर को प्रख्यावपत एक अध्यादे श को प्रततस्थावपत करे गा।
वििेयक का उद्दे श्य:
सरकार दवारा यि ववधेयक, ‘स्वापक और्धध एवं मन:प्रभावी पदाथष अधधतनयम (एनडीपीएस) की धारा 27 के एक
प्रावधान में पाई गयी त्रुहट को सुधारने के मलए पेश ककया गया िै । इस त्रुहट की वजि से अधधतनयम की धारा 27
के - अवैध तस्करी के मलए ववत्तपोर्र्ण करने वालों को दं डडत करने संबध
ं ी प्रावधान अप्रभावी िो जाता था।
• वर्ष 2014 में धचककत्सा संबध
ं ी जरूरतों के मलए ’स्वापक और्धधयों’ / ‘मादक दवाओं’ के उपयोग को आसान
बनाने के मलए ‘अधधतनयम’ में संशोधन ककया गया था, ककं तु दं ड प्रावधान में तदनस
ु ार संशोधन निीं ककए
जाने से यि ‘त्रुहट’ उत्पन्न िो गयी थी।
• जून 2021 में, त्रत्रपुरा उच्च न्यायालय ने कानून का तनरीक्षर्ण करने पर इस त्रुहट को धचजहनत ककया और
केंद्रीय गि
ृ मंत्रालय को अधधतनयम की धारा 27 के प्रावधानों में संशोधन करने का तनदे श हदया।
इस संशोिन की आिश्यकता:
अधधनयम के प्रारूप में इस त्रुहट का पता तब चला, जब एक आरोपी ने त्रत्रपुरा में एक ववशेर् अदालत में अपील
दायर करते िुए किा कक, उस पर अपराध का आरोप निीं लगाया जा सकता तयोंकक ‘धारा 27 A’ एक ‘खाली सच ू ी’
से संबंधधत िै । त्रत्रपुरा उच्च न्यायालय ने, बाद में केंद्र सरकार को कानून में संशोधन करने का तनदे श हदया।
एनिीपीएस अधितनयम की िारा 27 में त्रुदट:
’स्वापक और्धधयों’ (Narcotic Drugs) तक बेितर धचककत्सा पिुंच की अनुमतत हदए जाने के मलए वर्ष 2014 में
‘स्वापक और्धध एवं मन:प्रभावी पदाथष (एनडीपीएस) अधधतनयम’ में एक संशोधन ककया गया, जजसके तित
"आवश्यक स्वापक और्धधयों" के पररविन और लाइसेंस में राज्य दवारा लगाए गए प्रततबंधों को िटाया गया था।
इसी संसोधन के मसौदे में एक ववसंगतत भी तैयार िो गयी थी।

www.insightsonindia.com 69 InsightsIAS
• 2014 के संशोधन से पिले, अधधतनयम की धारा 2 के खंड (viiia) में उप-खंड (i) से (v) शाममल थे, जजसमें
'अवैध यातायात' शब्द को पररभावर्त ककया गया था।
• इस खंड को ‘नारकोहटक ड्रग्स एंड साइकोरोवपक सब्सटें स (संशोधन) अधधतनयम’, 2014 दवारा खंड (viiib)
के रूप में प्रततस्थावपत कर हदया गया था, तयोंकक "आवश्यक स्वापक और्धधयों" को पररभावर्त करते िुए
अधधतनयम की धारा 2 में एक नया खंड (viiiia) जोड़ा गया था। िालांकक, अनजाने में इस पररर्णामी पररवतषन
के अनुरूप ‘एनडीपीएस अधधतनयम’ की धारा 27A को संसोधधत निीं ककया गया था।
वििेयक को लेकर आलोचनाएं:
• कुछ ववशेर्ज्ञों का किना िै , कक ववधेयक
में , संबंधधत प्रावधान वर्ष 2014 से िोने
वाले अपराधों पर ‘पूवव्ष यापी प्रभाव’ से
लागू ककए जाने का प्रस्ताव ककया गया िै ,
अतः यि नागररकों के मौमलक अधधकारों
का उल्लंघन करता िै ।
• यि क़ानून, अनुच्छे द 21 में प्रददत
मौमलक अधधकारों का भी उल्लंघन करता
िै , तयोंकक ककसी व्यजतत को केवल उसी
अपराध के मलए दं डडत ककया जा सकता
िै , जजसके मलए अपराध ककए जाने के
समय कानन
ू मौजद
ू िै ।
‘स्िापक ओषधि और मनःप्रभािी पदार्भ अधितनयम’ / एनिीपीएस अधितनयम:
‘एनडीपीएस अधधतनयम’ (NDPS Act) के तित, ककसी व्यजतत को, ककसी भी ‘स्वापक और्धध’ (narcotic Drug) या
‘मनःप्रभावी पदाथष’ (Psychotropic Substance) के उत्पादन, रखने, बेचने, खरीदने, पररविन करने, भंडारर्ण करने और/या
उपभोग करने से प्रततबंधधत ककया गया िै ।
• NDPS एतट, 1985 में अब तक तीन बार- वर्ष 1988, 2001 और 2014 में संशोधन ककए जा चक
ु े िैं।
• यि अधधतनयम परू े भारत में लागू िै , और यि भारत के बािर के सभी भारतीय नागररकों तथा भारत में
पंजीकृत जिाजों और ववमानों पर सवार सभी व्यजततयों पर भी लागू िोता िै ।
मादक पदार्ों की तस्करी की समस्या से तनपटने हे तु भारत सरकार की नीततयााँ और पहलें:
1. ववमभन्न स्रोतों से उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर, दे श के 272 जजलों में 'नशा मत
ु त भारत अशभयान' या
'ड्रग्स-मत
ु त भारत अशभयान' को 15 अगस्त 2020 को िरी झंडी हदखाई गई।
2. सामाजजक न्याय और अधधकाररता मंत्रालय दवारा वर्ष 2018-2025 की अवधध के मलए ‘नशीली दवाओं की
मांग में कमी लाने िे तु राष्ट्रीय कायषयोजना’ (National Action Plan for Drug Demand Reduction- NAPDDR)
का कायाषन्वयन शरू
ु ककया गया िै ।
3. सरकार दवारा नवंबर, 2016 में नाको-समन्िय केंद्र (NCORD) का गठन ककया गया िै ।
4. सरकार दवारा नारकोहटक ड्रग्स संबंधी अवैध व्यापार, व्यसनी / नशेडड़यों के पुनवाषस, और नशीली दवाओं
के दरु
ु पयोग के खखलाफ जनता को मशक्षक्षत करने आहद में िोने वाले व्यय को पूरा करने िे तु "नशीली
दवाओं के दरु
ु पयोग तनयंत्रर्ण िे तु राष्ट्रीय कोर्" (National Fund for Control of Drug Abuse) नामक एक
कोर् का गठन ककया गया िै ।
इंस्टा जजज्ञासु:
7 हदसंबर, 1987 को संयुतत राष्ट्र मिासभा दवारा 26 जून के मलए नशीली दवाओं के सेवन और अवैध तस्करी के
खखलाफ अंतराषष्ट्रीय हदवस के रूप में चन
ु ा गया था। इसे तयों चन
ु ा गया? इसके उददे श्य तया थे?
www.insightsonindia.com 70 InsightsIAS
प्रीशलम्स शलंक:
1. UNODC के बारे में
2. "नारकोहटतस तनयंत्रर्ण के मलए
राज्यों को ववत्तीय सिायता" की
योजना का अवलोकन
3. नाको-समन्वय केंद्र (NCORD) की
संरचना
4. नशीली दवाओं के दरु
ु पयोग के
तनयंत्रर्ण िे तु राष्ट्रीय कोर्
5. नारकोहटतस कंरोल ब्यूरो के बारे में
6. नशीली दवाओं के दरु
ु पयोग और
अवैध तस्करी के खखलाफ
अंतराषष्ट्रीय हदवस और इस वर्ष की
थीम
में स शलंक: भारत, मादक पदाथों की तस्करी
की चपेट में िै । इसके कारर्णों का
समालोचनात्मक परीक्षर्ण कीजजए। नशीली
दवाओं की समस्या से तनपटने में सरकार
की भमू मका पर भी हटप्पर्णी कररए।
स्रोत: द हिंद।ू

9. केन-बेतिा शलंक पररयोजना के शलए मंजरू ी


संदभभ: केंद्रीय मंत्रत्रमंडल ने 2020-21 की कीमतों के आधार पर 44,605 करोड़ रुपये की लागत से ‘केन-बेतवा नदी
जोड़ो पररयोजना’ (Ken-Betwa river interlinking project) की पररयोजना के ववत्तपोर्र्ण और कायाषन्वयन को मंजूरी
दे दी िै ।
इस पररयोजना के मलये केंद्रीय समथषन के रूप में 39,317 करोड़ रुपये, सिायक अनद
ु ान के रूप में 36,290 करोड़
रुपये और ऋर्ण के रूप में 3,027 करोड़ रुपये की धनरामश को मंजूर की गयी िै ।
पररयोजना के बारे में :
• इस पररयोजना के तित केन का पानी बेतवा नदी में भेजा जायेगा। यि दाऊधाम बांध के तनमाषर्ण तथा
दोनों नहदयों से निर को जोड़ने, लोअर उर पररयोजना (Lower Orr Project), कोठा बैराज और बीना कॉम्प्लेतस
पररयोजना (Bina Complex Multipurpose Project) के जररये परू ा ककया जायेगा।
• पररयोजना को उत्कृष्ट्ट प्रौदयोधगकी के साथ आठ वर्ों में कियाजन्वत ककए जाने का प्रस्ताव िै ।
पररयोजना का महत्ि:
पररयोजना से 10.62 लाख िे तटे यर रकबे की वावर्षक मसंचाई िो सकेगी, लगभग 62 लाख की आबादी को पीने का
पानी ममलेगा तथा 103 मेगावॉट पन त्रबजली और 27 मेगावॉट सौर ऊजाष पैदा िोगी।
• यि पररयोजना पानी की कमी से जूझते, मध्यप्रदे श और उत्तरप्रदे श राज्यों के बुंदेलखंड इलाके के मलये
बिुत फायदे मंद िै ।
• इस पररयोजना से कृवर् गततववधधयों के बढ़ने और रोजगार सज
ृ न से बुंदेलखंड के वपछड़े इलाके में
सामाजजक-आधथषक समद
ृ धध में तेजी आने की संभावना िै ।
• इससे क्षेत्र में संकट की वजि से िोने वाले ववस्थापन को भी रोकने में मदद ममलेगी।

www.insightsonindia.com 71 InsightsIAS
संबंधित धचंताएं: कई बाधाओं की वजि से यि पररयोजना प्रभाववत िो सकती िै ।
• इस पररयोजना से, मध्य प्रदे श में पन्ना टाइगर ररजवष आंमशक रूप से जलमग्न िो जाएगा, जजससे अन्य
जीवों सहित धगदधों और गीदड़ों के आवासों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता िै ।
• कई वर्ों के ववरोध के बाद, अंततः 2016 में सवोच्च वन्यजीव तनयामक, राष्ट्रीय वन्यजीव बोडष दवारा इस
पररयोजना को मंजूरी दी गई।
इंटरशलंककं ग के लाभ:
1. पानी और खादय सुरक्षा में वद
ृ धध
2. पानी का उधचत उपयोग
3. कृवर् को बढ़ावा
4. आपदा न्यूनीकरर्ण
1. पररविन को बढ़ावा
महत्िपूर्भ तथ्य:
• केन और बेतवा नहदयााँ मध्यप्रदे श से तनकलती िैं, और यमुना की सिायक नहदयााँ िैं।
• केन नदी उत्तर प्रदे श के बांदा जजले में यमुना और िमीरपुर जजले में बेतवा से ममलती िै ।
• बेतवा नदी, पर राजघाट, परीचा और माताटीला बांध तनममषत ककए गए िैं।
• केन नदी, पन्ना टाइगर ररजवष से िोकर गज
ु रती िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप ‘नहदयों को आपस में जोड़ने संबंधी राष्ट्रीय पररप्रेक्ष्य योजना’ (National Perspective Plan)
के बारे में जानते िैं?

स्रोत: द हिंद।ू

10. सीबीआई और प्रितभन तनदे शालय के तनदे शकों के कायभकाल को बढ़ाने हे तु वििेयक
संदभभ:
ववपक्ष दवारा कड़ी आपवत्त व्यतत ककए जाने के बीच, लोकसभा में केंद्र सरकार के मलए ‘केंद्रीय अन्वेर्र्ण ब्यूरो’
(CBI) और ‘प्रवतषन तनदे शालय’ (ED) के तनदे शकों के कायषकाल को बढाने की शजतत प्रदान करने वाले दो ववधेयक
पाररत कर हदए गए िैं।
यि ववधेयक वपछले मिीने लाए प्रख्यावपत ककया गए अध्यादे शों की जगि लेंगे।

www.insightsonindia.com 72 InsightsIAS
अध्यादे शों के बारे में :
िाल िी केंद्र सरकार दवारा दो अध्यादे श लाए गए िैं, जजनमे ‘केंद्रीय अन्वेर्र्ण ब्यूरो’ (CBI) और ‘प्रवतषन तनदे शालय’
(Enforcement Directorate - ED) के तनदे शकों के दो साल के तनधाषररत कायषकाल को बढ़ाकर अधधकतम पांच साल
तक बढाए जाने का प्रावधान ककया गया िै ।
शीर्ष जांच एजेंमसयों के प्रमख
ु ों के कायषकाल में ,एक बार में केवल एक वर्ष का ववस्तार हदया जा सकता िै । अथाषत,
दो साल के एक तनजश्चत कायषकाल के बाद उन्िें वावर्षक रूप से, तीन बार एतसटें शन ममल सकता िै ।
संशोधित ककए गए कानून:
1. सीबीआई तनदे शक के कायषकाल में पररवतषन करने िेतु ‘ददल्ली विशेष पशु लस स्र्ापना अधितनयम’, 1946
में संशोधन ककया गया िै ।
2. ‘प्रवतषन तनदे शालय’ (ED) तनदे शक के कायषकाल में पररवतषन, िे तु ‘केंद्रीय सतकभता आयोग अधितनयम’,
2003 में संशोधन ककया गया िै ।
इन अध्यादे शों पर सुप्रीम कोटभ में याधचका:
केंद सरकार दवारा लागू ककए गए दो अध्यादे शों को रदद करने की मांग करते िुए सुप्रीम कोटष में याधचकाएं दायर
की गई िैं। इन अध्यादे शों के दवारा केंद्र सरकार को ‘केंद्रीय अन्वेर्र्ण ब्यूरो’ (CBI) और ‘प्रवतषन तनदे शालय’
(Enforcement Directorate - ED) के तनदे शकों के कायषकाल को अलग-अलग चरर्णों में पांच साल तक बढ़ाने की
शजतत प्रदान की गयी िै ।
संबंधित मुद्दे :
• याधचकाकताषओं का किना िै कक, इन अध्यादे शों की वजि से दोनों शीर्ष जांच एजेंमसयों के प्रमख
ु अपने
कायषकाल के बारे में असरु क्षक्षत िो जाएंगे, और इससे उनकी पेशेवर स्वतंत्रता खत्म िो जाएगी।
• इसके अलावा, इन अध्यादे शों में 'सावषजतनक हित' के अस्पष्ट्ट संदभष के अलावा कोई मानदं ड प्रदान निीं
ककया गया िै । वास्तव में ये सरकार की व्यजततपरक संतुजष्ट्ट पर आधाररत िै । इसका प्रत्यक्ष और स्पष्ट्ट
प्रभाव जांच एजेंमसयों की स्वतंत्रता को नष्ट्ट करने का िै ।
• सरकार के इस कदम की ववपक्षी दलों ने भी कड़ी आलोचना की िै । ववपक्ष ने आरोप लगाते िुए किा िै,
आगामी संसद सत्र 29 नवंबर से शरू
ु िो रिा िै , इसके बावजद
ू भी सरकार ने यि क़ानन
ू लागू करने ककए
‘अध्यादे श’ का मागष चुना िै।
इन अध्यादे शों को ककन आिारों पर चुनौती दी गई है?
• लगभग एक साल पिले, ‘प्रवतषन तनदे शालय’ (ED) तनदे शक को दो साल का तनजश्चत कायषकाल पूरा करने
के बाद पूवव्ष यापी प्रभाव से एक साल का सेवा-ववस्तार हदया गया था। सरकार के इस कदम को सुप्रीम
कोटष में चन
ु ौती दी गई थी और इसमें अदालत ने सरकार के फैसले को बरकरार रखा। िालांकक, सप्र
ु ीम कोटष
ने किा था, कक इस तरि के कड़े कदम कभी-कभार िी उठाए जाने चाहिए।
• याधचकाकताषओं ने सुप्रीम कोटष के इस फैसले और ‘ववनीत नारायर्ण बनाम भारत संघ’ (1997) में सवोच्च
न्यायालय के फैसले का िवाला दे ते िुए दोनों अध्यादे शों को मनमाना और असंवैधातनक बताया िै । 1997
के फैसले में शीर्ष अदालत ने किा था, कक ‘केंद्रीय अन्वेर्र्ण ब्यूरो’ (CBI) और ‘प्रवतषन तनदे शालय’
(Enforcement Directorate - ED) के प्रमख
ु ों का न्यूनतम कायषकाल दो साल का िोना चाहिए।
इंस्टा जजज्ञास:ु ‘प्रकाश मसंि मामले’ में सुप्रीम कोटष के फैसले का वववरर्ण और संबंधधत आदे शों के बारे में आप तया
जानते िैं? जानकारी के मलए पहढ़ए।
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 73 InsightsIAS
11. दे शद्रोह कानून
संदभभ: गि
ृ मंत्रालय (MHA) ने स्पष्ट्ट करते िुए किा िै कक ‘दे शद्रोि’ (Sedition) से संबंधधत भारतीय दं ड संहिता
(IPC) की धारा 124A को खत्म करने का कोई प्रस्ताव ववचाराधीन निीं िै ।
पष्ट्ृ ठभूशम: सरकार के कोववड-19 प्रबंधन के बारे में अपनी मशकायतों को आवाज दे ने पर अथवा मिामारी की दस
ू री
लिर के दौरान, धचककत्सा सेवाओं तक पिुंच, उपकरर्ण, दवाएं और ऑतसीजन मसलेंडर िामसल करने के मलए मदद
मांगने के मलए आलोचकों, पत्रकारों, सोशल मीडडया उपयोगकताषओं, कायषकताषओं और नागररकों के खखलाफ राजद्रोि
कानून का अंधाधध
ुं इस्तेमाल ककया गया िै ।
‘राजद्रोह’ / ‘दे शद्रोह’ (Sedition) तया होता है ?
भारतीय दं ड संहिता (IPC) की धारा 124A के अनुसार, “ककसी भी व्यजतत के दवारा, शब्दों दवारा, मलखखत अथवा
बोलने के माध्यम से, अथवा संकेतों दवारा, या दृश्य- प्रदशषन दवारा, या ककसी अन्य तरीके से, ववधध दवारा स्थावपत
सरकार के खखलाफ, घर्ण
ृ ा या अवमानना हदखाने, उत्तेजजत िोने अथवा उत्तेजना भड़काने का प्रयास करने पर उसे,
आजीवन कारावास और साथ में जुमाषना, या तीन साल तक की कैद और साथ में जुमाषना, या मात्र जुमाषने का दं ड
हदया जा सकता िै ।
इसके दरु
ु पयोग संबि
ं ी मुद्दे :
राजद्रोि कानून लंबे समय से वववादों में रिा िै । अतसर सरकारों के ‘भारतीय दं ि संदहता (आईपीसी) की िारा 124-
A’ कानन
ू का उपयोग करने पर, उनकी नीततयों के मख
ु र आलोचकों दवारा आलोचना की जाती िै ।
इसमलए, इस धारा को व्यजततयों की अमभव्यजतत की स्वतंत्रता के प्रततबंध के रूप में दे खा जाता िै , और एक प्रकार
से संववधान के अनुच्छे द 19 के तित प्रदत्त अमभव्यजतत की स्वतंत्रता पर लगाए जाने वाले उधचत प्रततबंधों संबंधी
प्रावधानों के अंतगषत आती िै ।
इस क़ानून को औपतनवेमशक त्रब्रहटश शासकों दवारा 1860 के दशक में लागू ककया गया था, उस समय से लेकर
आज तक यि क़ानून बिस का ववर्य रिा िै । मिात्मा गांधी और जवािरलाल नेिरू सहित स्वतंत्रता आंदोलन के
कई शीर्ष नेताओं पर राजद्रोि कानून के तित मामले दजष ककए गए थे।
इस संदभभ में सुप्रीम कोटभ के प्रासंधगक फैसले:
केदार नार् शसंह बनाम बबहार राज्य मामला (1962):
3. आईपीसी की धारा 124A के तित अपराधों से संबंधधत मामले की सुनवाई के दौरान, उच्चतम न्यायालय
की पांच-न्यायािीशों की संिैिातनक पीठ ने केदार नाथ मसंि बनाम त्रबिार राज्य मामले (1962) में कुछ
मागषदशषक मसदधांत तनधाषररत ककए थे।
4. अदालत ने फैसला सुनाया था, कक सरकार के कायों की चािें ककतने भी कड़े शब्दों में नापसंदगी व्यतत
की जाए, यहद उसकी वजि से हिंसक कृत्यों दवारा सावषजतनक व्यवस्था भंग निीं िोती िै , तो उसे दं डनीय
निीं माना जाएगा।
बलिंत शसंह बनाम पंजाब राज्य (1995) मामला:
2. इस मामले में सप्र
ु ीम कोटष ने स्पष्ट्ट ककया था, कक केवल नारे लगाना, इस मामले में जैसे कक ‘खामलस्तान
जजंदाबाद’, राजद्रोि निीं िै ।
जाहिर िै , राजद्रोि कानून को गलत तरीके से समझा जा रिा िै और असिमतत को दबाने के मलए इसका दरु
ु पयोग
ककया जा रिा िै ।
समय की मांग: शीर्ष अदालत के अनुसार, ववशेर् रूप से समाचार, सच
ू ना को संप्रवे र्त करने के मलए इलेतरॉतनक
और वप्रंट मीडडया के अधधकार, और दे श के ककसी भी हिस्से में मौजद
ू ा शासन की आलोचना करने के अधधकार के
संदभष में “भारतीय दं ड संहिता, 1860 की धारा 124A, 153A और 505 के प्रावधानों के दायरे और मापदं डों की व्याख्या
ककए जाने की आवश्यकता िै ।
स्रोत: द हिंद।ू
www.insightsonindia.com 74 InsightsIAS
12. बैंक जमा बीमा कायभक्रम
संदभभ: केंद्र सरकार दवारा बैंक बंद िोने जैसी समस्याओं की जस्थतत में ‘बैंक जमा बीमा’ (Bank Deposit Insurance)
सरु क्षा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने के मित्व पर प्रकाश डाला गया िै । िाल िी में , प्रधानमंत्री
दवारा बैंक जमा रामश बीमा कायषिम में जमाकताषओं को सम्बोधधत ककया गया।
पष्ट्ृ ठभूशम:
पिले 'जमा बीमा िेडडट गारं टी योजना' (Deposit Insurance Credit Guarantee Scheme)के तित 1 लाख रुपये या
उससे अधधक की जमा रामश के मलए 1 लाख रुपये का िी ‘बैंक जमा बीमा कवर’ िुआ करता था।
जमा बीमा और भारत में इसका वितनयमन:
• जमा बीमा (Deposit Insurance), एक प्रीममयम प्राप्त करके जमाकताष के पैसे को बीमा सुरक्षा प्रदान करता
िै ।
• सरकार दवारा ककसी बैंक के ववफल िोने / डूब जाने पर जमाकताषओं की सरु क्षा के मलए आरबीआई के
अधीन ‘जमा बीमा एवं िेडडट गारं टी तनगम (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation -
DICGC) की स्थापना की गयी िै ।
• DICGC, बैंक दवारा धाररत 100 रुपये जमा पर 10 पैसे चाजष करता िै । बीमाकृत बैंकों दवारा तनगम को
ककया गया प्रीममयम भुगतान, बैंकों दवारा ककया जाता िै , इसका कोई भी अंश जमाकताषओं से निीं मलया
जाता िै ।
• DICGC दवारा वपछली बार फरवरी, 2020 में ‘जमा बीमा कवर’ को संशोधधत कर ₹5 लाख कर हदया गया
था, जोकक वर्ष 1993 से ₹1 लाख था।
जमा बीमा- किरे ज:
• जमा बीमा, भारत में कायषरत सभी वाखर्णजज्यक बैंकों में सभी जमाओं जैसे बचत, सावधध, चाल,ू आवती जमा
आहद को कवर करता िै ।
• इसके अंतगषत, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में कायषरत राज्य, केंद्रीय और प्राथममक सिकारी बैंकों की जमारामशयां
भी कवर की जाती िैं।
विफल हो चक
ु ी बैंक से जमाकताभओं द्िारा अपनी राशश का दािा करने की प्रकक्रया:
• ‘जमा बीमा एवं िेडडट गारं टी तनगम’ (DICGC) सीधे जमाकताषओं के साथ कायष-व्यविार निीं करता िै ।
• ककसी बैंक का पररसमापन करने (liquidate) का तनदे श हदए जाने पर, आरबीआई (या रजजस्रार) दवारा
समापन प्रकिया की दे खरे ख के मलए एक आधधकाररक पररसमापक (Liquidator) तनयुतत ककया जाता िै ।
• DICGC अधधतनयम के तित, पररसमापक को प्रभार लेने के तीन मिीने के भीतर सभी बीममत जमाकताषओं
(उनके बकाया के साथ) की एक सच
ू ी DICGC को सौंपनी िोती िै ।
• DICGC दवारा यि सूची प्राप्त िोने के दो मिीने के भीतर इन दे य रामशयों का भग
ु तान ककया जाता िै ।
DICGC में तनम्नमलखखत प्रकार की जमारामशयााँ शाममल निीं िोती िैं:
1. ववदे शी सरकारों की जमारामशयााँ
2. केंद्र/राज्य सरकारों की जमारामशयां
3. अंतर-बैंक जमा
4. राज्य सिकारी बैंक के पास राज्य भूमम ववकास बैंकों की जमा रामश
5. भारत से बािर प्राप्त ककसी जमा रामश पर कोई दे य रामश
6. DICGC दवारा, ववशेर् रूप से आरबीआई की पव
ू ष अनम
ु तत सहित, छूट दी गई कोई भी रामश।
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 75 InsightsIAS
13. बबहार के शलए विशेष श्रेर्ी राज्य का दजाभ
संदभभ: नीतीश कुमार ने त्रबिार के मलए ‘ववशेर् श्रेर्णी राज्य’ (Special Category State - SCS) का दजाष हदए जाने की
अपनी करीब 15 साल परु ानी मांग एक बार कफर से उठाई िै । नीतीश कुमार, वर्ष 2007 से त्रबिार के मलए ‘ववशेर्
श्रेर्णी राज्य’ की मांग कर रिे िैं।
अन्य राज्यों की तुलना में बबहार का विकास:
• नीतत आयोग की नवीनतम ररपोटष में , ववकास दर और मानव ववकास सच
ू कांकों के मामले में त्रबिार को
सबसे तनचले राज्यों की श्रेर्णी में रखा गया िै ।
• त्रबिार की वावर्षक प्रतत व्यजतत आय 50,735 रुपये िै , जोकक राष्ट्रीय प्रतत व्यजतत आय आंकड़े, अथाषत
1,34,432 रुपये से काफी कम िै ।
• ररपोटष के अनुसार, राज्य की 51.91 प्रततशत आबादी - दे श में सबसे ज्यादा - गरीबी रे खा से नीचे रिती
िै ।
• स्कूल छोड़ने, बच्चों के कुपोर्र्ण, मात ृ स्वास्थ्य और मशशु मत्ृ यु दर के मामले में भी त्रबिार का प्रदशषन
काफी खराब रिा िै ।

‘विशेष श्रेर्ी राज्य का दजाभ’ तया है?


संववधान में ककसी राज्य को ‘ववशेर् श्रेर्णी राज्य का दजाष’ (Special Category Status - SCS) दे ने से संबधं धत कोई
प्रावधान निीं िै ; केंद्र सरकार दवारा अन्य राज्यों की तुलना में प्रततकूल पररजस्थततयों वाले राज्यों को ववत्तीय
सिायता प्रदान की जाती िै।
• यि दजाष, भौगोमलक और सामाजजक-आधथषक वपछड़ेपन का सामना कर रिे राज्यों के ववकास में सिायता
िे तु केंद्र सरकार दवारा ककया गया एक वगीकरर्ण िै ।
• यि वगीकरर्ण वर्ष 1969 में पांचवें ववत्त आयोग की मसफाररशों के आधार पर ककया गया था।
यि वगीकरर्ण गाडधगल फामल
ूष े पर आधाररत था, जजसमें ववशेर् श्रेर्णी के राज्य के दजे के मलये तनम्नमलखखत
मानदं ड तनधाषररत ककये गए थे:
1. पिाड़ी क्षेत्र;
2. कम जनसंख्या घनत्व और/या जनजातीय जनसंख्या का बड़ा हिस्सा;
3. पड़ोसी दे शों के साथ सीमाओं की सामररक जस्थतत;
4. आधथषक और बतु नयादी अवसंरचना का वपछड़ापन; तथा
5. राज्य ववत्त की अव्यविायष प्रकृतत।

www.insightsonindia.com 76 InsightsIAS
‘विशेष श्रेर्ी राज्य का दजाभ’ प्राप्त करने के शलए कुछ प्रमुख ददशातनदे श:
1. राज्य, खराब बतु नयादी ढांचे के साथ आधथषक रूप से वपछड़ा िोना चाहिए।
2. राज्यों को पिाड़ी और चन
ु ौतीपर्ण
ू ष इलाकों में जस्थत िोना चाहिए।
3. राज्यों का जनसंख्या घनत्व कम और जनजातीय आबादी अधधक िोनी चाहिए।
4. राज्य, रर्णनीततक रूप से पड़ोसी दे शों की सीमाओं के समीप जस्थत िोना चाहिए।
‘विशेष श्रेर्ी राज्य का दजाभ’ कौन प्रदान करता है ?
• पिले, ‘राष्ट्रीय ववकास पररर्द’ दवारा ‘योजना सिायता के मलये’ ववशेर् श्रेर्णी का दजाष उन राज्यों को प्रदान
ककया गया था, जजन्िें ववशेर् रूप से ध्यान हदये जाने की आवश्यकता िै ।
• अब, ऐसे राज्यों को केंद्र दवारा ‘ववशेर् श्रेर्णी राज्य’ का दजाष हदया जाता िै ।
लाभ: करों से छूट और अन्य लाभों के अलावा, ‘ववशेर् श्रेर्णी दजाष’ वाले राज्य के मलये केंद्र प्रायोजजत योजनाओं पर
कुल व्यय का 90% केंद्रीय अनद
ु ान के रूप में भग
ु तान ककया जाता िै , तथा शेर् 10% भी शन्
ू य प्रततशत ब्याज पर
ऋर्ण के रूप में हदया जाता िै ।
संबंधित धचंताएं:
ककसी भी नए राज्य को ‘ववशेर् दजाष’ दे ने पर ववचार करने से, अन्य राज्यों की मांगें बढ़ें गी और पररर्णामस्वरूप,
इससे ममलने वाले लाभों में और कमी आएगी। राज्यों के मलए ‘ववशेर् दजाष’ की मांग करना आधथषक रूप से भी
फायदे मंद निीं िै तयोंकक वतषमान व्यवस्था के तित इसके लाभ काफी कम िैं। इसमलए, ववशेर् समस्याओं का
सामना कर रिे राज्यों के मलए ‘ववशेर् पैकेज की मांग करना’ बेितर िोगा।
ितभमान पररदृश्य:
14वें ववत्त आयोग दवारा पव
ू ोत्तर और तीन पिाड़ी राज्यों को छोड़कर अन्य राज्यों के मलए 'ववशेर् श्रेर्णी का दजाष'
खत्म कर हदया गया िै ।
• इसके स्थान पर, आयोग ने सुझाव हदया कक प्रत्येक राज्य के ‘संसाधन अंतर’ को 'कर िस्तांतरर्ण' के
माध्यम से भरा जाए, और केंद्र सरकार से कर राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी को 32% से बढ़ाकर 42%
करने का आग्रि ककया, जजसे वर्ष 2015 से लागू ककया गया िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ववशेर् श्रेर्णी राज्य का दजाष
2. 14वां ववत्त आयोग
3. ववत्त आयोग
4. गाडधगल फॉमूल
ष ा
में स शलंक: राज्यों को ववशेर् श्रेर्णी का दजाष हदए जाने से संबंधधत मद
ु दों की चचाष कीजजए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

14. भुगतान बैंको एिं लघु वित्त बैंकों को ‘सरकारी एजेंसी कारोबार’ करने की अनम
ु तत
संदभभ:
िाल िी में , भारतीय ररजवष बैंक दवारा भग
ु तान बैंकों (Payments Banks) तथा लघु ववत्त बैंकों (Small Finance Banks)
को ‘सरकारी एजेंसी कारोबार / त्रबजनेस’ (Govt agency business) करने की अनुमतत दी गयी िै ।
इसके मलए यि शतष रखी गयी िै , कक संबधं धत बैंक ‘त्वररत सुधारात्मक कारष वाई’ (Prompt Corrective Action - PCA)
फ्रेमवकष या अधधस्थगन के अंतगषत निीं िोनी चाहिए।
‘एजेंसी बैंक’ को मान्यता दे ने की शजतत:
ककसी ववशेर् ‘सरकारी एजेंसी कारोबार’ के मलए ‘एजेंसी बैंक’ (अनस
ु धू चत तनजी क्षेत्र के एजेंसी बैंक सहित) को
मान्यता दे ने का ववकल्प, पूरी तरि से केंद्र सरकार के संबंधधत ववभागों / राज्य सरकारों के पास िै ।

www.insightsonindia.com 77 InsightsIAS
तनदहतार्भ: इस व्यवस्था के बाद, बैंक अब सरकार और अन्य बड़े तनगमों दवारा जारी अनुरोध प्रस्तावों (Request
for Proposals), प्राथममक नीलामी, तनजश्चत दर और पररवतषनीय रे पो दर, और ररवसष रे पो, तथा ‘सीमांत स्थायी
सवु वधा (Marginal Standing Facility - MSF) में भाग ले सकते िैं।
• साथ िी, बैंक अब सरकार दवारा संचामलत ववत्तीय समावेशन योजनाओं में भागीदार के मलए भी पात्र िोंगे।

‘लघु वित्त बैंक’ के बारे में :


‘लघु ववत्त बैंक’ (Small Finance Bank - SFBs), दे श में अल्प बैंककग सवु वधाओं और बैंक रहित क्षेत्रों को ववत्तीय
सेवाएं प्रदान करने वाले ववत्तीय संस्थान िोते िैं।
• ‘लघु ववत्त बैंक’ (SFBs) ‘कंपनी अधधतनयम,’ 2013 के तित एक ‘पजब्लक मलममटे ड कंपनी’ के रूप में पंजीकृत
िोते िैं।
• ये बैंक, अन्य वाखर्णजज्यक बैंकों की तरि, सभी बुतनयादी बैंककं ग गततववधधयों, जैसेकक ऋर्ण दे ने और जमा
स्वीकार करने, में संलग्न िो सकते िैं।
• ववत्तीय समावेशन पर गहठत ‘नधचकेत मोर सममतत’ दवारा इनकी ‘लघु ववत्त बैंकों’ की स्थापना के मलए
सुझाव हदया गया था।
• ‘लघु ववत्त बैंक’ बड़ी रामश के ऋर्ण निीं दे सकते। इसके अलावा, ये िाई-टे क उत्पादों में सिायक कंपतनयों
की स्थापना निीं कर सकते और न िी व्यापार कर सकते िैं।
भग
ु तान बैंक (Payments Banks):
भुगतान बैंकों की स्थापना, 'मामूली बचत खाते और प्रवासी श्रममक कायषबलों, तनम्न आय वाले पररवारों, छोटे
उदयमों, अन्य असंगहठत क्षेत्र की संस्थाओं और अन्य उपयोगकताषओं के मलए भग
ु तान/प्रेर्र्ण सेवाओं को प्रदान
करके ववत्तीय समावेशन को बढ़ावा दे ने के मलए की गई थी।'
• भुगतान बैंक, एक तनजश्चत सीमा तक िी जमा स्वीकार कर सकते िैं। वतषमान में , जमा रामश स्वीकार
करने की अधधकतम सीमा प्रतत व्यजतत 200,000 रुपये िै , लेककन भववष्ट्य में इसे बढ़ाया जा सकता िै ।
• ये बैंक, ऋर्ण या िेडडट काडष प्रदान निीं कर सकते िैं। तथावप, इस प्रकार के बैंक ‘चालू’ और ‘बचत’ दोनों
खातों को संभाल सकते िैं।
• भग
ु तान बैंक, एटीएम और डेत्रबट काडष के साथ-साथ ऑनलाइन और मोबाइल बैंककं ग सवु वधा प्रदान कर
सकते िैं।
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 78 InsightsIAS
15. भारत का ‘िेटा संरक्षर् वििेयक’
संदभभ:
‘तनजी डेटा संरक्षर्ण ववधेयक’ 2019 (Personal Data Protection (PDP) Bill, 2019) पर, 11 हदसंबर 2019 को भाजपा
सांसद पी.पी. चौधरी की अध्यक्षता में गहठत ‘संयुतत संसदीय सममतत’ (Joint Parliamentary Committee - JPC)
दवारा, अपने गठन के लगभग दो साल बाद, 16 हदसंबर को संसद के दोनों सदनों में अपनी अंततम ररपोटष प्रस्तत

की गयी िै ।
‘संयुतत संसदीय सममतत’ की प्रमुख अनुशंसाएं:
1. ‘तनजी डेटा संरक्षर्ण ववधेयक' के मौजद
ू ा शीर्षक से 'तनजी’(Personal) शब्द को िटाया जाए। इसका उददे श्य
यि दशाषना िै , कक तनजता को बेितर ढं ग से सतु नजश्चत करने िे तु इस ववधेयक में , अनामक ककए जा चुके
(anonymised) ‘तनजी डेटा’ जैसे, ‘गैर-तनजी डेटा’ से भी संबंधधत प्रावधान ककए गए िै ।
2. भारत के बािर ‘तनजी डेटा के िस्तांतरर्ण’ को प्रततबंधधत करने वाले अनभ
ु ाग में संशोधन ककया जाए और
इसमें यि जोड़ा जाए कक “संवेदनशील तनजी डेटा को, केंद्र सरकार के अनुमोदन के बगैर, ककसी भी ववदे शी
सरकार या एजेंसी के साथ साझा निीं ककया जाएगा।
3. भारत में ककसी भी सोशल मीडडया प्लेटफॉमष को, उसकी मूल कंपनी (जो इसकी सेवाओं के मलए प्रौदयोधगकी
को तनयंत्रत्रत करती िै ) दवारा दे श में अपना कायाषलय स्थावपत निीं करने तक, संचालन की अनुमतत निीं
दी जानी चाहिए।
4. ‘संयुतत संसदीय सममतत’ ने मीडडया को ववतनयममत करने के मलए एक अलग तनयामक तनकाय की
स्थापना का प्रस्ताव ककया िै ।
5. ककसी व्यजतत दवारा ‘अज्ञात’ (de-identified) ककए जा चक
ु े डेटा को कफर से ‘अमभज्ञात’ (Identified) ककए
जाने पर, उसे तीन साल तक का कारावास, अथवा 2 लाख रुपये का जुमाषना या दोनों, की सजा िो सकती
िै ।
6. ववधेयक के नाम से ‘तनजी’ शब्द िटा हदया जाना चाहिए।
7. केंद्र सरकार, ककसी भी सरकारी एजेंसी को ववशेर् पररजस्थततयों में िी कानून से छूट दे सकती िै ।
इन शसफाररशों एिं यरू ोपीय संघ के वितनयमों की तल
ु ना:
‘तनजी डेटा संरक्षर्ण ववधेयक’ पर ‘संयुतत संसदीय सममतत’ की मसफाररशें कुछ पिलओ
ु ं पर ‘यूरोपीय संघ के सामान्य
डेटा संरक्षर्ण ववतनयमन’ (European Union’s General Data Protection Regulation - GDPR) जैसे वैजश्वक मानकों के
समान िैं।
समानताएं:
• सहमतत: उपयोगकताषओं को उनके डेटा को संसाधधत करने के तरीके के बारे में भलीभांतत जानकारी दे ना
चाहिए ताकक वे संबंधधत मामलों में ‘सिमतत’ दे ने अथवा बािर तनकलने पर तनर्णषय ले सकें।
• सुरक्षा उल्लंघन: डेटा-लीक िोने के 72 घंटों के भीतर अधधकाररयों को ‘सुरक्षा उल्लंघन’ के बारे में सूधचत
ककया जाना चाहिए।
• पररितभन अिधि (Transition period): ‘सामान्य डेटा संरक्षर्ण ववतनयमन’ (GDPR) के प्रावधानों को लागू
करने के मलए दो साल की ‘पररवतषन अवधध’ का तनधाषरर्ण।
• िेटा न्यासी (Data fiduciary): यूरोपीय संघ के कानून के तित, डेटा प्रोसेमसंग के उददे श्य और पदधतत
तनधाषररत करने िे तु, कोई भी प्राकृततक या कानूनी व्यजतत, सावषजतनक प्राधधकरर्ण, एजेंसी या तनकाय ‘डेटा
न्यासी’ िो सकता िै । भारत में ‘डेटा न्यासी’ के रूप में ‘गैर-सरकारी संस्थाएं’ (NGOs) को भी शाममल ककया
गया िै ।

www.insightsonindia.com 79 InsightsIAS
िेटा संरक्षर् प्राधिकरर्: संयुतत संसदीय सममतत ने ‘डेटा संरक्षर्ण प्राधधकरर्ण’ (Data Protection Authority - DPA)
का गठन ककए जाने की मसफाररश की िै :
• डेटा प्रोटे तशन अथॉररटी (DPA), तनजता एवं तनजी डेटा के साथ-साथ गैर-तनजी डेटा से भी संबधं धत मामलों
का समाधान करे गी।
• संरचना: ‘डेटा संरक्षर्ण प्राधधकरर्ण’ के अध्यक्ष और सदस्यों की तनयुजतत, कैत्रबनेट सधचव की अध्यक्षता में
एक चयन सममतत की मसफाररश के आधार पर केंद्र सरकार दवारा की जाएगी।
• सशमतत के अन्य सदस्यों में ‘भारत के मिान्यायवादी, सच
ू ना एवं प्रोदयोधगकी मंत्रालय के सधचव तथा और
ववधध मंत्रालय के सधचव’ शाममल िोंगे।
• नाशमत सदस्य: केंद्र दवारा एक स्वतंत्र ववशेर्ज्ञ और आईआईटी तथा आईआईएम से एक-एक तनदे शक
नाममत ककया जाएगा।
इंस्टा जजज्ञास:ु तया आप जानते िैं कक इस ‘ववधेयक का स्रोत’ न्यायमतू तष बी.एन. श्रीकृष्ट्र्णा की अध्यक्षता में गहठत
एक ववशेर्ज्ञ सममतत दवारा तैयार की गयी ररपोटष में ममलता िै । इस बारे में अधधक जानकारी के मलए पहढ़ए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

16. तशमलनािु में ‘राज्य गीत’ बजते समय खड़ा होना अतनिायभ
संदभभ: तममलनाडु सरकार दवारा ‘तममल मातभ
ृ ूमम’ की स्तुतत में गाए जाने वाले एक प्राथषना गीत ‘तममल थाई
वज़्थु’ (Tamil Thai Vaazhthu) को राजकीय गीत घोवर्त ककया गया िै ।
एक सरकारी आदे श के माध्यम से, गीत के गायन के दौरान मौजद
ू सभी लोगों, हदव्यांग व्यजततयों को छोड़कर,
को खड़े रिने का तनदे श हदया गया िै ।
संबंधित वििाद: तममलनाडु सरकार का यि तनर्णषय मद्रास उच्च न्यायालय की मदरु ै पीठ के ‘कैन. इलांगो बनाम
राज्य’ मामले (Kan. Ilango v. State case) में िाल के फैसले के बाद आया िै ।
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में किा था, कक ‘तममल थाई वजथु’ केवल एक प्राथषना गीत िै , और अभी ऐसा
कोई वैधातनक या कायषकारी आदे श निीं बना िै , जजसमें उपजस्थत लोगों को ‘तममल थाई वजथु’ गाए जाने पर खड़ा
रिना अतनवायष ककया गया िो।“
इस संबंि में सुप्रीम कोटभ द्िारा पूिभ में ददए गए तनर्भय:
• उच्च न्यायालय ने वर्ष 1986 के ‘त्रबजो इमैनए
ु ल बनाम केरल राज्य’ मामले (Bijoe Emmanuel vs. State of
Kerala case, 1986) का उल्लेख ककया, जजसमें सवोच्च न्यायालय ने ‘यिोवा के साक्षी’ (Jehovah's Witnesses)
संप्रदाय के तीन बच्चों के स्कूल में पुनः प्रवेश का आदे श हदया था। इन बच्चों को राष्ट्रगान गाने से
इनकार करने के कारर्ण स्कूल से तनष्ट्कामसत कर हदया गया था। उस समय सुप्रीम कोटष ने यि किा था,
कक कानून में ऐसा कोई प्रावधान निीं िै , जो ककसी को राष्ट्रगान गाने के मलए बाध्य करता िै ।
• कफर, सप्र
ु ीम कोटष ने ‘श्याम नारायर्ण चौकसे बनाम भारत संघ’ (2017) मामले में तनदे श हदया था, कक
कफल्म शुरू िोने से पिले सभी मसनेमा िॉलों में राष्ट्रगान बजाया जाए और इस दौरान विां उपजस्थत सभी
लोगों को खड़े रिना अतनवायष िोगा। बाद में अदालत ने अपने इस मूल तनदे श को संशोधधत करते िुए,
राष्ट्रगान प्रसारर्ण के दौरान खड़ा िोना "वैकजल्पक और गैर-अतनवायष" बना हदया।
हाईकोटभ द्िारा उठाए गए सिाल:
उच्च न्यायालय ने किा, कक यदयवप "यि सच िै कक “तममल थाई वज़्थु’ के गायन के दौरान श्रोतागर्ण पारं पररक
रूप से खड़े िो जाते िैं, सवाल यि िै कक तया यिी सम्मान प्रदमशषत करने का एकमात्र तरीका िै"।
• जब िम बिुलवाद और ववववधता को मामने के बारे में गवष व्यतत करते िैं, तो इस बात पर जोर दे ना कक
सम्मान प्रदमशषत करने का केवल एक िी तरीका िो सकता िै , केवल पाखण्ड िै ।

www.insightsonindia.com 80 InsightsIAS
• साथ िी, यहद लोग केवल उनके मलए बनाए गए ककसी कानून की वजि से, ककसी का सम्मान करते िैं
तथा यि "झूठा सम्मान" िोगा।
संबंधित धचंताएं:
• दे शभजतत की तनगरानी करने वाले (Vigilantes), राज्य-गीत के गायन के दौरान ककसी के खड़े न िोने पर
उसके साथ अभद्रता या मर-पीट कर सकते िैं।
• राष्ट्र-गौरव अपमान-तनवारर्ण अधधतनयम, 1971 (Prevention of Insults to National Honour Act, 1971) के
तित इस तरि के प्रततबंध लगाने संबंधी कोई प्रावधान निीं ककया गया िै ।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

17. पशु क्रूरता तनिारर् अधितनयम, 1960


संदभभ: सुप्रीम कोटष दवारा मिाराष्ट्र को सुप्रीम कोटष की संवैधातनक पीठ के समक्ष मामला लंत्रबत रिने तक, राज्य
में बैलगाड़ी दौड़ आयोजजत करने की अनुमतत दी गयी िै । राज्य में बैलगाड़ी दौड़ (Bullock Cart Race) की लगभग
400 साल परु ानी परं परा िै ।
संबंधित प्रकरर्:
• सुप्रीम कोटष दवारा 2014 में बैलगाड़ी दौड़ को ‘केंद्रीय अधधतनयम’ के प्रावधानों का उल्लंघन घोवर्त ककए
जाने के बाद मिाराष्ट्र में इस पर प्रततबंध लगा हदया गया था।
• तममलनाडु सरकार दवारा जल्लीकट्टू (बैल को वश में करना) को ववतनयममत करने िे तु एक कानून बनाए
जाने के बाद, मिाराष्ट्र में बैल-दौड़ को कफर से शरू
ु करने की मांग की जाने लगी।
• अप्रैल 2017 में , मिाराष्ट्र ववधानसभा ने राज्य में बैलगाड़ी दौड़ को कफर से शुरू करने के मलए एक कानून
पाररत ककया था।
• अगस्त 2017 में , बॉम्बे िाईकोटष ने एक अंतररम आदे श पाररत ककया, जजसमें मिाराष्ट्र सरकार को ‘राज्य
में किीं भी बैलगाड़ी दौड़ की अनुमतत दे ने’ से रोक हदया गया था।
• इसके बाद राज्य ने सुप्रीम कोटष में अपील दायर की थी।
महाराष्ट्र की मांग:
िाल िी में , मिाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोटष से किा, तममलनाडु और कनाषटक राज्यों की भांतत मिाराष्ट्र राज्य में
भी बैलगाड़ी दौड़ पर से प्रततबंध िटा मलए जाने चाहिए।
इसके आगे:
सुप्रीमकोटष ने मिाराष्ट्र में बैलगाड़ी दौड़ को कफर से शुरू करने की अनुमतत दे ते िुए किा िै , कक संबंधधत मामले
को ‘संवैधातनक पीठ’ के पास भेज हदया गया िै , और पीठ के समक्ष इसके लंत्रबत रिने तक, ‘पशु िूरता तनवारर्ण
अधधतनयम’, 1960 (Prevention of Cruelty to Animals Act, 1960) के संशोधधत प्रावधानों की वैधता और राज्य में
बैलगाड़ी दौड़ के मलए मिाराष्ट्र दवारा बनाए गए तनयम लागू रिें गे।
पशु िूरता तनवारर्ण अधधतनयम, 1960 के बारे में :
• इस अधधतनयम का उददे श्य ‘अनावश्यक पीड़ा या जानवरों के उत्पीड़न की प्रववृ त्त’ को रोकना िै ।
• इस अधधतनयम की धारा 4 के तित, वर्ष 1962 में ‘भारतीय पशु कल्यार्ण बोडष’ (Animal Welfare Board of
India- AWBI) की स्थापना की गई थी।
• इस अधधतनयम में अनावश्यक िूरता और जानवरों का उत्पीड़न करने पर सजा का प्रावधान िै । यि
अधधतनयम ‘जानवरों’ और ‘जानवरों के ववमभन्न प्रकारों’ को पररभावर्त करता िै ।
• इसके तित, वैज्ञातनक उददे श्यों िे तु जानवरों पर प्रयोग ककए जाने से संबंधधत हदशा-तनदे श जारी ककए जाते
िैं।

www.insightsonindia.com 81 InsightsIAS
‘पशु िूरता तनवारर्ण (पशु संपवत्त की दे खभाल और रखरखाव) तनयम’, 2017 के बारे में :
(Prevention of Cruelty to Animals (Care and Maintenance of Case Property Animals) Rules, 2017)
• इस क़ानन
ू को ‘पशु क्रूरता तनिारर् अधितनयम’ (Prevention of Cruelty to Animals Act), 1960 के अंतगषत
बनाया गया था।
• 2017 के तनयमों के अनुसार, मजजस्रे ट को पशु िूरता तनवारर्ण अधधतनयम के तित मुकदमे में अमभयत
ु त
व्यजतत के मवेमशयों को जब्त करने का अधधकार प्राप्त िै ।
• जब्त ककये गए जानवरों को कफर ‘धचककत्सालयों’, 'गौशालाओं,' वपंजरापोल’ (Pinjrapole), आहद में भेज हदया
जाता िै ।
• इसके बाद में संबधं धत अधधकारी इन जानवरों को ‘पालने के मलए’ ककसी को दे सकते िैं।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘पशु िूरता तनवारर्ण अधधतनयम’ (PCA) के बारे में ।
2. ‘पशु िूरता तनवारर्ण (पशु संपवत्त की दे खभाल और रखरखाव) तनयम’
3. प्रमुख प्रावधान
4. जल्लीकट्टू
में स शलंक: मिाराष्ट्र में आयोजजत की जाने वाली बैलगाड़ी दौड़ से जुड़ी धचंताओं पर चचाष कीजजए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

18. शलंधचंग संबि


ं ी मामलों पर एक वििेयक की आिश्यकता
संदभभ: 18 हदसंबर को, मसख संगत (मसख धमष के भततों) दवारा अमत
ृ सर के श्री िरमंहदर साहिब गुरुदवारा (स्वर्णष
मंहदर) में मसख धमष की सबसे पववत्र पस्
ु तक श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का अनादर करने का कधथत रूप से प्रयास
करने पर एक व्यजतत की ‘पीट-पीटकर ित्या’ (Lynching) कर दी गई।
ररपोटों के अनुसार, ित्या करने वाले समूि का आरोप िै , कक वि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को अपववत्र करने की
कोमशश कर रिा था।
संबंधित प्रकरर्:
ववशेर्कर यि पिली बार निीं िै जब मसख धमष से संबधं धत पववत्र पुस्तक की बेअदबी के आरोप में ककसी की ित्या
की गई िो। िाल के हदनों में , इस तरि की मलंधचंग की कई घटनाएाँ िो चक
ु ी िैं।
कफर भी, लोगों दवारा कानन
ू को अपने िाथ में लेने और पववत्र पुस्तक का अनादर करने के आरोप में मलंधचंग
करने के बारे में , ककसी भी राजनीततक नेता या पुमलस ने एक शब्द भी निीं किा िै ।
मॉब शलंधचंग की हाशलया घटनाएं:
• वपछले मिीने असम में एक 23 वर्ीय छात्र नेता की भीड़ ने कधथत तौर पर ित्या कर दी थी।
• अतटूबर माि में , एक व्यजतत की कधथत रूप से पीट-पीट कर ित्या कर दी गई, उसके अंगों को काट हदया
गया और ‘तीन कृवर् कानूनों’ के खखलाफ ककसानों के ववरोध स्थल, मसंघू बॉडषर पर उसे मरने के मलए छोड़
हदया गया।
• अगस्त मिीने में , इंदौर में एक चड़
ू ी वविेता को कधथत तौर पर अपनी पिचान तछपाने पर भीड़ ने पीटा
था। वि व्यजतत ककसी तरि जीववत बच गया और बाद में उसे न्यातयक हिरासत में भेज हदया गया।
• इस साल मई में , गरु
ु ग्राम के एक 25 वर्ीय व्यजतत दवा खरीदने के मलए बािर गया था, उसी दौरान
कधथत तौर पर उसकी पीट-पीट कर ित्या कर दी गई थी।

www.insightsonindia.com 82 InsightsIAS
‘शलंधचंग’ का तात्पयभ:
धमष, जातत, जातत, मलंग, जन्म स्थान, भार्ा, खान-पान, यौन-अमभरुधच, राजनीततक संबदधता, जातीयता अथवा ककसी
अन्य संबंधधत आधार पर भीड़ दवारा तनयोजजत अथवा तात्कामलक हिंसा या हिंसा भड़काने वाले कृत्यों आहद को
मॉब मलंधचंग (Mob Lynching) किा जाता िै ।
इसमें अतनयंत्रत्रत भीड़ दवारा ककसी दोर्ी को उसके ककये अपराध के मलये या कभी-कभी मात्र अफवािों के आधार
पर िी त्रबना अपराध ककये भी तत्काल सजा दी जाए अथवा उसे पीट-पीट कर मार डाला जाता िै ।
इस प्रकार के मामलों से ककस प्रकार तनपटा जाता है ?
• मौजद
ू ा ‘भारतीय दं ड-ववधान संहिता’ (IPC) के तित, इस प्रकार घटनाओं के मलए "कोई अलग" पररभार्ा
निीं िै । मलंधचंग की घटनाओं से ‘आईपीसी’ की धारा 300 और 302 के तित तनपटा जाता िै ।
• भारतीय दं ड संहिता की धारा 302 के अनुसार, जो कोई भी ककसी व्यजतत की ित्या करता िै , तो उसे मत्ृ यु
दं ड या आजीवन कारावास और साथ िी आधथषक दं ड से दं डडत ककया जाएगा। ‘ित्या करना’ एक गैर-
जमानती, संज्ञेय और गैर-शमनीय अपराध िै ।
इस संबंि में उच्चत्तम न्यायालय के ददशातनदे श:
1. मलंधचंग एक ‘पथ
ृ क अपराध’ िोगा तथा रायल कोटष अमभयुततों को दोर्ी ठिराए जाने पर अधधकतम सजा
का प्रावधान कर मॉब मलंधचंग करने वाली भीड़ के मलए कड़ा उदिारर्ण स्थावपत करें ।
2. राज्य सरकारें , प्रत्येक जजले में मॉब मलंधचंग और हिंसा को रोकने के उपायों के मलये एक सीतनयर पमु लस
अधधकारी को प्राधधकृत करें । राज्य सरकारें उन जजलों, तिसीलों, गााँवों को धचजन्ित करें जिााँ िाल िी में मॉब
मलंधचंग की घटनाएाँ िुई िैं।
3. नोडल अधधकारी मॉब मलंधचंग से संबधं धत जजला स्तर पर समन्वय के मद
ु दों को राज्य के DGP के समक्ष
प्रस्तुत करे गें।
4. केंद्र तथा राज्य सरकारों को रे डडयो, टे लीववजन और अन्य सोशल मीडडया प्लेटफॉमष पर यि प्रसाररत कराना
िोगा कक ककसी भी प्रकार की मॉब मलंधचंग एवं हिंसा की घटना में शाममल िोने पर ववधध के अनुसार
कठोर दं ड हदया जा सकता िै ।
5. केंद्र और राज्य सरकारें , भीड़-भाड़ और हिंसा के गंभीर पररर्णामों के बारे में रे डडयो, टे लीववजन और अन्य
मीडडया प्लेटफामों पर प्रसाररत करें गी।
6. राज्य पुमलस दवारा ककए गए उपायों के बावजूद, मॉब मलंधचंग जैसी घटनाएाँ िोने पर संबंधधत पमु लस स्टे शन
तुरंत एफआईआर दजष करे गा।
7. राज्य सरकारें मॉब मलंधचंग से प्रभाववत व्यजततयों के मलये क्षततपूततष योजना प्रारं भ करे गी।
8. यहद कोई पमु लस अधधकारी या जजला प्रशासन का कोई अधधकारी अपने कतषव्य को परू ा करने में ववफल
रिता िै , तो यि जानबूझकर की गई लापरवािी माना जाएगा।
समय की मांग:
• प्रत्येक बार ऑनर ककमलंग, घर्ण
ृ ा-अपराधों, डायन-ित्या अथवा मॉब मलंधचंग की घटनाओं के िोने पर इन
अपराधों से तनपटने के मलए ववशेर् कानून की मांग उठायी जाती िैं।
• लेककन, तथ्य यि िै कक यि अपराध ित्याओं के अलावा और कुछ निीं िैं तथा IPC और सीआरपीसी
(CrPC) के तित मौजूदा प्रावधान ऐसे अपराधों से तनपटने के मलए पयाषप्त िैं।
• पूनावाला मामले में तनधाषररत हदशा-तनदे शों के साथ, िम मॉब मलंधचंग से तनपटने के मलए पयाषप्त रूप से
सक्षम िैं। इन अपराधों से तनपटने के मलए मौजद
ू ा कानन
ू ों और प्रवतषन एजेंमसयों को अधधक जवाबदे ि
बनाने की आवश्यकता िै ।

www.insightsonindia.com 83 InsightsIAS
इस सन्दभभ में विशभन्न राज्यों द्िारा ककये गए प्रयास:
• मणर्पुर सरकार दवारा वर्ष 2018 में इस संदभष में कुछ ताककषक और प्रासंधगक उपबंधो को सजम्ममलत करते
िुए एक ववधेयक पाररत ककया गया।
• राजस्र्ान सरकार दवारा अगस्त 2019 में मलंधचंग के खखलाफ एक ववधेयक पाररत ककया गया।
• पजश्चम बंगाल सरकार ने भी मॉब मलंधचंग के ववरूदध कठोर प्रावधानों सहित एक ववधेयक पेश ककया।
इंस्टा जजज्ञासु:
तया आप जानते िैं कक ‘िे ट स्पीच’ पर संयुतत राष्ट्र दवारा ‘रर्णनीतत’ और ‘कायष योजना’ जैसा कोई उपाय ककया
गया िै ? इस बारे में अधधक जानकारी के मलए पहढ़ए।
प्रीशलम्स शलंक:
1. मॉब मलंधचंग के ववरुदध ककन राज्यों कानून पाररत ककये िैं?
2. ’पन
ू ावाला मामला’ तया िै?
3. आईपीसी के तित मॉब मलंधचंग के खखलाफ कौन से प्रावधान उपलब्ध िैं?
में स शलंक: मॉब मलंधचंग भारत में एक अतसर िोने वाली घटना बन गई िै जो धाममषक और जाततगत अल्पसंख्यकों
को तनशाना बनाते िुए नफरत व हिंसा को बढ़ा रिी िै। इसके कारक- कारर्णों को समझाएं तथा इससे तनपटने के
तरीके सुझाइए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

19. कनाभटक का ‘िमाांतरर् रोिी वििेयक’ मसौदा


संदभभ: िाल िी में , कनाषटक सरकार दवारा एक ‘धमािंतरर्ण रोधी ववधेयक’ (anti-conversion Bill) तैयार ककया गया
िै । प्रथमदृष्ट्टया यि ववधेयक, उत्तर प्रदे श राज्य दवारा लागू ककए गए इसी तरि के कानून के आधार पर तैयार
ककया गया प्रतीत िोता िै ।
कनाषटक ‘धमष की स्वतंत्रता के अधधकार का संरक्षर्ण ववधेयक’, 2021 (Karnataka Protection of Right to Freedom
of Religion Bill, 2021) ववधेयक के मसौदे से संकेत ममलता िै , कक उत्तर प्रदे श में लागू क़ानून की भांतत, इस
प्रस्ताववत ववधेयक का उददे श्य 'धोखाधड़ी से' या ‘वववाि’ के माध्यम से दस
ू रों का धमष-पररवतषन करने या प्रयास
करने वाले लोगों को दं डडत करना िै ।
कनाभटक ‘िमभ की स्ितंत्रता के अधिकार का संरक्षर् वििेयक’, 2021 के प्रमख
ु बबंद:ु
1. ककसी भी व्यजतत को अवैध रूप से ककसी अन्य व्यजतत का धमष-पररवतषन करने का दोर्ी पाए जाने पर,
उसे न्यूनतम तीन से पांच साल की जेल और 25,000 रुपये के जुमाषने का सामना करना पड़ेगा।
2. ववधेयक में, 'गैरकानूनी रूप से धमािंतररत व्यजतत’ के नाबामलग या महिला िोने पर, अथवा अनुसूधचत
जातत या अनुसूधचत जनजातत से संबंधधत िोने पर अधधक सजा का प्रावधान ककया गया िै – इसके तित
दोर्ी व्यजतत को न्यन
ू तम तीन साल और अधधकतम दस साल की कैद, और 50,000 रुपये का जम
ु ाषना का
दं ड हदया जाएगा।
3. 'सामूहिक धमािंतरर्ण' के मामलों में , आरोपी व्यजतत को तीन से दस साल की जेल और 1 लाख रुपये के
जम
ु ाषने का सामना करना पड़ सकता िै ।
4. एक उपयुतत अदालत, आरोपी व्यजतत को "धमािंतरर्ण के मशकार" व्यजतत को रामश 5 लाख रुपये तक के
मुआवजे का भुगतान करने का आदे श दे सकती िै , और आरोपी को कानून के तित तनधाषररत जुमाषने के
अलावा, इस मुआवजे का भी भुगतान करना िोगा।
5. ववधेयक में स्वेच्छा से धमािंतरर्ण करने के मलए एक लंबी प्रकिया तनधाषररत की गयी िै , और यि प्रकिया
अंतर-धाममषक वववािों पर भी लागू िोगी।

www.insightsonindia.com 84 InsightsIAS
आगे की चुनौततयां:
कनाषटक सरकार दवारा अपने धमािंतरर्ण रोधी कानून के तित लागू ककए जाने वाले कुछ प्रावधानों पर, भाजपा
शामसत एक अन्य राज्य- गज
ु रात में रोक लगा दी गयी थी।
• वर्ष 2020 में , गुजरात सरकार दवारा एक संशोधधत धमािंतरर्ण रोधी कानून भी लाया गया था।
• िालााँकक, गज
ु रात उच्च न्यायालय ने अगस्त 2021 में इसके कुछ प्रावधानों- जैसेकक ‘साक्ष्य जुटाने का भार’
(burden of proof), अंतर-धाममषक वववाि करने वालों पर डालने संबंधी प्रावधान- पर रोक लगा दी थी।
• गुजरात उच्च न्यायालय ने किा, कक यि प्रावधान भारत के संववधान के अंतगषत प्रददत ‘व्यजतत की पसंद
और स्वतंत्रता के अधधकार’ का उल्लंघन करते िैं।
चूंकक इसी तरि के प्रावधान, कनाषटक सरकार दवारा प्रस्तुत ववधेयक में भी शाममल िैं, इसका मतलब िै कक यि
कानून संववधान दवारा गारं टीकृत अधधकारों का उल्लंघन करता िै ।
पष्ट्ृ ठभशू म: उत्तर प्रदे श और मध्य प्रदे श जैसे राज्यों में पिले िी जबरन धमािंतरर्ण के खखलाफ सख्त कानन
ू लागू
ककए चक
ु े िैं। िररयार्णा और कनाषटक दवारा भी इस तरि के कानून बनाने के इरादे की घोर्र्णा की जा चुकी िै ।
लेककन, केंद्रीय कानून बनाने की मांग करने वालों का किना िै , कक दे श में िाल की घटनाओं ने सात्रबत कर हदया
कक यि एक अखखल भारतीय रै केट िै , और इसमलए एक केंद्रीय कानून बनाए जाने की आवश्यकता िै ।
‘िमाांतरर् विरोिी कानूनों के अधितनयमन’ के पीछे तकभ:
1. जबरन धमष पररवतषन की धमकी
2. उकसावा या प्रलोभन की समस्या
3. ‘धमष पररवतषन’ मौमलक अधधकार निीं िै ।
आलोचकों का पक्ष: कई ववधध-वेत्ताओं दवारा इस प्रकार के कानन
ू ों की कड़ी आलोचना की गई िै , इनका तकष िै ,
कक 'लव जजिाद' की अवधारर्णा का कोई संवैधातनक या कानूनी आधार निीं िै ।
• इन्िोने संववधान के अनुच्छे द 21 का िवाला दे ते िुए किा िै , संववधान, व्यजततयों को अपनी पसंद के
व्यजतत से शादी करने के अधधकार की गारं टी दे ता िै ।
• साथ िी, अनुच्छे द 25 के तहत भी सभी व्यजततयों को अंतःकरर्ण की स्वतंत्रता का और अपनी पसंद के
धमष को अबाध रूप से मानने, आचरर्ण करने, प्रचार करने, और ककसी भी धमष का पालन न करने के
अधधकार की गारं टी दी गयी िै ।
वििाह और िमाांतरर् पर सिोच्च न्यायालय के फैसले:
1. भारत के सवोच्च न्यायालय दवारा अपने कई तनर्णषयों में यि किा गया िै , कक ककसी ियस्क को अपना
जीिन सार्ी चुनने संबंिी मामले में पूर्भ अधिकार िोता िै , और इस पर राज्य और अदालतों का कोई
क्षेत्राधधकार निीं िै ।
2. भारत के सवोच्च न्यायालय ने, शलली र्ॉमस और सरला मुद्गल, दोनों मामलों में यि पजु ष्ट्ट की िै , कक
धाममषक ववश्वास के त्रबना और कुछ कानूनी लाभ प्राप्त करने के एकमात्र उददे श्य के मलए ककए गए धमष-
पररवतषन का कोई आधार निीं िै ।
3. इलािाबाद उच्च न्यायालय ने वर्ष 2020 के ‘सलामत अंसारी-वप्रयंका खरिार’ मामले में तनर्णषय सुनाते िुए
किा कक, ककसी साथी को चनु ने का अधधकार अथवा अपनी पसंद के व्यजतत के साथ रिने का अधधकार,
नागररकों के ‘जीवन और स्वतंत्रता संबंधी मूल अधधकार’ (अनुच्छे द 21) का भाग िै ।
समय की मांग:
1. एकरूपता की आिश्यकता: मानवाधधकारों की सावषभौममक घोर्र्णा (UDHR) के अनच्
ु छे द 18 के अनस
ु ार,
सभी व्यजततयों को धमष की स्वतंत्रता का अधधकार िै , जजसमे उनका धमष पररवतषन करने का अधधकार भी
शाममल िै । चूंकक यि राज्य का ववर्य िै , इसमलए केंद्र सरकार इस ववर्य पर, अनुबंध खेती पर मॉडल
कानन
ू आहद जैसा कोई एक मॉडल कानन
ू बना सकती िै ।
www.insightsonindia.com 85 InsightsIAS
2. धमािंतरर्ण ववरोधी कानून बनाते समय राज्यों को, अपनी इच्छा से धमािंतरर्ण करने वाले व्यजतत के मलए
कोई अस्पष्ट्ट या अनेकाथी प्रावधान निीं करना चाहिए।
3. धमािंतरर्ण ववरोधी कानन
ू ों में , अल्पसंख्यक समद
ु ाय संस्थानों दवारा धमािंतरर्ण के मलए कानन
ू ी चरर्णों का
उल्लेख करने संबंधी प्रावधान को भी शाममल करने की आवश्यकता िै ।
4. लोगों को जबरदस्ती धमािंतरर्ण, प्रलोभन या प्रलोभन आहद से संबधं धत प्रावधानों और तरीकों के बारे में भी
मशक्षक्षत करने की आवश्यकता िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक ‘ववशेर् वववाि अधधतनयम,’ 1954 (SMA) अलग-अलग धमों को मानने वाले
जोड़ों के वववाि की सवु वधा के मलए बनाया गया था?
प्रीशलम्स शलंक:
1. अनुच्छे द 21 के बारे में
2. अनच्
ु छे द 25
3. ‘ववशेर् वववाि अधधतनयम’ (SMA) के बारे में
5. ककन राज्यों दवारा धमािंतरर्ण रोधी कानून पाररत ककए जा चुके िैं।
में स शलंक: जीवन साथी को चुनने का अधधकार अथवा अपनी पसंद के व्यजतत के साथ रिने का अधधकार, नागररकों
के ‘जीवन और स्वतंत्रता संबंधी मूल अधधकार’ का भाग िै । चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

20. एनिीपीएस वििेयक, 2021


संदभभ: ‘स्वापक और्धध एवं मन:प्रभावी पदाथष (संशोधन) ववधेयक’ 2021 (Narcotic Drugs and Psychotropic
Substances (Amendment) Bill, 2021) अथाषत ‘NDPS ववधेयक’ िाल िी में , संसद दवारा पाररत कर हदया गया िै ।
यि संशोधन ववधेयक, इसी वर्ष 30 मसतंबर को प्रख्यावपत एक अध्यादे श को प्रततस्थावपत करे गा।
वििेयक का उद्दे श्य:
सरकार दवारा यि ववधेयक, ‘स्वापक और्धध एवं मन:प्रभावी पदाथष अधधतनयम’ (एनडीपीएस) की धारा 27 के एक
प्रावधान में पाई गयी त्रुहट को सुधारने के मलए पेश ककया गया िै । इस त्रुहट की वजि से अधधतनयम की धारा 27
के - अवैध तस्करी के मलए ववत्तपोर्र्ण करने वालों को दं डडत करने संबध
ं ी प्रावधान अप्रभावी िो जाता था।
• वर्ष 2014 में धचककत्सा संबध
ं ी जरूरतों के मलए ’स्वापक और्धधयों’ / ‘मादक दवाओं’ के उपयोग को आसान
बनाने के मलए ‘अधधतनयम’ में संशोधन ककया गया था, ककं तु दं ड प्रावधान में तदनस
ु ार संशोधन निीं ककए
जाने से यि ‘त्रुहट’ उत्पन्न िो गयी थी।
• जून 2021 में, त्रत्रपुरा उच्च न्यायालय ने कानून का तनरीक्षर्ण करने पर इस त्रुहट को धचजहनत ककया और
केंद्रीय गि
ृ मंत्रालय को अधधतनयम की धारा 27 के प्रावधानों में संशोधन करने का तनदे श हदया।
इस संशोिन की आिश्यकता:
अधधनयम के प्रारूप में इस त्रुहट का पता तब चला, जब एक आरोपी ने त्रत्रपुरा में एक ववशेर् अदालत में अपील
दायर करते िुए किा कक, उस पर अपराध का आरोप निीं लगाया जा सकता तयोंकक ‘धारा 27 A’ एक ‘खाली सूची’
से संबंधधत िै । त्रत्रपरु ा उच्च न्यायालय ने, बाद में केंद्र सरकार को कानन
ू में संशोधन करने का तनदे श हदया।
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 86 InsightsIAS
21. श्रम संदहता संबंिी प्रकरर्
संदभभ: भारत में , वर्ष 2022 से शुरू िोने वाले आगामी ववत्तीय वर्ष तक ‘मजदरू ी, सामाजजक सुरक्षा, व्यावसातयक
सरु क्षा और औदयोधगक संबंधों’ पर “चार श्रम संहिताओं” (labour codes on wages, social security, occupational
safety and industrial relations) को लागू ककए जाने की संभावना िै ।
इन नई संहिताओं के अंतगषत, सामान्य रूप से, रोजगार और कायष संस्कृतत से संबंधधत कई पिलूओं- जैसे कक
कमषचाररयों के िाथ में आने वाला वेतन, काम के घंटे और सप्ताि में कायष-हदवसों की संख्या आहद - में बदलाव
िो सकता िै ।
विरोि:
िालांकक, तीन कृवर् कानूनों को तनरस्त करने संबध
ं ी सरकार के फैसले के मददे नजर, रे ड यूतनयनों ने इन श्रम
संहिताओं के खखलाफ अपने आंदोलन को तेज करने की योजना बनाई िै ।
रे ि यतू नयनों की मांगें:
• रे ड यूतनयनों का किना िै कक, मजदरू ी और सामाजजक सुरक्षा पर बनाए गई सहिंताओं (Codes) को िम
स्वीकार करते िै , और इन्िें तत्काल लागू ककया जाए।
• रे ड यूतनयनों दवारा ‘औदयोधगक संबंध’ (Industrial Relations) और ‘व्यावसातयक सुरक्षा’ (Occupational
Safety) पर बनाए गई सहिंताओं पर आपवत्त वयतत करते िुए इनकी समीक्षा ककए जाने की मांग की जा
रिी िै ।
‘श्रम संदहताओं’ (labour codes) के बारे में :
• कानूनों के इस नवीन सेट में 44 श्रम कानूनों को ‘चार संहिताओं’ में समेककत ककया गया िै : मजदरू ी
संहिता (Wage Code), सामाजजक सरु क्षा संहिता (Social Security Code), ‘व्यावसातयक सरु क्षा, स्वास्थ्य एवं
कायष दशाएं संहिता’ (Occupational Safety, Health & Working Conditions Code) और औदयोधगक संबध

संहिता (Industrial Relations Code)।
• संसद दवारा पिले िी इन चारों संहिताओं को पाररत ककया जा चुका िै और, इनके मलए राष्ट्रपतत की
सिमतत भी ममल चुकी िै ।
ये चार संदहताएाँ हैं:
1. मजदरू ी संदहता, 2019 (The Code on Wages, 2019): यि संहिता संगहठत और असंगहठत क्षेत्र के सभी
कमषचाररयों पर लागू िोती िै । इसका उददे श्य सभी रोजगारों में ‘वेतन’ / ‘मजदरू ी’ और बोनस भुगतान को
ववतनयममत करना िै , तथा िर उदयोग, पेश,े व्यवसाय या ववतनमाषर्ण में समान प्रकृतत के काम करने वाले
कमषचाररयों को समान पाररश्रममक प्रदान करना िै ।
2. ‘व्यािसातयक सरु क्षा, स्िास्थ्य एिं कायभ दशाएं संदहता’ 2020 (Occupational Safety, Health & Working
Conditions Code, 2020): इसका उददे श्य 10 या अधधक श्रममकों वाले प्रततष्ट्ठानों और सभी खदानों और
बंदरगािों / गोदी (Docks) में कम करने वाले श्रममकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा की जस्थतत को ववतनयममत
करना िै ।
3. सामाजजक सुरक्षा संदहता, 2020 (Social Security Code, 2020): इसके अंतगषत सामाजजक सुरक्षा और मातत्ृ व
लाभ से संबंधधत नौ कानूनों को समेककत ककया गया िै ।
4. औद्योधगक संबंि संदहता, 2020 (Industrial Relations Code, 2020): इसके तित, तीन श्रम कानूनों अथाषत;
रे ड यूतनयन अधधतनयम, 1926, औदयोधगक तनयोजन (स्थायी आदे श) अधधतनयम, 1946 और औदयोधगक
वववाद अधधतनयम, 1947 को समेककत ककया गया िै । इसका उददे श्य, उदयोगों पर श्रम कानन
ू ों के अनप
ु ालन
बोझ को काफी िद तक कम करके, दे श में कारोबारी मािौल में सुधार करना िै ।

www.insightsonindia.com 87 InsightsIAS
इन संदहताओं के सार् समस्याएं:
• तनयममत कामगारों के मलए कायष-घंटा प्रावधानों में ‘हदन में आठ घंटे से अधधक काम के घंटे तय करने
संबंधी’ कोई प्रावधान निीं ककया गया िै ।
• इन संहिताओं में अंशकामलक कमषचाररयों के मलए समान प्रावधान तनधाषररत निीं ककए गए िैं।
• कमषचाररयों के वेतन को प्रभाववत करने वाले प्रावधान भी शाममल ककए गए िैं।
• श्रम संहिताओं में , प्रावधानों का पालन न करने और दस
ू री बार अपराध करने पर, व्यवसायों पर जुमाषना
लगाए जाने का प्रावधान ककया गया िै । वतषमान मिामारी की जस्थतत में , अधधकांश छोटे व्यवसाय, श्रम
संहिताओं में ककए गए पररवतषनों को अपनाने और लागू करने की जस्थतत में निीं िैं।
स्रोत: द हिंद।ू

22. मेकेदातु वििाद


संदभभ: िाल िी में , कनाषटक ने ‘कावेरी जल प्रबंधन प्राधधकरर्ण’ (CWMA) दवारा अपनी अगली बैठक में ‘मेकेदातु
संतल
ु न जलाशय पररयोजना’ (Mekedatu Balancing Reservoir Project) पर ‘ववस्तत
ृ पररयोजना ररपोटष ’ (DPR) को
मंजूरी हदए जाने की मांग की िै ।
संबंधित प्रकरर्:
तममलनाडु दवारा ‘मेकेदातु’ (Mekedatu) में कावेरी नदी पर कनाषटक दवारा जलाशय बनाने के कदम का ववरोध
ककया जा रिा िै । िालांकक, कनाषटक सरकार का किना िै , कक ‘मेकेदातु पररयोजना’ से कोई "खतरा” निीं िै और
राज्य दवारा इस पररयोजना को शरू
ु ककया ककया जाएगा।
समािान हे तु उपाय:
इस बीच, केंद्र सरकार ने किा िै , कक इस पररयोजना के मलए ‘कावेरी जल प्रबंधन प्राधधकरर्ण’ (CWMA) की अनम
ु तत
लेना आवश्यक िै ।
• कनाषटक दवारा भेजी गई ‘ववस्तत
ृ पररयोजना ररपोटष ’ (Detail Project Report - DPR) को अनुमोदन के मलए
CWMA के समक्ष कई बार पेश ककया चुका िै , ककं तु संबधधत राज्यों, कनाषटक और तममलनाडु के बीच
सिमतत निीं बन पाने के कारर्ण इस मद
ु दे पर चचाष निीं िो सकी िै ।
• साथ िी, ‘कावेरी जल वववाद प्राधधकरर्ण’ के अंततम तनर्णषय, जजसे सवोच्च न्यायालय दवारा संशोधधत ककया
गया था, के अनस
ु ार, ‘जल शजतत मंत्रालय’ दवारा ‘ववस्तत
ृ पररयोजना ररपोटष ’ (DPR) पर ववचार करने के
मलए पिले CWMA की स्वीकृतत लेना आवश्यक िै ।
चूंकक, यि पररयोजना एक अंतर-राज्यीय नदी के पार प्रस्ताववत की गई िै , अतः इसे ‘अंतरराज्यीय जल वववाद
अधधतनयम’ (Interstate Water Dispute Act) के अनुसार, पररयोजना के मलए नदी के तनचले तटवती राज्यों की
मंजूरी लेना भी आवश्यक िै।
‘मेकेदातु पररयोजना’ के बारे में :
‘मेकेदातु’ एक बिुउददे शीय (जल एवं ववदयुत ्) पररयोजना िै ।
• पररयोजना के तित, कनाषटक के रामनगर जजले में कनकपुरा के पास एक ‘संतोलन जलाशय’ (Balancing
Reservoir) का तनमाषर्ण ककया जाना प्रस्ताववत िै ।
• इस पररयोजना का उददे श्य, बेंगलुरू शिर और इसके तनकटवती क्षेत्रों के मलए पीने के प्रयोजन िे तु पानी
(4.75 टीएमसी) का भंडारर्ण और आपूततष करना िै । इस पररयोजना के माध्यम से लगभग 400 मेगावाट
त्रबजली उत्पन्न करने का भी प्रस्ताव ककया गया िै ।
• पररयोजना की अनुमातनत लागत 9,000 करोड़ रुपये िै ।

www.insightsonindia.com 88 InsightsIAS
तशमलनािु द्िारा इस पररयोजना का विरोि करने के कारर्:
1. तममलनाडु का किना िै , कक ‘उच्चतम न्यायालय’ और ‘कावेरी जल वववाद अधधकरर्ण’ (CWDT) के अनुसार
‘कावेरी बेमसन में उपलब्ध मौजद
ू ा भंडारर्ण सवु वधाएं, जल भंडारर्ण और ववतरर्ण के मलए पयाषप्त िै , अतः
कनाषटक का यि प्रस्ताव पव
ू -ष दृष्ट्टया असमथषनीय िै और इसे सीधे खाररज कर हदया जाना चाहिए।
2. तममलनाडु के अनुसार- प्रस्ताववत जलाशय का तनमाषर्ण केवल पीने के पानी के मलए निीं ककया जा रिा िै ,
बजल्क इसके दवारा मसंचाई की सीमा बढाया जाएगा, जोकक ‘कावेरी जल वववाद तनर्णषय’ का स्पष्ट्ट उल्लंघन
िै ।
अधिकरर् तर्ा सप्र
ु ीम कोटभ द्िारा ददए गए तनर्भय:
‘कावेरी जल वववाद अधधकरर्ण’ (CWDT) का गठन वर्ष 1990 में की गयी थी और वर्ष 2007 में हदए गए अपने
अंततम फैसले में , तममलनाडु को 419 टीएमसी फीट, कनाषटक को 270 टीएमसी फीट, केरल को 30 टीएमसी फीट
और पड
ु ु चेरी को 7 टीएमसी फीट पानी का बटवारा ककया था। अधधकरर्ण ने, बाररश की कमी वाले वर्ों में , सभी
राज्यों के मलए जल-आवंटन की मात्रा कम कर दी जाएगी।
• िालांकक, तममलनाडु और कनाषटक दोनों दवारा इस बटवारे पर अप्रसन्नता व्यतत की और जल बंटवारे को
लेकर दोनों राज्यों में ववरोध और हिंसा के प्रदशषन िुए। इसके बाद सुप्रीम कोटष दवारा इस मामले पर
सुनवाई की गई और वर्ष 2018 के फैसले में , बंटवारा करते िुए तममलनाडु के पूवष तनधाषररत हिस्से में से
14.75 टीएमसी फीट पानी कनाषटक को दे हदया।
• इस प्रकार, नया बटवारे के अनुसार, तममलनाडु के मलए 404.25 टीएमसी फीट पानी ममला और कनाषटक
को 284.75 टीएमसी फीट पानी हदया गया। केरल और पुडुचेरी का हिस्सा अपररवततषत रिा।
इंस्टा जजज्ञास:ु तया आप जानते िैं कक 2018 में भारत के सवोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के मलए ‘कावेरी प्रबंधन
योजना’ अधधसधू चत करने का तनदे श हदया था? इस योजना के प्रमुख घटक कौन से िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

23. विशेष श्रेर्ी राज्य का दजाभ


संदभभ: िाल िी में , केंद्र सरकार ने लोकसभा को सूधचत करते िुए किा िै , कक आंध्र प्रदे श को ‘ववशेर् श्रेर्णी राज्य
का दजाष’ (Special Category Status - SCS) के बदले एक ववशेर् पैकेज हदया गया िै ।
विशेष पैकेज के अंतगभत प्रदान की गई सहायता:
• आंध्र प्रदे श पुनगषठन अधधतनयम, 2014 के तित ₹19,846.19 करोड़ की रामश।
• संबंधधत ववत्त आयोगों की मसफाररशों के अनुसार, 2015-20 के मलए ₹22,112 करोड़ का राजस्व घाटा अनुदान
और 2020-21 के मलए ₹5,897 करोड़ जारी ककया गया था।
महत्ि: यहद केंद्र प्रायोजजत योजनाओं (Centrally Sponsored Schemes) के ववत्त पोर्र्ण को, केंद्र और राज्य सरकार
के मध्य 90:10 के अनप
ु ात में साझा ककया जाए तो, यि ‘ववशेर् सिायता उपाय’ वर्ष 2015-16 से 2019-20 के
दौरान राज्य को प्राप्त िोने वाले अततररतत केंद्रीय हिस्से के बराबर िोगा।
संबंधित प्रकरर्:
कुछ समय से आंध्र प्रदे श ने ‘ववशेर् श्रेर्णी राज्य का दजाष’ संबंधी अपनी मांग कफर से शरू
ु कर दी िै ।
• राज्य के ववभाजन के समय आंध्रप्रदे श को ‘ववशेर् श्रेर्णी राज्य का दजाष’ (SCS) हदए जाने का वादा ककया
गया था, और 15वें ववत्त आयोग की ररपोटष के अनुसार, ककसी राज्य को ‘ववशेर् श्रेर्णी का दजाष’ दे ने की
शजतत केंद्र सरकार के पास िै ।
• वर्ष 2014 में केंद्र में तत्कालीन कांग्रेस सरकार दवारा आंध्र प्रदे श को SCS का वादा करने के पश्चात ् िी,
तेलंगाना का तनमाषर्ण िुआ था।

www.insightsonindia.com 89 InsightsIAS
• तत्कालीन ववपक्षी दल बीजेपी ने भी इसके मलए सिमतत व्यतत की, और यि भी किा था, कक यहद वि
सत्ता में आती िै तो /ववशेर् श्रेर्णी के दजे’ और पांच साल के मलए बढ़ा हदया जाएगा।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

24. विदे शी अंशदान (वितनयमन) अधितनयम, 2010


संदभभ: िाल िी में , केंद्रीय गि
ृ मंत्रालय दवारा ‘नोबेल परु स्कार ववजेता मदर टे रेसा’ दवारा स्थावपत ‘ममशनरीज ऑफ
चैररटी’ (Missionaries of Charity - MoC) नामक एक ‘कैथोमलक धाममषक समूि’ के FCRA पंजीकरर्ण को नवीनीकृत
करने से इनकार कर हदया गया िै ।
• गि
ृ मंत्रालय के अनुसार, ममशनरीज ऑफ चैररटी के नवीनीकरर्ण आवेदन पर ववचार करते िुए कुछ प्रततकूल
जानकाररयां दे खी गयीं। इन्िें दे खते िुए इसके नवीनीकरर्ण आवेदन को खाररज कर हदया गया।
• ककसी भी गैर-सरकारी संगठन तथा अन्य संगठन के मलए, ववदे शी अनुदान प्राप्त करने िे तु ‘ववदे शी अंशदान
ववतनयमन अधधतनयम’ (Foreign Contribution Regulation Act - FCRA) के तित पंजीकृत िोना आवश्यक
िोता िै ।
पष्ट्ृ ठभूशम:
गि
ृ मंत्रालय (MHA) के अनुसार, 2016 और 2020 के बीच, सरकार दवारा 6,600 से अधधक ‘गैर-सरकारी संगठनों
(NGOs) के ‘ववदे शी अंशदान ववतनयमन अधधतनयम’ (FCRA) लाइसेंस रदद कर हदए और लगभग 264 NGOs के
FCRA लाइसेंस तनलंत्रबत ककए जा चुके िैं।
वितनयम:
ववदे शी अंशदान (ववतनयमन) अधधतनयम, के माध्यम से ववदे शों से प्राप्त िोने वाले अनुदान को तनयममत तनयंत्रत्रत
ककया जाता िै , तथा यि अधधतनयम सुतनजश्चत करता िै, कक इस तरि के अनुदान से दे श की आंतररक सुरक्षा पर
प्रततकूल प्रभाव न पड़े। इस अधधतनयम को पिली बार वर्ष 1976 में अधधतनयममत ककया गया था, इसके बाद वर्ष
2010 और कफर 2020 में इसे संशोधधत ककया जा चक
ु ा िै ।
• विदे शी अंशदान (वितनयमन) अधितनयम, 2010 (Foreign Contribution (Regulation) Act, 2010) की धारा 5
में , केंद्र सरकार के मलए ककसी संगठन को राजनीततक प्रकृतत के रूप में घोवर्त करने और ववदे शी स्रोतों
से प्राप्त िोने वाले धन तक पिुंच को रोकने के मलए "अतनयंत्रत्रत और बेलगाम शजततयां" दी गयी िैं।
• ‘ववदे शी अंशदान ववतनयमन अधधतनयम’ (FCRA) को गह ृ मंत्रालय द्िारा लागू ककया जाता िै ।
• अधधतनयम के तित ‘पूवष संदभष श्रेर्णी’ (Prior Reference Category): इसका तात्पयष िै कक, ककसी गैर
सरकारी संगठन को दान करने के मलए, ववदे शी दाता को गि
ृ मंत्रालय से पूवष अनुमतत लेनी आवश्यक िै ।
उच्चतम न्यायालय की निीनतम दटप्पणर्यां:
उच्चतम न्यायालय ने सरकार से पूछा िै , कक गि
ृ मंत्रालय को ‘ववदे शी अंशदान ववतनयमन अधधतनयम’ के तित
गैर सरकारी संगठनों को ववदे शी धन की आमद और उसके बाद के बहिवाषि पर नजर रखने का कायष तयों सौंपा
गया िै ।
वितनयमन की आिश्यकता:
• इंटेमलजेंस ब्यरू ो (आईबी) की जानकारी से पता चला िै, कक भारत में आने वाले ववदे शी धन का उपयोग
राष्ट्रीय शांतत और सुरक्षा को अजस्थर करने वाली गततववधधयों को ‘ववत्त-पोवर्त’ करने के मलए ककया गया
था। जानकारी से यि भी संकेत ममलता िै , कक इस धन-रामश का इस्तेमाल नतसमलयों को प्रमशक्षक्षत करने
के मलए भी ककया गया था। अतः, इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा, राष्ट्र की अखंडता का तत्व शाममल िै ।
• सीबीआई के अनुसार, 22 लाख से अधधक गैर-सरकारी संगठनों में से केवल 10 प्रततशत के दवारा िी अपनी
वावर्षक आय और व्यय वववरर्ण, अपने पंजीकृत प्राधधकरर्णों के समक्ष दाखखल ककया जाता िै ।

www.insightsonindia.com 90 InsightsIAS
िषभ 2020 का निीनतम संशोिन और संबद्ि आलोचनाएाँ:
• ववदे शी अंशदान (ववतनयमन) संशोधन, 2020 के तित पंजीकृत गैर सरकारी संगठन (NGO) के मलए भारतीय
स्टे ट बैंक की नई हदल्ली शाखा में एक तनहदषष्ट्ट FCRA खाता खोलना अतनवायष ककया गया था। गैर सरकारी
संगठन (NGO) केवल इस तनहदष ष्ट्ट खाते में िी ववदे शी अनुदान दान स्वीकार कर सकेंगे।
• इस प्रावधान के खखलाफ, याधचकाकताषओं ने तकष हदया िै कक यि तनयम ग्रामीर्ण भारत में , और राजधानी
से दरू काम कर रिे गैर सरकारी संगठनों के मलए काफी भारी-भरकम और थकाऊ िोगा।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘ववदे शी अंशदान ववतनयमन अधधतनयम’ (FCRA) के बारे में
2. ‘गैर सरकारी संगठनों के ववदे शी ववत्त पोर्र्ण’ के बारे में
3. मदर टे रेसा
में स शलंक: ‘ववदे शी अंशदान ववतनयमन अधधतनयम’ (FCRA) के प्रमख
ु प्रावधानों और ऐसे कानन
ू की आवश्यकता पर
चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

25. िस्त्र उद्योग के शलए ‘उत्पादन-संबद्ि प्रोत्साहन (पीएलआई)’ योजना


संदभभ: िाल िी में , वस्त्र मंत्रालय दवारा इस साल मसतंबर में घोवर्त ‘वस्त्र उदयोग के मलए ‘उत्पादन-संबदध
प्रोत्सािन (पीएलआई)’ योजना (Production Linked Scheme for Textiles) के मलए एक जनवरी से आवेदन स्वीकार
ककए जाने की जानकारी दी गयी िै ।
योजना के बारे में :
सरकार दवारा वस्त्र उदयोग के मलए 10,683 करोड़ रुपये के बजटीय पररव्यय के साथ ‘उत्पादन-संबदध प्रोत्सािन
योजना (Production Linked Incentive Scheme – PLI Scheme) का आरं भ ककया गया िै ।
यि PLI योजना केंद्रीय बजट 2021-22 में 13 क्षेत्रों के मलए पिले घोवर्त की गई 1.97 लाख करोड़ के कुल बजटीय
पररव्यय वाली ‘पीएलआई योजनाओं’ का हिस्सा िै ।
विशेष फोकस क्षेत्र:
‘वस्त्र उदयोग के मलए ‘उत्पादन-संबदध प्रोत्सािन (पीएलआई)’ योजना का उददे श्य ‘उच्च कीमतों के मानव तनममषत
फाइबर (Man-Made Fibre - MMF) से तनममषत कपड़े, पररधान और तकनीकी वस्त्रों के उत्पादन को बढ़ावा दे ना िै ।
अहताभ प्रकक्रया:
1. कोई भी व्यजतत (जजसमें फमष/कंपनी शाममल िै ), जो तनधाषररत खंडों (एमएमएफ फैत्रब्रतस, गारमेंट) के उत्पादों
और तकनीकी वस्त्र के उत्पादों के उत्पादन के मलए संयत्र
ं , मशीनरी, उपकरर्ण और तनमाषर्ण कायों (भूमम और
प्रशासतनक भवन की लागत को छोड़कर) में न्यूनतम 300 करोड़ रुपये तनवेश करने को तैयार िै , वि इस
योजना के पिले भाग में भागीदारी के मलए आवेदन करने का पात्र िोगा।
2. दस
ू रे भाग में, कोई भी व्यजतत (जजसमें फमष/कंपनी शाममल िै ), जो न्यूनतम 100 करोड़ रुपये तनवेश करने
का इच्छुक िै , वि योजना के इस भाग में भागीदारी के मलए आवेदन करने का पात्र िोगा।
प्रोत्साहन:
1. PLI योजना के तित, केंद्र सरकार दवारा वद
ृ धधशील उत्पादन पर प्रोत्सािन दे कर पात्र तनमाषताओं को सजब्सडी
प्रदान की जाएगी।
2. संयंत्र, मशीनरी, उपकरर्ण और मसववल कायों में 300 करोड़ रुपये से अधधक का तनवेश करने वाली कंपतनयों
को अपने टनषओवर का 15 प्रततशत प्रोत्सािन ममलेगा। इस टनषओवर को तनवेश करने तीसरे वर्ष में 600
करोड़ रुपये िोना चाहिए।

www.insightsonindia.com 91 InsightsIAS
3. 100 करोड़ रुपये से 300 करोड़ रुपये के बीच तनवेश करने वाली कंपतनयां भी शुल्क वापसी और प्रोत्सािन
(उनके कारोबार के 15 प्रततशत से कम) प्राप्त करने की पात्र िोंगी।
4. इस योजना से सरकार को "19,000 करोड़ रुपए से अधधक का नया तनवेश और 3 लाख करोड़ रुपए से
अधधक का संचयी कारोबार" प्राप्त करने की उम्मीद िै ।
महत्ि: पीएलआई योजना, घरे लू ववतनमाषर्ण को मित्वपूर्णष रूप से बढ़ावा दे गी, और ‘आत्मतनभषर भारत’ की भावना
के अनुरूप वैजश्वक बाजारों में एक बड़ा प्रभाव डालने के मलए वस्त्र उदयोग को तैयार करे गी। यि योजना इस क्षेत्र
में अधधक तनवेश आकवर्षत करने में भी मदद करे गी।
आिश्यकता:
वस्त्रों में अंतराषष्ट्रीय व्यापार का दो-ततिाई, मानव तनममषत और तकनीकी वस्त्रों का िै । भारत को मानव तनममषत
फाइबर (MMF) से बने वस्त्रों और वस्त्र उदयोग के पाररजस्थततकी तंत्र में भी योगदान करने में सक्षम बनाने के
उददे श्य से इस योजना को मंजरू ी दी गई िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक वर्ष 2020 में , आधथषक मामलों की मंत्रत्रमंडलीय सममतत (CCEA) दवारा एक
1,480 करोड़ रुपए के कुल पररव्यय से ‘राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र ममशन’ की स्थापना को मंजूरी दी गई थी।
स्रोत: द हिंद।ू

26. बबहार में अिैि शराब तनमाभर् की तनगरानी हे तु उपाय


संदभभ: त्रबिार सरकार दवारा राज्य में अवैध शराब तनमाषर्ण पर तनगरानी के मलए कई उपाय ककए जा रिे िैं। इनमें
से कुछ उपाय तनम्नमलखखत िैं:
• ड्रोन (Drones) का उपयोग।
• शराबबंदी कानूनों के उल्लंघन से जुड़े मामलों की सुनवाई के मलए राज्य की 74 ववशेर् अदालतों में
पीठासीन अधधकाररयों के रूप में न्यातयक अधधकाररयों की तनयुजतत।
• तनर्ेध और पंजीकरर्ण ववभाग दवारा अप्रैल 2016 से अब तक 3.5 लाख से अधधक लोगों को कानून के
तित धगरफ्तार ककया गया िै । सैकड़ों पुमलसकममषयों और अन्य अधधकाररयों को भी, या तो तनलंत्रबत कर
हदया गया िै या ववभागीय जांच का सामना करना पड़ रिा िै ।
शराबबंदी के णखलाफ ददए जाने िाले मुसय तकाभिार:
• ‘शराबबंदी’ (Prohibition of Liquor), ‘तनजता के अधधकार’ का उल्लंघन िै । सप्र
ु ीम कोटष ने 2017 में पट्
ु टस्वामी
फैसले में ‘तनजता के अधधकार’ की व्याख्या करते िुए इसे मान्यता दी थी। यि अधधकार नागररकों के
अपनी पसंद के अनुसार खाने-पीने के अधधकार से जुड़ा िै ।
• प्रत्यक्ष मनमानी का आिार: ‘शराबबंदी कानून’ के तित, राज्य के बािर से आने वाले पयषटकों को स्वास्थ्य
परममट और अस्थायी परममट प्रदान ककया जाता िै । याधचका में किा गया िै , कक इस प्रकार राज्य दवारा
तनममषत अलग-अलग ‘वगों’ में , शराब पीने वालों और निीं पीने वालों, में कोई स्पष्ट्ट अंतर निीं िै , तथा
यि संववधान के अनुच्छे द 14 के तित समानता के अधिकार का उल्लंघन िै ।
इस तरह का प्रततबंि को समय की आिश्यकता बताने िाले तकभ:
1. संववधान में सभी राज्य सरकारों पर "मदयपान को रोकने, अथवा कम-से-कम इस पर तनयंत्रर्ण करने की
जजम्मेदारी” सौंपी गयी िै (अनुच्छे द 47)।
2. शराब के तनयममत और अत्यधधक सेवन को ितोत्साहित करने के मलए राज्य में सख्त क़ानून िोना
अतनवायष िै ।
3. शराब की वजि से ‘पाररवाररक संसाधन और जमा-पूंजी’ नष्ट्ट िो जाती िै , और इसका पररर्णाम सवाषधधक
महिलाओं और बच्चों को भग
ु तना पड़ता िै । जिां तक पररवाररक इकाई का संबंध िै , शराब के सेवन से
कम से कम एक सामाजजक कलंक अभी भी जुड़ा िुआ िै ।

www.insightsonindia.com 92 InsightsIAS
4. कमजोर व्यजतत, कभी कच्ची उम्र के कारर्ण या नशे की ओर झुकाव या साधथयों के दबाव की वजि से
अतसर, इस प्रलोभन के मशकार िोते िैं।
मद्यतनषेि क़ानन
ू लागू करने िाले अन्य राज्य:
वतषमान में , गुजरात, ममजोरम, नागालैंड और केंद्र शामसत प्रदे श लक्षदवीप में शराबबंदी लागू िै ।
संबंधित संिि
ै ातनक प्राििान:
1. राज्य सच
ू ी का विषय: मदय अथवा शराब, भारतीय संववधान की सातवीं अनुसच
ू ी के तित ‘राज्य सूची’
का ववर्य िै ।
2. अनच्
ु छे द 47: भारत के संववधान में नीतत-तनदे शक मसदधांत में किा गया िै कक “राज्य, ववमशष्ट्टतया, मादक
पेयों और स्वास्नय के मलए िातनकर ओर्धधयों के, और्धीय प्रयोजनों से मभन्न, उपभोग का प्रततर्ेध करने
का प्रयास करे गा।"
इंस्टा जजज्ञास:ु
तया आपको ‘उधचत वगीकरर्ण का मसदधांत’ (Doctrine of Reasonable Classification) के बारे में जानकारी िै?
स्रोत: द हिंद।ू

27. PESA अधितनयम


संदभभ: िाल िी में , केंद ू पत्ता तोड़ने वाले और इन्िें बांधने वाले तथा सैकड़ों कायषकताषओं ने ओडडशा के संबलपुर में
‘केंद ू के पत्तों’ (Kendu Leaf) पर लगाई गयी जीएसटी को खत्म करने की मांग को लेकर प्रदशषन ककया।
संबंधित प्रकरर्:
वतषमान में , केंद ू के पत्तों पर 18 प्रततशत ‘वस्तु एवं सेवा कर’ अथाषत ‘जीएसटी’ (GST) लगाया जाता िै , जोकक ‘वन
अधधकार अधधतनयम’, 2006 (Forest Rights Act 2006) और 25वर्ष पूरे िोने का जश्न मना रिे ‘पंचायत (अनुसूधचत
क्षेत्रों तक ववस्तार) अधधतनयम, 1996’ (Panchayats (Extension to Scheduled Areas) Act, 1996) अथाषत ‘पेसा
अधधतनयम’ के खखलाफ िै ।
इसके अलावा, सरकार दवारा ‘बीड़ी’ पर 28 प्रततशत जीएसटी लगाया गया िै , जोकक ‘केंद ू के पत्ते’ से तनममषत एक
तैयार ‘उत्पाद’ िै । इस दोिरे कराधान की वजि से ‘केंद ू पत्ता संगठन’ के मुनाफे को काफी नुकसान पंिुचा िै और
लगभग 12 लाख श्रममकों की आजीववका प्रभाववत िुई िै । केंद ू पत्ता उदयोग में लगे श्रममकों के मुनाफे में भारी
कमी आने के अलावा वे अब कई सामाजजक सरु क्षा लाभों से भी वंधचत िो गए िैं।
‘केंद ु के पत्तों’ के बारे में :
• ‘केंद ु के पत्ते’ (Kendu leaf) को ‘उड़ीसा का िरा सोना’ किा जाता िै । यि बांस और साल के बीजों की तरि
एक ‘राष्ट्रीयकृत उत्पाद’ (Nationalised Product) िै । यि ओडडशा के सबसे मित्वपूर्णष ‘गैर-काष्ट्ठ वनोत्पादों’
(Non-Wood Forest Products) में से एक िै ।
• इसकी पवत्तयों को लपेट कर ‘बीड़ी’ बनाई जाती िै , जो स्थानीय लोगों के बीच लोकवप्रय धम्र
ू पान के रूप
में काम आती िै ।
• ओडडशा के तें द ु (केंडू) पत्ते को ववमशष्ट्टता इसके ‘संसाधधत रूप’ (Processed Form) में उपयोग ककया जातािै,
जबकक भारत के बाकी राज्यों में इसका फल के रूप में उत्पादन िोता िै ।
• पारं पररक धचककत्सक, केंद ु के इन छोटे फलों का उपयोग मलेररया, दस्त और पेधचश के इलाज के मलए
करते िैं।
• चूंकक, केंद ु के पत्ते’ राज्य का सबसे प्रमख
ु ‘लघु वनोपज’ िै , अतः यि आहदवासी गांवों के मलए आय का
प्रमुख स्रोत िै ।
• मध्य प्रदे श और छत्तीसगढ़ के बाद, ओडडशा केंद ू के पत्ते का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य िै ।

www.insightsonindia.com 93 InsightsIAS
‘पेसा अधितनयम, 1996’ के बारे में :
‘पंचायत (अनुसूधचत क्षेत्रों तक ववस्तार) अधधतनयम, 1996’ या ‘पेसा अधधतनयम’ भारत के अनुसूधचत क्षेत्रों में रिने
वाली आबादी के मलए, पारं पररक ग्राम सभाओं के माध्यम से, स्वशासन सतु नजश्चत करने के मलए भारत सरकार
दवारा अधधतनयममत एक कानून िै ।
● यि क़ानून 1996 में संसद दवारा अधधतनयममत ककया गया था और 24 हदसंबर 1996 को लागू िुआ था।
● ‘पेसा अधधतनयम’ को भारत में आहदवासी कानून की रीढ़ माना जाता िै ।
● इस क़ानून के तित, तनर्णषय लेने की प्रकिया की पारं पररक प्रर्णाली को मान्यता दी गयी िै और और लोगों
की स्वशासन की भागीदारी सतु नजश्चत की गयी िै ।
पष्ट्ृ ठभूशम:
ग्रामीर्ण भारत में स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा दे ने िेतु, वर्ष 1992 में 73िां संवििान संशोिन ककया गया। इस
संशोधन के माध्यम से बत्रस्तरीय पंचायती राज संस्र्ा को एक कानन
ू बनाया गया।
● िालांकक, अनुच्छे द 243 (M) के तित अनुसधू चत और आहदवासी क्षेत्रों में इस कानून को लागू करना
प्रततबंधधत था।
● वर्ष 1995 में ‘भूररया सममतत’ की मसफाररशों के बाद, भारत के अनुसूधचत क्षेत्रों में रिने वाली आबादी के
मलये स्व-शासन सुतनजश्चत करने िे तु ‘पंचायत (अनुसूधचत क्षेत्रों तक ववस्तार) अधधतनयम,1996 लागू ककया
गया।
● 1995 में भरू रया सममतत की मसफाररशों के बाद, भारत के अनुसूधचत क्षेत्रों में रिने वाले लोगों के मलए
आहदवासी स्व-शासन सतु नजश्चत करने के मलए अनुसूधचत क्षेत्रों में पंचायत ववस्तार (पेसा) अधधतनयम 1996
अजस्तत्व में आया।
● PESA क़ानून के तित, ग्राम सभा को पूर्णष शजततयााँ प्रदान की गयी िै , जबकक राज्य ववधातयका को पंचायतों
और ग्राम सभाओं के समुधचत कायष को सुतनजश्चत करने के मलए एक सलािकार की भूममका दी गई िै ।
● ग्राम सभा को प्रत्यायोजजत शजततयों में , ककसी उच्च स्तर की संस्था के दवारा कटौती निीं की जा सकती
िै , और इन्िें अपने तनधाषररत कायष करने की पूरी स्वतंत्रता रिे गी।
ग्राम सभाओं को दी गई शजततयााँ और कायभ:
1. भूमम अधधग्रिर्ण, पुनवाषस और ववस्थावपत व्यजततयों के पुनवाषस में अतनवायष परामशष का अधधकार
2. पारं पररक आस्था और आहदवासी समुदायों की संस्कृतत का संरक्षर्ण
3. लघु वन उत्पादों पर स्वाममत्व
4. स्थानीय वववादों का समाधान
5. भमू म अलगाव की रोकथाम
6. ग्रामीर्ण बाजारों का प्रबंधन
7. शराब के उत्पादन, आसवन और तनर्ेध को तनयंत्रत्रत करने का अधधकार
8. सािूकारों पर तनयंत्रर्ण का अधधकार
9. अनुसूधचत जनजाततयों से संबंधधत अन्य अधधकार
PESA क़ानून से संबधं ित मद्
ु दे :
राज्य सरकारों से अपेक्षा की जाती िै , कक वे ‘पंचायत (अनुसूधचत क्षेत्रों तक ववस्तार) अधधतनयम, एक राष्ट्रीय
कानून, के अनुरूप अपने अनुसूधचत क्षेत्रों के मलये राज्य स्तर पर कानून बनाएाँ। इसके पररर्णामस्वरूप राज्यों में
PESA क़ानन ू का आंमशक रूप से कायाषन्वयन िुआ िै ।
● इस आंमशक कायाषन्वयन की वजि से आहदवासी क्षेत्रों में , जैस-े झारखंड में , स्वशासन व्यवस्था खराब िुई
िै ।

www.insightsonindia.com 94 InsightsIAS
● कई ववशेर्ज्ञों का दावा िै , कक ‘स्पष्ट्टता की कमी, कानूनी दब
ु ल
ष ता, नौकरशािी की उदासीनता, राजनीततक
इच्छाशजतत की कमी, सत्ता के पदानुिम में पररवतषन के प्रततरोध आहद के कारर्ण, PESA क़ानून सफल निीं
िो सका िै ।
● राज्य भर में ककये गए सोशल ऑडडट से पता चला िै , कक ववमभन्न ववकास योजनाओं को ग्राम सभा दवारा
केवल कागज पर अनुमोहदत ककया जा रिा था और वास्तव में चचाष और तनर्णषय लेने के मलये कोई बैठक
निीं िुई थी।
प्रीशलम्स शलंक:
1. PESA क़ानन
ू के बारे में
2. मुख्य ववशेर्ताएं, अधधतनयम के तित अधधकार, ग्राम सभाओं की भूममका, सोशल ऑडडट
में स शलंक: ‘पंचायत (अनुसूधचत क्षेत्रों तक ववस्तार) अधधतनयम (पेसा अधधतनयम) के मित्व की वववेचना कीजजए।
स्रोत: इकोनॉममक टाइम्स।

28. केन-बेतिा शलंक पररयोजना


संदभभ: एक नए अध्ययन के अनुसार, केन-बेतवा नदी जोड़ पररयोजना (Ken-Betwa river interlinking project) की
वजि से मध्य प्रदे श में ‘पन्ना टाइगर ररजवष’ के मुख्य क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा जलमग्न िो जाएगा, जजससे बाघ
और इसकी प्रमुख मशकार प्रजाततयों जैसे चीतल और सांभर की बड़ी क्षतत िोगी।
ितभमान धचंताएं:
• इस पररयोजना से ‘पन्ना बाघ अभ्यारण्य’ में ‘मित्वपर्ण
ू ष बाघ आवास क्षेत्र’ (Critical Tiger Habitat) का
58.03 वगष ककलोमीटर (10.07 प्रततशत) क्षेत्र नष्ट्ट िो सकता िै ।
• अध्ययन के अनुसार, आवास क्षेत्र के ववखंडडत िोने और ‘जलमग्न िोने की वजि से सम्बदधता
(कनेजतटववटी) भंग िोने के कारर्ण लगभग 105.23 वगष ककमी ‘मित्वपूर्णष बाघ आवास क्षेत्र’ अप्रत्यक्ष रूप
से नष्ट्ट िो जाएगा।
• पररयोजना से कुल 86.50 वगष ककमी क्षेत्रफल जलमग्न िो जाएगा, जजसमें से 57.21 वगष ककमी क्षेत्र ‘पन्ना
टाइगर ररजवष’ के भीतर आता िै । जोकक कुल जलमग्न क्षेत्र का 65.50 प्रततशत हिस्सा िोगा।
• केन-बेतवा नदी जोड़ पररयोजना (Ken-Betwa river interlinking project - KBRIL) के कारर्ण जो क्षेत्र जलमग्न
िोगा, उसमें फूलों की सघनता और ववववधता प्रचरु मात्रा में िै । इस क्षेत्र में सांभर, चीतल, नीला सांड और
जंगली सूअर जैसे जीव काफी अधधक संख्या में पाए जाते िैं।
वित्त पोषर्:
• केंद्रीय मंत्रत्रमंडल ने 2020-21 के लागत स्तर पर 44,605 करोड़ रुपये की लागत से ‘केन-बेतवा नदी’ को
जोड़ने की पररयोजना के ववत्तपोर्र्ण और कायाषन्वयन को मंजूरी दे दी िै ।
• केंद्र सरकार दवारा इस पररयोजना के मलए ₹39,317 करोड़ हदए जाएंग,े जजसमे से ₹36,290 करोड़ अनद
ु ान
के रूप में और ₹3,027 करोड़ ऋर्ण के रूप में िोंगे।
केन-बेतिा पररयोजना के बारे में :
इस पररयोजना के तित, दौधन बांध (Dhaudhan Dam) के तनमाषर्ण और दो नहदयों को जोड़ने वाली निर, तनचले
ऑरष बााँध (Lower Orr Dam), कोठा बैराज और बीना कॉम्प्लेतस बिुउददे शीय पररयोजना के माध्यम से, केन नदी
से बेतवा नदी में पानी का स्थानान्तरर्ण ककया जाएगा।
पररयोजना का महत्ि:
• इस पररयोजना से सालाना 10.62 लाख िे तटे यर मसंचाई, 62 लाख लोगों को पेयजल आपूततष और 103
मेगावाट जलववदयत
ु और 27 मेगावाट सौर ऊजाष उत्पन्न करने की उम्मीद िै ।

www.insightsonindia.com 95 InsightsIAS
• यि पररयोजना, मध्य प्रदे श और उत्तर प्रदे श में ववस्तत
ृ पानी की कमी वाले ‘बुंदेलखंड क्षेत्र’ के मलए
अत्यधधक लाभकारी िोगी।
• इस पररयोजना से कृवर् गततववधधयों में वद
ृ धध और रोजगार सज
ृ न के कारर्ण वपछड़े बंद
ु े लखंड क्षेत्र में
सामाजजक-आधथषक समद
ृ धध को बढ़ावा ममलने की उम्मीद िै ।
• पररयोजना, क्षेत्र से संकटपर्ण
ू ष प्रवास को रोकने में भी मदद करे गी।
इंटरशलंककं ग के लाभ:
• जल और खादय सुरक्षा में वद
ृ धध
• जल का समधु चत उपयोग
• कृवर् को बढ़ावा
• आपदा न्यूनीकरर्ण
• पररविन को बढ़ावा दे ना
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:ववकास प्रकिया तथा ववकास उदयोग- गैर-सरकारी संगठनों, स्वयं सिायता समूिों, ववमभन्न समूिों और संघों,
दानकताषओं, लोकोपकारी संस्थाओं, संस्थागत एवं अन्य पक्षों की भमू मका।
1. स्मारकों के शलए CSR तनधि
संदभभ: िाल िी में , संसद में पेश ककए गए एक तनजी सदस्य ववधेयक में , सभी ‘कॉपोरे ट सामाजजक उत्तरदातयत्व’
(Corporate Social Responsibility - CSR) फंड का 25% प्राचीन स्मारकों और परु ाताजत्वक स्थलों के जीर्णोदधार,
प्रबंधन और रखरखाव के मलए इस्तेमाल ककए जाने का प्रस्ताव ककया गया िै ।
इस पर, कुछ सदस्यों ने ‘कंपनी (संशोधन) ववधेयक’, 2019 का समथषन ककया, तथा कुछ सदस्यों ने ववधेयक के
अन्य अतनवायष प्रावधानों से असिमत व्यतत की।
अधिक संसािनों की आिश्यकता:
भारतीय पुरातत्व सवेक्षर्ण (ASI), राष्ट्रीय स्मारक प्राधधकरर्ण (NMA) और स्मारकों की दे खभाल करने वाली अन्य
एजेंमसयों के पास पुराताजत्वक एवं मित्वपूर्णष स्थलों के रखरखाव के मलए आवश्यक संसाधनों की कमी िै ।
वििेयक का विरोि:
‘नैगममक सामाजजक उत्तरदातयत्व’ / ‘कॉपोरे ट सामाजजक उत्तरदातयत्व’ तनधध (CSR fund) का उददे श्य स्थानीय समद
ु ायों
को लाभ पिुंचाना िै । इसमलए फंड का ककसी अन्य प्रयोजनों के मलए उपयोग निीं ककया जाना चाहिए।
‘कॉपोरे ट सामाजजक उत्तरदातयत्ि’ (CSR) तया है ?
कॉपोरे ट सोशल ररस्पांमसत्रबमलटी (CSR) को एक प्रबंधन अवधारर्णा िै , जजसके तित कंपतनयााँ अपने व्यवसाय मॉडल
और पदधतत में सामाजजक और पयाषवरर्ण संबंधी लाभकारी कायषिमों और प्रथाओं को उनके हितधारकों के साथ
एकीकृत करती िैं।

www.insightsonindia.com 96 InsightsIAS
भारत में CSR का वितनयमन:
वर्ष 2014 में कंपनी अधधतनयम, 2013 (कंपनी अधधतनयम) में संशोधन ककए जाने के पश्चात ्, कॉपोरे ट सोशल
ररस्पांमसत्रबमलटी (CSR) गततववधधयों की पिचान करके एक रूपरे खा तैयार करने और कंपतनयों के मलए CSR को
अतनवायष करने वाला भारत, दतु नया के पिले दे शों में से एक िै ।
‘कंपनी अधधतनयम’ के तित, कारोबाररयों दवारा अपने अजजषत लाभ को स्वास्थ्य दे खभाल, स्वच्छता, मशक्षा सहित
कौशल ववकास, पयाषवरर्णीय जस्थरता, आहद के संदभष में ग्रामीर्ण ववकास को बढ़ावा दे ने जैसे क्षेत्रों में तनवेश ककया
जा सकता िै ।
कंपनी अधधतनयम की धारा 135(1) में CSR सममतत गहठत करने िे तु कंपतनयों को धचजहनत करने के मलए सीमा-
रे खा तनधाषररत की गयी िै ; जजसके अनुसार-
1. जजन कंपतनयों की ठीक पूवव
ष ती ववत्तीय वर्ष में , सकल पररसंपवत्त 500 करोड़ रुपये या उससे अधधक िै; या
2. जजन कंपतनयों ने 1000 करोड़ रुपये या अधधक का कारोबार ककया िै ; या
3. 5 करोड़ रुपये या उससे अधधक का शद
ु ध लाभ अजजषत ककया िै , उनके मलए CSR सममतत का गठन करना
आवश्यक िोगा।
कंपनी (संशोधन) अधधतनयम, 2019 के अनुसार, ‘कॉपोरे ट सोशल ररस्पांमसत्रबमलटी’, कंपतनयों के तीन ववत्तीय वर्ष के
पूरे िोने पर लागू िोता िै ।
व्यय की जाने िाली राशश:
कंपतनयों को प्रत्येक ववत्तीय वर्ष में , तत्काल पूवव
ष ती तीन ववत्तीय वर्ों के दौरान अजजषत अपने औसत शुदध लाभ
का कम से कम 2% ‘कॉपोरे ट सोशल ररस्पांमसत्रबमलटी’ के रूप में व्यय करना अतनवायष िै ।
जजन कंपतनयों ने 3 ववत्तीय वर्ष परू े निीं ककए िैं, उनके मलए वपछले ववत्तीय वर्ों में अजजषत औसत शद
ु ध लाभ पर
CSR की गर्णना की जाएगी।
अव्यतयत राशशयों का तनरूपर्:
• CSR गततववधध के मलए उपयोग की जाने वाली अव्यतयत रामश (Unspent Amounts) को संबंधधत ववत्तीय
वर्ष की समाजप्त के 30 हदनों के भीतर प्रावधान के तित तनधाषररत ववशेर् खाते में जमा ककया जाना
चाहिए।
• अव्यतयत रामश का उपयोग कंपनी दवारा इस तरि के अंतरर्ण की तारीख से 3 ववत्तीय वर्ों की अवधध के
भीतर ववशेर् CSR गततववधध के मलए ककया जाना चाहिए। जजसमें ववफल िोने पर, इसे कंपनी अधधतनयम की
अनुसूची VII के तित प्रावधान के अनुसार ककसी भी फंड में , जैसेकक स्वच्छ गंगा कोर्, स्वच्छ भारत कोर्,
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राित कोर् आहद में अंतररत ककया जाना चाहिए।
• कोई भी अव्यतयत रामश, जो जारी CSR गततववधध से संबंधधत निीं िै , संबंधधत ववत्तीय वर्ष के अंत के 6
मिीने की अवधध के भीतर अनुसूची VII के तित तनधाषररत तनधधयों में अंतररत की जानी चाहिए।
सामाजजक उत्तरदातयत्ि का सामररक महत्ि:
सामाजजक उत्तरदातयत्व का दो कारर्णों से सामररक मित्व िै :
• एक स्वस्थ व्यवसाय केवल स्वस्थ समाज में िी सफल िो सकता िै । अतः समाज के स्वास्थ्य को मजबत

करने वाली वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करना, कंपनी के सवोत्तम हित में िोता िै ।
• यहद कोई कंपनी दीघाषवधध के मलए सफल िोना चािती िै , तो उसे कंपनी के पररचालन से प्रभाववत िोने
वाले सामाजजक कताषओं से स्वीकृतत, या पररचालन के मलए लाइसेंस की आवश्यकता िोती िै ।
इंस्टा जजज्ञास:ु तया आप इंजेती श्रीतनवास सममतत (Injeti Srinivas's Committee) के बारे में जानते िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 97 InsightsIAS
विषय:स्वास्थ्य, मशक्षा, मानव संसाधनों से संबंधधत सामाजजक क्षेत्र/सेवाओं के ववकास और प्रबंधन से संबंधधत
ववर्य।
1. शमशन इन्द्रिनष
ु 3.0
संदभभ: िाल िी में , 29 राज्यों / केंद्र शामसत प्रदे शों के 250 जजलों में तनयममत टीकाकरर्ण कायषिमों के तित गभषवती
महिलाओं और टीकाकरर्ण से चूकने वाले बच्चों तक पिुंचने के मलए, ‘गिन ममशन इंद्रधनुर्’ 3.0 (Intensified
Mission Indradhanush – IMI 3.0) के 15 हदवसीय दो दौर आयोजजत ककए गए थे।
• गिन ममशन इंद्रधनुर् (IMI) 3.0 के दौरान लगभग 9.5 लाख बच्चों और 2.2 लाख गभषवती महिलाओं का
टीकाकरर्ण ककया जा चक
ु ा िै ।
• ववमभन्न राज्यों और केंद्र शामसत प्रदे शों में ‘गिन ममशन इंद्रधनुर् 3.0’ का कायाषन्वयन शुरू ककया जा चुका
िै ।
गहन शमशन इंद्रिनष
ु (IMI) 3.0 के बारे में :
गिन ममशन इंद्रधनुर् (आईएमआई) 3.0, तनयममत टीकाकरर्ण कायषिम से वंधचत या छूट गए बच्चों और गभषवती
महिलाओं तक पिुंचने के मलए एक अमभयान िै ।
• इसका उददे श्य ममशन मोड में िस्तक्षेप के माध्यम से बच्चों और गभषवती महिलाओं के पूर्णष टीकाकरर्ण
में तेजी लाना िै ।
• इसका पिला चरर्ण 22 फरवरी 2021 से 15 हदनों के मलए शरू
ु ककया गया िै ।
• यि अमभयान दे श के 29 राज्यों/ केंद्र शामसत प्रदे शों में पूवष धचजन्ित 250 जजलों/शिरी क्षेत्रों में चलाया जा
रिा िै ।
• इसके तित, कोववड-19 के दौरान टीके की खरु ाक से वंधचत रि गए प्रवासी व्यजततयों और दग
ु म
ष क्षेत्रों के
लाभाधथषयों तक पिुंचने का लक्ष्य रखा गया िै ।
जजलों का िगीकरर्:
आईएमआई 3.0 के मलए जारी हदशातनदे शों के अनुसार जजलों को कम जोखखम वाले 313, मध्यम जोखखम वाले
152 और सबसे ज्यादा जोखखम वाले 250 जजलों में वगीकृत ककया गया िै ।
‘शमशन इंद्रिनष
ु ’ तया है ?
'ममशन इंद्रधनुर्' की शुरुआत भारत सरकार दवारा हदसंबर 2014 में की गई थी।
ममशन इंद्रधनुर् का अंततम लक्ष्य दो साल तक के बच्चों और गभषवती महिलाओं के मलए सभी उपलब्ध टीकों के
साथ पूर्णष टीकाकरर्ण सतु नजश्चत करना िै ।
गहन शमशन इन्द्रिनुष (IMI):
टीकाकरर्ण कायषिम को और तीव्र करने िे त,ु 8 अतटूबर, 2017 को गहन इन्द्रिनष
ु शमशन (Intensified Mission
Indradhanush- IMI) शुरू ककया गया था।
• इसका लक्ष्य, दो वर्ष तक की आयु तक के उन बच्चों और गभषवती महिलाओं तक पिुंचने का िै जो
तनयममत टीकाकरर्ण कायषिम से वंधचत रि गए या छूट गए िैं।
• इस ववशेर् अमभयान के तित, हदसंबर 2018 तक 90% से अधधक पूर्णष टीकाकरर्ण सुतनजश्चत करने िे तु
चुतनंदा जजलों और शिरों में टीकाकरर्ण कवरे ज में सध
ु ार करने पर ध्यान केंहद्रत ककया गया था।
गहन शमशन इंद्रिनुष (आईएमआई) 2.0:
'इंटेंमसफाइड ममशन इन्द्रधनर्
ु 2.0' का आरं भ 31 अतटूबर, 2019 को ककया गया था।
• इसका उददे श्य यि सतु नजश्चत करना था, कक दे श में एक भी बच्चा टीकाकरर्ण से निीं छूटे ।
• इसके तित "कम" टीकाकरर्ण वाले क्षेत्रों में कवरे ज के सुधार पर ववशेर् ध्यान हदया गया था।

www.insightsonindia.com 98 InsightsIAS
• 'आईएमआई 2.0' के माध्यम से, स्वास्थ्य मंत्रालय
का लक्ष्य दे श के 271 जजलों में , दो साल से कम
उम्र के प्रत्येक बच्चे और सभी गभषवती महिलाओं
- अभी भी कवर निीं िैं/आंमशक रूप से कवर िैं-
तक पिुंचना था।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ममशन इन्द्रधनुर् के बारे में
2. गिन इन्द्रधनर्
ु ममशन तया िै ?
3. आईएमआई 3.0 तया िै?
4. इन ममशनों के तित लक्ष्य
5. कवरे ज
में स शलंक: ममशन इन्द्रधनुर् के मित्व पर चचाष कीजजए।
स्रोत: पीआईबी।

2. पोषर् रै कर
संदभभ: महिला एवं बाल ववकास मंत्रालय दवारा ‘पोर्र्ण रै कर’ (Poshan or Nutrition Tracker) पर 1,000 करोड़ रुपये
से अधधक खचष ककए गए िैं। यि ‘पोर्र्ण रै कर’ प्रत्येक आंगनवाड़ी में कुपोवर्त और 'गंभीर तीव्र कुपोवर्त' बच्चों पर
रीयल-टाइम डेटा ररकॉडष करता िै , ककं तु इसके लॉन्च िोने के चार साल बाद भी सरकार ने इसके डेटा को सावषजतनक
निीं ककया िै ।
संबंधित धचंताएं: सरकारी अधधकाररयों ने डेटा को ताले-चाबी के भीतर रखने के कारर्ण के रूप में गोपनीयता संबंधी
धचंताओं का िवाला हदया िै, लेककन ववशेर्ज्ञों का किना िै , कक इन आंकड़ों को आसानी से ‘त्रबना ककसी नाम के’
जारी ककया जा सकता िै , जैसा कक कई अन्य सरकारी योजनाओं के डेटा के मामले में ककया जाता िै ।
‘पोषर् रै कर’ के बारे में :
‘पोर्र्ण रै कर’ (Poshan Tracker) को इसके पूवष संस्करर्ण में ‘एकीकृत बाल ववकास सेवाएं-सामान्य अनप्र
ु योग
सॉफ्टवेयर’ (Integrated Child Development Services-Common Application Software: ICDS-CAS) के रूप में जाना
जाता था, जजसे आंगनवाडड़यों के माध्यम से ववतररत की जाने ववमभन्न सेवाओं को रै क करने और इनमे सध
ु ार
करने तथा लाभाधथषयों के पोर्र्ण प्रबंधन को सुतनजश्चत करने के उददे श्य से तैयार ककया गया था।
यि ररयल टाइम तनगरानी प्रर्णाली, नवंबर 2017 में तीन वर्ष की अवधध के मलए 9,000 करोड़ रुपये के ववत्तीय
पररव्यय के साथ केंद्रीय मंत्रत्रमंडल दवारा अनुमोहदत पोर्र्ण अमभयान के प्रमख
ु स्तंभों में से एक िै ।
पोषर् अशभयान के बारे में :
पोर्र्ण अमभयान (Poshan Abhiyaan) कायषिम का उददे श्य बच्चों, गभषवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली
माताओं के मलए पोर्र्ण संबध
ं ी पररर्णामों में सध
ु ार करना िै ।
वर्ष 2018 में महिला एवं बाल ववकास मंत्रालय ने दे शभर में कुपोर्र्ण की समस्या को संबोधधत करने िे तु पोर्र्ण
अमभयान की शरु
ु आत की थी। इसके तित, वर्ष 2022 तक िामसल ककए जाने वाले ववमशष्ट्ट लक्ष्यों को तनधाषररत
ककया गया था।
उद्दे श्य एिं लक्ष्य:
• 0-6 वर्ष के बच्चों में हठगनेपन से बचाव एवं इसमें प्रतत वर्ष 2% (2022 तक कुल 6%) की दर से कमी
लाना।
• 15 से 49 वर्ष की ककशोररयों, गभषवती एवं धात्री (स्तनपान कराने वाली) माताओं में रतताल्पता के प्रसार
में प्रतत वर्ष 3% की दर से (कुल 9%) कमी लाना।

www.insightsonindia.com 99 InsightsIAS
शमशन का लक्ष्य:
वर्ष 2022 तक 0-6 आयु वगष के बच्चों में हठगनेपन को 38.4% से घटाकर 25% करना।
पष्ट्ृ ठभशू म:
दे श में पांच साल से कम उम्र के एक ततिाई से अधधक बच्चे हठगनेपन (Stunting) और दब
ु ल
ष ता (Wasting) से
ग्रमसत िैं और एक से चार वर्ष की आयु के 40% बच्चे रतताल्पता (एनीममक) से पीडड़त िैं। वर्ष 2016 में जारी
‘राष्ट्रीय पररवार स्वास्थ्य’ सवेक्षर्ण 4 के अनुसार, 50% से अधधक गभषवती और अन्य महिलाएं रतताल्पता से पीडड़त
पाई गईं।
स्रोत: द हिंद।ू

3. पोषर् अशभयान
संदभभ: केंद्र सरकार ने लोकसभा को सूधचत करते िुए बताया िै , कक राज्य सरकारों और केंद्र शामसत प्रदे शों ने
वपछले तीन वर्ों में ‘पोर्र्ण अमभयान’ (Poshan Abhiyan) या ‘पोर्र्ण ममशन’ के तित जारी कुल धनरामश का केवल
56% उपयोग ककया िै ।
• ववत्तीय वर्ष 2019 से 2021 के बीच केंद्र दवारा ववतररत कुल ₹5,312 करोड़ की रामश में से ₹2,985 करोड़
की रामश का उपयोग ककया गया।
• दे श में "गंभीर रूप से कुपोवर्त" (Severe Acute Malnourished) बच्चों की संख्या 15 लाख से कम िो गई
िै ।
पोषर् अशभयान के बारे में :
• इस कायषिम को बच्चों, गभभिती मदहलाओं और स्तनपान कराने िाली माताओं के मलए पोर्र्ण पररर्णामों
में सुधार करने िे तु शरू
ु ककया गया िै ।
• इस कायषिम को वर्ष 2022 तक पूरे ककये जाने वाले ववमशष्ट्ट लक्ष्यों सहित वर्ष 2018 में आरं भ ककया गया
था।
कायभक्रम का उद्दे श्य:
• बच्चों में नाटे पन और दब
ु ल
ष ता में प्रततवर्ष 2% (वर्ष 2022 तक कुल 6%) की कमी करना।
• बच्चों, ककशोररयों और गभषवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं में प्रतत वर्ष 3% (वर्ष 2022
तक कुल 9%) रतत-अल्पता को कम करना।
इस ममशन का लक्ष्य वर्ष 2022 तक 0-6 साल आयु वगष के बच्चों में नाटे पन को 38.4% से 25% तक कम करना
िै ।
पष्ट्ृ ठभूशम:
पांच साल के कम आयु के एक ततिाई से अधधक बच्चे नाटे पन और दब
ु ल
ष ता, तथा एक से चार आयु वगष के 40%
बच्चे रतत-अल्पता से ग्रमसत िैं। वर्ष 2016 में जारी ककये गए राष्ट्रीय पररवार स्वास्थ्य सवेक्षर्ण 4 के अनस
ु ार,
50% से अधधक गभषवती और अन्य महिलाओं में रतत-अल्पता पायी गयी।
नीतत आयोग द्िारा ददए गए सुझाि:
• केंद्र दवारा वर्ष 2022 तक नाटे पन, दब
ु ल
ष ता और रतत-अल्पता को कम करने िे तु तनधाषररत लक्ष्यों को परू ा
करने के मलए इस कायषिम को आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
• एक पोषर् प्लस रर्नीतत के मलए, अमभयान में चार प्रमुख स्तम्भों को सशतत बनाने के साथ िी
NHM/ICDS ववतरर्ण तंत्र संबध
ं ी की चुनौततयों को दरू करने के अलावा अन्य सामाजजक तनधाषरकों पर भी
नए मसरे से ध्यान केंहद्रत करने की आवश्यकता िै ।
• स्तनपान के साथ-साथ परू क आिार प्रदान ककये जाने पर भी जोर हदया जाए। इससे भारत में नाटे पन के
कुल मामलों में 60% से अधधक कमी की जा सकती िै।

www.insightsonindia.com 100 InsightsIAS


शमशन पोषर् 2.0:
पोर्र्ण 2.0 (POSHAN 2.0), महिला और बाल ववकास मंत्रालय की ‘एकीकृत बाल ववकास सेवा’ (ICDS) अथाषत
आंगनवाड़ी सेवाएं, पोर्र्ण अमभयान, ककशोररयों के मलए योजना, राष्ट्रीय मशशु गि
ृ योजना को कवर करने वाली एक
छत्रक (अम्ब्रेला) योजना िै ।
• पूरक पोर्र्ण कायषिमों और पोर्र्ण अमभयान का समेकन करते िुए इस ममशन की घोर्र्णा केंद्रीय बजट
2021-22 में की गयी थी।
• इस ममशन को, दे श में स्वास्थ्य के मलए आवश्यक पोर्र्ण उपलब्ध कराने और रोग एवं कुपोर्र्ण के प्रतत
प्रततरोधक क्षमता ववकमसत करने िे तु आवश्यक पोर्र्ण करने वाली ववकासशील प्रकियों पर नए मसरे से
ध्यान दे ने के साथ-साथ पोर्र्ण सामग्री, ववतरर्ण, आउटरीच और पररर्णामों को सशतत करने के मलए शुरू
ककया गया था।
स्रोत: द हिंद।ू

4. बिभ फलू
संदभभ: िाल िी में , केरल के कुट्टनाड क्षेत्र में ‘बडष फ्लू’ (Bird
Flu) के ताजा मामलों की पुजष्ट्ट िुई िै । प्रभाववत क्षेत्रों में
पक्षक्षयों को पकड़ने के मलए प्रततकिया दल गहठत ककए गए
िैं।
जांच िे तु मलए गए नमन
ू ों में H5N1 इन्फ्लए
ू ंजा वायरस पाया
गया िै ।
बिभ फ्लू के बारे में :
इसे एववयन इन्फ्लूएंजा (Avian influenza-AI) भी किा जाता
िै । यि ववश्व भर में वन्य पक्षक्षयों में प्राकृततक रूप से पाए
जाने वाले ‘एववयन इन्फ्लए
ू ंजा टाइप ए’ वायरस के कारर्ण
िोने वाली बीमारी िै ।
इससे संिममत िोने पर, िल्के से लेकर गंभीर इन्फ्लूएंजा
जैसी बीमारी तक के लक्षर्ण हदखाई दे ते िैं।
िगीकरर्: ‘इन्फ्लूएंजा ए’ वायरस को दो प्रकार के प्रोटीन
‘िे माग्लगुहटतनन’ (Hemagglutinin- HA) और ‘न्यूरोममतनडेस’
(Neuraminidase- NA) के आधार पर उप-प्रकारों में वगीकृत ककया जाता िै ।
• इसके लगभग 18 HA उपप्रकार और 11 NA उपप्रकार पाए जाते िैं।
• इन दोनों प्रोटीनों के कई संयोजन संभव िैं जैसे, H5N1, H7N2, H9N6, H17N10, आहद।
संचरर्:
• िाल िी में , मनुष्ट्यों में एववयन और स्वाइन इन्फ्लूएंजा के संिमर्ण की खबरें आई िैं।
• इनका संिमर्ण काफी घातक िोता िै , तयोंकक इसमें मत्ृ यु दर लगभग 60% तक िोती िै ।
• इस वायरस के संचरर्ण का सबसे आम माध्यम सीधा संपकष िोता िै । संिममत पोल्री के समीप दवू र्त
जगिों या िवा के संपकष में आने से भी मनुष्ट्य इस वायरस से संिममत िो सकता िै ।
तया यह िायरस, इंसानों में रांसफर हो सकता है ?
अब तक मनुष्ट्यों में H5N8 ववर्ार्णु संिमर्ण के मामले निीं पाए गए िै । आम जनता के मलए इसके संिमर्ण का
जोखखम काफी कम िै ।

www.insightsonindia.com 101 InsightsIAS


• अभी तक, मुगी के मांस या अंडे के सेवन से मनष्ट्ु यों में वायरस पिुचने संबध ं ी कोई प्रमार्ण निीं ममले िैं।
ककं तु तनयंत्रर्ण और तनवारर्ण कायों के दौरान बीमार / मत ृ पक्षक्षयों और दवू र्त पदाथो के प्रबंधन करते
समय आवश्यक सावधानी बरतने की आवश्यकता िै । उधचत ढं ग से पके िुए पोल्री उत्पादों को खाने के
मलए सुरक्षक्षत माना जाता िै ।
तनयंत्रर् उपाय:
जानवरों में वायरस संिमर्ण का पता चलने पर, सामान्यतः संिमर्ण को तनयंत्रत्रत करने के मलए इनको मारना
(Culling) शुरू ककया जाता िै ।
जानवरों की ित्या करने के अलावा, मारे गए सभी जानवरों तथा अन्य संबंधधत उत्पादों का सरु क्षक्षत तनपटान भी
मित्वपूर्णष िोता िै । अधधकाररयों दवारा संिममत पररसरों को सख्ती से पररशोधन कराया जाना और दवू र्त वािनों
और कममषयों को संगरोध (Quarantine) ककया जाना आवश्यक िै ।
इंस्टा जजज्ञास:ु भारत को 2019 में एववयन इन्फ्लए
ु ंजा (H5N1) से मत
ु त घोवर्त ककया गया था। जब तक दे श में
एववयन इन्फ्लुएंजा के ककसी अन्य प्रकोप की जानकारी निीं ममलती िै , तब तक ‘H5N1 मुतत’ जस्थतत बनी रिे गी।
ककसी दे श के ’एववयन इन्फ्लुएंजा से मुतत’ िोने की घोर्र्णा ककसके दवारा की जाती िै ?
स्रोत: द हिंद।ू

5. पूरक बाल पोषर्


संदभभ: सरकार दवारा ‘पूरक बाल पोर्र्ण’ (Supplementary Child Nutrition) के मलए लॉकडाउन के दौरान उठाए गए
तनम्नमलखखत कदमों को सच
ू ीबदध ककया गया िै :
• लाभाधथषयों को तनरं तर पोर्र्ण सिायता सुतनजश्चत करने के मलए, आंगनवाड़ी कायषकताषओं और सिातयकाओं
ने कोववड-19 के दौरान 15 हदनों में एक बार लाभाधथषयों के दरवाजे पर ‘पूरक पोर्र्ण’ (Supplementary
Nutrition) ववतररत ककया गया, तयोंकक मिामारी के प्रभाव को सीममत करने के मलए दे श भर के सभी
आंगनवाड़ी केंद्र बंद थे।
• आंगनबाडी कायषकताषओं और सिातयकाओं दवारा सामद
ु ातयक तनगरानी में स्थानीय प्रशासन की सिायता
भी की गयी और इन्िोने जागरूकता पैदा करने के साथ-साथ समय-समय पर सौंपे गए अन्य कायों को
भी पूरा ककया।
आिश्यकता: अध्ययनों से पता चला िै कक मिामारी की वजि से आजीववका के चले जाने, भोजन और स्वास्थ्य
सेवाओं में िोने वाले व्यवधान के कारर्ण कुपोर्र्ण में वद
ृ धध िो सकती िै ।
• वर्ष 2019 की तुलना में , वर्ष 2022 में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या में अततररतत 9.3
मममलयन की वद
ृ धध िो सकती िै ; जजसमे से लगभग 2.6 मममलयन अततररतत बच्चों के हठगने रिने और
पांच साल से कम उम्र के लगभग 1,68,000 अततररतत बच्चों की मौत िोने की संभावना िो सकती िै ।
भारत में बच्चों में कुपोषर् पर कोविि-19 का प्रभाि:
जिां कुपोर्र्ण की त्रबगड़ती जस्थतत दे श में गंभीर धचंता का ववर्य बनी िुई िै , विीं कोववड-19 के फैलने से यि और
भी खराब िो गयी िै ।
• आंगनबाडी केंद्रों (AWCs) के आंमशक रूप से बंद िोने और लॉकडाउन के कारर्ण आपतू तष श्रंख
ृ लाओं में
व्यवधान आने के पररर्णामस्वरूप ‘मध्याहन भोजन योजना’ को भी रोकना पड़ा, घर ले जाने के मलए राशन
की उपलब्धता भी बाधधत िुई और स्वास्थ्य दे खभाल सेवाओं के मलए पररविन भी सीममत िुआ।
• ग्लोबल िे ल्थ साइंस 2020 जनषल में प्रकामशत एक अध्ययन के अनसु ार, कोववड-19 से उत्पन्न चुनौततयों
से चार मममलयन अन्य बच्चे तीव्र कुपोर्र्ण की जस्थतत में पिुाँच सकते िैं।
• यि जस्थतत ‘वैजश्वक भख
ू सच
ू कांक’ 2020 में भारत की खराब रैंककं ग से भी स्पष्ट्ट िोती िै , जजसमे 107
दे शों की सच
ू ी में भारत 94वें स्थान पर िै ।

www.insightsonindia.com 102 InsightsIAS


कुपोषर् का सामना करने हे तु सरकार के प्रयास:
• प्रधानमंत्री मात ृ वंदना योजना (PMMVY)
• पोर्र्ण अमभयान
• राष्ट्रीय खादय सुरक्षा अधधतनयम (NFSA), 2013
• मध्याहन भोजन (MDM) योजना
• एकीकृत बाल ववकास सेवाएं (ICDS)
• राष्ट्रीय पोर्र्ण रर्णनीतत (NNS)
स्रोत: द हिंद।ू
6. पोषर् रै कर
भारत सरकार ने लोकसभा में सूधचत करते िुए बताया िै , कक ‘महिलाओं और बच्चों की तनजता’ के हित को ध्यान
में रखते िुए ‘पोर्र्ण रै कर’ (Poshan Tracker) में दजष आंकड़ों को सावषजतनक निीं ककया गया िै ।
इसका उददे श्य, दे श में आंगनवाड़ी प्रर्णामलयों के माध्यम से, राज्य सरकारों के सियोग से भारत सरकार दवारा
प्रदान की जा रिी सेवाओं का लाभ उठाने वाली महिलाओं और बच्चों की तनजता का सम्मान करना िै ।
‘पोषर् रै कर’ के बारे में :
• ‘पोर्र्ण रै कर’ (Poshan Tracker) को इसके वपछले संस्करर्ण में ‘एकीकृत बाल ववकास सेवाएं-सामान्य
अनप्र
ु योग सॉफ्टवेयर’ (Integrated Child Development Services-Common Application Software: ICDS-CAS)
के रूप में जाना जाता था, जजसे आंगनवाडड़यों के माध्यम से ववतररत की जाने ववमभन्न सेवाओं को रै क
करने और इनमे सुधार करने तथा लाभाधथषयों के पोर्र्ण प्रबंधन को सतु नजश्चत करने के उददे श्य से तैयार
ककया गया था।
• यि ररयल टाइम तनगरानी प्रर्णाली, नवंबर 2017 में तीन वर्ष की अवधध के मलए 9,000 करोड़ रुपये के
ववत्तीय पररव्यय के साथ केंद्रीय मंत्रत्रमंडल दवारा अनुमोहदत पोर्र्ण अमभयान के प्रमुख स्तंभों में से एक
िै ।
• इस रै कर को ववकमसत करने के मलए सरकार दवारा ₹1,053 करोड़ का व्यय ककया गया िै ।
महत्ि: ‘पोर्र्ण रै कर’, पोर्र्ण अमभयान के मित्वपर्ण
ू ष स्तंभों में से एक िै । यि सरकार को 12.3 लाख आंगनवाड़ी
केंद्रों पर दी जाने वाली सेवाओं की तनगरानी करने में सियोग करता िै ।
• यि छि मिीने से छि साल तक की उम्र के बच्चों, गभषवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं
सहित 9.8 लाख लाभाधथषयों के पोर्र्ण संकेतक ररकॉडष करता िै ।
• आंगनवाड़ी केंद्रों में , गमष पके िुए भोजन के रूप में परू क पोर्र्ण, और घर ले जाने का राशन, टीकाकरर्ण
और स्कूल पवू ष मशक्षा सहित छि सेवाएं प्रदान की जाती िैं।
संबंधित वििाद:
• एक संसदीय सममतत दवारा अपनी ररपोटष में ‘पोर्र्ण रै कर’ के प्रभावी उपयोग पर कई सवाल उठाए गए
िैं।
• सममतत ने मांग की िै , कक प्रमुख प्रदशषन संकेतकों की लगातार तनगरानी की जाए और इनको वेबसाइट
पर अपलोड ककया जाए और साथ िी एक राज्य-वार प्रगतत ररपोटष को संधत
ृ ककया जाए "ताकक समय पर
लाभ से वंधचत रि जाने वाले लोगों की, वास्तववक समय के आधार पर, पिचान की जा सके और इसके
मलए उपचारात्मक उपाय ककए जा सके।"
• सममतत ने मंत्रालय से आंगनवाड़ी लाभाधथषयों को भोजन के पैकेट ववतरर्ण में कोई अंतराल निीं िोने, को
सुतनजश्चत करने के मलए एक तनगरानी तंत्र स्थावपत करने की मसफाररश भी की िै ।
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 103 InsightsIAS


7. पािो िायरस
संदभभ: अमरावती शिर में लगभग 2,000 पालतू और आवारा कुत्ते वपछले मिीने ‘कुतकुरीय / कैनाइन पावो वायरस’
(canine parvovirus) से प्रभाववत िो चक
ु े िैं। पशु धचककत्सकों ने पालतू जानवरों के मामलकों को इस गंभीर प्रकोप
के प्रतत पिले िी आगाि ककया था।
‘पािो िायरस’ तया है?
• ‘पावो वायरस’ (Parvovirus), वपल्लों और कुत्तों को प्रभाववत करने वाला एक अत्यधधक संिामक वायरल
रोग िै ।
• इसके संिमर्ण से कुत्तों की आंतों पर प्रभाव पड़ता िै , और वपल्ले (Puppies) इस रोग के प्रतत अधधक
संवेदनशील िोते िैं।
• इस बीमारी से संिममत िोने पर, खूनी दस्त, उल्टी, अत्यधधक वजन घटना, तनजषलीकरर्ण और सस्
ु ती आहद
लक्षर्ण हदखाई दे ते िैं।
• इस वायरस से संिममत िोने पर 90 प्रततशत मत्ृ यु दर की सूचना दजष की गयी िै ।
इस वायरस को सबसे पिले वर्ष 1967 में खोजा गया था, और यि तेजी से कुत्तों के स्वास्थ्य के मलए एक गंभीर
खतरा बन गया िै । इसकी गंभीरता का मुख्य कारर्ण िै , कक इस वायरस को मारना काफी मुजश्कल िै और यि
वातावरर्ण में लंबे समय तक जीववत रि सकता िै , इसके अलावा संिममत कुत्तों दवारा बड़ी तेजी से फैलता िै ।
कुत्तों में यह िायरस ककस प्रकार फैलता है?
कुत्तों में यि वायरस, ककसी संिममत कुत्ते के साथ सीधे संपकष में आने से, या संिममत कुत्तों को संभालने वाले
लोगों के िाथों और कपड़ों सहित, ककसी दवू र्त वस्तु के साथ अप्रत्यक्ष संपकष के माध्यम से फैलता िै ।
संक्रमर् मामलों की संसया में िद्
ृ धि का कारर्:
• पालतू जानवरों में ‘पावो वायरस’ के मामलों में िामलया वद
ृ धध कोववड -19 मिामारी के कारर्ण िुई िै ,
जजसकी वजि से पालतू जानवरों के कई मामलक अपने कुत्तों का समय पर टीकाकरर्ण निीं करा सके।
• इसके अलावा, पशु जन्म तनयंत्रर्ण कायषिम के लागू न िोने के कारर्ण, वपछले तीन वर्ों में कुत्तों के टीकाकरर्ण
और रे बीज के कारर्ण शिरों में ‘गली के कुत्तों में ’ ‘पावो वायरस’ के मामले बढ़ गए िैं।
उपचार: ‘पावो वायरस’ का वतषमान में कोई इलाज निीं िै , और वपल्ले या कुत्ते को टीका लगाने से, उन्िें संिमर्ण
से बचाया जा सकता िै ।
इंस्टा जजज्ञासु:
तया आप जानते िैं कक ‘पावो वायरस’ B19 (Parvovirus B19) केवल इंसानों को संिममत करता िै?
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

8. नीतत आयोग का राज्य स्िास्थ्य सूचकांक


संदभभ: िाल िी में, नीतत आयोग ने 2019-20 के मलए ‘राज्य स्वास्थ्य सच
ू कांक’ (State Health Index) का चौथा
संस्करर्ण जारी ककया िै ।
• इस ररपोटष को "स्वस्थ राज्य, प्रगततशील भारत" शीर्षक हदया गया िै ।
• यि राज्य और केंद्रशामसत प्रदे शों की रैंककं ग उनके स्वास्थ्य पररर्णामों में साल-दर-साल िममक प्रदशषन के
साथ-साथ उनकी व्यापक जस्थतत के आधार पर तय करती िै ।
• इस ररपोटष को नीतत आयोग ने ववश्व बैंक की तकनीकी सिायता और स्वास्थ्य एवं पररवार कल्यार्ण
मंत्रालय के गिन परामशष से ववकमसत ककया िै ।

www.insightsonindia.com 104 InsightsIAS


निीनतम सूचकांक में विशभन्न राज्यों का प्रदशभन:
• ‘राज्य स्वास्थ्य सच
ू कांक’ में केरल लगातार
चौथे साल शीर्ष स्थान पर िै ।
• ‘उत्तर प्रदे श’ को सूचकांक में सबसे तनचला
स्थान प्राप्त िुआ िै ।
• तममलनाडु और तेलंगाना िमशः दस
ू रे और
तीसरे स्थान पर िैं।
• स्वास्थ्य सच
ू कांक में , छोटे राज्यों की श्रेर्णी में
ममजोरम शीर्ष स्थान पर, तथा नागालैंड सबसे
तनचले स्थान पर िै ।
• केंद्र शामसत प्रदे शों में , दादरा और नगर िवेली और दमन और दीव को शीर्ष स्थान पर, और अंडमान और
तनकोबार को सबसे नीचे स्थान पर रखा गया िै ।
राज्यों की रैंककं ग का आिार:
राज्य स्वास्थ्य सच
ू कांक, राज्य और केंद्रशामसत प्रदे शों के प्रदशषन का आकलन करने के मलए एक वावर्षक साधन
िै ।
• यि 'स्िास्थ्य से संबंधित पररर्ामों', 'शासन ि सच
ू ना' और 'प्रमख
ु इनपट
ु /प्रकक्रयाओं' के क्षेत्र के तित एक
समूि में एकत्रत्रत 24 संकेतकों पर आधाररत एक भाररत (वेटेज) समेककत सूचकांक िै ।
• पररर्णाम संकेतकों के मलए उच्च अंक के साथ िर एक क्षेत्र को इसके मित्व के आधार पर भार तय ककया
गया िै ।
उदािरर्ण के मलए:
• स्वास्थ्य पररर्णाम (Health outcomes) क्षेत्र में नवजात मत्ृ यु दर, 5 वर्ष से कम आयु की मत्ृ यु दर और
जन्म के समय मलंग अनुपात जैसे मानदं डों को शाममल ककया जाता िै ।
• शासन (Governance) क्षेत्र में , संस्थागत प्रसव, स्वास्थ्य-क्षेत्र के मलए तनधाषररत प्रमुख पदों पर वररष्ट्ठ
अधधकाररयों की औसत तनयजु ततयों को ककया
जाता िै ।
महत्ि: ‘राज्य स्वास्थ्य सूचकांक’ को, स्वास्थ्य पररर्णामों
को िामसल करने की गतत में तेजी लाने िे तु सिकारी और
प्रततस्पधी संघवाद का लाभ उठाने के मलए, एक उपकरर्ण
के रूप में ववकमसत ककया गया िै ।
• यि वतषमान प्रर्णाली की तुलना में , ‘पररर्णाम’ एवं
वावर्षक प्रदशषन के ‘पररर्णाम-आधाररत मापन’ पर
अधधक ध्यान दे ने के मलए, राज्यों और केंद्र
शामसत प्रदे शों तथा केंद्रीय मंत्रालयों को प्रेररत
करने िे तु एक उपकरर्ण के रूप में भी कायष करता
िै ।
• सूचकांक का वावर्षक प्रकाशन, और गततक आधार
पर सावषजतनक रूप से इसकी उपलब्धता से,
‘सतत ववकास लक्ष्यों’ (SDGs) की ‘लक्ष्य संख्या
3’ को िामसल करने के प्रतत प्रत्येक हितधारक के
सतकष रिने की उम्मीद की जाती िै ।
www.insightsonindia.com 105 InsightsIAS
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘राज्य स्वास्थ्य सूचकांक’ के बारे में
2. रैंककं ग मानदं ड
3. नवीनतम तनष्ट्कर्ष
में स शलंक: िाल िी में जारी नीतत आयोग की ‘राज्य स्वास्थ्य सूचकांक’ ररपोटष के तनष्ट्कर्ों का ववश्लेर्र्ण कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

9. अटल निाचार संस्र्ान उपलजधि रैंककं ग (ARIIA)


संदभभ: िाल िी में ‘अटल नवाचार उपलजब्ध संस्थान रैंककं ग’ (Atal Ranking of Institutions on Innovation
Achievements - ARIIA) 2021 जारी की गई िैं।
अटल निाचार रैंककं ग 2021
‘अटल नवाचार रैंककं ग’ (ARIIA) 2021, के तित प्रततभागी संस्थानों को दो प्रमख
ु श्रेखर्णयों - तकनीकी और गैर
तकनीकी - में वगीकृत ककया गया िै । इसके अलावा, इस रैंककं ग को सात उप-श्रेखर्णयों में ववभाजजत ककया गया िै ।
तकनीकी संस्र्ान:
शीषभ तीन संस्र्ान: इस श्रेर्णी में ‘आईआईटी मद्रास’ ने लगातार तीसरी बार शीर्ष स्थान िामसल ककया िै । इसके
बाद, सूची में आईआईटी बॉम्बे और आईआईटी हदल्ली को िमशः दस
ू रे और तीसरे स्थान पर रखा गया िै ।
गैर-तकनीकी संस्र्ान:
इस श्रेर्णी के अंतगषत, शीर्ष केंद्रीय ववश्वववदयालयों में ‘इंहदरा गांधी राष्ट्रीय मत
ु त ववश्वववदयालय’ (IGNOU), हदल्ली
और ‘भारतीय प्रबंधन संस्थान’ (IIM), कोझीकोड शाममल िैं।
रैंककं ग पद्ितत:
‘अटल नवाचार उपलजब्ध संस्थान रैंककं ग’ (ARIIA), प्रततभागी संस्थानों का नौ मानदं िों के तित मूल्यांकन करने के
बाद तैयार की गई िै :
1. गततववधध श्रख
ं ृ ला के माध्यम से ‘नवोन्मेर्ी और उदयमशील मानमसकता’ ववकमसत करना।
2. मशक्षर्ण एवं अध्ययन: उच्च मशक्षर्ण संस्थानों (HEI) दवारा शुरू ककए गए ‘नवाचार एवं उदयममता’
(Innovation and Entrepreneurship - I & E) से संबंधधत शैक्षखर्णक कायषिम और ‘बौदधधक संपदा अधधकार’
(IPR)।
3. ‘उच्च मशक्षर्ण संस्थानों’ में नवाचार और उदयममता को बढ़ावा दे ने िे तु समवपषत बुतनयादी ढांचा और
सुववधाएं।
4. ‘उच्च मशक्षर्ण संस्थानों’ के सियोग से नवाचारों/ववचारों का सज
ृ न और उसकी मान्यता।
5. ‘उच्च मशक्षर्ण संस्थानों’ के सियोग से स्थावपत उदयम और उनकी मान्यता।
6. एंजेल और VC फंड/तनवेश को ‘उच्च मशक्षर्ण संस्थानों’ में इनतयब
ू ेट ककए गए नवाचार और स्टाटष अप के
सियोग िे तु उपलब्ध कराना, तथा ‘नवाचार एवं उदयममता’ (I & E) पिल के मलए सियोग और सि-तनमाषर्ण
को बढ़ावा दे ना।
7. बौदधधक संपदा (Intellectual Property - IP), उत्पादन और व्यावसायीकरर्ण।
8. आई एंड ई गततववधधयों को बढ़ावा दे ने और सियोग पर वावर्षक बजट: ‘नवाचार एवं उदयममता’ (I & E)
और ‘बौदधधक संपदा अधधकार’ (IPR) िे तु सियोगी गततववधधयों पर कुल व्यय, ऊष्ट्मायन (Incubation)
सेवाओं से स्टाटष अप और बौदधधक संपदा (IP) के व्यावसायीकरर्ण और नवाचारों से ‘उच्च मशक्षर्ण संस्थानों’
दवारा अजजषत कुल राजस्व।
9. मशक्षा मंत्रालय (MOE) की ‘आई एंड ई’ पिल में ‘उच्च मशक्षर्ण संस्थानों’ की भागीदारी।

www.insightsonindia.com 106 InsightsIAS


ARIIA तया है?
‘अटल नवाचार उपलजब्ध संस्थान रैंककं ग’ (ARIIA) मशक्षा मंत्रालय (MOE) की एक पिल िै ।
• इसका कायाषन्वयन AICTE और मशक्षा मंत्रालय के ‘नवाचार प्रकोष्ट्ठ’ के दवारा ककया जाता िै ।
• उददे श्य: नवाचार से संबंधधत संकेतकों के आधार पर दे श में उच्च मशक्षर्ण संस्थानों और ववश्वववदयालयों
को प्रर्णालीबदध रूप से रैंक प्रदान करना।

महत्ि:
• ARIIA रैंककं ग, भारतीय संस्थानों को उच्च गुर्णवत्ता वाले अनुसंधान, नवाचार और उदयममता को प्रोत्साहित
करने िे त,ु अपनी मानमसकता का पन
ु : अमभमख
ु ीकरर्ण करने और पाररतंत्र का तनमाषर्ण करने के मलए प्रेररत
करे गी।
• ARIIA में नवाचारों की मात्रा की अपेक्षा गर्ण
ु वत्ता पर ध्यान केंहद्रत ककया जाता िै और इसमें राष्ट्रीय और
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन नवाचारों के वास्तववक प्रभाव को मापने का प्रयास ककया जाता िै ।
• ARIIA रैंककं ग संस्थानों के मलए भववष्ट्य के ववकास के मलए उन्िें ववश्व स्तर पर प्रततस्पधी और नवाचार के
मामले में अग्रर्णी बनाने के मलए गतत और हदशा भी तनधाषररत करे गी।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप डडजजटल हदशा (Digital Disha) कायषिम के बारे में जानते िैं? इसे कब लॉन्च ककया गया
था? इसके उददे श्य तया थे?
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘अटल नवाचार रैंककं ग’ ककसके दवारा जारी की जाती िै?
2. रैंककं ग पैरामीटर
3. श्रेखर्णयााँ।
4. ववमभन्न श्रेखर्णयों में सवषश्रेष्ट्ठ प्रदशषन करने वाले संस्थान।
में स शलंक: ‘अटल नवाचार उपलजब्ध संस्थान रैंककं ग’ के मित्व पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:शासन व्यवस्था, पारदमशषता और जवाबदे िी के मित्त्वपूर्णष पक्ष, ई-गवनेंस- अनप्र


ु योग, मॉडल, सफलताएाँ, सीमाएाँ
और संभावनाएाँ; नागररक चाटष र, पारदमशषता एवं जवाबदे िी और संस्थागत तथा अन्य उपाय।
1. ‘विश्ि प्रेस स्ितंत्रता सच
ू कांक’ में भारत की जस्र्तत पर केंद्र सरकार की असहमतत
संदभभ:
मीडडया वॉचडॉग ‘ररपोटष सष ववदाउट बॉडषस’ष (Reporters Without Borders) दवारा जारी ककए गए ‘ववश्व प्रेस स्वतंत्रता
सूचकांक’ / ‘वल्डष प्रेस फ्रीडम इंडेतस’ (World Press Freedom Index) में भारत को तनचले स्थान से केंद्र सरकार ने
असिमतत व्यतत की िै ।
संबंधित प्रकरर्:
केंद्र सरकार ने किा िै , कक यि ररपोटष एक छोटे आकार के प्रततदशष पर आधाररत िै और इसमें "लोकतंत्र के मल

मसदधांतों" को बिुत कम या कोई मित्व निीं हदया गया िै ।

www.insightsonindia.com 107 InsightsIAS


सूचकांक में भारत की रैंककं ग और धचंता का कारर्:
‘ररपोटष सष ववदाउट बॉडषस’ष ने माचष में जारी एक बयान में किा था, कक जब प्रेस की स्वतंत्रता की बात आती िै तो
भारत का स्थान 180 दे शों की सच
ू ी में 142 वां िै ।
• इसके अलावा, भारत को पत्रकाररता के मलए "खराब" के रूप में वगीकृत ककया गया था।
• इसके अनुसार, इस वर्ष दतु नया भर में मारे गए पत्रकारों के मामले में , भारत पांच सबसे खतरनाक दे शों
में शाममल िै ।
• साथ िी, ररपोटष में सवेक्षर्ण के मलए अपनाई गयी पदधतत पर ‘सवाल’ भी उठे िैं। इसके अलावा, ररपोटष में
‘प्रेस की स्वतंत्रता’ की कोई स्पष्ट्ट पररभार्ा निीं दी गयी िै ।
विश्ि प्रेस स्ितंत्रता सूचकांक 2021- प्रमुख बबंद:ु
• सूचकांक में ‘नॉवे’ लगातार पााँच वर्ों से शीर्ष स्थान पर बना िुआ िै ।
• ररपोटष में 132 दे शों को "बिुत खराब", " खराब" या "समस्याग्रस्त" के समि
ू में श्रेर्णीबदध ककया गया िै ।
• इस ररपोटष में किा गया िै , कक पत्रकारों को अमभगम्यता (access) प्रदान करने से वंधचत करने और कोववद
-19 प्रकोप के बारे में सरकार दवारा प्रायोजजत अधधप्रचार को बढ़ावा दे ने के मलए, मिामारी का उपयोग
ककया गया िै ।
सूचकांक में भारत और पड़ोसी दे शों का प्रदशभन:
1. 180 दे शों की सच
ू ी में भारत 142 वें स्थान पर रिा िै।
2. भारत के मलए ब्राजील, मैजतसको और रूस के साथ "खराब" श्रेर्णी में रखा गया िै ।
3. ररपोटष में किा गया िै , भारत, ठीक से अपना काम करने की कोमशश करने वाले पत्रकारों के मलए ववश्व
के सबसे खतरनाक दे शों में से एक िै ।
4. वर्ष 2016 में , भारत 133 वें स्थान पर था, जोकक वर्ष 2020 में तेजी से लुढककर 142 वें स्थान पर पिुंच
गया िै ।
5. ‘सरकार की आलोचना करने का सािस करने वाले’ पत्रकारों के खखलाफ ‘सोशल मीडडया पर बेिद हिंसक
नफरत फैलाने वाले अमभयान’ चलाए जाने पर, भारत की कड़ी आलोचना की जाती िै ।
6. सच
ू कांक में , दक्षक्षर्ण एमशया में , नेपाल को 106, श्रीलंका को 127, म्यांमार को 140, पाककस्तान को 145
और बांग्लादे श को 152 वें स्थान पर रखा गया िै ।
7. चीन को 177 वां और अमेररका को 44 वां स्थान प्राप्त िुआ िै ।
‘विश्ि प्रेस स्ितंत्रता सूचकांक’ के बारे में :
• वर्ष 2002 से ‘ररपोटभ सभ विदाउट बॉिभसभ’ (Reporters Without Borders) द्िारा प्रततिषभ प्रकाशशत ककया जाने
वाला, ‘ववश्व प्रेस स्वतंत्रता सच
ू कांक’ 180 दे शों में मीडडया की स्वतंत्रता के स्तर का आकलन करना िै ।
• यि सूचकांक, मीडडया की स्वतंत्रता के तनधाषरर्ण के आधार पर तैयार ककया जाता िै , जजसमे मीडडया में
बिुलवाद, मीडडया को प्राप्त आजादी, कानूनी तंत्र की गुर्णवत्ता तथा पत्रकारों की सुरक्षा आहद का आकलन
ककया जाता िै ।
• सूचकांक में , प्रत्येक क्षेत्र में मीडडया स्वतंत्रता के उल्लंघन स्तर संबंधी संकेतक भी शाममल िोते िैं।
• यि सूचकांक, दतु नया भर के ववशेर्ज्ञों दवारा 20 भार्ाओं में तैयार की गई एक प्रश्नावली के माध्यम से
संकमलत ककया जाता िै ।
• इस गुर्णात्मक ववश्लेर्र्ण को आकलन-अवधध के दौरान पत्रकारों के खखलाफ िुई हिंसा तथा दव्ु यषविार संबंधी
मात्रात्मक आंकड़ो के साथ संयोजजत ककया जाता िै ।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

www.insightsonindia.com 108 InsightsIAS


विषय:भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।
1. भारत-रूस िावषभक शशखर सम्मेलन
संदभभ: िाल िी में , भारत और रूस के 21वें वावर्षक मशखर सम्मेलन’ (India-Russia summit) का आयोजन ककया
गया था। इस मशखर सम्मेलन में प्रधान मंत्री नरें द्र मोदी और रूसी राष्ट्रपतत व्लाहदमीर पुततन ने भाग मलया।
• इस के साथ िी दोनों दे शों के मध्य पिली बार 2+2 मंत्रत्रस्तरीय बैठक भी आयोजजत की गई।
• मशखर सम्मलेन में ‘रक्षा, ऊजाष, अंतररक्ष अन्वेर्र्ण, ववज्ञान और प्रौदयोधगकी, भारी इंजीतनयररंग, व्यापार और
तनवेश आहद क्षेत्रों में 28 समझौतों पर िस्ताक्षर ककए गए।
प्रमख
ु बबंद:ु
1. रूस के राष्ट्रपतत व्लाहदमीर पुततन ने वर्ष 2022 में 22वें भारत-रूस वावर्षक मशखर सम्मेलन के मलए पीएम
मोदी को रूस आने का तनमंत्रर्ण हदया।
2. दोनों नेताओं ने, कोववड दवारा उत्पन्न चन
ु ौततयों के बावजद
ू , दोनों दे शों के मध्य 'ववशेर् और ववशेर्ाधधकार
प्राप्त रर्णनीततक साझेदारी' में तनरं तर प्रगतत पर संतोर् व्यतत ककया।
3. मशखर बैठक में ‘अंतराषष्ट्रीय उत्तर-दक्षक्षर्ण पररविन गमलयारे ’ (International North South Transport Corridor–
INSTC) और प्रस्ताववत ‘चेन्नई-व्लाहदवोस्तोक ईस्टनष मैरीटाइम कॉररडोर’ (Chennai-Vladivostok Eastern
Maritime Corridor) के माध्यम से कनेजतटववटी की भमू मका पर चचाष िुई।
4. दोनों नेताओं ने रूस के ववमभन्न क्षेत्रों, ववशेर् रूप से रूसी सद
ु रू पव
ू ष और भारतीय राज्यों के मध्य अधधक
अंतर-क्षेत्रीय सियोग की आशा वयतत की।
5. दोनों नेताओं ने इस बात पर सिमत व्यतत की, कक अफगातनस्तान के संदभष में दोनों दे शों का दृजष्ट्टकोर्ण
और धचंताए एक समान िै , और दोनों ने अफगातनस्तान पर परामशष और सियोग के मलए NSA स्तर पर
तैयार ककए गए दववपक्षीय रोडमैप की सरािना की।
शशखर बैठक का महत्ि:
भारत और रूस के मध्य ‘शांतत, ममत्रता और सियोग संधध, 1971’ (The 1971 Treaty of Peace, Friendship and
Cooperation) को 5 दशक तथा ‘सामररक साझेदारी घोर्र्णा’ (Declaration on Strategic Partnership) के 2 दशक
परू े िो चक
ु े िैं। यि पारस्पररक ववश्वास, एक-दस
ू रे के मल
ू राष्ट्रीय हितों के मलए सम्मान और ववमभन्न अंतरराष्ट्रीय
और क्षेत्रीय मुददों पर दृजष्ट्टकोर्णों की समानता सहित दीघषकालीन और समय के साथ परखे जा चक
ु े ‘भारत-रूस
संबंधों’ का प्रतीक िै ।
2+2 िाताभ:
‘2+2 वाताष’ (2+2 dialogue), दो दे शों के ववदे श मंत्रत्रयों और रक्षा मंत्रत्रयों के बीच आयोजजत की जाती िै । आम तौर
पर इसका उददे श्य रक्षा, सरु क्षा और खकु फया तंत्र के अधधक समेकन सहित दववपक्षीय संबंधों को रर्णनीततक रूप से
प्रगाढ़ करने िे तु एक तंत्र का तनमाषर्ण करने के मलए ककया जाता िै ।
भारत के शलए रूस का महत्त्ि:
• भले िी भारत अपने रक्षा व्यापार भागीदारों में ववववधता ला रिा िै , ककं तु भारतीय रक्षा सच
ू ी में लगभग
70 प्रततशत की भागीदारी के साथ रूस अभी भी मित्वपूर्णष बना िुआ िै ।
• रूस, भारत का एकमात्र ऐसा रक्षा भागीदार िै , जो अभी भी भारत को परमार्णु पनडुब्बी जैसी मित्वपर्ण
ू ष
प्रौदयोधगककयां दे ने के मलए तैयार िै ।
• रूस और चीन में मध्य उभरते िुए सामररक संबंधों का भारत के मलए सुरक्षा की दृजष्ट्ट से मित्वपर्ण
ू ष
पररर्णाम िो सकते िैं।
• रूस ने ववस्ताररत संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररर्द में स्थायी सीट के मलए भारत के मलए अपने "दृढ़ समथषन"
को पुनः दोिराया िै ।
• रूस ने ‘परमार्णु आपतू तषकताष समि
ू ’ में भारत की सदस्यता के मलए अपना समथषन भी व्यतत ककया िै ।
www.insightsonindia.com 109 InsightsIAS
• आतंकवाद, अफगातनस्तान, जलवायु पररवतषन के खखलाफ संघर्ष का समथषन करने में दोनों दे शों के पारस्पररक
लाभ िैं; SCO, BRICS, G-20 और ASEAN जैसे संगठन।
इंस्टा जजज्ञास:ु
तया आप ‘पारस्पररक लॉजजजस्टतस आदान-प्रदान समझौता’ (Reciprocal Exchange of Logistics Agreement - RELOS)
के बारे में जानते िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

2. यूक्रेन संबंिी मामले


संदभभ:
संयत
ु त राज्य अमेररका, नाटो और यि
ू े न के अधधकाररयों दवारा, यि
ू े न (Ukraine) की सीमा के नजदीक रूस की
असामान्य सैन्य गततववधधयों को लेकर लगभग दो सप्ताि से बयान हदए जा रिे िैं।
संबंधित वििाद के बारे में :
• पव
ू व
ष ती सोववयत संघ के भाग रि चक
ु े ‘यि
ू े न’ और ‘रूस’, दोनों दे शों के मध्य तनाव की जस्थतत, वर्ष
2013 के अंत में ‘यूरोपीय संघ के साथ एक ऐततिामसक राजनीततक और व्यापार समझौते’ को लेकर बढ़
गई। ‘यूिेन’ के रूस-समथषक तत्कालीन राष्ट्रपतत ववतटर यानुकोववच दवारा समझौता वाताष स्थधगत कर
हदए जाने के पश्चात, राजधानी कीव में िफ़्तों तक ववरोध प्रदशषन िुए जो बाद में हिंसा में बदल गए।
• कफर, माचष 2014 में , रूस ने अपने हितों और रूसी भार्ी नागररकों की सुरक्षा का बिाना करते िुए, दक्षक्षर्णी
यि
ू े न में अपने ताकतवर वफादारों की सिायता से, एक स्वायत्त प्रायदवीप ‘क्रीशमया’ पर कब्जा कर मलया।
• इसके तुरंत बाद, यूिेन के ‘डोनेट्स्क’ और ‘लुिान्स्क’ क्षेत्रों में रूसी समथषक अलगाववाहदयों ने ‘कीव’ से
अपनी स्वतंत्रता की घोर्र्णा कर दी, जजसके पश्चात मिीनों तक भारी लड़ाई जारी रिी। वर्ष 2015 में , फ्रांस
और जमषनी की मध्यस्थता में ‘ममंस्क’ में ‘कीव’ और ‘मॉस्को’ के मध्य शांतत समझौते पर िस्ताक्षर ककए
गए, इसके बावजूद ‘यूिेन’ और ‘रूस’ के बीच बार-बार संघर्ष ववराम का उल्लंघन िोता रिा िै ।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान ददए जाने की जरूरत:
दे श के पूवी भाग में ‘कीव’ और रूस समथषक ववद्रोहियों के बीच जारी लड़ाई में चौदि िजार लोग मारे गए िैं।
‘संयुतत राष्ट्र मानवाधधकार उच्चायुतत कायाषलय’ की अतटूबर 2021 की ररपोटष के अनुसार, मारे गए लोगों में 3,393
सामान्य नागररक थे।
अंतराभष्ट्रीय प्रततकक्रया:
यूरोपीय संघ और अमेररका ने िीममया और पूवी यूिेन में रूस की कारष वाइयों के जवाब में कई उपाय ककए िैं,
जजसके तित, अन्य उपायों के साथ-साथ व्यजततयों, संस्थाओं और रूसी अथषव्यवस्था के ववमशष्ट्ट क्षेत्रों को लक्षक्षत
करते िुए आधथषक प्रततबंध लगाए गए िैं।
रूस की प्रततकक्रया
नाटो (NATO) की तरफ यि
ू े न के मलए - िधथयारों, प्रमशक्षर्ण और कममषयों संबंधी- दी जा रिी सिायता को मास्को
अपनी सुरक्षा के मलए एक खतरे के रूप में दे खता िै ।
• रूस दवारा, यि
ू े न पर ‘डोनबास क्षेत्र’ पर कफर से कब्जा करने के प्रयास की तैयारी में , सैतनकों की संख्या
बढ़ाने का भी आरोप लगाया गया िै , जबकक यूिेन इस आरोप से इंकार करता िै ।
• रूसी राष्ट्रपतत व्लाहदमीर पुततन का किना िै कक, पजश्चमी दे श अभी तक अपने वपछले मौखखक आश्वासनों
पर खरे निीं उतरे िैं, इसमलए नाटो के रूसी सीमाओं की ओर ववस्तार पर रोक लगाने िे तु ‘ववमशष्ट्ट कानूनी
समझौतों’ की आवश्यकता िै ।

www.insightsonindia.com 110 InsightsIAS


शमंस्क समझौता (Minsk Agreements):
पहला शमंस्क समझौता (Minsk I): यि
ू े न और रूसी समधथषत अलगाववाहदयों ने मसतंबर 2014 में बेलारूस की
राजधानी शमंस्क में 12-सत्र
ू ीय संघर्ष ववराम समझौते पर सिमतत व्यतत की।
• इसके प्रावधानों में कैहदयों का आदान-प्रदान, मानवीय सिायता का ववतरर्ण और भारी िधथयारों को तैनाती
से िटाया जाना शाममल थे।
• दोनों पक्षों दवारा उल्लंघन ककए जाने से यि समझौता शीघ्र िी टूट गया।
दस
ू रा शमंस्क समझौता (Minsk II):
• वर्ष 2015 में , फ्रांस और जमषनी की मध्यस्थता के तित, ‘दस
ू रे ममंस्क शांतत समझौते’ पर िस्ताक्षर ककए
जाने के बाद एक खुला संघर्ष टल गया था।
• इस समझौते को ववद्रोिी क्षेत्रों में लड़ाई समाप्त करने और सीमा को यूिेन के राष्ट्रीय सैतनकों को सौंपने
के मलए तैयार ककया गया था।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप ‘आजोव सागर’ की
अवजस्थतत के बारे में जानते िैं?
प्रीशलम्स शलंक:
1. ममंस्क समझौतों के बारे में
2. NATO के बारे में
3. यूरोपीय संघ के बारे में
4. िीममया का मित्व
5. यि
ू े न और रूस संघर्ष
में स शलंक: नाटो के मित्व पर चचाष कीजजए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

3. बलधू चस्तान बंदरगाह पर चीनी पररयोजना


संदभभ: नवंबर के दस
ू रे सप्ताि से, ‘चीन-पाककस्तान आधथषक गमलयारा’ (China-Pakistan Economic Corridor - CPEC)
के एक भाग के रूप में , ‘बंदरगाि शिर’ की मेगा ववकास योजनाओं के खखलाफ बलूधचस्तान के ग्वादर में लगातार
ववरोध प्रदशषन िो रिे िैं।
संबंधित प्रकरर्: स्थानीय लोगों दवारा बंदरगाि के ववकास में स्थानीय आबादी के िामशए पर रखे जाने की ओर
ध्यान हदए जाने की मांग की जा रिी िै । स्थानीय लोग इस बात से नाराज िैं कक इन पररयोजनाओं से उन्िें न
केवल बािर ककया जा रिा िै , बजल्क उनकी वतषमान आजीववका भी खतरे में पड़ रिी िै ।
स्र्ानीय धचंताएं:
बलधू चस्तान, पाककस्तान के चार प्रांतों में सबसे अधधक संसाधन संपन्न िोने के बावजद
ू सबसे कम ववकमसत क्षेत्रों
में से एक िै । इस क्षेत्र के लोगों की आजीववका का मख्
ु य साधन मछली पकड़ना िै । बलूधचस्तान में पीने के पानी,
त्रबजली और यिां तक कक गैस तक लोगों की सबसे कम पिुंच िै , जोकक इस क्षेत्र का मुख्य संसाधन िै ।
भारत और पजश्चमी दे शों की धचंताएं: भारत इस बात से धचंततत िै कक ‘ग्वादर बंदरगाि’ चीन को अरब सागर और
हिंद मिासागर तक रर्णनीततक पिुंच प्रदान करता िै । इसे एक व्यापार ‘पुनतनषयाषत पत्तन’ के रूप में ववकमसत ककए
जाने के साथ-साथ ‘चीनी नौसेना (PLAN) के उपयोग िेत’ु दोिरे उददे श्य वाले बंदरगाि के रूप में ववकमसत ककया
जा रिा िै । इसके अलावा, चीन का ‘ग्वादर बंदरगाि’ के माध्यम से हिंद मिासागर क्षेत्र में , म्यांमार के तयाकप्यू
और श्रीलंका के िं बनटोटा तक चीन की उपजस्थतत का ववस्तार करने का इरादा िै ।
पजश्चम एमशया में मित्वपर्ण
ू ष सैन्य हितों को ध्यान में रखते िुए अमेररका भी, ग्वादर में चीनी उपजस्थतत के प्रतत
धचंततत िै ।

www.insightsonindia.com 111 InsightsIAS


CPEC के बारे में :
• चीन-पाककस्तान आधथषक गमलयारा (CPEC), कई-अरब डॉलर की ‘बेल्ट एंड रोड इतनमशएहटव’ (BRI) की प्रमख

पररयोजना के तित, पाककस्तान के ग्वादर से लेकर चीन के मशनजजयांग प्रांत के काशगर तक लगभग
2442 ककलोमीटर लंबी एक वाखर्णजज्यक पररयोजना िै l
• यि चीनी राष्ट्रपतत शी जजनवपंग की एक मित्वाकांक्षी पररयोजना िै , जजसका उददे श्य चीन दवारा ववत्त
पोवर्त बुतनयादी ढांचा पररयोजनाओं के माध्यम से दतु नया ववश्व में बीजजंग के प्रभाव को बढ़ाना िै ।
• इस लगभग 3,000 ककलोमीटर लंबे चीन-पाककस्तान आधथषक गमलयारे (CPEC) में राजमागष, रे लवे और
पाइपलाइन का तनमाषर्ण ककया जाना शाममल िै ।
• इस प्रस्ताववत पररयोजना को भारी-सजब्सडी वाले ऋर्णों दवारा ववत्तपोवर्त ककया जाएगा। पाककस्तान की
सरकार के मलए यि ऋर्ण चीनी बैंककं ग हदग्गजों, जैसे एजतजम बैंक ऑफ चाइना, चीन डेवलपमें ट बैंक तथा
चीन के औदयोधगक और वाखर्णजज्यक बैंक दवारा प्रदान ककया जाएगा।

भारत की धचंताएं:
• यि गमलयारा ‘पाककस्तान अधधकृत कश्मीर’ (POK) के धगलधगत-बाजल्टस्तान और पाककस्तान के वववाहदत
क्षेत्र बलधू चस्तान से िोते िुए गुजरे गा।
• यि पररयोजना पाककस्तान अधधकृत कश्मीर पर भारतीय संप्रुभता के मलए नक
ु सानदे य सात्रबत िोगी l
• CPEC, ग्वादर बंदरगाि के माध्यम से अपनी आपूततष लाइनों को सुरक्षक्षत और छोटा करने के साथ-साथ
हिंद मिासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ाने संबंधी चीनी योजना पर आधाररत िै । अतः यि माना जाता िै
कक CPEC के पररर्णामस्वरूप हिंद मिासागर में चीनी मौजद
ू गी भारत के प्रभाव पर नकारात्मक प्रभाव
डालेगी।
• यातायात और ऊजाष की ममली-जुली इस पररयोजना के तित समुद्र में बंदरगाि को ववकमसत ककए जाएंगे,
जजससे भारतीय हिंद मिासागर तक चीन की पिुंच का रास्ता खल ु ेगाl ग्वादर, बलधू चस्तान के अरब सागर
तट पर जस्थत िै l पाककस्तान के दक्षक्षर्ण-पजश्चम का यि हिस्सा दशकों से अलगाववादी ववद्रोि का मशकार
िै l
www.insightsonindia.com 112 InsightsIAS
इंस्टा जजज्ञासु:
तया आप जानते िैं कक ‘पाक अधधकृत कश्मीर’ (PoK) में िोने वाले चुनावों में शरर्णाधथषयों के मलए 12 सीटें आरक्षक्षत
िैं? स्रोत: द हिंद।ू

4. इंिो-पैशसकफक क्षेत्र
संदभभ: िाल िी में , अमेररकी ववदे श मंत्री एंटनी जब्लंकन ने किा िै कक भारत-प्रशांत (Indo-Pacific) क्षेत्र में चीन की
बढ़ती िठधममषता के खखलाफ संयुतत राज्य अमेररका, एमशया में भागीदारों के साथ अपने सैन्य और आधथषक संबंधों
का ववस्तार करे गा।
‘इंिो-पैशसकफक’ तया है ?
एकल रर्णनीततक क्षेत्र के रूप में ‘इंिो-पैशसकफक’ (Indo- Pacific) की अवधारर्णा, हिंद मिासागर क्षेत्र में चीन के
बढ़ते प्रभाव के पररर्णाम िै । यि, हिंद मिासागर और प्रशांत मिासागर के मध्य परस्पर संपकष तथा सुरक्षा और
वाखर्णज्य के मलए मिासागरों के मित्व का प्रतीक िै ।
‘इंिो-पैशसकफक क्षेत्र’ का महत्ि:
1. क्षेत्रीय संतुलन को बनाए रखने िे तु।
2. भारत की रर्णनीततक जस्थतत में बढ़त के मलए, अमेररका के साथ मजबूत संबंधों को एक मित्वपूर्णष उपकरर्ण
के रूप में दे खा जाता िै ।
3. राष्ट्रीय हितों के मलए दीघषकामलक पररकल्पना।
4. हिंद मिासागर क्षेत्र में चीन की तेजी से बढ़ती उपजस्थतत, व्यापार और सेना के माध्यम से एमशया त्तथा
उससे आगे भूराजनीततक पिुंच का ववस्तार करने के चीनी प्रयास।
5. नौ-पररविन की स्वतंत्रता, क़ानून-आधाररत व्यवस्था का पालन करने तथा व्यापार िे तु सुव्यवजस्थत मािौल
का तनमाषर्ण करने िे तु।
6. मुतत समद्र
ु एवं मत
ु त िवाई मागो तथा कनेजतटववटी के मलए; और अंतरराष्ट्रीय तनयमों और मानकों को
बनाए रखने के मलए।
भारत के शलए ‘इंिो-पैशसकफक क्षेत्र’ की भूशमका एिं तनदहतार्भ:
• इंडो-पैमसकफक / हिंद-प्रशांत क्षेत्र, जैसा कक, राष्ट्रीय सरु क्षा रर्णनीतत में वखर्णषत िै , ववश्व के सबसे अधधक
आबादी वाले और आधथषक रूप से गततमान हिस्से का प्रतततनधधत्व करता िै । यि, भारत के पजश्चमी तट
से संयुतत राज्य के पजश्चमी तट तक ववस्तत
ृ िै ।
• भारत, सदै व से गंभीर राष्ट्रीय मित्वाकांक्षाओं वाला दे श रिा िै और "इंडो-पैमसकफक स्रै टेजी" अवधारर्णा
का सबसे मित्वपूर्णष पैरोकार िै ।
• मुतत अथषव्यवस्था के साथ, भारत, हिंद मिासागर में आने तनकटवती दे शों और ववश्व की प्रमुख समद्र
ु ी
शजततयों के साथ संबंध स्थावपत कर रिा िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘प्रशांत क्षेत्र’ के बारे में ।
2. ‘हिंद मिासागर क्षेत्र’ का अवलोकन।
3. इन क्षेत्रों में अवजस्थत मित्वपूर्णष जलडमरूमध्य,
खाडड़यााँ और मागष।
में स शलंक: भारत के मलए ‘इंडो-पैमसकफक क्षेत्र’ के सामररक
मित्व पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 113 InsightsIAS


5. भारत-ताइिान संबि

भारत और ताइवान दवारा िाल िी में , एक ‘मुतत व्यापार समझौते’ तथा एक ताइवानी फमष दवारा भारत में
‘सेमीकंडतटर तनमाषर्ण सवु वधा’ की स्थापना ककए जाने पर ‘वाताष’ शरू
ु की गयी िै । यि एक मित्वपर्ण
ू ष कदम िै और
दोनों दे शों के, समग्र दववपक्षीय आधथषक जुड़ाव को व्यापक आधार दे ने संबंधी संकल्प को दशाषता िै ।
यहद ‘सेमीकंडतटर तनमाषर्ण संयंत्र’ स्थावपत करने संबंधी उठाया गया कदम सफल िो जाता िै , तो यि ककसी
ताइवानी कंपनी दवारा ककसी अन्य दे श में स्थावपत ककया जाने वाला ऐसा दस
ू री सुववधा िोगी। इससे पिले ताइवान
की एक कंपनी ने ‘संयुतत राज्य अमेररका’ में इसी तरि का एक तनमाषर्ण-केंद्र स्थावपत ककया गया िै ।
ताइिान के संबंि में भारत का दृजष्ट्टकोर्:
• ताइवान के संबंध में भारत की नीतत स्पष्ट्ट और सुसंगत िै , और यि व्यापार, तनवेश और पयषटन के क्षेत्रों
में वाताष को बढ़ावा दे ने पर केंहद्रत िै ।
• सरकार व्यापार, तनवेश, पयषटन, संस्कृतत, मशक्षा और इस तरि के अन्य क्षेत्रों में , लोगों के परस्पर संपकष
एवं वाताषओं को बढ़ावा दे ती िै िै ।
भारत-ताइिान संबंि:
(Indo- Taiwan relations)
यदयवप भारत-ताइवान के मध्य औपचाररक राजनतयक संबंध निीं िैं, कफर भी ताइवान और भारत ववमभन्न क्षेत्रों
में परस्पर सियोग कर रिे िैं।
भारत ने वर्ष 2010 से चीन की ‘वन चाइना’ नीतत का समथषन करने से इनकार कर हदया िै ।
ताइिान के शलए भारत का महत्ि:
ताइवान, ववमभन्न दे शों के साथ अपने संबध
ं ों को प्रगाढ़ करने का प्रयास कर रिा िै ।
• इसके अलावा, चीन दवारा ताइवान पर सैन्य दबाव लगातार बढ़ाया जा रिा िै , जजसके तित चीन, इस
लोकतांत्रत्रक ताइवान के समीप चीनी युदधक ववमानों के अमभयान चला रिा िै । बीजजंग, ताइवान अपना
दावा करता िै और इस पर बलपूवक
ष कब्जा करने से इसे कोई गुरेज निीं िै ।
आगे की राह:
भारत और ताइवान, अपनी साझेदारी के 25 साल परू े िोने का जश्न मना रिे िैं।
हदल्ली और ताइपे के बीच, सामूहिक एवं पारस्पररक प्रयासों के तित, कृवर्, तनवेश, सीमा शुल्क सियोग, नागररक
उड्डयन, औदयोधगक सियोग और अन्य क्षेत्रों सहित कई दववपक्षीय समझौते ककए गए िैं। दोनों दे शों के मध्य
बढ़ते िुए संबध
ं ों से इस बात का संकेत ममलता िै , कक भारत-ताइवान संबंधों को कफर से नया स्वरूप दे ने का समय
आ गया िै ।
आिश्यकता:
• दोनों पक्षों दवारा एक तनजश्चत समय सीमा के भीतर, एक रोड मैप तैयार करने के मलए ‘अधधकार प्राप्त
व्यजततयों’ या ‘टास्क फोसष’ का गठन ककया जा सकता िै ।
• यि दोनों दे शों के मध्य ‘स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र’ में सियोग बढ़ाने का उधचत समय िै ।
• ताइवान अपनी जैव-अनुकूल प्रौदयोधगककयों के माध्यम से, इस चुनौती से तनपटने में एक मूल्यवान
भागीदार िो सकता िै ।
चीन- ताइिान संबि
ं : पष्ट्ृ ठभूशम
चीन, अपनी ‘वन चाइना’ (One China) नीतत के जररए ताइवान पर अपना दावा करता िै । सन ् 1949 में चीन में
दो दशक तक चले गि
ृ यद
ु ध के अंत में जब 'पीपल्
ु स ररपजब्लक ऑफ चाइना' के संस्थापक माओत्से तंग
ु ने परू े चीन
पर अपना अधधकार जमा मलया तो ववरोधी राष्ट्रवादी पाटी के नेता और समथषक ताइवान दवीप पर भाग गए।
इसके बाद से 'पीपुल्स ररपजब्लक ऑफ चाइना' ने ताइवान को बीजजंग के अधीन लाने, जरूरत पड़ने पर बल-प्रयोग
करने का भी प्रर्ण मलया िुआ िै ।
www.insightsonindia.com 114 InsightsIAS
• िालांकक, ताइवान एक स्िशाशसत दे श है और िास्तविक रूप से स्ितंत्र िै , लेककन इसने कभी भी औपचाररक
रूप से चीन से स्वतंत्रता की घोर्र्णा निीं की िै ।
• "एक दे श, दो प्रर्ाली" (one country, two systems) सत्र
ू के तित, ताइवान, अपने मामलों को खद
ु संचामलत
करता िै ; हांगकांग में इसी प्रकार की समान व्यिस्र्ा का उपयोग ककया जाता िै ।
• वतषमान में , चीन, ताइवान पर अपना दावा करता िै , और इसे एक राष्ट्र के रूप में मान्यता दे ने वाले दे शों
के साथ राजनतयक संबध
ं निीं रखने की बात करता िै ।
इंस्टा जजज्ञासु:
तया आप जानते िैं कक चीन की आपवत्तयों के कारर्ण ताइवान आज तक WHO का सदस्य निीं बन सका िै ? इस
ववर्य के बारे में और जानने िे तु पढ़ें ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ताइवान की अवजस्थतत और इसकी ऐततिामसक
पष्ट्ृ ठभूमम।
2. वन चाइना नीतत के तित चीन दवारा प्रशामसत क्षेत्र।
3. तया ताइवान का WHO और संयुतत राष्ट्र में
प्रतततनधधत्व ककया गया िै?
4. दक्षक्षर्ण चीन सागर में जस्थत दे श।
5. कुइंग राजवंश (Qing dynasty)।
में स शलंक: भारत- ताइवान दववपक्षीय संबंधों पर एक हटप्पर्णी मलखखए।
स्रोत: द हिंद।ू

6. भारत द्िारा म्यांमार में लोकतंत्र को शीघ्र बहाल ककए जाने की मांग
संदभभ: िाल िी में, भारत ने म्यांमार के सैन्य शासकों इस बात से अवगत करा हदया िै , कक वि म्यांमार में लोकतंत्र
की शीघ्र वापसी चािता िै ।
संबंधित प्रकरर्: ववरोध करने वाले नागररकों पर हिंसक कारष वाई ककए जाने के कारर्ण, म्यांमार अंतरराष्ट्रीय स्तर
पर अलग-थलग पड़ गया िै।
भारत की मांगें:
1. म्यांमार में लोकतंत्र की शीघ्राततशीघ्र वापसी;
2. हिरासत में मलए गए व्यजततयों और बंहदयों की ररिाई;
3. वाताष के जररए मुददों का समाधान;
4. सभी प्रकार की हिंसा की पर्ण
ू ष समाजप्त।
भारत के इस कदम का महत्ि:
2 फरवरी से िी, भारत दवारा म्यांमार में लोकतांत्रत्रक तत्वों के खखलाफ जारी सैन्य अमभयान पर धचंता व्यतत की
जा रिी िै । लेककन, इस िामलया बयान का अततररतत मित्व िै , तयोंकक पिली बार सरकार ने संकेत हदया िै , कक
भारत इस संकट को समाप्त करने के मलए ववमभन्न पक्षों के बीच मध्यस्थता करने के मलए तैयार िै ।
म्यांमार में हो रही हाशलया घटनाएाँ:
इसी वर्ष 1 फरवरी को, म्यांमार की सेना ने नोबेल पुरस्कार ववजेता ‘आंग सान सू की’ की लोकतांत्रत्रक रूप से चुनी
गई सरकार के खखलाफ तख्तापलट कर हदया था। सेना ने वपछले साल नवंबर में िुए चुनावों में ‘आंग सान सू की’
की सत्ताधारी पाटी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया था।
िालांकक, सेना दवारा लगाए गए इस आरोप को दे श के वपछले चन
ु ाव आयोग और अंतरराष्ट्रीय तनगरानीकताषओं ने
खाररज कर हदया िै ।

www.insightsonindia.com 115 InsightsIAS


‘संयुतत राष्ट्र’ में म्यांमार पर भारत का दृजष्ट्टकोर्:
भारत ने ‘संयत
ु त राष्ट्र मिासभा’ (UNGA) में म्यांमार के णखलाफ शस्त्र प्रततबंि लगाए जाने संबध
ं ी प्रस्ताव पर
िोने वाले मतदान में भाग निीं मलया।
इस प्रस्ताव के पक्ष में 119 दे शों ने मतदान ककया जबकक म्यांमार के पड़ोसी दे श भारत, बांग्लादे श, भूटान, चीन,
नेपाल, थाईलैंड और लाओस समेत 36 दे शों ने मतदान में दहस्सा नहीं शलया। बेलारूस एकमात्र ऐसा दे श था जजसने
प्रस्ताव के खखलाफ मतदान ककया।
भारत द्िारा मतदान में भाग नहीं लेने का कारर्:
1. भारत का किना िै , कक ‘मिासभा’ दवारा पाररत ककए जाने से पिले ‘मसौदा प्रस्ताव’ में िमारे ववचार
प्रततत्रबंत्रबत िोते प्रतीत निीं िो रिे थे।
2. भारत का मानना िै , कक इस प्रस्ताव को इस समय स्वीकृत करना ‘म्यांमार में लोकतांत्रत्रक प्रकिया को
मजबत
ू करने की हदशा में िमारे संयत
ु त प्रयासों के मलए अनक
ु ू ल निीं िै ’।
संयुतत राष्ट्र प्रस्ताि (UN Resolution) के बारे में :
संयुतत राष्ट्र मिासभा ने म्यांमार की सैन्य सरकार के खखलाफ व्यापक वैजश्वक ववरोध प्रकट करते िुए एक प्रस्ताि
पाररत कर दे श में सैन्य तख्तापलट की तनंदा की िै ।
• साथ िी प्रस्ताव में , म्यांमार के खखलाफ शस्त्र प्रततबंध का आहवान ककया िै और लोकतांत्रत्रक रूप से चन
ु ी
िुई सरकार को बिाल करने की मांग की िै ।
• प्रस्ताव में , म्यांमार के सशस्त्र बलों से 8 नवंबर, 2020 को िुए आम चुनाव के पररर्णामों दवारा स्वतंत्र रूप
से व्यतत की गई लोगों की इच्छा का सम्मान करने की मांग की गई िै ।
भारत दवारा म्यांमार के संदभष में ‘आशसयान’ द्िारा की जा रही एक पहल तथा 'पांच सत्र
ू ीय सहमतत' का समथषन
ककया जा रिा िै : इसमें शाशमल है :
1. हिंसा पर तत्काल रोक
2. शांततपूर्णष समाधान िे तु म्यांमार में सभी हितधारकों के बीच संवाद
3. मध्यस्थता िे तु एक ववशेर् आमसयान प्रतततनधध की तनयुजतत
4. म्यांमार के मलए सिायता प्रदान करना
5. आमसयान प्रतततनधध दवारा म्यांमार का दौरा
म्यांमार के हालातों पर भारत को तयों धचंततत होना चादहए?
• भारत के मलए, म्यांमार की जस्थतत के संदभष में काफी कुछ दांव पर लगा िुआ िै , तयोंकक म्यांमार के
भीतर अजस्थरता का मािौल बने रिने से पूवोत्तर क्षेत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता िै ।
• म्यांमार में गरु रल्ला समह
ू ों / छापामार संगठनों दवारा अपनी गततववधधयों को कफर से शरू
ु करने के संबंध
में खबरें ममल रिी िैं, और दे श में कानून और व्यवस्था के भंग िोने से पूवोत्तर भारत में आतंकवादी
समूिों को मौके का लाभ उठाने का अवसर ममल जाएगा।
भारत की अगली प्रततकक्रया:
भारत की प्रततकिया इस बार अलग िोने की संभावना िै । भारत म्यांमार में लोकतंत्र की परवाि करता िै और
इसका मित्व जानते िुए भी वि सैन्य तख्तापलट का ववरोध करने का जोखखम निीं उठा सकता िै । तयोंकक:
• म्यांमार की सेना के सार् भारत के सुरक्षा संबंि काफी प्रगाढ़ िो चक
ु े िैं, और भारत के मलए, उत्तर पूवी
सीमाओं को ववद्रोिी समूिों से सुरक्षक्षत करने में म्यांमार सेना की सिायता की जरूरत को दे खते िुए ‘संबध
ं ों
के पल
ु ’ को जलाना मजु श्कल िोगा।
• ‘आंग सान सू की’ की छवि में बदलाि: लोकतंत्र की प्रतीक और नोबेल शांतत पुरस्कार ववजेता के रूप में
सुश्री ‘सू की’ की छवव उनके कायषकाल के दौरान काफी धूममल िो चुकी िै । वर्ष 2015 में अपने कायषकाल

www.insightsonindia.com 116 InsightsIAS


में सुश्री ‘सू की’ सेना रखाइन राज्य में रोहिंग्या समद
ु ाय पर नश
ृ ंसता करने से रोकने में ववफल रिीं और
उन्िोंने इस मामले से सेना का बचाव भी ककया था।
• चीन के शलए लाभ: अमेररका की तरि भारत की कठोर प्रततकिया से मख्
ु यतः चीन को लाभ िोगा। अमेररका
ने, सेना दवारा ककये गए कब्जे को समाप्त निीं करने पर, "तख्तापलट" के मलए जजम्मेदार लोगों के
खखलाफ कारष वाई की धमकी दी िै ।
• रर्नीततक धचंताओं के अलािा, भारत ने म्यांमार में कई अवसंरचना एवं ववकास पररयोजनाओं में तनवेश
ककया िै । भारत इन पररयोजनाओं के मलए ‘आमसयान दे शों तथा पूवष के प्रवेश दवार’ के रूप में दे खता िै
(उदािरर्णाथष: भारत-म्यांमार-र्ाईलैंि त्रत्रपक्षीय राजमागष और कलादान बहु-मोिल पारगमन पररिहन नेटिकभ,
सीटवे डीप वाटर पोटष (Sittwe deep-water port) पर एक विशेष आधर्भक क्षेत्र पररयोजना)।
• इसके अलावा, भारत के मलए अभी भी बांग्लादे श में पलायन करने वाले रोदहंग्या शरर्ाधर्भयों के मुद्दे को
सल
ु झाने में मदद करने की उम्मीद िै , और इस ववर्य पर म्यांमार सरकार से वाताष जारी रखना चािे गा।
भारत में भी कुछ रोहिंग्या शरर्णाधथषयों ने पलायन ककया िै ।
म्यांमार का सैन्य संवििान:
म्यांमार में सेना दवारा वर्ष 2008 में एक संववधान का मसौदा तैयार ककया गया था, और इसी वर्ष अप्रैल में इस
पर संदेिास्पद जनमत संग्रि कराया गया था।
• यि संववधान, सेना दवारा तैयार ककया गया ‘लोकतंत्र का रोडमैप’ था, जजसे सेना ने पजश्चमी दे शों के दबाव
के कारर्ण तनममषत ककया था।
• इसके अलावा, सैन्य शासन के मलए यि अिसास भी िो चुका था कक म्यांमार को बािरी दतु नया के मलए
खोलना अब एक ववकल्प निीं बजल्क एक गंभीर जरूरत भी िै ।
• लेककन सेना ने संववधान में अपनी भूममका और राष्ट्रीय मामलों में वचषस्व को सतु नजश्चत कर मलया था।
• संववधान के प्रावधानों के तित, संसद के दोनों सदनों में 25 प्रततशत सीटें सेना के मलए आरक्षक्षत की गयी
िै , जजन पर सैन्य अधधकाररयों को नाममत ककया जाता िै ।
साथ िी, एक प्रतततनधध राजनीततक दल का गठन ककया गया जो सेना की ओर से चुनावों में भाग लेता िै ।
इंस्टा जजज्ञास:ु
तया आप जानते िैं कक संयुतत राष्ट्र में कोई भी तनर्णषय ककस प्रकार मलए जाते िैं? इस बारे में जानकारी के मलए
पहढ़ए।
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:दववपक्षीय, क्षेत्रीय और वैजश्वक समूि और भारत से संबंधधत और/अथवा भारत के हितों को प्रभाववत करने
वाले करार।
1. लॉजजजस्टतस समझौते और उनके लाभ
संदभभ:
भारत सरकार दवारा शीघ्र िी रूस के साथ एक दववपक्षीय ‘लॉजजजस्टतस समझौते, पारस्पररक लॉजजजस्टतस ववतनयम
समझौता’ (Reciprocal Exchange of Logistics Agreement - RELOS) को अंततम रूप हदया जाएगा।
RELOS के बारे में :
पारस्पररक लॉजजजस्टतस ववतनयम समझौता’ (Reciprocal Exchange of Logistics Agreement - RELOS) का उददे श्य
‘लॉजजजस्टतस’ (प्रचालन-तंत्र) के अंतर-संचालन और साझा करने को बढ़ावा दे ना िै, अतः यि सैन्य क्षेत्र में संबंधों
को प्रगाढ़ करने की हदशा में मित्वपूर्णष कदम िोगा।
लंबे समय से त्रबलंत्रबत इस समझौते पर वर्ष 2019 में िस्ताक्षर ककए जाने थे, लेककन कुछ शतों को अंततम रूप
हदए जाने तक इसे टाल हदया गया था।

www.insightsonindia.com 117 InsightsIAS


भारत और अन्य दे शों के मध्य इसी तरह के अन्य समझौते:
भारत दवारा ‘चतुपक्ष
ष ीय सरु क्षा वाताष’ या ‘तवाड’ साझेदारों अमेररका, जापान और ऑस्रे मलया तथा मसंगापुर, फ्रांस
और दक्षक्षर्ण कोररया सहित कुल छि दे शों के साथ ‘लॉजजजस्टक एतसचें ज’ समझौते ककए जा चक
ु े िैं।
‘लॉजजजस्टतस समझौते’ तया होते हैं?
लॉजजजस्टतस समझौते (Logistics Agreements), संबधं धत दे शों के मध्य, ईंधन के आदान-प्रदान िे तु सैन्य सुववधाओं
का उपयोग करने के मलए परस्पर समझौतों पर आधाररत प्रशासतनक व्यवस्थाएं िोती िैं।
• इन समझौतों के माध्यम से, लॉजजजस्टक अथाषत सामररक कियान्वयन या रसद संबध
ं ी सिायता में आसानी
िोती िै और भारत को अपनी सीमा से दरू सैन्य-कारष वाइयों के दौरान, पररचालन संबंधी सामग्री तेजी से
पिुंचाई और वापस लाई जा सकती िै ।
• भारत दवारा वर्ष 2016 में अमेररका के साथ ‘लॉजजजस्टतस एतसचें ज मेमोरें डम ऑफ एग्रीमें ट’ (LEMOA) के
साथ शरु
ु आत करते िुए सभी तवाड दे शों, फ्रांस, मसंगापरु और दक्षक्षर्ण कोररया के साथ कई लॉजजजस्टतस
समझौतों पर िस्ताक्षर ककए जा चुके िैं।
लॉजजजस्टतस समझौतों के लाभ:
इन प्रशासतनक व्यवस्थाओं का सवाषधधक लाभ नौसेना के मलए ममला िै । कई दे शों के साथ िस्ताक्षररत ‘लॉजजजस्टतस
समझौतों’ की वजि से, पररचालन संबध
ं ी सामग्री लाने और लेजाने की क्षमता में सुधार और, भारतीय सीमा से
दरू गिरे समद्र
ु ों में नौसेना की अंतर-संचालन क्षमता में वद
ृ धध िुई िै ।
‘LEMOA’ तया है ?
यि अमेररका दवारा कई सैन्य-सियोगी संबंध रखने वाले दे शों के साथ ककए गए ‘लॉजजजस्टतस सियोग समझौता’
(Logistics Support Agreement - LSA) का भारत के मलए ववशेर् रूप से तैयार ककया गया संस्करर्ण िै ।
• ‘लॉजजजस्टतस एतसचें ज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट’ (Logistics Exchange Memorandum of Agreement -
LEMOA) भारत और अमेररका के मध्य िस्ताक्षररत ‘तीन बुतनयादी समझौतों’ में से एक िै ।
• LEMOA के तित दोनों दे शों को ईंधन भरने और आवश्यक सामग्री की पुनःपूततष के उददे श्य से दोनों ओर
तनहदष ष्ट्ट सैन्य सुववधाओं का उपयोग करने अनुमतत दी गयी िै ।
इंस्टा जजज्ञास:ु भारत और अमेररका के मध्य िस्ताक्षररत ‘तीन बतु नयादी समझौते’ कौन से िैं?
प्रीशलम्स शलंक:
1. बुतनयादी समझौते तया िोते िैं?
2. LEMOA तया िै?
3. लॉजजजस्टतस समझौते तया िैं।
में स शलंक: दववपक्षीय लॉजजजस्टतस समझौतों के लाभों पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

2. G7 समूह
संदभभ:
िाल िी में , त्रब्रटे न दवारा उत्तरी इंजग्लश शिर ‘मलवरपल
ू ’ में आयोजजत ववदे श मंत्रत्रयों की बैठक में ‘G7 समि
ू ’ दवारा
यूिेन की ओर रूसी आिामकता के खखलाफ एक संयत
ु त मोचाष बनाए जाने का प्रस्ताव ककया गया िै ।
• यि तनर्णषय, ‘G7 समूि’ की िाल िी में आयोजजत बैठक में मलया गया था। इस बैठक में अमेररकी ववदे श
मंत्री एंटनी जब्लंकन और फ्रांस, इटली, जमषनी, जापान और कनाडा के उनके समकक्षों ने भी व्यजततगत रूप
से भाग मलया था।
• यि तनर्णषय अंतरराष्ट्रीय समद
ु ाय दवारा रूस के यि
ू े न पर आिमर्ण ककए जाने की संभावना पर की जा
रिी धचंता को दे खते िुए ककया गया िै । यदयवप रूस ने ऐसे ककसी िमले की योजना से इनकार ककया िै ।

www.insightsonindia.com 118 InsightsIAS


संबंधित प्रकरर्: वतषमान में यूिेन, पजश्चमी और पूवी यूरोप के बीच संबध
ं ों में तनाव में केंद्र त्रबंद ु बना िुआ िै ।
िाल िी में , यूिेन दवारा रूस पर इसकी सीमा के नजदीक संभाववत सैन्य िमले की तैयारी के मलए िजारों सैतनकों
को इकट्ठा करने का आरोप लगाया जा रिा िै ।
रूस ने यि
ू े न और संयुतत राज्य अमेररका पर भड़काने वाला व्यविार करने का आरोप लगाया िै , और किा िै कक
उसे अपनी सुरक्षा के मलए ‘सुरक्षा गारं टी’ की आवश्यकता िै ।
G7 समूह के बारे में :
• G7 की स्थापना वर्ष 1975 में मूलतः G8 के रूप में की गयी थी, यि ववश्व के अग्रर्णी औदयोधगक दे शों
को एक साथ लाने वाला एक अनौपचाररक फोरम िै ।
• संरचना: जी-7 मशखर सम्मेलन में यूरोपीय संघ (European Union -EU) तथा कनाडा, फ्रांस,जमषनी, इटली,
जापान, यूनाइटे ड ककं गडम, संयुतत राज्य अमेररका के प्रततनधध भाग लेते िैं।
• जी -7 का प्रमख
ु उद्दे श्य अंतरराष्ट्रीय आधथषक मद
ु दों पर चचाष और ववचार-ववमशष करना िै । समय-समय
यि आधथषक मुददों पर ववशेर् ध्यान दे ने के अलावा अन्य वैजश्वक समस्याओं का समाधान करने के मलए
सिमतत से कायष करता िै ।
G7 का G8 में रूपांतरर्:
• वर्ष 1998 में रूस को औपचाररक रूप से G-7 समूि में एक सदस्य के रूप में सजम्ममलत ककया गया था,
इसके पश्चात G-7 समि
ू G-8 में पररवततषत िो गया।
• वर्ष 2014 में रूसी राष्ट्रपतत व्लाहदमीर पुततन दवारा पव
ू ी उिेन में रूसी सैतनकों की तैनाती तथा िीममया
पर कब्जे को लेकर अन्य जी 8 राष्ट्रों ने इन कायषवाहियों की कड़ी आलोचना की।
• G-8 समि
ू के अन्य राष्ट्रों दवारा रूस की इन कायषवाहियों पररर्णामस्वरूप रूस को जी-8 समि
ू से तनलंत्रबत
करने का तनर्णषय ककया गया तथा वर्ष 2014 में पुनः जी-7 समूि बन गया।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप ‘चार एमशयाई बाघों’
(Four Asian Tigers) के बारे में जानते िैं?
प्रीशलम्स शलंक:
1. G7, G8, G10, G15, G20, G24 समि
ू दे श।
2. सदस्य दे शों की भौगोमलक जस्थतत
में स शलंक: वतषमान में जी-7 दे शों की प्रासंधगकता
पर चचाष कीजजए। समूि को अधधक प्रभावी बनाने
के मलए तया सुधार आवश्यक िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

3. व्यापक आधर्भक सहयोग समझौता


संदभभ: भारत और ऑस्रे मलया के मध्य दववपक्षीय ‘व्यापक आधथषक सियोग समझौते’ (Comprehensive Economic
Cooperation Agreement - CECA) के संबंध में वाताष तीव्र गतत से जारी िै ।

www.insightsonindia.com 119 InsightsIAS


भारत-ऑस्रे शलया द्विपक्षीय व्यापार:
1. ववत्त वर्ष 2011 में भारत दवारा ऑस्रे मलया के मलए $4.04 त्रबमलयन कीमत का तनयाषत ककया गया था,
जबकक ऑस्रे मलया से $8.24 त्रबमलयन का आयात ककया गया।
2. ऑस्रे मलया को तनयाषत ककए जाने वाली प्रमख
ु वस्तुओं में पेरोमलयम उत्पाद, दवाएं, पॉमलश ककए गए िीरे ,
सोने के आभूर्र्ण, पररधान आहद शाममल थे, जबकक ऑस्रे मलया मुख्यतः कोयला, तरल नाइरोजन गैस
(LNG), एल्यूममना और गैर-मौहद्रक सोना, आहद का आयात ककया गया।
3. सेवा क्षेत्र में, भारत दवारा ककए गए तनयाषत में यात्रा, दरू संचार और कंप्यूटर, सरकारी और ववत्तीय सेवाएं
आहद शाममल थी, जबकक ऑस्रे मलया से िोने वाले सेवा क्षेत्रक आयात में मख्
ु यतः मशक्षा और तनजी यात्राएाँ
शाममल थी।
4. वर्ष 2020 में भारत, मुख्यतः कोयला और अंतराषष्ट्रीय मशक्षा के व्यापार की वजि से, ऑस्रे मलया का सातवां
सबसे बड़ा व्यापाररक भागीदार तथा छठा सबसे बड़ा तनयाषत गंतव्य दे श था।
इंस्टा जजज्ञासु:
CECA और CEPA के मध्य अंतर:
1. CECA का तात्पयष ‘व्यापक आधथषक सियोग समझौता’ (Comprehensive Economic Cooperation Agreement)
िोता िै , जबकक
2. CEPA का तात्पयष ‘व्यापक आधथषक भागीदारी समझौता’ (Comprehensive Economic Partnership
Agreement) से िै ।
CECA और CEPA के बीच प्रमुख "तकनीकी" अंतर यि िै , कक ‘व्यापक आधथषक सियोग समझौते’ (CECA) में
‘नकारात्मक सच
ू ी’ और टै ररफ दर कोटा (TRQ) में शाममल मदों को छोड़कर, सच
ू ीबदध/सभी वस्तओ
ु ं पर चरर्णबदध
तरीके से केवल "टै ररफ में कमी/उन्मूलन” को शाममल ककया जाता िै ।
• ‘व्यापक आधथषक भागीदारी समझौता’ (CEPA) के अंतगषत, सेवाओं, तनवेश तथा ‘आधथषक साझेदारी के अन्य
क्षेत्रों’ में व्यापार को भी शाममल ककया जाता िै ।
• अतः CEPA, ‘व्यापक आधथषक सियोग समझौते’ (CECA) की तुलना में अधधक व्यापक िोता िै , और इसका
ववस्तार अधधक िोता िै ।
• आमतौर पर, ककसी दे श के साथ पिले ‘व्यापक आधथषक सियोग समझौते’ (CECA) पर िस्ताक्षर ककए जाते
िैं और उसके बाद ‘व्यापक आधथषक भागीदारी समझौता’ (CEPA) के मलए बातचीत शुरू की जाती िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘व्यापक आधथषक सियोग समझौता’ (CECA) के बारे में
2. ‘व्यापक आधथषक भागीदारी समझौता’ (CEPA) के बारे में
3. अन्य दे शों के साथ भारत के ‘मुतत व्यापार समझौते’ (FTAs)।
में स शलंक: भारत-ऑस्रे मलया ‘व्यापक आधथषक सियोग समझौता’ (CECA) के मित्व पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:भारत के हितों पर ववकमसत तथा ववकासशील दे शों की नीततयों तथा राजनीतत का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।
1. हांगकांग का प्रशासन
संदभभ: िांगकांग के अधधकारी, अपनी बीजजंग-गठबंधन सरकार की आलोचना करने वाले सावषजतनक ववमशष पर नगर-
राज्य की पकड़ को मजबत
ू करने िे तु नए कानूनों का अनुकरर्ण कर रिे िैं।
आिश्यकता:
नगर-राज्य के तनवासी, अपने ववचारों पर खद
ु िी सेंसरमशप लगा रिे िैं, और कई लोगों को लगता िै कक उनके
शिर की प्रगततशील पिचान स्थायी रूप से खो गई िै ।

www.insightsonindia.com 120 InsightsIAS


हांगकांग की प्रशासन-विधि:
िांगकांग, ‘एक दे श दो प्रर्णाली’ (One Country Two Systems) पदधतत से प्रशामसत िोता िै । ‘िांगकांग’ और ‘मकाऊ’
ववशेर् प्रशासतनक क्षेत्र िैं और दोनों पव
ू ष उपतनवेश रि चक
ु े िैं।
नीतत के अनुसार, ‘िांगकांग’ और ‘मकाऊ’, चीनी जनवादी गर्णराज्य का हिस्सा िोने के बावजूद, चीन की मुख्य
भूमम की नीततयों से मभन्न आधथषक और राजनीततक व्यवस्था अपना सकते िैं।
• िांगकांग, 1 जुलाई, 1997 से वापस चीन के तनयंत्रर्ण में आ गया था, और 20 हदसंबर, 1999 को ‘मकाऊ’
की संप्रभुता चीन को स्थानांतररत कर दी गई थी।
• इन क्षेत्रों की अपनी मद्र
ु ाएं, आधथषक और कानन
ू ी प्रर्णामलयां िैं, ककं तु रक्षा और कूटनीतत बीजजंग दवारा तय
की जाती िै ।
• उनके लघ-ु संववधान 50 वर्ों तक - अथाषत िांगकांग के मलए 2047 तक और मकाऊ के मलए 2049 तक
वैध िै । इस अवधध के बाद की व्यवस्था अभी स्पष्ट्ट निीं िै ।

विदे शी प्रततबंिों का जिाब दे ने के शलए हांगकांग में चीनी कानून:


ववदे शी प्रततबंधों का जवाब दे ने के मलए िांगकांग में चीन की मुख्य भूमम के एक क़ानून लागू ककए जाने पर कायष
ककया जा रिा िै ।
इस कानन
ू को, बीजजंग की ववधातयका के बजाय िांगकांग की ववधातयका के माध्यम से पेश ककए जाने का प्रस्ताव
ककया गया िै । इस क़ानून को िांगकांग के ‘लघु-संववधान’ (mini-constitution) की पररमशष्ट्ट में जोड़ा जाएगा।
िांगकांग के ‘ममनी-काजन्स्टटूशन’ को ‘बेमसक लॉ’ के रूप में भी जाना जाता िै ।
‘प्रस्तावित कानन
ू ’ तया है ?
1. बीजजंग दवारा जून माि में एक कानून पाररत ककया गया था, जजसके तित चीनी नागररकों या संस्थाओं
के खखलाफ भेदभाव करने या ववभेदकारी तरीके लागू करने वाले व्यजततयों या इकाईयों को चीनी सरकार
की ‘प्रततबंध-रोधी सूची’ (anti-sanctions list) में रखा जा सकता िै ।
2. चीन के कानून के तित, इस सूची में शाममल व्यजततयों को चीन में प्रवेश से वंधचत ककया जा सकता िै
या दे श से तनष्ट्कामसत ककया जा सकता िै ।
3. क़ानून के तित, चीन में ऐसे व्यजततयों की संपवत्त को जब्त या तनष्ट्िय ककया जा सकता िै । इनके मलए
चीन की संस्थाओं या नागररकों के साथ कारोबार करने से भी प्रततबंधधत ककया जा सकता िै ।

www.insightsonindia.com 121 InsightsIAS


इस क़ानून को लागू करने की आिश्यकता:
• संयुतत राज्य अमेररका और यूरोपीय संघ दवारा, चीन पर व्यापार, िांगकांग और खझंजजयांग के सुदरू
पजश्चमी क्षेत्र को लेकर दबाव डालने की वजि से इस क़ानन
ू को लाया गया िै ।
इस कानून से जुड़ी धचंताएं और मुद्दे :
• आलोचकों ने चेतावनी दे ते िुए किा िै , कक िांगकांग दवारा इस कानून को लागू करने से ‘वैजश्वक ववत्तीय
केंद्र’ के रूप में इसकी प्रततष्ट्ठा कम िो सकती िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. िांगकांग के बारे में
2. यि कब स्वतंत्र िुआ?
3. ‘एक दे श दो प्रर्णाली’ पदधतत के बारे में
4. प्रस्ताववत कानन
ू की मख्
ु य ववशेर्ताएं
में स शलंक: प्रस्ताववत कानून के तनहिताथों पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

2. एस-400 और CAATSA
संदभभ: अमेररकी ववदे श ववभाग के प्रवतता ने इस बात का संकेत दे ते िुए किा कक, भले िी S-400 रायम्फ एंटी-
एयरिाफ्ट ममसाइल मसस्टम सौदे को मंजूरी निीं दी जाए, कफर भी भारत के मलए कोई आम छूट (blanket waiver)
निीं दी जाएगी, और भारत और रूस के बीच िोने वाले कोई अन्य ‘मित्वपर्ण
ू ’ष सैन्य एवं परमार्णु सौदा िोने पर
भी ‘अमेररकी प्रततदवंदववयों को प्रततबंधो के माध्यम से प्रत्युत्तर अधधतनयम‘ (Countering America’s Adversaries
Through Sanctions Act - CAATSA) के तित भारत पर अमेररकी प्रततबंध लगाए जा सकते िैं।

www.insightsonindia.com 122 InsightsIAS


संबंधित धचंताएं: वर्ष 2016 में भारत के दवारा रूस
के साथ इस सौदे की घोर्र्णा ककए जाने के बाद
से वामशंगटन में बेचैनी बनी िुई िै । रूस अभी भी
नई हदल्ली का सबसे बड़ा रक्षा भागीदार बना िुआ
िै ।
S-400 सौदे पर अमेररका के CAATSA कानून के
तित भारत पर प्रततबंध लगाए जा सकते िैं।
अमेररका इसी तरि की खरीद पर पिले भी चीन
और तुकी पर प्रततबंध लगा चुका िै ।
S-400 िायु रक्षा प्रर्ाली एिं भारत के शलए इसकी
आिश्यकता:
S-400 रायम्फ (Triumf) रूस दवारा डडजाइन की
गयी एक मोबाइल, सति से िवा में मार करने
वाली ममसाइल प्रर्णाली (surface-to-air missile
system- SAM) िै ।
• यि ववश्व में सबसे खतरनाक, आधतु नक एवं पररचालन िे तु तैनात की जाने वाली लंबी दरू ी की सति से
िवा में मार करने वाली ममसाइल प्रर्णाली SAM (MLR SAM) िै , जजसे अमेररका दवारा ववकमसत, ‘टममषनल िाई
एल्टीट्यूड एररया डडफेंस’ (Terminal High Altitude Area Defence - THAAD) से काफी उन्नत माना जाता िै ।
CAATSA तया है ?
‘अमेररकी प्रततदवंदववयों को प्रततबंधो के माध्यम से प्रत्युत्तर अधधतनयम’ (Countering America’s Adversaries
Through Sanctions Act- CAATSA) का प्रमुख उददे श्य दं डात्मक उपायों के माध्यम से
ईरान, उत्तर कोररया और रूस को प्रत्युत्तर दे ना िै ।
• यि क़ानून वर्ष 2017 में अधधतनयममत ककया गया था।
• इसके तित, रूस के रक्षा और ख़कु फ़या क्षेत्रों में मित्वपर्ण
ू ष लेनदे न करने वाले
दे शों के खखलाफ लगाए जाने वाले प्रततबंधो को शाममल ककया गया िै ।
लगाये जाने िाले प्रततबंि:
1. अमभहित व्यजतत (sanctioned person) के मलए ऋर्णों पर प्रततबंध।
2. अमभहित व्यजततयों को तनयाषत करने िे तु ‘तनयाषत-आयात बैंक’ सिायता का
तनर्ेध।
3. संयुतत राज्य सरकार दवारा अमभहित व्यजतत से वस्तुओं या सेवाओं की
खरीद पर प्रततबंध।
4. अमभहित व्यजतत के नजदीकी लोगों को वीजा से मनािी।
सौदे का महत्ि:
S-400 रक्षा प्रर्णाली समझौते संबंधी तनर्णषय इस बात का एक बिुत सशतत उदािरर्ण
िै , कक अंतरराष्ट्रीय भागीदारों को चुनने के मलए, ववशेर्कर राष्ट्रीय हित और राष्ट्रीय
सुरक्षा के मुददों की बात आती िै , तब िमारी रक्षा और रर्णनीततक साझेदारी ककतनी
उन्नत िै , और भारतीय संप्रभत
ु ा ककतनी मजबत
ू िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप ‘बुतनयादी समझौतों’ (Foundational Agreements) के बारे में
जानते िैं? तीन समझौतों को ‘बुतनयादी समझौता’ किा जाता िै ।
स्रोत: द हिंद।ू
www.insightsonindia.com 123 InsightsIAS
3. शशनजजयांग वििाद
संदभभ: चीन दवारा, दे श के उत्तर-पजश्चमी मशनजजयांग क्षेत्र में दव्ु यषविार की मशकायतों को लेकर चीनी अधधकाररयों
पर लगाए गए दं ड के प्रत्युत्तर में अमेररकी सरकार के ‘अंतराषष्ट्रीय धाममषक स्वतंत्रता आयोग’ के चार सदस्यों पर
प्रततबंधों की घोर्र्णा की गयी िै ।
पष्ट्ृ ठभूशम:
अमेररका ने ‘मशनजजयांग प्रांत’ में की जा
रिी कारष वाई के मलए कई चीनी बायोटे क
और तनगरानी कंपतनयों पर नए प्रततबंध
लगा हदए िैं। चीन के पजश्चमी क्षेत्र में
‘उइगर मुसलमानों’ के मानवाधधकारों के
िनन पर बीजजंग के खखलाफ अमेररका का
यि नवीनतम कदम िै ।
संबंधित प्रकरर्:
कई दे शों ने ‘मशनजजयांग’ (Xinjiang) में
मुजस्लम उइगर समद
ु ाय के मलए चीन से
"कानून के शासन का पूर्णष सम्मान
सतु नजश्चत करने” की मांग की िै ।
ववश्वसनीय ररपोटों से संकेत ममलता िै , कक मशनजजयांग में एक लाख से अधधक लोगों को मनमाने ढं ग से हिरासत
में मलया गया िै तथा उइगरों और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को अनुधचत रूप से लक्षक्षत करते िुए
व्यापक तनगरानी की जा रिी िै , और उइघुर संस्कृतत तथा मौमलक स्वतंत्रता को प्रततबंधधत ककया गया िै ।
चीन की प्रततकक्रया:
पयाषप्त सबूतों के बावजूद, चीन, उइगरों के साथ दव्ु यषविार से इनकार करता िै , और जोर दे कर, केवल चरमपंथ का
मुकाबला करने के मलए डडजाइन ककए गए "व्यावसातयक प्रमशक्षर्ण" केंद्र चलाने की बात करता िै ।
उइगर कौन िैं?
• उइगर (Uighurs) मख्
ु य रूप से मजु स्लम अल्पसंख्यक तक
ु ी नज
ृ ातीय समि
ू िैं, जजनकी उत्पवत्त के धचहन
‘मध्य एवं पूवी एमशया’ में खोजे जा सकते िैं।
• उइगर समुदाय, तुकी भार्ा से ममलती-जुलती अपनी भार्ा बोलते िैं, और खुद को सांस्कृततक और नज
ृ ातीय
रूप से मध्य एमशयाई दे शों के करीब मानते िैं।
• चीन, इस समुदाय को केवल एक क्षेत्रीय अल्पसंख्यक के रूप में मान्यता दे ता िै और इन्िें दे श का मूल-
तनवासी समि
ू मानने से इंकार करता िै ।
• वतषमान में , उइगर जातीय समुदाय की सवाषधधक आबादी चीन के मशनजजयांग क्षेत्र में तनवास करती िै ।
• उइगरों की एक बड़ी आबादी पड़ोसी मध्य एमशयाई दे शों जैसे उज्बेककस्तान, ककधगषस्तान और कजाककस्तान
में भी पाई जाती िै ।
दशकों से उइगर मुसलमानों पर चीनी सरकार दवारा आतंकवाद और अलगाववाद के झठ
ू े आरोपों के तित, उत्पीड़न,
जबरन हिरासत, गिन-जांच, तनगरानी और यिां तक कक गुलामी जैसे दव्ु यषविार ककये जा रिे िैं।
इंस्टा जजज्ञासु:
तया आप चीन की ‘िन कंरी टू शसस्टम पॉशलसी’ के बारे में जानते िैं? इस नीतत के तित ककन क्षेत्रों का प्रशासन
ककया जाता िै? इस बारे में अधधक जानकारी के मलए पहढ़ए।
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 124 InsightsIAS


4. चीन-हांगकांग संबंि
संदभभ: िाल िी में , ‘ततयानमेन चौक नरसंिार’ के मशकार व्यजततयों
की याद में बनाए गए एक स्मारक ‘वपलर ऑफ शेम’ (Pillar of
Shame) को चीन ने ध्वस्त कर हदया िै ।
वपलर ऑफ शेम:
‘वपलर ऑफ शेम’ (Pillar of Shame), ततयानमेन नरसंिार की याद
हदलाने वाली एक आठ मीटर ऊाँची पत्थर की मतू तष िै , जजसपर
खोखली आंखों और खल ु े मंि
ु सहित परस्पर गथ ंु े िुए कई मानव
शरीर – पीडड़त मानवता- उत्कीर्णष ककए गए िैं। इस कलाकृतत को,
जून 1989 को ततयानमेन स्तवायर पर चीन की कारष वाई के मशकार
व्यजततयों को एक श्रदधांजमल के रूप में डेतनश कलाकार जेन्स
गैल्सधचयोट दवारा बनाया गया था।
संबंधित प्रकरर्:
• यि प्रततमा 1997 से िांगकांग ववश्वववदयालय (HKU) में अवजस्थत थी, जजसे ववतटोररया पाकष में िांगकांग
में वावर्षक रूप से िोने वाले ‘जून ववजजल्स’ (June vigils) नामक एक कायषिम के तरु ं त बाद स्थावपत ककया
गया था। इस पाकष में िर साल िजारों लोग, ‘ततयानमेन नरसंिार’ को याद करने के मलए एकत्र िोते िैं।
• यि ववजजल अपने आप में िी "एक दे श, दो प्रर्णाली" (One Country, Two Systems) मॉडल के तित िांगकांग
की ववशेर् जस्थतत का प्रतीक िै । ववहदत िो कक, चीन की मुख्य भूमम पर ‘4 जून’ की घटना की याद में
कायषिम आयोजजत करना प्रततबंधधत िै । जबकक ‘वन कंरी टू मसस्टम’ मॉडल के तित िांगकांग में इस
तरि के कायषिम आयोजजत करने की छूट िै ।
• इस साल जून में पुमलस ने पाकष की घेराबंदी कर दी, और पिली बार ‘जून ववजजल’ निीं िुई थी।
यहद ‘ववजजल’ पर लगायी गयी रोक को ‘िांगकांग की ववमशष्ट्ट स्वतंत्रताओं’ में से एक को समाप्त ककए जाने के
प्रतीक के रूप में दे खा जाए, तो इस प्रततमा को िटाने को अब इस सूची में जोड़ा जा सकता िै ।
हांगकांग में हुए हाशलया बदलाि:
• बीजजंग दवारा जून 2020 में एक नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पाररत ककए जाने के बाद, िाल िी के मिीनों
में , िांगकांग में समाचार पत्रों को बंद करने और स्कूलों और कॉलेजों में पाठ्यिम में समग्र पररवतषन,
आहद जैसे बदलाव बड़ी सख्ती और तेजी से ककए जा रिे िैं। नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून में , ववद्रोि करने
या तोड़फोड़ करने पर कठोर दं ड का प्रावधान ककया गया िै ।
• इस कानन ू के पाररत िोने के बाद, िांगकांग में वर्ष 2019 में लोकतंत्र समथषक ववरोध प्रदशषन िुए, जजसमें
‘मुख्य कायषकारी’ के शीर्ष पद के मलए प्रत्यक्ष चुनाव करवाए जाने की मांग की गयी थी। वतषमान में इस
पद पर ‘मुख्य कायषकारी’ को नाममत ककया जाता िै ।
• बीजजंग ने चन
ु ावी प्रर्णाली में भी परू ी तरि से बदलाव कर हदया िै । जजसके तित, िांगकांग की ववधान
पररर्द (Legislative Council - LegCo) में प्रत्यक्ष तनवाषधचत प्रतततनधधयों की हिस्सेदारी को 50% से घटाकर
22% कर दी गयी िै । नए तनयमों के तित, एक ‘समीक्षा सममतत’ का गठन ककया गया िै , जो ककसी पद
पर तनवाषधचत िोने के मलए केवल “दे शभतत” उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने को सुतनजश्चत करे गी।
हांगकांग का प्रशासन ककस प्रकार से होता है ?
िांगकांग, ‘एक दे श दो प्रर्णाली’ (One Country Two Systems) पदधतत से प्रशामसत िोता िै । ‘िांगकांग’ और ‘मकाऊ’
ववशेर् प्रशासतनक क्षेत्र िैं और दोनों पूवष उपतनवेश रि चुके िैं।
नीतत के अनुसार, ‘िांगकांग’ और ‘मकाऊ’, चीनी जनवादी गर्णराज्य का हिस्सा िोने के बावजूद, चीन की मुख्य
भमू म की नीततयों से मभन्न आधथषक और राजनीततक व्यवस्था अपना सकते िैं।
www.insightsonindia.com 125 InsightsIAS
• िांगकांग, 1 जुलाई, 1997 से वापस चीन के तनयंत्रर्ण में आ गया था, और 20 हदसंबर, 1999 को ‘मकाऊ’
की संप्रभुता चीन को स्थानांतररत कर दी गई थी।
• इन क्षेत्रों की अपनी मद्र
ु ाएं, आधथषक और कानन
ू ी प्रर्णामलयां िैं, ककं तु रक्षा और कूटनीतत बीजजंग दवारा तय
की जाती िै ।
• उनके लघ-ु संववधान 50 वर्ों तक - अथाषत िांगकांग के मलए 2047 तक और मकाऊ के मलए 2049 तक
वैध िै । इस अवधध के बाद की व्यवस्था अभी स्पष्ट्ट निीं िै ।
विदे शी प्रततबंिों का प्रत्युत्तर दे ने हे तु हांगकांग में चीनी कानून:
इस कानन
ू को, बीजजंग की ववधातयका के बजाय िांगकांग की ववधातयका के माध्यम से पेश ककए जाने का प्रस्ताव
ककया गया िै । इस क़ानून को िांगकांग के ‘लघु-संववधान’ (mini-constitution) की पररमशष्ट्ट में जोड़ा जाएगा।
िांगकांग के ‘ममनी-काजन्स्टटूशन’ को ‘बेमसक लॉ’ के रूप में भी जाना जाता िै ।
‘प्रस्तावित कानन
ू ’ तया है ?
1. बीजजंग दवारा जून माि में एक कानून पाररत ककया गया था, जजसके तित चीनी नागररकों या संस्थाओं
के खखलाफ भेदभाव करने या ववभेदकारी तरीके लागू करने वाले व्यजततयों या इकाईयों को चीनी सरकार
की ‘प्रततबंध-रोधी सूची’ (anti-sanctions list) में रखा जा सकता िै ।
2. चीन के कानून के तित, इस सूची में शाममल व्यजततयों को चीन में प्रवेश से वंधचत ककया जा सकता िै
या दे श से तनष्ट्कामसत ककया जा सकता िै ।
3. क़ानून के तित, चीन में ऐसे व्यजततयों की संपवत्त को जब्त या तनष्ट्िय ककया जा सकता िै । इनके मलए
चीन की संस्थाओं या नागररकों के साथ कारोबार करने से भी प्रततबंधधत ककया जा सकता िै ।
इस क़ानन
ू को लागू करने की आिश्यकता:
संयुतत राज्य अमेररका और यूरोपीय संघ दवारा, चीन पर व्यापार, िांगकांग और खझंजजयांग के सुदरू पजश्चमी क्षेत्र
को लेकर दबाव डालने की वजि से इस क़ानून को लाया गया िै ।
इस कानून से जुड़ी धचंताएं और मुद्दे :
आलोचकों ने चेतावनी दे ते िुए किा िै , कक िांगकांग दवारा इस कानून को लागू करने से ‘वैजश्वक ववत्तीय केंद्र’ के
रूप में इसकी प्रततष्ट्ठा कम िो सकती िै ।
स्रोत: द हिंद।ू

5. संयत
ु त अरब अमीरात का गोल्िन िीजा
संदभभ: िाल िी में , बॉलीवुड अमभनेता तुर्ार कपूर को ‘संयुतत अरब अमीरात’ (United Arab Emirates- UAE) सरकार
दवारा ‘गोल्डन वीजा’ (Golden Visa) प्रदान ककया गया िै ।
इसके साथ िी वि, ‘संयुतत अरब अमीरात’ में 10 साल के मलए तनवास-परममट पाने वाले मोिनलाल और शािरुख
खान सहित भारतीय कफल्म मसतारों की सच
ू ी में शाममल िो गए िैं।
‘गोल्िन िीजा’ तया है ?
वर्ष 2019 में , संयुतत अरब अमीरात (UAE) दवारा ‘दीघषकामलक तनवास वीजा’ जारी करने के मलए एक नई प्रर्णाली
लागू की गयी थी, जजसके तित ववदे शी नागररकों को, त्रबना ककसी स्थानीय प्रायोजक के ‘संयत
ु त अरब अमीरात’
में रिने, काम करने और अध्ययन करने की सुववधा प्रदान की जाती िै । इसके अलावा, इस नई व्यवस्था के तित
ववदे शी नागररकों को 100 प्रततशत स्वाममत्व के साथ अपना व्यवसाय करने की भी सुववधा उपलब्ध िोती िै ।
‘गोल्िन िीजा’ के तहत ददए जाने िाले प्रस्ताि:
गोल्डन वीजा प्रर्णाली, मुख्यतः तनवेशक, उदयमी, उत्कृष्ट्ट प्रततभा वाले व्यजतत जैसे शोधकताष, धचककत्सा पेशेवर,
ववज्ञान एवं अन्य ज्ञान-क्षेत्रों से संबंधधत व्यजतत तथा असाधारर्ण छात्र समह
ू ों से संबंधित व्यजततयों को दीघभकाशलक
तनिास (5 और 10 िषभ) के शलए अिसर प्रदान करती िै ।

www.insightsonindia.com 126 InsightsIAS


पात्रता िे तु आवश्यकताएाँ: (संक्षक्षप्त अवलोकन करें ; रटने की आवश्यकता निीं िै )
तनिेशकों के शलए:
• न्यन
ू तम 10 मममलयन AED (संयत
ु त अरब अमीरात हदरिम) के सावषजतनक तनवेश के बराबर, ककसी तनवेश
कोर् या कंपनी के रूप में पूंजी जमा।
• ककए जाने वाले कुल तनवेश का 60% गैर-अचल संपवत्तयों के रूप में िोना चाहिए।
• तनवेश की जाने वाली रामश, ऋर्ण के रूप में निीं दी जानी चाहिए, अन्यथा संपवत्त संबंधी मामलों में सारी
जजम्मेवारी तनवेशकों की िोगी।
• तनवेशक के मलए, न्यन
ू तम तीन साल तक तनवेश को प्रततधाररत करने में सक्षम िोना चाहिए।
• व्यापार में भागीदारों को शाममल करने के मलए ‘गोल्डन वीजा’ का ववस्तार ककया जा सकता िै , बशते कक
प्रत्येक भागीदार 10 मममलयन AED का योगदान करे ।
• ‘गोल्डन वीजा’ धारक के पतत या पत्नी और बच्चों के साथ-साथ एक कायषकारी तनदे शक और एक सलािकार
भी इस वीजा सुववधा में शाममल िो सकते िैं।
विशशष्ट्ट प्रततभा िाले व्यजततयों के शलए:
इस श्रेर्णी में डॉतटर, शोधकताष, वैज्ञातनक, तनवेशक और कलाकारों को शाममल ककया गया िै । इन व्यजततयों को उनके
संबंधधत ववभागों और क्षेत्रों दवारा दी गई मान्यता के बाद, 10 साल का वीजा प्रदान ककया जा सकता िै । इस
वीजा में उनके जीवनसाथी और बच्चों भी शाममल िोंगे।
5 साल के िीजा के शलए पात्रता:
• तनवेशक को न्यूनतम 5 मममलयन AED के सकल मूल्य की संपवत्त में तनवेश करना िोगा।
• अचल संपवत्त में तनवेश की गई रामश ऋर्ण के आधार पर निीं िोनी चाहिए।
• संपवत्त को कम से कम तीन साल के मलए बरकरार रखा जाना चाहिए।
उत्कृष्ट्ट छत्रों के शलए:
• सरकारी और तनजी माध्यममक ववदयालयों में न्यूनतम 95% ग्रेड िामसल करने वाले उत्कृष्ट्ट छात्र।
• दे श के और ववदे शी ववश्वववदयालयों के छात्रों का स्नातक स्तर पर कम से कम 3.75 का GPA िोना चाहिए।
इस कदम के पीछे कारर्:
• संयुतत अरब अमीरात की अथषव्यवस्था को कोववड -19 मिामारी और तेल की धगरती कीमतों की वजि से
बुरी तरि प्रभाववत िुई िै , जजसकी वजि से कई प्रवामसयों को दे श छोड़ना पड़ा िै ।
• UAE सरकार के कदम का उददे श्य, इन प्रवामसयों को वापस लाना और खाड़ी दे श में ‘प्रततभाशाली लोगों
और उत्कृष्ट्ट मजष्ट्तष्ट्क वाले व्यजततयों’ को रखने और राष्ट्र तनमाषर्ण में मदद करना िै ।
• सरकार दवारा दी जा रिी ये छूटें , ववमभन्न ववशेर्ज्ञता वाले क्षेत्रों के प्रततभाशाली पेशेवरों को आकवर्षत
करें गी और दतु नया के सबसे प्रततभाशाली हदमागों के मलए संयत
ु त अरब अमीरात में कररयर बनाने की
अपील के साथ नवाचार, रचनात्मकता और अनुप्रयुतत अनुसंधान को प्रोत्साहित करें गी।
भारत के शलए महत्ि:
• यि नए तनयम, खाड़ी दे शों में अधधक भारतीय पेशेवरों और व्यापाररयों को आकवर्षत करें गे और इससे
भारत-यूएई संबंधों को मजबूत िोंगे।
• यि तनयम, कोववड-19 से संबंधधत प्रततबंधों में ढील हदए जाने के बाद कफर से काम शुरू इच्छुक भारतीयों
की खाड़ी दे श में वापस जाने की सुववधा भी प्रदान करें ग।े ज्ञातव्य िै , कक भारत ने नवंबर 2020 की
शरु
ु आत में ‘खाड़ी सियोग पररर्द’ (GCC) के सदस्य दे शों से इसके मलए अनरु ोध भी ककया था।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप भारत और पाककस्तान के मध्य संयुतत अरब अमीरात दवारा मध्यस्थता के बारे में जानते
िैं? इसके बारे में अधधक जानकारी िे तु पहढ़ए।
स्रोत: द हिंद।ू
www.insightsonindia.com 127 InsightsIAS
6. पांच महीने के बाद ईरान परमार्ु िाताभ कफर से शुरू
संदभभ: 2015 के ईरान परमार्णु समझौते को पुनजीववत करने के मलए, ‘ववयना’ में ‘संयुतत व्यापक कायष योजना’
(Joint Comprehensive Plan of Action - JCPOA) के रूप में प्रमसदध ‘अंतराषष्ट्रीय वाताष’ कफर से शरू
ु िो गई िै ।
• इस वाताष में , ईरान परमार्णु समझौते (Iran Nuclear Deal) के शेर् भागीदार - ईरान, चीन, रूस, जमषनी, फ्रांस
और यूनाइटे ड ककं गडम- भाग ले रिे िैं।
• इस वाताष में , वर्ष 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपतत डोनाल्ड रम्प के समझौते से िटने और ईरान पर प्रततबंध
लगाने के बाद, संयत
ु त राज्य अमेररका को समझौते में वापस लाने का प्रयास ककया जाएगा।
‘ईरान परमार्ु समझौते’ के बारे में :
• इसे ‘संयुतत व्यापक कायष योजना’ (Joint Comprehensive Plan of Action - JCPOA) के रूप में भी जाना
जाता िै ।
• यि समझौता अथाषत ‘संयत
ु त व्यापक कायष योजना’, ईरान तथा P5 + 1+ EU (चीन, फ्रांस, रूस, यन
ू ाइटे ड
ककं गडम, संयुतत राज्य अमेररका तथा जमषनी, और यूरोपीय संघ) के मध्य वर्ष 2013 से 2015 से तक चली
लंबी वाताषओं का पररर्णाम था।
• इस समझौते के तित, तेिरान दवारा, परमार्णु िधथयारों के सभी प्रमुख घटकों, अथाषत सेंरीफ्यज
ू , समद
ृ ध
यूरेतनयम और भारी पानी, के अपने भण्डार में मित्वपर्ण
ू ष कटौती करने पर सिमतत व्यतत की गई थी।
ितभमान में धचंता का विषय:
• राष्ट्रपतत रम्प दवारा, वर्ष 2018 में , अमेररका को समझौते से बािर कर मलया गया था। इसके अलावा,
उन्िोंने ईरान पर प्रततबंधों और अन्य सख्त कारष वाइयों को लागू करके उस पर ‘अधधकतम दबाव’ डालने
का ववकल्प चन
ु ा था।
• इसकी प्रततकिया में ईरान ने यूरेतनयम संवदषधन और अपकेन्द्रर्ण यंत्रों (Centrifuges) का तनमाषर्ण तेज कर
हदया, साथ िी इस बात पर जोर दे ता रिा कक, उसका परमार्णु ववकास कायषिम नागररक उददे श्यों के मलए
िै , और इसका उपयोग सैन्य उददे श्यों के मलए निीं ककया जाएगा।
• कफर, जनवरी 2020 में , इस्लाममक ररवोल्यूशनरी गाडष कॉप्सष के कमांडर जनरल क़ामसम सुलेमानी पर ड्रोन
िमले के बाद, ईरान ने ‘संयुतत व्यापक कायष योजना’ (JCPOA) की शतो का पालन निीं करने की घोर्र्णा
कर दी।
• JCPOA के भंग िोने से ईरान, उत्तर कोररया की भांतत परमार्णु अजस्थरता की ओर उन्मुख िो गया, जजससे
इस क्षेत्र में और इसके बािर भी मित्वपूर्णष भ-ू राजनीततक अजस्थरता की जस्थतत उत्पन्न िो गई िै ।
इस समझौते का भारत के शलए महत्ि:
• ईरान पर लगे प्रततबंध िटने से, चाबिार बंदरगाि, बंदर अब्बास पोटष , और क्षेत्रीय संपको से जड
ु ी अन्य
पररयोजनाओं में भारत के हितों को कफर से सजीव ककया जा सकता िै ।
• इससे भारत को, पाककस्तान के ग्वादर बंदरगाि में चीनी उपजस्थतत को बेअसर करने में मदद ममलेगी।
• अमेररका और ईरान के बीच संबंधों की बिाली से भारत को ईरान से सस्ते तेल की खरीद और ऊजाष
सुरक्षा में सिायता ममलेगी।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आपने ‘व्यापक परमार्णु परीक्षर्ण-प्रततबंध संधध’ (CTBT) के बारे में सुना िै ? तया भारत इस संधध
का सदस्य िै?
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 128 InsightsIAS


विषय:मित्त्वपूर्णष अंतराषष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएाँ और मंच- उनकी संरचना, अधधदे श।
1. अंतराभष्ट्रीय वित्तीय सेिा केंद्र
संदभभ: प्रधानमंत्री श्री नरे न्द्र मोदी 3 हदसंबर को, कफन-टे क पर एक ववचारशील नेतत्ृ वकारी मंच ‘इनकफतनटी फोरम’
(InFinity Forum) का उदघाटन करें गे।
• इस कायषिम का आयोजन भारत सरकार के तत्वावधान में ‘अंतराषष्ट्रीय ववत्तीय सेवा केंद्र प्राधधकरर्ण’
(IFSCA) दवारा ककया जा रिा िै । आयोजन में GIFT -मसटी (गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टे क-मसटी) और
ब्लूमबगष सियोग कर रिे िैं।
• फोरम के पिले संस्करर्ण में इंडोनीमशया, दक्षक्षर्ण अफ्रीका और यक
ू े साझीदार दे श के रूप में भाग ले रिे िैं।
‘इनकफतनटी फोरम’ के बारे में :
इनकफतनटी फोरम (InFinity Forum), ‘अंतराषष्ट्रीय ववत्तीय सेवा केंद्र प्राधधकरर्ण’ (IFSCA) की प्रमुख ववत्तीय प्रौदयोधगकी
और वैजश्वक नेतत्ृ व के ववचार-ववमशष का आयोजन िै जिां दतु नया भर की समस्याओं, प्रगततशील ववचारों, नवीन
तकनीकों की खोज और चचाष की जाती िै ।
• इनकफतनटी-फोरम के जररये नीतत, व्यापार और प्रौदयोधगकी के क्षेत्र में ववश्व की जानी-मानी प्रततभायें एक
साथ आयेंगी तथा इस बात पर गिन ववमशष करें गी, कक समावेशी ववकास और सभी के मलए व्यापक रूप
से लाभ पिुचाने िे तु प्रौदयोधगकी और नवाचार को कफन-टे क उदयोग में ककस प्रकार इस्तेमाल ककया जा
सकता िै ।
• फोरम का एजेंडा ‘त्रबयॉन्ड’ (सवोच्च) ववर्य पर केंहद्रत िै । इसमें ववमभन्न उप-ववर्य, जैसे ‘कफन-टे क त्रबयॉन्ड
बाऊंड्रीज’(ववत्त-प्रौदयोधगकी सवोच्च सीमा तक), कफन-टे क त्रबयॉन्ड फाइनेन्स’(ववत्त-प्रौदयोधगकी सवोच्च ववत्त
तक), आहद शाममल िैं।
• फोरम में 70 से अधधक दे श हिस्सा लेंगे।
IFSCA के बारे में :
अंतराषष्ट्रीय ववत्तीय सेवा केंद्र प्राधधकरर्ण (International Financial Services Centres Authority - IFSCA) का मुख्यालय
GIFT -मसटी, गांधीनगर, गज
ु रात में जस्थत िै ।
• इसकी स्थापना ‘अंतराषष्ट्रीय ववत्तीय सेवा केंद्र प्राधधकरर्ण अधधतनयम’, 2019 के तित की गई थी।
• यि संस्था भारत में ववत्तीय उत्पादों, ववत्तीय सेवाओं और ववत्तीय संस्थानों के तनयमन तथा ववकास के मलये
एक एकीकृत प्राधधकार के रूप में काम करती िै ।
• इस समय GIFT - IFSCA भारत में पिला अंतराषष्ट्रीय ववत्तीय सेवा केंद्र िै ।
अंतराभष्ट्रीय वित्तीय सेिा केंद्र (IFSC) के बारे में :
अंतराषष्ट्रीय ववत्तीय सेवा केंद्र (International Financial Services Centres - IFSC) घरे लू अथषव्यवस्था के अधधकार क्षेत्र
से बािर के ग्रािकों की ववत्तीय आवश्यकताओं को पूरा करते िैं।
• IFSC, सीमा-पारीय ववत्त प्रवाि, ववत्तीय उत्पादों और सेवाओं से संबंधधत िोते िैं।
• लंदन, न्यय
ू ॉकष और मसंगापरु को वैजश्वक ववत्तीय केंद्रों के रूप में धगना जा सकता िै ।
IFSC द्िारा प्रदान की जाने िाली सेिाएं:
• व्यजततयों, तनगमों और सरकारों के मलए फंड जट
ु ाने िे तु सेवाएं।
• पें शन फंड्स, इंश्योरें स कंपतनयों और म्यूचुअल फंड्स दवारा पररसंपवत्त प्रबंधन (Asset management) और
ग्लोबल पोटष फोमलयो डायवमसषकफकेशन (Global Portfolio Diversification)।
• धन प्रबंधन (Wealth management)।
• वैजश्वक कर प्रबंधन और सीमा-पार कर दे यता अनक
ु ू लन (Cross-Border Tax Liability Optimization), जो
ववत्तीय त्रबचौमलयों, लेखाकारों और कानूनी फमों के मलए एक व्यावसातयक अवसर प्रदान करते िै ।

www.insightsonindia.com 129 InsightsIAS


• वैजश्वक और क्षेत्रीय कॉरपोरे ट रे जरी प्रबंधन संचालन, जजसमें , फंड जुटाना, तरलता तनवेश और प्रबंधन और
पररसंपवत्त-दे यता ममलान करना सजम्ममलत िोता िै ।
• बीमा और पन
ु बीमा जैसे जोखखम प्रबंधन कायष।
• अंतर-राष्ट्रीय तनगमों के मध्य ववलय और अधधग्रिर्ण संबंधी गततववधधयााँ।
तया IFSC को ‘विशेष आधर्भक क्षेत्र’ (SEZ) में स्र्ावपत ककया जा सकता है ?
SEZ एतट, 2005 में केंद्र सरकार दवारा अनुमोदन के पश्चात बाद ककसी ‘विशेष आधर्भक क्षेत्र’ (Special Economic
Zone- SEZ) में अर्िा SEZ के रूप में अंतराभष्ट्रीय वित्तीय सेिा केंद्र (IFSC) स्थावपत करने की अनुमतत दी गयी िै ।
भारत में अंतराभष्ट्रीय वित्तीय सेिा केंद्र:
भारत में पिला अंतराषष्ट्रीय ववत्तीय सेवा केंद्र (IFSC) गांिीनगर में गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टे क-शसटी (Gujarat
International Finance Tec-City)- GIFT शसटी में स्थावपत ककया गया िै ।
स्रोत: द हिंद।ू

2. विश्ि स्िर्भ पररषद


संदभभ: ववश्व स्वर्णष पररर्द (World Gold Council – WGC) की 'भारत में बुमलयन रे ड' ररपोटष के अनुसार:
1. 2016-2020 के बीच भारत की सोने की आपूततष का 86 फीसदी आयात िुआ िै , और दे श में ‘उच्च आयात
शुल्क’ (Import Duty) के बावजूद सोने के आयात में वद
ृ धध जारी िै ।
2. साल 2012 में पिली बार शल्
ु क वद
ृ धध के बाद से, भारत ने लगभग 6,581 टन सोने का आयात ककया िै ,
इस हिसाब से प्रतत वर्ष 730 टन सोने का औसतन आयात ककया गया िै ।
3. 2020 में भारत ने 30 से भी ज्यादा दे शों से 377 टन सोने का आयात ककया। इनमें से 55 फीसदी आयात
मसफष दो दे शों, जस्वट्जरलैंड (44 फीसदी) और संयुतत अरब अमीरात (11 फीसदी) से ककया गया।
4. वपछले पांच सालों में , सोने के डोर का आयात (Gold Dore Imports) पीली धातु के कुल आधधकाररक
आयात का 30 फीसदी हिस्सा था।
सोना और अर्भव्यिस्र्ा:
1. मुद्रा के रूप में : 20 वीं शताब्दी के दौरान अधधकांश काल तक सोने को िैजश्िक आरक्षक्षत मुद्रा के रूप में
उपयोग ककया जाता रिा। संयुतत राज्य अमेररका दवारा वर्ष 1971 तक स्वर्णष-मानक (Gold Standard) का
इस्तेमाल ककया जाता रिा।
2. मुद्रास्फीतत के णखलाफ एक बचाि के रूप में : अंततनषहित मूल्य और सीममत आपूततष के कारर्ण मुद्रास्फीतत
के समय में सोने की मांग बढ़ जाती िै । चूंकक, इसे पतला अथवा डाईल्यूट निीं ककया जा सकता िै ,
इसमलए सोना, मुद्रा के अन्य स्वरूपों की तल
ु ना में , बेितर कीमत बनाए रखने में सक्षम िोता िै ।
3. मौदद्रक ताकत: जब कोई दे श तनयाषत से अधधक आयात करता िै , तो उसकी मुद्रा के मल्
ू य में ह्रास िो
जाता िै । दस
ू री ओर, यहद कोई दे श शद
ु ध तनयाषतक िोता िै , तो उसकी मद्र
ु ा के मल्
ू य में वद
ृ धध िो जाती
िै । इस प्रकार, जो दे श सोने का तनयाषत करते िैं अथवा उनके पास स्वर्णष भण्डार िोते िैं, तो सोने की
कीमतों में वद
ृ धध िोने पर उनकी मौहद्रक शजतत में वद
ृ धध िो जाती िै , तयोंकक उनके सकल तनयाषत का
मल्
ू य बढ़ जाता िै ।

www.insightsonindia.com 130 InsightsIAS


‘विश्ि स्िर्भ पररषद’ (WGC) के बारे में :
• यि स्वर्णष उदयोग के मलए एक बाजार
ववकास संगठन िै ।
• यि सोने के खनन से लेकर तनवेश तक
उदयोग के सभी भागों में कायष करती िै ,
और इसका उददे श्य सोने की मांग को
प्रोत्साहित करना और बनाए रखना िै ।
• इसके सदस्यों में ववश्व की सभी प्रमख

सोना खनन कंपतनयां सजम्ममलत िैं।
• यि अपने सदस्यों को एक जजम्मेदार
तरीके से खनन करने तथा संघर्ष मत
ु त
स्वर्णष मानक ववकमसत करने में सियोग
करती िै ।
• इसका मुख्यालय यूनाइटे ड ककं गडम में िै
तथा भारत, चीन, मसंगापुर, जापान और
संयत
ु त राज्य अमेररका में इसके कायाषलय
जस्थत िैं।
स्रोत: द हिंद।ू

3. ‘सौर गठबंिन’ के शलए ‘संयुतत राष्ट्र पयभिेक्षक’ का दजाभ


संदभभ: िाल िी में , संयुतत राष्ट्र मिासभा दवारा ‘अंतराषष्ट्रीय सौर गठबंधन’ (International Solar Alliance - ISA) को
‘पयषवेक्षक का दजाष’ (Observer Status) प्रदान ककया गया िै । भारत ने इसे एक ऐततिामसक तनर्णषय बताया िै ।
पयभिेक्षक दजे का महत्ि:
संयुतत राष्ट्र मिासभा में ‘अंतराषष्ट्रीय सौर गठबंधन’ (ISA) को ‘पयषवेक्षक का दजाष’ (Observer Status) को पयषवेक्षक
का दजाष हदए जाने से ‘सौर गठबंधन’ और ‘संयत
ु त राष्ट्र’ के बीच तनयममत और अच्छी तरि से पररभावर्त सियोग
स्थावपत करने में मदद ममलेगी जजससे वैजश्वक स्तर पर ऊजाष वद
ृ धध और ववकास में लाभ िोगा।
अंतराभष्ट्रीय सौर गठबंिन (ISA) के बारे में :
अंतराषष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की पररकल्पना भारत और फ्रांस दवारा ‘सौर ऊजाष समाधानों’ के माध्यम से
जलवायु पररवतषन के खखलाफ प्रयासों को संगहठत करने संबंधी संयुतत प्रयास के रूप में की गई थी।
• इसकी शुरुआत भारत के प्रधानमंत्री और फ्रााँस के राष्ट्रपतत दवारा 30 नवंबर, 2015 को फ्रााँस की राजधानी
पेररस में आयोजजत COP-21 के दौरान की गई थी।
• आईएसए (ISA)122 से अधधक दे शों का गठबंधन िै ।
• आईएसए, सौर ऊजाष का उपयोग से ऊजाष संबंधी जरूरतों को पूरा करने िे तु ‘ककष रे खा’ और ‘मकर रे खा’
के बीच पर्ण
ू ष या आंमशक रूप से अवजस्थत, सौर संसाधन समद
ृ ध दे शों का गठबंधन िै ।
• पेररस घोर्र्णापत्र में ‘आईएसए’ को अपने सदस्य दे शों के मध्य सौर ऊजाष को बढ़ावा दे ने के मलए समवपषत
गठबंधन के रूप में घोवर्त ककया गया िै ।
• अंतराषष्ट्रीय सौर गठबंधन, मौजूदा सौर प्रौदयोधगककयों के बड़े पैमाने पर पररतनयोजन की सवु वधा प्रदान
करता िै , और सियोगी सौर अनुसंधान एवं ववकास और क्षमता तनमाषर्ण को बढ़ावा दे ता िै ।

www.insightsonindia.com 131 InsightsIAS


सधचिालय:
• भारत और फ्रांस दवारा संयत
ु त रूप से ‘गरु
ु ग्राम’ में ‘अंतराषष्ट्रीय सौर गठबंधन’ मख्
ु यालय की आधारमशला
रखी गयी।
• इनके दवारा िररयार्णा के गुरुग्राम में जस्थत ‘राष्ट्रीय सौर ऊजाष संस्थान पररसर’ में आईएसए के अंतररम
सधचवालय का उदघाटन ककया गया।
उद्दे श्य:
• ‘अंतराषष्ट्रीय सौर गठबंधन’ के प्रमुख उददे श्यों में 1,000GW से अधधक सौर उत्पादन क्षमता को वैजश्वक रूप
से पररतनयोजजत करना तथा वर्ष 2030 तक सौर ऊजाष में 1000 त्रबमलयन अमेररकी डॉलर से अधधक का
तनवेश जुटाना शाममल िै ।
• आईएसए के तित, प्रौदयोधगकी, आधथषक संसाधनों की उपलब्धता और ववकास, और भंडारर्ण प्रौदयोधगकी के
ववकास, बड़े पैमाने पर ववतनमाषर्ण और नवाचार के मलए पर्ण
ू ष पाररजस्थततकी तंत्र को सक्षम बनाने की
पररकल्पना की गयी िै ।
हस्ताक्षरकताभ: कुल 80 दे शों ने ‘अंतराषष्ट्रीय सौर गठबंधन’ फ्रेमवकष समझौते पर िस्ताक्षर और पुजष्ट्ट की िै , और
101 दे शों ने समझौते पर केवल िस्ताक्षर ककए िैं।
आिश्यकता: कम लागत की प्रौदयोधगकी से अधधक मित्वाकांक्षी सौर ऊजाष कायषिमों को शुरू ककया जा सकता िै ।
सौर ऊजाष, सस्ती और ववश्वसनीय ऊजाष का प्रमख
ु स्रोत िै । पररयोजना का सफल कायाषन्वयन, सावषभौममक ऊजाष
पिुंच लक्ष्य (SDG 7) को िामसल करने में मित्वपूर्णष भमू मका तनभा सकता िै ।
‘अंतराषष्ट्रीय सौर गठबंधन’ के छि प्रमुख कायषिम पयाषवरर्ण संरक्षर्ण के मलए एक ‘गेम चें जर’ सात्रबत िो सकते िैं।
1. कृवर् उपयोग के मलए सौर अनप्र
ु योग,
2. व्यापक स्तर पर विनीय ववत्त,
3. ममनी धग्रड,
4. सौर छत (Solar Rooftops)
5. ‘सौर ई-गततशीलता’ और भंडारर्ण

इंस्टा जजज्ञास:ु तया आप प्रथम ‘ववश्व सौर प्रौदयोधगकी मशखर सम्मेलन’ के बारे में जानते िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 132 InsightsIAS


4. संयत
ु त राष्ट्र समुद्री कानन
ू संधि
संदभभ: केंद्र सरकार दवारा, िाल िी में , ‘संयत
ु त राष्ट्र
समद्र
ु ी कानन
ू संधध’ (United Nations Convention on
Law of Seas - UNCLOS) के प्रतत अंपने समथषन को
दोिराते िुए संसद को सूधचत ककया कक, भारत इस
‘अंतरराष्ट्रीय कानून’ में तनहित एक स्वतंत्र, खुली और
तनयम-आधाररत व्यवस्था को बढ़ावा दे ने के मलए
प्रततबदध िै और ककसी प्रकार के दबाव के प्रतत
अववचमलत िै ।
दहंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region - IOR) में
समद्र
ु ी दहतों की रक्षा और सरु क्षा को सशतत करने
हे तु भारत द्िारा ककए गए प्रयास:
1. भारत, नौ-पररविन और समुद्री क्षेत्र के ऊपर से उड़ानों / ओवरफ्लाइट (overflight), और ववशेर् रूप से
UNCLOS 1982 में पररलक्षक्षत ‘अंतराषष्ट्रीय कानून के मसदधांतों’ के आधार पर अबाधधत वाखर्णज्य का समथषन
करता िै ।
2. ‘संयत
ु त राष्ट्र समद्र
ु ी कानन
ू संधध’ ( UNCLOS) का एक सदस्य दे श िोने के नाते, भारत ‘समद्र
ु ों और मिासागरों
में अंतराषष्ट्रीय कानूनी व्यवस्था’ का तनमाषर्ण करने वाले UNCLOS का पूरा सम्मान करता िै , और इसे
बढ़ावा दे ता िै ।
3. भारत ने ‘क्षेत्र में सभी के मलए सरु क्षा और ववकास’ (Security and Growth for All in the Region - SAGAR)
के सरकार के दृजष्ट्टकोर्ण के अनुरूप क्षेत्रीय भागीदारों के साथ समद्र
ु ी सियोग ववकमसत ककया िै ।
4. समुद्री हितों की रक्षा और सुरक्षा िे तु उठाए गए कदमों में , समुद्री प्रक्षेत्र में जागरूकता बढ़ाने, समद्र
ु ी सुरक्षा
को बढ़ावा दे ने और उत्पन्न िोने वाली आकजस्मकताओं का समाधान करने िे तु नौसेना के जिाजों और
ववमानों की 'ममशन आधाररत तैनाती' शाममल िै ।
‘संयत
ु त राष्ट्र समद्र
ु ी कानन
ू संधि’ (UNCLOS) के बारे में:
संयुतत राष्ट्र दवारा इस कानून को वर्ष 1982 में अपनाया गया था, ककं तु यि नवंबर 1994 से प्रभाव में आया।
• ‘संयुतत राष्ट्र समुद्री कानून संधध’ (UNCLOS) के दवारा प्रादे मशक सागर (Territorial Sea) और सजन्नहित
क्षेत्र (Contiguous Zone), मिादवीपीय शेल्फ, खुले सागर (High Seas), ‘खुले सागर में मत्स्यन एवं जीववत
संसाधनों के संरक्षर्ण’ से संबंधधत, अप्रैल, 1958 में िस्ताक्षररत चार ‘जजनेवा संधधयों’ को प्रततस्थावपत ककया
गया था।
• वतषमान में , यि संधध, जिाजी और समुद्री गततववधधयों के मलए कानूनी ढांचा बन गया िै ।
• इसके मलए ‘समुद्री क़ानून’ (Law of the Sea) के रूप में भी जाना जाता िै , और यि समुद्री क्षेत्र को पांच
मख्
ु य क्षेत्रों में ववभाजजत करता िै , अथाषत ्- आंतररक जल, प्रादे मशक सागर, सजन्नहित क्षेत्र, ववमशष्ट्ट आधथषक
क्षेत्र (EEZ) और खुला सागर।
• UNCLOS, समुद्री क्षेत्रों में ककसी दे श के अधधकार क्षेत्र िे तु एक रूपरे खा तनधाषररत करने वाला एकमात्र
अंतरराष्ट्रीय समझौता िै । इसके तित, ववमभन्न समुद्री क्षेत्रों के मलए अलग कानूनी-दजाष प्रदान ककया गया
िै ।
UNCLOS के द्िारा ‘अंतरराष्ट्रीय मामलों’ पर तीन नए संस्र्ान गदठत ककए गए हैं:
1. समुद्री कानूनों के मलए अंतराषष्ट्रीय न्यायाधधकरर्ण (International Tribunal for the Law of the Sea)
2. अंतराषष्ट्रीय सागर-तनतल प्राधधकरर्ण (International Seabed Authority)
3. मिादवीपीय शेल्फ सीमा आयोग (Commission on the Limits of the Continental Shelf)
www.insightsonindia.com 133 InsightsIAS
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप खल
ु े सागर से संबंधधत संयुतत राष्ट्र संधध के बारे में जानते िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

5. इस्लाशमक सहयोग संगठन


संदभभ: िाल िी में , ‘इस्लाममक सियोग संगठन’ (Organisation of Islamic Conference - OIC) दवारा अफगातनस्तान
को एक आसन्न आधथषक पतन से बचाने में मदद करने िे तु इस्लामाबाद में एक बैठक बुलाई गयी थी। अफगातनस्तान
की आधथषक ववफलता का "भयानक" वैजश्वक प्रभाव िोने की संभावना व्यतत की जा रिी िै ।
इस मशखर सम्मेलन में दजषनों ववदे श मंत्रत्रयों के साथ-साथ चीन, अमेररका और रूस सहित प्रमुख शजततयों और
अफगातनस्तान के प्रतततनधधयों ने भाग मलया।
पररर्ाम:
इस बैठक के अंत में ‘इस्लाममक डेवलपमेंट बैंक’ (IDB) के माध्यम से मानवीय सिायता प्रदान करने के मलए एक
कोर् स्थावपत करने का वादा ककया गया। यि कोर्, ववमभन्न दे शों के मलए, अफगातनस्तान के तामलबान शासकों
से सीधे संपकष में आये, अनद
ु ान करने के मलए एक कवर प्रदान करे गा।
संबंधित प्रकरर्:
िाल िी में , अमेररका और अन्य दे शों से अफगातनस्तान की अवरुदध पररसंपवत्तयों में फंसी िुई लगभग 10 त्रबमलयन
डॉलर से अधधक की रामश को ‘जारी’ करने की मांग बढ़ती जा रिी िै ।
• िालांकक, पिले अमेररका ने किा था, कक इसमें से कुछ रामश अल-कायदा दवारा ककए गए 9/11 के
आतंकवादी िमलों के पीडड़तों और पीडड़तों के पररवारों से जड़
ु े मक
ु दमे से बंधी िुई िै ।
• कई राष्ट्रों ने अफगातनस्तान को सिायता प्रदान करने के मलए, संयुतत राष्ट्र और अंतराषष्ट्रीय बैंककं ग
संस्थानों के साथ ममलकर, दे श की बैंककं ग प्रर्णाली को शीघ्र खोलने की मांग की िै।
इस्लाशमक सहयोग संगठन (OIC) के बारे में :
• OIC, िषभ 1969 में स्र्ावपत एक अंतराभष्ट्रीय संगठन िै , वतषमान में इसमें 57 सदस्य दे श सजम्ममलत िैं।
• यि संयुतत राष्ट्र संघ के पश्चात दस
ू रा सबसे बड़ा अंतर-सरकारी संगठन िै ।
• इस संगठन का किना िै कक यि "मुजस्लम विश्ि की सामूदहक आिाज" िै , और इसका उददे श्य अंतराषष्ट्रीय
शांतत और सदभाव को बढ़ावा दे ना और साथ िी दतु नया के मुजस्लम समुदायों के हितों की रक्षा और
संरक्षर्ण िे तु कायष करना िै ।
• संयुतत राष्ट्र संघ और यूरोपीय संघ में OIC के स्थायी प्रतततनधधमंडल िैं।
• इसका स्र्ायी सधचिालय सऊदी अरब के जेददाि में िै ।
भारत के शलए OIC का महत्ि:
िाल के हदनों में भारत और OIC के मध्य आधथषक और ऊजाष संबंधी परस्पर तनभषरता में वद
ृ धध ववशेर् रूप मित्वपर्ण
ू ष
िो गई िै ।
स्रोत: द हिंद।ू

6. संयत
ु त राष्ट्र शरर्ार्ी उच्चायोग (UNHCR)
संदभभ:
िाल िी में , वोडाफोन दवारा ववश्व के पिले ‘शॉटष मेसेज सववषस’ अथाषत एसएमएस (SMS) को एक गैर-प्रततमोच्य
टोकन (Non-Fungible Token - NFT) के रूप में नीलाम करने की घोर्र्णा की गयी थी। कंपनी के अनुसार, अब
एक बोली लगाने वाले ने ‘शॉटष मेसेज’ के पिले ‘संचार प्रोटोकॉल की प्रततकृतत’ के मलए 107,000 यूरो का भग
ु तान
ककया िै । इस प्रततकृतत को ‘गैर-प्रततमोच्य टोकन’ (NFT) के रूप में रखा जाएगा, अथाषत इसे ककसी अन्य को बेचा
या िस्तांतररत निीं ककया जाएगा।

www.insightsonindia.com 134 InsightsIAS


वोडाफोन दवारा इस रामश को, संघर्ष और उत्पीड़न के कारर्ण मजबूरी में अपने घरों से पलायन करने वाले 82.4
मममलयन लोगों की सिायता करने िे तु ‘संयुतत राष्ट्र’ की शरर्णाथी एजेंसी ‘UNHCR’ को दान की जाएगी।
दतु नया का पहला एसएमएस:
ववश्व का पिला एसएमएस (SMS) करीब तीन दशक पिले 3 हदसंबर 1992 को वोडाफोन नेटवकष के जररए भेजा
गया था। यि एसएमएस वोडाफोन के कमषचारी ररचडष जाववषस को ममला था, जजसमे 15 वर्णों के संदेश में "मेरी
किसमस" मलखा था।
गैर-प्रततमोच्य टोकन (NFT) तया है ?
‘गैर-प्रततमोच्य टोकन’ (Non-Fungible Token - NFT) अपनी तरि का अनठ
ू ा डडजजटल संग्रिर्णीय िोता िै । इसका
मतलब िै , कक यि अदववतीय िोता िै और इसे ककसी अन्य वस्तु अथवा ककसी अनुबंध के तित बदला निीं जा
सकता। डडजजटल रूप से स्टोर ककया जा सकने वाले ककसी भी गाने, मूवी, आटष वकष, फोटोग्राफ, सोशल मीडडया पोस्ट,
जीआईएफ आहद को इस ‘वचअ
ुष ल टोकन’ के रूप में संरक्षक्षत ककया जा सकता िै ।
‘संयुतत राष्ट्र शरर्ार्ी उच्चायोग’ (UNHCR) के बारे में :
• संयुतत राष्ट्र शरर्णाथी उच्चायुतत (United Nations High Commissioner for Refugees- UNHCR), संयुतत
राष्ट्र की एक शरर्णाथी संस्था और एक वैजश्वक संगठन िै , जो शरर्णाधथषयों के जीवन बचाने, उसके अधधकारों
की रक्षा करने और उनके मलये बेितर भववष्ट्य के तनमाषर्ण के प्रतत समवपषत िै ।
• इसे वर्ष 1950 में , उन लाखों यरू ोवपयों की मदद करने के मलए गहठत ककया गया था, जजनके घर दववतीय
ववश्व युदध के दौरान तबाि िो गए थे या उन्िें अपने घर छोड़कर पलायन करना पड़ा था।
• इसका मुख्यालय जजनेवा, जस्वट्जरलैंड में जस्थत िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: ‘अवापसी तनयम’ (Non-refoulement) या गैर-वापसी मसदधांत तया िै ? ‘नॉन-रे फौलमेंट’ अथाषत
‘शरर्णाधथषयों को उनके मूल-दे श में वापस भेजे जाने से मुजतत’ अंतरराष्ट्रीय कानून के तित यि मसदधांत िै , जजसके
अनुसार, अपने िी दे श में उत्पीड़न के कारर्ण पलायन करने व्यजतत को वापस लौटने के मलए मजबूर निीं ककया
जाना चाहिए।
प्रीशलम्स शलंक:
1. UNHCR के बारे में
2. ‘नॉन-रे फौलमें ट’ तया िै ?
3. संयुतत राष्ट्र शरर्णाथी अमभसमय
4. 1948 के मानव अधधकारों की सावषभौममक घोर्र्णा
5. ‘अंतराषष्ट्रीय नागररक एवं राजनीततक अधधकार तनयम’ 1966
स्रोत: द हिंद।ू

7. क्षेत्रीय व्यापक आधर्भक भागीदारी


संदभभ:
1 जनवरी, 2022 से ‘क्षेत्रीय व्यापक आधथषक भागीदारी’ (Regional Comprehensive Economic Partnership- RCEP)
संगठन प्रभावी िो जाएगा। इसके साथ िी, यि ‘व्यापार की मात्रा’ के मामले में ववश्व का सबसे बड़ा ‘मत
ु त व्यापार
क्षेत्र’ समझौता बन जाएगा।
RCEP तया है?
क्षेत्रीय व्यापक आधथषक भागीदारी (RCEP), ववश्व का सबसे बड़ा व्यापाररक समझौता िै , जजसमे चीन, जापान
ऑस्रे मलया, दक्षक्षर्ण कोररया, न्यूजीलैंड और आमसयान (ASEAN) के दस दे श, मसंगापुर, थाईलैंड, ववयतनाम, कंबोडडया,
इंडोनेमशया, मलेमशया, ब्रन
ु ेई, लाओस, म्यांमार और कफलीपींस शाममल िै । यि नवंबर 2020 में लागू िुआ था तथा
इसमें भारत शाममल निीं िै।

www.insightsonindia.com 135 InsightsIAS


RCEP के लक्ष्य और उद्दे श्य:
1. उभरती अथषव्यवस्थाओं को ववश्व के शेर् भागों के
साथ प्रततस्पधाष करने में सिायता करने िे तु टै ररफ
कम करना, तथा सेवा क्षेत्र में व्यापार और तनवेश
को बढ़ावा दे ना।
2. कंपतनयों के मलए समय और लागत की बचत करने
िे तु ब्लॉक के सदस्य दे शों में मभन्न-मभन्न
औपचाररकताओं को परू ा ककये त्रबना ककसी उत्पाद
के तनयाषत करने की सुववधा प्रदान करना।
3. इस समझौते में बौदधधक संपदा संबंधी पिलुओं को
शाममल ककया गया िै , ककं तु इसमें पयाषवरर्ण संरक्षर्ण
और श्रम अधधकारों को सजम्ममलत निीं ककया गया िै ।
महत्ि:
• ‘क्षेत्रीय व्यापक आधथषक भागीदारी’ (RCEP) के अंतगषत, वैजश्वक सकल घरे लू उत्पाद (GDP) का लगभग
30%, अथाषत 26.2 हरमलयन डॉलर (23.17
हरमलयन यरू ो) और दतु नया की लगभग एक
ततिाई आबादी, अथाषत लगभग 2.2 त्रबमलयन
लोगों की आबादी कवर िोगी।
• RCEP के तित, इस संगठन के भीतर लगभग
90% व्यापार शल्
ु क अंततः समाप्त िो जाएंगे।
• RCEP के तित, व्यापार, बौदधधक संपदा, ई-कॉमसष
और प्रततस्पधाष से संबंधधत सामान्य तनयम भी
तनधाषररत ककए जाएंगे।
RCEP में भारत तयों शाशमल नहीं हुआ?
भारत, ‘क्षेत्रीय व्यापक आधथषक साझेदारी’ (RCEP) से
मुख्यतः चीन दवारा उत्पाहदत सस्ते सामान के दे श में प्रवेश करने संबंधी धचंताओं के कारर्ण अलग िो गया था।
चीन के साथ भारत का व्यापार असंतुलन पिले से काफी अधधक िै । इसके अलावा, यि समझौता सेवाओं को
पयाषप्त रूप से खुला रखने में ववफल रिा था।
क्षेत्रीय व्यापक आधर्भक भागीदारी (RCEP) में भारत की मौजद
ू गी की आिश्यकता:
• बढ़ती िुई वैजश्वक अजस्थरता के दौर में एक समावेशी संरचना का तनमाषर्ण करने िे तु क्षेत्र की सिायता
करने में भारत को ‘एक मित्वपूर्णष भूममका’ अदा करनी थी।
• इस प्रकार के व्यापाररक समझौते, भारतीय कंपतनयों को बड़े बाजारों में भी अपनी ताकत हदखाने के मलए
एक मंच प्रदान करते िैं।
• इसके अलावा, अमेररका और चीन के बीच बढ़ता िुआ तनाव, क्षेत्र के मलए ‘गंभीर धचंता’ का ववर्य िै ,
जोकक मिामारी के कारर्ण और भी सघन िो गया िै ।
आगे की चुनौततयां:
• संयत
ु त राज्य अमेररका की अनप
ु जस्थतत में , बीजजंग को इस क्षेत्र में ‘आधथषक ववकास’ के चालक के रूप में
अपनी भूममका को मजबूत करने का अवसर ममलेगा।
• आधथषक लाभों को मूतष रूप लेने में लंबा समय लगेगा।

www.insightsonindia.com 136 InsightsIAS


• जिााँ बड़ी एमशयाई अथषव्यवस्थाएं अधधकांश लाभ उठाएंगी, विीं RCEP के तित ASEAN में शाममल छोटे
दे शों को नुकसान उठाना पड़ सकता िै , तयोंकक इस व्यापार समझौते में इन दे शों के प्रमख
ु उदयोगों को
कवर निीं ककया गया िै ।
• एमशया में सबसे कम ववकमसत दे श - कंबोडडया, लाओस, म्यांमार - वतषमान में ‘आमसयान समूि’ के भीतर
िोने वाले व्यापार से लाभाजन्वत िोते िैं। RCEP के मध्य व्यापार से इन दे शों के व्यापार को चोट पिुाँच
सकती िै ।
• RCEP समझौते के तित, छोटे आमसयान दे शों को अपने ‘व्यापार वरीयता कायषिमों’ से िोने वाले कुछ
लाभों को गंवाना पड़ सकता िै । अभी तक ये दे श, दक्षक्षर्ण कोररया और जापान सहित आमसयान समि
ू के
बािर टै ररफ-मुतत उत्पादों का तनयाषत ककया करते थे।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं, कक वतषमान में चीन का जापान के साथ कोई दववपक्षीय समझौता निीं िै , और
केवल दक्षक्षर्ण कोररया के साथ एक सीममत सौदा िै । जबकक ये दोनों दे श चीन के िमशः तीसरे और पांचवें सबसे
बड़े व्यापाररक साझेदार िैं।
स्रोत: द हिंद।ू

8. न्यू िेिलपमें ट बैंक


संदभभ: भारत ने छि साल पिले त्रब्रतस दे शों दवारा स्थावपत ‘न्यू डेवलपमें ट बैंक’ (New Development Bank- NDB)
के चौथे नए सदस्य के रूप में ममस्र के प्रवेश का स्वागत ककया िै ।
NDB दवारा मसतंबर में बांग्लादे श, संयुतत अरब अमीरात (यए
ू ई) और उरुग्वे को नए सदस्यों के रूप में स्वीकार
ककया गया था।
महत्ि:
न्यू डेवलपमें ट बैंक’ (NDB) दवारा अपनी सदस्यता का ववस्तार ककए जाने से, उभरती अथषव्यवस्थाओं के मलए एक
‘प्रमुख ववकास संस्थान’ के रूप में इसकी जस्थतत मजबत
ू िोगी।
न्यू िेिलपमें ट बैंक (NDB) के बारे में :
• यि त्रब्रतस (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षक्षर्ण अफ्रीका – BRICS) दे शों दवारा संचामलत एक बिुपक्षीय
ववकास बैंक िै ।
• वर्ष 2013 में , दक्षक्षर्ण अफ्रीका के डरबन में आयोजजत 5 िें बितस शशखर सम्मेलन के दौरान त्रब्रतस नेताओं
दवारा ‘न्यू डेवलपमें ट बैंक’ की स्थापना करने के संबध
ं में सिमतत व्यतत की गई थी।
• इसकी स्र्ापना वर्ष 2014 में , ब्राजील के फोटाषलेजा में आयोजजत 6 वें त्रब्रतस मशखर सम्मेलन के दौरान की
गई थी।
• इस बैंक की स्थापना का उददे श्य, पांच उभरते िुए बाजारों में ववत्तीय और ववकास सियोग को बढ़ावा दे ना
िै ।
• इसका मुसयालय: शंघाई, चीन में जस्थत िै ।
वर्ष 2018 में , ‘न्यू डेवलपमेंट बैंक’ को, संयुतत राष्ट्र के साथ सकिय और लाभप्रद सियोग िे तु एक मजबूत आधार
स्थावपत करते िुए, संयत
ु त राष्ट्र महासभा में पयभिेक्षक का दजाभ प्रदान ककया गया।
मतदान:
ववश्व बैंक, जजसमे पज
ंू ी शेयर के आधार पर ‘वोट’ का तनधाषरर्ण िोता िै , के ववपरीत ‘न्यू डेवलपमें ट बैंक’ में प्रत्येक
भागीदार दे श को एक ‘वोट’ तनधाषररत ककया जाता िै , तथा ककसी भी दे श के पास ‘वीटो पावर’ निीं िोती िै ।

www.insightsonindia.com 137 InsightsIAS


भूशमकाएाँ एिं कायभ:
‘न्यू डेवलपमें ट बैंक’, वैजश्वक वदृ धध और ववकास िे तु बिुपक्षीय और क्षेत्रीय ववत्तीय संस्थानों के मौजूदा प्रयासों में
सिायता करने िे तु त्रब्रतस दे शों, अन्य उभरती अथषव्यवस्थाओं और ववकासशील दे शों में बतु नयादी ढांचे और सतत
ववकास पररयोजनाओं के मलए संसाधन जुटाने का कायष करता िै ।

महत्ि:
त्रब्रतस समूि में ववश्व के पांच सबसे बड़े ववकासशील दे श शाममल िैं। यि समूि वैजश्वक आबादी का 41%, वैजश्वक
सकल घरे लू उत्पाद का 24% और वैजश्वक व्यापार का 16% प्रतततनधधत्व करता िै।
प्रीशलम्स शलंक:
1. न्यू डेवलपमें ट बैंक (NDB) - सदस्य और मतदान शजततयााँ।
2. NDB दवारा किां तनवेश ककया जा सकता िै?
3. भारत में NDB दवारा ववत्त पोवर्त पररयोजनाएं कौन सी िैं?
4. फोटाषलेजा घोर्र्णा ककससे संबंधधत िै ?
5. NDB की स्थापना कब की गई थी?
6. NDB बनाम World Bank बनाम AIIB
में स शलंक: न्यू डेवलपमें ट बैंक (NDB) के उददे श्यों और मित्व पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 138 InsightsIAS


सामान्य अध्ययन-III
विषय:भारतीय अथषव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगतत, ववकास तथा रोजगार से संबधं धत ववर्य।
1. नेगदे टि यील्ि बॉण्ि
संदभभ: ‘ऋर्णात्मक ऋर्ण प्रततफल’ / तनगेहटव-यील्ड ऋर्ण (Negative Yield Debt) वाले बांड्स की मात्रा यूरोप में यूरोप
में ववलुप्त िोती हदख रिी िै ।
वपछले कुछ समय से, तनगेहटव-यील्ड ऋर्ण बांड्स पर लाभ वैजश्वक स्तर पर कम रिा िै , और वर्ष 2020 में फ़ैली
मिामारी के दै रान तनवेशकों दवारा बांड सुरक्षा में अत्यधधक तनवेश करने के बाद से, इसके लाभ में धगरावट आना
तेज िुई िै ।
‘नेगेदटि यील्ि बॉण्ि’ तया है ?
‘नेगेहटव यील्ड बॉण्ड’ ऐसे ऋर्ण प्रपत्र (Debt Instruments) िोते िैं, जजनके दवारा तनिेशक को बॉण्ि की पररपतिता
अिधि पर बॉण्ि के क्रय मल्
ू य से कम राशश प्राप्त होती है ।
• ये केंद्रीय बैंकों अथवा सरकारों दवारा जारी ककए जा सकते िै ।
• इसमें तनिेशकों द्िारा ऋर्-कताभओं को, अपनी रामश उनके पास रखने के मलए, ब्याज का भुगतान ककया
जाता िै ।
तनिेशकों द्िारा ‘नेगेदटि यील्ि बॉण्ि’ खरीदने का कारर्:
• इस प्रकार के प्रलेखों की प्रायः तनाव और अतनजश्चतता की जस्थतत में अधधक मांग िोती िै । ये तनवेशकों
की पूंजी में िोने वाली धगरावट से सुरक्षा प्रदान करते िैं।
• मुद्रा के उतार-चढ़ाव से लेकर मुद्रा अपस्फीतत जैसी जस्थततयों से ‘नेगेहटव यील्ड बॉण्ड’ में तनवेश करने
वाले सरु क्षक्षत तनकल सकते िै ।
बॉण्ि कीमत और प्राजप्त (यील्ि) के मध्य संबंि:
इसमें , बॉण्ड की कीमत और बॉण्ड यील्ड अथवा ब्याज के मध्य नकारात्मक संबध
ं िोता िै ; अथाषत जब बॉण्ड की
कीमत बढ़ती िै तो बॉण्ड यील्ड घटता िै ।
चूंकक, नेगहे टव यील्ड बॉण्ड एक ‘कफतस्ड रे ट इन्वेस्टमेंट’ िोते िैं, और यिी आंमशक रूप से बॉण्ड मूल्य और बॉण्ड
यील्ड के बीच व्युत्िम संबध
ं ों का कारर्ण िोता िै ।
• भववष्ट्य में ब्याज दरों में वद
ृ धध की संभावना िोने पर तनवेशक अपने बॉण्ड को बेच सकते िैं और बाद में
ऊाँची दर वाले बॉण्ड को पुनः खरीद सकते िै ।
• इसके ववपरीत, बॉण्ड तनवेशक भववष्ट्य में ब्याज दरों में कमी िोने की संभावना िोने पर बॉण्ड खरीद सकते
िै ।
ितभमान में नेगेदटि यील्ि बॉण्ि की मांग के प्रमुख कारक:
• मिामारी फैलने के बाद से िैजश्िक केंद्रीय बैंकों द्िारा बड़ी मात्रा में नकदी प्रिादहत की गयी है , जजससे,
इजतवटी, ऋर्ण और वस्तुओं सहित ववमभन्न पररसंपवत्तयों की कीमतों में वद
ृ धध िुई िै ।
• कई तनवेशक, इजतवटी में अपने जोखखम पोटष फोमलयो का बचाव करने िे तु नकारात्मक प्राजप्त दे ने िाले
सरकारी ऋर् में अस्थायी रूप से अपनी पूंजी लगा सकते िैं।
• यहद कोववड-19 मिामारी की ताजा लिर से अथषव्यवस्थाओं में और अधधक मंदी आती िै , तो ब्याज दरों
पर नकारात्मक दबाव पड़ सकता िै , जजससे यील्ड में और भी कमी आ सकती िै और इससे वतषमान में
जजन तनवेशकों ने नेगेहटव यील्ड बॉण्ड में तनवेश ककया िै , उन्िें लाभ िो सकता िै।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

www.insightsonindia.com 139 InsightsIAS


2. मद्र
ु ास्फीतत लक्ष्यीकरर्
संदभभ: भारत की खुदरा मुद्रास्फीतत (Retail Inflation) नवंबर में लगातार दस
ू रे मिीने में बढ़ती िुई 4.91% तक पिुंच
गई िै , अतटूबर में यि 4.48% दजष की गयी थी।
नवंबर माि में , भारत के शिरी हिस्सों में , कीमतों में 5.54% की तेज वद
ृ धध और सजब्जयों की कीमतों में , वपछले
मिीने की तुलना में , 7.45% की बढ़ोतरी िुई िै ।
संबंधित धचंताएं:
इससे पता चलता िै कक ‘तनवेश और वस्तुओं की लागत में वद
ृ धध’ िोने की वजि से कीमतों में बढ़ोतरी का दबाव
बना रिता िै , यि अतटूबर माि में , थोक मल् ू य मद्र
ु ास्फीतत के पांच मिीने के उच्च स्तर 12.54% तक पिुचने से
स्पष्ट्ट िोता िै । ‘खद
ु रा मुद्रास्फीतत’ में लगातार िो रिी वद ृ धध के कारर्ण आरबीआई दवारा तनधाषररत मुद्रास्फीतत
लक्ष्य प्रभाववत िोंगे।
‘मद्र
ु ास्फीतत लक्ष्यीकरर्’ तया है ?
यि एक तनहदषष्ट्ट वावर्षक मद्र
ु ास्फीतत दर प्राप्त करने िेतु मौहद्रक नीतत के संयोजन पर आधाररत केंद्रीय बैंक की
एक नीतत िोती िै ।
• मुद्रास्फीतत लक्ष्यीकरर्ण (Inflation Targeting) का मसदधांत इस ववश्वास पर आधाररत िोता िै कक दीघषकालीन
आधथषक वद
ृ धध, सवोत्तम रूप से, कीमतों की जस्थरता बनाए रखने के माध्यम से िामसल की जा सकती िै
तथा ‘कीमतों की जस्थरता’, मद्र
ु ास्फीतत तनयंत्रत्रत करके िामसल की जा सकती िै ।
मुद्रास्फीतत लक्ष्यीकरर् फ्रेमिकभ:
वर्ष 2016 में , भारतीय ररजवष बैंक (आरबीआई) अधधतनयम, 1934 में संशोधन के बाद से भारत में एक ‘लचीला
मद्र
ु ास्फीतत लक्ष्यीकरर्ण फ्रेमवकष’ (Flexible Inflation Targeting Framework) लागू िै।
भारत में मुद्रास्फीतत लक्ष्य कौन तनिाभररत करता है?
संशोधधत भारतीय ररजवष बैंक अधधतनयम के प्रावधानों के अनुसार, भारत सरकार, प्रत्येक पााँच वर्ष में एक बार,
ररजवष बैंक के परामशष से मद्र
ु ास्फीतत लक्ष्य तनधाषररत करती िै ।
ितभमान मुद्रास्फीतत लक्ष्य:
केंद्र सरकार दवारा, 5 अगस्त, 2016 से 31 माचष, 2021 की अवधध के मलए 4 प्रततशत उपभोतता मल्
ू य सच
ू कांक
(CPI) मद्र
ु ास्फीतत को अधधसूधचत ककया गया िै । इसके साथ िी, 6 प्रततशत की ऊपरी गुंजाइश सीमा तथा 2
प्रततशत की तनचली गज
ंु ाइश सीमा तनधाषररत की गयी िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. वतषमान मुद्रास्फीतत लक्ष्य तया िै ?
2. मद्र
ु ास्फीतत लक्ष्य कौन तनधाषररत करता िै?
3. मौहद्रक नीतत सममतत (MPC) तया िै?
4. कायष, संरचना
स्रोत: द हिंद।ू
3. कृवष उत्पादों में ‘िायदा कारोबार’ का तनलंबन
संदभभ: भारतीय प्रततभूतत एवं ववतनमय बोडष (Securities & Exchange Board of India - SEBI) ने प्रमुख कृवर् जजंसों
जैसे धान (गैर-बासमती), गेिूं, चना, सरसों और इसके व्युत्पादों / डेररवेहटव (Derivatives), सोया बीन और इसके
व्युत्पादों, ताड़ का कच्चा तेल (crude palm oil) और मग
ूं का ‘व्युत्पाद अनुबध
ं ों’ (derivative contracts) में व्यापार
एक साल के मलए तत्काल तनलंत्रबत करने िे तु स्टॉक एतसचें जों को ‘कमोडडटी डेररवेहटव सेगमें ट’ में तनदे श जारी
ककए िैं।
मुद्रास्फीतत को बढ़ावा दे ने वाली इन आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों पर तनयंत्रर्ण करने के मलए इन जजंसों के
‘व्यत्ु पाद अनब
ु ंधों’ में व्यापार को तनलंत्रबत ककया जा रिा िै ।
www.insightsonindia.com 140 InsightsIAS
‘व्युत्पाद / िेररिेदटि अनुबि
ं ’ तया होते हैं?
‘व्युत्पाद / डेररवेहटव अनुबध
ं ’ (Derivative Contracts) दो या दो से अधधक पाहटष यों के बीच अनुबंध िोते िैं, जजसमे
‘व्यत्ु पादों की कीमत’ (derivative value), आधारभत
ू / मौमलक पररसम्म्पवत्तयों (इस मामले में कृवर् वस्तओ
ु ं) पर
आधाररत िोती िै ।
• डेररवेहटव की कीमत ‘आधारभूत पररसंपवत्तयों’ की कीमत में उतार-चढ़ाव से तय की जाती िै ।
• डेररवेहटव्स का कारोबार, ववतनमय (एतसचें ज) या ‘ओवर द काउं टर’ (OTC) के माध्यम से ककया जा सकता
िै ।
यह प्रर्ाली ककस प्रकार कायभ करती है , और ‘िेररिेदटि रे डिंग’ तया होती है ?
जब कारोबाररयों दवारा, ककसी आधारभूत पररसंपवत्त को तत्काल खरीदने के बजाय, उस पररसंपवत्त की भववष्ट्य में
िोने वाली कीमत का अनुमान लगाकर, अपने लाभ को अधधकतम करने के मलए ‘डेररवेहटव अनुबध
ं ों’ की खरीद या
त्रबिी की जाती िै । इसे िी ‘डेररवेहटव रे डडंग’ किा जाता िै ।
• कारोबारी, मौजूदा जस्थतत में िोने वाले जोखखम को कम करने िे तु ‘प्रततरक्षा’ / ‘िे जजंग’ (Hedging) के मलए
भी ‘डेररवेहटव’ का उपयोग करते िैं।
• डेररवेहटव के माध्यम से, कारोबारी कम समय में , ककसी संपवत्त की धगरती कीमतों से भी लाभ कमा सकते
िैं।
• कारोबारी, ककसी मौजद
ू ा दीघाषकामलक जस्थत से बचाव के मलए भी डेररवेहटव का उपयोग करते िैं।
• इसका अंततम उददे श्य लाभ प्राप्त करना िै , और इसे बाजार में ‘मूल्य अनुशासन’ लाने के मलए एक
तनवारक के रूप में दे खा जाता िै ।
‘िायदा कारोबार’ का तनलंबन का कारर्:
• कृवर् उत्पादों में ‘वायदा कारोबार’ का तनलंबन का उददे श्य, मुद्रास्फीतत को बढ़ावा दे ने वाली इन आवश्यक
वस्तुओं की बढ़ती कीमतों पर तनयंत्रर्ण करना िै । भारत, वनस्पतत तेलों का दतु नया का सबसे बड़ा आयातक
िै , और इस तरीके से ‘खादय तेल आयातकों और व्यापाररयों’ के मलए इन जजसों का व्यापार करना कहठन
िो जाएगा, तयोंकक अधधकांश कारोबारी अपने जोखखम को कम करने के मलए भारतीय एतसचें जों का
उपयोग करते िैं।
• ऐसा माना जाता िै , कक कीमतों को बढ़ाने में सट्टे बाजों की भूममका िोती िै और मुद्रास्फीतत पर अंकुश
लगाने और चूंकक अथषव्यवस्था अभी कोववड-19 प्रभाव से उबर रिी िै , अतः ववकास को सियोग दे ने के
मलए इस कारोबार को ितोत्साहित करने की आवश्यकता िै ।
स्रोत: द हिंद।ू

4. पूिव्भ यापी करािान


संदभभ: त्रब्रटे न के एक प्रमख
ु उजाष कंपनी ‘केयनष एनजी पीएलसी’ (Cairn Energy Plc) ने भारत सरकार और इसकी
ववदे शी इकाईयों के खखलाफ ₹10,247 करोड़ के ‘पूवव्ष यापी कर’ (retrospective tax) मामले में दायर मक
ु दमों को
आखखरकार वापस ले मलया िै । केयनष एनजी दवारा, भारत के खखलाफ फ्रांस और नीदरलैंड में भी दजष मामलों को
वापस लेने की प्रकिया परू ी की जा रिी िै ।
‘केयनष एनजी पीएलसी’ दवारा यि सभी मुकदमे भारत सरकार से ‘अपनी रामश वसूल करने’ को ‘एयर इंडडया’ की
संपवत्त जब्त करने के मलए दायर ककए गए थे।
पष्ट्ृ ठभूशम:
‘केयनष एनजी पीएलसी’ दवारा मुकदमों को वापस लेने का फैसला, एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता तनर्णषय के बाद
मलया गया िै । अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायालय ने अपने तनर्णषय में , भारत को केयनष एनजी पर लगाए गए ₹
10,247 करोड़ के ‘पूवव्ष यापी कर’ को वापस लेने तथा कंपनी को पैसे वापस करने का तनदे श हदया था।

www.insightsonindia.com 141 InsightsIAS


संबंधित प्रकरर्:
हदसंबर 2020 में , नीदरलैंड जस्थत ‘स्थायी मध्यस्थता न्यायालय’ (Permanent Court
of Arbitration -PCA) में तीन सदस्यीय ‘अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थ न्यायाधधकरर्ण’
(International Arbitral Tribunal) दवारा सवषसम्मतत से फैसला सुनाते िुए किा, कक
भारत सरकार दवारा ‘त्रब्रटे न-भारत दववपक्षीय तनवेश संधध’ (India-UK Bilateral
Investment Treaty) और ‘तनष्ट्पक्ष और न्यायसंगत समाधान की गारं टी’ उल्लंघन
ककया गया िै , और इसकी वजि से त्रब्रहटश ऊजाष कंपनी को नुकसान पिुंचा िै ।
• इसके अलावा मध्यस्थ न्यायाधधकरर्ण ने भारत सरकार को ‘केयनष एनजी’
के मलए 1.2 अरब डॉलर का मुआवजा दे ने का आदे श हदया था।
• भारत सरकार दवारा त्रब्रटे न-भारत दववपक्षीय तनवेश समझौते का िवाला
दे ते िुए वर्ष 2012 में लागू पव
ू व्ष यापी कर कानन
ू (retrospective tax law)
के तित आंतररक व्यापार पुनगषठन पर करों (taxes) की मांग की गयी थी,
जजसे केयनष एनजी ने चुनौती दी थी।
• वर्ष 2014 में , भारतीय कर ववभाग दवारा ‘केयनष एनजी’ से ‘कर’ के रूप में
10,247 करोड़ रुपये की मांग की थी।
• वर्ष 2015 में , केयनष एनजी पीएलसी ने भारत सरकार के खखलाफ
अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता कायषवािी शुरू की।
इसके आगे का घटनाक्रम:
कृपया ध्यान दें , िाल िी में भारत सरकार दवारा ‘कराधान कानन
ू (संशोधन) अधधतनयम’ पाररत ककया गया था,
जजसके अंतगषत, जनवरी 2016 में केयनष के खखलाफ मल
ू रूप से लगाए जाने वाले ‘करों’ के तनधाषरर्ण को रदद कर
हदया गया, और साथ िी केयनष से वसूले गए 7,900 करोड़ रुपये को वापस ककए जाने आदे श भी हदया गया िै ।
‘पूिव्भ यापी करािान’ के बारे में :
‘पूवव्ष यापी कराधान’ (Retrospective Taxation) के तित, ककसी दे श को, कानून पाररत िोने की तारीख से पिले से,
कुछ उत्पादों, वस्तओ
ु ं या सेवाओं और सौदों पर, पव
ू व्ष यापी कर लगाने तथा कंपतनयों पर पव
ू व्ष यापी दं ड लगाने की
अनुमतत िोती िै ।
• ववमभन्न दे शों दवारा अपनी कराधान नीततयों में उन ववसंगततयों को ठीक करने के मलए इस मागष का
उपयोग ककया जाया िैं, जजनके तित अतीत में ‘कंपतनयों’ को ऐसी खाममयों का लाभ उठाने का अवसर
ममल गया था।
• ‘पवू व्ष यापी कराधान’ से उन कंपतनयों को नक
ु सान पिुाँचाता िै जजनके दवारा जानबझ
ू कर या अनजाने में
दे श के कर तनयमों की अलग-अलग व्याख्या की गई थी।
‘स्र्ायी मध्यस्र्ता न्यायालय’
(Permanent Court of Arbitration - PCA)
‘स्थायी मध्यस्थता न्यायालय’ (PCA) की स्थापना 1899 में िुई थी और इसका मख्
ु यालय ‘द िे ग’, नीदरलैंड्स में
िै ।
• यि एक अंतर सरकारी संगठन िै जो वववाद समाधान क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सेवा करने और
दे शों के बीच ‘मध्यस्थता’ और वववाद समाधान के अन्य तरीकों की सुववधा प्रदान करने के मलए समवपषत
िै ।
• इसके सभी तनर्णषय, जजन्िें ‘अवाडष’ (Award) किा जाता िै , वववाद में शाममल सभी पक्षों के मलए बाध्यकारी
िोते िैं और तत्काल लागू ककए जाते िैं।

www.insightsonindia.com 142 InsightsIAS


इंस्टा जजज्ञासु: मध्यस्थता (arbitration), मध्यगता या बीचबचाव (mediation) और सुलि (conciliation) एक दस
ू रे
से ककस प्रकार मभन्न िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:समावेशी ववकास तथा इससे उत्पन्न ववर्य।


1. सह-ऋर् मॉिल: बैंकों और गैर-बैंककं ग वित्तीय कंपतनयों द्िारा सह-ऋर्
(Co-Lending Model- Bank-NBFC co-lending)
संदभभ: मसतंबर 2018 में , आरबीआई दवारा बैंकों को पूवष समझौते के आधार पर, प्राथममकता वाले क्षेत्र को ऋर्ण दे ने
के मलए, एचएफसी सहित सभी पंजीकृत गैर-बैंककं ग ववत्तीय कंपतनयों (NBFCs) के साथ सि-ऋर्ण / साझे में ऋर्ण
(Co-Lending) प्रदान करने की अनम
ु तत दी गयी थी।
इसके बाद से, कई बैंकों ने ‘गैर-बैंककं ग ववत्तीय कंपतनयों’ के साथ सि- ऋर्ण 'मास्टर समझौते' ककए िैं, और कई ऐसे
समझौते प्रकियाधीन िैं।
संबंधित धचंताएं:
• इन प्रकार के समझौतों से बैंकों और NBFCs के बीच असामान्य गठजोड़ िुआ िै । उदािरर्ण के मलए, ‘स्टे ट
बैंक ऑफ़ इंडडया’ ने ककसानों को रै तटर और कृवर् उपकरर्ण खरीदने में मदद करने के मलए सि-ऋर्ण दे ने
के मलए एक छोटी एनबीएफसी ‘अदानी कैवपटल’ के साथ एक समझौते पर िस्ताक्षर ककए िै ।
• सह-ऋर् में जोणखम की संभािना अधिक: एनबीएफसी के मलए अपनी ररकॉडष पंजी पर व्यजततगत ऋर्ण
का कम से कम 20 प्रततशत हिस्सा रखना आवश्यक िोता िै । इसका मतलब िै कक जोखखम का 80
प्रततशत बैंकों के पास िोगा। इससे डडफ़ॉल्ट िोने के मामले में बैंकों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा।
• बैंककं ग में कॉरपोरे ट घराने: आरबीआई ने आधधकाररक तौर पर बड़े कॉरपोरे ट घरानों को बैंककं ग क्षेत्र में
प्रवेश की अनुमतत निीं दी िै , लेककन गैर-बैंककं ग ववत्तीय कंपतनयां (NBFCs) – जोकक ज्यादातर कॉरपोरे ट
घरानों दवारा शुरू की गई िैं - पिले से िी सावषजतनक जमा स्वीकार कर रिे िैं। प्रत्यक्ष सि-ऋर्ण व्यवस्था
के माध्यम से अब उनके पास ऋर्ण दे ने के अधधक अवसर ममलेंग।े
सह-ऋर् / सह-उिार मॉिल तया है ?
सि-उधार मॉडल (Co-Lending Model) के अंतगषत, दोनों साझेदार ऋर्णदाताओं को सुववधा स्तर पर संयत
ु त रूप से
ऋर्ण दे ने की अनम
ु तत िोती िै , साथ िी इसमें जोखखम और लाभ को भी साझा ककया जाता िै ।
उद्दे श्य: अथषव्यवस्था के वंधचत और अल्प वंधचत क्षेत्र के मलए ऋर्ण के प्रवाि में सुधार करना।
मॉिल का महत्ि:
• बैंकों से कम लागत पर तनधध, और ‘गैर-बैंककं ग ववत्तीय कंपतनयों’ की अधधक पिुंच लाभाथी को विनीय
लागत पर ऋर्ण उपलब्ध कराएगी।
• इससे बैंकों को ग्रािक आधार का ववस्तार करने में मदद ममलेगी और बैंक अंततम छोर तक बैंककं ग सेवाएं
प्रदान करने में सक्षम िोंगे।
स्रोत: द हिंद।ू

2. ‘गैर-बैंककं ग वित्तीय कंपतनयों’ के शलए संशोधित त्िररत सुिारात्मक कारभ िाई फ्रेमिकभ
संदभभ:
िाल िी में , भारतीय ररजवष बैंक (RBI) दवारा ‘गैर-बैंककं ग ववत्तीय कंपतनयों’ (NBFC) के मलए ‘त्वररत सुधारात्मक
कारष वाई’ (Prompt Corrective Action - PCA) फ्रेमवकष जारी ककया िै ।
NBFC के मलए PCA फ्रेमवकष, उनकी ववत्तीय जस्थतत के आधार पर 31 माचष को या उसके बाद 1 अतटूबर, 2022 से
प्रभावी िोगा।

www.insightsonindia.com 143 InsightsIAS


‘त्िररत सुिारात्मक कारभ िाई’ (पीसीए) फ्रेमिकभ के बारे में :
‘त्वररत सुधारात्मक कारष वाई’ (Prompt Corrective Action - PCA) एक फ्रेमवकष िै , जजसके जररये आरबीआई कमजोर
ववत्तीय संकेतकों वाले बैंकों पर की नजर रखता िै ।
इसका उददे श्य, उधचत समय पर पयषवेक्षी िस्तक्षेप को सक्षम बनाना िै । यि पयषवेक्षक्षत संस्था से समय पर
उपचारात्मक उपायों को शुरू और लागू करने की अपेक्षा रखता िै , ताकक उसकी ववत्तीय जस्थतत बिाल की जा सके।
पीसीए फ्रेमवकष का उददे श्य प्रभावी बाजार अनुशासन के मलए एक उपकरर्ण के रूप में कायष करना भी िै ।
प्रयोज्यता:
• पीसीए फ्रेमवकष, सभी जमा स्वीकार करने वाली ‘गैर-बैंककं ग ववत्तीय कंपतनयों’ (NBFCs), तनवेश और िेडडट
कंपतनयों, कोर तनवेश कंपतनयों, अवसंरचना ऋर्ण तनधध, इंफ्रास्रतचर फाइनेंस कंपतनयों और ‘सूक्ष्म ववत्त
संस्थानों’ सहित मध्य, ऊपरी और शीर्ष स्तर पर ‘जमा स्वीकार निी करने वाली सभी NBFCs पर लागू
िोगा।
• िालांकक, पीसीए फ्रेमवकष में, सरकारी स्वाममत्व वाली इकाईयों, प्राथममक डीलरों और िाउमसंग फाइनेंस
कंपतनयों से धन रामश स्वीकार निीं करने वाली ‘गैर-बैंककं ग ववत्तीय कंपतनयों’ को को शाममल निीं ककया
गया िै ।
‘गैर-बैंककं ग वित्तीय कंपतनयों’ के शलए पीसीए फ्रेमिकभ लागू ककए जाने हे तु संकेतक:
• पीसीए फ्रेमवकष के तित, केंद्रीय बैंक तीन संकेतकों की तनगरानी करे गा – पंज
ू ी एवं जोखखम भाररत संपवत्त
अनुपात (capital to risk-weighted assets ratio - CRAR), टीयर I अनुपात और ‘गैर-तनष्ट्पाहदत तनवेश’ (NPIs)
सहित शुदध गैर-तनष्ट्पाहदत पररसंपवत्तयां (NNPAs)।
• कोर तनवेश कंपतनयों (CICs) के मामले में , आरबीआई गैर-तनष्ट्पाहदत तनवेश’ सहित समायोजजत तनवल
मूल्य/कुल जोखखम-भाररत संपवत्त, लाभांश अनुपात और शुदध गैर-तनष्ट्पाहदत पररसंपवत्तयों (NNPAs) की
तनगरानी करे गा।
उपयुत
ष त संकेतकों के तित, तीन जोखखम सीमाओं में से ककसी एक का उल्लंघन पाए जाने पर पीसीए फ्रेमवकष
लागू ककया जा सकता िै ।
आिश्यकता:
‘गैर-बैंककं ग ववत्तीय कंपतनयों’ के मलए पीसीए फ्रेमवकष चार बड़ी ववत्त फमों - IL&FS, DHFL, SREI और ररलायंस कैवपटल
– के दवारा ववत्तीय क्षेत्र में कड़ी तनगरानी के बावजूद वपछले तीन वर्ों में सावधध जमा और गैर-पररवतषनीय डडबेंचर
के माध्यम से सावषजतनक धन एकत्र ककए जाने, के बाद लाया गया िै । इन कंपतनयों पर तनवेशकों का सामहू िक
रूप से 1 लाख करोड़ रुपये से अधधक का बकाया िै ।
पीसीए फ्रेमिकभ लागू होने पर NBFC की जस्र्तत:
• जोखखम सीमा के आधार पर, भारतीय ररजवष बैंक दवारा NBFC के मलए अतनवायष सुधारात्मक कारष वाइयां,
जैसेकक लाभांश ववतरर्ण/लाभ के प्रेर्र्ण पर प्रततबंध लगाए जा सकते िैं तथा प्रमोटरों/शेयरधारकों के मलए
अपनी इजतवटी समाप्त करने तथा लाभांश को कम करने के मलए तनदे श हदए जा सकते िैं।
• आरबीआई दवारा समूि कंपतनयों (केवल CICs के मलए) की ओर से गारं टी जारी करने या अन्य आकजस्मक
दे नदाररयों को लेने से प्रततबंधधत ककया जा सकता िै ।
• इसके अलावा, केंद्रीय बैंक दवारा शाखा ववस्तार करने पर प्रततबंध, बोडष-अनुमोहदत सीमाओं के भीतर
तकनीकी उन्नयन के अलावा अन्य पूंजीगत व्यय पर प्रततबंध लगाए जा सकते िैं तथा पररवतषनीय
पररचालन लागत को सीममत/सीधे कम ककया जा सकता िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक आरबीआई दवारा वर्ष 2002 में अनुसूधचत वाखर्णजज्यक बैंकों के मलए एक
पीसीए फ्रेमवकष जारी ककया गया था?
स्रोत: द हिंद।ू
www.insightsonindia.com 144 InsightsIAS
3. टोकनाइजेशन और आरबीआई के नए ददशातनदे श
संदभभ: िाल िी में , भारतीय ररजवष बैंक ने ‘काडष-ऑन-फाइल’ (CoF) टोकननाइजेशन मानदं डों (Tokenisation Norms)
के कायाषन्वयन की तारीख छि मिीने बढ़ाकर 30 जून, 2022 कर दी िै ।
नए हदशातनदे शों के अनस
ु ार, ऑनलाइन व्यवसातययों को अपने प्लेटफॉमष पर संग्रिीत ककसी भी िेडडट और डेत्रबट
काडष डेटा को िटाना िोगा और उपभोतताओं के काडष वववरर्ण सुरक्षक्षत करने के मलए डेटा को ‘टोकन’ में पररवततषत
करना िोगा।
दहतिारकों द्िारा टोकननाइजेशन मानदं िों के कायाभन्ियन की समय-सीमा में विस्तार की मांग:
एसबीआई, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक सहित अधधकांश प्रमख
ु बैंक इस ‘पदांतरर्ण’ / ‘जस्वचओवर’
के मलए तैयार िैं, ककं तु अन्य हितधारकों, जजनमे से अधकांश व्यापारी िै , का तकष िै कक उनकी तंत्र प्रर्णाली अभी
तक नई व्यवस्था को अपनाने के मलए तैयार निीं िैं और उन्िोंने नए मानदं डों को प्रभावी करने िे तु और समय
की मांग की िै ।
• यहद वतषमान जस्थतत में नए मानदं डों लागू ककया जाता िै , तो यि नया अधधदे श, बड़े व्यवधान और ववशेर्
रूप से व्यापाररयों के मलए राजस्व की िातन का कारर्ण बन सकता िै ।
• इस प्रकार के व्यवधान, डडजजटल भुगतान में ववश्वास को कम करते िैं और उपभोतता को वापस नकद-
आधाररत भुगतानों की ओर प्रवत्त
ृ कर सकते िैं।
टोकनाइजेशन तया है ?
‘टोकनाइजेशन’ (Tokenisation) का तात्पयष, एक वास्तववक काडष के संवेदनशील वववरर्ण को एक यतू नक कोड वाले
टोकन (token) में पररवततषत करना िै । यि एक काडष, एवं ‘टोकन अनुरोधकताष’ और डडवाइस का अनोखा संयोजन
िोता िै ।

महत्ि:
‘टोकनकृत काडष’ (Tokenised Card) से लेनदे न को सुरक्षक्षत माना जाता िै , तयोंकक इसमें लेनदे न प्रिमर्ण के दौरान
‘वास्तववक काडष’ के वववरर्ण को व्यापारी के साथ साझा निीं ककया जाता िै ।
जजन ग्रािकों के पास ‘टोकनाइजेशन’ की सुववधा निीं िै , उन्िें िर बार ऑनलाइन ऑडषर करने पर अपना नाम, 16
अंकों का काडष नंबर, समाजप्त ततधथ और CVV दजष करना िोगा। और यि काफी बोखझल प्रकिया िो जाती िै ।

www.insightsonindia.com 145 InsightsIAS


‘टोकनाइजेशन’ के सच
ु ारू कायाभन्ियन के शलए तीन चरर्ों को पूरा करना होगा:
1. टोकन प्राििान (Token Provisioning): उपभोतता का काडष नंबर एक टोकन में पररवतषनीय िोना चाहिए,
जजसका अथष िै कक ‘काडष नेटवकष’ को संबधं धत बतु नयादी ढांचे के साथ तैयार रिना िोगा।
2. टोकन प्रक्रमर् (Token processing): उपभोतताओं को टोकन के माध्यम से अपना लेनदे न सफलतापूवक

पूरा करने में सक्षम िोना चाहिए।
3. एकाधिक उपयोग के शलए सक्षम: उपभोतता को ररफंड, ईएमआई, आवती भुगतान, ऑफ़र, प्रचार, अततधथ
चेकआउट आहद जैसी गततववधधयों के मलए टोकन का उपयोग करने में सक्षम िोना चाहिए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

विषय:प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृवर् सिायता तथा न्यन


ू तम समथषन मल्
ू य से संबंधधत ववर्य; जन ववतरर्ण प्रर्णाली-
उददे श्य, कायष, सीमाएाँ, सध
ु ार; बफर स्टॉक तथा खादय सुरक्षा संबंधी ववर्य; प्रौदयोधगकी ममशन; पशु पालन संबंधी
अथषशास्त्र।
1. न्यन
ू तम समर्भन मल्
ू य
संदभभ: िाल िी में , भाजपा सांसद वरुर्ण गांधी दवारा संसद में फसलों के ‘न्यूनतम समथषन मूल्य’ (Minimum
Support Price - MSP) के मलए एक तनजी ववधेयक पेश ककया गया िै ।
कृवष उपज के गारं टीकृत न्यूनतम समर्भन मूल्य प्राजप्त का ककसानों का अधिकार वििेयक, 2021 (The farmers
right to guaranteed minimum support price realization of agri-produce Bill, 2021) का अवलोकन:
1. ‘द फामषसष राइट टू गारं टीड ममतनमम सपोटष प्राइस ररएलाइजेशन ऑफ एग्री प्रोड्यस
ू त्रबल 2021’ में 1 लाख
करोड़ रुपये के ववत्तीय पररव्यय के साथ ‘न्यूनतम समथषन मूल्य’ की कानूनी गारं टी हदए जाने का प्रस्ताव
ककया गया िै ।
2. ववधेयक का उददे श्य 22 फसलों के मलए ‘न्यूनतम समथषन मूल्य’ पर कानूनी गारं टी प्रदान करवाना िै , जजसे
उत्पादन की सकल लागत पर 50 प्रततशत के लाभांश पर तनधाषररत ककया जाना चाहिए।
3. यहद ककसी ककसान जो उपरोतत घोवर्त ‘न्यूनतम समथषन मूल्य’ (MSP) से कम कीमत ममलती िै , तो वि
प्राप्त कीमत और गारं टीकृत MSP के बीच के अंतर के बराबर मुआवजे का िकदार िोगा।
4. ववधेयक में कृवर्-उपज लेनदे न के दो हदनों के भीतर, भुगतान सीधे ककसानों के खातों में ककए जाने का
प्रस्ताव ककया गया िै ।
महत्ि:
ककसानों को गारं टीकृत न्यन
ू तम समथषन मल्
ू य (Guaranteed MSP) की घोर्र्णा के पररर्णामस्वरूप लगभग 93
मममलयन कृवर् पररवारों के मलए बेितर कृवर्-उपज मूल्य प्राप्त िोगा, जजससे ग्रामीर्ण अथषव्यवस्था में कफर से उत्थान
िोगा।
‘न्यन
ू तम समर्भन मल्
ू य’ (MSP) तया होता है?
‘न्यूनतम समथषन मूल्य’ (Minimum Support Prices -MSPs), ककसी भी फसल का वि ‘न्यूनतम मूल्य’ िोता िै , जजस
पर सरकार ककसानों से फसल खरीदती िै । वतषमान में , आधथषक मामलों की मंत्रत्रमंडल सममतत, खरीफ और रबी,
दोनों मौसमों में उगाई जाने वाली 23 फसलों के मलए ‘न्यन
ू तम समथषन मल्
ू य’ तनधाषररत करती िै ।
MSP की गर्ना ककस प्रकार की जाती है?
‘न्यूनतम समथषन मूल्य’ (MSP) की गर्णना, ककसानों की उत्पादन लागत के कम से कम डेढ़ गुना कीमत के
आधार पर की जाती िै ।
• 2018-19 के केंद्रीय बजट में की गई घोर्र्णा के अनुसार, MSP को उत्पादन लागत के डेढ़ गुना के बराबर
रखा जाएगा।

www.insightsonindia.com 146 InsightsIAS


• ‘न्यूनतम समथषन मूल्य’ (MSP) का तनधाषरर्ण ‘कृवर् लागत एवं मूल्य आयोग’ (Commission for Agricultural
Costs and Prices- CACP) की संस्तुतत पर, एक वर्ष में दो बार ककया जाता िै ।
• कृवष लागत एिं मल्
ू य आयोग’ (CACP) एक वैधातनक तनकाय िै , जो खरीफ और रबी मौसम के मलए
कीमतों की मसफाररश करने वाली अलग-अलग ररपोटष तैयार करता िै ।
MSP तनिाभररत करने में शाशमल की जाने िाली उत्पादन लागतें :
‘न्यूनतम समथषन मूल्य’ (MSP) का तनधाषरर्ण करते समय, कृवर् लागत एवं मूल्य आयोग (CACP), ‘A2+FL’ तथा
‘C2’ लागत, दोनों को ध्यान में रखता िै ।
1. ‘A2’ लागत में ककसान दवारा सीधे नकद रूप में और बीज, खाद, कीटनाशक, मजदरू ों की मजदरू ी, ईंधन,
मसंचाई आहद पर ककये गए सभी तरि के भुगतान को शाममल ककया जाता िै ।
2. ‘A2+FL’ में ‘A2’ सहित अततररतत अवैततनक पाररवाररक श्रम का एक अनुमातनत मूल्य शाममल ककया
जाता िै ।
3. C2 लागत में , कुल नगद लागत और ककसान के पाररवाररक पाररश्राममक (A2+FL) के अलावा खेत की जमीन
का ककराया और कुल कृवर् पूंजी पर लगने वाला ब्याज भी शाममल ककया जाता िै ।
MSP की सीमाएं:
1. ‘न्यूनतम समथषन मूल्य’ (MSP) के साथ प्रमख
ु समस्या गेिूं और चावल को छोड़कर अन्य सभी फसलों की
खरीद के मलए सरकारी मशीनरी की कमी िै । गेिूं और चावल की खरीद ‘भारतीय खादय तनगम’ (FCI) के
दवारा ‘सावषजतनक ववतरर्ण प्रर्णाली’ (PDS) के तित तनयममत रूप से की जाती िै ।
2. चूंकक राज्य सरकारों दवारा अंततम रूप से अनाज की खरीद की जाती िै और जजन राज्यों में अनाज की
खरीद परू ी तरि से सरकार दवारा की जाती िैं, विां के ककसानो को अधधक लाभ िोता िै । जबकक कम
खरीद करने वाले राज्यों के ककसान अतसर नुकसान में रिते िैं।
3. MSP-आधाररत खरीद प्रर्णाली त्रबचौमलयों, कमीशन एजेंटों और APMC अधधकाररयों पर भी तनभषर िोती िै ,
और छोटे ककसानों के मलए इन तक पिुंचना मुजश्कल िो जाता िै ।
MSP का िैिीकरर् ककए जाने संबंिी मांग के कारर्:
ककसानों को MSP से कम कीमतों की प्राजप्त: भारत के अधधकांश हिस्सों में उगाई जाने वाली अधधकांश फसलों के
मलए, ककसानों को ववशेर् रूप से फसल के समय प्राप्त िोने वाली कीमतें आधधकाररक तौर पर घोवर्त ‘न्यूनतम
समथषन मूल्य’ (MSP) से काफी कम िोती िैं। और चूंकक MSP के मलए कोई वैधातनक प्रततभूतत निीं िै , अतः इसकी
अधधकार के रूप में मांग निीं की जा सकती िै ।
सरकार द्िारा सीशमत खरीद: साथ िी, सरकार दवारा MSP पर वास्तववक खरीद काफी कम की जाती िै , जोकक
गेिूं और धान की केवल एक ततिाई फसल (जजसमें से आधी फसल केवल पंजाब और िररयार्णा में खरीदी जाती
िै ), और 10% -20% चुतनंदा दलिन और ततलिन फसलों तक िी सीममत िै । शांता कुमार सममतत की 2015 की
ररपोटष के अनुसार, केवल 6% ककसान पररवार सरकार को MSP दरों पर गेिूं और धान बेचते िैं।
MSP को िैि बनाने में तया चन
ु ौततयां हैं?
1. िैिातनक MSP अरक्षर्ीय है : नीतत आयोग में शाममल कृवर् अथषशास्त्री रमेश चंद दवारा एक नीतत-पत्र में
‘न्यूनतम समथषन मूल्य’ को वैध बनाने के खखलाफ तकष हदया गया िै । इनका तकष िै , कक मांग से अधधक
उत्पादन िोने पर, बाजार में वस्तु या उपज की कीमतों में धगरावट िोगी, ऐसी जस्थत ‘पूव-ष तनधाषररत मूल्य’
िोने की वजि से तनजी व्यापाररयों बाजार से दरू िट जाएंगे। जजसके पररर्णामस्वरूप MSP घोवर्त अधधकांश
कृवर् उपज मख्
ु य रूप से सरकार को खरीदनी पड़ेगी, जो कक गैर-संविनीय / अरक्षर्णीय (unsustainable)
िै ।
2. गोदामों, राशन की दक
ु ानों या पररविन के दौरान गेिूं और चावल के पुनराितभन / ररसाि और भ्रष्ट्टाचार की
भारी गंज
ु ाइश।
www.insightsonindia.com 147 InsightsIAS
3. तनपटान संबंिी समस्याएं: जिां अनाज और दालें सावषजतनक ववतरर्ण प्रर्णाली के माध्यम से बेची जा सकती
िैं, विीं नाइजर बीज, ततल या कुसुम के मामले में तनपटान प्रकिया काफी जहटल िो जाती िै ।
4. मद्र
ु ास्फीतत: उच्च लागत पर खरीद ककए जाने का अथष िोगा खादयान्नों की कीमतों में वद
ृ धध, जजससे
मुद्रास्फीतत बढ़े गी, जो अंततः गरीबों को प्रभाववत करे गी।
5. MSP के अंतरराष्ट्रीय बाजार में मौजूदा दरों से अधधक िोने की जस्थतत में , भारत के कृवर् तनयाषत पर भी
प्रभाव पड़ेगा। वतषमान में कृवर् तनयाषत का कुल तनयाषत मदों में 11% हिस्सा िै ।
6. उच्च MSP को कानूनी रूप से गारं टीकृत ककए जाने पर भारत को ‘ववश्व व्यापार संगठन’ में कड़े ववरोध
का सामना करना पड़ेगा। अमेररका ने 2019 में ववश्व व्यापार संगठन में चीन के खखलाफ, ‘बाजार मल्
ू य
समथषन’ (Market Price Support - MPS) के रूप में कृवर् को घरे लू सिायता हदए जाने से संबंधधत एक
मामला सफलतापूवक
ष जीता था।
7. इससे राजकोर् पर भारी बोझ पड़ेगा, तयोंकक सरकार को तनजी भागीदारी के अभाव में सभी त्रबिी योग्य
अधधशेर् की खरीद करनी िोगी।
8. अन्य क्षेत्रों से मांगें: यहद केंद्र सरकार दवारा ‘न्यूनतम समथषन मूल्य’ घोवर्त की जाने वाली सभी 23
फसलों की 100% खरीद की गारं टी दे ने के मलए कानून बनाता िै , तो फल और सजब्जयां, मसाले और अन्य
फसलों की खेती करने वाले ककसान भी इसकी मांग करें गे।
इंस्टा जजज्ञास:ु कृवर्-वातनकी / ‘एग्रोफोरे स्री’ तया िोती िै ? भारत को इसे बढ़ावा दे ने की आवश्यकता तयों िै ?
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:उदारीकरर्ण का अथषव्यवस्था पर प्रभाव, औदयोधगक नीतत में पररवतषन तथा औदयोधगक ववकास पर इनका
प्रभाव।
1. अमेजन- फ्यूचर ग्रुप सौदा
संदभभ:
िाल िी में , भारतीय प्रततस्पधाष आयोग (CCI) ने फ्यच
ू र
ग्रुप की इकाई में ‘अमेज़ॅन’ को तनवेश करने िे तु नवंबर
2019 में दी गई अपनी मंजूरी पर रोक लगा दी िै । यि
रोक, अमेररकी ई-कॉमसष कंपनी ‘अमेज़ॅन’ दवारा तनयामक
से अनुमोदन की मांग करते समय, इसके दवारा ककए
जाने वाले तनवेश के दायरे और पूर्णष वववरर्ण को उजागर
निीं करने के आधार पर लगायी गयी िै । इसके अलावा,
भारतीय प्रततस्पधाष आयोग ने ‘अमेज़ॅन’ पर कई जुमाषने
भी लगा हदए िैं।
तनदहतार्भ:
अमेज़ॅन दवारा ‘फ्यूचर ग्रुप’ के ररलायंस इंडस्रीज को
अपनी खद
ु रा संपवत्त बेचने संबंधी वर्ष 2020 के फैसले पर
रोक लगाने की मांग की जा रिी िै , ‘भारतीय प्रततस्पधाष
आयोग’ के िामलया तनर्णषय से इस सौदे से संबधं धत कानन
ू ी
पररदृश्य और पेचीदा िो जाएगा।
संबंधित प्रकरर्:
(नोट: मामले का केवल संक्षक्षप्त अवलोकन करें । परीक्षा के दृजष्ट्टकोर्ण से इस मामले के बारे में कोई वववरर्ण
आवश्यक निीं िै ।)

www.insightsonindia.com 148 InsightsIAS


फ्यूचर ग्रुप और ररलायंस इंडस्रीज मलममटे ड के मध्य अगस्त 2020 में 24,713 करोड़ रुपये का सौदा िुआ था,
जजसके तित ‘फ्यूचर ररटे ल’ की ररटे ल, िोलसेल, लॉजजजस्टतस और वेयरिाउमसंग इकाइयों को ‘ररलायंस ररटे ल’ और
‘फैशनस्टाइल’ के मलए बेचा जाना था।
• अमेजन, ‘फ्यच
ू र ग्रुप’ का भारतीय साझेदार िै ।
• अमेज़ॅन का किना िै , कक फ्यूचर ग्रुप ने अपनी पररसंपवत्तयों को प्रततदवंदवी के मलए बेच कर साझेदारी
अनुबंि का उल्लंघन ककया िै , और यि अमेज़ॅन को तबाि करना चािता िै । जबकक, ऋर्णों के बोझ से दबे
‘फ्यूचर ग्रुप’ का किना िै , कक यहद यि सौदा निीं िुआ तो वि बरबाद िो जाएगा।
अमेजन द्िारा SIAC में मामला तयों ले जाया गया?
आमतौर पर, ककसी सौदे में पक्षकारों दवारा एक ‘अनुबंध
समझौते’ पर िस्ताक्षर ककए जाते िैं, जजसमे तनम्नमलखखत
ववर्यों के बारे में स्पष्ट्ट ककया जाता िै :
1. मध्यस्थता करने वाली मध्यस्थ संस्था
2. लागू िोने वाले तनयम
3. मध्यस्थता की जगि
इस मामले में अमेज़ॅन और फ्यूचर ग्रुप ने अपने समझौते के
तित, अपने वववादों को ‘मसंगापरु अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र’
(SIAC) में तनपटाने पर सिमतत व्यतत की थी। अतः अनुबंध
के अनुसार, मामले को तनपटाने िे तु मसंगापुर संभवतः उधचत जगि थी।
SIAC के तहत प्रकक्रया:
मसंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (SIAC) में ककसी वववाद को फैसले के मलए जाने के पश्चात, मध्यस्र्
न्यायाधिकरर् (arbitral tribunal) की तनयुजतत संबंधी प्रकिया शुरू िोती िै ।
मध्यस्र् न्यायाधिकरर् का गठन: प्रायः, तीन सदस्यीय न्यायाधिकरर् होने पर, दोनों पक्षों दवारा न्यायाधधकरर्ण
में एक-एक सदस्य की तनयुजतत की जाती िैं, तथा तीसरे सदस्य को दोनों पक्षों की सिमतत से तनयुतत ककया
जाता िै । सिमतत निीं िोने पर, तीसरे सदस्य की तनयजु तत SIAC दवारा की जाती िै ।
आपातकालीन मध्यस्र् की तनयुजतत:
• आमतौर पर मध्यस्थ न्यायाधधकरर्ण की तनयुजतत में समय लगता िै ।
• अतः, SIAC के तनयमों के तित, पक्षकारों दवारा ‘शसंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्र्ता केंद्र’ से अंतररम राहत
पाने हे तु आपातकालीन मध्यस्र् (Emergency Arbitrator) तनयुतत करने को कहा जा सकता है । इसके
साथ िी मख्
ु य मध्यस्थ न्यायाधधकरर्ण की तनयजु तत संबंधी प्रकिया जारी रिती िै ।
पक्षकारों द्िारा फैसला मानने से इंकार करने पर:
वतषमान में भारतीय कानून के तित, आपातकालीन मध्यस्र् (Emergency Arbitrator) के आदे शों के प्रितभन के शलए
कोई अशभव्यतत तंत्र नहीं है ।
• िालांकक, पक्षकारों दवारा आपातकालीन मध्यस्थ (इमरजेंसी आत्रबषरेटर) के आदे शों का स्वेच्छा से अनुपालन
ककया जाता िै ।
• यहद, पक्षकारों दवारा आदे शों का स्वेच्छा से अनुपालन निीं ककया जाता िै , तो जजस पक्ष के िक़ में तनर्णषय
हदया गया िोता िै , इस मामले में अमेज़ॅन, वि मध्यस्र्ता एिं सुलह अधितनयम (Arbitration & Conciliation
Act), 1996 की िारा 9 के तहत, भारत में उच्च न्यायालय से सामान राित पाने के मलए अपील कर
सकता िै ।

www.insightsonindia.com 149 InsightsIAS


शसंगापुर के ‘अंतरराष्ट्रीय मध्यस्र्ता’ केंद्र बनने का कारर्:
• भारत में तनवेश करने वाले विदे शी तनिेशक आमतौर पर भारतीय अदालतों की नीरस और तनरर्भक प्रकक्रया
से बचना चाहते हैं।
• ववदे शी तनवेशकों को लगता िै , कक वववादों के समाधान में मसंगापुर तटस्थ रिने वाला दे श िै ।
• समय के साथ मसंगापुर ने अंतरराष्ट्रीय मानकों और उच्च सत्यतनष्ट्ठा सदहत विधि के शासन द्िारा शाशसत
क्षेत्राधिकार के रूप में एक उत्कृष्ट्ट प्रततष्ट्ठा अजजषत कर ली िै । इससे तनवेशकों को ववश्वास िोता िै कक
मध्यस्थता प्रकिया त्िररत, तनष्ट्पक्ष और न्यायपर्
ू भ िोगी।
SIAC की 2019 की वावर्षक ररपोटष के अनस
ु ार, भारत, मध्यस्र्ता केंद्र का शीषभ उपयोगकताभ र्ा। भारत से वर्ष 2019
में 485 मामले तनर्णषय करवाने िे तु SIAC में भेजे गए। इसके पश्चात, कफलीपींस (122 मामले), चीन (76 मामले)
और संयुतत राज्य अमेररका (65 मामले) का स्थान रिा।
भारत का तनजी अंतराभष्ट्रीय मध्यस्र्ता केंद्र: मंब
ु ई में अब भारत का अपना अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र िै ।
शसंगापुर अंतराभष्ट्रीय मध्यस्र्ता केंद्र (SIAC) के बारे में :
यि मसंगापुर में जस्थत एक गैर-लाभकारी अंतराषष्ट्रीय मध्यस्थता संगठन िै । यि मध्यस्थता संबध
ं ी अपने तनयमों
और UNCITRAL मध्यस्थता तनयमों के तित मध्यस्थता प्रबंधन करता िै ।
इंस्टा जजज्ञासु:
तया आप ‘अंतराषष्ट्रीय समाधान समझौतों पर संयत
ु त राष्ट्र अमभसमय’ (United Nations Convention on
International Settlement Agreements-UNCISA) के बारे में जानते िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:बुतनयादी ढााँचाः ऊजाष, बंदरगाि, सड़क, ववमानपत्तन, रे लवे आहद।


1. हाइड्रोजन-समद्
ृ ि संपीडित प्राकृततक गैस
संदभभ: भारत में ‘राष्ट्रीय िाइड्रोजन ऊजाष ममशन’ के तित "िाइड्रोजन-समद
ृ ध संपीडडत प्राकृततक गैस” (Hydrogen-
enriched compressed natural gas: H-CNG)" को अपनाने पर जोर हदया जा रिा िै । जजसके तित, उवषरक, इस्पात
और पेरोकेममकल उदयोगों में ‘िररत / ग्रीन िाइड्रोजन’ के उपयोग को अतनवायष भी ककया जा सकता िै ।
पष्ट्ृ ठभूशम:
भारतीय मानक ब्यरू ो (BIS) दवारा ईंधन के रूप में मोटरवािन उददे श्यों के मलए ‘िाइड्रोजन समद
ृ ध संपीडड़त
प्राकृततक गैस’ (H-CNG) ववतनदे शों (आईएस 17314:2019) को तैयार ककया गया िै ।
HCNG तया है ?
िाइड्रोजन को ‘संपीडडत प्राकृततक गैस’ (CNG) के साथ ममधश्रत ककए जाने पर प्राप्त गैस को ‘िाइड्रोजन-ममधश्रत
सीएनजी’ (HCNG) किा जाता िै ।
इसका उपयोग गैसोलीन, डीजल ईंधन और प्रोपेन (C3H8) / LPG के स्थान पर ककया जा सकता िै और इसके दिन
से अवांछनीय गैसों के उत्सजषन में कमी आती िै ।
HCNG के लाभ:
• ‘िाइड्रोजन-ममधश्रत सीएनजी’ (HCNG), काबषन मोनोतसाइड (CO) के उत्सजषन को 70% तक कम करता िै ।
• ईंधन में 5% तक की बचत करने में सक्षम िै ।
• भववष्ट्य की ‘िाइड्रोजन अथषव्यवस्था’ की ओर पिला कदम िै ।
• कम मात्रा में नाइहरक ऑतसाइड (NO) उत्सजषन के मलए इंजनों को अंशशोधधत ककया जा सकता िै ।
• इंजनों को HCNG चामलत बनाने के मलए न्यूनतम संशोधन की आवश्यकता िोती िै ।
• उच्च भार वाले कायों और भारवािी वािनों के मलए आदशष ईंधन िै ।
• िाइड्रोजन की उच्च ऑतटे न रे हटंग के कारर्ण बेितर प्रदशषन दे ता िै ।

www.insightsonindia.com 150 InsightsIAS


HCNG का उपयोग करने में चुनौततया:
• सवाषधधक अनुकूमलत H2/NG (प्राकृततक गैस) अनुपात का तनधाषरर्ण करना कहठन िोता िै ।
• HCNG तैयार करने के मलए नए बतु नयादी ढांचे की आवश्यकता िोती िै ।
• बड़े पैमाने पर इसका व्यावसायीकरर्ण करने के मलए कई कदम उठाए जाने की जरूरत िै ।
• िाइड्रोजन गैस की वतषमान लागत, ‘प्राकृततक गैस’ की लागत से अधधक िै । अतः HCNG की लागत भी
सीएनजी से अधधक िो जाती िै ।
स्रोत: पीआईबी।

2. उड़ान योजना एिं इससे संबंधित समस्याएं


‘भारतीय ववमानपत्तन प्राधधकरर्ण' (Airports Authority of India - AAI) दवारा अब तक उड़ान (UDAN) योजना के
तित 948 िवाई मागों को मंजूरी दी जा चक ु ी िै , जजनमें से 65 िवाई अड्डों और 8 िे लीपोटष को जोड़ते िुए 403
मागों पर कायष जारी िो चक
ु ा िै । िालांकक, शरू
ु ककए गए कुछ िवाई मागों को बंद भी कर हदया गया िै ।
• इसका प्रमख
ु कारर्ण, जमीन के अभाव की वजि से िवाईअड्डों की स्थापना में ववफलता, एयरलाइनों को
अपना तनवाषि करने योग्य ‘मागष’ खोजने में कहठनाई और कोववड-19 मिामारी के प्रततकूल प्रभाव आहद थे।
• कई छोटे , क्षेत्रीय ववमान वािकों की खराब ववत्तीय जस्थतत इस योजना के मलए अमभशाप रिी िै ।
उड़े दे श का आम नागररक (UDAN - उड़ान) योजना के बारे में :
इस योजना का उददे श्य दे श के दरू स्थ और क्षेत्रीय क्षेत्रों से संपकष बढ़ाना और िवाई यात्रा को विनीय बनाना िै ।
• यि प्रधान मंत्री नरें द्र मोदी के नेतत्ृ व में केंद्र की राष्ट्रीय नागररक उड्डयन नीतत का एक प्रमख
ु घटक िै
और इसे जून 2016 में लॉन्च ककया गया था।
• चूंकक, इस योजना का उददे श्य अप्रयुतत और कम उपयोग वाले िवाई अड्डों के पुनरुदधार के माध्यम से
हटयर -2 और हटयर -3 शिरों के मलए िवाई संपकष में सुधार करना िै , अतः इसे ‘क्षेत्रीय संपकष योजना’
(Regional Connectivity Scheme - RCS) के रूप में भी जाना जाता िै ।
• इस योजना के तित, UDAN की फ्लाइट्स में लगभग आधी सीटें ररयायती ककराए पर दी जाती िैं, और भाग
लेने वाले कैरीएसष को एक तनजश्चत रामश की ‘व्यविायषता अंतराल तनधध’ (viability gap funding- VGF)
प्रदान की जाती िै , जोकक केंद्र और संबंधधत राज्यों के मध्य साझा की जाती िै ।
• इस योजना को केंद्र सरकार और राज्य सरकारों दवारा संयत
ु त रूप से ववत्त पोवर्त ककया जाएगा।
• यि योजना 10 साल तक जारी रिे गी और बाद में इसे आगे बढ़ाया जा सकता िै ।
योजना के प्रमुख बबंद:ु
1. एयरलाइंस को बोली प्रकिया के माध्यम से कायषिम के तित संचालन िे तु ‘मागष’ प्रदान ककए जाते िैं और
उन्िें िवाई ककराया, उड़ान के प्रतत घंटे 2,500 रुपये की दर से रखना िोगा।
2. एक ववमान में कुल सीटों में कम से कम 50% सीटें सस्ती दरों पर दी जाएंगी।
3. एयरलाइनों को ककफायती ककराए की पेशकश करने में सक्षम बनाने के मलए उन्िें सरकार की ओर से तीन
साल की अवधध के मलए सजब्सडी दी जाती िै ।
4. सरकार दवारा पिले तीन वर्ों में 50 िवाई अड्डों के पन
ु रुदधार के मलए 4,500 करोड़ रुपये भी तनधाषररत
ककए गए िैं।
उड़ान 4.0: उड़ान के चौथे दौर (UDAN 4.0) को हदसंबर 2019 में पूवोत्तर क्षेत्रों, पिाड़ी राज्यों और दवीपों पर ववशेर्
ध्यान दे ने के साथ शरू
ु ककया गया था।
• भारतीय हिाई अड्िा प्राधिकरर् (AAI) दवारा पिले िी ववकमसत ककए गए िवाई अड्डों को इस योजना के
तित व्यविायषता अंतराल तनधध (VGF) के मलए उच्च प्राथममकता दी गई िै ।
• उड़ान 4.0 के तित, िे लीकॉप्टर और सी-प्लेन के संचालन को भी शाममल ककया गया िै ।

www.insightsonindia.com 151 InsightsIAS


चुनौततयां:
• कई छोटे , क्षेत्रीय वािकों की खराब ववत्तीय जस्थतत इस योजना के मलए अमभशाप रिी िै ।
• योजना के कई भागीदारों के पास एक या दो से अधधक ववमान निीं िोते िैं और उनका रखरखाव अतसर
खराब रिता िै । इन छोटे भागीदारों के मलए नए ववमान बिुत मिं गे पड़ते िैं।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक ‘ववमानन टरबाइन ईंधन’ (ATF) वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में
निीं आतािै ? जीएसटी के दायरे में निीं आने वाली वस्तुओं के बारे में अधधक जानकारी िे तु पहढ़ए।
स्रोत: द हिंद।ू

3. इलेजतरक िाहनों के अपनाने को बढ़ािा दे ने हे तु सरकारी नीततयां


संदभभ: नए यग
ु की प्रौदयोधगककयों को प्रोत्साहित करने और वर्ष 2070 तक अपने काबषन उत्सजषन को नेट-जीरो
करने के मलए, COP26 में मलए गए वचन को पूरा करने की हदशा में , भारत आिामक रूप से इलेजतरक वािनों
(Electric Vehicles - EVs) को अपनाने को बढ़ावा दे रिा िै ।
लक्ष्य:
भारत का लक्ष्य, वर्ष 2030 तक 30 प्रततशत तनजी कारों, 70 प्रततशत वाखर्णजज्यक वािनों और 80 प्रततशत दोपहिया
और ततपहिया वािनों को इलेजतरक वािनों (EVs) में पररवततषत करने का िै ।
इसके मलए केंद्र सरकार और राज्य सरकारें खरीदारों और तनमाषताओं को तरि-तरि के प्रोत्सािन दे रिी िैं।
इस हे तु ककए गए विशभन्न उपायों में शाशमल हैं:
1. ऑटो सेतटर के शलए पीएलआई योजना: इस साल मसतंबर में , केंद्रीय मंत्रत्रमंडल ने भारत में इलेजतरक और
ईंधन सेल वािनों और ड्रोन के घरे लू तनमाषर्ण में तेजी लाने के मलए 26,058 करोड़ रुपये की उत्पादन-
संबदध प्रोत्सािन (पीएलआई) योजना को मंजूरी दी।
2. FAME II संशोिन: FAME-II (फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैतचररंग ऑफ इलेजतरक व्िीकल्स-II) योजना के
तित, सरकार ने इलेजतरक दोपहिया वािनों के मलए सजब्सडी दर में वद
ृ धध करके पेरोल से चलने वाले
दोपहिया और इलेजतरक के बीच कीमतों के अंतर को काफी कम कर हदया िै ।
3. कबाड़ नीतत / स्क्रैपेज पॉशलसी: इस साल अगस्त में , सरकार ने ‘गुजरात इन्वेस्टर सममट’ में वचअ
ुष ल रूप
से ‘व्िीकल स्िैपेज पॉमलसी’ लॉन्च की थी। नीतत का उददे श्य पयाषवरर्ण के अनुकूल तरीके से अनुपयत
ु त
और प्रदर्
ू र्णकारी वािनों को चरर्णबदध तरीके से समाप्त करना िै ।
केंद्र के साथ, राज्य सरकारें भी भारत में इलेजतरक वािनों को तेजी से अपनाने को बढ़ावा दे ने में कोई कसर निीं
छोड़ रिी िैं। बैटरी चामलत इलेजतरक वािनों (BEVs) की पिुंच बढ़ाने और अपनाने के मलए, हदल्ली, गुजरात, गोवा,
मिाराष्ट्र और राजस्थान सहित भारत में लगभग 20 राज्यों की सरकारें पिले िी राज्य स्तरीय, मसौदा या अंततम
‘इलेजतरक वािन नीततयां’ जारी कर चुकी िैं।
आगे की चन
ु ौततयां:
1. वतषमान में , भारतीय इलेजतरक वािन (EV) बाजार की आम लोगों में पिुाँच शेर् ववश्व की तुलना में काफी
कम िै ।
2. पंज
ू ीगत लागत काफी अधधक िै और इस पर लाभ और अदायगी अतनजश्चत िै ।
3. िाल के मिीनों में रुपये का नाटकीय मल्
ू यह्रास िोने के कारर्ण भारतीय इलेजतरक वािन उदयोग बुरी तरि
प्रभाववत िुआ िै ।
4. इलेजतरक वािनों में स्थानीय तनवेश, कुल तनवेश का मात्र लगभग 35% िै ।
5. तनवेश के संदभष में इलेजतरक वािनों का उत्पादन बुरी तरि प्रभाववत िोगा।
6. भारत में िाइत्रब्रड और इलेजतरक वािनों को तेजी से अपनाना और ववतनमाषर्ण’ (फेम इंडडया) योजना को
बार-बार आगे बढ़ाया गया िै ।

www.insightsonindia.com 152 InsightsIAS


7. ‘अतनजश्चत नीततगत मािौल’ और ‘सिायक बुतनयादी ढांचे की कमी’ इलेजतरक वािनों के उत्पादन में प्रमख

बाधाएं िैं।
8. भारत के पास मलधथयम और कोबाल्ट का कोई ज्ञात भंडार निीं िै , जजसकी वजि से भारतीय इलेजतरक
वािन (EV) बाजार, जापान और चीन से मलधथयम-आयन बैटरी के आयात पर तनभषर िै ।
समय की मांग:
1. इलेजतरक वािनों को प्रभावी ढं ग से शुरू करने के मलए, िमें एक संपूर्णष पाररजस्थततकी तंत्र ववकमसत करने
के मलए सिगामी प्रयास करने की आवश्यकता िै ।
2. वािनों को सजब्सडी दे ने की बजाय बैटररयों को सजब्सडी दे ने पर ध्यान केंहद्रत करने की आवश्यकता िै
तयोंकक बैटरी की कीमत, इलेजतरक वािन की कुल कीमत का लगभग आधी िोती िै ।
3. इलेजतरक टू-व्िीलसष को बढ़ावा दे ने पर अधधक ध्यान दे ने की जरूरत िै , तयोंकक दे श में कुल वािनों में टू-
व्िीलसष की हिस्सेदारी 76 फीसदी िै और ये ईंधन की ज्यादा खपत करते िै ।
4. तनवेश आकवर्षत करने के मलए चाजजिंग स्टे शनों का एक ववस्तत
ृ नेटवकष स्थावपत ककया जाना आवश्यक
िै ।
5. टे क पाकष, सावषजतनक बस डडपो और मल्टीप्लेतस में कायषस्थल, चाजजिंग पॉइंट स्थावपत करने िे तु उपयुतत
स्थान िैं। बैंगलोर में , कुछ मॉल में पाककिंग स्थल में चाजजिंग पॉइंट स्थावपत ककए गए िैं।
6. बड़े व्यापारी ‘कॉरपोरे ट सोशल ररस्पॉजन्सत्रबमलटी कंप्लायंस’ के रूप में चाजजिंग स्टे शनों में तनवेश कर सकते
िैं।
7. भारत को इलेजतरक वािनों के मलए बैटरी बनाने के मलए कच्चे माल की जरूरत िै , अतः बोलीववया,
ऑस्रे मलया और धचली में ‘मलधथयम फ़ील्ड’ िामसल करना, तेल क्षेत्रों को खरीदने जजतना मित्वपर्ण
ू ष िो
सकता िै ।
इंस्टा जजज्ञासु:
भारत के ककन राज्यों में ‘इलेजतरक वािन नीततयां’ (Electric Vehicle Policies) अपनाई जा चुकी िैं?
स्रोत: इकोनॉममक टाइम्स।

विषय:ववज्ञान एवं प्रौदयोधगकी- ववकास एवं अनुप्रयोग और रोजमराष के जीवन पर इसका प्रभाव। ववज्ञान एवं
प्रौदयोधगकी में भारतीयों की उपलजब्धयााँ; दे शज रूप से प्रौदयोधगकी का ववकास और नई प्रौदयोधगकी का ववकास।
1. हाइपरसोतनक हधर्यार
संदभभ: िाल िी में , अमेररका ने किा िै , कक चीन दवारा ‘िाइपरसोतनक िधथयारों’ (Hypersonic Weapons) का
अनुसरर्ण ककए जाने से "क्षेत्र में तनाव बढ़ रिा िै " और अमेररका ने चीन दवारा उत्पन्न संभाववत खतरों को रोकने
के मलए अपनी क्षमताओं को बनाए रखने का प्रर्ण ककया िै ।
संबंधित प्रकरर्:
चीन की बढ़ती सैन्य ताकत, और एमशया में अमेररकी प्रभुत्व को समाप्त करने संबंधी चीन के अमभयान ने
वामशंगटन में बेचैनी पैदा कर दी िै ।
अपनी सैन्य क्षमताओं को तेजी से बढाने संबंधी चीन के प्रयास, जल
ु ाई में एक ‘िाइपरसोतनक िधथयार’ के परीक्षर्ण
से उजागर िो गए थे। यि अस्त्र, वायुमंडल में पुन: प्रवेश करने और अपने लक्ष्य पर मार करने के मलए एक
गततशील पथ पर ग्लाइडडंग करने से पिले आंमशक रूप से पथ्
ृ वी की पररिमा करने में सक्षम था।
धचंता:
ववशेर्ज्ञों का किना िै कक यि िधथयार प्रर्णाली स्पष्ट्ट रूप से अमेररकी ममसाइल रक्षा से बचने के उददे श्य से तैयार
की गई िै । जबकक, चीन का किना िै कक, उसने ममसाइल का निीं बजल्क एक पन
ु : प्रयोज्य अंतररक्ष वािन का
परीक्षर्ण ककया िै ।

www.insightsonindia.com 153 InsightsIAS


‘हाइपरसोतनक गतत’: िाइपरसोतनक गतत (Hypersonic speeds), ध्वतन की गतत से 5 या अधिक गुना तेज िोती िै ।

भारत एिं विश्ि के शलए धचंताएं और तनदहतार्भ:


• सैधांततक रूप में यि अस्त्र दक्षक्षर्णी ध्रुव के ऊपर से उड़ान भरने में सक्षम िै । चूंकक अमेररकी ममसाइल
रक्षा प्रर्णाली उत्तरी ध्रुवीय मागष पर केंहद्रत िै , अतः चीन का यि िधथयार अमेररकी सेना के मलए एक बड़ी
चुनौती बन सकता िै ।
• िाल के हदनों में चीन के साथ संबंधों को दे खते िुए, भारत ववशेर् रूप से नवीनतम घटनाओं को लेकर
धचंततत िै । चीन के पास इस तरि की क्षमताएं, जमीनी संपवत्त के साथ-साथ िमारी अंतररक्षीय संपवत्तयों
के मलए खतरे पैदा कर सकती िैं।
प्रयुतत तकनीक: इस ववशेर् परीक्षर्ण में चीन दवारा प्रयुतत तकनीक पर सटीक वववरर्ण के बारे में अभी जानकारी
निीं िै । लेककन अधधकांश िाइपरसोतनक वािनों में मख्
ु य रूप से ‘स्िैमजेट तकनीक’ (Scramjet Technology) का
उपयोग ककया जाता िै ।
‘स्क्रैमजेट तकनीक’ के बारे में :
‘स्िैमजेट’ (Scramjets), ध्वतन की गतत के गुर्णकों में गतत के वायु-प्रवाि को संभालने के मलए डडजाइन ककए गए
इंजनों की एक श्रेर्णी िै ।
• एक ‘एयर-ब्रीहदंग स्िैमजेट इंजन’ (Air-Breathing Scramjet Engine) में , वायम
ु ंडल से िवा दो मैक से अधधक
की सुपरसोतनक गतत से इंजन के दिन कक्ष में प्रवेश करती िै ।
• दिन कक्ष में , यि िवा विां मौजूद ईंधन से ममलकर ‘सप
ु रसोतनक दिन’ (Supersonic Combustion) उत्पन्न
करती िै , ककं त,ु इस तकनीक में , िूजर की उड़ान अधधकतम छि से सात मैक (Mach) की िाइपरसोतनक
गतत से िो सकती िै । इसमलए इसे ‘सुपरसोतनक दिन रै मजेट’ (Supersonic Combustion Ramjet) या
स्िैमजेट किा जाता िै ।
www.insightsonindia.com 154 InsightsIAS
इंस्टा जजज्ञासु: रक्षा अनुसंधान और ववकास संगठन (DRDO) और ISRO दोनों के दवारा िाइपरसोतनक प्रौदयोधगकी
का ववकास और परीक्षर्ण ककया जा चक
ु ा िै । इस बारे में अधधक जानकारी के मलए पहढ़ए।

प्रीशलम्स शलंक:
1. HSTDV को ककसके दवारा ववकमसत ककया गया िै ?
2. िाइपरसोतनक तकनीक का सफल परीक्षर्ण करने वाले दे श
3. स्िैमजेट तया िै?
4. ICBM तया िैं?
5. िूज ममसाइल तया िैं?
6. बैमलजस्टक ममसाइलें तया िैं?
में स शलंक: िाइपरसोतनक प्रौदयोधगकी प्रदशषन वािन (HSTDV) के सफल परीक्षर्ण का भारत के मलए तया मित्व िै ?
चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 155 InsightsIAS


2. नासा की निीन संचार प्रर्ाली
संदभभ: िाल िी में , अमेररकी अंतररक्ष एजेंसी ‘नासा’ (NASA) ने अपनी नयी संचार प्रर्णाली ‘लेजर कम्युतनकेशंस ररले
डडमॉन्स्रे शन (Laser Communications Relay Demonstration - LCRD) लॉन्च की िै ।
• यि एजेंसी की पिली ‘लेजर संचार प्रर्णाली’ (laser communications system) िै ।
• LCRD, एजेंसी को अंतररक्ष में ऑजप्टकल संचार का परीक्षर्ण करने में मदद करे गी।
एलसीआरिी (LCRD) के बारे में :
‘लेजर कम्युतनकेशंस ररले डडमॉन्स्रे शन (LCRD), भववष्ट्य के ऑजप्टकल संचार ममशनों का मागष प्रशस्त करने वाली
‘प्रौदयोधगकी’ का प्रदशषन िै ।
• LCRD उपकरर्णों को अमेररकी रक्षा ववभाग के ‘अंतररक्ष परीक्षर्ण कायषिम सैटेलाइट 6’ (Space Test Program
Satellite 6: STPSat-6) पर स्थावपत ककया गया िै ।
• इसके मलए पथ्
ृ वी से 35,000 ककमी की ऊंचाई पर ‘भू-समकामलक कक्षा’ में स्थावपत ककया जाएगा।
ऑजप्टकल संचार प्रर्ाशलयों के लाभ:
ऑजप्टकल संचार प्रर्णामलयााँ (Optical Communications Systems) आकार में छोटी तथा भार में कम िोती िैं और
इनके मलए रे डडयो उपकरर्णों की तुलना में कम उजाष की आवश्यकता िोती िै ।
• ‘छोटे आकार’ के िोने का अथष िै ववज्ञान के उपकरर्णों के मलए अधधक जगि।
• कम भार का मतलब िै , लांच में कम व्यय।
• कम उजाष का अथष िै , अंतररक्ष यान की बैटररयों का कम उपयोग।
• ‘रे डडयो’ तंत्र के पूरक ‘ऑजप्टकल संचार’ के साथ, भववष्ट्य में ममशन अदववतीय संचार क्षमताओं से युतत
िोंगे।
लेजर प्रर्ाली बनाम रे डियो प्रर्ाली:
लेजर संचार और रे डडयो तरं गें, प्रकाश की ववमभन्न तरं ग दै ध्यष का उपयोग करती िैं।
लेजर में ‘अवरतत प्रकाश’ (Infrared Light) का उपयोग ककया जाता िै और रे डडयो तरं गों की तुलना में इसकी तरं ग
दै ध्यष कम िोती िै । इससे, कम समय में ज्यादा डाटा रांसफर करने में मदद ममलेगी।
इंस्टा जजज्ञास:ु तया आप जानते िैं कक ‘ऑजप्टकल संचार’ रे डडयो फ़्रीतवेंसी मसस्टम की तल
ु ना में बैंडववड्थ को 10
से 100 गुना अधधक बढ़ाने में मदद करे गा?
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘लेजर कम्युतनकेशंस ररले डडमॉन्स्रे शन (LCRD) के बारे में
2. रे डडयो फ्रीतवेंसी
3. ऑजप्टकल संचार प्रर्णाली
4. नासा ममशन
में स शलंक: नासा के ‘लेजर कम्युतनकेशंस ररले डडमॉन्स्रे शन (LCRD) के मित्व पर चचाष कीजजए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

3. एकीकृत भग
ु तान इंटरफेस
संदभभ:
शीघ्र िी, फीचर फोन यूजसष के मलए UPI सुववधा का ववस्तार ककया जाएगा। कफलिाल, एकीकृत भुगतान इंटरफेस’
या ‘यूतनफाइड पेमेंट्स इंटरफेस’ (UPI) - छोटे मल्
ू य के भुगतान लेनदे न के संदभष मामले में दे श में सबसे बड़ा
खुदरा भुगतान प्रर्णाली िै और केवल स्माटषफोन उपयोगकताषओं के मलए उपलब्ध िै ।

www.insightsonindia.com 156 InsightsIAS


आिश्यकता:
भारतीय ररजवष बैंक दवारा, डडजजटल भग
ु तान को और व्यापक तथा अधधक समावेशी, उपभोतताओं के मलए लेनदे न
को आसान बनाने, और ववत्तीय बाजारों के ववमभन्न क्षेत्रों में खद
ु रा ग्रािकों की अधधक भागीदारी सवु वधा उपलब्ध
कराने तथा सेवा प्रदाताओं की क्षमता बढ़ाने के मलए यि तनर्णषय ककया गया िै ।
UPI तया है ?
‘एकीकृत भुगतान इंटरफेस’ या ‘यूतनफाइड पेमेंट्स इंटरफेस’ (UPI) एक त्वररत ररयल-टाइम भुगतान प्रर्णाली िै ।
यि प्रर्णाली, उपयोगकत्ताषओं को अपने बैंक खाते का वववरर्ण दस
ू रे पक्ष को बताए त्रबना कई बैंक खातों में ररयल-
टाइम आधार पर धन-अंतरर्ण करने की अनम
ु तत दे ती िै ।
• वतषमान में ‘यूतनफाइड पेमेंट्स इंटरफेस’ (UPI), नेशनल ऑटोमेटेड जतलयररंग िाउस (NACH), तत्काल
भुगतान सेवा (IMPS), आधार सक्षम भुगतान प्रर्णाली (AePS), भारत त्रबल भुगतान प्रर्णाली (BBPS), रुपे
(RuPay) आहद सहित ‘भारतीय राष्ट्रीय भग
ु तान तनगम’ (NPCI) दवारा संचामलत सभी प्रर्णामलयों में सबसे
बड़ी प्रर्णाली िै ।
• शीर्ष UPI ऐप में , फ़ोनपे (PhonePe), पेटीएम (Paytm), गूगल पे (Google Pay), अमेजन पे (Amazon Pay)
और सरकार दवारा संचामलत भीम (BHIM) एप्लीकेशन शाममल िैं।
भीम (BHIM) तया है?
भारत इंटरफेस फॉर मनी (BHIM), ‘एकीकृत भग
ु तान इंटरफेस’ (UPI) के माध्यम से काम करने वाला भारत का
एक ‘डडजजटल पेमेंट एजप्लकेशन’ िै । ‘यूतनफाइड पेमेंट्स इंटरफेस’ (UPI) मसस्टम में कई बैंक खातों को एक िी
मोबाइल एजप्लकेशन से संचामलत ककया जा सकता िै ।
• BHIM एप्प को ‘भारतीय राष्ट्रीय भग
ु तान तनगम’ (National Payments Corporation of India - NPCI) दवारा
ववकमसत ककया गया िै ।
• यि ररयल-टाइम धन-अंतरर्ण ककए जाने की सुववधा प्रदान करता िै ।
• इसे हदसंबर, 2016 में लॉन्च ककया गया था।
BHIM ऐप में प्रमार्ीकरर् के तीन स्तर होते हैं:
1. पिला, यि ऐप ककसी डडवाइस की आईडी और मोबाइल नंबर से जड़
ु जाती िै ।
2. दस
ू रा, उपयोगकताष को लेन-दे न करने के मलए बैंक खाते (UPI या गैर- UPI सक्षम) को समकामलक (sync)
करना िोगा।
3. तीसरा, ककसी उपयोगकताष से अपनी डडवाइस में BHIM ऐप शुरू करते समय एक ‘PIN’ बनाने के मलए किा
जाता िै , यि ‘PIN’ ऐप में ‘लॉग इन’ करने के मलए आवश्यक िोती िै । उपयोगकताष के मलए कोई लेनदे न
करने िे तु अपने बैंक खाते से जड
ु ी ‘UPI PIN’ का उपयोग करना आवश्यक िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: ‘भारतीय राष्ट्रीय भुगतान तनगम’ (National Payments Corporation of India - NPCI) भारत में खुदरा
भुगतान और तनपटान प्रर्णाली के संचालन िे तु एक अम्ब्रेला संस्था िै । इसे भारतीय ररजवष बैंक (RBI) और भारतीय
बैंक संघ (IBA) दवारा भारत में भग
ु तान एवं तनपटान प्रर्णाली अधधतनयम, 2007 (The Payment and Settlement
Systems Act, 2007) के प्रावधानों के तित एक मजबत
ू भुगतान और तनपटान अवसंरचना के ववकास िे तु स्थावपत
ककया गया िै । तया आप इसके दवारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के बारे में जानते िैं?
प्रीशलम्स शलंक:
1. दे श में एटीएम को कौन तनयंत्रत्रत करता िै?
2. UPI तया िै ?
3. नेशनल ऑटोमेटेड जतलयररंग िाउस (NACH) तया िै ?
4. राष्ट्रीय ववत्तीय जस्वच तया िै ?
स्रोत: द हिंद।ू
www.insightsonindia.com 157 InsightsIAS
4. राष्ट्रीय गणर्त ददिस
संदभभ: भारत में प्रततवर्ष 22 हदसंबर को राष्ट्रीय गखर्णत
हदवस (National Mathematics Day) मनाया जाता िै ।
• इस हदवस का आयोजन महान गणर्तज्ञ
‘श्रीतनवास रामानुजन’ (Srinivasa Ramanujan)
की जयंती और गखर्णत के क्षेत्र में उनके योगदान
को िमेशा याद रखने ककया जाता िै , इन्िोने
गखर्णतीय ववश्लेर्र्ण, संख्या मसदधांत, अपररममत
श्रंख
ृ ला (Infinite Series), िमागत मभन्नों
(Continued Fractions) के बारे में मित्वपूर्णष
योगदान हदया िै ।
• 22 हदसंबर 2021 को डॉ रामानुजन की 134वीं
जयंती थी।
श्रीतनिास रामानज
ु न के जीिन की प्रमुख बातें :
• वर्ष 1911 में , रामानुजन ने इंडडयन मैथमेहटकल सोसाइटी के जनषल में अपना पिला लेख प्रकामशत ककया।
• वर्ष 1914 में रामानज
ु न इंग्लैंड पिुंचे, विां प्रमसदध ववदवान िाडी ने उन्िें पढ़ाया और रामानज
ु न के साथ
कुछ शोधों में सियोग ककया।
• उन्िोंने रीमैन श्रंख
ृ ला (Riemann series), दीघषवत्ृ तीय समाकलन (elliptic integrals), िाइपरज्याममतीय श्रेर्णी
(hypergeometric series), जीटा फ़ंतशन के कायाषत्मक समीकरर्ण और ववचलन श्रेर्णी (divergent series) के
अपने मसदधांत पर काम ककया।
• िाडी ने दे खा कक रामानज
ु न के कायों में मुख्यतः अब तक अन्य ववशुदध गखर्णतज्ञों के मलए भी अज्ञात
क्षेत्र शाममल थे।
• िाडी दवारा अस्पताल में भती रामानुजन से ममलने के मलए प्रमसदध यात्रा के बाद 1729 संख्या को हािी-
रामानज
ु न संसया के रूप में जाना जाता िै ।
• रामानुजन के गि
ृ राज्य, तममलनाडु में 22 हदसंबर को ‘राज्य आईटी हदवस’ रूप में मनाया जाता िै ।
2015 में गखर्णतज्ञ रामानुजन पर दे व पटे ल-अमभनीत ‘द मैन िू नो इजन्फतनटी’ (The Man Who Knew Infinity)
बायोवपक बनाई गयी थी।
इंस्टा जजज्ञासु:
तत्कालीन प्रधान मंत्री डॉ मनमोिन मसंि दवारा वर्ष 2012 में 22 हदसंबर को ‘राष्ट्रीय गखर्णत हदवस’ के रूप में
घोवर्त ककया गया था।
स्रोत: पीआईबी।

5. तिांटम उलझन
संदभभ: िाल के एक अध्ययन में वैज्ञातनकों ने इततिास के पिले 'तवांटम रूप
से उलझे िुए' (Quantum Entangled) जानवर – ‘टाडडषग्रड
े ’ (Tardigrade) की
पिचान की िै , जोकक जमा िुआ िै ।
यि जमा िुआ (Frozen) टाडडषग्रेड, एक सूक्ष्म बिुकोमशकीय जीव िै । इस
जीव को ‘किप्टोबायोमसस’ (Cryptobiosis) के रूप में ज्ञात जीवन की एक
गप्ु त अवस्था के माध्यम से अत्यधधक भौततक-रासायतनक जस्थततयों को
सिन करने के मलए जाना जाता िै ।

www.insightsonindia.com 158 InsightsIAS


कक्रप्टोबायोशसस (Cryptobiosis):
• इसे ‘प्रसुप्त जीववता’ / एनात्रबयोमसस (Anabiosis) के रूप में भी जाना जाता िै । प्रततकूल पयाषवरर्णीय
पररजस्थततयों जैसे कक शष्ट्ु कता (Desiccation), प्रशीतन (freezing) और ऑतसीजन की कमी, आहद का
सामना करने िे तु जीव, जीवन की एक ‘चयापचय जस्थतत’ (Metabolic State) में प्रवेश कर जाता िै , इसे
िी ‘किप्टोबायोमसस’ किा जाता िै ।
• किप्टोबायोहटक (cryptobiotic) अवस्था में , सभी मापन योग्य चयापचय प्रकियाएं, जैसेकक प्रजनन, ववकास
और सुधार,आहद रुक जाती िैं।
• जब पयाषवरर्ण की जस्थतत पन
ु ः अनक
ु ू ल िो जाती िै , तो जीव अपने जीवन की चयापचय अवस्था में वापस
आ जाता िै ।

अध्ययन के बारे में :


• शोधकताषओं दवारा यि उपलजब्ध ‘एक त्रबट के तवांटम समतुल्य ‘तयूत्रबट’ (qubit) का तनमाषर्ण करने िे त,ु
इस जमे िुए टाडडषग्रेड्स को एक सप
ु रकंडतटर सककषट की दो कैपेमसटर प्लेटों के बीच रख कर िामसल की
गयी थी।
• इनके अनुसार, टाडडषग्रेड को छूने पर इसने ‘तयूत्रबट’ की आववृ त्त को बदल हदया।
• कफर शोधकताषओं ने इस सककषट को दस
ू रे सुपरकंडतटर सककषट के करीब रखा। इस जस्थतत में , टीम ने दे खा
कक ‘तयत्रू बट’ और ‘टाडडषग्रेड्स’ दोनों की आववृ त्त में एकसाथ पररवतषन िुए।
‘तिांटम उलझन’ के बारे में:
‘तवांटम उलझन’ (Quantum Entanglement) एक भौततक घटना िै । यि घटना तब िोती िै जब कर्णों का युग्म
या कर्णों का समूि इस तरि से उत्पन्न या ममलते िैं कक प्रत्येक कर्णों की तवांटम अवस्था को स्वतंत्र रूप से
दस
ू रों कर्ण की अवस्था के रूप में वखर्णषत निीं ककया जा सकता िै ।
• इस तवांटम यांत्रत्रक घटना में , दो या दो से अधधक वस्तुओं की तवांटम अवस्थाओं को एक-दस
ू रे के संदभष
में वखर्णषत करना पड़ता िै , भले िी अलग-अलग वस्तुओं को स्थातनक रूप से अलग ककया जा सकता िै ।
• इससे, ककसी मसस्टम के हदखाई दे ने वाले भौततक गर्ण
ु ों के बीच सिसंबध
ं ों के बारे में पता चलता िै ।
• अल्बटष आइंस्टीन ने इस ववचार को 'भूततया कारष वाई' (Spooky Action) किकर खाररज कर हदया था।
महत्ि: तवांटम उलझन, तवांटम टे लीपोटे शन और सप
ु र-डेंस कोडडंग जैसी घटनाओं को संभव बनाने वाली तवांटम
यांत्रत्रकी की ख़ामसयतों में से एक िै ।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।
www.insightsonindia.com 159 InsightsIAS
विषय:सूचना प्रौदयोधगकी, अंतररक्ष, कंप्यूटर, रोबोहटतस, नैनो-टै तनोलॉजी, बायो-टै तनोलॉजी और बौदधधक संपदा
अधधकारों से संबंधधत ववर्यों के संबंध में जागरुकता।
1. सेंरल बैंक की डिजजटल करें सी
संदभभ: भारतीय ररजवष बैंक दवारा ‘केंद्रीय बैंक डडजजटल मुद्रा’ (Central Bank Digital Currency - CBDC) को चरर्णबदध
तरीके से शुरू करने संबंधी कायाषन्वयन रर्णनीतत पर कायष ककया जा रिा िै । इस डडजजटल मुद्रा को इस साल के
अंत तक प्रायोधगक तौर पर लॉन्च ककया जा सकता िै।
ववत्तीय सलािकार सेवा फमष दवारा भारतीय संदभष में सीबीडीसी (CBDC) के चार प्रमुख उपयोगों को सूचीबदध ककया
िै । इनमे शाममल िै :
1. ककसी दे श में सामाजजक लाभ और अन्य लक्षक्षत भुगतानों के मलए उपयोग िे तु 'उद्दे श्य के शलए उपयुतत'
िन (‘Fit-for-Purpose' Money)। ऐसे मामलों में , केंद्रीय बैंक दवारा आशतयत लाभाथीयों के मलए पूव-ष
िमादे मशत (Pre-Programmed) सेंरल बैंक डडजजटल करें सी (CBDC) का भग
ु तान ककया जा सकता िै , जो
केवल एक ववमशष्ट्ट उददे श्य के मलए मान्य िोगी।
2. विदे शों से दे श में शीघ्रता से रकम भेजने के शलए (Remittance Payments), CBDC का उपयोग ककया जा
सकता िै । भारत सहित दतु नया की प्रमुख अथषव्यवस्थाओं के मध्य अंतराषष्ट्रीय सियोग से ‘सीबीडीसी’ के
िस्तांतरर्ण और पररवतषन िे तु आवश्यक बुतनयादी ढााँचा और तंत्र का तनमाषर्ण ककया जा सकता िै ।
3. ‘सीबीडीसी’ के माध्यम से ककए जाने वाले भग
ु तान के लेनदे न िे तु ‘भग
ु तान उपकरर्’ उपलब्ध कराए जा
सकते िैं। इसके अलावा, सीबीडीसी तक सावषभौममक रूप से पिुाँच बनाने के मलए, इसकी कायष-प्रर्णाली में
‘ऑफ़लाइन भुगतान’ को भी शाममल ककया जा सकता िै ।
4. सीबीडीसी की मदद से भारत में ‘सक्ष्
ू म, लघु और मध्यम उदयमों’ (MSMEs) को तत्काल ऋर्ण दे ना भी
संभव िो सकता िै ।
सीबीिीसी की आिश्यकता:
1. एक आधधकाररक डडजजटल मुद्रा, त्रबना ककसी इंटर-बैंक सेटलमें ट के ‘ररयल-टाइम भग
ु तान’ को सक्षम करते
िुए मुद्रा प्रबंधन की लागत को कम करे गी।
2. भारत का काफी उच्च मद्र ु ा-जीडीपी अनप
ु ात, सेंरल बैंक डडजजटल मद्र
ु ा (CBDC) का एक और लाभ िै - इसके
माध्यम से, काफी िद तक नकदी के उपयोग को CBDC दवारा प्रततस्थावपत ककया जा सकता िै तथा
कागजी मुद्रा की छपाई, पररविन और भंडारर्ण की लागत को काफी िद तक कम ककया जा सकता िै ।
3. चूंकक, इस व्यवस्था के तित, व्यजतत से दस
ू रे व्यजतत को मद्र
ु ा-अंतरर्ण केंद्रीय बैंक की जजम्मेदारी िोगी,
अतः ‘अंतर-बैंक तनपटान’ / ‘इंटर-बैंक सेटलमें ट’ की जरूरत समाप्त िो जाएगी।
CBDC या ‘राष्ट्रीय डिजजटल मद्र
ु ा’ तया है?
सेंरल बैंक डडजजटल करें सी (CBDC), या राष्ट्रीय डडजजटल करें सी, ककसी दे श की साख मुद्रा का डडजजटल रूप िोती
िै । इसके मलए, कागजी मुद्रा या मसतकों की ढलाई करने के बजाय, केंद्रीय बैंक इलेतरॉतनक टोकन जारी करता िै ।
इस सांकेततक टोकन को, सरकार का पर्ण
ू ष ववश्वास और साख का समथषन िामसल िोता िै ।
एस सी गगभ सशमतत की शसफाररशें (2019)
1. ककसी भी रूप में किप्टोकरें सी का खनन, स्वाममत्व, लेन-दे न या सौदा करने को प्रततबंधधत ककया जाए।
2. सममतत के दवारा, डडजजटल मुद्रा में ववतनमय या व्यापार करने पर एक से 10 साल तक के कारावास का
दं ड की मसफाररश की गयी थी।
3. सममतत ने, सरकारी खजाने को िुए नक
ु सान या किप्टोकरें सी उपयोगकताष दवारा अजजषत ककए गए लाभ,
जो भी अधधक िो, के तीन गुना तक मौहद्रक दं ड का प्रस्ताव ककया गया था।
4. िालांकक, सममतत ने सरकार से ‘भारतीय ररजवष बैंक दवारा किप्टोकरें सी जारी करने की संभवना’ पर अपना
हदमाग खल
ु ा रखने की सलाि भी दी गयी थी।
www.insightsonindia.com 160 InsightsIAS
राष्ट्रीय डिजजटल मद्र
ु ा शुरू करने में चुनौततयााँ:
1. संभाववत साइबर सुरक्षा खतरा
2. आबादी में डडजजटल साक्षरता का अभाव
3. डडजजटल मद्र
ु ा की शुरूआत से, ववतनयमन, तनवेश और खरीद पर नजर रखने, व्यजततयों पर कर लगाने
आहद से संबंधधत ववमभन्न चुनौततयााँ भी उत्पन्न िोती िैं।
4. तनजता के शलए खतरा: डडजजटल मुद्रा के मलए ककसी व्यजतत की कुछ बतु नयादी जानकारी एकत्र करनी
आवश्यक िोती िै , ताकक व्यजतत यि सात्रबत कर सके कक वि उस डडजजटल मुद्रा का धारक िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आपने ‘IOTA उलझन’ (IOTA Tangle) के बारे में सन
ु ा िै ?
प्रीशलम्स शलंक:
1. ब्लॉकचेन तया िै ?
2. किप्टोकरें सी तया िैं?
3. ककन दे शों दवारा किप्टोकरें सी जारी की गई िै ?
4. त्रबटकॉइन तया िै ?
में स शलंक: सेंरल बैंक डडजजटल करें सी (CBDC) के लाभ और िातनयों पर चचाष कीजजए।
स्रोत: लाइवममंट।

2. 5 जी टे तनोलॉजी
संदभभ: िाल िी में जारी 'एररतसन मोत्रबमलटी ररपोटष ' के अनस
ु ार:
• वर्ष 2027 के अंत तक भारत में पांचवीं पीढ़ी की दरू संचार सेवाओं के मोबाइल सेवा उपयोगकताषओं की
संख्या 39% या लगभग 500 मममलयन िोने की संभावना िै ।
• वर्ष 2021 के अंत तक स्माटष फोन उपयोगकताषओं की कुल संख्या 810 मममलयन िोने की उम्मीद िै और
वर्ष 2027 तक 7% की चिवद
ृ धध वावर्षक वद
ृ धध दर से बढ़कर 1.2 त्रबमलयन से अधधक िोने का अनुमान
िै ।
• 2021 में , 68% व्यजतत 4G सेवा का उपयोग करते िै , मोबाइल सेवा उपयोगकताषओं के 5G सेवा अपनाने की
वजि से वर्ष 2027 में इनकी संख्या 55% रि जाने की उम्मीद िै ।
5G तया है ?
5G तकनीक, मोबाइल ब्रॉडबैंड की अगली पीढ़ी िै । यि तकनीक अंततः 4G LTE कनेतशन को प्रततस्थावपत करे गी
या इसमें मित्वपूर्णष वद
ृ धध करे गी।
5G तकनीक की विशेषताएं और लाभ:
1. यि तकनीक, ‘ममलीमीटर वेव स्पेतरम’ (30-300 गीगािट्षज) पर कायष करती िै , जजसके दवारा काफी बड़ी
मात्रा में डेटा को बिुत तेज गतत से भेजा जा सकता िै ।
2. 5G तकनीक, तीन बैंड्स अथाषत ् तनम्न, मध्य और उच्च आववृ त्त स्पेतरम में काम करती िै ।
3. मल्टी-जीबीपीएस रान्सफर रे ट तथा अत्याधधक कम ववलंबता (ultra-low latency), 5G तकनीक, इंटरनेट
ऑफ धथंग्स (IoT), और कृत्रत्रम बद
ु धधमत्ता की ताकत का उपयोग करने वाली एप्लीकेशंस का समथषन करे गी।
4. 5G नेटवकष की बढ़ी िुई क्षमता, लोड स्पाइतस के प्रभाव को कम कर सकती िै , जैसे कक खेल आयोजनों
और समाचार कायषिमों के दौरान िोती िै ।

www.insightsonindia.com 161 InsightsIAS


प्रौद्योधगकी का महत्ि:
भारत की राष्ट्रीय डिजजटल संचार नीतत 2018 में 5G के मित्व पर प्रकाश डाला गया िै , जजसमें किा गया िै कक
एक वद
ृ धधशील स्टाटष-अप समुदाय सहित 5G, तलाउड, इंटरनेट ऑफ धथंग्स (IoT) और डेटा एनामलहटतस, अवसरों के
एक नए क्षक्षततज को खोलने तथा डडजजटल जुड़ाव को तीव्र एवं गिन करने का वादा करता िै ।
5G से होने िाले संभावित स्िास्थ्य जोणखम:
• आज तक, और बिुत सारे शोध ककए जाने के बाद, वायरलेस तकनीकों के संपकष में आने से स्वास्थ्य पर
कोई प्रततकूल प्रभाव पड़ने के बारे में पता निीं लगा िै ।
• ‘ऊतक तापन’ (Tissue heating), रे डडयोफ्रीतवेंसी क्षेत्रों और मानव शरीर के बीच अंतःकिया का मख्
ु य तंत्र
िोता िै । वतषमान प्रौदयोधगककयों से रे डडयोफ्रीतवेंसी स्तर के संपकष में आने से मानव शरीर के तापमान में
नगण्य वद
ृ धध िोती िै ।
• जैस-े जैसे रे डडयो आववृ त्त बढ़ती िै , शरीर के ऊतकों में इसका प्रवेश कम िोता जाता िै और ऊजाष का
अवशोर्र्ण शरीर की सति (त्वचा और आंख) तक सीममत िो जाता िै ।
• यहद, समग्र रे डडयोफ्रीतवेंसी स्तर का संपकष अंतरराष्ट्रीय हदशातनदे शों से नीचे रिता िै , तो, सावषजतनक
स्वास्थ्य पर कोई असर पड़ने की संभावना निीं िै ।
‘अंतराभष्ट्रीय एतसपोजर ददशातनदे श’ तया हैं?
ववदयत
ु चम्
ु बकीय क्षेत्रों िे तु एतसपोजर हदशातनदे श, दो अंतरराष्ट्रीय तनकायों दवारा तैयार ककये जाते िैं। वतषमान
में इनके दवारा सझ
ु ाए गए हदशातनदे शों का कई दे श पालन करते िैं:
1. अंतराषष्ट्रीय गैर-आयनीकरर्ण ववककरर्ण संरक्षर्ण आयोग (International Commission on Non-Ionizing
Radiation Protection)
2. अंतराषष्ट्रीय ववदयुत चम्
ु बकीय सुरक्षा सममतत के माध्यम से ‘ववदयुत और इलेतरॉतनतस इंजीतनयसष संस्थान’
(Institute of Electrical and Electronics Engineers)
ये हदशातनदे श, प्रौदयोधगकी-ववमशष्ट्ट निीं िैं। इनके दवारा 300 GHz तक की रे डडयोफ्रीतवेंसी को कवर ककया जाता
िै , जजसमे 5G तकनीक संबध
ं ी आववृ त्तयां भी शाममल िोती िैं।
अंतराभष्ट्रीय प्रयास- ‘अंतराभष्ट्रीय विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र (EMF) पररयोजना’:
WHO दवारा वर्ष 1996 में एक ‘अंतराषष्ट्रीय ववदयुतचुंबकीय क्षेत्र’ (International Electromagnetic Fields -EMF)
पररयोजना की स्थापना की गई थी। यि पररयोजना 0-300 गीगािट्षज आववृ त्त रें ज में त्रबजली और चुंबकीय क्षेत्रों के
संपकष में आने से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव की जांच करती िै और EMF ववककरर्ण संरक्षर्ण पर राष्ट्रीय
अधधकाररयों को सलाि दे ती िै ।
इंस्टा जजज्ञास:ु
तया भारत 5G सेवाओं को शुरू करने (रोल-आउट) के मलए तैयार िै ?
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 162 InsightsIAS


3. पाकभर सोलर प्रोब
संदभभ: िाल िी में , नासा का ‘पाकषर सोलर प्रोब’ (Parker Solar Probe) सूयष के बेिद करीब से िोकर गुजरा था।
‘सोलर प्रोब’ सय
ू ष की सति से मात्र 5.3 मममलयन मील दरू ी पर 363,660 मील प्रतत घंटे की िास्यास्पद गतत से
गुजरा। इसके बाद, ‘पाकषर सोलर प्रोब’ इतनी तीव्र गतत से गतत करने वाला अब तक की सबसे तीव्र कृत्रत्रम वस्तु
बन गया िै ।
इसके अततररतत, पाकषर सोलर प्रोब ने सूयष के सवाषधधक नजदीक से गुजरने और सिी-सलामत रिने संबंधी उपग्रिों
का ररकॉडष भी तोड़ हदया।
इसके बाद:
‘पाकषर सोलर प्रोब’ अपनी कक्षा में पररभ्रमर्ण जारी रखेगा
और तेजी से सूयष के करीब पिुंचता जाएगा, अंततः सय
ू ष की
सति से 4.3 मममलयन मील के भीतर 430, 000 मील प्रतत
घंटे की गतत से पररभ्रमर्ण करे गा।
• िर बार सूयष के समीप से गुजरने पर ‘पाकषर सोलर
प्रोब’ िमारे तारे के बारे में मूल्यवान डेटा एकत्र
करता िै और इस जानकारी को वापस पथ्
ृ वी पर
वैज्ञातनकों के मलए प्रेवर्त करता िै ।
• ‘पाकषर सोलर प्रोब’ दवारा मुख्य रूप से, सौर िवा
के बारे में जानकारी, और क्षेत्र में धूल के कर्णों की मात्रा के बारे आंकड़े एकत्र ककए जाते िैं।
‘पाकभर सोलर प्रोब शमशन’ के बारे में :
• नासा का ऐततिामसक पाकषर सोलर प्रोब ममशन सूयष के बारे में अब तक ज्ञात जानकारी में िांततकारी
बदलाव लाएगा, जिााँ पर बदलती िुई पररजस्थततयां, पथ्ृ वी तथा अन्य दतु नयाओं को प्रभाववत करती िुई
संपूर्णष सौर प्रर्णाली में प्रसाररत िोती िै ।
• पाकषर सोलर प्रोब, ककसी भी अंतररक्ष यान की तुलना में , अत्याधधक ताप एवं ववककरर्ण का सामना करते
िुए सय
ू ष की सति से सवाषधधक नजदीक से िोकर सय ू ष के वायम
ु ंडल से गज
ु रे गा और अंततः मानवता के
मलए तारे का अब तक सबसे तनकटतम पयषवक्षे र्ण प्रदान करे गा।
पाकभर सोलर प्रोब की यात्रा:
• सूयष के वातावरर्ण के रिस्यों को उजागर करने के िम में , पाकषर सोलर प्रोब लगभग सात वर्ों में सात
पररभ्रमर्णों के दौरान शुि के गुरुत्वाकर्षर्ण का उपयोग करे गा तथा धीरे -धीरे अपनी कक्षा को सूयष के
नजदीक स्थावपत करे गा।
• पाकषर सोलर प्रोब अंतररक्ष यान, सूयष की सति से 3.9 मममलयन मील की दरू ी पर और बुध ग्रि की कक्षा
के भीतर से से िोकर सूयष के वायुमंडल से गुजरे गा।
शमशन का लक्ष्य:
पाकषर सोलर प्रोब के तीन ववस्तत
ृ वैज्ञातनक उददे श्य िैं:
1. सौर कोरोना और सौर िवा को गमष करने और गतत प्रदान करने वाली ऊजाष के प्रवाि का पता लगाना।
2. सौर िवा के स्रोतों पर प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र की संरचना और गततशीलता का तनधाषरर्ण करना।
3. ऊजाष कर्णों को गतत प्रदान करने और इनका पररविन करने वाली प्रर्णाली का अन्वेर्र्ण करना।
इंस्टा जजज्ञास:ु
तया आप ‘रामशचिीय मेघ’ (Zodiacal Cloud) के बारे में जानते िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 163 InsightsIAS


4. मख
ु ाकृतत पहचान तकनीक
संदभभ: तीन साल की दे री के बाद, माचष 2022 में , यात्रीगर्ण दे श के चार िवाई अड्डों पर अपने बोडडिंग पास के रूप
में ‘फेस स्कैन’ (Face Scan) का उपयोग कर सकेंगे।
• चेिरे की पिचान प्रौदयोधगकी-आधाररत बायोमेहरक बोडडिंग मसस्टम को सबसे पिले पर, वारार्णसी, पर्ण
ु ,े
कोलकाता और ववजयवाड़ा के िवाईअड्डों पर शुरू की जाएगी और यि सेवा माचष 2022 से लाइव िो
जाएगी।
• इसके बाद, इस प्रौदयोधगकी को दे श के ववमभन्न िवाई अड्डों पर चरर्णबदध तरीके से ववस्ताररत ककया
जाएगा।
कायाभन्ियन: ‘भारतीय ववमानपत्तन प्राधधकरर्ण’ दवारा ‘डडजीयात्रा नीतत’ (DigiYatra Policy) के हिस्से के रूप में इस
प्रौदयोधगकी को लागू करने का दातयत्व ‘NEC कॉरपोरे शन प्राइवेट मलममटे ड’ के मलए सौंपा गया िै । इसका उददे श्य
कागज रहित िवाई यात्रा और िवाई अड्डे में प्रवेश करने से लेकर ववमान में चढ़ने तक एक सिज यात्रा की
सुववधा प्रदान करना चािता िै ।
इस नीतत को अतटूबर 2018 में अनावरर्ण ककया गया था, और मूल योजना के अनुसार, चेिरे की पिचान तकनीक
का रोल-आउट अप्रैल 2019 के मलए तनधाषररत ककया गया था।
‘मुखाकृतत पहचान’ (Facial recognition) तया िै ?
फेमशयल ररकॉजग्नशन एक बायोमेहरक तकनीक िै , जजसमे ककसी व्यजतत की पिचान करने और उसे भीड़ में
धचजहनत करने के मलए चेिरे की ववमशष्ट्टताओं का उपयोग ककया जाता िै ।
1. स्वचामलत ‘मुखाकृतत पिचान’ प्रर्णाली (Automated Facial Recognition System- AFRS), व्यजततयों के चेिरों
की छववयों और वीडडयो के व्यापक डेटाबेस के आधार पर कायष करती िै । ककसी अज्ञात व्यजतत की एक
नई छवव - जजसे सामन्यतः ककसी सीसीटीवी फुटे ज से प्राप्त ककया जाता िै - की तुलना मौजूदा डेटाबेस
में उपलब्ध छववयों से करके उस व्यजतत की पिचान की जाती िै ।
2. कृत्रत्रम बुदधधमत्ता तकनीक दवारा आकृतत-खोज और ममलान के मलए उपयोग की जाने वाली को ‘तंत्रत्रकीय
नेटवकष" (Neural Networks) किा जाता िै ।
फेशशयल ररकॉजग्नशन के लाभ:
1. अपराधधयों की पिचान और सत्यापन पररर्णामों में सुधार।
2. भीड़ के बीच ककसी व्यजतत को धचजहनत करने में आसानी।
3. पुमलस ववभाग की अपराध जांच क्षमताओं में वद
ृ धध।
4. जरूरत पड़ने पर नागररकों के सत्यापन में सिायक िै ।
संबंधित धचंताएाँ:
• ववमशष्ट्ट कानूनों या हदशातनदे शों की अनुपजस्थतत, तनजता तथा वाक् एवं अमभव्यजतत की स्वतंत्रता संबंधी
मूल अधधकारों के मलए एक बड़ा खतरा िै । यि उच्चतम न्यायालय दवारा ‘न्यायमूततष के.एस. पुट्टस्वामी
बनाम भारत संघ’ मामले में हदए गए तनजता संबंिी ऐततहाशसक फैसले में तनधाषररत मानदं डो पर खरा
निीं उतरता िै ।
• कई संस्थानों दवारा चेिरे की पिचान प्रर्णाली / फेमशयल ररकॉजग्नशन मसस्टम (FRS) की शुरू करने पिले
‘तनजता प्रभाि मूल्यांकन’ (Privacy Impact Assessment) निीं ककया गया िै ।
• कायाभत्मक विसपभर् (Function creep): जब ककसी व्यजतत दवारा मूल तनहदष ष्ट्ट उददे श्य के अततररतत
जानकारी का उपयोग ककया जाता िै , तो इसे कायाषत्मक ववसपषर्ण (Function creep) किा जाता िै । जैसे
कक, पुमलस ने हदल्ली उच्च न्यायालय से लापता बच्चों को रै क करने के मलए फेमशयल ररकॉजग्नशन
मसस्टम (FRS) का उपयोग करने की अनुमतत ली थी, ककं तु पमु लस इसका उपयोग सुरक्षा और तनगरानी
और जांच करने के मलए कर रिी िै ।
www.insightsonindia.com 164 InsightsIAS
• इससे एक अत्यधिक-पशु लशसंग जैसी समस्या भी उत्पन्न िो सकती िै , जैसे कक कुछ अल्पसंख्यक समुदायों
की त्रबना ककसी कानूनी प्रावधान के अथवा त्रबना ककसी जजम्मेदारी के तनगरानी की जाती िै । इसके अलावा,
‘सामदू हक तनगरानी’ के रूप में एक और समस्या उत्पन्न िो सकती िै , जजसमें ववरोध प्रदशषनों के दौरान
पुमलस दवारा FRT प्रर्णाली का उपयोग ककया जाता िै ।
• सामूदहक तनगरानी (Mass surveillance): यहद कोई व्यजतत सरकार के खखलाफ ववरोध प्रदशषन करने जाता
िै , और पुमलस उस व्यजतत की पिचान करने में सक्षम िोती िै और व्यजतत को इसके दष्ट्ु पररर्णाम भुगतने
पद सकते िैं।
• फेशशयल ररकॉजग्नशन शसस्टम (FRS) को िषभ 2009 में केंद्रीय मंबत्रमिल द्िारा जारी एक नोट के आिार
पर लागू ककया जाता है । लेककन कैत्रबनेट नोट का कोई वैधातनक मित्व निीं िोता िै , यि मात्र एक
प्रकियात्मक नोट िोता िै ।
समय की मांग: पट्
ु टस्वामी फैसले में सवोच्च न्यायालय ने तनर्णषय हदया िै , कक सािभजतनक स्र्ानों पर भी तनजता
एक मौशलक अधिकार है । और अगर इन अधधकारों का उल्लंघन करने की आवश्यकता िोती िै , तो सरकार को इस
तरि की कारष वाई के पीछे उधचत एवं ववधधसम्मत कारर्णों को स्पष्ट्ट करना िोगा।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘मुखाकृतत पिचान तकनीक’ (FRT) तया िै ?
2. यि ककस प्रकार कायष करती िै ?
3. पुट्टस्वामी तनर्णषय ककससे संबंधधत िै ?
में स शलंक: ‘मुखाकृतत पिचान तकनीक’ (FRT)- उपयोग एवं धचंताएं।
स्रोत: द हिंद।ू

5. पेजप्सको पेटेंट वििाद


संदभभ: िाल िी में , ‘पादप प्रजातत एवं कृर्क अधधकार संरक्षर्ण प्राधधकरर्ण’ (Protection of Plant Varieties and Farmers
Rights Authority – PPV&FRA) दवारा ववमभन्न आधारों पर आलू की ककस्म (FL-2027) पर पेजप्सको इंडडया िोजल्डंग
(PIH) को हदए गए ‘पादप प्रजातत (ककस्म) सुरक्षा’ (Plant Variety Protection - PVP) प्रमार्णपत्र को रदद कर हदया
गया िै ।
इसमें तनम्नशलणखत आिार शाशमल र्े:
• आवेदक दवारा दी गई गलत सूचना के आधार पर पंजीकरर्ण प्रमार्ण पत्र प्रदान ककया गया था।
• प्रमार्णपत्र एक ऐसे व्यजतत को हदया गया था जो सुरक्षा के मलए पात्र निीं था।
• पंजीकरर्ण प्रमार्ण पत्र का जारी ककया जाना, जनहित में निीं था।
संबंधित प्रकरर्:
वर्ष 2019 में , पेजप्सको ने गज
ु रात के कुछ भारतीय ककसानों पर FC5 आलू की ककस्म की खेती ककए जाने पर
मुकदमा दायर ककया था। आलू की इस ककस्म में ‘धचप्स’ जैसे स्नैतस बनाने के मलए नमी की मात्रा कम िोती िै ।
• उसी साल न्यूयॉकष जस्थत कंपनी ने सभी मुकदमों को वापस ले मलया और किा कक वि इस मुददे को
सौिादष पर्ण
ू ष ढं ग से सल
ु झाना चािती िै ।
• बाद में , एक ककसान अधधकार कायषकताष ‘कववता कुरुगंती’ ने पेजप्सको की FC5 आलू ककस्म को दी गई
‘बौदधधक सुरक्षा’ (Intellectual Protection) को रदद करने के मलए ‘प्रोटे तशन ऑफ प्लांट वेराइटीज एंड
फामषसष राइट्स’ प्राधधकरर्ण / ‘PPVFR प्राधधकरर्ण’ में याधचका दायर की और किा कक भारतीय क़ानून के
अनुसार, ‘बीज’ की ककस्मों पर पेटेंट हदए जाने की अनम
ु तत निीं िैं।
कृपया ध्यान दें :-

www.insightsonindia.com 165 InsightsIAS


‘पादप प्रजातत एवं कृर्क अधधकार संरक्षर्ण’ (PPV&FR) अधधतनयम, 2001 की धारा 39 में ववशेर् रूप से किा गया
िै , कक ककसी भी ककसान को ककसी भी ककस्म की फसल या यिां तक कक बीज को तब तक उगाने और बेचने की
अनम
ु तत िै , जब तक कक वे पंजीकृत प्रजातत के ब्रांडेड बीज बेचने का कायष निीं करते िैं।
‘पादप प्रजातत एिं कृषक अधिकार संरक्षर्’ (PPV&FR) अधितनयम, 2001:
‘पादप प्रजातत एवं कृर्क अधधकार संरक्षर्ण (PPV&FR) अधधतनयम, 2001 (Protection of Plant Varieties and Farmers’
Rights (PPV&FR) Act, 2001), भारत सरकार दवारा वर्ष 2001 में ‘सुई जेनेररस प्रर्णाली’ (sui generis system) को
अपनाते िुए अधधतनयममत ककया गया था।
• यि अधधतनयम, पौधों की नई ककस्मों के संरक्षर्ण िे तु अंतराषष्ट्रीय संघ (International Union for the
Protection of New Varieties of Plants - UPOV), 1978 के अनुरूप िै ।
• अधधतनयम में , पादप प्रजनन गततववधधयों में वाखर्णजज्यक पादप प्रजनकों और ककसानों, दोनों के योगदान
को मान्यता प्रदान की गयी िै , और साथ िी इसमें सभी हितधारकों के ववमशष्ट्ट सामाजजक-आधथषक हितों
का समथषन करते िुए ‘बौदधधक संपदा अधधकारों के व्यापार संबंधी पिलुओं’ (Trade Related Aspects of
Intellectual Property Rights-TRIPS) को लागू करने का प्रावधान ककया गया िै ।
PPV & FR अधितनयम, 2001 के उद्दे श्य:
• पौधों की ककस्मों, ककसानों और पौध प्रजनकों के अधधकारों की सुरक्षा के मलए एक प्रभावी प्रर्णाली स्थावपत
करना और पौधों की नई ककस्मों के ववकास को प्रोत्साहित करना।
• पौधों की नई ककस्मों के ववकास के मलये पादप आनुवंमशक संसाधन उपलब्ध कराने तथा ककसी भी समय
उनके संरक्षर्ण व सुधार में ककसानों दवारा हदए गए योगदान के सन्दभष में ककसानों के अधधकारों को
मान्यता दे ना व उन्िें सरु क्षा प्रदान करना।
• दे श में कृवर् ववकास में तेजी लाने के मलए, पादप प्रजनकों के अधधकारों की रक्षा करना; पौधों की नई
ककस्मों के ववकास के मलए सावषजतनक और तनजी दोनों क्षेत्रों में अनुसंधान और ववकास के मलए तनवेश
को प्रोत्साहित करना।
• दे श में बीज उदयोग के ववकास को सुगम बनाना जजससे ककसानों को उच्च गुर्णवत्ता वाले बीज और रोपर्ण
सामग्री की उपलब्धता सतु नजश्चत िो सके।
अधितनयम के तहत अधिकार:
पादप-प्रजातत प्रजननकों के अधिकार (BREEDERS’ RIGHTS): पादप-प्रजातत प्रजननकों (ब्रीडसष) के मलए संरक्षक्षत पादप
प्रजातत को पैदा करने, बेचने, बाजार में पिुाँचाने, ववतररत करने और आयात-तनयाषत करने का ववमशष्ट्ट अधधकार
िोगा। यहद इनके अधधकार का िनन िोता िै तो वे इसके मलए कानून की शरर्ण ले सकते िैं। प्रजनन प्रजातत
प्रजनक अपना एजेंट और लाइसेंसधारी भी तनयत
ु त कर सकते िैं।
अनुसंिानकताभओं के अधिकार (RESEARCHERS’ RIGHTS): अधधतनयम के अंतगषत, अनुसंधानकताष शोध करने के
मलए ककसी भी पंजीकृत ककस्म का प्रयोग या उपयोग कर सकता िै । अनुसध
ं ानकताष, कोई नई प्रजातत ववकमसत
करने के उददे श्य से, ककसी प्रजातत को ‘प्रजातत के मल
ू स्रोत’ के रूप में प्रयोग कर सकते िैं, ककं तु उस प्रजातत का
बार-बार प्रयोग करने के मलए ‘पंजीकृत प्रजननक’ से पव
ू ाषनुमतत लेना आवश्यक िोगा।
ककसानों के अधिकार:
1. ककसी नई प्रजातत को ववकमसत करने वाला ककसान, प्रजातत तनमाषता कंपतनयों की भााँतत उस प्रजातत
‘ककस्म’ के प्रजनक के रूप में पंजीकरर्ण और संरक्षर्ण का िकदार िै ;
2. ककसान दवारा उत्पाहदत नई प्रजातत को एक वतषमान प्रजातत के रूप में पंजीकृत ककया जा सकता िै ;
3. पीपीवी और एफआर अधधतनयम, 2001 के तित, ककसान संरक्षक्षत ककस्म के बीज सहित अपनी कृवर् उपज
को उसी तरि से सिे ज सकता िै , उपयोग कर सकता िै , बो सकता िै , कफर से बो सकता िै , आदान-प्रदान

www.insightsonindia.com 166 InsightsIAS


कर सकता िै या बेच सकता िै , जजस तरि से वि इस क़ानून के लागू िोने से पिले िकदार था; परन्तु
अधधतनयम के अंतगषत संरक्षक्षत ककसी ब्रांडेड बीज की प्रजातत को ककसान निीं बेच सकेगा;
4. खेतों में उपजाए गये पादपों के आनव
ु ंमशक संसाधनों (Plant Genetic Resources) तथा नकदी फसलों के
वन्य प्रकारों के संरक्षर्ण के मलए ककसान समधु चत सम्मान और पुरस्कार पाने के अधधकारी िोंगे;
5. अधधतनयम के अनुभाग 39(2) के अनुसार, यहद ककसान दवारा तैयार की गई नई पादप-प्रजातत ठीक से
फलदायी निीं िोती तो उसे इसके मलए क्षततपूततष ममल सकती िै ;
6. अधधतनयम के तित प्राधधकरर्ण या रजजस्रार या हरब्यूनल या उच्च न्यायालय के समक्ष ककसी भी कायषवािी
के मलए ककसान को ककसी भी शल्
ु क का भग
ु तान निीं करना पड़ेगा।
स्रोत: द हिंद।ू

6. पाकभर सोलर प्रोब


संदभभ: नासा (NASA) दवारा प्रक्षेवपत, ‘पाकषर सोलर प्रोब’ (Parker Solar Probe) सय
ू ष के बािरी वातावरर्ण- 'कोरोना'
(CORONA) से िोकर उड़ान भरने वाला पिला अंतररक्ष यान बन गया िै ।
िाल िी में , अंतररक्ष यान ने कोरोना से िोकर उड़ान भरी और उसके चुंबकीय क्षेत्र और कर्णों के नमूने एकत्र ककए।
महत्ि:
यि उपलजब्ध वैज्ञातनकों को सूयष और िमारे सौर मंडल पर इसके प्रभाव के बारे में मित्वपूर्णष जानकारी िामसल
करने में मदद करे गी।
शमशन के बारे में :
2018 में प्रक्षेवपत ककया गया, ‘पाकषर सोलर प्रोब’ सूयष के वायुमंडल से िोकर यात्रा करे गा। इससे पिले कोई अन्य
अंतररक्ष यान, अत्याधधक उष्ट्मा और ववककरर्ण जस्थततयों का सामना करते िुए सूयष की सति के इतने नजदीक से
निीं गुजरा िै । इस प्रकार, अंततः ‘पाकषर सोलर प्रोब’ मानव समुदाय के मलए ककसी तारे का सबसे नजदीकी वववरर्ण
प्रदान करे गा।
‘कोरोना’ के अध्ययन का कारर्:
कोरोना का तापमान, सूयष की सति से बिुत अधधक िै । कोरोना, सौर प्रर्णाली में आवेमशत कर्णों के तनरं तर प्रवाि
अथाषत सौर िवाओं को जन्म दे ता िै । ये अप्रत्यामशत सौर िवाएं िमारे ग्रि के चब
ंु कीय क्षेत्र में गड़बड़ी का कारर्ण
बनती िैं और पथ्
ृ वी पर संचार तकनीक को नष्ट्ट करने में सक्षम िोती िैं। नासा को उम्मीद िै कक इन तनष्ट्कर्ों
से वैज्ञातनकों के मलए पथ्
ृ वी के अंतररक्ष वातावरर्ण में िोने वाले बदलाव का पूवाषनम
ु ान लगाने में मदद ममलेगी।
इंस्टा जजज्ञासु: सूयष की सति के संबंध में चुंबकीय पुन: संयोजन (Magnetic Reconnection) तया िै?
प्रीशलम्स शलंक:
1. पाकषर सोलर प्रोब के बारे में
2. सोलर फ्लेयसष तया िैं?
3. सूयष का कोरोना
4. पथ्
ृ वी बनाम शुि
5. रे डडयो तरं गें
में स शलंक: सोलर फ्लेयसष पथ्ृ वी के पयाषवरर्ण को ककस प्रकार प्रभाववत करती िैं? चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

7. जेम्स िेब स्पेस टे लीस्कोप


िाल िी में , नासा (NASA) ने 24 हदसंबर को ‘जेम्स वेब स्पेस टे लीस्कोप’ (James Webb Space Telescope - JWST)
को प्रक्षेवपत करने की घोर्र्णा की िै ।

www.insightsonindia.com 167 InsightsIAS


ववश्व की प्रमख
ु अंतररक्ष ववज्ञान वेधशाला JWST, तीन
दशकों से अधधक समय से कायषरत नासा के प्रमख

टे लीस्कोप ‘िबल स्पेस टे लीस्कोप’ का स्थान लेगी।
‘जेम्स िेब स्पेस टे लीस्कोप’ (JWST) के बारे में :
जेडब्लूएसटी, अमेररकी अंतररक्ष एजेंसी (NASA), यूरोपीय
अंतररक्ष एजेंसी (European Space Agency) और केनेडडयन
अंतररक्ष एजेंसी (Canadian Space Agency) का एक संयुतत
उपिम िै ।
• ‘जेम्स वेब स्पेस टे लीस्कोप’, अंतररक्ष में पररिमा
करती िुए एक अवरतत वेधशाला (Infrared
Observatory) िै , जो लंबी तरं ग दै ध्यष कवरे ज और
बिुत बेितर संवेदनशीलता के साथ ‘िबल स्पेस टे मलस्कोप’ (Hubble Space Telescope) के कायों में सिायक
िोगी तथा इसकी खोजों का ववस्तार करे गी।
• इससे पूव,ष जेडब्ल्यूएसटी (JWST) को एनजीएसटी (New Generation Space Telescope - NGST) के नाम से
जाना जाता था, कफर वर्ष 2002 में इसका नाम बदलकर नासा के पूवष प्रशासक ‘जेम्स वेब’ के नाम पर कर
हदया गया|
• यि 6.5 मीटर प्राथममक दपषर्ण युतत एक बड़ी अवरतत दरू बीन िोगी।
दरू बीन के उद्दे श्य और कायभ:
‘जेम्स वेब स्पेस टे लीस्कोप’ (JWST) को त्रबग बैंग के पश्चात ् बनने वाले प्रथम तारों और आकाशगंगाओं की खोज
करने तथा तारों के चारों ओर के ग्रिों के पररवेश का अध्ययन करने संबंधी कायष करने के उददे श्य से तनममषत
ककया गया िै |
1. यि दरू बीन, ब्रहमांड में गिराई से
अवलोकन करे गी और ‘िबल स्पेस
टे लीस्कोप’ के साथ कायष करे गी।
2. दरू बीन में 22 मीटर (टे तनस कोटष
के आकार की) की लम्बाई वाले
सौर-सुरक्षाकवच (Sunshield) और
6.5 मीटर चौड़ाई के दपषर्ण और
इन्फ्रारे ड क्षमताओं से लैस
उपकरर्ण लगे िोंगे।
3. वैज्ञातनकों को उम्मीद िै , कक यि
‘सेट-अप’ ब्रहमांड 13.5 अरब साल
पिले घहटत िुई त्रबग बैंग की
घटना के फलस्वरूप उत्पन्न िोने
वाली प्रथम आकाशगंगाओं को भी
दे ख सकने में सक्षम िोगी।

www.insightsonindia.com 168 InsightsIAS


कक्षीय पररक्रमा:
• ‘िबल स्पेस टे लीस्कॉप’ लगभग 570
ककमी की ऊंचाई पर पथ्
ृ वी के चारों
ओर पररिमा करता िै ।
• ‘जेम्स वेब स्पेस टे लीस्कोप’ वास्तव
में पथ्
ृ वी की पररिमा निीं करे गा,
बजल्क यि 1.5 मममलयन ककमी दरू
पथ्
ृ वी-सय
ू ष लेगरें ज त्रबंद ु 2 (Earth-Sun
Lagrange Point 2) पर स्थावपत ककया
जाएगा।
• लेगरें ज त्रबंद ु 2 (L 2) पर ‘जेम्स वेब
स्पेस टे लीस्कोप’ का सौर-कवच, सूय,ष
पथ्
ृ वी और चंद्रमा से आने वाले प्रकाश
को अवरुदध कर दे गा, जजससे दरू बीन
को ठं डा रिने में मदद ममलगी। ककसी
‘अवरतत दरू बीन’ के मलए ठं डा रिना
बिुत मित्वपूर्णष िोता िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: िबल स्पेस टे लीस्कोप के बारे
में जानने के मलए पहढ़ए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

8. नासा का DART शमशन


संदभभ: नासा के ‘डबल एस्रॉयड ररडायरे तशन
टे स्ट’ (DART) अंतररक्ष यान के, प्रक्षेपर्ण के
ठीक दो सप्ताि बाद कैमरे “आंख” (EYE) ने
अपना कारू आरं भ कर हदया िै , और िाल िी
में अंतररक्ष की छववयां पथ्
ृ वी पर वापस भेजी िैं। अंतररक्ष यान और DART टीम के मलए यि पररचालन में एक
मित्वपूर्णष मील का पत्थर िै ।
DART अंतररक्ष यान अपने गंतव्य पर 26 मसतंबर, 2022 तक पिुंच जाएगा।
DART शमशन के बारे में :
‘डबल एस्रॉयड ररडायरे तशन टे स्ट’ (DART) ममशन का मख्
ु य उददे श्य नई तकनीक का परीक्षर्ण करना िै , जो एक
अंतररक्ष यान को ककसी क्षुद्रग्रि से टकराकर उसकी हदशा को बदलने के मलए ववकमसत की गयी िै ।
• ‘DART’ एक कम लागत वाला अंतररक्षयान िै, जजसका वजन प्रक्षेपर्ण के समय लगभग 610 ककलोग्राम और
टकराव के दौरान 550 ककलोग्राम िोगा।
• इसमें लगभग 10 ककलोग्राम ‘जेनॉन’ (Xenon) भी िोगा, जजसका उपयोग नए थ्रस्टसष को प्रदमशषत करने के
मलये ककया जाएगा, जजसे ‘नासा इवोल्यूशनरी जेनॉन थ्रस्टर-कममशषयल (NEXT-C)) किा जाता िै ।
• इस अंतररक्षयान में एक उच्च-ररजॉल्यूशन इमेजर लगाया गया िै जजसे ‘डडडडमोस ररकोतनसेंस एंड एस्रॉयड
कैमरा फॉर ऑजप्टकल नेववगेशन’ (DRACO) किा जाता िै ।
• ‘DRACO’ से प्राप्त छववयों को वास्तववक समय में पथ्
ृ वी पर भेजी जाएगा और ये ‘डडमोफोस’ नामक लक्षक्षत
क्षुद्रग्रि के टकराव स्थल और सति का अध्ययन करने में मदद करें गी।

www.insightsonindia.com 169 InsightsIAS


• साथ िी ‘DART’ ममशन अपने साथ ‘लाइट इटामलयन तयूबसैट फॉर इमेजजंग ऑफ एस्रॉयड’ (LICIACube)
नामक एक छोटा उपग्रि या तयूबसैट भी ले जाएगा। ‘LICIACube’ से टतकर के पररर्णामस्वरूप उत्पन्न
प्रभाव और इससे तनममषत िेटर की छववयों को कैप्चर करे गा। यि टकराव के दौरान बने ककसी भी धल
ू के
बादल की छववयों को भी कैप्चर कर सकता िै ।
ककस क्षुद्रग्रह को विक्षेवपत ककया जाएगा?
• ‘DART’ अंतररक्ष यान का लक्ष्य ‘डडमोफोस’ (Dimorphos) - ग्रीक भार्ा में ‘दो रूपों वाला’ - नामक एक
मूनलेट (moonlet) िै । इसका व्यास लगभग 160 मीटर िै और इसके पथ्
ृ वी से 11 मममलयन ककलोमीटर
दरू अंतररक्ष यान से टकराने की आशंका िै ।
• डडमोफोस, ‘डडडडमोस’ ("जुड़वां" के मलए ग्रीक) नामक एक बड़े क्षुद्रग्रि की पररिमा करता िै जजसका व्यास
780 मीटर िै ।

कायभ-योजना:
‘DART’ अंतररक्ष यान, डडमोफोस’ मूनलेट तक यात्रा करे गा और लगभग 6.6 ककलोमीटर प्रतत सेकंड या 24,000
ककलोमीटर प्रतत घंटे की गतत से उससे टकराएगा। यि टकराव 26 मसतंबर से 1 अतटूबर 2022 के बीच िोने की
संभवना िै ।

इंस्टा जजज्ञास:ु संभाववत खतरनाक क्षुद्रग्रि (Potentially Hazardous Asteroids - PHAs) तया िैं?
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

www.insightsonindia.com 170 InsightsIAS


9. चीन द्िारा 'कृबत्रम सूय'भ के शलए परमार्ु संलयन परीक्षर्
संदभभ: चीन के शीर्ष वैज्ञातनकों दवारा सफलतापूवक
ष 'कृत्रत्रम सूय'ष (Artificial Sun) का तनमाषर्ण करने का दावा ककया
जा रिा िै । चीन दवारा बनाया गया कृत्रत्रम सय
ू ष वास्तववक सय
ू ,ष पथ्
ृ वी जजसके चारो ओर पररिमा करती िै , से
लगभग दस गुना अधधक गमष िै ।
• इस कृत्रत्रम सूयष को ‘प्रायोधगक उन्नत सुपरकंडजतटं ग टोकामक’ (Experimental Advanced Superconducting
Tokamak - EAST)) के नाम से जाना जाता िै ।
• चीन ने, इसी वर्ष जून माि में , एक नवीनतम प्रयोग
के दौरान, EAST दवारा 101 सेकंड की अवधध तक 216
मममलयन फ़ारे निाइट (120 मममलयन डडग्री सेजल्सयस)
का प्लाज्मा तापमान पैदा करने में सफलता िामसल
करके एक नया ररकॉडष बनाया था।
प्रयोग का कायाभन्ियन एिं पररर्ाम:
• ववशेर्ज्ञों दवारा, पिले की तल
ु ना में आठ गुना अधधक
ऊजाष का मिा-ववस्फोट तनममषत करने के लगभग 200
लेजर बीम की अपनी ववशाल श्रंखला को एक छोटे से स्थान पर केंहद्रत ककया गया।
• िालांकक, प्रयोग में उत्पन्न ऊजाष अत्याल्प समय - एक सेकंड के मसफष 100 हरमलयनवें हिस्से - के मलए
उत्पन्न की जा सकी, ककं तु वैज्ञातनक जजतनी उजाष का उपयोग कर रिे थे, उससे किीं अधधक ऊजाष पैदा
करने में सक्षम थे।
इस प्रयोग में वैज्ञातनकों ने िाइड्रोजन के दो समस्थातनकों का प्रयोग ककया था, जजससे ववशाल मात्रा में िीमलयम
उत्पन्न िुई।
इस उपलजधि का महत्ि:
• ऐसा माना जाता िै , कक सूयभ के केंद्र का तापमान 15 शमशलयन डिग्री सेजल्सयस िै , और इस उपलजब्ध का
मतलब िै , कक EAST दवारा पैदा ककया गया तापमान ‘सूयष के तापमान से लगभग सात गुना अधधक’ िै ।
• यि, न्यन
ू तम अपमशष्ट्ट उत्पादों सहित स्वच्छ और असीममत ऊजाष उत्पाहदत करने िे तु चीन दवारा ककए
जा रिे प्रयासों की हदशा एक मित्वपूर्णष कदम िै ।
‘EAST’ तया है ?
‘प्रायोधगक उन्नत सुपरकंडजतटं ग टोकामक’ (Experimental Advanced Superconducting Tokamak - EAST) ममशन में
‘सूयभ की ऊजाभ उत्पादन प्रकक्रया’ की नकल की जा रिी िै ।
• ‘प्रायोधगक उन्नत सप
ु रकंडजतटं ग टोकामक’ ररएतटर, एक ‘उन्नत परमार्णु संलयन प्रायोधगक अनस
ु ंधान
उपकरर्ण’ (Advanced Nuclear Fusion Experimental Research Device) िै और चीन के हे फेई (Hefei) में
जस्थत िै ।
• यि वतषमान में दे श भर में कायषरत तीन प्रमख
ु स्िदे शी टोकामक में से एक िै ।
• EAST पररयोजना ‘अंतराभष्ट्रीय ताप-नाशभकीय प्रायोधगक ररएतटर’ (International Thermonuclear
Experimental Reactor- ITER) कायषिम का हिस्सा िै । इस आईटीईआर सुवििा का पररचालन िषभ 2035
आरं भ िोगा, इसके बाद यि विश्ि का सबसे बड़ा ‘परमार्ु संलयन ररएतटर’ बन जाएगी।
• आईटीईआर पररयोजना में भारत, दक्षक्षर्ण कोररया, जापान, रूस और संयुतत राज्य अमेररका सहित कई दे शों
दवारा योगदान ककया जा रिा िै ।
'कृबत्रम सूय'भ EAST ककस प्रकार कायभ करता है ?
यि ‘प्रायोधगक उन्नत सुपरकंडजतटं ग टोकामक’ अथाषत EAST, सूयष एवं तारों दवारा में िो रिी ‘परमार्णु संलयन
प्रकिया’ (Nuclear Fusion Process) का अनक
ु रर्ण करता िै ।
www.insightsonindia.com 171 InsightsIAS
• परमार्णु संलयन िे तु, िाइड्रोजन परमार्णुओं पर अत्यधधक ताप और दाब प्रयत
ु त ककया जाता िै , ताकक वे
वपघलकर परस्पर संलतयत िो जाएं।
• िाइड्रोजन में पाए जाने वाले ‘ड्यट
ू े ररयम और दरदटयम’ नामभक, परस्पर संलतयत िोकर भारी िीमलयम
नामभकों का तनमाषर्ण करते िैं, और इस प्रकिया में न्यूरॉन अर्णुओं सहित भारी मात्रा में ऊजाष तनमत
ुष त िोती
िैं।
• इसमें , ईंधन को 150 मममलयन डडग्री सेजल्सयस से अधधक के तापमान तक गमष ककया जाता िै , जजससे
‘अपरमार्णववक अर्णुओं’ (Subatomic Particles) का एक गमष प्लाज्मा "सूप" तनममषत िोता िै ।
• एक शजततशाली चब
ंु कीय क्षेत्र की मदद से, प्लाज्मा को ररएतटर की दीवारों से दरू रखा जाता िै , तयोंकक
ररएतटर की सति के संपकष में आने से ‘प्लाज्मा’ के ठं डा िोने तथा बड़ी मात्रा में ऊजाष उत्पन्न करने की
क्षमता खोने की आशंका िोती िै ।
• संलयन अमभकिया िोने के मलए प्लाज्मा को लंबी अवधध तक परररुदध ककया जाता िै ।
संलयन प्रकक्रया, विखंिन प्रकक्रया से बेहतर तयों होती है ?
• िालांकक, ककसी नामभक का ववखंडन (fission) करना एक आसान प्रकिया िोती िै , ककं तु इसमें काफी अधिक
मात्रा में परमार्ु अपशशष्ट्ट उत्सजजभत िोते िैं।
• ववखंडन प्रकिया के ववपरीत, संलयन (Fusion) प्रकक्रया में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सजभन नहीं होता है और
इसमें दघ
ु ट
ष नाओं का जोखखम िोता िै तथा इसे एक सरु क्षक्षत प्रकिया माना जाता िै ।
• संलयन प्रकिया पर एक बार तनयंत्रर्ण िामसल करने के बाद, परमार्णु संलयन से बिुत कम लागत पर
संभवतः असीममत स्वच्छ ऊजाष िामसल की सकती िै ।
अन्य ककन दे शों द्िारा यह उपलजधि हाशसल की चक
ु ी है ?
उच्च प्लाज्मा तापमान िामसल करने वाला चीन अकेला दे श निीं िै । वर्ष 2020 में , दक्षक्षर् कोररया के KSTAR
ररएतटर ने 20 सेकंड तक 100 मममलयन डडग्री सेजल्सयस से अधधक प्लाज्मा तापमान िामसल करते रखते िुए एक
नया ररकॉडष बनाया था।
इंस्टा जजज्ञासु: फ्रांस में तनमाषर्णाधीन ववश्व की सबसे बड़ी ‘परमार्णु संलयन पररयोजना’ में भारत की भमू मका के
बारे में जानकारी िे तु पहढ़ए।
प्रीशलम्स शलंक:
1. टोकामक (Tokamak) तया िै ?
2. चीन का EAST कायषिम तया िै ?
3. परमार्णु संलयन बनाम परमार्णु ववखंडन
4. संलयन और ववखंडन
5. सूयष की ‘कोर’ के बारे में ।
6. ITER तया िै ?
में स शलंक: चीन दवारा ववकमसत ककए जा रिे कृत्रत्रम सय
ू ष के मित्व का वर्णषन कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

10. ररजिभ बैंक द्िारा कक्रप्टोकरें सी पर पूर्भ प्रततबंि लगाए जाने का विचार
संदभभ: वर्ष 2013 में किसमस की पूवष संध्या पर, भारतीय ररजवष बैंक (RBI) ने भारतीयों को किप्टोकरें सी
(Cryptocurrency) के ववत्तीय, कानूनी और सुरक्षा जोखखमों के बारे में चेतावनी दे ते िुए एक नोट जारी ककया गया
था। आरबीआई की यि चेतावनी, दतु नया की पिली किप्टोकरें सी ‘त्रबटकॉइन’ के लॉन्च िोने के चार साल बाद जारी
की गयी थी। आठ साल बाद, किप्टोकरें सी को लेकर ‘केंद्रीय बैंक’ का ववरोध और मजबत
ू िो गया िै ।

www.insightsonindia.com 172 InsightsIAS


इस मिीने की शुरुआत में , आरबीआई ने अपने बोडष को बताया कक किप्टोकरें सी पर 'पूर्णष प्रततबंध' लगाए जाने की
आवश्यकता िै , तयोंकक अब आंमशक प्रततबंध काम निीं करे गा।
पष्ट्ृ ठभशू म:
त्रबटकॉइन (Bitcoin) जैसी तनजी किप्टोकरें सी, अभी तक ककसी क़ानून के अंतगषत तनयममत निीं िैं। एक जहटल
प्रकिया के माध्यम से इसका खनन ककया जाता िै और इसकी कीमत अत्यधधक अजस्थर िोती िै । भारत में एक
पररसंपवत्त वगष के रूप में प्रसार के बावजद
ू इस पर केंद्रीय तनयामक की कड़ी नजर िै ।
भारत में कक्रप्टोकरें सी की ितभमान जस्र्तत:
किप्टोकरें सी (Cryptocurrency) संबंधी मामलों पर गहठत एक अंतर-मंत्रालयी सममतत दवारा, भारत में राज्य दवारा
जारी ककसी भी आभासी मद्र
ु ाओं को छोड़कर, सभी तनजी किप्टोकरें सी को प्रततबंधधत करने की मसफाररश की गयी
िै ।
• भारतीय ररजवष बैंक (RBI) ने भी बाजार में किप्टोकरें सी कारोबार पर धचंता जताई िै और इसे केंद्र को
अवगत कराया िै ।
• माचष 2020 में पुनः, सुप्रीम कोटष ने बैंकों और ववत्तीय संस्थानों को, आरबीआई दवारा वर्ष 2018 के सकुषलर
को अलग करते िुए, किप्टोकरें सी से संबंधधत सेवाओं को बिाल करने की अनुमतत दी थी। आरबीआई ने
किप्टोकरें सी संबंधधत सेवाओं को ("अनुरूपता" के आधार पर) प्रततबंधधत कर हदया था।
‘कक्रप्टोकरें सी’ तया होती हैं?
किप्टोकरें सी (Cryptocurrency) एक प्रिार की डडजजटल करें सी िोती िै , जजसमे मुद्रा इकाइयों के उत्पादन को
ववतनयममत करने तथा तनधधयों के अंतरर्ण को सत्यावपत करने के मलए कूटलेखन (Encryption) तकनीकों का
उपयोग ककया जाता िै , और यि बगैर ककसी केंद्रीय बैंक के अधीन, स्वतन्त्र रूप से संचामलत िोती िैं।
यि ब्लॉकचेन तकनीक पर कायष करती िैं। उदािरर्ण: त्रबटकॉइन, एथेररयम आहद।
आरबीआई, कक्रप्टोकरें सी पर प्रततबंि तयों लगाना चाहती है ?
1. संप्रभु प्रत्याभूत (Sovereign guarantee): किप्टोकरें सी उपभोतताओं के मलए जोखखम उत्पन्न करती िै ।
इनके पास कोई सॉवरे न गारं टी / संप्रभु प्रत्याभूत निीं िोता िै और इसमलए ये वैध मुद्रा निीं िोती िैं।
2. बाजार में उतार-चढ़ाि (Market volatility): इनकी प्रत्यामशत प्रकृतत भी इन्िें अत्यधधक अजस्थर बनाती िै ।
उदािरर्ण के मलए, त्रबटकॉइन का मूल्य हदसंबर 2017 में 20,000 अमेररकी डॉलर से धगरकर नवंबर 2018
में 3,800 अमेररकी डॉलर िो गया।
3. सुरक्षा जोणखम: यहद ककसी प्रकार से उपयोगकताष की अपनी तनजी कंु जी खो जाती िै (पारं पररक डडजजटल
बैंककं ग खातों के ववपरीत, इसे पासवडष रीसेट निीं ककया जा सकता िै ) तो उपयोगकताष अपनी किप्टोकरें सी
तक पिुंच खो दे ता िै ।
4. मैलिेयर संबंिी िमकी: कुछ मामलों में , इन तनजी कंु जजयों को तकनीकी सेवा प्रदाताओं (किप्टोकरें सी
एतसचें ज या वॉलेट) दवारा संग्रिीत ककया जाता िै , जो मैलवेयर या िै ककं ग के प्रतत संवेदनशील िोते िैं।
5. मनी लॉजन्ड्रंग।
एस सी गगभ सशमतत की शसफाररशें (2019)
5. ककसी भी रूप में किप्टोकरें सी का खनन, स्वाममत्व, लेन-दे न या सौदा करने को प्रततबंधधत ककया जाए।
6. सममतत के दवारा, डडजजटल मुद्रा में ववतनमय या व्यापार करने पर एक से 10 साल तक के कारावास का
दं ड की मसफाररश की गयी थी।
7. सममतत ने, सरकारी खजाने को िुए नक
ु सान या किप्टोकरें सी उपयोगकताष दवारा अजजषत ककए गए लाभ,
जो भी अधधक िो, के तीन गुना तक मौहद्रक दं ड का प्रस्ताव ककया गया था।
8. िालांकक, सममतत ने सरकार से ‘भारतीय ररजवष बैंक दवारा किप्टोकरें सी जारी करने की संभवना’ पर अपना
हदमाग खल
ु ा रखने की सलाि भी दी गयी थी।
www.insightsonindia.com 173 InsightsIAS
इंस्टा जजज्ञास:ु तया आपने ‘IOTA उलझन’ (IOTA Tangle) के बारे में सुना िै ?
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

11. जीआई टै ग
संदभभ: िाल िी में एक फमष, ‘जीत जीरो प्रोड्यस
ू र कंपनी मलममटे ड’ दवारा ‘अरुर्णाचल
प्रदे श अपतानी वस्त्र उत्पादों’ उत्पाद के मलये ‘भौगोमलक संकेतक (जीआई) टै ग’
(Geographical Indication - GI tag) हदए जाने िे तु आवेदन ककया गया िै ।
अपतानी बुनाई:
• ‘अपतानी बुनाई’ (Apatani weave) का कायष अरुर्णाचल प्रदे श के लोअर सुबनमसरी जजले के मुख्यालय जीरो
वैली में तनवास करने वाली ‘अपतानी जनजातत’ (Apatani Tribe) दवारा ककया जाता िै ।
• इस जनजातत के लोगों दवारा बुना गया कपड़ा अपने ज्याममतीय और जजगजैग पैटनष तथा कोर्णीय डडजाइनों
के मलए भी जाना जाता िै ।
• यि जनजातत मख्
ु य रूप से जजग जीरो और जजलान या जैकेट के रूप में जानी जाने वाली शॉल बन
ु ती िै
जजसे सुपुंतरी (Supuntari) किा जाता िै ।
• यिााँ के लोग अपने पारं पररक तरीकों से कपास के धागों को जैववक रूप से रं गने के मलए ववमभन्न पवत्तयों
और पौधों जैसे संसाधनों का उपयोग करते िैं। केवल महिलाएाँ िी इस पारं पररक बुनाई कायष में लगी िुई
िैं।
‘जीआई टै ग’ के बारे में :
• भौगोमलक संकेतक (Geographical Indication - GI), मुख्यतः, ककसी एक विशशष्ट्ट भौगोशलक क्षेत्र में उत्पाददत,
कृवष, प्राकृततक अर्िा तनशमभत उत्पाद (िस्तमशल्प और औदयोधगक वस्तए
ु ं) िोते िैं।
• आमतौर पर, इन उत्पादों का नाम गुर्णवत्ता और ववमशष्ट्टता का आश्वासन दे ता िै , जोकक वास्तव में इनकी
उत्पवत्त-स्थान ववशेर्ता को अमभव्यतत करता िै ।
‘जीआई टै ग’ के लाभ:
एक बार जीआई सुरक्षा प्रदान ककये जाने के बाद, ककसी अन्य तनमाषता दवारा इससे ममलते-जुलते उत्पादों को बाजार
में लाने के मलए, इनके नाम का दरु
ु पयोग निीं ककया जा सकता िै । यि संकेतक, ग्रािकों के मलए उत्पाद की
गर्ण
ु वत्ता और प्रामाखर्णकता सतु नजश्चत करते िैं।
भौगोशलक संकेतक (GI) का पंजीकृत माशलक कौन होता है ?
• व्यजततयों या उत्पादकों का कोई संघ, कानून के अंतगषत अथवा इसके दवारा तनधाषररत संस्था अथवा
प्राधधकरर्ण, कोई भी भौगोमलक संकेतक (GI) का पंजीकृत मामलक िो सकता िै ।
• भौगोमलक संकेतक रजजस्टर में इनका नाम, भौगोमलक संकेतक के मलए आवेदन ककए जाने वाले उत्पाद के
वास्तववक स्वामी के रूप में दजष ककया जाता िै ।
भौगोशलक संकेतक पंजीकरर् की िैिता अिधि:
• ककसी भौगोमलक संकेतक का पंजीकरर्ण 10 साल की अिधि तक के शलए िैि िोता िै ।
• इसे समय-समय पर आगामी 10 वर्ों की अवधध के मलए नवीनीकृत ककया जा सकता िै ।
भौगोशलक संकेतक संबंिी समझौते एिं वितनयमन:
1. अंतराभष्ट्रीय स्तर पर: औदयोधगक पररसंपवत्त संरक्षर्ण िे तु ‘पेररस अमभसमय’ तित भौगोमलक संकेतक
बौदधधक संपदा अधधकार (Intellectual Property Rights- IPR) के एक घटक के रूप में शाममल िैं। जीआई,
ववश्व व्यापार संगठन (WTO) के ‘बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबि
ं ी पहलुओं’ (Trade Related
Aspects of Intellectual Property Rights-TRIPS) समझौते दवारा भी प्रशामसत िोते िैं।

www.insightsonindia.com 174 InsightsIAS


2. भारत में , भौगोमलक संकेतक पंजीकरर्ण को वस्तुओं का भौगोशलक संकेतक (पंजीकरर् और संरक्षर्)
अधितनयम, 1999 (Geographical Indications of Goods (Registration and Protection) Act, 1999) दवारा
प्रशामसत िोता िै । यि अधधतनयम मसतंबर 2003 को लागू ककया गया था। भारत में सबसे पिला जीआई
टै ग, वर्ष 2004-05 में , ‘दाजजषमलंग चाय’ को हदया गया था।
प्रीशलम्स शलंक:
1. भौगोमलक संकेतक (GI) टै ग तया िोता िै ?
2. जीआई टै ग ककसके दवारा प्रदान ककया जाता िै ?
3. भारत में जीआई उत्पाद और उनके भौगोमलक स्थान
4. अन्य बौदधधक संपदा अधधकार (IPR)
में स शलंक: भौगोमलक संकेतक (GI) टै ग तया िोता िै ? इसके मित्व पर चचाष कीजजए। स्रोत: द हिंद।ू

12. जीएमओ फसलों पर FSSAI का वितनयमन मसौदा


ककसानों के बीच काम करने वाले सामाजजक कायषकताष, ‘भारतीय खादय संरक्षा एवं सरु क्षा मानक प्राधधकरर्ण’ (Food
Safety and Standards Authority of India - FSSAI) के आनुवंमशक रूप से संवधधषत (Genetically Modified - GM)
खादय पदाथों पर मसौदा तनयमों का ववरोध कर रिे िैं, और इन तनयमों को "अस्वीकायष" करार हदया िै ।
इनकी मांग:
इन कायषकताषओं का किना िै , कक FSSAI स्पष्ट्ट रूप से किे कक ‘जीएम खादय पदाथों’ को उत्पादन या आयात के
माध्यम से भारत में अनम
ु तत निीं दी जाएगी।
इनके अनुसार, भारत में ककसी भी प्रकार के ‘आनुवंमशक रूप से संवधधषत’ खादय पदाथष, िमारे लोगों के स्वास्थ्य,
िमारे पयाषवरर्ण और भारत की ववववध खादय संस्कृततयों के मलए खतरा िै ।
पष्ट्ृ ठभूशम:
भारतीय खादय सुरक्षा और मानक प्राधधकरर्ण (FSSAI) ने GM खादय पदाथों के मलए मसौदा तनयम जारी ककए िैं।
संबंधित प्रकरर्: FSSAI दवारा जारी ववतनयमन मसौदा में प्रस्ताववत ककया गया िै , कक 1% या उससे अधधक
‘आनुवंमशक रूप से संवधधषत सामग्री वाले सभी खादय उत्पादों को "जीएमओ सामग्री सहित/ जीएमओ से ली गयी
सामग्री" के रूप में लेबल ककया जाएगा। कायषकताषओं का किना िै , कक यि ‘जीएम खादय पदाथों’ प्रततबंधधत करने
के बजाय, इनके आयात के मलए एक मौन स्वीकृतत की तरि िै ।
मसौदे का अिलोकन:
1. बगैर पूवाषनुमोदन के कोई भी ‘आनुवंमशक रूप से संशोधधत जीवों’ (GMOs) से प्राप्त ककसी भी खादय
उत्पाद या खादय सामग्री का तनमाषर्ण या त्रबिी निीं कर सकता िै ।
2. मसौदे में कुछ ववशेर् मानदं डों को तनहदष ष्ट्ट ककया गया िै , जजनका ‘प्रयोगशालाओं’ के मलए ‘जीएम खादय
पदाथों’ के परीक्षर्ण िे त,ु पालन करना अतनवायष िोगा।
3. प्रस्ताववत तनयम "भोजन के रूप में अथवा प्रसंस्करर्ण िे तु सीधे उपयोग के मलए अमभप्रेत, आनुवंमशक रूप
से संशोधधत जीवों (GMOs) या आनुवंमशक रूप से तैयार ककए गए जीवों (GEOs) या ‘जीववत संशोधधत
जीवों’ (LMOs) पर लागू िोंगे।"
4. ववतनयमों के दायरे में , GMO से प्राप्त खादय सामग्री या प्रसंस्करर्ण का उपयोग करके तैयार ककए गए
सभी खादय उत्पाद शाममल िोंगे, भले िी अंततम उत्पाद में कोई भी जीएम सामग्री मौजूद न िो।
5. मशशु खादय उत्पादों में , आनुवंमशक रूप से संशोधधत जीवों (GMOs) या आनुवमं शक रूप से तैयार ककए गए
जीवों (GEOs) का "एक घटक के रूप में उपयोग निीं ककया जाएगा"।
6. मसौदे में , जीएमओ सामग्री की एक प्रततशत या इससे अधधक मात्रा रखने वाले खादय उत्पादों के मलए
‘लेबमलंग मानदं डों’ (labelling norms) का भी प्रावधान ककया गया िै ।

www.insightsonindia.com 175 InsightsIAS


भारत में GMO वितनयमन:
• आयाततत उपभोग्य सामधग्रयों में GMO के स्तर को ववतनयममत करने का कायष शुरू में केंद्रीय पयाषवरर्ण
मंत्रालय के तित आनव
ु ंमशक इंजीतनयररंग मल्
ू यांकन सममतत (Genetic Engineering Appraisal Committee-
GEAC) दवारा ककया जाता था।
• खादय सुरक्षा और मानक अधधतनयम, 2006 के लागू िोने के बाद इसकी भूममका को कम कर हदया गया
तथा इसके स्र्ान पर FSSAI को आयाततत सामधग्रयों को मंजूरी प्रदान करने के शलये कहा गया।
‘आनुिंशशक रूप से संशोधित जीि’ (रांसजेतनक जीि) तया हैं?
आनव
ु ंमशक रूप से संशोधधत जीवों (GMOs) में , जेनेहटक इंजीतनयररंग तकनीकों का उपयोग करके आनव
ु ंमशक सामग्री
(DNA) को परवततषत ककया जाता िै या कृत्रत्रम रूप से ककसी अन्य जीवार्णु को प्रववष्ट्ट कराया जाता िै ।
• आनुवंमशक संशोधन प्रककया में जीनों का उत्पररितभन, अंतिेशन या विलोपन शाममल िोते िै ।
• अंतवेमशत ककए जाने वाले जीन, आमतौर पर ककसी अन्य जीवार्णु से मलए जाते िैं (जैसे बीटी कपास (Bt
Cotton) में , बेमसलस थरु रंधगनेमसस (Bacillus thuringiensis- Bt) जीवार्णु से जीन को अंतवेमशत ककया जाता
िै )।
• ककसी प्रजातत में आनुवंमशक संशोधन, प्रजातत में प्राकृततक रूप से अनुपजस्थत, एक वांछनीय नई ववशेर्ता
को उत्प्रेररत करने के मलए ककया जाता िै ।
जीएम तकनीकों का उपयोग:
1. जैववक एवं धचककत्सीय अनस
ु ंधान,
2. फामाषस्यूहटकल दवाओं का उत्पादन,
3. प्रायोधगक धचककत्सा (जैसे जीन थेरेपी),
4. कृवर् (जैसे स्वर्णष चावल, बीटी कपास आहद),
5. आनुवंमशक रूप से संशोधधत बैतटीररया से प्रोटीन इंसुमलन का उत्पादन करने िे तु,
6. जीएम बैतटीररया आहद से जैव ईंधन का उत्पादन करने िे तु।
स्रोत: इकोनॉममक टाइम्स।

13. ततआनगोंग अंतररक्ष स्टे शन


संदभभ:
अंतररक्ष में अपनी उपजस्थतत बढ़ाते जा रिे चीन ने, िाल िी में संयुतत राष्ट्र से दो कधथत अंतररक्ष घटनाओं का
वववरर्ण दे ते िुए मशकायत की िै । इन घटनाओं का संबंध चीन के ‘ततआनगोंग अंतररक्ष स्टे शन’ (Tiangong Space
Station) और एलोन मस्क दवारा स्थावपत एयरोस्पेस फमष ‘स्पेसएतस’ के दो स्टारमलंक उपग्रिों (Starlink satellites)
से िै ।
चीन द्िारा संयत
ु त राष्ट्र में शशकायत करने का कारर्:
संयुतत राज्य अमेररका और चीन, दोनों दे श ‘बाहय अंतररक्ष संधध’ (Outer Space Treaty) के पक्षकार िैं। इस संधध
को औपचाररक रूप से 'चंद्रमा और अन्य नक्षत्रीय वपंडों सहित बािरी अंतररक्ष में अन्वेर्र्ण एवं इसके उपयोग िे तु
राष्ट्रों की गततववधधयों को तनयंत्रत्रत करने वाले मसदधांतों संबंधी समझौते” (Treaty on Principles Governing the
Activities of States in the Exploration and Use of Outer Space, including the Moon and Other Celestial Bodies) के
रूप में जाना जाता िै ।
संयुतत राष्ट्र मिासभा दवारा अपनाई गई इस बिुपक्षीय संधध के तित ‘अंतरराष्ट्रीय अंतररक्ष कानून’ संबंधी एक
आधारभूत ढांचा प्रदान ककया गया िै ।

www.insightsonindia.com 176 InsightsIAS


संधि के प्रमुख प्राििान और इस मामले में उनकी प्रासंधगकता:
• ‘बाह्य अंतररक्ष संधि’ के अनुच्छे द VI के अनुसार, सभी राष्ट्र, ‘अपने दे श की अंतररक्ष गततववधधयों’ के मलए
जजम्मेदार िोंगे चािे वे सरकारी या गैर-सरकारी संस्थाओं दवारा ककए गए िों। इसका मतलब िै , कक एलोन
मस्क दवारा स्थावपत यूएस-आधाररत एयरोस्पेस फमष स्पेसएतस की गततववधधयों के मलए यू.एस. को
जजम्मेदार ठिराया जा सकता िै ।
• अनुच्छे द VII में किा गया िै , कक राष्ट्र, अपने उपग्रिों आहद जैसे अंतररक्ष वपंडों से िोने वाले नुकसान के
मलए उत्तरदायी िोंगे।
• संधि के अनच्
ु छे द V के तित, बािरी अंतररक्ष में खोजी गई ककसी भी घटना - जो अंतररक्ष यात्रत्रयों के
जीवन या स्वास्थ्य के मलए खतरा बन सकती िै - के बारे में , सभी पक्षकारों को अन्य सदस्यों तथा
संयुतत राष्ट्र मिासधचव को तत्काल सूधचत करना आवश्यक िै "।
‘संयत
ु त राष्ट्र’ की अंतररक्ष संबंिी मद्
ु दों पर भशू मका:
‘बािरी अंतररक्ष के शांततपूर्णष उपयोग पर तदथष सममतत’ का कायष करने िे तु ‘बाहय अंतररक्ष मामलों के मलए संयुतत
राष्ट्र कायाषलय’ (United Nations Office for Outer Space Affairs) का गठन ककया गया था।
• इस सममतत की स्थापना वर्ष 1958 में पिले कृत्रत्रम उपग्रि, स्पुततनक -1 के प्रक्षेपर्ण के तुरंत बाद की गई
थी।
• यि सममतत, बािरी अंतररक्ष के शांततपर्ण
ू ष अन्वेर्र्ण और उपयोग में अंतराषष्ट्रीय सियोग िे तु एक मख्
ु य केंद्र
त्रबंद ु के रूप में कायष कर रिी िै ।
बाह्य अंतररक्ष संधि:
• ‘बाहय अंतररक्ष संधध’ (Outer Space Treaty), 10 अतटूबर 1967 को लागू िुई थी।
• इस संधध में सजन्नहित मसदधांतों में , बािरी अंतररक्ष में गततववधधयों के व्यवजस्थत संचालन की सुववधा
प्रदान की गयी िै ।
ितभमान धचंताएं:
• अंतररक्ष को लेकर अतीत में भी कई संघर्ष िो चुके िैं और ववमभन्न पक्षों दवारा अंतररक्ष में की जाने वाली
गततववधधयों की बढ़ती संख्या को दे खते िुए, भववष्ट्य में और भी संघर्ष िोने की संभावना िै ।
• अंतराषष्ट्रीय अंतररक्ष स्टे शन (ISS) और चीन का तनमाषर्णाधीन अंतररक्ष स्टे शन, ‘ततआनगोंग’ (Tiangong),
पथ्
ृ वी की तनकली कक्षा (LEO) में जस्थत िै और अपना कायष करते िैं। इसकी कक्षा में अधधकांश ‘अंतररक्षीय
मलबा’ (Space debris) पाया जाता िै ।
• इसके अलावा, पथ्
ृ वी की कक्षा में लगभग 30,000 उपग्रि और मलबे के अन्य टुकड़े भी मोजद
ू िैं जो
लगभग 29,000 ककमी / घंटा की गतत तक िामसल कर सकते िैं, जजससे बािरी अंतररक्ष में अंतराषष्ट्रीय
दघ
ु ट
ष नाओं की संभावना बढ़ जाती िै ।
स्पेसएतस का इंटरनेट उपग्रह नेटिकभ:
स्पेसएतस (SpaceX) का इंटरनेट उपग्रि नेटवकष, पथ्
ृ वी की तनकली कक्षा (LEO) में , पथ्
ृ वी की सति से लिभग 550
ककमी ऊपर से संचामलत िो रिा िै । इस नेटवकष में उपग्रिों की संख्या बढ़ती जा रिी िै । स्पेसएतस फमष दवारा
अब तक लगभग 1,900 स्टारमलंक उपग्रिों को तैनात ककया जा चक
ु ा िै ।
‘चीनी अंतररक्ष स्टे शन’ के बारे में :
• चीन का नया मल्टी-मॉड्यल
ू ‘ततआनगोंग’ (Tiangong) अंतररक्ष स्टे शन कम से कम 10 वर्ों तक कायष
करने के तैयार िो चक
ु ा िै ।
• यि अंतररक्ष स्टे शन पथ्
ृ वी की सति से 340-450 ककमी की ऊंचाई पर पथ्
ृ वी की तनचली कक्षा में कायष
करे गा।

www.insightsonindia.com 177 InsightsIAS


चीनी अंतररक्ष स्टे शन का महत्ि:
1. पथ्
ृ वी की तनचली कक्षा में जस्थत चीनी अंतररक्ष स्टे शन, चीन की आकशीय दृजष्ट्ट की भांतत कायष करे गा,
और यि चीन के अंतररक्ष यात्रत्रयों के मलए, ववश्व के बाकी हिस्सों का चौबीसों घंटे वविं गम दृश्य प्रदान
करे गा।
2. यि अंतररक्ष स्टे शन, चीन को वर्ष 2030 तक एक प्रमख
ु अंतररक्ष शजतत बनने के लक्ष्य को िामसल करने
में मदद करे गा।
संबंधित धचंताएं:
• चीन का अंतररक्ष स्टे शन रोबोहटक-आमष से लैस िोगा जजस पर अमेररका दवारा इसके संभाववत सैन्य
अनुप्रयोगों में उपयोग ककए जाने पर धचंता जताई िै ।
• धचंता की बात यि िै कक इस तकनीक का "भववष्ट्य में अन्य उपग्रिों से साथ मॉल-युदध करने में इस्तेमाल
ककया जा सकता िै "।
अन्य अंतररक्ष स्टे शन:
• वतषमान में , अंतररक्षीय कक्षा में एकमात्र अंतररक्ष स्टे शन, ‘अंतराषष्ट्रीय अंतररक्ष स्टे शन’ (ISS) कायषरत िै ।
आईएसएस, संयुतत राज्य अमेररका, रूस, यूरोप, जापान और कनाडा का अंतराषष्ट्रीय सियोग प्रोजेतट िै ।
• चीन दवारा अब तक ‘ततआनगोंग-1’ और ‘ततआनगोंग-2’ नामक दो परीक्षर्ण अंतररक्ष स्टे शनों को अंतररक्षीय
कक्षा में भेजा जा चक
ु ा िै ।
• भारत भी, वर्ष 2030 तक अपना स्पेस स्टे शन लॉन्च करने की योजना बना रिा िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: मोलतनया कक्षा (Molniya orbit) तया िै?
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:संरक्षर्ण, पयाषवरर्ण प्रदर्


ू र्ण और क्षरर्ण, पयाषवरर्ण प्रभाव का आकलन।
1. “िायुमंिल और जलिायु अनुसंिान-मॉिशलंग प्रेक्षर् प्रर्ाली एिं सेिाओं (ACROSS)” योजना
संदभभ: िाल िी में , आधथषक मामलों की मंत्रत्रमंडलीय सममतत ने “वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-मॉडमलंग प्रेक्षर्ण
प्रर्णाली एवं सेवाओं” (Atmosphere & Climate Research-Modelling Observing Systems & Services - ACROSS) की
समग्र योजना को अगले पांच साल अथाषत 2021-2026 तक जारी रखने को अपनी मंजूरी दे दी िै ।
इस योजना के सफल कायाभन्ियन से नागररकों को तया हाशसल होगा?
1. यि योजना मौसम, जलवायु एवं समुद्र के बारे में बेितर तरीके से पूवाषनुमान एवं सेवाएं और अन्य जोखखम
संबंधी सेवाएं प्रदान करे गी। इसमें चिवात, तूफानी लिरों, िीट वेव और तडड़त झंझा से संबधं धत चेतावनी
शाममल िोगी।
2. पूवाषनुमान से जुड़ी सूचनाओं को तैयार करने से लेकर इनके ववतरर्ण तक की पूरी प्रकिया में िर स्तर पर
काफी संख्या में श्रमशजतत की जरूरत िोती िै , जजससे कई लोगों के मलए रोजगार के अवसर पैदा िोंगे।
3. यि योजना, बड़ी संख्या में उपलब्ध वैज्ञातनक और तकनीकी प्रततभाओं के उपयोग ककए जाने तथा इसे
बनाए रखने के मलए मित्वपूर्णष प्रशासतनक सिायता प्रदान करे गी।
एक्रॉस (ACROSS) योजना:
• “वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-मॉडमलंग प्रेक्षर्ण प्रर्णाली एवं सेवाओं (ACROSS)” योजना पथ्
ृ वी ववज्ञान
मंत्रालय (MoES) के वायुमंडलीय ववज्ञान कायषिमों से संबंधधत िै ।
• यि योजना मौसम एवं जलवायु से जुड़ी सेवाओं के ववमभन्न पिलुओं पर ध्यान दे ती िै ।
• इनमें से प्रत्येक पिलू को “एिॉस” की समग्र योजना के तित आठ उप-योजनाओं के रूप में शाममल ककया
गया िै और इनका कायाषन्वयन उपरोतत चार संस्थानों के माध्यम से एकीकृत तरीके से ककया जाता िै ।

www.insightsonindia.com 178 InsightsIAS


कायाभन्ियन रर्नीतत और लक्ष्य:
एिॉस योजना के तित आने वाली आठ उप-योजनाएं अपनी प्रकृतत में बिुआयामी िैं, और तनम्नमलखखत आठ
योजनाओं के माध्यम से उपरोतत कायों को परू ा करने में प्रत्येक संस्थान की एक तनहदष ष्ट्ट भमू मका िै :
1. पोलाररमेहरक डॉपलर मौसम रडार (डीडब्ल्यूआर) की शरु
ु आत
2. पूवाषनुमान प्रर्णाली का उन्नयन
3. मौसम एवं जलवायु से जुड़ी सेवाएं
4. वायुमंडलीय प्रेक्षर्ण नेटवकष
5. मौसम एवं जलवायु की संख्यात्मक मॉडमलंग
6. मानसून ममशन III
7. मानसून संविन, बादल और जलवायु पररवतषन (एमसी4)
8. उच्च प्रदशषन वाली कंप्यहू टंग प्रर्णाली
योजना के लाभ:
1. यि योजना बेितर तरीके से मौसम, जलवायु एवं समुद्र के बारे में पूवाषनुमान एवं सेवाएं और अन्य जोखखम
संबंधी सेवाएं प्रदान करे गी, ताकक अंततम उपयोगकताष को सावषजतनक मौसम सेवा, कृवर्-मौसम ववज्ञान
सेवाओं, ववमानन सेवाओं, पयाषवरर्ण तनगरानी सेवाओं, जल-मौसम ववज्ञान सेवाओं, जलवायु सेवाओं, आहद से
संबंधधत लाभ पयाषप्त रूप से सतु नजश्चत िो।
2. इसके तित, अपेक्षक्षत प्रशासतनक सिायता सहित बड़ी संख्या में वैज्ञातनक और तकनीकी कमषचाररयों के
मलए रोजगार ममलेगा।
3. अंततम उपयोगकताष को मौसम आधाररत सेवाओं की कनेजतटववटी सतु नजश्चत करने के मलए, ICAR के कृवर्
ववज्ञान केंद्रों, ववश्वववदयालयों और स्थानीय नगर पामलकाओं, जैसी बड़ी संख्या में एजेंमसयों को योजना के
अंतगषत शाममल ककया गया िै । इस प्रकार कई लोगों के मलए रोजगार के अवसर पैदा िोंगे।
कायाभन्ियन:
यि योजना पथ्
ृ वी ववज्ञान मंत्रालय (MoES) दवारा भारत मौसम ववज्ञान ववभाग (IMD), राष्ट्रीय मध्यम अवधध मौसम
पव
ू ाषनम
ु ान केंद्र (NCMRWF), भारतीय उष्ट्र्णदे शीय मौसम ववज्ञान संस्थान (IITM) और भारतीय राष्ट्रीय मिासागर
सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) जैसी इकाइयों के माध्यम से कायाषजन्वत की जा रिी िै ।
स्रोत: पीआईबी।

2. CAMPA फंि
संदभभ:
‘प्रततकरात्मक वनरोपर्ण तनधध एवं प्रततकरात्मक वनरोपर्ण तनधध प्रबंधन एवं योजना प्राधधकरर्ण’ (Compensatory
Afforestation Fund and Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority) दवारा अब तक
32 राज्यों को ₹48,606 करोड़ की रामश ववतररत की जा चुकी िै ।
CAMPA फंड के तित, छत्तीसगढ़ और ओडडशा को अधधकतम रामश िस्तांतररत की गई िै , जजसमें प्रत्येक राज्य को
लगभग 5,700 करोड़ रुपये हदए गए िै । इनके बाद झारखंड और मिाराष्ट्र का स्थान आता िै , जजनके मलए प्रत्येक
को लगभग 3,000 करोड़ रुपये हदए गए िैं।
CAMPA फंि तया हैं?
CAMPA फंड, उदयोगों दवारा अपनी व्यावसातयक योजनाओं के मलए वन भूमम को नष्ट्ट करने पर पयाषवरर्णीय
मुआवजे के रूप में लगभग एक दशक की अवधध में एकत्र की गई 54,000 करोड़ रुपए की रामश, ‘प्रततकरात्मक
वनीकरर्ण तनधध’ (Compensatory Afforestation Fund - CAF) के दीघषकालीन लंत्रबत बकाया, से तनममषत ‘कोर्’ िै।

www.insightsonindia.com 179 InsightsIAS


CAMPA के बारे में :
‘प्रततकरात्मक वनरोपर्ण तनधध अधधतनयम’, 2016 (Compensatory Afforestation Fund Act, 2016) या सीएएफ
अधधतनयम 2016 (The CAF Act 2016) के अंतगषत ‘CAMPA फंि’ को तनष्ट्पाहदत करने के मलए एक स्वतंत्र प्राधधकरर्ण
– ‘प्रततकरात्मक वनरोपर्ण तनधध प्रबंधन एवं योजना प्राधधकरर्ण’ (Compensatory Afforestation Fund Management
and Planning Authority - CAMPA) की स्थापना की गयी िै ।
िालांकक, वपछले अगस्त तक इस फंड के प्रबंधन को तनयंत्रत्रत करने संबंधी तनयमों को अंततम रूप निीं हदया गया
था।
‘प्रततकरात्मक िनरोपर्’ तया है ?
‘प्रततकरात्मक वनरोपर्ण’ (Compensatory Afforestation) का अथष िै , कक िर बार जब वन भूमम का खनन या
उदयोग जैसे गैर-वन उददे श्यों के मलए उपयोग ककया जाता िै , तो उपयोगकताष एजेंसी को इस वन-भूमम के बराबर
क्षेत्रफल में गैर-वन भमू म में वनरोपर्ण के मलए भग
ु तान करना िोता िै , या जब इसके मलए गैर-वन भमू म उपलब्ध
निीं िोती िै , तो अविममत वन भूमम क्षेत्र के दोगुने का भुगतान करना िोता िै ।
तनधि वितरर्:
तनयमों के अनुसार, ‘प्रततकरात्मक वनीकरर्ण तनधध’ (CAF) की 90% रामश राज्यों को ववतररत की जाती िै तथा 10%
रामश केंद्र अपने पास रखता िै ।
इस रामश का उपयोग जलग्रिर्ण क्षेत्रों के उपचार, प्राकृततक रूप से उत्पवत्त में सिायता, वन प्रबंधन, वन्यजीव संरक्षर्ण
एवं प्रबंधन, संरक्षक्षत क्षेत्रों से गांवों को िटाकर उनका पुनवाषसन, मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन, प्रमशक्षर्ण और
जागरूकता, लकड़ी बचाने वाले उपकरर्णों की आपतू तष और संबदध गततववधधयों के मलए ककया जा सकता िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘प्रततकरात्मक वनरोपर्ण तनधध प्रबंधन एवं योजना प्राधधकरर्ण’ (CAMPA)
2. ‘प्रततकरात्मक वनीकरर्ण तनधध’ (CAF)
3. CAF के तित फंडडंग
में स शलंक: ‘प्रततकरात्मक वनरोपर्ण तनधध प्रबंधन एवं योजना प्राधधकरर्ण’ और प्रततकरात्मक वनरोपर्ण के मित्व पर
चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

3. पजश्चमी घाट पर ‘कस्तूरीरं गन सशमतत’ ररपोटभ


संदभभ: िाल िी में कनाषटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने केंद्र सरकार को, राज्य दवारा ‘पजश्चमी घाट पर
कस्तूरीरं गन सममतत की ररपोटष ’ (Kasturirangan Committee report on Western Ghats) का ववरोध ककए जाने के
बारे में सूधचत ककया।
• कनाषटक के मख्
ु यमंत्री का किना िै , कक पजश्चमी घाट को ‘पाररजस्थततक रूप से संवेदनशील क्षेत्र’ घोवर्त
ककए जाने से इस क्षेत्र में रिने वाले लोगों की आजीववका पर प्रततकूल प्रभाव पड़ेगा।
• िालांकक, ववशेर्ज्ञों ने राज्य के ववरोध को पाररजस्थततक रूप से संवेदनशील पजश्चमी घाट के मलए ववनाशकारी
बताया।
‘गािधगल कमेटी’ की ररपोटभ :
‘गाडधगल कमेटी’ (Gadgil Committee) ने ‘पाररजस्थततक प्रबंधन उददे श्यों’ के मलए पजश्चमी घाट की सीमाओं को
पररभावर्त ककया िै ।
• इस सममतत ने, इस पूरे क्षेत्र को ‘पाररजस्थततक रूप से संवेदनशील क्षेत्र’ (Ecologically Sensitive Area - ESA)
घोवर्त ककए जाने की मसफाररश की िै ।

www.insightsonindia.com 180 InsightsIAS


• इस क्षेत्र के भीतर, छोटे क्षेत्रों को उनकी मौजद
ू ा जस्थतत और खतरे की प्रकृतत के आधार पर, ‘पाररजस्थततक
रूप से संवेदनशील क्षेत्र I, II या III (ESZ I, ESZ II या ESZ III ) के रूप में धचजहनत ककया जाना चाहिए।
• ‘गाडधगल कमेटी’ ने इस क्षेत्र को लगभग 2,200 धग्रडों में ववभाजजत करने का प्रस्ताव ककया, जजनमें से 75
प्रततशत क्षेत्र को ESZ I या ESZ II अथवा पिले से मौजूद संरक्षक्षत क्षेत्रों, जैसे वन्यजीव अभयारण्यों या
प्राकृततक पाकों के अंतगषत रखे जाने की मसफाररश की थी।
• सममतत ने इस क्षेत्र में गततववधधयों को ववतनयममत करने िे तु एक ‘पजश्चमी घाट पाररजस्थततकी प्राधधकरर्ण’
गहठत ककए जाने का प्रस्ताव भी रखा िै ।
कस्तरू ीरं गन सशमतत का गठन ककए जाने का कारर्:
‘गाडधगल सममतत’ ने अपनी ररपोटष अगस्त 2011 में प्रस्तुत की थी, और पजश्चमी घाटों से लगे िुए सभी छि
राज्यों में से कोई भी राज्य ‘गाडधगल सममतत’ की मसफाररशों से सिमत निीं था।
• अगस्त 2012 में , तत्कालीन पयाषवरर्ण मंत्री ने राज्यों, केंद्रीय मंत्रालयों और अन्य संबंधधत इकाइयों से प्राप्त
प्रततकियाओं के आलोक में "समग्र और बिु-ववर्यक रीतत" में गाडधगल सममतत की ररपोटष की "जांच" करने
के मलए ‘कस्तूरीरं गन’ की अध्यक्षता में पजश्चमी घाट पर एक उच्च-स्तरीय कायष समूि का गठन ककया
था।
• कस्तूरीरं गन ररपोटष में पजश्चमी घाट के मसफष 37% क्षेत्र को पाररजस्थततक रूप से संवेदनशील क्षेत्र (ESA)
क्षेत्रों के अंतगषत लाने का सझ
ु ाव हदया गया िै , जोकक ‘गाडधगल ररपोटष ’ में ESA के तित 64% क्षेत्र को
लाए जाने संबंधी सुझाव से काफी कम िै ।
कस्तूरीरं गन सशमतत की शसफाररशें:
• पजश्चमी घाट क्षेत्र में खनन, उत्खनन और बालू खनन पर प्रततबंध।
• कोई नई ताप ववदयुत पररयोजनाएं निीं, ककं तु पनत्रबजली पररयोजनाओं को प्रततबंधों के साथ अनुमतत दी
जा सकती िै ।
• नए प्रदर्
ू र्णकारी उदयोगों पर प्रततबंध।
• 20,000 वगष मीटर तक के भवन और तनमाषर्ण पररयोजनाओं की अनुमतत हदए जाने, ककं तु ‘टाउनमशप’
पररयोजनाओं पर प्रततबंध लगाने की मसफाररश की गयी िै ।
• अततररतत सुरक्षा उपायों के साथ वन-भमू म के उपयोग में पररवतषन की अनुमतत दी जा सकती िै ।
पजश्चमी घाट का महत्ि:
• पजश्चमी घाट (Western Ghats), छि राज्यों में फैला एक ववस्तत
ृ क्षेत्र िै । यि कई लुप्तप्राय पौधों और
जानवरों का वास-स्थल िै । साथ िी यि क्षेत्र, यूनेस्को की ववश्व धरोिर स्थल सूची में शाममल िै ।
• यि ववश्व में जैववक ववववधता के आठ "सबसे गमष िॉट-स्पॉट्स” में से एक िै ।
• यूनेस्को के अनुसार, पजश्चमी घाट, हिमालय से भी प्राचीन िैं। ये ग्रीष्ट्मकाल के अंततम समय में दक्षक्षर्ण-
पजश्चम से आने वाली ‘बाररश से भरी मानसूनी िवाओं’ को रोककर भारतीय मानसून के मौसम-प्रततरूप
को प्रभाववत करते िैं।
प्रीशलम्स शलंक:
1. पूवी एवं पजश्चमी घाटों का भौगोमलक ववस्तार, मित्वपर्ण
ू ष नहदयााँ, दरे और पवषत श्रख
ं ृ लाएाँ, सबसे ऊाँची चोहटयााँ।
2. इस क्षेत्र में पाई जाने वाली ‘गंभीर रूप से संकटापन्न’, संकटापन्न और स्थातनक प्रजाततयााँ।
3. ESA बनाम ESZ
4. दोनों सममततयों की मसफाररशों में मभन्नता
5. ववश्व धरोिर स्थल तया िै ?
6. जैववक ववववधता के " सबसे गमष िॉट-स्पॉट्स " तया िैं?

www.insightsonindia.com 181 InsightsIAS


में स शलंक: पजश्चमी घाटों के संरक्षर्ण पर मसफाररशें दे ने िे तु ववमभन्न सममततयों का गठन ककया जा चुका िै , ककं तु
इस हदशा में अभी तक कुछ मित्वपूर्णष निीं िुआ िै । परीक्षर्ण कीजजए।
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

4. ‘जलिायु पररितभन’ को ‘संयत


ु त राष्ट्र सरु क्षा पररषद’ में ले जाने संबंिी प्रस्ताि का विरोि
संदभभ: िाल िी में , भारत और रूस दवारा एक प्रस्ताव को अवरुदध कर हदया गया, जजसमे ‘संयुतत राष्ट्र सुरक्षा
पररर्द’ (United Nations Security Council – UNSC) को जलवायु संबंधी मुददों पर ववचार-ववमशष करने का अधधकार
हदए जाने का प्रावधान ककया गया था।
संबंधित प्रकरर्:
• आयरलैंड और नाइजर दवारा प्रस्तत
ु मसौदा प्रस्ताव में ‘जलवायु पररवतषन’ और ‘अंतरराष्ट्रीय सरु क्षा पर
इसके प्रभावों’ पर चचाष के मलए ‘सुरक्षा पररर्द’ में एक औपचाररक जगि बनाने की मांग की गई थी।
• प्रस्ताव में , संयुतत राष्ट्र मिासधचव से, संघर्ों को रोकने के मलए जलवायु पररवतषन से िोने वाले जोखखमों
के समाधान िे तु समय-समय पर ररपोटष हदए जाने को भी किा गया था।
भारत ने तया कहा?
जब जलवायु कारष वाई और जलवायु न्याय की बात आती िै तो भारत ककसी से पीछे निीं रिता िै । लेककन ‘संयुतत
राष्ट्र सुरक्षा पररर्द’ (UNSC) ककसी भी मद
ु दे पर चचाष करने की जगि निीं िै । वास्तव में , इस तरि का प्रयास,
उपयुतत मंच पर जजम्मेदारी से बचने, तथा जजन ववर्यों पर ‘संयत
ु त राष्ट्र सुरक्षा पररर्द’ की ओर जजम्मेदारी िोती
िै , उन पर कोई फैसला लेने की अतनच्छा से दतु नया का ध्यान िटाने की इच्छा से प्रेररत प्रतीत िोता िै ।
प्रस्ताि से संबंधित धचंताएं:
• जलवायु पररवतषन को अंतराषष्ट्रीय सुरक्षा के मलए खतरे के रूप में पेश करना, सुरक्षा पररर्द का ध्यान
पररर्द के एजेंडे पर दे शों में जारी संघर्ष के वास्तववक, गंभीर कारर्णों से िटा दे ता िै ।
• जलवायु पररवतषन को सुरक्षक्षत करना, उन दे शों के मलए काफी िद तक सुववधाजनक िोगा जो सकिय रूप
से संघर्ों को पैदा करने में मदद कर रिे िै , अथवा सुरक्षा पररर्द को इसके कायों में ववचलन लाने के
मलए सैन्य गततववधधयों को अंजाम दे रिे िै या ववकासशील दे शों को आवश्यक सिायता प्रदान निीं करना
चािते िैं।
• प्रस्ताव के हिस्से के रूप में की जाने वाली कारष वाई के तित, संभाववत रूप से जीवाश्म समद
ृ ध दे शों पर
प्रततबंध लगाने से लेकर, जलवायु पररवतषन के कारर्ण िोने वाले घरे लू संघर्ों में संयुतत राष्ट्र के सैन्य
िस्तक्षेप तक ककया जा सकते िैं।
आगे तया?
जलवायु पररवतषन से संबंधधत सभी मामलों पर चचाष करने के मलए संयत
ु त राष्ट्र के पास पिले से िी एक ववशेर्
एजेंसी, ‘संयत
ु त राष्ट्र जलवायु पररवतषन फ्रेमवकष कन्वेंशन’ (United Nations Framework Convention on Climate
Change- UNFCCC) िै ।
• UNFCCC में 190 से अधधक दे श शाममल िै , और ये प्रततवर्ष कई बार बैठक करते िैं। इसके तित, िाल िी
में , साल की अंततम बैठक का ग्लासगो में आयोजन ककया गया था। दो सप्ताि तक कािली इस बैठक में
जलवायु पररवतषन से तनपटने के मलए वैजश्वक दृजष्ट्टकोर्ण पर ववमशष ककया गया।
• इसी प्रकिया के अंतगषत, ‘पेररस समझौते’ और इसके पूवव
ष ती ‘तयोटो प्रोटोकॉल’ का जन्म िुआ था। ये
समझौते जलवायु पररवतषन संकट का जवाब दे ने के मलए डडजाइन ककए गए अंतरराष्ट्रीय उपकरर्ण िै ।
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 182 InsightsIAS


5. ग्रीन हाइड्रोजन
संदभभ: केंद्र सरकार दवारा, सौर ऊजाष के प्रयोग करके अपमशष्ट्ट जल से ‘िररत िाइड्रोजन ईंधन’ (Green Hydrogen
Fuel) का उपयोग करने की योजना बनाई जा रिी िै । ‘इलेतरोलाइजसष’ (Electrolysers) का उपयोग करके इसे संभव
ककया जा सकता िै ।
कक्रया-विधि:
‘रूफटॉप सोलर’ का इस्तेमाल करके ‘ठोस अपमशष्ट्ट प्रबंधन’ को अलग करके, िम इलेतरोलाइजर की मदद से ‘िररत
िाइड्रोजन’ बना सकते िैं। इसके उत्पादन में त्रबजली और पानी की लागत नगण्य िोगी। िम इस ईंधन का उपयोग
कोयले के स्थान पर रे लवे इंजनों, सीमें ट और केममकल कंपतनयों में भी कर सकते िैं।
चुनौततयां:
दे श में ‘ग्रीन िाइड्रोजन’ के उपयोग की राि अभी साफ निीं िै और कफलिाल ‘ग्रीन िाइड्रोजन’ का उत्पादन ‘ग्रे
िाइड्रोजन’ (Grey Hydrogen) से थोड़ा मिं गा भी िै ।

दे श में ‘ग्रीन िाइड्रोजन’ के मलए मागष अभी साफ निीं िै और कफलिाल ‘ग्रीन िाइड्रोजन’ का उत्पादन ‘ग्रे- िाइड्रोजन’
(Grey Hydrogen) की तल
ु ना में थोड़ा मिं गा िै ।
हररत हाइड्रोजन / ग्रीन हाइड्रोजन तया है ?
नवीकरर्णीय / अक्षय ऊजाष का उपयोग करके ‘ववदयुत अपघटन’ (Electrolysis) दवारा उत्पाहदत िाइड्रोजन को ‘िररत
िाइड्रोजन’ (Green Hydrogen) के रूप में जाना जाता िै । इसमें काबषन का कोई अंश निीं िोता िै ।
ग्रीन हाइड्रोजन का महत्ि:
भारत के मलए अपने ‘राष्ट्रीय स्तर पर तनधाषररत योगदान’ (Nationally Determined Contribution- INDC) लक्ष्यों
को पूरा करने तथा क्षेत्रीय और राष्ट्रीय ऊजाष सुरक्षा, पिुंच और उपलब्धता सुतनजश्चत करने िे तु ‘ग्रीन िाइड्रोजन’
ऊजाष काफी मित्वपूर्णष िै ।
• ग्रीन िाइड्रोजन, ऊजाष भंडारर्ण ववकल्प के रूप में कायष कर सकता िै , जो भववष्ट्य में नवीकरर्णीय ऊजाष के
अंतराल को पूरा करने के मलए मित्वपूर्णष िोगा।
• पररविन के संदभष में , शिरों के भीतर या राज्यों के मध्य लंबी दरू ी की यात्रा या माल ढुलाई के मलए, रे लवे,
बड़े जिाजों, बसों या रकों आहद में ग्रीन िाइड्रोजन का उपयोग ककया जा सकता िै ।

ग्रीन हाइड्रोजन के अनुप्रयोग:


1. अमोतनया और मेथनॉल जैसे िररत रसायनों का उपयोग सीधे िी उवषरक, पररविन, त्रबजली, रसायन, मशवपंग
आहद, जैसी मौजद
ू ा जरूरतों में ककया जा सकता िै ।
2. व्यापक स्तर पर अपनाए जाने के मलए CGD नेटवकष में 10 प्रततशत तक ग्रीन िाइड्रोजन ममश्रर्ण को लागू
जा सकता िै ।
लाभ:
• ग्रीन िाइड्रोजन ऊजाष भंडारर्ण के मलए खतनजों और दल
ु भ
ष -पथ्
ृ वी तत्व-आधाररत बैटरी पर तनभषरता को कम
करने में मदद करे गा।
• जजस अक्षय ऊजाष को धग्रड दवारा संग्रिीत या उपयोग निीं ककया जा सकता िै , उसका िाइड्रोजन-उत्पादन
करने के मलए उपयोग ककया जा सकता िै ।
इंस्टा जजज्ञास:ु
िाइड्रोजन एक अदृश्य गैस िै । लेककन, कफर इसे िरा, गल
ु ाबी आहद नाम ककस प्रकार हदए जाते िैं?
स्रोत: पीआईबी।

www.insightsonindia.com 183 InsightsIAS


6. जैविक विवििता वििेयक, 2021 में पररितभन
संदभभ: सरकार ने िाल िी में लोकसभा में ‘जैववक ववववधता (संशोधन) ववधेयक, 2021 (Biological Diversity
(Amendment) Bill, 2021) पेश ककया गया िै ।
वििेयक के प्रमुख बबंद:ु
• ववधेयक में और्धीय पौधों की खेती को प्रोत्साहित करके ‘जंगली और्धीय पौधों’ पर दबाव को कम करने
का प्रयास ककया गया िै ।
• ववधेयक में ‘आयुर् धचककत्सकों’ को जैववक संसाधनों या ज्ञान का उपयोग करने के मलए ‘जैव ववववधता
बोडों’ को सधू चत करने से छूट दे ने का प्रस्ताव ककया गया िै ।
• ववधेयक में , अनुसंधान में तेजी लाने, पेटेंट आवेदन प्रकिया को सरल बनाने, कुछ गततववधधयों को गैर-
अपराध घोवर्त करने की सवु वधा का प्रावधान ककया गया िै ।
• इसमें राष्ट्रीय हितों से समझौता ककये त्रबना जैव संसाधनों, अनस
ु ंधान, पेटेंट और वाखर्णजज्यक उपयोग की
श्रंख
ृ ला में अधधक तनवेश लाने पर जोर हदया गया िै ।
• ववधेयक में इस पर ध्यान केंहद्रत ककया गया िै , जैववक संसाधनों और ज्ञान का उपयोग कौन कर सकता
िै तथा उपयोग पर तनगरानी ककस प्रकार की जाएगी।
• ववधेयक में ‘राज्य जैव ववववधता बोडों’ की भमू मका को भी स्पष्ट्ट और सशतत ककया गया िै ।
जैि विवििता अधितनयम 2002 में संशोिन का कारर्:
• आयुर् धचककत्सा क्षेत्र से जुड़े व्यजततयों दवारा सरकार से सियोगात्मक अनुसंधान और तनवेश िे तु एक
अनुकूल वातावरर्ण बनाने के मलए ‘अनुपालन-प्रकिया भार’ को सरल, सव्ु यवजस्थत और कम करने का आग्रि
ककया जा रिा था।
• इनके दवारा पेटेंट आवेदन प्रकिया को सरल बनाने, पिुंच के दायरे को ववस्तत
ृ करने तथा स्थानीय समुदायों
के साथ लाभ-साझाकरर्ण की भी मांग की गयी थी।
संबंधित धचंताएं:
• ववधेयक का मुख्य फोकस, स्थानीय समद
ु ायों के संरक्षर्ण, जैव ववववधता के संरक्षर्ण और ज्ञान पर िोने के
बजाय ‘जैव ववववधता में व्यापार’ को सवु वधाजनक बनाना िै ।
• यि ववधेयक ‘पूवष ववधायी परामशषक नीतत’ (Pre-Legislative Consultative Policy) के तित अतनवायष, जनता
की राय मांगे बगैर, पेश ककया गया िै ।
• ‘प्रस्ताववत संशोधन’ में ‘जैव ववववधता के संविनीय उपयोग और संरक्षर्ण’ में स्थानीय समुदायों की हिस्सेदारी
की रक्षा, संरक्षर्ण या वद
ृ धध करने के संदभष में प्रावधान अस्पष्ट्ट िैं।
• कायषकताषओं का किना िै कक यि संशोधन केवल ‘आयर्
ु मंत्रालय’ को "लाभ" पिुचाने के मलए ककए गए
िैं।
• ववधेयक में , ‘जैव-उपयोग’ (Bio-utilization) शब्द को बािर कर हदया िै , जोकक अधधतनयम का एक मित्वपर्ण
ू ष
तत्व िै । ‘जैव उपयोग’ शब्द का प्रयोग निीं ककए जाने से, वाखर्णजज्यक उददे श्य से मित्वपर्ण
ू -ष वगीकरर्ण,
प्रोत्सािन और जैव-परख जैसी गततववधधयां छूट जाएगी।
• ववधेयक में , कृवर्त और्धीय पौधों को भी अधधतनयम के दायरे से बािर रखा गया िै , लेककन यि पता
लगाना व्याविाररक रूप से असंभव िै कक कौन से पौधे उगाए जाते िैं और कौन से जंगली पौधे िैं।
जैविक विवििता अधितनयम, 2002:
‘जैव ववववधता अधधतनयम’ 2002 (Biological Diversity Act, 2002) को जैव ववववधता के संरक्षर्ण, इसके अवयवों के
सतत उपयोग और जैव संसाधनों के तनहित लाभों में उधचत एवं साम्य बंटवारा करने तथा उससे संबंधधत ववर्यों
का उपबंध करने के मलये अधधतनयममत ककया गया था।

www.insightsonindia.com 184 InsightsIAS


• इस कानून का मुख्य उददे श्य, भारत की समद
ृ ध जैव ववववधता और संबधं धत ज्ञान को ववदे शी व्यजततयों
दवारा इसका उपयोग ककए जाने से बचाना िै ।
• इसमें , केंद्रीय और राज्य बोडों और स्थानीय सममततयों की त्रत्रस्तरीय संरचना के माध्यम से जैव-चोरी की
जांच, जैववक ववववधता और स्थानीय उत्पादकों की रक्षा करने का प्रावधान ककए गए िैं।
• अधधतनयम में ‘स्थानीय तनकायों’ में राष्ट्रीय जैव ववववधता प्राधधकरर्ण (National Biodiversity Authority),
राज्य जैव ववववधता बोडष (State Biodiversity Boards) और जैव ववववधता प्रबंधन सममततयों (Biodiversity
Management Committees) की स्थापना ककए जाने का प्रावधान ककया गया िै ।
• राष्ट्रीय जैव ववववधता प्राधधकरर्ण (NBA) को दीवानी न्यायालय के समान शजतत प्रदान की गयी िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आपने नागोया प्रोटोकॉल (Nagoya Protocol) के बारे में सुना िै ?
स्रोत: द हिंद।ू

7. 'मीनदम मंजअप्पाई’ योजना


संदभभ: तममलनाडु के मख्
ु यमंत्री एम.के. स्टामलन ने ‘मसंगल यज
ू प्लाजस्टक’ बैग के बजाय कपड़े की थैमलयों के
उपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करने के उददे श्य से 'मीनदम मंजअप्पाई’ (Meendum Manjappai) अमभयान
शुरू ककया िै ।
तममलनाडु सरकार पिले िी 14 तरि की प्लाजस्टक सामग्री पर प्रततबंध लगा चक
ु ी िै ।
आिश्यकता:
प्लाजस्टक सामग्री पर लगाए जाने वाले प्रततबंधों के प्रभावी िोने के मलए प्रवतषन िोना मित्वपर्ण
ू ष िै ।
• सरकार के मलए प्लाजस्टक ववकल्पों के उपयोग को ववतनयममत करने, पुनचषिर्ण में सुधार करने और बेितर
अपमशष्ट्ट पथ
ृ तकरर्ण प्रबंधन जैसी नीततयों, जैसे मित्वपूर्णष संरचनात्मक मुददों का समाधान करने की भी
जरूरत िै ।
• पुनचषिर्ण में सध
ु ार के अलावा, इस समस्या से तनपटने िे तु अन्य ववकल्पों के मलए अनुसंधान और ववकास
में तनवेश ककया जाना भी प्राथममकता में शाममल िोना चाहिए।
शसंगल-यूज प्लाजस्टक’ तया है ?
‘एकल उपयोग प्लाजस्टक’ / ‘मसंगल यूज प्लाजस्टक’ (Single-Use Plastic), तनपटान-योग्य (Disposable) प्लाजस्टक
का एक रूप िोती िै , जजसे केवल एक बार इस्तेमाल करके फेंक हदया जाता िै , और जजसे ककराने की थैमलयों, खादय
पैकेजजंग, बोतलों और स्रॉ आहद की तरि पुनचषकित ककया जा सकता िै ।
प्लाजस्टक तनशमभत सामग्री पर प्रततबंि लगाए जाने के कारर्:
चूंकक प्लाजस्टक सस्ती, िल्की, और उत्पादन में आसान िोती िै , जजसकी वजि से वपछली शताब्दी के दौरान इसका
उत्पादन में काफी तेज िुआ िै । संयुतत राष्ट्र के अनुसार, आने वाले दशकों में यि प्रववृ त्त जारी रिने की संभवना
िै ।
• ककं तु, अब लगभग सभी दे श अपने दवारा उत्पन्न प्लाजस्टक कचरे की मात्रा के प्रबंधन िे तु संघर्ष कर रिे
िैं।
• परू े भारत में , प्रततहदन केवल लगभग 60% प्लाजस्टक कचरा िी एकत्र ककया जाता िै- इसका मतलब िै कक
शेर् 40% या 10,376 टन कचरे का एकत्रर्ण निीं ककया जाता िै ।
पष्ट्ृ ठभूशम:
2019 में , केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 तक भारत को ‘एकल-उपयोग वाले प्लाजस्टक’ से मुतत करने के मलए, दे श भर
में ‘मसंगल-यूज प्लाजस्टक’ के उपयोग को ितोत्साहित करने के मलए एक बिु-मंत्रालयी योजना तैयार की थी।

www.insightsonindia.com 185 InsightsIAS


रर्नीतत: एक सरकारी सममतत दवारा ‘शसंगल यूज प्लाजस्टक’ (SUP) तनशमभत िस्तओ
ु ं को, उनकी उपयोधगता और
पयाषवरर्णीय प्रभाव सच
ू कांक के आधार पर, प्रततबंधधत करने के मलए धचजहनत ककया गया िै । सममतत ने इसके
मलए तीन चरर्णों में प्रततबंधधत करने का प्रस्ताव पेश ककया िै :
1. चरर्णबदध तरीके से िटाये जाने िे तु प्रस्ताववत ‘शसंगल यूज प्लाजस्टक’ तनशमभत वस्तुओं की पिली श्रेर्णी में,
गुब्बारे , झंडे, कैं डी, आइसिीम और ‘इअर बड्स’ (ear buds) में प्रयुतत प्लाजस्टक की डंडडयां तथा सजावट में
प्रयुतत िोने वाले थमोकोल को शाममल ककया गया िै ।
2. दस
ू री श्रेर्णी में , प्लेट, कप, धगलास और छुरी-कााँटा, चम्मच, स्रॉ और रे जैसी कटलरी; ममठाई के डडब्बों की
पैककं ग में प्रयत
ु त खझजल्लयों (films); तनमंत्रर्ण पत्र; मसगरे ट के पैकेट और 100 माइिोन से कम मोटाई वाले
प्लाजस्टक बैनर शाममल िोंगे। इस श्रेर्णी की वस्तुओं को 1 जुलाई, 2022 से प्रततबंधधत करने का प्रस्ताव
ककया गया िै ।
3. प्रततबंधधत ‘मसंगल यज
ू प्लाजस्टक’ की तीसरी श्रेर्णी में, 240 माइिोन से कम मोटाई के गैर-बन
ु ाई दार
थैमलयों को शाममल ककया गया िै । इसे अगले साल मसतंबर से शुरू करने का प्रस्ताव िै ।
आने िाली चुनौततयां:
• संपूर्णष भारत में प्रतत हदन लगभग 26,000 टन प्लाजस्टक कचरा उत्पन्न िोता िै , जजसमे से 10,000 टन
से अधधक कचरे को एकत्र निीं ककया जाता िै ; इसे दे खते िुए ‘मसंगल यूज प्लाजस्टक’ को प्रततबंधधत करना,
कोई आसान काम निीं िोगा।
• काफी बड़ी मात्रा में प्लाजस्टक को नहदयों, मिासागरों और अपमशष्ट्ट भरावक्षेत्र में फेंक हदया जाता िै ।
आिश्यकता:
1. सरकार के मलए इससे तनपटने िे त,ु पिले आधथषक और पयाषवरर्णीय लागत-लाभ का संपर्ण
ू ष ववश्लेर्र्ण करना
चाहिए।
2. इस पर लगाए जाने वाले प्रततबंध की सफलता के मलए योजना को सामाजजक और आधथषक प्रभावों को
ध्यान में रखना चाहिए।
3. चूंकक, िमारे पास संसाधनों कमी िै , अतः िमें बेितर पुनचषिर्ण नीततयों की आवश्यकता िै और इसके
अलावा, एक व्यापक रर्णनीतत बनाने की आवश्यकता िै।
इंस्टा जजज्ञासु:
तया आप ‘प्लाजस्टक खाने वाले बैतटीररया’ के बारे में जानते िैं? तया इससे प्लाजस्टक प्रदर्
ू र्ण की बढ़ती समस्या
का समाधान िो सकता िै ? इस संदभष में अधधक जानकारी के मलए पहढ़ए।
स्रोत: द हिंद।ू

8. फ्लेतस ईंिन िाहन


संदभभ: केंद्रीय सड़क पररविन और राजमागष मंत्री तनततन गडकरी, लंबे समय से भारत में बेची जाने वाली कारों
और मोटरसाइककलों में ईंधन के रूप में ‘फ्लेजतसबल फ्यूल’ / ‘फ्लेतस-फ्यूल’ (flex-fuel) का इस्तेमाल ककए जाने
की वकालत करते रिे िैं।
िाल िी में , एक औदयोधगक कायषिम में , पररविन मंत्री ने दे श में सभी कार तनमाषताओं को अपने वािनों में फ्लेतस-
फ्यूल इंजन की शरु
ु आत करने संबंधी एक परामशष / एडवाइजरी जारी की गई िै ।
सरकार द्िारा जारी एििाइजरी के अनुसार:
• कार तनमाषताओं को ‘फ्लेतस-फ्यूल इंजन’ (flex-fuel engines) का उपयोग करने के मलए छि मिीने का
समय हदया जाता िै ।
• तनमाषताओं को ‘फ्लेतस फ्यल
ू स्रांग िाइत्रब्रड वािनों’ का उत्पादन करना िोगा और दोनों प्रकार के वािनों
को बीएस-6 उत्सजषन मानदं डों का पालन करना िोगा।

www.insightsonindia.com 186 InsightsIAS


‘फ्लेजतसबल फ्यूल व्हीकल’ (FFVs) के बारे में :
FFV वािनों का एक संशोधधत प्रारूप िै , जो ववमभन्न स्तर के इथेनॉल ममश्रर्ण सहित गैसोलीन और ममधश्रत पेरोल
दोनों पर चल सकते िैं।
• ‘फ्लेजतसबल फ्यूल व्िीकल’, सभी प्रकार के ममधश्रत ईधनों का उपयोग करने और त्रबना ममधश्रत ईंधन, दोनों
पर चलने में सक्षम िोंगे।
• FFV में 84 प्रततशत से अधधक इथेनॉल ममधश्रत पेरोल पर चलने में सक्षम इंजन लगा िोता िै ।
लाभ:
• ‘फ्लेजतसबल फ्यल
ू व्िीकल’ (FFVs) का उददे श्य प्रदर्
ू र्णकारी जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करना और
िातनकारक उत्सजषन को कम करना िै ।
• वतषमान में वैकजल्पक ईंधन, इथेनॉल, के कीमत 60-62 रुपये प्रतत लीटर िै , जबकक पेरोल की कीमत दे श
के कई हिस्सों में 100 रुपये प्रतत लीटर से अधधक िै । अतः इसमलए इथेनॉल का उपयोग करने से भारतीयों
को 30-35 रुपये प्रतत लीटर की बचत िोगी।
• भारत में , FFVs का एक अन्य ववशेर् लाभ िोगा, तयोंकक ये वािनों को, दे श के ववमभन्न हिस्सों में उपलब्ध
इथेनॉल ममधश्रत पेरोल के ववमभन्न ममश्रर्णों का उपयोग करने में सक्षम करे गा।
• इसके अलावा, ये वािन जनवरी 2003 में केंद्रीय पेरोमलयम और प्राकृततक गैस मंत्रालय दवारा शुरू ककए
गए इथेनॉल ममधश्रत पेरोल (EBP) कायषिम का ताककषक ववस्तार िैं।
• चूंकक भारत में मतका, चीनी और गेिूं का उत्पादन अधधशेर् मात्रा में िोता िै , इसमलए इथेनॉल कायषिम के
अतनवायष सजम्मश्रर्ण से ककसानों को उच्च आय िामसल िोने में मदद ममलेगी।
• चंकू क, भारत में कच्चे तेल की 80 प्रततशत से अधधक आवश्यकताओं को आयात के माध्यम से परू ा ककया
जाता िै , अतः समग्र भारतीय अथषव्यवस्था के मलए, इथेनॉल का अधधक उपयोग से ऑटोमोबाइल ईंधन के
आयात पर िोने वाली लागत बचाने में मदद ममलेगी।
FFVs उपयोग करने के नुकसान/चुनौततयााँ:
• ग्राहकों की स्िीकृतत (Customer acceptance) एक बड़ी चुनौती िोगी तयोंकक इन वािनों को खरीदना और
इनको चलाने की लागत, 100 प्रततशत पेरोल वािनों की तल
ु ना में बिुत अधधक िोने वाली िै ।
• 100 प्रततशत इथेनॉल (E100) के साथ वािन चलाने पर, इसकी लागत (कम ईंधन दक्षता के कारर्ण) 30
प्रततशत से अधधक िो जाएगी।
• फ्लेतस फ्यूल इंजन की कीमत अधधक िोती िै तयोंकक इथेनॉल में , पेरोल की तुलना में बिुत मभन्न
रासायतनक गुर्ण िोते िैं। इथेनॉल का ऊष्ट्मीय मान / Calorific value (40 प्रततशत), गैसोलीन की तुलना में
काफी कम, तथा वाष्ट्पीकरर्ण की ‘गप्ु त ऊष्ट्मा’ काफी उच्च िोती िै ।
• इथेनॉल, एक ववलायक के रूप में भी कायष करता िै और इंजन के अंदर की सरु क्षात्मक तेल परत को
नष्ट्ट कर सकता िै जजससे इंजन में टूट-फूट िो सकती िै ।
इंस्टा जजज्ञास:ु
तया आप ‘सीहटल अल्कोिल’ (cetyl-alcohol) के बारे में जानते िैं? संक्षेप में इसके उपयोगों के बारे में बताइये।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘फ्लेजतसबल फ्यूल व्िीकल’ (FFVs) के बारे में
2. इथेनॉल तया िै ?
3. इथेनॉल सजम्मश्रर्ण के बारे में
में स शलंक: पारं पररक ईंधन के साथ एथेनॉल सजम्मश्रर्ण ककए जाने वाले लाभों पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 187 InsightsIAS


9. बॉटम रॉशलंग और संबधं ित मुद्दे
18 से 20 हदसंबर के बीच श्रीलंकाई अधधकाररयों दवारा क्षेत्रीय जल में "अवैध
मत्स्यन" करने के आरोप में 10 नौकाओं को जब्त कर मलया गया था, जजससे
मछुआरों के भववष्ट्य के बारे में कफर से धचंता उत्पन्न िो गयी िै ।
संबंधित प्रकरर्:
तममलनाडु के मछुआरों का धगरफ्तार ककया जाना और बाद में ररिा ककया जाना एक तनयममत मामला बन गया
िै , लेककन इस दौरान कुछ मौतों के मामले भी सामने आए िैं।
• दोनों दे शों के बीच वववाद की जड़, तममलनाडु के मछुआरों दवारा ‘बॉटम रॉलर’ (Bottom Trawlers) का
इस्तेमाल ककया जाना िै । श्रीलंका के उत्तरी प्रांत में ‘बॉटम रॉलर’ के इस्तेमाल का इस आधार पर ववरोध
ककया जाता िै , कक इससे समुद्री पाररजस्थततकी तंत्र को नुकसान पिुंचता िै ।
• श्रीलंका में मत्स्यन की इस पदधधत पर प्रततबंध लगा िुआ िै , और इस कानन ू को सख्ती से लागू करने
के मलए कई बार आंदोलन ककए गए िैं।
भारत की ओर से भी वर्ष 2010 और 2016 में , दो बार ‘रॉमलंग पदधधत’ को चरर्णबदध तरीके से समाप्त करने पर
सिमतत व्यतत की गयी थी, िालांकक अभी तक यि प्रर्णाली खत्म निीं िुई िै ।
‘बॉटम रॉशलंग’ के सार् समस्या:
बॉटम रामलंग (Bottom-Trawling), मत्स्यन की पाररजस्थततक रूप से ववनाशकारी पदधतत िै । इस पदधतत में , बड़े
आकार के मत्स्यन पोत (Trawlers) मछली पकड़ने के जालों में वजन बांधकर समुद्र की तली में फेंक दे ते िै ,
जजससे सभी प्रकार के समद्र
ु ी जीव जाल में फंस जाते िै और क्षेत्र में मत्स्यन संसाधनों का अभाव िो जाता िै ।
बॉटम रॉमलंग में , अल्पववकमसत मछमलयां भी फंस जाती िै , जजससे समद्र
ु ी संसाधन भी समाप्त िोने लगते िैं और
समुद्री संरक्षर्ण के प्रयास भी प्रभाववत िोते िै । यि पदधतत, पाक की खाड़ी में तममलनाडु के मछुआरों दवारा शुरू
की गई थी और बाद में श्रीलंका में गि
ृ युदध के दौरान काफी तेजी से इस पदधतत का प्रयोग ककया गया था।
‘बॉटम रामलंग’ समस्या का समाधान: ‘गहरे समुद्र में मत्स्यन योजना’ के बारे में :
‘बॉटम रामलंग’ की समस्या का समाधान, ‘रॉमलंग’ की बजाय ‘गिरे समुद्र में मत्स्यन’ ककए जाने में तनहित िै ।
• समद्र
ु /मिासागर के भीतरी भागों में रिने वाली मछमलयों को पकड़ने की गततववधधयों को गिरे समद्र
ु में
मत्स्यन’ या ‘डीप सी कफमशंग’ किा जाता िै ।
• इसके मलए नौकाओं को इस तरि से डडजाइन ककया जाता िै , जजससे मछुआरों को समुद्र के भीतरी हिस्सों
और मछली प्रजाततयों तक पिुंचने में आसानी िो सके।
• यि पदधतत दतु नया भर में , ववशेर् रूप से तटीय क्षेत्रों में प्रचमलत िै और इसमें पाररजस्थततक तंत्र को
ककसी प्रकार की क्षतत भी निीं पिुाँचती िै ।
• जजन क्षेत्रों में पानी की गिराई न्यूनतम 30 मीटर िोती िै , उन्िें ‘गिरे समुद्र में मत्स्यन’ क्षेत्र माना जाता
िै ।
सरकार द्िारा ककए जा रहे प्रयास- पाक खाड़ी योजना:
‘पाक खाड़ी योजना’ (Palk Bay scheme) की शरु
ु आत ‘नीली िांतत कायषिम’ के तित जुलाई 2017 में की गयी थी।
• इस योजना को, लाभाथीयों की भागीदारी सहित केंद्र और राज्य सरकारों दवारा ववत्तपोवर्त ककया जाता िै ।
• इसके अंतगषत, राज्य के मछुआरों को तीन साल में 2,000 जिाज उपलब्ध कराए जाने और इनको ‘बॉटम
रामलंग (Bottom Trawling) पदधतत को छोड़ने के मलए प्रेररत की पररकल्पना की गयी थी।
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 188 InsightsIAS


विषय:आंतररक सुरक्षा के मलये चुनौती उत्पन्न करने वाले
शासन ववरोधी तत्त्वों की भूममका।
1. ‘ग्रेटर दटपरालैंि’
संदभभ: िाल िी में , राज्य में िुई ित्याओं के बाद, त्रत्रपुरा में कई
आहदवासी संगठनों ने इस क्षेत्र में दे शी समद ु ायों के मलए ‘एक
अलग राज्य की मांग’ को आगे बढ़ाने के मलए िाथ ममलाया
िै । इनका तकष िै , कक राज्य में दे शी समुदायों का "जीवन
और अजस्तत्व" दांव पर लग चक
ु ा िै ।
इनकी मांग:
आहदवासी संगठन, उत्तर-पूवी राज्य के दे शी समुदायों के ‘ग्रेटर
दटपरालैंि’ (Greater Tipraland) नाम से एक अलग राज्य
बनाए जाने की मांग कर रिे िैं। इनकी मांग िै , कक केंद्र
सरकार संववधान के अनुच्छे द 2 और अनुच्छे द 3 के तित
दे शी समुदायों के मलए एक अलग राज्य गहठत करे ।
‘ग्रेटर दटपरालैंि’ तया िै ?
• ‘ग्रेटर हटपरालैंड’ (Greater Tipraland), मल
ू रूप से
एक सत्तारूढ़ सियोगी जनजातीय दल- इंडीजनस
पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रत्रपुरा (IPFT) दवारा ‘दटपरालैंि’ की मांग का ववस्तार िै , जजसके तित त्रत्रपुरा के
आहदवामसयों के मलए एक अलग राज्य बनाने का प्रयास ककया जा रिा िै ।
• इस नई मांग में , ‘त्रत्रपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जजला पररर्द’ (TTAADC) के बािर स्थानीय क्षेत्रों या गााँवों
में रिने वाले प्रत्येक आहदवासी को प्रस्ताववत मॉडल के अंतगषत शाममल करने का प्रयास ककया जा रिा
िै ।
• िालांकक, यि ववचार केवल त्रत्रपुरा के आहदवासी पररर्द क्षेत्रों तक िी सीममत निीं िै , बजल्क भारत के ववमभन्न
राज्यों जैसे असम, ममजोरम आहद में तनवास करने वाले, यिां तक कक बंदरबन, चटगांव, खगराचारी तथा
बांग्लादे श के अन्य सीमावती क्षेत्रों में रिने वाले त्रत्रपरु रयों के ‘हटपरासा' (Tiprasa) को भी शाममल करने तक
फैला िुआ िै ।
संबंधित प्रकरर्:
क्षेत्रीय राजनीततक दलों का किना िै , कक त्रत्रपुरा में NRC को संशोधधत करने की मांग अधूरी रिने और वपछले हदनों
िुआ CAA का ववरोध, ‘ग्रेटर हटपरालैंड’ की मांग उठने का कारर्ण िै ।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक संववधान का अनुच्छे द 2 नए राज्यों को शाममल करने या गठन करने से
संबंधधत िै ? इसके अनुसार, संसद, ववधध दवारा, ऐसे तनबंधनों और शतों पर, जो वि ठीक समझे, संघ में नए राज्यों
का प्रवेश या उनकी स्थापना कर सकती िै ।
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘ग्रेटर हटपरालैंड’ के बारे में ।
2. NRC के बारे में ।
3. CAA तया िै ?
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 189 InsightsIAS


2. विधिविरूद्ि कक्रयाकलाप (तनिारर्) अधितनयम
संदभभ: केंद्रीय गि
ृ मंत्रालय दवारा लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार:
• 2018 और 2020 के बीच ‘ववधधववरूदध कियाकलाप (तनवारर्ण) अधधतनयम’ (Unlawful Activities (Prevention)
Act - UAPA) के तित दे श में धगरफ्तार ककए गए व्यजततयों में से लगभग 57 प्रततशत 30 वर्ष से कम
आयु के थे।
• उत्तर प्रदे श में वपछले तीन वर्ों में ‘आतंकवाद रोधी कानून’ के तित 30 वर्ष से कम उम्र वालों की सबसे
अधधक (931) धगरफ्तारी िुई िै । इसके अलावा इस अवधध में UAPA के तित राज्य में की गई कुल
धगरफ्ताररयों में 70% व्यजतत 30 वर्ष से कम आयु वगष के थे।
विधिविरूद्ि कक्रयाकलाप (तनिारर्) अधितनयम के बारे में :
1967 में पाररत, ववधधववरूदध कियाकलाप (तनवारर्ण) अधधतनयम (Unlawful Activities (Prevention) Act-UAPA) का
उददे श्य भारत में गैरकानन
ू ी गततववधध समि
ू ों की प्रभावी रोकथाम करना िै ।
• यि अधधतनयम केंद्र सरकार को पूर्भ शजतत प्रदान करता िै , जजसके दवारा केंद्र सरकार ककसी गततववधध
को गैरकानूनी घोवर्त कर सकती िै ।
• इसके अंतगषत अधधकतम दं ड के रूप में मत्ृ युदंड तथा आजीवन कारावास का प्रावधान ककया गया िै ।
प्रमुख बबंद:ु
• UAPA के तित, भारतीय और विदे शी दोनों नागररकों को आरोवपत ककया जा सकता िै ।

• यि अधधतनयम भारतीय और ववदे शी अपराधधयों पर समान रूप से लागू िोता िै , भले ही अपराि भारत के
बाहर विदे शी भशू म पर ककया गया हो।
• UAPA के तित, जांच एजेंसी के मलए, धगरफ्तारी के बाद चाजषशीट दाखखल करने के मलए अधधकतम 180
ददनों का समय हदया जाता िै , िालांकक, अदालत को सधू चत करने के बाद इस अवधध को और आगे बढ़ाया
जा सकता िै ।
िषभ 2019 में ककए गए संशोिनों के अनुसार:
• यि अधधतनयम राष्ट्रीय जााँच एजेंसी (NIA) के मिातनदे शक को, एजेंसी दवारा मामले की जांच के दौरान,
आतंकवाद से िोने वाली आय से तनममषत संपवत्त पाए जाने पर उसे जब्त करने की शजतत प्रदान करता िै ।
• यि अधधतनयम राज्य में डीएसपी अथवा एसीपी या उससे ऊपर के रैंक के अधधकारी के अततररतत,
आतंकवाद संबंधी मामलों की जांच करने िे तु ‘राष्ट्रीय जााँच एजेंसी’ के इंस्पेतटर या उससे ऊपर के रैंक के
अधधकाररयों को जांच का अधधकार प्रदान करता िै ।
• अधधतनयम में ककसी व्यजतत को आतंकवादी के रूप में अमभहित करने का प्रावधान भी शाममल िै ।
ददल्ली उच्च न्यायालय द्िारा पररभावषत UAPA की रूपरे खा:
जन
ू 2021 में , ववधधववरूदध कियाकलाप तनवारर्ण अधधतनयम (UAPA), 1967 की एक अन्य रूप से "अस्पष्ट्ट" िारा
15 की रूपरे खा को पररभावर्त करते िुए, हदल्ली उच्च न्यायालय दवारा, अधितनयम की िारा 18, 15, 17 को लागू
करने पर कुछ मित्वपूर्णष मसदधांत तनधाषररत ककए गए थे।
UAPA की िारा 15, 17 और 18:
1. अधधतनयम की धारा 15, 'आतंकवादी कृत्यों’ से संबधं धत अपराधों को आरोवपत करती िै ।
2. धारा 17 के तित आतंकवादी कृत्यों के मलए धन जुटाने पर दजण्डत करने का प्रावधान ककया गया िै ।
3. धारा 18, के अंतगषत 'आतंकवादी कृत्य करने िे तु साजजश आहद रचने' या आतंकवादी कृत्य करने िे तु तैयारी
करने वाले ककसी भी कायष' संबंधी अपराधों के मलए आरोवपत ककया जाता िै ।

www.insightsonindia.com 190 InsightsIAS


अदालत द्िारा की गई प्रमख
ु दटप्पणर्यां:
1. "आतंकवादी अधधतनयम" (Terrorist Act) को िल्के में निीं मलया जाना चाहिए।
2. अदालत ने ‘हितें द्र ववष्ट्र्णु ठाकुर मामले’ में सप्र
ु ीम कोटष के फैसले का िवाला दे ते िुए किा कक, ‘आतंकवादी
गततववधधयां’ वे िोती िै , जजनसे तनपटना, सामान्य दं ड कानूनों के तित कानून प्रवतषन एजेंमसयों की क्षमता
से बािर िोता िै ।
इंस्टा जजज्ञासु:
तया आप जानते िैं कक ‘ववधधववरूदध कियाकलाप तनवारर्ण अधधतनयम’ (UAPA) की धारा 3 (1) के तित, "यहद केंद्र
सरकार को इस बात का यकीन िो जाता िै कक कोई भी संगठन एक गैरकानन
ू ी एसोमसएशन िै , या बन गया िै ,
तो वि सरकारी राजपत्र में अधधसच
ू ना जारी करके, ऐसे संगठन को गैर-कानूनी घोवर्त कर सकती िै ?
में स शलंक: तया आप सिमत िैं कक ववधधववरूदध कियाकलाप (तनवारर्ण) संशोधन अधधतनयम मौमलक अधधकारों के
मलए िातनकारक सात्रबत िो सकता िै ? तया राष्ट्रीय सरु क्षा के मलए स्वतंत्रता का बमलदान करना न्यायसंगत िै ?
चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

3. लोकुर आयोग
संदभभ: िाल िी में , सुप्रीम कोटष ने पजश्चम बंगाल सरकार दवारा इजरायल की साइबर-खुकफया कंपनी NSO ग्रुप दवारा
ववकमसत सैन्य श्रेर्णी के ‘पेगासस स्पाइवेयर’ के माध्यम से ‘मोबाइल फ़ोनों’ की कधथत तनगरानी ककए जाने की
जााँच करने िे तु गहठत ‘न्यायमतू तष मदन लोकुर आयोग’ (Lokur Commission) के समक्ष जारी सभी कायषवाहियों पर
रोक लगा दी।
सुप्रीम कोटष ने किा, कक शीर्ष अदालत दवारा उतत मामले को अखखल भारतीय बताए जाने के बावजद
ू , आयोग ने
कायष करना जारी रखा और राज्य दवारा आयोग के कायष पर रोक लगाने का वचन हदए जाने के बाद, इसका
उल्लंघन ककया गया िै ।
पष्ट्ृ ठभूशम:
जुलाई 2021 में , पजश्चम बंगाल सरकार दवारा ‘जांच आयोग अधधतनयम’, 1952 (Commissions of Inquiry Act, 1952)
के तित, इजरायल की साइबर-खुकफया कंपनी NSO ग्रुप दवारा ववकमसत ‘पेगासस स्पाइवेयर’ के माध्यम से ‘टे लीफोन’
की कधथत तनगरानी ककए जाने की जााँच करने िे तु एक ‘जांच आयोग’ (लोकुर आयोग) का गठन ककया गया था।
इस आयोग को ववमभन्न व्यजततयों की तनजता के कधथत उल्लंघन की जांच का कायष का सौंपा गया था।
इस प्रकार के आयोग गदठत करने की शजतत:
यदयवप, केंद्र और राज्य, दोनों सरकारों द्िारा इस प्रकार के ‘जांच आयोगों’ का गठन ककया जा सकता है , ककं तु
राज्य सरकार केवल उन ववर्यों पर ‘जांच आयोग’ गहठत कर सकती िै , जजन पर उसे कानून बनाने का अधधकार
िोता िै ।
• यहद केंद्र सरकार दवारा ककसी ववर्य पर आयोग का गठन पिले ककया जाता िै , तो राज्य सरकार, उसी
ववर्य पर, केंद्र सरकार की मंजूरी मलए त्रबना, अन्य समानांतर जांच आयोग का गठन निीं कर सकती िै ।
• ककं त,ु यहद राज्य सरकार दवारा ‘जांच आयोग’ का गठन ककया जाता िै , और यहद केंद्र सरकार को लगता
िै , कक इस ववर्य पर जांच का दायरा दो या अधधक राज्यों तक बढाया जा सकता िै , तो वि समान ववर्य
पर दस
ू रा जांच आयोग गहठत कर सकती िै ।
‘जांच आयोग’ को प्राप्त शजततयां:
जांच आयोग अधधतनयम, 1952 के अंतगषत सरकार दवारा गहठत आयोग को, ‘मसववल प्रकिया संहिता’, 1908 (Code
of Civil Procedure, 1908) के तित ककसी मक
ु दमे की सन
ु वाई के दौरान एक ‘दीिानी अदालत’ के समान शजततयां
प्राप्त िोंगी।

www.insightsonindia.com 191 InsightsIAS


• इसका अथष िै , कक आयोग के पास, ककसी भी व्यजतत को, भारत के ककसी भी कोने से बुलाने और उसके
समक्ष पेश िोने, उसकी शपथ पर जांच करने तथा शपथपत्रों पर साक्ष्य प्राप्त करने की शजततयां िोती िैं।
• जांच आयोग, ककसी भी ककसी न्यायालय या कायाषलय से ककसी भी लोक-अमभलेख या उसकी प्रततमलवप
हदए जाने का आदे श दे सकता िै ।
आयोग द्िारा ककन विषयों पर जांच की जा सकती है ?
• केंद्र सरकार दवारा गहठत आयोग, संववधान की सातवीं अनुसूची में सूची-I (संघ सच
ू ी) अथवा सूची-II (राज्य
सूची) या सूची-III (समिती सूची) में शाममल ककसी भी प्रववजष्ट्ट से संबधं धत, ककसी भी मामले की जांच कर
सकता िै ।
• जबकक, राज्य सरकारों द्िारा गदठत आयोग ‘सातवीं अनुसूची’ की सूची-II या सूची-III में शाममल प्रववजष्ट्टयों
से संबंधधत मामलों की जांच कर सकते िैं।
पेगासस ‘जांच आयोग’ का मामला ककस सच
ू ी से संबधं ित है :
• ‘जांच आयोग’ का गठन करने िे तु, पजश्चम बंगाल सरकार दवारा ‘लोक व्यवस्था’ और ‘पुमलस’ प्रववजष्ट्टयों
का िवाला हदया गया िै । िालांकक, ये ववर्य सांतवी अनुसूची की ‘राज्य सूची’ के अंतगषत आते िै , कफर भी
एक तकष यि भी हदया जा सकता िै कक उतत मामले में ‘जांच’ की ववर्य-वस्तु, मुख्यतः केंद्रीय सूची के
अंतगषत आती िै ।
• इसके अलावा, डाक और टे लीग्राफ, टे लीफोन, वायरलेस, प्रसारर्ण और संचार के अन्य माध्यम संघ सच
ू ी की
प्रविजष्ट्ट 31 से संबंधधत िैं।
इस प्रकार के जााँच आयोग की ररपोटभ का महत्ि:
• इस तरि के आयोगों के तनष्ट्कर्ों को, आम तौर पर ववधानसभा या संसद में पेश ककया जाता िै , जो इस
पर तनभषर करता िै कक, आयोग का गठन ककसके दवारा ककया गया िै ।
• सरकार, आयोग की ररपोटष को सावषजतनक करने के मलए बाध्य निीं िोती िै । और िालांकक, आयोग के
तनष्ट्कर्ष कायषपामलका के मलए बाध्यकारी निीं िोते िैं, ककं तु अदालतों दवारा, साक्ष्य के रूप में इन तनष्ट्कर्ो
पर ववश्वास ककया जा सकता िै ।
इंस्टा जजज्ञास:ु तया आप जानते िैं कक ‘सच
ू ना सरु क्षा’ के संदभष में ‘सोशल इंजीतनयररंग’ (Social Engineering) तया
िै ? सोशल इंजीतनयररंग िमलों के प्रकार के बारे में कुछ शब्दांशों को जातनए।
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:संचार नेटवकष के माध्यम से आंतररक सुरक्षा को चुनौती, आंतररक सुरक्षा चुनौततयों में मीडडया और सामाजजक
नेटवककिंग साइटों की भमू मका, साइबर सुरक्षा की बुतनयादी बातें , धन-शोधन और इसे रोकना।
1. सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधितनयम
संदभभ: िाल िी में , नागालैंड में 14 नागररकों की ित्या के बाद, मुख्यमंत्री नेफ्यू ररयो ने ‘सशस्त्र बल (ववशेर्
अधधकार) अधधतनयम’ (Armed Forces (Special Powers) Act - AFSPA) को तनरस्त करने की मांग की िै ।
1. श्री ररयो ने िर साल नागालैंड के मलए "अशांत क्षेत्र" टै ग का ववस्तार करने के मलए केंद्र सरकार की
आलोचना भी की िै ।
2. उन्िोंने केंद्र सरकार का, इस "कठोर अधधतनयम" की वजि से ववश्व स्तर पर िोने वाली भारत की आलोचना
की ओर ध्यान आकृष्ट्ट ककया िै ।
संबंधित प्रकरर्:
िाल िी में , नागालैंड में अपने गांव लौट रिे हदिाड़ी मजदरू ों का एक समूि, 21 पैरा कमांडो यूतनट के जवानों दवारा
मार हदया गया था। बताया जाता िै , कक सेना को इस क्षेत्र से NSCN(K) आतंकवाहदयों के गज
ु रने की सच
ू ना ममली
थी।

www.insightsonindia.com 192 InsightsIAS


पष्ट्ृ ठभूशम:
जून 2021 में , गि
ृ मंत्रालय ने, पूरे नागालैंड राज्य को सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधितनयम (Armed Forces
(Special Powers) Act - AFSPA) के तित अगले छि मिीने के मलए मलए अशांत क्षेत्र घोवर्त कर हदया िै ।
गि
ृ मंत्रालय के अनुसार, संपूर्णष नागालैंड राज्य की सीमा के भीतर आने वाला क्षेत्र ऐसी अशांत और खतरनाक
जस्थतत में िै जजससे विां नागररक प्रशासन की सिायता के मलए सशस्त्र बलों का प्रयोग करना आवश्यक िै ।
AFSPA का तात्पयभ:
साधारर्ण शब्दों में , सशस्त्र बल (ववशेर् अधधकार) अधधतनयम (AFSPA) के तित सशस्त्र बलों के शलए ‘अशांत क्षेत्रों’
में सािभजतनक व्यिस्र्ा बनाए रखने की शजतत प्राप्त िोती िै ।
सशस्त्र बलों को प्राप्त शजततयां:
• इसके तित सशस्त्र बलों को ककसी क्षेत्र में पााँच या अधधक व्यजततयों के जमावड़े को प्रततबंधधत करने
अधधकार िोता िै , इसके अलावा, इन्िें ककसी व्यजतत दवारा कानन
ू का उल्लंघन करने संबंधी शंका िोने
पर उधचत चेतावनी दे ने के बाद बल प्रयोग करने अथवा गोली चलाने की भी शजतत प्राप्त िोती िै ।
• यहद उधचत संदेि िोने पर, सेना ककसी व्यजतत को त्रबना वारं ट के भी धगरफ्तार कर सकती िै ; त्रबना वारं ट
के ककसी भी पररसर में प्रवेश और जांच कर सकती िै, तथा आग्नेयास्त्र रखने पर प्रततबंध लगा सकती
िै ।
• धगरफ्तार ककए गए या हिरासत में मलए गए ककसी भी व्यजतत को एक ररपोटष तथा धगरफ्तारी के कारर्णों
से संबधधत वववरर्ण के साथ तनकटतम पमु लस स्टे शन के प्रभारी अधधकारी को सौंपाजा सकता िै ।
‘अशांत क्षेत्र’ और इसे घोवषत करने की शजतत
• अशांत क्षेत्र (disturbed area) को सशस्त्र बल (ववशेर् अधधकार) अधधतनयम (AFSPA) की धारा 3 के तित
अधधसच
ू ना दवारा घोवर्त ककया जाता िै । ववमभन्न धाममषक, नस्लीय, भार्ा या क्षेत्रीय समूिों या जाततयों या
समुदायों के बीच मतभेद या वववाद के कारर्ण ककसी क्षेत्र को अशांत घोवर्त ककया जा सकता िै ।
• केंद्र सरकार, या राज्य के राज्यपाल या केंद्र शामसत प्रदे श के प्रशासक राज्य या केंद्रशामसत प्रदे श के परू े
या हिस्से को अशांत क्षेत्र घोवर्त कर सकते िैं।
AFSPA अधितनयम की समीक्षा:
19 नवंबर, 2004 को केंद्र सरकार दवारा उत्तर पूवी राज्यों में अधधतनयम के प्रावधानों की समीक्षा करने के मलए
न्यायमूततभ बी पी जीिन रे ड्िी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय सममतत तनयुतत की गयी थी।
सममतत ने अपनी ररपोटष वर्ष 2005 में प्रस्तुत की, जजसमें तनम्नमलखखत मसफाररशें शाममल थीं:
1. AFSPA को तनरस्त ककया जाना चाहिए और ववधधववरूदध कियाकलाप (तनवारर्ण) अधधतनयम (Unlawful
Activities (Prevention) Act), 1967 में उधचत प्रावधान सजम्ममलत ककये जाने चाहिए;
2. सशस्त्र बलों और अधषसतै नक बलों की शजततयों को स्पष्ट्ट रूप से तनहदष ष्ट्ट करने के मलए ववधधववरूदध
कियाकलाप अधधतनयम को संशोधधत ककया जाना चाहिए और
3. सशस्त्र बलों को तैनात ककए जाने वाले प्रत्येक जजले में मशकायत सेल स्थावपत ककए जाने चाहिए।
लोक व्यिस्र्ा पर दस
ू रे प्रशासतनक सुिार आयोग की 5 िीं ररपोटभ में भी AFSPA को तनरस्त करने की मसफाररश
की गयी िै ।
नागा हत्याओं से AFSPA के खतरों की ओर संकेत:
सशस्त्र बल (ववशेर् अधधकार) अधधतनयम (AFSPA), सशस्त्र बलों को ित्या करने का लाइसेंस दे ता िै । और जब
सशस्त्र बल, स्थानीय पमु लस को शाममल ककए बगैर, जैसा कक लंबे समय से चल रिा िै , इस तरि के शमषनाक
ऑपरे शन करते िैं, तो यि संदेश दे ता िै कक केंद्र को नागालैंड में शांतत प्रकिया की कोई परवाि निीं िै ।

www.insightsonindia.com 193 InsightsIAS


AFSPA के उपयोग के शलए ददशातनदे श:
‘नागा पीपुल्स मूवमेंट फॉर हयूमन राइट्स बनाम भारत संघ’ मामले में सुप्रीम कोटष के 1997 के फैसले में AFSPA
के उपयोग के मलए हदशातनदे श तनधाषररत ककए गए िै :
• संववधान पीठ ने 1997 के फैसले में किा िै , कक AFSPA की धारा 4(a) के तित घातक बल का उपयोग
करने की शजतत, केवल "कुछ पररजस्थततयों" में िी प्रयत
ु त की जानी चाहिए।
• अदालत ने किा कक "मत्ृ यु काररत करने की शजतत, ककसी अशांत क्षेत्र में सावषजतनक व्यवस्था के रखरखाव
से संबंधधत िै और इसका तनजश्चत पररजस्थततयों में िी प्रयोग ककया जाना चाहिए"।
• इन पव
ू -ष शतों में एक उच्च-स्तरीय प्राधधकरर्ण दवारा ककसी क्षेत्र को “अशांत” करने की घोर्र्णा शाममल िै ।
संबंधधत अधधकारी इस बात का तनर्णषय करे गा, कक सावषजतनक व्यवस्था बनाए रखने के मलए पर घातक
बल प्रयोग करना "आवश्यक" िै । लेककन उसे घातक बल का प्रयोग करने से पिले "उधचत चेतावनी" दे नी
िोगी।
• जजन व्यजततयों के खखलाफ सशस्त्र बलों दवारा कारष वाई की जाने वाली िो, उनके दवारा घोवर्त "अशांत
क्षेत्र में कुछ समय के मलए लागू ककसी भी कानून या व्यवस्था का उल्लंघन ककया िोन चाहिए"।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक पूवोत्तर में , असम, नागालैंड, मखर्णपुर, अरुर्णाचल प्रदे श के ततरप, चांगलांग और
लोंगडडंग जजलों, और असम की सीमा से लगे राज्य के आठ पुमलस स्टे शनों के अधधकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों
में AFSPA लागू िै ?
स्रोत: द हिंद।ू

2. पेगासस जासूसी प्रकरर्


संदभभ: सुप्रीम कोटष दवारा पेगासस (Pegasus) सॉफ्टवेयर के
माध्यम से जासूसी ककए जाने संबंधी आरोपों की जांच करने
के मलए पजश्चम बंगाल सरकार दवारा तनयुतत ‘जांच
आयोग’ की आगे की कायषवािी पर रोक लगा दी िै ।
संबंधित प्रकरर्:
कुछ समय पूवष जारी ररपोट्षस में ‘पेगासस स्पाइवेयर’
(Pegasus spyware) का लगातार उपयोग ककए जाने की
पुजष्ट्ट की गई थी। इस ‘स्पाइवेयर’ को एक इजरायली कंपनी
दवारा, ववश्व में कई दे शों की सरकारों को बेचा जाता िै ।
जजन फोनों को इस ‘पेगासस स्पाइवेयर’ के दवारा लक्षक्षत ककया जाता िै , उनकी तरि िी इस ‘स्पाइवेयर’ को भी
अपडेट ककया गया िै और अब नई जासूसी क्षमताओं से युतत िै ।
‘पेगासस’ तया है ?
यि ‘एनएसओ ग्रुप’ (NSO Group) नामक एक इजरायली फमष दवारा ववकमसत एक ‘स्पाइवेयर टूल’ अथाषत जासूसी
उपकरर्ण िै ।
• यि स्पाइवेयर, लोगों के फोन के माध्यम से उनकी जासस
ू ी करता िै ।
• पेगासस, ककसी उपयोगकताष के फ़ोन पर एक ‘एतसप्लॉइट मलंक’ (exploit link) भेजता िै , और यहद वि
लक्षक्षत उपयोगकताष, उस मलंक पर जतलक करता िै , तो उसके फोन पर ‘मैलवेयर’ (malware) या ‘जासूसी
करने में सक्षम’ कोड इंस्टॉल िो जाता िै ।
• एक बार ‘पेगासस’ इंस्टॉल िो जाने पर, िमलावर के पास ‘लक्षक्षत’ उपयोगकताष के फोन पर तनयंत्रर्ण और
पिुाँच िो जाती िै ।

www.insightsonindia.com 194 InsightsIAS


‘पेगासस’ की क्षमताएं:
• पेगासस, “लोकवप्रय मोबाइल मैसेजजंग ऐप से, लक्षक्षत व्यजतत का तनजी डेटा, उसके पासवडष, संपकष सूची,
कैलेंडर ईवेंट, टे तस्ट संदेश, लाइव वॉयस कॉल आहद को िमलावर के पास पिुंचा सकता िै "।
• यि, जासूसी के के दायरे का ववस्तार करते िुए, फ़ोन के आस-पास की सभी गततववधधयों को कैप्चर करने
के मलए लक्षक्षत व्यजतत के फ़ोन कैमरा और माइिोफ़ोन को चालू कर सकता िै ।
‘जीरो-जतलक’ अटै क तया है?
‘जीरो-जतलक अटै क’ (zero-click attack), पेगासस जैसे स्पाइवेयर को त्रबना ककसी मानवीय संपकष या मानवीय त्रुहट
के, लक्षक्षत डडवाइस पर तनयंत्रर्ण िामसल करने में मदद करता िै ।
• तो, जब लक्षक्षत डडवाइस िी ‘मसस्टम’ बन जाता िै , तो ‘कफ़मशंग िमले से कैसे बचा जाए, या कौन से मलंक
पर जतलक निीं करना िै , इस बारे में सभी तरि की जागरूकता व्यथष सात्रबत िो जाती िै ।
• इनमें से अधधकतर ‘जीरो-जतलक अटै क’ ककसी भी उपयोगकताष दवारा डडवाइस पर प्राप्त िुए डेटा की
ववश्वसनीयता तनधाषररत करने से पिले िी, सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल कर लेते िैं।
मैलिेयर, रोजन, िायरस और िमभ में अंतर:
मैलिेयर (Malware), कंप्यट
ू र नेटवकष के माध्यम से अवांतछत अवैध कायष करने के मलए डडजाइन ककया गया
सॉफ़्टवेयर िोता िै । इसे दभ
ु ाषवनापूर्णष इरादे वाले सॉफ़्टवेयर के रूप में भी पररभावर्त ककया जा सकता िै ।
मैलवेयर को उनके तनष्ट्पादन, प्रसार और कायों के आधार पर वगीकृत ककया जा सकता िै । इसके कुछ प्रकारों की
चचाष नीचे की गई िै ।
1. िायरस (Virus): यि एक प्रोग्राम िोता िै , जो कंप्यट
ू र के अन्य प्रोग्रामों को, उनमे अपनी िी एक संभाववत
ववकमसत प्रततमलवप शाममल करके, संशोधधत और संिममत कर सकता िै ।
2. िम्सभ (Worms): यि कंप्यट
ू र नेटवकष के माध्यम से प्रसाररत िोते िैं। यि, कंप्यूटर वम्सष, वायरस के
ववपरीत, वैध फाइलों में घुसपैठ करने के बजाय एक मसस्टम से दस
ू रे मसस्टम में खुद को कॉपी करते िैं।
3. रोजन (Trojans): रोजन या रोजन िॉसष एक ऐसा प्रोग्राम िोते िै , जो आमतौर पर ककसी मसस्टम की
सुरक्षा को बाधधत करते िै । रोजन का उपयोग, सुरक्षक्षत नेटवकष से संबधं धत कंप्यट
ू रों पर बैक-डोर बनाने
के मलए ककया जाता िै ताकक िै कर सरु क्षक्षत नेटवकष तक अपनी पिुंच बना सके।
4. होतस (Hoax): यि एक ई-मेल के रूप में िोता िै , और उपयोगकताष को, उसके कंप्यूटर को नुकसान
पिुचाने वाले ककसी मसस्टम के बारे में चेतावनी दे ता िै । इसके बाद, यि ई-मेल संदेश, उपयोगकताष को
नुकसान पिुंचाने वाली मसस्टम को ठीक करने के मलए एक ‘प्रोग्राम’ (अतसर डाउनलोड करने के मलए)
चालू करने का तनदे श दे ता िै । जैसे िी यि प्रोग्राम चालू या ‘रन’ ककया जाता िै , यि मसस्टम पर िमला
कर दे ता िै और मित्वपर्ण
ू ष फाइलों को ममटा दे ता िै ।
5. स्पाइिेयर (Spyware): यि कंप्यूटर पर िमला करने वाले प्रोग्राम िोते िैं, और, जैसा कक इसके नाम का
तात्पयष िै , ये त्रबना सिमतत के उपयोगकताष की गततववधधयों पर नजर रखते िै । ‘स्पाइवेयर’ आमतौर पर
वास्तववक ई-मेल आईडी, गैर-संदेिास्पद ई-मेल के माध्यम से अग्रेवर्त ककए जाते िैं। स्पाइवेयर, दतु नया
भर में लाखों कंप्यूटरों को संिममत करते रिते िैं।
इंस्टा जजज्ञासु:
तया आप जानते िैं कक सुप्रीम कोटष दवारा, केंद्र सरकार पर नागररकों की जासूसी करने के मलए इजरायली
सॉफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल करने संबंधी लगने वाले आरोपों की जांच करने िे ती सुप्रीम कोटष के पूवष न्यायाधीश
आर.वी. रवींद्रन की तनगरानी में एक ववशेर्ज्ञ तकनीकी सममतत की तनयजु तत की गयी िै ?
तया आपने ‘गूगल प्रोजेतट जीरो’ के बारे में सुना िै ?
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 195 InsightsIAS


3. सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधितनयम
संदभभ: केंद्र सरकार दवारा राज्य से ‘सशस्त्र बल (ववशेर् अधधकार) अधधतनयम’ (Armed Forces (Special Powers)
Act) अथाषत AFSPA को िटाए जाने की संभावना का अध्ययन करने के मलए एक सममतत गहठत करने का तनर्णषय
मलया गया िै ।
• इस सममतत की अध्यक्षता केंद्रीय गि
ृ मंत्रालय में अततररतत सधचव (पव
ू ोत्तर) करें गे और इसमें नागालैंड के
मुख्य सधचव और पुमलस मिातनदे शक शाममल िोंगे।
• यि सममतत 45 हदनों के भीतर अपनी ररपोटष दे गी।
• इस सममतत की मसफाररशों के आधार पर नागालैंड से "अशांत क्षेत्र" अधधसच
ू ना और AFSPA को िटाए जाने
पर तनर्णषय मलया जाएगा।
संबंधित प्रकरर्:
िाल िी में , नागालैंड में अपने गांव लौट रिे हदिाड़ी मजदरू ों का एक समि
ू , 21 पैरा कमांडो यतू नट के जवानों दवारा
मार हदया गया था। बताया जाता िै , कक सेना को इस क्षेत्र से NSCN(K) आतंकवाहदयों के गुजरने की सूचना ममली
थी।
नागालैंड में 14 नागररकों की ित्या के बाद, मुख्यमंत्री नेफ्यू ररयो ने ‘सशस्त्र बल (ववशेर् अधधकार) अधधतनयम’
(Armed Forces (Special Powers) Act - AFSPA) को तनरस्त करने की मांग की िै ।
• श्री ररयो ने िर साल नागालैंड के मलए "अशांत क्षेत्र" टै ग का ववस्तार करने के मलए केंद्र सरकार की
आलोचना भी की िै ।
• उन्िोंने केंद्र सरकार का, इस "कठोर अधधतनयम" की वजि से ववश्व स्तर पर िोने वाली भारत की आलोचना
की ओर ध्यान आकृष्ट्ट ककया िै ।
केंद्र सरकार की इस घटना पर प्रततकक्रया:
एक ‘कोटष ऑफ इंतवायरी’ दवारा सीधे तौर पर ‘ओहटंग घटना’ (Oting incident) में शाममल सेना की यूतनट और
सेना के जवानों के खखलाफ अनुशासनात्मक कारष वाई शुरू की जाएगी। ‘जांच ककए जाने वाले धचजन्ित व्यजततयों’
को तत्काल प्रभाव से तनलंत्रबत कर हदया जाएगा।
• प्रत्येक मत
ृ क के पररजन को राज्य सरकार दवारा सरकारी नौकरी दी जाएगी।
• यि सरकारी नौकरी, अनुकंपा के आधार पर पात्रता के हिसाब से दी जाएगी।
पष्ट्ृ ठभूशम:
• जून 2021 में , गि
ृ मंत्रालय ने, पूरे नागालैंड राज्य को सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधितनयम (Armed
Forces (Special Powers) Act - AFSPA) के तित अगले छि मिीने के मलए मलए अशांत क्षेत्र घोवर्त कर
हदया िै ।
• गि
ृ मंत्रालय के अनुसार, संपूर्णष नागालैंड राज्य की सीमा के भीतर आने वाला क्षेत्र ऐसी अशांत और
खतरनाक जस्थतत में िै जजससे विां नागररक प्रशासन की सिायता के मलए सशस्त्र बलों का प्रयोग करना
आवश्यक िै ।
स्रोत: द हिंद।ू

4. ‘डिजजटल ऋर्’ को वितनयशमत करने हे तु कानून बनाने पर विचार


संदभभ: भारत में , ‘भौततक प्रर्णाली’ के सापेक्ष ‘डडजजटल प्रर्णाली’ के माध्यम से ऋर्ण प्रदान करना अभी भी, बैंकों के
मामले में (डडजजटल मोड के माध्यम से 1.12 लाख करोड़ रुपये भौततक मोड के माध्यम से 53.08 लाख करोड़ रुपये
का ऋर्ण) प्रारं मभक चरर्ण में िै ।

www.insightsonindia.com 196 InsightsIAS


• िालांकक, प्रततदशष इकाईयों के मलए डडजजटल मोड के माध्यम से ऋर्ण संववतरर्ण की कुल मात्रा में 2017
और 2020 के बीच बारि गन
ु ा (11,671 करोड़ रुपये से 1.41 लाख करोड़ रुपये) से अधधक की वद
ृ धध िुई
िै ।
• उदयोग जगत के अग्रखर्णयों का किना िै कक ‘डडजजटल ऋर्ण’ (Digital Lending) क्षेत्र में मजबूत वद
ृ धध भारत
में ववशाल अप्रयत
ु त ऋर्ण क्षमता को इंधगत करती िै , जजसे प्रौदयोधगकी के उपयोग के माध्यम से कुशलता
से पाटा जा सकता िै ।
इसमलए, ववशेर्ज्ञों का सझ
ु ाव िै , कक ‘डडजजटल ऋर्णदाताओं’ को आरबीआई ववतनयमन के तित लाने से, चूंकक
अव्यवस्था फ़ैलाने वालों के मलए अनप
ु ालन लागत काफी अधधक िो सकती िै , अतः गलत उददे श्यों से कारोबार
करने वालों को बािर तनकालने में मदद ममलेगी और यि सुतनजश्चत िोगा कक इसमें केवल गंभीर प्रततभागी िी
सकिय रिें ।
उद्योग को प्रभावित करने िाले मस
ु य मद्
ु दे :
डडजजटल ऋर्ण-प्रदाता कंपतनयों का सामान्य तौर-तरीका, 5,000 रुपये तक के छोटे ऋर्णों दवारा ग्रािकों को लुभाना
िै , जजसे आमतौर पर प्रतत माि 500 रुपये की ककश्त के माध्यम से कुछ िफ्तों में कुछ ब्याज के साथ चुकाया जा
सकता िै ।
• ककं त,ु यहद उधारकताष इस रामश का भुगतान करने में ववफल रिता िै , तो यि 120% प्रतत वर्ष (10% प्रतत
माि) की दर से बढ़ता जाता िै , जजससे उधारकताष के मलए यि रामश चक
ु ाना मजु श्कल िो जाता िै ।
• इस तरि का ऋर्ण, कभी-कभी “अभी खरीदो, बाद में भुगतान करो’ (Buy Now, Pay Later - BNPL) जैसी
सेवाओं के रूप ऑफर ककया जाता िै । इस तरि की योजनाओं में खरीदारों को ककसी वस्तु को तत्काल
खरीदने तथा बाद में तीन या अधधक ककश्तों में एक तनधाषररत ब्याज मत
ु त अवधध के भीतर भग
ु तान करने
की सुववधा दी जाती िै । इस प्रकार के ऋर्ण ज्यादातर युवाओं, ऋर्ण लेने वाले नए लोगों, कम नकदी रखने
वाली नयी पीढी को लक्षक्षत करते िैं।
आरबीआई का कायभकारी समूह:
ऑनलाइन प्लेटफॉमष और मोबाइल ऐप के माध्यम से ऋर्ण दे ने सहित ‘डडजजटल ऋर्ण’ के ववतनयमन िे तु गहठत
भारतीय ररजवष बैंक के कायषकारी समि
ू (Reserve Bank of India Working Group (WG) on digital lending) दवारा
अपनी मसफाररशें प्रस्तुत की गयी िैं।
ऑनलाइन प्लेटफॉमष और मोबाइल ऐप के माध्यम से ऋर्ण दे ने सहित डडजजटल ऋर्ण पर भारतीय ररजवष बैंक
(आरबीआई) के कायषकारी समूि (डब्ल्यूजी) ने इस साल नवंबर में अपनी मसफाररशें प्रस्तुत कीं।
प्रमुख शसफाररशें:
1. इस प्रकार के ऋर्णों की तनगरानी के मलए एक अलग कानन
ू बनाया जाना चाहिए।
2. डडजजटल ऋर्ण प्रदान करने वाली एप्लीकेशंस (Digital Lending Apps) जांच के मलए एक नोडल एजेंसी की
जाए।
3. डडजजटल ऋर्ण पाररतंत्र में में प्रततभाधगयों के मलए एक ‘स्व-तनयामक संगठन’ स्थावपत ककया जाना चाहिए।
4. कुछ आधारभूत प्रौदयोधगकी मानकों का ववकास, एवं डडजजटल ऋर्ण समाधान को प्रस्तुत करने के मलए
पूवष शतष के रूप में उन मानकों का अनुपालन सतु नजश्चत ककया जाए।
5. ऋर्णों का संववतरर्ण सीधे उधारकताषओं के बैंक खातों में ककया जाना चाहिए और ऋर्णों का संववतरर्ण एवं
सववषमसंग केवल डडजजटल ऋर्णदाताओं के बैंक खातों के माध्यम से की जानी चाहिए।
6. सत्यापन योग्य ऑडडट रे ल्स के साथ उधारकताषओं की पव
ू ष और स्पष्ट्ट सिमतत के साथ डेटा संग्रि ककया
जाए और सभी डेटा भारत में जस्थत सवषरों में संग्रिीत ककया जाना चाहिए।

www.insightsonindia.com 197 InsightsIAS


डिजजटल ऋर् के लाभ:
• डडजजटल उधार में , ववत्तीय उत्पादों और सेवाओं तक अधधक तनष्ट्पक्ष, कुशल और समावेशी पिुाँच बनाने की
क्षमता िै ।
• कफनटे क के नेतत्ृ व में यि नवाचार, कुछ साल पिले गौर्ण सिायक भमू मका से आगे बढ़कर, अब ववत्तीय
उत्पादों और सेवाओं के डडजाइन, मूल्य तनधाषरर्ण और ववतरर्ण के मलए मूल भूममका तनभा रिा िै ।
समय की मांग:
तनयामक संस्थाओं दवारा, डेटा सुरक्षा, गोपनीयता, गोपनीयता और उपभोतता सुरक्षा सुतनजश्चत करते िुए, इस
नवाचार का समथषन करने के मलए एक संतमु लत दृजष्ट्टकोर्ण का पालन करने की आवश्यकता िै ।
डिजजटल ऋर् दे ने िाले ऐप्स से संबंधित मद्
ु दे
1. ये ऋर्णकताषओं को शीघ्र और परे शानी
मत
ु त तरीके से ऋर्ण दे ने का वादा करते
िैं।
2. लेककन, बाद में ऋर्णकताषओं से ब्याज
की अत्याधधक दरों और तछपे िुए
अततररतत शुल्क की मांग की जाती िै ।
3. इस तरि के प्लेटफॉमष ऋर्णों की बसल
ू ी
के मलए अमान्य और कठोर ववधधयााँ
अपनाते िैं।
4. ये ऋर्णकताषओं के मोबाइल फोन डेटा
का उपयोग करने संबंधी समझौतों का
दरु
ु पयोग करते िैं।
प्रीशलम्स शलंक:
1. डडजजटल ऋर्ण
2. डडजजटल ऋर्ण से संबंधधत ववतनयम।
3. आरबीआई दवारा तनयुतत सममतत
4. इसकी मसफाररशें
में स शलंक: दे श में डडजजटल ऋर्ण से जुड़ी धचंताओं
पर चचाष कीजजए।
स्रोत: इकोनॉममक टाइम्स।

रोकना।
5. सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधितनयम
संदभभ: नागालैंड ‘सशस्त्र बल (ववशेर् अधधकार) अधधतनयम’ (Armed Forces (Special Powers) Act) अथाषत AFSPA के
तित, अगले छि मिीने तक 'अशांत क्षेत्र' (Disturbed Area) बना रिे गा तयोंकक राज्य की जस्थतत "खतरनाक" बनी
िुई िै ।
• सरकार दवारा इस तनर्णषय को, इस मिीने की शुरुआत में , गलत पिचान के कारर्ण 14 नागररकों की ित्या
के बाद, सशस्त्र बलों की ववशेर् शजततयों को वापस लेने के मलए बढ़ती मांग के दौरान मलया गया िै ।
• नागालैंड राज्य में वर्ष 1958 से वववादास्पद AFSPA लागू िै ।

www.insightsonindia.com 198 InsightsIAS


पष्ट्ृ ठभूशम: केंद्र सरकार दवारा, िाल िी में , राज्य से ‘सशस्त्र बल (ववशेर् अधधकार) अधधतनयम’ (Armed Forces
(Special Powers) Act) अथाषत AFSPA को िटाए जाने की संभावना का अध्ययन करने के मलए एक सममतत गहठत
करने का तनर्णषय मलया गया िै ।
• यि सममतत 45 हदनों के भीतर अपनी ररपोटष दे गी।
• इस सममतत की मसफाररशों के आधार पर नागालैंड से "अशांत क्षेत्र" अधधसूचना और AFSPA को िटाए जाने
पर तनर्णषय मलया जाएगा।
इंस्टा जजज्ञासु: तया आप जानते िैं कक पूवोत्तर में , असम, नागालैंड, मखर्णपुर, अरुर्णाचल प्रदे श के ततरप, चांगलांग और
लोंगडडंग जजलों, और असम की सीमा से लगे राज्य के आठ पमु लस स्टे शनों के अधधकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों
में AFSPA लागू िै ?
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:ववमभन्न सुरक्षा बल और संस्थाएाँ तथा उनके अधधदे श।


1. असम राइफल्स का दोहरा तनयंत्रर् विन्यास
संदभभ: नागालैंड में िाल िी में िुई ित्याओं की घटना के बाद ‘असम राइफल्स’ (Assam Rifles) ने एक बयान जारी
कर तनदोर् लोगों की जान जाने पर खेद व्यतत ककया िै । घटना-स्थल से संबधं धत क्षेत्र ‘असम राइफल्स’ के
क्षेत्राधधकार में आता िै । साथ िी, इस ‘अधषसैतनक बल, ने भारतीय सेना दवारा घटना की जांच शुरू ककए जाने के
ववर्य में भी जानकारी दी िै ।
असम राइफल्स के बारे में :
असम राइफल्स गि
ृ मंत्रालय (MHA) के प्रशासतनक तनयंत्रर्ण के तित ‘छि केंद्रीय सशस्त्र पमु लस बलों’ (CAPFs) में
से एक िै । अन्य पांच केंद्रीय सशस्त्र पुमलस बल- केंद्रीय ररजवष पुमलस बल (CRPF), सीमा सुरक्षा बल (BSF), भारत-
ततब्बत सीमा पमु लस (ITBP), केंद्रीय औदयोधगक सुरक्षा बल (CISF) और सशस्त्र सीमा बल (SSB) िैं।
असम राइफल्स को, पूवोत्तर भारत में भारतीय सेना के साथ-साथ कानून और व्यवस्था बनाए रखने का काम सौंपा
गया िै और यि इस क्षेत्र में भारत-म्यांमार सीमा की सुरक्षा भी करती िै ।
असम राइफल्स की विशशष्ट्टता:
यि दे श में दोिरे तनयंत्रर्ण ववन्यास वाला एकमात्र अधषसैतनक बल िै । असम राइफल्स का प्रशासतनक तनयंत्रर्ण गि

मंत्रालय के पास िै , जबकक पररचालन तनयंत्रर्ण रक्षा मंत्रालय के पास िै ।
• इसका अथष िै कक असम राइफल्स के मलए वेतन और बुतनयादी सवु वधाएाँ गि
ृ मंत्रालय दवारा प्रदान की
जाती िै , परन्त,ु इसके कममषयों की तैनाती, पोजस्टं ग, स्थानांतरर्ण और प्रतततनयुजतत का तनर्णषय भारतीय सेना
दवारा मलया जाता िै ।
• इसके सभी वररष्ट्ठ रैंक के अधधकारी, मिातनदे शक (DG) से लेकर आईजी और सेतटर मुख्यालय में वररष्ट्ठ
पदों पर सेना के अधधकारी तनयत
ु त ककए जाते िैं। इस बल की कमान भारतीय सेना के लेजफ्टनेंट जनरल
के िाथ में िोती िै ।
ितभमान वििाद:
‘असम राइफल्स’ वास्तववक अथों में एकमात्र केंद्रीय अधषसैतनक बल (CPMF) िै तयोंकक इसका पररचालन, कतषव्य
और रे जजमें ट भारतीय सेना की तजष पर आधाररत िैं।
• िालांकक, गि
ृ मंत्रालय के अधीन एक केंद्रीय सशस्त्र पमु लस बल िोने के नाते, इसकी भती, भत्ते, इसके कममषयों
की पदोन्नतत और सेवातनववृ त्त नीततयां CAPFs के मलए MHA दवारा बनाए गए तनयमों के अनुसार तनयंत्रत्रत
िोती िैं।
• असम राइफल्स पर दोिरे तनयंत्रर्ण वाली व्यवस्था में , असम राइफल्स के भीतर तर्ा गह
ृ मंत्रालय ि रक्षा
मंत्रालय द्िारा, बल पर एकल तनयंत्रर्ण िे तु मांगों के दो सेट तैयार ककये गए िै ।

www.insightsonindia.com 199 InsightsIAS


असम राइफल्स को रक्षा मंत्रालय के अिीन रखे जाने की मांग का कारर्:
इस बल के भीतर एक बड़ा वगष रक्षा मंत्रालय के प्रशासतनक तनयंत्रर्ण में आना चािता िै । इससे उन्िें गि
ृ मंत्रालय
के अधीन आने वाले अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुमलस बलों (CAPFs) की तुलना में बेितर सुववधाएाँ तथा सेवातनववृ त्त लाभ
प्राप्त िो सकेंगे।
• सेना के जवान 35 साल की उम्र में जल्दी ररटायर िो जाते िैं, जबकक केंद्रीय सशस्त्र पुमलस बलों (CAPFs)
में ररटायरमें ट की उम्र 60 साल िै ।
• इसके अलावा, CAPF अधधकाररयों को िाल िी में ‘गैर-कायाषत्मक ववत्तीय उन्नयन’ (non-functional financial
upgradation - NFFU) प्रदान ककया गया िै , ताकक ‘पदोन्नतत’ संबध
ं ी अवसरों की कमी के कारर्ण उनके
कररयर में आने वाले ठिराव को कम से कम ववत्तीय रूप से िल ककया जा सके।
• इसके अलावा, सेना के जवानों को ‘एक रैंक एक पेंशन’ भी ममलती िै जोकक सीएपीएफ के मलए उपलब्ध
निीं िै ।
गह
ृ मंत्रालय तर्ा रक्षा मंत्रालय, दोनों असम राइफल्स पर पर्
ू भ तनयंत्रर् तयों चाहते हैं?
गह
ृ मंत्रालय का तकभ:
गि
ृ मंत्रालय का किना िै कक, सभी सीमा रक्षक बल, इसके पररचालन तनयंत्रर् में आते हैं और इसमलए ‘असम
राइफल्स’ के भी गि
ृ मंत्रालय के तनयंत्रर्ण में आने से सीमा सुरक्षा के मलए ववस्तत
ृ तथा एकीकृत तंत्र प्राप्त िोगा।
गि
ृ मंत्रालय के सत्र
ू ों का यि भी किना िै कक असम राइफल्स, 1960 के दशक के दौरान तनधाषररत पैटनष पर कायष
जारी रखेगा िै और मंत्रालय के अधीन अन्य केंद्रीय सशस्त्र पमु लस बलों की तजष पर भारत-म्यांमार सीमा की
सुरक्षा करता रिे गा।
सेना का तकभ:
• असम राइफल्स ने भारतीय सेना के समन्वय में अच्छा कायष ककया िै तथा इसने सशस्त्र बलों को कई
जजम्मेदाररयों से मत
ु त ककया िै ।
• इसके अलावा, असम राइफल्स हमेशा एक सैन्य बल रहा है । यि पुमलस बल निीं िै और न िी पुमलस के
रूप में इसे गहठत ककया गया िै । इसमलए, इसका तनयंत्रर्ण गि
ृ मंत्रालय को दे ने अथवा इसे ककसी अन्य
केंद्रीय सशस्त्र पमु लस बल (CAPF) के साथ ववलय करने पर असम राइफल्स के मलए भ्रम की जस्थतत
उत्पन्न करे गा और इससे राष्ट्रीय सरु क्षा को खतरा िो सकता िै ।
इंस्टा जजज्ञासु:
तया आप जानते िैं कक असम राइफल्स, 1835 में त्रब्रहटश भारत में मसफष 750 पुरुर्ों के साथ गहठत, दे श का सबसे
पुराना अधषसैतनक बल िै ?
स्रोत: इंडडयन एतसप्रेस।

2. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ


संदभभ:
िाल िी में , चीफ ऑफ डडफेंस स्टाफ (Chief of Defence Staff) जनरल त्रबवपन रावत, उनकी पत्नी मधुमलका रावत,
एक आमी त्रब्रगेडडयर और 10 अन्य कममषयों की एक िवाई दघ
ु ट
ष ना में मौत िो गई। ये सभी व्यजतत भारतीय वायु
सेना के एक िे लीकॉप्टर से तममलनाडु में कायषिम में भाग लेने जा रिे थे। पजश्चमी तममलनाडु में नीलधगरी में
कुन्नूर घाट के एक घने जंगल में इनका िे लीकॉप्टर दघ
ु ट
ष नाग्रस्त िो गया।
Mi-17V5 िे लीकॉप्टर को एक "ववश्वसनीय" ववमान माना जाता िै , जजसके के दघ
ु ट
ष नाग्रस्त िोने के कारर्णों की जांच
शुरू िो गई िै ।

www.insightsonindia.com 200 InsightsIAS


चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के बारे में :
वर्ष 1999 में गहठत कारधगल समीक्षा सममतत दवारा सझ
ु ाए गए अनुसार, ‘चीफ ऑफ डडफेंस स्टाफ’ (CDS), सरकार
के एकल-त्रबंद ु सैन्य सलािकार (single-point military adviser) िोंगे।
• इनके मलए ‘चार मसतारा जनरल’ (Four-star General) का दजाष प्राप्त िोगा।
• CDS, ‘चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी’ के स्थायी अध्यक्ष के रूप में कायष करते िैं। इस कमेटी में तीनो सशत्र-
बालों के प्रमुख सदस्य के रूप में शाममल िोते िैं।
• ‘चीफ ऑफ डडफेंस स्टाफ’ का मुख्य कायष, भारतीय सेना के तीनो सशत्र-बलो के मध्य अधधक से अधधक
पररचालन तालमेल को बढ़ावा दे ना और अंतर-सेवा संघर्ष को न्यन
ू तम करना िोगा।
आिश्यक शतेँ:
• चीफ ऑफ डडफेंस स्टाफ (CDS) पद पर तनयुतत व्यजतत, सेवातनववृ त्त के बाद ककसी भी सरकारी पद को
धारर्ण करने का पात्र निीं िोगा।
• CDS के पद से सेवातनववृ त्त के 5 वर्ों बाद तक त्रबना पव
ू ष अनुमोदन के ककसी भी तनजी रोजगार की अनुमतत
भी निीं िोगी।
भूशमकाएं और कायभ:
• CDS, सरकार को ‘मसंगल-पॉइंट सैन्य सलाि’ प्रदान करे गा तथा सशस्त्र बलों के मध्य योजना बनाने, खरीद
करने और रसद के संबध
ं में तालमेल स्थावपत करे गा।
• यि धथएटर कमांड के गठन के माध्यम से स्थल-वायु-समुद्र कायषवाहियों का समेकन सुतनजश्चत करे गा।
• CDS, प्रधानमंत्री के नेतत्ृ व में ‘परमार्णु कमान प्राधधकरर्ण’ के सैन्य सलािकार के रूप में भी कायष करे गा,
साथ िी अंतररक्ष और साइबर स्पेस जैसे नए यद
ु ध क्षेत्रों को संभालने के मलए त्रत्र-सेवा संगठनों की कमान
का नेतत्ृ व भी करे गा।
• वि, रक्षा मंत्री के प्रधान सैन्य सलािकार और चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (Chiefs of Staff Committee -
COSC) के स्थायी अध्यक्ष के रूप में भी कायष करे गा।
• CDS, ‘रक्षा अधधग्रिर्ण पररर्द’ और ‘रक्षा योजना सममतत’ के सदस्य भी िोगा।
इंस्टा जजज्ञास:ु तया आप ‘धथएटर ऑफ़ वॉर’ और ‘धथएटर ऑफ़ ऑपरे शंस’ के बारे में जानते िैं?
प्रीशलम्स शलंक:
1. ‘चीफ ऑफ डडफेंस स्टाफ’ के बारे में
2. भूममकाएं और कायष
3. शजततयां
4. धथएटर कमांड तया िैं?
में स शलंक: धथएटर कमांड्स की आवश्यकता और मित्व पर चचाष कीजजए।
स्रोत: द हिंद।ू

3. राष्ट्रीय अन्िेषर् अशभकरर्


संदभभ: राष्ट्रीय अन्वेर्र्ण अमभकरर्ण (National Investigation Agency- NIA), दवारा इस साल जन
ू मिीने में जम्म-ू
कश्मीर के भहटंडी में एक ‘इम्प्रोवाइज्ड एतसप्लोमसव डडवाइस’ (improvised explosive device - IED) की बरामदगी
के संबंध में तीन आरोवपयों के खखलाफ चाजषशीट दायर की गयी िै ।
पष्ट्ृ ठभूशम: जांच के दौरान यि पाया गया, कक तीनों आरोपी व्यजतत व्िाट्सएप के माध्यम से पाककस्तान जस्थत
अपने आकाओं से तनदे श प्राप्त कर रिे थे। जांच में भारत सरकार के खखलाफ युदध छे ड़ने के मलए सुरक्षा कममषयों
और सावषजतनक स्थानों को तनशाना बनाने के मलए, कश्मीर में बड़ी संख्या में कट्टरपंथी यव
ु ाओं को सकिय करने
और भती करने की योजना संबंधी एक बड़ी साजजश का पता चला िै ।

www.insightsonindia.com 201 InsightsIAS


राष्ट्रीय अन्िेषर् अशभकरर् (NIA):
राष्ट्रीय अन्वेर्र्ण अमभकरर्ण (National Investigation Agency- NIA) को आमतौर पर ‘राष्ट्रीय जााँच एजेंसी’ (NIA) के
नाम से जाना जाता िै ।
यि तनम्नमलखखत मामलों में अपराधों की जााँच करने तथा अमभयोग चलाने िे तु एक केंद्रीय एजेंसी िै :
1. भारत की संप्रभुता, सुरक्षा एवं अखंडता, राज्य की सुरक्षा, ववदे शी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्णष संबंध को प्रभाववत
करने वाले अपराध।
2. परमार्णु और परमार्णु प्रततष्ट्ठानों के ववरुदध अपराध।
3. उच्च गर्ण
ु वत्तायत
ु त नकली भारतीय मद्र
ु ा की तस्करी।
इसके अततररतत NIA ‘केंद्रीय आतंकवाद ववरोधी कानून प्रवतषन एजेंसी’ (Central Counter Terrorism Law Enforcement
Agency) के रूप में भी कायष करती िै ।
• इसे राज्यों की ववशेर् अनम
ु तत के बगैर, राज्यों में आतंकवाद संबंधधत अपराधों से तनपटने िे तु शजतत प्राप्त
िै ।
• NIA की स्थापना राष्ट्रीय अन्वेर्र्ण अमभकरर्ण अधधतनयम 2008 के तित की गयी िै ।
• यि गि
ृ मंत्रालय के अधीन कायष करती िै ।
अधिकार-क्षेत्र:
• राज्य सरकार, ककसी मामले की जांच को NIA के मलए सौंपने िे तु केंद्र सरकार से आग्रि कर सकती िै,
बशते ‘मामला’ NIA अधधतनयम की अनुसूची में तनहित अपराधों के अंतग
ष त आता िो।
• केंद्र सरकार, NIA के मलए भारत में किीं भी और ककसी भी अधधसूधचत अपराध की जांच करने का आदे श
भी दे सकती िै ।
संरचना: राष्ट्रीय जााँच एजेंसी’ (NIA) के अधधकाररयों को भारतीय पुमलस सेवा और भारतीय राजस्व सेवा से मलया
जाता िै ।
NIA विशेष न्यायालय (Special Courts)
केंद्र सरकार NIA अधधतनयम के तित कई ववशेर् न्यायालयों को अधधसूधचत ककया गया िै ।
• ककसी ववशेर् न्यायालय के अधधकार क्षेत्र पर ककसी भी प्रश्न की जस्थतत में इसे केंद्र सरकार दवारा तनर्णषय
ककया जाता िै ।
• ववशेर् न्यायालय की अध्यक्षता एक न्यायाधीश दवारा की जाती िै जजसकी तनयुजतत केंद्र सरकार दवारा
संबंधधत क्षेत्र के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की मसफाररश पर की जाती िै ।
• भारत के उच्चत्तम न्यायालय को ककसी ववशेर् न्यायालय के समक्ष लंत्रबत ककसी मामले को, उस राज्य के
अथवा ककसी अन्य राज्य के, ववशेर् न्यायालय को स्थांतररत करने की शजतत प्राप्त िै ।
NIA विशेष न्यायालयों की शजततयां:
NIA के ववशेर् न्यायालयों को ककसी भी अपराध की सुनवाई के मलए दं ड प्रकिया संहिता, 1973 के तित सत्र
न्यायालयों की शजततयां व अधधकार प्राप्त िैं।
अपील:
ववशेर् न्यायालय के, ककसी भी तनर्णषय, सजा या आदे श, के ववरुदध तथ्यों और कानून पर आधाररत अपील उच्च
न्यायालय में की जा सकती िै । राज्य सरकारों को भी अपने राज्यों में एक या एक से अधधक ववशेर् अदालतों को
तनयुतत करने का अधधकार हदया गया िै ।
स्रोत: द हिंद।ू

www.insightsonindia.com 202 InsightsIAS


प्रारजम्भक परीक्षा हे तु तथ्य

1. सच
ू ना प्रबंिन और विश्लेषर् केंद्र
सूचना प्रबंधन और ववश्लेर्र्ण केंद्र (Information Management and Analysis Centre - IMAC) समद्र
ु ी डेटा संलयन के
मलए नोडल एजेंसी िै ।
• इसे 26/11 में िुए मुंबई आतंकवादी िमलों के बाद स्थावपत ककया गया था।
• वर्ष 2012 में रक्षा अधधग्रिर्ण पररर्द दवारा अनम
ु ोहदत ककया गया।
• वर्ष 2014 से कायष करना आरं भ ककया और यि गरु
ु ग्राम में जस्थत िै ।
• यि नेशनल कमांि कंरोल कम्युतनकेशन एंि इंटेशलजेंस शसस्टम (NC3I) का नोडल केंद्र िै ।
• इसे नौसेना के पररचालन केंद्रों और नौसेना तथा दे श के समुद्र तट पर फैले कोस्ट गाडष के तनचले
अधधकाररयों में संपकष स्थावपत करने िे तु गहठत ककया गया था।
2. मदहला िैज्ञातनकों के शलए POWER योजना
“पावर” (महिलाओं के मलए अनस
ु ंधान में अवसरों को प्रोत्सािन) अथाषत (POWER- Promoting Opportunities for
Women in Exploratory Research)।
• यि भारतीय शैक्षखर्णक संस्थानों और अनुसंधान एवं ववकास प्रयोगशालाओं में ववमभन्न ववज्ञान और
प्रौदयोधगकी कायषिमों में ववज्ञान और इंजीतनयररंग अनस
ु ंधान के ववत्तपोर्र्ण में लैंधगक असमानता को कम
करने की एक योजना िै ।
• इस योजना को ‘ववज्ञान और प्रौदयोधगकी ववभाग’ (DST) के एक सांववधधक तनकाय, ‘ववज्ञान और इंजीतनयररंग
अनुसध
ं ान बोडष’ (SERB) दवारा शुरू ककया गया िै ।
• पावर योजना के दो घटक िैं: (1) एसईआरबी-पावर फैलोमशप (छात्रववृ त्त); (2) एईआरबी- पावर ररसचष ग्रांट
(शोध अनद
ु ान)।
3. धगरनार पिभत
यि पवषत गुजरात में जूनागढ़ के पास अवजस्थत िै ।
• भगवान दत्तात्रेय ने धगरनार पवषत की चोटी पर तपस्या की थी।
• इसी स्थान पर 22 वें तीथिंकर भगवान नेममनाथ ने तनवाषर्ण भी प्राप्त ककया था।
4. बारबािोस
िाल िी में , बारबाडोस (Barbados) में आधधकाररक तौर पर मिारानी एमलजाबेथ दववतीय को अपने राज्य के प्रमुख
के रूप में िटा हदया गया िै।
• इसके साथ िी, बारबाडोस, त्रब्रहटश उपतनवेश बनने के लगभग 400 साल बाद दतु नया का सबसे नया
गर्णराज्य बन गया िै ।
• िालांकक, बारबाडोस 54 राष्ट्रमंडल दे शों में से शाममल रिे गा।
बारबािोस के बारे में : बारबाडोस दक्षक्षर्ण-पूवी कैरे त्रबयन सागर में जस्थत एक छोटा सा दवीपीय दे श िै ।
5. पराग अग्रिाल
सोशल मीडडया हदग्गज ‘ट्ववटर’ के सि-संस्थापक जैक डोसी के पद छोड़ने के बाद भारतीय मल
ू के ‘प्रौदयोधगकी
कायषकारी’ पराग अग्रवाल को ट्ववटर का नया मुख्य कायषकारी अधधकारी तनयुतत ककया गया।
6. मानिाधिकार उच्चायुतत कायाभलय
‘मानवाधधकार उच्चायुतत कायाषलय’ (Office of the High Commissioner for Human Rights - OHCHR), जजसे संयुतत
राष्ट्र मानवाधधकार उच्चायत
ु त कायाषलय भी किा जाता िै , संयुतत राष्ट्र के मानवाधधकार तनकायों में से एक िै ।
• संयुतत राष्ट्र मिासभा (UNGA) दवारा OHCHR को संपर्ण
ू ष ववश्व में सभी के मानवाधधकारों की सुरक्षा करने
और उन्िें प्रोत्सािन दे ने का दातयत्व सौंपा गया िै ।
www.insightsonindia.com 203 InsightsIAS
• OHCHR, मानवाधधकार क्षेत्र पर ‘वैजश्वक मानवाधधकार मानकों के कायाषन्वयन’ में सिायता के मलए तकनीकी
ववशेर्ज्ञता उपलब्ध कराता िै और क्षमता-ववकास में सियोग करता िै ।
• यि, संयत
ु त राष्ट्र सधचवालय का एक भाग िै और इसकी स्थापना वर्ष 1993 में की गयी थी।
• इसका मुख्यालय जजनेवा (जस्वट्जरलैंड) में िै , और इसके कई क्षेत्रीय कायाषलय भी िैं।
• OHCHR के अध्यक्ष ‘मानवाधधकार उच्चायुतत’ िोते िैं।
OHCHR अनद
ु ान: ‘मानवाधधकार उच्चायुतत कायाषलय’ के मलए लगभग 2/3 रामश, दानदाताओं और सदस्य राष्ट्रों
दवारा स्वैजच्छक अंशदान के रूप में प्राप्त िोती िै । शेर् रामश की आपूततष, संयत
ु त राष्ट्र के आम बजट दवारा की
जाती िै ।
7. भारतीय सासभ-कोि-2 जीनोशमतस कंसोदटभ यम
‘इंडडयन SARS-CoV-2 जीनोममतस कंसोहटष यम (Indian SARS-CoV-2 Consortium on Genomics - INSACOG) को
संयुतत रूप से केंद्रीय स्वास्थ्य और पररवार कल्यार्ण मंत्रालय, और जैव प्रौदयोधगकी ववभाग (DBT) दवारा वैज्ञातनक
और औदयोधगक अनस
ु ध
ं ान पररर्द (CSIR) और ‘भारतीय धचककत्सा अनस
ु ंधान पररर्द’ (ICMR) के सियोग से शरू

ककया गया िै ।
• ‘यि, SARS-CoV-2 में जीनोममक ववववधताओं की तनगरानी के मलए 28 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं का एक समि

िै ।
• यि पूरे दे श में SARS-CoV-2 वायरस की संपूर्णष जीनोम अनुिमर्ण करता िै , जजससे वायरस के प्रसार और
ववकास को समझने में सिायता ममलती िै ।
• INSACOG का उददे श्य रोग की गततशीलता और गंभीरता को समझने के मलए नैदातनक नमूनों की अनुिमर्ण
पर ध्यान केंहद्रत करना िै ।
8. चॉकलेट-बॉिभर जफ्लटर
• चॉकलेट-बॉडषर जफ्लटर (Chocolate- bordered flitter),मसजतकम में खोजी गई
तततली की एक नई प्रजातत िै ।
• इस प्रजातत के सबसे करीबी संबंधी िांगकांग के करीब दक्षक्षर्ण-पूवी चीन में
पाए जाते िैं।
• इसकी खोज उत्तरी मसजतकम के ‘जोंगु’ में की गई िै , जजसके नाम पार इसका
वैज्ञातनक नाम जोग्राफेटस िोजोंगुएजन्सस रखा गया।
9. तयह्युदटसुका सधचकारुम
िाल िी में , शोधकत्ताषओं की एक अंतराषष्ट्रीय टीम ने एक नए समद्र
ु ी सरीसप

की खोज की िै । एक मीटर लंबे खोपड़ी के इस नमूने का नामकरर्ण
‘तयहयुहटसुका सधचकारुम’ (Kyhytysuka Sachicarum) ककया गया िै ।
यि जीवाश्म, जीववत स्वॉडषकफश की तरि हदखने वाले प्राचीन जीव
‘इचथ्योसोर’ (Ichthyosaur) की अंततम जीववत प्रजाततयों में से एक िै ।

10. अंतराभष्ट्रीय तनपटान बैंक


‘अंतराषष्ट्रीय तनपटान बैंक’ (Bank For International Settlements - BIS), भारत सहित दतु नया भर के दे शों का
प्रतततनधधत्व करने वाला 62 सदस्यीय, केंद्रीय बैंकों के स्वाममत्व वाला एक अंतरराष्ट्रीय ववत्तीय संगठन िै ।
• ‘अंतराषष्ट्रीय तनपटान बैंक’ (BIS), की स्थापना वर्ष 1930 में जमषनी, बेजल्जयम, फ्रांस, यूनाइटे ड ककं गडम, इटली,
जापान, संयुतत राज्य अमेररका और जस्वटजरलैंड के मध्य एक अंतर सरकारी समझौते के तित की गई
थी।
• इसका मख्
ु यालय बासेल (Basel), जस्वटजरलैंड में जस्थत िै ।

www.insightsonindia.com 204 InsightsIAS


• यि अंतरराष्ट्रीय मौहद्रक और ववत्तीय सियोग को बढ़ावा दे ता िै और केंद्रीय बैंकों के मलए एक बैंक के रूप
में कायष करता िै ।
• यि अपनी बैठकों, कायषिमों और बेसल प्रकिया के माध्यम से- वैजश्वक ववत्तीय जस्थरता का अनस
ु रर्ण करने
वाले अंतरराष्ट्रीय समूिों की मेजबानी करना और उनकी बातचीत को सुववधाजनक बनाना- जैसे अपने
कायष करता िै ।
11. व्यापार करने की स्ितंत्रता
सुप्रीम कोटष ने किा िै , कक मिामारी की दस
ू री लिर के दौरान ‘पसषनल प्रोटे जतटव इजतवपमें ट’ (PPE) ककट के तनयाषत
पर भारतीय ररजवष बैंक (RBI) दवारा लगाया गया प्रततबंध का उददे श्य ‘वैध’ था, जोकक ‘व्यापार करने की स्वतंत्रता
के संवैधातनक अधधकार’ की अविे लना करने के मलए पयाषप्त आधार रखता िै ।
पष्ट्ृ ठभूशम: आरबीआई ने अदालत के मलए, दे श में मिामारी की जस्थतत और पीपीई उत्पादों के पयाषप्त स्टॉक को
सतु नजश्चत करने की आवश्यकता के बारे में ववस्तार से बताया गया था।
• ‘व्यवसाय और व्यापार की स्वतंत्रता’ का अधधकार संववधान के अनुच्छे द 19(1)(g) के तित गारं टीकृत एक
मौमलक अधधकार िै ।
12. ACE2 प्रोटीन
ACE2, कोमशका खझल्ली के माध्यम से िमारी कोमशकाओं के आंतररक भाग को बाहय भाग से संबदध करने वाला
एक एंजाइम अर्णु (Enzyme Molecule) िोता िै ।
• सामान्य शरीर किया ववज्ञान में , ‘एंजजयोटें मसन-कंवहटिं ग एंजाइम’ (Angiotensin-Converting Enzyme - ACE),
एंजजयोटें मसन I (Angiotensin I) नामक एंजाइम को संशोधधत कर इसे एंजजयोटें मसन II में पररवततषत कर
दे ता िै , जजससे रतत वाहिकाएं मसकुड़ जाती िैं। रतत वाहिकाओं के मसकुड़ जाने से रततचाप में वद
ृ धध िोती
िै ।
• ऐसी अवस्था में , ACE के प्रभावों का प्रततकार करने के मलए, ACE2 अर्णु सकिय जाते िै , और जजससे रतत
वाहिकाएं फैल जाती िैं और रततचाप कम िो जाता िै ।
• कोरोनावायरस के 'िाउन' में जस्थत ‘स्पाइतस’ िमारी कोमशकाओं में घुसने के मलए ACE2 एंजाइम से जुड़
जाते िैं।
13. हॉनभबबल महोत्सि
नागा ववरासत और परं पराओं की समद
ृ धध को पुनजीववत करने, संरक्षक्षत करने, बनाए रखने और बढ़ावा दे ने के मलए
नागालैंड के तनवासी िॉनषत्रबल त्योिार (Hornbill Festival) को बड़ी धूमधाम से मनाते िैं।
• िॉनषत्रबल मिोत्सव नागालैंड की समद
ृ ध संस्कृतत, जीवन शैली और व्यंजन रूधचयों को दशाषता िै ।
• यि नागालैंड की स्थानीय योदधा जनजाततयों का सबसे बड़ा मिोत्सव िै और आमतौर पर िर साल 1 -
10 हदसंबर के बीच 10 हदनों तक मनाया जाता िै ।
• इसे "त्योिारों का त्योिार" भी किा जाता िै ।
• इस त्यौिार में सतकषता और भव्यता के गर्ण
ु ों के मलए
नागाओं में सबसे प्रशंमसत और श्रदधेय पक्षी िॉनषत्रबल
(Hornbill) को श्रदधांजमल दी जाती िै ।
• यि त्यौिार, राज्य पयषटन और कला और संस्कृतत ववभागों
दवारा आयोजजत ककया जाता िै और इसके आयोजन में
केंद्र सरकार दवारा भी सियोग ककया जाता िै ।
• िॉनषत्रबल मिोत्सव की शरु
ु आत 1 हदसंबर 1963 को िुई
थी और इसका उदघाटन तत्कालीन राष्ट्रपतत डॉ. एस
राधाकृष्ट्र्णन ने ककया था।
www.insightsonindia.com 205 InsightsIAS
चचाभ का कारर्: राज्य सरकार ने सुरक्षा बलों दवारा 14 नागररकों की ित्या के ववरोध में चल रिे िॉनषत्रबल मिोत्सव
को रदद करने का फैसला ककया िै ।
14. उच्च न्यायालय और सिोच्च न्यायालय के न्यायािीश (िेतन एिं सेिा शतें) संशोिन वििेयक, 2021
िाल िी में , ‘उच्च न्यायालय और सवोच्च न्यायालय के न्यायाधीश (वेतन एवं सेवा शतें) संशोधन ववधेयक, 2021’
लोकसभा में पाररत कर हदया गया।
• ववधेयक में , सेवातनवत्त
ृ न्यायाधीशों को बढ़ी िुई पें शन ममलने की ततधथ तनधाषररत करने िे तु इनकी आयु
की गर्णना प्रकिया को स्पष्ट्ट ककया गया िै ।
• पें शन की अततररतत मात्रा के बारे में ववधायी मंशा को स्पष्ट्ट करने के मलए ववधेयक में केवल एक
व्याख्यात्मक नोट सजम्ममलत ककया गया िै ।
• उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय के सेवातनवत्त
ृ न्यायाधीशों को 80, 85, 90, 95 और 100 वर्ष की
आय,ु जैसी भी जस्थतत िो, परू ी करने पर पेंशन की अततररतत रामश स्वीकृत की जाती िै , लेककन इनकी उम्र
की गर्णना की प्रकिया के बारे में भ्रम की जस्थतत थी।
महत्िपूर्भ तथ्य:
• सवोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को दे य वेतन पिले संववधान में अनुच्छे द 125(1) और दस
ू री अनुसच
ू ी में
तनहदष ष्ट्ट ककया गया था।
• िालांकक, 54वें संववधान-संशोधन के माध्यम से, संसद को सवोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन को
कानून दवारा तनधाषररत करने की शजतत प्रदान की गयी िै ।
• संसद के पास इन न्यायाधीशों के ववशेर्ाधधकारों, भत्तों आहद से संबंधधत प्रश्नों को तनधाषररत करने का भी
अधधकार िै ।
• तथावप, इनमें से ककसी भी ववर्य को संसद दवारा न्यायालय में तनयुजतत के बाद न्यायाधीश के नुकसान
के मलए पररवततषत निीं ककया जा सकता िै ।
• इन मामलों को अब सुप्रीम कोटष जज (वेतन एवं सेवा शतें) अधधतनयम, 1958 दवारा तनयंत्रत्रत ककया जाता
िै ।
इसी तरि, संसद को कानन
ू दवारा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का वेतन तनधाषरर्ण करने का भी अधधकार िै ।
15. न्यूजीलैंि का आजीिन प्रततबंि
न्यूजीलैंड ने वतषमान में 14 वर्ष की आयु, अथाषत दे श में वर्ष 2008 के बाद जन्मे ककसी भी व्यजतत को जीवन भर
के मलए मसगरे ट खरीदने पर प्रततबंध लगा हदया िै , अब कोई भी युवा मसगरे ट या तंबाकू उत्पाद अपने पूरे जीवन
में निीं खरीद पाएगा।
• न्यज
ू ीलैंड सरकार दवारा साल 2022 के अंत तक इस बेिद कठोर कानन
ू को लागू ककए जाने की योजना
िै । यि प्रततबंध तम्बाकू से िोने वाली मौतों पर रोक लगाने के मलए ववश्व में लागू सभी कानूनों में सबसे
सख्त िै , इसे दे श के असमान रूप से प्रभाववत माओरी आहदवासी आबादी पर केंहद्रत व्यापक योजना का
हिस्सा िै ।
• न्यूजीलैंड पिले से िी उन 17 दे शों में शाममल िै जिां त्रबना मसाले की मसगरे ट की पैकेजजंग अतनवायष की
गयी िै ।
• न्यूजीलैंड में 18 साल से कम उम्र के ककसी भी व्यजतत को तम्बाकू उत्पादों की त्रबिी पर पिले से िी
प्रततबंध लगा िुआ िै , लेककन सरकार का मानना िै कक 2025 तक राष्ट्रीय वयस्क धूम्रपान दर 5% से कम
करने के लक्ष्य को िामसत करने के मलए ये उपाय पयाषप्त निीं िैं।
16. ज्ञानपीठ पुरस्कार
िाल िी में , वर्ष 2021 और वर्ष 2022 के मलए िमश: 56वें और 57वें ज्ञानपीठ पुरस्कार की घोर्र्णा की गयी िै ।

www.insightsonindia.com 206 InsightsIAS


वर्ष 2021 के मलए असममया साहित्यकार नीलमखर्ण फूकन को तथा वर्ष 2022 के मलए कोंकर्णी साहित्यकार दामोदर
मौउजो को प्रदान ककया जाएगा।
• दे श का सवोच्च साहिजत्यक परु स्कार- ‘ज्ञानपीठ’ लेखकों को ‘साहित्य में उनके उत्कृष्ट्ट योगदान’ के मलये
हदया जाता िै ।
• ज्ञानपीठ पुरस्कार, अंग्रेजी भार्ा सहित भारतीय संववधान की 8वीं अनुसूची में उजल्लखखत भारतीय भार्ाओं
में लेखन के मलए हदया जाता िै ।
• यि पुरस्कार केवल भारतीय नागररकों को हदया जाता िै ।
• परु स्कार में , ववजेता को 11 लाख रुपये नकद, एक प्रशजस्त पत्र, और ववदया की दे वी वाग्दे वी (सरस्वती)
की कांस्य प्रततकृतत प्रदान की जाती िै ।
• यि पुरुस्कार, एक सांस्कृततक संगठन ‘भारतीय ज्ञानपीठ’ दवारा हदया जाता िै ।

17. रॉयल गोल्ि मेिल 2022


भारतीय वास्तक
ु ार बालकृष्ट्र्ण दोशी को वर्ष 2022 का ‘रॉयल
गोल्ड मेडल’ प्रदान ककया जाएगा। यि वास्तक
ु ला के मलए ववश्व
के सवोच्च सम्मानों में से एक िै ।
• रॉयल इंस्टीट्यट
ू ऑफ त्रब्रहटश आककषटे तट्स (RIBA) के
अनुसार, 70 साल के कररयर और 100 से अधधक तनममषत
पररयोजनाओं के साथ 94 वर्ीय दोशी ने अपने अभ्यास
और अपने मशक्षर्ण दोनों के माध्यम से भारत और उसके आस-पास के क्षेत्रों में वास्तुकला की हदशा को
प्रभाववत ककया िै ।
• जीवन भर के कायों को मान्यता दे ते िुए, ‘रॉयल गोल्ड मेडल’ को व्यजततगत रूप से ‘तवीन एमलजाबेथ II’
दवारा अनुमोहदत ककया जाता िै और इसे वास्तुकला की उन्नतत पर मित्वपूर्णष प्रभाव डालने वाले व्यजतत
या ककसी समूि को हदया जाता िै ।
18. एशशयाई शजतत सूचकांक, 2021
‘एमशयन पावर इंडेतस’ (Asian Power Index) में 26 दे शों और क्षेत्रों को श्रेर्णीबदध ककया गया िै । यि सूचकांक
मसडनी जस्थत ‘लोवी इंस्टीट्यट
ू ’ (Lowy Institute) दवारा जारी ककया गया िै ।
हाशलया ररपोटभ के प्रमुख बबंद:ु
• भारत को एमशया-प्रशांत क्षेत्र में व्यापक शजतत के मामले में 26 दे शों में 100 में से 37.7 के समग्र स्कोर
के साथ चौथा सबसे शजततशाली दे श माना गया िै ।
• भारत के समग्र स्कोर में , 2020 की तुलना में 2 अंकों की धगरावट आई िै । भारत 2021 में , कफर से
एमशया की प्रमख
ु शजतत बनने से कुछ पीछे रि गया।
• भारत, 2021 में अपने समग्र स्कोर में नीचे की ओर प्रवत्त
ृ िोने वाले एमशया के 18 दे शों में शाममल ककया
गया िै ।
समग्र शजतत के मामले में एमशया-प्रशांत क्षेत्र के शीर्ष 10 दे श िैं:
1. संयुतत राज्य अमेररका
2. चीन
3. जापान
4. भारत
5. रूस
6. ऑस्रे मलया

www.insightsonindia.com 207 InsightsIAS


7. दक्षक्षर्ण कोररया
8. मसंगापुर
9. इंडोनेमशया
10. थाईलैंड
19. कफन बुनकर पक्षी
कफन बुनकर पक्षी (Finn's weaver bird), वैज्ञातनक नाम: प्लोमसयस मेगररंचस
(Ploceus megarhynchus), की संख्या भारत में 500 से कम बची िै ।
• यि पक्षी अब तक ‘अंतराषष्ट्रीय प्रकृतत संरक्षर्ण’ (IUCN) की रे ड मलस्ट में
"संवेदनशील" (Vulnerable) के रूप में सूचीबदध था। इसे अब, "लप्ु तप्राय"
(Endangered) श्रेर्णी में सूचीबदध ककया गया िै ।
• यि पक्षी मख्
ु य रूप से उत्तराखंड और पजश्चमी उत्तर प्रदे श के तराई घास के मैदानों, और इसके अलावा
असम में कुछ इलाकों में में पाया जाता िै ।
20. ‘विदे शी अधिकरर्’
यि ‘ववदे शी (अधधकरर्ण) आदे श’ [Foreigners (Tribunals) Order], 1964 के तित स्थावपत अिभ-न्यातयक तनकाय िोते
िैं। ये अधधकरर्ण, दे श में अवैध रूप से रिने वाले व्यजतत के बारे यि तनधाषररत करते िैं, कक वि ‘"ववदे शी" िै अथवा
निीं।
संरचना: ‘ववदे शी अधधकरर्ण’ के सदस्यों में, असम न्यातयक सेवा के सेवातनवत्त
ृ न्यातयक अधधकारी, न्यातयक अनुभव
रखने वाले मसववल सेवक, (जो सधचव या अततररतत सधचव के पद से नीचे सेवातनवत्त
ृ निीं िुआ िो) तथा न्यन
ू तम
सात वर्ष के वकालत अनभु व वाले 35 वर्ष से कम आयु के अधधवतता को शाममल ककया जाता िै ।
विदे शी अधिकरर्ों को स्र्ावपत करने की शजतत:
• गि
ृ मंत्रालय (MHA) दवारा विदे शी (अधिकरर्) आदे श, 1964 में संशोधन ककए जाने के पश्चात सभी राज्यों
और केंद्र शामसत प्रदे शों में जजला मजजस्रे टों को हरब्यन
ू ल स्थावपत करने का अधधकार प्रदान ककया गया
िै ।
• इसके पव
ू ,ष हरब्यन
ू ल स्थावपत करने की शजततयााँ केवल केंद्र के पास तनहित थीं।
‘विदे शी अधिकरर्ों’ में अपील करने का अधिकार
• संशोधधत आदे श [विदे शी (अधिकरर्) संशोिन आदे श 2019] में सभी व्यजततयों को अधधकरर्णों में अपील
करने का अधधकार प्रदान ककया गया िै ।
• इसके पूव,ष केवल राज्य प्रशासन िी ककसी संहदग्ध के खखलाफ इन अधधकरर्णों में मामला दायर कर सकता
था।
21. लॉग4शेल
िाल िी में , इंटरनेट पर ‘लॉग4शेल’ (Log4Shell) नामक एक भेदयता (vulnerability) का पता चला िै , इसे अब तक
खोजे गए सबसे खराब ‘साइबर सरु क्षा दोर्ों’ में से एक बताया जा रिा िै ।
• यि भेदयता, एक ओपन-सोसष लॉधगंग लाइब्रेरी पर आधाररत िै जजसका उपयोग उदयमों और यिां तक कक
सरकारी एजेंमसयों दवारा अधधकांश अनुप्रयोगों / एजप्लकेशंस में ककया जाता िै ।
• यि कमजोरी, िै कसष को ककसी भी एजप्लकेशन तक पिुंच प्रदान करती िै , और संभाववत रूप से उन्िें
डडवाइस या सवषर पर िातनकारक सॉफ़्टवेयर इंस्टाल करने का अवसर दे सकती िै ।
22. तधलीगी और दा’िाह
िाल िी में , सऊदी अरब ने ‘तब्लीगी’ और दा’वाि समूि (Da’wah group) को 'समाज के मलए खतरा' बताते िुए
प्रततबंधधत कर हदया िै । दा’वाि समूि को ‘अल अिबाब’ (Al Ahbab) के नाम से भी जाना जाता िै ।
23. बाजल्टक सागर
www.insightsonindia.com 208 InsightsIAS
बाजल्टक सागर (Baltic Sea) उत्तरी यूरोप में अवजस्थत िै और स्वीडन
(स्कैं डडनेववयाई प्रायदवीप का एक हिस्सा), कफनलैंड, रूस, एस्टोतनया,
लातववया, मलथआ
ु तनया, पोलैंड, जमषनी और डेनमाकष और इसके कई दवीपों
से तघरा िै ।
24. कोन्याक नागा
नागालैंड के ‘मोन’ जजले में रिने वाले कोन्याक नागा (Konyak Nagas)
जनजातत के शीर्ष तनकाय ‘कोन्याक संघ’ (Konyak Union - KU) ने सोमवार
को कोन्याक की धरती पर सशस्त्र बलों के साथ अपने "असियोग" को
जारी रखने के मलए नए तनयमों की घोर्र्णा की िै । यि तनर्णषय, िाल िी
में , ओहटंग गांव में एक सुरक्षा मुठभेड़ में 14 नागररकों की ित्या के बाद
मलया गया।
‘कोन्याक नागा समद
ु ाय’ के बारे में :
• ‘कोन्याक नागा’ (Konyak Nagas), सभी नागा जनजाततयों में सबसे बड़ा समुदाय िै।
• ये नागालैंड के मोन जजले में तनवास करते िैं - जजसे 'द लैंड ऑफ द आंग्स' (The Land of The Anghs) के
नाम से भी जाना जाता िै ।
• आंग/वांग (Anghs/Wangs) उनके पारं पररक मखु खया िोते िैं जजनका वे बिुत सम्मान करते िैं।
• इस जनजातत के लोग, ककसी दश्ु मन का मसर काटने के बाद अपने चेिरे पर टै टू बनवाते िैं।
• बन्दक
ू बनाने, लोिा वपघलाने, पीतल के काम, और बारूद बनाने जैसे कायष इन्िें अन्य समुदायों से मभन्न
बनाते िैं। ये लोग 'जंगलौ' (Machetes) और लकड़ी की मतू तषयां बनाने में भी माहिर िोते िैं।
त्यौहार: आओलेंग (Aoleng), वसंत का स्वागत करने और बीज बोने से पिले भमू म पर सवषशजततमान (किवांग) के
आशीवाषद का आहवान करने के मलए अप्रैल (1-6) के पिले सप्ताि में मनाया जाने वाला त्योिार, कोन्याक समद
ु ाय
का सबसे बड़ा त्योिार िै ।
• 'लाओ ओंग मो' अगस्त/मसतंबर के मिीनों में मनाया जाने वाला पारं पररक फसल उत्सव, इनका एक अन्य
त्योिार िै ।
25. शमस यतू निसभ-2021
• चंडीगढ़ की िरनाज संधू ने 13 हदसंबर, 2021 को इजराइल में आयोजजत
एक समारोि में 70वां ममस यूतनवसष का खखताब जीता िै ।
• भारत को 21 साल बाद ममस यूतनवसष का खखताब ममला िै । इससे पिले यि
सम्मान, भारत को वर्ष 1994 में अमभनेत्री सजु ष्ट्मता सेन और वर्ष 2000 में अमभनेत्री लारा दत्ता ने हदलाया
था।
26. राजा चैत शसंह
संदभभ: मोदी दवारा अपने काशी भार्र्ण में उदधत
ृ ।
• 18वीं शताब्दी के अंत तक, बनारस ने अवध के नवाब से अपनी स्वतंत्रता की घोर्र्णा कर दी थी।
• 1771 में , मिाराजा चैत मसंि (Chait Singh) ने त्रब्रहटश अधधकाररयों की मदद से बनारस का मसंिासन िामसल
कर मलया था।
• दो साल बाद, मिाराजा ने अपना अधधकार-क्षेत्र िे जस्टं ग्स के तनयंत्रर्ण में ईस्ट इंडडया कंपनी को स्थानांतररत
कर हदया।
• जब िै दर अली के खखलाफ मैसूर युदध लड़ने के मलए संसाधनों की आवश्यकता का सामना करना पड़ा, तो
िे जस्टं ग्स ने मिाराजा चैत मसंि पर अततररतत राजस्व भुगतान करने और 1778 और 1779 में सैतनकों की
आपतू तष करने के मलए दबाव डाला।
www.insightsonindia.com 209 InsightsIAS
• अंग्रेजों की मांग को पूरा करने में ववफल रिने पर, िे जस्टं ग्स ने चैत मसंि पर िमला कर हदया।
• इस लड़ाई में िे जस्टं ग्स के कई सैतनक मारे गए और, जब कोई अन्य ववकल्प निीं बचा तो गवनषर-जनरल
को पीछे िटने के मलए मजबरू िोना पड़ा।
प्रचमलत किानी यि िै कक िे जस्टं ग्स िाथी पर सवार िोकर बनारस के नजदीक जस्थत ‘चुनार के ककले’ की ओर
रात में जल्दबाजी में तनकल गया। माना जाता िै कक इस घटना ने बनारस में लोकवप्रय किावत को जन्म हदया:
"घोड़े पर िौदा, िाथी पर जीन, काशी से भागा वॉरे न िे जस्टं ग्स"।
27. कािभ टोकनाइजेशन
‘टोकनाइजेशन’ (Tokenisation) का तात्पयष, एक वास्तववक काडष के संवेदनशील वववरर्ण को एक यतू नक कोड वाले
टोकन (token) में पररवततषत करना िै । यि एक काडष, टोकन अनुरोधकताष (अथाषत वि इकाई जो काडष को टोकन में
पररवततषत करने िे तु ग्रािक से अनुरोध स्वीकार करती िै और इसे टोकन जारी करने के मलए संबंधधत काडष नेटवकष
को अग्रेवर्त कर दे ती िै ) और डडवाइस का अनोखा संयोजन िोता िै ।
काडष के वववरर्ण के बजाय, यि टोकन ‘त्रबिी त्रबंद’ु (Point of Sale - POS) टममषनलों और ‘त्वररत प्रततकिया’ (Quick
Response - QR) कोड भुगतान प्रर्णाली पर, काडष के रूप में कायष करे गा। इस प्रकिया का लक्ष्य भुगतान की सुरक्षा
और सुरक्षा में सध
ु ार करना िै ।
संदभभ:
भारतीय ररजवष बैंक दवारा ‘काडष टोकनाइजेशन’ की ओर बढ़ने की योजना से, प्रमख
ु ई-कॉमसष फमों और खादय
ववतरर्ण फमों से लेकर ऋर्णदाताओं तक की कंपतनयों की एक ववस्तत
ृ श्रंख
ृ ला प्रभाववत िोने की संभावना िै , जबकक
नकदी का उपयोग बढ़ता जा रिा िै ।
• आरबीआई ने डेटा सरु क्षा को बढ़ावा दे ने के मलए माचष 2020 में हदशातनदे श जारी करते िुए किा था, कक
व्यापाररयों को अपनी वेबसाइटों पर काडष से संबधं धत वववरर्ण सिे जने की अनुमतत निीं िोगी।
• केंद्रीय बैंक दवारा मसतंबर 2021 में नए हदशा-तनदे श जारी ककए गए, जजनमें कंपतनयों को साल के अंत तक
तनयमों का पालन करने और उन्िें ‘टोकनाइजेशन’ करने का ववकल्प हदया गया िै।
28. प्रिानमंत्री मोदी को भट
ू ान का शीषभ नागररक पुरस्कार
प्रधान मंत्री नरें द्र मोदी को भट
ू ान के सवोच्च नागररक परु स्कार, 'ऑडषर ऑफ द ड्रक ग्यालपो' से सम्मातनत ककया
गया िै ।
• यि पुरस्कार भूटान के राजा ‘जजग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक’ दवारा भारत-भूटान संबंधों में मोदी के
योगदान तथा भट
ू ान और उसके लोगों के प्रतत उनकी सेवाओं के सम्मान में प्रदान ककया गया था।
• प्रधान मंत्री मोदी यि पुरस्कार प्राप्त करने वाले, ककसी अन्य दे श की सरकार के पिले प्रमुख िैं।
29. कालीबाड़ी मंददर
यि हिंद ू मंहदर, बांग्लादे श में जस्थत िै ।
• िाल िी में राष्ट्रपतत रामनाथ कोववंद ने इस मंहदर का उदघाटन ककया था। इसे पाककस्तानी सेना ने 1971
में नष्ट्ट कर हदया था।
• इस मंहदर को मूल रूप से ‘रमना कालीबाड़ी’ किा जाता था, जजसे मध्ययुगीन काल में तनममषत ककया गया
था और अपनी लंबी एवं ऊाँची आकृतत के मलए प्रमसदध था।
• 1929 में , मंहदर पररसर में प्रमसदध संत आनंदमयी के भततों के मलए एक अततररतत भवन का तनमाषर्ण
करवाया गया। आनंदमयी, बाद में प्रधान मंत्री इंहदरा गांधी के आध्याजत्मक सलािकार बनी।
30. खल
ु ा क्षेत्रफल लाइसेंशसंग नीतत
सरकार ने अंतराषष्ट्रीय प्रततस्पधी तनववदाओं के मलए ‘खुला क्षेत्रफल लाइसेंमसंग नीतत’ (Open Acreage Licensing
Policy - OALP) के अंतगषत सातवें तनववदा चि में तेल और गैस के आठ ब्लॉक की पेशकश की िै ।

www.insightsonindia.com 210 InsightsIAS


इसका उददे श्य, घरे लू उत्पादन में वद
ृ धध करने तथा आयात में कमी करने िे तु ‘अन्वेर्र्ण’ के अंतगषत और अधधक
क्षेत्र को लाना िै ।
‘खल
ु ा क्षेत्रफल लाइसेंशसंग नीतत’ (OALP) के बारे में :
‘खुला क्षेत्रफल लाइसेंमसंग नीतत’ को वर्ष 2017 में ‘िाइड्रोकाबषन एतसप्लोरे शन एंड लाइसेंमसंग पॉमलसी’ (HELP) के
तित लॉन्च ककया गया था।
• OALP के तित, कंपतनयों के मलए, जजन क्षेत्रों में वे तेल और गैस का अन्वेर्र्ण करना चािती िैं, उन क्षेत्रो
को धचजहनत एवं तनधाषररत करने की अनुमतत दी जाती िै ।
• कंपतनयां, साल भर में तीन बार ककसी भी क्षेत्र के मलए ‘अमभरुधच की अमभव्यजतत’ (expression of interest
- EOI) का आवेदन कर सकती िैं। इसके बाद ‘मांगे गए क्षेत्रो’ को तनववदा के मलए बोली लगाने िे तु रखा
जाता िै ।
• इस नीतत के तित, सभी प्रकार के िाइड्रोकाबषन की खोज और उत्पादन के मलए एक समान लाइसेंस का
प्रावधान ककया गया िै , जजससे ठे केदारों को पारं पररक और अपरं परागत तेल और गैस संसाधनों का पता
लगाने में मदद ममलती िै ।
• एक ‘राजस्व-साझाकरर्ण मॉडल’ के तित इन क्षेत्रों की पेशकश की जाती िै और उत्पाहदत कच्चे तेल और
प्राकृततक गैस के मलए ववपर्णन और मूल्य तनधाषरर्ण िे तु स्वतंत्रता प्रदान की जाती िै ।
31. शशरोमणर् अकाली दल
मशरोमखर्ण अकाली दल के गठन को 100 वर्ष िो गए िैं।
• गुरुदवारों को मिं तों के तनयंत्रर्ण से मत
ु त करने के मलए 14 हदसंबर 1920 को एक ‘स्वयंसेवी संगठन’ के
रूप में इसका गठन ककया गया था।
• इसके दवारा एक शांततपूर्णष संघर्ष का आरं भ ककया गया जो चार साल तक चला। इस संघर्ष के दौरान
मिं तों और त्रब्रहटश प्रशासन, दोनों के िमलों से लगभग 4,000 प्रदशषनकारी मारे गए थे।
• मोचाष ने अंततः ‘मसख गरु
ु दवारा अधधतनयम 1925’ को लागू करवाने में सफलता िामसल की, जजसके तित
गुरुदवारों का तनयंत्रर्ण ‘मशरोमखर्ण गरु
ु दवारा प्रबंधक कमेटी’ (SGPC) के अधीन आ गया।
• बाद में , इसने ‘कांग्रेस पाटी के साथ गठबंधन का मागष प्रशस्त करते िुए, औपतनवेमशक सरकार के खखलाफ
लड़ाई के मलए राजनीततक पाटी को खड़ा ककया।
32. भारतीय संवििान का अनुच्छे द 31D
िाल िी में , सरकार ने संसद में स्पष्ट्ट करते िुए किा िै , कक ककसी भी कानून में 'राष्ट्र-ववरोधी' शब्द को पररभावर्त
निीं ककया गया िै ।
• वर्ष 1976 में आपातकाल के दौरान संववधान में 'राष्ट्र-ववरोधी गततववधध' को शाममल ककया गया था लेककन
बाद में इसे िटा हदया गया था।
• संववधान (चालीसवां संशोधन) अधधतनयम, 1976 को संववधान के अनुच्छे द 31D (आपातकाल के दौरान) में
शाममल ककया गया, जजसमे 'राष्ट्र-ववरोधी गततववधधयों’ को पररभावर्त ककया गया था। इस अनच्
ु छे द 31D को
बाद में , संववधान (चालीसवां संशोधन) अधधतनयम, 1977 दवारा तनरमसत कर हदया गया था।
33. धचल्ले / धचल्लाई- कलां
21 हदसंबर को कश्मीर घाटी के ऊपरी क्षेत्रों में कठोर शीत ऋतु के पारं पररक 40 हदन की अवधध शुरू िो गई िै।
इस अवधध को 'धचल्ले/धचल्लाई- कलां' (Chillai kalan) किा जाता िै ।
• ‘धचल्लई कलां’ एक फारसी शब्द िै जजसका अथष िै 'बड़ी सदी'।
• किा जाता िै , कक इस अवधध में कश्मीर के पिाड़ों में िफ्तों तक बफष से ढक जाते िैं और शीत लिर
अपने चरम पर पिुंच जाती िै । प्रमसदध डल झील भी जनवरी के अंत तक हिमांक त्रबंद ु तक पिुंच जाती
िै ।
www.insightsonindia.com 211 InsightsIAS
• धचल्लाई- कलां के बाद 20 हदनों को धचल्ले/धचल्लाई- खुदष (Chillai Khurd) तथा उसके बाद के 10 हदनों को
धचल्ले/धचल्लाई- बच्चा (Chillai Baccha) के नाम से जाना जाता िै ।
34. एजल्बनो इंडियन फ्लैपशेल कछुआ
िाल िी में तेलंगाना के तनजामाबाद के मसरनापल्ली जंगल में पवषतारोहियों दवारा ‘एजल्बनो इंडडयन फ्लैपशेल कछुए’
(Albino Indian Flapshell turtle) की एक दल
ु भ
ष प्रजातत दे खी गई।
• ‘इंडडयन फ्लैपशेल कछुआ’ आमतौर पर पाककस्तान, श्रीलंका, भारत, नेपाल, बांग्लादे श और म्यांमार जैसे
दक्षक्षर्ण एमशयाई दे शों में पाया जाता िै ।
• कछुए का दल
ु भ
ष पीला रं ग, सरीसप
ृ ों में उच्च मात्रा में मौजद
ू रिने वाले ‘टाइरोमसन’ नामक वर्णषक की कमी
के कारर्ण िो सकता िै । टाइरोमसन की कमी के मलए, संभवतः आनुवंमशक उत्पररवतषन या संभाववत
जन्मजात ववकार जजम्मेदार िो सकता िै ।
• इंडडयन फ्लैपशेल कछुए, आमतौर पर केवल 9 से 14 इंच (22 सेंटीमीटर से
35 सेंटीमीटर) लंबे िोते िैं, और में ढक, घोंघे और जलीय वनस्पतत खाना पसंद
करते िैं।
संरक्षर् जस्र्तत:
• IUCN रे ड मलस्ट: संवद
े नशील
• CITES: पररमशष्ट्ट II
• वन्यजीव (संरक्षर्ण) अधधतनयम, 1972: अनुसच
ू ी I
35. केरल की शसल्िर लाइन पररयोजना
केरल की मसल्वर लाइन पररयोजना (Silver Line Project) के तित, राज्य के दक्षक्षर्णी
छोर पर जस्थत राज्य की राजधानी ततरुवनंतपुरम को, उत्तरी छोर पर जस्थत
कासरगोड से जोड़ने के मलए एक सेमी िाई-स्पीड रे लवे कॉररडोर का तनमाषर्ण ककया
जाना प्रस्ताववत िै ।
• मसल्वर लाइन की लंबाई 529.45 ककलोमीटर िोगी, और यि 11 स्टे शनों
के माध्यम से 11 जजलों से िोकर गज
ु रे गी।
• पररयोजना के पूरी िोने पर, कासरगोड से ततरुवनंतपुरम तक 200 ककमी /
घंटा की गतत से चलने वाली रे नों में चार घंटे से भी कम समय में यात्रा
की जा सकती िै । मौजूदा भारतीय रे लवे नेटवकष पर, वतषमान ने इस दरू ी
को तय करने में 12 घंटे का समय लगता िै ।
• केरल रे ल डेवलपमें ट कॉरपोरे शन मलममटे ड (KRDCL) दवारा तनष्ट्पाहदत की
जा रिी पररयोजना के मलए वर्ष 2025 की समय सीमा तनधाषररत की गयी िै ।
• KRDCL, या के-रे ल (K-Rail), केरल सरकार और केंद्रीय रे ल मंत्रालय का एक संयुतत उदयम िै ।
इसका विरोि ककए जाने के कारर् और अन्य बािाएं:
इस पररयोजना को लेकर कई धचंताएं व्यतत की जा रिी िैं। आलोचकों के अनुसार, इस पररयोजना की भारी लागत
से राज्य और अधधक कजष में चला जाएगा। यात्री सुरक्षा के बारे ककए जा रिे दावों पर भी संदेि ककया जा रिा िै।
सबसे अधधक, वर्ष 2018 में आयी बाढ़ की पष्ट्ृ ठभमू म में, पयाषवरर्ण संबंधी धचंताएं िैं, इस बाढ़ के दौरान लगभग पूरा
राज्य जलमग्न िो गया था। आशंका व्यतत की जा रिी िै कक इस पररयोजना के ककनारों / तटबंधो से राज्य दो
भागों में बंट जाएगा, और पानी का मत
ु त प्रवाि बाधधत िोगा।
36. समाज सुिार अशभयान
• िाल िी में , त्रबिार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सामाजजक सध
ु ारों के मलए अमभयान 'समाज सुधार
अमभयान' शरू
ु ककया िै ।
www.insightsonindia.com 212 InsightsIAS
• अमभयान के हिस्से के रूप में , मुख्यमंत्री लोगों को शराबबंदी के लाभों और समाज पर दिे ज प्रथा और बाल
वववाि के बुरे प्रभावों के बारे में जागरूक करें गे।
37. टाइफून राय
• कफलीपींस के दक्षक्षर्ण-पूवी हिस्से में सुपर
‘टाइफून राय’ (Typhoon Rai) दवारा तबािी
जारी िै , जजससे िजारों लोगों को व्यापक
बाढ़ और ववनाश की चेतावनी के बीच,
शरर्ण लेने के मलए मजबरू िोना पड़ा िै ।
• टाइफून राय को कफलीपींस में टाइफून
ओडेट (Typhoon Odette ) किा जाता िै ।
यि वतषमान में एक शजततशाली
उष्ट्र्णकहटबंधीय चिवात (tropical cyclone)
िै , जजसने पलाऊ दवीप के पास से गुजरने के बाद कफलीपींस को प्रभाववत कर रिा िै ।
• टाइफून राय, वर्ष 1954 के पामेला और वर्ष 2014 के राम्मसून (Rammasun) के बाद दक्षक्षर्ण चीन सागर में
आने वाला श्रेर्णी 5 का तीसरा सुपर टाइफून बन गया िै ।
38. तधलीगी जमात
• वस्तुतः ‘तब्लीगी जमात’ (Tablighi Jamaat) अथष, धमष का प्रसार करने वाला समाज िोता िै । यि एक
रूहढ़वादी मुजस्लम संगठन िै।
• यि एक सन्ु नी इस्लाम धमष-प्रचारक आंदोलन िै । इसका उददे श्य आम मस ु लमानों तक पिुंचना और ववशेर्
रूप से अनुष्ट्ठान, पोशाक और व्यजततगत व्यविार के मामलों में उनके ववश्वास को पुनजीववत करना िै ।
• बांग्लादे श, पाककस्तान, संयत
ु त राज्य अमेररका, त्रब्रटे न, इंडोनेमशया, मलेमशया और मसंगापुर सहित ववमभन्न
दे शों में इसका मित्वपूर्णष आधार िै ।
आंदोलन का आरं भ:
• ‘तब्लीगी जमात’ की शरु
ु आत, वर्ष 1926 में मेवात (िररयार्णा) में प्रमख
ु इस्लामी ववदवान मौलाना मि
ु म्मद
इमलयास खंडलाव दवारा की गयी थी।
• इसकी जड़ें, धमषशास्त्र के िनफ़ी संप्रदाय के दे वबंदी संस्करर्ण में तनहित िैं।
• मौलाना इमलयाज ने दे वबंद और सिारनपुर के कई युवकों को प्रमशक्षक्षत कर मेवात भेज हदया, जिां तब्लीगी
जमात दवारा मदरसों और मजस्जदों का एक नेटवकष स्थावपत ककया गया िै ।
तधलीगी जमात, तनम्नशलणखत छह शसद्िांतों पर आिाररत है :
1. कलीमा (Kalimah), अथाषत एक धाममषक लेख, जजसमें तब्लीग स्वीकार करता िै कक अल्लाि के अलावा कोई
ईश्वर निीं िै और पैगंबर मुिम्मद उसके दत
ू िैं।
2. सलात (Salaat), या रोजाना पााँच बार नमाज।
3. इल्म (ILM) और धधि (DHIKR), अल्लाि को याद करना और उसके बारे में ज्ञान सभाएं करना, यि इस
प्रकार समुदाय और पिचान की भावना को बढ़ावा दे ता िै ।
4. इकराम-ए-मुजस्लम (Ikram-i-Muslim), अथाषत साथी मस
ु लमानों के साथ सम्मान से पेश आना।
5. इखलास-ए-तनयत (Ikhlas-i-niyat), या ईमानदार इरादे ।
6. दावत-ओ-तबलीग (Dawat-o-tabligh), या धमािंतरर्ण।
इसके कामकाज की आलोचना का कारर्:
यदयवप, इस संगठन का दायरा ‘मुजस्लम आस्था’ के प्रसार तक सीममत प्रतीत िोता िै , कफर भी इस समूि पर कई
बार कट्टरपंथी संगठनों से संबंध रखने का आरोप लगाया जाता रिा िै । कुछ पयषवेक्षकों के अनस
ु ार, कट्टरपंथी
www.insightsonindia.com 213 InsightsIAS
संगठन इसके खुले संगठनात्मक ढांचे का लाभ उठा सकते िैं। इसके अलावा, यि संगठन अपनी गततववधधयों के
दायरे , सदस्यता या अपने ववत्त के स्रोत के बारे में कोई जानकारी प्रकामशत निीं करते िैं। िालांकक, ऐसा माना जाता
िै कक ‘तब्लीगी जमात’ दान पर यकीन निीं करता िै , और काफी िद तक, संगठन के वररष्ट्ठ सदस्य इसका
ववत्तपोर्र्ण करते िैं।
चचाभ का कारर्:
माचष 2020 में , हदल्ली में ‘तब्लीगी जमात’ के मुख्यालय में आयोजजत एक धाममषक सभा में शाममल िोने वाले
दजषनों व्यजततयों के कोववड-19 से संिममत िोने के ‘सकारात्मक परीक्षर्ण’ आने के बाद, यि संगठन भारत में एक
वववाद के केंद्र में रिा। िाल िी में , सऊदी अरब ने इस इस्लाममक ममशनरी संगठन को अपने दे श में प्रततबंधधत
कर हदया गया, जजससे यि एक बार कफर से चचाष का ववर्य बन गया।
39. पी एन पणर्कर
भारत के राष्ट्रपतत ने िाल िी में , ततरुवनंतपरु म के पज
ू ापरु ा में श्री ‘पी एन पखर्णकर’ (P.N. Panicker) की प्रततमा
का अनावरर्ण ककया।
पी एन पणर्कर (1909-1995):
‘पुथुवातयल नारायर्ण पखर्णतकर’ को केरल के पुस्तकालय आंदोलन के जनक के रूप में जाना जाता िै ।
• वर्ष 1996 से उनकी पुण्यततधथ - 19 जून को केरल में ‘वायनाहदनम’ (Vayanadinam) अथाषत ‘पठन हदवस’
के रूप में मनाया जाता िै ।
• 2017 में, प्रधान मंत्री ने 19 जून (केरल के पठन हदवस) को भारत में ‘राष्ट्रीय पठन हदवस’ के रूप में
घोवर्त कर हदया था, इसके आगे मिीने भर की अवधध को, भारत में ‘राष्ट्रीय पठन माि’ (National
Reading Month) के रूप में मनाया जाता िै ।
• ‘पखर्णतकर’ ने 1945 में 47 ग्रामीर्ण पुस्तकालयों सहित ‘ततरुववथामकूर ग्रंथशाला संघम’ / त्रावर्णकोर लाइब्रेरी
एसोमसएशन (Thiruvithaamkoor Granthasala Sangham) के गठन में मित्वपूर्णष भूममका तनभाई। 'पढ़ो और
बढ़ो' इस संघ का नारा था।
• ‘ग्रंथशाला संघम’ को वर्ष 1975 में यूनेस्को दवारा प्रततजष्ट्ठत 'कृपसकाया पुरस्कार' (Krupsakaya Award)
प्रदान ककया गया था।
40. अभ्यास
िाल िी में , रक्षा अनुसंधान एवं ववकास संगठन (DRDO) दवारा स्वदे शी रूप से ववकमसत िाई-स्पीड एतसपें डेबल
एररयल टारगेट (High-Speed Expendable Aerial Target - HEAT) ‘अभ्यास’ (Abhyas) का सफलतापूवक
ष परीक्षर्ण
ककया िै ।
• ‘अभ्यास’ एक स्वदे शी मानवरहित िवाई लक्ष्य प्रर्णाली िै ।
• वैमातनकी ववकास प्रततष्ट्ठान (ADE), बेंगलुरु जस्थत DRDO प्रयोगशाला ने अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाओं
के साथ भारतीय सशस्त्र बलों के एररयल टारगेट्स की आवश्यकता को पूरा करने के मलए इस स्वदे शी
मानव रहित िवाई टारगेट प्रर्णाली को ववकमसत ककया िै ।
41. ओशलि ररिले कछुए
जूलॉजजकल सवे ऑफ इंडडया (ZSI) के शोधकताषओं दवारा ‘ओमलव ररडले’ (Olive Ridley) कछुओं की तीन सामहू िक
प्रजनन स्थलों - गहिरमाथा, दे वी नदी के मुिाने और रुमशकुल्या पर टै धगंग (Tagging) की जा रिी िै ।
इस टै धगंग से प्रजनन स्थलों पर इकठ्ठे िोने और प्रजनन करने के बाद, ‘ओमलव ररडले कछुओं’ के प्रवसन मागष
तथा इनके गन्तव्य स्थानों के बारे में जानकारी ममलेगी।
महत्िपूर्भ तथ्य:
• ओमलव ररडले कछुए (Olive ridley turtles) विश्ि में पाए जाने िाले सभी समुद्री कछुओं में सबसे छोटे और
सिाभधिक संसया में हैं।
www.insightsonindia.com 214 InsightsIAS
• ये प्रशांत, अटलांदटक और भारतीय महासागरों के उष्ट्र् जल में तनिास करते िैं।
• ओमलव ररडले कछुए, तथा इसी प्रजातत के केमप्स ररडले कछुए (Kemps ridley turtle), अपने ववमशष्ट्ट
सामहू िक घोसलों के मलए जाने जाते िैं , इन घोसलों को अररबाड़ा (Arribada) किा जाता िै ।
• समुद्र तट पर इन घोसलों में मादा ओमलव ररडले कछुए िजारों की संख्या में एक साथ अंडे दे ने के मलए
िर साला आती िैं।
• ओडडशा के गंजम जजले में रुशशकुल्या नदी तट, गदहरमार्ा तट और दे बी नदी का मह
ु ाना, ओडडशा में ओमलव
ररडले कछुओं दवारा अंडे दे ने के प्रमुख स्थल िैं।
संरक्षर् जस्र्तत:
• वन्यजीव संरक्षर्ण अधधतनयम, 1972: अनुसूची- 1
• IUCN रे ड मलस्ट: संवद
े नशील (Vulnerable)
• CITES: पररमशष्ट्ट- I
िर साल, 1980 के दशक की शुरुआत से भारतीय तटरक्षक बल दवारा "ऑपरे शन ओमलववया" (Operation Olivia)
चलाया जाता िै , जजसके दौरान नवंबर से हदसंबर तक ‘घोसला बनाने और प्रजनन करने’ िे तु ओडडशा तट पर
एकत्र िोने वाले ओमलव ररडले कछुओं की रक्षा करने में मदद की जाती िै ।
42. ‘संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद’ का संकल्प 2615
िाल िी में , संयत
ु त राष्ट्र सरु क्षा पररर्द (UNSC) दवारा ‘संकल्प 2615’ (Resolution 2615) सवषसम्मतत से पाररत
ककया गया िै । इसमें , अफगातनस्तान को मानवीय सिायता प्रदान करने के मलए तामलबान के खखलाफ लगाए गए
प्रततबंधों को िटाने संबंधी प्रावधान ककए गए िैं।
• इस प्रस्ताव में , अफ़गातनस्तान में बतु नयादी मानवीय जरूरतों को परू ा करने िे त,ु आवश्यक मानवीय
सिायता और अन्य गततववधधयों को शाममल ककया गया िै ।
• संकल्प (2615) में िर छि मिीने में इन छूटों की समीक्षा करना अतनवायष ककया गया िै ।
• इसमें आपातकालीन राित समन्वयक से ‘सिायता के ववतरर्ण और कायाषन्वयन में आने वाली बाधाओं’ के
बारे में िर छि मिीने में ‘संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररर्द’ को को जानकारी दे ने को किा गया िै ।
• इसमें मानवाधधकारों का सम्मान करने और अंतराषष्ट्रीय मानवीय कानन
ू का पालन करने के मलए "सभी
पक्षों से आहवान" भी ककया गया िै ।
43. प्रलय शमसाइल
DRDO ने िाल िी में स्वदे शी रूप से ववकमसत सति से सति पर मार करने वाली ममसाइल 'प्रलय' (Pralay) का
पिला उड़ान परीक्षर्ण सफलतापूवक
ष ककया।
• प्रलय' भारत की पिली पारं पररक अधष-बैमलजस्टक ममसाइल िै । एक अधष-बैमलजस्टक ममसाइल का प्रक्षेपवि
कम िोता िै , और चूंकक यि काफी िद तक बैमलजस्टक जैसी िी िोता िै , अतः यि उड़ान में पैंतरे बाजी करने
में सक्षम िै ।
• ममसाइल को इस तरि से ववकमसत ककया गया िै , कक यि इंटरसेप्टर ममसाइलों को तनष्ट्फल करने में
सक्षम िै और िवा में एक तनजश्चत दरू ी के बाद अपना मागष बदलने में भी सक्षम िै ।
• प्रलय ममसाइल, एक ठोस प्रर्णोदक रॉकेट मोटर और कई नई तकनीकों से संचामलत िै ।
• रें ज: ममसाइल की रें ज 150-500 ककलोमीटर िै और इसे मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च ककया जा सकता िै ।
• भारतीय सेना की शस्त्र-सच
ू ी में ‘प्रलय’ सति से सति पर मार करने वाली ‘सबसे लंबी दरू ी’ की ममसाइल
िोगी।
44. िनाभतयुलर इनोिेशन प्रोग्राम
िाल िी में , अटल इनोवेशन ममशन (AIM) दवारा 22 मातभ
ृ ार्ाओं में नवोन्मेर्कों, उदयममयों को सशतत बनाने के
मलए वनाषतयल
ु र इनोवेशन प्रोग्राम (Vernacular Innovation Program - VIP) शरू
ु ककया गया िै ।
www.insightsonindia.com 215 InsightsIAS
• नीतत आयोग के तित, ‘अटल इनोवेशन ममशन’ का अपनी तरि का पिला कायषिम िै , जो दे श में
नवोन्मेर्कों और उदयममयों को भारत सरकार की 22 अनुसूधचत भार्ाओं में नवाचार इको-मसस्टम तक
पिुंच बनाने में सक्षम बनाएगा।
• कायाभन्ियन: VIP के मलए आवश्यक क्षमता तनमाषर्ण को लेकर, एआईएम 22 अनुसूधचत भार्ाओं में से
प्रत्येक की पिचान के बाद एक वनाषतयुलर टास्क फोसष (VTF) को प्रमशक्षर्ण प्रदान करे गा।
• यि कायषिम भारतीय नवाचार तथा उदयममता इको-मसस्टम की यात्रा में एक कदम िोगा जो युवा तथा
मित्वाकांक्षी हदमागों में संज्ञानात्मक एवं डडजाइन से संबंधधत सोच को मजबूत करे गा।
• अटल इनोवेशन ममशन की यि अनठ
ू ी पिल, भार्ा की बाधाओं को दरू करने और दे श के सबसे दरू के
क्षेत्रों में इनोवेटरों को सशतत बनाने में मदद करे गी।
आिश्यकता:
2011 की जनगर्णना के अनस
ु ार, केवल 10.4 प्रततशत भारतीय िी अंग्रेजी बोलते िैं, जबकक ज्यादातर अपनी दस
ू री,
तीसरी या चौथी भार्ा के रूप में इसका इस्तेमाल करते िैं।
• केवल 0.02 प्रततशत भारतीय िी अपनी पिली भार्ा के रूप में अंग्रेजी बोलते िैं।
• अटल इनोवेशन ममशन (AIM) का उददे श्य ककसी की भार्ा और संस्कृतत में सीखने की पिुंच प्रदान करके
स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैजश्वक नवाचार को बढ़ावा दे ना िै ।
45. तोलकाजप्पयम
िाल िी में , मशक्षा राज्य मंत्री दवारा तोलकाजप्पयम (Tolkāppiyam) के हिंदी अनुवाद और शास्त्रीय तममल साहित्य
की 9 पस्
ु तकों के कन्नड़ अनुवाद का ववमोचन ककया गया।
• तममल साहित्य, संगम यग
ु से संबंधधत िै , जजसका नाम कववयों की सभा (संगम) के नाम पर रखा गया
िै ।
• तोल्काजप्पयम की रचना ‘तोल्काजप्पयार’ दवारा की गयी थी और इसे तममल साहिजत्यक कृततयों में सबसे
प्रारं मभक माना जाता िै ।
• िालांकक यि रचना तममल व्याकरर्ण से संबधं धत िै , ककं तु यि उस समय की राजनीततक और सामाजजक-
आधथषक जस्थततयों पर भी अंतदृषजष्ट्ट भी प्रदान करती िै ।
• तममल परं परा में कुछ लोग, इस रचना को सिस्राब्दी ईसा पूवष या उससे पिले के ‘पौराखर्णक दस
ू रे संगम’
में रखते िैं।
46. आकभबबशप िेसमंि टूटू
दे श के नैततक हदशा-सच
ू क के रूप में ववख्यात, दक्षक्षर्ण अफ्रीका के रं गभेद ववरोधी आइकन आकषत्रबशप डेसमंड टूटू
(Archbishop Desmond Tutu) का िाल िी में तनधन िो गया।
• उन्िें उनके सिज िास्य और ववमशष्ट्ट मुस्कान - और सबसे बढ़कर सभी रं गों के प्रतत िोने वाले अन्याय
के खखलाफ उनकी अथक लड़ाई के मलए याद ककया जाता था।
• आकषत्रबशप को दक्षक्षर्ण अफ्रीका में श्वेत अल्पसंख्यक शासन का मक
ु ाबला करने के मलए 1984 में नोबेल
शांतत पुरस्कार प्रदान ककया गया था।
• जब नेल्सन मंडेला 1994 में दे श के पिले अश्वेत राष्ट्रपतत बने, तब उन्िोंने दक्षक्षर्ण अफ्रीका की व्याख्या
करने के मलए इसे "इंद्रधनुर्ी राष्ट्र" (Rainbow Nation) का नाम हदया।
• दे श के पिले अश्वेत नेता, पूवष अमेररकी राष्ट्रपतत बराक ओबामा ने टूटू को "नैततक हदशा-सच
ू क" (Moral
Compass) कि कर सम्मातनत ककया।
• दक्षक्षर्ण अफ्रीका के राष्ट्रपतत मसररल रामफोसा ने उन्िें "असाधारर्ण बद
ु धध, अखंडता और रं गभेद की ताकतों
के खखलाफ अजेय" व्यजतत किा।

www.insightsonindia.com 216 InsightsIAS


47. गोलन हाइट्स
‘गोलन िाइट्स’ (Golan Heights) दक्षक्षर्ण-पजश्चमी सीररया में ‘इजराइल और सीररया’ के बीच की सीमा पर 1,800
ककमी² के क्षेत्रफल में ववस्ताररत एक चट्टानी पठार िै ।
1967 के संघर्ष में इजराइल ने गोलान िाइट्स को सीररया से छीनकर मलया था और 1981 में अपने राज्य में
शाममल कर मलया था। इजराइल के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता निीं ममली िै ।
गोलन हाइट्स पर अंतराभष्ट्रीय मान्यता:
• यूरोपीय संघ का किना िै , कक गोलन िाइट्स की जस्थतत पर उसकी राय अभी तक अपररवततषत िै , और
यरू ोपीय संघ ने इस क्षेत्र पर इजरायल की संप्रभत
ु ा को मान्यता निीं दी िै ।
• अरब लीग का किना िै कक इजराइल का कदम "पूरी तरि से अंतरराष्ट्रीय कानून के ववरुदध िै "। ववहदत
िो कक, अरब लीग ने गि
ृ युदध शुरू िोने के बाद वर्ष 2011 में सीररया को तनलंत्रबत कर हदया था।
• ममस्र का किना िै कक वि अभी भी गोलन िाइट्स को इजराइल अधधकृत सीररयाई क्षेत्र के रूप में मानता
िै । ममस्र और इजराइल के बीच वर्ष 1979 में शांतत समझौता िुआ था।
• भारत ने भी गोलान िाइट्स को इजराइल क्षेत्र के रूप में मान्यता निीं दी िै , और गोलान िाइट्स को
सीररया के मलए वापस करने की मांग की िै ।
• 2019 में, अमेररकी राष्ट्रपतत डोनाल्ड रम्प ने घोर्र्णा की थी, कक अमेररका गोलान िाइट्स पर इजरायल
की संप्रभत
ु ा को मान्यता दे सकता िै ।
चचाभ का कारर्: इजरायल के प्रधान मंत्री नफ्ताली बेनेट (Naftali Bennett) ने िाल िी में किा था, कक उनकी
सरकार, इजरायल-तनयंत्रत्रत गोलन िाइट्स में बसने वाले लोगों की संख्या को दोगन
ु ा करने पर ववचार कर रिी िै ।
इस क्षेत्र पर इजरायल की पकड़ को और मजबत
ू करने के मलए एक कई-मममलयन डॉलर की योजना पर कायष
ककया जा रिा िै ।
48. ‘जन गर् मन’ के सािभजतनक रूप से पहली बार गायन की 110 िीं िषभगांठ
27 हदसंबर 1911 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधधवेशन में , भारत के राष्ट्रगान ‘जन गर्ण मन’ को
पिली बार सावषजतनक रूप से गाया गया था। इस वर्ष इसकी 110 वीं वर्षगांठ िैं।
• बाद में , जन गर्ण मन को 24 जनवरी, 1950 को भारत की संववधान सभा दवारा राष्ट्रगान के रूप में
अपनाया गया था।
• रवींद्रनाथ टै गोर ने ‘भारत भाग्य त्रबधाता’ की रचना की थी। इस रचना का पिला पद, जन गर्ण मन,
वतषमान में िमारा राष्ट्रगान िै ।
49. ई.ओ. विल्सन
अग्रर्णी अमेररकी वैज्ञातनक, प्रोफेसर और लेखक, एडवडष. ओ. ववल्सन (Edward. O. Wilson) का िाल िी में , 92 वर्ष
की आयु में तनधन िो गया।
• ववमभन्न कीटों पर उनके अध्ययन और पथ्
ृ वी को बचाने के आहवान करने के मलए उन्िें "डाववषन का
प्राकृततक उत्तराधधकारी" उपनाम हदया गया था।
• उन्िें ‘चींहटयों और उनके व्यविार’ पर दतु नया का अग्रर्णी अधधकाररक ववदवान ् माना जाता िै ।
• अपने कररयर की शुरुआत में एक कीट ववज्ञानी (Entomologist) के रूप में, कीटों का अध्ययन करने के
साथ-साथ पक्षक्षयों, स्तनधाररयों और मनुष्ट्यों के सामाजजक संबंधों का अध्ययन करते िुए अपने दायरे को
व्यापक रूप से ववस्तत ृ ककया। उन्िोंने, एक प्रभावी और वववादास्पद रूप से – समाजजक-जैवशास्त्र
(Sociobiology) के रूप में जाना जाने वाला ‘ववज्ञान का एक नया क्षेत्र’ स्थावपत ककया।
• उन्िोंने सैकड़ों वैज्ञातनक लेखों और 30 से अधधक पुस्तकों की रचना की, जजनमें से दो रचनाओं -1978 में
ऑन हयूमन नेचर, और 1990 में ‘द एंट्स’- के मलए ‘नॉन-कफतशन श्रेर्णी में ’ पुमलत्जर पुरस्कार प्रदान ककया
गया था।
www.insightsonindia.com 217 InsightsIAS
50. जीरो-िे िल्नरबबशलटी तर्ा लॉग4जे
0 हदन / जीरो-डे वल्नरत्रबमलटी (zero-day vulnerability)
एक प्रकार का सरु क्षा दोर् िै , जजसे सावषजतनक रूप से
प्रकट निीं ककया गया िै । इसके मलए अभी तक कोई
सॉफ़्टवेयर पैच या उपचार तकनीक उपलब्ध निीं िै ।
• लॉग4शैल (Log4Shell) को सावषजतनक रूप से
प्रकट ककए जाने से कम से कम एक सप्ताि
पिले, इसके इस्तेमाल करने के प्रयासों को
दे खते िुए, यि किा जा सकता िै कक यि ‘जीरो-
डे वल्नरत्रबमलटी’ थी, िालांकक, इसे केवल एक
बिुत िी संक्षक्षप्त अवधध के मलए नोट ककया
गया था।
• लॉग4जे (log4j), जावा सॉफ्टवेयर के मलए व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली ‘सॉफ्टवेयर लॉधगंग
लाइब्रेरी’ िै । इस मिीने की शुरुआत में , इस लाइब्रेरी में एक मित्वपूर्णष सुरक्षा भेदयता के बारे में जानकारी
सावषजतनक रूप से प्रकट की गई थी।
51. भारत में नए टीकों को मंजरू ी
िाल िी में , भारत में कोववड मिामारी के मलए दो टीकों और एक गोली (टे बलेट) को मंजूरी दी गयी िै ।
कॉबेवैतस (CORBEVAX) और कोवोवैतस (COVOVAX) नामक इन नवीनतम दोनों टीकों को ‘दवा तनयामक
सीडीएससीओ (CDSCO) दवारा अनम
ु ोहदत ककया गया िै।
• कॉबेवैतस वैतसीन, भारत का पिला स्वदे शी रूप से ववकमसत, कोववड-19 के खखलाफ RBD प्रोटीन सब-यूतनट
वैतसीन िै । इसे िै दराबाद जस्थत फमष बायोलॉजजकल-ई दवारा बनाया गया िै ।
• नैनोपाहटष कल वैतसीन, कोवोवैतस को पर्ण
ु े जस्थत फमष ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडडया’ दवारा तनममषत ककया
जाएगा।
अनम
ु ोहदत की गयी ‘एंटी-वायरल दवा’ का नाम ‘मोल्नवु परावीर’ (MOLNUPIRAVIR) िै ।
इस अनुमोदन के साथ, दे श में ‘आपातकालीन उपयोग अधधकार’ प्राप्त करने वाले कोववड टीकों की संख्या बढ़कर
आठ िो गई िै ।
52. केंद्र सरकार द्िारा ‘सोया खाद्य’ आिश्यक िस्तु सच
ू ी में शाशमल
‘सोया खादय पदाथों’ की घरे लू कीमतों को कम करने के मलए, सरकार ने ‘आवश्यक वस्तु अधधतनयम, 1955’ के
तित 'सोया खादय’ को आवश्यक वस्तु घोवर्त करते िुए एक अधधसच ू ना जारी की िै ।
• सरकार के इस तनर्णषय से बाजार में सोया तनममषत खादय पदाथों की कीमतों में वद
ृ धध की संभावना वाली
ककसी भी अनुधचत गततववधध (जैसे जमाखोरी, कालाबाजारी आहद) पर लगाम लगने की उम्मीद िै ।
• सोयाबीन, भोजन में सबसे मित्वपर्ण
ू ष प्रोटीन स्रोत िै , इसका उपयोग कृवर्-कायों में काम आने वाले जानवरों
को खखलाने के मलए ककया जाता िै । कुछ दे शों में इसका उपयोग मानव उपभोग के मलए भी ककया जाता
िै । सोयाबीन खादय, सोयाबीन तेल के तनष्ट्कर्षर्ण का उप-उत्पाद से तनममषत िोता िै।
53. जम्म-ू कश्मीर ररयल एस्टे ट क्षेत्र
केंद्र सरकार और केंद्र शामसत प्रदे श जम्मू और कश्मीर की सरकार ने, िाल िी में , जम्मू में आयोजजत पिले 'जम्मू
और कश्मीर ररयल एस्टे ट सम्मेलन' में ररयल एस्टे ट के हदग्गजों से तनवेश आकवर्षत करने के मलए एक बड़ा कदम
उठाते िुए, दे श के सभी नागररकों के मलए "दसू रा घर तथा गममषयों के मलए घर बनाने” िे तु स्थानीय अचल संपवत्त
(real estate) को खोलने का फैसला ककया िै ।

www.insightsonindia.com 218 InsightsIAS


• िाल िी में लागू ककए गए ‘जम्मू और कश्मीर ववकास अधधतनयम’ के तित, एक मानदं ड के रूप में 'राज्य
के स्थायी तनवासी' शब्द को िटा हदया गया िै , जजससे जम्मू और कश्मीर के बािर के तनवेशकों के मलए
केंद्र शामसत प्रदे श में तनवेश करने का मागष प्रशस्त िो गया िै ।
• पररर्णामस्वरूप, भारत का कोई भी नागररक जम्मू और कश्मीर में गैर-कृवर् भमू म खरीद सकता िै ।
54. नीलगाय
िाल िी में , त्रबिार सरकार ने ‘ब्लू बुल’ (Blue Bull), जजसे स्थानीय रूप से ‘नीलगाय’ (Nilgais) या घुरपारा के नाम
से जाना जाता िै , की ित्या करने पर रोक लगाने की घोर्र्णा की िै । इसके बजाय, राज्य में ‘नीलगाय’ की बढ़ती
आबादी को तनयंत्रत्रत करने के मलए इनकी नसबंदी की जाएगी।
• ‘नीलगाय’ सबसे बड़ा एमशयाई मग
ृ िै और उत्तरी भारतीय उपमिादवीप में
लगभग िर जगि पाया जाता िै ।
• ‘नीलगाय’ बोसेलफस (Boselaphus) जीनस का एकमात्र सदस्य िै और ‘बोववडे’
(Bovidae) पररवार में रखा गया िै ।
• इस प्रजातत में ववमशष्ट्ट ‘लैंधगक दववरूपता’ िोती िै; नर नीलगाय आकार में
मादा से बड़े और रं ग में मभन्न िोते िैं।
• ‘नीलगाय’ भारत, नेपाल और पाककस्तान में पायी जाती िै । हिमालय की तलिटी में तराई के तनचले इलाकों
में इनकी संख्या काफी अधधक िै ।
• यि भारतीय उपमिादवीप के मलए स्थातनक प्रजातत िै ।
• IUCN जस्थतत: संकटमत
ु त (Least Concern)
55. दारा शशकोह (1615-59)
• दारा मशकोि (Dara Shikoh), मुगल बादशाि शािजिााँ का सबसे बड़ा पुत्र था।
• अपने भाई औरं गजेब के खखलाफ उत्तराधधकार की लड़ाई िारने के बाद उसकी ित्या कर दी गयी थी।
• दारा मशकोि को हिंद ू और इस्लामी परं पराओं के बीच समानता खोजने की कोमशश करने वाले एक "उदार
मुजस्लम" के रूप में वखर्णषत ककया जाता िै ।
• उसने भगवद गीता और 52 उपतनर्दों का फारसी में अनव
ु ाद ककया।
• शाहजहााँनामा के अनुसार, दारा मशकोि को पराजजत करने के बाद औरं गजेब उसे जंजीरों में जकड़ कर
हदल्ली ले आया। और उसका मसर काटकर आगरा के ककले में भेज हदया गया, जबकक उसके धड़ को िुमायूाँ
के मकबरे के पररसर में दफना हदया गया।
उसकी विरासत:
दारा मशकोि को "तत्कालीन सबसे मिान स्वतंत्र ववचारकों में से एक" के रूप में वखर्णषत ककया जाता िै ।
• उसने उपतनर्दों की मिानता को पिचाना और उनका फारसी में अनुवाद ककया। इससे पिले उपतनर्दों के
मित्व से केवल कुछ उच्च जातत के हिंद ु िी पररधचत थे। उपतनर्दों के उस फ़ारसी अनुवाद के अन्य
भार्ाओँ में अनव
ु ादों ने आज के बिुत से स्वतंत्र ववचारकों को, यिााँ तक कक संयत
ु त राज्य के पव
ू ष राष्ट्रपतत
बराक ओबामा को भी, प्रेररत ककया िै ।
• कुछ इततिासकारों का तकष िै , कक यहद औरं गजेब की जगि, दारा मशकोि मुगल मसंिासन पर बैठा िोता,
तो वि धाममषक संघर्ों में मारे गए िजारों लोगों की जान बचा सकता था। वि एक तरि से औरं गजेब के
पूर्णष ववरोधी स्वरूप था। वि गंभीर समन्वयवादी, सौिादषपूर्णष और उदार था - लेककन साथ िी, एक तनष्ट्पक्ष
प्रशासक और यद
ु ध के क्षेत्र में प्रभाविीन व्यजतत भी थे।
चचाभ का कारर्:
मुगल राजकुमार दारा मशकोि की छवव बनाने के अपने प्रयासों को जारी रखते िुए, केंद्र सरकार उसके जीवन और
आध्याजत्मक ववरासत पर नाटकों की एक श्रख
ं ृ ला आयोजजत करने की योजना बना रिी िै ।
www.insightsonindia.com 219 InsightsIAS

You might also like