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इ तहास नोट् स
यूपी परी ा के लए

FOR UPSSSC PET, UP SI/ ASI, UPSC RO/ ARO


इितहास िन: शु� ई- पु�क

इ�तहास �न:शुल्क ई- पुस्तक


जब हर प्र�तयोगी पर��ा क� बात आती है तो इ�तहास क� अपनी �व�शष्ठता है । इस �वषय
से �व�भन्न प्रश्न पूछे जाते ह� और �व�भन्न सरकार� पर��ाओं जैसे: यप
ू ीएसएसएससी पीईट�,
यूपी पु�लस एसआई / एएसआई, यूपीएससी आरओ / एआरओ म� इस �वषय को महत्वपूणर्
माना जाता है । इ�तहास म� आपक� मदद करने के �लए हम आपके �लए इ�तहास के
महत्वपूणर् �ववरण� के साथ नमूना प्रश्न� क� एक �नःशुल्क ई-बुक लेकर आए ह�। यह ई-
बुक आपको आगामी सरकार� पर��ाओं के �लए महत्वपूणर् इ�तहास �वषय� को कवर करने म�
मदद करे गी। आइए �नःशल्ु क ई-बुक पर एक नजर डालते ह�:

1. �वश्व प्राचीन इ�तहास (पष्ृ ठ संख्या 2 से 8)


2. �वश्व प्राचीन सभ्यताएं (पष्ृ ठ संख्या 9 से 16 )
3. आधु�नक भारतीय इ�तहास और स्वतंत्रता संग्राम (पष्ृ ठ संख्या 17 से 22)
4. भारत के महत्वपूणर् ऐ�तहा�सक स्मारक (पष्ृ ठ संख्या 23 से 28)
5. प्राचीन भारत क� पस्
ु तक� और लेखक (पष्ृ ठ संख्या 29 से 32)
6. �वश्व म� लड़े गए प्र�सद्ध युद्ध और लड़ाईयां (पष्ृ ठ संख्या 33 से 37)
इितहास िन: शु� ई- पु�क

प्राचीन इ�तहास
इ�तहास को तीन भाग� म� बांटा गया है :-

पूव-र् इ�तहास:- कोई �ल�खत सा�य प्राप्त नह�ं हुआ ।


आद्य-इ�तहास :- �ल�खत सा�य प्राप्त हुआ; ले�कन अभी तक उसे पढ़ा नह�ं गया है ।
इ�तहास:- �ल�खत और गूढ़

भारतीय प्राचीन इ�तहास से आप क्या समझते ह� ?


भारत का इ�तहास और संस्कृ�त ग�तशील है , जो मानव सभ्यता के आरं भ से संबंध रखती है
। यह �संधु नद� के �कनारे एक रहस्यमय संस्कृ�त और भारत क� द��णी भ�ू म म� कृषक
समद
ु ाय� से आरं भ होता है । उपलब्ध सा�य बताते ह� �क भारतीय उपमहाद्वीप म� लोह, तांबे
और अन्य धातओ
ु ं का उपयोग काफ� प्रारं �भक काल म� व्यापक रूप से प्रच�लत था, जो
द�ु नया के इस �हस्से क� प्रग�त का संकेत है । चौथी सहस्राब्द� ईसा पूवर् के अंत तक, भारत
अत्य�धक �वक�सत सभ्यता के �ेत्र के रूप म� उभरा।
हम पर��ा क� दृिष्ट से प्रागै�तहा�सक काल क� चचार् कर� गे।
पूव-र् ऐ�तहा�सक अव�ध
• मुख्यतः प्रागै�तहा�सक काल को चार भाग� म� बांटा गया है :-
पुरापाषाण काल / पुराना पाषाण युग (500000 ईसा पूवर् - 10000 ईसा पूव)र्
मध्यपाषाण काल / उ�र पाषाण काल (9000 ईसा पूव-र् 4000 ईसा पूव)र्
नवपाषाण काल / नया पाषाण युग (5000BCE - 1000 BCE)
ताम्रपाषाण काल / धातु युग / कांस्य युग (1800 ईसा पूव-र् 1000 ईसा पूव)र्
लौह युग (1000BCE से शुरू -)

• पुरापाषाण काल / पुराना पाषाण युग (500000 ईसा पूवर् - 10000 ईसा पूव)र्
- परु ापाषाण शब्द जॉन लब
ु ॉक द्वारा गढ़ा गया था।
-पव
ू -र् ऐ�तहा�सक परु ातत्व के जनक - रॉबटर् ब्रस
ू ने अ��रम्पक्कम (त�मलनाडु) से परु ापाषाण
काल के औजार� क� खोज क� गई)।

�नचला पुरापाषाण काल (500000-50000 ईसा पूव)र्


• मानवनुमा या हो�म�नडे क� रचना हुई थी ।
• इस काल म� गँड़ासा, हस्त कुल्हाड़ी, क्लैवसर् जैसे औजार� का प्रयोग �कया जाता था ।
इितहास िन: शु� ई- पु�क

मध्य परु ापाषाण काल


(500000-40000 ईसा पव
ू )र्
• आ�दम - होमो इरे क्टस या सीधा आदमी का प�रवतर्न
• मुख्य उपकरण छे नी, नुक�ले, छे दक ह�
• आग के उपयोग के सा�य प्राप्त हुए है ।

ऊपर� पुरापाषाण काल


(40000-10000 ईसा पूव)र्
• होमोसै�पयंस या मानव के रूप म� �वक�सत।
• उपकरण ब्लेड, छे नी ह�

पुरापाषाण काल क� �वशेषताएं:-


- लोग शैलाश्रय और गफ
ु ाओं म� रहते थे।
- �शकार, खाद्य पौध� और कंद� को इकट्ठा करके भोजन प्राप्त �कया करते थे ।
- परु ापाषाण काल के मनष्ु य को क्वाटर् जाइट मैन भी कहा जाता है (कठोर चट्टान से बने
पत्थर� को क्वाटर् जाइट कहा जाता है )।
- परु ापाषाण स्थल �संधु और गंगा घा�टय� के �ेत्र को छोड़कर परू े भारत म� ह�।
प्रमुख पुरापाषाण स्थल ह�:- थार मरुस्थल, राजस्थान-बेलन घाट�, उ�र प्रदे श (मवे�शय�,
भेड़ जैसे जानवर� के अवशेष)-भीमबेड़का, मध्य प्रदे श (रॉक प� �टंग/शैल �चत्रकला),
छोटानागपुर पठार (उपकरण मुख्य रूप से पाए गये)।

• मध्य पाषाण काल (9000 ईसा पूवर् - 4000 ईसा पूव)र्


- पुरापाषाण काल से नवपाषाण युग म� संक्रमण चरण था ।
- इस काल लघुपाषाणी नामक महत्वपूणर् उपकरण का इजाद हुआ था।
-उपकरण अ�धक �व�शष्ट तर�के से प्रकट हुए ह�।
-जानवर� को पालतू बनाना (कु�ा पहला पालतू जानवर है ) और आ�दम कृ�ष आंरभ हुई।
प्रमुख मध्यपाषाण स्थल ह�: - बागोर, राजस्थान-लंघनाज, गुजरात -सराय नाहर राय, उ�र
प्रदे श म� महदाहा दमदमा,चोपानी मांडो, मध्य प्रदे श म� भीमबेटका और आदमगढ़ (चट्टान�
म� प� �टंग और नक्काशी), उड़ीसा, केरल और आंध्र प्रदे श के द��ण म� कृष्णा नद� है ।

• नवपाषाण काल (5000BCE - 1000 BCE)


- इस युग म� प�हया और �मट्ट� के बतर्न� का आ�वष्कार हुआ ।
इितहास िन: शु� ई- पु�क

- इस युग क� प्रमुख �वशेषताएं ह�: -


कृ�ष का आंरभ ( गेहूं, जौ, चावल, बाजरा, दाल जैसी
फसल� को उगाया गया था) और स्थायी जीवन।
- तेज धार के औजार िजसम� तेज़ काटने वाले �कनारे थे जैसे मोटार्र और पेस्टल।

प्रमुख नवपाषाण स्थल ह�- कश्मीर म� मेहरगढ़, गुफकराल और बुज़ह


र् ोम; �बहार म� �चरांद,
उ�र प्रदे श म� महगरा, चोपानी मांडो और कोिल्डहवा।

• ताम्रपाषाण काल/धातु युग (1800 ईसा पूव-र् 1000 ईसा पूव)र्


- ताम्र मनुष्य द्वारा इस्तेमाल क� जाने वाल� पहल� धातु थी; इस काल म� ताँबे को पत्थर
के साथ प्रयोग �कया जाता है , इस�लए इस युग को ताम्रपाषाण काल या पाषाण-तांबा काल
कहलाता है ।
- धातु युग को कांस्य युग भी कहा जाता है ।
प्रमुख ताम्रपाषाण स्थल ह�: - काल�बंगा जैसे हड़प्पा स्थल, राजस्थान - बनावल�, ह�रयाणा
- अन्य मालवा �ेत्र ह� िजनम� दाइमाबाद, कायथा आ�द शा�मल ह�।

�संधु घाट� सभ्यता (2500 ईसा पव


ू -र् 1750 ईसा पव
ू )र् (ताम्रपाषाण यग
ु /कांस्य यग
ु )
- भारतीय परु ातत्व के जनक :- अलेक्ज�डर क�नंघम
- सबसे पहले खोजा गया स्थल हड़प्पा है (इसी�लए इस सभ्यता का नाम भी
हड़प्पा सभ्यता पड़ा)।
-समकाल�न सभ्यताएं ह� :- मेसोपोटा�मया, �मस्र और चीनी सभ्यता।
- �संधु घाट� सभ्यता का कुल �ेत्रफल - 12,60,000 वगर् �कमी (भारत, पा�कस्तान,
अफगा�नस्तान)।
सर जॉन माशर्ल ने �संधु सभ्यता शब्द का प्रयोग �कया।

स्थल �वशेषताएं
1. हड़प्पा - ऋग्वेद म� , हड़प्पा को रावी नद�, पंजाब,
(1921 म� दया राम साहनी द्वारा उत्खनन पा�कस्तान के पास िस्थत ह�रयिम्पया
�कया गया था) नामक एक युद्ध स्थल के रूप म� उल्लेख
�कया है ।
- �वशाल अन्न भंडार, नग्न लाल पत्थर क�
मू�तर्, स्वािस्तक का प्रतीक, एकल क�
बैरक।
2. मोहनजोदड़ो (1922- आर.डी.बनज�) - मोहनजोदड़ो का अथर् है
'मत
ृ क� का पहाड़'
इितहास िन: शु� ई- पु�क

- यह �संध,ु �संध प्रांत, पा�कस्तान के पास


िस्थत है ।
- महास्नानघर, बहु-स्तंभ सभा हॉल, दो
कांस्य क� तलवार� , नतर्क� क� कांस्य म�ू तर्,
दाढ़� वाले व्यिक्त क� मू�तर्, मोहर /
मुद्रण
3. चानुदरो - स्थान - �संधु नद�, पा�कस्तान।
(1931-एन.जी.मजूमदार) - �कल� के �बना एकमात्र स्थल है ।
- मनका बनाने का कारखाना, �लपिस्टक के
सा�य।
4. काल�बंगा - स्थान - घग्गर नद�, राजस्थान।
(1953 -ए.घोष) - काल� चू�ड़याँ, जुताई के खेत, टाइल लगी
हुई फशर्, मानव �सर, ऊँट क� हड्�डयाँ, दो
कब्र� (अंडाकार और आयताकार गड्ढे )
- 7 अिग्न पूजा, मेसोपोटा�मया क� मुहर।
5. रोपड़ - पंजाब म� रहते थे
(1953-वाई.डी.शमार्) - दफन करने क� अजीब प्रथा - कु�े को
इंसान� के साथ दफनाया गया था ।
- केवल तीन भाग� म� �वभािजत स्थल;-
�वशाल जल संसाधन, अद्�वतीय जल दोहन
प्रणाल�, बांध, तटबंध
6. लोथल (1957 - एस.आर.राव) - स्थान - गुजरात म� भोगवा नद� । �ट का
डॉकयाडर्, टे राकोटा शी।
- Got p, घोड़े क� टे राकोटा प्र�तमा, मोहर,
�दशा सूचक जैसे यंत्र।
- शतरं ज जैसा खेल और चावल के दाने,
डबल दफन।
7. सुरकोटडा (1964 - जे.पी. जोशी) - स्थान - गुजरात।
- घोड़े क� हड्�डयाँ, मटके क� तरह कब्रगाह,
अंडाकार कब्र।
8. धोलावीरा (1967- जे.पी. जोशी) स्थान -गज
ु रात, - रे न वाटर हाव�िस्टं ग, -
स्टे �डयम
9.बनवाल� स्थान – �हसार, ह�रयाणा
(1973- आर.एस.�बष्ट) - टे राकोटा �खलौना हल
इितहास िन: शु� ई- पु�क

- जौ, सरस� के दाने,


दे वी माँ क� �मट्ट� क� म�ू तर्

अन्य महत्वपूणर् स्थल:-


- मेहरगढ़, कश्मीर (मड�ब्रक हाउस)
- बुजह
र् ोम, कश्मीर (नवपाषाण स्थल म� गड्ढे आवास थे)
- राखीगढ़�, ह�रयाणा
- रं गपुर, गुजरात
- दै माबाद, महाराष्ट्र
- गनवेर�वाला, पा�कस्तान
- कोट द�जी, �संध, पा�कस्तान
- सुत्कागेनडोर, बलू�चस्तान।
- शतुघई, अफ़ग़ा�नस्तान
- मुंडीगाक, अफगा�नस्तान।

�संधु घाट� सभ्यता क� �वशेषताएं


- �संधु घाट� सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल:- मोहनजोदड़ो।
- �संधु घाट� सभ्यता का सबसे बड़ा भारतीय स्थल:- राखीगढ़�।
- �संधु घाट� सभ्यता का प्राचीन बंदरगाह:- लोथल।
- यह सभ्यता �त्रकोणीय आकार म� फैल� हुई थी ।
- �वश्व म� कपास क� खेती सबसे पहले �संधु लोग� ने क� थी।
- �संधु लोग� द्वारा उगाई जाने वाल� प्रमख
ु फसल� गेहूं, जौ, चावल (लोथल और रं गपरु म�
सा�य �मल�) ह�।
- पश:ु - भेड़, बकर�, भ�स, सअ
ू र, ऊंट आ�द। अमार� - भारतीय ग�डे का एक उदाहरण है ।
- सामािजक और आ�थर्क कारक:-
 नगर �नयोजन (�ग्रड पैटनर् और अच्छ� जल �नकासी व्यवस्था), शहर�करण।
 मातस
ृ �ात्मक समाज (प�रवार क� मु�खया के रूप म� म�हलाएं)।
 मुख्य व्यवसाय कृ�ष था।
 वस्तु �व�नमय प्रणाल� पर आधा�रत व्यापार। (मेसोपोटा�मया (इराक) या सुमे�रया,
बहर�न आ�द के साथ व्यापार हुआ करता था
 मख्
ु य दे वी-मैत्रीदे वी या शिक्त
 पशुओं के भगवान - पशुप�त / महादे व और
 महत्वपूणर् पशु- ग� डा (कूबड़ वाला बैल)।
इितहास िन: शु� ई- पु�क

 महत्वपूणर् प�ी - कबूतर।


 व�
ृ क� पूजा - पीपल।

- �संधु लोग� लोह से प�र�चत नह�ं थे ।


- मेलुहा नाम, सुमे�रयन ग्रंथ� म� �संधु �ेत्र के �लए रखा गया था ।
- �चत्रात्मक �ल�पय� (600 �चत्रलेख) और मुहर� (मुहर बनाने के �लए प्रयुक्त स्ट�टाइट)।
- लेखन �ल�प बोस्ट्रोफेड� थी आ�द-द्र�वड़ भाषा - (दाएं से बाएं और बाएं से दाएं)।
- स्विस्तक �चन्ह क� उत्प�� �संधु सभ्यता से हुई है ।

�पछले वषर् के प्रश्न

1. �नम्न�ल�खत म� से कौन �संधु घाट� सभ्यता स्थल के स्टे �डयम का प्रमाण दे ता है ?


(एसएससी 2017)
A. हड़प्पा
B. काल�बंगा
C. मोहनजोदड़ो
D. धोलावीरा

2. हड़प्पा नद� �कनारे िस्थत है :


A. �संधु
B. रावी
C. ब्यास
D. सतलुज

3. उपकरण और ह�थयार बनाने के �लए, भारत के प्रारिम्भक �नवा�सय� ने �नम्न म� से


�कसका उपयोग �कया: (एसएससी मल्ट�टािस्कंग 2014)
A. �मट्ट�
इितहास िन: शु� ई- पु�क

B. लकड़ी
C. पत्थर
D. कांस्य

4. सरु कोटदा का परु ाताित्वक स्थल �कस राज्य म� िस्थत है ? (एसएससी सीपीओ, 2019)
A. कनार्टक
B. ह�रयाणा
C. राजस्थान
D. गुजरात

5. �नम्न�ल�खत म� से �कस पुराताित्वक स्थल म� गड्ढ� के आवास के प्रमाण ह�? (एसएससी


सीपीओ, 2019)
A. मेहरगढ़
B. बज
ु ह
र् ोम
C. राणा गुंडई
D. पलावाई

6. �नम्न�ल�खत म� से कौन �संधु घाट� सभ्यता का बंदरगाह स्थल था? (एसएससी सीजीएल,
2019)
A. काल�बंगा
B. लोथल
C. राखीगढ़�
D. धोलावीरा

7. मनुष्य द्वारा उपयोग �कया गया प्रथम धातु कौन सा है ?


A. ताम्र
B. कांस्य
C. लोहा
D. �टन

8. �संधु घाट� सभ्यता के लोग पूजा करते थे? (एसएससी सीजीएल, 2016)
A. �वष्णु
इितहास िन: शु� ई- पु�क

B. पशुप�त
C. इंद्र
D. ब्रह्मा

9. �नम्न�ल�खत का �मलान कर� :- (एसएससी सीजीएल, 2016)


A.मोहनजोदड़ो 1. पज
ु ार� क� म�ू तर्
B. हड़प्पा 2. पोटर्
C. काल�बंगा 3. हल के �नशान
D. लोथल 4. महान स्नानग्रह
(a) A4, B1, C3, D2
(b) A3, B2, C4, D1
(c) A2, B3, C1, D4
(d) A1, B4, C2, D3

10. �कस स्थल से घोड़े के अवशेष �मले ह�:


A. मोहनजोदड़ो
B. लोथल
C. सुरकोटदा
D. सुतकाग� डोर

1. D . धोलावीरा
2. B. र�व
3. C. पत्थर
4. D. गुजरात
5. B. बुजह
र् ोम
6. B. लोथल
7. A. तांबा
8. B. पशप
ु �त
9. A. A4, B1, C3, D2
10. C. सुरकोटदा
इितहास िन: शु� ई- पु�क

�वश्व इ�तहास - प्राचीन सभ्यताएं


सुमे�रयन / मेसोपोटा�मया सभ्यता (3000 -1600 ईसा पूव)र्
�वश्व क� सबसे पुरानी सभ्यता और इसे 'सभ्यता के �मलन / मेिल्टं ग पॉइंट' के रूप म� भी
जाना जाता है ।
इस सभ्यता का �वकास टाइ�ग्रस और यूफ्रातेस (मेसोपोटा�मया-दो न�दय� के बीच क� भू�म)
के तट पर हुआ ।
मेसोपोटा�मया (आधु�नक इराक का प्रमुख �हस्सा) सभ्यता तीन दे श� - इराक, तुक�, सी�रया
म� फैल� हुई है ।
�वश्व म� प्रथम राजवंश क� स्थापना 3000 ईसा पूवर् म� सुमे�रया के उर म� हुई थी।
इस सभ्यता म� सबसे पहले कुम्हार का चाक, कांच के बतर्न� का प्रयोग �कया जाता है ।
इस सभ्यता म� प्रयक्
ु त �ल�प:- अंकन �ल�प/ क्य�ू नफामर् �ल�प

- यह 3400 ईसा पूवर् के आसपास आ�वष्कार क� गई, लेखन क� पहल� उ�चत प्रणाल� है ।
-इस िस्क्रप्ट को हे नर� रॉ�लन्सन ने समझा था।
- यह एक क�लाकार �ल�प है ।
- यह क्ले टे बलेट पर पाया जाता है ।

ज्या�म�त म� पाइथागोरस प्रमेय मेसोपोटा�मया के लोग� द्वारा आ�वष्कृत एक प्रणाल� थी।


मेसोपोटा�मया के लोग� द्वारा इस्तेमाल क� जाने वाल� �गनती प्रणाल�:- सेक्सजे�समल (
साठ साठ कर के �गना जाता है )।
उन्ह�ने पूरे �दन को 24 घंट� म� �वभािजत �कया और चंद्र कैल�डर का आ�वष्कार �कया।
संबं�धत तथ्य
हम्मुराबी (बेबीलोन का सबसे बड़ा शासक) ने पूरे इराक को एक राज्य म� �मला �दया।
उनक� कानून क� सं�हता - जैसे को तैसा ('आंख के �लए आंख' या 'दांत के �लए दांत')।
इितहास िन: शु� ई- पु�क

िमस्र स�ता (3000ई.पू 1750 ई.पू.)


�मस्र नील नद� के तट पर �वक�सत हुआ (�मस्र को नील नद� के उपहार के रूप म� जाना
जाता है )।
�मस्र साम्राज्य के इ�तहास को 3 भागो म� �वभािजत �कया गया है :-
- पुराना साम्राज्य / फैरो युग
-मध्य साम्राज्य
- नया साम्राज्य

�परा�मड �मस्र के राजा - �फरौन के �लए बनाए गए मकबरा ह�।


प्राचीन �मस्रवा�सय� के संर��त शव� को ममी कहा जाता था। गीज़ा म� महान �परा�मड
(�वश्व के सात अजूब� म� से एक) �कंग चेओप्स (पुराने साम्राज्य के खुफू) द्वारा बनाया गया
था।
िस्फंक्स (पौरा�णक प्राणी - एक आदमी का �सर और एक शेर का शर�र) �मस्र सभ्यता का
एक और महत्वपूणर् वास्तु-काला है ।
�मस्र क� �ल�प:- �चत्र�ल�प
इस �ल�प का आ�वष्कार लगभग 3100 ईसा पूवर् हुआ था।
- इसम� 24 �चन्ह शा�मल थे।
- यह नरकट से बनी पपीरस क� चादर� पर पाया जाता है ।
- इस �चत्र�ल�प �ल�प को चैम्पो�लन द्वारा समझा जाता है ।

�मस्रवा�सय� ने सबसे पहले 365 �दन� का सौर कैल�डर �वक�सत �कया।


अबू �सम्बल के महान मं�दर को उगते सरू ज के मं�दर के रूप म� जाना जाता है ।
हड़प्पा सभ्यता (3300 ईसा पव
ू र् - 1300 ईसा पव
ू )र्

�संधु घाट� सभ्यता के रूप म� भी जाना जाता है ; यह �संधु नद� के तट पर �वक�सत हुआ ।
अ�धक जानकार� के �लए दे ख�:- https://download.oliveboard.in/pdf/Ancient- History-
For-SSC-2020.pdf

चीनी सभ्यता (1600 ईसा पूवर् -221 ईसा पूव)र्

चीनी सभ्यता को पील� नद� या ह्वांग-हो सभ्यता के रूप म� भी जाना जाता है और सबसे
प्राचीन चीनी सभ्यता को शांग सभ्यता के रूप म� जाना जाता है ।
चीनी सभ्यता �ल�प:- �चत्रात्मक �ल�प।
इितहास िन: शु� ई- पु�क

चीन क� महान द�वार (�चन राजवंश द्वारा �न�मर्त) चीनी सभ्यता क� उत्कृष्ट वास्तु कला
है ।
चीनी सभ्यता पहल� ऐसी सभ्यता थी िजसम� प्र�तयोगी पर��ाओं (हं स राजवंश द्वारा शरू
ु क�
गई) के आधार पर सावर्ज�नक अ�धका�रय� के चयन क� प्रणाल� थी।
मख्
ु य चीनी आ�वष्कार:- पेपर, �सस्मोग्राफ, गन पाउडर, अबेकस, अम्ब्रेला।
संबं�धत तथ्य
चीन के हे रोडोटस - सुमेन �चएन।
चीन के धमर् - कन्फ्यूशीवाद (कन्फ्यू�शयस क� �श�ाएं- महावीर और बुद्ध के समकाल�न);
ताओवाद (लाओ त्ज़ू क� �श�ाएँ)

फारसी/ईरानी सभ्यता (559 ईसा पूवर् - 331 ईसा पूव)र्

फारसी सभ्यता ईरानी पठार के उ�र� भाग म� िस्थत थी ।


साइरस छठ� शताब्द� म� फारसी साम्राज्य (अचमे�नद साम्राज्य) का सबसे शिक्तशाल� शासक
था; पसगर्दे और डे�रयस म� उनक� राजधानी ने फारसी साम्राज्य का �वस्तार �कया ।
अरामीक अचमे�नद साम्राज्य क� आ�धका�रक भाषा थी और उन्ह�ने पैसे (सोने और चांद� के
�सक्के) के उपयोग क� शरु
ु आत क�।
बाद म� सासानी साम्राज्य ने फारसी भाषा (पहलवी �ल�प) को स्वीकार कर �लया। इस
सभ्यता ने वणार्नक्र
ु �मक लेखन को अपना �लया ।
संबं�धत तथ्य
डे�रयस द्�वतीय(फारस के राजा) ने �संधु के �ेत्र क� खोज के �लए स्काईलक्स (अन्वेषक)
को �मस्र भेजा।
धमर्:- जोरोस्टर द्वारा स्था�पत पारसी धमर्(ज़�ड अवेस्ता (जोरोस्टर क� �श�ा) पार�सय� क�
प�वत्र पुस्तक है )।
इितहास िन: शु� ई- पु�क

यन
ू ानी सभ्यता (800 ईसा पव
ू )र्

यूनानी ने सा�हत्य के �ेत्र म� बहुत योगदान �दया।


इ�लयड और ओ�डसी (ग्रीक महाकाव्य) होमर से �न�मर्त हुआ है । इ�तहास के जनक:-
�हरोडोटस एक यूनानी थे। और अन्य यूनानी इ�तहासकार थ्यस
ू ीदाइद�ज (पेलोपोन�सयन युद्ध
का इ�तहास �लखा), प्लूटाकर् ह�।
पे�रक्लेस के शासनकाल के दौरान सभी �ेत्र� म� �वकास हुआ, िजसे एथ�स के स्वणर् युग के
रूप म� जाना जाता है ।
यूनानी सभ्यता का सबसे बड़ा योगदान :- लोकतंत्र था । पहला ओलं�पक खेल 776 ईसा पूवर्
ग्रीस के ओलं�पया म� आयोिजत �कया गया था।
यूनानी सभ्यता को इ�तहास क� शास्त्रीय सभ्यता के रूप म� जाना जाता है ।
यूनानी दाशर्�नक - सुकरात; उनके �शष्य प्लेटो (गणतंत्र-पुस्तक के लेखक) और अरस्तू प्लेटो
के �शष्य थे ।
�च�कत्सा के जनक:- �हप्पोक्रेट्स (उन्ह�ने आधु�नक �च�कत्सा क� नींव रखी)।
यूनानी खगोलशास्त्री:- �हप्पाकर्स (चंद्रमा के व्यास क� गणना क� थी), एरे टोस्थेनेज (पथ्
ृ वी क�
प�र�ध क� गणना क� थी)।
यूनानी ग�णत�:- यूिक्लड और पाइथागोरस।

संबं�धत तथ्य
यन
ू ानी त्रासद� के जनक:- एिस्चलस (उनका कायर् - प्रोमे�थयस बाउं ड)। यन
ू ानी कॉमेडी के
मास्टर:- अ�रस्टोफेन्स।
यन
ू ानी पज
ू ा: - अपोलो (सय
ू र् दे वता), ज़ीउस (आकाश के दे वता), पोसाइडन (समद्र
ु के
दे वता), अथीना (जीत और कला क� दे वी), डायोनाइसस (शराब के दे वता)।
यूना�नय� ने माउं ट ओलंपस को प�वत्र पवर्त माना।

रोमन सभ्यता (27 ईसा पूवर् )

यह सभ्यता �तबर (इटल�) नद� के तट पर �वक�सत हुई । रोम शहर के संस्थापक:-


रोमुलस।
रोमन सभ्यता का प्रमुख योगदान :- गणतंत्र क� अवधारणा।
रो�मय� और काथार्जी�नयनय� (अफ्र�क�) के बीच पु�नक युद्ध (264 ईसा पूवर् -146 ईसा
पव
ू )र् हुआ ।
इितहास िन: शु� ई- पु�क

आ�वष्कार:- कंक्र�ट और �ट एवं पत्थर का संयोजन।


वास्तक
ु ला योगदान:- आकर्, गंब
ु द, या कपोल।
रोमन दाशर्�नक: - ल्यक्र
ू े �टयस (वह - वस्तु क� प्रकृ�त पर कायर् करते थे ), �ससरो, माकर्स
औरे �लस और सेनेका।
रोमन क�व: - होरे स (उनका कायर् - ओड्स) और विजर्ल (उनका काम - एनीड्स)।
रोमवा�सय� पज
ू ा करते थे :- बह
ृ स्प�त (फसल� के �लए वषार्), मंगल (यद्
ु ध), बध
ु , नेपच्यन

(समद्र
ु के दे वता), वेस्ता, जन
ू ो (म�हलाओं क� र�ा)।
संबं�धत तथ्य
जू�लयस सीजर द्वारा-'म� आया, म�ने दे खा, म�ने �वजय प्राप्त क�।
एडवडर् �गब्बन क� पुस्तक '�डक्लाइन एंड फॉल ऑफ द रोमन एम्पायर'।

अन्य सभ्यताएं

अमे�रक� सभ्यता

- इंकास, मायन, एज़्टे क अमे�रका के मख्


ु य मल
ू �नवासी ह�।
- माया सभ्यता (1000BC-1000AD) सबसे परु ानी अमे�रक� सभ्यता थी।
- मायाओं ने छाल-कागज क� �कताब� बना� िजन्ह� को�डस कहा जाता है ।
- �चनमपास (अस्थायी भू�म �नकाय�) और सपर् पूजा एज़्टे क सभ्यता से संबं�धत थे।
- इंका सभ्यता पेरू (द��ण अमे�रका) म� प्रच�लत थी।
- �क्रस्टोफर कोलंबस ने 1492 म� अमे�रका क� खोज क� थी।
- अमे�रका ने अपना नाम एक इतालवी एक्सप्लोरर, अमे�रको वेस्पूची से �लया है ।
अफ्र�क� सभ्यता
- बन्तु मध्य और द��ण अफ्र�का के नीग्रो[हब�शय�] ह�।
- स्वा�हल� केन्या और तंजा�नया क� मूल �नवासी है ।
- प्रमुख अफ्र�क� सभ्यता �मस्र क� सभ्यता थी।

अभ्यास प्रश्न
1. �नम्न�ल�खत म� से कौन सी �ल�प �मस्र क� सभ्यता से संबं�धत है ?
A. �चत्र�ल�प
B. क्य�ू नफामर् �ल�प
C. �चत्रात्मक �ल�प
D. आरमेइक �ल�प
इितहास िन: शु� ई- पु�क

2. माया का संबंध _______ से है ?


A. �मस्र सभ्यता
B. अमे�रक� सभ्यता
C. अफ्र�क� सभ्यता
D. रोमन सभ्यता

3. रोमन सभ्यता का क�द्र ______ को माना जाता है ?


A. तुक�
B. जमर्नी
C. इटल�
D. फ्रांस

4. "म� आया, म�ने दे खा, म�ने जीत �लया" - प्र�सद्ध उद्धरण �कससे संबं�धत है ?
A. �सकंदर
B. डे�रयस
C. जु�लयस सीसर
D. सक
ु रात

5. �नम्न�ल�खत म� से प्र�सद्ध यन
ू ानी खगोल�वद कौन है ?
A. �हप्पोक्रेट्स
B. पे�रकल्स
C. ल्यूक्रे�टयस
D. एरे टोस्थेनेज

Solutions

1. a) �चत्र�ल�प �ल�प

2. b) अमे�रक� सभ्यता

3. c) इटल�
4. d) जू�लयस सीजर
5. e) एराटोस्थनीज
इितहास िन: शु� ई- पु�क

आध�ु नक भारतीय इ�तहास और स्वतंत्रता संग्राम

इ�तहास अखंड है , और आधु�नक भारतीय इ�तहास क� शुरुआत को �चिह्नत करना मुिश्कल


है । आरआरबी के �लए आधु�नक भारतीय इ�तहास क� तैयार� करते समय हमार� सु�वधा और
बेहतर समझ के �लए, हम इसे यूरोपीय लोग� के आगमन के साथ शुरू कर� गे।
वषर् 1498 म� पुतग
र् ाल के पहले यूरोपीय, वास्को डी गामा, काल�कट, भारत पहुंचे। राजा
ज़मो�रन (समु�थर�) तत्काल�न शासक थे। �वडंबना यह है �क सबसे पहले आने वाले पुतग र् ाल�
थे और इन्होने ह� 1961 म� सबसे आ�खर म� भारत छोड़ा ।
पुतग
र् ा�लय� क� व्यावसा�यक सफलता ने अन्य यरू ोपीय� को भारत आने के �लए प्रे�रत �कया।
इस सम्बद्ध म� डच दस
ू रे स्थान पर था । भारत आने के बाद, डच� ने 1605 म�
मसल
ू �पट्टनम म� अपना पहला कारखाना स्था�पत �कया।
अंग्रेज व्यापार� भी पव
ू � व्यापार से लाभ म� �हस्सा चाहते थे। 31 �दसंबर, 1600 को महारानी
ए�लजाबेथ प्रथम ने उन्ह� एक चाटर् र जार� �कया और इसके साथ ईस्ट इं�डया कंपनी का
गठन �कया गया।
1608 म� कैप्टन �व�लयम हॉ�कन्स सरू त पहुंचे और 1609 म� जहांगीर के मग ु ल दरबार म�
पहुंचे। वह अपने साथ जेम्स प्रथम (इंग्ल�ड के राजा) का पत्र लाया िजसम� भारत म� व्यापार
करने क� अनुम�त मांगी गई थी।

आध�ु नक भारतीय इ�तहास क� तैयार�: �ब्र�टश शासन क�


समयरे खा
हमारे पर��ा के �लए, अंग्रेज हमारे �लए काफ� महत्वपूणर् ह�। आइए हम �ब्र�टश शासन क�
समयरे खा को जान� ।
1611: अंग्रेज� ने मसूल�पट्टनम म� व्यापार करना शुरू �कया था।
1613: ईस्ट इं�डया कंपनी क� एक स्थायी फैक्ट्र� सूरत म� स्था�पत क� गई।
1615: राजा जेम्स प्रथम के राजदत
ू सर थॉमस रो जहांगीर के दरबार म� पहुंचे।
1616: कंपनी ने मसूल�पट्टनम म� द��ण म� अपना पहला कारखाना स्था�पत �कया।
1632: कंपनी को गोलकंु डा के सुल्तान से "सुनहरा फरमान" �मला।
633: कंपनी ने पूव� भारत म� ह�रहरपुर, बालासोर (ओ�डशा) म� अपना पहला कारखाना
स्था�पत �कया।
1662: �ब्र�टश राजा चाल्सर् द्�वतीय को एक पुतग
र् ाल� राजकुमार� से शाद� करने के �लए
दहे ज के रूप म� बॉम्बे �दया गया।
1667: औरं गजेब ने बंगाल म� व्यापार के �लए अंग्रेज� को एक फरमान �दया।
1717: मुगल बादशाह फरुर् ख�सयर ने एक फरमान जार� �कया, िजसे कंपनी का मैग्ना काटार्
कहा जाता है ।
इितहास िन: शु� ई- पु�क

फ़्रांसीसी व्यापार के उद्दे श्य से भारत आने वाले अं�तम यूरोपीय थे।
हालाँ�क �ब्र�टश और फ्रांसीसी व्यापा�रक उद्दे श्य� के �लए भारत आए थे, ले�कन वे अंततः
भारत क� राजनी�त म� आ गए। दोन� के मन म� इस �ेत्र पर राजनी�तक स�ा स्था�पत करने
के सपने थे। भारत म� एंग्लो-फ्रांसीसी प्र�तद्वंद्�वता उनके परू े इ�तहास म� इंग्ल�ड और फ्रांस
क� पारं प�रक प्र�तद्वंद्�वता को दशार्ती है ।

आंग्ल-फ्रांसीसी युद्ध:

1740- 48: प्रथम कनार्टक यद्


ु ध
प्रथम कनार्टक यद्
ु ध को स�ट थोम क� लड़ाई के �लए याद �कया जाता है ।
1749-54: दस
ू रा कनार्टक यद्
ु ध
1749 म� अंबरु (वेल्लरू के पास) क� लड़ाई म� फ्रांसीसी ने अनवर-उद-द�न को हराया और मार
डाला।
1758-63: तीसरा कनार्टक युद्ध
तीसरे कनार्टक युद्ध क� �नणार्यक लड़ाई 22 जनवर�, 1760 को त�मलनाडु के वांडीवाश म�
अंग्रेज� ने जीती थी।
भारत म� यूरोपीय शिक्तय� के कालानुक्र�मक क्रम को समझने के बाद, आइए हम अपना
ध्यान भारत क� �ब्र�टश �वजय और हमारे स्वतंत्रता संग्राम पर क��द्रत कर� ।

प्लासी क� लड़ाई:
प्लासी क� लड़ाई (23 जून, 1757) को आमतौर पर �नणार्यक घटना के रूप म� माना जाता
है िजसको भारत पर अं�तम �ब्र�टश शासन माना जाता है ।
प्लासी क� लड़ाई लड़ाई लड़ने से पहले ह� �नधार्�रत हो गई थी। नवाब के अ�धका�रय� क�
सािजश के कारण, �सराजुद्दौला क� मजबूत सेना को मुट्ठ� भर क्लाइव क� सेना ने हरा
�दया।
इितहास िन: शु� ई- पु�क

बक्सर का युद्ध :
मीर का�सम, अवध के नवाब और शाह आलम द्�वतीय क� संयक्
ु त सेनाओं को 22 अक्टूबर,
1764 को बक्सर म� मेजर हे क्टर मन
ु रो के नेतत्ृ व म� अंग्रेजी सेना ने लड़ाई म� हराया था।
इस लड़ाई का महत्वपण
ू र् तथ्य यह था �क न केवल बंगाल के नवाब बिल्क भारत के मग
ु ल
सम्राट भी अंग्रेज� से हार गए थे।
बक्सर के यद्
ु ध के बाद अगस्त 1765 म� रॉबटर् क्लाइव द्वारा इलाहाबाद क� सं�ध संपन्न
हुई ।

�ब्र�टश क� मैसूर �वजय:


• प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध (1767-69); मद्रास क� सं�ध।
• दस
ू रा आंग्ल-मैसूर युद्ध (1779-1784); म�गलोर क� सं�ध।
• तीसरा आंग्ल-मैसूर यद्
ु ध (1790-92); से�रंगपटम क� सं�ध।
• चौथा आंग्ल-मैसूर युद्ध 1799); मैसूर पर �ब्र�टश सेना ने कब्जा कर �लया।

वचर्स्व के �लए आंग्ल-मराठा संघषर्


• प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध (1775-82); सूरत क� सं�ध
(1775), पुरंधर क� सं�ध (1776), और सालबाई क� सं�ध (1782)
• दस
ू रा आंग्ल-मराठा युद्ध (1803-05); बे�सन क� सं�ध, 1802
• तीसरा आंग्ल-मराठा युद्ध (1817-1819)
�संध क� �वजय (1843)
• लॉडर् एलनबरो भारत के गवनर्र-जनरल थे

पंजाब क� �वजय
• अमत ृ सर क� सं�ध (1809) महाराजा रणजीत �संह और अंग्रेज� के बीच हुई थी।
• प्रथम आंग्ल-�सक्ख यद्
ु ध (1845-46)
• दस
ू रा आंग्ल-�सख युद्ध (1848-49)

�रंग फेन्स क� नी�त


भारत के प्रथम गवनर्र-जनरल वारे न हे िस्टं ग्स ने �रंग-फ�स क� नी�त का पालन �कया। यह
उनके पड़ोसी राज्य� क� अपनी सीमाओं से क� र�ा क� प्राथ�मक नी�त थी ।
सहायक सं�ध
लॉडर् वेलेस्ल� द्वारा भारत म� साम्राज्य बनाने के �लए इस प्रणाल� का उपयोग �कया गया
था। प्रणाल� के तहत, सहयोगी भारतीय राज्य के शासक को अपने �ेत्र के भीतर �ब्र�टश
इितहास िन: शु� ई- पु�क

सेना क� स्थायी तैनाती को स्वीकार करने और इसके रखरखाव के �लए सिब्सडी का भुगतान
करने के �लए मजबरू �कया गया था।

व्यपगत का �सद्धांत
�सद्धांत म� कहा गया है �क द�क पत्र
ु अपने पालक �पता क� �नजी संप�� का उ�रा�धकार�
हो सकता है , ले�कन का राज्य नह�ं। हालां�क इस नी�त का श्रेय लॉडर् डलहौजी को �दया जाता
है , ले�कन वे इसके प्रवतर्क नह�ं थे। डलहौजी ने गवनर्र-जनरल के रूप म� अपने आठ साल के
कायर्काल (1848-56) के दौरान आठ राज्य� पर कब्जा कर �लया।

पाइका �वद्रोह
यह 1817 म� ओ�डशा म� �ब्र�टश ईस्ट इं�डया कंपनी के शासन के �खलाफ एक सशस्त्र �वद्रोह
था।

इसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम माना जाता है ।

1857 का �वद्रोह
10 मई, 1857 को मेरठ म� �वद्रोह शुरू हुआ।
20 �सतंबर, 1857 को अंग्रेज� ने �दल्ल� पर कब्जा कर �लया।

�वद्रोह का प्रभाव
महारानी क� घोषणा के साथ सम्राट ने अ�धकार प्राप्त कर �लया और कंपनी के शासन को
समाप्त कर �दया गया।

भारतीय राष्ट्र�य कांग्रेस: 1885


• कांग्रेस का गठन ए ओ ह्यूम द्वारा �कया गया था।
• पहले सत्र क� अध्य�ता �दसंबर 1885 म� बॉम्बे म� वोमेश चंद्र बनज� ने क� थी।
• एनी बेस�ट भारतीय राष्ट्र�य कांग्रेस क� पहल� म�हला अध्य� थीं।

बंगाल का �वभाजन
यह औपचा�रक रूप से जल
ु ाई 1905 म� घो�षत �कया गया था और अक्टूबर 1905 म� लागू
हुआ। 1911 म� बंगाल के �वभाजन को रद्द करने का �नणर्य �लया गया।
इितहास िन: शु� ई- पु�क

स्वदे शी और ब�हष्कार आंदोलन: 1905


बंगाल के �वभाजन क� प्र�त�क्रया के रूप म� शरू
ु हुआ, स्वदे शी आंदोलन 1908 तक गंभीर
सरकार� दमन, प्रभावी संगठन क� कमी और एक संक�णर् सामािजक आधार के कारण �वफल
हो गया।
होम रूल ल�ग आंदोलन: 1916
आयरल�ड म� इसी तरह के आंदोलन क� तजर् पर �तलक और एनी बेस�ट ने इसका बीड़ा उठाया
था।
इसने जनता पर स्थायी रूप से जोर �दया और लखनऊ म� नरमपंथी-चरमपंथी पुन�मर्लन को
प्रभा�वत �कया।

गांधी जी का उदय
गांधी जी जनवर� 1915 म� भारत लौट आए। 1917 और 1918 के दौरान, गांधी जी तीन
संघष� म� शा�मल थे- चंपारण, अहमदाबाद और खेड़ा।
चंपारण सत्याग्रह (1917) - पहला स�वनय अव�ा
अहमदाबाद �मल हड़ताल (1918) - पहला भूख हड़ताल
खेड़ा सत्याग्रह (1918) - पहला असहयोग

रॉलेट एक्ट
रोलेट एक्ट को माचर् 1919 म� पा�रत �कया गया। इस अ�ध�नयम ने राजनी�तक कायर्कतार्ओं
को �बना जूर� के मुकदमा चलाने या �बना मुकदमे के जेल जाने क� अनुम�त द�।

ज�लयांवाला बाग नरसंहार (13 अप्रैल, 1919)


ज�लयांवाला बाग घटना क� जांच के �लए अक्टूबर 1919 म� हं टर कमेट�/आयोग का गठन
�कया गया था।

असहयोग आंदोलन: 1920


�खलाफत स�म�त ने असहयोग का अ�भयान शरू
ु �कया और आंदोलन औपचा�रक रूप से 31
अगस्त 1920 को शरू
ु �कया गया था। 5 फरवर�, 1922 क� चौर�-चौरा घटना ने गांधी को
आंदोलन वापस लेने के �लए प्रे�रत �कया।
इितहास िन: शु� ई- पु�क

साइमन कमीशन
1928 म� आगे संवैधा�नक उन्न�त क� संभावना तलाशने के �लए आया था।
भारतीय� द्वारा ब�हष्कार �कया गया क्य��क आयोग म� �कसी भारतीय का प्र�त�न�धत्व नह�ं
�कया गया था।

लाहौर कांग्रेस अ�धवेशन (�दसंबर 1929)


कांग्रेस ने अपने ल�य के रूप म� पण
ू र् स्वतंत्रता को अपनाया।
26 जनवर� 1930 को पूरे दे श म� पहले स्वतंत्रता �दवस के रूप म� मनाया गया।

स�वनय अव�ा आंदोलन: 1930


12 माचर् 1930 को ऐ�तहा�सक दांडी यात्रा शुरू हुई, िजसने स�वनय अव�ा आंदोलन क�
शुरुआत को �चिह्नत �कया

गांधी-इर�वन समझौता: माचर् 1931


कांग्रेस दस
ू रे गोलमेज सम्मेलन म� भाग लेने और स�वनय अव�ा आंदोलन को वापस लेने के
�लए सहमत हुई।

सांप्रदा�यक पुरस्कार और पूना समझौता: 1932


सांप्रदा�यक पुरस्कार ने द�लत वग� को अलग �नवार्चक मंडल प्रदान �कया।
गांधी के आमरण अनशन (�सतंबर 1932) ने पूना समझौता को जन्म �दया िजसने द�लत
वग� के �लए आर��त सीट� म� वद्
ृ �ध के प� म� अलग �नवार्चक मंडल को त्याग �दया ।

भारत छोड़ो आंदोलन (1942)


जुलाई 1942 म� , वधार् म� कांग्रेस कायर्स�म�त क� बैठक हुई और संकल्प �लया गया �क
गांधी को अ�हंसक जन आंदोलन क� कमान संभालने के �लए अ�धकृत करे गी। इस संकल्प
को आम तौर पर 'भारत छोड़ो' संकल्प के रूप म� जाना जाता है ।
भारत छोड़ो आंदोलन को अगस्त आंदोलन के रूप म� भी जाना जाता है , िजसे �क्रप्स ऑफर
क� �वफलता के कारण 8 अगस्त, 1942 को शुरू �कया गया था।

भारत के महत्वपण
ू र् राज्यवार ऐ�तहा�सक स्मारक� क� सच
ू ी
अंडमान और �नकोबार द्वीप समह

स्मारक का नाम स्थान �रमाकर्
इितहास िन: शु� ई- पु�क

सेलल
ु र जेल पोटर् ब्लेयर अंग्रेज� द्वारा द्वीपसमह
ू म�
कै�दय� को �नवार्�सत करने
के �लए इस्तेमाल क� जाने
वाल� एक औप�नवे�शक जेल

आंध्र प्रदे श
स्मारक का नाम स्थान �रमाकर्
व�कटे श्वर मं�दर �तरुमाला �वष्णु के अवतार भगवान
व� कटे श्वर को सम�पर्त मं�दर।

असम
स्मारक का नाम स्थान �रमाकर्
कामाख्या मं�दर गुवाहाट� दे वी कामाख्या को सम�पर्त
एक �हंद ू मं�दर

�बहार
स्मारक का नाम स्थान �रमाकर्
नालंदा �बहार शर�फ मगध राज्य म� एक बौद्ध
मठ।

गोआ
स्मारक का नाम स्थान �रमाकर्
बे�स�लका ऑफ़ बॉम जीसस बे�ग�न�नम पुराने गोवा म� चचर् है िजसम�
स�ट फ्रां�सस जे�वयर के
नश्वर अवशेष ह�।
स�ट केथेड्रल चचर् वेल्हा स�ट कैथर�न को सम�पर्त
चचर्, िजसे �कंग डोम
सेबेिस्टयाओ के शासनकाल
के दौरान बनाया गया था।

गज
ु रात
स्मारक का नाम स्थान �रमाकर्
रानी क� वाव पाटन मारू-गुजरर् ा स्थापत्य शैल� म�
�न�मर्त एक सीढ़�दार कु
इितहास िन: शु� ई- पु�क

कनार्टक
स्मारक का नाम स्थान �रमाकर्
गोल गुम्बज़ बीजापुर बीजापुर के सुल्तान,
मोहम्मद आ�दल शाह क�
समा�ध।
गोम्मटे श्वर प्र�तमा श्रवणबेलगोला भगवान बाहुबल� को सम�पर्त
एक �वशालकाय मू�तर्।
हलेबीडु हसन 12 और 13वीं शताब्द� के
दौरान होयसल साम्राज्य क�
राजधानी।
हम्पी स्मारक हम्पी महत्वपण
ू र् धा�मर्क क�द्र, जो
कभी �वजयनगर साम्राज्य
का पद था।
होयसला मं�दर होयसला होयसल साम्राज्य द्वारा
�न�मर्त मं�दर।
मैसूर पैलेस मैसूर वोडेयार का �नवास (मैसरू
का शाह� प�रवार) और एक
लोक�प्रय पयर्टक आकषर्ण।
पट्टडकल स्मारक समूह पट्टकल �हंद ू मं�दर� का समूह और
चालुक्य वंश के दौरान
�न�मर्त एक जैन अभयारण्य।

मध्य प्रदे श
स्मारक का नाम स्थान �रमाकर्
भीमबेटका पाषाण आश्रय रायसेन मेसो�ल�थक काल के �चत्र�
के साथ पाषाण आश्रय
समूह।
ग्वा�लयर का �कला ग्वा�लयर मान �संह तोमर द्वारा 8वीं
शताब्द� म� बनवाया गया
�कला।
इितहास िन: शु� ई- पु�क

खजरु ाहो मं�दर खजरु ाहो अपनी कामुक म�ू तर्य� और


नागर शैल� क� वास्तक
ु ला के
�लए जाना जाता है ।
साँची स्तूप सांची सम्राट अशोक द्वारा मौयर्
काल के दौरान �न�मर्त बौद्ध
स्मारक

महाराष्ट्र
स्मारक का नाम स्थान �रमाकर्
अजंता क� गुफाएं औरं गाबाद चट्टान� को काटकर बनाए
गए बौद्ध स्मारक, जो �भ��
�चत्र� के �लए मशहूर ह�.
भारतीय कला का एक
उदाहरण।
छत्रप�त �शवाजी ट�मर्नस मुंबई भारतीय मध्य रे लवे का
मुख्यालय, 1887 म� बनाया
गया।
एल�फ�टा गुफाएं मुंबई एल�फ�टा द्वीप पर ज�टल
रूप से तराशी गई गुफाएं।
एलोरा क� गुफाएं मराठवाड़ा 600 से 1000 ईस्वी पूवर् के
कलात्मक मठ और मं�दर।
गेटवे ऑफ इं�डया मुंबई 20 वीं शताब्द� म� �कंग
जॉजर् पंचम और क्वीन मैर�
के आने के उपल�य म�
बनाया गया।

नई �दल्ल�
स्मारक का नाम स्थान �रमाकर्
अ�रधाम: नोएडा मोड़ �हंद ू मं�दर और भगवान
स्वामीनारायण को सम�पर्त
एक अनूठा सांस्कृ�तक
प�रसर।
हुमायूँ का मकबरा पूवर् �नजामुद्द�न मुगल बादशाह हुमायूं का
मकबरा। 1560 म� सम्राट
इितहास िन: शु� ई- पु�क

अकबर के संर�ण म� �न�मर्त


�कया गया ।
इं�डया गेट राजपथ प्रथम �वश्व युद्ध के दौरान
�ब्र�टश सेना के �लए लड़ते
हुए शह�द हुए भारतीय सेना
के सै�नक� क� याद म�
�न�मर्त �कया गया ।
जामा मिस्जद चांदनी चोक भारत क� सबसे बड़ी
मिस्जद� म� से एक है िजसे
शाहजहाँ ने बनवाया था।
कमल मं�दर कालकाजी कमल के आकार का मं�दर।
द�ु नया भर म� बने सात
बहाई उपासना मं�दर� म� से
आ�खर� है ।
कुतब
ु (कुतब
ु ) मीनार महरौल� भारत म� दस
ू र� सबसे ऊंची
वास्तक
ु ला और द�ु नया क�
सबसे ऊंची मलबे क� �चनाई
वाल� मीनार
राष्ट्रप�त भवन राष्ट्रप�त संपदा भारत के राष्ट्रप�त का
आ�धका�रक �नवास।
लाल �कला चांदनी चोक 2000 वष� के �लए मुगल
सम्राट� का मुख्य �नवास
और राजनी�तक क�द्र था ।
उड़ीसा
स्मारक का नाम स्थान �रमाकर्
कोणाकर् सय
ू र् मं�दर कोणाकर् सय
ू र् दे व को सम�पर्त मं�दर,
िजसे 13वीं शताब्द� के
दौरान बनाया गया था।
इितहास िन: शु� ई- पु�क

पंजाब
स्मारक का नाम स्थान �रमाकर्
स्वणर् मं�दर अमत
ृ सर �सख� का सबसे प�वत्र
धा�मर्क स्थल।

राजस्थान
स्मारक का नाम स्थान �रमाकर्
अंबर �कला (उफर् आमेर जयपुर राजा मान �संह द्वारा
�कला) �न�मर्त, सम्राट अकबर के
पहले जनरल� म� से एक थे।
�च�ौड़ का �कला �च�ौड़गढ़ भारत के सबसे बड़े �कल� म�
से एक, जो कभी मेवाड़ क�
राजधानी थी।
�दलवाड़ा मं�दर माउं ट आबू 11वीं और 13वीं शताब्द� के
दौरान �न�मर्त जैन मं�दर।
अपने �नमार्ण म� संगमरमर
के शानदार उपयोग के �लए
जाना जाता है ।
हवा महल जयपुर �खड़�कय� और बालकनी
स्क्र�न है िजसम� बहार का
कोई व्यिक्त अंदर नह�ं दे ख
सकता ह� इससे ऊंची द�वार
से शाह� म�हलाय� सड़क
त्योहार� का आनंद ले
सकती है ।
जैसलमेर का �कला जैसलमेर रे त के पत्थर� से बना
राजस्थान का दस
ू रा सबसे
परु ाना �कला।
जंतर मंतर जयपुर सवाई जय �संह द्वारा
�न�मर्त �नवास खगोल�य
यंत्र। इसम� द�ु नया का सबसे
बड़ी स्टोन धूप घड़ी भी है ।
लेक पैलेस उदयपुर 1740 के दौरान महाराजा
जगत �संह द्�वतीय के तहत
इितहास िन: शु� ई- पु�क

�न�मर्त। भारत म� सबसे


रोमां�टक होटल के रूप म�
जाना जाता है ।
मेहरानगढ़ �कला जोधपुर भारत के सबसे बड़े �कल� म�
से एक। इसक� ज�टल
वास्तुकला और आंगन� के
�लए जाना जाता है ।

त�मलनाडु
स्मारक का नाम स्थान �रमाकर्
ऐरावतेश्वर मं�दर दारासुरम भगवान �शव को सम�पर्त
यह मं�दर 12वीं शताब्द� म�
राजराजा चोल द्�वतीय
द्वारा बनवाया गया था।
बह
ृ दे श्वर मं�दर तंजावुर� द्र�वड़ वास्तक
ु ला का
बेहतर�न उदाहरण और
भारत के सबसे बड़े मं�दर�
म� से एक है ।
गंगैकोण्ड चोलपुरम मं�दर अ�रयालुर राज�द्र चोल द्वारा �न�मर्त।
द��ण भारत म� सबसे बड़ा
�शव�लंग होने के �लए
प्र�सद्ध है ।
महाबल�पुरम स्मारक समूह महाबल�पुरम पल्लव काल के स्थल,
िजनम� कई गुफा मं�दर ह�
जो अपनी स्थापत्य भव्यता
के �लए जाने जाते है ।
मीना�ी अम्मन मं�दर मदरु ै पावर्ती और �शव को
सम�पर्त मं�दर। शहर म�
सबसे अ�धक दे खा जाने
वाला पयर्टक आकषर्ण है ।
इितहास िन: शु� ई- पु�क

तेलंगाना
स्मारक का नाम स्थान �रमाकर्
चारमीनार है दराबाद भारत के सबसे मान्यता
प्राप्त स्मारक� म� से एक है ।
है दराबाद का एक वैिश्वक
प्रतीक माना जाता है ।
गोलकंु डा है दराबाद 16 वीं और 17 वीं शताब्द�
म� कुतुब शाह� राजाओं द्वारा
शा�सत भारत के सबसे
शानदार �कले म� से एक है ।
फलकनुमा महल है दराबाद है दराबाद के तत्काल�न प्रधान
मंत्री �वकार-उल-उमरा द्वारा
�न�मर्त, बाद म� ताज होटल
द्वारा एक लक्जर� होटल म�
पुन�नर्�मर्त �कया गया।

उ�र प्रदे श
स्मारक का नाम स्थान �रमाकर्
आगरा का �कला आगरा 1638 तक मुगल सम्राट� का
�नवास ।
अकबर का �कला �सकंदरा मुगल बादशाह अकबर का
मकबरा।
फतेहपुर सीकर� आगरा ज�टल वास्तुकला वाला शहर
जो जैन, �हंद ू और फारसी
तत्व� को एक�कृत करता है ।
ताज मह आगरा शाहजहाँ ने अपनी पत्नी
मम
ु ताज महल क� याद म�
बनवाया था।

पिश्चम बंगाल
स्मारक का नाम स्थान �रमाकर्
�वक्टो�रया मेमो�रयल कोलकाता महारानी �वक्टो�रया क�
स्म�ृ त को सम�पर्त।
इितहास िन: शु� ई- पु�क

प्राचीन पस्
ु तक� का नाम लेखक
अमरकोष अमर�संह:
प्रश्नो�मर्�लका अमोघवषर्
सूयर् �सद्धांत और आयर्भट्ट आयर्भट्ट

बद्
ु धच�रत अश्वघोष
सुंदरानंद अश्वघोष
वज्रसु�च अश्वघोष
हषर् च�रत बाणभट्ट
कादम्बर� बाणभट्ट
नाट्य शास्त्र भरत
स्वपनवासद�म भास
ल�लावती भास्कर द्�वतीय
�सद्धांत �शरोम�ण [4 भाग - ल�लावती, भास्कराचायर्
बीजग�णत, गह
ृ ग�णता और गोला (खगोल
�व�ान पर)
रावण वधा भट्�टन
उ�रामा-च�रत भवभू�त
मालती माधव भवभू�त
सरस्वती कंथाभरण भोज:
�वक्रमानाकदे व च�रत्र �बलहाना
कणर्सुंदर� �बलहाना
भोज प्रबंध: �बलाल
ब्रह्म�सद्धांत; खंडख्या ब्रह्मगुप्त:

पथ्
ृ वीराज रासो चांद बरदाई
चरक सं�हता चरक
दसकुमारच�रत दण्डी
पाश्वर्नाथच�रत (जैन कथा) दे वभद्र:

शां�तनाथच�रत (जैन कथा) दे वचंद्र


इितहास िन: शु� ई- पु�क

दशरूपा धनंजय
गाथासप्तशती हाला

रत्नावल� हषर्वधर्न:
नागानंद हषर्वधर्न
�प्रयद�शर्का हषर्वधर्न
द्वैश्राय महाकाव्य - हे मचन्द्र
सप्त साधना ह्वेन त्सांगो
तुज़क-ए-जहाँगीर जहांगीर
गीत गो�वंदा जयदे व
प्रसन्ना राघव जयदे व
पथ्
ृ वीराज �वजय जयंका

कुमारपालच�रत जय�संह
राजतरं �गणी कल्हन
माल�वकािग्न�मत्रम का�लदास
कुमार संभव का�लदास
मेघदत
ू का�लदास
माल�वकािग्न�मत्रम ् का�लदास
रघव
ु ंश: का�लदास
अ�भ�ान शकंु तलम का�लदास

�वक्रमोवर्शी का�लदास
�न�तसार कामंदक�य
अथर्शास्त्र कौ�टल्य:
राजमर�गंका (खगोल �व�ान पर) राजा भोज
अमुक्तमलयदा कृष्ण दे व राय

पद्मावत म�लक मोहम्मद जायसी


नी�तशास्त्र (राजनी�त पर) मथरु ा
इं�डका मेगस्थनीज
इितहास िन: शु� ई- पु�क

हम्मीरकव्य न्यायचंद्र
नवासंकच�रत पद्मगुप्त
अष्टाध्यायी पा�णनी
महाभाष्य: पतंज�ल
कमुरामंजर� राजशेखर
बाला रामायण राजशेखर

बाला भारत: राजशेखर


काव्यमीमांसा राजशेखर
भुवना कोष राजशेखर
हर�वलास राजशेखर
ऐहोल प्रशिस्त र�व कृ�त
मच्
ृ छक�टकम ् शद्र
ू क
कथास�रत्सागर सोमदे व
नैषधच�रत श्री हषर्:

मच्
ृ छक�टकम ् शूद्रक
सश्र
ु त ु सं�हता (सजर्र� पर �वश्वकोश) सश्र
ु त ु :
�च�कत्सा क�लका या योगमाला �तसता - वागभट्ट का
पुत्र
अष्टांग-संग्रह वागभट्ट
अष्टांग-हृदय-सं�हता वागभट्ट

गुडवाहो वाक्प�त
पंच�सद्धां�तका वराह�म�हर
सूय�र् सद्धांत: वराह�म�हर
बह
ृ तसं�हता वराह�म�हर
आ�दनाथच�रत (जैन कथा) वधर्मान
पंच�सद्धां�तका वराह�म�हर
बह
ृ त सं�हता वराह�म�हर
कामसूत्र वात्स्यायन
�मता�रा �वजननेश्वर:
इितहास िन: शु� ई- पु�क

नवरत्न �वरसेन
हर�केल� नाटक �वशालदे व
मुद्रा रा�स: �वशाखा द�ा
दे वीचंद्रगुप्तम �वशाखा द�ा
पंचतंत्र �वष्णु शमार्

भारत के प्र�सद्ध यद्


ु ध और लड़ाईया
लड़ाई/युद्ध वषर् के बीच लड़ा गया
तराइन का प्रथम युद्ध 1191 पथ्
ृ वीराज चौहान और महमूद
गौर�
तराइन का दस
ू रा युद्ध 1192 पथ्
ृ वीराज चौहान और महमूद
गौर�
चंदावर� क� लड़ाई 1194 ग़ोर� राजवंश और गढ़वाला
राजवंश
गोवा क� पुतग
र् ाल� �वजय 1510 पत
ु ग
र् ाल� साम्राज्य और
बीजापरु सल्तनत
पानीपत क� लड़ाई 21 अप्रैल 1526 बाबर और इब्रा�हम लोधी
खानवा क� लड़ाई 17 अप्रैल 1527 बाबर और राणा सांगा
चंदेर� क� लड़ाई 1528 बाबर और मे�दनी राय
घाघरा क� लड़ाई 1529 बाबर और अफगानी
चौसा क� लड़ाई 1539 शेरशाह और मुगल बादशाह
हुमायँू
कन्नौजू क� लड़ाई 1540 शेरशाह सरू � और मग़
ु ल
बादशाह हुमायूँ
पानीपत क� लड़ाई 1556 बैरम खान (अकबर के �लए)
और हे म चंद्र �वक्रमा�दत्य
(हे मू)
ता�लकोटा क� लड़ाई 1565 पांच दक्कन सल्तनत क�
एक�कृत सेना और
�वजयनगर सेना
हल्द�घाट� का युद्ध 1576 अकबर और मेवाड़ के राणा
प्रताप
इितहास िन: शु� ई- पु�क

प्रतापगढ़� क� लड़ाई 1659 मराठा साम्राज्य और


आ�दलशाह� राजवंश
पवन �खंद क� लड़ाई 1660 मराठा साम्राज्य और
आ�दलशाह� राजवंश
सूरत क� लड़ाई 1664 मराठा साम्राज्य और मग
ु ल
साम्राज्य
पुरंदर� क� लड़ाई 1665 मराठा साम्राज्य और मग
ु ल
साम्राज्य
�संहगढ़ क� लड़ाई 1670 मराठा साम्राज्य और मग
ु ल
साम्राज्य
कोलाचेल क� लड़ाई 1741 त्रावणकोर का साम्राज्य और
डच ईस्ट इं�डया कंपनी
�त्र�चनोपोल� क� घेराबंद� 1741 मराठा साम्राज्य और मग
ु ल
साम्राज्य
मद्रास क� लड़ाई 1746 फ्र�च ईस्ट इं�डया कंपनी और
�ब्र�टश ईस्ट इं�डया कंपनी
आक�ट क� घेराबंद� 1751 �ब्र�टश ईस्ट इं�डया कंपनी
और आक�ट के नवाब, फ्र�च
ईस्ट इं�डया कंपनी
दस
ू रा कनार्टक युद्ध 1752 चंदा सा�हब, मुजफ्फर जंग,
फ्र�च और अंबुर� के नवाब
से�रंगम क� लड़ाई 1753 �ब्र�टश ईस्ट इं�डया कंपनी
और फ्र�च ईस्ट इं�डया कंपनी
के सै�नक और चंदा सा�हब
प्लासी का युद्ध 1757 रॉबटर् क्लाइव और �सराज
उद-दौलाह
पानीपत क� तीसर� लड़ाई 1761 अहमद शाह अब्दाल� और
मराठा
वांडीवाश क� लड़ाई 1761 �ब्र�टश ईस्ट इं�डया कंपनी
और फ्र�च ईस्ट इं�डया कंपनी
बक्सर क� लड़ाई 1764 हे क्टर मन
ु रो और नवाब मीर
का�सम (बंगाल), नवाब
शज
ु ा-उद-दौला (अवध) और
इितहास िन: शु� ई- पु�क

मग
ु ल सम्राट शाह आलम क�
संयक्
ु त सेनाएँ
प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध 1766–1769 �ब्र�टश और मैसूर (है दर
अल�) �ब्र�टश और मराठा
प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध 1775-1782 �ब्र�टश और मैसूर (है दर
अल�)
दस
ू रा आंग्ल-मैसूर युद्ध 1780–1784 �ब्र�टश और मैसूर (ट�पू
सुल्तान)
तीसरा आंग्ल-मैसूर युद्ध 1789–1792 �ब्र�टश और मैसूर (ट�पू
सुल्तान)
चौथा आंग्ल-मैसरू यद्
ु ध 1798–1799 �ब्र�टश और मराठा
दस
ू रा आंग्ल-मराठा युद्ध 1803–1805 मराठा साम्राज्य और मग
ु ल
साम्राज्य
आंग्ल-गोरखा युद्ध 1764 �ब्र�टश और गोरखा
तीसरा आंग्ल-मराठा युद्ध 1814–1816 �ब्र�टश और मराठा
प्रथम आंग्ल-�सक्ख युद्ध 1817–1818 �ब्र�टश और �सख
दस
ू रा आंग्ल-�सख युद्ध 1845-1846 �ब्र�टश और �सख
1857 का भारतीय 1848-1849 �ब्र�टश सै�नक और भारतीय
�वद्रोह/स्वतंत्रता का प्रथम �सपाह�
यद्
ु ध
स्वतंत्रता संग्राम/भारत- 1857 भारत और पा�कस्तान
पा�कस्तान युद्ध
चीन-भारतीय युद्ध 1947 भारत और चीन
भारत-पा�कस्तान युद्ध 1962 भारत और पा�कस्तान
कार�गल युद्ध 1965 भारत और पा�कस्तान
आंग्ल-गोरखा यद्
ु ध 1999 �ब्र�टश और गोरखा

�वश्व के महत्वपूणर् युद्ध एवं लड़ाईया

वषर् लड़ाई/युद्ध

1815 वाटरलू क� लड़ाई


1817 �चल� क� आज़ाद�
1817 मैिक्सकन स्वतंत्रता संग्राम
इितहास िन: शु� ई- पु�क

1817 �ब्र�टश-कं�दयन वार


1821 सा�डर्�नयन �वद्रोह
1821 ग्रीक स्वतंत्रता संग्राम
1823 प्रथम �ब्र�टश-बम� युद्ध
1824 पेरू क� आज़ाद�
1831 पहला सी�रयाई युद्ध
1832 पहला मैिक्सकन यद्
ु ध
1834 �मस्र-�फ�लस्तीनी �वरोधी सेना �वद्रोह
1836 पहला बोिस्नयाई युद्ध
1839 दस
ू रा सी�रयाई युद्ध चरण 1
1839 पहला अफ�म युद्ध
1840 लेबनान �वद्रोह
1840 पहला कोलिम्बया
यद्
ु ध
1840 दस
ू रा सी�रयाई युद्ध चरण 2
1841 दस
ू रा बोिस्नया युद्ध
1843 �ब्र�टश-�संध युद्ध
1844 फ्र�को-मोरक्कन युद्ध
1852 दस
ू रा �ब्र�टश-बम� युद्ध
1853 क्र��मयाई यद्
ु ध
1856 दस
ू रा अफ�म यद्
ु ध
1856 आंग्ल-फारसी युद्ध
1859 नीदरल�ड-बोन युद्ध
1859 इतालवी एक�करण का युद्ध
1860 नेपो�लयन यद्
ु ध
1865 �ब्र�टश-भट
ू ानी यद्
ु ध
1879 प्रशांत का यद्
ु ध
1880 गन वार
1882 �मस्र क� �वजय
1883 हे �तन गह
ृ यद्
ु ध
1884 चीन-फ्रांस युद्ध
1894 पहला चीन-जापानी यद्
ु ध
1898 स्पेन - अमे�रका का यद्
ु ध
इितहास िन: शु� ई- पु�क

1900 चीन-रूसी यद्


ु ध
1904 रूस-जापानी युद्ध
1912 बाल्कन युद्ध
1914 प्रथम �वश्व युद्ध
1917 रूसी गह
ृ युद्ध
1918 दस
ू रा चीन-�तब्बती युद्ध
1920 मंगो�लया क� �वजय
1920 इतालवी फासीवाद� यद्
ु ध
1936 �ब्र�टश-�फ�लस्तीनी युद्ध
1937 तीसरा चीन-जापानी युद्ध
1939 द्�वतीय �वश्व युद्ध
1946 फ्र�च-इंडोचीन वार
1947 ताइवान �वद्रोह
1947 पराग्वे यद्
ु ध
1947 �फ�लस्तीन युद्ध
1950 को�रयाई यद्
ु ध
1955 �वयतनाम यद्
ु ध
1956 स्वेज़ संकट या दस
ू रा अरब-इजरायल युद्ध
1957 फ्र�च-कैमरून यद्
ु ध
1958 पहला लेबनानी यद्
ु ध
1958 क्यूबा क� क्रां�त
1971 पा�कस्तान-बंगाल युद्ध
1990 खाड़ी युद्ध
1991 क्रोए�शयाई स्वतंत्रता संग्राम
2001 अमे�रका अफगा�नस्तान यद्
ु ध
2003 दस
ू रा खाड़ी/इराक यद्
ु ध
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