Professional Documents
Culture Documents
Amazing Ram Krishna Shlokas
Amazing Ram Krishna Shlokas
Amazing Ram Krishna Shlokas
क्या ऐसा सभं व है िक जब आप िकताब को सीधा पढ़े तो रामायण क� कथा पढ़ी जाए और जब उसी िकताब में िलखे
शब्दों को उल्टा करके पढ़े
तो कृष्ण भागवत क� कथा सनु ाई दे।
इस ग्रन्थ को
‘अनलु ोम-िवलोम काव्य’ भी कहा जाता है। परू े ग्रन्थ में के वल 30 �ोक हैं। इन �ोकों को सीधे-सीधे
पढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है और
िवपरीत (उल्टा) क्रम में पढ़ने पर कृष्णकथा। इस प्रकार हैं तो के वल 30 �ोक, लेिकन कृष्णकथा के भी 30 �ोक
जोड़ िलए जाएँ तो बनते हैं 60 �ोक।
पस्ु तक के नाम से भी यह प्रदिशर्त होता है, राघव (राम) + यादव (कृष्ण) के च�रत को बताने वाली गाथा है ~
"राघवयादवीयम।"
अथार्तः
मैं उन भगवान श्रीराम के चरणों में प्रणाम करता ह�ं, जो
िजनके ह्रदय में सीताजी रहती है तथा िजन्होंने अपनी पत्नी सीता के िलए सहयाद्री क� पहािड़यों से होते ह�ए लंका
जाकर रावण का वध िकया तथा वनवास पूरा कर अयोध्या वािपस लौटे।
िवलोमम:्
अथार्तः
मैं �िक्मणी तथा गोिपयों के पूज्य भगवान श्रीकृष्ण के
चरणों में प्रणाम करता ह�ं, जो सदा ही मां ल�मी के साथ
िवराजमान है तथा िजनक� शोभा समस्त जवाहरातों क� शोभा हर लेती है।
" राघवयादवीयम" के ये 60 संस्कृत �ोक इस प्रकार हैं:-
राघवयादवीयम् रामस्तोत्रािण
िवलोमम:्
सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः ।
यस्साभालक ं ारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥
िवलोमम:्
वाराशावासा�या सा�ािवद्यावादेताजीरापःू ।
राधायर्�ा दीप्रािवद्यासीमायाज्याख्याताके सा ॥ २॥
कामभारस्स्थलसारश्रीसौधासौघनवािपका ।
सारसारवपीनासरागाकारसभु �ू भःू ॥ ३॥
िवलोमम:्
भ�ू रभसू रु कागारासनापीवरसारसा ।
कािपवानघसौधासौ श्रीरसालस्थभामका ॥ ३॥
रामधामसमानेनमागोरोधनमासताम् ।
नामहाम�ररसं ताराभास्तु न वेद या ॥ ४॥
िवलोमम:्
यादवेनस्तभु ारातासरं र�महामनाः ।
तां समानधरोगोमाननेमासमधामराः ॥ ४॥
यन् गाधेयो योगी रागी वैताने सौम्ये सौख्येसौ ।
तं ख्यातं शीतं स्फ�तं भीमानामाश्रीहाता त्रातम् ॥
५॥
िवलोमम:्
तं त्राताहाश्रीमानामाभीतं स्फ��ं शीतं ख्यातं ।
सौख्ये सौम्येसौ नेता वै गीरागीयो योधेगायन् ॥ ५॥
मारमं सक
ु ु माराभं रसाजापनतृ ािश्रतं ।
कािवरामदलापागोसमावामतरानते ॥ ६॥
िवलोमम:्
तेन रातमवामास गोपालादमरािवका ।
तं िश्रतानपृ जासारंभ रामाकुसमु ं रमा ॥ ६॥
रामनामा सदा खेदभावे दया-
वानतापीनतेजा�रपावनते ।
कािदमोदासहातास्वभासारसा-मेसगु ोरे णक
ु ागात्रजे
भ�ू मे ॥ ७॥
िवलोमम:्
मे�भजू त्रे गाकाणरु े गोसमु -े सारसा
भास्वताहासदामोिदका ।
तेन वा पा�रजातेन पीता नवायादवे
भादखेदासमानामरा ॥ ७॥
सागसाभरतायेभमाभातामन्यमु �या ।
सात्रमध्यमयातापेपोतायािधगतारसा ॥ ९॥
िवलोमम:्
सारतागिधयातापोपेतायामध्यमत्रसा ।
या�मन्यमु ताभामा भयेतारभसागसा ॥ ९॥
तानवादपकोमाभारामेकाननदाससा ।
यालतावद्धृ सेवाकाकै के यीमहदाहह ॥ १०॥
िवलोमम:्
हहदाहमयीके कै कावासेदध्् वतृ ालया ।
सासदाननकामेराभामाकोपदवानता ॥ १०॥
वरमानदसत्यासह्रीतिपत्रादरादहो ।
भास्वरिस्थरधीरोपहारोरावनगाम्यसौ ॥ ११॥
िवलोमम:्
सौम्यगानवरारोहापरोधीरिस्स्थरस्वभाः ।
होदरादत्रािपतह्रीसत्यासदनमारवा ॥ ११॥
यानयानघधीतादा रसायास्तनयादवे ।
सागतािहिवयाताह्रीसतापानिकलोनभा ॥ १२॥
िवलोमम:्
भानलोिकनपातासह्रीतायािविहतागसा ।
वेदयानस्तयासारदाताधीघनयानया ॥ १२॥
रािगराधिु तगवार्दारदाहोमहसाहह ।
यानगातभरद्वाजमायासीदमगािहनः ॥ १३॥
िवलोमम:्
नोिहगामदसीयामाजद्वारभतगानया ।
हह साहमहोदारदावार्गितधरु ािगरा ॥ १३॥
िवलोमम:्
यात्रयाघनभोगातंु �यदं परमागसः ।
गन्धगंत�मावद्यं रंभाभादिजरा तु या ॥ १४॥
दण्डकां प्रदमोराजाल्याहतामयका�रहा ।
ससमानवतानेनोभोग्याभोनतदासन ॥ १५॥
िवलोमम:्
नसदातनभोग्याभो नोनेतावनमास सः ।
हा�रकायमताहल्याजारामोदप्रकाण्डदम् ॥ १५॥
िवलोमम:्
हाधरािवषदोनानागानाटोपरसाद्रुतम् ।
जम्भकुण्ठकरादेवेनो�ानदरमारसः ॥ १६॥
सागमाकरपाताहाकंके नावनतोिहसः ।
न समानदर्मारामालकं ाराजस्वसा रतम् ॥ १७
िवलोमम:्
तं रसास्वजराकालमं ारामादर्नमासन ।
सिहतोनवनाके कं हातापारकमागसा ॥ १७॥
िवलोमम:्
के शवं िवरसानािवराहालापसमारवैः ।
ततरोदसमग्रािवदोश्रीदोमरगोसताम् ॥ १८॥
हतपापचयेहये ो लंकेशोयमसारधीः ।
रािजरािवरतेरापोहाहाहग्रं हमारघः ॥ २०॥
िवलोमम:्
घोरमाहग्रहहं ाहापोरातेरिवरािजराः ।
धीरसामयशोके लं यो हेये च पपात ह ॥ २०॥
ताटके यलवादेनोहारीहा�रिगरासमः ।
हासहायजनासीताना�ेनादमनाभिु व ॥ २१॥
िवलोमम:्
िवभनु ामदना�ेनातासीनाजयहासहा ।
ससरािग�रहारीहानोदेवालयके टता ॥ २१॥
िवलोमम:्
ता�तािहमहीदेव्यैक्यालोपानवधी�चा ।
हानके हकुधीराशानाके शादकुमारभाः ॥ २२॥
हा�रतोयदभोरामािवयोगेनघवायजु ः ।
त�ं मामिहतोपेतामोदोसार�रामयः ॥ २३॥
िवलोमम:्
योमरा�रसादोमोतापेतोिहममा�तम् ।
जोयवु ाघनगेयोिवमाराभोदयतो�रहा ॥ २३॥
िवलोमम:्
िवंसवातकृताराित�ोभासारमताहतं ।
तं हरोपदमोदासमावाभातनभु ानभु ाः ॥ २४॥
िवलोमम:्
यं रमारयताघािवर�ोरणवरािजरा ।
िनजभासरु दारोपजालबद्ध�जासहम् ॥ २५॥
िवलोमम:्
जगं तोगद्यसादाभा�ागोजतं �मासतं ।
हस्समारसश ु ोके नाितभामागितरागसा ॥ २६॥
वीरवानरसेनस्य त्राताभादवता िह सः ।
तोयधाव�रगोयादस्ययतोनवसेतनु ा ॥ २७॥
िवलोमम्
नातसु ेवनतोयस्यदयागो�रवधायतः ।
सिहतावदभातात्रास्यनसेरनवारवी ॥ २७॥
िवलोमम्
हाितर्दायधरामारमोराजोनतु भ�ू चा ।
सिहतोिहमदीभेसनु ाके लंसहसा�रहा ॥ २८॥
िवलोमम:्
नामनु ानिहजेभरे ापरू ामे��रणावरा ।
कािपसारससु ौरागाराकाभासरु के िलना ॥ २९॥
सा�यतामरसागाराम�ामाघनभारगौः ॥
िनजदेपरिजत्यास श्रीरामे सगु राजभा ॥ ३०॥
िवलोमम:्
भाजरागसमु रे ाश्रीसत्यािजरपदेजिन ।स
गौरभानघमा�ामरागासारमता�यसा ॥ ३०॥